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The Little Prince Hindi
The Little Prince Hindi
आवान द सतयपर
Antoine De Saint-Exupéry ारा िलिखत अजी पतक
“The Little Prince” का िहदी अनवाद
Although the author and publisher have made every effort to ensure that the
information in this book was correct at publish time, the author and publisher
do not assume and hereby disclaim any liability to any party for any loss,
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omissions result from negligence, accident, or any other cause.
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बचपन की दहलीज़ को लांघ कर ही बड़ा होता है। परंतु बड़े होने
मात्र कुछ लोग ही ऐसे होते हैं जो अपने उस मासूम बचपन की यादों को संजो
कर रख पाते हैं।
मैं तहे दिल से धन्यावाद करता हूं उन बच्चों का जो इस किताब को अपनी युवा
अवस्था को समर्पित करने के उद्देश्य से पढ़ते हैं। इस किताब को लिखने का मेरा
पहला और मुख्य कारण यह है कि वह दुनिया में मेरा सबसे प्यारा दोस्त है। मेरा
दूसरा कारण यह कि यह बड़ा व्यक्ति मेरी हर छी
बालमन कितना चंचल और मासूम होता है... कभी किसी बेजान पत्थर या
फूल-पत्तों में खुशी ढूंढ़ लेना, तो कभी झूठ को सच मान लेना, काल्पनिक बातें
करना और ज़िद्द करना और भी जाने क्या-क्या। मैं जब छह साल का था तो मैंने
एक किताब में आदिम जंगल की एक बहुत खूबसूरत तस्वीर देखी। यह किताब
सच्ची घटनाओं पर आधारित थी। इस तस्वीर में एक विशालकाय अजगर को एक
ाान पूरीतिगत हुए दिखाया गया था। यह मेरे द्वारा बनाए गए उस चित्र की
नकल छ:
फिर मैंने अपने बड़ों को समझाने के लिए एक दूसरा चित्र बनाया जिसमें
विशालकाय अजगर के पेट के अंदर का दृश्य अंकित था। बड़े-बूढ़े अक्सर बच्चों की
बातों को हल्के में लेते हैं और वे उनसे, उनकी हर बात का स्पष्टीकरण मांगते हैं।
मेरा दूसरा चित्र कुछ इस तरह दिखता थाः
सबने मुझे सलाह देते हुए समझाया कि अजगर के पेट के अंदर और बाहर के
चित्र बनाना छोड़ कर मैं अपना पूरा ध्यान भूगोल, इतिहास, अंकगणित और
व्याकरण पढ़ने में लगाऊं। इस तरह छह साल की छोटी सी उम्र में ही मैंने एक
सफल चित्रकार बनने की इच्छा को पूरी तरह से त्याग दिया। शायद इसकी वजह
मेरी दोनों ड्राइंग बनाने में मिली नाकामयाबी थी जिसने मुझे भीतर से पूरी तरह
तोड़ दिया था। बड़ों में स्वयं इसे समझने का सामर्थय नहीं था और बच्चों के लिए
उन्हें एक ही चीज़ बार-बार समझाना बहुत मुश्किल काम था।
इसलिए मैंने कुछ अलग सा रोमांचक करने का मन बनाया। कुछ बहुत
अद्भुत जो मेरी चित्रकारी में असफलता की पीड़ा को भर दे। तभी मेरे दिमाग में
हवाई-जहाज चलाना सीखने का ख़्याल आया। अब तक मैंने दुनिया भर की
सी छोटी-बड़ी उड़ाने भरी हैं और आज मुझे यह कहने में जरा भी संकोच नहीं कि
मेरे इस सफर में भूगोल ने मेरा पूरा साथ दिया है। हालांकि स्टूडेन्ट-लाइफ
(विद्यार्थी-जीवन) में यह मेरा सबसे उबाऊ सबजैक्ट (विषय) था। लेकिन आज
इसकी मदद से ही मैं पूरी दुनिया का भ्रमण कर पाया हूं। इसी ज्ञान की बदौलत
मैं एक जैसे दिखने वाले चीन और एरिज़ोना में अंतर करने में सक्षम हो पाया।
अगर आपको भूगोल का अच्छे से ज्ञान है तो आप को कहीं भी जाने से डरने की
कोई आवश्यकता नहीं है, फिर आप चाहें तो रात को भी घूमने निकल सकते हो।
परिणामस्वरूप अपने जीवन में बहुत से गंभीर-मज़ाकिया, गुस्सैल-शांत सब
तरह के लोगों से मेरा पाला पड़ा है। अपनी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा मैंने
अपने से काफी बड़े लोगों के साथ बिताया है। इस दौरान, मैंने उनके जीवन के
हर पहलू को बहुत गंभीरता से देखा और पाया कि जिन बातों से मैं हमेशा डरता
था, वह केवल कल्पना थी... जबकि जीवन की सच्चाई उससे बिल्कुल अलग है।
लेकिन इतना समय बीतने पर भी मेरे बालमन की वह ख़्वाहिश ज्यों की
त्यों बनी रही। जब भी मैं किसी समझदार व्यक्ति से मिलता तो उसे बचपन में
बनाई अपनी पहली पेंटिंग ज़रूर दिखाता। मेरे ऐसा करने के पीछे एक बहुत
ख़ास वजह थी। दरअसल, मैं जानना चाहता था कि वे लोग इस चित्र को वास्तव
में क्या समझते हैं। लेकिन सबका हमेशा एक ही जवाब रहा “यह एक हैट है।"
मेरा मन निराशा से भर चुका था। इसीलिए मैंने अजगरों, आदिम जंगलों और
सितारों के बारे में सोचना छोड़ दिया और लोगों से उनकी रूचि के अनुररूप
पुल, गोल्फ, राजनीति और नैकटाई के बारे में बातें करने लगा। मेरे इस बदले हुए
व्यवहार से घर के सब लोग खुश थे क्योंकि अब उन्हें, मुझमें एक समझदार और
योग्य व्यक्ति दिखने लगा था।
3मध>याय 2
"तुम चिंता मत करो, वहां इसके लिए पर्याप्त घास होगी। मैं तुम्हें एक बहुत
छोटी भेड़ दूंगा" मैंने हंसते हुए कहा।
उसने दुबारा चित्र की ओर देखा और बोला "नहीं, इतनी छोटी भी नहीं,
देखो... यह सो रही है।"
और इस तरह मेरी मुलाकात उस छोटे राजकुमार से हुई जो देखने में बहुत
प्यारा, लेकिन बहुत जिद्दी था।
3मध>याय 3
वह कौन है...कहां से आया है... जानने में मुझे बहुत समय लगा। क्योंकि यह
छोटा राजकुमार इतने सवाल पूछता था कि मैं जवाब देते-देते थक जाता और
वह मुझे बोलने का एक भी मौका नहीं देता था। खैर, अब मैं उसे अच्छे से जान
चुका था तो डर जैसी कोई बात नहीं थी।
जब उसने पहली बार मेरा हवाई-जहाज देखा तो आश्रवर्यचकित होकर पूछा
"यह क्या चीज़ है?"
"यह कोई चीज़ नहीं है, यह उड़ता है। यह हवाई-जहाज़ है और यह मेरा है।"
मुझे उसे यह बताते हुए कि मैं इसे उड़ा सकता हूं, बहुत गर्व महसूस हो रहा था।
"क्या! इसका मतलब तुम भी आकाश से गिरे हो ?" उसने रोता सा मुंह
बनाकर पूछा।
लेकिन वह अपने सपनों की दुनिया में इस कदर खोया था, कि उसने मेरे
सारे सवालों को अनसुना कर दिया। तभी उसने अपनी जेब से मेरी बनाई भेड़ का
चित्र निकाला और अपने इस खज़ाने रूपी काग़ज़ पर विचार करने लगा।
छोटे राजकुमार से मिलने के बाद, दूसरे ग्रहों के बारे में जानने की मेरी
जिज्ञासा पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ गई। इसलिए मैंने उससे सवाल पूछना
रखा।
"मेरे दोस्त, तुम कहां से आए हो?जिस जगह पर तुम रहते हो, उसका नाम
क्या है?और तुम मेरी भेड़ को कहां लेकर जाना चाहते हो?
एक लंबी खामोशी के बाद उसने जवाब दिया "मैं सोच रहा हूं कि तुमने मुझे
यह जो बॉक्स दिया है, इसे मैं रात में ही इस्तेमाल किया करूंगा।"
"हां...हां, क्यों नहीं। अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें एक रस्सी भी दे दूंगा,
जिससे तुम भेड़ को दिन में भी बांधकर रख सकते हो। और हां, मैं तुम्हें गांठ
बांधना भी सिखा दूंगा।"
"भेड़ को बांध दूं?मज़ाक कर रहे हो क्या?" मेरी बात सुनकर छोटा
राजकुमार एकदम से चौंक गया!
