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ई- के रूप में
साहितयशिल्पर के पाोकक कअ ुपमपम ंें

1
: 26 , 1956 ( ) ।
:ए . ए. ( ), च - ए 1981 ।
तऔ त त 1983 । , , ,
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: 1984 डॉ. त ।
1990 ।
1991 त त त च ‘
एवं त’ च औ । त त त त ( त ),
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1993 ।
1995 त त । 2001 च ।
2002 21 ।( च ए )। 2005 ( ई)।
2009 ( )। 2010
( च )। 2010 त ( )
त: त ‘त ’ ।
: ए ए - 3/116, , च, - 831001.
2
- 09431328758, 0657 2230156, 0657 2143942
mail : jainandan.jamshedpur @gmail.com

क्रम
1.

2. त

3. त

4. घ त

5.

6.

7.

8. त

9. त त

10. औ घ

11. त

12. ए

13.

14. त त

15.

16.

17.

18. त

19. त

20. त

21. औ त

22.

3
23.

24.

25. च

4
पेटू

दरबारी प्रसाद ुपपे बचपप की ंूख कअ आज तक पिीं ंूले, वे लायद इसे ंूलपा ंर पिीं चािते।
ंूख की याद आतर िै तअ ुन्प के एक-एक दापे का मअल वे मिसूस करपे लगते िैं और जब ुन्प के
दापे उन्िें बबााद या फेंके िमए हदखाई पड़ जाते िैं तअ बरबस उन्िें ंूख याद आ जातर िै ।

कल रात में उपके बे क पे दअस्तक कअ पा ी दी। समबि में दाई पे ढे र सारा खापा, पमलाव, चचकेप, सलाद,
पाप आहद घूरे पर फेंक हदये। उपकी पजर पड़ गयर और आतमा ररस उोी ककसर पके घाव की तरि।
उन्िकपे ुपममाप लगाया कक ये सामग्रर कम से कम बरस आदमर के ंरपे खापे लायक िैं। इस तरि
की बबाादी उन्िें घर-बािर ुक्सर हदखाई पड़ जातर और वे बमरी तरि आित िअ जाते। क्लबक, िअ लक,
लादी की पाह ा यक आहद में िअपेवाली बािर की बबााहदयक पर तअ खैर उपका कअई ुख्ततयार पिीं िअ
सकता था, लेककप वे बिमत नपरीि और िताल थे कक घर की बबाादी पर ंर उपका कअई वल पिीं था।

उन्िकपे किीं पढा था कक इस दे ल में एक हदप में ुपाज की ख्जतपर बबाादी िअ जातर िै , उतपे में
इथअपपया, पामरबबया या सअमाशिलया जैसे ंख
ू े दे ल के साल ंर के ंअजप की जरूरत परू ी िअ सकतर िै ।

मााँ का चेिरा उन्िें ुब ंर बरबस याद आ जाता िै । ुन्प के ककतपे ंर मिीप दापे िक फ़ कते,
समखाते, पकाते या परअसते िमए उपके जमरप पर चगर जापे से वि एक-एक कअ मपअयअग से चप म पे लग
जातर थर, जैसे वे ुन्प के पिीं मअतर के दापे िक। बाद में ंख
ू पे उन्िें ंर समझा हदया था कक ये
दापे सचममच मअतर से किीं ुचिक ुपमअल िैं।

बे े जवाप िअ गये थे, यक वे ंर बूढे पिीं थे। बे े मापते थे कक वे लिर में रिकर ंर दे िातर-गंवार िी
रि गये। कदाचचत यि सच था कक गााँव और ंूख की सअिबत का इतपा गाढा रं ग चढ गया था उपके
हदमाग पर कक लिर और लिर के ंरपे ंअजप का कअई प्रंाव विााँ ह क िी पिीं पाया। वे सब कमछ
सरखकर ंर िअशिलयारी और मक्कारी पिीं सरख सके। इसे िी उपके बे े ुक्लमंदी किते और इसर
ुक्लमंदी के ुंाव में उपकी बातक का घर में कअई तवज्जअ पिीं। बे े ुपपर मरजर के माशिलक थे
और कमछ ंर करपे के शिलए आजाद। इस आजादी में उपकी जअ िरकतें िअतरं, उन्िें दे खकर वे िै राप रि
जाते ल़गता िी पिीं कक ये बच्चे उपके घर, गााँव, जपपद और मम्क के िैं। लगता कक इपकी रिप-
सिप, चाल-चलप, खाप-पाप सब कमछ एकदम ुपचचन्िा, ुपपिचापा िै । पता पिीं ककस दनम पया-जिाप
की ये पकल कर रिे थे लगंग रअज उतसव, पा ी, पाच, गापा, िम
ू , िड़ाका। उपके शिलए पैसक का
यिी बेितर सदप
म यअग था। दरबारी प्रसाद जैसे एक िी घर में रिकर ंर एक ुलग ापू बप गये। पैसक
के सदप
म यअग की पररंाषा यिााँ एकदम ुलग थरं। चाँकू क ख्जंदगर के ककिरे पे उन्िें एकदम दीगर तरीके
से सबक शिसखाया था। वे चािते थे कक पैसक कअ सबसे पिले दनम पया की ंूख और बरमारी शिम ापे में
खचा िअपा चाहिए। चािे वे पैसे ककसर के द्वारा ंर ुख्जात ककये गये िक। यि पूरी दनम पया ुगर बिमत

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बड़र लगतर िअ तअ उसमें कम से कम ुपपे पजदीकी ररश्तेदारक कअ िी लाशिमल करें । ुगर यि ंर गले
से प उतरे तअ कफजूलखची और बबाादी के गमपाि से तअ खद
म कअ बचा लें !

पपछले छ: मिीपे में गााँव से दीदी की छ: चचठ्ठर आ चक


म ी िैं, जअ स्यािी से पिीं आाँसओ
म ं से शिलखर िमई
िैं। दीदी की एक ककडपर खराब िअ गयर िै , उसे ऑपरे लप करके बािर नपकलवापा िै , पिीं तअ दस ू री ंर
संक्रशिमत िअ जायेगर। उसपे ककसर तरि दस िजार रूपये जग
म ाड़ ककये िैं, पााँच िजार उसे और चाहिए।
घर के सकल आय-व्यय का पवततमंत्रर उपका बड़ा बे ा दक्
म खप प्रसाद और ममतय सलािकार छअ ा बे ा
ंमक्खप प्रसाद िैं। (दअपक कअ िी ये पाम बब्कमल पापसंद िैं और वे खद
म कअ डरपर एवं बरपर किलवापा
पसंद करते िैं। जबकक दरबारी पे ये पाम इसशिलए हदये थे कक दख
म और ंूख कअ वे ुपपर पजरक के
सामपे िर पल याद रखें। मगर ये लड़के ुपपे पाम की व्यंजपा से बब्कमल उ् ा पवचार रखते थे।)

दरबारी प्रसाद पे छोी बार उन्िें याद हदलाया, "बे े , पैसे ंेज दअ। दीदी मेरी सगर िै , उसके बिमत ऋण
िैं मेरे ऊपर। ऋण प ंर िअते कफर ंर ंाई िअपे के पाते इतपर सर मदद तअ फजा िै िमारा।"

दक्
म खप पे छोी बार उसर जवाब की आवख्ृ तत की जअ पिली बार उसपे हदया था, "आपपे कि हदया, ुब
ममझ पर छअड़ दीख्जए। मैं इंतजाम िअते िी ंेज दाँ ग
ू ा।"

इस 'इंतजाम' लब्द का रिस्य उन्िें एकदम समझ में पिीं आया। घर में पाह ा यााँ चल रिी थरं ु़जरब-
ुजरब तरि के बेमतलब सामाप आ रिे थे, ख्जपके बबपा प ककसर की छातर में दम घम रिा था, प
ककसर के गले में नपवाला ु क रिा था। कालीपें बबपा फ े िी परम ापे पदे की जगि पये पदे बबपा
ककसर खराबर के परम ापे ीवर और ऑडडयअ शिसस् म का एक्चें ज माइक्रअवेव ओवप वैक्यम
ू क्लीपर
े लीफअप इंस्ुमें
के ोीक-ोाक रिते िमए ंर कॉडालेस उपकरण घर में दअ-दअ बाइक के रिते िमए ंर एक
तरसरा बाइक साडड़यााँ, कपड़े और बेडलर आहद के बेमतलब बदले जापे की तअ खैर कअई चगपतर पिीं।

दरबारी की आख्जजर बढतर जा रिी थर, लेककप वे उन्िें बरजपे की यअग्यता पिीं रखते, यि एिसास
उन्िें बिमत पिले करा हदया गया था। वे दअपक कमाऊ और उपसे कई गमणा बेितर एवं सम्मानपत पदक
पर थे। लड़के माँि
म से कमछ बअलते पिीं थे लेककप उपके आवंाव से यि ध्वनप स्पष् फू तर प्रतरत
िअतर थर कक कमाते िम िैं तअ खचा चािे कैसे करें , आपकअ कष् पिीं िअपा चाहिए और आप बाप िैं तअ
क्या िमआ आज के जमापे में ुक्लमंद (िअशिलयार और मक्कार) िअपा इससे ंर बड़र बात िै ।

ोीक िै , ुपपर कमाई चािे जैसे उड़ायें, दरबारी प्रसाद कअ इस पर कअई उज्र पिीं थर, उज्र तब िअतर
जब ऐसर िी आजादी उन्िें पिीं दी जातर। वे ुपपर कमाई के पैसे ुपपे ुपमसार खचा पिीं कर सकते,
चाँ कू क बज बपापे का िक शिसफा पवततमंत्रर कअ था। दरबारी प्रसाद पे ोाप शिलया कक ुब उन्िें एक
सतत पवपक्ष की ंूशिमका में आ जापा िअगा।

उन्िकपे बिमत पाराज ंंचगमा बपाकर पछ


ू ा दक्
म खप से, "क्या मैं जाप सकता िूाँ कक दीदी कअ ंेजपे के
शिलए इंतजाम ककतपा आगे बढा। क्या यि इंतजाम दीदी पर कमछ आफत ू जापे के बाद परू ा िअगा?"

6
"सॉरी बाउजर, मैं बतापा ंूल गया। फमआ कअ पैसे तअ मैंपे ंेज हदये, कई हदप िअ गये।"
उपके मप पे ख से किा कक ऐसर बात ंूलपे की पिीं िअ सकतर। जरूर कअई ंेद िैं, उन्िकपे पूछा,
"ककतपे रूपये ंेज?
े "
"एक िजार।"
"एक िजार? मगर मैंपे तअ किा था कक उसे पााँच िजार की जरूरत िैं!"
"ुब जरूरत की कअई सरमा तअ िअतर पिीं िैं, बाउजर। मााँगपे में ककसर कअ क्या जाता िै , ख्जतपा मप
ककया मााँग शिलया। मगर दे पेवाले कअ तअ ुपपा हिसाब-ककताब ंर दे खपा पड़ता िै । इससे ज्यादा दे पा
संंव पिीं था।"
एकदम चेिरा बमझ गया दरबारी प्रसाद का। करािते िमए किा, "क्या मैं ककसर बरमारी में नघर जाऊाँ और
उसमें दस-बरस िजार लगापे पड़ जायें तअ यक िीं छअड़ दअगे ममझे मरपे के शिलए?"
"बाउजर, आप किााँ की तमक किााँ जअड़पे लग जाते िैं! ककतपर बार किा कक ुपपे खंडिर ुतरत से
नपकशिलये बािर और ुपपे इमअलंस-सें ीमें कअ पये संदंा से जअडड़ये। फमआ कअई लावाररस पिीं िैं,
उपके ुपपे पररवार िैं बे े िैं दामाद िैं।"

दरबारी प्रसाद की आाँखें आाँसमओं से डबडबा गयरं लगा कक आज ंर वे उतपे िी बेबस िैं, उतपे िी ंूखे
िैं ख्जतपे गााँव में थे। फका शिसफा इतपा था कक ंूख की वेदपा ुब आाँत में पिीं ख्जगर में थर। दीदी
उपके शिलए खप
ू की ररश्तेवाली शिसफा एक सामान्य बिप पिीं थर। बख््क उपकी ंूख और ंअजप से
उसकी कई माशिमाक यादें जमड़र थरं। दीदी उसे ंरपे
खखलापे के शिलए िर समय उतावली रितर थर।बिमत
समंदर थर दीदी, इसशिलए उसका ब्याि एक ुच्छे खाते-परते पररवार में िअ गया था। बगल के िी िअम-
ाउप पवादा में उसका जेो पौकरी करता था। उसके डेरे पर ुक्सर गााँव से लअगक का आपा-जापा
लगा रिता। कअ ा -कचिरी, लादी-गौपे की खरीदारी और बरमारी की दवा-दारू के शिलए। दीदी ंर ककसर
की समश्रष
म ा करपे या खदम का इलाज करवापे यिााँ आतर रितर। गााँव से पवादा जापा तब बिमत आसाप
था। गााँव के पास िी ख्स्थत स् े लप पर जापे के शिलए हदप ंर में दअ बार रे लगाड़र रूकतर थर और आपे
के शिलए तरप बार। इपमें सफर के शिलए ह क लेपा कंर-कंर िी जरूरी िअता था। दरबारी िाई स्कूल
में पढ रिा था और घम
ू पे-दे खपे के शिलए दअस्तक के साथ बाजार जापे लगा था। बाउजर पे एक हदप
किा कक जब पवादा जाते िअ तअ जरा दीदी का ंर समाचार ले शिलया करअ।

दरबारी चला गया एक हदप। दीदी यिीं थर। उसे दे खकर एकदम खखल उोी। थाली में पापर लाकर
उसके पैर िअये (इस ुथातंत्र में ंर ंाई की नपिापता और फ े िाली के गखणत से दीदी कअ कअई मतलब
पिीं था) कफर किा, खापा लगातर िूाँ ज्दी से खा लअ। उसपे परचे बअरे का आसप बबछा हदया और
पापर का जग एवं चगलास रख हदया। दरबारी परचे बैो गया। ंअजप की थाली आयर तअ उसे दे खकर
उसकी आाँखें चमक उोीं। इतपा बहढया खापा उसपे कब खाया था, याद करपे की कअशिलल की, लेककप
याद पिीं आया। ंर थाली ंात, ंर क अरा झअलदार मछली, पापड़, ुचार और सलाद। ुपपे घर में
ंर उसपे ंात खाये थे और मछली ंर मगर ऐसा ंात, खल
म बूदार, रूई के फािे की तरि ममलायम एवं

7
लंबे-लंबे। उसपे बड़ा सा कौर माँि
म में डालते िमए पछ
ू ा, "यि कौप-सा ंात और कौप-सर मछली िै
दीदी?"

दीदी उसके सामपे िी बैोी थर, किा, "इसे बासमतर चावल किते िैं और मछली का पाम रअिू िैं।"
दीदी पे आगे किा कक उसके जेो खापे-परपे के बिमत लौकीप िैं, िमेला मााँस-मछली और ऐसा िी उम्दा
ककस्म का मिाँगा चावल खाते िैं। दरबारी पे पिली बार यि जापा था कक आदमर-आदमर में फका की
तरि चावल-चावल में इतपा फका िअ सकता िै । उसपे खब
ू छककर खाया और कफर दीदी कअ बिमत
कृतज्ञ पेत्रक से नपिारा।

दीदी उसे इस तरि बेसमि िअकर खाते दे ख खमद ंर एक आह्लाद से ंरतर रिी। उसपे मााँ-बाउजर का
समाचार पूछा। दख
म र िमई जापकर कक वे पिले की तरि िी बरमार और दब
म ल
ा िैं। आगे यि ंर पूछा कक
इस समय घर में खापे के शिलए क्या िै ?

दरबारी पे बताया, "आो हदप पिले तअ कमछ पिीं िमआ था, ुंर-ुंर मडमआ क ा िै तअ रात-हदप
मडमआ की रअ ी चल रिी िै ।"

दीदी कअ कअई ताज्जब


म पिीं िमआ। वि जापतर थर कक यिी िअता रिा िै िाप की फसल िअपे पर जब
तक चावल खतम प िअ जाये रात हदप ंात गेिूाँ की फसल िअपे पर जब तक गेिूाँ खतम प िअ जाये
रात हदप गेिूाँ की रअ ी इ़सर तरि चपा, मकई और खेसाड़र आहद के साथ ंर िअता था। दीदी के चेिरे
पर एक मायस ू र उंर आयर। उसपे दरबारी के माथे कअ सिलाते िमए किा, "सबका हदप कफरता िै मन् म पा
दे खपा, तम्
म िारा ंर कफरे गा एक हदप। खब
ू मप लगाकर पढअ, जरूर तम्
म िें कअई ुच्छा काम शिमल
जायेगा।"

वि दीदी का माँि
म दे खता रि गया था, क्या सचममच ऐसा िअगा?
दीदी पे आगे बताया था, "मैं ुंर चार-छि मिीपे यिीं रिूाँगर। जेोापर कअ लड़का िमआ िै । घर का सारा
काम मेरे िी ख्जम्मे िैं खापा बपापे से लेकर उपका बदप माशिलल तक। करपा पड़ता िै , तमम्िारे जरजा
ंर बेरअजगार िैं प और सबकअ मालूम िै कक मैं बिमत गरीब घर से आयर िूाँ!" दीदी के चेिरे पर एक
थकाप और बेबसर झााँक गयर थर। उसपे कफर किा, "तमम कम से कम िर इतवार कअ आ जाया करअ।
जेो जर ुंर खापा खापे आयेंगे, तम
म उपसे बहढया से प्रणाम-पानत करके बअलपा-बनतयापा।"

जेो आया तअ मप प िअते िमए ंर उसपे उसके पैर छूकर प्रणाम ककये। दीदी पे जेो कअ समपाते िमए
किा, "आज यिीं रूक जाओ दरबारी, कल समबि चले जापा।"
दरबारी पे जेो के चेिरे दे खे, कअई आपख्तत पिीं थर विााँ। पैर छूपे का लायद ुसर िमआ। रूक गया
वि, लालच तअ था िी कक दअ-तरप लाम और ुच्छा खापा शिमल जायेगा।
ककसर लिर में रात गमजारपे का यि उसके शिलए पिला मौका ंर था। खासकर एक ऐसे क्वा ा र में जिााँ
इकठ्ठे सब कमछ उपलब्ि िक, ायले , बाथरूम, बबजली, पापर।

8
बिमत मजा आया उसे, मप िी मप उसपे प्राथापा की, ' िे ंगवाप! क्या िमें ंर ऐसर ख्जंदगर पिीं शिमल
सकतर िै ?"
क्वा ा र के पास िी इस लिर का इकलौता शिसपेमा िॉल सरस्वतर ॉककज था। उसपे ुब तक शिसपेमा
पिीं दे खा था, िााँ एक िसरत से इस िॉल कअ उसपे कई बार बड़र दे र तक खड़े िअ-िअकर दे खा था।
खासकर लअ के ाइम िअ जापे पर ह क के शिलए मचर एक ुफरा-तफरी दे खकर उसके मप में एक
जअरदार कौतूिल िअ उोता था कक जरूर यि शिसपेमा एक ऐसर चरज िै जअ सबकअ सिज उपलब्ि पिीं
िअ सकता। वि िॉल के लरषा पर रखे लाउडस्परकर के चकगे से बजते पये-पये कफ्मर गापक कअ बड़े
ध्याप से समपता और संतअष कर लेता।

जब मैह पर लअ का ाइम िअपे लगा तअ लाउडस्परकर की आवाज क्वा ा र में िी आपे लगर। खखड़की के
पास बैोकर उसपे काप इिर िी लगा हदये। आपंद की एक हिलअरें उोपे लगरं उसके मप में । ोिरे िमए,
होोके िमए गााँव की तमलपा में लिर ककतपा चलायमाप और गमंजायमाप िअता िै प!

दीदी के जेो जब लाम कअ ऑकफस से वापस आए तअ साथ में कई तरि की सख्ब्जयााँ और फल ंर


लेते आए। दीदी उपके आपे के ोीक पिले ककचेप में चली गयर जिााँ से क्षमिा-ग्रंचथ कअ जाग्रत कर दे पे
वाली खल
म बए
म ाँ आपर लरू
म िअ गयरं। थअड़र िी दे र में उसपे एक गरमागरम प्ले लाकर हदया ख्जसमें
दे खते िी खापे का आमंत्रण समाया था। प्ले की एक सामग्रर िलवा कअ वि पिचापता था, दस
ू री का
पाम दीदी पे पपरर पकौड़ा बताया। गजब का स्वाद था उसमें । इसे खापे के बाद चाय दी गयर। रात के
खापे में घर से चप
म ड़र िमई चपानतयााँ और दअ-तरप तरि की बेिद लजरज सख्ब्जयााँ थरं। रात में लग िी
पिीं रिा था कक किीं से ंर ुाँिेरा िें । घर-बािर िर जगि तेज रौलपर फैली थर और सारी चरजें हदप
की तरि हदखाई पड़ रिी थरं। गााँव के घरक में तअ ह मह माते दीए की क्षरण और मररयल रौलपर के
ुलावा िर जगि ुाँिेरा िी ुाँिेरा बबछा िअता िैं। उसे ुच्छी परंद पिीं आयर बस सअचता िी रि गया
कक इस एक दनम पया में ककतपर ुलग-ुलग दनम पया िैं और इपमें रिपेवाले लअग ककतपे ुलग-ुलग
िैं।

समबि लौचालय जापे में उसपे खब


ू फूती मिसूस की। गााँव में लअ ा लेकर कम से कम एक मरल तअ
पैदल जापा िी पड़ता था। ुगर किीं जअर लग गया तअ शिसवा ककसर तरि रअक रखपे का दस
ू रा कअई
उपाय पिीं। उसपे आज िअपे में ढे र सारा पापर का इस्तेमाल ककया। एक लअ े पापर से िअपे में उसे िर
बार लगता था कक यि बिमत कम िैं। ऐसा िी उसपे पिापे में ंर ककया। ऊपर फव्वारा था, दरवाजा
बंद करके उसपे जअर से चला हदया। इस तरि बंद कमरे में ुकेले पंगे िअकर पिापे का यि उसका
पिला ुवसर था। िालांकक खद
म से ंर लाज लग रिी थर उसे। उसपे ुच्छी तरि परू ी दे ि में दअ बार
साबप
म लगाये। पता पिीं ककतपे हदपक बाद आज वि साबप
म लगा रिा था।

कपड़े आहद उसपे पिप शिलये तअ दीदी पे किा, "पाश्ता ला रिी िूाँ, खा लअ।"
उसपे थाली और क अरे में पूड़र, सब्जर और खरर ला दी। दरबारी खाते िमए एक रअमााँच से गमजरता रिा
कक यि कैसा सौंाग्य िै कक रात-हदप में यिााँ चार-चार बार लअग खा रिे िैं और चारक िी बार ुलग-

9
ुलग तरि की चरजें! जबकक उसे एक िी तरि का रूखा-सूखा दअ बार ंर नपयशिमत पिीं शिमला करता।
उसपे समपा ंर था कक ुलग-ुलग समय के खापे का ुलग-ुलग पाम िअता िै - ब्रेक फास् , लंच,
स्पैक्स, डडपर आ़ज उसपे चररताथा िअते दे ख शिलया।

पाश्ता करके उसपे स् े लप के शिलए नपकल जापा चािा, लेककप दीदी पे किा, "खापा खाकर बारि
बजेवाली पैसेंजर से चले जापा। जेो जर मााँस लापे गये िैं।"

मााँस के पाम से उसके खापे की तलब में एक ुिैया समा गया और माँि
म में ढे र सारी लार ंर आयर।
ुपपे घर में मााँस खाये उसे प जापे ककतपे मिीपे िअ गये। रूक गया वि और जर ंरकर मााँस-ंात
खाया।
दीदी पे चलते िमए उसकी ममठ्ठर में पााँच रूपये पकड़ा हदये और किा, "इतवार कअ आ जाया करपा
दरबारी।"

दीदी की वि स्पेिमयर और रागातमक संंाषण-ममद्रा दरबारी के हृदय-प ल पर ुंककत िअ गयर।


ुब वि प्राय: िर इतवार कअ विााँ िमक जापे लगा। कंर रात में ोिर जाता, कंर खा-परकर उसर
हदप वापस िअ जाता। दीदी बिमत खल म िअतर। इसर तरि आते-आते एक हदप उसपे लक्ष्य ककया कक दीदी
का जेो उसे कड़र पजरक से घूरपे लगा िै और उसकी ममखाकृनत पर एक रअष हदखाई पड़पे लगा िै ।

एक हदप दीदी पे उसे कमछ सामाप से ंरा एक थैला हदया और किा, "इसे लेते जा मन्
म पा, घर में
काम आएगा।"

उस थैले में प्रचरम मात्रा में साबमप, तेल, बबस्कम , चपाचरू आहद रखे थे। दीदी पे लायद ुपपे हिस्से की
ये चरजें ककफायत करके बचा ली थरं। जब इन्िें मााँ पे दे खा तअ उसे डााँ पे लगर, "यि ुच्छा पिीं
ककया तममपे। बिप के यिााँ से ंर किीं कअई कमछ लेता िै ? तमम्िारी आदत बबगड़तर जा रिी िै । जरा
समिारअ इसे।"

दरबारी िै राप रि गया - उसपे तअ सअचा था कक इन्िें लेकर मााँ बिमत खल


म िअगर, पर पता पिीं ककस
िातम की बपर थर वि! आगे उसपे दे खा कक घर में साबमप-सफा के रिते िमए ंर मााँ-बाउजर दअपक सअड्डे
या रे ि से कपड़े िअते रिे और शिसर में काली शिमट्टर लगाकर पिाते रिें । दरबारी ुकेले बिमत हदपक तक
इपका इस्तेमाल करता रिा। साबमप से वि कमएाँ पर पिाता तअ लअग ताज्जब म से इस तरि दे खते जैसे
वि चअरी करके लाया िअ।

यक चअरी करपा ंर दरबारी के शिलए ुब कअई वख्जात काम पिीं था। कई हदप तक जब ंख
ू से आाँतें
ऐंोपे लगतरं, चाँ कू क मिाजपक से डयअहढया-सवाई पर कजा लेपे की सरमा ंर पार िअ गयर रितर और
आगे कअई उपाय पिीं हदखता, तअ वि रात में बड़े जअतदारक के खेत से ंट्ट
म े , चपा, आल,ू लकरकंद,
चरनपयाबादाम आहद उखाड़ लाता। मााँ-बाउजर उसकी यि िरकत दे खकर माथा पर लेते। वे ंख
ू े रि
जाते पर इप चरजक कअ िाथ तक पिीं लगाते। दरबारी ुफसअस करता ुपपे आप पर, खद
म कअ कअसता
और बरजता ंर, मगर ंूख उसे मााँ-बाउजर की तरि ज्यादा बदााश्त पिीं िअतर थर। उसे लगपे लगा था

10
उप हदपक कक ुगर यिी ख्स्थनत रिी तअ वि एक हदप कअई बड़ा डाकू पिीं तअ एक लानतर चअर तअ
जरूर िी बप जायेगा। यक वि समझ सकता था कक ंमखमरी और लाचारी प िअतर तअ लायद वि कंर
गलत काम की तरफ रूख पिीं करता।

जब से वि दीदी के यिााँ जापे लगा था, इस बरम ी लत पर एक काबू बपपे लगा था। चअरी-नछछअरी से
बेितर समझता था कक पवादा िअ आया जाये। एक-दअ लाम ड कर खा लेपे के बाद चार-पााँच हदप तअ
जैस-े तैसे नपकल िी जाते थे। मगर उसके जेो की चढी तयअरी से ुब यि ंर आसाप पिीं रि गया।

इस बार दरबारी चला तअ रास्ते में ुसमंजस के ुलावा ंर कई ुन्य ुवरअि बबछे थे। ट्रे प काफी ले
आयर और दीदी के घर पिमाँचते-पिमाँचते गमी की प्रचंड िप
ू जैसे ज्वाला बप गयर।

इतवार िअपे की वजि से दीदी कअ उसके आपे का लायद पूवाांास था। खखड़की से वि रास्ते कअ नपिार
रिी थर। उस पर पजर पड़ते िी वि घर से नपकलकर कमछ आगे बढ आयर और उसे विीं रअक शिलया।
एक दरतत की छांव में ले गयर और किा, "मैं तम्
म िारी िी राि दे ख रिी थर मन्
म पा। तम्
म िारे बार-बार
आपे कअ लेकर जेो बिमत उ् ा- े ढा बअल रिा था, इस बात कअ लेकर मझम से किा-सपम र ंर िअ गयर।
तम
म आज घर मत जाओ, तम म से ंर उसपे कमछ कि हदया तअ मझ म से सिा पिीं जायेगा।"

पल ंर के शिलए दरबारी कअ लगा कक दीदी पे पपछली बार जअ सामाप हदये थे उसे, किीं घकचू कअ
इसकी जापकारी तअ पिीं िअ गयर? दीदी की बेचारगर कअ कमछ पल पढता रिा दरबारी, कफर किा, "ोीक
िैं दीदी, मैं लौ
जाता िूाँ यिीं से कअई बात पिीं। लेककप तमम मेरे कारण ुपपे जेो से संबाँि कअ कड़वा
प करक। इन्िीं लअगक के साथ तमम्िें रिपा िैं, जरजा ुक्लमंद और तेज िअते तअ बात दस
ू री थर। तमम
जाओ, मैं जरा सामपेवाले घर से मााँगकर एक लअ ा पापर पर लाँ ।ू "
"दीदी पे किा, "यिााँ से क्यक मााँगअगे, मैं ुपपे घर से पापर ले आतर िूाँ। ुंर कअई दे खेगा पिीं, संर
सअये िैं।"

दीदी पे झ पापर में चरपर घअलकर ला हदया। इसे दरतत के परचे खड़े-खड़े िी उसपे ग ाग पर शिलया
और पैर कअ ों डा करपे के शिलए उस पर पापर डालपे लगा। दीदी पे दे खा - तवे की तरि तपतर जमरप
पर दरबारी पंगे पााँव चलकर आया था और उसके तलवे में फफअले उो आए थे। ंूख क्या-क्या करवा
दे तर िैं। बेचारे कअ कफर इसर तरि इन्िीं जले पैरक से ुंगारक पर चलकर वापस िअपा िअगा।

दीदी कराि उोी जैसे तलवक के सारे छाले (फफअले) दीदी के हृदय पर स्थापांतररत िअ गये। ंरे गले से
उसपे किा, "मन्
म पा, मझ
म े माफ कर दे पा कक मैं तमम्िें रास्ते से िी वापस कर रिी िूाँ। इस गरमर में
झल
म सकर आए तम म और मैं तम्
म िें एक पिर आराम करपे की ंर जगि पिीं दे पा रिी। ककतपा ज् म म
कर रिी िूाँ मैं तम
म पर मैं मर ंर जाऊाँ तअ तम
म मझ
म े दे खपे मत आपा।"

दरबारी पे दे खा कक दीदी के चेिरे पर, उस वक्त की तमलपा में , जब उसपे किा था 'िर इतवार कअ
आया करअ ममन्पा', इस वक्त यि किते िमए कक 'ुब मत आपा ममन्पा', किीं ज्यादा साख्न्पध्य और
घनपष्ोता के ंाव छलक आए िैं।
11
दरबारी पे पूरे आदर के साथ किा, "ुच्छा दीदी, ुब मैं पिीं आऊाँगा, लेककप तमम ंगवाप के शिलए
मरपे की बात मत करअ।"

दीदी की आाँखक से प- प आाँसू चप


ू े लगे। एक ुपराि-बअि से दरबारी का हृदय िािाकार कर उोा,
"तम
म रअ रिी िअ दीदी? मैंपे तम्
म िें रूलाया, कसरू वार िूाँ मैं मत रअओ दीदी। सचमच
म तम्
म िारा यि ंाई
ककतपा पे ू िअ गया था कक तम् म िारी इज्जत की बबपा परवाि ककये खापे चला आया करता था। तम् म िारे
जेो की आपख्तत वाख्जब िै , दीदी।"

दीदी पे उसके माथे पर िाथ कफराते िमए किा, "मैं ककतपा लाचार िूाँ ममन्पा कक ुपपे घर में तमम्िें खापे
तक की छू पिीं दे सकतर। सच मेरे ंाई, पविाता ुगर मझ म े सामर्थयावाप और आतमनपंार बपा दे
तअ मैं पूरी ख्जंदगर तमझे खखलाते िमए और खाते दे खते िमए गमजार दाँ ।ू सच दरबारी, ताँू खाते िमए ममझे
बिमत ुच्छा लगता िै रे जब तमम खाते िअ तअ लगता िै जैसे ुन्प पख्ू जत और प्रनतख्ष्ोत िअ रिे िक।"

दरबारी दीदी के पााँव छूकर ुपपे फफअलेदार तलवक से चलकर वापस िअ गया। दीदी पे उसकी जेब में
दस रूपये डाल हदये और किा, "ककसर दक
म ाप में कमछ खा लेपा और समपअ दरबारी, इस ंूख कअ ुगर
पछाड़पा िै तअ पढाई में कअई कअतािी प करपा।"

इसके बाद दरबारी शिसफा खापे की लालसा लेकर दीदी के पास कंर पिीं गया। जब लगंग एक साल
गज
म र गया तब वि शिमलपे आया मगर एक खास मकसद लेकर। आते िी उसपे स्पष् कर हदया, "दीदी
मैं खापे पिीं आया। तम
म से शिमलपे आया िूाँ और तरम ं त िी चला जाऊाँगा। तम
म पे किा था पढाई ोीक से
करपा, तअ मैं हदखापे आया िूाँ कक मैं पढाई ोीक से कर रिा िूाँ और मैं मैहट्रक पास कर गया िूाँ दे खअ,
यि माकालर िै ।"

दीदी उसे तनपक पवस्मय से, तनपक िषा से और तनपक गवा से ुपलक नपिारतर रि गयर। दरबारी झ
ममड़ गया, "ुच्छा दीदी, चलता िूाँ।"

"दरबारी!" राग दरबारी जैसे समर में दीदी पे दरबारी कअ पमकारा। लपककर उसके िाथ से माकालर ले
ली। एक पजर कमलयअग पर डाला। कफर उसके ंअलेपप पर रीझतर िमई उसे गले से लगा शिलया और
किा, "तूपे आज इतपर बड़र खल
म खबरी समपायर िै और मैं तमम्िें यक िी बबपा माँि
म मरोा कराये िी चली
जापे दाँ ?
ू इतपा बड़ा ुपराि करायेगा तू ुपपर दीदी से!"

"तअ ऐसा कर दीदी, ज्दी से मझ


म े तू एक चम्मच चरपर खखला दे , किीं तेरे जेो पे मझ
म े दे ख शिलया।"

"दे खपे दे , आज में ककसर से पिीं डरूाँगर आज तू पवजेता बपकर आया िै । िााँ दरबारी, ंूख पर तूपे
एक चौथाई जरत िाशिसल कर ली िैं।"

दीदी उसे बबोाकर घर में जअ कमछ ंर ुच्छा उपलब्ि था, खखलापे-पपलापे लगर। दरबारी पे तय ककया
था कक घकचू के इस क्वा ा र में वि कंर कफर से खापे की गलतर पिीं करे गा। मगर दीदी के स्पेि के
आगे ंला दरबारी का कमछ ंर तय ककया िमआ किााँ ह क सकता था! उसपे सब बबसरा हदया आखखर
ंूख ंर तअ उसे लगर िी थर।
12
वि खा िी रिा था कक दीदी का जेो प्रक िअ गया। उसके साथ दरबारी का िी िमउम्र एक लड़का था
- जेो का सबसे छअ ा ंाई। पिले तअ दरबारी सिम गया। लगा कक कौर उसके गले में िी ुब
ु ककर रि जायेगा। मगर उसकी आाँखक में आज गमरााि पिीं थर। ुच्छे मूड में वि हदख रिा था।
आराम से बैोते िमए उसपे दरबारी कअ संबअचित ककया, "पिचापते िअ इसे यि मेरा छअ ा ंाई िै मैहट्रक
की परीक्षा दी थर इसपे सेकेण्ड डडपवजप से पास कर गया। एक तमम िअ, एक पंबर के पे ू स्साले शिसफा
खापे के चक्कर में रिते िअ आवारगदी करते िअ। पढाई-शिलखाई तअ पिीं करते िअगे। करते ंर तअ क्या
फायदा बबपा पढे तअ पास करते पिीं। मेरे इस ंाई कअ दे खअ और जरा लमा करअ।"

दरबारी पे ज्दी-ज्दी बचे िमए कअ खाकर खतम कर हदया। िाथ िअकर बिमत दे र तक यक िी बैोा रिा।
मप में यि पवचार करता रिा कक इस आदमर कअ ुपपर माकालर हदखाये या इसे यक िी एक ंमलावे में
पड़े रिपे दे । दीदी पे जेो के ंाषण ुंदर से िी समप शिलये थे। दरबारी कअ जब इसका कअई जवाब दे ते
पिीं समपा तअ द्वार पर आकर आवाज लगायर, "ममन्पा, ंैया कअ जरा ुपपा ुंकपत्र हदखा दअ।"

दरबारी पे जेब से नपकालकर ुंकपत्र हदखा हदया। जेो की आाँखें ताज्जब


म से फ ी की फ ी रि गयरं।
दरबारी पे सेकेण्ड पिीं फस् ा डडपवजप से पास ककया था शिसफा फस् ा डडपवजप पिीं बख््क िाई फस् ा
डडपवजप।

उसे ुपार खल म र िमई पिली बार वि दरबारी कअ दे खकर इतपा खलम िमआ था। किा, "ुरे तूपे तअ कमाल
कर हदया, मैं तअ तमम्िें एक पंबर का पकारा और पे ू समझता था मगर तम
म तअ बिमत तेज नपकले!"
उसपे ुपपर जेब से बरस रूपये नपकाले और ुपपे ंाई कअ दे ते िमए किा, "जाओ, सरस्वतर ॉककज में
दरबारी के साथ शिसपेमा दे खपा और कफर शिमोाई खा लेपा।"

पिले तअ दरबारी कअ लगा कक उसे गरीब जापकर कअसपे-चिक्कारपे और ुंडरइस् ीमे करपेवाले इस
ुिमक आदमर के ऑफर कअ वि ोमकरा दे , मगर शिसपेमा दे खपे की उसकी एक चचरसंचचत आकांक्षा
ुब तक ुिरू ी थर ुत: वि इंकार पिीं कर सका। उसपे सअचा कक इसे ुच्छी पढाई का एक पमरस्कार
के रूप में शिलया जाये। उसके छअ े ंाई के साथ चला गया वि। िॉल में बैोकर शिसपेमा दे खपे की
उसकी साि पूरी िअ गयर।

आगे की ख्स्थनतयााँ बिमत तेजर से उल -पल िअ गयर थरं। जरजा की नपख्ष्क्रयता और नपखट्टूपप के
कारण घकचू पे बदपरयतर से जमरप के चंद म कड़े दे कर दीदी कअ ुलग कर हदया ख्जससे उसकी िालत
डगमग और बदतर िअतर चली गयर। दरबारी पे ुंावक और मख्म श्कलक में ंर ुपपर पढाई जारी रखर
और उसे एक स् ील कंपपर में पौकरी शिमल गयर। दीदी पे ुंाव के बावजद
ू कंर िाथ पिीं पसारे
मेिपत-मजरू ी करके गज
म ारा चलातर रिी। ये और बात िै कक दरबारी खद
म से ककसर प ककसर बिापे, जब
तक उसका चला, ुपपर मदद उपलब्ि कराता रिा।

आज लायद जरवप कअ दााँव पर लगा दे ख पूरे जरवप में पिली बार दीदी पे माँि
म खअलकर उससे पााँच
िजार रूपये मााँगे थे। कमछ ंर पिीं थर यि रकम दरबारी ुपपर पूरी कमाई ंर दीदी के शिलए न्याछावर
कर दे ता कफर ंर बमरे हदप की उसकी जाशिलम ंूख पर जअ रिमअकरम उसपे ककये िैं, उसकी ंरपाई
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पिीं िअ सकतर। िै रत िै कक दरबारी के बे े ऐसर ममतामयर दीदी कअ बचापे के शिलए मामूली से पााँच
िजार ंर दे पे के तैयार पिीं िैं।

वे एकदम खखन्प और उद्पवग्प िअ गये। तनपक तैल में आकर जवाबतलब कर शिलया, "कालीप, पदे ,
ीवर, बाइक आहद के शिलए पैसे िैं तम
म लअगक के पास, लेककप मेरी ुपपर उस बिप की जाप बचापे के
शिलए एक तच्
म छ सर पााँच िजार की रकम पिीं दे सकते, ख्जसपे मेरे सख
म ाड़ के हदपक में मझ
म पर ुगाि
प्यार बरसा कर ममझे िरा बपाये रखा। उस जमापे में पााँच-दस करके िी ख्जतपे रूपये ममझे हदये िैं
उसपे, उसका सूद िम जअड़पा ंर चािें तअ गखणत फेल िअ जायेगा।" किते-किते एकदम ंावमक िअ गये
दरबारी प्रसाद।

ंमक्खप कअ उपकी यि ंावमकता जरा ंर ुच्छी पिीं लगर। वि चचड़चचड़ा उोा, "आप यक िी बकबक
करते िैं मगर आप जापते ंर िैं कक इप चरजक का इंतजाम िम कैसे करते िैं?बाउजर, आप यि मत
समखझए कक बैंक में इफरात पैसा पड़ा िै ख्जससे िम बेमतलब की चरजें खरीद रिे िैं। दरुसल जअ
सककाल और स् े स िैं िमारे , उसे में े प करपे के शिलए यि सब करपा पड़ता िैं। सच यि िै बाउजर कक
िम बिमत तंगर से गमजर रिे िैं और स् ैंडडा कअ में े प करपे में िमारी आमदपर बिमत कम पड़ रिी िैं।"

दरबारी ोगे रि गये - एक पया रिस्य खल


म रिा था उपके सामपे। एक तअ रर ायर िअपे के बाद उपके
पैसे ंर घर बपापे और इसे सजापे-साँवारपे में िी खचा िअ गये, ऊपर से दअ-दअ पौकरी के पैसे आ रिे
िैं।

ंक्
म खप पे आगे किा, "ख्जप चरजक के पाम आपपे चगपाये िैं, आप जापपा चािते िैं प कक वे कैसे
लाये गये? तअ समनपये, माइक्रअवेव ओवप िमपे दक
म ाप से छततरस ककस्तक में शिलये िैं ीवर और ऑडडयअ
शिसस् म बिमत कम पैसे दे कर एक्चें ज ऑफर में खरीदे गये िैं। चाँकू क ये बिमत पमरापे और आउ डे े ड िअ
गये थे। कालीप िमपे क्रेडड काडा से शिलये िैं। बाइक ंर दक्
म खप ंैया पे इम्प्लॉय े म्परे री एडवांस
लेकर शिलया िै , चाँ कू क उपका पमरापा बाइक बिमत पेट्रअल पर रिा था। पया बाइक जापापर े क्पॉलॉजर से
बपा िै और पेट्रअल के मामले में बिमत एकअपॉमर िैं। आज-कल में िमें कार ंर खरीदपर िैं , चाँ कू क पास-
पड़अस में सबके पास कार िअ गयर िैं। सब अकते रिते िैं। बैंक से लअप लेपा िअगा इ़स तरि घर की
एक सैलेरी लगंग ककस्त चक
म ापे में िी खप जातर िैं। ुब आप खद
म िी नपणाय कर लीख्जये कक िमारी
िालत क्या िै। आप चचन्ताममक्त रिें इसरशिलये घर के ुफेयसा से िम आपकअ ुलग रखते रिे , ख्जसका
आपपे लायद गलत ुथा नपकाल शिलया, लेककप ऐसा पिीं िै , बाउजर।"

दरबारी प्रसाद का माथा घम


ू गया बरम ी तरि। उन्िें याद आ गयर गााँव की मिाजपर प्रथा। उन्िें लगा कक
आज विी प्रथा दस
ू रे रूप में उपके सामपे आ गयर िैं ख्जपके व्यूि में फाँसकर दअ ुच्छी तपतवाि के
बाद ंर उपका घर परू ी तरि कजादार िअ गया िै । उपके बाउजर ंर गााँव के सािमकार या बड़े ककसापक से
ुपाज ड्यअहढया-सवाई पर लाते थे और ुगली फसल में मल ू पिीं तअ सदू चकम ा दे ते थे। मगर तब
कजा लेपे का मकसद शिसफा पे ंरपा िअता था। आज स् ैंडडा में े प करपे के शिलए कजा लेपा पड़ रिा
िै , कमछ इस तरि कक ऊपर से वि लगता िी पिीं कक कजा िैं। क्या पिले से ंर लानतर और खतरपाक

14
खेल पिीं बप गया िै यि? बाजार पे ुपपे नतशिलस्म इस तरि फैला रखे िैं कक आप में क्रय-लख्क्त प
ंर िअ तअ ंर वे लमंावपे स्कीम जैसर कजा की एक ुृशश्य फााँस में लेकर पवलाशिसता के उपकरण
खरीदपे के शिलए आपकअ आतमर बपा दे ते िैं। एक्सचें ज ऑफर, क्रेडडत काडा, कंज्यूमर लअप, परचेख्जंग
बाई इन्स् ॉलमें ये सारे ुलग-ुलग पाम कजा में घसर पे के शिलए बाजारवाद और उपंअक्तावाद का
व्यूिपाल िी तअ िैं ख्जपमें उपके बे े फाँस गये िैं बमरी तरि।

मतलब तय िअ गया कक दीदी कअ यिााँ से ककडपर नपकलवापे के शिलए और रूपये पिीं ंेजे जा सकते।

एक मिीपे बाद खबर शिमली कक दीदी मर गयर। दरबारी प्रसाद कअ लगा कक वे कफर ुपपे उप ंूखे
हदपक में लौ गये िैं और दीदी कि रिी िैं, "पविाता ुगर ममझे सामर्थयावाप और आतमनपंार बपा दें
तअ मैं पूरी ख्जंदगर तमझे खखलाते िमए और खाते दे खते िमए गमजार दाँ ।ू सच दरबारी, तू खाते िमए ममझे
बिमत ुच्छा लगता िै रे जब तमम खाते िअ तअ लगता िै जैसे ुन्प पख्ू जत और प्रनतख्ष्ोत िअ रिे िक।"

बच्चे की तरि खब
ू बबलख-बबलखकर रअये दरबारी प्रसाद। मप में वे सअचते रिे कक दीदी की मौत का
ख्जम्मेवार वे ककसे ोिराएाँ दीदी की गरीबर कअ, खमद कअ, ुपपे बे क कअ या कफर बाजार के नतशिलस्म
कअ?

15
अव ांछित बेटटय ां

ुपपे गंा में आये पवपष् मादा भ्रूणक की स्मनृ तयक कअ लाखा पे गमडडयक के रूप में सिे ज शिलया था।
जब घर में ुंबर पिीं िअता और वि ुकेली िअतर तअ छमपाकर रखर इप गमडडयक कअ वि कबडा से
नपकालतर, कफर उन्िें ुपपे सरपे से चचपका कर माततृ व की सररता द्वारा सरंचपे लग जातर। तरप बार
गंापात की वि शिलकार िमई थर, इसशिलये तरप गमडडयां थरं उसके पास। इपके पाम तक रखकर उसपे
क्रअशिलये और िागे से शिलख हदये थे उपकी कलाइयक पर। िर बार वि इपकी उम्र का हिसाब लगातर
और एक ुपरािबअि से ंरकर पवह्वल िअ जातर, ममझे माफ कर दे पा मेरी बख्च्चयक! तमम सबकअ कअख
में िी मार दे पे के जम्म में पनत और समाज के साथ मैं ंर साझरदार िूं। चाितर थर कक तमम सबकी
और तमम्िारे जैसर ुपेकक की मां बप कर मैं फलक से लदा एक पवलाल छतपार पेड बप जाऊं। पनत
पामिारी पमरुष के बबपा गंा िारण करपा और कफर ंरण - पअषण करपा संंव िअता और उसमें
समाज का कअई दखल पिीं िअता तअ मैं ुपपर दसक इख्न्द्रयक की कसम खाकर कितर िूं, मेरी ुजन्मर
पमबत्रयक, मैं ुंर से शिसफा और शिसफा लडक़ियक कअ जन्म दे तर, ख्जपकी संतया कम से कम दअ दजाप
िअतर बख््क इससे ंर ज्यादा कर पातर तअ ममझे और मजा आता।

लाखा जब कॉलेज में पढतर थर तब से िी सिे शिलयक से ुपपे मपअंावक कअ लेयर करतर िमई यि इच्छा
जतातर थर कक वि बिमत सारी लडक़ियक की मां बपपा चाितर िै । सिे शिलयां उसका तेवर जापतरं थरं और
यि समझतर थरं कक ऐसा कि कर दरुसल वि ुपपे ंरतर के एक पवरअि कअ ममखर कर रिी िै ।
उसके पररवार में कई बाल - बच्चेदार दम्पख्तत थे, बडे ंाइयक और चाचाओं के, लेककप सबपे बडर
चालाकी से शिसफा पर शिललमओं कअ जन्म हदया था। शिसफा एक उपके पपता थे, ख्जन्िकपे कअई चालाकी
पिीं की थर, इसशिलये उन्िें चार बेह यां िी थरं और इसके शिलये वे एक िीपंावपा से िमेला ग्रशिसत रिा
करते थे। घर के दस
ू रे लअग ंर इस मामले कअ लेकर उपके प्रनत उपेक्षा - ंाव रखते थे। लाखा कअ इप
ख्स्थनतयक से सतत ऐतराज था और इस ऐतराज की प्रनतकक्रया में वि दजापक बेह यक की मां बपपा
चाितर थर। मगर पववाि के तमरन्त बाद िी उसे पता चल गया कक वि मिज उसकी एक ुपररपक्व
सअच एवं ंावक
म ता थर।

जब पिला िी गंा ोिरा तअ ुम्बर पे भ्रूण परीक्षण के शिलये उसे तैयार िअपे कअ किा, लाखा ममझे
लड़िी पिीं चाहिये। तमम ुपपर आंखक से दे ख चमकी िअ कक छअ ी बिप की लादी पे ममझे ककतपर
ख्ज्लत दी और ककस कदर हदवाशिलया बपा हदया। आज ंर उसकी ससमराल के कमतते मेरे ख्जस्म कअ
पकच रिे िैं, जैसे मैं उपका जन्मजात कजादार िूं। ुब और सािस पिीं िै कक बे ी ब्यािपे के पाम पर
कअई दअबारा मेरी खाल उतार ले। मामूली सर पौकरी िै , ख्जसके जररये ुपपे शिलये ंर चन्द िसरतें और
चंद सपपे पूरे करपे िैं, ुन्यथा यि ख्जन्दगर दिे ज जमा करपे में िी स्वािा िअ जायेगर।

लाखा कअ एकबारगर लगा था कक ुंबर के उोाए ममद्दे कअ वि बेजा पिीं ोिरा सकतर। यि सच िै कक
पररचि के पववाि में उसपे क्या कमछ पिीं सिा। चार साल तक पागलक की तरि ं कपे के बाद थक -

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िारकर उसे ुपपर िै शिसयत से बािर जाकर एक बडर दिे ज राशिल पर एक ररश्ता तय करपा पडा। क्लका
से रर ायर िमए पपता की सारी जमापूंजर, छि सात साल की ुपपर पौकरी में का - कप कर की गयर
बचत और ऊपर से िर मममककप कजा लेकर जअ कमल जमा िमआ, वि ुब ंर काफी कम था उस दाम
से जअ लड़िे के बाप पे ुपपे बे े के शिलये लगाया था। ुपपर बिप पररचि कअ ुंबर बिमत प्यार करता
था। वि एक ुच्छे घर में जाकर समख से रिे , यि उसकी हदली तवाहिल थर। लड़िे के पपता के सामपे
जाकर उसपे िाथ जअड हदये, खमद कअ पूरी तरि नपचअड़िर ंर मैं इतपा रस पिीं नपकाल सका कक
आपके इच्छा - पात्र कअ ंर सकूं। ममझ पर कृपा कर के थअडर सर ररयायत

जैसे उसके उबल पडपे का कअई ख्स्वच ऑप िअ गया िअ, वि फपफपा उोा - तअ तमम ंाड में जाओ,
मेरा घर कअई राित केन्द्र पिीं िै । कई लअग पिले िी क्यू में िैं, तमम ुपपर बराबरी की कअई दस
ू री
जगि ढूंढ लअ। ऐसा बेममरव्वत सलूक तअ कअई सूदखअर मिाजप ंर पिीं करता िअगा। उसपे समझ शिलया
कक बेितर िै यिां से जाकर ककसर कसाई से ुपमरअि ककया जाय। इस घर में पररचि कंर समखर पिीं
रि सकतर।

उसपे दस
ू रे घर - वर की तलाल लरु
म कर दी इसमें दअ वषा और लग गये। िैया की ऐसर सतत परीक्षा
लायद इस दनम पया में ुन्य ककसर ंर चरज ़िे ढूंढपे में पिीं िअ सकतर। एक बार तअ उसे ऐसा ंर लगा
कक इस परीक्षा में बार बार फेल िअ जापा िी उसकी नपयनत िै । पररचि के शिलये लड़िा ढूंढपा उससे
लायद संंव पिीं।

उसके एक ररश्तेदार पे सलाि दी, ुगर ऊंचर रकम दे पे की सामर्थया पिीं िै तअ पसंद - चयप की
कसौ ी कअ जरा लचरला कर लेपा चाहिये।

ुन्तत: उसपे ऐसा िी ककया। ुपपर रूपवतर - गमणवतर बिप के शिलये उसे एक डेढ आंख वाले
थथ
म रम ममंिे लड़िे कअ पसन्द करपा पडा। यिां पगद उतपा िी मांगा गया, ख्जतपा वि दे सकता था। खद

कअ यि समझाकर लादी कर दी कक चेिरे की स्थूल समन्दरता से किीं बडर िअतर िै आंतररक समन्दरता।
मगर यिां आलम यि था कक कअई सर ंर समन्दरता पिीं थर। लादी के बाद पररचि कअ मंिगे घरे लू
उपकरण मांग लापे के शिलये परे लाप ककया जापे लगा। ुंबर एक की पूनता करता तब तक दस
ू री मांग
कफर उग आतर। तातपया यि कक पररचि की जाप प्रताडपा और थक
ू म - फजरित की सांसत में जाकर
फंस गयर। ुंबर से आये हदप थथ
म रम ममंिा और उसके पररवार की रार - तकरार मचपे लगर।

यि पररख्स्थनत आज ंर जारी िै , ऐसे में ुगर वि बे ी के बाप िअपे कअ ुशिंसाप मापकर इससे बचपे
के शिलये सतत एिनतयात बरतपा चािता िै तअ लाखा इस मापशिसकता कअ समझ सकतर िै । उसपे
उसकी मप:ख्स्थनत से सिमनत व्यक्त करते िमए किा, मैं तमम्िारी परडा से ुलग पिीं िूं ुम्बर। दिे ज
के दापवर चेिरक पे िजारक - लाखक घर उजाडे िैं और बेलममार ख्जन्दचगयां तबाि की िैं लडक़ियां कफर ंर
जन्म लेतर रिी िैं और दनम पया कअ ुगर रुक पिीं जापा िै तअ जन्म लेतर िी रिें गर। तमम्िारी तअ एक
िी बिप थर, मेरे पपता पे तअ चार बेह यक कअ ब्यािा िै । उपके एक जमाई तमम ंर िअ, तममपे तअ उपसे
कंर कमछ लेपे में रुचच पिीं हदखाई। तअ लअग तमम्िारी तरि ंर िैं दनम पया में । मेरी यि पिली प्रेगपेन्सर

