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छोटा राजकमार

(Hindi Translation of “The Little Prince”)

आवान द सतयपर
Antoine De Saint-Exupéry ारा िलिखत अजी पतक
“The Little Prince” का िहदी अनवाद

अनवादक – गगन दप चौहान


SRIJAN DIGITAL COLLECTIONS
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इस सकरण क वषय-वत लोक अधकार (Public Domain) स ल गई जानकार पर


आधारत ह।

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लिओन वर्थ के लिए

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बचपन की दहलीज़ को लांघ कर ही बड़ा होता है। परंतु बड़े होने
मात्र कुछ लोग ही ऐसे होते हैं जो अपने उस मासूम बचपन की यादों को संजो
कर रख पाते हैं।
मैं तहे दिल से धन्यावाद करता हूं उन बच्चों का जो इस किताब को अपनी युवा
अवस्था को समर्पित करने के उद्देश्य से पढ़ते हैं। इस किताब को लिखने का मेरा
पहला और मुख्य कारण यह है कि वह दुनिया में मेरा सबसे प्यारा दोस्त है। मेरा
दूसरा कारण यह कि यह बड़ा व्यक्ति मेरी हर छी

छोटे से बचें को समर्पित करना चाहूंगा जो अब बड़ा हो चुका है।


यह किताब समर्पित है लिओन वर्थ को, जब वह बच्चा हुआ करता था।
ए. डी. एस.-ई., 1944
3मध>याय 1

बालमन कितना चंचल और मासूम होता है... कभी किसी बेजान पत्थर या
फूल-पत्तों में खुशी ढूंढ़ लेना, तो कभी झूठ को सच मान लेना, काल्पनिक बातें
करना और ज़िद्द करना और भी जाने क्या-क्या। मैं जब छह साल का था तो मैंने
एक किताब में आदिम जंगल की एक बहुत खूबसूरत तस्वीर देखी। यह किताब
सच्ची घटनाओं पर आधारित थी। इस तस्वीर में एक विशालकाय अजगर को एक
ाान पूरीतिगत हुए दिखाया गया था। यह मेरे द्वारा बनाए गए उस चित्र की
नकल छ:

किताब में बताया गया था कि यह विशालकाय अजगर अपने शिकार को


बिना चबाए एक ही बार में पूरा निगल लेता है और फिर इसे खाने की तलाश में
इधर-उधर नहीं जाना पड़ता और इसे पचाने के लिए वह अगले छह महीने तक
सोता रहता है।
फिर मैंने जंगल के रोमांचकारी तथ्यों का गहन अध्ययन किया और उसी के
आधार पर अपनी पहली ड्राइंग बनाने में कामयाब हुआ। मेरी पहली ड्राइंग कुछ
इस तरह दिखती थी:
अपने इस पहले मास्टर-पीस को मैंने अपने बड़ों को दिखाया और पूछा
"क्या मेरी ड्राइंग डरावनी है?"
“अरे...एक हैट से भला कोई क्यों डरेगा?" उन्होंने जवाब दिया।
"लेकिन ये कोई हैट नहीं है... बल्कि इसमें तो अजगर को हाथी को निगलते
हुए दिखाया गया है" मैंने कहना चाहा, मगर छोटा होने के कारण हिचकिचा
गया।

फिर मैंने अपने बड़ों को समझाने के लिए एक दूसरा चित्र बनाया जिसमें
विशालकाय अजगर के पेट के अंदर का दृश्य अंकित था। बड़े-बूढ़े अक्सर बच्चों की
बातों को हल्के में लेते हैं और वे उनसे, उनकी हर बात का स्पष्टीकरण मांगते हैं।
मेरा दूसरा चित्र कुछ इस तरह दिखता थाः

सबने मुझे सलाह देते हुए समझाया कि अजगर के पेट के अंदर और बाहर के
चित्र बनाना छोड़ कर मैं अपना पूरा ध्यान भूगोल, इतिहास, अंकगणित और
व्याकरण पढ़ने में लगाऊं। इस तरह छह साल की छोटी सी उम्र में ही मैंने एक
सफल चित्रकार बनने की इच्छा को पूरी तरह से त्याग दिया। शायद इसकी वजह
मेरी दोनों ड्राइंग बनाने में मिली नाकामयाबी थी जिसने मुझे भीतर से पूरी तरह
तोड़ दिया था। बड़ों में स्वयं इसे समझने का सामर्थय नहीं था और बच्चों के लिए
उन्हें एक ही चीज़ बार-बार समझाना बहुत मुश्किल काम था।
इसलिए मैंने कुछ अलग सा रोमांचक करने का मन बनाया। कुछ बहुत
अद्भुत जो मेरी चित्रकारी में असफलता की पीड़ा को भर दे। तभी मेरे दिमाग में
हवाई-जहाज चलाना सीखने का ख़्याल आया। अब तक मैंने दुनिया भर की
सी छोटी-बड़ी उड़ाने भरी हैं और आज मुझे यह कहने में जरा भी संकोच नहीं कि
मेरे इस सफर में भूगोल ने मेरा पूरा साथ दिया है। हालांकि स्टूडेन्ट-लाइफ
(विद्यार्थी-जीवन) में यह मेरा सबसे उबाऊ सबजैक्ट (विषय) था। लेकिन आज
इसकी मदद से ही मैं पूरी दुनिया का भ्रमण कर पाया हूं। इसी ज्ञान की बदौलत
मैं एक जैसे दिखने वाले चीन और एरिज़ोना में अंतर करने में सक्षम हो पाया।
अगर आपको भूगोल का अच्छे से ज्ञान है तो आप को कहीं भी जाने से डरने की
कोई आवश्यकता नहीं है, फिर आप चाहें तो रात को भी घूमने निकल सकते हो।
परिणामस्वरूप अपने जीवन में बहुत से गंभीर-मज़ाकिया, गुस्सैल-शांत सब
तरह के लोगों से मेरा पाला पड़ा है। अपनी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा मैंने
अपने से काफी बड़े लोगों के साथ बिताया है। इस दौरान, मैंने उनके जीवन के
हर पहलू को बहुत गंभीरता से देखा और पाया कि जिन बातों से मैं हमेशा डरता
था, वह केवल कल्पना थी... जबकि जीवन की सच्चाई उससे बिल्कुल अलग है।
लेकिन इतना समय बीतने पर भी मेरे बालमन की वह ख़्वाहिश ज्यों की
त्यों बनी रही। जब भी मैं किसी समझदार व्यक्ति से मिलता तो उसे बचपन में
बनाई अपनी पहली पेंटिंग ज़रूर दिखाता। मेरे ऐसा करने के पीछे एक बहुत
ख़ास वजह थी। दरअसल, मैं जानना चाहता था कि वे लोग इस चित्र को वास्तव
में क्या समझते हैं। लेकिन सबका हमेशा एक ही जवाब रहा “यह एक हैट है।"
मेरा मन निराशा से भर चुका था। इसीलिए मैंने अजगरों, आदिम जंगलों और
सितारों के बारे में सोचना छोड़ दिया और लोगों से उनकी रूचि के अनुररूप
पुल, गोल्फ, राजनीति और नैकटाई के बारे में बातें करने लगा। मेरे इस बदले हुए
व्यवहार से घर के सब लोग खुश थे क्योंकि अब उन्हें, मुझमें एक समझदार और
योग्य व्यक्ति दिखने लगा था।
3मध>याय 2

कहने को तो सब मेरे साथ थे लेकिन दिल से मैं फिर भी अकेला ही था।


अपनी दुनिया में खोए रहना और घंटों अपने-आप से बतियाना मेरी आदत बन
थी। हमेशा से ही मैं, लोगों से बहुत कम बात किया करता था। छह साल
मेरे साथ एक बहुत अप्रिय घटना घटी। जब मैं सहारा के निर्जन इलाके में
#
उड़ान भर रहा था, तो अचानक मेरे हवाई-जहाज के इंजन में कुछ गड़बड़ हुई
और मुझे वहीं अपना जहाज उतारना पड़ा। उस वक्त मेरे साथ ना तो कोई
मैकेनिक था, ना कोई यात्री और ना ही ऐसा कोई साधन जिससे मैं अपनी
सहायता के लिए किसी को बुला पाता। यह काफी मुश्किल वक्त था। ज़हन में
बार-बार एक ही सवाल उठता "क्या मैं इंजन की ठीक करने में सफल हो
पाऊंगा?" मेरे लिए यह जिंदगी और मौत का सवाल था। इसलिए अपने सारे
डरों को दूर भगाते हुए मैंने खुद पर अपने यक़ीन को पक़ा किया और काम शुरू
किया। खाने के नाम पर पानी के सिवा मेरे पास कुछ नहीं था। पूरा एक सप्ताह
मैंने पानी पीकर ही गुज़ारा किया।
पहली रात, मानवीय जन-जीवन से हज़ारों मील दूर, सुनसान जगह में मैं
रेत पर सोया। उस वक्त मेरी हालत समुद्र के बीचों-बीच खराब हुए जहाज पर
सवार नाविक की तरह थी, जिसे बचने का कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था
इस पर मेरी हैरानी तब बढ़ गई, जब अगली सुबह एक अजीबो गरीब छोटी सी -
आवाज ने मुझे जगाया।
"प्लीज़, मुझे एक भेड़ छाप कर दो.... " उसने कहा।
“कया?”

पेंटर बनने के सपने को चकनाचूर कर दिया।


अचानक आए इस साये को देखकर मैं हैरान रह गया क्योंकि मैं
जगह पर था, वहां हज़ारों मील दूर तक किसी आवासीय क्षेत्र का कोई नामो
निशान नहीं था तो ऐसे में अपने जैसे किसी दूसरे प्राणी को देखकर मेरा
आश्चर्यचकित होना जायज़ था।
उस छोटे से बड़े को देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता था कि वह इस निर्जन
इलाके में कहीं खो गया है, बहुत थका हुआ है या भूख, प्यास और डर से परेशान
है। बल्कि, उसके चेहरे पर एक अद्भुत चमक और आंखों में निडरता थी।
जैसे-तैसे करके मैंने खुद को संभाला और पूछा “तुम यहां क्या कर रहे हो?"
जिस पर उसने बहुत धीरे से और गंभीरतापूर्वक दोहराया "प्लीज़, मुझे एक
भेड़ छाप कर दो।”
उसकी बात सुनकर मैं भौंचक़ा सा रह गया।
जब कोई रहस्य अपनी सारी हदें पार कर दे तो उसकी उपेक्षा करने की
हिम्मत कोई नहीं कर सकता। एक तो आवासीय क्षेत्र से हज़ारों मील दूर सुनसान
जगह और दूसरा मौत का डर... ऐसे में उस बचे की बेतुकी बातें। जब कुछ समझ
नहीं आया तो मैंने चुपचाप अपनी जेब से काग़ज़ और फाउंटेन पैन निकाला।
लेकिन तभी अचानक से मुझे याद आया कि मेरी पढ़ाई तो भूगोल, इतिहास,
अंकगणित और व्याकरण पर आधारित है, ऐसे में चित्र बनाना मुश्किल था।
इसीलिए मैं उस छोटे बड़े की ओर मुड़ा और कहा "मुझे चित्र बनाना नहीं
आता।”
"मुझे नहीं पता...तुम कैसे भी करके मुझे भेड़ छाप कर दो" वह अपनी बात
पर अड़ा था।
हालांकि इससे पहले मैंने कभी भेड़ का चित्र नहीं बनाया था लेकिन फिर भी
उसे खुश करने के लिए मैंने एक-दो उल्टे-सीधे से चित्र बनाए, जिन्हें मैं अक्सर
बचपन में बनाया करता था। जब मैं विशालकाय अजगर वाला चित्र बना रहा
था तो वह एकदम से चिल्लाया "नहीं, नहीं... मुझे अजगर के पेट वाला हाथी
नहीं चाहिए। अजगर बहुत खतरनाक प्राणी है और हाथी बहुत बड़ा और भारी
उसकी मासूम सी ज़िद्द देखकर मेरा दिल पिघल गया और मैंने जैसे-तैसे
करके एक-दो चित्र बनाए। जब मैं चित्र बना रहा था तो वह बहुत गौर से उन्हें
देख रहा था। तभी उसने मुझे रोका और कहा "नहीं, यह भेड़ तो पहले से ही
बहुत बीमार है। मुझे दूसरी बना कर दो"
मैंने दूसरा चित्र बनाया।

लेकिन मेरे छोटे दोस्त को वह भी पसंद नहीं आया और उसने मज़ाकिया


अंदाज में धीरे से कहा "तुम्हें नहीं लगता कि सींग के साथ वह भेड़ कम, भेंड़ा
ज़्यादा लग रहा है।"
यह सुनकर हम दोनो ज़ोरज़ोर से- हंसने लगे और मैंने एक बार फिर से
दूसरा चित्र बनाया।

लेकिन बाकी दो की तरह उसने इसे भी नापसंद कर दिया। "यह भेड़ तो


बहुत बूढ़ी है। मुझे ऐसी भेड़ चाहिए जो बहूत साल तक जिए।"
मेरा धैर्य जवाब देता जा रहा था चूंकि मुझे अपने इंजन को ठीक करने की

चित्र देखते ही उसका चेहरा जगमगा उठा और खुशी से उछलने लगा


"हां...यही तो मैं चाहता था। तुम्हें क्या लगता है कि इस भेड़ को ज़्यादा घास की
ज़रुरत पड़ेगी?"
"क्यों?" मैंने हैरानी से पूछा।

"तुम चिंता मत करो, वहां इसके लिए पर्याप्त घास होगी। मैं तुम्हें एक बहुत
छोटी भेड़ दूंगा" मैंने हंसते हुए कहा।
उसने दुबारा चित्र की ओर देखा और बोला "नहीं, इतनी छोटी भी नहीं,
देखो... यह सो रही है।"
और इस तरह मेरी मुलाकात उस छोटे राजकुमार से हुई जो देखने में बहुत
प्यारा, लेकिन बहुत जिद्दी था।
3मध>याय 3

वह कौन है...कहां से आया है... जानने में मुझे बहुत समय लगा। क्योंकि यह
छोटा राजकुमार इतने सवाल पूछता था कि मैं जवाब देते-देते थक जाता और
वह मुझे बोलने का एक भी मौका नहीं देता था। खैर, अब मैं उसे अच्छे से जान
चुका था तो डर जैसी कोई बात नहीं थी।
जब उसने पहली बार मेरा हवाई-जहाज देखा तो आश्रवर्यचकित होकर पूछा
"यह क्या चीज़ है?"
"यह कोई चीज़ नहीं है, यह उड़ता है। यह हवाई-जहाज़ है और यह मेरा है।"
मुझे उसे यह बताते हुए कि मैं इसे उड़ा सकता हूं, बहुत गर्व महसूस हो रहा था।
"क्या! इसका मतलब तुम भी आकाश से गिरे हो ?" उसने रोता सा मुंह
बनाकर पूछा।

"ओहह! बहुत मज़ाकिया हो तुम" कहकर छोटा राजकुमार इतनी जोर से


खिलखिलाकर हंसा कि मेरी सारी नाराज़गी पलभर में ही दूर हो गई। उस वक्त
मैं अपनी बदक़िस्मती पर भी खुश था। इस रहस्यमयी जगह पर उसका साथ
होना मेरे लिए जैसे रोशनी की किरण की तरह था। उसकी पहचान जानने के
आए हो?” को लादकता पिरवार वालो सावन की तरह से
लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और एकटक मेरे हवाई-जहाज को
घूरता रहा।
मुझे लगता है कि तुम कृहीं ज़्यादा दूर से नहीं आए हो" मैंने फिर से पूछा।
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लेकिन वह अपने सपनों की दुनिया में इस कदर खोया था, कि उसने मेरे
सारे सवालों को अनसुना कर दिया। तभी उसने अपनी जेब से मेरी बनाई भेड़ का
चित्र निकाला और अपने इस खज़ाने रूपी काग़ज़ पर विचार करने लगा।
छोटे राजकुमार से मिलने के बाद, दूसरे ग्रहों के बारे में जानने की मेरी
जिज्ञासा पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ गई। इसलिए मैंने उससे सवाल पूछना
रखा।

"मेरे दोस्त, तुम कहां से आए हो?जिस जगह पर तुम रहते हो, उसका नाम
क्या है?और तुम मेरी भेड़ को कहां लेकर जाना चाहते हो?
एक लंबी खामोशी के बाद उसने जवाब दिया "मैं सोच रहा हूं कि तुमने मुझे
यह जो बॉक्स दिया है, इसे मैं रात में ही इस्तेमाल किया करूंगा।"
"हां...हां, क्यों नहीं। अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें एक रस्सी भी दे दूंगा,
जिससे तुम भेड़ को दिन में भी बांधकर रख सकते हो। और हां, मैं तुम्हें गांठ
बांधना भी सिखा दूंगा।"
"भेड़ को बांध दूं?मज़ाक कर रहे हो क्या?" मेरी बात सुनकर छोटा
राजकुमार एकदम से चौंक गया!
"लेकिन अगर तुम इसे बांधोगे नहीं तो यह कहीं इधर-उधर चली जाएगी
और खोने का डर बना रहेगा।" मैंने उसे समझाते हुए अपना पक्ष रखा।
यह सुनते ही छोटा राजकुमार कहकहा मार कर हंसने लगा और बोला
"लेकिन यह भागकर कहां जाएगी।"
कहीं भी, जहां इसका मन करेगा। फिर तुम्हारे लिए इसे पकड़ना भी
आसान ना होगा।"
इस पर छोटे राजकुमार ने बहुत समझदारी से गंभीरतापूर्वक टिप्पणी देते
हुए कहा "तुम जैसा सोच रहे हो, वैसा कुछ नहीं होगा। क्योंकि जहां मैं रहता हूं,
वहां सब कुछ बहुत छोटा है और अगर यह कहीं चली भी जाए तो ज़्यादा दूर
3मध>याय 4

तब मुझे उसके बारे में एक दूसरी महत्वपूर्ण बात पता चली कि उसका
शायद ही किसी घर से थोड़ा बड़ा हो। लेकिन इससे मुझे कुछ ज़्यादा हैरानी नहीं नहीं
मार्स
हुई। क्योंकि मैंने भूगोल में सौरमंडल के बहुत से ग्रहों जैसे पृथ्वी, ज्यूपिटर,
वीनस के बारे में बहुत कुछ पढ़ा है। इनके अलावा और भी सैंकड़ों ग्रह हैं जो
इतने छोटे-छोटे हैं कि उन्हें टेलीस्कोप से देखना भी बहुत मुश्किल होता है। *
कोई खगोलशास्त्री किसी ग्रह की खोज करता है तो वह ऐसे ही उसे कोई
नहीं देता, बल्कि नंबरों के माध्यम से याद रखता है जैसे कि नक्षत्र-325।
शायद इसीलिए मेरा, छोटा राजकुमार के ग्रह पर यकीन करने के
गंभीर कारण था कि उसके ग्रह की उत्पति नक्षत्र बी-612 के रूप में हुई
मूर्खोज तुर्किल के एक बगोताखी ने सन 1909 में दूरबीन के माध्यम
|
:
उस वक्त उसने अंतर्राष्ट्रीय एस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस में अपनी खोज के संबंध में
बताने के लिए एक विशाल प्रदर्शन का आयोजन किया। लेकिन उसकी तुर्किश
वेशभूषा देखकर किसी ने उसकी बात पर यकीन नहीं किया।

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लेकिन सौभाग्यवश, एक तुर्किश तानाशाह ने नक्षत्र बी-612 के अस्तित्व को
बचाने की जिम्मेदारी अपने सिर ले ली और इस तारे की मौत का सारा आरोप
यूरोपियन पोशाक के सिर मड़ा गया। इसीलिए उस खगोलशास्त्री ने 1920 में
अपनी इस खोज का दोबारा प्रदर्शन किया और इस बार उसने पहले की अपेक्षा
बहुत खूबसूरत कपड़े पहने और इस बार लोगों ने उसकी कही हर बात पर आंखें
मूंद कर यक़ीन कर लिया।
लेकिन अगर मैं आपको इस नक्षत्र बी-612 के बारे में स्पष्ट जानकारी दूं, तो
यकीनन हमारे बड़ों को यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा, क्योंकि बड़े लोगों
को अंको से बहुत ज़्यादा प्यार होता है। उदाहरण के लिए, जब आप उनसे अपने
किसी नए दोस्त के बारे में बात करते हो तो वे इस विषय पर आपसे कुछ भी
अनावश्यक सवाल नहीं पूछेगे। वे आपसे यह कभी नहीं पूछेगे कि उसकी आवाज़
कैसी है?या वह ज़्यादातर कौन सी गेम खेलना पसंद करता है?या क्या उसे भी
तितलियां पकड़ने का शौकीन है?

