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Arihant NCERT Notes Indian History Class 6 12 Janmejay 1 1111
Arihant NCERT Notes Indian History Class 6 12 Janmejay 1 1111
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के वल और के वल एनसीईआरट
एनसीईआरट पढ़ने का सबसे अ ा तरीका ...
एनसीईआरट
ट प णयाँ
भारतीय इ तहास
क ा पुराना नया
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के वल और के वल एनसीईआरट
एनसीईआरट पढ़ने का सबसे अ ा तरीका ...
एनसीईआरट
ट प णयाँ
भारतीय इ तहास
क ा पुराना नया
लेख क
Janmejay Sahani
Sujeet Yadav
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© काशक
काशक क ल खत अनुम त के बना इस काशन के कसी भी भाग का पुन उ पादन पुन ा त णाली म सं हीत
या कसी भी मा यम से इले ॉ नक यां क फोटोकॉपी रकॉ डग कै नग वेब या अ यथा नह कया जा सकता
है। अ रहंत ने इस पु तक म सभी जानकारी व सनीय और स य माने जाने वाले सू से ा त क है।
र ज. कायालय रामछाया
अ वाल रोड द रया गंज नई द ली रभाष
धान कायालय
का लद ट पी नगर मेरठ यूपी
रभाष
पर हम का पालन कर
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आपक उपल
हमारी तब ता
सबसे क ठन परी ा होने के नाते इसम वचा लत प से एक वशाल और व तृत पा म शा मल होता है।
उ मीदवार को अ सर पूरे पा म को कवर करने म मु कल होती है और परी ा के लए उ चत और व त अ ययन के लए
सही दशा का अभाव होता है।
इस तैयारी या ा का सबसे मह वपूण पहलू एनसीईआरट क कताब ह। हर साल लगभग सीधे एनसीईआरट क
कताब से आते ह।
अ रहंत काशन ारा तुत एनसीईआरट नोट् स ृंख ला म क ा व से व एनसीईआरट क कताब पुरानी और नई दोन
का पूरा पाठ ापक तरीके से शा मल है। यूपीएससी और रा य पीएससी परी ा के लए यह ृंख ला अ यंत उपयोगी है।
व रत समझ के लए एनसीईआरट पाठ क अ याय वार तु त शीषक सह सूचक ा प म द गई है। तैयारी को आसान और
सु वधाजनक बनाने के लए येक अ याय म स ांत को चाट टे बल आ द के साथ सुगम बनाया गया है। प र श म परी ा क त
अं तम मनट संशोधन वषय भी शा मल ह।
यह पु तक वशेष क एक ट म ारा तैयार कए गए के साथ साथ प रयोजना बंधन ट म ारा नभाई गई मह वपूण भू मका
से सुशो भत है मोना यादव ोजे ट मैनेज र द ा गुसा ोजे ट कोऑ डनेटर शवानी द त आयुष राजपूत ूफ रीडस
वनय शमा कमल कशोर सोनू कु मार डीट पी सम वयक शानू और मजहर चौधरी कवर और इनर डजाइनर ।
लेख क
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अंतव तु
ाचीन इ तहास
एल पुरात व ोत
एल सा ह यक ोत
एल वदे शी खाते
युग
एल ऐ तहा सक युग
एल उ प और भौगो लक व तार
l सधु घाट स यता क धा मक थाएं l सधु घाट स यता का पतन l सधु घाट स यता
का योगदान
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एल बौ धम
एल अ य वधम धा मक आंदोलन
एल भागवतवाद एल नई
ग तशील श इ लाम
Chapter . Mahajanapadas
एल महाजनपद का उदय एल सोलह महाजनपद का उदय
एल छठ शता द ई वी म गणरा य
एल वदे शी आ मण
अ याय . मौय सा ा य
एल मौय वंश के ोत एल मौय वंश के शासक एल
चं गु त मौय
म ब सार
एल अशोक
पूव ई वी
एल मौय र शासन
अ याय . गु त का युग
एल गु त सा ा य एल गु त
सा ा य के शासक एल गु त सा ा य म
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अ याय . गु तो र युग
l Harshavardhana AD
l Pala Dynasty l
Gupta Era
एल द ण भारत म मेगा लथ सं कृ त
एल तीन ारं भक सा ा य एल डे कन म नए
म यकालीन इ तहास
एल तुक आ मण के भाव
अ याय . द ली स तनत
एल द ली स तनत क ापना
. मामलुक वंश ई.
. Khilji Dynasty AD
. तुगलक वंश ई.
. सैयद वंश ई.
. लोद वंश ई.
एल द ली स तनत म मंगोल आ मण
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एल स तनत काल म अथ व ा
ई.
l Vijayanagara Administration
l बहमनी सा ा य l बहमनी सा ा य
का पतन
एल प मी भारत के ांतीय रा य
एल उ र प म और उ र भारत के ांतीय रा य
l Bhakti Saints
एल सगुण संत
एल वै णव आंदोलन
एल सूफ आंदोलन
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एल मुगल सा ा य के शासक
एल बाबर
एल मायूँ ई.
एल सा ा य पर ई.
एल शेर शाह
एल अकबर ई.
एल जहाँगीर ई.
एल शाहजहां
एल औरंगजेब
एल मुगल सा ा य का पतन
पटस
एल मराठा शासक
एल पेशवा का उदय
एल मराठा संघ
l मराठा सा ा य का पतन
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आधु नक इ तहास
l Jahandar Shah I
एल मुह मद शाह
l Bahadur Shah II
एल पुतगाली
एल डच
एल अं ेज ी
एल द डेन डे नश
एल च
एल वतं रा य
एल नए रा य
ाउन नयम
एल ांतीय शासन
एल अं ेज क आ थक नी तयां
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एल मज र वग का आंदोलन
एल धा मक सुधार आंदोलन
का वकास
अ याय . का व ोह
एल व ोह के कारण
एल व ोह क शु आत और पा म
एल व ोह और असफलता क कमजोरी
एल के व ोह का भाव
क त या
l Khilafat Movement
एल साइमन कमीशन
एल नेह रपोट
स वनय अव ा आंदोलन सरा चरण
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एल ांतीय चुनाव
एल स मशन
पा म
एल भारत का वभाजन
के वाइसराय
कला और सं कृ त
एल भारतीय च का वकास
एल ऐ तहा सक युग क प ट स एल
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एल मं दर वा तुक ला
एल इंडो इ ला मक आ कटे चर
एल े ीय वा तुक ला शैली
एल औप नवे शक वा तुक ला
एल भारत के नृ य प
एल रंगमंच श प
एल कठपुतली
एल म ययुगीन काल म सा ह य
एल प र श
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ाचीन के ोत
भारतीय इ तहास
वे ोत जो इ तहास के बारे म जानकारी दान करने के लए उ रदायी ह ऐ तहा सक साइट क लंबवत खुदाई हम भौ तक सं कृ त का एक अ ा
ोत कहलाते ह। कालानु मक म दान करती है। यह हम ाचीन काल क भौ तक सं कृ त के
बारे म भी बताता है।
पुरात व ोत सा ह यक ोत
द ण भारत म महापाषाण हम लौह युग के बाद के लोग के जीवन के बारे म
जानकारी दान करते ह। महापाषाण कालीन क गाह म लोहे के औजार और
साम ी वदे श
म के बतन स के शलालेख धा मक धम नरपे ह थयार के कु छ सबसे बड़े सं ह मले ह।
खंडहर हसाब कताब
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मगध भारत का थम रा य यह ा पत आ।
मौय काल के बाद के स क क सबसे बड़ी सं या पाई गई। ये सीसा
पो टन ताँबा काँसा चाँद और सोने के बने थे।
सुलेमान व लगभग साल पहले गे ँ और जौ जैसी पहली फ़सल यहाँ उगाई जाने
करथर पहा ड़य को लग ।
उ रप म
स क का मह व न न ल खत ब
गारो पहा ड़याँ भारत म ारं भक कृ ष
स क के मह व को उजागर करते ह उनके न कष के े स का चलन के े
सधु और उसक सहायक भारतीय उपमहा प के थम नगर।
को दशाते ह। यह कई शासक राजवंश वशेष प से इंडो यूना नय के इ तहास
न दयाँ
को फर से बनाने म स म बनाता है।
गंगा घाट लगभग वष पूव नगर का वकास आ।
गु त काल ई
म के बतन
खुदाई के दौरान व भ कार के म के बतन क खोज क गई है।
शलालेख
शलालेख के अ ययन को ए प ाफ कहते ह।
सधु घाट स यता के लोग ारा लाल और काले म के बतन का उपयोग कया जाता था। अ भलेख तथा अ भलेख म यु ाचीन लेख के अ ययन को पुरालेख न कहते ह।
जब क पटे ड े वेयर PGW म के बतन वै दक युग के दौरान उपयोग म थे।
शलालेख को मुहर प र के खंभ च ान तांबे क लेट मं दर क द वार और ट
या छ वय पर उके रा गया था।
स के
स क के अ ययन को यू मज़मा ट स कहते ह। ईसा क ारं भक शता दय म पाषाण शलालेख के साथ ता प का योग होने लगा।
ाचीन स के तांबे चांद सोने या सीसे जैसी व भ धातु के बने होते थे।
लगभग ईसा पूव से संबं धत हड़ पा क मुहर पर सबसे पुराने शलालेख पाए
जली ई म से बने स क के साँचे बड़ी सं या म कु षाण काल के पाए गए ह। उ र गु त जाते ह ले कन उ ह अब तक पढ़ा नह जा सका है।
काल म ऐसे साँचे लु त हो गए।
अब तक पढ़ा गया सबसे पुराना शलालेख ा ी ल प है जसे अशोक ने तीसरी
सबसे पुराने स के ज ह आहत स के कहा जाता है मु य प से चांद के बने थे। शता द ईसा पूव म जारी कया था।
उनम कु छ तीक होते ह ले कन बाद के स क म राजा दे वता या जारी करने
क तारीख के नाम का उ लेख होता है। वे आम तौर पर आयताकार या कभी कभी चौकोर या ई ट इं डया कं पनी के रोजगार म एक स वल सेवक जे स सेप ारा म अशोकन
गोल आकार के होते थे। ए प ाफ को पहली बार पढ़ा गया था।
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दो अशोकन तंभ फ़रोज़ शाह तुगलक ारा पाए गए थे और उनके ारा फ़रोज़ iii तीसरे कार के शलालेख राजा और वजेता क वशेषता और उपल य पर काश
शाह कोटला कले और द ली म रज े म फर से ा पत कए गए थे। डालते ह। समु गु त का इलाहाबाद तंभ शलालेख इसी ेण ी का है। iv अंत म दान के
रकॉड ह जो संद भत करते ह
ा ी लपउ रप मी भाग को छोड़कर पूरे दे श म च लत थी। गु त युग के अंत तक मह वपूण ाचीन शलालेख
यह मु य ल प बनी रही।
शलालेख ान मह व
Uttaramerur चगलप अब • यह अपने मं दर के लए स है
अफगा न तान म अशोक के शलालेख को लखने म ीक और अरामाईक शलालेख शलालेख जो सातव से नौव शता द
ल पय का उपयोग कया गया था। कांचीपुरम के द णम ई वी के आसपास मौजूद एक व शासन णाली
जला का वणन करते ह।
ए शया माइनर म पाए गए बोगाज़ कोई शलालेख म वै दक दे वता म व ण इं चे ई
और नास य का उ लेख है।
थे सागर जला • यह भारत म सती होने का सबसे पुराना माण है ।
शलालेख म य दे श के तट पर
बीना नद
• यह तंभ शलालेख सम पत है
भगवान वासुदेव को।
शलालेख के कार
न न ल खत चार कार के शलालेख ाचीन भारत के इ तहास को समझने म हमारी मोरौली मूल प से पर • यह शायद ारा बनवाया गया है
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जैन और बौ सा ह य
सा ह यक ोत
जैन और बौ क धा मक पु तक म ऐ तहा सक व और घटना का
इ तहास के पुन नमाण के लए सा ह यक ोत सबसे ामा णक ोत ह।
उ लेख है।
ारं भक बौ ंथ पाली भाषा म लखे गए थे जो मगध या द ण बहार म
भारत म सबसे ाचीन पांडु ल पयाँ ह त ल खत साम ी चौथी शता द ई वी से पुरानी नह ह
आम आदमी क भाषा थी।
और म य ए शया म पाई गई ह।
धा मक सा ह य वै दक बौ जैन और अ य
जातक बु के पछले वष क ज म कथाएँ ह। ये संभवतः सामा य लोग ारा
समकालीन सा ह य ाचीन भारतीय इ तहास के धा मक सा ह यक ोत ह।
र चत थे और फर बौ भ ु ारा लखे और संर त कए गए थे। वे पाँचव से
सरी शता द ईसा पूव के बीच क सामा जक और आ थक तय पर काश
डालते ह। वे बु के युग म राजनी तक घटना के आक मक संदभ भी दे ते ह।
वे ाचीन काल क सामा जक एवं सां कृ तक दशा पर काश डालते ह पर तु समय एवं
ान के संदभ म उनका उपयोग करना क ठन है।
पुराण
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व शता द ई वी म क हण ारा ल खत राजतरं गणी या राजा क धारा क मीर फा हयान गु त काल म भारत क सामा जक धा मक और आ थक तय का वणन करता
के राजा क जीवनी क एक कड़ी है। है और े न सांग हष के युग म भारत का एक समान खाता तुत करता है।
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अल ब नी ने सं कृ त का अ ययन कया और भारतीय सा ह य का ान ा त कया। टश इ तहासकार और स इंडोलॉ ज ट एएल बाशम ने म द वंडर दै ट वाज़ इं डया
उ ह ने अपने समय क कोई राजनी तक जानकारी नह द ले कन समकालीन नामक पु तक लखी थी जहाँ उ ह ने भारत क नकारा मक ढ़य को ठ क करने का
समाज और सं कृ त क अंत का ववरण दया। यास कया था।
व लयम जो स सं कृ त और फारसी के साथ भारत यूरोपीय भाषा के बीच गहरे संबंध कथास र सागर सोमदे व
का चार करने वाले पहले व ान थे।
कामसू वे अलग हो गए ह
Prashnottarmalika Amoghavarsha
वष म सर चा स व कस ने भगवद गीता का अं ेज ी म भगवद गीता कृ ण के
संवाद के प म अनुवाद कया। Swapanvasdattam Bhasa
बु च रता अ घोष
जमन व ान मै स मुलर ने इंडोलॉजी पर अ य धक योगदान दया। उ ह ने वेद उप नषद
Natyashastra भरत
हतोपदे श आ द का अनुवाद कया और कु ल भाग ृंख ला म पूव क
अ भ ान शाकु तलम् व मोवशी तथा का लदास
प व पु तक के प म का शत कया।
Raghuvansam
अमरकोश अमर स हा
म व सट आथर मथ ारा ल खत द अल ह ऑफ इं डया को
ाचीन भारतीय इ तहास म पहला व त काम माना जाता है। Panchasidhantika and Brihat Samhita Varharmihara
सामा जक कायकता पांडुरंग वामन काणे ने धमशा का इ तहास लखा Aihole Prasasti र व कृ त
Arthasastra कौ ट य
राजा राज लाल म पहले भारतीय सां कृ तक शोधकता और इ तहासकार थे ज ह ने
वै दक सा ह य क व भ पांडु ल पय को का शत कया। उ ह ने म नेपाल चरक सं हता Charaka
का सं कृ त बौ सा ह य भी लखा था।
लीलावती Bhaskaracharya
Mahabhasya पतंज ल
एक अ य व ान नीलकं ठ शा ी ने अपनी कृ त ह ऑफ साउथ इं डया म
Naishadhacharitra ी हष
द ण भारत के इ तहास का वशद वणन कया है ।
म या म ँ Shudraka
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
क ा IX पुराना एनसीईआरट चैप ागै तहा सक काल म जीवन क ा यारहव पुराना एनसीईआरट अ याय द टोन एज द अल मैन
क ा यारहव पुराना एनसीईआरट अ याय ता पाषाण कृ ष सं कृ त
अ का म पाए गए प र के औजार से जुड़े सबसे पुराने मानव अवशेष . म लयन के प म पुराने ह . ऐ तहा सक काल वह काल है जसका
जानकारी ल खत अ भलेख म उपल है।
पाषाण युग
लोग या तो गुफ ा म रहते थे या बड़े पेड़ क प य वाली शाखा पर छोटे आ य ल बनाते थे। पुरापाषाण युग म यपाषाण युग नवपाषाण युग
सोहन घाट सोन घाट बेलन घाट
बेलन घाट बेलन घाट छोटा नागपुर का पठार
पाषाण युग नवपाषाण के बाद के भाग म मनु य ने खानाबदोश होना बंद कर दया और एक कृ षक
नमदा घाट Karnataka
के प म एक ान पर बसने लगा।
Tungabhadra Valley आं दे श
म य भारत
पु ष को खा सं हकता से खा उ पादक बनने म लगभग वष लगे।
पुरापाषाण युग
ाचीन भारतीय इ तहास वभाग शकारी और खा सं ाहक
ाचीन भारत के इ तहास को इ तहासकार ने न न ल खत तीन भाग म वभा जत कया है ारं भक काल को पुरापाषाण काल कहा जाता है। यह श द दो ीक श द से बना है पे लयो
जसका अथ है पुराना और लथोस जसका अथ है प र। यह काल लेइ टो सन काल
या हमयुग म वक सत आ।
. ागै तहा सक काल यह मानव सं कृ त का वह काल है जसका कोई ल खत अ भलेख उपल नह
है। इस काल के मानव स य नह थे। इस काल के इ तहास का अ ययन पुराता वक
सा य ारा ही कया जाता है। इस काल को तीन भाग म बांटा गया है।
पुरापाषाण काल म लयन वष पूव से लगभग वष पूव तक फै ला आ है। समय
क यह लंबी अव ध मानव इ तहास के ह से को कवर करती है।
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आ दम मनु य ने शकार काटने और अ य उ े य के लए प र के औजार का इ तेमाल कया। इससे लोग को इन जानवर को पालने और पालने के बारे म सोचने
उपकरण प र लकड़ी और ह ी के बने होते थे। म मदद मली। म य पालन भी एक मह वपूण वसाय बन गया।
इनम से कु छ प र के औजार का इ तेमाल मांस और ह ी काटने छाल पेड़ से और खाल
जानवर क खाल फल और जड़ को काटने के लए कया जाता था। यह वह समय भी था जब उप महा प के व भ भाग म गे ँ जौ और
चावल स हत कई अनाज वाली घास ाकृ तक प से उगती थ ।
शकार के लए भाले और तीर बनाने के लए कु छ को ह ी या लकड़ी के ह े से जोड़ा गया
होगा। लकड़ी काटने के लए अ य औजार का उपयोग कया जाता था जनका उपयोग
जलाऊ लकड़ी के प म कया जाता था। पु ष म हला और ब ने शायद इन अनाज को भोजन के पम
एक कया सीखा क वे कहाँ बढ़े और कब पके । इससे उ ह अपने आप पौधे
उगाने के बारे म सोचने पर मजबूर होना पड़ा होगा।
लगभग साल पहले अपे ाकृ त गम प र तय म बदलाव के साथ नया क कारखाने के ान ये वे ान ह जहाँ प र पाए जाते थे और जहाँ लोग
जलवायु म बड़े बदलाव ए थे। इससे कई े म घास के मैदान का वकास आ। औजार बनाते थे।
इसके बदले म हरण मृग बकरी भेड़ और मवेशी यानी घास पर जी वत रहने वाले जानवर आवास सह कारखाना ल ये वे ान ह जहाँ लोग अ धक समय तक
क सं या म वृ ई। रहते थे। यहाँ बड़ी सं या म उपकरण मलते ह।
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मेसो ल थक युग शकारी और चरवाहे लगभग ईसा पूव हमयुग के अंत के साथ ऊपरी
पुरापाषाण युग समा त हो गया और जलवायु गम और शु क हो गई।
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नवपाषाणकालीन गाँव छोटे होते थे और घर म और ईख के बने होते थे और एक सरे के यह सबसे शु आती गांव म से एक है जसके बारे म हम जानते ह और यह ईसा पूव का है।
करीब त होते थे। झोप ड़य का े संभवतः म क द वार या बाड़ से घरा आ था। पुरात व वद को ारं भक तर से कई कार क जानवर क ह य के माण मले ह।
मैदान बाड़ के बाहर पड़ा है। इनम हरण और सुअ र जैसे जंगली जानवर क ह याँ शा मल थ ।
गांव आमतौर पर खेत क तुलना म थोड़ी अ धक जमीन पर बनाया गया था। झोप ड़याँ छ पर क मेहरगढ़ के नवपाषाण काल के लोग अ धक उ त थे। वे गे ँ कपास पैदा करते थे
होती थ और साधारणतया उनम एक ही कमरा होता था। झोपड़ी म आग जलाई गई जससे और क ी ट के घर म रहते थे। मेहरगढ़ क अ य खोज म वगाकार या आयताकार घर के
खाना बनाया जा रहा था। उ ह ने चावल गे ं जौ रागी और कु लथी कु लथी जैसी फसल क खेती अवशेष शा मल ह। येक घर म चार या अ धक ड बे होते थे जनम से कु छ का उपयोग
क। भंडारण के लए कया जाता था।
नवपाषाण समाज जब मनु य बस गए पटना के पास चरांद ईसा पूव का है। यह भारत का एकमा ऐसा ल है जहाँ बड़ी
तो आचरण के नयम बनाना आव यक हो गया। पहली बात यह तय करना था क येक सं या म ह ी के उपकरण पाए गए ह।
का काम या होना चा हए। म का वभाजन आ करता था और पु ष और म हला
को अलग अलग काय काय करने पड़ते थे। इसके अ त र मजापुर और इलाहाबाद म भी ल मले ह। इलाहाबाद जले क साइट छठ
सह ा द ईसा पूव म चावल क खेती के लए स है।
आम तौर पर गाँव के सबसे बुज ुग को नेता होना पड़ता था जो आ ा दे सकता था। सरा े
ले कन कभी कभी यह सबसे मजबूत और सबसे बहा र आदमी होता था।
नयो ल थक लोग का सरा समूह द ण भारत म गोदावरी नद के द ण म रहता था। द ण
भारत म नवपाषाण चरण ईसा पूव से ईसा पूव तक क अव ध को कवर करता
नवपाषाण युग म धम आकाश दे वता और पृ वी दे वी आ तीत होता है।
क पूज ा क जाती थी। मृतक को एक क म दफनाया गया था। मेहरगढ़ म कई दफन ल पाए
गए ह। एक उदाहरण म मृत को बक रय के साथ दफनाया गया था। यहाँ के लोग ेनाइट क पहा ड़य क चोट पर या नद के कनारे के पठार पर बस गए। उनके पास
मवेशी भेड़ और बक रयां थ ।
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चालको ल थक युग ता पाषाण काल के लोग व भ कार के म के बतन का उपयोग करते थे जनम
धातु का उपयोग नवपाषाण युग के अंत म शु आ और इस कार से एक को काला और लाल कहा जाता है। यह प हया बनाया गया था और कभी
चालको ल थक युग। उपयोग क जाने वाली पहली धातु तांबा थी। बाद म इसे टन कभी सफे द रै खक डजाइन के साथ च त कया गया था। हालां क व भ
जक और लेड जैसी धातु के साथ म त कर म धातु क नई धातु का नमाण कया सं कृ तय के लोग व भ कार के म के बतन और औजार का इ तेमाल
गया जसे कांसा कहा जाता है। करते थे।
ात पशु
ता पाषाण युग का आभूषण और साज स ा का शौक न था। याँ शंख
द ण पूव राज ान प मी म य दे श और प मी महारा म रहने वाले लोग पशु
और अ के आभूषण धारण करती थ । मनु य ने कताई और कपड़ा बुनने क तकनीक
को पालते थे और खा ा क खेती करते थे। उ ह ने गाय भेड़ बकरी
का आ व कार कया था। सुअ र भस को पालतू बनाया और हरण का शकार कया।
वे गे ँ चावल बाजरा मसूर मूंग उड़द और मटर क खेती करते थे। ये सभी खा ा
द अल सेटलस महारा के नवादाटोली म मले ह। इसके अ त र बेर अलसी रागी और कपास भी
चालको ल थक समुदाय ने भारत म पहले गांव क ापना क भारतीय उगाए जाते थे।
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ता क साइट वशेषता
सामा जक असमानताएँ इस चरण
सं कृ त ता
म हम सामा जक असमानता क शु आत भी पाते ह। इसका माण क म मली सं कृ त
साम ी अवशेष से मलता है। प मी महारा म चंदौली और नेवासा क क म नगलना महारा का • अपनी गैर हड़ पा सं कृ त के लए जाना जाता
कु छ ब को उनके गले म ताँबे के मनक के हार के साथ दफनाया गया था जब क अ य ब सं कृ त धू लया जला। है।
के पास क का सामान था जसम के वल बतन थे।
ईसा पूव
धम इनामगाँव
महारा म दफन थाएं अलग थ मृत शरीर को उ र द ण त म रखा गया था
म मली म हला क टे राकोटा मू तय से पता चलता है क ता पाषाण काल के लोग ले कन द ण भारत म पूव प म त क ओर। लगभग पूण या व ता रत दफन
दे वी माँ क ाथना करते थे। मालवा और राज ान म शैलीब बैल टे राकोटा से महारा म ा त कया गया था ले कन प म बंगाल म नकासी के बाद या आं शक
पता चलता है क बैल एक धा मक पंथ के प म काय करता था। दफन च लत था।
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वे भी लखने क कला नह जानते थे और न ही वे नगर म रहते थे। महापाषाण काल के लोग उ त क म क कृ ष नह करते थे। इसका माण इस त य
से मलता है क महापाषाण म यु और शकार के लए यु कृ ष उपकरण
हालां क चालको ल थक सं कृ तयां सधु घाट स यता क तुलना म ब त बाद म आ क सं या क तुलना म अ धक मा ा म पाए गए ह।
ले कन उ ह सधु लोग के उ त तकनीक ान से कोई खास फायदा नह आ।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
ोत लास ओ एनसीईआरट चैप VI मैन टे क टू सट लाइफ लास ओइलेवन एनसीईआरट चैप हड़ पा स यता कां य
आयु स यता बारहव
लास यू एनसीईआरट चैप ट मनके और ह याँ हड़ पा स यता
उप और भौगो लक व तार
हड़ पा पुरात व म मुख वकास
वष वकास
सधु घाट स यता या हड़ पा सं कृ त म पा क तान म प म पंज ाब म हड़ पा
के आधु नक ल पर खोजी गई थी। इसने पंज ाब ह रयाणा सध बलू च तान गुज रात हड़ पा मुहर पर अले जडर क नघम क रपोट।
मोहनजोदड़ो म खुदाई शु ई।
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सधु घाट स यता का व तार सबसे पूव ल ेट ैनरी इस स यता क सबसे बड़ी इमारत है जसक लंबाई फ ट और
आलमगीरपुर मेरठ उ र दे श सबसे प मी ल सुतकागन डोर चौड़ाई फ ट है। यह गढ़ के भीतर त है।
बलू च तान सबसे उ री ल मांडा ज मू सबसे
द णी ल दै माबाद महारा अ य इमारत म एक कोणीय ब तंभयु असबली हॉल और एक बड़ा आयताकार
भवन शा मल है जो शास नक उ े य से काय करता है।
मेसोपोटा मया यू े ट् स और यह सुमे रयन स यता थी और इसे भारत के लंक ाशायर के प म जाना जाता है और बना गढ़ वाला एकमा सधु शहर
आधु नक इराक टाइ स न दयाँ हड़ पावा सय के इसके साथ ापा रक है। च दड़ो शायद मनका नमाण का एक बड़ा क था।
संपक थे।
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Lothal
नगर नयोजन हड़ पा
लोथल क सबसे अनूठ वशेषता इसका डॉकयाड था जो नया का पहला वारीय बंदरगाह सं कृ त नगर नयोजन क अपनी णाली ारा त त है।
था। यह सधु लोग के लए एक मु य बंदरगाह के प म काय करता था। लोथल के गोद बाड़
म चूने के ला टर वाली पक ट का उपयोग कया जाता था।
शहर को दो भाग म वभा जत कया गया था अथात प म म गढ़ और पूव म नचला शहर।
इसे पीयो
तीन तरफ कमरे थे जनम से एक म एक बड़ा कु आं था। इसका फश प क ट से बना था।
यह भारत म दो सबसे बड़ी हड़ पा ब तय म से एक है सरी ह रयाणा म राखीगढ़ है।
वशाल नानागार म पानी बगल के कमरे म एक बड़े कु एं से ख चा जाता था और नानागार के
कोने से एक आउटलेट एक नाली क ओर ले जाता था।
साइट क सबसे अनूठ वशेषता इसका वभाजन तीन खंड म है। इनम से दो भाग को मजबूत
आयताकार कलेबंद ारा संर त कया गया था जसम वेश ार के मा यम से वेश कया
गया था।
जल नकासी व ा
यह हड़ पा स यता क भ डारण व ा है। धोलावीरा म ब ती म एक बड़ा खुला
हड़ पा नगर क सबसे व श वशेषता म से एक सावधानीपूवक नयो जत जल
े भी शा मल है जहाँ सावज नक समारोह आयो जत कए जा सकते थे।
नकासी व ा थी।
पानी घर से उन ग लय म बहता था जनम ना लयाँ थ । इन नाल को ट या प रक
प टय से ढका जाता था। गली क ना लय म मैनहोल लगे ए थे।
जल जलाशय के अलावा हड़ पा ल पय के बड़े आकार के च वाला एक सावज नक
शलालेख भी यहाँ खोजा गया है।
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हड़ पा रावी नद के तट पर म टगोमरी पा क तान राम श अ भंडार कामगार का वाटर घमंड का मामला भ यां सधु ल प के बतन का टु क ड़ा घनाकार चूना
साहनी प र वजन तांबे क बैलगाड़ी ताबूत दफन क तान टे राकोटा क मू तयां सतही तर पर घोड़े के सा य
आ द।
Mohenjodaro Larkana District of Sind आरडी बनज वशाल नानागार अ ागार यू नकॉन सील कां य नृ य करती ई लड़क क मू त पशुप त सील दाढ़
सधु नद के तट पर वाले पुज ारी क सेलखड़ी क मू त बुने ए कपड़े का टु क ड़ा आ द।
Chanhudaro मु लन संधा सधु नद पर सध का चूड़ी का कारखाना दवात मनका बनाने क कान ब ली का पीछा करते ए कु े के पद च ह बैठे
मजूमदार चालक के साथ गाड़ी यह एकमा ऐसा शहर है जसका कोई कला नह है आ द।
रंगपुर का ठयावाड़ गुज रात मदार नद पर एमएस व स एसआर उ र हड़ पा ल चावल क भूसी छह कार के म के बतन आ द।
राव
अस दजी Khairpur Sindh फजल अहमद बैल क मू त सेलखड़ी क सील टे राकोटा क माला आ द।
पा क तान सधु नद पर घुर
गोबर का ढे र Hanumangarh District अमलानंद अ भंडार जुते ए खेत लकड़ी क नाली भूकं प के सा य लकड़ी का हल ऊँ ट क ह ी अ न वेद
घ घर नद के तट पर राज ान घोष पक ई ट के बजाय म क ट आ द।
Lothal अहमदाबाद गुज रात आर राव मनका बनाने का कारखाना चावल क भूसी हाथीदांत वजन संतुलन गोद बाड़ा अ न अ टर घोड़े क टे राकोटा
भोगवा नद के पास आकृ त छह खंड म वभा जत
कै बे क खाड़ी वगैरह।
पुक ार पंज ाब नद पर वाईडी शमा सं कृ त का पांच गुना म प र और म का घर कु े को दफनाने के सा य मानव दफन के साथ आ द।
सतलुज
Alamgirpur मेरठ यूपी । वाईडी शमा म के बतन जानवर क ह याँ पौध के जीवा म तांबे के औजार आ द।
हडन नद
Rakhigarhi हसार ह रयाणा । Surajbhan सबसे बड़ा हड़ पा ल फायर अ टर बेलनाकार मुहर टे राकोटा हील इ या द।
Drishdavati river
न बया फतेहाबाद जला आरएस ब गली और ना लय के अवशेष मोती जौ अंडाकार आकार क ब ती रे डयल ग लय वाला एकमा
हरयाणा शहर खलौना हल सबसे बड़ी सं या म जौ के दाने आ द।
इसे पीयो गुज रात के रण म आरएस ब तीन भाग म वभा जत होने वाला एकमा ल वशाल जल जलाशय अ तीय जल संचयन णाली बांध
Kuchchh तटबंध सधु ल प वाले साइनबोड आ द।
दे सलपुर वा Nakhtrana Taluka एसआर राव तांबे और टे राकोटा क मुहर भूरे रंग के बतन
गुंथली Gujarat ए घोष
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कृ ष हड़ पा के गाँव
जो यादातर बाढ़ के मैदान के पास त थे ने न के वल खुद को ब क शहर के
सड़क चौड़ी थ मु य सड़क लगभग दस मीटर चौड़ी है। लोग को भी खलाने के लए पया त खा ा पैदा करने म मदद क ।
बुवाई सधु के
लोग ने नवंबर के महीने म बाढ़ के मैदान म बीज बोए थे जब बाढ़ का पानी कम हो गया था और
उ ह ने अगली बाढ़ आने से पहले अ ैल म गे ं और जौ क फसल काट ली थी।
हल हड़ पा
के लोग सबसे पहले कपास का उ पादन करने वाले थे। चावल क खेती के न कष अपे ाकृ त लभ
रसोईघर म एक अंगीठ और अनाज या तेल रखने के लए म के बतन के बड़े बड़े मतबान थे। उसके
ह।
बगल म नाला था।
घर के एक तरफ नानागार बना आ था और उसम ना लयाँ थ जो गली के नाले से जुड़ी ई थ ।
हालां क अवशेष से पता चलता है क लोथल के लोग चावल का इ तेमाल करते थे।
यहाँ उगाई जाने वाली मु य फ़सल गे ँ जौ राई मटर तल मसूर बाजरा चावल आ द ह।
आंगन म रोट सकने के लए तं र था। यह संभवतः खाना पकाने और बुनाई जैसी ग त व धय का
क था खासकर गम और शु क मौसम के दौरान।
बनावली म जौ क खोज क गई है। बाजरा गुज रात के ल से ा त होता है।
कु छ घर म अपने कु एँ होते थे जसका मतलब था क घर के अंदर पानी हमेशा उपल रहता था। कु छ
बलू च तान म बांध से घरे गबरबंद या नाल का उपयोग पानी के भंडारण के लए कया जाता था
घर म सरी मं जल या छत तक प ँचने के लए सी ढ़य के अवशेष भी ह।
ले कन चैनल या नहर अनुप त तीत होती ह।
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यह भी संभावना है क कु से नकाले गए पानी का उपयोग सचाई के लए कया मेसोपोटा मया के ंथ दलमुन और मगन नामक दो म यवत ापा रक टे शन क बात
जाता था। इसके अलावा धोलावीरा गुज रात म पाए जाने वाले जल जलाशय करते ह जो मेसोपोटा मया और मेलुहा के बीच त ह। दलमुन क पहचान फारस
का उपयोग कृ ष के लए पानी के भंडारण के लए कया जा सकता है। क खाड़ी म बहरीन से क जा सकती है।
ऊँ ट और गध का योग गाड़ी चलाने के लए कया जाता था। सधु घाट स यता के दौरान आयात क सूची
हड़ पा के लोग कू बड़ वाले बैल के प धर थे। जगह
आयात क व तुए ं
लोथल से मली एक सं द ध टे राकोटा मू त से घोड़े के सा य मलते ह। घोड़े
सोना Afghanistan Karnataka
के अवशेष सुरकोटड़ा गुज रात से ा त ए ह।
चाँद अफ़ग़ा न तान
ताँबा Khetri Rajasthan Oman
ले कन हड़ पा काल म घोड़े का नय मत उपयोग नह होता था।
व ास करना
अफगा न तान ईरान
हड़ पावासी हाथी और गडे के बारे म भी जानते थे और गुज रात के लोग हा थय
कारे लयन सौरा
को पालतू बनाते थे।
बाहर नकलना
म य ए शया
ब लौर महारा
हड़ पा के लोग को ात अ य जानवर बैल ऊँ ट गधा आ द ह।
फ़रोज़ा म य ए शया ईरान
वसाय हड़ पा नवासी
अनेक वसाय म लगे ए थे। सधु घाट म सामा जक प र तयाँ
वे जुलाहे राज म ी कु हार मनके बनाने वाले नाव बनाने वाले मुहर बनाने वाले स यता
थे।
हड़ पा समाज समतावाद था अथात सभी लोग के साथ सामा जक राजनी तक और
च दड़ो और लोथल म मनके बनाने के कारखाने मले ह। आ थक प से समान वहार कया जाता था। जा त व ा का
अ त व नह पाया जाता है। हालाँ क घर का अलग अलग आकार एक कार क वग
णाली क ापकता को दशाता है।
ापार एवं वा ण य
हड़ पा स यता के राज ान अफगा न तान और ईरान के साथ म हला ने छोट कट पहनी थी। पु ष ने अपने चार ओर कपड़े का एक लंबा टु क ड़ा
ापा रक संबंध थे। मेसोपोटा मया म हड़ पा स यता क कई मुहर मली ह। लपेट लया।
ी और पु ष दोन ही आभूषण पहनने के शौक न थे। पु ष ने ताबीज
और म हला ने कं गन और हार पहना था। ये आम लोग के लए शंख के मनके और
लगभग ईसा पूव के मेसोपोटा मया के अ भलेख मेलुहा के साथ ापा रक संबंध का अमीर लोग के लए सोने और चांद के बने होते थे।
उ लेख करते ह जो सधु े को दया गया ाचीन नाम था।
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आभूषण पु ष और म हला दोन क क म पाए गए ह। कु छ उदाहरण म मृतक हड़ पावासी लाल और काले बतन RBW के बतन का उपयोग करते थे।
को तांबे के दपण से दफनाया गया था। उनम से अ धकांश लाल रंग क म पर बनाए गए थे और उन पर रेख ाएँ ब
या मतीय डज़ाइन पेड़ और प ी के डज़ाइन और जानवर क आकृ तयाँ
काले रंग म च त क गई थ ।
सधु घाट स यता क कला और श प
धातु व ान और कां य श प
हड़ पावासी प र से बने कई औजार का इ तेमाल करते थे ले कन वे काँसे के
नमाण और उपयोग से ब त अ तरह प र चत थे।
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लंबी री के संचार को सु वधाजनक बनाने के लए सील और सी लग सील क छाप का हड़ पा म म हला क कई टे राकोटा मू तयाँ मली ह। अतः यह है
उपयोग कया गया था। मुहर का उपयोग शायद ापारी और ापारी अपने माल पर मुहर क वे संभवतः दे वी माँ क पूज ा करते थे।
लगाने के लए करते थे। सी लग ने ेषक क पहचान भी बता द ।
एक मू त म एक म हला के ूण से एक पौधे को उगते ए दखाया गया है। संभवतः
यह पृ वी क दे वी का त न ध व करता है और यह पौध क उ प और
सबसे स मुहर मोहनजोदड़ो से हड़ पा स यता क पशुप त मुहर है। यह एक मुहर है वकास के साथ घ न प से जुड़ा आ था।
जसके चार ओर जानवर के साथ क म पालथी मारकर बैठ ई आकृ त है एक हाथी
और एक बाघ आकृ त के दा ओर और एक गडा और एक भस उसके बा ओर। उसके इस लए यह माना जाता है क हड़ पावासी पृ वी को उवरता क दे वी के
चरण म दो हरण दखाई दे ते ह। प म दे ख ते थे और उसक उसी तरह पूज ा करते थे जैसे म वासी नील दे वी
आइ सस क पूज ा करते थे।
से श प उ पादन के लए सम पत था जसम मनका बनाना खोल काटना धातु का काम शायद हड़ पा के शासक वजय क तुलना म वा ण य के बारे म अ धक च तत थे।
करना मुहर बनाना और वजन बनाना शा मल था। च दड़ो म वशेष अ यास हड़ पावा सय पर संभवतः ापा रय के एक वग का शासन था।
मले ह
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कु छ पुरात व वद क राय थी क हड़ पा समाज का कोई शासक नह था और सभी को समान दजा के एआर कै नेडी महामारी
ा त था। सर का मानना है क कोई एक शासक नह ब क कई शासक थे। माशल और राई स ववत नक गड़बड़ी उदा
धोलावीरा
तीसरा मत यह है क श पकृ तय म समानता नयो जत ब तय के सा य और ट के आकार
ऑरेल ट न और एएन घोष जलवायु प रवतन
के मानक कृ त अनुपात के कारण एक ही रा य था।
वा टर फे यरस वस वन क कटाई संसाधन क कमी
पा र तक असंतुलन
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सा य से पता चलता है क हड़ पा के लोग ने म य ए शया से लेक र आधु नक शव और दे वी मां क पूज ा और धा मक नान क था हड़ पा सं कृ त क सतत
इराक ईरान कु वैत और सी रया तक फै ले एक वशाल समु ापार नेटवक म भाग परंपरा के उदाहरण ह।
लया।
झेलम नद
चनाब नद
जैसा भी हो
राज ान Rajasthan
मोहनजोदड़ो
सध
सुतकागेन दोर
काम
Daimabad
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
वै दक युग
वै दक युग उस अव ध को संद भत करता है जब भारत म वै दक सं कृ त ंथ क बाद म ऐसे नमूने व से व शता द ईसा पूव अनातो लया तुक म ह ी
रचना क गई थी। शलालेख म मलते ह।
यह आय का युग है जनके बारे म माना जाता है क वे से ईसा पूव के
दौरान कई चरण म म य ए शया से भारतीय उपमहा प म आए थे। आय के नाम इराक से लगभग ईसा पूव के कासाइट शलालेख और सी रया से
व शता द ईसा पूव के मता ी शलालेख म दखाई दे ते ह। ले कन अभी तक
भारत म ऐसा कोई शलालेख नह मला है।
ऋ वेद भारत यूरोपीय भाषा का सबसे पहला पाठ है और वेद धा मक पाठ के बड़े नकाय ह जो वै दक सं कृ त से बने ह और ाचीन भारत म
इसम अवे ता के साथ कई चीज समान ह जो ईरानी भाषा का सबसे पुराना पाठ उप ए ह।
है। दो ंथ कई दे वता और यहां तक क सामा जक वग के लए भी एक ही नाम का
उपयोग करते ह। वे ह धम के सबसे पुराने ंथ और सं कृ त सा ह य क सबसे पुरानी परत बनाते ह।
कहा जाता है क वेद एक पीढ़ से सरी पीढ़ तक मौ खक संचरण के मा यम से पा रत
साथ ही इंडो यूरोपीय भाषा का सबसे पहला नमूना इराक से लगभग ईसा ए ह। इस लए इ ह ु त भी कहा जाता है।
पूव के एक शलालेख म मलता है।
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ऋ वेद यह अथववेद
सबसे पुराना वेद है और भारत म ारं भक वै दक लोग के जीवन को अथववेद को भी ईसा पूव से ईसा पूव के बीच संक लत कया गया था।
दशाता है। इसे ईसा पूव से ईसा पूव के बीच संक लत कया यह बुरी आ मा या खतर को र करने के लए जा मं से संबं धत है।
गया था।
इसके पाठ म सू सू ह जो दस मंडल या पु तक म वभा जत ह। इसे भजन के साथ खंड या पु तक म वग कृ त कया गया है।
वही वेद
सामवेद या मं का वेद ऋ वेद से लए गए छं द का सं ह है। ये छं द
संगीत संके तन के साथ दान कए गए ह और प व गीत के दशन के लए आर यक आर यक
सहायता के प म अ भ ेत ह। मु य प से वन म रहने वाले साधु और उनके श य के लए लखे गए दशन ह। वे
ा ण के प र श ह।
इसे ईसा पूव से ईसा पूव के बीच संक लत कया गया था। उ ह ा ण के बीच सेतु के प म माना जा सकता है जो अनु ान ब लदान
Recensions or Branches Shakhas of the Sama Veda are और उप नषद के बारे म बात करते ह जो ान और आ या मकता के बारे म बात
Kauthuma Ranayaniya and Jaiminiya Talavakara . करते ह।
उप नषद उप नषद म
The Upaveda of Sama Veda is the Gandharva Veda.
य शरीर और ांड के बारे म दाश नक वचार ह। उप नषद ह।
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सू सा ह य Vitasta झेलम
अ कनी चनाब
ईसा पूव से ईसा पूव के काल को सू काल के नाम से जाना जाता है जब सू के
व भ सा ह य लखे गए थे। प शम इलाज
सू सबसे पहले वै दक सा ह य म दखाई दे ते ह ज ह ा ण और आर यक के Vipasa जैसा भी हो
यह एक बार है वीकार
छह सू
सदानीरा Gandak
शु वसू यह या म त और ग णत से संबं धत है। ारं भक वै दक काल म आय क शास नक मशीनरी यु म उनके सफल नेतृ व के कारण
गृहसू इसम गृह जीवन के नयम न हत ह। क म आ दवासी मुख के साथ काम करती थी।
वै दक युग ईसा पूव राजन एक कार का मु खया था और वह असी मत श का योग नह करता था य क उसे
जनजातीय संगठन के साथ काम करना पड़ता था।
वै दक काल या ऋग वै दक काल क आयु ऋ वै दक भजन क रचना क तारीख
से मेल खाती है। यह त थ ईसा पूव से ईसा पूव के बीच न त क गई है।
राजा को अपने कबीले का र क कहा जाता था। उसने इसके मवे शय क र ा क
यु लड़े और इसक ओर से दे वता से ाथना क ।
ऋ वै दक वणन से पता चलता है क यह द ण अफ़ग़ा न तान म अवे टन नद हरखवती या चोरी और चोरी और वशेष प से गाय क चोरी के मामले थे।
हेलमंड नद है जहाँ से सर वती नाम भारत म ानांत रत कया गया था।
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एक बड़े चरागाह पर अ धकार को जप त कहा जाता था। वह कु लपा कहलाने सामा जक वभाग
वाले प रवार के मुख या ामणी कहे जाने वाले लड़ाक के समूह के
आय ारा वदे शी नवा सय क वजय ने ारं भक वै दक युग म सामा जक
मुख को यु म ले जाता था। शु आत म ामणी एक छोट आ दवासी लड़ाई
वभाजन के नमाण म सबसे अ धक योगदान दया।
इकाई का मुख था।
वै दक समाज र तेदारी ारं भक धीरे धीरे आ दवासी समाज तीन समूह म वभा जत हो गया यो ा पुज ारी और
लोग।
वै दक समाज म सामा जक संरचना का आधार थी। एक क पहचान उस कबीले
से होती थी जससे वह संबं धत था जैसा क कई ऋ वै दक राजा के नाम म चौथा वग शू का उदय ऋ वै दक काल के अंत म आ। पुज ा रय को दास उपहार के प
दे ख ा जा सकता है। म दए जाते थे। वे मु य प से म हला दास थ ।
लोग ने अपनी ाथ मक न ा जनजा त को द जसे जन कहा जाता था। जन श द ऋ वेद के युग म वसाय के आधार पर वभेद करण ारंभ हो गया था ले कन यह
ऋ वेद म लगभग ान पर आता है और जनपद या े श द का योग एक बार वभाजन ब त ती ण नह था।
भी नह आ है।
यु क लूट के असमान वतरण ने सामा जक असमानताएँ पैदा क और इसने आम
लोग कबीले से जुड़े ए थे य क रा य अभी तक ा पत नह आ था। आ दवासी लोग क क मत पर राजकु मार और पुज ा रय के उ ान म मदद क ।
ले कन चूं क अथ व ा मु य प से पशुपालन थी न क खा उ पादक इस लए
लोग से नय मत ांज ल एक करने क गुंज ाइश ब त सी मत थी।
एक अ य मह वपूण श द जो ऋ वेद म जनजा त के लए यु होता है वह था वस
इसका पाठ म बार उ लेख कया गया है। यह है क ारं भक वै दक चरण म
प रवार को गृह श द ारा इं गत कया गया था ।
समाज म जनजातीय त व मजबूत थे और कर के सं ह या भू स के संचय पर
आधा रत सामा जक वभाजन अनुप त थे। समाज अभी भी आ दवासी और काफ हद
ऋ वेद लोग क शारी रक बनावट के बारे म कु छ चेतना दखाता है। वण श द
तक समतावाद था।
का योग रंग के लए कया जाता था जो सामा जक व ा के लए पहचान च
दान करता था। ऋ वेद म आय और दास का उ लेख है
ले वरेट भाई क वधवा से शाद करने क था और वधवा पुन ववाह क उनके अ धकांश यु गाय के लए लड़े गए।
था ऋ वेद म है। ऋ वेद म यु के लए श द ग व ी या खोज या गाय ह।
बाल ववाह के कोई उदाहरण नह ह। ऋ वेद म ववाह यो य आयु से ऐसा लगता है क गाय धन का सबसे मह वपूण प रही है। पुज ा रय को दए जाने वाले
वष तीत होती है य प इसका वशेष उ लेख नह है। उपहार म आमतौर पर गाय और म हला दा सयां शा मल होती ह।
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ऋ वेद म बढ़ई रथ नमाता बुनकर चमड़े का काम करने वाला कु हार आ द जैसे कारीगर
का उ लेख है। नवा सय को दास द यु आ द कहा जाता है। ऋ वेद म दवोदास नामक एक मुख ारा सांभर
क हार का उ लेख है जो भरत वंश के थे।
वै दक धा मक जीवन आय ने ाकृ तक
परंपरा के अनुसार आय को वभा जत कया गया था
श य का मानवीकरण कया और उ ह जी वत ा णय के प म दे ख ा जसके
पाँच जनजा तयाँ ज ह पंचजन कहा जाता है ले कन अ य जनजा तयाँ भी हो सकती ह। आय
लए उ ह ने मानव या पशु प दए। आपस म भी लड़े।
जीव भा पु लस अ धकारी
सरा ान अ न अ न दे वता ारा धारण कया जाता है जनके लए ा ता जासूस जो कभी कभी संदेशवाहक के प म भी काम
भजन सम पत ह। वै दक काल म अ न ने दे वता और लोग के बीच एक करते थे
कार के म य के प म काय कया। Gramani गाँव का मु खया
Sangrihitri कोषा य
Mahishi मु य रानी
सोम को पौध का दे वता और मादक पेय माना जाता था।
तशत सारथी
Takshan बढ़ई
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कृ ष और व भ श प ने बाद के वै दक लोग को एक व त जीवन ारंभ म येक े का नाम उस जनजा त के नाम पर रखा गया था जो वहां पहले बसी
जीने म स म बनाया। थी। पहले पंचाल लोग का नाम था और बाद म यह एक े का नाम बन गया।
बाद के वै दक युग के दौरान भौगो लक व तार आय इस अव ध के दौरान कर और भट का सं ह आम हो गया लगता है। वे संभवत संगृही ी
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इस युग म वै दक लोग पहली बार दोआब म चावल से प र चत ए। वै दक ंथ म रथकार या रथ नमाता जैसे कारीगर के कु छ वग उ त का आनंद लेते थे
इसे वृ ह कहा गया है। और प व धागा समारोह के हकदार थे।
पूवज।
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. ववाह शाद ।
गाय सोना कपड़ा और घोड़े ब ल के प म दए जाते थे।
. Antyeshti अं तम सं कार।
सा ा य जगह
जाप त नमाता बाद के वै दक युग म सव पद पर आसीन ए।
Panchal Badayun and Farrukhabad in Uttar
दे श
ऋ वै दक काल के कु छ अ य गौण दे वता भी सामने आए। पशु के दे वता उ र
कु शीनगर उ र दे श का उ री े
वै दक काल म मह वपूण हो गए।
ह ी Modern Varanasi
व णु को उन लोग के संर क और संर क के प म माना जाने लगा जो अब Koshal Ayodhya in Uttar Pradesh
अध खानाबदोश जीवन के बजाय एक व त जीवन तीत करते थे जैसा Uttara Madra अमृतसर के पास
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
धा मक आंदोलन
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ा ण वग ने सा कारी व ा क आलोचना क और इसी लए वै य को कम स मान जैन धम ने वण व ा और कमकांड व ा म मौजूद बुराइय का मुक ाबला
दया जाता था। करने के लए गंभीर यास कए। जैन श ाएँ कम के च के बारे म बात करती ह
जसके प रणाम व प ज म और पुनज म होता है।
बौ धम और जैन धम दोन ने एक शु तावाद और तप वी जीवन जीने का सुझ ाव
दया। वे के वल मूलभूत आव यकता के साथ जीवन जीने के समथक थे न क जैन धम के अनुसार कम के च से मु होने के लए तप या और तप या क
वला सता के लए। आव यकता होती है।
इस साधारण जीवन णाली ने ब त से लोग को आक षत कया जो जैन धम इस लए मो मु तभी ा त कया जा सकता है जब कोई नया को याग दे और
और बौ धम के अनुयायी बन गए। मठवासी जीवन शैली को वीकार करे। न न कु ल का भी शु और पु य
आचरण से मु ा त कर सकता है।
जैन धम
जैन धम क उ प ाचीन काल से चली आ रही है। जैन धम के तीन र न जो मु क ओर ले जाने वाले माने जाते ह वे ह स यक ान
ऋषभनाथ अयो या म ज म को थम तीथकर माना जाता है। स यक ान
वधमान महावीर जैन धम के व और अं तम तीथकर थे। Rishabhanatha बैल या बैल वमलनाथ भालू
आ दनाथ
उनका ज म ईसा पूव म वैशाली के नकट एक गांव कुं दा ाम म आ था। उनके पता Ajitnatha हाथी Anantnatha फा कन
स ाथ जन क वंश के मुख थे और उनक माता शला राजा चेतक क बहन थ जो Sambhavanath घोड़ा Dharmanatha Vajra
व ी गणसंघ के ल वी राजकु मार थे।
अ भनंदननाथ बंदर Shantinatha हरन
चाँद
गया।
कै व य के मा यम से महावीर ने ख और सुख पर वजय ा त क और जन महान Pushpadanta मगरम Naminatha नीला पानी
लली
वजेता कहलाए । बाद म उनके अनुयायी जैन कहलाए। महावीर ने ाकृ त भाषा म
अ हसा अ हसा का सरल स ांत सखाया जो उस समय एक आम Shitalanatha क प वृ ने मनाथ Shankh
. कोई संप नह है . चय चय का
पालन कर महावीर ारा जोड़ा गया
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जैन सा ह य
जैन धम के सार का सरा कारण यह था क उ र भारत म अकाल पड़ा और जैन मु न भ बा के जैन सा ह य को दो े णय म वभा जत कया जा सकता है
नेतृ व म द ण क ओर चले गए। जब वे वापस आए तो जैन धम के दो समूह म कु छ प रवतन
दखाई दए। . आगम सा ह य इसम अध मगधी म लखा
गया प व सा ह य शा मल है जैसे
यह चौथी शता द ईसा पूव के दौरान क लग म फै ल गया और इसके शासक खारवेल ारा संर ण छे द
दया गया। माना जाता है क यह से यह त मलनाडु तक फै ला।
उपांग
कणस
जैन प रषद Chhedasutra
मूल सू
प रषद वष ान नेता मु य मु ा
जैन वा तुक ला
जैन धम के दो गुट एक जो द ण भारत के लए रवाना ए और सरे मगध म बने रहे उ ह मशः जैन वा तुक ला का सबसे पुराना माण ओ डशा क गुफ ा वहार म पाया गया
दगंबर और ेतांबर कहा जाता है। है जैसे क महारा म खंड ग र उदय ग र पहली शता द ईसा पूव हांथी
गु ा पहली शता द ईसा पूव और एलोरा व और व शता द ई वी ।
दगंबर या आकाशधारी महावीर ारा दए गए स ांत स ांत के उ साही अनुयायी बने रहे जब क
ेतांबर ने मगध म अकाल का सामना करने के लए व भ प रवतन को अपनाया।
राज ान के दलवाड़ा म जैन मं दर का नमाण सोलंक शासक ारा कया गया था। वे जैन तीथकर
को सम पत थे। ये मं दर पूरी तरह से सफे द संगमरमर से बने ह और अपनी अनूठ
और व श शैली के लए भी स ह।
जैन धम का योगदान
जैन अनुया यय ने शु म सं कृ त को याग दया और ाकृ त जनता क भाषा म उपदे श
दया। ाकृ त को अपनाने से धम क लोक यता का वकास आ और व भ े ीय भाषा रणकपुरा जैन मं दर का ेय पहले तीथकर आ दनाथ को दया जाता है। यह वा तुक ला के
का भी वकास आ। चौमुख डजाइन म बनाया गया था। मं दर का नमाण व शता द ई वी म आ था।
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भ ु ारा आसान जीवन भ ु ने जैन धम को फै लाने और लोक य बनाने . समुदय इ ा ही सम त ख का मूल कारण है।
के यास नह कए। ापारी और ापारी वफादार बने रहे ले कन जैन धम .इ ा पर वजय ा त करके नरोध नवाण ा त कया जा सकता है।
का चार नह कया। . म गा माग ख के नरोध का माग है।
नवाण ख के नरोध का माग है।
जैन दशन तप या और तप या का दशन बु के म यम माग क तुलना म बु के अनुसार यह अ ां गक माग आठ गुना पथ का पालन करके कया जा सकता है।
कठोर था जसने जैन धम क तुलना म आम लोग को बौ धम
म अ धक आक षत कया।
ये अ ांग माग ह .स यक नरी ण
.स यक न य .स यकवाक .स यक कम .स यक आजी वका .स यक
जैन धम का वभाजन बाद के चरण म जैन धम ेतांबर और दगंबर नामक
ायाम .स यक मृ त .स यक यान बु के अनुसार इन म यम
दो गुट म वभा जत हो गया। इससे अनुया यय का वभाजन आ जसके
माग का अनुसरण करने से नवाण क ा त के लए नेतृ व।
प रणाम व प ासं गकता का सम नुक सान आ।
बु धम
बु के अनुसार य द कोई अ ांग माग का अनुसरण करता है तो उसे नवाण ा त करने के
बौ धम एक अ य मुख धा मक आंदोलन था जो ईसा पूव छठ लए पुरो हत क आव यकता नह होती है।
शता द के दौरान भारत म उभरा और मौजूदा सामा जक और धा मक
ती य समु पाद ज म और पुनज म का नरंतर च है। इसका मूल कारण अ ान है।
व ा पर भाव पड़ा। इसक शु आत गौतम बु ने ान ा त के बाद क थी।
बु ध म और संघ बौ धम के र न तीन र न ह।
नवा चत शासक थे। स ाथ के ज म के दन बाद उनक मां माया . सोना चांद क खरीदारी न कर
क मृ यु हो गई। अपनी मां क मृ यु के बाद स ाथ का पालन पोषण उनक . अ हसा का पालन कर
पालक माता महा जाप त गौतमी ने कया।
. मादक पदाथ का सेवन न कर
. आरामदायक ब तर से बच
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ए शया ।
बौ प रषद
कू ल और एक कू ल बच गया एक समय म major schools four practice
बौ शासक सं दाय तक मौजूद थे । based Zen Pure land
जगह वष अ य
प रषद राजा Vajrayana Vinaya four
philosophy based Tendai
थम बौ सतपानी BC Mahakassapa Ajatashatru Avamtasaka Yogacara and
प रषद गुफ़ ा
Madhyamika .
