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2 रूसी क्रांति

यूरोप के सबसे पपछडे औद्योपिक दे शोों में से एक, रूस


में यह समीकरण उलट िया। 1917 की अक्तूबर क्ाों पि के
जररए रूस की सत्ता पर समाजवापदयोों ने कब्जा कर
पलया। फरवरी 1917 में राजशाही के पिन और अक्तूबर की घटनाओों को ही अक्तूबर
क्ाों पि कहा जािा है । ऐसा कैसे हुआ? क्ाों पि के समय रूस के सामापजक और राजनीपिक
हालाि कैसे थे? इन सवालोों का जवाब ढू ूँ ढ़ने के पलए, आइए, क्ाों पि से कुछ साल पहले की
स्थथपियोों पर नजर डालें।
रूसी सरम्ररज्य, 1914
1914 में रूस और उसके पूरे साम्राज्य पर जार पनकोलस प्प् का शासन था।
मास्को के आसपास पडने वाले भूक्षेत्र के अलावा आज का प़िनलैंड, िपवया,
पलथुआपनया, एस्तोपनया िथा पोलैंड, यूक्ेन व बेलारूस के कुछ पहस्से रूसी
म्राज्य के अोंि थे। यह साम्राज्य प्रशाों ि महासािर िक फैला हुआ था और आज के
मध्य एपशयाई राज्योों के साथ-साथ जॉपजिया, आमेपनया व अजरबैजान भी इसी
साम्राज्य के अोंिििि आिे थे। रूस में ग्रीक ऑथोडॉक्स चचि से उपजी शाखा रूसी
ऑथोडॉक्स पक्पियैपनटी को मानने वाले बहुमि में थे। लेपकन इस साम्राज्य के
िहि रहने वालोों में कैथपलक, प्रोटे स्टेंट, मुस्िम और बौद्ध भी शापमल थे।
अर्थव्यवस्र्र और समरज
बीसवीों सदी की शुरुआि में रूस की आबादी का एक बहुि
बडा पहस्सा खेिी-बाडी से जुडा हुआ था। रूसी साम्राज्य की
लिभि 85 प्रपिशि जनिा आजीपवका के पलए खेिी पर ही
पनभिर थी। यूरोप के पकसी भी दे श में खेिी पर आपिि जनिा
का प्रपिशि इिना नहीों था। उदाहरण के िौर पर, फ़्ाों स और
जमिनी में खेिी पर पनभिर आबादी 40-50 प्रपिशि से ज्यादा नहीों
थी। रूसी साम्राज्य के पकसान अपनी जरूरिोों के साथ-साथ
बाजार के पलए भी पैदावार करिे थे। रूस अनाज का एक बडा
पनयाि िक था।
अर्थव्यवस्र्र और समरज

उद्योि बहुि कम थे। सेंट पीटसिबिि और मास्को प्रमुख औद्योपिक इलाके थे। हालाूँ पक
ज्यादािर उत्पादन कारीिर ही करिे थे लेपकन कारीिरोों की वकिशॉपोों के साथ-साथ
बडे -बडे कल-कारखाने भी मौजूद थे। बहुि सारे कारखाने 1890 के दशक में चालू
हुए थे जब रूस के रे ल नेटवकि को फैलाया जा रहा था। उसी समय रूसी उद्योिोों में
पवदे शी पनवेश भी िेजी से बढ़ा था। इन कारकोों के चलिे कुछ ही सालोों में रूस के
कोयला उत्पादन में दोिुना और स्टील उत्पादन में चार िुना वृस्द्ध हुई थी। सन् 1900
िक कुछ इलाकोों में िो कारीिरोों और कारखाना मजदू रोों की सोंख्या लिभि बराबर
हो चुकी थी।
अर्थव्यवस्र्र और समरज
ज्यादािर कारखाने उद्योिपपियोों की पनजी
सोंपपत्त थे। मजदू रोों को न्यूनिम वे िन पमलिा
रहे और काम की पाली के घोंटे पनपिि होों -
इस बाि का ध्यान रखने के पलए सरकारी
पवभाि बडी ़िैस्रि योों पर नजर रखिे थे।
लेपकन ़िैरि ी इों स्पेरर भी पनयमोों के
उल्लोंघन को रोक पाने में नाकामयाब थे।
अर्थव्यवस्र्र और समरज

