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SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed.

, BSTC)
ककया जिससे वे उिका समथटि िो र्बैठे। अंत में सैनिकों को र्बुिाकर एसेम्र्बिी को भंग कर टदया

Hkkjr vkSj ledkyhu fo”o गया।

(ङ) उदारवादी आंदोिि के अंदर मटििाओं को रािनिनतक अधधकार प्रदाि करिे का मद्द
ु ा वववादस्पद
v/;k; 1- ;wjksi esa jk’Vªokn dk mn; था िािााँकक आतदोिि में वर्षों से र्बड़ी संख्या में मटििाओं िे सकक्रय रूप से भाग लिया। उतिोंिे अपिे
1. निम्िलिखित पर टिप्पणी लििें-
राििीनतक संगठि स्थावपत ककये , अख़र्बार ं ुरू ककये , और राििीनतक र्बैठकों और प्रदं टिों में लं रकत
(क) ज्युसेपे मेजििी
की। इसके र्बाविूद उतिें एसेंर्बिी के चुिाव के दौराि मताधधकार से वंधचत रिा गया था। िर्ब सेंि
(ि) काउं ि कैलमिो दे कावूर
पॉि चचट में फ़्रैंकटिट संसद की सभा आयोजित की गई थी तर्ब मटििाओं को केवि प्रेिकों की िै लसयत
(ग) यि
ू ािी स्वतंत्रता यद्ध

से दं टक-दीघाट में िड़े िोिे टदया गया।
(घ) फ्रैंकफिट संसद
(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में मटििाओं की भूलमका 2. फ्रांसीसी िोगों के र्बीच सामूटिक पिचाि का भाव पैदा करिे के लिए फ्रांसीसी क्रांनतकाररयों िे क्या
उत्तर (क) ज्युसेपे मेजििी इििी के क्रजततकारी थे। उिका ितम 1807 में िेिोवा में िुआ था। वे कदम उठाये?
कार्बोिारी के गुप्त संगठि के सदस्य र्बि गए और 24 साि की युवावस्था में लिगुररया में क्रांनत करिे उत्तर -फ्रांसीसी क्रांनतकाररयों िे ऐसे अिेक कदम उठाये जििसे फ्रांसीसी िोगों में एक सामटू िक भाविा
के लिए र्बटिष्ट्कृत कर टदया गया। उतिोंिे दो भलू मगत संगठिों की स्थापिा की, पििा था मसोई में पैदा िो सकती थी, वे इस प्रकार िैं -
यंग इििी और दस
ू रा र्बिट में यंग यूरोप. इििी के एकीकरण में मेजििी की मित्वपूणट भूलमका रिी। • वपतभ
ृ ूलम और िागररक िैसे ववचारों िे एक संयुक्त समुदाय के ववचार पर र्बि टदया, जिसे एक
उतिोंिे रािततत्र का घोर ववरोध करके और प्रिाताजतत्रक गणतंत्रों के स्वप्ि से रूटिवाटदयों को िराया। संववधाि के अंतगटत समाि अधधकार प्राप्त थे।
• एक िए फ्रांसीसी झंडे- नतरं गा को चुिा गया जिसिे पििे के रािध्वि की िगि िे िी।
(ि) काउं ि कैलमिो दे कावरू सार्डटिीया-पीडमॉति का मंत्री प्रमि
ु था जिसिे इििी के प्रदे ं ों को
• इस्िे ि िेिरि का चुिाव सकक्रय िागररकों के समूि द्वारा ककया िािे िगा और उसका िाम र्बदिकर
एकीकृत करिे वािे आंदोिि का िेतत्ृ व ककया। वि िा तो एक क्रजततकारी था और िा िी िितंत्र में
िें िि एसेंर्बिी कर टदया गया।
ववश्वास करिे वािा। इतािवी अलभिात वगट के तमाम अमीर और लं क्षित सदस्यों की तरि वि
• ियी स्तुनतयााँ रची गईं, ं िीदों का गुणगाि िुआ - और यि सर्ब राष्ट्र के िाम पर िुआ।
इतािवी भार्षा से किीं र्बेितर फ़्रेंच र्बोिता था। फ़्रांस से सार्डटिीया-वपडमॉति की एक चतुर कूििीनतक
• एक केंद्रीय प्रं ासनिक यवयवस्था िागू की गई जिसिे अपिे भू-भाग में रििे वािे सभी िागररकों के
संधध, जिसके पीछे कावूर का िाथ था, से सार्डटिीया-वपडमॉति 1859 में ऑजस्रयाई र्बिों को िरा पािे में
लिए समाि कािि
ू र्बिाए।
कामयार्ब िुआ, इससे इििी का उत्तरी भाग िो ऑजस्रयाई िै ब्सवगों के अधीि था मक्
ु त िुआ।
• िेत्रीय र्बोलियों को ितोत्साटित ककया गया और पेररस में फ्रेंच िैसी र्बोिी और लििी िाती थी, विी
(ग) 1821 में यूरोप में क्रजततकारी राष्ट्रवाद की प्रगनत से यूिानियों का आिादी के लिए संघर्षट आरं भ राष्ट्र की साझा भार्षा र्बि गयी।

िो गया। प्राचीि यूिािी संस्कृनत के प्रनत सिािुभूनत रििे वािे पजश्चमी यूरोप के िोगों का समथटि
3. मारीआि और िमेनिया कौि थे? जिस तरि उतिें धचत्रत्रत ककया गया उसका क्या मित्व था?
पाकर यि
ू ािी राष्ट्रवाटदयों िे मजु स्िम साम्राज्य के ववरुद्ध यि
ू ाि के संघर्षट के लिए ििमत िि
ु ाया।
उत्तर मारीआि और िमेनिया क्रमं ः फ़्रांस और िमटिी राष्ट्र की मटििा रूपक थीं। उतिीसवीं सदी
अंततः 1832 की कुस्तुततुनिया की संधध िे यूिाि को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मातयता दी।
में फ्रांसीसी क्रांनत के दौराि किाकारों िे स्वतंत्रता, तयाय और गणतंत्र िैसे ववचारों को यवयक्त करिे के

(घ) 1848 में िमटि इिाकों में र्बड़ी संख्या में राििीनतक संगठिों िे फ्रैंकफिट ं िर में लमिकर एक लिए िारी रूपक का प्रयोग ककया। मारीयाि के धचह्ि स्वतंत्रता और गणतंत्र के थे िैसे कक-िाि िोपी,

सवट-िमटि िें िि असेंर्बिी के पि में मतदाि करिे का फैसिा ककया। 18 मई 1848 को 831 निवाधचटत नतरं गा और किगी. इसी तरि िमेनिया भी र्बिूत वि
ृ के पत्तों का मुकुि पििती िै क्योंकक िमटि
प्रनतनिधधयों िे फ्रैंकफिट संसद में अपिा स्थाि ग्रिण ककया। यि संसद सेंि पॉि चचट में आयोजित िुई। र्बित
ू वीरता का प्रतीक िै ।

इसमें िमटि राष्ट्र के लिए एक संववधाि का प्रारूप तैयार ककया गया। इस राष्ट्र की अध्यिता एक ऐसे
4. िमटि एकीकरण की प्रकक्रया का संिेप में पता िगाएाँ।
रािा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीि रििा था। िर्ब प्रनतनिधधयों िे प्रं ा के रािा को ताि
उत्तर राष्ट्रवादी भाविाएाँ मध्यवगीय िमटि िोगों में काटी यवयाप्त थीं और उतिोंिे 1848 में
पििािे की पें कं की तो उसिे उसे अस्वीकार कर उि रािाओं का साथ टदया िो निवाटधचत सभा के
उदारवाटदयों िे िमटि मिासंघ के ववलभति इिाकों को िोड़ कर एक निवाटधचत संसद द्वारा ं ालसत
ववरोधी थे। ििााँ कुिीि वगट और सेिा का ववरोध र्बि गया, विीं संसद का सामाजिक आधार कमिोर
राष्ट्र-राज्य र्बिािे का प्रयास ककया था। मगर रािं ािी और फौिी ताकतों द्वारा राष्ट्र निमाटण की यि
िो गया। संसद में मध्य वगों का प्रभाव अधधक था जितिोंिे मिदरू ों और कारीगरों के मााँग का ववरोध
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पिि प्रं ा के मदद से दर्बा दी गई। र्बाद में प्रं ा िे राष्ट्रीय एकीकरण के आतदोिि का िेतत्ृ व साँभाि
लिया। प्रं ा का प्रमुि मंत्री ऑिो वॉि त्रर्बस्माकट िे प्रं ा की सेिा और िौकरं ािी की मदद से साथ वर्षट 3. ककतिीं दो दे ं ों पर ध्याि केजतद्रत करते िुए र्बताएाँ कक उतिीसवीं सदी में राष्ट्र ककस प्रकार ववकलसत

के दौराि ऑजस्रया, डेिमाकट, और फ्रांस से तीि युद्धों में वविय प्राप्त की तथा िमटिी के एकीकरण की िुए?

