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ADVANCE COMPUTER NETWORK

MSC.cs 1st Sem


Unit 04-05
ICMP(Internet Control Message Protocol)

ICMP का पूरा नाम Internet Control Message Protocol है. यह एक network


layer ोटोकॉल है. इसका इ तेमाल network layer म error handling के िलए कया जाता है
और इसका योग यादातर network devices जैसे क – router म कया जाता है.
Network layer म ब त सार errors मौजूद होते ह इसिलए ICMP का काय इन errors को report
करना और debug करना होता है.

ICMP का इ तेमाल यह िनधा रत करने के िलए कया जाता है क डाटा destination तक सही समय
मप च
ँ रहा है या नह .

– माना क कोई sender कसी destination को message भेजना चाहता है पर तु


उदाहरण के िलए
कसी कारणवश router मैसेज को destination तक send नह कर पाता. इस ि थित म राऊटर
sender को message भेजता है क वह destination को message नह send कर पा रहा है.
IP (Internet Protocol) एक network layer protocol है। कसी भी network म data को
deliver (Logical Addressing) करने क िज मेदारी IP (Internet Protocol) क होती है। इस
काम के िलए यह TCP और UDP जैसे transport layer protocols को use करता है।
कसी भी data को source से destination तक deliver करने के िलए Internet Protocol ारा
पूरा यास कया जाता है। ले कन internet protocol म ऐसी कु छ limitations (किमयां) है िजससे
इसक performance कम हो जाती है। इनके बारे म िनचे दया जा रहा है।

limitations of IP –
Internet protocol क 2 मह वपूण किमय के बारे म नीचे दया जा रहा है। ICMP क ज रत को
समझने के िलए आपको इन limitations को ठीक से समझना आव यक है।

1:- No Error Reporting – य द कसी error क वजह से कोई data packet राऊटर के ारा
discard (िनर त) हो जाए तो इसके िलए internet protocol म ऐसा कोई mechanism (तं )
नह है िजससे क sender को इस error के बारे म report कया जा सके । कु छ सामा य errors के
उदाहरण नीचे दए जा रहे है।
 मान लीिजये य द router को destination तक data प चँ ाने के िलए कोई router नह
िमल रहा है तो ऐसी ि थित म राऊटर packet को discard कर देगा।

 मान लीिजये क internet म travel करते करते कसी packet का life time पूरा हो गया है
और packet म time to live field क value zero हो गयी है तो ऐसी situation म ये
packet discard कर दया जाएगा।

 मान लीिजये destination तक सभी packets िनधा रत समय म नह प च ँ े है तो ऐसी


प रि थित म स पूण data को discard कर दया जाएगा।
2:- No Communication – कई बार ऐसा हो सकता है क एक device को दूसरे device से
communicate करने क आव यकता हो तो ऐसी situation के िलए भी internet protocol म
ऐसा कोई mechanism नह है िजससे devices आपस म communicate कर सके । ऐसी कु छ
सामा य situations के बारे म नीचे दया जा रहा है।
 कई बार data send करने से पहले एक host को ये determine (िनधा रत) करना होता है
क destination host जीिवत (alive) है या नह ।

 कई बार आपको भी कसी host के बारे म information ा करने क आव यकता हो


सकती है।
Internet Protocol क इन किमय को दूर करने के िलए ICMP (Internet Control
Message Protocol) को िवकिसत कया गया है। ICMP और IP दोन एक साथ काम करते है। ICMP
जो है वह IP का supporting protocol है। ICMP म message mechanism होता है िजससे
hosts को error और status के बारे म सूचना दान क जाती है।

Types of ICMP Message

ICMP message दो कार के होते ह जो क िन िलिखत ह:-

1. Error reporting message


2. Query message
1:- Error Reporting Message
ये वे message होते ह िजनके ारा ICMP, errors के बार म सूचना दान करता है. सामा य error
reporting message क िल ट नीचे दी जा रही है.

 Destination Unreachable (Code 3) – य द कोई router कसी packet के िलए


route नह ढू ँढ पाता है तो ऐसी situation म packet को discard कर दया जाता है और
source को destination unreachable मैसेज send कया जाता है।
 Source Quench (Code 4) – जैसा क आपको पता है IP म flow control नह है।
Sending device को इस बारे म कोई जानकारी नह होती है क उसके ारा send कये गए
data क speed (गित) forward करने वाले router और process करने वाले
destination host के अनुसार है या नह । जब sending device क speed अिधक होती है
तो IP कु छ packets को discard कर देता है। इस situation म ICMP flow control दान
करता है और source device को source quench मैसेज send करता है।

 Redirect (Code 5) – चूँ क routing एक dynamic process होती है और िसफ


routers ही इसम िह सा लेते है इसिलए एक host को िसफ एक ही router के बारे म
जानकारी होती है। इसिलए जब यह host कोई data send करे गा तो data उस router के
मा यम से सही router तक जाएगा। इस situation म राऊटर redirection मैसेज send
करेगा ता क host क routing information को update कया जा सके और host सीधे
सही router को data send कर सके ।

 Time Exceeded (Code 11) – एक router कसी भी packet को forward करने के


िलए routing table को use करता है। य द routing table सही नह है और उसमे errors
है तो ऐसी situation म packet एक loop म ही घूमता रहता है। इस situation से बचने के
िलए हर packet म एक time to live field होता है। इस field क value हर router पर
कम होती जाती है। जैसे ही इस field क value zero होती है तो router ारा इस packet
को discard कर दया जाता है। इस situation म राऊटर source को Time Exceeded
मैसेज send करता है।

 Parameter Unintelligible (Code 12) – य द कोई router या destination host


डाटा पैकेट के कसी field को empty पाता है तो उस पैकेट को discard कर देता है और
source को parameter unintelligible मैसेज send करता है।
2:- Query Message
ये वे messages होते है िजनसे ICMP कसी host के status के िलए query (सवाल) करता है।
सामा य query messages क list उनके code के साथ नीचे दी जा रही है।

 Echo Request (Code 8) & Echo reply (code 0) – इन दोन query messages
का योग network म problems को diagnose करने के िलए कया जाता है। ये दोन
messages ये determine करते है क या दो hosts आपस म communicate कर सकते
है?

