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Gr- 10 �हंद�

डायर� का एक पन्ना

अंग्रेज� से भारत को आज़ाद� �दलाने के �लए महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह आंदोलन छे ड़ा था। इस आंदोलन
ने जनता म� आज़ाद� क� उम्मीद जगाई। दे श भर से ऐसे बहुत से लोग सामने आए जो इस महासंग्राम म�
अपना सब कुछ त्यागने के �लए तैयार थे। 26 जनवर� 1930 को गल
ु ाम भारत म� पहल� बार स्वतंत्रता
�दवस मनाया गया था। उसके बाद हर वषर् इस �दन को स्वतंत्रता �दवस के रूप म� मनाया जाने लगा।
आजाद� के ढ़ाई साल बाद ,1950 को यह� �दन हमारे अपने सं�वधान के लागू होने का �दन भी बना।

(क)�नम्न�ल�खत प्रश्न� के उ�र �ल�खए :


प्रश्न 1 -: 26 जनवर� 1931 के �दन को अमर बनाने के �लए क्या -क्या तैया�रयाँ क� ग� ?
उ�र -: 26 जनवर� 1931 के �दन को अमर बनाने के �लए काफ़� तैया�रयाँ क� गयी थीं। केवल प्रचार पर
ह� दो हज़ार रूपए खचर् �कये गए थे। कायर्कतार्ओं को उनका कायर् घर–घर जा कर समझाया गया था।
कलक�ा शहर म� जगह–जगह झंडे लगाए गए थे। कई स्थान� पर जल
ु स
ू �नकाले जा रहे थे और झंडा
फहराया जा रहा था। टो�लयाँ बनाकर लोग� क� भीड़ उस स्मारक के नीचे इकट्ठ� होने लगी थी ,जहाँ
सभ
ु ाष बाबू झंडा फहराने वाले थे और स्वतंत्रता क� प्र�त�ा पढ़ने वाले थे।
प्रश्न 2 -: ‘आज जो बात थी ,वह �नराल� थी ‘- �कस बात से पता चल रहा था �क आज का �दन अपने
आप म� �नराला है ? स्पष्ट क�िजए।
उ�र -: आज का �दन �नराला इस�लए था क्य��क आज के ह� �दन पहल� बार सारे �हंदस्
ु तान म� स्वतंत्रता
�दवस मनाया गया था और इस साल भी �फर से वह� दोहराया जाना था। सभी मकान� पर राष्ट्र�य झंडा
फहरा रहा था और बहुत से मकान तो इस तरह सजाए गए थे जैसे स्वतंत्रता �मल गई हो। स्मारक के
नीचे जहाँ शाम को सभा होने वाल� थी, उस जगह को तो सब
ु ह के छः बजे से ह� पु�लस ने बड़ी संख्या म�
आकर घेर कर रखा था, िस्त्रयाँ अपनी तैया�रय� म� लगी हुई थी। अलग अलग जगह� से िस्त्रयाँ अपना
जल
ु स
ू �नकालने और सह� जगह पर पहुँचने क� को�शश म� लगी हुई थीं।
प्रश्न 3 -: पु�लस क�मश्नर के नो�टस और क��सल के नो�टस म� क्या अंतर था?
उ�र -: पु�लस क�मश्नर ने नो�टस �नकाला था �क अमक
ु – अमक
ु धारा के अनुसार कोई सभा नह�ं हो
सकती। य�द कोई सभा म� जाता है तो उसे दोषी समझा जायेगा। क��सल क� ओर से नो�टस �नकला था
�क स्मारक के नीचे ठ�क चार बजकर चैबीस �मनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता क� प्र�त�ा
पढ़� जाएगी। सवर्साधारण क� उपिस्थ�त होनी चा�हए। इस तरह दोन� नो�टस एक दस
ू रे के �वरुद्ध थे।