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िै , इसे प्लीज नपाद्वन्द्वता से सम्पन्प िअपे दअ। पिले इलू में कअई वजापा, कअई रुकाव , कअई संलय
उचचत पिीं। ुगर बेतर ंर िअतर िै तअ िमें उसे स्वरकार करपा िै । आखखर बे ी के रूप में कम से कम
एक संताप घर में जरूरी ंर िै और उसकी परवररल िमारा दानयतव ंर िै ।

ुंबर पे कअई ख्जरि पिीं की। लाखा तनपक ुचख्म्ंत रि गई इतपर आसापर से वि माप जायेगा,
सअचा पिीं था। कमछ पल चचंतामग्प रिपे के बाद किा उसपे, एक बे ी घर के शिलये ककतपर ुिम ् िअतर
िै , यि ममझसे ज्यादा कौप जाप सकता िै लाखा? जब मेरी मां चल बसर थर तअ बिमत छअ ी िअकर ंर
पररचि पे िी पूरे घर कअ संंाला था। मैं उससे कई साल बडा था, लेककप घर कअ संवारपे - संंालपे
और रसअई सरिर करपे के मामले में मैं ककसर काम का पिीं था। दमा और हृदय रअग के मरीज बाऊजर
कअ पररचि पे ुपपर समश्रमषा से िमेला संतमष् रखा। वे किते थे ममझ,े ुपपर पररचि की समघडता दे खअ,
ुंबर। इसपे घमट्टर में िी कब सरख शिलया यि सब, िमें पता िी पिीं चला। ऐसर िी बेह यां घर की
लक्ष्मर किी जातर िैं। इसके मपअिारी बतााव, सम्बअिप और बअल घर कअ स्वगा का आंास हदलापे
ू ुच्छी जगि करपा बे े । किकर एक दीघा नप:श्वास ंरी
लगते िैं। मैं प ंर रिूं तअ इसका ब्याि खब
ुम्बर पे।

बाऊजर सचममच उसके ब्याि के शिलये पिीं रिे और मैं ऐसा पालायक साबबत िमआ कक चाि कर ंर
पररचि के शिलये मपअपमकूल घर - वर पिीं ढूंढ सका। बेचारी िमेला दबर - घम ी - सिमर और उदास
रितर िै । एक मायस
ू र उतर आई ुम्बर के चेिरे पर, पररचि की िालत दे खता िूं तअ घर में दस ू री बे ी
की उपख्स्थनत की क्पपा मात्र से हृदय थराा जाता िै । लेककप तमम चाितर िअ कक माततृ व के तमम्िारे
पिले ुवसर कअ स्वछं द रिपे हदया जाये तअ चलअ मैं तमम्िारी ंावपा कअ आित पिीं करता, मगर
इसके साथ िी यि आश्वासप ंर चािता िूं कक ुगली बार तमम कफर मेरे सामपे ऐसे सवाल उोा कर
मेरी परीक्षा पिीं लअगर।

लाखा पे िं सर में ुपमराग घअलते िमए किा, ुगर बे ा िअ गया इस बार तअ ुगली बार ंर मेरा यि
सवाल कायम रिे गा । चलअ माप शिलया। ुंबर ंर िं स हदया, ख्स्पग्ि और समपाण की िं सर। पनत -
पतपर के बरच यि हद्लगर ंरा ममंिजवापर करार िअ गया।

लाखा पे बाशिलका शिललम कअ जन्म हदया, आलंका ऐसर िी थर, िालांकक दअपक पे मप िी मप पमत्र प्राख्प्त
की घपघअर कामपा की थर। नपयनत प्राय: ऐसा िी पविाप रचतर िै , ख्जससे आप ंागपा चािते िैं, वि
आपके परछे लग जातर िै ।

मन्
म पर घर में पलपे लगर, लाड - प्यार के सिज और स्वांापवक पररवेल में पलपे लगर। बबपा ककसर
ग्रख्न्थ के। बतााव में ऐसर लालीपता की सरमा बस यिीं तक रिी। ुगले इलू से उपकी प्राथशिमकता
बदल गई।

दस
ू रे , तरसरे और चौथे गंा का िश्र गमडडयक में पररवनतात िअ गया। िर बार लाखा का लरीर िी पिीं
ुंतस ंर लिूलमिाप िमआ। वि सअचतर थर कक एक दे वकी थर ख्जसके जन्मे बच्चे कअ उसका ंाई कंस
पष् कर दे ता था, एक वि िै ख्जसके बबपजन्मे बच्चे कअ िी उसका पनत पष् करवा दे ता िै । कंस कअ
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ुपपर मतृ यम का ंय और उसके पनत कअिप और माप की िानप का ंय िै । दे वकी कअ बचापे के शिलये
कई लख्क्तयां थरं, मगर वि स्वयं ुपपे आपकअ ंर बचापे का उपक्रम पिीं करतर। कंस क्रूर और बबार
था, जबकक उसका पनत उदार और ंावमक िै ।

लाखा के मप में आता कक जब गंापात िी उसकी नपयनत िै तअ कफर वि गंा िारण िी क्यक करे ?
क्यक पिीं ऑपरे लप करवा कर इस झंझ से िी ममक्त िअ जाये। संताप के पाम पर मन्
म पर तअ िै िी।
बे ा पिीं िअ रिा तअ प िअ जरूरी ंर क्या िै ? लेककप ुगले िी पल वि इस सच्चाई की पकड में आ
जातर कक ऐसे नपणाय लेपे कअ ंर क्या वि स्वतन्त्र िै ? मतलब एक औरत प तअ ुपपर मरजर से मां
बप सकतर िै और प मां बपपे से इंकार कर सकतर िै । ुपपर कअख तक पर उसे ुचिकार पिीं।
ुचिकार की बात वि करे ंर तअ कैसे, आखखर ुंबर उसे प्यार ंर तअ कम पिीं करता। प्यार के पाम
पर ंर कंर - कंर ककतपा कमछ बदााश्त करपा िअता िै ।

ुंबर पे किा, यि िमारी आखखरी कअशिलल िअगर और तमम्िारी आरखरी तकलीफ। बिमत ज्यादतर सि ली
तममपे। ुगर बे ा रि गया तअ ोीक िै , वरपा इससे छमट्टर पाकर बस ममन्पर से िी िमें सब्र कर लेपा िै ।

लाखा कअ लगा कक दअपक के मप के बरच जैसे कअई े लीपैथर िअ गयर। यिी तअ वि ंर चाितर िै । ुब
ंला ऐसे आतमरय और मरोे संंाषण करपे वाले पनत कअ कअई खलपायक कैसे करार दे ? क्या प्यार
और पवश्वास ंर खलपायकी का ुस्त्र िअ सकता िै ? उसके मप पे किा, लायद िां और लायद ज्यादा
खतरपाक एवं ुचक
ू ंर।

डॉक् र के पास गये वे लअग। उसकी जापकारी में लिर में एक िी डॉक् र था जअ यि काम करता था।
इस काम के शिलये डॉक् र ऊंचर फीस लेता था। गंा परीक्षण करके गंाालय की िल
म ाई ंर उसके ख्जम्मे
िअतर थर। परीक्षण पर वैिानपक प्रनतबंि लगपे के बाद डॉक् र पे यक यि िंिा बन्द कर हदया था, कफर
ंर कमछ खास पररख्स्थनतयां और कमछ खास लअग नपयम - कापूप के दायरे से िमेला, कई जगि, कई
बार बािर तअ िअते िी िैं। डॉक् र से बिमत पजदीकी से जाप पिचाप िअ जापे बाद ुंबर ंर खद
म कअ
इसर खास श्रेणर में मापता था।

डॉक् र से ुंबर पे किा, ुंनतम बार आपकअ कष् दे पे आया िूं। इस बार ुगर पर भ्रूण प रिा तअ
िमलाई करके बंध्याकरण का ऑपरे लप कर दीख्जए।

डॉक् र पे बिमत दे र तक ुंबर और लाखा की आंखक में झांक कर दे खा और किा, इस बार तमम्िें नपराल
िअपा पडेगा ंाई। मैं पे यि काम पूरी तरि बन्द कर हदया िै । दनम पया कअ ुसंतमशिलत करपे का ुपराि
ुब और ममझसे पिीं िअगा। डॉक् र आप जापते िैं कक ककसर ंर लता पर ममझे यि काम करपा िै । यिां
पिीं तअ किीं और जापा िअगा, किीं और ं कपा िअगा तथा ममझे ज्यादा पैसे खचा करपे िकगे, ज्यादा
परे लाप िअपा पडेगा। ऐसा ुन्याय आप िम पर क्यक करें गे? मतलब समाज और कापूप तमम्िारे शिलये
कअई मायपे पिीं रखते?बिमत मायपे रखते िैं मैं पिले ंर कि चमका िूं यि समाज और कापूप आखखर
क्यक यि व्यवस्था पिीं करता कक लडक़ियक के प्रनत ंेदंाव प िअ और उपकी लादी में फकीर और
दीवाशिलया िअपे की पौबत प आये। ुगर ऐसा िअ जाये तअ मेरा दावा िै कक लडक़ियक के जन्म कअ
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सवात्र प्राथशिमकता शिमलपे लगेगर। चूकं क यि संर जापते िैं कक बेह यक से प शिसफा दनम पया आगे चलतर
िै , बख््क खूबसूरत ंर बपतर िै । मां - बाप कअ सिारा और सम्माप दे पे के मामले में लडक़ियक का
बतााव ुसंहदग्ि रूप से पवश्वसपरय िअता िै।

डॉक् र जापता था कक यि आदमर मापपेवाला पिीं िै ुपपर बिप की लादी में जअ दं ल झेल चक
म ा िै ,
उसे ंल
ू पिीं सकता। एक बार तअ वि पररचि कअ ंर लेकर आ गया था। पररचि पे ुपपे ंाई का
समथाप करते िमए किा था , ंैया ोीक किते िैं, डॉक् र! बे ी विी पैदा करे ख्जसके घर में लाखक -
करअडाेेें जमा िक। मैं आज ंर ुपपे घर में रौरव ंअग रिी िूं। यि जरवप िी मेरा मापअ व्यथा िअकर
रि गया। मेरे बाद एक और लड़िी इस घर में आ चमकी िै , ुब दस ू री ंर ुगर आ गयर तअ ंैया खमद
कअ बेचकर ंर कअई उपाय पिीं कर पायेंगे।

डॉक् र पे ुपपे मप में एक नपश्चय ककया और कफर लाखा का ु्ट्रासाउण्ड करके खल


म खबरी दे पे के
ुन्दाज में बताया, ुरे ! यि तअ चमतकार िअ गया। इस बार भ्रूण मादा पिीं पर िै । ममबारक िअ, बे े
का बाप बपअगे तमम। ोगा सा रि गया ुंबर। लाखा कअ ंर ुपपे कापक पर पवश्वास पिीं िमआ। डॉक् र
मजाक तअ पिीं कर रिा। लेककप डॉक् र की ंंचगमा मजाक की कतई पिीं थर।

छि मिीपे तक उन्िें इंतजार करपा था ककया। इस दौराप कई सपपे, िसरतें सजाते रिे । खशिम लयां कई
लक्लें ुख्ततयार कर उपके ंरतर हिलअरें लेतर रिी। वे बे े कअ पालपे, पढापे और ब्यािपे तक की
मापशिसक रूपरे खा तैयार करते रिे ।

इंतजार की बिमप्रतरक्षक्षत घडर ख़तम िमई और लाखा का प्रसव सम्पन्प िअ गया। जन्म लेपे वाला शिललम
बालक पिीं बाशिलका थर। ुंबर कअ लगा जैसे आसमाप से चारक खापे चचतत चगर गया िअ िरतर पर।
डॉक् र पे झूो कि कर उसके साथ छल ककया। क्यक ककया उसपे ऐसा? इस झूो की उसे ककतपर बडर
़िीमत चक
म ापर िअगर, बार - बार बतापे पर ंर उसपे समझपे की कअशिलल पिीं की। उसकी ंावपाओं के
साथ खखलवाड़ क़िया। ममन्पर के शिलये ुंर से िी उसे एक चौथाई तपतवाि की सेपवंग करपर पड रिी
थर, फलस्वरूप वि स्थायर तौर पर तंगर और ुंाव का शिलकार था। एक और के शिलये ंर ुगर ऐसर
व्यवस्था करपर पडे तअ कफर मिीपे दस हदप उपवास में िी गमजारपे िकगे। ुंबर आपे से बािर िअ गया
और चट्टाप जैसर कोअरता उसके चेिरे पर उतर आयर। पवजात शिललम कअ लेकर वि डॉक् र के पास
चला गया। डॉक् र जैसे दिाड़ उोा ुम्बर, तूपे मेरे साथ बिमत ंद्दा और बेिूदा मजाक ककया िै , मैं
इसके शिलये तमम्िें कंर माफ पिीं कर सकता। तमम्िें इसकी सजा ंअगपर िअगर।

डॉक् र स्तब्ि रि गया, िमेला शिलष् और लालीप आचरण करपे वाला व्यख्क्त क्या इतपा प्रचण्ड रूप
िारण कर सकता िै ? तममपे झूो बता कर मेरी आिर ुिूरी खमशिलयक पर किर बरपा हदया िै । गंा में
ख्जसे तममपे लड़िा बताया वि लड़िी थर। इसके पैदा िअपे के ख्जम्मेदार तमम िअ, इसशिलये इसे मैं
तमम्िारे पास छअडपे आया िूं। ुगर तममपे इसे लेपे से इंकार कर हदया तअ मेरे पास इसे शिसवा मृतयम दे पे
के कअई और उपाय पिीं । चूक ं ी मेरी ओर से इसे मृतयम शिमलप ख्ेथर, वि ुगर तरप मिीपे की
भ्रूणावस्था में पिीं शिमली तअ ुब शिमल जायेगर और इसकी ख्जम्मेदारी शिसफा और शिसफा तमम पर

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िअगर। डॉक् र की ख्जह्वा तालू से चचपक गयर थर ुपपे पवजात शिललम के प्रनत एक पपता क्या इतपा
ुसहिष्णम और नपमाम िअ सकता िै ? पपततृ व की गअद ुगर कां े दार िअ गयर थर तअ क्या माततृ व के
स्तप का दि
ू ंर सूख गया? लाखा पे जम्म ढापे के शिलये इस दि
म ममंिी कअ इसके िवाले कैसे कर
हदया? क्या व्यवस्था वाकई इतपा सड - गल गयर िै कक माततृ व और पपततृ व जैसे मू्य बेमापर िअ
गये िैं? एक बच्चा जअ दनम पया में आता िै , पूरी तरि पराचश्रत िअता िै , उसे आप फेंक दें , का दें , गाड
दें इसका उसे कअई बअि पिीं िअता।

लेककप यि एक पैनतकता िै , मपमष्य में पिीं जापवरक तक में कक वे ुपपे पवजात बच्चे के शिलये
ुचिकतम उदार, लमंेच्छम और पालपिार िअते िैं। आज एक मां बाप िी ुपपे बच्चे कअ मारपे पर तमले
िैं, मिज इसशिलये कक शिललम बालक पिीं बाशिलका िै । तअ यि दनम पया इतपर खराब और बमरी िअ गयर?

म र िअकर किा, मापा कक ममझसे गलतर िअ गयर, िालांकक िमई पिीं। गलतर तअ मैं
डॉक् र पे ुतयन्त दख
पिले करता रिा, इस बार तअ मैं पे पपछली गलनतयक कअ समिारपे की कअशिलल की िै । खैरमैं पे चािे जअ
ंर ककया मगर ुब जअ तमम करपे जारिे िअ वि इन्सानपयत के पाम पर ंयापक िब्बा िअगा।

बकवास मत करअ डॉक् र, मैं तममसे यिां कअई पाो पढपे पिीं आया िूं। मेरे शिलये क्या ुच्छा और क्या
बमरा िै , इसका फैसला ममजे खमद करपा िै । तमम्िारे पास कई बार मैं पे ुपपा दख
म डा रअया, कफर ंर
तममपे ऐतबार पिीं ककया। तमम ुगर समझते िअ कक मैं बिमत हिंस्त्र, बबार और जाशिलम िूं तअ यिी
सिी। ुब बताओ इस बच्चर कअ यिां छअडूं या ले जाकर किीं दफप कर दं ? ू
डॉक् र एक गिरे ुन्ताद्वन्द्व में नघर गया। दअ बबतते के लाल म ड - म ड करते फूल जैसे मासम

कअमल ख्जस्म की दअ छअ ी - छअ ी बेिद नपरीि और पपवत्र आंखें चारक ओर पाच रिी थरंकंर ममस्कमरा
कर कंर रअकर। जैसे इस दनम पया में आपे का उसे िषा ंर िअ रिा था लअक ंर। डॉक् र कअ लगा कक
इस पन्िीं सर जाप कअ ख्जन्दगर से बेदखल करपा सरासर ुन्याय िअगा। भ्रूण की बात कमछ और िअतर
िै , मगर ुब यि पूरी तरि प्राण िारण ककया िमआ एक मापवरय लरीर िै । ुंबर के चेिरे पर ख्जस
तरि खप ू और विलरपप सवार िै कक आज वि कमछ ंर कर गज म रे गा। बिमत दरू तक प सअच कर
कफलिाल इसे बचापे का उपक्रम करपा जरूरी िै ।

उसपे किा, ोीक िै , तमम्िें बे ी पिीं चाहिये प तअ इस पन्िीं सर जाप कअ मेरे पास छअड दअ। लेककप
मेरी एक लता िै - तमम्िारे घर में जअ आो वषा की िअ चली पिली बे ी िै , उसे ंर मेरे समपमदा करपा
िअगा। आखखर उसे ंर रखपे का तमम्िें िक क्या िै और कफर उससे ंर ममक्त िअकर क्यक पिीं तमम जरा
ोा से बसर करअ।

कमछ पल के शिलये ुम्बर ितप्रं रि गया। कअई ंर जवाब दे ते प बपा। डॉक् र पे कफर किा, सअच में
क्यक पड गये, तमम्िें तअ दअिरी खमलर िअपर चाहिये। तमम एक से पपण्ड छमडापा चािते थे, मैं दअपक से
छमडवा रिा िूं। ोीक िै , मैं तैयार िूं। उसका चेिरा तमतमा गया, तमम्िें ुगर मसरिा बपपे का ज्यादा
िी लौक िै तअ ममझे क्या आपख्तत! िालांकक तमम्िारी इस लता के परछे का मकसद मैं समझ गया िूं।
तममपे मेरी यि पस ोीक पकडर िै कक ममन्पर कअ िमपे आो साल तक पाला िै और उससे िोात ् मअि
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झ क दे पा िमारे शिलये आसाप पिीं। लेककप इस ुवांनछत पन्िीं के पववाि की पवातपममा ख्जम्मेवारी से
बचपे के शिलये मैं यि करपे कअ ंर तैयार िूं।

पन्िीं कअ छअड ़िर वि घर चला गया। लाखा कअ ज्दबाजर में सचू चत कर हदया कक डॉक् र पन्िीं के
साथ मन्
म पर की ंर परवररल का ख्जम्मा मांगता िै । इसशिलये मन्
म पर कअ लेकर जा रिा िूं उसे सौंपपे।

लाखा फ ी आंखक से उसे दे खतर रि गई और ुम्बर ममन्पर कअ लेकर यक चला गया जैसे वि घर की
फालतू नपष्प्राण वस्तम िअ। घर में कअई सामाप ंर िअता िै तअ उसका ि जापा एक खालीपप का
आंास जगाता रिता िै । ममन्पर कअ तअ आो वषा तक ुपपे घनपष्ो लाड प्यार के साये में कलेजे के
म कडे ़िी तरि रका था लाखा पे। वि प्रसूनत ुवस्था में पडर पन्िीं से बबछमडपे के सदमे से उबर ंर
पिीं पायर थर कक एक और आघात पवात ू पे की तरि बरस पडा छातर पर। एक औरत की क्या
इतपर िी औकात िै कक जब चािा उसकी कअख उजाड दी, जब चािा उसकी गअद छीप ली? गाय -
बकररयक से ंर गयर गमजरी िालत। इस पवषय पर उससे मलपवरा ककया जाये, इस लायक ंर उसे पिीं
समझा गया?

लाखा ुंर तक ुपपर ुजन्मर बेह यक के पाम की गमडडया सिे जतर रिी थर, ुब उसे इसर श्रेणर में
एक साथ दअ जरपवत आतमाओं की स्मनृ तयक कअ ंर सिे जपा पडेगा। वि जब इप गमडडयक से आतमालाप
और कन्फेलप करतर थर, ममन्पर ंर इन्िें छूकर रअमांचचत िअ उोतर थर। ुब वि ंर इपके साथ एक
पयर गमडडया के रूप में लाशिमल िअ जायेगर। लाखा की आंखें जार जार बिपे लगरं जअ आो साल तक
उसकी हदपचयाा की िर सांस में लरीक रिी िै , उसका बबछअि क्या सिा जा सकेगा? खासकर यि
जापते िमए कक वि जरपवत िै और इसर लिर में िै !

ुंबर पे ममन्पर कअ बिला - फमसला कर डॉक् र के पास छअड हदया और घर लौ आया। डॉक् र उसकी
ममद्रा दे खता - पढता रिा, जअ प शिसफा आवेल ंरी थर बख््क उसमें व्याकमलता और हिचककचाि का
ंाव ंर समाया था। वि मापशिसक रूप से बबलकमल िी स्वस्थ पिीं लग रिा था।

ुंबर पे घर में प्रवेल ककया तअ लगा कक ककसर ुपररचचत जगि में आ गया िै । रात में एक कमरे में
िअकर ंर दअपक पे बात पिीं की। लायद वे सअये ंर पिीं, शिसफा सअपे का ढकग करते रिे ।

सारा कमछ ुस्त - व्यस्त सा िअ गया। लाखा घर का कअई काम लमरु करतर और उसे लेकर बदिवास
सर लून्य में ताकतर िमई बैोी रि जातर। लाखा की मपअदसा ंर सामान्य पिीं रि गयर थर। घर में िर
जगि ममन्पर का ुख्स्ततव बबखरा पडा था छअ े - छअ े रं ग बबरं गे चॉक, जूते - मअजे, खखलौपे, स्कूल
बैग और ककताबें। लाखा ुपपा रअज समबि का एक डेढ घण् ा उसे जगापे, पिला - िल
म ा कर तैयार
करपे में और स्कूल पिमंचापे में लगातर थर। ुब ममन्पर के बबपा जैसे उसके पास कअई व्यस्तता पिीं
बचर। ुंबर से उसका एकदम ुबअला िअ गया। कअई ंर

बात करपे के शिलये उसके िको पिीं खल


म रिे थे। जैसे दअपक के बरच कअई कडर थर जअ क गयर, ू
गयर।

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उसकी िालत दे ख कर ुंबर बिमत चचंनतत िअ उोा और आसख्क्त जताते िमए पूछा, तमम ममझसे बअलतर
क्यक पिीं लाखाक्यक पिीं बअलतर? तमम समझतर िअ मैं पे तमम पर जम्म ककया िै , ुगर यि सच िै तअ
उतपा िी जम्म मैं पे ुपपे आप पर ककया िै । तमम ममन्पर की मां िअ तअ मैं ंर उसका पपता िूं। मेरे
सरपे में ंर हदल िै जअ उसकी याद में तडपता िै । लाखा पे कअई जवाब पिीं हदया। तेजर से ंागकर
कमरे में बन्द िअ गयर।

ककसर ुनपष् की सअचकर, एक ऊंचे स् ू ल पर चढ़िर रअलपदाप से झांककर दे खा ुंबर पे लाखा


पागलक की तरि पांच गमडडयक कअ बारी - बारी से बबलख - बबलख कर ुपपे सरपे से चचपका रिी थर,
चम
ू रिी थर और आतमालाप कर रिी थर। पांचक गमडडयक की कलाइयक पर मअ े मअ े िरूफक में पाम
शिलखे थे। सबसे लम्बर वाली ममन्पर थर और सबसे छअ ी वाली पन्िीं।

ुंबर का कलेजा चाक - चाक िअ गया तअ लाखा पे ुपपर ुजन्मर बख्च्चयक कअ ंर ुपपर चगपतर और
स्मनृ त से ुलग पिीं ककया और ुपपे वजूद में उन्िें लाशिमल रखा? कफर यि कैसे संंव िै कक जन्मर
और पाली - पअसर िमई से वि ुलग रि ले?

उसे लगा कक मां बबपा ममन्पर और पन्िीं ंर इसर तरि बबलख रिी िकगर। उसे यि ंर मिसूस िमआ कक
ख्जन्दगर ककसर गखणत की तरि गमणा - ंाग कर पिीं चल सकतर और ममकम्मल समख पापे में शिसफा
लां िप का िी, िानप का ंर मितव िअता िै । स् ू ल पर रखे उसके पैर बमरी तरि लडख़डापे लगे, जैसे
ममन्पर उससे शिलप कर पापा-पापा कितर िमई उसे झकझअरपे लग गयर िअ।

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कीडे फछतांगे

इलाके के इकलौते ुस्पताल का इकलौता डॉक् र कौतमक मरीज दे खपे वाले िॉल में ुपपर कमसी पर
बैोा था और उसके आगे की मेज के पार वाली कमशिसायक पर उसके तरप लंगअह या दअस्त बैो कर
गपपयाए जा रिे थे। जाहिर िै तरपक िप िान्य और रौब दाब के मामले में ुसािारण लअग थे।
इसशिलये डॉक् र के ममंि लगे थे।

समय मरीज दे खपे का था, सअ िॉल के बािर कई करािते - बबसूरते, िाल बेिाल लअग इंतजार में बैोे
थे। पर डॉक् र एण्ड पा ी कअ इसकी कअई परवाि पिीं थर। परवाि करपे वाला था ंर तअ वि इस
ुस्पताल का मेितर छअ प था, जअ ुपपर सरमा में बिमत तमच्छ था। ुत: इलाज सम्बन्िर कअई
उपक्रम इसके ुिरप पिीं था।

यारक की गप्पबाजर इस वक्त छअ प पर िी केख्न्द्रत थर। कमछ दे र पिले उसपे इन्िें अक दे पे की


हिमाकत की थर। बात तनपक बढ़िर िमज्जत में बदल गई थर। उसका पडौसर बेंगा मांझर कई हदपक से
बद से बदतर िालत में नघरता जा रिा था। उसके उ् ी दस्त बन्द िअपे का पाम िी पिीं ले रिे थे।
उचचत ध्याप के ुंाव में सिी दवा पिीं हदये जापे के कारण कई कष् उस पर आ ू े थे। छातर में
ददा तेज बख
म ार ंर लरु
म िअ गया था। आज उसका तडपपा बबलखपा चरम पर पिमंच गया था। िालत
दे खर प गई तअ छअ प बेजब्त िअ उोा, आप कैसा डॉक् र िैं? रअगर तडप - कराि मर रिा िै और आप
यिााँ मजशिलस जमा रिे िैं।

डॉक् र कौतमक इस द:म स्सािस पर एक दम उफप पडा, लग तअ ऐसा रिा िै कक तमम्िीं मर जाओगे इसके
बदले में । ुगर वि तमम्िारा बाप लगता िै तअ उसे तमम लिर क्यक पिीं ले जाते? जाओ, ले जाओ यिााँ
से ुब िमसे कंट्रअल पिीं िअगा। बेिूदा, ुपपढ, जाहिल! ममझ पर िमक्म चला रिा िै , ुपपर औकात
ंूल गया िै ।

छअ प के शिलये उसकी ऐसर गैरख्जम्मेदारापा और ुमापवरय िरकत आये हदप की बात थर। उसपे
चिक्कारते िमए कफर पूछा, यिी जवाब दे पा था तअ क्या पिले फमसात पिीं नपकाल सकते थे? नछ: नछ:
आपसे ुच्छा तअ वि जम्ली शिमयां कसाई िै , जअ हदप में ंले िी गाय गअरू का ता िै लेककप लाम कअ
गरीबक मजलूमक के शिलये ममफ्त में िकीमर करता िै।

डॉक् र पे आंखें तरे रीं। छअ प बबपा इसकी परवाि ककये घण


ृ ा हदखा कर चल पडा। इस ृशश्य पर बत्रमनू ता
शिमत्रक जा अ शिसंि, गंगा शिसंि और बच्चू शिसंि के पथप
म े एक साथ फड़ि उोे । जा अ पे बततरसर रगडते
िमए किा, ससमरे इस डअम की यि मजाल। क्या डॉक् र बिमत मप बढा हदये िअ इसका! गाली सप म कर
बरामदे में छअ प के पांव होोक गये। गंगा शिसंि ंर ुपपे ंरतर का उबाल प्रक कर बैोा, डॉक् र यि
िमारी तौिीप िै कक वि तमम्िारे ममंि लग कर बात करे इसर वक्त उसका ममंि तअड दे पा चाहिये

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िमें । बच्चू शिसंि ंर ुपपा तैल प्रक करपे लगा, बअलअ तअ आज िी इस मरदद
ू की झकपडर में आग
लगा कर पूरे पररवार कअ जला कर स्वािा कर दें ।

तमम लअग इसे पिीं जापते यार। डॉक् र पे छअ प की ढहोता और ुपपर लाचारी की समरक्षा की - यि
डअमवा ह का कैसे िै यिााँ? इसकी जअ संकर पस्ल की पांच पांच खूबसूरत बेह यां िैं, इपमें दअ कअ तअ
जापते िी िअ, पिले िी ंाग गईं। ुब तरप बचर िैं, ममखखया जर इप तरपक पर कफदा िैंएक एक कअ
इसशिलये ये समझ लअ कक जब तक ममखखया बपा रिे गा, यि पछततर ुस्पताल की छातर पर कमण्डली
मार कर बैोा रिे गा। इसकी बअली ममखखया के दम पर िी नपकलतर िै ।

बरामदे में खडे छअ प के हदमाग में एक तरव्र सपसपर समा गई। ममखखया जर मिज इसशिलये बदपाम
ककये जा रिे िैं कक वे ुन्य बबमआपक की तरि घण
ृ ा और ंेदंाव पिीं करते थे और छअ प की ततपर
सेवा ंावपा से प्रसन्प प्रंापवत िअकर उसके साथ उदारता से पेल आते िैं। उसका जर चाि रिा था कक
इस पल
ृ ंस, जलील और ज्लाद डॉक् र की गदा प दबा दे , मगर आपे से बािर िअपा प उसका संस्कार
था प ुख्ततयार। उसकी िै शिसयत और वजद
ू यिी था कक वि बडर से बडर फ़जरित सि सकता थाबद
से बदतर जलालत झेल सकता था गंदी और सडर पचर गाली पचा सकता था।

छअ प खप
ू का घूं पर कर बढपा िी चािता था कक जा अ की शिलजशिलजर िसरत पे कफर उसके पांव
रअक शिलये और उसके लब्द कापक में गमा लरले की तरि घमस गये, ुरे डॉक् र, तअ िम लअग क्यक ममि

दे ख रिे िैं? इतपर माकूल जगि िै यि ुस्पताल उसकी बरमार लडक़ियक कअ प ाकर इलाज करअ
यारइस बरमारी के तअ िम लअग ंर डॉक् र िैं। तपर िमई ममद्राओं का नपहिताथा एक दम करव ले बैोा।

पापर तअ ममंि में बिमत हदपक से आ रिा िै लेककप यि छअ पा बिमत बडा घाघ िै । कफर ंर चलअ एक
पमरजअर कअशिलल करके दे खते िैं। थअडर ररस्क िी सिी। ुगले इतवार कअ तय रिा पवश्वास िै इसकी एक
प एक लड़िी कअ जरूर प ा लूंगा। ममगे और ख्व्िस्की का इंतजाम तमम लअग करपा। ुगर उसकी कअई
बे ी प फंसर तअ? तअ ुपपा लमक्खा शिसंि िै प! ममसिरी में डेरा डाल कर ताडर दारू का ममफ्त सदाब्रत
बां ता िै । यि जअ बेंगा मांझर िै प जअ आज मरपे वाला िै , इसकी जअरू कअ लमक्खा पे प ा रखा िै ,
उसके जररये दअ तरप चमपर िमई ममसिरपर आसापर से बिला फमसला कर लाई जा सकतर िैं।

छअ प का हदल दिल गया था..ुस्पताल की प्रकृनतजन्य दयालत


म ा, कअमलता सिापं
म नू त और करुणा पर
व्याशिंचार एवं बेियाई का इतपा बडा ताण्डव। ुब उसमें आगे कमछ ंर समपपे का िैया पिीं रि गया
था। बेंगा मांझर की क्षण क्षण बबगडतर िालत का कअई नपराकरण ढूंढपा उसका प्राथशिमक दानयतव था।
यिां ुब उसे रखपे की कअई तक
म पिीं थर।

ममसिरी के तरप लअगक की मदद से उसे लेकर पवादा चल पडा। कल िी उसकी घरवाली सूप और
खचचये आहद बेच कर सौ रूपए लाई थर।

पवादा ुपम
म ण्डल के सदर ुस्पताल की ंर यक कअई ंरअसेमन्द साख पिीं थर। यिां के बिमतेरे
लापरवाि कारपामे गांवक तक पिमंचते रिे थे। पर दस
ू रा पवक्प ंर ंला ुब क्या था? छअ प पे गौर

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ककया कक यिां ख्जतपे डॉक् र थे, वे ुस्पताल के ुपपे कक्ष में बैोकर आपे वाले मरीजक से बेितर
इलाज के शिलये ुपपे प्राईवे क्लीनपक में आपे की ताकीद कर रिे थे। यिां दे खपे के पाम पर मिज
खापापूनता की जा रिी थर। वाडा की ख्स्थनत तअ गौिाल से ंर बदतर थर। गंदगर और दग
म न्
ा ि के ुलावा
यिां िर चरज पदारद थर। गरीबर रे खा पिीं बख््क गरीबर बबन्द म से ंर परचे रिपे वाले बेउपाय लअग
ुपपर बरमारी कअ शिलये फला पर गेपरा - गमदडर या पमआल बबछा कर ुपपे ककसर पररजप की नपगरापर
में बदिवास पसरे िमए थे। कौप कि सकता था कक यि ुस्पताल िै ? इससे कई गमपा बेितर कब्रगाि
या कतलगाि िअता िै , जिां मत
ृ कक या मारे जापे वाले लअगक के शिलये ंर इससे ुच्छे इंतजाम िअते िैं।

बिरिाल बेंगा मांझर के शिलये इसर पका में किीं प किीं उचचत इलाज की उम्मरद करपर थर इस तरि
कक सौ रूपये में िी मामला सल जाये। मगर छअ प कअ क्या पता कक जककक की इस पगरी में सौ
रूपए तअ शिसफा सूंघपे में िी नपकल जाएंगे। खप
ू जांच और एक्सरे में िी पपचिततर रूपए पार िअ गये।
डॉक् र की फीस और दवा के शिलये पच्चरस रूपए कमछ ंर पिीं थे। इस सरकारी ुस्पताल के चप्पे
चप्पे में व्याप्त बेियाई पर छअ प िै राप था। मगर बेंगा मांझर लायद इतपा बडा बेिया पिीं था कक
दवा खरीदपे के पाम पर छअ प कअ पंगा कर परीक्षा लेता। बेचारा पिले िी चल बसा।

छअ प की आतमा एकदम चरतकार उोी थर कक बेंगा कअ प कैंसर था, प एड्स, प ी बर - मिज दस्त
और बख
म ार से परडडत था, कफर ंर दअ दअ ुस्पताल से गज
म र कर ंर वि इलाज पिीं पा सका। वि
शिसिर उोा था कक आज गरीबक के शिलये इलाज ककस कदर िास्यास्पद और मख्म श्कल िअ गया िै । कल
इन्िें फअडे फ़मन्सर, सदी खांसर और सरददा से ंर मरपा पड सकता िै । मापअ इपके शिलये िर रअग िी
कैंसर और एड्स बपपे जा रिा िै ।

ुस्पताल के गे पर िी ुचथायां बबक रिी थरं। जैसे वे पिले िी चरख चरख कर यि बता रिी िक कक
जब इस ुस्पताल में ंरतर जा िी रिे िअ तअ िममें से ककसर एक कअ पसन्द करते जाओ। लायद इस
ुस्पताल में आपे वाले साो प्रनतलत गरीब ग्रामरणक का यिी िश्र था। िर स्तर और सज िज की
ुचथायां यिां उपलब्ि थरं। छअ प पे बचे िमए पच्चरस रूपये से ुथी खरीद ली। क्या संयअग था कक वि
ुपपे साथ तरप आदमर लेकर आया था। मापअ कंिा दे पे की पूरी तैयारी कर आया िअ, पिीं तअ उसे
ंाडे पर कमछ कंिे लेपे पड जाते।

बेंगा की घरवाली जअ इप हदपक लमक्खा शिसंि द्वारा जबरप बपाई िमई रखैल थर, ुब स्थायर तौर पर
ममक्त िअ गई। लमक्खा कअ उसके एवज में बेंगा का खचा ंर प्रायअख्जत पिीं करपा पडेगा। रअज रअज
ुध्दा पौआ पपलापा पडता था...ुंनतम में पता पिीं क्या शिमला कर पपला हदया कक बेंगा कअ इसके बाद
परपे की जरूरत िी पिीं पडर। उपेक्षा की नपरतंरता पिले िी उसकी नपयनत थर, ुस्पताल पे इसे चरम
पर पिमंचा हदया। चलअ ुच्छा िमआ कक इसके मरपे से कअई पविवा प िमई कअई ुपाथ प िमआ।

चारक पे ुथी पर बेंगा का लव डाल हदया और राम पाम सतय िै किते िमए वे पैदल चल पडे। जबकक
बेंगा पे जअ ख्जन्दगर जर थर उससे राम पाम सतय पिीं सवाथा ुसतय जाप पडता था। रास्ते में ुजरब
ुजरब तयाल छअ प के ंरतर बपते और शिम ते रिे । इन्िीं में एक था ुपपे जैसे मजलूम चेिरक के

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शिलये एक िमददा और रिमहदल डॉक् र की तलाल। उसपे यि ंर सअचा कक क्यक पिीं वि ुपपे
पन्िका कअ पढा शिलखा कर डॉक् र बपा दे । ुगर वि ऐसा कर सका तअ शिसफा ुपपा िी पिीं पूरे जवार
का उध्दार िअ सकेगा। ुगले िी क्षण उसके िको खद
म पर व्यंग्य से ममस्कमरा हदये। खापे की खची पिीं
और डयअढी पर पाच! जानत का डअम और बे ा डॉक् र! जअ ंर समपेगा िं सर से लअ पअ िअ जायेगा।
छअ प पे झेंप कर इस पवचार कअ झ क हदया। कंिे पर ुथी िै और वि क्या ुपाप लपाप सअचे जा
रिा िै । डॉक् र कौतमक, उसके दअस्त, उपकी रचर साख्जल, बेंगा की घरवाली और लमक्खा शिसंि उसे कफर
याद आपे लगे थे।

गांव में लाल पिमंचर तअ ककसर कअ कअई ुचरज पिीं िमआ....किीं कअई समगबमगर या िलचल पिीं िमई।
जैसे ककसर आदमर की पिीं कीडे - फ़नतंगे की मौत िमई थर, ख्जस पर गम, स्यापा, लअक, ुफसअस
करपे की कअई पररपा ी पिीं। ककतपा ुकेला था बेंगा कक आज उसकी मौत पर कअई रअपे वाला पिीं।
जअ िल जअत रिे थे, जअतते रिे ...जअ कंम ए पर लाोा चला रिे थे वे चलाते रिे जअ खशिलिाप में दौपर कर
रिे थे करते रिे । मतलब ककसर पे ुपपे िंिे कअ स्थचगत करपे की जरूरत पिीं समझर।

आदमर आदमर में ककतपा फका िअता िै ....चािे वि राजतन्त्र िअ या जपतन्त्र। एक वि ंर आदमर िअता
िै ख्जसके मरपे से सारा दे ल बन्द करा हदया जाता िै , उसका ुंनतम संस्कार दे खपे के शिलये परू े म्
म क
कअ फमसात बिाल करा दी जातर िै ।

छअ प ुब समझ गया था कक सामाख्जक न्याय के िं गामे में एक गरीब मामूली आदमर की जाप का
कअई मू्य पिीं। वि तअ मात्र एक की पतंगा िै ।

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घर फूांक तम श

राबत्र के दअ बज गये। यक िी ी वर ऑप करके बैोा था े कलाल। पदे पर क्या ृशश्य उंर रिे िैं उन्िें
दे ख कर ंर कमछ पिीं दे ख रिा था। जब चचतत ुलांत िअ तअ चेिरे की आंखें एक कोपमतली की आंख
ंर िअकर रि जातर िैं। घर के संर लअग ुब तक सअ चक
म े थे - दअपक बे े , दअपक बेह यां। पतपर उसे
कई बार सअ जापे के शिलये आवाज लगा चक
म ी थर। वि जाकर बबस्तर पर ले गया। परंद पिीं थर
उसकी आंखक में । उसकी ममकम्मल परंदें पपछले डेढ साल से िर मिीपे थअडा-थअडा करके ककस्तक में
उससे नछपतर जा रिी थरं। कल सअफा बबक गया तअ उसके साथ परंद की एक और ककस्त ंर चली
गयर।

सअफा बपवापा उसका एक सपपा था ख्जसे वि कई सालक में पूरा करवा पाया था। पवशिंन्प मैन्यमुलक
और कई फपीचर की दक
म ापक में जा-जा कर उसपे एक मपअपमकूल डडजाईप का चयप ककया था। शिमस्त्रर
कअ इसे समझापे और हदखापे में कई िफ्ते लग गये थे। उसपे लकडर ़िा पववरण लेकर, आरा मलरप
में उसपे सागवाप की लकडर चचरवाई थर। इसे आकार दे पे के शिलये शिमस्त्रर कअ बमलवापे की ख्स्थनत दअ
साल बाद आयर थर। शिमस्त्रर पे उसका मजाक उडाते िमए किा था, े कलाल जर, उस सअफे कअ क्या आप
सरकारी पंचवषीय यअजपा की तरि पूरा करें गे क्या?

े कलाल पे कअई जवाब पिीं हदया था। वि जापता था कक पांच साल लग जापा उसके शिलये कअई बडर
बात पिीं और सचमच
म पांच साल लग िी गये। ढांचा बप गया तब काफी हदपक बाद पॉशिलल करवाई
गई, कफर काफी हदपक बाद फअम खरीद कर कमलप बपवाया गया। बैकपपलअ और कवर आहद से लैस
िअकर जब सअफे पे घर में ुपपर जगि ली तअ यि दे खपे लायक एक आलीलाप िाऊस - िअ्ड के
कलेवर में ढल गया जअ ंर घर में आता सअफे कअ ममग्ि ंाव से दे खता रि जाता - े कलाल जैसे
मामूली आदमर के घर में ऐसा ंव्य सअफा ! उसपे ुपपे घरवालक कअ बता रखा था कक उसके खापदाप
के शिलये यि पिला ुवसर िै जब ककसर पे सअफा बपवाया और कल विी सअफा बबक गया!

े कलाल िर आिे घं े में उो उो कर पापर परता और पेलाब करता। पतपर ताड रिी थर। सअयर वि ंर
पिीं थर लेककप मह या कर वि यि हदखापा चाितर थर कक सअ गयर। ुचापक कमरे की बततर जल
उोी। बडा लड़िा सामपे खडा था।

पापा मैं पे दे ख शिलया आप ुब तक जाग रिे िैं। मां ंर शिसफा सअपे का हदखावा कर रिी िै आखखर कब
तक आप लअग जागते रिें गे? ुरे ंाई मैं तअ सअया िी िमआ था, ुंर ुंर तअ पापर परपे उोा िूाँ
। आज मैं पे आपका झूो पकड िी शिलया पापा, ख्जस सअफे कअ आपपे बेच हदया, उसके आकार लेपे
की किापर मेरे मप में कल िी से आगे परछे िअ रिी िै । परंद तअ ममझे ंर आज पिीं आयर। पपा,
आखखर ऐसा क्यक िै कक िमारी ककस्मत दस
ू रक की मजी पर डडपैन्ड करपे लगतर िै । दस
ू रक के ककये की
सजा िमें ंअगपे पडतर िै। चंद लअग मूखत
ा ा और पालायकी करते िैं और उससे त्रस्त पूरा दे ल िअ जाता
िै । आखखर ये कारखापे बंद क्यक िअ रिे िैं? इस घर फूंक तमाले का कौप ख्जम्मेदार िै आपपे तअ
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ककसर का कमछ पिीं बबगाडा? कअई जवाब पिीं था े कलाल के पास। उसपे किा, इसका जवाब
ुन्ताराष्ट्रीय ममद्रा कअष, पवश्व बैंक और ुमररका के शिसवा लायद इस दे ल में ककसर के पास पिीं िै ,
बे े । िमपे तअ दे ख िी शिलया िै कक शिंन्प पवचारक वाली कई सरकारें आयरं - गयरं, ककसर से यि घर
फूंक तमाला रअकपा संंव पिीं िमआ। खैर इस ममद्दे पर ममझे ुकेले लअक करपे दअ और तमम ुपपे शिलये
कअई पयर यमख्क्त नपकालअ। ममझे उम्मरद िै कक तमम कअई पौकरी ुवश्य ढूंढ लअगे। ममझे तअ इसकी कअई
उम्मरद पिीं हदखतर। एक पौकरी के शिलये जिां एक एक िजार उम्मरदवार िक विां ऐसर उम्मरद मिज
खमलफिमर िै , पापा। पये की छअडडये, जब पमरापे पौकरीलमदा लअग पौकरी से िर जगि सरप्लस बता कर
ि ाये जा रिे िैं, जब िजारक संस्थाप बंद िअ रिे िैं , कम्प्यू र और रअबअ आदशिमयक की जगि ले रिे िैं
तअ पयर यमख्क्त के शिलये स्कअप किां बचता िै ? पवलेष! मां पे िस्तक्षेप ककया, दनम पया कफर ंर चलेगर
बे े कअई रास्ता तअ नपकलेगा िी। तमम्िें ुंर से जरा सा ंर नपराल पिीं िअपा चाहिये। िमारे आगे जरपे
का आिार तअ तमम्िें िी बपपा िै । चलअ, ुंर िम सअ जाएं।

े कलाल जापता िै कक किपा आसाप िै ककन्तम खद


म कअ ंर समझापा इतपा आसाप पिीं िअता। वि
ुपपर िी िालत जरा ंर सामान्य पिीं कर पा रिा िै ।

समय का े पिीं क ता िै , जैसे हदप रात की शिमयाद बरस ंर लम्बर िअ गयर िअ। े कलाल कअ लगता
िै कक इसर गनत से वि बढ
ू ा ंर िअपे लगा िै , ुथाात एक हदप रात में उसकी आयम एक एक बरस कम
िअतर जा रिी िै । एक आयम की ढलाप िी िै कक बिमत तेजर से बढ रिी िै बाकक तअ सबकमछ रुक िी
गया िै बच्चक की पढाई, बरमारी का इलाज, ब्याि लादी, ख्जन्दगर की िं सर खल
म र और लौक लतम फ।
बख््क यि सबकमछ रुक गया िै इसरशिलये आयम और ंर तेजर से िाथ से कफसल रिी िै और ये सारा
कमछ इसशिलये रुक गया िै कक उसका कारखापा रुक गया।

यि कारखापा स् ील वायर प्रअडक् शिल जअ ुब तक ुरबक कील कां ी बपा चक


म ा िअगा और ुब उप
कील कांह यक पर ककतपा कमछ ुब ंर ह का िअगा, ककतपा कमछ ं गा िअगालेककप आज यि कारखापा
खद
म िी बेकील िअ गया। प बअ् और वायर रड ंर इसके ममतय उतपाद थे। इसके बपाये प बअ्
और वायर राडक पर प जापे ककतपे स्ट्रक्चर खडे िकगे, ककतपे मअ र सायकल के पहिये घूम रिे िकगे,
ककतपर छतररयां तपर िकगर, ककतपे ऊंचे ऊंचे वा र ावर कायम िकगे, ककतपर रे ल प ररयां कफक्स
िकगर, ककतपर छतें म्गर िकगरककन्तम आज उप मल
ू ंत
ू उतपादक का नपमााता खद
म िी प ह का रि
सकादस
ू रक कअ थामपे का जररया उपलब्ि करापे वाला खद
म िी थमे रिपे के शिलये जररये का मअिताज
िअ गया। यि कैसर पवडम्बपा िै ?

बताया गया कक करअड़क रुपये की बबजली का बबल बकाया िअ गया था। लाईप का दी गई थर। प्रबंिप
की ओर से किा गया कक माल पिीं बबक रिा। पवदे लर माल से बाजार ुं ा पडा िै । इपके सामपे माल
बबकता ंर िै तअ घा े के सौदे पर। घा ा बढ़िर ुब एकदम बेकाबू िअ गया िै । कारखापा चलापे से
ज्यादा फायदे मंद िै इसका प चलापा।

29
संर मजदरू और यूनपयप के लअग िै राप िैं। पिले तअ यिी कारखापा खब
ू बम बम चल रिा थाखूब
प्रॉकफ कर रिा था। मजदरू क कअ एकदम समय पर वेतप और बअपस हदये जा रिे थे। सबकी गमजर
बसर ोीक ोाक िअ रिी थर। माल का प बबकपा तअ कअई ममद्दा िी पिीं था। ओवर ाईम करवा कर
प्रअडक्लप बढाया जाता था, ग्रािकक की मांगे कफर ंर पूरी तब ंर पिीं िअतर थरं। यूनपयप ककसर ख्जद
कअ लेकर एक हदप ंर िडताल की िमकी दे तर थर तअ प्रबंिप में ुफरा तफरी मच जातर थर कक सारा
संतमलप बबगड़ जाएगा।

आज कैसा वक्त आ गया िै कक माशिलक स्वयं कारखापा बंद कर दे पे में ुपपा ंला समझ रिा िै ,
जबकक यूनपयप चाितर िै कक यि ककसर ंर लता पर चलता रिे । लेककप यनू पयप का कमछ ंर पिीं चल
रिा। इस समय सबसे पकारा और ुस्त्रिीप संगोप कअई बपा िै तअ वि िै यूनपयप! प इसे सरकार
का समथाप िै , प ुदालतक का। बंद कअ ुब माशिलक पे ुपपा ुस्त्र बपा शिलया िै और वि इसके
शिलये उपयअग के शिलये एकदम आजाद िै ।

े कलाल रअज क़िसर प ककसर फैक् री के बंद िअपे की खबर ुखबार में पढ लेता िै ।ुब तक दे ल की
चलपे वाली िजारक फैक् ररयां बंद िअ गईं और लाखक कामगार बेरअजगार िअ गये। क्या सबकी िालत
े कलाल जैसर िी पिीं िअ गयर िअगर?

यिां तअ सबकी िालत कमअबेल एक जैसर िी िै । िमेला िं सपे और मजाक करपे वाले चेिरे कअ ंर
मापअ काो मार गया िै । उसके साथ काम करपे वाला शिमल ऑपरे र सअपाराम के िकोक पर समपापे के
शिलये िमेला पये पये चम कमले िरे िअते थे और कमछ साचथयक से वि िरदम नघरा िअता था। आजकल बंद
शिमल के आगे बअरा और पेपर आहद बबछा कर मायूस और बदिवास लअग बैोे रिते िैं, उपमें सअपाराम
ंर बैोा िअता िै लेककप चम कमलक की जगि लगता िै कक उसके िकोक से एक पवलाप ररस रिा िअ।
लगंग पांच सौ मर र लम्बर पवलाल शिमल की शिलचथल और नपष्प्राण काया कअ लअग यक नपिारते रिते
िैं, जैसे ुपपे सबसे घनपष्ो और खास लमंचचंतक का लव दे ख रिे िक। शिमल चलतर थर तअ फपेस से
गमा बबले (इस्पात पपंड) रअलर से रअल िअकर गमजरता था और तार बपकर इतपर तेजर से
ऑ अमेह कली क्वॉयल में बदल जाता था जैसे एक शिमसाईल छू पे का ृशश्य उपख्स्थत िअ गया िअ और
इससे ध्वंस का पिीं नपमााण का एक ुजस्त्र संगरत फू पे लगा िअ। े कलाल सअचता रिता था कक इस
शिमल में लगर लगंग 100 करअड ़िी पंज
ू र क्या यक िी व्यथा िअ जाएगर? बेचारी यि शिमल तअ ुब ंर
परू ी तैयार िै । जरा सर बबजली दौडा दी जाए तअ तरम न्त प्रअडक्लप चालू िअ जाएगा और नपमााण का
संगरत लरु
म िअ जाएगा। दे ल ंर में प जापे ऐसर ककतपर पंज
ू र बंद शिमलक के रूप में जंग खा जाएगर।
क्या राष्ट्रीय िमा पर प्रवचप करपे वालक कअ इस राष्ट्रीय पाप का एिसास पिीं िअपा चाहिये?

