You are on page 1of 47

https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.

com

नीततशास्त्र तथा मानवीय सह-संबध



तवषय सूिी

1. भूतमका ___________________________________________________________________________________ 3

2. नीततशास्त्र तथा मानवीय सह-संबध


ं – नीततशास्त्र का सार तत्व _____________________________________________ 4

2.1. प्रमुख शब्दावतलयााँ: तवश्वास, मूल्य, मानदंड, तसिांत, नैततकता, नीततशास्त्र __________________________________ 5

2.2. नीततशास्त्र के तनधावरक (Determinants of Ethics) _______________________________________________ 11

2.3. नीततशास्त्र के पररणाम _____________________________________________________________________ 13

2.4. नीततशास्त्र के अयाम (Dimensions of Ethics) __________________________________________________ 14

3. ऄनुप्रयुक्त/फतलत नीततशास्त्र : तवतशष्ट ईदाहरण_______________________________________________________ 16

3.1. पयाववरणीय नीततशास्त्र (Environmental Ethics) ________________________________________________ 16

3.2. व्यावसातयक/व्यापार नीततशास्र (Business Ethics) ______________________________________________ 17

3.3. नैततक प्रबंधन (Ethical Management) _______________________________________________________ 18

3.4. तवश्वबंधुता संस्कृ तत और शहरीकरण के संदभव में नैततक संघषव ___________________________________________ 19

4. तनजी और साववजतनक संबध


ं ों में नीततशास्त्र __________________________________________________________ 20

4.1. तनजी संबंधों में नीततशास्त्र (Ethics in Private Relationships) ______________________________________ 20

4.2. साववजतनक संबंधों में नीततशास्त्र _______________________________________________________________ 21

4.3. साववजतनक तथा तनजी नीततशास्त्र में संबंध ________________________________________________________ 22

5. नैततक द्वंद्व/संघषव का तनराकरण: रास्ता क्या है? _______________________________________________________ 23

6. मानवीय मूल्य (Human Values) _______________________________________________________________ 24

6.1. मूल्य तवकतसत करने में पररवार, समाज तथा शैक्षतणक संस्थाओं की भूतमका _________________________________ 25
6.1.1. मूल्य तवकतसत करने में पररवार तथा समाज की भूतमका __________________________________________ 25
6.1.2. मूल्य तवकतसत करने में शैक्षतणक संस्थाओं की भूतमका ____________________________________________ 26

7. तवगत वषों में UPSC द्वारा पूछे गए प्रश्न ___________________________________________________________ 26

8. तवगत वषों में UPSC द्वारा पूछे गए प्रश्न: के स स्टडीज __________________________________________________ 28

9. तवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न___________________________________________ 29

10. तवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न: के स स्टडीज ________________________________ 43

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

1. भूतमका
जजमेंट एट नूरम्बगव नामक एक ऐततहातसक फफल्म में मुख्य नायक प्रधान न्यायाधीश डेन हेवुड के सम्मुख
एक ऄजीब करिन पररतस्थतत थी। वह जमवनी के िार न्यायाधीशों से संबि एक मुकदमे की सुनवाइ करने जा
रहे एक न्यायातधकरण के ऄध्यक्ष थे। अरोप यह था फक आन िारों न्यायाधीशों ने तहटलर के नाजी शासन के
दौरान कु छ समूहों (यहूफदयों, समलैंतगकों अफद) की बलात नसबंदी और जातीय नरसंहार को बढावा देने के
तलए ऄपने पदों का ईपयोग फकया था। वहीं दूसरी ओर, यह तकव फदया जा रहा था फक िूंफक न्यायाधीश और
तसतवल सेवक कानून नहीं बनाते हैं, बतल्क बस ऄपने देश के कानूनों को कायावतन्वत करते हैं, आसतलए ईन्हें
दंतडत नहीं फकया जाना िातहए। ऐसे में सवाल यह था फक क्या सिमुि वे ईक्त ऄन्याय और क्रूरता के तलए
ईिरदायी थे, जबफक राज्य मशीनरी का ईनके तवरूि भलीभांतत ईपयोग फकया जा सकता था? या 'ऄपने
कतवव्यों के तनववहन' का बहाना बस एक पदाव था तजसके पीछे वे ऄपने नैततक और कानूनी ईिररदातयत्व से

पल्ला झा स सकते थे? खैर जो भी हो, ईधर शीत-युि में तीव्रता अ रही थी, तजसके कारण कोइ भी यह नहीं
िाहता था फक जमवनी में कोइ और मुकदमा िले, क्योंफक आससे नकारात्मक लोकमत बन सकता था। ऄतः यह
ऄपेक्षा की जा रही थी फक न्यायातधकरण द्वारा न्यायाधीशों को कारावास का दंड फदए तबना ररहा कर फदया
जाएगा। ऄतः न्यायातधकरण के समक्ष दुतवधा यह थी फक क्या ऄतीत को भूल जाना और ईसे जाने देना सही
था या आस प्रकार के ऄमानवीय कृ त्यों के कायावन्वयन को बढावा देने वाले सभी न्यायाधीशों को दंतडत करना
सही था? मुकदमा यह फदखाने के तलए जारी रहा फक "संकट की तस्थतत में, यहााँ तक फक ऄसाधारण,
करूणावान और समानुभूतत रखने वाले लोग भी कल्पना से परे जघन्य ऄपराध करने से ऄपने अपको नहीं
रोक सकते हैं।" न्यायाधीश हेवुड दबाव के अगे नहीं झुके और मुकदमे में ईसके गुण-दोषों के अधार पर ईन
लोगों के तवरुि सुनवाइ जारी रखने का तनणवय तलया तजनके तवरूि सरकार द्वारा प्रायोतजत क्रूरता और
ऄन्याय में सिेत भागीदारी का अरोप तसि फकया जा सकता था।
2005 में ऄफगातनस्तान में, यू.एस. नेवी सील के एक कमांडो माकव स लुट्रल
े को एक दुतवधा का सामना
करना प सा - “फक क्या ईन तनद ष नागररकों को मार देना िातहए, तजनपर ईनके दल के सातथयों को यह
om

संदह
े था फक वे ईनके छु पे होने का स्थान बता देंगे, या ईन्हें जाने देना िातहए”। ऐसी तस्थतत का सामना करते
l.c
ai

हुए, ईसने ईन्हें जाने देने का तनणवय तलया। कु छ घंटों बाद, ईन्हें तातलबान ने घेर तलया और हमला कर
gm
@

फदया। लुट्रेल बि गया और बाद में ईसने स्वीकार फकया फक यह प्रेम, तवश्वास और अशा की ईसकी इसाइ
11
13

मान्यताएं थीं, तजन्होंने ईस पल ईसका मागवदशवन फकया। हालांफक, ईसने यह भी कहा फक, काश ईसने ऄपने
j5
ra
su

दल के सातथयों की बात सुनी होती और ऄपना तनणवय बदल फदया होता। अइये , ऄब हम जम्मू कश्मीर की
एक घटना से आसकी तुलना करें। 2016 में मानवातधकार के गंभीर ईल्लंघन के एक अरोपी मेजर गोगोइ ने
पत्थरबाजी करनेवाली भी स से एक व्यतक्त को पक स तलया और सैन्यकर्शमयों को खतरा वाले क्षेर से सुरतक्षत
रूप से बाहर तनकालने के तलए ईसका मानव ढाल के रूप में ईपयोग फकया। सेना की जााँि में ईन्हें तनद ष
िहराया गया, लेफकन यहााँ सवाल यह है फक क्या मेजर गोगोइ को व्यतक्त के प्राण के ऄतधकार का ईल्लंघन

करते हुए, एक व्यतक्त के जीवन को खतरे में डालने का ऄतधकार था? ईपरोक्त वर्शणत 2005 एवं 2016 की
आन दोनों घटनाओं को देखें तो, तनश्चय हीं लुट्रल
े या गोगोइ द्वारा तलए गए तनणवयों की ऄंतहीन अलोिना की
जा सकती है। लेफकन यह अलोिना तकव संगत रूपरेखा में की जानी िातहए। वे मागवदशवक कारक क्या थे
तजसके िलते ईन्होने ऐसा तनणवय तलया? पश्च दृति के लाभ के साथ, क्या बेहतर फकया गया होता?
एक तसतवल सेवक के तौर पर, व्यतक्त को न के वल ऐसे तनणवय लेने प सते हैं जो दूसरों के जीवन को प्रभातवत
करते हैं, ऄतपतु साथ ही ईन्हें ऄपने तलए भी तवकल्प का िुनाव करना प सता है। ईदाहरण के तलए- क्या
फकसी संबंधी द्वारा संिातलत फमव से तनतवदाएं स्वीकार करने का पररणाम तहतों का संघषव है? आसी तरह, हम
तवतभन्न प्रकार के तवषयों पर राय रखते हैं। वह राय कै से अकार लेती है? हम कै से पररभातषत करते हैं फक

3 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

कोइ तवशेष घटना, तनणवय या तथ्य, भले ही वह हमसे संबंतधत न हो, ऄच्छा या बुरा है, सही या गलत है?
बहुत से लोग आस बात से चिततत नहीं होंगे फक भारत में फक्रके टर फकतना पैसा कमाते हैं। लेफकन हम फक्रके टर
के समान अय की मांग करने वाले ऄन्य खेलों से संबि तखलातडयों की मांग से कै से तादात्म्य बैिाते हैं, भले
ही वह खेल दूसरों के तलए ईतना सम्मोहक नहीं हो, यह सोिने वाली बात है? या फकसी पररश्रमी यातायात
पुतलसकमी को मुंबइ में फकसी वातानुकूतलत कायावलय में काम करने वाले पररश्रमी कॉप रेट कमविारी के
साथ कै से सह-संबंतधत करते हैं? क्या बच्चे को जन्म देने के ऄतधकार में ईसका जीवन समाप्त करने का भी
ऄतधकार सतम्मतलत है? क्या एक जीवन की कीमत पर कइ जीवन बिाना न्यायोतित है? आन प्रश्नों का हााँ
या नहीं में ईिर ईतना सरल नहीं है, तजतना हम सामान्य ढंग से सोिते हैं। लेफकन आन प्रश्नों का मूल्यांकन
करने के तलए हम तजस ढांिे का ईपयोग करते हैं, वह मनमाना नहीं हो सकता। ईसे तकव संगत होना िातहए।
ऐसी तवसंगततयों के पक्ष में या के तवरूि क्या नैततक तकव हो सकते हैं?
नीततशास्त्र क्या है? (What are Ethics?)
 ऄपने सरलतम रूप में, नीततशास्त्र नैततक तसिांतों की एक प्रणाली है। यह 'क्या करना सही है/होगा?'
(ऄथावत् ईतित अिार) का एक ऄन्वेषणात्मक ऄध्ययन है। यह आस बात को प्रभातवत करता है फक लोग
तनणवय कै से लेते हैं और ऄपना जीवन जीते हैं। 'एतथक्स (Ethics)’ ऄथावत् नीततशास्त्र शब्द ग्रीक शब्द
'एतथकोज' (ethikos) से तनकला है तजसका ऄथव परंपरा, अदत, िररर या स्वभाव हो सकता है।
नीततशास्त्र नैततक तसिांतों की एक ऐसी प्रणाली है जो सही और गलत, ऄच्छे और बुरे, ईतित और
ऄनुतित के बीि ऄंतर करने में हमारी सहायता करता है। नीततशास्त्र को मानव अिरण के तलए
मागवदशवक प्रकाश कहा जा सकता है। नैततक तसिांतों के ऄनुप्रयोग के कारण मानव व्यवहार और कायों
में पररवतवन वस्तुतः मानवीय समाज के तनमावण में हमारी सहायता करते हैं जहां सभी शांतत और
समरसता के साथ रह सकते हैं।
 क्या ऐसा कोइ साववभौतमक नैततक तसिांत है या नहीं, तजसे व्यतक्त या पररतस्थतत से तनरपेक्ष लागू
फकया जा सकता है। यह एक ऐसा तवषय है तजसपर दाशवतनकगण संपण ू व आततहास के दौरान बहस करते
रहे हैं। सभी समाजों ने ऄतीत में कइ बार ऄच्छे या स्वीकायव अिरण के तसिांतों को संतहताबि करने
का प्रयास फकया है। बुरे या ऄस्वीकायव अिरण को हतोत्सातहत या दंतडत फकया गया है। ईदाहरण के
तलए- नीततशास्त्र पर धार्शमक तविार साववभौतमक होते हैं। आमैनुएल कांट द्वारा यथा प्रस्तातवत तनरपेक्ष
om

अदेश (Categorical Imperative) की ऄवधारणा (आसपर अगे ििाव की गयी है) कृ त्य/फक्रयाकलाप
l.c
ai
gm

की साववभौतमकता तनधावररत करने की कसौटी प्रस्तुत करती है।


@

2. नीततशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंध – नीततशास्त्र का सार


11
13

तत्व
j5
ra
su

(Ethics and Human Interface – The essence of ethics)


 सार फकसी िीज की ऄंतर्शनतहत प्रकृ तत या ऄतनवायव गुण है जो ईसका िररर तनधावररत करता है। यह
मूल या वास्ततवक भाग, फकसी िीज के सवावतधक महत्वपूणव गुण को आंतगत करता है। नीततशास्त्र का
सार समाज में शांतत, समरसता और तस्थरता सुतनतश्चत करने के तलए सामान्य नैततक तसिांतों की
अवश्यकता में तनतहत है। यह जवाबदेही (accountability), इमानदारी (honesty), सहानुभूतत
(empathy), सत्यतनष्िा (integrity), प्रोतबटी/इमानदारी (probity), संवेदना/करुणा
(compassion) आत्याफद के मूल्यों में सव िम रूप से प्रततचबतबत हो सकती है।
 नीततशास्त्र के तलए सबसे अधारभूत अवश्यकता आस तथ्य में तनतहत है फक हम स्वत: यह नहीं जानते हैं
फक फकससे हमारा जीवन लाभातन्वत होगा और क्या हातनकारक होगा। हमें तनरंतर ियन संबध ं ी ऐसी
समस्यायों का सामना करना प सता है तजनसे हमारे जीवन का तवस्तार और गुणविा प्रभातवत होती है।
हमें ऄपने मूल्यों का ऄवश्य ियन करना िातहए, फक कहां रहना है, ऄपना समय कै से व्यतीत करना है,
फकसके साथ सहयोग करना है, फकस पर तवश्वास करना है? हमें ऄवश्य् ियन करना िातहए फक ऄपने
लक्ष्यों को प्राप्त करने के संबंध में क्या करना िातहए, फकन साधनों का ईपयोग करना िातहए और कै से

4 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

अगे बढना िातहए। फकन िाररतरक लक्षणों को प्राप्त करना िातहए और फकनको समाप्त करना
िातहए? हमारी कौन-सी भावनात्मक ऄनुफक्रयाएं लाभप्रद हैं और कौन-सी हातनकारक हैं? फकस
मानदंड से हमें दूसरों को अंकना िातहए और फकस अधार पर ईनके साथ ऄंतर्क्रक्रया करनी िातहए?
तजस हद तक हम तविार-तवमशव में िूक करते हैं, हम सामातजक और भावनात्मक कारकों की दया पर
होते हैं जो आितम से दूर हो सकते हैं।
 नीततशास्त्र हमारे द्वारा फकए जाने वाले ियन या ियन में तवफलता के संबंध में है। हम ऄपने सिेत
तविारों और सूतित होने की क्षमता और ईतित तवकल्प के ियन की ऄपनी क्षमता से ऄवगत होते हैं।
यही वह िीज है तजसे हम स्वतंर आच्छा (free will) कहते हैं। हम जानते हैं फक हमारे द्वारा फकए जाने
वाले ियन का ऄपने तलए और दूसरों के तलए कोइ न कोइ पररणाम होता है। हम ईस ईिरदातयत्व से
ऄवगत होते हैं जो हमारे फक्रयाकलापों से संबि होते हैं। लेफकन, हमारे पास तवश्वसनीय ऄंतर्शनतहत ज्ञान
या प्रवृतियां नहीं होती हैं जो स्विातलत रूप से हमारे ऄतस्तत्व और तवकास को बढावा देती है। हमारी
जीतवत रहने और पी सा से बिने की ऄंतर्शनतहत भावनात्मक आच्छा हो सकती है, लेफकन हमारे पास ईन
ईद्देश्यों को प्राप्त करने के तरीकों के संबंध में ऄंतजावत ज्ञान नहीं होता है। तकव संगत, गैर तवरोधाभासी
नीततशास्त्र ऄपने जीवन के साथ-साथ सामातजक कल्याण के संबंध में बेहतर तवकल्प के ियन में हमारी
सहायता कर सकती है।
 व्यतक्तयों द्वारा िुने जाने वाले तवकल्प समाज की मान्यताओं और मूल्य प्रणाली में समय के साथ
ऄश्मीभूत हो सकते हैं। फकसी देश की कानूनी व्यवस्था आन मूल्यों और मान्यताओं पर बहुत ऄतधक
तनभवर करता है। जरा सरोगेसी कानूनों के तवषय में सोिें: क्या जैतवक माता-तपता बनने की स्वतंरता
मातृत्व तजतना ऄंतर्शनतहत फकसी िीज पर मौफिक मूल्य को महत्व देता है? भारत में सरोगेसी पर
कानून भारतीय मूल्य प्रणाली को प्रततचबतबत करता है जबफक ऄन्य देशों में ईनकी मूल्य प्रणाली को
प्रततचबतबत करता है।
 नीततशास्त्र या नैततक दशवन आस बात पर तविार करता है फक क्या गलत है या सही है। ऄध्ययन के एक
तवषय के रूप में आसकी तीन शाखाएं हैं: ऄतधनीततशास्त्र (Meta ethics),
तनयामकत्व/मानकीय/तनदेशात्मक नीततशास्त्र (Normative ethics) और ऄनुप्रयुक्त/फतलत नीततशास्त्र
(Applied ethics)। ऄतधनीततशास्त्र व्यापक प्रश्नों का ऄनुसध
ं ान करता है, जैसे फक 'नैततकता को कै से
पररभातषत फकया जा सकता है?', 'न्याय क्या है?' अफद। तनयामकत्व/मानकीय नीततशास्त्र आस बात से
om
l.c

संबंतधत है फक हमें क्या करना िातहए। यह क्या सही है या क्या गलत है, को तय करने की एक रूपरेखा
ai
gm

प्रदान करता है। तवतभन्न दाशवतनकों ने तकव के माध्यम से यह रूपरेखा प्रस्तुत करने का प्रयास फकया है,
@
11

ईदाहरण के तलए - कांट की कतवव्यवादी/कतवव्यतवज्ञान/कतवव्य-परकतावादी नीततशास्त्र


13
j5

(Deontological ethics of Kant), जेरेमी बेंथम और जॉन स्टुऄटव तमल का ईपयोतगतावाद


ra
su

(Utilitarianism), ऄरस्तु का सगुगुण नीततशास्त्र (Virtue ethics of Aristotle)। ऄंत में,


ऄनुप्रयुक्त/फतलत नीततशास्त्र नैततक महत्व के व्यावहाररक मुद्दों से संबंतधत है, जैस-े मृत्युदड
ं , सरोगेसी
और दैतनक जीवन की दुतवधाएं आत्याफद। (नीततशास्त्र के अयामों के ऄंतगवत आनकी अगे ििाव की गयी
है।)

2.1. प्रमु ख शब्दावतलयााँ : तवश्वास, मू ल्य, मानदं ड , तसिां त , नै ततकता, नीततशास्त्र

(Key Terms: Beliefs, Values, Norms, Principles, Morals, Ethics)


तवश्वास, मूल्य, मानदंड, तसिांत, नैततकता और नीततशास्त्र जैसे शब्दों का कइ बार एक दूसरे के स्थान पर
ईपयोग फकया जाता है, लेफकन ईनमें सूक्ष्म ऄंतर भी हैं। आस ऄंतर को महसूस करने के तलए तवकासवादी
ढांिे में आन शब्दों के तवषय में सोिें - ऄथावत,् एक व्यतक्त के तवश्वास से लेकर सामातजक मानदंडों तक और
सामातजक मानदंडों से लेकर फकसी देश के कानून तक। मनुष्य तजन बातों पर तवश्वास करता है, वह ईन्हीं के
अधार पर ईन्नतत करता है। समुदाय जो बात स्वीकायव मानता है, ईसके ऄनुसार िलता है। समाज आस

5 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

अधार पर कायव करता है फक ईससे फकस प्रकार कायव करने की ऄपेक्षा की जाती है। आन्हें क्रमशः तवश्वास,
मानदंड और मूल्य कहा जाता है।
तवश्वास/मान्यताएं/धारणा (Beliefs)
 मेरी मेज पर कॉफी का एक मग रखा है। यह वस्तुतः मेरा तवश्वास है फक मेरी मेज पर कॉफी का एक मग
रखा है। रामायण के ऄनुसार राम ने रावण को मारा। एक व्यतक्त यह तवश्वास कर सकता है फक राम ने
वास्तव में रावण को मारा। तवश्वास वस्तुतः फकसी तवशेष समूह या समाज का तविार, दृतिकोण और
ऄतभवृति होती है। तवश्वास (या मान्यताओं) का सृजन वस्तुतः नीततकथाओं, तमथकों, लोकगीतों,
परंपराओं और ऄंधतवश्वासों से तमलकर होता है। ये सत्य और सत्यापन यो्य तथ्य, आततहास या
ककवदंततयां भी हो सकते हैं। तवश्वास एक सांस्कृ ततक समूह की नींव रखता है, लेफकन प्राय: आन्हें बनाए
रखने वाले समूह के तलए यह ऄदृश्य होता है। यह आसतलए महत्वपूणव होता है क्योंफक यह हमें फदलासा
देता है। मनुष्य तजन बातों पर तवश्वास करता है, ईनके अधार पर वह ईन्नतत करता है। हालांफक,
तवश्वास को िुनौती दी जा सकती है। सतही तवश्वास बदल भी सकते हैं। एक ही पररघटना के तवषय में
दो लोगों का ऄलग-ऄलग तवश्वास हो सकता है, जैस-े एक साधारण सा सवाल फक ्लास अधा खाली है
या अधा भरा है, से लेकर जरटल धार्शमक प्रश्नों तक फक पृथ्वी या जीवन कै से ऄतस्तत्व मे अया? तवश्वास
भावनाओं को जन्म देते हैं, लेफकन ऄतनवायव रूप से फकसी कायववाही को नहीं।
मूल्य (Values)
 मूल्य ऄच्छे या बुरे के तलए वरीयता दशावते हैं। मूल्य वस्तुतः ऄच्छे या बुरे और वांछनीय या ऄवांछनीय
के संबंध में एक व्यतक्त के भीतर महत्वपूणव और स्थायी तवश्वास या तविार हैं। मूल्य बाह्य वातावरण,
पररवार, ऄनुभव अफद के माध्यम से एकतरत होते हैं। सामान्यत: 'िातहए' के रूप में आन्हें व्यक्त फकया
जाता है। रामायण में कही गयीं बातों पर तवश्वास कर एक व्यतक्त बुजुगव के प्रतत सम्मान, इमानदारी,
सत्यतनष्ठा अफद का पालन कर सकता है। एक व्यतक्त ऄपहरण और ऄपमान जैसे कृ त्यों के तलए
नकारात्मक मूल्य भी तनर्क्रदि कर सकता है। आससे हम आस तवषय पर तनणवय लेते हैं फक कोइ िीज
फकतनी वांछनीय या ऄवांछनीय है। आस प्रकार मूल्य अगे बढने के मागवदशवक तसिांतों के रूप में कायव
करते हैं। आसका व्यतक्त के व्यवहार और ऄतभवृति पर महत्वपूणव प्रभाव प सता है।
om

मानदंड (Norms)
l.c

मानदंड व्यवहार का मागवदशवन करने वाली सामातजक ऄपेक्षाएं हैं, ऄथावत,् सामातजक रूप से स्वीकायव
ai


gm

व्यवहार के तरीकों को मानदंड कहा जाता है। मानदंड सामान्यत: सही या गलत सामातजक व्यवहार के
@
11

संबंध में फकसी तवशेष समूह या समुदाय के ऄनौपिाररक फदशातनदेश होते हैं। मानदंड एक-दूसरे से
13
j5

समुदाय के सदस्यों की सामूतहक ऄपेक्षाओं का एक रूप है। मानदंड समरूपता की पुति करने, प्रेररत
ra
su

करने और तवितलत व्यवहार की रोकथाम करने के तलए व्यतक्त पर सामातजक तनयंरण या सामातजक
दबाव का एक रूप है। मानदंड सामातजक रीतत-ररवाजों, साववजतनक तौर-तरीकों या अिार-तविार के
माध्यम से व्यक्त होते हैं। मानदंड समाज में व्यवस्था प्रदान करते हैं। ईदाहरण के तलए, पारंपररक
समाज में, यह एक मानदंड है फक पुर को ऄपने तपता के अदेश का पालन करना िातहए और ईसकी
आच्छाओं को पूरा करना िातहए।
 मानदंडों के ऄनुरूप न िलना दंड को अकर्शषत करता है। यह दंड नीिा देखे जाने, ईपहास, डांट-
फटकार, बतहष्कार, प्रायतश्चत अरोपण अफद के रूप में हो सकता है। कानून मानदंडों के तवकास का
ईिरवती िरण हैं, जहां समाज ने ऄपने सदस्यों से ऄपेतक्षत और ऄनापेतक्षत व्यवहार की शतों को
संतहताबि फकया है। तवितलत लोगों पर कानूनी न्यायालय में मुकदमा िलाया जाता है और तदनुसार
दंतडत फकया जाता है। यह ध्यान रखना महत्वपूणव है फक फकसी व्यतक्त के तलए, मानदंड बाह्य रूप से
अरोतपत होते हैं जबफक तवश्वास और मूल्य अंतररक होते हैं। मानदंड व्यवहार के तवतशि मागवदशवक हैं
जबफक मूल्य के वल ऄप्रत्यक्ष मागवदशवन प्रदान करते हैं।
तसिांत (Principles)

6 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

 मूल्य, तवश्वास, नैततकता एक व्यतक्त से दूसरे व्यतक्त के तलए ऄलग-ऄलग होते हैं। नीततशास्त्र भी ऄलग-
ऄलग समुदायों और संस्कृ ततयों में तभन्न-तभन्न हो सकती है। जबफक, तसिांत प्रकृ तत में साववभौतमक

तनयम या कानून होते हैं। तसिांत साववभौतमक सत्य और मानकों, जैसे- तनष्पक्षता, सत्यता, समानता,
न्याय आत्याफद के तवषय में होते हैं।
नैततकता (Morals)
 नैततकता क्या सही या क्या गलत है, क्या स्वीकायव या क्या ऄस्वीकायव है, आसके संबंध में व्यतक्त या
समूह का तवश्वास है। जहां एक ओर नैततकता यह तनधावररत करता है फक सही अिरण क्या है, वहीं
दूसरी ओर यह व्यतक्तगत फदक्सूिक, व्यतक्तगत ियन भी है। नैततकता सदािरण का तसिांत है तजसका
ईपयोग हम मानव िररर की ऄच्छाइ या बुराइ का अकलन करने के तलए करते हैं। नैततकता अिरण
के प्रितलत मानक हैं जो लोगों को समूह में सहकारी रूप से रहने में समथव बनाते हैं। ऄतधकतर लोग
नैततक रूप से कायव करते हैं और सामातजक फदशातनदेशों का पालन करते हैं। सही या गलत के प्रतत
ईदासीन लोगों को नैततकता-तनरपेक्ष (amoral) कहा जाता है, जबफक बुरा कमव करने वाले लोगों को

ऄनैततक (immoral) कहा जाता है।


 समय के साथ नैततकता पररवर्शतत हो सकती है। ऐततहातसक रूप से, धमव नैततकता का महत्वपूणव स्रोत
रहा है। नए ज्ञान के साथ व्यतक्त की नैततकता बदल सकती है। ईदाहरण के तलए, समलैंतगकता को
ऄप्राकृ ततक माना गया है और आसतलए यह ऄनैततक कृ त्य है, लेफकन यह ऄब तवश्व भर में ऄतधकातधक
स्वीकृ तत प्राप्त करता जा रहा है। कु छ नैततकताएं समय और संस्कृ ततयों से श्रेष्ठ होती हैं। ईदाहरण के
तलए, स्वाथवपरायणता को ऄनैततक माना जाता है, जबफक तनष्िा और सत्यवाफदता को नैततक माना
जाता है।
 यहााँ ध्यान देने वाली बात यह है फक, िूंफक नैततकता सामान्यत: व्यतक्तगत पसंद होती है, आसतलए आसमें
वस्तुतनष्िता की कमी होती है। आस प्रकार, नैततकता सुसंगत कायव की गारंटी नहीं देती है। वास्ततवक
व्यवहार के दौरान एक व्यतक्त ऄपनी नैततकताओं से तवितलत हो सकता है। यहां वस्तु तनष्िता से अशय
om

कृ त्यों में सुसंगतता से है। व्यतक्त तभन्न-तभन्न संदभों में ऄलग-ऄलग ियन कर सकता है, जैस-े एक व्यतक्त
l.c
ai

नकल करने के कृ त्य को ऄनैततक मान सकता है, लेफकन जब ईसे ऄवसर फदया जाए तो वह परीक्षा में
gm
@

नकल कर सकता है। आसतलए नैततकता वह तवश्वास है जो सही मानी जाती है लेफकन यह ऄतनवायव नहीं
11
13

फक व्यतक्त ऄपने कृ त्यों में ईसे ऄपनाये। जो बात नैततक रूप से सही हो सकती है वह वस्तु तनष्ि रूप से
j5
ra

सही नहीं भी हो सकती है।


su

नीततशास्त्र (Ethics)
 नीततशास्त्र वस्तुतः नैततक तसिांतों व दुतवधाओं की जााँि, ऄन्वेषण, तवश्लेषण एवं ऄनुप्रयोग का वणवन
करती है। नीततशास्त्र व्यतक्तगत तवश्वास (नैततकता के समान) या अिरण तनयमावली या नैततक दशवन
के ऄध्ययन (एक ऄकादतमक तवषय के रूप में) से संबंतधत हो सकती है। नीततशास्त्र फकसी समूह या
समाज में सही और गलत को समझने और ईसकी व्याख्या करने के तलए एक फ्रेमवकव प्रदान करती है।
नीततशास्त्र तभन्न-तभन्न होते हैं क्योंफक तकव -तवतकव तथा अलोिनात्मक तवश्लेषण का मूलतत्त्व हीं स्वीकायव
या ऄस्वीकायव अिरण एवं तनणवय पर पहुंिने का एक महत्वपूणव कारक होता है।
 नीततशास्त्र (नैततक दशवनशास्त्र के तौर पर ज्ञात) आस बात से संबि है फक लोगों को कै से कृ त्य करने
िातहए तथा सदािरण एवं ऄच्छे जीवन की पररभाषा क्या है। यहााँ, नीततशास्त्र में सही तथा गलत
व्यवहार की ऄवधारणाओं को सुव्यवतस्थत करना, बिाव करना एवं ऄनुशंसा करना सतम्मतलत है।
सदािरण ऄथावत् नैततक व्यवहार पर पहुंिने के तलए तभन्न-तभन्न दृतिकोण हो सकते हैं। हालांफक, ये
सभी दृतिकोण तकव बि ढााँिे में होने िातहए। ज्यादातर दृतिकोण धमव अधाररत, कतवव्य अधाररत तथा
ईपयोतगता अधाररत होते हैं।

