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Computer Network Nots Network Protocols
Computer Network Nots Network Protocols
ICMP का इ तेमाल यह िनधा रत करने के िलए कया जाता है क डाटा destination तक सही समय
मप च
ँ रहा है या नह .
limitations of IP –
Internet protocol क 2 मह वपूण किमय के बारे म नीचे दया जा रहा है। ICMP क ज रत को
समझने के िलए आपको इन limitations को ठीक से समझना आव यक है।
1:- No Error Reporting – य द कसी error क वजह से कोई data packet राऊटर के ारा
discard (िनर त) हो जाए तो इसके िलए internet protocol म ऐसा कोई mechanism (तं )
नह है िजससे क sender को इस error के बारे म report कया जा सके । कु छ सामा य errors के
उदाहरण नीचे दए जा रहे है।
मान लीिजये य द router को destination तक data प चँ ाने के िलए कोई router नह
िमल रहा है तो ऐसी ि थित म राऊटर packet को discard कर देगा।
मान लीिजये क internet म travel करते करते कसी packet का life time पूरा हो गया है
और packet म time to live field क value zero हो गयी है तो ऐसी situation म ये
packet discard कर दया जाएगा।
Echo Request (Code 8) & Echo reply (code 0) – इन दोन query messages
का योग network म problems को diagnose करने के िलए कया जाता है। ये दोन
messages ये determine करते है क या दो hosts आपस म communicate कर सकते
है?
Time-stamp Request (Code 13) & Time stamp Reply (Code 14) – कसी
packet को एक host से दूसरे host तक travel करने म लगने वाले समय को time stamp
request & reply messages के ारा पता कया जाता है।
Address Mask Request (Code 17) & Address Mask Reply (Code 18) –
कसी host को खुद के IP address क जानकारी हो सकती है ले कन ये ज री नह क उसे
खुद के subnet mask क जानकारी हो। अपना subnet mask पता करने के िलए host
राऊटर को address mask request भेजता है और router इस host के subnet mask
को address mask reply message के प म भेजता है।
Telnet(Terminal Network)
Telnet का पूरा नाम Terminal Network है. Telnet एक नेटवक ोटोकॉल है िजसका योग
Internet या Local Area Network म remote computers को connect करने के िलए कया
जाता है.
दूसरे श द म कह तो, “Telnet एक client-server protocol होता है। इसक मदद से हम कसी
network म एक computer से दूसरे computer को remotely access कर सकते है। “
Telnet को 1969 म िवकिसत कया गया था। इसे RFC 854 म define कया गया है। Telnet
connections को virtual terminal connections कहा जाता है।
Telnet (टेलनेट) कसी computer या host से connect करने के िलए TCP protocols का
इ तेमाल करता है. एक Host के port 23 पर Telnet service उपल ध रहती है.
Advantages of Telnet –
इसके ारा हम data को send तथा receive कर सकते है.
1. यह user authentication को सपोट करता है.
2. सभी telnet clients और servers एक network virtual terminal (NVT) को
implement करते ह.
3. इसका इ तेमाल ब त सार operating systems म कया जा सकता है.
4. इससे हमारा ब त सारा समय बच जाता है. य क हम physically कसी host के पास नह
जाना पड़ता.
5. यह ब त ही flexible है य क इसे कसी भी computer म deploy कया जा सकता है.
