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OnlyIAS UDAAN कला एवं संस्कृति (pdfnotes.co)
OnlyIAS UDAAN कला एवं संस्कृति (pdfnotes.co)
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िवषय-सूची
1. !"य कला
नागर शैल)...................................................................................................................................................................................... 22
deवड़ शैल) ...................................................................................................................................................................................... 24
वेसर शैल) ....................................................................................................................................................................................... 25
होयसल शैल) .................................................................................................................................................................................. 25
eवजयनगर शैल) ............................................................................................................................................................................. 26
नायक शैल) .................................................................................................................................................................................... 26
पाल और सेन शैल)........................................................................................................................................................................... 26
धागा पत
ु ल) ................................................................................................................................................................................... 47
छाया पत
ु ल) ................................................................................................................................................................................... 48
छड़ पत
ु ल)...................................................................................................................................................................................... 48
दFताना पत
ु ल) ............................................................................................................................................................................... 49
3.3 मह>वपण
ू + Vाचीन ?वYव?वZयालय .........................................................................................................................................54
1. !"य कला
भारतीय उपमहा<वीप म= म?ू त@कला का सबसे पहला Eमाण Fसंधु घाट. सJयता से EाKत होता होता है ।
• Fसंधु घाट. सJयता से EाKत म?ू त@यO का ?नमा@ण कां)य, प"थर, टे राकोटा, FमRट. आTद से होता था।
• कां)य को (पघलाकर म?ू त@ बनाने कV कला का Wयापक Xप से उपयोग Zकया जाता था तथा "मोम Bपघलाकर म/ू त7
बनाने क? तकनीक" या " सीर पेरदय"ू का भी इ)तेमाल Gकया जाता था।
पKथर पॉFलश Zकए हुए लाल चन ु ा प"थर से बना हुआ एक नर का धड़ हड़Kपा से EाKत हुआ है ।
सेलखड़ी से बने दाढ़= वाले पजु ार= जो मोहनजोदड़ो से EाKत हुए हb वे सम
ु ेNरयन OेPQ के उर और
सस
ु ा म= खोजे गए उसी तरह कV म?ू त@ के लगभग साcdय हb।
काँसा मोहनजोदड़ो से कां)य कV बनी हुई एक नत@कV कV म?ू त@ Fमल. है जो TPभंगा मV ु ा म= है । उसकV
बायीं बाँह तथा दायीं बाँह पर संभवतः हhडी या हाथी दांत कV बनी हुई बहुत सार. चjू ड़याँ हb।
काल.बंगया से एक अlय बैल कV म?ू त@ EाKत हुई है ।
टे राकोटा मोहनजोदड़ो से एक बड़े आकार कV दे वी माँ कV म?ू त@ EाKत हुई है जो अmछo तरह से संरp/त
हb। उनलोगO के <वारा टे राकोटा कV म?ू त@ बनाने के Fलए (पंqचंग (वqध का इ)तेमाल Zकया जाता
था। अlय उदाहरण – दाढ़. वाला आदमी, tखलौने, बैल आTद।
मह
ु र सेलखड़ी से बनी हुई बड़ी संvया म= मह
ु रO कV खोज हुई है । EाKत मह
ु र= (वFभlन आकृ?तयO तथा
आकार के हb, लेZकन उनम= wयादातर कV आकृ?त वगा@कार है । उनम= से अqधकांश मह ु रO म= एक
अ8भलेख है जो [चPाKमक 8लBप म] है (िजसे अभी तक पढ़ा नह=ं जा सका है ) िजनका उपयोग
शैbOक और वाcणिeयक उfदे gय के 8लए Zकया जाता था। मोहनजोदड़ो म= सेलखड़ी से बना
EFस<ध पशप
ु ?त मह
ु र (चार जानवरO – गbडा, भbस, हाथी और बाघ से ?घरा हुआ) EाKत हुआ है ।
गहने/आभष
ू ण Fसंधु घाट. सJयता के लोग वेश-भष
ू ा के E?त सजग/जागXक थे, उनके <वारा (वFभlन आभष
ू णO
का उपयोग Zकया जाता था। हार, पRTटका, बाजब
ू ंद और अंगूठo जैसे गहने प~
ु षO और मTहलाओं
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उड़ान: "व$रत और (व)तत
ृ पन
ु र./ण 1ंख
ृ ला कला एवं सं-कृ/त
दोनO के <वारा इ)तेमाल Zकए जाते थे। कमरबंद, झुमके और पायल केवल मTहलाओं <वारा
पहने जाते थे।
बत7न दो Eकार के बत@न - सादे और qचÅÇत FमRट. के बत@न Fमले हb। सामाlय Xप से सादे FमRट. के
बत@न अqधक Fमलते हb। लाल और काले FमRट. के बत@नO के अंतग@त लाल रं ग का उपयोग
पÉृ ठभFू म के Fलए तथा काले रं ग का उपयोग पेड़O, पp/यO, जानवरO, मानव आकृ?तयO और
wयाFमतीय E?तXप बनाने के Fलए Zकया जाता था।
उपयोग : घरे लू (पानी तथा खा<याlन के भंडारण आTद) उपयोग के Fलए। सजावट के Fलए।
?छTÖत बत@नO (नीचे म= बड़े छे द तथा ZकनारO म= छोटे छे द) के Xप म= उपयोग Zकया जाता था-
शराब को उड़ेलने के Fलए इ)तेमाल Zकया जाता था।
• मौय@ काल के दौरान भारतीय म?ू त@कला म= काफV Eग?त हुई तथा यह काफV हद तक बौfध धम7 से Eभा(वत थी।
• इस अवqध म= प"थर कV भारतीय म?ू त@कला कV उपि)थ?त को qचिàनत Zकया गया।
• धाFम@क अFभWयिâत के Xप म= म?ू त@यO का उपयोग मv
ु य Xप से )तप
ू O कV सजावट के Fलए, तोरण और मेधी के
Xप म= Zकया जाता था।
• मौय@ काल कV EFस<ध म?ू त@यO म= से य/ और य/णी कV म?ू त@ Eमख
ु हb। वे सभी धमä से संबंqधत थीं।
ब<
ु ध, बड़े कान, आँख= आधी बंद, दाTहना हाथ (भâत को न डरने का
ललाट पर उभार। संकेत दे ते हुए), ललाट पर उभार।
• Tहंद,ू बौ<ध, जैन धमä के Eसार के प$रणाम)वXप इन धमä से संबंqधत म?ू त@यां बनाई गê। दे वी दे वताओं क? म/ू त7याँ
बननी शo ु हुp।
• म?ू त@कला का मv ु य पारं प$रक क=Ö मथरु ा था, िजसके साथ साथ बौ<ध-यन
ू ानी कला का क=Ö गांधार भी फलता-फूलता
रहा।
• गुKत काल के दौरान ह. म?ू त@ ?नमा@ण कV सारनाथ कला का (वकास हुआ। मथरु ा और सारनाथ से ह. उãर भारत
के अlय Tह)सO म= म?ू त@कला का ?नया@त Zकया गया।
• (वशेषताएं - लाल बलआ
ु प"थर का उपयोग, धातु का उपयोग, म?ू त@यां को कपड़े पहने Tदखाया जाना, ब<
ु ध के Fसर
के चारO ओर Eभामंडल कV सजावट।
• उदाहरण: सë
ु तानगंज(Åबहार) से EाKत ब<
ु ध – जो एक तांबे कV म?ू त@ है ।
• दे वगढ़ म= मंTदरO से EाKत प"थरO पर कV गई नâकाशी तथा उदयqग$र और अजंता के मंTदरO से EाKत म?ू त@याँ
Fशëपकला का उ"कृÉट नमन
ू ा हb। उदाहरण - (वÉणु मंTदर, दे वगढ़, उãर Eदे श।
• ओjडशा
़ के मिlदर म= मनोहार. और यव
ु ा कV सõमोहक म)
ु कान, राजसी आभष
ू णO से सजे केशO के साथ ऐसे कई
E?तमाएं हb, िजlह= ना?यका कहते हb ।
• 12वीं शताóद. के मåय म= कोणाक@ के EFस<ध मिlदर का ?नमा@ण नरFसंहबम@न ने Zकया था । यह सय
ू @ को सम(प@त
है । इसकV कëपना (वशाल पTहयO पर प"थर के एक (वशाल रथ के Xप म= कV गई है , िजसे (पछले पैरO पर खड़े
सात अdव खींच रहे हb ।
कृÉणदे वराय के (वजयनगर साüाwय के qचदं बरम म= गोपरु O म= से एक म= भगवान कृÉण को नâकाशी म= qचÅÇत Tदखाया
गया है जो होयसल 8शrप कला का एक शानदार उदाहरण है , िजसमे भगवान 1ीकृÉण को इंÖ के Eकोप से गोकुल
वाFसयO को बचाने के Fलए गोवध@न पव@त को पकड़े हुए Tदखाया गया है ।
उपयोग क? जाने )थाप"यकला म= सामाlयतः (वFभlन Eकार कV म?ू त@कला का एक भाग सामाlयतः एक ह. Eकार
वाले सामtी सामqèयO जैसे प"थर, लकड़ी, कांच, धात,ु रे त, कV सामèी से बना होता है ।
आTद के Fम1ण का उपयोग Zकया जाता है ।
8सfधांत )थाप"यकला म= सामाlयतः (वFभlन Eकार कV म?ू त@कला का एक भाग सामाlयतः एक ह. Eकार
सामqèयO जैसे प"थर, लकड़ी, कांच, धात,ु रे त, कV सामèी से बना होता है ।
आTद के Fम1ण का उपयोग Zकया जाता है ।
उदाहरण ताजमहल, लाल Zकला आTद। नटराज कV म?ू त@ , न"ृ य करती हुई लड़कV, आTद।
• भारतीय वा)तकु ला,जो कई सTदयO के दौरान (वकFसत हुई है , सामािजक-आqथ@क तथा भौगोFलक प$रि)थ?तयO का
प$रणाम है ।
• भारतीय वा)तक
ु ला पर इ?तहास के (वFभlन कालखंडO से संबंqधत छाप प$रलp/त होते हb।
मौय7 वा-तक
ु ला
• मौय@ वा)तक
ु ला बौfध धम7 तथा जैन धम7 से sभाBवत था।
• इसे ?नõन दो भागQ वगÄकृत Zकया जा सकता है :
1. दरबार= कला : दरबार. कला राwय के संर/ण म= (वकFसत हुई तथा इसम= महल, )तõभ, )तप
ू आTद शाFमल
हb।
2. लोकBsय कला : लोक(Eय कला Wयिâतगत EयासO से (वकFसत हुई। जैसे – म?ू त@कला, मद
ृ भांड और गुहा
)थाप"य कला आTद।
1. दरबार= कला:
• कुõहरार, पाटFलपÇ
ु ा (मौय@ कV राजधानी) म= ि)थत महल।
• चंÖगुKत मौय@ का महल ईरान म= पस≠पोFलस म= अकमे?नयन महलO से Eे$रत था।
महल • अशोक के महल म= एक ऊंचा क=Ö.य )तंभ था और यह तीन मंिजला लकड़ी का ढांचा था।
• महलO कV द.वारO को नâकाFशयO और म?ू त@यO से सजाया गया था। महलO के ?नमा@ण म= लकड़ी
का मv
ु य Xप से उपयोग Zकया जाता था।
• चन
ु ार के बलआ
ु प"थर का उपयोग Zकया जाता था।
• मौय@ )तंभO म= मv
ु य Xप से चार भाग शाFमल होते थे:
1. मठ
ू : एक लंबा मठ
ू आधार का ?नमा@ण करता था तथा यह E)तर के एक ह. खंड अथवा
एकाdम (मोनोFलथ) E)तर से बना होता था।
2. शीष7 या ललाट : मठ
ू के सबसे उपर शीष@ या ललाट को रखा जाता था, जो कमाल या घंटे
के आकार का होता था।
3. शीष7 फलक : ललाट के ऊपर शीष7 फलक के oप म] Öात वÜ
ृ ाकार या आयताकार आधार
-तंभ होता था।
4. शीष7 (पश)ु म/ू त7 : आयताकार या वã
ृ ाकार आधार पर शीष@ म?ू त@ (सामाlयतः एक बैल, शेर,
हाथी, आTद जैसे जानवर) को तराशा जाता था।
• उदाहरण - लौ$रया नंदनगढ़ )तंभ (चंपारण), वाराणसी के ?नकट सारनाथ )तंभ।
• सारनाथ -तंभ का 8संह शीष7 फलक :
Ø इसका ?नमा@ण धáमचà sववत7न या ब<
ु ध के पहले उपदे श कV )म?ृ त म= अशोक के fवारा
करवाया गया था।
Ø सारनाथ )तंभ का शीष@ फलक और पशु भाग भारत का आqधका$रक राÉò.य Eतीक है ।
"सKयमेव जयते" शóद को मंड
ु क उप/नषद से Fलया गया है ।
Ø सारनाथ )तंभ के शीष@ फलक म= चार Tदशाओं का E?त?नqध"व करते हुए चार पशओ ु ं को
Tदखाया गया है – घोड़ा (पिdचम), हाथी (पव
ू )@ , वष
ृ भ (दp/ण) और शेर (उãर)।
असमानताएं :
-तप
ू वा-तक
ु ला:
• यह एक बौ<ध )मारक होता है जो कV एक अf7ध गोलाकार गंब
ु द क?