"लेकिन अगर तुम इसे बांधोगे नहीं तो यह कहीं इधर-उधर चली जाएगी
और खोने का डर बना रहेगा।" मैंने उसे समझाते हुए अपना पक्ष रखा।
यह सुनते ही छोटा राजकुमार कहकहा मार कर हंसने लगा और बोला
"लेकिन यह भागकर कहां जाएगी।"
कहीं भी, जहां इसका मन करेगा। फिर तुम्हारे लिए इसे पकड़ना भी
आसान ना होगा।"
इस पर छोटे राजकुमार ने बहुत समझदारी से गंभीरतापूर्वक टिप्पणी देते
हुए कहा "तुम जैसा सोच रहे हो, वैसा कुछ नहीं होगा। क्योंकि जहां मैं रहता हूं,
वहां सब कुछ बहुत छोटा है और अगर यह कहीं चली भी जाए तो ज़्यादा दूर
3मध>याय 4
तब मुझे उसके बारे में एक दूसरी महत्वपूर्ण बात पता चली कि उसका
शायद ही किसी घर से थोड़ा बड़ा हो। लेकिन इससे मुझे कुछ ज़्यादा हैरानी नहीं नहीं
मार्स
हुई। क्योंकि मैंने भूगोल में सौरमंडल के बहुत से ग्रहों जैसे पृथ्वी, ज्यूपिटर,
वीनस के बारे में बहुत कुछ पढ़ा है। इनके अलावा और भी सैंकड़ों ग्रह हैं जो
इतने छोटे-छोटे हैं कि उन्हें टेलीस्कोप से देखना भी बहुत मुश्किल होता है। *
कोई खगोलशास्त्री किसी ग्रह की खोज करता है तो वह ऐसे ही उसे कोई
नहीं देता, बल्कि नंबरों के माध्यम से याद रखता है जैसे कि नक्षत्र-325।
शायद इसीलिए मेरा, छोटा राजकुमार के ग्रह पर यकीन करने के
गंभीर कारण था कि उसके ग्रह की उत्पति नक्षत्र बी-612 के रूप में हुई
मूर्खोज तुर्किल के एक बगोताखी ने सन 1909 में दूरबीन के माध्यम
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उस वक्त उसने अंतर्राष्ट्रीय एस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस में अपनी खोज के संबंध में
बताने के लिए एक विशाल प्रदर्शन का आयोजन किया। लेकिन उसकी तुर्किश
वेशभूषा देखकर किसी ने उसकी बात पर यकीन नहीं किया।
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लेकिन सौभाग्यवश, एक तुर्किश तानाशाह ने नक्षत्र बी-612 के अस्तित्व को
बचाने की जिम्मेदारी अपने सिर ले ली और इस तारे की मौत का सारा आरोप
यूरोपियन पोशाक के सिर मड़ा गया। इसीलिए उस खगोलशास्त्री ने 1920 में
अपनी इस खोज का दोबारा प्रदर्शन किया और इस बार उसने पहले की अपेक्षा
बहुत खूबसूरत कपड़े पहने और इस बार लोगों ने उसकी कही हर बात पर आंखें
मूंद कर यक़ीन कर लिया।
लेकिन अगर मैं आपको इस नक्षत्र बी-612 के बारे में स्पष्ट जानकारी दूं, तो
यकीनन हमारे बड़ों को यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा, क्योंकि बड़े लोगों
को अंको से बहुत ज़्यादा प्यार होता है। उदाहरण के लिए, जब आप उनसे अपने
किसी नए दोस्त के बारे में बात करते हो तो वे इस विषय पर आपसे कुछ भी
अनावश्यक सवाल नहीं पूछेगे। वे आपसे यह कभी नहीं पूछेगे कि उसकी आवाज़
कैसी है?या वह ज़्यादातर कौन सी गेम खेलना पसंद करता है?या क्या उसे भी
तितलियां पकड़ने का शौकीन है?
इसकी बजाय वे आपसे कुछ इस तरह के सवाल पूछेगे - उसकी उम्र कितनी
है?कितने बहन-भाई है?वह मोटा है या पतला?उसके पिता क्या करते हैं...
कितना कमाते हैं?दरअसल, उन्हें हमेशा यही लगता है कि यह सामान्य सी
जानकारी रखना ही उनके लिए काफी है। अगर आप कभी अपने बड़ों को यह
बताएँ कि "मैंने एक सुंदर घर देखा है जो कि गुलाबी ईटों से बना है,
जिसकी खिड़कियों के शीशे जेरेनियम से बने हैं और छतों पर कबूतरों के चित्र
बने हुए हैं" तो वे इस तरह के घर को कल्पना में भी बकवास ही मानेंगे। लेकिन
अगर तुम उन्हें यह बताओ कि "मैंने एक बहुत सुंदर घर देखा है जिसकी कीमत
एक लाख पाउंड है" तो वे सुनते ही खुशी से चिल्लाएंगे "आहा...बहुत बढ़िया।"
इसी तरह अगर तुम उन्हें छोटे राजकुमार के बारे में बताओ कि "छोटा
राजकुमार सच में है और वह बहुत अद्भुत और बहुत प्यारा है, उसकी मुस्कान
बहुत प्यारी है और वह एक भेड़ चाहता है।" यह सुनकर वे कंधे उचका कर खड़े
हो जाएंगे और तुमसे ऐसे व्यवहार करेंगे मानो तुम कोई छोटे-नासमझ बचे हो
जिसे दुनियादारी की कोई समझ नहीं होती। लेकिन जब तुम उन्हें यह बताओगे
क्षत्र ग्रह बी-612 से आया है" तो उन्हें तुम्हारी बातों पर ज़रूर यकीन
होगा और फिर वे तुमसे छोटे राजकुमार के बारे में हर बात कुरेद-कुरेद कर
पूछेगे। वे हमेशा ऐसा ही करते हैं और उन्हें ऐसा करने से कोई नहीं रोक सकता
हा
का कर्तव्य बनता है कि वे अपने से बड़ों के प्रति थोड़ी समझदारी दिखाएं।
लेकिन जो व्यक्ति जीवन को बेहतर ढंग से समझता है, वह निश्चित रूप से
इस तरह की बेतुका बातों की परवाह नहीं करता। अगर मुझे किसी को छोटे
राजकुमार के बारे में बताना हो तो मैं इस कहानी को परियों की कहानी की तरह
सुनाना पसंद करूंगा जैसे किः "एक बार एक राजकुमार था जो ऐसे ग्रह पर
रहता था जो कि मुश्किल से ही उसके घर से थोड़ा बड़ा था और उसे एक दोस्त
की ज़रूरत थी।" जो लोग ज़िंदगी के मायने अच्छे से समझते हैं वे सच्चाई से कभी
पीछे नहीं हटते।
इसीलिए मैं चाहता हूं कि आप मेरी किताब को पूरे ध्यान से पढ़ें, क्योंकि
इन यादों को ताज़ा बनाए रखने के लिए मुझे बहुत से पीड़ाजनक अनुभवों से
दौरान कुछ ज़रूरी बातें बताना छूट भी गई हों, क्योंकि छोटे राजकुमार ने मुझे
कभी अपने बारे में ज़्यादा कुछ नहीं बताया। शायद उसने सोचा होगा कि मैं भी
उसकी तरह ही हूं। लेकिन बदक़िस्मती से मैंने कभी भेड़ को बॉक्स के अंदर नहीं
देखा। शायद मैं भी कुछ हद तक बाकी वयस्कों की तरह ही हूं, जो बच्चों की बातों
कर्ता ही लेते हैं फिर भी उम्मीद है कि आप मेरी इन सभी गलतियों को
माफ करगा।
3मध>याय 5
हर रोज़ मैं ग्रहों के बारे में कुछ नया पढ़ता और फिर छोटे राजकुमार और
उसके सफर के बारे में सोचता। मुझे, उसके बारे में सारी जानकारी बहुत धीरे
धीरे मिली। बातचीत के दौरान मैं उसकी हर छोटी से छोटी बात को
सुनता क्योंकि उसकी बातों में ही उसके ग्रह का राज़ छिपा था। हम दोनों
साथ में यह मेरा तीसरा दिन था और मैं बाओबाब के विनाश की बात अच्छे से
जानता था।
"हां, यह सच है।" . -
हाथियों के झुंड वाली बात सुनकर छोटा राजकुमार हंसने लगा और बोला
"फिर तो इसे खाने के लिए उन्हें एक-दूसरे पर चढ़ना पड़ेगा।" लेकिन फिर उसने
वीरत हुए कहा "इसस पहल कि उनका अICf Iर ज्यादा बढ़े,
बाओबाब खुद-ब-खुदू छोटे होने शुरू हो जाते हैं।"
"हां, यह सच है। लेकिन तुम यह क्यों चाहते हो कि तुम्हारी भेड़ छोटी
बाओबाब ही खाए?"
"ओहो...तुम भी ना, इतनी जल्दी भूल जाते हो। कितनी बार तो बताया है
कि हमारे वहां सब कुछ बहुत छोटा है, तो ज़ाहिर सी बात है भेड़ भी तो छोटी
बाओबाब ही खाएगी ना" उसने हंसते हुए जवाब दिया।
छोटे राजकुमार और उसके ग्रह के बारे में ज़्यादा जानकारी हासिल करने के
लिए मैं जानबूझकर हर बात को घुमा-फिरा कर पूछ रहा था।
निवृत्त होते हो
होता है। इसी तरह जैसे ही बाओबाब उगने लगें तो इन्हें नियमित रूप से
रहना चाहिए। बाओबाब जब छोटा होता है तो यह बिल्कुल गुलाब की
झाड़ियों जैसा लगता है लेकिन इनके बढ़ने की गति बहुत तेज़ होती है। यह काम
है तो बहुत बकवास लेकिन इसे करना बहुत आसान है।
फिर एक दिन उसने मुझे सुंदर सी ड्राइंग बनाने की सलाह दी ताकि वह
अपने ग्रह पर रहने वाले बच्चों को इसे दिखा कर प्रभावित कर सके। उसने कहा
कि "अगर वे कभी यहां आएं तो यह चित्र उनके बहुत काम आ सकता है। मन ना
होने पर अपने काम को अगले दिन पर टाला जा सकता है और यकीनन इससे
कोई ज़्यादा नुकसान भी नहीं होगा। लेकिन बाओबाब के पौधों के संबंध में की
गई ऐसी लापरवाही बहुत खतरनाक साबित हो सकती है।"
छोटे राजकुमार बातों से प्रभावित होकर मैं, उसके लिए ड्राइंग बनाने
को तैयार हो गया और उसे चेतावनी दी कि "जब मैं ड्राइंग बनाउंगा...तो तुम
केवल इसे देखना, बोलना कुछ नहीं।" क्योंकि अपने काम के दौरान मुझे किसी
भाषणबाजी पसंद नहीं। ले किन जिस बाओबाब को तुम बहुत छोटा मान रहे
वह बहुत बड़ा खतरा बन सकता है और इससे पूरे क्षुद्रग्रह का
खतरे में पड़ सकता है। छोटे राजकुमार के ग्रह के लोगों को इस
संकट से बचाने के लिए मैंने एक चित्र बनाया और उस पर एक संदेश भी लिखाः
"बच्चों, बाओबाब से सावधान रहना" यह एक तरह की चेतावनी थी, जो मैं अपने
मित्र को आने वाले खतरे के संबंध में सचेत करने के लिए देना चाहता था, चूंकि
मेरी तरह वे भी इस भयंकर सत्य से अनजान थे। मेरा संदेश था तो बहुत छोटा
लेकिन महत्वपूर्ण था। अब आप पूछोगे कि "पूरी किताब में बाओबाब से श्रेष्ठ
चित्र कोई नहीं है...ऐसा क्यूं ?" जवाब बिल्कुल आसान है: मैंने बाकी चित्रों को
भी बहुत मेहनत और लगन से बनाया है, लेकिन उनमें और बाओबाब में बहुत
अंतर है क्योंकि जब मैं इसे बना रहा था तो मेरा मन अत्यावश्यकता की भावना
से प्रेरित था।
3मध>याय 6
थोड़ा-थोड़ा करके मैं उसकी छोटी मगर उदास ज़िंदगी को समझने लगा था।
एक लंबे वक्त से सूर्यास्त को देखना उसके लिए बहुत मजेदार अनुभव हो रहा
था। चौथे दिन की सुबह, जब मैं अपने हवाई-जहाज की मरम्मत में लगा था तो
वह मेरे पास आया और बोला “मुझे अस्त होते सूर्य की लाली देखना बहुत अच्छा
लगता है। चलो, हम भी सूर्यास्त देखने चलते हैं।"
"हां, चलेंगे लेकिन इसके लिए तुम्हे थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा..."