7 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

 व्यावहाररक ऄथव में, नीततशास्त्र, न्यायोतित व्यवहार से संबंतधत तनयमों का ईल्लेख करती है। कइ
संगिनों में ईनके कमविाररयों से ऄपेतक्षत व्यवहार के मानकों से संबतं धत तनयम होते हैं। ईदाहरण के
तलए, एक ऄस्पताल से ऄपेक्षा की जाती है फक डॉक्टर वह ईपिार तनदेतशत करें जो रोगी की
अवश्यकता, प्रभावशीलता तथा लागत को संतुतलत करता हो। आसकी कोइ कानूनी मांग नहीं है, परंतु
एक डॉक्टर के कायव करने का यही तरीका होना िातहए। तिफकत्सा व्यवसाय से यह ऄपेक्षा की जाती है
फक डॉक्टरों को रोतगयों की स्वायिता का सम्मान करना िातहए (स्वयिता ऄथावत् ईपलब्ध साधनों के
अधार पर ईपिार के प्रकार को िुनने का ऄतधकार, व्यतक्तगत जानकारी की गोपनीयता का ऄतधकार
अफद)। एक तविीय कं पनी से ऄपेक्षा फक जाती है फक आसके कमविाररयों द्वारा आसके ग्राहकों के तनवेश
तववरणों को प्रकट नहीं फकया जाना िातहए। तथाकतथत ‘नीततपरक अिार संतहता’ (codes of
ethics) आसतलए तनर्शमत की गइ है क्योंफक आन पहलुओं पर फकसी व्यतक्त की नैततकता मौन हो सकती
है। आस प्रकार ये संतहता, ईतित अिरण के मागवदशवक के रूप में कायव करतीं हैं।
 नीततशास्त्र, क्या सही है या क्या गलत है, यह तय करने के मागवदशवक तसिांतों के रूप में कायव करती है।
ये वे मानक हैं जो फकसी व्यतक्त द्वारा तलए गए तनणवयों को प्रभातवत करते हैं। यहााँ ‘मागवदशवक तसिांत’
पद पर आसतलए ध्यान देने की अवश्यकता है क्योंफक नीततशास्त्र, बाह्य रूप से लागू की जाती है। िूंफक
ये बाह्य स्रोत से अती हैं, ऄतः वे सुसंगत तथा ईद्देश्यपूणव होते हैं। वे फकसी व्यतक्त से तवतशि तरीकों से
कायव करने की ऄपेक्षा रखती हैं। आन मानकों से तविलन को ऄनैततक समझा जाता है तथा आसे
ऄनौपिाररक रूप से ऄस्वीकृ त फकया जाता है या आसकी चनदा की जाती है। सत्यता, इमानदारी,
सत्यतनष्ठा, सम्मान, तनष्पक्षता अफद नैततक तसिांतों के ईदाहरण हैं।

नीततशास्त्र तथा नैततकता (Ethics and Morality)


 नीततशास्त्र तथा नैततकता, समान ऄथव को प्रस्तुत करती प्रतीत होती हैं तथा अम तौर पर परस्पर
ऄदला-बदली कर आन्हें एक दूसरे के स्थान पर ईपयोग भी फकया जाता है। हालांफक, कु छ दाशवतनक दोनों
के मध्य ऄंतर प्रस्तुत करते हैं।
 नीततशास्त्र नैततकता से तभन्न है क्योंफक नीततशास्त्र न्यायोतित कायव तथा बृहद शुभ के तसिांतों को
om

दशावती है, जबफक नैततकता व्यतक्तगत स्तर पर आनके ऄनुपालन को दशावती है। नीततशास्त्र वस्तुतः
l.c
ai

नैततकता का तवज्ञान है और नैततकता नीततशास्त्र का ऄभ्यास (व्यवहार में लाना) है।


gm

 तवस्तार (Elaboration): तवज्ञान पर तविार करें - यह तवज्ञान प्रकृ तत में व्यवतस्थत तौर पर नहीं है।
@
11

आसे ऄवलोकनों तथा ऄभ्यास के अधार पर ईत्पन्न फकया जाना िातहए। एक बार वैज्ञातनक ऄध्ययन
13
j5
ra

करने तथा पररणामों पर पहुाँिने के ईपरांत, ईन्हें वास्ततवक दुतनया में परीक्षण के ऄधीन फकया जाता
su

है। प्रमातणत होने के ईपरांत, आन्हें कायों के करने के तलए ईतित तरीके के रूप में तनधावररत फकया जाता

है, जैसे- फकसी बहुस्तरीय आमारत का तनमावण भौततकी के तसिांतों के अधार पर फकया जाता है।
नीततशास्त्र वह स्थान है जहां कोइ व्यतक्त नैततक तसिांतों के तवषय में ऄध्ययन करता है। नैततकता आस
ज्ञान का ऄभ्यास है। आस प्रकार नीततशास्त्र वे तनयम हैं जो फकसी समूह (जैसे- डॉक्टरों, वकीलों,
पुतलसकर्शमयों, सांस्कृ ततक समूह या समाज) के सभी सदस्यों के अिरण को तनयंतरत करते हैं। नैततकता
वे मानदंड हैं जो कोइ व्यतक्त स्वयं ऄपने तलए स्थातपत करता है। नीततशास्त्र तथा नैततकता दोनों को
अिरण तनयमों में सतम्मतलत फकया जा सकता है, तजसमें कानून द्वारा दबाव बनाया जा सकता है।
ऄन्यथा, नैततकता व्यतक्तगत प्रस्थापना से संबि हो जाएगी तजसकी प्रकृ तत व्यतक्त-तनष्ठ (subjective)

होती है क्योंफक यह प्रत्येक व्यतक्त के तलए तभन्न होती है। जबफक नीततशास्त्र, समाज की सामूतहक
प्रस्थापना से संबि है तथा यह नैततकता की ऄपेक्षा ऄतधक वस्तुतनष्ठ (objective) है।
 नैततकता वे तसिांत हैं जो फकसी व्यतक्त को फकसी कायव की ईपयुक्तता या ऄनुपयुक्तता के तवषय में
मागवदशवन करने में सहायता करते हैं। नीततशास्त्र ईतित अिरण के तसिांत हैं- ऄथावत् फकसी पररतस्थतत

8 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

में फकसी व्यतक्त के व्यवहार करने का ईतित तरीका क्या होना िातहए। आस ऄंतर को स्पि रूप से हम
बिाव पक्ष के वकील के मामले से जो सकर समझ सकते हैं। एक वकील हत्या को एक चनदनीय कायव
समझ सकता है, तजसके तलए किोर सजा का प्रावधान होता है। परंतु बिाव पक्ष के प्रतततनतध को
तनष्पक्ष होना प सता है तथा ईसकी पेशव
े र नीततशास्त्र ईससे ऄपेक्षा रखती है जहां तक ईसकी क्षमता
हो, ईसे ऄपने मुवफिल की रक्षा करनी िातहए, भले ही ईसे ज्ञात हो फक ईसका मुवफिल दोषी है।
प्रत्येक व्यतक्त, यहां तक फक अतंकवादी भी, न्यायालय में एक तनष्पक्ष जााँि/सुनवाइ के हकदार होते हैं,
परंतु फकसी कं गारू कोटव (गैर-कानूनी न्यायालय) या मॉब जतस्टस (भी स तंर का न्याय) के ऄधीन नहीं।
 फकसी व्यतक्त के नैततकता को नीततशास्त्र के व्यापक तनयमों द्वारा ऄवगत कराया जा सकता है। यह
मानना फक िोरी करना गलत है, लेफकन हो सकता है फक आस तविार की ईत्पति दूसरों की तनजी संपति
का सम्मान करने के नीततपरक तसिांत से हुइ हो। दो तभन्न-तभन्न गैर-कानूनी कृ त्यों में संतलप्त एक
तसतवल कमविारी का ईदाहरण लें। ऄपना कतवव्य तनभाने के तलए ररश्वत लेना भ्रिािार तनवारण
ऄतधतनयम के तहत एक ऄपराध है। यह तसतवल सेवा नीततशास्त्र का ईल्लंघन भी है। दूसरी तरफ, जहााँ
तववाहेिर संबंध में शातमल होना व्यतभिार कानूनों के तहत दंडनीय ऄपराध है, वहीं यह नैततक पतन
का एक ईदहारण भी है। आसी प्रकार, एक पुतलस ऄतधकारी पर तविार करें जो नशीली दवाओं के

ईपभोग में शातमल हो। समाज ऐसे व्यतक्त को ख़राब नैततकता वाला व्यतक्त मानता है। आसके ऄततररक्त,
कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने के तलए तजम्मेदार ऄतधकाररयों का नशा करना एक ऄनैततक कृ त्य
भी है। आसके ऄततररक्त, तवभाग से ऐसी गतततवतधयों में ऄपनी सहभातगता के तवषय में जानकारी को

तछपाना, तवभागीय नीततशास्त्र का ईल्लंघन भी होगा। ऄंत में, कानून के ऄंतगवत प्रततबंतधत पदाथों का
ईपभोग करना भी गैर-कानूनी कृ त्य है।
 एक और ईदाहरण लें। प्रत्येक समाज एक तनतश्चत अिार संतहता ऄथावत् ऄपने सदस्यों के तलए
नीततशास्त्र में तवश्वास कर सकता है। एक व्यतक्त आनमें से कु छ संतहताओं से सहमत या ऄसहमत हो
सकता है। ईदाहरण के तलए, कोइ व्यतक्तगत रूप से पूणव व तनबावध वाक् स्वतंरता में तवश्वास कर सकता
है। दूसरी ओर, समाज की यह मान्यता हो सकती है फक धार्शमक या राष्ट्रीय प्रततमाओं/प्रतीकों की चनदा
om

करना ऄनुतित है। ऐसे में एक व्यतक्त जो धार्शमक प्रततमाओं की चनदा करता है, वह स्वयं के ऄनुसार तो
l.c

नैततक रूप से व्यवहार कर रहा होता है परंतु समाज के ऄनुसार वह ऄतशि रूप से व्यवहार कर रहा
ai
gm

होता है। दूसरी ओर, मध्ययुगीन काल के दौरान, दासत्व में कु छ भी ऄनैततक नहीं था; वास्तव में आसे
@
11

प्रततष्ठा का एक प्रमाण माना जाता था। अज, आसे समाप्त कर फदया गया है तथा आसे एक घृतणत कृ त्य
13
j5

माना जाता है, परंतु मध्यकाल मे तो यह एक स्वीकायव अिरण था। यहााँ संभव है फक एक व्यतक्त की
ra
su

नैततकता ने ईसे ऄपने दासों के साथ मानवीय तरीके से व्यवहार करने के तलए मागवदर्शशत फकया हो।
आसके ऄततररक्त, यह भी संभव है फक फकसी ने दासत्व को व्यतक्तगत रूप से ऄनुतित माना हो, तथा
ऄपने आन तविारों के कारण ईसे समाज के क्रोध का सामना करना प सा हो।
नीततशास्त्र तथा तवतध/कानून (Ethics and Laws)
 नीततशास्त्र वस्तुतः फकसी समाज में क्या करना सही है/होगा? ऄथावत् ईतित अिार से संबंतधत एक
तकव संगत रूपरेखा है। फकसी समाज के सदस्यों तथा समूहों से आस प्रश्न के तभन्न-तभन्न ईिर प्राप्त हो सकते
हैं। तथातप, फकसी समाज में व्यवहार के न्यूनतम प्रवतवनीय मानक होने ऄतनवायव हैं। यही न्यूनतम
मानक तवतध या क़ानून कहलाते हैं। फकसी भी समाज की तस्थरता तथा स्थातयत्व हेतु तवतध की
अवश्यकता होती है ताफक समाज की समरस ढंग से प्रगतत हो सके । तवतध को सववर स्वीकृ तत तथा
मान्यता प्राप्त होती है तथा यह प्रवतवनीय होती है। आसका तनमावण समाज में व्यवस्था, शांतत तथा न्याय
कायम करने के तलए, सामान्य जन को सुरक्षा प्रदान करने के तलए तथा ईनके तहतों के संरक्षण के तलए
होता है। आसका तनमावण नीततगत तसिांतों तथा नैततक मूल्यों पर तविार के पश्चात् फकया जाता है।
 तवतध, तनयम तथा तवतनयम ईपयुक्त प्रातधकरण के द्वारा बनाये जाते हैं तजनके पास आन्हें लागू करने के
तलए एक व्यवतस्थत तंर होता है तथा तवतध का ईलंघन करने वालों को दतडडत करने की शतक्त भी

9 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

होती है। आस प्रकार तवतध या क़ानून सरकारों के द्वारा स्थातपत एक संस्थागत तनयम सारणी होते हैं।
जबफक, नीततशास्त्र फदशा-तनदेशों की एक ऐसी सारणी होती है तजसका व्यतक्त के द्वारा ऄनुपालन फकया
जाना िातहए। हालांफक, जब कु छेक नीततगत तसिांतों को व्यापक स्तर पर स्वीकार कर तलया जाता है
तो ईन्हें संतहताबि कर तवतध/क़ानून का रूप दे फदया जाता है।
 तवतध की सीमा नीततशास्त्र की ऄपेक्षा सामान्यतः संकीणव होती है। ऐसे बहुत से क्षेर हो सकते हैं जहां
तवतध या तो ऄतस्तत्व में नहीं होती या ऄतस्तत्व में होने पर भी कायववाही के मामले में कोइ फदशा-
तनदेश प्रदान नहीं करती। परंत,ु नीततशास्त्र तथा नैततकता के तवषय-क्षेर व्यापक होते हैं। वे सभी
दृिान्तों में कायों को फदशा प्रदान करते हैं। वस्तुतः, नीततशास्त्र के वतभन्न स्कू ल (संप्रदाय) ऄपने तविारों
के साववभौतमक ऄनुप्रयोग के तलए एक-दूसरे से प्रततस्पिाव करते प्रतीत होते हैं।
 ऐसे में महत्वपूणव प्रश्न यह है फक, तवतध तथा नीततशास्त्र के बीि क्या संबंध है? क्या तवतध नीततशास्त्र
को तनधावररत करते हैं या नीततशास्त्र तवतध को?
 लोकतांतरक शासन प्रणाली के ईद्भव संबध
ं ी ऄतधकांश मामलों में हम देखते हैं फक नैततक मानदंडों से
तवतधयों का तवकास हुअ और तजसे समाज द्वारा ऄपने उपर लागू फकया गया। हालांफक, सभी मामलों
में ऐसा ही नहीं होता। ईदाहरण के रूप में 19वीं शताब्दी तक प्रितलत सती-प्रथा को ही लें। आसे
व्यापक स्तर पर तस्त्रयों द्वारा ऄपनाए जाने वाले मानक व्यवहार के रूप में मान्यता प्राप्त थी। फकन्तु
समाज सुधारकों के प्रयास से आस प्रथा को गैर-क़ानूनी घोतषत करने के तलए एक तवधान पाररत फकया
गया। ईस वक़्त तवतध और नीततशास्त्र के मध्य संघषव की तस्थतत तवद्यमान थी। यह आस बात का
ईदाहरण है फक कु छ लोगों की नैततकता तवतध के ऄतधतनयमन का कारण बनी, तजसने बाद में समाज के
नीततशास्त्र को अकार प्रदान फकया। ऄब तस्त्रयों द्वारा ऄपने पतत की तिता पर स्वयं को जला कर भस्म
कर लेना सामान्य व्यवहार संबंधी मानक नहीं समझा जाता।
 IPC की धारा 377 का दृिांत लें, जो समलैंतगकता को तवतध के तवरुि या गैर-कानूनी करार देता है।
ईल्लेखनीय है फक IPC के कायावन्वयन के समय समलैंतगकता को समाज के तलए ऄस्वाभातवक, भ्रि,
तथा ऄनैततक समझा जाता था। आसतलए आस धारा को व्यापक स्वीकृ तत प्राप्त थी। ऄब भी आस धारा को
भारतीय समाज में काफी समथवन प्राप्त है (तजसका ऄंदाजा सरकार द्वारा आसे तनरस्त फकए जाने में
ऄतनच्छा प्रदर्शशत करने से लगाया जा सकता है)। आसतलए, यह एक ऐसा ईदाहरण है जहााँ नीततशास्त्र
om

से प्रेररत होकर तवतध ऄतधतनयतमत की गयी। तथातप, समाज की प्रगतत के साथ-साथ, एक तकव संगत
l.c
ai
gm

ढााँिे में धारा 377 पर पररििाव या वाद-तववाद हो सकता है तजसका पररणाम धारा 377 को तनरस्त
@

फकए जाने के रूप में भी हो सकता है।


11
13

 भारत में सरोगेसी को तनयंतरत करने वाले क़ानून पर समाज के नीततशास्त्र का ब सा प्रभाव है। हमारे
j5
ra

समाज में मातृत्व को परमपावन समझा जाता है, आसतलए धन से आसका मूल्य िुकाना यहााँ स्वीकायव
su

नहीं माना जाता। आसी नैततक तसिांत ने यहााँ सरोगेसी को तनयंतरत करने वाले क़ानून को (ऄतधकााँश
पाश्चात्य देशों में भी) फदशा-तनदेश प्रदान फकया है। हो सकता है भतवष्य में जब हम फकसी व्यतक्त को
जैतवक रूप से बच्चा पाने के ऄतधकार को मातृत्व से ऄतधक महत्व देना अरम्भ करें तो आस मान्यता के
संबंध में थो सा ईदार हो कर सोि पाएं। सरोगेसी को ले कर भारत में होने वाले वाद-तववाद में
सामान्यतः मानव पर धन के बदले संतान-ईत्पादक कारखाना बनने का अरोप लगता रहा है। आसका
व्यतक्त के मूल ऄतधकारों से कदातित ही कोइ लेना-देना है। ऄतत-तनधवनता की तस्थतत में ऄविेतन
सहमतत का एक संतवदात्मक क़ानूनी अधार हो सकता है, फकन्तु आसमें कदातित ही कोइ मूल्य
ऄन्तर्शनतहत है। हो सकता है फक लोगों के एक वृहद् वगव की नैततक मान्यताएं वतवमान फकसी तवतध/कानून
के तवरुि हों, यथा- IPC की धारा 377 या सरोगेसी। वाक् एवं ऄतभव्यतक्त की स्वतंरता को प्रततबंतधत
करने वाले IT ऄतधतनयम की धारा 66A एक ऐसा क्लातसक दृिांत था तजसमें लोगों की प्रगततशील
नैततक मान्यताओं ने एक प्रततगामी क़ानून को तनरस्त करने में सहायता की। आस प्रकार ईपयुवक्त दृिान्तों
से स्पि है फक तवतध तथा नीततशास्त्र एक-दूसरे के तवरोधाभासी भी हो सकते हैं तथा एक-दूसरे को
सुदढृ ता प्रदान करने वाले भी।

10 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

2.2. नीततशास्त्र के तनधाव र क (Determinants of Ethics)

 जब हम नीततशास्त्र के तनधावरकों की बात करते हैं तो हम ईन कारकों की ििाव करते हैं तजन्हें हम ईस
तकव संगत ढााँिे में तबिा पाएं। वे कारक ईस रीतत या व्यवहार का सृजन करते हैं तजसके ऄनुसरण की
ऄपेक्षा समाज ऄपने सदस्यों से करता है। बहुत सारे कारक आन नैततक तसिांतों के तनधावरक हो सकते है,
जैसे:
इश्वर और धमव (God and Religion)
 इश्वर और धमव से संबंतधत नीततशास्त्र साववभौम तथा अदशव नैततक मानदंडों की वकालत करते हैं।
धार्शमक ग्रंथों में यह ईल्लेख होता है फक एक व्यतक्त को कै से व्यवहार करना िातहए तथा समाज को
कै सा होना िातहए। ईदाहरण के तलए, आसाइ नैततकता पतश्चम में अदशव व्यतक्तगत व्यवहार के
महत्वपूणव स्रोतों में से एक है। भारत में ‘राम राज्य’ की ऄवधारणा शासन की एक प्रणाली से कहीं
ऄतधक एक नैततक समाज से संबंतधत है। धमव अधाररत नीततशास्त्र के स्रोत को इश्वर (या इश्वरीय
कथन) से संबि फकया जाता है, जैस–े इश्वर ऐसा कहते हैं आसतलए यही ऄनुकरणीय है, इश्वर की
आच्छाओं का ऄनुपालन ही ऄच्छे जीवन का मागव है। हालांफक, हमें नीततशास्त्र को धमव से सम्बि कर
नहीं देखना िातहए, क्योंफक ईस तस्थतत में नीततशास्त्र के वल धार्शमक लोगों पर ही लागू होगा। फकन्तु
नीततशास्त्र तो नातस्तक व्यतक्तयों के व्यवहार पर भी लागू होता है। आसके ऄततररक्त जब हम वैज्ञातनक
शोध की बात करते हैं तो पाते हैं फक धमव के स्रोत मानव तक ही सीतमत हैं। आस प्रकार, यह संदभव,
तस्थतत तथा ऄनुभव पर अधाररत रहा है तथा आसमें रुरट एवं सुधार की भी गुंजाआश शेष रहती है।
मानव ऄंतःकरण/ऄंतरावत्मा/तववेक तथा ऄंतःप्रज्ञा/ऄंतदृतव ि (Human Conscience and Intuition)
 आसके समथवकों के ऄनुसार, जो ऄच्छा है वह आसतलए ऄच्छा है फक वह ऄच्छा ही है। आसकी ऄच्छाइ
तथा बुराइ को प्रमातणत फकए जाने या ईतित िहराए जाने की अवश्यकता नहीं है। आसके ऄनुसार
ऄच्छाइ तथा बुराइ का पता ऄंतदृतव ियुक्त नैततक ज्ञान के सहारे लगाया जा सकता है। अधारभूत नैततक
सत्य ईस व्यतक्त के समक्ष स्वयं प्रकट हो जाता है जो ऄपने मन को नैततक तवषय पर के तन्ित
करता/करती है। कृ पया ध्यान दें फक ऄंतःप्रज्ञा से युक्त एक व्यतक्त के ऄनुसार नैततक सच्चाइ की प्रातप्त
युतक्तयुक्त तकों के अधार पर या फकसी ऄज्ञात भावना के अधार पर नहीं की जा सकती। ईनकी
ऄनुभूतत नैततक तवषयों पर ध्यान के तन्ित करने से ही संभव है। यह ऄनुभूतत के ‘ऄहा!’ क्षण की भांतत ही
om
l.c

है।
ai
gm

ऄंतःकरण तथा ऄंतःप्रज्ञा के मध्य ऄंतर (Difference between Conscience and Intuition):
@
11

 मनुष्य ऄपने द्वारा ऄर्शजत ज्ञान तथा ऄपने जीवन में प्राप्त ऄनुभव के ऄनुसार व्यवहार करता है। हमारा
13
j5

िेतन मन पहले फकसी भी तस्थतत का सफक्रय मूल्यांकन करता है ईसके पश्चात् तनणवय लेता है। हालांफक,
ra
su

हमारा ऄविेतन मन हमारे सभी पूवव के ऄनुभवों तथा तनणवयों का भंडार होता है। यद्यतप, हम ऄपने
ऄविेतन मन को सफक्रयता से जागृत नहीं करते हैं, तथातप, लाक्षतणक रूप से ऄत्यतधक तीव्र गणनाएं
हमारे मतस्तष्क में मौजूद होती हैं जो हमें यह बताती हैं फक क्या करना िातहए ऄथवा क्या नहीं करना
िातहए।
 फकसी भी िीज को सहजता से समझने की क्षमता को ऄंतःप्रज्ञा (intution) कहते हैं, आसमें िेतन तकव की
अवश्यकता नहीं होती है। हालांफक हमारी ऄंतःप्रज्ञा पूणव रूप से यादृतच्छक (स्वाभातवक रूप से) प्रतीत
होती है, परंतु सदैव ऐसा नहीं होता है। ईदाहरण के तलए, एक व्यतक्त फक्रके ट मैि देख रहा है और वह
देखता है फक जब भी सतिन मुस्कु राता है तो वह अईट हो जाता है। ऄगली बार, यफद वह व्यतक्त सतिन
को बल्लेबाजी करते समय मुस्कु राते हुए देख ले, तो संभवतया ईसे यही लगेगा फक ऄब सतिन अईट हो
जाएगा। आसी को ऄंतःप्रज्ञा कहते हैं। हालांफक, यह पूणत
व ः यादृतच्छक होता है, जो फक हमारे पूवव के
ऄनुभवों, ऄवलोकनों या ऄन्य द्वारा दी गइ जानकारी पर अधाररत होती है। आसतलए ऄंतःप्रज्ञा में फकसी
भी प्रकार का नैततक तवकल्प शातमल नहीं होता है, यह के वल एक ऄपेक्षा का ही पररणाम है।

11 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

 ऄंतःकरण (Conscience) वस्तुतः सही ऄथवा गलत के प्रतत एक व्यतक्त की नैततक समझ होती है,
तजसे फकसी व्यतक्त के व्यवहार हेतु एक मागवदशवक के रूप में देखा जाता है। यह भी हमारे ऄनुभवों तथा
ज्ञान के भंडार से हीं संिातलत होता है। प्रायः आसे तववेक की पुकार के रूप में संदर्शभत फकया जाता है।
मनुष्य के तववेक की आस पुकार में तवस्तृत तार्क्रककता शातमल हो भी सकती है ऄथवा नहीं, परंतु यह
तस्थतत के ईतित ऄथवा ऄनुतित के तौर पर तनणवय देने पर कें फित होती है ऄथावत् आसमें नैततक तवकल्प
शातमल होता है। ऄंतःकरण को स्वेच्छा से दबाया भी जा सकता है।
 हो सकता है एक व्यतक्त को ऄपने ऄंतःकरण के तवरुि कोइ कायववाही करनी प से, क्योंफक व्यतक्त को
ऄपने से ईच्च प्रातधकारी के कारण भी ऐसा तवकल्प िुनना प स सकता है ऄथवा ईसे वांतछत कायववाही के
तवरुि भय फदखा कर भी ऐसा कराया जा सकता है । आससे ऄंतःकरण के संकट (crisis of
conscience) का ईद्गम होता है।

संस्कृ तत (Culture)
 फकसी व्यतक्त के नैततक तसिांतों पर संस्कृ तत तथा तजस देश में वह तनवास करता या करती है, का भी
प्रभाव प सता है। ईदाहरण के तलए, पाश्चात्य संस्कृ तत व्यतक्त प्रधान प्रतीत होती है जबफक भारतीय
संस्कृ तत साववभौतमकता तथा बहुलवाद के मूल्यों पर अधाररत है। सातहत्य तथा ग्रन्थ भी व्यतक्त के
अिरण को प्रभातवत करते हैं। ईदाहरण के तलए – वैफदक सातहत्य, बौि सातहत्य आत्याफद।
समाज (Society)
 फकसी भी समाज में लोग वस्तुतः नैततक मानदडडों को ही स्वीकार करते हैं। तथातप हमें नैततकता को
समाज के स्वीकृ त मान्यताओं के अधार पर नहीं परखना िातहए क्योंफक एक समाज नैततकता से
पथभ्रि भी हो सकता है। सम्पूणव समाज या आसका एक ब सा भाग नैततक रूप से भ्रि भी हो सकता है।
ईदाहरण के तलए, नाजी जमवनी तथा स्टातलन के समय के रूस ने ऄपने नागररकों पर रहन-सहन के
ख़ास मानदडड अरोतपत फकए तथा ईन्हें ईन तसिांतों के बारे में तवश्वास फदलाने की िेिा भी की गयी।
समाज के प्रभावशाली वगव की स्वीकृ तत के कारण ही भारत में जातत प्रथा हजारों वषों से िलती अ रही
है। आसके ऄततररक्त ऐसे बहुत से तवषय हैं तजन पर सामातजक सहमतत नहीं बन पाती। ऄतः नीततशास्त्र
को हमेशा समाज के स्वीकृ त मान्यताओं से जो सकर नहीं देखा जा सकता।
om

पररवार, तशक्षक तथा जीवन के ऄनुभव (Family, Teachers and life experiences)
l.c
ai
gm

 माता-तपता, पररवार तथा तशक्षक एक बच्चे की मूल्य प्रणाली को अकार देते हैं। ईनके व्यवहार, अिरण
@
11

तथा तशक्षाओं के ऄनुसार बच्चों के जीवन के मागव तनधावररत होते हैं। वस्तुतः सामान पररवार में सामान
13

धमव, रीतत-ररवाजों तथा परम्पराओं का पालन फकया जाता है। यद्यतप कु छ लोग ऄपने माता-तपता के
j5
ra
su

तवश्वासों, धारणाओं तथा तविारों से स्वयं को मुक्त कर ऄपनी आच्छानुसार ऄपने तसिांतों के समुच्चयों
का ियन करते देखे जाते हैं। ईदाहरण के तलए, कोइ बालक स्वयं तथा ऄपनी बहन के प्रतत ऄपने
पररवार में बरते जाने वाले भेद-भाव को देख कर भी एक बातलका को एक बालक के समान समझ
सकता है।
तवतध/क़ानून (Law)
 तवतध में प्रायः नैततक मानदडडों का समावेश होता है, तजनका ऄनुपालन ऄतधकांश नागररक करते हैं।
तथातप, व्यतक्त को तवतध के ऄनुपालन की बराबरी नीततशास्त्र के ऄनुपालन से नहीं करना िातहए।
तवतध, कभी-कभी नैततकता से दूर भी िली जाती है। ईदाहरण के तलए, US में दासप्रथा से संबंतधत

तवतधयााँ दासप्रथा को ऄनैततक घोतषत करती हैं। दूसरी ओर, दासप्रथा को प्रततबंतधत कर सबको समान
ऄतधकार देने वाली तवतधयााँ सही मायने में तवतध तथा नीततशास्त्र की सुसंगतता को प्रदर्शशत करती हैं।
(तवतध तथा नीततशास्त्र के बीि संबंधों का तववरण पहले ही तवस्तार से फदया जा िुका है।)
नेतत्ृ व (Leadership)