तरह होता है िजसके अंदर बf
ु ध के अवशेष तथा राख राखी हुई होती
है ।
• )तप
ू वैTदक काल से भारत म= EचFलत शवाधान ट=ले थे लेZकन उlह=
बौ<धO <वारा लोक(Eय बनाया गया था।
• )तप
ू O म= एक वã
ृ ाकार अंडा सTहत एक बेलनाकार आकृ?त होती है
और एक ह8म7का होती है तथा शीष@ पर एक छP होता है ।
• )तपू कV उ"प(ã जमीन पर एक साधारण अध@-गोलाकार ट.ले के Xप म= हुई, िजसे बाद म= अंडा कहा गया। धीरे -
धीरे , यह एक संतFु लत Xप से वã
ृ ीय तथा वगा@कार Xप जैसी अqधक जTटल संरचना म= (वकFसत होता चला गया।
• अंडा के ऊपर हFम@का होती थी, जो एक छwजे (बालकनी) जैसी संरचना होती थी जो दे वताओं के ?नवास का
E?त?नqध"व करता था।
• हरFमका से ?नकलता हुआ एक म)तल ू होता था िजसे य-ती कहा जाता था, इसके ऊपर Eायः एक छPी या छतर=
होती थी। )तपू के चारO ओर एक बाड़ा होता था, जो इस प(वÇ जगह को द?ु नया से अलग करती थी।
• उदाहरण:
1. मåय Eदे श म= सांची -तप
ू अशोक के )तप
ू O म= सबसे EFस<ध है ।
2. उãर Eदे श म= Bपपरहवा -तप
ू सबसे Eाचीनतम है ।
3. बf
ु ध क? मKृ यु के बाद बनाए गए -तप
ू : राजगह
ृ , वैशाल., क(पलव)त,ु अëलकKपा, रामèाम, वेठपीड, पावा,
कुशीनगर और (पपल. वन।
2. sमख
ु कला:
गुफा -थापKय कला • मौय@ काल के दौरान गुफाओं क? Bवशेषता अKय[धक पॉ8लशदार भीतर= द=वार] व अलंकृत
fवार थे।
• उदाहरण - Åबहार म= बराबर और नागाजन
ु7 ी गुफाओं का ?नमा@ण अशोक तथा उसके पोते
दशरथ के राwयकाल के दौरान ईसा पव
ू @ तीसर. शताóद. म= Zकया गया था। नाFसक कV
गफ
ु ाएं Tहनयान और महायान दोनO संEदायO से संबंqधत हb।
• मौय@ काल के मद
ृ भांड़O को सामाlयतः उÜर= काले पॉ8लशदार मद
ृ भांड (एनबीपीडårय)ू के
Xप म= जाना जाता है ।
मद
ृ भांड • मौय@ काल के मद
ृ भांड़O कV (वशेषता काला रं ग और अ"यqधक चमक थी और सामाlयतः
इनका उपयोग (वलाFसता कV व)तओ
ु ं के Xप म= Zकया जाता था।
• कौशांबी और पाटFलपÇ
ु एनबीपीडóëयू FमRट. के बत@नO के क=Ö थे।
मौयçÜर वा-तक
ु ला
गुफाएं :
• मौयØãर काल म= दो Eकार कV शैल गुफाओं का (वकास दे खा गया – चैKय और Bवहार।
• Bवहार का Bवकास मौय7 साéाeय के दौरान हुआ था जबGक चैKय कOQ का Bवकास मौयçÜर काल के दौरान हुआ।
• चैKय sाथ7ना के उfदे gय से बनाया गया एक आयताकार sाथ7ना कO होता था िजसके क=Ö म= )तप
ू को रखा जाता
था तथा (वहारO का उपयोग Fभ/ुओं के ?नवास )थल के Xप म= Zकया जाता था।
• उदाहरण:
Ø कालè का चैKय, अजंता क? गुफाएं
Ø उदय[गर= और खंड[गर= क? गफ
ु ाओं (ओêडशा) को कFलंग राजा खारवेल के <वारा संर/ण Eदान Zकया गया था।
ये हाथीगंफ
ु ा अ8भलेख के Fलए EFस<ध हb िजसे ëाíमी 8लBप म= उ"कVtण@त Zकया गया था।
• सतवाहन काल के दौरान, इन गुफाओं को राजकVय संर/ण EाKत हुआ और ये अqधक (व)तत ृ और अलंकृत होते
चले गए। <वारO पर (वFभlन Eकार के Fमथन ु जोड़O को उ"कVtण@त Zकया गया। बहुमंिजला गुफाएं तराशी जानी
शX
ु कV गई। काल≠ म= दो मंिजला (वहार और अजंता म= तीन मंिजला (वहार बनाए गए।
जैन गफ
ु ाएं बौfध गफ
ु ाएं
• जैना गुफाओं को बलआ
ु प"थर से तराशा गया था • बौ<ध गुफाओं को कठोर चRटानO से तराशा गया था
(तराशने के Fलए आसान लेZकन म?ू त@कला के Fलए (म?ू त@कला के Fलए उपयâ
ु त)।
मिु dकल)।
• जैना गुफाओं म= कोई सभा कO या पKथरQ से तराशे • बौ<ध गुफाओं म= सभा क/ और धा8म7क OेP होते
गए धा8म7क -थल नह=ं होते थे। थे।
• जहां भी चRटानO को काटा जा सकता था, जैन गुफाओं • बौ<ध गुफाओं को अmछo तर.के से योजना बनाकर
को वहां काटकर बनाया गया था, गुफाओं को काटने तराशा गया था।
म= कोई योजना नह=ं होती थी।
• जैना गुफाएं सरल तर=के से बनी होती थीं और उनम= • बौ<ध गुफाएं Bव-तत
ृ तथा Bवशाल होती थीं।
जैन Fभ/ुओं के सlयास कV झलक Tदखाई दे ती थी।
-तप
ू :
• मौयØãर काल म= )तप
ू Bवशाल और अ[धक अलंकृत होते गए तथा लकड़ी और pट के -थान पर s-तर का अ[धक
उपयोग Zकया जाने लगा।
• तोरण : शंग
ु राजवंश ने )तप
ू O के संद
ु रतापव
ू क
7 अलंकृत sवेश fवारQ के oप म] तोरण (ये तोरण हे ले?नि)टक Eभाव
को E?तÅबंÅबत करते हb) का ?नमा@ण आरं भ Zकया।
• उदाहरण - मîय sदे श म] भरहूत का -तप
ू ।
गmु त वा-तक
ु ला
महKवपण
ू 7 गुफ़ाएं :
मंडपेgवर क? गफ
ु ाएं महाराÉò म= ि)थत; ©ाàमण गफ
ु ाएं, बाद म= जैन गफ
ु ाओं म= प$रव?त@त।
जन
ू ागढ़ क? गुफाएं बौ<ध गुफाएं; गुजरात म= ि)थत; इनकV एक अ<(वतीय (वशेषता Eाथ@ना )थल के सामने
30-50 फुट ऊंचे नगर दग
ु @ कV उपि)थ?त है , िजसे "उपर कोट" के Xप म= जाना जाता है ।
उदय[गर= गफ
ु ाएं मåय Eदे श म= ि)थत; - चंÖगKु त <(वतीय का संर/ण EाKत, वराह या (वÉणु के सअ
ू र
अवतार कV म?ू त@ उëलेखनीय है ।
बाघ क? गुफाएं मåय Eदे श म= ि)थत; बौ<ध गुफाएं। अजंता गुफाओं के समान लेZकन qचÇकार.
आåया"मवाद. के बजाय भौ?तकवाद. अqधक हb।
अजंता क? गुफाएं महाराÉò म= ि)थत; बौ<ध गुफाएं; qचÇकार. के Fलए óे-को प] qटंग तकनीक का उपयोग
Zकया गया था। नीले रं ग का अभाव इनकV मह"वपण
ू @ (वशेषता है ।
एलोरा क? गुफाएं महाराÉò म= ि)थत; )थाप"य शैल. तथा (वषयO म= (व(वधता। Tहlद ू तथा बौ<ध गुफाओं
का ?नमा@ण राÉòकूटO के <वारा जबZक जैन गफ
ु ाओं का ?नमा@ण यादव वंश के <वारा
करवाया गया था।
अरबे%क प)ध+त
• अरबे%क, सजावट क) एक शैल. थी िजसक) 2वशेषता एक दस
ू रे से 9लपटे पौध= और ?नराकार वA)य
Cपांकन थी।
• इसक) 2वशेषता एक सतत तना होता था जो पIेदार J2वतीयक तने क) शंख ृ ला का ?नमाNण करते हुए
?नय9मत अंतराल पर 2वभािजत होता था तथा J2वतीयक तना भी पन
ु ः 2वभािजत होता था या इसे मT
ु य
ताने से 9मलने के 9लए वापस मोड़ा जाता था।
वा)तक
ु ला को दो Wयापक 1ेtणयO म= वग≥कृत Zकया जा सकता है :
1. साéाजयीक शैल= - Tदëल. के शासकO <वारा संरp/त।
2. sांतीय शैल= - )थानीय शासकO तथा सरदारO <वारा संरp/त।
2. sांतीय शैल=:
1. वा-तक
ु ला क? • pटQ और काले संगमरमर का उपयोग इस वा)तु शैल. कV (वFशÉट (वशेषता थी।
बंगाल शैल= • बांस से ?नFम@त ढलान वाले "बांìला छतO" को मस
ु लमानO <वारा अपनाया गया और
बाद म= यह अlय /ेÇO म= भी (व)तत
ृ Xप से फैल गया।
• उदाहरण : - गौड़ कV कदम रसल
ू मि)जद, बंगाल और पंडना म= अद.ना मि)जद
• Bव8भन रं ग के s-तरQ और संगमरमर का उपयोग तथा मीनारQ क? अनप
ु ि-थ/त यहाँ
कV अ<(वतीय (वशेषता थी।
2. वा-तक
ु ला क? • इसे वा-तक
ु ला क? पठान शैल= के नाम से भी जाना जाता है ।
मालवा शैल= (मîय • यरू ोपीय sभाव दे खा जा सकता है
sदे श और राज-थान) • पया7वरण अनक
ु ू लन - बड़ी tखड़Zकयां, बावल., )थानीय )तर पर उपलóध सामèी का
उपयोग, बRटार Eणाल. का उपयोग आTद।
• उदाहरण : - रानी Xपमती का मंडप, अशरफV महल, Tहंडोला महल और जहाज महल।
3. जौनपरु शैल= • शक≤ शासकO <वारा संरp/त इसFलए इसे शक• शैल= के Xप म= जाना जाता है ।
(1394–1479 ई-वी) • इसम] मीनारQ के उपयोग से बचा गया था।
• उदाहरण: अटाला मि)जद, जौनपरु
मग
ु लकाल=न वा-तक
ु ला
• मग
ु लO के आगमन के साथ इंडो इ)लाFमक वा)तक
ु ला म= लोद. के समयकाल के दौरान कV qगरावट के बाद
उëलेखनीय सध
ु ार दे खने को Fमला।
• Tदëल. सëतनत के सë
ु तानO के (वपर.त, मग
ु लO )थानीय आबाद. और राजपत
ू EांतO के साथ घल
ु -Fमल गए।
बाबर
• उसने 4 वष@ तक भारत म= शासन Zकया तथा अपना अqधकतर समय य<
ु ध करने मे Åबताया।
• हालांZक, वह उ<यानO का शौकVन था तथा उसने एक जोड़े बगीचO का ?नमा@ण भी करवाया था।
• उसने पानीपत म= काबल
ु . बाग कV मि)जद और Tदëल. के पास सõभल म= जामा मि)जद का ?नमा@ण करवाया था।
शेरशाह सरू =
• सरू . काल म= लोद. शैल. से वा)तक
ु ला कV मग
ु ल शैल. कV ओर अव)थांतर है ।
• उसके <वारा ?नFम@त इमारत= - Zकला-ए-कुहुना/परु ाने Zकले कV मि)जद (Tदëल.), रोहतास Zकला (पाZक)तान)
• उसने एक Eाचीन मौय@ माग@ का पन
ु ?न@मा@ण तथा (व)तार कराया तथा उसे सड़क-ए-आजम (महान सड़क) का नया
नाम Tदया। बाद म= इसे t}ड ¶ं क रोड के नाम से जाना जाने लगा।
• उनके जlम)थान सासाराम म= सरू = का मकबरा (लाल बलआ
ु s-तर) बनाया गया।
अकबर
जहांगीर
• इसने qचÇकला पर अqधक åयान क=TÖत Zकया था।
• उसके शासन काल म= Fसफ@ '(पएÇा hयरू ा' (द.वारO को अध@-कVमती प"थरO से बने फूलO के jडजाइनO से सजाने
कV श~ु आत हुई) कV श~ु आत हुई।
• उसने कgमीर म] शाल=मार बाग और लाहौर म] मोती मि-जद का /नमा7ण कराया।
• उसने आगरा के ?नकट Fसकंदरा म= अकबर का मकबरा बनवाया, िजसका ?नमा@ण काय@ 1613 म= परू ा हुआ।
• उनकV प"नी ने एKमाद-उद-दौला (उसके (पता) के मकबरे का ?नमा@ण कराया जो पण
ू @ Xप से सफेद संगमरमर से
बना पहला मग
ु ल ?नमा@ण था।
शाहजहां
• उसने अपनी (Eय बेगम मम
ु ताज महल कV याद म= सबसे अ<भत
ु इमारत, ताजमहल का ?नमा@ण कराया।
• ताजमहल म= मग
ु ल वा)तक
ु ला कV सभी (वशेषताएं मौजद
ू हb।
• शाहजहां के <वारा qदrल= म] लाल Gकला तथा जामा मि-जद, लाहौर म] शाल=मार बाग तथा शाहजहानाबाद शहर का
/नमा7ण कराया गया।
• मोर 8संहासन का ?नमा@ण इसी के शासनकाल म= हुआ था।
• जहांगीर के मकबरे का ?नमा@ण उसके बेटे शाहजहां के <वारा लाहौर म= Zकया था।
औरं गजेब
• इसके शासनकाल म= मगु ल वा)तक ु ला कV अवन?त हुई।
• बीबी-का-मकबरा (उसकV प"नी बेगम राÅबया दरु ा@नी का मकबरा) बनावाया गया → ताजमहल कV एक फूहड़ E?तकृ?त।
मîययग
ु ीन वा-तक
ु ला शै8लयां (इंडो इ-ला8मक को छोड़कर)
• मग
ु ल वा)तक
ु ला से Eभा(वत
• मह"वपणू @ (वशेषता – झूलते हुए छwजे (झरोखा)
• राजपत
ू महल - जैसलमेर, बीकानेर, जोधपरु , उदयपरु और कोटा पैलेस।
वा-तक
ु ला क? • मान मंTदर - ìवाFलयर का सबसे बड़ा महल, राजा मान Fसंह तोमर (1486-1516) <वारा
राजपत
ू शैल= बनवाया गया था।
• जय 8संह fवारा -थाBपत जयपरु , राजपत
ू और मग
ु ल )थाप"य शैFलयO के संयोग का E?त?नqध"व
करता है । यह नगर एक द.वार से ?घरा हुआ है और ?नयFमत अंतराल पर गढ़ और मीनारे हb।
• जयपरु म] sमख ु इमारत] - हवा महल (1799), 18वीं सद. कV श~
ु आत म= जय Fसंह <(वतीय
<वारा ?नFम@त पांच वेधशालाओं म= से सबसे बड़ी जंतर-मंतर, अlय उwजैन, मथरु ा, वाराणसी
और नई Tदëल. म= हb।
• अवध /ेÇ के आसपास अवध के नवाबO के संर/ण म= (वकFसत।
वा-तक
ु ला क? • बड़ा इमामबाड़ा → नवाब के <वारा 1784 म= ?नFम@त। मv
ु य क/ म= खंभे कV अनप
ु ि)थ?त
अवध शैल= (jडजाइन म= सरल और समFमत)
• छतर मंिजल → भFू मगत कमरे और एक सोने कV छतर. से ?घरा एक संद
ु र गंब
ु द मv
ु य
आकष@ण हb।
• oमी दरवाजा - लखनऊ –1784 म= ?नFम@त।
• काÉठ के उपयोग कV (वशेषता।
• कdमीर. वा)तकु ला 2 चरणO के तहत (वकFसत हुई , पहला मåयकाल के Eारं भ का Tहंद ू चरण
और दसू रा 14वीं शताóद. के बाद का मिु )लम चरण।
• मंqदर वा-तक
ु ला क? sमख
ु Bवशेषताएं – ÅÇदल. मेहराब (गांधार Eभाव),
कोशटा"मक (वlयास और प$रब<ध आंगन, सीधी धार वाल. (पराFमडीय छत,
)तंभO वाल. द.वार= और ÅÇकोणीय सड़क (èीक Eभाव)।
qहद ू चरण • मात©ड सय
ू 7 मंqदर – करकोटा राजवंश और उ"पाला राजवंश के अंतग@त ?नFम@त।
वा)तक
ु ला कV गांधार, चीनी और गुKत शैल. से Eभा(वत।
कgमीर शैल= • अय मंqदर – अवंतीपोर म= ि)थत मंTदर, पंडरे थन मंTदर ((वÉणु को सम(प@त),
ममलेdवर Fशव मंTदर आTद।
मिु -लम चरण • लकड़ी के लRठO तथा लकड़ी के धाFम@क )थलO, िजसे िजयारत कहा जाता है ,
के ?नमा@ण के Fलए दे वदार के पेड़O का उपयोग।
• 1ीनगर म= शाह हमदान कV मि)जद और Fसकंदर बत
ु Fशकन <वारा ?नFम@त
1ीनगर ि)थत जामी मि)जद (1400 ई)वी)– लकड़ी कV वा)तक
ु ला के उदाहरण
हb।
औप/नवे8शक वा-तक
ु ला - आध/ु नक भारत
• कलकãा म= स=ट जॉन का चच@ (1787), चेlनई म= फोट@ स=ट जॉज@ म= स=ट मैर. का चच@,
(वqध lयायालय, Eेसीड=सी कॉलेज और चेlनई का सीनेट हाउस, नई Tदëल. – 1911 म=
राजधानी बनाने के बाद Wयवि)थत Xप से योजनाब<ध तर.के से इस शहर को बनाया गया।
BवwटोNरया • (वFलयम इमस@न के <वारा 19वीं शताóद. के उãराध@ म= jडजाइन
मेमोNरयल हॉल, Zकया गया।
कोलकाता • भारत म= महारानी (वâटो$रया कV )म?ृ त को बनाए रखने के Fलए
अंtेजी शैल= इसका ?नमा@ण Zकया गया था।
• यह गोqथक पन
ु ~<धार और नव-शा)Çीय शैFलयO के साथ संयâ
ु त
)वदे शी और भारत-इ)लामी वा)तक
ु ला से Eे$रत था।
qदrल= का • 1911 म= राजधानी को कलकãा से Tदëल. ह)तांत$रत Zकया गया।
पन
ु ™fधार • Tदëल. कV समè योजना बनाने का काय@ सर एडवड@ लTु टयंस को
Eदान Zकया गया। उlहOने इंjडया गेट और राÉòप?त भवन का
?नमा@ण Zकया।
• एक बौ<ध )तप
ू कV तज@ पर एक (वशाल गंब
ु द के Xप म= वाइस
र.गल पैलेस को बनाया गया।
• Tहंद ू अलंकरण और इ)लामी समXपता के कुछ त"वO का E?त?नqध"व
करते हb।
• साउथ óलॉक और नॉथ@ óलॉक, िजसके Zकनारे राÉòप?त भवन ि)थत
है , को हब@ट@ बेकर ने योजना बनाकर Fमलाया ।
• रॉबट@ टॉर टसेल नामक वा)तक
ु ार ने कनॉट Kलेस का ?नमा@ण Zकया।
• इसे इंडो सरसे/नक शैल= के नाम से भी जाना जाता है ।
• यह वा-तक
ु ला क? भारतीय, फारसी और गो[थक शै8लयQ का 8म{ण है ।
इंडो गॉ[थक शैल= • उदाहरण : - कोलकाता म= ि)थत स=ट पॉल कैथे∫ल, (वâटो$रया मेमो$रयल (कोलकाता),
और गेटवे ऑफ इंjडया (मंब
ु ई)
• Bवशेषताएं – (व)तत
ृ और (वशाल इमारत= , पतल. द.वार= , नक
ु Vले मेहराब, बड़ी tखड़Zकयां,
सल
ू . के आकार कV चच@ कV जमीनी योजना।
• 1911 के उपरांत, अंèेजO <वारा ?नमा@ण
नव रोमन शैल= • इसे नव शा)Çीय शैल. के Xप म= भी जाना जाता है ।
• वा)तक
ु ार - एड(वन लTु टयंस और हब@ट@ बेकर
• उदाहरण: -̈सÇप?त भवन, संसद भवन , उmच lयायालय आTद।
चरण Bवशेषताएं
sथम • सपाट छत वाले मंTदर; अqधकांश मंTदरO का आकार वगा@कार; उथले )तंभ पर ?नFम@त तथा सõपण
ू @
संरचना कम ऊंचाê के मंचO (जगती) पर (वकFसत; उदाहरण : सांची म= ?नFम@त मंTदर संvया 17 ।
fBवतीय • (पछले चरण से तल
ु ना"मक Xप से ऊंचे मंचO पर ?नFम@त; 'गभ@गह
ृ ' के चारO ओर 'Eदp/णापथ'; दो
मंिजला मंTदर के Eमाण; उदाहरण : नचना कुठार ि)थत पाव@ती मंTदर, मåय Eदे श।
तत
ृ ीय • FशखरO का उ<भव; कम ऊंचाई के तथा आकार म= लगभग वगा@कार; मंTदर बनाने कV पंचायतन शैल.