कारीिरोों की इकाइयोों और वकिशॉपोों में काम की पाली प्रायः 15 घोंटे िक स्खोंच जािी
थी जबपक कारखानोों में मजदू र आमिौर पर 10-12 घोंटे की पापलयोों में काम करिे
थे। मजदू रोों के रहने के पलए भी कमरोों से लेकर डॉपमिटरी िक िरह-िरह की व्यवथथा
मौजूद थी।
अर्थव्यवस्र्र और समरज
सामापजक स्तर पर मजदू र बूँटे हुए थे। कुछ मजदू र
अपने मू ल िाूँ वोों के साथ अभी भी िहरे सोंबोंध बनाए
हुए थे। बहुि सारे मजदू र थथायी रूप से शहरोों में ही
बस चुके थे। उनके बीच योग्यिा और दक्षिा के स्तर
पर भी काफी ़िकि था। सेंट पीटसिबिि के एक धािु
मजदू र ने कहा था: ‘धािुकमी मजदू रोों में खुद को
साहब मानिे थे। उनके काम में ज्यादा प्रपशक्षण और
पनपुणिा की जरूरि जो रहिी थी…।’
अर्थव्यवस्र्र और समरज
1914 में ़िैरि ी मजदू रोों में औरिोों की सोंख्या 31
प्रपिशि थी लेपकन उन्हें पुरुष मजदू रोों के मुकाबले
कम वेिन पमलिा था (मदों की िनख्वाह के मुकाबले
आधे से िीन-चौथाई िक)। मजदू रोों के बीच मौजूद
़िासला उनके पहनावे और व्यवहार में भी सा़ि
पदखाई दे िा था। यद्यपप कुछ मजदू रोों ने बेरोजिारी या
आपथिक सोंकट के समय एक-दू सरे की मदद करने के
पलए सोंिठन बना पलए थे लेपकन ऐसे सोंिठन बहुि कम
थे।
अर्थव्यवस्र्र और समरज
इन पवभेदोों के बावजूद, जब पकसी को
नौकरी से पनकाल पदया जािा था या
उन्हें मापलकोों से कोई पशकायि होिी
थी िो मजदू र एकजुट होकर हडिाल
भी कर दे िे थे। 1896-1897 के बीच
कपडा उद्योि में और 1902 में धािु
उद्योि में ऐसी हडिालें का़िी बडी
सोंख्या में आयोपजि की िईों।
अर्थव्यवस्र्र और समरज
दे हाि की ज्यादािर जमीन पर पकसान खेिी करिे थे। लेपकन
पवशाल सोंपपत्तयोों पर सामोंिोों, राजशाही और ऑथोडॉक्स चचि
का कब्जा था। मजदू रोों की िरह पकसान भी बूँटे हुए थे।
पकसान बहुि धापमिक स्वभाव के थे। इक्का-दु क्का अपवादोों
को छोड पदया जाए िो वे सामोंिोों और नवाबोों का पबल्कुल
सम्मान नहीों करिे थे। नवाबोों और सामोंिोों को जो सत्ता और
है पसयि पमली हुई थी वह लोकपप्रयिा की वजह से नहीों बस्ल्क
जार के प्रपि उनकी पनष्ठा और सेवाओों के बदले में पमली थी।
अर्थव्यवस्र्र और समरज

यहाूँ की स्थथपि फ़्ाों स जैसी नहीों थी। पमसाल के िौर पर, फ़्ाों सीसी क्ाों पि के दौरान पिटनी

के पकसान न केवल नवाबोों का सम्मान करिे थे बस्ल्क उन्होोंने नवाबोों को बचाने के पलए

बाकायदा लडाइयाूँ भी लडीों। इसके पवपरीि, रूस के पकसान चाहिे थे पक नवाबोों की

जमीन छीनकर पकसानोों के बीच बाूँ ट दी जाए। बहुधा वह लिान भी नहीों चु कािे थे। कई

जिह िो जमीोंदारोों की हत्या भी की जा चुकी थी। 1902 में दपक्षणी रूस में ऐसी घटनाएूँ

