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NCERT Solution

पाठ – 14
अकबर लोटा
कहानी क बात:
उ तर1: लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बलकुल पसंद नह ं था। फर भी उ ह ने चप
ु चाप लोटा ले
!लया #य क वे अपनी प&नी का अदब मानते थे। दस
ू रा वे प&नी के तेज-तरा,र -वभाव से
भी अवगत थे उ ह ने सोचा क अभी तो लोटे म. पानी !मला है य0द चँ ू कर द ू तो कह ं
बा2ट म. भोजन ना करना पड़े।
उ तर2: दो और दो जोडकर ि-थ7त को समझना - अथा,त ् प9रि-थ7त को भाँप जाना। लोटा :गरने
पर गल म. मचे शोर को सुनकर आँगन म. एक> हो गई। एक अं@ेज को भीगे हुए तथा
पैर सहलाते हुए दे खकर लाला समझ गए क ि-थ7त गंभीर है और लोटा अं@ेज को लगा
है । इस समय उनका चप
ु रहना ह ठDक है ।
उ तर3: अं@ेज़ के सामने बलवासीजी ने झाऊलाल को पहचानने से इनकार कर 0दया
#य क अं@ेज़ का Fोध शांत हो जाए और अं@ेज़ को ज़रा भी संदेह न हो क वह लाला
झाऊलाल का आदमी है । तथा वह अपनी योजना पूर करना चाहते थे िजससे पैसे कH
Iयव-था हो सक.।
उ तर4: बलवासी जी ने Jपय का Kबंध अपने ह घर से अपनी प&नी के संदक
ू से चोर कर कया
था।
उ तर5: अं@ेज़ को परु ानी ऐ7तहा!सक चीज़. इकNा करने का शौक था। ऐसा इस!लए कह सकते है
#य क दक
ु ान से परु ानी पीतल कH म7ू त,याँ खर द रहा था। अं@ेज़ ने बलवासी के कहने
पर लोटा, अकबर लोटा समझकर 500 Sपए म. खर दा।

अनुमान और क पना:
उ तर1: ' बलवासी' जी ने यह बात 'लाला झाऊलाल' से कह #य क बलवासीजी ने Jपय का Kबंध
अपने ह घर से अपनी प&नी के संदक
ू से चोर कर कया था इस रह-य को
वह'झाऊलाल' के सामने खोलना नह ं चाहते थे।
उ तर2: झाऊलाल के !लए बलवासीजी ने अपनी प&नी के संदक
ू से पैसे चोर कए थे अब वे
अपनी प&नी के सोने कH KतीUा म. थे ता क वह पैसे चप
ु -चाप संदक
ू म. रख दे । इस!लए
सम-या झाऊलाल कH थी और नींद बलवासी कH उडी थी।
उ तर3: झाऊलाल और उनकH प&नी के बीच कH इस बातचीत से 7नVन बात. उजागर होती हW -
1. झाऊलाल कH प&नी को अपने प7त झाऊलाल के वादे पर भरोसा नह ं था।
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2. उनकH प&नी ने पहले भी कुछ माँगा होगा पर तु उ ह ने हाँ करने के बाद भी लाकर नह ं
0दया होगा।
3. झाऊलाल कंजूस Kविृ &त के हW।

या होता य!द:
उ तर1: य0द अं@ेज़ लोटा नह ं खर दता तो बलवासी जी को अपनी प&नी से चरु ाए हुए Sपए लाला
झाऊलाल को दे ने पड़ते। अ यथा झाऊलाल अपनी प&नी को पैसे नह ं दे पाते और अपनी
प&नी के सामने बेइ^जत होते।
उ तर2: य0द अं@ेज़ प!ु लस को बल
ु ाले तातो सVभवत: लाला झाऊलाल को :गर`तार कर !लया
जाता या उ ह. जुमा,ना दे ना पड़ता।
उ तर3: गले से चाबी 7नकालते समय य0द बलवासी जी कH प&नी जग जाती तो चोर जैसा
7घनौना काम करने पर उ ह. अपनी प&नी के समU श!मaदा होना पड़ता।

पता क िजए:
उ तर4: बलवासी जी ने िजस तर के से Jपय का Kबंध कया, वह गलत था। अपनी -वाथ, !सbc
के !लए कसी को उ2लू नह ं बनाना चा0हए।
भाषा क बात
उ तर1: 1. अब तक बलवासी जी को वे अपनी आँखो से खा चुके होते।
2. कुछ ऐसी गढ़न उस लोटे कH थी क उसका बाप डमS, माँ :चलम रह हो।
3. ढ़ाई सौ Sपए तो एक साथ आँख स.कने के !लए भी न !मलते हW।
उ तर2: 1. चैन कH नींद सोना - (7निfचंत सोना)
कुhयात चोर के पकड़े जाने पर पु!लस चैन कH नींद सोई।
2. आँख से खा जाना - (Fो:धत होना)
पर Uा म. कम अंक आने पर माँ ने प>
ु को ऐसे दे खा मानो आँख से ह खा जाएगी।
3. आँख स.कने के !लए भी न !मलना - (दल
ु भ
, होना)
ह-तकला से बनी व-तुएँ तो आजकल आँख स.कने के !लए भी नह ं !मलती हW।
4. मारा-मारा फरना - (ठोकर. खाना)
बेटे आल शान घर म. रहते है और बाप बेचारा मारा-मारा फरता हW।
5. डींगे सुनना - (झठ
ू -मठ
ू कH तार फ सुनना)
लाला जी घर म. तो भीगी ब2ल है परं तु बाहर अपनी बहादरु कH डींग. मारते फ़रते हW।

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