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ब्राह्मण भारत छोड़ो
ब्राह्मण भारत छोड़ो
कु म्हार ज्यादा बहस के मूड में नहीं था...बात टालने के लिए हाँ कह दी.
महीने भर बाद कु म्हार से बनिये ने फिर पूछा - क्या हुआ ? तुम पैसे देने
वाले थे...
कु म्हार ने कहा - समय नहीं मिला...थोड़ा काम था, त्योहार बीत जाने
दो...बनाउँगा...
फिर महीने भर बाद चार लोगों के बीच में बनिये ने कु म्हार को फिर टोका -
क्या हुआ? तुमने हज़ार रुपये नहीं ही दिए...दो महीने हो गए...
कु म्हार फिर टाल गया - दे दूँगा, दे दूँगा... थोड़ी फु रसत मिलने दो.
अब कु म्हार जहाँ चार लोगों के बीच में मिले, बनिया उसे हज़ार रुपये याद
दिलाए... कु म्हार हमेशा टाल जाए...
वैसे यह पूरे संशोधन पर कई प्रश्न उठाते हैं जो मैंने 2015 में ही उठाए थे कि
डॉ बामशाद जो वाकई एक बड़ा नाम रहे हैं, उनको भारत में कौन लाया था
और उसका उद्देश्य क्या था ? संशोधन कहाँ हुआ था और क्या भारत का
वह दक्षिण पूर्व क्षेत्र आर्यन आक्रमण के सबूत खोजने के लिए योग्य है भी ?
सैम्पल साइज़ क्या था ? डॉ बामशाद तब भी एक स्थापित नाम थे, तो इस
तथाकथित संशोधन के लिए फं डिं ग किसने और किस उद्देश्य से की थी ?
राजशेखर रेड्डी की इसमें कितनी सहभागिता रही ? ईसाई संस्थानों की
मिलीभगत और सहभागिता क्या रही ?
आज वही बात सामने आई है। बोल बोल कर झूठ स्थापित होने जा रहा है
और पता नहीं यह देश इसकी क्या कीमत चुकाएगा। और यह भी पता नहीं
कि अपनी संताने अमेरिका में निर्बाध सेटल्ड रहे इसलिए कितने बड़े
नौकरशाह इस देश का क्या ही नुकसान करेंगे।