इसकी बजाय वे आपसे कुछ इस तरह के सवाल पूछेगे - उसकी उम्र कितनी
है?कितने बहन-भाई है?वह मोटा है या पतला?उसके पिता क्या करते हैं...
कितना कमाते हैं?दरअसल, उन्हें हमेशा यही लगता है कि यह सामान्य सी
जानकारी रखना ही उनके लिए काफी है। अगर आप कभी अपने बड़ों को यह
बताएँ कि "मैंने एक सुंदर घर देखा है जो कि गुलाबी ईटों से बना है,
जिसकी खिड़कियों के शीशे जेरेनियम से बने हैं और छतों पर कबूतरों के चित्र
बने हुए हैं" तो वे इस तरह के घर को कल्पना में भी बकवास ही मानेंगे। लेकिन
अगर तुम उन्हें यह बताओ कि "मैंने एक बहुत सुंदर घर देखा है जिसकी कीमत
एक लाख पाउंड है" तो वे सुनते ही खुशी से चिल्लाएंगे "आहा...बहुत बढ़िया।"
इसी तरह अगर तुम उन्हें छोटे राजकुमार के बारे में बताओ कि "छोटा
राजकुमार सच में है और वह बहुत अद्भुत और बहुत प्यारा है, उसकी मुस्कान
बहुत प्यारी है और वह एक भेड़ चाहता है।" यह सुनकर वे कंधे उचका कर खड़े
हो जाएंगे और तुमसे ऐसे व्यवहार करेंगे मानो तुम कोई छोटे-नासमझ बचे हो
जिसे दुनियादारी की कोई समझ नहीं होती। लेकिन जब तुम उन्हें यह बताओगे
क्षत्र ग्रह बी-612 से आया है" तो उन्हें तुम्हारी बातों पर ज़रूर यकीन
होगा और फिर वे तुमसे छोटे राजकुमार के बारे में हर बात कुरेद-कुरेद कर
पूछेगे। वे हमेशा ऐसा ही करते हैं और उन्हें ऐसा करने से कोई नहीं रोक सकता
हा
का कर्तव्य बनता है कि वे अपने से बड़ों के प्रति थोड़ी समझदारी दिखाएं।
लेकिन जो व्यक्ति जीवन को बेहतर ढंग से समझता है, वह निश्चित रूप से
इस तरह की बेतुका बातों की परवाह नहीं करता। अगर मुझे किसी को छोटे
राजकुमार के बारे में बताना हो तो मैं इस कहानी को परियों की कहानी की तरह
सुनाना पसंद करूंगा जैसे किः "एक बार एक राजकुमार था जो ऐसे ग्रह पर
रहता था जो कि मुश्किल से ही उसके घर से थोड़ा बड़ा था और उसे एक दोस्त
की ज़रूरत थी।" जो लोग ज़िंदगी के मायने अच्छे से समझते हैं वे सच्चाई से कभी
पीछे नहीं हटते।
इसीलिए मैं चाहता हूं कि आप मेरी किताब को पूरे ध्यान से पढ़ें, क्योंकि
इन यादों को ताज़ा बनाए रखने के लिए मुझे बहुत से पीड़ाजनक अनुभवों से

मिल जाए, यह संभव नहीं। अगर चाहता तो मैं भी उन वयस्कों की तरह बन


सकता था जो केवल आंकड़ों के संबंध में बातें करते थे, लेकिन नहीं...क्योंकि मैं
बड़ा होकर भी बचपने को अपने-आप में ज़िंदा रखना चाहता था। इसलिए मैंने
ांट के कुछ डिब्बे और पैंसिलें खरीदी। हालांकि इस उम्र में चित्रकारी करना बहुत
मुश्किल काम है, ख़ासकर मेरे जैसे लोगों के लिए जिन्होंने आज तक अजगर के
पेट के अंदर और बाहर वाले चित्रों के सिवा कुछ नहीं बनाया हो। मैं अपने चित्रों
में जितना संभव हो सके जीवन की सच्चाई दर्शाने का प्रयास करूंगा। लेकिन
चित्रकारी में अपनी सफलता को लेकर मैं सुनिश्चित नहीं हूं, क्योंकि हो सकता है
कि मेरी एक ड्राइंग बिल्कुल सही हो जबकि दूसरी की उसके विषय से कोई
समानता ही ना हो। क्योंकि ऊंचाई कभी सही नहीं हो सकती। जहां एक तरफ
छोटा राजकुमार लंबा दिखाया गया है, वहीं दूसरी तरफ वह बहुत छोटा भी हो
सकता है। इसके अलावा मैं उसके कपड़ों के रंग के बारे में निश्चित हूं। इस तरह मैं

दौरान कुछ ज़रूरी बातें बताना छूट भी गई हों, क्योंकि छोटे राजकुमार ने मुझे
कभी अपने बारे में ज़्यादा कुछ नहीं बताया। शायद उसने सोचा होगा कि मैं भी
उसकी तरह ही हूं। लेकिन बदक़िस्मती से मैंने कभी भेड़ को बॉक्स के अंदर नहीं
देखा। शायद मैं भी कुछ हद तक बाकी वयस्कों की तरह ही हूं, जो बच्चों की बातों
कर्ता ही लेते हैं फिर भी उम्मीद है कि आप मेरी इन सभी गलतियों को
माफ करगा।
3मध>याय 5

हर रोज़ मैं ग्रहों के बारे में कुछ नया पढ़ता और फिर छोटे राजकुमार और
उसके सफर के बारे में सोचता। मुझे, उसके बारे में सारी जानकारी बहुत धीरे
धीरे मिली। बातचीत के दौरान मैं उसकी हर छोटी से छोटी बात को
सुनता क्योंकि उसकी बातों में ही उसके ग्रह का राज़ छिपा था। हम दोनों
साथ में यह मेरा तीसरा दिन था और मैं बाओबाब के विनाश की बात अच्छे से
जानता था।

इन सब के बीच, मैं उस भेड़ का शुक्रिया अदा करना तो भूल ही गया


जिसकी बदौलत मुझे इतनी सारी महत्वपूर्ण जानकारी मिली। एक दिन हम घूम
रहे थे कि अचानक छोटे राजकुमार ने मुझसे एक सवाल किया। उसका सवाल
tट्र महासभा
?”
"क्या यह सच है कि भेड़ सिर्फ छोटी झाडियां ही खाती

"हां, यह सच है।" . -

"लेकिन तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो" मैंने हैरानी से पूछा।


"अहा... फिर तो यह सही है। अब मुझे भेड़ को लेकर कोई चिंता नहीं है।"
उसने राहत की सांस लेते हुए कहा।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि भेड़ के झाड़ियां खाने का उसकी खुशी
से क्या ताल्लुक था। लेकिन फिर छोटे राजकुमार ने इस खुशी की वजह बताते
हुए कहा "क्योंकि वे भी बाओबाब खाते हैं।"
तब मैंने छोटे राजकुमार को बताया कि बाओबाब कोई छोटी-मोटी झाड़ियां
नहीं होती, बल्कि यह चर्च की तरह लंबे-लंबे पेड़ होते हैं और यहां तक कि अगर
वह अपने साथ हाथियों का बड़ा सा झुंड भी साथ ले जाए तो पूरा झुंड मिलकर
भी एक अकेले बाओबाब को नहीं खा पाएगा।

हाथियों के झुंड वाली बात सुनकर छोटा राजकुमार हंसने लगा और बोला
"फिर तो इसे खाने के लिए उन्हें एक-दूसरे पर चढ़ना पड़ेगा।" लेकिन फिर उसने
वीरत हुए कहा "इसस पहल कि उनका अICf Iर ज्यादा बढ़े,
बाओबाब खुद-ब-खुदू छोटे होने शुरू हो जाते हैं।"
"हां, यह सच है। लेकिन तुम यह क्यों चाहते हो कि तुम्हारी भेड़ छोटी
बाओबाब ही खाए?"
"ओहो...तुम भी ना, इतनी जल्दी भूल जाते हो। कितनी बार तो बताया है
कि हमारे वहां सब कुछ बहुत छोटा है, तो ज़ाहिर सी बात है भेड़ भी तो छोटी
बाओबाब ही खाएगी ना" उसने हंसते हुए जवाब दिया।
छोटे राजकुमार और उसके ग्रह के बारे में ज़्यादा जानकारी हासिल करने के
लिए मैं जानबूझकर हर बात को घुमा-फिरा कर पूछ रहा था।

लगता है छोटे राजकुमार के


और बुरे दोनों तरह के पौधे उगते हैं। अच्छे पौधों से अच्छे बीज और बुरे पौधों से
बुरे बीज निकलते हैं। लेकिन ये अदृश्य होते हैं और किसी को दिखाई नहीं देते।
यह ज़्यादातर धरती की गहराई में ही निष्क्रिय अवस्था में पड़े रहते हैं और तब
तक ऐसी ही अवस्था में रहते हैं जब तक कि उनमें से कोई सक्रिय अ
आ जाए। फिर ये धीरे-धीरे फैलने लगते हैं और सूर्य की रोशनी में छोटी-छोटी
आकर्षक टहनियों में बदल जाते हैं। अगर यह महज़ किसी मूली या गुलाब की
टहनी का अंकुर होता तो अपने आप बढ़ना छोड़ देता और अगर यह घास होती
तो इसे देखते ही उखाड़ा जा सकता था। लेकिन ऐसा नहीं था, क्योंकि छोटा
राजकुमार जिस ग्रह पर रहता था वहां बहुत भयानक बीज थे-बाओबाब के बीज।
उस ग्रह की मिट्टी उन बीजों से प्रभावित हो चुकी थी। लेकिन अगर तुमने अभी
सकता है।

निवृत्त होते हो
होता है। इसी तरह जैसे ही बाओबाब उगने लगें तो इन्हें नियमित रूप से
रहना चाहिए। बाओबाब जब छोटा होता है तो यह बिल्कुल गुलाब की
झाड़ियों जैसा लगता है लेकिन इनके बढ़ने की गति बहुत तेज़ होती है। यह काम
है तो बहुत बकवास लेकिन इसे करना बहुत आसान है।
फिर एक दिन उसने मुझे सुंदर सी ड्राइंग बनाने की सलाह दी ताकि वह
अपने ग्रह पर रहने वाले बच्चों को इसे दिखा कर प्रभावित कर सके। उसने कहा
कि "अगर वे कभी यहां आएं तो यह चित्र उनके बहुत काम आ सकता है। मन ना
होने पर अपने काम को अगले दिन पर टाला जा सकता है और यकीनन इससे
कोई ज़्यादा नुकसान भी नहीं होगा। लेकिन बाओबाब के पौधों के संबंध में की
गई ऐसी लापरवाही बहुत खतरनाक साबित हो सकती है।"
छोटे राजकुमार बातों से प्रभावित होकर मैं, उसके लिए ड्राइंग बनाने
को तैयार हो गया और उसे चेतावनी दी कि "जब मैं ड्राइंग बनाउंगा...तो तुम
केवल इसे देखना, बोलना कुछ नहीं।" क्योंकि अपने काम के दौरान मुझे किसी
भाषणबाजी पसंद नहीं। ले किन जिस बाओबाब को तुम बहुत छोटा मान रहे
वह बहुत बड़ा खतरा बन सकता है और इससे पूरे क्षुद्रग्रह का
खतरे में पड़ सकता है। छोटे राजकुमार के ग्रह के लोगों को इस
संकट से बचाने के लिए मैंने एक चित्र बनाया और उस पर एक संदेश भी लिखाः
"बच्चों, बाओबाब से सावधान रहना" यह एक तरह की चेतावनी थी, जो मैं अपने
मित्र को आने वाले खतरे के संबंध में सचेत करने के लिए देना चाहता था, चूंकि
मेरी तरह वे भी इस भयंकर सत्य से अनजान थे। मेरा संदेश था तो बहुत छोटा
लेकिन महत्वपूर्ण था। अब आप पूछोगे कि "पूरी किताब में बाओबाब से श्रेष्ठ
चित्र कोई नहीं है...ऐसा क्यूं ?" जवाब बिल्कुल आसान है: मैंने बाकी चित्रों को
भी बहुत मेहनत और लगन से बनाया है, लेकिन उनमें और बाओबाब में बहुत
अंतर है क्योंकि जब मैं इसे बना रहा था तो मेरा मन अत्यावश्यकता की भावना
से प्रेरित था।
3मध>याय 6

थोड़ा-थोड़ा करके मैं उसकी छोटी मगर उदास ज़िंदगी को समझने लगा था।
एक लंबे वक्त से सूर्यास्त को देखना उसके लिए बहुत मजेदार अनुभव हो रहा
था। चौथे दिन की सुबह, जब मैं अपने हवाई-जहाज की मरम्मत में लगा था तो
वह मेरे पास आया और बोला “मुझे अस्त होते सूर्य की लाली देखना बहुत अच्छा
लगता है। चलो, हम भी सूर्यास्त देखने चलते हैं।"
"हां, चलेंगे लेकिन इसके लिए तुम्हे थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा..."
“इंतज़ार?मगर किसका?”
"अरे, बुद्ध सूर्य अस्त तो होने दो" मैंने उसकी नाक खींचते हुए कहा।
पहले तो वह बहुत हैरान हुआ और फिर एकाएक खुद पर हंसने लगा और
बोला "एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं अपने घर पर हूं।"
"हां...सचमुच।" तुम्हें पता है जब अमेरिका में दोपहर होती है तो फ्रांस में
#################### र>

यात्रा करके सूर्यास्त देखने फ्रांस जा सकता है। लेकिन दुर्भाग्यवश, फ्रांस
यहां से बहुत दूर है...नहीं तो मैं अभी तुम्हारी ख़्वाहिश पूरी कर देता। लेकिन
तुम्हारे छोटे से ग्रह पर तो तुम्हें कहीं जाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती होगी ना,
थोड़ी सी कुर्सी घुमाई और बस देख लिया। सूर्यास्त। वहां पर जब तुम्हारा मन करे
संध्या की लालिमा देख सकते हो।
"तुम्हें पता है एक दिन तो मैंने पूरे चौबीस बार सूर्यास्त देखा था।" छोटे
राजकुमार ने प्रसन्नतापूर्वक बताया।

और तुमने यह भी बताया था कि "जब कोई ज़्यादा उदास हो तो सूर्यास्त


देखने से मन खुश हो जाता है।"
मैंने "उस दिन तुमने चौबीस बार सूर्यास्त देखा तो क्या तुम बहुत उदास थे?"
पूछा।
लेकिन छोटे राजकुमार ने कोई जवाब नहीं दिया।
3ध्याय 7

पांचवे दिन, एक बार फिर से मैंने भेड़ का शुक्रिया अदा किया क्योंकि
उसकी वजह से ही छोटे राजकुमार की ज़िंदगी का एक बहुत बड़ा सच मेरे सामने
आया था। उस वक्त हम दोनों ख़ामोश थे और अपने-अपने काम में व्यस्त थे। मैं
अपने इंजन के साथ और वह कागज़ पर बने भेड़ के चित्र को देखने में। तभी
उसके शांत मन में एक विचार आया और उसने अकस्मात मुझसे एक सवाल

प्रकार से भेज दिया गया तो यातायात भी बागवानी


?”

"हां...भेड़ सब कुछ खा सकती है।"


"फूल के साथ लगे कांटे भी?"
"हां, फूल के साथ लगे कांटे भी।"
फिर कांटो का उनके साथ उगने का क्या फायदा?" उसने उदास सा होकर
पूछा।
"मुझे नहीं पता" मैंने रूखा सा जवाब दिया और अपने काम में लग गया। मैं
इंजन में फंसे पेंच को खोलने की कोशिश कर रहा था। मेरी चिंता बढ़ती जा रही
थी चूंकि हवाई-जहाज की ब्रेक-डाउन की समस्या बहुत गंभीर होती दिखाई दे
रही थी और पीने का पानी भी शीघ्र ही खत्म होने वाला था। किसी अनहोनी की
आशंका से मेरा मन बहुत घबरा रहा था।
"फिर कांटे, फूलों के साथ क्यों उगते हैं?" कोई उत्तर ना पाकर छोटे
राजकुमार ने फिर से सवाल किया। छोटे राजकुमार की एक आदत थी जब तक
उसे अपने सवाल का उचित जवाब नहीं मिल जाता, वह लगातार सवाल करता
ही रहता था। एक तो मैं पहले से ही पेंच की वजह से परेशान था और ऊपर से
उसके बेतुके सवालों का सिलसिला खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। काम
करते-करते मेरे दिमाग में जो बात आई मैंने झट से कह दी "कांटे बिल्कुल बेकार
होते हैं, लेकिनI” इसके बावजूद भी फूल इन्हें अपने साथ उगने देते हैं।"
ff

कुछ पल की चुप्पी के बाद, उसने असंतुष्टि जताते हुए कहा "मुझे तुम्हारी
बात पर यकीन नहीं। फूल कमजोर होते हैं और छल-कपट की भावना से कोसों
दूर होते हैं। वे खुद को अच्छी तरह से आश्वस्त कर सकते हैं और कांटों से होने
वाली भयानक पीड़ा से भी भली-भांति परिचित होते हैं।"
मैंने कोई जवाब नहीं दिया। उस वक्त मैं खुद से ही बड़बड़ा रहा था कि
"अगर यह पेंच इसी तरह अड़ा रहा तो मुझे हथौड़े से इसे खोलना पड़ेगा।"
इसी दौरान छोटे राजकुमार ने एक बार फिर से मेरे विचारों में
दखलअंदाज़ी करते हुए पूछा "क्या तुम्हें भी यही लगता है कि फूल...... "
"नहीं, नहीं! इस वक्त मुझे इन सब से कोई लेना-देना नहीं... और अभी मैं
एक गंभीर मामले में बहुत व्यस्त हूं" मैंने बिना कुछ जाने समझे जवाब दिया।
मेरे अजीबो-गरीब व्यवहार को वह हैरानी से देखता रहा।
“गंभीर मामला?”
उसने देखा कि मैं हाथ में हथौड़ा लिए किसी बहुत ही बदसूरत सी दिखने
वाली मशीन पर झुका हुआ था और मेरी उंगलियां इंजन पर लगी ग्रीस से काली
हो चुकी थी।
तुम बिल्कुल बड़े लोगों की तरह बात करते हो" उसने शिकायती अंदाज़ में

उसकी बात सुनकर मुझे खुद पर शर्मिदगी महसूस होने लगी।


“तुम ये कैसी उल्टी-सीधी बातें कर रहे हो?सब गड़बड़ कर दी...उलझन में
डाल दिया। मुझे" खीझते हुए उसने ज़ोर से पैर पटका।
वह सच में बहुत गुस्से में था। इसी गुस्से में उसने अपने सुनहरी बालों को
जोर से हवा में झटका और बोला “मैं लाल चेहरे वाले एक ऐसे व्यक्ति को जानता
हूं जो किसी दूसरे ग्रह पर रहता है और बिल्कुल तुम्हारी तरह है। उसने अपनी
ज़िंदगी में कभी फूलों की महक को महसूस नहीं किया और ना ही वह कभी
सितारों की तरफ देखता है। प्यार...प्यार शब्द का तो शायद उसे मतलब ही नहीं
पता। हर वक्त अपनी काल्पनिक दुनिया में खोया रहता है और तुम्हारी तरह एक
ही बात कहता है 'मैं किसी काम में व्यस्त हूं...मैं किसी काम में व्यस्त हूं...' हर
वक्त बस यही। लेकिन वह आदमी नहीं था...कुकरमुत्ता था।" उसने चिढ़ते हुए
गुस्सा उतारा।
“क्ययया?”

छोटा राजकुमार गुस्से से लाल-पीला हो गया और बोलना शुरू कर दिया


"लाखों-करोड़ों सालों से फूल कांटों के बीच में पल रहा है और भेड़ भी तभी से
इन फूलों को खाती आ रही है। और इसमें समझने जैसी कोई बात नहीं है कि
किसी काम के ना होने पर भी फूल इन्हें इतना बढ़ने क्यों देते हैं....क्या इनके
विकास में कांटों का कोई योगदान नहीं है?क्या भेड़ और फूलों के बीच की शत्रुता
का तुम्हारी नज़रों में कोई महत्व नहीं है?क्या उस लाल चेहरे वाले आदमी की
कल्पनाओं से भी महत्वपूर्ण नहीं?अगर मुझे ऐसे किसी फूल का पता हो जो कि
पूरी दुनिया में सबसे अद्भुत है और केवल मेरे ग्रह पर ही उगता है... और अगर
किसी सुबह कोई छोटी सी भेड़ नासमझी में इसे खा जाए या काट कर नष्ट कर दे
तो क्या इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा?क्या मेरा दिल नहीं दुखेगा?"
उसने बोलना जारी रखा "अगर कोई किसी फूल से इतना प्यार करता हो।
जो लाखों-करोड़ों सितारों में एक हो और जिसे देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कान
आ जाए और वह कहने को मजबूर हो जाए कि मेरे फूल जैसा दुनिया में कोई
फूल नहीं है... लेकिन अगर कोई भेड़ उस फूल को खा जाए जो उसके लिए सब
कुछ था तो उसका तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा और उसके लिए तो सितारों की
रोशनी भी अंधकार से भयंकर होगी!!! और तुम कहते हो कि इसका कोई महत्व
नहीं है?तुम्हारे लिए यह सब बेकार की चीजें हैं ना?तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते
हो ?” कहते-कहते उसकी जुबान लड़खड़ा गई और वह बुरी तरह से रोने लगा।
रात हो गई लेकिन उसका रोना कम नहीं हुआ। उपकरण मेरे हाथ से छूटकर
नीचे गिर पड़े। लेकिन अब मुझे अपने हथौड़े, पेच, भूख-प्यास की कोई फ़िक्र नहीं
थी। मुझे कुछ भी करके छोटे राजकुमार को शान्त करना था। मैंने उसे अपने सीने
से लगाया और धीरे-धीरे उसे सहलाने लगा और कहा "जिस फूल से तुम बहुत

खतरा नहीं होगा...मैं तुम्हारी भेड़ के लिए एक नालमुख बना दूंगा और तुम्हारे
फूल की सुरक्षा के लिए उसके चारों तरफ बाड़ भी बना दूंगा। लेकिन प्लीज़, मुझे
माफ कर दो। मुझे पता नहीं था कि तुम क्या कहना चाहते हो।"
मुझे बहुत बुरा लग रहा था। कुछ समझ नहीं आ रहा था...कि उसे कैसे
सांत्वना दूं?कैसे उसके दुख को कम करूं?लेकिन सच कहूं तो उसके इन आंसुओं ने
मेरे दिल को पिघला दिया था और मुझे मेरे बचपन की याद दिला दी थी।
लोगों की। भी खु ा रहने की। प्रेरणा देते। लेकिन एक दिन, एक बीज जाने कहां से

पौधे जैसा कहीं कोई दूसरा पौधा नज़र नहीं आया। उसने सोचा कि शायद यह
बाओबाब की कोई नई प्रजाति हो। पहले तो पौधा धीरे-धीरे बढ़ता रहा लेकिन
फिर अचानक से इसका विकास होना बंद हो गया और यह कली का आकार लेने
लगा। छोटा राजकुमार इसकी ज़बरदस्त तेज़ी से होती वृद्धि को नियमित रूप से
देख रहा था। कई बार उसे यह सब किसी जादू-टोने की तरह ही लगता। चूंकि एक
पौधे में इस तरह से इतनी जल्दी वृद्धि होना कोई आसान बात ना थी। दूसरी
तरफ वह कली, लोगों की नज़रों से दूर ग्रीन कक्ष में अपनी सुंदरता की तैयारियां
करने में लगी हुई थी। उसने अपने हर एक रंग का बड़े ध्यान और समझदारी से
चुनाव किया था। धीरे-धीरे यह अपने पंखुड़ियों रूपी कपड़ों को एक-एक करके
पहन रही थी। वह नहीं चाहती थी कि अफीम की तरह, उसके शरीर पर कोई
शिकन तक भी पड़े। बल्कि वह तो अपने सौंदर्य की महिमा का पूर्णरूप से प्रदर्शन
करना थी। इस तरह उसकी रहस्यमयी तैयारियां दिन-ब-दिन
सकारात्मक रूप लेती गई। और एक सुबह जब सूरज की पहली किरण उस पर
पड़ी तो उसने अपने अद्भुत सौंदर्य का प्रदर्शन किया।

कई दिनों की कड़ी मेहनत और अथक प्रयास के बाद वह अपने वास्तविक


रूप में आई और सुबह की मनमोहक धूप में अंगड़ाई लेते हुए कहा "अहा!!! सॉरी,
अभी मैं सिर्फ आधी खिली हूं.....अभी मेरा पूरा खिलना बाकी है।"
छोटा राजकुमार उसे देखकर इतना उत्साहित था कि वह खुद को उसकी
तारीफ़ करने से रोक ही नहीं पाया और रोमांचित होकर चिल्लाया "ओहहो, तुम
तो बहुत खूबसूरत हो!!! बिल्कुल राजकुमारियों जैसी..."
"नहीं, तुम तो ऐसे ही झूठी तारीफ़ कर रहे हो, मैं इतनी भी सुंदर नहीं हूं।"
थोड़ा शरमा कर नम्रता से जवाब दिया। "मैं सूरज की पहली किरण के
साथ ही खिल गई थी।"
कली ना केवल ज़रूरत से ज़्यादा शालीन थी बल्कि मनमोहक भी थी, उसने
हूत था ही झलक दिखाकर छोटे राजकुमार को पूरी तरह अपने वश में कर
था।

कुछ क्षण बाद कली ने इठलाते हुए कहा "अभी मेरा नाश्ते का समय हो
गया है...क्या तुम मेरी ज़रूरतों को पूरा करने में मेरी सहायता करोगे?"

