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राम, कृ ंण और िशव हदःतान

ु क उन तीन चीज म ह - म उनको आदमी कहँू या दे वता , इसके


तो ख़ास मतलब नह'ं हगे - *जनका असर हदःतान
ु के दमाग पर ऐितहािसक लोग से भी
/यादा है । गौतम बु3 या अशोक ऐितहािसक लोग थे । ले कन उनके काम के कःसे इतने /यादा
और इतने 5वःतार म आपको नह'ं मालूम ह , *जतने क राम और कृ ंण और िशव के क़ःसे ।
कोई आदमी वाःतव म हआ
ु या नह'ं , यह इतना बड़ा सवाल नह'ं है , *जतना यह क उस आदमी
के काम कस हद तक , कतने लोग को मालूम ह , और उनका असर है दमाग़ पर । राम और
कृ ंण तो इितहास के लोग माने जाते ह , ह या न ह , यह दसरे
ू दज: का सवाल है । मान ल थोड'
दे र के िलये क वे उपयास के लोग ह । िशव तो केवल एक कंवदं ती के =प म ूचिलत ह । यह
सह' है क कुछ लोग ने कोिशश क है क िशव को भी कोई समय और शर'र और जगह द' जाय ।
कुछ लोग ने कोिशश क है यह सा5बत करने क क वे उ@राखंड के एक इं जीिनयर थे जो गंगा को
ले आये थे हदःतान
ु के मैदान म ।

यह छोटे -छोटे सवाल ह क राम और कृ ंण और िशव सचमुच इस दिनया


ु म कभी हए
ु या नह'ं ।
असली सवाल तो यह है क इनक *जदगी के कःस के छोटे -छोटे पहलू को भी ५ , १०,२०,५०
हज़ार आदमी नह'ं ब*Hक हदःतान
ु के करोड़ लोग जानते ह ।वह हदःतान
ु के इितहास के
कसी और आदमी के बारे म नह'ं कहा जा सकता । म तो समझता हँू , गौतम बु3 का नाम भी
हदःतान
ु म शायद /यादा लोग को मालूम नह'ं होगा ।उनके कःसे जानने वाले मुश कल से
हजार म १-२ िमल जाएँ तो िमल जाएँ। ले कन राम और कृ ंण और िशव के कःसे तो सबको
मालूम ह । दमाग पर असर - असर िसफK इसिलए नह'ं है क उनके साथ धमK जुड़ा हआ
ु है । असर
इसिलये है क वे लोग लोग के दमाग म एक िमसाल क तरह आ जाते ह , और *जदगी के हरे क
पहलू और हरे क काम - काज के िसलिसले म वे िमसाल आँख के सामने या दमाग क आँख के
सामने खड़' हो जाती ह ।तब,चाहे जानबूझकर , और चाहे अनजान म , आदमी उन िमसाल के
मुता5बक खुद भी अपने कदम उठाने लग जाता है । अगर िमसाल सोच-समझ कर दमाग के
सामने आये तो उसका इतना असर नह'ं पड़ता *जतना 5बना सोचे दमाग म आ जाये । 5बना सोचे
कोई िमसाल दमाग म आ जाये, िसफK यह' नह'ं क वह िमसाल हो , ब*Hक छोटे -छोटे कःसे भी
याद ह जैसे क राम ने परशुराम को Nया कहा और कस वO कतना कहा- यह एक-एक कःसा
मालूम है । या जब शूपण
K खा आयी थी तो राम और लआमण और शूपन
K खा म Nया-Nया बातचीत हई

, या जब भरत आये राम को वापस ले जाने के िलए तब उनक आपस म Nया-Nया बात हQ
ु - इन
सबक एक-एक तफ़सील , इसने यह कहा ,और उसने वह कहा,मालूम है । इसी तरह से कृ ंण और
अजुन
K क बातचीत और इसी तरह से िशव के कःसे हदःतानी
ु के दमाग क सतह पर खुदे हए

रहते ह । एक तो हआ
ु कःस का मालूम होना , दसरे
ू , कःस का दमाग क सतह पर खुद जाना ,
तो फर , वह हमेशा िमसाल क तरह दमाग क आँख के सामने रहते ह , और कसी भी काम पर
उनका असर पड़ा करता है ।

य , हरे क दे श का अपना इितहास होता है । इितहास क घटनाएँ ह , राजनीितक ,सा ह*Tयक ,


और दसर'
ू । इितहास क घटनाओं क एक लVबी जंजीर होती है और उनको लेकर कोई सWयता
और संःकृ ित बना करती है । उनका दमाग पर असर रहता है । ले कन इससे अलग , एक और
जंजीर , और वह क़ःसे-कहािनय वाली , ‘ हतोपदे श ‘ और ‘ पंचतंऽ ‘ वाली । म समझता हँू ,
आपम से भी क़र'ब-क़र'ब सभी को मालूम होगा क कस तरह गंगद@ नाम के मेढक ने 5ूयदशKन
नाम के साँप को एक राजदत
ू के जZरये कहलाया था क - कःसे बड़े सुहावने और नाम बडे सुहावने
हआ
ु करते ह ,मेढक का नाम गंगद@ और साँप का नाम 5ूयदशKन ! वे दत
ू भेजते ह और दत
ू से
ु करती है - दे खो, गंगद@ इतना बेवकूफ़ नह'ं है क अब फर से कुएँ म आए , Nय क
बातचीत हआ
भूखे लोग का कोई धमK नह'ं हआ
ु करता है । ‘ हतोपदे श ‘ और ‘ पंचतंऽ ‘ के इन कःस से
करोड़ ब[च के दमाग पर कुछ चीज खुद जाया करती है और उसी पर नीितशा\ बना करता है ।

म *जनका *जब आज कर रहा हँू , वे ऐसे कःसे नह'ं ह । उनके साथ नीितशा\ सीधे नह'ं जुड़ा
हआ
ु है । एयादा से एयादा आप यह कह सकते हो क कसी भी दे श क हँ सी और सपने ऐसी महान
कंवदं ितय म खुदे रहते ह । हँ सी और सपने , इन दो से और कोई चीज़ बड़' दिनया
ु म हआ
ु नह'ं
करती है । जब कोई रा_ हँ सा करता है तो वह खुश होता है , उसका दल चौड़ा होता है । और जब
कोई रा_ सपने दे खता है , तो वह अपने आदश` म रं ग भर कर क़ःसे बना िलया करता है ।

राम, कृ ंण और िशव ये कोई एक दन के बनाये हए


ु नह'ं ह ।इनको आपने बनाया ।
इहने आपको नह'ं बनाया । आमतौर से तो आप यह' सुना करते हो क राम और कृ ंण और िशव
ने हदःतान
ु या हदःतािनय
ु को बनाया । कसी हद तक शायद यह बात सह' भी हो,ले कन
/यादा सह' यह बात है क करोड़ हदःतािनय
ु ने , युग-युगातर के अतर म , हजार बरस म ,
राम , कृ ंण और िशव को बनाया । उनम अपनी हँ सी और सपने के रं ग भरे और तब राम और
कृ ंण और िशव जैसी चीज सामने ह ।