12 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

 फकसी समाज, संगिन या देश का नेतृत्व यह तनधावररत करने में सहायता करता है फक ईसके ऄनुयाआयों
या प्रशंसकों का अिरण नैततक है या नहीं। ईदाहरण के तलए, भारतीय लोकतांतरक, ईदार, पंथ-
तनरपेक्ष तथा सतहष्णुतापूणव परम्पराएं हमारे पूवज
व ों तथा अधुतनक भारतीय समाज के तनमावताओं के
द्वारा हमें प्रदि एक ईपहार है। हालांफक, नेतृत्व के भी ऄनैततक अिरणों में तलप्त होने की संभावनाएं

होती हैं। लेफकन यह स्वयं नेतृत्वकतावओं के गुणों पर तनभवर करता है। आस प्रकार, नेतृत्वकतावओं के
ऄनुसरण का ऄथव सदा नैततक होना ही नहीं हो सकता।
दशवन या दाशवतनक मान्यताएं (Philosophies)
 तभन्न-तभन्न दाशवतनक तथा तिन्तक ऄलग-ऄलग नैततक तसिांतों को मानने वाले होते हैं।
ईदाहरणस्वरुप, एक पररणामवादी (consequentialist) के तलए फकसी कायववाही में नीततशास्त्र का
तनधावरण ईसके पररणामों के अधार पर होता है, जबफक फकसी कतवव्यवादी (कतवव्य-परक)
(deontologist) के तलए यह स्वयं ईस कृ त्य की प्रकृ तत पर तनभवर होता है। आस प्रकार, फकसी व्यतक्त के
नैततक मूल्य वस्तुतः ईसके बौतिक तवकास के दौरान ईसके संपकव में अए दाशवतनक मान्यताओं के द्वारा
प्रभातवत होंगे।
संतवधान (Constitution)
 तवतभन्न देशों का संतवधान भी ईनके समाज की नैततक प्रवृति को स्थातपत करने का एक तरीका है।
ईदाहरण के तलए – जहााँ ऄतधकांश देशों के संतवधान में समानता, जवाबदेही और लोकतांतरक मूल्य
प्रततचबतबत होते हैं, वहीं कु छ देशों के संवध
ै ातनक ढााँिे में तनरंकुशता, ऄतत हस्तक्षेप और गैर-
सहभातगतापूणव मूल्य प्रततचबतबत होते हैं।
 िूंफक तवतध, समाज, धमव अफद नैततक मागव से भटक सकते हैं, आसतलए व्यतक्त को ऄपने नैततक मानकों
का तनरंतर परीक्षण करने की अवश्यकता होती है, तजससे यह सुतनतश्चत फकया जा सके फक वे ईतित
और ऄच्छी तरह से स्थातपत हैं। नैततक बनने के तलए ऄपने नैततक तवश्वासों और ऄपने नैततक अिरणों
का तनरंतर ऄध्ययन करने और यह सुतनतश्चत करने के तलए प्रयासरत रहने की अवश्यकता होती है फक
हम ऄपनी फदनियावओं में आसका पालन करें। आसतलए व्यतक्त स्वयं नीततशास्त्र के सबसे महत्वपूणव
तनधावरकों में से एक है, जैस-े हर व्यतक्त फकसी तनद ष की हत्या, गभवपात करने या बाल शोषण को
om
l.c

ऄनैततक मानता है या ईसके प्रतत गहन ऄंतब ध रखता है।


ai

यफद हम नैततक मुद्दों को संबोतधत करने के कौशल को महिा दें तो आन्हें सीख और तवकतसत कर सकते
gm


@

हैं। अवश्यकता आस बात की है फक हम नैततक समस्याओं से व्यवहार करने की ऄपनी पितत को ऄपने
11

द्वारा सामना की जाने वाली तवतशि तस्थततयों हेतु सववश्रेष्ठ कायवप्रणाली तवकतसत करने की तनरंत र
13
j5

जारी रहने वाली प्रफक्रया के रूप में देखें। आसके तलए अवश्यकता यह होती है फक हम नीततशास्त्र को
ra
su

स्थैततक दृतिकोण के स्थान पर गततशील रूप से समझने के तलए एक ढांिा स्थातपत करने में सक्षम हों।

2.3. नीततशास्त्र के पररणाम

(Consequences of Ethics)
 नीततशास्त्र के पररणाम का ऄथव नैततक तसिांतों द्वारा तनदेतशत मानवीय
गतततवतधयों/कायववातहयों/फक्रयाकलापों के पररणाम से है। आसका ऄथव यह है फक कोइ गतततवतध
(फक्रयाकलाप/कायववाही) फकतनी ऄच्छी या बुरी थी, आसका तनधावरण ईसके पररणाम करते हैं। फकसी भी
कायववाही के पररणाम को ईक्त कायववाही के पररणामस्वरूप होने वाले मानवीय सुख, दुख, पी सा, खुशी
अफद से मापा जा सकता है। मानवीय फक्रयाकलाप/कायववाही के पररणाम फकसी व्यतक्त को कु छ िीजें
करने या नहीं करने के तलए प्रेररत या तनषेध करते हैं। ईदाहरण के तलए– माता-तपता ऄपने बच्चों को
ईपहारों का लालि देकर करिन पररश्रम करने के तलए प्रेररत करते हैं।
 मानवों में सामान्य रूप से ऄपनी कायववातहयों के माध्यम से ऄपना अनंद बढाने की प्रवृति होती है।
लेफकन, कु छ लोग दीघवकातलक पररणामों का तविार फकए तबना ऄल्पकातलक सुख को वरीयता देते हैं
जबफक कु छ लोग भतवष्य में दीघवकातलक अनंद सुतनतश्चत करने के तलए ऄस्थायी दुख झेलने को

13 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

वरीयता देते हैं। ईदाहरण के तलए– कोइ व्यतक्त स्वास्थ्य लाभों की ऄनदेखी करते हुए ऄत्यतधक मीिा
खाने की ऄपनी प्रवृति को संतुि कर सकता है या ऄपनी स्वाद लोलुपता के वशीभूत हो सकता है,
तजससे भतवष्य में ईसको दुख झेलना प स सकता है। ऄन्य व्यतक्त भतवष्य में रोगमुक्त जीवन सुतनतश्चत
करने के तलए तनयतमत रूप से व्यायाम कर सकता है और अत्म संयम का ऄभ्यास कर सकता है।
 लेफकन, मानवीय कायववातहयों के पररणामों का ऄनुमान लगाना करिन है।
 कृ पया ध्यान दीतजए फक “पररणामवाद” (Consequentialism) ‘नीततशास्त्र के पररणाम’ का के वल
एक भाग मार है। पररणामवाद एक नैततक तसिांत है तजसका यह कहना है फक फकसी कायववाही को ईस
ऄवस्था में नैततक माना जाना िातहए यफद आसके फलस्वरुप ऄच्छे पररणाम ईत्पन्न होते हों।

2.4. नीततशास्त्र के अयाम (Dimensions of Ethics)

 नैततक तसिांत क्या है? यह एक दाशवतनक तसिांत है जो हमें नैततक तनणवय के ऄनुशीलन (व्यवहार) को
समझने, समझाने और संभवत: मागवदशवन करने का प्रयास करता है। नैततक तसिांत व्यतक्तयों, समाज
या संस्कृ ततयों के नैततक तवश्वासों का के वल वणवन मार नहीं है। नीततशास्त्र पर तविार करने वाला एक
व्यतक्त तनम्नतलतखत प्रश्नों के ईिर देने का प्रयास करता है:
A. नैततकता की प्रकृ तत और ईसकी तस्थतत (The very nature and status of morality): क्या
नैततकता वही है तजसकी बात धमव (या इश्वर) करता है? या यह तनयमों का एक ऐसा समुच्चय है
तजसे मनुष्य ने ऄपने पारस्पररक तहतों को पूरा करने हेतु ऄपने तलए ऄतभकतल्पत फकया है? तो
ऐसे में सवाल यह है फक फफर, नीततशास्त्र, आसकी पररभाषा और आसकी पररतध वास्तव में क्या है?
B. नैततक तनणवय की प्रकृ तत और ईसका ऄथव (The nature and meaning of moral
judgments): क्या नैततक तनणवयों की प्रकृ तत के वल भावनात्मक होती है ऄथावत् क्या वे ईतित
और तकव संगत होने के बजाये के वल हमारी भावनाओं और आच्छाओं को व्यक्त करते हैं? क्या नैततक
तनणवयों को साववभौतमक रूप से सत्य या ऄसत्य के रूप में वगीकृ त फकया जा सकता है या फफर वे
के वल संदभव पर तनभवर होते हैं? ईदाहरण के तलए, यह सुतवख्यात है फक 'इमानदारी सव िम नीतत
है'; लेफकन यहााँ सवाल यह है फक क्या इमानदारी फकसी व्यतक्त में के वल एक वांछनीय तवशेषता है
om
l.c

या यह कथन एक साववभौतमक सत्य है? यफद यह सत्य है, तो क्या आससे कोइ संदभव जु सा हुअ है?
ai
gm

C. नैततक तनणवयों को सही िहराने वाले मौतलक तनयम, तसिांत और मूल्य (The fundamental
@
11

rules, principles and values justifying moral judgments): क्या कोइ तनणवय लेने में
13
j5

एकमार पररणाम ही मायने रखते हैं या कु छ ऐसे ऄन्य तसिांत हैं तजनका पालन ऄवश्य फकया
ra
su

जाना िातहए? क्या मानवीय सुख कतवव्य पालन से ऄतधक महत्वपूणव है? या सदािारी होना दोनों
से ऄतधक महत्वपूणव है? आनमें से कोइ भी तसिांत नैततक तनणवय में तनतहत हो सकता है।
D. नीततशास्त्र के व्यावहाररक ऄनुप्रयोग (Practical application of ethics): क्या बच्चों को
तखलाने के तलए िोरी करना ईतित है? क्या जीव तवज्ञान में ईन्नतत तनबावध जारी रहनी िातहए
या अनुवंतशक रूप से संशोतधत तशशुओं पर कु छ तनयंरण होना िातहए? क्या तवश्वतवद्यालयों में
प्रवेश के वल यो्यता के अधार पर फकया जाना िातहए या ऄपेक्षाकृ त तपछ से सामातजक-अर्शथक
पृष्ठभूतम वाले लोगों के तलए सकारात्मक कारववाइ होनी िातहए? यो्यता तय करने के मानदडड
क्या होने िातहए?
प्रश्न A-D ऐसे तवतभन्न अयाम हैं तजनके अधार पर नीततशास्त्र का ऄध्ययन फकया जाता है। आन्हें और ऄतधक

तवशेष रूप से ऄतधनीततशास्त्र (Meta ethics), तनयामकत्व/मानकीय/तनदेशात्मक (Normative ethics)


और ऄनुप्रयुक्त/फतलत नीततशास्त्र (Applied ethics) के रूप में वगीकृ त फकया जाता है।

14 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

(i) ऄतधनीततशास्त्र (Meta-ethics): यह नैततक तनणवयों की प्रकृ तत से संबंतधत है। (A&B में फदए गए प्रश्न)।

यह नैततक तसिांतों के ईद्भव और ऄथव का ऄन्वेषण करता है। ईदाहरण के तलए, जब हम जैव-नीततशास्त्र

(bioethics) की बात करते हैं, तो ऄतधनीततशास्त्र सही या गलत के प्रश्नों का ईिर नहीं देगा। बतल्क यह
ििाव की जा रही समस्या के मूलभूत ऄथव एवं प्रकृ तत को पररभातषत करने का प्रयास करता है। यहााँ यह
परीक्षण करेगा फक ‘यह पूछने का ऄथव क्या है फक क्या जेनेरटक ररसिव नैततक रूप से स्वीकायव हैं या नहीं?’

‘जेनेरटक आंजीतनयररग के नैततक स्वरूप का तनधावरण करने में हमें फकन स्रोतों पर तविार करना िातहए? –

यह इश्वर तनर्शमत तनयम है या मानव तनर्शमत तनयम?’

(ii) तनयामकत्व/मानकीय/तनदेशात्मक नीततशास्त्र (Normative ethics): (C में फदए गए प्रश्न) यह नैततक


तनणवय की तवषयवस्तु तथा सही एवं गलत के मापदंडों से संबंतधत है। यह सही और गलत अिरण को
तवतनयतमत करने वाले नैततक मानकों पर पहुाँिने को समातवि करता है। एक ऄथव में, यह ईतित व्यवहार की
कसौटी हेतु की जाने वाली खोज है। यह नीततशास्र की वह शाखा है जो यह स्थातपत करती है फक
कायवपिततयााँ कै सीं हो या होनी िातहए, ईनका मूल्यांकन कै से फकया जाना िातहए और कौन-सी कायववाही

गलत है तथा कौन-सी सही है। यह मानव अिरण को तनयंतरत करने वाले तनयमों के एक समुच्िय, या
कायववाही हेतु मानदंडों के समुच्िय का तवकास करने का प्रयास करता है। मानकीय/तनदेशात्मक नीततशास्त्र
के ऄंतगवत हम नैततक प्रश्नों के प्रतत तवतभन्न दृतिकोणों का ऄध्ययन करते हैं। फकसी प्रदि पररतस्थतत का कोइ
एक अदशव समाधान नहीं होता है, ऄतपतु ऄलग-ऄलग तसिांतों को ऄलग-ऄलग महत्व देने के कारण हम
तवतभन्न तनणवय पर पहुंिेंगे। कु छ महत्वपूणव दृतिकोण तनम्नतलतखत हैं:
 पररणामवादी दृतिकोण (Consequentialist approach): आस दृतिकोण के ऄनुसार, फकसी

कायववाही की नैततकता का तनधावरण ईसके पररणामों, पररणतत या फलों से फकया जाता है। फकसी

कायववाही के पररणाम तजतने ऄच्छे होते हैं, वह कायववाही ईतनी ऄच्छी मानी मानी जाती है।

ईपयोतगतावाद (Utilitarianism) आसका एक रूप है। यह कहता है फक लोगों को ईपयोतगता में वृति
om

करनी िातहए। आसे मानव कल्याण या भलाइ के रूप में मापा जा सकता है। सुखवाद (hedonism) में
l.c
ai

यह कहा जाता है फक लोगों को ऄपने सुख में वृति करनी िातहए। आस प्रकार, आनके ऄनुसार, जो
gm
@

कायववातहयााँ सुख या कल्याण में बढोिरी करती हैं और कि या पी सा में कमी करती हैं वे नैततक हैं।
11
13

 कतवव्यवादी/कतवव्यतवज्ञान/कतवव्य-परकतावादी दृतिकोण (Deontological approach): आस दृतिकोण


j5
ra
su

के ऄनुसार, नीततशास्र आसपर तनभवर होता है फक लोग क्या करते हैं, न फक ईन कायववातहयों के

पररणामों पर। यह गैर-पररणामवादी होता है क्योंफक हम ऄपनी कायववातहयों को सही िहराने के तलए
ऄच्छे पररणाम नहीं दशाव सकते। आसके ऄनुसार, हमें सही कायव करना िातहए क्योंफक वे सही हैं और

गलत कायव से दूर रहना िातहए क्योंफक वे गलत हैं। कु छ कृ त्य ऄपने अप ही ऄनैततक होते हैं, जैसे-

लोगों की हत्या करना, िोरी करना, झूि बोलना अफद। प्राकृ ततक ऄतधकार तसिांत (Natural Rights

Theory) (थॉमस हॉब्स और जॉन लॉक द्वारा समर्शथत) यह मानता है फक मनुष्य को तनरपेक्ष प्राकृ ततक

ऄतधकार प्राप्त हैं। साववभौतमक ऄतधकार के ऄथव में ये नैततकता की प्रकृ तत में तनतहत हैं और मानव
कायों या तवश्वासों पर तनभवर नहीं हैं। ये ऄंततः ऐसे ऄतधकारों के रूप में तवकतसत हुए हैं तजन्हें हम अज
मानव ऄतधकार कहते हैं। आमैनुएल काडट का तनरपेक्ष अदेश (Categorical Imperative), नैततकता

की ज स को मानवता की तकव संगत क्षमता मे तनतहत करता है और कु छ ऄनुल्लंघनीय नैततक कानूनों का


दावा करता है। काडट का यह तनरूपण कतवव्यवादी है और वह तकव प्रस्तुत करता है नैततक रूप से सही
कायव करने हेतु लोगों को कतवव्य भावना के ऄनुसार कायव करना होगा और कायव करने वाले व्यतक्त के

15 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

प्रयोजन (अशय/नीयत) ही ईसे सही या गलत बनाते हैं, कायों के पररणाम नहीं। सरल रूप से कहा

जाए तो तनरपेक्ष अदेश यह कहता है फक व्यतक्त को आस प्रकार अिरण करना िातहए फक व्यतक्त ऄपने
अिरण के सूरवाक्य (या तसिांत) को साववभौतमक तनयम बनाना िाहे और व्यतक्त को मानवता से
सदैव साध्य के रूप में व्यवहार करना िातहए, साधन के रूप में नहीं।

 सगुगुण नीतत-शास्र (Virtue ethics): यह कायववाही अधाररत होने के बजाये व्यतक्तपरक है। यह

फकसी तवतशि कायववाही की प्रकृ तत या पररणामों के स्थान पर व्यतक्त के ऄंतर्शनतहत िररर पर ध्यान
के तन्ित करता है। आस दृतिकोण के ऄनुसार, सच्चररर व्यतक्त सदैव सही कायव करता है। वह समान

पररतस्थततयों में सदैव समान अिरण करेगा। सगुगुण नीतत-शास्र न के वल व्यतक्तगत कायववातहयों की
ईपयुक्तता और ऄनुपयुक्तता की समस्या का समाधान करता है, ऄतपतु यह ऐसी तवशेषताओं और

व्यवहारों के प्रतत मागवदशवन भी प्रदान करता है जो ऄच्छा व्यतक्त प्राप्त करने का प्रयास करेगा। आस
प्रकार, आसके ऄनुसार, ऄच्छे समाज का तनमावण करने के तलए लोगों को सच्िररर बनने में सहायता की

जानी िातहए। यद्यतप गुणों की सूिी में समय के साथ पररवतवन होते रहते हैं, लेफकन कु छ गुण जो

ऄतधकतर सूिी में बने रहते हैं, वे हैं: न्याय, धैय,व अत्म-संयम, अत्म-तनरीक्षण, सत्यतनष्ठा अफद।

 संदभावत्मक/प्रासंतगक दृतिकोण (Contextualist approach): यह तनदेशात्मक तनयमों

(prescriptive rules) को ऄस्वीकार करता है। आस दृतिकोण के ऄनुसार सही और गलत वस्तुतः

पररतस्थतत पर तनभवर करता है क्योंफक कोइ भी साववभौतमक नैततक तनयम या ऄतधकार नहीं है। आस
प्रकार, प्रत्येक पररतस्थतत तवतशष्ट होती है और तवतशष्ट हल के पार होती है।

 ऄलौफकक दृतिकोण (Supernaturalist approach): आस दृतिकोण के तहत नीततशास्र के तलए

इश्वर को ईिरदायी िहराया जाता है, ऄथावत् नैततक तनयमों का एकमार स्रोत इश्वर है। आसके ऄनुसार

इश्वरीय कथन नैततक हैं। आस प्रकार, ऄपने जीवन में नैततक होने का ऄथव है - इश्वरीय कथन का
om
l.c

ऄनुसरण करना।
ai
gm

(iii) ऄनुप्रयुक्त/फतलत नीततशास्त्र (Applied ethics): (D में फदए गए प्रश्न) यह नैततक तसिांत को
@
11
13

वास्ततवक जीवन की पररतस्थततयों में लागू करने का प्रयास करता है, जैसे फक यह तववादास्पद तवषयों, यथा-
j5
ra
su

युि, पशु ऄतधकार, मृत्युदड


ं अफद पर तविार करता है। आसके कइ तवतशि क्षेर हैं, जैस-े आंजीतनयररग

नीततशास्त्र, जैव-नीततशास्र (bioethics), भू-नीततशास्र (geoethics), लोक सेवा नीततशास्र (public

service ethics) एवं व्यावसातयक/व्यापार नीततशास्र (business ethics)। आसका ईपयोग साववजतनक

नीतत के तनधावरण में फकया जाता है।

3. ऄनुप्र युक्त /फतलत नीततशास्त्र : तवतशष्ट ईदाहरण


(Applied Ethics: Specific Examples)

3.1. पयाव व रणीय नीततशास्त्र (Environmental Ethics)

 पयाववरणीय नीततशास्त्र, नीततशास्त्र की वह शाखा है तजसमें मानवीय कायववातहयों और प्राकृ ततक


पयाववरण के संबध
ं ों का ऄध्ययन फकया जाता है। पयाववरणीय नीततशास्त्र पयाववरण से समाज के एक
भाग के रूप में व्यवहार करता है। यह जैव तवतवधता और पाररतस्थततकीय प्रणातलयों को बनाए रखने
और ईनके संरक्षण से जु से पयाववरणीय मूल्यों और सामातजक ऄतभवृति से संबंतधत है।

16 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

 बढता प्रदूषण, प्राकृ ततक संसाधनों का ह्रास, क्षीण होती पादप और जन्तु जैव तवतवधता, वनों का नाश,
पाररतस्थततक तंर का तनम्नीकरण और जलवायु पररवतवन सभी "हररत" मुद्दों के भाग हैं। आन्होंने हाल के
वषों में ऄपने अपको लोक िेतना और लोक नीतत दोनों में समातवष्ट कर तलया है। पयाववरणीय
नीततशास्त्र का कायव ऐसी चिताओं के अलोक में हमारे नैततक दातयत्वों को रेखांफकत करना है। दो
मूलभूत प्रश्न, तजन्हें पयाववरणीय नीततशास्त्र को ऄवश्य संबोतधत करना िातहए, हैं: पयाववरण के संबंध

में मनुष्यों के क्या कतवव्य हैं और क्यों? यहााँ क्यों (ईिरवती प्रश्न) से पहले सामान्यत: क्या (पहला प्रश्न)
पर तविार फकया जाना िातहए। ऄभी हमारे जो दातयत्व हैं, ईनसे तनपटने के तलए, पहले सामान्यत:

आस बात पर तविार करना अवश्यक माना जाता है फक ये हमारे कतवव्य क्या हैं। ईदाहरण के तलए, क्या
हमारा पयाववरणीय दातयत्व वतवमान समय में तवश्व में रहने वाले मनु ष्यों के प्रतत है या भतवष्य की
पीफढयों के तलए है या पाररतस्थततकी तंर की देख-भाल करने के संदभव में फकसी भी मानवीय लाभ से
तनरपेक्ष, स्वयं पयाववरण के तवतभन्न घटकों के तनतमि है? ऄलग-ऄलग नैततक दृतिकोण आस मूलभूत प्रश्न
का तनतांत तभन्न-तभन्न ईिर देते हैं और आसने तनतांत तभन्न पयाववरणीय नीततशास्त्र के ईद्भव का मागव
प्रशस्त फकया है।
 पाररतस्थततकीय मूल्य भारतीय परंपरा के ऄंग रहे हैं जहां मानव जातत के प्रतत ऄपनी सेवाओं के तलए
प्रकृ तत को पूणव सम्मान फदया गया था। बाबा अम्टे जैसे तवतभन्न पयाववरणतवदों ने भी पाररतस्थततकीय
संतुलन और वन्यजीव संरक्षण के संबंध में जागरूकता फै लाइ। ईनका मानना था फक मनुष्य को प्रकृ तत
के साथ सामंजस्य स्थातपत कर रहना िातहए, न फक प्रकृ तत का शोषण करके । ईन्होंने लोगों को
संधारणीय तवकास का प्रततमान ऄपनाने के तलए प्रेररत फकया जो मानव जातत और प्रकृ तत दोनों के
तलए लाभप्रद होगा। कु छ पाररतस्थततकीय मूल्य आस प्रकार हैं:
o संधारणीयता: यह सुतनतश्चत करने के तलए कदम ईिाए जाने िातहए फक हम प्रदूषण के स्तर को
कम करें और प्राकृ ततक संसाधनों के ऄपव्ययपूणव ईपभोग में कमी लाएाँ।
o सह-ऄतस्तत्व: आसके ऄंतगवत पौधों और वन्यजीवों के साथ सह-ऄतस्तत्व तथा ईनसे मनुष्य के
समान व्यवहार करने की बात की गयी है।
o संरक्षण: प्राकृ ततक तवकल्प ढू ंढकर संसाधनों को संरतक्षत करने पर बल।
om

o पयाववरण-कें फित: नैततक तसिांतों को मनुष्य और ईसकी अवश्यकताओं के िारों ओर ही नहीं


l.c

बतल्क पयाववरण और ईसकी अवश्यकताओं के िारों ओर भी ध्यान कें फित करना िातहए।
ai
gm

o सामूतहकवाद के साथ-साथ व्यतक्तवाद (Collectivism as well as individualism): यह


@
11

व्यतक्तगत मानवीय फक्रयाकलाप/कायववाही के महत्व को मान्यता प्रदान करते हुए संरक्षण


13
j5

सुतनतश्चत करने के तलए सामूतहक प्रयास की बात करता है।


ra
su

o समग्रता (Holistic): पयाववरण का समग्र रूप से संरक्षण फकया जाना िातहए, न फक टुक सों और
भागों में तजसका पररणाम संरक्षण के प्रयासों की बबावदी होती है।

3.2. व्यावसातयक/व्यापार नीततशास्र (Business Ethics)

 व्यावसातयक/व्यापार नीततशास्त्र वस्तुतः व्यावसातयक माहौल में लागू होने वाले नैततक तसिांतों के
समुच्िय को तनरूतपत करता है। यह फकसी संगिन की सभी गतततवतधयों और व्यतक्तयों पर लागू होता
है। कइ फमें ऄपने संगिन में तनयोतजत लोगों के कायों का मागवदशवन करने के तलए तवस्तृत अिार
संतहता तवकतसत करती हैं। आस प्रकार, व्यावसातयक/व्यापार नीततशास्त्र को आन अिार संतहताओं की
सामग्री और प्रभावशीलता का ऄध्ययन कहा जा सकता है।
 व्यापाररक संस्थाएं तजन गतततवतधयों में संलग्न होती हैं, ईनके प्रतत ईनका नैततक ईिरदातयत्व होना

िातहए। ईदाहरण के तलए - ऄपने कमविाररयों से ऄच्छा व्यवहार करने का ईिरदातयत्व, तजस
पयाववरण से वे संसाधन प्राप्त करते हैं ईसके प्रतत सम्मान का ईिरदातयत्व, ईपभोक्ताओं पर ऄपने
ईत्पाद के प्रभाव के प्रतत ईिरदातयत्व अफद। कॉप रेट प्रततष्ठा कॉप रेट के संिालन में ऄपनाइ गइ

17 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

नैततकता के स्तर पर तनभवर करती है। व्यापार में नैततक व्यवहार के कु छ ईदाहरण आस प्रकार हो सकते
हैं:
o दूसरों को धोखा देन,े छल करने या िालाकी से काम तनकालने के तलए प्रलोतभत न होना।
o बाजार और संगिनों की रिना करने वाले कानूनों और तवतनयमों का भावना के साथ-साथ
ऄक्षरश: पालन करना।
 िूंफक, कानून सभी व्यापाररक व्यवहारों को ऄच्छाफदत नहीं कर सकते हैं। ऄतः ऐसे में कानून कइ बार

कु छ बातों को ऄतलतखत छो स देते हैं, तजसका सदुपयोग/दुरुपयोग फकया जा सकता है। यहीं
व्यावसातयक/व्यापार नीततशास्त्र अता है। जब बाजार बाह्यताओं या ऄपूणव सूिना के कारण तवफल हो
रहा हो तब फकसी व्यावसातयक/व्यापाररक प्रततष्ठान को बाजार का शोषण नहीं करना िातहए।
ईपभोक्ताओं के संबध
ं में व्यावसातयक/व्यापार नीततशास्त्र (Business ethics with respect to
consumers)

ईपभोक्ताओं के साथ ऄपने व्यवसाय में फमों को कु छ नैततक व्यवहारों का पालन करना िातहए, जैसे:
 स्वास्थ्य देखभाल और फामाव अफद जैसी वस्तुओं एवं सेवाओं के ईत्पादन में आसका ईपभोग करने वाले
ईपभोक्ताओं की सुरक्षा सुतनतश्चत करने के तलए मानकों को बनाए रखना।
 तवज्ञापनों में ईपभोक्ताओं को ईत्पाद का वास्ततवक पररिय देना।
 गैर-कानूनी रूप से प्राप्त ऄंगों, दवाओं अफद जैसे ऄनुतित ईत्पादों की तबक्री नहीं करना। ऐसी
गतततवतधयााँ मानव को के वल लाभ का एक साधन मानती हैं।
कमविाररयों के संबध
ं में व्यावसातयक/व्यापार नीततशास्त्र (Business ethics with respect to

employees)
ऄपने कमविाररयों से व्यवहार करते समय फमों को तनम्नतलतखत तत्त्वों का ध्यान रखना िातहए:
 गैर-भेदभाव (Non-discrimination): कमविाररयों से काम के संबध
ं में ईनकी यो्यता के अधार पर
यथोतित व्यवहार करना िातहए।
 कमविाररयों को ईनके प्रयासों के ऄनुरूप भुगतान करना (Pay commensurate to their efforts):
कमविारी को संगिन की सफलता के प्रतत ईसके द्वारा फकए गए योगदान के ऄनुसार भुगतान फकया
om
l.c

जाना िातहए।
ai
gm

नोट: व्यावसातयक/व्यापार नीततशास्त्र के ऄन्य पहलुओं का "कॉप रेट प्रशासन" शीषवक के ऄंतगवत तवस्तार से
@
11

वणवन फकया जाएगा।


13
j5
ra

3.3. नै ततक प्रबं ध न (Ethical Management)


su

 प्रबंधन में नीततशास्त्र के समावेश को नैततक प्रबंधन कहते हैं ऄथावत् व्यतक्त को प्रबंधन में बुरी
पररपारटयों से बिना िातहए। प्रबंधकीय नीततशास्त्र वस्तुतः कायवस्थल पर पररिालन में संलग्न प्रबंधक
के अिरण को तनदेतशत करने वाले मानकों का एक समुच्िय है। आस ईद्देश्य के तलए कोइ भी कानून या
तनयम तैयार नहीं फकए गए हैं। आसके बजाए, कं पनी द्वारा ऄपने प्रबंधकों का मागवदशवन करने के तलए
नीततशास्त्रीय संतहताएाँ तैयार की जाती हैं। यह सामान्यत: मूलभूत अिरण के संबंध में साझा मूल्यों,
तसिांतों और कं पनी की नीततयों का एक सेट होता है तथा कमविाररयों, कं पनी और ईसके तहतधारकों
के प्रतत प्रबंधक के कतवव्यों को रेखांफकत करता है। आनकी ऄप्रवतवनीयता के बावजूद भी, कं पनी की कु छ
अिार नीतत की ईपेक्षा करने वाले प्रबंधकों से पद छो सने के तलए कहा जा सकता है। प्रबंधकीय
नीततशास्त्र के कु छ ईदाहरण- कं पनी की िीजों का व्यतक्तगत आस्तेमाल न करना, व्यतक्तगत ईपयोग के
तलए कं पनी के टेलीफोन या कै ब सेवा का आस्तेमाल न करना, तशकायतें व्यक्त करने के तलए ऄपने
ऄधीनस्थों को ईतित ऄवसर प्रदान करना, तहतों के संघषव की फकसी भी तस्थतत की पूवव घोषणा करना
(जैस-े तवक्रेताओं से ईपहार स्वीकार करना) अफद।