“इंतज़ार?मगर किसका?”
"अरे, बुद्ध सूर्य अस्त तो होने दो" मैंने उसकी नाक खींचते हुए कहा।
पहले तो वह बहुत हैरान हुआ और फिर एकाएक खुद पर हंसने लगा और
बोला "एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं अपने घर पर हूं।"
"हां...सचमुच।" तुम्हें पता है जब अमेरिका में दोपहर होती है तो फ्रांस में
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यात्रा करके सूर्यास्त देखने फ्रांस जा सकता है। लेकिन दुर्भाग्यवश, फ्रांस
यहां से बहुत दूर है...नहीं तो मैं अभी तुम्हारी ख़्वाहिश पूरी कर देता। लेकिन
तुम्हारे छोटे से ग्रह पर तो तुम्हें कहीं जाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती होगी ना,
थोड़ी सी कुर्सी घुमाई और बस देख लिया। सूर्यास्त। वहां पर जब तुम्हारा मन करे
संध्या की लालिमा देख सकते हो।
"तुम्हें पता है एक दिन तो मैंने पूरे चौबीस बार सूर्यास्त देखा था।" छोटे
राजकुमार ने प्रसन्नतापूर्वक बताया।
पांचवे दिन, एक बार फिर से मैंने भेड़ का शुक्रिया अदा किया क्योंकि
उसकी वजह से ही छोटे राजकुमार की ज़िंदगी का एक बहुत बड़ा सच मेरे सामने
आया था। उस वक्त हम दोनों ख़ामोश थे और अपने-अपने काम में व्यस्त थे। मैं
अपने इंजन के साथ और वह कागज़ पर बने भेड़ के चित्र को देखने में। तभी
उसके शांत मन में एक विचार आया और उसने अकस्मात मुझसे एक सवाल
कुछ पल की चुप्पी के बाद, उसने असंतुष्टि जताते हुए कहा "मुझे तुम्हारी
बात पर यकीन नहीं। फूल कमजोर होते हैं और छल-कपट की भावना से कोसों
दूर होते हैं। वे खुद को अच्छी तरह से आश्वस्त कर सकते हैं और कांटों से होने
वाली भयानक पीड़ा से भी भली-भांति परिचित होते हैं।"
मैंने कोई जवाब नहीं दिया। उस वक्त मैं खुद से ही बड़बड़ा रहा था कि
"अगर यह पेंच इसी तरह अड़ा रहा तो मुझे हथौड़े से इसे खोलना पड़ेगा।"
इसी दौरान छोटे राजकुमार ने एक बार फिर से मेरे विचारों में
दखलअंदाज़ी करते हुए पूछा "क्या तुम्हें भी यही लगता है कि फूल...... "
"नहीं, नहीं! इस वक्त मुझे इन सब से कोई लेना-देना नहीं... और अभी मैं
एक गंभीर मामले में बहुत व्यस्त हूं" मैंने बिना कुछ जाने समझे जवाब दिया।
मेरे अजीबो-गरीब व्यवहार को वह हैरानी से देखता रहा।
“गंभीर मामला?”
उसने देखा कि मैं हाथ में हथौड़ा लिए किसी बहुत ही बदसूरत सी दिखने
वाली मशीन पर झुका हुआ था और मेरी उंगलियां इंजन पर लगी ग्रीस से काली
हो चुकी थी।
तुम बिल्कुल बड़े लोगों की तरह बात करते हो" उसने शिकायती अंदाज़ में
।
खतरा नहीं होगा...मैं तुम्हारी भेड़ के लिए एक नालमुख बना दूंगा और तुम्हारे
फूल की सुरक्षा के लिए उसके चारों तरफ बाड़ भी बना दूंगा। लेकिन प्लीज़, मुझे
माफ कर दो। मुझे पता नहीं था कि तुम क्या कहना चाहते हो।"
मुझे बहुत बुरा लग रहा था। कुछ समझ नहीं आ रहा था...कि उसे कैसे
सांत्वना दूं?कैसे उसके दुख को कम करूं?लेकिन सच कहूं तो उसके इन आंसुओं ने
मेरे दिल को पिघला दिया था और मुझे मेरे बचपन की याद दिला दी थी।
लोगों की। भी खु ा रहने की। प्रेरणा देते। लेकिन एक दिन, एक बीज जाने कहां से
पौधे जैसा कहीं कोई दूसरा पौधा नज़र नहीं आया। उसने सोचा कि शायद यह
बाओबाब की कोई नई प्रजाति हो। पहले तो पौधा धीरे-धीरे बढ़ता रहा लेकिन
फिर अचानक से इसका विकास होना बंद हो गया और यह कली का आकार लेने
लगा। छोटा राजकुमार इसकी ज़बरदस्त तेज़ी से होती वृद्धि को नियमित रूप से
देख रहा था। कई बार उसे यह सब किसी जादू-टोने की तरह ही लगता। चूंकि एक
पौधे में इस तरह से इतनी जल्दी वृद्धि होना कोई आसान बात ना थी। दूसरी
तरफ वह कली, लोगों की नज़रों से दूर ग्रीन कक्ष में अपनी सुंदरता की तैयारियां
करने में लगी हुई थी। उसने अपने हर एक रंग का बड़े ध्यान और समझदारी से
चुनाव किया था। धीरे-धीरे यह अपने पंखुड़ियों रूपी कपड़ों को एक-एक करके
पहन रही थी। वह नहीं चाहती थी कि अफीम की तरह, उसके शरीर पर कोई
शिकन तक भी पड़े। बल्कि वह तो अपने सौंदर्य की महिमा का पूर्णरूप से प्रदर्शन
करना थी। इस तरह उसकी रहस्यमयी तैयारियां दिन-ब-दिन
सकारात्मक रूप लेती गई। और एक सुबह जब सूरज की पहली किरण उस पर
पड़ी तो उसने अपने अद्भुत सौंदर्य का प्रदर्शन किया।
कुछ क्षण बाद कली ने इठलाते हुए कहा "अभी मेरा नाश्ते का समय हो
गया है...क्या तुम मेरी ज़रूरतों को पूरा करने में मेरी सहायता करोगे?"
लेने अंदर चला गया। कुछ देर बाद वह ताज़े पानी का कनस्तर लेकर बाहर आया
और धीरे-धीरे उस पर पानी का छिड़काव किया।
इस प्रकार उसने अपनी ज़रूरतों के लिए छोटे राजकुमार को कष्ट देना शुरू
कर दिया। एक दिन उसने छोटे राजकुमार से अपने कांटों की बड़ाई करते हुए
कहा "आने दो उन बाघों को...जब वो अपने तेज पंजों से मुझ पर हमला करेंगे तो
मैं इन कांटों को उनके पंजों में चुभो दूंगी और उन्हें ऐसा सबक सिखाउंगी कि वो
वापस मेरी तरफ पलट कर कभी नहीं देखेंगे।"
"लेकिन मेरे ग्रह पर तो बाघ है ही नहीं" छोटे राजकुमार ने आपत्ति जताते
हुए कहा।
"और वैसे भी बाघ-चीते घास-फूस नहीं खाते" छोटे राजकुमार ने हंसते हुए
कहा।
"लेकिन मैं कोई घास-फूस नहीं हूं" कली ने भी प्यार से जवाब दिया।
"सॉरी, मेरे कहने का यह मतलब नहीं था...मैं तो बस तुम्हें यह बताना
चाहती थी कि वृह मांसाहारी होते हैं, इसीलिए तुम्हें उनसे डरने की कोई
आवश्यकता नहीं है।"
"नहीं, मुझे बाघों से कोई डर नहीं लगता लेकिन सूखे से मुझे बहुत नफरत
है। क्या तुम मेरे लिए किसी तरह छाया का प्रबंध कर सकते हो ?” कली ने उससे
पूछा।
===
"लेकिन इतनी ठंडी हवा...." उसने बात बीच में ही काटते हुए कहा "ठंडी
हुवा मेरी सेहत के लिए फायदेमंद है, चूंकि मैं एक कली हूं...कोई इंसान थोड़े ना
हूं कि मुझे सर्दी-जुकाम हो जाएगा।" -
जब उसने अपने ग्रह के इर्द-गिर्द कई दूसरे क्षुद्रग्रहों 325, 326, 327, 328,
329 और 330 को देखा तो उसने उन सारे ग्रहों की यात्रा करने का फैसला
किया। वहां जाने का उसका एक दूसरा उद्देश्य भी था: दरअसल, वह उन ग्रहों
पर अपने लिए किसी काम की तलाश करना चाहता था और अपने ज्ञान को
बढ़ाना चाहता था।
पहले ग्रह पर गया तो वहां किसी राजा का शासन था जो कि बैंगनी और
एमिन रंग के कपड़े पहने, अपने आलीशान सिंहासन पर बैठा था।
छोटे राजकुमार ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और सोचने लगा "यह मुझे
कैसे पहचानता है क्योंकि हम तो पहले कभी मिले ही नहीं?"
