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रूसी क्रांति
रूसी क्रांति
उद्योि बहुि कम थे। सेंट पीटसिबिि और मास्को प्रमुख औद्योपिक इलाके थे। हालाूँ पक
ज्यादािर उत्पादन कारीिर ही करिे थे लेपकन कारीिरोों की वकिशॉपोों के साथ-साथ
बडे -बडे कल-कारखाने भी मौजूद थे। बहुि सारे कारखाने 1890 के दशक में चालू
हुए थे जब रूस के रे ल नेटवकि को फैलाया जा रहा था। उसी समय रूसी उद्योिोों में
पवदे शी पनवेश भी िेजी से बढ़ा था। इन कारकोों के चलिे कुछ ही सालोों में रूस के
कोयला उत्पादन में दोिुना और स्टील उत्पादन में चार िुना वृस्द्ध हुई थी। सन् 1900
िक कुछ इलाकोों में िो कारीिरोों और कारखाना मजदू रोों की सोंख्या लिभि बराबर
हो चुकी थी।
अर्थव्यवस्र्र और समरज
ज्यादािर कारखाने उद्योिपपियोों की पनजी
सोंपपत्त थे। मजदू रोों को न्यूनिम वे िन पमलिा
रहे और काम की पाली के घोंटे पनपिि होों -
इस बाि का ध्यान रखने के पलए सरकारी
पवभाि बडी ़िैस्रि योों पर नजर रखिे थे।
लेपकन ़िैरि ी इों स्पेरर भी पनयमोों के
उल्लोंघन को रोक पाने में नाकामयाब थे।
अर्थव्यवस्र्र और समरज
कारीिरोों की इकाइयोों और वकिशॉपोों में काम की पाली प्रायः 15 घोंटे िक स्खोंच जािी
थी जबपक कारखानोों में मजदू र आमिौर पर 10-12 घोंटे की पापलयोों में काम करिे
थे। मजदू रोों के रहने के पलए भी कमरोों से लेकर डॉपमिटरी िक िरह-िरह की व्यवथथा
मौजूद थी।
अर्थव्यवस्र्र और समरज
सामापजक स्तर पर मजदू र बूँटे हुए थे। कुछ मजदू र
अपने मू ल िाूँ वोों के साथ अभी भी िहरे सोंबोंध बनाए
हुए थे। बहुि सारे मजदू र थथायी रूप से शहरोों में ही
बस चुके थे। उनके बीच योग्यिा और दक्षिा के स्तर
पर भी काफी ़िकि था। सेंट पीटसिबिि के एक धािु
मजदू र ने कहा था: ‘धािुकमी मजदू रोों में खुद को
साहब मानिे थे। उनके काम में ज्यादा प्रपशक्षण और
पनपुणिा की जरूरि जो रहिी थी…।’
अर्थव्यवस्र्र और समरज
1914 में ़िैरि ी मजदू रोों में औरिोों की सोंख्या 31
प्रपिशि थी लेपकन उन्हें पुरुष मजदू रोों के मुकाबले
कम वेिन पमलिा था (मदों की िनख्वाह के मुकाबले
आधे से िीन-चौथाई िक)। मजदू रोों के बीच मौजूद
़िासला उनके पहनावे और व्यवहार में भी सा़ि
पदखाई दे िा था। यद्यपप कुछ मजदू रोों ने बेरोजिारी या
आपथिक सोंकट के समय एक-दू सरे की मदद करने के
पलए सोंिठन बना पलए थे लेपकन ऐसे सोंिठन बहुि कम
थे।
अर्थव्यवस्र्र और समरज
इन पवभेदोों के बावजूद, जब पकसी को
नौकरी से पनकाल पदया जािा था या
उन्हें मापलकोों से कोई पशकायि होिी
थी िो मजदू र एकजुट होकर हडिाल
भी कर दे िे थे। 1896-1897 के बीच
कपडा उद्योि में और 1902 में धािु
उद्योि में ऐसी हडिालें का़िी बडी
