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इफेक्टिव राइटिंग प्रोफेसर बिनोद मिश्रा

डिपार्टमेंट ऑफ़ हयूमैनिटिज़ एंड सोशल साइंसेज, ऐसे कई सवाल आप के मन मस्तिष्क में आते होंगे जब आप कुछ पन्नों को पलटते हएु सोचते होंगे कि वास्तव में
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टे क्नोलॉजी , रूरकी यही किताब है जो आपको पढ़ने को प्रेरित कर सकता। अब यह प्रभावशाली पुस्तक कैसे हो सकती है ? यह
पुस्तक प्रभावशाली इसीलिए है क्योंकि उसे प्रभावशाली तरीके से लिखा गया है। अब आप सब लोग सोच रहे
लेक्चर - 01 इंट्रोडक्शन टू इफेक्टिव राइटिंग होंगे - कि क्या आप प्रभावशाली नहीं लिखते - आपने तो स्कूल और कॉलेज में पहले ही काफी कुछ लिखा है।

लेकिन फिर आप जैसे जैसे बड़े होते हो, आपका सामना अनेक प्रकार की परिस्थितियों से होता है - न सिर्फ निजी
जीवन में बल्कि व्यावसायिक जीवन में भी - जहां आपके लिए आवश्यक होता है लिखना अपने दर्शक गण को संतुष्ट
करने के लिए, अपनी भीड़ की संतुष्ट करने के लिए, अपने पाठकों की संतुष्टि हेतु , अपने ग्राहकों के लिए।
सुप्रभात और NPTEL के कोर्स प्रभावशाली लेखन में आपका स्वागत - आपके समक्ष हैं बिनोद मिश्रा, प्रोफ़ेसर,
अब संभव है एक और सवाल आप सोच रहे होंगे - क्या कोई जादू या कोई मंत्र है जो आपकी लेखनी को
मानविकी और समाज विज्ञान संकाय , IIT रूडकी। यह कोर्स प्रभावशाली लेखन जो आपके लिए ख़ास डिज़ाइन
प्रभावशाली बना सके।
की गयी है - यह आपको उत्सुक कर सकता कि प्रभावशाली लेखन होता क्या है। एक सवाल जो अक्सर हमारे
सामने आकर खड़ा हो जाता है - क्या हमारी लेखनी प्रभावशाली नहीं?

यह कोर्स आपका परिचय कराएगा विभिन्न बारीकियों से, विभिन्न विषयों से नहीं - किन्तु वो एक चीज़ से जो समान
भाव से किसी भी विषय को रोचक या प्रभावशाली बनाने की क्षमता रखती - वस्तुतः लेखक ही अपनी किताब की
आप शायद उन विभिन्न प्रकार की लेखनी के बारे में भी सोच रहे होंगे जो आपने स्कूल और कॉलेज में किया होगा -
सृजन कर सकता, और लेखनी को प्रभावशाली बना सकता। अब क्या आप सभी लेखक बनना चाहते हैं? नहीं न,
क्या वे प्रभावशाली नहीं थे? मेरे प्रिय दोस्तों, वास्तव में ये बात नहीं है - इस कोर्स की संरचना कुछ इस प्रकार
हम सब के सामने अपने व्यवसाय हैं , हम सभी संघर्ष कर रहे किसी प्रकार का पेशा या जीविका की तलाश में।
से की गयी है ताकि आप भिन्न प्रकार की परिस्थितियों में प्रयुक्त लेखनी को समझ सकें और प्रभावशाली लेखनी
लेखनी, निश्चित रूप से , एक पेशा है , परन्तु आवश्यक नहीं हम सभी लेखक बनना चाहते हों। वास्तव में हम
के माध्यम से अपने लिए महत्वपूर्ण स्थान बना सकें।
सफ़ल होना चाहते जिस भी पेशा में हों, जो भी कार्य क्षेत्र में हम हों।

अब शायद आप यह भी सोच रहे होंगे कि यह कोर्स क्या प्रस्ताव रखता है। यह कोर्स वास्तव में लेखनी की कई
अब ये कैसे किया जाये ? हर विधा की लेखनी जिनसे आपका सामना होता है, मेरे प्रिय दोस्त! चाहे कार चलाना हो
बारीकियों के प्रभावशाली तरीकों पर विचार करता है - ताकि आपकी लेखनी उनका उपयुक्त प्रयोग कर
, या खाना बनाना, या साईकिल चलाना, या किसी सूत्र को जानना, या फिर किसी गंभीर विषय को समझना - ये
सके। मेरे प्रिय दोस्तों, जब भी आप किसी लेखनी को पढ़ते हैं - किसी भी प्रकार की लेखनी जो आपके समक्ष
सारी जानकारी लिखित कोष में उपलब्ध हैं। बेशक, ये सारी जानकारी उपलब्ध हैं किताबों, पत्रिकाओं,
प्रस्तुत होती है - आप अक्सर यह सोचने लगते कि लेखक ने इतना प्रभावशाली अभिव्यक्ति कैसे किया होगा।
नीयत-कालीन पत्रिकाओं और अन्य सूत्रों में। आप सभी इस बात से सहमत होंगे कि पुस्तकों में ज्ञान का भण्डार
हैं।

