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Rang Bhed in Us
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उधर खनन में निवेश करने वाले और कैप कॉलोनी के प्रधानमंत्री रह चुके सेसिल
रोड्स और उनके सहयोगियों का मकसद ब्रिटिश प्रभाव का विस्तार करना था। इस
प्रतियोगिता के गर्भ से जो युद्ध निकला उसे बोअर वार के नाम से जाना जाता है । 1899 से
1902 तक जारी रहे इस युद्ध के दोनों पक्ष रं गभेद समर्थक यूरोपियन थे , लेकिन दोनों पक्षों
की तोपों में चारे की तरह काले सिपाहियों को भरा जा रहा था। कालों और उनके राजनीतिक
नेतत्ृ व को उम्मीद थी कि बोअर यद्ध
ु का परिणाम उनके लिए राजनीतिक रियायतों में
निकलेगा। पर ऐसा नहीं हुआ। अंग्रेजों और डचों ने बाद में आपस में संधि कर ली और
मिल-जलु कर रं गभेदी शासन को कायम रखा। मिश्रित वर्ण के लोगो को मताधिकार से वंचित
करने के लिए 1951 में संसद में एक अधिनियम प्रस्तत
ु किया गया। किन्तु कतिपय लोगो
के द्वारा इसे न्यायालय में चन
ु ौती दे ने एवं न्यायालय द्वारा इसे अवैध घोषित करने के
उपरांत आनन-फानन में नेशनलिस्ट सरकार के द्वारा न्यायपालिका एवं विधायिका की
सदस्य संख्याओं में फेर बदल कर दिया गया। इस तरह उच्चतम न्यायालय और संसद में
नेशनलिस्टो का बहुमत होते ही 1956 में पथृ क मतदाता प्रतिनिधित्व अधिनियम (Separate
Representation of Voters Act)’ पारित किया गया जिसमें मिश्रित वर्ण के लोगो को सामान्य
मताधिकार से वंचित कर दिया।
साठ के दशक में रं गभेदी सरकार ने अपना विरोध करने वाली राजनीतिक शक्तियों को
प्रतिबंधित कर दिया, उनके नेता या तो गिरफ्तार कर लिये गए या उन्हें जलावतन कर दिया
गया। सत्तर के दशक में श्वेतों के बीच काम कर रहे उदारवादियों ने भी रं गभेद के खिलाफ
मोर्चा संभाला और यव
ु ा अफ्रीकियों ने काली चेतना को बल
ु ंद करने वाली विचारधारा के पक्ष
में रुझान प्रदर्शित करने शरू
ु कर दिये। 1976 के सोवेतो विद्रोह से इन प्रवत्ति
ृ यों को और
बल मिला। इसी दशक में अफ्रीका के दक्षिणी हिस्सों में गोरी हुकूमतों का पतन शुरू हुआ।
धीरे -धीरे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी दक्षिण अफ्रीका की गोरी हुकूमत के साथ हमदर्दी रखने
वालों को समझ में आने लगा कि रं गभेद को बहुत दिनों तक टिकाये रखना मम ु किन नहीं है ।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों का सिलसिला शुरू हुआ जिससे गोरी सरकार अलग-थलग पड़ती चली
गयी। 1979 तक मजबूर होकर उसे ब्लैक ट्रे ड यूनियन को मान्यता दे नी पड़ी और कालों के
साथ किये जाने वाले छोटे -मोटे भेदभाव भी खत्म कर दिये गये। इससे एक साल पहले
ही वरवोर्ड के राजनीतिक उत्तराधिकारी प्रधानमंत्री पी.डब्ल्यू. बोथा ने एक अभिव्यक्ति के रूप
में एपार्थाइड' से पल्ला झाड़ लिया था।
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Tags:
इतिहासबीसवीं सदी का विश्व इतिहासरं गभे द नीति
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