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Ram Krishnashiv PDF
Ram Krishnashiv PDF
म *जनका *जब आज कर रहा हँू , वे ऐसे कःसे नह'ं ह । उनके साथ नीितशा\ सीधे नह'ं जुड़ा
हआ
ु है । एयादा से एयादा आप यह कह सकते हो क कसी भी दे श क हँ सी और सपने ऐसी महान
कंवदं ितय म खुदे रहते ह । हँ सी और सपने , इन दो से और कोई चीज़ बड़' दिनया
ु म हआ
ु नह'ं
करती है । जब कोई रा_ हँ सा करता है तो वह खुश होता है , उसका दल चौड़ा होता है । और जब
कोई रा_ सपने दे खता है , तो वह अपने आदश` म रं ग भर कर क़ःसे बना िलया करता है ।
राम क सबसे बड़' महमा उनके उस नाम से मालूम होती है , *जसम उह मयाKदा पुeषो@म
कह कर पुकारा जाता है । जो मन म आया सो नह'ं कर सकते । राम क ताकत बँधी हई
ु है , उसका
दायरा *खंचा हआ
ु है । राम क ताकत पर कुछ नीित क या शा\ क या धमK क या fयवहार क या
, अगर आप आज क दिनया
ु का एक शgद ढँू ढ़ तो , 5वधान क मयाKदा है ।*जस तरह कसी भी
कानून क जगह , जैसे 5वधान सभा या लोकसभा पर 5वधान रोक लगा दया करता है , उसी तरह
से राम के काम पर रोक लगी हई
ु है ।वह रोक Nय लगी हई
ु है और कस तरह क है , इस सवाल म
अभी आप मत पडए ।लेकन इतना कह दे ना काफ़ होगा क पुराने दक़यानूसी लोग भी , जो
राम और कृ ंण को 5वंणु का अवतार मानते ह , राम को िसफ़K ८ कलाओं का अवतार मानते ह और
कृ ंण को १६ कलाओं का अवतार । कृ ंण सVपूणK और राम अपूणK । अपूणK शgद सह' नह'ं होगा
,लेकन अपना मतलब बताने के िलए म इस शgद का इःतेमाल कये लेता हँू । ऐसे मामल म ,
कोई अपूणK और सVपूणK नह'ं हआ
ु करता ,लेकन ज़ाहर है , जब एक म ८ कलाएँ हगी और दसरे
ू म
१६ कलाएँ हगी , तो उसम कुछ नतीजे तो िनकल ह' आया कर गे ।
राम ने मनुंय क तरह ूेम कया । म इस समय बहस म 5बलकुल नह'ं पड़ना चाहता क
सचमुच कृ ंण ने ऐसा ूेम कया या नह'ं कया । यह 5बलकुल फजूल बात है । म शुe म ह' कह
चुका हँू क ऐसी कहािनय का असर ढ़ँू ड़ा जाता है , यह दे ख कर नह'ं क वे स[ची ह या झूठb ,
लेकन यह दे खकर क उसम कतना सच भरा हआ
ु है ,और दमाग पर उसका कतना असर पड़ता
है ।यह सह' है क कृ ंण ने ूेम कया, और ऐसा ूेम कया क 5बलकुल बेरोये रह गये ,और तब
चिमा को ताना मारा । राम रोये तो चिमा ने 5वंणु को ताना मारा,कृ ंण १६,००० गो5पय के
बीच म बाँसुर' बजाते रहे ,तो चिमा को 5वंणु ने ताना मारा । ये कःसे मशहर
ू ह । इसी से आप
और नतीजे िनकािलये।
धमK क 5वजय के िलये अधमK से अधमK करने को तैयार रहने का ूतीक कृ ंण है । म यह' तो
ु दया जब क वह
कःसे नह'ं बतलाऊँगा , पर आप खुद याद कर सकते हो क कब सूरज को छपा
ु था , कब एक जुमले के आधे हःसे को जरा जोर से बोलकर और दसरे
सचमुच नह'ं छपा ू हःसे को
धीमे बोल कर कृ ंण झूठ बोल गये । इस तरह क चालबा*जयाँ तो कृ ंण हमेशा ह' कया करते थे ।
कृ ंण १६ कलाओं के अवतार कसी चीज क मयाKदा नह'ं ।राम मयाKदत अवतार , ताकत के ऊपर