 Time-stamp Request (Code 13) & Time stamp Reply (Code 14) – कसी
packet को एक host से दूसरे host तक travel करने म लगने वाले समय को time stamp
request & reply messages के ारा पता कया जाता है।
 Address Mask Request (Code 17) & Address Mask Reply (Code 18) –
कसी host को खुद के IP address क जानकारी हो सकती है ले कन ये ज री नह क उसे
खुद के subnet mask क जानकारी हो। अपना subnet mask पता करने के िलए host
राऊटर को address mask request भेजता है और router इस host के subnet mask
को address mask reply message के प म भेजता है।

Telnet(Terminal Network)

Telnet का पूरा नाम Terminal Network है. Telnet एक नेटवक ोटोकॉल है िजसका योग
Internet या Local Area Network म remote computers को connect करने के िलए कया
जाता है.
दूसरे श द म कह तो, “Telnet एक client-server protocol होता है। इसक मदद से हम कसी
network म एक computer से दूसरे computer को remotely access कर सकते है। “

Telnet को 1969 म िवकिसत कया गया था। इसे RFC 854 म define कया गया है। Telnet
connections को virtual terminal connections कहा जाता है।

Telnet (टेलनेट) कसी computer या host से connect करने के िलए TCP protocols का
इ तेमाल करता है. एक Host के port 23 पर Telnet service उपल ध रहती है.

टेलनेट के मा यम से हम कसी host या computer के पास physically जाए िबना भी उससे


information को access कर सकते है या programs को run करवा सकते है। इससे हमारा time
भी बचता है और effort भी कम लगता है। कसी computer को telnet करते समय हम उसके
username और password को use करते है। एक बार उस computer म login होने के बाद हम
उसे कसी local user क तरह access कर पाते है।
Telnet को public network (Internet) म use करना safe नह माना जाता है। इसिलए public
network म कसी host को remotely access करने के िलए SSH (Secure Shell) को use कया
जाता है। SSH भी telnet क तरह ही hosts को remotely access करने के िलए होता है ले कन
यह telnet से अिधक secure (सुरि त) होता है। Telnet को िसफ private networks (LAN) म
ही use करना सुरि त माना जाता है।

Advantages of Telnet –
इसके ारा हम data को send तथा receive कर सकते है.
1. यह user authentication को सपोट करता है.
2. सभी telnet clients और servers एक network virtual terminal (NVT) को
implement करते ह.
3. इसका इ तेमाल ब त सार operating systems म कया जा सकता है.
4. इससे हमारा ब त सारा समय बच जाता है. य क हम physically कसी host के पास नह
जाना पड़ता.
5. यह ब त ही flexible है य क इसे कसी भी computer म deploy कया जा सकता है.

Disadvantages of Telnet –

1. इसम username और password को िबना कसी encryption के transmit कया जाता


है. जो क एक ब त बड़ा security risk है. इससे hackers हमारे computer को hack कर
सकते ह और information को चुरा सकते है.
2. Telnet म GUI पर आधा रत tools को run नह करवा सकते य क यह character पर
आधा रत communication protocol है.
3. यह ब त inefficient (अ भावी) protocol है.
4. इसम typing speed ब त slow होती है.

चिलए एक उदाहरण के ारा telnet को समझते ह:-


“मान लीिजये क आप कसी company म network administrator है। आपक company का
network ब त बड़ा है और इसम ब त से hosts है। इतने बड़े network म य द आपको कसी host
से कसी कार का data access करना हो या फर कसी host पर कोई program run करना हो
तो आपको physically उस host तक जाना होगा। ले कन य क आपक company का network
बड़ा है इसिलए आप हर host के पास जाकर काम नह कर सकते है। हर host के पास physically
जाने म ब त सारा time बबाद हो सकता है और इससे दूसरे employees को disturbance
( द त) भी हो सकता है। इस situation म आप telnet को use कर सकते है।“

SNMP(simple network management protocol)

SNMP (एसएनएमपी) का पूरा नाम simple network management protocol है.


तथा इसका योग नेटवक को मैनेज करने के िलए कया जाता है.
यह एक इ टरनेट टै डड ोटोकॉल है जो क IP नेटवक म िडवाइस को मॉिनटर करता है तथा इन
devices क जानकारी (डेटा) को एकि त तथा organise करता है.
एसएनएमपी को यादातर सभी नेटवक िडवाइस जैसे:- हब, ि वच, राऊटर, ि ज, सवर,
मॉडेम, तथा टर आ द के ारा सपोट कया जाता है.
SNMP जो है वह यूजर डाटा ाम ोटोकॉल (UDP) का योग करता है तथा यह TCP/IP
ोटोकॉल सूट का एक िह सा है पर तु यह TCP/IP तक ही िसमीत नह है.
एसएनएमपी को IETF (इ टरनेट इं जीिनय रग टा क फ़ोस) ने िडफाइन कया था.