18 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

 कृ पया ध्यान दें: व्यावसातयक/व्यापार नीततशास्त्र और नैततक प्रबंधन (प्रबंधकीय नीततशास्त्र) दोनों में
थो सी तभन्नता हैं। व्यावसातयक नीततशास्त्र वस्तुतः व्यावसातयक कायववाही से प्रभातवत पक्षों से जु सा है।
यह फकसी ईद्यम के तनणवय तनमावण और कायववाही का एक मानक है। जबफक नैततक प्रबंधन कमविाररयों
और ऄन्य तहतधारकों से व्यवहार करने में प्रबंधकों के तलए व्यतक्तगत व्यवहार के मानकों के साथ
ऄतधक संबध ं रखता है।
 यह भी ध्यान दें: नीततशास्त्र का प्रबंधन एक ऄलग तवषय है। नीततशास्त्र के प्रबंधन का ऄथव वस्तुतः
नैततक व्यवहार के ऄनुपालन हेतु सभी के तलए तसिांतों का एक समुच्िय या संतहता तैयार करने से है।
आसके िलते एक व्यतक्त नैततक रूप से ऄच्छा तनणवय लेने के तलए तहतों के टकराव और दुतवधाओं से
तनपटता है, आसी तरह व्यतक्त नैततक मागव की फदशा में अगे बढने के तलए ऄपने कायों को तनदेतशत करने
और ऄपने ऄंत:करणक को संतुि करने का प्रबंध करता है।

3.4. तवश्वबं धु ता सं स्कृ तत और शहरीकरण के सं द भव में नै ततक सं घ षव

(Ethical Conflicts in Cosmopolitan Culture and Urbanisation)


 अर्शथक तवकास और सुख की आच्छा ने िुत शहरीकरण की पररघटना और तवश्वव्यापीकरण
(cosmopolitanism) की संस्कृ तत को अधुतनक समाज का वास्ततवक तथ्य बना फदया है। आससे काम
के ऄवसर में वृति हुइ है, लोगों के जीवन स्तर में सुधार अया है, देश की अर्शथक प्रगतत हुइ है,
जागरूकता में वृति देखने को तमली है, सरकार तवतभन्न सेवाओं की ईपलब्धता सुतनतश्चत करे आसे लेकर
लोगों के मांग में वृति हुइ है।
 तवश्वव्यापीकरण की संकल्पना के ऄनुसार सभी मनुष्य नैततक तसिांतों के समान समुच्िय के साथ एक
ही समुदाय से संबंतधत हैं। सैिांततक रूप से, यहां हर कोइ वृहत्तर तवश्व के तलए ऄपने अपको खुला
रखते हुए ऄपनी व्यतक्तगत और सांस्कृ ततक ऄखंडता बनाए रख सकता है। तवश्वव्यापीकरण और
शहरीकरण तनम्नतलतखत मूल्यों से जु से हैं:
o समावेतशता, एकता, मानवातधकार और गररमा, सांस्कृ ततक तवतवधता, एकजुटता, समानता;
o खुलापन, सुशासन, ईिरदातयत्व और जवाबदेही, लोकतंर;
o वैश्वीकरण, अधुतनकता, औद्योतगकीकरण, ईपभोक्तावाद, ईदारीकरण;
om

o ऄंध देशभतक्त का तवरोध, सामातजक न्याय, शांतत; और


l.c
ai

o सूिना के माध्यम से सामूतहक बुतिमिा/समझ (Collective Intelligence)।


gm
@

हालांफक, ये (तवश्वव्यापीकरण और शहरीकरण) तवतभन्न नैततक संघषों को भी जन्म देत े हैं, जैस:े
11
13

 तवकासात्मक पररयोजनाओं के तलए संसाधनों का ईपयोग बनाम पयाववरणीय संधारणीयता: लोगों की


j5
ra

बढती मांग को पूरा करने और जीवन स्तर में सुधार लाने के तलए खनन, बांध तनमावण, तवद्युत
su

पररयोजनाओं अफद जैसी ब सी पररयोजनाओं की अवश्यकता है। आसका संधारणीयता (ऄथावत् वतवमान
पीढी द्वारा संसाधनों का आितम ईपयोग ताफक अने वाली पीफढयों के तलए पयावप्त संसाधन ईपलब्ध रहें)
के प्रश्न के साथ प्रत्यक्ष संघषव है।
 बढती ऄसमानता और तनधवन एवं सुभद्य े वगों की तस्थतत: वैश्वीकरण के कारण यह तथ्य ईभर कर
सामने अया है फक अर्शथक तवकास का फल के वल कु छ ही लोगों द्वारा प्राप्त फकया जा है तजसके कारण
ऄसमानता में तीव्र वृति हुइ है। शहरी मतलन बतस्तयों और ऄनतधकृ त कॉलोतनयों में रहने वाले लोगों
की तस्थततयों और महानगरों में अतलशान भवनों एवं व्यापक सुतवधाओं का लाभ ईिाने वाले वगों के
बीि स्पि ऄंतर देखने को तमला है और यह तस्थतत तनरंतर बनी हुइ है।

सामातजक समृति/शुभ (Social Well-Being)


सामातजक समृति/शुभ का तात्पयव स्वस्थ संबंध, सामातजक तस्थरता और सामातजक शांतत से है। मनुष्य
स्वभाव से ही ऄपनी समृति के तलए सामाजीकरण पर तनभवर होता है। यही कारण है फक मनुष्य ऄनेक समूहों
का गिन करता है। आन संगिनों की प्रकृ तत ही मनुष्य की सामातजक समृति को तनधावररत करती है। सामातजक
समृति के तनम्नतलतखत तवतभन्न घटक है:
 सामातजक स्वास्थ्य: आसका तात्पयव ऄच्छे सामातजक संबध ं वाले लोगों से हैं।

19 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

 सामातजक तस्थतत: आसका तात्पयव प्रकृ तत, व्यतक्त की संपति अफद के संबंध में लोगों की सामान्य धारणा
से है।
 सामातजक समानता: आसका तात्पयव संसाधनों के समान तवतरण से है। पुनः आसका तात्पयव अधारभूत
सेवाओं की व्यवस्था से भी है जो सभी के तलए समान रूप से सुलभ हों। फलस्वरूप लोगों के मध्य
समानता की भावना में वृति और सापेक्ष वंतितता की भावना में कमी अती है तजससे ऄंततः लोगों की
समृतध में बढोतरी होती है।
 सामातजक मानदंड: आसका तात्पयव प्रत्येक व्यतक्त के तलए समान माहौल (पररतस्थतत) से है। तवतभन्न
समुदायों से संबंतधत मानदंड ऄलग-ऄलग नहीं होते।
सामातजक शुभ का तात्पयव लोगों के साथ तमल-जुल कर रहने से भी है। आसका ऄथव अपकी सहायता करने के
तलए पररवार और तमरों का होना है। यह संबंिता, प्रयोजन और सामातजक समावेश की भावना प्रदान
करता है। समकालीन समय में, सामातजक शुभ के प्रभातवत होने का कारण यह है फक लोग तशक्षा या रोजगार
अफद के बेहतरी के तलए के बाहर िले गए तजससे सफदयों से तवकतसत कतऺडयां और बंधन टूटने लगे हैं। आस
प्रकार, सामातजक नेटवकव तनरंतर बन भी रहा है और टूट भी रहा है।

 संसाधनों के तलए संघषव: लोग तवश्वव्यापी संस्कृ तत का ऄनुसरण करते हुए शहरी क्षेरों में प्रवास कर रहे
हैं। आसके कारण शहरी क्षेरों की जनसंख्या में तवशाल वृति हुइ है तथा भूतम, जल, ऄवसंरिना आत्याफद
के संदभव में संसाधनों की कमी देखने को तमली है। आस प्रकार, स्वच्छ जल तक ऄतधकांश लोगों की पहुाँि
में कमी अइ है, स सकों पर भी स में वृति हुइ है तथा कइ लोग मतलन बतस्तयों में रहने के तलए तववश हैं।
 समाज का सलाद बाईल बनाम मेतल्टग पॉट मॉडल (Salad bowl vs Melting pot model of
society): तवश्वव्यापीकरण के कारण कइ संस्कृ ततयों ने ऄपनी पहिान खो दी है और तवश्व की
प्रभुत्वशाली संस्कृ ततयां आन्हें ईत्तरोत्तर ऄपने ऄंदर समातवि करती जा रही हैं।
 वैतश्वक बनाम क्षेरीय मूल्य: मेचल्टग पॉट मॉडल के तवरोध में, क्षेरीय और स्थानीय संस्कृ ततयां
वैश्वीकरण की प्रततफक्रया के रूप में ऄपनी संस्कृ तत पर मजबूती से दावा कर रही हैं।
 सांस्कृ ततक तवतवधता बनाम सांस्कृ ततक टकराव: आन क्षेरों में ईपलब्ध ऄवसर तवतभन्न पृष्ठभूतम और
संस्कृ ततयों के लोगों को यहां लाते हैं और ईन्हें आनके संपकव में अने में सक्षम बनाते हैं। लेफकन कभी-कभी
आस तवतवधता से संघषव होता है जब कु छ लोग नइ संस्कृ तत के तलए खुले नहीं होते हैं।
om
l.c

 व्यतक्तवाद बनाम सामूतहकवाद (Individualisation versus collectivism): शहरी क्षेरों में बढते
ai
gm

व्यतक्तवाद के पररणामस्वरुप नवीन सामातजक संरिना का ईद्भव होता है तजसमें पारंपररक पररवार
@

पहले तजतना प्रभावशाली नहीं होते हैं। आसके कारण कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है फक स्व-तहत ऄन्य
11
13

मूल्यों पर हावी हो गया है।


j5

जीवनशैली में पररवतवन बनाम स्वस्थ फदनियाव: लोगों ने ऄपने पारंपररक तवतवध व्यंजनों और अदतों
ra


su

की तुलना में मैकडॉनल्डीकरण से ऄपने अपको और ऄतधक जो सना अरंभ कर फदया है।.

4. तनजी और साववज तनक संबं धों में नीततशास्त्र


(Ethics in Private and Public Relationships)

4.1. तनजी सं बं धों में नीततशास्त्र (Ethics in Private Relationships)

 यह ईस नीततशास्त्र को संदर्शभत करता है जहााँ एक एक व्यतक्त ऄपनी रोजमराव की चजदगी में तवतभन्न
लोगों तथा तभन्न-तभन्न पररतस्थततयों से तनपटता है और ईनके मध्य सामंजस्य स्थातपत करता है। आसमें
ब से पैमाने पर पररवार एवं तमरों के साथ संबंध सतम्मतलत हैं। ये संबंध फकसी भी औपिाररक प्रफक्रया
की ऄपेक्षा भावनात्मक बंधनों पर अधाररत होते हैं जो ईन्हें तनयंतरत करते हैं। यही कारण है फक ईनकी
प्रकृ तत ऄनौपिाररक होती है। तनजी संबध ं प्राय: पूववतनधावररत होते हैं या वंशागत होते हैं। ये संबंध
कतमयों के प्रतत ऄतधक सहनशीलता के साथ ऄपेक्षाकृ त स्थायी होते हैं।
 रामायण तनजी संबंधों में नैततकता का एक ईत्कृ ि ईदाहरण है। यद्यतप तनजी जीवन में नैततकता प्रत्येक
व्यतक्त के तलए तभन्न होती है परंतु कु छ समान्य मूलभूत तसिांत हैं तजन्हें समाज द्वारा स्वीकार फकया
गया है। ईदाहरण के तलए:

20 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

o तनष्ठा/तवश्वसनीयता/वफ़ादारी (Loyalty): ऄपने जीवन साथी तथा पररवार के सदस्यों के प्रतत


तनष्ठा।
o प्रेम (Love): पररवार के सभी सदस्यों को ईनकी कतमयों के बावजूद प्रेम करना।
o स्नेह (Affection): सभी सदस्यों की अवश्यकताओं की स्वयं ऄपनी अवश्यकताओं की भांतत
देखभाल करना।
 तनजी संबंध में नैततकता अम तौर पर व्यतक्तगत सगुगुणों, साववभौतमक मानवीय मूल्यों, धमव, सामातजक
मानदंडों तथा क्षेरीय कानून द्वारा तनदेतशत होती है। तनजी संबंध में नैततकता तनजी धार्शमक कानून
द्वारा भी तनयंतरत होती है। व्यतक्तगत पाररवाररक एवं सामुदातयक दातयत्वों को बहुत समय पूवव कानून
में तलखा जा िूका है तथा आन्हें प्रािीन काल से लेकर वतवमान समय के तलाक, तववाह एवं ऄन्य कानूनों
द्वारा गंभीर प्रततबंध अरोतपत कर समर्शथत फकया गया है। तनजी संबंधों में नैततक संतहताओं के साथ-
साथ, भारत में, धार्शमक संस्थान एवं संवैधातनक प्रावधान भी नीततपरक मुद्दों को तनयंतरत करते हैं।

4.2. सावव ज तनक सं बं धों में नीततशास्त्र

(Ethics in Public Relationships)


 यह ईस नीततशास्त्र को संदर्शभत करता है तजनका एक व्यतक्त ऄपने व्यावसातयक जीवन में पारस्पररक
व्यवहार (ऄंतःफक्रया) तथा व्यापाररक व्यवहार के संबंध में ऄनुसरण करता है। साववजतनक संबध ं वे
संबंध हैं जो फकसी पेशे के सगुगुण या व्यावसातयक जीवन में धाररत पद के कारण तवद्यमान होते हैं।
 साववजतनक संबंधों के मूल मंर (core values) जो परस्पर व्यवहार एवं तनणवयन प्रफक्रया का मागवदशवन
करते हैं तथा फकसी भी पेशेवर सत्यतनष्ठा के तलए महत्वपूणव होते हैं, ईनमें तनम्नतलतखत तवशेषताएाँ
सतम्मतलत होती हैं:
o पक्ष-समथवन (Advocacy): तजन व्यतक्तयों/संगिनों के तलए प्रतततनतधत्व फकया जाना है ईनके तलए
एक तजम्मेदार पक्ष-समथवक के रूप में कायव करके ईनके साववजतनक तहतों की पूर्शत करना।
o इमानदारी एवं तनःस्वाथवता (Honesty & selflessness): साववजतनक तहतों (तनजी तहतों के
तलए नहीं) को बढावा देने के तलए यथाथवता तथा सत्यता के ईच्चतम मानकों का पालन करना।
o तवशेषज्ञता (Expertise): तवतशि ज्ञान एवं ऄनुभव को प्राप्त करना तथा तजम्मेदारी से सतत
om

व्यावसातयक तवकास में ईपयोग करना।


l.c
ai
gm

o जवाबदेही एवं खुलापन (Accountability & openness): साववजतनक सेवाओं में ऄपने पद के
@
11

संबंध में की गईं कायववातहयों के तलए।


13

तनष्ठा एवं सेवा भाव (Loyalty & spirit of service): साववजतनक तहतों की रक्षा करने के
j5

o
ra
su

दातयत्व का तनववहन।
o तनष्पक्षता एवं न्याय (Fairness & Justice): सभी क्षेरों में न्याय करके ऄपनी भूतमका को
कायम रखना।
आस संबध
ं में “द कतमटी फॉर स्टैंडर्डसव आन पतब्लक लाआफ (नोलन सतमतत)” ने सात तसिांतों को पररभातषत
फकया है। ये हैं:
I. तन:स्वाथवता (Selflessness): साववजतनक (लोक) पद के धारकों को पूणत
व : साववजतनक तहत के
तलए कायव करना िातहए। ईन्हें स्वयं ऄपने, ऄपने पररवार या ऄपने तमरों के तलए फकसी भी प्रकार
के तविीय या ऄन्य लाभ प्राप्त करने के तलए कायव नहीं करना िातहए।
II. सत्यतनष्ठा (Integrity): साववजतनक पद के धारकों को स्वयं को बाहरी व्यतक्तयों या संगिनों के
प्रतत फकसी भी तविीय या ऄन्य दातयत्व के तहत संबि नहीं करना िातहए जो ईन्हें ऄपने
अतधकाररक कतवव्यों के तनष्पादन में बाधा डालें।

21 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

III. वस्तुतनष्ठता (Objectivity): साववजतनक तनयुतक्तयों, िे का/ऄनुबंध के मामलों, या पाररतोतषक व


लाभ के तलए फकसी की ऄनुशंसा करते समय साववजतनक कायव के तनववहन के दौरान साववजतनक पद
के धारकों को यो्यता के अधार पर ियन करना िातहए।
IV. जवाबदेही (Accountability): साववजतनक पद के धारक जनता के प्रतत ऄपने तनणवयों तथा कायों
के तलए जवाबदेह होते हैं तथा ईन्हें ऄपने पद से जु से प्रत्येक जांि के तलए अगे अना िातहए।
V. खुलापन (Openness): साववजतनक पद के धारकों को ऄपने द्वारा तलए गए तनणवयों एवं
कायववातहयों के तलए तजतना संभव हो ईतना स्पि होना िातहए। ईन्हें ऄपने तनणवयों के तलए तकव
प्रदान करना िातहए तथा जानकारी को के वल तभी प्रततबंतधत करना िातहए जब व्यापक
साववजतनक तहत स्पि रूप से आसकी मांग करें।
VI. इमानदारी (Honesty): साववजतनक पद के धारकों का कतवव्य है फक वे ऄपने साववजतनक कतवव्यों
से जु से फकसी भी प्रकार के तनजी तहत की घोषणा करें तथा साववजतनक तहतों की पूर्शत करने के मागव
मे अने वाले फकसी भी बाधा को दूर करने के तलए कदम ईिाएं।
VII. नेतत्ृ व (Leadership): साववजतनक पद के धारकों को ऄपने नेतृत्व कौशल के माध्यम से तथा
तवतभन्न ईदाहरणों को पेश कर आन तसिांतों को बढावा देना िातहए तथा आनका समथवन करना
िातहए।
नोट: OECD देशों ने भी सरकारी कमविाररयों का मागवदशवन करने के तलए अधारभूत मूल्यों के एक सेट को
प्रकातशत फकया है। ये हैं: भेदभाव रतहत (impartiality), वैधता (legality), सत्यतनष्ठा (integrity),
पारदर्शशता (transparency), दक्षता (efficiency), समानता (equality), तजम्मेदारी (responsibility)
एवं न्याय (justice)।

4.3. सावव ज तनक तथा तनजी नीततशास्त्र में सं बं ध

(Relation between Public and Private Ethics)

 तनजी तथा साववजतनक नीततशास्त्र के मध्य ऄंतर काफी संदह


े ास्पद है क्योंफक साववजतनक तथा तनजी,
om

दोनों जीवनों में, हमें सामान्य रूप से समान नैततक मूल्यों का तनववहन करना प सता है। दोनों के मध्य
l.c
ai
gm

कोइ द्वैत संबध


ं नहीं हो सकता, क्योंफक नैततकता एक सगुगुण जीवन को बढावा देती है। ऄतः यह दोनों
@
11

के तलए समान रूप से लागू होती है। एक व्यतक्त जो ऄपने साववजतनक जीवन में ऄनैततक है, ईससे
13
j5

शायद ही ऄपने तनजी जीवन में नैततक होने की ऄपेक्षा की जा सकती है तथा आसी प्रकार जो व्यतक्त
ra
su

ऄपने तनजी जीवन में ऄनैततक है, ईससे शायद ही ईसके साववजतनक जीवन में नैततक होने की ऄपेक्षा
की जा सकती है। तजस तरह से एक तसतवल कमविारी ऄपने पररवार में मतहलाओं के साथ व्यवहार
करता है, ईससे हम ऄनुमान लगा सकते हैं फक वह ऄपने मतहला सहकर्शमयों के साथ कै से व्यवहार
करता होगा या फफर हम यह भी ऄनुमान लगा सकते हैं फक ईसके द्वारा कायावतन्वत नीततयां चलग
तनरपेक्ष हैं या नहीं। यफद हम महान व्यतक्तत्वों के ईदाहरण लें तो हम पाएंगे फक ईनके , ऄपने साववजतनक

एवं तनजी जीवन को अाँकने के समान मानदंड थे, ईदाहरण के तलए गांधीजी, पूवव राष्ट्रपतत श्री एपीजे
ऄब्दुल कलाम अफद।
 कभी-कभी साववजतनक/व्यावसातयक संबंध तनजी संबंध भी बन सकते हैं। ईदाहरण के तलए - एक
तशक्षक-छार के मध्य संबंध - कभी-कभी कक्षा में तशक्षक बच्चों के साथ ऄपने व्यतक्तगत ईदाहरणों का
ईपयोग करते हैं, बच्चे भी तशक्षकों के साथ ऄपनी कमजोररयों को सांझा करते हैं ताफक ईनमें सुधार हो

22 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

सके । आस प्रकार आस मामले में, कु छ स्तर तक, जैसे जैसे वे दोनों ऄपनी बातों को साझा करना अरंभ

करते हैं, ईनके मध्य संबंध तनजी होते जाते हैं।


 यह बहुत महत्वपूणव है फक व्यतक्तगत तथा पेशेवर नीततशास्त्र के मध्य कोइ मतभेद नहीं हो क्योंफक यह
कु छ लोगों के तविारों में तनराशा, ऄपराध या भ्रम एवं तवसंगतत का कारण हो सकता है। ये दोनों ही

एक दूसरे को अकार देते हैं तथा ईन्हें मजबूती प्रदान करते हैं। व्यतक्तगत तवकास के तलए, ईन्हें एक
दूसरे के समनुरूप होना िातहए। परंतु ऄत्यतधक समनुरूपता तविारों तथा पररवतवनों की तनश्चलता का
कारण बन सकती है, ईदाहरण के तलए - यफद साववजतनक सेवाओं मे लगा कोइ भी व्यतक्त सुधार के तलए

ईन्मुख नहीं होगा तथा वतवमान समाज के समनुरूप ही रहेगा, तो सामातजक-सांस्कृ ततक पररवतवनों को
लाना करिन होगा।
 हालांफक, साववजतनक जीवन में नैततकता का ऄतधक महत्व है तथा साववजतनक जीवन में आसकी मांग भी
होती है क्योंफक साववजतनक जीवन में अप सदैव ऄपनी व्यतक्तगत नैततकता का ऄनुसरण नहीं कर सकते
हैं। ईदाहरण के तलए – तनजी तौर पर अप गभवपात को नैततक रूप से गलत मान सकते हैं, परंतु यफद

अप एक डॉक्टर हैं, तो अपको ऄपने पेशेवर नैततकता का ऄनुपालन करते हुए अपको कइ बार
गभवपात में संलग्न होना प सता है। आस तरह की दुतवधाएाँ प्राकृ ततक हैं परंतु हमें ऄपने तनजी तथा पेशेवर
भूतमका के मध्य एक रेखा खींिने की अवश्यकता है। साववजतनक रूप से भूतमका तनभाने पर हमें ऄपने
व्यतक्तगत जीवन को पृथक करने तथा दृढता से पेशेवर अिार संतहता का ऄनुसरण करने की
अवश्यकता होती है।

5. नैततक द्वंद्व /संघ षव का तनराकरण: रास्ता क्या है ?


(Resolving Ethical Conflicts: What is the way out?)
 सभी मनुष्य स्वयं में एक साध्य होते हैं। तनस्संदह
े हम ऄपने साध्य की प्रातप्त हेतु ऄन्य मनुष्यों का
ईपयोग करते हैं। एक छार ऄपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के तलए तशक्षक का ईपयोग करता है। हालांफक,
om
l.c

यहां एक सूतित सहमतत का शातमल होना एक महत्वपूणव पहलू है। आसतलए, यह महत्वपूणव है फक हम
ai
gm

मानवता को के वल साधनों के रूप में न मानें। नैततकता का तनधावरण आस अधार पर फकया जा सकता है
@
11

फक यह ईतित एवं तनष्पक्ष है या नहीं। ईदाहरण के तलए, यफद अपके पास एक बांसुरी है, तो अपको
13
j5

आसे फकसे देना िातहएः एक ऐसे व्यतक्त को जो बांसुरी बजाने में तनपुण (कलाप्रवीण) है, या ईस व्यतक्त
ra
su

को तजसे आसकी ऄतधकतम अवश्यकता है (ईपयोतगता), या फफर ईस व्यतक्त को तजसे बांसुरी बजाने का
कायव सौंपा गया है (कतवव्य-परकतावादी)? ईिर सरल नहीं है। हालांफक, ईतित एवं तनष्पक्ष तवतरण
प्रफक्रया सुतनतश्चत करके वास्तव में एक नैततक समाधान पर पहुंिने का दावा फकया जा सकता है।
 कोइ भी दृतिकोण साववभौतमक नहीं होता या कोइ भी ऐसा दावा नहीं फकया जा सकता जो दोष रतहत
न हो। ऄतधकतम अनंद प्राप्त करने का लक्ष्य फकसी ऄन्य व्यतक्त के मूल ऄतधकारों के हनन का कारण बन
सकता है। कतवव्य पालन के प्रतत दृढता नकारात्मक पररणामों का कारण भी बन सकती है; हालांफक ऐसे
में तनणवय लेने वाले व्यतक्त पर ईन पररणामों की तजम्मेदारी कम हो जाएगी। ऄंततोगत्वा, सगुगुणी को
पुरस्कृ त करके तथा दुरािारी को दंतडत कर सामान्य खुशी (अनंद) में वृति की जा सकती है।
 न्याय का तात्पयव है फक तबना फकसी भय या पक्षपात के जो सही है, ईसका ियन करना। तनणवय की
प्रफक्रया फकसी भी पूवावग्रह से मुक्त होनी िातहए। फकसी व्यतक्त या वगव की ओर पूवावग्रह नहीं होना
िातहए। हालांफक, तजस दृतिकोण या तवतध को ऄपनाया जा रहा है, वह प्रत्येक ऄवस्था में एकसमान
नहीं हो सकता है। आसका ऄथव यह है फक यफद ईपयोतगतावादी दृतिकोण ने फकसी एक मामले में सव िम
पररणाम फदए हैं, तो आसका अशय यह नहीं है फक अगे के प्रत्येक तनणवय के तलए भी वही पसंदीदा

23 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

दृतिकोण हो। एक व्यापक, बहुअयामी तवश्व दृतिकोण फकसी व्यतक्त को एक सूतित तथा न्यायसंगत
तनणवय लेने में सक्षम बनाता है। ऄनुभव में तवतवधता होने पर एक व्यतक्त दूसरों की पररतस्थततयों एवं
समस्याओं को बेहतर समझ सकता है। ऐसे में, ऄन्य संस्कृ ततयों तथा समाजों के प्रतत रुति को बढावा
देने का प्रयास फकया जाना िातहए। आस प्रकार, एक तकव संगत एवं न्यायसंगत तनणवय पर पहुंिा जा
सकता है। ये तनणवय तहतलाभों को पहिानने में सक्षम होने िातहए तथा ईन तहतलाभों को ऄतधकतम
करने का लक्ष्य होना िातहए। साथ ही साथ, दोषों को पहिानने एवं ईनके न्यूनीकरण का भी लक्ष्य
होना िातहए।

6. मानवीय मूल्य (Human Values)


 "मूल्य" वस्तुतः हमारे अस-पास की दुतनया के तवतभन्न पहलुओं को प्रदि मान्यता या महत्व को दशावते
हैं। मूल्य एक प्रकार की वरीयता है, साथ ही श्रेयस्कर (श्रेष्ठ) की ऄवधारणा। हम प्रत्येक मानवीय
फक्रयाकलाप/कायववाही के तलए मूल्यों को श्रेय देते हैं, जो फक आसकी व्यापकता को दशावता है।

 मूल्य वस्तुतः व्यतक्तगत तवश्वास होते हैं, जो लोगों को एक या दूसरे तरीके से कायव करने के तलए प्रेररत
करते हैं। वे मानवीय व्यवहार के तलए एक मागवदशवक या तनयामक के रूप में काम करते हैं। अमतौर पर
लोग तजन मूल्यों के साथ ब से हुए होते हैं, वे ईन्हें ऄपनाने के तलए पहले से प्रवृि होते हैं। ऐसे में लोग
यह भी मानते हैं फक वे मूल्य "सही" हैं क्योंफक वे ईनके तवशेष संस्कृ तत के मूल्य हैं।
 नैततक तनणवय लेते वक़्त प्रायः परस्पर तवरोधी तवतभन्न मूल्यों पर तविार-तवमशव कर यह तनधावररत
करना होता है फक फकस/फकन मूल्य/मूल्यों के साथ अगे बढना है। संघषव की तस्थतत तब अती है, जब
लोगों के ऄलग-ऄलग मूल्य होते हैं, तजनके बीि वरीयताओं तथा प्राथतमकताओं का द्वंद्व होता है। कु छ
मूल्यों में यथाथव अदशव, जैस-े प्रेम, सत्य व स्वतंरता तनतहत होते हैं तथा महत्वाकांक्षा, ईिरदातयत्व एवं
साहस जैसे ऄन्य मूल्य ईन लक्षणों या व्यवहारों का वणवन करते हैं जो साध्य के साधन के रूप में
महत्वपूणव हैं। तथातप, मानवीय मूल्य ऄत्यंत महत्वपूणव हैं। मानवीय मूल्यों को ईन मूल्यों के रूप में
पररभातषत फकया जाता है जो मनुष्य को तवश्व के साथ सामंजस्य स्थातपत कर जीवन व्यतीत करने में
सहायता करते हैं। ये हम आंसानों के मूल में हैं। प्रकृ तत, ऄन्य लोगों, समाज अफद के साथ व्यतक्त के क्या
om

संबंध हैं, ईनकी गहरी समझ तथा सभी प्रातणयों के प्रतत स्थायी सम्मान के तबना कोइ भी व्यतक्त
l.c
ai

वास्तव में तशतक्षत नहीं कहलाता। समानता एवं पारस्पररक सम्मान की भावना तथा तजयो एवं जीने दो
gm
@

का दशवन मानवीय मूल्यों के पररष्कृ त पररणाम हैं। आन्हें सामातजक रूप से वांछनीय लक्ष्यों के रूप में
11

समझा जा सकता है, तजन्हें ऄनुकूलन, ऄभ्यास या सामाजीकरण की प्रफक्रया के माध्यम से अत्मसात
13
j5
ra