प्रकक्रया पूरी की। ििवरी 1871 में, वसाटय में िुए एक सामरोि में प्रं ा के रािा ववलियम प्रथम को उत्तर 1821 में यरू ोप में क्रजततकारी राष्ट्रवाद की प्रगनत से यि
ू ानियों का आिादी के लिए संघर्षट

िमटिी का सम्राि घोवर्षत ककया गया। आरं भ िो गया।राष्ट्रवाटदयों िे प्राचीि यूिािी संस्कृनत के समथटकों के साथ लमिकर एक मुजस्िम
साम्राज्य के खििाफ यूिाि के संघर्षट के लिए ििमत िुिाया। 1832 में यूिाि को एक स्वतंत्र राष्ट्र की
5. अपिे ं ासि वािे िेत्रों में ं ासि यवयवस्था को ज्यादा कुं ि र्बिािे के लिए िेपोलियि िे क्या मातयता प्राप्त िुई।
र्बदिाव ककए? प्रं ा के मंत्री प्रमि
ु ऑिो वॉि त्रर्बस्माकट के िेतत्ृ व में िमटिी के एकीकरण की प्रकक्रया पूरी िुई। उसिे
उत्तर अपिे ं ासि वािे िेत्रों में ं ासि यवयवस्था को ज्यादा कुं ि र्बिािे के लिए िेपोलियि िे प्रं ा की सेिा और िौकरं ािों की मदद से फ्रांस, ऑजस्रया और डेिमाकट को िराकर िीत िालसि की
निम्िलिखित र्बदिाव ककए - और िए एकीकृत िमटि राष्ट्र की स्थापिा की।
• िेपोलियि िे 1804 की िागररक संटिता जिसे आमतौर पर 'िेपोलियि की संटिता' के िाम से िािा
िाता िै को िागू ककया, जिसके तित ितम पर आधाररत ववं ेर्षाधधकार समाप्त कर टदए गए। उसिे 4. त्रििे ि में राष्ट्रवाद का इनतिास ं ेर्ष यूरोप की तुििा में ककस प्रकार लभति था?

क़ािि उत्तर त्रििे ि में राष्ट्रवाद का इनतिास ं ेर्ष यरू ोप की ति


ु िा में इस प्रकार लभति था। अठारिवीं सदी
ू के समि र्बरार्बरी संपजत्त के अधधकार को सरु क्षित र्बिाया।
• डच गणतंत्र, स्वीििरिैंड, इििी और िमटिी में िेपोलियि िे प्रं ासनिक ववभाििों को सरि र्बिाया, से पििे त्रितािी राष्ट्र था िी ििीं। त्रिटिं द्वीप मुख्य रूप से चार भागों में र्बंिा था- अंग्रेि, वेल्ं ,

सामंती यवयवस्था को समाप्त ककया और ककसािों भू-दासत्व और िागीरदारी ं ुल्कों से मुजक्त टदिाई। स्कॉि और आयररं तथा िरे क की अपिी सांस्कृनतक और राििीनतक परम्पराएाँ थीं। आंग्ि राष्ट्र धि-

• ं िरों में भी कारीगरों के श्रेणी-संघों के नियंत्रणों को ििा टदया गया। यातायात और संचार-यवयवस्था दौित और सत्ता के ववृ द्ध के साथ-साथ द्वीप के अतय सभी राष्ट्रों पर अपिा प्रभुत्व र्बििे में सफि

को सुधार गया। िुआ। 1688 में आंग्ि संसद िे रािततत्र से ताकत छीिकर एक राष्ट्र-राज्य की स्थापिा की। कफर
इंग्िैंड और स्कॉििैंड के र्बीच एक्ि ऑट यूनियि (1707) से ‘यूिाइिे ड ककं गडम ऑट ग्रेि त्रििे ि’ का
चचचा करें : गठि िुआ।
1. उदारवाटदयों की 1848 की क्रांनत का क्या अथट िगाया िाता िै ? उदारवाटदयों िे ककि राििीनतक,
सामाजिक एवं आधथटक ववचारों को र्बिावा टदया? 5. र्बाल्कि प्रदे ं ों में राष्ट्रवादी तिाव क्यों पिपा?

उत्तर 1848 में िर्ब अिेक यरू ोपीय दे ं ों में गरीर्बी, र्बेरोिगारी और भि उत्तर र्बाल्कि िेत्र के अंतगटत आधनु िक रोमानिया, र्बल्
ु गाररया, अल्र्बेनिया, यि
ू ाि, मेलसडोनिया,
ु मरी से ग्रस्त ककसाि-मिदरू
ववद्रोि कर रिे थे तर्ब विां के उदारवादी मध्यवगों के स्त्री-पुरूर्षों िे संववधािवाद की मााँग को राष्ट्रीय क्रोएलसया, र्बोजस्िया-ििेगोवविा, स्िोवेनिया, सत्रर्बटया और मोंिीनिग्रो आते थे। इस िेत्र का एक र्बड़ा

एकीकरण के मााँग से िोड़ टदया। उतिोंिे र्बिते िि असंतोर्ष का फायदा उठाया और एक राष्ट्र-राज्य के टिस्सा ओिोमि साम्राज्य के नियंत्रण में था। इि िेत्र के निवालसयों को आमतौर पर स्िाव के िाम से

मााँग के निमाटण की मााँगों को आगे र्बढाया। पुकारा िाता था। ववलभति स्िाव राष्ट्रीय समूिों के अपिी पिचाि और स्वतंत्रता की पररभार्षा तय

इस आतदोिि में उदारवाटदयों िे राष्ट्र-राज्य संववधाि, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठि र्बिािे की करिे की कोलं ं के कारण र्बाल्कि िेत्र िकराव का िेत्र र्बि गया। रूमािी राष्ट्रवाद के ववचारों के

आिादी मे िैसे संसदीय लसद्धाततों को आधार र्बिाया। उदारवादी आतदोिि के अतदर मटििाओं को फैििे और ओिोमि साम्राज्य के ववघिि से जस्थनत ववस्फोिक िो गयी थी। साथ िी इि िेत्रों में र्बड़ी

राििीनतक अधधकार प्रदाि करिे का मुद्दा उठाया गया। ं जक्तयों के र्बीच ताकत िधथयािे के लिए िर्बरदस्त िड़ाई िारी थी। यिी र्बाल्कि िेत्र में राष्ट्रवादी
तिाव पिपिे का कारण र्बिा।
2. यूरोप में राष्ट्रवाद के ववकास में संस्कृनत के योगदाि को दं ाटिे के लिए तीि उदिारण दें ।
उत्तर राष्ट्रवाद के ववकास में संस्कृनत िे अिम भलू मका निभाई-
v/;k; 2- Hkkjr esa jk’Vªokn
Q1. यवयाख्या करें उपनिवें ो में राष्ट्रवाद के उदय की प्रकक्रया उपनिवें वाद ववरोधी आंदोिि से (क) -
(क) पोिैंड में पोलिं भार्षा को रूसी प्रभुत्व के ववरूद्ध संघर्षट के प्रनतक के रूप में दे िी िािे िगी।
िुड़ी िुई क्यों थी| (िपििे ववश्व युद्ध में भारत िे राष्ट्रीय आंदोिि के ववकास में ककस प्रकार (
(ि) स्थािीय र्बोलियों पर र्बि और स्थािीय िोक-साटित्य को एकत्र कर आधुनिक राष्ट्रीय सतदे ं को
गांधी (घ) भारत के िोग रौिि एक्ि के ववरोध में क्यों थे(ग) योगदाि टदयािी िे असियोग आंदोिि
ज्यादा िोगों तक पिुाँचाया गया, जििमे से अधधकांं निरिर थे।
को वापस िेिे का फैसिा क्यों लिया?
(ग) फ्रांस में एक िी भार्षा को र्बिावा दे िे से विां के िोगों को एक राष्ट्र के रूप में पिचाि ववकलसत
करिे में काफी मदद लमिी।