कल्पना कीजिये एक दिन यूँ ही बस स्टैंड से गुज़रते हएु या अपने मन-वांछित रेल, बस या कोई और वाहन की
प्रतीक्षा करते हएु अचानक आपकी नज़र बुकस्टाल पर रखे किताबों के ढे र पर पड़ती है। और आप सोचते हैं की
विभिन्न प्रकार के विषय होते हैं , और इन सभी विषयों को लिखने की कोई एक शैली नहीं हो सकती। किसी दिन
यदि आप वो पुस्तक ले सकते और फिर आप जाते हैं वहाँ और एक पुस्तक उठा उसका पहला पन्ना पढ़ने लगते हैं -
जब आप ऊब रहे हैं या आराम करना चाह रहे हैं - और फिर आप कोई किताब पढ़ना चाहते हैं जो आपको थोड़ा
बेशक आपको बहत
ु आनंद आ रहा होता। अब प्रश्न यह उठता है कि रूचि पुस्तक की कवर में आयी या उसकी
हल्का महसूस कराये . जैसे कि , उदाहरण के लिए मान लीजिये, कोई उपन्यास पढ़ना पसंद करे , कोई कविताओं
प्रथम पृष्ठ में - या फिर विषय वस्तु में आपका रुझान था?
की किताब पढ़ना चाहे। लेकिन फिर, दूसरी परिस्थितियों में , जब आप कुछ ज्ञान अर्जन करना चाहते - जब आप
ऐसी जानकारी प्राप्त करना चाहते जिससे आपको जीवन में सफलता मिल सके - आप तब अपना ध्यान दूसरे
विषयों पर लगाएंगे.

पुस्तक न सिर्फ अन्धकार मिटाते, यदि कोई पुस्तकों से मित्रता कर ले तो वे पाएंगे कि जीवन उतना ही रोचक हो
जाता है जैसे किसी और चीज़ से। पुस्तक हमारी ऊब भी कम करते - और वास्तव में हमारे अंदर प्रतिष्ठित
ु सारे युवा जिनके लिए
लेखकों का अनुकरण करने की इच्छा उत्पन्न करते हैं। कल्पना कीजिये , आप में से बहत
इस कोर्स की रचना की गयी है - और व्यवसायी जो किसी न किसी प्रकार से लिखने के कार्य में संलग्न - संभव है
जब उनका संयोग अच्छी पुस्तक से होगा - वो सदैव अनुकरण करना चाहें प्रतिष्ठित लेखकों का।

