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विषय – हिन्दी कविता – अग्निपथ कक्षा – 9

निम्िलिखित प्रश्िों के उत्तर दीग्िए –


1. कवि िे ‘अग्नि पथ’ ककसके प्रतीक स्िरुप प्रयोग ककया िै ?
उत्तर:- कवि ने ‘अग्नन पथ’ को संघर्षमय जीिन के प्रतीक स्िरुप प्रयोग ककया है । कवि का
मानना है कक मनष्ु य का जीिन संघर्ों तथा कठिनाईयों से भरा है । उसे कदम-कदम पर
चन
ु ौततयों का सामना करना पड़ता है ।
2. ‘मााँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘िथपथ’ इि शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कििा चािता
िै ?
उत्तर:- ‘मााँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि यही कहना चाहता
है कक मनुष्य को अपनी लक्ष्य प्राग्तत के ललए ककसी भी प्रकार की अनपेक्षित चन
ु ौततयों के ललए
तैयार रहना चाठहए। उसे इस मागष में बबना ककसी सहारे , सुखों की अलभलार्ा और हर पररग्स्थतत
का सामना करते हुए अपने लक्ष्य पर ही ध्यान केग्रित करना चाठहए।
3. ‘एक पत्र-छाि भी मााँग मत’ इस पंग्क्त का आशय स्पष्ट कीग्िए।
उत्तर:- ‘एक पत्र-छाह भी मााँग मत’ इस पंग्तत का आशय यह है कक कठिनाईयों से भरे मागष में
मानि को ककसी सहारे की अपेिा नहीं करनी चाठहए। उसे हर कठिनाईयों का सामना स्ित:
करते हुए अपने लक्ष्य प्राग्तत की ओर बढ़ना चाठहए।
निम्िलिखित का भाि स्पष्ट कीग्िए।
4. तू ि थमेगा कभी
तू ि मुड़ग
े ा कभी
उत्तर:- भाि – प्रस्तुत पंग्तत का भाि यह है कक कष्टों से भरे इस मागष में रुकना और थमना
नहीं है । मनुष्य को केिल अपने लक्ष्य पर ध्यान केग्रित कर आने िाली चन
ु ौततयों से न
घबराकर आगे बढ़ते रहना चाठहए।
5. चि रिा मिुष्य िै
अश्र-ु स्िेद-रक्त से िथपथ, िथपथ, िथपथ
उत्तर:- भाि – प्रस्तत
ु पंग्तत का भाि यह है कक संघर्षमय मागष में सबसे सर
ु दर दृश्य यही हो
सकता है कक मनष्ु य अपना पसीना बहाते हुए उस मागष पर बढ़े चला जा रहा है । शरीर से
पसीना बहाते हुए और खनू से लथपथ होते हुए भी मनष्ु य तनरं तर अपने मागष में आगे बढ़ते जा
रहा है तयोंकक ऐसा ही मनष्ु य सफलता प्रातत करता है ।
6. इस कविता का मूिभाि क्या िै ? स्पष्ट कीग्िए।
उत्तर:- ‘अग्नन पथ’ कविता कवि ‘हररिंशराय’ द्िारा रचचत एक प्रेरणादायक कविता है । इस
कविता के द्िारा कवि मनष्ु य को संघर्षमय जीिन में ठहम्मत न हारने की प्रेरणा दे रहा है । कवि
जीिन को अग्नन से भरा हुआ मानता है । इस जीिन में संघर्ष ही संघर्ष है पररतु मनष्ु य को
चाठहए कक िह इससे न घबराए, न ही अपना माँह
ु मोड़े और बबना ककसी सहारे की अपेिाकर मागष
में आगे बढ़ते रहे । तयोंकक अंत में ऐसे ही संघर्षशील परु
ु र्ों का जीिन सफल होता है ।

गह
ृ कायष
1 ‘जीिन एक संघर्ष’ विर्य पर संिाद ललखखए।
2 ‘संघर्ष’ शब्द का प्रयोग करते हुए ‘नारा’ ललखखए ।

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