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ऄभभवृभि
भवषय सूची
भवषय वस्तु का संभिप्त पररचय __________________________________________________________________ 51

1. ऄभभवृभि (Attitude) ______________________________________________________________________ 51

1.1. ऄभभवृभि का ऄथथ (Meaning of Attitude) ______________________________________________________ 51

1.2. ऄभभवृभि की संरचना (Structure of Attitude) __________________________________________________ 52


1.2.1. ABC मॉडल (The ABC Model) ______________________________________________________________ 52
1.2.2. मोड मॉडल (MODE Model) _______________________________________________________________ 53

1.3. ऄभभवृभि के कायथ (Functions of Attitude) _____________________________________________________ 53


1.3.1. ज्ञान संबंधी कायथ-समझने का कायथ _________________________________________________________ 53
1.3.2. ईपयोभगतावादी कायथ (ऄनुकूलनात्मक कायथ) _________________________________________________ 54
1.3.3. ऄहम् रिात्मक (Ego Defensive) ____________________________________________________________ 54
1.3.4. मान्यता सूचक (ऄहं सूचक) _______________________________________________________________ 55

1.4. ऄभभवृभि के प्रकार (Types of Attitude) _______________________________________________________ 55


1.4.1. सकारात्मक ऄभभवृभि ( Positive Attitude) ____________________________________________________ 56
1.4.2. नकारात्मक ऄभभवृभि ( Negative Attitude)____________________________________________________ 57
1.4.3. तटस्थ ऄभभवृभि (Neutral Attitude) _________________________________________________________ 57

2. ऄभभवृभि के कु छ ऄन्य भवभिष्ट प्रकार ____________________________________________________________ 58

2.1. कमजोर वगों के प्रभत ऄभभवृभि (Attitude Towards Weaker Sections) _______________________________ 58

2.2. नैभतक ऄभभवृभि (Moral Attitude) ___________________________________________________________ 59


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2.3. राजनीभतक ऄभभवृभि (Political Attitude) ______________________________________________________ 60


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2.4. राजनीभतक ऄभभवृभि और समाजीकरण के एजेंट ___________________________________________________ 61


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3. ऄभभवृभि का भनमाथण (Attitude Formation) _____________________________________________________ 62


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4. ऄभभवृभि पररवतथन ________________________________________________________________________ 63

4.1. ऄनुनय (Persuasion) ____________________________________________________________________ 64

4.2. प्रकायथ भजन्हें ऄनुनय के साथ ककया जा सकता है ____________________________________________________ 64

4.3. प्रत्यायन प्रकिया में चरण (Steps in Persuasion Process) ________________________________________ 66

4.4. प्रभावी प्रत्यायन (Effective Persuasion) _____________________________________________________ 67

4.5. सामाभजक प्रभाव (Social Influence) _________________________________________________________ 67

4.6. भावनाएं और ऄभभवृभिक पररवतथन (Emotions and Attitude Change) _______________________________ 69

4.7 सामाभजक प्रभाव या ऄनुनय के पररणाम _________________________________________________________ 70

4.8 ऄनुनय बनाम छल-कपट (Persuasion vs. Manipulation) __________________________________________ 71

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5. भवचार और व्यवहार के साथ ऄभभवृभि का संबध


ं ____________________________________________________ 71

5.1. ऄभभवृभि हमारे भवचार और व्यवहार को ककस प्रकार प्रभाभवत करती है? ___________________________________ 71

5.2. ऄभभवृभि से व्यवहार का पूवाथनम


ु ान कब होता है? ___________________________________________________ 73
5.2.1. ऄभभवृभि की िमता (Strength of Attitude) ___________________________________________________ 73
5.2.2. ऄभभवृभि की भस्थरता (Stability of the Attitude) _______________________________________________ 74
5.2.3. ऄभभवृभि की पहुँच या ऄभभगम्यता (Accessibility of the Attitude) ________________________________ 74
5.2.4. ऄभभवृभि की प्रमुख भविेषता (Salience of the attitude) _________________________________________ 74
5.2.5. ऄभभवृभि के भावात्मक बनाम संज्ञानात्मक पि _______________________________________________ 74

6. भवचार ककए जाने हेतु ईदाहरण ________________________________________________________________ 74

6.1. के स स्टडी 1 ____________________________________________________________________________ 74

6.2. के स स्टडी 2 ____________________________________________________________________________ 76

6.3. के स स्टडी 3 ____________________________________________________________________________ 76

6.4. के स स्टडी 4 ____________________________________________________________________________ 77

6.5. के स स्टडी 5 ____________________________________________________________________________ 77

7. भवगत वषों में संघ लोक सेवा अयोग (UPSC) द्वारा पूछे गए प्रश्न _________________________________________ 78

8. भवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न _________________________________________ 79

9. भवगत वषों में संघ लोक सेवा अयोग द्वारा पूछे गए प्रश्न: के स स्टडीज _______________________________________ 82

10.Vision IAS टेस्ट सीरीज़ : के स स्टडीज़ _________________________________________________________ 83

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भवषय वस्तु का संभिप्त पररचय


यह ऄध्ययन सामग्री ऄभभवृभि के भवषय को भवस्तृत रूप से समाभवष्ट करती है, भजसमें सभम्मभलत है:
ऄभभवृभि का ऄथथ, संरचना, कायथ, प्रकार, गठन, आसमें पररवतथन तथा व्यवहार के साथ आसका संबंध। छात्रों
को परीिा की अवश्यकता को बेहतर ढंग से समझने के भलए आस सामग्री के ऄंत में कदए गए भवगत वषों के
प्रश्नों को ध्यान से देखने की सलाह दी जाती है। भवषयों को सैद्ांभतक पररप्रेक्ष्य से परीिा में नहीं पूछा जाता
है, हालांकक आनको भवषय की बेहतर समझ के भलए समाभवष्ट ककया गया है। आस प्रकार, हमने सैद्ांभतक
भवषय को पूरे सामग्री में कइ समकालीन ईदाहरणों के साथ जोड़ने का प्रयास ककया है। छात्र जब आस
सैद्ांभतक ज्ञान को िाभमल कर ऄपने ईिरों को भलखते समय ईदाहरणों में आसका प्रयोग करेंगे तो आससे
ईिर ऄभधक अकषथक बनेंगे। आस प्रकार, आसका ईद्देश्य व्यावहाररक ऄथथ में आस भवषय को समझना है न कक
के वल ईन भववरणों को याद करने जो परीिा की दृभष्ट से बहत कम ईपयोगी होंगे।

1. ऄभभवृभि (Attitude)
1.1. ऄभभवृ भि का ऄथथ (Meaning of Attitude)

ऑक्सफोडथ िब्दकोष ऄभभवृभि को ‘ककसी भवषय पर भवचार करने या ऄनुभव करने के भनयत तरीके ’ के रूप
में पररभाभषत करता है। कै भम्िज िब्दकोष आसे ‘ककसी वस्तु या ‍यभि के भवषय में ऄनुभव या मत या ईसके
द्वारा प्रेररत व्यवहार करने के तरीके ’ के रूप में पररभाभषत करता है। आन पररभाषाओं के बावजूद, ऄभभवृभि
की व्यापक रूप से स्वीकायथ ककसी पररभाषा पर पहंचना करठन है। मुख्य रूप से ऐसा आसभलए है क्योंकक
ऄभभवृभि एक ऄमूतथ गुण है, यह ऐसा कु छ है भजसे हम प्रत्यि रुप से देख नहीं सकते। हम के वल व्यवहार से
आसका ऄनुमान लगा सकते हैं। दूसरी करठनाइ यह है कक ‘ऄभभवृभि’ िब्द का भवभवध प्रकार से ईपयोग ककया
जाता है।
ऄभभवृभि, ककसी भवषय-वस्तु के प्रभत ऄनुकूल या प्रभतकू ल रूप से व्यवहार करने की सीखी गयी और
भचरस्थायी प्रवृभि (enduring predisposition) है। यह भवषय-वस्तु कोइ घटना, कोइ व्यभि , कोइ वस्तु
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या व्यभि या िमिः ऐसी घटनाओं, व्यभि यों, या वस्तुओं के वगथ हो सकते हैं।
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*रटप्पणी: ऄभभवृभियों पर सबसे समकालीन पररप्रेक्ष्य यह भी ऄनुमभत देते हैं कक लोग एक ही भवषय वस्तु के
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प्रभत एक ही समय में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही ऄभभवृभियों को धारण ककए हए ककसी भवषय
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वस्तु के प्रभत भवरोधी (conflicted) या ईभयवृभि (ambivalent) के भी हो सकते हैं। आसका ऄथथ यह है कक
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यद्यभप यह ऄपेिाकृ त स्थाइ है, तथाभप यह गारं टी नहीं है कक समान भवषय वस्तु या घटनाओं के भलए
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ऄभभवृभि समान ही होगी। कइ बार लोग ककसी भवषय वस्तु के प्रभत ईभयवृभि या यहां तक कक भवरोधी
दृभष्टकोण भी धारण ककए रहते हैं। यही मुख्य कारण है भजसके कारण लोग ऄसंगत व्यवहार करते हैं। कोइ
व्यभि जो चॉकलेट पसंद करता है वह कभी-कभी चॉकलेट ऄपनी लालसा को संतुष्ट करने के भलए चॉकलेट
खा सकता है और दूसरे समय वह व्यभि स्वास््य चचताओं के कारण चॉकलेट नहीं खाने का चयन करता है।
ऄभधकतर समय व्यवहार ऄसंगत होता है, क्योंकक ऄभभवृभि ऄपने अप में ईभयवृभि दिाथती है।
ऄभभवृभि महत्वपूणथ है क्योंकक यह सामाभजक और भौभतक भवश्व के भवषय में लोगों की धारणाओं को अकार
प्रदान करती है और प्रत्यि व्यवहार को प्रभाभवत करती है। ईदाहरण के भलए, ऄभभवृभि दूसरों के प्रभत
भमत्रता और ित्रुता, सहायता देने और प्राप्त करने, ऄल्पसंख्यकों के प्रभत व्यवहार अकद को प्रभाभवत करती
है। ऄभभवृभियाुँ बहत नाटकीय रूप से, मानवता के भवरुद् ककए जाने वाले ऄपराधों सभहत कइ चहसक हमलों
के मूल में भवद्यमान होती हैं।
ऄभभवृभियाुँ ऄनुभव और ज्ञान के साथ पररवर्ततत होती हैं क्योंकक मनुष्य एक ‘भववेकिील प्राणी’ है।
भववेकसंगत भवकल्प की ऄवधारणा नए भवचारों, भनष्पिता और न्याय के प्रभत खुले मभस्तष्क पर अधाररत
है। कठोर और हठी ऄभभवृभि चाररभत्रक दृढ़ता को नहीं ऄभपतु कमजोरी को प्रदर्तित करती है। एक कठोर या

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हठपूणथ ऄभभवृभि, सुदढ़ृ या तीव्र ऄभभवृभि के तुल्य नहीं होती है। सुदढ़ृ ऄभभवृभि का भनमाथण ज्ञान और
ऄनुभव के अधार पर हअ होता है।

भवश्वास और ऄभभवृभि में ऄंतर (Difference between Belief and Attitude)


आन दो प्रश्नों पर भवचार करें:
 क्या अपको लगता है कक मृत्युदड
ं एक प्रभावी भनवारक है?
 मृत्युदड
ं के भवषय में अप कै सा ऄनुभव करते हैं?
जबकक, पहला प्रश्न मृत्युदड
ं के भवषय में अपके भवश्वासों का अकलन करता है; दूसरा प्रश्न आसके प्रभत
अपकी ऄभभवृभि का अकलन करता है।
भवश्वास त्यात्मक साक्ष्य के भवषय में भनष्कषथ होता है, जबकक ऄभभवृभि ऐसा भवश्वास है भजसमें भावनात्मक
ऄवयव भी समाभवष्ट होता है। ऄभभवृभियाुँ ककसी मुद्दे या व्यभि के प्रभत हमारी भावनाओं को प्रभतचबभबत
करती हैं।

1.2. ऄभभवृ भि की सं र चना (Structure of Attitude)

1.2.1. ABC मॉडल (The ABC Model)

ऄभभवृभि के िास्त्रीय दृभष्टकोण के ऄनुसार आसके 3 ऄवयव होते हैं: संज्ञानात्मक, भावात्मक, और
व्यवहारात्मक। यह ऄभभवृभि का सबसे प्रभाविाली मॉडल है। (भजसे ऄभभवृभि का ABC मॉडल भी कहा
जाता है)। आसके ऄनुसार, ऄभभवृभि में भनम्नभलभखत तीन ऄवयव होते हैं:
 संज्ञानात्मक ऄवयव (Cognitive component: C ऄवयव): आसका संदभथ भवश्वासों, भवचारों और
गुणों से होता है भजसे हम ककसी भवषय वस्तु के प्रभत संबद् करते हैं। कइ बार व्यभि यों की ऄभभवृभि
भवषय-वस्तु के प्रभत ईनके द्वारा संबद् ककए जाने वाले नकारात्मक और सकारात्मक गुणों पर अधाररत
हो सकती है। दूसरे िब्दों में, आस ऄवयव में ऄभभवृभि का भवश्वास भाग समाभवष्ट होता है। ईदाहरण के
भलए, यह भवश्वास की X समाज के सदस्यों में Y प्रकार की भविेषताएं पाइ जाती हैं।
 भावात्मक ऄवयव (Affective or Affection component: A ऄवयव): आसका संबंध ककसी
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ऄभभवृभि संबंधी भवषय वस्तु से संबंभधत भावनाओं या भावों से होता है, ऄथाथत ककसी भवषय वस्तु के
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प्रभत सकारात्मक या नकारात्मक भावनाएं भजसके भलए हम ऄपनी ऄभभवृभि धारण कर रहे हैं।
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भावात्मक ऄनुकियायें ऄभभवृभियों को कइ प्रकार से प्रभाभवत करती हैं। कइ लोग मकभड़यों से डरते हैं
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या अतंककत रहते हैं। तो आस नकारात्मक भाव के ऄनुकिया स्वरूप कोइ व्यभि मकभड़यों के प्रभत
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नकारात्मक ऄभभवृभि भवकभसत कर सकता है।


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 व्यवहारात्मक ऄवयव (Behavioural component; B ऄवयव): आसका संबंध ऄभभवृभि संबध


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ककसी भवषय-वस्तु के भवषय में भूतकाल के व्यवहारों या ऄनुभवों से होता है। यह ऄभभवृभि संबंधी
ककसी भवषय-वस्तु के प्रभत ककसी भनभित प्रकार से व्यवहार करने की प्रवृभि होती है। ईदाहरण के भलए
यकद हम ककसी व्यभि को पसंद नहीं करते हैं, तो हमारे द्वारा सभा में ईसे ऄनदेखा करने की संभावना
होती है। यह लोगों को ऄभभवृभि धारक की भपछली गभतभवभधयों के अधार पर ईसकी ऄभभवृभियों का
ऄनुमान लगाने में सहायता करता है।
हालांकक आस मॉडल को अमतौर पर ईपयोग ककया जाता है, लेककन प्रायोभगक ऄनुसध
ं ान द्वारा यह भसद्
नहीं होता है। ककसी एक भवभिष्ट ऄभभवृभि से संबद् भवचार, भावनाओं, और व्यवहारगत अियों के बीच
स्पष्ट भेद स्थाभपत नहीं ककया जा सकता। ऄभभवृभियों के ABC दृभष्टकोण की अलोचना यह है कक आसके
भलए ऄभभवृभि की संज्ञानात्मक, भावात्मक और ‍यवहारात्मक संबद्ता की अवश्यकता होती है, लेककन यह
ऄकल्पनीय हो सकता है। ईदाहरण के भलए, ककसी जाभत के लोगों के प्रभत नकारात्मक ऄभभवृभि होने के बाद
भी, हमारा व्यवहार ऄभधतर समय में पररभस्थभतयों से प्रेररत होता है।
लेककन कफर भी आसे पूणथतया नकारा नहीं जा सकता कक ऄभभवृभि की एक संरचना होती है, भले ही यह
सुसंगत नहीं हो। यह ककसी भवभिष्ट भवषयवस्तु के के वल नकारात्मक और सकारात्मक मूल्यांकन से कु छ

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ऄभधक को प्रभतचबभबत करती है। आस प्रकार ऄभभवृभि की यह ABC संरचना, ऄभभवृभि को समझने के भलए
ऄच्छे अधारभूत मॉडल के रूप में कायथ करती है। महत्वपूणथ रूप से, यह ऄभभवृभि के ईद्गम के मूल स्रोत की
पहचान करने में सहायता करती है। यह ककसी भवषयवस्तु के प्रभत ककसी व्यभि को ऄपनी ऄभभवृभि
पररवर्ततत करने हेतु सहमत करने में सहायक होगी।

1.2.2. मोड मॉडल (MODE Model)

मोड मॉडल (Motivation and Opportunity as Determinants of the attitude - behavior


relation) ऄभभवृभि मूल्यांकन का भसद्ांत है, यहाुँ मोड का ऄथथ (ऄभभवृभि-व्यवहार संबध
ं के भनधाथरकों के
रूप में ऄभभप्रेरणा और ऄवसर) है। जब ऄभभप्रेरणा और ऄवसर दोनों भवद्यमान हों तो व्यवहार जानबूझकर
ककया जाएगा। जब ईनमें से एक ऄनुपभस्थत हो तो व्यवहार पर तत्िण प्रभाव पड़ेगा। आसभलए यह मॉडल
ऄभभवृभि के दो भवभभन्न प्रकारों के भवषय में चचाथ करता है:
 व्यि : व्यि ऄभभवृभि चेतनात्मक स्तर पर होती है – भजनका भनमाथण जानबूझकर ककया जाता है और
भजनको स्वयं ‍यक्त करना सरल होता है।
 ऄ‍यक्त: ऄ‍यक्त ऄभभवृभियाुँ ऄचेतन स्तर पर होती हैं- भजनका भनमाथण ऄनायास होता है और
सामान्यतया हमें ऄज्ञात होती हैं। ऄ‍यक्त ऄभभवृभियाुँ अम तौर पर ऄनभभज्ञात होती हैं या ‍यभि के
ज्ञान में नहीं होती हैं। ईनका मापन अम तौर पर ककसी भवषय-वस्तु के प्रभत सहज प्रभतकिया द्वारा
ककया जाता है।
व्यि और ऄ‍यक्त दोनों प्रकार की ऄभभवृभियाुँ व्यभि के व्यवहार को अकार दे सकती हैं। हालांकक ऄ‍यक्त
ऄभभवृभियाुँ, ईस समय व्यवहार को ऄभधक प्रभाभवत कर सकती हैं जब कोइ व्यभि तनावपूणथ या भवचभलत
ऄनुभव करता है और अवेगपूणथ प्रभतकिया की संभावनाएुँ ऄभधक होती हैं।

1.3. ऄभभवृ भि के कायथ (Functions of Attitude)


ऄभभवृभियाुँ व्यभि के भलए भवभभन्न कायथ करती हैं। आन्हें मोटे तौर पर भनम्नभलभखत प्रकार से वगगीककृत ककया
गया है:

1.3.1. ज्ञान सं बं धी कायथ - समझने का कायथ


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(Knowledge Function-Understanding Function)


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यह भजज्ञासा से घभनष्ठतापूवथक संबंभधत है, जो एक भसभवल सेवक में ऄत्यभधक वांछनीय भविेषता है।
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ऄभभवृभि हमें भवश्व को समझने में सहायता करती है और जीवन को ऄथथ (ज्ञान) प्रदान करती है ऄथाथत यह
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नइ जानकारी को सु‍यभस्थत करने और ईसकी व्याख्या करने में सहायता करती है। हम ऄपने सामाभजक-
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सांस्कृ भतक और नैभतक दृभष्टकोण से भवश्व को देखते हैं ताकक आसके भवषय में हमारा ज्ञान सुसंगत और
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ऄपेिाकृ त भस्थर हो। आसका ऄथथ ऄभनवायथ रूप से यह नहीं है कक ऄभभवृभियाुँ हमें त्यात्मक रूप से सटीक
ज्ञान संग्रभहत करने में सहायता करती हैं। ऄभपतु आसका ऄथथ के वल आतना है कक भवश्व के प्रभत हमारा
दृभष्टकोण हमारे भवश्वास के साथ सुसंगत हो।
हम ऐसा ज्ञान संग्रभहत करते हैं भजसमें हम ऄभधक रुभच रखते हैं ऄथाथत् ऐसे िेत्रों का ज्ञान भजनके प्रभत हममें
पहले से प्रवृभि होती है। ईदाहरण के भलए, ककसी राजनीभतक पाटगीक और भवचारधारा के समथथक ऄपनी
पूवथधारणाओं का समथथन करने वाली जानकारी का ऄभधक से ऄभधक संग्रहण करेंगे। आभतहास की ओर झुकाव
रखने वाला व्यभि एक ही ऐभतहाभसक घटना के कइ भववरणों का ऄध्ययन करने में रूभच रख सकता है।
लोगों, वस्तुओं, या घटनाओं के प्रभत हम कइ प्रकार के पूवाथग्रहों ग्रभसत होते हैं। तो जब हम ककसी ऄभभवृभि
संबंधी ‘भवषय वस्तु’ का सामना करते हैं तो, हममें ईन भवषय वस्तुओं के प्रभत एक भवभिष्ट प्रकार से ऄपनी
राय बनाने की प्रवृभि होती है, हालांकक आसकी कोइ गारंटी नहीं है कक ऐसी राय ईभचत ही हो।
आस प्रकार की ऄभभवृभियाुँ प्रगभत हेतु ऄनुकूल पररवेि में सही ज्ञान प्रदान करके पररवर्ततत की जा सकती हैं।
ईदाहरण के भलए, यह भवश्वास कक मभहलाएं कु िल वाहन चालक नहीं होती हैं, हममें ईनके प्रभत पूवाथग्रह की
भवभिष्ट भावनाओं को जन्म देता है, जो बदले में ईन्हें वाहन चालन करते हए देखने पर हमारे ‍यवहार को
प्रभाभवत करता है। यह ऄभभवृभि पूवथधाररत भवश्वासों के भवपरीत प्रमाण प्रदान करके और और तकथ िभि
का ऄनुप्रयोग कर पररवर्ततत की जा सकती है।

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1.3.2. ईपयोभगतावादी कायथ (ऄनु कू लनात्मक कायथ )

Utilitarian Function (Adaptive Function)


कु छ ऄभभवृभियाुँ लोगों को भवभिष्ट, आभच्छत लक्ष्य प्राप्त करने या ऄवांछनीय पररभस्थभतयों से बचने में सिम
करती हैं। ईपयोभगतावादी होने का ऄथथ ऄभधकतम व्यभि यों के भलए ईपयोभगता को ऄभधकतम करने और
िभत को न्यूनतम करने का प्रयास है, ऄथाथत् यकद कोइ भनणथय लोगों की ऄभधकतम संख्या के भलए सवोत्तम
पररणाम प्रदान करता है तो वह ऄच्छा है। ऄभभवृभि का ईपयोभगतावादी कायथ ककसी ‍यभि को ककसी
भवषय-वस्तु / वस्तु / ‍यभि के प्रभत पहले से ही आस प्रकार प्रवि कर देता है कक व्यभि ककसी भवषयवस्तु के
प्रभत ईसकी ईपयोभगता के अधार पर ऄभभवृभि का भनमाथण करेगा। यह ऄभभवृभि पुरस्कार को ऄभधकतम
करने एवं दण्ड को न्यूनतम करने के ईपयोभगतावादी लक्ष्य को पूरा करती है। ईदाहरण के भलए, ईपभोि ाओं
की ऄभभवृभि पयाथप्त सीमा तक ईनकी धारणाओं पर अधाररत होती है (और वास्तभवक मूल्यांकन पर नहीं)
कक क्या ईनकी अवश्यकता पूरी करेगा और क्या नहीं। ईनके भवगत ऄनुभव, जो ऄभभवृभि का भनमाथण करने
में सहायता करते हैं, वे यह भनधाथरण करने में सहायता करते हैं कक ईन्हें कौन-सी ईपयोभगता प्राप्त होगी।
ईदाहरण के भलए, भय की ऄभभवृभि भवकभसत की गइ है और आसका ईपयोग जीवन को लंबा करने के भलए
ककया जाता है। लोग ऐसे कायथ करने से डरते हैं भजनमें जीवन कों पयाथप्त जोभखम समाभवष्ट होता है। ऐसी
भवषय वस्तुओं के प्रभत ऄभभवृभियाुँ, ऄचेतन मूल्यांकन और साथ ही आस प्रकार की भवषय वस्तुओं के प्रभत हमें
पहले से ही नकारात्मक रूप से प्रवृि करने वाले ऄनुभवों के कारण भवकभसत होती हैं।
यकद व्यभि को ककसी वस्तु / व्यभि / भवषय वस्तु आत्याकद से संभाभवत रूप से होने वाले नए ईपयोगों या नइ
िभतयों को कदखाया जा सके तो ईपयोभगतावादी ऄभभवृभियाुँ को पररवर्ततत ककया जा सकता है।

1.3.3. ऄहम् रिात्मक (Ego Defensive)

कु छ ऄभभवृभियाुँ लोगों को ऄपने अत्मसम्मान या ऄहम् की रिा करने में सहायता कर सकती हैं। लोग भार
कम करने या ऄपने अप को मनोवैज्ञाभनक िभत से बचाने के भलए कु छ रिात्मक कायथ प्रणाभलयों का ईपयोग
करते हैं। जब हम हतािा या दुभाथग्यिाली होते हैं, तो हम आस पररभस्थभत को ऄस्वीकार करने की मनोदिा
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में होते हैं या िभत को युभि संगत स्वरुप देने का प्रयास कर रहे हो सकते हैं। यह ऄभभवृभि का ऄहम् रिात्मक
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कायथ है। जब कोइ व्यभि यह ऄनुभव करता है कक कोइ भवभिष्ट ऄभभवृभि ईसके स्वरूप को बलात पररवर्ततत
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कर सकती या संकटग्रस्त कर सकती है, तो ईस भस्थभत में यह प्रतीत होता है। ईदाहरण के भलए, वृद् लेककन
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स्वस्थ व्यभि िारीररक सहायता प्राप्त करने से आंकार कर सकता है। आस प्रकार की ऄभभवृभियाुँ व्यभि को
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मनोवैज्ञाभनक संकट से सुरिा करने या अत्म सम्मान को बढ़ाने में सहायता करती हैं। ऐसा करने के भलए
su