सीमा *जसे वे उलाँघ नह'ं सकते थे। कृ ंण 5बना मयाKदा का अवतार ।लेकन इसके यह मानी नह'ं
क जो कोई झूठ बोले और धोखा करे वह' कृ ंण हो सकता है । अपने कसी लाभ के िलए
नह'ं,अपने कसी राग के िलए नह'ं ।राग शgद बहत
ु अ[छा शgद है हदःतान
ु का ।मन के अदर
राग हआ
ु करते है , राग चाहे लोभ के ह,चाहे बोध के ह ,चाहे ईंयाK के ह, राग होते ह ।यह सब ,
वीतराग भय ,बोध *जसक चचाK हमारे कई मथ म िमलती ह , भय, बोध , राग से परे
।धोखा,झूठ,बदमाशी और लVपटपन कृ ंण का , एक ऐसे आदमी का था ,*जसे अपना कोई फायदा
नह'ं ढ़ँू ढ़ना था,*जसे कोई लोभ नह'ं था,*जसे ईंयाK नह'ं थी,*जसे कसी के साथ जलन नह'ं थी,
*जसे अपना कोई बढावा नह'ं करना था । यह चीज मुमकन है या नह'ं, इस सवाल को आप छोड़
द'*जये। असल चीज है ,दमाग पर असर क यह सVभव है या नह'ं । हम लोग इसे सVभव मानते
भी ह , और म खुद समझता हँू क अगर पूरा नह' तो अधूरा , कसी,न कसी =प म यह चीज़
सVभव है ।
म इस समय बुिनयाद' तौर से राम और कृ ंण के बीच के इस फ़कK को सामने रखना चाहता हँू
क एक तो मयाKदा पुeषो@म है , एक क ताक़त के ऊपर रोक है , और दसरा
ू 5बना रोक का ,
ःवयंभू है । यह सह' है क वह राग से परे है , राग से परे रह कर सब कुछ कर सकता है और उसके
िलए िनयम और उपिनयम नह'ं ।
िशव ह' एक ऐसी कंवदती है *जसका न आगा है न पीछा । यहाँ तक क वह कःसा मशहर
ू है
क जब ॄsा और 5वंणु आपस म लड़ गये - ये दे वी - दे वता खूब लड़ा करते ह , कभी-कभी आपस
म - तो िशव ने उनसे कहा लड़ो मत । जाओ , तुमम से एक मेरे िसर का पता लगाए और दसरा
ू मेरे
पैर का पता लगाए और फर लौट कर आ कर मुझसे कहो ! जो पहले पता लगा लेगा , उसक जीत
हो जाएगी । दोन पता लगाने िनकले । शायद अब तक पता लगा रहे ह ! जो ऐसे कःसे कहािनयाँ
गढ़ा करते ह , उनके िलए वईत का कोई मतलब नह'ं रहता । उसके िलए १ िमनट के मानी १ करोड़
बरस । कोई हसाब और ग*णत वगैरह क सवाल नह'ं उठता उनके सामने । खैर , कःसा यह है क
बहत
ु अरसे के बाद , न जाने कतने लाख बरस के बाद ॄsा और 5वंणु दोन लौट कर आये और
िशव से बोले क भई , पता तो नह'ं लगा । तब उहने कहा क फर Nय लड़ते हो ? फ़जूल है ।
यह असीिमत कंवदती है । इसके बारे म , बार - बार मेरे दमाग म एक ख़याल उठ आता है क
दिनया
ु म *जतने भी लोग ह , चाहे ऐितहािसक और चाहे कंवदती के , उन सबके कम` को
समझने के िलए कमK और फल , कारण और फल दे खना पड़ता है । उनके जीवन म ऐसी घटनाएँ ह
क *जह एकाएक नह'ं समझा जा सकता । वे अजीब-सी मालूम पड़ती ह । उन घटनाओं को
समझने के िलए पहले का कारण ढँू ढ़ना पड़ता है और बाद का फल ढँू ढ़ना पड़ता है । तब जा करके वे
सह' मालूम पड़ती ह । आप भी अपनी आपस क घटनाओं को सोच लेना । आपके आपस म Zरँते
हगे - बड़े लोग से मतलब यह नह'ं क आप छोटे लोग ह , बड़े लोग के मानी िसफ़K यह ह क
*जनका नाम हो जाया करता है , और कोई मतलब नह'ं है , चाहे वे बदमाश ह' लोग Nय न ह ,