वह इस बात से अनजान था कि किसी राजा के लिए दुनिया को जानना
बहुत आसान होता है और उनके लिए सब लोग प्रजा ही होती हैं।
"थोड़ा मेरे पास आओ...मैं तुम्हें अच्छे से देखना चाहता हूं।" राजा ने
उतावलापन दर्शाते हुए कहा।
छोटा राजकुमार बैठने के लिए जगह ढूंढने लगा, लेकिन सारा ग्रह एक
शानदार कालीन से ढका हुआ था। इसीलिए उसे खड़े रहना ही उचित लगा।
थकावट होने के कारण उसे जबरदस्त जम्हाई आई और जैसे ही उसने जम्हाई
लेने के लिए मुंह खोला तो राजा ने नियमों का ढिंढोरा पीटना शुरू कर दिया
"किसी राजा के सामने जम्हाई लेना शिष्टाचार के विरूद्ध है।" छोटे राजकुमार ने
घबरा कर तुरंत ही जम्हाई को बीच में रोक दिया लेकिन वह ज़्यादा समय तक
इसे रोक नहीं पाया और परेशान होकर राजा से क्षमा मांगते हुए कहा "श्रीमान्
जी, मैं जम्हाई लेने से खुद को नहीं रोक सकता क्योंकि मैं बहुत लंबे सफ़र से
आया हूं और कई दिनों से सोया भी नहीं हूं।"
"ओह! ऐसी बात है तो ठीक है...मैं तुम्हें आदेश देता हूं कि तुम जम्हाई लो,
चूंकि कई सालों से मैंने किसी को जम्हाई लेते हुए नहीं देखा। चलो, अब मेरे
आदेश का पालन करो...फिर से जम्हाई लो....।"
राजा की बात सुनकर छोटा राजकुमार शरमा गया और बोला "श्रीमान जी,
आप मुझे डरा रहे हैं...मैं ऐसे आपके कहने पर जम्हाई नहीं ले सकता।"
"हम्मम!! ठीक है, तो अब मैं तुम्हें आदेश देता हूं कि तुम जब चाहे जम्हाई ले
सकते हो।" वो हड़बड़ी में कुछ बड़बड़ाया।
राजा के लिए उसके अधिकारों का सम्मान किया जाना अधिक महत्वपूर्ण
होता है। वह किसी भी तरह की अवज्ञा को बर्दाशत नहीं करता। लेकिन वह एक
निरपेक्ष और दयालु शासक था जो कि हमेशा उचित आदेश देता था।
फिर राजा अपनी बुद्धिमता का बखान करने लगा "मैं अपने सेनापति को जो
भी आदेश देता हूं, वह झट से उसे पूरा कर देता है। लेकिन अगर मैं उसे आदेश दूं
कि अपने आप को समुंद्री पक्षी बना दो और अगर वह मेरा आदेश ना माने तो
“तुम यहां क्या कर रहे हो ?" उसने शराबी व्यक्ति से पूछा जो कि कुछ
खाली और कुछ भरी हुई बोतलों के बीच शांत बैठा था।
२४
"मैं शराब पी रहा हूं...." शराबी व्यक्ति ने उदासी से जवाब दिया।
"लेकिन तुम शराब क्यों पी रहे हो?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"भूलने के लिए..." शराबी ने जवाब दिया।
"क्या भूलने के लिए?" छोटे राजकुमार ने मामले की जांच-पड़ताल करनी
आरंभ कर दी। उसे शराबी व्यक्ति के प्रति बहुत सहानुभूति महसूस हो रही थी।
"अपने शर्मिदा होने को भूलने के लिए" कहकर उसने अपना सिर पछतावे में
नीचे झुका लिया।
"लेकिन तुम शर्मिदा किस लिए हो?छोटे राजकुमार ने उसकी मदद करने के
उद्देश्य से पूछा।
"शराब पीने से शर्मिदा हूं!!!" शराबी ने संवेदनशीलता से कहा और फिर से
चुप्पी साध ली।
छोटे राजकुमार को जब उसकी गोल-मोल बातें समझ नहीं आई तो वह वहां
से वापस चला गया।
"बड़े लोग सच में बहुत अजीब होते हैं... उन्हें समझ पाना मेरे बस की बात
नहीं" कहकर वह अपने सफर पर आगे निकल गया।
3मध>याय 13
चौथे ग्रह का संबंध एक व्यापारी से था। वह अपने काम में इतना व्यस्त था।
कि जब छोटा राजकुमार वहां पहुंचा तो उसने एक पल के लिए भी नज़र उठा
कर उसे नहीं देखा।
"गुड मार्निग...तुम्हारी सिगरेट खत्म हो गई" छोटे राजकुमार ने उससे कहा।
"तीन और दो मिलकर हुए पांच। पांच और सात मिलकर बने बारह। बारह
और तीन मिलकर बने पंद्रह। गुड मार्निग। पंद्रह और सात मिलकर बने बाईस।
बाईस और छह मिलकर बने अट्ठाईस। दोबारा जलाने का समय नहीं हैं मेरे पास।
छब्बीस और पांच मिलकर हुए इकत्तीस। ओफ़्फो!!! सब मिलाकर हुए पांच सौ
मिलियन, छह सौ बाईस हजार, सात सौ इकत्तीस।"
"पांच सौ मिलियन क्या?” राजकुमार ने उत्सुकतावश पूछा।
"अरे! तुम अभी तक यहीं खड़े हो?पांच सौ मिलियन....मुझे याद
नहीं...परेशान मत करो, तुम जाओ यहां से। अभी मुझे बहुत काम है। मैं बहुत
व्यस्त आदमी हूं और मेरे पास ऐसी ऊटपटांग बातें करने का समय नहीं है। दो
कहा।
"बैंक में रखने का क्या मतलब ?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
“मतलब कि मैं सितारों को गिनकर, उनकी संख्या को कागज़ के टुकड़े पर
लिख लूंगा और फिर इस कागज़ को अपने मेज की दराज में रख कर ताला लगा
दूगा।"
"और फिर क्या करोगे ?" छोटे राजकुमार ने फटाक से पूछा।
“कुछ नहीं, बस इतना काफी है। मेरे सितारे मुझसे कोई नहीं छीन पाएगा।"
"बड़ा दिलचस्प आदमी है!!! लेकिन इसकी बातों का तो कोई मतलब नहीं
निकलता। खैर, जो भी हो, समय तो बहुत अच्छा व्यतीत हुआ" छोटा राजकुमार
दिल ही दिल मुस्कुराया।
छोटे राजकुमार का यह विचार कि व्यक्ति के लिए क्या चीज महत्वपूर्ण
होती है, इन सब बड़े लोगों के विचारों से पूर्णतया भिन्न था।
"मेरे पास अपना एक फूल है जिसे मैं हर रोज़ पानी देता हूं। मेरे पास अपने
तीन ज्वालामुखी भी हैं, जिन्हें मैं हर सप्ताह साफ करता हूं। इसमें एक ऐसा भी है
जो पूरी तरह से खत्म हो चुका है, लेकिन किसी को इसके बारे में कुछ नहीं पता।
मुझे खुशी है कि मैं एक फूल और तीन ज्वालामुखियों का स्वामी हूं और इनका
##कताहीन तुम्हारे लिए इन सितारों की गिनती का कोई महत्व
...।"
व्यापारी ने बोलने के लिए मुंह खोला लेकिन शब्द बाहर नहीं आए....
शायद उसके पास कहने को कुछ था ही नहीं..... और छोटा राजकुमार अपने
रा तेचला गया।
“सच ह, इन बड़ लोग क तरह इनक बात भी बड़ी-बड़ी होती ह जो क
मरी समझ सेिबकल पर ह” कहकर छोटा राजकमार अपनेसफर पर रवाना हो
गया।
3मध>याय 14
पांचवां ग्रह बहुत अद्भुत था। यह बाकी सभी ग्रहों से बहुत छोटा था। वहां
सिर्फ एक कमरा था जो कि इतना छोटा था कि उसमें एक लैंप-पोस्ट और एक
लैंप-लाइटर के लिए ही पर्याप्त जगह थी। छोटा राजकुमार बहुत हैरान था कि
जिस ग्रह पर कोई घर नहीं है और ना ही लोग यहां पर रहते हैं तो वहां इस लैंप
पोस्ट और लैंप-लाइटर का क्या काम।
"शायद लैंप-लाइटर पागल है" उसने अपने आप से कहा।
“तुम क्या कह रहे हो, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा" छोटे राजकुमार ने
कहा।
"आदेश तो आदेश है, इसमें समझने वाली क्या बात है" लैंप-लाइटर ने स्पष्ट
शब्दों में कहा।
"गुड मार्निग" छोटे राजकुमार को सुप्रभात बोल कर उसने लैंप को बुझा
दिया और एक लाल डिब्बों वाली रूमाल से अपने माथे और मुंह पर आए पसीने
की बूंदों को पौंछने लगा।
"दरअसल, मेरी नौकरी बहुत मुश्किल है। पुराने जमाने में सब बिल्कुल ठीक
था। तब मैं सुबह होते ही लैंप बुझा देता और शाम को फिर से जला देता। बाकी
का सारा दिन मैं खूब आराम करता और रात को भी चैन की नींद सो जाता था।"
"तो क्या उसके बाद आदेश बदल गए ??मेरा मतलब आदेश सख्त हो गए
होंगे" छोटे राजकुमार ने अंदाज़ा लगाते हुए कहा।
"नहीं, आदेशों में कोई बदलाव नहीं हुआ। हैरानी की बात तो यह है कि
आदेश आज भी वही हैं जो सैकड़ों वर्ष पहले थे, लेकिन साल-दर-साल ग्रह के
चक़र लगाने की गति में बड़े पैमाने पर वृद्धि हो रही है।"
"तो अब?” राजकुमार ने पूछा।
एक सैकेंड़ के लिए भी आराम नहीं मिलता। जिससे मेरा सारा समय लैंप जलाने
और बुझाने में ही चला जाता है।"
"अहा!!! यह तो बहुत हास्यापद बात है। जहां तुम रहते हो, दिन एक मिनट
में खत्म हो जाता है" छोटे राजकुमार ने थोड़े मज़ाकिया अंदाज में पूछा।
इसमें हंसने जैसी बात बिल्कुल नहीं है!!! "लैंप-लाइटर ने कहा। "चूंकि हम
एक महीने से यहां खड़े बातचीत कर रहे हैं।"
“क्ययया ???एक महीने से ??”
