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हद ू बनाम हद ू : डॉ.

डॉ राममनोहर लोहया

भारतीय इितहास क सबसे बड़ लड़ाई हद ू धम म उदारवाद और क"टरता क लड़ाई , $पछले
पांच हजार साल* से भी अिधक समय से चल रह है और उसका अत अभी भी दखाई नहं पड़ता ।
इस बात क कोई कोिशश नहं क गयी , जो होनी चाहए थी , क इस लड़ाई को नजर म रखकर
हदःतान
ु के इितहास को दे खा जाए , उसे बुना जाय । लेकन दे श म जो कुछ होता है , उसका
बहत
ु बड़ा हःसा इसी के कारण होता है ।

सभी धम6 म कसी-न-कसी समय उदारवादय* और क"टरपंिथय* क लड़ाई हई


ु है । लेकन
हद ू धम के अलावा वे बंट गये , अ7सर उनम र8पात हआ
ु और थोड़े या बहत
ु दन* क लड़ाई के
बाद , वे झगड़े पर काबू पाने म कामयाब हो गये । हद ू धम म लगातार उदारवादय* और
क"टरपंिथय* का झगड़ा चला आ रहा है । ;जसम कभी एक क जीत होती है कभी दसरे
ू क । खुला
र8पात तो कभी नहं हआ
ु , लेकन झगड़ा आजतक हल नहं हआ
ु और झगड़े के सवाल* पर एक
धुध छा गयी है ।

ईसाई , इःलाम और बौ= , सभी धम6 म झगड़े -$वभेद हए


ु । कैथोिलक मत म एक समय इतने
क"टर पंथी त>व इक"ठा हो गए क ूोटे ःट ट मत ने , जो उस समय उदारवाद था , उसे चुनौती द
। लेकन सभी लोग जानते हA क सुधार आदोलन के बाद ूोटे ःट ट मत म खुद म क"टरता आ
गयी । कैथोिलक और ूोटे ःटे ट मत* के िस=ात* म अब भी बहते
ु रे फक हA लेकन एक को क"टर
पंथी और दसरे
ू को उदारवाद कहना मु;ँकल है । ईसाई धम म िस=ात और संगठन का भेद है तो
इःलाम धम म िशया-सुनी का बंटवारा इितहास से सDब;धत है । इसी तरह बौ= धम हनयान
और महायान के दो मत* म बंट गया , और उनम कभी र8पात तो नहं हआ
ु , लेकन उनका
मतभेद िस=ात के बारे म है , समाज क Eयवःथा से उसका कोई सDबध नहं ।

हद ू धम म ऐसा कोई बंटवारा नहं हआ ू


ु । अलबGा वह बराबर छोटे -छोटे मत* म टटता रहा है ।
नया मत उतनी ह बार उसके एक नये हःसे के Hप म वापस आ गया है । इसीिलए िस=ात के
सवाल कभी साथ-साथ नहं उठे और पIरभा$षत नहं हए
ु , सामा;जक संघष6 का हल नहं हआ
ु ।
हद ू धम नये मत* को जम दे ने म उतना ह तेज है ;जतना ूोटे ःटे ट मत , लेकन उन सभी के
ऊपर वह एकता का एक अजीब आवरण डाल दे ता है जैसी एकता कैथोिलक संगठन* ने अदHनी
भेद* पर रोक लगा कर कायम क है । इस तरह हद ू धम म जहां एक ओर क"टरता और
अध$वNास का घर है , वहां नई-नई खोज* क Eयवःथा भी है । हद ू धम अब तक अपने अदर
उदारवाद और क"टरता के झगड़े का हल 7य* नहं कर सका , इसका पता लगाने क कोिशश करने
के पहले , जो बुिनयाद O$Pभेद हमेशा रहा है , उस पर नजर डालना जHर है । चार बड़े और ठोस
सवाल* - वण , Qी , सDप$G और सहनशीलता के बारे म हद ू धम बराबर उदारवाद और
क"टरता का Rख बारबार से लेता रहा है ।

चार हजार साल या उससे भी अिधक समय पहले कुछ हदओं


ु के कान म दसरे
ू हदओं
ु के Sारा
सीसा गलाकर डाल दया जाता था और उनक जबान खींच ली जाती थी । 7य*क वण Eयवःथा
का िनयम था क कोई शूि वेद* को पढे या सुने नहं । तीन सौ साल पहले िशवाजी को यह मानना
पड़ा था क उनका वंश हमेशा ॄाWण* को ह मऽी बनायेगा ताक हद ू रितय* के अनुसार उनका
राजितलक हो सके । करब दो सौ वष पहले , पनीपत क आ;खर लड़ाई म ;जसके फलःवHप
हदःतान
ु पर अंमेज* का राZय कायम हआ
ु , एक हद ू सरदार दसरे
ू सरदार से इसिलए लड़ गया
क वह , अपने वण के अनुसार ऊंची जमीन पर तDबू लगाना चाहता था । करब पिह साल पहले
एक हद ू ने हद[व
ु क र\ा करने क इ]छा से महा[मा गांधी पर बम फका था , 7य*क उस
ु ू का नाश करने म लगे थे । कुछ दन* पहले तक , और कुछ इलाक* म अब भी
समय वे छआछत
ू हदओं
हद ू नाई अछत ु क हजामत बनाने को तैयार नहं होते , हालांक गैर हदओं
ु का काम
करने म उह कोई एतराज नहं होता ।