Disadvantages of Telnet –
SNMP components:-
यूजर एजे ट (User Agent) मैसेज (Message) तैयार करता है, एनवेलप (Envelope) एट करता
है, और मैसेज का एनवेलप (Envelope) म रखता है। यूजर एजे ट (User Agent), यूजस (Users) को
ई-मेल (E-Mail) भेजने और पढ़ने क सुिवधा उपल ध कराता है।
व तुतः यूजर एजे ट (User Agent), िजसे मेल-रीडर (Mail-Reader) भी कहा जाता है, मैसेज
(Message) को क पोज(compose) और रसीव (Receive) करने तथा र लाई (Reply) देने के
िलए िविभ कमा स को यूजर (User) से वीकार(accept) करता है। MH और Berkely यूजर
एजे ट ो ा स (User Agent Program) है।
मेसेज ा सफर एजे ट (Message Transfer Agent) का काय मेल (Mail) को इ टरनेट (Internet)
पर ा सफर (Transfer) करना है। ये िस टम ो ा स (System Programs) होते ह, जो िस टम
(System) अथात् क यूटर म बैक ाउ ड (Background) म रन (Run) होते ह और नेटवक
(Network) म मेल (Mail) को ा सफर (Transfer) करते ह। Sendmail यूिन स िस टम (Unix
System) का एक मैसेज ा सफर एजे ट (Message Transfer Agent) ो ाम होता है।
ई-मेल ए से का दूसरा भाग होता है—डोमेन नेम (Domain Name)। यादातर सं थाएं ई-मेल को
ेिषत (Send) और रसीव (Receive) करने के िलए एक या एक से आधक हा ट (Host) का चयन
करती ह, िज ह मेल ए सचजर (Mail Exchanger) कहते ह। येक मेल ए सचजर (Mail
Exchanger) को एक डोमेन नेम (Domain Name) एसाइन (Assign) कया िजसे DNS डेटाबेस
(DNS Database) से िलया जाता है।
क यूटर के पास एक सवर MTA (AServer MIA) हाना चािहए। commands और उनके
responsees को कै से भेजना है
SMTP एक साधारण ASCII ोटोकॉल है। एक TCP कने शन थािपत करने के बाद ई-मेल (E-Mail)
भेजने वाली मशीन (Machine) अथवा क यूटर, जो लाइ ट (Client) के प म काय करती है. ई-
मेल (E-Mail) ा करने वाली मशीन (Machine) अथवा क यूटर, जो सवर (Server) के प म
काय करती है, से सव थम स पक थािपत करने के िलए ती ा करती है।
इसके बाद लाइ ट (Client) यह सुिनि त करने के िलए सवर (Server) को एक मैसेज (Message)
भेजता है क वह मेल (Mail) का ा करन क िलए तैयार है अथवा नह । य द सवर (Server) मेल को
ा करने के िलए तैयार नह होता है, तो लाइ ट (Client) थािपत कए गए TCP कने शन (TCP
Connection) को म (Release) कर देता है और पुनः कोिशश करता है।
जब सवर (Server) ई-मेल (E-Mail) को ा करने के िलए तैयार होता है, तो लाइ ट (Client),
सवर (Server) को यह सूिचत करता है क मेल (Mail) कौन भेज रहा है और इसे कसे भेजा जा रहा
है। य द लाइ ट (Client) ारा सूिचत कए गए रसीवर (Receiver) का अि त व ग त
(Destination) पर होता है, तो सवर (Server), लाइ ट (Client) का मल (Mail) भेजने क
अनुमित दान करता है। इसके बाद लाइ ट (Client) मैसेज (Message) भेजता है, िजसके िलए
सवर (Server) ारा लाइ ट (Client) को एकनॉलेज (Acknowledge) कया जाता है।
FTP का full form File Transfer Protocol है। जैसा क नाम से पता चल रहा है क इसका
उपयोग एक कं यूटर से दूसरे कं यूटर के बीच फाइल ा सफर करने के िलए कया जाता है।
एफटीपी एक कार का ोटोकॉल है जो क दो systems के बीच फाइल के आदान- दान के िलए set
of rules यानी क कु छ िनयम को िनधा रत करता है।
History of FTP
FTP को सबसे पहले अभय भूषण ारा 1971 म develop कया गया था तब वे MIT म पढाई कर
रहे थे।
शु आत म इसका उपयोग ARPANET Network Control Program यानी NCP (मॉडन इं टरनेट
क शु आत से पहले) पर server और computers के बीच सुरि त तरीके से file transfer करने के
िलए कया जाता था।
बाद म NCP क जगह TCP/IP यािन क मॉडन इं टरनेट का उपयोग होने लगा। जैसे-जैसे internet
पर बदलाव होते गये FTP को भी update कया जाता रहा।
एक समय ऐसा भी आया क कं यूटर म लगे firewall क FTP connection म परे शािनया आने लग
िजससे िनपटने के िलए एफटीपी को firewall friendly बनाया गया िजसके िलए passive mode
add कया गया।
कई सारे बदलाव के बाद म सुर ा कारण से FTPS और SFTP को बनाया गया िजनक वजह से
यह पहले से यादा सुरि त हो गया है।
एफटीपी के ारा web server पर फाइल अपलोड करने के िलए आप नीचे दए गये तीन तरीके का
उपयोग कर सकते ह:
अब चिलए समझते ह क आिखर एफटीपी ोटोकॉल काम कै से करता है। इसके िलए सबसे पहले यूजर
के िस टम म FTP client install होना चािहए इसके अलावा server से connection थािपत
करने के िलए आपके पास username और password होनी चािहए।
File transfer करने के िलए FTP दो कार के connection का उपयोग करता है:
1. Active Mode
2. Passive Mode
Active Mode:
Active mode म client कसी भी port number (greater than 1023) का उपयोग
करके FTP server के port 21 पर connect हो जाता है यानी control connection को
open कर देता है।
इसके बाद client अपना port number सवर क बताता है िजसपर data connection
establish करना है।
client का पोट नंबर िमलने के बाद सवर अपने port 20 से client के port number पर
data connection को open कर देता है।
Passive Mode:
Passive mode म client कसी भी port number (greater than 1023) से FTP
server के port 21 पर command connection को open करता है।
FTP client उस कमांड कने शन के मा यम से सवर को PASV command भेजता है।
FTP server उसी command connection से अपना port number FTP client को
बताता है।
एफटीपी client क तरफ से लाइं ट के पोट नंबर और सवर ारा बताये गये पोट नंबर के बीच
data connection open कर दया जाता है।
Advantages of FTP :-
FTP client के ज रये आप एक से अिधक files के अलावा multiple directories को एक
साथ transfer कर सकते ह।
फाइल को तेज़ गित से ा सफर करना एफटीपी का सबसे बड़ा advantage है।
य द ा सफर के समय connection loss हो जाए तो परेशान होने क ज रत नही है आप
बाद म उसे continue कर सकते ह। आप चाह तो बीच म transfer को pause भी कर सकते
ह और बाद म resume भी कर सकते ह।
आप file या directory transfer को schedule भी कर सकते ह यानी आपके बताये गये
समय पर यह automatic अपना काम कर सकता है।
FTP पर auto backup क सुिवधा भी जो क बड़े काम क चीज है।
Disadvantages of FTP :-
सारे FTP servers encryption क सुिवधा नही देते ह और िबना encryption के data
transfer करना सुरि त नही है।
अगर आपका पासवड कमजोर है तो brute force attack के ज रये अलग-अलग password
combination बना कर hackers आपके password को guess कर सकते ह।
FTPS :-
FTPS का full form “File Transfer Protocol – Secure” या “File Transfer Protocol –
SSL” है। जैसा क हमने बताया FTP ब त ही पुराना protocol है जो क सन 1971 से चलता आ
रहा है और उस समय data encryption use नही कया जाता था ऐसे म जािहर सी बात है क
एफटीपी म data secure नही है और यही इसक सबसे बड़ी कमजोरी है।
एफटीपी क इसी कमजोरी को दूर करने के िलए FTPS यानी File Transfer Protocol Secured
को बनाया गया जो क FTP क तरह ही काम करता है ले कन इसम सभी data encrypted होते ह
िज ह आसानी से हैक करके read नही कया जा सकता। आजकल यादातर FTPS का ही उपयोग
कया जाता है।
SFTP :-
SFTP का full name “SSH File Transfer Protocol” है। FTPS और SFTP के बीच अंतर यह
है क SFTP म secured connection के िलए SSH यािन Secure Shell का उपयोग होता है
जबक FTPS म FTP protocol का use होता है।
SFTP एक तरह का binary protocol है िजसमे सारे commands binary म convert होकर
packets के form म सवर को भेजे जाते ह िजससे क फाइल ा सफर और भी secured और fast
हो जाता है।
TFTP:-
TFTP का पूरा नाम “Trivial File Transfer Protocol” है, और ये भी एक application layer
ोटोकॉल होती है. जब हमे िबना FTP के फ चर का योग कये सवर से लाइं ट पर कसी फाइल को
ांसफर करने क आव यकता होती है, तो वहां पर हम TFTP का योग करते ह.
TFTP का सॉ टवेयर पैकेज छोटा होता है और यह िड कलेस वक टेशन क रीड-ओनली मेमोरी म
फट हो सकता है जो बूट ैप समय के दौरान योग कया जाता है।TFTP का सॉ टवेयर पैकेज FTP
क तुलना म छोटा है, इस कारण ROM पर आसानी से फट हो सकता है य क इसम के वल IP और
UDP क आव यकता होती है।
से डर हमेशा िनि त आकार के डेटा लॉक अथात 512 बाइ स के प म भेजता है और डेटा के अगले
लॉक को भेजने से पहले acknowledgement क ती ा करता है। वहां TFTP के 5 कार के
संदश
े होते ह, जैसे: RRQ, WRQ, DATA, ACK, ERROR.