"हां, तीस दिन से। चूंकि तुम्हारे लिए यह तीस मिनट है, लेकिन मेरे लिए तो
यह तीस दिन हुए।"
"गुड ईवनिंग" कहकर उसने लैंप को फिर से जला दिया।
छोटा राजकुमार आश्रवर्यचकित नज़रों से एकटक उसे देखता रहा। उसके
दिल में लैंप-लाइटर के लिए प्यार उमड़ रहा था क्योंकि अपनी इतनी सख्त
नौकरी को पूरी ईमानदारी से निभा रहा था। तभी उसे अपने सूर्यास्त की याद
आई, जिसे वह जरा सी कुर्सी हिला कर आसानी से देख लेता था। वह अपने नए
दास्त की। मदद करना चाहता था।
“मुझे लगता है कि ऐसा कोई ना कोई तरीका ज़रूर होगा जिससे तुम अपना
काम भी कर पाओगे और तुम्हें आराम करने के लिए पर्याप्त समय भी मिल जाया
करेगा... " छोटे राजकुमार ने उसका हौसला बढ़ाते हुए कहा।
"सचमुच?अगर ऐसा हो सकता है तो प्लीज़, मेरी मदद करो। मैं भी थोड़ा
आराम करना चाहता हूं" लैंप-लाइटर के चेहरे पर रौनक लौट आई। उसे उम्मीद
थी कि छोटा राजकुमार उसकी मुश्किल का कोई ना कोई हल ज़रूर निकालेगा।
एक व्यक्ति अपने काम के प्रति निष्ठावान और आलसी दोनो हो सकता है।
छोटे राजकुमार ने कहना शुरू कियाः "तुम्हारा ग्रह इतना छोटा है कि तुम
तीन छलांगो में ही इसे पूरा घूम सकते हो। आप सिर्फ धूप में रहने के लिए धीरे
धीरे चलना। इस प्रकार जब भी आपको आराम करना हो तो चलना शुरू कर
दिया करो और फिर सारे दिन तुम्हारे मुताबिक चलने लगेंगे।"
"लेकिन तुम्हारा यह उपाय मेरे लिए ज़्यादा फायदेमंद नहीं रहेगा क्योंकि
छठा ग्रह बाकी के दूसरे ग्रहों से दस गुना बड़ा था। जहां एक बूढ़ा व्यक्ति एक
विशालकाय किताब में कुछ लिख रहा था। जब उसने छोटे राजकुमार को देखा
तो खुशी से चिल्लाया "अहा!!! अन्वेषक, तुम्हारा स्वागत है।"
छोटा राजकुमार हांफता हुआ आया और मेज पर जाकर बैठ गया। उसे
देखकर लगता था कि वह काफी लंबी यात्रा करके आया है।
"तुम कुहां से आए हो?" बूढ़े व्यक्ति ने पूछा।
"इस मोटी सी किताब में क्या लिखा है?आप यहां क्या कर रहे हो?" छोटे
राजकुमार ने उसके सवाल की उपेक्षा करते हुए पूछा।
"तो क्या सचमुच इसकी जांच-पड़ताल होती है?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
नहीं, प्रत्येक खोज की जांच करना बहुत जटिल काम है। लेकिन हमारा हर
अन्वेषक से यही अनुरोध रहता है कि वह अपने साथ कोई सबूत ज़रूर लाएं।
उदाहरण के लिए, अगर कोई किसी बड़े पर्वत की खोज करता है तो उसको
प्रमाण के तौर पर अपने साथ कुछ बड़े पत्थर लाना ज़रूरी होता है।" अचानक
भूगोलवेत्ता बहुत ज़्यादा उत्साहित हुआ और बोला "अरे! तुम भी तो बहुत लंबी
यात्रा करके आए हो। ऐसे तो तुम भी एक अन्वेषक हुए। चलो, अब तुम मुझे
अपने ग्रह के बारे में कुछ बताओ।"
तभी भूगोलिक ने अपना रजिस्टर खोला और पैंसिल की नोक बनाई।
अन्वेषक की कहानी को पहले पैंसिल से लिखा जाता है और जब वह पर्याप्त
प्रमाण दिखा देता है तो हम उसे स्याही से किताब में अंकित कर देते हैं।
"चलो बताओ?" भूगोलिक ने आशा से पूछा।
"ओह!!! मैं कहां रहता हूं?" छोटे राजकुमार ने कहा।
"यह बात ज़्यादा महत्वूपूर्ण नहीं है क्योंकि मैं ज़िस ग्रह पर रहता हूं, वह
बहुत छोटा है। मेरे पास तीन ज्वालामुखी हैं जिनमें से दो सक्रिय और एक
निष्क्रिय है, लेकिन इसके बारे में मैंने किसी को नहीं बताया।"
"मेरे पास एक फूल भी है।"
माफ करना, लेकिन हम फूलों का ब्यौरा नहीं रखते" भूगोलवेत्ता ने कहा।
"लेकिन क्यों?यह तो मेरे ग्रह की सबसे प्यारी चीज़ है!! " छोटे राजकुमार
ने निराश होकर पूछा।
"क्योंकि फूल अल्पजीवी होते है" बूढ़े भूगोलिक ने जवाब दिया।
"अल्पजीवी का क्या मतलब होता है?" छोटे राजकुमार ने उत्सुकतावश
पूछा।
"भौगोलिक दुनिया की सभी वस्तुओं में सबसे कीमती किताब है। इसका
फ़ैशन कभी नहीं जाता। पर्वत शायद ही कभी अपना स्थान बदलते हैं और सागर
के लिए स्वयं, अपना पानी खत्म कर देना नामुमकिन है। हम अपनी पुस्तकों में
केवल शाश्वत वस्तुओं का ब्यौरा ही रखते हैं।" भूगोलवेत्ता ने सफाई देते हुए कहा।
लेकिन एक विलुप्त हुए ज्वालामुखी को फिर से जीवित किया जा सकता है।"
#राजमारनेतरीबनकटग्रस्त
‘?”
"अल्पजीवी का क्या मतलब होता
है। पर्वत, समुद्र और मरुस्थल जैसी जगहें हमारे लिए ज़्यादा मायने रखती हैं
क्योंकि यह कभी नहीं बदलती" भूगोलवेत्ता ने जवाब दिया।
"लेकिन अल्पजीवी का क्या मतलब होता है?" छोटे राजकुमार ने फिर से
अपना सवाल दोहराया।
इसका मतलब होता है: जल्दी लुप्त हो जाना या जीवन छोटा होना।"
== Ó
पहली बार उसे अपनी भूल पर पछतावा हो रहा था। लेकिन उसने हिम्मत
ना हारी और भूगोलिक से पूछा "आपकी राय में अब मुझे किस ग्रह की यात्रा
करनी चाहिए?"
किधरती
।
की, क्योंकि यह अपने आप में बहुत प्रसिद्ध है।" भूगोलिक ने जवाब
…और फिर छोटा राजकुमार अपनी कला के बारे में सोचता हुआ वहां से चल
।
3मध>याय 16
राजकुमार ने कहा।
"हां, मैं बहुत पतला हूं... मगर हूं बहुत शक्तिशाली" सांप ने गर्व से कहा।
"लेकिन मुझे तो तुम बिल्कुल भी शक्तिशाली नहीं लगते... तुम्हारे तो पंजे
भी नहीं है और तुम तो चल भी नहीं सकते" छोटे राजकुमार ने हंसते हुए कहा।
… तुन्हे एक जहाज से भी यादा तेजी से ले जा सकता हr सांप ने जवाब
।
"मुझे तुम्हारे बारे में सोचकर बुरा लग रहा है, इन पत्थरों की दुनिया में मैं
एक कमज़ोर सा जीव एक दिन तुम्हारी मदद करने में सक्षम होऊंगा, अगर अपने
ग्रह के बारे में सोच कर तुम्हें घर की याद परेशान करे... तो"
"ओह!!! मैं तुम्हारी बात अच्छे से समझता हूं, लेकिन तुम हर समय पहेलियों
में बात क्यों करते हो?" छोटे राजकुमार ने पूछा
"क्योंकि मुझे पहेली सुलझाना अच्छा लगता है" सांप ने जवाब दिया।
फिर वो दोनो खामोश हो गए।
3मध>याय 18
"कैसा अजीबो-गरीब ग्रह है!!! बिल्कुल सूखा सा, पहाड़ियों से घिरा हुआ,
गंदा और दुर्गम। और यहां के लोग तो और भी विचित्र हैं। उनसे कुछ पूछो, तो वे
पूछने वालों के सवालों को ही बार-बार दोहराते हैं। इससे अच्छा तो मेरा ग्रह है,
यूसिक पाने के बारेमें पूछती? और मुझे भी अपनी कली से
बहुत प्यार हैं।"
3मध>याय 20
छोटा राजकुमार कुछ क्षण नज़रें गड़ाए ध्यान से उन्हें देखता रहा। सब के
सब उसके अपने फूल जैसे ही थे।
“तुम कौन हो?" उसने हैरानी से पूछा।
युवककोनेलावदिया
ff I”
और फिर उसने खुद को सांत्वना देते हुए कहा "मुझे लगता है मैं इस दुनिया
का सबसे अमीर इंसान हूं, चूंकि मेरे पास एक बहुत अद्भुत और खूबसूरत गुलाब
है... फिर चाहे वह एक सामान्य गुलाब ही क्यों ना हो। इसके अलावा मेरे पास
तीन ज्वालामुखी हैं जो कि मेरे घुटनों तक आते हैं और उनमें से शायद एक हमेशा
के लिए विलुप्त हो जाएगा.... लेकिन इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।"
“म खश ...... और ब त खश ” कहत-कहतेवह घास पर लट गया और
जोर-जोर सेरोनेलगा, शायद उसेअपने ह और कली क याद आ रही थी।
3मध>याय 21
"इंसान!!! वही जो बंदूक लेकर शिकार करते हैं। वह बहुत निर्दयी लोग होते
है। जानवरों को मार कर उनका मांस खाने में उन्हें बहुत मज़ा आता है। क्या तुम
भी उन बेरहम लोगों की तरह शिकार करने आए हो?" लोमड़ी ने आशंकित
नज़रों से उसे देखा।
"नहीं, मैं यह सब नहीं खाता। मैं यहां पर बिल्कुल अकेला हूं और दोस्ती
करने के लिए उन्हें ढूंढ रहा हूं, लेकिन तुमने अभी कुछ देर पहले कहा था कि तुम
पालतू नहीं हो, तो इस पालतू का क्या मतलब होता है?" छोटे राजकुमार ने
पूछा।
"इसका मतलब हैः संबंध बनाना...। "
।
- हूं। लेकिन अगर तुम मुझे पालतू बना लोगे तो हम दोनो एकदूसरे
आवश्यकूताओं को पूरा कर सकते हैं। मेरे लिए, तुम बिल्कुल अद्भुत होगे और
तुम्हारे लिए, मैं बिल्कुल अलग रहूंगी।"
"गुड, अब मुझे थोड़ा-थोड़ा समझ आ रहा है" छोटे राजकुमार खुशी से
लगा।
"हां, मैं किसी दूसरे ग्रह पर रहता हूं और मेरा फूल भी वहीं पर है" छोटे
राजकुमार ने बताया।
"क्या तुम्हारे ग्रह पर कोई शिकारी है?"