राम और कृ ंण तो 5वंणु के =प ह और िशव महे श के । मोट' तौर से लोग यह समझ िलया


करते ह क राम और कृ ंण तो रaा या अ[छb चीज क हफाज़त के ूतीक ह और िशव 5वनाश या
बुर' चीज के नाश के ूतीक ह । मुझे ऐसे अथK म नह'ं पड़ना है । कुछ और ह *जह मजा आता
है हरे क कःसे म अथK ढँू ढ़ने म । म अथK नह'ं ढँू ढ़ू ँ गा । मुम कन है सारा भाषण बेमतलब हो , और
*जतना बेमतलब होगा उतना ह' म उसे अ[छा समझूँगा , Nय क हँ सी और सपने तो बेमतलब
हआ
ु करते ह । फर भी , असर उनका कतना पड़ता है ? छाती चौड़' होती है । अगर कोई कौम
मौके-मौके पर ऐसी कंवदं ितय को याद करके चौड़' कर लेती हो तो फर उससे बढ़ कर Nया हो
सकता है ? कोई यह न सोचे क इस 5वषय से म कोई अथK िनकालना चाहता हँू - राजनीितक अथK
या दाशKिनक अथK या और कोई समाज के गठन का अथK । जहाँ तक बन पड़े , 5पछले हज़ार बरस
म जो हमारे दे श के पुरख और हमार' क़ौम ने इन तीन कंवदं ितय म अपनी बात डाली है , उसको
सामने लाने क कोिशश क=ँगा ।

राम क सबसे बड़' म हमा उनके उस नाम से मालूम होती है , *जसम उह मयाKदा पुeषो@म
कह कर पुकारा जाता है । जो मन म आया सो नह'ं कर सकते । राम क ताकत बँधी हई
ु है , उसका
दायरा *खंचा हआ
ु है । राम क ताकत पर कुछ नीित क या शा\ क या धमK क या fयवहार क या
, अगर आप आज क दिनया
ु का एक शgद ढँू ढ़ तो , 5वधान क मयाKदा है ।*जस तरह कसी भी
कानून क जगह , जैसे 5वधान सभा या लोकसभा पर 5वधान रोक लगा दया करता है , उसी तरह
से राम के काम पर रोक लगी हई
ु है ।वह रोक Nय लगी हई
ु है और कस तरह क है , इस सवाल म
अभी आप मत प डए ।ले कन इतना कह दे ना काफ़ होगा क पुराने द क़यानूसी लोग भी , जो
राम और कृ ंण को 5वंणु का अवतार मानते ह , राम को िसफ़K ८ कलाओं का अवतार मानते ह और
कृ ंण को १६ कलाओं का अवतार । कृ ंण सVपूणK और राम अपूणK । अपूणK शgद सह' नह'ं होगा
,ले कन अपना मतलब बताने के िलए म इस शgद का इःतेमाल कये लेता हँू । ऐसे मामल म ,
कोई अपूणK और सVपूणK नह'ं हआ
ु करता ,ले कन ज़ा हर है , जब एक म ८ कलाएँ हगी और दसरे
ू म
१६ कलाएँ हगी , तो उसम कुछ नतीजे तो िनकल ह' आया कर गे ।

‘ भागवत ‘ म एक बड़ा दलचःप कःसा है । सीता खोयी थी तब राम को द:ु ख हआ


ु था । द:ु ख
ज़रा एयादा हआ
ु । कसी हद तक म समझ भी सकता हँू , गो क लआमण भी वहाँ पर था और दे ख
रहा था । इसिलए राम का पेड़ से बात करना और रोना वगैरह कुछ /यादा समझ म नह'ं आता
।अकेले राम रो लेते , तो बात दसर'
ू थी , ले कन लआमण के दे खते हए
ु पेड़ से बात करना और रोना
वगैरह कुछ /यादा बढ़ गयी बात । कौन जाने , शायद वाHमी क और तुलसीदास को यह' पसद
रहा हो । ले कन याद रखना चा हए क वाHमी क और तुलसीदास म भी फकK है । वाHमी क क
सीता और तुलसी क सीता , दोन म 5बलकुल अलग अलग दिन
ु या का फकK है ।अगर कोई इस पर
भी कताब िलखना शुe करे क सीता हदःतान
ु म तीन - चार हजार बरस के दौरान म कस तरह
बदली , तो वह बहत
ु ह' दलचःप कताब होगी । अभी तक ऐसी कताब िलखी नह'ं जा रह' ह
ले कन िलखी जानी चा हए । खैर , राम रोये , पेड से बोले , दखी
ु हए
ु , और उस वO चिमा हँ सा
था । जाने Nय चिमा को ऐसी चीज म दलचःपी रहा करती है क वह हँ सा करता है ,ऐसा लोग
कहते ह । वह खूब हँ सा । कहा, दे खो तो सह' , पागल कैसे रो रहा है ?
राम 5वंणु के अवतार तो थे ह' , चाहे ८ ह' कला वाले । 5वंणु को बात याद थी । न जाने कतने
बरस के बाद कुछ लोग कहते ह , लाख बरस के बाद , हजार बरस के बाद , ले कन मेर' समझ
म , शायद , हजार दो हजार बरस के बाद - जब कृ ंण के =प म वे आये , तो फर एक दन ,हजार
गो5पय के बीच कृ ंण ने भी अपनी लीला रचायी । वे १६,००० थीं या १२,००० थीं, इसका मुझे ठbक
अदाज नह'ं है । एक - एक गोपी के अलग-अलग से , कृ ंण सामने आये और बार-बार चिमा क
तरफ दे ख कर ताना मारा , बोलो, अब हँ सो । जो चिमा राम को दे ख कर हँ सा था जब राम रोये थे
, उसी चिमा को उँ गली दखा कर कृ ंण ने ताना मारा क अब जरा हँ सो , दे खो तो सह' । १६ कला
और ८ कला का यह फकK रहा ।

राम ने मनुंय क तरह ूेम कया । म इस समय बहस म 5बलकुल नह'ं पड़ना चाहता क
सचमुच कृ ंण ने ऐसा ूेम कया या नह'ं कया । यह 5बलकुल फजूल बात है । म शुe म ह' कह
चुका हँू क ऐसी कहािनय का असर ढ़ँू ड़ा जाता है , यह दे ख कर नह'ं क वे स[ची ह या झूठb ,
ले कन यह दे खकर क उसम कतना सच भरा हआ
ु है ,और दमाग पर उसका कतना असर पड़ता
है ।यह सह' है क कृ ंण ने ूेम कया, और ऐसा ूेम कया क 5बलकुल बेरोये रह गये ,और तब
चिमा को ताना मारा । राम रोये तो चिमा ने 5वंणु को ताना मारा,कृ ंण १६,००० गो5पय के
बीच म बाँसुर' बजाते रहे ,तो चिमा को 5वंणु ने ताना मारा । ये कःसे मशहर
ू ह । इसी से आप
और नतीजे िनकािलये।