SNMP components:-

इसके कं पोन स िन िलिखत है:-


1:- SNMP manager
2:- SNMP agent
3:- managed device
4:- MIB
1:- SNMP manager:- यह कं यूटर िस टम होता है जो क एसएनएमपी agent के
ारा नेटवक ै फक को मॉिनटर करता है तथा यह इन एज स से सवाल (query) करता
है, इनसे उ र लेता है तथा इ ह कं ोल करता है.
2:- managed devices:– मैनेजड िडवाइस के अंदर हमारा ि वच, राऊटर,
हब, सवर, ि ज, मॉडेम, आ द नेटव कग िडवाइस आ जाती है. इसे नेटवक एिलमट भी
कहते है.
3:- SNMP agent:- यह एक सॉ टवेर ो ाम होता है जो क नेटवक एिलमट म ि थत
होता है. यह िडवाइस से real-time सूचना को एकि त करता है तथा इस सूचना को
एसएनएमपी manager को देता है. तथा यह सूचना को टोर तथा retrieve भी
करता है.
4:- MIB (management information database):- यह एक वचुअल
इनफामशन टोरेज है जहाँ मैनेजमट इनफामशन को टोर कया जाता है.
SNMP versions:-

इसके अभी तक तीन versions आ चुके है. SNMPv1, SNMPv2, SNMPv3.


SNMPv3 यह इसका लेटे ट version है जो क SNMPv1 तथा SNMPv2 क तुलना म
ब त सुरि त है. इसिलए म आपको recommend क ँ गा क आप SNMPv3 का योग
कर.
SNMP basic operations (commands):-

इसक कु छ सामा य कमां स िन िलिखत है.


1:- GET:- GET ऑपरेशन का योग एसएनएमपी manager के ारा एक या एक से यादा
values को agent से ा करने के िलए कया जाता है.
2:- GET NEXT:- यह GET ऑपरे शन क तरह ही सामान है पर तु इसका योग agent से
अगली values को ा करने के िलए कया जाता है.
3:- SET:- इसका योग manager के ारा मैनेजड िडवाइस क वै यू को सेट करने के िलए
कया जाता है.
4:- TRAP:- इस कमांड का योग एसएनएमपी agent के ारा एसएनएमपी मैनेजर को
acknowledgment मैसेज भेजने के िलए कया जाता है.
5:- GET BULK:- इस ऑपरेशन का योग बड़े डेटा को retrieve करने के िलए कया
जाता है.
6:- INFORM:- यह कमांड भी TRAP क तरह ही समान है िजसका योग एसएनएमपी एजट
के ारा एसएनएमपी मेनेजर को acknowledgement मैसेज भेजने के िलए कया जाता है.

Simple Mail Transfer Protocol-SMTP

वह ोटोकॉल (Protocol), जो इ टरनेट (Internet) पर मैसेज ा सफर (Message Transfer)


अथात् ई-मेल (E-Mail) का समथन करता है, िस पल मेल ा सफर ोटोकॉल (Simple Mail
Transfer Protocol-SMTP) कहलाता है। यह इ टरनेट(internet) पर ई-मेल (E-Mail) ा सिमट
(Transmit) करने क अनुमित देने वाला क यूिनके शन गाइडलाइ स (Communication
Guidelines) का एक सेट (Set) है।
SMTP, ई-मेल ए स ै ेज़ (E-Mail Addresses) के आधार पर कसी एक क यूटर से मैसेजेज
(Messages) को अ य क यूटर पर भेजने का एक िस टम (System) है। SMTP कसी एक अथवा
िभ नेटवक (Networks) म यूजस (Users) को मेल (Mail) का आदान- दान करने क सुिवधा
दान करता है तथा िन िलिखत का समथन करता है

(1) एक ही मैसेज को एक से अिधक ई-मेल ए स


े ेज़ पर भेजना।

(2) मैसेज म टै ट, साउ ड, ा फ स और वीिडयो को सि िहत कर भेजना।

(3) इ टरनेट के वा नेटव स के योगकता को मैसेजेज़ को भेजना।

िन ां कत Fig. म SMTP क मूलभूत अवधारणा (Basic Concept) को दशाया गया है।


िस पल मेल ा सफर ोटोकॉल लाइ ट और सवर दोन को दो क पोने स म िवभािजत कया जाता
है

(1) यूजर एजे ट (User Agent-UA) और

(2) मैसेज ा सफर एजे ट (Message Transfer Agent-MTA)।

यूजर एजे ट (User Agent) मैसेज (Message) तैयार करता है, एनवेलप (Envelope) एट करता
है, और मैसेज का एनवेलप (Envelope) म रखता है। यूजर एजे ट (User Agent), यूजस (Users) को
ई-मेल (E-Mail) भेजने और पढ़ने क सुिवधा उपल ध कराता है।

व तुतः यूजर एजे ट (User Agent), िजसे मेल-रीडर (Mail-Reader) भी कहा जाता है, मैसेज
(Message) को क पोज(compose) और रसीव (Receive) करने तथा र लाई (Reply) देने के
िलए िविभ कमा स को यूजर (User) से वीकार(accept) करता है। MH और Berkely यूजर
एजे ट ो ा स (User Agent Program) है।
मेसेज ा सफर एजे ट (Message Transfer Agent) का काय मेल (Mail) को इ टरनेट (Internet)
पर ा सफर (Transfer) करना है। ये िस टम ो ा स (System Programs) होते ह, जो िस टम
(System) अथात् क यूटर म बैक ाउ ड (Background) म रन (Run) होते ह और नेटवक
(Network) म मेल (Mail) को ा सफर (Transfer) करते ह। Sendmail यूिन स िस टम (Unix
System) का एक मैसेज ा सफर एजे ट (Message Transfer Agent) ो ाम होता है।