"यहूतों बहुत दिलचस्प बात है!!! और मुर्गियां ??"
"फिर तो एकदम सही है" लोमड़ी ने एक लंबी राहत की सांस ली।
थोड़ी ही देर में वह असली मुद्दे पर आ गई और बोली "मेरा जीवन बहुत
नीरस है। मैं अपना पेट भरने के लिए दूसरे जानवरों का शिकार करती हूं और
इंसान अपना पेट पालने के लिए मेरा। आज के समय में जानवरों और इंसानों में
कोई ज़्यादा अंतर नहीं है। हर रोज़ यही डर रहता है कि कल का सूरज देख
पाऊंगी या नहीं... सच कहूं तो मैं अपनी ज़िंदगी से ऊब चुकी हूं। लेकिन अगर
तुम मुझे पाल लो तो शायद मेरी ज़िंदगी का ढ़लता सूरज फिर से जगमगाने लगे।
मेरे अंदर एक ख़ास गुण है... मैं किसी को भी उसके कदमों की आहट से पहचान
सकती हूं। इन कदमों की आवाज़ को भांपकर मैं जल्दी से अपनी मांद में घुस
जाती हूं। अपने इसी गुण की बदौलत मैं आज तक अपनी रक्षा करती आई हूं।
लेकिन जब तुम आए तो ऐसा लगा जैसे कहीं संगीत बज रहा हो और मैं मंत्रमुग्ध
होकर अपनी मांद से बाहर चली आई। उधर देखो!!! उन मकई के खेतों को देख
रहे हो?मैं रोटी नहीं खाती। इसीलिए गेहूं मेरे किसी काम का नहीं है। ऐसा नहीं
है कि मेरा इन मकई के खेतों से कोई भावनात्मक लगाव है, लेकिन जब भी इन्हें
देखती हूं तो उदास हो जाती हूं। तुम्हारे बालों का रंग सुनहरा है। अगर तुम मुझे
पाल लोगे तो यह मेरे लिए बहुत अद्भुत और अविस्मरणीय जीवन रहेगा। चूंकि
गेंहू भी सुनहरी है और जब भी मैं इसे देखा करूंगी तो तुम्हारी याद आया करेगी।
##के में यातायात रहताओं की बयार
आता है।”
सुनने में मुझे बहुत मज़ा
अपने दिल के जज़्बात बयान करने के बाद लोमड़ी ख़ामोश हो गई और
टकटकी लगाकर छोटे राजकुमार के जवाब की प्रतीक्षा करने लगी।
हूयार्क किया हूं। मुझे पाल लो। ” लोमड़ी याचक की
भांति सिर झुकाए उसके सामने खड़ी थी।
तुम्हारी बात सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई, लेकिन अभी मैं ज़्यादा समय
यहां नहीं रुक सकता। क्योंकि अभी मुझे अपने दोस्तों को ढूंढना है और इस ग्रह
की बहुत सी चीजों के बारे में जानना है" छोटे राजकुमार ने जवाब दिया।
"लेकिन प्लीज़, मेरी बातों का बुरा मत मानना। अगर मुझे जल्दी ना होती
तो मैं तुम्हें ज़रूर पालता" छोटे राजकुमार ने उससे माफी मांगते हुए कहा।
"जानवर के दर्द को एक जानवर ही समझ सकता है। इंसानों के पास उनके
दुख-दर्द को समझने का वक्त ही कहां होता है। वे तो हर बनी-बनाई चीज़ को
दुकूानों से खरीद लेते हैं। लेकिन जहां तुम जा रहे हो, वहां तूम्हें ऐसी कोई दूकान
नहीं मिलेगी जहां से तुम अपने दोस्तों को खरीद सको। क्योंकि इंसान कभी किसी
के दोस्त नहीं होते... वे अपने मतलब के लिए ही दोस्त बनाते हैं। अगर तुम्हें
दोस्त चाहिए तो मुझे पाल लो! मैं हर पल तुम्हारे साथ रहूंगी और अपनी दोस्ती
का हर फर्ज़ निभाउंगी।"
"फिर मुझे क्या करना चाहिए?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"तुम्हें बहुत धैर्य से काम लेना होगा।" लोमड़ी ने कहा।
सबसे पहले तो तुम्हें कुछ वक्त के लिए मुझसे थोड़ा दूर बैठना होगा। मेरी
नजरें हर समय तुम पर ही रहेंगी लेकिन तुम कुछ नहीं बोलोगे। क्योंकि कई बार
शब्दों में उलझकर हम किसी गलतफ़हमी का शिकार हो जाते हैं। इसीलिए अगर
हमें किसी की भावनाओं को समझना है तो खामोशी से शांत चित्त होकर उसके
बारे में सोचो, तभी हम समझ पाएंगे कि हमारे लिए क्या सही है और क्या
गलत!!! लेकिन इस दौरान तुम हर रोज़ थोड़ा-थोड़ा करके मेरे नज़दीक बैठते
।
उसने फूलों को देखा और कहा "तुम में से कोई भी मेरे गुलाब की तरह
खूबसूरत नहीं है। तुम्हें कोई भी पालतू नहीं बनाएगा और ना ही तुम किसी को
अपने वश में कर सकते हो। तुम बिल्कुल मेरी लोमड़ी की तरह हो, जब मैं पहली
बार उससे मिला था तो मेरे लिए वह, बाकी दूसरी लोमड़ियों की तरह ही
साधारण सी लोमड़ी थी। लेकिन अब वह मेरी दोस्त है और उसके जैसा दुनिया
में और कोई नहीं है।"
उसकी बात सुनकर फूल बहुत शर्मिदा हुए।
छोटे राजकुमार ने कहना जारी रखा "तुम सुंदर तो हो लेकिन अंदर से
बिल्कुल शून्य हो। तुम्हारे लिए कोई अपनी जान तक दे सकता है। हां, यह
निश्चित है कि कोई भी सामान्य राह-चलता इंसान मेरे गुलाब को देखेगा तो
यकीनन तुम जैसा ही बताएगा लेकिन वह तुम सब की तुलना में कई गुणा अधिक
महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वह अकेला ऐसा फूल है जिसे मैं पानी पिलाता हूं और मैंने
उसकी रक्षा के लिए उसे कांच के गुंबद में रखा है। सूरज की तेज़ धूप से बचाने के
लिए मैं उसे छाया में रखता हूं। उसकी रक्षा के लिए मैंने झींगों को भी मार दिया
(सिवाय दो-तीन को छोड़कर ताकि वे तितलियां बन पाए क्योंकि मेरे गुलाब को
तितलियां बहुत पसंद है)। और जब वह नाराज़ होती है, शिकायतें करती है या
फिर बड़ी-बड़ी डींगे मारती है तो मैं उसकी हर बात को प्यार से सुनता हूं,
क्योंकि वह मेरा फूल है और मैं उससे बहुत प्यार करता हूं।"
और फिर वह वापस लोमड़ी के पास चला गया।
"अलविदा दोस्त" छोटे राजकुमार ने लोमड़ी से जाने की इजाज़त मांगते हुए
कहा ।
“अलविदा... फिर मिलेंगे” लोमड़ी ने जवाब दिया।
"अब तुम्हें राज की बात बताने का समय आ गया है। यह बहुत आसान है
और केवल दिल की आंखों से ही इसे साफ-साफ देखा जा सकता है। जो आवश्यक
है वो आंखों के लिए अदृश्य है।"
" जो आवश्यक है वो आंखों के लिए अदृश्य है।" छोटे राजकुमार ने याद
रखने के लिए इसे दो-तीन बार दोहराया।
यह सिर्फ वक्त था जो तुमने अपने गुलाब पर बिताया और जिसने तुम्हारे
गुलाब को इतना ख़ास बनाया।
तभी एक दूसरी शानदार एक्सप्रेस गाड़ी गड़गड़ाहट करती हुई दूसरी दिशा
से आई।
इसे देखकर छोटा राजकुमार बहुत हैरान हुआ और सिग्रल-मैन से पूछने
लगा "अभी तो यह गई थी तो फिर वृापस क्यों आ गई?"
