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लक्ष्य 2.

0 बैच 1

अर्थव्यवस्र्ा
लक्ष्य 2.0 बैच
Prelims + Mains + Interview

मुद्रा एवं बैंक िं ग


लक्ष्य 2.0 बैच 2
लक्ष्य 2.0 बैच 3

मुद्रा एवम बैंक िं ग


भारतीय ररज़र्व बैंक (Reserve Bank of India)

भारतीय ररज़र्व बैंक भारत का केंद्रीय बैंक है । यह मौद्रद्रक नीतत के ननमावण और


क्रियान्वयन को करते हुए समस्त बैंक्रकिंग कायव-कलापों के ननयंत्रण, ननयमन और
ननरीक्षण का कायव करता है ।

• भारत में केंद्रीय बैंक की स्थापना की ससफाररश सर्वप्रथम 1926 में द्रहल्टन यंग
कमीशन ने की थी। इसके बाद 1931 में भारतीय केंद्रीय बैंक्रकिंग जााँच सनमतत
ने भी भारतीय ररज़र्व बैंक को केंद्रीय बैंक के रूप में स्थाक्रपत करने की ससफाररश
की।
• इन दोनों सनमततयों की ससफाररशों को आधार बनाते हुए 1934 में भारतीय
ररज़र्व बैंक अनधननयम, 1934 पाररत क्रकया गया। इसके तहत 1 अप्रैल, 1935
को भारतीय ररज़र्व बैंक की स्थापना की गई।
• भारतीय ररज़र्व बैंक प्रारं भ में शेयर धारकों के बैंक के रूप में ननजी क्षेत्र के
अंतगवत था, सजसका 1949 में राष्ट्रीयकरण क्रकया गया और इसी समय बैंक्रकिंग
क्रर्ननयमन अनधननयम, 1949 बनाया गया।
• भारतीय ररज़र्व बैंक का मुख्यालय मुंबई में है । 1937 से पूर्व ररज़र्व बैंक का
केंद्रीय कायावलय कोलकाता में स्थाक्रपत था।
• भारत में नोट ननगवमन का एकानधकार भारतीय ररज़र्व बैंक को ही प्राप्त है ।
भारत में 1 रुपये के नोट क्रर्त्त मंत्रालय द्वारा जारी क्रकये जाते हैं । एक रुपये के
नोट पर क्रर्त्त ससचर् के हस्ताक्षर होते हैं ।
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• रुपये से ऊपर के नोट एर्ं ससक्के भारतीय ररजर्व बैंक द्वारा जारी क्रकये जाते
हैं । एक रुपये से ऊपर के नोटों पर भारतीय ररज़र्व बैंक के गर्नवर के हस्ताक्षर
होते हैं ।
• र्तवमान समय में भारत में ₹1 और ₹2 के नोटों का मुद्रण बंद कर द्रदया
गया है ।
• ररज़र्व बैंक का केंद्रीय ननदे शक बोर्व इसके कारोबार का पयवर्ेक्षण करता है ।
इस बोर्व के अंतगवत 1 गर्नवर और 4 उप-गर्नवर होते हैं । भारतीय ररज़र्व बैंक
के 20 क्षेत्रीय कायावलय तथा 11 उप-कायावलय हैं , सजनमें अनधकांश राज्यों की
राजधाननयों में स्थस्थत हैं ।
• न्यूनतम कोष प्रणाली: र्तवमान में भारत में नोट ननगवमन हे तु न्यूनतम कोष
प्रणाली प्रचलन में है । इस प्रणाली के अंतगवत जारी क्रकये जानेर्ाले नोटों के
पीछे भारतीय ररज़र्व बैंक को 200 करोड़ का ररज़र्व कोष अपने पास रखना
होता है, सजसमें 115 करोड़ मूल्य का स्वणव तथा 85 करोड़ की क्रर्देशी मुद्रा
शानमल हैं । प्रचसलत न्यूनतम कोष प्रणाली को 1957 में अपनाया गया।