ई-मेल िस टम (E-Mail System) म से डर साइट (Sender Site) पर के वल एक ही MTA और


रसीवर साइट (Receiver Site) पर अनेक MTAs भी लाइ ट (Client) अथवा सवर (Server) के
प म मेल (Mail) को रले (Relay) अथात् सा रत कर सकते ह। रले यग िस टम (Relaying
System) उन साइटस (Sites) को भी ई-मेल (E-Mail) भेजने क सुिवधा उपल ध कराता है,
जो TCP/IP ोटोकॉल (TCP/IP Protocol) का योग नह करते ह। इस काय के िलए ई-मेल गेटवे
(EMail Gateway) का योग कया जाता है। ई-मेल गेटवे (E-Mail Gateway) एक रले मैसेज
ा सफर एजे ट (Relay Message Transfer Agent-Relay MTA) होता है, जो SMTP के
अित र कसी अ य ोटोकॉल (Protocol) ारा तैयार कए गए मैसेज (Message) को SMTP
फॉमट (Format) म प रव तत करके डेि टनेशन (Destination) अथात् रसीवर (Receiver) को
ेिषत (Send) कर देता है। िन ां कत Fig. म मेल गेटवे (Mail Gateway) के कॉ से ट (Concept)
को दशाया गया है

ई-मेल (E-Mail) को िडलीवर (Deliver) करने के िलए ई-मेल हड लग िस टम (E-mail Handling


System) एक अि तीय ए स ै िस टम (Address System) का योग करता है। SMTP ारा योग
कए जाने वाले ए ै सग िस टम (Addressing System) दो भाग से िन मत होता है

(1) एक लोकल पोट (Local Port), और

(2) एक डोमेन नेम (Domain Name), जो एक-दूसरे से At के िच ह (@) से पृथक होते ह।


कसी भी ई-मेल ए स ै (E-Mail Address) का लोकल पाट (Local Port) एक िविश फाइल का
नाम होता है, िजसे यूजर मेलबॉ स (User Mailbox) कहते ह। यूजर मेलबॉ स (User Mailbox) म
कसी यूजर (User) के िलए रसीव कए गए मेल (Received Mail), यूजर एजे ट (User Agent)
ारा र ीव (Retrieve) करने के िलए टोर होते ह।

ई-मेल ए से का दूसरा भाग होता है—डोमेन नेम (Domain Name)। यादातर सं थाएं ई-मेल को
ेिषत (Send) और रसीव (Receive) करने के िलए एक या एक से आधक हा ट (Host) का चयन
करती ह, िज ह मेल ए सचजर (Mail Exchanger) कहते ह। येक मेल ए सचजर (Mail
Exchanger) को एक डोमेन नेम (Domain Name) एसाइन (Assign) कया िजसे DNS डेटाबेस
(DNS Database) से िलया जाता है।

वा तव म मेल (Mail) का transfer,मेल (Mail) transfer अज स (MTAs) के मा यम से स पा दत


कया जाता है mail को भेजने के िलए एक system अथवा computer के पास एक client MTA(a
client MTA) होना चािहए और मेल को receive करने के िलए एक िस टम अथवा कं यूटर के पास
server MTA(a server MTA) होना चािहए SMTP कसी िवश MTAs को प रभािषत नह करता
है SMTP यह प रभािषत करता है क

क यूटर के पास एक सवर MTA (AServer MIA) हाना चािहए। commands और उनके
responsees को कै से भेजना है

SMTP एक साधारण ASCII ोटोकॉल है। एक TCP कने शन थािपत करने के बाद ई-मेल (E-Mail)
भेजने वाली मशीन (Machine) अथवा क यूटर, जो लाइ ट (Client) के प म काय करती है. ई-
मेल (E-Mail) ा करने वाली मशीन (Machine) अथवा क यूटर, जो सवर (Server) के प म
काय करती है, से सव थम स पक थािपत करने के िलए ती ा करती है।
इसके बाद लाइ ट (Client) यह सुिनि त करने के िलए सवर (Server) को एक मैसेज (Message)
भेजता है क वह मेल (Mail) का ा करन क िलए तैयार है अथवा नह । य द सवर (Server) मेल को
ा करने के िलए तैयार नह होता है, तो लाइ ट (Client) थािपत कए गए TCP कने शन (TCP
Connection) को म (Release) कर देता है और पुनः कोिशश करता है।

जब सवर (Server) ई-मेल (E-Mail) को ा करने के िलए तैयार होता है, तो लाइ ट (Client),
सवर (Server) को यह सूिचत करता है क मेल (Mail) कौन भेज रहा है और इसे कसे भेजा जा रहा
है। य द लाइ ट (Client) ारा सूिचत कए गए रसीवर (Receiver) का अि त व ग त
(Destination) पर होता है, तो सवर (Server), लाइ ट (Client) का मल (Mail) भेजने क
अनुमित दान करता है। इसके बाद लाइ ट (Client) मैसेज (Message) भेजता है, िजसके िलए
सवर (Server) ारा लाइ ट (Client) को एकनॉलेज (Acknowledge) कया जाता है।

FTP (File Transfer Protocol)

FTP का full form File Transfer Protocol है। जैसा क नाम से पता चल रहा है क इसका
उपयोग एक कं यूटर से दूसरे कं यूटर के बीच फाइल ा सफर करने के िलए कया जाता है।

एफटीपी एक कार का ोटोकॉल है जो क दो systems के बीच फाइल के आदान- दान के िलए set
of rules यानी क कु छ िनयम को िनधा रत करता है।

FTP protocol ब त ही पुराना ोटोकॉल है और आज भी इसका उपयोग हो रहा है इसके बावजूद


कई सारे internet users ऐसे भी ह गे िज ह अभी तक FTP के बारे म पता नही होगा, ले कन य द
आप कोई वेबसाइट बनाने जा रह ह तो आपके िलए यह ब त ही उपयोगी tool सािबत हो सकता है।

