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उ सी उ दा र की क था स र स् व ती ब खा न वी ¸
उ सी उ दा र से ध रा कृ ता र्थ भा व मा न ती ।
उ सी उ दा र की स दा स जी व की र्ति कू ज ती ;
त था उ सी उ दा र को स म स् त सृ ष्टि पू ज ती ।
अ ख ण् ड आ त् म भा व जो अ सी म वि श् व में भ रे ¸
व ही म नु ष् य है कि जो म नु ष् य के लि ये म रे ।
सहानुभूति चाहिए¸ महाविभूति है वही;
वशीकृ ता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
विरुद्धवाद बुद्ध का दया–प्रवाह में बहा¸
विनीत लोक वर्ग क्या न सामने झुका रहे?
अहा! वही उदार है परोपकार जो करे¸
वहीं मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।