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Manushyata PDF Notes
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Secunderabad
किच- कंु डि दान कर हदए ताकक मानिता की रक्षा एिं सत्य ि धमि
की विजय हो सके। उसी प्रकार हमें भी दसरों की मदद के लिए सदै ि
तैयार रहना चाहहए ।
उत्तर- इस कविता में कवि ने मनष्ु य को अहं कार रहहत जीिन व्यतीत
करने के लिए कहा है । मनुष्य को अपने स्िार्ों को त्यागकर ,सदै ि
परोपकार करते रहना चाहहए । परे विश्ि को 'िसुधैि कुटुंबकम' का
संदेश दे ते हुए एकता और भाईचारे की भािना का प्रसार करना चाहहए ।
मनष्ु य को अपने जीिन में ऐसे कमि करने चाहहए कक मत्ृ यु के बाद भी
िोग उसे याद रखें और उसकी यशगार्ा युगों-युगों तक गूँजती है ।