इसके साथ ह ूाचीन काल म वण Eयवःथा के ;खलाफ दो बड़े $विोह हए


ु । एक पूरे उपिनषद म
वणEयवःथा को सभी Hप* म पूर तरह खतम करने क कोिशश क गयी है । हदःतान
ु के
ूाचीन साह[य म वण-Eयवःथा का जो $वरोध िमलता है , उसके Hप , भाषा और $वःतार से पता
चलता है क ये $वरोध दो अलग-अलग काल* म हए
ु - एक आलोचना का काल और दसरा
ू िनदा
का । इस सवाल को भ$वंय क खोज* के िलए छोड़ा जा सकता है , लेकन इतना साफ है क मौय
और गु_ वंश* के ःवण-काल , वण-Eयवःथा के एक Eयापक $वरोध के बाद हए
ु । लेकन वण कभी
पूर तरह खतम नहं होते । कुछ काल* म बहत
ु स`त होते हA और कुछ अय काल* म उनका बंधन
ढला पड़ जाता है । क"टरपथी और उदारवाद , वण Eयवःथा के अदर ह एक-दसरे
ू से जुड़े रहते
हA और हद ू इितहास के दो काल* म एक या दसर
ू धारा के ूभु[व का ह अतर होता है । इस
समय उदारवाद का जोर है और क"टर पंिथय* म इतनी हDमत नहं क वे मुखर हो सक । लेकन
क"टरता उदारवाद $वचार* म घुसकर अपने को बचाने क कोिशश कर रह है ।अगर जमना वण6
क बात करने का समय नहं तो कमणा जाितय* क बात क जाती है । अगर लोग वण Eयवःथा
का समथन नहं करते तो उसके ;खलाफ काम भी शायद ह कभी करते हA और एक वातावरण बन
गया है ;जसम हदओं
ु क तक बु$= और उनक दमागी आदत* म टकराव है । Eयवःथा के Hप म
वण कहं-कहं ढले हो गए हA लेकन दमागी आदत के Hप म अभी भी मौजूद हA । इस बात क
आशंका है क हद ू धम म क"टरता और उदारता का झगड़ा अभी भी हल न हो ।
आधुिनक साह[य ने हम यह बताया है क केवल Qी ह जानती है क उसके ब]चे का $पता
कौन है , लेकन तीन हजार वष या उसके भी पहले जबाला को ःवयं भी नहं मालूम था क उसके
ब]चे का $पता कौन है और ूाचीन साह[य म उसका नाम एक प$वऽ Qी के Hप म आदर के साथ
िलया गया है । हालांक वण-Eयवःथा ने उसके बेटे को ॄाWण बनाकर उसे भी हजम कर िलया ।
उदार काल का साह[य हम चेतावनी दे ता है क पIरवार* के ॐोत क खोज नहं करनी चाहए
7य*क नद के ॐोत क तरह वहां भी गदगी होती है । अगर Qी बला[कार का सफलतापूवक

$वरोध न कर सके तो उसे कोई दोष नहं होता 7य*क इस साह[य के अनुसार Qी का शरर हर
महने नया हो जाता है । Qी को भी तलाक और सDप$G का अिधकार है । हद ू धम के ःवण युग*
म Qी के ूित यह उदार O$Pकोण िमलता है जबक क"टरता के युग* म उसे केवल एक ूकार क
सDप$G माना गया है जो $पता , पित या पुऽ के अिधकार म रहती है । इस समय हद ू Qी एक
अजीब ;ःथित म है , ;जसम उदारता भी है और क"टरता भी । दिनया
ु के और भी हःसे से यहां
Qी के िलए सDमान पूण पद पाना आसान है लेकन सDप$G और $ववाह के सDबध म पुRष के
समान ह Qी के भी अिधकार ह* , इसका $वरोध अब भी होता है । मुझे ऐसे पचb पढ़ने को िमले
;जनम Qी को सDप$G का अिधकार न दे ने क वकालत इस तक पर क गई थी क वह दसरे
ू धम
के Eय$8 से ूेम करने लग कर अपना धम न बदल दे , जैसे यह दलील पुRष* के िलए कहं Zयादा

सच न हो । जमीन के छोटे -छोटे टकड़े न ह* , यह अलग सवाल है , जो Qी व पुRष दोन* वाIरस* पर

लागू होता है ,और एक सीमा से छोटे टकड़* ु
और टकड़* ु
के और टकड़े न होने पाय , इसका कोई
तरका िनकालना चाहए । जब तक कानून या रित-Iरवाज या दमागी आदत* म Qी और पुRष के
बीच $ववाह और सDप$G के बारे म फक रहे गा ,तब तक क"टरता पूर तरह खतम नहं होगी ।
हदओं
ु के अदर Qी को दे वी के Hप म दे खने क इ]छा , जो अपने उ]च ःथान से कभी न उतरे ,
उदार-से-उदार लोग* के दमाग म भी बेमतलब के और सदे हाःपद खयाल पैदा कर दे ती है ।
उदारता और क"टरता एक-दसरे
ू से जुड़ रह गी जब तक हद ू अपनी Qी को अपने समान ह
इसान नहं मानने लगता ।