मनोवैज्ञाभनक िभतयों वाली घटनाओं या सूचना को कम िभत कारक या संकट कारक तरीकों से नइ भूभमका
प्रदान कर दी जाती है। यह ऄभनवायथ रूप से भवश्व की व्याख्या करने के तरीके में कु छ ऄंिों में पूवाथग्रह या
भवरूपण को समाभवष्ट कर सकता है, लेककन लोग ऄपने या भवश्व के एक भवभिष्ट (अमतौर पर ऄनुकूल)
दृभष्टकोण को बनाए रखने के भलए सहजता पूवथक यह करेंगे।
यह नकारात्मक पररणामों के भलए बाहरी कारकों और सकारात्मक पररणामों के भलए अंतररक कारकों को
श्रेय देकर ककया जाता है।
ककसी परीिा में ऄहथता प्राप्त करने में भवफल रहने का ईदाहरण लें। ऄपने प्रयास की ओर नकारात्मक
ऄभभवृभियाुँ दिाथने के स्थान पर, हम परीिा में ईिीणथ न हो पाने के भलए परीिा के ऄसाधारण करठन
मानक या मूल्यांकन मापदंड को नकारात्मक रूप से भजम्मेदार ठहराते हैं ।
चूंकक, यह ऄभभवृभि अत्म-सम्मान की रिा करती है आसभलए आस ऄभभवृभि को पररवर्ततत करना सवाथभधक
करठन है। लेककन, यकद ऄभभवृभि धारक को आस बात के भलए सहमत कर भलया जाए कक प्रस्ताभवत
ऄभभवृभिगत पररवतथन ऄभधक ईभचत रूप से अत्मसम्मान की रिा करेगा तो आस ऄभभवृभि को पररवर्ततत
ककया जा सकता है।

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1.3.4. मान्यता सू च क (ऄहं सू च क)

Value Expressive (Ego Expressive)


ऄहम् रिात्मक ऄभभवृभियाुँ व्यभि की अत्म छभव की रिा के भलए भवकभसत की जाती हैं, जबकक मान्यता
सूचक ऄभभवृभियाुँ व्यभि को कें द्रीय रूप से धाररत मूल्यों की ऄभभव्यभि करने मे सिम करती हैं। यह
ऄभभवृभि, फलस्वरूप, 'वे जो हैं ईसका भाग’ है और ईस ऄभभवृभि की ऄभभव्यभि ईस व्यभि के भवषय में
दूसरों को महत्वपूणथ बातें संचाररत करती है। कें द्रीय मूल्यों में हमारी पहचान स्थाभपत करने एवं आस प्रकार
हमें सामाभजक स्वीकृ भत प्राप्त कराने की प्रवृभि होती है, भजससे वे हमें यह कदखाते है कक हमारा स्वरूप क्या
है और हम ककस पि का समथथन करते हैं।
ईदाहरण के भलए, ऄपने मूल्यों को कोइ मूतथ और सरलतापूवकथ व्यि करने योग्य रूप प्रदान करने के प्रयास
में ईपभोि ा कु छ ऄभभवृभियाुँ ऄपनाते हैं। आस प्रकार, एक रूकढ़वादी व्यभि भड़कीले कपड़ों की ओर प्रभतकू ल
ऄभभवृभि भवकभसत कर सकता है और ईसके स्थान पर गहरे और सौम्य रंग वाले पररधानों की ओर अकर्तषत
हो सकता है।
ईदाहरण के रूप में, भवरोधाभासी रूप से, ऄपने अप को ईदार और सभहष्णु ‍यभि के रूप में देखने वाले
ककसी ‍यभि की नस्लीय पिपात की ऄभभवृभि को प्रभाभवत करने के भलए "ऄहंकार रिात्मक प्रकायथ" का
ईपयोग ककया जा सकता है। ईस व्यभि की ईदार और सभहष्णु ‍यभि के रूप में अत्म-छभव को अकर्तषत
करके , ईसकी पूवाथग्रहग्रभसत ऄभभवृभियों को ईसकी अत्म ऄवधारणा के प्रभत ऄभधक सुसंगत होने के भलए
पररवर्ततत करना संभव हो सकता है। आसी प्रकार, अत्म-छभव को ठे स पहुँचाने वाले प्रेरक संदि
े तक को भी
ऄस्वीकृ त ककए जाने की बहत ऄभधक संभावना हो सकती है।
ईदाहरण के साथ कायों का स्पष्टीकरण (Explanation of functions with an example)
देिभभि का गुण ऄन्य लोगों की तुलना में कु छ लोगों में ऄभधक ऄभभ‍यक्त होता है। लोग भनश्चय ही ऄपनी
मातृभूभम का मूल्यांकन ऄनुकूल रूप से करते हैं, कु छ ऄन्य लोगों की तुलना में और-ऄभधक करते हैं। मान
लीभजए कक एक समान मत वाले भमत्रों का एक ऐसा समूह एक चचाथ करता है भजसमें कोइ कहता है कक,
“भनःसंदह
े भारत जैसा ऄच्छा कोइ दूसरा देि नहीं है। ऄन्य स्थान ऄपने तरीके से ठीक हैं लेककन वे हमारी
मातृभूभम की तुलना नहीं कर सकते”।
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ईपयोभगतावादी कायथ: प्रत्येक ‍यभि ऄनुमोदन करते हए भसर भहलाता है। सभी लोग अपके आस दृभष्टकोण से
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बेहतर ऄनुभव करते हैं।


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मान्यता सूचक कायथ : समूह में लोग भारतीय किके ट टीम की जसगीक पहने हए हैं।
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ज्ञान संबध
ं ी कायथ: कोइ ‍यभि ईस समृद् आभतहास और संस्कृ भत के भवषय में चचाथ करता है जो भवभिष्ट
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बनाते हैं, कोइ ऄन्य ‍यभि भवश्व में भारत की बढ़ती महिा के भवषय में चचाथ करता है। यह ज्ञान जुटाने में
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सहायता करता है। क्योंकक यह ज्ञान हमारी ऄभभवृभि के प्रभत भली भाुँभत ऄनुकूल बैठता है आसभलए हम आसे
सहषथ स्वीकार कर लेते हैं।
ऄहंकार रिात्मक कायथ: कोइ ‍यभि मभहलाओं के भवरुद् बढ़ते ऄपराधों के भलए समाज के पभिमीकरण को
दोषी ठहराता है। कोइ ऄन्य आसके भलए पड़ोसी देिों से अने वाले अप्रवाभसयों को दोषी ठहराता है। ऄपने
ऄभतररक्त, हममे ऄन्य सभी पर दोषारोपण करने और ऄपने अत्म –सम्मान को ऄिुण्ण बनाए रखने की
प्रवृभि होती है।

1.4. ऄभभवृ भि के प्रकार (Types of Attitude)

जब हम ऄभभवृभि की बात करते हैं, तो यह व्यापक रूप से दो प्रकार की होती है - की ऄभभवृभि (attitude
of) और के प्रभत ऄभभवृभि (attitude towards)। ‘की ऄभभवृभि’ प्रश्नगत भवषय की ऄभभवृभि होती है, जैसे
व्यभि की ऄभभवृभि, समाज की ऄभभवृभि, संस्था की ऄभभवृभि, संगठन की ऄभभवृभि आत्याकद। ‘के प्रभत
ऄभभवृभि’ ककसी कताथ की ककसी कमथ के प्रभत ऄभभवृभि - एक व्यभि के प्रभत ऄभभवृभि, वस्तु के प्रभत

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ऄभभवृभि, संस्था के प्रभत ऄभभवृभि, पयाथवरण के प्रभत ऄभभवृभि आत्याकद। ऄतः आस तरह की ऄभभवृभि के कइ
संयोजन हो सकते हैं। ईदाहरण के भलए:
 एक संस्था के रूप में भसभवल सेवा में लोकतांभत्रक या नौकरिाही की ऄभभवृभि हो सकती है। लक्ष्यों पर
ध्यान कें कद्रत करके और नागररकों को िासन प्रकिया में भहतधारकों के रूप में प्रस्तुत करना लोकतांभत्रक
ऄभभवृभि की भविेषता है। लक्ष्यों की बजाय भनयमों और प्रकियाओं पर ध्यान कें कद्रत करना नौकरिाही
संबंधी ऄभभवृभि की भविेषता है (क्योंकक भवस्तृत और एकाभधक भनयम लक्ष्यों की ईपलभब्ध को ऄसंभव
नहीं तो करठन तो ऄवश्य बनाते हैं)। साथ ही, यह संस्था के भनयमों और पदानुिम के कठोर ऄनुपालन
पर अधाररत है। आस प्रकार, यह नागररकों को भहतधारकों के रूप में मानने की बजाय सरकारी सेवाओं
के प्राप्तकताथ के रूप में मानता है।
 पररवेि के प्रभत ऄभभवृभि लोगों, सरकार, संस्थानों, व्यवसायों अकद के पररवेि के प्रभत ऄभभवृभि है।
 कॉपोरेट ऄभभवृभि ककसी देि में व्यवसायों की सामान्य ऄभभवृभि है। आसकी भविेषता ककसी कं पनी की
मूल्य प्रणाली है। वे ग्राहकों या खरीदारों के प्रभत एक ऄनुकूल ऄभभवृभि और पयाथवरण के प्रभत एक
संरिण ऄभभवृभि रख सकते हैं।
 राजनीभतक ऄभभवृभि - नीचे देखें।
जैसा कक देखा जा सकता है, ऄभभवृभि स्वयं में व्यापक रूप से तीन प्रकार की होती है: सकारात्मक
(Positive), नकारात्मक (Negative) और तटस्थ (Neutral)। आनका भवस्तृत भववरण नीचे कदया गया है।

1.4.1. सकारात्मक ऄभभवृ भि (Positive Attitude)

यह ककसी व्यभि की अिावादी दिा को संदर्तभत करता है। कइ ऄध्ययनों के ऄनुसार, आस प्रकार की
ऄभभवृभि वाले लोग जीवन में प्रसन्न रहते हैं और ईन लोगों की तुलना में ऄभधक सफल होते हैं भजनके ऄन्दर
यह प्रवृभि नहीं हैं। एक सकारात्मक ऄभभवृभि अपको जीवन के दैभनक मामलों का सरलता से सामना करने
में मदद करती है।
सकारात्मक ऄभभवृभि भनम्नभलभखत तरीकों से प्रकट होती है:
 सकारात्मक और रचनात्मक सोच।
 कदमाग की यह दिा रचनात्मक सोच के भलए ऄनुकूल है - यह जोभखम का अकलन करने को प्रोत्साभहत
करती है, यह नवाचार के भलए अवश्यक है।
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 चीजों को करने और लक्ष्यों को पूरा करने के भलए प्रेरणा और उजाथ प्रदान करती है।
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 खुि होने की एक ऄभभवृभि।


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कदमाग की एक सकारात्मक दिा अपको कइ तरीकों से मदद कर सकती है, जैसे कक:
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 सफलता की अिा जगाकर और प्रेरणा प्रदान कर।


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 यह बाधाओं का सामना करने की दृढ़ता प्रदान करती है न कक ईससे भागने की- यह दृढ़ता (fortitude)
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की एक प्रमुख भविेषता है।


 भवफलता और समस्याओं को छु पे हए वरदान के रूप में देखना।
 ऄपने अप में और ककसी की िमताओं में भवश्वास करना और अत्म-सम्मान और अत्मभवश्वास प्रकट
करने में सिम बनाती है।
 के वल समस्याओं के बारे में बात करने के बजाय, समाधान की तलाि।
 ऄवसरों को देखना और पहचानना।
आस प्रकार, सकारात्मक ऄभभवृभि खुिी और सफलता को प्रेररत करती है। सकारात्मक ऄभभवृभि वाले लोगों
की सबसे महत्वपूणथ भविेषता यह होती है कक ईनको ऄपनी िमताओं पर भवश्वास होता है। ये लोग अम तौर
पर भनष्कपट, दृढ़ और खुि होते हैं, जो जीवन के ईज्ज्वल पि को देखते हैं। यह न के वल भजस तरह से वह
व्यभि और दुभनया को देखता है ईनको सकारात्मक रूप से प्रभाभवत करता है, बभल्क यह ईनके पररवेि और
असपास के लोगों को भी प्रभाभवत करता है। आस तरह की ऄभभवृभि एक भसभवल सेवक के भलए ऄभधक
महत्वपूणथ है, क्योंकक ईनके पास करठन पररभस्थभतयों में कायथ करते हैं जहां प्रयास सदैव सफलता में पररणत
नहीं होते हैं।

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1.4.2. नकारात्मक ऄभभवृ भि (Negative Attitude)

यह सकारात्मक ऄभभवृभि के लगभग भवपरीत है, क्योंकक यह भनरािावाद ईत्पन्न करता है। आस प्रकार की
ऄभभवृभि पीड़नोन्मादी व्यवहार का ईत्पन्न करता है जहां हर जगह हम नकारात्मकता ही देखते हैं। आ सको
रोका जाना चाभहए।
नकारात्मक ऄभभवृभि भनम्नभलभखत तरीकों से प्रकट होती है:
 नकारात्मक और भवनािकारी सोच तथा रचनात्मक सोच में बाधा ईत्पन्न करती है।
 यह चीजों को करने, जोभखम ईठाने और लक्ष्यों को पूरा करने के भलए प्रेरणा और उजाथ को समाप्त
करती है।
 आस ऄभभवृभि को धाररत करने वाला व्यभि दुखी और ऄप्रसन्न रहता है।
कदमाग की नकारात्मक दिा कइ तरीकों से हाभनकारक है, जैसे कक:

 हमेिा भवफलता की ईम्मीद करना। पररणामतः, व्यभि ककसी लक्ष्य को प्राप्त करने के भलए ऄपना पूणथ
प्रयास नहीं करता है।
 ऄभभवृभि धारक के भलए दुष्प्रेरणादायक।
 यह व्यभि को बाधाओं का सामना करने के बजाय दृढ़ता से ईसे छोड़ने के भलए प्रेररत करता है।
 यह अत्म अलोचना और पीड़नोन्माद पैदा करता है।
 यह अत्म-सम्मान और अत्मभवश्वास को कम करता है।
 आस वजह से आस ऄभभवृभि को धारण करने वाला के वल समस्या पर कें कद्रत रहता है न कक ईसके
समाधान की तलाि करता है।
 चूंकक यह भनरािावाद ईत्पन्न करता है आसभलए यह ऄवसरों को लगभग समाप्त कर देता है।
आस प्रकार, नकारात्मक ऄभभवृभि भनरािावाद और भवफलता की ओर ले जाती है, जो ककसी के जीवन पर
प्रभतकू ल प्रभाव डाल सकता है। यह ककसी व्यभि के सम्पूणथ पररवेि और घर या कायथस्थल पर ईसके संबध
ं ों
को प्रभाभवत करता है। नकारात्मक ऄभभवृभि वाले व्यभि की सामन्य भविेषता िोध, संदह
े और भनरािा है।
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आस तरह की ऄभभवृभि एक भसभवल सेवक के भलए ऄभधक हाभनकारक है, क्योंकक वे भवभभन्न तरह के
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खींचतान और दबावों के साथ करठन वातावरण में काम करते हैं।


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1.4.3. तटस्थ ऄभभवृ भि (Neutral Attitude)


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यहां तटस्थ का ऄथथ ऄपिपात (impartial)l या भनष्पि (unbiased) नहीं है। आसका ऄथथ सामान्य रूप से
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ऄसंलग्न है। ककसी का ककसी के प्रभत एक तटस्थ ऄभभवृभि हो सकती है ऄथाथत जो आसे सकारात्मक या
नकारात्मक दोनों तरह से पयाथप्त महत्व न दे। सामान्य रूप से तटस्थ ऄभभवृभि होने का ऄथथ है एक ऐसा
व्यभि त्व भजसकी भविेषता ईदासीन या भावहीन होना है। हालांकक, कोइ हमेिा ऄनजान या ईदासीन नहीं

हो सकता है; भनणथय नहीं लेने को ऄभनभित काल तक जारी नहीं रखा जा सकता है। एक तटस्थ ऄभभवृभि की
कु छ ऄभभव्यभि यां भनम्नभलभखत हैं:
 ईपेिा (Ignorance): ककसी के पास राजनीभतक मुद्दों के प्रभत तटस्थ ऄभभवृभि हो सकती है। जो भी

सामान्य सामाभजक या राजनीभतक समस्या हो, वे संतुष्ट होते हैं कक ईनके पास आसका समाधान नहीं है।

 ईदासीनता (Indifference)

 पृथकता (Detachment)

 भावहीनता (Unemotional)

 संतुभलत (एक सकारात्मक भविेषता) Balanced (a positive trait)

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2. ऄभभवृभि के कु छ ऄन्य भवभिष्ट प्रकार


(Some Other Specific Types of Attitudes)

2.1. कमजोर वगों के प्रभत ऄभभवृ भि (Attitude Towards Weaker Sections)

ककसी व्यभि का वास्तभवक चररत्र ऐसे लोगों के प्रभत ईसके व्यवहार में स्पष्ट होता है जो न तो प्रभतिोध लेने
की भस्थभत में होते हैं और न ही कोइ प्रभतफल देने की। गरीबी, वंचन, भेदभाव और ऐसी भस्थभतयों को कायम
रखने वाले ऄन्य कारकों के प्रभत हमारी ऄभभवृभतयों से हमारा सुभवधाहीन, गरीब या हाभिए वाले लोगों के
प्रभत व्यवहार भनधाथररत होता है। आस तरह के कारकों के प्रभत सकारात्मक दृभष्टकोण, स्वाभाभवक रूप से,
व्यभि की सहानुभूभत और देखभालपरक प्रकृ भत को प्रदर्तित करता है। यह कमजोर और हाभिए वाले वगों के
प्रभत संवेदना का प्रतीक है। यह दृभष्टकोण लोक सेवकों के भलए ऄत्यंत वांछनीय है क्योंकक हाभिए पर रह रहे
लोगों का समावेिन या बभहष्कार करने की िभि ईनके पास होती है।
सवोदय
‘सवोदय’ िब्द का ऄथथ है: 'सावथभौभमक ईन्नभत' या 'सबकी प्रगभत'। यह िब्द पहली बार राजनीभतक
ऄथथव्यवस्था पर जॉन रभस्कन के भनबंध, "ऄनटू कदस लास्ट" के मोहनदास गांधी द्वारा 1908 में ककये गए
ऄनुवाद के िीषथक के रूप में ऄपनाया गया, और बाद में गांधी जी ने ऄपने राजनीभतक दिथन के अदिथ के
भलए आस िब्द का ईपयोग ककया। बाद में भारतीय ऄचहसावादी कायथकताथ भवनोबा भावे जैसे गांधीवादी ने
स्वातंत्र्योिर भारत के सामाभजक अंदोलन के नाम के रूप में आस िब्द का प्रयोग ककया। भारतीय समाज के
सभी स्तरों तक अत्मभनभथरता और समानता की पहुँच सुभनभित करना आस सामाभजक अंदोलन का लक्ष्य
था।
गांधी जी ने सवोदय की ऄवधारणा को प्रस्तुत ककया, जो तीन बुभनयादी भसद्ांतों पर अधाररत था:
 ककसी व्यभि का भहत सावथजभनक भहत में भनभहत है।
 ककसी ऄभधवि ा के कायथ का वही मूल्य होता है जो ककसी नाइ के कायथ का होता है क्योंकक सबको
ऄपने कायथ से ऄपनी अजीभवका का ऄजथन करने का ऄभधकार होता है।
 एक श्रभमक का जीवन ऄथाथत ककसी कृ षक का जीवन और ककसी भिल्पकार का जीवन ही वास्तव
में जीने योग्य जीवन है।
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सवोदय के भसद्ांत
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 आसमें कोइ कें द्रीकृ त प्राभधकरण नहीं होगा, और गांवों में राजनीभतक और अर्तथक पररवेि होगा।
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 राजनीभत सिा का साधन नहीं होगी बभल्क सेवा का साधन होगी और राजनीभत लोकनीभत के
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भलए जगह बनाएगी।


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 सभी लोग प्यार, बंधुता, सत्य, ऄचहसा और अत्म-त्याग की भावना से भरे होंगे। समाज ऄचहसा
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की बुभनयाद पर कायथ करेगा।


 बहमत का िासन और दलीय व्यवस्था नहीं होगी और समाज बहमत की भनरंकुिता जैसी बुराइ
से मुि होगा।
 सवोदय समाज आस िब्द के वास्तभवक ऄथथ में समाजवादी है। सभी ईद्यमों के एक ही नैभतक,
सामाभजक और अर्तथक मूल्य होंगे। व्यभि के व्यभि त्व के भवकास का पूणथ ऄवसर ईपलब्ध रहेगा।
 सवोदय समाज समानता और स्वतंत्रता पर अधाररत है। आसमें ऄनैभतक प्रभतस्पधाथ , िोषण और
वगथ-भवद्वेष के भलए कोइ जगह नहीं है।
 सवोदय का तात्पयथ सभी की ईन्नभत है। सभी व्यभि यों को व्यभि गत श्रम करना चाभहए और
ऄपररग्रह के अदिथ का पालन करना चाभहए। तभी ‘प्रत्येक से ईसके काम के ऄनुसार और प्रत्येक
को ईसकी अवश्यकताओं के ऄनुसार’ का लक्ष्य प्राप्त करना संभव हो सके गा।
 िोषण का साधन और सामाभजक भेदभाव और घृणा का स्रोत- भनजी संपभि नहीं होगी। आसी
प्रकार, लाभ का ईद्देश्य समाप्त हो जाएगा, मालगुजारी और ब्याज भी समाप्त हो जाएगा।
 सवोदय अंदोलन सत्य, ऄचहसा और अत्म-त्याग पर अधाररत है।
 सवोदय अंदोलन सभी लोगों के कल्याण में ऄभवश्वसनीय भवश्वास वाले व्यभि यों को एक साथ

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लाने हेतु अवश्यक वातावरण को बनाने के भलए एक इमानदार और साहसी प्रयास करता है।
 व्यभि गत लाभ कम होगा। प्रत्येक गुण का भवकास एक-दूसरे पर भनभथर करता है। यकद सभी गुणों
में थोड़ा सुधार हअ है, तो व्यभि ऄभधक लाभ प्राप्त करेगा

एक लोक सेवक कानूनों को लागू करने और नीभतयों, भनयमों और भवभनयमों को आस तरह से लागू करने के
भलए बाध्य है जो न के वल 'न्यायसंगत और भनष्पि' हो बभल्क पारदिगीक भी हो और आसे लागू करते समय
भयरभहत और भनष्पि रहना चाभहए। यह 'कानून के िासन' की सच्ची भावना में ककया जाना चाभहए भजस
पर लोकतांभत्रक राजनीभत का अधार है। ईन्हें संभवधान में भनभहत नागररकों के मौभलक ऄभधकारों से ऄवगत
होना चाभहए और 'ऄंत्योदय के माध्यम से सवोदय' की सच्ची भावना में कमजोर और भनचले स्तर के लोगों के
भवकास को बढ़ावा देने के भलए सहानुभूभत की सकिय ऄभभवृभि को भवकभसत करना चाभहए।
सभहष्णुता और करुणा ककसी लोक सेवक को न के वल बुभद् बभल्क भावना के साथ भी नेतृत्व करने में सिम
बनाती है। वे ककसी के चररत्र और सकारात्मक संबंधों के मौभलक घटक हैं जो कमजोर वगों की अवश्यकताओं
को पूरा करने के भलए अवश्यक हैं (जो सावथजभनक सेवाओं पर सबसे ऄभधक भनभथर हैं)। ईदाहरण के भलए,
यकद एक कलेक्टरेट में कदव्यांग लोगों के भलए भिकायत भनवारण बैठक अयोभजत की जानी है, तो एक

ऄभधकारी भजसके पास सहानुभूभत ऄभभवृभि है, यह सुभनभित करेगा कक पहंच के भलए रैंप / भलफ्ट अकद
जैसी ईभचत व्यवस्था की जाए, ऄन्यथा, ऐसी बैठक करने का कोइ ईद्देश्य पूणथ नहीं होगा। आस कमजोर और
हाभिए वाले वगों के प्रभत सकारात्मक दृभष्टकोण के माध्यम से भवकभसत होने वाली आस जरूरी समझ की
कमी ऄिम और ऄपवजथनात्मक सावथजभनक प्रिासन और सेवा भवतरण को जन्म देती है, जो ऄंततः
ऄराजकता और पतन का कारण बन सकती है।

2.2. नै भतक ऄभभवृ भि (Moral Attitude)

