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अघोर गायत्री मंत्र

सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी मैं


अघोरी सर्वरंगी।गुरु हमारे बहुरंगी।भूत प्रेत वैताल मेंरे संगी।
डाकिनी शाकिनी अंग अंग में लगी।भूतनी प्रेतनी हाथ जोड़ पांव में
पड़ी।चुड़ैल पिशाचिनी सेंवा में हाजिर हजूर खड़ी। अघोरी अघोरी
भाई भाई।अघोरी साधो मढ़ी मसान के मांई।अघोरी की संगत
करना।जिस संगत से पार उतरना।मढ़ी मसान से अघोरी आया।
खुर खुर खावें।लुदर मांगे।आस पल के संग न जावें।गगन मण्डल
में उनकी फे री।काली नागिन उसकी चेली।उस नागिन पर अघोरी
की छायां।अघोरी ने छायां से अघोर उपाया।अघोर से अघोरी हो
कर ब्रम्ह चेताया।सेली सिंगी बटु आ लाया।बटु वें में काली नागिन।
काली नागिन लाकर तलें बिछाई।तब अघोरी ने जुगत कमाई।रक्त
गुलासी।शुद्ध गुलासी।के तु के तु हेरो भाई।ना किसी के भेलें जावें।ना
किसी के भेलें खावें।मढ़ी मसान मेरा वासा।मैं छोड़ी कु ल की
आशा।अघोर अघोर महाअघोर।आदि शक्ति का भग वो भी अघोर।
गौरी नन्द गणेश के शुभ लाभ वो भी अघोर।काली पुत्र काल भैरव
का कपाल वो भी अघोर।अंजनी सुत हनुमान कि ललकार वो भी
अघोर।ब्रम्हा जी के चार वेद छहः शास्त्र वो भी अघोर।वासुदेव श्री
कृ ष्ण के छप्पन करोड़ यादव वो भी अघोर।देवाधिदेव महादेव के
ग्यारह रुद्र वो भी अघोर।गौरां पार्वती माई की दस महाविद्या वो भी
अघोर।कामदेव की रति वो भी अघोर।ब्रम्हऋषि वाल्मिकी जी की
रामायण वो भी अघोर।महऋषि वेदव्यास जी की श्रीमद्भागवत
गीता वो भी अघोर।गोस्वामी तुलसीदास जी की रामचरित मानस
वो भी अघोर।माता पिता वो भी अघोर।गुरु शिष्य वो भी अघोर।
मढ़ी मसान की राख वो भी अघोर।मुआ मुर्दा की ख़ाक वो भी
अघोर।सदाशिव गुरू गोरक्ष नाथ जी ने अघोर गायत्री मंत्र सिद्ध
गहनी नाथ जी को कान में सुनाया।अज्जर वज्जर किन्हें हाड़
चाम ,अमर किन्हीं सिद्ध गहनी नाथ जी की काया।आवें नहीं जावें
नहीं।मरें नहीं जन्में नहीं।काल कभी नहीं खावें।मरें नहीं कभी घट
पिण्ड ,सड़े नहीं नाद बिन्द की काया।शिव शक्ति ने अण्ड फोड़
ब्रम्हाण्ड रचाया।ले सिन्दूर लिलाट चढ़ाया।सिन्दूर सिन्दूर
महासिन्दूर।महा सिन्दूर कहाँ से आया।कै लाश पर्वत से आया।
कौन कौन ल्याया।गौरी नंद गणेश काली पुत्र काल भैरव अंजनी
सुत हनुमान ल्याया।कौन कारण ल्याये।माता आदि शक्ति के
कारण ल्याये।तेल तेल महातेल।देंखु रे सिन्दूर तेरी शक्ति का खेल।
तेल में लेऊँ सिन्दूर मिलाय।बीच लिलाट बिंदी लेऊँ लगाय।भूत
प्रेत बेरी दुश्मन के लगाऊँ वज्र शैल।एक सेवा से हनुमन्त ध्याऊँ ।
पकड़ भुजा काल भैरव की ल्याऊं ।हथेली तो हनुमान बसे बिंदी बसे
दुर्गा माई काल भैरव बसे कपाल।विभुति उलेटू विभुति पलेटु ।
विभुति का करूँ शिंणगार।आप लगायें धरती के मै लगाऊँ संसार।
अवधूत दत्तात्रेय नाथ जी बोलें बंम बंम ओउमकार।माया मछिन्द्र
नाथ जी ने ओउमकार का ध्यान लगाया।ओउमकार में अलख
निरंजन निराकार।अलख निरंजन निराकार में पारब्रम्ह।पारब्रम्ह
में कामधेनु गाय।कामधेनु गाय से उत्पन्न भई माता अघोर
गायत्री।अघोर गायत्री अज़रा जरें।काट्या घाव भरें।अमिया पीवें।
अभय मण्डल में रहन्ती।असँख्य रूप धरन्ती।साधु संतों को
तारन्ती।अभेद कवच भेदन्ती।छल कपट छे दन्ती।लख चौरासी
जिया जून से टालन्ती।अपने ग्वाल बाल को पालन्ती।इंद्री का श्राप
टालन्ती।वैतरणी नदी से पार उतारन्ती।अघोर गायत्री माई सत्य
सागरी।ओउम तरी।सोहंम तरी।रेवन्तरी।धावन्तरि।अजरावन्ती।
वजरावन्ती।वासु मुनि के वचना दुर्वासा ऋषि के लार पडन्ती।
अट्ठारह भार वनस्पति चरन्ती।गोचरी।अगोचरी।खेचरी।भूचरी।
चाचरी।।सुमेरू पर्वत पर बैठन्ती।हूँ हूँ कार करन्ती।पंचमुख
पसारन्ती।गंगा यमुना सरस्वती में खेलन्ती।अजपा जाप जपन्ती।
सात हत्या पाप उतारन्ती।अघोर गायत्री अनहद में गाजे।काल
पुरुष खाये तो गुरु गोरक्षनाथ लाजे।तार तार माता अघोर गायत्री
तारिणी।सकल दुःख निवारिणी।बोलो बंम बंम।ॐ अघोराय
विदमहे महाअघोराय धीमहि तन्नो अघोराय प्रचोदयात।इतना
अघोर गायत्री मंत्र जाप सम्पूर्ण भया।शून्य की गादी बैठ राजा
गोपीचन्द नाथ जी ने आपो आप सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को
आदेश

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