हद ू धम सDप$G क भावना , संचय न करने और लगाव न रखने के िस=ात के कारण उदार है ।
लेकन क"टरपंथी हद ू कम िस=ात क इस ूकार Eया`या करता है क धन और जम या
श$8 म बड़े Eय$8 का ःथान ऊंचा है और जो कुछ है , वह ठdक भी है । सDप$G का मौजूदा सवाल
क िम;eकयत िनजी हो या सामा;जक हाल ह का है । लेकन सDप$G क ःवीकृ त Eयवःथा या
सDप$G से कोई लगाव न रखने के Hप म यह सवाल हद ू दमाग म बराबर रहा है । अय सवाल*
क तरह सDप$G और श$8 के सवाल* पर भी हद ू दमाग अपने $वचार* को अपनी ताकक
पIरणित तक कभी नहं ले जा पाया । समय और Eय$8 के साथ हद ू धम म इतना ह फक पड़ता
है क सDप$G के एक या दसरे
ू $वचार को ूाथिमकता िमलती है । आम तौर पर यह माना जाता है
क सहंणुता हदओं
ु का $वशेष गुण है । यह गलत है , िसवाय इसके क खुला उ[पात अभी तक
उसे पसद नहं रहा ।हद ू धम म क"टर पंथी हमेशा ूभुताशाली मत के अलावा अय मत* और
$वNास* का दमन करके एकHपता के Sारा एकता कायम करने क कोिशश करते रहे हA लेकन
उह कभी सफलता नहं िमली ।उह अब तक , आम तौर पर , बचपना ह माना जाता था 7य*क
कुछ समय पहले तक $व$वधता म एकता का िस=ात हद ू धम के अपने मत* पर ह लागू कया
जाता था । इसिलए हद ू धम म लगभग हमेशा ह सहंणुता का अंश बल ूयोग से Zयादा रहता
था । लेकन यूरोप के बु$=वाद ने इससे िमलते-जुलते ;जस िस=ात को जम दया है , उससे
उसका अथ समझ लेना चाहए । वाeटे यर जानता था क उसका $वरोधी गलती पर है ,फर भी वह
सहंणुता के के िलए , $वरोध के खुलकर बोलने के अिधकार के िलए लड़ने को तैयार था इसके
$वपरत हद ू धम म सहंणुता क बुिनयाद पर यह है क अलग-अलग बात भी अपनी जगह पर
सह हो सकती हA । वह मानता है क अलग -अलग \ेऽ* और वग6 म अलग िस=ात और चलन हो
सकते हA , और उनक बीच वह कोई फैसला करने को तैयार नहं । वह आदमी क ;जदगी म
एकHपता नहं चाहता , ःवे]छा से भी नहं , और ऐसी $व$वधता म एकता चाहता है ;जसक
पIरभाषा नहं क जा सकती , लेकन जो अब तक उसके अलग - अलग मत* को एक लड़ म
$परोती रह है । अत: उसम सहंणुता का गुण इस $वNास के कारण है क कसी भी ;जदगी म
हःत\ेप नहं करना चाहए इस $वNास के कारण क अलग-अलग बात गलत ह ह* यह जHर
नहं है , ब;eक वे स]चाई को अलग - अलग ढं ग से Eय8 कर सकती हA ।

क"टरपंिथय* ने अ7सर हद ू धम म एकHपता क एकता कायम करने क कोिशश क है ।


उनके उgे ँय हमेशा़ संदiध नहं रहे । उनक कोिशश* के पीछे अ7सर शायद ःथािय[व और श$8
क इ]छा थी , लेकन उनके काम* के नतीजे हमेशा बहत
ु बुरे हए
ु । मA भारतीय इितहास का एक भी
ऐसा काल नहं जानता ;जसम क"टरपंथी हद ू धम भारत म एकता या खुशहाली ला सका हो ।
जब भी भारत म एकता या खुशहाली आई , तो हमेशा वण , Qी , सDप$G , सहंणुता आद के
सDबध म हद ू धम म उदारवादय* का ूभाव अिधक था । हद ू धम म क"टरपंथी जोश बढ़ने
ू है और भारतीय राj म , राZय और
पर हमेशा दे श सामा;जक और राZनीितक O$Pय* से टटा
ू कर
समुदाय के Hप म $बखराव आया है । मA नहं कह सकता क ऐसे सभी काल , ;जनम दे श टट
छोटे -छोटे राZय* म बंट गया , क"टरपंथी ूभुता के काल थे , लेकन इसम कोई शक नहं क दे श
म एकता तभी आई जब हद ू दमाग पर उदार $वचार* का ूभाव था ।

आधुिनक इितहास म दे श म एकता लाने क कई बड़ कोिशश असफल हk


ु । lानेNर का उदार
मत िशवाजी और ूथम बाजीराव के काल म अपनी चोट पर पहंु चा , लेकन सफल होने के पहले
ह पेशवाओं क क"टरता म िगर गया । फर गुR नानक के उदारमत से शुR होने वाला आदोलन
रणजीत िसंह के समय अपनी चोट पर पहंु चा , लेकन जeद ह िस7ख सरदार* के क"टरपंथी
झगड़* म पितत हो गया । ये कोिशश , जो एक बार असफल हो गयीं , आजकल फर से उठने क
बड़ तेज कोिशश करतीं हA , 7य*क , इस समय महाराj और पंजाब से क"टरता क जो धारा उठ
रह है , उसका इन कोिशश* से गहरा और पापपूण आ;[मक सDबध है । इन सब म भारतीय
इितहास के $वmाथn के िलए पढ़ने और समझने क बड़ साममी है जैसे धािमक सत* और दे श म
एकता लाने क राजनीितक कोिशश* के बीच कैसा िनकट सDबध है या क पतन के बीज कहां हA ,
$बलकुल शुR म या बाद क कसी गड़बड़ म या क इन समूह* Sारा अपनी क"टरपंथी सफलताओं
को दहराने
ु क कोिशश* के पीछे 7या कारण हA ? इसी तरह $वजयनगर क कोिशश और उसके पीछे
ूेरणा िनDबाक क थी या शंकराचाय क , हDफ
ु क महानता के पीछे कौन-सा सड़ा हआ
ु बीज था ,
इन सब बात* क खोज से बड़ा लाभ हो सकता है । फर शेरशाह और अकबर क उदार कोिशश* के
पीछे 7या था और औरं गजेब क क"टरता के आगे उनक हार 7य* हई
ु ।