और आमतौर से , बदमाश लोग का ह' नाम हआ
ु करता है । ख़ैर , बड़े लोग ह , छोटे लोग ह,कोई
ह ,उनके आपसी Zरँते होते ह । उन आपसी Zरँत के ूकाश क एक ौृख
ं ला होती है - एक कड़' के
बाद एक कड़',एक कड़' के बाद एक कड़' ।अगर कोई चाहे क उनम से एक ह' कड़' को पकड़ कर
पता लगाये क आदमी अ[छा है या बुरा , तो ग़लती कर जायेगा , Nयक Nयक उस कड़' के
पहले वाली कड़' कारण के =प म है और उसके बाद वाली कड़' फल के =प म है । Nय कया ? कई
बार ऐसे काम मालूम होते ह जो बज़ाते खुद बुरे ह , गंदे ह या झूठे ह ।उदाहरण , मने कृ ंण के के
िलए कहा । वह सबके िलए ह । लेकन वह काम Nय हआ
ु , उसका कारण Nया था और उसको
करने के बाद पZरणाम Nया िनकला , वह सब दे खना पड़ता है ।कारण और पZरणाम दे खना , हर
आदमी और हर कःसे और सीिमत कंवदती को समझने के िलए ज=र' होता है ।
आज क दिनया
ु म ूाय: सभी लोग अपने मौजूदा तर'के को , गंदे काम को उिचत बताते ह ,यह
कह कर क आगे चल कर उसके पZरणाम अ[छे िनकलगे । वे एक कड़' बाँधते ह ।आज चाहे वे गंदे
काम ह, लेकन हमेशा उसक कड़' जोड़ गे क भ5वंय म कुछ ऐसे नतीजे उसके िनकलगे क वह
काम अ[छे हो जाएँगे । कारण और फल क खुद ऐसी ौृख
ं ला अपने दमाग म बाँधते ह ,और
दिनया
ु के दमाग म बाँधते ह क कसी भी काम के िलए कोई कसौट' नह'ं बना सकती मानवता
।आ*खर कसौटयाँ होनी चाहए । काम अ[छा है या बुरा,इसका कैसे पता लगाएँगे ।कोई कसौट'
होनी ह' चाहए ।अगर एक बाद एक कड़' बाँध दे ते हो तो कोई कसौट' नह'ं रह जाती । फर तो
मनमानी होने लग जाती है ,Nयक *जतनी लVबी जंजीर हो जायेगी, उतना ह' /यादा मौका
िमलेगा लोग को अपनी मनमानी बात उसके अदर रखने का । ऐसा दशKन बनाओ,ऐसा िस3ात
बनाओ क *जसम मौजूदा घतनाओं को जोv◌़अ दया जाये कसी बv◌़ई, दरू भ5वंय क घटना
से,तो फर, मौजूदा घटनाओं म कतना ह' गंदापन रहे , लेकन उस दरू के भ5वंय क घटना , जो
होने वाली है ,*जसके बारे म कोई कसौट' नह'ं बन सकती क वह होगी या नह'ं होगी इसके बारे म
बहत
ु हद तक आदमी को मान कर चलना पड़ता है क वह शायद होगी,उसको ले कर मौजूदा
घटनाओं का औिचTय या अनौिचTय ढँू ढ़ा जाता है । और यह हमेशा हआ
ु है ।म यहाँ मौजूदा दिनया
ु
के कःसे तो बताऊँगा नह'ं,लेकन इतना आपसे कह दँ ू क ूाय:,यह जरा अित बोली है ,लेकन
ूाय: हरे क राजनीित क,समाज क,अथKशा\ क घटना ऐसी ह' है क *जसका औिचTय या तो
कोई पुरानी बड़' या कोई आगे आने वाली कसी जंजीर के सथ बाँध दया जाता है ।
यहाँ म िसफK कृ ंण का ह' कःसा बता दे ता हँू क अyTथामा के बारे म धीमे बोलना या ज़ोर से
बोलने के औिचTय और अनौिचTय को,कौरव-पांडव क लड़ाई से बहत
ु पुराना कःसा,बहत
ु आगे
आने वाली घटना के साथ जोड़ दया जाता है । यह बुरा खुद काम है ,मान कर चलना पड़ता है ।
लेकन उस बुरे काम का ऐसा िचTय सा5बत हो जाता है पुराने कारन से और भ5वंय म आने वाले
पZरणाम से। आप िशव का ऐसा कोई कःसा नह'ं पाओगे । िशव का हरे क कःसा अपने-आप