भारतीय ररज़र्व बैंक के प्रमुख कायव (Major Functions of RBI)

• भारत में मौद्रद्रक स्थस्थरता प्राप्त करना।


• सामान्य रूप से दे श के द्रहत में मुद्रा और ऋण प्रणाली संचासलत करना।
• मूल्य स्थस्थरता बनाए रखना।
1. मौद्रद्रक नीतत का संचालन करनााः भारतीय ररज़र्व बैंक भारत में अथवव्यर्स्था
के सलये मौद्रद्रक नीततयााँ तैयार करता है तथा उसकी ननगरानी करता है ।
2. साख ननयंत्रणाः भारतीय ररजर्व बैंक देश में मुद्रा र् साख की मांग र् पूतति के
मध्य संतुलन स्थाक्रपत करने का प्रयास करता है । यह ध्यान रहे क्रक भारतीय
ररज़र्व बैंक का कायव साख सृजन करना नहीं होता, बल्कि साख ननयंत्रण होता
है । साख सृजन का कायव व्यापाररक बैंक करते हैं ।
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3. मुद्रा जारीकत्तावाः भारतीय ररज़र्व बैंक भारत में मुद्रा जारी करता है , उसका
क्रर्ननयमन करता है तथा पररचालन योग्य न रहने पर उन्हें नष्ट करता है ।
4. बैंकों के बैंक के रूप में: सभी बैंकों के सलये अंततम उधारदाता की भूनमका
ननभाता है । भारतीय ररज़र्व बैंक सभी अनुसूसचत बैंकों के बैंक खाते व्यर्स्थस्थत
करता है तथा भारत सरकार के ऋणदान कायविम को भी संचासलत करता है ।
5. भारतीय बैंक्रकिंग एर्ं क्रर्त्तीय व्यर्स्था को क्रर्ननयनमत करनााः देश की बैंक्रकिंग
और क्रर्त्तीय प्रणाली के कायावन्वयन हे तु बैंक्रकिंग पररचालन के क्रर्स्तृत मानदं र्
ननधावररत करता है । भारतीय ररज़र्व बैंक र्ाणणज्यज्यक बैंकों पर ननयंत्रण,
पररसंपसत्तयों की तरलता, शाखा क्रर्स्तार तथा बैंकों के सलये लाइसेंस जारी
करता है ।
6. सरकार के बैंकर, एजेंट एर्ं सलाहकार की भूनमका अदा करनााः भारतीय ररज़र्व
बैंक केंद्र और राज्य सरकारों के खाते प्रबंनधत करता है , उनके सलये व्यापाररक
बैंक का कायव भी करता है ।यह केंद्र एर्म राज्य सरकारों को आतथिक सलाह
भी दे ता है ।
7. क्रर्देशी मुद्रा भंर्ार का संरक्षणाः क्रर्देशी मुद्रा प्रबंधन अनधननयम, 1999 के अंतगवत
समस्त क्रर्दे शी मुद्राओं के भंर्ार का संरक्षण एर्ं प्रबंधन करता है ।
8. क्रर्कासात्मक भूनमका: भारतीय ररज़र्व बैंक तीव्र आतथिक संर्ृनि एर्ं राष्ट्रीय
उद्दे श्यों को प्राप्त करने के सलये कायव करता है । भारतीय ररज़र्व बैंक द्वारा
क्रर्णभन्न क्षेत्रों से संबंनधत कई क्रर्शेषीकृत क्रर्त्तीय संस्थानों एर्ं बैंकों की स्थापना
की गई है, जैसे- भारतीय औद्योनगक क्रर्कास बैंक, भारतीय लघु उद्योग क्रर्कास
बैंक, राष्ट्रीय कृक्रष और ग्रामीण क्रर्कास बैंक, राष्ट्रीय आर्ासीय बैंक इत्याद्रद ।

मौद्रिक नीतत (Monetary Policy)