जैसा कक पहले पररभाभषत ककया गया है, ऄभभवृभि, ऄनुकूल या प्रभतकू ल रूप से व्यवहार करने के भलए
स्थायी पूवाथग्रह है। हालांकक, प्रत्येक ऄभभवृभि नैभतकता से जुड़े प्रश्नों या पररभस्थभतयों से संबंभधत नहीं है।
ईदाहरण के भलए सेब या संतरे के प्रभत ककसी व्यभि की पसंद या नापसंद में नैभतकता का कोइ प्रश्न नहीं है।
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लेककन ककसी व्यभि का िाकाहारी या मांसाहारी होना ईसके भलए नैभतक भवचार हो सकता है। आसी तरह,
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कोइ व्यभि आलेक्रॉभनक माध्यम की ऄपेिा नकद में लेनदेन करने के प्रभत ऄनुकूल ऄभभवृभि रख सकता है।
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आसके बारे में नैभतक या ऄनैभतक कु छ भी नहीं है। हालांकक, यकद नकद लेनदेन की ईसकी आच्छा सरकार से
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ऄपनी अय भछपाने के ईद्देश्य से प्रेररत है तब यह नैभतकता का प्रश्न हो सकता है। आसी प्रकार, लोकतंत्र के
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प्रभत ऄभभवृभि या कमजोर वगों के प्रभत ऄभभवृभि की प्रच्छन्न भावना नैभतक होगी।
आस प्रकार नैभतक ऄभभवृभि को ऐसे रूप में पररभाभषत ककया जा सकता है जो "सही" और "गलत" क्या है, के
नैभतक दृढ़ भवश्वासों पर अधाररत है। यह नैभतकता के बारे में ककसी के भवचार, नैभतक त्रुरटयों (ईसके द्वारा
की गयी या ककसी ऄन्य के द्वारा की गयी) के बारे में ईसकी ऄभभवृभि और नैभतक मुद्दों के समि ईसके
व्यवहार को प्रदर्तित करता है। पररवार, समाज, धमथ और भििा ईन नैभतक धारणाओं को तैयार करने में
महत्वपूणथ भूभमका भनभाते हैं।
नैभतक ऄभभवृभि कै से अकार लेती है? ऄभभवृभि के भनधाथरक समान हैं- संज्ञानात्मक, भावनात्मक
(प्रभाविाली) और व्यवहाररक:
 संज्ञानात्मक (Cognitive): नैभतक भनयमों का ज्ञान एवं ऄच्छे और बुरे की पहचान।
 व्यवहार (Behavioural): व्यभि का वास्तभवक व्यवहार, नैभतक महत्व की पररभस्थभतयों के प्रभत
ईसकी प्रभतकिया।
 भावनात्मक (Emotional): आसमें नैभतक और नैभतक भनणथयों की अवश्यकता वाली पररभस्थभतयों की
प्रभतकिया में व्यभि की भावनाएुँ और अचरण िाभमल होते हैं।

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भजस प्रकार, नैभतक ऄभभवृभियाुँ समय और स्थान के साथ पररवर्ततत होती रहती हैं। ईसी प्रकार, वे चलग
सापेि भी हो सकती हैं। ईदाहरण के भलए, ररश्वत के प्रभत मभहलाओं की तुलना में पुरुषों में कम नकारात्मक
दृभष्टकोण हो सकता है। आसी तरह, मभहलाओं में ऄपनी पसंद के कपड़े पहनने की अजादी के प्रभत ऄभधक
ईन्मुि ऄभभवृभि हो सकती है।
* कृ पया ध्यान दें: 'नैभतक ऄभभवृभि' िब्द की एक और व्याख्या वह है जहां हम 'नैभतक' िब्द के साथ मूल्य
को जोड़ते हैं। यहां 'नैभतक ऄभभवृभि' का ऄथथ ककसी व्यभि की ऐसी ऄभभवृभि है भजसे नैभतक या ऄच्छा या
स्वीकायथ माना जाता है। चूंकक नैभतकता व्यभि परक होती है, आसभलए ककसी व्यभि में कु छ ऄंतर्तनभहत गुण
होते हैं जो यह भनधाथररत करते हैं कक वह नैभतक है या नहीं। नैभतक ऄभभवृभि से संबंभधत सामान्यतः ऐसे चार
गुण हैं:
1. सम्मान (Reverence): आसका तात्पयथ ऄत्यभधक अदर है। ककसी दूसरे व्यभि का सम्मान करना, ईसके
भवचारों और व्यवहार का सम्मान करना नैभतक व्यभि की पहचान मानी जाती है।
2. भनष्ठा (Faithfulness): आसका ऄथथ है वफादार बने रहना और ककसी व्यभि द्वारा ककसी व्यभि में ककये
गए भवश्वास को रखना।
3. सत्यता या सत्यभनष्ठा (Veracity or truthfulness): सच्चा और इमानदार होना नैभतक होने के साथ
जुड़ा एक और गुण है।
4. दयालुता (Goodness): यह ईदारता, प्रेम, देखभाल, सहानुभूभत आत्याकद जैसे गुणों वाले व्यभि का
व्यापक रूप से समावेिी चररत्र है।
नैभतक ऄभभवृभि का महत्व या प्रभाव
मनुष्यों के भीतर सही होने और पसंद ककये जाने की अकांिा होती है। आस प्रकार, नैभतक मुद्दों के प्रभत
ऄभभवृभियाुँ मजबूत होती हैं और दृढ़ता से व्यि की जाती हैं। ईदाहरण के भलए, ककसी व्यभि के ऄंदर
बेइमानी या झूठ बोलने के प्रभत आतनी ऄभधक नकारात्मक ऄभभव्यभि हो सकती है कक वह सत्यभनष्ठा के भलए
व्यभि गत संबंधों को भी खतरे में डाल सकता है।
नैभतक ऄभभवृभि सुभवधाजनक और भनषेधात्मक दोनों हो सकती है। वे ककसी जरूरतमंद की मदद करने
(altruism), सामाभजक सेवा आत्याकद जैसे कायों के भलए सुभवधाजनक होती हैं। आसके ऄलावा, ऄनैभतक
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मानी जाने वाली कियाओं जैसे व्यभभचार, स्टॉककग, धोखाधड़ी आत्याकद के भलए भनषेधात्मक होती हैं। चूंकक
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ऄभभवृभि ककसी व्यभि के व्यवहार से भनकटता से सम्बंभधत होती है, आसभलए नैभतक ऄभभवृभियाुँ नैभतक
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व्यवहार को सहज बनाने में सहायता करती हैं क्योंकक वे नैभतक रूप से सही भनणथयों पर पहंचने में मदद
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करती हैं।
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2.3. राजनीभतक ऄभभवृ भि (Political Attitude)

राजनीभतक ऄभभवृभि ककसी राजनीभतक मुद्दे के प्रभत प्रवृभि या पसंद/नापसंद है। ककसी मुद्दे को राजनीभतक
मुद्दे के रूप में पररभाभषत करने के भवभभन्न तरीके हो सकते हैं।
1. सरल ऄथों में, राजनीभतक ऄभभवृभि राजनीभतक व्यवस्था, पार्टटयों या ईनकी भवचारधारा के प्रभत
लोगों की ऄभभवृभि को संदर्तभत करती है। कोइ व्यभि रूकढ़वादी, ईदारवादी, कें द्रवादी या ककसी ऄन्य
के रूप में स्वयं की पहचान कर सकता है। आसी तरह, कोइ राजनीभतक दल भी आनमें से ककसी के रूप में
ऄपनी पहचान व्यि कर सकता है। हालांकक, ये ऄभभवृभियाुँ भवश्लेषण करने के भलए बहत ऄस्पष्ट हैं।
राष्ट्रपभत प्रणाली या संसदीय प्रणाली या ऄभधनायकत्व प्रणाली सकारात्मक या नकारात्मक ऄभभवृभि
रखने के रूप में वगगीककृ त करने हेतु बहत व्यापक हैं और आसीभलए ये ऄस्पष्ट हैं।
2. व्यापक ऄथों में, राजनीभतक ऄभभवृभि का ऄथथ सावथजभनक जीवन के भवभिष्ट मुद्दों के प्रभत व्याप्त
ऄभभवृभि से है। ऄथथव्यवस्था, रोजगार, मभहलाओं, ऄसमानता, जाभत व्यवस्था, मतदान प्रणाली
आत्याकद जैसे भवभिष्ट मुद्दों के प्रभत सापेभिक ऄभभवृभियाुँ रखना आन्हें एक व्यापक श्रेणी में संयोभजत
करने की तुलना में ज्यादा बेहतर है। ईदाहरण के भलए, ककसी तथाकभथत रूकढ़वादी पाटगीक के साथ जुड़ा

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हअ कोइ व्यभि ऄलग-ऄलग भवचारधारा के लोगों के प्रभत सभहष्णु ऄभभवृभि रख सकता है। वास्तव में,
भविेष रूप से भारत के राजनीभतक दलों को पभिमी अधार पर वामपंथी या दभिणपंथी खांचे में
भवभाभजत नहीं ककया जा सकता है। भारत में कोइ भी राजनीभतक दल स्वयं को स्पष्ट रूप से ककसान
भवरोधी या श्रभमक भवरोधी नहीं घोभषत कर सकता है। आसभलए, व्यापक श्रेभणयों के बजाय भवभिष्ट मुद्दों
के संबंध में राजनीभतक ऄभभवृभियों का ऄध्ययन करना बेहतर है।
यह राजनीभतक ऄभभवृभियाुँ हैं जो यह भनधाथररत करती हैं कक लोग राजनीभतक प्रकिया में कै से भाग लेते हैं,
वे ककन्हें वोट देते हैं, और वे ककन राजनीभतक दलों का समथथन करते हैं। पररवार, धमथ, जाभत, नस्ल, और िेत्र
सभहत कइ कारक हैं जो सभम्मभलत रूप से राजनीभतक ऄभभवृभियों और व्यवहार में योगदान देते हैं।
यह तकथ कदया जाता है कक राजनीभतक भनणथय का भवकास नैभतक भवकास के एक भहस्से का प्रभतभनभधत्व करता
है और राजनीभतक और नैभतक भििा काफी हद तक समान है, खासकर तब जब आसे व्यापक पररप्रेक्ष्य में
देखा जाता है। आस पररप्रेक्ष्य से, राजनीभतक संस्कृ भत समाज में मूल्य प्रणाली भनधाथररत करती है। जबकक,
संकीणथ ऄथों में, राजनीभतक संस्कृ भत एक व्यभि परक मनोवैज्ञाभनक घटना है जो व्यभि यों और राजनीभतक
व्यवस्था के बीच पारस्पररक प्रकिया में प्रकट होती है।

2.4. राजनीभतक ऄभभवृ भि और समाजीकरण के एजें ट

(Political Attitude and Agents of Socialization)


समाजीकरण करने वाले भवभिष्ट समूहों को समाजीकरण के एजेंट कहा जाता है। हमारा समाज समाजीकरण
के चार प्रमुख एजेंटों पर भनभथर करता है: पररवार, मीभडया, स्कू ल और कु लीनजन। समाजीकरण के एजेंट
समाज का प्रभतभनभधत्व करते हैं और आसकी तरफ से कायथ करते हैं। यद्यभप समाजीकरण आन एजेंटों के बगैर
भी हो सकता है, परन्तु समाज ज्यादातर समाजीकरण के भलए आन्हीं पर अभश्रत होता है। सवथसिावादी
िासन ऄपने राजनीभतक एजेंडे को बढ़ावा देने के भलए समाजीकरण के अभधकाररक एजेंटों को स्थाभपत
करने का प्रयास कर सकते हैं। आस प्रकार, समाजीकरण के एजेंट चाहे लोकतांभत्रक, सवथसिावादी, या ऄन्य
ककसी भी राजनीभतक और अर्तथक व्यवस्थाओं में कायथ करें, प्रत्येक एजेंट व्यभि के व्यभि त्व को प्रभाभवत
करता है।
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ऄरस्तु का राज्य संबध


ं ी भवचार: "एक राजनीभतक समाज का ऄभस्तत्व ईत्कृ ष्ट कायथ के भलए होता है"।
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यह सवोच्च स्तर का समुदाय है और आसका लक्ष्य महानतम है। यह एक ऐसी संरचना है जो पररवार संस्था
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और ग्राम्य समुदाय से भवकभसत हइ है। ऄरस्तु के ऄनुसार, भजसने राज्य की स्थापना की वह सबसे महान
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भहतकारी था क्योंकक कानून के भबना मनुष्य जानवरों से भी भनकृ ष्ट है। राज्य का ईद्देश्य ऄच्छा जीवन है।
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नैभतकता और राजनीभत के बीच संबंध राज्य के पारस्पररक रूप से सहायक ढांचे के भीतर बना।
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ऄरस्तु के ऄनुसार, कोइ राजनीभतक समाज या राज्य के वल व्यभि यों का समूह नहीं है; बभल्क यह बड़े
पैमाने पर अत्मभनभथर समुदाय है जो जीवन की जरूरी अवश्यकताओं के कारण ईत्पन्न हअ और ऄच्छे
जीवन के भलए भनरंतर बना हअ है, ये अवश्यकताएुँ और ऄच्छा जीवन आसके सारे सदस्यों के भलए एक
समान हैं। जहां तक राज्य का सम्बन्ध है यह पररवार के समान ही अवश्यकताओं की पूतगीक करने और
ऄच्छा जीवन प्राप्त करने के ईद्देश्य से सामान्य सामाभजक संबंधों का ईभचत भवस्तार है। राज्य एक प्राकृ भतक
आकाइ है न कक कृ भत्रम; और जहाुँ तक मनुष्य की बात है एक ऄके ला मनुष्य स्वयं में पूणथ रूप से अत्मभनभथर
नहीं हो सकता है, मनुष्य स्वभाव से ही एक राजनीभतक पिु है।
ऄच्छा जीवन या ख़ुिी या सद्गुण युि जीवन प्राप्त करने के भलए मनुष्य को राज्य के समथथन की
अवश्यकता होती है। आसभलए, ऄरस्तु के ऄनुसार मनुष्य और राज्य के मध्य कोइ ऄपररहायथ प्रभतरोध नहीं
है। प्रभतरोध के वल तब ईत्पन्न होता है जब राज्य का भनमाथण सामान्य भहत के बजाय भनजी भहतों की पूर्तत
के भलए ककया जाता है। दरऄसल, सामान्य और भनजी भहतों के बीच का भेद ही भवकृ त िासन और
वास्तभवक िासन को ऄलग करता है।
** भसद्ांत रूप में, ऄरस्तु राजतंत्र (monarchy) और कु लीनतंत्र (aristocracy) को सरकार के सवोिम

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रूप में पसंद करता है क्योंकक सवथश्रेष्ठ व्यभि यों के पास सिाधारी िभि होती है; हालाुँकक, वह
राजव्यवस्था को ऄभधकांि राज्यों के भलए सवाथभधक ईपयुि मानता है। कु लीनतंत्र की प्रमुख भविेषता बड़ी
संख्या में लोगों को िासन में भागीदारी की ऄनुमभत प्रदान करके (पदाभधकाररयों को चुनने हेतु मत देने की
ऄनुमभत द्वारा या जूरी का सदस्य बनने की ऄनुमभत प्रदान करके ) ईनके सद्भाव को प्राप्त करते हए भी
ऄभभजात वगथ को संरिण देना है। चूंकक एक कु लीन व्यभि की तुलना में एक औसत व्यभि की बुभद् और
गुणों में कमी होती है ऄतः ऄरस्तु ईच्च राजनीभतक पदों को श्रेष्ठ व्यभि यों के भलए अरभित रखना चाहता
था, ऄथाथत एक औसत व्यभि की भनणथयन िमता पर ऄरस्तु को कम भवश्वास था। हालांकक, ईसने औसत
व्यभि यों की बड़ी संख्या द्वारा भलए गए सामूभहक भनणथय में ऄभधक भवश्वास व्यि ककया है- जोकक
राजव्यवस्था का भनमाथण करने में ककये जाने वाले समझौतों का औभचत्य भसद् करता है।
ऄपनी पुस्तक, पॉभलरटक्स में, ऄरस्तु कहता है कक मनुष्य एक "राजनीभतक पिु" है क्योंकक वह ऄभभव्यभि
और नैभतक तकथ िभि युि एक सामाभजक पिु है: "आसभलए यह स्पष्ट है कक राज्य प्रकृ भत की एक कृ भत है,
और मनुष्य प्राकृ भतक रूप से एक राजनीभतक पिु है। और ऐसा मनुष्य जो ककसी दुघथटनावि नहीं ऄभपतु
प्राकृ भतक रूप से राज्य-भवहीन है वह या तो मानवता से उपर है या कफर आससे नीचे परन्तु वह मनुष्य नहीं
है; वह एक ‘कु टुंब भवहीन, स्वेच्छाचारी, हृदयभवहीन’ व्यभि है, एक बभहष्कृ त युद्प्रेमी के रूप में ईसकी
भत्सथना की जाती है, ईसकी तुलना एक ऐसी भचभड़या से की जा सकती है जो ऄके ले ईड़ती है।"
ऄरस्तु के कथन कक मनुष्य एक "राजनीभतक पिु" है को कइ तरीकों से व्याख्याभयत ककया जा सकता है।
आसकी एक व्याख्या यह हो सकती है कक मनुष्य प्राकृ भतक रूप से सामाभजक है और आसभलए ईन्होंने ऄपनी
सामाभजक अवश्यकताओं को संतुष्ट करने के भलए भवभभन्न राजनीभतक संस्थाओं का गठन ककया। आसकी
दूसरी व्याख्या जो िब्द “राजनीभत” को कम ईदार दृभष्ट से देखता है के ऄनुसार, चूंकक ‘राजनीभत’ चहसा और
चहसा के भय पर अधाररत होती है आसभलए यह िब्द मनुष्य की प्रकृ भत के “पिु” पि को प्रदर्तित करता है
न कक ईसके बौभद्क और सहयोगात्मक पि को। ऄरस्तु के ऄनुसार जो लोग राजनीभत में भनभहत चहसा से
ऄपना मुुँह मोड़ते हैं वे समाज से भी ऄपना मुह
ुँ मोड़ लेते हैं - वे स्वयं को स्वेच्छाचारी, कु टुंबभवहीन, और
हृदयभवहीन घोभषत कर लेते हैं।

3. ऄभभवृभि का भनमाथण (Attitude Formation)


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ऄभभवृभि सीखी जाती है, आसका भनमाथण ककया जाता है, आसे पररवर्ततत ककया जा सकता है और आसमें सुधार
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ककया जा सकता है। हम जो भी ऄभभवृभियाुँ धारण करते हैं ईनमें से ऄभधकतर सीखी हइ होती है। ऄभभवृभि
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भनमाथण का ऄध्ययन, लोगों द्वारा व्यभि यों, स्थानों, भवषय वस्तुओं, वस्तुओं, मामलों और मुद्दों का मूल्यांकन
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करने की कायथप्रणाली का ऄध्ययन है। व्यभि त्व के भवपरीत, ऄभभवृभियाुँ से ऄनुभव के फलन के रूप में
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पररवर्ततत होने की ऄपेिा की जाती है। ऄभभवृभि भनमाथण की कु छ भवभधयाुँ आस प्रकार हैं:
िास्त्रीय ऄनुकूलन (Classical conditioning): यकद हम लंबी समयावभध तक एक जैसी भनभवभष्ट (input)
प्राप्त करते हैं तो हम कु छ भवभिष्ट प्रकारों से ईस भनभवभष्ट के प्रभत ऄनुकूभलत हो जाते हैं।
सहायक ऄनुकूलन (Instrumental conditioning): पुरस्कार या दण्ड की व्यवस्था के अधार पर भी हम
ककसी ऄभभवृभि को भवकभसत कर सकते हैं। बड़ों के प्रभत सम्मान प्रदर्तित करने पर ककसी को भनरंतर पुरस्कृ त
करना और आसके भवपरीत ऄसम्मान प्रदर्तित करने पर दभण्डत करना सम्मान की सकारात्मक ऄभभवृभि
भवकभसत करने में सहायक होगा।
सामाभजक ऄभधगम (Social learning): हम ऄन्य लोगों से कु छ कारथवाआयों का भनष्पादन करते हए
भनरीिण भी करते हैं और ईनके अचरण से सीखते हैं। यह कइ बातों पर भनभथर करता है:
 भनरीभित ‍यभि की अकषथकता - ईदाहरण के भलए, यकद हम ककसी ‍यभि को सकारात्मक रूप से
पहचानते हैं तो हमारे द्वारा ईसकी ऄभभवृभि ऄपनाए जाने की संभावना होती है। (प्रिंसकों द्वारा
ऄनुसरण अकद)।
 भनरीभित ‍यभि द्वारा सामना की गइ पुरस्कार या दण्ड की व्यवस्था। ईदाहरण के भलए, ककसी ‍यभि
को यातायात भनयमों के ईल्लंघन के भलए दभण्डत होता देखकर, हमारे द्वारा यातायात भनयमों के
ईल्लंघन के प्रभत नकारात्मक ऄभभवृभि भवकभसत होने ऄथाथत् ईनका पालन करने के भलए सकारात्मक

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ऄभभवृभि भवकभसत होने की संभावना होती है। आसके ऄभतररक्त, यकद ककसी को ऄपराध के भलए
पुरस्कृ त ककया जाता है (जैसे ककसी ऄपराधी का भनवाथभचत होना), तों हममें ऐसे ‍यभि द्वारा धाररत
ऄभभवृभि का भवकास होने की संभावना होती है। ईदाहरण के भलए, यकद कोइ ‍यभि ककसी पुस्तक ‘X’
को पढ़कर भसभवल सर्तवसेज परीिा में ऄहथता प्राप्त कर लेता है, तो ईम्मीदवारों में ईस पुस्तक के प्रभत
सकारात्मक ऄभभवृभि भवकभसत होने की संभावना होगी। दूसरी ओर, 'जब तक तुम पकड़े न जाओ तब
तक कु छ भी गैरकानूनी नहीं है' की कहावत, लोगों को कदए जाने वाले वैध भनदेिों का ईनके द्वारा
पालन न ककए जाने और भनलथज्जतापूवथक भनयम तोड़ने के प्रमुख कारकों में से एक है।
ऄभभवृभि भनमाथण या ऄभधगम जीवन पयथन्त चलने वाली प्रककया है, क्योंकक यह हमारे द्वारा संग्रभहत
ऄनुभवों या हमारे असपास के लोग से हमारे द्वारा सीखे गए पाठों पर अधाररत है। ये लोग ऄभभवृभि
भनमाथण के साधन होते हैं। आन साधनों में सभम्मभलत हैं:
 पररवार: पररवार से हम ऄपने जीवन के महत्वपूणथ पाठ सीखते हैं। पररवार मूल्य प्रदान करने एवं मूल्यों
का भवकास करने में भी सहायक होता है, जो और कु छ नहीं ऄभपतु सामान्यीकृ त ऄभभवृभियाुँ होती हैं।
ईदाहरण के भलए, हम ऄनुिासन सीखते हैं और समय प्रबंधन की नींव डालते हैं, जो घर से प्राप्त की
जाने वाली ऄभभवृभि के महत्वपूणथ पहलू होते है।
 व्यभि समूह (Peer Group): आसमें हमारे भमत्र और हमारे अयु वगथ के व्यभि सभम्मभलत होते हैं। ये
लोग मूल्यभनष्ठा, प्रभतस्पधाथ अकद ईत्पन्न करने के भलए महत्वपूणथ होते हैं। कै ररयर भवकास की रूपरेखा
तय करने में भमत्र समूह महत्वपूणथ होते हैं। आसके ऄभतररक्त, हम समूह में ऄनुकूलन के भलए ऄपने भमत्रों
से सुसंगत ऄभभवृभि का भवकास करते हैं।

 स्कू ल या भििा संस्थान: ये ईत्कृ ष्टता, प्रभतस्पधाथ, समयबद्ता एवं समग्र रूप से जीवन की ओर
ऄभभवृभि ऄंतर्तनभवष्ट करने के महत्वपूणथ साधन हैं।

 ऄनुकरणीय व्यभि त्व: ये ऐसे व्यभि हैं भजन्हें हम पसंद करते हैं और सकारात्मक रूप से पहचानते हैं।
भभन्न-भभन्न व्यभि यों के ऄनुकरणीय व्यभि त्व भभन्न-भभन्न होते हैं, जैसे एक ‍यभि ऄपने भपता को
ऄपना ऄनुकरणीय व्यभि त्व मान सकता है, ककसी ऄन्य के भलए ऄपनी रूभच के िेत्र का प्रमुख ‍यभि
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हो सकता है अकद। हम ऄपने ऄनुकरणीय व्यभि त्वों की ऄभभवृभियों के साथ ईनका ऄनुकरण करने का
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प्रयास करते हैं। कृ पया ध्यान दीभजए कक ककसी िेत्र में भविेषज्ञ होना ऄभनवायथ रूप से ऄनुकरणीय
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व्यभि त्व होने के भलए पयाथप्त नहीं है। ऄनुकरणीय व्यभि त्व कोइ ऐसा ‍यभि होता है जो
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ऄपनी गभतभवभधयों के माध्यम से प्रेररत करने में सिम होता है। जो लोग ऄपने िेत्र में प्रमुख होते हैं
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और ‍यापक स्तर पर लोकभप्रय होते हैं वे सामान्यता ऄनुकरणीय व्यभि त्व माने जाने वाले लोग होते हैंl
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ईदाहरण के भलए स्टीफन हॉककग को लीभजए - वह न के वल भौभतकी के भविेषज्ञ थे ऄभपतु ऐसे ‍यभि
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भी थे भजन्होंने ऄपनी पुस्तकों, व्याख्यानों या यूं कहें कक ऄपने जीवन के माध्यम से लाखों लोगों को आस
भवषय में रुभच लेने के भलए प्रेररत ककया था।

4. ऄभभवृभि पररवतथन
ऄभभवृभि पररवतथन, ऄवांभछत ऄभभवृभि को वांभछत ऄभभवृभि में रूपांतररत करने की प्रकिया को सं दर्तभत
करता है। यहां यह स्पष्ट होना चाभहए कक वांछनीय और ऄवांछनीय सही या गलत के संबंध में मतावलोकन
(वैल्यु जजमेंट) नहीं है। ककसी के भलए वांछनीय ईसके भलए ऄच्छा होता है लेककन दूसरों द्वारा बुरा माना जा
सकता है। ऄभभवृभिक पररवतथन का ऄथथ ऄपनी आच्छा के ऄनुसार ककसी ऄन्य की सही या गलत क्या है, की
धारणा को पररवर्ततत करना है। ईदाहरण के भलए, व्यभि X लैपटॉप में लाआनक्स से ऄभधक चवडोज
ऑपरेटटग भसस्टम पसंद करता है। व्यभि Y, X की ऄभभवृभ्ा को बदलना चाहता है क्योंकक Y स्वयं
लाआनक्स पसंद करता है। यह लाआनक्स को चवडोज़ से बेहतर होने के संबंध में कु छ भी नहीं कहता है (ऄथाथत
वैल्यु जजमेंट)। यह के वल Y की आच्छा है। ईसके भलए चवडोज़ के प्रभत वरीयता ऄवांछनीय है, और आसभलए
वह X की ऄभभवृभि ऄपनी पसंद के ऄनुसार बदलना चाहता है। चूंकक ऄभभवृभियां सीखी जाती हैं, आसभलए

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वे न सीखी हइ, पुन: सीखी हइ या पररवर्ततत भी हो सकती हैं। ऄनुनय या सामाभजक प्रभाव के माध्यम से
ऄभभवृभि में पररवतथन ककया जा सकता है।

