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Worksheet-1

अपठित गद्यांश
Name: Grade: IX__
Subject: Hindi Date:
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I. निम्िलिखित गद्यांश को ध््यिपर्
ू कव पढ़कर प्रश्िों के उत्तर लिखिए:

परोपकार करते समय कष्ट सहना ही पड़ता है , परं तु इसमें परोपकारी को आत्मसंतोष और सुख ममलता है |
मााँ न उठाए तो का कल्याण नहीं होगा| वक्ष
ृ पुरानी पत्तों का मोह त्यागे नहीं, तो नव-पल्लवों के दर्शन
असंभव है | पपता ददनभर कष्ट सहकर धन अर्जशत न करे , तो पररवार का पोषण कैसे होगा? पक्षी कष्ट
सहकर भी अपने मर्र्ओ
ु ं के मलए आहार इकट्ठा न करें तो उसके बच्चे बचें गे कैसे? माता-पपता, वक्ष
ृ ,
पक्षक्षयों का कष्ट, कष्ट नहीं| कारण, वे परदहत के मलए पीडड़त हैं| अतः उस पीड़ा को भी वे आनंद मानते
हैं| परोपकार करने से आत्मा प्रसन्न होती है | परोपकारी दस
ू रों की सहानभ
ु तू त का पात्र बनता है | समाज के
दीन-हीन एवं पीडड़त वगश को जीवन का अवसर दे कर समाज में सम्मान प्राप्त करता है | समाज के
पवमभन्न वगों में र्त्रत
ु ा, कटुता और वैमनस्य दरू कर र्ांतत दत
ू बनता है| धमश के पथ पर समाज को प्रवत

का ‘मुर्ततदाता’ कहलाता है | राष्रगीत का ध्यान रखने वाला तथा जनता में दे र् की भर्तत की चचंगारी
फाँू कने वाला ‘दे र्-रत्न’ की उपाचध से अलंकृत होता है |

1. माता-पपता, वक्ष
ृ और पक्षी ककस पीड़ा को आनंददायी मानते हैं?
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2. परोपकार करने वाले को तया-तया लाभ ममलता है ?
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3. इस गदयांर् के मलए उपयुतत उपयुतत र्ीषशक मलखखए?


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4. परोपकारी को कष्ट के साथ-साथ कौन सा सुख प्राप्त होता है ?


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5. मुर्ततदाता कौन कहलाता है ?


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6. ‘दे र् रत्न’ की उपाचध ककस को अलंकृत करती है ?


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II. निम्िलिखित गद्यांश को ध््यिपर्


ू कव पढ़कर प्रश्िों के उत्तर लिखिए:
जायसी के अनस
ु ार पदमावती मसंहल दवीप के राजा गंधवशसेन की पत्र
ु ी थी और चचत्तौड़ के राजा
रतनसेन योगी वहााँ जाकर अनेक वषों के प्रयत्न के पश्चात उसके साथ पववाह करके उन्हें चचत्तौड़ ले
आये थे। वह अदपवतीय सुन्दरी थी और रतनसेन के दरबारी कपव-पंडित-तांत्रत्रक राघव चेतन के दवारा
उनके रूप का वणशन सन
ु कर ददल्ली के सल्
ु तान अलाउददीन खखलजी ने चचत्तौड़गढ़ पर आक्रमण कर
ददया था। आठ माह के यद
ु ध के बाद भी अलाउददीन खखलजी चचत्तौड़ पर पवजय प्राप्त नहीं कर सका
तो लौट गया और दस
ू री बार आक्रमण करके उस ने छल से राजा रतनसेन को बंदी बनाया और उन्हें
लौटाने की र्तश के रूप में पदमावती को मााँगा| तब पदमावती की ओर से भी छल का सहारा मलया
गया और गोरा-बादल की सहायता से अनेक वीरों के साथ वेर् बदलकर पालककयों में पदमावती की
सखखयों के रूप में जाकर राजा रतनसेन को मत
ु त कराया गया। परं तु इस छल का पता चलते ही
अलाउददीन खखलजी ने प्रबल आक्रमण ककया, र्जसमें ददल्ली गये प्रायः सारे राजपूत योदधा मारे गये।
राजा रतनसेन चचत्तौड़ लौटे परं तु यहााँ आते ही उन्हें कंु भलनेर पर आक्रमण करना पड़ा और कंु भलनेर के
र्ासक दे वपाल के साथ युदध में दे वपाल मारा गया परं तु राजा रतनसेन भी अत्यचधक घायल होकर
चचत्तौड़ लौटे और स्वगश मसधार गये। उधर पुनः अलाउददीन खखलजी का आक्रमण हुआ। रानी पदमावती
अन्य सोलह सौ र्स्त्रयों के साथ जौहर करके भस्म हो गयी तथा ककले का दवार खोल कर लड़ते हुए
सारे राजपूत योदधा मारे गये। अलाउददीन खखलजी को राख के मसवा और कुछ नहीं ममला।

1. रतन मसंह ने पदमावती से पववाह कैसे ककया ?


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2. अलाउददीन खखलजी ने चचत्तौड़ पर आक्रमण तयों ककया ?


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3. पदमावती ने रतन मसंह को कैसे मुतत कराया ?


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4. दे वपाल कैसे मारा गया?


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5. चचतौड़ के यदध में सारे राजपूत योदधा ककन पररर्स्थततयों में मारे गए?

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6. खखलजी को यदध के अंत में तया प्राप्त ककया?

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