मौद्रद्रक नीतत एक व्यापक अर्धारणा है ।अथवव्यर्स्था में मुद्रा की तरलता अथावत् मुद्रा
की आपूतति एर्ं व्याज दर को प्रभाक्रर्त करने र्ाली नीततयााँ, मौद्रद्रक नीतत कहलाती
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है । मौद्रद्रक नीतत के द्वारा अथवव्यर्स्था में मुद्रा के प्रर्ाह एर्ं प्रचालन की मात्रा को
क्रर्ननयनमत क्रकया जाता है । मौद्रद्रक नीतत का संचालन केंद्रीय बैंक भारत में भारतीय
ररज़र्व बैंक करता है ।

मौद्रिक नीतत के उद्दे श्य (Objectives of Monetary Policy)

• मौद्रद्रक नीतत का सबसे प्रमुख उद्देश्य अथवव्यर्स्था में कीमत स्थस्थरता को बनाए
रखना होता है ।
• अथवव्यर्स्था में मुद्रास्फीतत को ननयंत्रत्रत करने एर्ं मंदी की अर्स्था र् मुद्रा
अर्स्फीतत से ननकलने के सलये मौद्रद्रक नीतत सबसे महत्त्वपूणव अस्त्र है ।
• मौद्रद्रक नीतत अथवव्यर्स्था में मुद्रा के प्रर्ाह को संतुसलत करती है एर्ं ब्याज
दरों को ननयंत्रत्रत करती है ।
• मौद्रद्रक नीतत आतथिक गततक्रर्नधयों में र्ृनि कर आतथिक संर्ृनि की दर को तीव्र
करती है ।

मौद्रिक नीतत के उपकरण (Instruments of Monetary Policy)

1. मात्रात्मक उपकरण (Quantitative Instruments)

• बैंक दर (Bank Rate)


• रे पो दर (Repo Rate)
• ररर्सव रे पो दर (Reverse Repo Rate)
• नकद आरक्षक्षत अनुपात (Cash Reserve Ratio)
• र्ैधाननक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio)
• खुले बाज़ार की क्रियाएाँ (Open Market Operations)

2. गुणात्मक उपकरण - (Qualitative Instruments)

• सीमांत आर्श्यकता (Margin Requirement)


• साख की राशननिंग (Rationing of Credit)
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• नैततक प्रभार् (Moral Suasion)

मात्रात्मक उपकरण (Quantitative Instruments)

1. मात्रात्मक उपकरण र्े उपकरण हैं , सजसका संबंध अथवव्यर्स्था मे समग्र मुद्रा
की पूतति से होता है ।इसके द्वारा भारतीय ररजर्व बैंक अथवव्यर्स्था में मुद्रा की
पूतति में र्ृनि या कमी करता है । इसके प्रयोग से अथवव्यर्स्था में समग्र मुद्रा
की पूतति मुद्रास्फीतत के दौरान घटती तथा अर्स्फीतत के दौरान बढ़ती है ।
2. बैंक दर (Bank Rate) - बैंक दर र्ह दर होती है सजस पर भारतीय ररज़र्व
बैंक आर्श्यकता पड़ने पर अन्य व्यापाररक बैंको को दीघवकालीन ऋण उपलब्ध
कराता है । इस दर के द्वारा भारतीय ररज़र्व बैंक साख की उपलब्धता तथा
साख की लागत को प्रभाक्रर्त करता है । इस प्रकार ररज़र्व बैंक बैंकों की साख
सृजन शनि को प्रभाक्रर्त कर सकता है । अथवव्यर्स्था में मुद्रास्फीतत को रोकने
के सलये बैंक दर को बढाया जाता है और अर्स्फीतत के समय इसमें कमी की
जाती है ।
3. रे पो दर (Repo Rate)-भारतीय ररज़र्व बैंक सजस दर पर र्ाणणज्यज्यक बैंकों को
अल्पकालीन ऋण दे ता है उसे रे पो दर कहते है । भारतीय ररज़र्व बैंक के द्वारा
मुद्रास्फीतत के समय रे पोदर में क्रव्रधी की जाती है एर्म अर्स्फीतत के समय
इसमें कमी की जाती है ।
4. ररर्सव रे पो दर (Reverse Repo Rate) - ररर्सव रे पो दर र्ह दर है , चलनननध
जो भारतीय ररज़र्व बैंक अपने ग्राहकों को उनसे सलये गए अल्पकासलक ऋणों
पर प्रदान करता है ।
5. नकद आरक्षक्षत अनुपात (Cash Reserve Ratio-CRR)-बैंकों को अपनी कुल
जमा (ननर्ल मांग एर्ं समय देयता- NDTL) का एक ननश्चित प्रततशत
भारतीय ररजर्व बैंक के पास रखना होता है , सजसे नकद आरक्षक्षत अनुपात
(CRR) कहते है । दूसरे शब्दों में नकद आरक्षक्षत अनुपात से अणभप्राय
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र्ाणणज्यज्यक बैंकों की कुल जमाओं के उस अनुपात से है जो र्ाणणज्यज्यक बैंकों