का आरं भ (Eमख
ु दे वता के मंTदर के साथ चार गौण दे व मंTदर); मंTदर कV भ(ू वlयास योजना îूस
के आकार कV; उदाहरण: दशावतार मंTदर, दे वगढ़, उãर Eदे श।
चतथ
ु 7 • मv
ु य मंTदर अqधक आयताकार हो गए तथा बाकV सार. चीज= (पछले चरण के जैसे ह. थे। उदाहरण:
शोलापरु ि)थत तेर मंTदर।
पंचम • बाहर कV ओर उथले आयताकार ZकनारO वाले वã ृ ाकार मंTदरO का ?नमा@ण आरं भ हुआ तथा शेष सभी
(वशेषताएं (पछले चरण के जैसी जार. रह.; उदाहरण: म?नयार मठ, राजगीर।
• वाहन: यह मv
ु य दे वता का आसान या वाहन होता है िजसे )तंभO या åवज के सामने )था(पत Zकया जाता था।
नागर शैल=
पव
ू Ä भारत (ओêडशा शैल=):
• इसे कFलंग या परु . शैल. के नाम से भी जाना जाता है + यहां Fशखर को 'दे उल' कहा जाता था+ तीन Eकार के
दे उल हb रे खा दे उल, (पंढा दे उल और खखरा दे उल + मंडप को जगमोहन कहा जाता था + मंTदर म= Ö(वड़ शैल. कV
तरह चारद.वार. है + बाहर. द.वारO को भWय Xप से सजाया जाता है जबZक आंत$रक द.वार= साधारण होती है +
उदाहरण : जगlनाथ परु .।
• सय
ू 7 मंqदर: कोणाक@, ओjडशा + 1240 ई)वी + गंग वंश के नरFसंहदे व-Eथम के <वारा + तीFलयO के साथ पTहयO
के बारह जोड़े जो सय
ू @ दे वता के रथ का E?त?नqध"व हb + इसे काला पगोडा भी कहा जाता है ।
• 8लंगराज मंqदर: भव
ु नेdवर + 11वीं सद. + सोमवंशी राजा यया?त-Eथम के <वारा + भगवान Fशव को सम(प@त +
लाल प"थर से बना + लगभग 150 छोटे छोटे मंTदर।
पव
ू Ä भारत (असम शैल=):
• ?नमा@ण के Fलए टे राकोटा का इ)तेमाल + 6वीं शताóद. का दरवाजा - दा पाव@?तया
यहां हम गKु त के Eभाव को दे ख सकते हb लेZकन बाद म= 12वीं से 14वीं शताóद.
तक ऊपर. बमा@ से ताइ के कारण /ेÇीय शैल. 'अहोम' (वकFसत हुई जो बंगाल
कV पाल शैल. के साथ Fमq1त हो गई।
• कामा´या मंqदर: गुवाहाट., असम + 17वीं सद. + शिâतपीठ, दे वी कामाvया को
सम(प@त + तांÅÇक उपासकO के Fलए + अंबब
ु ाची मेले के Fलए EFस<ध (दे वी के
वा(ष@क माFसक धम@ का उ"सव) ।
VBवड़ शैल=
वेसर शैल=
होयसल शैल=
• मैसरू , कना@टक के आसपास + 11वीं - 13वीं शताóद. ई)वी के बीच + केlÖ.य भवन के आसपास कई मंTदर
+'तारामय योजना' के Fलए EFस<ध – मंTदरO का ?नमा@ण तारे के आकार का + नरम बलआ
ु प"थर से बना +
'जगती' नामक उभरे मंच पर ?नFम@त + आंत$रक और बाहर. दोनO द.वारO पर म?ू त@ कV जTटल Xप से नâकाशी।
• होयसलेgवर मंqदर: हलेÅबड, कना@टक + 1150 ई)वी+ मल
ु ायम बलआ
ु प"थर से बना + नटराज के Xप म= Fशव को
सम(प@त + यह मंTदर एक दो मंिजल इमारत है िजसम= संगीत और न"ृ य के Fलए मंडप।
Bवजयनगर शैल=
• (वजयनगर कV )थापना 1336 ई)वी म= हुई + मंTदरO म= चोला, होयसला, पंhया और चालकू यO कV संयâु त (वशेषताएं
हb + बीजापरु कV इंडो इ)लाFमक शैल. से Eभा(वत + Ö(वड़ शैल. के मंTदरO कV तरह चहारद.वार. से ?घरा हुआ +
द.वारO पर अ"यqधक नâकाशी + मंTदर म= सभी तरफ गोपरु म है + एकाdम E)तर के )तंभ + एक से अqधक मंडप
और क=Ö.य मंडप को 'कrयाण मंडप' के नाम से जाना जाता है + धम@?नरपे/ इमारतO कV अवधारणा EचFलत हुई
+ उदाहरण : (वRठल)वामी मंTदर, कमल महल, हõपी ि)थत (वXपा/ मंTदर।
नायक शैल=
इसे मदरु ै शैल. के नाम से भी जाना जाता है + 16 से 18वीं ई)वी के बीच + Ö(वड़
शैल. के समान + इ)लामी वा)तक
ु ला से Eभा(वत + (वशाल गFलयारO या Eाकü कV
उपि)थ?त + गोपरु म कV कला नायक शैल. म= अपने चरमो"कष@ पर पहुंच गई, नायक
शैल. के तहत सबसे ऊंची गोपरु म का ?नमा@ण हुआ जो मीना/ी मंTदर, मदरु ै म= ि)थत
है । + मंTदर कV संरचना पर जTटल नâकाशी।
• सेन शैल= के मंqदर: 11वीं सद. के मåय से 13वीं सद. के मåय तक + भवनO म= वîाकार या ढलआ
ु ं छत होती है
िजसे 'बांìला छत' के Xप म= जाना जाता है + टे राकोटा êट का इ)तेमाल Zकया गया है + प"थर और धातओ
ु ं कV
म?ू त@यां + अ"यqधक चमकदार रचना + उदाहरण : ढाकेdवर. मंTदर, बांìलादे श।
षडंग Aवशेषताएं
Cपभेद Cप का भेद
Eमाण वVतु या 2वषय का अनप
ु ात
भाव रं ग= के साथ चमक और hकाश का 9म~ण
लावFययोजनम भावनाओं क) तcल.नता
सJKयम Äटांत
वLण8का भंग मॉड9लंग के hभाव से सा]यता के 9लए रं ग= का 9म~ण
sागै/तहा8सक [चPकला
• Zचr= का hारं 9भक साÇय hागै?तहा9सक काल यानी चÉटान= पर क) गई Zचrकार. से संबंZधत है ।
• पेÖोगायलÜस का अथN है शैल उxक)णNन Jवारा बनाई गई Zचrकला।
• रं ग= का उपयोग - काला, लाल, पीला और सफेद।
• सबसे hमख
ु mय - 9शकार, धनष
ु और तीर के साथ मानव आकृ?तय= का Zचrण।
• महxवपण
ू N Vथल - जोगीमारा (छIीसगढ़), लखbु दयार (उIराखंड), 9मजाNपरु (उ.h), कोcलागेला गंड
ु ू
(तेलंगाना)।
भीमबेटका क: OचQकला
• यह भारत और द?ु नया के सबसे परु ाने qचÇकलाओं म= से एक है ।
• पव
ू 7 परु ापाषाण यग
ु - जानवरO का रे खीय qचÇण और छड़ी जैसी मानव आकृ?तयां।
• मîयपाषाण यग
ु - जानवरO का Fशकार; और पा$रवा$रक जीवन का qचÇण
• ताéपाषाण यग
ु - कृ(ष समद
ु ायO के साथ गुफा-?नवाFसयO का जड़
ु ाव।
MभANOचQ कला 9भ2IZचr कला ठोस संरचनाओं क) द.वार= पर बड़े Zचr होते हi।
âेVको Zचrकला क) एक तकनीक है िजसे ताजे _बछे चन
ू े पर Zच_rत Wकया जाता है ।
Rे%को
यह गीले ÜलाVटर पर Wकया जाता है और यह. कारण है Wक यह 9भ2I Zचr क) तल
ु ना
मf अZधक bटकाऊ होती है । 9भ2I Zचr सख
ू ी सतह= पर Zच_rत क) जाती हi।
sाचीन [चPकलाएं
OचQकला / Eमख
ु Aवशेषताएं रं ग और Aवषय संरWक
MभAN OचQ
• 9भ2I Zचr और âेVको Zचrकला • रं ग - गेC से पीला और • सातवाहन
(अजंता और
• hxयेक मbहला आकृ?त क) लाल, द.पक से काला, • वाकाटक
एलोरा
भावनाओं के hदशNन हे तु 2व9भgन सफेद से चन
ू ा। नीले रं ग • शंग
ु
(5वीं और 6वीं
2वgयास का उपयोग Wकया गया है । के 9लए लै2पसलाज़ल
ु . जो
शता\द1)
• एलोरा Zचr= मf 2व2वधता bदखाई अफगा?नVतान से आयात
महारा^_
दे ती है साथ ह. बौJध, वैÄणव और होता था, का hयोग Wकया
जैन Zचr भी उपिVथत है । जाता था।
• दोन= को 1983 मf यन
ू ेVको • Aवषय – बौJध धमN
2वmव धरोहर घो2षत Wकया।
• यह भारतीय शाVrीय कला के • द.वार= और छत को • सातवाहन
बाघ (म`य Eदे श
"VवणN यग
ु " का h?त?नZधxव करते 9मÉट. क) एक मोट. परत
)
हi। से ढं क bदया गया था, इसे
टे ]परा तकनीक के Cप मf
भी जाना जाता है ।
अय [चPकला
बनाने क: 15वीं शता`द. नौवीं शता`द. / सातवीं शता`द. / वातापी क) आठवीं शता`द.
अवOध बह
ृ दे mवर मंbदर कैलाश नाथ मंbदर गफ
ु ाएं
पाल शैल1
• यह Zचrकला बौJध 2वषय= (वûयान) से संबंZधत ताड़पr= क) एक बड़ी संTया के Cप उपल`ध मf हi।
• उदाहरण -अÄट सह9üका hùापार9मता।
• इस Zचrकला को घम
ु ावदार रे खाओं और रं ग के Jवारा उकेरा जाता है ।
• h9सJध Zचrकार - धीमान और 2वटपला।
• इसका hसार ~ीलंका, नेपाल, बमाN, ?त`बत और दãjण-पव
ू N ए9शयाई दे श= मf हुआ।
पिKचमी जैन / अपgंश कला
• माC-गुजरN पf bटंग एक श`द है जो राजVथान मf सभी Zचr= को सामbू हक Cप से दशाNता है ।
मग
ु ल कला
• Vवदे शी भारतीय शैल. और फ़ारसी Zचrकला के सेफ2वद कला का सि]म~ण।
• 2वषय - hाकृ?तक, सभा, 9शकार करते हुए।
• मह.न और बार.क Zचrकार. का 9म~ण।
• सल
ु ेख Cपांकन, 2वशेष Cप से Wकनार= पर।
• यह मT
ु य Cप से कुल.न और धमN?नरपेj।
• जहाँगीर के शासनकाल मf अपने चरमोxकषN पर पहुंच गई थी ।
• शाहजहाँ के शासनकाल मf वाVतक
ु ला क) अपेjा Zचrकला मf थोड़ी Zगरावट आई। हालांWक Zचrकाôरता ने
तकनीक) पण
ू त
N ा hाÜत क), लेWकन Cढ़, िVथर और कम जीवंत हो गई। Zचr= को बनाने के 9लए चारकोल,
पf 9सल का इVतेमाल Wकया गया और Zचrांकन को महxव bदया गया।
• बाद के मग
ु ल शासन के दौरान Zचrकला क) गुणवIा मf Zगरावट आई।
राज%थानी OचQकला
• इन Zचr= को राजपत
ू शैल. के Cप मf भी जाना जाता है और मT
ु यतः पर दो hकार के होते हi। दरबार.
