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BSS July 3 पाठ्यक्रम
BSS July 3 पाठ्यक्रम
कक्षा क्रम
1. प्रार्थना (5 मिनट)
अ. प्रार्थना
ब. गुरु वंदना
स. वेदमाता – देवमाता – विश्वमाता की वंदना
2. बाल प्रबोधन
अ. प्रेरणाप्रद कहानियाँ (10 मिनट) - रेखा छोटी हो गई
ब. प्रेरक प्रसंग (10 मिनट) - ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
स. सुविचार/सद्वाक्य (3 मिनट)
ब. गुरु - वंदना
रेखा छोटी हो गई
स्वामी रामतीर्थ सन्यास लेने से पूर्व एक कालेज में प्रोफे सर थे। एक दिन
बच्चों के मानसिक स्तर की परीक्षा लेने के लिये उन्होंने बोर्ड पर एक लकीर
खींच दी और विद्यार्थियों से कहा- "इसे बिना मिटाये ही छोटा कर दो।"
एक विद्यार्थी उठा किन्तु वह प्रश्न के मर्म को नहीं समझ सका उसने रेखा
को मिटा कर छोटी करने का प्रयत्न किया। इस पर स्वामीजी ने बच्चे को
रोका और प्रश्न को दोहराया। सभी बच्चे बड़े असमंजस में पड़ गये।
थोड़े समय में ही एक लड़का उठा और उसने उस रेखा के पास ही एक
बड़ी रेखा खींच दी। प्रोफे सर साहब की खींची हुई रेखा अपने आप छोटी
हो गई। उस बालक की सराहना करते हुए स्वामी जी ने कहा "विद्यार्थियों
दुनिया में बड़ा बनने के लिये किसी को मिटाने से नहीं वरन् बड़े बनने के
रचनात्मक प्रयासों से ही सफलता मिलती है। बड़े काम करके ही बड़प्पन
पाया जा सकता है।"
बड़े-बड़े लॉट और गवर्नर आपके विचारें का बड़ा आदर करते थे। बड़े बड़े अंग्रेज
पदाधिकारियों को आप सदा अपनी वेश-भूषा में ही मिलते। आप सदा चादर और
खड़ाऊँ पहनते। आपने बंगाल में संस्कृ त भाषा का बहुत प्रचार किया, सैकड़ों
पाठशालाएँ खुलवाई और उन्हें सरकारी सहायता दिलाई। आप सारी आयुभर
विधवा-विवाह और कन्याओं में शिक्षा-प्रचार के लिए लड़ते रहे।
ये हैं, उस महापुरुष के जीवन की कु छ घटनाएँ जो एक निर्धन के परिवार में जन्में
और जब तक जिये दूसरों के लिए जिये। आप सदा कठिनाई में रहकर भी दुखियों
की सहायता करते रहे।
स. सुविचार/सद्वाक्य (3 मिनट)
4. जीवन विद्या (20 मिनट) (दो सप्ताह मे पूरा कराएं (प्रथम सप्ताह)
नाश्ता
आचार्य क्या करें ?
-अंकु रित अन्न के लाभ एवं पौष्टिकता के विषय में बताएँ। यह सुपाच्य एवं प्रोटीन,
विटामिन, कार्बोहाइड्रेट का भण्डार है। शरीर को निरोग बनाता है, जीवनी शक्ति का
विकास करता है, रोग निरोधक शक्ति बढ़ाता है ।
-गौ दुग्ध के लाभ बताएँ। गाय का गुनगुना मीठा दूध पीना चाहिए। यह अमृत
तुल्य है, पूर्ण भोजन है एवं सुपाच्य है, मेधावर्धक है। जीवनी शक्ति का
विकास करता है, शरीर में स्फू र्ति पैदा करता है। भैंस का दूध गरिष्ठ होता है
और देर से पचaता है।
-गौ माता के विषय में बतायें।
नाश्ता हेतु अंकु रित अन्न विधि- मूँग, चना, गेहूँ, सोयाबीन, मैथी, तिल,
मूँगफली आदि अपनी रुचि एवं आवश्यकता के अनुसार लेकर साफ करें व
धोकर पानी में डाल दें। दूसरे दिन प्रातः उन्हें निकाल कर कपड़े की पोटली में
बाँधकर लटका दें तथा दूसरे दिन के लिए दूसरा अन्न भिगो दें। बँधे हुए अन्न
से तीसरे दिन अंकु र निकल आते हैं। उसे पानी से धोकर इच्छानुसार नमक,
काली मिर्च डालकर खूब चबाकर खायें। इस तरह प्रतिदिन का क्रम बना रहे।
भावार्थ- हे प्रभो! विश्व के समस्त प्राणी सुखी हों, सभी निरोगी हो, सभी शुभ