जब कोई web developer वेबसाइट बनाता है तो उस वेबसाइट के files को सवर पर upload


करना होता है और इस काम के िलए FTP का उपयोग कया जाता है जो क बड़े-बड़े फाइल को सवर
पर अपलोड, डाउनलोड, रीनेम, िडलीट, कॉपी और मूव करने म मदद करता है।

History of FTP

FTP को सबसे पहले अभय भूषण ारा 1971 म develop कया गया था तब वे MIT म पढाई कर
रहे थे।
शु आत म इसका उपयोग ARPANET Network Control Program यानी NCP (मॉडन इं टरनेट
क शु आत से पहले) पर server और computers के बीच सुरि त तरीके से file transfer करने के
िलए कया जाता था।

बाद म NCP क जगह TCP/IP यािन क मॉडन इं टरनेट का उपयोग होने लगा। जैसे-जैसे internet
पर बदलाव होते गये FTP को भी update कया जाता रहा।

एक समय ऐसा भी आया क कं यूटर म लगे firewall क FTP connection म परे शािनया आने लग
िजससे िनपटने के िलए एफटीपी को firewall friendly बनाया गया िजसके िलए passive mode
add कया गया।

कई सारे बदलाव के बाद म सुर ा कारण से FTPS और SFTP को बनाया गया िजनक वजह से
यह पहले से यादा सुरि त हो गया है।

FTP का कै से उपयोग कया जाता है?

एफटीपी के ारा web server पर फाइल अपलोड करने के िलए आप नीचे दए गये तीन तरीके का
उपयोग कर सकते ह:

1. Command-line FTP के ज रये: आपने command line का कभी न कभी उपयोग ज र


कया होगा, हर operating systems चाहे वह Windows हो, Linux हो या Mac OS
हो सभी म FTP के िलए कु छ built-in command दए होते ह िजनका उपयोग करके FTP
site से connect हो सकते ह।
2. Web Browser का उपयोग करके : आप सीधे web browser का भी use कर सकते ह
इसके िलए आपको address bar म http:// क जगह ftp:// िलखना होगा और साथ म
आपको username और password म url म type करना होगा। ाउज़र पर ए स े कु छ इस
तरह होगा: ftp://username:password@ftp.website.org/
3. Graphical FTP Client का उपयोग करके : आप graphical FTP client का भी use
कर सकते ह जो क एक कार का application होता है और िजसका interface ब त ही
user friendly और आसान होता है। य द आप वडोज use कर रह ह तो FileZilla नाम का
application आप इ टरनेट से मु त म डाउनलोड कर सकते ह।

FTP कै से काम करता है?

अब चिलए समझते ह क आिखर एफटीपी ोटोकॉल काम कै से करता है। इसके िलए सबसे पहले यूजर
के िस टम म FTP client install होना चािहए इसके अलावा server से connection थािपत
करने के िलए आपके पास username और password होनी चािहए।
File transfer करने के िलए FTP दो कार के connection का उपयोग करता है:

1. Control Connection: इसका उपयोग connection को open या close करने और


server को command भेजने के िलया कया जाता है।
2. Data Connection: Connection थािपत होने बाद data connection के मा यम से
client-server के बीच फाइल ा सफर कया जाता है।
Client ारा port नंबर 21 पर control connection शु कया जाता है कने शन थािपत होने पर
client ारा commands भेजे जाते ह और command के अनुसार server port number 20 पर
data connection शु करता है और इसी data connection के ज रये फाइल को ा सफर कया
जाता है। FTP दो अलग-अलग modes पर काम कर सकता है:

1. Active Mode
2. Passive Mode
Active Mode:

 Active mode म client कसी भी port number (greater than 1023) का उपयोग
करके FTP server के port 21 पर connect हो जाता है यानी control connection को
open कर देता है।
 इसके बाद client अपना port number सवर क बताता है िजसपर data connection
establish करना है।
 client का पोट नंबर िमलने के बाद सवर अपने port 20 से client के port number पर
data connection को open कर देता है।
Passive Mode:

 Passive mode म client कसी भी port number (greater than 1023) से FTP
server के port 21 पर command connection को open करता है।
 FTP client उस कमांड कने शन के मा यम से सवर को PASV command भेजता है।
 FTP server उसी command connection से अपना port number FTP client को
बताता है।
 एफटीपी client क तरफ से लाइं ट के पोट नंबर और सवर ारा बताये गये पोट नंबर के बीच
data connection open कर दया जाता है।

FTP और HTTP म या अंतर है?

 FTP के ारा two-way communication कया जा सकता है यानी क हम सवर से कसी


फाइल को client system पर copy या move कर सकते ह और client के कं यूटर से कसी
फाइल को सवर upload कर सकते ह।
 HTTP one-way communication system पर काम करता है जो क server से text,
images, videos आ द को client के browser पर display करता है।
 एफटीपी के ारा user सवर क directory structure को देख सकता है जब क HTTP म
इसे hide कया जा सकता है।
 बड़े-बड़े files के transfer के िलए एफटीपी बेहतर है जब क छोटे-छोटे data को ा सफर
करने के िलए HTTP का उपयोग करना बेहतर है।
 एफटीपी म कोई फाइल सवर से transfer हो कर client के कं यूटर पर automatically
save हो सकता है ले कन HTTP म user को अपने browser पर दख रहे content को खुद
से सेव करना होता है।
 FTP म data transfer के िलए binary encoding का उपयोग होता है जब क HTTP म
MIME format का use होता है।