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प्रश्न 4 -: डॉ. दास गप्ु ता जल
ु स
ू म� घायल लोग� क� दे ख रे ख तो कर ह� रहे थे ,उनके फोटो भी उतरवा
रहे थे। उन लोग� के फोटो �खंचवाने क� क्या वजह हो सकती थी ? स्पष्ट क�िजए।
उ�र -: डॉ. दास गप्ु ता जल
ु स
ू म� घायल लोग� क� दे ख- रे ख तो कर ह� रहे थे ,उनके फोटो भी उतरवा रहे
थे। उन लोग� के फोटो �खंचवाने क� दो वजह हो सकती थी। एक तो यह �क अंग्रेज� के अत्याचार� का
खुलासा �कया जा सकता था �क �कस तरह उन्ह�ने औरत� तक को नह�ं छोड़ा। दस
ू र� वजह यह हो
सकती है �क बंगाल या कलक�ा पर जो कलंक था �क वहाँ स्वतंत्रता के �लए कोई काम नह�ं हो रहा है ,
इस कलंक को कुछ हद तक धोया जा सकता था और सा�बत �कया जा सकता था �क वहाँ भी बहुत काम
हो रहा है ।
(ख)�नम्न�ल�खत प्रश्न� के उ�र (50 -60 शब्द� म� ) द�िजए
प्रश्न 1 -: सभ
ु ाष बाबू के जल
ु स
ू म� स्त्री समाज क� क्या भ�ू मका थी ?
उ�र -: सभ
ु ाष बाबू के जल
ु स
ू म� स्त्री समाज क� बहुत महत्पूणर् भ�ू मका थी। िस्त्रय� ने बहुत तैया�रयाँ क�
थीं। अलग- अलग जगह� से िस्त्रयाँ अपना जल ु स
ू �नकालने और सह� जगह पर पहुँचने क� को�शश म�
लगी हुई थी। स्मारक के नीचे सी�ढ़य� पर िस्त्रयाँ झंडा फहरा रह� थी और स्वतंत्रता क� प्र�त�ा पढ़ रह�
थी। िस्त्रयाँ बहुत अ�धक संख्या म� आई हुई थीं।सभु ाष बाबू क� �गरफ़्तार� के कुछ दे र बाद ह� िस्त्रयाँ वहाँ
से जनसमह
ू बना कर आगे बढ़ने लगीं ।। धमर्तल्ले के मोड़ पर आते – आते जल
ु स
ू टूट गया और लगभग
50 से 60 िस्त्रयाँ वह�ं मोड़ पर बैठ ग� । उन िस्त्रय� को लालबाज़ार ले जाया गया। मदालसा जो
जानक�दे वी और जमना लाल बजाज क� पत्र
ु ी थी ,उसे भी �गरफ़्तार �कया गया था। उससे बाद म� मालम

हुआ �क उसको थाने म� भी मारा गया था। सब �मलकर 105 िस्त्रय� को �गरफ्तार �कया गया था।
प्रश्न 2 -: जल
ु स
ू के लालबाज़ार आने पर लोग� क� क्या दशा हुई ?
उ�र -: जब सभ
ु ाष बाबू को �गरफ्तार करके प�ु लस ले गई तो िस्त्रयाँ जल
ु स
ू बना कर जेल क� और चल
पड़ीं। उनके साथ बहुत बड़ी भीड़ भी इकठ्ठ� हो गई। परन्तु पु�लस क� ला�ठय� ने कुछ को घायल कर
�दया, कुछ को पु�लस �गरफ्तार करके ले गई और बची हुई िस्त्रयाँ वह�ँ धमर्तल्ले के मोड़ पर बैठ ग�
।भीड़ ज्यादा थी तो आदमी भी ज्यादा ज़ख्मी हुए। कुछ के सर फ़टे थे और खून बह रहा था।
प्रश्न 3 -: ‘जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान म� नह�ं
क� गई थी और यह सभा तो कहना चा�हए �क ओपन लड़ाई थी।’ यहाँ पर �कसके द्वारा लागू �कये गए
कानून को भंग करने क� बात कह� गई है ? क्या कानून भंग करना उ�चत था ? पाठ के सन्दभर् म� अपने
�वचार प्रकट क�िजए।
उ�र -: यहाँ पर अंग्रेज प्रशासन द्वारा सभा न करने के कानून को भंग करने क� बात कह� है । ये कानून
वास्तव म� भारतवा�सय� क� स्वतंत्रता को कुचलने वाला कानून था अतः इस कानून का उलंघन करना सह�
था। उस समय हर दे शवासी स्वतंत्रता के �लए अपना सब कुछ त्यागने के �लए तैयार था और अंग्रेजी
हुकूमत ने सभा करने ,झंडा फहराने और जल ु स
ू म� शा�मल होने को गैरकानूनी घो�षत कर �दया था।
अंग्रेजी प्रशासन नह�ं चाहता था �क लोग� म� आज़ाद� क� भावना आए परन्तु अब हर दे शवासी स्वतन्त्र
होना चाहता था। उस समय कानून का उल्लंघन करना सह� था।
प्रश्न 4 -:बहुत से लोग घायल हुए,बहुत� को लॉकअप म� रखा गया ,बहुत सी िस्त्रयाँ जेल गई ,�फर भी इस
�दन को अपूवर् बताया गया है । आपके �वचार से यह सब अपूवर् क्य� है ?अपने शब्द� म� �ल�खए।
उ�र -: सभ
ु ाष बाबू के नेतत्ृ व म� कलक�ा म� लोग� ने स्वतंत्रता �दवस मानाने क� ऐसी तैया�रयाँ क� थी
जैसी आज से पहले कभी नह�ं हुई थी। पु�लस क�मश्नर ने नो�टस �नकाला था �क कोई भी सभा म� नह�ं