लेने अंदर चला गया। कुछ देर बाद वह ताज़े पानी का कनस्तर लेकर बाहर आया
और धीरे-धीरे उस पर पानी का छिड़काव किया।

इस प्रकार उसने अपनी ज़रूरतों के लिए छोटे राजकुमार को कष्ट देना शुरू
कर दिया। एक दिन उसने छोटे राजकुमार से अपने कांटों की बड़ाई करते हुए
कहा "आने दो उन बाघों को...जब वो अपने तेज पंजों से मुझ पर हमला करेंगे तो
मैं इन कांटों को उनके पंजों में चुभो दूंगी और उन्हें ऐसा सबक सिखाउंगी कि वो
वापस मेरी तरफ पलट कर कभी नहीं देखेंगे।"
"लेकिन मेरे ग्रह पर तो बाघ है ही नहीं" छोटे राजकुमार ने आपत्ति जताते
हुए कहा।
"और वैसे भी बाघ-चीते घास-फूस नहीं खाते" छोटे राजकुमार ने हंसते हुए
कहा।
"लेकिन मैं कोई घास-फूस नहीं हूं" कली ने भी प्यार से जवाब दिया।
"सॉरी, मेरे कहने का यह मतलब नहीं था...मैं तो बस तुम्हें यह बताना
चाहती थी कि वृह मांसाहारी होते हैं, इसीलिए तुम्हें उनसे डरने की कोई
आवश्यकता नहीं है।"
"नहीं, मुझे बाघों से कोई डर नहीं लगता लेकिन सूखे से मुझे बहुत नफरत
है। क्या तुम मेरे लिए किसी तरह छाया का प्रबंध कर सकते हो ?” कली ने उससे
पूछा।

===

"सूखे का डर....यह तो पौधों के लिए बहुत खतरनाक है" छोटा राजकुमार


वहीं खड़ा मन-ही-मन कुछ सोचने लगा "फूल देखने में कितने प्यारे लगते हैं
लेकिन वास्तव में इनका जीवन बहुत छोटा और मुश्किलों से भरा होता है।"
"शाम को, मैं तुम्हें कांच के बने गुम्बद में रख दूंगा। चूंकि यहां बहुत ठंडी है
और तुम्हें बहुत तकलीफ होती होगी ना...। अच्छा, अभी मैं कहीं जा रहा हूं...तो
शाम को मिलते हैं" कहकर छोटा राजकुमार वहां से जाने लगा।
"अब तो बहुत देर हो चुकी है।" उसने खुद से फुसफुसा कर कहा।
वह एक बीज के रूप में यहां आई थी और सांसारिक चीज़ों के बारे में ज़्यादा
कुछ नहीं जानती थी। इस तरह वह अपने अनुभवहीन झूठ की खोज की तैयारी
पर बहुत शर्मिदा थी। छोटे राजकुमार को परेशान करने के लिए उसने
जानबूझकर ज़ोर-ज़ोर से खांसना शुरू कर दिया ताकि वह उसे छायादान की
याद दिलवा सके।
* हैं? /
-५
उसके खांसने की आवाज़ सुन कर वह रुका पलट कर पीछे देखा और कहा
"मैं बाज़ार से छायादान लेने जा रहा था लेकिन तुम फिर से बातें करने लग जाती
हो।" छोटे राजकुमार के गुस्से वाले रवैये को देख कर वह ज़्यादा जोर से खांसने
लगी ताकि छोटे राजकुमार को उसकी भूल का अहसास करवा सके।
छोटा राजकुमार सद्भावना भरे प्रेम से उसकी तरफ झुका और प्यार से उसे
सहलाने लगा। अपने कठोर शब्दों पर वह खुद से ही नाराज़ हो गया।
"मैंने उसकी बात नहीं सुनी, भगवान इसकी सज़ा मुझे ज़रूर देंगे।" छोटे
राजकुमार ने मन ही मन अफसोस जताया। "लोग फूलों की तारीफ़ तो बहुत
करते हैं और इसकी सुगंध भी लेते हैं लेकिन इनके दुख-दर्द को कोई नहीं
समझता। लोगों के लिए यह बहुत मामूली सी चीज़ है। लोग यह कभी नहीं
सोचते कि इनमें भी तो जीवन है, यह हमारे घर-आंगन को अपनी महक से भर
देते हैं तो हमारा भी तो इनके प्रति कोई फर्ज़ बनता है...इनकी रक्षा करना
हमारा कर्तव्य है।" लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा कि अब इसे प्रसन्न कैसे करूं।
बाघ के पंजों वाली कहानी जिससे उस वक्त मैं काफी ज़्यादा चिढ़ गया था, अब
मेरे दिल को छू रही थी। लेकिन उसने यह सब बातें किसी से ना कहकर अपने
दिल में ही रखी।
"इस वक्त मैं कुछ भी समझने की स्थिति में नहीं था। मेरा फैसला मेरे कर्मों
के आधार पर होना चाहिए, ना कि शब्दों के आधार पर। वह हमेशा से अपनी
खुशबू और चमक मुझ पर ही लुटाती आई है, तो मैं उससे दूर कैसे भाग सकता
हूं!!! मैं उसके घटिया सी चाल के पीछे छुपे प्रेम को क्यों नहीं समझ पाया?फूल
तो इतने असंगत और बड़े दिल के होते हैं कि जो भी इन्हें प्यार से छूता है, ये
अपनी सारी खुशबू उस पर न्यौछावर कर देते हैं। शायद कमी मुझमें ही है...मैं ही
उसके प्यार को समझने लायक नहीं हूं..." छोटे राजकुमार का मन पश्चाताप्र से
भर गया।
3मध>याय 9

मुझे संदेह था कि अपनी रक्षा के लिए, वह जंगली जानवरों के पलायन का


बहुत फायदा उठाता होगा। अपनी प्रस्थान की सुबह, उसने अपने ग्रह का अच्छी
तरह से रख-रखाव किया। उसने ध्यानपूर्वक अपने सक्रिय ज्वालामुखियों को साफ
किया। उसके पास तीन ज्वालामुखी थे, जिनमें से दो सक्रिय अवस्था में थे और
जो उसके लिए भोजन बनाने में सक्षम थे। जबकि एक ज्वालामुखी निश्क्रिय हो
चुका था। लेकिन छोटे राजकुमार का उससे भी उतना ही लगाव था जितना कि
सक्रिय ज्वालामुखियों से। इसीलिए उसने इसे भी अच्छी तरह से साफ किया। यह
सार्वभौमिक है कि अगर इनका अच्छे तरीके से रख-रखाव किया जाए तो ये
ज्वालामुखी बिना किसी बाधा के कई सालों तक जलते रहते हैं। ज्वालामुखी का
विस्फोट चिमनी की आग की तरह होता है। लेकिन धरती पर बने विशालकाय
ज्वालामुखियों को साफ रखना हमारे लिए नामुमकिन है। यही कारण है कि हमें
समय-समय पर ज्वालामुखी विस्फोटों का सामना करना पड़ता है।
फिर छोटे राजकुमार ने दुखी मन से बाओबाब की छोटी-छोटी झाड़ियों को
उखाड़ा और उन्हें पकाने लगा। उसे यकीन था कि वह वापस कभी नहीं लौटेगा।
लेकिन आखिरी सुबह उसे यह सारी सामान्य गतिविधियां करना बहुत महत्वपूर्ण
लगा और उसने पूरे दिल से अपना काम खत्म किया। फिर उसने भारी मन से
जूïिवारकली को पानी पिलाया और उसे कांच के बाद में रखने की तैयारी
लगा।
“अलविदा दोस्त” उसने कली से आखिरी बार बात की।
लेकिन कली ने उसे कोई उत्तर नहीं दिया।
(a*>

"अलविदा दोस्त" छोटे राजकुमार ने दोबारा कहा।


कली ज़ोर से खांसने लगी...लेकिन खांसी की वजह से नहीं, बल्कि वह छोटे
राजकुमार से बात करना चाहती थी।
"मैं बहुत बड़ी पागल हूं।" उसने फुसफुसाकर कहा।
"प्लीज़, मुझे माफ कर दो। मैं जानती हूं कि मैंने गलती की है
लेकिन....लेकिन मेरा इरादा तुम्हें दुख पहुंचाने का नहीं था।"
छोटा राजकुमार आश्रवर्यचकित नज़रों से उसे ताक रहा था, चूंकि अब उसकी
बातों में उसके लिए किसी तरह की कोई निन्दा या उलाहना नहीं था। लेकिन
अब छोटे राजकुमार ने अपना दिल कठोर बना लिया था। इसीलिए वह चुपचाप
खड़ा रहा, हालांकि अंदर से वह बहुत घबराया हुआ था लेकिन उसने अपनी
घबराहट को चेहरे पर नहीं आने दिया। कांच का गुंबद उसके हाथ में था। वह
उसकी इन चिकनी-चुपड़ी बातों का (शक़र से भी मीठी बातों का) मतलब नहीं
समझ पा रहा था।
"हां, यह सच है कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। और अगर तुम इसे
है। शायद, मेरे प्यार में कोई कमी रह गई होगी। खैर! छोड़ो...अब इन सब बातों
को कहने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन तुम भी कोई कम बेवकूफ़ नहीं हो...मेरे
छोटे से मज़ाक का इतना गुस्सा मान गए। चलो, अब हंस के दिखाओ... इस
गुम्बद को फैंक दो...मुझे इसमें नहीं रहना।"

"लेकिन इतनी ठंडी हवा...." उसने बात बीच में ही काटते हुए कहा "ठंडी
हुवा मेरी सेहत के लिए फायदेमंद है, चूंकि मैं एक कली हूं...कोई इंसान थोड़े ना
हूं कि मुझे सर्दी-जुकाम हो जाएगा।" -

लेकिन फिर जानवरों का खतरा भी तो है ना...." छोटे राजकुमार ने चिंता


व्यक्त की। मुझे कुछ केंचुए पालने होंगे। अगर मैं तितलियां देखना चाहता हूं।
क्यों देती?चिंता मत करो, तुम्हारे जाने के बाद मैं किसी भी जानवर से नहीं
डरूंगी...मेरे पास भी अपने पंजे हैं" उसने हमेशा की तरह भोली सी सूरत
बनाकर अपने चारों कांटें दिखाए।" अब यहां खड़े रहकर मुझे चिढ़ाओ मत। तुमने
डू, तला कर ही लिया है तो बार्तोता. वह बनावटी गुप्ता करते हुए

दरअसलकली
वहथी।नहीं चाहती थी कि मैं उसे रोता हुआ देखूं। वह बहुत
3मध>याय 10

जब उसने अपने ग्रह के इर्द-गिर्द कई दूसरे क्षुद्रग्रहों 325, 326, 327, 328,
329 और 330 को देखा तो उसने उन सारे ग्रहों की यात्रा करने का फैसला
किया। वहां जाने का उसका एक दूसरा उद्देश्य भी था: दरअसल, वह उन ग्रहों
पर अपने लिए किसी काम की तलाश करना चाहता था और अपने ज्ञान को
बढ़ाना चाहता था।
पहले ग्रह पर गया तो वहां किसी राजा का शासन था जो कि बैंगनी और
एमिन रंग के कपड़े पहने, अपने आलीशान सिंहासन पर बैठा था।

"आहा!!! प्रजा, तुम्हारा स्वागत है।" राजा छोटे राजकुमार को देखते ही


रZ ।

छोटे राजकुमार ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और सोचने लगा "यह मुझे
कैसे पहचानता है क्योंकि हम तो पहले कभी मिले ही नहीं?"
वह इस बात से अनजान था कि किसी राजा के लिए दुनिया को जानना
बहुत आसान होता है और उनके लिए सब लोग प्रजा ही होती हैं।
"थोड़ा मेरे पास आओ...मैं तुम्हें अच्छे से देखना चाहता हूं।" राजा ने
उतावलापन दर्शाते हुए कहा।
छोटा राजकुमार बैठने के लिए जगह ढूंढने लगा, लेकिन सारा ग्रह एक
शानदार कालीन से ढका हुआ था। इसीलिए उसे खड़े रहना ही उचित लगा।
थकावट होने के कारण उसे जबरदस्त जम्हाई आई और जैसे ही उसने जम्हाई
लेने के लिए मुंह खोला तो राजा ने नियमों का ढिंढोरा पीटना शुरू कर दिया
"किसी राजा के सामने जम्हाई लेना शिष्टाचार के विरूद्ध है।" छोटे राजकुमार ने
घबरा कर तुरंत ही जम्हाई को बीच में रोक दिया लेकिन वह ज़्यादा समय तक
इसे रोक नहीं पाया और परेशान होकर राजा से क्षमा मांगते हुए कहा "श्रीमान्
जी, मैं जम्हाई लेने से खुद को नहीं रोक सकता क्योंकि मैं बहुत लंबे सफ़र से
आया हूं और कई दिनों से सोया भी नहीं हूं।"
"ओह! ऐसी बात है तो ठीक है...मैं तुम्हें आदेश देता हूं कि तुम जम्हाई लो,
चूंकि कई सालों से मैंने किसी को जम्हाई लेते हुए नहीं देखा। चलो, अब मेरे
आदेश का पालन करो...फिर से जम्हाई लो....।"
राजा की बात सुनकर छोटा राजकुमार शरमा गया और बोला "श्रीमान जी,
आप मुझे डरा रहे हैं...मैं ऐसे आपके कहने पर जम्हाई नहीं ले सकता।"
"हम्मम!! ठीक है, तो अब मैं तुम्हें आदेश देता हूं कि तुम जब चाहे जम्हाई ले
सकते हो।" वो हड़बड़ी में कुछ बड़बड़ाया।
राजा के लिए उसके अधिकारों का सम्मान किया जाना अधिक महत्वपूर्ण
होता है। वह किसी भी तरह की अवज्ञा को बर्दाशत नहीं करता। लेकिन वह एक
निरपेक्ष और दयालु शासक था जो कि हमेशा उचित आदेश देता था।
फिर राजा अपनी बुद्धिमता का बखान करने लगा "मैं अपने सेनापति को जो
भी आदेश देता हूं, वह झट से उसे पूरा कर देता है। लेकिन अगर मैं उसे आदेश दूं
कि अपने आप को समुंद्री पक्षी बना दो और अगर वह मेरा आदेश ना माने तो

दिया है जिसे करना कदापि संभव नहीं।"


"श्रीमान् जी, क्या मैं बैठ सकता हूं" छोटे राजकुमार ने झेंपते हुए पूछा।
"हां, तुम बैठ सकते हो" कहकर राजा ने अपने चारों तरफ बिखरे शानदार
कालीन को लपेटना शुरू कर दिया।
लेकिन छोटे राजकुमार के दिमाग़ में अभी भी एक अजीब सी उधेड़-बुन चल
रही थी।"यह ग्रह इतना छोटा है...तो फिर राजा किस पर शासन करता होगा?"
"श्रीमान् जी, अगर आपकी आज्ञा हो तो क्या मैं आपसे एक सवाल पूछ
सकता हूं" छोटे राजकुमार ने अपनी जिज्ञासा को शांत करने के उद्देश्य से पूछा।
"हां, मैं तुम्हे आदेश देता हूं कि जो सवाल तुम मुझसे पूछना चाहते हो, पूछ
सकते हो" राजा ने उत्साहित होकर जवाब दिया।
"श्रीमान् जी, आप किस पर शासन करते हो?"
हरेक पर..." राजा ने आसान सा जवाब दिया।
हरक पर?इसका क्या मतलब हुआ ?"
"हां, हरेक पर। अपने ग्रह पर, दूसरे ग्रहों पर, सितारों पर और दुनिया में जो
कुछ भी है सब पर" राजा ने हाथों से विस्तृत संकेत करते हुए बताया।
सब पर?" छोटे राजकुमार ने सवाल भरी नज़रों से राजा की तरफ देखा।
"हां, दुनिया की प्रत्येक चीज पर" राजा ने मुस्कुराते हुए कहा।
फिर तो आप सार्वभौमिक शासक हो। "तो क्या सितारे भी आपकी आज्ञा का
पालन करते हैं ?”
"निश्चित रूप से करते हैं। वे तुरंत ही मेरे आदेश का पालन करते हैं क्योंकि
मैं अवज्ञा बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करता।" राजा ने गर्व से छाती चैड़ी करते हुए
कहा।
छोटा राजकुमार उसकी शक्तियों से इतना प्रभावित हुआ कि मन ही मन
कल्पनाएं करने लगा। यह राजा तो बहुत शक्तिशाली है...इसके पास तो बहुत
कुछ है फिर तो यह एक दिन में चैबीस बार नहीं, बल्कि बहत्तर बार या सौ बार
या दो सौ बार सूर्यास्त देखता होगा और वह भी अपने सिंहासन से बिना उठे।
अपने ग्रह को याद करके उसका मन बहुत उदास हो रहा था। फिर छोटे
राजकुमार ने थोड़ा साहस जुटाया और राजा से एक एहसान की अनुमति मांगते
हुए पूछा "मेरा सूर्यास्त देखने का बहुत मन है...क्या आप मेरी इस छोटी सी
को पूरा करने की कृपा करेंगे...चूंकि आप बहुत शक्तिशाली हैं तो सूरज को
कभी भी अस्त होने का आदेश दे सकते हैं।"
"अगर मैं अपने सेनापति को आदेश दूं कि वह तितली की तरह एक फूल से
दूसरे फूल पर उड़े या फिर कोई शोकपूर्ण घटना की रचना करे या फिर खुद को
समुद्री-पक्षी में तब्दील कर दे और अगर सेनापति मेरे आदेश की अवहेलना करे
तो इसमें किसका दोष होगा?” राजा ने गर्व से पूछा।
"निश्चित रूप से आपका श्रीमान् जी" छोटे राजकुमार ने अपनी बात पर
अटल रहते हुए जवाब दिया।
बिल्कुल ठीक। व्यक्ति जिसके योग्य होता है वह उस चीज की मांग अवश्य
करता है। अधिकारों का पहला और महत्वपूर्ण आधार कारण है। अगर तुम अपने
अधीन लोगों को समुद्र में डूब कर मर जाने का आदेश दोगे तो सब लोग तुम्हारे
विरुद्ध हो जाएंगे और क्रांति की स्थिति पैदा हो जाएगी। मुझे आज्ञा पालन
करवाने का पूरा अधिकार है क्योंकि मेरे आदेश कभी अनुचित नहीं होते और ना
ही मैं किसी का अनर्थ चाहता हूं।"
"लेकिन मेरे सूर्यास्त का क्या हुआ?" छोटे राजकुमार ने उसे याद दिलाते हुए
पूछा चूंकि वह अपने सवाल का जवाब लिए बिना कभी चैन से नहीं बैठता।
तुम्हारे पास अपना सूर्यास्त है ना....चिंता मत करो, मैं इसे तुमसे कभी
नहीं मांगूंगा।" राजा ने हंसते हुए कहा।
"नहीं महाराज, मुझे सूर्यास्त अभी देखना है... आप अभी सूर्य को अस्त होने
का आदेश दें" छोटे राजकुमार ने ज़िद्द करते हुए कहा।
"हम्म्म्म्म!!!! यह तो बहुत गंभीर मामला है। इसके लिए तो हमें वैज्ञानिक
अनुसंधान से इजाज़त लेनी पड़ेगी और हमें परिस्थितियों के अनुकूल होने का
इंतज़ार करना होगा।" राजा ने उसे टालने का प्रयास किया।
…और ये परिस्थितियां अनुकूल कब होगी?