राजगृह
बौ के वल थेरवाद क पाली कै नन पटका पु तक ।
वैशाली ईसा पूव सबकामी Kalashoka
बौ धम ंथ पटक कई अ य सू के अलावा जैसे
प रषद लोटस सू ।
बौ धम क धाराएँ सामंतभ ।
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सातव शता द ई वी तक बौ मठ आसानी से रहने का ान और आचरण का बौ धम ने भारत म मू त पूज ा क न व रखी पहली छ व पूज ा बु क थी। इसम बोधगया
क बन गया। सारनाथ और भर त म बु के जीवन क व भ घटना का च ण है।
मठ को ा त अपार धन ने उ ह और कर दया और म हला को अब वासना क
व तु माना जाता है।
आ मा का अ त व आ मा को माना आ मा को नह माना
अमीर मठ ने तुक आ मणका रय को भी अपनी ओर आक षत कया और वे लूट
आचरण घोर तप या और तप या म म माग या म यम
का आसान ल य बन गए। पथ
कई भ ु नेपाल और त बत भाग गए।
अ हस चरम म यम ावहा रक
व ास और कम पर व ास कया
बौ धम का मह व और भाव माना जाता है क
सं ापक य य
बौ धम ने मौजूदा सामा जक और आ थक सम या के त गहरी जाग कता
दखाई और इस बात पर जोर दया क सभी लोग के साथ समान वहार कया जाना
चा हए। लोग को धन सं ह नह करना चा हए।
अ य वधम धा मक आंदोलन अजी वका और अनचेडवाद भारत म मुख वधम धा मक
आंदोलन थे।
बु ने कसान को अनाज मज र को मज री और ापा रय को पैसे दे क र
गरीबी र करने क बात कही। इससे गरीबी से पैदा ई ू रता नफरत और हसा ख म हो
जाएगी। Ajivika
Makkhali Gosala was the proponent of this sect. He was the
भ ु के लए नधा रत आचार सं हता भौ तकवाद नया यौन इ ा धन और first disciple of Vardhaman Mahavira.
इ ा के खलाफ दशा नदश थे। यह बु ारा धन के योग के व व ोह उनके अनुसार सृ क येक व तु भा य और ार से सम वत है।
था। इसने छठ शता द ईसा पूव म जीवन का एक सरल तरीका तुत कया।
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भागवतवाद भागवत वै णव मत के व श ा ै त ै त शु ा ै त और
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वह इन वचार के बारे म अ धक से अ धक सोचने लगा। भाग जो जैन मु नय से संबं धत है। सुसमा सुसमा जैन धम का पहला ांडीय च है।
संघथेरा को संघ
प रनायक के नाम से भी जाना जाता है
जन लोग ने उनके वचार को वीकार कर लया वे मुसलमान कहलाए और
उनके धम को इ लाम कहा गया।
संघथेरा बौ भ ु क पा क सभा के नवा चत अ य थे।
ई वी म मुह मद क मृ यु के बाद इ लाम ब त तेज ी से फै ला।
खलाफत क ापना प मी ए शया से उ री अ का और ेन श सालका पु षच रत सबसे लंबी क वता है
तक फै ले े म क गई थी।
जैन व ान हेमचंारा र चत तीथकर स हत बु पु ष के काय से संबं धत है।
मण साधु या स यासी।
खलीफा या पैगंबर का उ रा धकारी इस े के शासक को द गई उपा ध थी।
थेरावली जैन क पसू का सरा खंड जसम कू ल आओना और उनके मुख क
ई वी म अरब ने सध पर वजय ा त क और प मी भारत सूची है।
को धमक द ले कन ानीय शासक ारा वापस पकड़ लया गया। उ ह ने तथागत वह जसने स य को ा त कर लया हो। उ स पणी जैन
सध पर अपना राजनी तक नयं ण बनाए रखा। यह भारत के इस ह से म लौ कक च का आरोही म है। उपा सका बौ धम के अनुयायी।
था क इ लाम सबसे पहले एक मह वपूण धम बना।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
Mahajanapadas
ोत क ा VI नई एनसीईआरट अ याय रा य राजा और ारं भक गणरा य क ा VI पुराना एनसीईआरट अ याय से ईसा पूव से भारत
ईसा पूव क ा यारहव पुराना एनसीईआरट अ याय ादे शक रा य और थम मगध सा ा य अ याय ईरानी और
मैसेडो नयन आ मण क ा बारहव नई एनसीईआरट अ याय राजा कसान और शहर अ याय र तेदारी जा त और वग
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कं बो डया
Mahajanapadas
म य
Shrivasti
सुरसेन
Varanshi
कोसा बी
पेट य क चौखटा
मगध
आपक उं ग लय पर
आप के बाद
नमदा नद
Ashmaka
अरब सागर
बंगाल क खाड़ी
गोदावरी नद
हद महासागर कलोमीटर
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. कं बो डया Rajapura पुंछ और हाजरा त शला पु कु सती के गांधार शासक ने ब बसार को एक त भेज ा।
ज मू जले और
Kashmir
Ajatashatru BC
. नमाण Shravasti पूव उ र दे श
उसने अपने पता ब बसार क ह या कर द और मगध सा ा य का शासक बन गया। वह
. कौन सा इं द ली और मेरठ े
और
वैवा हक गठबंधन आधा रत र त म व ास नह करते थे।
Hastinapur
उसने सेनजीत कोशल के राजा पर आ मण कया और उसे परा जत कया। उसने
. मगध राजगृह व बहार का पटना े
Patliputra साल के यु के बाद ल वी राजा को भी हराया।
महाजनपद म कई गणरा य रा य थे और अ य छोटे जनपद छठ शता द ई वी म कालाशोक ईसा पूव ने अपनी राजधानी वैशाली से पाट लपु ानांत रत क और
अ त व म थे। इनम से मुख थे पंचाल क बोज कु म ल व सभी महाजनपद थे सरी बौ प रषद भी बुलाई।
नंद राजवंश
शशुनाग का ान नंद ने ले लया ज ह भारत का पहला सा ा य नमाता
Bhaggas Mirzapur Uttar Pradesh माना जाता है।
Kaliya Ramagama Nepal उ ह ने पहली बार क लग सा ा य को हराया और जीत क ॉफ के प म जन क छ व लाए।
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धनानंद नंद वंश के अं तम शासक थे और उनक जगह चं गु त मौय ने ली ज ह ने मौय सधु और अरब सागर क भौगो लक खोज एक नए जल माग को खोलने क ओर
वंश क ापना क । ले जाती है।
मौयकालीन कला और ाप य कला म फारसी कला के प का वलय दखाई
दे ने लगा।
मगध के उदय के कारण मगध के मुख ता म वृ के लए व भ कारक
ज मेदार थे। इनम से कु छ थे ीक आ मण
चौथी शता द ईसा पूव म यूना नय और ईरा नय ने नया क सव ता के लए लड़ाई
मह वाकां ी शासक मगध पर कई मह वाकां ी शासक का शासन था जैसे ब बसार लड़ी। यूनानी शासक सकं दर ने न के वल ए शया माइनर और इराक ब क ईरान
अजातश ु अशोक पर भी वजय ा त क । ईरान से उसने भारत क ओर कू च कया य क वह इसक
वगैरह। संप से आक षत था।
ान राजगृह और पाट लपु दोन रणनी तक प से त थे। नतीजतन मगध म य
और पूव भाग के प म उ र पथ को नयं त कर सकता है। सकं दर जो खैबर दर से होकर आया था उसने एक एक करके मुख रयासत
पर वजय ा त क । इन े के शासक म दो स थे त शला के राजकु मार अ ी
उपजाऊ म गंगा के मैदान क जलोढ़ म ने मगध ांत म अ धशेष उ पादन म और पोरस जनका रा य झेलम और चनाब के बीच त था।
मदद क ।
ाकृ तक संसाधन लोहे जैसे ाकृ तक संसाधन क चुरता ने मगध को नई कृ ष
अथ व ा वक सत करने के लए बेहतर ह थयार और उपकरण से लैस करने म अ ी ने आसानी से आ मणकारी को स प दया अपनी सेना को बढ़ाया और अपने
स म बनाया। खजाने को फर से भर दया। सरी ओर एक अ य भारतीय शासक पोरस ने बहा री
से लड़ाई लड़ी ले कन हार गया।
नगर का उदय धा वक धन के उपयोग से ापार और वा ण य म वृ ई जसके
प रणाम व प मगध क समृ म वृ ई और कई नगर का वकास आ।
हाइड ेस क लड़ाई
हा थय का उपयोग मगध े म पाए गए यु म हा थय का उपयोग करने से भी मगध
हाइडे ीज क लड़ाई कसके बीच लड़ी गई थी
के उ ान म मदद मली।
ईसा पूव म सकं दर महान और राजा पोरस। झेलम नद के तट पर यु आ जो
ाचीन यूना नय को हाइडे ीज के नाम से जाना जाता था। यु म पोरस और
ईरानी या फारसी आ मण
ीक आ मण के भाव
ईरान के एके मे नयन शासक ने ज ह ने मगध के राजा क तरह ही अपने सा ा य का
इसने उ र प म भारत और प मी ए शया और यूरोप के बीच ापार माग खोल दया।
व तार कया उ र प मी सीमा क राजनी तक असमानता का लाभ उठाया।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
मौय सा ा य
छठ शता द ईसा पूव े ीय व तार के लए अवंती कोशल और मगध बौ जातक म गौतम बु के पूव ज म क कथा का वणन है। वे हम च लत
महाजनपद के बीच संघष क ृंख ला दे ख ी गई। अंतत मगध क जीत ई। सामा जक व ा संघ के अ त व लोक य री त रवाज के बारे म बताते ह
जो मौय युग तक फले फू ले।
नंद के बाद एक श शाली मौय वंश ने खुद को मगध के सहासन पर ा पत कया। बाद मंज ु ीमुलक प एक गैर व हत बौ काय है जो सातव शता द ईसा पूव से
म यह ाचीन भारतीय इ तहास म सबसे मह वपूण राजवंश म से एक बन गया। आठव शता द ई वी तक के ापक ऐ तहा सक काल को कवर करता है।
इसम नंद और मौय के बारे म भी मह वपूण जानकारी है।
भारतीय और शा ीय दोन ोत से पता चलता है क भारत से सकं दर के वह से यूक स नके टर और चं गु त मौय और चं गु त क म हला अंगर क के बीच
पीछे हटने से चं गु त को अपने लए एक रा य बनाने म मदद मली।
वैवा हक गठबंधन का भी उ लेख करता है।
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के इ तहास क सबसे बड़ी कृ त माना जाता है। कौ ट य ने सं कृ त म ंथ क रचना उसका नाम अशोक के वल कनाटक म तीन
क । समकालीन मौयकालीन शास नक व ा के बारे म जानने के लए यह और म य दे श म एक ान पर पाया गया।
सबसे मह वपूण ंथ है।
सोपारा महारा
ब सार के शासन काल म सी रया के शासक एं टओकस ने ब सार के पास सूख ी Girnar Gujarat
अंज ीर शराब भेज ी ले कन कसी सो फ ट दाश नक को भेज ने से मना कर दया।
येरागुडी आं दे श
म के शासक टॉलेमी तीय फलाडे फ़स ने डायनो सस नामक एक राज त को ब सार Kandahar अफ़ग़ा न तान
के दरबार म भेज ा।
चौदह मुख शलालेख . MRE I यह वशेष प से
बौ महावमसा से पता चलता है क ब सार ा णवाद का अनुयायी था ले कन व भ
अ य बौ पु तक म उ लेख कया गया है क उसने पगलव स के मागदशन म पशु वध पर तबंध लगाता है
अजी वका सं दाय को अपनाया। योहारी सीजन के दौरान। उनक शाही रसोई म के वल दो मोर और एक हरण को
मारने क अनुम त थी।
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. MRE II यह मनु य और पशु के लए च क सा उपचार दान करता है। इस आदे श अशोक का क लग यु अशोक क
मद ण के चार रा य चोल पां स यपु और के रलपु के बारे म भी बात क
घरेलू और वदे शी नी तयां बौ वचारधारा से भा वत थ ।
गई है।
स ाट बनने के बाद उसने ईसा पूव म मुख यु
. राजुक ा के साथ एमआरई III यु ा और ादे शक ध म के सार के लए हर साल म एक लड़ा जसे क लग यु के नाम से जाना जाता है।
बार रा य के सभी े का दौरा करगे। यह ा ण के साथ उदारता क भी बात करता है।
. MRE XII यह वशेष प से धा मक स ह णुता क बात करता है अशोक ने म हला स हत समाज के व भ वग के बीच ध म का
गैर बौ धम के बारे म। चार करने के लए ध ममहामा क नयु क।
. MRE XIV यह े के अ य भाग म शलालेख के उ क णन और संपादन के उ े य अशोक ने अपने मशन रय को ीलंक ा और म य ए शया म बौ
धम के चार के लए भेज ा। अशोक जनजा तय को ध म के माग पर चलने के
के बारे म बात करता है।
लए कहता था।
अशोक के लघु शलालेख
. Bhabru Rajasthan
कं धार शलालेख से ात होता है क अशोक क ध म नी त के कारण बहे लए
और मछु आरे भी हसा का याग कर खेत उ पादक का जीवन तीत
. Sidhpur Karnataka
करने लगे।
. Ahrora Uttar Pradesh
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अशोक पूरे दे श को एक धम एक भाषा और अ सर एक ल प के स ांत के तहत एकजुट करने ांत को भी छोट इकाइय म वभा जत कया गया था।
म सफल रहा। ामांचल और नगरांचल दोन म शासन क व ा थी ।
क लग तोसली
अशोक के शासनकाल म मौय सा ा य अ य धक ज टल हो गया था जो अशोक क मृ यु के
बाद जी वत नह रह सका।
नगर शासन
मेग नीज ने पाट लपु के नगर शासन का वणन कया है। पाट लपु शहर को सद य के एक
ईसा पूव म अशोक क मृ यु के बाद पड़ोसी राजा ने इस सा ा य क उ र प मी समूह ारा शा सत कया गया था। शहर म कु ल छह स म तयाँ थ और येक म पाँच सद य
सीमा पर क जा कर लया। थे।
अशोक के उ रा धकारी शहर के मुख अ धकारी ए ोनॉमी थे और जले के मुख ए ोनोमयी थे।
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उ री मैदान म गंगा और उसक सहायक न दयाँ जल प रवहन का ह सा थ । चं गु त मौय ने जैन धम का पालन कया और भौ तकवाद नया को यागने के बाद वणबेलगोला
चले गए।
कर संरचना
ब सार और उनके उ रा धकारी सरमनस और अजी वक के अनुयायी थे।
कौ ट य ने कसान श पकार और ापा रय से वसूल कए जाने वाले
व भ कर का वणन कया है।
अशोक बौ धम का सबसे बड़ा संर क था और उसने ईसा पूव म पाट लपु म तीसरी बौ
समाहता कर नधारण का सव अ धकारी था और स धाता रा य के खजाने और गोदाम
प रषद भी बुलाई थी।
का संर क था।
शेर और बैल के साथ न काशीदार शीष उस समय के अ तीय ाप य वकास के माण ह। मौय
मौय सा ा य के दौरान परती भू म को कृ ष के अंतगत लाया गया है। इस या म
श पकार ने बौ भ ु के लए च ान को काटकर गुफ ा बनाने क परंपरा भी शु क।
जबरन म और कृ षक ने मह वपूण भू मका नभाई।
इसका सबसे पुराना उदाहरण बराबर गुफ ाएं ह।
इससे रा य के राज व म भी वृ ई।
मौय समाज समाज मु य प से चार वण मौय काल म उ र पूव भारत म पक ई ट का योग होने लगा। इस काल म बनी प क टक
संरचनाएँ मु य प से बहार और उ र दे श म पाई गई ह।
ा ण य वै य और शू म वभा जत था। वण व ा ब त कठोर हो गई
थी और कसी भी ऊ वाधर आंदोलन क अनुम त नह थी।
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मौय सा ा य का पतन इसके प रणाम व प मौय जैसे पु य म शुंग के खलाफ नाराजगी और असुर ा
क भावना पैदा करने के लए ा ण का समथन बढ़ा। प रणाम व प इस समय
मौय सा ा य के पतन के कई कारण हो सकते ह। कसी एक कारण का भु व नह था
के दौरान कई नए राजवंश का उदय आ जन पर ा ण राजा जैसे
ब क यह उन सभी कारण का सं ह था जो ृंख ला त या से संबं धत थे।
सातवाहन शुंग आ द का शासन था।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
मौय र काल
ोत क ा VI नई एनसीईआरट अ याय ापारी राजा और तीथया ी क ा VI पुराना एनसीईआरट अ याय ईसा पूव से ई वी तक भारत
क ा यारहव पुराना एनसीईआरट अ याय म य ए शयाई संपक और क बे क ा बारहव नई एनसीईआरट अ याय सातवाहन का युग
क ा बारहव नई एनसीईआरट अ याय राजा कसान और नगर अ याय र तेदारी जा त और वग
चैप वचारक व ास और भवन
मौय सा ा य के पतन के साथ पु य म शुंग मगध सा ा य म आ गया। हालाँ क पु य म शुंग ने ा णवाद का पालन कया। कु छ लेख म उ ह बौ के उ पीड़क
कई बड़े और छोटे रा य थे जो ईसा पूव के बाद भारतीय उपमहा प म भी आए बसे और तूप को न करने वाले के प म च त कया गया है ले कन अभी तक कोई
और गहरा भाव डाला। आ धका रक माण नह मला है।
मौय र काल के बारे म जानकारी के मह वपूण ोत पतंज ल क गाग अ न म के बाद मशः सु ये और वसु म आए।
सं हता और महाभा य का लदास के माल वका न म म बाणभ के
हषच रत नागसेन के म लदप हो आ द ह। शुंग काल ने ा णवाद के पुन ान और भागवत धम के बढ़ते मह व को
दे ख ा।
लनी लूटाक और टॉलेमी जैसे यूनानी इ तहासकार क कृ तयाँ भी इस काल के शुंग शासक भागभ ने म य दे श के व दशा म हे लयोडोरस तंभ का नमाण कया जो
इ तहास पर काश डालती ह। लगभग ईसा पूव के सं कृ त शलालेख म वासुदेव को सम पत था।
वदे शी रयासत म
मौय र काल राजवंश कै नवस ई.पू.
मौय काल के बाद के वदे शी रा य क चचा नीचे क गई है अं तम शुंग राजा दे वभू त क ह या उनके एक मं ी वासुदेव ने क थी ज ह ने ईसा पूव
म क व वंश क ापना क थी। पुराण क व वंश के राजा को सुंग य या
शुंग के सेवक के प म ना मत करते ह।
शुंग वंश ई.पू.
इस वंश के सं ापक पु य म शुंग थे जो मौय सा ा य म सेनाप त थे। शुंग ने
अं तम मौय राजा बृह थ को अपद कर दया। शुंग क राजधानी व दशा थी। सा ा य पूव भारत और म य भारत के भाग म वभा जत था। क व वंश ने व दशा को
अपनी राजधानी होने का दावा कया था।
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पुराण के अनुसार सातवाहन ने लगभग वष तक शासन कया। उसने शक शासक से मालवा और क कण को पुनः ा त कया।
Satakarni I BC
Satakarni I was called the Lord of आग से पक ट का नय मत उपयोग और छत क टाइल का उपयोग होता था।
Dakshinapatha .
ना लय को ढक दया गया था और गंदे पानी को सो ता ग म ले जाने के लए भू मगत कर
उसने प मी मालवा अनूपा नमदा घाट और वदभ बरार पर वजय ा त
दया गया था। पूव द कन म आं म कई गाँव के अलावा चारद वारी वाले शहर शा मल
क।
थे।
उनक मृ यु के बाद शक ने सातवाहन पर आ मण कया और उ ह ना सक से
आं े क ओर खदे ड़ दया। Social Condition in Satavahana Kingdom
हल ई. सामा जक पदानु म म चार वग थे।
गौतमीपु सातकण ने इस णाली को फर से ा पत करने का दावा कया।
म य पुराण म उनका उ लेख सातवाहन वंश के व शासक के प म कया गया है।
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इस अव ध के दौरान कृ ण वासुदेव आ द के वै णव पंथ क अ य धक पूज ा क ना सक म तीन वहार ह और माना जाता है क इसका नमाण सरी शता द ई वी म
जाती थी। ले कन सातवाहन को बौ धम का भी उतना ही संर ण आ था इसम नहपान और गौतमीपु के शलालेख ह।
ा त था।
इस काल म बो धस व का पंथ लोक य आ। इसके अनुसार बु के माग से कोई भी रॉक कट आ कटे चर आं दे श म कृ णा गोदावरी े म भी पाया जाता
बु जैसा ान ा त कर सकता है। है।
कु छ स बौ तूप अमरावती और नागाजुनक डा म ह।
भ ु को भू म और व ीय सहायता दे क र सातवाहन के अधीन बौ धम भी
फला फू ला। अमरावती तूप म मू तकला है जो बु के जीवन के व भ य को दशाती है।
महायान बौ धम कारीगर वग के बीच लोक य आ। इसके गुंबद को आधार के पार मीटर और ऊं चाई म मीटर मापा गया।
सातवाहन सा ा य म शासन
टे राकोटा और उनके साँचे क डापुर से मले ह जो हैदराबाद से कलोमीटर
सातवाहन शासक ने धमशा का पालन कया और राजा को धम का संर क माना।
र है।
राजा क तुलना दे वता और पौरा णक नायक जैसे राम भीम अजुन आ द
टे राकोटा शहर के अ यंत धनी लोग के वा म व म थे।
से क जाती थी।
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करीमनगर जले तेलंगाना म पाई जाने वाली एक गाँव ब ती म बढ़ई लोहार सुनार
शक इंडो सी थयन
कु हार आ द अलग अलग वाटर म रहते थे और सरे छोर पर खेती करते थे और
सरी शता द ईसा पूव म चीनी े से म य ए शयाई घुमंतू जनजा तय और
अ य मज र रहते थे।
जनजा तय ने वतमान कजा क तान के े पर आ मण कया जसके नवासी
सी थयन थे।
करीमनगर और नलग डा जल से ह थयार दरांती तराजू क छड़ और अ य उपकरण
क खुदाई क गई।
इसने सी थयन को बै या और पा थया क ओर बढ़ने के लए ो सा हत
कया। पा थयन राजा को परा जत करने के बाद वे भारत क ओर बढ़े । सी थयन
सा ह य म अठारह कार के ग का उ लेख कया गया था। ग ् स
जो भारत चले गए उ ह इंडो सी थयन के प म जाना जाता है।
अथ व ा म एक मह वपूण सं ा बन गई।
Ikshvaku Dynasty
Ikshvakus were the successors of Satavahanas in the Deccan उनके सबसे श शाली राजा दामन थम ने नमदा के उ र म सातवाहन
के व तार का वरोध कया था।
region.
उ ह ने पूव कृ णा गुंटूर े म अपनी राजधानी वजयपुरी आं दे श म आधु नक
उ ह ने शु सं कृ त म पहला लंबा शलालेख जारी कया जसे जूनागढ़ शलालेख
नागाजुनक डा से तीसरी और चौथी शता द ई वी के दौरान शासन कया।
के प म जाना जाता है।
वह शु म बै या का राजा था। उसका सा ा य प म म काबुल नद घाट से पूव म उ ह ने इंडो यूना नय शक और पा थयन को व ा पत कर त शला और
रावी नद तक और उ र म वात घाट से अराको सया अफगा न तान म हेलमंड तक पेशावर म अपना रा य ा पत कया।
फै ला आ था।
कु षाण ने और व तार कया और बाद म पूरे पंज ाब के मैदान और प मी गंगा के
इंडो ीक राजा ने स के ढाले और ये स के उनके संबं धत रा य के इ तहास को मैदान को नयं त कया।
समझने म मदद करते ह। उनके कु छ राजा जैसे मेनडर बौ बन गए सर ने इस युग से बड़ी सं या म मले रोमन सोने के स के उस समय भारत क समृ और
भी भगवान व णु क पूज ा क । रोमन के साथ बढ़ते ापार का संके त दे ते ह।
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उसने स क के ान पर ताँबे के स के ढाले। उसके शासन काल म ढाले गए कसी वशेष धम या दे वता शासक के त अपनी गत संब ता के बावजूद उ ह ने कभी
स क म रोमन भाव दे ख ा जा सकता है। भी उस वशेष धम को राजक य धम नह बनाया।
मौय र शासन रोमन मु य प से भारत से मसाल का आयात करते थे ले कन साथ ही मलमल मोती
आभूषण और क मती प र का नयात भी करते थे। कु छ उ पाद चीन से भी भारत लाए गए
शक भारत म सरकार क प णाली क शु आत करने वाले पहले
और बाद म रोमन सा ा य के पूव ह से म नयात कए गए।
थे । इस णाली क मु य वशेषता महा प राजा और प युवराज
का संयु शासन था।
कला श प और ापार के वकास के प रणाम व प वै य और शू ारा सीसा पोट न या तांबे से बने स क का उपयोग करके दन त दन के लेन दे न कए जाते थे।
प रव तत सामा जक त ा त ई। कु षाण ने ताँबे के स के भी जारी कए थे।
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भारत म पहली और सरी शता द ई वी के दौरान बु क छ व उभरी। यह नागसेन ारा म लदप हो म उनके और राजा मेनडर के बीच संवाद शा मल थे।
पहली बार था जब प र पर कसी ई र जैसी रचना को उके रा गया और उसक
पूज ा शु क गई। भास ने व वासवद रावणबाध और उ भंगा स हत तेरह
नाटक लखे ।
मथुरा म कलाकार के एक अ य समूह ने एक नई शैली का नमाण कया जो ीक
मॉडल से अलग थी। यह बाद म मथुरा कला व ालय बन गया।
मौय र काल म व ान और ौ ो गक
मौय र काल म धातु व ान के े म
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
गु त का युग
ोत क ा VI पुराना एनसीईआरट अ याय गु त क आयु क ा यारहव पुराना एनसीईआरट अ याय गु त सा ा य का उदय और वकास
अ याय गु त युग म जीवन
यू मज़मा टक सा य
गु त क उ प के बारे म जानकारी का अभाव है। यह न त है क गु त वंश के
धनी प रवार और भावशाली ज़म दार थे ज ह ने धीरे धीरे मगध पर अ धकार गु त स के वशेष प से चं गु त थम के कु मारदे वी कार के स के गु त काल क
कर लया। सां कृ तक धा मक और राजनी तक तय क ब मू य जानकारी दे ते ह।
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Samudragupta AD च गु त तीय ई.
चं गु त थम का उ रा धकारी उसका पु समु गु त था जसने वशाखाद के दे वीचं गु तम हम बताते ह क चं गु त तीय ने अपने भाई रामगु त
अपने सा ा य का अ य धक व तार कया। को हटा दया और मार डाला और सहासन पर चढ़ गया।
इलाहाबाद तंभ शलालेख उनक उपल य का वणन करता है।
इस अ भलेख क रचना समु गु त के दरबार के क व ह रषेण ने क थी। यह मूल गु त सा ा य चं गु त तीय के शासनकाल के दौरान े ीय व तार के मामले
प से एक तंभ था जस पर स ाट अशोक ने एक शलालेख खुदवाया था। म अपनी ऊं चाई पर प ंच गया।
उसने वैवा हक गठबंधन और वजय ारा सा ा य क सीमा का व तार कया।
उ ह ने अपनी पु ी भावती का ववाह वाकाटक राजकु मार सेन तीय के
समु गु त को भारत के नेपो लयन के प म जाना जाता था य क वह अपने पूरे साथ कया।
राजनी तक जीवन म अपरा जत था। उसने प मी मालवा और गुज रात पर वजय ा त क जो लगभग चार शता दय तक
समु गु त न के वल एक वजेता था ब क वह एक क व और संगीतकार भी था। शक के शासन म रहा था। वजय ने चं गु त को ापार और वा ण य के
उनके एक स के म उ ह वीणा बजाते ए दखाया गया है। लए स प मी समु तट दया।
भारत के बाहर सा ा य
उ ह ने नालंदा व व ालय क न व भी रखी।
समु गु त क त ा और भाव भारत के बाहर भी फै ल गया।
बलसाड़ा अ भलेख से उसके रा यकाल के आर होने क जानकारी मलती है।
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सा ा य को वभाग भु य म वभा जत कया गया था और येक भु को श ा वभाग के वनय तसं ापक मुख
शहर के मुख ानीय त व क सहम त के बना कोई भू म लेनदे न लागू नह उपज के एक चौथाई से लेक र छठे ह से तक अलग अलग कर वसूल कए।
हो सकता था।
जब भी शाही सेना ामीण इलाक से गुज रती थी ानीय लोग को उसे खाना
खलाना पड़ता था।
नगरीय शासन म संग ठत ावसा यक नकाय को पया त ह सा दया गया। कारीगर
ापा रय और शा य ने एक ही कॉप रेट नकाय म सेवा क । ामीण े म ूट पर तैनात शाही अ धका रय के भरण पोषण के लए कसान
को पशु खा ा फन चर आ द क आपू त करनी पड़ती थी।
आम संगठन कारीगर और बकर को उनके अपने अलग संघ म संग ठत कया म य और प मी भारत म ामीण को शाही सेना और अ धका रय क सेवा के लए
गया था। व नामक बेगार के अधीन भी कया जाता था।
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सामा जक जीवन धम बौ धम
फा हयान के वृ ांत से गु तकाल के सामा जक जीवन क जानकारी मलती है। को अब शाही संर ण नह मला और गु त युग के दौरान ह धम एक
श शाली धम बन गया। हालाँ क ह श द का इ तेमाल अरब ारा
उ ह ने बताया क मगध शहर से भरा आ था और इसके अमीर लोग बौ धम का पालन बाद के समय तक नह कया गया था जब उ ह ने हद के लोग यानी भारत को
करते थे और पया त मा ा म दान दे ते थे। संद भत कया था।
ई वी तक भारत पूव रोमन सा ा य के साथ कु छ ापार करता था जसम वह ह शव श और व णु के उपासक थे। भगवान व णु भ के दे वता के प म उभरे और
रेशम का नयात करता था। उ ह वण व ा के र क के पम तुत कया जाने लगा। व णु पुराण नामक एक पूरा पुराण
भगवान व णु के स मान म संक लत कया गया था। व णु मृ त नामक एक कानून पु तक का
गु त काल का हड़ताली वकास ानीय कसान क क मत पर पुरो हत जम दार का उदय था।
नाम भी उनके नाम पर रखा गया था।
i बड़ी सं या म वदे शय को भारतीय समाज म आ मसात कर लया गया और वदे शय के यह माना जाता था क व णु कभी कभी मनु य को अ ा जीवन जीने म मदद करने के लए पृ वी
येक समूह को एक नई तरह क ह जा त माना गया।
पर आते ह और इसे अवतार या अवतार कहा जाता है।
ii एक और कारण कई आ दवा सय का समावेश था कई पुरानी पु तक जैसे रामायण महाभारत और कु छ पुराण इस समय संक लत कए गए थे ।
भू म अनुदान के मा यम से लोग ा णवाद समाज म आ गए। अब उ ह धा मक ंथ के प म माना जाता है।
इस काल म शू और म हला क त म कु छ मायन म सुधार आ। उ ह अब महाका गु त राजा ने अ मेध जैसे धा मक ब लदान कए ले कन ये धा मक ब लदान वै दक काल
और पुराण को सुनने क अनुम त द गई थी। वे कृ ण नामक एक नए भगवान क भी पूज ा कर क तरह बार बार नह होते थे।
सकते थे।
कु छ गु त राजा वनाश के दे वता शव के उपासक थे। गु त युग के बाद के चरण म वे मुख दे वता
इस अव ध के दौरान अछू त क सं या म वृ ई वशेषकर चांडाल क । फा हयान ने बन गए।
बताया क चांडाल गाँव के बाहर रहते थे और मांस और म य पालन करते थे।
ापार
पहले के समय म ापार म वृ के साथ क ब का वकास आ और वे समृ गु त राजा ने व भ धा मक सं दाय के त स ह णुता क नी त का पालन कया।
ए। गु त काल के पूव भाग म यह समृ जारी रही। बौ और जैन धम के अनुया यय के उ पीड़न का कोई उदाहरण नह मलता।
जैसे जैसे ापार बढ़ा समु या ा और जहाज नमाण के ान म भी सुधार आ। कला और वा तुक ला
पहले क तुलना म बड़े जहाज का नमाण कया गया और कई और जहाज पूव और प मी तट समु गु त और चं गु त तीय दोन ही कला और सा ह य के संर क थे।
के बंदरगाह म भीड़ गए।
भारतीय सामान म का अरब ईरान और भूम यसागरीय भू म पर ले जाया गया। धम के ारं भक मं दर ब त साधारण होते थे जसम एक कमरा होता था जहाँ भगवान क छ व रखी जाती
ापा रय और मशन रय के कारवां ने भी भू म पर म य ए शया और चीन क या ा क ।
थी।
इस कमरे के वेश ार को मू तय से सजाया गया था।
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धीरे धीरे कमर क सं या एक से बढ़कर दो तीन चार और कई और हो गई। दे वगढ़ च क सा के े म तीन महान च क सक चरक वा भ और सु ुत इसी
झांसी जला म भारत म एक ाचीनतम ह मं दर का एक उदाहरण है। काल के थे।
सा ह य
गु त काल धम नरपे सा ह य के नमाण के लए उ लेख नीय है। इस अव ध म भास मालवा के यशोधमन ने गु त के अ धकार को सफलतापूवक चुनौती द और ई वी
ारा नाटक लखे गए उनम से सबसे स उ भंगा था। म लगभग पूरे उ री भारत पर अपनी वजय के उपल य म वजय के तंभ ा पत
कए।
का लदास संपूण अ भ ानशाकुं तलम जसे नया के सव े सौ सा ह यक
काय म से एक माना जाता है। उ ह ने मेघ तम और रघुवंशम भी लखे । उ र बंगाल म गु त राजा ारा नयु रा यपाल और समता या द ण पूव बंगाल म
उनके सामंत वतं हो गए।
गु त राजा ने परमे र महाराजा धराज और परमभ ारक जैसी उपा धयाँ धारण क ।
महान ग णत आयभ ई वी म लखी गई अपनी पु तक आयभट य राजशाही वंशानुगत थी ले कन ये ा धकार पहले ब े को संप ा त होती है क
म खगोल व ान क अ धक मूलभूत सम या को बताने वाले पहले खगोलशा ी ढ़ था के अभाव म शाही श सी मत थी। सा ा य म धीरे धीरे सामंतवाद का
थे। वकास आ।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
गु तो र युग
छठ शता द ई वी म गु त सा ा य के वघटन के साथ उ री भारत धीरे धीरे छोटे इस वंश का थम शासक भाकरवधन था।
रा य म वभा जत हो गया जो लगातार एक सरे से लड़ रहे थे। उ ह ने परमभ ारक और महाराजा धराज क उपा ध धारण क । हषच रत म
उ ह तापशीला के प म जाना जाता था हषवधन इसी वंश के थे।
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राजा।
I लोग क पोशाक एक े से सरे े म भ होती थी।
ii सरा व ान के लए। iii तीसरा
उ ह ने भारतीय को सरल वन और ईमानदार बताया।
अ धका रय और लोक सेवक क बंदोब ती के लए। भारतीय भी साफ सफाई के त वशेष प से सजग थे।
iv धा मक उ े य के लए चौथा।
हष के अधीन समाज
रा य के मं ी और उ पद के अ धकारी भू म से संप थे। ऐसा लगता है क हष
धनी ा ण को भू म से अ धक राज व ा त होता था। ऐसे अनुदान अ हार या
के तहत अ धका रय को पुर कृ त करने और भू म अनुदान दे ने क सामंती था शु हो
दे य अनुदान कहलाते थे।
गई थी।
हालां क वह रपोट करता है क कानून के अनुसार अपराध के लए कड़ी सजा द गई थी शू सबसे गरीब थे य क उनम से यादातर या तो कसान या कसान थे।
और डाकू का दा हना हाथ काट दया गया था।
शू के अलावा अछू त भी थे जो समाज म नीच समझे जाने
वाले काय को करते रहे।
हष क धा मक नी त हष ने स ह णु धा मक नी त
का पालन कया। अपने ारं भक वष म एक शैव वह धीरे धीरे बौ धम का एक महान
संर क बन गया। हष के अधीन अथ व ा
राज व पर राजा का सीधा नयं ण नह होता था। इस काल म भू राज व
वह येक वष म याग म सभा आयो जत करता था जसम सभी सहायक राजकु मार अनुदान ारा वेतन दे ने क व ा म वृ ई।
मं य रईस आ द ने भाग लया था।
जैसे जैसे अनुदान ा त करने वाल क सं या बढ़ती गई अ धक से अ धक
चीनी तीथया ी के काल म बौ पंथ म बंटे ए थे। सबसे स क नालंदा था भू म कसान के हाथ म ह तांत रत होती गई
जसम बौ भ ु के लए एक महान बौ व व ालय था। ऐसा कहा जाता अनुदान ाही।
है क इसम से अ धक छा भ ु और व ान थे। अ धकारी अब राजा पर कम नभर थे।
जनके पास भू म के बड़े अनुदान थे वे अ सर वतं शासक क तरह वहार
करते थे।
नालंदा के मठ को गांव के राज व से सहायता मलती थी। नालंदा हषवधन के राज व सामंती अ धका रय ारा एक कया जा रहा था और इसे सामंत
समय म एक वशाल मठवासी त ान बन गया। और राजा के बीच वभा जत कया गया था।
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राजा क जीवनी भी लखी गई जैसे क ब हण का व मांत दे व च रत। काम प वंश के शासक सू से ात होता है
क हण का क मीर का उ लेख नीय इ तहास जसे राजतरं गणी कहा जाता है
क काम प पर तेरह राजा का शासन था पु यवमा उसका शासनकाल
व शता द म लखा गया था।
ई वी के बीच था।
उ री भारत म कृ ण क पूज ा बढ़ गई थी और राधा और कृ ण के ेम क कहानी
वह लगभग ई वी म राजवंश का पहला राजा बना। नालंदा मुहर पु यवमा
ब त लोक य थी। इस वधा पर कई क वताएँ लखी ग और जयदे व का गीत गो वद
को ा यो तष का वामी कहता है और उसे महाराजा धराज क उपा ध दे ता है।
इनम से एक था।
प मी भारत म मराठ और गुज राती के ारं भक प और पूव भारत म बंगाली गणप तवमा उसका शासनकाल ई. के बीच था।
बोली जाती थी। महे वमा का शासन काल ई. के बीच रहा।
नारायणवमा उसका शासनकाल ई. के बीच था।
Harsha was a literary figure. He wrote three plays namely नारायणवमा और उनके पूववत ने दो अ मेध य कए जससे पता चलता है क वे
Nagananda Ratnavali and Priyadarsika in Sanskrit. छठ शता द के पूवा म गु त सा ा य से वतं हो गए ह गे।
पूव म स यता का सार भू तवमा उसका शासनकाल ई. के बीच था। उ ह महाभू तवमा के नाम से भी
भारत काम प सा ा य जाना जाता है। उसके अधीन काम प एक श शाली रा य बन गया।
इसम पूरी पु घाट और सलहट शा मल थी और प म म करतोया नद तक फै ली ई
पूव भारत म काम प फलने फू लने वाला मुख रा य था। असम के आधु नक रा य थी जो लंबे समय तक काम प क पारंप रक सीमा बनी रही।
को ाचीन काल म काम प और ा यो तष कहा जाता था।
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Dharampala AD
नालंदा के बौ मठ पर भा करवमा भा करवमा के भाव पर े न सांग वह गोपाल का पु और उ रा धकारी था उसने रा य का व तार कया और
बौ धम का अनुयायी था।
का लेख ा जोखा भी े न सांग के खाते से मा णत होता है। वह बताते ह क
राजा भा करवमा ने चीन के महान तीथया ी को उनके पास भेज ने के लए
नालंदा मठ के मुख सलभ के पास एक त भेज ा था। उ ह ने भागलपुर बहार म व म शला व व ालय क ापना
क।
तहार और रा कू ट के साथ उसके लगातार यु ए।
े न सांग क कहानी से पता चलता है क भा करवमा का उ री बंगाल पर नयं ण था
और बहार म नालंदा पर भी कु छ भाव था।
Devapala AD
पाल वंश
बंगाल ांत से ई वी तक हष क मृ यु के बाद आंत रक वकार अराजकता नारायणपाल के बाद रा यापाल गोपाल तीय और व हपाल तीय जैसे
और म के अधीन था जसे म य याय कमजोर को मजबूत भ म करने का नयम कमजोर शासक आए।
कहा जाता है।
म हपाल थम ई.
इसने लोग ारा एक ां त को ज म दया जसम बंगाल के मुख पु ष ारा पाल वंश वह व हपाल तीय का पु था। वह ई. म ग पर बैठा। राज चोल ने
के पहले राजा ानीय मुख गोपाल को हत चुना गया था। अपने रा य पर आ मण कया और म हपाल थम को हराया। राज चोल के
त मलाई शलालेख म उ र म उनक वजय का ववरण दज है।
गोपाल ई.
वह वा यत नाम के एक यो ा के पु और पाल वंश के सं ापक थे। उसने लगभग पूरे बंगाल हालाँ क आ मण से बंगाल पर चोल आ धप य क ापना नह ई।
पर अपना अ धकार जमा लया। वह एक उ साही बौ थे।
कै वत का व ोह उसके काल म आ था।
According to Tibetan Lama Taranatha Gopala built the celebrated उनक मृ यु के बाद आंत रक संघष और बाहरी आ मण के कारण पाल
monastery at Odantapuri modern Bihar sharif Bihar . श का पतन हो गया।
Ramapala AD
अपने रा यारोहण के तुरंत बाद धमपाल उस समय क दो मु य श य अथात तहार
और रा कू ट के साथ संघष म शा मल हो गया। वह प ीय संघष म शा मल लोग म रामपाल ने कै वत के खलाफ अ भयान चलाया उ ह दबा दया और उनके
से एक थे अ य तहार वंश के व सराज और रा कू ट वंश के ुव थे । मुख को पकड़ लया। सं याकर नंद क पु तक रामच रत म उनका उ लेख
है जो रामपाल क जीवनी है।
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कु मारपाल गोपाल तृतीय और मदनप ले ने उनका उ रा धकारी बनाया जो गुज र तहार वंश का पतन व शता द क शु आत गुज र तहार म
सभी कमजोर शासक थे। इस कार व शता द के म य तक पाल श धू मल हो
कमजोरी लेक र आई। ई वी म गुज र तहार राजा भोज तीय
चुक थी।
को एक पाल राजा म हपाल थम ारा उखाड़ फका गया था। सामंत ने तहार
Gurjara Pratihara Dynasty क अ ायी कमजोरी का फायदा उठाया और अपनी वतं ता क घोषणा क ।
व सराज उसने
दं ती ग ई.
क ौज पर क जा कर लया और बंगाल के पलास के साथ सीधे संघष म आ गया।
दं त ग रा कू ट वंश का सं ापक था। उसने गुज र को परा जत कर उनसे
उसने पाल वंश के धमपाल को परा जत कया। ई. म रा कू ट राजा ुव ने उसे परा जत मालवा पर अ धकार कर लया।
कया। ई. म उसक मृ यु हो गई।
फर उसने क तवमन तीय को हराकर चालु य सा ा य पर क जा
कर लया। इस कार रा कू ट द कन म एक सव प र श बन गए।
Nagabhatta II
Nagabhatta II was initially defeated by Rashtrakuta king Govinda
कृ ण थम ई.
III but later recovered and captured Kannauj.
नागभ तीय गुज र तहार का सबसे मह वपूण और श शाली शासक था। उनके उ रा धकारी कृ ण थम भी एक महान वजेता थे।
उसने गंगा और वगी के पूव चालु य को हराया।
उह ई वी म सोमनाथ मं दर के पुन नमाण के लए जाना जाता है जसे ई वी म
जुनायद क अरब सेना ने न कर दया था। यह लाल बलुआ प र क एक बड़ी संरचना उ ह ने एलोरा म शानदार रॉक कट मोनो ल थक कै लाश मं दर का
थी जसे म गजनी के महमूद ारा फर से न कर दया गया था। नमाण कया। उनके पु ुव ने उनका उ रा धकार कया ज ह ने ई वी
तक शासन कया।
गो वदा तृतीय ई.
Mihir Bhoja
इस वंश का अगला मह वपूण राजा गो वदा तृतीय था। उसने उ र
इस राजवंश के अगले मह वपूण राजा म हर भोज थे ज ह ने ई वी तक शासन कया भारतीय रा य पर वजय ा त क ।
और आ दवराह क उपा ध धारण क ।
म हर भोज महान सा ा य नमाता म से एक थे ज ह ने कु छ शु आती हार के बाद He successfully obtained the submission of Gurjara
आधु नक राज ान गुज रात और म य दे श के े पर वजय ा त क । उनके ारा Pratihara Nagabhatta II Dharmapala of Pala Empire and
न मत वा लयर कले म तेली मं दर। other small principalities in Kannauj.
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अपने शासनकाल के दौरान उ ह ने राजधानी कांची स हत हालाँ क काय का संदभ मौय काल से ही उपल है ऐसा तीत होता है क सातव शता द
ट डमंडलम े को अपने अ धकार म रखा। उसक मृ यु के बाद रा कू ट तक उ ह अलग जा त के प म माना जाने लगा।
क श का ास आ।
इस अव ध के मृ त अ धका रय ने पुराने ववाह नयम का पालन कया। सा ह य
पुन ववाह के बारे म नए वचार और था को भी दशाता है। पुनभु और द दशु जैसे श द
का अथ पुन ववा हत म हला का अ सर सा ह य म उ लेख कया गया है।
क ौज और प ीय संघष प ीय संघष जो लगभग
एक शता द तक जारी रहा उस समय के तीन मह वपूण राजवंश
के बीच संघष को संद भत करता है अथात् उ ैन मंदसौर के
गुज र तहार बंगाल के पलास और कनाटक के म हला के वरासत म संप के अ धकार को अ धका रय ने वीकार कर लया। वधवा अपने
न संतान मृत प त क पूरी संप म उ रा धकारी होने क हकदार थी।
मा यखेत के रा कू ट। .
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जैन दोन धम ने शैववाद और वै णववाद गु त काल के बाद क कला और वा तुक ला गु त काल के बाद का युग कला और वा तुक ला
इस अव ध के दौरान कई जैन बसा दयाँ मं दर और महा तंभ तंभ व भ कु छ अ े उदाहरण हले बडु म होयसले र मं दर ह जो हालां क अधूरा है इसक
भाग म ा पत कए गए थे। इस दौरान वणबेलगोला म वशाल तमा ा पत संरचना मक और इसक सजावट वशेषता दोन म कसी भी भारतीय मं दर से नायाब
क गई थी। है।
तां कवाद एक अ य सं दाय है जो इस समय के दौरान लोक य आ। इसक द ण म मु खड़े मं दर के अलावा मं दर को भी ठोस च ान से काटकर बनाया
उप छठ शता द म ई थी ले कन आठव शता द के बाद यह और गया है। रा कू ट वंश के कृ ण थम के शासनकाल के दौरान खुदाई म नकले एलोरा के
अ धक श शाली हो गया। यह उ र पूव भारत म सबसे मजबूत था और कै लाश मं दर को वा तुक ला का चम कार माना जाता है।
त बत के साथ इसका घ न संबंध था।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
द ण भारत का इ तहास
ाचीनतम त मल कृ तयाँ
पौरा णक प से पहला संगम म रै म माना जाता है जसम दे वता और पौरा णक संत
Tolkappiyam यह Tolkappiyar ऋ ष अग य के श य म से एक ारा
ने भाग लया था। इस संगम क कोई सा ह यक कृ त उपल नह है।
लखा गया सबसे पुराना च लत त मल ाकरण है । यह तीन मुख भाग म
वभा जत है येक म नौ इयाल उप भाग होते ह और इसम कु ल सू
सरा संगम कपाटपुरम म आयो जत कया गया था और इस संगम के दौरान एकमा पाठ होते ह।
जो बच गया था वह तोलक पयम था।
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. न रनाई म ेम पर लघु क वताएँ ह। लोग व भ कार के म के बतन का उपयोग करते थे ले कन काले और लाल बतन
. कु ं तोगई म ेम क वताएँ ह। उनम लोक य थे।
. पुराणानु क शंसा म क वताएँ ह शव के साथ क म सामान दफनाने क था इस व ास पर आधा रत थी क मृतक
राजा । नंद और मौय का उ लेख एक क वता म कया गया है। को अगली नया म इन सभी क आव यकता होगी।
महाका महाका
सल पा दकारम वे पायल और म णमे कलई ईसाई युग क ारं भक शता दय तीन ारं भक सा ा य
के ह।
कृ णा नद के द ण म त भारतीय ाय प के द णी छोर को तीन रा य म
वभा जत कया गया था जैसे पां ा चोल और चेरा या के रल।
सल पा दकारम यह सरी शता द ई वी म इलंगो आ दगल महान चोल राजा
क रकाल के पोते ारा लखा गया था। यह एक ापारी पुहार के कोवलन क
पां का उ लेख सबसे पहले मेग नीज ने कया था ज ह ने कहा था क
एक खद कहानी है जसे अपनी प नी क गी क उपे ा करते ए एक नतक माधवी
उनका रा य मो तय के लए स था। उ ह ने यह भी उ लेख
से यार हो जाता है। अंत म क गी पां डयन राजा से अपने प त क मृ यु का
कया क यह एक ारा शा सत कया जा रहा है
बदला लेती है और दे वी बन जाती है। म हला।
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चोल सा ा य चोल सा ा य चेर का मह व रोमन के साथ ापार करने के कारण था। रोमन ने अपने हत
क र ा के लए चेरा दे श म ांगानोर के समान मु ज रस म दो रे जमट ा पत क ।
को चोलमंडलम या कोरोमंडल कहा जाता था। यह पे ार और वेलूर न दय के बीच
पां के े के उ र पूव भाग म त था।
सरी शता द ईसा पूव के म य म एलारा नाम के एक चोल राजा ने ीलंक ा पर वजय
संगम काय सल पा टकाराम के अनुसार उसने उ र पर आ मण कया और
ा त क और लगभग वष तक उस पर शासन कया।
गंगा को पार कया।
मुंबई गोदावरी नद
तीन रा य का सामा जक जीवन
कर ने राजा को न के वल एक पेशेवर सेना बनाए रखने म ब क क वय
हैदराबाद तशोध
बंगाल क खाड़ी और पुज ा रय को भुगतान करने म भी स म बनाया जो मु य प से पुज ारी वग थे।
Nagarjunkanda
नेतृ व करना
बादामी गुंटूर
संगम युग म ा ण सव थम त मल भू म म कट ए। कई ा ण ने दरबारी क वय
प कल
Lakshadwep India
आपक उं ग लय पर
हद महासागर
कए गए थे।
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कृ ष काय सामा यत न नतम वग कडाइ सयार क म हला ारा कए जाते थे चालु य क सेना म एक छोट ायी सेना शा मल थी ले कन ज रत पड़ने
जनक त दास से भी न न तीत होती है। पर नाग रक शासन क दे ख भाल करती थी। उ ह ने श ा और श ा को संर ण
दया। उ ह ने सं कृ त और ाकृ त दोन भाषा को बढ़ावा दया।
नन ेण ी के कारीगर थे ज ह पुलायन कहा जाता था जो र सी चारपाई बनाते थे
और जानवर क खाल को चटाइय के प म इ तेमाल करते थे। समाज म कई
ब ह कृ त और वन जनजा तयाँ भी मौजूद थ । गंगाराज वनीता एक स चालु य सामंत ने ाकरण पर एक स पु तक
लखी जसे शबवतार के नाम से जाना जाता है। उ ह ने गुण ा ारा ल खत
बृह कथा का सं कृ त म अनुवाद भी कया।
तीन रा य का धा मक जीवन
ा णवाद भाव त मल े के एक छोटे से ह से तक और त मल समाज के के वल उदयदे व ने जैने ाकरण नामक एक ाकरण ंथ क रचना क ।
ऊपरी तर तक ही सी मत था। वजयने र ने मता रा क रचना क ।
लोग ारा पूज े जाने वाले मु य ानीय दे वता मु गन थे ज ह सु म य भी कहा हालाँ क चालु य ा ण ह थे ले कन उ ह ने अ य धम को भी बढ़ावा दया।
जाता था। ंथ म भी व णु क पूज ा का उ लेख मलता है। उदाहरण के लए जैन धम ने उनके अधीन ब त ग त क ।
लोग ने मृतक को धान अ पत कया। दाह सं कार शु कया गया था ले कन चालु य ने संरचना मक मं दर के नमाण म डे कन या वेसर शैली का वकास कया।
महापाषाण चरण क दफन था को नह छोड़ा गया था। मं दर नमाण को दो चरण म वभा जत कया जा सकता है।
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व से व शता द ई वी तक के ाय पीय भारत के राजनी तक इ तहास म मु य च चोल के लए रा कू ट के खलाफ अपनी त का बचाव करना क ठन था। यह
कांची के प लव और बादामी के चालु य के वच व के लए लंबे संघष के दौर म क त है। चोल के लए एक गंभीर झटका था ले कन वे तेज ी से उबर गए वशेष प से
ई वी म कृ ण तृतीय क मृ यु और रा कू ट सा ा य के पतन के बाद।
प लव े पर पुलके शन का सरा आ मण वफल रहा। प लव राजा नर सहवमन राजराजा कनाटक म प मी गंगा सा ा य के उ र प मी भाग पर क जा कर
ई वी ने लगभग ई वी म वातापी म चालु य राजधानी पर क जा कर लया और वगी पर क जा कर लया।
लया था जब पुलके शन तीय संभवतः प लव के खलाफ लड़ाई म मारा गया था।
नर सहवमन ने वातापी क डा या वातापी के वजेता क उपा ध धारण क ।
राजे थम ई.