और साbहxयकार।
• उxप2I - सcतनत काल- 16वीं शता`द. क) शñ
ु आत मf ।
• 2वषय - संVकृत और लोक साbहxय, वैÄणववाद और जैन धमN, रागमाला, सभा के mय, जयदे व और
भगवत परु ाण Jवारा गीता गो2वंद।
• िजस पर बनाई जाती है - ताडपाr (ताड़ के पIे) और कागज।
• इसमf åयादातर hाकृ?तक रं ग= का उपयोग Wकया जाता है ।
• मारवाड़ी Zचrकार. मf मग
ु ल Zचrकार. क) 2वशेषताएँ अZधक हi और Wकशनगढ़, बीकानेर, बंद
ू ., नागौर,
इसक) उप-Zचrकलाएं हi।
वोडेयार राजवंश )वारा मैसरू OचQकला नायक शासकk और मराठा शासकk )वारा तंजौर
OचQकला
गेस= कला कम उभार वाल. और जbटल होती हi। इसमf मोट. सोने क) परत होती है और पÄृ ठभ9ू म
हमेशा लाल एवं हरे रं ग क) होती है ।
गेसो का 9म~ण सफेद लेड पाउडर, गंबोग और ग=द गेसो पेVट बनाने के 9लए क™चे चने के पाउडर और
को 9मलाकर तैयार Wकया जाता है । इमल. के बीज के पाउडर से बने पेVट को 9मलाया
जाता है ।
इसका आधार कागज क) परतf , एवं पÄृ ठभ9ू म कपड़ा इसमf लकड़ी के साथ कपड़े का hयोग आधार के
या लकड़ी होता है । तौर मf Wकया जाता है ।
[पालागी पदम]
यह भार मf हcका होता है । इसका वजन भार. होता है ।
इसमf सावधानीपव
ू क
N आंकड़= के पॉ9लश 2ववरण एवं कम जोर bदया गया है ।
मह.न रे खाओं पर बल bदया जाता है ।
इसमf Wकसी भी hकार का रxन और कांच अलंकरण इसमf रxन और कांच अलंकरण का समावेश होता
का समावेश नह.ं है । है ।
दiकन कला
• अशांत म¢ययग ु ीन काल मf कलाकार= का पलायन दãjण क) ओर हुआ। इन कलाकार= को दïकनी राåय=
– बीजापरु , अहमदनगर और गोलक=डा Jवारा संरjण bदया गया।
• दïकन शैल. ने घनी रचना को पसंद Wकया और रोमांस क) आभा पैदा करने का hयास Wकया, िजसने
VपÄट Cप से एक मह
ु ावरे मf खद
ु को öयïत Wकया जो Wक Vवाभा2वक और 2वशद था।
• उदाहरण के 9लए – “लेडी 2वद माइना बडN ”, “लेडी VमोWकंग हुïका” और “2hंसेस इन द कंपनी ऑफ
मैsस”।
कंपनी qचÇकला
• इस कला मf Zचrकार. क) एक संकर शैल. 2वक9सत हुई , िजसके अंतगNत भारतीय Zचrकार= ने अंúेजी
शैल. के Zचr= का अनक
ु रण Wकया।
• 2वषय वVतु के Cप मf भ
ू mय एवं hकृ?त और Vमारक हुआ करते थे-bदcल. Zचrकलाओं मf 2वषय वVतु
के Cप मf 2वशेष Cप से मगु ल Vमारक हुआ करते थे, इसके अलावा भारतीय लोग, नतNक, मेले और
xयोहार और वेशभष
ू ा भी होते थे।
• 2व9भgन तकनीक= का उपयोग Wकया जाता था, लेWकन åयादातर पिmचमी जल रं ग तकनीक क) तजN पर
तैयार Wकया जाता था। “बनावट मf पारद9शNता; नरम भाव; और öयापक कार.गर. का उपयोग “पिmचम से
ल. गई थी।
• इन Zचr= के 9लए åयादातर कागज का उपयोग Wकया गया था एवं आइवर. का भी इVतेमाल Wकया गया
था।
• इसका सबसे महxवपण
ू N hारं 9भक उxपादन कfl कलकIा था।
• इसके h9सJध कलाकार; सेवक राम (सी. 1770-सी. 1830), गल
ु ाम अल. खान।
• इसने राजा र2व वमाN क) कला का 2वरोध Wकया ïय=Wक उgह=ने पाmचाxय शै9लय= का अनक
ु रण Wकया था।
• वे राजा र2व वमाN और कंपनी के कलाकार= क) आयल पf bटंग पJध?त और सजीव Zचrण शैल. से अलग
हो गए और अपने पारं पôरक Vवदे शी शैल. पर ¢यान कfblत Wकया।
• इgह=ने अजंता गुफाओं मf लघु Zचr= और 9भ2I Zचr= क) hाचीन कला क) म¢यकाल.न भारतीय Zचrकला
क) पJध?तय= से hेरणा ल. और उसे अपनाया।
रAवंsनाथ टै गोर
• 2वशेषताएं: कला मf आ¢यािxमक मc
ू य।
• h9सJध पf bटंग: अरे _बयन नाइÉस सीर.ज़ (1930), भारत माता, द पािVटं ग ऑफ शाहजहाँ।
• अपने 9शÄय= के साथ, उgह=ने बंगाल के पव
ू -N राफेलाइÉस भी बनाया।
लोक [चPकला
2. (दश+न कलाएं
• भारतीय संगीत कV श~
ु आत वेदO के गुणगान करने कV रागा"मक Eव(ृ ãयO के साथ हुई। Eाचीनतम संगीत िजसम=
Wयाकरण ?नTहत था, वैTदक था।
• ऋìवेद को Eाचीनतम कहा जाता है : लगभग 5000 साल परु ाना। भारतीय संगीत कV उ"प(ã का वण@न सामवेद
और उसके उपवेद -गंधव@वेद से Zकया जा सकता है ।
• राग /ार(Eया के सभी सात )वरO का उëलेख सामवेद म= Fमलता है ।
• वा<य वीणा के कुछ Tह)सO का उëलेख ऐतरे य अर™यक म= Zकया गया है ।
• जैFमनीय ©ाàमण सामTू हक Xप से न"ृ य और संगीत का वण@न करता है ।
• ऋìवेद के )तोÇO को ऋचाएँ कहा जाता था।
• अनाय@ लोगO कV अपनी कला होती थी उदाहरण के Fलए भारत के पव
ू ≥ /ेÇ का संथाल संगीत ।
• भरत का नाRयशा)Ç सरगम , रागा"मकता, XपO, और वा<ययंÇ कV जानकार. दे ता है ।
संगीत से संबं[धत पव
ू 7 tंथ:
रचनाएँ लेखक
नाvय शा-P • भारत (दस
ू र. शताóद. ई.प.ू और दस
ू र. शताóद. ई.)
बह
ृ fदे सी • मतंग (6ठo -8 वीं शताóद.)
संगीत रKनाकर • शारं गदे व(13 वीं सद.)
संगीत सध
ु ाकर • ह$रपाल (14 वीं शताóद.)
-वरमेला कला/न[ध • राममा"या (16 वीं शताóद.)
चतद
ु 7 ≠डी sका8शका • व= कटमाखीं (17 वीं शताóद.)
भारतीय संगीत
राग, ताल और )वर भारतीय शा)Çीय संगीत के ब?ु नयाद. त"व हb।
• )वर, इसका अथ@ है धन
ु या तार¡व । कुल 7 )वर हb: सा रे गा मा पा ध नी। िजlह= सKताकर या सरगम कहा
जाता है ।
• राग : यह मधरु संगीत का आधार होता है । तीन Eमख
ु Eकार के राग होते हb :
1. ओढ़व राग : 5 )वर
2. शाढ़व राग : 6 )वर
3. संपण
ू @ राग :7 )वर
• ताल : धन
ु O का लयब<ध समह
ू । यह लय का आधार है और 3 से 108 धन
ु O का होता है । सवा@qधक लोक(Eय होने
वाले ’टे ™टल’ म= 16 धन
ु हb। समय (वभाजन कV आधारभत
ू इकाइयाँ हb लघ,ु ग~
ु और Kलत
ु हb। वा)तव म= इlह=
काWया"मक छं द से Fलया गया है । लघु म= एक अ/र , गु~ दो और Kलत
ु तीन शाFमल हb।
• मछ
ू @ न : अथा@त धन
ु O को एक )वर से दस
ू रे )वर म= )थानांत$रत करना।
• थाट : यह (वFभlन समह
ू O म= रागO के वग≥करण कV एक Eणाल. है । Tहंद)
ु तानी शा)Çीय संगीत म= 10-थाट वग≥करण
को अपनाया गया है । ये हb - Åबलावल, खमज, काफ़V, असावर., भैरवी, भैरव, कëयाण, मारवा, पव
ु ≥ और टोडी।
वगÄकरण :
1. Tहंद)
ु तानी संगीत
2. कना@टक संगीत
qहंद-
ु तानी शा-Pीय संगीत
qहंद-
ु तानी शा-Pीय संगीत क? उप-शैल=:
qहंद-
ु तानी संगीत क? अध7 शा-Pीय शैल=
• संगीत कV अध@ शा)Çीय शैल. भी )वर पर आधा$रत है , लेZकन यह गायक राग कV मानक शैल. से थोड़ा सा अलग
हb।
• इसम= रागO के सग
ु म Xप जैसे राग भप
ू ाल. या मालकOस गाए जाते हb और ताल के सरल Xप का उपयोग Zकया
जाता है ।
• इनम= मåयम या धत
ृ लय Eयâ
ु त होती हb अथा@त इनकV लय म= तीæता होती है ।
• इसम= अलाप – जोड़ – तान – झाल कV तल
ु ना म= भाव और गीत पर बल Tदया जाता है ।
ठुमर= • इसकV संरचना और E)त?ु त अ?त गीता"मक है । ठुमर. एक Eेम गीत है और इसीFलए
शóद रचना अ?त मह"वपण
ू @ है ।
• भिâत आंदोलन के Eभाव के कारण Eकृ?त म= रचनाएँ भी भिâतमय हb।
• रचनाओं कV भाषा Tहंद. या ©ज बोल. है और आमतौर पर मTहला कV आवाज म= गाया
जाता है ।
• यह E)त?ु त के दौरान गायक को अपनी ओर से कुछ नया करने कV अनम
ु ?त दे ता है और
इसीFलए राग के Eयोग म= लचीलापन Eदान करता है ।
• ठुमर. को आमतौर पर खमाज, क(प, भैरवी जैसे रागO म= E)तत
ु Zकया जाता है और
संगीता"मक Wयाकरण का सvती से पालन नह.ं Zकया जाता है ।
• ठुमर. शा)Çीय न"ृ य कथक से जड़
ु ी हुई है ।
• मvु य घराने - वाराणसी और लखनऊ।
• गायक - बेगम अvतर, qग$रजा दे वी।
• इसम= )वरO को ©त
ु ले म= गाया जाता है । यह एक कTठन रचना होती है और बहुत अqधक
अJयास कV आवdयकता होती है ।
टmपा • Eारं भ म= इसे भारत के उãर पिdचमी भागO म= राज)थान जैसे /ेÇO के ऊंट चालकO <वारा
गाया जाता था ।
• बाद म= सüाट मह
ु õमद शाह के मग
ु ल दरबार म= इसकV शX
ु आत के साथ एक अध@-शा)Çीय
(वशेष गायन शैल. के Xप म= माlयता EाKत हुई ।
qहंद-
ु तानी और कना7टक संगीत म] अंतर
qहंद-
ु तानी शा-Pीय संगीत ( उÜर भारत ) कना7टक शा-Pीय संगीत ( दbOण भारत)
• अरबी, फारसी और अफगानी से Eभा(वत • पण
ू त
@ ः )वदे शी उ"प(ã
• सध
ु ार कV गंज
ु ाइश • सध
ु ार कV कोई गंज
ु ाइश नह.ं
• कंठ संगीत और वा<य यंÇO दोनO कV मह"वपण
ू @ • इसम= कंठ संगीत पर अqधक बल Tदया जाता है ।
भFू मका होती है ।
• 6 Eमख
ु राग • 72 राग
• मv
ु य Xप से राग पर आधा$रत होती है । • मv
ु य Xप से ताल पर आधा$रत होती हb।
• समय का पालन करता है । • समय का पालन नह.ं करता है ।
• तबला , सारं गी , Fसतार और संतरू यंÇ सामाlयता • वीणा , मद
ृ ं ग और मंडोFलन
Eयोग Zकए जाते हb ।
• अनेक उप शैFलयाँ और घराने हb। • इसम= गायन कV केवल एक (वशेष ?नधा@$रत शैल. है ।
स8ु शर वाfय • खोखले कॉलम से हवा EवाTहत कर åव?न उ"पlन Zकया जाता है ।
• उदाहरण - सैâसोफोन, सीट., पंग
ु ी, बांसरु ., शहनाई।
• åव?न एक तार या तंÇी के कंपन से उ"पlन कV जाती है ।
तत वाfय • दो Wयापक 1ेtणयO म= (वभािजत Zकया गया- तत वा<य यंÇ और (वतत वा<य।
• उदाहरण- वायFलन, Fसतार, qगटार, वीणा, हारमो?नयम, काFमचा, आTद।
अवनाfध वाfय • åव?न का उ"पादन जानवरO कV "वचा पर Eहार करके Zकया जाता है , जो एक FमRट. या
धातु के बत@न या लकड़ी के बैरल या ºेम म= फैला कर लगाया जाता है । उदाहरण - तबला,
ढोल, कांगो, मद
ृ ं गम, आTद।
• मनÉु य <वारा आ(वÉकार Zकए गए सबसे Eाqचन उपकरणO को घाना वाhया कहा जाता है ।
घन/घाना वाfय • ये ठोस उपकरण होते हb, िजlह= सम)वरण/Rय?ू नंग कV आवdयकता नह.ं होती है ।
• उदाहरण- घघ
ुँ X, डांjडया, मटकV आTद।
OेPीय संगीत
र8सया गीत , उÜर ‘रFसया’ शóद रस (भावना) शóद से Fलया गया है âयOZक रFसया का अथ@ है जो रस या भावना
sदे श से भरा होता है ।
पाँखीड़ा , राज-थान खेतO म= काम करते हुए राज)थान के ZकसानO <वारा गाया गया।
लोट=या , राज-थान ‘लोTटया’ को "योहार के दौरान चैÇ मह.ने म= गाया जाता है । मTहलाएं तालाब और कुओं से
पानी भरकर लोटा (पानी भरने के Fलए एक बत@न) और कलश (पज
ू ा के दौरान पानी भरने के
Fलए शभ
ु मानी जाने वाल. सामèी) लाती हb।
पांडवानी , छÜीसगढ़ पंडवानी म= , महाभारत कV कहा?नयO को एक गीत के Xप म= गाया जाता है और रात के Eदश@न
के Fलए एक या दो घटनाओं को चन
ु कर कथा के Xप म= ?नÉपाTदत Zकया जाता है ।
शकुनाखार मंगल Tहमालय कV तलहट. म= शभ
ु अवसरO पर अनqगनत गीत गाए जाते हb। शकुनखार को गोद
गीत कुमाऊ , भराई, बाल-जlम, छती (बmचे के जlम से छठे Tदन Zकया जाने वाला अनÉु ठान) गणेश पज
ू ा
आTद धाFम@क अनÉु ठानO के दौरान गाया जाता है ।
बारहमासा , कुमाऊँ कुमाऊँ के इस आंचFलक संगीत म= वष@ के 12 मह.नO का वण@न E"येक माह कV (वशेषताओं
के साथ Zकया जाता है ।
मांडो , गोवा यह गोवाई संगीत कV एक प$रश<
ु ध रचना है और पत
ु ग
@ ाल. शासन के दौरान Eेम, दख
ु और
गोवा म= सामािजक अlयाय और राजनी?तक (वरोध से संबंqधत एक छं द ब<ध संरचना है ।
आrहा , उÜरsदे श बंद
ु े लखंड कV (वFशÉट गाथा शैल. आëहा म= दे खने को Fमलती है िजसम= आëहा और उदल दो
बहादरु भाइयO के साहFसक कारनामO का उëलेख Zकया जाता है िजlहOने महोबा के राजा परमल
कV सेवा कV थी।
होर= , उÜरsदे श यह राधा कृÉण के Eेम EसंगO पर आधा$रत है ।
सोहर , उÜरsदे श उãर भारत म= प$रवार म= पÇ
ु जlमो"सव म= सोहर गायन कV एक उ"साह. परं परा है ।
छकर= , कgमीर यह नत
ू (FमRट. के बत@न) रबाब, सरं गी और तõ
ु बकनेर. (ऊंची गद@ न वाला FमRट. का बत@न)
कV संगत के Fलए गाया जाता है ।
लमन , qहमाचल लमन म= बाFलकाओं का एक समह
ू एक छं द गाता है और लड़कO का एक समह
ू गीत के ज$रए
sदे श उãर दे ता है
कजर= , उÜरsदे श कजर. वषा@ ऋतु को दौरान उãर Eदे श और ?नकटवत≥ /ेÇ म= मTहलाओं <वारा गाया जाने
/Tबहार वाला एक लोकगीत है ।
क़~वाल= कWवाल. मल
ू तः ईdवर कV Eशंसा म= गाई जाती थी भारत म= कWवाल. का आगमन तेरहवीं
शताóद. के आसपास भारत से हुआ है और सZू फयO ने अपने संदेश का Eचार करने के Fलए
इसका Eयोग Zकया। अमीर खसु रो (1254-1325) एक सफ ू V संत तथा Eवत@क ने कWवाल. के
(वकास म= मह"वपण
ू @ योगदान Tदया।
पोवाड़ा , महाराò¶ पोवाडा शóद का अथ@ है शानदार शóदO म= एक कहानी का वत
ृ ांत, वत
ृ ांत सदै व Zकसी वीर अथवा
घटना अथवा )थान कV Eशंसा म= सन
ु ाया जाता है ।
तीज गीत , तीज राज)थान कV मTहलाओं कV बड़ी भागीदार. के साथ मनाई जाती है सह 1ावण मास के
राज-थान नए चंÖ अथवा अमाव)या के बाद तीसरे Tदन मनाई जाती है ।
भाखा , जáमू और इसका गायन èाम वाFसयO <वारा फसल काटने के समय Zकया जाता है ।
कgमीर
भत
ू ा गीत , केरल भतू ा गीत का आधार अंध(वdवास से जड़
ु ा हुआ है । केरल के कुछ समद
ु ाय भत
ू Eेत को भगाने
के Fलए भत ू ा $रवाज अपनाते हb ।
दशकठ∞या , ओêडसा यह उड़ीसा म= EचFलत गाथा गायन कV एक शैल. है । दशकठoया शóद काठo अथवा राम ताल.