4.1. ऄनु न य (Persuasion)

आसका ऄथथ ककसी बात को करने या पर भवश्वास करने के भलए ककसी को मनाने या राजी होने की किया या
प्रकिया है। ऄनुनय प्रभाव के भलए ‍यापक पद है, जो ककसी व्यभि की मान्यता, ऄभभवृभि, अिय,
ऄभभप्रेरणा या व्यवहार को प्रभाभवत कर सकता है। यह ऐसी प्रकिया है भजसका ईद्देश्य सूचना, भावनाएं या
तकथ या आनका संयोजन संप्रेभषत करने के भलए भलभखत या बोले गए िब्दों का ईपयोग करके ककसी व्यभि (या
समूह) की ककसी घटना, भवचार, वस्तु या ऄन्य व्यभि (यों) के प्रभत ऄभभवृभि या व्यवहार को बदलना होता
है।
यह व्यभि गत लाभ की ऄभभलाषा में प्राय: ईपयोग ककया जाने वाला साधन भी है, जैसे चुनाव प्रचार,भविय
सेवा, या ककसी वाद के भलए वकालत में। आसे लोगों का व्यवहार या ऄभभवृभि बदलने के भलए ऄपने
व्यभि गत या भस्थभतपरक संसाधनों के ईपयोग के रूप में भी ऄथाथभन्वत ककया जा सकता है।
ऄभभवृभत का भनमाथण और पररवतथन दो ऄलग कियाएं नहीं हैं - वे एक दूसरे से संयुि रूप से जुड़े हए हैं। लोग
सदैव ऄपनी ऄभभवृभतयों को बदलती अवश्यकताओं और भहतों के ऄनुरूप ऄपनाने, संिोभधत करने या
त्यागने वाले होते हैं।नइ ऄभभवृभत की स्वीकृ भत आस बात पर भनभथर करती है कक संप्रष
े क कौन है, संचार कै से
प्रस्तुत ककया जाता है, संदि
े प्राप्तकताथ द्वारा संचार को ककस प्रकार ऄनुभव ककया जाता है,संप्रष
े क की
भवश्वसनीयता, और ककन पररभस्थभतयों में सूचना की प्राभप्त हइ है।
ऄभभवृभत बदलती है जब :
 कोइ व्यभि ककसी नइ सूचना को ककसी ऄन्य या मीभडया के माध्यम से प्राप्त करता है - संज्ञानात्मक
पररवतथन।
 ऄनुभव के प्रत्यि माध्यम से ऄभभवृभत पररवतथन - प्रभावी पररवतथन।
 ककसी व्यभि का सामान्य से ऄलग व्यवहार करने के भलए मजबूर होना - व्यवहाररक पररवतथन।

4.2. प्रकायथ भजन्हें ऄनु न य के साथ ककया जा सकता है


om
l.c

(Functions that can be Performed with Persuasion)


ai
gm

प्रोत्साहक या ऄनुनय कताथ को एक ऐसे ईद्देश्य का चयन करने की अवश्यकता है जो ईसके दिथकों के भलए
@

यथाथथवादी हो।
11
13

प्रेरणा के पांच सामान्य ईद्देश्यों को नीचे सूचीबद् ककया गया है।


j5
ra

1. ऄभनभितता को बनाए रखना: जब कोइ दिथक ऄनुनय कताथ का दृढ़तापूवक


थ भवरोध करता है, तो संभवतः
su

यह ऄनुनय कताथ के भलए सबसे ऄच्छा है क्योंकक हो सकता है कक दिथकों को थोड़ा कम भनभित करना पड़े की
वे सही हैं, ईनके वतथमान ऄभभवृभत के साथ थोड़ा कम सहज हो।
2. प्रभतरोध को कम करना: यकद दिथक दृढ़ता से ऄनुनय कताथ की भस्थभत का भवरोध करते हैं लेककन पूणथ रूप
से नहीं , तो प्रेरक ऄपने प्रभत दृभष्टकोण के भवरोध को कम करने और दिथकों को भनष्पिता के भलए
स्थानांतररत करने में सिम हो सकता है। भवचारों के भवपरीत होने की अिा न करते हए यह लक्ष्य दिथकों
को ऄलग भवचार की वैधता को पहचानने के भलए कहता है।
3.ऄभभवृभत पररवतथन: यकद दिथक आस भवषय पर ककसी भी दृभष्टकोण के भलए भविेष रूप से दृढ़ता से प्रभतबद्
नहीं हैं, तो ऄभभवृभत पररवतथन सरलता से ककया जा सकता है।
4.ऄभभवृभि का भवस्तार: यकद दिथक पहले से ही ऄनुनय कताथ के दृभष्टकोण के भलए ऄनुकूल हैं, तो वह एक
संदि
े तैयार कर सकता है जो दिथकों में भवद्यमान ऄभभवृ भत को सुदढ़ृ करेगा, दिथकों के भवरोभधयों से ऄपील
के भवरोध करने में सहायता करेगा, ईस भस्थभत में और दिथकों के सदस्यों को दृढ़ता से प्रभतबद् करने के भलए
प्रेररत करेगा।

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5.लाभप्रद व्यवहार: जब एक दिथक दृढ़ता से ऄनुनय कताथ की भस्थभत का समथथन करता है, तो तार्ककक रूप से
ईनका लक्ष्य ईन्हें ऄपने दृढ़ संकल्पों पर कायथ करने के भलए होता है।
व्यवभस्थत ऄनुनय (Systematic persuasion) वह प्रकिया है भजसमें दृभष्टकोण या मान्यताओं को तकथ और
कारण के माध्यम से सुदढ़ृ ककया जाता है। दूसरी तरफ स्वतः िोध प्रणाली या ऄनुभव अधाररत ऄनुनय
(Heuristic persuasion) वह प्रकिया है भजसमें दृभष्टकोण या मान्यताओं को स्वभाव या भावनाओं के
माध्यम से सुदढ़ृ ककया जाता है।
प्रायोभगक ऄनुसध ं ान संदि
े की ऄनुनयिीलता को प्रभाभवत करने वाले कारकों को प्रकट करता है भजनमें
सभम्मभलत हैं:
 लक्ष्य ऄभभलिण: ये संदि
े प्राप्त और संसाभधत करने वाले व्यभि के ऄभभलिण हैं। ईदाहरण के भलए,
बुभद्मान लोगों की एक तरफा संदि
े से राजी होने की संभावना कम होती है या ककसी ‍यभि द्वारा
ऄभतरंभजत दावे करने पर पहचान सकते हैं। कभी-कभी, ककसी मत की ओर अकर्तषत होने के बजाय, वे
दावों का ऄंतर्तनभहत खोखलापन पहचानने पर और ऄभधक भवमुख हो सकते हैं।
आसी प्रकार, अत्म-सम्मान प्राप्तकताथ का एक और ऄभभलिण है। हालांकक कभी-कभी यह माना जाता
है कक अत्म-सम्मान में ईच्चतर लोगों को असानी से मनाया नहीं जा सकता हैं, लेककन ऐसे कु छ साक्ष्य हैं
कक अत्म-सम्मान और ऄनुनेयता (राजी होने की िमता) के बीच संबंध वास्तव में विरेखीय होती है,
ऄथाथत अत्म-सम्मान के स्पेक्रम के दोनों छोरों के लोगों को मनाना मुभश्कल होता है जबकक बीच के
लोगों को मनाना ऄपेिाकृ त असान होता है। हालांकक, वस्तुभनष्ठ रूप से अत्म-सम्मान का मापन
मुभश्कल है। ईच्च अत्म सम्मान ऄहंकार के कारण हो सकता है और ऐसे लोग लगभग हठी हो सकते हैं।
कम अत्म-सम्मान हाभन या पराजय या दूसरों के द्वारा ईपहास जैसे कइ कारणों से हो सकता है। ऐसे
लोग ऄनुनय के प्रभत प्रभाविून्य हो सकते हैं क्योंकक वे ऄपने अपको ऄनभभज्ञ के रूप में दिाथ सकते हैं -
न के वल ईन लोगों से जो ईनका ईपहास ईड़ाते हैं, बभल्क ऄन्य सदािय वाले लोगों से भी।
 स्रोत ऄभभलिण: आनमें ककसी और को मनाने का प्रयास करने वाले व्यभि के ऄभभलिण सभम्मभलत
ककया गया है। ईदाहरण के भलए, भविेषज्ञता, भवश्वसनीयता और ऄंतरवैयभि क अकषथण या
अकषथणीयता ऄनुनय को प्रभावी बनाने वाले कु छ लिण हैं। कभथत संदि
े की भवश्वसनीयता को यहां
एक महत्वपूणथ चर पाया गया है; यकद कोइ ‍यभक्त्ा स्वास््य के संबंध में कोइ ररपोटथ पढ़ता है और
मानता है कक यह संदि
े ककसी ‍यवसाभयक भचककत्सा पभत्रका से अया है, तो यकद वह मानता है कक यह
om
l.c

बस ऄफ़वाह भर है से ऄभधक असानी से मनाया जा सकता है। भवश्वसनीयता संदि


े देने वाले स्रोत की
ai
gm

भविेषज्ञता और भवश्वसनीयता पर भनभथर करती है। आसी प्रकार, ऄन्य बातों के साथ-साथ, ऄपनी
@
11

अकषथकता के कारण, भवज्ञापन ऄभभयानों में सेभलभिटी का ईपयोग ककया जाता है।
13

संदि
े ऄभभलिण: संदि
े की प्रकृ भत ऄनुनय में भूभमका भनभाती है। ऄभभवृभि बदलने में सहायता के भलए
j5


ra

कभी-कभी कहानी के दोनों पिों को प्रस्तुत करना ईपयोगी होता है। जब लोग संदि
े को संसाभधत करने
su

के भलए ऄभभप्रेररत नहीं होते हैं, तो के वल प्रेरण संदि


े में प्रस्तुत तकों की संख्या ऄभभवृभि पररवतथन को
आस प्रकार प्रभाभवत करती है, जैसे कक ऄभधक से ऄभधक संख्या में तकथ ऄभधक से ऄभधक ऄभभवृभ्ा
पररवतथन ईत्पन्न करते हैं। आसी प्रकार, स्पष्ट और बोधगम्य ढाग से ठीक-ठीक प्रस्तुत संदि
े जरटल,
समझने में मुभश्कल तरीके से प्रस्तुत ककए गए संदि
े से ऄभधक पररवतथन ईत्पन्न कर सकते हैं। ईदाहरण
के भलए, सामान्यतया राजनीभतक जननेता ऄच्छा वि ा भी होता है भजसका ऄथथ है कक वह स्पष्ट रूप से
श्रोताओं तक संदि े पहुँचाने में समथथ होता है। यह के वल ईसका ऄपना व्यभि त्व नहीं होता है जो आसमें
योगदान देता है बभल्क वह ककतने सारगर्तभत ढंग से संदि े रखता है भी आसमें योगदान देता है।
 संज्ञानात्मक मागथ: ककसी संदि े की प्रभाविीलता आस बात पर भी भनभथर करती है कक क्या व्यभि की
संज्ञानात्मक आंकद्रयों का अह्वान ककया गया है या नहीं। यकद ककसी व्यभि को सोचने और स्वयं से
भनष्कषथ पर पहंचने के भलए प्रेररत ककया जाता है, तो संदि
े ऄभधक प्रभावी ढंग से कदया जा सकता है।
यह ककसी व्यभि के संज्ञानात्मक मूल्यांकन के भलए भचत्ताकषथक होता है। िैिभणक रूप से, आसका दो
मागों में वगगीककरण ककया जाता है: कें द्रीय और पररधीय।
 ऄनुनय के कें द्रीय मागथ में व्यभि को अंकड़ें प्रस्तुत ककए जाते हैं और अंकड़ों का मूल्यांकन और
ऄभभवृभि पररवतथनकारी भनष्कषथ पर पहुँचने के भलए प्रेररत ककया जाता है। पिपोषण के समथथन में

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प्रस्तुत सूचना के वास्तभवक गुणों के ककसी व्यभि के सतकथ और चचतनिील भवचारण से ऄनुनय
पैदा होने की संभावना होती है। ऄभभवृभि पररवतथन का पररणाम तुलनात्मक रूप से स्थायी,
प्रभतरोधी और व्यवहार का भभवष्य सूचक होगा।
 ऄभभवृभि पररवतथन के पररधीय मागथ का ईपयोग तब ककया जाता है जब संदि
े प्राप्तकताथ की भवषय
में बहत कम या कोइ रूभच नहीं होती है और / या संदि
े को संसाभधत करने की ऄपेिाकृ त कम
िमता होती है। भवस्तार सातत्य के भनचले भसरे पर होने के नाते, प्राप्तकताथ द्वारा पूरी तरह से
सूचना का परीिण नहीं ककया जाता है। पररधीय मागथ के साथ, ईनकी सामान्य धारणा (ईदाहरण
के भलए "यह सही/ऄच्छा लगता है"), संदि
े के प्रारंभभक भागों, ऄपनी स्वयं की मनोदिा,ऄनुनय
संदभथ के सकारात्मक और नकारात्मक संकेतों आत्याकद पर भनभथर होने की ऄभधक संभावना होती
है। व्यभि को ऄंतवथस्तु नहीं बभल्क स्रोत को देखने के भलए प्रोत्साभहत ककया जाता है। पूरी तरह से
आस पर सोच-भवचार करने के भलए बहत ऄभधक श्रम ककए भबना क्या भनणथय करना और / या
भवश्वास करना है आसका हमें ईिर देने के भलए भवश्वसनीयता भनम्न प्रयास और कु छ भवश्वसनीय
तरीका है। ऐसा सामान्यत: मिूरर हभस्तयों वाले अधुभनक भवज्ञापनों में देखा जाता है। यह ककसी
व्यभि के आस महत्वपूणथ पहलू पर भनभथर करता है- कक वे 'संज्ञानात्मक रूप से कमजोर' हैं और
िॉटथकट का ईपयोग करते हैं और ऄनुमान (ऄथाथत भवस्तृत / भवश्लेषणात्मक प्रकिया के बजाय
त्वररत समस्या समाधान) पर भरोसा करते हैं।

4.3. प्रत्यायन प्रकिया में चरण (Steps in Persuasion Process)

1. भवश्वसनीयता स्थाभपत करना (Establish credibility): भवश्वसनीयता भविेषज्ञता और संबंधों से बढ़ती


है। एक प्रत्यायक (persuader) को मजबूत भावनात्मक भविेषताओं और सत्यभनष्ठा की अवश्यकता होती
है। ऄन्य लोगों के सुझावों को ध्यान से
सुनने की अवश्यकता है और एक ऐसे
वातावरण के भनमाथण करने की
अवश्यकता है जहां ईनके भवचारों का
मूल्य हो।
2. सहकर्तमयों के साथ समान लक्ष्य
om

तैयार करना (Framing common


l.c
ai
gm

goal with colleagues): प्रभावी


@

प्रत्यायक को ईस भस्थभत के बारे में वणथन


11
13

करने में भनपुण होना चाभहए जो ईस


j5

व्यभि के भस्थभत के लाभ को ईजागर


ra
su

करता है भजसे वह प्रेररत करने का प्रयास


कर रहा है। यह साझा लाभों की पहचान
करने की प्रकिया है। भवचारिील प्रश्नों
को पूछकर अवश्यक जानकारी एकत्र
करने के भलए परस्पर संवाद की
अवश्यकता होती है। यह प्रकिया प्रायः प्रारंभभक तकथ को पररवर्ततत करने या समझौता करने में सहयोगी
होगी।
3. सुस्पष्ट भाषा और ऄकाट्य साक्ष्य के साथ भस्थभत को सुदढ़ृ करना (Reinforce positions with vivid
language and compelling evidence): प्रत्यायन को साक्ष्य के प्रस्तुभत की अवश्यकता होती है - कइ
रूपों में मजबूत डेटा (कहाभनयां, अलेख, भचत्र, रूपक और ईदाहरण)। प्रत्यायक को भचत्रालेख (ग्राकफक्स) को
पूरा करने वाली सुस्पष्ट भाषा का ईपयोग करके भस्थभत को जीवंत बनाने की अवश्यकता होती है।
4. दिथकों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ना (Connecting emotionally with audiences): ऄच्छे
प्रत्यायक भावनाओं की प्राथभमकता से ऄवगत होते हैं और ईनके प्रभत ईिरदायी होते हैं। वे जानते हैं कक
व्यावसाभयकता और ईनकी भावनात्मक प्रभतबद्ता के बीच संतुलन को कै से बनाए रखा जाए भजसका वे
समथथन करते हैं। ईनके श्रोताओं के साथ ईनका संबंध ईनकी भस्थभत के भलए ईनकी बौभद्क और भावनात्मक

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प्रभतबद्ता दोनों को दिाथता है। सफल प्रत्यायक ऄपने श्रोताओं की भावनात्मक भस्थभत की यथाथथ समझ
भवकभसत करते हैं और ईसके ऄनुसार वे ऄपने तकों को समायोभजत करते हैं। ईनकी भस्थभत चाहे जो भी हो,
सन्देि को प्राप्त करने की ईनके श्रोताओं की िमता ईनके भावनात्मक ईत्साह के ऄनुकूल होना चाभहए।

4.4. प्रभावी प्रत्यायन (Effective Persuasion)

प्रत्येक व्यभि प्रत्याभयत होने के भलए ऄभतसंवेदनिील होता है; प्रत्यायन एक ऐसी प्रकिया है भजसका ईद्देश्य
ककसी व्यभि की ऄभभवृभि और/या ककसी भवचार, घटना, व्यभि या वस्तु के प्रभत ईसके व्यवहार को बदलना
है। व्यापक रूप से यकद कहा जाए तो प्रभावी प्रत्यायन के भलए वांछनीय स्रोत (भवश्वसनीयता का होना),
वांभछत संदि
े की भविेषतायें (भय, भववेकपूणथ और भावनात्मक ऄपील) होनी चाभहए। ऄभधक भवस्तृत रूप
में, प्रत्यायन को प्रभावी होने के भलए भनम्नभलभखत बातें होनी चाभहए:
1. मतैक्य स्थाभपत करना: प्रत्यायक को लभित लोगों के साथ सकारात्मक संबंध स्थाभपत करना चाभहए।
2. लाभों को आंभगत करना: प्रत्यायक को बदले व्यवहार या ऄभभवृभि के प्रमुख लाभों को ईजागर करना
चाभहए। हालांकक, प्रत्यायक को बदलाव के भलए दबाव डालने से बचना चाभहए, क्योंकक यह ईसे हतािापूणथ
बना देगा।
3. भवरोध को िभि में बदलना: पररवतथन के भलए भवरोध होना प्राकृ भतक है लेककन प्रत्यायक को ईन्हें
ऄवसरों में बदलना चाभहए। आसके भलए वह भवरोधी द्वारा व्यि संभावना से सहमत हो सकता है और कफर
वह यह बताएगा कक प्रस्ताभवत पररवतथन द्वारा आसे असानी से कै से दूर ककया जा सकता है।
4. प्रभतबद्ता और भस्थरता: प्रत्यायक को ककसी छोटी चीज में भवश्वास करने या पहले एक छोटी सी
कारथवाइ करने के भलए लभित होना चाभहए। एक बार प्रभतबद् होने के बाद, संभवतः एक बड़े भवचार से
सहमत होगी। यह तकनीक आस त्य का प्रयोग करती है कक एक बार भनणथय लेने के बाद लोग लगातार आस
ढंग से व्यवहार करते हैं, कक वे आसे न्यायसंगत बनाने तथा आसके समथथन के साधनों के रूप में वे भनणथय के
ऄनुरूप कायथ करेंगे। तार्कककता मानव मन को एक सहज ऄपील का अदेि देती है।
5. पारस्पररकता के भसद्ांत का प्रयोग करना: आस भसद्ांत का तात्पयथ यह है कक जब कोइ हमारे भलए कु छ
om
l.c

करता है तो हम ईसकी सहायता के बदले में ईसके भलए कु छ करने हेतु स्वयं को अभारी महसूस करते हैं ।
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आसमें बदले गए व्यवहार / ऄभभवृभि के भलए लभित अबादी को ईभचत रूप से पुरस्कृ त करना िाभमल हो
@

सकता है। यह पररवतथन को सुदढ़ृ करने और आसे बनाए रखने में मदद करता है।
11
13

6. सामाभजक साक्ष्य की तकनीक: लोग प्रायः दूसरे लोगों (बैंडवैगन प्रभाव) का ऄनुसरण ऄभधक करते हैं,
j5
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su

आसभलए ईनके पास स्वयं के भनणथय लेने के भलए पयाथप्त जानकारी नहीं होती है। आस तकनीक में अप लभित
अबादी को बताएंगे कक ऄन्य लोगों को ऄनुभवजन्य सबूत के साथ सुझाए गए पररवतथन से लाभ भमल रहा
है। आसके भलए प्रत्यायक कु छ प्रभसद् व्यभि त्व के ईदाहरणों की सहायता ले सकता है। ईदाहरण के भलए,
हररयाणा में मभहला भ्रूण हत्या के भखलाफ ऄभभयान में हम कु छ मभहला भखलाभड़यों के ईदाहरणों का
ईपयोग कर सकते हैं भजन्होंने प्रभसभद् ऄर्तजत की हैं, बैडचमटन में एस. नेहवाल, या बॉलीवुड में कं गना
राणावत आत्याकद।
7. ऄभावग्रस्तता: आसमें लोगों को यह बताने की ऄनुमभत होती है कक वे प्रस्ताभवत पररवतथन से लाभ प्राप्त
करने का ऄवसर खोने की तरफ ऄग्रसर हैं।

4.5. सामाभजक प्रभाव (Social Influence)

जब ककसी ‍यभि की भावनाएं, भवचार या व्यवहार दूसरों से प्रभाभवत होते हैं तो सामाभजक प्रभाव होता है।
सामाभजक प्रभाव कइ रूप ग्रहण करता है और ऄनुपालन, समाजीकरण, सहकमगीक दबाव, अज्ञाकाररता,
नेतृत्व, ऄनुनय में देखा जा सकता है। हालांकक, भनम्नभलभखत सामाभजक प्रभाव के तीन व्यापक प्रकार हैं।

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 ऄनुपालन तब होता है जब लोग दूसरों के साथ सहमत होते हैं, लेककन वास्तव में ऄपनी ऄसहमत राय
भनजी रखते हैं। यह व्यवहार में पररवतथन है, लेककन अवश्यक रूप से ऄभभवृभि में नहीं।
 पहचान तब होती है जब लोग पसंद ककए जाने वाले और सम्माभनत व्यभि से प्रभाभवत होते हैं जैसे
राजनेता, गुरु, प्रभसद् हस्ती।
 समावेिन तब होता है जब लोग कोइ मान्यता या व्यवहार स्वीकार करते हैं और सावथजभनक रूप से
और भनजी दोनों रूप से सहमत होते हैं।
ऄनुपालन (Conformation)
हम दूसरों की ऄपेिाओं का ऄनुपालन या ऄनुपालन करने का प्रयास क्यों करते हैं? खेल में मानव की दो
मनोवैज्ञाभनक अवश्यकताएं होती हैं - हमारी सही होने की अवश्यकता है और हमारी पसंद ककए जाने की
अवश्यकता है। पूवोक्त् को सूचनात्मक सामाभजक प्रभाव भी कहा जाता है और ऄवरोक्त को मानक
सामाभजक प्रभाव के रूप में संदर्तभत ककया जाता है।
 सूचनात्मक प्रभाव (या सामाभजक प्रमाण)- जब व्यभि ऐसी भस्थभत में होता है जहां वह व्यवहार ककए
जाने के सही तरीके को लेकर ऄभनभित होता है, तो वे प्राय: सही व्यवहार से संबंभधत सुराग के भलए
दूसरों की ओर देखते हैं। हम ऄनुपालन करते हैं क्योंकक हम मानते हैं कक दूसरों की ऄस्पष्ट भस्थभत की
व्याख्या हमारी तुलना में ऄभधक सटीक है और हमारी ईभचत कायथवाही का चयन करने में सहायता
भमलेगी। यह वास्तभवकता के साक्ष्य के रूप में ककसी और से जानकारी स्वीकार करने के भलए एक प्रभाव
है।
सामाभजक प्रमाण न के वल सावथजभनक ऄनुपालन (सावथजभनक रूप से दूसरों के व्यवहार का अवश्यक रूप से
सही माने भबना ऄनुपालन करना) बभल्क साथ ही भनजी स्वीकायथता (वास्तभवक मान्यता का ऄनुपालन करना
कक दूसरे सही है) का मागथ प्रिस्त करता है। जब पररिुद् होना ऄभधक महत्वपूणथ होता है और जब दूसरों को
भविेष रूप से जानकार माना जाता है सामाभजक प्रमाण ऄभधक िभि िाली होता है।
2017 में पूवगीक भारत के एक मंकदर से एक वीभडयो सामने अया भजसमें एक मभहला कं गारू के अकार के
कू ड़ेदान से अिीवाथद ले रही थी। ईसे नहीं पता था कक वह 'वस्तु' क्या थी और ईसने एक ऄन्य मभहला को
वह कू ड़ेदान छू ते हए देखा था। िीघ्र ही, कु छ और मभहलाएं अिीवाथद लेने में सभम्मभलत हो गईं। भनस्संदह
े ,
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यकद ईन्हें पता होता कक वह वस्तु कचरे का भनपटान करने के भलए है, तो ईनका व्यवहार ऄलग होता।
l.c

लेककन सही होने की ईनकी आच्छा के साथ जानकारी की कमी से ईन्होंने भेड़-चाल वाली मानभसकता का
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पालन ककया और कं गारू के अकार के कू ड़ेदान की पूजा करने के 'स्वीकायथ' व्यवहार का ऄनुपालन ककया।
@
11

कदाभचत ऐसा व्यवहार ऄभधक बुभद्मान लोगों के भलए भी ऄसामान्य नहीं है। सामान्यतया लोग ऄपना
13
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तादात्म्य राजनीभतक भवचारधारा से, ऄभनवायथ रूप से ईसके भसद्ांतों को जाने भबना से स्थाभपत करते हैं।
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su