छोटे राजकुमार ने दूसरा सवाल

"हम्म्म!!! शाम के करीब आठ बजकर बीस मिनट पर"राजा ने अपने बड़े से


कैलेंडर में अनुमान लगाते हुए बताया।
"और तब तुम देखना कि मैं कैसे सूर्य से अपना आदेश मनवाता हूं..."
छोटा राजकुमार अंगड़ाई लेने लगा। उसका मन यहां से ऊब चुका था लेकिन
सूर्यास्त को ना देख पाने का पछतावा अभी भी उसके दिल में था।
"यहां मेरे लायक करने के लिए कुछ नहीं है, इसीलिए अब मेरा यहां से
जाना ही ठीक होगा।" उसने राजा से कहा।
"नहीं, तुम मत जाओ..." राजा ने उसे रोका, क्योंकि उसे छोटे राजकुमार को
अपनी प्रजा के पहले व्यक्ति के रूप में देखकर बहुत खुशी हो रही थी। "मैं तुम्हें
अपना मंत्री बना दूंगा।"
“मंत्री ??कैसा मंत्री ??”
".....न्याय का!!!" राजा ने फख़ से सिर उठा कर कहा।
"लेकिन यहां कोई है ही नहीं तो मैं न्याय किसे दिलवाउंगा?"
"मुझे नहीं पता, बस तुम नहीं जाओगे..." राजा ने स्पष्ट शब्दों में कहा।
"अभी तक तो मैंने अपने पूरे राज्य का दौरा भी नहीं किया है। मैं बहुत बूढ़ा
हो चुका हूं और थोड़ा सा चलने पर ही थक जाता हूं और ना ही यहां मेरे पास
#गाता? लेकिन मेरे पास तुम्हें किराये पर देने के लिए कोई कमरा भी नहीं
।”
"ओहो!!!! लेकिन कमरा तो मैंने पहले ही देख रखा है" कहकर छोटा
राजकुमार थोड़ा नीचे झुका और दूसरे ग्रह की तरफ देखने लगा।
"फिर तुम अपने सारे निर्णय खुद लो" राजा ने कहा।
"निर्णय करना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है। किसी दूसरे के संबंध में
न्याय करना, खुद से न्याय करने से भी कहीं अधिक मुश्किल है। अगर तुम खुद के
साथ सही न्याय करने में सफल हुए तो तुम वाकई में बहुत बुद्धिमान होगे।"
"जहां तक मैं अपने आप को जानता हूं...मैं, खुद को कहीं भी परख सकता हूं।
और मेरा अंतिम फैसला यही है कि मैं अब यहां और नहीं रुक सकता" कहकर
छाटा राजकुमार राज। की तरफ दखन लगा।

"हम्म्मम!! हम्म्म्म!!" राजा ने थोड़ा सोचा और कहा "मुझे लगता है कि मेरे


ग्रह पर कहीं कोई एक बूढ़ा चूहा है। कल रात मैंने उसकी कुछ अजीब सी आवाजें
सुनी थी। क्या तुम उसके साथ न्याय कर सकते हो?तुम बार-बार उसकी निंदा
करना और उसे मौत का डर दिखाना। इससे उसकी ज़िंदगी तुम्हारे फैसले पर
निर्भर हो जाएगी। लेकिन किसी शुभ अवसर उसे ज़रूर छोड़ देना चूंकि हमारे
पास इसके अलावा और कोई नहीं है।"
"मैं ???” राजा की बात सुनकर छोटा राजकुमार सकते में आ गया।
"नहीं, मैं किसी को मौत का डर क्यों दिखाऊं। ज़िंदगी तो सबको जीने के
लिए मिली है...फिर किसी को जीते जी मौत का डर दिखाकर मारने का पाप मैं
नहीं कर सकता। मुझे लगता है कि मेरा यहां से चले जाना ही बेहतर होगा।"
"नहीं...तुम नहीं जा सकते" राजा ने कहा।
छोटे राजकुमार ने जेाने की सारी तैयारियां कर ली थी लेकिन बूढ़े सम्राट
की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की उसकी कोई ख़्वाहिश नहीं थी।
"अगर तुम्हें अपने सम्राट होने की महिमा का जरा भी ख्याल होता तो मुझे
यहां रुकने का कोई एक तर्कशील आदेश ज़रूर देते। उदाहरण के लिए मेरी
तुम्हारे आदेश की अवहेलना करने पर दंड स्वरूप एक मिनट के अंदर ही यहां से
चले जाने का आदेश दे देते। लेकिन नहीं, तुमने ऐसा कुछ नहीं किया... मुझे
लगता है कि परिस्थितियां मेरे अनुकूल है..."
राजा ने कुछ नहीं कहा..छोटे राजकुमार को एक क्षण तो हिचकिचाहट हुई
और उसने एक लंबी सांस भरी और फिर अगले ही क्षण वहां से चल दिया।
"मै तुम्हें अपना राजदूत बना दूंगा।" राजा ने पीछे से आवाज़ लगाई।
"बड़े लोग बहुत अजीब होते हैं" छोटा राजकुमार खुद से बुदबुदाया और
अपने सफर पर चल दिया।
3मध>याय 11

दूसरे ग्रह पर एक अभिमानी व्यक्ति का शासन था।


"अहा!!! प्रशंसक तुम्हारा स्वागत है..." छोटे राजकुमार को आता देखकर वह
ज़ोर से चिल्लाया।
उस अभिमानी व्यक्ति को अपने ग्रह पर आने वाले सभी दूसरे लोग अपने
प्रशंसक ही लगते थे।
"गुड मार्निग..." छोटे राजकुमार ने उसे आदरपूर्वक नमस्ते किया।
"अरे! तुमने तो मसख़रों वाली हैट पहनी है।"
"हां, यह हैट सबका स्वागत करने के लिए है। जब कोई मेरी तारीफ़ करता है
तो मैं अपनी हैट उठाकर उसका अभिवादन करता हूं। लेकिन बदक़िस्मती से यहां
कोई नहीं आता" अभिमानी व्यक्ति ने उदास होकर कहा।

"मतलब?तुम कहना क्या चाहते हो ?" छोटे राजकुमार को समझ नहीं


आया कि अभिमानी व्यक्ति किस के बारे में बात कर रहा था।
दी "चलो, अपने दोनों हाथों से ताली बजाओ" अभिमानी व्यक्ति ने उसे सलाह

छोटे राजकुमार ने ताली बजाई तो अभिमानी व्यक्ति ने शालीनता से


अभिवादन करते हुए मुस्कुरा कर अपनी हैट उपर उठाई।
"सम्राट से मुलाकात के बाद, यह मेरा दूसरा मज़ेदार सफर रहा" छोटे
राजकुमार ने खुद से ही बात करते हुए कहा। उसने फिर से ताली बजाई तो
यूट्री ने एकबार फिर कप्ता, कविता लेहरबानी
उपर उठाइ।
थोड़ी देर तक सब कुछ ऐसे ही चलता रहा। छोटा राजकुमार बार-बार
ताली बजाता और दूसरा अभिमानी व्यक्ति अपनी हैट उठाता। लेकिन थोड़ी ही
देर में छोटे राजकुमार का मन इस खेल से ऊब गया और वह थक कर बैठ गया।
“तुम जो बार-बार अपना हैट उतारते हो, इसे उतारने का तुम्हारा मक़सद
क्या है?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
लेकिन अभिमानी व्यक्ति ने उसकी कोई बात नहीं सुनी, क्योंकि वह केवल
अपनी प्रशंसा सुनने का आदी था।
"क्या तुम सचमुच मेरी बहुत तारीफ़ करते हो?" अभिमानी व्यक्ति ने
उत्सुकतावश छोटे राजकुमार से पूछा।
"प्रशंसा? इसका क्या मतलब होता है ?”
"मतलब कि तुम मुझे इस ग्रह का सबसे सुंदर, अच्छे कपड़े पहनने वाला,
सबसे अमीर और सबसे बुद्धिमान व्यक्ति मानते हो।"
"लेकिन यहां तो तुम्हारे सिवा कोई दिखाई नहीं देता!!"
"प्लीज़, मुझ पर एक मेहरबानी कर दो। इसी तरह से मेरी प्रशंसा करते
रहो।
"मैं तुम्हारी प्रशंसा क्यों करूं?इससे तुम्हें क्या मिलेगा ?" छोटे राजकुमार ने
अपने कंधों को थोड़ा उचका कर कहा और उठकर वहां से चला गया।
अपने अगले सफर पर चल दिया।
3मध>याय 12

अगले ग्रह पर एक शराबी आदमी का शासन था। यह छोटे राजकुमार की


ह्यूमक छोटा पड़ाव था लेकिन इस सफर के बाद उसका मन बहुत उदास
गया।

“तुम यहां क्या कर रहे हो ?" उसने शराबी व्यक्ति से पूछा जो कि कुछ
खाली और कुछ भरी हुई बोतलों के बीच शांत बैठा था।

२४
"मैं शराब पी रहा हूं...." शराबी व्यक्ति ने उदासी से जवाब दिया।
"लेकिन तुम शराब क्यों पी रहे हो?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"भूलने के लिए..." शराबी ने जवाब दिया।
"क्या भूलने के लिए?" छोटे राजकुमार ने मामले की जांच-पड़ताल करनी
आरंभ कर दी। उसे शराबी व्यक्ति के प्रति बहुत सहानुभूति महसूस हो रही थी।
"अपने शर्मिदा होने को भूलने के लिए" कहकर उसने अपना सिर पछतावे में
नीचे झुका लिया।
"लेकिन तुम शर्मिदा किस लिए हो?छोटे राजकुमार ने उसकी मदद करने के
उद्देश्य से पूछा।
"शराब पीने से शर्मिदा हूं!!!" शराबी ने संवेदनशीलता से कहा और फिर से
चुप्पी साध ली।
छोटे राजकुमार को जब उसकी गोल-मोल बातें समझ नहीं आई तो वह वहां
से वापस चला गया।
"बड़े लोग सच में बहुत अजीब होते हैं... उन्हें समझ पाना मेरे बस की बात
नहीं" कहकर वह अपने सफर पर आगे निकल गया।
3मध>याय 13

चौथे ग्रह का संबंध एक व्यापारी से था। वह अपने काम में इतना व्यस्त था।
कि जब छोटा राजकुमार वहां पहुंचा तो उसने एक पल के लिए भी नज़र उठा
कर उसे नहीं देखा।
"गुड मार्निग...तुम्हारी सिगरेट खत्म हो गई" छोटे राजकुमार ने उससे कहा।
"तीन और दो मिलकर हुए पांच। पांच और सात मिलकर बने बारह। बारह
और तीन मिलकर बने पंद्रह। गुड मार्निग। पंद्रह और सात मिलकर बने बाईस।
बाईस और छह मिलकर बने अट्ठाईस। दोबारा जलाने का समय नहीं हैं मेरे पास।
छब्बीस और पांच मिलकर हुए इकत्तीस। ओफ़्फो!!! सब मिलाकर हुए पांच सौ
मिलियन, छह सौ बाईस हजार, सात सौ इकत्तीस।"
"पांच सौ मिलियन क्या?” राजकुमार ने उत्सुकतावश पूछा।
"अरे! तुम अभी तक यहीं खड़े हो?पांच सौ मिलियन....मुझे याद
नहीं...परेशान मत करो, तुम जाओ यहां से। अभी मुझे बहुत काम है। मैं बहुत
व्यस्त आदमी हूं और मेरे पास ऐसी ऊटपटांग बातें करने का समय नहीं है। दो

"लेकिन ये पांच सौ मिलियन क्या हैं?" छोटे राजकुमार ने फिर से अपना


सवाल दोहराया, उसने अपनी ज़िंदगी में कभी भी किसी सवाल को बिना जवाब
लिए जाने नहीं दिया।

पर रह रहा हूं और इस दौरान मैं केवल तीन बार


बाईस साल पहले हुआ था, जब एक भंवरा न जाने कहां से मेरे ऊपर आ गिरा।
उसने इतना भयानक शोर किया कि मेरी गिनती में चार गलतियां हुई। दूसरी
"लेकिन मिलियन क्या?तुम ऐसा क्या गिन रहे हो जो मिलियन में है ?"
राजकुमार ने अपने सवालों की गिनती जारी रखी।

.झारी से पता कि किताब की बात करने की कोई कमी


"वह छोटे-छोटे पदार्थ जिन्हें हम कभी-कभार आकाश में देखते हैं।"
"तुम्हारा मतलब मक्खियां ??"
"ओह!!! नहीं, छोटे-छोटे चमकने वाले पदार्थ।"
"मधुमक्खियां ??"
नहीं, छोटे-छोटे सुनहरी पदार्थ जिन्हें देखकर आलसी लोग व्यर्थ में सपने
बुनने लगते हैं। लेकिन मैं बहुत व्यस्त आदमी हूं और मेरे पास इन बेकार के सपनों
को देखने का समय नहीं है।"
"अहा!!! तुम्हारा मतलब सितारे ??"
"हूां, वही...वही। जिसे तूम लोग सितारे कहते हो।"
"फिर तुम इन पांच सौ मिलियन सितारों का क्या करोगे?" छोटे राजकुमार
ने फिर से सवाल किया।
"पांच सौ मिलियन, छह सौ बाईस हजार, सात सौ इकत्तीस। मैं एक गंभीर
व्यक्ति हूं और मेरी गिनती हमेशा ठीक होती है।"
"लेकिन तुम इन पांच मिलियन सितारों का क्या करोगे?" छोटे राजकुमार ने
मासूमियत से सवाल दोहराया।
"पांच सौ मिलियन, छह सौ बाईस हज़ार, सात सौ इकत्तीस।"
“तुम इनका करोगे क्या?"
“मैं इनका क्या करूंगा ???”

“कुछ नहीं करूंगा। ये सब मेरे हैं।"


"तुम्हारे अपने सितारे ??”
"लेकिन मैं अभी थोड़ी देर पहले एक राजा से मिलकर आया हूं जो कह...."
व्यापारी ने बात बीच में ही काटते हुए कहा "राजा-वाजा कुछ नहीं होते। उनका
शासन कब का खत्म हो चुका है। अब सब कुछ पहले से बहुत अलग है।"
"मगर इन सितारों का तुम्हें क्या फायदा ??"
"इनकी वजह से मैं इस ग्रह का सबसे अमीर आदमी बन गया हूं।"
"सितारों से अमीर होने का क्या मतलब ??"
..#
हू।" भी मुझे कोईनया सितारा मिलता है तो मैं इन तारों से उसे खरीद
"यह आदमी भी मुझे उस पियक़ड़ की तरह सनकी लगता है" छोटे
राजकुमार ने खुद से कहा। लेकिन छोटे राजकुमार के सवालों का सिलसिला अभी
खत्म नहीं हुआ था।
"कोई व्यक्ति सितारों का स्वामी कैसे बन सकता है ?”
"कौन है वे ?” व्यापारी ने झुंझला कर पूछा।
"मैं नहीं जानता। लेकिन वह तो कोई भी हो सकता है" छोटे राजकुमार ने
सकुचाते हुए कहा। • *N - fr***५ uow •

"फिर तो वे सब सितारे मेरे हैं, क्योंकि मैं ही वह पहला व्यक्ति था जिसने


सितारों के व्यापार के बारे में सोचा था।”
"काफी है या अभी और भी कुछ पूछना है...?" व्यापारी ने चिढ़ते हुए
पूछा।
छोटे राजकुमार ने उसकी बात सुनकर टिप्पणी करते हुए कहा "हां, बिल्कुल
तुम्हारा कहना सही है। अगर तुम्हें कहीं कोई हीरा मिल जाए, जो किसी का ना
हो तो, यह तुम्हारा हुआ। अगर तुम किसी टापू की खोज करो, जो किसी का ना
हो तो वह भी तुम्हारा हुआ। जब भी कोई विचार पहली बार तुम्हारे दिमाग में
आए तो उसका लाइसेंस तो तुम्हारे पास ही होग ा ना.. ..और इसलिए वह भी
तुम्हारा हुआ। फिर तुम कहोगे कि आकाश में मौजूद सारे सितारों के तुम अकेले
ही मालिक हो क्योंकि तुमसे पहले किसी ने इनके बारे में सोचा ही नहीं था।"
"चलो, एकबारगी मैं तुम्हारी बात मान भी लूं तो भी एक बात मेरी समझ
में नहीं आई कि तुम इन सबका करोगे क्या ?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"मैं इन्हें इकट्ठा करके रखूंगा और बार-बार गिनूंगा।" व्यापारी ने उत्तर दिया।
छोटा राजकुमार उसके जवाब से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं था। इसलिए उसने
अपना तर्क दिया “अगर मैं रेशमी स्कार्फ़ का मालिक होता तो किसी भी स्कार्फ़
को अपने गले में पहनता और मज़े से कहीं भी घूमता और अगर मैं फूलों का
स्वामी होता तो इन्हें तोड़ कर अपने साथ कहीं भी ले जा सकता था, लेकिन तुम
सितारों के मालिक होकर भी इन्हें कहीं नहीं ले जा सकते।"

कहा।
"बैंक में रखने का क्या मतलब ?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
“मतलब कि मैं सितारों को गिनकर, उनकी संख्या को कागज़ के टुकड़े पर
लिख लूंगा और फिर इस कागज़ को अपने मेज की दराज में रख कर ताला लगा
दूगा।"
"और फिर क्या करोगे ?" छोटे राजकुमार ने फटाक से पूछा।
“कुछ नहीं, बस इतना काफी है। मेरे सितारे मुझसे कोई नहीं छीन पाएगा।"
"बड़ा दिलचस्प आदमी है!!! लेकिन इसकी बातों का तो कोई मतलब नहीं
निकलता। खैर, जो भी हो, समय तो बहुत अच्छा व्यतीत हुआ" छोटा राजकुमार
दिल ही दिल मुस्कुराया।
छोटे राजकुमार का यह विचार कि व्यक्ति के लिए क्या चीज महत्वपूर्ण
होती है, इन सब बड़े लोगों के विचारों से पूर्णतया भिन्न था।
"मेरे पास अपना एक फूल है जिसे मैं हर रोज़ पानी देता हूं। मेरे पास अपने
तीन ज्वालामुखी भी हैं, जिन्हें मैं हर सप्ताह साफ करता हूं। इसमें एक ऐसा भी है
जो पूरी तरह से खत्म हो चुका है, लेकिन किसी को इसके बारे में कुछ नहीं पता।
मुझे खुशी है कि मैं एक फूल और तीन ज्वालामुखियों का स्वामी हूं और इनका
##कताहीन तुम्हारे लिए इन सितारों की गिनती का कोई महत्व
...।"
व्यापारी ने बोलने के लिए मुंह खोला लेकिन शब्द बाहर नहीं आए....
शायद उसके पास कहने को कुछ था ही नहीं..... और छोटा राजकुमार अपने
रा तेचला गया।
“सच ह, इन बड़ लोग क तरह इनक बात भी बड़ी-बड़ी होती ह जो क
मरी समझ सेिबकल पर ह” कहकर छोटा राजकमार अपनेसफर पर रवाना हो
गया।
3मध>याय 14

पांचवां ग्रह बहुत अद्भुत था। यह बाकी सभी ग्रहों से बहुत छोटा था। वहां
सिर्फ एक कमरा था जो कि इतना छोटा था कि उसमें एक लैंप-पोस्ट और एक
लैंप-लाइटर के लिए ही पर्याप्त जगह थी। छोटा राजकुमार बहुत हैरान था कि
जिस ग्रह पर कोई घर नहीं है और ना ही लोग यहां पर रहते हैं तो वहां इस लैंप
पोस्ट और लैंप-लाइटर का क्या काम।
"शायद लैंप-लाइटर पागल है" उसने अपने आप से कहा।

"लेकिन फिर भी वह, उस सनकी राजा, अभिमानी व्यक्ति, व्यापारी और


उस शराबी व्यक्ति जितना बेवकूफ नहीं लगता। चूंकि उसके इस काम का कम से
कम कुछ मतलब तो निकलता है। जब वह अपने स्ट्रीट-लैंप को जलाता है तो
इससे सितारों और फूलों को नई ज़िंदगी मिलती है। जब वह लैंप को बुझा देता है
तो सारे फूल-सितारे गहरी नींद में सो जाते हैं। यह तो बहुत मनोरंजक व्यवसाय
है। क्योंकि जितना यह सुंदर है, वास्तव में उससे कहीं ज़्यादा उपयोगी है।"
जैसे ही छोटा राजकुमार ग्रह पर पहुंचा तो उसने पूरे सम्मान के साथ लैंप
लाइटर का अभिवादन किया।
"गुड मार्निग, श्रीमान् जी। तुमने अपना लैंप क्यों बुझा रखा है?" छोटे
राजकुमार ने पूछा।
"गुड मार्निग, मैं तो आदेश का पालन कर रहा हूं और यही मेरा कर्तव्य भी
है" लैंप-लाइटर ने जवाब दिया।
“कैसा आदेश?”
"गुड इवनिंग। मुझे आदेश मिला है कि मैं अपने लैंप को बुझा दूं।"
और उसने लैंप को दोबारा जला दिया।
"लेकिन अब तुमने इसे दोबारा क्यों जलाया?"
"यह आदेश है....और मैं किसी आदेश से मुंह नहीं फेर सकता।" लैंप-लाइटर ने
जवाब दिया। -