कृ ंण झूठ बोलते ह , चोर' करते ह , धोखा दे ते ह , और *जतने भी अयाय के अधमK के काम हो


सकते ह , वे सब करते ह । जो कृ ंण के स[चे भO हगे , मेर' बात का 5बलकुल भी बुरा न मानगे ।
मुम कन है क एकाध नकली भO गुःसा कर कर जाए। एक बार जेल म मेरा साथ पड़ा था मथुरा
के एक बहत
ु बड़े चौबे जी के साथ और मथुरा तो फर मथुरा ह' है । *जतना ह' हम उसको िचढ़ाना
चाह , वे खुद अपने आप कह द क हाँ वह तो माखनचोर था । हम कह कृ ंण धोखेबाज था, तो वे
ज=र कृ ंण का कोई न कोई कःसा धोखे का सुना द । जो कृ ंण के स[चे उपासक ह , उनको तो
मजा िमलता है कृ ंण क झूठ , दगा और धोखेबाजी और लVपटपन को याद करके । सो Nय ? १६
कला ह । मयाKदा नह'ं ,सीमा नह'ं , 5वधान नह'ं है , यह ऐसी लोकसभा है *जसके ऊपर 5वधान क
कोई eकावट नह'ं है , मन म आये सो करे ।

धमK क 5वजय के िलये अधमK से अधमK करने को तैयार रहने का ूतीक कृ ंण है । म यह' तो
ु दया जब क वह
कःसे नह'ं बतलाऊँगा , पर आप खुद याद कर सकते हो क कब सूरज को छपा
ु था , कब एक जुमले के आधे हःसे को जरा जोर से बोलकर और दसरे
सचमुच नह'ं छपा ू हःसे को
धीमे बोल कर कृ ंण झूठ बोल गये । इस तरह क चालबा*जयाँ तो कृ ंण हमेशा ह' कया करते थे ।
कृ ंण १६ कलाओं के अवतार कसी चीज क मयाKदा नह'ं ।राम मयाK दत अवतार , ताकत के ऊपर
सीमा *जसे वे उलाँघ नह'ं सकते थे। कृ ंण 5बना मयाKदा का अवतार ।ले कन इसके यह मानी नह'ं
क जो कोई झूठ बोले और धोखा करे वह' कृ ंण हो सकता है । अपने कसी लाभ के िलए
नह'ं,अपने कसी राग के िलए नह'ं ।राग शgद बहत
ु अ[छा शgद है हदःतान
ु का ।मन के अदर
राग हआ
ु करते है , राग चाहे लोभ के ह,चाहे बोध के ह ,चाहे ईंयाK के ह, राग होते ह ।यह सब ,
वीतराग भय ,बोध *जसक चचाK हमारे कई मथ म िमलती ह , भय, बोध , राग से परे
।धोखा,झूठ,बदमाशी और लVपटपन कृ ंण का , एक ऐसे आदमी का था ,*जसे अपना कोई फायदा
नह'ं ढ़ँू ढ़ना था,*जसे कोई लोभ नह'ं था,*जसे ईंयाK नह'ं थी,*जसे कसी के साथ जलन नह'ं थी,
*जसे अपना कोई बढावा नह'ं करना था । यह चीज मुम कन है या नह'ं, इस सवाल को आप छोड़
द'*जये। असल चीज है , दमाग पर असर क यह सVभव है या नह'ं । हम लोग इसे सVभव मानते
भी ह , और म खुद समझता हँू क अगर पूरा नह' तो अधूरा , कसी,न कसी =प म यह चीज़
सVभव है ।

कभी - कभी आज के जमाने म भी , राम और कृ ंण क तसवीर , हदःतान


ु के बड़े लोग को
ु , आपक आँख के सामने नाचा करती हगी । न नाचती ह तो अब आगे से नाचगी ।
समझते हए
एक बार मेरे दोःत ने कहा था , गाँधी जी के मरने पर , क साबरमती या का ठयावाड़ क न दय
का बालक जमुना के कनारे जलाया गया , और जमुना का बालक का ठयावाड़ क न दय के
कनारे जलाया गया था । फ़ासला दोन म हजार बरस का है । का ठयावाड़ क न दय का बालक
और जमुना नद' का बालक , दोन म , शायद , इतना सVबध न द'ख पाता होगा , मुझे भी भी
नह'ं द'खता था कुछ अरसे पहले तक , Nय क गाँधीजी ने खुद राम को याद कया और हमेशा याद
कया ।जब कभी गाँधी जी ने कसी का नाम िलया , तो राम का िलया ।कृ ंण का नाम भी ले सकते
थे । और िशव का नाम भी ले सकते थे वे । ले कन नह'ं । उह एक मयाK दत तसवीर हदःतान
ु के
सामने रखनी थी , एक ऐसी ताक़त जो अपने ऊपर नीित , धमK या fयवहार क eकावट को रखे -
मयाKदा पुeषो@म का ूतीक ।

मने भी सोचा था , बहत


ु अरसे तक , क शायद गाँधी जी के तर'के कुछ मयाKदा के अदर रह कर
ह' हए
ु । /यादातर यह बात सह' भी है ले कन पूर' सह' भी नह'ं है । और यह असर दमाग पर तब
पड़ता है , जब आप गाँधी जी के लेख और भाषण को एक साथ पढ । अंमेज और जमKिनय क
लड़ाई के दौरान म हर हझते ‘हZरजन’ म उनके लेख या भाषण छपा करते थे । हर हझते उनक जो
बोली िनकलती थी , उसम इतनी ताक़त और इतना माधुयK होता क मुझ जैसे आदमी को भी
समझ म नह'ं आता था क बोली शायद बदल रह' है , हर हझते । बोली तो खैर हमेशा बदला करती
है , ले कन उसक बुिनयाद भी बदल गयी ,ऐसा लगता था कृ ंण अपनी बोली क बुिनयाद बदल
दया करते थे राम नह'ं बदलते थे । कुछ मह'ने पहले का कःसा है क एकाएक मने , लड़ाई के
दन म गाँधी जी ने जो कुछ िलखा था हर हझते लगातार , उसम से ६ मह'न क बात एक साथ
जब पढ़'ं , तब पता चला क कस तरह बोली बदल जाती थी । *जस चीज़ को आज अ हसा कहा ,
उसीको २-३ मह'ने बाद हं सा कह डाला , और उसका उलट , *जसे हं सा कहा उसे अ हं सा कह डाला
। वईती तौर पर अपने संगठन के नीित - िनयम के मुता5बक जाने के िलए और अपने आदिमय
को मदद पहँु चाने के िलए बुिनयाद' िस3ात के बारे म भी बदलाव करने के िलए वे तैयार रहते थे
। यह कया उहने ले कन /यादा नह'ं कया।