दे श म एकता लाने क भारतीय लोग* और महा[मा गांधी क एकदम हाल क कोिशश कामयाब
हई
ु है , लेकन आंिशक Hप म ह।इसम कोई शक नहं क पांच हजार वष6 से अिधक क उदारवाद
धाराओं ने इस कोिशश को आगे बढ़ाया , लेकन इसके तकालीन ॐोत म यूरोप के उदारवाद ूभाव
के अलावा 7या है , तुलसी या कबीर या चैतय और सत*क महान परDपरा या अिधक हाल के
धािमक राजनीितक नेता जैसे राममोहन राय और फैजाबाद के $विोह मौलवी । फर, $पछले पांच
हजार साल* क क"टरपंथी धाराय भी िमलकर इस कोिशश को असफल बनाने के िलए जोर लगा
रह हA और अगर इस बार क"टरता क हार हई
ु , तो वह फर नहं उठे गी ।

केवल उदारता ह दे श म एकता ला सकती है । हदःतान


ु बहत
ु बड़ा और पुराना दे श है । मनुंय
क इ]छा के अलावा कोई श$8 इसम एकता नहं ला सकती । क"टरपंथी हद[व
ु अपने ःवभाव
के कारण ह ऐसी इ]छा नहं पैदा कर सकता , लेकन उदार हद[व
ु कर सकता है , जैसा पहले
कई बार कर चुका है । हद ू धम संकुिचत O$P से , राजनीितक धम , िस=ात* और संगठन का
धम नहं है । लेकन राजनीितक दे श के इितहास म एकता लाने क बड़ कोिशश* को इससे ूेरणा
िमली है ,और उनका यह ूमुख माoयम रहा है ।हद ू धम म उदारता और क"टरता के महान यु=
को दे श क एकता और $बखराव क श$8य* का संघष भी कहा जा सकता है । लेकन उदार
हद[व
ु पूर तरह समःया का हल नहं कर सका । $व$वधता म एकता के िस=ात के पीछे सड़न
और $बखराव के बीज िछपे हA । क"टरपंथी त[व* के अलावा जो हमेशा ऊपर से उदार हद ू $वचार*
म घुस आते हA और हमेशा दमागी सफाई हािसल करने म Rकावट डालते हA , $व$वधता म एकता
का िस=ात ऐसे दमाग को जम दे ता है जो समृ= और िन;ंबय दोन* ह है । हद ू धम का
बराबर छोटे -छोटे मत* म बंटते रहना बड़ा बुरा है , ;जनम से हर एक अपना अलग शोर मचाये रहता
है और उदार हद[व
ु उनको एकता के आवरण म ढकने क चाहे ;जतनी भी कोिशश करे , वे
अिनवाय ह राZय के सामूहक जीवन म कमजोर पैदा करते हA ।एक आqयजनक उदासीनता फैल
जाती है ।कोई इन बराबर होने वाले बंटवार* क िचता नहं करता जैसे सबको यकन हो क वे एक
दस
ू रे के ह अंग हA । इसी से क"टरपंथी हद[व
ु को अवसर िमलता है और श$8 क इ]छा के Hप
म चालक श$8 िमलती है , हालांक उसक कोिशश* के फलःवHप और भी Zयादा कमजोर पैदा
होती है ।

उदार और क"टरपंथी हद[व


ु के महायु= का बाहर Hप आज-कल यह हो गया है क
मुसलमान* के ूित 7या Rख हो । लेकन हम एक \ण के िलए भी यह न भूल क यह बाहर Hप
है और बुिनयाद झगड़े जो अभी तक हल नहं हए
ु , कहं अिधक िनणायक हA । महा[मा गांधी क
ह[या , हद-ू मु;ःलम झगड़े क घटना उतनी नहं थी ;जतनी हद ू धम क उदार व क"टरपंथी
धाराओं के यु= क। इसके पहले कभी कसी हद ू ने वण , Qी , सDप$G और सहंणुता के बारे म
क"टरता पर इतनी गहर चोट नहं क थीं। इसके ;खलाफ सारा जहर इक"ठा हो रहा था । एक बार
पहले भी गांधीजी क ह[या करने क कोिशश क गई थी । उस समय उसका खुला और साफ
उgे ँय यह था क वण Eयवःथा को बचाकर हद ू धम क र\ा क जाय । आ;खर और कामयाब
कोिशश का उgे ँय ऊपर से यह दखाई पड़ता था क इःलाम के हमले से हद ू धम को बचाया
जाय , लेकन इितहास के कसी भी $वmाथn को कोई सदे ह नहं होगा क यह सबसे बड़ा और
जघय जुआ था , जो हारती हई
ु क"टरता ने उदारता से अपने यु= म खेला । गांधीजी का ह[यारा ,
वह क"टरपंथी त[व था जो हमेशा हद ू दमाग के अदर बैठा रहता है , कभी दबा हआ
ु और कभी
ूकट , कुछ हदओं
ु म िन;ंबय और कुछ म तेजी से । जब इितहास के पने गांधीजी क ह[या
को क"टरपंथी - उदार हद[व
ु के यु= क एक घटना के Hप म रखगे और उन सभी पर अिभयोग
लगायगे ;जह वण6 के ;खलाफ और ;Qय* के हक म , सDप$G के ;खलाफ और सहंणुता के हक
म , गांधीजी के काम* से गुःसा आया था , तब शायद हद ू धम क िन;ंबयता और उदासीनता
नP हो जाए ।