“तुम क्या कह रहे हो, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा" छोटे राजकुमार ने
कहा।
"आदेश तो आदेश है, इसमें समझने वाली क्या बात है" लैंप-लाइटर ने स्पष्ट
शब्दों में कहा।
"गुड मार्निग" छोटे राजकुमार को सुप्रभात बोल कर उसने लैंप को बुझा
दिया और एक लाल डिब्बों वाली रूमाल से अपने माथे और मुंह पर आए पसीने
की बूंदों को पौंछने लगा।
"दरअसल, मेरी नौकरी बहुत मुश्किल है। पुराने जमाने में सब बिल्कुल ठीक
था। तब मैं सुबह होते ही लैंप बुझा देता और शाम को फिर से जला देता। बाकी
का सारा दिन मैं खूब आराम करता और रात को भी चैन की नींद सो जाता था।"
"तो क्या उसके बाद आदेश बदल गए ??मेरा मतलब आदेश सख्त हो गए
होंगे" छोटे राजकुमार ने अंदाज़ा लगाते हुए कहा।
"नहीं, आदेशों में कोई बदलाव नहीं हुआ। हैरानी की बात तो यह है कि
आदेश आज भी वही हैं जो सैकड़ों वर्ष पहले थे, लेकिन साल-दर-साल ग्रह के
चक़र लगाने की गति में बड़े पैमाने पर वृद्धि हो रही है।"
"तो अब?” राजकुमार ने पूछा।

एक सैकेंड़ के लिए भी आराम नहीं मिलता। जिससे मेरा सारा समय लैंप जलाने
और बुझाने में ही चला जाता है।"
"अहा!!! यह तो बहुत हास्यापद बात है। जहां तुम रहते हो, दिन एक मिनट
में खत्म हो जाता है" छोटे राजकुमार ने थोड़े मज़ाकिया अंदाज में पूछा।
इसमें हंसने जैसी बात बिल्कुल नहीं है!!! "लैंप-लाइटर ने कहा। "चूंकि हम
एक महीने से यहां खड़े बातचीत कर रहे हैं।"
“क्ययया ???एक महीने से ??”
"हां, तीस दिन से। चूंकि तुम्हारे लिए यह तीस मिनट है, लेकिन मेरे लिए तो
यह तीस दिन हुए।"
"गुड ईवनिंग" कहकर उसने लैंप को फिर से जला दिया।
छोटा राजकुमार आश्रवर्यचकित नज़रों से एकटक उसे देखता रहा। उसके
दिल में लैंप-लाइटर के लिए प्यार उमड़ रहा था क्योंकि अपनी इतनी सख्त
नौकरी को पूरी ईमानदारी से निभा रहा था। तभी उसे अपने सूर्यास्त की याद
आई, जिसे वह जरा सी कुर्सी हिला कर आसानी से देख लेता था। वह अपने नए
दास्त की। मदद करना चाहता था।
“मुझे लगता है कि ऐसा कोई ना कोई तरीका ज़रूर होगा जिससे तुम अपना
काम भी कर पाओगे और तुम्हें आराम करने के लिए पर्याप्त समय भी मिल जाया
करेगा... " छोटे राजकुमार ने उसका हौसला बढ़ाते हुए कहा।
"सचमुच?अगर ऐसा हो सकता है तो प्लीज़, मेरी मदद करो। मैं भी थोड़ा
आराम करना चाहता हूं" लैंप-लाइटर के चेहरे पर रौनक लौट आई। उसे उम्मीद
थी कि छोटा राजकुमार उसकी मुश्किल का कोई ना कोई हल ज़रूर निकालेगा।
एक व्यक्ति अपने काम के प्रति निष्ठावान और आलसी दोनो हो सकता है।
छोटे राजकुमार ने कहना शुरू कियाः "तुम्हारा ग्रह इतना छोटा है कि तुम
तीन छलांगो में ही इसे पूरा घूम सकते हो। आप सिर्फ धूप में रहने के लिए धीरे
धीरे चलना। इस प्रकार जब भी आपको आराम करना हो तो चलना शुरू कर
दिया करो और फिर सारे दिन तुम्हारे मुताबिक चलने लगेंगे।"
"लेकिन तुम्हारा यह उपाय मेरे लिए ज़्यादा फायदेमंद नहीं रहेगा क्योंकि

चाहता हूं" लैंप-लाइटर ने सिसकते हुए कहा।


"ओह!!! यह तो दुर्भाग्यपूर्ण है" छोटे राजकुमार ने कहा।
"हां, देह यह दु स्थिति है लेकिन मेरे लिए इससे पीछा
छुड़ाना और भी मुश्किल है" लैंप-लाइटर ने निराश होकर कहा।
"गुड मार्निग" कहकर उसने लैंप को बुझा दिया।
दुखी मन से छोटे राजकुमार ने अपनी यात्रा आरंभ कर दी और सारा समय
लैंप-लाइटर के बारे में ही सोचता रहा। “इस व्यक्ति की हालत बाकी सभी दूसरे
व्यक्तियों-राजा, अभिमानी आदमी, शराबी और व्यापारी की तुलना में बहुत
दयनीय थी। लेकिन केवल यही एक ऐसा व्यक्ति था, जो मुझे बिल्कुल भी
हास्यास्पद नहीं लगा। शायद इसलिए क्योंकि वह अपने बारे में ना सोचकर,
बल्कि सबके बारे में सोचता था।”
फिर उसने आह भरते हुए एक बार फिर खुद से कहा "केवल यही एक ऐसा
व्यक्ति है जो मेरा दोस्त बनने लायक है। लेकिन यह ग्रह इतना छोटा है कि यहां
दो लोगों का रहना संभव नहीं है।"
छोटे राजकुमार को इस ग्रह को छोड़ने का बहुत पछतावा हो रहा था,
क्योंकि यहां रह कर वह प्रतिदिन एक हजार चार सौ चालीस बार सूर्यास्त देख
सकता था।
3मध>याय 15

छठा ग्रह बाकी के दूसरे ग्रहों से दस गुना बड़ा था। जहां एक बूढ़ा व्यक्ति एक
विशालकाय किताब में कुछ लिख रहा था। जब उसने छोटे राजकुमार को देखा
तो खुशी से चिल्लाया "अहा!!! अन्वेषक, तुम्हारा स्वागत है।"
छोटा राजकुमार हांफता हुआ आया और मेज पर जाकर बैठ गया। उसे
देखकर लगता था कि वह काफी लंबी यात्रा करके आया है।
"तुम कुहां से आए हो?" बूढ़े व्यक्ति ने पूछा।
"इस मोटी सी किताब में क्या लिखा है?आप यहां क्या कर रहे हो?" छोटे
राजकुमार ने उसके सवाल की उपेक्षा करते हुए पूछा।

"मैं एक भूगोल विज्ञानी हूं" बूढ़े व्यक्ति ने कहा।

शहरों, देशों, पर्वतों और मरूस्थलों की स्थिति का पूरा ज्ञान होता है।"


"अहा!! यह तो बेहद दिलचस्प बात है" छोटे राजकुमार ने खुश होकर कहा।
फिर उसने तीव्रता से अपने चारों तरफ नज़र घुमाई और मन ही मन प्रसन्न हो
उठा। उसने आज से पहले इतना शानदार ग्रह कभी नहीं देखा था।
"तुम्हारा ग्रह तो बहुत खूबसूरत है। क्या यहां कोई समुद्र है?"
"पता नहीं, हो भी सकता है और नहीं भी... " भूगोलवेत्ता ने कहा।
"इसका क्या मतलब हुआ?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"मैं कभी ग्रह पर घूमा नहीं" बूढ़े ने जवाब दिया।
"ओह!!! " छोटे राजकुमार ने निराशा व्यक्त की। “और कोई पर्वत?"
"वास्तव में, मैं इस बारे में तुम्हें कुछ नहीं बता सकता।" भूगोल विज्ञानी ने
कहा।
"तो फिर शहर, नदियां और मरुस्थल तो ज़रूर होंगे। यहां?" छोटे राजकुमार
ने जिज्ञासावश पूछा।
"नहीं, मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।"
"लेकिन तुम तो भूगोलवेत्ता हो, फिर तुम्हें तो ये सब पता होना चाहिए।"
छोटे राजकुमार ने अपना तर्क रखा।
"हां, तुमने बिल्कुल ठीक कहा। लेकिन मैं अन्वषक नहीं हूं। यहां तक कि मैंने
कभी अपने ग्रह का भी अन्वेषण नहीं किया। देशों, नदियों, पर्वतों, सागरों और
मरुस्थलों को गिनने का काम भूगोलशास्त्रियों का नहीं होता। वे अपना महत्वपूर्ण
समय कभी भी इधर-उधर घूमने में नष्ट नहीं करते। उसका काम तो अन्वेषकों का
स्वागत करना होता है इसीलिए वह हर समय अपने ऑफिस में ही रहते हैं। वह
अन्वेषकों से उनकी यात्रा का पूरा ब्यौरा लेते हैं और उनसे तरह-तरह के सवाल
पूछते हैं। और अगर उसे अन्वेषक के सफर का कोई हिस्सा दिलचस्प लगे तो वह
ढूं"
।”
नैतिक चरित्र की अच्छी तरह से जांच-पड़ताल करने का आदेश भी दे देता

लेकिन ऐसा क्यों?" छोटे राजकुमार ने पूछा।


“क्योंकि अगर कोई अन्वेषक, जैसे कि ज़्यादा शराब पीने वाले अन्वेषक,
अपने सफर के बारे में झूठ-मूठ का ब्यौरा दे दे तो इससे भूगोलिकों की पुस्तकों
की बदनामी हो सकती है और इससे लोग उन पर विश्वास करना बंद कर देंगे।"
लेकिन क्यों?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"क्योंकि पियक़ड़ों को कोई भी चीज़ हमेशा दोहरी ही दिखती है। इसका
परिणाम यह होगा कि भूगोलिक ब्यौरे में दो पर्वत लिखेंगे जबकि वास्तव में वहां
एक ही होगा।"
"हां, आप सही कह रहे हो। मैं भी एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूं जो कि बहुत
जताई अन्वेषक था" छोटे राजकुमार ने बूढ़े भूगोलिक की बात पर सहमति

"हां, यह भी मुमकिन है। कई बार किसी अन्वेषक का नैतिक चरित्र इतना


ङ्का
जाता है।”
होता है लेकिन फिर भी उसकी खोज की जांच का आदेश दिया

"तो क्या सचमुच इसकी जांच-पड़ताल होती है?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
नहीं, प्रत्येक खोज की जांच करना बहुत जटिल काम है। लेकिन हमारा हर
अन्वेषक से यही अनुरोध रहता है कि वह अपने साथ कोई सबूत ज़रूर लाएं।
उदाहरण के लिए, अगर कोई किसी बड़े पर्वत की खोज करता है तो उसको
प्रमाण के तौर पर अपने साथ कुछ बड़े पत्थर लाना ज़रूरी होता है।" अचानक
भूगोलवेत्ता बहुत ज़्यादा उत्साहित हुआ और बोला "अरे! तुम भी तो बहुत लंबी
यात्रा करके आए हो। ऐसे तो तुम भी एक अन्वेषक हुए। चलो, अब तुम मुझे
अपने ग्रह के बारे में कुछ बताओ।"
तभी भूगोलिक ने अपना रजिस्टर खोला और पैंसिल की नोक बनाई।
अन्वेषक की कहानी को पहले पैंसिल से लिखा जाता है और जब वह पर्याप्त
प्रमाण दिखा देता है तो हम उसे स्याही से किताब में अंकित कर देते हैं।
"चलो बताओ?" भूगोलिक ने आशा से पूछा।
"ओह!!! मैं कहां रहता हूं?" छोटे राजकुमार ने कहा।
"यह बात ज़्यादा महत्वूपूर्ण नहीं है क्योंकि मैं ज़िस ग्रह पर रहता हूं, वह
बहुत छोटा है। मेरे पास तीन ज्वालामुखी हैं जिनमें से दो सक्रिय और एक
निष्क्रिय है, लेकिन इसके बारे में मैंने किसी को नहीं बताया।"
"मेरे पास एक फूल भी है।"
माफ करना, लेकिन हम फूलों का ब्यौरा नहीं रखते" भूगोलवेत्ता ने कहा।
"लेकिन क्यों?यह तो मेरे ग्रह की सबसे प्यारी चीज़ है!! " छोटे राजकुमार
ने निराश होकर पूछा।
"क्योंकि फूल अल्पजीवी होते है" बूढ़े भूगोलिक ने जवाब दिया।
"अल्पजीवी का क्या मतलब होता है?" छोटे राजकुमार ने उत्सुकतावश
पूछा।
"भौगोलिक दुनिया की सभी वस्तुओं में सबसे कीमती किताब है। इसका
फ़ैशन कभी नहीं जाता। पर्वत शायद ही कभी अपना स्थान बदलते हैं और सागर
के लिए स्वयं, अपना पानी खत्म कर देना नामुमकिन है। हम अपनी पुस्तकों में
केवल शाश्वत वस्तुओं का ब्यौरा ही रखते हैं।" भूगोलवेत्ता ने सफाई देते हुए कहा।
लेकिन एक विलुप्त हुए ज्वालामुखी को फिर से जीवित किया जा सकता है।"
#राजमारनेतरीबनकटग्रस्त
‘?”
"अल्पजीवी का क्या मतलब होता

है। पर्वत, समुद्र और मरुस्थल जैसी जगहें हमारे लिए ज़्यादा मायने रखती हैं
क्योंकि यह कभी नहीं बदलती" भूगोलवेत्ता ने जवाब दिया।
"लेकिन अल्पजीवी का क्या मतलब होता है?" छोटे राजकुमार ने फिर से
अपना सवाल दोहराया।
इसका मतलब होता है: जल्दी लुप्त हो जाना या जीवन छोटा होना।"

...मतलबमेरीकी नकदीम जाएगी छोटराजमारने का


पूछा।

मेरा कली अल्पजीवी है!! उसके पास तो सिर्फ चार कांटे ही है तो वह


दुनिया से अपनी रक्षा कैसे करेगी?और फिर मैंने भी तो उसे ग्रह पर अकेला छोड़
दिया। इससे तो अच्छा होता कि मैं उसे अपने साथ ही ले आता" छोटे राजकुमार
का मन दुख से भर गया।
* ।

== Ó

पहली बार उसे अपनी भूल पर पछतावा हो रहा था। लेकिन उसने हिम्मत
ना हारी और भूगोलिक से पूछा "आपकी राय में अब मुझे किस ग्रह की यात्रा
करनी चाहिए?"
किधरती

की, क्योंकि यह अपने आप में बहुत प्रसिद्ध है।" भूगोलिक ने जवाब

…और फिर छोटा राजकुमार अपनी कला के बारे में सोचता हुआ वहां से चल

3मध>याय 16

तो अब सातवां ग्रह पृथ्वी था।


पृथ्वी, बाकी दूसरे ग्रहों की तरह कोई सामान्य ग्रह नहीं था। यहां एक सौ
ग्यारह शासकों, सात हजार भूगोलिकों, नौ सौ हज़ार व्यापारियों, साढ़े सात
मिलियन शराबियों, तीन सौ ग्यारह मिलियन अहंकारी व्यक्तियों और लगभग
दो हज़ार मिलियन बड़े-बूढ़े लोगों का वास है।
धरती के आकार के बारे में तो शायद मैं सही जानकारी ना दे पांऊ, लेकिन
इतना अनुमान ज़रूर बता सकता हूं कि बिजली की खोज से पहले छह महाद्वीपों
पर वहां की मूल सेना ने रोशनी के लिए स्ट्रीट-लैंप का प्रबंध किया। यह थोड़ी
दूरी तक देखने के लिए उपयोगी थे। एक बैले गीत की तरह इसमें सेना की
गतिविधि भी नियमित थी। सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के लैंप
लाइटरों की बारी आई। उन्होंने अपने-अपने लैंप जलाए और गहरी नींद में सो
गए। फिर चीन और साइबेरिया के लैंप-लाइटरों ने इस नृत्य में भाग लिया। कुछ
देर बाद, वे भी पंख लगाकर उड़ गए। फिर रूस और भारत के लैंप-लाइटरों की
बारी आई। उसके बाद यूरोप और अफ्रीका की। फिर दक्षिण अमेरिका की और
इसके बाद उत्तरी अमेरिका की। और इन सब ने अपने प्रदर्शन में कोई चूक नहीं
की। सब एक दम शानदार रहा। केवल दो लोग ऐसे थे जिन्होंने मस्त जीवन का
मज़ा लिया और वह थे उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव पर नियुक्त कर्मचारी जिन्हें
एक लैंप को हर समय जलाए रखना था।
3Hधयाय 17

ज़िंदगी में अगर किसी को थोड़ी-बहुत मौज-मस्ती करनी हो तो एक-आध


बार छोटा-मोटा झूठ बोलने में कोई हर्ज़ नहीं होता। हां, इस बात से मैं ज़रा भी
इंकार नहीं करता कि लैंप-लाइटरों के बारे में बात करते वक़्त मैं ज़्यादा
सत्यावादी नहीं था। दरअसल, मैं उन लोगों को अपने ग्रह के बारे में गलत
विचार देने के जोखिम से घबरा रहा था जो कि इसके बारे में ज़्यादा नहीं जानते।
इस धरती का बहुत कम हिस्सा प्राणी-जगत के हिस्से में आता है। अगर दुनिया
की दो अरब जनसंख्या को किसी ग्रह पर आधिपत्य के संबंध में एक-दूसरे के
सामने खड़ा कर दिया जाए तो वे कुशल वार्तालाप द्वारा आसानी से बीस मील
लंबे और बीस मील चैड़े वर्गाकार क्षेत्र पर सार्वजनिक रूप से रहने को तैयार हो
जाएंगे। सच कहें तो संपूर्ण मानवता को प्रशांत महासागर के एक छोटे से द्वीप पर
रखा जा सकता है।
यह भी सच है कि बड़े लोगों को तुम्हारी बातों पर कभी यकीन नहीं होगा।
उन्हें लगता है कि सबसे ज़्यादा दिमाग़ उनके पास ही है। वे खुद को बाओबाब से
भी ज़्यादा महत्वपूर्ण मानने लगते हैं। ऐसे में आपको, उन्हें स्वयं की गणना करने
के लिए आमंत्रित करना चाहिए। वे ज़्यादातर आंकड़े देखकर ही प्रसन्न हो जाते
हैं। लेकिन मेरी मानो तो अपना कीमती समय इन अनावश्यक दैनिक कार्यों में
व्यर्थ ना करें तो ही आप सब के लिए ठीक रहेगा।
इस प्रकार छोटा राजकुमार जब पृथ्वी पर पहुंचा तो किसी भी व्यक्ति को
वहां ना पाकर बहुत हैरान हुआ। पहले पहल तो वह डर गया कि कहीं किसी
गलत ग्रह पर तो नहीं आ गया। लेकिन फिर थोड़ा साहस करके आगे बढ़ा। तभी
उसे वहां एक सांप दिखाई दिया। सांप को देख कर उसकी जान में जान आई और
उसने सोचा कि इसी से पता करता हूं कि यह कौन सा ग्रह है।
गुड इवनिंग" छोटे राजकुमार ने विनम्रतापूर्वक कहा।
"गुड इवनिंग" सांप ने प्रत्युत्तर दिया।
"यह कौन सा ग्रह है?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"यह पृथ्वी है और इस वक्त तुम अफ्रीका में हो" सांप ने जवाब दिया।
ढू"फिर तो मैं सही जगह पर ही आया ह छोटे राजकुमार ने खुशी
ज़ाहिर की।
"लेकिन यहां धरती पर लोग दिखाई क्यों नहीं दे रहे?"
"क्योंकि यह मरुस्थल है और लोग मरुस्थलों में नहीं रहा करते। यह धरती
बहुत बड़ी है - कहीं जंगल, कहीं पानी, कहीं रेगिस्तान तो कहीं शहर। यहां तुम्हें
सब कुछ देखने को मिलेगा।"
छोटा राजकुमार एक पत्थर पर बैठ गया और आकाश की तरफ देखने लगा।
“अगर सारे तारे एक साथ जगमगाएं तो कितना मज़ा आएगा ना... इससे
हर कोई अपने-अपने सितारे को फिर से पा लेगा। देखो वह रहा मेरा ग्रह...हमारे
दांयी तरफ, लेकिन यहां से बहुत दूर है!!! " छोटे राजकुमार को अपने ग्रह की
बहुत याद आ रही थी।
"यह तो बहुत खूबसूरत है। लेकिन तुम यहां क्यों आए हो?क्या तुम्हारा कुछ
खो गया है?" सांप ने उससे सवाल किया।
"नहीं, मेरा एक फूल के साथ थोड़ा झगड़ा हो गया था, इसीलिए मैं वहां से
चला आया" छोटे राजकुमार ने मासूमियत से जवाब दिया।
"ओहो!!! यह तो बहुत बुरा हुआ" सांप ने खेद जताया।
और वे दोनों कुछ देर के लिए खामोश हो गए।
यहां लोग कहां मिलेंगे?मुझे बहुत अकेला-अकेला सा महसूस हो रहा है"
छोटे राजकुमार ने बातचीत फिर से शुरू करते हुए पूछा।
यहां मरूस्थल में लोगों का मिलना असंभव है और आवासीय क्षेत्र यहां से
बहुत दूर है। वहां पहुंचने में तुम्हें बहुत दिन लग जाएंगे।" सांप ने कहा।
छोटा राजकुमार काफी समय तक एकटक सांप को देखता रहा।

राजकुमार ने कहा।
"हां, मैं बहुत पतला हूं... मगर हूं बहुत शक्तिशाली" सांप ने गर्व से कहा।
"लेकिन मुझे तो तुम बिल्कुल भी शक्तिशाली नहीं लगते... तुम्हारे तो पंजे
भी नहीं है और तुम तो चल भी नहीं सकते" छोटे राजकुमार ने हंसते हुए कहा।
… तुन्हे एक जहाज से भी यादा तेजी से ले जा सकता हr सांप ने जवाब