को भारतीय ररज़र्व बैंक के पास रखना अननर्ायव होता है । नकद आरक्षक्षत
अनुपात की मात्रा को ररज़र्व बैंक द्वारा ननधावररत की जाती है । भारतीय ररज़र्व
- बैंक व्यापाररक बैंकों को नकद आरक्षक्षत अनुपात की रासश पर कोई ब्याज
नहीं देता।यद्रद नकद आरक्षक्षत अनुपात (CRR) में र्ृनि होती है तो र्ाणणज्यज्यक
बैंकों की साख सृजन क्षमता में कमी हो जाती है । मुद्रास्फीतत के समय
भारतीय ररज़र्व बैंक, CRR को बढ़ा दे ता है और इसी प्रकार अर्स्फीतत के
समय इसमें कमी की जाती है ।
6. र्ैधाननक / सांक्रर्नधक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio-SLR)
: व्यापाररक बैंकों को अपने कुल जमा (ननर्ल मांग एर्ं समय देयता- NDTL)
का एक ननश्चित प्रततशत अपने पास नकद, स्वणव एर्ं अल्पकालीन अभाररत
सरकारी प्रततभूततयों के रूप में संरक्षक्षत रखना होता है , सजसे र्ैधाननक /
सांक्रर्नधक तरलता अनुपात (SLR) कहते हैं । यह भारतीय ररज़र्व बैंक द्वारा
ननधावररत क्रकया जाता है ।मुद्रास्फीतत के समय भारतीय ररज़र्व बैंक सांक्रर्नधक
तरलता अनुपात (SLR) को बढ़ाता है एर्म अर्स्फीतत के समय इसमें कमी
की जाती है ।
7. खुले बाजार की क्रियाएं (Open Market Operations) : खुले बाजार की
क्रियाओं की नीतत के अंतगवत भारतीय ररज़र्व बैंक ना खुले बाजार में (सरकारी
प्रततभूततयों ट्रे जरी त्रबल्स एर्ं अन्य स्वीकृत क्रर्पत्रों का िय क्रर्िय करता है ।
खुले बाजार की क्रिया के अंतगवत खुले बाजार में (बैंकों तथा जनता) सरकारी
प्रततभूततयों का िय-क्रर्िय क्रकया जाता है । इसका मुख्य उद्दे श्य अथवव्यर्स्था
में तरलता (मुद्रा) का समायोजन करना होता है ।भारतीय ररज़र्व बैंक द्वारा
जब बाज़ार से प्रततभूततयों का िय क्रकया जाता है तो अथवव्यर्स्था में मुद्रा की
मात्रा अथावत् तरलता में र्ृनि हो जाती है सजससे अथवव्यर्स्था में साख का
क्रर्स्तार होता है । इसके क्रर्परीत जब भारतीय ररज़र्व बैंक द्वारा बाज़ार में
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प्रततभूततयों का क्रर्िय क्रकया जाता है तो अथवव्यर्स्था में मुद्रा की मात्रा अथावत