बडे पैमाने पर घटीों। 1905 में िो पूरे रूस में ही ऐसी घटनाएूँ घटने लिीों।
अर्थव्यवस्र्र और समरज
रूसी पकसान यूरोप के बाकी पकसानोों के
मुकाबले एक और पलहाज से भी पभन्न
थे। यहाूँ के पकसान समय-समय पर
सारी जमीन को अपने कम्यून (मीर)
को सौोंप दे िे थे और पफर कम्यून ही
प्रत्येक पररवार की जरूरि के
पहसाब से पकसानोों को जमीन बाूँ टिा था।
उस समय के समाजवादी कायिकिाि अलेक्जेंडर श्ल्यापिकोव के वक्तव्य से पिा चलिा है पक

बैठकें कैसे आयोपजि की जािी थीों: ‘एक-एक कारखाने और दु कान में जा-जाकर प्रचार पकया

जािा था। अध्ययन चक् भी चलाए जािे थे…। सोंबोंपधि (अपधकृि मुद्ोों के) मामलोों पर कानूनी

बैठकें भी बुलाई जािी थीों, लेपकन इस िपिपवपध को मजदू र विि की मुस्क्त के व्यापक सोंघषि में

बडी पनपुणिा से पपरो पदया जािा था। िैरकानूनी बैठकें…जरूरि के वक्त ़िौरन आयोपजि

कर ली जािी थीों लेपकन लोंच के दौरान, शाम को, फाटक के बाहर, याडि में या कई मोंपजला

इमारिोों की सीपढयोों में व्यवस्थथि ढों ि से बैठकें आयोपजि की जािी थीों।


सबसे जािरूक मजदू र दरवाजे के पास ‘‘प्लि’’ का काम सूँभालिे थे आरै

मुहाने पर पूरी भीड इकठा हो जािी थी। वहाूँ सबके सामने एक

आों दोलनकारी खडा होिा था। मापलक टे पल़िोन पर पुपलस को इस बारे में

जानकारी दे िे थे लेपकन जब िक पुपलस पहुूँ चिी थी िब िक भाषण पूरे हो

चुके होिे थे और जरूरी ़िैसले ले पलए जािे थे…।’

अलेक्जेंडर श्ल्यरतिकोव, ऑन ति ईव ऑफ 1917- रे तमतनसेंसेज फ़्रॉम ि

रे वलूशनरी अांडरग्ररउां ड।
रूस में समरजवरि
1914 से पहले रूस में सभी राजनीपिक पापटि याूँ
िैरकानूनी थीों। माक्सि के पवचारोों को मानने वाले
समाजवापदयोों ने 1898 में रपशयन सोशल डे मोक्ैपटक
वकिसि पाटी (रूसी सामापजक लोकिाों पत्रक िपमक पाटी)
का िठन पकया था। सरकारी आिोंक के कारण इस पाटी
को िैरकानूनी सोंिठन के रूप में काम करना पडिा था।
इस पाटी का एक अखबार पनकलिा था, उसने मजदू रोों
को सोंिपठि पकया था और हडिाल आपद कायि क्म
आयोपजि पकए थे।
रूस में समरजवरि

कुछ रूसी समाजवापदयोों को लििा था पक रूसी पकसान पजस िरह समय-समय पर


जमीन बाूँ टिे हैं उससे पिा चलिा है पक वह स्वाभापवक रूप से समाजवादी भावना वाले
लोि हैं । इसी आधार पर उनका मानना था पक रूस में मजदू र नहीों बस्ल्क पकसान ही
क्ाों पि की मुख्य शस्क्त बनें िे। वे क्ाों पि का नेिृत्व करें िे और रूस बाकी दे शोों के मुकाबले
ज्यादा जल्दी समाजवादी दे श बन जाएिा। उन्नीसवीों सदी के आस्खर में रूस के ग्रामीण
इलाकोों में समाजवादी काफी सपक्य थे।
रूस में समरजवरि