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Answer. (कउपनिवें वाद िे िोगों की स्वतंत्रता को प्रभाववत ककया (, और साम्राज्यवादी वचटस्व के में आया और "गो र्बैक साइमि" के ववरोध िारों का सामिा ककया। ऐसा इसलिए था क्योंकक यि
खििाफ संघर्षट की प्रकक्रया के दौराि राष्ट्रवादी भाविाओं में ववृ द्ध िुई। उत्पीड़ि और ं ोर्षण की भाविा निकाय भारतीय ं ासि में संवैधानिक पररवतटिों का सुझाव दे िे के लिए था, िेककि इसमें कोई भी
ववलभति िेत्रों के िोगों के लिए एक आम र्बंधि र्बि गई, और इसके पररणामस्वरूप राष्ट्रवादी आदं ों भारतीय सदस्य ििीं था। कांग्रेस और मुजस्िम िीग िे संयुक्त रूप से इसके खििाफ प्रदं टि ककया।
की ववृ द्ध िुई। इस प्रकार, उपनिवें ों में राष्ट्रवाद का ववकास उपनिवें ववरोधी आंदोििों से िुड़ा िुआ िॉडट इरववि िे भारत को आंदोिि को समाप्त करिे के लिए एक अस्पष्ट्ि "प्रभुत्व जस्थनत" की घोर्षणा
िै । प्रथम ववश्व युद्ध के दौराि (ि), त्रिटिं सेिा िे भारत में ग्रामीण िेत्रों से िर्बरि भती की। रिा की, अक्िूर्बर 1929 में एक गोिमेि सम्मेिि के लिए अग्रणी।
यवयय को ववत्त करिे के लिए, उच्च कस्िम कतटयवयों और आय करों को िगाया गया था। इसके अिावा,
इस दौराि भारत के कई टिस्सों में फसिें िरार्ब िुईं, जिससे िाद्याति की कमी िुई। यि सर्ब त्रिटिं Q4. इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवव और अध्याय 1 में दी गई िमेनिया की छवव की

औपनिवेलं क ं ासि के खििाफ यवयापक क्रोध और ववरोध का कारण र्बिा, और भारत का राष्ट्रीय तुििा कीजिए |

आंदोिि एक मिर्बत Answer. रवींद्रिाथ िै गोर द्वारा धचत्रत्रत भारत माता की छवव उतिें सवटश्रेष्ट्ठ लं िण, भोिि और वस्त्र
ू , अधधक निजश्चत टदं ा की ओर अग्रसर िुआ। रोिेि एक्ि को भारतीय (ग)
सदस्यों के ववरोध के र्बाविूद इम्पीररयि िेजिस्िेटिव काउं लसि के माध्यम से िल्दर्बािी में पाररत के रूप में टदिाती िै । वि सौंदयट गुणवत्ता को अपिे द्वारा धारण ककए गए मािा द्वारा दं ाटती िै ।

ककया गया। इसिे सरकारी निरं कुं ं जक्तयों को दो साि तक त्रर्बिा ककसीमुकदमे के राििीनतक यि कफलिप वीि द्वारा धचत्रत्रत िमटि की छवव के समाि िै , ििां वि एक तिवार रिती िै , िेककि

कैटदयों को रििे की अिुमनत दे िे के अिावा राििीनतक गनतववधधयों को दर्बािे के लिए टदया। इस अधधक स्त्री िगती िै । भारत माता की अतय पें टिंग उसके प्रनतनिधधत्व में अधधक मदाटिा िै । इसमें , उसे

अधधनियम से भारतीय िाराज़ थे, क्योंकक यि स्पष्ट्ि रूप से अिोकतांत्रत्रक और दमिकारी था, और ं ेर के रूप में ं ेर और िाथी द्वारा दं ाटए गए ं जक्त और अधधकार के रूप में टदिाया गया िै । र्बाद

राष्ट्रीय भाविाओं और गररमा को चोि पिुंचाई। गांधी िी िे (घ)1922 में ििता द्वारा टिंसा की की छवव िोरें ि क्िसेि द्वारा िमटनिया की छवव के समाि अधधक िै , ििां वि एक तिवार और ढाि

ववलभति घििाओं के कारण असियोग आंदोिि को वापस िेिे का निणटय लिया, ववं ेर्षकर चौरी चौरा का निमाटण करती िै , और िड़िे के लिए तैयार टदिती िै ।

की घििा ििााँ िोगों िे पुलिस के साथ झड़प की, एक पुलिसस्िे ं ि को आग िगा दी। गााँधीिी िे -
ppkZ djsa
मिसूस ककया कक िोग अभी तक एक र्बड़े संघर्षट के लिए तैयार ििीं थे, और सत्याग्रटियों को अटिंसक Q1. 1921 में आंदोिि में ं ालमि िोिे वािे सभी सामाजिक समूिों की सूची र्बिाइए | इसके र्बाद उिकी
प्रदं टिों के लिए ठीक से प्रलं क्षित िोिे की आवश्यकता थी। आं ाओं के र्बारे में लििते िुए आंदोिि में ं ालमि िुए िुए
Answer. 1921 के असियोग आंदोिि में ं ालमि िोिे वािे ववलभति सामाजिक समूि ं िरी मध्य वगट
Q2. सत्याग्रि के ववचार का क्या मतिर्ब िै ?
थे जििमें वकीि, लं िक और प्रधािाध्यापक, छात्र, ककसाि, आटदवासी और श्रलमक ं ालमि थे। ककसाि,
Answer. सत्याग्रि का ववचार िि आंदोिि की एक अिूठी ववधध का अथट िै िो सत्य की ं जक्त पर
आटदवासी और श्रलमक दे िात िेत्र से आंदोिि में ं ालमि िुए। उतिोंिे आत्म-मुजक्त की आं ाओं के
िोर दे ता िै , और सत्य की िोि करिे की आवश्यकता िै । यि इस ववश्वास को र्बिाता िै कक यटद
साथ ऐसा ककया। ककसािों िे तािक ु दारों और िमींदारों के खििाफ ववद्रोि ककया जितिोंिे उच्च ककराए
कारण सत्य िै और िड़ाई अतयाय के खििाफ िै , तो उत्पीड़क के खििाफ ं ारीररक र्बि या ज़र्बरदस्ती
की मांग की और उतिें लभिारी या मुक्त श्रम करिे के लिए भी मिर्बूर ककया। िििातीय ककसािों िे
की आवश्यकता ििीं िै । सत्याग्रि अटिंसक आंदोिि का पयाटय िै , ििां तयाय की िोि के लिए
त्रिटिं सरकार द्वारा र्बड़े वि पथों के र्बाड़े के खििाफ ववद्रोि ककया, जिससे उतिें आिीववका के साथ-
उत्पीड़क की अंतरात्मा की आवाज़ पर अपीि की िाती िै । गााँधीिी का माििा था कक अटिंसा का यि
साथ पारं पररक अधधकारों से भी रटित िोिा पड़ा। दस
ू री ओर, वि
ृ ारोपण श्रलमकों िे उि गांवों के साथ
धमट राष्ट्रीय एकता और सद्भाव का कारण िो सकता िै ।
संर्बंध र्बिािे और उिके साथ संर्बंध र्बिाए रििे की स्वतंत्रता की इच्छा की। इि तीिों का माििा था

Q3. निम्िलिखित पर अिर्बार के लिए ररपोिट लििें – कक गांधी राि असियोग आंदोिि के साथ आएगा, और इससे उिके दि
ु ों का अंत िोगा। इसलिए, वे
(क) िलियााँवािा र्बाग ित्याकांड (ि) साइमि कमीं ि उपनिवें ववरोधी संघर्षट में ं ालमि िो गए।