ईदाहरण के भलए, सरकार की अलोचनाएं ऄभधकांितया सरल होती हैं ऄथाथत वे बहत ही अंभिक भचत्र
खींचते हैं, लेककन एक बार जब राजनीभतक प्रभतद्वंद्वी कोइ रूख ऄपना लेता है, तो समथथक जुड़ जाते हैं
क्योंकक वे नेता में भवश्वास प्राय: ऄंधा भवश्वास करते हैं। यही बात सरकार बनाने वाले दल के समथथकों के
भलए भी सही है, लेककन प्राय: आसके समथथक करठन भस्थभत में होते हैं क्योंकक हर समय सरकार के सभी कायों
का बचाव करना काफी ऄभधक करठन होता है।
 मानक प्रभाव दूसरों द्वारा पसंद ककए जाने की व्यभि की अवश्यकता से संबंभधत है। मनुष्य, सहज रूप
से सामाभजक होने के नाते, साहचयथ और संसगथ की आच्छा करता है। समूह या संघ कु छ साझा रूभच या
भहतों वाले लोगों से भमलकर बनता है। समूह में सफल और स्वस्थ वातावरण के भलए, लोग घुलने-
भमलने का प्रयास करते हैं। वे ऄपने व्यवहार में कु छ पररवतथन लाते हैं ताकक ईन्हें पसंद ककया जाए। यह
मानक सामाभजक प्रभाव है- मानक का ऄथथ है कक चीजें कै से होनी चाभहए, ईदाहरण के भलए माता-
भपता चाहते हैं कक बच्चों को मोबाआल फोन से दूर रहना चाभहए। आसभलए, यह दूसरों की सकारात्मक
ऄपेिाओं का ऄनुपालन करने वाला प्रभाव है।

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येल भवश्वभवद्यालय के प्रोफे सर स्टेनली भमलग्राम (1961) ने अज्ञापालन का ऄध्ययन करने के भलए एक
प्रयोग प्रारंभ ककया। जैसा कक उपर कदखाया गया है, प्रभतभागी (भििक) प्रश्नों की एक श्रृंखला को ऄन्य
"प्रभतभागी" (भििाथगीक) से पूछेगा। भििकों को एक प्राभधकरण (प्रयोगकताथ) द्वारा भनदेभित ककया गया कक
जब भी भििार्तथयों द्वारा गलत जवाब कदया जाए तो भििार्तथयों को भबजली का झटका (shock) कदया
जाए। सीखने वाला कोइ प्रभतभागी नहीं था, लेककन वास्तव में वह एक ऄभभनेता था जो भबजली के झटके
से चोट पहंचने का नाटक करता था और बटन दबाए जाने पर ददथ से भचल्लाता था।
पररणाम? 60 प्रभतित से ऄभधक प्रभतभाभगयों को घातक स्तर (450 वोल्ट) तक झटके कदए गए। क्योंकक
प्रभतभागी के पीछे, एक डॉक्टर था, जो यह कहता रहेगा कक अगे बढ़ो" ... वोल्टेज बढ़ाओ, व्यभि मरेगा
नहीं।"
1. ईिरदाभयत्व की कमी, अपके भववेक को ऄभतव्याभपत या ओवरराआट करती है: डॉक्टर अभधकाररक
व्यभि है। व्यभि गत प्रभतभागी का भववेक ऄभधक िभि िाली होता है, जब प्रभतभागी सोचता है कक "यह
मेरा ईिरदाभयत्व नहीं है, मैं के वल अदेिों का पालन कर रहा ूरं"।
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2. अभधकाररक व्यभि अपके भववेक को ऄभतव्याभपत कर सकता है: भहटलर एक महान वि ा था; वह मात्र
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एक भाषण से भीड़ को ऄपने पि में कर सकता था।


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3. सहकमगीक-दबाव अज्ञापालन से ऄभधक िभि िाली है: यकद दो प्रभतभागी हैं, तो यकद दूसरा प्रभतभागी आस
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भवषय के भलए भबजली के झटके देने से आनकार करता है और कमरे से बाहर चला जाता है तो पहला
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प्रभतभागी भी कमरे से बाहर जा सकता है।

4. आस प्रकार, िभि के ऄनुसार: सहकमगीक-दबाव (ऄनुरूपता) प्राभधकरण (अज्ञापालन) से ऄभधक


िभि िाली है जो व्यभि के भववेक से बड़ा होता है।

4.6. भावनाएं और ऄभभवृ भिक पररवतथ न (Emotions and Attitude Change)

ऄभभवृभिक पररवतथन के भलए व्यभि के भावनात्मक पहलू को ऄपील के एक साधन के रूप में प्रयोग ककया
जाता है। वास्तव में, भावना ऄनुनय और सामाभजक प्रभाव में एक प्रमुख घटक है। ऄभभवृभ्ा पर िोध ने भी
संदि
े ों के भावनात्मक घटकों का महत्व प्रकट ककया है। ऄभभवृभि का ABC मॉडल तीन घटकों पर बल देता
है- संज्ञानात्मक (ऄथाथत हम क्या समझते हैं), भावनात्मक (हम भावनात्मक रूप से कै से जुड़ते हैं) और

व्यवहारात्मक (हम कै से कायथ करते हैं)। भावना संज्ञानात्मक प्रकिया, या भजस प्रकार हम ककसी मुद्दे या
भस्थभत के संबध
ं में सोचते हैं, के साथ काम करती है। भावनात्मक ऄपील सामान्यतया भवज्ञापन, स्वास््य
ऄभभयानों और राजनीभतक संदि
े ों में भमलती है।

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हाल के ईदाहरणों में धूम्रपान नहीं स्वास््य ऄभभयान और राजनीभतक ऄभभयान अतंकवाद के भवरुद् प्रयासों
पर बल देने वाले भवज्ञापन सभम्मभलत है। भावनात्मक जागरूकता से ऄभभवृभि पररवतथन संभव हो सकता है,
हालांकक भावनात्मक और संज्ञानात्मक घटक गुुँथे हए होते हैं। कृ पया ध्यान दें कक भावनात्मक ऄभभवृभि
ऄभभवृिात्मक पररवतथन के भलए भावनाओं को ऄपील करने से ऄलग होती है। भावनात्मक ऄभभवृभि मुख्य
रूप से भावना द्वारा भवकभसत एक ऄभभवृभि होती है, ईदाहरण के भलए बच्चों के प्रभत माता-भपता की
ऄभभवृभि। भावनाओं को ऄपील वांछनीय ऄभभवृभि भवकभसत करने की भवभध है। भय, अनंद, िोध,

सहानुभूभत, ईपहास अकद जैसी भावनाएं। त्यों के बजाय, भावना-अधाररत तकथ के भलए ऄपील का अधार
भवकभसत करने के भलए प्रेरण भाषा का ईपयोग ककया जाता है।
ईदाहरण के भलए, ककसी ‍यभि को कफट रहने या धूम्रपान छोड़ने के भलए प्रेररत करने के भलए, अपको न
के वल ऄपनी बात भसद् करने के भलए वैज्ञाभनक प्रमाणों का ईल्ले ख करना चाभहए बभल्क घातक बीमाररयों के
भय या स्वस्थ जीवन के अनंद का ईपयोग करते हए भी भवश्वास कदलाना चाभहए।
हालांकक, यकद कामनापूणथ भवचारणा का ईपयोग करके भावना को ऄपील की जाती है (ऄथाथत कु छ ऐसा
भजसकी कल्पना करना अनंदकारी होता है लेककन साक्ष्य या त्य पर अधाररत नहीं होता है), तो यह
तार्ककक भ्रांभत बन जाता है। कामनापूणथ भवचारणा या चापलूसी या घृणा को ऄपील से ऄभभवृभि में के वल
एक ऄस्थायी पररवतथन लाया जा सकता है। भभवष्य में आससे वांभछत ऄभभवृभि के भवपरीत ऄभभवृभि के
भवकास का भी मागथ प्रिस्त हो सकता है। आसभलए, ऄके ले भावनाओं को ऄपील ऄभभवृिात्मक पररवतथन का
संधारणीय अधार नहीं बन सकता है। त्यों का मूल्यांकन संदि
े को वैधता प्रदान करता है और आस प्रकार
यह ऄभभवृभि बदलने का ऄभधक स्थायी तरीका है।

4.7 सामाभजक प्रभाव या ऄनु न य के पररणाम

(Consequences of Social Influence or Persuasion)


ऄनुनय या सामाभजक प्रभाव के पररणाम युभि यों, ईद्देश्यों तथा संदभों भजनमें वे भनभहत हैं, के प्रकारों के
अधार पर ऄच्छे, खराब एवं भनकृ ष्ट हो सकते हैं। पररणामों के आन प्रकारों की चचाथ नीचे की गइ है:
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ऄनुनय का भनकृ ष्ट स्वरूप (Ugly Face of Persuasion)


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भनकृ ष्ट प्रभावक ऄन्य व्यभि यों को भनणथयों में धके लते और बाध्यकारी रूप से िाभमल करते हैं। ईनकी कायथ
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िैली ऄन्यों को िभि हीन महसूस करवाने तथा नवाचार या पररवतथन हेतु प्रभतरोधक बनाने की होती है। आसे
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ईस भस्थभत के प्रभत संदर्तभत ककया जाता है जहाुँ ऄनुनय का ईद्देश्य सवथथा स्वाथथपूणथ हो सकता है।
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ईदाहरणाथथ भविीय ईपकरणों का छलयुि भविय या ऄसत्य दावों के द्वारा ग्राहकों को ठगना।
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खराब ऄनुनय (Bad Persuasion)


बुरे प्रभावक वैध एवं वांछनीय लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु करठन पररश्रम कर सकते हैं, परन्तु ईनमें ककसी को
सफलतापूवथक प्रभाभवत करने हेतु कौिल का ऄभाव होता है। ईनकी कायथिैली लोगों को यह ऄनुभव कराने
का कारण बनती है कक ईन्हें ऄनुपयुि अभधकाररक भनयमों के माध्यम से दंभडत या मूखथ बनाया जा रहा है,
ईन सभी को प्रसन्न करने हेतु जो ऄप्रभावी कदखाइ देते हैं। आस मामले में ईद्देश्य भविुद् है परन्तु साधन
ऄप्रभावी हैं। ईदाहरणाथथ बाध्यकारी बंध्याकरण के साथ पररवार भनयोजन को प्रोत्साभहत करना जैसा कक
अपातकाल के दौरान हअ था।
ऄच्छा ऄनुनय (Good Persuasion)
ऄच्छे प्रभावक लोगों का ऐसे मुद्दे पर ध्यान के भन्द्रत करवाते हैं जो स्पष्ट एवं सरल रूप से प्रस्तुत ककया गया
है। साथ ही िाभमल लोगों के भलए मुद्दे का भावनात्मक मूल्य क्या है आसका पता लगाते हैं तथा ईन लोगों की
संतुभष्ट के भलए समाधानों की खोज करते हैं भजन्हें आन समाधानों को ऄमल में लाने की अवश्यकता होती है।
ऄच्छे प्रभावक प्रभाविाली होते हैं क्योंकक वे भवश्वास ईत्पन्न करते हैं जो ऄन्य लोगों को जोभखम लेने में
सिम बनाता है। संचार स्थाभपत करने एवं सूचना प्रदान करने तथा ऄन्यों को िाभमल करने का ईनका
स्वभाव लभित जनसंख्या के मध्य भनष्ठा का भनमाथण करता है। वे ऄपील-तकथ , भावुकता और भय के भवभभन्न

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प्रकारों का प्रभाविाली प्रयोग करते हैं। ईदाहरण के भलए ऄस्पृश्यता के भवरूद् पररवर्ततत दृभष्टकोण को प्रेर क
कारक, भावपूणथ ऄपील तथा कानून के भय को िाभमल करना चाभहए।

4.8 ऄनु न य बनाम छल-कपट (Persuasion vs. Manipulation)

ऄनुनय और छल-कपट के मध्य ऄंतर लाभ के सृजन हेतु ऄंतर्तनभहत प्रयोजन एवं आच्छा में भनभहत है। ऄनुनय
और छलयोजन के मध्य भवभेद भनम्नभलभखत में समाभहत हैं:
1) ईस व्यभि को प्रोत्साभहत करने हेतु अपकी आच्छा के पीछे भनभहत प्रयोजन,
2) प्रकिया की सत्यवाकदता तथा पारदर्तिता और
3) ईस व्यभि पर प्रभाव।
छलयोजन या छल-कपट का ऄथथ नकारात्मक भाव में है। आसका तत्पयथ संचार की दूसरी तरफ ककसी व्यभि
को कु छ करने, ककसी सेवा या वस्तु में भवश्वास करने, या ककसी वस्तु को खरीदने में व्यभि को मूखथ बनाने,
भनयंभत्रत या भनरूपण करने के प्रयोजन के साथ प्रोत्साहन है जो या तो ईसे नुकसान पहंचाता है या भबना
लाभ के छोड़ देता है। आसका यह ऄथथ भी भनकाला जा सकता है कक अप ईन्हें आस तरीके से ऄपने दृभष्टकोण में
स्थानांतररत करने की आच्छा को गौण रख रहे हैं भजससे के वल अपको ही लाभ होगा। यकद ये लाभ ईजागर
हो जाते हैं तो यह रहस्योद्घाटन अपके संदि
े हेतु ऄन्य व्यभि को बहत कम ग्रहणिील बना देगा।
ईदाहरण
एक कार िोरूम में एक भविे ता के मामले को ले सकते हैं। एक व्यभि ऄपने 6 सदस्यों वाले पररवार के भलए
पररवार के अकार के ऄनुकूल तथा ककफायती कार खरीदने हेतु िोरूम में अता है। भविे ता ऄपनी प्रेरक
योग्यताओं के साथ ईस व्यभि को यह भवश्वास कदलाने में सिम है कक ईसे एक भमनी वैन नहीं बभल्क एक
युवा जैसा कदखने के भलए एक स्पोर्टसथ कार खरीदनी चाभहए और ऐसा करने में ऄपने बच्चों को भसखाए कक
ईनके युवा अदिों के भलए स्वाभाभवक बने रहना ककतना महत्वपूणथ है। पूणथतया यह जानते हए कक ईसे यह
कार लेना महुँगा पड़ेगा, तथा वह कार ईनके भलए पूणथतया ऄनुपयुि है। यही छलयोजन या छल-कपट है।
लेककन यकद वह व्यभि के वल कु छ धन व्यथथ में व्यय करने के एक ईद्देश्य के साथ अया है? तथा भविे ता धीरे-
धीरे और िमबद् ढंग से वाताथ करने तथा त्यों का एक संग्रह प्रस्तुत करने की ऄपनी ऄनुनय योग्यता का
प्रयोग कर सकता है। जो ऄभधक ककफायती और पररवार के भलए ईपयुि कार खरीदने के भविुद् लाभों को
समझने हेतु ईस व्यभि का मागथदिथन करेंगे। यह ऄनुनय है न कक छलयोजन।
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5. भवचार और व्यवहार के साथ ऄभभवृ भि का संबंध


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(Attitude’s Relation with Thought and Behaviour)


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5.1. ऄभभवृ भि हमारे भवचार और व्यवहार को कक स प्रकार प्रभाभवत करती है ?


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(How does Attitude Influence our Thought and Behaviour?)


ऄभभवृभि "सामाभजक रूप से महत्वपूणथ वस्तुओं, समूहों, घटनाओं या प्रतीकों के प्रभत भवश्वासों, भावनाओं,
और व्यवहारात्मक प्रवृभियों का ऄपेिाकृ त स्थाइ ढांचा होता है"। चूुँकक, ऄभभवृभि कु छ ऄथों में व्यवहार
करने के प्रभत प्रवृभि को भी सभम्मभलत करती है, आसभलए हमारी ऄभभवृभि को ऄभभवृभिगत वस्तुओं के प्रभत
हमारे व्यवहार के कारक के रूप में माना जा सकता है।
आस तरह ऄभभवृभियाुँ यह दिाथती हैं की वह ककस सीमा तक, और ककन पररभस्थभतयों में, हमारे द्वारा ककए
जाने वाले कायों को प्रेररत करती हैं? जो हम हैं (अंतररक रूप से) और जो हम करते हैं (बाह्य रूप से) ईसके
बीच क्या संबंध है?
ऄभभवृभि सम्बन्धी ऄनुसध
ं ान के अरभम्भक समय में, ऄभधकांि ऄनुसध
ं ानकताथओं ने यह पूवथ भनधाथररत माना
कक मानवीय व्यवहार सामाभजक ऄभभवृभियों से प्रेररत होता है। यह मान भलया गया था कक ऄभभवृभि मानव
व्यवहार को समझने का मूल साधन है। आसके ऄभतररक्त, ऄभभवृभि के भवषय में ककए गए अरभम्भक
ऄध्ययनों ने आस धारणा पर कोइ संदह
े ‍यक्त नहीं ककया। तथाभप कु छ िोधकताथओं ने आस धारणा को चुनौती

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प्रस्तुत की। ईन्होंने तकथ कदया कक ऄभभवृभि– व्यवहार संबंध ऐसे कायथ करता है, भजसमें हमारा व्यवहार ऄश्व
के रूप में और हमारी ऄभभवृभियाुँ एक गाड़ी के समान कायथ करती हैं और यह कक लोगों की ‍यक्त
ऄभभवृभियों से ईनके भभन्न-भभन्न ‍यवहार का ऄनुमान िायद ही लगाया जा सकता है।

मुख्य ऄध्ययन: ला-भपयरे (1934)

ईद्देश्य: ऄभभवृभियों और व्यवहार के मध्य ऄन्तसथम्बन्धों का भवश्लेषण करना।

भवभध : ला-भपयरे ने ईस समय चीन भवरोधी भावनाओं के व्याप्त होने के कारण एक चीनी जोड़े के साथ
भेदभावपूणथ व्यवहार ककए जाने और ईसे देखने की ऄपेिा से ऄमेररकी होटलों का दौरा ककया। ईस समय
एभियाआयों के भवरुद् व्यापक पूवाथग्रह था और और नस्लीय भेदभाव के भवरुद् कोइ कानून नहीं थे। ईन्होंने
67 होटलों और 184 रेस्टोरेंट का दौरा ककया। ईनके लौटने के छह महीने बाद बाद, ईन्होंने भजन प्रभतष्ठानों
का दौरा ककया था ईन्हें एक पत्र भेजा, भजसमें यह पूछा गया था कक क्या वे चीनी ऄभतभथयों को स्वीकार
करेंगे।

पररणाम: भजन प्रभतष्ठानों का ईन्होंने दौरा ककया था ईनमें से के वल एक प्रभतष्ठान ने ईन्हें ऄस्वीकृ त ककया
और अमतौर पर ईनके साथ भवनम्रतापूणथ व्यवहार ककया गया था। ईस पत्र का ईत्तर देने वाले 128
प्रभतष्ठानों में से 91% ने कहा कक वे चीनी ऄभतभथयों को स्वीकार करने के भलए तैयार नहीं थे।

भनष्कषथ: ऄभभवृभियों से सदैव व्यवहार का पूवाथनुमान नहीं लगाया जा सकता। ऄभभवृभियों के संज्ञानात्मक
और प्रभावी ऄवयव व्यवहार में ऄभनवायथ रूप से व्यि नहीं होते हैं। आस प्रकार, ला-भपयरे के ऄध्ययन से पता
चलता है, कक ऄभभवृभियों के संज्ञानात्मक और प्रभावी ऄवयव (जैसे कक चीनी लोगों को नापसंद करना)
ईनके वास्तभवक व्यवहार (जैसे कक ईन्हें सेवा प्रदान करने) में ऄभनवायथ रूप से प्रदर्तित नहीं होता है।
आस प्रकार, यह सत्य नहीं है कक ऄभभवृभि से सदैव ‍यवहार का पूवाथनम
ु ान लगाया जा सके गा। कु छ भविेषज्ञों
के ऄनुसार, यह धाररत ऄभभवृभि की िमता या तीव्रता पर भनभथर करता है।
ऄभभवृभि िमता (Attitude Strength)
ऄभभवृभि भजस िमता से धारण की जाती है वह प्राय: व्यवहार का ऄच्छा पूवाथनम
ु ान होता है। ऄभभवृभि
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भजतनी ऄभधक प्रबल होगी ईसके द्वारा ‍यवहार को प्रभाभवत करने की संभावना ईत्नी ऄभधक बढ़ जाएगी।
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ऄभभवृभि की िमता में समाभवष्ट होते हैं:


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महत्व/व्यभि गत प्रासंभगकता का संदभथ व्यभि के भलए ऄभभवृभि की महिा एवं ईसके स्वभहत, सामाभजक
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पहचान और मूल्य से ईस ऄभभवृभि के संबंभधत होने की कायथप्रणाली से होता है। यकद ककसी ऄभभवृभि के
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प्रभत ककसी की व्यभि का ईच्च भहत जुड़ा हअ है (ऄथाथत् यह ऐसे समूह द्वारा धारण की जाती है भजसका वह
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‍यभि सदस्य है या भजसका सदस्य होना वह ‍यभि पसंद करेगा, और व्यभि के मूल्यों से संबंभधत है), तो वह
ऄत्यभधक महत्वपूणथ प्रभाव डालने वाली है। पररणामस्वरूप, व्यभि के व्यवहार पर ईस ऄभभवृभि का सिक्त
प्रभाव पड़ेगा। आसके भवपरीत, यकद ऄभभवृभि व्यभि के जीवन से पयाथप्त रूप से संबंभधत नहीं हो तो वह
ईसके भलए महत्वपूणथ नहीं होगी।
ऄभभवृभि की िमता का ज्ञान (knowledge) पहलू ऄभभवृभिगत वस्तु के प्रभत ‍यभि के ज्ञान के पररमाण
को समाभवष्ट करता है। भजन भवषयों में लोगों की रुभच होती है लोग ईनके प्रभत ऄभधक जानकार होते हैं और
फलस्वरूप ईनमें ईनके प्रभत प्रबल ऄभभवृभियाुँ (सकारात्मक या नकारात्मक) धारण करने की संभावना होती
है। प्रत्यि ऄनुभव पर अधाररत ऄभभवृभियों को ऄभधक मजबूती से धारण ककया जाता है और वे ऄप्रत्यि
रूप से (ईदाहरण के भलए कहीं सुनने, पढ़ने या टेलीभवजन पर देखने के माध्यम से) भनर्तमत ऄभभवृभियों की
तुलना में ‍यवहार को ऄभधक प्रभाभवत करती हैं।
लेककन, के वल ऄके ले ऄभभवृभि की िमता भी हमारे व्यवहार का सटीक पूवाथनम
ु ान नहीं हो सकती, आसभलए
कु छ भविेषज्ञों ने ऄभभवृभि- व्यवहार संबध
ं का भनधाथरण करने के भलए भनम्नभलभखत कारकों को भजम्मेदार
मानने का सुझाव कदया है। ये हैं:

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ऄभभगम्यता (Accessibility): आसका संबंध ऄभभवृभि धारक के मभस्तष्क को ऄभभवृभि की सहज


ईपलब्धता से है। आसका ऄथथ यह है कक ऄभभवृभि धारक, ऄभभवृभि के “एबीसी” ऄवयवों के भवषय में सचतेन
है (भावात्मक|संज्ञानात्मक|व्यवहारात्मक) आसभलए वे ऄभभवृभि धारक के मन में तुरंत अ जाते हैं।
भवभिष्टता (Specificity): ऄभधकतर लोग कइ भवषयवस्तुओं के प्रभत ऄपनी पसंद/नापसंद के भवषय में
सुभनभित नहीं होते हैं। यकद ककसी वस्तु के प्रभत हमारी कोइ भवभिष्ट ऄभभवृभि नहीं है, तो यह पररवर्ततत हो
सकती है,ऄथाथत यह ऄभी भी सुदढ़ृ रूप से गरठत नहीं हइ है और ईसे थोड़े से प्रयास जैसे कक नए ज्ञान की
ईपलब्धता से पररवर्ततत ककया जा सकता है। भवभिष्टता का ऄथथ यहां पर यह है कक ककसी भवषय वस्तु के प्रभत
हमारी ऄभभवृभि ककतनी भवभिष्ट है। ककसी भवषय वस्तु के प्रभत होने धुंधली या एकाभधक ऄभभवृभियाुँ धारण
करने से ईनकी भवभिष्टता कम हो जाती है। ईदाहरण के भलए, ककसी मुद्दे के प्रभत राजनीभतक ऄभभवृभि
धुंधली हो सकती है और हमारे समूह की मान्यता के ऄनुसार पररवर्ततत हो सकती है। ईस भस्थभत में आससे
कु छ भ्रभमत व्यवहार ईत्पन्न हो जाता है ।
सामंजस्य (Congruence): भवभिष्टता से अगे बढ़ते हए, ऄनुरूपता का संबंध हमारी ऄभभवृभि के भवभभन्न
ऄवयवों के बीच सुसंगतता से होता है। यकद ज्ञान संबंधी ऄवयव और भावात्मक ऄवयव हमारे व्यवहार की
तुलना में ऄसंगत हैं तो हमारा व्यवहार हमारी ऄभभवृभि के स्थान पर हमारी पररभस्थभत पर ऄभधक भनभथर
होगा। महाभारत ‘मनसा, वाचा, कमथणा’ के भवषय में चचाथ करता है। मनसा िब्द मन से संबंभधत है, वाचा
का संबंध वाणी से है, और कमथणा का संबंध हमारे कायों से है । आनका ईपयोग ककसी व्यभि के व्यवहार में
सुसंगतता या सामंजस्य की ऄवस्था की व्याख्या करने के भलए ककया जाता है। ‘मनसा, वाचा, कमथणा’ का
सूत्र वाक्य सामान्य रूप से यह भनभहताथथ व्यि करने के भलए ईपयोग ककया जाता है कक व्यभि को ऐसी
ऄवस्था प्राप्त करने का प्रयास करना चाभहए जहां ईसके भवचार, ईसकी वाणी और ईसके कायथ एक दूसरे से
मेल खाते हों।

5.2. ऄभभवृ भि से व्यवहार का पू वाथ नु मान कब होता है ?

(When Does Attitude Predict Behaviour?)