कुछ रूसी समाजवापदयोों को लििा था पक रूसी पकसान पजस िरह समय-समय पर


जमीन बाूँ टिे हैं उससे पिा चलिा है पक वह स्वाभापवक रूप से समाजवादी भावना वाले
लोि हैं । इसी आधार पर उनका मानना था पक रूस में मजदू र नहीों बस्ल्क पकसान ही
क्ाों पि की मुख्य शस्क्त बनेंिे। वे क्ाों पि का नेिृत्व करें िे और रूस बाकी दे शोों के मुकाबले
ज्यादा जल्दी समाजवादी दे श बन जाएिा। उन्नीसवीों सदी के आस्खर में रूस के ग्रामीण
इलाकोों में समाजवादी काफी सपक्य थे।
रूस में समरजवरि
सन् 1900 में उन्होोंने सोशतलस्ट रे वलूशनरी परर्टी (समरजवरिी क्रांतिकररी परर्टी) का
िठन कर पलया। इस पाटी ने पकसानोों के अपधकारोों के पलए सोंघषि पकया और माूँ ि की पक
सामोंिोों के कब्जे वाली जमीन फौरन पकसानोों को सौोंपी जाए। पकसानोों के सवाल पर
सरमरतजक लोकिांत्रवरिी (Social Democrats) खेमा समाजवादी क्ाों पिकाररयोों से
सहमि नहीों था। लेपनन का मानना था पक पकसानोों में एकजुटिा नहीों है वे बूँटे हुए हैं । कुछ
पकसान िरीब थे िो कुछ अमीर, कुछ मजदू री करिे थे िो कुछ पूूँजीपपि थे जो नौकरोों से
खेिी करवािे थे। इन आपसी ‘पवभेदोों’ के चलिे वे सभी समाजवादी आों दोलन का पहस्सा
नहीों हो सकिे थे।
रूस में समरजवरि
साों िठपनक रणनीपि के सवाल पर पाटी में िहरे मिभेद थे।
व्लापदमीर लेपनन (बोल्शेपवक खेमे के मुस्खया) सोचिे थे पक
जार (राजा) शापसि रूस जैसे दमनकारी समाज में पाटी
अत्योंि अनु शापसि होनी चापहए और अपने सदस्ोों की
सोंख्या व स्तर पर उसका पूरा पनयोंत्रण होना चापहए। दू सरा
खेमा (मेन्शेपवक) मानिा था पक पाटी में सभी को सदस्िा
दी जानी चापहए।
उर्ल-पुर्ल कर समय: 1905 की क्रांति

रूस एक पनरों कुश राजशाही था। अन्य यूरोपीय शासकोों के पवपरीि बीसवीों सदी की

शुरुआि में भी जार राष्ट्िीय सोंसद के अधीन नहीों था। उदारवापदयोों ने इस स्थथपि को खत्म

करने के पलए बडे पैमाने पर मुपहम चलाई। 1905 की क्ाों पि के दौरान उन्होोंने सोंपवधान

की रचना के पलए सोशल डे मोक्ेट और समाजवादी क्ाों पिकाररयोों को साथ लेकर पकसानोों

और मजदू रोों के बीच काफी काम पकया। रूसी साम्राज्य के िहि उन्हें राष्ट्िवापदयोों (जैसे