सहासन पर बैठने से पहले राज को शासन और यु म काफ
अनुभव था। उ ह ने पां और चेर दे श पर पूरी तरह से क जा करके राजराजा क
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इस अवसर को मनाने के लए राज थम ने गंगईक डचोला गंगा पर वजय ा त चोल रा य को चार मंडलम या ांत म वभा जत कया गया था। कभी कभी शाही
करने वाले चोल क उपा ध धारण क । प रवार के राजकु मार को ांत का रा यपाल नयु कया जाता था। अ धका रय
को आम तौर पर उ ह राज व वाली भू म का काम दे क र भुगतान कया जाता था।
शाही चोल के तहत शासन चोल शासक ने द ण भारत म शासन क इन सद य को हर तीन साल म सेवा नवृ होना पड़ता था।
एक अ य धक कु शल णाली ा पत क । इस अव ध को महान े ीय व तार के उर म एक साधारण गाँव के सभी करदाता नवासी शा मल थे। अलंगन ार उर क
लए च त कया गया था। कायकारी स म त और शासक समूह था। उर सभी वय क पु ष के लए खुला था ले कन
गांव के पुराने सद य का भु व था।
ांतीय शासन
चोल रा य म क य नयं ण के े और व भ कार के ानीय नयं ण के तहत उर क कायका रणी स म त के सद य को शशक गण या गणम कहा जाता था। स म त
श थल शा सत े शा मल थे। के सद य क सही सं या या उनके चुनाव के लए अपनाई गई या क जानकारी नह
है।
शासन क मूल इकाई नाडु थी जसम कई गाँव शा मल थे जनम घ न संबंध और
अ य घ न संबंध थे। ा ण और मं दर के अ धका रय को अनुदान म वृ ई जससे कानून और व ा याय आ द के रखरखाव के लए भू राज व के मू यांक न
खेती के व तार म मदद मली। चोल सा ा य म नाडु को वलनाडस म बांटा गया था । और सं ह म मदद करने के लए अ य स म तयाँ थ । मह वपूण स म तय म
से एक टक स म त थी जो खेत म पानी के वतरण क दे ख भाल करती थी।
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शाही चोल के अधीन श ा कै लाशनाथ मं दर और सात पैगोडा क खास बात यह है क इ ह ठोस च ान से तराश
गाँव क सभा मं दर म अपनी बैठक आयो जत करती थी और ापार पर चचा कभी कर बनाया गया है। उ ह ने महाबलीपुरम का भी नमाण कया जो एक
कभी मं दर क द वार पर दज क जाती थी। लोक य बंदरगाह और कनारे का मं दर था।
अ धकांश धा मक श ाएँ सं कृ त म थ य क वेद जैसे ंथ का ब त गहन चोल शासक ने इन मं दर क द वार पर शलालेख लखवाने क था को
अ ययन कया जाना था। छा ने त मल भी सीखी जो ापक प से बोली जाती अपनाया जससे उनक जीत का ऐ तहा सक वणन मलता है।
थी।
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म यकालीन इ तहास
अ याय
अरब और तुक
भारत म वजय
ोत क ा VI पुराना एनसीईआरट अ याय भारत और व क ा यारहव पुराना एनसीईआरट अ याय संघष का युग
क ा बारहव नई एनसीईआरट अ याय या य क नजर से
तुक कबाइली अपने साथ पूरे भारत म नमम लूटपाट क आदत लेक र आए। मुख आ मण
ाचीन भारत क तुलना म म ययुगीन भारत के बारे म अ धक महमूद गजनवी ने कए थे।
जानकारी उपल है जैसे तांबे क लेट या प र पर शलालेख ।
ग़ज़नवीड् स
कागज पर सा ह यक ोत भी ब त व वध ह य क पु तक क सं या बची ई
महमूद गजनी ई. गजनी अफगा न तान म समानीद शासक के प म सहासन
है।
पर बैठा।
महमूद ने वयं महान ईरानी राजा अफरा सयाब के वंशज होने का दावा कया था। उसने
भारत म अरब अपने शासनकाल म फारसी भाषा और सा ह य को ो सा हत कया।
ई वी म अरब ने मुह मद बन का सम के नेतृ व म प मी भारत म सध
पर वजय ा त क । कहा जाता है क महमूद ने भारत म स ह आ मण कए।
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Sukhpal AD • सुख पाल को महमूद ारा मु तान का गवनर नयु कया गया य क उसने
अल ब नी ने येक अ याय म एक व श संरचना को अपनाया जो एक
इ लाम नवासा शाह को अपना लया था ले कन ज द ही
उसने इ लाम छोड़ दया और एक वतं शासक के प म शासन के साथ शु होता है सं कृ त परंपरा पर आधा रत ववरण के साथ और
करना शु कर दया। • फर से महमूद ने मु तान पर आ मण अ य सं कृ तय के साथ तुलना के साथ समा त होता है।
कया और फतेह दाऊद को फर से मु तान का शासक नयु कया
गया।
अनांडपाला
नमक ेण ी
ई. • आनंदपाल क हार ई और महमूद ने सा ट रज म उसक नई राजधानी नंदना को लूट
लया। उसने अपने नगरकोट नामक कले पर क जा कर लया हमाचल म
भारत म तुक वजय
नगरकोट के साथ मत नह होने के लए । पंज ाब पर गजनवी क वजय के बाद यह लूट का सामा य ल ण बन गया
जसके प रणाम व प भारत क गंगा घाट म छापे पड़े।
क वजय ई. • सोमनाथ हमले का उ े य राजपूत म भय और सदमे क भावना पैदा करना भी था। • शहर का
सोमनाथ कमांडर उसके पास भाग गया
घुर के मुह मद या
शहाबु न मुह मद
प ंच गया ले कन नाग रक ने कड़ा वरोध कया। महमूद ने शव लगम को
तोड़ दया और उसके कु छ ह स को अपने साथ गजनी वापस लाने का आदे श
ई वी म शहाबु न मुह मद ई वी जसे
दया। मुइ ज न मुह मद बन सैम के नाम से भी जाना जाता है गजनी के
सहासन पर चढ़ा।
जाट के खलाफ AD • महमूद ने AD म सध के जाट के खलाफ अपने अं तम मुख अ भयान का
अ भयान नेतृ व कया। • उसने जाट क कॉलो नय को लूटा और
इस बीच उ र भारत म चौहान राजपूत श लगातार बढ़ रही थी। चौहान श के
उनम आग लगा द । उसने पु ष का वध कया और म हला और ब को
व तार ने उ ह े के गौरी शासक के साथ संघष म ला दया और
गुलाम बनाया।
कई भयंक र यु लड़े गए।
• महमूद का यह अं तम आ मण था
ह तान के खलाफ
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ई. मु तान
का व तार आ। तराइन क लड़ाई के बाद मुइ ज न अपने एक भरोसेमंद गुलाम
कमाथी राजवंश
कु तुब उद द न ऐबक के हाथ भारत म मामल को छोड़कर गजनी लौट आया।
ई. गुज रात क लड़ाई Bhima II
Kayadara
ई. पंज ाब खुसरो म लक
ई. म मुइ ज न भारत लौट आया और मुइ ज न और जयचं के बीच
ई. पंज ाब खुसरो म लक फ़रोज़ाबाद के पास चंदावर म लड़ाई ई। इस यु म जयचं एक तीर से मारा गया
और उसक सेना पूरी तरह से हार गई।
ई. तराइन का थम यु Prithviraj Chauhan
ई. चंदावर का यु Jaichand हालाँ क पूव भारत म तुक अ धक सफल थे। खलजी अ धकारी ब तयार
तराइन का थम यु ई सावधानीपूवक तैयारी करते ए ब तयार खलजी ने ना दया क ओर एक सेना के साथ माच
मुइ ज न मुह मद और पृ वीराज चौहान III के बीच संघष तबर हद के त ं दाव कया एक तीथ ल जहां सेन शासक ल मण सेना का शासन था।
ई वी म तराइन क सरी लड़ाई को भारतीय इ तहास म एक मह वपूण मोड़ बंगाल म खोखर व ोह से नपटने के लए ई वी म मुइ ज न मुह मद ने भारत
माना जाता है। म अपने अं तम अ भयान का नेतृ व कया। गजनी लौटते समय एक त ं सं दाय
मुइ ज न मुह मद ने तयो गता के लए सावधानीपूवक तैयारी क थी। से संबं धत एक मु लम क रपंथी ने उसे मार डाला।
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तुक क सफलता का सबसे मह वपूण कारण यह था क उनके पास बेहतर घोड़े थे जो भारत म आया तत घोड़ तुक आ मण ने कई श क को समा त कर दया और तुक के एक क य अ धकार का
क तुलना म तेज और मजबूत थे। नमाण कया। भारत म तुक आ मण के कु छ मह वपूण भाव
थे
भारतीय सामा जक और संगठना मक े म कमजोर थे।
सामंतवाद के वकास ने अथात ानीय जम दार और मुख के उदय ने भारतीय रा य के शासन के य नरंकु श व ा पर आधा रत था।
शास नक ढांचे और सै य संगठन को कमजोर कर दया था।
शहरी अथ व ा का वकास।
भारत म राजपूत शासक के बीच वभाजन और राजपूत सा ा य म क य स ा क कमी भी तुक के कारण ई कानून व ा म वकास याय णाली म इ लामी कानून बताए गए ह।
सफलता।
राज व णाली म एक पता।
राजपूत शासक म उ त सै य कौशल का अभाव था और तुक सेना उ श त थी।
वा ण यक ग त व धय और ापार का वकास।
गत शौय क से तुक म गाजी क भावना भर द गई थी। राजपूत म रणनी तक का इ ा णाली े के वभाजन के लए शु क गई थी।
अभाव था। एक बार भारत के बाहरी े काबुल और लाहौर तुक के हाथ लग गए थे ले कन हद का वकास।
राजपूत ारा उ ह वापस पाने के लए कोई ठोस यास नह कया गया।
तुक वा तुक ला मेहराब गु बद ऊँ चे नगर या मीनार का प रचय।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
द ली स तनत
क ा यारहव पुराना एनसीईआरट अ याय द ली स तनत थम क ा यारहव पुराना एनसीईआरट अ याय द ली स तनत तीय
द ली स तनत के राजवंश ह मामलुक वंश उसने ई वी म अजमेर म अढ़ाई दन का झोपड़ा भी बनवाया था।
ई.
Khilji Dynasty AD ई. म चौगान पोलो खेलते समय घोड़े से गरकर घायल हो जाने से ऐबक क
मृ यु हो गई। उनका मकबरा लाहौर म है।
तुगलक वंश ई.
सै यद वंश ई.
लोद वंश ई. आराम शाह ई.
अराम शाह द ली स तनत के मामलुक वंश का सरा सु तान बना।
. मामलुक वंश ई.
द ली स तनत के शु आती शासक ममलुक थे।
इ तुत मश ारा अलग कए जाने से पहले उसने ऐबक क अ या शत मृ यु के बाद कु छ
उ ह गुलाम राजा के प म भी जाना जाता था य क उनम से कई या तो गुलाम थे या समय के लए सहासन धारण कया।
उनम से कई गुलाम के बेटे थे जो सु तान बन गए थे। इन राजा म से पहला कु तुब उद कु छ इ तहासकार को उसक पहचान पर संदेह था हालां क फ र ता और अल
द न ऐबक था जो मुइ ज न मुह मद गोरी का सेनाप त था। बदाउनी ने लखा है क अराम शाह कु तुब उद द न ऐबक का पु था।
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द ली के तुक मुख ने बदायूं के त कालीन गवनर इ तुत मश को द ली आने का वरोध कया। उसने उसके खलाफ रईस के व ोह का समथन और समथन
कया।
नमं ण दया। इ तुत मश ने आराम शाह को हराया और श सु न के नाम से
सु तान बना। तुक के रईस ने उन पर ी वन ता का उ लंघन करने का आरोप
लगाया और ए ब स नयन रईस याकू त खान जो शाही अ तबल के अधी क
थे के साथ ब त दो ताना वहार कया।
इ तुत मश ने अपनी त मजबूत करने का बीड़ा उठाया।
उसने ई. म तराइन के तीसरे यु म ताज उद द न यल ज को परा जत कया।
ई. म उसने कबाचा को पंज ाब से खदे ड़ दया। लाहौर और सर ह द म व ोह भड़क उठे । र ज़या ने गत प से लाहौर के
खलाफ एक अ भयान का नेतृ व कया और रा यपाल को तुत करने के लए
मजबूर कया। सर हद के रा ते म एक आंत रक व ोह छड़ गया जसम याकू त
ई वी म जब चंगेज खान ने वा र म सा ा य को न कर दया
खान मारा गया और र जया को तबर हद म कै द कर लया गया।
इ तुत मश ने मंगोल के साथ टकराव से बचने क राजनी तक आव यकता को
महसूस कया। जब वा र म के शाह के बेटे जलालु न मंगबरानी ने मंगोल
से भागते समय इ तुत मश के दरबार म शरण मांगी तो इ तुत मश ने उसे र कर दया। इस
कार उसने मंगोल ारा स तनत को वनाश से बचाया। हालाँ क र ज़या ने अपने बंद अ तु नया पर जीत हा सल क और उससे शाद करने
के बाद द ली पर नए सरे से यास कया।
र जया ने बहा री से लड़ाई लड़ी ले कन वह हार गई और एक जंगल म डाकु ारा
मार द गई।
नसी न महमूद ई.
I जब इ तुत मश क मृ यु ई तो स ा का संतुलन बदल गया और सु तान इन अमीर क
कठपुतली बन गया। कु छ वष तक उ ह ने एक के बाद एक सु तान के चयन का नणय ई. म उलुग खान बलबन ने अनुभवहीन और युवा नसी न
लया। समूह को अंततः बलबन ने समा त कर दया। इ तुत मश के पोते को ग पर बठाया और खुद नायब ड ट का पद हण
कया। अपनी त को और मजबूत करने के लए उलुग खान ने अपनी
बेट क शाद नसी न से कर द ।
Raziya Sultan AD
बलबन ई.
र जया सु तान के शासन ने राजशाही और तुक ान ए चहलगानी के बीच स ा
ई वी म बलबन के सहासन पर बैठने तक राजशाही और तुक मुख के बीच
के लए संघष क शु आत को च त कया। रईस एक कठपुतली शासक को
संघष जारी रहा।
सहासन पर बठाना चाहते थे जसे वे नयं त कर सक।
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हालाँ क उनके तरीके अ सर कठोर और अवांछनीय थे ले कन उनके तुक अमीर ने उसके पोते कै बाद को ग पर बैठाया। ज द ही उनका ान उनके बेटे कै मूर
सहासन पर बैठने के साथ मजबूत क कृ त सरकार का युग शु आ। ने ले लया जो तीन महीने से कु छ अ धक समय तक सहासन पर रहे।
उ ह ने आंत रक गड़बड़ी से नपटने और मंगोल को पीछे धके लने के लए एक उ ह ने बलबन के शासनकाल के दौरान अ रज ए मुमा लक यु मं ी के प म काय
मजबूत क कृ त सेना का भी आयोजन कया ज ह ने खुद को पंज ाब म कया। कु छ व ान इस घटना को क वंशवाद ां त कहते ह। इसने गुलाम
अ तरह से ा पत कर लया था और द ली स तनत के लए एक वंश का अंत कया।
गंभीर खतरा पैदा कर दया था।
उसने मंगोल कमांडर हलाकू खान के साथ राजन यक संबंध बनाए रखे। बलबन जलालु न ने स ह णुता क नी त ारा अमीर क स ावना जीतने क को शश क । उ ह ने
पंज ाब के बड़े ह से को मंगोल के नयं ण म छोड़ने के लए तैयार हो गया। कठोर दं ड से परहेज कया यहां तक क उनके खलाफ व ोह करने वाल को भी।
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अलाउ न ने बलबन क ू र शासन क नी तय को पुनज वत करने का अलाउ न चाहता था क े के जम दार को ज ह खुत और मुक म कहा जाता है
नणय लया। उसने अमीर क श य और रा य के मामल म उलेमा के सर के समान ही कर दे ना चा हए। माप के आधार पर रा य ारा भू राज व के य
ह त ेप पर अंकु श लगाया। उ ह ने अपने शासन के ारं भक वष के सं ह क नी त तभी सफल हो सकती थी जब आ मल और अ य ानीय अ धकारी
दौरान उ रा धकार म कु छ व ोह का भी सामना कया। ईमानदार ह । अलाउ न ने जोर दे क र कहा क उनके खात का कड़ाई से ऑ डट कया जाना
चा हए।
Gujarat
के लेख क बरनी के अनुसार मने भेज ा बंगाल
तारीख ए फ़रोज़ शाही अलाउ न ने रा य के व ोह के चार कारण का सोमनाथ
पता लगाया
Devagiri
i जासूसी णाली क अ मता। ii शराब के
उपयोग क सामा य था। iii रईस और अंतर के बीच सामा जक
यादव बंगाल क खाड़ी
सै य अ भयान
ारसमु
अमीर खुसरो • अमीर
भारतीय महासागर
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इलाहाबाद के पास कारा क सीमा का भुगतान सीधे रा य को कया जाएगा यानी े के गांव को
. तुगलक वंश ई.
इ ा म कसी को नह स पा जाएगा।
तुगलक वंश मूल प से तुक भारतीय राजवंश था जसने
स तनत काल के दौरान द ली पर शासन कया था।
काया वयन सु न त करने के लए अलाउ न ने एक अधी क शाहना ए मंडी
नयु कया जसे एक खु फया अ धकारी ारा सहायता दान क गई। अलाउ न को दो
अ य वतं ोत बा रद खु फया अ धकारी और मुं हयान गु त जासूस से बाजार क दै नक यह मु य प से गयासु न तुगलक मुह मद बन तुगलक और फरोज शाह
रपोट मलती थी । तुगलक ारा शा सत था।
खलजी क मुख उपल राजपूताना द कन और द णी रा य म द ली स तनत क सीमा तुगलक वंश का सं ापक गाजी म लक था जो ई. म गयासु न
तुगलक के प म ग पर बैठा। इस राजवंश ने
का व तार करना है। उनके कु छ मुख अ भयान इस कार ह
तक शासन कया। अलाउ न खलजी के शासनकाल म गयासु न
एक मह वपूण ान पर प ंच गया।
अलाउ न खलजी क वजय
रा य अमे रका
दे शी राजा स तनत का नतीजे
कमांडर ई. म गयासु न को बंगाल म अपनी जीत के लए एक काय म म
राय करण नुसरत खान • सोमनाथ और उलूग खान मं दर क लूट • नुसरत ने भाग लेने के दौरान मंच के गरने से कु चल कर मार डाला गया था। कु छ
Gujarat
ई. सोलंक काफू र को खरीदा इ तहासकार का सुझ ाव है यह मुह मद तुगलक था जसने सा जश
रची और अपने पता क ह या कर द ।
Hazar Dinari
म लक काफू र
वारंगल Pratap Rudra • Kohinoor diamond taken मुह मद बन तुगलक अपने युग के सबसे उ लेख नीय शासक म से एक
ई. दे व तीय
र था। अपने धा मक संभोग के दौरान मुह मद ने न के वल मु लम
काकतीय
• राजा भुगतान करने के लए तैयार हो गया रह यवा दय के साथ ब क ह यो गय और जन भा सूरी जैसे जैन
द ली को वा षक ांज ल
संत के साथ भी बातचीत क ।
Dwarasamudra वीर बॉल के साथ म लक काफू र
• राजा भुगतान करने के लए तैयार हो गया
ई. तृतीय होयसला द ली को वा षक ांज ल
म रै वीर पं ा म लक काफू र • चदं बरम म नटराज मं दर क तबाही मुह मद बन तुगलक ने भी बड़ पन म वदे शय का वागत कया
ई.
जनम से कई उसके दरबार म आए।
पं Kanhar म लक • जालौर का कला ज त
ई. दे वा कमाल उद द न
यह कई ढ़वाद धमशा य को पसंद नह आया ज ह ने
Devagiri शंक र दे व म लक काफू र
• दे व गरी को मला लया गया और इसम उन पर तकवाद होने का आरोप लगाया।
ई. शा मल कर लया गया
सुलतान का अ धकार
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इ न बतूता के अनुसार द ली के लोग सु तान को अपश द वाले प लखा करते थे। उ ह बरनी के अनुसार लोग अपने घर म सांके तक मु ा बनाने लगे। हालां क आम आदमी
दं डत करने के लए सु तान ने राजधानी को ानांत रत करने का नणय लया। शाही खजाने ारा जारी तांबे के स के और ानीय प से बनाए गए तांबे के स क के
बीच अंतर करने म वफल रहा।
इसामी का कहना है क दे व गर उ र प म सीमांत से सुर त री पर था और इस कार
मंगोल से सुर त था। इस कार सु तान को सांके तक मु ा वापस लेने के लए मजबूर होना पड़ा।
पूरी आबाद को छोड़ने के लए नह कहा गया था के वल शेख रईस उलेमा वाले उ दोआब संक ट
वग को दौलताबाद म ानांत रत कर दया गया था। शेष आबाद को ानांत रत
करने का कोई यास नह कया गया था। मुह मद बन तुगलक ने दोआब म खेती के व तार और सुधार के लए एक योजना शु क।
े को एक अ धकारी क अ य ता वाले वकास लॉक म वभा जत कया गया था।
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अपने रा या भषेक के बाद फरोज तुगलक के सामने द ली स तनत के आस टू टने ांत के गवनर वतं हो गए और धीरे धीरे द ली के सु तान को व तुतः द ली के
को रोकने क सम या थी। आसपास के एक छोटे से े तक सी मत कर दया गया। सु तान क वसीयत म कहा गया
है क ांड के भगवान का भु व द ली के सु तान क उपा ध होने के नाते
सु तान ने रईस को खुश करने क को शश करने क नी त अपनाई। इस लए उसने द ली से पालम तक फै ला आ है।
द ण भारत और द कन पर अपने अ धकार को फर से ा पत करने का कोई यास
नह कया। उ ह ने बंगाल म दो अ भयान का नेतृ व कया ले कन असफल रहे। इस कार
स तनत ारा बंगाल को खो दया गया था।
नसी न महमूद ई.
फ़रोज़ शाह तुगलक ने संगीत को संर ण दया और अपनी ढ़वा दता के बावजूद
शराब का शौक न था। वह पहला शासक था जसने ह धा मक काय का सं कृ त . सै यद वंश ई.
से फारसी म अनुवाद करने के लए कदम उठाए ता क ह वचार और
सै यद वंश द ली स तनत का चौथा वंश था जो तुगलक वंश के बाद स ा म
था क बेहतर समझ हो सके । उसके शासनकाल म संगीत च क सा और ग णत
आया था। शासक प रवार ने सै यद या पैगंबर मुह मद के वंशज होने का दावा
क कई पु तक का सं कृ त से फारसी म अनुवाद भी कया गया था।
कया।
Khizr Khan AD
फरोज को दे श के आ थक सुधार म गहरी दलच ी थी। उ ह ने म द ली क सेना को हराने के बाद तैमूर ने ख खान को मु तान का
सावज नक नमाण का एक बड़ा वभाग ा पत कया जो उनके भवन शासक नयु कया। ख खान ने सु तान दौलत खान को हराया और द ली पर
नमाण काय म क दे ख रेख करता था। क जा कर लया और सै यद वंश क ापना क । उसने सु तान क उपा ध धारण
नह क थी ले कन राय त आला के साथ सहज था।
फरोज ने कई नहर क मर मत क और खुदवाई। सबसे लंबी नहर लगभग
कलोमीटर क थी जो सतलज नद से हांसी तक जाती थी यमुना से एक और नहर
नकली। तारीख ए मुबारक शाही के लेख क या ा सर हद ने दावा कया क सै यद वंश के
सं ापक पैगंबर के वंशज थे। ख खान राजवंश का सबसे स म सै यद
ये नहर सचाई के उ े य से थ और कु छ नए शहर को पानी उपल कराने के लए भी शासक था।
थ ज ह फरोज ने बनाया था। ये शहर हसार फ़रोज़ा या हसार आधु नक
ह रयाणा म और फ़रोज़ाबाद आधु नक उ र दे श म थे।
मुबारक शाह ई.
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बहलोल लोद ने मेवात और दोआब म व ोह का सफलतापूवक दमन कया। राजकु मार वा र म ने तब इ तुत मश को शरण दे ने के लए कहा
ई. म उसने जौनपुर के सु तान को परा जत कर उसे द ली स तनत म मला लया। ले कन उसने इनकार कर दया य क इ तुत मश चंगेज खान क त ं ता नह
चाहता था।
सकं दर लोद ने गज ए सकं दरी के प म जानी जाने वाली भू म माप क खलजी बलबन के शासनकाल के दौरान उ र प मी सीमा का
एक नई णाली क शु आत क । मुख र क था।
उसने मंगोल के व कई लड़ाइयाँ लड़ और मंगोल के व यु कौशल के
इ ा हम लोद ई. लए स था।
म सकं दर लोद क मृ यु के बाद अफगान रईस ने इ ा हम लोद को सु तान वष म मंगोल सेनाप त अ लाह ने क सेना के साथ
बनने म मदद क । द ली पर आ मण कया। ले कन जलालु न खलजी ने उ ह हरा दया और एक
बहार के दौलत खान और मेवाड़ के राणा सांगा ने भारत पर आ मण करने के लए शां त सं ध पर ह ता र कए जसके कारण मंगोल ने इ लाम कबूल कर
काबुल म बाबर को नमं ण भेज ा। लया और द ली के पास बस गए।
पानीपत के ऐ तहा सक और नणायक थम यु म बाबर ने ई. म सु तान
इ ा हम लोद को परा जत कया। अलाउ न के शासनकाल म मंगोल और उसक सेना के बीच कई लड़ाइयाँ लड़ी
वह द ली का पहला सु तान था जो यु के मैदान म मारा गया था। ग ले कन अलाउ न ने मंगोल को नणायक प से कु चल दया।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
द ली स तनत शासन
अथ व ा समाज और कला
उ री भारत म व शता द ई वी के अंत म द ली स तनत ारा ा पत रा य धीरे धीरे मु लम शासक के बीच उ रा धकार का कोई कानून वक सत नह
एक श शाली और अ य धक क कृ त रा य के प म वक सत आ। आ। इ लामी स ांत शासक के चुनाव के वचार का पालन करता था ले कन
एक सफल शासक के कसी भी बेटे के उ रा धकार को वहार म वीकार
कु छ समय के लए इसने लगभग पूरे दे श को द ण म म रै तक फै लाया। करता था।
खलीफा क के वल एक नै तक त थी। अपनी सव त क घोषणा करके शासन म मुख वजीर होता था। पहले के समय म वज़ीर मु य प से
द ली के सु तान के वल यह घोषणा कर रहे थे क वे इ लामी नया का ह सा ह। सै य नेता थे।
सु तान का कायालय स तनत म सबसे मह वपूण था और सव राजनी तक व शता द ई वी म वज़ीर को राज व मामल का अ धक वशेष माना
सै य और यहां तक क कानूनी अ धकार भी उसी म न हत था। जाने लगा और वह आय और य दोन से संबं धत एक बड़े वभाग क अ य ता
करता था।
वह कानून और याय के रखरखाव के लए भी ज मेदार था। याय दान करने म सु तान
ने मजबूत तरीके से वहार कया। बलबन ने अपने र तेदार या रा य के उ य क छानबीन के लए एक अलग महालेख ापरी क और आय के
अ धका रय को भी नह ब ा। नरी ण के लए एक महालेख ाकार वजीर के अधीन काय करता था ।
मुह मद बन तुगलक ने इसे उन धा मक वग उलेमा पर भी लागू कया ज ह मुह मद बन तुगलक ने राज व वभाग के संगठन पर पूरा यान दया। उसके वजीर
पहले कठोर दं ड से छू ट द गई थी। वाजा जहां का काफ स मान था।
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खान ए जहाँ एक प रव तत तैलंग ा ण जो पछले वज़ीर के ड ट थे को फ़रोज़ शाह वक ल ए दार फरोज शाह तुगलक ने गुलाम का एक अलग वभाग ा पत
तुगलक ने अपने वज़ीर के प म चुना था। कया था जसे वक ल ए दार के नाम से जाना जाता था जसके अधीन कई गुलाम शाही
कायशाला म कायरत थे।
वज़ीर के प म उनके वष के लंबे कायकाल को आम तौर पर वज़ीर के भाव का उ
वॉटरमाक माना जाता है । वह अदालत म उ चत मयादा के रखरखाव के लए भी ज मेदार था और
औपचा रक वागत समारोह म उनके पूवता के उ चत म म रईस को रखता था।
धमाथ बंदोब त।
अमीर ए अखुर शाही घोड़ क कमान संभालने वाला अ धकारी। अमीर ए दाद
सेना द ली स तनत
याय के भारी अ धकारी सरकारी वक ल ।
क सेना क द ता मंगोल आ मण को रोकने के लए मु य कारक थी जब क एक ही
समय म पूरे उ र और द कन पर वजय ा त क । तुक बड़ी सं या म हा थय को भी
सहना ए पल शाही हा थय का अधी क। शकदार एक शक मापने वाली भू म का पालते थे ज ह यु के लए श त कया जाता था।
भारी अ धकारी। अमीर ए मज लस शाही दावत का भारी अ धकारी
स मेलन और यौहार।
I मज लस ए आम या मज लस ए खलवत दो त और अ धका रय व सनीय मं य क
शकार मण के बहाने बलबन ने अपनी सेना को लंबी री तक माच करके अ तरह से
प रषद ने रा य के मह वपूण मामल पर परामश कया। रखा। घुड़सवार सेना म तुक और अफगान का भु व था जसे त त माना जाता
था।
काज़ी उल कज़ात क य या यक वभाग के मुख । काजी कानूनी अ धकारी मु लम
कानून शरीयत पर आधा रत नाग रक कानून । सदर उस सु र धा मक मामल
को दे ख ता था। नायब वजीर उप गजन वय के समय ह घुड़सवार सेना और पैदल सेना दोन म कायरत थे। वे कायरत
मं ी. बने रहे ले कन बाद क अव ध म बड़े पैमाने पर पैदल सेना म।
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कर के कार
इस अव ध के दौरान चीन म भी ब ढ़या भारतीय व पेश कए गए
ज़कात ज रतमंद धा मक कर क मदद करने के लए अ तरह से करने वाले मुसलमान ारा
जहाँ रेशम क तुलना म इसका मू य अ धक था। भारत प म ए शया से उ ेण ी
भुगतान कया जाना है।
के व साटन आ द कांच के बने पदाथ और घोड़ का आयात करता था।
गैर मुसलमान पर ज ज़या कर लगाया जाता था जसके बदले म उ ह जीवन और
संप क सुर ा और सै य सेवा से छू ट ा त होती थी।
चूं क भारत का ापार संतुलन अनुकू ल था इस लए सोना और चांद इन दे श से
भारत आते थे। थल और वदे श दोन म भारत का वदे शी ापार वा तव म
खराज भू म कर मु य प से ह ारा दया जाता था जो भू म क उपज के
एक अंतररा ीय उ म था।
के बराबर था।
खु स यह यु के दौरान ा त लूट का भाग था।
शाही कारखाने जनका ज हम पहले कर चुके ह सु तान क सभी ज रत
अबवाब अ त र कर जैसे हाउस टै स चराई कर आ द। को पूरा करते थे। उ ह ने रेशम सोने और चांद के बतन आ द से बने महंगे लेख
Sharab Irrigation tax. बनाए।
अशरफ मुसलमान ारा धा रत भू म पर सकल उ पादन का वां ह सा।
स तनत काल म उ ोग
भू म के कार स तनत के दौरान व भ उ ोग च लत थे। इसक वशेषता इसम
खलीसा ाउन लड इसे सीधे क सरकार ारा शा सत कया जाता था। इसके अरबी और फारसी त व का संयोजन है। इन उ ोग को व भ े णय म बांटा
गया है
अंतगत दोआब े लाया गया।
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इन उ ोग म हीरे सोना मोती आ द के आभूषण बनते ह। कु छ इ तहासकार इस कार के समाज को सामंती कहते ह हालां क यूरोपीय
सामंतवाद क वशेषताएं जैसे दासता दासता और जागीर भारत म मौजूद नह थ ।
रॉयल इंड ज मुह मद बन तुगलक के शासनकाल म बनाई गई थी और
इसे फरोज शाह तुगलक के शासनकाल म वक सत कया गया था। इस काल म दास था भी व मान थी। यु के कै द दे नदार जो अपने ह से का भुगतान
करने म असमथ थे उ ह गुलामी म बेचा जा सकता था।
कपड़ा उ ोग
अकाल के दौरान कई कसान ने खुद को या अपनी प नी और ब को खाने के लए बेच
स तनत काल के दौरान चौकला के आ व कार ने कपड़ा उ ोग को बढ़ावा दया। दया।
कपड़ा ापार के लए गुज रात और बंगाल दो मह वपूण ापार क ह। उ अ धका रय और दरबा रय क बे टय को भी क वता स हत व भ कला म
अ य धक कु शल माना जाता था।
क ा रेशम चीन से आयात कया जाता था और सव म गुण व ा वाले व चीन को
नयात कए जाते थे। सती था को कु छ लेख क ने अ नवाय बना दया था ले कन सर ने इसक नदा
क।
धातु उ ोग
एक अरब लेख क के अनुसार राजा क सुलेमान प नयाँ कभी कभी अपने प तय क
स तनत काल म अहमदाबाद द ली और बंगाल लौह उ ोग के मह वपूण क
चता पर खुद को जला लेती थ ।
थे।
लाहौर का लजौ बनारस सहलकोट और गोलकुं डा तलवार नमाण के लए स
थे।
भारत प म ए शया से कांच के बतन और चीन से म के बतन आयात करता है।
स तनत काल म सा ह यक कृ तयाँ
द ली स तनत ने एक नई भाषा और सा ह यक शैली क ापना क जसने
धातु उ ोग म सोने चाँद के बतन बनते ह। उप महा प म शु आत क ।
फ़ारसी द ली स तनत क राजभाषा बन गई और उ मु य प से श वर क भाषा थी।
अ य उ ोग
स तनत काल म चमशोधन धातुक म कालीन बुनना लकड़ी का काम करना फन चर स तनत काल क सा ह यक कृ तयाँ
बनाना प र पर न काशी करने वाले कारीगर अपने काम के लए स थे। लेख क कताब
अल ब नी कताब उल ह द
गुज रात का चमड़ा उ ोग लोक य था।
Minhaj us Siraj तबकात ए नसारी
द ली और मु तान मह वपूण हाथीदांत काय क थे।
क मीर का लकड़ी उ ोग भी लोक य था। अमीर खुसरो खजैन उल फु तुह तुगलकनामा
इस काल म भारतीय समाज म अनेक मह वपूण प रवतन ए। इनम से एक लोग हसन नजामी ताज उल मा थर
के एक वग क बढ़ती श थी ज ह सामंत राणक रौ ा राजपूत आ द कहा अबू ब Chach Namah
जाता है।
इ न बतूता कताब उल रेहला
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नई वशेषताएं थ
अमीर खुसरो
मेहराब और गुंबद
अमीर खुसरो एक रचना मक फ़ारसी क व ई. थे जो द ली स तनत के
चूने का योग
सात से अ धक शासक के शाही दरबार से जुड़े थे। अमीर खुसरो उस समय के
तभाशाली थे। एक ब त ही ब मुख ी वह एक सै नक अरबी फ़ारसी उ म असली मेहराब का वकास शु आत म उ ह ने मं दर और अ य व त
क वता के रच यता और एक राजन यक अदालती मामल म हो शयार और एक अ े संरचना को म जद म प रव तत कर दया।
संगीतकार भी थे।
उ ह ने भारतीय अरबी और फारसी का म ण तैयार कया संरचना ने स तनत काल म लैब और बीम प त के संयु स ांत का उपयोग कया।
संगीत। उ ह तबला सतार और संशो धत वीणा का आ व कार करने का ेय दया
जाता है।
सै यद और लोद वंश के दौरान वा तुक ला ने इ लामी वा तुक ला का एक नया प वक सत
अरबी कृ त द रहला म वे इसके बारे म बात करते ह आ था और सरा दो या तीन मं जला ऊं चाई वाले वायर लान पर आधा रत था।
I उ ह ने ामीण उ ोग गुड़ बनाने तेल नकालने क तकनीक और म हला के बुनाई कु तुब मीनार द ली कु तुब उद द न ारा शु कया गया
कौशल के बारे म बात क . Aibak completed by Iltutmish
I वह अपने ंथ म सड़क सामा जक जीवन आ द का उ लेख करता है I वह तुगलक
अलाई दरवाजा द ली पहला Alauddin Khilji
के दरबार का भी उ लेख करता है. स ा गुंबद
द ली स तनत के दौरान भारत म नए ाप य प और शै लय क शु आत ई। भारतीय और इ लामी ाप य गयासु न तुगलक का मकबरा गयासु न ारा ारंभ कया गया
सु वधा के सं ेषण के कारण भारत इ लामी वा तुक ला का उदय आ। द ली वयं तुगलक मुह मद तुगलक ारा पूण कया
गया
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
Vijayanagara and
बहमनी सा ा य
वजयनगर और बहमनी रा य का उदय व शता द ई वी म द ण भारत वजयनगर सा ा य पर चार राजवंश ने शासन कया। ये थे i ह रहर थम और बु का थम ारा ा पत
के द कन े म आ और से अ धक वष तक उनका भु व रहा। वजयनगर संगम वंश ई.
ह सा ा य था जब क बहमनी स तनत फारसी स तनत थी।
Vijayanagara Empire
वजयनगर सा ा य क ापना ई वी म ह रहर और बु का ने क थी जो
ह रहर थम ई.
वारंगल के काकतीय लोग के सामंत थे और बाद म का ली कनाटक के रा य म मं ी
बने। वह सा ा य के पहले सं ापक म से एक थे। उ ह ने व ानगर क ापना क जसे बाद म वजयनगर
नाम दया गया।
Harihara I made Anagundi his capital.
जब मु लम व ोही को शरण दे ने के लए मुह मद तुगलक ारा का ली पर उसने ई. म होयसल रा य पर क जा कर लया और वीर ब लाल तृतीय को मार डाला। उसने म रै के
सु तान को भी हराया।
हमला कया गया तो दोन भाइय को कै द कर लया गया इ लाम म प रव तत कर दया
गया। हालाँ क गु व ार य ने दोन भाइय को ह धम म फर से भत कराया बु का थम ई.
और उ ह ने वजयनगर म अपनी राजधानी ा पत क ।
उनके शासनकाल के दौरान वजयनगर को बहमनी सा ा य के साथ मजबूत संघष का सामना करना पड़ा।
द ण म इसके मु य त ं म रै के सु तान थे। उसने गु को अपनी शाही राजधानी बनाया।
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दे व राय थम ई.
सलुवा नर स हा ई.
दे व राय I का शासन तुंगभ ा दोआब के लए नए सरे से टकराव के साथ शु
उसने गृहयु समा त कया और वजयनगर सा ा य म शां त ा पत
आ।
क।
वह बहमनी सु तान फरोज शाह से हार गया और उसे भारी मुआ वजा दे ना पड़ा और
उसने क ड़ के प मी भाग हो ावन बाकनूर और भटकल पर वजय ा त क ।
अपनी बेट क शाद सु तान से कर द ।
संघष के तीन मुख े . तुंगभ ा दोआब कृ णदे व राय वीर नर स हा के भाई थे जो वजयनगर सा ा य के सबसे महान शासक
न दय के बीच का े बने।
Krishna and Tungabhadra
कृ णदे व राय ई.
. कृ णा गोदावरी डे टा उपजाऊ भू म का े और
कई बंदरगाह सात वष तक चलने वाली लड़ाइय क एक ृंख ला म कृ णदे व ने उड़ीसा के शासक
. मराठवाड़ा प मी भारत का क कण े को वजयनगर को कृ णा नद तक के सभी े को बहाल करने के लए मजबूर कया।
इसके कारण उनके दो मु य वरो धय बीजापुर और उड़ीसा के बीच श ुतापूण गठबंधन
हो गया।
दे वराय तीय ई.
उ ह ने इमाद दे वराय ाउड दे वराय और गजबेटेक रा क उपा ध धारण क । कृ णदे व ने ई. म बीजापुर के शासक को पूरी तरह से हरा दया और
यु वराम से पहले कु छ समय के लए बीजापुर और बेलगाम पर क जा कर लया। बाबर ने
उसे तुलुव वंश का सबसे महान शासक बताया।
उनके शासनकाल म वजयनगर सा ा य सबसे र द ण तक फै ला आ था और
सीलोन ीलंक ा के तट को छू ता था।
कृ णदे व के अधीन वजयनगर द ण म सबसे मजबूत सै य श के पम
उभरा।
अपनी सेना को मजबूत करने के लए उसने अपनी सेना को पुनग ठत कया जसम
द ली स तनत क सेना क कई वशेषताएं शा मल थ । ापार और वा ण य म पुतगा लय के उदय से उ प खतरे के कारण उ ह ने पुतगाली गवनर
अ बुक क के साथ मै ीपूण संबंध बनाए रखे जनके राज त ायर लुइस वजयनगर
सा ा य के नवासी थे।
उसने अपनी सेना म बड़ी सं या म मुसलमान को भत करना शु कया और बड़ी
सं या म अरब घोड़े खरीदना शु कर दया।
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Ashtadiggajas I राम राजा को घेर लया गया बंद बना लया गया और
तुरंत न पा दत। ब नह क लड़ाई को आम तौर पर वजयनगर के महान युग के
नाम लेख क
अंत का तीक माना जाता है।
अ लासानी पे ा उ ह आं पतामह मनुच रतमु और
सदा शव राय ई.
राजा को कायकारी या यक और वधायी मामल म पूण अ धकार ा त थे।
अंततः ई वी म कृ णदे व राय के पु सदा शव राय सहासन पर चढ़े
और तक शासन कया।
ांतीय और ानीय शासन
असली श राम राजा के हाथ म न हत थी जो व भ मु लम श य को एक सरे
रा य को नीचे रा यस या मंडलम ांत म वभा जत कया गया
के खलाफ खेलने म स म थे।
था जो नाडु जला ला उप जला और ाम गांव थे।
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ाइ वग गैर अरब भू म
वभ कार के नायक थे जैसे द ायक सै य अ धकारी गा दनायक कले के
क न काई सेना के रखरखाव के लए कर
भारी सै य अ धकारी और अमरनायक नायक से भू म ा त करने वाले उप नायक ।
त मलनाडु ादे शक इकाई
नायक अपने े म वतं थे और अह तांतरणीय थे। समय के साथ यह वजयनगर वजयनगर सा ा य म आ थक तयाँ वजयनगर सा ा य म असीम समृ ा त थी। रा य
सा ा य के पतन का एक मुख कारण बन गया।
के व भ ह स म कृ ष का वकास आ और रा य ने एक बु मान सचाई नी त अपनाई।
येक गांव म सामू हक प से अयागर के प म जाने जाने वाले बारह सा ा य क आ थक त म सबसे उ लेख नीय वशेषता वा ण य थी अंतदशीय तट य और
पदा धका रय को सरकार ारा नयु कया गया था और एक बार आवं टत वदे शी। मालाबार तट पर सबसे मह वपूण बंदरगाह कालीकट था।
होने के बाद कायालय वंशानुगत हो गया।
अयागर अपने कायालय को बेच या गरवी रख सकते थे।
कर मु भू म या मा या उ ह सदा के लए उनके रखरखाव के लए द गई थी। हद महासागर म प मलय पसमूह बमा चीन अरब फारस द णअ का अबीसी नया और
पुतगाल के साथ इसके ापा रक संबंध थे।
राज व शासन
नयात के मुख लेख कपड़ा चावल लोहा शोरा चीनी और मसाले थे और सा ा य म मुख
ताज क भू म राज व का सबसे मह वपूण ोत थी। कर क वसूली गहन सव ण के आयात घोड़े हाथी मोती तांबा मूंगा पारा चीनी रेशम और मखमल थे।
बाद नधा रत नधारण के आधार पर क गई थी।
कर क दर इस कार थ
अंतदशीय ापार के लए प रवहन के स ते साधन कावडी सर पर लादे चोट के घोड़े पेक
i स दय के दौरान कु वई एक कार का चावल क उपज का एक तहाई । ii बैल गा ड़याँ और
एक चौथाई तल रागी कु लथी गधे।
वजयनगर सा ा य म समाज
वजयनगर शासन के तहत क ब और शहरीकरण का काफ वकास आ था। इस अव ध म मं दर संरचना और संगठन म ब त व तृत हो गए यहां तक क पुराने मं दर को तंभ
ा ण को समाज धा मक और राजनी तक मामल म सव ान ा त वाले हॉल मंडप और अ य अधीन के अलावा बढ़ाया गया था
था।
संरचनाएं।
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महानवमी ड बा उदय ग र क वजय के बाद कृ णदे व राय ारा बनवाया गया था। मुह मद तृतीय ने भारत क अपनी या ा के दौरान बहमनी सा ा य क तय का
वणन कया। जीन बै ट ट टै व नयर वह व शता द
का एक ांसीसी र न ापारी और या ी था। वह एक नजी और ापारी था जो अपने
यह एक आयताकार आकार क संरचना है जो एक वशाल मंच क तरह दखती है।
खच पर या ा कर रहा था। उ ह ने और के बीच फारस और भारत क छह
या ा म लीग मील अपने वयं के खाते से कवर कया। उ ह ने
इसका े फल वग फु ट और ऊं चाई फु ट तक थी। उस पर एक म हला गोलकुं डा हीरे क खान का सबसे पुराना भरोसेमंद खाता दया।
मू तकला बनाई गई थी।
इस मंच पर दशहरा या महानवमी के अवसर पर अपनी े ता और श दखाने के
लए उपयोग कया जाता है।
उ ह ने गोल गु बज भी
द जन। वह अपने लए कोट बनवाने म असफल रहा।
बनवाया जो नया का सरा
सबसे बड़ा गुंबद है।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
ांतीय का उदय
रा य
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अशां त क अव ध को अंतत समा त कर दया गया जब सै यद सैन नाम के प मी भारत के ांतीय रा य ये तीन भारत म अ य सबसे मह वपूण े ीय
अरब मूल के एक कु लीन ने स ा संभाली ई. और खुद को
श याँ थ ज ह ने समय समय पर द ली स तनत को कड़ा तरोध दया।
अलाउ न सैन शाह के प म नयु कया। इस कार सैन शाही वंश क
ापना ई।
He was succeeded by Nasiruddin Nasrat Shah. वह एक महान नमाता थे और जैन शैली क इमारत क समृ ाप य परंपरा पर आधा रत
चैत य ने अपने शासनकाल म वै णववाद का चार कया। उसने बाबर के साथ थे। अहमदाबाद म जामा म जद और उनके समय म न मत तीन दरवाजा।
शां त सं ध क ले कन ई. म उसक मृ यु हो गई।
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मालवा Kashmir
म यकाल म मालवा रा य अपने गौरव के शखर पर रहा। मालवा के ारं भक शासक म वात के एक साहसी मु लम शाह मजा ने ई वी म क मीर के ह राजकु मार
से एक शंग शाह ने धा मक स ह णुता क ापक नी त अपनाई। कई राजपूत को क सेवा म वेश कया था। कु छ ही समय बाद ह राजकु मार क मृ यु हो गई और शाह मजा
मालवा म बसने के लए ो सा हत कया गया। ने सहासन को ज त कर लया। उसने ह राजकु मार के वंशज के दाव को अलग रखा और
खुद राजा क उपा ध धारण क ।
मेवाड़ अपनी राजधानी नागदा के साथ गु हलोत वंश के शासन के तहत मामूली मह व क सु तान ज़ैनुल आ बद न ई. क मीर का सबसे महान मु लम शासक था। वह
एक पुरानी रयासत थी। य प अलाउ न खलजी ने ई वी म मेवाड़ क राजधानी अ य धक बु उदार और परोपकारी था जसके लए उसे क मीर के अकबर के पम
च ौड़ पर क जा कर लया था ले कन इसे ज द ही राणा हमीर ने बहाल कर दया जाना जाता था। उसने ज जया को समा त कर दया और सती को वापस ले लया।
जसने ससो दया वंश का शासन ा पत कया।
के ांतीय रा य म क थी।
इन दो मह वपूण ांतीय रा य ने न के वल े ीय प से व तार कया ब क अपने अंबर या आमेर ला राव क वाहा राजवंश के सं ापक थे ज ह ने इस अव ध के
अपने े म कला और सां कृ तक वकास को मुख ता से ो सा हत कया
दौरान आमेर या आमेर पर शासन कया था। ह मीर दे व इस वंश का सबसे स शासक
था।
रा य ।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
Bhakti and
सूफ आंदोलन
भारत म वकास तेरहव से पं हव शता द तक क ा बारहव नई एनसीईआरट अ याय Bhakti Sufi Traditions
भ श द सं कृ त के भंज श द से बना है जसका अथ है सम वय और दान। भ का मूल उ े य ह और मुसलमान के बीच क खाई को पाटना था।
सव थम वेद म मलता है। यह ई र के साथ के मलन के साथ साथ ई र के
त गत समपण पर बल दे ता है। नचले वग क आ थक त म सुधार और इ लाम के एके रवाद और
समानता के स ांत का भाव भी भ आंदोलन के उ व के
मह वपूण कारण थे।
भ आंदोलन क शु आत द ण भारत म व और व सद के बीच ई थी। प लव के
शासन के दौरान शैव और वै णव संत ने भ आंदोलन शु कया।
महान सुधारक का उदय भी भ आंदोलन के उदय का कारण था।
इसे चोल शासक का संर ण भी ा त था।
भ आंदोलन के संत के अनुसार एक भ और गत यास के मा यम से ई र
भ आंदोलन क वशेषताएं
को ा त कर सकता है।
भ आंदोलन के संत ने मो या मो क ा त के लए तीन साधन या माग दए जो थे i धा मक मामल के बारे म खुले दमाग।
ान माग ान और समझ के मा यम से मु ii मानव जा त क सेवा जैसे अ े उ ह ने जा तगत भेदभाव को खा रज कर दया और सभी मनु य क समानता
कम के मा यम से कम माग iii बना शत ेम के मा यम से भ माग और म व ास कया।
ई र के त पूण समपण भ संत चार के लए ानीय या े ीय भाषा का योग करते ह।
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नयनार ये शव के माया।
भ होते ह। उनका सबसे बड़ा काम सू भा य के प म जाना जाता है और आ म मु ान ा त करने के
त मल नयनार संत क सं या कु ल थी। लए उप नषद के अ ययन पर ब त जोर दया।
नां बयंदर नांबी इन नयनार संत के बारे म व तृत जानकारी त तोतर त वंत त म
दे ते ह। शंक राचाय ने प म म ारका शारदा पीठ पूव म पुरी गोवधन पीठ द णम ृंगेरी और
उ र म ब नाथ म चार मठ क ापना क । इन चार मठ का नेतृ व उनके चार मुख श य कर
नयनार संत के गीत के संक लन के दो सेट ह अथात् तेवरम और त व कम। रहे थे।
. म णकवचकर को त वडवुर के नाम से जाना जाता है। उनके अनुसार मो ा त का सव म साधन व णु क गहन भ है।
द ण भारत म प लव शासन के दौरान अलवर या वै णव भी उभरे। अलवारा संत क उ ह ने ीवै णव सं दाय क ापना क जसने उ र भारत म भ के नए सू को ब त े रत
कु ल सं या थी और उनके संयु संक लन को नल यरा द बंधम चार हजार प व कया।
रचनाएं के प म जाना जाता है।
Nimbarkacharya AD
दसव शता द तक अलवार क रचना को इस संक लन म संक लत कया गया न बाकाचाय एक तेलुगु वै णव व शता द ई वी म आं दे श म थे ले कन उ ह ने अपना
था जसे नल यरा द बंधम के नाम से जाना जाता है। अ धकांश जीवन मथुरा म बताया। वह ै त ै त ै तवाद अ ै तवाद के मुख तावक थे।
. अंडाल अलवर क एकमा म हला संत और मानी जाती ह . Prapatti Complete Surrender to God
द ण भारत क मीराबाई के प म। . गु पस गु के लए भ
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माधवाचाय ई.
Nirguna Saints
माधवाचाय का ज म ई वी म उडु पी कनाटक म आ था। वे वेदांत नगुण संत अ य नराकार ई र और गुण से र हत ई र म व ास करते थे।
के ै त ै तवाद कू ल के मुख तावक थे ई रीय मानव आ मा से
अलग है ।
कु छ मह वपूण नगुण संत ह
कबीर
वीरशैव परंपरा के बीजक वचन को बीजक नामक म संक लत कया गया है । यह कबीरपंथी
व शता द ई वी म बसव ा ई वी ारा कनाटक म परंपरा और धम के अनुया यय के लए प व ंथ है। बीजक आधु नक बघेली के मुख
आंदोलन का एक नया प सामने आया जो कलचुरी राजवंश के दरबार म ंथ म से एक है।
मं ी थे।
गु नानक ई.