उसने खुद को एक रस्सी की तरह छोटे राजकुमार के टखने पर बांध लिया


और सुनहरी कंगन की तरह चमकने लगा।
"मैं जिसे एक बार छू लेता हूं, वह वापस वहीं चला जाता है... जहां से वह
आया था। लेकिन तुम बहुत मासूम और साफ दिल के हो और तारों की दुनिया से
आए हो इसलिए मैं तुम्हें कोई नुक्सान नहीं पहुंचाउंगा" सांप ने कहा।
राजकुमार चुपचाप बात सुनता रहा। • - u---

"मुझे तुम्हारे बारे में सोचकर बुरा लग रहा है, इन पत्थरों की दुनिया में मैं
एक कमज़ोर सा जीव एक दिन तुम्हारी मदद करने में सक्षम होऊंगा, अगर अपने
ग्रह के बारे में सोच कर तुम्हें घर की याद परेशान करे... तो"
"ओह!!! मैं तुम्हारी बात अच्छे से समझता हूं, लेकिन तुम हर समय पहेलियों
में बात क्यों करते हो?" छोटे राजकुमार ने पूछा
"क्योंकि मुझे पहेली सुलझाना अच्छा लगता है" सांप ने जवाब दिया।
फिर वो दोनो खामोश हो गए।
3मध>याय 18

रेगिस्तान पार करते समय छोटे राजकुमार की मुलाकात एक फूल से हुई जो


कि अकेला इस भरे वीराने में अपनी महक बिखेर रहा था। लेकिन शायद किसी
को इसकी कदर नहीं थी... इसलिए यह कड़ी धूप में अकेला खड़ा था। तेज धूप के
कारण इसकी कुछ पंखुड़ियां झुलस गई थी। छोटे राजकुमार को उस पर बहुत
दया आई और वह उसे मिलने चला गया।

गुड मार्निग" छोटे राजकुमार ने अभिवादन करते हुए कहा।


"गुड मार्निग" फूल ने कहा।
"कैसे हो तुम?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"मैं ठीक हूं" फूल ने जवाब दिया।
"अच्छा, तुमने अपने आस-पास कहीं लोगों को आते-जाते देखा है" छोटे
राजकुमार ने विनम्रता से पूछा।
"हां, एक बार एक कारवां यहां से गुजरा था। करीब छह-सात लोग थे,
लेकिन मैंने तो उन्हें बहुत साल पहले देखा था और अब तो पता नहीं वह कहां
पहुंचे होंगे। उस वक्त हवा बहुत तेज़ चल रही थी।"
"अच्छा, तो अब मैं चलता हूं। गुडबाय" छोटे राजकुमार ने उससे विदा ली।
"अलविदा दोस्त" फूल ने कहा।
3मध>याय 19

चलते-चलते छोटा राजकुमार एक पहाड़ पर चढ़ गया। पहाड़ों के रूप में


वृह केवल उन तीन ज्वालामुखियों को ही जानता था जो केवल उसके घुटूनों तक
ही पहुंचते थे। और विलुप्त हो चुके ज्वालामुखी को वह पायदान की तरह
इस्तेमाल करता था। पहाड़ की चोटी पर पहुंच कर उसने प्रसन्नता पूर्वक खुद से
कहा "अहा!!! यहां से तो मैं सारे ग्रहों और दुनिया के सारे लोगों को एक बार में
ही देख सकता हूं।" लेकिन वहां से देखने पर तो पहाड़ों की चोटियां भी सूई की
तरह बारीक दिखाई दे रही थी।

"कैसा अजीबो-गरीब ग्रह है!!! बिल्कुल सूखा सा, पहाड़ियों से घिरा हुआ,
गंदा और दुर्गम। और यहां के लोग तो और भी विचित्र हैं। उनसे कुछ पूछो, तो वे
पूछने वालों के सवालों को ही बार-बार दोहराते हैं। इससे अच्छा तो मेरा ग्रह है,
यूसिक पाने के बारेमें पूछती? और मुझे भी अपनी कली से
बहुत प्यार हैं।"
3मध>याय 20

रेगिस्तान की काफी लंबी यात्रा के बाद, चट्टानों और बर्फ से गुज़रता हुआ


छोटा राजकुमार आखिरकार एक सड़क तक आ पहुंचा। और इस बात से कतई
इंकार नहीं किया जा सकता कि दुनिया की सभी सड़कें मानवीय जीवन क्षेत्र का
प्रतिनिधित्व करती हैं।
थोड़ी दूर सड़क पर चलने के उपरांत उसे एक बाग दिखाई दिया जो कि
गुलाब के फूलों से भरा हुआ था। छोटा राजकुमार उन फूलों के करीब गया और
"गुड मार्निग" गुलाब के फूलों ने भी पलट कर जवाब दिया।

छोटा राजकुमार कुछ क्षण नज़रें गड़ाए ध्यान से उन्हें देखता रहा। सब के
सब उसके अपने फूल जैसे ही थे।
“तुम कौन हो?" उसने हैरानी से पूछा।

युवककोनेलावदिया
ff I”

और एकाएक उदास हो गया और सोचने लगा "मेरे कली ने बताया था कि


पूरे ब्रह्मांड में उसके जैसी कोई दूसरी कली नहीं है। लेकिन यहां तो एक ही बगीचे
में उसके जैसे पांच हज़ार से भी कहीं ज़्यादा कलियां हैं। इसका मतलब उसने झूठ
बोला... वह जानबूझकर खुद को मेरी नज़रों में ऊंचा दिखाना चाहती थी।"
"अगर वह खुद आकर इन्हें देख ले तो गुस्से से लाल-पीली हो जाएगी और
अपनी बेइज्जती से बचने के लिए ऐसे दिखावा करेगी मानो वह मर रही हो। और
फिर मुझे उसकी देखभाल करने का नाटक करना पड़ेगा, नहीं तो मुझे नीचा
ब्रूिने लिए वह सच में अपनी जान को दांव पर लगा देगी

छोटे राजकुमार

और फिर उसने खुद को सांत्वना देते हुए कहा "मुझे लगता है मैं इस दुनिया
का सबसे अमीर इंसान हूं, चूंकि मेरे पास एक बहुत अद्भुत और खूबसूरत गुलाब
है... फिर चाहे वह एक सामान्य गुलाब ही क्यों ना हो। इसके अलावा मेरे पास
तीन ज्वालामुखी हैं जो कि मेरे घुटनों तक आते हैं और उनमें से शायद एक हमेशा
के लिए विलुप्त हो जाएगा.... लेकिन इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।"
“म खश ...... और ब त खश ” कहत-कहतेवह घास पर लट गया और
जोर-जोर सेरोनेलगा, शायद उसेअपने ह और कली क याद आ रही थी।
3मध>याय 21

… #ी एक लोमड़ी की नज़र उस पर पड़ी जो कि झाड़ियों के पीछे छिपकर


"गुड मार्निग" लोमड़ी ने कहा।


"गुड मार्निग" छोटे राजकमुार ने भी विनम्रता से जवाब दिया। लेकिन जब
वह आवाज़ की दिशा में मुड़ा तो वहां कोई नहीं था।
"तुम कौन हो? और कहां हो?" छोटे राजकुमार ने इधर-उधर नज़र दौड़ाई।
"मैं यहां हूं, सेब के पेड़ के नीचे" दूसरी तरफ से आवाज़ आई।
"अरे वाह! तुम तो बहुत सुंदर हो, वैसे तुम हो कौन?" छोटे राजकुमार ने
पूछा

"मैं बहुत उदास हूं, क्या तुम मेरे साथ खेलोगी?"


"माफ करना, लेकिन मैं तुम्हारे साथ खेलने नहीं आ सकती क्योंकि मैं पालतू
नहीं हूं।
"ओह!!! प्लीज़ सॉरी, मैंने तुम्हें परेशान किया।" लेकिन फिर कुछ सोचने के
बाद बोला “पालतू का मतलब क्या होता है?"
"तुम्हें देखकर लगता है कि तुम कहीं दूर से आए हो। लेकिन तुम यहां किसे
ढूंढ रहे हो?" लोमड़ी ने पूछा।
"मैं इंसानों को ढूंढ रहा हूं।" छोटे राजकुमार ने कहा। "लेकिन यह पालतू क्या
?”

"इंसान!!! वही जो बंदूक लेकर शिकार करते हैं। वह बहुत निर्दयी लोग होते
है। जानवरों को मार कर उनका मांस खाने में उन्हें बहुत मज़ा आता है। क्या तुम
भी उन बेरहम लोगों की तरह शिकार करने आए हो?" लोमड़ी ने आशंकित
नज़रों से उसे देखा।
"नहीं, मैं यह सब नहीं खाता। मैं यहां पर बिल्कुल अकेला हूं और दोस्ती
करने के लिए उन्हें ढूंढ रहा हूं, लेकिन तुमने अभी कुछ देर पहले कहा था कि तुम
पालतू नहीं हो, तो इस पालतू का क्या मतलब होता है?" छोटे राजकुमार ने
पूछा।
"इसका मतलब हैः संबंध बनाना...। "

- हूं। लेकिन अगर तुम मुझे पालतू बना लोगे तो हम दोनो एकदूसरे
आवश्यकूताओं को पूरा कर सकते हैं। मेरे लिए, तुम बिल्कुल अद्भुत होगे और
तुम्हारे लिए, मैं बिल्कुल अलग रहूंगी।"
"गुड, अब मुझे थोड़ा-थोड़ा समझ आ रहा है" छोटे राजकुमार खुशी से
लगा।

…रात भी एक रूई-बार मुझे लगता है कि पाक में बार


।”
"संभवतया तुम सही कह रहे हो। चूंकि धरती पर ये सब होना कोई नई बात
नहीं है" लोमड़ी ने उसे सांत्वना देते हुए कहा।
"ओहो!!! लेकिन वह इस धरती पर नहीं है" छोटे राजकुमार ने कहा।
उसकी बातें सुनकर लोमड़ी थोड़ा उलझन में पड़ गई और बोली "तो क्या
वह किसी दूसरे ग्रह पर है?" - -

"हां, मैं किसी दूसरे ग्रह पर रहता हूं और मेरा फूल भी वहीं पर है" छोटे
राजकुमार ने बताया।
"क्या तुम्हारे ग्रह पर कोई शिकारी है?"
"यहूतों बहुत दिलचस्प बात है!!! और मुर्गियां ??"
"फिर तो एकदम सही है" लोमड़ी ने एक लंबी राहत की सांस ली।
थोड़ी ही देर में वह असली मुद्दे पर आ गई और बोली "मेरा जीवन बहुत
नीरस है। मैं अपना पेट भरने के लिए दूसरे जानवरों का शिकार करती हूं और
इंसान अपना पेट पालने के लिए मेरा। आज के समय में जानवरों और इंसानों में
कोई ज़्यादा अंतर नहीं है। हर रोज़ यही डर रहता है कि कल का सूरज देख
पाऊंगी या नहीं... सच कहूं तो मैं अपनी ज़िंदगी से ऊब चुकी हूं। लेकिन अगर
तुम मुझे पाल लो तो शायद मेरी ज़िंदगी का ढ़लता सूरज फिर से जगमगाने लगे।
मेरे अंदर एक ख़ास गुण है... मैं किसी को भी उसके कदमों की आहट से पहचान
सकती हूं। इन कदमों की आवाज़ को भांपकर मैं जल्दी से अपनी मांद में घुस
जाती हूं। अपने इसी गुण की बदौलत मैं आज तक अपनी रक्षा करती आई हूं।
लेकिन जब तुम आए तो ऐसा लगा जैसे कहीं संगीत बज रहा हो और मैं मंत्रमुग्ध
होकर अपनी मांद से बाहर चली आई। उधर देखो!!! उन मकई के खेतों को देख
रहे हो?मैं रोटी नहीं खाती। इसीलिए गेहूं मेरे किसी काम का नहीं है। ऐसा नहीं
है कि मेरा इन मकई के खेतों से कोई भावनात्मक लगाव है, लेकिन जब भी इन्हें
देखती हूं तो उदास हो जाती हूं। तुम्हारे बालों का रंग सुनहरा है। अगर तुम मुझे
पाल लोगे तो यह मेरे लिए बहुत अद्भुत और अविस्मरणीय जीवन रहेगा। चूंकि
गेंहू भी सुनहरी है और जब भी मैं इसे देखा करूंगी तो तुम्हारी याद आया करेगी।
##के में यातायात रहताओं की बयार
आता है।”
सुनने में मुझे बहुत मज़ा
अपने दिल के जज़्बात बयान करने के बाद लोमड़ी ख़ामोश हो गई और
टकटकी लगाकर छोटे राजकुमार के जवाब की प्रतीक्षा करने लगी।
हूयार्क किया हूं। मुझे पाल लो। ” लोमड़ी याचक की
भांति सिर झुकाए उसके सामने खड़ी थी।
तुम्हारी बात सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई, लेकिन अभी मैं ज़्यादा समय
यहां नहीं रुक सकता। क्योंकि अभी मुझे अपने दोस्तों को ढूंढना है और इस ग्रह
की बहुत सी चीजों के बारे में जानना है" छोटे राजकुमार ने जवाब दिया।
"लेकिन प्लीज़, मेरी बातों का बुरा मत मानना। अगर मुझे जल्दी ना होती
तो मैं तुम्हें ज़रूर पालता" छोटे राजकुमार ने उससे माफी मांगते हुए कहा।
"जानवर के दर्द को एक जानवर ही समझ सकता है। इंसानों के पास उनके
दुख-दर्द को समझने का वक्त ही कहां होता है। वे तो हर बनी-बनाई चीज़ को
दुकूानों से खरीद लेते हैं। लेकिन जहां तुम जा रहे हो, वहां तूम्हें ऐसी कोई दूकान
नहीं मिलेगी जहां से तुम अपने दोस्तों को खरीद सको। क्योंकि इंसान कभी किसी
के दोस्त नहीं होते... वे अपने मतलब के लिए ही दोस्त बनाते हैं। अगर तुम्हें
दोस्त चाहिए तो मुझे पाल लो! मैं हर पल तुम्हारे साथ रहूंगी और अपनी दोस्ती
का हर फर्ज़ निभाउंगी।"
"फिर मुझे क्या करना चाहिए?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"तुम्हें बहुत धैर्य से काम लेना होगा।" लोमड़ी ने कहा।
सबसे पहले तो तुम्हें कुछ वक्त के लिए मुझसे थोड़ा दूर बैठना होगा। मेरी
नजरें हर समय तुम पर ही रहेंगी लेकिन तुम कुछ नहीं बोलोगे। क्योंकि कई बार
शब्दों में उलझकर हम किसी गलतफ़हमी का शिकार हो जाते हैं। इसीलिए अगर
हमें किसी की भावनाओं को समझना है तो खामोशी से शांत चित्त होकर उसके
बारे में सोचो, तभी हम समझ पाएंगे कि हमारे लिए क्या सही है और क्या
गलत!!! लेकिन इस दौरान तुम हर रोज़ थोड़ा-थोड़ा करके मेरे नज़दीक बैठते

अगले दिन, छोटा राजकुमार वापस वहीं आ गया।


"आज तुम सही समय पर वापस आए हो।" चलो, अब मैं तुम्हें एक नई बात
बताती हूं जैसे कि "यदि तुम्हें शाम चार बजे आना होगा तो मुझे तीन बजे ही
तुम्हारे आने की खुशी महसूस होने लगेगी। जैसे-जैसे समय गुज़रता जाएगा, मैं
क्षा और ज़्यादा खुश हो जाऊंगी। लेकिन चार बजते ही मैं उत्तेजित
ऊंगी और तुम्हारी चिंता करना शुरू कर दूंगी। इस तरह मुझे खुशी की
की मत का अहसास होने लगेगा। लेकिन अगर तुम किसी भी समय आते रहोगे तो
पता ही नहीं चलेगा कि मेरा दिल कब तुम्हारा स्वागत करने को तैयार

# ... इसीलिए हमारा निश्चित संस्कारों का पालन करना अनिवार्य है।"


"यह संस्कार क्या होते हैं?" छोटे राजकुमार ने पूछा।

अपना पालतू बना लिया और जब उसके वहां से जाने का वक्त आया तो वह


मायूस सी होकर बोली "ओह!!! तुम सच में चले जाओगे?मत जाओ ना... नहीं तो
मैं रोने लग जाउंगी।”
"इसमें मेरा कोई दोष नहीं है...सारी गलती तुम्हारी ही है। मेरा इरादा तुम्हें
कभी भी दुख पहुंचाने का नहीं था। लेकिन तुम ही चाहती थी कि मैं तुम्हें पाल
लूं....मैंने तो सिर्फ तुम्हारी ख़्वाहिश पूरी की है" छोटे राजकुमार ने कहा।
"हां, तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो" लोमड़ी ने रुआंसी होकर कहा।
"लेकिन तुम तो रो रही हो!! " छोटे राजकुमार ने कहा।
"बस ऐसे ही" लोमड़ी ने कहा।
मैंने तुम्हें अपना पालतू तो बना लिया, लेकिन अब जब मैं चला जाऊंगा तो
इससे तुम्हें क्या फायदा होगा।" राजकुमार ने पूछा।
"तुम्हारी दोस्ती मेरे लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी। जब भी गेंहू के
सुनहरी खेतों को देखूंगी तो तुम्हें अपने पास होने का अहसास होगा। चलो, अब
जाओ और गुलाब के फूलों को एक नज़र देखो और फिर तुम खुद-ब-खुद समझ
जाओगे कि तुम्हारे जैसा अद्वितीय इंसान सारे संसार में कोई नहीं है। फिर उसके
बाद मुझे अलविदा कहने आना और तब मैं तुम्हें एक राज की बात
बताऊंगी"लोमड़ी ने कहा।
लोमड़ी की बात मानकर छोटा राजकुमार गुलाब के फूलों को देखने के लिए
चला गया।

उसने फूलों को देखा और कहा "तुम में से कोई भी मेरे गुलाब की तरह
खूबसूरत नहीं है। तुम्हें कोई भी पालतू नहीं बनाएगा और ना ही तुम किसी को
अपने वश में कर सकते हो। तुम बिल्कुल मेरी लोमड़ी की तरह हो, जब मैं पहली
बार उससे मिला था तो मेरे लिए वह, बाकी दूसरी लोमड़ियों की तरह ही
साधारण सी लोमड़ी थी। लेकिन अब वह मेरी दोस्त है और उसके जैसा दुनिया
में और कोई नहीं है।"
उसकी बात सुनकर फूल बहुत शर्मिदा हुए।
छोटे राजकुमार ने कहना जारी रखा "तुम सुंदर तो हो लेकिन अंदर से
बिल्कुल शून्य हो। तुम्हारे लिए कोई अपनी जान तक दे सकता है। हां, यह
निश्चित है कि कोई भी सामान्य राह-चलता इंसान मेरे गुलाब को देखेगा तो
यकीनन तुम जैसा ही बताएगा लेकिन वह तुम सब की तुलना में कई गुणा अधिक
महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वह अकेला ऐसा फूल है जिसे मैं पानी पिलाता हूं और मैंने
उसकी रक्षा के लिए उसे कांच के गुंबद में रखा है। सूरज की तेज़ धूप से बचाने के
लिए मैं उसे छाया में रखता हूं। उसकी रक्षा के लिए मैंने झींगों को भी मार दिया
(सिवाय दो-तीन को छोड़कर ताकि वे तितलियां बन पाए क्योंकि मेरे गुलाब को
तितलियां बहुत पसंद है)। और जब वह नाराज़ होती है, शिकायतें करती है या
फिर बड़ी-बड़ी डींगे मारती है तो मैं उसकी हर बात को प्यार से सुनता हूं,
क्योंकि वह मेरा फूल है और मैं उससे बहुत प्यार करता हूं।"
और फिर वह वापस लोमड़ी के पास चला गया।
"अलविदा दोस्त" छोटे राजकुमार ने लोमड़ी से जाने की इजाज़त मांगते हुए
कहा ।
“अलविदा... फिर मिलेंगे” लोमड़ी ने जवाब दिया।
"अब तुम्हें राज की बात बताने का समय आ गया है। यह बहुत आसान है
और केवल दिल की आंखों से ही इसे साफ-साफ देखा जा सकता है। जो आवश्यक
है वो आंखों के लिए अदृश्य है।"
" जो आवश्यक है वो आंखों के लिए अदृश्य है।" छोटे राजकुमार ने याद
रखने के लिए इसे दो-तीन बार दोहराया।
यह सिर्फ वक्त था जो तुमने अपने गुलाब पर बिताया और जिसने तुम्हारे
गुलाब को इतना ख़ास बनाया।

ने याद करने के इरादे से कहा।


"इंसान इस सार्वभौमिक सच्चाई को भूल चुके हैं लेकिन तुम इसे कभी मत
भूलना। जब तुम किसी के वश में होते हो तो उसकी सारी ज़िम्मेदारी तुम पर आ
जाती है और मेरी दुआ है कि तुम अपने गुलाब के प्रति अपनी सारी ज़िम्मेदारियां
बहुत अच्छे से निभाओ।"
"मुझे अपने गुलाब के प्रति ज़िम्मेदार रहना है।" छोटे राजकुमार ने याद रखने
के लिए इन पंक्तियों को दोहराया।
3मध्याय 22

"गुड मार्निग" छोटे राजकुमार ने कहा।


"गुड मार्निग" रेलवे सिग्रल-मैन ने मुस्कुरा कर जवाब दिया।
"आप यहां क्या करते हो?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"मेरा काम हज़ारों यात्रियों के नामों को क्रमबद्ध करके लगाना है और इसके
ड्रतुिफ़िर्म गाड़ियों को दाएं सेवायें और बायें सेवाएं ले जाता ह सिग्रल-मैन
बताया।

