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DELHI PUBLIC SCHOOL

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SUBJECT: HINDI मनुष्यता प्रश्नोंत्तर CLASS: X

प्रश्न- 1 कवि ने कैसी मत्ृ यु को सम


ु त्ृ यु कहा है ?

उत्तर- कवि ने ऐसी मत्ृ यु को सुमत्ृ यु कहा है जो मानिता की राह में


परोपकार करते हुए आती है जजसके बाद मनष्ु य को मरने के बाद भी
याद रखा जाता है ।जो व्यजतत समाज कल्याण और जग हहत में प्राण
त्याग दे ते हैं ऐसे व्यजतत मरकर भी अमर हो जाते हैं।

प्रश्न-2 .उदार व्यजतत की पहचान कैसे हो सकती है ?

उत्तर- उदार व्यजतत सदा परोपकार के लिए काम करता है । उदार


व्यजतत विश्ि में एकता ,अखंडता और प्रेमभाि पैदा करता है और िोगों
में 'िसुधैि कुटुंबकम’ के भाि जगाता है । िह िोक कल्याण हे तु अपने
प्राण समवपित कर दे ता है । स्ियं सरस्िती उसका बखान करती है ।
समस्त पथ्
ृ िी पर उसकी कीर्ति गूँजती है । ऐसे व्यजतत को िोग मरने के
बाद भी याद रखते हैं ।

प्रश्न-3 कवि ने दधीचच, कणि आहद महान व्यजततयों का उदाहरण दे कर


'मनुष्यता ' के लिए तया संदेश हदया है ?
उत्तर- कवि ने दधीचच , कणि आहद महान व्यजततयों का उदाहरण दे कर
मनुष्यता के लिए यह संदेश हदया है कक हमें करूणामय और दयािान
होकर र्न: स्िार्ि भाि से अपना सब कुछ दसरों के सुख के लिए
न्योच्छािर करना चाहहए । दधीचच मर्ु न ने समाज कल्याण के लिए
अपनी अजस्र्याूँ दान कर दी र्ी। दानिीर कणि ने अपने

किच- कंु डि दान कर हदए ताकक मानिता की रक्षा एिं सत्य ि धमि
की विजय हो सके। उसी प्रकार हमें भी दसरों की मदद के लिए सदै ि
तैयार रहना चाहहए ।

प्रश्न-4 'मनुष्य मात्र बंधु है '- से आप तया समझते हैं ?

उत्तर- इस कर्न का यह आशय है कक इस संसार में हम सभी आपस


में भाई-भाई हैं तयोंकक हम सबका जन्मदाता ‘ईश्िर’ एक ही है । यह
सही है कक समाज में कमों के फि के अनुसार जार्त-पार्त िणि-भेद बने
हुए हैं । ककंतु ये सभी बाहरी भेद हैं। बंधत्ु ि के नाते एक-दसरे की व्यर्ा
को दर करना प्रत्येक मनुष्य का कत्तिव्य होना चाहहए । हमें ककसी के
सार् भेद-भाि नहीं करना चाहहए ।

प्रश्न-5 कवि ने सबको एक होकर चिने की प्रेरणा तयों दी है ?

उत्तर- कवि ने सबको एक होकर चिने की प्रेरणा इसलिए दी है


तयोंकक संगठन में शजतत होती है । आपसी मेिजोि से आत्मीयता और
सहयोग की भािना का विकास होता है । इससे मागि में आने िािी
बाधाओं का लमिकर सामना ककया जा सकता है और जीिन की
समस्याओं का समाधान ककया जा सकता है ।

प्रश्न-6 व्यजतत को ककस प्रकार का जीिन व्यतीत करना चाहहए ?

उत्तर- इस कविता में कवि ने मनष्ु य को अहं कार रहहत जीिन व्यतीत
करने के लिए कहा है । मनुष्य को अपने स्िार्ों को त्यागकर ,सदै ि
परोपकार करते रहना चाहहए । परे विश्ि को 'िसुधैि कुटुंबकम' का
संदेश दे ते हुए एकता और भाईचारे की भािना का प्रसार करना चाहहए ।
मनष्ु य को अपने जीिन में ऐसे कमि करने चाहहए कक मत्ृ यु के बाद भी
िोग उसे याद रखें और उसकी यशगार्ा युगों-युगों तक गूँजती है ।

प्रश्न-7 'मनुष्यता' कविता के माध्यम से कवि तया संदेश दे ना चाहता है


?

उत्तर- 'मनुष्यता' कविता के माध्यम से कवि ने मनुष्य को मनुष्यता


का संदेश हदया है । कवि मनष्ु य को भाईचारा , विश्ि-बंधत्ु ि ,
सहानुभर्त, करूणा , अहं कार न करने का पाठ पढ़ाना चाहते हैं । मनुष्य
संसार में अपनेपन की भािना पैदा करें । मनुष्य का शरीर तो नश्िर है
इसलिए उसे मत्ृ यु से डरना नहीं चाहहए। मनष्ु य को दधीचच , रं र्तदे ि,
उशीनर ,कणि जैसे महापरू
ु षों की भांर्त समाज के कल्याण के बारे में
सोचना चाहहए और अपना सिस्िि त्याग करने में हहचककचाना नहीं
चाहहए ।मनुष्य को मनुष्यता का सही अर्ि समझकर र्न:स्िार्ि भाि से
जीना चाहहए अपने सार्-सार् दसरों को भी ऊूँचा उठाना चाहहए।

प्रश्न-8 'अखंड आत्म भाि' से तया तात्पयि है ?

उत्तर- 'अखंड आत्म भाि ' से तात्पयि है - 'िसुधैि कुटुंबकम’ । इसके


माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कक सच्चा मनुष्य िही है जो समस्त
विश्ि में एकता,अखंडता,प्रेम और सौहादि के भाि को पैदा करता है ।

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