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जायेगा य�द कोई जाता है तो उसे दोषी समझा जाएगा। परन्तु लोग� ने इसक� कोई परवाह नह�ं क� और
अपनी तैया�रय� म� लगे रहे । पु�लस क� ला�ठय� से कई लोग घायल हुए ,कई लोग� को �गरफ्तार �कया
गया। िस्त्रय� पर भी बहुत अत्याचार हुए ,इ�तहास म� कभी इतनी िस्त्रय� को एक साथ �गरफ्तार नह�ं
�कया गया था। इन्ह�ं बात� के कारण इस �दन को अपूवर् बताया गया।
(ग) �नम्न�ल�खत का आशय स्पष्ट क�िजए -:
(1) आज तो जो कुछ हुआ वह अपूवर् हुआ है । बंगाल के नाम या कलक�ा के नाम पर कलंक था �क यहाँ
काम नह�ं हो रहा है । वह आज बहुत अंश म� धूल गया।
उ�र -: कलक�े के लगभग सभी भाग� म� झंडे लगाए गए थे। िजस भी रास्ते पर मनुष्य� का आना –
जाना था, वह�ं जोश ,ख़ुशी और नयापन महसस
ू होता था।बड़े – बड़े पाक� और मैदान� को सवेरे से ह�
पु�लस ने घेर रखा था क्य��क वह�ं पर सभाएँ और समारोह होना था। स्मारक के नीचे जहाँ शाम को
सभा होने वाल� थी उस जगह को तो सब
ु ह के छः बजे से ह� पु�लस ने बड़ी संख्या म� आकर घेर कर रखा
था ,इतना सब कुछ होने के बाबजद
ू भी कई जगह पर तो सब
ु ह ह� लोग� ने झंडे फहरा �दए थे। जब से
स्वतंत्रता प्रािप्त के �लए कानून तोड़ने का �सल�सला शुरू हुआ था तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे
खुले मैदान म� कभी नह�ं हुई थी और ये सभा तो कह सकते ह� �क सबके �लए ओपन लड़ाई थी।। पु�लस
क�मश्नर ने नो�टस �नकल �दया था �क अमक
ु -अमक
ु धारा के अनस
ु ार कोई भी, कह�ं भी, �कसी भी तरह
क� सभा नह�ं कर सकते ह�।लोगो क� भीड़ इतनी अ�धक थी �क प�ु लस ने उनको रोकने के �लए ला�ठयाँ
चलाना शरू
ु कर �दया। आद�मय� के सर फट गए। प�ु लस कई आद�मय� को पकड़ कर ले गई।अलग-
अलग जगह� से िस्त्रयाँ अपना जल
ु स
ू �नकालने और सह� जगह पर पहुँचने क� को�शश म� लगी हुई
थी।इतना सब कुछ होने पर भी लोग� के साहस और जोश म� कमी नह�ं आई।
(2) खल
ु ा चैल�ज दे कर ऐसी सभा पहले नह�ं क� गई थी।
उ�र -: जब से स्वतंत्रता प्रािप्त के �लए कानून तोड़ने का �सल�सला शुरू हुआ था तब से आज तक इतनी
बड़ी सभा ऐसे खुले मैदान म� कभी नह�ं हुई थी और ये सभा तो कह सकते ह� क� सबके �लए ओपन
लड़ाई थी। पु�लस क�मश्नर ने नो�टस �नकल �दया था �क अमक
ु -अमुक धारा के अनुसार कोई भी, कह�ं
भी, �कसी भी तरह क� सभा नह�ं कर सकते ह�। जो लोग भी काम करने वाले थे उन सबको इंस्पेक्टर� के
द्वारा नो�टस और सू चना दे द� गई थी अगर उन्ह�ने �कसी भी तरह से सभा म� भाग �लया तो वे दोषी
समझे जाएँगे।इधर प�रषद् क� ओर से नो�टस �नकल गया था �क ठ�क चार बजकर चौबीस �मनट पर
स्मारक के नीचे झंडा फहराया जायेगा तथा स्वतंत्रता क� प्र�त�ा पढ़� जाएगी। सभी लोग� को उपिस्थत
रहने के �लए कहा गया था। प्रशासन को इस तरह से खुल� चुनौती दे कर कभी पहले इस तरह क� कोई
सभा नह�ं हुई थी।

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