"नहीं, यह वहू नहीं है। यह दूसरी गाड़ी है" सिग्रल-मैन ने बताया।
"क्या वे अपनी जगह से संतुष्ट नहीं थी?" छोटे राजकुमार ने मासूमियत से
पूछा।
"आज तक भला अपनी जगह से कोई संतुष्ट कहां रहा है।" सिग्रल-मैन ने
जवाब दिया।
तभी उन्हें एक तीसरी एक्सप्रेस गाड़ी की गूंज सुनाई दी।
"क्या वे सब पहले वाले यात्रियों का पीछा कर रहे हैं ?" छोटे राजकुमार ने
पूछा।
"नहीं, वे कभी किसी का पीछा नहीं करते। वे तो हमेशा वहां सोते रहते हैं
या जम्हाई लेते रहते हैं। जबकि छोटे बचे खिड़कियों के शीशों के साथ नाक रगड़
कर अजीब तरह की शक्लें बनाते हैं।"
"केवल बच्चों को पता होता है कि वे क्या ढूंढ रहे हैं?" छोटे राजकुमार ने
कहा। "बद्धे एक छोटी सी कपड़े की गुड़िया देखकर ही खुश हो जाते हैं और उन्हें
सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण मानने लगते है। लेकिन अगर कोई उनसे इसे छीनने की
कोशिश करें तो वे रो-रोकर आसमान सिर पर उठा लेते हैं।"
"वे बहुत किस्मत वाले होते हैं क्योंकि उन्हें जो चाहिए, वे उसे लेकर ही दम
लेते हैं।" सिग्रल-मैन ने कहा।
3Hधयाय 23
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**Rel*)
"तुम इन्हें क्यों बेच रहे हो?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"क्योंकि इससे समय की बचत होती है। इस दवा को दुनिया के महान
विशेषज्ञों ने बहुत मेहनत से बनाया है। उनका मानना है कि अगर कोई व्यक्ति हर
सप्ताह एक गोली खा ले तो वह प्रति सप्ताह अपने तिरेपन मिनट बचा सकता है"
व्यापारी ने कहा।
"लेकिन लोग इन बचे हुए तिरेपन मिनट का क्या करते हैं?"
"जिसका जो मन करे, वह वही करता है।"
“अगर मेरे पास तिरेपन मिनट खर्च करने की हो तो मैं ताजे पानी के झरने
की तरफ धीरे-धीरे चलू" छोटे राजकुमार ने कहा।
3मध>याय 24
कुछ देर बाद उसकी आंख लग गई। मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और फिर
से चलना शुरू कर दिया। चलते-चलते मैं काफी दूर जा चुका था। इस दौरान मुझे
में उठाई हुई है। शायद छोटे राजकुमार जितना नाजुक दुनिया में कोई भी नहीं
था। चांदनी रात में जब मेरी नज़र उसके छोटे से पीले माथे, बंद आंखों और
सुनहरी धुंघराले बालों जो कि हवा के झोंकों से झूल रहे थे पर पड़ी तो मन में
उसे लेकर कुछ ख़्याल आए "देखने में तो इंसानों जैसा ही लगता है लेकिन वजन
में किसी खोल से ज़्यादा भारी नहीं है। यह होकर भी ना होने के जैसा ही
है...एकदम अदृश्य!!! "
नींद में उसके अधखुले होंठों को देखकर ऐसा लगता था मानो वह मेरी बातें
सुनकर मुस्कुरा रहा हो। उसका रूप-सौंदर्य और प्यारी सी मुस्कान मेरे दिल को
छू रही थी। और एक विचार रह-रह कर दिल में आ रहा था, छोटे राजकुमार को
इतनी मासूमियत से गहरी नींद में सोता देख कर पता चलता है कि यह अपने
फूल के प्रति भी इतना ही वफादार होगा... गुलाब की छवि दीपक की लौ की
तरह इसके सोते हुए चेहरे पर साफ-साफ चमक रही है। और यह मुझे पहले से
भी कहीं ज़्यादा हल्का महसूस हो रहा है। जिस प्रकार लैंप को बहुत ध्यानपूर्वक
रखना पड़ता है। चूंकि हवा का एक छोटा सा झोंका इसे बुझाने के लिए काफी
।
* ट्रक की कार को भी छोटे राजकुमार को बहुत ध्यान से पकड़ना
उसकी पानी पीने की लालसा देख कर मुझे बहुत हंसी आई और मैंने बाल्टी
उठाकर उसके होंठो से लगा दी। उसने आंखें बंद करके थोड़ा सा पानी पिया और
कहा "यह तो त्यौहारों में बनने वाली मिठाईयों से भी कहीं ज़्यादा मीठा है।"
जिंदगी में पहली बार उसने पानी का स्वाद चखा था। "हां, सचमुच... यह पानी,
साधारण पानी से बिल्कुल अलग है। क्योंकि यह सितारों की छांव में, चरखी के
संगीत और मेरे हाथों की मेहनत से पैदा हुआ है और तुम्हारे दिल के लिए भी
बहुत अच्छा है" मैंने हंसते हुए कहा। जब मैं भी तुम्हारी तरह छोटा बच्चा था तो
क्रिसमस वाले दिन मुझे बहुत से उपहार मिलते थे जैसे कि क्रिसमस ट्री की
रोशनी, आधी रात को बजने वाला संगीत और हंसते-मुस्कुराते चेहरों की रौनक
और बहुत से तोहफे जिन्हें देखकर मेरी खुशी संभाले ना संभलती थी।
"तुम जहां रहते हो, क्या वहां भी एक ही बगीचे में पांच हज़ार गुलाब के
फूल एक साथ खिलते हैं? और क्या लोगों को जिस खुशी की तलाश होती है, वह
उन्हें मिल जाती है?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"नहीं, वह इसे कभी नहीं पा सकते क्योंकि उनकी ख़्वाहिशें कभी खत्म नहीं
होती" मैंने जवाब दिया।
"मेरे दोस्त, मुझे बहुत डर लग रहा है। तुम चले जाओगे तो मैं फिर से
अकेला हो जाऊंगा।"
तब उसने आश्वासन देते हुए कहा "अब तुम्हें अपने हवाई-जहाज के इंजन को
ठीक करने के लिए जाना चाहिए। मैं यहीं तुम्हारा इंतज़ार करूंगा। कल शाम तक
वापस आ जाना...। ”
उसने मुझे तो किसी तरह से समझा कर वहां से भेज दिया लेकिन वह खुद
ज़रा भी आश्वस्त नहीं था। उसे अपनी लोमड़ी की बहुत याद आ रही थी। जब
कोई किसी को अपना बना लेता है तो उसके याद आने पर रोना स्वाभाविक हो
जाता है। छोटा राजकुमार अपनी मूंह से तो कुछ नहीं कह रहा था मगर उसकी
आंखों की गहराई में छिपे दर्द से मैं अनजान नहीं था।
3मध>याय 26
कुएं के पास एक पुराने पत्थरों से बनी टूटी-फूटी दीवार थी। अगले दिन, जब
मैं शाम को अपना काम खत्म करके वापस आया तो मेरी नज़रें दूर से ही छोटे
राजकुमार को ढूंढ रही थी, मैंने देखा कि छोटा राजकुमार दीवार पर चढ़ कर
बैठा था और मस्ती में अपनी टांगों को झूला रहा था। उसे देखते ही मेरे चेहरे पर
मुस्कुराहट छा गई। लेकिन तभी मैंने दूर से ही उसे कुछ कहते हुए सुना "तुम्हें
याद नहीं है क्या?यह काफी नहीं था!!! "
इसमें कोई शक़ नहीं था कि छोटे राजकुमार के अलावा, कोई और भी वहां
मौजूद था जो उससे बातें कर रहा था, तभी छोटे राजकुमार ने जवाब दिया
मैं लगातार दीवार की तरफ बढ़ता जा रहा था लेकिन ना तो मुझे वहां कोई
दिखाई दे रहा था और ना ही किसी की आवाज़ सुनाई दे रही थी। तभी छोटे
राजकुमार ने दोबारा उत्तर दिया "हां... हां, ज़रूर। तुम देखना, मेरे निशान रेत
में कहां तक जाते हैं। मेरा इंतज़ार करना, मैं आज रात को वहीं होऊंगा।"
मैं दीवार से केवल बीस मीटर की दूरी पर था और अभी तक मुझे वहां कोई
दिखाई नहीं दे रहा था। एक छोटी सी चुप्पी के बाद छोटा राजकुमार फिर से
बोला "क्या तुम्हारा ज़हर अच्छा है?तुम्हें यकीन है ना, इससे मुझे ज़्यादा तो
नुकसान नहीं पहुंचेगा?" -
पर आप दो सैकेंड में मर सकते हो, वह दीवार के सहारे अपना सिर ऊपर उठाए
छोटे राजकुमार की तरफ देख रहा था। मैंने फटाफट अपनी जेब में से रिवॉल्वर
निकाला और दीवार की तरफ भागा, लेकिन शोर की वजह से सांप तेज गति से
रेंगते हुए रेत में घुस गया और देखते ही देखते पत्थरों के बीच कहीं गायब हो
गया।
मैं दौड़ कर दीवार के पास पहुंचा और छोटे राजकुमार को गोद में उठा
लिया। घबराहट की वजह से उसका चेहरा बर्फ की तरह सफेद पड़ गया था।
"ये सब क्या हो रहा था?तुम सांपों के साथ बातें क्यों कर रहे थे?" मैंने
डांटते हुए पूछा और उसका सुनहरा गुलबंद जिसे वह कभी अपने से अलग नहीं
करता था, को खोल दिया। फिर मैंने रूमाल से उसका पसीने से तर-बतर माथा
पौंछा और उसे थोड़ा पानी पिलाया। उसकी घबराहट देख कर मैंने उससे कोई
सवाल नहीं किया। उसने गंभीरता से मेरी तरफ देखा और जोर से मुझसे लिपट