Answer. (क) िलियााँवािा र्बाग ित्याकांड — 13 अप्रैि, 1919 को ििरि डायर िे िलियााँवािा र्बाग के
Q2. िमक यात्रा की चचाट करते िुए स्पष्ट्ि करें कक यि उपनिवें वाद के खििाफ प्रनतरोध का एक
संिग्ि मैदाि से निकास त्रर्बंदओ
ु ं को अवरुद्ध कर टदया, ििााँ र्बड़ी संख्या में भीड़ इकट्ठा िो गई थी -
असरदार प्रतीक था
कुछ िोग त्रिटिं सरकार के दमिकारी उपायों के ववरोध में , अतय िोग वावर्षटक र्बैसािी मेिे में भाग
Answer. िमक माचट उपनिवें वाद के खििाफ प्रनतरोध का एक प्रभावी प्रतीक था क्योंकक यि अमीर
िेिे के लिए । डायर का उद्देश्य "िैनतक प्रभाव पैदा करिा" और सत्याग्रटियों को आतंककत करिा था।
और गरीर्बों द्वारा इस्तेमाि ककए िािे वािे एक कमोर्डिी-िमक के खििाफ ववद्रोि में ककया गया था।
त्रिटिं सैनिकों द्वारा की गई अंधाधुंध गोिीर्बारी में इस टदि मटििाओं और र्बच्चों सटित सैकड़ों
िमक पर कर, और इसके उत्पादि पर सरकार का एकाधधकार एक गंभीर दमिकारी प्रं ासनिक कदम
निदोर्ष िोग मारे गए। इसके कारण र्बड़े पैमािे पर िमिे िुए, पुलिस के साथ झड़पें िुईं और क्रोधधत
था। िमक माचट प्रभावी भी था क्योंकक गांधीिी माचट के दौराि र्बड़ी संख्या में आम िोगों से लमिे थे
भारतीय िोगों द्वारा सरकारी इमारतों पर िमिे ककए गए। (ि) साइमि कमीं ि- यि 1928 में भारत
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और उतिोंिे उतिें स्वराि और अटिंसा का सिी अथट लसिाया था। ं ांनतपूवक
ट एक कािूि को धता वचटस्व का मागट प्रं स्त ककया। िधथयारों और सैनिकों को िष्ट्ि या कब्ज़ा ककया िा सकता था, िेककि
र्बताते िुए और सरकारी आदे ं ों के खििाफ िमक र्बिाते िुए, गांधीिी िे पूरे दे ं के लिए एक उदािरण र्बीमाररयों से ििीं िड़ा िा सकता था।
पें ककया कक कैसे अत्याचारी का अटिंसात्मक तरीके से सामिा ककया िा सकता िै । इसिे 1930 में
सवविय अवज्ञा आंदोिि का भी िेतत्ृ व ककया। Q3. निम्िलिखित के प्रभावों की यवयाख्या करते िुए संक्षिप्त टिप्पणी लििें : (क) कॉिट िॉ को समाप्त
करिे के र्बारे में त्रिटिं सरकार का फैसिा | (ि) अफ्रीका में ररंडरपेस्ि आिा | (ग) ववश्व युद्ध के
Q3. कल्पिा कीजिए कक आप लसववि िाफरमािी आंदोिि में टिस्सा िेिे वािी मटििा िै | र्बताइए कक कारण यूरोप में कामकािी उम्र के पुरुर्षों की मौत | (घ) भारतीय अथटयवयवस्था पर मिामंदी का प्रभाव |
इि अिुभव का आपके िीवि में क्या अथट िोता ? (ड) र्बिु राष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपिे उत्पादि को एलं याई दे ं ों में स्थािांतररत करिे का फैसिा |
Answer. गााँधीिी के सवविय अवज्ञा आंदोिि में र्बड़ी संख्या में मटििाओं िे भाग लिया था। इस Answer. (क) कॉिट िॉ को ित्म करिे के त्रिटिं सरकार के फैसिे से कृवर्ष िेत्र को िुकसाि िुआ,
आंदोिि में भाग िेिे के लिए विााँ से िज़ारो मटििाएाँ घरों से निकिी थीं | उतिोंिे माचट में टिस्सा िेककि औद्योधगक िेत्र में प्रगनत िुई। भोिि त्रििे ि में सस्ते में आयात ककया िािे िगा और िेती में
लिया, िमक निलमटत ककया, ववदे ं ी कपड़ों और ं रार्ब की दक
ु ािों की चोरी में भाग लिया एवं ववदे ं ी ं ालमि ििारों श्रलमक र्बेरोिगार िो गए। िािांकक, िपत में ववृ द्ध िुई और औद्योधगक िेत्र में ववृ द्ध िुई,
वस्तुओ का र्बटिष्ट्कार ककया | कईयों को िेि में डाि टदया गया। भारत में एक मटििा िे राष्ट्र को ग्रामीण िेत्रों की तुििा में ं िरों में अधधक श्रलमक उपिब्ध थे। (ि) अफ्रीका में ररंडरपेस्ि के आिे से
उिके पववत्र कतटयवय के रूप में दे ििा ं ुरू ककया | अिधगित अफ्रीककयों की आिीववका का िुकसाि िुआ। अपिे िाभ के लिए इस जस्थनत का उपयोग
करते िुए, उपनिवें ी राष्ट्रों िे अफ्रीका को श्रम र्बािार में िािे के लिए दि
ु भ
ट मवेलं यों के संसाधिों पर
Q4. राििीनतक िेता पथ
ृ क निवाटचक का के सवाि पर क्यों र्बाँिे िुए थे ? एकाधधकार करके अफ्रीका को िीत लिया और वं में कर लिया। (ग) ववश्व युद्ध के कारण यूरोप में
Answer. राय में मतभेद के कारण अिग-अिग मतदाताओं के सवाि पर राििीनतक िेताओं में तेिी कामकािी उम्र के पुरुर्षों की मत्ृ यु िे यूरोप में सिम ं ारीररक श्रम को कम कर टदया, जिससे घरे िू
से मतभेद थे। िर्बकक अल्पसंख्यकों और दलितों के कारण का समथटि करिे वािों का माििा था कक आय में िगातार धगरावि आई और इसके पररणामस्वरूप उि पररवारों द्वारा रििे वािे िचट को पूरा
केवि राििीनतक सं क्तीकरण उिके सामाजिक वपछड़ेपि को िि करे गा, गांधीिी िैसे अतय िोगों िे करिे के लिए संघर्षट ककया गया जििके पुरुर्ष ववकिांग थे या मारे गए थे। (घ) मिामंदी का भारतीय
सोचा कक अिग-अिग मतदाता समाि में उिके एकीकरण की प्रकक्रया को धीमा कर दें गे। इसके अथटयवयवस्था पर एक र्बड़ा प्रभाव था। 1928 और 1934 के र्बीच, इसिे भारतीय आयात और नियाटत को
अिावा, यि आं ंका थी कक अिग निवाटचकों की प्रणािी धीरे -धीरे दे ं को कई िुकड़ों में ववभाजित िगभग आधा कर टदया। इस दौराि गेिूं की कीमतें भी 50% तक धगर गईं। ं िरी िेत्रों से अधधक,
करे गी क्योंकक प्रत्येक समुदाय या वगट तर्ब अिग-अिग प्रनतनिधधत्व मांगेगा। कृवर्ष िेत्र मिामंदी से र्बुरी तरि प्रभाववत िुआ था। (ड) एलं याई दे ं ों में उत्पादि को स्थािांतररत करिे
v/;k; 3- Hkwe.Myhd`r fo”o dk cuuk के लिए र्बिुराष्ट्रीय कंपनियों के निणटय से ववश्व यवयापार और पाँि
ू ी प्रवाि में उत्तेििा िुई। यि पुिवाटस

Q1. 17 वी सदी से पििे िोिे वािे आदाि-प्रदाि के दो उदािरण दीजिए | एक उदािरण एलं या से और एलं याई दे ं ों में कम िागत वािी संरचिा और कम मिदरू ी के कारण था। इसिे एलं याई दे ं ों को

एक उदािरण अमेररका मिाद्वीप के र्बारे में चुिे | भी िाभाजतवत ककया क्योंकक रोज़गार में ववृ द्ध िुई, और इसके पररणामस्वरूप त्वररत आधथटक पररवतटि

Answer. (i) यूरोप से सोिे और चााँदी के र्बदिे में चीि, भारत और दक्षिण पूवट एलं या द्वारा कपड़ा, भी िुआ।

मसािों और चीिी र्बतटिों का आदाि-प्रदाि ककया गया। (ii) सोिे और िाद्य पदाथट िैसे आिू, सोया,
Q4. िाद्य उपिब्धता पर तकिीक के प्रभाव को दं ाटिे के लिए इनतिास से दो उदािरण दें |
मूंगफिी, िमािर और लमचट को पििे अमेररका से यूरोप में नियाटत ककया गया था।
Answer. उतिीसवीं ं ताब्दी के उत्तराधट में िाद्य उपिब्धता पर प्रौद्योधगकी का प्रभाव कई गि
ु ा

Q2. र्बताइए पूवट आधुनिक ववश्व में र्बीमाररयों के वैजश्वक प्रसार िे अमेररकी भूभागो उपनिवें ीकरण में अधधक था। तेज़ रे िवे, िाइिर वैगिों और र्बड़े ििाज़ों िे उत्पादि इकाइयों से िेकर दरू के र्बािारों तक

ककस प्रकार मदद की | सस्ते और तेज़ी से िाद्य पररविि में मदद की। इसके अिावा, प्रं ीनतत ििािों िे िंर्बी दरू ी पर मााँस,

Answer. पूव-ट आधुनिक दनु िया में र्बीमारी के वैजश्वक िस्तांतरण िे अमेररका के उपनिवें ीकरण में मदद मक्िि और अंडे िैसे िरार्ब िोिे वािे िाद्य पदाथों के पररविि में मदद की।