दस माि बंद रिपे के बाद आो माि पिले पता पिीं ककस ुस्थायर मकसद कअ लेकर यि कारखापा
चालू ककया गया था। संर थके िारे मजदरू क में पई जाप आ गई थर। पूरे तप मप से वे ुपपे ुपपे
काम में शिंड गये थे। े कलाल शिमल का चरफ ऑपरे र था। उसपे ुपपे ुथरपस्थ संर साचथयक से
किा कक िमें मात्रा, गमणवतता और लागत के मामले में इतपा ुच्छा प्रदलाप कर दे पा िै कक कम दाम

30
में ंर माल बेच कर माशिलक कअ पमकसाप प उोापा पडे और कफर शिमल बंद िअपे की पौबत िी खतम
िअ जाये। ऐसा ककया ंर सबपे शिमलकर। मजदरू क की यि ुंूतपूवा संलग्पता थर कक वे घर जापा तक
ंूल जाते थे। े कलाल तअ घर में ंर िअता तअ उसका ध्याप कारखापे की तरफ लगा िअता। जर पिीं
मापता तअ बरच बरच में क्वा ा र से आकर घं े दअ घं े के शिलये कफर काम में शिंड़ा जाता।

इस दौराप मजदरू क की कॉलअपर में कफर से चिल पिल बिाल िअ गयर। बच्चक के जअ मैदाप और पाका
सन्पा े में नघर गये थे, उपमें कफर ककलकाररयां गूंजपे लगर। सिम दब
म क जापे वाली महिलाओं की
बैोकबाख्जयां कफर से जमपे लगरं। यमवाओं यमवनतयक के ोिाके और ुपावश्यक ंाग दौड कफ़र चालू िअ
गयर। प्रेम करपे वाले जअडाेेें के ोिरे िमए सम्वाद आगे चलपे लगे। क्र्वा र और फ्लै क के रसअईघरक
से तेल मसाले की तेज खश्म बमएं कफर से िवा में तैरपे लगरं। मतलब एक कारखापे के चालू ताल पर
सारा कमछ लयातमक और समरीला िअ गया था। काल कक यि ताल स्थायर िअ जाता।

तरप मिीपे बाद कारखापा कफर बंद कर हदया गया। बबजली क गई और माशिलक पे मजदरू क से
किा, िम कअशिलल में िैं कक पये उपाय करके इसे कफर चालू कर सकें। तब तक आिर पगार िम
आपकअ दे ते रिें गे।

कॉलअपर के मैदापक,पाकों, सड़िक, घरक, पमशिलयक, क्लबक आहद कअ जैसे कफर ककसर लअक पे डंस शिलया।

परू ी पगार जब शिमलतर थर तब ंर का - कप कर िी जरवप चलता था, ुब आिर में तअ ककसर तरि
शिसफा पे िी ंरा जापा संंव था। पवलेष ंव
म पेश्वर में रि कर बर एस सर कर रिा था, क्यककक बबिार
में दअ साल की पढाई चार पांच साल से पिले परू ी पिीं िअतर। जब उसे यि जापकारी शिमली कक
कारखापा तरप मिीपे चल कर कफर बंद िअ गया, वि पढाई छअड ़िर ा ा आ गया। वि जापता था
कक पपता वापस पिीं बमलाएंगे और घर में जब तक बेचपे के शिलये समाप िकगे, वे बेचते रिें गे और
ख्जतपा संंव िअ सकता िै उसे ंेजते रिें गे और ुपपर दअ जूप की रअ ी की ंर परवाि पिीं करें गे।
पररवार के साथ रिकर आिर पगार में कम से कम सबकअ रूखा सूखा खापा तअ शिमल जाएगा।

लाम में सअपाराम े कलाल के घर आ जाता या कफर े कलाल सअपाराम के पास चला जाता। ममसरबतक
के दअ सियात्रर पये उपजे ुपपे दख
म क की गमख्तथयक कअ समलझापे की पाकाम कअशिलल करते और ुपपर
उदासर पिले से कमछ और बढा लेते।

एक हदप सअपाराम पे बताया, मेरी बबपब्यािी बडर बे ी गंा से रि गई और कल वि यि कि कर चली


गई कक मैं जा रिी िूाँ बाऊजर! यिां आपकी कई ममसरबतक के ऊपर एक बडर ममसरबत बप कर मैं पिीं
रिपा चाितर। मेरा ब्याि करपा आपके वल में पिीं रिा यि जापतर िूाँ। इसशिलये जअखखम उोा कर जा
रिी िूाँजअ िअगा ुच्छा िी िअगा। ुच्छा पिीं ंर िअगा तअ इससे बमरा ंर क्या िअगा कक मैं कमंवारी मां
बप जाऊं और लअग आपकी िं सर उडाएं। वि किां गईककसके साथ गई? े कलाल सअपाराम से पूछपा
चािता था लेककप यि साेअच कर पिीं पूछा कक िअ सकता िै इसका जवाब इसके पास ंर प िअ।
म िी किा, मैं िी इसका ख्जम्मेदार िूाँ
सअपाराम पे आगे खद े कलाल ंाई! इस लड़िी के ब्याि कअ
सअचकर मैं पे एल आई सर में एक स्कीम ले रखर थर। कारखापा बंद िअ गया तअ स्कीम ंर बंद िअ
31
गई और पपछले साल इसके पैसे नपकाल कर पतपर की बरमारी में लगा हदये। लादी में दे पे के शिलये
कई सारा सामाप खरीद रखा थाकमछ गिपे, कमछ घरे लू सामाप, पलंग, ीवर, ुलमारी, डायनपंग से ,
ककचप से । एक एक कर वे सब ंर बबक गये। बे ी की उम्मरद दम तअडतर चली गयर। मैं सचममच
उसके ब्याि करपे के लायक किां रि गया था? पिले तअ दअ एक लड़िे वाले लड़िी दे खपे और बात
चलापे में हदलचस्पर ंर ले रिे थे, ुब कअई हदलचस्पर पिीं लेता। बंद कारखापे के लेबर से लेप दे प
की ुपेक्षा पिीं रखर जा सकतर प!

े कलाल का ध्याप ुपपर बेह यक पर चला गया। बडर वाली ुब वयस्क िअतर जा रिी िै , दसवरं में
पढतर िै लेककप ुब लायद िी आगे पढ सके। कितर िै मप पिीं करता। पवरं कक्षा तक तअ पांच
ुव्वलक में लाशिमल रिा करतर थर। दसवरं में आकर फेल िअ गयर। प री पर जब कमछ पिीं रि गया तअ
यि कैसे रितर! इस लड़िी का कसूर पिीं िै । और छअ ी लड़िी कअ बडे लौक से ुंग्रेजर स्कूल में
दाखखला हदलवाया था, सात साल पढी वि विां। इस साल ि ाकर सरकारी स्कूल में डालपा पडा। बिमत
कंम होत और िीप ंावपा से ग्रस्त रितर िै वि विां। छअ ा लड़िा ुलेष उच्च प्रथम श्रेणर से इं र पास
करके इंजरनपयररंग प्रवेल परीक्षा की कअचचंग लेपे लगा था। किा था, आप ममझे चांस दीख्जये पापा, मैं
आपकअ इंजरनपयर बप कर हदखा दं ग
ू ा।
बे े के आतमपवश्वास कअ दे ख कर े कलाल ुपपे खयालक में पल
म ाव पकापे लगा था कक उसका यि
िअपिार और मेिावर बे ा लगता िै उसकी मजदरू क्लास िै शिसयत कअ ऊपर उोा कर रिे गा। वि जापता
िै कक यक ऐसा कम िी िअता िै कक मजदरू का लगा ोप्पा शिम जाएकफर ंर इस कम की पंख्क्त में
उसे लाशिमल िअपा िै ।

े कलाल ुब समझ गया कक आसाप पिीं िै वगाान्तरण। ुलेष कअ कअचचंग छअडपर पडर। ुगर प्रवेल
परीक्षा पास ंर कर जाता तअ इंजरनपयररंग की ऊंचर फीस किां से आतर? इंजरनपयररंग की ऊंचर फीस
ुपपे आप में एक त्ख सच्चाई िै कक गरीब के बे े के शिलये पिीं बपर यि पढाई। यि पढाई उपके
शिलये िै जअ शिसफा मेिावर िी पिीं समखर सम्पन्प ंर िअ।

ुलेष पे किा, ुब मैं कअई पौकरी पिीं करुं गा पापा। ुब इस समाज के झाड झंखाड ़िअ साफ करपे
के ममहिम में मैं लाशिमल िअ रिा िूाँ। मैं एक पा ी ज्वाईप कर रिा िूाँ, ुब मैं उसका िअल ाईमर सदस्य
िूंगा। आप लअग ममझे ंूल जाईए।

े कलाल उसका मंि


म दे खता रि गया। मि
ंम दे खपे के शिसवा उसके पास मंि
म ंर किां था कक उसे रअक
पाता। ुलेष उसके सामपे िी घर की चौख लांघ कर बािर िअ गया। उसकी मां उमा दे वर ुपपे रुं िे
गले से उसे पक
म ारतर रि गई ख्जसे वि बध्
म द की तरि ुपसप
म ा कर चलता बपा।

बंदी के लगंग डेढ साल तक िर मिीपे एक से दस तारीख के बरच आिर पगार शिमल जाया करतर
थर। उसके बाद ऐसा िअपे लगा कक शिमलपे की तारीख ुनपख्श्चत िअ गई। लअग व्यग्र िअकर प्रतरक्षा
करते और तारीखें लतर रितरंकंर पच्चरस, कंर उपतरस, तअ कंर इकततरस।

32
एक हदप प्रबंिप की ओर से किा गया कक पगार जब ंर दे पर िअगर िम आपकअ खबर कर दें गे। ुब
कारखापे में आकर आो घं े बैोपे की जरूरत पिीं िै । आप ुपपे घरक में रिें या ुन्यत्र कअई काम
करपा चािें तअ करें । मजदरू क की तरफ लअग संलय में नघर गयेकिीं यि प्रबंिप की चाल तअ पिीं?

म र की, घर में आखखर बैोकर िम करें गे ंर क्या? यि कारखापा िमारे


कमछ लअगक पे ुपपर आवाज मख
शिलये कमास्थल िी पिीं पूजास्थल ंर िै । िमें यिां आपे से प रअका जाए। बािर िम काम ंर क्या
करें गे आपे से प रअका जाए। बािर िम काम ंर क्या करें गेकिां करें गे। ुब इस उद्यअगपगरी में
जरपवत उद्यअग रि िी ककतपे गये िैं कक िमें काम शिमलेगा। प्रबंिप पे किा, ोीक िै ुगर आप ुंदर
आकर बैोपा चािते िैं तअ बैोें। िम तअ इस खयाल से कि रिे थे कक आपकअ आजादी दी जाए ताकक
आजरपवका के शिलये ुपपे मपअपमकूल जमगाड बबोापे में आपकअ कअई पाबंदी मिसूस प िअ।

े कलाल पे इस नपणाय पर बिमत राित मिसूस की। घर में तरसक हदप, चौबरस घं े रिपा एक बिमत
बडर यातपा तअ िी, दनम पया से बमरी तरि क जापे की एक ममाांतक वेदपा ंर िै ।

पिले कारखापे से शिलफ् लमरु िअपे वाले घं े में ुथाात ए शिलफ् के शिलये समबि छ: बजे, जपरल शिलफ
के शिलये समबि सात बजे, बर शिलफ् के शिलये दअपिर दअ बजे और सर शिलफ् के शिलये रात दस बजे
सायरप बजा करता था। ुब सायरप पिीं बजता, इससे ुब लगता िी पिीं कक यि कअई औद्यअचगक
पगरी िै । सायरप डयू ी की मापशिसकता बपाता था और ंरतर एक पई तरं ग पैदा करता था। े कलाल
सायरप के बबपा ंर ोीक सात बजे कारखापे में दाखखल िअ जाया करता था। रास्ते में सअपाराम कअ ंर
साथ कर लेता था। सअपाराम की आदत थर - गे पर पाप की गमम ी से एक बंडल बरडर रअज खरीदता
था। ुब उसपे बरडर परपर छअड दी और प ंर छअडर िअतर तअ वि यिां से बरडर ़ििां खरीद पाता। बरडर
़िा िी क्या, चाय पकौडर, ंमंजा सततू, खैपर चप
ू ा आहद की कई गममह यां जअ यिां ुवख्स्थत थरं, वे ुब
सब बंद िअ गई िैं। पाप के कई घपघअर लौकीपक पे ुब पाप खापा छअड हदया। कमछ तअ ऐसे मजदरू थे
ख्जन्िें पिले कअई लत पिीं थर, ुब वे लराब की लत में फंस गये िैं। कजाा ले लेकर लाम िअते िी दारू
की बअतलें लेकर बैो जाते िैं। आबाद िअपे के शिलये लायद कमछ बचा पिीं बाकक तअ बरबाद िअपे की राि
पर िी वे बढ गये िैं। ऐसे आतमिं ता मजदरू क की आिर पगार कअ ंर िडप जापे के शिलये कारखापे के
गे पर पोाप मंडराते पजर आ जाते या कफर उिार वसल
ू पे वाले मिाजप - दक
म ापदार चक्कर का ते
हदख जाते।

संर जापते थे कक ककसर ंर समय यि आिर पगार ंर रुक सकतर िै और यि सच िमआ और एक


हदप पगार रुक गई। मजदरू आंखें फाडे, ममंि बाये खडे रि गये। े कलाल, सअपाराम आहद बैोे िअते
कंर वायर शिमल के सामपे, कंर रड शिमल के सामपे, कंर प बअ् के मलरप सेक्लप के सामपे,
कंर बाबेड वायर (कं ीले या फैख्न्सग तार) शिमल के सामपे। ऑकफस की ओर से कअई चपरासर, क्लका
या ऑकफसर आता हदखता तअ उपकी उतकंोा तरव्र िअ जातरकिीं वे खबर करपे तअ पिीं आ रिे कक
पगार आ गयर िै ।

33
इस पगार कअ पिीं आपा था और कई मिीपे िअ गये वि पिीं आई। जाहिर िै यिीं से पे चलापे के
घर के सामाप औपे पौपे दामक में बबकपा लमरु िअ गये। सअफा के बाद े कलाल पे ी वर बेच हदया।
उसपे बैंक से छततरस ककस्त में चक
म ता िअपेवाला कजा लेकर यि कलर ी वर खरीदा था। बैोे ोाले
वक्त कअ गमजारपे का यि सबसे बडा ममफ्तखअर सािप था। इसे लगातार दअ तरप घं े दे खपे पर दअ
तरप घं े की ुिमरी सर परंद आ िी जातर थर। ुब फालतू बैोपा ंर ममिाल िअ गया, सअपा ंर।

ख्जस हदप ी वर बबका उसर हदप बडा बे ा पवलेष रे ल ककराये के पाम पर कमछ पैसे लेकर ककसर दस
ू रे
लिर चला गया था, यि किकर कक,ुब इस मरते िमए लिर में आप पर बअझ बप कर रिपा ुन्याय
िै । मैं जा रिा िूाँ पापाकिां जापा िै यि पिीं मालूम तरप चार लिरक में जअर आजमाईल करुं गा, जिां
काम शिमल जाएगा विीं ह क जाऊंगा कफर विां से आपकअ खत शिलखूग
ं ा। े कलाल के हदमाग में
ुचापक कौंिा कक पिले दरू दराज के लिरक या गांवक से लअग इस औद्यअचगक लिर में आते थे और
उन्िें उपकी काबबशिलयत के लायक बडे या कफर छअ े कारखापे में प्राय: काम शिमल जाया करता था।
आज इस औद्यअचगक लिर से पवस्थापपत िअकर काम की तलाल में दस
ू री गैर औद्यअचगक जगिक में
जापा पड रिा िै । क्या आचथाक उदारीकरण की परनत का लक्ष्य इसर रसातल की ख्स्थनत में पिमंचपा था
कक दे ल के तमाम मजदरू ी के ुवसर और मजदरू क की खशिम लयक में एक साथ सेंि लग जाये।

कई मिीपे गज
म र गयेआिर तपखाि शिमलपे की उम्मरद पर पापर कफरा का कफरा िी रि गया। इस बरच
पता पिीं कौप सा वि स्त्रअत था जिां से खबर फैला दी जातर कक ककसर बिमराष्ट्रीय कंपपर से माशिलक
की बात चल रिी िै , कारखापा ज्दी चालू कर हदया जाएगा। स्थापरय ुकबारक में ंर इस आलय की
खबरें बरच बरच में एकाि बार छप जाया करतरं। े कलाल कअ इस तरि की खबर पढपा ुच्छा लगता।
एक हदप ऐसर िी खबर पढ ़िर ंाषा की ंूशिमका पे उसे बांि शिलया और उसे लगा कक इसमें सच्चाई
िै । बिमत उतसाहित िअकर वि घर लौ ा।

उमा दे वर चौंक गयर, क्या बात िै , कअई पौकरी तअ आपकअ पिीं शिमल गई? ुसाा बाद आप इतपे खमल
हदख रिे िैं। उसपे किा, ुब ंला इस उमर में ममझे कौप पौकरी दे गा? था वि जमापा जब माशिलक
पे मेरे ख्स्कल कअ दे खकर ममझे इसरार करके बमलाया था और बिाली दी थर। आज खमल इसशिलये िूं कक
एक ुखबार पे बिमत जअर दे कर किा िै कक कारखापा नपख्श्चतरूप से ज्दी िी चालू िअगा।

पता पिीं उमा दे वर कअ इस बात पर जरा सा ंर यकीप पिीं िमआ और ककसर खास मकसद से
छपवायर गयर यि खबर ुखबार का एक सफेद झूो प्रतरत िमई। कफर ंर पनत के चेिरे पर ुरसे बाद
उंरे िषा के प्रनतबबम्ब कअ नतरअहित पिीं करपा चाितर थर वि। ुत: उसपे ंर कि हदया,

िां मैं पे समपा िै पडाेैस की औरतें चचाा कर रिी थरं। े कलाल िषाावेग में चिक उोा, तममपे ंर समपा
मतलब काफी चचाा िै इसकी, तब तअ जरूर इसमें सच्चाई िअगर।

उसपे पतपर से खापा मांगा और बंिर खरम ाक से दअ रअ ी ज्यादा खाई। रअज उमा दे वर के किपे पर ंर
ुपमपे ंाव से खापा खापे बैोा करता था। उसपे खाते िमए किा,

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तमम्िारे सारे कपडक पर कई कई पैबन्द चढ गये िैं। पिली पगार शिमलते िी तमम्िारे और बख्च्चयक के
पये कपडे बपवा दं ग
ू ा। उमादे वर पे किा, तमम्िारे कपडे ंर तअ सारे फ गये िैं। कारखापे के शिलये जअ
परली ड्रेस शिमली थर वि ंर साबमत पिीं बचर ुब तममपे घूमपे कफरपे में इस्तेमाल कर ली। मैं तअ तमम
पर तरस खा कर रि गई। ोीक िै, शिमल चालू िअगर तअ पयर ड्रेस ंर शिमल जाएगर, मेरा काम चलपे
लगेगा। तमम लअगक के तअ शिसलापे िकगे।

उस ुखबार में कारखापा लमरु िअपे की जअ खबर छपर थर वि दस


ू रे ुखबार पे पूरी तरि नपरस्त कर
दी। उसपे छापा कक शिमल के माशिलक कअ शिमल चलापे से कअई मतलब पिीं। वि ककसर से बात पिीं
कर रिा। इस समय वि यिां की गमी से बचपे के शिलये पैररस व लन्दप की सैर का मजा ले रिा िै ।
ुगर वि यि बेचग
े ा ंर तअ यिां दस
ू रा उद्यअग लगेगा, दस
ू रे मजदरू बिाल िकगे। इस खबर कअ पढ
े कलाल पस्त िअ गया और उसकी उम्र दअ साल और कफसल गयर। ुब तअ बे े पर िी आस बंिर थर।
चचट्ठर का उसे इंतजार था। ऐसर चचट्ठर ख्जसे पढ़िर उसकी उम्र चार साल पिले वाली िअ जातर। लेककप
ऐसर चचट्ठर पिीं आई। आयर ंर तअ एकदम ोण्डर और दयपरय सर।

आप लअग मेरी चचंता प करें । मैं ममम्बई में िूं और ोीक ोाक िूं।

े कलाल कअ लगा कक लायद उसे कअई काम शिमल गया िै । ुगली बार जरा गमाजअलर से शिलखेगा।
मगर ुगली बार ंर उसपे ऐसा िी शिलखा।

मैं ोीक िूं। आप लअग मेरी चचंता प करें । े कलाल झंझ


म ला गया ुरे ंाई ोीक िअ तअ क्या ोीक िअ,
क्या कर रिे िअ यि क्यक पिीं बताते!एक हदप सअपाराम पे दबे स्वर में एक राज खअलपे की तरि
किा, े कलाल ंाई, ी वर पिीं िअपे के कारण आपपे परसक का समाचार तअ पिीं दे खा िअगा। मैं पे
सेो की दक
म ाप में दे खा, ुसामाख्जक ततवक का एक चगरअि हदखाया जा रिा था ख्जसे पमशिलस पे
चगरफ्तार ककया था। उसमें कमछ लड़िक से सवाल पूछे जा रिे थे ममझे ऐसा लगा उपमें एक आपका बे ा
पवलेष ंर था। एकबारगर दे ि कांप गयर े कलाल की। ुपपे कअ संंालते िमए किा, पिीं सअपाराम ऐसा
पिीं िअ सकता। तमम्िें जरूर कअई ंूल िमई िै । मेरा बे ा गलत रास्ते पर पिीं जा सकता।

किपे कअ तअ कि हदया े कलाल पे लेककप ुंदर से एकदम पवचशिलत िअ गया। रात में परंद तअ पिीं िी
आतर थर। एकाि घं े झपकी ले लेता था। इसर झपकी के दौराप उस हदप उसपे एक ंयापक सपपा
दे खा -

पवलेष कअ एक पवदे लर गमप्तचर संस्था के लअग समझा रिे िैं - तमम्िें िम पचास लाख रूपये दें गे। तमम
मापव बम बपकर फलां पेता कअ उडा दअ। तमम्िारे पूरे पररवार का ंाग्य खमल जाएगा। एक आदमर की
कमबाापर से ुगर पररवार के लअग रातक रात समखर िअ जाते िैं तअ सौदा क्या बमरा िै ? ऐसे ंर आदमर
पररवार कअ समख दे पे के शिलये ख्जन्दगर ंर ककस्तक में मरता िी तअ रिता िै। कफर क्यक पिीं एक बार
मरा जाए। पवलेष किता िै , िां, मैं तैयार िूाँ। पिीं पिीं। किते िमए उो बैोा े कलाल। उमादे वर ंौंचक्क
उसे दे खतर रि गई। उसपे किा,लगता िै ुपपा पवलेष ककसर ममसरबत में फंस गया िै ।

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ुगले हदप उसपे तय कर शिलया कक वि ममंबई चला जाएगा। ुब यिां रि कर िअगा ंर क्या। बेचपे
कअ तअ कमछ पिीं बचा। विां वि पवलेष का पता लगायेगा, ममसरबत में उसे उपकी जरूरत िअगर।

कई लअग इस कॉलअपर से जा चक
म े थे, ुब े कलाल जा रिा था। लेष लअग उसे कारुखणक मद्र
म ा में
नपिार रिे थे। जड से उखडपे की ीस संर पररवार जपक के चेिरे से झांक रिी थर। घर का सामाप
तरप चार बक्से पे ी में ुं गया। जब वि यिां आया था तअ यिी सामाप ट्रक में लापा पडा था।
सअपाराम उसे स् े लप पर छअडपे गया। ंरतर से वि एकदम पवव्िल था....कैसे क े गर ुब उसकी
हदपचयाा.....ककसे हदखायेगा ुब वि मप के घाव?

े कलाल पे सअपाराम की िथेशिलयक कअ ुपपर ुंजमरी में ंर शिलया,

जा रिा िूं सअपाराम, बे े कअ ढूंढूंगा, ममझे ंर ुब लगपे लगा िै कक मेरा बे ा जरूर ककसर संक में
फंस गया िै । वि ुच्छी ख्स्थनत में िअता तअ सब कमछ साफ साफ बताते िमए ममझे लंबा खत शिलखता।
मैं विां जाकर तमम्िें ुपपा पता ंेजूंगा, ुगर कारखापा चालू िअ जाए तअ ममझे खबर करपा ंाई।

सअपाराम कअ लगा े कलाल ुपपे बे े कअ ढूंढपे पिीं बख््क खद


म ंर सपररवार मंब
म ई में खअ जापे के
शिलये जा रिा िै ।

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पगडांडडयों की आहटें

मैं कमबेर प्रसाद। ंमखमरी की जमरप से चल कर आज वातापमकूशिलत कक्ष और िवाई जिाज तक की


यात्रा कअ ममड़कर दे खता िूाँ तअ परछे छू ी िमई सारी पगडंडडयााँ, काँ ीली, सपीली, डरावपर, समिावपर, एक-
एक कर उंरपे लगतर िैं। स्कूली जरवप की पिली िी पगडंडर दं ल दे पेवाली साबबत िमई थर। मैं एक
सवणाबिमल मास् रक और पवद्याचथायक वाले स्कूल में ुक्सर आगे की बेंच से िककयाकर परछे की बें च
पर पिमाँचा हदया जाता था। मैं गलचम का और सरककया-सा ुसिाय हदखपेवाला कमजअर लड़का इसका
ुभ्यस्त िअ गया था। मझ म े बाउजर पे किा था कक ककसर ंर दतम कार-फ कार और दााँव-पें च का बमरा पिीं
मापपा िै और शिसफ़ा ुपपर पढाई पर ध्याप दे पा िै । मैं ुपपर पढाई पर ध्याप दे रिा था और कक्षा
में ुव्वल स्थाप पर पिमाँच गया था। आंतररक दला ंले िी ुव्यक्त थर लेककप मप में जातरय सड़ााँि
और ंेद-ंाव पर एक घण ृ ा समातर जा रिी थर।

मैं मापकर चल रिा था कक जातरय वैषम्य की हिकारत ममझे स्कूल में प्रअतसािप और प्रलंसा का कअई
ुवसर पिीं आपे दे गर। मैं इसर रे चगस्ताप मप:ख्स्थनत में था कक एक मास् र ररतमवरप बाबू की आाँखक
में ममझे आद्रा ता हदखपे लगर। उन्िकपे पपततृ व ंाव से बमलाकर ममझे किा कक ुगर कमछ समझपे में
हदक्कत िअ तअ नपस्संकअच मेरे पास आ जापा। तमममें ललक िै पढपे की और साथ िी स्पाका ंर िै
आगे बढपे की, इसे कम प िअपे दे पा।

इसके बाद उन्िकपे मेरी िालत दे खकर ककताबें और कॉपपयााँ दीं, मफ़्
म त में ट्यल
ू प हदए, चत
ू ड़क पर फ े
पैं तथा पे झााँकते ल ा कअ शिसलापे के पैसे हदए तथा खाली पैर कअ कई बार ुपपर पमरापर चप्पलें
दीं। इप सबसे बढकर एक बड़र चरज ंर उन्िकपे दी और वि था संरक्षण...उप दबंग, लरारतर और
जाशिलम लड़कक तथा पक्षपातर-जानतवादी शिलक्षकक से जअ ममझे चचढाते थे और परचा हदखाते थे। मैंपे उसर
समय समझ शिलया था कक दनम पया में ररतमवरप बाबू जैसे कमछ आला इंसाप िमेला िअते िैं जअ ककसर ंर
खेमा और सरमा से ऊपर िअते िैं। उपकी यि सदालयता ंला म च्चे लअगक कअ किााँ रास आ सकतर थर!
उपके कद कअ छअ ा करपे के शिलए एक लरारतपूणा चचाा फैला दी गई कक ररतमवरप बाबू पे कमबेरवा कअ
ुपपा लौंडा बपा शिलया िै । यि दष्म प्रचार एक तेज बदबू की तरि फैलते िमए मेरे गााँव में बाउजर तक
पिमाँच गया। इसमें नपहित जातरय पें च वे समझ गए और बिमत दख म र िमए। उन्िकपे ममझे एक पंख्क्त की
हिदायत दे दी कक इस बदपामर के कीचड़ से नपकलपे का उपाय यिी िै कक मप पर पतथर रखकर
मास् र जर से एक दरू ी बपा लअ। संंवत: उन्िकपे ररतमवरप बाबू से खद
म ंर ममलाकात कर ली थर और
उपसे िाथ जअड़ शिलया था कक मेरे बे े कअ इस बदपामर से बतल दीख्जए। कैसर पवडंबपा थर कक एक
बाप ककसर कृपालम मास् र से ुपपे बे े कअ उपकी छत्रछाया में रखपे की पवपतर करपे की जगि उपसे
ुलग रिपे का आग्रि कर रिा था। मेरा ुंतस एकदम लिूलमिाप िअ गया। मास् र जर ुपपे स् ाफ़ में
और मैं ुपपर कक्षा में बब्कमल ुलग-थलग और बहिष्कृत-सा िअ गया था।

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मैंपे यिीं से एक बागर भ्रूण ुपपे हदमाग में प्रवेल करते पाया। वि भ्रूण परू ी दास्ताप शिलखपे के शिलए
ममझे बेचप
ै करपे लगा। चाँ कू क यि ऐसा प्रसंग था कक मैं ककसर से कि ंर पिीं सकता था। कफर इस
सारे प्रकरण कअ मैंपे रअ-रअकर कागज पर उतारा था, ख्जस पर स्यािी की लकीरें कम थरं और आाँसमओं
के िब्बे ज़्यादा थे।

मैं ुपपे उस जानत संक्रशिमत पवद्यालय से मैहट्रक में लाशिमल डेढ सौ छात्रक में ुकेला प्रथम श्रेणर से
उततरणा िमआ था। ररतमवरप सर ुपपर खल म र व्यक्त करपे से खद म कअ रअक प सके थे और ककसर की
माफ़ात मेरे घर पेड़े से ंरी एक बड़र खअचड़र शिंजवा दी थर। शिमोाई मेरी पसंदीदा चरज कंर प रिी,
चाँ कू क ुंावक पे शिमोाई की सअिबत में जापे के मौके िी पिीं हदए। ज़्यादा ़िरीबर पमक-शिमचा से िी
रिी। गरीबक के ंअजप में पमक-शिमचा सबसे समलं और सस्ता व्यंजप िअता िै । कफर ंर उप पेड़क पे
ममझे एक ुजरब ुलौककक आस्वाद हदया था। आज ंर, जब उम्र के दअ हिस्से बरत चक
म े िैं और ुब
मैं गमरबत की ख्जंदगर से लगंग नपकल आया िूाँ, शिमोाई में मेरी बिमत हदलचस्पर पिीं िै , उप पेड़क की
जब ममझे याद आ जातर िै तअ ऐसा लगता िै जैसे मैंपे उन्िें ुंर-ुंर खाए िैं। मैं कि सकता िूाँ कक
वैसर स्वाहदष् शिमोाई मैंपे आज तक पिीं खाई।

स्कूल से नपकलपे के बाद ररतव


म रप सर से मेरी दअबारा प कंर मल म ा़िात िमई और पािीं कअई पत्राचार
िमआ। लेककप मझम े ऐसा कंर पिीं लगा कक वे मझम से दरू िैं। मप में िमेला उपसे एक ुप्रतयक्ष संवाद
जारी रिा। आज ंर लगता िै कक वे आसपास िी किीं िैं जअ मझ
म े कदम-कदम पर नपदे शिलत कर रिे िैं,
मेरी सफलताओं और उपलख्ब्ियक पर प्रसन्प िअ रिे िैं तथा मेरी बेवकूकफ़यक और गलनतयक पर फ कार
लगा रिे िैं। ररतमवरप सर िी मेरे जरवप के पिले और आखख़री गमरु रिे गए।

ुिरू े इं र तक यापर शिसफ़ा सत्रि साल िी रिा मैं गााँव में ...लेककप इतपे िी समय में गााँव पे ममझे
इतपे जलवे हदखाए कक ये सत्रि साल सततर साल ख्जतपे ुपमंव दे पे की प्रतरनत करा गए। क्या-क्या
पिीं ंअगा, सिा और झेला मैंपे! गााँव में चलपे वाले ककस मेिपत-मलक्कत और लापत-मलामत के
िंिे से मेरा वास्ता प पड़ा! पपता के पााँच ंाइयक वाला संयमक्त पररवार जब ईष्याा, द्वेष, ुसियअग,
ुपवश्वास और परयत में खअ की ग्रंचथयक के कारण बाँ पे लगा तअ डेढ-दअ साल तक घर मिांारत का
मैदाप बप गया और विााँ जबदा स्त गाली-गलौज, मारपर और थक
ू म-फजरित का िारा र ृशश्य उपख्स्थत
रिा। बाउजर सबसे बड़े थे, ुत: उम्रदराज थे और दब
म ल
ा ंर। घर वे िी चलाते रिे थे, इसशिलए फ े िाली
और ंख
म मरी का उन्िें ख्जम्मेदार ोिराकर उपके छअ े ंाई उन्िें ुपपे विलरपप का नपलापा बपा लेते।
बाउजर के नपश्छल और बेबस आाँसू मेरे ंरतर एक बागर तेवर और कोअर सति सख्ृ जत करपे लगे।
मैंपे ुपपर छअ ी उम्र कअ बड़ा कर शिलया और पपता की तरफ़ से खद
म कअ करारा जवाब बपा शिलया। ुब
उपपर ककसर ंर आक्षेप से मैं सरिर क्कर लेपे लगा। आज सअचकर मझ
म े ताज्जब
म िअता िै कक उस
छअ ी उम्र में ंर कैसे मैं ुपपे नपष्ोमर चाचाओं से शिंड़ जाया करता था!

घर जब बाँ गया तअ हिस्से में शिसफ़ा डेढ बरघा जमरप आई और आो िजार का कजा लद गया। ुपपे
खेत पर आचश्रत िअकर पूरा साल गमजारपा ममख्श्कल था। कम से कम दअ बरघा खेत िमें बाँ ाई के जमगाड़

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करपे पड़ते थे। ममझे ुपपर उम्र थअड़र और बड़र कर लेपर पड़र...ुब मैं िल जअत रिा था...लाोा चला
रिा था...बअझा ढअ रिा था...कमदाल पार रिा था...मड़मआ, मकई, िाप, गेिूाँ, सरसक, आलू, करे ला आहद बअ
रिा था...का रिा था...उन्िें घर ला रिा था...बाजार ले जा रिा था।

पवडंबपा थर कक उप हदपक मेरे गााँव में बाँ ाई की खेतर ंर आसापर से उपलब्ि पिीं थर। ख्जपके खेत थे
उपके सौ पखरे उोापे िअते थे। गााँव के िजारक बरघा जमरप एक िी आदमर पव
ू ा जमरंदार रऊफ शिमयााँ
के पास थर। इपसे बिमत थअड़र िी बचर जमरप गााँव के लअगक में दस-दस, पााँच-पााँच बरघक में बाँ ी थरं।
इसशिलए दअ-चार कअ छअड़कर गााँव में ज़्यादातर लअग बाँ ाईदार थे। रऊफ बाबू ुपपा ज़्यादातर खेत
बराहिल-ममंलर और पौकर-चाकर रखकर खमद िी आबाद करवाते थे तथा रौब एवं िाक बपाए रखपे के
शिलए सौ-दअ सौ बरघा बाँ ाई या मअकररा र पर मेिरबापर करपे की ममद्रा में बााँ दे ते थे। इप मेिरबापर की
जमरपक कअ िाशिसल करपे के शिलए गााँव में िअड़ और मारामारी मचर रितर थर। ममंलर का ंाव बढा रिता
था...रऊफ बाबू की जर-िमजूरी एवं चचरौरी में लअग खद म कअ बबछा दे ते थे। जमरंदारी जापे के बाद से
रऊफ खद म रांचर में रिपे लगे थे। साल में शिसफ़ा दअ बार गााँव आते थे, एक तअ रमजाप में पूरे एक
मिीपे के शिलए और दस
ू रा कंर ंर ुपपर सिूशिलयत दे खकर।

रऊफ बाबू के आपे-जापे और ोिरपे में ऐसर पफ़ासत और लापअ-लौकत समाई िअतर थर कक तंगर-
फ े िाली में रिपेवाले, दनम पया की रईसर और ोा -बा वाले जरवप से ुपररचचत मझ
म जैसे गंवई लड़के
उन्िें दरू से कौतिू लपव
ू क
ा दे खते और उपके ंाग्य पर बिमत ईष्याा करते रिते। रऊफ सािब बिमत मअ े -
थलम थल म े थे। मअ ा आदमर उप हदपक मझ म े बिमत ुच्छा लगता था। मैं सअचता था कक मअ ा आदमर िअपा
एक गौरव की बात िै जअ बिमत पौख्ष् क, मिाँ गा और बहढया ंअजप करपे से िी मममककप िअता िअगा।
ममझे ुपपे इस दं
म ााग्य पर कअफ्त िअतर थर कक िमें ज़्यादातर मडमआ-खेसाड़र जैसे मअ े और सारिीप
ुपाज खापे िअते िैं, ुत: ऐसा मअ ा िअपे का सौंाग्य िमें कंर पिीं शिमल सकता। रऊफ बाबू कअ कई
पौकर-चाकर शिमलकर कार से उतारते और चढाते थे। वे ुपपे इस् े के ंव्य दालाप में गलीचकवाली
एक आलीलाप आरामकमसी पर बबोाए जाते थे। बाबचीखापे में कई खापसामक की सकक्रयता बढ जातर
थर। पूरा गााँव घर, मसाले और सालप की तेज गंि से गमगमा जाता था। ककसर के शिलए यि खल
म बू
साबबत िअतर थर तअ ककसर के शिलए बदबू।

गााँव के प्राय: लअग हिंद-ू मस


म लमाप संर उन्िें सलाम करपे जाते थे। ख़ासकर वे ख्जन्िें मक
म ररा र या
बाँ ाई पर खेत चाहिए िअते थे। विााँ िरे क कअ ुपपा दख
म ड़ा रअकर फररयाद करपा पड़ता था, जैसे कअई
खैरात मााँगपे आए िक। मल
ंम र की ख्जसे तरफ़दारी शिमल जातर थर उस पर रऊफ बाबू पसरज जाते थे।

घर बाँ पे के बाद मजबूरप बाउजर ंर पिली बार सलाम करपे गए थे। ममंलर पे पता पिीं ककस खद
मं क
की वजि से पक्ष लेपे की जगि लंघर मार दी थर। किा था, इससे खेतर पिीं िअगर िमजूर, दे ि में ताकत
किााँ िै इसके पास। दे खखए प कैसा समखड
ं र लगता िै । बाउजर पे नघनघयाते िमए किा था, मेरा बे ा िै
सरकार...वि सब काम कर लेता िै । ममंलर पे ंेडड़ए और में मपे की किावत चररताथा करते िमए कफर
लंगड़र लगा दी थर, इसका बे ा तअ ुंर बिमत छअ ा िै िमजूर। ऐसे ंर यि आदमर ोीक पिीं िै । इसका

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बैल पपछले मिीपे िमारे एक कट्ठा गेिूाँ चर गया था।`` रऊफ पे बाउजर कअ खा जापेवाली पजरक से
घूरते िमए हिकारत से किा था, क्यक बे मरदद
ू , बैल कअ बााँिकर रखपे में क्या तेरे िाथ की में िदी छू तर
िै ? आइंदा ऐसर शिलकायत शिमली तअ िाथ-पैर तमड़वाकर रख दाँ ग
ू ा....जा ंाग िरामर यिााँ से।
बाउजर बिमत ुपमानपत और उदास िअकर घर लौ े थे और बड़े ंारी मप से मंल म र की मक्कारी का
बयाप करते िमए किा था, चलअ िम तअ इसर में संतमष् िैं कक बाबू सािे ब पे िमें ज़्यादा जलील पिीं
ककया। बाउजर की सरलता और मासूशिमयत पर मैं ुचंशिंत रि गया था...ंला वि दष्म और क्या
जलील करता! यक ममझे पता था कक रऊफ शिमयााँ खद
म कअ गााँव का ंाग्य-पविाता समझता िै और ुंर
ंर िमक्मराप वाले रौब में जरता िै । ककसर के खखलाफ़ ुगर उसके पास चअरी, बेईमापर या नछछअरे पप
की शिलकायत शिमल जातर, ख़ासकर ुपपे बाँ ाईदारक ुथवा जप-मजूरक की, तअ वि उन्िें बाँिवाकर जूते
एवं कअड़े तक लगवा दे ता था। मैं ुपपे िमउम्र लड़कक के साथ सिमा-डरा दरू से वि िौलपाक पजारा
दे खता रिता था। ममझे उसकी वि कारा वाई बिमत बबारतापूणा और पल ृ ंस लगतर थर। बाउजर के साथ
उसपे जअ बतााव ककया था, उसके बाद तअ उससे ममझे सख़्त घण ृ ा िअ गई थर।

उसर रअज रात की नपस्तब्िता में उसकी कार के सामपेवाले लरले पर ककसर पे एक जअरदार पतथर दे
मारा था। लरला ू पे की झन्प की आवाज सप
म ते िी उसके ुदा शिलयक और बराहिलक पे काफ़ी ंाग-दौड़
लरू
म कर दी थर, पर कअई पकड़ा प जा सका था। सब
म ि गााँव के मत
म य-मत
म य लअगक कअ बल
म ाकर रऊफ
शिमयााँ पे खब
ू गाली-गलौज की थर और ंरपरू लथाड़ लगाई थर। गदा प झक
म ाकर सब सप
म ते रिे थे। इस
ुपगाल फजरित के खखलाफ़ ककसर कअ िको तक फड़फड़ापे की हिम्मत पिीं िमई थर।

पतथर ककसपे चलाया, ककसर कअ ज्ञात प िअ सका। आज तक वि राज िी रि गया। आज मैं उस राज
कअ उजागर कर रिा िूाँ कक कार पर पतथर मैंपे चलाया था। ककसर जम्म के खखलाफ़ यि मेरा पिला
प्रनतरअि था, ख्जसकी किापर कागज पर पिीं वायमम ंडल में उसर समय दजा िअ गई थर। आज वायममंडल
से नपकालकर मैं उसे कागज पर शिलख रिा िूाँ।

बमढापे और बरमारी के चलते जब रऊफ शिमयााँ की ुलक्तता बढतर गई तअ िर चरज पर उपकी पकड़
ढीली िअतर गई। उपके ंाई-ंतरजे आपािापर करके लू -खसअ मचापे लगे और जमरपक पर कब्जा
जमा करके उन्िें औपे-पौपे बेचपे ंर लगे। गााँव में जअ ख़रीदपे लायक था उसकी चााँदी िअ गई।

सबसे ज़्यादा जमरप जगदील गअप पे ख़रीद ली और दे खते िी दे खते गााँव का वि एक बड़ा काश्तकार
बप गया। ुब गााँव पर रौब और िै कड़र गााँोपे का उसपे खद
म कअ एक ुचिकृत सरगपा बपा शिलया।
वि ुपपर िाक इस तरि फैलाता गया कक लअग उसे रऊफ शिमयााँ से ंर खंख
ू ार और बिलर समझपे
लगे। गााँव में कअई ंर जमरप ख़रीदता या पया घर बपाता, उसकी छातर दख
म पे लगतर। गााँव में वि
एकछत्र बड़ा आदमर बपकर रिपा चािता था। कअई एक कअोरी ंर उोाए तअ यथासंंव ााँग ुड़ापे का
वि कअई प कअई बिापा ढूंढ लेता था।

घर बाँ पे के बाद बाउजर ंर जैसे-तैसे दअ कअोरी उोापे की जमगत में लग गए थे। जगदील के पे की
मरअड़ लमरू िअ गई थर। वि दशिसयक बार कअई प कअई पमक्स नपकालकर लफड़ा खड़ा ककए रिा और इस
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प्रकार िमें दअ कअोरी उोापे में दअ बरस से ंर ज़्यादा वक्त लग गया। िम दअपक बाप-बे े तंग-तंग िअ
गए। मैं उससे बेइंतिा पफ़रत करपे लगा था, लेककप ुफ़सअस कक मैं उसका कमछ ंर बबगाड़पे के
लायक पिीं था। मैं क्या पूरे गााँव में आज तक कअई उसका कमछ प कर सका। जबकक लायद िी कअई
छातर छू ी िअ ख्जस पर उसपे माँग
ू प दली िअ। क्रूरता और तापालािी वरतपे में वि रऊफ शिमयााँ से कई
गमपा आगे नपकल आया।

ुपपे घर में िी एक पट्टरदार चाचा के दअ लड़कक कअ उसपे गायब करवा हदया ताकक घर-खेत में उन्िें
हिस्सा-बखरा प दे पा पड़े। उसके एक ुन्य चाचा के जअ दअ-एक लड़के ककसर तरि बच गए, उन्िें ंर
मार-पर और लांनछत-प्रताडड़त करते िमए पवशिंन्प ममकदमक में फाँसवाकर उसपे पस्त करवा हदया और
कफर ख़ैरात दे पे की तरि ांड़-ह कमल में कमछ जमरप दे दीं।

खेत कब्जापे का तअ जैसे उस पर पला छा गया था। जैतमनपयााँ मसअमात की बारि कट्ठा जमरप पर
उसपे जबदा स्तर िल चढा हदया। बेचारी कअ वि जमरप रऊफ शिमयााँ के एक दामाद पे उसकी बरमार
बेगम की घपघअर तरमारदारी करपे के एवज में उसे बतौर बख़्लरल दी थर।

रऊफ के िल जअतपेवाले कमछ िररजप मजूरक पे उपकी दअ बरघा जमरप पर ुपपर पवपम्र दावेदारी रअप
दी थर कक ख्जंदगर ंर उप लअगक पे उपकी चाकरी की...ुब जब सारा कमछ बबक रिा िै तअ वे किााँ
जाएाँगे और कैसे गमजारा करें गे? रऊफ शिमयााँ के बे क और कनतपय ररश्तेदारक की इस कारा वाई पर मूक
सिमनत थर...चलअ, जापे दअ, दअ बरघा की तअ बात िै , सब हदप गमलामर की िै बेचारक पे, शिसर छमपापे की
झअपड़र तअ कम से कम बपा लेंगे।

जगदील कअ ंला किााँ िजम िअपेवाली थर यि उदारता! उसपे इस सिापमंूनतपूणा दावेदारी पर ंर


ुपपा ुनतक्रमण जाल बबछा हदया। रऊफ के एक बिपअई कअ प ाकर उसपे उसका दस्तखत ख़रीद
शिलया, जबकक बिपअई का इस पर कअई िक पिीं था। मगर उसे तअ बस एक पें च चाहिए था। लड़ाई
बिमत हदपक तक चलतर रिी। कंर उस जमरप पर लगर फसल िररजप का लेते...कंर ंाड़े के गमगे की
मदद से जगदील का लेता। ुंतत: जगदील पे मामला ुदालत में पिमाँचा हदया। समपवाई चल रिी
िै ...वषों गमजर गए सप
म वाई ुब ंर पूरी पिीं िमई।

उस जमरप पर आज ंर िररजपक के कब्जे की और गााँव की छातर पर बैोे जगदील जैसे ुसरम के


संिार की मझ
म े प्रतरक्षा िै । ुगर ऐसा िमआ तअ जरवप की चंद िसरप खशिम लयक में से यि मेरे शिलए एक
बड़र िसरप खलम र िअगर। उसे जब वाख्जब सजा शिमल जाएगर तंर मैं गााँव में ुपपर दअ कअोरी बप जापे
का इतमरपाप कर पाऊाँगा। ुन्यथा ुब ंर मझ
म े ुपपा घर ुिबपा लगता िै और गााँव में जाकर ंर
मझ
म े उसमें ोिरपा ुच्छा पिीं लगता। बाउजर ुब रिे पिीं, विााँ शिसफ़ा मााँ रितर िै , वि ंर मा ी के
परम ापे घर में । ुपपर बिू से वि त्रस्त और आतंककत प िअतर तअ मााँ कअ मैं ुपपे साथ िी रखता और
जगदील की छाया तक उस पर पड़पे पिीं दे ता।

जगदील पे एक और बड़ा किर ढाया था जअ याद आकर मेरे हदमाग पर िथौड़े की तरि चअ करता िै ।
गााँव में एक पौ ं की ीम थर ख्जसका पेततृ व रफू शिमयााँ करता था। रफू शिमयााँ मेरी िी औ़िात का एक
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मामूली आदमर था, जअ राजशिमस्त्रर का पेला करके ुपपर रअ ी चलाता था। िमलअग ुकसर छो पूजा
के समय तरप रात पौ ं की का आयअजप करते थे। िमारी ीम पूरे इलाके में मलिूर थर और िमारे लअ
दे खपे वालक की ंारी ंरड़ उमड़ पड़तर थर। रफू शिमयााँ िमारा डायरे क् र था। वि एक िरफ़प मौला
कलाकार था। वि पगाड़ा ंर बजा लेता था, िारमअनपयम ंर और ुशिंपय ंर कर लेता था।
बिरे तवरल, चौपाई, दौड़, दअिा, कजरी आहद किपे का ढं ग िमें विी शिसखाता था। पथाराम गौड़ और
कृष्ण पिलवाप की शिलखर पौ ं की उसकी ख़ास पसंद थर। िमलअग कई बार पौ ं की खेलपे दस
ू रे गााँवक
द्वारा सट्टे पर बमलाए जाते थे। उस समय तक दाढी माँछ
ू पिीं िअपे की वजि से रफू शिमयााँ ुक्सर ममझे
जपापर पाो दे हदया करता था।

पौ ं की चाँकू क रात ंर चलतर थर, इसशिलए लअगक कअ बााँिे रखपे के शिलए बरच-बरच में प्रिसप एवं लौंडा-
पाच की व्यवस्था ंर रखपर पड़तर थर। रफू ुगर ममतय ंूशिमका में पिीं िअता था तअ प्रिसप (कौशिमक)
करपे एवं लौंडे के साथ जअकरई करपे की ख्जम्मेदारी उसर की िअतर थर। वि िाँ सापे-गमदगमदापे की कला
में गजब का कमाल रखता था। गााँव की सामनयक घ पाओं पर प्रिसप के बिापे वि िारदार व्यंग्य
कर लेता था। जगदील के चररत्र और रवैये पर उसपे एक प्रिसप रच शिलया। इस प्रिसप में जगदील
कअ जगढीो किते िमए बताया गया कक इसपे ुमेररका के राष्ट्रपनत से गााँव की बगलवाली सकरी पदी
कअ ुपपे पाम शिलखवा शिलया िै । शिलिाजा ुब यि पदी इसकी व्यख्क्तगत संपख्तत िै । गााँव का कअई ंर
आदमर ुब पदी में स्पाप-ध्याप या हदला-फरागत करपे के शिलए पिीं जा सकता।

इस प्रिसप का लअग िाँसर से लअ -पअ िअकर आपंद उोा रिे थे। इसर बरच जगदील गस्
म से से आग
बबूला िअकर मंच पर चढ आया और सारे दलाकक के सामपे ुपपे जूते नपकालकर रफ़ू शिमयााँ कअ पर पे
लगा। पौ ं कीवाले िम संर लड़के ंौचक्के रि गए। क्या करें ...क्या प करें , इस पलअपेल में नघरे िी थे
तंर दलाकक के एक समूि की ओर से प्रनतकार में जगदील पर कमछ रअड़े-पतथर बरसपे लगे और उसे
ंागपा पड़ा। पौ ं की यिीं रुक गई और ऐसर रुकी कक कफर कंर लमरू पिीं िमई। गााँव कअ जअड़पे के शिलए
जअ एक सांस्कृनतक आयअजप की परं परा थर, वि ुंनतम रूप से ख़तम िअ गई। रफ़ू शिमयााँ पे ुब
पौ ं की से माँि
म मअड़ शिलया। गााँव की समरसता और सामाख्जक सौिाद्ाय के शिलए यि एक बड़र क्षनत थर।
लेककप समर-ताल रफ़ू की सााँसक में बसा था, ुत: वि इससे ुलग पिीं रि सकता था। शिलिाजा ुपपे
गााँव में कंर प्रदलाप प करपे की लपथ लेकर दरू जाकर प्रदलाप करपे के मंसूबे के साथ उसपे एक
पाच पा ी बपा ली ख्जसमें िमारे िाई स्कूल के चपरासर गपौरी कान्िू का बे ा सौखर पचनपया बप
गया। सौखर पे आगे चलकर पूरे ख्जले में काफ़ी पाम कमाया।

गााँव की ये कमछ ऐसर घ पायें थरं ख्जपसे मेरा परू ा जरवप प्रंापवत रिा। मैं यि माप चक
म ा था कक गााँव
मेरी त़िदीर िै , जअ जैसा ंर श्याम-श्वेत िै , मझ
म से ुलग पिीं िअ सकता। लेककप ुप्रतयाशिलत रूप से
नपयनत कअ लायद मझ
म पर तरस आ गया और उसपे मझ
म े तकलीफ़क के ंाँवर से नपकाल कर लिर में
आपे का मौका दे हदया। एक प्रनतयअचगता परीक्षा पास करपे में मैंपे सफलता पाई और शिसजमआ
(िपबाद) की एक कअशिलयरी में मेकेनपकल ुप्रें ह स में मेरी बिाली िअ गई। आज मैं सअचता िूाँ कक
ुगर ममझे यि ुवसर प शिमला िअता और गााँव में रिपे कअ िी ममझे मजबूर िअपा पड़ता तअ क्या मैं यक
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िी लांत, लरीफ़ और चप
म चाप बपा रिता? ममझे बाउजर या ुन्य पररवारजपक की तरि ंूख ज़्यादा
बदााश्त पिीं िअतर थर। मझ
म े वे लअग आाँख में बिमत चं
म ते थे ख्जपके घर में इफ़रात ुन्प रखे िमए सड़
रिे िअते थे ुथवा ख्जपके ुपचगपत खेतक में फसलें लिलिा रिी िअतर थरं। इस मापशिसकता में जाहिर
िै या तअ डकैतर या कफर पक्सलवाद का रास्ता ममझे बिमत आकपषात करता था।

मैं लिर आ गया, यि मेरी ुद्भत


म कायापल थर। ुब मैं जत
ू े पिप सकता था, रअज साबप
म लगा
सकता था, पतलूप पिप सकता था, िर हदप चपातर और चावल खा सकता था। ममझे वे हदप पिीं
ंूलते कक मैं एक म मैला पाजामा, एक नघसा िमआ बमल ा और एक म िी िवाई चप्पल पिपकर
शिलखखत परीक्षा दे पे आया था और ुपपे गअनतया घर के एक चचेरे ंाई के यिााँ ोिरा था। मेरा िमशिलया
दे खकर मेरे ंाई कअ कतई उम्मरद पिीं थर कक मैं ककसर प्रनतयअचगता परीक्षा में पास िअ सकता िूाँ।
उसके ुपममाप कअ ितता बताते िमए रर े प में मैं पास िअ गया। मेरा वि ंाई ुचंशिंत रि गया। उसके
पास-पड़अस में उसके कई साचथयक के साले और ंाई आहद कई मिीपक से यिााँ रिकर तैयारी कर रिे थे
और वे पास पिीं िअ सके थे। ंाई की आाँखक में मेरे शिलए गवा उंर आया था। उसपे इं रव्यू में बैोपे
के शिलए ममझे ुपपर पतलूप और ल ा दी, ताकक मैं जरा ोीक-ोाक और थअड़ा स्मा ा हदख।ूाँ मेरे हदमाग
में उस पतलूप और ल ा के रं ग स्थायर रूप से दजा िअ गए थे, चाँकू क मेरे ख्जस्म पर चढपेवाली वि
जरवप की पिली पतलूप और ल ा थर, जअ पिले की पिपर िमई और उिार की थरं। मैं ुपपे उस ंाई
का आज ंर कजादार िूाँ।

लिर में एक साल तक मझ


म े एकदम मप पिीं लगा था और गााँव मझ
म े बेतरि याद आता रिा था। रअज
लाम िअते-िअते ममझे ऐसा लगता था कक आज मैं नपख्श्चत रूप से गााँव वापस लौ जाऊाँगा। ुब मा ी
जअतपे-कअड़पे वाले िाथ लअिे नछलपे, का पे और तरालपे के िमपर सरखपे लगे थे।

गााँव की तरि ुब कारखापे की पब्ज, परयत, पाइंसाफ़ी और पासूर मैं पिचापपे लगा था। मैंपे बरस
वषों तक लेथ, लेपर, स्लॉ र, डड्रलर, ग्राइंडर आहद मलरपक पर लअिे नछले। मलरपक के लअर में दबे और
दफ्प िमए कई ऐसे ककरदार ममझे शिमले जअ ंमलाए पिीं ंूलते और मप में एक जमगपू की तरि िमेला
ह मह माते रिते िैं।

मैंपे गााँव की तरि कारखापे और कअशिलयरी कअ ंर ुपपर त़िदीर माप शिलया था, लेककप जैसे गााँव से
ममझे ममख्क्त शिमल गई, वैसे िी कारखापा और कअशिलयरी पे ंर ुपपर जकड़प से ममझे ममक्त कर हदया।
विााँ ममझ जैसे लअगक के शिलए आगे बढपे का कअई रास्ता पिीं था। एक बार आपपे मजदरू में पाम
शिलखा शिलया तअ कफर उम्र ंर पसरपे, काशिलख और कड़े लारीररक श्रम का दायरा िी आपकी नपयनत बप
गया। ुगर आपकी कअई शिसफ़ाररल पिीं िै या ककसर बड़े सािब के आप ररश्तेदार पिीं िैं तअ आपका
कमछ पिीं िअ सकता। मैं विााँ व्याप्त पाइंसाकफ़यक और ुनपयशिमतताओं से जूझपे के शिलए यूनपयप का
चप
म ाव लड़पे लगा और एक बड़े जप-समथाप की तरफ़ बढपे लगा।