मेरे प्रिय दोस्तों, कोई एक दिन में लेखक नहीं बन जाता। कभी जब आप शेक्सपियर के नाटक पढ़ रहे हों
या एमिली डिकिंसन की उपन्यास अथवा जॉन कीट्स की कविताएं पढ़ रहे हों - या किसी वैज्ञानिक की
थ्योरम पढ़ रहे हों - या कोई फार्मूला पढ़ रहे हों जो किसी प्रख्यात व्यक्तित्व ने अपने समय में लिखा हो -
आप इन सब में खुद को पाते हैं - और आप एक तरह की चाह रखने लगते कि आप भी ऐसा लिख पाते। क्या
देखिये उनके कहे शब्दों को : कुछ किताबों को केवल चखा जाता है - आप ज़्यादा समय समर्पित नहीं कर सकते
आप सोचते हैं वे सभी लेखक बन गए - विख्यात हो गए सिर्फ एक दिन में?
सारी किताबें पढ़ने में। कुछ किताबें आप समय काटने के लिए पढ़ते हैं और कुछ किताबें निगलने के लिए -
उदाहरण के लिए , जब आप विज्ञान की किताब पढ़ते हैं - जब आप कुछ ऐसे किताब पढ़ते हैं जो ज्ञान का गोदाम हो -
जो आपके एक बहत
ु ही प्रतिष्ठित नौकरी की ओर ले जाए।
नहीं मेरे प्रिय दोस्तों. अब एक और सवाल जो आप सोच रहे होंगे - क्या पठन मददगार होता यदि कोई
लेखक बनना चाहता ? क्या हमें बहत
ु पढ़ने की ज़रुरत है ? बिलकुल! कोई भी अच्छा लेखक नहीं बन सकता
ु किताबें नहीं पढता हो - लेकिन फिर उसे यह निर्णय लेना होगा कि किताब कैसे पढ़ जाए -
जब तक कि वह बहत
आप पाएंगे की उन किताबों, सूत्रों, प्रतिक्रियाओं , रासायनिक समीकरण और बहत
ु कुछ- उन्हें निगलना होता है
किन किताबों को पढ़ना है - क्यों पढ़ना है और उनका किस तरह अनुकरण किया जा सकता - किताबें आपके
और कुछ को चबाना और पचाना होता है. विशेष रूप से तब जब आप साहित्य की किताब पढ़ रहे हैं, जब आप दर्शन
लिए क्या कर सकतीं
की किताब पढ़ रहे हैं - जब आप पढ़ रहे हैं किताब , उदाहरण के लिए, ऊष्मप्रवैगिकी की, तब आप पाएंगे की बिना
पूरी तरह चबाये और पचाये , उससे पढ़ने का कोई फायदा नहीं।
इस सन्दर्भ में - मुझे स्मरण आ रहा अंग्रेजी के विख्यात निबंधकार फ्रांसिस बेकन - जिन्होंने बहत
ु उम्दा सलाह
दिया है अपनी एक प्रसिद्ध निबंध में जिसका शीर्षक है "ऑफ़ स्टडीज़" जहाँ वह कहते हैं "कुछ किताबें को
चखा जाता है,कुछ को निगला जाता है, और कुछ को चबाया और पचाया जाता है। मेरे प्रिय मित्रों,
कुछ किताबों को पढ़ा जाता है, और सिर्फ टुकड़ों में, जब आप बढ़ रहे हैं - जिस भी क्षेत्र में आप हैं , आप पाएंगे
फ्रांसिस बेकन - जो केवल लेखक नहीं बलकि दार्शनिक भी थे लिखने की कला जानते थे और हम उनसे शुद्ध और
चाहे आप कागज़ के टुकड़े पर कुछ लिख रहे हैं या पत्रिका के लिए लेख या कोई निबंध , आप पाएंगे आपको संदर्भ
स्पष्ट रूप में लिखना सीख सकते हैं
की आवश्यकता होगी और उसके लिए आप किताबों को परामर्श करेंगें। बिलकुल, उनका उल्लेख करना चाहिए,
मगर फिर कुछ ऐसे किताब हैं जिन्हे केवल टुकड़ों में पढ़ा जा सकता है।
(Refer Slide Time: 08:51)
कुछ और भी है जिन्हें पढ़ा जाता है, मगर जिज्ञासा के साथ नहीं - मेरा मतलब उन किताबों से है जिन्हें आप सिर्फ़ करने से डरते हैं। और आप केवल सोच रहे हैं, केवल सपने देख रहे हैं लेखक बनने का, मगर कोई व्यक्ति कैसे
समय काटने के लिए पढ़ते हैं. बेशक आप उन्हें पढ़ते हैं, लेकिन आप उन्हें उतनी जिज्ञासा के साथ नहीं पढ़ते जितना लेखक बन सकता है या सक्षम रूप से कैसे लिख सकता है जब तक कि उसके पास पढ़ने का धैर्य नहीं, लिखने का
आप अपने किसी विषय की किताब को पढ़ेंगे। और, कुछ को पूर्ण तरीके से पढ़ना है, लगन और ध्यान के साथ। धैर्य नहीं ? किसी न किसी दिन आपको शुरू करना होगा लिखने के लिए।
उदाहरण के लिए, अगर आप किसी ऐसे क्षेत्र में काम कर रहे हैं जहां विशेष ज्ञान की आवश्यकता है, सहज रूप में,
आप उन किताबों की तलाश करना शुरू करेंगे जिन्हें आपको पूर्ण तरीके से पढ़ना होगा और लगन और ध्यान के
साथ. प्रिय दोस्तों। हम में से बहत
ु लोग जो सोचते हैं की वो भी लिख सकते हैं, वो अपनी झिझक से बाहर नहीं आ पाते, हिचकिचाना बंद
नहीं कर पाते और लिखते नहीं हैं। और इसीलिए परिस्थिति आने पर वे प्रभावपूर्ण रूप से नहीं लिख पाते हैं। आप
इस प्रकार, सभी प्रकार की लेखन के लिए - और क्योंकि मैंन े इस कोर्स का शीर्षक प्रभावशाली लेखन रखा है, और आपके जैसे बहत
ु सारे - आप पाएंगे की आज कल नौजवान बहत
ु प्रभावित हैं एक प्रसिद्ध लेखिका से -
किसी भी क्षेत्र में प्रभावशाली तरीके से लिखने के लिए आपको वास्तव में लिखित ज्ञान के कोष में जाना होगा। अब जे के राउलिंग
आज क्या चल रहा है और इस प्रभावशाली लेखन कोर्स की क्या आवश्यकता है? जैसा कि मैन े पहले प्रश्न किया
था - क्या हम प्रभावशाली तरीके से नहीं लिखते?
जे के राउलिंग की हैरी पॉटर सभी नौजवानों के दिमाग में है, लेकिन वह केवल उसकी प्रशंसा करते हैं और जब
वह नकल करने की कोशिश करते हैं, वास्तव में वह तत्काल तारीफ़ और स्वीकार्यता चाहते हैं। मेरे प्रिय मित्रों,
नहीं, मेरे प्रिय दोस्तों, हम लिखते बेशक हैं लेकिन वास्तव में थोड़ा ही लिखते हैं - आप पाएंगे की आज की स्वीकार्यता केवल एक दिन में नहीं मिल सकती है, इसे वास्तव में कई दिन, महीने, साल लगते हैं और सभी प्रसिद्ध
वैश्विक समय में, आज की डिजिटल समय में, जब आपके पास ढे र सारे संसाधन हैं, आपको वास्तव में पढ़ने के लेखक जिन्हें आप जानते हैं या जिन्हें आपने पढ़ा है, और जिनसे आपको ज्ञान प्राप्त हआ
ु है - उन्होंने कई रातें
लिए ज़्यादा समय नहीं मिलता। बिताई हैं पढ़ने और लिखने में।

