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भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली - विकिपीडिया
भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली - विकिपीडिया
प्रणाली
भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (अंग्रेज़ी: Indian Regional Navigational Satellite System) System) अथवा
इंडियन रीजनल नैविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-आईआरएनएसएस भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा
विकसित, एक क्षेत्रीय स्वायत्त उपग्रह नौवहन प्रणाली है जो पूर्णतया भारत सरकार के अधीन है।[1] प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
इसका नाम भारत के मछु वारों को समर्पित करते हुए नाविक रखा है। [2]इसका उद्देश्य देश तथा देश की सीमा से १५००
किलोमीटर की दूरी तक के हिस्से में इसके उपयोगकर्ता को सटीक स्थिति की सूचना देना है।
सात उपग्रहों वाली इस प्रणाली में
चार उपग्रह ही निर्गत कार्य करने में सक्षम हैं लेकिन तीन अन्य उपग्रह इसकी द्वारा जुटाई गई जानकारियों को और सटीक
बनायेगें।[3]
हर उपग्रह की कीमत करीब १५० करोड़ रुपए के करीब है। वहीं पीएसएलवी-एक्सएल प्रक्षेपण यान की लागत
१३० करोड़ रुपए है।[4]
भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली
उपयोगकर्ता भारत
परिचालन 2012–13
द वा
ब (https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%
A4%9A%E0%A4%BE:Indian_Regional_Navigational_Satellite_System&action=edit)
प्रथम सफलता
नाविक की पहुँच
इस प्रणाली द्वारा सतीश धवन अंतरिक्ष कें द्र से आईआरएनएसएस-1ए उपग्रह के साथ भारतीय समयानुसार 1 जुलाई 2013
रात 11:41 बजे उड़ान भरी। प्रक्षेपण के करीब 20 मिनट बाद रॉके ट ने आईआरएनएसएस-1ए को उसकी कक्षा में स्थापित
कर दिया।[5][6][7] इस उपग्रह के दस वर्षों तक कार्य करने की सम्भावना है।[8]
उद्देश्य
नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस के अनुप्रयोगों में नक्शा तैयार करना, जियोडेटिक आंकड़े जुटाना, समय का बिल्कु ल सही
पता लगाना, चालकों के लिए दृश्य और ध्वनि के जरिये नौवहन की जानकारी, मोबाइल फोनों के साथ एकीकरण, भूभागीय
हवाई तथा समुद्री नौवहन तथा यात्रियों तथा लंबी यात्रा करने वालों को भूभागीय नौवहन की जानकारी देना आदि हैं।[9] विभिन्न
क्षेत्रों जैसे आपदा प्रबंधन, वाहनों का पता लगाने, समुद्री नौवहन में मदद करना आदि कार्य भी इसके आँकड़े विश्लेषण करने
पर पता चलेंगे।[8] इसरो के मुताबिक यह प्रणाली २ तरह से सुविधायें प्रदान करेगी।[3] जनसामान्य के लिये सामान्य नौवहन व
स्थिति सेवा व दूसरी प्रतिबंधित या सीमित सेवा जो मुख्यत: भारतीय सेना, भारतीय सरकार के उच्चाधिकारियों व अतिविशिष्ट
लोगों व सुरक्षा संस्थानों के लिये होगी। इसके संचालन व रख रखाव के लिये भारत में लगभग १८ के न्द्र बनाये गये हैं।[3]
सटीकता
प्रणाली का उद्देश्य पूरे भारतीय भूमिगत इलाकों में 10 मीटर से बेहतर और हिंद महासागर में 20 मीटर से भी बेहतर और
भारत के आस-पास लगभग 1,500 किमी (930 मील) तक फै ले क्षेत्र में एक पूर्ण स्थिति सटीकता प्रदान करना है। 2017 में
स्पेस एप्लीके शन सेंटर ने कहा कि एनएवीआईसी 5 मीटर तक की स्थिति सटीकता वाले सभी उपयोगकर्ताओं को मानक
पोजीशनिंग सेवा प्रदान करेगी।[10] जीपीएस, तुलना के लिए, 20-30 मीटर की स्थिति सटीकता थी। जीपीएस के विपरीत जो
के वल एल-बैंड पर निर्भर है, एनएवीआईसी में दोहरी आवृत्ति (एस और एल बैंड) है। जब कम आवृत्ति संके त वातावरण के
माध्यम से यात्रा करता है, तो वायुमंडलीय गड़बड़ी के कारण इसकी वेग बदल जाती है। आवृत्ति त्रुटि का आकलन करने के
लिए वायुमंडलीय मॉडल पर अमेरिकी बैंकों और इसे सटीक त्रुटि का आकलन करने के लिए समय-समय पर इस मॉडल को
अद्यतन करना होगा। भारत के मामले में, वास्तविक देरी का आकलन दोहरी आवृत्ति (एस और एल बैंड) की देरी में अंतर को
मापकर किया जाता है। इसलिए, आवृत्ति त्रुटि खोजने के लिए Navic किसी भी मॉडल पर निर्भर नहीं है और जीपीएस से
अधिक सटीक है।[11]
इसरो को एक बड़ी विफलता उस वक्त मिली थी जब 2017 में पीएसएलवी का प्रक्षेपण असफ़ल रहा था, इसमें एक नाविक
सैटेलाइट था।[12] रॉके ट की हीट शील्ड रॉके ट से अलग नहीं हुई। 11 अप्रैल 2018 को एक्सएल कॉन्फ़िगरेशन में पीएसएलवी
(पीएसएलवी-सी 41) की 43 वें उड़ान द्वारा आईआरएनएसएस-1I (IRNSS-1I) सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया
था।[13][14]
प्रक्षेपण का इतिहास
आईआरएनएसएस के उपग्रहों के प्रक्षेपण का इतिहास
प्रक्षेपण वर्तमान
उपग्रह कक्षा स्थिति प्रक्षेपण यान सम्बन्धित जानकारी
तिथि स्थिति
2013-034A (https://we
नति : b.archive.org/web/2015
१
आईआरएनएसएस-1ए
भूसमकालिक 27,59°E पीएसएलवी- 0930040303/http://nssd
जुलाई कार्यरत
(IRNSS-1A) कक्षा रेखांश : सी22 c.gsfc.nasa.gov/nmc/s
2013
55°E pacecraftDisplay.do?id
=2013-034A)
2014-017A (https://web.
