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Biology Hindi Printable @PdfhubRebornNew
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कोशिका के जीवन की आधारभतू सरं चना और शियात्मक इकाई माना जाता है | कोशिका जीव द्रव से बनी
एक रचना है शजसमें शवशभन्न रासायशनक तत्व संयोजन कर यौशिक के रूप में उपशथित रहते हैं | कोशिका में
जीवद्रव्य प्लाज्मा शिल्ली शिरा रहता है, इसके शबच में कें द्र रहता है |
कोशिकाओ ं में शिशिधता ( Diversity in cells ) – जीवों को कोशिकाओ ं के रूप में , आकार में
और संख्याओ ं में काफी शवशभन्नता रहती है | कोशिकाओ ं अलि-अलि आकार की होती है | कुछ सक्ष्ू म
जीव शसफफ एक कोशिका के बने होते हैं , शजससे एक कोशिकीय कहते हैं तिा कुछ जीव अनेक कोशिकाओ ं
के बने होते हैं शजन्हें बहुकोशिकाओ ं कहते हैं |
जैसे – लिभि 50 kg के मानव िरीर में 50 x 1015 कोशिकाएँ होती है |
कोशिका की खोज ( Cell discovery ) – सवफप्रिम 1665 में रॉबट हुक नामक एक अग्रं ेजी
वैज्ञाशनक में माइिोथकोप का शनमाफण शकया | हुक ने अपने बनाए माइिोथकोप में कॉकफ ( Cork ) की एक
पतलीं सक्ष्ू म शभशिवाली , मधमु क्खी की छते जैसी कई कोठररयाँ देखी | इन कोठररयों ने रॉबट हुक ने सेल (
Cell ) का नाम शदया | बाद में अनेक वैज्ञाशनकों ने अपनी खोज की |
कोशिकाओ ं की संरचना ( Structure of cells ) – कोशिका के अध्ययन के सिु मता की दृशि से
तीन भािों में बाँटा िया है |
1. कोशिका शिल्ली ( Plasma membrane )
2. कोशिका द्रव्य ( Cytoplasma )
3. कें द्रक ( Nucleus )
4.
1. कोशिका शिल्ली ( Plasma membrane ) – प्रत्येक कोशिका के सबसे बाहर
चारो ओर एक बहुत पतली, मल ु ायम और शिल्ली लचीली शिल्ली होती है, शजसे कोशिका
शिल्ली कहते हैं | यह एक शसशमत शिल्ली का कायफ करती है यह कोशिका को एक शनशित
आकार बनाने में रखने में सहायता करती है तिा यांशिक सहायता प्रदान करती है |
कोशिकशिती ( Cell Wall ) – पादक कोशिकाएँ चारों ओर से एक मोटे और कड़े आवरण द्वारा शिरी
होती है, इस आवरण को कोशिका शभशि कहते हैं, ये मख्ु यात सेल्यूलोज की बनी होती है | यह कोशिका का
शनशित रूप देकर सरु क्षा और सहारा प्रदान करती है और कोशिका को सुखने से बचाती है |
2. कोशिका द्रव्य ( Cytoplasm ) – जीवद्रव्य का वह भाि जो कोशिका शभशि और कें द्रक के बीच
होता है , उसे कोशिका द्रव्य कहते हैं | कोशिका द्रव्य अनेक अकाबफशनक पदािों का बना होता है | यह िढ़ा,
पारभासी और शचपशचपा पदािफ है | इनमें अनेक रचना पाई जाती है |
नोट – सैल्यूलोज एक जशटल पदािफ है जो कोशिकाओ ं का संरचना दृढ़ता प्रदान करता है |
कोशिका द्रव्य में पाई जाने िाली रचना ( Cytoplasmic structure ) –
1. अंत: प्रद्रव्यी जाशलका ( Endoplasmic reticulum ) – जंतु एवं पादप
कोशिकाएँ के कोशिका द्रव्य में अत्यंत सक्ष्ू म , िाशखत , शिल्लीदार ,अशनयशमत नशलकाओ ं
का िना जाल होता है शजसे अतं : प्रद्रव्यी नशलका कहते हैं |
यह दो प्रकार की होती है –
मानव िारीर में 46 िणु सूि रहते हैं, मकई के पौधे में 20 िणु सिू रहते हैं, टमाटर में पौधे में 24 िुणसिू रहते
हैं, आलु के पौधे में 48 िणु सिू रहते हैं, मेढ़क में 64 िणु सिू रहते हैं |
प्रोकै ररयोशटक कोशिकाएाँ ( Prokaryotic cells ) – यह आद्य कोशिका है, इसका आकार छोटा
होता है, इन कोशिकाओ ं में कें द्रक नहीं पाया जाता है | इनमें एक िणु सिू पाया जाता है | हररलवक ,
माइटोकॉशरिया , िाँल्जीकाय , अंत: प्रद्रव्यी जाशलका नहीं पाये जाते हैं | इनके कोशिकाओ ं का शवभाजन
शवखडं न या मक ु लन द्वारा होता है |
यूकैररयोशटक कोशिका ( Eukaryotic cell ) – यह शवकशसत कोशिका है तिा इसका आकार
बड़ा होता है | इसमें कें द्रक उपशथित रहते हैं | इसमें अनेक िोमोसोम पाया जाता है यक ू ै ररयोशटक कोशिका में
शसफफ पादक में ही क्लोरोप्लाथट पाए जाते हैं | इसमें कोशिका का शवभाजन माइटोशसस या शमयाँशसस द्वारा होता
है |
पदार्थों का पररिहन ( Transportation of materials ) – उपयोिी पदािफ का उनके मल ू
स्त्रोतों से िारीर के प्रत्येक कोशिका तक पहुचँ ाने तिा अनूपयोिी और हाशनकारक पदािों को कोशिकाओ ं से
शनकाल कर ितं व्य थिान तक पहुचँ ाने की प्रशिया को कोशिकाओ ं से पदािफ का पररवहन कहते हैं |
शिसरण ( Diffusion ) – िैस, द्रव तिा शवलेय के अणओ ु ं की अशधक सांद्रता के क्षेि से कम सांद्रता
के क्षेि की ओर होने वाली िशत को शवसरण कहते हैं |
परासरण ( Osmosis)– जल या शवलायक का अद्वफपारिम्य या चयनात्मक पारिम्य शिल्ली द्वारा
होनेवाले शवसरण को परासरण कहते हैं |
ऊतक (Tissue)
ऊतक – समान उत्पशत तिा समान कायों का सम्पाशदत करने वाले कोशिकाओ ं के समूह को ऊतक कहते हैं
|
पादक ऊतक – ऊतक के कोशिकाओ ं की शवभाजन क्षमता के आधार पर पादक ऊतक दो पादक ऊतक दो
प्रकार के होते हैं –
1. शवभाज्योतकी ऊतक ( Meristematic tissue )
2. थिायी ऊतक ( Permanent tissue )
1. शििाज्योतकी ऊतक ( Meristematic tissue ) – शवभाज्योतकी ऊतक जीशवत तिा
अवयथक कोशिकाओ ं का बना होता है | शजससे शवभाजन की क्षमता होती है इस ऊतक की कोशिकाएँ छोटी
अरडाकार या बहुभजु ी होती है | इसकी शभशि सेल्यल ू ोज की बनी होती है |
i. िीर्यस्र्थ शििाज्योतकी ऊतक ( Apical meristematic tissue ) – िीषफथि
शवभाज्योतकी ऊतक तने एवं जड़ के िीषफ भाज में शथित रहता है तिा लंबाई में वृशर्द् करता
है इससे कोशिकाएँ शवभाशजत और शवभेशदत थिायी ऊतक बनाती है |
ii. पार्श्यस्र्थ शििाज्योशतक ऊतक ( Lateral meristematic tissue ) –
पाश्वफथि शवभाज्योतकी ऊतक जड़ तिा तने के पाश्वफभाि में होता है एवं शद्वतीयक वृशर्द् करता
है इससे सवं हन ऊतक बनाता है | सवं हन ऊतक भोजन का सवाहन करता है तिा तनों की
चौड़ाई से वृशर्द् करता है |
iii. अंतिेिी शििाज्योतकी ऊतक ( Intercalary meristematic tissue
) – अंतवेिी शवभाज्योतकी ऊतक, थिाई ऊतक के शबच में पाए जाते है | ये पररवशतफत के
आधार में पाए जाता है वृशर्द् करके थिायी ऊतक में पररवशतफत हो जाता है |
3. स्र्थाई ऊतक – शवभाज्योतकी ऊतक को वृशर्द् के फलथवरूप के थिाई की ऊतक बनाता है | शजसमें
शवभाजन की क्षमता नहीं होती लेशकन कोशिका का आकार तिा रूप शनशित रहता है |
4.