आप को सोचने के लिए भी ज़्यादा समय नहीं मिलता, और इसकी वजह से बहत


ु थोड़ा लेखन होता है। तो होता इसलिए लिखने, मेरे प्रिय दोस्त, एक दिन का काम नहीं - चाहे हम लिखने की बात करें या कोई और संचार के
यह है की बहत
ु सारे व्याकुलता हैं - ज़्यादातर समय नौजवान व्यस्त होते हैं होने लैपटॉप पे, अपने मोबाइल फ़ोन माध्यम क्यूंकि आप सब तो जानते हैं की लेखन संचार के सबसे जटिल पहलू में से एक है। इसलिए बेहतर है, और
पे, अपने वॉकी टॉकी पे, आदि। काफी उचित है की हम समझें संचार प्रक्रिया होती क्या है।

और इस सब का परिणाम है लेखन के प्रति एक प्रकार की विरक्ति । मुझे याद है जब मैं अपने छात्रों को ु महत्वपूर्ण अंग है, सम्प्रेषण कौशल, जब तक आप जानेंगे नहीं की कम्युनिकेशन
क्योंकि लेखन का एक बहत
असाइन्मेंट दिया करता था, मै देख सकता था, मै पढ़ सकता था उनके चेहरों पे उनकी प्रतिक्रिया। उनको स्किल्स की प्रक्रिया कैसे होती है,आपके लिए लिखना शुरू करना बहत
ु मुश्किल होगा। बेशक मै यह नहीं चाहता
ु ज़यादि घृणा है। अब सवाल केवल यह है की आप लेखक बनना चाहते हैं ? आप
वास्तव में लेखन से बहत की आप सब ही लेखक बन जाएं क्यूंकि अगर आप सभी लेखक बन गए तो पाठक कौन बनेगा , मेरे प्रिय दोस्त ?
जाने माने लेखक का अनुसरण करना चाहते हैं , मगर ये मुमकिन कैसे हो सकता है, मेरे प्रिय मित्रों, जब तक
आप इच्छुक नहीं, जब तक आपके पास लेखन के प्रति दिलचस्पी नहीं (Refer Slide Time: 15:29)

आप वास्तव में - मै एक प्रतिष्ठित कवि को उद्धतृ करता हूँ जिन्होंने कहा "आप घायल करने को इच्छुक हैं पर
मारने से डरते हैं। " आप वास्तव में पाठक बनना चाहते हैं, आप वास्तव में लेखक बनना चाहते हैं, लेकिन आप शुरू
तो ज़रा नज़र डालते हैं शैनोन कम्युनिकेशन मॉडल पर - क्योंकि जब हम लिखते हैं वास्तव में हमारी इच्छा
समझे जाने की होती है। हम वास्तव में अपने लेखन के द्वारा एक प्रकार की एकता पहंच
ु ा रहे हैं। हमारा लेखन आजकल यह संभव है , प्रौद्योगिकी के द्वारा , क्यूंकि आजकल हमारा पास यह सुविधा है की जब हम ईमेल लिखते
ु ेगा ? हमारा संदेश कैसे सुना जाएगा, कैसे पहचाना जाएगा ? मेरे प्रिय दोस्त, जब आप कुछ
पाठक तक कैसे पहंच हैं , हमें उत्तर एक घंटे में या एक दिन में मिल जाता है - सुविधाओं के अनुसार , पाठक के सुगमता के अनुसार,
लिखना चाहते है तब आप वास्तव में एक प्रेषक हैं, आप एक सन्देश बना रहे हैं। तो संचार की प्रक्रिया में पहली प्राप्त करने वाले के सुगमता के अनुसार, और उनके स्वभाव के भी - मगर होता ऐसा है की जब आप प्रेषक की
चीज़ है की एक लेखक होकर आप एक प्रेषक हैं, आप एक संदेश भेजना चाहते हैं। तरह लिखते हैं, जब आप प्रेषक की तरह संदेश प्रस्तुत करते हैं, तब आपका मनवांछित अर्थ आपके भीतर है।