उिचत है ।उसीके अदर सब कारण और सब फल भरे हए
ु ह ,*जससे मालूम पड़ता है क वह सह'
है ,ठbक है ,उसम कोई ग़लती हो नह'ं सकती ।
िशव का कोई भी कःसा अपने आप उिचत है । ऐसा लगता है क जैसे कसी आदमी क
ु ह और उनम से एक - एक घटना खुद एक *जदगी है । उसके
*जदगी म चाह हजार घटनाएँ हई
िलए पहले क दसर'
ू घटना और आगे क दसर'
ू घटना क कोई ज=रत नह'ं रहती । िशव 5बना
सीमा क कंवदती ह और बहत
ु से मामल म छाती को बहत
ु चौड़ा करने वाली , और उसके साथ-
साथ आदमी को एक उँ गली क तरह राःता दखाने वाली क जहाँ तक बन पड़े , तुम अपने हरे क
काम को 5बना पहले के कारण और 5बना आगे के फल को दे खे हए
ु भी उिचत बनाओ ।
िशव का वह कःसा भी आपको याद होगा क िशव ने सती को मना कया था क दे खो, तुम
अपने बाप के यहाँ मत जाओ,Nयक उसने तुमको बुलाया नह'ं ।बहत
ु बढ़या कःसा है यह ।िशव
ने कहा था जहाँ पर 5वरोध हो गया हो वहाँ 5बन बुलाये मत आओ,उसम कHयाण नह'ं हआ
ु करता
है ।पर फर भी सती गयी ।यह सह' है क उसके बाद िशव ने अपना, वO तौर पर- जैसा मने कहा ,
वह काम खुद अपने-आप म उिचत है - बहत
ु जबरदःत गुःसा दखाया था । और उसक पलटन
कैसी थी । धगध/जलHHलाट पटपावके कशोर चिशेखरे …. िशव क जो तसवीर अNसर आँख
के सामने आती ह वह कस तरह क ह । जटा म चिमा है ,लेकन लपट /वाला क िनकल रह' ह ,
ध3गद हो रहा है । सब तरह क, एक 5बना सीमा क कंवदती सामने खड़' हो जाती है - श5O
क,फैलाव क,सब तरह के लोग को साथ समेटने क ।
म समझता हँू , कसी हद तक , मने इन तीन कंवद*तय के ःव=प आपके सामने रखे - बड़े
ःव=प । इनके कःसे कसी भी काम के िलए मनोहर ह और छाती को चौड़ा करने वाले ह ।ज=र'
नह'ं है क कोई उन कःस को माने । झूठे ह तो इससे मुझसे Nया मतलब ? कःसे तो ह न ! हम
उपयास पढ़ते ह क नह'ं पढ़ते । ‘ हतोपदे श ‘ और ‘ पंचतंऽ ‘ के गंगद@ और 5ूयदशKन को याद
रखते ह । ये कःसे ऐसे ह *जह हर एक कौम , अपनी हँ सी और सपने को , दमाग क सतह पर ,
जो बहत
ु बुिनयाद' और गहर' सतह है , उस पर खोद कर रखा करती है । इन कःस के बारे म
सावधान हो कर रहना चाहए ।
और िसफK जमुना और सरयू म ह' एका करने क कोिशश नह'ं क गयी । जब तुलसीदास गये
जमुना के कनारे , तो उहने अपना िसर नँवाने से इनकार कया , यह जानते हए
ु क सब एक ह'
माया है । लेकन उहने कहा क भई हाथ म धनुष-बाण लो ,अपनी मुरली अलग रखो तब म
अपना िसर नँवाऊँगा । तो फर मुरली अलग हई
ु , धनुष-बाण हाथ म आया , जमुना और सरयू एक
हो गयी। और , हमारे यहाँ के जो गाने-बजाने वाले लोग ह , उनसे बढ़ कर इन मामल म कोई और
नह'ं हो सकते , जो राम को हमेशा जमुना के तट पर होली *खलवा के छोड़ दया करते ह ।जमुना के
तट पर राम होली खेल ।तो अब कहो क ये कौन सी बात है ।सरयू के तट पर कृ ंण जाकर कौन-सी
अपनी रास-लीला रचाय ।ये सब चीज हमारे लेखक कर दया करते ह , और लेखक कोई मामूली
आदमी थोड़े ह' होते ह , पर हर लेखक नह'ं ।बड़ा लेखक बहत