Difference between FTP and TFTP
3. FTP का सॉ टवेयर TFTP के सॉ टवेयर से बड़ा होता TFTP का सॉ टवेयर छोटा होता है इसिलए ये ROM क
है | diskless workstation म fit हो जाता है |
4. FTP दो connection बनाता है एक डाटा के िलए TFTP के वल एक कने शन बनाता है फाइल को transfer
(TCP port no. 21) और एक िनयं ण के िलए (TCP करने के िलए (UDP port no. 69)
port no. 20)
5. कने शन थािपत करने के दौरान FTP माणीकरण के TFTP के साथ संचार करते समय कोई माणीकरण क
साथ संचार करना आव यक है | आव यकता नह होती है।
6. FTP म कई कार क कमांड होती ह | TFTP म 5 कार के संदश
े होते ह. |
BOOTP(Bootstrap Trotocol)
इसे RFC 951 तथा 1084 म define कया गया था. तथा इसका िनमाण RARP (resource
address resolution protocol) को replace करने के िलए कया गया था.
bootstrap protocol को यह देखने के िलए बनाया गया था क कसी कं यूटर को boot करने के
बाद उसे properly काम करने के िलए कसक ज रत होती है.
BOOT.P जो है वह relay agent का योग करता है. relay agent का योग कर यह IP routing
के ारा local network से packet को forward करता है.
BOOT.P, diskless computers (या वह कं यूटर िजसे पहली बार boot कया हो) से IP
address, subnet mask, router address क सूचना को obtain करता है.
diskless computers से मतलब है क वह कं यूटर िजसम कोई disk नह होती (जैसे:- हाड िड क,
floppy िड क आ द). diskless कं यूटर का ऑपरे टग िस टम तथा नेटव कग सॉ टवेयर ROM म
store रहते ह.
BOOTP को DHCP (dynamic host configuration protocol) ने replace कर दया है (अथात्
अब यादातर DHCP का योग कया जाता है)
DHCP म इससे यादा options होते है तथा ये यादा flexible होता है.
Working of BOOTP
जब BOOTP client शु (start) होता है तो इसके पास कोई IP address नह होता है. इसिलए यह
network म एक message को broadcast करता है इस मैसेज म इसका MAC address भी होता
है. इस message को “BOOTP request” कहते है तथा इस request को BOOTP server के ारा
ले िलया जाता है. इसके बाद सवर, client को reply म िन िलिखत सूचनाएं दान करता है-
BOOTP DHCP
यह diskless computers या
इसे information को store करने के िलए
workstation को information उपल ध
disks क आव यकता होती है
कराता है
UDP या User Datagram Protocol सबसे सरल Transport Layer protocol है। यह TCP/IP
protocol suite के अंतगत आता है। TCP क तरह ही यह भी िनयम का एक सेट है जो िन द
करता है क इंटरनेट पर डेटा का आदान- दान कै से कया जाएगा।
चूं क यह िबना connection establish कये सीधे data send कर देता है इसीिलए UDP
को connectionless protocol कहा जाता है। यह error correction भी दान नह करता है,
इसीिलए UDP को unreliable protocol भी कहते है।
जब कोई computer अपना data send करता है, तो यह वा तव म परवाह नही करता क data
दूसरे end म received आ है या नह , और यही कारण है क UDP को “fire-and-forget”
protocol के प म जाना जाता है। इसम packet उसके destination तक deliver होगा या नह
इसक कोई भी guarantee नह होती है।
UDP का उपयोग उस ि थित म कया जाता है, जब reliability के कसी भी म े से speed यादा
मह वपूण होती है। उदाहरण के िलये audio और video streaming जहाँ speed एक मु ा है,
जब क कु छ data packet के loss को tolerate कया जा सकता है।
स बंिधत पो ट –
HTTP ोटोकॉल या है
FTP या होता है समझाये
SMTP या है इसका उपयोग
IMAP या होता है
POP ोटोकॉल या है
1. Source port
2. Destination port
3. Length
4. Checksum
Source port: इस 16 bit जानकारी का उपयोग packet के source port क पहचान करने के
िलये कया जाता है।
Length: यह UDP packet (header सिहत) क पूरी length को specify करता है। यह एक 16
bit field है और इसक यूनतम value 8 byte (UDP header का आकार ही) है।
Checksum: यह फ ड checksum value को store करता है िजसे sender ारा send करने से
