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ASPEE NUTAN ENGLISH MEDIUM SCHOOL

[SECONDARY SECTION]
MARVE ROAD, MALAD (W)
STD : IX SUB : HINDI
प्र. २ अ ) समझकर लिखिए।
१. 'जीवन - महा - संग्राम है । ' इस का अर्थ है =
Ans. जीवनपथ पर चारों ओर दख
ु एवं संकट - ही - संकट है । अतः जीवन रुपी पथ पर
चलते समय उनके साथ संघर्ष करना पड़ता है । यही जीवन का महासंग्राम है ।
२. कवि किससे भागें गे नहीं =
Ans. कर्तव्य पथ से
३. कवि किन परिस्थिति में वरदान नहीं माँगेंगे =
Ans. कवि ताप और अभिशाप दे ने की स्थिति में वरदान नहीं माँगेंगे।
४. कवि मना करते है =
Ans. अपनी लघत
ु ा का स्पर्श करने के लिए मना करते है ।
५. कवी किस बात पर ऐतराज नहीं =
Ans. किसी के महान बने रहने पर ऐतराज नहीं।

आ ) समानार्थी शब्द लिखिए।


१. विराम = आराम , २. महा - संग्राम = बड़ा यद्ध
ु , ३. खंडहर = भग्नावशेष ,
४. स्मति
ृ = याद , ५. छोटापन = लघुता , ६. उर = हृदय , ७. मार्ग = पथ
इ ) विरुद्धार्थी शब्द लिखिए।
१. सख
ु द x दख
ु द , २. हार x जीत , ३. वरदान x अभिशाप , ४. अपने x पराए
ई ) वचन बदलकर लिखिए।
१. स्मति
ृ = स्मति
ृ याँ , २. जीवन = जीवन
प्र. ३ निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।

१. यह हार एक ……………………………….. वरदान माँगँग


ू ा नहीं।
संदर्भ = 'वरदान माँगँग
ू ा नहीं ' इस कविता में कवि शिवमंगल सिंह 'सुमन ' जी ने जीवन
में आनेवाले संघर्षों को अपने आत्मविश्वास , प्रयास व परिश्रम द्वारा दरू करने की
सलाह दे ते है ।
सरल अर्थ = कवि स्वाभिमानी है । अतः वह ईश्वर से दया की भीख नहीं माँगना चाहते।
उनके लिए हार विराम की भाँति हिअ और जीवन महासंग्राम है । अतः जीवनरूपी
महासंग्राम पर आने वाले दख
ु एवं संघर्षों से वह भयभीत नहीं होंगे , वह तिल - तिल
मिटें गे यानी जब तक शरीर में प्राण है तब तक वह संघर्षों का सामना करें गे परं तु संघर्षो
से बाहर निकलने के लिए वह ईश्वर से दया की भीख कदापि नहीं माँगेंगे। उन्हें ईश्वर से
किसी भी प्रकार के वरदान की चाह नहीं है ।

२. लघत
ु ा न अब ……………………….. वरदान माँगँग
ू ा नहीं।

संदर्भ = 'वरदान माँगँग


ू ा नहीं ' इस कविता में कवि शिवमंगल सिंह 'सुमन ' जी ने जीवन
में आनेवाले संघर्षों को अपने आत्मविश्वास , प्रयास व परिश्रम द्वारा दरू करने की
सलाह दे ते है ।
सरल अर्थ = कवि अपने आप को बहुत ही लघु यानी छोटा मानते हैं। आखिर ईश्वर के
सामने सभी लघु ही होते हैं। ईश्वर महान होता है । इस तथ्य को स्वीकार कर कवि
कहते हैं ," हे ईश्वर , मेरी लघुता को छूने का प्रयास मत करो यानी मेरे दख
ु - दर्द दरू
करने का विचार तू त्याग दे इस संसार में तम
ु सबसे श्रेष्ठ हो। अतः तम
ु महान बने रहो।
मैं अपने हृदय में निर्मित वेदना को व्यर्थ त्यांगग
ू ा नहीं और उसे मेरे हृदय से निकालने
के लिए मैं तुमसे वरदान नहीं माँगँग
ू ा। "
३. चाहे हृदय ………………………………….. वरदान माँगँग
ू ा नहीं।

संदर्भ = 'वरदान माँगँग


ू ा नहीं ' इस कविता में कवि शिवमंगल सिंह 'सुमन ' जी ने जीवन
में आनेवाले संघर्षों को अपने आत्मविश्वास , प्रयास व परिश्रम द्वारा दरू करने की
सलाह दे ते है ।
सरल अर्थ = कवि कहता है ," हे ईश्वर तू मेरी जितनी परीक्षाएँ लेना चाहता
,उतनी परीक्षाएँ ले ले। तुम जितना अधिक ताप मेरे हृदय को पहुँचाना चाहते
हो , उतना पहुँचाओ या तुम मुझे श्राप दो किंतु मैं अपने कर्तव्य पथ पर अडिग
रहूँगा। आनेवाले संकटों , दख
ु ों व विपरीत परिस्थिति का सामना करूँगा
लेकिन संकटों से उबारने के लिए तुमसे वरदान हरगिज नहीं माँगँग
ू ा। "

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