उनके अनुयायी शव को एक लग के प म पूज ते ह और वीरशैव शव के Guru Nanak was born in a Khatri family in Talwandi Nankana
नायक या लगायत लग के पहनने वाले के प म जाने जाते थे। Pakistan in AD.
उ ह ने भजन क रचना क और उ ह अपने वफादार सेवक मरदाना के साथ गाया।
वीरशैव का मानना है क मृ यु पर भ शव के साथ मल जाएगा और इस
नया म वापस नह आएगा। उ ह ने पुनज म के स ांत पर भी सवाल उठाया। ऐसा कहा जाता है क नानक ने पूरे भारत और यहां तक क ीलंक ा और म का और मद ना तक ापक या ाएं क ।
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उ ह ने एक म यम माग क वकालत क जसम आ या मक जीवन को गृह के एक ारं भक समाज सुधारक उ ह ने लग वग के आधार पर बना कसी
कत के साथ जोड़ा जा सके । भेदभाव के श य को वीकार कया।
बाबा गु नानक ने अपने अनुया यय को एक समुदाय म संग ठत कया। उ ह ने उनके बारह श य म बाद के भ आंदोलन क व संत जैसे कबीर र वदास पीपा और
सामू हक पूज ा संगत के लए सामू हक स वर पाठ से जुड़े नयम क ापना क । अ य शा मल थे।
रामानंद ने अपनी रचना क रचना क और आ या मक वषय पर चचा करते
उ ह ने अपने एक श य अंगद को उ रा धकारी गु के प म नयु कया और इस ए ानीय हद म कहा क इससे ान जन जन तक प ंचता है। उनके ोक का उ लेख
था का पालन लगभग वष तक कया गया। सख ंथ आ द ंथ म मलता है।
पांचव गु गु अजन ने अपने चार उ रा धका रय और बाबा फरीद र वदास रामानंद के बारह श य
ज ह रैदास के नाम से भी जाना जाता है और कबीर जैसे धा मक क वय के साथ
कबीर मु लम बुनकर
बाबा गु नानक के भजन को आ द ंथ सा हब म संक लत कया। गुरबानी कहे जाने
वाले इन भजन क रचना व भ भाषा म क गई है। Raidas मोची
Sursurananda
गु गो बद सह ने खालसा पंथ शु क सेना क न व भी रखी और इसके पांच सुख ानंद
तीक को प रभा षत कया बना कटे बाल एक खंज र एक जोड़ी शॉट् स एक कं घी Bhavananda
और एक ट ल क चूड़ी। अनंतानंद
Padmavati म हला श या
एक ई र पर बल दया
Tulsidas AD
जनके नाम का जप करने और ेम और भ के साथ रहने से जा त पंथ या सं दाय के
भेद के बना मो ा त हो सकता है। I गु नानक ने कबीर क तरह कड़ी नदा क वह एक ह क व संत थे जो राम भ सं दाय के थे। उ ह ने अपना अ धकांश
जीवन वाराणसी शहर म बताया।
He was a contemporary of Akbar and his works include
मू त पूज ा तीथया ा और व भ धम के अ य औपचा रक अनु ान। नानक का कोई नया Ramcharitamanas Kavitawali Gitawali Parvati Mangal
धम ा पत करने का कोई इरादा नह था। I गु नानक के कोण का उ े य शां त
Janki Mangal Vinaya Patrika etc.
स ावना और आपसी
लेन दे न का माहौल बनाने के लए ह और मुसलमान के बीच अंतर को पाटना था. Nabhadas AD
यही कबीर का उ े य भी था।
उ ह ने जभाषा म भ माल का क रचना क जसम भ का उ लेख
कया गया है। वे रामानंद क परंपरा के थे।
संत रामानंद ने रामानुज से े रत होकर और नाथपंथी और स तप वय के Saints Kabir Nanak Saints Ramananda Surdas
दशनशा के मा यम से अपने दशन और भ वषय को वक सत कया। Ravidas Dadu Dayal etc. Tulsidas and Chaitanya
Mahaprabhu.
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नरसी भगत के नाम से भी जाने जाने वाले वे व शता द के गुज रात के क व थे। रैदास को र वदास के नाम से भी जाना जाता है। वह उ र भारतीय भ के सबसे स संत म
से एक थे
वे संत दा दयाल के श य थे। आंदोलन।
उ ह ने स भ भजन वै णवजन लखा है। उनका ज म अछू त चम मक वग के एक न न जा त प रवार म आ था। उनक क वताएँ
और गीत अ सर सामा जक असमानता और पदानु म के इद गद घूमते ह।
उ ह ने गुज राती सा ह य के वकास और गुज रात म भ आंदोलन के सार म अ य धक योगदान दया।
उ ह ने भगवान को आ म भ का उपदे श दया।
Chaitanya Mahaprabhu AD व ाप त ई. व ाप त
वे बंगाल के सबसे लोक य भ सुधारक थे। एक सं कृ त लेख क और मै थली क व थे ज ह ने
मै थली क व को कल अथात् मै थली क क व कोयल के प म संद भत कया गया था।
Mirabai AD
नाथपंथी स और योगी I नाथपंथी स ाचार
मेड़ता क राठौर राजकु मारी और मेवाड़ के राणा सांगा प त भोज राजा क ब । उ ह ने पदावली प और योगी संसार के याग क वकालत करते थे।
लखा । वह भगवान कृ ण क भ थ और उ ह ने अपना जीवन भगवान कृ ण को सम पत कर दया
था। उनके लए मु का माग नराकार परम वा त वकता और उसके साथ एक व क
अनुभू त पर यान म न हत है। I इसे हा सल करने के लए उ ह ने योगासन
सांस लेने के ायाम और
Shankaradeva AD यान जैसे अ यास के मा यम से दमाग और शरीर के गहन श ण क वकालत क .
उ ह ने कमकांड और अ य पहलु क आलोचना क
व शता द के अंत म शंक रदे व असम म वै णववाद के मुख समथक म से एक के पम
उभरे।
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सूफ आंदोलन सूफ संत और कई आधु नक वचारक सूफ वचार को कु रान से जोड़ते ह।
दसव शता द ई वी इ लामी इ तहास म कई कारण से मह वपूण है सबसे पहले यह मूल के बावजूद सू फय और ह यो गय और मनी षय के वचार म कई समानताएं थ ।
अ बा सद खलाफत के खंडहर पर तुक के उदय के साथ साथ वचार और व ास
के े म मह वपूण प रवतन को च त करता है।
च ती सल सले
इ लामी कानून के चार व ालय म परंपरावा दय के काय ए। इनम से हनफ़ च ती सल सला के मुख श क
वचारधारा जो सबसे अ धक उदार थी को पूव तुक ने अपनाया जो बाद म
सूफ श क जम ान का वष
भारत आ गए।
Shaikh Muinuddin Sijzi Ajmer Rajasthan
कु छ शु आती सू फ़य जैसे क म हला रह यवाद रा बया आठव शता द और Khwaja Qutbuddin Bakhtiyar द ली
म ेम पर ब त जोर दया।
Shaikh Fariduddin Ganj I अजोडन
चीनी पा क तान
इ लाम के आगमन के बाद भी यो गय ने प म ए शया का दौरा जारी रखा और सरी ओर च तय ने रा य क राजनी त से अलग रहना पसंद कया और शासक
यो गक पु तक अमृत कुं ड का सं कृ त से फारसी म अनुवाद कया गया था। और रईस क कं पनी से कनारा कर लया। आदे श के सबसे स संत शेख शहाबु न
सुहरावद और हा मद उद द न नागोरी थे।
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ना सर उद द न मुह मद जलानी सबसे मह वपूण कादरी थे ज ह ने का दरी आदे श को भावी कु तुबु न ब तयार काक वह एक स
ढं ग से संग ठत कया। मु लम सूफ फक र संत और च ती सं दाय के व ान थे। वह मोइनु न च ती
यह आदे श सध और लाहौर म मुख था। शाहजहाँ का सबसे बड़ा पु दारा शकोह का दरी के श य थे।
स दाय का अनुयायी था ।
उ ह ने द ली म सुर त प से आदे श ा पत करने म एक मुख भू मका
न बंद सल सला
नभाई जो पहले अजमेर और नागौर तक ही सी मत थी। उसके बाद पहले
यह आदे श बुख ारा म पैदा ए बहा उद द न न बंद बुख ारी ई वी
द ली सु तान कु तुबु न ऐबक ने कु तुब मीनार का नमाण शु कया।
ारा ा पत कया गया था। मुग़ल बादशाह बाबर उबै लाह अहरार का अनुयायी
था जो एक न बंद था।
नजामु न औ लया
शेख अहमद सर ह द अकबर और जहाँगीर के समकालीन थे। वह अकबर क उदार नी तय के
खलाफ थे जसक वह गैर इ ला मक कहकर आलोचना करते ह। सर हद इ लाम पर वे च ती स दाय के स सूफ संत थे। उनका ज म ई वी म उ र
ह भाव को हटाना चाहता था। वह शया के भी वरोधी थे। दे श के बदायूं म आ था।
उनक जीवनी का उ लेख आइन ए अकबरी म मलता है जो मुगल बादशाह
अकबर के वजीर अबुल फजल ारा ल खत व शता द का
उनक कृ त मकतुबत को तीन खंड म संक लत कया गया है ज ह र अल मारीफत नूर द तावेज है।
अल ख लाक और मा रफत अल हकाइक कहा जाता है जसम उ ह ने वहादत उल वुज ूद नजामु न औ लया के जीवनकाल म द ली स तनत के राजा म से एक
के स ांत को व त कया। कु तुब उद द न मुबारक शाह था जो खलजी वंश का अं तम शासक था।
मोइनु न च ती
वे च ती स दाय के सबसे स संत ह । उनका ज म ई वी म आ था और उनक वह मुगल बादशाह शाहजहाँ के सबसे बड़े पु दारा शकोह के आ या मक
मृ यु ई वी म ई थी। वह च ती संत उ मान हा नी के श य बन गए । वह मुइ ज न श क होने के लए स ह। उनक पहचान का दरी आदे श क मयां खील
मोह मद के साथ अजमेर प ँचा और वह बस गया। शाखा के सं ापक के प म क जाती है ।
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मु ला शाह बद ी
उ ह मु ला शाह के नाम से जाना जाता था। वह व सद के मु लम सूफ और स सूफ संत मयां मीर ई. के आ या मक उ रा धकारी थे।
वह सूफ वाद के का दरी आदे श से संबं धत थे। वह मुगल राजकु मार दारा शकोह कादरी ई वी और उनक बहन राजकु मारी जहाँआ रा बेगम के आ या मक गु थे।
बुरहानु न ग़रीब
He studied under Nizamuddin Auliya. Burhanuddin succeeded the Sultan ul Mashaikh as caliph.
उ ह ने अपने कॉ वट म धा मक अ यास म संगीत और आनंद क अनुम त द । वह कु छ समय के लए दौलताबाद म रहे और फर रोजा खु दाबाद चले गए जहां उनक मृ यु हो
गई।
तज़ करत अल औ लया यह फ़ारसी क व और रह यवाद फ़रीद अल द न अ र ारा व से व शता द ई वी तक छयानवे सूफ़ संत और उनके चम कार करमत का सं ह है। अ र
के एकमा जी वत ग काय म अ याय शा मल ह जो जाफर सा दक छठे शया इमाम के जीवन से शु होते ह और सूफ शहीद मंसूर अल हलाज के साथ समा त होते ह।
कु रान प व पु तक हद स
पैगंबर क परंपराएं क़यास सा य ारा तक इ मा
समुदाय क सहम त।
वली यह आमतौर पर मुसलमान ारा एक इ लामी संत को इं गत करने के लए उपयोग कया जाता है। इसे अ धक शा दक म के प म भी जाना जाता है
भगवान क ।
सूफ़ वाद और तस वुफ़ सूफ़ वाद को अरबी भाषी नया म तस वुफ़ के नाम से जाना जाता है। तस वुफ़ इ लामी रह यवाद का एक प है जो आ म नरी ण और ई र के साथ
आ या मक नकटता पर जोर दे ता है।
तस वुफ़ एक अरबी श द है जो नै तक और आ या मक आदश को साकार करने क या के लए है जसका शा दक अथ सूफ बनना है।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
ोत क ा VII नई एनसीईआरट अ याय मुगल सा ा य क ा सातव पुरानी एनसीईआरट अ याय द क मग ऑफ द मुग स एंड द
यूरोपीय क ा VII पुराना एनसीईआरट अ याय आयु भ ता क ा यारहव पुराना एनसीईआरट अ याय उ र म सा ा य के लए संघष
भारत तीय मुगल और अफगान क ा यारहव पुराना एनसीईआरट अ याय मुगल सा ा य का एक करण अकबर का युग
क ा यारहव पुराना एनसीईआरट अ याय द कन और द ण भारत क ा यारहव पुराना एनसीईआरट अ याय पहली छमाही म भारत
स हव सद क ा यारहव पुराना एनसीईआरट अ याय मुगल सा ा य I का चरमो कष और वघटन
मुगल नाम मंगोल से नकला है हालां क मुगल शासक ने तमु रड् स वंश से दावा
कया था। ऐ तहा सक ोत के अनुसार बाबर क सेना क सं या लगभग थी जसम दो
ऐ तहा सक प से मुगल चंगेज खान और तैमूर के दो महान वंश के वंशज थे। बाबर दजन फ आ टलरी थी।
मुगल वंश का सं ापक और थम स ाट था। इ ा हम लोद क सेना ब त बड़ी थी अनुमा नत लगभग पु ष और हाथी।
मुगल सा ा य के शासक इसम बाबर के दो तोपखान के उ ताद अली और मु तफा ने मह वपूण भू मका नभाई थी।
बाबर ई. सा ा य क न व रखी।
अफगान संघ
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बाबर के आगमन का मह व बाबर के आगमन के सारंगपुर मंडेसर मांडू के कले चंपानेर और द व के ांत पर वजय ा त क ।
गुज रात क वजय के साथ मायूँ ने म य भारत म अपनी वजय पूरी क ।
साथ कु षाण सा ा य के पतन के बाद पहली बार काबुल और
कं धार अब अफगा न तान म भारत के अ भ अंग बन गए।
बाबर फारसी और अरबी का गहरा जानकार था। उनके स सं मरण तुज ुक ए बाबुरी
को अब वलु त चगताई तुक भाषा म लखे गए व सा ह य के ला स स म से एक माना
जाता है। मायूँ क पुन ापना ई.
अं तम सूर शासक इ माइल शाह क मृ यु के साथ मायूँ को भारत म
उ ह ने काबुल म बाग ए बाबर स हत कई औपचा रक बगीचे बनवाए जहां उ ह अपना रा य पुनः ा त करने का अवसर मला। ई. म दो करीबी लड़ाइय म
दफनाया गया था। उसने अफगान को हराया और द ली और आगरा को फर से हा सल कया।
दया।
मायूँ के आ धप य को वीकार करने और टन सोना दे ने के बदले म उसे कला रखने क शेरशाह का सा ा य क मीर को छोड़कर बंगाल से सधु तक फै ला आ था। उसने
अनुम त द गई थी। प म म मालवा तथा लगभग स ूण राज ान को जीत लया।
चुनार क घेराबंद ई. ई. म मायूँ ने शेरशाह सूरी के अधीन चुनार के यु तारीख बीच म प रणाम
ग पर अ धकार कर लया। इसे पूव भारत का वेश ार भी कहा जाता था।
क लड़ाई व शेर खान व • मुगल सेना परा जत ई और मायूँ आगरा
कारण जून भाग गया।
ले कन हारे ए पठान को कु चल कर अपनी सफलता का पीछा करने के बजाय मायूँ ने ई मायूं
शेर शाह क अधीनता वीकार कर ली जसने मुगल के त वफादार रहने का वादा कया क लड़ाई मई शेर खान व • शेर खान ने हराया
और अपने एक बेटे को बंधक के प म मायूँ के पास भेज दया। बल ाम मुगल सेना के लए
मायूं सरी बार।
• मायूँ ने शरण ली
इस कार कला शेर शाह सूरी को वापस कर दया गया था। चुनार क घेराबंद को ईरानी क अदालत
छोड़ना वा तव म बहा र शाह के डर से े रत था जसका ल य द ली को जीतना था। राजा तहमासप। • का लजर
क लड़ाई व शेर खान और राजा का कला अफगान सेना ारा ले लया गया
Kalinjar मई ले कन तोप फटने से शेरशाह क मौत हो
ई गई।
बहा र शाह के साथ यु ई. मायूँ ने ई. तक बहा र शाह के Kirat Singh
साथ यु कया और
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आय।
परगना के ऊपर शकदार ए शकदारन या फौजदार और मुं सफ ए मुं सफान के अधीन शक या उसने प म म सधु नद से लेक र बंगाल म सोनारगांव तक ड ं क रोड नामक पुरानी शाही सड़क
सेना शेर शाह ने हर सराय म एक शाहना संर क के नयं ण म कई चौक दार होते थे । उसक सड़क और सराय को
सा ा य क धम नयां कहा गया है।
अपने वशाल सा ा य को संचा लत करने के लए एक मजबूत सेना क ापना क । उसने सीधे
सै नक क भत क । येक सै नक का अपना वणना मक रोल चेहरा दज था और उसके घोड़े को
शाही च ह के साथ ांड कया गया था। ापार एवं वा ण य
शेर शाह ने द ली के पास यमुना के तट पर एक नया शहर भी बनाया जसे पुराना कला
रा य का ह सा उपज का एक तहाई था।
पुराना कला और उसके भीतर क बेहतरीन म जद के नाम से जाना जाता है।
कसान को नकद या व तु के प म भुगतान करने का वक प दया गया था हालां क रा य नकद को
ाथ मकता दे ता था। सभी ववरण प ा नामक कागज पर लखे गए थे ।
हद म बेहतरीन काय म से एक म लक मुह मद जायसी क प ावत शेर शाह के शासनकाल
के दौरान पूरी ई थी।
उ ह ने हर साल भू म मू यांक न शु कया।
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अकबर का सै य अ भयान
अकबर ई.
ख़लाफ़ ववरण
मुगल शासक म सबसे महान अकबर का ज म ई. म अमरकोट
मालवा • मालवा के व अ भयान का नेतृ व अकबर क सौतेली माँ महम अनगा के पु अधम खान ने कया
राज ान म आ था।
था। ई. म बाज बहा र क बुरी तरह हार ई।
जब मायूँ क मृ यु ई अकबर पंज ाब के कलानौर म था।
ई. म वष माह क अ पायु म उनका रा या भषेक गढ़ • The kingdom of Garh Katanga Northern Madhya Pradesh was
आ। कटं गा under Sangram Shah.
• इलाहाबाद के मुगल गवनर आसफ खान ने ग ड को हराया
यह अकबर का श क बैरम खान था जसने मुगल स ाट क नणायक प से।
च ौड़
सेवा क और यहां तक क भारत म मुगल सा ा य को मजबूत • राजपूत रा य के खलाफ उनके अ भयान म एक मुख कदम राणा उदय सह ारा शा सत च ौड़
क घेराबंद थी।
करने के लए पानीपत क सरी लड़ाई क कमान भी संभाली।
• छह महीने क वीरतापूण घेराबंद के बाद ई. को च ौड़ गर गया। वीर जयमल और प ा के
स मान म अकबर ारा आगरा के कले के ार पर दो प र क मू तयाँ ा पत क ग ।
हेमचंदला व मा द य के नेतृ व म मुगल और अफगान सेना के
बीच एक बार फर पानीपत पानीपत क सरी लड़ाई क लड़ाई • In Rana Pratap succeeded Rana Udai Singh in Mewar.
म नवंबर ई. को लड़ाई ई। मुगल सेना के बैरम खान ने Haldighati मुगल आ धप य वीकार करने के लए अकबर ारा कई तावास भेज े गए ले कन
नणायक प से अफगान सेना को हराया। हेमू को पकड़ लया गया असफल रहे।
और मार डाला गया। • म राजा मान सह के अधीन मुगल सेना ने मेवाड़ को हराया।
Gujarat • म सूरत म अकबर ने आमेर के मान सह और भगवंत दास क मदद से मजा पर हमला
कया। मजा हार गए और गुज रात मुगल नयं ण म आ गया। • दाउद खान के अधीन अफगान
ने बंगाल और बहार पर अपना भु व जारी रखा था। • पहली बार अकबर नाव
बैरम खान के त न ध बैरम खान सबसे
बंगाल के एक मजबूत ज े के साथ आगे बढ़ा और ई. म बहार म एक कड़े यु म दाउद खान
श शाली कु लीन के प म उभरे और ब त घमंडी हो गए। इस समय मुगल से हार गया।
तक अकबर भी पूण नयं ण हण करना चाहता था।
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ज द ही राजपूत शासक ने भी कछवाहा का अनुसरण कया और द न ए इलाही के नमाण का मूल उ े य सुल ए कु ल या सावभौ मक स ाव था जो अकबर
अकबर के साथ मै ीपूण संबंध ा पत कए। इनम जोधपुर के राठौर जैसलमेर के क सभी सावज नक नी तय को नयं त करता था।
भाट रणथंभौर के हाड़ा आ द शा मल थे।
द न ए इलाही के स ांत
के वल मेवाड़ के ससो दया ने मुगल सव ता को वीकार करने से इनकार
इसे र ववार को पैबोस स ाट ने द ा के सर पर पैर रखा करके अपनाया जा सकता
कर दया और अपने शासक जैसे उदय सह राणा ताप आ द के अधीन एक पूण
था जसके बाद अकबर ने शत सू दया।
सं भु रा य के प म अपने अ त व के लए संघष करते रहे।
द न ए इलाही
लाहौर।
द न ए इलाही ई वी म अकबर ारा तपा दत एक समधम धम था। वह
अपने सा ा य के धम के सव म त व का वलय करना चाहता था।
राजकु मार खुरम और महाबत खान का व ोह
त व मु य प से इ लाम और ह धम से लए गए थे ले कन कु छ अ य ईसाई धम जहाँगीर के शासनकाल के अंत म राजकु मार खुरम और राजकु मार शहरयार
जैन धम और पारसी धम से भी लए गए थे। जहाँगीर के सबसे छोटे बेटे और नूरजहाँ के दामाद के बीच स ा के लए संघष आ।
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स खुरम ने बहार और बंगाल पर क जा कर लया। आसफ खान ने तीन साल अहमदनगर ई. शाहजहाँ ने द कन क पूण वजय के मुगल मंसूब का
से अ धक समय तक चले गृहयु म खुरम का समथन कया। शाही सेना ने अनुसरण कया।
बंगाल और बहार पर क जा कर लया और खुरम को द कन म शरण लेनी पड़ी। हालाँ क यह शाहजहाँ के दौरान पूरा नह हो सका।
म लक अंबर क मृ यु के बाद उसका पु फतेह खां नजाम शाही अमीर का सहयोग
पाने म वफल रहा और फल व प उसने मुगल के सामने आ मसमपण कर दया।
खुसरो को एक स ाट के प म अयो य घो षत करने के लए कै द और अंधा कर
दया गया था। खुसरो के शुभ चतक म से एक गु अजन दे व सख के व गु ई. म अहमदनगर को सा ा य म मला लया गया।
का सर काट दया गया था। अ य द कन रा य अगला शाहजहाँ ने बीजापुर और गोलकुं डा के रा य को
अपना अ धप य वीकार करने के लए मजबूर कया। बीजापुर और गोलकुं डा
अंत म ई. म बुरहानपुर म खुसरो क मृ यु हो गई। दोन ने ई. म स ाट के साथ एक सं ध पर ह ता र कए।
एक और व ोह का नेतृ व महाबत खान ने कया था जसे उनके पद से वं चत कर
दया गया था। खानदे श बरार तेलंगाना और दौलताबाद को चार मुगल ांत म बनाया गया था। इससे
झेलम नद को पार करते ए कबाल के रा ते म महाबत खान ने ई. म द खन म साल तक शां त बनी रही जब तक क ई वी म फर से यु छड़
जहांगीर और उसके शाही दल पर हमला कया। हालाँ क नूरजहाँ क कू टनी त ने नह गया।
त को बचा लया। मराठा पुतगाली और काम प शाहजहाँ ने कु छ मराठा नेता को अपनी सेवा म लेने का
लालच दया। उनम सबसे भावशाली शाहजी भ सले थे।
Shah Jahan AD
शाहजहाँ ने पुतगा लय को गली से भी न का सत कर दया य क वे अपने ापा रक
जहाँगीर ने ई. म लाहौर म अं तम सांस ली और शाहजहाँ अगला बादशाह बना वशेषा धकार का पयोग कर रहे थे और चोरी और दास ापार म ल त थे।
और उसके सभी त ं य क उसके आदे श से ह या कर द गई। काम प को भी मला लया गया।
कला और ाप य के े म शाहजहाँ के शासनकाल को म यकालीन भारत म म य ए शया कं धार और ा सो सयाना म य ए शया के त शाहजहाँ क नी त कं धार पर
वण युग माना जाता है। अ धकार करने क थी जस पर फार सय ने जहाँगीर के शासनकाल म फर से क जा कर
लया था। उसने ई वी म कं धार को पुनः ा त कर लया था के वल ई वी म इसे
ई वी म बीजापुर और गोलक डा के साथ सं धय के साथ शाहजहाँ खो दया था। ले कन इसे पुनः ा त करने के उनके तीन अ भयान असफल रहे।
के शासनकाल को डे कन क सफल वजय के प म च त कया गया। इसने
मुगल को द ण भारत के बड़े ह से म अपने भु व के े का व तार करने म
मदद क । इस कार कं धार हमेशा के लए मुगल सा ा य से हार गया।
शाहजहाँ ने बद ां और ब ख को जीतना चाहते ए ई. म अपनी सेनाएँ वहाँ
शाहजहाँ के शासनकाल को कं धार अफगा न तान के े के लए सफ़वीद भेज ले कन यह अ भयान वफल सा बत आ।
ईरान सा ा य के साथ नरंतर संघष के प म भी च त कया गया था। हालाँ क
वभ यास के बावजूद मुग़ल कं धार पर क जा करने म वफल रहे। पहाड़ म लंबे समय तक यु लड़ने म मुगल क अ मता ने शाहजहाँ क
अपनी पैतृक भू म ा सो सयाना को जीतने क मह वाकां ा को वफल कर दया।
शाहजहां बुंदेल और अफगान ारा वजय अपने शासन के राजकु मार क उपा ध द ।
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उ रा धकार के तीन मुख यु मारवाड़ के राठौड़ शासक मेवाड़ के ससो दया शासक और अजमेर औरंगजेब के घ न
सहयोगी थे।
यु तारीख प रणाम
जय सह ई. म औरंगजेब क मृ यु तक।
धरमत का यु ई. म राजा जसवंत सह और शुज ा दोन को औरंगजेब ने परा जत कया। जसवंत सह को अफगा न तान म व ोह को दबाने क ज मेदारी द गई थी।
जला इंदौर
एमपी
कसी भी अ य मुगल शासक क तुलना म औरंगजेब के दरबार म सबसे अ धक राजपूत
क लड़ाई व Aurangzeb defeated Dara Shikoh Shah Jahan अ धकारी थे।
Samugarh near मई besieged in fort of Agra by Aurangzeb.
आगरा यूपी ई
औरंगज़ेब क धा मक नी त ऐसा माना जाता है क उसने अकबर
दे वराय क लड़ाई अजमेर के माच दारा और औरंगजेब के बीच आ खरी बड़ी लड़ाई। ई. म दारा क धा मक स ह णुता क नी त को उलट दया और इस कार सा ा य के त
पास ई को उसके पु सुलेमान शकोह के साथ परा जत कर मार डाला
ह क वफादारी को कम कर दया।
राज ान Rajasthan गया।
अपने पूवव तय के वपरीत औरंगजेब को खच ली जीवन शैली पसंद नह थी। मुहत सब क जांच और चार के लए नयु
श रया कानून ।
उनका नजी जीवन सादगी से भरा आ था। समय के साथ उ ह जदापीर या एक जी वत संत के दरबार म नाचने गाने पर रोक।
व ोह कारण ववरण
कू च बहार और अहोम औरंगजेब के शासन के पहले साल सै य और राजनी तक प से एक बड़ी सफलता थे। ई. तक बंगाल के मुगल गवनर मीर जुमला ने कू च बहार पर क जा कर लया और पु तक चढ़ाई कर द ।
अगले वष उ ह ने अहोम राजधानी गढ़गाँव गौहाट के पास म वेश कया। अहोम सेना हार गई ले कन मुगल अहोम सा ा य के लोग के बीच े ीय वतं ता क भावना को दबाने म वफल रहे। अंत म मीर जुमला ने
अहोम राजा के साथ शां त ा पत क । मीर जुमला क मृ यु के बाद औरंगजेब ने शाइ ता खान को बंगाल का रा यपाल नयु कया।
अफगान व ोह ई. म भागू के नेतृ व म अफगान ने व ोह कर दया। इसे मुगल सूबेदार अमीर खान ने दबा दया था। ई. म अकमल खान अफरीद के नेतृ व म अफगान ने फर से व ोह कर दया।
पंज ाब के सतनामी कसान ई. म पंज ाब के सतनामी कसान ारा व ोह एक सतनामी कसान और एक मुगल पैदल सै नक के बीच मामूली ववाद से छड़ गया था । सतना मय ने एक वतं सरकार क ापना क ले कन शाही सेना ने व ोह को
कु चल दया।
बुंदेलखंड बुंदेलखंड म चंपत राय और छ साल बुंदेला के नेतृ व म बुंदेल ने औरंगजेब क त यावाद नी तय के खलाफ व ोह कर दया । छ साल ने शाही सेना पर हमला कया और मुगल सा ा य के पड़ोसी इलाक से
चौथ कर वसूल करना शु कर दया।
जाट व ोह मथुरा के फौजदार अ द उन नबी ारा क गई ू रता ने मथुरा और आगरा के आसपास के जाट को
ई. म व ोह।
तलपत का एक जम दार गोकु ल जाट नेता बन गया और उसने फौजदार को मार डाला। स ाट ने वयं इस े म माच कया और गोकु ला ई वी पर क जा करके और न पा दत करके व ोह को अ ायी प से
दबा दया।
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व ोह कारण ववरण
सख व ोह गु तेग बहा र ने औरंगजेब क धा मक नी त का खुलकर वरोध कया और एक जनसभा म इसका वरोध कया।
औरंगजेब ने उ ह गर तार कर लया और इ लाम वीकार करने के लए मजबूर कया। गु के इनकार के कारण उसे यातना द गई और अंत म उसे फाँसी दे द गई। ई. म द ली के काजी के आदे श पर गु
तेग बहा र का सर काट दया गया ।
सख के दसव गु गु गो बद ने सै य कारवाई को सही ठहराने के लए सख वचारधारा क पुन ा या क और खालसा शु क सेना बनाई। गो बद सह क मृ यु के बाद बंदा बहा र के नेतृ व म खालसा ने मुगल
के खलाफ व ोह कया।
उ तर प चम हालाँ क औरंगज़ेब के खलाफ सबसे गंभीर व ोह जोधपुर के राजपूत ारा कया गया था। इसक शु आत तब ई जब महाराजा जसवंत सह क मृ यु ई वी म उ र प मी आ दवासी े म ई।
भारत मारवाड़ उनका कोई उ रा धकारी नह था ले कन उनक एक गभवती रा नय ने उनके पु अजीत सह को ज म दया।
मुगल सा ा य का पतन
मुगल सा ा य अ य धक क कृ त हो गया था और इतना बड़ा हो गया था क कसी एक क से कसी भी शासक ारा नयं त नह कया जा सकता था
द ली। शासन या औरंगजेब तक महान मुगल कु शल थे और शासन और सेना पर नयं ण रखते थे हालाँ क बाद के मुग़ल कमज़ोर थे और उनम रद शता क कमी थी।
औरंगज़ेब के शासनकाल के अं तम वष के दौरान नयु कए गए जागीरदार क सं या इतनी बड़ी सं या म बढ़ गई थी क पाइबाक भू म जागीर के प म द जाने वाली
भू म क गंभीर कमी थी। इसने रईस और मुगल स ाट के बीच जागीरदारी व ा म भारी संक ट पैदा कर दया।
औरंगजेब क द कन नी त मुगल वंश के पतन का एक अ य कारण थी। बीजापुर और गोलक डा के शया सा ा य के खलाफ उनके धा मक उ पीड़न और मराठ के खलाफ लंबे
समय तक चलने वाले यु ने उनके अपने रईस और मनसबदार के बीच असहम त पैदा कर द ।
भारत
वीकार मुगल सा ा य
अफ़ग़ा न तान ई. म
Peshawar
इलाहाबाद
च ौड़गढ़ पटना
इसके लए लडो
अहमदाबाद
भारत
यांमार
नजामशाही
Aurangabad
अरब सागर
गोलकुं डा
Bijapur
बंगाल क खाड़ी
गोवा
Bijapur
पुतगाली मराठा
चं गरी
मुगल सा ा य
आधु नक नाम
पॉलीगस
ी
लंक ा
भारतीय महासागर
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
मुगल शासन
समाज अथ व ा और कला
सू का कहना है दसव क ा पुराना एनसीईआरट अ याय भारत क वरासत क ा यारहव नई एनसीईआरट अ याय मौय र झान
भारतीय कला और वा तुक ला क ा यारहव नई एनसीईआरट अ याय इंडो इ ला मक आ कटे चर के कु छ पहलू
क ा यारहव नई एनसीईआरट अ याय मं दर वा तुक ला और मू तकला
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मुगल शासक ने ांतीय सरकार के संगठन पर भी ब त यान दया। मुगल कायकारी मुख था। उनका कत मु य प से व ोह और कानून व ा क सम या का यान रखना
सा ा य सूब म वभा जत था। ये थे बंगाल बहार इलाहाबाद अवध आगरा था। उसका े ा धकार े क आव यकता के अनुसार न त कया जाता था। वशेष प र तय
द ली लाहौर मु तान काबुल अजमेर मालवा गुज रात अहमदनगर खानदे श और बरार। म राज व वसूली के मामले म उसे अमलगुज़ ार क सहायता करनी थी।
द वान सूबे म राज व वभाग का मुख होता था। ा तीय द वान क परगना परगना
नयु स ाट ारा क जाती थी। उ ह ने सूबे म राज व सं ह क नगरानी क और सरकार के नीचे क शास नक इकाइयाँ थ । शकदार परगना का कायकारी अ धकारी था।
सूबे म कए गए सभी खच का लेख ा जोखा रखा। एक रोज़नामचा दै नक र ज टर
द वान ारा बनाए रखा जाता था जसम शाही खजाने म जमा क गई
परगना के मह वपूण अ धकारी थे शकदार वह परगना का
रा श क व याँ होती थ ।
कायकारी अ धकारी था और
राज व सं ह म आ मल क सहायता क ।
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ानीय शासन के अ य मह वपूण वभाग अकबर ने अपने रा य के येक भाग म भू म नापने क णाली लागू क ।
डाक ववरण
ह के नाग रक मामल को ह गत कानून के अनुसार और मुसलमान के दहसाला क गणना पछले दस वष म औसत क मत क अनुसूची के आधार
मामल को मु लम गत कानून के अनुसार नपटाया गया। ले कन पर क गई थी।
मामले म अगर एक प मु लम है और सरा ह है तो या यक या के लए इ लामी रा य हमेशा समय समय पर इसम संशोधन करता रहता था।
कानून का इ तेमाल कया जाता है। आपरा धक मामल म के वल इ लामी
दहसाला णाली ज़ ती णाली का एक और वकास था । वा तव म यह मापन और
कानून का उपयोग कया जाता है।
मू यांक न क णाली थी। इसे कभी कभी टोडरमल का बंदोब त भी कहा
जाता है।
धा मक के अलावा अ य मामले मीर ए अदल ारा सुने जाते ह।
Batai Ghallabakhshi
मौ क णाली
Babur in Kabul started silver Sarukhi and Baburi named coins अकबर के अधीन मू यांक न क एक अ य णाली बटाई या ग़ लाब ी कहलाती
in Kandhar. थी। इस णाली म उपज को कसान और रा य के बीच न त अनुपात म
वभा जत कया गया था।
अकबर ने व भ वजन और मू य के व भ सोने चांद और तांबे के स के चलाए।
अकबर ने अशराफ नाम का एक सोने का स का भी चलाया।
बटाई के तहत कसान को नकद या व तु के प म भुगतान करने का वक प
दया गया था।
अकबर ने स क पर शासक क शंसा करते ए फारसी क वता लखने क था शु क।
नसाक एक
अकबर ने अपने स क को नए इलाही युग के अनुसार दनां कत करना शु कया । तीसरी णाली जो अकबर के समय म ापक प से उपयोग क जाती थी नसाक
जहांगीर ने नसार नाम का चांद का स का बताया। थी। पूव म कसान जो भुगतान कर रहे थे उसके आधार पर यह एक मोटा हसाब
औरंगजेब ने स क पर कलमा ाथना अं कत करना ारंभ कया। था।
इसे कं कु ट या अनुमान भी कहते ह।
राज व शासन
भू म का वग करण भू म को न न ल खत
मुगल काल के दौरान भू राज व और अ य कर आय के मुख ोत थे। मुसलमान से
चार कार म वग कृ त कया गया था पोलाई लगातार खेती क जाती
लया जाने वाला जकात कर संप का . और ह पर ज जया कर भी राज व म
है और ब त उपजाऊ होती है। I परौती ने अपनी उ पादकता को पुनः ा त करने
शा मल है।
के लए एक या दो साल के लए परती छोड़ द । I चाछर साल के लए परती छोड़
द जाती है। बंज ार
इसके अलावा खु स यु क लूट का भी ह सा था
कृ ष यो य भू म.
आय।
भू म राज व शासन
मुगल काल म वशेषकर अकबर ने भू राज व व ा पर गत यान दया। उसने तोपखाना स हत मुगल
शेर शाह क णाली को अपनाया जसके ारा खेती के े को मापा गया और एक फसल
सेना का मु य आधार सेना अ ारोही और हाथी थे।
दर करण तैयार क गई।
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अकबर ारा मुगल सेना म अपनाई गई एक नई प त है जो दाग और चेहरा थी। इस जागीर के कार
उ े य के लए सै नक के घोड़े पर शाही नशान लगा दया जाता था जसे दाग णाली
कार कृ त अथ
कहा जाता था। सव े और त ध सै नक क आव यकता के साथ सै नक का
एक वणना मक रोल चेहरा शा मल कया गया था। Tankha Jagirs Transferable यह वेतन के बदले दया जाता है।
मुगल सा ा य म मनसबदारी णाली क शु आत क । मनसब श द अरबी मूल ांत और क म उ भावशाली अ भजात वग थे जो धनी थे।
का है जसका अथ पद या पद होता है। मनसबदारी व ाक उप चंगेज खान से
संबं धत है। कसान मक नौकर दास भखारी आ द न न म यम वग और म यम वग के अंतगत
आते थे।
मनसबदारी णाली के तहत येक अ धकारी को एक रक मनसब स पा गया उ र भारत म लोग गे ं दाल और स जय का उपयोग करते ह और द णी और पूव
था। रईस के लए सबसे कम रक और उ तम रक तक था। र संबंध भारत म चावल और मछली का अ धक सेवन कया जाता है।
वाले राजकु मार को हमेशा उ मनसब ा त होता था।
Jagirdari System
जागीरदारी णाली को भू म वा म व क णाली के प म प रभा षत कया जा ापार के मुख क I बंगाल चीनी और
सकता है। जन मनसबदार को भू म जागीर के मा यम से भुगतान कया जाता था उ ह चावल के साथ साथ मलमल और रेशम भी। कोरोमंडल व उ पादन का
जागीरदार कहा जाता था । तट। I गुज रात ल लत व और रेशम पटोला वदे शी व तु का
मनसबदार को जागीर स पना अकबर ारा शु कया गया के वल राज व एक वेश ब ।
करने के अ धकार दे ने के लए था। बाद म राजपूत मनसबदार को उनक अपनी
मातृभू म के भीतर नवास के अ धक ापक अ धकार दए गए। I बुरहानपुर और आगरा उ र भारत म ापार के नोडल ब ह. मालाबार काली मच और
मसाले।
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म यकाल के स ापारी अकबरनामा इसे अबुल फजल ने लखा था। तीन खंड म वभा जत पु तक अकबर
के शासनकाल का आ धका रक इ तहास है। आईन ए अकबरी इस पु तक का अं तम
वरजी वोहरा उ ह ने पूरे ए शया म एजसी हाउस ा पत कए और अपने समय के सबसे
धनी य म से एक माने जाते थे। I अ ल गफू र बोहरा ने ई. म अपनी खंड था।
मृ यु के समय लाख पये नकद और सामान और समु जहाज का एक बेड़ा छोड़ा
था। तुज ुक ए जहांगीरी यह जहांगीर क आ मकथा और उसके युग का ाथ मक ोत है।
मलय चे काशी वीर ा और सुंक ा राम चे वे भारत और वदे श म ापक नेटवक के पदशाहनामा यह जहांगीर का पहला आ धका रक द तावेज है और उसके शासन
साथ कोरोमंडल े के अ यंत धनी थे।
के बारे म व तृत जानकारी दे ता है।
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मुगल वा तुक ला
अकबर बलुआ मायूं का • इसे मायूँ क प नी बेगा बेगम ारा शु कया गया था और ई वी म अकबर ारा पूरा कया गया था।
प र के मेहराब मु य मकबरे
• यह भारतीय उपमहा प का पहला उ ान मकबरा था।
प से सजावट प म का
सामा य उपयोग और आगरा का कला • अकबर ारा लाल बलुआ प र से ई वी म न मत यह वशाल कला पहली इमारत है जसम कई
अंद नी ह स पर चमक ले शानदार ार।
रंग के पैटन ारा सजावट अकबर
के शासनकाल के Fatehpur Sikri • एक महल सह कला प रसर फतेहपुर सीकरी अकबर ारा ई वी म बनवाया गया था।
दौरान बढ़ गई। • यह गुज रात शैली क वा तुक ला पर आधा रत है।
Panch Mahal • फतेहपुर सीकरी के अंदर त पंच महल पांच तरीय महल ।
• इसका उपयोग शाही म हला ारा मनोरंज न और आराम के उ े य के लए कया जाता था।
जहाँगीर ने अपने शासनकाल का मकबरा • यह नूरजहां के पता मजा गयास का मकबरा है। • इस मकबरे का मह वपूण पहलू इसक
के दौरान लाल बलुआ म डरपोक ं
या मतीय डजाइन और मोज़ेक तकनीक म अलंक रण है
प र को संगमरमर से दौला
पए ा ूरा का।
बदल दया और इसक शु आत
ई • इसे अ सर ताजमहल का ा प माना जाता है।
हाड टोन शैली म काय
बेगम शाही • बेगम शाही म जद लाहौर पा क तान म त व सद क शु आत क एक म जद है। म जद फारसी चार तक चार मेहराब क शैली म है।
म जद
मारक।
शाहजहाँ मुगल लाल कला • इसक वशाल . कमी लंबी घेरने वाली द वार लाल बलुआ प र से बनी ह। म कला बनकर तैयार आ
वा तुक ला ई. इसका मूल नाम कला ए मुबारक था।
अपने शासनकाल के
दौरान अपने चरम पर प ंच जामा म जद • द ली क जामा म जद भारत क सबसे बड़ी म जद है। इसे और के बीच बनाया गया था।
औरंगजेब ने इस काल म चुक ता बीबी का मकबरा • इसे औरंगजेब ने ई. म अपनी प नी दलरस बानो बेगम क याद म औरंगाबाद महारा म बनवाया था।
कया
प र और संगमरमर
ारा त ा पत कया गया
मोती म जद • म जद का नमाण औरंगजेब ने लाल कले म अपनी सरी प नी नवाब बाई के लए वष म करवाया था
ई.
ला टर अलंक रण के साथ
ट और मलबे। • म जद मूल प से सोने के तांबे से ढक ई थी।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
का उ व
मराठा सा ा य
ोत क ा VII पुराना एनसीईआरट अ याय मुगल सा ा य तीय का चरमो कष और वघटन
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अ ैल ई. को शवनेरी म ज मे शवाजी शाहजी और जीजा बाई के सबसे छोटे पु द कन े म मुगल और मराठ के बीच संबंध हमेशा त ध रहे ह।
थे।
After Shahji s death Shivaji was raised under the guardianship मुगल बादशाह औरंगजेब ने शाइ ता खान के नेतृ व म मराठ के खलाफ एक पूण
of Dadaji Konddev and Guru Samarth Ramdas was his spiritual अ भयान चलाया जसने ई. म पूना पर क जा कर लया था।
guru. हालाँ क बदले म शवाजी ने एक रात क हड़ताल क और शाइ ता खान के सभी बेट
को मार डाला और उसे भागने पर मजबूर कर दया।
साल क उ म शवाजी ने पूना राजगढ़ क डाना और तोरणा के कई पहाड़ी कल पर हमला
कया।
ई. म दादाजी क डदे व क मृ यु के बाद शाहजी के प म शवाजी अपनी पूना
शाइ ता खान क वफलता के बाद औरंगजेब ने शवाजी से नपटने के
जागीर के एकमा भारी बने
उ रा धकारी।
लए आमेर के राजा जय सह को नयु कया। जय सह ने शवाजी के दे श
के क कला पुरंदर पर हमला करने का फै सला कया। लंबी अव ध के बाद
शवाजी वैध अ धकार के प म शाहजी क सभी संप पर क जा करना चाहते थे। शवाजी ने बातचीत शु क और पुरंदर क सं ध पर ह ता र कए गए।
शवाजी के सै य अ भयान
शवाजी ने पहली बार ई. म एक कशोर के प म अपनी सै य रणनी त का प रचय शवाजी क आगरा या ा जय सह
दया। उ ह ने बीजापुर के अंतगत आने वाले तोरना कले पर सफलतापूवक नयं ण कर लया। ने शवाजी को आगरा म मुगल स ाट से मलने के लए
राजी कया जो एक आपदा सा बत ई। जब शवाजी को
के मनसबदार क ेण ी म रखा गया तो शवाजी ने अपमान
शवाजी ारा लड़े गए यु महसूस कया एक ऐसा पद जो उनके नाबा लग बेटे को पहले
यु तारीख ववरण दया गया था।
क लड़ाई व • शवाजी क सेना और आ दलशाही सेनाप त अफजल खान के शवाजी गु से म चले गए और शाही सेवा से इनकार कर दया। बाद म उ ह
Pratapgarh नवंबर बीच।
आगरा के कले म नजरबंद कर दया गया जहां से वे ई. म भाग नकले। शवाजी
ई सं या म कम होने के बावजूद मराठ ने आ दलशाही
क आगरा या ा मराठ के साथ मुगल संबंध म मह वपूण मोड़ सा बत ई।
सेना को हरा दया।
क लड़ाई जून • यह जय सह और शवाजी के अधीन मुगल सा ा य के बीच लड़ा शवाजी ारा ा पत मराठा सा ा य समय के साथ बड़ा होता गया और व
Purandar ई गया था। मुगल सेना ने मराठा जनरल मुरारबाजी को
शता द क शु आत म मुख भारतीय श बन गया।
मार डाला शवाजी ने आ मसमपण कर दया और
पुरंदर क सं ध पर ह ता र कए गए।
क लड़ाई कल जगह
• यह सहगढ़ कले पर क जा करने के लए मराठा के तानाजी
Sinhagad फ़रवरी मालुसरे और मुगल सेना के उदयभान राठौर के बीच लड़ा गया
ई सहगढ़ कला पुण े पहले क ढाणा के नाम से जाना जाता था
था। • मराठा सेना ने क ज़ा कर लया
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मराठा शासन अ नवाय प से शासन और मुगल सं ान क द कनी स तनत संरचना शवाजी का सै य संगठन काफ हद तक कले णाली पर आधा रत था। अपने
से लया गया था। जीवन के दौरान शवाजी ने लगभग कल का नमाण कया और एक भी
अ धकारी को कले का भार नह स पा गया था। इसके बजाय हर
कले म हवलदार सबनीस और सरनोबत थे।
क य शासन
मराठा राज व ा क कृ त अ नवाय प से एक क कृ त और नरंकु श हवलदार कले क चा बय का भारी होता था । सबनीस ने म टर रोल को
राजशाही थी ले कन परोपकार के त व के साथ। राजा मामल के मुख थे इसका नयं त कया और कले के सभी सरकारी प ाचार को नपटाया। सरनोबत
मु य उ े य अपने वषय राजा काल य कणम क सुख और समृ था। चौक का भारी था।
राज व शासन
ांतीय शासन
शवाजी ने मराठा सा ा य म जागीरदारी णाली क जगह रैयतवारी
मराठा सा ा य मौजस तार स और ांत म वभा जत था। इनम मौजा सबसे नचली इकाई णाली क शु आत क । उसने वंशानुगत राज व अ धका रय क त बदल
थी। द । शवाजी उन मरासदार पर भी कड़ी नगरानी रखते थे जनके भू म म
ांत को सूबेदार करकु न मु य दे शा धकारी के शासन के तहत ांत के प म जाना वंशानुगत अ धकार थे।
जाता था ।
शवाजी के अधीन कोई भी अ धकारी ायी और वंशानुगत नह था। सभी अ धकारी राज व णाली म लक अंबर क काठ णाली पर त पत थी जसम भू म
बार बार ाना तरण के लए उ रदायी थे। के येक टु क ड़े को काठ या छड़ी से मापा जाता था।
ले कन पेशवा के अधीन कई कायालय ायी हो गए।
आय के अ य ोत चौथ और सरदे शमुख ी थे। चौथ उस मानक का
मराठा शासन के अधीन अ य मह वपूण पद दे शमुख ाम धान जमादार था जो मराठ को गैर मराठा े म एक सुर ा के प म भुगतान
कोषा य बड़े ांत के ममलतदार सूबेदार कया गया था।
छोटे ांत के काम व दार सूबेदार
सूबेदार के काय के पयवे क सरदे शमुख ी मराठा सा ा य के बाहर के े से क अतर
मांग थी।
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वह गाँव के लोग और मराठ क नौकरशाही के बीच क मु य कड़ी थे। पटे ल का पद माधव राव थम ई.
कृ त म वंशानुगत था। बालाजी बाजीराव क मृ यु के बाद उनके पु माधव राव ने उ ह पेशवा के प म सफल
बनाया। माधव राव ने मैसूर के हैदर अली को हराया।
शवाजी के उ रा धकारी संभाजी शवाजी
क मृ यु के बाद पहली प नी से उनके पु संभाजी ई वी म मराठ के राजा उ ह ने उ र भारत म फर से मराठ का मराठा वच व ा पत कया।
बने। उसने मुगल े पर हमले जारी रखे। मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपनी पूरी उसक मृ यु के बाद पेशवा श का तेज ी से ास आ।
मता के साथ मराठ के खलाफ यु छे ड़ दया। संभाजी को ई वी
म पकड़ लया गया और मार दया गया। उनके शशु पु सा जी को कै द कर लया
गया। आं ल मराठा यु थम आं ल
मराठा यु ई. पेशवा शप के लए रघुनाथ राव राघोबा के कारण
का समथन करते ए अं ेज ह टग मराठ के साथ संघष म आ गए।
ई वी म राजाराम क मृ यु के बाद उनक वधवा ताराबाई ने अपने बेटे शवाजी सरा आं ल मराठा यु ई. यह टश ई ट इं डया कं पनी और भारत म
तीय को छ प त के प म घो षत कया और उनके रीजट के प म शासन कया। मराठा सा ा य के बीच संघष था। मराठा पेशवा ने बे सन क सहायक
गठबंधन सं ध पर ह ता र कए। तीसरा आं ल मराठा यु ई. लॉड
शा वह संभाजी का पु था और एक ब े के प म मुगल ारा म अपनी मां के हे टग भारत म टश सव ता क घोषणा करने के लए ढ़ संक पत थे।
साथ बंद बना लया गया था। ई. म मुगल बादशाह बहा र शाह थम ने वह पडा रय के व चला गया। यह टश ई ट इं डया के बीच अं तम और नणायक
शा को रहा कर दया। इसके बाद अपनी चाची ताराबाई के साथ शा ने एक सं त संघष था
यु लड़ा और ई वी म मराठा सहासन ा त कया।
Narayan Rao AD
पेशवा का उदय
नारायण राव नवंबर से अग त म ह या ारा अपनी मृ यु तक
शा के शासनकाल के दौरान बालाजी व नाथ एक मुख पेशवा बने। अगले पचास वष
मराठा सा ा य के पांचव पेशवा थे।
म पेशवा ने भारतीय उपमहा प के सभी दशा म मराठा श का व तार कया।
मह वपूण पेशवा थे बालाजी व नाथ ई.