ु बड़ा आदमी होता है । वह राम को
भेज दे ता है जमुना -कनारे और कृ ंण को भेज दे ता है सरयू-कनारे ।फर यह Nय न सVभव हो
क हदःतानी
ु लोग भी ऐसी कंवदती को अपने आँख के सामने लाय क *जसम िशव अपनी
जटा म िसफK चिमा ह' नह'ं मुरली वाले कृ ंण को िलये हो , और मयाKदा पुeषो@म राम के साथ
तांडव कर रहा हो ।लाने को ऐसी तसवीर लोग अपनी आँख म ला ह' सकते ह , शायद आ जाए
हदःतान
ु म ।
मेरा 5बलकुल यह मतलब नह'ं था क कोई उपदे श क=ँ । उपदे श म कर भी Nया सकता हँू
।उपदे श करना बेवकूफ़ होगी ।इसका िसफK एक मकसद था क इन तीन कंवद*तय के कुछ
पहलुओं को आपके सामने लाना क *जसम कुछ कःसे-कहािनय को याद करके आपक त5बयत
कुच खुश हो , आप कुछ हँ स और कुछ सपने दे ख ।
६ मह'ने तक मर' हइ
ु पावKती को अपने कंध पर डाल कर ले चलना , यह भी एक अनोखा ूेम है
।लड़ाई के मैदान म दिनया
ु के शायद सबसे बड़े दशKन को गीत के =प म कह दे ना , यह भी एक
अनोखा दशKन है । य हदःतान
ु म एक अजीब खूबी पायी गयी है क अपने दशKन को उसने गीत
के =प म कहा । और कौम ने भी इसक कोिशश क , लेकन,*जस कसी सबब से हो,उतनी
सफलता नह'ं िमली । उसी तरह से राम ने भी अपनी ताकत को मयाKदा के अदर रख कर अपना
काम कया ।जब रावण मर रहा था तो राम ने लआमण को रावण से राजनीित सीखने के िलए कहा
क जाओ ,सीख कर आओ । पहले नह'ं भेजा था ।हर एक चीज का अपना वO होता है । कई लोग
कहते ह क राम बड़ा चतुर था । हो सकता है क वह चतुर रहा हो ।लआमण और परशुराम के संवाद
म अNसर ऐसा मालूम होता है क जैसे बड़े भाई मजे म उकसा रहे ह छोटे भाई को , क तुम ताना
मारो , म तो हँू ह' ,अगर मामला 5बगड़े गा तो बचा ह' लूँगा, तुम जरा मामला बढ़ाते रहो ।उसी तरह
से , शूपण
K खा क मामले म , मालूम पड़ता है क बड़े भाई साहब छोटे भाई को अगर उकसा नह'ं रहे
ह तो कम से कम मजा तो ज=र ले रहे ह । आप दे खते हगे क *जदगी म भी , जब कभी कसी
दल के २ - ३ लोग होते ह तो वे आपस म चाहे पहले बातचीत हई
ु हो या न हई
ु हो , एक ऐसा
इं तजाम - सा कर िलया करते ह क एक तो दशमन
ु को जरा शात करे गा और अपने आदमी को
जरा डाँटेगा-डू ँ टेगा तब दसरा
ू जरा गुःसे म बोलेगा , और फर दोन िमल कर उसके ऊपर हावी हो
जाएँगे ।ख़ैर । राम ने लआमण को कभी भी रावण के पास लड़ाई के दौरान नह'ं भेजा । जब रावण
मर रहा था , तब भेजा । लआमण लौट कर आया , बोला - रावण तो कुछ बोलने को ह' तैयार नह'ं ।
तब राम ने उससे पूछा - तुमने कया Nया था ? लआमण ने कहा, म वहाँ गया और मने रावण से
कहा क मुझे राजनीितशा\ बताओ । तब राम ने पूछा - तुम कहाँ खड़े हए
ु थे । लआमण ने कहा -
क रावण लेटा पड़ा था , मर रहा था और म उसके िसर के बगल म खड़ा हआ
ु । तो राम बोले - इस
तरह से सीखा करते हो , जाओ , पैर के पास खड़े रहो , फर सवाल पूछो और जवाब माँगो । लआमण
फर गया , पैर के पास खड़ा रहा तो उसे जवाब िमला । ऐसा बढ़या - बड़या कःसे ह ।