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Class – 10 Ch -1 मुद्रा और साख तााँबे जैसी धातुओ ं के वसक्कों का चलन हुआ, वजसका चलन वपछली सदी

तक रहा ।
Class -12 Ch – 3 मुद्रा और बैंक िं ग
▪ करेंसी - मुद्रा के आधुवनक रूपों में करें सी-कागज़ के नोि और वसक्के
❖ आवश्यकताओ ं का दोहरा संयोग – जब तक करेंसी का प्रचलन शावमल हैं । वे चीजें जो पहले मुद्रा के रूप में प्रयोग की जाती थीं, उसके
नहीं था तब वस्तु-वववनमय के आधार पर चीजें बेची और खरीदी जाती थी । ववपरीत आधुवनक मुद्रा बहुमूल्य धातुओ ं जैसे सोना-चााँदी और तााँबे के बने
इसके वलए आवश्यकताओ ं का दोहरा संयोग होना आवश्यक था । जैसे एक वसक्कों से नहीं बनी है । अनाज और पशुओ ं की तरह वे रोज़मराथ की चीजें
व्यवि जो वस्तु बेचने की इच्छा रखता है, वही वस्तु दसू रा व्यवि ख़रीदने भी नहीं है । आधुवनक मुद्रा का इस प्रकार का अपना कोई इस्तेमाल नहीं है
की भी इच्छा रखता हो । इसकी तुलना में ऐसी अथथव्यवस्था जहााँ मुद्रा का । धातु मुद्रा की तुलना में पत्र मुद्रा के उत्पादन में कम खचथ आता है और
प्रयोग होता है, मुद्रा महत्त्वपूर्थ मध्यवती भूवमका प्रदान करके इसका हस्तांतरर् सुववधाजनक है ।
आवश्यकताओ ं के दोहरे संयोग की ज़रूरत को खत्म कर देती है । चूाँवक मद्रु ा
▪ इसे वववनमय का माध्यम इसवलए स्वीकार वकया जाता है, क्योंवक वकसी देश
वववनमय प्रविया में मध्यस्थता का काम करती है इसवलए इसे वववनमय का
की सरकार इसे प्रावधकृ त करती है । भारत में भारतीय ररज़वथ बैंक कें द्रीय
माध्यम कहा जाता है ।
सरकार की तरफ से करें सी नोि जारी करता है । भारतीय कानून के अनुसार,
❖ मद्रु ा की उत्पत्ति - अग्रं ेजी भाषा में मुद्रा को मनी (Money) कहा जाता वकसी व्यवि या संस्था को मुद्रा जारी करने की इजाजत नहीं है । इसके
है । अंग्रेजी भाषा के शब्द मनी की उत्पवि लैविन भाषा के शब्द मोनेिा अलावा कानून वववनमय के माध्यम के रूप में रुपये का इस्तेमाल करने की
(Moneta) से हुई । रोम में पहली िकसाल देवी मोनेिा के मवददर में स्थावपत वैधता प्रदान करता है, वजसे भारत में, सौदों में अदायगी के वलए मना नहीं
की गयी थी । इस िकसाल से उत्पावदत वसक्कों का नाम देवी मोनेिा के नाम वकया जा सकता । भारत में कोई व्यवि कानूनी तौर पर रुपयों में अदायगी
पर मनी पड़ गया था और धीरे -धीरे मुद्रा के वलए सामादय रूप से मनी शब्द को अस्वीकार नहीं कर सकता ।
का उपयोग वकया जाने लगा ।
❖ मद्रु ा की पत्तू तट – अथथव्यवस्था में दो प्रकार की व्यवस्थाएं हैं- एक कें द्रीय
▪ ऐसा माना जाता है वक चीन के साथ-साथ भारत भी ववश्व के प्रथम वसक्के बैंक और दसू री व्यावसावयक बैंवकंग व्यवस्था ।
जारी करने वाले देशों में से एक है । भारतीय वसक्कों का इवतहास ईसा पूवथ से
