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पूर्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

32128

ISBN 978-93-5292-213-0

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Learning Indicators
and Learning Outcome
pp.182
Code — 13115
ISBN — 978-93-5007-303-2

प्रारंिभक स्तर पर सीखने के प्रतिफल Learning Outcomes


पृष्ठ संख्या.110 at the Elementry Stage
pp.108
आईएसबीएन — 978-93-5007-854-9 ISBN —978-93-5007-785-6

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पूर्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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ISBN 978-93-5292-213-0
प्रथम सस्ं ‍करण
दिसबं र 2019 पौष 1941 सर्वािधकार सरु िक्षत
 प्रकाशक की पर
ू ्व अनमु ति‍ के िबना इस प्रकाशन के िकसी भाग को छापना तथा
इलैक्‍ट्रॉिनकी, मशीनी, फ़ोटोप्रतििलपि, िरकॉिर्डंग अथवा िकसी अन्‍य िवधि से
पनु : प्रयोग पद्धति द्वारा उसका संग्रहण अथवा प्रचारण वर्जित है।
PD 2T RPS  इस पस्ु ‍तक की िबक्री इस शर्त के साथ की गई है िक प्रकाशन की पर ू ्व अनमित

के िबना यह पस्ु ‍तक अपने मल ू आवरण अथवा िजल्‍द के अलावा िकसी अन्‍य
प्रकार से व्‍यापार द्वारा उधारी पर, पनु र्विक्रय या िकराए पर न दी जाएगी, न
© राष्‍ट्रीय शैिक्षक अनुसध
ं ान और प्रशिक्षण बेची जाएगी।
परिषद्, 2019  इस प्रकाशन का सही मल्ू ‍य इस पृष्‍ठ पर मद्ु रित है। रबड़ की महु र अथवा
िचपकाई गई पर्ची (िस्‍टकर) या िकसी अन्‍य िवधि द्वारा अिं कत कोई भी
संशोिधत मल्ू ‍य गलत है तथा मान्‍य नहीं होगा।

एन. सी. ई. आर. टी. के प्रकाशन प्रभाग के कार्यालय


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प्रकाशन सहयोग
अध्यक्ष, प्रकाशन प्रभाग : अनपु कुमार राजपतू
मख्ु ‍य संपादक : श्‍वेता उप्‍पल
मख्ु ‍य उत्‍पादन अधिकारी : अरुण िचतकारा
मख्ु ‍य व्‍यापार प्रबंध्‍ाक : िबबाष कुमार दास
सपं ादन सहायक : ऋषिपाल सिहं
सचिव, राष्‍ट्रीय शैक्षिक अनसु ंधान और प्रशिक्षण उत्पादन सहायक : राजेश पिप्‍पल
परिषद,् श्री अरविंद मार्ग, नयी िदल्‍ली 110 016 आवरण
से प्रकाशित। डी.टी.पी. सेल