सोंख्या में आयोपजि की िईों।
अर्थव्यवस्र्र और समरज
दे हाि की ज्यादािर जमीन पर पकसान खेिी करिे थे। लेपकन
पवशाल सोंपपत्तयोों पर सामोंिोों, राजशाही और ऑथोडॉक्स चचि
का कब्जा था। मजदू रोों की िरह पकसान भी बूँटे हुए थे।
पकसान बहुि धापमिक स्वभाव के थे। इक्का-दु क्का अपवादोों
को छोड पदया जाए िो वे सामोंिोों और नवाबोों का पबल्कुल
सम्मान नहीों करिे थे। नवाबोों और सामोंिोों को जो सत्ता और
है पसयि पमली हुई थी वह लोकपप्रयिा की वजह से नहीों बस्ल्क
जार के प्रपि उनकी पनष्ठा और सेवाओों के बदले में पमली थी।
अर्थव्यवस्र्र और समरज
यहाूँ की स्थथपि फ़्ाों स जैसी नहीों थी। पमसाल के िौर पर, फ़्ाों सीसी क्ाों पि के दौरान पिटनी
के पकसान न केवल नवाबोों का सम्मान करिे थे बस्ल्क उन्होोंने नवाबोों को बचाने के पलए
जमीन छीनकर पकसानोों के बीच बाूँ ट दी जाए। बहुधा वह लिान भी नहीों चु कािे थे। कई
जिह िो जमीोंदारोों की हत्या भी की जा चुकी थी। 1902 में दपक्षणी रूस में ऐसी घटनाएूँ
बडे पैमाने पर घटीों। 1905 में िो पूरे रूस में ही ऐसी घटनाएूँ घटने लिीों।
अर्थव्यवस्र्र और समरज
रूसी पकसान यूरोप के बाकी पकसानोों के
मुकाबले एक और पलहाज से भी पभन्न
थे। यहाूँ के पकसान समय-समय पर
सारी जमीन को अपने कम्यून (मीर)
को सौोंप दे िे थे और पफर कम्यून ही
प्रत्येक पररवार की जरूरि के
पहसाब से पकसानोों को जमीन बाूँ टिा था।
उस समय के समाजवादी कायिकिाि अलेक्जेंडर श्ल्यापिकोव के वक्तव्य से पिा चलिा है पक
बैठकें कैसे आयोपजि की जािी थीों: ‘एक-एक कारखाने और दु कान में जा-जाकर प्रचार पकया
जािा था। अध्ययन चक् भी चलाए जािे थे…। सोंबोंपधि (अपधकृि मुद्ोों के) मामलोों पर कानूनी
बैठकें भी बुलाई जािी थीों, लेपकन इस िपिपवपध को मजदू र विि की मुस्क्त के व्यापक सोंघषि में
बडी पनपुणिा से पपरो पदया जािा था। िैरकानूनी बैठकें…जरूरि के वक्त ़िौरन आयोपजि
कर ली जािी थीों लेपकन लोंच के दौरान, शाम को, फाटक के बाहर, याडि में या कई मोंपजला
आों दोलनकारी खडा होिा था। मापलक टे पल़िोन पर पुपलस को इस बारे में
रे वलूशनरी अांडरग्ररउां ड।
रूस में समरजवरि
1914 से पहले रूस में सभी राजनीपिक पापटि याूँ
िैरकानूनी थीों। माक्सि के पवचारोों को मानने वाले
समाजवापदयोों ने 1898 में रपशयन सोशल डे मोक्ैपटक
वकिसि पाटी (रूसी सामापजक लोकिाों पत्रक िपमक पाटी)
का िठन पकया था। सरकारी आिोंक के कारण इस पाटी
को िैरकानूनी सोंिठन के रूप में काम करना पडिा था।
इस पाटी का एक अखबार पनकलिा था, उसने मजदू रोों
को सोंिपठि पकया था और हडिाल आपद कायि क्म
आयोपजि पकए थे।
रूस में समरजवरि