Sawai Madhav Rao AD
उ ह सवाई माधव राव या माधव राव तीय नारायण के नाम से भी जाना जाता है।
वह नारायण राव पेशवा के मरणोपरांत पु थे। माधव राव क मृ यु एक
पेशवा बालाजी व नाथ के नाम से बेहतर जाने जाने वाले वंशानुगत पेशवा क
आ मह या थी।
ृंख ला म से पहले थे ज ह ने मराठा सा ा य पर भावी नयं ण ा त कया। बालाजी
व नाथ ने मराठा सा ा य पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लए एक युवा मराठा
स ाट शा क सहायता क । उ ह मराठा रा य का तीय सं ापक Peshwa Baji Rao II AD
कहा जाता था।
माधव नारायण राव ई. क मृ यु के बाद रघुनाथ राव के पु बाजीराव तीय
पेशवा बने।
बाजीराव थम ई. वह एक अ म शासक था। उ ह ने दसंबर म अं ेज के साथ बे सन क सं ध पर
पेशवा के प म सेवा करने से पहले वह मराठा सा ा य के एक जनरल थे। ह ता र कए जसम टश बाजी राव तीय को पेशवा के प म बहाल
बाजी राव थम को भारत म मराठा सा ा य के व तार का ेय दया जाता है। करने के लए सहमत ए। ायी प से तैनात करने के बदले म सं ध क गई थी
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पूना म अं ेज के नवासी और टश सै नक को मराठा े म तैनात कया जाएगा। पेशवा माधव राव थम के । उनके बाद पेशवा अपने अधीन मुख को नयं त
लकर और सधी ने इस सं ध का वरोध कया जसके प रणाम व प तीय आं ल मराठा नह कर सकते थे जो एक सरे के हत के खलाफ चलते थे।
यु आ।
राजनी तक रद शता का अभाव मराठ म राजनी तक ान और रद शता का अभाव
मराठ म आंत रक घुसपैठ के कारण अं ेज ने मराठ को हरा दया और मराठ को था। जब वे भारत म सबसे मजबूत श बन गए थे तो वे के वल मुगल स ाट को
अपने अ धकांश े को अं ेज को स पने के लए मजबूर होना पड़ा। नयं त करना चाहते थे।
ई. के दौरान तीसरा आं ल मराठा यु आ जो मराठ क हार म समा त इस लए वे भारत क राजनी तक एकता हा सल करने म वफल रहे।
आ और बाजी राव तीय को गायकवाड़ के राज व पर दाव को यागने और अं ेज को बड़े
वाथ े को स पने के लए एक समझौते पर ह ता र करने के लए मजबूर होना पड़ा। जागीरदारी णाली बाद के मराठा काल के दौरान मराठा मुख ने चौथ और
सरदे शमुख ी क वसूली क सु वधा के लए अपने अ धका रय को जागीर वत रत
क जससे जागीरदारी णाली का वकास आ। इस णाली ने मराठा
मुख को हर तरह से कमजोर कर दया।
पानीपत क तीसरी लड़ाई I मराठ क
भावशाली छ व को चोट प ंची थी
ई. म पानीपत के तीसरे यु म अहमद शाह अ दाली क पराजय। त प ात मराठा सै य कमजोरी मराठा श के पतन का ाथ मक कारण उसक सै य कमजोरी
एक संघ म प रव तत होने लगे। थी। उ ह ने यु के यूरोपीय साधन को अपनाया ले कन उ ह पूण करने म असफल
रहे।
नागपुर के भ सले यह पहला वतं रा य था जो मराठा संघ म उभरा। रघुज ी भ सले मराठ क मह वपूण सं धयाँ
ई. सं ापक थे ज ह ने बंगाल और बहार म मराठा सा ा य का व तार कया।
नाम वष मह व
शासक म हार राव हो कर को होलकर रा य दान कया। इस वंश क महानतम शासक सालबाई क सं ध वारेन हे ट स और महादजी शदे के तहत ई ट इं डया कं पनी के
अ ह याबाई हो कर ई. ह मं दर क महान अ त और नमाता थ । बीच ह ता र कए गए।
आंत रक कमजोरी मराठ का सा ा य एक मुख के अधीन क य सा ा य नह था। मराठ क क सं ध मराठा के म हार राव हो कर और अं ेज के बीच।
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आधु नक इ तहास
अ याय
बाद के मुगल व सद
ोत क ा आठव नई एनसीईआरट अ याय ापार से े तक क ा आठव पुराना एनसीईआरट अ याय अठारहव शता द म भारत
क ा बारहव पुराना एनसीईआरट अ याय अठारहव सद म भारत
तरीका।
उ ह ने मराठा सरदार के संबंध म आधा अधूरा समझौता कया। उ ह ने उ ह द कन क
औरंगज़ेब क मृ यु के बाद जो मुग़ल बादशाह ग पर बैठे उ ह परवत मुग़ल कहा सरदे शमुख ी दान क ले कन चौथ क उनक मांग को खा रज कर दया गया।
जाता है।
इन शासक के अधीन वा त वक श रईस के हाथ म चली गई।
उ ह ने शवाजी के पोते शा को रहा कर दया ले कन उ ह सही मराठा राजा के पम
नह पहचाना। इसके प रणाम व प तारा बाई और शा के बीच वच व के लए संघष
म जब ना दर शाह ने मुग़ल बादशाह को बंद बना लया और द ली को लूट आ और द कन म अ व ाक त पैदा हो गई।
लया तो सा ा य क कमज़ोरी नया के सामने खुल गई।
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उ ह अं ेज के अधीन भारत पर शासन करने वाला पहला मुगल स ाट माना जाता है।
सधु के प म सा ा य के ांत।
उनके शासनकाल को अफगान शासक अहमद शाह अ दाली ारा लूटपाट क ृंख ला ारा वह अं तम मुग़ल बादशाह था हालाँ क उस समय मुग़ल बादशाह का पद नाममा
च त कया गया है ज ह ने और के बीच उ र भारत पर पांच बार आ मण धान ही रह गया था।
कया था।
उनके शासनकाल के दौरान मराठ ने मालवा और बुंदेलखंड के मुगल े पर सफलतापूवक वह उ शायरी के अ े जानकार थे और ज़फ़र के उपनाम से क वताएँ लखते थे । वह
क जा कर लया। स उ क व मजा गा लब के समकालीन थे।
वह अपने ही वजीर इमाद उल मु क ारा कै द और अंधा कर दया गया था।
म गवनर जनरल लॉड डलहौजी ने घोषणा क क बहा र शाह के
उ रा धकारी को ऐ तहा सक लाल कले को छोड़ना होगा।
Alamgir II
अहमद शाह के अपमान के बाद इमाद उल मु क ने आलमगीर तीय को मुगल सा ा य के म वायसराय कै नग ने घोषणा क क बहा र शाह क मृ यु के बाद मुगल राजा
स ाट के प म खड़ा कया। का खताब खो दगे और के वल राजकु मारी के प म जाने जाएंगे।
उनके शासनकाल के दौरान मुगल सा ा य ने अहमद शाह अ दाली के बार बार
हमले दे ख े। लासी का यु भी उ ह के शासनकाल म लड़ा गया था। के व ोह के दौरान उ ह व ोही सै नक और जम दार ारा भारत के स ाट के
प म मा यता द गई थी।
उसक ह या उसके ही वजीर इमाद उल मु क ने क थी।
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सतंबर को अं ेज ने द ली पर क जा कर लया और वृ बहा र शाह को बंद बना लया। ना दर शाह और अहमद शाह अ दाली के आ मण भी पतन का कारण थे।
शाही राजकु मारी को बेरहमी से पकड़ लया गया और मार डाला गया।
के पतन के कारण
नक मे और लापरवाह बाद के मुगल बादशाह भी पतन का कारण बने।
मुगल सा ा य
उ रा धकार के न त कानून क अनुप त सरकार क अ रता का कारण बनती
मुगल सा ा य के पतन के कारण इस कार ह
है। दे शभ क क मत पर प पात का वकास मौजूद था।
औरंगज़ेब क धा मक नी तयां भेदभावपूण थ और इसका सबसे मुख उदाहरण ह पर लगाया औरंगजेब क मृ यु के बाद सा ा य के वशाल व तार ने कमजोर शासक के
जाने वाला कर है जसे ज जया कहा जाता है जससे जनता के साथ साथ ह शासक म भी लए इसे नयं त करना मु कल बना दया।
असंतोष पैदा हो गया।
औरंगजेब क धा मक नी त के कारण राजपूत स ख जाट और मराठ के सै नक व ोह
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
यूरोपीय का आगमन
भारत म श याँ
ोत क ा आठव नई एनसीईआरट अ याय ापार से े तक क ा आठव पुराना एनसीईआरट अ याय उदय और वकास
भारत म टश शासन क ा बारहव पुरानी एनसीईआरट अ याय यूरोपीय वेश और भारत क टश वजय
क ा बारहव नई एनसीईआरट अ याय उप नवेशवाद और दे श प
पुतगाली
वा को द गामा के आगमन से पहले उनके शासक डोम हेन रक जसे हेनरी द नौसै नक े ता और द ण भारत म मुगल के प म मजबूत मन
ने वगेटर के नाम से भी जाना जाता है के तहत पुतगा लय ने भारत के लए समु माग क अनुप त के कारण वे एक शता द तक भारत म अपनी संप बनाए
खोजने के लए मह वपूण यास कए। रखने म सफल रहे।
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पुतगा लय का पतन
भारत म मह वपूण पुतगाली गवनर ां ससो डी अ मेडा उ ह ने
मु य प से यूरोपीय श य के बीच ती त धा के कारण व शता द के उ राध के
म म के सु तान और गुज रात के शासक के संयु नौसै नक बेड़े को
हराया। उ ह ने भारतीय उपमहा प म पुतगाली पकड़ को मजबूत करने दौरान पुतगाली श का पतन शु हो गया था।
और कले बनाने के लए लू वाटर पॉ लसी अपनाई। अंज द वा क ानोर और
कोचीन। अ फ सो डी अ बुक क वह है व शता द क शु आत तक पुतगा लय क त अं ेज और च ारा संभाली गई थी।
डच नवासी
पुतगा लय का योगदान म डच ई ट इं डया कं पनी क ापना ई। डच टे ट्स जनरल डच संसद ने इसे एक
पुतगा लय ने शाही एका धकार के साथ काली मच चाटर दया। इस चाटर ने इसे यु छे ड़ने सं धय को समा त करने दे श का अ ध हण
ह थयार और गोला बा द और यु के घोड़ का ापार कया। करने और कले बनाने का अ धकार दया।
भारत म पुतगाली शासन के तहत तंबाकू और म का क खेती भी जैसा क उनक मु य च मसाल के ापार म थी उ ह ने ज द ही महसूस कया क मसाल
को भारतीय व के मुक ाबले सबसे आसानी से ा त कया जा सकता है। इस कार वे अं ेज ी
शु ई।
के साथ प म म भारतीय व के नयात म सहायक थे।
उ ह भारतीय औषधीय पौध पर पहले वै ा नक काय का ेय भी दया
जाता है।
वे द ण म मसुलीप नम से कोरोमंडल तट तक फै ल गए ानीय शासक से पुलीकट को ा त
कया और इसे अपने संचालन का आधार बनाया।
भारत म पुतगा लय ारा लड़ी गई मुख लड़ाइयाँ चौल क लड़ाई
यह एक नौसै नक यु था
उ ह ने प म भारत म गुज रात म सूरत ोच कै बे और अहमदाबाद और के रल म
पुतगा लय और मामलुक सु तान और के सु तान क संयु सेना के बीच लड़ाई
ई कोचीन म ास म नागप म आं म मसूलीप नम बंगाल म चनसुराह बहार म पटना
गुज रात। इसके प रणाम व प पुतगा लय क हार ई। द व का यु और उ र दे श म आगरा म ापा रक डपो भी ा पत कए।
यह भी एक नौसै नक यु था
एक तरफ पुतगाली सेना और गुज रात के सु तान कालीकट के ज़मो रन और म
के मामलुक सु तान क संयु सेना के बीच लड़ाई ई। बाद म उ ह ने पुतगा लय को हराया और मालाबार तट पर उनके मुख कल पर क जा कर
लया। म उ ह ने पुतगा लय से ीलंक ा को भी जीत लया। इंडोने शयाई प के मसाला
इसके प रणाम व प पुतगा लय क नणायक जीत ई। वाली क ापार के बंटवारे को लेक र अं ेज ी कं पनी डच कं पनी से अलग हो गई।
लड़ाई यह टश और पुतगाली औप नवे शक श य के बीच लड़ी गई थी।
इस यु म पुतगा लय ने सूरत को अं ेज से खो दया। वसई क लड़ाई
यह मराठ और पुतगाली सेना के बीच लड़ी गई थी। इसका
दो श य के बीच भारत म आंतरा यक यु म शु आ और म समा त
प रणाम मराठ क वजय के प म आ।
आ जब अं ेज ने इंडोने शया पर सभी दावे छोड़ दए जब क डच भारत म अं ेज ी ब तय को
छोड़ने के लए सहमत हो गए।
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पटना
सूरत समु ापार के मुख क म से एक था यह सूरत से है क अं ेज ने अपने
नागप नम अंतदशीय ापा रक काय का व तार कया और तक अहमदाबाद बड़ौदा
कोचीन भ च और आगरा म अधीन कारखान का नमाण कया।
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डेन डे नश
लंबी बातचीत के बाद अं ेज को नए स ाट शाह आलम और बंगाल के डेनमाक के लोग ई वी म डेनमाक से भारत आए और ई वी म ां यूबार
वा त वक शासक मु शद कु ली खान से उनके वशेषा धकार क पु मली।
त मलनाडु म अपना पहला कारखाना ा पत कया। बाद म उ ह ने अपना सरा
कारखाना और इसका मु यालय बंगाल के सेरामपुर म ा पत कया।
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ांसी सय ने नवाब बनने के लए चंदा सा हब का समथन कया और अं ेज ने इस यु के प रणाम व प अं ेज ने नज़ाम के संर क के पम ांसीसी
म मुह मद अली को आक ट के नवाब के पम ा पत करने के लए एक छोट सेना के को हटा दया और उनसे मसूलीप नम और उ री सरकार को सुर त कर लया।
साथ रॉबट लाइव को भेज ा।
म पे रस क सं ध पर ह ता र के साथ यु समा त हो गया। भारत
इसके बाद ए यु म ांसीसी सेना बार बार परा जत ई और चंदा साहब को पकड़कर म ांसीसी कारखान को बहाल कर दया गया था ले कन वे अब कलेबंद नह हो
मार डाला गया। सकते थे या यहां तक क सै नक के साथ पया त प से बंद नह थे।
अंत म ांसीसी सरकार ने भारत म यु के भारी खच के कारण और अपने
अमे रक उप नवेश के नुक सान के डर से शां त वाता शु क। म यह भारत से
डु ले स को वापस बुलाने क अं ेज ी मांग पर सहमत हो गया। एं लो च संघष का मह व इस संघष ने अं ेज ी को उसके सभी
यूरोपीय त ं य से मु कर दया और उ ह ने भारत म े ीय व तार
के एक नए युग क शु आत क । ले कन इससे भी मह वपूण बात यह है क
उ ह ने कु छ सबक सीखे जससे उ ह भारत म अपने सा ा य को मजबूत
तीसरा कनाटक यु
करने म मदद मली।
दोन कं प नय के बीच अ ायी शां त म समा त हो गई जब इं लड और ांस के बीच
एक और यु छड़ गया। सबसे पहले क म रा वाद के अभाव म
दे श म वे भारतीय शासक के आपसी झगड़ का लाभ उठाकर अपनी राजनी तक
यु क शु आत म ही अं ेज ने बंगाल पर अ धकार कर लया। बंगाल के समृ संसाधन ने योजना को आगे बढ़ा सकते थे।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
नव का उदय और
वाय रा य
तक मुगल सा ा य के वल एक तीका मक अ धकार था। इसक से तक उ ह ने अपनी वाइसराय ट के सभी वरोध को दबाने और
कमजो रय के कारण ानीय श य ने अपनी वतं ता का दावा कया। शासन को कु शल लाइन पर संग ठत करके डे कन पर अपना क जा जमा लया।
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ई. म उनक आक मक मृ यु के साथ उनके शासन का अचानक अंत हो गया। उ ह ने उ तम नाग रक पद और कई सै य पद को बंगा लय से भर दया जनम यादातर
ह थे।
कनाटक
इसके अलावा भले ही खान ने के वल मानक राज व क मांग क और अवैध उपकर को रोक
कनाटक मुगल द कन के सूबा म से एक था और हैदराबाद के नजाम के अ धकार म आया था।
दया उसने ज़म दार और कसान से अ य धक ू रता के साथ राज व एक कया।
बंगाल के नवाब ने एक मजबूत सेना बनाने म उपे ा क और इसके लए भारी क मत चुक ाई।
बाद म के बाद अपने नवाब के लए बार बार संघष के कारण कनाटक के मामले बगड़ गए।
बंगाल क य
Sarfaraz Khan AD
स ा क बढ़ती कमजोरी के कारण मु शद कु ली खान और अलीवद खान ने बंगाल को व तुतः वतं कर
दया। वह शुज ा का पु था।
बंगाल के मुख शासक नवाब न न ल खत थे मु शद कु ली खान मु शद कु ली खान ग रया के यु ई. म बहार के गवनर अलीवद खान ने उसे परा जत कया और उसक ह या
कर द गई।
ई. को म बंगाल के
अलीवद खान ई.
द वान के प म नयु कया गया था और म बंगाल का गवनर बनाया गया था। उ ह ने नय मत
प से खुद को क य नयं ण से मु कर लया। स ाट को एक बड़ी ांज ल भेज ी। म बहार के उप रा यपाल अलीवद खान ने एक यु म बंगाल के नवाब सरफराज खान को
मार डाला।
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उनके दरबार म एक मुख समूह था जसम जगत सेठ ओ मचंद राय ब लभ राय लभ और अ य जीत ने अं ेज को उ री भारत म एक महान श बना दया और पूरे दे श पर वच व के
शा मल थे जो उनके वरोधी थे। दावेदार बन गए।
लैक होल ासद जून कं पनी ने द वानी अ धकार का योग द वानी के प म कया और नजामत अ धकार के मा यम से
माना जाता है क सराज उद दौला को अं ेज के साथ कै द कया गया था उप सूबेदार को ना मत करने का अ धकार दया। कं पनी ने बंगाल के सूबेदार से स ाट और नज़ामत
ज ह एक ब त छोटे से कमरे म रखा गया था जसके कारण उनम से क दम घुटने से काय से द वानी काय का अ ध हण कया।
मौत हो गई थी। यह
घटना को लैक होल ासद कहा जाता है।
न म उद दौला ई.
सराज उद दौला के शासनकाल क मह वपूण घटनाएँ वह मीर जाफर का बेटा था।
सराज उद दौला के शासनकाल म मह वपूण घटनाएं थ ई. म उ ह नवाब बनाया गया और रॉबट लाइव के अधीन सरकार क ैध व ा के काल
मीर का सम को स ा
मीर जाफर के बेटे मीरन क मृ यु के बाद मीर जाफर के दामाद मीर का सम और मीरान के बेटे के
बीच बंगाल के अ धकार को लेक र झगड़ा आ। वष तक सआदत खां को जम दार से यु करना पड़ा । वह अधम को दबाने और बड़े जम दार
को अनुशा सत करने और इस कार अपनी सरकार के व ीय संसाधन को बढ़ाने म सफल रहा।
ब सर का यु
बंगाल के नवाब क भाँ त सआदत खाँ भी ह और मुसलमान म कोई भेद नह करता
अ टू बर को ब सर म मेज र हे टर मुनरो के नेतृ व म अं ेज ी सेना ने अवध के नवाब था। उनके कई सेनाप त और उ अ धकारी ह थे।
मीर का सम और शाह आलम तीय क संयु सेना को एक करीबी मुक ाबले म हराया था।
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सफदर जंग ने म अपनी मृ यु से पहले अवध और इलाहाबाद के उ ह ने अं ेज के साथ फै जाबाद क सं ध ई. पर ह ता र कए। उसने
लोग को लंबे समय तक शां त दान क । ई. म अपनी राजधानी फै जाबाद से लखनऊ ाना त रत क ।
उसने व ोही जम दार का दमन कया सर पर जीत हा सल क और मराठा उ ह लखनऊ सं कृ त को बढ़ावा दे ने और इमामबाड़ा और मी दरवाजा जैसे मह वपूण
सरदार के साथ गठबंधन कया। वह राजपूत सरदार और शै फजादास क मारक के नमाण के लए भी जाना जाता है।
वफादारी हा सल करने म स म था ।
सआदत खां ई.
उ ह ने रो ह ला और बंगश पठान के खलाफ यु कया। म बंगश
वह आसफ के बड़े भाई थे। वह ई. म अं ेज क सहायता से ग पर बैठा।
पठान के खलाफ अपने यु म उ ह ने मराठा सेना क मदद ली।
लखनऊ लंबे समय तक अवध नवाब क एक मह वपूण सीट रही है। के बाद
द ली ने कला और सा ह य के संर ण म त ं ता क । यह ह त श प के यह के वल नाममा के लए मुगल सा ा य का ह सा था। यह वजयनगर सा ा य के पतन के
एक मह वपूण क के प म भी वक सत आ। बाद म ह वोडेयार राजवंश के तहत वतं हो गया।
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वह अपने भु व म मुगल शास नक और राज व णाली को शु करने के लए ट पू सु तान के तहत आधु नक औ ोगीकरण
ज मेदार था।
ट पू सु तान ने वशेष के प म वदे शी कामगार को आयात करके और कई उ ोग को रा य का
हैदर अली ने कमजोर और वभा जत रा य होने पर मैसूर पर अ धकार कर लया। ज द ही इसे समथन दे क र भारत म आधु नक उ ोग को पेश करने के कु छ यास कए।
मुख भारतीय श य म से एक बना दया।
उ ह ने धा मक स ह णुता का अ यास कया और उनके पहले द वान और कई अ य अ धकारी उ ह ने वदे शी ापार को वक सत करने के लए ांस तुक ईरान और पेगू यांमार म त भेज े।
ह थे। वह चीन के साथ ापार भी करता था।
लगभग अपनी स ा क ापना के ार से ही हैदर अली मराठा सरदार नज़ाम और अं ेज के
साथ यु म लगा रहा। म उ ह ने बार बार टश सेना को हराया और म ास क यहां तक क उसने यूरोपीय कं प नय क तज पर एक ापा रक कं पनी
द वार तक प ँचे। ा पत करने क भी को शश क और इस तरह उनक ावसा यक था क
नकल करने क को शश क ।
उसने बंदरगाह वाले शहर म सरकारी ापा रक सं ान क ापना करके स और अरब के
म सरे एं लो मैसूर यु के दौरान हैदर अली क मृ यु हो गई और उनके बेटे ट पू ने साथ ापार को बढ़ावा दे ने क को शश क ।
उनका उ रा धकारी बना लया।
ट पू सु तान क धा मक नी तयाँ ट पू अपने धा मक वचार म
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क बनाया। जयपुर स त वै ा नक स ांत पर और एक नय मत योजना के अनुसार य क मसल या र तेदारी के आधार पर संयोजन अब े को इकाइय के प म रखते
इसक चौड़ी सड़क समकोण पर मलती ह। इस पूरी अव ध के दौरान पंज ाब म राजनी तक अ धकार वक कृ त
गु हर गो बद ारा सख को एक उ वाद लड़ाकू समुदाय म बदलना शु महाराजा रणजीत सह के अधीन सेना रणजीत सह ने
कया गया था। यूरोपीय श क क मदद से यूरोपीय तज पर एक श शाली अनुशा सत
और अ तरह से सुस त सेना का नमाण कया।
हालाँ क यह सख के दसव और अं तम गु गु गो बद सह के नेतृ व म
था क वे एक राजनी तक और सै य श बन गए। उनक नई सेना सख तक ही सी मत नह थी। उ ह ने गोरखा बहारी उ ड़या पठान
डोगरा और पंज ाबी मुसलमान को भी भत कया।
गु गो बद सह क मृ यु के बाद बंदा बहा र ने कसान और नचले तबक को
एकजुट कया। रणजीत सह ने लाहौर म तोप बनाने के लए आधु नक उ ोग क ापना क और
पंज ाब क जा तय और मुगल सेना के खलाफ एक जोरदार ले कन असमान उनका उपयोग करने के लए मु लम बं कधा रय को नयु कया। उसके पास ए शया क
संघष कया। सरी सबसे अ सेना थी पहली अं ेज ी ई ट इं डया कं पनी क सेना थी।
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महाराजा रणजीत सह के मं य म सबसे मुख और भरोसेमंद फक र अजीज उ न थे जब क म बालाजी व नाथ मराठा सेना के मुख के प म सै यद सैन अली खान के साथ
उनके व मं ी द वान द ना नाथ थे। थे।
लाहौर के सहासन पर क जा करने के लए व भ समूह क योजना और त योजना ने म बालाजी व नाथ क मृ यु के बाद उनके वष य पु बाजी राव थम ने
अं ेज ारा छलपूण कारवाई का अवसर दान कया।
पेशवा के प म उनका उ रा धकारी बनाया।
तक जब बाजी राव क मृ यु ई मराठ ने मालवा गुज रात और बुंदेलखंड के कु छ ह स
थम आं ल सख यु ई. म शु आ अं ेज का नेतृ व ग गॉफ ने कया था। लॉड पर नयं ण हा सल कर लया था।
हा डग उस समय भारत के गवनर जनरल थे।
गायकवाड़ हो कर स धया और भोसले के मराठा प रवार इस अव ध के दौरान वष क
छोट अव ध म मुख ता से आए।
सख सेना का नेतृ व राजा लाल सह और तेग सह कर रहे थे।
थम एं लो सख यु क समा त ने सख को म एक अपमानजनक सं ध पानीपत क मह वपूण तीसरी लड़ाई म सदा शव राव भाओ के नेतृ व म मराठा सेना को
पर ह ता र करने के लए मजबूर कया जसम अं ेज को एक करोड़ पये से अ दाली ने हरा दया और इसने मराठा श के पतन क शु आत को च त कया।
अ धक क यु तपू त शा मल थी।
मराठा
वे मुगल शासन के नरंतर वरोध से उ प होने वाले एक और श शाली े ीय रा य थे। राजा मातड वमा
व शता द के मुख राजनेता म से एक राजा मातड वमा के अधीन के बाद
ावणकोर सा ा य मुख ता से उभरा।
व शता द के दौरान भारत के कई े म मराठा संघ का भु व था। मराठ के शासन ने
द कन और उ र दोन म मुग़ल शासन के लए शायद सबसे वकट चुनौती तुत क ।
उसने सामंत को अपने अधीन कर लया वलोन और एलाय एडम पर
वजय ा त क और डच को हराया इस कार के रल म उनक राजनी तक
श समा त हो गई।
जब द कन म साल के नरथक यु के बाद औरंगज़ेब क मृ यु हो गई तब भी मराठा अधीन उसने यूरोपीय अ धका रय क सहायता से प मी मॉडल पर एक मजबूत सेना का गठन कया और
रहे और उनक मृ यु के बाद शवाजी के पोते शा को बहा र शाह ने रहा कर दया। उसे आधु नक ह थयार से लैस कया। उ ह ने एक आधु नक श ागार भी बनाया।
ताराबाई गुट के साथ संघष बाद म म वारना क सं ध म तय कया गया जसने शवाजी हैदर अली ने म के रल पर अपना आ मण शु कया और अंत म कालीकट के ज़मो रन के
तीय को को हापुर रा य दया। े स हत उ री के रल को कोचीन तक मला लया।
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सामा जक आ थक तयां
Rajarama AD
व शता द के दौरान
वह सनसानी का जम दार था। उ ह ने ई. म जाट व ोह को नेतृ व
व सद का भारत पया त ग त से आ थक सामा जक या सां कृ तक
दान कया जसे आमेर के राजा बशन सह कछवाहा ने दबा दया था।
प से ग त करने म वफल रहा।
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गुलाम क त
आयात क व तुए ँ
व शता द म आए यूरोपीय या य और शासक ने भारत म दास के ापक सार क
फारस क खाड़ी े से मोती क ा रेशम ऊन खजूर सूख े मेवे
और गुलाब जल अरब से कॉफ सोना औष धयाँ सूचना द ।
तांबा लोहा सीसा और राजपूत ख य और काय के उ वग ने घरेलू काम के लए म हला को गुलाम रखा।
कागज़।
श ाक त
व शता द म भारत म द जाने वाली श ा अभी भी पारंप रक थी जो प म लखनऊ म आसफ उद दौला ने म बड़ा इमामबाड़ा का नमाण कया। व शता द के
म तेज ी से वकास के साथ मेल नह खा सकती थी। पूवाध म द ण म के रल म प नाभपुरम पैलेस का नमाण कया गया था जो अपनी
वा तुक ला और भ च के लए स थे। च कला के नए व ालय का ज म आ और
उ ह ने गौरव ा त कया। राजपुताना और कांगड़ा व ालय के च मुख हो
ान सा ह य कानून धम दशन और तक तक ही सी मत था और भौ तक
गए और नई जीवन श और वाद का पता चला।
और ाकृ तक व ान ौ ो गक और भूगोल के अ ययन को बाहर कर दया।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
शास नक और आ थक
टश शासन के तहत नी तयां
ोत क ा आठव नई एनसीईआरट अ याय प ापार से े अ याय दे श प पर शासन करना अ याय मूल नवासी
को स य बनाना रा को श त करना क ा आठव पुरानी एनसीईआरट अ याय शास नक संरचना नी तयां और
टश शासन का भाव क ा बारहव पुराना एनसीईआरट अ याय भारत के टश सा ा य क सरकार और आ थक नी तय क संरचना
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का चाटर अ ध नयम
कलक ा म सव यायालय क ापना म ई थी। इसम एक मु य यायाधीश
अ ध नयम ने बंगाल के गवनर जनरल को सभी नाग रक और सै य श य
और तीन अ य यायाधीश शा मल थे। के साथ भारत का गवनर जनरल बना दया। भारत के थम गवनर जनरल
कोट ऑफ डायरे टस कं पनी क शासी नकाय को भारत म अपने राज व नाग रक और लॉड व लयम ब टक ।
सै य मामल क रपोट टश सरकार को दे नी थी।
इस अ ध नयम ने कं पनी के वा ण यक और राजनी तक काय के बीच अंतर कया। भारतीय स वल सेवा पर मैक ाले स म त क नयु म स वल
सेवक क भत और चयन के लए क गई थी।
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बोड ऑफ कं ोल और कोट ऑफ डायरे टस को समा त करके दोहरी सरकार क भारत सरकार अ ध नयम
णाली को समा त कर दया गया। इसे म टागु चे सफोड सुधार के नाम से भी जाना जाता है।
भारत के गवनर जनरल का पद बदलकर भारत का वायसराय टश ाउन क य और ांतीय वधा यका को उनके संबं धत वषय क सूची पर
का य त न ध कर दया गया। कानून बनाने के लए अ धकृ त कया गया था।
इसने ावधान कया क वायसराय को कु छ भारतीय को अपनी व ता रत प रषद एक उ सदन रा य प रषद और एक नचले सदन वधान सभा से मलकर एक
के गैर सरकारी सद य के प म ना मत करना चा हए। सदनीय वधानमंडल ारा त ा पत कया गया था। दोन सदन के अ धकांश
सद य को य चुनाव ारा चुना गया था।
संघीय यायालय
सय साद स हा वायसराय क कायकारी प रषद म शा मल होने वाले पहले
भारतीय बने। उ ह कानून सद य के प म नयु कया गया था। भारतीय वतं ता अ ध नयम
भारत म टश शासन समा त हो गया और भारत को अग त से एक
इसने पृथक नवाचक मंडल क अवधारणा को वीकार कर मुसलमान के लए वतं और सं भु रा य घो षत कया गया।
सां दा यक तनधवक व ा शु क । इस कार अ ध नयम कानूनी
सां दा यकता और लॉड मटो को सां दा यक मतदाता के पता के प म जाना भारत का भारत का वभाजन आ और भारत और पा क तान के वतं भु व बनाए गए।
जाने लगा।
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लॉड मेयो क योजना का व तार म लॉड लटन ारा कया गया था ज ह ने को य प से हड़पने या लेने के लए।
भू म राज व उ पाद शु क सामा य शासन और कानून और याय जैसे य के कु छ
अ य मद को ांत म ानांत रत कर दया था। इस चरण म भारत से बड़े पैमाने पर धन क नकासी शा मल थी।
क और ांत के बीच व ीय व ा क हर पांच साल म समी ा क जानी थी। भारत म टश न मत व तु का बड़े पैमाने पर आयात नह आ
ले कन भारतीय व के नयात म वृ ई।
ानीय नकाय
वा ण यवाद मु त यापार का चरण
ऐसे कई कारक थे ज ह ने भारत म टश सरकार के लए ानीय नकाय क ापना
औ ो गक पूंज ीवाद
के लए यु करना आव यक बना दया था जैसे अ त क करण के कारण
सरकार को होने वाली व ीय क ठनाइय ने भारत म चाय कॉफ और नील के बागान ापार प रवहन खनन और आधु नक
वक करण को अ नवाय बना दया। उ ोग के वकास के लए टश पूंज ीप तय को भी मु त वेश दया गया।
ानीय क याण के लए ानीय कर का उपयोग टश क कसी भी सावज नक ायी बंदोब त और कृ ष म रैयतवारी णाली को पारंप रक कृ ष संरचना को पूंज ीवाद
आलोचना का मुक ाबला करने के लए कया जा सकता है जो पहले से ही म बदलने के लए पेश कया गया था।
अ य धक बोझ वाले राजकोष पर आक षत करने या अमीर उ वग पर कर
लगाने के लए अ न ु क ह। आ थक प रवतन और महंगे शासन नाग रक और साथ ही सै य के कारण कसान
ानीय नकाय का गठन पहली बार और के बीच आ था ले कन पर कराधान और बोझ तेज ी से बढ़ा।
यादातर मामल म मनोनीत सद य होते थे और उनक अ य ता जला
म ज ेट ारा क जाती थी।
वा ण यवाद व ीय पूंज ीवाद का चरण तीसरे चरण को अ सर वदे शी नवेश और
उप नवेश के लए अंतरा ीय त धा के युग के प म व णत कया जाता
म लॉड रपन क सरकार ने ांतीय सरकार से व ीय वक करण के समान
है।
स ांत को लाड मेयो क सरकार ारा काया वत ानीय नकाय के मामले म लागू
करने क इ ा क । उनके योगदान के लए लॉड रपन को भारत म
ानीय वशासन का जनक कहा जाता है। टे न के औ ो गक वच व को यूरोप संयु रा य अमे रका और जापान के कई
दे श ने चुनौती द थी।
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अथ व ा पर भावी नयं ण के लए ायी बंदोब त और रैयतवारी व ा के बाद तैयार क गई थी। ई ट इं डया कं पनी स चव हो ट
अं ेज ने व भ े म कई भू राज व व ाएं लागू क जो इस कार ह मैक ज़ी के नयमन के आधार पर म महालवारी णाली औपचा रक प से
शु क गई थी।
सदा के लए भुगतान
इसका उपयोग टश भारत के े उ रप म ांत म य भारत के कु छ
म लॉड कानवा लस ारा बंगाल बहार और उड़ीसा बनारस ह से पंज ाब और गंगा घाट म कया जाता था।
के जल और म ास के उ री जल म ायी बंदोब त क णाली शु क गई थी।
इस व ा के अ तगत राज व पूरे गाँव महल के उ पादन के आकलन के आधार पर
नधा रत कया जाता था और सभी भू वा मय के लए सामू हक प से नधा रत कया जाता
ायी भू राज व बंदोब त के अनुसार जम दार को भू म के ायी था।
वामी के प म मा यता द गई थी और वे सरकार के एजट के प म काय करते यह राज व बंदोब त उन जम दार के साथ कया गया था जो सामू हक प से गांव के
थे। राज व का वां ह सा जम दार ारा रखा जा सकता था जब क जम दार होने का दावा करते ह।
वां ह सा कं पनी को जमा कया
महालवारी व ा मूल प से एक दोहरी व ा थी जसम पूरे समुदाय के साथ और अलग
जाना था। अलग जम दार के साथ सामू हक प से बंदोब त कया जाता था। इस णाली
म राज व को समय समय पर संशो धत कया जाता था।
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म इन तीन ेसीडसी बक का वलय कर दया गया और एक नया बक बनाया लॉड मैक ाले के तहत क गई ग त
गया जसे इंपी रयल बक ऑफ इं डया नाम दया गया। बाद म म इंपी रयल
के चाटर अ ध नयम ने मूल भारतीय को टश भारत म शासन का ह सा बनने
बक ऑफ इं डया का सरकार ारा रा ीयकरण कर दया गया और इसका नाम
क अनुम त द ।
बदलकर भारतीय टे ट बक कर दया गया।
चाटर ने लॉड मैक ाले क अ य ता म भारत के पहले व ध आयोग क ापना क जसने दं ड
सं हता आपरा धक या सं हता और अ य कानूनी ावधान को
सं हताब करने क सफा रश क ।
इलाहाबाद बक म ा पत पहला भारतीय वा म व वाला बक था। पंज ाब
नेशनल बक क ापना म ई थी। बक ऑफ इं डया क ापना म मुंबई
टश संसद क वर स म त क लॉड मैक ाले क रपोट तुत करने के बाद म
म ई थी।
भारत म एक यो यता आधा रत आधु नक स वल सेवा क अवधारणा पेश क गई थी।
रपोट ने सफा रश क क ई ट इं डया कं पनी क संर ण आधा रत णाली को त ध
और के बीच भारतीय वा म व के तहत इं डया बक स ल बक
परी ा के मा यम से वेश के साथ यो यता आधा रत णाली के आधार पर एक
ऑफ इं डया बक ऑफ मैसूर के नरा बक और बक ऑफ बड़ौदा स हत कई
ायी स वल सेवा ारा त ा पत कया जाना चा हए।
वा ण यक बक ा पत कए गए थे।
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अतः अ टू बर को भारत म पहली बार लोक सेवा आयोग क ापना क के बाद क भारतीय पु लस के
गई। व ोह ने टश सा ा य क न व को हला दया था और उ ह सूचना के सं ह
के लए और सा ा य के े म पु ल सग के लए एक भावी तं क
टश शासन के तहत पु लस णाली के भारतीय प रषद अ ध नयम आव यकता के बारे म अ धक जाग क बना दया था।
ने भारत म एक पेशेवर पु लस नौकरशाही का नमाण कया और यह व भ रा यपाल के
अधीन वष म वक सत आ।
म नयु पु लस आयोग ने सा ा य ारा आव यक पु लस ापना के
लए एक बु नयाद ढांचा दान कया था। इसने के पु लस
कानवा लस णाली अ ध नयम के अ ध नयमन का नेतृ व कया।
कं पनी के अ धकार के उदय के साथ कानून और व ा बनाए रखने के लए एक
पु लस बल के नमाण क आव यकता महसूस क गई।
नए संगठन म सै य पु लस को समा त कर दया गया और ांतीय आधार
पर नाग रक पु लस का गठन कया गया।
फौजदार क नई णाली को अं ेज ी म ज े ट ारा त ा पत कया जा रहा था य क
पु लस के काय अपराध दर को कम करने म अपया त सा बत ए। अतः लॉड कानवा लस ने
पूरे पु लस संगठन को नाग रक अ धका रय के नयं ण म रखा गया था। लंबे समय
पु लस सुधार क आव यकता महसूस क और उ ह ने पु लस संगठन म तक महा नरी क के पद स वल सेवक ारा भरे गए थे।
अनेक प रवतन कए।
लॉड कानवा लस ने जम दार को उनक पु ल सग श य से वं चत कर दया जले को जला अधी क को ामीण पु लस का भारी होना था और दरोगा को उप नरी क
थान या बीस से तीस मील के पु लस अ धकार े क इकाइय म वभा जत कर बनाया गया था। नई णाली ने ामीण पु लस को शाही ढांचे म
दया। एक कृ त करने क स दय पुरानी सम या को हल कर दया था।
येक इकाई एक अ धकारी के अधीन थी जसे दरोगा के प म जाना जाता था जसे
म ज ेट ारा नयु कया जाता था और उनक दे ख रेख म रखा जाता था।
के पु लस आयोग म श त भारतीय को अ धका रय के पद पर नयु करने
दरोगा को कं पनी क श और ामीण े पर नयं ण के मा यम के प का ावधान था ले कन यूरोपीय अ धका रय के पद से नीचे।
म दे ख ा जाने लगा। इसे कॉनवॉ लस स टम के प म जाना जाने लगा।
औप नवे शक शासन के अधीन पु लस धीरे धीरे डकै त जैसे बड़े अपराध को कम करने
म सफल हो गई।
व सद म कए गए बदलाव
वे औप नवे शक शासन के खलाफ बड़े पैमाने पर सा जश के आयोजन को रोकने म
दारोगा णाली को औपचा रक प से म समा त कर दया गया था । भी स म थे।
ब त पहले म तहसीलदार को उनके पु लस कत से वं चत कर दया गया
था। जला कले टर को ाम पु लस का भारी बनाया गया था। टश शासन के तहत या यक नी तयां
ाचीन भारत से लेक र मुगल भारत तक भारत म या यक णाली न तो उ चत
इसके कारण कले टर के कायालय म श का अ य धक संक ण हो गया य क वह या को अपनाई गई थी और न ही कानूनी अदालत का उ चत संगठन था।
राज व पु लस और म ज े ट के काय के लए ज मेदार था।
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रकॉडड या यक उदाहरण के आधार पर एक सामा य कानून णाली क शु आत टश शासक ने ज द ही यह महसूस कया क य द टश न मत व तु को बड़े पैमाने
ई ट इं डया कं पनी ारा म म ास बॉ बे और कलक ा म मेयर के यायालय पर भारत म वा हत करना है तो प रवहन क एक स ती और आसान णाली
क ापना के लए खोजी जा सकती है। आव यक है।
टश शासक ने न दय पर भाप के जहाज चलाये और सड़क का भी सुधार कया। कलक ा
कं पनी के एक ापा रक कं पनी से एक शासक श म प रवतन के साथ या यक से द ली तक ड ं क रोड का काम म शु आ और के दशक म
णाली के नए त व ने मौजूदा मुगल कानूनी णाली को बदल दया। पूरा आ। दे श के मुख शहर बंदरगाह और बाजार को सड़क माग से जोड़ने का भी यास
कया गया।
जला फौजदारी यायालय को समा त कर दया गया और इसके बजाय कलक ा बॉ बे से ठाणे तक चलने वाली पहली रेलवे लाइन म खोली गई थी।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
नाग रक व ोह कसान
जनजातीय और मक आंदोलन
सू का कहना है क ा आठव नई एनसीईआरट अ याय ामीण इलाक पर शासन चैप आ दवासी द कू और वण युग क
क ा बारहव नई एनसीईआरट अ याय द मे कग ऑफ नेशन ल ट मूवमट क ा बारहव पुरानी एनसीईआरट
हालां क के व ोह को अं ेज के खलाफ पहला बड़ा व ोह माना जाता है ले कन स या सय ने सपा हय क एक कं पनी को हरा दया और सेनाप त को मार डाला। उ ह ने
इसे व ोह से पहले ए कई नाग रक और आ दवा सय का समामेलन माना जाता है। कु छ जल पर क जा कर लया व तुतः एक समानांतर सरकार चला रहे थे। यह व ोह
व शता द के अंत तक जारी रहा।
रंगपुर का कसान व ोह
भारत म नाग रक और कसान व ोह रंगपुर ध ग व ोह म बंगाल के रंगपुर और दनाजपुर जले म भड़क उठा।
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ऐसे ही एक राज व ठे के दार दे बी सह ने कसान के खलाफ बेहद कठोर कदम उठाए। व ोह के नेता ब ी जगबंधु ब ाधर थे। उ ह ने खुदा के अं तम राजा मुकुं द दे व और
े के अ य जम दार के समथन के साथ पैक ास क एक सेना का नेतृ व कया। इसने
जब कसान ने राहत के लए कं पनी को या चका भेज ी तो उसने कसान क ई ट इं डया कं पनी क सेना को पीछे हटने के लए मजबूर कर दया। व ोह को
शकायत पर कोई यान नह दया। इसके चलते कसान ने चीज को अपने पाइका व ोह व ोह के प म जाना जाने लगा।
हाथ म ले लया।
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शासक राजा ारा जमीन नंबूदरी ा ण को द गई थी जनका दा य व मं दर और म हलाएं बतन बतन और रसोई के उपकरण लेक र लड़ने लग । बागान मा लक के लए
संबं धत सं ान और सरदार यादातर नायर क दे ख भाल करना था जो काम करने वाल का सामा जक ब ह कार कया गया और लगान वसूल करने आए
ज रत पड़ने पर माशल सहायता दान करते थे। गुमा त बागवान के एजट को पीटा गया।
माच म बंगाल के हजार रैयत ने बंगाल के न दया जले म नील उगाने से मना
कर दया। जैसे ही व ोह फै ला रैयत ने बागान मा लक को लगान दे ने से इनकार
कर दया और तलवार और भाल धनुष और तीर से लैस होकर नील के इस संघष को बं कम चं चटज आरसी द और सुर नाथ बनज के अधीन
कारखान पर हमला कर दया। इं डयन एसो सएशन का समथन ा त था।
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द कन के दं गे कसान आंदोलन
व ोह के मु य कारण यह थे क भू राज व ब त अ धक था और कसान को खराब पागल पंथी बंगाल अब म करम शाह ट पू शाह
बां लादे श हाज ग और गारो जनजा त
मौसम के दौरान भी भू राज व का भुगतान करना पड़ता था।
Sambhalpur Sambhalpur Surendra Sai
के अंत तक संयु ांत म मु य प से हरदोई बहराइच सीतापुर के उ री जल म पूना सावज नक पुण े एमजी रानाडे
इसक बैठक एक धा मक अनु ान का तीक थ जसम इक ा ए कसान ने समय चंपारण बहार Gandhiji Dr Rajendra
पर लगान चुक ाने क शपथ ली थी। बेदखल होने पर के वल रकॉड कए गए कराए को स या ह Prasad Raj Kumar
शु ल
छोड़ने से इनकार कर दया गया और जबरन म के लए आ मसमपण नह कया गया।
Kheda Satyagraha Uttar Pradesh गांधी जी
उ र दे श म फजी से लौटे गर म टया मज र बाबा रामचं के नेतृ व म संयु ांत Uttar Pradesh Gauri Shankar Mishra
व ोह शु आ ज ह ने वतं प से काम कया ले कन असहयोग और खलाफत Kisan Sabha Indra Narayan Dwivedi
आंदोलन क पृ भू म के खलाफ। Uttar Pradesh Kisan Uttar Pradesh Indra Narayan Dwivedi
सभा Madan Mohan Malaviya
Uttar Pradesh
बाबा रामचं के नेतृ व म कसान सभा आंदोलन मूल प से बड़े जम दार Awadh Kisan Sabha अवध जवाहरलाल नेह बाबा
राम चं
और तालुक दार के खलाफ एक का तकार और छोटे जम दार का आंदोलन था।
म अवध Madari Pasi
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म खासी लोग ने सड़क नमाण के लए मक को लामबंद करने के वरोध म पागल पंथी करम शाह ारा ा पत अध धा मक सं दाय था। इसम हाज ग और
एक खासी मुख त त सह के नेतृ व म व ोह कया और गारो उनके गारो जनजा तयां शा मल थ ।
व ोह म शा मल हो गए।
करम शाह के पु ट पू शाह के नेतृ व म व ोह का आयोजन कया गया था।
तक बेहतर अं ेज ी सै य बल ने व ोह को दबा दया था। अं ेज ने शु म पागल पंथी क मांग मान ली जम दार से का तकार क र ा क
व ा क । ले कन बाद म सरकार ारा पागल पं थय को दबाने के
लए बड़े पैमाने पर सै य अ भयान चलाया गया।
Bhil Uprising
भील यादातर खानदे श क पहाड़ी ृंख ला म क त थे। म अं ेज ने खानदे श
पर क जा कर लया जसने भील को उ े जत कर दया य क उ ह अपने े म
बाहरी लोग क घुसपैठ का संदेह था। अहोम व ोह
गोमधर क वर के नेतृ व म म अहोम व ोह छड़ गया।
इसके अलावा यह माना जाता था क बाजी राव थम के व ोही मं ी यंबकजी
ने खानदे श पर टश क जे के खलाफ भील को उकसाया था। थम बमा यु के बाद अं ेज क असम छोड़ने क तब ता थी।
म एक सामा य व ोह आ और भील ने कई छोटे समूह म मैदानी इलाक को ले कन यु के बाद छोड़ने के बजाय अं ेज ने अहोम के े को कं पनी के
तबाह कर दया। भु व म एक कृ त करने का यास कया।
इसी तरह के व ोह अ सर भील सरदार ारा अं ेज के खलाफ कए जाते थे।
अंत म कं पनी ने नी त को वीकार करने का फै सला कया और ऊपरी असम को महाराजा
टश सरकार ने व ो हय को दबाने के लए अपने सै य बल का इ तेमाल कया पुरंदर सह नर को दे दया और रा य का ह सा अस मया राजा को बहाल कर
और साथ ही व भ सुलह उपाय के मा यम से उ ह जीतने क को शश क । ले कन दया गया।
टश उपाय भील को अपने प म लाने म वफल रहे।
कोल व ोह
सहभूम के कोल ने स दय तक अपने सरदार के अधीन वतं स ा का आनंद
रामोस व ोह
लया।
रामो सस प मी घाट क पहाड़ी जनजा तयाँ टश शासन और शासन के टश
प रणाम व प जब अं ेज ने सहभूम और पड़ोसी े पर क जा कर लया तो
पैटन से मेल नह खाती थ । इस े म बाहर से बड़ी सं या म लोग आकर बसने लगे। इसके प रणाम व प
आ दवा सय क भू म बाहरी लोग को ह तांत रत हो गई।
उ ह ने वलय क नी त का वरोध कया। अं ेज ारा मराठा े पर क जा
करने के बाद मराठा शासन ारा नयो जत रामो सय ने अपनी आजी वका के साधन खो जनजातीय भू म के ह तांतरण और ापा रय सा कार और टश कानून के
दए। जनजातीय े म आने से जनजातीय मुख क वंशानुगत वतं श के लए एक
बड़ा खतरा पैदा हो गया।
वे म च ूर सह के अधीन उठे और सतारा के आसपास दे श को लूट लया।
इसके कारण आ दवासी े म बाहरी लोग के खलाफ लोक य व ोह आ। व ोह
म पुण े म भीषण अकाल और अभाव के कारण वे उमाजी के बैनर तले फर रांची हजारीबाग पलामू और मानभूम म फै ल गया। हमले का ल य अ य े के
से व ोह म उठ खड़े ए। तीन साल तक उ ह ने द कन को तबाह कया। बसने वाले थे जनके घर को जला दया गया था और संप लूट ली गई थी।
अंत म टश सरकार ने न के वल उनके अपराध को मा करके ब क उ ह भू म अनुदान व ोह को टश म ल शया ारा अमानवीय प से दबा दया गया था।
दे क र और पहाड़ी पु लस म भत करके उ ह शांत कया। सरकार ने जम दारी ताकत को कु चल दया और दा मयां को कै द कर लया गया।
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ख ड व ोह रप व ोह
ख ड त मलनाडु से लेक र बंगाल तक फै ले और म य ांत को कवर करने वाले वशाल पहाड़ी जनजातीय उ वाद का एक अनूठा उदाहरण गोदावरी के उ र म रंपा े से आया जसने व
इलाक म रहते थे। शता द म कई व ोह दे ख े थे।
से तक उनके व ोह अं ेज के खलाफ नद शत थे। युवा राजा के नाम पर
आंदोलन का नेतृ व च बसोई ने कया था। उनक शकायत सा कार और वन कानून के खलाफ थ ।
व ोह के नेता स और का थे। उनके अधीन संथाल ने कं पनी शासन के अंत क घोषणा क और आ दवासी व ोह
भागलपुर और राजमहल के बीच के े को वाय घो षत कर दया। तक व ोह को दबा दया जनजा त वष नेता कारण
गया था।
चुआ र राजा जग ाथ अ त र राज व क मांग
बंगाल का अकाल
रामोसी च ूर सह टश शासन
मुंडा व ोह ताप सह
Dattatraya Patkar
मुंडा म रांची के द ण े म बरसा मुंडा के तहत गुलाब।
ले जाया गया वन का उजड़ना
Ahom Gomadhar टश आ धप य
क अव ध म उलगुलान छोटा नागपुर पठार सबसे मह वपूण जनजातीय व ोह म से
कुं वर
एक था।
खासी त त सह टश आ धप य
वन ठे के दार ारा शोषण के खलाफ लड़ने के लए राजनी तक ताकत जुटाई। संथाल स और टश शासन
का
नागा
उ ह ने पु लस टे शन चच पर हमला कया और सा कार और जम दार क संप पर छापा मारा ।
बगीचा बरसा मुंडा भू म व ा मशनरी ग त व ध और बेगार
उ ह ने बरसा राज के तीक के प म सफे द झंडा उठाया।
उलगुलान
को कानून भगत
सरा इसने एक बार फर दखाया क आ दवासी लोग म अ याय के खलाफ वरोध करने और नगा ज नाग एक सुधारवाद आंदोलन ने बाद म अ धकता
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वे कम वेतन लंबे समय तक काम करने के घंटे अ वा यकर और खतरनाक काम करने
भगवान वष से कम उ के ब को काम करने क
क त बाल म के रोजगार और बु नयाद सु वधा क कमी से परेशान थे। कारखाना अ ध नयम
लसडाउन मनाही काम के घंटे दन स ताह म
एक दन क छु ।
म महान भारतीय ाय पीय रेलवे ारा पहली हड़ताल ई और इसे बाल गंगाधर भगवान मौसम और गैर मौसम कारखान का वग करण
कारखाना अ ध नयम
तलक और अ य नेता का ापक समथन मला। व लगडन मक के उपचार और आराम क
सु वधा।
मज र क मुख हड़ताल
AITUC के तीसरे और चौथे स क अ य ता करने वाले वार ग ट नेता सीआर दास ने वकालत
क क कां ेस को मज र और कसान के मु को उठाना चा हए। वष हड़ताल
नागपुर मल म हड़ताल
इसने उ ह वराज के लए संघष म शा मल करने का आ ह कया अ यथा वे आंदोलन से अलग
हो जाएंगे। अहमदाबाद मल के खलाफ बुनकर क हड़ताल
मा लक संघ।
संगठन वष सं ापक
तलक क गर तारी के वरोध म मुंबई म कपड़ा मल मज र ारा हड़ताल।
Uttar Pradesh Kisan Sabha Gauri Shankar Mishra
Indranarayan Dwivedi
बॉ बे टे सटाइल मल म हड़ताल।
Awadh Kisan Sabha बाबा रामचं
TISCO Jameshedpur strike.