नामक एक काÉठ से बने संगीत वा<य से Fलया गया नाम है ।
सना लमोक , सना लमोक ,माईबा <वारा राwयाFभषेक के दौरान गाया जाता है यह बादशाह का )वागत करने
मcणपरु के Fलए भी गाया जाता है
साइकुट= ज़ाई Fमज़ो को परं परागत Xप से 'गायन जनजा?त' के Xप म= जाना जाता है , साइकुट. Fमजोरम कV
(साइकुट= के गीत), एक क(वता ने यो<धाओं कV Eशंसा म= गाने गाने, बहादरु Fशकार., यव
ु ा प~
ु षO को महान
8मजोरम यो<धाओं और Fशकार. होने कV इmछा रखने कV इmछुकता आTद के Xप म= जाना जाता है ।
चाई qहआ ( चाई Fमजो $रवाज के अनस
ु ार चपचर कट "योहार के दौरान न केवल गायन बिëक न"ृ य भी परू े
नKृ य के गीत), "योहार के दौरान जार. रहना चाTहए गायन और न"ृ य के Fलए (वशेष अवसर को चाई तथा
8मजोरम गीतO को चाई Tहआ के नाम से जाना जाता है ।
बसंती / बसंत गीत बसंत ऋतु का )वागत गढ़वाल म= एक अनठ
ू े ढं ग से Zकया जाता है भारती के रं गीन फूलO से
,गढ़वाल धरती सजी होती है , बसंत पंचमी के अवसर पर फश@ पर चावल के आटे से रं गोल. बनाई जाती
है और संद
ु र बनाने हे तु गाय के गोबर के साथ हरे जाई के बंडलो का इ)तेमाल Zकया जाता
है ।
घ8सयार= गीत पहाड़O म= यव
ु ा मTहलाओं को अपने पशओ
ु ं के Fलए घास लाने के Fलए दरू -दरू वनO म= जाना
गढ़वाल पड़ता है वे वन समह
ू O म= नाचती और गाते हुए जाती हb।
सक
ु र के Tबयाह èामीण लोकगीतO म= Eकृ?त èहO और न/ÇO कV अपनी ह. Wयाvया हb, शî
ु और बह
ृ )प?त कV
भोजपरु = गीत , कहानी अब भी गाई जाती है ।
Bवrलप
ू ाvटू , “धनष
ु इसम= Eमख
ु गायक मv
ु य ?नÉपादनकता@ कV भी भFू मका ?नभाता है वह Eमख
ु वा<य बजाता
गीत ”, त8मलनाडु है जो धनष
ु के आकार का होता है , गीत सै<धां?तक (वषयO पर आधा$रत होते हb और अmछाई
कV बरु ाई पर (वजय, पर बल Tदया जाता है ।
अáमानीइवार= , अõमानीइवार. चोल राजाओं कV Eशंसा म= गाए जाने वाले गीत हb, अõमानाई एक लकड़ी कV
त8मलनाडु ग= द है तथा मTहलाएं ग= द खेलते समय यह गीत गाती है ।
नKृ य के -वoप
• नाÉयशाVr के अनस
ु ार तांडव और लाVय नxृ य के दो आधारभत
ू पहलू हi:
1. तांडव – यह पñ
ु ष= Jवारा Wकया जाने वाला नxृ य है , इसमf लय तथा ग?त पर अZधक बल bदया जाता है
।
2. लाVय – िVrय= Jवारा Wकया जाता है िजसमf ला9लxय, भाव, रस तथा अ9भनय ?नC2पत होते है ।
• अ9भनय, मT
ु य तौर पर इसका अथN अ9भöयिïत होता है । यह अंZगका, शर.र और अंग=, वा?तका गीत
और भाषण और अंग, पोशाक और ~ंग
ृ ार और सािxवक, मनोदशा और भावना के मा¢यम से Wकया जाता
है ।
• नंद.केmवर के अ9भनय दपNण (5वीं शता`द. ईसा पव
ू )N के अनस
ु ार, नxृ य के 3 मल
ू तxव हi:
1. नाÉय – नाटक)य ?नCपण पर आधाôरत।
2. नxृ य अ?नवायN Cप से अ9भöयंजक, 2वशेष Cप से एक 2वषय या 2वचार के अथN को öयïत करने के
9लए hदशNन Wकया।
3. नत
ृ , यह शJ
ु ध नxृ य होता है जहां शर.र क) भंगीमाएं Wकसी भी तरह के मनोदशा (भाव) को öयïत
नह.ं करती हi, न ह. वे इसका कोई अथN बताती हi।
• नxृ य और नाÉय को hभावी ढं ग से hVतत
ु करने के 9लए, एक नतNक को नौ रस= को अ9भöयïत करने के
9लए h9शãjत Wकया जाता है । ये हi: hेम(~ंग
ृ ार), मथN(हाVय), कñणा(कñणा), वीरता(वीर), Aोध(रौl), भय
(भयंकर), घण
ृ ा(JवंJव), आmचयN(अJभत
ु ) और शां?त(शांत)।
• यह सबसे परु ाना शाVrीय नxृ य है । जो 2000 साल से अZधक परु ाना है , इसे एकहायN
के Cप मf जाना जाता है , जहां एक नतNक) एकल hVत?ु त मf कई भ9ू मकाएं hVतत
ु
करती है ।
• मल
ू तः दे वदासीय= Jवारा इस शैल. को जी2वत रखा गया , इस hकार इसे दश?ततम
के Cप मf भी जाना जाता है ।
• इसक) hVत?ु त मf एक ?नय9मत नाते का अनक
ु रण Wकया जाता है , िजसमf सबसे
पहले आ≥वान गीत, अलाôरÜपू (फूल= क) सजावट), ज?तVवरम (शJ
ु ध नxृ य), अ9भनय
(नxृ य का भाव भंZगमा), श`दम, वणNम (नxृ य), और तराना, hदशNन एवं दे वताओं
का आशीवाNद hाÜत करने वाला मंगलम के साथ समाÜत होता है ।
• इसमf संगीत वाJय मंडल मf गायक, बांसरु . वादक, मद
ृ ं गम वादक, वाय9लन वादक या वीणा वादक, करताल
वादक और झांझ वादक होते हi।
• नxृ य क2वता का पाठ करने वाला öयिïत नÉटुवनार होता है ।
• नंbदकेmवर Jवारा अ9भनय दपNण इस नxृ य के अ¢ययन के मT
ु य üोत= मf से एक है ।
• h9सJध नत
ृ क : या9मनी कृÄणम?ू तN, लÇमी 2वmवनाथन, पJम सo
ु मòयम, मण
ृ ा9लनी साराभाई, मिcलका
साराभाई, आbद है ।
• इसे तल
ु नाxमक Cप से हाल के समय मf उJभव हुआ माना जाता है , चWकयारकुथ,ु कूद.याÉटम,
कृÄणÉटम और रामानÉटम केरल के कुछ अनÄु ठा?नक ?नÄपादन कलाएं हi, िजसका कथकल. पर सीधा
hभाव पड़ा है ।
• कथकल. नxृ य, संगीत और अ9भनय का 9म~ण है और यह
कहा?नय= को नाटक)य Cप दे ता है , जो Wक åयादातर भारतीय
महाकाöय= पर आधाôरत होते हi।
• यह एक शैल.बJध कला है , इसमf अ9भनय के चार पहल-ू अंZगका,
अहायN, वाZचका, सािxवक, नI
ृ और, न ृ ्xय और नाÉय पहलओ
ु ं का
उxकृÄट सि]म~ण है ।
• नतNक खद
ु को 2व2वध हVतमl
ु ाओं और चेहरे के भाव= के मा¢यम से öयïत करता है , ये मl
ु ा गाए
जाने वाले छं द(पदम) पर आधाôरत होते हi।
• अÉटाकथासोर क) कहा?नय= को महाकाöय= और पौराYणक कथाएं से चन
ु ा जाता है जबWक कथकल.
गीत= के 9लए इVतेमाल क) जाने वाल. भाषा मYणhावलम है ।
• चेहरे पर चÉट. बनाने के 9लए चावल के पेVट और चन
ू े के 9म~ण का उपयोग Wकया जाता है िजससे
चेहरे का ~ंग
ृ ार उभर कर आता है ।
• अलग-अलग रं ग= का अलग-अलग महxव होता है : हरा (बड़Üपन, bदöयता), नाक के बगल मf लाल पैच
(रॉयcट.), परू . तरह से लाल रं ग का चेहरा (बरु ाई), काला (बरु ाई और दÄु टता), पीला (संत और
मbहलाएं), सफ़ेद दाढ़. (उ™च चेतना)।
• कथकल. नxृ य मT
ु य Cप से öयाTयाxमक है । कथकल. के hदशNन के पाr मोटे तौर पर सािxवक,
राज9सक और ताम9सक hकार= मf 2वभािजत हi।
• सािxवक चôरr उदाI, वीर, उदार और पôरÄकृत हi। पंच मf , हरे रं ग का hभxु व होता है और सभी पाr
Wकर.ट (मक
ु ु ट) धारण करते हi। कृÄण और राम मोर के पंख= से सजे हुए 2वशेष मक
ु ु ट पहनते हi।
• कथी hकार के पाr खलनायक पाr होते हi पर Wफर भी यह राज9सक वगN के अंतगNत आते हi, कभी-
कभी वे महान योJधा और 2वJवान जैसे रावण, कंस और 9शशप
ु ाल भी होते हi।
• के9लकोÉटू के साथ कथकल. hदशNन शC
ु होता है । उसके बाद आजम, के9लकोÉटु, परु Üपडु।
• इ9लयाकटम hदशNन का वह bहVसा है जब पाr= को अ9भनय मf अपनी उxकृÄटता hद9शNत करने का
अवसर 9मलता है ।
• कलासाम शJ
ु ध नxृ य Aम हi जहां अ9भनेता खद
ु को öयïत करने और अपने कौशल को hद9शNत करने
के 9लए Vवतंrत होता है ।
2. कqथक: उNरEदे श
• रासल.ला के उJभव से इसक) उxप2I क) जानकार. hाÜत होती है , मT
ु यतः oज jेr (पिmचमी उIर hदे श
मf मथरु ा) जो कथा श`द से 9लया गया है िजसका अथN है कहानी। िजसे कZथका या कथावाचक कहा जाता
है ।
• इससे जड़
ु े 2व9भgन घराने हi: लखनऊ, जयपरु , रायगढ़, बनारस।
• कथक नxृ य 2वधा मf एक जbटल पJध?त के उपयोग Jवारा तकनीक) का ?नमाNण होता है । शJ
ु ध नxृ य
(नI
ृ ) सबसे åयादा महxवपण
ू N हi जहाँ नतNक) Jवारा पहनी गई पाजेब के घंघ
ु C क) ¢व?न के ?नयंrण और
समतल पांव के hयोग से पेचीदे लयाxमक नमन
ू = क) रचना क) जाती है ।
• जग
ु लबंद. कथक का मT
ु य आकषNण है जो नतNक और तबला वादक के बीच एक h?तVपधµ खेल bदखाता
है ।
• आमतौर पर ¨प
ु द संगीत से जड़
ु े होते हi लेWकन संगीत के अgय Cप जैसे तराना,
ठुमर. और ग़ज़ल भी इसके साथ जड़ ु े हुए हi।
• यह भारत का एकमाr शाVrीय नxृ य है िजसका मिु Vलम संVकृ?त के साथ संबंध
हi; यह कला मf bहंद ू और मिु Vलम h?तभा के एक अJ2वतीय संmलेषण का
h?त?नZधxव करता है ।
• कथक bहंदV
ु तानी या उIर भारतीय संगीत के 9लए शाVrीय नxृ य का एकमाr Cप
है ।
3. मLणपर
ु 1 : मLणपरु
• लाई हारोबा (दे वताओं का आमोद hमोद) के xयोहार से इसके उJभव
का पता चलता है , यह नxृ य का सबसे hारं 9भक Cप है जो मYणपरु मf
सभी शैल.गत नxृ य= का आधार है ।
• मYणपरु नxृ य मf एक 2वVतत
ृ रं ग पटल होता है , सबसे लोक2hय Cप
रास, संक)तNन और थंग-ता हi।
• मYणपरु . रास मf , मT
ु य पाr राधा, कृÄण और गो2पयाँ हi। मYणपरु .