➢ कें द्रीय बैंकः आधुवनक अथथव्यवस्था में, कें द्रीय बैंक एक अवत महत्वपूर्थ
प्रारम्भ हो जाता है । उत्खनन में वमले मौयथकाल के चादं ी के वसक्के इस बात
संस्था है । लगभग प्रत्येक देश का अपना कें द्रीय बैंक है । भारत को अपना
को सत्य वसद्ध करते हैं वक भारत में ईसा से पवू थ ही वसक्कों का प्रयोग आरम्भ
कें द्रीय बैंक सन् 1935 में वमला । इसका नाम ‘ररजवथ बैंक ऑफ इंवडया' है ।
हो गया था । भारत में पहला 'रुपया' शेरशाह सरू ी द्वारा (16 वीं शताब्दी)
कें द्रीय बैंक के अनेक महत्वपूर्थ कायथ हैं। यह देश की मुद्रा का वनगथमन करता
जारी वकया गया था ।
है । यह अनेक उपायों द्वारा जैसे बैंक दर, खुले बाजार की वियाएाँ, कोष
▪ वतथमान में भारत में 50 पैसे, 1 रुपया, 2 रुपये, 5 रुपये और 10 रुपये के अनुपातों में पररवतथन, देश में मुद्रा पूवतथ को वनयंवत्रत करता है । यह सरकार के
मूल्यवगों के वसक्के जारी वकये जा रहे हैं । (इससे अवधक मूल्य के वसक्के भी बैंकर के रूप में कायथ करता है । यह अथथव्यवस्था के ववदेशी कोषों का संरक्षक
जारी होते हैं लेवकन वो सीवमत मात्रा में हैं ) साथ ही भारत के के दद्रीय बैंक है। यह बैंवकग व्यवस्था के वलये बैंक की भााँवत कायथ करता है ।
भारतीय ररजवथ बैंक द्वारा 10रु, 20रु, 50रु, 100रु, 500रु तथा 2000रु
▪ कें द्रीय बैंक द्वारा जारी करें सी, जनता के पास हो सकती है अथवा
मूल्यवगथ के बैंक नोि जारी वकये जा रहे हैं । भारत में वववभदन प्रकार के वसक्कों
और ₹1 के नोि को जारी करने की वजम्मेदारी भारत सरकार के ववि मंत्रालय व्यावसावयक बैंकों के पास, इसे ‘उच्च शत्ति द्रव्य' कहा जाता है अथवा
'ररजवथ द्रव्य' अथवा 'मौवद्रक आधार' क्योंवक यह साख वनमाथर् के आधार के
के पास होती है बाकी सभी नोि ररजवथ बैंक जारी करता है । ( ₹1, ₹2, ₹5
के नोि का उत्पादन बदद कर वदया गया है, हालावं क पुराने नोि चलन में हैं)। रूप में कायथ करता है ।
भारतीय मुद्रा को ‘भारतीय राष्ट्रीय रुपया’ कहा जाता है व इसका प्रतीक ₹ ➢ व्यावसात्तयक बैंक : व्यावसावयक बैंक, दसू रे प्रकार की संस्थाएाँ हैं जो
है । यह प्रतीक डी. उदय कुमार द्वारा तैयार वकया गया था । द्रव्य वनमाथर् अथथव्यवस्था का एक भाग हैं । यह जनता से जमा स्वीकार
▪ प्रो. वाकर के अनुसार, “मुद्रा वह है, जो मुद्रा का कायथ करे ।” करते हैं, और इस रकम का कुछ भाग उन लोगों को देते हैं जो उधार लेना
चाहते हैं । बैंक वजनके पास अवतररि रावश है (जमाकताथ) एवं वजदहें रावश
▪ हार्टले त्तवदसट के अनुसार, “मुद्रा वह सामग्री है वजससे हम वस्तुओ ं का
की ज़रूरत है (कजथदार) के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं । वदये जाने
िय-वविय करते हैं .”