i. सरल स्र्थायी ऊतक ( Simple permanent tissue ) – सरल अथिायी
ऊतक समरूप कोशिकाएँ के बने होता है | ये तीन प्रकार के होते है |
A. मृदूतक ( Parenchyma ) – मृदतु क कोशिकाएँ जीशवत िोलाकार अरडाकार
बहुभजु ी आकार की होती है | इनकी कोशिकाओ ं में कोशिका द्रव्य तिा कें द्रक पाए जाते है
है | ये तने, मूल एवं पशियों में पाई जाती है ये पौधे के हरें भािों में भोजन का शनमाफण करती
B. है | तहत अतं र कोशिकाएँ थिानों में िैसों का शवशनमय करती है |
करती है |
• जशटल स्र्थायी ऊतक ( Complex permanent tissue ) – दो या दो से
अशधक प्रकार से कोशिकाओ ं से बने ऊतक को जशटल थिायी ऊतक कहते हैं | ये जल एवं
खशनज लवणों एवं भोज्य पदािों को पौधों के िरीर के शवभन्न अंिों तक पहुचँ ाते है | ये दो
प्रकार के होते हैं –
A. जाइलम या दारू ( xylem )
B. फ्लोएम या बाथट ( Phloem )
A. जाइलम -जाइलम ऊतक पौधे के मूल, तना, पशियोंमे पाए जाते हैं | ये चार तत्व से बना होता है शजन्हें
वशहशनकाएँ, वाशहकाएँ, जाइलम तंतु तिा जाइलम मृतूतक कहते हैं | ये जड़ से जल तिा खशनज लवण को
पशियों तक पहुचँ ाते है तिा पौधों को याशं िक सहारा प्रदान करते हैं |
C. फ्लोएम – फ्लोएम पौधों के मल
ू , तना, एवं पशियों में पाए जाते हैं | ये चार तत्व का बना होता है
जो चालनी नशलकाएँ, सहकोशिकाएँ, फ्लोयम ततं ु तिा फ्लोयम मृदतू क है | ये अपने नशलकाएँ द्वारा
ं य अंि से पौधे के वृशर्द् – क्षेि में जाता है, जहाँ
तैयार भोजन को पशियों से संचय अिं और सच
इसकी जरुरत होती है |
D.
E.
• जंतु ऊतक – बहु कोशिकाएँ जंतु में अलि-अलि कायों के संपादन के शलए कोशिकाओ ं
को शभन्न कोशिकाएँ के समहू होते हैं शजसे ऊतक कहते हैं |
बहुकोशिकाएँ जंतओ
ु ं में चार प्रकार के ऊतक होते हैं |
2. सयं ोजी ऊतक – यह ऊतक अिं ों और उतकों का सबर्द् करता है तिा उन्हें कुछ अवलबं भी देता है यह
ठोस, जेली ( शचपशचपा ) तरल, संिन या कठोर की अवथिा में रह सकता है | संयोजी ऊतक यांशिक अंिों
के ररक्त थिानों में भरी रहती है | ये तीन प्रकार के होते हैं –
i. वाथतशवक संयोजी ऊतक (Proper connective tissue )
ii. कंकाल ऊतक ( Skeletal tissue )
iii. तरल ऊतक ( Fluid tissue )
1. िास्तशिक संयोजी ऊतक – वाथतशवक संयोजी ऊतक मख्ु यत: पाँच प्रकार के होते हैं –
( क ) एररयोलर ऊतक – इस ऊतक के अदं र द्रव में कई प्रकार के कोशिकाएँ तिा दो ततं ु ( थवेत ततं ु तिा
शपलातंतु ) पाए जाते हैं | ये त्वचा को मॉसपेशियों अिवा दो मॉसपेशियों का जोड़ने का कायफ करती है |
( ख ) िसा संयोजी ऊतक – इन ऊतक के िोलकार और अरडाकार कोशिका पाए जाती है शजसकी अंदर
वसा की बंदू े भरी रहती है | ये ऊतक संशचत भोज्य पदािफ पर कायफ करता है | ये अंिों को बाहरी चोतोसे अंिों
की रक्षा करता है |
नोट – इस ऊतक की अशधक मािा में सचं य से मोटापा बढ़ता है
|
( ि ) र्श्ेत ततं मु य ऊतक – इस ऊतक में एक दसु रे का समातं र शथित श्वेत ततं ु पाए जाते है | इस तंतओ
ु ं के
बीच कोशिकाएँ शबखरी रहती है | यह ऊतक टेड़न का शनमाफण करता है | जो मॉसपेशियों से जोड़ता है |
( ि ) पीला तंतुमय ऊतक – इस ऊतक के पीले तंतु मोटे होते हैं | तंतु के बीच कोशिकाएँ शबखरी होती है
| ये ऊतक शलिं ामेंट का शनमाफण करता है | जो हड्शडयों से हड्शडयों को जोड़ने का कायफ करता है |
( ङ ) जालित सयं ोजी ऊतक – इस ऊतक में तारा जैसी कोशिकाएँ होती है | जो जाल की तरह शबखरी
i. उपशथित ( Cartilaginous )
ii. अशथि ( Bone )
• उपशस्र्थ – उपशथि का मैशरक्स लस-लसा होता है इसमें बहुत ही पतले तिा महीने
कोल्लेजन तंतु होते हैं इसके कोशिकाएँ के चारों और द्रव्य भरा आवरण होते है | उपशथित,
अशथियों के जोड़ को शचकनी बनाती है | ये नाक, श्वासनली, वाहयकणफ आशद में पाई जाती
है |
• अशस्र्थ – इस ऊतक की कोशिकाएँ कठोर मैशरक्स के रूप में रहती है इसमें कै शल्सयम तिा
फॉथफे ट के लवण पाए जाते हैं | जसके कारण मैशरक्स कठोर होता है |
iii. तरल ऊतक – रक्त एवं लशसका को तरल सयं ोजी ऊतक कहते हैं | इनका अतं र कोशिकाएँ पदािफ तरल
होता है शजससे कोशिकाएँ शबखरी रहती है |
• रक्त – रक्त की तरल भाि को प्लाज्मा कहते हैं इसमें रुशधरकशणकाएँ तैरती रहती है |
• प्लाज्मा – ये हल्के पीले रंि का शचपशचपा द्रव होता है जो िोड़ा क्षारीय होते हैं | जो
iv. तांशत्रका ऊतक – जंतओ ु ं की िरीर में मशथतक, मेरुज्जा तिा तंशिकाएँ तंशिका ऊतक की
बनी होती है तशं िका ऊतक संवेदना के िरीर का एक भाि से दसु रे भाि में भेजने का कायफ
करती हैं | ताशं िक ऊतक की इकाई तशं िका कोशिका या शनरॉन कहलाती है |
न्यरु ॉन में साइटन, डेिाइट्स, कें द्रक एक्साॉन आशद होते हैं | डेिाइट्स आबेि को ग्रहन कर एक्साॉन के द्वारा