Advantages of FTP :-
 FTP client के ज रये आप एक से अिधक files के अलावा multiple directories को एक
साथ transfer कर सकते ह।
 फाइल को तेज़ गित से ा सफर करना एफटीपी का सबसे बड़ा advantage है।
 य द ा सफर के समय connection loss हो जाए तो परेशान होने क ज रत नही है आप
बाद म उसे continue कर सकते ह। आप चाह तो बीच म transfer को pause भी कर सकते
ह और बाद म resume भी कर सकते ह।
 आप file या directory transfer को schedule भी कर सकते ह यानी आपके बताये गये
समय पर यह automatic अपना काम कर सकता है।
 FTP पर auto backup क सुिवधा भी जो क बड़े काम क चीज है।

Disadvantages of FTP :-
 सारे FTP servers encryption क सुिवधा नही देते ह और िबना encryption के data
transfer करना सुरि त नही है।
 अगर आपका पासवड कमजोर है तो brute force attack के ज रये अलग-अलग password
combination बना कर hackers आपके password को guess कर सकते ह।

FTPS :-
FTPS का full form “File Transfer Protocol – Secure” या “File Transfer Protocol –
SSL” है। जैसा क हमने बताया FTP ब त ही पुराना protocol है जो क सन 1971 से चलता आ
रहा है और उस समय data encryption use नही कया जाता था ऐसे म जािहर सी बात है क
एफटीपी म data secure नही है और यही इसक सबसे बड़ी कमजोरी है।
एफटीपी क इसी कमजोरी को दूर करने के िलए FTPS यानी File Transfer Protocol Secured
को बनाया गया जो क FTP क तरह ही काम करता है ले कन इसम सभी data encrypted होते ह
िज ह आसानी से हैक करके read नही कया जा सकता। आजकल यादातर FTPS का ही उपयोग
कया जाता है।

SFTP :-
SFTP का full name “SSH File Transfer Protocol” है। FTPS और SFTP के बीच अंतर यह
है क SFTP म secured connection के िलए SSH यािन Secure Shell का उपयोग होता है
जबक FTPS म FTP protocol का use होता है।

SFTP एक तरह का binary protocol है िजसमे सारे commands binary म convert होकर
packets के form म सवर को भेजे जाते ह िजससे क फाइल ा सफर और भी secured और fast
हो जाता है।

एफटीपी म user id, password और certificate को authentication के िलए use जाता है


जब क SFTP connection म authentication के िलए user id, password के अलावा SSH
keys का भी उपयोग कया जा सकता है।

TFTP:-
TFTP का पूरा नाम “Trivial File Transfer Protocol” है, और ये भी एक application layer
ोटोकॉल होती है. जब हमे िबना FTP के फ चर का योग कये सवर से लाइं ट पर कसी फाइल को
ांसफर करने क आव यकता होती है, तो वहां पर हम TFTP का योग करते ह.
TFTP का सॉ टवेयर पैकेज छोटा होता है और यह िड कलेस वक टेशन क रीड-ओनली मेमोरी म
फट हो सकता है जो बूट ैप समय के दौरान योग कया जाता है।TFTP का सॉ टवेयर पैकेज FTP
क तुलना म छोटा है, इस कारण ROM पर आसानी से फट हो सकता है य क इसम के वल IP और
UDP क आव यकता होती है।

से डर हमेशा िनि त आकार के डेटा लॉक अथात 512 बाइ स के प म भेजता है और डेटा के अगले
लॉक को भेजने से पहले acknowledgement क ती ा करता है। वहां TFTP के 5 कार के
संदश
े होते ह, जैसे: RRQ, WRQ, DATA, ACK, ERROR.
Difference between FTP and TFTP

NO. FTP TFTP


1. FTP का पूरा नाम “File Transfer Protocol” होता TFTP का पूरा नाम “Trivial File Transfer Protocol”
है | होता है |
2. FTP एक connection-oriented स वस देता है | जब क TFTP एक connection-less स वस देता है |

3. FTP का सॉ टवेयर TFTP के सॉ टवेयर से बड़ा होता TFTP का सॉ टवेयर छोटा होता है इसिलए ये ROM क
है | diskless workstation म fit हो जाता है |

4. FTP दो connection बनाता है एक डाटा के िलए TFTP के वल एक कने शन बनाता है फाइल को transfer
(TCP port no. 21) और एक िनयं ण के िलए (TCP करने के िलए (UDP port no. 69)
port no. 20)

5. कने शन थािपत करने के दौरान FTP माणीकरण के TFTP के साथ संचार करते समय कोई माणीकरण क
साथ संचार करना आव यक है | आव यकता नह होती है।
6. FTP म कई कार क कमांड होती ह | TFTP म 5 कार के संदश
े होते ह. |

BOOTP(Bootstrap Trotocol)

BOOTP का पूरा नाम bootstrap protocol है. यह एक computer networking ोटोकॉल है


िजसका योग network म network devices को IP ए स े assign करने के िलए कया जाता है.
(यह devices को configuration server से automatically आईपी ए स
े assign करता है.)
दुसर श द म कह तो, “यह एक internet ोटोकॉल है िजसका योग client के ारा server से IP
address को obtain करने के िलए कया जाता है.”

इसे RFC 951 तथा 1084 म define कया गया था. तथा इसका िनमाण RARP (resource
address resolution protocol) को replace करने के िलए कया गया था.
bootstrap protocol को यह देखने के िलए बनाया गया था क कसी कं यूटर को boot करने के
बाद उसे properly काम करने के िलए कसक ज रत होती है.
BOOT.P जो है वह relay agent का योग करता है. relay agent का योग कर यह IP routing
के ारा local network से packet को forward करता है.