एवं कल्याणमय (सकारात्मक) देखें, कभी किसी को कोई पीड़ा एवं दुःख न हो।
विश्व में सर्वत्र शान्ति हो।
शांतिपाठ
7. सत्संकल्प/जयघोष (5 मिनट)
जयघोष
कक्षा समाप्त होने पर उत्साह पूर्वक जयघोष करें कराएँ।
1. भारतीय संस्कृ ति की - जय
2. भारत माता की - जय
3. एक बनेंगे - नेक बनेंगे
4. हम बदलेंगे - युग बदलेगा
5. हम सुधरेंगे - युग सुधरेगा
6. विचार क्रांति अभियान - सफल हो, सफल हो, सफल हो
7. ज्ञान यज्ञ को लाल मशाल - सदा जलेगो, सदा जलेगी।
8. ज्ञान यज्ञ की ज्योति जलाने - हम घर-घर में जाएँगे।
9. नया सबेरा, नया उजाला - इस धरती पर लाएँगे
10. नया समाज बनाएँगे - नया जमाना लाएँगे
11. जन्म जहाँ पर - हमने पाया
12. अन्न जहाँ का - हमने खाया
13. वस्त्र जहाँ के - हमने पहने
14. ज्ञान जहाँ से - हमने पाया
15. वह है प्यारा - देश हमारा
16. देश की रक्षा कौन करेगा - हम करेंगे, हम करेंगे
17. युग निर्माण कै से होगा - व्यक्ति के निर्माण से
18. माँ का मस्तक ऊं चा होगा - त्याग और बलिदान से
19. मानव मात्र - एक समान
20. जाति वंश सब - एक समान
21. नर और नारी - एक समान
22. नारी का सम्मान जहाँ है - संस्कृ ति का उत्थान वहाँ है
23. जागेगी भाई जागेगी- नारी शक्ति जागेगी
24. नशा नाश की जड़ है भाई - जिसने किया मुसीबत लाई
25. हमारी युग निर्माण योजना - सफल हो, सफल हो, सफल हो
26. हमारा युग निर्माण सत् संकल्प - पूर्ण हो, पूर्ण हो, पूर्ण हो
27. इक्कीसवीं सदी - उज्वल भविष्य
28. बन्दे वेद मातरम्
दृश्य बनाओ
दस ग्यारह बालकों का समूह बनाकर उनमें से ही एक को गण प्रमुख नियुक्त
करें। किसी भी एक दृश्य अथवा स्थान की घोषणा प्रशिक्षक द्वारा किये जाने पर
बालकों को उस दृश्य की रचना करनी है। उदाहरण के तौर पर मन्दिर कहते ही
बालक मन्दिर का दृश्य बनायेंगे। जैसे- दो ऊँ चे बालक एक दूसरे का हाथ
पकड़कर मन्दिर का मुख्य द्वार बनायेंगे। उसके पीछे आशीर्वाद की मुद्रा में एक
बालक भगवान बनकर बैठे गा। कोई पुजारी बनकर प्रसाद बाँटेगा तो कोई हाथ
उठाकर घण्टा बजायेगा । कु छ भक्त फू लमाला पहनायेंगे कु छ आरती का
अभिनय करेंगे। इसी अभिनय के दौरान सीटी बजने पर बालक जिस मुद्रा में हैं,
वैसे ही स्तब्ध बिना हिले-डुले खड़े हो जायेंगे। प्रशिक्षक सभी गणों का दृश्य
देखकर विजेता गण की घोषणा करेगा। इस खेल में बालकों की कल्पनाशक्ति
विकसित होती है। व्यायाम शाला, संस्कार वर्ग, बाजार, स्वतंत्रता संग्राम,
चिकित्सालय, विद्यालय, बस स्थानक, कार्यालय, कारखाना, यात्रा, विवाह,
दीपावली इत्यादि अनेक प्रसंगों को लेकर दृश्य बनाये जा सकते हैं।
जन्मदिन विधि :-
एक सप्ताह पूर्व उपस्थिति पंजी से देखकर सुनिश्चित करें कि किस विद्यार्थी का
जन्मदिन मनाना है। आगामी रविवार को जन्मदिन मनाने की सूचना संबंधित
विद्यार्थी को दें देवें।
जन्मदिन मनाने की विधिः
1) बालक को आचार्य अपनी कु र्सी पर स्नेहपूर्वक पुकार कर बुलाकर बैठायें
सभी विद्यार्थियों को
इस विषय में सूचना दें कि आज हम अमुक विद्यार्थी का जन्मदिन मनाने जा रहे
हैं।
2) संक्षिप्त में मानव जीवन की गरिमा बतायें किसी महापुरूष की महानता का
दृष्टांत संक्षिप्त में प्रस्तुत करें और किशोर का पवित्रीकरण, तिलक, संपन्न करें।
युवा प्रकोष्ठ:-
9258360652, 9258360962