म यह नह'ं कहना चाहँू गा क गाँधी जी ने कृ ंण का काम बहत


ु एयादा कया , ले कन काफ़
कया । इससे कह'ं यह न समझना क गाँधी जी मेर' नज़र म िगर गये , कृ ंण मेर' नज़र म कहाँ
िगर गये ? ये तो ऐसी चीज ह *जनका िसफ़K सामना करना पड़ता है । िगरने - िगराने का तो कोई
सवाल है नह'ं । ले कन यह क आदमी को अपनी कसौ टयाँ हमेशा पैनी और साफ़ रखनी चा हए
क *जससे पता चल सके क *जस कसी चीज को उसने आदशK बनाया है या *जन िस3ात को
अपनाया है , उह वह सचमुच लागू कया करता है या नह'ं । जैसे , साधन क शुिचता या *जस
तरह के मक़सद ह उसी तरह के तर'के ह , इस िस3ात को गाँधी जी ने न िसफ़K अपनाया ब*Hक
बार - बार दहराया
ु । शायद को इसीको उहने अपनी *जदगी का सबसे बड़ा मक़सद समझा क
अगर मक़सद अ[छे बनाने ह तो तर'के भी अ[छे बनाने पड गे । ले कन आपको याद होगा क कस
ू -ूथा का नतीजा बता कर उहने एक अ[छा मक़सद हािसल
तरह 5बहार के भूकVप को अछत
करना चाहा था क हदःतान
ु ू - ूथा ख़तम हो । बहत
से अछत ु ब ढ़या मक़सद था , इसम कोई
शक नह'ं । उन दन जब रवीिनाथ ठाकुर और महाTमा गाँधी म बहस हई
ु थी , तो मुझे एकाएक
लगा क रवीिनाथ ठाकुर Nय यह तीन - पाँच कर रहे ह ।आ*खर गाँधीजी कतना बड़ा मक़सद
ू -ूथा िमटाना , इससे बड़ा और Nया
हािसल कर रहे ह । जाित - ूथा िमटाना , हZरजन और अछत
मक़सद हो सकता है । ले कन उस मक़सद को हािसल करने के िलए कतनी बड़' झूठ बोल गये क
5बहार का भूकVप हआ
ु इसिलए क हदःतानी
ु ू -ूथा चलाते ह । भला
लोग आपस म अछत
भूकVप और तारे और आसमान , पानी और सूरज वगैरह को भी इससे Nया पड़ा है क हदःतान

ू -ूथा चलती है या नह'ं ।
म अछत

म इस समय बुिनयाद' तौर से राम और कृ ंण के बीच के इस फ़कK को सामने रखना चाहता हँू
क एक तो मयाKदा पुeषो@म है , एक क ताक़त के ऊपर रोक है , और दसरा
ू 5बना रोक का ,
ःवयंभू है । यह सह' है क वह राग से परे है , राग से परे रह कर सब कुछ कर सकता है और उसके
िलए िनयम और उपिनयम नह'ं ।

िशव एक िनराली अदा वाला है । दिनया


ु भर म ऐसी कोई कंवदती नह'ं *जसक न लVबाई है ,
न चौड़ाई है और न मोटाई । एक ृांसीसी लेखक ने ने िशव के के बारे म एक बार कहा था क वह
तो ‘ नॉन डाईमशनल िमथ ‘ है , ( अंमेजी शgद है ,ृांसीसी नह'ं यानी ऐसी कंवदती *जसक
कोई सीमा नह'ं है , *जसक कोइ हद नह'ं ह - न लVबाई , न चौड़ाई , न मोटाई ।) कंवद*तयाँ
दिनया
ु म और जगह भी ह , खास तौर से पुराने मुHक म , जैसे मीस आ द म बहत
ु ह । कहाँ नह'ं ह
? 5बना कंवद*तय के कोई दे श रहा ह' नह'ं , और *जतने पुराने दे श ह उनम कंवद*तयाँ /यादा
ह ।मने शुe म कहा था क एक तरफ ‘ हतोपदे श ‘ और ‘ पंचतंऽ ‘ क गंगद@ और 5ूयदशKन
जैसी ब[च क कहािनयाँ ह , तो दसर'
ू तरफ , हजार बरस के काम के नतीजे के ःव=प कुछ लोग
म कौम क हँ सी और सपने भरे हए
ु ह , ऐसी कंवद*तयाँ ह ।

िशव ह' एक ऐसी कंवदती है *जसका न आगा है न पीछा । यहाँ तक क वह कःसा मशहर
ू है
क जब ॄsा और 5वंणु आपस म लड़ गये - ये दे वी - दे वता खूब लड़ा करते ह , कभी-कभी आपस
म - तो िशव ने उनसे कहा लड़ो मत । जाओ , तुमम से एक मेरे िसर का पता लगाए और दसरा
ू मेरे
पैर का पता लगाए और फर लौट कर आ कर मुझसे कहो ! जो पहले पता लगा लेगा , उसक जीत
हो जाएगी । दोन पता लगाने िनकले । शायद अब तक पता लगा रहे ह ! जो ऐसे कःसे कहािनयाँ
गढ़ा करते ह , उनके िलए वईत का कोई मतलब नह'ं रहता । उसके िलए १ िमनट के मानी १ करोड़
बरस । कोई हसाब और ग*णत वगैरह क सवाल नह'ं उठता उनके सामने । खैर , कःसा यह है क
बहत
ु अरसे के बाद , न जाने कतने लाख बरस के बाद ॄsा और 5वंणु दोन लौट कर आये और
िशव से बोले क भई , पता तो नह'ं लगा । तब उहने कहा क फर Nय लड़ते हो ? फ़जूल है ।

यह असीिमत कंवदती है । इसके बारे म , बार - बार मेरे दमाग म एक ख़याल उठ आता है क
दिनया
ु म *जतने भी लोग ह , चाहे ऐितहािसक और चाहे कंवदती के , उन सबके कम` को
समझने के िलए कमK और फल , कारण और फल दे खना पड़ता है । उनके जीवन म ऐसी घटनाएँ ह
क *जह एकाएक नह'ं समझा जा सकता । वे अजीब-सी मालूम पड़ती ह । उन घटनाओं को
समझने के िलए पहले का कारण ढँू ढ़ना पड़ता है और बाद का फल ढँू ढ़ना पड़ता है । तब जा करके वे
सह' मालूम पड़ती ह । आप भी अपनी आपस क घटनाओं को सोच लेना । आपके आपस म Zरँते
हगे - बड़े लोग से मतलब यह नह'ं क आप छोटे लोग ह , बड़े लोग के मानी िसफ़K यह ह क
*जनका नाम हो जाया करता है , और कोई मतलब नह'ं है , चाहे वे बदमाश ह' लोग Nय न ह ,
और आमतौर से , बदमाश लोग का ह' नाम हआ
ु करता है । ख़ैर , बड़े लोग ह , छोटे लोग ह,कोई
ह ,उनके आपसी Zरँते होते ह । उन आपसी Zरँत के ूकाश क एक ौृख
ं ला होती है - एक कड़' के
बाद एक कड़',एक कड़' के बाद एक कड़' ।अगर कोई चाहे क उनम से एक ह' कड़' को पकड़ कर
पता लगाये क आदमी अ[छा है या बुरा , तो ग़लती कर जायेगा , Nय क Nय क उस कड़' के
पहले वाली कड़' कारण के =प म है और उसके बाद वाली कड़' फल के =प म है । Nय कया ? कई
बार ऐसे काम मालूम होते ह जो बज़ाते खुद बुरे ह , गंदे ह या झूठे ह ।उदाहरण , मने कृ ंण के के
िलए कहा । वह सबके िलए ह । ले कन वह काम Nय हआ
ु , उसका कारण Nया था और उसको
करने के बाद पZरणाम Nया िनकला , वह सब दे खना पड़ता है ।कारण और पZरणाम दे खना , हर
आदमी और हर कःसे और सीिमत कंवदती को समझने के िलए ज=र' होता है ।