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सदं ेश
पिछले दशक में विभिन्न अनश ु ासनों द्वारा इस बात के शोध-साक्ष्य प्राप्त हुए हैं कि प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा में
निवेश द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य, सीखने की क्षमता, भावी अर्जन और जीवन प्रत्याशा में सार्थक रूप से सधु ार हुआ है।
शरुु आती वर्षों में सीखने और विकास की स्वास्थ्यकर आदतों से परिचय, समग्र शिक्षा की सदृु ढ़ नींव रखता है और
समाज में सार्थक योगदान देने की उनकी क्षमताओ ं का विकास करता है।
विभिन्न शोधों के निष्कर्षों, बाल-विकास के सिद्धांतों और सरकार की पहलों के आधार पर एन.सी.ई.आर.टी. ने
विषय-विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, शिक्षकों और अध्यापक-शिक्षकों से सझु ाव प्राप्त कर विद्यालय-परू ्व पाठ्यचर्या का विकास
किया है। इस दस्तावेज़ को हितधारकों, एस.सी.ई.आर.टी. और राज्य शिक्षा विभागों की टिप्पणियों और प्रतिपष्ु टि प्राप्त
करने के उद्देश्य से सार्वजनिक क्षेत्र में प्रस्तुत किया गया। सभी संगत सझु ावों को दस्तावेज़ में सम्मिलित किया गया।
इस पाठ्यचर्या को कक्षा एक से पहले के विद्यालय-परू ्व के तीन वर्षों के लिए अभिकल्पित किया गया है जो
प्रारंभिक वर्षों के महत्व, विद्यालय-परू ्व की परिभाषा, दृष्टि, लक्ष्य और उद्देश्यों को उजागर करता है। बच्चों में विकसित
की जाने वाली सक ं ल्पनाओ ं और कौशलों, शिक्षकों द्वारा प्रयक्त ु की जाने वाली शिक्षा-शास्त्रीय प्रक्रियाओ त ं था
विद्यालय-परू ्व कक्षाओ ं – I, II, III के लिए प्रारंभिक सीखने के प्रतिफलों को भी इस तरह से परिभाषित किया गया है
कि जिसका उस आय वर्ग ु के बच्चों के नैसर्गिक रूप से सीखने एवं व्यवहार के साथ तालमेल हो।
यह दस्तावेज़ विद्यालय-परू ्व समग्र और आनंददायक पाठ्यचर्या की लंबे समय से अनभु त ू की जा रही ज़रूरत को
परू ा करता है। इस पाठ्यचर्या का उद्देश्य व्यक्तिगत संभावनाओ ं को अधिकतम करना है ताकि उससे जीवन पर्यंत सीखने
के सदृु ढ़ आधार को प्राप्त किया जा सके । इसका उद्देश्य समाज-संवेगात्मक विशेषताओ,ं स्वस्थ अभिवृत्ति, मल्य ू ों,
आलोचनात्मक चितं न, सहयोग, संप्रेषण और सृजनात्मकता के कौशलों का विकास करना भी है।
मैं आशा करता हू कि य
ँ ह पाठ्यचर्या बच्चों को गणु ात्मक विद्यालय-परू ्व अनभु व प्रदान करने में विद्यालय-परू ्व
शिक्षकों, अभिभावकों, समदु ाय के सदस्यों, शैक्षिक नियोजकों और राज्य कार्मिकों को दिशा प्रदान करे गी।

(रमेश पोखरियाल ‘निशंक’)