फकया जाता है। हमारी शैक्षतणक प्रणाली स्वाभातवक रूप से मूल्यों से संबंतधत है। अनंद, तनष्पक्षता,
su

स्नेह, शांतत, स्वतंरता, सुरक्षा, सम्मान, ईिरदातयत्व, सहयोग, अत्मतनभवरता, समानता आत्याफद जैसे
कु छ साववभौतमक बुतनयादी मानवीय मूल्यों को तवकतसत करना कु छ महत्वपूणव प्रयोजनों में से एक हैं।
 कु छ मूल्यों को पतवर माना जाता है तथा जो ईन पर तवश्वास करते हैं, ईनके तलए वे नैततक
ऄतनवायवताओं के समान होते हैं। ऐसे पतवर मूल्यों के साथ कदातित ही कभी समझौता फकया जाता है,
क्योंफक तनणवय लेने के तलए तविार-तवमशव फकए जाने वाले कारकों के बजाए ईन्हें (पतवर मूल्यों) कतवव्यों
के रूप में माना जाता है। जैस-े ऄतधकांश लोग राष्ट्र गान के गाए जाने के दौरान ख से होने वाली बात को
एक ऐसा मूल्य मानते हैं तजसके साथ वे कभी समझौता नहीेे कर सकते, जबफक कु छ लोगों के तलए यह
मार पसंद या नापसंद का मामला हो सकता है।
 आस प्रकार हमने देखा फक भले हीं ‘मूल्य’ पतवर हों, ऄंतभूत
व महत्व वाले हों या फफर साध्य की
प्रातप्त का एक साधन हों, हर दशा में मूल्य व्यतक्तयों, संस्कृ ततयों तथा पररतस्थततयों के ऄनुसार
बदलते रहते हैं। जो भी हो, नैततक तनणवय लेने में एक प्रेरक तत्त्व के रूप में मूल्यों को साववभौतमक
मान्यता प्राप्त होती हैं। समाज को प्राप्त तहतलाभों के कारण मानवीय मूल्य महत्वपूणव होते हैं। वे
मानदंड प्रदान करते हैं, तजनके अधार पर हम दूसरे लोगों, वस्तुओं, कायों, तविारों व
पररतस्थततयों को परखते हैं। मानवीय मूल्य वस्तुतनष्ठ या व्यतक्त-तनष्ठ/तवषयतनष्ठ, अंतररक या

24 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

बाह्य, व्यतक्तगत या सामुदातयक, सैिांततक या व्यावहाररक, सामातजक, राजनीततक या अर्शथक


अफद हो सकते हैं।

6.1. मू ल्य तवकतसत करने में पररवार, समाज तथा शै क्ष तणक सं स्थाओं की भू तमका

(Role of Family, Society and Educational Institutions in Inculcating Values)

6.1.1. मू ल्य तवकतसत करने में पररवार तथा समाज की भू तमका

(Role of Family and Society in Inculcating Values)


 पररवार, समाज तथा शैक्षतणक संस्थान एक व्यतक्त के मूल्यों को प्रभातवत करने वाले तीन सबसे
महत्वपूणव कारक हैं। सद्भाव/समरसता, साम्यता, सहयोग, लोकतंर, शांतत अफद जैसे सांस्कृ ततक मूल्य
पररवार द्वारा पीढी-दर-पीढी अगे बढते हैं।
 समाज की मूलभूत आकाइ ऄथावत् पररवार मूल्यों की तशक्षा देने वाला पहला तवदयालय भी है। पररवार
के सदस्यों द्वारा प्रस्तुत ईदाहरणों तथा बुजुगों द्वारा दी जाने वाली नैततक तशक्षाओं अफद के माध्यम से
मूल्य तवकतसत होते है। आन्हें कहातनयों, जीवन से सीख अफद के माध्यम से तवकतसत फकया जा सकता

है। यह पररवार ही है जो फकसी व्यतक्त में त्याग, प्रेम, भावना, ईच्च नैततकता अफद जैसे मूल्यों का
समावेश करता है।
 एक बच्चे का पररवार ईसे दूसरों से प्यार एवं सम्मान करने के तरीके तसखाता है तथा आस प्रकार, समाज
में ऄन्य लोगों के प्रतत बच्चों के दृतिकोण को अकार देता है। पररवार के सदस्य बच्चों के तलए ऄनुकरणीय
व्यतक्त होते हैं तथा बच्चा ईन्हीं के जैसे व्यवहार करना सीखता है। पररवार के सदस्य बच्चों में

इमानदारी, सत्यता, अनंद, तनष्ठा तथा सत्यतनष्ठा जैसे नैततक मूल्यों को गढते हैं, जो सामातजक मूल्यों
के समानाथी हैं। बच्चे का लालन-पालन फकस प्रकार फकया गया है, भतवष्य में ईसके मूल्यों को वही
प्रभातवत करता है।
 पररवार सदैव से प्रथम मूल्य प्रदाता रहा है, परंतु हाल के वषों में बच्चों के व्यवहार में स्पि तौर हुए
पररवतवनों को देखते हुए यह कहा का सकता है फक पररवार की भूतमका बदल गइ है। एक अधुतनक
om
l.c

एकल पररवार में एक बच्चे को दी जाने वाली नैततक तशक्षा का स्वरूप भी बदल गया है। यह सहयोग के
ai
gm

बजाय प्रततस्पधाव, पररवार व सामूतहकता के बजाय व्यतक्तवाद तथा संतुति व त्याग के बजाय
@
11

ईपभोक्तावाद पर ऄतधक कें फित हो गया है। यह अवश्यक नहीं फक दी जाने वाली नैततक तशक्षा के स्तर
13
j5

में तगरावट अइ हो, परंतु यह तनतश्चत है फक ईनका स्वरूप बदल गया है। यहााँ ध्यान देने यो्य बात यह
ra
su

है फक प्राथतमकताएं ही हमारे मूल्य बन गए हैं। पहले साझा करना या देरी से प्राप्त होने वाले अनंद ही
हमारी प्राथतमकताएं होती थीं। ऄब ईपभोक्तावाद व तत्काल प्रतसति या त्वररत सफलता ने आसका
स्थान ले तलया है। समय के साथ, कु छ मूल्यों को मौतलकता का दजाव प्राप्त हुअ है, तो वहीं दूसरी ओर,
कु छ मूल्यों के साथ मानवीय दुबल
व ताओं के कारण समझौता फकया गया है।
 कभी-कभी पररवार स्वयं ही आस प्रखर प्रततस्पधी दुतनया में ऄपने बच्चों को स्वाथी होने की सीख देता है,
जैसे- तवतभन्न प्रततयोतगताओं में ऄव्वल बने रहने के तलए दोस्तों के साथ नोट्स या जानकारी को साझा
न करने की सीख। कइ बार यह बच्चे के तहत में हो सकता है, परंतु ऄंततः, यह स्व-तहत के मूल्य को ही
जन्म देता है तथा ईसे सहयोग व साझा करने के मूल्यों को न ऄपनाने की सीख देता है। यह दशावता है
फक फकस प्रकार एक अधुतनक पररवार के मूल्य पारंपररक पररवार के मूल्यों से ऄलग हैं। भतवष्य में हो
सकता है फक यही मूल्य पारंपररक मूल्य बन जाएं।
 तथातप, यह अवश्यक नहीं फक ब से होने के पश्चात् भी बच्चों के मूल्य माता-तपता या पररवार से सीखे
गए मूल्यों के समान ही रहें। ऄन्य माध्यमों, जैस-े मीतडया, तशक्षा व्यवस्था, तमर, फक्रयाकलाप अफद एवं
सबसे उपर, अत्म-मूल्यांकन से प्रभातवत होकर वह कु छ मूल्यों का त्याग भी कर सकते हैं।

25 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

6.1.2. मू ल्य तवकतसत करने में शै क्ष तणक सं स्थाओं की भू तमका

(Role of Educational Institutions in Inculcating Values)


 पररवार व समाज के बाद एक बच्चा ऄपना ऄतधकांश समय शैक्षतणक संस्थानों में तबताता है। आस
प्रकार, बच्चों के व्यतक्तत्व को अकार देने में शैक्षतणक संस्थाओं की भूतमका भी महत्वपूणव होती है। यहां
बच्चों को ईनके पररवार की सुख-समृति अफद से दूर देश-दुतनया की वास्ततवकताओं से पररिय कराया
जाता है। जैसा फक अज देखने को तमल रहा है - संकीणव, ऄनन्य/एकांततत और ऄसतहष्णु तविारों के

माध्यम से तवकतसत तवश्व संघषव, चहसा, अंतररक तनाव और युि से भरा प सा है। आसतलए, मानवीय

सहायता के लक्ष्यों को प्राप्त करने के तलए सद्भाव, सतहष्णुता, शांतत और सहानुभूतत के माध्यम से
तवकतसत तवश्व की अवश्यकता है। मूल्यों की तशक्षा आन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करती है।
स्कू ल में, छार अवश्यक रूप से तनम्नतलतखत मूल्यों को सीखता है:

o सहयोग (Cooperation): तवद्यालयों में 6-7 घंटों तक ऄपने सहपारियों के साथ बैिना बच्चों को
सभी को हमेशा साथ लेकर िलने की सीख देते हैं।
o नए लोगों के साथ ऄंतःफक्रया (Interaction with new people): यहां बच्चा पहली बार यह
सीखता है फक तजन्हें अप पहले से नहीं जानते ईनके साथ फकस प्रकार तमरता की जाती है।
o वैिाररक तवतवधता (Diversity of views): तवतभन्न तवश्वासों, ऄतभवृतियों और मूल्यों वाले
ऄलग-ऄलग लोगों की ईपतस्थतत और ईनसे संपकव के कारण यह मूल्य तवकतसत होता है।
 तशक्षक महान ऄनुकरणीय व्यतक्त होते हैं और ईनके कायव/फक्रयाकलाप बच्चों पर ब सा प्रभाव छो सते हैं,
क्योंफक यहााँ बच्चों की अयु आतनी कम होती है फक वे आनके प्रतत ऄतधक सुभद्य
े माने जाते हैं। आसी प्रकार
ऄन्य बच्चों के कायव/फक्रयाकलाप भी दूसरे बच्चों पर ऄपना प्रभाव छो सते हैं। तशक्षा मानवीय मूल्यों को
सीखने की फदशा में एक व्यवतस्थत प्रयास है। संक्षप
े में, सभी तशक्षा मानव व्यतक्तत्व के सभी अयामों -
बौतिक, शारीररक, सामातजक और नैततक का तवकास करती है। हाल के वषों में, शैक्षतणक प्रणाली में

मूल्यों के संकट के कारण, 'मूल्य तशक्षा' (value education) शब्द शैतक्षक संस्थानों और शैक्षतणक
om
l.c

समुदाय में लोकतप्रय शब्द बन गया है।


ai
gm

7. तवगत वषों में UPSC द्वारा पू छे गए प्रश्न


@
11
13
j5

(UPSC Previous Years Questions)


ra
su

2013

1. ‘मूल्यों’ व ‘नैततकताओं’ से अप क्या समझते हैं? व्यावसातयक सक्षमता के साथ नैततक भी होना
फकस प्रकार महत्वपूणव हैं?
2. कु छ लोगों का मानना है फक मूल्य समय और पररतस्थतत के साथ बदलते रहते हैं जबफक ऄन्य दृढता
से मानते हैं फक कु छ मानवीय मूल्य सववव्यापक व शाश्वत हैं। आस सम्बन्ध में अप ऄपनी धारणा
तकव देकर बताआए।
3. ‘ऄंतःकरण की अवाज’ से अप क्या समझते हैं? अप स्वयं को ऄंतःकरण की अवाज पर ध्यान देने

के तलए कै से तैयार करते हैं?


4. ‘तववेक का संकट से क्या ऄतभप्राय है? ऄपने जीवन की एक घटना बताआए जब अपका ऐसे संकट

से सामना हुअ और अपने ईसका समाधान कै से फकया?


5. तीन महान नैततक तविारकों/दाशवतनकों के ऄवतरण नीिे फदए गए हैं। अपके तलए प्रत्येक ऄवतरण
का वतवमान संदभव में क्या महत्व है, स्पि कीतजएः

26 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

(a) “पृथ्वी पर हर एक की अवश्यकता-पूर्शत के तलए काफी है पर फकसी के लालि के तलए कु छ


नहीं।“ - महात्मा गांधी
(b) “लगभग सभी लोग तवपति का सामना कर सकते हैं पर यफद फकसी के िररर का परीक्षण
करना है, तो ईसे शतक्त/ऄतधकार दे दो।“ - ऄब्राहम चलकन
(c) “शरुओं पर तवजय पाने वाले की ऄपेक्षा मैं ऄपनी आच्छाओं का दमन करने वाले को ऄतधक
साहसी मानता हूाँ।“ - ऄरस्तू
6. “सववतहत में ही हर व्यतक्त का तहत तनतहत है।“ अप आस कथन से क्या समझते हैं? साववजतनक
जीवन में आस तसिान्त का कै से पालन फकया जा सकता है?
2014
1. सभी मानव सुख की अकांक्षा करते हैं। क्या अप सहमत हैं? अपके तलए सुख का क्या ऄथव है?
ईदाहरण प्रस्तुत करते हुए स्पि कीतजए।
2. मानव जीवन में नैततकता फकस बात की प्रोन्नतत करने की िेिा करती है? लोक-प्रशासन में यह
और भी ऄतधक महत्वपूणव क्यों हैं?
3. रक्षा सेवाओं के सन्दभव में, ‘देशभतक्त’ राष्ट्र की रक्षा करने में ऄपना जीवन ईत्सगव करने तक की
तत्परता की ऄपेक्षा करती है। अपके ऄनुसार, दैतनक ऄसैतनक जीवन में देशभतक्त का क्या तात्पयव
है? ईदाहरण प्रस्तुत करते हुए आसको स्पि कीतजए और ऄपने ईिर के पक्ष में तकव दीतजए।
4. लोक-जीवन में ‘सत्यतनष्ठा’ से अप क्या ऄथव ग्रहण करते हैं? अधुतनक काल में आसके ऄनुसार िलने
में क्या करिनाआयां हैं? आन करिनाआयों पर फकस प्रकार तवजय प्राप्त कर सकते हैं?
5. “मनुष्यों के साथ सदैव ईनको, ऄपने-अप में ‘लक्ष्य’ मानकर व्यवहार करना िातहए, कभी भी
ईनको के वल ‘साधन’ नहीं मानना िातहए।“ अधुतनक तकनीकी-अर्शथक समाज में आस कथन के
तनतहताथों का ईल्लेख करते हुए आसका ऄथव और महत्व स्पि कीतजए।
6. जीवन में नैततक अिरण के सन्दभव में अपको फकस तवख्यात व्यतक्तत्व ने सवावतधक प्रेरणा दी है?
ईसकी तशक्षाओं का सार प्रस्तुत कीतजए। तवतशि ईदाहरण देते हुए वणवन कीतजए फक अप ऄपने
नैततक तवकास के तलए ईन तशक्षाओं को फकस प्रकार लागू कर पाए हैं।
om

7. वतवमान समाज व्यापक तवश्वास-न्यूवता से ग्रतसत है। आस तस्थतत के व्यतक्तगत कल्याण और


l.c
ai

सामातजक कल्याण के सन्दभव में क्या पररणाम है? अप ऄपने को तवश्वसनीय बनाने के तलए
gm
@

व्यतक्तगत स्तर पर क्या कर सकते हैं?


11
13

2015
j5
ra

1. ‘पयाववरणीय नैततकता’ का क्या ऄथव हैं? आसका ऄध्ययन करना फकस कारण महत्वपूणव है?
su

पयाववरणीय नैततकता की दृति से फकसी एक पयाववरणीय मुद्दे पर ििाव कीतजए।


2. तनम्नतलतखत के बीि तवभेदन कीतजए
(a) तवतध और नैततकता
(b) नैततक प्रबंधन और नैततकता का प्रबंधन
(c) भेदभाव और ऄतधमानी बरताव
(d) वैयतक्तक नैततकता और संव्यावसातयक नैततकता
3. नैततक तविारकों/दाशवतनकों के दो ऄवतरण फदए गए हैं। प्रकाश डातलए फक आनमें से प्रत्येक के ,
वतवमान संदभव में, अपके तलए क्या मायने
(a) “कमजोर कभी माफ नहीं कर सकते; क्षमाशीलता तो ताकतवर का ही सहज गुण है।”
(b) “हम बच्चे को असानी से माफ कर सकते हैं, जो ऄंधेरे से डरता है; जीवन की वास्ततवक
तवडंबना तो तब है जब मनुष्य प्रकाश से डरने लगते हैं।”
4. “सामातजक मूल्य, अर्शथक मूल्यों की ऄपेक्षा ऄतधक महत्वपूणव हैं।” राष्ट्र की समावेशी संवृति के
संदभव में ईपरोक्त कथन पर ईदाहरणों के साथ ििाव कीतजए।

27 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

2016
1. स्पि कीतजए फक अिारनीतत समाज और मानव का फकस प्रकार भला करती है।
2. महात्मा गांधी की सात पापों की संकल्पना की तववेिना कीतजए।
3. भारत के संदभव में सामातजक न्याय की जॉन रॉल्स की संकल्पना का तवश्लेषण कीतजए।

2017
1. ‘‘ब सी महात्वाकांक्षा महान िररर का भावावेश (जुनन
ू ) है। जो आससे संपन्न हैं वे या तो बहुत ऄच्छे
ऄथवा बहुत बुरे कायव कर सकते हैं। ये सब कु छ ईन तसिांतों पर अधाररत है तजनसे वे तनदेतशत
होते हैं।’’ - नेपोतलयन बोनापाटव। ईदाहरण देते हुए ईन शासकों का ईल्लेख कीतजए तजन्होंने (i)
समाज व देश का ऄतहत फकया है, (ii) समाज व देश के तवकास के तलए कायव फकया है।
2. ‘‘मेरा दृढ तवश्वास है फक यफद फकसी राष्ट्र को भ्रिािार मुक्त और सुंदर मनों वाला बनाना है, तो
ईसमें समाज के तीन प्रमुख लोग ऄंतर ला सकते हैं। वे हैं तपता, माता एवं तशक्षक।‘‘ - ए.पी.जे.
ऄब्दुल कलाम। तवश्लेषण कीतजए।
3. वतवमान समय में नैततक मूल्यों का संकट, सद्-जीवन की संकीणव धारणा से जु सा हुअ है। तववेिना
कीतजए।

8. तवगत वषों में UPSC द्वारा पू छे गए प्रश्न: के स स्टडीज


(UPSC Previous Year Question Papers: Case Studies)
1. ततमलनाडु में तशवकासी पटाखा और फदयासलाइ तनमावताओं के समूहों के तलए प्रतसि है। यहााँ की
स्थानीय ऄथवव्यवस्था ऄतधकांशतः पटाखा ईद्योग पर तनभवर है। आसी से आस क्षेर का अर्शथक
तवकास हुअ है और रहन-सहन का स्तर भी सुधरा है।
जहााँ तक पटाखा ईद्योग जैसे ख़तरनाक ईद्योगों के तलए बाल श्रतमक तनयमों का प्रश्न है, ऄंतरावष्ट्रीय
श्रम संगिन (ILO) ने श्रम हेतु न्यूनतम अयु-सीमा 18 वषव तनधावररत की है। जबफक भारत में यह
om

अयु-सीमा 14 वषव है।


l.c
ai

पटाखों के औद्योतगक क्षेर की आकाआयों को पंजीकृ त तथा ऄपंजीकृ त दो श्रेतणयों में वगीकृ त फकया
gm

जा सकता है। घरों पर अधाररत कायवशालाएाँ एक तवतशि आकाइ है। यद्यतप पंजीकृ त/ऄपंजीकृ त
@
11

आकाआयों में बाल श्रतमक रोजगार के तवषय में कानून स्पि है, घरों पर अधाररत कायव ईसके
13
j5

ऄंतगवत नहीं अते। ऐसी आकाआयों में माना जाता है फक बालक ऄपने माता-तपता व सम्बतन्धयों की
ra
su

देख-रेख में कायव कर रहे हैं। बाल श्रतमक मानकों से बिने के तलए ऄनेक आकाआयााँ ऄपने को घरों
पर अधाररत कायव बताती हैं और बाहरी बालकों को रोजगार देती हैं। यह कहने की अवश्यकता
नहीं फक बालकों की भती से आन आकाआयों की लागत बिती है तजससे ईनके मातलकों को ऄतधक
लाभ तमलता है।
अपने तशवकासी में एक आकाइ का दौरा फकया, तजसमें 14 वषव से कम अयु के लगभग 10-15
बालक काम करते हैं। ईसका मातलक अपको आकाइ पररसर में घुमाता है। मातलक अपको बताता
है फक घर-अधाररत आकाइ में वे बालक ईसके सम्बन्धी हैं। अप देखते हैं फक जब मातलक यह बता
रहा है, तो कइ बालक खीस तनपोरते हैं। गहन पूछताछ में अप जान जाते हैं फक मातलक और
बालक परस्पर कोइ सम्बन्ध संतोषजनक रूप से तसि नहीं कर पाए।
(1) आस प्रकरण में ऄंतग्रवस्त नैततक तवषय स्पि कीतजए और ईनकी व्याख्या कीतजए।
(2) आस दौरे के बाद अपकी क्या प्रततफक्रया होगी।
2. अप नगरपातलका पररषद के तनमावण तवभाग में ऄतधशासी ऄतभयंता पद पर तैनात हैं और
वतवमान में एक उपरगामी पुल (flyover) के तनमावण-कायव के प्रभारी हैं। अपके ऄधीन दो कतनष्ठ
ऄतभयंता हैं, जो प्रततफदन तनमावण-स्थल के तनरीक्षण के ईिरदायी हैं तथा अपको तववरण देते हैं

28 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

और अप तवभाग के ऄध्यक्ष, मुख्य ऄतभयंता को ररपोटव देते हैं। तनमावण कायव पूणव होने को है और
कतनष्ठ ऄतभयंता तनयतमत रूप से यह सूतित करते रहे हैं फक तनमावण-कायव पररकल्पना के
तवतनदेशों के ऄनुरूप हो रहा है। लेफकन अपने ऄपने अकतस्मक तनरीक्षण में कु छ गंभीर
तवसामान्यताएाँ व कतमयााँ पाईं, जो अपके तववेकानुसार पुल की सुरक्षा को प्रभातवत कर सकती
हैं। आस स्तर पर आन कतमयों को दूर करने में काफ़ी तनमावण-कायव को तगराना और दोबारा बनाना
होगा तजससे िे केदार को तनतश्चत हातन होगी और कायव-समातप्त में तवलम्ब भी होगा। क्षेर में भारी
ट्रैफफक जैम के कारण पररषद पर तनमावण शीघ्र पूरा करने के तलए जनता का ब सा दबाव है। जब
अप तस्थतत मुख्य ऄतभयंता के संज्ञान में लाए, तो ईन्होंने ऄपने तववेकानुसार आसको ब सा गम्भीर
दोष न मानकर आसे ईपेतक्षत करने की सलाह दी। ईन्होंने पररयोजना को समय से पूरा करने हेतु
कायव को अगे बढाने के तलए कहा। परन्तु अप अश्वस्त हैं फक यह गम्भीर प्रकरण है तजससे जनता
की सुरक्षा प्रभातवत हो सकती है और आसको तबना िीक कराए नहीं छो सा जा सकता।
ऐसी तस्थतत में अपके करने के तलए कु छ तवकल्प तनम्नतलतखत हैं। आनमें से प्रत्येक तवकल्प का गुण-
दोष के अधार पर मूल्यांकन कर ऄन्ततः सुझाव दीतजए फक अप क्या कायववाही करना िाहेंगे और
क्यों।
1. मुख्य ऄतभयंता की सलाह मानकर अगे बढ जाएाँ।
2. सभी तथ्यों व तवश्लेषण को फदखाते हुए तस्थतत की तवस्तृत ररपोटव बनाकर ऄपना दृतिकोण
स्पि करते हुए मुख्य ऄतभयंता से तलतखत अदेश का तनवेदन करें।
3. कतनष्ठ ऄतभयंताओं से स्पिीकरण मांगे और िे केदार को तनतश्चत ऄवतध में दोष-तनवारण के
तलए अदेश दें।
4. आस तवषय को बलपूववक ईिाएाँ ताफक यह मुख्य ऄतभयंता के वररष्ठ जनों तक पहुंि सके ।
5. मुख्य ऄतभयंता के ऄनम्य तविार को ध्यान में रखते हुए आस पररयोजना से ऄपने
स्थानान्तरण के तलए अवेदन करें या बीमारी की छु ट्टी पर िले जायें।

9. तवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टे स्ट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न
om

(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)


l.c
ai
gm
@

1. “तहतों के संघषव” पद से अप क्या समझते हैं। कु छ ऐसी पररतस्थततयों की पहिान कीतजए जो


11
13

आसकी पररभाषा के ऄंतगवत अती हैं तथा ईनमें से प्रत्येक का तवश्लेषण कीतजए।
j5
ra

दृतिकोण:
su

 यह प्रश्न बहुत ही सरल है, ऄतः सहज तरीके से ईिर अरंभ कीतजए।
 “तहतों के संघषव” पद का ऄथव स्पि कीतजए तथा ईन तस्थततयों की पहिान कीतजए जो आसके दायरे
में अती हैं।
ईिर:
तहतों के संघषव को ईस तस्थतत के रूप में पररभातषत फकया जा सकता है, जहााँ फकसी सरकारी कमविारी के
तनजी या व्यतक्तगत तहत हों, तथा यह ईसके अतधकाररक कतवव्यों के तनष्पक्ष तनववहन को प्रभातवत करने या
संभाव्य प्रभाव डालने हेतु पयावप्त होते हैं। यहााँ व्यतक्तगत तहत में के वल अर्शथक मामले शातमल नहीं होते
ऄतपतु आसमें ऄन्य मामलें भी शातमल होते हैं। आसे भ्रिािार का एक संकेतक, एक पूवव लक्षण तथा एक
पररणाम माना जाता है।
ट्रांसपेरेंसी आंटरनेशनल तहतों के संघषव को ईस तस्थतत के रूप में पररभातषत करता है, जहााँ एक व्यतक्त या एक
प्रततष्ठान तजसके तलए वे कायव करते हैं (सरकार, व्यवसाय, मीतडया अईटलेट या नागररक समाज संगिन
अफद), वे ऄपने पदों से संबंतधत कतवव्यों व मांगों तथा ऄपने तनजी तहतों के मध्य ियनात्मक द्वन्द का सामना
करते हैं।

29 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

OECD फदशा-तनदेश तनम्नतलतखत के मध्य ऄंतर स्थातपत करते हैं:


 तहतों का वास्ततवक संघषव: एक सरकारी ऄतधकारी के वतवमान कतवव्यों एवं ईिरदातयत्वों तथा ईसके
तनजी तहतों के मध्य प्रत्यक्ष संघषव।
 तहतों का अभासी संघषव: जहााँ यह प्रकट होता है फक एक सरकारी ऄतधकारी के तनजी तहत ईसके
कतवव्यों के तनष्पादन को ऄनुतित रूप से प्रभातवत कर सकते हैं, परन्तु ऐसा वास्तव में नहीं होता।
 तहतों का संभातवत संघषव: जहााँ एक सरकारी ऄतधकारी के तनजी तहत आस प्रकार के होते हैं फक यफद
ऄतधकारी भतवष्य में प्रासंतगक अतधकाररक ईिरदातयत्वों में शातमल होने वाला है तो तहतों का संघषव
दृतिगोिर होगा।
तहतों के संघषव की पररभाषा में तनम्नतलतखत तस्थततयां सतम्मतलत होती हैं:
i) ररश्वतखोरी (Bribery)
ररश्वतखोरी वस्तुतः तवशेष पक्षपात के बदले में एक सरकारी ऄतधकारी द्वारा ऄपने कतवव्यों के
साथ-साथ धन या ऄन्य मूल्यवान वस्तुओं की ऄवैध स्वीकृ तत है। यहााँ ईल्लेखनीय बात यह है फक
ररश्वत प्रदाता स्पि रूप से ऄतधकारी के तनष्पक्ष अिरण के ध्येय को तवकृ त करने के तलए तत्पर
होता है तथा प्राप्तकताव स्वेच्छा से आसके ऄनुपालन हेतु प्रवृि होता है। आस प्रकार ऄतधकारी को
ऄपने पद के अिरण हेतु कानूनों, नीततयों तथा प्रफक्रयाओं के साथ संघषव में अर्शथक या तभन्न
प्रकार से ऄपने तनजी तहतों के साथ संघषव करना प सता है। पररणामस्वरूप ईसे संघषव की तस्थतत
को स्वयं के पक्ष में करने के तलए प्रेररत फकया जाता है। यद्यतप ररश्वत सामान्यतया धन को शातमल
करती है परन्तु यह ऄन्य पाररतोतषकों को भी शातमल कर सकती है, जैस-े लैंतगक पक्षपात,
ऄनुकूल लोक-प्रतसति के वायदों या तवतशि सामातजक दायरों तक पहुंि का प्रस्ताव अफद।
ii) प्रछन्न प्रभाव (Influence Peddling)
प्रछन्न प्रभाव तब घरटत होता है जब एक सरकारी कमविारी एक सरकारी तनणवय को प्रभातवत
करने का प्रयास करता है ताफक यह तीसरे पक्ष के ऄनुकूल हो सके तजसमें कमविारी का तहत
समातवि होता है। स्पि शब्दों में, यह एक व्यवसाय का तवतनयमन करने वाले नीततगत तनणवयों को
शातमल कर सकता है, तजस व्यवसाय में फकसी कमविारी शेयर होता है ऄथवा ऄपने स्वातमत्व
वाली भूतम के मूल्य को प्रभातवत करने के तलए एक सामान्य योजना तवकतसत करने वाले एक
om

सरकारी कमविारी की भूतमका को आसमें शातमल फकया जाता है। यह वास्ततवक तहत संघषव की
l.c
ai

तस्थतत में तब बदल जाती है, जब कभी कमविारी महत्वपूणव लाभ के एक सुऄवसर हेतु तत्पर होता
gm
@

है।
11
13

iii) प्रछन्न सूिना (Information Peddling)


j5
ra

वैसे अतधकारी तजनके पास गुप्त तौर पर ऐसी सूिना होती है जो सामान्य जन हेतु ईपलब्ध नहीं
su