गया। उसका दिल एक घायल पक्षी की तरह तेज़ी से धड़क रहा था जिसे किसी
शिकारी ने अपनी गोली का निशाना बनाया हो।
कुछ देर बाद, मैं उसका मन बहलाने के लिए यहां-वहां की बातें करने लगा
और तभी उसने कहा "तुम्हारे इंजन के ठीक होने से मैं बहुत खुश हूं... और अब
तुम वापस घर जा सकते हो।"
तुम्हें कैसे पता?" मैंने हैरानी से पूछा, चूंकि मैंने इंजन ठीक होने वाली बात
अभी तक उसे बताई नहीं थी। वास्तव में, मैं उसे बताने ही वाला था कि अपनी
सारी उम्मीदों के विपरीत, मैं अपने प्रयासों में पूरी तरह सफल रहा।
लेकिन उसने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया और धीरे से मेरे कान में
फुसफुसाया "मैं भी आज अपने घर वापस जा रहा हूं।"
..रियाहयोग दिया होगा तारबोसायवहार बताया कि
।”
उसके दिल में उठे भावनाओं के तूफान को मैं समझ सकता था। मैंने प्यार से
उसे गोद में उठाया और कसकर गले से लगा लिया। लेकिन अभी भी ऐसा लग
रहा था मानो अभी वह मेरे हाथों से फिसलकर किसी खाई में जा गिरेगा और मैं
उसे बचाने के लिए कुछ नहीं कर पाऊंगा। उसे खोने का डर मुझे पल-पल मार
रहा था।
कुछ देर तक हम दोनों एक-दूसरे की आंखों में देखते रहे। उसकी आंखे बिना
कुछ कहे उसके दिल का सारा हाल बयान कर रही थी। उसे भी मुझसे बिछुड़ने
का उतना ही दुख था, जितना मुझे।
"मेरे पास तुम्हारी भेड़ है और भेड़ के लिए बनाया गया बॉक्स भी है। और
मेरे पास भेड़ के लिए बनाई हुई नालमुख भी है" उसने अपने उदास चेहरे पर
लाने का प्रयास किया।
फिर वह मेरे गले से लिपट गया और कुछ नहीं बोला।
मैं काफी देर तक उसके बोलने का इंतज़ार करता रहा। धीरे-धीरे उसका
शरीर आग के समान तपने लगा और मैंने घबराकर पूछा "माइ डियर लिटिल
ऐंजल, तुम डर रहे हो क्या?" •
"यह पानी के समान ही होता है। कुएं का मीठा पानी, चरखी के घूमने पर
बजने वाला संगीत, रस्सी और कुएं के पानी में से सूरज का प्रतिबिंब... तुम्हें याद
है ना सब?सब कुछ कितना सुंदर था। आठ दिनों में मैंने यहां जो कुछ भी देखा,
उसे मैं कभी भुला नहीं पाऊंगा" छोटे राजकुमार ने कहा।
"रात को जब तुम सितारों को देखा करोगे तो मैं भी वहां से तुम्हें देखा
करूंगा लेकिन मेरा ग्रह छोटा होने के कारण शायद मैं, यहां से तुम्हें दिखाई ना दूं
लेकिन एक-दूसरे को देख पाने की खुशी तो हमेशा साथ रहेगी ना...। मेरा ग्रह भी
तुम्हारे लिए बाकी सितारों की तरह एक तारा ही होगा। इसीलिए जब तुम उन्हें
देखने लग जाओगे तो तुम्हें भी उनसे प्यार हो जाएगा और वे सब तुम्हारे दोस्त
बन जाएंगे। और हां... मेरे पास तुम्हारे लिए एक बहुत खूबसूरत सा तोहफा है
जिसे देखकर तुम बहुत खुश होगे।"
फिर वह जोर-जोर से हंसने लगा।
“आहा!!! लिटिल प्रिंस, मॉय डियर स्वीट लिटिल प्रिंस, तुम्हारी प्यारी सी
हंसी सुनना मुझे बहुत अच्छा लगता है" कहकर मैंने उसे गले से लगा लिया।
"तुम्हें पता है, तुम्हारी हंसी मेरे लिए दुनिया का सबसे अनमोल तोहफा
है...पानी से भी अनमोल!!! "
"यह तुम क्या कह रहे हो?" - •
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“अब देखो, मैंने तुम्हें कितना कुछ दे दियाः इतनी सारी यादें, इतने सितारे,
इतनी सारी छोटी-छोटी घंटियां जो तुम्हारे उदास होने पर तुम्हें हंसाएंगी।"
इतना कहकर वह फिर से हंसने लगा। फिर एकदम से वह शान्त हो गया
और गंभीर होकर बोला "आज की रात मेरे लिए बहुत ख़ास है, क्योंकि यह कभी
वापस नहीं आएगी..... आज मैं, अपनी ज़िंदगी के सारे खूबसूरत पल यहां तुम्हारे
साथ बांटना चाहता हूं..."
"मैं तुम्हें कहीं जाने नहीं दूंगा" मेरे दिल का दर्द चुपके से जुबां पर आ गया।
ऐसा लग रहा था मानो मेरे शरीर से जान निकल रही हो और मैं निष्प्राण
सा खड़ा उसे ताक रहा था।
तुम यहीं रहोगे... मेरे साथ... मैं तुम्हें कभी कहीं जाने नहीं दूंगा।"
मेरी बातें सुनकर वह परेशान हो गया।
उसे चिंतित होता देखकर मैंने खुद को संभाला और बात पलटते हुए कहा
"मैं तो यह सिर्फ इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मुझे डर है कि कहीं फिर से कोई
सांप आकर तुम्हें काट ना ले। सांप बहुत चालाक जन्तु होते हैं जो अपने थोड़े से
मनोरंजन के लिए किसी को भी काट सकते हैं।"
लेकिन मेरे कहे शब्द लगातार उसके मस्तिश्क में हलचल मचा रहे थे।
"हां, इस सच से मुझे इंकार नहीं है कि एक पल काटने पर वे ज़हर नहीं
।”
- उस रात जब हम बातें कर रहे थे तो मेरा ध्यान दूसरी तरफ था। तभी छोटा
राजकुमार उठा और बिना कोई आवाज़ किए वहां से चला गया। कुछ देर बाद,
जब मैंने पलट कर देखा तो उसे वहां ना पाकर घबरा गया और पागलों की तरह
इधर-उधर दौड़ने लगा। तभी मेरी नज़र दूर जाती एक परछाई पर पड़ी और मैं
तेजी से उस परछाई के पीछे भागा। वह तीव्र गति से भाग रहा था, लेकिन
आखिरकार मैं उसे पकड़ने में कामयाब हो गया।
लिया वहां देखकर उसने महज़ इतना ही कहा "ओह!!! तुमने मुझे ढूंढ ही
फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और हल्का सा मुस्कुराया। उसके चेहरे पर चिंता
साफ झलक रही थी।
"तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था। तुम मुझे जाते हुए नहीं देख पाओगे और
दुखी हो जाओगे.... और मैं तुम्हें दुखी नहीं करना चाहता।"
मैंने कुछ नहीं कहा और मुंह लटकाए उसके सामने खड़ा रहा।
"तुम्हें छोड़ कर जाना मेरे लिए भी आसान नहीं है लेकिन तुम्हें खुद को
संभालना होगा। मेरा सफर बहुत लंबा है और मैं अपने इस मृत शरीर को साथ
मैं निशब्द सा बना रहा।
मैं फिर से खामोश था।
मेरे उदास होने से उसकी हिम्मत टूट गई। लेकिन उसने मुझे समझाने का
आखिरी प्रयास किया।
“तुम्हें पता है, जब मैं अपने ग्रह से सितारों को देखा करूंगा तो मेरे लिए
सारे सितारे जंग लगी चरखी के कुओं जैसे ही होंगे और फिर वे सब मिलकर मेरे
पीने के लिए पानी निकालेंगे।"
मैं चुपचाप उसकी बातें सुनता रहा।
"कितना मज़ा आएगा ना!!! तुम्हारे पास छोटी-छोटी पांच सौ मिलियन
घंटियां और मेरे पास पांच सौ मिलियन ताजे पानी के कुंए। फिर तुम खूब हंसना
और मैं खूब पानी पिया करूंगा।"
और इसके आगे उसने कुछ नहीं कहा क्योंकि बाहर से तो वह हंस रहा था।
लेकिन अंदर से उसका दिल भी बहुत रो रहा था....
"चलो, कुछ देर बैठते हैं।"
वह रेत के छोटे से टीले पर बैठ गया और रेत से खेलता हुआ बोला "तुम मेरे
फूल के बारे में जानते हो ना.... अब उसकी सारी जिम्मेदारी मुझ पर है। वह वहां
अकेला है। उसके पास खुद की रक्षा के लिए सिर्फ चार कांटे ही है... अगर उसे
कुछ हो गया तो खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा।"
मैं भी उसकी बगल में बैठ गया और उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया।
"और अब तो वहां.... उसे कौन.... " कहते-कहते उसकी जुबान लड़खड़ाने
लगी और वह चुप हो गया।
फिर वह थोड़ा हिचकिचाते हुए खड़ा हो गया और जाने के लिए अपना
कदम बढ़ाया। मैं वहीं अपनी जगह पर ही बैठा रहा। वो मेरे टखने के पास तक
पीले रंग के मांस के टुकड़े जैसा लग रहा था। एक क्षण के लिए वो स्थिर खड़ा
रहा। वो रोया नहीं। वो एक पेड़ की तरह गिरा। रेगिस्तान होने की वजह से कोई
आवाज़ नहीं हुई।
3Hधयाय 27
फ़ुtकनिकी करतलहमलेरियरतवास्तिवकता
मुझे आपके पत्रों का हमेशा इंतज़ार रहेगा।