Bihar Kisan Sabha सहजानंद सर वती
सूरत कपड़ा मल म हड़ताल
कृ षक जा पाट अ ल रहीम फजलुल हक
बॉ बे टे सटाइल मल क हड़ताल महीने क सबसे लंबी हड़ताल
अ खल भारतीय कसान सभा सहजानंद सर वती
रक का
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
सामा जक धा मक सुधार
भारत म आंदोलन
भारत म टश शासन क शु आत के साथ आधु नक वचार प मी श ा संचार यह ाथना यान और शा के पठन पर क त था। यह सभी धम क एकता म
के आधु नक साधन और प मी सं कृ त आई। व ास करता था।
यह आधु नक भारत म पहला बौ क सुधार आंदोलन था। इससे भारत म
कै से स दय पुराने री त रवाज पर सवाल उठने लगे। अखबार प का क छपाई बु वाद और ान का उदय आ जसने अ य प से रा वाद आंदोलन म
के कारण अब नए शहर म सभी कार के मु सामा जक राजनी तक आ थक और योगदान दया।
धा मक पर पु ष और कभी कभी म हला ारा भी ारा बहस और चचा क
जा सकती थी। उप नषद क ाथना यान और पाठ को पूज ा का प माना जाता था और समाज
क इमारत म कसी भी छ व मू त या मू तकला न काशी च च आद
भारतीय समाज के कई दोष और बीमा रयाँ फर से सामने आने लग और क अनुम त नह थी।
राजा राम मोहन राय जैसे भारतीय बु जीवी।
समाज सभी धम के त स ह णु था य क इसने अ य धम क श ा को शा मल
उ ह ने न के वल री त रवाज पर सवाल उठाना शु कया ब क उ ह ख म करने के करने का यास कया।
उपाय भी कए। इनम से कु छ उपाय और सुधार पर इस अ याय म चचा क
गई है। राजा राम मोहन राय उ ह भारतीय
पुनजागरण का जनक और बंगाल पुनजागरण का जनक माना जाता
सामा जक सुधार आंदोलन है।
अपनी ारं भक श ा के दौरान राम मोहन राय ने पटना म फारसी और अरबी का
मुख सामा जक सुधार आंदोलन क चचा इस कार है
अ ययन कया। यहां उ ह ने कु रान सूफ रह यवाद क वय क रचनाएं और लेटो और
अर तू क रचना का अरबी अनुवाद पढ़ा।
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म उ ह ने वेदांत के एके रवाद आदश का चार करने और मू तपूज ा इस संगठन के कु छ मुख सद य महादे व गो वद रानाडे आरजी भंडारकर एनजी
जा तगत कठोरता अथहीन अनु ान और अ य सामा जक बुराइय के खलाफ चंदावरकर थे। यह महारा म भ पंथ से जुड़ा था।
अ भयान चलाने के लए कलक ा म आ मीय सभा या दो त का समाज
क ापना क ।
समाज के न न ल खत ब सामा जक एजडे थे जा त व ाक
हालाँ क उ ह अपनी भारतीय सं कृ त और परंपरा से ब त यार था उनका मानना अ वीकृ त म हला क श ा
था क के वल प मी श ा ही समाज को पुनज वत करने म मदद कर सकती है।
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. सभी के क याण को बढ़ावा दे ने के लए समाज के नयम का पालन करने के लए वयं उ ह ने से तक ह कॉलेज म पढ़ाया और ांसीसी ां त से े रत थे।
को तबं धत माना जाना चा हए जब क गत क याण के नयम का पालन
करने म सभी को वतं होना चा हए। डेरो जयो ने अपने अनुया यय को वतं और तकसंगत प से सोचने सभी
अ धकार ेम वतं ता समानता और वतं ता पर सवाल उठाने और नै तक री त
समाज ने भूकं प अकाल और बाढ़ जैसी आपदा के समय भी काम कया। इसने श ा रवाज और परंपरा का वरोध करने के लए े रत कया।
के चार सार के लए भी काम कया।
हालाँ क डेरो ज़यन द घका लक भाव डालने म वफल रहे। म डेरो जयो को
श ा समाज के लए एक सव मह वपूण े था। उनके क रपंथ के कारण ह कॉलेज से नकाल दया गया था।
दयानंद एं लो वै दक डीएवी कॉलेज क ापना म लाहौर म ई थी।
कसी अ य सामा जक समूह या वग से कोई समथन नह मला। डेरो जय के साथ कोई
वा त वक संबंध नह था
वामी दयानंद सर वती आय समाज क ापना
जनता।
दयानंद सर वती या मूलशंक र ने क थी।
वामी ववेक ानंद आधु नक समय म पहले भारतीय थे ज ह ने वै क तर पर वेदांत एनी बेसट के चुनाव के बाद भारत म थयोसो फकल सोसायट को ग त मली।
एनी बीसट
उनका मानना था क मानव जा त के सामने आने वाली कई सम या को तभी र
कया जा सकता है जब नया के दे श एक समान तर पर एक साथ आएं। I एनी बेसट म भारत आ . उ ह ने इसक न व रखी
Swami Vivekananda
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वह महारा म वधवा पुन ववाह आंदोलन के अ णी थे और उ ह ने म वधवा स मेलन ने अंतजातीय ववाह क वकालत क और कु लीनवाद और ब ववाह का वरोध
के लए एक घर भी खोला था। कया।
इसने लोग को बाल ववाह पर रोक लगाने क शपथ लेने के लए े रत करने के लए
फु ले को उनके समाज सुधार काय के लए महा मा क उपा ध से स मा नत कया गया था। स त ा आंदोलन चलाया।
म गोपाल कृ ण गोखले ारा भारतीय समाज के सेवक का गठन कया वह शा ीय ान के पुरो हत एका धकार को तोड़ने के लए ढ़ थे और इसके लए उ ह ने
उ ह ने कई कू ल पु तकालय वाचनालय डे नसरी और सहकारी स म तय का मराठ भाषा म दपण नामक भाषा के पहले समाचार प के साथ प का रता शु करने के
आयोजन कया। उनके यास के लए उ ह मराठ प का रता के पता के प म भी जाना जाता है।
लीग क ग त व धय म पु लस कोट एजट का काम कानूनी सहायता और गरीब और
नर र को सलाह दे ना शा मल था।
Gopal Hari Deshmukh
इनम झु गीवा सय के लए मण ायामशाला और ना दशन क सु वधाएं
वे महारा के स समाज सुधारक थे।
व ता काय च क सा राहत और लड़क के लब और काउट कोर शा मल थे।
उ ह लोक हतवाड़ी के नाम से भी जाना जाता था। उ ह ने ई. म भाकर नामक
प का का काशन ार कया ।
जोशी ने अ खल भारतीय े ड यू नयन कां ेस क भी ापना क । वे थयोसो फकल सोसायट और आय समाज से जुड़े थे। उ ह ने मराठ म जा तभेद नामक
ंथ क रचना क ।
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सं दाय ने शाकाहार क वकालत क और लोग को शराब और नशीले पदाथ से र रहने क सलाह अलीगढ़ आंदोलन
द।
सर सैयद अहमद खान भारत के मह वपूण मु लम सुधारक म से एक थे। उ ह ने आधु नक
सं दाय ने एके रवाद का चार कया। इसने शु और सरल जीवन और सामा जक एकता के तकवाद और व ान के आलोक म कु रान क ा या क ।
मह व पर जोर दया।
सं दाय ने वधवा पुन ववाह सती था और क या ूण ह या पर तबंध पर
उनक सबसे बड़ी उपल म अलीगढ़ म मोह मडन एं लो ओ रएंटल कॉलेज जसे अलीगढ़
हमला कया। मु लम व व ालय भी कहा जाता है क ापना थी।
तुलसी राम को शव दयाल साहब या वामीजी महाराज के नाम से भी जाना जाता था। सैयद अहमद खान और मोह मडन एं लो ओ रएंटल कॉलेज से जुड़े मु लम जागरण के
आंदोलन को अलीगढ़ आंदोलन के नाम से जाना जाने लगा।
राधा वामी एक सव गु क सव ता म व ास करते थे।
वे प व लोग स संग और सरल सामा जक जीवन क संग त म भी व ास करते थे । उ ह ने मुसलमान से प व ता और सादगी के मूल इ लामी स ांत पर लौटने क अपील क ।
Deva Samaj was founded by Shiv Narain Agnihotri शय क णाली क नदा करते ए म हला क त म सुधार क दशा म काम कया।
in at Lahore.
समाज क श ा को दे व शा म पु तक प म संक लत कया गया।
फ़राज़ी आंदोलन
दे व समाज क श ा ने सव होने आ मा क अनंतता गु क सव ता और अ े
फ़राज़ी आंदोलन क ापना वष म हाजी शरीअतु लाह ारा क गई थी। इस आंदोलन ने
काय क आव यकता पर जोर दया।
उन सभी था और उपदे श को याग कर धम को शु करने क को शश क जो इ लामी
मा यता के अनु प नह ह।
समाज ने आदश सामा जक आचरण और नै तक नै तकता जैसे र त न लेना जुआ
नशा मांसाहारी भोजन और हसा से र रहना नधा रत कया।
हाजी के पु मयां के नेतृ व म यह आंदोलन के बाद ां तकारी बन गया।
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अहम दया आंदोलन अहम दया आंदोलन क आंदोलन म अनुया यय को दे वता मू तय मकबर पेड़ सांप आ द क पूज ा को
यागने और शराब पीने चोरी करने झूठ बोलने नदा करने चुगली करने आ द से र
शु आत म का दयान के मजा गुलाम अहमद ने क थी।
रहने क आव यकता थी।
मुसलमान म आधु नक जागृ त के कारण ब ववाह क था म गरावट आई और फर ज लयांवाला ह याकांड के कसाई जनरल डायर को सरोपा दे क र
वधवा पुन ववाह को ो सा हत कया गया। स मा नत कया ।
गु ारा सुधार आंदोलन ने गु ार को इन महंत से मु करने और
गु ार को सख के एक त न ध नकाय को स पने के लए एक आंदोलन शु कया।
Nirankari Movement
बाबा दयाल दास इस आंदोलन के सं ापक थे। इस आंदोलन म शु
और वापसी शा मल थी। रा वाद और गु ारा आंदोलनका रय के बढ़ते दबाव के तहत गु ारे नवंबर
म शरोम ण गु ारा बंधक स म त के प म जानी जाने वाली एक नवा चत
स म त के नयं ण म आ गए।
के दशक म उ ह ने सख धम को उसके मूल म वापस लाने का आ ान कया
और एक ई र और नरंक ार नराकार क पूज ा पर जोर दया।
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याय पाट आंदोलन म ास त मलनाडु सी नटे सा मुद लयार तारावथ माधवन नायर और पी यागराज चे
डे कन एजुके शन सोसायट पुण े महादे व गो वद रानाडे वीजी चबडोनकम और गोपाल गणेश आगरकर आ द।
भारतीय रा ीय सामा जक स मेलन बंबई Mahadev Govind Ranade and Raghunath Rao
Bharat Dharma Mahamandal वाराणसी Pandit Madan Mohan Malaviya and Pandit Din Dayal Sharma
पूना सेवा सदन पुण े GK Devadhar and Ramabai Ranade wife of Mahadev Govind Ranade
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
का वकास
श ा और से
टश शासन के दौरान
ारंभ म टश ई ट इं डया कं पनी को श ा णाली के वकास से कोई सरोकार बु भारतीय और मशन रय ने आधु नक धम नरपे प मी श ा
नह था य क उनका मु य उ े य ापार और लाभ कमाना था। को बढ़ावा दे ने के लए सरकार पर दबाव डालना शु कर दया। उनका मानना
था क प मी श ा दे श क सामा जक आ थक और राजनी तक बुराइय का इलाज
है।
आधु नक श ा भारत म टश शासन के तहत शु ई।
अं ेज से पहले भारत म गु कु ल और मदरस क तरह अपनी खुद क श ा मशन रय ने सोचा था क आधु नक श ा भारतीय के अपने धम म व ास को न
व ा थी। कर दे गी और वे ईसाई धम अपना लगे। सेरामपुर मशनरी श ा के सार को
ई ट इं डया कं पनी ने अपने पहले वष के शासन के दौरान भारत म शासन करने वाल लेक र ब त उ सा हत थे।
क श ाक यादा परवाह नह क ।
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कू ल और कॉलेज म अं ेज ी को श ा का मा यम बना दया गया और साथ हंटर आयोग ने अपनी सफा रश को यादातर ाथ मक और मा य मक
ही कु छ कू ल और कॉलेज को भी ाथ मक कू ल के बजाय खोला गया और इस तरह श ा तक सी मत कर दया। आयोग क सफा रश न न ल खत ह
जन श ा क उपे ा क गई।
वुड्स ड ैच
म चा स वुड ने भारत के लए एक शै क णाली पर एक ड ैच तैयार सा ह यक व व ालय के लए अ णी।
कया जसे भारत म अं ेज ी श ा का मै ना काटा माना गया। ावसा यक क रयर के लए ावसा यक। iii आयोग ने
म हला श ा के लए वशेष प से ेसीडसी क ब के बाहर अपया त सु वधा पर
यह द तावेज भारत म श ा के सार क पहली समावेशी योजना थी। भी यान दया और इसके सार के लए सफा रश क ।
जला तर पर एक संब कॉलेज ारा पीछा कया। व व ालय क तय का अ ययन करने और उनक संरचना और काय णाली म
और कलक ा बॉ बे और म ास के ेसीडसी म संब व व ालय क सुधार के उपाय सुझ ाने के लए रैले आयोग क ापना क गई थी।
ापना क गई।
इसने कू ल तर पर उ अ ययन और ानीय भाषा के लए श ा
के मा यम के प म अं ेज ी क सफा रश क । आयोग ने ाथ मक या मा य मक श ा पर रपोट नह द ।
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श ा क वधा योजना
ड़क म इंज ी नय रग कॉलेज क ापना म ई थी कलक ा कॉलेज ऑफ
बु नयाद श ा क वधा योजना महा मा गांधी क सोच का प रणाम थी। उ ह ने श ा को
इंज ी नय रग म अ त व म आया।
रा ीय पुन नमाण का एक भावी साधन माना।
स म त ने उ श ा के लए तीन मुख उ े य दए
योजना का उ े य ऐसी श ा दान करना है जो बाद के जीवन म वावलंबी हो सके । यह कू ल
छोड़ने के बाद छा के लए आजी वका के साथ साथ म क ग रमा भी सु न त करेगा।
क य श ा
उदार श ा
आधार होना चा हए। मातृभाषा सही और भावी ढं ग से बोलने पढ़ने और लखने और वचार साल के ी यू नव सट श ा के बाद बड़ी सं या म ावसा यक सं ान म
क शु ता और वचार क ता वक सत करने म मदद करती। वभ ावसा यक वषय के लए छा को डायवट करने क सफा रश क ।
बु नयाद श प मातृभाषा ग णत सामा जक अ ययन च कला संगीत और खेल आ द वतं भारत म इस श ा आयोग ारा ावसा यक श ा को बढ़ावा दे ने के
जैसे व भ वषय को पेश कया गया। पा म म अं ेज ी को शा मल नह कया गया था। लए यह एक मह वपूण कदम था।
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वतं भारत म इस श ा आयोग ने एक वष म यूनतम दन के लए काय दवस क भारत म एक सामा य कू ल णाली को अपनाना।
सं या बढ़ाने क सफा रश क । सामा जक याय और सामा जक प रवतन को बढ़ावा दे ने के लए लड़ कय क श ा पर जोर।
ावसा यक श ा पर वतं भारत म इस श ा आयोग क सफा रश आयोग ारा क गई थ । यूज ीसी उ श ा के मानक के सम वय नधारण और रखरखाव के लए ज मेदार है।
वतं भारत म इस श ा आयोग ने ावसा यक श ा को पहलु यानी कृ ष श ा ऐसे मा यता ा त व व ालय और कॉलेज को धन वत रत करता है।
भारत म ेस का वकास
भारत म ेस क शु आत म जे स ऑग टस ह क ारा पहले समाचार प द बंगाल गजट
व के लए क सरकार को भारत म उ श ा को बढ़ावा दे ने क ज मेदारी द गई थी। या कलक ा जनरल एडवरटाइजर के साथ ई।
कोठारी श ा आयोग
भारतीय श ा आयोग जसे लोक य प से कोठारी श ा आयोग के प म जाना जाता
ारं भक समाचार प के कु छ उदाहरण ह नाना साहेब पेशवा ारा पयम ए
है क ापना जुलाई को डॉ. डीएस कोठारी क अ य ता म भारत सरकार ारा क गई थी।
आज़ाद या वतं ता का संदेश जी सु म य अ यर ारा द ह और वदे श म न।
ग । आयोग को यूके यूएसए यूएसएसआर यूने को जैसे दे श के वशेष ारा सहायता दान क ेस अ ध नयम क ससर शप यह अ ध नयम
गई। भारत पर ांसीसी आ मण क आशंक ा करते ए लाड वेले ली ारा
अ ध नय मत कया गया था।
क सफा रश इसने पूव ससर शप स हत लगभग यु काल के ेस तबंध लगाए ले कन लॉड
कोठारी श ा आयोग हे ट स के अधीन आराम दया गया जनके वचार ग तशील थे और म ेस ससर शप
को समा त कर दया गया था।
से वष के ब के लए नःशु क और अ नवाय श ा दान करना।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
का व ोह
का व ोह भारतीय वतं ता सं ाम के सबसे मह वपूण ण म से कं पनी ने मुगल वंश को भी समा त कर दया। कं पनी ारा ढाले गए स क से मुगल
एक था। से पहले ई ट इं डया कं पनी क नी तय ने लोग के व भ वग को बादशाह का नाम हटा दया गया।
भा वत करना शु कर दया था।
म गवनर जनरल डलहौज़ी ने घोषणा क क बहा र शाह ज़फ़र क मृ यु के बाद
राजा रानी कसान जम दार जनजा त और सै नक सभी अलग अलग राजा के प रवार को लाल कले से बाहर ले जाया जाएगा और द ली म रहने के लए
तरीक से भा वत ए। लोग ने ऐसी नी तय और काय के खलाफ तरोध शु एक और जगह द जाएगी। वह अं तम राजा होगा और अगला कहलाएगा। धान ।
कया जो उनके हत को नुक सान प ंचा रहे थे या उनक भावना के खलाफ
जा रहे थे जसक प रण त इस ण म ई।
ह राजकु मार को उ रा धकार के अ धकार से वं चत कर दया गया। से तक बहार और बंगाल म स यासी व ोह ऐसे ही व ोह म से
पगत और सहायक गठबंधन के स ांत का इ तेमाल रा य को अपने अधीन करने एक था। म फरीदपुर म जम दार और अं ेज के खलाफ एक मु लम सं दाय
और उनक श य को छ नने के लए कया गया था। फै राज़ी भी उठ खड़ा आ।
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इसके अलावा शासन के नचले तर पर ाचार के सार से आम लोग बुरी म सपा हय को कं पनी के लए लड़ने के लए समु माग से बमा जाने का
तरह भा वत ए। पु लस छोटे अ धकारी और नचली अदालत थ। आदे श दया गया जब उ ह ने इनकार कर दया तो उ ह दं डत कया गया। बाद म
वे भू म माग से जाने पर सहमत ए।
अ धका रय ने रैयत और जम दार क क मत पर खुद को समृ करने का कोई मौका म लॉड कै नग के सरकारी सेवा पा ता अ ध नयम ने घोषणा क क
नह गंवाया। ज टल या यक णाली ने अमीर को गरीब पर अ याचार करने म स म कं पनी क सेना म रोजगार लेने वाले येक नए को आव यकता पड़ने पर वदे श
बनाया। म सेवा करने के लए सहमत होना होगा।
लगान या भू राज व या कज पर याज के लए का तकार को यातना दे ना और जेल
भेज ना आम बात थी।
भुगतान और पदो त म टश और भारतीय सै नक के बीच सेना म पहले से ही
सामा जक धा मक कारण अं ेज ने महसूस भेदभाव था।
कया क वे े ह और उ ह भारतीय समाज को स य बनाने का अ धकार है। सती और सपा हय को दया जाने वाला वदे शी भ ा भ ा वापस ले लया गया जससे उनके
था के उ मूलन वधवा पुन ववाह के वैधीकरण और लड़ कय के लए प मी श ा घाव और बढ़ गए।
को खोलने को ह त ेप के प म दे ख ा गया।
त काल कारण
सपा हय के बीच पहले से मौजूद असंतोष को नई शु क गई एनफ राइफल ने हवा
द जसके कारतूस क थत तौर पर गाय और सुअ र क चब से बने थे। उपयोग से पहले
लोग को टश शासन के खलाफ मोड़ने म एक मह वपूण कारक उनके धम
इसे मुंह से चबाना चा हए था। एक अ य रपोट आटा आटा म ह ी क धूल मलाने क
को न करने का डर था।
थी।
यह डर कू ल अ ताल जेल और बाजार म आने वाले ईसाई मशन रय क
ग त व धय के कारण था।
ये दोन मु े सपा हय के लए उनके बढ़ते असंतोष के अं तम ब बन गए।
उ ह लगा क यह उनके धम को न करने और उ ह ईसाई धम म प रव तत करने के लए
इन मशन रय ने लोग का धमातरण करने क को शश क और ह और इ लाम पर कया गया है।
हसक सावज नक हमले कए। उ ह ने लोग के लंबे समय से पो षत री त रवाज और
परंपरा क खुलकर आलोचना क ।
इन कारवाइय से ह और मु लम दोन क भावनाएं आहत और इन आशंक ा को
र करने के लए कोई कदम नह उठाया गया।
मं दर और म जद और उनके पुज ा रय या धमाथ सं ान से संबं धत भू म पर कर
लगाने क नी त से धा मक भावनाएं भी आहत जन पर पहले के शासक ारा कर के व ोह पर बाहरी भाव
नह लगाया गया था।
लोग के बीच असंतोष के वकास क अव ध कु छ घटना के साथ मेल खाती है
जसने आम धारणा को तोड़ दया क टश अपराजेय ह।
आ थक कारण
लोक य असंतोष का सबसे मह वपूण कारण अं ेज ारा दे श का आ थक शोषण उ ह ने लोग को यह व ास दलाने के लए ो सा हत कया क टश शासन के दन
था। इसके पारंप रक आ थक ताने बाने के पूण वनाश ने कसान कारीगर और लद चुके ह।
ह त श पय के वशाल जनसमूह के साथ साथ बड़ी सं या म पारंप रक ज़म दार अं ेज को भारत के साथ साथ भारत के बाहर भी व भ लड़ाइय म हार का
और मु खया को भी ग़रीब कर दया। सामना करना पड़ा। संथाल व ोह थम अफगान यु
पंज ाब यु और मया यु ने इस व ास
क भावना दान क क उ ह चुनौती द जा सकती है और
टश नी तय ने ानीय शासक और उनके दरबार को न कर दया जो ह त श प
पर जीता।
और कारीगर के संर क थे जसके प रणाम व प ानीय कारीगर और कलाकार
का वनाश आ।
अं ेज ने प म से आने वाली व तु का भी समथन कया और उ ह भारत म फकने क व ोह क शु आत और पा म
को शश क य क वे स ती थ और भारतीय व तुए ँ उनका मुक ाबला नह कर सकती अ ैल को बैरकपुर म अपने अ धका रय पर हमला करने के लए मंगल
थ । इन दोन ने लोग क द र ता को ज म दया। पांडे को फांसी दे द गई थी।
कु छ दन बाद मेरठ म रे जमट के कु छ सपा हय ने नए कारतूस का उपयोग
इससे कृ ष भू म पर दबाव और ामीण े म असंतोष पैदा आ जसने करके सै य अ यास करने से इनकार कर दया जन पर गाय और सूअ र क चब
इन े से आने वाले सपा हय को भी भा वत कया। के लेप होने का संदेह था।
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अ सी पांच सपा हय को सेवा से बखा त कर दया गया और अपने अ धका रय क व ोह और असफलता क कमजोरी
अव ा करने के लए दस साल क जेल क सजा सुनाई गई।
व ोह उ री रा य तक ही सी मत था व ोह से द णी प मी और पूव
यह मई को आ था।
गायब थे।
मेरठ म अ य भारतीय सै नक क त या काफ असाधारण थी। मई को सै नक ने
मेरठ क जेल तक कू च कया और कै द सपा हय को रहा कर दया।
कु छ वग व ोह म शा मल नह ए और कु छ भारतीय शासक ने स य
प से टश अ धका रय क मदद भी क ।
उ ह ने टश अ धका रय पर हमला कया और उ ह मार डाला।
ई ट इं डया कं पनी के पास आधु नक ह थयार बं क टे ली ाफ थे जससे वे
उ ह ने बं क और गोला बा द पर क जा कर लया और अं ेज क इमारत और संप य
व ो हय क ग त व धय के बारे म आसानी से बता सकते थे। कसान और
म आग लगा द और फरं गय के खलाफ यु क घोषणा कर द । सै नक दे श म अपने
अ धकांश भारतीय तलवार भाल से लड़े और कु छ के पास बं क थ ।
शासन को समा त करने के लए ढ़ थे।
अंत म तक व ोह को दबा दया गया था और अं ेज को अपने शासन को फर से ा पत सम वय क कमी शायद इसक वफलता का सबसे मह वपूण कारण था।
करने के लए अ धक आपू त और संसाधन लाने पड़े। कु छ अ य कारण इस कार थे
व ोह और नेता के क
व ोह का गढ़ े सी मत रहा जससे अं ेज को सी मत े म व ो हय के
जगह भारतीय नेता टश नेता तारीख खलाफ भावी ढं ग से यान क त करने और अपनी ताकत का उपयोग
करने म मदद मली।
द ली General Bakht जॉन नकोलसन मई
KHAN ले टनट
Willoughby अं ेज के पास बेहतर संसाधन आधु नक ह थयार और यु क
Jhansi Rani Lakshmibai Sir Hugh Rose जून आधु नक श त भारतीय ने भी व ोह का समथन नह कया। अंध व ास के
इलाहाबाद लयाकत अली कनल नील जून लए व ो हय क अपील और ग तशील सामा जक उपाय के उनके
यागराज वरोध से वे पीछे हट गए।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास भारतीय इ तहास नोट करता है
भारतीय रा ीय आंदोलन
पहला चरण
अ याय महा मा गांधी और रा वाद आंदोलन क ा XII पुराना एनसीईआरट अ याय नए भारत का वकास
व शता द के उ राध म भारत म रा ीय राजनी तक चेतना और संग ठत रा ीय आंदोलन भारतीय आ थक त क बबाद भी इसी त य के कारण ई थी भारत को मशीन से स ते म
के वकास का उदय आ। बने उ पाद के साथ फक दया गया था जसने भारतीय ह त श प को न कर दया था। और वह
भारत म औ ोगीकरण के संबंध म कु छ भी नह कया गया।
भारत म रा वाद का उदय का प लया और उनक र ा क जो भारी लगान लेते थे और उनका शोषण करते थे।
टश शासन क मूल सम या उसका वाथ था जो भारतीय जनता से सवथा भ था। उ ह ने भारत अं ेज ने धीरे धीरे पूरे दे श म एक समान णाली और सरकार क आधु नक णाली क
पर शासन कया और हमेशा भारतीय क याण पर अपने हत को ाथ मकता द । भारतीय ने शु आत क और इस तरह इसे शास नक प से एक कृ त कया।
महसूस कया क टश नमाता पर उनके हत क ब ल द जा रही है।
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रा वाद मान सकता के भारतीय लोग ने दे शभ और आधु नक वचार सामा जक आरजी भंडारकर आरएल म ा और बाद म वामी ववेक ानंद जैसे रा वाद
आ थक तय के बारे म अपने संदेश को फै लाने का मु य मा यम ेस था। लेख क ने एक नई त वीर बनाने म मदद क और लोग को वयं का स मान करने
के लए ो सा हत कया और इस चार का मुक ाबला कया।
व शता द के उ राध के दौरान रा वाद वचार वाले कई समाचार प का उदय रा वा दय ने भारतीय सं कृ त क वरासत और अशोक चं गु त मौय अकबर
आ। आ द के नयम क ओर इशारा कया। उ ह ने लोग को व ास रखने
वशासन के बारे म सोचने और भारत पर टश शासन क जंज ीर को तोड़ने म
उ ह ने टश नी तय क आलोचना क भारतीय के कोण को सामने रखा लोग को
मदद क ।
एकजुट करने और रा ीय बेहतरी के लए काम करने के लए शा मल कया गया।
इ बट बल ववाद
समकालीन व आंदोलन के भाव
लॉड रपन क अव ध के दौरान जो लटन के बाद आए इ बट
आधु नक श त भारतीय ने सो पैन जॉन टु अ ट मल और अ य प मी वचारक म बल पेश करने का ववाद था। वधेयक को न ल के अंतर के आधार
अपना राजनी तक मागदशक पाया। पर या यक अयो यता को समा त करना था ले कन यूरोपीय लोग के वरोध
के कारण इसे गत कर दया गया था।
मै ज़नी गैरीबा ी और आय रश रा वाद नेता म उनके अपने राजनी तक नायक थे।
इटली द ण अमे रक रा जहां नए रा य क ापना क जा रही थी म इन आंदोलन
ने भारतीय नेता को एक वतं भारतीय रा का सपना दान कया। इस कार बल का मूल उ े य चला गया था य क इसे यूरोपीय लोग के
ान पर प रखने के लए संशो धत कया गया था।
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इससे रा वाद नेता को यह हो गया क टश सा ा य से न प ता और याय क उ मीद नह क जा सकती और यह कर दया क एकजुट होकर ही वे अं ेज के खलाफ लड़ सकते ह।
उ ह ने यह भी सीखा क आंदोलन कै से कया जाता है उन यूरोपीय लोग के आंदोलन ारा मांग को रखा गया जो बल के खलाफ थे।
राजा राम मोहन राय भारत म राजनी तक सुधार के लए आंदोलन शु करने वाले पहले भारतीय नेता थे। के बाद भारत के व भ ह स म कई सावज नक संघ क शु आत ई। इनम से
अ धकांश पर अमीर और कु लीन लोग का वच व था और वे कृ त म े ीय या ानीय थे।
ये आमतौर पर शासन म सुधार शासन म भारतीय के संघ और श ा के सार के लए काम करते थे और आमतौर पर भारतीय क मांग के साथ टश संसद को भेज ी जाने वाली
या चका से नपटते थे।
नाम सं ापक उ े य
Bangabhasha Prakasika Sabha in राजा राम मोहन राय के सहयोगी इसने समाज के क याण पर यान दे ने को कहा
बंगाल भारतीय क सम या पर अं ेज़ और
पैमाने।
टश इं डयन एसो सएशन Radhakant Deb अलग वधा यका कायपा लका और यायपा लका का पृथ करण उ
अ धका रय के वेतन म कमी व भ कत का उ मूलन।
नोट इसक मांग को के चाटर ए ट म वीकार
कया गया था गवनर जनरल क प रषद म छह
सद य को शा मल करना वीकार कया गया था।
East India Association in London Dadabhai Naoroji भारतीय क याण को बढ़ावा दे ने के लए इं लड म जनता को
भा वत कया।
भारत के डओ मैन के प म जाना जाता है
इं डयन एसो सएशन ऑफ कलक ा या इं डयन Surendranath Banerjee Anand Mohan Bose राजनी त पर जनता क राय बनाना
नेशनल एसो सएशन
एक आम राजनी तक या म भारतीय को एकजुट करना।
नोट म इसके पहले अ खल भारतीय स मेलन म
त न धय ने भाग लया था और बाद म म
इसका भारतीय रा ीय कां ेस म वलय हो गया।
Poona Sarvajanik Sabha S H Chiplunkar Ganesh Vasudev Joshi M G सरकार और जनता के बीच एक सेतु का काम करना।
रानाडे
Bombay Presidency Association Badruddin Tyabji Pherozshah Mehta K T नौक रय म भारतीय क पो टग और भारत म आईसीएस परी ा
कपड़ा आयो जत करना।
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यहाँ से कां ेस का येक अ धवेशन हर साल दस बर म दे श के व भ रा य म हर बार होता जब कां ेस नेता ने खुद को के वल सामा जक मामल तक सी मत रखने से इनकार कर
था। दादाभाई नौरोजी तीन बार कां ेस के अ य रहे। बद न तैयबजी फ़रोज़शाह दया तो टश अ धका रय को एहसास आ क कां ेस भारतीय नेता के
मेहता रोमेश चं द गोपाल कृ ण गोखले अ य नेता थे जो अपने शु आती चरण म कां ेस के हाथ म एक उपकरण बन गई है। यह भारतीय रा वाद का क ब था और वे
अ य बने। खुले तौर पर इसक और इसके नेता क आलोचना करने लगे।
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ारं भक नरमपंथी जैसा क उनका मानना था क य द जनमत बनाया और संग ठत कया गया उ ह ने न न ल खत े म सुधार के लए कहा वधानमंडल और इसका व तार
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वचार के इस कू ल के नेता म बंगाल म राज नारायण बोस अ नी कु मार रा वाद वकास को आकार दे ने वाली मुख घटनाएँ
द ा अर बदो घोष ब पन चं पाल और महारा म व णु शा ी चपलूनकर
साल मह व
और तलक शा मल थे।
भारतीय प रषद अ ध नयम पा रत कया गया था यह चरमपंथी नेता को संतु
करने म वफल रहा य क इसने सभी मांग को पूरा नह कया।
उ वाद के बढ़ने के कारण
नाटू बंधु को बना कसी मुक दमे के नवा सत कर दया गया और तलक और अ य पर राज ोह
जब टश सरकार मह वपूण मांग को नह मान रही थी तो कई राजनी तक नेता को का आरोप लगाया गया।
लगने लगा क के वल एक भारतीय सरकार ही भारत को ग त के पथ पर ला सकती आईपीसी क धारा ए म दमनकारी कानून को धारा ए के तहत नए ावधान को
है और अ धक से अ धक लोग को आक षत कया। जोड़कर और अ धक कठोर बना दया गया।
जनता के बीच श ा के सार से जाग कता बढ़ । श त म बढ़ती को लॉड कजन ने बंगाल को पूव बंगाल असम के साथ और शेष बंगाल म वभा जत कर दया
बेरोज़गारी ने टश शासन के अधीन उनका यान ग़रीबी और अ वक सतता क था।
यह फै सला लॉड कजन के इस दावे के बाद आया था क भावी ढं ग से शासन करने के लए
ओर ख चा।
बंगाल ब त बड़ा था।
व शता द म अंतरा ीय घटना ने भारत म भी चरमपं थय को वभाजन ने बड़े पैमाने पर मु लम पूव े को बड़े पैमाने पर ह प मी े से
ो सा हत कया। के बाद जापान ारा क गई ग त और एक औ ो गक श अलग कर दया। यह न त प से भारतीय के लए फू ट डालो और राज करो क
के प म उसके उदय ने भारतीय क आँख खोल द । नी त थी और रा ीय नेता ने इस बात पर नाराजगी जताई क टश सरकार शासन करने के
लए दे शी आबाद को अपने खलाफ कर रही है।
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आ म नभरता या आ म श को ो सा हत कया गया रा ीय ग रमा स मान और गांव के तक अ धकांश नेता को या तो गर तार कर लया गया या नवा सत कर दया गया
सामा जक और आ थक उ ान पर जोर दया गया। और अर बदो घोष और ब पन चं पाल स य राजनी त से सेवा नवृ हो गए।
मु लम लीग क ापना
वदे शी वदे शी उ म जैसे वदे शी कपड़ा मल साबुन और मा चस के कारखाने चम
बंगाल का वभाजन भारत म ह और मु लम समुदाय के बीच वभाजन का सबसे बड़ा
शोधनशालाएँ बक बीमा कं प नयाँ कान आ द ा पत क ग ।
कारण बना।
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स मेलन म तलक लाला लाजपत राय को रा प त बनाना चाहते थे और ब पन चं पाल तलक को भारत म ां तकारी वचारधारा और ग त व धय क शु आत आंत रक और बाहरी कारक का प रणाम
रा प त बनाना चाहते थे। दादाभाई नौरोजी के रा प त बनने से यह संभावना टल गई। थी।
हसक जन ा त को नह अपनाया।
लट लेटर
पहले से ही दोन समूह के बीच तनाव अ धक था य क दोन के वचार अलग अलग थे।
इसके बजाय उ ह ने सी या आय रश रा वा दय के न ेक दम पर चलने का वक प चुना।
नरमपंथी अं ेज का वरोध नह करना चाहते थे य क प रषद म सुधार आ रहे थे। चरमपं थय को यह
एहसास नह था क टश अ धका रय ारा कसी भी दमन के मामले म नरमपंथी उनक र ा पं हो
सकते ह। इस काय णाली म गत वीरतापूण काय शा मल ह जैसे
द ली दरबार आंदोलन के उ े य
वचार शासक के दल म आतंक पैदा करना था।
द ली दरबार भारत के स ाट या सा ा ी के उ रा धकार को च त करने के लए अं ेज ारा
आयो जत एक भारतीय शाही शैली क सामू हक सभा थी। इसे तीन बार आयो जत लोग को जगाओ और उनके मन से स ा का डर नकालो।
कया गया था और म।
ां तका रय का इरादा लोग को उनक दे शभ वशेषकर आदशवाद युवा क अपील करके
के दरबार को उ ोषणा दरबार कहा गया। े रत करना था।
बंगाल
यह ई ट इं डया कं पनी से ताज के लए टश भारत के नयं ण के ह तांतरण क प रण त
के दशक तक कलक ा का छा समुदाय गु त समाज के साथ मला आ था ले कन ये
थी। उतने स य नह थे।
दसंबर म दरबार जॉज पंचम और मैरी ऑफ टे क के रा या भषेक क
मृ त म और भारत के स ाट और सा ा ी के प म उनक घोषणा क अनुम त दे ने के लए आयो जत पहला ां तकारी समूह म मदनापुर बंगाल म ान नाथ बसु के नेतृ व म और कलक ा म
कया गया था। आयो जत कया गया था।
इस दरबार म बंगाल के वभाजन को र करने और भारत क राजधानी को कलक ा से द ली The Anushilan Samiti was founded by Promotha Mitter and including
ानांत रत करने क घोषणा क गई थी। Jatindranath Banerjee Barindra Kumar Ghosh and others.
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लाला लाजपत राय जैसे नेता ने पंज ाबी कसी भी क मत पर हर तरह क मदद के
उ ह ने उस े न को पटरी से उतारने का यास कया जस पर ले टनट गवनर
आदश वा य के साथ और अजीत सह भगत सह के चाचा को नकाला ज ह ने
सर एं यू े जर या ा कर रहे थे।
लाहौर म चरमपंथी अंज ुमन मो ह बान वतन को अपनी प का भारत माता के साथ
संग ठत कया।
पु लन दास के नेतृ व म ढाका अनुशीलन ने ां तकारी ग त व धय के लए
धन जुटाने के लए बराह डकै ती क ।
अजीत सह का समूह उ वाद क ओर मुड़ गया और चनाब उप नवेशवा दय और बारी
दोआब के कसान के बीच राज व और पानी क दर का भुगतान न करने का
अलीपुर बम षडयं के स अलीपुर बम के स आ ह करने म स य था।
डगलस क सफोड के खलाफ ह या के यास से संबं धत था जो एक अ य नेता म आगा हैदर सैयद हैदर रजा भाई परमानंद शा मल थे। क रपंथी
अलोक य टश मु य म ज े ट थे। वह मुज फरपुर उ री उ क व लालचंद फलक आंदोलन म शा मल हो गए।
बहार म फके गए बम का नशाना था।
मई म टश सरकार ने राजनी तक सभा पर तबंध लगा दया और लाला
I दो युवा ां तकारी फु ल चाक और
लाजपत राय और अजीत सह को नवा सत कर दया गया और आंदोलन यह
खुद राम बोस ने बम फका। हालाँ क जस गाड़ी पर बम को नशाना बनाया गया था
समा त हो गया।
उसम क सफोड नह ब क दो टश म हलाएँ थ जनक हमले म मौत हो गई थी।
I टश सरकार ने ी अर बदो ब र घोष और कई युवा ां तका रय को
वदे श म ां तकारी ग त व धयां आ य क आव यकता
गर तार कर लया.
ां तकारी सा ह य को बाहर लाने क संभावना जो ेस अ ध नयम के तहत
नह होगी और ह थयार क खोज ां तका रय को वदे श तक ले गई।
उन पर सा जश या राजा के खलाफ यु छे ड़ने का आरोप लगाया गया था। वे
सभी कलक ा म अनुशीलन स म त के सद य थे।
चाक ने आ मह या कर ली जब क बोस जो उस समय मा वष के थे पकड़े यामजी कृ णवमा ने म लंदन म इं डया हाउस क शु आत क यह क रपंथी
गए और फांसी क सजा सुनाई गई। अर बदो घोष को सबूत क कमी के कारण युवा छा के लए एक छा था। वीडी सावरकर और लाला हरदयाल इं डया हाउस के
रहा कर दया गया और अ य लोग ने जेल म आजीवन कारावास क सजा काट ली। सद य बने।
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थम व यु और रा वाद
ां तका रय म मु य प से पूव सै नक और कसान शा मल थे जो बेहतर रोजगार
के अवसर क तलाश म पंज ाब से संयु रा य अमे रका और कनाडा चले गए थे। जवाब
थम व यु म टे न ने जमनी ऑ या हंगरी और तुक के
खलाफ ांस स अमे रका इटली और जापान के साथ गठबंधन कया।
से रामदास पुरी जीडी कु मार तारकनाथ दास सोहन सह भकना और लाला
हरदयाल ारा ग़दर पूव ां तकारी ग त व धय को अंज ाम दया गया।
रा वाद नेता ने यु म टश भागीदारी का तीन तरह से जवाब दया उदारवाद
कत के प म यु म अं ेज
वकू वर म वदे श सेवक होम और सएटल म यूनाइटे ड इं डया हाउस क ापना क
को समथन दे ने के प म थे।
गई।
मुख ग़दर नेता लाला हरदयाल रामचं भगवान सह करतार सह सराभा तलक स हत चरमपं थय ने म यु का समथन कया
बरकतु लाह और भाई परमानंद थे।
यह अ व ास क टश सरकार भारतीय को लौटाने के लए वशासन दान करेगी।
भारत क र ा अ ध नयम गदर आंदोलन का मुक ाबला करने के लए अं ेज ां तका रय के समूह ने इसका उपयोग करने का नणय लया
ारा इ तेमाल कया जाने वाला मुख और सबसे कठोर साधन था। अं ेज के खलाफ यु छे ड़ने और दे श को आजाद कराने का मौका।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
भारतीय रा ीय आंदोलन
सरा चरण
भारतीय रा ीय आंदोलन के सरे चरण म भारतीय नेता ने थम एनी बेसट और तलक ने आंदोलन को मजबूत करने के लए चरमपं थय और
व यु म टश सरकार को समथन दान करने के बाद उनसे वापसी क उ मीद नरमपं थय के पुन मलन के यास कए।
क और तदनुसार आगे के आंदोलन क योजना बनाई। दो मु य नरमपं थय गोपाल कृ ण गोखले और फरोजशाह मेहता क मृ यु ने भी दो वग
के बीच और नकटता पैदा क ।
इस चरण ने भारतीय वतं ता सं ाम म महा मा गांधी के वेश को भी मु लम लीग के टड और लखनऊ पै ट म बदलाव के कारण थे
च हत कया।
कां ेस और मु लम लीग ारा क गई संयु माँग थ वशासन तनध का एक न त अनुपात दान कया गया।
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इस समझौते ने पुन मलन के कारण लोग म उ साह और आशा क एक नई लहर पैदा क । लीग म मुख नेता
Leaders like Motilal Nehru Jawaharlal Nehru Bhulabhai
इस सं ध के कारण टश सरकार ने अग त म म टे यू क घोषणा म भारतीय को Desai Jinnah Tej Bahadur Sapru Lala Lajpat Rai CR Das
वशासन दे ने क घोषणा क कां ेस और लीग के व भ गुट के बीच एकता को दे ख ते Madan Mohan Malviya joined leagues.
ए।
वे थे टश सरकार क त या
रा वा दय का मानना था क सरकार से रयायत ा त करने के लए लोक य दबाव क होम ल लीग
आव यकता थी।
टश सरकार ने लीग के साथ उ तर का वहार कया। एनी बेसट और उनके
माल मटो सुधार से उदारवा दय का मोहभंग हो गया था। साथी बीपी वा डया और जॉज अ ं डेल को जून म गर तार कर
लया गया।
लोग उ कराधान और क मत म वृ के कारण यु कालीन ख का बोझ महसूस
कर रहे थे और वरोध के कसी भी आ ामक आंदोलन म भाग लेने के लए तैयार थे। गर तारी का वरोध करते ए सर सु म यम अ यर ने अपनी नाइट ड
को याग दया और तलक ने सरकार क इस कारवाई के खलाफ न य तरोध
यह एक सा ा यवाद यु था जसने ेत वच व के मथक का पदाफाश कया। शु कया।
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भारतीय गांधीवाद युग गांधीजी को राजकु मार शु ल ने नील क खेती से जुड़ी सम या का सामना करने वाले कसान
क बात सुनने के लए आमं त कया था।
रा ीय आंदोलन
कसान को जमीन के व ह से पर नील उगाने के लए मजबूर कया जाता था
रा ीय आंदोलन म मोहनदास करमचंद गांधी के उ व ने भारतीय रा वाद के इ तहास म एक मह वपूण जसे तनक ठया णाली के नाम से जाना जाता था।
भू मका नभाई। यूरोपीय लांटस ने अपने मुनाफे को अ धकतम करने के लए उ कराए और अवैध बकाया
क मांग क ।
गांधीजी टश शासन से लड़ने के लए अ हसा और स या ह के साधन पर नभर थे । इस मु े को दे ख ने के लए एक स म त का गठन कया गया था और गांधीजी स म त के सद य
थे।
तनक ठया णाली को समा त कर दया गया और मुआ वजे का दान कया गया।
द णअ का म गांधी क स यता
गांधीजी ने द णअ का म जो पहले बीस साल बताए उनका उनके बाद के जीवन पर Other leaders related to this movement were Rajendra
नणायक भाव पड़ा। उनक राजनी तक वचारधारा भारतीय राजनी त म उनके सबसे बड़े
Prasad Mazhar ul Haq Mahadeo Desai Narhari Parekh JB Kripalani
योगदान ने द णअ का म आकार लया।
etc.
गुज रात के खेड़ा जले म फसल खराब हो गई थी ले कन शासन अभी भी कर वसूलने पर अड़ा
आ था।
I पोल टै स और भारतीय शा दय को अमा य करने के खलाफ अ भयान सभी पूव अनुबं धत
भारतीय पर पाउं ड का पोल टै स लगाया गया था पोल टै स को समा त कर दया
य प उपज क वफलता के मामले म एक छू ट खंड था टश शासक ने छू ट नह
गया था और भारतीय ववाह को अमा य करने क मांग क गई थी।
द थी।
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नाग रक दो रा ीय नेता स य पाल और सैफु न कचलू क गर तारी और नवासन कां ेस के चरमपंथी और नरमपंथी एकजुट थे और लखनऊ पै ट ने भी मु लम लीग और
क नदा करने के लए शां तपूण वरोध के लए इक े ए थे। कां ेस पाट के बीच एकजुटता दखाई।
इस घटना ने रव नाथ टै गोर थम ए शयाई नोबेल पुर कार वजेता को इस हद चरमपं थय क वापसी ने कां ेस को उ वाद च र दया।
तक झकझोर दया क उ ह ने अपनी नाइट ड लौटाते ए कहा क ऐसे सामू हक
ह यारे कसी को कोई उपा ध दे ने के लायक नह ह । थम व यु के कारण व तु क क मत बढ़ने लग और इसका भाव आम आदमी
पर पड़ा।
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कां ेस का नेतृ व करने के लए कां ेस कायस म त का गठन कया गया। पु लस और आंदोलन के दशनका रय के बीच संघष के दौरान हसक भीड़ ने
एक पु लस थाने म आग लगा द जसम पु लसक मय क मौत हो गई। यह
भाषाई आधार पर ांत और वाड स म तय का भी गठन कया गया। फरवरी को आ था।
कसान छा और म हला क भारी भागीदारी ने भी मुख भू मका नभाई। य प अ धकांश कां ेसी नेता गांधी जी के साथ मजबूती से खड़े रहे ले कन ढ़
संक प टू ट गया। अली बंधु बाद म घोर आलोचक बन गए।
चौरी चौरा कांड के कारण इसे अचानक समा त कर दया गया। बोरसाद स या ह डॉकॉयट टै स का ब ह कार करने के लए
Gujarat
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वराज पाट का गठन वराजवाद टश अ धका रय ारा दए जाने वाले भ और वशेषा धकार का वरोध करने म
वफल रहे। वे वशेषा धकार क ओर आक षत थे जो बाद म भारतीय रा ीय आंदोलन म
जब चौरी चौरा क घटना के कारण असहयोग आंदोलन अचानक समा त हो गया तो सं मण काल
सां दा यक वभाजन बन गया।
के दौरान या करना है इस पर बहस और मतभेद आ।
ह मु लम एकता को बढ़ावा दया गया और अ ृ यता र करने वदे शी कपड़े और शराब के आयोग को न लवाद और उप नवेशवाद के प म दे ख ा गया य क इसम टश संसद के सात
ब ह कार बाढ़ राहत के काय म कए गए। टश सद य थे और कोई भारतीय सद य नह था।
कया गया।
साइमन कमीशन क सफा रश
श ा को बढ़ावा दे ने के लए रा ीय कू ल और कॉलेज क ापना क गई। इसने ै ध शासन को समा त करने और ांत म त न ध सरकार क ापना का
ताव रखा।
गठबंधन नह बना सके और उनके मतभेद के कारण वराजवाद संगठन कमजोर आ। फरवरी को जस दन आयोग बंबई प ँचा एक अ खल भारतीय हड़ताल का आयोजन
कया गया।
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जहां भी आयोग गया उसका वागत हड़ताल और काले झंड के साथ साइमन गो बैक के नारे के
ज ा के चौदह सू मोह मद अली ज ा ारा म चौदह मांग
साथ कया गया।
रखी ग ज ह ज ा के चौदह सू के नाम से जाना जाता है।
यह साइमन कमीशन और लाड बीरके नहेड क चुनौती के जवाब म कया गया था।
कां ेस का लाहौर अ धवेशन और पूण ा वराज कां ेस के कलक ा
नेह रपोट क मुख सफा रश इस कार थ अ धवेशन म नेह रपोट को मंज ूरी
दसंबर म कलक ा म सवदलीय स मेलन म नेह रपोट पर वचार कया गया यहाँ मु लम
कलक ा स ने म लाहौर स के लए माग श त कया। मु य प से गांधी
लीग क ओर से ज ा नेह रपोट म संशोधन चाहते थे। ज ा क इन माँग को चौदह ब
के समथन के कारण जवाहरलाल नेह को कां ेस के लाहौर स दसंबर के लए
के प म जाना जाता है। अ य के प म ना मत कया गया था।
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गोलमेज स मेलन का ब ह कार कया जाना था। दांडी के तट पर प ँचने पर समु तट से नमक एक करके नमक कानून का उ लंघन कया जाना
पूण वतं ता को कां ेस का ल य घो षत कया गया। था।
भारतीय रा ीय कां ेस ने स वनय अव ा आंदोलन शु करने के लए गांधीजी को अ धकृ त कया। वन कानून का उ लंघन।
लॉड इर वन से महा मा गांधी ारा क गई मांग का जवाहरलाल नेह ने वरोध कया था।
नमक स या ह म म हला और छा ने भारी सं या म भाग लया।
. सै य खच कम कर . नाग रक शासन पर खच कम
कर . वदे शी कपड़ पर क टम ूट लगाएं . डाक आर ण वधेयक को वभ ान पर स या ह
वीकार कर . सीआईडी वभाग को ख म कर . सभी त मलनाडु म सी राजगोपालाचारी ने तंज ौर पर थ चनाप ली से वेदार यम तक एक माच का
राजनी तक कै दय को रहा कर और . लाइसस जारी कर आयोजन कया
आ मर ा के लए नाग रक को ह थयार तट।
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टश सरकार क ओर से इर वन राजनी तक बं दय क रहाई पर सहमत ए। था। स मेलन के पहले दौर के अ य तभागी भी उप त थे।
गोलमेज स मेलन
गोलमेज स मेलन भारत म संवैधा नक सुधार पर चचा करने के लए टश सरकार यह स मेलन दस बर तक चला।
और भारतीय रा ीय आंदोलन के नेता ारा आयो जत शां त स मेलन क एक ृंख ला थी। इस स मेलन क चचा ने भारत सरकार अ ध नयम के नमाण
का माग श त कया।
स वनय अव ा आंदोलन
तक कु ल तीन गोलमेज स मेलन आयो जत कए गए।
सरा चरण
थम गोलमेज स मेलन नवंबर जनवरी गांधीजी सतंबर म तीय गोलमेज स मेलन म भाग लेने के लए इं लड
गए। ले कन उनक श शाली वकालत के बावजूद टश सरकार ने डो म नयन
टे टस क त काल अनुदान क मांग को मानने से इनकार कर दया।
पहला गोलमेज स मेलन एक ऐसा मंच था जहां पहली बार टश और भारतीय नेता बराबर
के प म मले।
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अ ैल म गांधीजी ने स वनय अव ा आंदोलन को वापस लेने का फै सला कया उनका उ े य औप नवे शक सरकार को उखाड़ फकने और संयु रा य भारत के
य क आंदोलन को जारी रखने के लए कोई ग त नह बची थी। संघीय गणरा य क ापना के लए सश व ोह को संग ठत करना था।
जनता भी नए आंदोलन के लए तैयार नह थी। बाद म इसका नाम बदलकर ह तान सोश ल ट रप लक एसो सएशन कर दया गया।
पूना पै ट ने द लत वग के लए अलग नवाचक मंडल के वचार को याग भगत सह और बटु के र द ने अ ैल को क य वधान सभा म बम फका।
दया।
ले कन द लत वग के लए आर त सीट को ांतीय वधानसभा म से बढ़ाकर अ ैल म भारतीय रप लकन आम ारा चटगांव बंगाल श ागार कया गया
और क य वधानमंडल म कु ल सीट का कर दया गया। था। इसका नेतृ व सूय सेन ने कया था।
पूना पै ट को सरकार ने क युनल अवाड म संशोधन के प म वीकार कर लया। योजना म दो मु य श ागार पर क जा करने क थी
चटगांव को ां तका रय को पकड़ने और आपू त करने के लए
ह थयार।
सरे चरण म ां तकारी ग त व धयां असहयोग आंदोलन क अचानक वापसी ने कई छापेमारी सफल रही और सेन ने रा ीय वज फहराया और एक अनं तम
रा वा दय को रा वा दय क रणनी त और अ हसा पर उनके जोर पर सवाल खड़ा कया। ां तकारी सरकार क घोषणा क । ले कन बाद म उ ह गर तार कर
लया गया.