आिे की ओर भेजता है | एक्साॉन के अंशतम छोड़ में न्यरु ॉन की डेिाइट्स से जुडी रहती है | शजससे आवेि
एक न्यरु ॉन से दसु रे न्यरु ॉन से होते हुए हमारे मशथतक तक पहुचँ ाते हैं |
❇️ नाम पद्धशत :-
- जीव वैज्ञाशनक नाम शलखते समय शनम्नशलशखत बातों का ध्यान रखा जाता है ।
tigris
❇️ टैक्सोनोमी :-
🔹 यह जीव शवज्ञान का वह भाि है शजसमें नाम पर्द्शत पहचान व जीवों का विीकरण करते हैं । कालफ
❇️ िगीकरण :-
🔹 सभी जीवों को उनके समान व शवशभन्न िणु ों के आधार पर बाँटना , विीकरण कहलाता है ।
❇️ िगीकरण :-
🔹 जीवों को लक्षणों की समानता एवं असमानता के आधार में समहू ों में वातन विीकरण कहलाता है ।
🔹सबसे पहले 1758 में कालफ शलशनयस ने जीव जित को दो िागों में बाँटा
• पौधे व
• जन्तु
🔹 सन् 1959 में राबटफ शव्हटेकर ने जीवों को पााँच िगों ( जित ) में बाँटा :-
• मोनेरा
• प्रोशटथटा
• फंजाई
• प्लांटी
• एनीमेशलया
🔹 सन् 1977 में कालफ वोस ने मोनेरा को आशकफ बैशक्टररया व यबू ैशक्टररया में बाँटा ।
❇️ िगीकरण के लाि :-
🔹 विीकरण शलखने के शलए शनम्न प्रारूप का प्रयोि शकया जाता है शजसे विीकरण का पदानि
ु म कहते हैं
:-
🔶 प्रोके ररयोशटक कोशिका :- ये प्रािशमक अल्प शवकशसत कोशिकाएँ हैं , शजनमें के न्द्रक शबना शिल्ली
के होता है ।
🔶 यूकैररयोशटक कोशिका :- ये शवकशसत कोशिकाएँ शजनमें अंिक व पणू फ रूप से शवकशसत के न्द्रक यक्त
ु
होती है ।
❇️ संगठन का स्तर :-
🔶 कोशिका स्तर :- सभी जीव कोशिका के बने होते हैं जो जीवन की मौशलक सरं चनात्मक एवम्
🔶 ऊतक स्तर :- कोशिकाएँ संिशठत हो ऊतक का शनमाफण करती है । ऊतक को शिकाओ का समहु होता
🔶 अंग स्तर :- शवशभन्न ऊतक शमलकर अंि का शनमाफण करते हैं जो शकसी के कायफ को पणू फ करते है ।
🔶 अंग तंत्र स्तर :- शवशभन्न अंि शमलकर अंि तंि का शनमाफण करते हैं जो जशटल वहुकोशिय जीवों में
🔶 एककोशिकीय जीि :- ऐसे जीव जो एक ही कोशिका के बने होते है और सभी जैशवक शियाएँ इसमें
सम्पन्न होती है ।
होते हैं व शवशभन्न कायफ शवशभन्न कोशिकाओ ं के समहू द्वारा शकए जाते हैं ।
🔶 स्िपोर्ी :- वे जीव जो प्रकाि संश्लेषण ( Photosynthesis ) द्वारा अपना भोजन थवयं बनाते हैं
🔶 मोनेरा :-
🔶 प्रोशटस्टा :-
• ू ै ररयोशटक , एक कोशिक
यक
• थवपोषी या शवषमपोषी
• िमन के शलए सीशलया , फलैजेला , कूटपाद संरचनाएँ पाई जाती है ।
• िैवाल , डायएटम , अमीबा , पैरामीशियम , यग्ु लीना
🔶 फंजाई / किक :-
🔶 पादप :-
🔹 पादप जित का मुख्य लक्षण प्रकाि संश्लेषण का होना है ।
• ू ै ररयोशटक , बहुकोशिक
यक
• थवपोषी
• कोशिका शभिी सेल्यल
ु ोज की बनी होती है ।
❇️ उपजगत ( शक्रप्टोगैम ) :-
🔹 शजन पौधों में फूल या जननांि बाहर प्रकट नहीं होते हैं । ( ढके होते हैं )
🔹 शक्रप्टोगैम के प्रकार :-
• िैलोफाइटा
• ब्रायोफाइटा
• टेररडोफाइटा
🔶 र्थैलोफाइटा :-
• पौधे का िरीर जड़ तिा पिी में शवभाशजत नहीं होता बशल्क एक िैलस है ।
• सामान्यतः िैवाल कहते हैं ।
• कोई संवहन ऊतक उपशथित नहीं ।
• जनन बीजाणु ( spores ) के द्वारा मुख्यतः जल में पाए जाते हैं ।
🔹 उदाहरण :- अल्वा , थपाइरोिाइरा , क्लेडोफोरा , यूलोशिक्स
🔶 ब्रायोफाइटा :-
• सरलतम पौधे , जो पणू फरूप से शवकशसत नहीं होते ।
• कोई संवहन ऊतक उपशथित नहीं ।
• बीजाणु ( spores ) द्वारा जनन ।
• भशू म व जल दोनों थिान पर पाए जाते हैं इसशलए इन्हें पादपों का एम्फीशबया / उभयचर ” भी
कहते हैं ।
🔹 उदाहरण :- फ्यनू ेररया , ररशक्सया , माके शिया
🔶 टेररडोफाइटा :-
❇️ उपजगत ( फै नरोगैम ) :-
🔹 इन पौधों में फूल या जननांि थपि शदखाई देते हैं । तिा बीज उत्पन्न करते है ।
🔹 फै नेरोगेम के प्रकार :-
🔶 शजम्नोस्पमय :-
• बहुवषीय , सदाबहार , काष्ठीय ।
• िरीर जड़ , तना व पिी में शवभक्त ।
• संवहन ऊतक उपशथित ।
• नग्न बीज , शबना फल व फूल ।
🔹 उदाहरण :- पाइनस , साइकस
🔶 एशं जयोस्पमय :-
• एक बीज पिी
• शद्व- बीज पिी
• फूल बाद में फल में बदल जाता है ।
• बीज फल के अदं र ।
• भ्रणू के अन्दर पशियों जैसे बीजपि पाए जाते हैं ।
• जब पौधा जन्म लेता है तो वे हरी हो जाती हैं , जो प्रकाि संश्लेषण द्वारा भोजन का शनमाफण करती
है ।
• पणू फ सवहन ऊतक उपशथित
💠 जित जन्तु 💠 जन्तु जित में विीकरण का आधार :-
❇️ संगठन का स्तर :-
🔶 अंग स्तर :- ऊिक संिशठत होकर अिं शनमाफण करता है जो एक शविेष कायफ करता है ।
🔶 अंगतत्रं स्तर :- अिं शमलकर तिं के रूप में िाररररक कायफ करते है और प्रत्येक तिं एक शवशिि कायफ
करता है ।
❇️ सशमशत :-
🔶 असमशमशत :- शकसी भी कें द्रीत अक्ष से िजु रने वाली रे खा इन्हे दो बराबर भािों में शवभाशजत नहीं
करती है ।
🔶 अरीय समशमशत :- शकसी भी कें द्रीत अक्ष से िुजरने वाली रे खा इन्हें दो बराबर भािों में शवभाशजत
करती है ।
🔶 शिपार्श्य समशमशत :- जब के वल शकसी एक ही अक्ष से िुजरनी वाली रे खा द्वारा िरीर दो समरुप दाएँ व