विााँ का एक पमरापा दबंग यूनपयप पेता ममझे ुपपे ुख्स्ततव पर ख़तरा समझपे लगा और खद
म कअ
समरक्षक्षत रखपे के शिलए मेरा विााँ से एक ऑकफ़स में तबादला करवा हदया। मेरे शिलए तअ यि तबादला

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एक लॉ री साबबत िमआ, लेककप ममझे समथाप दे पे वाले साचथयक-सिकशिमायक पर यि बिमत पागवार
गमजरा। उन्िकपे यिी समझा कक यूनपयप से ुलग िअपे के शिलए ममझे कीमत दी जा रिी िै , यापर मै
बबक गया िूाँ।

ख़ैर जअ ंर िअ, एक चमतकार की तरि पसरपे, काशिलख और लअर-लराबे से नपकलकर मैं इतमरपाप एवं
चमक-दमक से पररपण
ू ा एक वातापक
म ू शिलत चौिद्दर में पिमाँच गया। लअिे नछलपे, का पे और तरालपे वाले
िाथ कअ ुब कलम पकड़पे की ऑकफ़शिलयल मान्यता शिमल गई थर। यिााँ मझ म े प्रेस पवज्ञख्प्त आहद
बपापे का काम सौंपा गया। मतलब ममझे ुब तपख़्वाि कलम की बदौलत शिमलपे जा रिी थर। गााँव से
लिर आपे के बाद मैंपे प्राइवे से एम. ए. तक पढाई पूरी कर ली थर, जअ आज पई जगि पर काम
आ गई थर।

ऑकफ़स की चकाचौंि पे मेरी आाँखें चचमं िया दी थर। यि एक तरि से सलमा-शिसतारक की एक आलीलाप
दनम पया थर, जिााँ समख, वैंव और ोा की सररता में सारा कमछ समंदर िी समंदर और मादक िी मादक
था। एकबारगर मझ
म े ऐसा लगा कक यिााँ ककसर ंर ुसिमनत, द्वंद्व या शिलकायत की कअई गाँज
म ाइल
पिीं रि गई। मगर इस मग्म िावस्था और यू अपपया में थअड़े िी हदप बरते िकगे कक सलमा-शिसतारक वाली
इस दनम पया की आंतररक बदसरू तर पग्प िअकर मझ
म े हदखाई पड़पे लगर। मेरा मप दिल उोा। मैं समझ
सकता था कक पसरपे और काशिलख वाले लअग कोअर श्रम द्वारा उतपादप में ईमापदार ंागरदारी लाशिमल
करके ुंदर से परू ी तरि श्वेत और स्वच्छ थे, जबकक यिााँ के गैरउतपादक लअग कंपपर का ंला करपे
के पाम पर ज़्यादातर उसे पकम साप पिमाँचाते िमए ुंदर से काले और गंदे थे। िम बिमत छअ े पद के
लअग ंर स्पष् दे ख रिे थे कक यिााँ एक ंयापक लू , ुराजकता, व्यशिंचार और नपकम्मापप फैला िै ।
महिला कमाचाररयक के उपयअग एवं प्रअन्पनत के मामले में ंर यिााँ एक पवचचत्र तरि की दरम ाचारसंहिता
लागू थर।

मैं विााँ मजदरू िअकर लअिा नछलपे के दौराप मैपेजमें कअ परचे से दे ख रिा था और इस िाई प्रअफ़ाइल
तथा ग्लैमरस पवंाग में आकर मैपेजमें कअ ऊपर से दे खपे लगा था। मैं िै राप था - पैनतकता, उसूल
और सेवा के मेकुप शिलए िमए प्रबंिप के चेिरे बिमत सारे िब्बे, दाग और गड्ढक से ंरे िमए थे।

मेरे साथ पता पिीं ऐसा क्यक िै कक पररख्स्थयााँ लंबे ुंतराल तक ुपमकूल कंर पिीं रिीं। प्रनतकूलताओं
में िी ज़्यादातर बसर करपा मेरा पसरब रिा। बािर तअ ममझे कई तख््खयक से गमजरपा पड़ा िी, घर पे
ंर ममझे पिीं बख़्ला। प्रारब्ि के इस गखणत का क्या किा जाए कक जब आप बेिद गरीबर में थे तअ ख़ैर
फााँकाकलर करपर िी पड़तर थर...आज जब आपके पास ुपपा घर िै और घर में सब कमछ िै , कफर ंर
जब आप बािर से लौ ें तअ घर की बख्ततयााँ बमझर िक...दरवाजे ुपसमपा करके बंद रिें और रसअई के
च्
ू िे ों डे िक।

आज मैं कि सकता िूाँ कक ये सारे तरद्दमद, जअ मेरे साथ घह त िमए और ख्जन्िें मैंपे सिे , तअ इससे ऐसा
पिीं िै कक मैंपे कअई ुसािारण आचरण जरकर बिमत सिपलरलता का पररचय प्रस्तमत कर हदया, बख््क
सच यि िै कक जअखख़म उोापे के प्रनत ममझमें सािस का बराबर ुंाव रिा कक जअ शिमला िमआ िै किीं

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वि ंर नछप प जाए। गााँव वाली तकलीफ़ें ुब ंर ममझे याद आकर डरा जातर थरं। यि डर िी था कक
मैं ुपपर पेलागत और पाररवाररक यथाख्स्थनत कअ बदल प सका।

बरम ा िअ मेरे आसपास की आवअिवा और तिजरब-तऱिीब का कक स्त्रर की चाररबत्रक रिस्यमयता और


उसकी बौपिक िदक पे ममझे एक ंर मौके पिीं हदए कक स्त्रर के बारे में मैं एक ुच्छी िारणा बपा
सकाँू । पतपर िी पिीं, मााँ, बिप, चाचर, मौसर आहद ररश्तक की ंर कअई ुच्छी पसरितें मैं िाशिसल पिीं
कर सका। प्रेम की तलाल पे ममझे बिमत ं काया...बिमत थकाया। स्त्रर की वि सपातप छपव कक वि
ुपपे िरे क रूप में दयामयर, ममतामयर, स्पेिमयर, तरल, उदार और लमंेच्छू िअतर िै , मैं ढूंढता रिा िर
मअड़ पर, िर गली में । मैं ुपपर मााँ का इकलौता बे ा...मााँ ममझे जरूर िी बिमत प्यार करतर रिी
िअगर...लेककप मैं ुपपर स्मनृ त में उसके वातस्य का कअई एक ंर सघप पल ढूंढ पिीं पाता। मााँ के
रूप में जअ तस्वरर उंरतर िै मेरे ुंदर...उसमें उसका िमेला बरमार रिपा...बबस्तर पर पड़ा रिपा...दे ि
जतवापे का ुिनपाल ुपमरअि करपा...दवा की लरशिलयक में उलझर रिपा और बाउजर से िरदम पैसक के
शिलए खखच-खखच करपा आहद िी लाशिमल िै । मेरे होोके-होोमरे लैलव कअ प्यार-दल
म ार की थअड़र में ि शिमल
सकी तअ उसे बाउजर पे िी हदया।

स्त्रर के रूप में एक और सिअदर ररश्ता दीदी का उपख्स्थत था। मझ म े क्लेल िअता िै यि शिलखते िमए कक
दीदी के साथ ंर कअई घनपष्ो और सख म द लम्िा मेरी स्मनृ त में कायम पिीं िै । याद पड़ता िै कक
ज़्यादातर िम एक-दस
ू रे कअ मारते-पर ते िी रिते थे। दीदी पे एकबार मझ
म े ऐसा दौड़ाया था कक मैं
संयक्
म त पररवारवाले एक वरराप आाँगप के ुपप
म यअगर कमएाँ में चगर गया था। दीदी पे ककसर कअ इसकी
ख़बर तक पिीं की, लायद डर से। लेककप मेरा बचपा बदा था। कमछ डूबपे-उपरापे के बाद मैं एक लअिे
की कंम डर कअ पकड़ लेपे में कामयाब िअ गया। जअर से िााँक लगाई तअ दादी पे आकर ममझे बािर
नपकाला।

घर में चाचचयक कअ या आस-पड़अस की जपानपयक कअ दे खता था तअ वे ुक्सर ककसर प ककसर से गाली-


गलौज, उक ा-पमराप, थक
ू म-फजरित और चग
म ली-शिलकायत में मसरूफ़ हदखतर थरं। पारीगत करुणा और
कअमलता की छाया उपमें किीं से ंर लेल मात्र प्रनतबबंबबत पिीं थर।

गााँव में रागातमकता या प्रेम का एक पन्िा ोौर ममझे शिमला था, मगर उसकी शिमयाद बिमत छअ ी थर।
ुस्मां आोवरं में पढतर थर और मैं मैहट्रक पास कर चक म ा था। उसके मामा पे ममझमें ट्यूलप पढापे की
काबबलयत दे ख ली। वे बड़े लअग थे। ममझे पता ंर पिीं चला कक जरा-सर आतमरयता के शिलए
खापाबदअल-से ं कते मेरे हृदय कअ कब ुस्मां पे ुपपे हृदय में एक खास जगि दे दी। उसपे मेरे
शिलए ुपपे िाथक से एक कमरज शिसली थर। मैं िै रत में था कक घर की ंरड़-ंाड़ में रिकर उसपे कैसे
इतपा एकांत ढूंढ शिलया! दअस्तर कायम िअपे के बाद जब पिली ईद आयर तअ वि बमखार में थर और
पमाज पढपा उसके शिलए मममककप पिीं था। उसपे कफर ंर पमाज पिीं छअड़र। मेरे बिमत पूछपे पर
उसपे बताया कक इस बार उसे एक बड़र और ख़ास ममराद के शिलए दआ
म मााँगपर थर और वि ममराद यि
थर कक खमदा ममझे यापर कमबेर प्रसाद कअ गरीबर और गमरबत से नपकालकर एक ुच्छी ख्जंदगर बतले।

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लायद सच्चे हदल से नपकली िमई ुस्मां की वि दआ
म िी थर जअ ममझे फल गई और मैं गााँव से लिर
आ गया। जब उससे आखखरी पवदाई ले रिा था तअ वि ममस्करापे की कअशिलल कर रिी थर, मगर उसकी
आंखक से जार-जार आंसू बि रिे थे। जमदाई की यि पिली चं
म प थर ख्जसे मैंपे ख्जगर में मिसूस ककया
था। ुपपर रुलाई ंर ममझसे थम प सकी थर। जापता था कक ुस्मां से यि मेरी आखखरी ममलाकात िै ।
आगे गााँव आकर ंर उससे शिमलपा संंव पिीं िअ सकता था। चाँ कू क पदे में रिपे के ररवाज की वि
पाबंद थर ख्जसे बेिपे का मेरे पास कअई बिापा पिीं िअ सकता था।

इसके बाद लंबे समय तक एक ररक्तता, उचा पप और पररसता बपर रिी। मेरी बरमार मां पे ुपपर
समश्रष
म ा करापे की चाित से, ुपपे मायकेवालक के बिकावे-फमसलावे में आकर, बिमत कम िी उम्र में एक
ऐसर जगि मेरे कंम वारे पप कअ िलाल कर हदया ख्जसकी शिलष् ाचार, शिलक्षा और संस्कृनत से पमश्तैपर
दश्म मपर थर। लमरू से िी संलय, ुपवश्वास और मूखत
ा ा के ु प े और ुपाड़र तरर चल-चलकर ममझे
बरंिपे लगे और दाम्पतय एक गलीज ुदावत बप गया और घर एक बदबूदार मछली बाजार। आज
सअचकर बड़ा ताज्जमब िअता िै कक ुदावत और मछली बाजार सृशल दअजख में ंर एक-एक कर चार
बच्चे िअ गये। इसे िी किते िैं बबपा ककसर पसंद-पापसंद के किीं ंर एषणा कअ बमझा लेपे का
पागलपप। बिरिाल, ये बच्चे ख ारा दांपतय कअ ंर चलाते रिपे की एक ुनपवाया लता बपते गए।
आज ंर िम उसर दांपतय के जजार िागे से बंिे िैं तअ इसका श्रेय इप बच्चक कअ िी जाता िै ।

मैं यि माप चक
म ा था कक प्रेम और मैत्रर का ुवसर बार-बार पिीं शिमलता। मझ
म े एकबार शिमल चक
म ा
ख्जसे मैंपे यक िी गाँवा हदया। मगर लायद बबााहदयक के कमछ और मंजर हदखापे के शिलए ंक
ू ं प के कमछ
और झ के ुंर बाकी थे। मप में तअ किीं एक खालीपप था िी...एक चाि थर िी कक ककसर से खूब
ुंतरं गता िअतर, एक दस
ू रे के दख
म -समख में साझरदार िअते, एक-दस
ू रे के िम राजदार िअते...एक-दस
ू रे पर
िम पूरी तरि नपछावर िअते। मेरी यि चचरसंचचत आकांक्षा थर कक सख्ृ ष् के तमाम मदा जात ख्जस
औरतजात के शिलए मरते, शिम ते और पागल िअते रिे िैं, उस औरत सृशल बिमआयामर और बिमुथी
मिाकाव्य कअ मैं एकदम पास से पूणत
ा ा में पढ सकंू , समझ सकंू , मिसूस कर सकंू ...उसकी कअमलता,
उसका सौंदया, उसकी ुदायें, उसकी ंंचगमायें, उसका माततृ व, उसका बत्रयािो, उसका सम्मअिप, उसमें
बसा प्रेमतततव...। मैं औरत के बारे में ुपपर राय ईमापदारी से बदलपा चािता था।

ुफसअस, मैं कामयाब प िअ सका। लायद मझ


म में िी कअई खअ रिी िअ। ुपपे पनत से संबंि पवच्छे द
कर लेपे वाली एक बअ्ड सर पवदष
म र महिला से मेरी पजदीकी बढ गयर। लगा कक तलाल परू ी िअ गयर।
मैं इस खल
म फिमर में एक साल िी रिा िूंगा कक ुचापक उसकी तरफ से उतसाि मंद पड़पे लगा और
उसकी रुचच ं कपे लगर। िै राप रि गया जापकर कक प्रेम की उसकी पररंाषा में नपवााि के समय की
पररचि उतपा िी तय िै , ख्जतपा में ऊब मिसस
ू प िअ। उसके ुपस
म ार प्रेम के पाम पर तमाम उम्र का
समपाण एक बअररयत ंरी बेवकूफी िै ।

मैंपे दे खा कक उसमें ुपेक गााँोें िैं, एक खअलअ तअ दस


ू रे में उलझ जाओ...ुपेक चौरािे िैं, एक रास्ते
जाओ तअ पता चले कक गंतव्य दस
ू रे रास्ते में शिलफ् िअ गया...ुपेक ममखौ े िैं, एक से पररचय बढाओ

46
तअ दस
ू रा ममखौ ा ुपररचय लेकर िाख्जर। ख्स्थनत मेरी आज ंर यिी िै कक मैं ुब ंर गााँोक में उलझा
िूाँ, चौरािे पर उजबक बपा गंतव्य तलाल रिा िूाँ और ममखौ क के ंरतर झााँककर उसकी ुसशिलयत
चचन्िपे की कअशिलल कर रिा िूाँ। ममझे पता िै कक मैं ुपपे मकसद में कंर कामयाब पिीं िअ पाऊाँगा,
कफर ंर मग
ृ तष्ृ णा कम पिीं िअतर। मैं रे चगस्ताप में दौड़ रिा िूाँ और दौड़ता चला जा रिा िूाँ...।

47
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58
छिवेश

फम्लू चा वाला - मािरम ी दीक्षक्षत का घपघअर कद्रदाप।


मकबूल कफदा िमसैप के ुलावा ंर मािरम ी दीक्षक्षत पर कफदा िजारक दीवापे िैं इस दे ल में , ख्जन्िें कअई
पिीं जापता, खद
म मािरम ी ंर पिीं, इसशिलए कक वे मकबूल की तरि मकबूल पिीं िैं। ऐसे िी दीवापक में
एक दीवापा िै फम्लू चा वाला। उसके पास प तअ इतपे पैसे िैं, प वि इतपा रसूखवाला िै और पािी
इतपा इ्मदार कक ुपपर दीवापगर कअ मूता रूप दे पे के शिलए उससे बतौर िीरअइप काम करवाकर
गजगाशिमपर कफ्म बपा दे । यक वि जापता िै कक दीवापा िअपे के शिलए कफ्म बपापा, ुमरर िअपा या
मारूफ िअपा कअई लता पिीं िैं।

वि यि ंर जापता िै कक दीवापे तअ ुक्सर फक्कड़, फ े िाल और बेपाम लअग िी िअते रिे िैं। तअ
मािरम ी कअ लेकर उसके पागलपप से ुब यि पूरा लिर ुवगत िअ गया िै । ुखबारवाले ुब इसके
समाचार कअ चि
म लबाजर की ममद्रा में ककसर च पर या ुचार परअसपे की तरि छापते िैं ख्जसे लअग लमतफ
ले-लेकर पढते िैं। कई लअगक कअ यि समाचार पढकर फम्लू से रश्क िअ उोता िै कक यि आदमर एक
बेवकूफी करके िी सिी मगर िररे -िररे चचचात िअ रिा िै ।

दीवापगर का बरजारअपण विााँ से िमआ था जब फम्लू बपारसर चा की ुपपर पश्म तैपर दक


म ाप पर बैोकर
मख्क्खयााँ मारा करता था।

यक िी ाइम पास के शिलए कफ्मर पबत्रकाओं के पन्पे पल ता रिता और िीरअइपक की ुिापग्प तस्वररें
नपिारा करता। उपके स्तपक के उंार, जााँघक के समडौलपप, नपतंबक के कसाव और कपअलक व िअोक में
समाये आमंत्रण-आकषाण में दे र तक खअ सा जाता। खासकर मािरम ी दीक्षक्षत की नतरछी िं सर और
कं ीली ुदा का मापअ उस पर जाद ू छा जाता। उसकी कअई ंर कफ्म लगतर, वि िॉल में जाकर जरूर
दे ख आता। वि मािरम ी के जन्म-हदप पर बिाई काडा ंर डालपे लगा। आदमर के पास करपे के शिलए
कमछ प िअ तअ वि क्या-क्या करपे लग जाता िै ? लायद कमछ लअगक का यि मापपा ोीक िै कक दे ल के
ऐसे िी बेरअजगारक के वक्त-का ू लगल के कारण ुपपा यि बॉलीवमड ज्यादातर ुपाप-लपाप कफ्में
बपाकर ंर आबाद िै ।

फम्लू की दअ-तरप साल पिले यि पौबत प थर। खासकर तब जब िा ा ु ै क से मरपे के पिले उसके
पपता क्लू दक
म ाप पर बैोते रिे । कम से कम सौ दक
म ापक वाले इस माके में पक्की छत और दीवारक
के बरच चलपे वाली चा की यि ुकेली दक
म ाप थर, जिााँ ग्रािक बजाब्ता ुपपे पररवार सहित कमसी-
े बल पर ोाो से बैोकर चा खा सकते थे। इस दक
म ाप के ुलावा ुगर किीं चा की उपलब्िता थर
तअ पवशिंन्प पमक्कड़क-चौरािक पर सड़क के ककपारे ोे लक पर थर, जिााँ िाथ में प्ले लेकर खड़े-खड़े खापा
िअता था। इस हिसाब से फम्लू की दक
म ाप चा की एक्सक्लूशिसव दक
म ाप थर।

59
इस दकम ाप पर ग्रिण लगपा तब लमरू िमआ जब इसके ोीक सामपे चचरं जर लमाा जूस वाले पे ुपपर
दक
म ाप का कायाक्प करके उसे 'ग्लअबल स्पैक्स कॉपार' में तब्दील कर हदया। पिले वि गन्पे का,
संतरे का, ममसम्बर का, ुपार का रस बेचा करता था, ुब वि पपज्जा, चाउशिमप, िै मबगार, सैंडपवच
और िॉ डॉग बेचपे लगा। पिले उसकी दक
म ाप में ंरमसेप जअलर, लमंा ममद्गल और ककलअरी ुमअपकर
के ऑडडयअ आलाप गाँज
ू ते रिते थे, ुब विााँ माइकेल जैक्सप, मडौपा, बब्र परस्परयसा आहद के लअर और
िम्लड़ सरडर पर हदखपे-बजपे लगे। बस दे खते िी दे खते चा के सारे ग्रािक उस तरफ ममड़ गये। फम्लू
के पास ग्रािक की जगि उड़ापे के शिलए शिसफा मख्क्खयााँ रि गयरं। बड़े लौक से चा खापे वाले ुपपे
कई पररचचत ग्रािकक कअ ुब वि दरू से पपज्जा या पॉपवेज िै मबगार खाते िमए दे खता रिता। उसे दया
आतर कक आिनम पकता का आकषाण लअगक कअ क्या-क्या खापे के शिलए मजबूर कर रिा िै ? उसका एक
दअस्त था गअरे लाल, जअ कअई काम प शिमलपे के कारण ुंतत: एक स्थापरय ुखबार में ख्स्ट्रं गर बप
गया था। फमसात में वि ुक्सर उसके पास आकर बैो जाया करता। वि जापता था कक एक खापदापर
नपष्ोा (उसके पपता क्लू स्वदे लर जागरण मंच के सदस्य थे) के कारण बपारसर चा की दक
म ाप में
नपहित दे सरपप में वि कअई ऐसा पररवताप पिीं कर सकता, जैसा चचरं जर पे कर शिलया, इसशिलए इसर में
कमछ गंज
म ाइल नपकालपे की जरूरत िै ।

इस तरि फम्लू की खंडिर िअतर िालत दे खकर सअचते-सअचते एक हदप उसपे किा, "ोीक िै , तमम चा
की दक
म ाप िी चलापा चािते िअ, चलाओ। लेककप पवज्ञापप और प्रचार के इस जमापे में तमम्िें वअ तरीके
ुपपापे िकगे कक ग्रािक तमम्िारी तरफ आकपषात िअ। चा परअसपे में ंर कमछ फीचर जअड़अ। पवज्ञापप
का िी कमाल िअता िै कक एक ब्रैंड का पाम दे कर चमकदार रै पर में पैक ककया िमआ मामूली आ ा,
लाल शिमचा, आलू चचप्स, पमक, पापर आहद राष्ट्रीय स्तर पर चचचात िअकर गैरमामूली तरीके से बबकपे
लगता िै । स्वदे लर रै पर में ंर िम ुच्छी पैककंग कर सकते िैं।" गअरे लाल कअ समपते िमए जैसे फम्लू के
हदमाग की कअई खखड़की िररे -िररे खल म पे लगर। गअरे लाल पे आगे किा, "चलअ, िम एक काम करते िैं,
ुगले मिीपे १५ मई कअ मािरम ी दीक्षक्षत का जन्म हदप िै , िम उसे ंारी िम
ू िाम से मपाते िैं। इससे
मािरम ी के प्रनत तमम्िारे दीवापेपप की तमख्ष् ंर िअ जायेगर। उस हदप जअ ंर दक
म ाप में आएगा, उसके
शिलए मफ्
म त की चा और मफ्
म त का एक लॉ री ह क । लॉ री में प्रथम परम स्कार एक मारूनत कार रख
दअ। इस मद में तम्
म िें चालीस-पचास िजार खचा करपा पड़े, कर दअ। ुपपे पास प िअ तअ इसे एक
जरूरी नपवेल समझकर कजा ले लअ।"

फम्लू पे हिसाब लगाते िमए पूछा, "चालीस िजार में कैसे िअगा कम से कम ढाई लाख तअ मारूनत कार
के शिलए िी चाहिए।"

गअरे लाल पे उसे ुसली बनपयाचगरी शिसखाते िमए समझाया, "ुरे लॉ री का ड्रॉ करपा ककसे िै कअई पछ ू े
तअ ड्रॉ की तारीख बढाते जापा िै । यिी तअ करते िैं ज्यादातर िंिेबाज। एपाउं स िअपेवाली तरप-चार
प्रनतलत लॉ री िी ड्रॉ के पररणाम तक पिमाँचतर िै । ंला फमसात ंर ककसे िै इतपा परछे पड़पे की।
ख्जसका ह क ममफ्त में शिमला िअ उसके शिलए पूछपे का आदमर के पास मॉरल ंर किााँ िअता िै ।"

60
फम्लू सिमत िअ गया बात बब्कमल ोीक िै । उसे ऐसर दजापक लॉ ररयक का खयाल आ गया ख्जपमें
उसपे इंट्री ंेजर थर, मगर आज तक उपका पररणाम पिीं आया।

दअपक इस पवषय पर कई हदपक तक बातचरत करते रिें । िर कअण से इसके पफा-पक


म साप कअ अलते
रिें और प्रारूप तय करते रिें ।

एक हदप लअगक पे दे खा - फम्लू की दक


म ाप के साईपबअडा के ऊपर एक बड़ा-सा बैपर लगा िै - "प्रशिसि
शिसपे ुशिंपेत्रर मािरम ी दीक्षक्षत का जन्म हदप समारअि। आप संर नप:लम्क स्पेलल मािरम ी चा और
नप:लम्क लॉ री ड्रॉ के कूपप के शिलए आमंबत्रत िैं।" ग्लअबल स्पैक्स कॉपार के माशिलक चचरं जर का तअ
जैसे माथा िी ोपक गया। उसपे सामपे से िी दे ख शिलया - दक
म ाप की दीवारक पर मािरम ी की कई
ममद्राओं में ममस्कमरातर आलीलाप फ्रेमक में मढी िमई बड़र-बड़र तस्वररें ांग दी गयर िैं और बड़े-बड़े क
आउ लगा हदये गये िैं। एक बअडा पर उसकी तमाम कफ्मक के पाम और झलककयााँ उसके पवशिंन्प
यादगार ककरदारक की कैल काउं र पर रखे म्यूख्जक शिसस् म द्वारा पदे पर मािरम ी द्वारा गाये गरतक की
मंद-मंद स्वरलिररयााँ परछे की दीवार पर लगे साउं डबॉक्सक से झरतर िमई एक रं गरप पअस् र मािरम ी लकी
ड्रॉ का, ख्जस पर ुंककत - "प्रथम परम स्कार - मारुनत ८००, इसके ुलावा दस-दस िजार के पचास
ुन्य परम स्कार एक कूपप मािरम ी चा खापे पर फ्री।" इस तरि परू ी दक
म ाप मािरम ीमय।

१५ मई कअ सबपे दे खा कक विााँ स्वप्पलअक जैसा एक मपअिारी ृशष्य उतार हदया गया। माके के ममिापे
पर एक ंव्य तअरण-द्वार बपाया गया ख्जस पर शिलखा था - लांग लाइव मािरम ी। यमवा हदलक पर
बबजली चगरापे वाली मािमरी के दअ िसरप क आऊ ककपारे में चस्पां कर हदये गये थे। इस द्वार से
लेकर उसकी दक
म ाप तक शिमपर ब्वक की ुद्भत
म साज-सज्जा थर। दक
म ाप के सामपे २५ पौंड का एक
पवलाल बथा डे केक सजा िमआ था। केक का पे के शिलए ममतय ुनतचथ के तौर पर ख्जले के एस पर
आमंबत्रत थे। ख्स्ट्रं गर गअरे लाल आखखर कब काम आता, इतपर पिमाँच तअ उसकी थर िी। ुपपे उद्देश्य कअ
व्यख्क्तगत से सामाख्जक रं ग दे पे शिलए उसपे लिर में ख्स्थत यतरम और पवकलांग बच्चक के लरणस्थल
चेलायर िअम में एक मािमरी मेला आयअख्जत कर हदया, ख्जसमें बच्चक के शिलए ममफ्त में चा , गअलगप्पे,
आइसक्रीम, जलेबर आहद खापे की व्यवस्था कर दी गयर। उसमें दअ-तरप ककस्म के झूले ंर लगा हदये
गये। बच्चक पे मािरम ी कअ कम और फम्लू कअ ज्यादा दआ
म एाँ दीं।

लिर में िम
ू मच गयर। ुगले हदप िर स्थापरय ुखबार में फम्लू छाया िमआ था। गअरे लाल का सब
एडर र किा करता था - एक िीरअ की तलाल करअ, एक स् अरी बपाओ उ़से िीरअ और स् अरी दअपक िी
शिमल गयर थर। लअगक पे उसकी इस दीवापगर का खब
ू आपंद शिलया, कमछ ुखबार पढकर और कमछ
दक
म ाप में चा खाकर।

फम्लू ुब पवदष
ू कीय कौति
ू ल और पवस्मय का एक चचचात ककरदार िअ गया था। लअग उसे एक बार
दे खपा चािते थे। ुत: दक
म ाप में आमद-रफ्त बढ गयर। आपेवाले चा ंर खापे लगे। चा के कमछ
पमरापे परं परागत ग्रािकक का आकषाण कफर लौ आया। उसकी इश्कशिमजाजर से प्रअतसाहित िअकर कमछ
पयर उम्र के प्रेमर जअड़े शिमलपे और गपपयापे की ृशख्ष् से इस दक
म ाप कअ एक नपरापद जगि समझपे

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लगे। ुब चा में उसपे कई पये फीचर जअड़ हदये थे। पकौड़र चा , ह ककया चा , शिसंगाड़ा चा , चा
बततरसर, चा छप्पप ंअग चा में गहोया तथा अमॅ अ और चच्ली सॉस आहद ंर शिमलाया जापे लगा।
साथ में खट्टा, मरोा और झाल के ुलग से द्रवरय घअल ुपपर रुचच के ुपमसार ख्जतपा जअ चािे शिमला
लें। मतलब चा में चा कम और ोाो ज्यादा िअ गया।

ुब फम्लू मािरम ी के प्रनत दीवापगर हदखापे का िर ुवसर लपक लेपे लगा। िॉल में मािरम ी की कअई
कफ्म लगतर तअ बािर खड़े िअकर वि ुंदर जापेवाले दलाकक में ॉकफयााँ या आईसक्रीम बाँ वा दे ता।
मािरम ी पे ुमेररका के डॉक् र राम पेपे से लादी कर ली तअ लअगक पे समझा कक फम्लू बड़ा मायूस
िअगा, लेककप उसपे खल
म िअकर शिललम नपकेतप के बच्चक में एक मिीपे तक दि
ू पवतरण करवाया।
गअरे लाल पे इसकी ररपअ ा दे ते िमए ुखबार में शिलखा, "फम्लू पे साबबत कर हदया िै कक उसके प्रेम में
कअई स्थलू मााँसल आकांक्षा पिीं िैं, बख््क वि साख्तवक ककस्म के आपंद का रशिसया िै । मािरम ी की
खल
म र में वि ुपपर खल
म र दे खता िै , ुन्यथा तअ घर में उसकी पतपर पपंकी िै जअ उसे िर तरि से पसंद
िैं और मािरम ी से उसके प्रेम में कअई बािक पिीं बख््क मददगार िै ।"

स्थापरय पत्रकारक की ुड्डेबाजर उसकी दक


म ाप में काफी बढ गयर। इपके शिलए ुघअपषत रूप से यिााँ
खापा-परपा नप:ल्
म क था। ंग
म ताप में, यि ुपकिा समझौता था कक उसे वे खबरक में बपाये रखेंगे।
खबरक में बपे रिते-रिते जैसे उस पर सचमच
म िी एक पायकतव की खब्त सवार िअपे लगर। मिज
दक
म ाप चलापे के शिलए ख्जसे कफड़के के तौर पर इस्तेमाल ककया गया था, उसमें वि बिमत गिराई से
संशिलप्त िअपे लगा। दक
म ाप चलपे लगर थर, पतपर चाितर थर कक घर में समख-मौज के कमछ सामाप आ
ं मलरप, कअई पमरापर कार, ताकक
जायें एयरकंडरलपर, माइक्रअवेव ओवप, म्यूख्जक शिसस् म, वाशिलग
जरवपस्तर कमछ बेितर लगपे लगे। लेककप फम्लू था कक इससे ज्यादा जरूरी समझता था ओ्डएज
िअम में कंबल पवतरण करपा, शिललम नपकेतप में दि
ू पवतरण करपा, चेलायर िअम में फल, शिमोाई और
दवाई पवतरण करपा और १५ मई कअ पपछले से बड़र िम
ू िाम, बड़ा केक, बड़र साज-सज्जा।

ऐश्वया और पवलाशिसता के सामाप तअ बिमत लअगक के पास िअते िैं, उन्िें कअई पिीं जापता, लेककप वि
पााँच िजार का िी कंबल बााँ दे ता िै , दस िजार खचा करके केक क वा दे ता िै , चा खखला दे ता िै तअ
परू े लिर में उसकी चचाा िअ जातर िै , ककतपे गरीबक की दआ
म एाँ शिमल जातर िैं। पतपर कअ लगता कक यि
सब लफ्फाजर और बकवास िै । इस सस्तर लअकपप्रयता से वि आराम पिीं िाशिसल िअ जाता जअ कार दे
सकतर िै , एयरकंडरलपर दे सकता िै । ऐसे दजापक लअग िैं इस लिर में ख्जपके पास करअड़क की सम्पख्तत
िैं, समाज-सेवा पर वे लाख-दअ लाख खचा कर दें तअ उपकी सेित पर कअई फका पिीं पड़पेवाला, कफर
ंर उप पर कअई जाँ ू पिीं रें गतर, कफर िमें िी क्या पागल कमतते पे का ा िै ? पतपर उसकी खब्त, सपक
और झख से परे लाप िअपे लगर। उसे लगपे लगा कक ुपपे बरवर-बच्चक से ज्यादा इसके शिलए मािरम ी
की ुमत
ू ा और नपराकार दीवापगर की ुिशिमयत िै ।

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फम्लू पे ुपपर पतपर पपंकी के व्यावसानयक ुपववेक कअ कअसते िमए किा, "तमम औरतक कअ शिसफा ईष्याा
करपा आता िै ति में जाकर समझपा पिीं आता। आज का जमापा नपवेल पर आिाररत िै ह़म मािरम ी
के पाम से जअ ंर करते िैं उसे तमम एक नपवेल मापकर गले से उतारपा सरखअ।"

पपंकी पे झाँ झ
म लाते िमए किा, "नपवेल तअ िअ गया लअगबाग जाप गये कक एक दक म ाप िै जिााँ िर चरज
पर मािरम ी दीक्षक्षत के पाम की मिम र िै ुब और क्या करअगे, मािरम ी के पाम से ताजमिल बपाओगे?"

"काल, मैं ताजमिल बपा पाता लेककप तमम्िें लायद पता पिीं िैं कक ताजमिल शिसफा इश्क करपे से पिीं
बप जाता। उसके शिलए लिं लाि ंर िअपा पड़ता िै और दौलतमंद ंर। प्यार में ताजमिल आज ंर
दनम पया का सबसे बड़ा इन्वेस् में िै । लिं लाि इस दनम पया में पिीं िै कफर ंर लांांल उन्िें आज ंर
शिमल रिा िै ।"

"ख्जसे दनम पया साख्तवक और लमि प्यार का इजिार मापतर िै उसे तमम नपवेल कि रिे िअ? प्यारके शिलए
यिी जगि िै तमम्िारे मप में ?"

"प्यार का इजिार मप में ुमत


ू ा िअ तअ वि ताजमिल से ंर बड़र चरज बपकर रिता िै । लेककप जब
उसे कअई ंौनतक आकार दे ता िै तअ वि प चािते िमए ंर एक नपवेल की लक्ल ुख्ततयार कर लेता िै ।
नपवेल जरा वाखणख्ज्यक लब्दावली िअ जाता िै ुन्यथा ध्याप से दे खअ तअ घर-पररवार में दानयतव-नपवााि
के पाम पर जअ िअ रिा िै वि एक प्रकार का नपवेल िी तअ िै !"

"ममझे लगता िै तमम पूरी तरि बनपया िअ गये िअ जअ िर चरज कअ पफा-पक


म साप के तराजू पर तौलपे
लगे िअ। मााँ-बाप ुपपे बच्चक के शिलए जअ करता िै , पनत-पतपर एक-दस
ू रे के शिलए जअ समपाण ंाव
रखते िैं, बिप ंाई में जअ एक ररश्ते की पपवत्रता िअतर िै , क्या यि सब कमछ नपवेल पर ह का िै ?"

"ध्याप से दे खअ तअ बेलक सब कमछ नपवेल पर िी ह का िै । पपता बे े कअ पढा रिा िै , बे ी के शिलए


दिे ज दे रिा िै , िम पड़असर की मदद कर रिे िैं एक रर पा पापे की ुपेक्षा से सारा कमछ नपवेल िी तअ
िै । िमारा ंपवष्य बहढया रिे िमारा परलअक बहढया रिे ुगला जन्म बहढया रिे यि कामपा उस
लांांल की तरि िी तअ िै ख्जसके नपवेल के उपरांत प्राप्त िअपे की आला रितर िै ।"

पपंकी कअ लगा जैसे उसके सामपे उसका पनत पिीं कअई ुजपबर मख
म ानतब िै ख्जसके हदमाग पर खल
म ी
ुथाव्यवस्था की तरि एक साथ कई दे ल के झंडक के रं गक का घालमेल िअ गया िै । िर चरज में बाजार
और बाजार में िर चरज ढूाँढपे लग जापेवाले उस आदमर पे मािरम ी पाम कअ एक ब्रांड बपा शिलया िै
और इस पाम का जलाल यि िै कक वि पनत िअपे कअ ंर एक व्यवसाेाय मापपे लगा िै । क्या
दाम्पतय ुब खरीदफरअतत के गखणत से संचाशिलत िअगा?

गअरे लाल कअ लगपे लगा कक फम्लू सचममच मािरम ी कअ हदलअजां से चािपे लगा िै । पड़अस के दक
म ापदार
ंर लक्ष्य करपे लगे कक फम्लू की प्रकृनत कमछ-कमछ ुसामान्य िअपे लगर िै । उसके जरा पवशिलष् िअते
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जापे पर उन्िें चचढ तअ थर िी, उसे समपाकर कमछ लअग मािरम ी के बारे में उ् ी बातें , "मािरम ी मापे िमस्प
का बबयर बार' 'फ्लॉप कफ्म की फूलप' 'दांत हदखाये, कमर लचकाये' आहद किपे लगे। कमछ लौंडक पे
तअ तंज और फख्ब्तयक 'ल्लू जगघर चा वाला, जपे मािरम ी पाम का माला', 'कौआ चले िं स की चाल,
काले रं ग का पिीं खयाल' ‘िागा खरंचा पेपे पे गमड्डर उड़र पवदे ल, मजपू की पापर मरी लगर पाक में
ोे स' आहद की कमछ तख्ततयााँ और पअस् र बपा शिलये, ख्जन्िें वे फम्लू के आपे-जापे के रास्ते में सड़क
पर या दीवार पर चचपका दे ते या कफर उसकी दक
म ाप की ल र के परचे डाल दे ते। वि बेजब्त िअ जाता,
उखड़ जाता, बबगड़ जाता। पपंकी पे इसे खझड़ककर समझापे की कअशिलल की, "मािरम ी तमम्िारी खरीदी िमई
जायदाद पिीं िैं, वि सबकी िै । कअई उसे गाली दे या प्यार करे , तमम उसे रअकपेवाले कअई पिीं िअते।"

फम्लू जापता था कक यि बात ोीक िै , कफर ंर मािरम ी के प्रनत कअई ुपलब्द समपकर वि खद
म कअ
बेकाबू िअ जापे से रअक पिीं पाता था। चचढापेवाले का मकसद पूरा िअ जाता। उसके चचर प्रनतद्वंद्वर
चचरं जर की इप िरकतक की पष्ृ ोंूशिम में खास ंूशिमका रितर। वि रअज उसके खखलाफ कअई प कअई पया
ककस्सा 'जन्म हदप का बिाई काडा ंेजा था तअ उिर से उसका सेक्रे री का जवाब आया कक जरा िअल
में और ुपपर औकात में रिअ' 'समबि मािरम ी का माला जप रिा था, पतपर पे दे खा तअ शिसर पर चार-
पााँच चप्पल दे मारा' बाजार में चला दे ता ताकक ग्रािक उसे सपकी समझकर ंड़क जायें। मगर वि
िै राप था कक ग्रािकक का उसके प्रनत क्रेज और बढता जा रिा था। लायद उसकी दीवापगर में नपहित
नपश्छलता, पपवत्रता और परद:म खकातरता से लअग उसके और ंर कायल बपते जा रिे थे।

चचरं जर के ग्लअबल पपज्जा का जाद ू इतपा क्षणंंगरम िअकर रि जायेगा, इसकी उसपे क्पपा तक पिीं
की थर। वि फम्लू के प्रंामंडल कअ खतम करपे के शिलए उसर की तजा पर सअचते िमए हदमाग दौड़ापे
लगा। उसे याद आया कक फमलमआ पे लॉ री का झााँसा दे कर सबकअ उ्लू बपाया आ़ज तक उस घअपषत
लॉ री का ड्रॉ पिी िमआ। उसके मप में पिले तअ आया कक इस ममद्दे कअ उंारकर उसे लफ्फाज साबबत
कर दें ताकक वि सबकी पजरक में चगर जाये और खद म कअ सच्चा-सिी साबबत करपे के शिलए वि वाकई
एक लॉ री करवा डाले। कफर मप में आया कक ऐसा करपे की जगि उसर के रास्ते पर वि ंर क्यक प
चलें? उसपे जब बबपा खचा ककये काम नपकाल शिलया तअ इसे क्या जरूरत िै खचा करपे की? लॉ री
घअपषत करके ड्रॉ की एक-एक कर कंर प आपेवाली तारीख बढाता जाये। उसपे कअक बपापेवाली एक
कंपपर के स्थापरय मैपेजर कअ प ाया, चाँकू क इस ब्रैंड के पेय का बिमत बहढया कलेक्लप दे पेवाला वि
एक ुग्रगण्य रर े लर था। इस कंपपर की मदद से मािरम ी के कायाक्रम की उसपे तैयारी लरू म कर दी।
जअरदार प्रचार ककया जापे लगा ुममक तारीख कअ लिर के सबसे बड़े स् े डडयम में मािरम ी का लाइव
लअ। लअ के शिलए िर ह क िारक कअ पपज्जा, कअक और लॉ री कूपप फ्री। लॉ री का ड्रॉ ऑप स्पॉ
मािरम ी द्वारा। प्राइज में कई ब्रैंड की कारें लाशिमल।

गअरे लाल पे फम्लू कअ बताया कक उसका बबजपेस प्रंापवत करपे के शिलए यि पिले पे दिला चाल चली
जा रिी िैं। एक बारगर फम्लू कअ ंर लगा कक सचममच यि तअ सरासर बदमालर िै । उसे करपा िी था
तअ रवरपा ं डप, ऐश्वयाा राय, प्ररनत ख्जं ा, कररश्मा कपूर या रापर ममखजी पाइ करा लेता। जब वि
दे ख रिा िै कक उसके सामपे मािरम ी के शिलए इतपा कमछ िअ रिा िै , कफर मािरम ी पर इसका क्या िक
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था? ुगले िी पल उसे खयाल आया कक ुगर इसपे मािरम ी कअ चप
म ा िै तअ ोीक िी चप
म ा िै । मािरम ी
का ममकाबला ककसर और से िअ ंर किााँ सकता िै । पूरी दनम पया में मािरम ी तअ शिसफा एक िी िै ुव्वल,
बेशिमसाल, ुंूतपूव,ा ख्जसके पतृ य और ममस्कराि का कअई पवक्प पिीं, कअई सापर पिीं। चलअ ुच्छा
िै , उसकी एक जमापे की साि पूरी िअ जायेगर। मािरम ी कअ उसपे आज तक पदे पर या चचत्रक में िी
दे खा ुब सामपे साक्षात दे ख सकेगा। उम्मरद िै एकदम पास से शिमलपे-बनतयापे का उसे समुवसर ंर
शिमल जायेगा। नपख्श्चत रूप से जब उसे मालूम िअगा कक उसका ऐसा कअई फैप िै जअ सालक ंर ककसर
खद
म ा की तरि उसकी इबादत करता िै तअ वि जरूर इंकार पिीं कर सकेगर।

मािरम ी आयर आ़पे की एक बड़र कीमत लेकर बड़र कीमत, ख्जसे चचरं जर पे और कअक कंपपरवाले पे एक
जरूरी नपवेल समझकर जम ाया ककसर तरि। वे जापते थे कक यि कीमत लअ के ह क बेचकर बिमत िद
तक वसूल ली जायेगर। उपका ुपममाप सिी साबबत िमआ। चाँकू क दे खपेवालक की ंेडड़यािसाप ंरड़
िजारक में जम ी पूरे लिर में मापअ मािरम ी का बमखार छा गया। चचरं जर मप िी मप सअचता रिा कक
ककतपे पागल िैं यिााँ लअग कक उस ग्लैमर कअ दे खपे के शिलए मरे जा रिे िैं ख्जससे उन्िें कमछ िाशिसल
पिीं िअपा िै । लअ दे खपेवालक में ऐरे -गैरे पतथ-ू खैरे संर थे पिीं था तअ एक फम्लू, ख्जसके शिलए चचरं जर
पे खास तौर पर हिदायत दे रखर थर कक वि ककसर ंर तरि ुंदर दाखखल प िअ सके। ुखबारक में
मािरम ी के साथ चचरं जर के िआ
म ाँिार फअ अ छपपे लगे।

गअरे लाल इस पवडंबपा पर िै राप था कक मािरम ी के साथ सचमच


म ख्जसका फअ अ िअपा चाहिए उसे
िककयाकर ककपारे कर हदया गया। यिााँ तक कक उसे एक झलक तक दे खपे का ुवसर पिीं हदया जा
रिा। जअ चचरं जर मािरम ी के बारे में िमेला ुपगाल, ंर और ुश्लील ुफवािें इजाद करता रिता था,
वि आज खद
म कअ इसका सबसे बड़ा कद्रदाप शिसि करपे में लगा था। फम्लू रात-हदप उसका कीताप
करता रिता था, मगर आज ककसर खतरपाक वायरस की तरि वि परे ि ा हदया गया।

गअरे लाल के शिलए यि रवैया ुसह्य िअ गया। उसपे ुपपर पत्रकार की िै शिसयत हदखाकर िअ ल में
मािरम ी से ममलाकात की और फम्लू के बारे में पवस्तार से बताया कक उसके पाम पर वि क्या क्या
आयअजप करता िै ककप-ककप लाचार और उपेक्षक्षत लअगक में ंलाई और पमण्य का काम करता िै उसकी
कफ्मक कअ ककतपर आसख्क्त और बेताबर से एक उतसव की तरि दे खता िै ककसर दे वर की तस्वरर की
तरि उसके फअ अ के मढे फ्रेमक से दक
म ाप की दीवारें सजा रखर िै उसके फअ अ का लॉके तक बपवाकर
उसपे गले में पिप रखा िै ।

मािरम ी के चेिरे पर यि सब समपकर ुच्छा ंाव आपे की जगि एक हिकारत का ंाव उंर आया।
उसपे किा, "ऐसे-ऐसे बेढंगे लअगक के कारण मेरी छपव खराब िअतर िै । ये लअग ममझे एकदम चरप बपा
दे ते िैं। ुब ंला चा वाला, सफाईवाला, ररक्लावाला, कबाड़रवाला मेरे शिलए इस तरि पागलपप
हदखायेंगे तअ संभ्रांत समाज ममझे क्या मिततव दे गा?" मािरम ी की पजर ुचापक सामपे खड़े एक पमशिलस
ऑकफसर पर पड़र जअ उसकी समरक्षा के शिलए पवलेष तौर पर नपयमक्त था और ुपपे आवंाव से यि
कई बार जतला चक
म ा था कक वि मािरम ी का घपघअर प्रलंसक िै । गअरे लाल की शिलकायत पर ुपपा काप

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उसपे ंर खड़ा ककया िमआ था। मािरम ी पे उसे संबअचित ककया, "समप रिे िअ ऑकफसर, तमम्िारे रिते इस
लिर में मेरे पाम पर लअग क्या-क्या फूिड़ तमाला कर रिे िैं? तमम किते िअ कक मेरे बिमत बड़े फैप
िअ, कफर ंर क्या इस तरि की ंौंडर िरकतक पर ुंकमल पिीं लगा सकते?"

ऑकफसर कअ लगा कक मािरम ी जर पे उसे कमछ करपे के शिलए किकर मापअ उसके जरवप कअ साथाक कर
हदया। इतपर बड़र स् ार उसे कमछ कि रिी िै , क्या कि रिी िै , जायज या पाजायज यि मायपे पिीं
रखता बस वि कमछ कि रिी िै और जअ कि रिी िै उसका पालप िअपा चाहिए।

गअरे लाल कअ लगा कक जैसे कअई बड़ा िवाई जिाज क्रैल िअकर ोीक उसके सामपे चगर पड़ा। लाखक-
करअड़क की कीमत वाला और बिमत ऊपर उड़पे वाला िवाई जिाज जब जमरप पर चगरता िै तअ तिस-
पिस िअकर ककरचक में तब्दील िअ जाता िै ।

िवाई जिाज का क्रैल िअकर चगरपा िमेला उसे पवचशिलत कर दे ता रिा िै आज ंर वि पवचशिलत िमए
बबपा प रि सका। गअरे लाल ताज्जमब में पड़ गया कक वि तअ फम्लू का ंला करपे चला था कफर उसका
बमरा क्यक िअपे लगा? क्या उससे कअई चक
ू िअ गयर? या किीं ऐसा तअ पिीं कक मािरम ी जैसे लअगक के
शिलए ुच्छाई-बमराई की पररंाषा ुलग िै ? उसका माथ एकदम चकरा गया। उसपे एक त्ख ररपअ ा
शिलखर कक फम्लू जैसे ुदपा व्यख्क्त की ंावपाओं का इप पामचरप कफ्मर िख्स्तयक के शिलए बस
उतपा िी मिततव ख्जतपा ककसर रै पर या पैककंग का िअता िै ुंदर का माल यूज ककया और बािर का
थ्रअ कर हदया। यिी फम्लू ुगर सािारण चा वाला की जगि ककसर पंचशिसतारा िअ ल का माशिलक िअता
या कफर प्रशिसि चचत्रकार, पत्रकार या मंत्रर तअ इपकी ख्जह्वा से कृतज्ञता के संंाषण कंर खतम पिीं
िअते।

यि ररपअ ा समबि छपर मगर उस पमशिलस ऑकफसर पे लाम में िी ुपपर खैरतवािी जताकर परो
थपथपवा ली और कृताथा िअ गया। उसपे दक
म ाप जाकर मािरम ी के सारे ब्लअुप, पअस् र, क आउ और
सरडर-कैसे जब्त कर शिलये। दीवारक पर शिलखे कफ्मक के पाम और गापक के बअल आहद पर ुलकतरा
पअतवा हदया। ऐसा लग रिा था जैसे वि मािरम ी का पक्ष पिीं ले रिा, बख््क पवरअि कर रिा िै । फम्लू
की तअ जैसे ुक्ल िी गमम िअ गयर थर। उसे किीं से ंर समझ में पिीं आ रिा था कक ककसर कअ ुगर
वि ईश्वर की तरि ऊाँचा स्थाप दे रखा िै तअ इसमें गमपाि क्या िै ? उसकी पतपर पपंकी पर ंर यि
बबार कारा वाई पागवार गज
म र गयर थर, िालांकक इसर के साथ उसके मप का आिा हिस्सा ममहदत ंर था
कक चलअ ुच्छा िमआ इसे एक तमाचा लगा माँिम पर जमरप पर रें गपेवाले चले थे आसमाप में उड़ाप
ंरपे ुब ुक्ल होकापे आ जायेगर। गअरे लाल एक ुपरािबअि से एकदम आित मिसस ू कर रिा था
उसर के कारण बेचारे फम्लू के ख्जगर कअ लिूलमिाप िअपा पड़ रिा िै । उसपे ुपपा तेवर सतत बपा
शिलया, "समपअ फम्लू, ऐसर ुिमक और कमजफा औरत का ुपपर दक म ाप और तयालात से पामअनपलाप
तक शिम ा दअ। तस्वररें िी लगापर िैं तअ मदर े रेसा की लगा दअ और जअ ंर आयअजप करपे िैं
क्याण-काया करपे िैं, उपके पाम पर करअ।"

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पपंकी पे ंर लगे िाथ ुपपे मप ममताबबक झकके के साथ जरा उड़ लेपे का आपंद उोाते िमए ुपपा
इरादा सामपे रख हदया, "मेरा ंर मप एकदम नघपा गया िै इस मािरम ी-फादरी से। ुब इसके पाम पर
तमम कमछ ंर पिीं करअगे दक
म ाप चले या प चले। संर लअग ऐसे अ के और स्वांग रचकर िी ुपपा
व्यवसाय पिीं चलाते। ुगर मािरम ी के पाम से तममपे आगे कमछ ककया तअ ंगवाप कसम मैं तमम्िें
छअड़कर मायके चली जाऊाँगर और कफर कंर वापस पिीं आऊाँगर।"

फम्लू बिमत ुसिाय पजरक से कंर गअरे लाल कअ, कंर पपंकी कअ और कंर ुपपर बदसूरत-सर िअ गयर
दक
म ाप कअ नपिार रिा था। उसके पास बअलपे के शिलए मापअ माँि
म िी पिीं रि गया था। दरू से दे खकर
चचरं जर खल
म िअ रिा था और उसे लग रिा था कक उसपे फम्लू कअ एक जअर की प कपर दे दी।

गअरे लाल कफर एक प्रिारातमक ररपअ ा शिलखपे के शिलए तड़फड़ा उोा। मगर पमशिलस ऑकफसर पे उसे और
उसके संपादक कअ ंर चेता हदया कक मािरम ी के खखलाफ ममहिम बंद कर दे , पिीं तअ उन्िें इसकी बड़र
कीमत चक
म ापर िअगर। फम्लू मप मसअसकर रि गया। काल वि ुखबार का खद
म माशिलक और संपादक
िअता। ुखबार में कअई ररपअ ा प छपपे के बाद ंर उसपे दे खा कक दक
म ाप की किापर कापक-काप परू े
लिर में फैल गयर और ुगले हदप दक
म ाप में आपेवालक की संतया और ंर बढ गयर। संर दे खपा
चािते थे कक जअ िवाई जिाज आसमाप में उड़ता िै वि क्रैल िअकर जमरप पर कैसे ढे र िअ जाता िै ।

ंरड़ कअ दे खकर चचरं जर कअ मापअ कफर सााँप साँूघ गया था।

कमछ ुसाा बरता चप


म -चप
म रिपेवाला फम्लू ुचापक कफर सख
म रू
ा िअ उोा। वि मािरम ी के बे ा िअपे की
खल
म र में एक उतसव मपापे की तैयारी करपे लगा। गअरे लाल, पपंकी, चचरं जर आहद िै राप रि गये। पपंकी
तमतमाकर मायके चली गयर गअरे लाल पे ंर दक
म ाप पर प आपे की कसम खाली फम्लू के आसपास
ुब ुपपा कअई पिीं रि गया िालााँकक दक
म ाप में ग्रािकक की संतया और बढ गयर।

67
कल्य ण क अांत

पता पिीं ककस ुजमप


ा पे या ककस राम पे ुख्ग्पबाण चलाया कक सौ वषों से ंर ज्यादा उम्रवाला
क्याण तालाब सूख गया। इसके लगातार घ रिे जलस्तर कअ दे खकर सारे बूढे-बमजमगा िै राप थे।
बचपप से लेकर आज तक ऐसा उन्िकपे कंर पिीं दे खा था कक इस तालाब का ुक्षय कअष नतल ंर
के शिलए ंर घ जाए। ुगम, रिस्यमय, ुपेक कक्रयाओं की रं गलाला और जरवंतता, गनतलरलता व
लरतलता का ुमत
ृ -कंम ड आज जैसे ककसर श्मलाप में पररवनतात िअ गया था। क्याण सूख गया, इससे
लायद बिमतक का जरवप ुप्रतयक्ष रूप से प्रंापवत िमआ िअगा लेककप प्रतयक्ष रूप से इससे जअ सबसे
ज्यादा प्रंापवत िमआ, उसका पाम था कअचाई मंडल।

क्याण क्या सूखा जैसा उसके जरवप के सारे स्रअत िी सूख गए। क्याण उसकी संजरवपर था, कमा-
स्थल था, ऊजाा-स्रअत था और कमल जमा पाँज
ू र था। ुब जब वि पिीं रिा तअ मापअ उसके पास कमछ ंर
पिीं रिा जैसे वि उखड़ गया ुपपर जड़ से हिल गया ुपपर परंव से। उसकी दयपरयता तब और ंर
त्रासद बप गई जब उसके घरवाले तालाब का सूखपा, ुलमं की जगि लमं सूचक मापपे लगे।

उसके बड़े लड़के नपमाई पे किा, "िमें खल


म िअपा चाहिए कक इतपे बड़े ंूखड
ं का ुब िम सिी रूप में
व्यावसानयक उपयअग कर सकेंगे। सावाजनपक हित से जड़
म े िअपे के कारण िम इसके वजद
ू कअ एकबारगर
शिम ाकर इसका रूपांतरण पिीं कर सकते थे। ुब जब खद
म िी सख
ू गया िै तअ िमें ुब अकपेवाला ंर
कअई प रिा। िमें ुपपे आप बिापा या मौका शिमल गया कक इस कीमतर ंख
ू ड
ं के सिारे ुपपर
कायापाल कर लें। िम इससे रातकरात लाखक बपा सकते िैं।"

चाई कअ पता िै कक उसकी पतपर रािाममपर ंर इस ममद्दे पर ुपपे बे े के पक्ष में िैं। पढाई कर रिे
उसके बे े पे आज से कई साल पिले उसके पापर वाले परं परागत व्यवसाय से घण
ृ ा का इजिार करते

68
िमए किा था, "इस पेले पे िमारे पूरे खापदाप कअ बौपा बपाकर गरीबर के घेरे में शिसम े रिपे के शिलए
ुशिंलप्त कर हदया िै । ंला कअई मछली मारकर और पाव खेकर दअ रअ ी जम ापे से ज्यादा और क्या
कर सकता िै ? मैं कअई सा ंर दस
ू रा काम कर लाँ ग
ू ा, लेककप पापर से जमड़ा कअई काम पिीं करूाँगा।
आखखर िम ुपपा ंाग्य पापर में िी क्यक गलाएाँ, िरतर पर िम ुपपे शिलए कअई मंख्जल क्यक तलाल
प करें ?"