और तभी एक शानदार एक्सप्रेस गाड़ी ने ज़ोर से गड़गड़ाहट की गर्जना की


और इशारा मिलते ही चल पड़ी।
"वहां सब लोग बहुत जल्दी में हैं, वे क्या ढूंढ रहे हैं?" छोटे राजकुमार ने
पूछा।
"शायद लोकोमोटिव ड्राइवर खुद भी कुछ नहीं जानता।" सिग्रल-मैन ने
बताया।

तभी एक दूसरी शानदार एक्सप्रेस गाड़ी गड़गड़ाहट करती हुई दूसरी दिशा
से आई।
इसे देखकर छोटा राजकुमार बहुत हैरान हुआ और सिग्रल-मैन से पूछने
लगा "अभी तो यह गई थी तो फिर वृापस क्यों आ गई?"
"नहीं, यह वहू नहीं है। यह दूसरी गाड़ी है" सिग्रल-मैन ने बताया।
"क्या वे अपनी जगह से संतुष्ट नहीं थी?" छोटे राजकुमार ने मासूमियत से
पूछा।
"आज तक भला अपनी जगह से कोई संतुष्ट कहां रहा है।" सिग्रल-मैन ने
जवाब दिया।
तभी उन्हें एक तीसरी एक्सप्रेस गाड़ी की गूंज सुनाई दी।
"क्या वे सब पहले वाले यात्रियों का पीछा कर रहे हैं ?" छोटे राजकुमार ने
पूछा।
"नहीं, वे कभी किसी का पीछा नहीं करते। वे तो हमेशा वहां सोते रहते हैं
या जम्हाई लेते रहते हैं। जबकि छोटे बचे खिड़कियों के शीशों के साथ नाक रगड़
कर अजीब तरह की शक्लें बनाते हैं।"
"केवल बच्चों को पता होता है कि वे क्या ढूंढ रहे हैं?" छोटे राजकुमार ने
कहा। "बद्धे एक छोटी सी कपड़े की गुड़िया देखकर ही खुश हो जाते हैं और उन्हें
सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण मानने लगते है। लेकिन अगर कोई उनसे इसे छीनने की
कोशिश करें तो वे रो-रोकर आसमान सिर पर उठा लेते हैं।"
"वे बहुत किस्मत वाले होते हैं क्योंकि उन्हें जो चाहिए, वे उसे लेकर ही दम
लेते हैं।" सिग्रल-मैन ने कहा।
3Hधयाय 23

"गुड मार्निग" छोटे राजकुमार ने कहा।


"गुड मार्निग" व्यापारी ने भी हंस कर जवाब दिया।
वह एक व्यापारी था और लोगों की प्यास बुझाने के लिए अत्याधुनिक
तरीके से बनी गोलियां बेचता था। अगर कोई व्यक्ति सप्ताह में इस एक गोली को
निगल ले तो पूरा सप्ताह उसकी पानी पीने की इच्छा गायब हो जाती थी।

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**Rel*)
"तुम इन्हें क्यों बेच रहे हो?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"क्योंकि इससे समय की बचत होती है। इस दवा को दुनिया के महान
विशेषज्ञों ने बहुत मेहनत से बनाया है। उनका मानना है कि अगर कोई व्यक्ति हर
सप्ताह एक गोली खा ले तो वह प्रति सप्ताह अपने तिरेपन मिनट बचा सकता है"
व्यापारी ने कहा।
"लेकिन लोग इन बचे हुए तिरेपन मिनट का क्या करते हैं?"
"जिसका जो मन करे, वह वही करता है।"
“अगर मेरे पास तिरेपन मिनट खर्च करने की हो तो मैं ताजे पानी के झरने
की तरफ धीरे-धीरे चलू" छोटे राजकुमार ने कहा।
3मध>याय 24

मुझे आठ दिन हो चुके थे और इस दौरान छोटे


राजकुमार ने मेरा पूरा साथ दिया। पहल तो वह मुझे जरा भी अच्छा नहीं
लगा क्योंकि वह बहुत बातूनी था और हर छोटी से छोटी बात पर भी सवाल
खड़ा कर देता था, लेकिन धीरे-धीरे मुझे उसकी यह आदत बहुत अच्छी लगने
लगी। आज सुबह, जब वह व्यापारी से अपनी मुलाकात वाली कहानी सुना रहा
था तो मेरे आपातकालीन पीने के पानी की आखिरी बूंद भी खत्म हो गई।
"अहा!!! तुम्हारा सफर तो काफी मज़ेदार और यादगार रहा, लेकिन अभी
तक मैं अपने हवाई-जहाज की मरम्मत करने में सफल नहीं हुआ। अब तो मेरे
पास पीने का पानी भी नहीं बचा। कितना अच्छा होता, अगर यहां कहीं ताजे
पानी का स्रोत मिल जाता। कम से कम ज़िंदा रहने की उम्मीद तो होती" मैं
उदास हो गया।
दोस्त, लोमड़ी ने मुझसे कहा था कि...... " छोटा राजकुमार कुछ कहना
चाहता था लेकिन मैंने उसकी बात बीच में ही काट दी और कहा "मेरे प्यारे
दोस्त, इस बात का लोमड़ी वाले किस्से से कोई लेना-देना नहीं है।"
“लेकिन क्यों...??”
"क्योंकि हमें प्यास लगी है और लोमड़ी की कोई भी शिक्षा हमारी प्यास
नहीं बुझा सकती।"
उसने मेरे तर्क को अनसुना करके अपना कहना जारी रखा "एक दोस्त होना
बहुत अच्छी बात है और अगर कोई मरने वाला हो तो यह दोस्त ही होते हैं जो
उनके ग़म में भी साए की तरह उनके साथ रहते हैं। और लोमड़ी को अपने दोस्त
के रूप में पाकर मैं बहुत खुश हूं।"
उसकी बातें सुनकर मैं खुद से बड़बड़ाया “मौत का साया मेरे सिर पर मंडरा
रहा है और इसे मज़ाक सूझ रहा है। लेकिन इससे, उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा
ांकि उसे भूख-प्यास नहीं लगती। उसके ज़िंदा रहने के लिए सूरज की थोड़ी सी
# लिए भूख-प्यास मिटाना बहुत ज़रूरी है।"
तभी उसने मेरी तरफ देखा और मेरे विचारों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए
"मुझे भी बहुत प्यास लगी है... चलो, चलकर कहीं पानी का कुआं तलाश

* भी-कभी उसकी बातें सुनकर ऐसा लगता है मानो उसमें मन की बात


की शक्ति हो। मैंने आलस्य के भाव बनाए क्योंकि इतने बड़े रेगिस्तान में
किसी सही जानकारी के एक कुएं की तलाश करना बहुत बेतुकी बात थी।
# फिर भी हमने चलना शुरू कर दिया।
कई घंटों तक हम खामोशी से यूं ही चलते रहे... थोड़ी देर में अंधेरा घिरने
लगा और सितारों ने आकाश में डेरा जमा लिया। प्यास की वजह से मेरी हालत
डांवांडोल
ांडोल थी और सब कुछ एक ख़्वाब के समान लग रहा था। तभी छोटे
राजकुमार के कहे अंतिम शब्द मेरे दिमाग़ में घूमने लगे और मैंने उससे पूछा "तो
क्या तुम्हें भी प्यास लगी है?"
लेकिन उसने मेरे सवाल का कोई जवाब नहीं दिया और केवल इतना ही
कहा "पानी दिल के लिए अच्छा हो सकता है... तो पीने में क्या बुराई है।"
मुझे उसकी बात समझ तो नहीं आई, लेकिन इतना ज़रूर जानता था कि
उससे कुछ भी पूछने का कोई फायदा नहीं है। इसलिए उस वक्त मुझे चुप रहना
ही बेहतर लगा।
जब वह काफी थक गया तो आराम करने के लिए रेत पर बैठ गया। मैं भी
उसकी बगल में बैठ गया। थोड़ी चुप्पी के बाद उसने फिर से बोलना शुरू कर
दिया "सितारे बहुत सुंदर है ना....। "
"हां, बहुत खूबसूरत हैं" कहकर मैं चांदनी रात में चमक रहे रेत के टीलों को
लगा।

रेगिस्तान भी बहुत खूबसूरत है... " उसने कहा।


"हां, तुम तुमू सही कृह रहे हो। मुझे यह हमेशा से ही बहुत अच्छे लगते हैं।
रेत के टीलों पर बैठ कर दिल को एक अजीब सा सुकून मिलता है। इतनी ऊंचाई
में ना तो कुछ सुनाई देता है और ना ही कुछ दिखाई देता है.... चारों तरफ सांय
सांय करती खामोश हवाओं की चीत्कार, जो हृदय को झिंझोंड़ कर रख देती है।"
"रेगिस्तान इतना खूबसूरत क्यों है?क्या रेगिस्तान ने सचमुच अपने गर्भ में
कोई कुआं छिपा रखा है?" छोटे राजकुमार ने उत्सुकता से पूछा।

"हा, यह एक घर था.... में ां, रेगिस्तान की तरह ही


ऐसी बहुत सी चीजें मिलेंगी जो की अद्भुत मिसाल होंगी लेकिन
उनकी खूबसूरती के स्रोत को देख पाना संभव नहीं " मैंने छोटे राजकुमार को
समझाते हुए कहा।
लगा।

कुछ देर बाद उसकी आंख लग गई। मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और फिर
से चलना शुरू कर दिया। चलते-चलते मैं काफी दूर जा चुका था। इस दौरान मुझे

में उठाई हुई है। शायद छोटे राजकुमार जितना नाजुक दुनिया में कोई भी नहीं
था। चांदनी रात में जब मेरी नज़र उसके छोटे से पीले माथे, बंद आंखों और
सुनहरी धुंघराले बालों जो कि हवा के झोंकों से झूल रहे थे पर पड़ी तो मन में
उसे लेकर कुछ ख़्याल आए "देखने में तो इंसानों जैसा ही लगता है लेकिन वजन
में किसी खोल से ज़्यादा भारी नहीं है। यह होकर भी ना होने के जैसा ही
है...एकदम अदृश्य!!! "
नींद में उसके अधखुले होंठों को देखकर ऐसा लगता था मानो वह मेरी बातें
सुनकर मुस्कुरा रहा हो। उसका रूप-सौंदर्य और प्यारी सी मुस्कान मेरे दिल को
छू रही थी। और एक विचार रह-रह कर दिल में आ रहा था, छोटे राजकुमार को
इतनी मासूमियत से गहरी नींद में सोता देख कर पता चलता है कि यह अपने
फूल के प्रति भी इतना ही वफादार होगा... गुलाब की छवि दीपक की लौ की
तरह इसके सोते हुए चेहरे पर साफ-साफ चमक रही है। और यह मुझे पहले से
भी कहीं ज़्यादा हल्का महसूस हो रहा है। जिस प्रकार लैंप को बहुत ध्यानपूर्वक
रखना पड़ता है। चूंकि हवा का एक छोटा सा झोंका इसे बुझाने के लिए काफी

* ट्रक की कार को भी छोटे राजकुमार को बहुत ध्यान से पकड़ना

मैं लगातार चलता रहा, देखते ही देखते सवेर हो गई और सूरज की पहली


किरण के साथ ही मुझे एक कुआं दिखाई दिया।
3मध>याय 25

“स्टेशन पर एक्सप्रेस गाड़ियों में इंसानों की भीड़ पागलों के तरीके से उमड़


रही थी। किसी को कुछ ख़बर नहीं थी कि वे क्या कर रहे हैं, कहां जा रहे हैं। हर
तरफ कोलाहल मचा था। लोग इतने उत्तेजित थे कि हड़बड़ी में एक-दूसरे पर
झपट रहे थे। क्या यह खतरनाक नहीं है?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"हां, खतरनाक तो है, लेकिन लोग हमारी-तुम्हारी बातों को कभी नहीं
गेि। वे सिर्फ वही करते हैं जो उनको अच्छा लगता है" मैंने उसे समझाया।
हम जिस कुएं पर पहुंचे, वह सहारा के सामान्य कुओं की तरह नहीं था।
सहारा के कुएं रेत में खोदे हुए होते हैं, लेकिन यह बिल्कुल किसी गांव के कुएं
जैसा लग रहा था। जबकि दूर-दूर तक किसी गांव का कोई नामो-निशान नहीं
था।

"कितनी अजीब बात है ना!!! चरखी, बाल्टी और रस्सी सब कुछ पहले से ही


तैयार है...जैसे किसी को पहले से ही हमारे आने की खबर हो। मैं कोई सपना तो
नहीं देख रहा ना?” मैंने हैरानी व्यक्त की।
छोटा राजकुमार हंसने लगा और रस्सी को छू कर देखा। चरखी भी अच्छी
तरह से चल रही थी। चरखी के चलने पर ऐसी मधुर आवाज आती थी मानो
किसी वीणा-वादक ने संगीत की मधुर तान छेड़ दी हो।
तुमने कुछ सुना?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"हां, कोई संगीत जैसी आवाज....यह कुएं में से आ रही है।"
उसे ज़्यादा परेशान करने का मेरा कोई इरादा नहीं था। इसीलिए मैंने उसके
हाथ से रस्सी पकड़ी और कहा "यह बहुत भारी है, तुमसे नहीं होगा।"
फिर मैंने धीरे-धीरे पानी की बाल्टी उपर खींची और कुंए के किनारे पर रख
दिया। चरखी के मधुर संगीत की धुन अभी भी मेरे कानों में बज रही थी। कुएं के
कांपते पानी में सूरज की झिलमिलाती हुई परछाई दिखाई दे रही थी।
"मुझे बहुत प्यास लगी है, थोड़ा पानी पीने को दो ना" छोटे राजकुमार ने
आतुरता दिखाते हुए कहा। • •

उसकी पानी पीने की लालसा देख कर मुझे बहुत हंसी आई और मैंने बाल्टी
उठाकर उसके होंठो से लगा दी। उसने आंखें बंद करके थोड़ा सा पानी पिया और
कहा "यह तो त्यौहारों में बनने वाली मिठाईयों से भी कहीं ज़्यादा मीठा है।"
जिंदगी में पहली बार उसने पानी का स्वाद चखा था। "हां, सचमुच... यह पानी,
साधारण पानी से बिल्कुल अलग है। क्योंकि यह सितारों की छांव में, चरखी के
संगीत और मेरे हाथों की मेहनत से पैदा हुआ है और तुम्हारे दिल के लिए भी
बहुत अच्छा है" मैंने हंसते हुए कहा। जब मैं भी तुम्हारी तरह छोटा बच्चा था तो
क्रिसमस वाले दिन मुझे बहुत से उपहार मिलते थे जैसे कि क्रिसमस ट्री की
रोशनी, आधी रात को बजने वाला संगीत और हंसते-मुस्कुराते चेहरों की रौनक
और बहुत से तोहफे जिन्हें देखकर मेरी खुशी संभाले ना संभलती थी।
"तुम जहां रहते हो, क्या वहां भी एक ही बगीचे में पांच हज़ार गुलाब के
फूल एक साथ खिलते हैं? और क्या लोगों को जिस खुशी की तलाश होती है, वह
उन्हें मिल जाती है?" छोटे राजकुमार ने पूछा।
"नहीं, वह इसे कभी नहीं पा सकते क्योंकि उनकी ख़्वाहिशें कभी खत्म नहीं
होती" मैंने जवाब दिया।

…ॉनवोली ।” वाले को एक बात और बोपनी नीति


"हां बिल्कुल, लेकिन ये मेरी और तुम्हारी सोच है... वे ऐसा कभी नहीं
सोचते। फूल-पानी का उनके लिए ज़्यादा महत्व नहीं होता" मैंने जवाब दिया।
"लेकिन आंखें तो अंधी होती है.... उन्हें तो वही दिखाई देता है, जो हम
देखना चाहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने दिल की आंखों से देखना चाहिए।" छोटे
राजकुमार ने कहा।
मैंने पानी पी कर प्यास बुझाई और चैन की सांस ली। सूर्योदय की रोशनी में
रेत का रंग शहद की तरह लग रहा था। मैं कुंए के किनारे बैठा इस शहद रूपी
सुनहरी रंग का आनंद उठा रहा था। लेकिन फिर भी दिल के किसी कोने में दुख
की अनुभूति हो रही थी।
तुम्ह अपना वाद। पूरा करना होगा।” छाट राजकुमार ने एकाएक कह। और
आकर मेरी बगल में बैठ गया।
“वादा ??कौन सा वादा?" मैंने हैरानी से पूछा।
"इतनी जल्दी भूल गए!!! तुमने मेरी भेड़ के लिए नालमुख बनाने का वादा
किया था। देखो, तुम्हें अपना वादा ज़रूर पूरा करना होगा क्योंकि अब फूल की
सारी ज़िम्मेदारी मेरे ऊपर है।"
मैंने तभी अपनी जेब से एक मुड़ा हुआ रफ स्कैच निकाला और खोलने लगा।
जब छोटे राजकुमार ने इसे देखा तो हंसकर लोट-पोट हो गया और बोला
"तुम्हारा बाओबाब
ff !!! हंसोतोमत....
बिल्कुलमुझे
गोभी जैसा
अपने दिखतापर
बाओबाब है।"गर्व है" मैंने भी पलट कर
जवाब दिया।
a: करीबहनोमी
है। ”
nu nu nu nu mu उसके कान भी तो सींग जैसे भयानक दिखाई

फिर वह ठहाके मार-मारकर हंसने लगा।


"किसी की कलाकारी का मज़ाक उड़ाना अच्छी बात नहीं है, छोटे
राजकुमार। यह मेरी बचपन की बनाई हुई पहली पेंटिंग है, इसीलिए मैं चाहकर
भी इसे खुद से अलग नहीं कर सकता।"
"हा...हा...हा...माफ करना। मैं तो बस मज़ाक कर रहा था। तुम्हें जैसा आता
है बना दो... बच्चों को समझ आ जाएगा।" छोटे राजकुमार ने कहा।
मैंने कागज पर उसकी भेड़ के लिए नालमुख बनाई। जैसे ही कागज़ उसे देने
लगा तो मेरी आंखें आंसूओं से नम हो गई और कहा "छोटे राजकुमार, मुझे
तुम्हारी योजनाओं के बारे में कुछ नहीं पता लेकिन दुआ करता हूं कि तुम जहां
भी रहो, हमेशा खुश रहो।"
उसने कोई जवाब नहीं दिया। फिर थोड़ी देर शान्त रहने के बाद बोला
"तुम्हें पता है, मुझे धरती पर आए आठ दिन हो गए.... और मेरे ग्रह के मुताबिक
कल इसकी सालगिरह है।"
“तुम उदास मत हो, मैं जल्द ही यहां वापस आऊंगा।"
ना-जाने कैसा अजीब सा रिश्ता बन गया था। हम दोनों के बीच में... उसके
चले जाने की बात सुनते ही दिल में एक टीस सी उठने लगी, मैं चाहकर भी उसे
रोक नहीं सकता था। किसी तरह से खुद को संभाला और पूछा "यह तो तय है कि
कल के बाद हमारी मुलाकात शायद कभी ना हो। आठ दिन पहले, जब तुम
पहली बार इस रेगिस्तान में आए तो तुमने क्या सोचा था?क्या उस वक्त तुम्हारे
दिमाग में वापस अपने ग्रह पर लौट जाने का ख़्याल आया था?"
छोटा राजकुमार चुपचाप बैठा शरमा रहा था।
"शायद तुम अपनी सालगिरह के नाम से शरमा रहे हो?" मैंने थोड़ा
झिझकते हुए पूछा।
छोटा राजकुमार फिर से शरमाया। उसने मेरे किसी सवाल का जवाब नहीं
दिया। लेकिन यह बात तो आपसे भी नहीं छुपी कि अगर कोई शरमाता है तो
इसका मतलब "हां" ही होता है। •

"मेरे दोस्त, मुझे बहुत डर लग रहा है। तुम चले जाओगे तो मैं फिर से
अकेला हो जाऊंगा।"
तब उसने आश्वासन देते हुए कहा "अब तुम्हें अपने हवाई-जहाज के इंजन को
ठीक करने के लिए जाना चाहिए। मैं यहीं तुम्हारा इंतज़ार करूंगा। कल शाम तक
वापस आ जाना...। ”
उसने मुझे तो किसी तरह से समझा कर वहां से भेज दिया लेकिन वह खुद
ज़रा भी आश्वस्त नहीं था। उसे अपनी लोमड़ी की बहुत याद आ रही थी। जब
कोई किसी को अपना बना लेता है तो उसके याद आने पर रोना स्वाभाविक हो
जाता है। छोटा राजकुमार अपनी मूंह से तो कुछ नहीं कह रहा था मगर उसकी
आंखों की गहराई में छिपे दर्द से मैं अनजान नहीं था।
3मध>याय 26

कुएं के पास एक पुराने पत्थरों से बनी टूटी-फूटी दीवार थी। अगले दिन, जब
मैं शाम को अपना काम खत्म करके वापस आया तो मेरी नज़रें दूर से ही छोटे
राजकुमार को ढूंढ रही थी, मैंने देखा कि छोटा राजकुमार दीवार पर चढ़ कर
बैठा था और मस्ती में अपनी टांगों को झूला रहा था। उसे देखते ही मेरे चेहरे पर
मुस्कुराहट छा गई। लेकिन तभी मैंने दूर से ही उसे कुछ कहते हुए सुना "तुम्हें
याद नहीं है क्या?यह काफी नहीं था!!! "
इसमें कोई शक़ नहीं था कि छोटे राजकुमार के अलावा, कोई और भी वहां
मौजूद था जो उससे बातें कर रहा था, तभी छोटे राजकुमार ने जवाब दिया