होती और वे ऐसी सूिना का प्रयोग ऄपने मौफिक या ऄन्य फकसी लाभ के तलए करते हैं, तो वे
प्रछन्न सूिना के दोषी होते हैं। यहााँ मुख्य कारक ऄतधकारी तक सूिना की ईपलब्धता तथा आस
तक तवशेषातधकृ त पहुंि हैं। तहतों का वास्ततवक संघषव तब ईपतस्थत होता है जब सूिना ऄत्यतधक
गोपनीय होती है तथा तजनके पास ईक्त सूिना की गोपनीयता बनाए रखने हेतु तजम्मेदारी होती
है, और वे आसका दुरूपयोग करते हैं।
iv) तविीय लेन-देन (Financial Transactions)
तविीय लेन-देन तब संघषव में पररवर्शतत हो जाता है जब एक लोक सेवक का प्रत्यक्ष और ऄप्रत्यक्ष
तविीय तहत होता है जो सेवा के ईिरदायी कायव तनष्पादन के साथ प्रत्यक्ष रूप से टकराता है।
तहतों का वास्ततवक संघषव काफी हद तक तब ईपतस्थत होता है जब एक ऄतधकारी फकसी तनणवय
पर प्रत्यक्ष रूप से व्यतक्तगत तनयंरण रखता है जो ईसके तलए महत्वपूणव तनजी लाभ ईत्पन्न करेगा।
यह प्रछन्न प्रभाव से तभन्न है तजसमें ऄतधकारी जााँि में पररणामों को प्रभावशाली रूप से तनयंतरत
करता है। ईदाहरणाथव, एक सतिव जो ऄपने स्वातमत्व के ऄधीन एक ऄतवकतसत भूतम के तनकट
एक नए तवमानपिन की ऄवतस्थतत को प्रभातवत कर सकता है।

30 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

v) ईपहार एवं सत्कार (Gifts and Entertainment)


ईपहारों एवं सत्कार की मांग या ईन्हें स्वीकार करना संघषव का सृजन करता है, यफद ये मद एक
सरकारी कमविारी के कतवव्यों के तनष्पक्ष सम्पादन को प्रभातवत करते हैं। तहतों के संघषव की यह
श्रेणी ररश्वतखोरी की एक तवस्तृत समझ का पररणाम है। यह खरीदों पर छू ट, तथएटर रटकट के
ऑफसव, समागम या ऄवकाश याराएाँ, वाहनों का प्रयोग, ऄततव्ययी भोजनों के ईपहार,
मनोरंजनात्मक ईपकरण तथा मद्य जैसे लाभों को शातमल करती है। सामान्यतया आस प्रकार के
ईपहार ऄन्य ररश्वतों से तभन्न होते हैं तजसमें ईपहार देते वक़्त तत्काल तवतशि लाभ की ऄपेक्षा
नहीं होती, लेफकन भतवष्य में प्रदाता के प्रतत सामान्य रूप से पक्षपाती/सकारात्मक रूख ऄपनाने
का प्रयोजन शातमल होता है।
vi) बाह्य रोजगार (Outside Employment)
ऄंशकातलक रोजगार, परामशव, ऄनुिर तथा स्व-रोजगार अतधकाररक कतवव्यों के साथ तहतों के
संघषव का कारण बन सकते हैं। संघषव की यह तस्थतत एक तनजी तनयोक्ता (या स्वयं) को उाँिा ईिाने
हेतु साववजतनक रोजगार की तस्थतत के प्रयोग, अतधकाररक कतवव्यों के तलए अवश्यक प्रयास तथा
सरकारी सेवाओं एवं ईपकरणों का बाह्य कायों में प्रयोग को शातमल करती है।
vii) भतवष्यगामी रोजगार (Future Employment)
यफद एक सरकारी ऄतधकारी भतवष्य में फकसी ऐसे व्यावसातयक संघ में रोजगार तलाशने का
प्रयोजन रखता है तजसके साथ वह वतवमान में अतधकाररक कायों का संपादन कर रहा हो, तो
तनतश्चत ही यह प्रवृति भतवष्य में रोजगार की संभावना के अलोक में ईस व्यावसातयक फमव को
तहतकारी लाभ पहुंिाएगी। पुनः वैसे व्यावसातयक प्रततष्ठान जो फकसी सरकारी तवभाग से पेशेवर
तरीके से संबि होते हैं, ऐसे सरकारी कमविारी को तजसे ऄपने तवभाग की लगभग पूणव जानकारी
होती है तथा तवभाग के ऄन्य ऄतधकाररयों के साथ ईसका तनकट संपकव होता है, ऄपने यहााँ तनयुक्त
कर सकते हैं। जब व्यतक्त साववजतनक और तनजी सेवाओं के मध्य खुद को पाता है, तो पूवववती कायव
तथा भावी रोजगार ऄपेक्षाओं के पररणामस्वरूप ऄंतर्शनतहत तहत ऄत्यंत जरटल बन जाते हैं।
viii) ररश्तेदारों के साथ व्यवहार (Dealing with Relatives)
om

वह तस्थतत तजसमें एक लोक प्रशासक ऐसी ऄवस्था में हो सकता है तजसमें ररश्तेदारों का पक्ष लेना
l.c
ai

तहतों के संघषव का कारण बन सकता है। तहतों के संघषव का यह प्रारूप कभी-कभी प्रछन्न प्रभाव के
gm
@

एक तवशेष वगव के रूप में भाइ-भतीजावाद कहलाता है। ऄतनवायव रूप से यह भती, पदोन्नतत,
11
13

ऄनुबंध प्रातप्तयों या फकसी ऄन्य व्यावसातयक गतततवतधयों में ररश्तेदार हेतु प्राथतमक व्यवहार प्राप्त
j5
ra

करने के तलए प्रभाव के प्रयोग को शातमल करता है। लोक प्रशासक जो ऐसे कायों में संलग्न होते हैं
su

वे प्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त नहीं करते बतल्क पाररवाररक बंधनों तथा परस्पर समथवन को सुदढृ
करने के माध्यम से ऄप्रत्यक्ष रूप से लाभ ऄर्शजत करते हैं।

2. प्रशासतनक नीततशास्त्र से अप क्या समझते हैं? प्रशासतनक व्यवस्था के प्रभावी संिालन हेत ु
आसकी अवश्यकता क्यों है?
ईिर:
प्रशासतनक नीततशास्त्र की ऄनेक पररभाषाएं तनम्नतलतखत हैं:
 प्रशासतनक नीततशास्त्र को लोक प्रशासकों हेतु नैततक मानदंडों और अवश्यकताओं के एक
संग्रह के रूप में माना जाता है, तजसका ईद्देश्य ईनकी व्यावसातयक गतततवतधयों को सामान्य
तहतों की रक्षा और नैततक मूल्यों के प्रभावी प्रयोग हेतु प्रेररत करना है।
 प्रशासतनक नीततशास्त्र नैततक मानदंडों पर अधाररत है।
 आसका कायव कमविाररयों के संबंधों को मानदंडों, अिरणों एवं कायववाही के साधनों द्वारा
तवतनयतमत करना तथा लोक प्रशासन से जु से कमविाररयों के ऄंतःकरण में नैततक तत्वों का
समावेश करना है।

31 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

 सामान्यतः आस बात पर बल फदया जाता है फक सरकारी कमविारी प्रबंधकीय तनणवयों हेतु


नैततक मानकों को स्थातपत करें, आन मानकों का तवश्लेषण करें तथा तनर्शमत तनणवयों हेतु
व्यतक्तगत और व्यासातयक ईिरदातयत्व वहन करे।
प्रशासतनक नीततशास्त्र लोक प्रशासन से जु से कमविाररयों तथा वररष्ठ प्रबंधकों की गतततवतधयों के
सभी नैततक पहलुओं का ऄध्ययन करती है। यह तीन मौतलक तत्वों को शातमल करती है:
 मूल्य (Values): स्वतंरता, न्याय, इमानदारी, तनष्ठा, तटस्थता, ईिरदातयत्व आत्याफद जैसी
ऄवधारणाओं के प्रतत व्यतक्तगत, सामूतहक और सामातजक व्यक्तव्य, मत और ऄतभवृति।
 मानक और मानदंड (Standards and norms): वे तसिांत जो लोगों और कमविाररयों के
कायों का मागवदशवन करते हैं तथा ईनके अिरणों को तनदेतशत एवं तनयंतरत करने में सहायता
करते हैं (कानून, संतहताएाँ, तनयम अफद)।
 व्यवहार (Behaviour): कमविाररयों की गतततवतधयों के तवतभन्न प्रारूप कु छ मानकों एवं
मानदंडों द्वारा सीतमत होते हैं जो सामातजक मूल्यों के साथ समरूपी होते हैं।
प्रशासतनक नीततशास्त्र का महत्व:
 यह लोक सेवा की ऄवधारणाओं एवं लक्ष्यों और साथ ही साथ तवतभन्न सरकारी संस्थाओं के
तवशेष कायों को प्रततचबतबत करती है।
 ये तसिांत समाज में ऄपनाइ गइ अदशव या लतक्षत लोक प्रशासन प्रततमान की एक संकल्पना
के द्वारा प्रभातवत हुए हैं।
 ये लोक सेवा के ईद्देश्यों तथा लोक सेवकों के ऄतभयानों को स्पि रूप से समझने हेतु लोक
सेवकों की नैततक अवश्यकता को पररभातषत करने में सहायता करते हैं।
 सरकार और नागररकों के मध्य संबंधों के तवतनयमन में सहभातगता करना।
 सरकारी गतततवतधयों में जनता और राज्य के मध्य संबध ं ों को तजतना ऄतधक संभव हो
प्रोत्सातहत करना।
 नैततकता पर अधाररत कु छ व्यवहारात्मक मानकों के साथ लोक प्रशासन ईपलब्ध करवाना।
प्रशासतनक नीततशास्त्र का मुख्य कायव सरकार और लोगों के मध्य संबध ं ों को सुदढृ कर ईसे बढावा
देना है। नैततक मानकों और अवश्यकताओं की एक प्रणाली तनम्नतलतखत में सहायता प्रदान करेंगी:
 सामातजक संवैधातनक मूल्यों, जैस-े स्वतंरता, सामातजक न्याय, समान ऄवसर, अवश्यक
om
l.c

नागररक ऄतधकारों को कायवरूप में पररणत करने में।


ai
gm

 तवकासात्मक कायों और तकव संगत एवं रिनात्मक नीततयों के तनष्पादन के माध्यम से लोक
@

समूहों के मध्य ऄसहमतत को दूर करने में आससे सहायता तमलती है। लोक प्रशासन के क्षेर में
11
13

कायववाही और तनणवय तनमावण के नैततक पहलू आस मामले में प्राथतमक महत्व रखते हैं।
j5
ra

 सरकारी तनकायों द्वारा तनष्पाफदत फकए जाने वाले लोक सम्पति, वस्तुओं, लाभों एवं
su

प्रततकारों के तवतरण में भी आससे सहायता तमलती है। आसके ऄततररक्त आन कायों को
सम्पाफदत करने वाले सरकारी संस्थानों की कायवप्रणाली के दौरान न्याय, समानता आत्याफद
जैसी समस्याएं ईत्पन्न होती हैं।
 प्रातधकार और प्रततष्ठा को बढावा देने में भी यह सहायक है, क्योंफक फकसी राज्य या क्षेरीय
सरकारी संस्थाओं के कमविारी सामान्य रूप से शतक्त का प्रतततनतधत्व करते हैं और
जनसाधारण ईसकी गतततवतधयों को राज्य की कायववाही मानते हैं। यह लोक प्रशासन के क्षेर
में तनयोतजत लोगों पर एक तवशेष ईिरदातयत्व ऄतधरोतपत करती है।
प्रशासतनक व्यवस्था के प्रभावी संिालन हेत ु आसकी अवश्यकता क्यों है:
 प्रत्येक लोक सेवक के नैततक मानदंडों को पररभातषत करने और ईनकी व्यावसातयक
गतततवतधयों पर ईिरदातयत्व ऄतधरोतपत करने की वर्शधत अवश्यकता के संदभव में यह
अवश्यक है।
 सहजता से व्याख्या फकए जा सकने वाले नैततक तसिांतों और मानकों की स्थापना करने हेतु
एक एकीकृ त दृतिकोण का तवकास करना तथा मूल्यों एवं अदशों की एक संयुक्त प्रणाली पर
कायव करना।

32 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

 प्रशासतनक नीततशास्त्र को सामातजक, व्यावसातयक, सामूतहक और एकल ग्राहक सरोकारों


की सेवा करने हेतु व्यावसातयक समूहों तथा तवशेषज्ञों (जो आन समूहों के तलए कायव करते हैं)
की अवश्यकता होती है।
 समाज में कु छ संवैधातनक मूल्यों, जैस-े स्वतंरता, सामातजक न्याय, समान ऄवसर और
ऄतनवायव मानवातधकारों को ऄनुभव करने हेतु प्रशासकों के तलए तवशेष नैततक अवश्यकताएं
ऄतनवायव हैं। आसतलए नैततक अवश्यकताओं तथा संवैधातनक मूल्यों के मध्य मजबूत संबंध
स्थातपत हैं। नैततक अवश्यकताओं को ऄनुवती मानकों को भी शातमल करना िातहए:
o अवश्यकता (व्यावसातयक नीततशास्त्र कु छ तस्थततयों में लोक सेवकों के व्यवहार को कै से
तनदेतशत करती है);
o प्रततबन्ध (व्यावसातयक व्यवहार में क्या प्रततबंतधत हैं);
o ऄनुशंसाएं (कु छ नैततक तस्थततयों में लोक सेवकों को कै से व्यवहार करना िातहए)।
 लोक प्रशासकों हेतु ईच्च नैततक ईिरदातयत्व का तवकास करना ऄत्यंत महत्वपूणव है जो
तवतभन्न सामातजक समूहों का प्रतततनतधत्व करने वाले व्यतक्तयों से व्यवहार करते हैं। यह
ईल्लेख फकया जाना िातहए फक नागररक, पेशेवर समूह या संस्थाओं के दृतिकोण में लोक
प्रशासक हीं राज्य का प्रतततनतधत्व करते हैं और सरकारी तनकायों के अदेश के अधार पर या
ईसके ऄनुसार कायव करते हैं। ईनके अिरण, कायवशैली, समस्याओं के समाधान तथा
जनसाधारण से संवाद स्थातपत करने के तरीके ऄंततः सरकारी व्यवस्था को प्रभावी बनाते हैं।
 मंरालयों एवं तवभागों की कायवशल ै ी में सुधार करने और साथ ही साथ सरकारी प्रशासतनक
प्रणाली के प्रदशवन को तनयंतरत करने हेतु ईपाय तवकतसत करने के तलए उपर सभी ऄनुग्रहों
का ईल्लेख फकया जा िुका है। एक लोक सेवक में क्षमता, सुव्यवस्था, तनष्कलंक और तनष्कपट
कतवव्य तनष्पादन, पूवावनुमान की यो्यता तथा प्रत्यातशत प्रभाव से कायव करने जैसी
तवशेषताओं को ऄन्तर्शनतवि करने हेतु कमविारी तशक्षा में फकसी लोक सेवक के कतवव्यों के तलए
ईच्च ईिरदातयत्व पर ध्यान देना ऄत्यावश्यक है।

3. तवद्यालय और कॉलेज वास्ततवक जगत के सूक्ष्म रूप होते हैं। सतवस्तार वणवन कीतजए फक ये
om

िररर-तनमावण में फकस प्रकार सहायक होते हैं? आसके ऄलावा कु छ ईपायों का भी सुझाव दीतजए
l.c
ai

तजसके माध्यम से ये संस्थान वतवमान पररदृश्य में एक ब सी भूतमका का तनववहन कर सकते हैं।
gm
@

दृतिकोण:
11

 सववप्रथम यह ईल्लेख कीतजए फक कॉलेज और तवद्यालय वास्ततवक जगत का प्रतततनतधत्व कै से


13
j5

करते हैं।
ra
su

 फफर ईन तरीकों की ििाव कीतजए तजनके माध्यम से ये िररर-तनमावण में ऄपनी भूतमका का
तनववहन करते हैं। ईसके बाद बताइए फक फकस प्रकार से वे व्यतक्त तवशेष को प्रभातवत करते हैं और
फकस हद तक प्रभातवत करते हैं।
 ऄंत में गुणविा, प्रभाव और आन संस्थानों द्वारा प्रदि तवतभन्न मूल्यों में सुधार हेतु कु छ ईपायों का
सुझाव दीतजए। ये ईपाय मुख्यतः िररर-तनमावण हेतु आन संस्थानों की दक्षता, भूतमका और दायरे
को बढाने पर कें फित होने िातहए।
ईिर:
पररवार बच्चे के जीवन में एक प्राथतमक तशक्षक के रूप में कायव करता है, फकन्तु यह तवद्यालय ही है
जो ईसकी सीमाओं को तवस्तृत करता है और दूसरों (तशक्षकों, कमविाररयों, सातथयों, अफद) को
ईसके बुतिमान, अत्मतवश्वासी, और सम्मातनत वयस्क के रूप में तवकतसत होने में मदद करने के
तलए ऄनुमतत देता है। तवद्यालय तथा कॉलेज बच्चे के समक्ष वास्ततवक जगत का एक छोटा दृिांत
प्रस्तुत करते हैं। ये संस्थान बच्चों को तसखाते हैं फक ईनसे कु छ वररष्ठ (ऄध्यापक, कमविारी) व्यतक्त
होते हैं तजनकी अज्ञा का ईन्हें पालन करना होता है। तवतभन्न वगव, जातत, नस्ल, धमव, चलग, राष्ट्र,

33 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

संस्कृ तत और परम्पराओं से संबि ईनके कु छ सहपािी होते हैं, तजनसे वे संपकव स्थातपत करते हैं,
और यह ईन्हें भतवष्य की चजदगी का प्रथम ऄनुभव देता है तजसमें ईन्हें तवतभन्न समूहों से सम्बंतधत
आन लोगों में से एक होना है। यह ईन्हें ऄपने िारो और के तवश्व के प्रतत ऄपने दृतिकोण को एक
अकार देने में मदद करता है। कायों को समाप्त करने की समय सीमा होती है, प्रदशवन ईन्मुख
जीवन के तलए परीक्षाएं जरूरी हैं, श्रेणीकरण/मूल्यांकन यह फदखाते हैं फक ऄसल जीवन में फकसी
व्यतक्त का ईसके प्रदशवन के अधार पर मूल्यांकन फकया जाएगा और ईसे पुरस्कृ त फकया जाएगा,
आस प्रकार तवद्यालय तवश्व का एक सूक्ष्म तिर दशावते हैं। पुनः तवद्यालयों और कॉलेजों में तवतभन्न
प्रकार की प्रफक्रयाओं और वातावलाप से बच्चे पहली बार पररतित होते हैं, और आस प्रकार से वह
ईन्हें िररर-तनमावण और मूल्यों के तवकास हेतु ऄत्यंत महत्वपूणव संस्थान बना देती हैं।
तवद्यालयों और कॉलेजों की भूतमका:
तवद्यालय मुख्यतः एक शैतक्षक संस्थान होते हैं, जो सामान्यतः तनधावररत प्रफक्रया के माध्यम से
व्यवतस्थत तशक्षा को बढावा देते हैं। तवद्यालय की भूतमका यह होती है प्रत्येक छार ऄपनी
ऄतधकतम शैक्षतणक क्षमता को प्राप्त कर पाए। सभी कक्षाओं में साथवक मारा में फदए जाने वाले
कक्षाकायव (स्कू लवकव ) का ईद्देश्य बच्चों को समस्याओं के हल ढू ाँढने का तवशेषज्ञ बनाना होता है। ये
ऐसे गुण हैं जो बच्चे के वयस्क जीवन के लगभग हरेक व्यतक्तगत और व्यावसातयक पहलू में काम
अते हैं। आसतलए, शैतक्षक गुणों के ऄलावा, समस्या को सुलझाने का गुण एक अवश्यक जीवन
कौशल है।
तवद्यालय बच्चों को ईनके सातथयों और तशक्षकों के साथ सकारात्मक संपकव स्थातपत करने में एक
महत्वपूणव भूतमका तनभाता है। वे ऄच्छे संबध ं ों के लाभ के बारे में सीखते हैं और कक्षा तथा
क्री साक्षेर दोनों जगहों पर बातिीत के माध्यम से आन्हें और तवकतसत करते हैं। आस प्रकार
तवद्यालय ईन्हें दूसरे बच्चों और वयस्कों से सुस्पि ढंग से जु सने का ऄवसर प्रदान करते हैं। तवद्यालय
तसफव पढने, तलखने और गतणत की तशक्षा नहीं देता, बतल्क शुरुअत से ही बच्चों को दया, सम्मान,
सहानुभूतत और सत्यतनष्ठा के बारे में सीखने में मदद करने पर ध्यान देता है। शुरुअत में तवद्यालय
बच्चों को "बोलने के तलए ऄपना हाथ ख सा करने" और "ऄपने हाथ को ऄपने तक सीतमत रखने"
जैसे बुतनयादो पािों की तशक्षा देते हैं।
om

बाद में यह गुण नैततक और सामातजक मुद्दों के बारे में तार्क्रकक बहस के रूप में तवकतसत होता है।
l.c

जब एक व्यतक्त हाइ स्कू ल ईिीणव करता है, ईस समय ईसके पास ऄपने तवश्वासों, मूल्यों और वह
ai
gm

ऄपने अप को कै से देखता है, आनपर ऄच्छी पक स होनी िातहए। यह सब ईसे तजम्मेदार और


@
11
13

अत्मतवश्वास से पूणव आंसान बनाने में मदद करता है। टीम भावना, नेतृत्व, अज्ञाकाररता और
j5
ra

ऄनुशासन व्यतक्तत्व के कु छ ऄन्य लक्षण हैं, जो तवतभन्न गतततवतधयों के माध्यम से स्कू लों द्वारा
su

तसखाए जाते हैं।


तवद्यालय/कालेजों की भूतमका में सुधार लाने हेत ु ईपाय:
तजस प्रकार से तशक्षक बच्चों से संवाद करते हैं और बच्चों के मध्य पारस्पररक व्यवहार को
प्रोत्सातहत करते हैं, वह प्रत्येक बच्चे के तवकास को महत्वपूणव ढंग से प्रभातवत करता है। ऄतः हर
स्तर पर गुणविापूणव पारस्पररक व्यवहार को सुतनतश्चत करना ऄत्यंत महत्वपूणव है। आसके तलए
ऐसी अशा की जाती है फक तवद्यालय ऄपने छारों के िररर-तनमावण के तलए नीततयों को प्रकातशत
करें और समय-समय पर छारों के िररर का अंकलन करें। तशक्षकों और कमविाररयों से सामान्य
व्यवहार की ईम्मीद को भी आसमें शातमल कर सकते हैं।
आसके ऄलावा, पाठ्यक्रम का एक तहस्सा मूल्यों की तशक्षा के तलए समर्शपत होना िातहए। महान
नेताओं, समाज सुधारकों और महान हतस्तयों के जीवन पर अधाररत व्याख्यान और कायवक्रमों को
बढावा फदया जाना िातहए और ईन्हें प्रकृ तत में सतही रखने की बजाय आस प्रकार से तैयार फकया
जाना िातहए फक वह छारों के जीवन पर ऄतधकतम प्रभाव डाल सकें ।
ऄच्छे िररर वाले छारों को पुरस्कृ त और सराहना की जानी िातहए; यह दूसरो को भी वैसा ही
व्यवहार करने के तलए प्रोत्सातहत करेगा।

34 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

तशक्षकों को छारों के सम्मुख ऄपने अप को एक अदशव के रूप में पेश करना िातहए, और ऄपने
कतवव्यों के प्रतत पूणवतयः इमानदार और समर्शपत होना िातहए।
छारों को सोशल मीतडया, आंटरनेट, मोबाआल फोन अफद के संबंध में प्रौद्योतगकी के बढते प्रयोग से
ईभरती हुइ नैततक दुतवधाओं के बारे में तसखाया जाना िातहए।
ज्येष्ठों और कतनष्ठों (सीतनयसव व जूतनयसव) के मध्य सौहादवपूणव और रिनात्मक संबंध, फकसी छार
की मजबूत और तेजी से िररर-तनमावण की प्रफक्रया के तलए एक महत्वपूणव तत्व है, जबफक आसकी
कमी से संघषव (रैचगग आत्याफद के रूप में), तनाव और शोषण जैसी कइ समस्याएं ईत्पन्न होती हैं।

4. क्या फकसी कायववाही की नैततकता ईस कृ त्य की पररतस्थततयों पर तनभवर करती है या वह आससे


स्वतंर होता है? पररक्षण कीतजए। क्या कोइ कायववाही ऄनैततक होते हुए भी ईतित (नैततक) हो
सकती है?
ईिर:
नैततकता वस्तुतः सही और गलत के प्रतत व्यतक्त का अत्म-बोध होता है, जो व्यतक्त के पररवेश और
संबि सामातजक, सांस्कृ ततक, धार्शमक और राजनैततक वातावरण के ऄनुसार पररवर्शतत होती
रहती है। आसके ऄलावा एक गूढ व वस्तुतनष्ठ नैततक सत्य का ऄतस्तत्व भी होता है जो भौगोतलक
पररतस्थतत, आततहास या संस्कृ तत से तनरपेक्ष होता है। मनुष्य ने ऐततहातसक रूप से कु छ वस्तुतनष्ठ
नैततक तसिान्तों को पहिाना है। ये तसिान्त संस्कृ तत, स्थान और आततहास का ऄततक्रतमत करते
हैं। वह तसिान्त जो यह कहता है फक नैततकता पररतस्थततयों पर तनभवर होती है, नैततकता को
सापेतक्षक तौर पर देखता है और यह आसके तलए महत्वपूणव तनतहताथव रखती है फक हम कै से ऄपने
जीवन को संिातलत व समाज को संगरित करते हैं और दूसरों के साथ व्यवहार करते हैं।
मान लीतजए अप फकसी के साथ नैततक ऄसहमतत रखते हैं। ईदाहरण के तलए, आस बात पर
ऄसहमतत फक क्या एक ऐसे समाज में रहना सही है जहााँ धन की वह मारा, तजसके साथ अप पैदा
हुए, वह प्राथतमक तनधावरक है फक अप फकतने धनी हो सकते हैं? आस बहस का ऄनुशीलन करने में
om

अप यह मान लेते हैं फक अप आस मुद्दे पर सही हैं और आस तवषय पर वातावलाप करने वाला
l.c
ai

अपका भागीदार गलत है। जबफक अपका भागीदार यह मान लेता है फक अप बहुत ब सी भूल कर
gm
@

रहे हैं। दूसरे शब्दों में, अप दोनों यह मान लेते हैं फक अप में से कोइ एक ही सही हो सकता है।
11
13

हालांफक, ये दोनों परस्पर तवरोधी नैततक तवश्वास सत्य हो सकते हैं।


j5
ra

फकन्तु कु छ नैततक कायववातहयां सृतजत/व्युत्पन्न पररतस्थततयों पर तनभवर होती हैं। जैसे फक नैततक
su

कृ त्य (जैसे फक हत्या) को कभी-कभी तनतश्चत पररतस्थततयां में ईतित िहराया जाता है (जैसे एक
तनरपराध बालक के जीवन की रक्षा करते समय)। सांस्कृ ततक रूप से अत्म तनभवर समाजों का
ऄध्ययन करते समय, मानवतवज्ञातनयों ने यह पाया है फक 80 प्रततशत से ऄतधक लोग बहुतववाह
की स्वीकृ तत प्रदान करते हैं। कु छ संस्कृ ततयााँ कन्याओं का तववाह तरुणावस्था या और ईससे कम
ईम्र में ही कर देती हैं। आथोतपया के कु छ भागों में अधी कन्याओं का ईनके 15वें जन्मफदन से पहले
तववाह कर फदया जाता है।
कु छ तवद्वानों का मत है फक नैततक तभन्नता ऄततरंतजत हैं- लोग वस्तुतः मूल्यों के बारे में सहमत
होते हैं फकन्तु ईनके तथ्यात्मक तवश्वास या जीवन पररतस्थततयां ऄलग होती हैं तजसके कारण वे
तभन्न प्रकार से व्यवहार करते हैं।
तवज्ञान के तवपरीत, नैततकता का कोइ सुपररतित/सुस्थातपत मानक नहीं है जो ऄसहमतत की
तस्थतत में आसे परीतक्षत, सुतनतश्चत और सही करने हेतु प्रयोग फकया जा सके ।
ऄतः तजस पर हमें ध्यान देने की अवश्यकता है, वह है- नैततक प्रततफलों की तवतवधता जो तनतश्चत
प्रकरणों में ईत्पन्न होती है और ईतित नैततक कारणों के अधार पर नैततक तसिान्तों को लागू करने

35 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

का प्रयोजन व संभावना। हमें नैततक तनणवय की अवश्यकता होती है न फक के वल ऐसे तसिान्तों की


जो फक के वल एक तनगमनात्मक ऄनुप्रयोग या तवतशि सतही ऄंतज्ञावन के रूप में हों।
हमारे प्रमुख तहत ईन तरीकों में हैं तजनकी हमें तवरोधी तविारों के बारे में सोिने या ईसके तलए
ढांिा तैयार करने में अवश्यकता होती है ताफक हम ऄपनी तकव शतक्त का ईपयोग कर िीक प्रकार
से ईससे तनपटने में सफल हो सकें । नैततक द्वंद्वों पर तविार करने के तलए कु छ प्रभावशाली तनमावण
घटक डब्ल्यू. डी. रॉस की ‘‘प्रथम दृष्या कतवव्य’’ (prima facie duty) की ऄवधारणा हो सकती

है (यफद प्रथम दृष्या कतवव्यों में भी द्वंद्व है, तो पररतस्थततयों में जो सबसे सशक्त हैं ईन्हें ग्रहण
फकया जाना िातहए) आत्याफद।
लेफकन सापेक्षवाद (relativism) की भी व्यापक रूप में अलोिना की गइ है। आसपर दोयमदजे,

सांघाततक और यहां तक फक ऄसंगत/बेतुका होने का अरोप लगा है। नैततक दाशवतनक, धमवशास्त्री
और सामाज तवज्ञानी वस्तुतनष्ठ मूल्यों को पहिाने की कोतशश करते हैं तजससे फक सापेक्षतावादी
खतरों को पहले से भांपा जा सके ।
नैततकता और नीततशास्त्र (एतथक्स) एक ही तसिे के दो पहलू हैं। नैततकता ‘तनयम’ हैं (यफद अप

माने तो) तजनसे व्यतक्त ऄपने ऄनुभव, ज्ञान, पालन पोषण और अस पास के माहौल अफद के

माध्यम से व्यतक्तगत रूप से बंधे हुए हैं, दूसरी तरफ नीततशास्त्र वे तनयम हैं तजन्हें हम फकसी

तवतशि सामातजक समूह के अधार पर ऄपनाते हैं, और तजससे हम स्वयं को सम्बि करते हैं।
जनसंख्या के ऄतधकांश तहस्से के तलए नैततकता और नीततशास्त्र एक दूसरे से संरेतखत होते हैं।
सरल रूप से कहा जाए तो ऄतधकतर लोग ऄपने अप को ईन समूहों से संबि करना िुनते हैं
तजनके साथ वे ऄपना तादात्म्य ऄनुभव करते हैं।
झूि बोलना नीततशास्त्र के तवरुि है, लेफकन एक जीवन को बिाने के तलए तनतश्चत रूप से नैततक