रािाममपर पे ुपपे बे े का जअरदार समथाप ककया, "तममपे बब्कमल ोीक फैसला ककया िै । मैं ंर यिी
चाितर िूाँ कक बाप की तरि पापर का प्रेत तमम लअगक पर प सवार िअ। ममझे िमेला लगा कक इस आदमर
पे ममझसे पिीं पापर से लादी कर ली िैं। राि दे खते-दे खते मेरी आाँखें थक जातरं मगर इस आदमर का
मप पापर से पिीं ंरता। इन्िकपे जमरप और घर से ज्यादा ुपपा वक्त पापर में बबताया। मैं तअ
कमढतर रिी इस पापर से जैसे वि मेरी सौत बप गया। मैंपे बिमत पिले ोाप शिलया था कक ुपपे बे क
कअ खबू पढाऊाँगर और पापर के िंिे से ख्जतपा दरू रखपा मममककप िअगा, रखग ूाँ र।"

नपमाई पे ुपपे हदमागर घअड़े कअ जरा रफ़्तार से दौड़ाते िमए किा, "मााँ, पढाई-शिलखाई ुगर िमें रास्ता
बदलपे में मदद कर दे तअ ुच्छा िै , इसके बाद ंर िमें तालाब में फाँसर जमरपक का बाजार ंाव के
हिसाब से रर पा पापे के शिलए पापर से ुपपा पपंड छमड़ापा िी िअगा। पच्चरस बरघा का रकबा इस इलाके
के शिलए लाख की पिीं करअड़ की संपख्तत साबबत िअगा। चारक तरफ ख्जस तरि कालअनपयााँ बसर िैं,
उद्यअगक के जाल बबछ रिे िैं, इसकी माँि
म मााँगर कीमत वसल
ू ी जा सकतर िै ।"

कअचाई कअ गमस्सा करपा पिीं आता था और पािीं उसे ककसर से चकच लड़ापे में कअई रुचच थर। वि
संतंाव से ऐसर बातें सप
म लेता था और कल क्या िअपेवाला िै , उसे नपयनत के ंरअसे छअड़कर ुपपे
काम में लग जाता था। उसपे ुपपे दादा की शिलखर िमई डायरी का एक पन्पा लाकर नपमाई के िाथक
में रख हदया। उसमें शिलखा था, "तालाब की ुिशिमयत रुपयक-पैसक से पिीं आाँकी जा सकतर। और ुगर
रुपयक से आाँकी जाए तअ उसके जररए जअ मापवरयता पर परअपकार िअ रिा िै , वि ुरबक-खरबक से ंर
किीं ज्यादा िै । जब एक कमआाँ बप जाता िै या तालाब तअ वि ककसर की नपजर संपख्तत पिीं रि जाता,
वि सावाजनपक िअ जाता िै ।"

नपमाई पे डायरी के उस पन्पे की चचंदी-चचंदी कर डाली।

रािामप
म र पे किा था, "मैं तअ कब से यि चाितर रिी कक इस तालाब कअ ंरवाकर िम शिसफा इसे बेच
दें तअ उसर से कई परहढयक से जमर िमारी दररद्रता छूमंतर िअ जाए। लेककप तम्
म िारे इस बाप की ख्जद
और पापर में बसे इपके प्राण कअ दे खकर मैं कअई सतत कदम उोापे के लायक प बप पाई और तम

लअगक के जवाप िअपे का मैं इंतजार करतर रिी। ुब दे खअ, ऊपरवाले का कमाल, उसपे िमारी सप
म ली
और इसका सारा पापर ुपपे आप िी गायब िअ गया।"

ुपपे बरवर-बच्चक के पवजयर ंाव कअ दे खकर कअचाई जैसे ककसर मूक चचत्र में पररवनतात िअ गया।

69
कअचाई मंडल के जरवप में पापर िी पापर था। वि ुपपा समय जमरप पर कम और पापर पर ज़्यादा
गमजारता था। वि ुपपे कअ पापर का पिरे दार किता था और लअग उसे पापर का में ढक किते थे। पापर
के ुंदर या पापर के ऊपर कअई कारअबार चलापा िअ तअ कअचाई से उपयमक्त व्यख्क्त दस
ू रा कअई पिीं िअ
सकता था। पदी में , तालाब में , सममद्र में कअई दघ
म ा पा िअ जाए, कअचाई का झ बमलावा आ जाता।
किते िैं जअ काम सेपा के गअताखअरक से ंर संंव पिीं िअ पाता, उसे कअचाई कर डालता था। इस
मामले में उसकी तयानत काफी दरू -दरू तक थर। कअई बस पदी में पल गई और कमछ लालें बरामद
पिीं िअ सकी कअचाई कअ लगा दीख्जए। ककसर पे पदी में कूदकर आतमितया कर ली और उसकी लाल
बिकर ुृशश्य िअ गई कअचाई के शिलए यि कअई बड़ा मसला पिीं िै । किीं ुचापक बाढ आ गई और
पापर में फाँसे लअगक कअ बािर नपकालपा िै गरजतर-उछलतर जलिारा में ककसर की हिम्मत पिीं पड़
रिी कअचाई कमर में गमछा बांिकर पापर में कूद पड़ेगा। पापर के ुंदर काफ़ी गिरे में ककसर की कअई
बिममू्य वस्तम चगर गई ़िअचाई पाताल में ंर डमबकी लगाकर नपकाल लेगा।

उसके बारे में यि ककंवदं तर प्रचशिलत िअ गई थर कक पापर में उतरते िी उसकी ताकत बढ जातर िै ।
पापर के ुंदर वि ज्यादा दे ख सकता िै पापर के ुंदर मरलकमरल तैर सकता िै पापर के ुंदर वि
जलचरक कअ साँघ
ू कर पता कर सकता िै उसकी दे ि से पापर का स्पला िअते िी उसमें एक बबजली दौड़
जातर िै ।

कअचाई के बारे में उसके कमछ गााँववाले किते थे कक इसे दरुसल ककसर जलचर में जन्म लेपा था,
मगर गलतर से आदमर (थलचर) में आ गया। उसके बारे में यि ककस्सा ंर प्रचशिलत था कक कअई
जलपरी िै जअ कअचाई से प्यार करतर िै । ज्यक िी वि पापर में उतरता िै वि जलपरी उस पर सवार िअ
जातर िै और उसकी पूरी दै वरय लख्क्त उसमें समा जातर िैं।

पापर कअ इस तरि साि लेपेवाला कअचाई कंर पापर रहित िअ जाएगा, यि कअई पिीं जापता था। पापर
पे कअचाई कअ दालानपक बपा हदया था। वि किा करता था कक पापर ख्जस तरि दनम पया ंर के पवकार
और गंदगर साफ करता िै , ुगर कअई आो-दस हदपक तक पापर के संपका में रि जाए चारक ओर पापर
िी पापर, दस
ू रा कअई पिीं तअ उसके मप का पवकार ंर िल
म जाता िै । पापर दया, करूणा, ममता और
आतमरयता का पयााय िै वि आदमर कअ तरल, सरल और नपश्छल बपा दे ता िै । पापर में सारे ततव िैं,
कअई चािे तअ शिसफा पापर परकर ुपपर परू ी उम्र जर सकता िै । बिमत सारे ऐसे जलचर िैं जअ बबपा खाए
ंर पापर में रिकर जर लेते िैं। पापर की ख्जसकअ आदत िअ जातर िै , वि पापर के बबपा पिीं रि
सकता। पापर से ुलग िअते िी वि प्राण तयाग दे ता िैं।

कअचाई कअ तालाब पवरासत में शिमला था। पच्चरस बरघे का लंबा-चौड़ा तालाब ोीक लअख पिाड़र के
पाश्वा में ख्स्थत था। बरसात के हदपक में पिाड़र का पापर झरकर एक पाले में तब्दील िअ जाता था।
बरसात खतम िअपे के बाद ंर इस पाले में पापर का प्रवाि जारी रिता था। कअचाई पे ुपपे तालाब के
जलस्तर कअ ुचिकतम रखपे के शिलए जरूरत-ब -जरूरत पाले की हदला ुपपर ओर मअड़ लेपे की
व्यवस्था कर रखर थर। इस तालाब के ुलावा उसके पास और कअई जमरप-जअत पिीं थर। इसर से

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उसकी आजरपवका चलतर थर और इसर से उसकी पिचाप बपतर थर। इस तालाब की गिराई के बारे में ,
कअचाई के पमरखक के पास िस्तांतररत िअपे के बारे में और इसके मिातम्य व गमणिशिमाता के बारे में कई
तरि की दं त कथाएाँ प्रचशिलत थरं।

किते िैं यि तालाब जमाईकेला ररयासत के राणा कौतक


म पवक्रम शिसंि का था ख्जसे उन्िकपे कअचाई के
परदादा सत
म ारू मंडल की स्वाशिमंख्क्त और तालाब की दे खरे ख के प्रनत उसकी गिरी संलग्पता से
प्रंापवत िअकर उसे बतौर बतलरल दे हदया था। तालाब की गिराई के बारे में लअगक का ुपममाप था कक
यि पचास फ़ी से ंर ज़्यादा गिरा िै । उसके तल के बारे में सबका किपा था कक विााँ एक खास ऐसा
केन्द्र िै जिााँ कअई गलतर से चला जाए तअ कफर वापस पिीं आता। कमछ िमापरायण लअगक की ऐसर
मान्यता थर कक पाताल लअक जापे का एक द्वार िै इस तालाब के ुन्दर, जिााँ पिमाँचते िी उसे ंरतर
दाखखल कर शिलया जाता िै ।

तालाब के पापर की तासरर की ंर एक ुलग व्यातया थर। किते िैं इसमें नपयशिमत स्पाप कर दे ि के
ककसर ंर चमारअग से मख्म क्त पाई जा सकतर थर। कमछ लअग िफ़्ते या पखवारे इसमें एिनतयात के तौर
पर इसशिलए ंर स्पाप करते थे कक उन्िें कअई चमारअग प िअ। िररे -िररे लअगक पे तअ यिााँ तक मापपा
लरू
म कर हदया कक इसमें स्पाप करपे से ककसर ंर तरि की बरमारी से बचा जा सकता िै । इसका यि
मिातम्य दरू -दरू तक प्रचाररत िअ गया था ख्जससे उसमें लअगक के स्पाप करपे का तााँता कंर खतम
पिीं िअता था। लअगक पे इसे क्याण पाम से पक
म ारपा लरू
म कर हदया था।

पिाडड़यक से िअकर आपेवाले पापर में संंव िै कमछ जड़र-बूह यक का औषि प्रंाव समा जाता िअ।
लअकश्रनम त का स्वंाव तअ प्राय: ऐसा िअता िी िै कक ककसर छअ ी चरज कअ बढाते-बढाते बिमत बड़र बपा
दें । इस तालाब में आम आदमर की तअ छअडड़ए खमद राणा कौतमक पवक्रम शिसंि की िवेली से उपकी
पख्तपयााँ, बिपें और मााँ तक सप्ताि में एक बार स्पाप करपे जरूर आतर थरं। इन्िें समरक्षक्षत स्पाप
करापे का ख्जम्मा समतारू मंडल का िअता था। जब ये लािी महिलाएाँ तालाब के घा पर आतरं थरं तअ
आम जपक की आमद-रफ़्त वख्जात कर दी जातर थर। किते िैं इपमें कमछ रानपयााँ तैरपे की बिमत लौकीप
थरं और वे दे र तक और दरू तक तालाब में उन्ममक्त तैरतर रितर थरं। एक ुकेले समतारू मंडल िी िअते
थे जअ ककपारे में खड़े िअकर इपकी ककसर ंर आपातकालीप मदद के शिलए चरते की तरि सतका रिते
थे। किते िैं सत
म ारू से इप महिलाओं का ुब ऐसा सौजन्य स्थापपत िअ गया था कक ुब वे इपसे जरा
ंर लमा, पदाा और शिलिाज पिीं करतर थरं। सत
म ारू पे ुपपे कअ ऐसा वरतराग बपा ंर शिलया था कक
इन्िें ककसर ंर रूप में दे ख ले, उसमें कअई उततेजपा जाग्रत पिीं िअतर थर। चाितर तअ ये महिलाएाँ
राजमिल की चारदीवारी में िी तालाब खद
म वा लेतरं, लेककप वि औषिरय प्रंाव तअ उसमें प आता।
सत
म ारू के लायद इसर संयशिमत आचरण पर कृपालम िअकर राणा पे बतौर इपाम उस यलस्वर तालाब
क्याण का उसे रक्षक और माशिलक बपा हदया था।

राणा का जब तक राज चला वे इस इलाके में जमे रिे और उपकी रसअई के शिलए इसर तालाब से ताजर
मछशिलयक की आपूनता िअतर रिी। समतारू मंडल िी इस आपूनता के प्रंारी रिे । जब ररयासतक का

71
ुचिग्रिण िअपे लगा तअ राणा ुपपर िवेली और जायदाद ुपपे बराहिलक और गममाश्तक कअ समपमदा कर
सपररवार ंमवपेश्वर में स्थापांतररत िअ गए।

क्याण सतम ारू मंडल से िअते िमए ुब उपकी तरसरी परढी कअचाई मंडल के ख्जम्मे आ गया। कअचाई
कअ ुपपे दादा की ज़्यादा याद पिीं िै लेककप ुपपे पपता कअ तअ वि ुब ंर िर पल ुपपे आसपास
िी मिसस
ू करता रिता िै। जब से उसपे िअल संंाला ुपपे पपता की उाँ गली थामे ुपपे कअ इस
तालाब में िी पाया। पपता उसे तैरापा शिसखा रिे िैं, गिरे पापर में गअता लगापा शिसखा रिे िैं, पाव
खेपा शिसखा रिे िैं, जाल डालपा शिसखा रिे िैं, बबपा जाल डाले ंर बड़र मछशिलयक कअ पकड़ लेपे की
कला शिसखा रिे िैं, मछशिलयक का जररा बपापे का गमर शिसखा रिे िैं इ़पके शिलए चारा बपापे का इ्म
बता रिे िैं।

उन्िकपे इस क्षेत्र के तेजर से िअ रिे लिरीकरण के कारण तालाब के ुख्स्ततव पर बढते दबाव कअ ंााँपते
िमए किा था, "दे खअ बे े , तालाब शिसफा पापर का खजापा ंर पिीं िअता बख््क यि िमारी संस्कृनत का
एक ुंग िै । यि व्यख्क्त पवलेष के स्वाशिमतव के ुिरप िअकर ंर एक सावाजनपक िरअिर िै , ख्जसके
इस्तेमाल का िक आसपास की परू ी आबादी कअ िै । जैसे कअई ुपपर िी जमरप पर गाछ लगा दे तअ
वि गाछ शिसफा उसर का पिीं रि जाता। उसकी छाया और परचे चगरे िमए फल पर िर रािगरर का िक
बप जाता िै । उसकी लाखाओं पर िजारक चचडड़यक-चरम गपक कअ बसेरा डालपे का िक बप जाता िै ।
तालाब के िअपे से आसपास के बिमत बड़े क्षेत्रफल में जल-स्तर नपयंबत्रत रिता िै । खेतर की जमरपक में
पमर बपर रितर िै। आसपास के तापमाप में एक आद्रा ता रितर िै लअगक कअ ताजर मछशिलयक की
आपूनता िअ पातर िै एक साथ पिापे-िअपे से सामाख्जकता और सिुख्स्ततव की ंावपा का पवकास िअता
िै ।"

राजा पे समतारू से किा था, "इस तालाब पर तमम्िारा स्वाशिमतव जरूर िअगा लेककप इसके उपयअग पर
सबकअ बराबर का ुचिकार िअगा। िक पिीं िअगा तअ तालाब का कमछ बबगाड़पे और पष् करपे का।"

कअचाई के दादा और पपता पे इस नपदे ल का पूरा खयाल रखा, कंर इस तरि का रौब पिीं हदखाया कक
तालाब उसकी नपजर जायदाद िै । लअगक द्वारा उसके इस्तेमाल पर कंर कअई परे लापर या ुड़चप खड़र
पिीं की। उ् े सबकअ आकपषात करपे के शिलए रख-रखाव व साफ-सफाई पर पूरा ध्याप हदया। शिसफा
मछली मारपे तथा इसमें पौकायप करपे का िक ुपपे पास रखा।

कअचाई पपछले कमछ ुसे से दे ख रिा था कक लअख पिाड़र से नपकलकर आपेवाला पाला क्षरण से
क्षरणतर िअता जा रिा िै । पिाड़र के पाश्वा में और तालाब के आसपास तेजर से फैल रिे कांक्री के
जंगल, उसमें बस रिे नपष्ोमर लअग और उपकी आक्रामक आपािापर से पिाड़र के ऊपर के पेड़ यापर
प्राकृनतक जंगल तेजर से क कर गायब िअपे लगे थे। पिाड़ ुब बब्कमल छीप-झप कर िरण कर शिलए
गए चरर के उपरांत लम ा-पप ा सा पंगा हदखपे लगा था और उससे नपकलकर आपेवाला पाला ख्जस
पदी में चगरता था उस पदी का पा ंर शिसकमड़कर मापअ एक पतली रे खा में बदल गया था। पदी पदी
पिीं जैसे ककसर पविवा की उजड़र मााँग िअ गई थर। कअचाई कअ यि पूवाांास िअ गया था कक कअई

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पवपख्तत सख्न्पक िै , लेककप इतपर सख्न्पक िै , ऐसा उसपे पिीं सअचा था। पयाावरण के मिापवपाल
का ुसर इतपा ज्दी हदखाई पड़पे लगेगा, इसकी क्पपा लायद ककसर कअ पिीं थर।

क्याण के सख
ू ते जापे से बबाादी में लतम फ उोापेवाले कमछ राक्षसर वख्ृ तत के लअग तालाब के साथ जड़
म र
रिस्यमय दं तकथाओं के ुपावतृ त िअपे के प्रनत उतसक
म िअ उोे थे। वे यि जापपे कअ व्यग्र थे कक इसमें
रिपेवाली जलपरी का क्या िअगा और वि पापर के बबपा मरकर कैसर हदखेगर! नपचली सति पर ख्स्थत
उस द्वार का क्या िअगा जअ पाताल लअक में जाता िै ! उप बड़र मछशिलयक और जलचरक का क्या िअगा
ख्जपकी पवलाल आकृनत के बारे में एक से एक ककस्से प्रचशिलत िै !

क्याण सूखता जा रिा था और कअचाई मंडल का मौप बफा के ीले की तरि जमता िमआ एक उदास
ापू में बदलता जा रिा था। ोीक इसके पवपरीत उसके घर में चिल-पिल बढ गई थर। कई लअग कार
से और जरप से उसके बड़े बे े रािाममपर से शिमलपे के शिलए आपे लगे थे।

कअचाई पे उसकी मंला ताड़ ली थर। उसपे प्रनतरअि ककए बबपा एक हदप ुपपा इरादा जता हदया, "जब
तक मैं कायम िूाँ, तालाब की जमरप पर दस
ू रा कअई काम पिीं िअगा। ममझे पवश्वास िै कक लअख पिाड़र
का पाला कफर से जरपवत िअगा। मैं पिाड़ पर गाछ लगाऊाँगा और विााँ कफर िरा-ंरा एक जंगल
बसेगा।"

नपमाई और रािामप
म र एक-दस
ू रे का माँि
म दे खपे लगे, मापअ वे पछ
ू रिे िक कक इस आदमर के माथे का
पें च ढीला तअ पिीं िअ गया? दअपक में से ककसर पे कअई जवाब पिीं हदया। वे गप
म चप
म रूप से एक मंत्रणा
करपे लगे।

कअचाई क्याण की पररचि पर ख्स्थत ककसर गाछ के परच जाकर बैो जाता, गममसमम, लअकाकमल और
आतापाद करता िमआ। सामपे क्याण नतल-नतल दम तअड़ रिे ककसर पप्रयजप की तरि करािता िमआ
बबछा िअता। त पर आकर कमछ प्यासे जापवर ुपपर ुबअि आाँखक से लून्य कअ नपिारते और कफर
वापस िअ जाते। जल-पविार करपेवाले पक्षर गाछ की फमपगर से िी दद
म ा ला नपिारकर स्यापा कर लेते।
कमछ बड़र मछशिलयााँ, ख्जपके शिलए पें दी में बचा थअड़ा सा पापर कम पड़ रिा था, छ प ाते-तड़फड़ाते हदख
जाते। बस्तर के कमछ लअगक के शिलए यि प्रलय एक उतसव बप गया था और वे एकांत शिमलते िी इप
मछशिलयक का शिलकार कर ुपपर रसअई कअ च खारे दार बपा लेते।

क्याण जब पापर से ंरा िअता तअ इसमें एक रौपक समाई िअतर और इससे एक जरवप राग ममखररत
िअता रिता। कमछ लअग पिाते िअते और पूरब त पर ख्स्थत शिलवालय में जल चढाते िअते। छअ े घरक की
गहृ िखणयााँ बनतयातर िअतरं, बताप-वासप िअतर रितरं और बच्चक कअ रगड़-रगड़कर उप पर ंर-ंर लअ ा
पापर उलीच रिी िअतरं। कमछ लड़के तैरपे का लमतफ उोाते िअते और कमछ लअग इस त से उस त
पौका-पविार का मजा ले रिे िअते। गैरआबादी वाले छअर पर बचे कमछ खाली खेत में सब्जर-ंाजर
उगापेवाले ककसाप प वप के शिलए लाोा-कंम डर से पापर नपकाल रिे िअते। मछशिलयााँ उन्ममक्त पाद करतर
िमई तैर रिी िअतरं। कअचाई द्वारा नपयमक्त तरप-चार मछमआरे जाल फैलाए िमए िअते।

73
ुब आय का कअई नपयशिमत जररया पिीं रि गया था। कअचाई चचंनतत था लेककप घरवाले जरा सा ंर
परे लाप पिीं थे। उल े नपमाई और रािाममपर पिले से ज्यादा नपख्श्चंत हदख रिे थे। नपचली कक्षाओं में
पढपेवाला उसका छअ ा बे ा और बे ी ंर पूवा की तरि िी ुच्छे रख-रखाव में जर रिे थे और स्कूल
जा रिे थे।

एक हदप एक सािबपम
म ा व्यख्क्त उससे शिमलपे आया। उसपे ुपपे कअ एक शिलपपंग कंपपर का ुचिकार
बताते िमए किा, "मेरा पाम प्रदीप डअगरे िै । ममझे आपकी सेवा चाहिए। मेरा एक जिाज बंगाल की खाड़र
में डूब गया िै । उसमें सअपे की ई क के पााँच बक्से लदे थे, ख्जसकी कीमत ५० करअड़ से ंर ज़्यादा िै ।
कई गअताखअर िार गए मगर कमछ ंर ढूाँढपे में कामयाब पिीं िमए। आपके बारे में िमें जापकारी शिमली।
समपा िै कक पापर कअ आपपे पूरी तरि साि शिलया िै । हदल से आप जअ चाि लेते िैं, वि परू ा िअ जाता
िै , पापर आप से दगा पिीं कर सकता। आप ुगर इस चप
म ौतर कअ स्वरकार कर लें तअ आप जअ ंर
कीमत चािें , िम दे पे कअ तैयार िैं।"

कअचाई पे जायजा शिलया कक रािामप


म र, नपमाई और उसके ुन्य बच्चे ंर उस मद्र
म ा में उन्िें दे ख रिे िैं
ख्जसमें उपकी इच्छा िै कक यि प्रस्ताव स्वरकार कर लेपा चाहिए।

उसकी होोक कअ दे खते िमए रािाममपर पे किा, "डअगरे सािब ोीक िी कि रिे िैं। यि आपके मप के
लायक काम िै । यिााँ आप पािक घम रिे िैं। चले जाइएगा तअ जर बिल जाएगा। कमछ कमाई ंर िअ
जाएगर, घर चलापे के शिलए पैसा ंर तअ चाहिए िी।"

कअचाई कअ लगा कक रािामप


म र ोीक िी कि रिी िै । तालाब कअ दे ख-दे खकर उसका दख
म ुसह्य िअता
जा रिा िै । पापर में डमबकी लगाए िमए ंर मिीपक िअ गए। इसके बबपा लग रिा था जैसे दे ि के सारे
सेल चाजा रहित िअ गए िैं। उसपे िामर ंर दी। डअगरे सािब पे झ शिलखकर एक लाख रुपए का चेक
सामपे कर हदया। कअचाई ोगा रि गया, उसकी ऐसर कीमत तअ आज तक ककसर पे पिीं लगाई।

कअचाई कअ लेकर डअगरे सािब चला गया। उसे कचथत शिलपपंग कंपपर के ममतयालय ख्स्थत लिर में ंेज
हदया गया। कंपपर के कमछ कमाचारी उसे बअ के जररए सममद्र में ले जाते। वि गअताखअरक वाली ड्रेस
पिपकर माँमि में ऑक्सरजप मास्क लगाता और उस स्थल पर सममद्र में कूद जाता, जिााँ वे जिाज डूबपे
की आलंका जाहिर करते। कअसाई कअ पिले ंर दअ-तरप बार समद्र
म में छअ ा गअता लगापे का मौका शिमल
चक
म ा था। इस बार उसे लगंग डेढ मिीपे रअका गया, ख्जसमें उसपे दस-बारि बार लंबे गअते लगाए।
गिराई में जाकर समद्र
म की दनम पया उसे ुचख्म्ंत कर दे तर थर। ुजरब-ुजरब तरि के रं ग-बबरं गे जरव-
जन्त,म पेड़-पौिे और पिाड़ जैसे उसे ुपपर ओर खरंचपे लगते थे। पता पिीं क्यक उसे लगता था कक
बािरी दनम पया से यि ुंदरूपर दनम पया किीं ज्यादा खब
ू सरू त और सरम क्षक्षत िै । उसकी इच्छा िअतर कक
काल वि इसर दनम पया में रिपे लायक बप जाता और इन्िीं जलचरक के साथ तैरता रिता समद्र
म ी
ुंतस्थल की खाइयक और गफ
म ाओं में । उसपे बिमत ढूाँढा पर उसे जिाज का कअई ुवलेष किीं हदखाई
पिीं पड़ा।

74
डअगरे सािब पे एक हदप उसे कफर दलाप हदया और किा, "मंडल जर, कल आप मेरे साथ लौ जाएाँगे
ुपपे लिर।"

कअचाई पे ुफसअस जताते िमए किा, "मझ


म े खेद िै सािब कक मैं इतपा-इतपा गअता लगाकर ंर कमछ ढूाँढ
प सका।"

उसपे किा, "पिीं मंडल, आपका गअता लगापा व्यथा पिीं गया िै । आपके गअता लगापे से िमें जअ
िाशिसल करपा था, वि िमपे कर शिलया िै ।"

कअचाई उसका माँि


म दे खता रि गया।

घर वापस लौ पे लगा तअ उसका मप कफर दख


म र िअ गया। क्याण ुब तक पूरी तरि सूख गया िअगा।
उसपे मप िी मप तय ककया कक बरसात आते िी वि लअख पिाड़र पर पेड़ लगापा लमरू कर दे गा। इस
काम में वि ुपपर पूरी ख्जंदगर लगा दे गा और इससे नपकलपेवाले पाले कअ कफर से जरपवत करके
छअड़ेगा। तालाब की पूवा की ख्स्थनत बिाल ककए बबपा, वि एक नतल चैप की सााँस पिीं लेगा।

लिर पिमाँचते िी कअचाई के पााँव ुपायास तालाब के रास्ते पर िी बढ गए। उसपे दे खा कक उस रास्ते
पर दजापक डम्फर, डअजर और ट्रक आवाजािी कर रिे िैं। उसका माथा ोपक गया। क्याण के पास
पिमाँचा तअ विााँ की िालत दे खकर उसकी आाँखें फ ी की फ ी रि गई। एक ककपारे बड़ा-सा बअडा लगा था
- "साइ ऑफ डअगरे बब्डसा एंड कॉन्ट्रै क् सा" क्याण आसपास के उद्यअगक के कचड़े और खेतक की
शिमट्टर से तअपा जा रिा था। उसका आिा हिस्सा लगंग ंरा जा चक
म ा था। क्षण ंर के शिलए प्रतरत
िमआ कक क्याण कअ पिीं मापअ जरते जर उसे िी दफ़पाया जा रिा िै । डअगरे पे जअ किा था, उसका
ुथा ुब स्पष् िअपे लगा। उससे गअता लगवाकर उसपे वाकई ुपपा लक्ष्य िाशिसल कर शिलया।

उसकी आाँखें आाँसमओं से डबडबा गई ल़गा कक सममद्र में गअता लगाकर वि माल ढूाँढपे पिीं बख््क ुपपा
सवास्व डमबअपे चला गया था।

ुोत्ले से चगर गए रे वत बाबू रे वत बाबू कअ लगा जैसे फ्लै में पिीं ककसर मायालअक या कफर उससे
ंर बढकर किें तअ ककसर आश्चयालअक में वे आ गए िैं। इसे िी किते िैं जमरप से उोकर आसमाप में
ाँ ग जापा। आोवें त्ले से वे परचे झााँकते तअ ुपायास चगरपे के बारे में सअचपे लगते। ुगर वे
कफसलकर ऊपर से परचे चगर जाएाँ। ुगर उन्िें कअई िक्का दे दे ! उन्िें यिााँ का सब कमछ ुपररचचत
और ुजरबअगरीब लग रिा था। दअपक बे े रतप और जतप उन्िें ताड़ रिे थे, उन्िें ंााँप रिे थे।

रतप पे उपकी उड़र िमई रं गत और सिमर िमई आाँखक की दयपरयता पर तरस खाते िमए किा, "बाउजर,
ुब आप ुपपे कअ इस मािौल में ढाशिलए। नपचले तबके के लअरगमल और झंझ क से नपकलकर िम
शिलष् , समखर और संभ्रांत समाज में आ गए िैं। सफ़ाई, समंदरता, सिूशिलयत, समरक्षा, समख और लांनत के
मामले में फ्लै क्चर से ुच्छा दस ू रा कअई पवक्प पिीं िअ सकता।"

रे वत बाबू पे ुपपे बे े के इस मंतव्य का कअई काउं र पिीं ककया। उन्िकपे मप िी मप तय कर शिलया


था कक वे ुपपे बच्चक पर ुपपर कअई पसरित, ुपपा कअई संस्कार या ुपपा कअई जरवप-मू्य
75
जबरप पिीं थअपें गे। चाँ कू क ुक्सर यि थअपपा िी पयर परढी की पजर में बमजमगों कअ पवलेप बपा दे ता िै ।
बच्चक की तरि उन्िें डॉक् र या इंजरनपयर बपपा पसरब प िमआ, कफर ंर वे ुपपे ख़यालक से लकीर के
फकीर कंर पिीं रिे ।

रे वत बाबू कअ लगा जैसे फ्लै में पिीं ककसर मायालअक या कफर उससे ंर बढकर किें तअ ककसर
आश्चयालअक में वे आ गए िैं। इसे िी किते िैं जमरप से उोकर आसमाप में ाँ ग जापा। आोवें त्ले
से वे परचे झााँकते तअ ुपायास चगरपे के बारे में सअचपे लगते। ुगर वे कफसलकर ऊपर से परचे चगर
जाएाँ। ुगर उन्िें कअई िक्का दे दे ! उन्िें यिााँ का सब कमछ ुपररचचत और ुजरबअगरीब लग रिा था।
दअपक बे े रतप और जतप उन्िें ताड़ रिे थे, उन्िें ंााँप रिे थे।

रतप पे उपकी उड़र िमई रं गत और सिमर िमई आाँखक की दयपरयता पर तरस खाते िमए किा, "बाउजर,
ुब आप ुपपे कअ इस मािौल में ढाशिलए। नपचले तबके के लअरगमल और झंझ क से नपकलकर िम
शिलष् , समखर और संभ्रांत समाज में आ गए िैं। सफ़ाई, समंदरता, सिूशिलयत, समरक्षा, समख और लांनत के
मामले में फ्लै क्चर से ुच्छा दस ू रा कअई पवक्प पिीं िअ सकता।"

रे वत बाबू पे ुपपे बे े के इस मंतव्य का कअई काउं र पिीं ककया। उन्िकपे मप िी मप तय कर शिलया


था कक वे ुपपे बच्चक पर ुपपर कअई पसरित, ुपपा कअई संस्कार या ुपपा कअई जरवप-मू्य
जबरप पिीं थअपें गे। चाँ कू क ुक्सर यि थअपपा िी पयर परढी की पजर में बमजमगों कअ पवलेप बपा दे ता िै ।
बच्चक की तरि उन्िें डॉक् र या इंजरनपयर बपपा पसरब प िमआ, कफर ंर वे ुपपे ख़यालक से लकीर के
फकीर कंर पिीं रिे ।

छअ ी पौकरी की सरमा में रिकर वे बच्चक कअ उच्च से उच्चतर शिलक्षा हदलापे के शिलए बड़र से बड़र
आवश्यकता कअ ंर मम्तवर करते रिे और ुब उपकी खल
म र में िी ुपपर खल
म र समाहित कर दे पा
ुपपर बचर िमई ुवकाल प्राप्त आयम का उन्िकपे ख़ास ुशिंप्राय बपा शिलया।

पिले तअ वे बड़े दखम र िमए जब उपके बे क पे ुपपा बपा बपाया घर बेचकर फ्लै ख़रीदपे का प्रस्ताव
रखा, कफर वे िररे -िररे खदम कअ पररख्स्थनतयक के िवाले करते चले गए। घर बपापे में उन्िकपे मूता और
पाचथाव पदाथों, ईं , गारा, सरमें , लअिे , पैसे आहद की तमलपा में ुमूता और िाहदा क कक्रयाएाँ, ंावपा,
नपष्ोा, समपाण, एकाग्रता आहद ज़्यादा लगा रखर थरं। तब उपकी पतपर आरतर दे वर जरपवत थर और
एक-एक ईं की जअड़ाई में उसका समथाप, उसका स्पला, उसका परामला और उसकी लं
म कामपा लाशिमल
थरं। थअड़ा-थअड़ा करके घर ोीक-ोाक बप गया था और यि उपकी िसरतक, सपपक और उम्मरदक के
प्रनतबबंब में ढलता चला गया था। उपकी स्वगीया पतपर की स्मनृ तयााँ इस घर के चप्पे-चप्पे में बसर थरं
ख्जपसे वे ुक्सर एक ुनपवाचपरय संवाद कर लेते थे।

जब रतप इंजरनपयर बप गया और जतप डॉक् र तअ आरतर के ंरतर ुपेक्षाओं की एक से एक ऊाँचे


मरपारें और गमंबज खड़े िअपे लगे। वि खब
ू इतरातर और सफलता का सारा श्रेय ुपपे माततृ व और
ुपपर परवररल कअ प दे कर ुपपे इस घर कअ दे तर। ुब सअचते िैं रे वत बाबू तअ उन्िें लगता िै कक
ुच्छा िमआ वि झ के से ककसर बरमारी के बिापे चल बसर, वरपा घर कअ बबकते िमए दे खपा उसके
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शिलए मापअ कयामत दे खपे के बराबर िअता। ुमेररका में चार साल रिकर लौ ते िमए रतप पे एक
पवदे लर लड़की कअ ुपपे साथ कर शिलया और जतप पे पगर के िी मेडडकल कॉलेज में पढाते िमए एक
सिकमी डॉक् रपर कअ पसंद कर शिलया। उपके खापदाप में यि पिली बार िमआ कक घर में बिमओं के
लापे में बाप एक मूक दलाक बपा हदया गया।

रतप पे किा था, "बाउजर, ुब िम लअग इस जपता पगर में पिीं रि सकते। यिााँ जरपे की कअई
क्वाशिल ी पिीं िै । आसपास के लअग गंदे िैं, ुसभ्य िैं, जाहिल िैं, ुशिलक्षक्षत िैं, झगड़ते रिते िैं, सफ़ाई
पर ध्याप पिीं दे ते। िमारा पड़असर पाई, िअबर, बढई, लमिार, फलवाला, दि
ू वाला िअ, यि ुच्छा पिीं
लगता।"

रे वत बाबू रतप का माँि


म दे खते रि गए थे, जैसे उसकी घण
ृ ा पड़अशिसयक के प्रनत पिीं ुपपे बाप के प्रनत
उंर आई िअ। वे ंर तअ इन्िीं की श्रेणर के आदमर रिे । कारखापे में एक मामूली मजदरू । ममतय लिर
से तरस ककलअमर र दरू इस पयर बस रिी बस्तर में जब उन्िकपे जमरप लेपर चािी थर तअ इन्िीं
फलवाला और दि
ू वाला पे उपके शिलए दौड़-िप
ू की। दि
ू वाला जगरपाथ उपके गााँव का था ख्जसपे उन्िें
यिााँ बसापे में ुपपर परू ी सामर्थया लगा दी थर। यि ोीक था कक यिााँ बिमत सफ़ाई पिीं थर। यअजपाबि
रूप से पापर का नपकास पिीं था, लअग रास्ते पर पापर चगरापे, चापाकल से पापर लेपे, बबजली खंंे पर
तार के इिर से उिर कर दे पे आहद छअ ी-छअ ी बातक कअ लेकर झगड़ जाया करते थे। लेककप वे हदल
से सच्चे और स्वच्छ थे और ुगले िी हदप आपस में कफर बनतयाते पजर आ जाते थे। ककसर ंर
दख
म -बरमारी या आफ़त-मस
म रबत में दौड़े चले आते थे।

रतप की िामर ंरते िमए जतप पे जअड़ा था, "यिााँ से बच्चक की बेितर पढाई पिीं िअ सकतर। सारे
लरषास्थ स्कूल ममतय लिर में ख्स्थत िैं। यिााँ कअई ुच्छा यू र ंर उपलब्ि पिीं िअ सकता। बच्चे
कल डांस या म्यूख्जक क्लास या कफर स्पअ ा कअचचंग ज्वाइप करपा चािें गे, मगर यिााँ से उपका कमछ
पिीं िअ सकेगा।"

रे वत बाबू कअ लगा कक उपसे यि संवाद इसर घर में पला-बढा उपका बे ा पिीं कअई गैर आदमर कर
रिा िै ख्जसके माँि
म में जन्म से िी सअपे का चम्मच लगा िमआ िै । उन्िकपे जरा दबे स्वर में पूछा, "बे े ,
तमम दअपक पे इसर घर में रिकर ुपपर पढाई पूरी की और इसर घर में रिकर खब ू कबड्डर खेली और
पतंग उड़ाए, क्या पढपे में या ताकत में ककसर से परछे रि गए?"

ुपपे पपता कअ यक नपिारा जतप पे जैसे उपके ु्पज्ञाप का िास्य कर रिा िअ, "बाउजर, आप पिीं
समझेंगे कक यिााँ रिकर िमपे क्या-क्या चरजें शिमस की। िमपे कक्रके खेलपा पिीं सरखा, पा क करपा
पिीं सरखा, ख्क्वज या एलअक्यल
ू प आहद में ंाग पिीं शिलया, म्यख्ू जक क्लास या ुच्छा यल
ू प ज्वाइप
पिीं कर सका, ुच्छी मव
ू र पिीं दे खर, ुच्छी सअसाइ ी के तौर-तरीके पिीं सरखे।" रे वत बाबू उसे म कमर-
म कमर ताकते िमए नपरुततर से िअ गए। ऐसा प्रतरत िअ रिा था जैसे कअई नपवास्त्र करके उन्िें उपकी
पग्पता का बअि करा रिा िै ।

77
"इस बस्तर में वा र लाइप तक की व्यवस्था पिीं िै । कमआाँ का प्रदपू षत पापर परपा पड़ता िै । लमि पापर
के बबपा जिााँ कई बरमाररयक का डर बपा रिता िै विीं बच्चक के मापशिसक और लारीररक पवकास पर
ंर ुसर पड़ता िै ।" रतप पे जैसे दरू की कौड़र खअज नपकाली।

रे वत बाबू पे किा, "गााँव में िमारे पव


ू ज
ा परढी दर परढी कमएाँ का िी पापर परते रिे और आज ंर पर रिे
िैं। इससे ऐसा पिीं कक वंल आगे पिीं बढा। इस मकाप में रिते िमए आज सतताईस वषों से िम ंर
कमएाँ के पापर पर िी आचश्रत रिे , क्या तमम लअगक के हदमाग और स्वास्र्थय पर कअई फ़का पड़ा? बे े ,
कमआाँ तअ कमदरत का खजापा िै । जाड़े में इसका पापर गरम िअता िै और गमी में ों डा।"

"बाउजर, आपकअ मालूम पिीं िै , पापर का शिसफ़ा साफ़ हदखपा िी उसे परपे यअग्य पिीं बपा दे ता। उसमें
घमला िमआ जरवाणम और पवषाक्त पदाथा हदखाई पिीं पड़ता। वि कफ् र प्लां में लमि िअता िै । विााँ
पापर इस तरि ट्री में करके कफ् र ककया जाता िै कक उसमें पअषक खनपज ततव पष् प िक। डॉक् र
िूाँ मैं, ुब तअ आप मेरी बात माप शिलया कीख्जए।"

इस ब्रह्मास्त्र के बाद रे वत बाबू कअ तअ नप:लस्त्र िअ िी जापा था। रतप पे उपमें मअि के बचे-खच
म े
मलबे कअ पूरी तरि बिा दे पे के ख़याल से ुपपा एक और ता़ितवर प्रेलर पंप नपकाल शिलया, "बाउजर,
इस घर कअ बेच दे पे से एक तअ इस इलाके से िमें ममख्क्त शिमल जाएगर, दस
ू रा- बैंक से गि
ृ नपमााण
ऋण लेकर फ्लै ख़रीद लेपे से आयकर में ंारी छू लेपे के ंर िम िकदार िअ जाएाँगे।"

रे वत बाबू कअ व्यवस्था का यि प्राविाप बड़ा पवचचत्र लगा कक ख्जसे कजा लेपे की कअई जरूरत पिीं िै ,
उसके शिलए ंर कजा लेपे का एक आकषाण तय कर हदया गया िै ।

उपके ंरतर जैसे एक ंूचाल समा गया। तअ क्या सचममच इस घर कअ बेच दे पा पड़ेगा? उपका ध्याप
उप गाय और बकरी की तरफ़ चला गया, ख्जन्िें उन्िकपे एक ुसे से पाल रखर थरं और ख्जपकी
दे खरे ख व सेवा- िल उपकी हदपचयाा व व्यस्तता का एक प्रममख ुंग बप गई थर। इपके बबपा कैसे
गमजरे गा उपका वक्त? गाय उन्िकपे उस वक्त लाई थर जब रतप-जतप कॉलेज पिमाँच गए थे और उन्िें
पयााप्त दिू की जरूरत थर। दअपक कअ िी दि
ू बिमत पसंद था, ख्जतपा ंर दअ उपका मप पिीं ंरता
था। तब आरतर पे िी सझ
म ाया था, "दि
ू िी तअ िै जअ इप पढपेवाले बच्चक कअ ंरपूर ताकत दे ता िै ।
इन्िें ख़रीदकर ककतपा दि
ू पपलाइएगा, एक गाय ले लीख्जए।"

रे वत बाबू गााँव चले गए दीदी के पास। दीदी पे उन्िें ुपपर एक गाय दे दी। यि गाय इतपर
समलख्च्छपर और समपात्र नपकली कक घर में दि
ू की तअ मापअ नपझारणर फू पड़र। िप-िान्य, स्वास्र्थय
और पढाई-शिलखाई में बरकत िी बरकत िअतर चली गई। आरतर पे इसका पाम रामवतर रख हदया और
इसे घर की लक्ष्मर मापपे लगर।

घर में एक बढ
ू ी बकरी ंर थर ख्जसके ख़रीदे जापे का प्रसंग ंर जतप से िी जड़ा
म ़ था। मेडडकल प्रवेल
परीक्षा की जअरदार तैयारी के दरम्याप वि रात-रात ंर जागरण कर शिलया करता था। इस कड़े
ुभ्यास से उसे ुपच और खट्टे डकार की शिलकायत रिपे लगर थर। एक वैद्य पे उन्िें समझाया कक इसे

78
लाम कअ एक बार बकरी का दि
ू हदया कीख्जए, पाचप कक्रया ुपपे आप दरु
म स्त िअ जाएगर। उन्िकपे एक
बड़र पस्ल की बकरी ख़रीद ली ख्जसका दि ू जतप के शिलए सचममच ुमतृ साबबत िमआ। जब जतप पे
प्रवेल परीक्षा पास कर ली तअ मापअ वे बकरी के ऋणर िअ गए। लगा कक उसे बेच दे पा एक ुपराि
िअगा। बकरी घर में िी रि गई। आरतर पे उसका पाम सामली रख हदया था।

रामवतर और सामली ुब बच्चे दे पे की उम्र में पिीं थरं। ुत: उपका ख़रीददार शिसफ़ा कसाई िी िअ
सकता था। रे वत बाबू इस क्रूरता कअ ुंजाम कैसे दे सकते थे। बे क से जब ुपपर यि दपम विा व्यक्त
की तअ उपके चेिरे पर एक उपिास उड़ापे का ंाव उंर आया। रतप पे किा, "बाउजर, इस तरि की
कअरी ंावमकता से दनम पयादारी पिीं चलतर। आदमर के शिलए जापवर एक कअमअडड ी िै , उसका काम
ख़तम, उससे लगाव ख़तम। करअड़क ऐसे िैं जअ मााँस खाते िैं और मााँस व चमड़े का िंिा करते िैं। पलम-
पालप वैसा िी िै जैसे ममगी-पालप, मिम
म क्खर-पालप, रे लमकी -पालप और मतस्य-पालप िअता िै ।
जापवरक से ऐसा मअि कक वि पैर की बेड़र बप जाए, सरासर एक बचकापापप िै ।"

रे वत बाबू व्यापाररयक और मप
म ाफ़ाखअरक वाली इस ंाषा से जरा-सा ंर सिमत पिीं िमए। उन्िें लगा कक
ंला करपे के एवज में ंाला ंककपे की किावत ये लड़के चररताथा कर रिे िैं। वे यि तअ समझ गए
थे कक घर का बबकपा ुब तय िै , लेककप वे इस फ़ैसले पर ंर आरूढ थे कक रामवतर और सामली कअ
ककसर िाल में पिीं बेचपा िै । वे ुपपर चचंता शिलए िमए जगरपाथ के पास चले गए। पास िी में था
जगरपाथ का ख ाल। आो ंैंसे थरं उसके पास, ख्जपसे उसकी दाल-रअ ी चलतर थर। वि उपका
सजातरय पिीं था तब ंर वे एक-दस
ू रे के लं
म चचंतक थे और ककसर की कअई गतम थर उलझ जातर थर, तअ
वे शिमलकर समलझापे की कअशिलल करते थे। जगरपाथ कम पढा-शिलखा िअकर ंर दनम पयादारी का ुच्छा
तैराक था।

उसपे समझाया रे वत बाबू कअ, "ंैया, बच्चक कअ पाराज करपा ोीक पिीं िै । इपकी खल
म र में िी ुब
आपकी खल
म र िै । जब उन्िें पसंद पिीं तअ आज प कल वे घर बेच िी दें गे। आप ंाग्यलाली िैं कक
आपके दअपक बे क पे ऊाँचे ममकाम िाशिसल कर शिलए। आप रामवतर और सामली की कफ़क्र मत कीख्जए।
उन्िें मेरे पास छअड़ दीख्जए। जिााँ आो ढअरक की दे खंाल करता िूाँ, विााँ दअ और सिी।"

रे वत बाबू पे उसकी िथेशिलयक कअ ुपपर िथेशिलयक के घेरे में ंर शिलया और पवह्वल िअ उोे , "तममपे मेरी
बिमत बड़र समस्या िल कर दी जगरपाथ। मैं तमम्िारा यि एिसाप कंर पिीं ंूलाँ गू ा ंाई।"
"रे वत ंैया, आपमें िमददी की इतपर गिरी झरल बसतर िै , मैं तअ रीझ गया िूाँ आप पर।"
"रामवतर और सामली पर जअ ंर खचा आएगा मैं तमम्िें दे हदया करूाँगा।"
"आपकी जैसर मजी ंैया।"

फ्लै में आ गए रे वत बाब।ू कैंपस के गे पर मअ े -मअ े िरूफ़ में शिलखा था, 'वसंि
म रा गाडेप', ए ड्ररम
प्लेस ऑफ दी शिस ी। लगंग डेढ िजार वगाफम का काफ़ी मिाँ गा, आलीलाप और ुतयािनम पक फ्लै
था वि। बब्डर पे कैंपस का लापदार श्रग
ं ृ ार और सजाव कर रखर थर। विााँ दस-दस त्ले के बरस-
बरस फ्लै वाले कमल बरस ब्लॉक थे। रे वत बाबू कअ लगता िी पिीं था कक यिााँ कअई उपके रूप, रं ग

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और रचाव से मेल खाता आदमर िै । वे ंौंचक थे कक इस एक दनम पया में ककतपर ुलग-ुलग दनम पया
समाई िै । बाथरूम, ायले , फ़ला, दीवारें , रसअई, खखड़ककयााँ, पदे , बालकपर सबमें ुशिंजातय का ुदंमत
परचम लिरा रिा था। उन्िें बब्कमल पये शिसरे से इपमें रिपे का तरीका सरखपा पड़ रिा था। ुपपे
जपता पगर में वे मपमजी िल आते थे, घूम आते थे, ककसर के ंर घर चले जाया करते थे। ुब
यिााँ ऐसा संंव पिीं था। यिााँ लगता िी पिीं था कक ककसर से वे घमल-शिमल सकेंगे। िर आदमर उन्िें
समपृ ि व बड़प्पप का एक ुजरबअगरीब चकगा ओढे िमए ऐसा हदख रिा था जैसे ककसर से वि बअल-
बनतया लेगा तअ उसकी इज़्जत शिमट्टर में शिमल जाएगर।

एक हदप उन्िकपे ुख़बार में पढा कक उपके बाजू के फ्लै की एक लड़की सामपेवाले ब्लॉक के एक
लड़के के साथ ंाग गई। उप दअपक के बेडरूम की खखड़की और बालकपर आमपे-सामपे थरं। ऐसे फ्लै क
में ंर प्यार करपे की गमंजाइलें बालकपर और खखड़की के रास्ते नपकाली जा सकतर िैं , यि पढकर जिााँ
उन्िें ुच्छा लगा, विीं बमरा ंर लगा कक पड़अस की ख़बर उन्िें ुख़बार से शिमल रिी िै । सरढी में
उन्परस और लअग रिते थे, इपकी उन्िें कअई जापकारी पिीं थर। एक बार रतप से उन्िकपे पूछा तअ
बिमत याद करके वि दअ-तरप पाम िी बता सका।

थअड़े िी हदप बाद इसर वसंि


म रा गाडेप की एक और ख़बर पढपे कअ शिमली। किीं बािर गए िमए पररवार
के ताला लगे फ्लै कअ कमछ चअरक पे हदप में िी खअल शिलया और उसका परू ा सामाप सामपे ट्रक
लगाकर लअड कर शिलया। दे खपेवालक पे यिी समझा कक फ्लै वाला यिााँ से किीं शिलफ् कर रिा िै । रे वत
बाबू पे सअचा कक जब लअग एक-दस
ू रे से इस तरि बेख़बर, आतमशिलप्त और ुसामाख्जक िअकर रिें गे
तअ ऐसर वारदात तअ िअगर िी। जपता पगर में तअ ककसर का ंर पाम पूछकर उसका घर ढूाँढा जा
सकता था और घर पूछकर उसमें रिपेवाले का पाम जापा जा सकता था।

एक हदप एक और ख़बर उन्िकपे पढी कक एक फ्लै में छापा मारकर पमशिलस पे दे ि-व्यापार के एक पूरे
रै के कअ पकड़ शिलया। रे वत बाबू कअ लगा कक ककसर हदप ककसर फ्लै में बम-बारूद बााँिा जा रिा िअगा
और पता तब चलेगा जब ककसर चक
ू के कारण पूरा फ्लै पवस्फअ में उड़ जाएगा।

लमरू-लमरू में तअ उन्िें ऐसा जाप पड़ा जैसे वे ककसर डडब्बे में बंद कर हदए गए िैं। उकता जाते तअ वे
बार-बार परचे उतरकर कैंपस के पाका, ख्जम या माके की तरफ़ चक्कर लगा आते। एक हदप उन्िें
मिसूस िमआ कक उपके बार-बार आपे-जापे पर शिलफ् में कमछ लअग उन्िें गमस्से से घूरपे लगे िैं। उन्िकपे
एक आदमर से पूछ शिलया, "क्यक ंाई, मेरे आपे-जापे से आपकअ कअई तकलीफ़ िै ?"
उसपे किा, "काम से जापे-आपे वाले उप आदशिमयक कअ तकलीफ़ तअ िअगर िी, ख्जन्िें आपके चलते
शिलफ् के शिलए वे करपा पड़ता िै ।"

एक हदप रतप पे ंर अक हदया, "बाउजर, आपके इस तरि बेमतलब आते-जाते रिपे और परचे
लावाररस चक्कर लगापे से िमारी प्रेख्स् ज पर आाँच आतर िै ।"

उजबक की तरि माँि


म दे खते रि गए रे वत बाबू। इस बमढापे में क्या-क्या सबक सरखपर िअगर उन्िें ?
पिले तअ यिााँ आते िी उन्िें बताया गया कक घर में लमंगर-गंजर पिपपा छअड़कर पाजामा-कमरता पिपा
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करें । ख्जंदगर ंर वे घर में लमंगर-गंजर िी पिपते रिे । गमी के हदपक में तअ वे उघारे बदप पड़अस के
ककसर घर में ंर जापा िअ तअ चले जाते थे। ुब िरदम पाजामा-कमताा पिपे रिपे से उन्िें ऐसा लगता
था जैसे वे ुपपे घर में पिीं, बख््क ककसर ररश्तेदार के यिााँ पािमप बपकर बैोे िक। ुब किते िैं उपके
घूमपे से प्रेख्स् ज ख़राब िअ जातर िै । आखख़र वे क्या करें पूरा हदप?

