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07 - Raag Jog
07 - Raag Jog
राग – जोग
पररचय -
आरोह – सा ग म प नि सां ।
अवरोह – सां नि प म ग सा नि सा ।
पकड़ – सा , प़ नि प़ सा , गम प म ग , सा ग सा ।
(मुख्य अंग) – ग म प नि प , प नि प म ग म , ग म ग सा ।
तवशेष - राग जोग बहुत ही सुमधुर राग है। इस राग में आरोह में शुद्ध गंधार और अवरोह में कोमल
गंधार प्रयुक्त होता है। परन्तु इसके अवरोह में दोिों गंधार का प्रयोग एक साथ नकया जा सकता है जैसे
- प म ग म ग ग सा। गंधार कोमल से षड् ज तक मींड द्वारा पहुुँचा जाता है। इसी प्रकार, अवरोह में म
ग सा लेते समय गंध ार कोमल के पहले षड् ज को कण स्वर के रूप में लेते हैं जैसे - म साग सा।
❖ उत्तरांग में निषाद लगाते समय कभी कभी षड् ज को कण स्वर के रूप में प्रयोग करते हैं जैसे - ग
म प तिसां सां , नजसके कारण यह निषाद, सामान्य कोमल निषाद से थोड़ा चढ़ा हुआ सुि ाई दे ता
है।
❖ यह एक मींड प्रधाि राग है नजसे तीिों सप्तकों में उन्मुक्त रूप से गाया जा सकता है।
1
राग जोग
स्थायी –
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16
x २ 0 ३
ति - प म ग म प म
सा ऽ ज ि मो रे घ र
म - ग म सा ग ग सा - ति पप -म ग म प म
आ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ यो ऽ ऽ सा ऽज ऽि मो रे घ र
म - ग म सा ग ग सा - ग ग ग ग - म प
आ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ यो ऽ ऽ अ नत म ि ऽ सु ख
म - ग म सा ग ग सा - ति पप -म
पा ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ यो ऽ ऽ सा ऽज ऽि
अन्तरा –
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16
x २ 0 ३
ग म प ति ति सां सां -
मुँ ऽ ग ल गा ऽ ओ ऽ
ति
सां सां ति प म ग ग - - ग ग ग ग - म प
चौ ऽ क पु रा ऽ ओ ऽ ऽ प्रे म नप या ऽ ह म
म - ग म सा ग ग सा
पा ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ यो ऽ
2
राग जोग
िािें
3
राग जोग
बड़ा ख्याल
(तवलम्बिि लय) (िाल – एकिाल)
(एरी मि भायो री)
स्थायी -
11 12
साग म ग सा गसा तिप़ -ति सा
एऽ ऽ री ऽ ऽऽ ऽऽ ऽम ि
x 0
1 2 3 4
-
ग - - - म - - साग - - - सा - - -
भा ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ योऽ ऽ ऽ ऽ री ऽ ऽ ऽ
२ 0
5 6 7 8
सा गम मप - - - ग म प ति सां - ति प म -
मो ऽ हे ऽ ऽ ऽ श्या ऽ म ऽ ऽ ऽ सुं ऽ ऽ ऽ
३
9 10
पप मग म - साग - सा -
दऽ ऽऽ ऽ ऽ रऽ ऽ ऽ ऽ
4
राग जोग
अंिरा –
11 12
ग म प ति सां - - सां
सो ऽ ह िी सू ऽ ऽ र
1 2 3 4
ति
सां - - - सां ति प म पप मग म - साग - सा -
त ऽ ऽ ऽ मो ऽ ह िी मूऽ ऽऽ ऽ ऽ रऽ ऽ त ऽ
5 6 7 8
सा गम म प म
प - - - तिति पम पम गम प ग म प
दे ऽ ख ि को ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽऽ ऽऽ ऽऽ ऽ म ि अ
9 10
म - ग म सा ग - सा-
धी ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ रऽ