तरलता में कमी हो जाती है ।मुद्रा स्फीतत के समय केंद्रीय बैंक बाजार में
प्रततभूतत को बेचता है जबक्रक इसके क्रर्परीत अर्स्फीतत के समय केंद्रीय बैंक
इसे खरीदता है ।

सीमाांत स्थायी सुवर्धा (Marginal Standing Facility-MSF)#

• MSF की अर्धारणा मई 2011 प्रभार्ी हुई।


• MSF ब्याज की र्ह दर है , सजसके तहत अनुसूसचत र्ाणणज्यज्यक बैंक, भारतीय
ररजर्व बैंक से अपने शुि जमा Net Demand and Time Liability)का 1
प्रततशत रातभर के सलये ऋण ले सकते हैं ।
• सीमांत स्थायी सुक्रर्धा के अंतगवत केर्ल अनुसूसचत र्ाणणज्यज्यक बैंक
(Scheduled Commercial Bank) ही ररजर्व बैंक से उधार प्राप्त कर सकते
हैं ।
• #मौद्रद्रक नीतत सनमतत (Monetary Policy Committee)# क्रर्त्त अनधननयम,
2016 के तहत संशोनधत आर.बी.आई. अनधननयम, 1934 की धारा 45 में
अनधकार प्राप्त छह सदस्यीय मौद्रद्रक नीतत सस (MPC) के गठन का प्रार्धान
क्रकया गया है । इसमें तीन सदस्य आर.बी.आई. (आर.बी.आई. ग द्रर्प्टी गर्नवर
एर्ं केंद्रीय बोर्व द्वारा नानमत बैंक अनधकारी) द्वारा तथा तीन सदस्य (प्रससि
अथवशास् सरकार द्वारा ननयुि क्रकये जाते हैं । ररजर्व बैंक का गर्नवर इस सनमतत
का पदेन अध्यक्ष होता सरकार द्वारा ननयुि सदस्यों का कायवकाल चार र्षव
का होता है ।

एम.पी.सी. के लक्ष्य (Objectives of MPC) –

• मौद्रद्रक नीतत की समीक्षा में पारदसशिता एर्ं जर्ाबदेद्रहता बढ़ाना


• मुद्रास्फीतत दर को ननधावररत लक्ष्य (4 प्रततशत तक सजसकी ऊपरी सीमा 6
प्रततशत और नन सीमा 2 प्रततशत) के अंतगवत बनाए रखना।
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• मौद्रद्रक नीतत तथा राजकोषीय नीतत के मध्य सामंजस्य स्थाक्रपत करना।


➢ मौद्रद्रक नीतत के क्रर्णभन्न उद्दे श्यों की प्राश्चप्त हे तु प्रयास (यथा- अपेक्षक्षत
नीततगत ब्याज दर ननधावरण इत्याद्रद) करना।

मुिा की आपूतति (Money Supply)

• खुदा की आपूतति का तात्पयव मुद्रा की उस मात्रा से है जो अथवव्यर्स्था में एक


ननश्चित समय त्रबदुिं पर जनता द्वारा क्रर्णभन्न रूपों में अपने पास रखी जाती है ।
मुद्रा आपूतति के मुख्य घटकों में जनता के पास रखी करें सी तथा व्यापाररक
बैंकों की ननर्ल मांग जमाओं को शानमल क्रकया जाता है ।
• भारत में मुद्रा आपूतति की चार र्ैकस्थल्पक माये हैं , जैसे- M1, M2, M3 और
M4 ।

M1=नागररकों के पास नगद, बैंक्रकिंग प्रणाली में मांग जमा ,RBI के पास अन्य जमा

M2=M1 +र्ाकघरों में बचत जमा, M3= M1+बैंक्रकिंग प्रणाली में समय जमा,
M4=M3+र्ाकघर में कुल जमा

तरलता की दृष्टष्ट से चारों भापों का िम है : M1,M2, M3 और M4 ।

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