🔶 शिकोररक :- शजन प्राशणयों में कोशिकाएँ दो भ्रणू ीय थतरों में व्यवशथित होती है :-
• बाह्म ( एक्टोडमफ )
आंतररक ( एंडोडमफ )
•
🔶 शत्रकोररकी :- वे प्राणी शजनके शवकशसत भ्रूण में तृतीय भ्रूणीय थतर मीजोडमफ भी होता है ।
❇️ प्रगुहा ( सीलोम ) ( िरीर शिशत्त तर्था आहार नाल के बीच में गुहा ) :-
🔶 प्रगहु ी प्राणी :- मीजोडमफ से आच्छाशदत िरीर िहु ा को देहिहु ा कहते है । प्रिहु ी प्राणी में देहिहु ा
उपशथित होती ।
🔶 कूट – गशु हक प्राणी :- कुछ प्रशणयों मं यह िहु ा मीसोडमफ से आच्छाशदत ना होकर बशल्क मीसोडमफ
एक्टोडमफ एवं एन्डोडमफ के बीच शबखरी हुई िैली के रुप में पाई जाती है ।
❇️ पृष्ठरज्जु ( नोटोकोडय ) :-
❇️ फाइलम सीलेन्द्टरेटा :-
• ऊतकीय थतर ।
• अिहु ीय ( देहिहु ा अनपु शथित ) ।
• अरीय समशमत , शद्वथतरीय ।
• खल
ु ी िहु ा ।
🔹 उदाहरण :- हाइिा , समद्रु ी एनीमोन , जलीशफि ।
❇️ एनीशलडा :-
❇️ आर्थ्रोपोडा :-
❇️ मोलस्का :-
• दसू रा बड़ा फाइलम 90,000 जाशतयाँ ।
• िरीर मुलायम शद्वपाश्वफसमशमत ।
• िरीर शसर , उदर व पाद में शवभाशजत ।
• बाह्य भाि कै शल्ियम के खोल से बना ।
• नर व मादा अलि ।
• खल
ु ा संवहनों ति पाया जाता है ।
🔹 उदाहरण :- सीप , िोंिा , ऑक्टोपस , काइटॉन ।
❇️ इकाइनोडमेटा :-
• समद्रु ी जीव ।
• िरीर तारे की तरह , िोल या लम्बा ।
• िरीर की बाह्य सतह पर कै शल्ियम काबोनेट का कंकाल एवं काँटे पाए जाते हैं ।
• िरीर अंखशडत शिकोरक व देहिहु ायक्त
ु ।
•शलंि अलि – अलि ।
🔹 उदाहरण :- समद्रु ी अशचफन , थटारशफि इत्याशद ।
❇️ कॉडेटा :-
• प्रोटोकाडेटा
• वटीब्रेटा
🔶 प्रोटोकाडेटा :-
🔶 िटीब्रेट :-
❇️ एम्फीशबया जलस्र्थलचर :-
❇️ सरीसृप :-
• अशधकाि
ं िलचर ।
• िरीर पर िल्क , श्वसन फे फड़ों द्वारा ।
• िीत रूशधर असमतापी ।
• हृदय शिकक्षीय लेशकन मिरमच्छ का हृदय चार कक्षीय ।
• कवच यक्त
ु अरडे देते हैं ।
🔹 उदाहरण :- साँप , कछुआ , शछपकली , मिरमच्छ आशद ।
❇️ पक्षी िगय :-
❇️ स्तनपायी स्तनधारी :-
परपोषण के प्रकार
⇒परपोषण मुख्यतः तीन प्रकार होता है :-
(i)मृतजीवी पोषण (Saprophytic Nutrition)
(ii)परजीवी पोषण (Parasitic Nutrition)
(iii)प्राशणसम पोषण (Holozoic nutrition)
(i)मृतजीिी पोर्ण:-मृतजीवी िब्द की उत्पशत ग्रीक भाषा के सैप्रोस िब्द से हुआ है शजसका अिफ होता है
‘अविोषण ‘
इस प्रकार के पोषण में जीव मृत जन्तओ ु ं और पेड़-पौधे के िरीर से अपना भोजन िशु लत काबफशनक पदािफ के
रूप में अविोशषत करते है उसे मृतजीवी पोषण कहते है |
जैसे :-कवक ,बैक्टीररया ,प्रोटोजोआ इत्याशद
(ii)परजीिी पोर्ण:-परजीवी िब्द की उत्पशत ग्रीक भाषा पारासाइट िब्द से हुआ है शजसमे पारा का अिफ
है ‘पास /बिल तिा साइट का अिफ होता है पोषण
इस प्रकार के पोषण में शजव दसू रे प्राणी के सपं कफ में थिाई या अथिाई रूप से रहकर उससे अपना भोजन प्राप्त
करते है ,परजीवी कहलाता है |
जैसे :-िोलकृ शम ,हुकवमफ ,टेकवमफ इत्याशद
(iii)प्राशणसम पोर्ण:-प्राशणसम पोषण िब्द की उत्पशत ग्रीक भाषा के होलोजोइक िब्द से हुआ है शजसमे
होलो का अिफ होता है पणू फ रूप से तिा जोइक का अिफ होता है जंतु जैसा |
वैसा पोषण शजसमे प्राणी अपना भोजन ठोस या तरल के रूप में जंतओ ु ं के भोजन ग्रहण करने की वीशध द्वारा
ग्रहण करते है ,उसे प्राशणसम पोषण कहते है |
जैसे :-अमीबा ,मेढ़क ,मनष्ु य इत्याशद
बहुकोशिकीय जन्तओ
ु ं में पोषण
:-बहुकोिकीय जन्तुओ ं में पोषण की प्रशिया पाँच चरणों में परू ी होती है |
(i)अंतग्रफहण
(ii)पाचन
(iii)अविोषण
(iv)थवािीकरण
(v)बशहष्करण
(i)अंतर्ग्यहण :-बहुकोिकीय जंतओ ु ं में भोज पदािो को मुखिहु ा के अंदर ग्रहण करने की प्रशिया को
अंतग्रफहण कहते है |
(ii)पाचन :-अंतग्रफहण शकये िए भोज पदािो को सरल व छोटे -छोटे अणओ ु ं में तोड़ने की प्रशिया को
पाचन कहते है |
(iii)अििोर्ण :-पाशचत भोज पदािो में से उपयोिी भोज पदािो को अविोशषत करने की प्रशिया को
अविोषण कहते है |
(iv)स्िागीकरण :-अविोषण भोज पदािो को रक्त के माध्यम से िरीर के शवशभन्न कोशिकाओ ं तक
पहुचं ाने की प्रशिया को थवािीकरण कहते है |
(v)बशहष्यकरण :-अपचे अवशिि पदािो को िरीर से बाहर शनकालने की प्रशिया को बशहष्करण कहते है |
▪ जैव प्रिम
▪ श्वसन
▪ पररवहन
▪ उत्सजफन
▪ शनयंिण एवं समन्वय
▪ जनन
▪ अनवु ांशिकता
▪ हमारा पयाफवरण
मनुष्यय का पाचनतंत्र
➨मनष्ु य के पाचन की प्रशिया में भाि लेने वाले अंिो को सशम्लत रूप से पाचन तंि कहते है |
जैसे :-मखु िहु ा
ग्रासनली
अमािय
आंत (छोटी एवं बड़ी)
यकृ त
अग्न्यािय
मख
ु िहु ा
*मुखगुहा :-मनष्ु य का मुख एक दरार के समान है,जो ऊपरी व शनचली जबड़ो के रूप में खुलती है | इनके
ऊपरी जबड़ा शथिर तिा शनचली जबड़ा िशतिील होती है | उन जबड़ो में दातं ो की एक – एक पशं क्तयाँ होती