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ह तान सोश ल ट रप लकन एसो सएशन HSRA आम लाहौर ू र लाठ चाज म शा मल एक पु लस अ धकारी। अ ैल म
भगत सह और बीके द ा ारा नई द ली म क य वधान सभा म एक बम फका गया था।
ां तकारी पु तक और समाचार प
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इं डयन इं डपडस लीग ब लन जमनी लाला हरदयाल और वीर नाथ च ोपा याय
मामला वष संबं धत त य
अलीपुर षडयं के स ई. खुद राम बोस और फु ला चाक ने मुज फरपुर के मु य ेसीडसी म ज े ट डीएच क सफोड पर बम फका।
द ली षडयं के स ई. भारत के त कालीन वायसराय लॉड हा डग क ह या करने के लए रास बहारी बोस के नेतृ व म। बसंत कु मार व ास मा टर अमीचंद और अवध
बहारी को दोषी ठहराया गया और उ ह मार दया गया।
लाहौर षडयं के स के स यह मामला भगत सह राजगु और सुख दे व के खलाफ था ज ह ने सांडस को गलती से मार डाला था य क असली ल य जे स कॉट था जो लाला
लाजपत राय को मारने वाले लाठ चाज के लए ज मेदार था। तीन को दोषी पाया गया और मार डाला गया।
पेशावर सा जश ई. यह मुज ा हर के खलाफ मुक दमा था ज ह ने भारत म क यु न ट आंदोलन शु करने के लए स से भारत म वेश करने क को शश क थी।
मामला
Kakori Conspiracy Case AD यह ह तान रप लकन एसो सएशन ारा आयो जत टश भारत सरकार के खलाफ एक े न डकै ती थी।
Death sentences were awarded to Ramprasad Bismil Ashfaqullah Khan Thakur Roshan
सह और राज ला हड़ी।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
भारतीय रा ीय आंदोलन
तीसरा चरण
भारतीय रा ीय आंदोलन का तीसरा चरण स वनय अव ा आंदोलन नमक स या ह जैसे ांतीय वाय ता के आधार पर ांत के लए सरकार क एक नई णाली का भी वादा
जन आंदोलन ारा नधा रत कया गया था जसने भारत के लोग म संघष क कया गया था। ांत म ै ध शासन को समा त कर दया गया।
जड़ हला द थ ।
क म ै ध शासन लागू कया गया और संघीय वषय को आर त और ानांत रत
तीसरा चरण भारत सरकार अ ध नयम के पा रत होने के साथ शु आ और वषय म वभा जत कया गया। यह ह सा काम म नह आया।
तक चला जब भारत को अपनी वतं ता मली।
एक सदनीय संघीय वधा यका होनी थी जसम रा य को अनुपातहीन भार
दया गया था।
भारत सरकार अ ध नयम भारतीय राजनी तक नेता के म जेल
रा य के त न धय को जनता ारा नवा चत नह कया जाना था ब क
म होने क पृ भू म म तीसरा गोलमेज स मेलन कां ेस क भागीदारी के बना आयो जत
सीधे शासक ारा नयु कया जाना था।
कया गया था जसके कारण भारत सरकार अ ध नयम का नमाण आ।
श य को क और रा य रयासत के बीच तीन सू चय संघीय ांतीय गवनर जनरल और गवनर को टश सरकार ारा नयु कया जाना था और वे
और समवत सू चय म वभा जत कया गया था। अव श श याँ वायसराय को दान इसके त उ रदायी थे।
क गई।
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इसने संघीय ांतीय और संयु लोक सेवा आयोग क भी ापना क । कां ेस के मं य ने अपना वेतन घटाकर पये त माह कर दया। वे रेलवे म तीसरे या सरे
दज म या ा करते थे।
इस अ ध नयम के मा यम से म एक संघीय यायालय भी ा पत कया गया था।
कां ेस के अपने लखनऊ और फै जपुर अ धवेशन म इसने नए अ ध नयम के तहत चुनाव लड़ने स सडी और अ य उपाय के मा यम से खाद और अ य ामो ोग को समथन
का फै सला कया दया गया ।
. ाथ मक और मा य मक तर पर श ा पर यान दया गया। तकनीक और उ श ा को भी
बढ़ावा दया गया।
कां ेस का चुनाव घोषणाप के चुनाव के लए कां ेस के
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मई म एक शीष गु त मसौदा ां तकारी आंदोलन अ यादे श तैयार जुलाई म पहली बार भारतीय को म से का ब मत दे ने के लए
कया गया था जसका उ े य कां ेस पर एक अश पूव ापी हड़ताल शु वायसराय क कायकारी प रषद का व तार कया गया ले कन र ा व और गृह के भारी
करना था। टश बने रहे।
इस त या से कां ेस पूरी तरह से असंतु थी और उसने यु का समथन नह रा ीय र ा प रषद क ापना वशु प से सलाहकार काय के साथ क गई थी।
करने का फै सला कया और कां ेस मं ालय ने अ टू बर म सीड यूसी
क बैठक म ांत से इ तीफा दे दया।
गत स या ह गत स या ह शु करने
के उ े य थे यह दखाना क रा वाद धैय कमजोरी के कारण नह था।
पुरी अ धवेशन और फॉरवड लॉक
गांधीजी ने म कां ेस से सं यास ले लया और कां ेस जवाहर
लाल नेह के नेतृ व म आ गई।
लोग क यह भावना करने के लए क उ ह यु म कोई दलच ी नह थी और उ ह ने
नाजीवाद और भारत पर शासन करने वाली दोहरी नरंकु शता के बीच कोई अंतर नह
उसी समय ह रपुरा म कां ेस के फरवरी के अ धवेशन म सुभाष चं
कया।
बोस को सवस म त से चुना गया।
सरकार को कां ेस क मांग को शां तपूण ढं ग से वीकार करने का एक और अवसर दे ना।
आंदोलन ने लोग म थोड़ा उ साह पैदा कया य क कां ेस के बीच संघष को आगे बढ़ाने और
अग त ताव तीय व यु म भाग लेने के बारे म मतभेद थे। ऐसे म इसे नलं बत कर दया गया।
तीय व यु क घटनाएँ हटलर के प म हो ग ।
सतारा
अग त क पेशकश पर त या कां ेस ने अग त
कायकाल अग त से मई । नेतृ व नाना
क पेशकश को खा रज कर दया य क रा ीय सरकार बनाने क कोई पेशकश
पा टल वीबी च हाण अ युत पटवधन यायदान मंडल या लोग क अदालत ा पत क
नह थी।
ग और याय बखर गया।
नेह ने यह कहते ए इसे खा रज कर दया डो म नयन टे टस क
अवधारणा डोरनेल के प म मृत है ।
मु लम लीग ने भी सकारा मक त या नह द और घोषणा क क वभाजन ही
आगे बढ़ने का एकमा रा ता है। स मशन माच म
पहली बार वीकार कए गए डो म नयन टे टस को प से पेश कया गया टै फ़ ोड स क अ य ता म एक मशन को यु के लए भारतीय समथन
था भारतीय के अपने लए सं वधान बनाने के लए एक सं वधान प रषद ा त करने के लए संवैधा नक ताव के साथ भारत भेज ा गया था। स
बनाने का अनुरोध भी वीकार कया गया था। मशन को भारत भेज ने के न न ल खत कारण थे
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जापान का आ मण भारत के दरवाजे पर था इस लए भारत का समथन मह वपूण था मु लम लीग को सं वधान सभा के नमाण क मशीनरी पसंद नह थी।
और यहां तक क म दे श क श यां यूएसए यूएसएसआर भी इसके लए
अं ेज पर दबाव बना रही थ । प से पा क तान क पेशकश नह कए जाने से मु लम लीग
भारतीय रा वाद म दे श का समथन करने के लए सहमत हो गए थे के नेता को भी नराशा ई।
कारण अगर पया त श तुरंत ानांत रत कर द गई और यु के बाद पूण वतं ता द वाता क वफलता का एक मह वपूण कारण स क सौदे बाजी
गई। और बातचीत करने क अ मता थी। उनसे कहा गया था क वे मसौदा घोषणा से आगे
स मशन क मु य धाराएँ इस कार थ भारत को डो म नयन का दजा और नह बढ़।
कॉमनवे से बाहर नकलने क अनुम त और संयु रा स हत कसी भी अंतरा ीय
नकाय म शा मल होने क आज़ाद । व टन च चल अमेरी रा य स चव लन लथगो वायसराय और वेवेल कमांडर
इन चीफ नह चाहते थे क स सफल ह । उ ह ने भारतीय मत
यु क समा त के बाद एक नया सं वधान बनाने के लए एक सं वधान सभा को समायो जत करने के उनके यास का लगातार वरोध कया।
बुलाई जाएगी।
इस वधानसभा के सद य आं शक प से ांतीय वधानसभा ारा आनुपा तक
त न ध व के मा यम से चुने जाएंगे और आं शक प से राजकु मार ारा
मनोनीत कए जाएंगे। भारत छोड़ो आंदोलन स मशन
टश सरकार नए को वीकार करेगी क वफलता के बाद गांधीजी ने एक ताव तैयार कया
सं वधान दो शत के अधीन और जापानी आ मण के खलाफ टश और अ हसक
i संघ म शा मल होने के इ ु क कोई भी ांत एक अलग सं वधान और एक अलग असहयोग आंदोलन को वापस लेने का आ ान कया।
संघ बना सकता है।
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भारत म टश शासन को त काल समा त करने और सभी कार के फासीवाद और मज र ने हड़ताल क और दमन का सामना कया सभी तबक के कसान
सा ा यवाद के खलाफ अपनी र ा के लए वतं भारत क तब ता क आंदोलन के क म थे। जम दार ने भी भाग लया। जम दार वरोधी हसा
घोषणा करने क मांग क गई। का पूण अभाव था ।
अं ेज क वापसी के बाद भारत क एक अ ायी सरकार के गठन क मांग टश शासन सरकारी अ धका रय ने वशेष प से जो पु लस और शासन म नचले तर के ह ने
के खलाफ अव ा आंदोलन को मंज ूरी भी द गई थी।
भाग लया। इससे सरकार क वफादारी म कमी आई है।
गांधीजी ने गत स या ह संगठन म सुधार और टश शासन के भू मगत कायकता को आ य दे क र मुसलमान ने मदद क । आंदोलन के दौरान
खलाफ नरंतर चार ारा आंदोलन क ग त का नमाण कया था। कोई सां दा यक झड़प नह ई।
ले कन अग त को कां ेस के सभी शीष नेता को गर तार कर लया गया और अ ात क यु न ट आंदोलन म शा मल नह ए नाजी जमनी ारा स पर हमला कए जाने के
ान पर ले जाया गया।
म े नजर क यु न ट ने जमनी के खलाफ टश यु का समथन करना
इसके बाद मुख ग त व धयाँ बना नेता के ये इस कार थ शु कर दया और सा ा यवाद यु जनता का यु बन गया।
अहमदाबाद बंबई अहमदनगर पूना और जमशेदपुर म मज र हड़ताल पर चले ेस पर पूरी तरह से ससर लगा दया गया था। दशनकारी भीड़ को
गए। मशीनगन से दागा गया और यहां तक क हवा से बमबारी भी क गई।
इन ग त व धय म भाग लेने वाल म समाजवाद अगड़े सद य गांधी आ मवासी बंबई
पूना सतारा बड़ौदा और गुज रात कनाटक के रल आं संयु कै दय को यातनाएं द ग और सेना ने कई क ब और शहर पर क जा कर लया।
ांत बहार और द ली के अ य ह से के ां तकारी शा मल थे। पु लस और सेना क गोलीबारी म से अ धक लोग मारे गए।
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उ ह ने वष म कां ेस के हाजीपुर अ धवेशन क अ य ता क । कां ेस और नवंबर को अंडमान और नकोबार प जापानी सेना ारा INA को
पाट के नेता के साथ वैचा रक और रणनी तक मतभेद के कारण बोस ने अपना दे दए गए प का नाम मशः शहीद प और वराज प रखा गया।
रा ता चुना।
उ ह ने वष म फॉरवड लॉक पाट का गठन कया। जनवरी म INA मु यालय को रंगून बमा म ानांत रत कर दया गया
और यु चलो द ली एक स नारा बन गया।
इं डयन नेशनल आम आईएनए का गठन
मोहन सह ने मलाया से पीछे हटने वाले सै नक और जापान से यु बं दय क एक जुलाई को सुभाष चं बोस ने आजाद हद रे डयो से महा मा गांधी को
सेना तैयार क । के अंत तक पु ष INA म शा मल होने के लए तैयार रा पता कहकर संबो धत कया।
थे।
भारतीय रा ीय कां ेस और भारत के लोग के नमं ण पर ही INA कारवाई करेगी। आजाद हद फौज ने बमा क सीमा को पार कया और माच को भारत क
धरती पर खड़ी ई फर को हमा और इंफ ाल तक बढ़ ।
इस सेना के गठन के कदम को द ण पूव ए शया म भारतीय के खलाफ जापा नय
के राचार के खलाफ एक जांच के प म और भारत म संभा वत भ व य के
अ ैल को बहा र समूह के कनल म लक ने म णपुर म मोइरांग म भारतीय मु य
जापानी आ मण के खलाफ एक बचाव के प म दे ख ा गया है।
भू म पर पहली बार आईएनए वज फहराया।
उ ह ने भारतीय वतं ता आंदोलन म जापा नय क च जगाने के लए से नवंबर। भारतीय रा ीय सेना आंदोलन पूरे दे श म फै ल गया और व वध सामा जक समूह क
ब त यास कए। उ ह ने म टो यो म इं डयन इं डपडस लीग IIL क ापना भागीदारी दे ख ी गई।
क थी।
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यह मु लम ब ल े के लए जनमत सं ह ारा तय कया जाना था चाहे एक अलग कार म। उ ह ने पु लसक मय और यूरोपीय लोग को धमकाया।
सं भु रा य का गठन कया जाए या नह ।
अ य नौसै नक शाखाएँ भी बाद म उनके साथ जुड़ ग । उ ह ने तरंगा झंडा फहराया और टश भारत के सद य को सामा य मु लम और सख सीट म वभा जत कया जाना
ब बई का च कर लगाया
था।
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पछले वष म ह और मु लम दोन तरह क सां दा यकता के ऐ तहा सक वकास ने एक उ ह ने घोषणा क क सं वधान सभा म शा मल होने से इनकार करने वाले रा य के साथ
ऐसी त पैदा कर द थी जहां वभाजन का वक प बेतुके और बबर सां दा यक दं ग श ुतापूण वहार कया जाएगा।
म लाख नद ष लोग क सामू हक ह या थी।
जुलाई म व लभभाई पटे ल ने नए रा य वभाग का कायभार संभाला और कु शलता से
न न ल खत दो चरण म सभी रा य को शा मल कया।
वदे शी सरकार ने भी इन वभाजन को आगे बढ़ाने का यास कया लाभ उठाया और राजकु मार ने इस पर काफ आसानी से सहम त क य क i वे
इन दं ग को ो सा हत कया। के वल वही समपण कर रहे थे जो उनके पास कभी नह था
और
आजाद के बाद दे श का यह तेज ी से राजनी तक एक करण पटे ल क सबसे बड़ी उपल थी।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
रा यपाल रा यपाल
जनरल और वायसराय
ई. तक ई ट इं डया कं पनी को बंगाल के गवनर ारा चलाया जाता था। म ास इस काल म उसने बंगाल म ै ध शासन क नी त लाई जो तक
और बंबई ेसीडसी के भी अलग अलग गवनर थे। चलती रही।
लाइव और वारेन हे ट स को भारत म टश स ा क न व रखने का मुख
ई. के बाद रेगुले टग ए ट के ारा बंगाल के गवनर को गवनर साधन कहा जाता है।
जनरल बनाया गया। यह व ा ई. तक चलती रही। वारेन हे ट स थम
गवनर जनरल थे। लाइव क उनक नी तय के लए भी आलोचना क जाती है जसके कारण
बंगाल म अकाल पड़ा। ई. म लाइव ने ापार के लए समाज क ापना
लॉड व लयम ब टक भारत के पहले गवनर जनरल थे य क से तक बंगाल क । यह एक एका धकार के प म था ले कन ई ट इं डया कं पनी ारा इसक
के गवनर जनरल को भारत का गवनर जनरल कहा जाता था। अनुम त नह थी।
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वारेन हे ट स
उ ह ने मु लम श ा के वकास के लए कलक ा म एक मदरसे क
भारत के पहले गवनर जनरल से तक वारेन हे ट स थे। उ ह
ापना क ।
म ाचार के आरोप म महा भयोग लगाया गया था और म उ ह बरी कर
दया गया था और वी काउं सलर बनाया गया था। म जोनाथन डंक न ारा बनारस म एक सं कृ त व ालय क ापना क गई।
उह म कलक ा प रषद म नयु कया गया था ले कन म इं लड इससे अवध रा य म अं ेज का भाव बढ़ा और नवाब पर नभर हो गया
वापस चले गए। वह म म ास प रषद के सद य के प म भारत लौट आए।
कं पनी।
वॉरेन हे ट स ने म रॉबट लाइव ारा ा पत बंगाल म सरकार क दोहरी वह म कानून को सं हताब करने वाले पहले थे। सं हता ने राज व
णाली को समा त कर दया। जसके कारण कं पनी ने राज व सं ह क ज मेदारी ली। शासन को याय शासन से अलग कर दया। इसे कानवा लस कोड के नाम से जाना
जाता है।
उसने मुगल बादशाह को दये जाने वाले लाख के भुगतान को भी रोक दया। उ ह ने जला यायाधीश का पद भी सृ जत कया।
लॉड कानवा लस ारा म ायी बंदोब त ारा जम दारी था क
राज व सुधार शु आत क गई थी । इसने जम दार के भू म अ धकार को बना कसी न त कराए
राज व के सं ह क नगरानी के लए कलक ा म एक राज व बोड क ापना क या वा त वक कृ षक के अ धभोग अ धकार के ावधान के बना ायी प से तय कर
दया।
गई थी।
म कलक ा को राजधानी बनाया गया और राजकोष को मु शदाबाद से
कलक ा ानांत रत कर दया गया। जम दार ारा एक कए गए कु ल भू राज व म सरकार का ह सा था और शेष
जम दार के पास चला गया।
येक जले म अं ेज कले टर नयु कए गए जनक सहायता दे शी अ धकारी
करते थे।
ायी भू राज व बंदोब त के अनुसार जम दार को भू म के ायी मा लक के पम
वारेन हे ट स ने राज व के खाते को सरल बोधग य बनाया और रैयत क सुर ा के लए
मा यता द गई थी।
कई ावधान कए ।
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टश संसद ने सर जॉन शोर के समय का चाटर ए ट पा रत कया। उनके शासन काल म ई. म सपा हय का वे लोर व ोह आ। सपा हय क मु य शकायत वद
बाल कटवाना आ द से संबं धत थ ।
लॉड हे ट स
सहायक सं ध के मा यम से रयासत के शासक को कं पनी के अ धका रय को सू चत कए का नेपाली यु उनके शासन के दौरान आ। गोरखा ने माच म सगौली क
बना कसी भी अ य भारतीय शासक के साथ कोई बातचीत और सं ध करने से रोक दया गया सं ध को वीकार कर लया।
था।
उसने फारस के शाह के दरबार म एक टश त मेहद अली खान को भेज ा। बाद म यह द ण भारत म ाथ मक भू राज व णाली थी।
उ ह ने जॉन माशल को भेज ा। प रचय के मुख े म म ास बॉ बे असम के कु छ ह से और टश भारत के कू ग ांत शा मल ह।
वेले ली ने ेस को नयं त करने के लए एक अ ध नयम पा रत कया। कोई भी अखबार तब रैयतवारी व ा म मा लकाना हक कसान को स प दया गया। टश सरकार सीधे कसान से
तक का शत नह कया जाना था जब तक क पूरे पेपर क पांडु ल प सरकार को जमा कर वसूल करती थी।
नह कर द जाती और सरकार ारा अनुमो दत नह कर द जाती।
बंगाल का तकारी अ ध नयम म पा रत कया गया था। उनके कायकाल के दौरान बंगाल और
चौथा एं लो मैसूर यु उसके शासन म लड़ा गया था जसके प रणाम व प ट पू क असम े म कॉफ बागान शु कया गया था।
हार और मृ यु ई और मैसूर के कई ह स पर क जा कर लया गया।
लॉड एमह ट
वेले ली ने अ टू बर को तंज ौर माच म सूरत और जुलाई को
कनाटक का शासन अपने हाथ म लया। उ ह ने थम बम यु लड़ा।
मराठा यु के प रणाम व प स धया भ सले और हो कर क हार ई। उनके शासनकाल म मलय ाय प को भी टश े म जोड़ा गया था।
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का चाटर अ ध नयम उसके शासनकाल के दौरान पा रत कया गया था। इसने दान उ ह ने स ेस कानून पा रत कया जसने ेस पर लगे तबंध को हटा दया।
कया क कं पनी के कसी भी भारतीय वषय को उसके धम ज म ान वंश और रंग के
आधार पर पद धारण करने से वं चत नह कया जाना था। इस लए सावज नक सेवा म भत म
भेद को हटा दया गया। लॉड ऑकलड
उनके शासनकाल क सबसे मह वपूण घटना थम अफगान यु
उनके ारा कए गए सुधार के उपाय न न ल खत थे उ ह ने म सती और थी जसम अं ेज को भारी नुक सान उठाना पड़ा था।
अ य ू र सं कार को समा त कर दया ।
का अ ध नयम पहले बंगाल म सती था के उ मूलन के लए लाया गया था और यह हार भारत म टश स ा क त ा के लए आघात थी।
फर म म ास और बंबई ेसीडसी तक व ता रत कया गया था।
इसके कारण अफगा न तान के लए शाह शुज ा रणजीत सह और अं ेज के बीच
ठगी का दमन म उनके ारा कया गया एक और सुधार था। ई. म प ीय सं ध ई।
श ा म ब टक ने मैक ाले मनट लाया और अं ेज ी को टश भारतीय शासन क आ धका रक शाह शुज ा को अफगान क ग पर बैठाना था पर तु बाद म रणजीत सह इस
भाषा बना दया गया। इसने भारत म उ श ा के वकास म मदद क । स से पीछे हट गए।
उनके कायकाल म म द ली से कलक ा तक सड़क का नमाण
शु आ और इसी दौरान शेरशाह सूरी माग का नाम बदलकर ड ं क रोड
या यक सुधार म अपील और स कट कोट क ांतीय अदालत को समा त कर दया जीट रोड कर दया गया।
गया। राज व और स कट आयु क दे ख रेख म उनके कत को म ज े ट
और कले टर को ानांत रत कर दया गया।
लॉड एलेनबरो
अपने दो साल के कायकाल म उसने अफगान यु को समा त कर दया।
उ ांत वतमान उ र दे श और द ली क जनता क सु वधा के लए इलाहाबाद म म चा स ने पयर के नेतृ व म सध पर क जा कर लया गया था।
एक अलग सदर नजामत अदालत और एक सदर द वानी अदालत ा पत क गई।
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लाड डलहौजी उ ह ने म आधु नक डाक व ा क न व भी रखी। पहली बार एक अलग लोक नमाण
लाड डलहौजी म वष क आयु म भारत का गवनर जनरल बना। उसने यु और हड़प वभाग क ापना क गई।
बंदरगाह वक सत कए।
ई. म स कम का अं ेज ी रा य म वलय हो गया।
उनके कायकाल म जुलाई को वधवा पुन ववाह अ ध नयम पा रत कया गया।
उ ह ने डॉ न ऑफ लै स क नी त को वापस ले लया।
पगत का स ांत पगत के
का भारतीय प रषद अ ध नयम पा रत कया गया यह भारत के संवैधा नक इ तहास म एक
स ांत का योग करते ए म सतारा म जैतपुर और संभलपुर म बघाट
मील का प र सा बत आ।
म झांसी म उदयपुर और म नागपुर को टश सा ा य म मला दया गया।
भारतीय दं ड सं हता और भारतीय उ यायालय अ ध नयम अ ध नय मत कए
गए।
उनके कायकाल म पहली बार म आयकर पेश कया गया था।
म अवध को डलहौजी ारा क जा कर लया गया था और कु शासन के आधार
पर टश सा ा य म वलय कर दया गया था।
वुड्स ड ैच क सफा रश पर म कलक ा बॉ बे और म ास व व ालय
क ापना क गई थी। बंगाल म इं डगो दं गे उनक गवनर शप म ए थे।
डलहौजी ारा कए गए सुधार शास नक सुधार के तहत भारत के
दे श ज ह हाल ही म टश सा ा य म मला लया गया था को एक क कृ त नयं ण वहाबी आंदोलन जो एक पैन इ ला मक आंदोलन था उसक अव ध म शु आ। इसे
णाली म रखा गया था जसम एक आयु को उस े म नयु कया गया था जो सीधे अं ेज ने दबा दया था।
गवनर जनरल को रपोट करता था।
म धमशाला म उनक मृ यु हो गई जो उस समय पंज ाब म था।
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ड यूड यू हंटर के तहत भारत के सां यक य सव ण का संगठन कया गया था और ानीय वशासन क शु आत म ानीय वशासन के संक प के साथ ई।
भारत क पहली जनगणना म ली गई थी।
इस लए उ ह भारत म ानीय वशासन का जनक कहा जाता है।
कृ ष और वा ण य वभाग क ापना क गई।
उ ह ने म हंटर कमीशन का गठन कया जसने भारत म ाथ मक श ा म
उ ह ने म भारत म व ीय वक करण क या शु क। सुधार के लए काम कया।
म उनके समय म इ बट बल ववाद आ। इस बल ने भारतीय याय वद को
उ ह ने क य और ांतीय व को अलग करने क दशा म पहला कदम उठाया। यूरोपीय लोग पर मुक दमा चलाने क अनुम त दे क र भेदभाव को र करने क को शश क ।
म शेर अली अफरीद एक अफरीद पठान अंडमान म एक अपराधी ने मेयो क ले कन यूरोपीय लोग के वरोध के कारण बल म संशोधन करना पड़ा। इसके बाद उ ह ने
ह या कर द । वह कायालय म ह या करने वाला एकमा वायसराय था। इ तीफा दे दया।
लाड डफ रन
लॉड नॉथ ुक डफ रन के शासन क एक मह वपूण घटना तृतीय आं ल बम यु
पंज ाब का कू का आंदोलन ई. म आ था ई. थी। इस यु म बमा क हार ई। इससे म नचले और ऊपरी बमा का
कायकाल। वलय आ।
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लाड कजन ने भारत म अनेक मह वपूण काय संप कए थे। वायसराय के प म अपने समय द ली दरबार का आयोजन म लॉड हा डग तीय के शासनकाल म
के दौरान लॉड कजन ने पूव बंगाल और असम के े का नमाण कया। बंगाल वभाजन कया गया था। टे न के कग जॉज पंचम और वीन मैरी रा या भषेक के लए
क योजना भी उ ह के कायकाल म बनी थी। आए और उ ह ने दरबार का दौरा कया।
भारत म उनके ारा कए गए कु छ मुख सुधार इस कार थे कग जॉज पंचम और वीन मैरी के द ली दरबार के समय बंगाल का वभाजन र
कर दया गया था और राजधानी को कलक ा से द ली ानांत रत करने क घोषणा
म क गई थी।
वदे श नी त कजन ने नए उ र प म ं टयर को एकजुट कया। उ ह ने दलाई लामा
पर स क ओर झुक ाव का आरोप लगाकर त बत म दखलंदाजी शु कर द । वष
म कनल यंग प त के नेतृ व म सेना त बत के साथ सं ध करने गई। दसंबर को हा डग द ली म वेश करते समय बम क चपेट म आ गए जसम
वे घायल हो गए।
थम व यु हा डग के कायकाल के दौरान शु आ।
एजुके शन कजन ने म थॉमस रैले के तहत भारतीय व व ालय आयोग म लॉड हा डग ने बनारस ह व व ालय खोलने क अनुम त द ।
क ापना क ।
भारतीय व व ालय अ ध नयम म कसक सफा रश के आधार पर पा रत
कया गया था लॉड चे सफोड
आयोग।
होम ल लीग क ापना म लॉड चे सफोड के समय म ई थी। इसी समय
पु लस सुधार लॉड कजन ने म सर एं यू े जर क अ य ता म पूना म म हला व व ालय क ापना ई।
एक पु लस आयोग क ापना क । वष म पु लस वभाग म CID आपरा धक
जांच वभाग क ापना क गई। म कां ेस और मु लम लीग के बीच लखनऊ सं ध पर ह ता र कए गए
और उसी वष नरमपंथी और उ वाद भी एक साथ वापस आ गए। श ा पर सदलर आयोग
म नयु कया गया था।
अकाल आयोग का गठन लाड कजन के शासनकाल म एंथोनी मैक डॉनेल क अ य ता म
एक अकाल आयोग नयु कया गया था। इसका काय अकाल सहायता क व ा को इसी दौरान का रोलेट ए ट पास आ इसी दौरान अ ैल को ज लयांवाला
कु शलतापूवक चलाने के मामले म अनुशंसा करना था। बाग ह याकांड आ और भारत सरकार ए ट पास आ।
म अपने कायकाल म खुद राम बोस को मौत क सजा द गई और बाल गंगाधर स वल सेवा परी ाएं से द ली और लंदन म एक साथ आयो जत क जाने
तलक को छह साल के लए जेल भेज दया गया। लग ।
यह पढ़ने के समय था क लोक सेवा के लए ली आयोग क ापना वष म क गई
भारतीय प रषद अ ध नयम जसे मॉल मटो सुधार के प म जाना जाता थी।
है क घोषणा म क गई थी। इसने अलग नवाचक मंडल क घोषणा करके
अग त को काकोरी कांड के समय री डग भारत के वायसराय थे।
ह और मुसलमान के बीच क खाई को चौड़ा कर दया।
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दसंबर को लाहौर अ धवेशन म पूण वराज क घोषणा क गई। फरवरी को बंबई म भारतीय नौसेना का व ोह आ।
जनवरी को पूरे दे श म वतं ता दवस का आयोजन कया गया। आईएनए ायल म शु आ था।
माच को एटली ने पे थक लॉरस टै फ ोड स और एवी अले जडर के तहत
माच को गांधीजी ारा स वनय अव ा आ दोलन चलाया गया। इसम दांडी माच भी कै बनेट मशन क घोषणा क जो माच को द ली प ंचे।
आ।
थम गोलमेज स मेलन म लंदन म आयो जत कया गया था। इसके ताव को कां ेस ने वीकार कर लया।
लॉड लन लथगो
पंज ाब और बंगाल के वभाजन के लए सर स रल रेड लफ के नेतृ व म दो सीमा
उनके कायकाल म पहला आम चुनाव आ और कां ेस को पूण ब मत ा त आ। कां ेस ने
आयोग नयु कए गए थे।
अ धकांश ांत म मं ालय का गठन कया।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
सू का कहना है क ा आठव नई एनसीईआरट अ याय आजाद के बाद का भारत क ा बारहव नई एनसीईआरट अ याय वभाजन को समझना
रयासत क सम या थी उनम से लगभग येक पर महाराजा या नवाब का मु लम लीग ने एक अलग सं वधान के साथ पा क तान क अपनी मांग पर जोर
शासन था जनम से येक को नए रा म शा मल होने के लए राजी करना पड़ा। दे ते ए सं वधान सभा का ब ह कार करने का फै सला कया।
भारत एक औप नवे शक वरासत के साथ रह गया था जसने दे श को सं वधान सभा म सद य थे। इनम से छह सद य ने वशेष प से मह वपूण
अपनी आ थक संप उ ोग से नकाल दया था। भू मका नभाई।
इसने जनता को द र बना दया था कृ ष भू म पर भारी बोझ था और कु छ लोग तीन कां ेस के त न ध थे अथात् जवाहरलाल नेह व लभभाई पटे ल और राज
के हाथ म क त थी। साद।
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चीफ ा ट् समैन एसएन मुख ज ज ह ने ज टल ताव को कानूनी सं वधान सभा म मुख बहस भाषा को लेक र ई। कई सद य का मानना था क अं ेज ी
भाषा म रखा। भाषा को टश शासक के पास भारत छोड़ दे ना चा हए। उनके अनुसार अं ेज ी का ान
I बंबई क हंसा मेहता ने सामा जक ह द लेना चा हए।
सं वधान सभा म म हला के लए आ थक और राजनी तक याय।
भारतीय सं वधान जो जनवरी को लागू आ नया म सबसे लंबा अ टू बर मु लम लीग ने अंत रम म शा मल होने का फै सला कया
सं वधान है। सरकार
वतं ता के समय भारत गहराई से वभा जत था। दसंबर टे न के धानमं ी। एटली कु छ भारतीय नेता से मले वाता वफल
दे श को एक साथ रखने के लए और इसे आगे ले जाने के लए एक सं वधान
तैयार कया गया था यह अ नवाय प से एक व तृत और सावधानी से तैयार दसंबर सं वधान सभा अपने स शु करती है
कया गया मसौदा द तावेज होना चा हए।
सं वधान क एक वशेषता इसका सावभौ मक वय क मता धकार को अपनाना अग त ज ा सं वधान सभा के अ य चुने गए
था। वष से अ धक आयु के सभी भारतीय को रा य और रा ीय चुनाव म पा क तान क सभा
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हैदराबाद हैदराबाद
रयासत का एक करण भारतीय वतं ता अ ध नयम ने
भारत क सबसे बड़ी रयासत थी।
भारतीय रा य पर टश सव ता को समा त कर दया और रयासत को भारत या
यह भारतीय े से चार ओर से घरा आ था।
पा क तान म वलय या वतं रहने का वक प दया गया।
हैदराबाद के नवाब मज उ मान अली खान थे ।
नवाब पा क तान के साथ वलय करना चाहते थे ले कन ब सं यक आबाद ह
थी।
जून को अ खल भारतीय कां ेस कमेट ने नणय लया क वह भारत के
े के भीतर कसी भी ांत क वतं ता को वीकार नह करेगी और न ही भारत हैदराबाद ने नवंबर म भारत के साथ एक टड टल समझौते पर ह ता र
के कसी भी अ भ अंग को भारत से सफल होने दे गी। कए उसी त को बनाए रखने के लए जैसा क अग त से
पहले था।
ांत के मु को हल करने के लए भारतीय ांत का एक वभाग जुलाई हैदराबाद समझौते के त वफादार नह रहा उसने सै य श का नमाण करना और
को ा पत कया गया था जसके मुख त कालीन गृह मं ी सरदार व लभभाई अपनी सेना को ह थयार बनाना शु कर दया।
पटे ल थे।
सतंबर म सै य कारवाई ारा हैदराबाद को भारत म एक कृ त कया गया था।
अग त तक अ धकांश रा य का भारत म वलय हो गया ले कन के वल
तीन रा य जूनागढ़ हैदराबाद और क मीर ने अपनी वाय ता बरकरार
रखी। यूरोपीय उप नवेश का एक करण भारत क वतं ता
के बाद पुतगाली और ांसीसी उप नवेश भारत म मौजूद थे। पुतगा लय
जूनागढ़ जूनागढ़
म गोवा दमन और द व दादरा और नगर हवेली और ांसीसी
उप नवेश म पां डचेरी क रकल यानम माहे और चं नगर शा मल थे।
क आबाद लगभग लाख थी और यहां ह ब सं यक आबाद थी ले कन
शासक एक मु लम नवाब महावत खान था।
I म भारत और ांस के बीच एक सं ध ई जसके अनुसार ांस ारा सभी
सतंबर को नवाब ने जूनागढ़ के पा क तान म वलय क घोषणा क ांसीसी उप नवेश को मु कर दया गया था।
ले कन अ धकांश आबाद भारत म रहना चाहती थी।
I म पुतगाली शासन से वतं ता ा त करने के बाद दमन और द व और गोवा को भारत
गणरा य म मला दया गया था।
जूनागढ़ म लोग के तरोध के कारण नवाब पा क तान भाग गया।
नवंबर को जूनागढ़ के द वान सहनवाज भु ो ने भारत सरकार को था क एक बार दे श को वतं ता मलने के बाद येक मुख भाषाई समूह का
एक करण का प भेज ा। अपना ांत होगा।
Kashmir
ले कन वतं ता के बाद धान मं ी नेह और उप धान मं ी व लभभाई पटे ल दोन
क मीर सम या दो अ य रयासत से अलग थी। ब सं यक आबाद मु लम थी और भाषाई रा य के नमाण के खलाफ थे।
शासक एक ह राजा था।
वष म ज मू और क मीर क सं वधान सभा ने भारत के साथ क मीर के इस कार अ टू बर को आं का नया रा य अ त व म आया जो बाद म
एक करण क पु क। आं दे श बन गया।
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एक रा य पुनगठन आयोग क ापना क गई जसने म अपनी रपोट तुत क ामीण उ ान दो काय म सामुदा यक वकास सीडीपी और पंचायती राज
मशः अस मया बंगाली उ ड़या त मल मलयालम क ड़ और तेलुगु बोलने वाल के ारा कया गया था।
कॉ ै ट ांत बनाने के लए जला और ांतीय सीमा के पुन नधारण क सफा रश क ।
ब कग े म सुधार
आजाद के बाद भारत सरकार ने ब कग े म कई सुधार कए।
उ र भारत का हद भाषी े कई रा य म बंट गया था।
अ ैल को भारतीय रजव बक का रा ीयकरण कया गया।
म बॉ बे के भाषी रा य को मराठ और गुज राती बोलने वाल के लए
अलग अलग रा य म वभा जत कया गया था। जुलाई को इंपी रयल बक का रा ीयकरण कया गया और भारतीय टे ट बक बनाया गया।
म पंज ाब रा य को भी भाषाई आधार पर पंज ाब और ह रयाणा म वभा जत कया भारत सरकार ने ब कग को सामा जक े के सुधार क शाखा म से एक बनाया और
गया था। पंज ाब पंज ाबी भाषा बोलने वाल के लए था जो यादातर सख थे। ह रयाणा बाक सेवा म सामा जक े म व तार कया।
लोग के लए था जो पंज ाबी नह ब क ह रयाणवी या हद के सं करण बोलते थे।
वदे श नी त तीय व यु के
वतं ता के समय म णपुर एक राजशाही था इसे सतंबर म भारत धान मं ी जवाहरलाल नेह जो नव वतं भारत के वदे श मं ी भी थे ने इस संदभ म मु
म वलय कर दया गया था। भारत क वदे श नी त वक सत क । गुट नरपे ता ने इस वदे श नी त का आधार बनाया।
वकास और योजना म सरकार ने आ थक वकास के त बत के मु े पर भारत और चीन के बीच म पंचशील समझौता आ था।
पंचशील समझौते के मु य ब थे
व ान और उ श ा पर भी यान दया गया। शां तपूण सह अ त व
भारतीय वै ा नक अनुसंधान प रषद आईसीएसआर और भारतीय ौ ो गक सं ान
एक सरे क े ीय अखंडता और सं भुता के लए पर र स मान।
ा पत कए गए।
परमाणु ऊजा के वकास के लए होमी जहांगीर भाभा के नेतृ व म परमाणु ऊजा आपसी अह त ेप
आयोग क ापना म क गई थी।
आपसी अना मण
समानता और पार रक लाभ
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उ ह ने इसक वदे श नी त के नमाण को भा वत कया। के बाद से कई आंत रक संघष और गुट के बावजूद एकजुट है।
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भारतीय प ट स
ोत क ा VI एनसीईआरट अ याय शु आती लोग क राह पर क ा यारहव एनसीईआरट सभी अ याय भारतीय का एक प रचय
कला भाग क ा बारहव एनसीईआरट सभी अ याय भारतीय कला का एक प रचय भाग II क ा बारहव एनसीईआरट क ा यारहव अ याय
भारत क जी वत श प परंपराएं
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शका रय को साधारण कपड़े और आभूषण पहने दखाया गया है। कभी कभी मनु य को छड़ी जैसे प म दशाया गया है।
पु ष को व तृत सर पोशाक और मुख ौट से भी सजाया जाता है। एक लंबी नाक वाला जानवर एक लोमड़ी और एक ब टांग वाली छपकली मु य पशु
पांक न ह। यहाँ दशाए गए दलच य म से एक हाथ से जुड़ी ई नृ य करती
मानव आकृ तय का है।
हाथी बाइसन बाघ सूअ र हरण मृग त आ पथर गडा मछली मढक छपकली
गलहरी और कभी कभी प य को भी इन च म च त कया गया है।
य प इन जानवर को ाकृ तक शैली म च त कया गया था मनु य को के वल सधु घाट स यता के च त म के बतन सधु घाट स यता के व भ
शैलीगत तरीके से च त कया गया था। ल म पाए गए च क सजावट म चेक स प ी पैटन जाली का काम और
लोग के पेड़ से फल या शहद इक ा करने और म हला को पीसने और भोजन तैयार पीपल के पेड़ आ द शा मल ह। प ी मछ लयां और व भ जानवर
भी ह
करने के च ह।
ब त से शैला य म हाथ के नशान मु के नशान और अंगु लय से बने ब पाए जाते
दखाया गया है। सरल प म इन म के सामान म अ धकतम पॉ ल शग
ह। सामुदा यक नृ य भी एक सामा य वषय दान करते ह।
श होता है।
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बादामी गुफ ा च
बादामी क गुफ ाएँ कनाटक रा य म त ह। चालु य राजा मंगलेश ने बादामी गुफ ा क
खुदाई का संर ण कया य क यह ारं भक चालु य वंश क राजधानी थी जसने
से ई वी तक इस े पर शासन कया था।
अजंता गुफ ा च
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अप ंश कू ल ऑफ़ आट वे टन कू ल ऑफ़ प ट स प टग ग त व ध जो भारत के
प मी भाग म बड़े
यहां उपयोग क जाने वाली प टग तकनीक े को है और भ च उन सतह पर
पैमाने पर वक सत ई है अप ंश या वे टन कू ल ऑफ़ प टग के प म जानी
च त कए गए ह ज ह पहले चूने के ला टर से ढका गया है। छत म जैन धम के
जाती है। गुज रात इस कू ल का सबसे मुख क है राज ान के द णी
समवसरण व ास का त न ध व करने वाले पु ष जानवर फू ल प य और
भाग और म य भारत के प मी भाग अ य क ह।
मछ लय क ाकृ तक दखने वाली छ वय का च ण है।
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प टग के डे कनी कू ल
इसके अलावा के रल के भ च भी इसी काल म वक सत ए
थे। च कला क द कनी शैली को लंबे समय तक भारत फारसी कला के अंतगत रखा
गया था। इसे मूल प से म य पूव सफा वद फारसी तुक और यहां तक क मुगल भी माना
The Vijayanagara Paintings जाता था।
व शता द म चोल राजवंश क श के पतन के साथ बीजापुर गोलकुं डा और अहमदनगर के सा ा य ने अदालती च कला के अ य धक प र कृ त और व श
वजयनगर राजवंश ने ह ी से ची तक के े को कू ल का वकास कया।
अपने नयं ण म ले लया और व भ मं दर म कई च बनाए
गए।
अहमदनगर कू ल ऑफ प टग
अहमदनगर के सैन नजाम शाह थम के शासनकाल का ज मनाते ए द खनी
च कला के शु आती उदाहरण क वता क एक मा ा म ह। व तृत च म से एक म भ
व शता द म ची के पास त परकुं रम म क गई प टग रंग के साथ रानी और उसके ववाह का च ण है।
वजयनगर शैली के ारं भक चरण का त न ध व करती ह। ह ी म
व पा मं दर के मंडप क छत पर वंशवाद इ तहास क घटना और इसम दशाई गई म हला मुगल पूव च कला क उ री परंपरा से संबं धत है।
रामायण और महाभारत के संग का वणन है।
अहमदनगर के च म म हलाएँ चोली चोली और लटकन म समा त होने वाली लंबी चोट के
साथ एक संशो धत उ री पोशाक पहनती ह। के वल एक लंबा प ा कू ह के नीचे शरीर के चार ओर
घूमते ए एक द णी फै शन है जसे लेपा ी प टग म दे ख ा जाता है।
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गोलकुं डा कू ल ऑफ प टग
ई. म गोलकुं डा एक वतं रा य बना। आधार सतह पीछे क ओर कागज के साथ कपड़ा है जस पर कथाकार को गौचे
व शता द के अंत तक यह द कन सा ा य म सबसे धनी था। गोलकुं डा क तकनीक के प म जानी जाने वाली कथाकार क मदद करने के लए लखा गया है जो
कला तब लोक य ई जब डच ापारी व सद के अंत म सु तान क पानी आधा रत है और अपारदश रंग म है।
त वीर यूरोप ले गए।
इस अव ध म कए गए ह महाका महाभारत के फारसी अनुवाद और स च
गोलकुं डा के काम के प म पहचाने जाने वाले शु आती पांच लघु च ई वी सं करण को ई वी म दसवंत ारा र म नामा के प म जाना जाने लगा। इस
के हा फज के द वान म बंधे थे। ये च एक युवा शासक के दरबार के य का पांडु ल प को अलंकृ त सुलेख म लखा गया था और इसम प टग शा मल थ ।
त न ध व करते ह जसे एक प टग फो लयो के क म आमतौर पर लंबी गोवधन और म कन जैसे कलाकार अपने दरबारी य के य के लए लोक य
और सीधी द कनी तलवार पकड़े ए सहासन पर बैठा आ दशाया गया है। थे।
मायूँ अपने साथ उ ताद कलाकार को वापस ले आया जब उसने भारत म स ा जहाँगीर के बेटे शाहजहाँ ने च शाला म कलाकार को शानदार कृ तयाँ बनाने के लए
हा सल क । उसने दो फ़ारसी कलाकार मीर सै यद अली और अ द उस समद ो सा हत कया जो क पना और लेख न का म ण थ । कृ तवाद तपादन और
को अपने दरबार म एक टू डयो ा पत करने और शाही च को चलाने के लए सट क च ण पर आदश करण और महान शैलीकरण को ाथ मकता द गई।
आमं त कया।
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शाहजहाँ क असाधारण प टग म से एक थी दारा शकोह वद सेज इन ए गाडन जसे इसक आयामी सरलीकृ त भाषा जैन पांडु ल पय से लेक र चौरपंच शका पांडु ल प च
ई वी म ब च ारा बनाया गया था। तक क शैलीगत ग त क पूण ता के प म कट होती है।
कोटा कू ल ऑफ प टग
ारं भक काल म बूंद और कोटा के च को कई दशक तक अलग नह कया जा
सकता य क कोटा के च कार ने बूंद सं ह से उधार लया था।
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वह वै णव सं दाय के त आक षत ए और उ ह ने राधा और कृ ण
च कला क शै णक शैली तेल च कला क
के वषय पर कई प टग बना । उनके शासनकाल के दौरान कलाकार ने र सक या अकाद मक शैली जसने भारतीय वषय व तु को च त करने के लए एक
गीता गो वदा बारामसा और रागमाला पर आधा रत सेट को च त कया जहां नायक यूरोपीय मा यम का उपयोग कया हालां क अं ेज ारा ा पत कला व ालय
क आकृ त राजा के साथ हड़ताली समानता म है। म फली फू ली।
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इसका सबसे सफल उदाहरण के रल म ावणकोर कोट के व श त कलाकार राजा र व रव नाथ टै गोर अ सर डू डल से पैटन बनाते ह और ॉस आउट श द से एक
वमा ारा न मत काय म दे ख ा जा सकता है। अनूठ सुलेख शैली वक सत करते ह।
बंगाल कू ल व शता द
सट इन द नाइट म गगन नाथ टै गोर ारा बनाई गई एक जल रंग क
के अंत तक भारत म रा वाद के उदय के साथ बंगाल कू ल एक कला आंदोलन और च कला
प टग है।
क एक शैली के प म उभरा जसक उ प टश स ा के क कलक ा म ई थी ले कन
बाद म इसने भारत के व भ ह स म कई कलाकार को भा वत कया। शां त नके तन स हत उ ह ने अपने का प नक शहर जैसे ारका भगवान कृ ण का
अव न नाथ टै गोर ई.
बंगाल कू ल ऑफ प टग का नेतृ व अब न नाथ टै गोर ने कया था ज ह टश
शासक और कलक ा कू ल ऑफ आट ईबी हैवेल के सपल का जै मनी रॉय
समथन ा त था। जै मनी राय को भारत म लोक पुनजागरण का जनक कहा जाता है
ज ह ने आधु नक भारतीय पहचान क एक वैक पक बनाई।
अव न नाथ और हैवेल दोन औप नवे शक कला व ालय के आलोचक थे और एक नए
कार क प टग बनाने म ढ़ व ास रखते थे जो न के वल वषय व तु ब क शैली म भी के दशक के म य म उ ह ने लोक च पट को इक ा करने और लोक
भारतीय थी। कारीगर से सीखने के लए बंगाल के ामीण इलाक क या ा क ।
उनके लए औप नवे शक कला व ालय म पढ़ाए जाने वाले कं पनी कू ल ऑफ उनक प टग म म बनाई गई एक माँ और उसका ब ा बो सरलीकरण
प टग के बजाय मुगल और पहाड़ी लघु च ेरणा के अ धक मह वपूण ोत थे। अव न नाथ और ापक श ोक के साथ मोट परेख ा के साथ ह।
टै गोर और हैवेल दोन ने गवनमट आट कू ल कलक ा अब गवनमट कॉलेज ऑफ़ आट
एंड ा ट कोलकाता क ापना क थी। आंक ड़े सु त पीले और ट लाल पृ भू म म रंगे ह।
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म थला प टग सबसे स
अमृता शेर गल
समकालीन च कारी कला प म म थला कला है जसका नाम म थला से लया
अमृता शेर गल आधी हंगे रयन और आधी भारतीय एक अ तीय म हला कलाकार के प गया है। इसे नकटतम जला राजधानी के नाम पर मधुबनी प टग भी कहा
म उभरती ह ज ह ने के दशक म आधु नक भारतीय कला म अ य धक योगदान दया।
जाता है यह ापक प से मा यता ा त लोक कला परंपरा है।
एमएफ सैन मकबूल फदा सैन ज ह एमएफ सैन के नाम से जाना जाता
है भारत के सबसे त त कलाकार थे। उ ह ने बॉ बे म जेज े कू ल ऑफ
नाजुक च झोप ड़य क द वार पर बने या मतीय च ह जसम कृ ण
आट् स म पढ़ाई क । हड ाइंग और जीवंत रंग का उपयोग करते ए उ ह ने
को उनक गाय के साथ च त कया गया है जो गो पय से घरी ई ह और उनके
समकालीन यूरोपीय कला आंदोलन वशेष प से यू ब म क शैली म भारतीय वषय
सर पर बतन रखे ए ह।
व तु का च ण कया।
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बंगाल पटस म प म बंगाल के े म कपड़े पर प टग पट और कहानी कहने इन भो मया क वीरता क गाथा को च त करते ए फड़ भोपा भटकते चारण
क था शा मल है। ारा चलाए जाते ह।
यह सबसे अ धक हणशील मौ खक परंपरा है जो लगातार नए वषय क हालाँ क फड को भोपा ारा च त नह कया जाता है। वे पारंप रक प से जोशी
तलाश करती है और नया म मुख घटना के लए उप यास त याएं तैयार करती नामक जा त ारा च त कए गए ह जो राज ान के राजा के दरबार म च कार रहे ह।
है।
लंबवत च त पटा दशन के लए पटु आ कलाकार ारा उपयोग कया जाने वाला
एक सहारा बन जाता है। पटु आ ज ह च कार भी कहा जाता है बड़े पैमाने पर प म
Kalamkari Painting
बंगाल के मदनापुर बीरभूम और बांकु रा े बहार और झारखंड के कु छ
ह स के आसपास बसे समुदाय से संबं धत ह। कलमकारी ाकृ तक रंग का उपयोग करके कलम से सूती या रेशमी कपड़े पर
क जाने वाली हाथ क प टग क एक ाचीन शैली है।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
ोत क ा XI नई एनसीईआरट अ याय ल लत कला मौय काल क कलाएँ चैप भारतीय कला म मौय र झान
और वा तुक ला अ याय भारतीय कां य मू तकला
स यता है। इसके पैर हाथ और सर टू ट गए ह इसका पेट भी भारी होता है।
सधु घाट स यता क कला का उदय ईसा पूव तीसरी सह ा द के उ राध म इस धड़ पर तीन सॉके ट होल बने ह जहां सर और बांह को जोड़ा जा सकता है। यह इं गत करता
आ। स यता के व भ ल से ा त कला के प म मू तयां मुहर म है क सधु घाट स यता के लोग ऐसी मू तयां बनाना जानते थे जो उनक गदन और भुज ा को
के बतन आभूषण टे राकोटा क मू तयां आ द शा मल ह।
मोड़ सक।
पंख े के आकार का सर पोशाक जसम येक तरफ एक कप जैसा ेपण होता है सधु
घाट क मातृदेवी क मू तय क एक व श सजावट वशेषता है।
पुज ारी राजा क प र क मू त
मू त सेलखड़ी क बनी है और यह मोहनजोदड़ो म मली थी।
टे रकोटा
उ ह ने दा हने हाथ म एक बाजूबंद छोट दाढ़ आधी बंद ल बी आँख सधु घाट के लोग ने टे राकोटा क मू तयाँ भी बना । वे अ धक यथाथवाद ह और सधु क मू तय
यान मु ा पहन रखी है। उ ह पुज ारी राजा के प म पहचाना जाता है। म सबसे मह वपूण वे ह जो दे वी मां का त न ध व करती ह।
यह आकृ त एक शॉल म लपट ई है जो दा हने हाथ के नीचे आती है और एक योग मु ा म एक पु ष क टे राकोटा आकृ त भी खुदाई म मली है।
बाएं कं धे को ढकती है।
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टे राकोटा म हम कुं ड लत बाल के साथ दाढ़ वाले पु ष क कु छ मू तयाँ भी पाते ह तंभ के नमाण क परंपरा फारस के एके मे नयन सा ा य म भी च लत थी। ले कन
उनक मु ा कठोर सीधी पैर थोड़े अलग और भुज ाएँ शरीर के कनार के समानांतर मौय त आचमे नयन त से भ ह। उ ह ने एकल रॉक कट तंभ को
होती ह। उके रा और इस कार कावर के कौशल को द शत कया। अचमे नयन तंभ का
नमाण एक राज म ी ारा टु क ड़ म कया जाता है।
इस आकृ त को ठ क उसी त म दोहराने से पता चलता है क वह एक
दे वता था। एक स ग वाले दे वता का टे राकोटा का मुख ौटा भी मला है। टे राकोटा म प हय
सीट झुनझुने प य और जानवर गेममैन और ड क के साथ खलौना गा ड़यां भी सभी मुख आकृ तयाँ एक वगाकार या वृ ाकार अबेक स पर खड़ी और
तुत क ग । खुद ई ह। अबेक स को शैलीब कमल से सजाया जाता है। बड़े आकार वाले मौजूदा
तंभ म से कु छ बहार म बसराह ब खरा लौ रया नंदनगढ़ और रामपुरवा उ र दे श
म सं कसा और सारनाथ म पाए गए।
जवान
पुरात व वद ने हजार मुहर क खोज क है जो यादातर सेलखड़ी से बनी ह। मुहर
के उ पादन का उ े य मु यतः ावसा यक था। हड़ पा क मानक मुहर वग इंच क
चौकोर प का थी जो सेलखड़ी से बनी थी। येक मुहर एक च ा मक ल प म खुद सारनाथ म पाया गया मौय तंभ शीष जसे लायन कै पटल के नाम से जाना
ई है जसे अभी तक पढ़ा नह जा सका है। जाता है मौय मू तकला परंपरा का बेहतरीन उदाहरण है। यह हमारा रा ीय तीक
भी है। यह तंभ शीष ध मच वतन बु ारा दया गया पहला उपदे श का तीक
है।
सबसे उ लेख नीय मुहर क पहचान पशुप त मुहर के प म क गई है।
इस मुहर म एक मानव आकृ त पालथी मारकर बैठ ई है। बैठ ई आकृ त के
दा ओर एक हाथी और एक बाघ को च त कया गया है जब क बा ओर
एक गडा और एक भसा दे ख ा गया है। इन जानवर के अलावा आसन के नीचे दो मृग भी
दखाए गए ह।
म के बतन
साइट से खुदाई क गई बड़ी मा ा म म के बतन हम व भ आकृ तय और
शै लय म नयो जत व भ डजाइन पांक न के मक वकास को समझने
म स म बनाते ह। च त बतन क तुलना म सादे म के बतन अ धक सामा य ह।
सादे म के बतन आम तौर पर लाल म के होते ह जनम महीन लाल या भूरे रंग क
परत होती है या नह । इसम घुंडीदार बतन शा मल ह जो घुं डय क पं य से
अलंकृ त ह।
काले रंग के बतन पर लाल रंग क परत क महीन परत होती है जस पर चमकदार सारनाथ म लायन कै पटल
काले रंग से या मतीय और जानवर के डजाइन बनाए जाते ह।
Yakshas and Yakhinis
पॉली ोम म के बतन लभ ह और मु य प से लाल काले और हरे शायद ही पटना व दशा और मथुरा जैसे कई ान पर य और य ख नय क बड़ी बड़ी
कभी सफे द और पीले रंग म या मतीय पैटन से सजाए गए छोटे फू लदान होते ह। मू तयाँ मलती ह। ये मारक य च अ धकतर खड़ी अव ा म ह। इन सभी छ वय म
व श त व म से एक उनक पॉ लश क गई सतह है।
मौय मू तकला
मौय सा ा य क मू तय म मु य प से तंभ और बलुआ प र क च ान Didarganj Yakshi
पर उके रे गए अशोक के शलालेख शा मल ह जो भारत क सबसे पुरानी प र क
बेहतरीन उदाहरण म से एक द दारगंज पटना क एक य णी आकृ त है
मू तय का त न ध व करते ह।
जो लंबी और अ तरह से न मत है।
यह मानव शरीर के च ण के त संवेदनशीलता दशाता है। छ व म एक पॉ लश
मौय तंभ अशोक ारा प र के
सतह है।
तंभ बनवाए गए थे जो पूरे मौय सा ा य म पाए गए ह जन पर शलालेख खुदे
लगभग साल पुराना यह पाँच फ ट चार इंच का है और इसे एक ही प र से
ए ह। तंभ के शीष भाग पर बैल शेर हाथी आ द क बड़ी आकृ तयाँ उके री गई ह।
तराशा गया है। दा हने हाथ म चौरी है जब क बायां हाथ टू टा आ है।
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ले कन यह क न क के शासनकाल के दौरान था क कला को ब त संर ण मला। इसने बौ तीक को मानव प म बदलने क परंपरा ा पत क । बु क
पहली छ व को क न क के शासनकाल लगभग ई वी म दे ख ा जा सकता है।
गांधार कू ल का योगदान
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मथुरा कू ल ऑफ आट क वशेषताएं सरी शता द ई वी के दौरान कु षाण काल से संबं धत चौसा बहार से जैन
मथुरा कू ल ऑफ आट क कु छ वशेषताएं नीचे द गई ह तीथकर क दलच छ वय क खोज क गई है।
Avalokitesvara
एक उ लेख नीय कां य चतुभुज अवलो कते र का है जो सुंदर
भंग मु ा म एक पु ष आकृ त का एक अ ा उदाहरण है।
नटराज नटराज के पम
शव क स नृ य आकृ त चोल काल के दौरान वक सत और पूरी तरह से वक सत
ई थी और तब से इस ज टल कां य छ व के कई प को त पत कया गया
मथुरा कू ल क मू तकला है।
I द लॉ ट वै स या एक ऐसी तकनीक है जसका इ तेमाल धातु क व तुए ं बनाने मू तकला ने चेहरे क वशेषता क समानता को आदश करण के कु छ त व के साथ
के लए कया जाता है खासकर हमाचल दे श ओ डशा बहार म य दे श जोड़ा है। खड़े राजा और रा नय को ाथना मु ा म च त कया गया है अथात
और प म बंगाल म. खोई मोम या म कई अलग अलग चरण शा मल दोन हाथ नम कार मु ा म ह।
होते ह
और शु मोम के हाथ से बनाया गया।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
भारतीय वा तुक ला
शै लयाँ और वकास
सू का कहना है
क ा बारहव नई एनसीईआरट अ याय ल लत कला ागै तहा सक रॉक प ट स अ याय मौय काल क कलाएं
चैप भारतीय कला और वा तुक ला म मौय र झान अ याय बाद म भ परंपराएं
अ याय मं दर वा तुक ला और मू तकला अ याय इंडो इ ला मक आ कटे चर के कु छ पहलू
कला और वा तुक ला भारतीय सं कृ त का एक मह वपूण ह सा है। भारतीय टं क का पानी एक बड़े नाले म बहता था। उ र क ओर एक गली म आठ बाथ म के
वा तुक ला का सबसे पहला और सबसे उ लेख नीय माण हड़ पा स यता के साथ एक छोट इमारत है जसम ग लयारे के साथ चलने वाली एक आम नाली
शहर म पाया जाता है जो एक अ तीय नगर नयोजन का दावा करता है। से जुड़ी ना लयां ह।
हड़ पा वा तुक ला
हड़ पा वा तुक ला क सबसे अनूठ वशेषता ेट बाथ और रॉक कट मारक
नयो जत जल नकासी णाली का वकास था। उड़ीसा म धौली म रॉक कट हाथी गुफ ा मौय काल से संबं धत है जो रै खक
लय के साथ मारक के अनुक रणीय टु क ड़े का एक अ ा उदाहरण है।
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तूप तूप म
के वशाल ट ल से बने होते थे जो सावधानी से जली ई छोट मानक ट से घरे होते थे।
मौय राजा ारा न मत बु के दफन ट ले और उनके जीवन क मुख घटना
के ान दे श म मह वपूण ाप य भवन के मह वपूण ल बन गए।
साँची का तूप
बौ धम और जैन धम क लोक यता के कारण बड़े पैमाने पर तूप और वहार का
नमाण कया गया। तूप म एक बेलनाकार म और शीष पर एक ह मका और छ के साथ गु सा
एक गोलाकार अंडा होता है जो आकार और आकार म मामूली बदलाव और प रवतन के
अजंता और एलोरा क गुफ ा के सभी गुफ ा ल म वहार क खुदाई क गई
साथ एक जैसा रहता है।
है। वहार क योजना म एक बरामदा एक हॉल और हॉल क द वार के चार
ओर क होते ह। अजंता गुफ ा बेडसा गुफ ा ना सक गुफ ा कु छ मह वपूण वहार
गुफ ाएं ह।
बाद क शता द म तूप को रे लग और मू तकला सजावट के साथ गोलाकार पथ को घेरने
जैसे कु छ प रवधन के साथ व तृत प से बनाया गया था।
ारं भक वहार गुफ ा म से कई आंत रक सजावट पांक न जैसे क चै य
मेहराब और गुफ ा के सेल दरवाज पर वे दका डजाइन के साथ उके री गई ह।
पहले कई तूप का नमाण कया गया था ले कन सरी शता द ईसा पूव म व तार या
नए नमाण कए गए थे।
ना सक गुफ ा म मुख ौटा डजाइन एक व श उपल बन गई।
बौ धम के ारं भक चरण के दौरान बु को पैर के नशान तूप कमल सहासन च ऐसी ही एक वहार गुफ ा क खुदाई महारा के जु ार म भी क गई थी जसे
आ द के मा यम से तीका मक प से दशाया गया है। गणेशलेनी के नाम से जाना जाता है य क इसम बाद के काल क गणेश
क एक छ व ा पत क गई थी।
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सामा य।
सांची तूप क तरह अमरावती तूप म भी एक वे दका के भीतर द णापथ है जस गुफ ा म दो खंभ वाला एक खुला ांगण बा रश से बचाने के लए एक प रक नक
पर कई आ याना मक मू तयां च त ह। गु बदाकार तूप क संरचना उभरे ए द वार एक बरामदा एक प रक न क द वार तंभ के साथ एक अ साइडल
तूप मू तकला लैब से ढक ई है जो एक अनूठ वशेषता है। वॉ ट छत चै य हॉल और पीछे एक तूप है ।
करले चै य हॉल को मानव और पशु आकृ तय से सजाया गया है। वे अपने न पादन म भारी
ऐसे कई जातक य ह जनक पूरी तरह से पहचान नह क जा सक है। ज म घटना ह और च ान म चलते ह।
के च ण म रानी को म हला प रचा रका से घरे एक ब तर पर लेटे ए दखाया
गया है। रानी मायादे वी के व को दशाने वाली रचना के ऊपरी े म पर एक छोटे
आकार का हाथी उके रा गया है। एक अ य राहत म बु के ज म से संबं धत चार
घटना को दशाया गया है।
भर त तूप भर त क मू तयां
ऊं ची ह जो मौय काल म य और य णी क छ वय के समान ह।
काल चै य हॉल
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ह मं दर के मूल प
वे गुंबददार छत के साथ आयताकार ह और एक बड़े क य हॉल के बना एकल मं जला ह मं दर के मूल प म न न ल खत शा मल ह i गभगृह गभगृह जो एक
या दो मं जला ह। ये उ खनन ईसा पूव सरी शता द के ह। छोटा मं दर था।
नागर मं दर शैली
मं दर ाप य शैली जो उ र भारत म लोक य ई नागर कहलाती है। उ र भारत म
एक पूरे मं दर को एक प र के चबूतरे पर बनाया जाना आम बात है जसम ऊपर जाने
Udayagiri Khandagiri Caves के लए सी ढ़याँ ह।
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नागर म म सरा मुख कार का ाप य प फामसाना है। फामसाना क कोन म चार छोटे मं दर ह और सभी मीनार या शखर एक घुमावदार परा मड शैली म
इमारत लै टना क तुलना म चौड़ी और छोट होती ह। उनक छत कई लैब से बनी ह ऊपर क ओर उठे ए ह। यह मं दर के ऊ वाधर जोर पर जोर दे ता है जो एक ै तज
जो धीरे धीरे इमारत के क पर एक ब तक बढ़ती ह लै टना के वपरीत जो तेज ी से
बांसुरी ड क म समा त होता है जसे कलश या कलश के साथ अमलाक कहा
बढ़ते ऊं चे टावर क तरह दखती ह। जाता है।
सूय मं दर मोढे रा
गुज रात के मोढे रा म सूय मं दर व शता द क शु आत म बना था और
ई वी म सोलंक राजवंश के राजा भीमदे व थम ारा बनाया गया था। इसके सामने
नागर मं दर शैली एक वशाल आयताकार सीढ़ दार टक है जसे सूय कुं ड कहा जाता है। यह
वग मीटर का आयताकार तालाब शायद भारत का सबसे भ मं दर टक है।
नागर शैली के मं दर
नागर शैली के मह वपूण मं दर क चचा इस कार है
टक के अंदर सी ढ़य के बीच म लघु मं दर खुदे ए ह। सभा मंडप असबली
हॉल क ओर एक वशाल सजावट तोरण तोरण होता है जो सभी तरफ से खुला होता
दशावतार व णु मं दर दे वगढ़ दे वगढ़ उ र दे श के ल लतपुर है जैसा क उस समय प मी और म य भारतीय मं दर म होता था।
जले म म दशावतार व णु मं दर का नमाण छठ शता द ई वी पूव म गु त काल
से संबं धत है। मं दर वा तुक ला क पंचायतन शैली म है जहां मु य मं दर एक
आयताकार चबूतरे पर बना है जसके चार कोन पर चार छोटे सहायक मं दर ह।
Kamakhya Temple Assam
Kamakhya temple a shakti peeth is dedicated to Goddess
Kamakhya and was built in the th century.