नxृ य मf तांडव और लाVय दोन= शा9मल हi और इसक) पहुंच बहुत
वीरतापणू N पñ
ु षोZचत पहलू से लेकर शां?त तथा मनोहार. िVrय=Zचत पहलू तक हi।
• मYणपरु . गायन क) शाVrीय शैल. को नट कहा जाता है जो उIर और दãjण भारतीय संगीत दोन= से
बहुत अलग है ।
• मYणपरु . गायन मT
ु य वाJय यंr पंग
ु या मYणपरु . शाVrीय ∑म है । मYणपरु . नxृ य और संगीत मf कई
अgय hकार के ∑म का भी इVतेमाल Wकया जाता है ।
• पेना, एक तारदार वाJय उपकरण का उपयोग लाई हरोबा और पेना गायन मf Wकया जाता है ।
4. ओडसी : ओxडसा
• ओÆडसी (पानी के तxव= का hतीक): भव
ु नेmवर के पास उदयZगर. और TòडZगर.
क) गुफाओं से इस नxृ य Cप के, दस
ू र. शता`द. ईसा पव
ू N के परु ातxवीय hमाण
पाए जाते हi।
• शताि`दय= के 9लए महôरज इस नत
ृ य क) hमख
ु अZधकाôरणी रह.ं । महôरत, जो
मल
ु त: मंbदर क) नतीWकयां (दे वदासी) थीं, धीरे -धीरे शाह. दरबार= मf काम करने
लगीं, िजसके पôरणामVवCप कला-Cप का हा्स हुआ ।
5. कुचीपड़
ु ी : आंz Eदे श
• कुZचपड़
ु ी आं¨ hदे श के कृÄणा िजले के एक गाँव का नाम है ।
• 17वीं शता`द. मf एक h?तभाशाल. वैÄणव क2व तथा lÄटा 9सJधेgl योगी
ने यjगान के ñप मf कुचीपड़
ु ी शैल. क) कcपना क), िजनमf अपनी
कcपनाओं को म?ू तN एवं साकार Cप hदान करने क) अJभत
ु jमता थी
।
• भागवत परु ाण क) कहानी इसका कfl.य 2वषय बन गई और नतNWकय= को
भागवथालू के Cप मf जाना जाने लगा ।
• सामाgयत: कुचीपड़
ु ी नxृ य-hVत?ु त को तरं गम ् hVत?ु त के पmचात ् समाÜत Wकया जाता है । इस hVत?ु त के
साथ कृÄण-ल.ला-तरं Zगणी के उJधरण गाए जाते हi । इसमf अïसर नतNक कलाकार शकट-वदनम ् पाद मl
ु ा
मf पीतल क) थाल. पर पांव= को रखकर खड़ा रहता है और अxयंत कुशलतापव
ू क
N लयाxमक Cप से थाल.
को घम
ु ाता है ।
• जल Zचr नxृ यम (नतNक) नxृ य करते हुए अपने पैर= के अंगूठे से सतह पर Zचr खींचती है ) ।
• इसके साथ कनाNटक संगीत, वोइ9लन और मद ृ ं गम का hयोग Wकया जाता है ।
• होजाOगर1 - _rपरु ा
• दÑ
ु हाल – ज]मू और कmमीर
• डालखाई – ओÆडसा
नाम रचनाकार
साNर पP
ु sकरण अdवघोष
-वmनवासवदÜा (“ वासदÜा का -वmन”) भाष
मµ
ृ चकqटका शÖ
ू क
मालाBवकाि¥न8मP, Bवàमोव7शी और शकंु तलम काFलदास
उÜरामचNरत और महावीरचNरत भवभ?ू त
मV
ु ाराOस (वशाखदã
रKनावल= हष@वध@न
• पत
ु ल. शóद लैTटन भाषा के Kयप
ू ा से Fलया गया है िजसका अथ@ होता है पत
ु ल.।
• Eाचीन Tहंद ू दाश@?नकO ने पत
ु लकारो का बहुत ह. सõमान करते थे। वे पत
ु लकारO को सव@शिâतमान (वधाता और परू े
©àमांड को एक पत ु ल मंच मानते थे।
• 1ीमद भागवत, भगवान 1ी कृÉण के बाल Xप कV नहµयदकथा के अनस
ु ार भगवान धागO, सत, रज और तम E"येक
से परू े (वdव को कठपत
ु ल. कV भां?त चलाते हb।
• कठपत
ु ल. कला कV Eाचीनता के संबंध म= पहल. एवं दस
ू र. सद. ईसा पव
ू @ म= Fलखे गए लेख तFमल èंथ FसलKपाTदकारम
म= पाए जाते हb।
• नाRयशा)Ç, दस
ू र. सद. ईसा पव
ू @ से <(वतीय सद. ईसवी तक के दौरान कभी-कभार नाRयशा)Ç पर Eभावी ढं ग से
Fलखे गए लेखO म= पत
ु ल. कला का वण@न नह.ं Fमलता है लेZकन मानव नाटक के ?नमा@ता ?नद≠ शक को सÇ
ू धार के
Xप म= Eभा(वत Zकया गया है िजसका अथ@ धागO से है ।
मैÉरयनेट - कठपत
ु ल. को तार= (jेrीय 2व2वधताओं पर आधाôरत) का उपयोग करके ऊपर से ?नयं_rत
Wकया जाता है ।
धागा पत
ु ल=
भारत म= धागा पत
ु FलयO या मैर.नेट कV परं परा Eाचीन तो है ह. साथ ह. सम<
ृ ध भी। अनेक जोड़ यâ
ु त अंग तथा धागO
<वारा संचालन इlह= अ"यंत लचीलापन Eदान करते हb । िजस कारण यह पत
ु Fलयां अ"यqधक लचील. होती हb, राज)थान
उड़ीसा, कना@टक और तFमलनाडु ऐसे Eांत है जहां यह पत
ु ल. कला पëल(वत हुई।
कठपत
ु ल= – • काठ के एक टुकड़े से तराश कर बनाई जाती है ।
राज-थान • बड़ी गुjड़या – रं गीन कपड़े पहनती है ।
• वेशभष
ू ा और मक
ु ु ट मåयकाल.न राज)थानी शैल. म= होती है जो आज तक EचFलत है ।
• यह अ"यंत नाटकVय /ेÇीय संगीत कठपत
ु ल. न"ृ य कV संगत करता है ।
• इनके अंडाकार मख
ु , मछFलयO जैसी बड़ी-बड़ी आंख कमानी जैसे भौ और बड़े-बड़े हOठ आTद
कुछ (वFशÉट ल/ण हb।
• यह पत
ु Fलयां लंबा पछ
ु ëला लहं गा पहनती हb और इनके पैरO म= जोड़ नह.ं होते हb।
• पत
ु ल. संचालक अपनी उं गFलयO से बंधे दो या पांच धागO से उनका संचालन करता है ।
कंु धेई – ओêडसा • हëकV लकड़ी से बना होता है ।
• इनके पैर नह.ं होते तथा यह पछ
ु ëला लहं गा पहने होती हb।
• इन पत
ु FलयO म= अनेक जोड़ होते हb इसी कारण इनका संचालन सरल है ।
• पत
ु ल. संचालक लकड़ी के ?तकोने टुकड़े को पकड़े रहता है िजस पर संचालन करने के Fलए
धागे बने होते हb।
• परं परागत जाÇा नाटक के अFभनेताओं कV भां?त कंु धेई कV वेशभष
ू ा होती है ।
• संगीत - /ेÇीय संगीत और ओjडसी न"ृ य के संगीत का भी Eभाव Tदखता है ।
गोáबेयाvटा – • इसका संबंध कना@टक के लोक न"ृ य य/गान से हb।
कना7टक
• इसम= अqधक साõयता रखा जाता है , इसकV आकृ?तयां अ"यंत सस
ु िwजत होती हb और पैर,
कंधे , कोहनी , कूëहे और घट
ु ने म= जोड़ होते हb।
• एक ढांचा से बंधे हुए पांच से सात धागO से इनका संचालन Zकया जाता है ।
• जTटल Zîयाओं का संचालन दो तीन संचालकO के एक साथ संचालन <वारा Zकया जाता
है ।
• संगीत – शा)Çीय संगीत तथा लोक संगीत का संद
ु र समlवय होता है ।
बोáमालvटा – • छड़ और धागा पत
ु ल. कV तकनीक तFमलनाडु कV बोõमलटतम पत
ु ल. म= एक साथ Fमलती
त8मलनाडु है ।
• यह लकड़ी से बनी होती है और संचालन करने के धागे एक लोहे के $रंग म= बने रहते हb
िजसे पत
ु ल. संचालक मक
ु ु ट कV तरह अपने Fसर पर धारण Zकए रहते हb।
• कुछ पत
ु FलयO कV हथेFलयO और हाथO म= जोड़ होते हb िजनका संचालन छड़O से होता है ।
• ये कठपत
ु Fलयाँ सभी भारतीय परं परागत कठपत
ु FलयO म= सबसे )पÉट होती हb और आकार
म= बड़ी एवं भार. होती हb।
• बोõमलRटम नाRय (वधा म= (व)तत
ृ Eसंग हb, िजlह= चार भागO म= (वभािजत Zकया गया
है - (वनायक पज
ू ा, कोमल., अमनRटम और पस
ु ेकनाãम।
छाया पत
ु ल=
• छाया पत
ु Fलयां चपट. होती हb ।
• इस Eकार कV पत
ु Fलयां चमड़े से बनाई जाती हb इlह= पारभासी बनाने के Fलए संशोqधत Zकया जाता है ।
तोलु बोáमालता - • यह पत
ु Fलयां आकृ?त म= बड़ी होती हb और उनकV कमर गद@ न कंधा और घट
ु नO म= जोड़
आंÆ sदे श होते हb।
• यह दोनO तरफ से रं गी जाती हb िजससे पद≠ पर रं गीन छाया पड़ती है ।
• संगीत- मv
ु यता /ेÇ का शा)Çीय संगीत होता है ।
• इनका मv
ु य (वषय रामायण महाभारत और परु ाण होते हb।
तोगलू गोáबेअvटा- • यह पत
ु Fलयां साधारण आकार म= छोट. होती है ।
कना7टक • हालांZक, सामािजक प$रवेश के अनस
ु ार पाÇO के आधार बड़े छोटे होते हb। जैसे Zक राजाओं
और धाFम@क पाÇO के आकार बड़े होते हb जबZक आम जनता और नौकरO के आकार छोटे
होते हb।
रावणछाया - उड़ीसा • यह पत
ु Fलयां एकहर. होती है तथा इनम= कोई संqध नह.ं होती।
• âयOZक यह रं गीन भी नह.ं होती इस कारण पद≠ पर उनकV छाया dवेत dयाम होती है ।
• इनम= जोड़ना होने के कारण इनका संचालन द/ता से करना पड़ता है ।
• यह पत
ु Fलयां मग
ृ चम@ कV बनी होती हb तथा इनका Xप अ"यंत नाटकV होता है ।
• मानव एवं पशु च$रÇO के साथ-साथ व/
ृ पव@त तथा रथ आTद का भी इ)तेमाल Zकया
जाता है ।
• यह पत
ु Fलयां छोट. होती हb।
• Zफर भी इन कV छाया एकदम लाया"मक एवं संवेदनशील होती है ।
छड़ पत
ु ल=
• यह द)ताना पत
ु ल. का अगला चरण है लेZकन या उससे काफV बड़ी होती है तथा नीचे ि)थत /णO पर आधा$रत
रहती है और उसी से संचाFलत होती हb।
• इस कला का यह Xप आज पिdचम बंगाल तथा उड़ीसा म= पाया जाता है ।
• इसम= wयादातर तीन जोड़ ह. होते हb लेZकन उनके साथ /णO के बजाय धागे बंधे होते हb
।
उड़ीसा रॉड • इस Eकार यहां पर छड़ पत
ु Fलयां धागा तथा छड़ पत
ु FलयO का समिlवत Xप होती हb।
कठपत
ु ल= - ओêडशा • इनम= संचालन कV Zîया थोड़ी अलग होती है । पत
ु ल. संचालक पद≠ के पीछे जमीन पर
बैठकर उनका संचालन करते हb।
• wयादातर संवाद पर आधा$रत होते हb।
• संगीत लोक धन
ु O तथा शा)Çीय ओjडसी धन
ु O दोनO का समिlवत Xप होता है ।
• उड़ीसा कV कठपत
ु Fलयाँ पिdचम बंगाल आं√Eदे श कV तल
ु ना म= काफV छोट. होती है ।
• अqधक जTटल और ग<य संवाद शायद ह. कभी इ)तेमाल Zकए जाते हb।
यमपरु = - Tबहार • काÉठ कV बनी होती है ।
• यह एक टुकड़े म= होती हb और इनम= कोई जोड़ नह.ं होता है ।
• इlह= चलाने म= अ?त ?नपण
ु ता कV आवdयकता होती है ।
द-ताना पत
ु ल=
• इसे कर या हथेल. पत
ु ल. भी कहा जाता है ।
• यह कपड़े अथवा कपड़े से बनाई जाती हb।
• इसम= गद@ न के नीचे से दोनO हाथ बाहर ?नकले रहते हb।
• शेष शर.र के नाम पर केवल एक लहराता हुआ घाघरा होता है ।
• हाथO से ग?त(वqधयO पर ?नयंÇण रखा जाता है पहल. अंगुल. म)तक म= जाती है तथा मåयमा और अंगूठा पत
ु ल.
कV दोनO भज
ु ाओं म= रहती है ।
• पत
ु ल. कV यह परं परा उãर Eदे श, उड़ीसा, पिdचम बंगाल और केरल म= लोक(Eय है ।
• इसका Eादभ
ु ा@व 18वीं शताóद. म= वहां के EFस<ध शा)Çीय न"ृ य नाटक कथकल. के पत
ु ल.