तिा मांसल भाि के रूप में जीवा (जीभ) शथित होता है |
दाँत
*दााँत :-दाँत मनष्ु य के िरीर में सबसे पीछे जन्म लेने वाली हड्डी है | जो कै शल्सयम और फाथफोरस के बने
होते है | इसमें शविेष प्रकार की चमक, इनैमल के कारण होता है | दाँत जीवन में दो बार आता है |
शजहिा (जीि)
➨हमारे मख ु िुहा में मांस भाि के रूप में शजह्वा पाया जाता है | जो उपकला उिक के बने होते है | इसके
सहायता से हमें थवाद का पता चलता है |
*स्िादकुर :-शजह्वा में थवाद बताने वाले भािो को सम्मशलत रूप से थवादकुर कहते है |
➠थवाद बताने वाले मख्ु यतः तीन कशलकाएँ है :-
(i)फंगीफामय :-इसकी सहायता से हमें खट्टा ,मीठा ,नमकीन थवाद का पता चलता है |
(ii)शफलीफामय :-इसकी सहायता से हमें अलि से कोई थवाद का पता नहीं चलता है |
(iii)सरकममैलेट :-इसकी सहायता से हमें कड़वा थवाद का पता चलता है |
*लारर्ग्ंशर्थ :-हमारे मुखिहु ा में लार ग्रंशियों से दो प्रकार के लार स्राशवत होते है |
(i)टाइलीन
(ii)लाइपेज
➤लार अम्लीय प्राकृ शतक की होती है | इसका PH मान 6.5 होता है | हमारे मख
ु िुहा में एक शदन में 1 से
1.5 L लार स्राशवत होता है |
➤हमारे मखु गहु ा में तीन जोड़ी लार र्ग्शं र्थया पाई जाती है |
(i)कणफमल
ू
(ii)अधोशजह्वा
(iii)अधोहंणु
Note :-सबसे बड़ी लार र्ग्ंशर्थ कणयमूल लार र्ग्ंशर्थ है |
र्ग्ासनली
➨ग्रासनली का पाचन की शिया में कोई शविेष योिदान नहीं है | इसका कायफ शसफफ यही है की यह भोजन
को मख
ु िहु ा से लेकर आमािय तक पहुचँ ान है |
*अमािय :-अमािय उदरिुहा में बायीं ओर शथित होता है तिा यह द्वी -पाशलका िैली जैसी रचना होती है
| इसकी लम्बाई 30 cm होती है ,जबशक चौड़ाई भोजन की मािा के अनसु ार िटती -बढ़ती रहती है |
अमािय का शपछला भाि िंकरा होता है तिा एक शछद्र के रूप में पक्वािय में खुलता है |
अमािय में भोजन 3 से 4 िंटा रुकता है ,तब अमािय के पाइलेररक ग्रशं ियों से दो प्रकार के जठर रस स्राशवत
होता है |
(i)पेप्सीन :-यह प्रोटीन का पाचन करता है तिा प्रोटीन को पेप्टोन्स में बदल देता है |
(ii)रेशनन :-यह दधू में शमले हुए कै शल्सयम की मािा को पराकै शसनेट में बदल देता है |
यकृ त(Liver)
*यकृत(Liver):-यकृ त मानव िरीर के अदं र सासं े बड़ी ग्रशं ि है | इसका वजन 1.5 -2 kg होता है |
यह उदरिहु ा में डायफ्रॉम के पीछे शथित होता है एवं अमािय के कुछ भाि को ढके रहता है | इसके चारो और
पेररटोशनयम नामक शिल्ली का आवरण पाया जाता है इसमें शपत का शनमाफण होता है जो शपिािय में जमा
होता है |
यकृ त के कायफ
(i)यकृ त आवश्यकता से अशधक काबोहाइिेड को वसा में बदल देता है | जरूरत पड़ने पर इन वसाओ ं का
पनु ः काबोहाइिेड में बदल देता है |
(ii)यकृ त अमोशनया को यरू रया में बदल देता है |
(iii)यह शवटाशमन A को संश्लेषण तिा शवटाशमन A ,C ,D का सच ं य करती है |
(iv)यकृ त से दो प्रकार के प्रोटीन का स्राव होता है |
(a)शहपैररन :-यह िरीर के अंदर रक्त को जमने से रोकता है |
(b)फाइशब्रशनजोन :-यह िरीर के बाहर रक्त को िका बनने में मदद करता है |
(v)इसमें शपत का शनमाफण होता है |
(vi)यह रक्त के ताप को शनयंशित करता है |
(vii)अिर कोई व्यशक्त जहर खाकर मरता है तो उसकी पहचान यकृ त से होती है |
*अग्नन्द्यािय :-यह मानव िरीर के अंदर दसू री सबसे बड़ी ग्रंशि है | यह माि एक ऐसी ग्रंशि है जो अंतः
स्रावी एवं बशहस्रावी दोनों का कायफ करती है | ये Acinous नमक कोशिकाओ ं का बना होता है जो
अग्न्यािय रस का स्रवण करती है |
*लागर हैंस की शिशपक :-अग्न्यािय के कोशिकाओ ं के बीच में कुछ शपले रंि की कोशिकाएँ समहू में
व्यवशथित रहती है शजन्हे लैंिर हैंस की शद्वशपका कहते है |
➤इसके तीन कोशिका है |
(i)∝ :-इसे ग्लकु े िॉन स्राशवत होता है |
(ii)β :-इसे इन्सशु लन स्राशवत होता है |
(iii)у :- सोमाइटोथटेशटन नामक हामोन स्राशवत होता है |
*इन्द्सुशलन :-इसका खोज बेंशटंि वेथट के द्वारा 1921 ई० में शकया िया िा ,यह िकफ रा की मािा को
शनयंशित करता है |
➤इन्सशु लन की अल्प स्रवण से मधुमेय (Diabities)होता है |
➤इन्सशु लन के अशधक स्रवण से हाइपोग्लाइसीशमया नामक रोि होता है |
*बड़ी आाँत :-यह वृहदांि(colon)तिा मलािय (Rectum)में बटी होती है। वृहदांिकी शदवार बहार
की ओर छोटी -छोटी िैशलयों के रूप में फूल रहती है | मलािय की शदवार भी िोड़ी -िोड़ी दरु ी पर फूली
रहती है | यह िदु ा से होकर बाहर खल
ु ती है |
जनन (Reproduction):
• जनन वह प्रशिया है शजसके द्वारा सजीव अपने जैसे नए जीव उत्पन्न करते हैं। यह पृथ्वी पर
जीवन की शनरंतरता को बनाए रखने के शलए आवश्यक है।
• कोशिका के कें द्रक में पाए जाने वाले िण ु सिू ों के डी. एन. ए. (DNA डी-ऑक्सी राइबो