की क्योंकक मि
ू अमेररकी भारतीय उि र्बीमाररयों के प्रनत प्रनतरिा ििीं थे िो कक र्बसिे वािे और
Q5. त्रििे ि वुड्स समझौते का क्या अथट िै ?
उपनिवें करिे वािे अपिे साथ िाए थे। छोिे चेचक के लिए यूरोपीय अधधक या कम प्रनतरिा थे,
Answer. िेिि वुड्स समझौते को िुिाई 1944 में अमेररका के तयू िै म्पं ायर के िेिि वुड्स में अंनतम
िेककि दे ं ी अमेररककयों को िािों वर्षों के लिए दनु िया के र्बाकी टिस्सों से काि टदया गया था, इसके
रूप टदया गया था। इसिे वैजश्वक आधथटक जस्थरता और औद्योधगक दनु िया में पूणट रोिगार के संरिण
खििाफ कोई र्बचाव ििीं था। इि कीिाणुओं िे मारे गए और पूरे समुदायों को लमिा टदया, ववदे ं ी
के लिए अंतराटष्ट्रीय मुद्रा कोर्ष और ववश्व र्बैंक की स्थापिा की। इि संस्थािों िे सदस्य राष्ट्रों के र्बािरी
अधधं ेर्ष और घािे से भी निपिा, और युद्ध के र्बाद के पुिनिटमाटणों को ववत्तपोवर्षत ककया।

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Q6. कल्पिा कीजिए कक आप कैररत्रर्बयाई िेत्र में काम करिे वािे धगरलमटिया मज़दरू िै | इस अध्याय के लिए छोड़ टदया गया। अधधकांं दे ं ों िे अमेररका से ऋण लिया, िेककि अमेररकी ववदे ं ी ऋणदाता
में टदए गए वववरण के आधार पर अपिे िािात और अपिी भाविाओं का वणटि करते िुए अपिे उसी के र्बारे में सावधाि थे। िर्ब उतिोंिे ऋण की मात्रा कम कर दी, तो आधथटक रूप से अमेररकी ऋणों
पररवार के िाम पर एक पत्र लििें | पर निभटर दे ं ों को तीव्र संकि का सामिा करिा पड़ा। यूरोप में , इसिे त्रिटिं पाउं ड स्िलििंग िैसी
Answer. मैं एक धगरलमटिया मज़दरू के रूप में कैररत्रर्बयाई िेत्र में काम कर रिा िूं। इस पत्र के प्रमुि र्बैंकों और मुद्राओं की ववफिता का कारण र्बिा। अमेररकी अथटयवयवस्था की रिा के लिए, यूएसए
माध्यम से, मैं आपको अपिी कटठिाई और ठे केदार के दयवु यटविार के र्बारे में र्बतािा चािता िूं। मुझे िे आयात ं ुल्क को दोगुिा कर टदया। इससे ववश्व यवयापार पररदृश्य त्रर्बगड़ गया। इि सभी कारकों िे
काम पर रििे के समय ठे केदार िे काम की िगि, यात्रा के तरीके और रििे और काम करिे की मिामंदी में योगदाि टदया। इसिे वैजश्वक ऋण प्रदाता और सर्बसे र्बड़े औद्योधगक राष्ट्र िोिे के कारण
जस्थनत के र्बारे में सिी िािकारी ििीं दी। िमें र्बिुत कम कािूिी अधधकार प्रदाि ककए िाते िैं। ठे केदार यूएसए को सर्बसे अधधक प्रभाववत ककया।
कायटस्थि पर कठोर और अपमाि ििक भार्षा का उपयोग करता िै । वि िमारे साथ कूलियों की तरि
यवयविार करता िै और िम कैररत्रर्बयाई िेत्र के कोको प्िांिें ि में एक असिि अल्पसंख्यक िैं। कभी- Q9. िी-77 दे ं ों से आप क्या समझते िैं | िी-77 को ककस आधार पर त्रििे ि वड्
ु स की िुड़वा संतािों

कभी एिेंि मुझे िर्बरि अगवा भी कर िेते िैं िािांकक मैं काम करिे को तैयार ििीं था। िर्ब भी मैं की प्रनतकक्रया किा िा सकता िै यवयाख्या करें |

अपिे काम में ं ालमि ििीं िोता िूं, मेरे खििाफ मुकदमा चिाया िाता िै और िेि भेिा िाता िै । Answer. G-77 दे ं 77 दे ं ों के समूि के लिए एक संक्षिप्त िाम िै जितिोंिे एक िए अंतराटष्ट्रीय