नति : archive.org/web/201601
आईआरएनएसएस-1बी
4 अप्रैल भूसमकालिक 30,57°
पीएसएलवी- 27093512/http://nssdc.g
कार्यरत
(IRNSS-1B) 2014 कक्षा रेखांश : सी24 sfc.nasa.gov/nmc/spac
55°E ecraftDisplay.do?id=20
14-017A)
2014-061A (https://web.
नति archive.org/web/201601
16
आईआरएनएसएस-1सी
भू-स्थिर :4,6°
पीएसएलवी- 27113909/http://nssdc.g
अक्टूबर कार्यरत
(IRNSS-1C) कक्षा रेखांश : सी26 sfc.nasa.gov/nmc/spac
2014
83°E ecraftDisplay.do?id=20
14-061A)
2015-018A (https://web.
नति : archive.org/web/201601
28 पीएसएलवी-
आईआरएनएसएस-1डी
भूसमकालिक 19,2°
27103239/http://nssdc.g
मार्च एक्स-एल कार्यरत
(IRNSS-1D) कक्षा रेखांश : sfc.nasa.gov/nmc/spac
2015 सी२७
111,75° ecraftDisplay.do?id=20
15-018A)
20 नति : 29°
आईआरएनएसएस-1ई
भूसमकालिक पीएसएलवी-
जनवरी रेखांश : कार्यरत
(IRNSS-1E) कक्षा सी31
2016 111,75°E
नति : ±5°
आईआरएनएसएस-1एफ़
10 मार्च भू-स्थिर पीएसएलवी
रेखांश : कार्यरत
(IRNSS-1F) 2016 कक्षा सी32
131,5°E
आईआरएनएसएस-1जी
28 भू-स्थिर नति : ±5° पीएसएलवी कार्यरत
(IRNSS-1G) अप्रैल कक्षा रेखांश : - सी33
2016 32,5°E
31 नति : ±5°
आईआरएनएसएस-1H
भू-स्थिर पीएसएलवी
अगस्त रेखांश : असफल
(IRNSS-1H) कक्षा - सी39
2017 32,5°E
12 नति : ±5°
आईआरएनएसएस-1I
भू-स्थिर पीएसएलवी
अप्रैल रेखांश : कार्यरत
(IRNSS-1I) कक्षा - सी41
2018 32,5°E
समान परियोजनाएँ
जीपीएस
यह अमेरिकी अंतरिक्ष विज्ञान संस्था नासा द्वारा विकसित ग्लोबल पोजीशनिंग प्रणाली (जीपीएस) है। यह इस तरह की
पहली प्रणाली है।
जीएलओएनएएसएस
यह प्रणाली रूस के ग्लोबल ऑर्बिटिंग नैविगेशन सैटेलाइट प्रणाली का संक्षिप्त नाम है इसे कई बार ग्लोनास भी लिखा जाता
है।
जीएनएसएस
यह प्रणाली यूरोपीय देशों द्वारा विकसित यूरोपियन यूनियन्स गैलीलियो का संक्षिप्त रूप है।
बेइदोउ सैटेलाइट नैविगेशन सिस्टम
यह चीनी उपग्रह नौवहन प्रणाली का नाम है।
कासी-जेनिथ सैटेलाइट सिस्टम
जापान द्वारा उपग्रह नौवहन के लिए तैयार की गई प्रणाली का नाम है।
ये भी देखें
1. "Satellites are in the sky, but long way to go before average Indians get Desi GPS" (htt
ps://timesofindia.indiatimes.com/india/satellites-are-in-the-sky-but-long-way-to-g
o-before-average-indians-get-desi-gps/articleshow/64506628.cms) . मूल से 9 जून
2018 को पुरालेखित (https://web.archive.org/web/20180609001047/https://timesofindia.i
ndiatimes.com/india/satellites-are-in-the-sky-but-long-way-to-go-before-average
-indians-get-desi-gps/articleshow/64506628.cms) . अभिगमन तिथि 9 जून 2018.
14. "Isro successfully launches navigation satellite IRNSS-1I to replace faulty IRNSS-1A"
(https://timesofindia.indiatimes.com/india/isro-successfully-launches-navigation-sat
ellite-irnss-1i-to-replace-faulty-irnss-1a/articleshow/63723847.cms) . मूल से 14
अक्तू बर 2018 को पुरालेखित (https://web.archive.org/web/20181014192237/https://timesofin
dia.indiatimes.com/india/isro-successfully-launches-navigation-satellite-irnss-1i-to-
replace-faulty-irnss-1a/articleshow/63723847.cms) . अभिगमन तिथि 12 नवंबर 2018.
बाहरी कड़ियाँ
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