अब तक हद ू धम के अदर क"टर और उदार एक - दसरे


ू से जुड़े 7य* रहे और अभी तक उनके
बीच कोई साफ और िनणायक लड़ाई 7य* नहं हई
ु , यह एक ऐसा $वषय है ;जस पर भारतीय
इितहास के $वmाथn खोज कर तो बड़ा लाभ हो सकता है ।अब तक हद ू दमाग से क"टरता कभी
पूर तरह दरू नहं हई
ु , इसम कोई शक नहं । इस झगड़े का कोई हल न होने के $वनाशपूण नतीजे
िनकले , इसम भी कोई शक नहं । जब तक हदओं
ु के दमाग म वणभेद $बeकुल ह खतम नहं
होते, या Qी को $बeकुल पुRष के बराबर ह नहं माना जाता , या सDप$G और Eयवःथा के
सDबध को पूर तरह तोड़ा नहं जाता तब तक क"टरता भारतीय इितहास म अपना $वनाशकार
काम करती रहे गी और उसक िन;ंबयता को कायम रखेगी । अय धम6 क तरह हद ू धम
िस=ात* और बंधे हए
ु िनयम* का धम नहं है ब;eक सामा;जक संगठन का एक ढं ग है , और यह
कारण है क उदारता और क"टरता का यु= कभी समाि_ तक नहं लड़ा गया और ॄाWण-बिनया
िमलकर सदय* से दे श पर अ]छा या बुरा शासन करते आए हA ;जसम कभी उदारवाद ऊपर रहते
हA कभी क"टरपंथी ।

उन चार सवाल* पर केवल उदारता से काम नहं चलेगा । अंितम Hप से उनका हल करके हद ू
दमाग से इस झगड़े को पूर तरह खतम करना होगा । इन सभी हल न होनेवाले झगड़* क पीछे
िनगुण
 और सगुण स[य के सDबध का दाशिनक सवाल है । इस सवाल पर उदार और क"टर
हदओं
ु के Rख म बहुत कम अतर है । मोटे तौर पर , हद ू धम सगुण स[य के आगे िनगुण

स[य क खोज म जाना चाहता है , वह सृ$P को झूठा तो नहं मानता लेकन घटया कःम का
स[य मानता है । दमाग से उठकर परम स[य तक पहंु चने के िलये वह इस घटया स[य को छोड़
दे ता है । वःतुत: सभी दे श* का दशन इसी सवाल को उठाता है । दसरे
ू दे श* म यह सवाल अदकतर
दशन म ह सीिमत रहा है , जबक हदःतान
ु म यह जनसाधारण के $वNास का एक अंग बन
गया है ।

दशन को संगीत क धुन दे कर $वNास म बल दया गया है । दाशिनक* ने परम स[य क खोज
म आम तौर पर सांसाIरक स[य से $बeकुल ह इकार कया है । इस कारण आधुिनक $वN पर
उसका ूभाव बहत
ु कम पड़ा है । लेकन दसरे
ू दे श* म वैlािनक और सांसाIरक भावना ने बड़
उ[सुकता से ूकृ ित क सार जानकार को इक"ठा कया , अलग - अलग करके बमब= कया
और उह एक म बाँधने वाले िनयम खोज िनकाले ।इससे आधुिनक मनुंय को , जो मु`यत:
यूरोपीय है , जीवन पर $वचार कर एक खास O$Pकोण िमला है । वह सगुण स[य को , जैसा है वैसा
ह बड़ खुशी से ःवीकार लेता है । इसके अलावा ईसाई मत क नैितकता ने मनुंय के अ]छे काम*
को ईNरय काम का पद ूदान कया है ।इन सबके फलःवHप जीवन क असिलयत* का वैlािनक

और नैितक उपयोग होता है । लेकन हद ू धम कभी अपने दाशिनक आधार से छटकारा नहं पा
सका । लोग* का साधारण $वNास भी Eय8 और ूकट सगुण स[य से आगे जाकर अEय8 और
अूकट िनगुण
 स[य को दे खना चाहता है । यूरोप म भी मoय युग म ऐसा ह O$Pकोण था लेकन
फर कह दं ू क यह दाशिनक* तक ह सीिमत था और सगुण स[य से इकार कर करके उसे नकली
मानता था जबक आम लोग ईसाई मत को नैितक $वNास के Hप म मानते थे और उस हद तक
ःवीकार करते थे । हद ू धम ने कभी जीवन क असिलयत* से $बeकुल इकार नहं कया ब;eक
वह उह घटया कःम का स[य मानता है और आज तक हमेशा ऊंचे ूकार के स[य क खोज
करने क कोिशश करता रहा है । यह लोग* के साधारण $वNास का अंग है ।