वाली ब्याज दर, उधार लेने वालों से वसल ू ी जाने वाली ब्याज दर से कम
▪ क्राउथर के अनुसार, “मुद्रा की पररभाषा वकसी भी वस्तु के रूप में दी जा होती है । इन दो प्रकार की ब्याज दरों का अतं र, वजसे 'स्प्प्रेड' कहते हैं, बैंक
सकती है, वजसे साधारर्तः वववनमय का माध्यम स्वीकार वकया जाता हो का लाभ होता है ।
और इसके साथ ही जो मूल्य के मापक और मूल्य के संचय का भी कायथ
❖ साख - अथथशास्त्र में ऋर् या उधार प्रदान करने को ही साख प्रदान करना
करती हो ।”
कहा जाता है । बोलचाल की भाषा में साख शब्द वविीय सदृु ढ़ता की प्रवतष्ठा
❖ त्तवमुद्रीकरण (Demonetization) - प्रचवलत मुद्रा की कानूनी को भी बताता है वजसके आधार पर व्यवि या सस्ं था भववष्ट्य में भगु तान के
वैधता समाप्त करके उसे प्रचलन से हिाना ही ववमुद्रीकरर् कहलाता है । 8 वायदे के आधार पर ऋर् प्राप्त कर सकते हैं या बगैर नगद भगु तान वकये
नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री श्री नरे दद्र मोदी ने प्रचवलत 500रु तथा 1000रु वस्तयु ें तथा सेवायें प्राप्त कर सकते हैं । स्पष्ट है वक अथथशास्त्र में साख शब्द
के नोिों के ववमुद्रीकरर् की घोषर्ा की थी । का उपयोग ऋर् के वविीयन (ऋर् के वलए ववि उपलब्ध करवाने) हेतु वलया
❖ मुद्रा के आधुत्तनक रूप - बहुत प्रारंवभक काल से ही भारतीय अनाज जाता है ।
और पशु का मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करते थे । इसके बाद सोना, चााँदी और History 360 YouTube Channel Link
भी परीक्षाओ,ं नौकररयों, सेवाओ,ं अवधक रावश की खरीद, एडवमशन आवद
➢ बैंकों की ऋण सम्बन्धी गत्ततत्तवत्तधयााँ में इसका प्रयोग होता है । चेक की बजाय DD के उपयोग का फायदा यह है
वक इसमें रावश का भुगतान पहले ही बैंक को कर वदया जाता है जबवक खाते
▪ आजकल भारत में बैंक जमा का के वल 15 प्रवतशत वहस्सा नकद के रूप में में रावश न हो तो चेक बाउंस होने का खतरा बना रहता है, जबवक DD कभी
अपने पास रखते हैं । इसे वकसी एक वदन में जमाकताथओ ं द्वारा धन वनकालने बाउंस नहीं होता ।
की संभावना को देखते हुए यह प्रावधान वकया जाता है । चूाँवक वकसी एक
❖ डेबिट काडड और क्रेबडट काडड - क्रेडिट कािड और िेडिट कािड कई
ववशेष वदन में, के वल कुछ जमाकताथ ही नकद वनकालने के वलए आते हैं,
इसवलए बैंक का काम इतने नकद से आराम से चल जाता है । बैंक जमा तरह से समान हैं । इन दोनों कािड में 16-अंकों का नंिर होता है और समाडि
रावश के एक बड़े भाग को ऋर् देने के वलए इस्तेमाल करते हैं । गवतवववधयों डतडि और पहचान नंिर (डपन या सीवीवी) जैसे डववरण डदए जाते हैं. आप
के वलए ऋर् की बहुत मााँग रहती है। उनका उपयोग एटीएम से पैसे डनकालने और ऑनलाइन या ऑफलाइन
कै शलेस ट्ांजैक्शन करने के डलए कर सकते हैं ।
▪ ऋण की शतें - ,हर ऋर् समझौते में ब्याज दर वनवित कर दी जाती है, वजसे
कजथदार महाजन हो या बैंक को या अदय सस्ं थान को मल ▪ डेबिट काडड /ATM काडड - आपके करंट या सेडवंग अकाउंट के डलए िैंक
ू रकम के साथ अदा
करता है । इसके अलावा, उधारदाता कोई समथथक ऋर्ाधार ( वगरवी रखने द्वारा िेडिट कािड जारी डकए जाते हैं. जि आप भुगतान करने या एटीएम से
के वलए) की मााँग कर सकता है । समथथक ऋर्ाधार ऐसी सपं वि है, वजसका पैसे डनकालने के डलए अपने िेडिट कािड को स्वाइप करते हैं, तो पैसे सीधे
