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मनोवाज्ञाननक

पुस्तक

लेखक: शिवम ् गप्ु ता


स्वार्थी मनष्ु य
मनोवैज्ञाननक पस्
ु तक

लेखक

शिवम ् गप्ु ता

Contact no . 9109842701
भोशमका

परिचय > स्वार्थथ ककसी वास्तु कसी सम्पदा का नाम नह ीं ह


है स्वार्थथ तो मनष्ु य को वविासत में शमल एक सोच का नाम
है जो इस दनु नया में पैदा हुए सभी मनष्ु य , जानवि को
प्राप्त है इस पिु े ब्रहमींड में सभी स्वार्थी है यु कहे की बिना
स्वार्थथ के ये दनु नया चल ह नह ीं सकती अतः इसका अर्थथ हुआ
की सभी व्यक्तत धोकेिाज मतकाि है जी नह ीं तयक
ु ी स्वार्थथ
के दो रूप है

1) एक अच्छा स्वार्थथ 2) ििु ा स्वार्थथ

अि व्यक्तत के ऊपि ननभथि किता है की वे अच्चा है या ििु ा


अगि व्यक्तत ििु ा होगातो स्वार्थथ भी उसका ििु ा होगा अगि
व्यक्तत अच्चा होगा तो उसका स्वार्थथ भी ििु ा होगा लेककन
अगि उसके स्वार्थथ से ककसी का भला लाभ होगा औि पिु े
समाज में सत्य की स्र्थापना होगी तो उसका स्वार्थथ सत्य
अच्छाई का प्रनतक िन जायेगा इस स्वार्थथ रूपी पस्
ु तक में
व्यक्तत के सभी जवाि शमलेगे की मै असफल तयों हो िहा हो
औि मै सफल कसी कर्थ से हा हो तयक
ु ी स्वार्थथ अगि अच्चा
होगा तो सफलता भी शमलेगी इस पस्
ु तक में मनष्ु य की सभी
पिे िाननयों का ननदान होगा , औि ये पस्
ु तक मनष्ु य की
सफलता का िहस्य है |
ववषय

1) स्वार्थथ है तया
2) स्वार्थथ मनष्ु य के िहस्य
अध्याय 1 > स्वार्थ क्या है

परिचय > स्वार्थथ का न आदद है , न अींत है तयक


ु ी ये पिू ा
जीवन चक्र ये पिू ा ब्रहमाींड स्वार्थथपि ह दिका हुआ है अगि
हमें पानी पीना है तो उस पानी वपने में भी स्वार्थथ है , पानी
वपने में तया स्वार्थथ है ? पानी वपने के शलए हमें प्यास लगना
जरुि है औि उस प्यास से छोत्कािा पाने हे तु हम पानी
वपयेंगे उस पानी का भी स्वार्थथ है तयक
ु ी पानी भी चाहता है
की मेिा कोई उपयोग किे मझ
ु े पाने हे तु लोग तडपे

स्वार्थी सभी है भगवन तक स्वार्थी तयक


ु ी उनको स्रक्ष्ि हे तु
मानव की जरुित र्थी इसशलए मनष्ु य का ननमाथर् ककया औि
इस सिसे मनष्ु य परिचचत न हो इसके शलए भ्रम माया का
ननमाथर् ककया सि स्वार्थथ है लेककन इस सि में एक िात
महत्वपर्
ू थ है वे यह है की स्वार्थथ अगि अच्छा है , तो उससे
समाज का लाभ होगा लेककन अगि स्वार्थथ ििु ा है तो इससे
समाज को हनी होगी स्वार्थथ अगि अच्छा है तो समाज में सख

समचधथ का महौल होगा लेककन अगि स्वार्थथ ििु ा है तो समाज
में दे वध घिना का महौल पनपे गा सभी पिू ा ब्रहमाींड स्वार्थथ
पि ह दिका हुआ है |
अध्याय 2 > स्वार्थ मनष्ु य के रहस्य

परिचय > मनष्ु य क्जतना ह िक्ु ददमान तयु न हो उसके पिु े


िहस्य उसके स्वार्थथ के सार्थ प्रकि आवश्य हो जाते है , वे
जैसा सोचेगा वैसा उसका स्वार्थथ होगा औि सार्थ ह उसका
वैसा आचिर् होगा |

“ मनष्ु य की सोच हो जैसी

मनष्ु य िन जाये वैसा समाज के शलए “

हम मनष्ु य के िहस्य को एक कहानी के मादयम से समझते


है | >

एक गाव में दो व्यक्तत िहते र्थे दोनों शमत्र र्थे एक का नाम


सोहन र्था तो दस
ु िे का नाम िोहन र्था दोनों ह अमीि िनना
चाहते र्थे लेककन एक व्यक्तत जो र्था सोहन वे रुपये कम के
लोगो की मद्दद्त किना चाहता र्था औि आपने गाव का
ववस्ताि किना चाहता र्था दस
ू ि तिफ िोहन ििाि औि भोग
ववलाि के शलए रुपये कमाना चाहता र्था ( यहा दोनों का
स्वार्थथ है औि सोच एक लोग की मद्दत किना चाहता है , तो
िोहन स्वार्थथ के शलए रुपये चाहता है ) सोहन िोहन िहि
रुपये कमाने के शलए गए दोनों ने कड्डी महनत परिक्ष्रम की
लेककन एक अमीि िन गया खूि रुपये शमले औि दस
ु िे को
कुछ नह ीं शमला तयों ? इसशलए तयक
ु ी दोनों की सोच औि
स्वार्थथ का फकथ र्था जि हम ककसी चीज को बिना स्वार्थथ के तो
सोच ह नह ीं सकते है , इसशलए अच्छे स्वार्थथ सह सोच के
सार्थ पाने का प्रयास किते है तो वे चीजे हमें आव्िय शमलाती
है , औि िोहन जैसी गलत सोच िहे गी तू हमािे हार्थ कुछ भी
नह ीं आने वाला है |

अि दे खते है की मनष्ु य के िहस्य औि स्वार्थथ का आपस में


सम्िन्ध तया है |

स्वार्थथ की परिभाषा >

स्वार्थथ ककसी ववषय का नाम नह ीं सार्थथ तो मनष्ु य की सोच की


उपज है मनष्ु य की सोच जैसी होगा स्वार्थथ भी वैसा होगा |

मनष्ु य का िहस्य > मनष्ु य के कोई ना कोई िहस्य आवश्य


होते है औि मनष्ु य उन िहस्य को जानने में लगा िहता है |
र्था उस िहस्य को जान्ने की मनष्ु य की क्जज्ञासा उसे एक
सोच प्रदान किती है , औि उसे सोच की उय्पाज से सार्थथ का
जन्म होता है |

स्वार्थथ औि मनष्ु य के िहस्य का आपस में सम्िन्ध >

स्वार्थथ से ह मनष्ु य के िहस्य उजागि होते है , तयक


ु ी इसी
चीज से ह मनष्ु य के िहस्य का ननमाथर् होता है की वे
समाज में कैसे व्यवहाि कि िहा है | औि समाज में उसकी
सोच कैसी है तयक
ु ी जैस्जी उसकी सोच होगी वैसा उसका
स्वार्थथ होगा औि उसका िहस्य भी वैसा होगा |

आपने ववचार हमें बताये पस्


ु तक कैसी र्ी जिनके ववचार अच्छे
होगे एक फ्री व्यपार project ममलेगा वे भी ispl की तरफ से

सझ
ु ाव दे ने के मलए मलिंक में क्लीक करे

https://forms.gle/1vAppbYKAPxX8N5bA

मेि नाइ book सोच think

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