एक बड़ा अ]छा उदाहरण मुझे याद आता है । कोणाक के $वशाल लेकन आधे नP मंदर म
प[थर* पर हजार* मूितयां खुद हई
ु िमलती हA । ;जदगी क असिलयत* क तःवीर दे ने म कलाकार
ने कसी तरह क क कंजूसी या संकोच नहं दखाया है । ;जंदगी क सार $विभनताओं को उसने
ःवीकार कया है । उसम भी एक बमब= Eयवःथा मालूम पड़ती है । सबसे नीचे क मूितय* म
िशकार , उसके ऊपर ूेम , फर संगीत और फर श$8 का िचऽण है ।हर चीज म बड़श$8 और
बयाशीलता है । लेकन म;दर के अदर कुछ नहम है , और जो मूितयां हA भी उनम शा;त और
खामोशी का िचऽण है । बाहर क गित और बयाशीलता से अदर क खामोशी और ;ःथरता
,मंदर म बुिनयाद तौर पर यह अंकत है । परम स[य क खोज कभी बद नहं हई
ु ।

िचऽकला क अपे\ा वाःतुकला और मूितकला के अिधक $वकास क भी अपनी अलग कहानी है


। वःतुत: जो ूाचीन िचऽ अब भी िमलते है , वाःतुकला पर ह आधाIरत हA । सDभवत: परम स[य
के बारे म अपने $वचार* को Eय8 करना िचऽकला क अपे\ा वाःतुकला और मूितकला म Zयादा
सरल है ।

अत: हद ू Eय$8[व दो हःस* म बंट गया है । अ]छd हालत म हद ू सगुण स[य को ःवीकार
करके भी िनगुण
 परम स[य को नहं भूलता और बराबर अपनी अतO $P को $वकिसत करने क
कोिशश करता रहता है , और बुर हालत म उसका पाखंड असीिमत होता है । हद ू शायद दिनया

का सबसे बडा पाखंड होता है , 7य*क वह न िसफ दिनया
ु के सभी पाखंडय* क तरह दस
ू र* को
धोखा दे ता है ब;eक अपने को धोखा दे कर खुद अपना नुकसान भी करता है । हद ू धम अपने
माननेवाल* को , छोटे से छोटे को भी, ऐसी दाशिनक समानता , मनुंय और मनुंय और अय
वःतुओं क एकता ूदान करता है ;जसक िमसाल कहं और नहं िमलती। दाशिनक समानता के
इस $वNास के साथ ह गद से गद सामा;जक $वषमता का Eयवहार चलता है । मुझे अ7सर
लगता है क दाशिनक हद ू खुशहाल होने पर गरब* और शूि* से पशुओं जैसा , पशुओं से प[थर*
जैसा और अय वःतुओं से दसर
ू वःतुओं क तरह Eयवहार करता है । शाकाहार और अहं सा िगर
कर िछपी हई
ु बूरता बन जाती है । अब तक क सभी मानवीय चेPाओं के बारे म यह कहा जा
सकता है क एक न एक ;ःथित म हर जगह स[य बूरता म बदल जाता है और सुदरता
अनैितकता म ।लेकन हद ू धम म यह और* क अपे\ा Zयादा सच है ।हद ू धम ने सचाई और
सुदरता क ऐसी चोटयां हािसल कं जो कसी और दे श म नहं िमलतीं, लेकन वह ऐसे अंधेरे
गsढ* म भी िगरा है जहां तक कसी और दे श का मनुंय नहं िगरा । जब तक हद ू जीवन क
असिलयत* को , काम और मशीन , जीवन और पैदावार , पIरवार और जनसं`या वृ$= , गरबी
और अ[याचार और ऐसी अय असिलयत* को वैlािनक और लौकक O$P से ःवीकार करना नहं
सीखता , तब तक वह अपने बंटे हए
ु दमाग पर काबू नहं पा सकता और न क"टरता को ह खतम
कर सकता है , ;जसने अ7सर उसका स[यानाश कया है ।

इसका यह अथ नहं क हद ू धम अपनी भावधारा ह छोड़ दे और जीवन और सभी चीज* क
एकता क कोिशश न करे । यह शायद उसका सबसे बड़ा गुण है । अचानक मन म भर जाने वाली
ममता , भावना क चेतना और ूसार , ;जसम गांव का लड़का मोटर िनकलने पर बकर के ब]चे
को इस तरह िचपटा लेता है जैसे उसी म उसक ;जदगी हो ,या कोई सूखी जड़* और हर शाख* के
पेड़ को ऐसे दे खता है जैसे वह उसी का एक अंश हो , एक ऐसा गुण है जो शायद सभी धम6 म
िमलता है लेकन कहं उसने ऐसी गहर और ःथायी भावना का Hप नहं िलया जैसा हद ू धम म ।
बु$= का दे वता दया के से $बeकुल अलग है । मA नहं जानता क ईNर है या नहं है लेकन मA इतना
जानता हंू क सारे जीवन और सृ$P को एक म बांधने वाली ममता क भावना है , हालांक अभी वह
एक दल
ु भ भावना है । इस भावना को सारे काम* , यहां तक क झगड़* क भी पृtभूिम बनाना
शायद Eयवहार म मुमकन न हो । लेकन यूरोप केवल सगुण , लौकक स[य को ःवीकार करने के
फलःवHप उ[पन झगड़* से मर रहा है तो हदःतान
ु केवल िनगुण
 , परम स[य को ह ःवीकार
करने के फलःवHप िन;ंबयता से मर रहा है । मA बेहचक कह सकता हंू क मुझे सड़ने क अपे\ा
झगड़े से मरना Zयादा पसद है । लेकन $वचार और Eयवहार के 7या यह दो राःते मनुंय के
सामने हA ? 7या खोज क वैlािनक भावना का एकता क रागा[मक भावना से मेल बैठाना
मुमकन नहं है ? ;जसम एक दसरे
ू के अधीन न हो और समान गुण* वाले दो बम* के Hप म दोन*
बराबर क जगह पर ह* । वैlािनक भावना वण के ;खलाफ और ;Qय* के हक म , सDप$G के
;खलाफ और सहंणुता के हक म काम करे गी और धन पैदा करने के ऐसे तरके िनकालेगी ;जससे
भूख और गरबी दरू होगी । एकता क सृजना[मक भावना वह रागा[मक श$8 पैदा करे गी ;जसके
$बना मनुंय क बड़-से-बड़ कोिशश लाभ , ईंया , और घृणा म बदल जाती हA ।