मावलक कजथदार है (जैसे वक भवू म, इमारत, गाड़ी, पशु, बैंकों में पाँजू ी) और आपके अकाउंट से काटे जाते हैं. अगर आपके अकाउंट में पयाडि िैलेंस नहीं
इसका इस्तेमाल वह उधारदाता को गारंिी देने के रूप में करता है, जब तक है, तो इससे आपातकालीन डस्िडतयों में कोई समस्या हो सकती है ।
वक ऋर् का भगु तान नहीं हो जाता । यवद कजथदार उधार वापस नहीं कर पाता, ▪ क्रेबडट काडड - दसू री ओर, क्रेडिट कािड आपको एक क्रेडिट डलडमट प्रदान
तो उधारदाता को भगु तान प्रावप्त के वलए सपं वि या समथथक ऋर्ाधार बेचने करता है जहां से आवश्यकतानसु ार भगु तान करने के डलए आप पैसे उधार
का अवधकार होता है । ब्याज दर, समथथक ऋर्ाधार, आवश्यक कागजात ले सकते हैं । आपको उधार ली गई राडश, तय समय सीमा में चक ु ानी होती
और भुगतान के तरीकों को सवम्मवलत रूप से ऋर् की शतें कहा जाता है । है, डजसके िाद कािड की डलडमट दोिारा से िढा दी जाती है । भुगतान में देरी
▪ सहकारी सत्तमत्ततयों से ऋण - बैंको के अलावा ग्रामीर् क्षेत्रों में सस्ते ऋर् की डस्िडत में के वल िकाया राडश पर ब्याज लगाया जाता है ।
का एक अदय स्रोत सहकारी सवमवतयां हैं । सहकारी सवमवत के सदस्य अपने ▪ CVV नम्िर – Card Verification Value यह 3 अंकों का कोि
संसाधनों को कुछ क्षेत्रों में सहयोग के वलए एकत्र करते हैं । कई प्रकार की आपको अपने क्रेडिट कािड या िेडिट कािड के डपछली तरफ मैग्नेडटक डस्ट्प
सहकारी सवमवतयााँ सभं व है, जैसे वकसानों, बुनकरों एवं औद्योवगक मज़दरू ों के पास देखने को डमलेगा । इस कोि की सिसे िडी खाडसयत ये है डक ये
इत्यावद की सहकारी सवमवतयााँ । डकसी भी डसस्टम पर आसानी से सेव नहीं होता है ।
❖ बैंकों में त्तनक्षेप – लोग अवतररि नकद को बैंकों में वनक्षेप के रूप में भी ▪ अत्तधत्तवकर्ट – खाता धारक को खाते में जमा रावश से अवधक रावश
रखते हैं । बैंक ये जमा स्वीकार करते हैं और इस पर सदू भी देते हैं । लोगों वनकालने की छूि देकर ऋर् प्रदान करना ।
को अपनी आवश्यकता के अनुसार इसमें से धन वनकालने की सुववधा भी ❖ NEFT, RTGS, IMPS - रुपये ट्ासं फर करने के डलए NEFT,
उपलब्ध होती है । चूाँवक बैंक खातों में जमा धन को मााँग के ज़ररए वनकाला RTGS, व IMPS जैसी सुडवधाएं उपलब्ध होती हैं । NEFT – नेशनल
जा सकता है, इसवलए इस जमा को मााँग जमा कहा जाता है । इसके अलावा इलेक्ट्ॉडनक फंि् स ट्ांसफर की सुडवधा भी वतडमान में 24×7 उपलब्ध है ।
एक होती है ‘आवत्तधक जमा’ वजसमें पररपक्वता की अववध वनवित होती इसमें हर आधे घण्टे के िैच में रुपये ट्ांसफर होते हैं । RTGS (ररयल टाइम
है (जैसे वफक्स्ड वडपॉवजि FD अकॉउंि (स्थायी जमा खाता)) ग्रॉस सेटलमेंट) और IMPS (इमीडिएट मोिाइल पेमेंट सडवडसेज) के माध्यम
❖ चैक – यह एक ऐसा कागज है जो बैंक को वकसी व्यवि के खाते से चेक से पैसा तुरंत ट्ांसफर हो जाता है ।
पर वलखे नाम के वकसी दसू रे व्यवि को एक खास रकम का भुगतान करने ❖ UPI – ‘यडू नफाइि पेमेंट इटं रफे स’ के माध्यम से ऑनलाइन पेमेंट
का आदेश देता है । आधुवनक अथथव्यवस्था में इसे भी मुद्रा समझा जाता है एडललके शंस से पैसा ट्ांसफर डकया जा सकता है । जैसे Google Pay,
। यवद चेक प्राप्तकताथ के खाते में जमा कराने के वलए जारी वकया गया है Phonepe, PayTM etc.