पोलैंड में ) और इिाम के आधुपनकीकरण के समथिक जदीपदयोों (मुस्लिम-बहुल इलरकोां

में) का भी समथिन पमला।


उर्ल-पुर्ल कर समय: 1905 की क्रांति
रूसी मजदू रोों के पलए 1904 का साल बहुि बुरा रहा। जरूरी चीजोों की कीमिें इिनी िेजी
से बढ़ीों पक वरस्ततवक वेिन में 20 प्रपिशि िक की पिरावट आ िई। उसी समय मजदू र
सोंिठनोों की सदस्िा में भी िेजी से वृस्द्ध हुई। जब 1904 में ही िपठि की िई असेंबली
ऑफ़ रतशयन वकथसथ (रूसी िपमक सभा) के चार सदस्ोों को प्युपिलोव आयरन वक्सि में
उनकी नौकरी से हटा पदया िया िो मजदू रोों ने आों दोलन छे डने का एलान कर पदया।
अिले कुछ पदनोों के भीिर सेंट पीटसिबिि के 110,000 से ज्यादा मजदू र काम के घोंटे
घटाकर आठ घोंटे पकए जाने , वेिन में वृस्द्ध और कायिस्थथपियोों में सु धार की माूँ ि करिे हुए
हडिाल पर चले िए।
उर्ल-पुर्ल कर समय: 1905 की क्रांति
इसी दौरान जब पादरी िैपॉन के ने िृत्व में मजदू रोों का एक जुलूस पवोंटर पैलेस
(जार का महल) के सामने पहुूँ चा िो पुपलस और कोसैक्स ने मजदू रोों पर हमला बोल पदया।
इस घटना में 100 से ज्यादा मजदू र मारे िए और लिभि 300 घायल हुए। इपिहास में इस
घटना को खूनी रपववार के नाम से याद पकया जािा है ।
उर्ल-पुर्ल कर समय: 1905 की क्रांति
1905 की क्ाों पि की शुरुआि इसी घटना से हुई थी। सारे दे श में हडिालें होने लिीों। जब
नािररक स्विोंत्रिा के अभाव का पवरोध करिे हुए पवद्याथी अपनी कक्षाओों का बपहष्कार
करने लिे िो पवश्वपवद्यालय भी बोंद कर पदए िए। वकीलोों, डॉररोों, इों जीपनयरोों और अन्य
मध्यविीय कामिारोों ने सोंपवधान सभा के िठन की माूँ ि करिे हुए यूपनयन ऑ़ि यूपनयोंस
की थथापना कर दी।
उर्ल-पुर्ल कर समय: 1905 की क्रांति
1905 की क्ाों पि के दौरान जार ने एक पनवाि पचि
परामशिदािा सोंसद या ड्यूमा के िठन पर अपनी
सहमपि दे दी। क्ाों पि के समय कुछ पदन िक
़िैरि ी मजदू रोों की बहुि सारी टि े ड यूपनयनें और
़िैरि ी कमेपटयाूँ भी अस्स्तत्व में रहीों। 1905 के
बाद ऐसी ज्यादािर कमेपटयाूँ और यूपनयनें
अनपधकृि रूप से काम करने लिीों क्ोोंपक उन्हें
िैरकानूनी घोपषि कर पदया िया था।
उर्ल-पुर्ल कर समय: 1905 की क्रांति
राजनीपिक िपिपवपधयोों पर भारी
पाबोंपदयाूँ लिा दी िईों। जार ने
पहली ड्यूमा को मात्र 75 पदन के
भीिर और पुनपनिवाि पचि दू सरी ड्यूमा
को 3 महीने के भीिर बखाि स्त कर
पदया। वह पकसी िरह की जवाबदे ही या
अपनी सत्ता पर पकसी िरह का अोंकुश नहीों चाहिा था। उसने मिदान कानूनोों में फेरबदल
करके िीसरी ड्यूमा में रुपढवादी राजनेिाओों को भर डाला। उदारवापदयोों और
क्ाों पिकाररयोों को बाहर रखा िया।
पहलर तवश्वयुद्ध और रूसी सरम्ररज्य
1914 में दो यूरोपीय िठबोंधनोों के बीच युद्ध पछड
िया। एक खेमे में जमिनी, ऑस्स्टि या और िुकी
(केंद्रीय शस्क्तयाूँ ) थे िो दू सरे खेमे में फ़्ाों स, पिटे न
व रूस (बाद में इटली और रूमापनया भी इस खेमे
में शपमल हो िए) थे। इन सभी दे शोों के पास
पवशाल वैपश्वक साम्राज्य थे इसपलए यू रोप के साथ-
साथ यह युद्ध यूरोप के बाहर भी फैल िया था।
इसी युद्ध को पहला पवश्वयुद्ध कहा जािा है ।
पहलर तवश्वयुद्ध और रूसी सरम्ररज्य
इस युद्ध को शुरू-शुरू में रूपसयोों का का़िी समथिन पमला। जनिा ने जार का साथ

पदया। लेपकन जैसे-जैसे युद्ध लोंबा स्खों चिा िया, जार ने ड्यूमा में मौजूद मुख्य पापटि योों से