िशव ह' एक ऐसी कंवदती है *जसका हरे क काम,बजाते,खुद,अपने औिचTय को अपने-आप म


रखता है । कोई भी काम आप िशव का ढँू ढ़ लो, वह उिचत काम होगा ।उनके िलए पहले क कोई
कड़' नह'ं ढँू ढ़नी पड़े गी और न बाद क कोई कड़' ।Nय िशव ने ऐसा कया , उसका Nया नतीजा
िनकला , यह सब दे खने क कोई ज=रत नह'ं होगी । और के िलए इसक ज=रत पड़ जाएगी । राम
के िलए ज=रत पड़े गी , कृ ंण के िलए ज=रत पड़े गी,दिनया
ु म हरे क आदमी के िलए इसक ज=रत
पड़े गी,और जो दिनया
ु भर के कःसे ह उनके िलए ज=रत पड़े गी । Nय उसने ऐसा कया ? पहले
क बात याद करनी होगी क Nया बात हई
ु ,Nया कारण था, कस िलए उसका यह काम हआ
ु और
फर उसके Nया नतीजे िनकले। हमेशा दसरे
ू लोग के बारे म कमK और फल क एक पूर' कड़' बँधती
है । ले कन मुझे तो,ढँू ढ़ने पर भी,िशव का ऐसा कोई काम नह'ं मालूम पड़ा क म कह सकूँ क
उहने Nय ऐसा कया , उसका कारण Nया था , ढँू ढ़ो,बाद म उसका Nया पZरणाम िनकला । यह
चीज़ बहत
ु बड़' है ।

आज क दिनया
ु म ूाय: सभी लोग अपने मौजूदा तर'के को , गंदे काम को उिचत बताते ह ,यह
कह कर क आगे चल कर उसके पZरणाम अ[छे िनकलगे । वे एक कड़' बाँधते ह ।आज चाहे वे गंदे
काम ह, ले कन हमेशा उसक कड़' जोड़ गे क भ5वंय म कुछ ऐसे नतीजे उसके िनकलगे क वह
काम अ[छे हो जाएँगे । कारण और फल क खुद ऐसी ौृख
ं ला अपने दमाग म बाँधते ह ,और
दिनया
ु के दमाग म बाँधते ह क कसी भी काम के िलए कोई कसौट' नह'ं बना सकती मानवता
।आ*खर कसौ टयाँ होनी चा हए । काम अ[छा है या बुरा,इसका कैसे पता लगाएँगे ।कोई कसौट'
होनी ह' चा हए ।अगर एक बाद एक कड़' बाँध दे ते हो तो कोई कसौट' नह'ं रह जाती । फर तो
मनमानी होने लग जाती है ,Nय क *जतनी लVबी जंजीर हो जायेगी, उतना ह' /यादा मौका
िमलेगा लोग को अपनी मनमानी बात उसके अदर रखने का । ऐसा दशKन बनाओ,ऐसा िस3ात
बनाओ क *जसम मौजूदा घतनाओं को जोv◌़अ दया जाये कसी बv◌़ई, दरू भ5वंय क घटना
से,तो फर, मौजूदा घटनाओं म कतना ह' गंदापन रहे , ले कन उस दरू के भ5वंय क घटना , जो
होने वाली है ,*जसके बारे म कोई कसौट' नह'ं बन सकती क वह होगी या नह'ं होगी इसके बारे म
बहत
ु हद तक आदमी को मान कर चलना पड़ता है क वह शायद होगी,उसको ले कर मौजूदा
घटनाओं का औिचTय या अनौिचTय ढँू ढ़ा जाता है । और यह हमेशा हआ
ु है ।म यहाँ मौजूदा दिनया

के कःसे तो बताऊँगा नह'ं,ले कन इतना आपसे कह दँ ू क ूाय:,यह जरा अित बोली है ,ले कन
ूाय: हरे क राजनीित क,समाज क,अथKशा\ क घटना ऐसी ह' है क *जसका औिचTय या तो
कोई पुरानी बड़' या कोई आगे आने वाली कसी जंजीर के सथ बाँध दया जाता है ।

यहाँ म िसफK कृ ंण का ह' कःसा बता दे ता हँू क अyTथामा के बारे म धीमे बोलना या ज़ोर से
बोलने के औिचTय और अनौिचTय को,कौरव-पांडव क लड़ाई से बहत
ु पुराना कःसा,बहत
ु आगे
आने वाली घटना के साथ जोड़ दया जाता है । यह बुरा खुद काम है ,मान कर चलना पड़ता है ।
ले कन उस बुरे काम का ऐसा िचTय सा5बत हो जाता है पुराने कारन से और भ5वंय म आने वाले
पZरणाम से। आप िशव का ऐसा कोई कःसा नह'ं पाओगे । िशव का हरे क कःसा अपने-आप
उिचत है ।उसीके अदर सब कारण और सब फल भरे हए
ु ह ,*जससे मालूम पड़ता है क वह सह'
है ,ठbक है ,उसम कोई ग़लती हो नह'ं सकती ।

मुझे िशव के कःसे यहाँ नह'ं सुनाने ह । मशहर


ू तो बहत
ु ह । शायद पावKती को अपने कंधे पर
लादे फरने वाला कःसा,इतनी तफ़सील म क पावKती के शर'र का कौन-सा अंग कहाँ िगरा और
कौन-सा म*दर कहाँ बना,सबको मालूम है । गौतम बु3 और अशोक के बारे म या अकबर के बारे
म ऐसे कःसे नह'ं मशहर
ू ह । िशव के वे सब कःसे बहत
ु मशहर
ू ह और अ[छb तरह से लोग को
मालूम ह । अगर नह'ं मालूम ह तो जरा ये कःसा सुन िलया करो,अभी आपक दाद' *जदा होती
तो उससे। दाद' *जदा न हो तो नानी *जदा होगी,कोई न कोई हगी,और अगर वह भी न हो,तो
अपनी बीबी से सुन िलया करो ।