मैं लगातार दीवार की तरफ बढ़ता जा रहा था लेकिन ना तो मुझे वहां कोई
दिखाई दे रहा था और ना ही किसी की आवाज़ सुनाई दे रही थी। तभी छोटे
राजकुमार ने दोबारा उत्तर दिया "हां... हां, ज़रूर। तुम देखना, मेरे निशान रेत
में कहां तक जाते हैं। मेरा इंतज़ार करना, मैं आज रात को वहीं होऊंगा।"
मैं दीवार से केवल बीस मीटर की दूरी पर था और अभी तक मुझे वहां कोई
दिखाई नहीं दे रहा था। एक छोटी सी चुप्पी के बाद छोटा राजकुमार फिर से
बोला "क्या तुम्हारा ज़हर अच्छा है?तुम्हें यकीन है ना, इससे मुझे ज़्यादा तो
नुकसान नहीं पहुंचेगा?" -

मेरे कदम डगमगा रहे थे और किसी अनहोनी की आशंका से दिल घबरा


रहा था लेकिन सब कुछ अभी भी समझ से बाहर था।

पर आप दो सैकेंड में मर सकते हो, वह दीवार के सहारे अपना सिर ऊपर उठाए
छोटे राजकुमार की तरफ देख रहा था। मैंने फटाफट अपनी जेब में से रिवॉल्वर
निकाला और दीवार की तरफ भागा, लेकिन शोर की वजह से सांप तेज गति से
रेंगते हुए रेत में घुस गया और देखते ही देखते पत्थरों के बीच कहीं गायब हो
गया।

मैं दौड़ कर दीवार के पास पहुंचा और छोटे राजकुमार को गोद में उठा
लिया। घबराहट की वजह से उसका चेहरा बर्फ की तरह सफेद पड़ गया था।
"ये सब क्या हो रहा था?तुम सांपों के साथ बातें क्यों कर रहे थे?" मैंने
डांटते हुए पूछा और उसका सुनहरा गुलबंद जिसे वह कभी अपने से अलग नहीं
करता था, को खोल दिया। फिर मैंने रूमाल से उसका पसीने से तर-बतर माथा
पौंछा और उसे थोड़ा पानी पिलाया। उसकी घबराहट देख कर मैंने उससे कोई
सवाल नहीं किया। उसने गंभीरता से मेरी तरफ देखा और जोर से मुझसे लिपट
गया। उसका दिल एक घायल पक्षी की तरह तेज़ी से धड़क रहा था जिसे किसी
शिकारी ने अपनी गोली का निशाना बनाया हो।
कुछ देर बाद, मैं उसका मन बहलाने के लिए यहां-वहां की बातें करने लगा
और तभी उसने कहा "तुम्हारे इंजन के ठीक होने से मैं बहुत खुश हूं... और अब
तुम वापस घर जा सकते हो।"
तुम्हें कैसे पता?" मैंने हैरानी से पूछा, चूंकि मैंने इंजन ठीक होने वाली बात
अभी तक उसे बताई नहीं थी। वास्तव में, मैं उसे बताने ही वाला था कि अपनी
सारी उम्मीदों के विपरीत, मैं अपने प्रयासों में पूरी तरह सफल रहा।
लेकिन उसने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया और धीरे से मेरे कान में
फुसफुसाया "मैं भी आज अपने घर वापस जा रहा हूं।"
..रियाहयोग दिया होगा तारबोसायवहार बताया कि
।”
उसके दिल में उठे भावनाओं के तूफान को मैं समझ सकता था। मैंने प्यार से
उसे गोद में उठाया और कसकर गले से लगा लिया। लेकिन अभी भी ऐसा लग
रहा था मानो अभी वह मेरे हाथों से फिसलकर किसी खाई में जा गिरेगा और मैं
उसे बचाने के लिए कुछ नहीं कर पाऊंगा। उसे खोने का डर मुझे पल-पल मार
रहा था।
कुछ देर तक हम दोनों एक-दूसरे की आंखों में देखते रहे। उसकी आंखे बिना
कुछ कहे उसके दिल का सारा हाल बयान कर रही थी। उसे भी मुझसे बिछुड़ने
का उतना ही दुख था, जितना मुझे।
"मेरे पास तुम्हारी भेड़ है और भेड़ के लिए बनाया गया बॉक्स भी है। और
मेरे पास भेड़ के लिए बनाई हुई नालमुख भी है" उसने अपने उदास चेहरे पर
लाने का प्रयास किया।
फिर वह मेरे गले से लिपट गया और कुछ नहीं बोला।
मैं काफी देर तक उसके बोलने का इंतज़ार करता रहा। धीरे-धीरे उसका
शरीर आग के समान तपने लगा और मैंने घबराकर पूछा "माइ डियर लिटिल
ऐंजल, तुम डर रहे हो क्या?" •

वह निश्चित ही डर रहा था लेकिन फिर भी धीरे से हंसा और बोला “मुझे


शाम होने से बहुत डर लग रहा है... "
एक बार फिर से मैं कुछ अप्रिय होने की कल्पना से कांप गया। मेरे हाथ-पैर
ठंडे हो रहे थे। उसकी हंसी फिर कभी ना सुन पाने की बात सोच कर मेरा दिल
#### लिए छोटे राजकुमार का साथ रेगिस्तान में ताजे पानी के झरने
समान था।
लेकिन उसने कहा "आज रात को मुझे यहां आए एक साल हो जाएगा। मेरा
सितारा उस स्थान के बिल्कुल ऊपर होगा जहां मैं एक साल पहले आया था।"
मेरे दिल की तड़प अपने आखिरी चरम पर थी। मेरे लिए ये सब किसी बुरे
ख़्वाब जैसा था "लिटिल प्रिंस, एक बार कह दो कि यह सब एक बुरा सपना है,
सांप की कहानी, सितारे और तुम्हारी सारी मुलाकातें एक झूठ है... "
लेकिन उसने मेरे सवालों का जवाब देने की बजाय कहा कि "ज़रूरी नहीं कि
हर महत्वपूर्ण चीज़ दिखाई ही दे, कई बार सब कुछ सामने होते हुए भी हम उसे
देखने से इंकार कर देते हैं।"
"हां, मैं जानता हूं" मैंने उसकी हां में हां मिलाई।
"बिल्कुल एक फूल की तरह। मान लो कि तुम किसी ऐसे फूल से प्यार करते
हो जो कि किसी सितारे पर रहता है तो रात को आकाश में उसे टकटकी लगाकर
देखना बहुत अच्छा लगता है।"

"यह पानी के समान ही होता है। कुएं का मीठा पानी, चरखी के घूमने पर
बजने वाला संगीत, रस्सी और कुएं के पानी में से सूरज का प्रतिबिंब... तुम्हें याद
है ना सब?सब कुछ कितना सुंदर था। आठ दिनों में मैंने यहां जो कुछ भी देखा,
उसे मैं कभी भुला नहीं पाऊंगा" छोटे राजकुमार ने कहा।
"रात को जब तुम सितारों को देखा करोगे तो मैं भी वहां से तुम्हें देखा
करूंगा लेकिन मेरा ग्रह छोटा होने के कारण शायद मैं, यहां से तुम्हें दिखाई ना दूं
लेकिन एक-दूसरे को देख पाने की खुशी तो हमेशा साथ रहेगी ना...। मेरा ग्रह भी
तुम्हारे लिए बाकी सितारों की तरह एक तारा ही होगा। इसीलिए जब तुम उन्हें
देखने लग जाओगे तो तुम्हें भी उनसे प्यार हो जाएगा और वे सब तुम्हारे दोस्त
बन जाएंगे। और हां... मेरे पास तुम्हारे लिए एक बहुत खूबसूरत सा तोहफा है
जिसे देखकर तुम बहुत खुश होगे।"
फिर वह जोर-जोर से हंसने लगा।
“आहा!!! लिटिल प्रिंस, मॉय डियर स्वीट लिटिल प्रिंस, तुम्हारी प्यारी सी
हंसी सुनना मुझे बहुत अच्छा लगता है" कहकर मैंने उसे गले से लगा लिया।
"तुम्हें पता है, तुम्हारी हंसी मेरे लिए दुनिया का सबसे अनमोल तोहफा
है...पानी से भी अनमोल!!! "
"यह तुम क्या कह रहे हो?" - •

“मतलब यह कि सितारे सबके लिए एक जैसे नहीं होते। सब लोगों के लिए


सितारों का अलग-अलग मतलब होता है। कुछ के लिए यह आकाश में जगमगाती
रोशनी से ज़्यादा कुछ नहीं होते। मुसाफिरों के लिए यह मार्गदर्शक हैं तो विद्वानों
के लिए सोच का आधार और व्यापारियों के लिए यह अनमोल खज़ाना। लेकिन
#।”
भी सितारे खामोश हैं और जगमगा कर सबके प्रति अपना फर्ज़ निभा रहें

"मैं भी अपना फर्ज़ निभाऊंगा" छोटे राजकुमार ने कहा।


“लेकिन कैसे?”
"जब तुम रात को आकाश में देखोगे तो मैं भी उन सारे सितारों में जगमगा
रहा होऊंगा और जब सारे सितारे तुम्हारे लिए हंसेंगे तो उनमें से एक मैं भी
होऊंगा जो सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए ही हसुंगा।"
यह कहकर वह फिर से हंसने लगा।
"और जब तुम हमारे बिछुड़ने के दुख से मुक्त हो जाओगे तो तुम्हें मुझसे
मिलने की खुशी का अहसास होगा। तुम मेरे अच्छे दोस्त हो और हमेशा रहोगे। मैं
चाहकर भी तुम्हें कभी भुला नहीं पाऊंगा। जब कभी तुम अपना मन बहलाने के
लिए अपनी खिड़की खोलोगे तो तुम्हें आकाश की तरफ मुस्कुराता देखकर तुम्हारे
सारे दोस्त हैरान हो जाएंगे। और तब तुम उन्हें कह सकोगे कि हां, सितारे हमेशा
मुझे हंसाते हैं। तुम्हारी बहकी-बहकी बातें सुनकर सब सोचेंगे कि तुम पागल हो
गए हो। इस तरह मेरी थोड़ी सी शैतानी तुम पर बहुत भारी पड़ जाएगी।"
और वह फिर से हंस पड़ा।

------

“अब देखो, मैंने तुम्हें कितना कुछ दे दियाः इतनी सारी यादें, इतने सितारे,
इतनी सारी छोटी-छोटी घंटियां जो तुम्हारे उदास होने पर तुम्हें हंसाएंगी।"
इतना कहकर वह फिर से हंसने लगा। फिर एकदम से वह शान्त हो गया
और गंभीर होकर बोला "आज की रात मेरे लिए बहुत ख़ास है, क्योंकि यह कभी
वापस नहीं आएगी..... आज मैं, अपनी ज़िंदगी के सारे खूबसूरत पल यहां तुम्हारे
साथ बांटना चाहता हूं..."
"मैं तुम्हें कहीं जाने नहीं दूंगा" मेरे दिल का दर्द चुपके से जुबां पर आ गया।
ऐसा लग रहा था मानो मेरे शरीर से जान निकल रही हो और मैं निष्प्राण
सा खड़ा उसे ताक रहा था।
तुम यहीं रहोगे... मेरे साथ... मैं तुम्हें कभी कहीं जाने नहीं दूंगा।"
मेरी बातें सुनकर वह परेशान हो गया।
उसे चिंतित होता देखकर मैंने खुद को संभाला और बात पलटते हुए कहा
"मैं तो यह सिर्फ इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मुझे डर है कि कहीं फिर से कोई
सांप आकर तुम्हें काट ना ले। सांप बहुत चालाक जन्तु होते हैं जो अपने थोड़े से
मनोरंजन के लिए किसी को भी काट सकते हैं।"
लेकिन मेरे कहे शब्द लगातार उसके मस्तिश्क में हलचल मचा रहे थे।
"हां, इस सच से मुझे इंकार नहीं है कि एक पल काटने पर वे ज़हर नहीं
।”
- उस रात जब हम बातें कर रहे थे तो मेरा ध्यान दूसरी तरफ था। तभी छोटा
राजकुमार उठा और बिना कोई आवाज़ किए वहां से चला गया। कुछ देर बाद,
जब मैंने पलट कर देखा तो उसे वहां ना पाकर घबरा गया और पागलों की तरह
इधर-उधर दौड़ने लगा। तभी मेरी नज़र दूर जाती एक परछाई पर पड़ी और मैं
तेजी से उस परछाई के पीछे भागा। वह तीव्र गति से भाग रहा था, लेकिन
आखिरकार मैं उसे पकड़ने में कामयाब हो गया।
लिया वहां देखकर उसने महज़ इतना ही कहा "ओह!!! तुमने मुझे ढूंढ ही

फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और हल्का सा मुस्कुराया। उसके चेहरे पर चिंता
साफ झलक रही थी।
"तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था। तुम मुझे जाते हुए नहीं देख पाओगे और
दुखी हो जाओगे.... और मैं तुम्हें दुखी नहीं करना चाहता।"
मैंने कुछ नहीं कहा और मुंह लटकाए उसके सामने खड़ा रहा।
"तुम्हें छोड़ कर जाना मेरे लिए भी आसान नहीं है लेकिन तुम्हें खुद को
संभालना होगा। मेरा सफर बहुत लंबा है और मैं अपने इस मृत शरीर को साथ
मैं निशब्द सा बना रहा।
मैं फिर से खामोश था।
मेरे उदास होने से उसकी हिम्मत टूट गई। लेकिन उसने मुझे समझाने का
आखिरी प्रयास किया।

“तुम्हें पता है, जब मैं अपने ग्रह से सितारों को देखा करूंगा तो मेरे लिए
सारे सितारे जंग लगी चरखी के कुओं जैसे ही होंगे और फिर वे सब मिलकर मेरे
पीने के लिए पानी निकालेंगे।"
मैं चुपचाप उसकी बातें सुनता रहा।
"कितना मज़ा आएगा ना!!! तुम्हारे पास छोटी-छोटी पांच सौ मिलियन
घंटियां और मेरे पास पांच सौ मिलियन ताजे पानी के कुंए। फिर तुम खूब हंसना
और मैं खूब पानी पिया करूंगा।"
और इसके आगे उसने कुछ नहीं कहा क्योंकि बाहर से तो वह हंस रहा था।
लेकिन अंदर से उसका दिल भी बहुत रो रहा था....
"चलो, कुछ देर बैठते हैं।"
वह रेत के छोटे से टीले पर बैठ गया और रेत से खेलता हुआ बोला "तुम मेरे
फूल के बारे में जानते हो ना.... अब उसकी सारी जिम्मेदारी मुझ पर है। वह वहां
अकेला है। उसके पास खुद की रक्षा के लिए सिर्फ चार कांटे ही है... अगर उसे
कुछ हो गया तो खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा।"
मैं भी उसकी बगल में बैठ गया और उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया।
"और अब तो वहां.... उसे कौन.... " कहते-कहते उसकी जुबान लड़खड़ाने
लगी और वह चुप हो गया।
फिर वह थोड़ा हिचकिचाते हुए खड़ा हो गया और जाने के लिए अपना
कदम बढ़ाया। मैं वहीं अपनी जगह पर ही बैठा रहा। वो मेरे टखने के पास तक
पीले रंग के मांस के टुकड़े जैसा लग रहा था। एक क्षण के लिए वो स्थिर खड़ा
रहा। वो रोया नहीं। वो एक पेड़ की तरह गिरा। रेगिस्तान होने की वजह से कोई
आवाज़ नहीं हुई।
3Hधयाय 27

और देखते-देखते छह साल बीत गए, लेकिन इससे पहले मैंने इस कहानी का


ज़िक्र कभी किसी से नहीं किया। जब मैं वापस आया तो मेरे दोस्त मुझे जीता
जागता देखकर बहुत खुश हुए। लेकिन मैं उदास था। जब उन्होंने मेरी उदासी की
वजह पूछी तो मैंने सबसे झूठ बोला कि मैं बहुत थका हुआ हूं.....।
समय के साथ-साथ मैंने अपने दुखों पर भी काबू पा लिया। स्पष्ट कहूं तो, मैं
ठीक तो हो गया हूं, लेकिन पूरी तरह से नहीं...। उसका मासूम सा प्यारा चेहरा
हमेशा मेरी आंखों के सामने घूमता रहता है। कभी लगता है कि वह मेरे पीछे
खड़ा और मुस्कुरा रहा है.... लेकिन जब मैं उसे देखने के लिए पीछे पलटता हूं तो
सिवाय निराशा के कुछ हाथ नहीं लगता। मुझे पता है कि वह अपने ग्रह पर
वापस चला गया है क्योंकि अगली सुबह जब मैं जगा तो वह वहां नहीं था।
उसकी कही हर एक बात मुझे अच्छे से याद है। अब मुझे रात को सितारों से बातें
करना और उनका हंसना बहुत अच्छा लगता है, बिल्कुल छोटे राजकुमार की
पांच सौ मिलियन घंटियों की तरह.... जब उन्हें हंसता देखता हूं तो छोटे
राजकुमार की प्यारी सी हंसी मेरे कानों में गूंजने लगती है और मैं घंटो खड़ा उसे
सुनता रहता हू।
लेकिन एक बात मुझे हर समय परेशान करती है। जब मैं छोटे राजकुमार के
लिए नालमुख का चित्र बना रहा था, तो मैं उसके साथ चमड़े का पट्टा बनाना
भूल गया।
अब वह अपनी भेड़ को कभी बांध नहीं पाएगा। इसीलिए अब मुझे चिंता हो
रही है... .पता नहीं उसके ग्रह पर क्या हुआ होगा?कहीं भेड़ ने उसके फूल को खा
तो नहीं लिया होगा ???लेकिन अगर ऐसा हुआ होगा तो फिर छोटे राजकुमार
का तो रो-रो कर बुरा हाल हो गया होगा....।
लेकिन मेरा दिल बार-बार यही कहता है कि "ऐसा अनर्थ बिल्कुल नहीं हुआ
होगा। क्योंकि छोटा राजकुमार बहुत समझदार है। वह फूल को बहुत प्यार
करता है इसीलिए उसके प्रति अपनी हर ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया होगा।
वह हर रोज़ रात को सोने से पहले फूल को कांच के गुंबद से ढ़क कर रखता होगा
और भेड़ की अच्छी तरह से निगरानी रखता होगा ताकि वह फूल के पास भी ना
जा पाए।" यह ख़्याल मन में आते ही मेरा मन खुशी से भर जाता है। सारे सितारे
भी मेरी बातों पर ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगते हैं।
लेकिन तभी मन में एक और डर पैदा हो जाता है कि "व्यक्ति का मस्तिष्क
हमेशा संतुलन में नहीं रहता। दुनिया का चाहे कितना ही होशियार और
बुद्धिमान व्यक्ति क्यों ना हो, किसी ना किसी समय तो वह भी कोई ऐसी भूल
कर बैठता है जिसका हर्जाना उसे सारी ज़िंदगी भुगतना पड़ता है। ऐसे में किस्मत
भी उसकी गलती करने की प्रतीक्षा करती रहती है और मौका मिलने पर
एकाएक हमला कर देती है। कभी किसी शाम वह फूल के ऊपर कांच का गुम्बद
रखना भूल गया होगा और ऐसे में भेड़ रात को मौका पाकर चुपचाप वहां से
खिसक गई होगी... चुपके से फूल को खा गई होगी।" ऐसी अप्रिय घटना सुन कर
सारी छोटी-छोटी घंटियों ने रोना शुरू कर दिया।
यह वास्तव में एक महान रहस्यात्मक घटना है। आप में से जो भी कोई मेरे
जैसा है और छोटे राजकुमार को प्यार करता है, ब्रह्मांड में कहीं कुछ भी एक
जैसा नहीं होता और ना ही कोई यह जानता है कि भेड़ जिसे हमने कभी नहीं
देखा क्या वह फूल खा सकती है या नहीं...
आसमान में देखो और अपने आप से पूछो। भेड़ ने फूल खाया या नहीं?और
फिर देखना सब कुछ एकदम से बदल जाएगा।
और बड़े लोग यह कभी नहीं समझ पाएंगे कि यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है!!!
मेरे लिए यह दुनिया का सबसे सुखद और दुखद परिदृश्य है। सुखद इसलिए
क्योंकि एक सूनसान-निर्जन इलाके में भटकते हुए मुझे छोटे राजकुमार जैसा
प्यारा दोस्त मिला और दुखद इसलिए क्योंकि मैं उसे हमेशा के लिए अपने पास
नहीं रख पाया। माना कि यह हू-ब-हू पिछले चित्र जैसा ही है, परंतु फिर भी मैं
इसे दोहरा रहा हूं ताकि यह आपकी याददाशत का अह्म हिस्सा बन जाए और
महक
पाठकों से अनुरोध है कि किताब में वर्णित प्रत्येक दृश्य को ध्यानपूर्वक देखें
ताकि आपको जब कभी रेगिस्तान के रास्ते अफ्रीका की यात्रा करने का मौका
मिले तो आप इन सब जगहों को आसानी से पहचान जाएं। और अगर
खुशकिस्मती से आपको वह जगह मिल जाए तो कृप्या कोई जल्दबाज़ी न
दिखाएं.... थोड़ा समय वहीं रूक कर आसमान में टिमटिमाते सितारों के बीच
छोटे राजकुमार के ग्रह को ढूंढने की कोशिश करें। अगर कोई छोटा सा बच्चा
हंसता-मुस्कुराता, सुनहरी बालों वाला आपकी तरफ आए और आपके किसी
सवाल का जवाब न देकर खुद ही बोलता रहे तो आप निश्चित रूप से पहचान
जाएंगे कि वह कौन है। ऐसे में आप अपनी दयालुता दिखाएं!! मेरे दुख को

फ़ुtकनिकी करतलहमलेरियरतवास्तिवकता
मुझे आपके पत्रों का हमेशा इंतज़ार रहेगा।

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