BOOT.P, diskless computers (या वह कं यूटर िजसे पहली बार boot कया हो) से IP
address, subnet mask, router address क सूचना को obtain करता है.
diskless computers से मतलब है क वह कं यूटर िजसम कोई disk नह होती (जैसे:- हाड िड क,
floppy िड क आ द). diskless कं यूटर का ऑपरे टग िस टम तथा नेटव कग सॉ टवेयर ROM म
store रहते ह.
BOOTP को DHCP (dynamic host configuration protocol) ने replace कर दया है (अथात्
अब यादातर DHCP का योग कया जाता है)

DHCP म इससे यादा options होते है तथा ये यादा flexible होता है.

Working of BOOTP

जब BOOTP client शु (start) होता है तो इसके पास कोई IP address नह होता है. इसिलए यह
network म एक message को broadcast करता है इस मैसेज म इसका MAC address भी होता
है. इस message को “BOOTP request” कहते है तथा इस request को BOOTP server के ारा
ले िलया जाता है. इसके बाद सवर, client को reply म िन िलिखत सूचनाएं दान करता है-

 client का IP address, subnet mask, और gateway address.


 IP address और BOOT.P server का hostname
 उस सवर का IP address िजसके पास boot image होती है.
जब client को BOOT.P server क information ा हो जाती है तब यह TCP/IP protocol
stack को configure तथा initialize करता है तथा उसके बाद उस server से connect करता है
िजसके पास boot image होती है. client इस boot image को load करता है तथा operating
system को start करता है.

Difference Between BOOTP and DHCP

BOOTP DHCP

इसका पूरा नाम bootstrap protocol इसका फु ल फॉम dynamic host


है configuration protocol है

यह temporary IP address दान नह यह कु छ समय के िलए IP ए स


े दान करता
करता है.

ये DHCP clients के साथ compatible इसे B.OOTP clients के साथ operate कर


नह होता. सकते है.

mobile devices म IP configuration


यह mobility को support करता है
तथा सूचना को access नह कर पाता.

यह diskless computers या
इसे information को store करने के िलए
workstation को information उपल ध
disks क आव यकता होती है
कराता है

इसने RARP को replace कया इसने BOOTP को replace कया

यह कं यूटर को के वल तब ही IP address यह computers को तब IP ए स े दान


दान करता है जब वह boot हो रहा करता है जब ऑपरे टग िस टम load हो चूका
होता है. होता है.
UDP (User Datagram Protocol)

UDP या User Datagram Protocol सबसे सरल Transport Layer protocol है। यह TCP/IP
protocol suite के अंतगत आता है। TCP क तरह ही यह भी िनयम का एक सेट है जो िन द
करता है क इंटरनेट पर डेटा का आदान- दान कै से कया जाएगा।

चूं क यह िबना connection establish कये सीधे data send कर देता है इसीिलए UDP
को connectionless protocol कहा जाता है। यह error correction भी दान नह करता है,
इसीिलए UDP को unreliable protocol भी कहते है।

जब कोई computer अपना data send करता है, तो यह वा तव म परवाह नही करता क data
दूसरे end म received आ है या नह , और यही कारण है क UDP को “fire-and-forget”
protocol के प म जाना जाता है। इसम packet उसके destination तक deliver होगा या नह
इसक कोई भी guarantee नह होती है।

UDP का उपयोग उस ि थित म कया जाता है, जब reliability के कसी भी म े से speed यादा
मह वपूण होती है। उदाहरण के िलये audio और video streaming जहाँ speed एक मु ा है,
जब क कु छ data packet के loss को tolerate कया जा सकता है।

अगर UDP क TCP (Transmission Control Protocol) और SCTP (Stream Control


Transmission Protocol) से तुलना क जाए तो यह कम समय लेता है data transfer म। अगर
data को िसफ one direction म flow करवाना हो, उस ि थित म यह एक बेहतर protocol है।

स बंिधत पो ट –
HTTP ोटोकॉल या है
FTP या होता है समझाये
SMTP या है इसका उपयोग
IMAP या होता है
POP ोटोकॉल या है

User Datagram Header


UDP packets को “user datagram” कहा जाता है िजसम 8 bytes का fixed size header होता
है।
UDP Header म four मु य parameters होते है:

1. Source port
2. Destination port
3. Length
4. Checksum
Source port: इस 16 bit जानकारी का उपयोग packet के source port क पहचान करने के
िलये कया जाता है।

Destination port: इस 16 bit जानकारी का उपयोग destination machine पर application


level service क पहचान करने के िलये कया जाता है।

Length: यह UDP packet (header सिहत) क पूरी length को specify करता है। यह एक 16
bit field है और इसक यूनतम value 8 byte (UDP header का आकार ही) है।

Checksum: यह फ ड checksum value को store करता है िजसे sender ारा send करने से
पहले generate कया गया होता है।

IPv4 म यह filed optional है। इसिलए जब checksum field म कोई value नही होती तो इसे 0
बना दया जाता है और इसके सभी bits भी शू य पर सेट हो जाते है।

UDP के Features
 UDP का उपयोग process to process communication के िलए कया जाता है।
 ये ब त तेज है िजस कारण इसे real-time applications म उपयोग कया जाता है।
 यह packet switching का समथन करता है िजस कारण multicasting के िलए यह एक
उपयु protocol है।
 यह अ य protocol से latency और bandwidth दोन मामले म अिधक कु शल है।
 यह stateless protocol है िजसका मतलब है इसके ारा कोई भी acknowledgment
नही दी जाती क data received आ है या नह ।
 ना ही ये data क ordered delivery क िज मेदारी लेता है।
 RIP (Routing Information Protocol) ारा इसका उपयोग कया जाता है।
 यह query आधा रत communication के िलये िब कु ल उपयु है।
 इसका इ तेमाल DNS (Domain Name Server) और NTP (Network Time
Protocol) के िलए कया जाता है।
 इसम low overhead होता है।