सलाह लेना छोड पदया। उसके प्रपि जनसमथिन कम होने लिा। जमिनी-पवरोधी भावनाएूँ

पदनोोंपदन बलविी होने लिीों। जमिनी-पवरोधी भावनाओों के कारण ही लोिोों ने सेंट

पीटसिबिि का नाम बदल कर पेत्रेग्राद रख पदया क्ोोंपक सेंट पीटसिबिि जमिन नाम था।

जारीना (जार की पत्नी-महारानी) अलेक्साों द्रा के जमिन मूल का होने और उसके घपटया

सलाहकारोों, खास िौर से रासपुपिन नामक एक सोंन्यासी ने राजशाही को और

अलोकपप्रय बना पदया।


पहलर तवश्वयुद्ध और रूसी सरम्ररज्य
प्रथम पवश्वयुद्ध के ‘पूवी मोचे ’ पर चल
रही लडाई ‘पपिमी मोचे’ की लडाई से
पभन्न थी। पपिम में सैपनक पूवी फ़्ाों स की
सीमा पर बनी खाइयोों से लडाई लड रहे
थे जबपक पूवी मोचे पर सेना ने का़िी
बडा ़िासला िय कर पलया था।

इस मोचे पर बहुि सारे सैपनक मौि के मुूँह में जा चुके थे। सेना की पराजय ने रूपसयोों
का मनोबल िोड पदया।
पहलर तवश्वयुद्ध और रूसी सरम्ररज्य

1914 से 1916 के बीच जमथनी और ऑस्लस्टि यर में रूसी सेनाओों को भारी पराजय

झेलनी पडी। 1917 िक 70 लाख लोि मारे जा चुके थे। पीछे हटिी रूसी सेनाओों ने

रास्ते में पडने वाली ़िसलोों और इमारिोों को भी नष्ट् कर डाला िापक दु श्मन की

सेना वहाूँ पटक ही न सके। ़िसलोों और इमारिोों के पवनाश से रूस में 30 लाख से

ज्यादा लोि शरणाथी हो िए। इन हालाि ने सरकार और जार, दोनोों को अलोकपप्रय

बना पदया। पसपाही भी युद्ध से िोंि आ चुके थे। अब वे लडना नहीों चाहिे थे।
पहलर तवश्वयुद्ध और रूसी सरम्ररज्य
युद्ध से उद्योिोों पर भी बुरा असर पडा। रूस
के अपने उद्योि िो वैसे भी बहुि कम थे, अब
िो बाहर से पमलने वाली आपूपिि भी बोंद हो िई
क्ोोंपक बास्िक समुद्र में पजस रास्ते से पवदे शी
औद्योपिक सामान आिे थे उस पर जमिनी का
कब्जा हो चुका था। यूरोप के बाकी दे शोों के
मुकाबले रूस के औद्योपिक उपकरण ज्यादा
िेजी से बेकार होने लिे।
पहलर तवश्वयुद्ध और रूसी सरम्ररज्य
1916 िक रे लवे लाइनें टू टने लिीों। अच्छी सेहि वाले
मदों को युद्ध में झोोंक पदया िया। दे श भर में मजदू रोों
की कमी पडने लिी और जरूरी सामान बनाने वाली
छोटी-छोटी वकिशॉप्स ठप्प होने लिीों। ज्यादािर
अनाज सैपनकोों का पेट भरने के पलए मोचे पर भेजा
जाने लिा। शहरोों में रहने वालोों के पलए रोटी और
आटे की पकल्लि पैदा हो िई। 1916 की सपदि योों में
रोटी की दु कानोों पर अकसर दों िे होने लिे।
पचत्र 7 - पहले पवश्वयुद्ध के दौरान रूसी पसपाही - शाही रूसी सेना को "रूसी
स्टीमरोलर" कहा जािा था। यह दु पनया की सबसे बडी सशस्त्र सेना थी। जब
इस सेना ने अपनी पनष्ठा बदल कर क्ाों पिकाररयोों को समथिन दे ना शुरू कर
पदया िो जार की सत्ता भी ढह िई।

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