न्यशू क्लक अम्ल) के अणुओ ं में अनुवांशिक िणु होते हैं।
• डी. एन. ए. (DNA) प्रशतकृ शत बनाता है तिा नई कोशिकाएं बनाता है। इससे
कोशिकाओ ं में शवशभन्नता उत्पन्न होती है। ये नई कोशिकाएं एकसमान है परंतु समरूप नहीं।
शिशिन्द्नता का महत्सि:
1. लंबे समय तक प्रजाशत (थपीिीज) की उिर- जीशवता बनाए रखने में उपयोिी
2. जैव शवकास का आधार
प्रजनन के प्रकार (Types of Reproduction):
• दो एकल जीव (एक नर व एक मादा) शमलकर नया जीव उत्पन्न करते हैं।
• नर यग्ु मक या मादा यग्ु मक बनते हैं।
• नया जीव अनव ु ांशिक रूप से पैतकृ जीवो के समान होता है परंतु समरूप नहीं।
• प्रजाशत में शवशभन्नताएँ उत्पन्न करने में सहायक होता है।
• उच्च विफ के जीवों में पाया जाता है।
उदाहरण- अमीबा
(ख) बहुखडं न (Multiple Fission):
उदाहरण- प्लैज्मोशडयम
(ii) खंडन (Fragmentation):
इस प्रजनन शवशध में सरल सरं चना वाले बहुकोशिकीय जीव शवकशसत होकर छोटे-छोटे टुकड़ों में खशं डत हो जाता
है। यह टुकड़े वृशर्द् कर नए जीव में शवकशसत हो जाते हैं।
उदाहरण- थपाइरोिाइरा
(iii) पुनरुदििन / पुनजयनन (Regeneration):
इस प्रिम में शकसी कारणवि, जब कोई जीव कुछ टुकड़ों में टूट जाता है, तब प्रत्येक टुकड़ा नए जीव में
शवकशसत हो जाता है।
(iv) मक
ु ु लन (Budding):
कुछ पौधों में नए पौधा का शनमाफण उसके काशयक भाि जैसे जड़, तना, पशियाँ आशद से होता है, इसे काशयक
प्रवधफन कहते हैं।
(a) प्राकृशतक शिशधयााँ
• पशियाँ द्वारा – ब्रायोशफलम की पशियों की कोर पर कशलकाएँ होती है, जो शवकशसत होकर
नया पौधा बनती है।
(b) कृशत्रम शिशधयााँ (Artificial methods)
• रोपण – आम
• कतफन – िुलाब
• लेयररंि – चमेली
• उिक संवधफन – इस शवशध में िाखा के शसरे से कोशिकाएँ लेकर उन्हें पोषक माध्यम में रखा
जाता है। ये कोशिकाएँ िणु न कर कोशिकाओ ं के िुच्छे शजसे कै लस कहते हैं में पररवशतफत हो
जाती है। कै लस को हॉमोन माध्यम में रखा जाता है, जहाँ उनमें शवभेदन होकर नए पौधे का
शनमाफण होता है शजसे शफर शमट्टी में रोशपत कर देते हैं। उदाहरण- आशकफ क, सजावटी पौधे
उत्तक सिं धयन (Tissue culture) के लाि:
स्त्रीके सर व पंक
ु े सर दोनों उपशथित होते हैं। उदाहरण- सरसों, िड़ु हल
स्त्रीके सर और पक
ंु े सर में से कोई एक ही जननांि उपशथित होता है। उदाहरण- पपीता, तरबजू
1. परािकोि में उत्पन्न परािकण, हवा, पानी या जंतु द्वारा उसी फूल के वशतफिाि (थवपरािण)
या दसू रे फूल के वशतफिाि (परपरािण) पर थिानांतररत हो जाते हैं।
2. परािकण से एक नशलका शवकशसत होती है जो वशतफका से होते हुए बीजांड तक पहुचं ती है।
3. अडं ािय के अदं र नर व मादा यग्ु मक का शनषेचन होता है तिा यग्ु मनज का मनोज का
शनमाफण होता है।
4. यग्ु मनज में शवभाजन होकर भ्रूण का शनमाफण होता है। बीजांड से एक कठोर आवरण शवकशसत
होकर बीज में बदल जाता है।
5. अंडािय फल में बदल जाता है तिा फूल के अन्य भाि िड़ जाते हैं।
वृषण उदर िहु ा के बाहर वृषण कोष में उपशथित होते हैं। वृषण कोष का तापमान तुलनात्मक रूप से कम होता
है जो, िि
ु ाणु बनने के शलए आवश्यक है।
टेस्टोस्टेरॉन के कायय:
(a) िि
ु ाणु उत्पादन का शनयंिण
यह िुिाणओ
ु ं को वृषण से शिश्न तक पहुचं ाती है।
(iii) मत्रू मागय (Urethra):
यह मिू और वीयफ दोनों के बाहर जाने का मािफ है। बाहरी आवरण के साि इसे शिश्न कहते हैं।
1. िि
ु ाणु तरल माध्यम में आ जाते हैं।
2. यह माध्यम उन्हें पोषण प्रदान करता है।
3. उनके थिानातं रण में सहायता करता है। ििु ाणु तिा ग्रशं ियों का स्राव शमलकर वीयफ बनाते हैं।
• मादा यग्ु मक अिवा अंड-कोशिका का शनमाफण अडं ािय में होता है।
• लड़की के जन्म के समय ही अंडािय में हजारों अपररपक्व अंड होते हैं।
• यौवनारंभ पर इनमें से कुछ अंड पररपक्व होने लिते हैं।
• दो में से एक अंडािय द्वारा हर महीने एक पररपक्व अंड उत्पन्न शकया जाता है।
• अंडािय एथरोजन व प्रोजेथरोन हॉमोन भी उत्पन्न करता है।
(ii) अंडिाशहका (Oviduct / Fallopian tube):
• अडं ािय द्वारा उत्पन्न अंड कोशिका को िभाफिय तक थिानांतररत थिानांतरण करती है।
• अंड कोशिका व िुिाणु का शनषेचन यहां पर होता है।
• शनषेशचत अंड युग्मनज कहलाता है, जो िभाफिय में रोशपत होता है। िभाफिय में रोपण के
पिात यग्ु मनज में शवभाजन व शवभेदन होता है तिा भ्रणू का शनमाफण होता है।
• प्लैसेंटा- यह एक शवशिि उिक है शजसकी तश्तरीनम ु ा संरचना िभाफिय में धंसी होती है।
इसका मख्ु य कायफ-
• माँ के रक्त से िल ु कोज ऑक्सीजन आशद ( पोषण ) भ्रणू को प्रदान करना।
• भ्रणू द्वारा उत्पाशदत अवशिि पदािों का शनपटान।
• अंड शनषेचन से लेकर शििु के जन्म तक के समय को िभफकाल कहते हैं। इसकी अवशध
• हर महीने िभाफिय खदु को शनषेशचत अंड प्राप्त करने के शलए तैयार करता है।