है। ईदाहरण के तलए, ऄत्यतधक नैततक लोगों के ऐसे कइ ईदाहरण हैं तजन्होंने यहूफदयों की जान

बिाने के क्रम में नातजयों से झूि बोला था। कइ पेशव


े र हमेशा नैततक दुतवधा में रहते हैं, जैस-े

पुतलस ऄतधकारी। यफद ईनका ईच्चतर ईद्देश्य जान बिाना हो तो ईनका कृ त्य नैततक है, भले ही
om
l.c

कभी-कभी साधन ऄनैततक हो सकते हैं। कइ बार वे पुतलस ऄतधकारी ही स्वयं को यह सोि धोखा
ai
gm

देने का प्रयास करते हैं फक ईनका कृ त्य न्यायसंगत है जबफक वह नहीं होता।
@
11

कोइ दुतवधा तब पैदा होती है जब एक समूह की ‘नैततकता’ (ऄथवा नीततशास्त्र) व्यतक्तगत


13
j5

नैततकता के साथ संरेतखत नहीं होती। भले ही अप ऐसी दुतवधा का तवश्लेषण मनोवैज्ञातनक,
ra
su

शारीररक या सामातजक रुख से करने का ियन करें, यह एक व्यतक्तगत पसंद है। कोइ भी कृ त्य,

तवश्वास, व्यवहार, तविार अफद नैततक होते हुए भी नीततशास्त्र के तवरुि हो सकता है। ऄथावत,्

यफद अप व्यतक्तगत रूप तवश्वास करते हैं फक एक तवशेष कृ त्य ईतित है, यह जरूरी नहीं फक वह

नीततशास्त्र से संगत भी हो। फकसी भ सकाउ राजनीततक प्रसंग को ही लें, जैस-े युि, गभवपात और
मानवातधकार।
ऄतनवायवतः, कोइ भी कायव तजसे ऄनुशीलन हेतु व्यतक्त िुनता है, फकन्तु सामातजक समूह के द्वारा

ईस पर त्यौररयााँ िढायी जाती हैं, आसके ईदाहरण का कायव करता है। एक मार पूवव-अवश्यकता

यह है फक वे व्यतक्त जो कायव तनष्पाफदत करता है, आसके ईतित होने का तवश्वास करता हो। तहटलर
और नेपोतलयन आसके ऄन्यतम ईदाहरण हैं। दोनों (ऄतत संभव) ऄपने कृ त्यों के नैततक रूप से
ईतित होने का तवश्वास करते थे, लेफकन दुतनया ने ईन्हें ऄनैततक नेताओं के रूप में हातशए पर
धके ल फदया।

36 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

5. क्या पररतस्थततयााँ ही मानवीय कायववाही की नैततकता की परख हेत ु एक मार पैमाना होना
िातहए या ईक्त कायववाही की प्रकृ तत और ईसके ईद्देश्य पर भी तविार फकया जाना िातहए?
ईदाहरणों के साथ ऄपने मत का औतित्य तसि कीतजए।
दृतिकोण:
ईिर में तनम्नतलतखत भाग सतम्मतलत होने िातहए:
 मानवीय कायववाही के ईन तत्वों की पहिान (यथा- प्रकृ तत/ईद्देश्य, पररतस्थततयां और
प्रयोजन) कीतजए, तजनका तवश्लेषण मानवीय कायववाही की नैततकता की परख करने हेतु
फकया जाता है।
 आसके ऄततररक्त व्याख्या कीतजए फक यद्यतप पररतस्थततयां एक पैमाना हैं, परन्तु ये एक मार
पैमाना नहीं हैं क्योंफक मानवीय कायववाही की नैततकता के तनधावरण हेतु मानवीय कायव वाही
के ईद्देश्य और प्रयोजन पर भी तविार फकया जाना िातहए।
 ऄपने मत का औतित्य तसि करने के तलए ईदाहरण प्रस्तुत कीतजए, तजनसे यह फदखाया जा
सके फक पररतस्थततयां फकसी बुरे प्रयोजन वाली कायववाही को नैततक नहीं बना सकतीं।
ईिर:
कु छ दाशवतनक (ईद्देश्यवादी या व्याख्यावादी) (teleologists or interpretivists) आस मत से
सहमत हैं फक मानवीय कायववाही की नैततकता की परख करने के तलए पररतस्थततयां हीं एकमार
पैमाना हैं। जोसेफ फ्लेिर की यह मान्यता है फक पररतस्थततयां ही कायववाही को तवलक्षण बनाती
हैं। तबना तवलक्षणता के कायववाही में तनतहत नीततगत तत्वों की जााँि नहीं की जा सकती।
पररतस्थततयां ही एक ऄमूतव कायववाही को समय, स्थान, ऄतभकताव और प्रणाली के अधार पर ईसे
तवतशि बनाती हैं। ईदाहरण के तलए, अत्मरक्षा में प्रहार करना एक बात है और तबना फकसी
ईकसावे के प्रहार करना दूसरी बात है। आस प्रकार पररतस्थततयां ही मानवीय कायववाही की
नैततकता को तनधावररत करती हैं।
परन्तु आसके ऄततरक्त, प्रत्येक कायववाही के दो ऄन्य तत्व भी हैं, जो मानवीय कायववाही की
नैततकता को तनधावररत करते हैं – मानवीय कायववाही की प्रकृ तत/प्रयोजन और मानवीय कायववाही
का ध्येय – के वल पररतस्थततयां ही नहीं।
एक कायववाही, तजसका प्रयोजन ईसकी प्रकृ तत से ही ऄनुपयुक्त है, ईसे न तो पररतस्थततयां और न
om
l.c

ही प्रयोजन ईत्कृ ि बना सकते हैं। ईदाहरण के तलए एक झूि प्रयोजन या पररतस्थततयों के तवद्यमान
ai
gm

होने पर भी ऄसत्य ही रहेगा। पररतस्थततयां ईसे के वल कम ऄनुपयुक्त बना सकती हैं, परन्तु ईत्कृ ि
@
11

कदातप नहीं। पररतस्थततयों को एकमार पैमाना मान लेने के िलते यहााँ एक और समस्या प्रस्तुत
13

होती है जो नैततकता को व्यतक्ततनष्ठ और सापेक्ष बना देती है (झूि बोलना, पररतस्थततयों के अधार
j5
ra

पर ऄनुपयुक्त या कम ऄनुपयुक्त हो सकता है)।


su

आसी प्रकार एक कायववाही, तजसका प्रयोजन ही ऄनुपयुक्त है, ईसे न तो ईद्देश्य और न ही


पररतस्थततयां ईत्कृ ि बना सकती हैं। ईदहारण के तलए, फकसी तनधवन ऄसहाय व्यतक्त को दान देना,
ईसके ईद्देश्य के कारण ईपयुक्त है, परन्तु यफद यही दान फकसी तनराश्रय को कु छ ऄनुपयुक्त
कायववाही कराने हेतु प्रोलोभन के रूप में फदया जा रहा है तो आसे ऄनैततकता का ही नाम फदया
जायेगा।
आस प्रकार, पररतस्थततयां ही मानवीय कायववाही की नैततकता की परख करने का एकमार पैमाना
नहीं है, ऄतपतु ईद्देश्य, पररतस्थततयां और प्रयोजन तमल कर आसका तनणवय करते हैं।

6. अधुतनक समाज में तवतधक ढांिे का आसके नैततक ढांिे के साथ ऄसंगत और पूरक संबध
ं दोनों हैं।
ईदाहरणों के साथ ििाव कीतजए।
दृतिकोण :
ईिर में तनम्नतलतखत भाग सतम्मतलत होने िातहए:
 एक संतक्षप्त भूतमका, तजसमें तवतध और नैततकता के मध्य परस्पर संबंधों की ििाव हो।

37 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

 ईदाहरण की सहायता से बताएं फक तवतध और नीततशास्त्र कै से एक दूसरे के पूरक हैं।


 फफर ईपयुक्त ईदाहरण की सहायता से बताएं फक ये दोनों कब एक-दूसरे के तवरोधाभास में
ख से हो जाते हैं।
 ईिर में आस बात पर भी तविार हो फक अधुतनक समाज में आनके संबंधों में आतनी तवतवधता
क्यों फदखाइ देती है।
ईिर:
एक पुरानी लोकोतक्त है फक, “यफद कु छ गैर-कानूनी नहीं है तो यह ऄवश्य ही नैततक होगा”।
अधुतनक समाज के सन्दभव में यह पूणवतया दोषपूणव है। नीततशास्त्र और तवतध ईतने ही एक-दूसरे से
तभन्न हैं तजतना फक प्रवतवनीयता ऄप्रवतवनीयता से तभन्न है। एक ऐसे नागररक वगव के सृजन के
ऄंततम लक्ष्य की प्रातप्त में ये एक दूसरे के ईतने ही पूरक हैं जो फकसी भी द्वंद्व की तस्थतत में ‘सही’
मागवदशवन करता है।
तवतध, समाज के कू टबि तनयम होते हैं, तजन्हें राज्य द्वारा वैधता प्रदान की जाती है। यह नैततकता
के ऄनुबंधों के ईस धरातल को प्रतततबतम्बत करता है, जो आतने व्यापक हैं फक समाज एक साथ
कहता है फक, “यही नैततक अिरण मान्य होगा”। एक व्यापक सीमा तक, जब नीततशास्त्र का
तवध्वंस होता है तो तवतध तुरंत ही ईस ररक्त स्थान को भरने अ जाती है।
यहााँ एक ईदाहरण की सहायता लेते हैं। पहले अप स सक पर कू सा-करकट आसतलए नहीं डालते थे
फक “लोग ऐसा नहीं करते हैं” ऄतपतु आसतलए फक यह करना “गलत बात” थी। ऄब अप कू सा-
करकट आसतलए नहीं फें कते हैं क्योंफक ऐसा करने पर अर्शथक दंड भुगतना प सता है। जो कभी
नीततशास्त्र के दूसरे स्तर पर था, वही ऄब कानून के पहले स्तर पर अ गया है। आस प्रकार के
ईदाहरणों में तवतधक ढांिा और नीततशास्त्र, एक दूसरे की पूरक भूतमका में हैं।
परन्तु आसका एक दूसरा पक्ष भी है, जब सम्भवत: तवतधक ढांिे और नीततगत ढांिे का परस्पर
सम्बन्ध तवलक्षण हो सकता है। आस चबदु पर एक प्रकरण ले सकते हैं, “सतवनय ऄवज्ञा की
नैततकता”। सतवनय ऄवज्ञा का स्तर प्रेररत करता है फक ऄन्यायपूणव कानूनों का पालन नहीं फकया
जाये। महात्मा गााँधी ने सन 1920 में आसका ऄतत प्रभावशाली ढंग से एक ऄन्यायपूणव परन्तु
न्यायसम्मत वैधातनक सरकार के तवरुि ईपयोग फकया था। आसके पश्चात्, सन 1960 में यूनाआटेड
om
l.c

स्टेट्स के नागररक ऄतधकारों के अन्दोलन में और दतक्षणी ऄफ्रीका में रंगभेद नीतत तवरोधी
ai
gm

अन्दोलन में ईस समय के ऄन्यायपूणव कानूनों का तवरोध करने हेतु ईपयोग में लाया गया। सतवनय
@

ऄवज्ञा में कानूनों का पालन न करने के तलए नैततक कारणों की अवश्यकता होती है।
11

अधुतनक समाज में आस प्रकार की ऄतनयतमतता बहुत-ही अश्चयवजनक है क्योंफक प्रत्येक व्यतक्त को
13
j5
ra

मानवातधकार प्रदान करने की बढती स्वीकृ तत के कारण, फकसी न फकसी समय में ये प्रितलत
su

रूफढवादी कानूनों के तवरोध में अ जाते हैं। समलैंतगकों के ऄतधकारों के तलए अन्दोलन, आसका एक
ईपयुक्त ईदाहरण है।

7. “नैततकता न तो ईपयोतगता के तसिांत पर अधाररत है और न ही प्रकृ तत के तनयम पर, बतल्क यह


मानवीय तववेक पर अधाररत है। ककतु मानवीय तववेक दोषपूणव हो सकते हैं।” रटप्पणी कीतजए।
अपके तलए नैततकता का क्या ऄथव है?
दृतिकोण:
 ऐसे ईदाहरण प्रस्तुत करते हुए आस कथन की व्याख्या कीतजए जहााँ मानवीय तववेक ऄच्छे तथा बुरे
के बीि प्रभावी रूप से तनणवय नहीं ले सकता।
 नैततकता की पररभाषा दीतजए। दृिान्तों के साथ बताइए फक अपके तलए आसका क्या ऄथव है।
ईिर:
तववेक तथा तकव पूणव चितन के बल पर ही मानव न्यायोतित तथा नैततक को ऄनैततक से पृथक कर
पाया है, न फक ईतपयोतगता तथा प्रकृ तत के तनयमों के अधार पर। मानवीय कायववाही जो तववेक

38 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

पर अधाररत होते हैं, हमें यह बताते हैं फक श्रेय क्या है। तववेक ग्रहण के स्रोत धमव, तवतध, अतंररक
मान्यताएं, मूल्य आत्याफद हो सकते हैं।
हालांफक, मानव तववेक पर बहुत से कारकों, यथा- तात्कातलक राजनीततक तथा सामातजक
व्यवस्था, का प्रभाव प सता है। आसके पररणामस्वरुप, एक कृ त्य कु छ लोगों की दृति में नैततक तो
ऄन्य लोगों की दृति में ऄनैततक प्रतीत होता है। ईदाहरण के तलए, अज, मृत्युदडड बहुत से देशों
तथा मानवातधकार कायवकतावओं के द्वारा ऄनैततक करार फदया जा रहा है, जबफक बहुत से ऐसे भी
देश और व्यतक्त हैं जो आसे फकसी जघन्य ऄपराध के तलए दडडात्मक न्याय के रूप में ईतित िहराते
हैं। आस प्रकार, तववेक के अधार पर कोइ कृ त्य नैततक या ऄनैततक हो सकता है। प्रततफदन हमारा
सामना बहुत सी ऐसी दुतवधाओं से होता है जहां तववेक सामातजक तनयमों तथा अिारों से
टकराव की तस्थतत ईत्पन्न कर देता है। नवीन सूिना के अधार पर तववेक में बदलाव भी अ
सकता है, पररणामस्वरूप यह रुरटपूणव हो जा सकता है। आसतलए, यह कहना सत्य है फक पूणवतः
तववेक पर छो स फदए जाने पर नैततकता रुरटयुक्त बन सकती है।
नैततकता को सही और गलत या ऄच्छे तथा बुरे व्यवहार के बीि भेद से संबंतधत तसिांत के तौर
स्वीकार फकया जा सकता है। यह मूल्यों तथा अिरण के तसिांतों की एक तवतशि प्रणाली है।
सामान्य तौर पर, आन तसिांतों को समाज द्वारा तवस्तृत रूप में स्वीकार कर तलया जाता है, फकन्तु,
हो सकता है वे फकसी व्यतक्त के व्यतक्तगत मानदंड हों तजन्हें वह सदािारपूणव मानता हो।
मेरे तलए भी, नैततकता का ऄथव ऄच्छे को बुरे से पृथक करने के तलए ऄपनाया गया एक तववेकपूणव
रुख है। तथातप, आसमें नवीन तथ्यों तथा वैकतल्पक दृतिकोणों के तलए स्थान होना िातहए जो
मानव बुति के तक्षततज का तवस्तार करते हैं। ईदाहरण के तलए, सववर सत्य बोलने को नैततक करार
फदया जाता है। फकसी व्यतक्त के द्वारा भी आसे नैततक समझा जाता है। यद्यतप, फकसी व्यतक्त के तलए
जो परेशानी में फकसी की सहायता करने को और ऄतधक नैततकतापूणव मानता है, आसके तलए झूि
बोलने की अवश्यकता होने पर झूि बोल भी सकता है।

8. वे तवतभन्न स्रोत क्या हैं तजनके माध्यम से मनुष्य ऄपने कायववाही की सत्यता का परीक्षण कर
om
l.c

सकता है? ििाव कीतजए फक साववजतनक जीवन के संदभव में स्पि और व्यावहाररक मागवदशवन प्रदान
ai
gm

करने में ये स्रोत फकस प्रकार महत्वपूणव हैं?


@
11

दृतिकोण:
13

ईन स्रोतों के रूप में तनयमों, तवतनयमों और तववेक पर ििाव कीतजए तजनके माध्यम से मनुष्य
j5


ra
su

ऄपने कायववाही के औतित्य का परीक्षण कर सकता है।


 साववजतनक जीवन में आनकी भूतमका पर ििाव कीतजए।
 नैततक तनणवय तनमावण में आन स्रोतों की वांछनीयता पर बल देते हुए ईिर समाप्त कीतजए।
ईिर:
कानून और तववेक मागवदशवन के वे दो स्रोत हैं तजनके माध्यम से मनुष्य ऄपनी कायववाही की
नैततकता का परीक्षण कर सकता है। स्पि और व्यावहाररक मागवदशवन प्रदान करने में ये स्रोत
तवशेष रूप से साववजतनक प्रशासकों के तलए महत्वपूणव हैं।
i) कानून, तनयम और तवतनयम
कानून के नैततक संकेताथव होते हैं। यह लोगों को कायव करने या कायव करने से ऄपने को ऄलग रखने
के तलए प्रेररत करता है और दातयत्व अरोतपत करता है। आसे न के वल न्यायोतित होना िातहए,
बतल्क आसका बोझ भी समान रूप से डालना िातहए। आसके साथ ही, यह साववजतनक शुभ, न फक
तनजी शुभ, के तलए होता है। तवतनयम प्रायः कानून की व्याख्या (स्पि) करने में सहायता करते हैं।
कानूनों के तवपरीत, तनयमों का साववजतनक लाभ के तलए ही होना अवश्यक नहीं है, ये तनजी लाभ

39 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

के तलए भी हो सकते हैं। ईदाहरण के तलए, संसाधनों अफद के कु शल ईपयोग के तलए संगिन के
भीतर बनाए गए तनयम।
ii) ऄंतःकरण (Conscience)
यह व्यतक्त की सही और गलत की नैततक भावना है, तजसे फकसी व्यतक्त के व्यवहार के तलए
मागवदशवक के रूप में कायव करने वाले के तौर पर देखा जाता है। जहााँ कानून फकसी कायववाही के
तवषय में सामान्य तनयम होता है, वहीं तववेक तवतशि कायववाही के तलए व्यावहाररक तनयम
तनधावररत करता है। तववेक, कानून या तनयम को तवतशि कायववाही के प्रतत लागू करता है; आसतलए
यह कानून की तुलना में ऄतधक व्यापक होता है।
स्पि और व्यावहाररक मागवदशवन प्रदान करने में महत्व
सही और गलत पर तविार करने के दौरान लोक प्रशासक फकए गए या फकए जाने वाले कायववाही
की प्रकृ तत, कायववाही के तलए बनी पररतस्थततयों और कायववाही के ईद्देश्य संबंधी ईपलब्ध
सूिनाओं पर तनभवर होते हैं। कानून, तनयम और तवतनयम आनके तलए ऄततररक्त मागवदशवन प्रदान
करते हैं।
कभी-कभी दीवानी कानून की स्पि घोषणाओं को भी तनयम नकार देते हैं। जहां वररष्ठ ऄतधकारी
आस प्रकार के तनयमों का ईल्लंघन करने के तलए ऄधीनस्थ को दंतडत कर सकता है, वहीं यफद
तनयम दीवानी या प्राकृ ततक कानून के तवपरीत हो, तो हो सकता है फक ईल्लंघन करने वाले ने
नैततक रूप से कायव फकया हो। आसतलए, प्राकृ ततक या दीवानी कानूनों का ईल्लंघन करने वाले
तनयमों से बिा जाना िातहए।
प्रायः यह माना जाता है फक के वल तनयम और तवतनयम साववजतनक प्रशासकों के तलए ऄपयावप्त हैं।
तवशेष कायववाही के दौरान तबना तववेक के आन कानूनों और तनयमों को लागू करने से, साववजतनक
प्रशासक एक महत्वपूणव तत्व से िूक जाते हैं। तववेक फकसी तवतशि कायववाही के दौरान कानून,
तनयम और नैततकता के ऄन्य मानदंड लागू करने में सहायता करता है।
सभी साववजतनक प्रशासकों को ऄक्सर तववेकानुसार तनणवय लेने प सते हैं और ऐसे में तववेक
महत्वपूणव भूतमका तनभाता है।
om
l.c

9. साववजतनक जीवन में 'नागररक सदगुण’ (तसतवक विू)व से अप क्या समझते हैं? वतवमान समय में
ai
gm

आनका ऄनुसरण करने में अने वाली िुनौततयााँ क्या हैं? आन िुनौततयों पर कै से तवजय प्राप्त की जा
@
11
13

सकती है?
j5
ra

दृतिकोण:
su

 नागररक सदगुण (तसतवक विूव) को पररभातषत कीतजए एवं नागररक सदगुण के तवतभन्न अयामों
पर ििाव कीतजए।
 जनता द्वारा आसके ऄनुशीलन के दौरान सामना की जाने वाली िुनौततयों की ििाव कीतजए।
 कु छ समाधान भी सूिीबि कीतजए।
ईिर:
नागररक सदगुण समाज में नागररक की भागीदारी संबंधी नैततकता या सही व्यवहार का मानदडड
है। यह आस तथ्य को पुि करता है फक नागररक, समाज से फकस प्रकार संबंतधत होता है। आस प्रकार,
तवतभन्न समुदायों में नागररक सदगुण संबंधी धारणाएाँ तभन्न-तभन्न होती हैं। ईदार समाज ऄपने
नागररकों से न्यूनतम मांगें करता है, जबफक गणतंरवादी परंपरा सरकार के ऄत्यािारों के तवरुि
रक्षा करने या साझा साववजतनक वस्तुओं का तनमावण करने हेतु ईच्ि स्तरीय भागीदारी की
अवश्यकता की ऄवधारणा के अधार पर नागररकों की सफक्रय प्रततभातगता की मांग करती है।
रुफढवाद (ऄपररवतवनवाद) ने पाररवाररक मूल्यों तथा तपता एवं राज्य के प्रतत अज्ञाकाररता पर
जोर फदया। जनसामान्य द्वारा संिातलत राष्ट्रवाद ने देशभतक्त को महत्वपूणव नागररक सदगुण के
रूप में स्थातपत फकया है।

40 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

नागररक आसे सहज रूप से मतदान करके , करों का भुगतान करके , सामातजक कायव के तलए
स्वैतच्छक रूप से स्वयं को प्रस्तुत करके , स्वच्छता बनाए रखने आत्याफद के माध्यम से प्रदर्शशत कर
सकते हैं। नागररक सदगुण व्यतक्तवाद के स्थान पर समुदायवाद पर जोर देता है। रॉबटव पटनम ने
तीन नागररक सदगुणों को पररभातषत फकया है: साववजतनक जीवन में सफक्रय भागीदारी,
तवश्वसनीयता एवं सामातजक ऄंतससंबबिता के माध्यम से वांतछत पारस्पररकता।
आसका पालन करने में िुनौततयााँ
 समाज एवं संगिन में होने वाले पररवतवनों के कारण बढता व्यतक्तवाद। सबसे महत्वपूणव तथ्य
यह है फक पारंपररक और अधुतनक मूल्यों में संघषव के साथ नागररक सगुगुण संबध
ं ी धारणाएाँ
पररवर्शतत हो रही हैं तजससे आनके वास्ततवक ऄनुपालन का ऄभाव फदखता है।
 सीतमत संसाधनों के तलए प्रततस्पधाव, तजसमें प्रत्येक व्यतक्त स्वयं के तलए सवावतधक तनष्कर्शषत
करने का प्रयास कर रहा है। आस प्रकार के वातावरण में, लोग समाज एवं मूल्यों के प्रतत ऄपने
दातयत्वों को भूल जाते हैं। ईदाहरण के तलए, लोग व्यतक्तगत व्ययों हेतु पैसा बिाने के तलए
कर ऄपवंिन करते हैं।
 साववजतनक संगिनों एवं लोगों के बीि तवश्वास का ऄभाव एवं व्यतक्तगत तहतों की तुलना में
साववजतनक तहतों को कम वरीयता देना।
 व्यवहार और ऄतभवृति में पररवतवन लाने में करिनाआयााँ, जो वांछनीय नागररक व्यवहार का
ऄनुशीलन करने में बाधा पहुाँिाती हैं।
समाधान
 नागररक तशक्षा को बढावा देना: बच्िे का पालन-पोषण करने के तलए तवद्यालयी तशक्षा
अवश्यक है। फकन्तु समाज के प्रतत ईिदातयत्व की भावना ईत्पन्न करने के तलए यह पयावप्त
नहीं है। आसतलए हमें मूल्य परक तशक्षा के माध्यम से नागररक भावना को बढावा देने की
अवश्यकता है।
 अदशव प्रस्तुत करते हुए नेतत्ृ व करना: वतवमान में, ऄपने नेताओं के संबध
ं में लोगों के दृतिकोण
दोषदषी हैं। जनता ऄपने ऐसे कृ त्यों का औतित्य यह मानते हुए तसि करती है फक नेता तजन
तविारों का प्रिार करते हैं ईनका ऄनुपालन नहीं करते हैं। आसतलए नेताओं को पथप्रदशवक
बनने की अवश्यकता है। ईदाहरण के तलए, भारत में सफाइ को बढावा देने के तलए कइ
om

राजनीततक नेता अगे अए हैं और ईन्होंने समाज के तलए ईदाहरण स्थातपत करने का प्रयास
l.c

फकया है।
ai
gm

 प्रभावशाली व्यतक्त: लोग ऄतभनेताओं, ईद्यतमयों, वक्ताओं आत्याफद का ऄन्धानुकरण करते हैं।
@
11

ये लोग सरलतापूवकव समाज के तप्रत तजम्मेदारी का भाव जगा सकते हैं। ईदाहरण के तलए,
13
j5

सरकार खुले में शौि की समस्या के तवरुि संघषव करने एवं कर भुगतानों को प्रोत्सातहत करने
ra
su

के तलए ऄतभनेताओं का ईपयोग करती है।


 ऄतधकारों और कतवव्यों के संबध
ं में जागरूकता: वतवमान समय में यह ऄत्यंत अवश्यक है फक
लोग ऄपने कतवव्यों को भी ईतित महत्व दें। ईदाहरण के तलए, हाल ही में ईच्चतम न्यायालय
ने यह माना फक यफद कोइ व्यतक्त तनवाविन के समय मत नहीं करता है तो ईसे सरकार पर
प्रश्न ईिाने का कोइ ऄतधकार नहीं है।

10. महान व्यतक्तत्व (ग्रेट लीडसव) का जीवन हमें ऄनेकों प्रकार से प्रेररत करते हैं। अपके उपर फकस
व्यतक्तत्व का तिरस्थायी प्रभाव प सा है और फकस प्रकार? अपके द्वारा ईस व्यतक्तत्व से अत्मसात
फकए गए एक ईत्कृ ष्ट गुण एवं एक तसतवल सेवक होने में ईसके महत्व का ईल्लेख कीतजए।
दृतिकोण:
 व्याख्या कीतजए फक अपके जीवन पर फकस महान व्यतक्तत्व का तिरस्थायी प्रभाव प सा है
और क्यों।
 ईनके व्यतक्तत्व में शातमल ऐसे ईत्कृ ि मूल्यों का ईल्लेख कीतजए तजन्हें अपने अत्मसात फकया
हो।
 तसतवल सेवाओं में ईन मूल्यों के महत्व की भी व्याख्या कीतजए।

41 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

ईिर:
डा. ए.पी.जे. ऄब्दुल कलाम, तवश्व में भारत के राष्ट्रपतत बनने वाले प्रथम वैज्ञातनक के रूप में
जाने जाते हैं। फकन्तु ईनके व्यतक्तत्व की महानता मार पद-प्रततष्ठा के माध्यम से व्याख्यातयत नहीं
की जा सकती। ईन्होंने ऄन्य व्यतक्तयों को उाँिे स्वप्न देखने के तलए प्रेररत फकया एवं ऄपना
ईदाहरण प्रस्तुत कर मागवदशवन फकया। ईन्होंने ऄपनी तविारधारा को के वल व्यतक्तगत तवकास तक
सीतमत नहीं फकया, ऄतपतु आसे ऄपने देश एवं सम्पूणव तवश्व के कल्याण हेतु तवस्ताररत फकया।
डॉ. ए.पी.जे. ऄब्दुल कलाम की तवतशिताएाँ एवं क्षमताएाँ ईनके जीवन में समातवष्ट थीं। ईन्होंने
हमें परंपरा से हटकर तविार करने, नवोन्मेष करने एवं परीक्षण करने के तलए साहस प्रदान फकया।
ईन्होंने हमें बारंबार स्मरण कराया फक ऄसफलताओं से एवं आस तविार से कभी भयभीत नहीं
होना िातहए फक लोग क्या सोिेंगे। ईनका मानना था फक ऄसफल परीक्षणों के तबना नया ज्ञान
प्राप्त नहीं हो सकता।
ईन्होंने ऄपने कायों के प्रतत लगन, समपवण एवं दृढ तनश्िय के गुण प्रदर्शशत फकए। ईनका दृतिकोण
तवकतसत एवं प्रगततशील भारत का तनमावण करना था और ईन्होंने हमें ऄपने आसी दृतिकोण के
ऄनुसार प्रेररत फकया। ईनमें नेतृत्व के ईल्लेखनीय गुण थे। ऄपनी टीम के नेता के रूप में वह
ऄसफलता को स्वीकार करने में सबसे अगे रहते थे, फकन्तु सफलता का श्रेय सववप्रथम ऄपनी टीम
को देते थे।
हमारे मन-मतस्तष्क पर तिरस्थायी प्रभाव डालने वाला डा. कलाम का सवावतधक ईत्कृ ष्ट गुण
ऄगाध करुणा से ईत्पन्न ईनकी ऄतुलनीय तवनम्रता थी। आस प्रकार का गुण लोक सेवकों द्वारा भी
ऄपने जीवन में अत्मसात फकया जाना िातहए।
वह प्रत्येक भारतीय से ऄपनी पूणव क्षमता का ऄनुभव करने एवं देश तथा तवश्व के कल्याण में
योगदान देने की ऄपेक्षा रखते थे। ईन्होंने कहा - “अकाश की ओर देखो। हम ऄके ले नहीं हैं। सम्पूणव
ब्रह्माडड हमारा तमर है और स्वप्न देखने वालों एवं ईसे साकार करने हेतु प्रयासरत रहने वालों को
सव त्तम पररतस्थततयााँ प्रदान करने की योजना बनाने में संल्न रहता है।”
om

