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1.

‘िजन लोग के पास आँख ह, वे सचमच


ु बहुत कम दे खते ह’ – हे लेन केलर को ऐसा य लगता था?

उ र:- एक बार हे लेन केलर क य म जंगल म घम ू ने गई थी। जब वह वापस लौट तो हे लेन केलर ने उससे
जंगल के बारे म जानना चाहा तो उसक म ने जवाब दया क कुछ खास नह ं तब उस समय हे लेन केलर को
लगा क सचमच ु िजनके पास आँख होती है वे बहुत ह कम दे खते ह।

2. ‘ कृ त का जाद’ू कसे कहा गया है ?

उ र:- कृ त के अनमोल खजाने को, उसके अनमोल स दय और उसम होने वाले न य- त दन बदलाव को
‘ कृ त का जाद’ू कहा गया है ।

3. ‘कुछ खास तो नह ं’- हे लेन क म ने यह जवाब कस मौके पर दया और यह सन


ु कर हे लेन को आ चय
य हुआ?

उ र:- एक बार हे लेन केलर क य म जंगल म घम ू ने गई थी।जब वह वापस लौट तो हे लेन केलर ने उससे
जंगल के बारे म जानना चाहा तब उसक म ने जवाब दया क कुछ खास नह ।ं
यह सन ु कर हे लेन केलर को बड़ा आ चय हुआ क लोग कैसे आँख होकर भी नह ं दे खते ह य क वे तो आँख न
होने के बावजद ू भी कृ त क बहुत सार चीज़ को केवल पश से ह महसस ू कर लेती ह।

4. हे लेन केलर कृ त क कन चीज़ को छूकर और सन


ु कर पहचान लेती थीं? पाठ पढ़कर इसका उ र लखो।

उ र:- हे लन केलर भोज-प के पेड़ क चकनी छाल और चीड क खरु दर छाल को पश से पहचान लेती थी।
वसंत के दौरान वे टह नय म नयी क लयाँ, फूल क पंखु डय क मखमल सतह और उनक घम ु ावदार
बनावट को भी वे छूकर पहचान लेती थीं। च डया के मधरु वर को वे सन
ु कर जान ले ती थीं ।

5. ‘जब क इस नयामत से िज़ंदगी को खु शय के इ धनष


ु ी रं ग से हरा-भरा जा सकता है ।’ – तु हार नज़र
म इसका या अथ हो सकता है ?

उ र:- ि ट हमारे शर र का कोई साधारण अंग नह ं है बि क यह तो ई वर द नयामत है । इसके ज रए हम


कृ त न मत और मानव न मत हर एक व तु का आनंद उठा सकते ह। ई वर के इस अनमोल तोहफ़े से हम
अपना जीवन खु शय से भर सकते ह। अत: हम ई वर का शु गज ु ार होते हुए इसक क भी करनी चा हए।

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