िशव का कोई भी कःसा अपने आप उिचत है । ऐसा लगता है क जैसे कसी आदमी क
ु ह और उनम से एक - एक घटना खुद एक *जदगी है । उसके
*जदगी म चाह हजार घटनाएँ हई
िलए पहले क दसर'
ू घटना और आगे क दसर'
ू घटना क कोई ज=रत नह'ं रहती । िशव 5बना
सीमा क कंवदती ह और बहत
ु से मामल म छाती को बहत
ु चौड़ा करने वाली , और उसके साथ-
साथ आदमी को एक उँ गली क तरह राःता दखाने वाली क जहाँ तक बन पड़े , तुम अपने हरे क
काम को 5बना पहले के कारण और 5बना आगे के फल को दे खे हए
ु भी उिचत बनाओ ।

हो सकता है , राम और कृ ंण और िशव , इन तीन को लेकर कइय के दमाग म अलगाव क


बात भी उठती ह। म आपके सामने अभी एक 5वचार रख रहा हँू । ज=र' नह'ं है क इसको आप
मान ह' ल । हरे क चीज को मान लेने से ह' दमाग नह'ं बढ़ा करता। उसको सुनना, उसको समझने
क कोिशश करना और फर उसको छोड़ दे ने से भी कई दफ़े , दमाग आगे बढ़ा करता है ।म खुद
भी इस बात को पूर' तरह से अपनाता हँू सो नह'ं । एकाएक एक बार मने जब १९५१-५२ के आम
चुनाव के नतीजे पर सोचना शुe कया तो मेरे दमाग म एक अजीब-सी बात आई । आपको याद
होगा क १९५१-५२ म हदःतान
ु म आम चुनाव म एक ऐसा इलाका ऐसा था क जहाँ
कVयुिनःट जीते थे , दसरा
ू इलाका ऐसा था जहाँ सोशिलःट जीते थे,तीसरा इलाका ऐसा था जहाँ
धमK के नाम पर कोई न कोइ संःथा जीती थी । य,सब जगह कांमेस जीती थी और सरकार उसीक
रह'। म इस वO सबसे gड़' पाट{ क बात नह'ं कर रहा हँू - नVबर दो पाट{ क बात कर रहा हँू । सारे
दे श
् म नVबर १ पाट{ तो कांमेस पाट{ रह' ले कन हदःतान
ु के इलाके कुछ ऐसे साफ-से थे जहाँ
पर ये तीन पा टK याँ जीतीं,अलग -अलग, यानी कह'ं पर कVयुिनःट नVबर २ पर रहे ,कह'ं
पर सोशिलःट नVबर २ पर रहे और कह'ं पर ये जनसंघ,रामरा/य पZरषद वगैरह िमल-िमला कर
इन सबको तो एक ह' समझना चा हए- नVबर २ रहे । म यह नह'ं कहता क जो कुछ म कह रहा हँू
वह सह' है । मुम कन है ,इसके ऊपर अगर हदःतान
ु के कॉलेज और 5वy5व}ालय जरा दमाग
कुछ चौड़ा करके दे खते- कुछ तफ़र'ह' दमाग से Nय क तफ़र'ह म भी चीज क जाती ह ,चाहे वे
सह' िनकल,न िनकल- तो हदःतान
ु के नNशे के ३ हःसे बनाते । एक नNशा वह , जहाँ राम
सबसे /यादा चला हआ
ु है , दसरा
ू वह, जहाँ कृ ंण सबसे /यादा चला हआ
ु है ,तीसरा वह,जहाँ िशव
सबसे /याद चला हआ
ु है । म जब राम,कृ ंण , और िशव कहता हँू तो जा हर है ,उनक बी5बय को
शािमल कर लेता हँू । उनके नौकर को भी शािमल कर लेना चा हए, Nय क ऐसे इलाके ह जहाँ
हनुमान चलता है *जसके साफ़ मानी ह क वहाँ राम चलता है ,ऐसे इलाके ह जहाँ काली और दगाK

चलती ह ,इसके साफ़ मानी ह क वहाँ िशव चलता है । हदःतान
ु के इलाके ह जहाँ पर इन तीन ने
अपना-अपना दमागी साॆा/य बना रखा है । दमागी साॆा/य भी रहा करता है , 5वचार का,
कंवद*तय का ।

मोट' तौर पर िशव का इलाका वह इलाका था जहाँ कVयुिनःट नVबर २ हए


ु थे , मोट' तौर पर ।
उसी तरह ,कृ ंण का इलाका वह था जहाँ संघ और रामरा/य पZरषद वाले नVबर २ हए
ु थे । मोट'
तौर पर राम का इलाका वह था जहाँ सोशिलःट नमबर २ हए
ु थे । म मानता हँू क म खुद चाहँू तो
इस 5वचार को एक िमनट म तोड़ सकता हँू ,Nय क ऐसे बहत
ु से इलाके िमलगे जो जरा द5वधा
ु के
रहते ह । कसी बड़े खयाल को तोड़ने के िलए छोटे -छोटे अपवाद िनकाल दे ना कौन बड़' बात है ।
खैर,मोट' तौर पर मुझे ऐसा लगता है क हदःतान
ु क कंवद*तय के इन तीन साॆा/य के
मुता5बक ह' हदःतान
ु क जनता ने अपनी 5वरोधी श5Oय को चुनने क कोिशश क । आप कह
सकते ह अभी तो तुमने िशव क बड़' तार'फ़ क थी। तुVहारा यह िशव कैसा िनकला। जहाँ पर िशव
क कंवदती का साॆा/य है , वहाँ तो कVयुिनःट जीत गये। तो, फर,मुझे यह भी कहना पड़ता है
क ज=र' नह'ं क इन कं कंवद*तय के अ[छे ह' असर पड़ते ह ,सब तरह के असर पड़ सकते ह ।

िशव अगर नीलकंठ ह और दिनया


ु के िलए अकेले जहर को अपने गले म बाँध सकते ह ,तो उसके
साथ-साथ धतुरा खाने और पीने वाले भी ह । िशव क दोन तसवीर साथ-साथ जुड़' हई
ु ह । मान लो
, थोड़' दे र के िलए,, वे धतूरा न भी खाते रहे ह, फर से बता दँ ू क ये सवाल स[चाई और झुठाई के
नह'ं ह । यह तो िसफK कसी आदमी के दमाग का एक नNशा है । हदःतान
ु म करोड़ लोग
समझते ह क िशव धतूरा पीते ह ,िशव क पलटन म लूले-लँगड़े ह , उसम तो जानवर भी ह ,भूत-ूेत
भी ह ,और सब तरह क बात जुड़' हई
ु ह । लूले-लँगड़े ,भूखे के मानी Nया हए
ु ? गर'ब का आदमी ।