पूवथवतगीक भाग में हमने देखा कक ऄभभवृभि हमारे व्यवहार को ककस प्रकार प्रभाभवत करती है। यहां हम देखग
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कक ऄभभवृभि से व्यवहार का पूवाथनुमान कै से लगाया जाता है, ऄथाथत ऐसी कौन-सी पररभस्थभतयाुँ हैं, भजनमें
हम व्यभि की ऄभभवृभि की भवषय में जानकारी प्राप्त करके व्यभि के व्यवहार का पूवाथनम ु ान लगा सकते हैं।
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ऄनुसंधानों से यह पता लगा है कक लोगों द्वारा कु छ पररभस्थभतयों के ऄंतगथत ऄपनी ऄभभवृभियों के ऄनुसार
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व्यवहार करने की ऄभधक संभावना होती है। यह भविेष रूप से तब होता है जब:
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 ऄभभवृभियाुँ व्यभि गत ऄनुभव का पररणाम होती हैं।


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 जब व्यभि ककसी ऄनुकूल पररणाम की ऄपेिा करता है।


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 जब ऄभभवृभियाुँ बारंबार ऄभभव्यि की जाती हैं।


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 जब भवचाराधीन मुद्दे के कारण कोइ व्यभि कु छ प्राप्त करने या खो देने की भस्थभत में होता है।
 जब हमारी ऄभभवृभियों का भवरोध करने वाले पररभस्थभतजन्य कारक कमजोर होते हैं।
 जब हम ईन से ऄवगत होते हैं, और
 ईन्हें दृढ़तापूवथक धारण ककया जाता है।
हमारा व्यवहार और हमारी ऄभभव्यि ऄभभवृभियाुँ भभन्न होती है क्योंकक दोनों ऄन्य प्रभावों से प्रभाभवत हो
जाते हैं। लेककन हम यकद हमारे व्यवहार पर ऄन्य प्रभावों को भनरस्त कर सकें - ऄन्य सभी भवषय वस्तुओं को
समान बना सकें - तो ऄभभवृभियों से बहत सटीकता पूवथक व्यवहार का पूवाथनुमान लगाया जा सकता है।
भनम्नभलभखत चबदु ईन पररभस्थभतयों की भवस्तार पूवक थ व्याख्या करते हैं भजनके ऄंतगथत लोगों द्वारा ऄपनी
ऄभभवृभियों के ऄनुसार व्यवहार करने की ऄभधक से ऄभधक संभावना होती है।

5.2.1. ऄभभवृ भि की िमता (Strength of Attitude)

ईच्च ऄभभवृभि- व्यवहार सुसंगतता की एक महत्वपूणथ ितथ यह है कक ऄभभवृभि मजबूत और स्पष्ट हो।
ऄभभवृभियों की िमता व्यभि गत भनभहताथों; प्रत्यि ऄनुभव के माध्यम से गरठत; ऄत्यभधक ऄंतःस्थाभपत
ऄभभवृभियों, पर भनभथर करती है ऄथाथत् वे लोगों द्वारा धारण ककए जाने वाले ऄन्य भवश्वासों से संबद् होती
हैं।

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5.2.2. ऄभभवृ भि की भस्थरता (Stability of the Attitude)

कम भस्थर और स्मरण न अने वाली ऄभभवृभियों की तुलना में सहजता पूवथक स्मरण की जाने वाली भस्थर
ऄभभवृभियों के माध्यम से व्यवहार का पूवाथनुमान लगाए जाने की संभावना ऄभधक होती है।

5.2.3. ऄभभवृ भि की पहुँ च या ऄभभगम्यता ( Accessibility of the Attitude)

ऐसी ऄभभवृभियाुँ भजन तक स्मृभत की पहंच ऄभधक होती है वे व्यवहार को ऄभधक प्रबलता पूवथक प्रभाभवत
करती हैं। ककसी ऄभभवृभि तक स्मृभत की पहंच है या नहीं आसका भनधाथरण करने वाला एक प्राथभमक कारक
यह है कक ईसे ककतने बारंबार ऄभभव्यि ककया जाता है। जब ऄभभवृभियाुँ ऄभधकाभधक बारंबार ऄभभव्यि
ही जाती हैं तो वे और ऄभधक प्रबल हो जाती हैं। ऄथाथत् ककसी ऄभभवृभि को ऄभभव्यि करने की भजतने
ऄभधक ऄवसर अपके भमलते हैं, ईस ऄभभवृभि को अप ऄपने भलए ईतना ही ऄभधक महत्वपूणथ मानते हैं।

5.2.4. ऄभभवृ भि की प्रमु ख भविे ष ता (Salience of the attitude)

प्रमुख भविेषता या ख़ाभसयत, भविेष रूप से महत्वपूणथ होने का गुण है। ऄभधकांि भस्थभतयों में, कइ भवभभन्न
ऄभभवृभियाुँ व्यवहार के भलए प्रासंभगक हो सकती हैं। प्रमुख भविेषता, भविेष रूप से ईस समय महत्वपूणथ
होती है जब ऄभभवृभि बहत सुदढ़ृ नहीं होती है। प्रमुख भविेषता का संदभथ आस त्य से है कक ‍यभि के सभी
भवश्वासों कोiaऄपने संज्ञानात्मक िेत्र में समान महत्ता प्राप्त नहीं होती है। वह ऄपने कु छ भवश्वासों के प्रभत
ऄभधक तीव्रता से जागरूक हो सकता है, वे ईसके भवचारों में ऄभधक सहजतापूवथ ऄपनी ईपभस्थभत दजथ कर
सकते हैं, ईन्हें ऄभधकाभधक बार वाणी के माध्यम से ‍यक्त ककया जा सकता है, एक िब्द में कहें तो वे प्रमुख
होते हैं। मान लीभजए ककसी व्यभि कु छ ऐसी वस्तुओं का नाम लेने के भलए कहा जाता है जो “जब अप
खरीदने के बारे में सोचते हैं तो अपके ध्यान में अती हैं …”. तो वह व्यभि भजस िम में ईन वस्तुओं का नाम
लेता है वह प्रमुखता को दिाथता है। कृ पया ध्यान दीभजए की प्रमुख भविेषता पूणत
थ या महत्ता का पयाथयवाची
नहीं है। ऄभपतु ककसी भविेष वस्तु की ओर ऄभभवृभि की प्रमुखता को व्यवहार का समुभचत कारक माना
जाता है।

5.2.5. ऄभभवृ भि के भावात्मक बनाम सं ज्ञानात्मक पि


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l.c
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(Affective vs. Cognitive Aspects of an Attitude)


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कु छ ऄभभवृभियाुँ ऄपने समथथन के भलए संज्ञान ऄथाथत् ऄभभवृभिगत वस्तु ओं के प्रभत भवश्वासों पर ऄत्यभधक
11

भनभथर करती हैं। ऄन्य ऄभभवृभियाुँ ऄभधकाभधक भावात्मक अधार पर स्थाभपत होती हैं, जो ऄभभवृभिगत
13
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वस्तु के प्रभत ‍यभि द्वारा संबद् की जाने वाली सकारात्मक या नकारात्मक भावनाओं पर भनभथर होता है।
su

ऄभभवृभि के भावात्मक ऄवयव को ऄभधक प्रमुख बनाना ‍यवहार पर भावात्मक ऄवयव के प्रभाव को बढ़ाता
है, जबकक संज्ञानात्मक ऄवयव को और ऄभधक प्रमुख बनाना संज्ञानात्मक ऄवयव को ‍यवहार का ऄभधक
सिक्त भनधाथरक बनाता है। हालांकक, जब ऄभभवृभि के संज्ञानात्मक और भावात्मक ऄवयव एक दूसरे से
सुसंगत होते हैं, तो ककसी को भी प्रमुख बनाने से ऄंतर नहीं पड़ता: ककसी को भी प्रमुख बनाने से दोनों
‍यवहार के साथ ऄत्यभधक सुसंगत होंगे।

6. भवचार ककए जाने हे तु ईदाहरण


(Examples for Pondering)

6.1. के स स्टडी 1

गंगा ऄल्सेक टेनोलोलॉजीज के भलए काम करने वाली सॉफ्टवेयर आंजीभनयर है। वह ऄपनी प्रभतस्पधगीक फमथ
नोवाटेक्स भसस्टम्स से नौकरी का प्रस्ताव पाकर रोमांभचत थीं। वह नोवाटेक्स की ईद्योग ऄग्रणी और अदिथ
भनयोि ा के रूप में बहत सराहना करती थी। भजस पद का ईसे प्रस्ताव भमला था, ईसकी ईसे हमेिा से ही

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चाह थी। ऄपने पभत भवष्णु से ईसने आस प्रस्ताव पर चचाथ की। भवष्णु ने कु छ प्रश्न ईठाए, भजन्होंने ईसे
परेिानी में डाल कदया। भवष्णु ने ईससे भजस बड़ी पररयोजना पर वह काम कर रही थी ईसके संबध
ं में पूछा।
ईसने ईसे याद कदलाया कक आस पररयोजना को प्रारंभ करने में वह प्रमुख प्रेरक थी। ईसने कहा, यकद तुम आस
समय ऄल्सेक को छोड़ देती हो, तो वे बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं। भवष्णु ने अश्चयथ के साथ पूछा कक क्या
ईसका आस समय जाना कं पनी और पूरी पररयोजना टीम को भनराि करने वाला नहीं होगा।
ईसने ऄल्सेक में ऄच्छा काम ककया है और कं पनी ने ईससे ऄच्छा ‍यवहार ककया है। मुद्दा यह है कक अपके
भलए क्या करना सही है, न कक कं पनी क्या करेगी या नहीं करेगी। दोनों प्रभतस्पधगीक फमें हैं। यह पाला बदलने
जैसा है। यह के वल कं पनी के प्रभत भनष्ठा नहीं है, बभल्क भजन लोगों के साथ अप काम करते हैं ईनके प्रभत भी
भनष्ठा है। नोवाटेक्स को तुरंत ककसी की अवश्यकता है। लेककन ईन्होंने प्रस्ताव के संबध
ं में सोच-भवचार करने
के भलए ईसे कु छ और समय कदया। यह गंगा के भलए एक एक बहत बड़ा ऄवसर है। भवष्णु के साथ ईसकी
बातचीत ने ईसे परेिानी में डाल कदया और वह सोचने लगी कक क्या वह ऐसे प्रस्ताव को स्वीकार करके सही
काम करेगी, भजसे वह बहत समय से चाहती है।
 गंगा को क्या करना चाभहए ? ककन अदिों, दाभयत्वों और प्रभावों को ईसे ध्यान में रखना चाभहए।
 क्या सब कु छ छोड़ देना और नोवाटेक्स में चले जाना गंगा का गैर-पेिेवर व्यवहार होगा ? क्या आससे
वह सत्यभनष्ठा की कमी प्रदर्तित करेगी ? क्या एकाएक नौकरी छोड़कर जाना ईसके कै ररयर को
नकारात्मक रूप से प्रभाभवत कर सकता है?
 क्या नइ कं पनी में पदभार ग्रहण करना नैभतक रूप से गलत है, नैभतक रूप से ईभचत है या नैभतक रूप से
अवश्यक है? गंगा के भवकल्पों का परीिण कीभजए।
ईपयुथक्त प्रश्नों का ईिर देने के भलए भनम्नभलभखत पर भवचार कीभजए
प्रासंभगक त्य क्या हैं?
1. गंगा ऄल्सेक के भलए काम करने वाली सॉफ्टवेयर आंजीभनयर है, लेककन वतथमान में वह ऐसी नौकरी में
नहीं है भजसे वह हमेिा से चाहती रही है।
2. ईसे नोवाटेक्स से एक प्रस्ताव भमलता है, लेककन ईसका पभत ईसे याद कदलाता है कक आस समय वह
ऄल्सेक के भलए ककतनी महत्वपूणथ है।
3. ईसने प्रभतस्पधगीक फमों में पाला बदलने वाले ऄपने सहयोभगयों के संबंध में टीका-रटप्पणी की।
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नीभत िास्त्रीय मुद्दे क्या हैं?


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1. क्या गंगा को आस त्य के बावजूद नोवाटेक्स में सभम्मभलत हो जाना चाभहए कक वह वतथमान
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पररयोजना के पीछे प्रेरक बल है ?


11
13

2. गंगा को ककस अधारों को ध्यान में रखते हए भनणथय लेना चाभहए ?


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संभव समाधान
su

वतथमान में, गंगा का वतथमान भनयोि ा ईसे िीषथ भनष्पादक मानता है और ईनका व्यवहार गंगा के प्रभत
ऄच्छा है। एक प्रभतस्पधगीक कं पनी ईसे लेना चाहती है। गंगा को ईनके प्रस्ताव को सुनने एवं ईस पर भवचार
करने का ऄभधकार है।
वह ऄल्सेक में ऄपने कै ररयर की उंचाआयों को छू चुकी है और नोवाटेक्स द्वारा प्रस्ताभवत ललचाने वाला यह
पद भवकास का ऄवसर प्रस्तुत करता है, और वह आस पर भजज्ञासावि या कै ररयर की महत्वाकांिा से प्रेररत
होकर, भवचार करना चाहती है।
यकद वह बुभद्मानी से देख,े तो ईसका वतथमान भनयोि ा आसे भनष्ठाहीनता के रूप में देख सकता है। वह स्पष्ट
नीभतिास्त्रीय सीमाएं बनाए रखकर आस जोभखम को कम कर सकती है। सामान्य बुभद्मत्ता रखने वाला
व्यभि ऐसी भस्थभत में क्या करेगा ?
 सवथप्रथम, प्रभतस्पधगीक कं पनी का प्रस्ताव सुनने पर ईसे आस बात के प्रभत सुभनभित होना चाभहए कक ईसे
वे ऐसा कु छ नहीं बताएंगे जो वे नहीं चाहते हैं कक वह जाने, यकद वह ऄपने वतथमान भनयोि ा के भलए
काम करना जारी रखती है। ऐसा करना ईसकी सत्यभनष्ठा और व्यावसाभयकता में वृभद् करेगी।
 भद्वतीय, प्रभतस्पधगीक का प्रस्ताव स्वीकार करने से पहले, वह ऄपने वतथमान भनयोि ा को प्रभतस्पधाथत्मक
प्रस्ताव देने का ऄवसर दे सकती है।

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 तृतीय, यकद वह ऄपनी वतथमान कं पनी छोड़ती है, तो ईसे वतथमान पररयोजना को पूरा करके (भजससे
वह जुड़ी है) ईनके साथ समुभचत ‍यवहार करना चाभहए क्योंकक नीभतिास्त्र मांग करता है कक वह पूवथ
भनयोि ा की अतंररक जानकाररयों को नए भनयोि ा से साझा नहीं करें ।
 चतुथ,थ ईसे ऄपने वतथमान भनयोि ा को भवश्वास में लेते हए यह सुभनभित करना चाभहए कक नया प्रस्ताव
बस ईन्नभत संबंध ऄवसर के भलया है और वह प्रभतस्पधगीक कं पभनयों के बीच पाला बदलने वाले
कमथचाररयों को नकारात्मक रूप से देखने की चचताओं को कम करेगी।
 आसके बाद, दो भवकल्पों का अकलन करते हए, ईसे स्वयं से पूछना चाभहए कक क्या वह आस समय
जोभखम ईठाकर ऄपनी पसंद की नौकरी में जाकर या वतथमान कं पनी में संभाभवत रूप से ऄच्छा ऄवसर
खोने जैसी दोनों भस्थभतयों में से ककसे लेकर एक वषथ बाद ऄभधक पछतायेगी। आसे ध्यान में रखते हए वह
या तो ऄपने प्रभतस्पधगीक को फोन करे और मना करते हए धन्यवाद कहे या कफर ईन्हें हाुँ कहे।

6.2. के स स्टडी 2

अप सड़क अयोग के आंजीभनयटरग प्रबंधक हैं भजसका प्राथभमक ईत्तरदाभयत्व भजला सड़क की सुरिा है।
सड़क के एक भनभित भहस्से में आसके ककनारे लगे वृिों से दुघथटनाग्रस्त होकर भवगत सात वषों में कम से कम
प्रभत वषथ 1 व्यभि की मृत्यु हइ है। कइ ऄन्य दुघथटनाएुँ भी हइ हैं। सड़क के ऄसुरभित खंड के संबध
ं में दो
मुकदमे भी दायर ककए गए थे, लेककन आसभलए खाररज हो गए क्योंकक चालकों ने 45 मील प्रभत घंटे की
सीमा का ईल्लंघन ककया था। अप ऄनुिंसा करते हैं कक सड़क चौड़ी की जाए, भजसके पररणामस्वरूप
लगभग 30 पुराने पेड़ काट कदए जाएंगे। पयाथवरणीय समूह भवरोध करते हैं और पेड़ों को बचाने के भलए 150
लोगों द्वारा हस्तािररत याभचका दायर करते हैं। आस मुद्दे के दोनों पिों पर सावथजभनक बहस होती है।
"चचाथ कीभजए कक अप आस चबदु पर कै से अगे बढ़ेंगे।"
सामाभजक मूल्य: आस भस्थभत से भवभभन्न प्रकार के सामाभजक मूल्य संबंभधत हैं। समाज मानव जीवन को
महत्व देता है, आसभलए यह सड़क चौड़ा करने और पेड़ों को काटने का पि लेगा। समाज कानूनों के पालन को
भी महत्व देता है। चूंकक यह तकथ कदया जा सकता है कक दुघथटनाग्रस्त होने वाले लोगों की गभत ऄभधक थी, आस
प्रकार वे कानून का ईल्लंघन कर रहे थे।
भजन कदमों का मैं ऄनुसरण करूुँगा
1. सवथप्रथम, मैं जनता को सूभचत करने के भलए सावथजभनक बैठक अयोभजत करूुँगा। यह ध्यान कदया जाना
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l.c

चाभहए कक याभचका लगाने वाले लोगों की न्यूनतम संख्या प्रभाभवत लोगों का एक बहत छोटा-सा
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भहस्सा है (िहर में 60,000 तक, आसभलए सड़क चौड़ा करने के पि में एक मूक बहमत हो सकता है)।
@

समझाउंगा कक तकनीकी रूप से सबसे ऄच्छा समाधान सड़क को चौड़ा करना ही क्यों है।
11
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2. भजले को सड़क को चौड़ा करना चाभहए और आष्टतम सुरिा के भलए मागथ से सटे पेड़ों को हटा देना
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चाभहए।
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3. भजले को भवस्थाभपत पेड़ों को ऄन्य सावथजभनक संपभि (ईद्यान, अकद) में स्थानांतररत करने पर भवचार
करना चाभहए, यकद संभव हो और दोगुनी संख्या में पेड़ लगाना चाभहए।
यह समाधान सावथजभनक सुरिा (जो मानव नीभतिास्त्र है) और पयाथवरण संरिण (जो पयाथवरणीय
नीभतिास्त्र का भाग है), दोनों को समायोभजत करता है।

6.3. के स स्टडी 3

भपछले महीने नागररक भनवारण से भनपटने के दौरान अपके एक कमथचारी ने भनष्पादन में भारी भगरावट
प्रदर्तित की थी। हालांकक यह भगरावट भपछले छह महीनों से चली अ रही थी, लेककन यह भपछले महीने के
दौरान भविेष रूप से तीव्र थी और अपको बहत सी भिकायतें भमली थीं। आसके ऄभतररक्त, वह देर से अने
लगी थी, भजससे ऄपने काम से बहत कुं ठाग्रस्त लगती थी। ईसकी कुं ठा कायाथलय में वातावरण प्रभाभवत कर
रही थी क्योंकक वह लोकभप्रय कमथचारी थीं और भपछले दो वषों से कं पनी के भलए काम कर रही थी।
व्यभि त्व/चररत्र और ईसके मूल्यों और संगठनात्मक मूल्यों के अधार पर ककसी व्यभि द्वारा की जाने वाली
कायथवाही भनम्नभलभखत है। अप क्या भवकल्प चुनग ें े साथ ही ऄपने चयभनत भवकल्प का औभचत्य दिाथआये।

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1. मैं ईसे बातचीत के भलए बुलाउंगा और समस्या का स्रोत पता लगाने का प्रयास करूुँगा। मैं समझाउंगा
कक यह व्यवहार आससे जुड़े सभी लोगों के भलए बुरा है और ईसमें वह भी सभम्मभलत है। मैं आस ितथ पर
ईसकी सहायता करने की ऄपनी सच्ची आच्छा व्यि करूुँगा कक वह मेरे साथ काम करे , न कक मेरे
भवरूद्।
2. पदावनत करना सवाथभधक ईपयुि समाधान है। ईसके कोइ ऄन्य पद देना श्रेयस्कर रहेगा तथा ईसको
ऑकफस के बैक-एन्ड कायथ सौंपै जा सकते है। कमथचाररयों का मापन ईपलभब्धयों द्वारा ककया जा रहा है
और यकद वह अवश्यकताएं पूरी नहीं करती है तो मेरे पास कोइ भवकल्प नहीं होगा। आसके ऄभतररक्त
वह कमथचाररयों में एक सम्माभनत कमथचारी है और मुझे ईसे ऄन्य सभी कमथचाररयों को भबगाड़ने या
ईसके जैसा व्यवहार करने से रोकना होगा।
3. मैं नकारात्मक माहौल के संबंध में बात करने के भलए कमथचाररयों की बैठक बुलाउुँगा और यह सुभनभित
करूुँगा कक वह कमथचारी वहां न हो ताकक कोइ ऄस्वीकृ भत न हो।
4. वह भपछले दो वषों से काम कर रही है। साथ ही हो सकता हैं, की कु छ कारणों से वो ऄपना सवोत्तम
प्रदान नहीं कर पा रही है। चूुँकक जरूरत के ऄनुसार संवेदनिीलता मेरे काम का भहस्सा है, ऄत: ईसे आस
मामले में कु छ भिभथलता प्रदान करनी होगी।

6.4. के स स्टडी 4
एक सहकमगीक अपको कमतर करके अंक रहा है। आस समय अपके भवभाग में ईसका सबसे कम वररष्ठ पद है
और कम ऄनुभवी है। हालांकक, ईसकी प्रभाविाली ऄकादभमक ईपलभब्धयां हैं और वह बहत प्रभतभािाली है।
अपको सूभचत ककया जाता है कक वह कु छ ईन प्राभधकारों को प्राप्त करने का आच्छु क हैं जो वतथमान में अपके
पास हैं।
अप क्या करेंगे और क्यों? नीचे कदए भवकल्पों में से एक भवकल्प चुभनए और ऄपने जीवन में सीखे मूल्यों से
जोड़ कर कारण बताआए।
A. मैं यह देखूुँगा कक चीजें ककस प्रकार अगे बढ़ रही हैं; भसफथ आसभलए कारथवाइ करना ईभचत नहीं है क्योंकक
ककसी तीसरे पि ने ककसी ठोस साक्ष्य के भबना मुझसे कु छ कहा है।
B. मैं ईसे स्पष्टीकरण देने के भलए बुलाउंगा और आसे तुरंत रूकने के भलए कूरंगा। मैं समझाउंगा कक सहयोग
काम करने का श्रेष्ठ तरीका है और यह कक हम दोनों एक-दूसरे से सीख सकते हैं। यकद वह समझने से
मना कर देता है तो मैं और ऄभधक गंभीर कदम ईठाउंगा।
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C. मैं आन मुद्दों के साथ कोइ कोर-कसर नहीं छोडू ग


ुँ ा, मुझे आस त्य का लाभ ईठाना चाभहए कक ऄभी मैं
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अगे ूरुँ। मैं आसकी सूचना ऄपने पयथवि


े क को दूग
ुँ ा, और ईसे प्रभतस्थापन पर पुनर्तवचार करने का
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परामिथ दूग
ुँ ा।
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11

D. मैं आसे बड़ा मुद्दा नहीं बनाना चाहता ूरुँ और आसभलए मैं तीसरे पि से ईसे सूभचत करने के भलए कूरुँगा
13

कक ईसका व्यवहार ऄस्वीकायथ है।


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6.5. के स स्टडी 5

डायमंड मचेंट स्टोर में हीरे की एक घड़ी चोरी हो जाती है। भवनय द्वारा CCTV टेप के ऄध्ययन के अधार
पर घड़ी की साज-संभाल करते हए देखा गया एकमात्र व्यभि अभूषण सेल्समैन संतोष था, हालांकक यह
ठीक-ठीक नहीं भनधाथररत ककया जा सकता था कक क्या संतोष ने ही घड़ी चुराइ है। ऄन्य कमथचाररयों के
भवपरीत वह झूठ पकड़ने वाले परीिण में भी भवफल रहा था। भवद्या प्रबंधक है और वह ध्यान देती है कक
संतोष के अवेदन में दोष है और भपछले कायथ ऄनुभव के साथ सुसंगत नहीं है। यकद भवनय ने सुझाव नहीं
कदया होता तो ईसने संतोष के अवेदन में ऄभनयभमतताओं को नहीं देखा होता। वह यह भी नहीं सोचती है
कक यकद संतोष ने घड़ी चुराइ है तो ईसे काम जारी रखने देना ईभचत नहीं है। हालांकक, वह महसूस करती है
कक पाररभस्थभतक साक्ष्य के बावजूद दोषी भसद् न होने तक वह भनदोष है।
नीभतिास्त्रीय मुद्दे क्या हैं?
1. चोरी के संदह
े वाले कमथचारी की सेवा समाभप्त के भलए सामान्यत: ईपयुि अधार क्या हैं?
2. यकद ककसी भनयोि ा के पास ऄत्यभधक सिि पाररभस्थभतक साक्ष्य हैं कक कोइ कमथचारी चोरी का दोषी
है, लेककन साक्ष्य भनणाथयक नहीं हैं तो क्या ईन कारकों के अधार पर कमथचारी की सेवा समाभप्त
नीभतिास्त्रीय कदम है जो स्वयं से सेवा समाभप्त का वास्तभवक कारण नहीं हैं?