विााँ बाड़र में उन्िकपे कई तरि के गाछ लगा रखे थे। केला, ुमरूद, आम, क िल, सिजप, बेर,
पपरता, लरीफा, बेल, ुपार आहद के। इप सबके फल सिज िी उपलब्ि िअ जाया करते थे। कमछ
सख्ब्जयााँ ंर उगा लेते थे। उन्िें फूलते, फलते और बढते दे खपा एक समखद ुपमंूनत दे जाता था। यिााँ
िररयाली कअ पवलाशिसता का फमदपा बपाकर दअ-तरप दजाप गमले रख शिलए गए थे, ख्जपमें बौपे और
बााँझ पौिे तरप-तरप, चार-चार ककलअ शिमट्टर में खस म े िमए हदखते थे। इन्िें दे खकर रे वत बाबू कअ लगता
था जैसे ये पौिे जमरप से उखड़कर ुपपे दं म ााग्य का पवलाप कर रिे िैं, उप मछशिलयक की तरि जअ
सममद्र से लाकर बअतल में डाल दी जातर िैं।

ुपपे घर में वे ुक्सर ऐसर िी चरजें रखते आए थे जअ ककसर प ककसर काम आए। यिााँ वे दे ख रिे थे
कक शिसफ़ा लअंा, हदखावा और लाप बढापे के शिलए ुजरब-ुजरब लक्ल-सरू त की मिाँगर-मिाँ गर वस्तए
म ाँ
किीं फ़ला पर, किीं दीवार पर, किीं दराज पर ह का दी गईं िैं ख्जपका कअई मापर-मकसद उन्िें
आजतक समझ में पिीं आया। किते थे ये पें ह ग्ं स िैं , ये स्क्पचर िैं , ये एं ीक परस िैं , ये झाड़-
फापस
ू िैं, ये कालीप िैं। रतप का तरप साल का बे ा और जतप की ढाई साल की बे ी ककसर पसारी
स्कूल में ंेजर जापे लगर थरं।

समबि बच्चे जापा पिीं चािते, रअते, कलपते और कई तरि के पखरे करते। रे वत बाबू का मप दया से
ंर जाता, ंला यि ंर कअई उम्र िै पढपे की! ये बच्चे िी घर में िअते थे ख्जपके साथ उपका मप
लगा रिता था, वरपा दस बजते-बजते घर से बे े -बिमएाँ संर नपकल जातरं। उन्िें यि ुजरब लगता कक
इस तरि पैसा कमापे का क्या मतलब िै कक कअई एक गि
ृ स्थर साँंालपेवाला तक प रि जाए? इस
काम के शिलए एक मेड रख ली गई थर, जअ बताप-वासप और झाडू-पकछा करते िमए उपके शिलए खापा ंर
बपा हदया करतर। एक-डेढ बजे बच्चे घर आ जाते तअ रे वत बाबू उन्िें खखला-पपलाकर िअम वका करापे
में शिंड़ जाते।

जतप पे एक हदप यि काम करपे से ंर उन्िें मपा कर हदया, "बाउजर! आप क्यक बेकार इपके साथ
मगजमारी करते िैं? इन्िें हिंदी में पिीं पढपा िै , ये ुंग्रेजर माध्यम के बच्चे िैं। लाम में एक यू र
आ जाया करे गा। िम चािते िैं कक ुंग्रेजर इपकी घमट्टर में लाशिमल िअ जाए। ये बच्चे िाँ स,े गायें, रअएाँ,
सअचें , शिलखें , पढें , बअलें , खेलें सब ुंग्रेजर में । कल जब ये बच्चे बड़े िकगे तअ इपके आजू-बाजू का पूरा
वायममंडल इतपा ग्लअबलाइज िअ चक
म ा िअगा कक ुंग्रेजर प जापपेवाले कअ झाडू मारपे की पौकरी ंर
पिीं शिमल सकेगर। ुंग्रेजर िमारा बेस पिीं रिी, ख्जसके चलते िम बिमत सफरर रिे । िमारे बच्चक के
साथ ऐसा प िअ, इसशिलए िम चािते िैं कक घर में सारी बातचरत ुंग्रेजर में िी िअ। इसमें िमें आपका
सियअग चाहिए।"

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ररले रे स की तरि वक्तव्य का ुगला हिस्सा रतप पे साँंाल शिलया था, "िअमवका करापेवाला जअ यू र
आएगा, वि कमछ समय रुककर आपकअ इंख्ग्लल स्परककंग का ुभ्यास कर हदया करे गा। आप इसका
ुन्यथा प लें बाउजर। ुंग्रेजर पिीं बअलपेवालक की इस संभ्रांत और शिलक्षक्षत समाज में क्या कद्र िै ,
आप दे ख िी रिे िैं।"

उपके मप में आया - तअ क्या आज तक उपका परू ा खापदाप या कफर दे ल की 90 प्रनतलत आबादी
ुंग्रेजर के बबपा जाहिल िी बपकर रितर आई? उपकी कअई कद्र पिीं रिी? क्या पवडंबपा िै कक इस
बूढे समग्गे कअ ुब ुंग्रेजर सरखपर िअगर! फ्लै में आए एक माि िअपेवाला था। रे वत बाबू कअ रामवतर
और सामली की याद ुक्सर आ जातर। ख़ासकर जब समबि िी समबि डेयरीवाले दि
ू दे पे आ जाते।
डेयरी का दि
ू उपसे एक हदप ंर पपया प गया। ख्जंदगर ंर उन्िकपे ुपपे सामपे दिम े िमए ताजा दि

का सेवप ककया। पपछले हदपक ुख़बारक में उन्िकपे पढा था कक यूररया और डड रजें से दिू बपाकर
लअग पैके में ंर दे ते िैं। जतप पे उन्िें समझापे की कअशिलल की थर, "बाउजर, डेयरी का दि
ू ज़्यादा
फायदे मंद िै । इसे पास्चराइज करके बैक् ीररया फ्री कर हदया जाता िै और इसमें सारे पअषक ततवक की
संतमशिलत मात्रा नपयंबत्रत रखर जातर िै । आप यि दि
ू पपया कीख्जए। बमरे और लानतर लअग गड़बड़र
फैलाते िैं, इसका मतलब यि पिीं कक सब कमछ दपू षत और जिरीला बप गया।"

सरें डर कर जापे की ुब उपकी आदत बपतर जा रिी थर। उपकी पसंद-पापसंद की ुब यिााँ कअई
कीमत पिीं थर। ख्जस चरज से उन्िें सख़्त चचढ थर, उसकी ंर ुब कअई रततर ंर परवाि पिीं की जा
रिी थर। घर में एक ु्लेशिसयप कमतता ले आया गया। उन्िकपे कई हदपक तक मौप रिकर ुपपर
पाराजगर प्रक की, मगर कअई फ़ायदा पिीं।

कमतता पूरे घर में घूमपे और िर चरज साँघ


ू पे के शिलए आजाद था। वि एक ऐसा केंद्र बप गया जअ घर
के संर सदस्यक का ध्याप आकपषात करपे लगा। उसका पाम रखा गया फंडू। कअई उसे पमचकार रिा िै ,
कअई उसे सिला रिा िै , कअई उसे खखलापा चाि रिा िै । उसके शिलए रअजापा दि
ू और बकरे के गअश्त
माँगापे का एक पवलेष इंतजाम ककया गया। उसे लैंपू से पिलाया जाता और समबि-लाम मैदाप ले जाकर
घममाया जाता। एक कमतते कअ इतपा सर चढापा, उस पर इतपा खचा करपा, रे वत बाबू के शिलए ुतयंत
तकलीफ़दे ि था। उसका ुकस्मात आकर पैर चा पे लगपा, गअद में चढकर पाक-माँि
म साँघ
ू पे लगपा,
बबस्तर पर चढकर आसप जमा दे पा, उप पर एकदम पागवार गज
म र जाता। वे उसे डााँ कर दरम दरम ा दे ते,
कमतता गरम ाा उोता। घरवाले, ख़ासकर उपकी बिमएाँ और पअता-पअतर दरम दरम ापे और गरम ाापे के ृशश्य का
पवलेष आपंद उोापे लगे, यक जैसे वे कअई पवदषू क िक।

रे वत बाबू पे यिााँ आदत बपा ली थर समबि िी समबि मानपांग वॉक करपे की। वे जापते थे कक आराम
उम्र कअ घमप की तरि खअखला कर दे ता िै । यिााँ मानपांग वॉक के शिसवा दस
ू रा कअई उपाय प था।
घरवाले बे े -बिमओं कअ दे र तक सअपे की आदत थर। फंडू के आ जापे से उपमें से ककसर एक कअ उोपा
पड़ता था। लमरू-लमरू में तअ जअल में उोे , कफर वे ुलसापे लगे। फंडू िि
माँ छाँ ते िी बािर जापे कअ
मचलपे लगता और दरवाजे पर जाकर पंजे मारपे लगता।

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रतप पे एक हदप कि हदया, "बाउजर, आप तअ रअज िलपे जाते िी िैं, कल से जरा फंडू कअ ंर लेते
जाइए।"

शिमजाज बरम ी तरि कमढ़ गया रे वत बाबू का, लेककप वे कर ंर क्या सकते थे? कमततक के प्रनत लाख घण
ृ ा
और गस्म से के बावजद
ू उन्िें रतप की बात मापपर पड़र। वे रअज दे खते थे कक परचे कई लअग कमततक कअ
लेकर नघस ते िमए पाका की तरफ़ बढे जा रिे िैं। ऐसे लअगक पर उन्िें कअफ्त िअतर थर। ुब वे खद म ंर
उसर श्रेणर में लाशिमल िअपे जा रिे थे। एक कमततावाला तअ उन्िें रअज पाका में शिमल जाया करता था
ख्जसे दे खते िी उपका पारा चढ जाता। उसका कमतता उपके बगल से गमजरते िी पता पिीं क्यक जअर-जअर
से ंौंकपे लग जाता। सैकड़क लअग िअते पाका में , मगर शिसफ़ा उन्िें िी दे खकर उसके ंौंकपे का ख्स्वच
ऑप िअ जाता। उसका माशिलक कमतते कअ डााँ कर चप
म करापे का स्वांग करपे लगता, लेककप उसके िअोक
पर एक दबर-दबर ममस्काप ंर उंर आतर।

रे वत बाबू दे ख रिे थे कक ुब इस ृशश्य का मजा लेपेवालक में कई और लअग लाशिमल िअ गए िैं। वे उसे
सपम ाते िमए बड़बड़ा उोते, "पता पिीं लअग कमतते क्यक पालते िैं? और ुगर पालते ंर िैं तअ ऐसे पागल
कमतते रखकर दस ू रक कअ तंग करपे में क्या मजा शिमलता िै ?"

जब रे वत बाबू पिला हदप फंडू कअ लेकर पाका पिमाँचे तअ जैसे वे एक तमाला बप गए। संर लअग घूर-
घूर कर दे खपे लगे कक कमततक से चचढपेवाला आदमर आज खद
म ंर कमतता लेकर आ गया। ंौंकपेवाले
कमतते के माशिलक की आाँखें तअ ताज्जमब से फ ी की फ ी रि गईं। रअज की तरि उसका कमतता कफर
ंौंकपे लगा, मगर आज उसे चप
म करापे की उसपे कअई चेष् ा पिीं की। रे वत चाि रिे थे कक जवाब में
फंडू ंर उससे ज़्यादा तेज ंौंके, मगर वि ुपपर पाँछ
ू स काकर उपके पैरक के पास दब
म क गया। सबका
खब
ू मपअरं जप िमआ वि ृशश्य दे खकर। सबपे यिी समझा कक जवाब दे पे के शिलए ख़ास तौर पर लाया
गया कमतता पकारा साबबत िअ गया। उपका तअ मप िअ रिा था कक साले फंडू के बच्चे कअ विीं किीं
चारदीवारी के बािर िांक दें । मप मसअसकर घर लौ े । घर में ककसर से इसका ख्जक्र ंर पिीं कर सकते
थे। पािक एक और प्रिसप का सज
ृ प िअ जाता।

एक रअज रात कअ उपके शिलए जगरपाथ का फ़अप आ गया। वे खल


म िअ उोे , "िााँ बअलअ, जगरपाथ।"
"ंैया, आज लाम कअ मैं आपके यिााँ गया था लेककप गे के दरबाप पे ममझे ुंदर जापे पिीं हदया।"
वे समझ गए कक इं रकॉम पर गे के शिसक्यमरर ी पे घरवालक से पूछा िअगा तअ इिर से कि हदया गया
िअगा कक बाउजर घर में पिीं िैं, मत ंेजअ। कैसर दनम पया िै यि? जपता पगर में ुपपे ओसारे पर
गााँववाले दालाप की तरि उन्िकपे चौकी बबछा रखर थर, ख्जपका मप करे आएाँ, बैोें, बनतयाएाँ, सअ जाएाँ।
यिााँ आपेवाले से पिले फ़ायदा और पमकसाप का हिसाब लगाया जाता िै , कफर उसे 'ंेज दअ' या 'लौ ा
दअ' का आदे ल नपगात ककया जाता िै ।

जगरपाथ पे आगे किा, "आपकी दीदी की चचट्ठर आई िै , मैंपे दरबाप कअ दे दी िै ।"

रे वत बाबू पे उसे िन्यवाद दे ते िमए रामवतर और सामली के बारे में पूछ शिलया। जगरपाथ पे किा कक
दअपक ोीक िैं।
83
वे झ जाकर दरबाप से चचट्ठर ले आए। दीदी पे शिलखा था, 'मैं आ रिी िूाँ, एक मिीपा तमम्िारे पास
रिूाँगर।' रे वत खल
म िअ गए। उन्िकपे ुगले िी हदप फ्लै का पता शिलखकर जवाब ंेज हदया और किा
कक वि जब मजी आ जाए। वे और दीदी सिअदर ंाई बिप थे। दीदी उपसे सात साल बड़र थर और
बचपप में िी मााँ के नपिप िअ जापे पर घर उसपे िी साँंाला था। ुपपे इकलौते ंाई पर वि िमेला
जाप नछड़कतर रिी थर। जपता पगर के घर में वि िर आड़े वक्त में आतर रिी। रतप और जतप के
जन्म के समय आरतर के प्रसव कअ दीदी पे िी आकर साँंाला था। गााँव में कमछ ंर पयर फसल
क तर, दीदी उसकी सौगात ककसर के जररए जरूर पोा दे तर या कफर खद
म िी लेकर आ जातर। फ्लै की
इस ुजपबर दनम पया में दीदी एक मिीपे साथ रिे गर, यि समाचार उपके एकाकी मप कअ बिमत समकूप
दे गया।

वे दीदी के आपे की उतसमकता से प्रतरक्षा करपे लगे।

एक लाम जब वे पाका में यक िी एक-दअ घं े बबताकर घर लौ े तअ जतप पे बताया, "गााँव से फमआ आई


िमई िै ख्जसे मैंपे पास िी के एक ुच्छे िअ ल कंचप में ोिरा हदया िै ।"

एक पल के शिलए तअ जैसे काो िअ गए रे वत बाबू। उन्िकपे आाँखे तरे रकर पूछा, "िअ ल में ोिरा हदया,
मगर क्यक? वि मेरे साथ रिपे आई िै ।"

बड़े लांत और संयत िअकर किा जतप पे, "बाउजर, इसमें बरम ा मापपे की कअई बात पिीं िै । आप दे ख
िी रिे िैं कक फ्लैमें जगि बिमत सरशिमत िै। ुमेररका से कल ंैया का साला आपेवाला िै , वि एक
ुप्रवासर ंारतरय िै और इंडडया में पिली बार आ रिा िै नपवेल की संंावपा तलाल करपे। ंैया ख्जस
कारखापे में इंजरनपयर िैं, उसमें ुगर नपवेल का समझौता िअ गया तअ ंैया के स्र्तबे में चार चााँद लग
जाएगा। इसशिलए िमें पिले उसका ख़याल रखपा जरूरी िै ।"

रे वत बाबू का दख
म ककसर गमब्बारे की तरि फ पड़ा, "इस घर में कमतता रि सकता िै लेककप मेरी बिप
पिीं रि सकतर। ुरे जगि की कमर थर तअ किा िअता ममझ,े मैं बालकपर में या किीं ंर फ़ला पर सअ
जाता।"

"फमआ का जअ िमशिलया िै , उसे ुगर िम घर में एडजस् कर ंर दे ते तअ उसका प्रंाव ुच्छा पिीं
िअता, बाउजर।"

"ोीक किा तम
म पे, ुमेररका से खद
म ा बपकर जअ डॉलर का नपवेल करपे आ रिा िै उसका इम्प्रेलप, गााँव
की एक ुपपढ-गरीब औरत कअ तम्
म िारे फमआ के रूप में दे खकर, ुच्छा कैसे रि पाता! दे ख लअ, किीं
बाप के रूप में मझ
म े दे खकर ंर उपके नपवेल का मड
म तअ ख़राब पिीं िअ जाएगा?"

लमरू-लमरू में जब रे वत फ्लै में आए थे तअ ुक्सर उपका ध्याप ऊपर से परचे चगरपे पर चला जाता
था। आज उन्िें लगा कक वे सचममच ुोत्ले से ढकेल हदए गए।

वे ंागते िमए िअ ल पिमाँच,े मगर विााँ दीदी पदारद थर। पता चला आिे घं े में िी वि िअ ल छअड़कर
चली गई। का अ तअ खप ू पिीं, किााँ गई िअगर दीदी? उपके शिसवा और कअई ंर तअ पिीं िै पररचचत।
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जाड़े की रात में फम पाथ पर ंर पिीं सअया जा सकता। आज वापसर के शिलए ंर कअई सािप पिीं।
ुचापक उपके माथे में जगरपाथ का पाम कौंि गया। एक ऑ अ शिलया और वे पिमाँच गए जगरपाथ के
घर। विााँ उन्िकपे दे खा कक एक छअ े से ुलाव के सामपे दीदी कअ बबोाकर जगरपाथ और उसकी
घरवाली मपमिारपूवक
ा खापा खखला रिे िैं। हृदय ंर आया रे वत बाबू का। एक गााँव के िअपे के ुलावा
उपका कअई पिीं लगता जगरपाथ, कफर ंर उपकी दीदी कअ ककतपा माप दे रिा िै । दीदी पे उन्िें दे खते
िी खापा छअड़कर ुपपर बािें फैला दी और उन्िें गले से लगा शिलया, "ममझे तअ लगा था कक ुब ुपपे
ंाई रे वत से मेरी ममला़िात पिीं िअ सकेगर। पये िाप का चड़
ू ा, फरिी और गन्पे का पया गमड़ लेकर
आई िूाँ। सअचा था इन्िें जगरपाथ के पास छअड़कर कल वापस चली जाऊाँगर।"

रे वत फू -फू कर रअ पड़े, "ममझे माफ़ कर दे पा दीदी, तमम्िारे साथ जअ सलूक िमआ, उसका गमपिगार िूाँ
मैं।"

दअपक ंाई-बिप बैोकर सख


म -दख
म बनतयापे लगे। कमछ िी दे र बाद उन्िें रामवतर और सामली का ख़याल
आ गया। उन्िकपे एक थाली में दीदी का लाया चड़
ू ा और गड़
म नपकाला, दअ-तरप फांक चड़
ू ा खद
म खाया
और बाकी लेकर बाजू में िी ख्स्थत गअिाल चले गए। रामवतर एक खाँू े में बाँिर थर और पास िी में
सामली ंर। उन्िें लगा कक एक डेढ-मिीपे में दअपक कमछ ज़्यादा िी बढ
ू ी िअ गईं। उन्िकपे पक
म ारा,
"रामवतर, सामली।" सामली 'में -में ' करके काप हिलापे लगर और रामवतर म कमर- म कमर उपका माँि
म दे खपे
लगर। उन्िें मिसस
ू िमआ जैसे इप आाँखक में ढे रअ चगले-शिलकवे ंर गए िैं। उन्िकपे तरप-चार मट्ठ
म र चड़
ू ा
सामली के आगे और थाली रामवतर के माँिम के पास रख दी। दअपक खापे से बेपरवाि उपके माँि म िी
दे खतर रिीं। रे वत पे रामवतर की लंबर ममखाकृनत कअ ुपपर गदा प से लगा शिलया और एक बार कफर
बबलख पड़े, "रामवतर, मैंपे तमम दअपक कअ बेघर कर दे पे का गमपाि ककया, दे खअ, आज मैं ंर ुोत्ले
से परचे चगर गया।"

टे ढ़ी उँ गल़ी और घी

बब् ू राम बअबकगा पर पूरे लिर की नपगािें ह क गई थरं।

एक दबा, कमचला, बदसरू त और जंगली आदमर दे ल का कणािार बपपे का तवाब दे ख रिा था। झारखंड
मख्म क्त संघ पामक एक ऐसर पा ी का लअकसंा ह क उसपे प्राप्त कर शिलया था ख्जसका तरप-तरप
राष्ट्रीय पाह ा यक, राष्ट्रीय जपता दल, कांग्रेस और सरपरआई से चप
म ावर तालमेल था। मतलब चार पाह ा यक
का वि संयक्
म त उम्मरदवार बप गया और इस आिार पर ऐसा मापा जापे लगा कक उसका जरतपा तय
िै । डॉ रे लमर मशिलक समपकर ोगर रि गई। बाप की जगि बे े -पअते, बरवर-बिू या ममजररमक-माकफ़याओं,
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कफ़्म-खेल के चक
म े िमए शिसतारक या िप पलमओं के एकाचिकार वाले प्रजातंत्र में एक ुदपा आदमर कअ
पा ी का ह क ! उसे स्कूल का वि मंजर याद आ गया।

बब् ू कक्षा में सबसे पपछली बेंच पर बैोा करता था। काला-कलू ा, पाक पकौड़े की तरि फमला िमआ
और बेढब। पढाई में सबसे कफसड्डर यापर मेरर शिलस् का आखख़री लड़का। कमछ सिपाोी उसे जंगली
किकर मजाक उड़ाते थे। पाम, लक्ल और ुक्ल दे खकर कअई पिीं कि सकता था कक यि लड़का कंर
ककसर काम के लायक बप पाएगा या इस लड़के से ककसर कअ प्यार िअ सकता िै या कफर यि लड़का
ककसर से प्यार करपे की जमरात कर सकता िै ।

लेककप उसपे प्यार ककया, जर-जाप से ककया और उस लड़की रे लमर मशिलक से ककया जअ कक्षा की
खब
ू सूरत और जिीप लड़ककयक में से एक मापर जातर थर।

उसपे कअई एकांत कअपा ढूाँढकर ुपपा प्रणय नपवेदप करते िमए किा था, "रे लमर, मैं बदसूरत िूाँ, पढपे
में बअका िूाँ, छअ ी जानत का िूाँ, गरीब िूाँ, एक ुच्छा पाम तक पिीं िै मेरा, इसका यि मतलब पिीं
कक ममझे प्यार करपे का िक पिीं िै । मैं तमम्िें प्यार करता िूाँ, ुब यि तमम्िारी मरजर कक तमम ममझसे
प्यार करअ या प करअ।"

रे लमर हिकारत से उसका िमशिलया दे खते िमए उसकी हिमाकत पर पिले तअ ुचंशिंत िमई, कफर उसे बमरी
तरि दरम दरम ाकर माँि
म मअड़ शिलया।

कक्षा में प्राय: संर जापते थे कक रे लमर की दअस्तर प्रेररत चौिरी से िै । प्रेररत कक्षा का ुव्वल छात्र
था, समंदर था और ुच्छे घर-खापदाप से ता्लमक रखता था। उसकी कक्रयाओं से रे लमर के प्रनत
साख्न्पध्य और स्पेि की तरं गें िमेला नपसत
ृ िअतर रितर थरं। रे लमर तब यिी समझतर थर कक कमशिसप
उम्र का यि ु्िड़ आकषाण स्कूल तक िी सरशिमत रि जाएगा। स्कूल के बाद कफर पता पिीं कौप
किााँ रिे गा ु़लग-ुलग गंतव्य ुपपर-ुपपर हदलाओं में बमला लें गे तअ कफर कौप ककसकअ याद रखेगा।
मगर ऐसा पिीं िमआ।

रे लमर डॉक् री पढपे चली गई कफर ंर उसका पता जमगाड़ करके बब् ू और प्रेररत उसे पत्र शिलखते रिे ।
उसपे बब् ू कअ तअ जवाब कंर पिीं हदया, िााँ प्रेररत कअ कंर-कंर शिलख हदया करतर। फ़अप पर ंर
कंर बात कर लेतर। प्रेररत इंजरनपयररंग करपे चला गया। बब् ू ककसर तरि दसवरं पास करपे के बाद,
पढाई-शिलखाई छअड़कर लिर में िी जम गया।

रे लमर छमहट् यक में जब लिर आतर तअ बब् ू पता पिीं ककस सत्र
ू से ुवगत िअ लेता और फूलक का
गल
म दस्ता लेकर उससे शिमलपे चला आता। रे लमर कअ उसकी दीवापगर िै रत में डाल दे तर। एकदम
बेमरम व्वत िअकर बार-बार दतम कारपा-फ कारपा उसे एक ुमापवरय श्रेणर की कारा वाई लगतर। आखख़र
सहृदयता का जवाब कअई िर बार नपष्ोमरता से कब तक दे सकता िै ? वि उससे दअ-चार शिमप बअल-
बनतयाकर उसका िालचाल पछ
ू लेपे की लालीपता हदखापे लगर।

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कमछ छमहट् यक के माि और ुवचि लगंग समाप िअपे से प्रेररत से ंर ममलाकात का संयअग बैो जाता।
दअपक इकठ्ठे काफ़ी बातें और तफ़रीि करते। उन्िें एक-दस
ू रे से कंर ऊब पिीं िअतर। ऐसा लगपे लगा था
कक दअपक उस पररणनत की ओर बढ रिे िैं जअ प्रेम की लरषा मंख्जल बप जातर िै । प्रेररत के शिलए यि
तय था कक इंजरनपयररंग पूरा करपे के बाद वि ककसर ुच्छी कंपपर में पौकरी कर लेगा। रे लमर का
लक्ष्य लिर में िी आई ख्क्लनपक खअलकर प्रैख्क् स करपे का था। उसके पपता ंर एक डॉक् र थे। ुत:
वि उपकी पवरासत कअ कायम रखपा चाितर थर।

वि सायास चाितर थर कक बब् ू के बारे में पूरी तरि बेख़बर और ुपजाप बपकर रिे , लेककप ऐसा िअ
पिीं पाता और उसके ंरतर बरबस एक इच्छा झााँक उोतर कक आखख़र वि क्या कर रिा िै , उसका
कैसा चल रिा िै ? िर मामले में नपरीि, तमच्छ, परडड़त और लापपत-सा हदखपेवाला वि आदमर आखख़र
ुपपे जरवप की पैया कैसे खे पा रिा िै ? पता चला कक वि काफ़ी मजे में िै । ुंग्रेजर लराब की एक
दक
म ाप खअल ली िै और एक ढाबा चला शिलया िै । ऊपर से मकाप और सड़क बपापे की कॉन्ट्रै क् री ंर
लमरू कर दी िै ।

एक बार प्रेररत पे उसे जापकारी दी, लायद पजरक में चगरापे की मंला से, कक ककसर ोे केदारी कअ लेकर
लिर के एक कक्रशिमपल ग्रप
म से बब् ू की शिंडंत िअ गई और गअली-बारी तक चल गई। दअ गअशिलयााँ
आकर उसकी जााँघ में लग गई, ख्जसके इलाज के शिलए वि एक पशिसांग िअम में ंती िै । सप
म कर रे लमर
में खखन्पता आपे की जगि एक दया-ंाव उंर आया। उसका मप करपे लगा कक उसे दे खपे के शिलए
प्रेररत से साथ चलपे का ुपरम अि करे । लेककप वि जापतर थर कक प्रेररत उससे घण
ृ ा करता िै और उसे
गअली लगपे से इसे कअई ुफ़सअस पिीं िै । लायद रे लमर पर जबदा स्तर ुपपर नपक ता थअपपे के उसके
दस्
म सािस कअ लेकर उसमें एक स्थायर चचढ घर कर गई थर। रे लमर समझ सकतर थर कक प्रेररत की
ुतयचिक चाित िी इसकी वजि िै । उसके शिलए यि ुसह्य था कक उसके शिसवा कअई और उस पर
कफ़दा िअपे का प्रदलाप करे ।

रे लमर कअ लगा कक उसमें चािे लाख बमराई या ऐब िअ, इतपा शिलष् ाचार तअ लाख्जमर िै कक उसे जाकर
एक बार दे ख शिलया जाए। प्रेररत की आपाकापर के बावजूद वि उसे दे खपे चली गई। आज पिली बार
उसके िाथक में उसके शिलए गल
म दस्ता था। वि आदमर तअ प जापे ककतपर बार उसे गल
म दस्ता ंें कर
चक
म ा था। उस पर पजर पड़ते िी बब् ू की जैसे बााँछें खखल गई और उसके चेिरे पर ढे र सारी कृतज्ञता
के ंाव उंर आए। उसका हृदय ंर आया, "तम
म आ गई तअ यि किपे का मप करता िै कक गअली
खापा मिाँगा पिीं पड़ा। इस लता पर तअ मैं और ंर ककतपर गअशिलयााँ खा लाँ ।ू दे खपा, ुब मेरे जतम
सचमच
म बिमत ज्दी ंर जाएाँगे।"

यि पिला मौका था जब उसकी दीवापगर पे जरा-सा छू शिलया उसे। कमछ दे र वि उसे ुपलक नपिारतर
रिी, जैसे परख रिी िअ कक क्या वाकई यि आदमर उतपा बदसूरत िै , ख्जतपा वि समझतर िै ? उसे
बड़ा ताज्जब
म िमआ कक कक्षा में पढपेवाले पंद्रि बरस लड़के विााँ मौजूद िैं। क्या यि आदमर सबका
इतपा पप्रय और हितैषर िै ? पता चला वे सारे लड़के उसके पेततृ व में एक स्वयं सिायता समूि बपाकर

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कॉन्ट्रै क् री कर रिे िैं और ुपपर ुच्छी आजरपवका चला रिे िैं। उप संर लड़कक की आाँखक में बब् ू
के प्रनत गिरी चचंता और कमछ ंर कर गमजरपे का संक्प समाया था।

रे लमर पे सिापं
म नू त जताते िमए किा, "क्यक करते िअ ऐसा काम, ख्जसमें खप
ू -ख़राबा और मार-का
मचतर िअ।"

बब् ू पर एक संजरदगर उतर आई। किा उसपे, "आखख़र क्या करें िम? िम वे मामूली और ंरड़ में
लाशिमल बेशिसफ़ाररल लअग िैं ख्जपके शिलए लराफ़त का कअई काम पिीं िै इस दे ल में । जअ काम िै उससे
जरवप ख्जया पिीं बख््क ोे ला जा सकता िै । िमें ुपपर लक्ल और ुक्ल के ुपमसार पेला का चप
म ाव
करपा पड़ा िै । तममसे ज़्यादा ंला कौप समझ सकता िै कक मेरी डरावपर लक्ल और फ े िाल िै शिसयत
का आदमर एक पवलेप या बदमाल िी बप सकता िै , िीरअ पिीं।"

रे लमर पे मिसूस ककया कक बब् ू की यि बेबाक उख्क्त सरिे उसके ममा के ंरतर प्रवेल कर गई।
सचममच इस दे ल में ऐसे लाखक औसत लाचार यमवकक की समचि लेपे वाला कअई पिीं िै प कअई ममकम्मल
यअजपा प कअई सिी हदला? जब खद
म से िी रास्ता चप
म पा िै तअ कौप पिीं चािता ज़्यादा से ज़्यादा
आसाप और मलाईदार रास्ता!

उसपे आगे किा, "िम इस तरि की जअखख़म उोाए बबपा समाज में और ुपपे पेले में ह के पिीं रि
सकते, रे लमर। िमारे सामपे बेरअजगारक की बेहिसाब बड़र फौज िै और उपमें इतपर कहोप आपािापर िै
कक िर कअई एक-दस
ू रे कअ चगरापे के शिलए ततपर िै । तम
म ऐसा मत समझअ कक िमें ख़तरक से खेलपे का
लौक िअ गया िै । िमपे शिसक्यरम र ी एजेंसर में काम करके दे खा सप्ताि के सातक हदप आो घं े िाथ
बााँिे खड़े रिअ, तपतवाि डेढ िजार रुपये। िमपे ुख़बार में ररपअ ा री करके दे खर चौबरस घं े इिर-उिर
ंागते रिअ। तपतवाि डेढ िजार रुपये। िमपे स्मॉल इंडस्ट्री में काम करके दे खा। पसरपे और काशिलख
से शिलथड़कर ख़तरक से खेलते रिअ तपतवाि डेढ िजार रुपये। िमपे कमररयर सपवास में जाकर साइककल
से या पैदल दर-दर ं ककर चचहि्ोयााँ बााँ ीं। तपतवाि डेढ िजार रुपये। सरकार द्वारा नपिााररत
न्यूपतम मजदरू ी तक दे पे के शिलए कअई तैयार पिीं। िमें ऐसा मिसूस िअपे लगा जैसे पूरे दे ल में
ममपाफ़ाखअरक और सरमायेदारक पे शिमलकर तय कर शिलया िै कक ंूख से लड़ते सवािारक कअ आिा पे
ंरपे से ज़्यादा का िक कतई पिीं दे पा िै ।"

इतपे कोअर सच से रे लमर का जैसे पिली बार वास्ता पड़ रिा था। उसकी दे ि में एक शिसिरप दौड़ गई।
आखख़र यि दे ल गरीबर और ुमररी के बरच आसमाप-जमरप के ऐसे फ़ासले कअ लेकर कब तक लांत
और चैप से चल सकेगा?

ुपायास बब् ू में रे लमर की रुचच बढ गई थर। ुब वि जब ंर छमहट् यक में आतर, मप में उससे
शिमलपे का एक ुव्यक्त इंतजार-सा बपा रिता। उसका लाया गमलदस्ता ुब वि ुपमपेपप से पिीं
तनपक गमाजअलर से लेपे लगर। जअ ममलाकात दअ-चार शिमप क में शिसम जाया करतर थर, ुब वि जरा
लंबर खखंचपे लगर।

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प्रेररत पे उसके बदले ुंदाज कअ ताड़ शिलया। ख्जसका ख्जक्र आते िी उबकाई आपे लगतर थर, उसकी
चचाा ुब ककसर स्वाहदष् व्यंजप की तरि िअपे का राज ंला नछपा कैसे रि सकता था। कंर-कंर तअ
वि इस तरि कि जातर थर जैसे पूवा के िे य-ृशख्ष् वाले सलूक पर ुफ़सअस जता रिी िअ। उसपे एक
हदप स्थापरय ुख़बार हदखाते िमए किा, "दे खअ जरा बब् ू का जलवा। आजकल वि ुख़बार की
समखखायक में आपे लगा िै । उसपे झारखंड मख्म क्त संघ ज्वाइप कर शिलया िै और उस मंच से बिमत सारे
सामाख्जक काम करपे लगा िै ।"

प्रेररत जैसे कमढ़ गया, "इसमें पया क्या िै रे लमर? गल़त और ुवैि काम करपेवाले तततव तअ
राजपरनतक पाह ा यक कअ ुपपा आश्रय बपाकर रखते िी िैं। ुपपर काली करतूत कअ ढाँ कपे के शिलए
सामाख्जक काम का लेबल तअ माँि
म पर चचपकापा िी पड़ता िै ।"

रे लमर पे उसके पक्ष में कअई दलील रखपा उचचत पिीं समझा। वि समझ गई कक बब् ू के बारे में
कमछ ंर ुच्छा समपपा ुब ंर इसके शिलए पाकाबबले बदााश्त िै । रे लमर की चप्म पर कअ प्रेररत पे खद
म से
ुसिमनत समझर। उसपे कफर किा, "दे खपा, ककसर हदप यि आदमर मारा जाएगा। लिर में इसकी
दबंगता के बिमत ककस्से सप
म ाई पड़पे लगे िैं।"

रे लमर जापतर थर कक प्रेररत का किपा पूरी तरि नपरािार पिीं िै । बेलक वि लिर में सबका हितैषर िी
बपकर पिीं था, कमछ के शिलए खौफ़ और एक सतत ुवरअिक के रूप में ंर वि जापा जापे लगा था।
ऐसा पिीं कक रे लमर उसकी तरफ़दार बप गई थर। िााँ, उसमें उसके िर पवकास की ख़बर रखपे की एक
उतसमकता जरूर जग गई थर।

उसके मप में कंर-कंर यि द्वंद्व झााँक उोता कक ुगर बब् ू जअ कर रिा िै , वअ सब छअड़ दे तअ
आखख़र वि क्या करे ? उसपे पूछ शिलया प्रेररत से। प्रेररत इस सवाल में नपहित एक मौप समथाप से
जैसे ंन्पा उोा। उसपे किा, "करपे के शिलए इस दे ल में शिसफा गमंडागदी और रं गदारी िी पिीं िै । दनम पया
में ज़्यादातर लअग सज्जपता और ईमापदारी के िंिे करके िी ुपपर जरपवका चलाते िैं। लेककप कअई
रातकरात लाखक के ऐश्वया का ककला खड़ा कर लेपा चािे तअ उसके शिलए गल़त और ुवैि िअपा या कफर
आततायर और बबार िअपा िी एकमात्र ला ा क रास्ता िअ सकता िै ।"

रे लमर कअ लगा कक ुपपे दरम ाग्रि के कारण प्रेररत सच्चाई की खामखाि ुपदे खर कर रिा िै । वि ुपपे
कअ रअक प सकी, "बब् ू बबार और आततायर पिीं िै प्रेररत। वि सािसर िै , नपडर िै । ककसर ंर ज्
म म
और आतंक से करा जापे का उसमें माद्दा िै । ुपपे िक के शिलए मर शिम पे की उसमें हदलेरी िै । ऐसा
पिीं कक ककसर बेकसरू या ंले आदमर कअ यक िी परे लाप या तंग करता िै । िााँ, जअ चरजें समाज में
बािमबल, सरपाजअरी और े ढी उाँ गली से िाशिसल करपे का चलप िै , उसमें वि ंर ुपपा जअर लगा दे ता
िै । ुब ंला रअड या बबख््डंग बपापे का ोे का ककसर सािम कअ तअ पिीं शिमल सकता?"

आपसर वाद-पववाद बरच में ुसिपरय ख ास की ख्स्थनत उतपन्प प कर दे इसशिलए प्रेररत पे खद


म कअ
संयशिमत कर लेपा िी उचचत समझा।

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ुगली छमहट् यक में वि आई तअ बब् ू के पिले उससे शिमलपे पड़अस की एक बमजमगा महिला आ गई।
उसपे ुतयंत दयपरय और पवपरत ंंचगमा बपाकर किा, "बे ी, मैं मिीपक से तमम्िारी राि तक रिी थर।
तमम जापतर िअ कक मैं एक ुकेली औरत िूाँ और मेरे दअ छअ े -छअ े बच्चे िैं। ाइगर फअ ा पामक बब्डर
पे मेरी जमरप पर कब्जे के शिलए पूरा जाल फैला हदया िै और वि िमें डरा-िमका कर जबदा स्तर करपे
पर उतारू िै । िमपे मदद के शिलए कई कचथत पराक्रशिमयक और पमशिलस ुचिकाररयक से गमिार लगाई,
मगर सबपे उस बब्डर का पाम समपते िी ुपपे िाथ खड़े कर शिलए। तमम चािअ तअ िमें उससे ममख्क्त
शिमल सकतर िै , ुन्यथा िम बबााद िअ जाएाँगे।"

"मेरे चािपे से आपकअ ममख्क्त शिमल जाएगर, कैसे? मैं समझर पिीं?" िै रत में पड़ते िमए किा रे लमर पे।

"मैंपे कई बार दे खा िै , बब् ू राम बअबकगा तमम्िारे घर आता िै , उससे तमम्िारी दअस्तर िै । विी एक
आदमर िै जअ ममझे ममसरबत से छम कारा हदला सकता िै ।"

रे लमर कअ सब कमछ समझ में आ गया। बब् ू के एक पये चेिरे से वि पररचचत िअ रिी थर। तअ उसकी
ुब यि िस्तर िअ गई! उसपे बड़े आदर से आश्वासप हदया, "आाँ ी, ुगर मेरे किपे से आपका काम
िअ जाएगा, तअ आप नपख्श्चंत िअकर घर जाइए, मैं बब् ू कअ जरूर किूाँगर और उम्मरद िै वि मेरा किा
पिीं ालेगा।"

ोीक ऐसा िी िमआ। बब् ू पे चम की बजाते िी उसकी मस


म रबत दरू कर दी। रे लमर पे किा तअ उसर
वक्त उसपे ुपपे मअबाइल पर बब्डर ाइगर फअ ा से संपका कर शिलया। उसके रौब और िाक ंरे
संबअिप सप
म कर वि उसका माँि
म दे खतर रि गई। सबसे परछे बेंच पर बैोपेवाला और कक्षा का सबसे
चप
म रिपेवाला दब्बू लड़का क्या इस तरि रूपांतररत िअ सकता िै ? बब् ू ुब आता था तअ उसके परछे
दअ-तरप सममअ और क्वाशिलस गाडड़यााँ िअतर थरं। खद
म वि बअलेरअ में िअता था और उसके साथ कई लअग
िअते थे। ुत: उसका आपा एक ख़बर बप जातर थर। आसपास के लअग िसरत से दे खपे लगते थे।
रे लमर कअ पिले उसके इस तरि तामझाम के साथ आपे पर झेंप िअतर थर, ुब जरा फ़ख्र जैसा िअपे
लगा था।

ुगले हदप कृतज्ञता से ंरी वि महिला िाथ जअड़े उसके सामपे खड़र िअ गई। रे लमर सअचपे लगर कक
क्या आज की बेमरम व्वत िअ रिी कफजा में ुपपे ऊपर एक ऐसे आदमर की छतरी का तपा िअपा
ुनपवाया बप गया िै ?

प्रेररत कअ जब उसपे इस घ पा की जापकारी दी तअ कसैला िअ गया उसका माँि


म । वि इसकी आलअचपा
करते िमए किपे लगा, "ऊपरी तौर पर लगता िै कक आसापर से काम िअ गया, लेककप इसका दरू गामर
ुसर समखद पिीं िअ सकता। ोूाँो पेड़ की छाया िप
ू िअ या चााँदपर, बेमापर और एक छलावा िै ।"

प्रेररत के इस वक्तव्य में जिााँ एक सच्चाई की ध्वनप थर विीं यि हिदायत ंर थर कक ऐसे आदमर से
ख्जतपा दरू रिा जाए, उतपा ुच्छा िै । रे लमर कअ इससे इंकार पिीं था कक बब् ू का प्रंाव क्षेत्र चािे
ख्जतपा बड़ा िअ गया िअ, मगर छपव तअ उसकी एक बमरे और दागदार आदमर की िी िै । रे लमर इसका

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पूरा ख़याल रखपा चाितर थर कक बब् ू के कारण प्रेररत से लगाव में कअई फीकापप प आए। मगर यि
कौप जापता था कक प्रेररत का यि मंतव्य खद
म उसे िी कसौ ी पर खड़ा करके डााँवाडअल कर दे गा!

प्रेररत के पपता का एक जमा-जमाया स्कूल उपके पा ा पर द्वारा कब्जा कर शिलया गया। उसके पपता
मंल
म र सख
म िर चौिरी एक शिलक्षक थे। रर ायर िअपे के बाद उन्िकपे समाजसेवक किे जापेवाले एक
व्यख्क्त रामिपर लमाा के साथ शिमलकर एक पवद्यालय की स्थापपा की। इसमें उन्िकपे ुपपे सारे
संसािप और ुपपर सारी जमापूंजर लगा दी। सारी वांनछत समपविाएाँ जम ाकर स्कूल कअ सर बर एस ई
से संबिता हदलापे में सफल रिे । लैक्षखणक गमणवतता से कअई समझौता प करपा पड़े, इसे ध्याप में
रखकर ुन्यत्र काम कर रिे उच्च शिलक्षा प्राप्त ुपपर एक बे ी और दामाद कअ ंर बमलाकर स्कूल में
लगा हदया। स्कूल की ुच्छी साख बप गई और खब
ू चल नपकला। प्रनतष्ोा और आय का एक ुजस्र
स्रअत बप गया। उतकृष् पढाई की ृशख्ष् से सभ्रांत पागररकक में इसके क्रेज का ग्राफ़ सबसे ऊपर िअ
गया। इसमें पामााँकप के शिलए जााँच-परीक्षा के रूप में एक कड़र कसौ ी तय करपर पड़र। रामिपर लमाा
की परयत ख़राब िअपे लगर। आमदपर, िै शिसयत और कद्र का बाँ वारा उसे ख कपे लगा। जमरप उसकी
दी िमई थर, इसशिलए उसे लगा कक इस पर सौ प्रनतलत स्वाशिमतव उसका िी िअपा चाहिए।

उसका एक बे ा गअपू लमाा पालायक नपकलकर सरिे-सरिे ुपराि और तमाम तरि के दष्म कृतयक व
काले कारपामक का हिस्ट्रीलर र बप गया था और उसे ज़्यादातर समय जेल में िी बबतापा िअता था।
खाँू ा मजबत
ू और शिसर पर तपे चंदअवा कअ ुंेद्य जापकर रामिपर पे मंल
म र जर कअ स्कूल से बेदखल
कर दे पे का हि लरी फ़ैसला कर शिलया। जापता था कक मंल
म र लरीफ़ आदमर िै , कमछ कर पिीं पाएगा।
ममंलर के साथ उपकी बे ी और दामाद कअ ंर उसपे नपष्काशिसत कर हदया। ममंलर जैसे ुचापक सड़क
पर आ गए। सपररवार शिमलकर खप
ू -पसरपे से उसे सरंचा था और ुपपा सवास्व दांव पर लगाकर उसमें
वांनछत फूल खखलाए थे। स्कूल से बेदखली का ुथा पूरी तरि उपकी बबाादी था। उन्िकपे न्याय के शिलए
ुदालत का दरवाजा ख ख ाया। ममकदमा चलपे लगा। एक साल दअ साल पूरे पररवार की ख्स्थनत
बबगड़तर गई।

रे लमर दे ख रिी थर कक प्रेररत का समखर-संपन्प पररवार तकलीफ़क और परे लानपयक में नघरता जा रिा िै।
उसकी माली िालत खस्ता िअतर चली जा रिी िै । एक बार तअ यक जाप पड़ा कक उसकी इंजरनपयररंग
की पढाई ंर बाचित िअ जाएगर। िालात बता रिे थे कक ुदालत में लतर और बढतर िमई तारीखें जब
फ़ैसले तक पिमाँचेंगर तब तक बिमत कमछ ख़तम िअ चक
म ा िअगा।

रे लमर बार-बार इलारा कर रिी थर कक इस मामले में बब् ू राम बअबकगा का िस्तक्षेप काफ़ी लांप्रद
शिसि िअ सकता िै । ुंतत: एक हदप प्रेररत पे ुपपे मप की तिें खअलते िमए किा, "पिले तअ मेरे पपता
ककसर ऐसे आदमर की सिायता स्वरकार पिीं करें गे जअ आतंक और जअर-जबदा स्तर का पयााय िै । दस ू री
बात यि कक बब् ू मेरी मदद करे गा ंर पिीं। क्यककक वि ुच्छी तरि जापता िै कक मैं लमरू से िी
उससे पफ़रत करता रिा िूाँ। वि तमम पर ुपपर चाित थअपता िै , इस मामले में तअ वि ममझे ुपपर
राि का कााँ ा समझता िअगा। क्या पता वि मदद करपे की जगि मेरी और जड़ खअदपे लग जाए। जअ

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ंर िअ, कफलिाल िमारी ुंतरातमा उसकी लरण में जापे की इजाजत पिीं दे तर। िम लअगक के िैया ुंर
ख़तम पिीं िमए िैं। इंसाफ़ और सच्चाई पर ुब ंर िमारा ंरअसा कायम िै । िम कमछ हदप और
इंतजार करपा चािते िैं।"

"जैसा तम
म उचचत समझअ। मेरा मकसद तम
म पर ुपपा पवचार लादपा पिीं िै । िााँ, इतपा मैं ुवश्य
किपा चािूाँगर कक ुगर पापर शिसर से इतपा ऊपर िअ जाए कक पैनतकता, उसल
ू , जाप-जिाप आहद सब
कमछ के डूब जापे का ख़तरा बप जाए तअ नतपके का सिारा समझ बब् ू कअ एक बार आजमा लेपा
कअई ऐसा पाप पिीं िअगा कक परलअक में पका ंअगपे की पौबत आ जाए। ममझे पूरा पवश्वास िै कक
तमम्िें मदद करपे में वि जरा ंर कअतािी पिीं करे गा। तममसे वि ककसर तरि का बैरंाव रखता िै , ऐसा
मैंपे कंर मिसूस पिीं ककया। ुगर रखता ंर िअगा तअ मैं ुपपर तरफ़ से उससे पवलेष नपवेदप
करूाँगर।"

खद्द
म ारी, ईमापदारी और इंसाफ़पसंदगर की कीमत चक
म ापे की एक िद थर, ख्जसे एक प एक हदप पार
तअ िअपा िी था। विी िमआ। लिर से उजाड़ दे पे और शिम ा डालपे की िमककयााँ क्रमल: तेज िअपे लगरं
और तारीख दर तारीख की लतर ुदालतर कारा वाइयक में गवाि और ख्जरि के पक्ष कमजअर िअते गए।
प्रेररत पे जैसे िार मापते िमए किा, "ुब तम
म ुगर वाकई िमारा कमछ उिार करवा सकतर िअ रे लमर,
तअ करवा दअ। पपताजर बरम ी तरि ू गए िैं और मझ म े ंर सतय-मागा की दलदल में ुंदर तक िाँसते
जापे के शिसवा कअई उम्मरद पिीं हदखतर।"

रे लमर कअ समपकर जरा ंर ताज्जमब पिीं िमआ। मापअ उसे पिले से पता था कक ुंत में यिी िअपा िै।

उसपे प्रेररत के शिलए बब् ू के सामपे जैसे ुपपा आाँचल फैला हदया, "उसे उबार लअ बब् ू । उसका पूरा
पररवार ंय, ुपमाप, परड़ा और दररद्रता की गता में घम -घम कर जर रिा िै । तमम्िीं ुब संक मअचक
बप सकते िअ।"

बब् ू पे ताज्जमब करते िमए किा, "रे लमर, एक ुसे से वि इतपर परे लानपयक में रिा, कफर पिले िी
ममझे क्यक इसकी जापकारी पिीं दी? तमम्िारा वि सबसे घनपष्ो दअस्त िै , उस पर जम्म िअता रिा और
तमम चप्म पर सािे रिी? ख़ैर, मैं दे खता िूाँ ुब।"

सकमचाते िमए किा रे लमर पे, "दरुसल, वि चािता था कक कापूप और सच्चाई के रास्ते से चलकर िी
इस ममसरबत से नपजात पाएाँ।"

"मैं समझ गया। िर आदमर यिी चािता िै लांनत, इंसाफ़ और ईमापदारी की डगर पर चलपा। मगर
ऐसा िअ पिीं पाता तंर े ढा और ख़तरपाक रास्ता चप
म पे के शिलए आदमर कअ मजबरू िअपा पड़ता िै ।
कंर मैंपे ंर ऐसा िी चािा था, रे लमर। प्रेररत कअ हदलासा दे पा कक ुब उसके शिलए घर े ढी उाँ गली से
िी नपकलेगा। उसे िम बचाएाँगे रे लमर, िर िाल में बचाएाँगे, इसशिलए कक उससे तम
म प्रेम करतर िअ।
तम्
म िारी खल
म र के शिलए मैं कमछ कर सकाँू , ऐसा मौका मेरे शिलए पिली बार आया िै ।"

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रे लमर ुचंशिंत रि गई। यि आदमर, जअ एक बमरा आदमर मापा जाता िै , प्रेररत की इसशिलए मदद
करपा चािता िै कक उसे रे लमर प्रेम करतर िै । मगर एक प्रेररत िै , जअ ुच्छा आदमर िै , बब् ू से
इसशिलए मदद या एिसाप लेपे से कतराता रिा क्यककक वि रे लमर से प्यार का इजिार करता आ रिा
िै । यिााँ प्रेम में गिराई और सच्चाई िअपे की समई ज़्यादा ककसकी ओर झमकतर िै ? रे लमर के ंरतर जैसे
नपणाय का कअई मजबूत स्तंं हिल गया। लगा कक बब् ू राम बअबकगा ुब किीं से ंर बदसूरत पिीं
रिा।

बब् ू पे पूरी गंंररता और शिलद्दत से इस काम कअ ुपपे िाथ में शिलया और एक चमतकार करपे की
तरि थअड़े िी समय में सब कमछ ोीक-ोाक कर हदया। ममंलर जर की पमरापर िै शिसयत कफर से बिाल िअ
गई।

बब् ू पे ुपपर ओर से जरा-सर ंर आि लगपे पिीं दी कक उसे इस काम में क्या-क्या पापड़ बेलपे
पड़े। प्रेररत पे िी एक हदप इसे खल
म ासा ककया। बब् ू के प्रनत उसके चेिरे पर जमरं पूवााग्रि और
हिकारत की सारी कड़वाि ें काफ़ूर िअ गई थरं। ुब वि एक एिसाप और उसके कररश्माई तेज से मापअ
ुशिंंत
ू था। उसपे जअ बताया, वि किापर इस तरि थर - रामिपर लमाा ककसर ंर तरि मापपे के
शिलए तैयार पिीं था। पिले तअ जेल में बंद गअपू के गैंगवालक पे फमफकार हदखाई कक वे लअग ंर ककसर
से कम पिीं िैं। कअई बािरी आदमर ााँग ुड़ाएगा तअ खप
ू की पदी बिे गर, लेककप स्कूल में मंल
म र कअ
घस
म पे पिीं हदया जाएगा।