अब प्रेषक को संदेश कैसे भेजना चाहिए? प्रेषक पहले सोचेगा की वह ये संदेश किसको भेजेगा, कौन प्राप्त
करेगा इस संदेश को, कौन प्राप्त करेगा इस खबर को? कौन प्राप्त करेगा इस विचार को , कौन प्राप्त करेगा इस दर्शक आपके चाहे हएु मतलब को सही से समझे, उसके लिए आपको वास्तव में सोचना होगा की आप संदेश कैसे
जानकारी को जो आप बांटना चाहते हैं? और जब आप जान जाएंगे प्रस्तुत कर रहे हैं। आप किन शब्दों का चुन रहे हैं, आपके वाक्य कितने लंबे हैं, - क्यूंकि लिखित संचार में केवल
ु महत्वपूर्ण भूमिका है, मेरे प्रिय दोस्तों। तो जब आप संचार
भाषा मायने रखता है। भाषा का संचार में बहत
प्रक्रिया से परिचित होंगे तब शायद आपका लिखने का कार्य स्पष्ट हो जाएगा।
कौन इसे प्राप्त करेगा, या कौन आपके दर्शक हैं, तब आप वास्तव में सोचना शुरू कर सकते हैं की यह संदेश या
खबर कैसे प्रस्तुत करना है।
अब सवाल ये है - क्या ये समय है मौखिक और लिखित संचार के अंतर जानने का ? बेशक, हम सब - मेरे मतलब
सभी इंसान - हमारे पास बोलने की योग्यता है। हमारे पास वास्तव में प्राकृतिक क्षमता है बोलने की। सब कोई -
तो जब आप सोचना शुरू करते हैं की सन्देश को कैसे प्रस्तुत करना है, सहज रूप में भाषा पे भी ध्यान देना हम में से ज़्यादातर लोग बोल सकते हैं। बेशक, कुछ लोग ऐसे हैं जो बेहतर बोलते हैं, लेकिन ज़्यादातर लोग बोल
होगा। तो जब आप लिखने की बात करते हैं, यह सिर्फ प्रेषक के बारे में नहीं, बल्कि विषयवस्तु तैयार करने के सकते हैं - हमारे पास ये क्षमता है। अब समय है समझने का मौखिक और लिखित संचार के बीच के मुख्य
बारे में भी है। और विषयवस्तु की संरचना या सन्देश का विचार तभी होता जब आप जानते हैं अपने पाठक अंतर।
या सन्देश प्राप्त करने वाले का परिपेक्ष्य - फिर आप निर्णय ले सकते हैं कि आपका माध्यम क्या होगा।
(Refer Slide Time: 20:00)

बेशक मौखिक संचार में आपके पास कई माध्यम हैं , लिखित में भी आपके पास कई माध्यम हैं. आप पत्र लिखना
चाहें , आप ईमेल भेजना चाहें, आप संदेश भेजना चाहें , आप निबंध लिखना चाहें - इन सभी परस्थितियों में आपके
पास अभिलाषित पाठक हैं।

अब जब आपने सन्देश बना दिया, आपको संदेश भेजना होगा। और आप संदेश भेजेंगे कैसे? आप एक माध्यम तय
करेंगे और जब आपने माध्यम तय कर लिया और भेज दिया, आप वास्तव में प्रतिक्रिया का इंतिज़ार कर रहे हैं
और प्रतिक्रिया का अवलोकन प्रति पुष्टि है। कल्पना कीजिये , पुराने ज़माने में जब हम पत्र भेजा करते थे ,
हम कई दिन और अक्सर हफ़्तों इंतिज़ार किया करते थे उत्तर का -
कोई बदलाव की क्षमता नहीं। क्योंकि जैसा मै कहते आ रहा हूँ - एक लेखक अपने गैरहाजिरी में लिखता है -
गैरहाजिरी मतलब एक लेखक अपने न होने पे भी होता है। जब आप किताब पढ़ते हैं - कल्पना कीजिए आप किताब
पढ़ रहे हैं