पहले generate कया गया होता है।
IPv4 म यह filed optional है। इसिलए जब checksum field म कोई value नही होती तो इसे 0
बना दया जाता है और इसके सभी bits भी शू य पर सेट हो जाते है।
UDP के Features
UDP का उपयोग process to process communication के िलए कया जाता है।
ये ब त तेज है िजस कारण इसे real-time applications म उपयोग कया जाता है।
यह packet switching का समथन करता है िजस कारण multicasting के िलए यह एक
उपयु protocol है।
यह अ य protocol से latency और bandwidth दोन मामले म अिधक कु शल है।
यह stateless protocol है िजसका मतलब है इसके ारा कोई भी acknowledgment
नही दी जाती क data received आ है या नह ।
ना ही ये data क ordered delivery क िज मेदारी लेता है।
RIP (Routing Information Protocol) ारा इसका उपयोग कया जाता है।
यह query आधा रत communication के िलये िब कु ल उपयु है।
इसका इ तेमाल DNS (Domain Name Server) और NTP (Network Time
Protocol) के िलए कया जाता है।
इसम low overhead होता है।
TCP UDP
TCP एक connection oriented protocol है। UDP एक connection less protocol है।
इसम अिधक overhead होते है। इसम less overhead होते है।
TCP UDP
इसका header size 20 bytes होता है। जब क इसका header size 8 bytes होता है।
इसम lost data का retransmission संभव होता है। इसम यह संभव नही होता है।
इसम error checking क सुिवधा होती है। यह कोई error checking नह करता है।
इसका उपयोग WWW, HTTP, SMTP, FTP, आ द इसका उपयोग Video conferencing, DNS और VoIP
म कया जाता है। म कया जाता है।
DNS का पूरा नाम Domain name system ह। DNS का काम Domain name को IP address
म प रव तत करना होता है। जब हम कसी भी Domain name को Web Browse म type करते ह
तो ये DNS उसको IP address म Convert करता ह। इसी कार कसी भी नेटवक म कसी
भी कं यूटर एवं हो ट नेम को भी ये IP address म Convert करता है। यह इस िलए होता ह य क
हम IP address क तुलना म नाम आसानी से याद रख सकते ह।
History of DNS
Paul Mockapetris नाम के कं यूटर वै ािनक ने साल 1980 म डोमेन नेम िस टम का िनमाण कया,
ता क आईपी ए स
े को यूमन ल वेज म बदला जा सके । इसके पहले का व यानी क आज से लगभग
40-50 साल पहले जब इं टरनेट का उपयोग ब त कम होता था तब आईपी ए ेस से वेब ाउ जग और
स फग क जाती थी।
ले कन जैसे-जैसे इं टरनेट के उपयोग म तेजी होने लगी और इसका आकार बढ़ते गया तब आईपी ए से
को याद रखना काफ मुि कल होता गया। इसिलए Paul Mockapetris ने 1980 म डोमेन नेम
िस टम का आिव कार कया ता क आईपी ए स े क जगह सीधे वेब ाउज़र म डोमेन नेम िलखकर
स फग और ाउ ज़ग क जा सके । इं टरनेट म डोमेन नेम space tree को तीन भाग म िवभािजत
कया गया है
generic domain name ऐसे नाम को कहते ह जो कसी साधारण प से हर िड शनरी म िमल
जाता ह जैसे cherry.com या bike.com जेने रक डोमेन नेम को आसान नाम क वजह से याद
रखना आसान होता है बजाय ऐसे नाम के जो थोड़ा मुि कल होता है जैसे क dream11play.com।
जेने रक डोमेन क सहायता से उसके नाम से ही वेबसाइट क डाटा साम ी का पता चलता है। जेने रक
डोमेन कु छ इस कार के होते ह।
Label Description
देश के नाम वाले डोमेन अपने देश के नाम पर सुरि त रखे जाते ह यह मु यत अ र म होते ह जैसे,
Label Description
.in India
.pk Pakistan
inverse डोमेन का उपयोग कसी नाम के पते को मै पग करने के िलए कया जाता है।
works DNS:-
1. DNS resolver – DNS resolver ISP (internet service provider) के ारा ा कया
जाता है।
2. Root name server – इसे 12 अलग-अलग ऑगनाइजेशन कं ोल करती है और इसका
उपयोग पूरी दुिनया म होता है। Informational pages बनाने के िलए इसका उपयोग कया
जाता है। उदाहरण – www.root-servers.org
3. TLD name server – इस सरवर म सभी डोमेन नेम और वेबसाइ स क जानकारी टोर
रहती है। उदाहरण- .com, .net, .in, .edu
4. Authoritative name server – इसम वेबसाइट क आईपी ऐ स े टोर रहती है।