नाटकO पर पड़ने वाले Eभाव के कारण हुआ।
पोवाकोथु - केरल • इसम= पत
ु ल. कV लंबाई एक दो फVट के बीच होती है ।
• म)तक तथा दोनO हाथ लकड़ी से बना कर एक मोटे कपड़े से जोड़े जाते हb Zफर एक छोटे
से थैले के Xप म= इसको Fसला जाता हb।
• पत
ु ल. के चेहरे के अलंकरण म= रं ग, चमकVले ट.न के टुकड़े तथा मोर पंखO का उपयोग
Zकया जाता है ।
• प$रचालक उस थैल. म= अपने हाथ डालकर पत
ु ल. के म)तक और दोनO भज
ु ाओं का संचालन
करता है ।
• इस E)त?ु त के समय च= डा, च= qगल तथा इलाथलम वा<य यंÇO तथा शंख का उपयोग Zकया
जाता है ।
• (वषय – रामायण कथा तथा महाभारत कV कथाओं पर आधा$रत होते है ।
• धनष
ु (धनष
ु ) और †ान(वेद), "परु ाण साTह"य म= धन(ु व@<या" के Fलए बाद म= धनद
ु ा@ शóद ?नकला, जो बाद म= सामाlय
Xप से माश@ल आट@ म= लागू हुआ।
• (वÉणु परु ाण पाठ म= शांताशा)Ç या सैlय (व†ान के साथ "लागू †ान" या अपवेद कV पारं प$रक अठारह शाखाओं म=
से एक के Xप म= धानव
ु ेद का वण@न Zकया गया है ।
• इसका एक शóद, य<
ु ध कला, शóद से आता है िजसका अथ@ है लड़ाई या य<
ु ध और कला अथ@ कला या कौशल।
संबंqधत शóद शा)Ç कला (श)Ç कला) आमतौर पर सश)Ç (वषयO को संदFभ@त करता है ।
िव#ाथ& नोट
3. भारत क2 सं4कृ6त
भारत सरकार ने वष@ 2004 म= घो(षत Zकया Zक जो भाषाएं कुछ ?निdचत आवdयकताओं को परू ा कर= गी उlह= भारत कV
शा)Çीय भाषा कV Eि)थ?त Eदान कV जाएगी।
• इनकV Eारं Fभक èंथO तथा अFभलेख इ?तहास कV Eाचीनता 1500 से 2000 वषä से भी अqधक कV अवqध होनी
चाTहए।
शा-Pीय भाषाएं
1. वष@ 2004 म= तFमल
2. वष@ 2008 म= तेलग
ु ू
3. वष@ 2013 म= मलयालम
4. वष@ 2005 म= सं)कृत
5. वष@ 2008 म= कlनड़
6. वष@ 2014 म= ओjड़या (नवीनतम)
3.3 महKवपण
ू 7 sाचीन BवgवBवfयालय
फाqहयान चीन ; चंÖगुKत II भारत आने वाले पहले चीनी तीथNयाrी। उनके Jवारा एक याrा वI
ृ ांत
405–411 "बौJध साîाåय का अ9भलेख " संक9लत Wकया।
AD
अल मसद
ू = अरब ; -- अपनी पV
ु तक मñ
ु ज-उल-ज़हाब मf भारत के बारे मf उcलेख Wकया।
957 AD
माकç पोलो इटल. ; ~Öमादे वी ~Öमादे वी के अधीन काकतीय साüाwय का £मण Zकया। द बक
ु ऑफ सर
1254– (काक?तया माकØ पोलो ’प)
ु तक म= अपने अनभ
ु व Fलखे, जो भारत के आqथ@क इ?तहास
1324 AD
वंश ) कV Wयाvया करता है ।
इåनबतत
ू ा मोरâको ; मोहõमद उlहOने 'रे हला' प)
ु तक Fलखी।
1333– Åबन राजवंश मह
ु õमद-Åबन-तग
ु लक और अपने समय कV आqथ@क, सामािजक और
1347 AD
तग
ु लक भौगोFलक ि)थ?त के बारे म= बताया।
छपाई/ बन
ु ाई / साड़ी/ कढ़ाई क? शैल= शहर / OेP
फुलकार= पंजाब
बलच
ू ार= मFु श@दाबाद (पिdचम बंगाल )
कंथा एáबरु ोइडेर= बंगाल और Åबहार
åलॉक Bsंqटंग राज)थान और गुजरात
s/तरोध रं गाई/छपाई (Resist Printing) राज)थान, मåय Eदे श और तFमलनाडु
बांधनी गुजरात
बंधेज राज)थान
पोचáपाrल= आं√ Eदे श
कोटा राज)थान
ज़रदोज़ी बनारस, लखनऊ, सरू त, अजमेर, भोपाल और है दराबाद
नाम ये म´
ु य oप से Bववरण
/नáन8लcखत OेPQ म]
उKपाqदत Gकए जाते
ह}
पोचáपाrल= आं√ Eदे श रे शम और कपास कV साड़ी जTटल XपांकनO और रं गाई कV wयाFमतीय इकत
शैल. के साथ। एयर इंjडया एयरलाइंस के चालक दल इस साड़ी को पहनते
हb।
पटोला पाटन , गुजरात हbडलम
ू साड़ी
बालच
ू र= मFु श@दाबाद पिdचम इसके ZकनारO और पëलू पर Eाचीन कहा?नयO को दशा@या जाता है । इसम=
बंगाल रे शम के धागे का बड़े पैमाने पर उपयोग Zकया जाता है
कोनराड तFमलनाडु इस कपड़े म= आमतौर पर धा$रयां या चेक के साथ एक चौड़ी पRट. होती है
िजस पर जानवर और Eाकृ?तक त"वO के qचÇ बने हुए होते हb। इसे मंTदर
कV साड़ी भी कहा जाता है ।
कोसा छãीसगढ़ रे शम कV साड़ी
पैठनी महाराÉò Fसëक साड़ी सोने के रं ग के धागे के साथ कशीदाकार. और तोते का qचÇ
बना हुआ होता है ।
कलमकार1 आं√ Eदे श इसम= qचÇकार. के Fलए कलम का उपयोग Zकया जाता है ।
कसावु केरल इसम= साड़ी को मोटे सन
ु हरे ZकनारO से jडजाइन Zकया जाता है ।
डाबू साड़ी qचãौरगढ़ , राज)थान डóबू एक Eाचीन मद
ृ ा E?तरोधक है िजसे सत
ू ी कपड़े पर इ)तेमाल कV जाने
वाल. हbड óलॉक (EंTटंग तकनीक भी कहा जाता है ।
• संयâ
ु त राÉò शैp/क, वै†ा?नक और सां)कृ?तक संगठन (यन
ू े)को) (वdव (वरासत )थल सां)कृ?तक या Eाकृ?तक
(वरासत के मह"वपण
ू @ )थान हb जैसा Zक 1972 म= )था(पत यन
ू े)को (वdव (वरासत सõमेलन म= वtण@त है ।
• भारत म= 38 (वdव धरोहर )थल हb। इनम= 30 सां)कृ?तक )थल, 7 Eाकृ?तक )थल और 1 Fमq1त-मापदं ड )थल
शाFमल हb। भारत (वdव (वरासत )थल कV सच
ू ी म= छठे )थान पर है ।
सां-कृ/तक (30)
• आगरा Wकला (1983)
• अजंता क) गफ
ु ाएं (1983)
• _बहार के नालंदा मf नालंदा परु ातािxवक Vथल (2016)
• सांची Vतप
ू (1989)
• चंपानेर-पावागढ़ परु ातxव उJयान (2004)
sाकृ/तक -थल(7)
• महान Tहमालयी राÉò.य उ<यान संर/ण /ेÇ (2014)
• काज़ीरं गा राÉò.य उ<यान (1985)
• केवलादे व राÉò.य उ<यान (1985)
• मानस वlयजीव अभयार™य (1985)
• नंदा दे वी और फूलO कV घाट. राÉò.य उ<यान (1988,2005)
• संद
ु रबन नेशनल पाक@ (1987)
• पिdचमी घाट (2012)
8म[{त -थल (1)
• कंचनजंगा राÄÖ.य उJयान (2016)
• यन
ू े-को ने द/ु नया भर म] महKवपण
ू 7 अमत
ू 7 सां-कृ/तक Bवरासत के बेहतर संरOण और उनके महKव के बारे म]
जागoकता स/ु निgचत करने के उfदे gय से अपनी अमत
ू 7 सां-कृ/तक Bवरासत क? सच
ू ी -थाBपत क? ।
• यह सच
ू ी 2008 म] -थाBपत क? गई थी जब 2003 के अमत
ू 7 सां-कृ/तक Bवरासत क? सरु Oा के 8लए यह सáमेलन
sभाव म] आया।
• इसके पाँच OेP ह}:
1. अमत
ू 7 सां-कृ/तक Bवरासत के oप म] भाषा सqहत मौcखक परं पराएं और अ8भ~यिwत।
2. कला का sदश7न।
3. सामािजक sथाओं, अनòु ठानQ और उKसव क? घटना।
4. sकृ/त और ëíमांड के Bवषय म] Öान और जागoकता।
5. पारं पNरक 8शrप कौशल।
भारत क? अमत
ू 7 सां-कृ/तक Bवरासत:
• वैTदक जप कV परं परा, 2008
• रामल.ला, रामायण का पारं प$रक Eदश@न, 2008
• कुTटयाRटम, सं)कृत qथयेटर, 2008
• राममन, गढ़वाल Tहमालय के धाFम@क "योहार और धाFम@क अनÉु ठान, 2009
• मTु दयेRटू, अनÉु ठान qथयेटर और केरल का न"ृ य नाटक, 2010
• कालबेFलया लोक गीत और राज)थान के न"ृ य, 2010
• छऊ न"ृ य, 2010
• ल<दाख का बौ<ध जप: Tहमालय के ल<दाख /ेÇ, जõमू और कdमीर, भारत म= प(वÇ बौ<ध èंथO का पाठ
• मtणपरु का संकVत@न, पारं प$रक गायन, नगाडे और न"ृ य,2013
• पंजाब के ठठे रO <वारा बनाए जाने वाले पीतल और तांबे के बत@न,2014
• योग,2016
• नवरोज़, नोवXज़, नोवरोज़, नाउरोज़, नौरोज़, नौरे ज़, न~
ू ज़, नोवXज़, नवXज़, नेवXज़, नोवXज़, 2016
• कंु भ मेला, 2017
3.8 कैल]डर:
Bवàम संवत : यह चंÖ कैल=डर है । शक शासक पर (वजय को qचिàनत करने के Fलए राजा (वîमाTद"य
<वारा 57 ई.प.ू अथा@त शl
ू य वष@ ई.प.ू । यह 2 चरणO म= (वभािजत होता है शâ
ु लप/
और कृÉणप/।
शक संवत : इसका शl
ू य वष@ 78 A.D. से शX
ु होता है ,शक कैल=डर म= सौर और चंÖ दोनO का
उपयोग Zकया जाता है । शक कैल=डर आरं भ ल.प वष@ म= 21 माच@ व अlय वषØ म= 22
माच@ को होता है । 1957 म= भारत सरकार <वारा इसे आqधका$रक कैल=डर के Xप म=
अपनाया गया।
àेगोÉरयन कैलpडर: यह ईसाई धम@ के सं)थापक ईसा मसीह के जlमTदन पर आधा$रत है । इसम= 365
Tदन, 5 घंटे, 48 Fमनट और 46 सेकंड शाFमल हb।
qहजर= : यह चंÖ कैल=डर होता है , शl
ू य-वष@ 622 ई)वी।इसकV श~
ु आत सऊद. अरब म= हुई।
Eथम मह.ना मोहर@ म, 9वां मह.ना रमजान होता है ।
• पOगल: तFमलनाडु का मv
ु य फसल "योहार।
• मकर संîां?त: Tहंद ू "योहार, परू े भारत म= मनाया जाता है जब Zकसान अपनी फसल घर लाते हb।
• गंगा सागर मेला: पिdचम बंगाल म= मनाया जाने वाला सबसे मह"वपण
ू @ मेला।
• वसंत पंचमी: पिdचम बंगाल म= , 'सर)वती' कV दे वी कV पज
ू ा कV जाती है ।
• गणगौर: राज)थान का सबसे मह"वपण
ू @ )थानीय "यौहार, गणगौर, यह गौर. को पाव@ती के Xप म= आ(वभा@व के
सõमान म= मनाया जाता है ।
• तKपम: तFमलनाडु म= हर साल मनाया जाता है ।
• रे qग)तान का "योहार: जैसलमेर के गोëडन Fसट. म= मनाया जाता है । यह "यौहार कठपत
ु ल., कलाबाज़ और लोक
नत@ZकयO के साथ जीवंत हो जाता हb। इसम= ऊंट दौड़ का बहुत मह"व है ।
• ई)टर: यह मतृ कO से मसीह के पन
ु ~"थान का उ"सव है ।
• (वश:ु केरलवाFसयO के Fलए नए साल का Tदन।
• नौरोज़: नवरोज़ एक 3,000 साल परु ानी जोरोि)òयन परं परा है , एक अनÉु ठान उ"सव जो वसंत और फारसी नए
साल कV श~
ु आत का संकेत दे ता है ।
• गोX Åबहू: अEैल या मई म= Tहंद ू नव वष@ के Tदन मनाया जाने वाला मवेशी "योहार।
• नबा बरशा: बंगाFलयO का नव वष@ Tदवस। इसम= घर कV प"नी <वारा अëपना फश@ पर बनाई जाती हb।
• गुड़ी पड़वा: महाराÉò म= Wयापक Xप से मनाया जाता है ।
• उगाद.: यह भारत म= आं√ Eदे श, तेलंगाना और कना@टक राwयO के Fलए नए साल का Tदन है । यह चैÇ के Tहंद ू
चंÖ कैल=डर मह.ने के पहले Tदन इन /ेÇO म= मनाया जाता है ।
• पथ
ु ंडू: इसे तFमल नववष@ Tदवस के Xप म= मनाया जाता है ।
• चेती चंद: Fसंधी नया साल होता है । झल
ू ा के जlम के सõमान म= मनाया जाता है
• ब<ु ध पtू ण@मा: भगवान ब<
ु ध कV जयंती। उनका जlम वैशाख के मह.ने म= पtू ण@मा के Tदन 563 ई.प.ू को हुआ था।
• बैसाखी: वैसाखी, िजसे बैसाखी भी कहा जाता है , सौर वष@ कV श~
ु आत होती है । वैसाखी, वैशाख मह.ने के पहले Tदन
को मनाई जाती है और आमतौर पर हर साल 13 या 14 अEैल को मनाई जाती है ।
• करगाबाबा: यह बbगलोर के धम@राज मंTदर से शX
ु होता है ।
• मीना/ी लालमय (qचÇा महो"सव): मदरु ै म= होती है , Fशव और मीना/ी के बीच पौराtणक (ववाह का जdन मनाने
के Fलए।
• ढुंगर. वन उ"सव: मनाल. म= हjडõबा या ढुंqगर. मंTदर म= मनाया जाता है , यह धंग
ु र. वन (वहार म= ि)थत है ।
• रथ याÇा: परु . के EFस<ध जगlनाथ मंTदर म= एक रथ उ"सव आयोिजत Zकया जाता है । भगवान जगlनाथ, उनकV
बहन सभ
ु Öा और भाई बलभÖ के qचÇ तीन (वशाल रथO म= जल
ु स
ू म= ?नकाले जाते हb।
• हे Fमस गोõपा मेला: लेह से लगभग 50 Zकलोमीटर कV दरू . पर हे Fमस गोõपा म= एक बड़ा मेला आयोिजत Zकया
जाता है ,लामावाद के सं)थापक प<मसंभव का जlमTदन मनाने के Fलए, इसका आयोजन Zकया जाता है ।
• कंु भ मेला: यह Tहंद ू धम@ म= एक Eमख
ु तीथ@ और "योहार है । यह लगभग 12 वषä म= चार नद. तट तीथ@ )थलO
