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कैथल

 आंकड़े:-

स्थापना 1 नवंबर 1989 साक्षरता दर 69.15% जनसंख्या 10.74 लाख


क्षेत्रफल 2317 वर्ग ककलोमीटर ललंर्ानुपात 881 जनसंख्या वद्
ृ धि 13.55%
दर
कुल र्ााँव 277 कुल आबाद र्ााँव जनसंख्या घनत्व 464
ग्राम पंचायतें 253 पंचायत सलमततयााँ 7 जिला परिषद वार्ड 21

पुललस रें ज करनाल राजस्व मंडल करनाल कुल नर्र 4


नर्र पररषद् कैथल लोकसभा क्षेत्र करनाल

तहसील 5 कैथल, र्ुहला, फतेहपुर, पुंडरी, कलायत


उप तहसील 3 सीवन , राजौंद, ढान्ड
उपमंडल 3 कैथल, कलायत, र्ुहला
खंड/ब्लॉक 7 कैथल, र्ुहला, सीवन, पुंडरी, कलायत, राजौंद, ढांड,
वविानसभा क्षेत्र कैथल, कलायत, पुंडरी , र्ुहला (आरक्षक्षत)

जिला जथिति :-
पूवड ददशा में किनाल जिला उिि-पजचिम ददशा में पदियाला जिला (पंिाब)
उिि ददशा में कुरुक्षेत्र दक्षक्षण ददशा में ि ंद

 उपनाम:-
र्ुरुद्वारों का शहर हनुमान नर्री वानरों का वास स्थल
छोटी काशी (नवग्रह कंु डों की उपस्स्थतत कारण)

 किनाल से अलग किके जिला बनाया गया : 13वां


 नामकिण:- ऐसा माना िािा है कैिल का नाम युिवेद किा संदहिा के िचियिा कपपल ऋपष के नाम पि पडा
इसललए कपपल मुतन की नगिी भ कहिे हैं
 पुिाणों के अनुसाि इस नगि की थिापना युचिजठिि द्वािा की गई
 कैिल जिला, कुरुक्षेत्र की 48 कोस परिक्रमा का भाग है
 पुरुष साक्षििा दि 77.9% मदहला साक्षििा दि 59.2%
 िालमगक एवं ऐततहालसक स्थल : कौल * दे हाि मेला
 हनुमानजी की जन्मस्थली मानी जाती है : कैथल
 हनम
ु ान ि की मािा अंिन को समपपडि िीला : अंिन का िीला
 महवषग फल्र्ु का संबंि : फरल र्ााँव से फल्र्ु मेला : फरल र्ााँव
 महवषग पुंडरीक का संबंि : पुंडरी र्ााँव से पुंडरीक मेला : पुंडरी में
 लमश्र ि िड : मुतन व्यास ने दे विाओं के ललए ि िो को एकत्रत्रि ककया
 र्ेिा बाबा श िलपुिी जथिि है : कैिल में
 बाबा म िा नब बहाि की मिाि : गह
ु ला : इसे बडा प ि कहा िािा है
 बाबा शाह कमाल की मिाि * बाबा लडाना की समाचि * शेख िैयब का मकबिा
 मीरां नौबहार पीर की मजार : र्ुहला-चीका
 िं र् पुिी की समाचि
 त्रबक्र बावड : पुिान ईंिों की बन बावड
 लव-कुश महाि िड - मंुदिी गांव
 पवदक्याि/वद्
ृ िकेदाि झ ल : कैिल * नागहद कंु र् : पुंर्रिक सिोवि में : 1987
 सोम सिोवि : वणडन थकन्द पुिाण में मदाडना घाि : कैिल
 गुरुद्वािा न म सादहब : प्रिाप गेि कैिल गुरुद्वािा मंि सादहब : कैिल
 िोप वाला गुरुद्वािा - यह िामायण औि गुरु ग्रंि सादहब का पाि ककया िािा है