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3. चोरी के संदह
े वाले कमथचाररयों के नैभतक ऄभधकार क्या हैं?
प्राथभमक भहतधारक कौन हैं?
1. भवद्या
2. भवनय
3. संतोष
4. स्टोर के सभी ऄन्य कमथचारी
संभव भवकल्प क्या हैं?
 संतोष को ईसके अवेदन पत्र में भवसंगभतयों के अधार पर भनकालना।
 कु छ नहीं करना
वैकभल्पक नीभतिास्त्र क्या हैं?
1. संतोष पर क्या प्रभाव पड़ेगा यकद ईसे ईसकी सेवा समाभप्त का वास्तभवक कारण नहीं बताया जाता है?
भवद्या पर क्या प्रभाव पड़ेगा यकद संतोष को ईसकी सेवा समाभप्त का वास्तभवक कारण बताया जाता हैं?
बोझ भवतररत करने के आन दो तरीकों में से कौन-सा सवाथभधक ईभचत है?
2. यकद संतोष का रोजगार समाप्त कर कदया जाता है, तो कौन लाभाभन्वत होगा और ककस पर आसका बोझ
अएगा? कौन लाभाभन्वत होगा और ककस पर प्रभाव पड़ेगा यकद वह नहीं है? लाभ और प्रभाव का
कौन-सा भवतरण सवाथभधक न्यायोभचत है?
3. यकद भवद्या कागजी बारीकी के कारण संतोष को भनकाल देती है, तो क्या ईसे आसका पालन करते हए
स्टोर के अभूषण भवभाग के ऄन्य सदस्यों की भी जांच करनी चाभहए?
यकद संतोष ने वास्तव में घड़ी चुराइ है, तो क्या ईसके भलए रोजगार में बने रहना ईभचत होगा?

7. भवगत वषों में संघ लोक सेवा अयोग (UPSC) द्वारा पू छे


गए प्रश्न
(Past Year UPSC Questions)
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2014
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1. सामाभजक समस्याओं के प्रभत व्यभि की ऄभभवृभि (एटीटयूड) के भनमाथण में कौन-से कारक प्रभाव
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डालते है ? हमारे समाज में ऄनेक सामाभजक समस्याओं के प्रभत भवषम ऄभभवृभियाुँ व्याप्त है।
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हमारे समाज में जाभत प्रथा के बारे में क्या-क्या भवषम ऄभभवृभियाुँ अपको कदखाइ देती हैं, आन
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भवषम ऄभभवृभियों के ऄभस्तत्व को अप ककस प्रकार स्पष्ट करते है?


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2015
1. लोक सेवकों की ऄपने कायथ के प्रभत प्रदर्तित दो ऄलग-ऄलग प्रकारों की ऄभभवृभियों की पहचान
ऄभधकारी तंत्रीय ऄभभवृभि और लोकतांभत्रक ऄभभवृभत के रूप में की गइ है।
(a) आन दो पदों के बीच भवभेदन कीभजए और ईनके गणों-ऄवगुणों को बताआए।
(b) ऄपने देि का तेजी के भवकास की दृभष्ट से बेहतर प्रिासन के भनमाथण के भलए क्या दोनों में
संतुलन स्थाभपत करना संभव है?
2016
1. सामाभजक प्रभाव और ऄनुनय स्वच्छ भारत ऄभभयान की सफलता के भलए ककस प्रकार योगदान
कर सकते है? (150 िब्द)
2. जीवन, कायथ, ऄन्य व्यभि यों एवं समाज के प्रभत हमारी ऄभभवृभियाुँ अमतौर पर ऄनजाने में
पररवार एवं ईस सामाभजक पररवेि के द्वारा रूभपत हो जाती है, भजसमें हम बड़े होते हैं। ऄनजाने
में प्राप्त आनमें से कु छ ऄभभवृभियाुँ मूल्य ऄक्सर अधुभनक लोकतांभत्रक एवं समतावादी समाज के
नागररकों के भलए ऄवांछनीय होते हैं।

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(a) अज के भिभित भारतीयों में भवद्यमान ऐसे ऄवांछनीय मूल्यों की भववेचना कीभजए।

(b) ऐसी ऄवांछनीय ऄभभवृभियों को कै से बदला जा सकता है तथा लोक सेवाओं के भलए
अवश्यक समझे जाने वाले सामाभजक-नैभतक मूल्यों को अकांिी तथा कायथरत लोक सेवकों में ककस
प्रकार संवर्तधत ककया जा सकता है?
2017
1. नैभतक अचरण वाले युवा लोग सकिय राजनीभत में िाभमल होने के भलए ईत्सुक नहीं होते है।
ईनको सकिय राजनीभत में ऄभभप्रेररत करने के भलए ईपाय सुझाआए। (150 िब्द)

8. भवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टे स्ट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)

1. राष्ट्रों की एक-दूसरे के प्रभत ऄभभवृभि को भवभनयभमत करने में नैभतकता का प्रभाव ऄत्यल्प होता
है, आसके कारणों की चचाथ कीभजए?

ईिर: स्थानीय पररचालनों की तुलना में ऄंतरराष्ट्रीय संबंधों के भनधाथरण हेतु नैभतक भनणथय-भनमाथण
ऄभधक चुनौतीपूणथ हो सकता है। आसका तात्पयथ यह है कक राष्ट्रों की ऄभभवृभि को भवभनयभमत करने
में नैभतकता का प्रभाव बहत कम पड़ता है। आसके कु छ कारण भनम्नभलभखत हैं:

 भवदेि नीभत का भनमाथण करना सरकारों का ईिरदाभयत्व होता है। आस प्रकार भवदेि नीभत
भनमाथण में नैभतक भवचारों पर ध्यान कदया जाना सरकार पर भनभथर करता है, न कक ककसी
व्यभि ऄथवा नागररकों पर (हालांकक बेहतर ढंग से संचाभलत लोकतंत्र में लोगों की आच्छा को
सरकार द्वारा ऄभभव्यि ककया जाता है)।
 सरकार एक एजेंट है, सवोपरर नहीं है। आसका प्राथभमक दाभयत्व समाज के भहतों को
om

सुभनभित करना है, भजनका यह प्रभतभनभधत्वक करता है न कक नैभतक अवेगों का, भजसका
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ईस समाज के व्यभि गत तत्वों द्वारा ऄनुभव ककया जाता है।


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 राष्ट्र-राज्य की ऄवधारणा प्राय: देि के सैन्य सुरिा, िेत्रीय एकता एवं ऄखंडता तथा लोगों के
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कल्याण से संबंभधत होती है। आन एवं ऄन्य प्राथभमकताओं के कारण नैभतकता की ऄवधारणा
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सामान्यतया कम महत्वपूणथ हो जाती है।


su

 राष्ट्रीय ऄभस्तत्व की ऄपररहायथ अवश्यकताओं को िायद ही कभी "ऄच्छे" ऄथवा "बुरे" के


संदभथ में वगगीककृत ककया जाता है।
 नैभतकता का कोइ ऄंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकायथ मानदंड नहीं है, भजसके अधार पर कोइ भी
सरकार नैभतक भसद्ांतों के अधार पर कायथ करने की ऄपील कर सकती हो।
 संस्कृ भत-संचाभलत नैभतकता राष्ट्रों के मध्य भभन्न होती है, भजससे ऄंतरराष्ट्रीय िेत्र में कायथ
करते हए एक राष्ट्र के नीभत भनमाथताओं के भलए सख्त नैभतक संभहता का पालन करना करठन
हो जाता है।
 नैभतक दुभवधा (Ethical dilemma) तब ईत्पन्न होती है जब भवदेि नीभत भनमाथताओं को ऐसे
कायों को को ककया जाना भनधाथररत करना होगा जो कक ईस देि में नैभतक रूप से ऄस्वीकायथ
है, परन्तु ऄन्य देि में ऄपेभित और अवश्यक है।
 भवदेिी नीभतयों के भनमाथण के पिात नैभतकता कम होने ऄथवा समाज के ऄनुरूप न होने पर
ईन्हें लागू ककया जाना भवपरीत प्रभाव ईत्पन्न करेगा।

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2. "जो यह कहते हैं कक धमथ का राजनीभत से कोइ सम्बन्ध नहीं है, वे नहीं जानते कक धमथ होता क्या
है।” आस कथन की व्याख्या करें। साथ ही, भारतीय सन्दभथ में राजनीभतक दृभष्टकोण के भनमाथण में
धमथ की भूभमका की जांच करें।
दृभष्टकोण:
यह ईद्रण महात्मा गांधी का है जो लोगों के राजनीभतक और नैभतक दृभष्टकोण के गठन में धमथ के
महत्व को रेखांककत करता है। ईिर को भनम्न प्रकार से गरठत ककया जा सकता है:
 कथन और आसकी पूवथधारणा की भवस्तृत व्याख्या करें।
 आस बात पर भवचार करें कक ककस प्रकार धमथ ने भारत में राजनीभतक दृभष्टकोण को अकार देने
में महत्वपूणथ भूभमका भनभाइ है।
ईिर:
साम्प्रदाभयक अधार पर भारत का भवभाजन तथा एक भवभिष्ट धार्तमक भवचारधारा से सम्बंभधत
राजनीभतक दलों का ऄभस्तत्व महात्मा गांधी के ईपयुि
थ ईद्रण के दृष्टांत तथा प्रमाण हैं। भारत
जैसे एक भवकासिील समाज में, जहां परम्परा अधुभनक प्रथाओं से सह-ऄभस्तत्व बनाए रखती है,
धमथ समाज में सिा के भवतरण में ऄब भी ऄत्यंत महत्वपूणथ भूभमका भनभाता है। आसभलए, यह
भवचार कक राजनीभत धार्तमक भवचारों से भनरापद है, भारतीय समाज के सामाभजक-राजनीभतक
जीवन में धमथ की िभि िाली भूभमका की ऄज्ञानता तुल्य है। यह कहा जा सकता है कक धमथ अज
भी भारत में लोगों के बड़े वगथ के राजनीभतक दृभष्टकोण को मूल रूप से भनर्तमत करता है।
यद्यभप पररवार, जाभत, नस्लवाद, िेत्र, वृभि जैसे कइ भवभभन्न कारक हैं जो लोगों के सामान्य
राजनीभतक दृभष्टकोण का भनधाथरण करते हैं, लेककन भारतीय पररप्रेक्ष्य में धमथ ने ऐभतहाभसक रूप से
बड़ी महत्वपूणथ भूभमका भनभाइ है। आस भस्थभत के भवभभन्न सभन्नभहत कारण भनम्नभलभखत हैं:
 भवभवधतापूणथ सामाभजक संरचना के बाद भी भवभवध ऄल्पसंख्यक धार्तमक समुदायों की
ऄपेिा एक धमथ के प्राबल्य ने सामाभजक-राजनीभतक जीवन में धार्तमक पहचान को महत्वपूणथ
बना कदया।
 औपभनवेभिक दौर में समाज को धार्तमक-राजनीभतक अधार पर भवभाभजत करने हेतु धार्तमक
पहचान पर बल कदया गया था। तभी से भारत के राजनीभतक पररदृश्य में धमथ एक महत्वपूणथ
सामाभजक िभि बन गया।
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 धमथ समाज का नैभतक ढांचा प्रदान करता है जो राजनीभतक कायों को भी प्रभाभवत करता है।
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जैसे गौ-मांस के प्रयोग को प्रभतबंभधत करना, समाज में नारी की भूभमका अकद।
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 राजनीभतक स्वाथों हेतु धार्तमक पहचानों का ईपयोग करना ऄपेिाकृ त सरल है क्योंकक वे
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पुरातन हैं और जनता पर ऄनुनादी प्रभाव पैदा करते हैं या सरलता से ईनकी समझ में अ
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जाते हैं।
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su

3. "ऄनुनय से समाज सुचारू रूप से काम करता है जबकक ऄवपीड़न आसे ठहराव की भस्थभत में ला
देता है।" समाज में पररवतथन लाने के भलए प्रभावकारी भूभमका के तौर पर ऄनुनय की
प्रभाविीलता की तुलना ऄवपीड़न के साथ करें। समाज से वतथमान सामाभजक बुराआयों को दूर
करने में लोक सेवक ककस प्रकार ऄनुनय का ईपयोग कर सकते हैं?
दृभष्टकोण:
प्रश्न का मूल भवषय दूसरों को प्रभाभवत करने और समाज में पररवतथन लाने में ऄनुनय के महत्व की
तुलना ऄवपीड़न के साथ करना है। ईिर की संरचना भनम्नभलभखत प्रकार से भनर्तमत की जा सकती
है:
 संिेप में ऄनुनय और ऄवपीड़न को पररभाभषत करें।
 ईदाहरण देते हए ईन भस्थभतयों का परीिण करें भजसमें ऄनुनय ऄवपीड़न की तुलना में
ऄभधक ईिम रणनीभत भसद् होती है।
 तृतीय, ऐसे कु छ तरीकों/ईपायों का सुझाव दें भजसके माध्यम से लोक सेवक कु छ भविेष
सामाभजक बुराआयों को दूर करने के भलए ऄनुनय का ईपयोग कर सकें ।

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ईिर:
हमारे भवचार और कायथ ऄन्य लोगों से प्रभाभवत होते हैं चाहे हम भनभष्िय रूप ईनके व्यवहार का
ऄवलोकन कर रहे हों या सकिय रूप से ईनके ऄनुरोध का ऄनुपालन कर रहे हों। दैभनक जीवन में
हम या तो ऄपनी अवश्यकताओं को पूरा करने के भलए या कफर लोगों के भवचारों और मान्यताओं
में पररवतथन लाने हेतु ईन्हें समझाने में ऄनुनय का ईपयोग करते हैं। आस प्रकार, ऄनुनय दूसरों के
दृभष्टकोण/धारणाओं में पररवतथन लाने का सचेत प्रयास है। आसमें 'हृदय और मन' जीतने का प्रयास
ककया जाता है। आसके द्वारा व्यभि की ऄभभवृभि, ऄभभप्रेरणा या व्यवहार पर प्रभाव डाला जाता
है। वहीं दूसरी ओर ऄवपीड़न, बल या धमकी का ईपयोग करके कु छ करने हेतु ककसी को बाध्य
करना है। आसका भनभहताथथ यह है कक कायथ व्यभि की आच्छा के भवरुद् होता है।
ऄवपीड़न की तुलना में ऄनुनय की प्रभाविीलता
 ऄनुनय, व्यभि की सोच, हृदय व मन में पररवतथन लाने पर भनभथर करता है। यह स्वेच्छा से
लोगों के भवश्वास या कायों में पररवतथन लाने की अवश्यकता पर बल देता है। वहीं दूसरी ओर
ऄवपीड़न में धमकी, िभि , दण्ड का ईपयोग होता है ताकक व्यभि तदनुसार/ गैर-स्वैभच्छक
रूप से कायथ करने के भलए भवविता का ऄनुभव करे।
 ऄनुनय की रणनीभतयों में प्रेरणादायी ऄपील, परामिथ और सहयोग सभम्मभलत होता है। ये
समाज में पररवतथन लाने के लोकतांभत्रक तरीके हैं। भजन लोगों को मनाया जाता है, वे एक
साथ ककसी और भविेष कारथवाइ करने के भलए अंतररक रूप से प्रेररत होते हैं। जबकक,
ऄवपीड़न व्यभि को बलपूवथक, अरोभपत और ऄलोकतांभत्रक तरीके से पररवतथन स्वीकार
करने के भलए भववि करता है।
 हालांकक ऄनुनय की प्रकिया में ऄभधक समय लग सकता है तथाभप, आसमें प्रभतिोध या बदला
लेने की ऄवधारणा का स्थान नहीं होता। ऄनुनय के साधनों के ऄभधक स्थायी और ऄभधक
बेहतर होने की संभावना होती है। जबकक वहीं धौंस कदखाकर बाध्य करने पर, प्रभतकार
करना और पहला ऄवसर भमलते ही ईसे नहीं मानना मानव का स्वभाव है।
ईदाहरण: जनसंख्या भनयंभत्रत करने के िम में पररवार भनयोजन के ईपायों को ऄपनाने के भलए
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लोगों का मन बदलने के भलए, ऄनुनय ऄवपीड़न की तुलना में ऄभधक प्रभावी तकनीक है क्योंकक
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पररवार भनयोजन के तरीके ऄपनाने से समाज में भवभभन्न समुदायों की सामाभजक-सांस्कृ भतक और
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धार्तमक भावनाएं प्रभाभवत होती हैं। यकद ऄवपीड़न का ईपयोग ककया जाता है तो कइ लोग
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प्रभतकार करते हैं (जैसा कक 1976-77 में स्पष्ट हअ था जब पररवार भनयंत्रण के ईपायों को लोगों
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की सामाभजक-सांस्कृ भतक और धार्तमक भावनाओं की ईपेिा करते हए लोगों पर थोपा गया था)।
वे तरीके भजसका लोक सेवकों द्वारा ऄनुनय के रूप में ईपयोग ककया जा सकता है-
 सरकार के सभी स्तरों पर कायथरत लोक सेवक पयाथप्त भववेकाभधकार और प्राभधकार का
ईपभोग करते हैं और प्रायः लोगों के जीवन पर ईनका महत्वपूणथ प्रभाव पड़ता है। वे नीभतयों
के भवकास, करों के ‍यय और सेवाओं के भवतरण को प्रभाभवत करते हैं।
 यकद भववेकपरक/तार्ककक ऄनुनय का त्यों और तकों के साथ ईपयोग ककया जाता है, तथा
जब ये सकारात्मक लाभों पर अधाररत है, तो यह व्यभि के दृभष्टकोण में पररवतथन लाने में
एक ऄच्छी रणनीभत का काम करता है। ईदाहरण-'स्वच्छ भारत ऄभभयान'-सामूभहक
समुदाभयक व्यवहार में पररवतथन लाने के भलए जागरूकता का ईपयोग करता है। आसके साथ
ही चलग ऄनुपात में भगरावट के प्रभत संवेदनिीलता बढ़ाने के भलए यकद समग्र समाज पर
आसके प्रभावों को त्यों, अंकड़ों और ररपोटों के द्वारा प्रस्तुत ककया जाए और लड़ककयों की
िादी व सुरिा संबंधी भस्थभतयों पर आसके प्रभाव को प्रदर्तित ककया जाए तो बलप्रयोग की
रणनीभत की तुलना में आसका दीघथकाभलक प्रभाव ऄभधक होता है।

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 यकद भजले/राज्य में नागररक समाज, गैर-सरकारी संगठन, धार्तमक समूह, युवाओं, बुजुगों,
मभहला संगठनों अकद जैसे समाज के सभी भहतधारकों से भवचार-भवमिथ ककया जाता है तो
भसभवल सेवक समाज में पररवतथन लाने के भलए कारथवाइ के भविेष भवकल्प का चयन
पारस्पररक सहमभत से कर सकते हैं। ईदाहरण- जब भी बाभलका भििु जन्म लेती है तो
लोगों/पररवार का दृभष्टकोण बदलने के भलए "बेटी के साथ सेल्फी" जैसी नवीन तकनीकों को
बढ़ावा देना।

9. भवगत वषों में संघ लोक सेवा अयोग द्वारा पू छे गए प्रश्न:


के स स्टडीज
(UPSC Previous Years Question Paper :Case Studies)

1. अप अइ.ए.एस. ऄभधकारी बनने के आच्छु क हैं और अप भवभभन्न चरणों को पार करने के बाद
व्यभि गत सािात्कार के भलए चुन भलए गए हैं। सािात्कार के कदन जब अप सािात्कार स्थल की
ओर जा रहे थे तब अपने एक दुघथटना देखी जहाुँ एक माुँ और बच्चा जो कक अपके ररश्तेदार थे,
दुघथटना के कारण बुरी तरह से घायल हए थे। ईन्हें तुरंत सहायता की अवश्यकता थी। अपने ऐसी
पररभस्थभत में क्या ककया होता? ऄपनी कायथवाही का औभचत्य समझाआए।
2. हमारे देि में, ग्रामीण लोगों का कस्बों और िहरों की ओर प्रवसन तेजी के साथ बढ़ रहा है। वह
ग्रामीण और नगरीय, दोनों िेत्रों में भवकट समस्याएुँ पैदा कर रहा है। वास्तव में, भस्थभत यथाथथ में
ऄप्रबन्धनीय होती जा रही है। क्या अप आस समस्या का भवस्तार से भवश्लेषण कर सकते है और आस
समस्या के भलए भजम्मेदार न के वल सामाभजक-अर्तथक, वरन् भावनात्मक और ऄभभवृभिक कारकों
को बता सकते है? साथ ही, स्पष्ट रूप से ईजागर कीभजए कक क्यों ?
(a) भिभित ग्रामीण युवा िहरी िेत्रों में स्थानांतररत होने की कोभिि कर रहे हैं;
(b) भूभमहीन भनधथन लोग नगरीय मभलन बभस्तयों में प्रवसन कर रहे हैं;
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(c) यहाुँ तक कक कु छ ककसान ऄपनी जमीन बेच रहे हैं और िहरी िेत्रों में छोटी-मोटी नौकररयाुँ
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लेकर बसने की कोभिि कर रहे हैं।


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अप कौन-से साध्य कदम सुझा सकते हैं, जो हमारे देि की आस गम्भीर समस्या का भनयंत्रण करने
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में प्रभावी होंगे?


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3. अप एक पंचायत के सरपंच है। अपके िेत्र में सरकार द्वारा चलाया जा रहा एक प्राआमरी स्कू ल है।
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स्कू ल में ईपभस्थत होने वाले बच्चों को कदवस-मध्य भोजन (भमड-डे मील) कदया जाता है। हेडमास्टर
ने ऄब भोजन तैयार करने के भलए एक नया रसाइया भनयुि कर कदया है। परंतु जब यह पता चला
कक रसोआया दभलत समुदाय का है, ईच्च जाभतयों के बच्चों में से लगभग अधों को ईनके माुँ-बाप
भोजन करने की आजाजत नहीं देते हैं। फलस्वरूप स्कू ल में बच्चों की ईपभस्थभत तेजी से घट गइ।
आसके पररणामस्वरूप कदवस-मध्य भोजन की योजना को समाप्त करने और ईसके बाद ऄध्यापन
स्टाफ को हटाने और बाद में स्कू ल को बंद करने की संभावना पैदा हो गइ।
(a) आस संघषथ पर काबू पाने ओर सही एवं सुखद वातावरण बनाने की कु छ साध्य रणनीभतयों पर
चचाथ कीभजए।
(b) ऐसे पररवतथनों को स्वीकार करने के भलए सकारात्मक सामाभजक सुखद वातावरण बनाने हेतू
भवभभन्न सामाभजक खंडों और ऄभभकरणों के क्या कतथव्य होने चाभहए?
4. हाल में अपको एक भजले के भजला भवकास ऄभधकारी के तौर पर भनयुि ककया गया है। ईसके बाद
जल्दी ही अपने पाया कक अपके भजले के ग्रामीण आलाकों में लड़ककयों को स्कू ल भेजने के मुद्दे पर
काफी तनाव है। गाुँव के बड़े महसूस करते हे कक ऄनेक समस्याएुँ पैदा हो गइ है क्योंकक लड़ककयों

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को पढ़ाया जा रहा है और व घर के सुरभित वातावरण के बाहर कदम रख रही है। ईनका भवचार
यह है कक लड़ककयों की न्यूनतम भििा के साथ जल्दी से जल्दी िादी कर दी जानी चाभहए। भििा
के बाद लड़ककयाुँ नौकरी के भलए भी स्पद्ाथ कर रहीं है, जो परंपरा से लड़को का ऄपना िेत्र रहा
है, और पुरूषों में बेरोजगारी में वृभद् कर रही है। युवा पीढ़ी महसूस करती है कक वतथमान युग में,
लड़ककयों को भििा और रोजगारी तथा जीवन-भनवाथह के ऄन्य साधनों के समान ऄवसर प्राप्त होने
चाभहए। समस्त आलाका वयोवद्ों और युवाओं के बीच तथा ईससे अगे दोनों पीकढयों में स्त्री-
पुरूषों के बीच भवभाभजत है। अपकों पता चलता है कक पंचायत या ऄन्य स्थानीय भनकायों में या
व्यस्त चौराहों पर भी, आस मुद्दे पर गरमागरम वाद-भववाद हो रहा है। एक कदन अपकों सूचना
भमलती है कक एक ऄभप्रय घटना हइ है। कु छ लड़ककयों के साथ छेड़खानी की गइ जब वे स्कू लों के
रास्ते में थी। आस घटना के फलस्वरूप कइ सामाभजक समूहों के बीच झगड़े हए और कानून तथा
व्यवस्था की समस्या पैदा हो गइ। गरमागरम वाद-भववाद के बाद बड़े-बूढों ने लड़ककयों को स्कू ल
जाने की ऄनुमभत न देने और जो पररवार ईनके हक्म का पालन नहीं करते हे, ऐसे सभी पररवारों
का सामाभजक बभहष्कार करने का संयुि भनणथय ले भलया।
(a) लड़ककयों की भििा में व्यवधान डाले भबना, लड़ककयों की सुरिा को सुरभित करने के भलए
अप क्या कदम ईठाएुँग?

(b) पीकढयों के बीच संघषों में समरसता सुभनभित करने के भलए अप गाुँव के वयोवद्ों की
भपतृतत्र
ं ात्मक ऄभभवृभि का ककस प्रकार प्रबंधन का और ढालने का कायथ करेगे ?