पर मनाया जाता है : इलाहाबाद (Eयाग) (गंगा-यमन
ु ा सर)वती नTदयO का संगम), ह$र<वार (गंगा), नाFसक (गोदावर.,
और उwजैन (FशEा)।
• पÉु कर मेला – राज)थान : पÉु कर मेला, िजसे पÉु कर ऊंट मेला या )थानीय Xप से का?त@क मेला या पÉु कर का मेला
भी कहा जाता है , पÉु कर शहर म= आयोिजत होने वाला एक वा(ष@क बहु-Tदवसीय पशध
ु न मेला और सां)कृ?तक पव@
है ।
• गु~ पव@ : गु~ पव@ , िजसे गु~ नानक के Eकाश उ"सव और गु~ नानक दे व कV जयंती के Xप म= भी जाना जाता
है , पहले Fसख ग~
ु , ग~
ु नानक के जlम का जdन मनाता है ।
• बथक
ु õमा: तेलंगाना और आं√ Eदे श के कुछ Tह)सO म= मv
ु य Xप से मनाया जाने वाला पÉु प "योहार है ।
• मह
ु र@ म: इ)लामी कैल=डर का पहला मह.ना है मह
ु र@ म। यह वष@ के चार प(वÇ मह.नO म= से एक है िजसम= य<
ु ध
कV मनाह. होती है । इसे रमजान के बाद दस
ू रा सबसे प(वÇ मह.ना माना जाता है ।
• सरहुल: यह झारखंड, ओjडशा और पिdचम बंगाल के आTदवाFसयO के Fलए नए साल कV श~
ु आत है ।
• पोहे ला बोइशाख: बंगाल. नव वष@ "योहार के Xप म= मनाया जाता है
पव
ू çÜर भारत के Kयोहार :
• हॉन@Åबल "योहार, नागालbड: राwय के सबसे EशंFसत प/ी के नाम पर, यह "योहार वहां के 16 जनजा?तयO कV
परं परा को दशा@ता है ।
• एओ मोआसू फेि)टवल , सोम, नागालbड: कोlयाक नागालbड कV Eमख
ु जनजा?तयO म= से एक हb, जो मल
ू Xप से
मोन िजले के हb। यह कोlयाक का मv
ु य "योहार है ।
• सेकेरनी "योहार: नागालbड: नागालbड कV अंगामी जनजा?त <वारा मनाया जाता है । अंगFमस िजसे 'फुसैनी' भी कहा
जाता है ।
• का पोõबलंग नOगकम@, मेघालय: यह मेघालय के खासी समद
ु ाय के सबसे मह"वपण
ू @ "योहारO म= से एक है ।
• मो(पन, अ~णाचल Eदे श: अ~णाचल Eदे श के आTद वाFसयO के गैलOग समद
ु ाय का सबसे मह"वपण
ू @ "योहार है ।
• सोलंग
ु , अ~णाचल Eदे श: यह अ~णाचल Eदे श के आTद समद
ु ायO का सामािजक-धाFम@क "योहार है ।
• मायोको "यौहार, अ~णाचल Eदे श: आम तौर पर माच@ के मह.ने म= मनाया जाता है , जो Zक अपटानी समद
ु ाय के
Eमख
ु "योहारO म= से एक है ।
• ब<
ु ध महो"सव, अ~णाचल Eदे श: बौ<ध सं)कृ?त (वरासत को संरp/त करने और बौ<ध पय@टन को Eो"साTहत करने
के Fलए तवांग म= मनाया जाता है ।
• Åबहू महो"सव, असम: यह एक वष@ म= तीन बार मनाया जाने वाला सां)कृ?तक "यौहार हb, िजlहे Åबहू के Xप म=
जाना जाता है , जो कृ(ष कैल=डर पर एक (वशेष अवqध को qचिàनत करता है । तीनO Åबहू "योहारO म= सबसे बड़ा और
सबसे EFस<ध।
• बोहाग Åबहू (िजसे रOगाल. Åबहू के नाम से भी जाना जाता है ) है ।
• धान रोपाई के परू ा होने पर काट. Åबहू।
• फसल के मौसम का अंत माघ Åबहू (िजसे भोगल. Åबहू के Xप म= भी जाना जाता है ) के Xप म= मनाया जाता है ।
• दे Tहंगपाटकाई महो"सव, असम: वा(ष@क उ"सव। पव
ू ≥ असम म= दे Tहंग नद. और पटकाई 1ेणी के नाम पर।
• तोया@ मठ महो"सव, अ~णाचल Eदे श: वा(ष@क उ"सव जो (वशेष Xप से तवांग मठ, अ~णाचल Eदे श म= आयोिजत
Zकया जाता है ।
• नOगîेम डांस फेि)टवल, मेघालय: वा(ष@क नOगZîम डांस फेि)टवल, खासी जनजा?त का पांच Tदवसीय फसल धlयवाद
समारोह है । यह एक भरपरू फसल पैदावार और लोगO कV सम<
ृ qध के Fलए दे वी कै बल. Fसंघार को Eसlन करने
के Fलए Zकया जाता है ।
• वांगेला महो"सव, मेघालय: गारो जनजा?त <वारा मनाया जाने वाला फसल कटाई "योहार। यह सTद@ यO कV श~
ु आत
का संकेत दे ता है ।
• चापचर कुट, Fमजोरम: बांस के नाम पर िजसे काटा गया है और सख
ू रहा है , रोपण शX
ु होने से पहले मनाया जाने
वाला एक कृ(ष "योहार है । बांस का न"ृ य, िजसे चेरव कहा जाता है , "योहार का एक बड़ा Tह)सा है ।
• कांग qचंगबा, मtणपरु : यह 10 TदनO का लंबा "योहार है जो हर साल जल
ु ाई के मह.ने म= मनाया जाता है और यह
'जगlनाथ परु . रथ याÇा' के समान है ।
• खच≥ पज
ू ा, ÅÇपरु ा: ÅÇपरु ा के शाह. प$रवार के "यौहार के Xप म= शX
ु Zकया गया था, वत@मान म= आम प$रवार भी
इस "यौहार को मनाते हb।
• बेqधनखलम, मेघालय: जयं?तया जनजा?तयO का सबसे मह"वपण
ू @ न"ृ य महो"सव।
• अंबब
ु ाची मेला, गव
ु ाहाट., असम: यह कामाvया मंTदर म= आयोिजत Zकया जाता है और इसे 'पव
ू @ का महाकंु भ' भी
कहा जाता है । यह दे वी कामाvया के वा(ष@क माFसक धम@ पाƒयîम का उ"सव है ।
• लॉसंग फेि)टवल: लॉसोlग Fसिâकम का नया साल है ।
• सागा दाव: Fसिâकम राwय म= रहने वाले बौ<ध समद
ु ायO <वारा मनाया जाता है ।
• यामहे महो"सव: नागालbड म= पोचरु . जनजा?त <वारा मनाया जाने वाला "योहार।
• चीरोबा महो"सव: मtणपरु . जनजा?तयO का नववष@ उ"सव।
• लइ
ु -नगाई-नी महो"सव: नागालbड म= नागा जनजा?तयO का "योहार।
भारत रKन
• भारत र"न का शािóदक अथ@ है 'भारत का र"न और यह भारत दे श <वारा Tदया जाने वाला सवØmच नाग$रक
परु )कार है ।
• भारत र"न उन असाधारण WयिâतयO को Eदान Zकया जाता है िजlहOने सवØmच Eदश@न Zकया है । इसे पहल. बार
1954 म= Tदया गया था।
• Tदसंबर 2011 म= , 'मानव Eयास के Zकसी भी /ेÇ को शाFमल करने के Fलए' मापदं ड का (व)तार Zकया गया था।
• भारत के EधानमंÇी, भारत के राÉòप?त से Fसफा$रश= करते एक वष@ म= तीन लोग (तीन से अqधक नह.ं) । हालांZक
परु )कार (वजेताओं को कोई पैसा नह.ं Tदया जाता है , िजlह= चन
ु ा जाता है उlह= एक पीपल के पãे के आकार का
पदक और एक Eमाण पÇ (सनद) Tदया जाता है ।
• भारतीय आदे श के अनस
ु ार, भारत र"न Tदए जाने वालO को îम से सातव= )थान पर रखा गया है । इस परु )कार
को सं(वधान के अनm
ु छे द 18 (1) के संदभ@ म= EाKतकता@ओं के नाम के Fलए उपसग@ या E"यय के Xप म= इ)तेमाल
नह.ं Zकया जा सकता है ।
• भारत के सं(वधान म= शाFमल 22 भाषाओं के अलावा, साTह"य अकादमी ने अंèेजी और राज)थानी को उन भाषाओं
के Xप म= माlयता द. है , िजनम= काय@îमO को लागू Zकया जा सकता है और इसFलए उlह= परु )कार के Fलए माना
जा सकता है ।
• इस परु )कार म= 1 लाख ~पये का नकद परु )कार और एक पRTटका शाFमल है िजस पर दे वनागर. Fल(प म= 'साTह"य'
Fलखा रहता है ।
भाषा सáमान
• इसे †ानपीठ परु )कार (†ान का आधार ) के Xप म= भी जाना जाता है और उ"कृÉट साTहि"यक उपलिóध के Fलए
Tदया जाता है ।
• यह भारतीय †ानपीठ <वारा 1961 म= Eारõभ Zकया गया था, जो Zक अखबार द टाइõस ऑफ इंjडया कV )थापना
के Fलए EFस<ध जैन प$रवार <वारा संचाFलत एक ò)ट था।
• यह उन भारतीय नाग$रकO को Tदया जाता है जो भारतीय सं(वधान और अंèेजी कV अनस
ु च
ू ी आठवीं म= सच
ू ीब<ध
22 भाषाओं म= से एक म= साTह"य रचना करते हb।
• इसम= एक पRTटका और 11 लाख ~पये के नकद परु )कार के अलावा, (वजेता को दे वी सर)वती कV कां)य E?तमा
भी द. जाती है ।
• यह परु )कार मरणोपरांत नह.ं Tदया जाता है । अतः वत@मान म= 23 भाषाएँ हb िजनम= †ानपीठ परु )कार Tदया जाता
है ।
• 1969 म] शo
ु Gकया गया, दादा साहे ब फाrके परु -कार दादा साहे ब फाrके (1870-1944) क? याद म] qदया जाने
वाला भारतीय 8सनेमा का सवçµच परु -कार है , जो s8सfध Gफrम /नमा7ता थे, िजसने भारत क? पहल= पण
ू 7 फ?चर
Gफrम, राजा हNरgचंV (1913) बनाई थी।
• यह Gफrम समारोह /नदे शालय, सच
ू ना और sसारण मंPालय fवारा -थाBपत एक संगठन fवारा सáमा/नत Gकया
जाता है ।
• यह भारतीय 8सनेमा के Bवकास और Bवकास म] उKकृòट योगदान के 8लए qदया जाता है और इसका चयन भारतीय
Gफrम उfयोग क? s/तिòठत हि-तयQ क? एक स8म/त fवारा Gकया जाता है ।
• भारतीय परु ात"व सव≠/ण (एएसआई) E"य/ Xप से सं)कृ?त मंÇालय के अंतग@त आता है और यह परू े भारत म=
परु ाताि"वक अनस
ु ंधान करने के Fलए एक अèणी सं)थान है ।
• इसे हमारे राÉò कV सां)कृ?तक (वरासत के संर/ण का भार सौपा गया है । इसका åयान भौ?तक और मत
ू @ (वरासत
के संर/ण पर क=TÖत है जो Eाचीन )मारकO और परु ाताि"वक )थलO म= संqचत है ।
• यह Eाचीन )मारकO और परु ाताि"वक )थल और अवशेष अqध?नयम, 1958 के Eावधान और परु ावशेष और बहुमë ू य
कलाकृ?त अqध?नयम, 1972 के EावधानO के अनस
ु ार दे श म= सभी परु ाताि"वक ग?त(वqधयO को ?नयंÅÇत करता है ।
• भारत के परु ाताि"वक सव≠/ण और भारत के राÉò.य परु ाताि"वक अFभलेखागार के सम/ बड़ी संvया म= ऐसी
पांडुFल(पया E)तत
ु हुई, जो भारत कV Eाचीन और मåययग
ु ीन (वरासत कV आधार हb।
• उनकV Fसफा$रश पर ह. भारत सरकार ने पांडुFल(पयO (एनएमएम) के Fलए राÉò.य Fमशन कV )थापना के Fलए
आदे श Tदया है । एनएमएम का सबसे Eमख
ु काय@ ‘राÉò.य इलेâòॉ?नक डेटाबेस’ बनाना था।
• इस डेटाबेस म= लगभग दस लाख पांडुFल(पयां हb, जो इसे द?ु नया म= भारतीय पांडुFल(पयO का सबसे बड़ा डेटाबेस
बनाती है ।
साqहKय अकादमी
• भारत सरकार ने 1954 म= "नेशनल एकेडमी ऑफ लेटस@" या साTह"य अकादमी कV )थापना कV।
• इस संगठन का EाथFमक काय@ भारत म= साTहि"यक सं)कृ?त को बढ़ावा दे ने के Fलए राÉò.य संगठन के Xप म= काम
करना था, ताZक सभी भारतीय भाषाओं और साTह"य को समè Xप से बढ़ावा Tदया जा सके।
• यह एक )वायã संगठन है , जो 24 से अqधक भारतीय भाषाओं म= साTहि"यक रचनाएँ करता है ।
• भारत के सं(वधान म= उिëलtखत 22 भाषाओं से, साTह"य अकादमी दो और भाषाओं को माlयता दे ता है : अंèेजी
और राज)थानी।
• संगीत नाटक अकादमी 1952 म= भारत सरकार <वारा कला के Fलए )था(पत पहल. राÉò.य अकादमी थी।
• भारत के पहले राÉòप?त, डॉ राज=Ö Eसाद ने इसका उ<घाटन Zकया। अकादमी का मv
ु य काय@ संगीत, नाटक और
भारत के न"ृ यO के Fलए एक एकल मंच बनाना था।
• जो दे श म= Eदश@न कलाओं को EदFश@त करने के Fलए EाथFमक अंग माना जाता था।
• आईट.एचई म= संगीत, न"ृ य और नाटक के XपO के माåयम से EदFश@त भारत कV (वशाल अमत
ू @ (वरासत को बढ़ावा
दे ने का उ"साहजनक काय@ भी था।
• यह भी भारत कV सां)कृ?तक (वरासत को बचाने के Fलए यन
ू े)को जैसे अंतरा@Éò.य संगठनO के साथ सहयोग करता
है ।
• राò¶=य कला अकादमी या ल8लत कला अकादमी भारत सरकार <वारा 1954 म= भारत म= ल8लत कला को बढ़ावा
दे ने के एकमाÇ उfदे gय के साथ -थाBपत क? गई थी।
• अकादमी एक )वायã ?नकाय है , जो सं-कृ/त मंPालय fवारा BवÜ-पोBषत है ।
• यह अकादमी लFलत कलाओं को Eो"साहन दे ने का काय@ करते हb। हालाँZक, यह राÉò.य और अंतरा@Éò.य दोनO कलाओं
से संबंqधत है , लेZकन इसका åयान भारतीय कला के Eचार और संर/ण पर अqधक होता है ।