िशव का वह कःसा भी आपको याद होगा क िशव ने सती को मना कया था क दे खो, तुम
अपने बाप के यहाँ मत जाओ,Nय क उसने तुमको बुलाया नह'ं ।बहत
ु ब ढ़या कःसा है यह ।िशव
ने कहा था जहाँ पर 5वरोध हो गया हो वहाँ 5बन बुलाये मत आओ,उसम कHयाण नह'ं हआ
ु करता
है ।पर फर भी सती गयी ।यह सह' है क उसके बाद िशव ने अपना, वO तौर पर- जैसा मने कहा ,
वह काम खुद अपने-आप म उिचत है - बहत
ु जबरदःत गुःसा दखाया था । और उसक पलटन
कैसी थी । धगध/जलHHलाट पटपावके कशोर चिशेखरे …. िशव क जो तसवीर अNसर आँख
के सामने आती ह वह कस तरह क ह । जटा म चिमा है ,ले कन लपट /वाला क िनकल रह' ह ,
ध3गद हो रहा है । सब तरह क, एक 5बना सीमा क कंवदती सामने खड़' हो जाती है - श5O
क,फैलाव क,सब तरह के लोग को साथ समेटने क ।

इसी तरह , जा हर है , कृ ंण और राम क कंवद*तय के भी दसरे


ू ःव=प ह । राम चाहे *जतने
ह' मयाKदा पुeषो@म रहे ह , ले कन, अगर उनके कःसे का मामला बैलगाड़' क पुरानी लीक तक
ह' फँस कर रह जाएगा तो फर उनके उपासक कभी आगे बढ़ नह'ं सकते । वे लकर म बँधे रह
जाएँगे । यह सह' है क राम के उपासक , शायद , बहत
ु बुरा काम नह'ं कर गे , Nय क बुराई करने
म भी वे मयाKदा से बँधे ह अगर अ[छाई करने म मयाKदा से बँधे हए
ु ह तो वे दोन तरफ बँधे हए
ु ह ।
िशव या कृ ंण म इस तरह बधन का कोई मामला नह'ं है । कृ ंण म तो कसी भी नीित के बधन
का मामला नह'ं है ।और िशव म हर एक घटना खुद इतने महTव क हो जाती है क अपनी सVपूणK
श5O उसम लगाकर , उस वO भी पूर' हद तक पहँु च सकता है या उससे बाहर , और उसके बाद ,
जैसा क द*aण वाल म तो यह कह'ं /यादा मालूम होगा , उ@र वाल के मुकाबले म । तांडव क
भी कोई बुिनयाद होती है : एक गाढ िनिा - एकाएक आँख खुली , लीला दे खी , लीला के साथ-साथ
आँख इधर-उधर मटकायीं , और दे ख कर फर आँख बद हो गयीं । फर , मुम कन है , एक दसर'

सतह पर आँख बद हQ
ु और एक लीला हई
ु और चली गयी , आँख खुलीं और बद हQ
ु ।

इससे एक तामस भी जुड़ा हआ


ु है । शा*त सतोगुण का ूतीक है । ले कन अगर शा*त कह'ं
5बगड़ना शुe हो जाये तो फर वह तामस का =प ले िलया करती है । चुप बैठो , कुछ करो मत ,
धग3गद होता रहे , धतूरा या धतूरे ूतीक क कोई न कोई चीज़ चलती रहे । और हमारे दे श म
अकमKयता का तो बहत
ु जबरदःत दाशKिनक आधार है , कमK नह'ं करने का । यह सह' है क
अलग-अलग मौक पर हदःतान
ु के इितहास म अलग-अलग दाशKिनक ने कमK के िस3ात को ,
अपने हसाब से , समझाने क कोिशश क है । ले कन बुिनयाद' तौर पर हदःतान
ु का असली
कमK-िस3ात यह' है क जहाँ तक बन पड़े अपने-आप को कमK क फाँस से Zरहा करो । यह सह' है
ू सकते नह'ं , उनको तो भुगतना पड़े गा , वे तो और नये
क जो पुराने संिचत कमK ह , उनसे तो छट
कम` म आएँगे ह' , ले कन , कोिशश यह करो क नये कमK न आएँ । हदःतान
ु क सWयता का
यह मूलभूत आधार कभी नह'ं भूलना चा हए , क नये काम मत करो , पुराने काम को भुगतना ह'
पड़े गा और जब काम क ौृख ू जाएगी तभी मोa िमलेगा । और िशव जैसी कंवदती , और
ं ला टट
इस तरह के 5वचार के िमल जाने के बाद , कई बार तामस भी आ जाया करता है - उसके साथ -
साथ एकाएक कोई 5वःफोट हो जाया करता है यानी *जसके आगे और पीछे कुछ ह नह'ं , नतीजा
िनकले या न िनकले , Nय क जहाँ हर एक कमK अपने औिचTय को अपने आप म रखता हो और न
आगे है न पीछे है , वहाँ , अगर कंवदती कह'ं 5बगड़ गयी तो यह सVभावना हो जाया करती है क
5वःफोट हो जाये । उसका आगे है न पीछे है और न ह' कोई ताTपयK है । फर , जब कंवद*तयाँ
5बगड़ती ह , तो वे ,चाहे राम का इलाका हो , चाहे कृ ंण का इलाका हो , चाहे िशव का इलाका हो ,
5बगड़ती ह' चली जाती ह ।

म समझता हँू , कसी हद तक , मने इन तीन कंवद*तय के ःव=प आपके सामने रखे - बड़े
ःव=प । इनके कःसे कसी भी काम के िलए मनोहर ह और छाती को चौड़ा करने वाले ह ।ज=र'
नह'ं है क कोई उन कःस को माने । झूठे ह तो इससे मुझसे Nया मतलब ? कःसे तो ह न ! हम
उपयास पढ़ते ह क नह'ं पढ़ते । ‘ हतोपदे श ‘ और ‘ पंचतंऽ ‘ के गंगद@ और 5ूयदशKन को याद
रखते ह । ये कःसे ऐसे ह *जह हर एक कौम , अपनी हँ सी और सपने को , दमाग क सतह पर ,
जो बहत
ु बुिनयाद' और गहर' सतह है , उस पर खोद कर रखा करती है । इन कःस के बारे म
सावधान हो कर रहना चा हए ।

वह नीलकठ िशव , *जसके हर एक काम का औिचTय उसके अदर बना हआ


ु है । वह मयाKदा
पुeषो@म राम और वह योगीyर कृ ंण जो लीला करके चिमा को ताने मारा करता है । ये सब
कसी भी आदमी के दल को बड़ा करने वाले कःसे ह ।पुराने दे श ने इस बात का भी थोड़ा-बहत

इं तजाम कया क ये कंवद*तयाँ आपस म न टकराएँ । अगर वे कह'ं टकराती ह , शायद
मुम कन है भी , तो बोलचाल म , कह'ं लोग म गरम बोल-चाल हो गयी हो आपस म । /यादा से
/यादा , मारपीट इस हद तक हइ ू
ु होगी क लोग ने मूितKयाँ तोड़' ह । मूितKयाँ तो आज भी टटती ह
ू हगी ।इसम आदमी को बहत
और पहले के जमाने म टट' ु सोच-5वचार नह'ं करना चा हए ।यह सब
ू गयी या बन
तो लीला क तरह चलता रहता है , आँख खोलो और बद करो ।कह'ं पर मूितK टट
गयी, यह सब तो चला करता है ।ख़ैर । ये इं तजाम कये गये ह क तीन आपस म टकराएँ नह'ं ।