यह कहना मु;ँकल है क हद ू धम यह नया दमाग पा सकता है और वैlािनक रागा[मक


भावनाओं म मेल बैठ सकता है या नहं । लेकन हद ू धम दर असल है 7या ? इसका कोई एक
उGर नहं , ब;eक कई उGर हA । इतना िन;qत है क हद ू धम कोई खास िस=ात या संगठन
नहं है न $वNास और Eयवहार का कोई िनयम उसके िलए अिनवाय ह है । ःमृितय* और कथाओं
, दशन और रितय* क एक पूर दिनया
ु है ;जसका कुछ हःसा बहत
ु ह बुरा है और कुछ ऐसा है जो
मनुंय के काम आ सकता है । इन सबसे िमलकर हद ू दमाग बनता है ;जसक $वशेषता कुछ
$वSान* ने सहंणुता और $व$वधता म एकता बतायी है । हमने इस िस=ात क किमयाँ दे खीं और
यह दे खा क क दमागी िन;ंबयता दरू करने के िलए कहां उसम सुधार करने क जHरत है । इस
िस=ात को समझने म आम तौर पर यह गलती हो जाती है क उदार हद ू धम हमेशा अ]छे
$वचार* और ूभाव* को अपना लेता है चाहे वे जहां से भी आये ह* , जबक क"टरता ऐसा नहं
करती । मेरे `याल म यह $वचार अlानपूण है । भारतीय इितहास के पन* म मुझे ऐसा कोई
काल नहं िमला ;जसम आजाद हद ू ने $वदे श* म $वचार* या वःतुओं क खोज क हो ।
हदःतान
ु और चीन के हजार* साल के सDबध म मA िसफ पांच वःतुओं के नाम जान पाया हंू
;जनम िसदरू भी है , जो चीन से भारत लाइ गई । $वचार* के \ेऽ म कुछ भी नहं आया ।

आजाद हदःतान
ु का आम तौर पर बाहर दिनया
ु से एक तरफा Iरँता होता था , ;जसम कोई
$वचार बाहर से नहं आते थे और वःतुएं भी कम ह आती थीं , िसवाय चांद आद के । जब कोई
$वदे शी समुदाय आ कर यहां बस जाता और समय बीतने पर हद ू धम का ह एक अंग या वण
बनने क कोिशश करता तब जHर कुछ $वचार और कुछ चीज अदर आतीं । इसके $वपरत
गुलाम हदःतान
ु और उस समय का हद ू धम $वजेता क भाषा , उसक आदत* और उसके
रहन-सहन क बड़ तेजी से नकल करता है । आजाद म दमाग क आ[मिनभरता के साथ
गुलामी म पूरा दमागी दवािलयापन िमलता है । हद ू धम क इस कमजोर को कभी नहं
समझा गया और यह खेद क बात है क उदारवाद हद ू अlानवश , ूचार के िलए इसके $वपरत
बात फैला रहे हA । आजाद क हालत म हद ू दमाग खुला जHर रहता है , लेकन केवल दे श के
अदर होने वाली घटनाओं के ूित । बाहर $वचार* और ूभाव* के ूित तब भी बद रहता है । यह
उसक एक बड़ कमजोर है और भारत के $वदे शी शासन का िशकार होने का एक कारण है । हद ू
दमाग को अब न िसफ अपने दे श के अदर क बात* ब;eक बाहर क बात* के ूित भी अपना
दमाग खुला रखना होगा और $व$वधता म एकता के अपने िस=ात को सार दिनया
ु के $वचार
और Eयवहार पर लागू करना होगा ।