लंबा और घुमावदार शखर भी इस त थ क पु करता है। इस घुमावदार लै टना या रेख ा वह शैली जो ऊपरी बमा से ताइय के वास के साथ आई थी बंगाल क मुख
साद कार के शखर क उप त भी यह करती है क यह मं दर क एक पाल शैली के साथ म त ई और बाद म गुवाहाट म अहोम शैली के पम
उ कृ नागर शैली का एक ारं भक उदाहरण है। जानी जाने वाली शैली का नमाण आ।
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बंगाल बां लादे श स हत और बहार म नौव और यारहव शता द के बीच क अव ध प रसर के भीतर घरा आ एक बड़ा जल जलाशय या एक मं दर टक मलना
के दौरान क मू तय क शैली को पाल शैली के प म जाना जाता है। आम बात है।
सहायक मं दर या तो मु य मं दर के टॉवर के भीतर शा मल ह या मु य मं दर के
जब क पलास को कई बौ मठ ल के संर क के प म मनाया जाता है उस बगल म अलग अलग छोटे मं दर के पम त ह।
े के मं दर को ानीय वंगा शैली को करने के लए जाना जाता है। मं दर एक बड़े
अमलका ारा ताज पहनाया गया एक लंबा घुमावदार शखर दखाता है और ारं भक द ण भारत के सबसे प व मं दर मु य मं दर जसम गभगृह त है म सबसे
पाल शैली का एक उदाहरण है। छोटे टावर म से एक है। ऐसा इस लए है य क यह आमतौर पर मं दर का सबसे
पुराना ह सा होता है।
I ओ डशा के मं दर एक अलग उप शैली का नमाण करते ह मु य मं दर भगवान शव को सम पत ेनाइट से बनी एक पांच मं जला
within the nagara order. In general here the shikhara called संरचना है।
deul in Odisha and mandapas called Jagamohana. परा मड संरचना फट मीटर ऊं ची है और फट मीटर वग मंच
पर त है। मं दर म भगवान व णु शेषनाग पर लेटे ए दखाई दे ते ह।
पं ेथन मं दर क मीर क मीर का कक टा काल
वा तुक ला क से सबसे मह वपूण है जसने आठव और नौव शता द म संभवतः शव
को सम पत पां ेथन मं दर का नमाण कया था। बृहदे र मं दर तंज ावुर
तंज ावुर का शानदार शव मं दर जसे राजराजे र या बृहदे र मं दर कहा जाता है
राजराजा चोल ारा लगभग म पूरा कया गया था। यह सभी भारतीय
मं दर से जुड़ी एक पानी क टं क क परंपरा को यान म रखते ए यह मं दर एक टक के
मं दर म सबसे बड़ा और सबसे ऊं चा है।
बीच म बने लथ पर बनाया गया है।
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कै लाशनाथ मं दर एलोरा एलोरा म कै लाशनाथ मं दर प लव क च ान को काटकर बनाई गई न का शयां कु षाण तमा के बाद सबसे
एक नंद मं दर के साथ एक पूण वड़ इमारत है य क मं दर शव को सम पत पुराने जी वत शाही च ह।
है। इसम गोपुरम जैसे वेश ार आसपास के मठ सहायक मं दर सी ढ़यां और मीटर तक मह वमन थम ने रॉक कट मं दर क शु आत क ।
ऊं चा टॉवर या वमान है। प लव मं दर क यह शैली मंडगप मह वाड़ी ममं र दलावनूर त चराप ली व लम
सयामंगलम और त कलु कु नरम जैसे ान पर दे ख ी जाती है।
व पा मं दर प दकल
कई शै लय का संक रण और समावेश चालु य भवन क पहचान थी। प डकल म सभी
प लव वा तुक ला उनक चार व श शै लय के लए जानी जाती है . मह शैली
चालु य मं दर म सबसे व तृत व पा मं दर है जसे व मा द य तीय के
वा तुक ला क गुफ ा
शासनकाल म उनक मुख रानी लोका महादे वी ने बनवाया था।
शैली का भाव एक बरनाथ कांचीपुरम मं दर म उ क ण एक ाचीन तंभ म दे ख ा जा
सकता है।
होयसले र मं दर
. राज स हा शैली इस शैली का सबसे स मं दर कै लाश मं दर कांची है। इसम एक
होयसला के भगवान हले ब
परा मडनुमा मीनार एक सपाट छत वाला मंडपम और इसके चार ओर
होयसले र मं दर होयसला के भगवान कनाटक के हले बडु म ई वी म होयसला
को शका क एक ृंख ला है जो रथ जैसी दखती है। यह शैली ब त व तृत है
राजा ारा गहरे श प र म बनाया गया था। होयसला मं दर को कभी कभी संक र या वेसर
जो अलंकृ त चोल वा तुक ला का पूवाभास दे ती है।
कहा जाता है य क उनक अनूठ शैली न तो पूरी तरह से वड़ और न ही नागर लगती है।
. अपरा जता शैली यह चोल वा तुक ला के समान अ धक अलंकृ त है। दलवनूर म शैली म
वे अ य म यकालीन मं दर से अपने अ य धक मूल तारे जैसी जमीनी योजना और
न मत कु छ मं दर पाए जाते ह। कु छ तीथ ल क उ लेख नीय वशेषता यह है
सजावट न काशी क चुरता से आसानी से पहचाने जा सकते ह।
क वे प लव राजा और उनक रा नय क जीवन जैसी सुंदर छ वय से
सुशो भत ह।
शव को नटराज के प म सम पत हले बड मं दर संगीत और नृ य क सु वधा के लए मंडप के
लए एक बड़े हॉल के साथ एक दोहरी इमारत है।
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शोर मं दर माम लपुरम म यह मं दर प लव राजा राज स हा ई वी के पापनाथ मं दर उ री शैली म सबसे उ लेख नीय है। संगमे र मं दर और व पा
शासनकाल के दौरान बनाया गया था। इसके तीन अभयार य व णु और शव को मं दर अपनी वड़ शैली के लए स ह।
सम पत ह।
इस मं दर को प लव ारा बनाई गई पहली प र क संरचना के प म भी वीकार व पा मं दर कांचीपुरम के कै लासनाथ मं दर के मॉडल पर बनाया गया है। इसे
कया जाता है। इससे पहले मारक च ान या प र को काटकर बनाए जाते थे। मं दर व मा द य तीय क एक रानी ने बनवाया था।
का यह समूह यूने को क व धरोहर ल है।
इस समय के दौरान पयटक और नवा सय को पानी के फर से वापस आने से ठ क एलोरा और ए लफटा क गुफ ाएँ उस युग के शानदार उदाहरण दान करती ह जो
पहले पानी से बड़ी च ान क एक लंबी सीधी पं दखाई दे ने क सूचना वशाल मारक और अखंड मू तय को तराशने म उ कृ थे।
मली थी।
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चोल राजा ने अपने पूरे रा य म कई मं दर का नमाण करवाया था। ारं भक व व ालय एक महा वहार है य क यह व भ आकार के
चोल के मं दर पूव पु को ई े म बड़ी सं या म पाए जाते ह। कई मठ का एक प रसर है। नालंदा के बारे म अ धकांश जानकारी
े नसांग े नसांग के अ भलेख पर आधा रत है। एक मठ क न व कु मारगु त थम
ने पांचव शता द ई वी म रखी थी।
प लव काल से शु होने वाले मंडप या हॉल के वेश ार पर ारपाल या संर क आंक ड़े नालंदा क मू तकला कला प र और कां य म सारनाथ क बौ गु त कला पर
चोल के मं दर क एक अनूठ वशेषता बन गए । भारी नभरता से वक सत ई जसम व श चेहरे क वशेषता शरीर
के प और कपड़ और आभूषण के उपचार क वशेषता है।
वा तु वकास
पांचव से चौदहव शता द तक बौ और जैन वकास समान प से जीवंत थे। नालंदा Lord Bahubali Gomateshwara
और महाबो ध मं दर जैसे ल का नमाण इसी दौरान आ था।
कनाटक के वणबेलगोला म गोमते र मं दर द ण भारत म सबसे स जैन
तीथ है। यह ान अपने गोमते र मं दर के लए स है जसे बा बली मं दर के
नाम से भी जाना जाता है।
जब छठ शता द ई वी म गु त सा ा य का पतन आ तो बहार और बंगाल का यह पूव
े जसे ऐ तहा सक प से मगध के नाम से जाना जाता है पाल शासक के अधीन
एक कृ त रहा तीत होता है।
बा बली तमा फ ट ऊं ची अखंड मू त है जसे लगभग ई वी म मैसूर
के गंगा राजा के धान मं ी और धान मं ी चामुंडराया ने बनवाया था।
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वा लयर का कला अजेय था य क इसक खड़ी ऊँ चाई ने इसे नापना असंभव मकबरे शासक
बना दया था। इसके कई आवास और उपयोग थे। बाबर जसे ह तान म
और राजघरान क क के ऊपर मारक य संरचनाएं म यकालीन भारत क एक
दे ख ी गई कई चीज म यादा यो यता नह मली के बारे म कहा जाता है क
लोक य वशेषता थी। इस तरह के मकबर के कु छ स उदाहरण द ली म गयासु न
वह वा लयर के कले को दे ख कर अ भभूत हो गया था।
तुगलक मायूं अ र रहीम खान ए खाना आगरा म अकबर और इ माद उद
दौला के ह। इनम खानकाह सूफ संत का आ म और दरगाह शा मल ह।
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जहाँगीर हालाँ क
मुगल वा तुक ला इस अव ध क कला और जहाँगीर को च म अ धक च थी।
वा तुक ला म इंडो इ ला मक फारसी शैली क वशेषता है जो मुगल सा ा य उनके शासनकाल म स च पांडु ल प क तुलना म ए बम और गत च पर
के दौरान भारतीय उप महा प म फली फू ली। अ धक जोर दया गया था।
उसके शासन काल म कु छ मह वपूण भवन का नमाण आ।
यह नई शैली इ लामी कला और वा तुक ला के त व को जोड़ती है जसे द ली स तनत ऐसी पहली इमारत म आगरा के पास सकं दरा म अकबर का मकबरा है जसम
के दौरान भारत म पेश कया गया था। इस शैली म कई महान एक गुंबद है और बौ वा तुक ला क वशेषताएं ह।
मारक बने ह जैसे कु तुब मीनार जसम फारसी कला और वा तुक ला क वशेषताएं
ह। इसक शु आत खुद अकबर ने क थी। एक अ य मह वपूण इमारत नूरजहाँ ारा
न मत एतमाद उद दौला का मकबरा है इस इमारत म पहली बार पए रा
मुगल मारक मु य प से उ री भारत म पाए जाते ह ले कन पा क तान म भी शैली का उपयोग कया गया था।
कई अवशेष ह।
बाबर शाहजहाँ यह
म पानीपत म बाबर क करारी जीत के साथ मुगल वंश क ापना ई। शाहजहाँ था जसने मुगल वा तुक ला को स कया और आगरा म
इसक सबसे महान और स इमारत अपनी पसंद दा प नी क क जसे
अपने पांच साल के छोटे शासनकाल के दौरान बाबर ने इमारत के ताजमहल के नाम से जाना जाता है का नमाण कया।
नमाण म काफ च ली हालां क कु छ ही बच पाए ह। उ ह ने रो हलखंड और पानीपत म
म जद का नमाण कया। सरल सम मत योजना क एक वशाल सफे द संगमरमर क इमारत
यह रंगीन क़ मती साम ी के साथ जड़ा आ है और समान प से सुंदर
और सम मत बगीचे म ा पत है।
मायूँ मायूँ का
युग ब त अशांत था फर भी उसने कु छ स इमारत जैसे आगरा और फतेहाबाद क
ताजमहल मुगल उ ान मकबर क परंपरा को जारी रखता है जनम मायूं का
म जद और सबसे मह वपूण द न पनाह शहर का नमाण कया जसे पाँचव
मकबरा पहला था। शाहजहाँ ने द ली को अपनी राजधानी के पम
द ली के प म भी जाना जाता है।
ा पत कया और वहाँ स लाल कला बनवाया जो
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औरंगजेब ढ़वाद
पुतगा लय ने गोवा म कई चच का नमाण कया इनम से सबसे स बे स लका
औरंगजेब के तहत कला क गरावट शु ई हालां क द ली बॉम जीसस और चच ऑफ सट ां सस ह।
म उनक अलंकृ त पल म जद उ लेख के यो य है।
अं ेज ने शास नक और आवासीय भवन का भी नमाण कया जो उनके शाही
उसके शासनकाल म मुगल अकादमी बखरी ई थी।
गौरव को दशाता है। कु छ ीक और रोमन भाव तंभ वाली इमारत म दे ख े जा
सकते ह। द ली म संसद भवन और कनॉट लेस इसके अ े उदाहरण ह।
कई कलाकार तब राजपूत दरबार म शा मल ए जहाँ ह च कला पर उनका
भाव प से दखाई दे ता है।
वह वशाल इमारत के नमाण के लए समय और संसाधन खच करने के इ ु क नह
वा तुक ार लु टयंस ने रा प त भवन को डजाइन कया था जो पहले वायसराय का आवास
थे और इस लए उ ह बीबी का मकबरा रा बया रानी जैसी ब त कम इमारत
था। यह बलुआ प र से न मत है और इसम राज ान क छत रयां और जाली जैसी
के नमाण का ेय ा त है। यह औरंगाबाद महारा म ताजमहल क नकल है।
डजाइन वशेषताएं ह । कलक ा म व टो रया मेमो रयल टश भारत क पूव
राजधानी संगमरमर म एक वशाल भवन है। अं ेज ने मुंबई म व टो रया ट मनस
अब छ प त शवाजी ट मनल जैसे भावशाली रेलवे ट मनल को भी पीछे छोड़
इसके अलावा लाहौर म बादशाही म जद और लाल कला द ली म मोती म जद दया।
मुगल वा तुक ला के त उनके योगदान के अ य दो नमूने ह।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
संगीत नृ य और
रंगमंच श प
भारतीय संगीत और नृ य का इ तहास वै दक युग क अव ध से गहरा है जहां ह तानी संगीत क शै लयाँ ह तानी संगीत क
भारतीय संगीत क सबसे पुरानी परंपरा का उ लेख सामवेद म मलता है
व भ शै लयाँ ह ुपद गायन क यह शैली पारंप रक प से
जसम संगीत से संबं धत ोक शा मल ह।
तानपुरा और पखावज वाले पु ष ारा क जाती है। ुपद म गाए जाने वाले गीत हद के
म यकालीन प म ह और वशेष प से वषय म या कसी वशेष दे वता क तु त म वीर ह।
ह तानी शा ीय संगीत खयाल क सबसे मह वपूण अ तीय वशेषता म से एक रचना म तान का उपयोग
है। ह तानी शा ीय संगीत के ख़याल प का ेय शक वंश के व शता द के शासक
ह तानी शा ीय संगीत को द ली स तनत क अव ध और अमीर खुसरो
सैन शाह शक को दया जाता है । इसे व शता द के मुगल शासक मोह मद शाह ने
ई वी तक खोजा जा सकता है ज ह ने वशेष उपकरण
लोक य बनाया था। वग य भीमसेन जोशी नागराजा हवलदार कशोरी अमोनकर उ हास
के साथ संगीत दशन के अ यास को ो सा हत कया। माना जाता है क
और काशालकर भाकर कारेक र पं डत जसराज आ द आधु नक युग के कु छ गायक
उ ह ने सतार और तबला का आ व कार कया था और कहा जाता है क उ ह ने
पेश कया था ह।
नए राग।
धमार ये रचनाएँ ुपद के समान ह ले कन मु य प से होली के योहार से जुड़ी ह। यहाँ
घराने गु श य पर रा के प म काय करते ह अथात् एक वशेष गु के अधीन
रचनाएँ वशेष प से भगवान कृ ण क तु त म ह।
सीखने वाले श य अपने संगीत ान और शैली का संचार करते ए उसी घराने
से संबं धत ह गे ।
This music sung in the Dhamar Tal is chiefly used in festivals
like Janmashtami Ramnavami and Holi.
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तराना ह तानी संगीत का एक अ य मुख र प तराना है । तराना ऐसे गीत ह जनका उपयोग खुशी क रागमा लका यह प लवी का अं तम भाग है जहाँ एकल कलाकार वतं प से सुधार करता है और
भावना करने के लए कया जाता है और आमतौर पर एक संगीत काय म के अंत म कया अंत म मूल वषय पर वापस आ जाता है।
जाता है।
जाने वाली एक रचना है और राग के सामा य प को कट करती है । दोन ह स क लंबाई लगभग Kirana Gharana
बराबर है।
इसका नाम कु े के पास कराना के अ ल खारीम खान के ज म ान से लया गया है ।
गायन क कराना शैली म वर का उपयोग बढ़ाव और कनास के उपयोग के मा यम से
वणम दो भाग से बना है जो इस कार ह . पूवागा या पहला भाग। भावना मक मनोदशा बनाने के लए कया जाता है।
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रामपुर सहसवान घराना रामपुर सहसवान घराने म यह हाथ के इशार पैर क ग त और नतक के चेहरे के भाव पर क त है।
Mewati Gharana
मेवाती घराना वर के मा यम से राग क मनोदशा को वक सत करने को मह व दे ता है
और इसक शैली भाव धान है। यह पाठ के अथ को भी समान मह व दे ता है।
भारत म लोक संगीत क समृ वरासत भी है जो जनता क भावना का कथक उ र दे श कथक कथा श द से बना है जसका अथ है कहानी इस लए
त न ध व करती है। जीवन म हर घटना को च हत करने के लए सरल गीत क रचना नृ य को कहानी कहने के प म कया जाता है। इसे पु ष और म हला नतक दोन मलकर
क जाती है। लोकगीत के अपने वशेष अथ या संदेश होते ह। वे अ सर ऐ तहा सक घटना कर सकते ह। यह नृ य प टखन पर अ य धक क त होता है।
और मह वपूण अनु ान का वणन करते ह। कु छ मह वपूण लोक संगीत इस कार ह
लावणी महारा का लोक य लोक गीत।
कथकली के रल कथकली भारत का एक और पारंप रक नृ य है
जो कहानी कहने से संबं धत है। इसम पेचीदा चेहरे क हरकत और भारी पोशाक
मांड राज ान म वीर रस के प म वक सत आ। शा मल ह जसम पारंप रक चेहरे के मुख ौटे और शरीर के रंग आमतौर पर हरे शा मल
ह। वह संगीत जसम के वल वर शा मल होते ह सो पनम कहलाता है।
डां डया रास गुज रात म कया जाता है और कृ ण और राधा क होली और लीला से
जुड़ा होता है।
भारत के नृ य प
भारतीय नृ य प एक समृ शा ीय परंपरा म वक सत ए ह। कहानी सुनाते समय
इसम अ भ और भावना क जबरद त श होती है। आधु नक काल
म नृ य प को शा ीय और लोक नृ य प म वभा जत कया जा सकता है।
शा ीय नृ य प दे श भर म कई मं दर म नत कय
मो हनीअ म
भरतना म त मलनाडु म हला ारा कया जाने वाला यह नृ य प अपनी कु चपुड़ी आं दे श कु चपुड़ी शायद भारत म शा ीय नृ य का सबसे क ठन प
सुंदर शारी रक ग त व धय और इशार के लए जाना जाता है जसे पारंप रक है। कु चपुड़ी नृ य शैली म ला य और तांडव त व मह वपूण ह।
भाषा म मु ा कहा जाता है।
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ओ डसी ओ डशा यह पारंप रक नृ य प ओ डशा के मं दर म वक सत फर सभी एक साथ कू दते ह गोल गोल घूमते ह।
आ है। ओ डसी नृ य को भारत का सबसे पुराना नृ य प माना जाता है जसम
से अ धक मनोरंज क मु ाएं शरीर क ग त शा मल ह।
कमा
Kaksar
लोक नृ य प
म ओ डसी
शा ीय नृ य के साथ साथ लोकनृ य भी फला फू ला।
स या नृ य करती ह।
लोक नृ य
लोक नृ य े
म णपुरी म णपुर यह नृ य प ह दे वता राधा और कृ ण के बीच रोमां टक र ते
को बताने के लए कया जाता है जसे रास लीला के नाम से जाना जाता है। . Dumhal ज मू और क मीर
. Bhangra पंज ाब
आ दवासी नृ य Uttar Pradesh
. Mayur Nritya
उ र ब तर े के मु रया आ दवासी मु रया के लोकनृ य के दशन के लए जाने जाते . गोद पुआ ओ डशा
ह । ये नृ य अपने कबीले के लग दे वता और घोटु ल सं ा के सं ापक के आ ान या ाथना
. बारदो छम Arunachal Pradesh
के साथ शु होते ह।
. म क ँ गा असम
लोक य मु रया नृ य म से एक है हर एंड ा नृ य जो ववाह के दौरान लड़के और . न ग े म डांस जयं तया हल मेघालय
लड़ कय ारा कया जाता है।
. Jhumur असम झारखंड प म बंगाल और
ओ डशा
वभाग
. मा यल अ म त मलनाडु और के रल के मं दर
यह नृ य छ ीसगढ़ का नृ य प है और युवा लड़क ारा फसल के बाद के समय म . ते यम के रल को का लया म के नाम से भी जाना जाता है।
कया जाता है। यह मूल प से एक छड़ी नृ य है जसम नतक येक एक पैर पर खड़े
. लावा नृ य ल प
होते ह और सामने वाले को पकड़कर वयं का समथन करते ह एक वृ बनाते ह।
. गरबा Gujarat
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सर ल नृ य
पाखंड
स दय से कठपुतली कला का पारंप रक मनोरंज न म मह वपूण ान रहा है।
पारंप रक रंगमंच क तरह कठपुतली थयेटर के वषय यादातर महाका और
रंगमंच श प कवदं तय पर आधा रत होते ह।
भारत म लोक रंगमंच का एक लंबा समृ और शानदार इ तहास रहा है। ाचीन
काल म सं कृ त नाटक का मंचन मौसमी योहार या वशेष आयोजन को मनाने के लए कठपुतली कला का सबसे पहला संदभ पहली या सरी शता द ईसा पूव के आसपास
कया जाता था। लखे गए त मल ला सक सल पा दकारम म मलता है।
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अ याय
एनसीईआरट नोट् स भारतीय इ तहास
भारतीय भाषाएँ
सा ह य और दशन
भाषा और सा ह य म भारत क वरासत नया म सबसे समृ है। भारत के इ तहास क वड़ भाषाएँ इंडो आयन भाषा से पुरानी ह और उनम से कई को
कई शता दय के दौरान कई भाषाएँ वक सत ई ह और एक सरे को भा वत शा ीय भाषा का दजा ा त है।
कया है।
हालाँ क इंडो आयन और व ड़यन दोन एक साथ वक सत ए। इसके अलावा द ण अंडमान म बोली जाने वाली भाषा का पांचवां प रवार गन
है जसम गे और जरावा क दो भाषाएं शा मल ह। ेट अंडमानी एक अ य भाषा
प रवार है जो लगभग वलु त हो चुक ा है।
भारतीय भाषा प रवार भारत म कई मुख भाषाएँ
अ य छोट भाषा के साथ मौजूद ह ज ह आमतौर पर ब त कम लोग बोलते ह।
भारतीय भाषा को न न ल खत चार प रवार म वभा जत कया जा सकता है . इस म य दे श और राज ान म लगभग लोग ारा बोली जाने वाली नहाली भाषा
प रवार क भाषाएँ बोलने वाले इंडो आयन दे श क आबाद का लगभग ह सा ह। एक अलग भाषा है कसी प रवार का ह सा नह है।
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वेद
भारत म ाचीनतम ात सा ह य वेद ह।
संगम सा ह य
वेद सं कृ त म थे और एक पीढ़ से सरी पीढ़ को मौ खक प से स पे गए थे। चार वेद ह
द ण भारत के व भ भाग से म रै आए क व भाट और लेख क लेख क संगम कहलाते थे
ऋ वेद यजुवद सामवेद और अथववेद। और इन सभा म न मत सा ह य को संगम सा ह य कहा जाता था।
बौ सा ह य
संगम सा ह य अनेक नायक और ना यका क शंसा म व भ क वय ारा र चत लंबी और छोट
बौ काय को व हत और गैर व हत काय म वभा जत कया जा सकता है जो
क वता का सं ह है। वे कृ त म धम नरपे ह।
पाली भाषा म लखे गए थे। व हत सा ह य को पटक तीन टोक रयाँ वनय
पटक सु पटक और अ भध म पटक के प म जाना जाता है।
क वता क लगभग पं याँ ह ज ह ए टु ोकाई कहा जाता है। संगम ंथ के अलावा
तोलक पयम ाकरण और क वता से संबं धत है। इसके अलावा हमारे पास सल पा दकारम और
म णमेक लई के जुड़वां महाका ह।
जातक ारा गैर व हत सा ह य का सबसे अ ा त न ध व कया जाता है। बु के पछले
ज म क ये सबसे दलच कहा नयाँ ह। येक ज म कथा को जातक कहा जाता है।
भारतीय ल पयाँ
सधु ल प यह सधु घाट स यता के लोग ारा उपयोग क जाने वाली ल प को संद भत करती
जातक छठ शता द ईसा पूव से सरी शता द ईसा पूव तक क सामा जक और आ थक तय
है। इसे अभी ड ट नह कया गया है। कु छ लोग का तक है क यह ल प ा ी ल प क
पर अमू य काश डालते ह। वे बु के युग म राजनी तक घटना का आक मक संदभ भी दे ते
पूववत थी।
ह।
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म ययुगीन काल म सा ह य
हद सा ह य
उ री भारत म ारं भक म ययुगीन काल म सं कृ त सा ह य क भाषा बनी
रही। द ली क स तनत क अव ध म हद भाषा के व भ े ीय प के वकास म काफ
इस काल म वड़ भाषा और अप ंश ानीय बो लय के साथ ग त दे ख ी गई।
म त सं कृ त भाषा म भी कई ंथ लखे गए थे। Braj Bhasa and Khari Boli forms of Hindi began to be used in
literary compositions.
स गाथागीत आ हा उदल और वशालदे व रासो इसी काल के थे। मु ला दाउद
सं कृ त सा ह य ने शायद अवधी भाषा क सबसे पुरानी क वता चंदायन ाचीन शा पर भा य लखी थी।
सोमदे व क कथा स रत सागर एक कहानी के भीतर कहानी क कई परत के साथ
भारतीय कवदं तय प रय क कहा नय और लोक कथा का सं ह है।
Bhakti saints preached in the language of the common people.
क हण क राजतरं गणी क मीर से संबं धत है जो व त प से ल खत Kabir s Bijak written in Bhojpuri and Tulsidas s Ramcharitmanas
इ तहास क पहली पु तक है। and Malik Muhammad Jayasi s Padmavat were written in
Awadhi language.
इस काल क एक अ य स रचना जयदे व ारा ल खत गीतगो वद
है जो सं कृ त सा ह य क बेहतरीन क वता म से एक है। ब हण क इस काल म ह द भाषा ने भी उ लेख नीय ग त क । सूरदास और के शवदास ने इस काल म
व मांक दे व च रत चालु य राजा व मा द य VI क जीवनी। लखा। रहीम के दोहा या दोहा भी हद भाषा म लखे गए थे।
क ड़ सा ह य
चैत य के साथ भ गीत लखने क परंपरा शु ई। नरसी मेहता ने गुज राती म भ गीत
नृपतुंगा ने क वराजमाग नामक क ड़ म क वता का पहला महान काम लखा
लखे नामदे व और एकनाथ ने मराठ म लखा।
जो जैन धम से गहराई से भा वत था।
नोट फ़ारसी द ली स तनत क दरबारी भाषा थी। इसके कारण फ़ारसी के अनेक श द भारतीय
त मल सा ह य
भाषा के श दकोष का ह सा बन गए।
त मल म यह अलवार और नयनार के महान भजन क रचना का काल था।
अलवर के भजन नल यरा द ब म म एक कए गए ह।
बाबर पहला मुगल शासक भारत म तुक सा ह य के अ त म से एक था। उनक
आ मकथा बाबरनामा तुक भाषा म लखी गई है।
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म ययुगीन काल के दौरान उ भाषा के ज म के प म सबसे मह वपूण घटना क पतंज ल ने अपनी सरी शता द ईसा पूव म तपा दत कया था। योग सू सां य
म से एक। इसने वली मीर दद मीर तक मीर और मजा गा लब जैसे मनो व ान और त वमीमांसा को वीकार करता है ले कन सां य के वा त वकता के प ीस
महान क वय को ज म दया। त व के लए एक द इकाई को जोड़ने के साथ अ धक ई रवाद है।
का वकास Vaisheshika
भारतीय दशन वैशे षका कू ल क ापना छठ शता द ईसा पूव म क ड़ ारा क गई थी और यह
छह ढ़वाद व ालय को षडदशन कहा जाता है और इसम कृ त म परमाणुवाद और ब लवाद है।
कहानी त व ान
याय कू ल एक वै ा नक और तकसंगत कोण का अनुसरण करता है।
Purva Mimamsa
ऋ ष गौतम इस व ालय के सं ापक ह। याय कू ल व भ माण ान
ा त करने का तं पर नभर करता है। पूव मीमांसा कू ल वेद के पूण अ धकार म व ास करता है। यह ऋ ष जै मनी के मीमांसा सू
पर आधा रत है। यह ांड क ग त व धय को बनाए रखने म य और मं क श पर बल
दे ता है।
उनका मानना है क पांच इं य के मा यम से ान ा त करना ही ज म और
मृ यु के च से मु पाने का एकमा तरीका है।
इसम कहा गया है क मनु य वेद के स ांत के अनु प काय करके ही मो ा त कर
सकता है।
Sankhya Philosophy
उ र मीमांसा वेदांत
सां य ऋ ष क पला ारा तपा दत सभी दशन म सबसे पुराना है। यह पु ष
आ मा और कृ त कृ त के साथ एक ै तवाद दशन है। वेदांत कू ल दशन का एक अ ै तवाद कू ल है जो मानता है क नया अस य है और
एकमा वा त वकता है।
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अनुबंध
ईसा पूव सधु घाट स यता का काल ई Bakhtiyar Khilji destroyed Nalanda University
ईसा पूव ब बसार ह रयांक ा राजवंश का शासनकाल ई बहराम शाह के शासन काल म थम मंगोल आ मण
ईसा पूव सकं दर ने खैबर दर से भारत पर आ मण कया ई मुह मद बन तुगलक ने अपनी राजधानी कहाँ से ानांत रत क
Daulatabad to Delhi
ईसा पूव चं गु त मौय राजा बने
ई मोर कन या ी इ न बतूता क भारत या ा
ईसा पूव चं गु त मौय और से यूक स के बीच यु
ई वजयनगर सा ा य क ापना क
ई.पू चं गु त मौय के दरबार म मेग नीज का रहना
ई बहमनी रा य क ापना
ईसा पूव अशोक का रा या भषेक
ई तैमूर का भारत पर आ मण
ईसा पूव क लग यु म अशोक क वजय
ई वा को द गामा का भारत आगमन
ईसा पूव मौय वंश का अंत
ई सकं दर लोधी ने अपनी राजधानी द ली से आगरा ानांत रत क
ईसा पूव इंडो यूना नय का आ मण
ई गोवा पर पुतगा लय क वजय
ईसा पूव Vikram Era begins
ई. कृ णदे व राय का शासन काल
ई ह पलस ारा मानसून क खोज
ई पानीपत के थम यु म बाबर ने इ ा हम लोद को परा जत कया
ई शक संवत क शु आत
ई खानवा के यु म बाबर ने राणा सांगा को परा जत कया
ई जूनागढ़ शलालेख पहला सं कृ त शलालेख
ई मायूँ ने द नपनाह का नमाण करवाया
ई चं गु त का रा या भषेक
ई बल ाम के यु म शेरशाह ने मायूँ को परा जत कया
ई समु गु त का शासनकाल
ई सर हद क लड़ाई म बैरम खान ने सकं दर सूर को हराया।
ई चं गु त तीय का शासनकाल फा ान
मायूँ एक बार फर द ली क ग पर बैठा
ने भारत का दौरा कया
ई अकबर का रा या भषेक पानीपत का सरा यु लड़ा गया जसम हेमू क हार ई
ई कु मारगु त का शासनकाल नालंदा क ापना
व व ालय
ई वजयनगर और बहमनी के बीच तालीकोटा का यु
ई समु गु त का शासन ण का आ मण सा ा य
ई शवाजी का ज म
ई. चोल शासक राजे थम का शासन काल
ई Treaty of Purandar signed between Shivaji and Jai Singh
ई भीम तीय के साथ यु म वजयी आ
मुह मद गोरी ई शवाजी का रा या भषेक पुडुचेरी क ापना
ां सस मा टन
ई First Battle of Tarain Prithviraj Chauhan defeated Ghori
ई खालसा पंथ क ापना गु गो बद सह ने क
ई Second Battle of Tarain Ghori defeated Prithviraj
चौहान ई औरंगजेब क मृ यु
ई म मुह मद गोरी ने क ौज के शासक जयचंद को परा जत कया ई फ ख सयर ने मु ापार के लए ई ट इं डया कं पनी को फॉमन दया
चंदावर का यु
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ई Ahmad Shah Abdali invaded India ई होम ल लीग क ापना कां ेस और मु लम लीग के बीच समझौते पर ह ता र
ई लासी का यु
ई चंपारण स या ह महा मा गांधीजी ारा शु कया गया सैडलर आयोग का गठन
ई ब सर का यु
ई वारेन हे ट स को बंगाल का गवनर नयु कया गया ई रोलेट ए ट पा रत मांटे यू चे सफोड सुधार
ई रे युले टग ए ट पास आ Jallianwala Bagh Massacre Khilafat Movement
ई अं ेज ारा सधु का क जा ई तीय गोलमेज स मेलन चं शेख र आज़ाद ने इलाहाबाद के अ े ड पाक म खुद को गोली मार ली
ई भारत म रेलवे का प रचय
ई आय समाज क ापना क
ई सुभाष चं बोस को रा प त के प म नयु कया गया था
ई सुरे नाथ ारा ा पत इं डयन एसो सएशन भारतीय रा ीय कां ेस
ई भारतीय रा ीय कां ेस क ापना क ई गांधीजी ने करो या मरो भारत छोड़ो का नारा दया था
आंदोलन
ई भारतीय सामा य आवंटन अ ध नयम
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थम अशोक अशोक व णु वज
• जानवर को मारने और जानवर को खाने पर तबंध
पर शलालेख
Girnar पवत ापना ववरण
सरा अशोक अशोक • क याणकारी उपाय क बात करता है Mandsaur Kumaragupta I • सं कृ त भाषा और ा ी ल प म खुद ई • यह शलालेख
का शलालेख शलालेख लाट के लोग के तंतुवई वग के
• ध म के सार के लए आदे श
Girnar बारे म ववरण दे ता है
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के े म भारत यूनान का साथी है। • मुझ े नह पता क उनक यत म या है म वही करता ं जो मेरे रा य के लए अ ा हो। म इस बात से
• दे वता के य ध म वजय को सबसे मह वपूण वजय ा त होती है। अशोक का वां शलालेख • ध म सभी धम • फरोज तुगलक स तनत काल का अकबर था।
क साझी संप है। वा तव म अ भलेख म नधा रत श ही सभी धम का सार है। हेनरी इ लयट और एल टन
• ऐसा कोई साल नह बीता जसम भारत ने रोमन राजकोष से एक करोड़ सा यार रोमन मु ा क कमाई न
क हो। इसका। लेन पूल
पा णनी
• वह अपने युग का सबसे तभाशाली ए शयाई राजकु मार है और कसी भी युग या दे श के शासक के
• हषवधन के काल म खेत क सचाई घ ट यं और तुला यं से होती थी। बीच एक उ ान के लायक है।
वीएस मथ
Banabhatta
• मुगल च कार क असली आ मा बन गई है
• सधु नद पार करने के बाद से यूक स ने यु कया जहाँगीर से मु ध। पस ाउन
चं गु त और अंततः दोन के बीच एक सं ध ई और एक वैवा हक संबंध ा पत आ।
• अकबर का मकबरा सकं दरा म एक महान भारतीय शासक का संपूण मारक है।
हॉवेल
अ पयन
• फतेहपुर सीकरी जैसी वा तु कृ त न तो पहले थी और न ही भ व य म होगी।
• मेसोपोटा मया सधु घाट क ेरणा है
स यता। हलेरी •
वीएस मथ
सहभा और स म त जाप त क दो बे टयां ह।
• फतेहपुर सीकरी एक महान के प र और मन म ेम क अ भ है।
अथवनस
फ यूसन
• मो का माग ान नह भ है
• सासाराम त शेरशाह के मकबरे म सबसे अ ा काय है
भगवान के लए यार है।
Ramanujan
पूरा उ र भारत।
पस ाउन
• हष महायान बौ धम का अनुयायी था और अ य धम का स मान नह करता था।
• र जया म हला न होती तो उसका नाम भारत के महान मु लम शासक म होता।
हंसांग • ह कु श
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Bhagat Singh
• राजनी तक वतं ता एक रा क जीवन सांस है। • हमारा दे श एक पेड़ क तरह है जसका मूल तना वराज और वदे शी है और इसक शाखा का ब ह कार
कर। तलक •
Aurobindo Ghosh
• वराज मेरा ज म स अ धकार है और म इसे लेक र र ंगा। बाल गंगाधर तलक मेरी एकमा आशा ाथना और उसके उ र म है।
Mahatma Gandhiji
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Ashtadhyayi पा णनी
द ली स तनत और मुगल वा तुक ला
Mahabhashya पतंज ल
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पेशावर का यु ई.पू
तबकात ए नसारी Minhaj Us Siraj
Ghori Prithviraj
कताब उल रेहला हारा आ
अकबरनामा अ ल फजल
तालीकोटा का यु Vijaynagar Bahmani
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•उह डओ मैन ऑफ इं डया भी कहा जाता है। Madam Bhikaji म टटगाट म सोश ल ट कां ेस म भाग लया। • उ ह ने इं डया
ब तर
महादे व • वे महारा के स समाज सुधारक और रा वाद नेता थे। सोसाइट क ापना क । • वह उदारवाद नेता और वक ल थे
ई.
गो व द रानाडे
ई.
• गोपाल कृ ण गोखले उ ह अपना मानते थे
अ यापक। मदन मोहन
एनी बेसट • उ ह ने स ल ह कॉलेज ई. क ापना म मह वपूण भू मका नभाई। • उ ह ने ह तान अ युदय और भारतीय संघ के संपादक के प म काय कया ।
आंदोलन क ापना ई। लाला लाजपत राय • वे नडर प कार और वतं ता सेनानी थे। उ ह शेर ए पंज ाब या पंज ाब के सरी के नाम से भी
ई. जाना जाता था।
• वष कलक ा स म वह अ य बनने वाली पहली कां ेस म हला थ । • वष • वह तलक और ब पन चं पाल के साथ चरमपंथी तबके म शा मल हो गए।
म वह क रा प त बन
• उ ह कलक ा के अ य के प म ना मत कया गया था
• उनसे जुड़े मह वपूण समाचार प कॉमनवे और यू इं डया ह। और उ ह ने डीएवी कॉलेज क ापना म भी मदद क थी। • नव बर म दशन के दौरान
म फे डरेशन।
• उ ह ने म अ खल भारतीय वराज पाट क ापना क । • उ ह म
Bal Gangadhar • वे अ तवाद वचारधारा के समथक थे। • उ ह ने के सरी और मराठा जैसे
तलक कलक ा सहयोग के पहले मेयर के प म चुना गया। • उ ह ने ह मु लम सहयोग के लए
समाचार प के मा यम से जाग कता फै लाने का यास कया । •
दास फॉमूला तैयार कया। • उनका
ई. उ ह ने गणप त और शवाजी महो सव क शु आत क
उपनाम दे शबंधु च रंज न रखा गया। • उनक रचना म म मलंचा शा मल है
Maharashtra in AD.
ई.
• उ ह ने भारतीय वतं ता का त न ध व कया
Sohan Singh • वह एक लोक य ां तकारी थे। • उ ह ने म हद संघ
लंदन म आंदोलन।
Bhakna
क ापना क । • उ ह ने गदर नामक प का शत कया
• उ ह ने वष म लंदन म इं डया हाउस क ापना क
ई.
. जसके संदभ म
कामागाटा मा घटना।
• उ ह ने इं लड म होम ल सोसाइट क ापना क ।
• वह म जेल से रहा ए और कसान आंदोलन म शा मल ए।
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Shri Aurobindo • वे बंगाल वभाजन आंदोलन के दौरान लोक य नेता थे। सरो जनी नायडू • वह लोक य प से भारत को कला के प म जानी जाती थ । वह उ र दे श क
घोष ई. एक रा वाद और कव य ी थ ।
ई.
• वे म ां तकारी आंदोलन के नेता थे
बंगाल। • म उनका ववाह डॉ गो वदराजुलु नायडू से आ था
.
• He was editor of Yugantar Karanuyagi and Dharam.
• गोपाल कृ ण गोखले के मागदशन म वह वतं ता के लए भारत के संघष म भाग
लेने वाली पहली म हला बन । • उ ह ने दांडी माच म भाग लया
• उ ह अलीपुर षडयं के स म एक साल क सजा सुनाई गई थी।
और के बीच ांत।
• उनक स क वता म शा मल ह द गो न
• वे वायसराय क प रषद के कानून सद य थे। ेसहो द फे दर ऑफ द डॉन द बड ऑफ टाइम और द ोकन
व लभभाई वग ।
• वे गुज रात के एक वतं ता सेनानी और समाज सुधारक थे। उ ह लोक य प से सरदार
पटे ल पटे ल के नाम से जाना जाता है और द आयरन मैन ऑफ इं डया क उपा ध से स मा नत Narayan Malhar • उ ह ने अ खल भारतीय े ड यू नयन कां ेस क ापना क
ई. कया जाता है। .
जोशी
• उनके पता झावेरभाई पटे ल के व ोह म झाँसी क रानी क सेना म लड़े थे। ई.
• उ ह ने बॉ बे म सोशल स वस लीग क ापना क । • वे बॉ बे टे सटाइल लेबर के
अ य थे
संघ।
• उ ह ने म खेड़ा या कै रा स या ह शु कया और बारदोली स या ह म कसान के
Dr Pattabhi • वह पेशे से एक डॉ टर और एक मुख थे
अ धकार के लए संघष कया। यहाँ उ ह सरदार क उपा ध से वभू षत कया गया।
Sitaramayya रा वाद ।
• वतं ता के बाद क अव ध म वह थे मदन लाल • वह पंज ाब के एक ां तकारी थे। वह इं डयन होम ल सोसाइट अ भनव भारत और
सूचना और सारण और गृह मं ालय के वभाग के साथ भारत के पहले उप धान ध गरा इं डया हाउसेस के सद य थे।
मं ी के प म नयु कया गया। • उ ह ने रयासत को भारतीय संघ म एक कृ त ई.
करने म मुख भू मका नभाई। • वे त मलनाडु के एक राजनेता
• उ ह शाही सं ान लंदन म एक सावज नक समारोह के दौरान भारत के रा य स चव
और वक ल थे। • उ ह ने असहयोग आंदोलन के दौरान अपना अ यास छोड़ दया। के सलाहकार सर व लयम कजन वाइली क ह या के लए मौत क सजा
सुनाई गई थी।
Chakravarti
Rajagopalachari Lala Hardayal • वह द ली के एक ां तकारी थे। उसने उठा लया
ई. ई. वतं ता आंदोलन के लए अंतरा ीय समथन जीतने के लए एक वदे शी भू म पर
भारत क वतं ता का कारण।
• उ ह ने म कां ेस के महास चव का पद संभाला और से
तक कां ेस काय स म त के सद य रहे। • उ ह नमक माच का नेतृ व करने के लए
गर तार कया गया था • वह म सैन ां स को म ा पत ग़दर पाट के पहले अ य थे।
तंज ौर तट पर चनोपोली से वेदार यम तक। • उ ह ने ानीय भाषा म लेख का अनुवाद करने के लए जमनी म भारतीय वतं ता
स म त और एक ओ रएंटल यूरो क ापना क । • उनक कताब वे ऑफ नेशंस
• के चुनाव म उ ह म ास के मु यमं ी के प म चुना गया।
और हट् स फॉर से फ क चर थ ।
• उ ह ने कां ेस लीग सहयोग के लए सीआर फॉमूला तैयार कया। • उ ह ने बंगाल के गवनर Dr Rajendra • उ ह ने वदे शी आंदोलन म भाग लया
साद ा पत बहारी छा स मेलन
अग त नवंबर
ई. चंपारण स या ह और भारत छोड़ो
के प म काय कया और भारत के पहले और अं तम भारतीय आंदोलन
गवनर जनरल थे। • वे दे श क पहली कै बनेट म गृह मं ी बने।
• उ ह ने पटना म नेशनल कॉलेज क ापना क । • वह भारी मं ी या खा
और थे
क अंत रम सरकार म कृ ष। • वे सं वधान सभा के अ य थे।
• उ ह ने अखबार दे श हद सा ता हक का शत कया।
•उह म भारत र न से स मा नत कया गया था।
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अ ल कलाम • वे वदे शी आंदोलन के दौरान कां ेस म शा मल ए। खान अ ल • He was given title of Frontier Gandhi Badshah Khan or Sarhadi
मु ग फार खान Gandhi Fakhar e Afghan. • He founded an organisation
• वह खलाफत स म त के अ य थे
ई. ई.
म द ली म कां ेस के वशेष अ धवेशन क अ य ता करने वाले सबसे of non violent
कम उ के रा प त बने। वह कां ेस के सबसे लंबे समय तक सेवा ां तका रय को रेड शट् स या खुदाई के नाम से जाना जाता है
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Udham Singh • वे पंज ाब के मुख ां तकारी और भगत सह के सहयोगी थे। • लंदन म चं ा • वे एक स ां तकारी कायकता ह तान रप लकन एसो सएशन के सद य और
ई. उ ह ने ज लयावाला बाग नरसंहार के दौरान पंज ाब के शेख र आजाद ह तान सोशल रप लकन आम के नेता थे। • उ ह ने असहयोग आंदोलन के दौरान
गवनर जनरल मशेल ओ डायर क ह या कर द । ई. आजाद क उपा ध ा त क । जब उ ह गर तार कया गया और
अदालत ने उनका नाम पूछा तो उ ह ने बार बार आज़ाद का जवाब दया। • वह के
काकोरी षडयं म शा मल थे
दौरान जेल गए। • उ ह ने म अ खल भारतीय सोश ल ट लाहौर षडयं म शा मल उसने क य वधान सभा पर भी बमबारी क । • उ ह माच
को फाँसी दे द गई थी।
पाट का गठन कया।