तो आप बेशक सोच रहे हैं की आप पढ़ रहे हैं, मगर क्या आपको लेखक दिख रहा है ? नहीं - लेखक कहीं और है
और अगर आपको कुछ ऐसा मिलता है जो कठिन है - आप लेखक से स्पष्टीकरण नहीं मांग सकते। क्या मै सही हूँ
? हाँ - क्योंकि लिखित संचार में बदलाव की कोई संभावना नहीं इसलिए लिखित संचार ज़्यादा मुश्किल ,
ज़्यादा कठिन , ज़्यादा चुनौतीपूर्ण है।

और मै चाहता हूँ आप सभी - मै चाहता हूँ मेरे सारे दर्शक, सुनने वाला , सभी इस कोर्स के बाद प्रभावशाली लेखन
के योग्य हो - ताकि उनके दर्शक और पाठकों को उनका संदेश समझने में कोई कठिनाई ना हो।
अब मौखिक संचार या संचार का बोलने वाला रूप जैसा कि हम सब जानते हैं , एक ऐसा संचार है जिसमें
प्रेषक मौखिक भाषा के द्वारा संदेश भेजता है सुननेवाले को। आप बोलते हैं, बेशक - बोलने का ढंग मायने रखते है
(Refer Slide Time: 22:27)
- कोई धीमी आवाज़ में बोल सकता है , कोई साधारण आवाज़ में बोल सकता है मगर कोई बहत
ु तेज़ बोल सकता
है।

बेशक , मौखिक संचार हो या लिखित, ऐसी कई बाधाएं हैं जो नुकसान पहंच


ु ा सकती हैं संचार प्रक्रिया को।
मगर आप पाएंगे लिखित भाषा वास्तव में संचार का एक ऐसा माध्यम है जिसमें आप जानकारी की लेन देन के
लिए मुद्रित भाषा या लिखित सामग्री का उपयोग करते। और लिखित कम्युनिकेशन के लिए प्राप्त करने वाले
और प्रेषक दोनों को शिक्षित होना होता है

मौखिक संचार की ये सुविधा है की अगर कोई व्यक्ति शिक्षित नहीं है, वह फिर भी शब्दों को समझ पाएगा जब तक
आप कठिन शब्दों का उपयोग न करें। और यह समस्या तब भी है जब आप किसी शिक्षित व्यक्ति से
लिखित संचार के द्वारा बात कर रहे हैं - कल्पना कीजिये आप कोई कठिन शब्द उपयोग करते हैं - क्या होगा ? क्या
संदेश प्राप्त करने वाला उसे समझ पाएगा ? बिलकुल नहीं, मेरे प्रिय दोस्तों।

तीव्रता की बात करें तो - मौखिक भाषा बेशक ज़्यादा तेज़ है , आमने सामने बात करना हमेशा लिखित विलंबित
है। मगर जैसा मैंन े कहा - डिजिटल प्रौद्योगिकी के कारण
मगर आपकी सुविधा भी है और में सुविधा इसलिए कह रहा हूँ क्यूंकि जब आप कुछ लिखते हैं, जब आप लिखित
संचार का उपयोग करते है - यह लिखित संचार आने वाले समय में एक प्रकार का अभिलेख बन जाता है। यहाँ
अब, कार्यालय में क्या आप सोचते हैं की आपके बोलने का ढंग और आपके लिखने का ढंग एक है ? नहीं, वह
अलग हैं क्योंकि जब आप बोलते हैं , तब आप अनौपचारिक रूप से भी बोलते हैं - है ना - मगर कब आप कार्यालय
लिखित संचार भी काफी तेज़ हो गया है, मेरे प्रिय दोस्तों। मगर याद रखना एक बाधा - लिखित संचार में जब में लिखते हैं तब आप औपचारिक तरीके से लिखते हैं। बेहतर होगा अगर हम लेखन के उद्देश्य समझ जाएं - ताकि
आपने एक शब्द लिखा, आपके पास उसको बदलने की सुविधा है। लिखते समय हम और भी सतर्क रह पाएं। क्योंकि जब तक हमारे दिमाग में कोई उद्देश्य नहीं तब तक हम
प्रभावशाली रूप से नहीं लिख सकते।

मगर बोलते समय क्या होता है? आप कुछ बदलाव नहीं कर सकते - आजकल कई सारे सुविधाएं हैं लेकिन आपने
जब किसी को कुछ कह दिया, आपने अपना संदेश भेज दिया और शब्द उपयोग कर लिए - मगर जब आप लिखते हैं
तब आप उसको बदल सकते हैं - आप उस शब्द को मिटा सकते हैं , उसकी जगह कोई और शब्द डाल सकते हैं , प्रभावशाली लेखन ऐसा होता है जिसमें प्राप्त करने वाले को संदेश समझने में कोई मुश्किल नहीं होती है।
आप बदलाव कर सकते हैं , आप भाषा बदल सकते हैं। कार्यालय में लिखने के कई उद्देश्य हो सकते हैं , जो स्थिति , परिस्थिति , संस्था पर निर्भर करते हैं । आप पाएंगे
की इन उद्देश्यों को श्रेणियों में डाल सकते क्योंकि इनका वर्णन अक्सर लिखा जा सकता है।