एक भारी कायटभार के साथ वि आधथटक आदे ं ) की मांग की; एक ऐसी प्रणािी िो िव-उपनिवें वाद का लं कार ि िोकर, पूवट
ृ ारोपण में र्बिुत काम िै और कभी-कभी मझ ु े एक टदि यि सर्ब ित्म
करिा पड़ता िै । असंतोर्षििक कायट के मामिे में , मेरी मिदरू ी कि िाती िै । मैं एक गि औपनिवेलं क ं जक्तयों द्वारा ककए गए यवयापार में उपनिवें वाद का एक िया रूप िोिे के त्रर्बिा, उतिें
ु ाम का िीवि
िी रिा िूं और र्बड़ी परे ं ािी में िूं। अपिे प्राकृनतक संसाधिों पर वास्तववक नियंत्रण प्रदाि करे गी। G-77 को िेिि वुड्स ट्ववतस की
गनतववधधयों की प्रनतकक्रया के रूप में दे िा िा सकता िै क्योंकक इि दोिों संस्थािों को औद्योधगक और
Q7. अंतरराष्ट्रीय आधथटक ववनिमयों मे 3 तरि की गनतयों या प्रभावों की यवयाख्या करें | तीिों प्रकार की ववकलसत दे ं ों की ववत्तीय ज़रूरतों को पूरा करिे के लिए र्डज़ाइि ककया गया था, और इसके लिए
गनतयों के भारत और भारतीयों से संर्बंधधत एक एक उदािरण दे और उिके र्बारे में संिेप में लििें | कुछ भी ििीं ककया गया था। पूवट उपनिवें ों और ववकासं ीि राष्ट्रों की आधथटक ववृ द्ध।
Answer. अंतरराष्ट्रीय आधथटक ववनिमय के भीतर तीि प्रकार के आंदोिि या प्रवाि यवयापार प्रवाि,
मािव पूंिी प्रवाि और पूंिी प्रवाि या निवें िैं। इिकी यवयाख्या इस प्रकार की िा सकती िै - कृवर्ष v/;k; 4- vkS|ksxhdj.k dk ;qx
उत्पादों में यवयापार, श्रम का प्रवास और अतय राष्ट्रों से ववत्तीय ऋण। भारत पूव-ट आधुनिक दनु िया में Q1. निम्िलिखित की यवयाख्या करें - (क) त्रििे ि की मटििा कामगारों िे जस्पनिंग िेिी मं ीिों पर
यवयापार का एक केंद्र था, और इसिे यूरोप से सोिे और चााँदी के र्बदिे में वस्त्र और मसािों का नियाटत िमिे ककए| (ि) 17 वीं ं ताब्दी में यूरोपीय ं िरों के सौदागर गांव में ककसािों और कारीगरों से काम
ककया। कोिंर्बस की िोि के र्बाद कई अिग-अिग िाद्य पदाथट िैसे आिू, सोया, मंग
ू फिी, मक्का, करवािे िगे | (ग) सरू त र्बंदरगाि 18 वीं सदी के अंत तक िालं ए पर पिुंच गया था | (घ) ईस्ि इंर्डया
िमािर, लमचट और ं करकंद अमेररका से भारत आए। श्रम के िेत्र में , उतिीसवीं ं ताब्दी में , भारी संख्या कंपिी िे भारत में र्बुिकरों पर निगरािी रििे के लिए गुमाश्तों को नियुक्त ककया था |
में , ववदे ं ों में िािों, र्बागािों और कारिािों के लिए धगरलमटिया श्रम उपिब्ध कराया गया था। यि Answer. (क) त्रििे ि में मटििा श्रलमकों िे जस्पनिंग िेिी पर िमिा ककया क्योंकक इसिे कताई प्रकक्रया
अंग्रेिों द्वारा औपनिवेलं क वचटस्व का एक उपकरण था। अतत में , त्रििे ि िे ववश्व युद्ध के ववत्तपोर्षण को गनत दी, और पररणामस्वरूप, श्रम की मांग कम िो गई। इससे ऊिी उद्योग में काम करिे वािी
के लिए अमरीका से उदार ऋण लिया। चूंकक भारत एक अंग्रेिी उपनिवें था, इसलिए इि ऋण ऋणों मटििाओं में र्बेरोज़गारी का एक वैध डर पैदा िो गया। अर्ब तक, वे िाथ से कताई करिे से र्बच गए थे,
का प्रभाव भारत में भी मिसस
ू ककया गया। त्रिटिं सरकार िे करों, ब्याि दरों में ववृ द्ध की, और िेककि इसे िई मं ीि द्वारा िरार्ब कर टदया गया था। (ि) सत्रिवीं ं ताब्दी में , यूरोप के ं िरों के
कॉिोिी से िरीदे गए उत्पादों की कीमतों को कम कर टदया। अप्रत्यि रूप से, िेककि दृिता से, इसिे यवयापाररयों िे गााँवों के भीतर ककसािों और कारीगरों को नियुक्त करिा ं ुरू कर टदया क्योंकक
भारतीय अथटयवयवस्था और िोगों को प्रभाववत ककया। ं जक्तं ािी यवयापार धगल्ड की उपजस्थनत के कारण ं िरी िेत्रों में उत्पादि ििीं र्बिाया िा सकता था।
ये उत्पादि, नियंत्रत्रत कीमतों और प्रनतस्पधाट पर नियंत्रण र्बिाए रिते थे और यवयापार में िए िोगों के
Q8. मिामंदी के कारणों की यवयाख्या करें |
प्रवें को प्रनतर्बंधधत करते थे। एकाधधकार भी एक सामातय रणिीनत थी। ग्रामीण इिाकों में , ऐसे कोई
Answer. मिामंदी कई अिग-अिग कारकों का एक पररणाम था। युद्ध के र्बाद की वैजश्वक अथटयवयवस्था
नियम ििीं थे, और गरीर्ब ककसािों िे इि यवयापाररयों का स्वागत ककया। (ग) भारत के साथ यवयापार में
कमिोर थी। इसके अिावा, कृवर्ष अनत-उत्पादि एक उपद्रव सात्रर्बत िुआ, जिसे िाद्य अिाि की कीमतों
यूरोपीय कंपनियों की र्बिती ं जक्त के कारण अठारिवीं ं ताब्दी के अंत तक सूरत के र्बंदरगाि में
में धगरावि से र्बदतर र्बिाया गया था। इसका मुकार्बिा करिे के लिए, ककसािों िे अपिे वावर्षटक आय
धगरावि आई। उतिोंिे स्थािीय अदाितों से कई ररयायतें िालसि कीं और साथ िी यवयापार के
को र्बिाए रििे के लिए उत्पादि र्बिािे और र्बािारों में और अधधक उपि िािे के लिए ं ुरू ककया।
एकाधधकार को भी िालसि ककया। इसके कारण सूरत और िुगिी के पुरािे र्बंदरगािों में धगरावि आई,
इससे िाद्यातिों की ऐसी चमक पैदा िुई कक कीमतों में और धगरावि आई और कृवर्ष उपि को सड़िे
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ििां से स्थािीय यवयापाररयों िे काम ककया था। नियाटत धीमा िो गया और यिां के स्थािीय र्बैंक Answer. राििीनतक ं जक्त स्थावपत करिे के र्बाद, ईस्ि इंर्डया कंपिी िे भारतीय र्बुिकरों से ववलभति
टदवालिया िो गए। (घ) कपड़ा कारोर्बार में मौिूदा यवयापाररयों और दिािों से मुक्त िोकर र्बुिकरों पर प्रकार के कायों के माध्यम से सफितापूवक
ट सूती और रे ं मी वस्त्रों की नियलमत आपूनतट की। इि
अधधक प्रत्यि नियंत्रण स्थावपत करिे के लिए ईस्ि इंर्डया कंपिी िे भारत में र्बुिकरों की निगरािी के कायों का उद्देश्य अतय औपनिवेलं क ं जक्तयों से प्रनतस्पधाट को समाप्त करिा, िागत को नियंत्रत्रत
लिए गोमाता की नियुजक्त की। गोमस्त वे सवेति सेवक थे िो र्बुिकरों की निगरािी करते थे, आपूनतट करिा और त्रििे ि के लिए कपास और रे ं म के सामािों की नियलमत आपूनतट सुनिजश्चत करिा था।
एकत्र करते थे और कपड़े की गुणवत्ता की िांच करते थे। गोमास्थों िे यि सुनिजश्चत ककया कक कपड़ा सर्बसे पििे, इसिे र्बुिकरों की दे िरे ि, आपूनतट इकट्ठा करिे और कपड़ा गुणवत्ता की िांच करिे के
उद्योग के सभी प्रर्बंधि और नियंत्रण अंग्रेिों के अधीि आ गए। इससे प्रनतस्पधाट को ित्म करिे , लिए गोमस्त या सं ुल्क िौकर नियुक्त ककए। दस
ू रे , इसिे कंपिी के र्बुिकरों को अतय िरीदारों से
िागत को नियंत्रत्रत करिे और कपास और रे ं म उत्पादों की नियलमत आपूनतट सुनिजश्चत करिे में निपििे से रोक टदया। र्बुिकरों को कच्चे माि की िरीद के लिए अधग्रम दे िे की प्रणािी द्वारा यि
मदद लमिी। पता िगाया गया था। िो िोग इि ऋणों को िेते थे, वे अपिा कपड़ा ककसी और को ििीं र्बेच सकते
थे, िेककि गोमास्थों को।
Q2. प्रत्येक वक्तयवय के आगे सिी या गित लििें - (क) 19 वी सदी के आखिर में यूरोप की कुि
श्रमं जक्त का 80% तकिीकी रूप से ववकलसत औद्योधगक िेत्र में काम कर रिा था | (ि) 18 वीं सदी Q3. कल्पिा कीजिए कक आप को त्रििे ि तथा कपास के इनतिास के र्बारे में ववश्वकों के लिए िेि
तक मिीि कपड़े के अंतरराष्ट्रीय र्बािार पर भारत का दर्बदर्बा था | (ग) अमेररकी गि
ृ युद्ध के लिििे को किा गया िै | इस अध्याय में दी गई िािकाररयों के आधार पर अपिा िेि लिखिए।
फिस्वरूप भारत के कपास नियाटत में कमी आई | (घ) फ्िाई ं िि के आिे से िथकरघा कामगारों की Answer. त्रििे ि और कपास का इनतिास सत्रिवीं और अठारिवीं ं ताब्दी के दौराि, यवयापारी कपड़ा
उत्पादकता में सुधार िुआ | उत्पादि में ग्रामीण िोगों के साथ यवयापार करते थे। एक कपड़ा एक ऊि स्िे पिर से ऊि िरीदता िै ,
Answer. (क) असत्य (ि) सत्य (ग) असत्य (घ) सत्य इसे जस्पिरों तक िे िाता िै , और कफर, उत्पादि के आगे के स्तरों के लिए यािट को र्बुिकरों, फुिर और
िरीदारों के पास िे िाता िै । इि सामािों के लिए िंदि पररष्ट्करण केंद्र था। त्रिटिं निमाटण के
Q3. पूव-ट औद्योधगकरण का मतिर्ब र्बताएं ? इनतिास में इस चरण को प्रोिो-औद्योधगकीकरण के रूप में िािा िाता िै । इस चरण में , कारिािे
Answer. पूवट -औद्योधगकीकरण औद्योधगकीकरण का वि चरण िै िो कारिािे प्रणािी पर आधाररत उद्योग का एक अनिवायट टिस्सा ििीं थे। इसके र्बिाय िो मौिद
ू था वि वाखणजज्यक आदाि-प्रदाि का
ििीं था। कारख़ािों के आिे से पििे , एक अंतरराष्ट्रीय र्बािार के लिए र्बड़े पैमािे पर औद्योधगक एक िेिवकट था। कारिािों के िए युग का पििा प्रतीक कपास था। उतिीसवीं ं ताब्दी के उत्तराधट में
उत्पादि था। औद्योधगक इनतिास के इस भाग को पूव-ट औद्योधगकीकरण के रूप में िािा िाता िै । इसका उत्पादि तेिी से र्बिा। कच्चे कपास का आयात 1760 में 2.5 लमलियि पाउं ड से र्बिकर 1787 में
22 लमलियि पाउं ड िो गया। कॉिि लमि और िई मं ीिों के आववष्ट्कार और एक छत के िीचे र्बेितर
Q1. 19वीं सदी के यरू ोप में कुछ उद्योगपनत मं ीिों के िाथ से काम करिे वािे श्रलमकों को
प्रर्बंधि के कारण ऐसा िुआ। 1840 तक, औद्योधगकीकरण के पििे चरण में कपास प्रमि ु िेत्र था।
प्राथलमकता क्यों दे ते थे?
कपड़ा उत्पादि िेत्र में अधधकांं आववष्ट्कार श्रलमकों द्वारा अविे ििा और घण
ृ ा के साथ ककए गए
Answer. उतिीसवीं ं ताब्दी के इंग्िैंड के कुछ उद्योगपनतयों िे मं ीिों पर िाथ से काम करिा पसंद
क्योंकक मं ीिों िे कम श्रम और रोिगार की कम िरूरतों को निटित ककया। द जस्पनिंग िेिी एक
ककया क्योंकक र्बािार में कोई श्रलमक कमी ििीं थी, और पररणामस्वरूप, उच्च मिदरू ी िागतों की कोई
ऐसा िी आववष्ट्कार था। ऊिी उद्योग में मटििाओं िे ववरोध ककया और इसे िष्ट्ि करिे की मांग की
समस्या ििीं थी। उद्योगपनत ऐसी मं ीिों के साथ िाथ श्रम को र्बदििा ििीं चािते थे , जििके लिए
क्योंकक यि श्रम र्बािार में अपिी िगि िे रिा था। इस तरि की तकिीकी प्रगनत से पििे , त्रििे ि िे
र्बड़े पाँि
ू ी निवें की आवश्यकता िोगी। इसके अिावा, जिि उद्योगों में उत्पादि और आवश्यक श्रम की
र्बड़ी संख्या में भारत से रे ं म और कपास का सामाि आयात ककया। भारत से िलित वस्त्र इंग्िैंड में
मात्रा मौसमों पर निभटर थी, विां िाथ श्रम को उसकी कम िागत के लिए पसंद ककया गया था। इसके
उच्च मांग में थे। िर्ब ईस्ि इंर्डया कंपिी िे राििीनतक ं जक्त प्राप्त की, तो उतिोंिे त्रििे ि के िाभ के
अिावा, कई सामाि केवि िाथ से निलमटत ककए िा सकते थे। मं ीिें एक समाि उत्पाद की र्बड़े पैमािे
लिए भारत में र्बुिकरों और कपड़ा उद्योग का ं ोर्षण ककया। र्बाद में , मैिचेस्िर कपास उत्पादि का
पर मात्रा प्रदाि कर सकती िैं। िेककि मांग िटिि र्डज़ाइि और आकार के लिए थी; इसके लिए मािव
केंद्र र्बि गया। इसके र्बाद, भारत को त्रिटिं कपास वस्तुओं के प्रमुि िरीदार के रूप में र्बदि टदया
कौं ि की आवश्यकता थी, ि कक यांत्रत्रक तकिीक की। िस्तनिलमटत उत्पाद भी ं ोधि और वगट की
गया। प्रथम ववश्व यद्ध
ु के दौराि, त्रिटिं कारिािे यद्ध
ु की िरूरतों को पूरा करिे में र्बिुत यवयस्त थे।
जस्थनत के लिए िड़े थे। आमतौर पर यि मािा िाता था कक मं ीि-निलमटत सामाि कािोनियों के
इसलिए, भारतीय वस्त्रों की मांग एक र्बार कफर र्बि गई। त्रििे ि में कपास का इनतिास मांग और
नियाटत के लिए थे।
आपूनतट के ऐसे उतार-चिाव से भरा िुआ था।
Q2. ईस्ि इंर्डया कंपिी िे भारतीय र्बि
ु करों से सत
ू ी और रे ं मी कपड़े की नियलमत आपनू तट सनु िजश्चत
करिे के लिए क्या ककया ?

SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC)
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Q4. पििे ववश्व युद्ध के समय भारत का औद्योधगक उत्पादि क्यों र्बिा ? Answer. (क) गुिेिर्बगट प्रेस: इसकी स्थापिा िोिाि गुिेिर्बगट िे की थी। 1448 तक, उतिोंिे समकािीि
Answer. प्रथम ववश्व युद्ध के दौराि भारत में औद्योधगक उत्पादि में ववृ द्ध िुई क्योंकक त्रिटिं लमिें तकिीकी िवाचारों का उपयोग करते िुए, िैतूि और वाइि प्रेस के साथ मुद्रण की प्रणािी को पूरा
युद्ध की ज़रूरतों को पूरा करिे में यवयस्त िो गईं। मैिचेस्िर आयात में कमी आई, और भारतीय लमिों ककया था। पििी ककतार्ब िो उतिोंिे छापी वि थी र्बाइर्बि, 3 साि में 180 प्रनतयााँ। िािााँकक इि
को अचािक आपूनतट करिे के लिए एक र्बड़ा घर र्बािार था। र्बाद में , उतिें िूि र्बैग, सेिा की वदी के पुस्तकों को मुटद्रत ककया गया था, िेककि सामिे के पष्ट्ृ ठ, प्रर्बुद्ध सीमाओं और क्रेता-निटदट ष्ट्ि र्डज़ाइिों
लिए कपड़ा, िें ि, चमड़े के िूते, काठी और अतय सामािों की आपूनतट करिे के लिए किा गया। इतिी की िस्तनिलमटत सिावि में एक अिूठा स्पं ट र्बिा रिा। गुिेिर्बगट प्रेस 1430 के दं क में पििा ज्ञात
मांग थी कक पुरािे कारख़ािों को कई लं फ्िों में चिािे पर भी िए कारिािे िगािे पड़े। िए श्रलमकों वप्रंटिंग प्रेस था। (ि) इरै स्मस के मुटद्रत पुस्तक के ववचार: वि वप्रंि माध्यम के आिोचक थे। उिका
और िंर्बे समय तक काम के घंिों के साथ औद्योधगक उत्पादि में उछाि आया। माििा था कक िािांकक कुछ पुस्तकें साथटक ज्ञाि प्रदाि करती िैं, िेककि अतय केवि छात्रवजृ त्त के
लिए एक प्रनतर्बंध िैं। इरास्मस िे उि पुस्तकों को प्रकालं त करिे का आरोप िगाया, िो मिि त्रासद
v/;k; 5- eqnz.k laLd`fr vkSj vk/kqfud nqfu;k ििीं थीं, र्बजल्क "मि
ू ,ट निंदिीय, निंदिीय, असभ्य, अधालमटक और दे ं द्रोिी" थीं। उतिोंिे यि भी मिसस