 मंददिों, गरु
ु द्वािा व मजथिदों का गांव : स वन गांव [ 7 मंददि, 4 गरु
ु द्वािे , 12 मजथिद ]
 नवग्रह कंु र्ों के ललए हरियाणा की काश : कैिल
 नवग्रह कंु ड: सूय,ग चंद्रमा, शुक्र, शतन ,राहु ,और केतु ,मंर्ल ,बुि ,बह
ृ स्पतत
 नवग्रह कंु र्ों का तनमाडण श्र कृठण ने युचिथिि के हािों किवाया िा
 नवग्रह कुण्र्ों को ित्कालीन स एम दे व लाल ने 1987 में िनिा के ललए खोला
 महपषड वाल्म कक की ियंि : समिसिा ददवस
 मान्यिा है कक महपषड वाल्म कक ने मािा स िा ििा लव-कुश को संपूणड िामायण की किा सुनाई ि : मुंदिी गााँव
 सािव ं सदी का उत्ति भािि का एकमात्र मंददि बना िािा है : कपपल मुतन मंददि, कलायि
 प्रमुख उद्योग : िावल प्रसंथकिण
 सबसे ज्यादा िावल की ककथमें उपिाई िाि है : 98 ककथमे
 िाज्य में िान उत्पादन में कैिल का थिान : दस
ू िा
 भािि य खाद्य तनगम का खाद्य भंर्ािण के ललए बेस डर्पो थिापपि ककया गया है : अर्ान एग्र लॉजिजथिक
लललमिे र् द्वािा
 िाज्य की पहली जिला परिषद िो ऑनलाइन हुई
 िाज्य में ‘कृपष पवज्ञान केंद्र’ की ििड पि खोला गया : पशु पवज्ञान केंद्र
 हरियाणा में पहली बाि वेब काजथिं ग िकन क का प्रयोग हुआ : कैिल में
 िर्
ु ामणण भाई संिोख लसंह की प्रतिमा का अनाविण कैिल में ककया गया
 NILAM पवचवपवद्यालय : 2011
 िािा कृठण सनािन िमड कॉलेि – 1954 [ कैिल का सबसे प्राि न कॉलेि ]
 िाज्य की पहला महपषड बाल्म कक संथकृि पवचवपवद्यालय खोला गया : मुंदिी, कैिल
 लाला लािपि िाय पशु चिककत्सा पवचवपवद्यालय, दहसाि का क्षेत्र य कायाडलय खोला िाएगा : क्योंर्क गांव
 कोयल पयडिन केन्द्र : कैिल
 सिथवि वन्य ि व अभ्यािण (सनसौि िंगल) : कैिल (1988)
 मािा अंिन का ककला : कैिल * प्राि न िीला : बालू * अिनौली ककला : अिनौली
 प्रमुख नददयां :- सिथवि , घग्गि
 NH152 (अंबाला से पाली-िािथिान)
 व्यजक्ित्व :- मनोि कुमाि बॉक्सि, कवल हरियाणव , ममिा सौदा
 प्रलसद्ि लशक्षापवद औि वैज्ञातनक यशपाल [ पदम पवभूषण, िन्म-पाककथिान) का संबंि : कैिल से
ये UGC के िेयिमैन िहे है : 1986 से 1991 िक
 हरियाणा की छोिी इिली : ििे द ु गांव (क्योंकक इस गााँव के बहुि से लोग इिली दे श में िहिे है )
 हरियाणा का दस
ू िा सबसे बडा गांव है : पाई गांव कैिल
 क्योंर्क गांव गोद ललया िा : मुख्यमंत्र मनोहि लाल खट्िि ने
 मंददर:-
ग िा भवन मंददि : पुंर्िी में कुट्िी लशव मंददि
रािे श्याम मंददर : पुंडरी कवपल मुतन मंददर : कलायत
प्राि न लशव पावडि मंददि – पंुर्िी सनािन िमड मंददि