आप लहज़ा बदल सकते हैं इसलिए लिखित सम्प्रेषण ज़्यादा कठिन , ज़्यादा चुनौती पूर्ण है - इसलिए लिखित संचार
हमें अनुमति देता है - मैं हमेशा कहता हूँ बोलना स्वाभाविक प्रक्रिया है मगर लेखन विचार पूर्ण प्रक्रिया है। जब कल्पना कीजिये आपके पास दफ्तर में एक ऐसी भूमिका है जिसमें आपको अक्सर किसी चीज़ का वर्णन करना होता
आप लिखते हैं , आप लिखना तय करते हैं , है की नहीं - और जब आप लिखना तय करते हैं , आप उद्देश्य के साथ है - वास्तु का वर्णन, यंत्र का वर्णन। मान लीजिये कि आप एक इंजीनियर हैं और एक इंजीनियर को बहत
ु सारे
लिखना शुरू करते हैं - आपके पास उद्देश्य है। आप क्यों लिख रहे हैं - है की नहीं ? तो जब आप सोचेंगे की आप काम करने होते हैं। आप एक व्यवसायी हैं और फिर आपके सामने बहत
ु सारे कार्य हैं., आप वास्तव में शिक्षक हैं
क्यों लिख रहे है और आप किसके लिए लिख रहे हैं , तब सहज रूप में आपके पास शब्दों पर नियंत्रण होगा। और फिर आपके पास लिखने और सीखने के कई तरीके हैं , फिर आपको अक्सर नियम बताने पड़ेंगे।

(Refer Slide Time: 27:04)


आपके किसी प्रकार के विचार होंगे - चाहे पाठकों के प्रति या प्राप्त करने वालों के या ग्रहण करने वालों
के प्रति या दर्शक के परिपेक्ष्य को लेकर। मगर मौखिक संचार में , भले ही हमें तुरत
ं प्रति पुष्टि मिलती है ,
हमारे पास कहे गए शब्दों को बदलने का कोई अवसर नहीं होता । तो मौखिक संचार में संदेश प्राप्त करने वाली
ं प्रति पुष्टि प्राप्त होता है जो अन्यथा संभव नहीं।
से तुरत

आप जानते हैं की हर प्रक्रिया - चाहे मौखिक या लिखित - के पास अपने फ़ायदे और नुक्सान हैं। मगर जैसे की
मैन े पहले कहा , जब हम लिखते हैं क्योंकि लिखना एक जानबूझकर किये जाने वाली प्रक्रिया है, मेरे प्रिय
दोस्त। और ये कोर्स इस उम्मीद के साथ रचित की गयी है कि जो लोग वास्तव में अपने लिए कोई विशिष्ट स्थान
बनाना चाहते, जो व्ययसाय बनाने की कोशिश कर रहे हैं , उन्हें कई प्रकार के लेखन जानने का अवसर प्राप्त
हो।
या किसी प्रकार के दिशानिर्देश बनाने का। तो आप क्या करेंगे ? आप वास्तव में इस प्रकार लिखना शुरू करेंगे
कि आप राज़ी कर पाएं - आप जानते हैं सभी व्यक्ति राज़ी किये जा सकते हैं , राज़ी करना एक कला है।
इसीलिए लिखने के उद्देश्य का वर्णन करना कठिन है - कुछ गलत होता है और आप उस क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं - क्या
करेंगे आप ? वास्तव में , आप समझाएंगे कि कैसे गलत हो गया और कैसे उसे सुधारा जा सकता है - कैसे आप
उपाय का पता लगा सकते हैं - और आप अक्सर पाएंगे कि आपको निर्देश देना पड़ेगा। मान लीजिये कि आप मगर कुछ ऐसे भी परिस्थिति होती है - क्योंकि जैसा मैंन े कहा कि अगर आप काम करते हैं या किसी या जाने वाले
े र हैं और आप की किसी प्रकार की ज़िम्मेदारी है दिए गए समय के भीतर कोई लक्ष्य हासिल करने की।
मैनज हैं किसी दफ्तर में काम करने , आपके पास कई कार्य आएँगे और विभिन्न कार्यों के लिए आपको अलग अलग रूप से
लिखना होगा। कभी माफ़ी माँगना होता और गलती स्वीकार करनी होती है जब कुछ गलत होता है, किसी और के
भूल के कारण या आपके भूल के कारण या कुछ गलतफ़हमी के कारण।
ु सारे लोग हैं और इन सब के अलग अलग भूमिका है, सब
तो आप क्या करेंगे? आप समझाएंगे - और क्योंकि बहत
की अलग ज़िम्मेदारी है - आपको वास्तव में इन्हें सिखाना पड़ेगा। जब तक निर्देश स्पष्ट नहीं होंगे तब तक , मेरे
प्रिय दोस्त, वह काम नहीं कर पाएंगे। तो फिर आप इस प्रकार लिखेंगे की आप सिर्फ माफ़ी नहीं मांग रहे बल्कि अपनी गलती भी स्वीकार कर रहे हैं।
अक्सर आप किसी के बयान से सहमत नहीं , आप किसी के प्रस्ताव से सहमत नहीं। ऐसी परिस्थिति में आपको
अच्छा, आपको याद है जब आप परीक्षा देन े जाते थे , प्रश्न पत्र पर भी निर्देश लिखे रहते थे। निर्देश क्यों ? निर्देश विरोध करना है , मगर मेरे प्रिय दोस्तों - जो भी आप कहना चाहते हो उसे भाषा से ढकना पड़ेगा।
जिससे कि उत्तर देना समझते थे , उसी प्रकार संगठन में, कई संस्थानों में , आपको उन्हें अक्सर निर्देश देना
होगा ।