• िभाफिय की शभशि मांिल एवं थपोंजी हो जाती है। यह भ्रणू के शवकास के शलए जरूरी है।
• यशद शनषेचन नहीं होता है तो इस शभशि की आवश्यकता नहीं रहती। अतः यह पतफ धीरे -धीरे
टूट कर योशन मािफ से रक्त एवं म्यक
ू स के रूप में बाहर शनकलती है।
• यह चि लिभि एक महीने का समय लेता है तिा इसे ऋतस्र ु ाव अिवा रजोधमफ कहते हैं।
• 40 से 50 वषफ की उम्र के बाद अंडािय से अंड का उत्पन्न होना बंद हो जाता है।
फलथवरुप रजोधमफ बदं हो जाता है शजसे रजोशनवृशि कहते हैं।
जनन स्िास््य (Reproductive Health):
जनन थवाथथ्य का अिफ है, जनन से सबं शं धत सभी आयाम जैसे िारीररक, मानशसक, सामाशजक एवं व्यवहाररक
रूप से थवथि होना।
गिायरोधन (Contraception):
िि
ु ाणु को अंडकोशिका तक नहीं पहुचं ने शदया जाता।
उदाहरण-
मादा में अंड को न बनने देना, इसके शलए दवाई ली जाती है जो हॉमोन के संतल
• ु न को
पररवशतफत कर देती है।
• इनके अन्य प्रभाव (शवपरीत प्रभाव) भी हो सकते हैं।
• लपू या कॉपर-टी को िभाफिय में थिाशपत शकया जाता है। शजससे िभफधारण नहीं होता।
(d) िल्यशक्रया तकनीक (Surgical methods):
(i) नसबध
ं ी (Vasectomy):
मादा भ्रूण को िभाफिय में ही मार देना भ्रूण हत्या कहलाता है।
एक थवथि समाज के शलए, संतशु लत शलंि अनपु ात आवश्यक है। यह तभी संभव होिा जब लोिों में जािरूकता
फै लाई जाएिी व भ्रणू हत्या तिा शलंि शनधाफरण जैसी िटनाओ ं को रोकना होिा।
पररचय (Introduction):
• सभी सजीव अपने पयाफवरण में हो रहे पररवतफनों के अनशु िया करते हैं।
• पयाफवरण में हो रहे ये पररवतफन शजसके अनरू ु प सजीव अनशु िया करते हैं, उद्दीपन कहलाता
है। जैसे शक प्रकाि, ऊष्मा, ठंडा, ध्वशन, सिु ंध, थपिफ आशद।
• पौधे एवं जंतु अलि-अलि प्रकार से उद्दीपन के प्रशत अनशु िया करते हैं।
जंतुओ ं में शनयंत्रण एिं समन्द्िय
ु ं में शनयंिण एवं समन्वय दो मख्ु य तंिों द्वारा शकया जाता है-
सभी जंतओ
• शनयंिण एवं समन्वय तंशिका एवं पेिीय उिक द्वारा प्रदान शकया जाता है।
• तंशिका तंि, तंशिका कोशिकाओ ं या न्यरू ॉन के एक संिशठत जाल का बना होता है और यह
सचू नाओ ं को शवद्यतु आवेि के द्वारा िरीर के एक भाि से दसू रे भाि तक ले जाता है।
र्ग्ाही (Receptors):
ग्राही तंशिका कोशिका के शवशििीकृ त शसरे होते हैं, जो वातावरण से सचू नाओ ं का पता लिाते हैं। यह ग्राही
हमारी ज्ञानेंशद्रयों में शथित होते हैं।
तशं त्रका कोशिका (Neuron):
• द्रुशमका (Dendrite): कोशिका काय से शनकलने वाली धािे जैसी सरं चनाएं, जो
सचू ना प्राप्त करती है।
• कोशिका काय (Cell Body): प्राप्त की िई सचू ना शवद्यतु आवेि के रूप में चलती
है।
• तशं त्रकाक्ष (Axon): यह सचू ना के शवद्यतु आवेि को, कोशिका काय से दसू री न्यरू ॉन
की द्रुशमका तक पहुचं ाता है।
अंतर्ग्यर्थन (Synapse):
यह तंशिका के अंशतम शसरे एवं अिली तंशिका कोशिका के द्रुशमका के मध्य का ररक्त थिान है। यहां शवद्युत
आवेि को रासायशनक संकेत में बदला जाता है शजससे यह आिे संचररत हो सके ।
प्रशतिती शक्रया (Reflex Action):
शकसी उद्दीपन के प्रशत तेज व अचानक की िई अनशु िया प्रशतवती शिया कहलाती है।
उदाहरण:
प्रशतवती शिया के दौरान शवद्यतु आवेि शजस पि पर चलते हैं, उसे प्रशतवती चाप कहते हैं।
मशथतष्क सभी शियाओ ं के समन्वय का कें द्र है। इसके तीन मख्ु य भाि हैं।
यह मशथतष्क का सबसे अशधक जशटल एवं शवशिि भाि है। यह प्रमशथतष्क है।
कायय (Functions):
अनैशच्छक शिया को शनयशं ित करना। जैस-े पतु ली के आकार में पररवतफन। शसर, िदफन आशद की प्रशतवती शकया।
मशस्तष्यक एिं मेरुरज्जु की सरु क्षा (Protection of Brain and Spinal Cord):
मशस्तष्यक: मशथतष्क एक हड्शडयों के बॉक्स में अवशथित होता है। बॉक्स के अंदर तरलपरू रत िब्ु बारे में मशथतष्क
होता है जो प्रिात अविोषण का कायफ करता है।
मेरुरज्जु: मेरुरज्जु की सरु क्षा किेरुकदडं या रीढ़ की हड्डी करती है।
तशं त्रका उत्तक एिं पेिी उत्तक के बीच समन्द्िय (Coordination between Nervous
and Muscular Tissue):
1. शवद्यतु सवं ेि के वल उन कोशिकाओ ं तक पहुचं सकता है, जो तशं िका तिं से जड़ु ी है।
2. एक बार शवद्यतु आवेि उत्पन्न करने के बाद कोशिका, नया आवेि उत्पन्न करने से पहले,
अपनी कायफशवशध सचु ारु करने के शलए समय लेती है। अतः कोशिका लिातार आवेि उत्पन्न
नहीं कर सकती।
3. पौधों में कोई तंशिका तंि नहीं होता।
रासायशनक संचरण (Chemical Communication): शवद्यतु संचरण की सीमाओ ं को दरू करने
के शलए रासायशनक संचरण का उपयोि िरू ु हुआ।
पौधों में समन्द्िय (Coordination in Plants):
•प्रतान (Tendrils): प्रतान का वह भाि जो वथतु से दरू होता है, वथतु के पास वाले
भाि की तल ु ना में तेजी से िशत करता है शजससे प्रतान वथतु के चारों तरफ शलपट जाती है।