कैथल में बने मंददरों का वास्तुशास्त्र अजंता-एलोरा की र्ुफाओं में बने मंददरों से मेल
खाता है

ग्यारह रूद्री लशव मंददर :-


 इस मंददि का महत्व काश पवचवनाि मंददि के समान है
 श्र कृठण की सलाह पि युचिजठिि ने ग्यािह रूद्री लशव मंददि बनवाया िा
 मान्यिा है कक यहां पि अिन
ुड ने पशुपिाथत्र प्राप्ि किने के ललए भगवान लशव की आिािना की ि
 मान्यिा के अनुसाि दे विाओं ने यहााँ भगवान वामन की थिापना की ि
 यहााँ 50 फुि ऊंिा लशवालय है
 मंददि के विडमान भवन का तनमाडण कैिल के ित्कालीन शासक भाई उदय लसंह की पत्न ने किवाया िा
अंबबकेश्वर महादे व मंददर : कैथल
 यहां जथिि लशवललंग को पािालेचवि या थवयंललंग कहा िािा है
 यहााँ काली मािा या अंत्रबका की एक मूतिड है इस कािण इस मंददि को अंत्रबकेचवि महादे व मंददि कहा िािा
है
 इतिहासकाि मानिे हैं कक पथ्
ृ व िाि िौहान औि उसकी सेना ने मोहम्मद गौिी के यद्
ु ि के समय यहां िहिाव
ककया िा
 लोगों के अनुसाि पथ्
ृ व िाि िौहान की हाि के बाद मुजथलमों ने इस मंददि को िोडने का प्रयास ककया िो यहां
जथिि लशवललंग से िक्ि िािा बह तनकली जिससे हमलावि सेना र्िकि भाग गई
वद्
ृ ि केदारनाथ मंददर : कैथल
 इस मंददि को पहले गफ
ु ा वाला मंददि कहा िािा िा
 यहां 118 दे व -दे विाओं की मूतिड िख हुई हैं
 मान्यिा है कक िो इन्सान यहां थनान िपडण किके दं डर्ि नमन किने के पचिाि ि न िुलू पान प िा है
उसे केदािनाि ि िड यात्रा के समान फल प्राप्ि होिा है
पंुडरीक सरोवर : पंुडरी
 सियुग से आि िक कभ भ इस सिोवि का िल समाप्ि नहीं हुआ
 कुरुक्षेत्र पवकास बोर्ड द्वािा 1987 में यहां नागह्रद कंु र् का तनमाडण किवाया गया
 इस सिोवि पि वंद
ृ ावन घाि, गऊघाि, त्रत्रवेण वाला घाि, िनाना घाि जथिि है
मंददरों का र्ााँव : सीवन
 इस गााँव में साि मंददि, िाि गुरुद्वािे , 12 मजथिदें जथिि है
 लसया का वन : स वन
 श्री कृष्ण कृपा सेवा मंददर : स वन
 यहां केशांबुक्षाय/माईसि ि िड है िहां मािा स िा अपने बाल/केश िोि ि
 यहााँ चिर्ाई ि िड, दशाचवमेि ि िड, आत्रेसि ि िड भ जथिि है
यहााँ जथिि ऋणमोिन ि िड ि िड को पपत्र ऋण से मुजक्ि दे ने वाला ित्व माना िािा है
ववधचत्र लशवललंर् : मटौर
 लोगों के अनुसाि सावन की लशविात्रत्र को यहां जथिि लशवललंग प्रत्येक व्यजक्ि की भुिाओं की लपेि में आ
सकिा है यदद दस
ू िी बाि ऐसा प्रयास ककया िाए िो इसकी गोलाई का क्षेत्र बढ़ िािा है औि यह लशवललंग
पकड में नहीं आिा
 यहााँ गणेचविी ििा महे चविी नामक दो ि िड है
 इसे बे-चििाग नगिी भ कहा िािा है
 मान्यिा है कक मािकंर्ेचवि ऋपष की मािा मािेचविी का िन्म थिान मिौि गांव है
 प्राि न समय में िािा खट्िांगेचवि की िाििान ि : मिौि
 गणेचविी िलाब की स दढ़यां कांि की ि िो अब समाप्ि हो िुकी है
 दलीप वंशि िािा खिवांग की पुत्र जिसका नाम महाथवेिा दे व िा िो काफी समय से कुठि िोग से प डडि ि
लोगों के अनस
ु ाि महाचवेिा दे व गणेचविी ि िड में थनान किके िोग मक्
ु ि हो गई उसके बाद िािा ने लशव
मंददि का तनमाडण किवाया
 सावन औि कातिडक में दो बडे मेले का आयोिन ककया िािा है
फल्र्ु तीथग : फरल र्ांव
 इस ि िड का वणडन महाभािि, वामन पुिाण, मत्थय पुिाण में लमलिा है
 श्राद्ि के दौिान यहां प्रलसद्ि फल्गु मेला लगिा है
 कुरुक्षेत्र के साि पौिाणणक वन में फलकी वन ही विडमान फिल है िहााँ यह ि िड जथिि है
र्ुरुद्वारा नीम सादहब : कैथल
 लसखों के नौवें गुरु िेग बहादिु ि पूिे परिवाि सदहि यहााँ पिािे िे
 मान्यिा है कक दं र् हि ि िड में थनान किने के बाद न म के पेड के न िे ध्यान मग्न िे िभ बुखाि से
प डडि एक व्यजक्ि को गुरुि ने उसे न म के कुछ पत्ते खाने को ददए औि वह िीक हो गया इस प्रकाि
लोगों ने एक भव्य गरु
ु द्वािे का तनमाडण ककया जिसे गरु
ु द्वािा न म सादहब के नाम से पुकािा िािा है

 रस्जया बेर्म :- भािि की पहली मदहला सुल्िान : ददल्ली सल्िनि 1236-1240 ई.


 पपिा : इल्िुिलमश मत्ृ यु : कैिल 1240 में
 मजार/मकबरा : कैथल (ददल्ली व टोंक, राजस्थान में भी बताया जाता है )

 मोहन लसंह मंर्ाि की रियासि : मंर्ाि पिगना में (िािपूि शासक)


 बाबि के शासनकाल में 1530 में कैिल में बाबि की सेना औि मोहन मंर्ाि के ब ि पवद्रोह हुआ
 कैिल के अंतिम शासक : भाई उदय लसंह
 कैिल के क्षेत्र पि अंग्रेिों ने अचिकाि ककया : 15 अप्रैल 1843
 कैिल का पवद्रोह (1843) का नेिा : गुलाब लसंह, सादहब कौि, सूिि कौि ने ककया
 िलालुद्दीन णखलि ददल्ली का सुल्िान बनने से पहले कैिल का मफ़्
ु ि िहा िा

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