बब् ू पे ंर ताल ोअक ली, "ोीक िै , जब खप


ू की पदी िी बिपर िै तअ बिे , लेककप ककसर ंर सूरत में
मैं ममंलर जर के बबपा स्कूल चलपे पिीं दाँ ग
ू ा। इतपा डडस् बा कर दाँ ग
ू ा कक सारे मााँ-बाप ुपपे बच्चक कअ
यिााँ ंेजपा बंद कर दें गे।"

बब् ू के फ़ौलादी और आक्रामक तेवर दे खकर रामिपर लमाा ंरतर से हिल गया। सेर कअ सवासेर शिमल
जापे का उसे ुंदाज िअ गया। उसे स्कूल से बरसते िप और सम्माप के उपंअग का चस्का लग गया
था। उसपे बब् ू कअ पैसे से प ा लेपे का मप बपाया और किा, "दअ लाख चार लाख, ख्जतपा चािे ले
लअ और इस मामले में दखल दे पा छअड़ दअ।"

बब् ू पे किा, "मैं पैसे के शिलए काम जरूर करता िूाँ, लेककप यि काम मैं एक ऐसर चरज के शिलए कर
रिा िूाँ, ख्जसके सामपे पैसा कअई मअल पिीं रखता।"

रामिपर लमाा पे किा, "इस काम के बदले आखख़र तमम्िें क्या शिमलपेवाला िै । जअ शिमलपे वाला िै उससे
मैं ज़्यादा दे पे कअ तैयार िूाँ।"

"इस काम के बदले मझ


म े जअ शिमलपे वाला िै , उससे ज़्यादा तअ मझ
म े ईश्वर ंर पिीं दे सकता तम

क्या दअगे?" बब् ू का जवाब था।

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रामिपर समझ गया। यि आदमर जरा सपकी और जमपूपर िै । इसकी सतत तस्वरर के ंरतर जरूर
कअई बड़ा मकसद काम कर रिा िै , वरपा पैसे के शिलए कमछ ंर कर गमजरपेवाला आदमर इतपा मजबूत
पिीं िअ सकता।

रामिपर पे जब ुपपे सत्र


ू क से गिरी छापबरप लरू
म की तअ बब् ू का एक सिपाोी और ुब उसके एक
पवश्वसपरय साथर पे तर्थय से ुवगत करा हदया, "बब् ू ंाई प्यार करता िै रे लमर से और रे लमर
प्यार करतर िै प्रेररत से। ुत: यि तय िै कक प्रेररत-पररवार कअ इस ममसरबत से नपकालपे के शिलए वि
कमछ ंर कर गमजरे गा ़िमछ ंर।"

समपकर रामिपर लमाा के आश्चया का होकापा प रिा। उसके शिलए यकीप करपा ममख्श्कल था कक ख्जस
आदमर के शिलए यि बात किी जा रिी िै वि एक बदलक्ल, डरावपा और शिलजशिलजा-सा हदखपेवाला
आदमर िै । ुगर यि सच िै तअ प्रेररत के शिलए कमछ ंर कर गमजरे गा। इस बात में उसे कअई लक पिीं
रि गया। उसका बे ा ुगर जेल से बािर रिता तअ ममकाबला ककया ंर जा सकता था। कफ़लिाल उसपे
झक
म जापे में िी ुपपर खैर समझर। ुगर हिसाब-ककताब चक
म ापा िअगा तअ बाद में दे खा जाएगा।

रे लमर दे ख रिी थर कक ख्जप आाँखक में बब् ू राम बअबकगा के शिलए ढे र सारी घण
ृ ा और क म ता समाई
रितर थर, आज उपमें बेपपाि सद्भावपायें तैर रिी िैं। प्रेररत एकदम उसका कायल िअ उोा था। रे लमर
की क्पपा-ृशख्ष् में ुचापक एक तराजू उंर आया, ख्जसके एक पलड़े पर प्रेररत और दस
ू रे पर बब् ू
तमलपे लगा। वि दे खपा चाितर थर कक प्रेररत वजपदार हदखे, लेककप ऐसा पिीं िअ रिा था। प्रेररत पे
जैसे उसके मप कअ पढते िमए किा, "बब् ू पे सचममच साबबत कर हदया िै रे लमर कक वि तममसे मेरी
तमलपा में सच्चा और ज़्यादा प्यार करता िै ।"

रे लमर पे कअई ह प्पणर पिीं की।

डॉक् री की पढाई पूरी िअ गई तअ रे लमर पे पूवा नपणाय के ुपमसार ुपपे लिर में िी बतौर एक पेत्र
पवलेषज्ञ आई ख्क्लनपक खअल ली। उसके डॉक् र पपता काफ़ी बूढे िअ गए थे। ुत: उन्िीं की ख्क्लनपक
कअ उसपे ुपपे लायक बपा शिलया। प्रेररत पौकरी की राि पर चल पड़ा था, मगर किीं एक जगि ख्स्थर
पिीं था। बड़े ओिदे तथा मअ ी तपतवाि की तलाल में उसे बार-बार कंपपर बदलपर पड़ रिी थर।

रे लमर की प्रेररत से ममलाकात में काफ़ी कमर आ गई, जबकक बब् ू से ममलाकात में तेजर आ गई।
बब् ू ुक्सर ख्क्लनपक में आ जाता। पेलें पिीं िअते तअ दे र तक ुड्डा मार दे ता। ुब दअपक के बरच
बअररयत या ऊब की जमर बऱ्फ सदा के शिलए पपघलकर आतमरयता और सौिाद्रा की सररता में रूपांतररत
िअ गई थर।

रे लमर ुपं
म व करतर कक बब् ू ुपपे काम, ुपपे ग्रप
म और तमाम तरि के ख़तरे और जअखख़म के बारे
में बातें करता तअ उन्िें सप
म पा ुच्छा लगता। राजपरनत में प्रवेल और उसकी एक-एक सरढी पर ुपपर
चढाई के बारे में ंर वि बतापे लगा था। सरहढयक की चढाई में कई तरि के सामाख्जक काया लाशिमल
िअ गए थे। झअपड़पहट् यक में कंबल बााँ पा बंद कारखापे के मजदरू क में रालप बााँ पा, गरीब बच्चक में

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ककताबें बााँ पा। बबजली-पापर के शिलए िािाकार वाले इलाके में लअगक के आाँदअलप में ंाग लेपा आहद-
आहद।

एक बार उसपे एक गरीब बस्तर में पेत्र शिलपवर लगापे की यअजपा बपाई और उसमें चचककतसकीय
सिायता उपलब्ि करापे का दानयतव रे लमर पर डाल हदया। रे लमर ुब उसके ऐसे जपहित कायाक्रम के
शिलए इंकार पिीं कर सकतर थर।

पिले पेत्र शिलपवर में वि गई तअ विााँ की व्यवस्था दे खकर आह्लाहदत िअ उोी। एक पवलाल तपा िमआ
तंबू और उसमें जााँच करवापे के शिलए उपख्स्थत सैकड़क सािपिीप लअग और विााँ सेवा दे पे के शिलए
दजापक कायाकताा। सबके शिलए कंबल, चश्मा और ंअजप की नप:लम्क व्यवस्था। बब् ू पे इतपा-इतपा
इंतजाम ुपपे बलबूते ुकेले कर शिलया था। उसकी पवस्तार पाई सामर्थया और उस सामर्थया का ंलाई
में रूपांतरण उसके उजले पक्ष का एक पया पररचय था। इस शिलपवर की सफलता के बाद बब् ू िर
साल ऐसे शिलपवर का आयअजप करपे लगा। ख्जपके शिलए दनम पया िमाँिली या बब्कमल ुाँिेरी िअपेवाली थर,
ऐसे सैकड़क लअगक कअ उसकी पिल से पयर रअलपर शिमल गई।

प्रेररत से िररे -िररे संपका कम िअते-िअते जैसे पूरी तरि ख़तम िअ गया था। रे लमर िै राप थर कक िर
दस
ू रे -तरसरे हदप फ़अप करपेवाला उतावला और बेकरार आदमर इस तरि उदासरप और नपरपेक्ष कैसे रि
सकता िै ? किीं उसपे यि तअ पिीं माप शिलया कक रे लमर की चाित बब् ू की तरफ़ शिलफ् िअ गई,
ुत: पजदीकी शिम ाकर बरच की रागातमकता और बत्रकअण की दपम विा कअ ख़तम कर दे ? रे लमर जैसे
उदास िअ गई। उसे बड़ा दखम िमआ कक ख्जस आदमर के मप-प्राण में बरसक-बरस प्यार करपे और नपंापे
की बेइंतिा तड़प बसर थर, उसपे ुपपे कअ इस तरि का शिलया। नपश्चय िी ऐसा करपे के शिलए उसे
ुपपे सरपे पर एक ंारी पतथर रखपा पड़ा िअगा। जबकक सच्चाई यि थर कक रे लमर पे ुपपे मप में
उसके आसप की ऊाँचाई कअ जरा-सा ंर कम पिीं ककया था। बब् ू पे उसकी उदासर कअ पढते-पढते
आखख़र इसका ंेद एक हदप खल
म वा िी शिलया। रे लमर कअ लगा कक वस्तमख्स्थनत जापकर बब् ू का मप
ंारी िअ जाएगा, लेककप उसपे ऐसा कमछ ंर जाहिर िअपे पिीं हदया और बड़े िौसले के साथ किा, "ममझे
तमम उसका पता दे दअ, वि जिााँ ंर िअगा मैं उसे पकड़कर ले आऊाँगा। वि तमम्िें इस तरि सता रिा िै ,
यि जायज पिीं िै ।"

रे लमर उसका माँि


म दे खपे लगर थर। उसका पवरपतम पता और फ़अप पंबर ुब उसके पास था िी किााँ
जअ वि दे तर। ममंलर जर से मााँग लापे में एक ख्जद आड़े आ जातर।

एक हदप ुचापक प्रेररत उसके सामपे आकर खड़ा िअ गया। रे लमर कअ लगा जैसे स्वप्प दे ख रिी िअ।

वि काफ़ी दब
म ला और कांनतिीप-सा िअ गया था। वि समझ गई कक लायद पवरि में घम -घम और तड़प-
तड़प कर काफ़ी एकतरफ़ा एकांत यातपा झेली गई िै ।

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रे लमर पे उसकी ों डर और सूखर िथेशिलयक कअ ुपपे िाथक में ंर शिलया और उलािपा ंरे स्वरक में किपे
लगर, "क्यक खद
म पर जम्म करते रिे ? तममपे कैसे समझ शिलया कक तमम्िारे सजा ंअगपे से ममझे खमलर
शिमलपे लगेगर?"

"मझ
म े माफ़ कर दअ रे लमर, मैं वाकई पिीं जापता था कक कक्षा का और साथ िी समाज का ंर सबसे
कफसड्डर और आखख़री पंख्क्त का लड़का बब् ू राम बअबकगा ुब िै शिसयत से िी पिीं बख््क हदल और
हदमाग से ंर ुगली पंख्क्त का इंसाप बप गया िै । मैं िै राप िूाँ कक उसके मप में मेरे शिलए रं चमात्र
ईष्याा पिीं िै ।" श्रिा से पररपूणा प्रेररत की आवाज में एक ुलौककक शिमोास उतर आई थर।

रे लमर ुशिंंूत-सर िअ उोी, "तअ तमम्िें यिााँ लेकर बब् ू आया िै ?"

"बब्कमल। ुन्यथा मैंपे तअ ुब यिी तय कर शिलया था कक मेरे बनपस्वत बब् ू की ुब तममसे ज़्यादा
पजदीकी िै , ज़्यादा नपंतर िै ।"

प्रेररत पे ऐसा किा तअ क्षण ंर के शिलए रे लमर सचममच डगमगा गई। यि ुजरब ख्स्थनत थर कक बब् ू
प्रेररत कअ उसके समरप ला रिा था और प्रेररत बब् ू कअ उसके समरप माप रिा था। दअपक की इप
नप:स्वाथा कक्रयाओं से यि फ़ैसला करपा जैसे एक बार कफर से मख्म श्कल िअ गया था कक वि वाकई
ककसके ज़्यादा करीब िै ।

पा ी का ह कुब तक बब् ू कअ शिमल गया था। रे लमर पे इसकी जापकारी दे ते िमए किा, "वि
सचममच ुब मामूली आदमर पिीं रिा। िमें कंर यकीप पिीं आया था कक ह क लेपे की आपािापर में
वि बाजर मार लेगा। िम यिी सअचते थे कक ऐसे-ऐसे पा ी वकारक का पसरब झंडा ढअपा और जय-
जयकार करपा ंर िी िअता िै । चकूं क िमें ुब यिी दे खपे कअ शिमल रिा िै कक कअई ंर पा ी ुब आम
या मामूली आदमर कअ ह क पिीं दे तर। पिले से जअ जमा िमआ पदासरप िै , वि मरता िै या बढा
ू ़ िअ
जाता िै तअ ह क उसकी बरवर या बे े कअ दे हदया जाता िै , ख्जसे िमारी मिाप जपता ुक्सर
सिापमंूनत वअ दे कर पवजयर बपा दे तर िै । किपे वाले ोीक िी किते िैं कक मिाप जपता के पूवज
ा क के
खप
ू में िी पवदे लर आक्रांताओं पे वंलवाद के पवषाणम इंजेक् कर हदए थे। ुपवादस्वरूप ुगर ककसर
छअ े आदमर कअ ह क शिमल जाता िै तअ उसे िरापे के शिलए ुन्य पाह ा यााँ िजारक ुवरअि उसके रास्ते
में बबछा दे तर िैं।"

"लेककप ुपपा यि बब् ू दे खपा सारे ुवरअिक कअ पार कर लेगा, रे लमर।"

"बब् ू ुगर वाकई ऐसा कर सका तअ िम इसे एक पये यग


म की लरु
म आत मापेंगे।"

बब् ू का प्रचार ुशिंयाप तेजर से चल नपकला। पअस् र, बैपर, ंाषण, रै ली आहद संर मअचों पर वि
ककसर से परछे पिीं हदख रिा था। उसके परछे उसके सिपाहोयक, कायाकतााओं, लमंचचंतकक और समथाकक
की एक बड़र फौज थर। दस
ू रे दल के उम्मरदवार, जअ बड़र जानत के खापदापर रईस लअग थे, पे ंर
ुपपर पूरी लख्क्त और नतकड़म झकक दी थर। उपमें बत्रलूल छाप का उम्मरदवार दीपापाथ सबसे ंारी
लग रिा था और उसपे चप
म ाव कअ एक दशिलत के खखलाफ़ सवणा की प्रनतष्ोा का सवाल बपा हदया था।

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पता चला कक दीपापाथ पे ुपपर पिमाँच का उपयअग करते िमए ुपपर मदद के शिलए जेल में बंद कमछ
ुपराचियक की जमापत करवा ली थर। रामिपर लमाा का बे ा गअपू ंर दीपापाथ द्वारा शिंड़ायर ककसर
बड़र शिसफ़ाररल से बािर आ गया था और बब् ू के खखलाफ़ काम करपे लगा था। बब् ू कअ ककसर की
परवाि पिीं थर और वि ककसर से ंर ककसर मामले में उन्परस पिीं था। जातरय आिार पर ंर दशिलतक
और आहदवाशिसयक की संतया यिााँ ककसर से कम पिीं थर।

एक हदप रे लमर आई ख्क्लनपक के पास चप


म ाव प्रचारवाली गाडड़यक का एक लंबा काकफ़ला आकर रुका।
दजापक गाडड़यााँ, दजापक कायाकताा। पूरा बाजार उस काकफ़ले कअ िसरत ंरी आाँखक से दे ख रिा था कक
क्या एक दशिलत, परडड़त, लअपषत और उपेक्षक्षत आदमर का रुतबा ंर इतपा बड़ा िअ सकता िै ! बब् ू
उतरकर रे लमर के पास आ गया। रे लमर उसकी तैयारी दे खकर िषा-पवंअर िअ गई। किा, "आज एकदम
पवजेता की तरि लग रिे िअ।"

"पवजेता िमआ पिीं िूाँ, िअपे के शिलए वअ मााँगपे नपकला िूाँ। सअचा आज बअिपर तममसे िी करता चलाँ ।ू
तम्
म िारा वअ चाहिए मझ म ।े "

"मेरे वअ पर तअ तममपे ुपपा पाम बिमत पिले िी शिलख हदया िै , बब् ू ।"

"ुगर यि सच िै तअ मझ म े जरतपे से कअई रअक पिीं सकता, रे लमर। चलता िूाँ। आज ुपपर उप
बख्स्तयक में जापा िै जिााँ ुब तक पवकास का कअई काम पिीं िमआ। जिााँ लअग कीड़े-मकअड़े की तरि
छअ े -छअ े दड़बक, खअशिलयक और झअपडड़यक में रिते िैं। वे मेरी जानत, मेरे रं ग और मेरी औकात के लअग
िैं। उपकी बझ
म र आलाओं कअ िम एक बार कफर से जगापा चािते िैं।"

"मेरी लमंकामपाएाँ तमम्िारे साथ िै , बब् ू । ुपपा पूरा खयाल रखपा।"

"आज ककतपे हदपक बाद जैसे एक बार कफर से तमम्िारे चेिरे खखले िमए हदख रिे िैं। उम्मरद िै प्रेररत
तमम्िें सतापे का काम ुब कंर पिीं करे गा।"

बब् ू पे जैसे मपअयअग से उसे पढते िमए किा और िाथ हिलाते िमए नपकल गया। रे लमर आंार जतापे
के शिलए बस सअचतर रि गई।

प्राय: लअगक का ऐसा मापपा था कक िवा बब् ू के पक्ष में बि रिी िै । रे लमर कअ ंर पवश्वास िअ चला
था कक चप
म ावर रे स में वि नपश्चय िी सबसे आगे नपकल जाएगा। उसकी जरत के शिलए मप िी मप
एक ुपवरत प्राथापा चल रिी थर। प्रेररत से ुब बातचरत का पवषय चप
म ाव और बब् ू पर िी केंहद्रत
िअ गया था। उसकी जरत से वि इतपा जमड़ गई थर कक सपपे ंर आते तअ उसमें पवजय पताका फिराते
िमए बब् ू िी हदखाई पड़ता। रे लमर के शिलए यि ुतयचिक रअमााँचकारी था कक एक ऐसे समय में जब
मामूली आदमर कअ दबाए रखपे के िजारक षड़यंत्र चल रिे िक, एक लांनछत-ुवांनछत आदमर लअकतंत्र
की सरढी चढकर लासप और सरकार के सबसे बड़े प्राचरर में पिमाँच जाएगा।

मतदाप में दअ हदप रि गए थे। उसकी िड़कपें काफ़ी बढ गई थरं। लाम कअ चप


म ाव प्रचार ख़तम
िअपेवाला था। रे लमर जापतर थर कक फमसात शिमलते िी बब् ू सबसे पिले यिीं आकर चैप की सााँस
97
लेगा। वि प्रतरक्षा कर रिी थर। ख्जस बब् ू कअ वि कंर नपमामता से दतम कारकर दे तर थर, ख्जसके
सामपे आ जापे से उसका मूड बबगड़ जाता था, आज उससे शिमलपे की तलब मापअ चरम पर थर।
ख्क्लनपक की खखड़की से वि सड़क पर गमजरतर गाडड़यक में उसकी बअलेरअ कअ पिचापपे की कअशिलल कर
रिी थर। इसर बरच प्रेररत ंागता िमआ हदखाई पड़ गया। रे लमर दे खते िी समझ गई कक उसके चेिरे की
उड़र रं गत में ककसर ुलमं की छाया कंपकंपा रिी िै । आलंका सच साबबत िमई। उसपे बताया, "गअपू
लमाा पे बब् ू की गअली मारकर ितया कर दी।

रे लमर कअ लगा जैसे कअई ंूचाल आ गया और छत ू कर उसके शिसर पर चगर पड़र। उसकी आाँखक से
झर-झर आाँसू बिपे लगे। तअ आखख़रकार कक्षा का सबसे बदसूरत, सबसे दबा िमआ, सबसे छअ ा, सबसे
दीप-िीप और सबसे ंकद ू लड़का, जअ ुपपा सूरतेिाल बदलकर बड़ा और ुगली पंख्क्त का आदमर
बपपे चला था, बप पिीं सका। दीपापाथ पे उसे मरवाकर ुपपे सामंतर राजमागा पर एकाचिकार कअ
कफर से समरक्षक्षत कर शिलया और गअपू पे मारकर ुपपा बदला ले शिलया। गअपू से उसकी ुदावत रे लमर
के कारण िी थर। मतलब उसके फपा िअपे में शिसयासत िी पिीं मअिब्बत ंर एक वजि थर।

बब् ू की माफात वि दनम पया कअ बदलते िमए दे खपे की उम्मरद में एक रअमांच से ंरी रितर थर। आज
वि परू े यकीप से कि सकतर थर कक दरुसल वि प्रेररत से ज़्यादा बब् ू कअ िी प्यार करतर रिी। ुब
उसके बबपा उसके चेिरे पर खल
म र लायद कंर पिीं लौ े गर।

98
ि गररक मत धिक र

मास् र रामरूप लरण बड़े िी उद्पवग्प ुवस्था में स्कूल से घर लौ े । छात्रक कअ पागररक मताचिकार
पढाते-पढाते आज उन्िें ुचापक एक गंंरर चचंता से वास्ता पड़ गया। वे ुन्यमपस्क िअ उोे । घर
आते िी उन्िकपे ुपपे बड़े लड़के राजदे व कअ बलम ाया और िड़बड़ाते िमए से किा, ''ज्दी से जाकर
मखम खयाजर, प्रअफेसर सािब, वकील सािब, इंद्रपाथ शिसंि और बजृ ककलअर पांडये कअ बल म ाकर ले आओ।
किपा कक मैं तरम ं त बल
म ा रिा िूाँ....एक बिमत जरूरी काम आ गया िै ।'

राजदे व चला गया। मास् र सािब ुपमपे से दालाप की ओर जापे लगे तअ पतपर कअ उपकी चचंनतत
ममद्रा दे खकर ख्जज्ञासा िअ उोी, ''क्यक जर, क्या िमआ? आप इतपा परे लाप क्यक िैं? चाय-वाय ंर पिीं
पर और तमरंत बमलावा ंेज हदया?''

''तमम पिीं समझअगर, जरा चाय बपाकर रखअ, वे लअग आ रिे िैं।''

पतपर चचढ गई, ''िााँ, आपकी तअ कअई बात मेरे समझपे के लायक िअतर िी पिीं।''
''ओ...बिमत समझतर िअ तअ लअ समझअ - उपसे पागररक मताचिकार के सिी एवं स ीक उपयअग के बारे
में पवमला करपा िै ...समझरं?'' रामरूप जर पे खरजकर किा।
''िााँ समझर...और संसककररत में बअशिलए तअ खब ू समझाँ ूगर। जाइए, मैं चाय बपातर िूाँ।'''जाइए....मैं चाय
बपातर िूाँ।'' मास् र पे खखशिसयाते िमए माँि
म बपाकर उसकी पकल उतारी और दालाप की ओर चले गए।
विााँ चौकी कअ झाड़-पकछकर बबछावप लगाया। सब लअग आ गए तअ बड़े प्रेम से बबोाया। राजदे व कअ
चाय के शिलए किकर वे सबसे मख म ानतब िअ गए, ''एक बिमत िी जरूरी काम से मैंपे आप लअगक कअ
बल
म ाया िै ...ुच्छा िमआ कक आप लअग घर पर िी शिमल गए। आपलअगक कअ तअ मालम ू िी िै कक संसद
का चप
म ाव िअपेवाला िै ।''
99
''मालूम िै ।'' ककसर पे किा।
''मतदाप में बरस हदप का समय रि गया िै ।''
''मालूम िै ।''
''चप
म ाव प्रचार तेजर से चल रिा िै ।
''मालूम िै ।''
''मैदाप में पााँच उम्मरदवार िैं।''
''मालूम िै ।''
''कफर आपलअगक पे नपणाय शिलया कक वअ ककसे दे पा िै ?''
''तअ क्या इसर जरूरी काम के शिलए आपपे बमलाया िमें ?'' ममखखया जर पे किा तअ सब खखलखखलाकर िाँ स
पड़े। मास् र के माथे पर बल पड़ गया, वे और ंर गंंरर िअ गए, ''ंाई तअ क्या यि काम जरूरी पिीं
िै ?''
''दे खखए मास् र सािब, यि तअ बब्कमल ुपपर-ुपपर पसंद और इच्छा पर नपंार िै । आप िी बताइए,
िमलअग कअई एक राय बपाकर सब पर उसे थअपें , क्या यि न्यायसंगत िअगा?''
''प्रअफेसर सािब, आप बब्कमल ोीक किते िैं। मैं विी तअ जापपा चािता िूाँ कक आपलअगक पे ुपपर-
ुपपर पसंद और इच्छा कायम की या पिीं।''
''इसके शिलए ुंर से इतपा परे लाप िअपे की क्या जरूरत िै ? जब वक्त आएगा तअ ककसर कअ वअ दे
दें गे। ऐसे ंर जअ लअग ककसर पा ी पवलेष की पवचारिाराओं और परनतयक में पवश्वास करते िैं , वे तअ
उसर पा ी के उम्मरदवार कअ वअ दें गे, यि जाहिर िी िै ।''

''इन्द्रपाथ ंाई, यिी मापशिसकता िम लअगक कअ लगातार क्षनतग्रस्त कर रिी िै । वक्त आता िै और िम
व्यख्क्तगत रूप से ककसर कअ बगैर जापे-समझे वअ दे दे ते िैं। ंमलावे में डालपेवाली पा ी की
पवचारिाराओं और परनतयक से आकपषात िअकर उसके पाम पर खड़े मा ी के मािअ कअ ंर वअ डाल दे ते
िैं। लेककप जरूरत िै िमें यि समझपे की कक पागररक ुचिकारक में मताचिकार सबसे मिततवपूणा
स्थाप रखता िै , ख्जसका उचचत, स ीक एवं पववेकपूणा प्रयअग प िअपे से व्यख्क्त एवं समाज के ंूत-
वतामाप-ंपवष्य तरपक प्रंापवत िअते िैं। यिी कारण िै कक आज सवात्र ुच्छाइयक का लअप िअ रिा िै ,
बरम ाइयााँ िर क्षेत्र में जड़ पकड़ रिी िैं।''

''कफर आप चािते क्या िैं?'' ममखखया, प्रअफेसर एवं पांडय


े पे करीब-करीब एक साथ पूछा।

''िम चािते िैं कक पााँचक उम्मरदवारक का परू ा पररचय प्राप्त ककया जाए, कफर सब ुपपा-ुपपा फैसला
करें कक वअ ककसे दे पा िै । इसके शिलए मतदाता पवलेष में लगप एवं चचंता िअपर चाहिए कक वे
उम्मरदवारक कअ परखपे में गलतर प करें । ुतएव उम्मरदवार से ुचिक ख्जम्मेदारी िरे क मतदाता की िै
कक वे थअथे पवज्ञापपक और प्रचारक की चकाचौंि से प्रंापवत प िक, वरप खद
म दौड़-िप
ू कर सिी तर्थय
का पता लगाएाँ कक वअ के वाख्जब िकदार कौप िैं।''

100
''आप जैसा चािते िैं, क्या वि दे ल के दअ नतिाई नपरक्षर एवं मूढ मतदाताओं के शिलए संंव िै ?''
''िम एक नतिाई साक्षरक एवं बमपिजरपवयक के शिलए तअ संंव िै । िम इस समाज के आगे चलपेवाले लअग
िैं...उन्िें सिी ृशख्ष् दे पा...रास्ता समझापा िमारा काम िै ।''
''ोीक िै , जैसर आपकी मरजर!'' ममखखया जर पे पवरक्त ंाव से किा तअ चारक पे उसर ममद्रा में उपका
समथाप कर हदया।
मास् र जर उतसाहित िअ उोे , ''आप लअगक से ममझे यिी उम्मरद थर कक आप मेरी चचंता कअ जरूर
गंंररता से लेंगे। प्रजातंत्र का सबसे बड़ा िचथयार िै पागररक मताचिकार। िम ुपपा राजा ुंिा चमपें
या बत्रकालदली, यि िमरं पर नपंार िै ...इसशिलए...।''

इन्द्रपाथ की सिप-लख्क्त एकाएक चक


म गई मापअ, ''िम समझ गए...कअई और दस
ू री बात ंर िै या
िम चलें!'' इन्द्रपाथ खड़े िअ गए तअ उपके साथ ुन्य लअग ंर खड़े िअ गए।

मास् र जर के उतसाि पर मापअ घड़क पापर पड़ गया, ''लगता िै , आप लअगक की मझ


म से वैचाररक
सिमनत पिीं बप पा रिी। कृपया बैहोए, ुगर ऐसर बात िै तअ ुब ज़्यादा वक्त मैं आप लअगक का
पिीं लाँ ग
ू ा। आप लअग मेरे शिमत्र िैं...मप की छ प ाि आपसे प व्यक्त करूाँ तअ ककससे किूाँ?''
''रामरूप जर, आप बड़े पवचचत्र रअग के शिलकार िअ रिे िैं।'' मखम खया जर पे यक किा जैसे ककसर बड़े ंेद
से पदाा ि ा रिे िक।

''ममखखया जर! आप इसे रअग कि रिे िैं? मैं तअ सअच रिा िूाँ कक आज से पिले मेरे हदमाग में इतपर
जरूरी यमख्क्त पे क्यक दस्तक पिीं दी? समझपे की कअशिलल करें गे तअ आपकअ खद
म -ब-खद म ुपपर
लापरवािी का ज्ञाप िअपे लगेगा।''

''ुच्छा, िम कफर आयेंगे ुपपा हदमाग फ्रेल करके। ुंर तअ सचममच खअपड़र में कमछ घमस पिीं रिा।''
वकील सािब का मकसद ककसर ंर तरि कन्पर का लेपा था।
''दअ शिमप ...शिसफ़ा दअ शिमप ,'' मास् र जर नघनघया पड़े, ''राजू, जरा चाय लापा बे े । कल से आप लअग
दअ-चार हदपक का समय नपकाशिलए। दे खखए, यि मेरी पवपतर िै , इसे ुस्वरकार मत कीख्जए।''
''इप चार हदपक में करपा क्या िै , सअ तअ कहिए।'' बज
ृ ककलअर पे पूछा।
''िम िरे क उम्मरदवार के गााँव जाकर उसके चररत्र, आचरण और यअग्यता की सिी जापकारी िाशिसल
करें गे। कफर िम तय करें गे कक वअ की पात्रता ककसमें िै ।''
''माफ कीख्जए मास् र जर। मैं पिीं जा सकाँू गा। मेरी पतपर की तबरयत खराब िै ।'' ममखखया जर पे ुपपर
जाप छमड़ाई।
''ममझे ंर कल से एस डर ओ ऑकफ़स जापा िै , विााँ मेरा एक काम ु का िै ।'' पांडय
े जर पे ुपपर
ुसमथाता की िल
ू झकक डाली।
''कल मेरे ससमर जर आपेवाले िैं।'' ुपपा प्ला झाड़ लपे से इन्द्रपाथ क्यक बाज आते।
''मेरे शिसर में दअ-तरप हदपक से चक्कर आ रिा िै ।'' यि ुचक
ू बिापा प्रअफेसर का था।
101
''कल से मेरे कमछ सरररयस ममकदमक की तारीखें िैं ।'' वकील सािब तअ पेलव
े र बिापेबाज थे। पपंड छमड़ापे
का वजपदार रास्ता ढूाँढ नपकाला।

ाल-म अल के बेिद फूिड़ ृशश्य से सामपा करके मास् र जर बिमत उदास िअ गए, ''मतलब, आप संर
कल से िआ म ाँिार व्यस्त िैं। लेककप एक बार मैं कफर आप संर से ुपरम अि करपा चािूाँगा कक यि
व्यस्तता जअ आप ओढ रिे िैं, इससे कई गण म ा ज़्यादा जरूरी िै मेरा किा काम। आप जागरूक लअग ंर
इस तरि कन्पर का ें गे...।''

जापे के शिलए वे पमप: एक साथ खड़े िअ गए। मास् र जर पे ुंनतम कअशिलल की, ''खैर, मैं कल से छमट्टर
लेकर इस काम में लग रिा िूाँ...रात में एकाग्रचचत िअकर आप ंर इस पर पवचार करें । लायद मैं ुपपर
बेचप
ै र कअ ोीक से लब्द पिीं दे पाया। बिरिाल, आप पढे -शिलखे लअग िैं...ुगर मेरे किे का ुथा नपकल
जाए तअ समबि आप लअगक का स्वागत िै ।''
राजदे व चाय ले आया था। संर लअगक पे ज्दी-ज्दी सड़
म क शिलया और तेजर से फम गए। मास् र जर
बिमत खरज ंरी मद्र म ा में उन्िें जाते िमए दे खते रिे । िमाँि...मखम खया िैं...वकील िैं...प्रअफेसर िैं...लंद िैं...फंद
िैं...खाक िैं। उपके कमछ दरू चले जापे के बाद उपकी एक समवेत िाँ सर का स्वर मास् र जर के कापक
से आकर कराया। उन्िें बड़ा तरस आया - बेवकूफ़!

ुगले हदप से िी मास् र रामरूप पे उम्मरदवारक के स्थायर आवास का पता कर शिलया। कफर बारी-बारी
से विााँ जा-जाकर जापकारी इकट्ठर करपे लगे। इस काम में उन्िें बेिद कहोपाई का सामपा करपा पड़ा।
एक-दअ उम्मरदवार तअ समदरू दस
ू रे प्रदे ल के थे, ख्जन्िें यिााँ लाकर उपकी पा ी पे खड़ा कर हदया था।
उन्िें खासर झमंझलाििमई...यि क्या तरीका िै ...दस
ू री शिमट्टर और जलवायम के आदमर कअ ंला यिााँ की
क्या समझ िअगर? ख़ैर, इपके बारे में बबपा ज़्यादा मगजपच्चर ककए स्थापरय उम्मरदवारक पर िी
उन्िकपे ुपपा ध्याप केख्न्द्रत ककया। वे लक्ष्य कर रिे थे कक आस-पड़अस के लअग साफ़-साफ़ कमछ ंर
बतापे से हिचक मिसूस कर रिे थे। लेककप िप
म के पक्के मास् र जर जब ुपपा उद्देश्य बताते तअ
लअग व्यंग्य से ुपपे दााँत नपपअड़ लेते। इस उपिास पर मास् र जर कअ बिमत कअफ्त िअ उोतर। कअई-
कअई तअ ढीोता से मसखरीवल उपसे पूछ लेता, ''क्या इपसे ुपपर लड़की की लादी करपर िै आपकअ?''

मास् र जर इस गाली कअ गररष्ो ंअजप की तरि गले से उतारते िमए किते, ''लादी करपर िअतर तअ
इतपर जााँच-पड़ताल पिीं करता। उसमें तअ एक िी लड़की के ंपवष्य का सवाल रिता, लेककप यिााँ तअ
लाखक-लाख के ंपवष्य का सवाल िै ।''

इसर तरि इप फख्ब्तयक कअ झेलते िमए वे ुंतत: कअई प कअई पेक खयाल व्यख्क्त की तलाल कर िी
लेते, ख्जपसे उपका मकसद परू ा िअ जाता और वे आश्वस्त िअ जाते।

102
एक उम्मरदवार उपके ससमराल का िी था, जअ ररश्ते से करीब का साला लगता था। उसके बारे मे वे
पिले से िी बिमत कमछ जापते रिे थे।

ुब जब सबके बारे में पूरा िमशिलया एकबत्रत िअ गया तअ मास् र जर एकदम ुचंंे में पड़ गए। सारे के
सारे उम्मरदवार बेिद दागदार और दष्म ता की िद पर खड़े िमए थे। एक ंर ऐसा पिीं था ख्जसे सवाथा
यअग्य समझकर वअ हदया जाए। उपके साले पर पााँच खप
ू और कई बलातकार के मक
म दमे चल रिे थे।
एक उम्मरदवार तअ एक समय का कमतयात डाकू रि चक
म ा था। एक तस्करी के मामले में कई बार जेल
जा चक
म ा था। एक कई िररजप-बख्स्तयक कअ जलापे का ररकाडा बपा चक
म ा था। एक बड़े ंारी रईस बाप
का रात हदप लराब के पले में ित
म रिपे वाला नपकृष् बे ा था ख्जसका ुड्डा रात-हदप तवायफ़क के
कअोक पर ह का रिता था।

मास् र जर गिरी चचंता में डूब गए - दे ल क्या इन्िीं लअिदक, उचक्कक और पालायकक के बूते चलेगा?
क्या ऐसे िी छं े िमए लअग जपतंत्र के प्रिरी बपेंगे? बिमत चचंतप-मपप के बाद उन्िकपे तय ककया कक
डाकू रि चकम ा उम्मरदवार मअरप शिसंि िी इप चारक में थअड़ा ुच्छा िै । पढा-शिलखा िै ...पररख्स्थनतयक पे
उसे डाकू बपा हदया िअगा। लेककप ुब लगता िै उसका हृदय पररवनतात िअ चक
म ा िै । िअ सकता िै
व्यख्क्त और समाज की मौजद
ू ा चप
म ौनतयक और ंावपाओं कअ समझकर वि ुच्छा काम कर जाए।

इस तरि एक कोअर पवश्लेषण के आिार पर उन्िकपे एक नपष्पक्ष पतरजा नपकाला और उससे ुपपे
पररवार और गााँववालक कअ ुवगत कराते िमए किा कक िमें वअ दे पा िै तअ मअरप शिसंि कअ िी दे पा िै ।
उपका किा सबकअ एक मजाक जैसा लगा...लगता िै मास् र सपक गया िै और बेकार की बातक में
माथा-पच्चर करपे लगा िै । इसके पूवा तअ वि इप चक्करक में पिीं पड़ा करता था।

गााँववाले तअ मास् र के रवैए से चम की लेपे के मूड में िी थे, घरवाले ंर परे लाप थे कक आखखर इन्िें
िअ क्या गया? मास् र जर ुपपर स्थापपा रखते तअ उन्िें चप म कराते िमए वे ुपपर राय दे पे लगते कक
िमें वअ दे पा िै तअ शिसफ़ा िरप्रताप कअ दे पा िै । वे जाप-पिचाप के िैं...उपसे ुपपा कमछ काम ंर
नपकाला जा सकता िै । मास् र जर उद्पवग्प िअ उोते...कैसे समझायें इन्िें ? ुरे बदहदमाग, तमम तअ
ुपपा काम नपकाल लअगे लेककप दे ल और समाज का क्या िअगा, ऐसे पकारा आदमर से उपका तअ कमछ
ंर ंला पिीं िअ सकता।

मास् र जर पे इस पवषय पर लगातार तकरार िअते रिपे से कई हदपक तक घर में खापा पिीं खाया।
उन्िें लगपे लगा था कक वे एकदम ुकेले िअ गए िैं। पतपर और बच्चे तक उसके साथ पिीं िैं। उन्िकपे
कफर ंर ुपपे बत
ू े ंर लअगक कअ समझापे का प्रयास जारी रखा कक वे शिसफ़ा और शिसफ़ा वअ मअरप
शिसंि कअ िी दें ...इसर में िम सबका ंला िै । िरप्रताप जब यिााँ चप
म ाव प्रचार करपे आया तअ उसपे
मास् र और उपकी पतपर से पवलेष तौर पर मल
म ाकात की। ुपपा परू ा ुपप
म य-पवपय उपके सामपे
बबछा हदया कक वि उपका ररश्तेदार िै तअ उपके वअ पर तअ उसका िक िै िी, उपके वअ ंर उसके

103
खाते में आपे चाहिए जअ उपके पड़असर और गााँववाले पररचय और संपका के दायरे में िैं। ुंदर िी ुंदर
चचढ रिे मास् र तअ एक करारा जवाब उसके माँि
म पर िी दे मारपा चािते थे, ''िााँ िााँ क्यक पिीं, पााँच
खप
ू और सैकड़क बलातकार का ुपूवा ुपमंव िै तमम्िारे पास तअ ंला वअ और ककसे हदया जा सकता
िै !'' लेककप सबका लगाव दे खकर मप मसअसकर रि गए। िरप्रताप पे पूरे गााँव-जवार में घूम-घूम कर
इस ररश्ते कअ खब
ू ंंजाया। जरजा और जरजर संबअिप कअ सरे आम करके उसपे ुपपे पक्ष में मापअ
एक िवा-सर बपा दी।

ख्जस रअज मतदाप था, मास् र जर कअ ोीक से परंद पिीं आई। एक उतसमकता और कौतूिल ोक-ोक
करके उपके हदमाग में बजता रिा। वे बिमत तड़के िी पिा-िअकर तैयार िअ गए। ज्यकिी आो बजा
ुपपे साथर ममखखया, वकील, प्रअफेसर आहद की तलब करपे लगे कक साथ िी चलकर मतदाप कर
आएाँगे। पता चला कअई ुपपे घर में पिीं िैं...संर ुपपे-ुपपे िंिे में मसरुफ़ िअ गए िैं। मास् र जर
कअ बिमत झ्लाि िमई...आज के हदप ंर ुनत जागरूक मापे जापेवाले ए लअग एक मिततवपूणा एवं
बिममू्य ुचिकार के उपयअग के शिलए जरा-सा चचंनतत पिीं िैं। जाएाँ ंाड़ में मूखााचिराज सब, वे ुकेले
िी जाकर इस राष्ट्रीय दानयतव का नपवााि कर आएाँगे। वे लपै: लपै: मतदाप केन्द्र की ओर बढ गए।

केन्द्र पर पिमाँचे तअ काफी चिल-पिल पजर आई। गााँव के कमछ छं े िमए लअिदे ककस्म के लड़के बिमत
सकक्रय पजर आए। मास् र सािब कअ वे जरा घरू ते और पापते िमए से हदखे। मास् र सािब पे इपकी
बबपा परवाि ककए ुपपा गंतव्य ढूाँढ शिलया। ुपपर क्रम संतया और ंाग संतया की जापकारी उन्िकपे
पिले िी जम ा ली थर। मतदाप ुचिकारी पे उपकी पची दे खकर वअ र शिलस् में उपका पाम ढूाँढा तअ
विााँ पिले से िी ह क का नपलाप लगा िमआ था। उसपे उपका माँि
म दे खा और तरस खापे तथा कअसपे
के शिमले जमले ंाव लाकर बतापे लगा कक आपका वअ पअल िअ चक म ा िै । वे सन्प रि गए...ऐसा कैसे िअ
सकता िै ...एक पागररक के सबसे बड़े ुचिकार के साथ ऐसा क्रूर मजाक करपे की छू ककसर कअ शिमल
कैसे जातर िै ? यि तअ सरासर ुपमाप िै ककसर के ुख्स्ततव का। गमस्से से तलफलाकर वे मतदाप
म पअच लेपा चािते थे, तंर उपकी ुककंचप और होसमयायर िालत दे खकर लाइप से
ुचिकारी का माँि
बैोे पा ी के एजें बपे छअकरे खखलखखलाकर िाँ स पड़े। इपमें ुचिकांल उन्िीं के पवद्यालय के पूवा
पवद्याथी थे। बेिद लम ी-पप ी सर ममद्रा लेकर वे केन्द्र से बािर नपकल गए। उन्िें लगा कक िर आदमर
उन्िें िी घूरकर उपकी इस ख्स्थनत का मजा ले रिा िै । कअई उन्िें ुगर अक दे ता तअ वे लनताया फू -
फू कर रअ पड़ते।

घर आकर वे बबस्तर पर नपढाल पसर गए। कमछ िी दे र में उन्िें तेज बख


म ार िअ आया। पतपर उपकी
ख्स्थनत से ुवगत िअकर उन्िें समझापे लगर, ''इस तरि दनम पया-जिाप के मद्द
म े पर आप बरमार और
दब
म ले िअपे लगें गे तअ जरपा दश्म वार िअ जाएगा। आपपे ुपपा फजा नपंाया, व्यवस्था पे साथ पिीं हदया
तअ जाएाँ जिन्पम
म में ।''

104
मास् र जर पे मप िी मप तय ककया कक ुब वे कक्षा में पागररक लास्त्र पिीं पढायेंगे, पवलेषकर
पागररक मताचिकार तअ बब्कमल िी पिीं।

मतदाप के तरसरे हदप सवात्र पररणाम की बेसब्रर से प्रतरक्षा िअपे लगर। मास् र जर का ध्याप ंर उिर
िी ाँ गा िमआ था। उन्िें ुपपे फैसले के सच िअपे का ुब ंर बिमत ंरअसा था। ुपपर पतपर से उन्िकपे
किा, ''ज़्यादातर मामलक में सतय और शिलव की िी जरत िअतर आई िै ...चाँकू क आज ंर दनम पया में सतय-
बल िै , तंर यि िरतर ह की िै । ममझे उम्मरद िै , मअरप शिसंि जरूर जरतेगा।''

मास् रपर सिमत पिीं थर, कफर ंर उपकी ुिररता का खयाल करके दबे स्वर में किा, ''ुब तअ कमछ
िी शिमप -घं े की बात िै । िालााँकक सबके सब िरप्रताप ंाई का िी पाम ले रिे िैं।''

मास् र जर पे उसके तातपया कअ अलते िमए जरा थािपे की मंला से पूछ शिलया, ''राजदे व की मााँ ! एक
बात पूछूाँ, कसम लअ कक सच-सच बअलअगर, तममपे वअ िरप्रताप कअ िी हदया िै प?''

वि बरम ी तरि सकपका गई...एक मअ ा ुसमंजस उतर आया चेिरे पर। किा, ''कसम प दे ते तअ सच
की ंपक तक मैं लगपे प दे तर। िरप्रताप कअ वअ प दे तर तअ क्या उस मए
म मअरप शिसंि कअ दे तर,
ख्जसकी सरू त तक मैंपे पिीं दे खर। मझ
म े माफ़ कर दीख्जए कक बिमत चािकर ंर मैंपे आपका किा पिीं
मापा।''

मास् र एकदम रूआाँसा िअ गए और उपकी आवाज ंराा गई, ''िमापतपर िअ...ुिाांचगपर िअ...यिी िै
तममसे मेरा ररश्ता कक मैं इतपा कमछ झेल गया और उसका तमम पर रततर ंर ुसर पिीं िमआ। ोीक
किा िै ककसर पे कक दनम पया के सब ररश्ते-पाते झूोे िैं...कअई ककसर का कमछ पिीं लगता...।''

मास् र जर का दख
म ककसर पके घाव की तरि ररस रिा था तंर घर के बािर की गली से िरप्रताप के
पाम से ख्जंदाबाद के पारे समपाई पड़पे लगे। आवाज इतपे पास से और इतपर तरव्रता से आ रिी थर
जैसे मास् र जरकअ जाप-बूझकर समपाया-चचढाया जा रिा िअ। उपका चेिरा बमझ गया और आवाज गिरी
उदाशिसयक में डूब गई, ''िे ंगवाप! ुब तअ इस म्
म क का तमम्िीं माई-बाप िअ। लअ, जरत गए तमम्िारे
आदरणरय और कमाो ंाई। दे ख क्या रिी िअ...दौड़अ...जाओ, खशिम लयााँ मपाओ...पारे लगाओ...उन्िें बिाई
दअ। मेरा माँि
म चचढाओ...ममझ पर िाँसअ...थक
ू अ...तापे मारअ।''

उपकी आाँखक में आाँसू छलछला आए। मास् रपर कअ उपकी कातरता पे एक ुपराि बअि से ंर हदया।
इसर बरच पास के बरामदे से समग्र संवादक कअ आतमसात कर रिे उपके बे े राजदे व पे आकर िस्तक्षेप
ककया, ''पपता जर, आपपे मझ
म े क्यक पिीं पछ
ू ा कक मैंपे वअ ककसे हदया?''

''ुब ंर पूछपे की क्या कअई जरूरत िै ? तमम्िारे समर तअ िमेला मााँ के साथ िी शिमलते िैं। तमम लअगक के
शिलए ुपपा स्वाथा के आगे कमछ ंर मिततव का पिीं िै । मताचिकार तअ मिज ख़रीद-फरअतत िअपेवाली

105
एक मामूली-सर औपचाररकता िै । दे ल के बपपे-बबगड़पे से इसका कअई लेपा-दे पा पिीं। कक्रके की तरि
का यि एक बस खेल िै , ख्जसे चप
म ावर मौसम में खेलपे लगते िैं तमाम िंिेबाज, तमाम जमआरी,
तमाम खखलाड़र, तमाम बािमबली, तमाम नपो्ले लअग...।''

''पपता जर, आप यकीप मानपए...ंगवाप साक्षर िै ...मैंपे ुपपा वअ मअरप शिसंि कअ हदया िै , आपके
आकलप पर मैंपे ुपपर सिमनत की मि
म र लगायर िै और िरप्रताप मामा कअ वअ मैंपे पिीं हदया।''

''क्या?'' मास् र जर के चेिरे पर जैसे िजार वा का ब्ब जल उोा। वे इतपे खल


म िअ गए गअया उपकी
बिमत बड़र ममराद पूरी िअ गई। उन्िकपे लपककर राजदे व कअ ुपपे सरपे से लगा शिलया। आह्लाहदत
िअकर किपे लगे, ''तूपे ममझे ू पे से बचा शिलया बे े ...मेरे पवश्वास की तूपे रक्षा कर ली। सच मापअ,
ुब मेरा दख
म बिमत कम िअ गया िै । कअई तअ िै ख्जसपे मेरी खब्त कअ समझपे की कअशिलल की। ुब मैं
यि माप सकता िूाँ कक मेरी कअशिलल बेकार पिीं गई...मेरी चचंता कअ एक वाररस शिमल गया िै ख्जसके
मेरे बाद ंर कायम रिपे की उम्मरद िै । दे खअ राजदे व की मााँ, ुगर न्याय िअ तअ तम्
म िारा िरप्रताप इस
घर से िी पराख्जत िअ रिा िै और मअरप शिसंि पवजयर िअ रिा िै । उसके पक्ष में तम्
म िारा ुकेला वअ
और मअरप शिसंि के पक्ष में दअ वअ ।''

मास् र के चेिरे पर खल
म र का एक ज्वार उमड़ आया। उपके उमगते कंो से नपकल पड़ा, ''मअरप
शिसंि...।'

राजदे व कि उोा, ''ख्जंदाबाद...।''

106
सिले हुए ठ

वेसेल में १६०० डडग्रर सें ीग्रेड तापक्रम पर पपघला िमआ (मअ् े प) इस्पात था, ख्जसे प्लै फॉमा के परचे
स् ील ट्रांस्फर कार पर रखे लैडल े (बा् ी) में ै पपंग (ढालपा) ककया जा रिा था। ोीक इसर वक्त
ओवरिे ड क्रेप के ऊपर से कअई वकार ज्वालाममखर से ंर तप्त लैडल
े में िम्म से चगर पड़ा। कौप था वि
ुंागा? पूरे लॉप में ुफरा-तफरी मच गई। पवंाग के काफी लअग जम आए....लेककप कअई कमछ पिीं
कर सकता था, चाँ कू क संर जापते थे कक वि आदमर चगरते िी ोअस से द्रव में बदलपा लमरू िअ गया
िअगा। उस बा् ी से नछ ककर एक बाँद
ू ंर ुगर ख्जस्म पर पड़ जाए तअ गअली लगपे से ंर बमरा घाव
बप जाता िै । यिााँ तअ ंरे लैडल
े में िी वि बदपसरब चगर पड़ा। डडपवजपल मैपेजर (पवंाग प्रममख)
सहित इस स् ील मेककंग पवंाग एल डर-१ लॉप के सारे ुचिकारी इकट्ठे िअ गए। उपमें खड़े-खड़े तमरंत
माँत्रणा िमई और एक नपश्चय के तित संर वकारक से किा गया कक वे इसर वक्त कॉन्फ्रेंस रूम में
उपख्स्थत िक, विााँ िाख्जरी ली जाएगर।

एक शिलफ् के लगंग सौ आदमर की ंरड़ में संर लअग ुपपे-ुपपे पजदीकी आदमर कअ ढूाँढपे में
लगे थे। इस ंरड़ में सरनपयर मेकेनपक तरुण ंर ुब तक लाशिमल िअ गया और वि ुपपे
इलेख्क्ट्रशिलयप दअस्त संदीप की अि लेपे लगा। संदीप उसे िोात ् किीं पजर पिीं आया, कफर ंर उसे
यि खयाल में ंर लापा ुच्छा पिीं लगा कक ऐसा दं
म ााग्य उसके दअस्त का िअ सकता िै ।

मौके पर पिले से मौजद


ू कई वकारक पे दे खा कक मिज एक क्षण के शिलए लैडल
े में जरा-सर तड़फड़ाि
िमई और सब कमछ लांत िअ गया। जरवप और मतृ यम के बरच सचममच ककतपा कम फासला िै और जरवप
कअ बचापे में इस लरीर का कवच ककतपा क्षणंंगमर िै !