• प्रकािानि ु तयन (Phototropism): प्रकाि की तरफ िशत
• गुरुत्सिानुितयन (Geotropism): पृथ्वी की तरफ या दरू िशत
हॉमोन (Hormones): ये वो रसायन है जो जंतुओ ं की शियाओ,ं शवकास एवं वृशर्द् का समन्वय करते हैं।
अंतः स्रािी र्ग्शं र्थ (Endocrine Glands): ये वो ग्रशं ियाँ है जो अपने उत्पाद रक्त में स्राशवत करती हैं,
जो हामोन कहलाते हैं।
हॉमोन (Hormones), अंतः स्रािी र्ग्शं र्थयााँ (Endocrine Glands) एिं उनके कायय:
ु नमक आिश्यक है:
आयोडीन यक्त
अवटुग्रंशि (Thyroid Gland) को िायरॉशक्सन हॉमोन बनाने के शलए आयोडीन की आवश्यकता होती
है। िायरॉशक्सन काबोहाइिेट, वसा तिा प्रोटीन के उपापचय का शनयिं ण करता है शजससे िरीर की सतं शु लत
वृशर्द् हो सके । अतः अवटुग्रंशि के सही रूप से कायफ करने के शलए आयोडीन की आवश्यकता होती है। आयोडीन
की कमी से िला फूल जाता है शजसे िॉयटर (swollen neck) बीमारी कहते हैं।
मधुमेह (Diabetes):
कारण (Cause): अग्नािय ग्रंशि द्वारा स्राशवत इसं शु लन हॉमोन की कमी के कारण होता है। इसं शु लन रक्त में
िकफ रा के थतर को शनयंशित करता है।
उपचार (Treatment): इसं शु लन हॉमोन का इजं ेक्िन।
पनु ियरण शक्रयाशिशध (Feedback Mechanism):
हॉमोन का अशधक या कम मािा में स्राशवत होना हमारे िरीर पर हाशनकारक प्रभाव डालता है। पनु भफरण शियाशवशध
यह सशु नशित करती है शक हॉमोन सही मािा में तिा सही समय पर स्राशवत हो।
उदाहरण:
डेयरी उत्पाद, कॉड शलवर ऑयल, लीवर, िहरे हरे और पीले रंि की सशब्जयां और फल
कायफ
आख
ं ों के थवाथथ्य को बनाए रखता है
वृशर्द् और शवकास को बढ़ावा देता है, थवथि हड्शडयों और दांतों को बनाए रखता है
कोशिकाओ ं और श्लेष्मा शिल्ली की सरु क्षा और पनु जफनन को बढ़ाता है
श्वसन और आंतों को थवथि बनाए रखता है
थवथि बाल, नाखनू और त्वचा बनाए रखें
कमी के लक्षण
रतौंधी, सख
ू ी आंखें
रूखी त्वचा
पेट की परे िानी
खराब शवकास
कमजोर हड्शडयां और दातं
अशधकता के लक्षण
सख
ू ी, पपड़ीदार, छीलने वाली और खजु ली वाली त्वचा, दाने
बाल िड़ना
कम भूक, िकान
उल्टी, पेट में तकलीफ
यकृ त चोट
शसरददफ, हड्डी में ददफ
िबराहट, शचड़शचड़ापन
शवटाशमन B
शवटाशमन B1 (िाइशमन)
स्रोत
अंकुररत, खमीर
रोि
बेरी-बेरी
शवटाशमन B2 (राइबोफ्लेशबन)
स्रोत
अंकुररत, िाय के दधू में मौजूद (पीला)
रोि
चेलोशसस, अल्सरे िन
शवटाशमन B6 (Pyridoxine)
कायफ
कमी के लक्षण
खनू की कमी
िबराहट, अशनद्रा, अवसाद
मांसपेशियों में ऐठं न
शवटाशमन C (एथकॉशबफक अम्ल)
स्रोत
खट्टे फल (नारंिी, अंिरू , नींबू), थरॉबेरी, काला करंट, कीवी फल, टमाटर, हरी पिेदार सशब्जयां, हरी शमचफ
कायफ
कोलेजन को संश्लेशषत करने में मदद करता है; कोशिकाओ,ं मसड़ू ों, दांतों, रक्त वाशहकाओ ं और हड्शडयों की
वृशर्द् और मरम्मत को बढ़ावा देता है
ऑपरे िन और चोट के बाद ठीक होने में मदद करता है
कै शल्ियम और आयरन के अविोषण में मदद करता है
इम्यशु नटी बढ़ाता है
कमी के लक्षण
थकवी
िम
सजू न और रक्तस्राव, दातं ों का शिरना
त्वचा से रक्तस्राव की संभावना, के शिका वाशहकाओ ं का फटना
कमजोरी, िकान
हड्शडयों में ददफ, सजू न और जोड़ों में ददफ
अशधकता के लक्षण
शवटाशमन K (फाइलोशक्वनोन)
स्रोत
हरी पिेदार सशब्जयां, सोयाबीन। मानव िरीर बृहदान्ि (छोटी आतं का शहथसा) में कीटाणओ
ु ं के माध्यम से भी
शवटाशमन K का उत्पादन कर सकता है।
कायफ
रक्त के िक्के जमने में मदद करता है, अशधक रक्तस्राव को रोकता है
लीवर को थवथि रखता है
कमी के लक्षण
अशधकता के लक्षण
कायफ
वयथक: कमजोरी
अशधकता के लक्षण
स्रोत
अडं े की जदी, लीवर, कॉड शलवर ऑयल, मछली। सरू ज की रोिनी के संपकफ में आने पर हमारी त्वचा भी
शवटाशमन D का उत्पादन करती है
कायफ
हड्शडयों, दांतों और मशथतष्क को थवथि बनाए रखने के शलए िरीर को कै शल्ियम और फाथफोरस को
अविोशषत और उपयोि करने में मदद करता है
रक्त में कै शल्ियम का सामान्य थतर बनाए रखता है
कमी के लक्षण
कै ल्सीफाइड काशटफलेज
रक्त में उच्च कै शल्ियम का थतर असामान्य हृदय िशत और िदु े जैसे अंिों को नक
ु सान पहुचं ाता है
उल्टी, दथत
आँखों में ददफ
त्वचा में खजु ली
शवटाशमन की कमी से होने वाले रोि: FAQs
Q1. बेरी-बेरी शकसके कारण होता है-
A. Vitamin A
B. Vitamin B
C. Vitamin C
D. Vitamin D
Ans-> Vitamin B
Q3.पानी में िल
ु निील शवटाशमन कौन सा है?
A. शवटाशमन A
B. शवटाशमन B
C. शवटाशमन K
D. शवटाशमन D
Ans-> शवटाशमन B
Q4. एक शवटाशमन जो रक्त के थकंदन िणु में महत्वपणू फ भूशमका शनभाता है?
A. शवटाशमन A
B. शवटाशमन B
C. शवटाशमन K
D. शवटाशमन D
Ans-> शवटाशमन K
Q8. शनम्नशलशखत में से कौन सा शवटाशमन सपनों को याद रखने के शलए शजम्मेदार है?
A. शवटाशमन B
B. शवटाशमन B6
C. शवटाशमन A
D. शवटाशमन C
Ans-> शवटाशमन B6