तो इस पहले भाषण में हमने लिखने के उद्देश्य की चर्चा करी - लिखना क्या होता है यह समझने से पहले और कैसे
अब अपने लक्ष्य को पाने के लिए आपको निर्देश भेजने होंगे और लिखित निर्देश। कभी कभी आपको विशेष रूप से हम में से बहत
ु लोग लेखक बनना चाहते हैं मगर हम शुरू नहीं करते। मई उम्मीद करता हूँ इस पहले भाषण ने
े र होने पर, सी.ई.ओ होने पर, ऊँचे पद पर होने
बताना होगा - मेरा मतलब है कि आपके पास कई कार्य हैं । मैनज आपके अंदर लिखने की इच्छा जगाई है। क्यूंकि हमारे पास काफी समय है और हमारे पास देन े के लिए और बहत

पर आपको कई नियम स्पष्ट करने होते हैं। और फिर अक्सर ऐसे भी समय होते हैं जब आपको मूल्यांकन करना भाषण हैं, मुझे लगता यहीं रुकना चाहिए। और फिर दुसरे लेक्चर में हम चर्चा करेंगे की कैसे लिखना एक कला है
होता है और मूल्यांकन करने के कई मौके होते हैं। कोई ऐसे कार्य का मूल्यांकन करना जो समूह में किया गया है, और कैसे हम प्रभावशाली बना सकते हैं अपने फ़ायदे और दूसरों की ख़ुशी के लिए - किसी के दुख के लिए
अकेले किया गया है , टीम में किया गया है. नहीं।

अब जब आप मूल्यांकन करते हैं तो आप क्या करते हैं ? क्या आप लिखते नहीं है ? आप लिखते हैं - आप वास्तव में आपका बहत
ु बहत
ु धन्यवाद
लिखते हैं और आप लोगों को अपनी दी गयी प्रक्रिया बताना चाहते हैं, ये रिपोर्ट जो आपने भेजा है, ये जो
सिफ़ारिश आपने करी मगर दिखी नहीं - अब आप ये लिखेंगे कैसे ? वास्तव में, जब आप मूल्यांकन कर रहे हैं तब
Glossary / शब्दकोष
आप वास्तव में सुन रहें हैं और अक्सर कोई और कार्य भी कर रहे हैं।

मान लीजिये आपको बाज़ार में एक नई चीज़ उतारनी है , आपकी कंपनी बाज़ार में कोई नई चीज़ का प्रमोचन
English word Transliteration in Hindi Meaning in Hindi
करना चाहती है। और उन्होंने वास्तव में आपको कार्य दिया है विक्रय पत्र लिखने का या विवरणिका लिखने का
communication कम्युनिकेशन संदेश-प्रेषण की व्‍यवस्‍था; संचार-व्‍यवस्‍था
Aversion एवरशन घृणा, विमुखता, विरक्ति
repository रिपॉज़िटरी कोष भंडार घर संग्रह
Recipient रेसिपिएंट प्राप्त करने वाला
Ideation आइडिएशन विचार की उत्पत्ति
periodical पीरिऑडिकाल नीयत कालीन पत्रिका
pertinent पर्टिनेन्ट उचित , योग्य
Acquainted अक़वायंटेड परिचित
spontaneous स्पॉन्टे नियस स्वाभाविक

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