(Account Payee) तो उसमें 7 प्रकार की एंरी करनी होती थी लेवकन ❖ भारत में औपचाररक व अनौपचाररक क्षेत्रक में साख
आजकल खाता सख्ं या पहले से वप्रदि होते हैं तो 6 एरं ी करनी होती हैं - ▪ वववभदन प्रकार के ऋर्ों को दो वगों में बांिा जा सकता है- औपचाररक तथा
1.बाएं कोने में दो समानातं र वतरछी रे खाएं 2. जारी करने की वदनाक ं 3. अनौपचाररक क्षेत्रक ऋर् । औपचाररक में बैंको और सहकारी सवमवतयों के
भगु तान प्राप्तकताथ का नाम 4. भगु तान की रावश अक ं ों में 5. भगु तान की रावश से वलये कजथ आते हैं । अनौपचाररक क्षेत्र में साहूकार, व्यापारी, मावलक,
शब्दों में 6. चेक जारी करने वाली की खाता सख्ं या (आजकल पहले से ररश्तेदार, दोस्त इत्यावद आते हैं ।
वप्रिं ेड होती है) 7. चैक जारी करने वाले के हस्ताक्षर ।
▪ भारतीय ररज़वथ बैंक ऋर्ों के औपचाररक स्रोतों की कायथप्रर्ाली पर नजर
❖ इसके अलावा यवद चेक खाते में जमा करवाने हेतु नहीं है तो दो वतरछी रे खाएं रखता है । बैंक अपनी जमा का एक दयनू तम नकद वहस्सा अपने पास रखते
नहीं लगानी होती और भुगतान प्राप्तकताथ बैंक में जाकर भुगतान प्राप्त कर है । आरबीआई नज़र रखता है वक बैंक वास्तव में नकद शेष बनाए हुए है ।
सकता है । आरबीआई इस पर भी नजर रखता है वक बैंक के वल लाभ अवजथत करने
❖ वडमांड ड्राफ्ि DD- वडमांड ड्राफ्ि का इस्तेमाल भी वकसी बैंक अकाउंि में वाले व्यवसावययों और व्यापाररयों को ही ऋर् महु ैया नहीं करा रहे बवल्क
पैसे भेजने के वलए होता है । यह वकसी भी बैंक से बनवाया जा सकता है । छोिे वकसानों, उद्योगों, छोिे कजथदारों इत्यावद को भी ऋर् दे रहे हैं । समय-
इस भुगतान वसस्िम में, जब भगु तान करने वाले व्यवि द्वारा वडमाडं ड्राफ्ि समय पर बैंको द्वारा आरबीआई को यह जानकारी देनी पड़ती है वक वे वकतना
पेश वकया जता है तो वह बैंक को पूरा भुगतान देने की गारंिी देता है । आज और वकन को ऋर् दे रहे हैं और उसकी ब्याज दरें क्या है । अनौपचाररक क्षेत्र
में ऋर्दाताओ ं की गवतवववधयों की देखरे ख करने वाली कोई संस्था नहीं है ▪ ग्रामीण डवकास मंत्रालय ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्ट्ीय ग्रामीण
। वे एवच्छक दरों पर ऋर् दे सकते हैं वे सामादय तौर पर अवधक ब्याज वसल ू
आजीडवका डमशन’ (DAY-NRLM)Bके तहत 34 राज्यों और कें द्र शाडसत
करते हैं । प्रदेशों में छूटे हुए गरीि ग्रामीण और गरीि मडहलाओ ं को मडहला स्वयं
▪ NCERT में वदए गए आाँकड़ों के मुतावबक शहरी क्षेत्र में वनधथन पररवार सहायता समूहों (एसएचजी) में शाडमल करने की प्रडक्रया में तेजी लाने के