10.Vision IAS टे स्ट सीरीज़ : के स स्टडीज़

(Vision IAS Test Series : Case Studies)

1. अप एक ऐसे भजले में भजला मभजस्रेट हैं जहां बड़ी संख्या में रांसजेंडर रहते है। यद्यभप आस समुदाय
om

के भवरूद् भेदभाव सुभवकदत है, तथाभप यात्री ईनके हाथों, भविेषकर यातायात जंक्िनों पर
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ऄभधकाभधक ईत्पीड़न की भिकायत करते हैं, जहां रांसजेंडर ऄभधकांितः भीख मांगने में िाभमल
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होते हैं। कभी-कभी, आससे यातायात प्रबंधन की समस्या भी पैदा होती है। आस संबध
ं में अपको कइ
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भिकायतें भमली हैं और आसे हल करने के भलए िीघ्र कारथवाइ करनी है। हालांकक, रांसजेंडर संघ के
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एक समूह का कहना है कक भीख मांगना ईनकी अजीभवका का एकमात्र स्रोत है। आस भस्थभत को
su

देखते हए, भनम्नभलभखत प्रश्नों के ईिर दीभजए:


(a) आस प्रकरण से जुड़े नैभतक मुद्दों का वणथन कीभजए। रांसजेंडर लोगों के प्रभत जनसामान्य के
सामान्य दृभष्टकोण और ईसके कारणों पर चचाथ कीभजए।
(b) ऐसी भस्थभत में क्या संभव कारथवाइ की जा सकती है? ईनके गुणों और ऄवगुणों पर चचाथ
कीभजए।
दृभष्टकोण:
 मुद्दे से संबंभधत नैभतक पिों और रांसजेंडर के प्रभत लोगों के भेदभावपूणथ दृभष्टकोण के कारणों
पर चचाथ कीभजए।
 सम्भाभवत कारथवाइ के गुणों और दोषों पर चचाथ कीभजए।अप कु छ दीघथकाभलक समाधान
सुझाकर भनष्कषथ पर पहंच सकते हैं।
ईिर :
कदए गये प्रकरण में समाज के वंभचत वगों के मुद्दें सभम्मभलत हैं। यह मुद्दा भेदभाव के ईन
प्रभतस्पधाथत्मक भहतों से संबंभधत है, भजनका रांसजेंडरो को सामना करना पड़ता है, जैसे भििा,
रोजगार, सामाभजक सहभाभगता या वे तरीके भजनका वे ऄपनी अजीभवका भनवाथह के भलए
ईपयोग करते हैं।

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(a) आस मुद्दे से संबभं धत नैभतक पि आस प्रकार हैं:

 अजीभवका बनाम सुभवधा: रांसजेंडरों द्वारा भीख मांगने से याभत्रयों को ऄसुभवधा होती है
और ऄभतररि समस्याएं जैसे यातायात में भीडभाड अकद पैदा होती हैं। जहाुँ एक ओर
रांसजेंडरों की सामाभजक-अर्तथक भस्थभतयाुँ ईन्हें भीख मांग कर जीभवकोपाजथन करने के भलए
भववि करती हैं और वहीं कइ बार ईनकी गभतभवभधयाुँ अम जनता के भलए ऄसुभवधाजनक
हो जाती हैं।

 रांसजेंडरों से भेदभाव बनाम याभत्रयों का ईत्पीड़न: सामान्य रूप से समाज दोनों मागों पर
नहीं चल सकता है, ऄथाथत,् जनसंख्या के एक वगथ हेतु समुभचत अय ऄर्तजत करने के भवकल्पों
को सीभमत करना और साथ ही ईसी समय ईनके द्वारा अजीभवका ऄर्तजत करने के भलए
ईपयोग ककए जा रहे सीभमत साधनों पर अपभि करना।

 वंभचत वगों के भहतों की रिा हेत ु नागररकों द्वारा पंजीकृ त भिकायतों पर कारथवाही करने के
भलए कलेक्टर की प्रभतबद्ता: चूंकक बड़ी संख्या में भिकायतें दजथ की गयी हैं, आसभलए यह
कलेक्टर का कतथव्य है कक रांसजेंडरों की अजीभवका के ऄभधकार की सुरिा हेतु संतुलन बनाते
हए आस संकट को भनयंभत्रत करने की भजम्मेदारी ले।

रांसजेंडरों के प्रभत लोगों का सामान्य दृभष्टकोण:


 भेदभावपूणथ व्यवहार: यह ईनके वगथ और चलग पर अधाररत होता है। यह भेदभाव रांसजेंडर
को भारतीय समाज के सवाथभधक ऄभधकारभवहीन और वंभचत समुदाय में से एक बना देता है।
 गैर-समावेिी: ईन्हें ऄप्राकृ भतक और ईपहास का पात्र माना जाता है और ऄन्धभवश्वास के
कारण लोग ईनसे भय खाते हैं।
 ऄसमानता और ईपेभित व्यवहार : रांसजेंडर समुदाय ऄभधकारों (नागररक ऄभधकारों, जैसे
गररमा के साथ जीवन जीने का ऄभधकार) और भवकास (िैभिक संस्थानों और सावथजभनक
रोजगारों में अरिण) से लम्बे समय से ईपेभित होने के कारण पूरी तरह से एकांतवासी हो
गया है।
 लापरवाही और ईपेिा: संख्यात्मक रूप से ऄल्पसंख्यक होने से वे वोट बैंक के रूप में कम
मह्वपूणथ हो जाते हैं, जो भवधाभयका और प्रिासन द्वारा ईनकी ईपेिा का मागथ प्रिस्त करता
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है।
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आस प्रकार के दृभष्टकोण के कारण


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 समाज में भजसे ‘सामान्य’ माना जाता है, वे ईससे भभन्न हैं।
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 प्राचीन समय से ईनके साथ हर जगह चलग अधाररत भेदभाव एक सामान्य बात हो गइ है।
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ईन्हें मनुष्य के रूप में देखने के स्थान पर मनोरंजन की वस्तु के रूप में देखा जाता है।
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 ऄपने पररवार और समाज द्वारा त्याग कदए जाने से वे अजीभवका के तुच्छ साधनों की ओर
ईन्मुख होते हैं। मूल कारण समझे भबना लोग ईनको नीचा समझने लगते हैं। चलग पहचान की
बदलती ऄवधारणा को समाज गलत तरीके से समझता है।
 समुदाय की संकीणथ प्रकृ भत के कारण ईनके चारों ओर कइ तरह के ऄन्धभवश्वास भी पै दा हो
गये हैं, यह ऄनुभव ककये भबना ही ईन्हें त्याग कदया गया है, न कक वे स्वयं एकांत पसंद करते
हैं।
(b) सम्भाभवत कारथवाही का मागथ:
 आस भवषय पर ध्यान न दें क्योंकक भीख मांगना रांसजेंडर के भलए अजीभवका का मुद्दा है।
गुण: आससे रांसजेंडर के भलए यातायात जंक्िनों पर धन एकत्र करने का मागथ खुला रहेगा।
दोष : आसका ऄथथ कतथव्य की ईपेिा करना होगा और दीघाथवभध में आससे न ही रांसजेंडर और
न ही समान्य जनता का भला होगा। आसके ऄभतररि भीख मांगना एक ऄपराध है। जान-
बूझकर भीख मांगने की ऄनुमभत देना ईनसे भमली-भगत होगी। आसके ऄलावा यह याभत्रयों
को हो रही वास्तभवक समस्या का समाधान भी नहीं करता है।
 याभत्रयों के ईत्पीड़न में भलप्त रांसजेंडरों को कठोर चेतावनी देना। आसके ऄभतररि यातायात
चौराहों पर पुभलस बल तैनात कर आस संकट को रोकना।

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गुण : यह रांसजेंडरों द्वारा ककये जा रहे ईत्पीड़न और यातायात की समस्या पर भी रोक लगा
सकता है।
दोष : आससे रांसजेंडरों की अजीभवका पर प्रभतकू ल प्रभाव पड़ सकता है जो मुख्य रूप से
भीख मांगने पर भनभथर करती है और समान्य जनता द्वारा ईनसे भेदभाव ककया जाता है।
चूंकक आस िेत्र में रांसजेंडरों की समस्या ऄभधक है, आसभलए आससे कानून-व्यवस्था की समस्या
भी ईत्पन्न हो सकती है।
 रांसजेंडरों के मुद्दे पर लोगों को संवद
े निील बनाने के साथ-साथ ईनके पुनवाथस के ईपायों के
साथ कौिल भवकास और व्यवसाभयक प्रभििण योजनाओं के कायाथन्वयन हेत ु एक सभमभत की
स्थापना और यातायात चौराहों के भलए कदिा-भनदेि जारी करना।
गुण: रांसजेंडर समुदाय के भलए यह वैकभल्पक रोजगार के ऄवसर प्रदान करेगा। वास्तव में,
आस प्रकार का ऄवसर प्रदान ककये जाने से वे प्रसन्नता से ऄपने कायथ में पररवतथन कर लेंग।े
आससे नागररकों की भिकायतों का भी समाधान होगा और दीघाथवभध में, रांसजेंडर समुदाय
को समाज में सम्मानीय स्थान प्राप्त हो सकता है।
दोष: यह दीधाथवभध में पररणाम देने वाला कदम है। आससे ऄल्पावभध में रांसजेंडरों की अय के
स्रोत में बाधा अ सकती है। यह कदम आस धारणा को भी बल देगा कक सामान्य समाज के
ऄभधकार वंभचत वगों के ऄभधकारों से ऄभधक मूल्यवान हैं।
यद्यभप अम जनता को राहत प्रदान करना मह्वपूणथ है ककतु रांसजेंडर समुदाय के दृभष्टकोण
के साथ भी सहानुभूभत होनी चाभहए, ऄन्यथा लम्बे समय तक यह स्थायी समाधान नहीं
होगा और यथाभस्थभत बनी रहेगी। कु छ मामलों में सवोच्च न्यायालय द्वारा ईन्हें भविेष
सुभवधाप्रदान ककये जाने के कदिा-भनदेिों से आस समुदाय को समाज की मुख्यधारा में िाभमल
करने में सहायता प्राप्त होगी।

2. अप एक ऐसे राज्य में भसभवल सेवक के रूप में तैनात हैं जहां हाल ही में चुनाव हए थे। नव
भनवाथभचत मुख्यमंत्री ने ऄपने कइ चुनावी ऄभभयानों के साथ-साथ चुनाव घोषणापत्र में िराब पर
प्रभतबंध लगाने का वादा ककया था, भजसकी राज्य की मभहलाओं ने व्यापक रूप से प्रिंसा की थी
और समथथन कदया था। ऄपने चुनावी वादे को पूरा करते हए, मुख्यमंत्री ने राज्य में िराब की
भबिी पर पूणथ प्रभतबंध का अदेि कदया है। प्रभतबंध के बाद, प्रभतबंध की व्यवहायथता पर सवाल
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ईठाए गये हैं और क्या सरकार को कइ लोगों द्वारा भजसे व्यभि गत पसंद के भवषय बताया गया है,
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ईस मुद्दे पर हस्तिेप करना चाभहए।


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(a) आस मामले में भहतधारक कौन हैं और प्रभतबंध से वे ककस प्रकार प्रभाभवत हैं?
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(b) क्या िराब पर पूणथ प्रभतबंध एक व्यवहायथ कारथवाइ है?


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(c) एक भसभवल सेवक के रूप में आन प्रभतबंधों को लागू करते समय ईत्पन्न होने वाली समस्याओं
की पहचान कीभजए और ईनसे भनपटने हेत ु अप क्या कदम ईठाएंगे ?
दृभष्टकोण:
 आस मामले में भहतधारकों और ईन पर िराब प्रभतबन्ध के प्रभाव की पहचान कीभजए।
 क्या पूणथ प्रभतबन्ध एक व्यवहायथ कारथवाइ है या सरकार द्वारा बलपूवक
थ की गयी एक कारथवाइ
है, रटप्पणी कीभजए।
 प्रभतबंध लागू होने के पिात ईठने वाले मुद्दों के बारे में बताआए और ईनसे भनपटने के ईपाय
सुझाआए।
ईिर:
आस पररदृश्य में, राज्य के नए मुख्यमंत्री द्वारा पूणथ प्रभतबन्ध लगाया गया है, जो भवभभन्न प्रकार से
समाज के भवभभन्न वगों को प्रभाभवत करता है।
(a) भवभभन्न भहतधारक और प्रभतबन्ध से ईन पर पड़ने वाले प्रभाव भनम्नभलभखत हैं:
 जो लोग िराब का सेवन करते हैं, ईन्हें प्रभतबन्ध के पिात निीले पदाथों के प्रभतकार के
लिणों का सामना करना पड़ेगा।

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 ईनके सम्बन्धी और भमत्र, भविेषकर मभहलाएं, भजन्होंने पाररवाररक भववाद, घरेलू चहसा
जैसी समस्याओं का सामना ककया है। परन्तु ईन्हें यह सुभनभित करना होगा कक िराब की
लत वाले व्यभि यों को तत्काल निामुभि के न्द्रों पर ले जाया जाएं।
 सरकार, भजसे कक राजकोष को भारी राजस्व िभत के कारण सामाभजक व्यय में कटौती करनी
पड़ सकती है। आसके ऄभतररि , कानून-व्यवस्था की भस्थभत को भी बनाये रखना होगा।
 िराब अपूर्ततकताथ और व्यापारी,को अजीभवका के वैकभल्पक साधनों की खोज करनी पड़ेगी।
 बड़े पैमाने पर समाज, जैसा कक यह िराब की लत से प्रभतकू ल रूप से प्रभाभवत होता है।
(b) व्यापक प्रभतबंध व्यवहायथ है या नहीं, आसका अकलन करने के भलए लाभ और हाभन, दोनों का
ही भवश्लेषण करना होगा:
लाभ:
 घरेलू चहसा के मामले कम होंगे और बच्चों के भलए ऄपेिाकृ त सुरभित वातावरण ईपलब्ध
होगा।
 लोगों के स्वास््य में सुधार, भजसके पररणामस्वरूप, सरकारी सेवाओं जैसे ऄस्पतालों, दवा
भविे ताओं अकद पर दबाव कम पड़ेगा।
 घरेलू बचतों में वृभद्।
 आसके कारण कम सड़क दुघथटनाएं होंगी, क्योंकक ड्राआवर िराब पी कर गाड़ी नहीं चलाएंगे।
 यह संभवधान के ऄनुच्छेद 47 के ऄनुरूप है, जो सावथजभनक स्वास््य पर बल देता है।
हाभनयाुँ:
 पूणथ प्रभतबन्ध व्यभि की चयन की स्वतन्त्रता के ऄभधकार का हनन करता है।
 आससे राजकोष में राजस्व की भारी िभत होगी। ईस धन का कल्याणकारी प्रयोजनों के भलए
ईपयोग हो सकता था।
 ‘काला बाजारी’ के ईद्भव के कारण िराब की तस्करी में वृभद् देखने में अ सकती है क्योंकक
आन बाजारों को भवभनयभमत नहीं ककया जायेगा, नकली िराब की भबिी होगी, भजसका
स्वास््य पर प्रभतकू ल प्रभाव पड़ेगा।
 िराब का ईपयोग कु छ धार्तमक ईत्सवों में भी ककया जाता है, ईदाहरण के भलए आसाआयों
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द्वारा दीिा के समय। आसभलए यह ऄल्पसंख्यकों की धार्तमक प्रथाओं के साथ हस्तिेप कर


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सकता है।
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 िराब के ईत्पादन और भवतरण में संलग्न लोगों के भलए बेरोजगारी।


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 िराब की लत से पीभड़त लोगों के तत्काल पुनवाथस की लागत।


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पूणथ प्रभतबन्ध के जहाुँ सकारात्मक पि हैं, यह पूरी तरह व्यवहायथ नहीं है क्योंकक वयस्कों को
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ईनकी पसंद और भनणथय लेने की स्वतन्त्रता भमलनी चाभहए। पूणथ प्रभतबन्ध लागू करने के स्थान पर
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िराब ईत्पादन, भबिी, और भवतरण को भनयंभत्रत ककया जाना चाभहए, ऄन्यथा आसे सरकार की
एकपिीय बलपूवथक कारथवाइ समझा जायेगा। िराब पीना एक सामाभजक मुद्दा है, आसभलए आसे
के वल भवधायी माध्यमों से प्रभतबंभधत नहीं ककया जा सकता। ऄतः प्रभतबन्ध को प्रभावी बनाने हेतु
हमें सम्बभन्धत सामाभजक पररवतथन भी लाना होगा।
नोट: ईभचत औभचत्य के साथ प्रभतबन्ध के पि में भी तकथ कदए जा सकते हैं।
िराब की लत समाज के भलए एक संकट बनी हइ है खास तौर से भनम्न सामाभजक-अर्तथक स्तर पर
मभहलाएं ऄसमान रूप से आससे जूझ रही हैं। के वल आस बात का बहाना बनाकर कक आससे कु छ
व्यभि यों के ऄपना अहार चुनने के ऄभधकारों की कटौती होगी, सरकार के सकिय हस्तिेप के
द्वारा सामाभजक बुराआयों को समाप्त करने के प्रयासों को रोका नहीं जाना चाभहए। भावनाओं के
अधार पर प्रभतबन्ध को प्रश्नगत ककया जा सकता है, लेककन घरेलू चहसा (भजसकी ऄभधकांितः
ररपोटथ ही नहीं होती), यातायात भनयमों का ईल्लंघन, और हाभनकारक देिी िराब की खपत के
ऄनुभवजन्य सबूतों के अधार पर प्रभतबन्ध लगाने के पीछे मजबूत वैज्ञाभनक साक्ष्य ईपभस्थत हैं।
यकद पररवतथन स्वयं नहीं होते हैं तो सरकार को लोगों का प्रभतभनभध होने के नाते पररवतथन के भलए
पहल करने का ऄभधकार है।

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(c) आस मामले में जो मुद्दे ईठ सकते हैं, और वे ईपाय, भजनके माध्यम से भसभवल सेवक ईनसे
भनपट सकते हैं:
 व्यसभनयों में प्रभतकार के लिण : यह सुभनभित ककया जाना चाभहए कक व्यसन मुभि हेतु
पयाथप्त निामुभि और सिम पेिेवर व्यभि यों से युि पुनवाथस कें द्र ईपलब्ध हों।
 कालाबाजारी और नकली िराब का भवतरण: भनयभमत ऄन्तराल पर, भविेष रूप से सीमा
पर चौककयों पर जाुँच होती रहे। आसके अभतररि , रेस्तरां और बार की भी भनयभमत
भनगरानी होनी चाभहए।
 व्यापाररयों और िराब ईत्पादकों की अजीभवका पर संकट: नीभत का फोकस गरीबी ईन्मूलन
कायथिम और रोजगार के ऄवसर ईत्पन्न करने पर होना चाभहए।
 आसके ऄभतररि , स्वस्थ जीवन िैली को बढ़ावा देने के भलए, िराब के नकारात्मक प्रभावों के
प्रभत जागरूकता हेतु प्राथभमक स्वास््य के न्द्रों, NGOs, मीभडया अकद के सहयोग से कायथिम
अयोभजत ककये जाने पर बल कदया जाना चाभहए।

3. अप देि की एक िीषथ IT कं पनी के प्रबंधक हैं। अपको अगामी पररयोजना के भलए नइ भर्ततयाुँ
करने का ईिरदाभयत्व सौंपा गया है। अप पाते हैं कक सरकार द्वारा पाररत ककए गए नवीन मातृत्व
कानून के अलोक में कं पनी ने मभहला ऄभ्यर्तथयों की भतगीक न करने का ऄकभथत भनदेि कदया है।
अप आसे ऄत्यभधक अपभिजनक पाते हैं और प्रबंधन के ईच्च ऄभधकाररयों के पास भवरोध दजथ करते
हैं, लेककन वे दृढ़ हैं क्योंकक वे सभी ऄनावश्यक व्यय में कमी करना चाहते हैं।
आस जानकारी के अधार पर, भनम्नभलभखत प्रश्नों का ईिर दीभजए:
(a) आस भस्थभत में भहतधारकों और ईनके भहतों की पहचान कीभजए।
(b) ऐसी पररभस्थभत में भतगीक प्रबंधक द्वारा ककन धमथसक
ं टों का सामना ककया जा सकता है?
(c) अपके पास कौन से भवभभन्न भवकल्प ईपलब्ध हैं? अप ककसका ऄनुसरण करेंगे और क्यों?
दृभष्टकोण:
 भतगीक प्रबंधक, कं पनी, मभहला ईम्मीदवार, सरकार और समाज जैसे भहतधारकों के साथ-साथ
ईनके भहतों को सूचीबद् कीभजए।
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 ईन दुभवधाओं पर चचाथ कीभजए भजनका अप सामना कर रहे हैं।


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 ईपलब्ध भवकल्पों को सूचीबद् कीभजए। दी गइ पररभस्थभतयों और नैभतक अचरण के अलोक


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में प्रत्येक का भवश्लेषण कीभजए। एक का चयन कीभजए भजसका अप ऄनुसरण कर सकते हैं।
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भहतधारक भहत

कं पनी/ईच्च कं पनी का भहत प्रभत कमथचारी अने वाली लागत कम करके लाभ ऄभधकतम
प्रबंधन करना होता है। मभहला कमथचारी की भस्थभत में मातृत्व ऄवकाि की लागत
कं पनी को वहन करनी पड़ती है। आसभलए, ईच्चस्तरीय प्रबंधन मभहला
ईम्मीदवारों की भतगीक करने से बचना चाहता है।

भतगीक प्रबंधक मेरी पहली रूभच चलग से भनरपेि होकर सूचीबद् पदों के भलए ईपयुि
(स्वयं) ईम्मीदवारों की भतगीक करने में है। ऐसी भस्थभत में मेरी दुभवधा ऄन्यायपूणथ
नीभतयों के भवरूद् खड़ा होते हए प्रबंधन से टकराव से बचना है।

मभहला ईनका भहत कं पनी में नौकरी पाने का भनष्पि ऄवसर प्राप्त करने में भनभहत होता
ईम्मीदवार है। दीघथकाल में, वे भतगीक और पदोन्नभत में समानता और सुरभित कामकाजी
वातावरण की ऄपेिा करती हैं।

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सरकार और ये भहतधारक कायथस्थल पर लैंभगक समानता चाहते हैं। आसके भलए यह महत्वपूणथ
समाज है कक मातृत्व से ईत्पन्न होने वाले मुद्दों से कानून बनाकर और सामाभजक
पररवतथन के माध्यम से पयाथप्त रूप से भनपटना चाभहए। यद्यभप भवभभन्न मातृत्व
कानून मातृत्व ऄवकाि, भनयभमत अय का प्रवाह और रोज़गार की सुरिा
सुभनभित कर सकते हैं, लेककन एकमात्र आनसे कायथस्थल पर चलगभनरपेि जीवंत
संस्कृ भत के भलए अवश्यक सामाभजक पररवतथन नहीं लाया जा सकता है।

(b) दुभवधा: ईच्चस्तरीय प्रबंधन का अदेि स्वीकार करना और ककसी मभहला ईम्मीदवार का चयन
करने से बचना बनाम भनष्पि रूप से चलग भनरपेि होकर ईपयुि ईम्मीदवार की भनयुभि करना।
आसके ऄभतररि , मुझे भसफथ चलग भविेष के कारण बेहतर ईम्मीदवार को न भतगीक करने की परेिानी
से जूझना पड़ सकता है। आससे ईत्पादकता में कमी अएगी और कं पनी के भलए दीघथकाभलक लागत
बढ़ जाएगी। आससे जुड़ी एक और दुभवधा आस समाज में मौजूद लैंभगक पूवाथग्रह है। आसका कारण
समानता के भवचार के साथ भपतृसिात्मक रवैये का टकराव है। आस पररभस्थभत को बदलने की
जरुरत है। कायथस्थल पर लैंभगक भवभवधता को बढ़ावा देना महत्वपूणथ है; हालांकक, कं पनी द्वारा
कदए गए वतथमान भनदेि आस भसद्ांत के भवरूद् जाते हैं।
(c) ईपलब्ध भवभभन्न भवकल्प:
 मभहला ईम्मीदवारों को नकारना: हालांकक आस भवकल्प से, मैं ईच्चस्तरीय प्रबंधन के साथ
टकराव से बच जाउुँगा/जाउुँगी, लेककन यह मूलभूत मानवाभधकारों और समानता के
संवैधाभनक लोकाचार के भवपरीत होगा। आससे हमारे कइ योग्य ईम्मीदवार छुँट जाएंगे और
ईम्मीदवारों का पूल छोटा हो जाएगा। आससे दूरदर्तिता की कमी और संकीणथ मानभसकता
प्रदर्तित होती है।
 भनष्पि रूप से और भेदभाव के भबना ईपयुि ईम्मीदवार की भतगीक: आससे सुभनभित होगा कक
सबसे सिम और योग्य ईम्मीदवार नौकरी के भलए भतगीक ककए जाएं।
भवकल्प भजसका मैं ऄनुसरण करूुँगा/करूुँगी: यहाुँ टकराव से कोइ रास्ता नहीं भनकलेगा तथा
ऄनुनय ही एकमात्र ईपाय है। कं पनी को राजी करने का सबसे ईभचत तरीका रवैये में बदलाव
लाना है लेककन आसे तत्काल ऄपनाना मुभश्कल होगा। यकद मैं वस्तु भनष्ठ रूप से प्रदर्तित कर सकूुँ
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कक पुरुषों की तुलना में मभहला कमथचाररयों की भतगीक पर अने वाली लागत बहत ऄभधक नहीं होती
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है और यह भी कक ईत्पादकता चलग से स्वतंत्र होती है, तो मैं रवैये में पररवतथन लाने में सिम
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होउंगा/होईं गी। मैं आस प्रकरण में HR भवभाग और यकद अवश्यक हो, तो कं पनी के िासी मंडल
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की सहायता भी लूंगा/लूग
ं ी।
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भतगीक के संबंध में, मुझे चलग के संबध


ं में ईम्मीदवारों के ऄपने मूल्यांकन में पिपाती न होकर
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वस्तुभनष्ठ होना होगा। मेरे द्वारा ईनका ईनकी िमता के साथ-साथ नौकरी हेतु अवश्यक योग्यता
के अधार पर अकलन ककया जाएगा। ऄगर जॉब प्रोफ़ाआल ककसी भविेष चलग संबध ं ी ईम्मीदवार
की मांग नहीं करती है, तो आन ऄकभथत भनदेिों को बहत ऄभधक महत्व नहीं कदया जाना चाभहए।
वास्तव में यह भी संभव है कक ये भनदेि कं पनी की नीभतयों के भवपरीत हों। मैं HR को ऐसे भनदेिों
के संबध
ं में सूभचत करूुँगा/करूुँगी क्योंकक लैंभगक भेदभाव न के वल गैरकानूनी है बभल्क कं पनी की
संगठनात्मक संस्कृ भत और सामाभजक छभव को भी दूभषत करता है। आसके ऄभतररि , मैं ऄपने
सहयोभगयों, भविेषकर ऄपने संगठन में काम करने वाली मभहलाओं को सभम्मभलत करके लैंभगक-
संवेदनिीलता ऄभभयान चलाउंगा/चलाउंगी। ऐसा करके मैं 'बी द चेंज यू वांट टू सी’ (अप खुद
वह बदलाव बनें जो अप देखना चाहते हैं) ईभि का पालन करूुँगा/करुुँ गी।

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