और िसफK जमुना और सरयू म ह' एका करने क कोिशश नह'ं क गयी । जब तुलसीदास गये
जमुना के कनारे , तो उहने अपना िसर नँवाने से इनकार कया , यह जानते हए
ु क सब एक ह'
माया है । ले कन उहने कहा क भई हाथ म धनुष-बाण लो ,अपनी मुरली अलग रखो तब म
अपना िसर नँवाऊँगा । तो फर मुरली अलग हई
ु , धनुष-बाण हाथ म आया , जमुना और सरयू एक
हो गयी। और , हमारे यहाँ के जो गाने-बजाने वाले लोग ह , उनसे बढ़ कर इन मामल म कोई और
नह'ं हो सकते , जो राम को हमेशा जमुना के तट पर होली *खलवा के छोड़ दया करते ह ।जमुना के
तट पर राम होली खेल ।तो अब कहो क ये कौन सी बात है ।सरयू के तट पर कृ ंण जाकर कौन-सी
अपनी रास-लीला रचाय ।ये सब चीज हमारे लेखक कर दया करते ह , और लेखक कोई मामूली
आदमी थोड़े ह' होते ह , पर हर लेखक नह'ं ।बड़ा लेखक बहत
ु बड़ा आदमी होता है । वह राम को
भेज दे ता है जमुना - कनारे और कृ ंण को भेज दे ता है सरयू- कनारे । फर यह Nय न सVभव हो
क हदःतानी
ु लोग भी ऐसी कंवदती को अपने आँख के सामने लाय क *जसम िशव अपनी
जटा म िसफK चिमा ह' नह'ं मुरली वाले कृ ंण को िलये हो , और मयाKदा पुeषो@म राम के साथ
तांडव कर रहा हो ।लाने को ऐसी तसवीर लोग अपनी आँख म ला ह' सकते ह , शायद आ जाए
हदःतान
ु म ।

मेरा 5बलकुल यह मतलब नह'ं था क कोई उपदे श क=ँ । उपदे श म कर भी Nया सकता हँू
।उपदे श करना बेवकूफ़ होगी ।इसका िसफK एक मकसद था क इन तीन कंवद*तय के कुछ
पहलुओं को आपके सामने लाना क *जसम कुछ कःसे-कहािनय को याद करके आपक त5बयत
कुच खुश हो , आप कुछ हँ स और कुछ सपने दे ख ।

६ मह'ने तक मर' हइ
ु पावKती को अपने कंध पर डाल कर ले चलना , यह भी एक अनोखा ूेम है
।लड़ाई के मैदान म दिनया
ु के शायद सबसे बड़े दशKन को गीत के =प म कह दे ना , यह भी एक
अनोखा दशKन है । य हदःतान
ु म एक अजीब खूबी पायी गयी है क अपने दशKन को उसने गीत
के =प म कहा । और कौम ने भी इसक कोिशश क , ले कन,*जस कसी सबब से हो,उतनी
सफलता नह'ं िमली । उसी तरह से राम ने भी अपनी ताकत को मयाKदा के अदर रख कर अपना
काम कया ।जब रावण मर रहा था तो राम ने लआमण को रावण से राजनीित सीखने के िलए कहा
क जाओ ,सीख कर आओ । पहले नह'ं भेजा था ।हर एक चीज का अपना वO होता है । कई लोग
कहते ह क राम बड़ा चतुर था । हो सकता है क वह चतुर रहा हो ।लआमण और परशुराम के संवाद
म अNसर ऐसा मालूम होता है क जैसे बड़े भाई मजे म उकसा रहे ह छोटे भाई को , क तुम ताना
मारो , म तो हँू ह' ,अगर मामला 5बगड़े गा तो बचा ह' लूँगा, तुम जरा मामला बढ़ाते रहो ।उसी तरह
से , शूपण
K खा क मामले म , मालूम पड़ता है क बड़े भाई साहब छोटे भाई को अगर उकसा नह'ं रहे
ह तो कम से कम मजा तो ज=र ले रहे ह । आप दे खते हगे क *जदगी म भी , जब कभी कसी
दल के २ - ३ लोग होते ह तो वे आपस म चाहे पहले बातचीत हई
ु हो या न हई
ु हो , एक ऐसा
इं तजाम - सा कर िलया करते ह क एक तो दशमन
ु को जरा शात करे गा और अपने आदमी को
जरा डाँटेगा-डू ँ टेगा तब दसरा
ू जरा गुःसे म बोलेगा , और फर दोन िमल कर उसके ऊपर हावी हो
जाएँगे ।ख़ैर । राम ने लआमण को कभी भी रावण के पास लड़ाई के दौरान नह'ं भेजा । जब रावण
मर रहा था , तब भेजा । लआमण लौट कर आया , बोला - रावण तो कुछ बोलने को ह' तैयार नह'ं ।
तब राम ने उससे पूछा - तुमने कया Nया था ? लआमण ने कहा, म वहाँ गया और मने रावण से
कहा क मुझे राजनीितशा\ बताओ । तब राम ने पूछा - तुम कहाँ खड़े हए
ु थे । लआमण ने कहा -
क रावण लेटा पड़ा था , मर रहा था और म उसके िसर के बगल म खड़ा हआ
ु । तो राम बोले - इस
तरह से सीखा करते हो , जाओ , पैर के पास खड़े रहो , फर सवाल पूछो और जवाब माँगो । लआमण
फर गया , पैर के पास खड़ा रहा तो उसे जवाब िमला । ऐसा ब ढ़या - ब ड़या कःसे ह ।

छोटा-सा कःसा है क दँमन


ु है , बहत
ु बड़' लड़ाई लड़' गयी और जब दशमन
ु मर गया तब
उसके पास अपना आदमी जाता है , मर गया तब ।पहले नह'ं ।मुम कन है , मेरे कःसे को मेरे ह'
*खलाफ कुछ लोग इःतेमाल कर द और कह क तुम इस कःसे को बता रहे हो , तुVह जाना
चा हए , ले कन रावण मरे तब लआमण जाता है , मरने के पहले नह'ं ।और जा कर िसरहाने नह'ं
खड़ा होना चा हए , पैताने खड़ा होना चा हए ।जब बैठो कह'ं मेज पर तो दे ख कर बैठो क बगल
वाले को कोई तकलीफ तो नह'ं हो रह' है । कह'ं अपनी जगह से /यादा तो नह'ं ले रहे हो वगैरह-
वगैरह । ख़ैर ।यहाँ मुझे िसफK इतना ह' बताना है क इन कःस क एक-एक तफ़सील म ,एक-एक
संवाद म , एक-एक बात म मजा भरा है । ज=र' नह'ं क इन कःस को आप सह' समझ ।ज=र'
नह'ं है क आप उसको धमK मान । उनको आप िसफK उपयास क तरह ल ,एक ऐसा उपयास जो
दस - बीस - पचास हजार आदिमओं तक नह'ं , ब*Hक जो करोड़ लोग तक ५ हज़ार बरस से चला
आया है , और पता नह'ं , कब तक चला जाता रहे गा ।

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