85% कजथ अनौपचाररक क्षेत्र से लेते है । जबवक शहरी क्षेत्र के अमीर पररवार डलए 7 से 20 डसतंिर तक 15 डदवसीय देशव्यापी अडभयान चलाया गया ।
के वल 10% कजथ अनौपचाररक क्षेत्र से लेते हैं बाकी 90% औपचाररक क्षेत्र अडभयान के दौरान, प्रत्येक गांव की मडहला संस्िाएं एक सामाडजक
से । ओवरऑल देखें तो ग्रामीर् पररवारों की 50% ऋर् जरूरतें ही लामिंदी कायडक्रम आयोडजत डकया जाना िा , जहां प्रत्येक सदस्य अपने
औपचाररक स्रोतों से पूरी होती हैं । साि एक डमत्र, या पडोसी को साि लाएगी, जो डकसी स्वयं सहायता समहू
➢ नेर् वथट (Net Worth) – यवद वकसी फमथ या कम्पनी की आवस्तयों की सदस्य नहीं है ।
(Assets) में से देनदाररयों को घिा दें तो वो नेि वथथ होता है । ▪ भारत में स्वयं सहायता समहू की शरुु आत 1972 में अहमदािाद में ‘सेवा’
नेि वथथ = आवस्तयााँ – देनदाररयााँ (SEWA-Self Employed Womaen’s Association) के गठन से
➢ CRR – आवश्यक कोष अनुपात या नकद कोष अनुपात (CRR) ररजवथ शुरू हुई , डजसने िाद में एक मडहला आन्दोलन का रूप ले डलया । 1977
बैंक द्वारा तय जमाओ ं का एक वनवित प्रवतशत/अनुपात होता है जो बैंकों को में SEWA की महासबिव इला भट्ट को रैमन मैग्ससे पुरस्कार से
रखना होता है । यह एक वैधावनक अवनवायथता है । उदाहरर् के वलए मैन सम्माडनत डकया गया ।
लीवजए CRR 20% तय वकया हो तो ₹100 जमा होने पर ₹20 बैंकों को ▪ नािािड द्वारा 1992 में शुरू डकया गया ‘SHG Bank Linkage
नकद कोष रखना होगा, बाकी ₹80 वो ऋर् देने के वलए उपयोग ले सकते Programm’ असंगडित क्षेत्र को िैंडकंग से जोडने के डलए शुरू की गई
हैं । माइक्रो फाइनेंस पररयोजना िी, जो आज दडु नया की सिसे िडी माइक्रो
➢ SLR – CRR के अवतररि बैंकों को अल्पकाल में कुछ कोष तरल रूप में फाइनेंस पररयोजना है ।
रखना अवनवायथ होता है । इसे ‘वैधावनक तरलता अनुपात’ (SLR) कहते हैं ▪ 14 मई 1998 को के रल में ‘कुटुंि श्री’ गरीिी हटाने के उद्देश्य से शुरू की
। गई योजना िी, डजसमें मडहलाओ ं के स्वयं सहायता समूहों का गिन डकया
➢ रेपो रेर् व ररवसट रेपो रेर् - रे पो रेि वह दर है वजस पर आरबीआई गया ।
वावर्वययक बैंकों को पैसा उधार देता है । जबवक ररवसथ रे पो दर वह है वजस ▪ प्रो. मोहम्मद युनूस – बांग्लादेश ग्रामीर् बैंक के संस्थापक और 2006
पर वावर्वययक बैंक भारतीय ररजवथ बैंक में अवतररि धनरावश जमा करते हैं नोबेल शांवत पुरस्कार ववजेता वजदहोंने बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर उवचत
और बदले में ब्याज अवजथत करते हैं । ब्याज दरों पर ऋर् उपलब्ध करवाया ।