मातम, मायूसर और ुसमंजस में डूबे लअग कॉन्फ्रेंस रूम पिमाँच।े ुब तक लॉप के कअपे-कअपे से 'ए`
शिलफ् के पूरे लअग आ चक
म े थे। तरुण की नपगािें लगातार संदीप कअ ढूाँढ रिी थरं, लेककप वि किीं हदख
पिीं रिा था। विााँ ु े न्डेन्स की कम्प्यू र लर माँगाई गई और उसके ुपमसार एक-एक आदमर की
मौजूदगर पर ह क-माका लगाया गया।

डर एम कअ यि लक था कक ुवकाल-ग्रिण उम्र के करीब पिमाँचे ककसर बूढे कमाचारी पे जाप-बूझकर


ुपपर मौत मअल ली िअगर। चाँ कू क कारखापे के ंरतर सांघानतक (फे ल) दघ
म ा पा की ुवस्था में मरे
कमाचारी के ककसर वाररस कअ सिापमंूनत आिार पर ततकाल पौकरी दे पे का प्राविाप ुब ंर समाप्त
करपा संंव पिीं िअ पाया था। पिले आम कमाचाररयक कअ पच्चरस साल सेवा दे पे के बाद ुपपे एक
बे े या दामाद के शिलए पौकरी पापे की समपविा बिाल थर, ख्जसे ुब कंपनपयक में वैख्श्वक प्रनतस्पिाा
लमरू िअपे के बाद खतम कर हदया गया था। चाँ कू क ुब पमरापर तकपरक पर आिाररत ज्यादा लागत पर
कम गमणवतता के माल उतपाहदत करपेवाले लॉप बंद कर हदए गए थे और उपमें काम करपेवाले
कमाचारी वाशिलंह यरली रर ायडा करा हदए गए थे।

107
डर एम की आलंका से ुवगत िअकर तरुण में एक बेचप
ै र समा गई। जमापे का यि ककतपा नपलाज्ज,
पवद्रप
ू और ंयावि दौर था कक ुपपर संताप के ुनपख्श्चत ंपवष्य कअ एक ुदद पौकरी से पवाजे
जापे के शिलए ुपपर जाप तक दे पर पड़ जाए।

तरुण का ुंत:करण ढे र सारी आकमलताओं से ंर उोा। िाख्जरी के बाद जअ पररणाम सामपे आया,
उससे डर एम का संलय तअ गलत साबबत िमआ, लेककप तरुण का संलय एक हृदयद्रावक सच में बदल
गया। लैडल
े में चगरपेवाला वकार संदीप िी था ख्जसे उसकी आाँखें लमरू से िी पदारद पा रिी थरं। संदीप
बूढा पिीं बख््क छब्बरस-ुट्ठाईस वषा का हृष् -पमष् पौजवाप था। उसपे आतमितया पिीं की थर बख््क
ओवरिे ड क्रेप की कअई इलेख्क्ट्रकल गड़बड़र ोीक करपे के शिलए फअरमैप पे उसे ऊपर ंेजा था और विााँ
से वि काम करते िमए चगर पड़ा। फला पर चगरा िअता, कफर ंर वि मर तअ जाता िी, लेककप तब उसका
क्षत-पवक्षत पाचथाव लरीर रि जाता संस्कार के शिलए....मौत की पमख्ष् के शिलए।

तरुण की आतमा एकदम बबलख उोी। आज िी लाम कअ उसे बिप का नतलक चढापे जापा था। तरुण
से ंर उसपे साथ चलपे के शिलए कि रखा था। सब
म ि दअपक पे साथ िी कम्प्यू र में िाख्जरी के शिलए
ुपपे-ुपपे काडा पंच ककए थे।

दे ि जलपे की एक तरब्र गंि पूरे लॉप में फैल गई। कॉन्फ्रेंस िॉल में सबपे यि गंि मिसूस की और
ंरतर िी ंरतर संर घम कर रि गए। लग रिा था जैसे वे ककसर श्मलाप में चचता के पास बैोे िक।
तरुण के ंरतर इस गंि पे एक िािाकार जैसा मचा हदया। लगा वि फफक कर रअ पड़ेगा। उसकी आाँखें
पसरज गईं।

डर एम पे सबकअ संबअचित ककया, ''दअस्तअ, संदीप एक मेिपतर और काफी ुपमंवर इलेख्क्ट्रशिलयप था।
इस सदमे से ममझे गिरा िक्का पिमाँचा िै । मैंपे तअ सअचा था कक कअई रर ायररंग एज वकार जाप-बूझकर
मरा िै । संदीप जैसा डायपेशिमक और स्मा ा लड़के के बारे में तअ मैं ऐसा सअच ंर पिीं सकता था।
लेककप िअपर पर ुख्ततयार िी ककसका िै ! िमें ुब एक बड़र चप
म ौतर का सामपा करपा िै ।``

डर एम पे कमछ दे र के शिलए एक पवराम ले शिलया। सबके चेिरे पर ुगले वाक्य की उतसमकता ं क गई।
उसपे आगे किा, ''आप सबकअ मालूम िै कक आई एस ओ ९००२ प्रमाणपत्र िाशिसल करपे के शिलए
पपछले एक साल से िमारी तैयारी चल रिी िै । आप इससे ंर ुवगत िैं कक ुंकेक्षण करपेवाली ीम
यिााँ आई िमई िै और िमारे डॉक्यम
ू ें े लप शिसस् म की ऑडड कर रिी िै । कंर ंर वि ीम लॉप फ्लअर
में आकर आपलअगक से ंर कअई सवाल कर सकतर िै । आज इस दख म की घड़र में मेरा यि सब किपा
ु प ा लग रिा िअगा।``

डर एम पे रुककर सबके उदास चेिरे की प्रनतकक्रया दे खर और आगे किपे लगा, ''लेककप इस िादसे के
कारण जअ पररख्स्थनतयााँ बप गई िैं, उसर के मद्देपजर यि सब किपा ज्यादा जरूरी िअ गया िै । आपकअ
बताया जा चकम ा िै , कफर ंर मैं खास तौर पर आज एक बार और दअिरापा चािता िूाँ कक आई एस ओ
९००२ का पवश्वस्तरीय गमणवतता प्रमाणपत्र िमें पिीं शिमला तअ िमारा बपाया िमआ माल कअई पिीं

108
खरीदे गा और दनम पया के सामपे ममकाबले में िमें कअई तवज्जअ पिीं दे गा। पररणाम यि िअगा कक िमारा
यि पवंाग बंद िअ जाएगा और सबका ंपवष्य ममख्श्कलक में फाँस जाएगा।``

डर एम पे तनपक रुककर कमाचाररयक के चेिरे पर उंर आई चचंता कअ एक बार कफर लक्ष्य ककया और
ुपपा वक्तव्य जारी रख रखा, ''उस ऑडड ीम कअ ुगर मालम
ू िअ गया कक इतपर बड़र दघ
म ा पा यिााँ
िअ गई िै तअ िमारे प्रनत उपका इम्प्रेलप डगमगा सकता िै और वे नपगेह व ररमाका कर सकते िैं। इस
लअकाकमल ुवस्था में ममझे यि सब किते िमए बब्कमल ुच्छा पिीं लग रिा, लेककप क्या करूाँ, आखखर
जअ छअड़कर चले जाते िैं , उसके पररजप ंर उसके गम में ुपपर ख्जंदगर रअक पिीं दे ते। फ्रेंड्स, आपकअ
जरूर बमरा और पागवार लगेगा समपकर, लेककप िमें यि करपा िअगा। संदीप की मौत की खबर िमें
ुपपे सरपे में िी दफ्प कर दे पर िअगर। िमें छातर पर पतथर रखकर यि किपा िअगा कक यिााँ कअई
ऐसर ुपप्रय घ पा पिीं िमई। संदीप कअ आज िम ुपमपख्स्थत हदखा दें गे। आपकअ ुपपे और ुपपे
पररवार की परवररल के शिलए ंूल जापा िअगा कक आपपे यिााँ कअई िादसा िअते दे खा िै ।``

कमछ दे र गिरी खामअलर छा गई जैसे काली ुाँिेरी रात की ंयापक पररवता उतर आई िअ।

तरुण रअक पिीं पाया स्वयं कअ और कि उोा, ''ऐसा कैसे िअ सकता िै सर?`` वि ुपपर कमसी से खड़ा
िअ गया, उसकी आाँखें आाँसमओं से डबडबा गईं, ''समबि संदीप मेरे साथ िी आया था ड्यू ी। आज लाम
उसे वषों से पववाि की प्रतरक्षा कर रिी बिप के शिलए नतलक चढापे जापा था। उसके मााँ-बाप कअ यि
तअ पता िअपा चाहिए कक उसके लाड़ले बे े की ड्यू ी इतपर लंबर िअ गई कक वि ुब कंर घर वापस
पिीं आएगा। ममझसे िी वे पूछपे आएाँगे.....मैं कैसे उपसे झूो बअल सकाँू गा सर?`` बअलते-बअलते तरुण
का बबलखपा जअर पकड़ गया।

डडपवजपल मैपेजर पे िमददी जताकर सांतवपा दे पे का ढकग करते िमए तरुण कअ एक ऑकफसर के साथ
ुपपे चैम्बर में शिंजवा हदया। ुफ़सअस की ममद्रा में दे खते िमए उसपे कफर किा, ''मैं तरुण की ंावपा
समझ सकता िूाँ, लेककप िमें इस मौके पर प्रैख्क् कल िअपा िी पड़ेगा। मैं पिीं समझता कक उसके
पररवार के चार-पााँच जपक कअ संतमष् करपे के शिलए यिााँ काम करपेवाले चार सौ आदमर कअ जअखखम
उोापा चाहिए। इसशिलए यि मेरा ुंनतम फैसला िै कक आप में से ककसर के माँि
म से ककसर के ंर सामपे
यि पिीं नपकलपा चाहिए कक आपपे यिााँ कअई दघ
म ा पा दे खर िै । इसर में सबकी खैर िै .....ोीक िै , ुब
आपलअग जा सकते िैं।``

जब संर विााँ से चलपे लगे तअ ऐसा लगा कक िरे क के माथे पर िमासंक का एक पिाड़ लद गया िै ,
ख्जसे बिमत दरू और दे र तक ढअपा आसाप पिीं िै। उन्िें यि ंर लगा कक डर एम के किपे के लिजे में
शिसफा परामला पिीं आदे ल ंर िै ख्जसकी ुविे लपा करपे पर वे ुपल
म ासपातमक कारा वाई के तित
सततर ंर बरत सकते िैं।

डर एम पे तरुण कअ ुपपे ों ढे कमरे में बैोाकर ों डा पापर पपलवाया और उसके जज्बात कअ कद्र करपे
की ंंचगमा हदखाकर समझापे की कसरत लमरू कर दी, ``तरुण, मैं जापता िूाँ कक संदीप तमम्िारा बिमत
घनपष् दअस्त था, तमम्िारे शिलए ममख्श्कल िै उसकी मौत कअ पचा लेपा। लेककप तमम पढे -शिलखे एक
109
िअशिलयार आदमर िअ, कंपपर और संर कमाचाररयक के हितक कअ दे खते िमए तमम्िें ुपपे-आप पर काबू
रखपा िअगा।``

''मझ
म े कमछ मत कहिए, सर......मझ
म े कमछ मत कहिए। इस समय मैं कमछ ंर सप
म पे की ख्स्थनत में पिीं
िूाँ।`` तरुण ुश्रपम वह्वल बेचप
ै र के साथ उसके कमरे से बािर नपकल आया और स् ील ट्रांस्फर कार के
पास, ख्जस पर संदीप की चचता बपा िमआ वि लैडल े रखा था, जाकर खड़ा िअ गया। उसकी आाँखें ोिर
गईं खौलते िमए लाल द्रव पर। दे ि-दिप की एक तेज गंि ुब ंर बा् ी से बािर नपकल रिी थर।
उसका क्रन्दप कर रिा ुन्त:करण पूछपे लगा - संदीप, मेरे दअस्त! मरपे की यि कौप-सर लैली िमई
यार? लअग बड़े-बड़े िादसक में दबकर, कमचलकर, क कर मर जाते िैं.....लालें पवकृत िअ जातर िैं..... म कड़क
में बाँ जातर िैं.....लेककप तमम्िारी यि मौत तअ ऐसर मौत िै ख्जसमें लाल नपकली िी पिीं.....किीं िै िी
पिीं तमम्िारा पाचथाव लरीर। ऐसर मौत तअ कंर पिीं दे खर-समपर गई यार। सबकी आाँखक के सामपे तमम
मौत के माँि
म में गए.....कफर ंर सबकअ ुसिाय कर गए.....कमछ ंर करपे की ककसर के पास कअई यमख्क्त
पिीं। सबके सामपे नपकले तमम्िारे प्राण.....कफर ंर ककसर कअ पता पिीं कक तमम्िारी ुख्स्थ किााँ
िै ....तमम्िारा िड़ किााँ िै .....तमम्िारा लारीररक ढााँचा किााँ िै ? ऐसा लगता िै तमम कंर थे िी पिीं....कंर
िअ िी पिीं।

तम
म थे इसका प्रमाण तअ िै ....लेककप ुब तम
म पिीं िअ, इसे िम कैसे प्रमाखणत करें , संदीप? कई हदपक
से तम
म यिी कर रिे थे। मैंपे पपछले सप्ताि िी तम्
म िें अका था, ''संदीप, कअई छअ ा-मअ ा पक्
म स ंर िअ
तअ बबजली ऐसर खतरपाक चरज िै ख्जससे इतपा ऊपर चढकर ुकेले कंर छे ड़छाड़ पिीं करपर चाहिए।
में े पेंस के शिलए दअ आदमर के एक साथ रिपे का चलप यक िी पिीं बपा हदया गया िै ।``

तममपे किा था, ''शिसफा पैपल में कअई ओवरलअड ख्स्वच हट्रप कर जाता िै यार। फअरमैप घअचाँ ू ममझे इस
काम के शिलए ुकेले िााँक दे ता िै .....तमम तअ जापते िअ कक वि ममझसे कमछ ज्यादा िी मअिब्बत करता
िै ....मैं ऐसा ल्लू िूाँ कक ममझे इपकार करपा आता िी पिीं।``

ुब मैं ककससे पूछूाँ संदीप कक आज डर एम तमम्िारी मौत की खबर दे पे से मपा कर रिा िै , मैं इपकार
कैसे करूाँ?``

तरुण गिरे ुन्तद्ावन्द्व में नपमग्प था तंर ुचापक उसे कंिे पर एक सांतवपा ंरा स्पला मिसस

िमआ। वि उसका एक करीबर दअस्त केतप था। उसपे किा, ''आओ, चलें तरुण। रुककर ंर कमछ पा प
सकअगे, यार।``

परछे पवंाग के ुन्य ुचिकारी प्रबंिकीय रौब में उसे घूर रिे थे। उपकी ममद्रा सतत और तपर िमई थर,
जैसे वे िमका रिे िक कक बिमत पौ ं की िअ गई.....लराफत से पिीं मापअगे तअ िमें े ढा बपपा ंर आता
िै ।

कमछ िी दे र बाद दे खा गया कक स् ील ट्रांस्फर कार पर से लैडल


े ओवरिे ड क्रेप द्वारा उोाया जापे लगा।
तरुण िै रापर से दे खपे लगा कक आखखर क्या करपेवाले िैं ये लअग इस चचता में बदले िमए ुजूबे

110
कैख्म्बपेलप से बपे इस मअ् े प स् ील का? क्रेप पे उसे ले जाकर १६०० डडग्रर सें ीग्रेड पर गमा वेसल

में दअबारा िी करपे के शिलए उढे ल ढाला। ुब संदीप के ख्जस्म की बचर-खमचर गााँोें ंर पपघलकर तरल
बप जाएाँगर। इस चरम दग
म ना त पर तरुण और ंर कातर िअ उोा। उसकी आतमा चरतकार उोी - िाय
संदीप! तमम्िारा ख्जस्म ुब पूरी तरि इस्पात में एकाकार िअ गया। मतलब ुब तमम पमल बप
जाओगे....रे ल की प री बप जाओगे....डब्बे बप जाओगे.....जिाज बप जाओगे....कूलर, कफ्रज, गैंता,
कमदाल, पाइप, खंंे, छमरी, चाकू, बंदक
ू , ररवा्वर, तअपखापा और पता पिीं ककस-ककस चरज में
रूपांतररत िअ जाओगे। लेककप पिीं ढलअगे तअ कफर से आदमर में ....और आदमर में पिीं ढलअगे तअ
ुपपर पवपववाहिता के समिाग, बूढे कृलकाय पपता की लाोी और लादी की उम्र पार कर रिी ुपपर
काँम वारी बिप की राखर से तमम्िारा कअई संबंि पिीं रि जाएगा। आज ंले िी आदमर की कीमत इस्पात
से सस्तर िअ गई िअ, लेककप इस्पात बपापेवाली कंपपर आदमर पिीं बपा सकतर, मेरे दअस्त। जबकक
आदमर िी िजारक-लाखक शिमशिलयप प इस्पात बपाता िै और बपाता चला जाएगा।

केतप पे तरुण की परो थपथपाई, ''चलअ तरुण, घर चलें .....ुब संदीप किीं पिीं िै ।``
''लेककप केतप....संदीप यिााँ था समबि से इसर जगि।``

''कअई साक्ष्य ुब पिीं िै उसके यिााँ िअपे का।``


''कम्प्यू र िै ....यिााँ के दजापक लअग िैं....मैं िूाँ....।``

''कम्प्यू र में उसकी िाख्जरी थर, ुब पिीं िै । लअगक पे उसे दे खे थे, ुब वे ंर ुपदे खे िअ गए िैं। एक
तमम िअ, तमम्िें ंर ुब तय कर लेपा िै कक ज्यादा जरूरी क्या िै ....संदीप की मतृ यम का पदााफाल करपा
या ुपपर पौकरी की सांस कायम रखपा।``

संदीप के पपता इसर कारखापे से एक रर ायर वकार थे। कई हदपक तक वे संदीप के लापता िअपे की
अि लेते रिे , तरुण से ंर कई बार शिमले। सबके चेिरे पर चढे ममखौ े की परख कर लेपे में उन्िें कअई
हदक्कत पिीं िमई। तरुण ुपपे झूो पर एक ममाांतक तकलीफ से जूझता रिा। ुंतत: उसपे कमछ तय
ककया और एक लाम उसके कदम संदीप के घर की तरफ बढते चले गए। रास्ते में िी संदीप के पपता
शिमल गए.....एक मातम से नघरे िमए िताल, उदास। तरुण पे किा, ''मैं आपके िी घर जा रिा था।``

बढ
ू े पे ताज्जब
म से नपिारा, ''तम
म क्यक तकलीफ कर रिे थे.....मैं तअ आ िी रिा था तम्
म िारे घर.....तम्
म िारी
चप्म पर कअ सप
म पे....तम्
म िारी बदिवासर कअ पढपे।`` उसकी बेचारगर कअ ंााँपते िमए उन्िकपे आगे किा,
''आज से बरस-पच्चरस साल पिले मजदरू क में इतपर आग और एकता िमआ करतर थर कक ककसर ंर
बेईमापर एवं पाइंसाफी के खखलाफ लअग एक साथ आन्दअलप करपे पर उतारू िअ जाते थे, जबकक उस
समय प्राय: लअग गिप ुंावक और मख्म श्कलक में जरपे कअ बाध्य थे।``

तनपक रुककर उन्िकपे तरुण की खामअलर की पब्ज अली, कफर किा, ''आज लअगक के पास सािप िैं,
समपविाएाँ िैं, कफर ंर इपकी मापशिसकता इतपर त स्थ और पपमंसक िअ गई िै कक कंपपर के ुंदर या
बािर ककसर ंर पाजायज बात पर िको फड़फड़ापे की ंर हिम्मत पिीं रि गई।``

111
वे जरा रुके और ुपपर लय कफर पकड़ ली, ''मेरे एक साथर का िाथ क गया था। प्रबंिप उसकी
ुसाविापर बताकर ममआवजा दे पे से आपाकापर करपे लगा था। उसे िक हदलापे के शिलए पवंाग के
सारे कामगारक पे काम बंद कर हदया था। पवकास के रास्ते में ुसिमनत का िअपा बिमत जरूरी
िै .....और इस ुसिमनत कअ व्यक्त करपे का माद्दा प िअ तअ समझ लेपा चाहिए कक बिमत बमरे हदप
आपे वाले िैं।``

तरुण की आाँखें संदीप के पपता के तातपया


अलतर िमई पवस्फाररत िअतर जा रिी थरं। वे कमछ दे र के
शिलए चप
म िअ गए और कफर उपका गला ंर आया। आाँखक से आाँसू की कई बाँूदे प- प चू पड़रं। लरजते
स्वर में उन्िकपे किा, ''तरुण, सात हदप िअ गए, तमम्िारे िअोक से एक लफ्ज तक पिीं कफसला। तमम्िारे
ंरतर जअ एक द्वन्द्व चल रिा िै , उसे मैं समझ सकता िूाँ बे े । संदीप तमम्िारा ख्जगरी दअस्त
था.....इसशिलए पमख्ष् तअ तमम्िें िी करपर िअगर....तम
म बअलअगे तंर मैं इसे ुंनतम सच मापाँग
ू ा। लैडल
े में
जअ आदमर चगरकर पूरी तरि खतम िअ गया, वि मेरा बे ा संदीप िी था प.....बअलअ तरुण,
बअलअ.....संदीप िी था प वि?``

तरुण रअक प सका खद


म कअ और उपके गले से शिलप कर फफक पड़ा, ''िााँ ुंकल, िााँ....वि ुंागा
संदीप था....आपका बे ा संदीप.....मेरा दअस्त संदीप। मझ
म े माफ कर दीख्जए ुंकल....मैं तअ संदीप से ंर
ुंागा िूाँ और उससे ंर ज्यादा मरा िमआ कक उसके मरपे की खबर तक दे पे की प्राणलख्क्त जम ा पिीं
सका.....।``

संदीप के पपता उसकी परो थपथपाते रिे .....वि जार-जार रअता रिा....।

112
िोट ककि ि

दािू मितअ ुपपे खेत की में ड़ पर गममसमम से खड़े िैं।

करीब सौ डेग पर एक पवलाल बढ


ू ा बरगद खड़ा िै जअ इस तरि झकझअरा जा रिा िै मापअ आज जड़
से उखाड़ हदया जायेगा। सााँय-सााँय बेढंगर बयार आड़र-नतरछी बिे जा रिी िै , जैसे एक साथ परम वैया,
पनछया, उतरं गा और दखखपािा चारक िवाएाँ आपस में िक्का-ममक्की कर रिी िक। प्रकृनत जैसे
ुपमलासपिीप िअ गयर िअ, िवाएाँ गमा इतपर जैसे ककसर ंट्ठर से नपकलकर आ रिी िअ। ंादअ मिीपे में
यि िाल! इस साल कफर समखाड़ तय िै । िवा के लअर में उपके बे क के प्रस्ताव चरखते से उंरपे लगे िैं
उपके मगज में ।

''ुब खेतर-बाड़र में िम छअ े ककसापक के शिलए कमछ पिीं रखा िै बाऊ.....घर-खेत बेचकर िमें लिर जापा
िी िअगा। सअचपे-पवचारपे में िमपे बिमत ै म बबााद कर हदया।``

उपकी घरवाली ंर समथाप कर रिी िै बे क का, ''िााँ जर, ंले किते िैं ये लअग। ुपपे माँझले ंाई के
बे क से तअ सबक लीख्जए।``

''िद िअ गयर......सबक लें िम उपसे? इस्क्रीम और फमचका िी तअ बेचते िैं तरपक ंाई.....कअई बिमत बड़र
सािूकारी तअ पिीं करते।``

''कमछ ंर बेचते िक, खेत खरीद-खरीद कर बड़े जअतदार तअ बप गये प आज!``

ुब इस सच्चाई से तअ इंकार पिीं ककया जा सकता।

बड़का ंाई लाछअ मितअ के हिस्से की सारी जमरपें िररे -िररे बाले बाबू पे िी खरीद लीं। तय िै कक
कचिरी में ककरापरचगरी करके उन्िकपे इतपा पिीं कमाया िै । उपके बे े जब से राउरकेला में आइसक्रीम
और फमचका बेचपे लगे तब से िी उपकी यि कायापल िअपे लगर। लाछअ मितअ गााँजा-ंााँग और ताड़र
की लत के परछे खेत बेचते चले गये और बाले बाबू खरीदते चले गये। लअग बताते िैं कक इपकी इस
लत के परछे कअई गिरा घाव पैवस्त िै । उन्िकेेपे ुपपे दअपक छअ े ंाइयक की नपष्कं क परवररल के
शिलए खद
म का ब्याि तक पिीं रचाया। लायद ुपपे नपजर मअि-माया में फाँसकर वे कअई दरम ाव की
ख्स्थनत पिीं लापा चािते थे। उन्िें ंरअसा था कक बाले पढ-शिलखकर कअई काबबल आदमर बप जायेगा तअ
खापदाप की माली पस्ल सि
म र जायेगर और इसके ंरअसे उपका बेड़ा ंर आराम से पार िअ जायेगा।
मगर बाले बाबू ज्यकिी बाल-बच्चेदार िमए, उन्िें लगा कक ुपपर कमाई ुपपे िी बाल-बच्चक में सरशिमत
रितर तअ वे ज्यादा ोा -बा बिाल कर सकते।

113
बस बं वारा िअ गया।

ख्जस में ड़ पर खड़े िैं वे उसका बगलवाला खेता लाछअ मितअ का था, जअ ुब बाले बाबू का िै । सख
म ाड़
की िालत में ंर ट्यब
ू वेल से पापर आ रिा िै । िल जअत कर कादअ तैयार कर रिा िै उपका मजरू । कल
तक िापरअपपर ंर िअ जायेगर। इपके शिलए कअई सख
म ाड़ पिीं......कअई मारा पिीं.....कअई ुकाल पिीं।

ोीक िी किते िैं उपके बे े , आजकल छअ े ककसापक के शिलए खेतर करपा माकफक पिीं रि गया िै । जअ
बड़े जअतदार िैं, उपके पास पाँज
ू र िै , उपके पास ट्यूबवेल िै , खाद-मसाला दे पे की कूबत िै । बबपा खाद-
दवाई के तअ फसल ुच्छी उपजतर िी पिीं एकदम। पिले ऐसा पिीं था। माल-मवेशिलयक के गअबर और
घर का कूड़ा-कका िी काफी िअता था। ककसर नछड़काव की ंर जरूरत पिीं िअतर थर। मापसूप ोीक
समय पर आ जाता था। इिर कई वषों से तअ समय पर ंरपूर वषाा िअतर िी पिीं िै , िअतर िै तअ
ुसमय िअ जातर िै और खब
ू िअ जातर िै , ख्जससे फायदे की जगि पमकसाप िी पमकसाप िअ उोता िै ।
ये लगातार तरसरा साल िै कक जरपवका का आिार िाप की ममतय फसल मारी जापे वाली िै । रबर की
फसल गेिूाँ-चपा आहद िअगर तअ बमख्म श्कल चार मिीपे खरचर चलेगर। कफर ड्यअहढया-सवाई में ुपाज
कजा लेपा िअगा। या तअ तल
म सर साव से या कफर ुपपे माँझले ंाई सािे ब बाले बाबू से। सद
ू की इतपर
बड़र दर, पौ-दस मिीपे में एक के डेढ, पर रअक लगापे वाला कअई कापप
ू पिीं.....कअई सरकार
पिीं.....कअई िाककम पिीं। रअ-गाकर जअ मड़मआ-मकई, गेिूाँ-चपा िअता िै , उसमें से आिा कजा ंरपाई
करपे में िर साल नपकल जाता िै । यि चक्र लगातार चलता रिता िै।

आलू और करे ले की खेतर से जअ थअड़ा-मअड़ा पगद िाशिसल िअता िै , वि कपड़े-लतते, पमक-मसाले और


पवा-तयअिार में िी समा जाता िै । पे चलापे के ुलावा ुगर कअई दस
ू रा बड़ा काम आ गया और उसे
ालपा ककसर ंर तरि संंव प िमआ तअ खेत रे िप रखपे के शिसवा दस ू रा कअई उपाय पिीं। खेेेत जअ
एक बार रे िप रखा गया, उसकी ममख्क्त का कफर कअई रास्ता पिीं। माँद
म री की लादी में उन्िें दस कट्ठा
बेचपा पड़ा। पपछले साल एक बैल बमढा गया तअ दअ कट्ठा रे िप रखपा पड़ा। इसर साल बड़कू की ााँग की
िड्डर नछ क गयर तअ एक कट्ठा ि ापा पड़ा।

दािू मितअ कअ आो साल से खप ू र बबासरर िै .....पर वे ालते चले जा रिे िैं। दजापक ली र खप
ू बिा
चकम े िकगे बेचारे । दे ि इकिरी िअ गयर िै एकदम। ज्यादातर मड़मआ-मकई और बाजरे -ज्वार की रअ ी िी
पसरब में आतर िै । लौच इतपा कड़ा िअता िै कक खप
ू रअकते पिीं रुकता।

ुब कमल दअ िी बरघा जमरप बचर िै । बड़कू बराबर किपे लगा िै , ''एकाि कट्ठा बेचकर आप ुपपा
ऑपरे लप करा लीख्जये बाऊ।``

दािू मितअ मह या दे ते िैं, ''ुरे ुंर ोीक िै बे ा। चलपे दअ जैसा चल रिा िै । ब्याचि तअ कमछ प कमछ
रअज घेरतर रिे गर....आखखर ककतपा बेचते रिें गे खेत!``

बात वाख्जब िै .....उपकी दअपक आाँखें ंर मअनतयाबबंद की चपे में आ गयर िैं। मिज एक आाँख से वे
कामचलाऊ दे ख पाते िैं। में ड़ पर खड़े-खड़े वे ज्यादा दरू तक नपिार तअ पिीं पा रिे , पर उपके कापक में

114
आसपास चलपेवाली डरजल पंपसे की झकझक-फ फ की ध्वनप प्रवेल कर रिी िै । गााँव में सात
ककसाप िैं पंप वाले, ख्जन्िें वषाा िअपे की काई खास परवाि पिीं। इपके पास ट्यूबवेल का पापर िै ,
परन्तम आाँख में पापर पिीं िै । छअ े ककसापक पर इपकी कअई ममरौव्वत पिीं। उ् े चािते िैं ये लअग कक
छअ े और ंर कजा में डूब जाएाँ और ुपपे खेत बेचते चले जाएाँ।

बाले बाबू उपके सिअदर ंाई िैं, कफर ंर कअई रिमअकरम पिीं। किपे से किें गे और कई बार किा ंर
िै , ''ुपपे िी खेतक कअ प ापा पार पिीं लगता, तमम्िें पापर किााँ से दें । ख्जसे डरजल खरीदपा पड़ता िै ,
उसे िी मालूम िै पापर का मअल। बबजली रितर तअ बात और थर।``

एक समय था कक बड़े जअर-लअर से यिााँ बबजली लायर गयर। यमि स्तर पर खंंे गाड़े गये.....तार बााँिे
गये। एक-डेढ साल तक बबजली रिी ंर......एक सरकारी ट्यूबवेल ंर गाड़ा गया। पर सब ुकारथ।
एक बार बबजली जअ पदारद िमई तअ आज तक बिमरकर पिीं आयर। तार चअरक द्वारा कबके का शिलये
गये.....ुब खंंे बबजूके की तरि खड़े िैं।

किते िैं बबजली ज्यादातर लिर में िी दी जा रिी िै । बाबू-ंैयप के ऐल-मौज के शिलए.....कल-कारखापे
के चलते रिपे के शिलए। दािू मितअ कअ इस समझ पर बड़र झ्लाि िअतर िै । िाककम-िमक्काम यि
क्यक पिीं सअचता कक ंूखे ंजप प िअत गअपाला। जब पैदावार पिीं िअगर तअ ऐल-मौज क्या लअग खाक
करें गे। ुन्प के बदले क्या सरमें , लअिे , कपड़े और प्लाख्स् क खाएाँगे?

उपका बड़कू किता िै , ''बाऊजर, िमारे पास खेत-घर और मवेलर कअ लेकर ढाई-तरप लाख की सम्पनत
िै । कफर ंर िम कजा में डूबे िमए फ े िाल िैं। िमें छि मिीपे ंखू े-सख
ू े चलापे पड़ते िैं। चशिलये, लिर में
आपकअ हदखाते िैं - शिसफा पचास-साो िजार की पाँज ू र लगाकर फमचकावाले, पापवाले, कम्फीवाले,
पकौड़रवाले िमसे बिमत बहढया गमजर-बसर कर लेते िैं। कफर िम क्यक खामखा मा ी से ुपपर िाड़
तमड़वाते रिें ?``

दािू मितअ पे समझापे की कअशिलल की, ''ुगर तमम्िारी तरि संर खेनतिर मजूर ककसाप सअचपे लग
जाएाँ तब तअ बस खेतर की छमट्टर िी िअ जायेगर।``

''खेतर की छमट्टर िअ जाये तअ िअ जाये......यि सअचपा िमारा काम पिीं िै , बाऊ। जअ िाककम-िमक्काम िैं,
उन्िें इसका इ्म पिीं तअ िमें क्यक िअ? ख्जपके पास खेत िै , वे खेतर पिीं करते और ख्जपके पास खेत
पिीं िै , वे खेतर कर रिे िैं। दस
ू रक के खेत में िम ुपपा करम कू कर उपज का आिा हिस्सा उन्िें
फअक में दे रिे िैं। कौप दे खपेवाला िै इस ुाँिेरगदी कअ? कअई ंर पिीं। िमें ंर शिसफा ुपपा दे खपा
िै । मारवाडड़यक कअ दे खखये, पूरे दे ल में फैलकर िंिा कर रिे िैं और क्या ोा -बा की ख्जंदगर बसर कर
रिे िैं। उपके पास खेत िअपे की जरूरत ंर क्या िै ? ुपपे िी गााँव में ककतपे लअग तअ िैं ख्जपके पास
खेत पिीं िै और वे खेतर पिीं करते। कफर ंर िमसे लाख गमपा ुच्छा िैं कक पिीं?``

बड़कू की तजबरज कअ दािू मितअ का पिीं पाते िैं। गााँव में िी ये सारे शिमसाल िैं - िरे लर ंागकर
कलकतता चला गया। विााँ वि चप्पल फैक् री में चतड़ा छीलते-छीलते और समलेलप लगाते-लगाते बप

115
गया चप्पल शिमस्त्रर। दअ िजार रुपया मिीपा ंेजता िै घर में । समखर राम मयूरंंज चला गया। ककसर
दारू ंट्ठर में काम कर रिा िै । पररवार खब
ू बहढया खा-पिप रिा िै । लमच्चअ साव गया में गअलगप्पा का
ोे ला लगाता िै .....चचाा िै कक ुब वि विााँ मेपरअड में कअई दक
म ाप लेपेवाला िै । ममसअ शिमस्त्रर िपबाद में
कारपें री करता िै । कट्ठा-कट्ठा करके उसपे दअ बरघा जमरप खरीद ली। सअबरातर शिमयााँ पवजयवाड़ा में
पता पिीं क्या ायर की दक
म ाप चलापे लगा िै , गााँव में तअ लापदार मकाप बप िी गया, बबिारलरीफ
में ंर एक ककता मकाप बपा शिलया िै । िर साल एकाि बरघा जमरप ंर ककप िी लेता िै । झमन्पू लअिार
पवादा के िी ककसर लेथलॉप में झाड़ू लगा-लगाकर काम सरख शिलया, ुंर बअकारअ स् ील में काम कर
रिा िै । इस तरि के ुपेकक प्रमाण िैं आाँख के सामपे। सचममच इपकी तमलपा में दे खें तअ सबसे खराब
िालत खेनतिर ककसाप की िी िै । खेत जैसे उपके पैर की बेड़र बप गये िैं।

दािू मितअ सब कमछ दे खते-गमपते िमए ंर ुपपे बे क कअ सांतवपा दे पा चािते िैं, ''दे खअ बे े , तममलअग
ुब मेरी परो पर सिारा दे पे के शिलए तैयार िअ गये िअ। बाँ ाई पर खेत लगापेवाले इस गााँव में बिमत
िैं। िम ुपपर िालत ुब समिार लें गे।``

''बाँ ाई करके क्या खाक सि


म ार लें गे? ुपपे िी खेत कअ आबाद करके जरा हदखा तअ दीख्जये िमें । आज
जबकक मौसम का कअई माई-बाप पिीं िै .....जमरप की उवारा लख्क्त की कअई पाप-जअख पिीं िै .....खाद
और उन्पत बरज खरीदपे की िमें औकात पिीं िै , तअ कफर क्या खाकर करें गे खेतर?`` बड़कू ककसर ंख
ू े
बैल की तरि पगिा तड़
म ा बैोा मापअ।

''ंाई ोीक किता िै बाऊ। ुब िम दस


ू रक की जमरप में ुपपर दे ि गलाकर एक िी जगि गअल-गअल
पिीं घूमपा चािते। विी सूखा.....विी मारा.....विी करजा.....विी ंमखमरी। जब आप बिमत समंगगर थे
तअ की तअ थर बाँ ाई.....ककतपा जमा ककया आपपे.....ककतपा जाल-माल बढाया?`` छअ कू पे ंर ुपपे
तेवर की तमली हदखा दी।

दािू मितअ के पास दअपक का कअई जवाब पिीं िै । उन्िें मापपा पड़ जाता िै कक जमापे के ु प े पप पे
उपके बे क कअ उपसे ज्यादा ुक्लमंद बपा हदया िै । मगर वे क्या करें ? गााँव की सादगर-सरलता में
जरपे के ुभ्यस्त.....पमरखक की मा ी से जमड़ाव....गााँवावाशिसयक से हित-मरत के ररश्ते....ुमराई, तड़बन्पा,
मिमआरी आहद के प्रनत रागातमकता.....इस उम्र में वे इप सबकअ बबसरापा पिीं चािते। िल जअतते िमए
ताजर शिमट्टर से जअ एक सकिर खल
म बू नपकलतर िै , उससे छातर में मापअ एक पयर संजरवपर शिमल जातर
िै । इसका बयाप वे ुपपे बे क से कैसे करें ?

िाप, गेिूाँ, मकई, मड़मआ आहद में जब बाली नपकल रिी िअतर.....सरसक, रिड़, ज्वार, मकई जब फमला
रिे िअते तअ इन्िें दे खपे के सख
म की ंला क्या किीं बराबरी िअ सकतर िै ? पौिक का ुाँकमरापा.....पततक
का नपकलपा....िररे -िररे इपका बड़ा िअपा....इन्िें कअड़पा, प ापा, नपकापा आहद संर ककसापर िमा में
एक बच्चे कअ पालपे, परवररल करपे जैसर मााँ वाली पररतख्ृ प्त क्या लिर में दस
ू रे पेले में मयस्सर िअ
सकतर िै ? फसलें ख्जतपर ुवस्थाओं से गमजरतर िैं, वे सब मापअ एक कररश्मा िअता िै ....एक कमदरतर
जाद।ू पवरासत में उन्िें यिी पाो शिमला िै कक ककसापर कअई िंिा पिीं बख््क एक लमि-साख्ततवक सेवा

116
िै प्रकृनत की, ोीक ककसर इबादत जैसर। इसमें जअ स्वाशिंमाप िै ....खद्द
म ारी िै .....सज
ृ प का पररतअष िै ,
वि ककसर बड़े से बड़ा पेला में ंर मममककप पिीं। बे क कअ कैसे समझाएाँ वे?

ुपपे तजब
म े की गोरी से वे कफर नपकालते िैं एक जवाब, ''दे ख बड़कू ! िमें यि पिीं दे खपा िै कक इस
गााँव में िमसे ककतपे लअग सख
म र-संपन्प िैं। िमें ुगर दे खपा िी िै तअ यि दे खपा िै कक िमसे ंर लम े -
पप े बिमत सारे लअग िैं यिााँ। िमारे पास तअ कफर ंर खरचर चलापे के शिलए चार-पााँच मिीपे का ुन्प
िअ जाता िै , लेककप उन्िें ंर तअ दे खअ जअ एकदम ंशिू मिीप िैं, ख्जपकी सारी जमा पाँज
ू र बस उपकी दे ि
िै .....उपकी मेिपत िै । मस
म िरी में बचारे ममसिरक, पाशिसयक, दस
म ािक और चमारक में से ककसर कअ यि पिीं
मालूम कक कल वे क्या खाएाँगे? दे खते िी िअगे कक वे तब ंर ककतपे खल
म और नपख्श्चंत रि लेते िैं।``

बड़कू-छअ कू दअपक के चेिरक पर इस वक्तव्य के प्रनत एक हिकारत उंर आतर िै । छअ कू खरजते िमए
किता िै , ''ख्जस ममख्श्कल समय से िमलअग गमजर रिे िैं, कल िमारी िालत ंर इन्िीं की तरि िअ
जापेवाली िै । ंूशिमिीप िअपे की तरफ क्या िम तेजर से बढ पिीं रिे ?``

दािू मितअ का तरकल कफर खाली िअ गया। उन्िकपे दे खा कक बे क के चेिरक पर कअई एक नपणाय बिमत
ोअस रूप लेता जा रिा िै। वे ुपपे खेतक का नपरथाक भ्रमण कर मायूस लौ पे लगे। रास्ते में तमलसर
साव से ममलाकात िअ गयर। अक बैोा। यि इसकी बड़र बमरी आदत िै , जिााँ ंर ंें ा जाता िै , तगादा
जरूर कर दे ता िै ।

दािू मितअ पे कअई जवाब पिीं हदया, आगे बढ गये।

दस कदम चलकर ुगली गली में घमसे िकगे कक बाले बाबू शिमल गये। उन्िें आलंका िमई कक किीं ये
मिालय ंर तगादा प ोअक दें । पररख्स्थनत जब पवपरीत िअ जातर िै तअ ऐसे काईयााँ मिाजप ज्यादा िी
व्याकमल िअ जाते िैं। दस-बारि मप ग्ला इपका ंर नपकलेगा। दाएाँ-बाएाँ नपगाि फेंककर उन्िकपे कन्पर
का लेपर चािी कक आखखर वे पमकार िी शिलये गये।

''क्या दािू, तमम्िारा बड़कू कि रिा था कक तमम खेत बेचपेवाले िअ? तमम लिर जा रिे िअ, तमम्िें कमछ
पाँूजर चाहिए।``

''ुंर िम इस बारे में कमछ तय पिीं कर पाये िैं।``

''दे खपा, बेचअगे तअ ममझे िी दे दे पा। ुपपर जमरप ुपपे िी आदमर के पास रिे , कअई गैर क्यक लेगा।``
िमाँि ! ुपपा आदमर ! दािू मितअ का माँि
म घण
ृ ा से फैल गया। गााँव से उजाड़पे में जअ ततपरता हदखा
रिा िै , वि खद
म कअ ुपपा आदमर कि रिा िै !

सामपे थअड़र िी दरू पर एक आदमर रास्ते में पड़ा िमआ हदखाई पड़ रिा था। दािू मितअ विााँ लपककर
पिमाँच गये। लाछअ ंैया ताड़र के पले में ित म िअकर ओघड़ाये िमए थे। बगल में िी कै ंर की िमई थर।
बाले बाबू ुंर-ुंर यिीं से गज म रे । इन्िें दे खकर उपके चेिरे पर कअई शिलकप तक पिीं आयर। जैसे यि
चगरा िमआ आदमर सिअदर तअ दरू , बख््क आदमर ंर पिीं कअई मरा िमआ कमतता िअ।

117
दािू परू ी नपष्ोा से सेवा-समश्रष
म ा में शिंड़ गये। ताड़र इन्िें शिमल गयर....मतलब घर का कफर कअई सामाप
आज इन्िकपे बेच हदया। खाली पे में िी ताड़र चढा ली िअगर। कै तअ िअपर िी थर। तरप-चार हदपक से
माँि
म फमलाये बैोे थे। रअ ी दे पे गये तअ फ कार कर ंगा हदया, ''जाओ, तमम्िारे घर का ुब िमें पापर
तक पिीं परपा िै । खबरदार जअ आज से तममपे मेरी दे िरी लााँघर।``

दािू जापते िैं कक ऐसा वे दजापक बार कि चक


म े िैं। प इन्िें बेप्ररत िअकर लड़ते दे र.....प इन्िें सगे की
तरि शिमलते दे र। छअ ी-छअ ी बात पर ंड़ककर शिंड़ जापे का स्वंाव िै इपका। लगे िमए घाव की कअई
ीस िै जअ उपके गमस्से के रूप में झााँक उोतर िै । घरवाली ुगर उपके पैबंद पर पैबंद चढे जजार
गमछे या िअतर या कमरते कअ शिसलपे में ुसमथाता हदखा दे गर तअ बस ंंक पड़ेंगे, ``िााँ-िााँ, तमम्िारा
सरपे का मप पिीं िै , यि मालूम िै िमें । तमम क्या समझतर िअ, तमम्िीं एक समघड़ जपापर िअ इस गााँव
में ? तेरे ऐसर-ऐसर तअ मड़मआ-खेसाड़र का चार बर बबकतर चलतर िै ।``

घरवाली ंर एकदम चचढ जायेगर। सारा गमस्सा ुब दािू मितअ पर उतरे गा।

''खबरदार जअ आपपे मरे िाथ की पकी रअ ी ुब इस दीद उ् े कअ दी तअ ! मरे चािे खपे, ुब िमें
घास तक पिीं डालपर िै इस करमपर े पर।``

बड़कू या छअ कू से ंर नतल का तेल, बू का ंंज्


म जा, आम का ुंचार, साबप
म की ह ककया, मथपररी की
गअली, गहोये के ददा का रअगप, एक-दअ खख्ली खैपर जैसर कअई चरज मााँग लेंगे.....और ुगर उसपे कि
हदया कक घर में पिीं िै तअ बस कफर गाली-गलौज, दरम दरम ापा-कअसपा और संबंि खतम कर लेपे का
तापा लरू
म । बड़कू-छअ कू ंर इपकी इस तप
म कशिमजाजर पर एकदम खार खा लेते िैं। लेककप दािू मितअ
पे इपकी ककसर ंर बदसलूकी का कअई बमरा कंर पिीं मापा। मप में लबालब ंरे आदर-सतकार की
सति ककसर ंर शिलकायत पर कम िअपे प दी। दनम पया में और िै िी कौप इपका, ख्जपसे वे
झगड़ें.....ख्जपसे वे प्रेम करें ? ंमखमरी के वक्त ंर ुपपे हिस्से की आिर रअ ी इपके शिलए बचा लेपा
उन्िकपे िमेला ुपपा िमा समझा। घरवाली और बे े लाख कमढते रिें ।

एक हदप दािू मितअ पे लक्ष्य ककया कक बड़कू और छअ कू घर से किीं गायब िैं और घरवाली की
आाँखक में कअई ंेद तैर रिा िै । पूछा तअ जवाब समपकर वे ुचख्म्ंत रि गये, ''दअपक आज ंअर की गाड़र
से गया चले गये िैं। विीं कअई काम-िंिा करें गे। घअघरावाला पंचकोवा खेत तल
म सर साव के यिााँ रे िप
रखकर बरस िजार रुपये ुपपे साथ लेते गये िैं।``

दािू मितअ बिमत दे र तक मापअ नपष्प्राण से िअ गये। तअ ुब उपसे बबपा पूछे खेत बेचे जापे लगे?
उपकी सिी-दस्तखत की कअई जरूरत पिीं रिी। करािते िमए से पूछा उन्िकपे, ''तमलसर साव के यिााँ क्यक
रखा, माँझले ंैया क्या पिीं थे?``

''उन्िीं से पिले पछ
ू ा था, वे बारि िजार से ज्यादा दे पे कअ तैयार पिीं थे। ुपपा आदमर िैं प!``एक
लंबर और ों ढी सााँस लेकर रि गये दािू मितअ।

118
बड़कू और छअ कू के खैर-सलाि की चचट्ठर िर मिीपे आतर रिी, ख्जसमें यि जापकारी ंर रितर कक वे
एक िंिे में शिंड़ गये िै ।

छि मिीपे बाद दािू मितअ के पाम पााँच सौ रुपये का मनपआडार आपे लगा। साल ंर बाद वि बढकर
एक िजार िअ गया। मतलब दअपक पे जअ रास्ता चप म ा िै , वि बब्कमल सिी लीक पर िै । वे विााँ ककसर
कॉलअपर के बगल में आलू-प्याज एवं िरी सख्ब्जयााँ बेचपे लगे थे। नपष्कषा साफ था कक आलू
उगापेवाला उतपा पिीं उपाजाप कर सकता, ख्जतपा उसकी खरीद-फरअतत करपेवाला। तअ यिी कारण िै
व्यवासानययक की िालत ककसापक से लाख गमपा बेितर िअपे का।

दािू मितअ िररे -िररे रे िप रखे खेत छमड़ापे लगे थे। ुपाज का कजा ंर चक
म ता िअपे लगा था। उपमें
ुब यि ंरअसा जमपे लगा था कक गााँव से उजड़पे की पौबत ुब पूरी तरि ल जायेगर। उपके बे े
ंर ुब चािें गे कक यिीं जमरप-जायदाद में बढअतरी की जाये। दािू मितअ में एक पयर स्फूनता का संचार
िअपे लगा था। गााँव उन्िें ुब पिले से ज्यादा ुच्छा लगपे लगा था। लाछअ ंैया की दे खंाल के प्रनत
वे और ज्यादा ध्याप दे पे लगे थे।

इन्िीं ुच्छे लग रिे खल


म गवार हदपक में बड़कू की एक चचट्ठर आ गयर कक जमरप रे िप रखकर चालीस
िजार रुपये का इंतजाम ज्दी करें । स्थायर दक
म ाप के शिलए एक बड़र उम्दा जगि बबक रिी िै । इसे िर
िाल में िमें खरीदपा िै ।

चचंता की बाढ कफर दािू मितअ की िमनपयक में उपरापे लगर। एक कट्ठा जमरप रे िप रखते िमए उपका
एक ली र खप ू मापअ सूख जाता था।

घरवाली पे किा, ''लड़कक पे ुपपे कअ सिी साबबत करके हदखा हदया िै , इसशिलए उपकी बात मापपर
िअगर।``

वे कमछ तय पिीं कर पा रिे थे कक क्या करें .....क्या प करें ! तंर आकख्स्मक रूप से ऐसे िालात बप
गये कक सारा कमछ स्वत: िी तय िअ गया।

लाछअ ंैया बाले बाबू के खेत से एक ममट्ठा बू के पेड़ उखाड़ रिे थे। मप िअ गया िअगा बेचारी बूढी
जरं कअ िरे बू फककपे का। बाले बाबू का बड़ा लड़का गन्पू गााँव में िी था इप हदपक। उसपे ुचापक
विााँ िमककर उन्िें दबअच शिलया, जैसे एक बड़े लानतर चअर कअ रं गे िाथ पकड़पे की जााँबाजर कर ली
िअ।

''ुच्छा तअ आप िी िैं इस पूरे खेत के आिे बू कअ साफ कर दे पे वाले? बिमत हदपक से िमें आपकी
तलाल थर।``

उसपे उपके िाथ से झाँगरी छीप ली और कलाई से घसर कर गााँव की ओर आपे लगा। ुसिाय लाछअ
मितअ फक्क थे, मापअ समझपे की कअशिलल कर रिे िक कक क्या आजकल दअ-चार पेड़ बू उखाड़ लेपा
ंर एक ुपराि िै , वि ंर ुपपे सिअदर ंाई के खेत से?

119
रास्ते में िी दािू मितअ इस वाककये से करा गये। ऐसर पल
ृ ंस कारगमजारी ! क्या इस दष्म -ढीो लड़के
कअ यि मालूम पिीं कक यि आदमर उसका कौप लगता िै ? यि आदमर तअ उसके बाप की नतजअरी पर
ंर िावा बअल दे तअ कअई गमपाि पिीं िअगा। उसके बाप के पालपिार रिे िैं ये। उपसे यि ुृशश्य दे खा
पिीं गया। ंैया कअ उसकी नघपौपर जकड़ से छमड़ापे की कअशिलल की तअ वि उन्िें ंर िककयाकर
खबरदार करपे लगा। बस उन्िें ताव आ गया और उन्िकपे िाथ की छड़र कअ गन्पू पर ताबड़तअड़ बरसा
हदया। वि इसके शिलए तैयार पिीं था। ुगर िअता ंर तअ दािू मितअ के पमरापर िडड्डयक वाले लाोीबाज
िाथ से पार प पाता।

उसका शिसर फ गया और ख्जस्म के कई हिस्से जतमर िअ गये।

इसका उन्िें रततर ंर मलाल पिीं था। ंैया कअ नपरीि और बेबस िअपे के मपअंाव से उन्िकपे उबार
शिलया था। उपका बेजब्त िअ जापा एकदम लाख्जमर थर। आज तक इस गााँव में ककसर कअ ंर ककसर के
खेत से दअ-चार पेड़ चपा उखाड़ लेपे, ममट्ठर ंर म र तअड़ लेपे या एक ुदद गन्पा का लेपे में कअई
मपािी पिीं थर। कम से कम ुपपे गअनतया-हदयाद के खेत से तअ बब्कमल पिीं। दअ हदप बाद जब
सब
म ि िी सब
म ि हदला करके लौ रिे थे दािू मितअ तअ थापे के दअ शिसपािी पे उन्िें घेर शिलया और ुपपे
साथ थापा लेकर चले गये। लाछअ मितअ पे तल म सर साव से कजा लेकर दरअगा कअ ंें चढायर, दौड-िप ू
की तब जाकर चौबरस घं े बाद िाजत से वे छू पाये।

इतपर सर बात पर उपकी इतपर फजरित और वि ंर ुपपे सिअदर द्वारा! पैसे की गमी और कचिरी
के रसूख की यि िमार! ुगर बाले बाबू कअ यि प्रतरनत िमई थर कक दािू पे पाजायज कर हदया िै तअ
वे उम्र में बड़े थे, खद
म िी आकर या बमलवाकर जवाबतलब कर लेते....गाली-गलौज कर लेते....मार-पर
कर लेते, उन्िें कअई उज्र पिीं िअता। आखखर गन्पू पर दािू मितअ पे िाथ चला हदया तअ यि ुचिकार
समझकर कक उपसे छअ ा िै और ुपपे बाप के बाप तम्य आदमर से बदतमरजर से पेल आ रिा िै ।

ुपपा मापपा ंर उन्िें गवारा पिीं था तअ पराया मापकर पंचायत िी बबोा लेते। आज तक तअ बड़े से
बड़ा मामला पंचायत से िी नपप ता रिा िै इस गााँव में । िाजत में बंद करवाकर ख्जंदगर ंर की उपकी
ंलमपसाित और लराफत कअ सरे आम मापअ जलील करवा हदया। ुब रि िी क्या गया इस गााँव में
उपके पास? ुपपा िी आदमर इस तरि सलूक कर सकता िै तअ और उम्मरद िी किााँ और ककससे रि
जातर िै । इस पमश्तैपर ोीिे से तअ बेितर िै लिर की ुपजाप-ुपररचचत दनम पया।

दािू मितअ पे तय कर शिलया कक ुब वे बे क के पास लिर चले जाएाँगे।

ुपपे बड़कू कअ उन्िकपे बमलवा शिलया। पूरा गााँव यि जापकर सन्प रि गया कक ख्जस आदमर कअ ुपपर
एक िरू जमरप बेचपे में ंर खप
ू सूखपे लगता था, आज वि ुपपर पूरी घर-जमरप बेचपे का ऐलाप
कर रिा िै । दािू मितअ पे बड़के ंैया कअ ंर कि हदया कक वे ंर तैयार रिें , उन्िें ंर साथ चलपा िै ।

120
जब सारी तैयारी िअ गयर और चलपे की घड़र आयर तअ लाछअ मितअ पता पिीं किााँ लअप िअ गये। ढूंढपे
पर ंर किीं पिीं शिमले। गााँव से एक ककसाप ख्जप ुपचगपत तारक से बंिा रिता िै , उप सबकअ
एकबारगर तअड़ डालपा क्या िरे क से संंव िै ?

बड़कू झ्ला उोा, ''आप तअ बेकार िी उपके फेर में पड़े िैं। गााँजा-ंााँग और ताड़र का चस्का लगा िै
उन्िें , इस छअड़कर वे आपके साथ ंला क्यक जाएाँगे? छअडड़ये उपका माया-मअि.....चशिलये
चप
म चाप.....गाड़र का समय िअ गया।``

दािू मितअ चल पड़े। ोीक िै , उन्िें पिीं जापा था तअ कम से कम ुपपे पााँव छूपे का ुवसर तअ दे
दे ते। पके िमए आम की उम्र िै ....पता पिीं पिले कौप पक जाये ! लिर में पैसे से सब कमछ शिमल
सकता िै पर पपता की तरि लालप-पालप दे पे वाले ंैया के पांव तअ पिीं शिमलेंगे।

वे ुपपर घरवाली और बे े के साथ गााँव की सरिद से नपकलते चले जा रिे िैं.....उदास आाँखक से गााँव
की ंरड़ उन्िें दे ख रिी िै । उन्िें लग रिा िै जैसे बूढा बरगद आज जड़ से उखड़ गया िै और वे उसकी
डाल से नछ ककर ऊपर बेढंगर िवा में फेंका गये िैं।

121
िूखते स्रोत

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