लोक सेवक में तवनम्रता का गुण महत्वपूणव है। आसका ऄथव स्वयं की महिा के संबंध में शालीन एवं
l.c
ai

तवनीत दृतिकोण रखने का गुण है। तवनम्र लोकसेवक यह सुतनतश्चत करने के तलए ऄन्य लोगों से
gm

आनपुट प्राप्त करने का प्रयास करता है फक ईनके पास सभी वांतछत तथ्य हैं और वे आस प्रकार के
@
11

तनणवय ले रहे हैं जो समाज के तवतभन्न संभागों के तहतों की दृति से सव त्तम हैं। भारत के प्रसंग में
13
j5

यह और भी ऄतधक महत्वपूणव हो जाता है जहााँ औपतनवेतशक तवरासत एवं आसके संभ्रान्त संवगव के
ra
su

ऄतत सूक्ष्म ऄनुपात के कारण लोक सेवक प्राय: स्वयं को ऄतत-तवतशि मानने की मानतसकता,

प्रभुत्व, व्यतक्तवाद को प्रदर्शशत करते हैं एवं तनणवय प्रफक्रया में साववजतनक भागीदारी की ईपेक्षा
करते हैं।
तवनम्रता प्रदर्शशत करने का एक बेहतर ईपाय तपछली गलततयों को स्वीकार करना और आन
गलततयों को शासन के तवतभन्न ऄवयवों हेतु सीख लेने के ऄवसरों के रूप में प्रयोग करना है। जब
संस्थाएाँ और नेता ऄपनी गलततयों को स्वीकार करते हैं, तो वे ऄन्य लोगों के तलए भी गलती करने

एवं ईससे सीखने को स्वीकायव बनाते हैं।

प्रत्येक लोक सेवक को लोगों को के न्ि में रखने, ईनकी अवश्यकताओं के प्रतत ईिरदायी होने,
ईनकी आच्छाओं का सम्मान करने एवं और ईनके प्रतत जवाबदेह होने की अवश्यकता होती है।
आसके तलए लोक सेवकों को ऄपने योगदानों की दृति से तनस्वाथव, ऄपने तनणवयों में समावेशी, ऄपने
व्यवहार में तवनम्र एवं ऄपनी गतततवतधयों की दृति से ऄनुकरणीय एवं प्रेरणास्पद होना िातहए।

42 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

10. तवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टे स्ट सीरीज में पूछे
गए प्रश्न: के स स्टडीज
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions: Case Studies)

11. अप एक प्रतशक्षु संवाददाता (ररपोटवर) के रूप में, सत्ताधारी दल की राज्य आकाइ द्वारा अयोतजत
एक राजनीततक कायवक्रम में संवाददाताओं के एक छोटे से समूह के साथ गए हैं। कायवक्रम के बाद
रातर-भोजन में अपसे सतम्मतलत होने के तलए कहा गया। रातर-भोजन के दौरान अपने ध्यान
फदया फक सत्ताधारी दल के कु छ सदस्यों को शराब परोसी जा रही थी। ईस राज्य में कु छ महीनों
पहले शराब के सेवन को ऄवैध घोतषत फकया गया था और पूरे राज्य में किोरतापूवक व आस पर
प्रततबन्ध लगाया जा रहा है। अपके समूह के ऄन्य संवाददाताओं ने आस मुद्दे को ऄनदेखा फकया
और अपको भी आसे ऄनदेखा करने के तलए कहा। हालांफक, अपको यह स्पष्ट रूप से ज्ञात था फक
कानून का पालन नहीं फकया जा रहा था।

(a) आस पररदृश्य से जु से मुद्दों की पहिान कीतजए।


(b) आस पररदृश्य में अपके कतवव्य क्या हैं?
(c) अप क्या कदम ईिाएंगे और क्यों?
दृतिकोण:
 राजनीततक ईदासीनता, ऄसंवेदनशीलता और मूल्यों में कमी जैसे मुद्दों पर ििाव कीतजए।
 एक नैततक संवाददाता और एक तजम्मेदार नागररक के रूप में ऄपने कतवव्यों पर प्रकाश
डातलए।
 अपके द्वारा ईिाए जाने वाले कदमों की ििाव कीतजए।
ईिर:
a) मामले के तथ्य:
मैं एक परकार के रूप में सिाधारी दल द्वारा शराब बन्दी कानून के स्पि ईल्लंघन का स्वयं साक्षी
हूाँ तथा मेरे सहकर्शमयों द्वारा मुझे आस मुद्दे को ऄनदेखा करने को कहा गया है।
om

दल के सदस्यों से संबंतधत मुद्दों में शातमल हैं:


l.c

 मद्यपान तनषेध कानून का ईल्लंघन।


ai
gm

 राजनीततक ईदासीनता।
@
11

 बेइमानीपूणव तथा ऄनुतित व्यवहार।


13

 कानून के कायावन्वयन बनाम ईसकी मूल भावना में ऄक्षरश: स्वयं पालन करने के सम्बन्ध में
j5
ra

दोहरा मापदंड ऄपनाना।


su

 प्रततबंतधत पदाथव तक पहुाँि सुतनतश्चत करने हेतु ऄतधकार और प्रभाव का संभातवत दुरुपयोग।
घटना को ऄनदेखा करने वाले संवाददाताओं से संबंतधत मुद्दे हैं:
 परकाररता संबध ं ी नैततकता का ईल्लंघन।
 कानून तो सने वालों के साथ ऄप्रत्यक्ष तमलीभगत।
 संभातवत तनतहत स्वाथव।
b) एक संवाददाता के रूप में मेरे कतवव्य परकाररता के बुतनयादी मूल्यों और अधारभूत तसिांतों,
यथा- सत्यता, यथाथवता, तनष्पक्षता, गैर-पक्षपात और जवाबदेतहता की रक्षा करना है।
 एक तजम्मेदार नागररक के रूप में देश के कानून का पालन करना एवं आसके कायावन्वयन में
ऄतधकाररयों की मदद करना है मेरा कतवव्य है। मुझे कानून के स्पि ईल्लंघन की फकसी भी
घटना की सूिना ऄतधकाररयों को देनी िातहए, जो कानून के शासन के ईसकी मूल भावना में
ऄक्षरशः कायावन्वयन में ईनके तलए सहायक हो सकता है।
c) मेरे पास दो तवकल्प हैं: या तो मैं मौन बना रहूाँ या फफर संबंतधत ऄतधकारी को घटना की ररपोटव
दू।ाँ पहले का ियन करने से न के वल परकाररता संबंधी नैततकता का ईल्लंघन होगा बतल्क यह
साहस की कमी और गैर-कानूनी कायों के प्रतत ईदासीनता की ऄतभवृति को भी दशावता है।

43 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

 आसतलए, मैं पुतलस को मामले की ररपोटव करूाँगा क्योंफक यह कानून के स्पि ईल्लंघन का मुद्दा
है। एक संवाददाता के रूप में, प्रासंतगक साक्ष्यों (तिर/वीतडयो अफद) का संग्रह करेंग,े जो आस
मुद्दे की ररपोर्टटग में ईपयोगी होने के साथ ही पुतलस के तलए मामला दायर करने में भी
सहायक हो सकता है।
 समूह के ऄन्य सदस्यों द्वारा कु छ तनतहत स्वाथव या भय के कारण मुझे आस मुद्दे को नजरऄंदाज
करने को कहा गया, ऄतः आसके संबंध में मैं ऄपने समूह के ऄन्य सदस्यों को भी समझाने का
प्रयास करूाँगा फक वे कानून का ईल्लंघन करने वालों को न्यायालय तक ले जाने हेतु अगे
अयें।
 अम जनता के ध्यान में आस मुद्दे को लाने हेतु सोशल मीतडया एवं परकाररता मंि का प्रयोग
करूाँगा तजससे आसमें शातमल लोगों का सही िररर सामने लाया जा सके ।

ईपयुक्त
व कायववाही के पीछे कारण:

प्रततबंतधत पदाथों के ऄवैध सेवन की ररपोर्टटग से प्रशासन को तस्करी पर ऄंकुश लगाने एवं कानून
के बेहतर फक्रयान्वयन में मदद तमलेगी। फकसी ऄवैध घटना का साक्षी होने पर, महज एक दशवक न
बने रहकर आसके तखलाफ अवाज ईिाने का तनणवय, परकाररता के तसिांतों- सत्यता और
तनष्पक्षता एवं एक नागररक के रूप में मेरे कतवव्य का समथवन करता है। पाटी के सदस्यों द्वारा
शराब के सेवन से पाखंड का स्पि पता िलता है। सत्यतनष्ठा युक्त सरकार की स्थापना के तलए आस
तरह के पाखंड को तनतश्चत रूप से तनयंतरत फकया जाना िातहए।

12. रमेश जो फक एक बहुत-ही मेहनती व्यतक्त है, ऄपने पररवार में पैसा कमाने वाला एकमार व्यतक्त
भी है। ईसने कइ वषों से एक तेल कं पनी की स्थानीय संबि आकाइ में कायव फकया है और ईस
कं पनी के स्थानीय सुतवधा के प्रबंधक सुरेश के साथ एक मजबूत एवं तवश्वसनीय संबध ं स्थातपत
फकया है। हाल ही में सुरेश ने कं पनी के कॉप रेट परामशी आं जीतनयर के रूप में तनयुतक्त हेत ु रमेश के
नाम की ऄनुशस
ं ा की है, यह पद तस्थर अय के साथ ही साथ ऄतधक तजम्मेदारी का पद होगा। एक
ऄनौपिाररक बातिीत के दौरान सुरेश 1960 के दशक में घरटत एक घटना का ईल्लेख करता है,
om

तजसमें कं पनी की लापरवाही के कारण 10,000 गैलन पेट्रो कै तमकल्स का स्थानीय पयाववरण में
l.c
ai

ररसाव हो गया था, लेफकन ईस समय ईसके कारण कोइ क्षतत ज्ञात नहीं हुइ थी और प्रेस को आस
gm

ररसाव की कोइ जानकारी नहीं दी गयी थी। जब रमेश ईल्लेख करता है फक राज्य के कानून के
@
11

ऄनुसार ईसे तेल ररसाव (तस्पल्स) की सभी घटनाओं को दजव कराना अवश्यक है तो सुरेश ईसे
13
j5

याद फदलाता है फक ईस घटना कोइ हातन नहीं हुइ थी और ईसे पुन: स्मरण कराता है फक वह ऐसा
ra
su

परामशी आंजीतनयर नहीं रख सकता जो गोपनीयता का सम्मान नहीं करता हो।


(a) फदए गए मामले से जु से नैततक मुद्दों की पहिान कीतजए।
(b) आस पररतस्थतत में रमेश के पास कौन-से तवकल्प ईपलब्ध हैं? ईनमें से प्रत्येक का मूल्यांकन
कीतजए।
(c) यफद अप रमेश के स्थान पर होते, तो अपकी कायववाही क्या रही होती? ईसके तलए कारण
दीतजए।
दृतिकोण:
 मामले का तवश्लेषण कर आसमें तनतहत महत्वपूणव नैततक मुद्दों की पहिान कीतजए।
 दी गइ पररतस्थतत में रमेश के पास ईपलब्ध तवकल्पों की सूिी बनाइए और प्रत्येक ईपलब्ध
तवकल्प के सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष का वणवन कीतजए।
 अपके द्वारा की जाने वाली कायववाही के बारे में बताइये तथा कायववाही को ईतित तसि करने हेतु
तकव प्रस्तुत कीतजए।
ईिर:
तनतहत तहतधारक
 रमेश, सुरेश, तेल कं पनी, सरकार और अम जनता।

44 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

(a) तनतहत नैततक मुद्दे


i) स्व-तहत बनाम जनता के तहत
मामले में प्रदि जानकारी के ऄनुसार रमेश ऄपने पररवार में पैसा कमाने वाला एकमार व्यतक्त है
और ईसकी अय का स्रोत तस्थर नहीं है; वह ऄपनी नौकरी गाँवाने की तस्थतत में नहीं है। लेफकन,
यफद वह आस नौकरी को लेता है, तो वह घटना की ररपोर्टटग में तनतहत जन तहत के प्रतत
ईदासीनता फदखा रहा है।
ii) संगिनात्मक नैततकता बनाम नैततक मूल्य
रमेश के समक्ष ईसके व्यतक्तगत मूल्यों में तवश्वास और संगिनात्मक नैततकता के मध्य संघषव की
तस्थतत ईत्पन्न होगी। यफद वह ईनमें से फकसी एक का ऄनुसरण करता है, तो वह दूसरे के साथ
ऄन्याय करेगा।
iii) राज्य कानून की ईपेक्षा बनाम तजम्मेदार नागररक
देश के एक तजम्मेदार नागररक होने के नाते, ररसाव मामले की ररपोटव/तशकायत कर साववजतनक
कानून का पालन करना ईसका कतवव्य है। परन्तु, ऄपनी नौकरी बिाने के तलए वह राज्य के
कानूनों की ईपेक्षा करेगा।
(b) ईपलब्ध तवकल्प
i) आस मुद्दे पर मौन रहना
गुण:
 िूंफक यह घटना बहुत पहले घरटत हुइ है और आस घटना में कोइ भी प्रभातवत नहीं हुअ, ऄतः
यह तकव फदया जा सकता है फक ऄब आस मुद्दे को ईिाना व्यथव होगा।
 सुरेश की सलाह मानने का पररणाम यह होगा फक रमेश के साथ ईसके व्यतक्तगत और पेशव
े र
दोनों संबंध प्रभातवत नहीं होंगे।
 यह तवकल्प अगे पदोन्नतत का मागव प्रशस्त कर सकता है।
दोष:
 आस तरह की तनतष्क्रयता राज्य के कानूनों के प्रतत सम्मान की कमी को दशावती है, तजनके
तहत आस प्रकार की सभी घटनाओं की ररपोटव करना अवश्यक है।
om

 आसके ऄलावा ऐसी कायववाही भतवष्य हेतु मागव प्रशस्त कर सकती है, जहााँ आस प्रकार के
l.c
ai

ररसाव की घटना की ररपोटव नहीं की जाएगी।


gm
@

ii) सरकार को ररपोटव करने हेत ु सुरेश को राजी करना


11
13

गुण:
j5
ra

 आस तरह की घटनाओं की ररपोटव करना, राज्य के कानूनों के प्रतत सम्मान को दशावता है।
su

 सुरेश के साथ रमेश के व्यतक्तगत संबंध ऄप्रभातवत रहेंगे।


 पररणामस्वरूप यह तवकल्प ररसाव के प्रभाव का अकलन करने हेतु तवस्तृत जांि के तलए
मागव प्रशस्त करेगा।
दोष:
 यह रमेश और सुरेश दोनों के पेशेवर कै ररयर को जोतखम में डाल सकता है।
iii) ऄपने वररष्ठ ऄतधकारी या तनदेशक से बात करना
गुण:
 पूवव में हुइ गलत घटना को सही करने के तलए ईपयुक्त कदम ईिाने हेतु वररष्ठ ऄतधकारी या
तनदेशक को एक ऄवसर प्राप्त होगा।
 यह दशावता है फक रमेश ऄपने पास ईपलब्ध सभी तवकल्पों का प्रयोग कर एक नागररक के
रूप में ऄपने मूल्यों और तजम्मेदाररयों को ईतित तसि करने का प्रत्येक संभव प्रयास कर रहा
है।
दोष:
 कं पनी में ईसे ऄपने तवरुि प्रततरोध का सामना करना प स सकता है, क्योंफक कं पनी ने ऄब
तक आस घटना की ररपोटव दजव नहीं की है।

45 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

iv) तववसल ब्लोऄर बन जाए और घटना को ईजागर कर दे


गुण:
 वह एक तजम्मेदार नागररक के रूप में राज्य के कानूनों का पालन करते हुए ऄपने कायों को
सुतनतश्चत करेगा।
 यफद बाद में आस प्रकार का कोइ प्रततकू ल प्रभाव ईत्पन्न हो तो वह पयाववरण और लोगों के
जीवन को जोतखम से बिाने में सक्षम होगा।
दोष:
 वह ऄपनी नौकरी खो देगा तथा सुरेश के साथ ईसके संबध
ं स्थायी रूप से समाप्त हो सकते हैं।
(c) सव िम कायववाही
तस्थतत की गंभीरता को समझते हुए, मैं सरकार को घटना की सूिना प्रदान करने हेतु वररष्ठ
ऄतधकाररयों को समझाने का प्रयास करूाँगा, जो पयाववरण और जनता को हुइ क्षतत का अकलन
कर सकते हैं। आसका तात्पयव यह है, फक ऄपरातधयों को ईनके कायों के तलए दंतडत फकया जाएगा।
दूसरों को कानून के शासन का पालन करने हेतु प्रेररत करने का ईदाहरण भी प्रस्तुत फकया जा
सके गा। हालांफक, आसका पररणाम यह हो सकता है फक मैं ऄपनी नौकरी गाँवा दू।ाँ साथ ही यह यह
ध्यान फदया जाना अवश्यक है, फक आस तरह के मामलों में जनता के तहत सवावतधक महत्वपूणव हैं,
तजसके साथ फकसी भी कीमत पर समझौता नहीं फकया जा सकता है।

13. मानव पर नैदातनक परीक्षण (clinical trials) के तवतनयम और प्रफक्रयाएं राष्ट्र दर राष्ट्र तभन्न हैं।
एक ईभरते बायोमेतडकल क्षेर के रूप में स्टेम सेल शोध के तलए मानवीय परीक्षणों हेत ु स्वीकृ तत
की अवश्यकता होती है और आसे िुनौततयों का सामना करना प सता है। अप वैज्ञातनकों के एक
दल के नेतत्ृ वकताव हैं तजन्होंने एक नइ रटश्यू आंजीतनयररग तसस्टम तवकतसत फकया है जो हृदय के
ईिकों (रटश्यूज) को पुनः पैदा करने हेत ु अशावान साधन नजर अता है। आस तसस्टम का पहले ही
जानवरों पर परीक्षण फकया जा िुका है और ईसके ऄच्छे पररणाम तमले हैं। गंभीर हृदय रोगों से
जूझते लाखों लोगों को आससे ऄत्यतधक लाभ होगा यफद यह आलाज ईनके तलए शीघ्र ईपलब्ध करा
फदया जाए। हालांफक आसके वातणज्यीकरण से पूवव मानव पर नैदातनक परीक्षण करने की
om
l.c

अवश्यकता होती है। यह भी ज्ञात है फक आसके वातणतज्यक रूप से (बाजार में) ईपलब्ध होने से पूवव
ai
gm

देश में तवतनयम संबध


ं ी किोर वातावरण के कारण मानवीय परीक्षण और ऄंततम स्वीकृ तत में वषों
@

लग जाएंग।े वहीं दूसरी ओर बहुत से गरीब राष्ट्रों में नैदातनक परीक्षण संबध ं ी तवतनयम ढीले हैं और
11
13

शीघ्र स्वीकृ तत संभव है। अपके बहुत-से प्रततद्वंद्वी भी नैदातनक परीक्षण हेत ु प्रायः ऐसे राष्ट्रों का रुख
j5
ra

करते हैं जहां वे ऄतधकाररयों को ररश्वत दे कर शीघ्र स्वीकृ तत प्राप्त कर लेत े हैं।
su

दी गइ पररतस्थतत के ऄनुसार तनम्नतलतखत प्रश्नों के ईिर दीतजएः


(a) नैदातनक परीक्षण के दौरान ईभरने वाले नौततक मुद्दों की पहिान कीतजए।.
(b) दी गइ ईपयुक्त
व पररतस्थतत में, क्या अप मानवीय परीक्षणों को फकसी तीसरे देश में
स्थानांतररत करना पसंद करेंगे जहां तवतनयम ढीले हैं? ऄपने ियन हेत ु कारण दीतजए।
(c) नैततक संघषव को कम करने एवं नइ दवाआयों हेत ु स्वीकृ तत की प्रफक्रया को तीव्र करने के तलए
मानक प्रफक्रया का एक प्रारूप सुझाआए।
दृतिकोण:
 मानवीय नैदातनक परीक्षणों पर एक संतक्षप्त भूतमका प्रस्तुत कीतजए और नैदातनक परीक्षणों में
समातवि नैततक मुद्दों की पहिान कीतजए।
 प्रयोगशाला के स्थान-पररवतवन के गुणों व दोषों पर ििाव कीतजए एवं स्वदेश से प्रयोगशाला के
स्थान में पररवतवन पर ऄपना ऄंततम तनणवय बताआए।
 नइ दवाओं की स्वीकृ तत की प्रफक्रया को तेज करने तथा नीततपरक संघषों को कम करने हेतु मानक
प्रफक्रया की रूपरेखा बनाआए।

46 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

ईिर:
प्रकरण का सार: मैं एक टीम का मुतखया हूाँ, तजसने एक नइ प्रणाली तवकतसत की है जो हृदय रोगों
से पीत सत लोगों की सहायता करेगी। वातणतज्यक रूप से ईपलब्ध होने से पहले, आसे मनुष्यों पर
नैदातनक परीक्षणों से गुजरना होगा, आसके तलए सख्त तनयमों का पालन करना होगा। वैकतल्पक
रूप से, गरीब देशों में कमजोर तवतनयमन के िलते तेजी से मानव परीक्षण होंगे तथा ईन्हें
स्वीकृ तत भी तमलेगी तथा कइ प्रततस्पधी ररश्वत देकर यह काम कर रहे हैं।
(a) नैदातनक परीक्षण स्वेच्छा व्यक्त करने वाले मनुष्यों पर एक प्रकार का परीक्षण है। जो यह
देखने के तलए फकया जाता है फक अम जनता पर व्यापक तिफकत्सा का ईपयोग करने के तलए नइ
तिफकत्सीय ईपिार को मंजूरी दी जानी िातहए या नहीं। तवतभन्न नैततक मुद्दों में तनम्नतलतखत
सतम्मतलत हैं:
 व्यापक जनसंख्या के कल्याण के तलए इमानदारी पूववक नैदातनक परीक्षण करने का नैततक
कतवव्य।
 मानवता ऄपने अप में एक ध्येय है (गांधीजी)। थो से से भुगतान के एवज में आतना ब सा
जोतखम लेने के तलए समाज के तनिले स्तर के लोगों का ईपयोग करना मानवता का ऄपमान
है। आससे सामान्य जनसाँख्या के स्वास्थ्य में सुधार तो हो सकता है, लेफकन शोषण के रूप में
लागत भी बढ सकती है, जो मौत का भी कारण बन सकती है औऱ वह गलत होगा।
 सूतित सहमतत के संबंध में गरीब देशों की नैततक चिताएं।
 तिफकत्सा तवतशि लोकािारों द्वारा तनयंतरत होती है, तजसमें तिफकत्सक का पहला ध्यान
स्वास्थ्य और रोगी के जीवन पर होना िातहए। ईसे ऐसा कु छ भी नहीं करना िातहए तजससे
रोगी का स्वास्थ्य खराब हो जाए। नैदातनक परीक्षण लंबे समय में तिफकत्सक-रोगी संबंधों की
प्रामातणक नींव को कमजोर बना सकते हैं।
(b) वतवमान मामले में, वैज्ञातनकों ने ह्रदय के उतकों को पुनजीतवत करने की एक नइ तकनीक तवकतसत
की है, तजससे ऐसे लाखों लोगों को महत्वपूणव जीवन तमलेगा जो गंभीर ह्रदय रोग से पीत सत हैं।
हालांफक, गरीब और तवकासशील देशों के ढीले तनयम तथा भ्रि शासन वैज्ञातनकों को आन देशों में
om

ऄपनी प्रयोगशालाओं को खोलने और परीक्षण करने को तववश करते हैं। आस प्रकार के अिरण के
l.c

गुण और दोष तनम्नानुसार हैं:


ai
gm

गुण
@
11

 गरीब देशों में लागत कम है। आसतलए, तवकतसत तिफकत्सीय ईपिार सस्ता होगा। ईदाहरण
13
j5

के तलए, भारत में नैदातनक परीक्षण का खिव ऄमरीका के नैदातनक परीक्षण के खिव से दस
ra
su

गुना कम हो सकता है।


 तीसरी दुतनया में ऐसे मरीजों की ईपलब्धता की संभावना ऄतधक है जो पहले कभी ऐसे
परीक्षणों से नहीं गुजरे हैं या पहले से ही फकसी दवा का ईपयोग नहीं कर रहे हैं।
 तवकासशील देशों को ईन्नत तिफकत्सा तवज्ञान का लाभ तमलता है और नवीनतम दवाओं तक
पहुंि प्राप्त होती है।
 नैदातनक परीक्षणों की प्रफक्रया तवकासशील देशों में तेज है क्योंफक तवतनयामक ऄनुमोदन लेना
असान है। यह तिफकत्सा ईपिार के तवकास मे लगने वाले समय को कम करता है।
 यह गंभीर हृदय रोगों से पीत सत लोगों के तलए जल्द आलाज ईपलब्ध कराएगा।
दोष
 सहमतत: ऄतधकतर, गरीब देशों के लोग ऄनुबंध को समझे बगैर तथा जोतखम को जाने तबना
ऄपनी सहमतत दे देते हैं क्योंफक ऄनुबंध तवदेशी भाषाओं में तलखे जाते हैं।
 अर्शथक मजबूरी: कभी-कभी नैदातनक परीक्षण के तलए गरीब लोगों द्वारा ऄपना शरीर बेिने
के पीछे ईनकी गरीबी तजम्मेदार होती है। पतश्चमी तिफकत्सा के प्रतत ऄंध-तवश्वास भी ईनके
तनणवय लेने में एक ऄहम भूतमका तनभाता है।

47 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com


https://upscpdf.com << Download From >> https://upscpdf.com

 खराब स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली: नैदातनक परीक्षणों में जोतखम बहुत ऄतधक है। तीसरी
दुतनया की ख़राब स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली शरीर पर प्रयोगों से ईत्पन्न होने वाली ईलझनों
और दुष्प्रभावों के मामले में सुभद्य
े ता को और बढाती है।
 तीसरी दुतनया के देशों में प्राप्त अंक सों की तवश्वसनीयता भी तशतथल तनगरानी के कारण
संदहे के दायरे में है।
 कम तवतनयामक सुरक्षा ईपाय तथा गरीबी और तनरक्षरता का ईच्च स्तर, तवदेशी दवा
कं पतनयों द्वारा दुरािारण और तनिले मानक ऄपनाने को प्रोत्सातहत करते हैं।
 पेशेवर नैततकता और एक स्थातपत प्रफक्रया की ईपेक्षा करना, सत्यतनष्ठा पर संदह
े को बढाता
है। प्रततस्पधाव में ऄनुतित साधन िुनने का प्रयास फकया जा सकता है जैसे फक स्वीकृ तत प्राप्त
करने के तलए घूस देना।
जैसा फक देखा जा सकता है, परीक्षणों का स्थान ईन देशों में बदलने के कइ लाभ हैं जहां लागत
सस्ती और नीततगत तवतनयम कम सख्त हैं। हालांफक, प्रफक्रयाओं में ढीलापन परीक्षणों को बदलने
का ईद्देश्य नहीं होना िातहए। आससे लाखों लोगों का जीवन बिेगा और सस्ती लागत वाले ईपिार
में वृति होगी। आसतलए, प्रयोगशाला को असान तवतनयमन वाले देश में स्थानांतररत करना
तववेकपूणव है।
हालांफक, मैं सूतित सहमतत, साआड-आफ़े क्ट के ईपिार, रुरटयों के मामले में मुअवजे अफद को
समातहत करके ईन्हीं सुरक्षा ईपायों और सावधातनयों का ईपयोग करूंगा तजन्हें तवकतसत देशों में
ईपयोग फकया जाता है। मैं यह तनतश्चत करूंगा फक कोइ ऄवैध प्रफक्रया ऄपनाइ जाए और फकसी भी
ईल्लंघन के तलए सख्त कायववाही सुतनतश्चत करूाँगा।
आस प्रकार तजन लोगों ने मुझ पर तवश्वास फकया है, मैं ईन लोगों की सुरक्षा और कल्याण से
समझौता फकए तबना ब सी संख्या में ईन्हें ऄतधक लाभ सुतनतश्चत कराने में सक्षम हो जाउंगा।
(c) मानक प्रफक्रया की रूपरेखा
 सामातजक मूल्य: ऄध्ययनों से शोधकतावओं को यह तय करने में सहायता तमलनी िातहए फक
लोगों के स्वास्थ्य या कल्याण को कै से सुधारें।
 वैज्ञातनक वैधता: शोध से ईपयोगी पररणाम तमलने और ज्ञान को बढाने की अशा की जानी
िातहए। शोधकतावओं को ऄपने प्रयोगों को यथासंभव बेहतर बनाना िातहए।
om
l.c

 ईतित व्यतक्त का ियन: शोधकतावओं को ट्रायल के तलए लोगों का ियन करने तथा यह तनणवय
ai
gm

लेने में तनष्पक्ष होना िातहए फक ऄध्ययन में कौन लोग सतम्मतलत हो सकते हैं।
@

 ऄनुकूल जोतखम लाभ ऄनुपात: शोध के नैततक होने के तलए, प्रफक्रया के जोतखम को तजस
11
13

व्यतक्त (तजस पर ट्रायल हो रहा है) को होने वाले लाभ, और/या समाज को प्राप्त होने वाले
j5
ra
su

महत्वपूणव नए ज्ञान द्वारा संतुतलत फकया जाना िातहए।


 स्वतंर समीक्षा: शोधकताव कभी-कभी ईन तरीकों की ऄनदेखी करते हैं तजनसे शोध पररणामों
में सुधार हो सकता है। ऐसी समस्याओं से बिने के तलए, ऐसे लोगों के समूह से जो ऄनुसंधान
से जु से नहीं हैं, एक स्वतंर समीक्षा करवाना अवश्यक है।
 सूतित सहमतत: व्यतक्त (तजस पर ट्रायल हो रहा है) को ऄध्ययन के तववरण के संबध ं में
बताना िातहए। ईन्हें स्वेच्छा से भाग लेने और सूतित सहमतत देने हेतु सहमत होना िातहए।
 व्यतक्त के प्रतत सम्मान: सूिना की गोपनीयता को बनाए रखकर तनयतमत स्वास्थ्य तनगरानी
करने से तवश्वास तमलेगा।
 अंक से साझा करना: ऄतीत के शोधों के अंक से दूसरों के तलए ईपलब्ध होने िातहए। आससे
समान दवाओं के नए परीक्षणों को करने की अवश्यकता नहीं होगी तजससे दवाओं के
ऄनुमोदन की प्रफक्रया तेज होगी। आस ईपतनयम को डेटा एक्सक्लुतसतवटी (data

exclusivity) पर WTO की वाताव में सुतनतश्चत फकया जाना िातहए।

48 www.visionias.in ©Vision IAS

Google it:- https://upscpdf.com

You might also like