Q1. निम्िलिखित के कारण दें - (क) वड
ु ब्िॉक वप्रंि या तख्ती की छपाई यरू ोप में 1295 के र्बाद आई |
ककया कक र्बड़ी संख्या में ऐसी ककतार्बें गुणवत्ता िेिि के मूल्य को कम करती िैं। (ग) विाटक्युिर प्रेस
(ि) माटिट ि िूथर मुद्रण के पि में था और उसिे इसकी िुिे आम प्रं ंसा की | (ग) रोमि कैथोलिक
एक्ि: आइररं प्रेस िॉज़ पर आधाररत, इसे 1878 में पाररत ककया गया था। इस कािूि िे सरकार को
चचट िे सोिवीं सदी के मध्य से प्रनतर्बंधधत ककतार्बों की सूची रििी ं ुरू कर दी | (घ) मिात्मा गांधी िे
विाटक्यूिर प्रेस में सेंसर ररपोिट और संपादकीय के लिए अत्याचारी अधधकार टदए। यटद एक दे ं द्रोिी
किा कक स्वराि की िड़ाई दरअसि अलभयवयजक्त, प्रेस और सामूटिकता के लिए िड़ाई िै |
ररपोिट प्रकालं त की गई थी और अिर्बार िे ं ुरुआती चेताविी पर ध्याि ििीं टदया था, तो प्रेस को
Answer. (क) वुडब्िॉक वप्रंि का आववष्ट्कार चीि में छठी ं ताब्दी के आसपास िुआ था। यि माको
िब्त कर लिया गया था और वप्रंटिंग मं ीिरी को िब्त कर लिया गया था। यि अलभयवयजक्त की
पोिो के साथ 1295 में यूरोप में आया। माको पोिो चीि में कई वर्षों की िोि के र्बाद इििी िौिे और
स्वतंत्रता का पूणट उल्िंघि था।
उतिोंिे अपिी वापसी पर वुडब्िॉक वप्रंि का ज्ञाि अपिे साथ िाया। (ि) माटिट ि िूथर वप्रंि के पि में
थे और इसकी प्रं ंसा में र्बोिते थे क्योंकक वप्रंि मीर्डया िे अपिे ववचारों को िोकवप्रय र्बिािे और Q3. 19 वीं सदी में भारत में मुद्रण संस्कृनत के प्रसार का इिके लिए क्या मतिर्ब था (क) मटििाएं
फैिािे में मदद की। 1517 में , उतिोंिे रोमि कैथोलिक चचट की प्रथाओं और रीनत-ररवाज़ों की आिोचिा (ि) गरीर्ब ििता (ग) सध
ु ारक
करते िुए िब्र्बे फाइव धथलसस लििा। इि िेिि को तरु ं त र्बड़ी संख्या में पि
ु : प्रस्तत
ु ककया गया और Answer. (क) मटििाएं: उतिीसवीं ं ताब्दी के भारत में वप्रंि संस्कृनत के प्रसार िे मटििाओं के लिए
यवयापक रूप से पिा गया। तयू िे स्िामें ि के उिके अिुवाद को भी ििारों िोगों िे स्वीकार ककया और ं ैक्षिक सुधार िाए। उदार पनत और वपता िे अपिे मटििाओं को घर पर लं क्षित ककया या उतिें
पिा। यि केवि वप्रंि तकिीक में सुधार के कारण िी संभव िो पाया था, जिसिे कामकािी वगों को मटििाओं के लिए स्कूिों में भेिा। िो मटििाएं पीटियों से घरे िू िीवि तक सीलमत थीं, अर्ब उतिें
पुस्तकों तक पिुंच प्राप्त करिे की अिुमनत दी थी। (ग) रोमि कैथोलिक चचट िे सोििवीं ं ताब्दी के मिोरं िि का एक िया माध्यम लमि गया िै । उतिोंिे मटििाओं की लं िा और सािरता के पि में ,
मध्य से निवर्षद्ध पुस्तकों का एक सूचकांक रििा ं ुरू कर टदया क्योंकक इसके अधधकार को कई पत्रत्रकाओं के लिए िेि लिििा भी ं ुरू ककया। कुछ िे ककतार्बें भी लििीं; रां सुंदरी दे वी की आत्मकथा
यवयजक्तगत और ववलं ष्ट्ि रीर्डंग और ववश्वास के सवािों द्वारा आसािी से सुिभ िोकवप्रय धालमटक "अमर िीवि" पििी पूणट आत्मकथा थी, जिसे 1876 में प्रकालं त ककया गया था। परं परावाटदयों का
साटित्य द्वारा ितरे में डाि टदया गया था। इसके कैथोलिक चचट िे जिज्ञासु ववचारों और इसके दमि माििा था कक लं िा और पठि मटििाओं को ववधवा र्बिा दे गा, या उतिें भ्रष्ट्ि कर दे गा। कई मटििाओं
के पूरक के लिए, प्रकां कों और र्बुकसेिरों पर कठोर नियंत्रण ककया, और 1558 से प्रनतर्बंधधत पुस्तकों िे ऐसे परं परावादी वातावरण में गुप्त रूप से पििा और लिििा सीिा। (ि) गरीर्ब ििता : कम
का सूचकांक भी रििा ं ुरू ककया। (घ) गांधी िे किा कक स्वराि की िड़ाई भार्षण की स्वतंत्रता, प्रेस कीमत की पस्
ु तकों और सावटिनिक पस्
ु तकाियों की उपिब्धता के कारण भारत में वप्रंि संस्कृनत के
की स्वतंत्रता और संघ की स्वतंत्रता के लिए िड़ाई िै क्योंकक वि इतिें अलभयवयजक्त और िि मािस प्रसार से उतिें िाभ िुआ। िानतगत भेदभाव और उसके निटित अतयाय के खििाफ ज्ञािवधटक निर्बंध
की साधिा का सं क्त माध्यम मािते थे। इि स्वतंत्रताओं का िंडि स्व-ं ासि और स्वतंत्रता के लििे गए। इतिें दे ं भर के िोगों िे पिा था। समाि सुधारकों के प्रोत्सािि और समथटि पर, अधधक
ववचार के अिुकूि ििीं था। इसलिए, उसके अिुसार इि स्वतंत्रता के लिए िड़ाई, स्वराि या स्व ं ासि काम करिे वािे कारिािे के श्रलमकों िे स्व-लं िा के लिए पुस्तकािय स्थावपत ककए, और उिमें से
के लिए आंतररक रूप से िड़ाई थी। कुछ िे अपिे स्वयं के कायों को भी प्रकालं त ककया, उदािरण के लिए, कां ीर्बार्बा | (ग) सध
ु ारक: वप्रंि
संस्कृनत की िोकवप्रयता सामाजिक और धालमटक सुधारकों के लिए एक िाभ थी क्योंकक वे अर्ब अपिी
Q2. छोिी टिप्पणी में इिके र्बारे में र्बताएं- (क)गुिेिर्बगट प्रेस (ि)छपी ककतार्ब को िेकर इरै स्मस के
राय अिर्बारों और पुस्तकों के माध्यम से, आम ििता में फैिा सकते थे। इि ववचारों पर िोगों के
ववचार (ग) विाटक्यूिर या दे सी प्रेस एक्ि
ववलभति समूिों द्वारा र्बिस की िा सकती िै । आम िोगों की स्थािीय, रोज़मराट की भार्षाओं में
सुधारवादी ववचारों को आगे रिा गया ताकक उसी के लिए एक यवयापक मंच र्बिाया िा सके।

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Q1. 18 वीं सदी के यूरोप में कुछ िोग को क्यों ऐसा िगता था कक मुद्रण संस्कृनत से निरं कुं वाद का
अंत और ज्ञािोदय िोगा ?
Answer. 18 वीं सदी के यूरोप में कुछ िोगों िे सोचा था कक वप्रंि संस्कृनत आत्मज्ञाि िाएगी और
निरां ा को समाप्त करे गी। इसकी आसाि और सस्ती उपिब्धता का मतिर्ब था कक सािरता अर्ब
उच्च वगों तक सीलमत ििीं रिे गी। िर्बकक पादरी और रािाओं को इस र्बात की आं ंका थी कक एक
ववं ाि पठि ििता को िाभ िोगा, माटिट ि िूथर िैसे सुधारकों िे पररवतटि का स्वागत ककया। उतिें
िगा कक यि ं ासकों की ववचारधारा के अंधे पािि का अंत िोगा। यि फ्रांसीसी क्रांनत में भी दे िा िा
सकता िै । वप्रंि माध्यम िे स्वतंत्रता, समािता और भाईचारे के आदं ों को रूसो और वोल्िे यर द्वारा
उिके िेिि में ििता तक पिुंचिे की अिम ु नत दी। इसिे संवाद और र्बिस की एक िई संस्कृनत का
निमाटण ककया जिसिे श्रलमक वगट को सामाजिक रीनत-ररवािों और मािदं डों का मूल्यांकि और
पुिमल्
ूट यांकि करिे की पिि की। कारण यि िै कक ििता िे सामाजिक सुधार की पिि की, और
निरं कुं ता का अंत ककया।

Q3. 19 वी सदी में भारत में गरीर्ब ििता पर मुद्रण संस्कृनत का क्या असर िुआ ?
Answer. गरीर्ब िोगों को कम कीमत की पुस्तकों और सावटिनिक पुस्तकाियों की उपिब्धता के
कारण भारत में मुद्रण संस्कृनत के प्रसार से िाभ िुआ। िानतगत भेदभाव और उसके निटित अतयाय
के खििाफ ज्ञािवधटक निर्बंध लििे गए। इतिें दे ं भर के िोगों िे पिा था। समाि सुधारकों के
प्रोत्सािि और समथटि पर, अधधक काम करिे वािे कारिािे के श्रलमकों िे स्व-लं िा के लिए
पुस्तकािय स्थावपत ककए, और उिमें से कुछ िे अपिे स्वयं के कायों को भी प्रकालं त ककया, उदािरण
के लिए, कां ीर्बार्बा और उिके "छोिे और र्बडे का सांवि"।

Q4. मद्र
ु ण संस्कृनत िे भारत में राष्ट्रवाद के ववकास में क्या मदद की?
Answer. वप्रंि संस्कृनत िे राष्ट्रवादी आदं ों और स्वतंत्रता और समािता के ववचारों को िि-िि तक
आसािी से पिुाँचाकर भारत में राष्ट्रवाद के ववकास में सिायता की। समाि सुधारक अर्ब अिर्बारों में
अपिी राय छाप सकते िैं, जिससे सावटिनिक र्बिस नछड़ गई। कारण की ं जक्त िे आम िोगों को
औपनिवेलं क सत्ता के अधधकार पर सवाि उठाया। टदिचस्प र्बात यि िै कक िर्ब अंग्रेिों िे वप्रंि
मीर्डया को सेंसर करिे और नियंत्रत्रत करिे की कोलं ं की, तर्ब दे ं में िर िगि राष्ट्रवादी अिर्बार
संख्या में र्बि गए। उतिोंिे औपनिवेलं क कुं ासि की सूचिा दी और िोगों को राष्ट्रवादी गनतववधधयों
में भाग िेिे के लिए प्रोत्साटित ककया। उपनिवें वाद-ववरोधी प्रकां िों को रोकिे की कोलं ं ों से
उग्रवादी ववरोध भी िुआ।

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