आज हद ू धम म उदारता और क"टरता क लड़ाई ने हद-ू मु;ःलम झगड़े का ऊपर Hप ले


िलया है लेकन हर ऐसा हद ू जो अपने धम और दे श के इितहास से पIरिचत है , उन झगड़* क
ओर भी उतना ह oयान दे गा जो पांच हजार साल से भी अिधक समय से चल रहे हA और अभी तक
हल नहं हए
ु । कोई हद ू मुसलमान* के ूित सहंणु नहं हो सकता जब तक क वह उसके साथ
ह वण और सDप$G के $वR= और ;Qय* के हक म काम न करे । उदार और क"टर हद ू धम क
लड़ाई अपनी सबसे उलझी हई
ु ;ःथित म पहंु च गयी है और संभव है उसका अंत भी नजदक ह हो
। क"टरपंथी हद ू अगर सफल हए ु
ु तो चाहे उनका उgे ँय कुछ भी हो भारतीय राZय के टकड़े कर
द गे न िसफ हद ू मु;ःलम O$P से ब;eक वण6 और ूात* क O$P से भी । केवल उदार हद ू ह
राZय को कायम कर सकते हA । अत: पांच हजार वष6 से अिधक क लड़ाई अब इस ;ःथित म आ
गयी है क एक राजनीितक समुदाय और राZय के Hप म हदःतान
ु के लोग* क हःती ह इस
बात पर िनभर है क हद ू धम म उदारता क क"टरता पर जीत हो । धािमक और मानवी सवाल
आज मु`यत: एक राजनीितक सवाल है । हद ू के सामने आज यह एक राःता है क अपने
दमाग म बांित लाये , या फर िगर कर दब जाय । उसे मुसलमान और ईसाई बनना होगा उहं
क तरह महसूस करना होगा । मA हद-ू मु;ःलम एकता क बात नहं कर रहा , 7य*क वह एक
राजनीितक , संगठना[मक या अिधक-से-अिधक सांःकृ ितक सवाल है । मA मुसलमान और ईसाई
के साथ हद ू क रागा[मक एकता क बात कर रहा हंू , धािमक $वNास और Eयवहार म नहं ,
ब;eक इस भावना म क ” मA वह हंू ” ऐसी रागा[मक एकता हािसल करना कठन मालूम पड़
सकता है , या अ7सर एक तरफा हो सकता है और उसे ह[या और र8पात क पीड़ा सहनी पड़
सकती है । मA यहां अमेIरकन गृहयु= क याद दलाना चाहंू गा ;जसम चार लाख भाई ने भाई को
मारा और छ: लाख Eय$8 मरे लेकन जीत क घड़ म अॄाहम िलंकन और अमेIरका के लोग* ने
उGर और द;\णी भाइय* के बीच ऐसी ह रागा[मक एकता दखाई ।हदःतान
ु का भ$वंय चाहे
जैसा भी हो , हद ू को अपने आप को बदल कर मुसलमान के साथ ऐसी रागा[मक एकता हािसल
करनी होगी । सारे जीव* और वःतुओं क रागा[मक एकता हािसल करनी होगी । सारे जीव* और
वःतुओं क रागा[मक एकता म हद ू का $वNास भारतीय राZय क राजनीितक जHरत भी है क
हद ू मुसलमान के साथ एकता महसूस करे । इस राःते पर बड़ Rकावट और हार हार हो सकती हA
, लेकन हद ू दमाग को कस राःते पर चलना चाहए , यह साफ है । कहा जा सकता है हद ू
धम म उदारता और क"टरता क इस लड़ाई को खतम करने का सबसे अ]छा तरका यह है क
धम से ह लड़ा जाय। यह हो सकता है । लेकन राःता टे ढा है और कौन जाने क चालाक हद ू धम
, धम $वरोिधय* को भी अपना एक अंग बनाकर िनगल जाय । इसके अलावा क"टर पंिथय* का जो
भी अ]छे समथक िमलते हA , वह कम पढ़े -िलखे लोग* म और शहर म रहने वाल* म ; गांव के
अनपढ लोग* म त[काल चाहे ;जतना भी जोश आ जाय पर वे उनके ःथायी आधार नहं बन सकते
। सदय* क बु$= के कारण पढ़े -िलखे लोग* क तरह गांव वाले भी सहंणु होते हA । कDयुिनZम या
फािसZम जैसे लोकतंऽ$वरोधी िस=ात* से ताकत पाने क खोज म , जो वण और नेत[ृ व के
िमलते जुलते $वचार* पर आधाIरत हA , हद ू धम का क"टरपंथी अंश भी धम$वरोधी का बाना
पहन सकता है । अब समय है क हद ू सदय* से इक"ठा हो रह गदगी को अपने दमाग से
िनकाल कर उसे साफ करे । ;जदगी क असिलयत* और अपनी परम स[य क चेतना , सगुण
स[य और िनगुण
 स[य के बीच उसे एक स]चा और फलदायक Iरँता कायम करना होगा । केवल
इसी आधार पर वह वण , Qी , सDप$G और सहंणुता के सवाल* पर हद ू धम के क"टपuथी को
हमेशा के िलए जीत सकेगा जो इतने दन* तक उसके $वNास* को गदा करते रहे हA और उसके
दे श के इितहास म $बखराव लाते रहे हA । पीछे हटते समय हद ू धम म क"टरता अ7सर उदारता
के अदर िछप कर बैठ जाती है । ऐसा फर न होने पाये । सवाल साफ है । समजहते
ु से पुरानी
गलितयां फर दहरायी
ु जाएंगी । इस भयानक यु= को अब खतम करना ह होगा । भारत के
दमाग क एक नई कोिशश तब शुR होगी ;जसम बौ$=क का रागा[मक से मेल होगा , जो
$व$वधता म एकता को िन;ंबय नहं ब;eक सश8 िस=ात बनायेगी और जो ःव]छ लौकक
खुिशय* को ःवीकार करके भी सभी जीव* और वःतुओं क एकता को नजर से ओझल न होने दे गी
। समा_ ( जुलाई १९५०)
१९५०

पूरे लेख क कड़यां : १.


http://kashivishvavidyalay.wordpress.com/2007/03/11/lohiahindu-banam-hindu/

२.
http://kashivishvavidyalay.wordpress.com/2007/03/12/lohiahindu-banam-hindu-2/

३. .

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