➢ NPA – गैर वनष्ट्पादन पररसपं वियााँ (Non Performing Assets) बैंकों ❖ त्तचर्फण्ड - भारत में बचत बचत प्रवृवत को बढ़ावा देने तथा ऋर् उपलब्ध
द्वारा वदया गया वह लोन जो वनधाथररत समय मे वापस नहीं आता या वफर करवाने की दृवष्ट से वचिफंड कम्पवनयों की वववशष्ठ भूवमका है । वह कम्पनी
कभी नहीं आता, NPA कहलाता है । इसकी अववध 90 वदन की होती है । को वचि योजना प्रबंधन, संचालन एवं वनदेशन करती है, वचिफंड कम्पनी
❖ देशी बैंकर – यह वनजी फमथ या व्यवि होते हैं जो बैंक की तरह कायथ करते कहलाती हैं । इसमें सभी सदस्य अपना अंश जमा करवाते हैं और इसमें जमा
हैं भारत में आधुवनक वावर्वययक बैंकों के ववकास से पूवथ बैंवकंग का कायथ कुल रावश से वनधाथररत समयांतराल में लॉिरी से ववजेता वनकाले जाते हैं ।
एक बार जीतने वाले को अगली लॉिरी या नीलामी में शावमल नहीं वकया
पूर्थता है इदहीं के द्वारा संपदन वकया जाता था यह भारत में गैर संस्थागत साख
का महत्वपूर्थ स्रोत रहे हैं । जाता । वचिफण्ड कम्पवनयों के नाम पर हुए फ्रॉड के कारर् लोगों का इन पर
❖ स्प्वयं सहायता समूह (Self Help Group-SHG) से ववश्वास उिने लगा है ।
▪ हाल के वषों में, लोगों ने गरीबों को उधार देने के कुछ नए तरीके अपनाने की ❖ History 360 YouTube Channel Link
कोवशश की है । इन में से एक ववचार ग्रामीर् क्षेत्रों के गरीबों ववशेषकर ❖ History 360 App Link
मवहलाओ ं को छोिे-छोिे स्वयं सहायता समूहों में संगवित करने और उनकी
बचत पूाँजी को एकवत्रत करने पर आधाररत है । एक ववशेष स्वयं सहायता
समूह में एक-दसू रे के पड़ोसी 15-20 सदस्य होते हैं, जो वनयवमत रूप से
वमलते हैं और बचत करते हैं । प्रवत व्यवि बचत 25 रुपए से लेकर 100 रुपए
या अवधक हो सकती है । यह पररवारों की बचत करने की क्षमता पर वनभथर
करता है । सदस्य अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के वलए छोिे कज़थ समूह से
ही कजथ ले सकते हैं । समूह इन कजों पर ब्याज लेता है लेवकन यह साहूकार
द्वारा वलए जाने वाले ब्याज से कम होता है । एक या दो वषों के बाद, अगर
समूह वनयवमत रूप से बचत करता है, तो समूह बैंक से ऋर् लेने के योग्य हो
जाता है । ऋर् समूह के नाम पर वदया जाता है और इसका मकसद सदस्यों
के वलए स्वरोज़गार के अवसरों का सृजन करना है ।
▪ बचत और ऋर् गवतवववधयों से संबंधी ज़्यादातर महत्त्वपूर्थ वनर्थय समूह के
सदस्य स्वयं लेते हैं । समूह वदए जाने वाले ऋर्-उसका लक्ष्य, उसकी रकम,
ब्याज दर, वापस लौिाने की अववध आवद के बारे में वनर्थय करता है ।

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