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राष्ट्रीय पुस्तकालय, इम्पीरियल लाइब्रेरी के स्थान पर “इम्पीरियल लाइब्रेरी (नाम परिवर्तन) अधिनियम”

के द्वारा 1948 में अस्तित्व में आया। इसे भारत के संविधान की संघीय सूची की 7 वीं अनुसूची में
अनुच्छे द 62 के अंतर्गत राष्ट्रीय महत्व के एक संस्थान का विशेष दर्जा दिया गया था और तत्कालीन
केंद्रीय शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने 1 फरवरी 1953 को पुस्तकालय को जनता को
समर्पित किया था।
राष्ट्रीय पुस्तकालय की उत्पत्ति का पता पूर्व कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी जिसकी स्थापना 19 वीं सदी
के पूर्वार्ध में हुई थी और जिसे 21 मार्च, 1836 को जनता के लिए खोला गया था, से लगाया जा सकता
है । बाद में कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी को इंपीरियल लाइब्रेरी में मिला दिया गया साथ ही इसमें कई
और सचिवालयों के पुस्तकालयों को शामिल कर इसे इंपीरियल लाइब्रेरी के रूप में जनवरी 1903 में में
जनता के लिए खोल दिया गया।

राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता भारत का राष्ट्रीय पुस्तकालय और राष्ट्रीय भंडार है । यह भारत की एक


आधिकारिक संग्राहक पुस्तकालय भी है , जहाँ दे श में प्रकाशित पुस्तकों को डिलिवरी ऑफ बुक एक्ट,
1954 के तहत संरक्षित किया जाता है ।

पुस्तकालय शब्द पर जब हम विचार करते हैं, तो हम इसे दो शब्दों के मेल


से बना हुआ पाते हैं- पस्
ु तक+आलय; अर्थात ् पस्
ु तक का घर । जहाँ विभिन्न
प्रकार की पुस्तकें होती हैं और जिनका अध्ययन स्वतंत्र रूप से किया जाता
है , उसे पस्
ु तकालय कहा जाता है ।

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