Difference Between TCP And UDP

TCP UDP

TCP एक connection oriented protocol है। UDP एक connection less protocol है।

यह reliable है यह unreliable है।

यह UDP से slower होता है। यह TCP से faster होता है।

इसम अिधक overhead होते है। इसम less overhead होते है।
TCP UDP

इसका header size 20 bytes होता है। जब क इसका header size 8 bytes होता है।

इसम lost data का retransmission संभव होता है। इसम यह संभव नही होता है।

इसम error checking क सुिवधा होती है। यह कोई error checking नह करता है।

TCP म flow control और congestion control


इसम ऐसी कोई भी सुिवधा नही होती है।
दान कया जाता है।

इसका उपयोग WWW, HTTP, SMTP, FTP, आ द इसका उपयोग Video conferencing, DNS और VoIP
म कया जाता है। म कया जाता है।

DNS (Domain Name System)

DNS का पूरा नाम Domain name system ह। DNS का काम Domain name को IP address
म प रव तत करना होता है। जब हम कसी भी Domain name को Web Browse म type करते ह
तो ये DNS उसको IP address म Convert करता ह। इसी कार कसी भी नेटवक म कसी
भी कं यूटर एवं हो ट नेम को भी ये IP address म Convert करता है। यह इस िलए होता ह य क
हम IP address क तुलना म नाम आसानी से याद रख सकते ह।

एक उदाहरण के तौर पर जब हम www.example.com को ाउज़र म टाइप करते ह तो DNS


इसको 198.15.45.18 म या इसी कार के कसी valid IP address म change कर देता है। IP to
Name and Name to IP.

History of DNS
Paul Mockapetris नाम के कं यूटर वै ािनक ने साल 1980 म डोमेन नेम िस टम का िनमाण कया,
ता क आईपी ए स
े को यूमन ल वेज म बदला जा सके । इसके पहले का व यानी क आज से लगभग
40-50 साल पहले जब इं टरनेट का उपयोग ब त कम होता था तब आईपी ए ेस से वेब ाउ जग और
स फग क जाती थी।

ले कन जैसे-जैसे इं टरनेट के उपयोग म तेजी होने लगी और इसका आकार बढ़ते गया तब आईपी ए से
को याद रखना काफ मुि कल होता गया। इसिलए Paul Mockapetris ने 1980 म डोमेन नेम
िस टम का आिव कार कया ता क आईपी ए स े क जगह सीधे वेब ाउज़र म डोमेन नेम िलखकर
स फग और ाउ ज़ग क जा सके । इं टरनेट म डोमेन नेम space tree को तीन भाग म िवभािजत
कया गया है

(a). Generic Domain

generic domain name ऐसे नाम को कहते ह जो कसी साधारण प से हर िड शनरी म िमल
जाता ह जैसे cherry.com या bike.com जेने रक डोमेन नेम को आसान नाम क वजह से याद
रखना आसान होता है बजाय ऐसे नाम के जो थोड़ा मुि कल होता है जैसे क dream11play.com।
जेने रक डोमेन क सहायता से उसके नाम से ही वेबसाइट क डाटा साम ी का पता चलता है। जेने रक
डोमेन कु छ इस कार के होते ह।

Label Description

.gov government institutions (सरकारी सं था)

.edu Educational institutions (शै िणक सं था)

.net network support centres (नेटवक सपोट सटर)

.com commercial organization.

.org non profit organization.


Label Description

.inet international organisations.

.info information service provider.

.firm firms ( ापार)

(b). Country domain

देश के नाम वाले डोमेन अपने देश के नाम पर सुरि त रखे जाते ह यह मु यत अ र म होते ह जैसे,

Label Description

.in India

.us United State

.pk Pakistan

(C). Inverse domain

inverse डोमेन का उपयोग कसी नाम के पते को मै पग करने के िलए कया जाता है।

works DNS:-

DNS System IP address को मानव भाषा म ांसलेट करता है। IP ऐ स


े नंबस पर आधा रत है
DNS System numbers को मानव भाषा म प रव तत करता है ता क Web browsing करते व
उपयोगकता सीधे डोमेन नेम यानी क वेबसाइट का नाम िलखकर ाउ ज़ग या स फग कर सके । DNS
या है यह जान लेने के बाद अब आप यह जान ले क DNS कतने कार के होते ह

Domain name system के कार

DNS server 4 कार के होते ह।

1. DNS resolver – DNS resolver ISP (internet service provider) के ारा ा कया
जाता है।
2. Root name server – इसे 12 अलग-अलग ऑगनाइजेशन कं ोल करती है और इसका
उपयोग पूरी दुिनया म होता है। Informational pages बनाने के िलए इसका उपयोग कया
जाता है। उदाहरण – www.root-servers.org
3. TLD name server – इस सरवर म सभी डोमेन नेम और वेबसाइ स क जानकारी टोर
रहती है। उदाहरण- .com, .net, .in, .edu
4. Authoritative name server – इसम वेबसाइट क आईपी ऐ स े टोर रहती है।

IP address और domain name म अंतर

Domain name system या है म आपने जाना क DNS म IP address और domain name


क अहम भूिमका होती है। DNS म IP address और domain name का काय एक जैसा ही ह।
ले कन IP address नंबस पर आधा रत होते है और इसे याद रखना थोड़ा मुि कल है पर तु डोमेन नेम
नाम पर आधा रत होते है इसिलए इ हे याद रखना काफ आसान है।

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