रूस एक पनरों कुश राजशाही था। अन्य यूरोपीय शासकोों के पवपरीि बीसवीों सदी की
शुरुआि में भी जार राष्ट्िीय सोंसद के अधीन नहीों था। उदारवापदयोों ने इस स्थथपि को खत्म
करने के पलए बडे पैमाने पर मुपहम चलाई। 1905 की क्ाों पि के दौरान उन्होोंने सोंपवधान
की रचना के पलए सोशल डे मोक्ेट और समाजवादी क्ाों पिकाररयोों को साथ लेकर पकसानोों
और मजदू रोों के बीच काफी काम पकया। रूसी साम्राज्य के िहि उन्हें राष्ट्िवापदयोों (जैसे
पदया। लेपकन जैसे-जैसे युद्ध लोंबा स्खों चिा िया, जार ने ड्यूमा में मौजूद मुख्य पापटि योों से
सलाह लेना छोड पदया। उसके प्रपि जनसमथिन कम होने लिा। जमिनी-पवरोधी भावनाएूँ
पीटसिबिि का नाम बदल कर पेत्रेग्राद रख पदया क्ोोंपक सेंट पीटसिबिि जमिन नाम था।
जारीना (जार की पत्नी-महारानी) अलेक्साों द्रा के जमिन मूल का होने और उसके घपटया
इस मोचे पर बहुि सारे सैपनक मौि के मुूँह में जा चुके थे। सेना की पराजय ने रूपसयोों
का मनोबल िोड पदया।
पहलर तवश्वयुद्ध और रूसी सरम्ररज्य
1914 से 1916 के बीच जमथनी और ऑस्लस्टि यर में रूसी सेनाओों को भारी पराजय
झेलनी पडी। 1917 िक 70 लाख लोि मारे जा चुके थे। पीछे हटिी रूसी सेनाओों ने
रास्ते में पडने वाली ़िसलोों और इमारिोों को भी नष्ट् कर डाला िापक दु श्मन की
सेना वहाूँ पटक ही न सके। ़िसलोों और इमारिोों के पवनाश से रूस में 30 लाख से
बना पदया। पसपाही भी युद्ध से िोंि आ चुके थे। अब वे लडना नहीों चाहिे थे।
पहलर तवश्वयुद्ध और रूसी सरम्ररज्य
युद्ध से उद्योिोों पर भी बुरा असर पडा। रूस
के अपने उद्योि िो वैसे भी बहुि कम थे, अब
िो बाहर से पमलने वाली आपूपिि भी बोंद हो िई
क्ोोंपक बास्िक समुद्र में पजस रास्ते से पवदे शी
औद्योपिक सामान आिे थे उस पर जमिनी का
कब्जा हो चुका था। यूरोप के बाकी दे शोों के
मुकाबले रूस के औद्योपिक उपकरण ज्यादा
िेजी से बेकार होने लिे।
पहलर तवश्वयुद्ध और रूसी सरम्ररज्य
1916 िक रे लवे लाइनें टू टने लिीों। अच्छी सेहि वाले
मदों को युद्ध में झोोंक पदया िया। दे श भर में मजदू रोों
की कमी पडने लिी और जरूरी सामान बनाने वाली
छोटी-छोटी वकिशॉप्स ठप्प होने लिीों। ज्यादािर
अनाज सैपनकोों का पेट भरने के पलए मोचे पर भेजा
जाने लिा। शहरोों में रहने वालोों के पलए रोटी और
आटे की पकल्लि पैदा हो िई। 1916 की सपदि योों में
रोटी की दु कानोों पर अकसर दों िे होने लिे।
पचत्र 7 - पहले पवश्वयुद्ध के दौरान रूसी पसपाही - शाही रूसी सेना को "रूसी
स्टीमरोलर" कहा जािा था। यह दु पनया की सबसे बडी सशस्त्र सेना थी। जब
इस सेना ने अपनी पनष्ठा बदल कर क्ाों पिकाररयोों को समथिन दे ना शुरू कर
पदया िो जार की सत्ता भी ढह िई।