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आमुख
बच्‍चों की वृद्धि और विकास के लिए गणु वत्तापर्ण प्रा
ू रंभिक अनभु व महत्‍वपर्ण ू होते हैं। शोधों से ज्ञात हुआ है
कि गणु वत्तापर्ण प्रा
ू रंभिक सीखने के अनभु वों का विद्यालय में समायोजन और बाद के वर्षों की शिक्षा एवं
सीखने के स्‍तरों पर सकारात्‍मक प्रभाव पड़ता है। प्रारंभिक वर्षों में बच्‍चों के मस्तिष्‍क का तीव्रता से विकास
होता है, उनकी सामाजिक और व्‍यक्‍त‍िगत आदतें तेज़ी से पनपती हैं और बच्‍चों के सर्वांगीण विकास की नींव
पड़ती है। प्रारंभिक अवस्था में बच्‍चों के सीखने के स्‍तर में बढ़ोतरी करने के लिए यह आवश्‍यक है कि उन्‍हें
परू ्व-प्राथमिक विद्यालय में गणु वत्तापर्ण
ू अनभु व प्रदान किए जाएँ। गणु वत्तापर्ण ू परू ्व-प्राथमिक शिक्षा उपलब्‍ध
कराना संधारणीय विकास के लक्ष्‍य 2030 का भी एजेंडा है। इन वर्षों में हर बच्‍चे के लिए भावनात्‍मक रूप
से सहायक और प्रेरक खेलयक्ु ‍त परिवेश प्रदान करने के लिए निवेश करना अहम है। यह हर बच्‍चे का
अधिकार ही नहीं अपित ज ु ीवन के लिए एक सदृु ढ़ आधार प्रदान करने का माध्‍यम भी है।
इस संदर्भ में, बच्‍चों को अच्छी गणु वत्तापर्ण ू परू ्व-प्राथमिक शिक्षा उपलब्‍ध करवाने हेत शि ु क्षकों,
प्रशासकों, नीति नियोजकों और अन्‍य हितधारियों की मदद करने के लिए राष्‍ट्रीय शैक्षि‍क अनसु धं ान और
प्रशि‍क्षण परिषद् (रा.शै.अ.प्र.प.) दो दस्‍तावेज़ों “परू -्व प्राथमिक शिक्षा के लिए दिशानिर्देश” और “परू -्व प्राथमिक
पाठ्यचर्या” के साथ आगे आई है। ये दिशानिर्देश आधारभतू -सरं चना, परू -्व प्राथमिक विद्यालयी स्‍टाफ की
योग्‍यताएँ, वेतन, प्रवेश प्रक्रिया, रखे जाने वाले रिकॉर्ड और रजिस्‍टर, देखरे ख, निरीक्षण, समदु ाय, अभिभावकों
के साथ समन्‍वयन तथा अभिसरण की कार्यविधि एवं महत्‍व के लिए मापदडं ों को प्रस्‍तुत करती है।
कक्षा 1 से पहले तीन वर्षों के परू ्व-प्राथमिक विद्यालय के लिए पाठ्यचर्या तैयार की गर्इ है, जो परू ्व-
प्राथमिक विद्यालय कक्षा 1, 2 तथा 3 के लिए लक्ष्‍यों, मख्ु ‍य संकल्पनाओ/ं कौशलों, शैक्षणिक प्रक्रि‍याओ ं
तथा आरंभि‍क सीखने के प्रतिफलों को उजागर करती है। यह एक परू ्व-प्राथमिक विद्यालयी कार्यक्रम की
योजना बनाने, कक्षाकक्ष के व्यवस्थापन और प्रबंधन, आकलन तथा अभि‍भावकों एवं समदु ाय के साथ
साझेदारी बनाने के तरीके भी सझु ाती है।
ये दस्तावेज़ विषय-विशेषज्ञों, शि‍क्षकों और शि‍क्षक-प्रशि‍क्षकों के सामहि ू क चितं न के प्रतिफल हैं। ये
सझु ावात्मक हैं और राज्यों/कें द्र शासित प्रदेशों तथा अन्य हितधारकों द्वारा आवश्‍यकता अनसु ार अपनाए
या रूपांतरित किए जा सकते हैं। प्रारंभि‍क शि‍क्षा विभाग ने इन दोनों दस्तावेज़ों को विकसित करने का दायित्व
सँभाला है। इससे जड़े विु भाग के प्रत्‍येक सदस्य के प्रयासों की सराहना की जाती है।
इन दस्तावेज़ों को सभी राज्‍य शैक्ष‍िक अनुसंधान और प्रशि‍क्षण परिषद् (एस.सी.र्इ.आर.टी.), राज्य
शि‍क्षा विभागों और अन्य हितधारकों के साथ साझा किया गया। इन दोनों दस्तावेज़ों पर उनके विचार
और सुझाव आमंत्रि‍त किए गए। हम उन सभी के आभारी हैं जिन्होंने अपने सुझाव दिए। इस दस्तावेज़
की गुणवत्ता और उपयोगिता के सुधार हेतु टिप्पणि‍यों और सुझावों का स्वागत है।
ऋषिके श सेनापति
नयी दिल्ली निदेशक
अक्‍तूबर 2019 राष्‍ट्रीय शैक्षि‍क अनसु ंधान और प्रशि‍क्षण परिषद्

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प्रस्‍तावना
प्रस्‍तुत प्रलेख की रचना कक्षा एक से परू ्व तीन से छह वर्ष की आय व
ु ाले बच्‍चों के लिए तीन वर्षीय परू ्व-
प्राथमिक शिक्षा के लिए एक प्रगतिशील दृष्‍टिकोण के साथ की गई है। इस प्रलेख की विषयवस्‍तु विकासानरूु प
पद्धतियों पर आधारित है और यह मख्ु ‍य अवधारणाओ/ं कौशलों, उद्देश्‍यों, शिक्षणशास्‍त्रीय प्रक्रियाओ ं एवं
पद्घतियों और अन्‍तत: आरंभिक अवस्‍था के सीखने के प्रतिफलों की उपलब्धि में परू ्व-प्राथमिक अध्‍यापकों
व अभिभावकों की महत्‍वपर्ण ू भमिू का को रे खांकित करती है।

इस प्रलेख में मुख्‍यत: नौ अध्‍याय हैं—


अध्‍याय 1 — आरंभिक वर्षों के महत्‍व, परिभाषा, दृष्‍टिकोण, लक्ष्‍य, उद्देश्‍यों, परू ्व-प्राथमिक विद्यालय
के बच्‍चों की वि‍शषे ताओ ं और प्रस्‍तुत पाठ्यचर्या के मार्गदर्शक सिद्धांतों पर प्रकाश
डालता है।
अध्‍याय 2 — आरंभिक अवस्‍था के अधिगम से संबंधित उन मद्ु दों पर प्रकाश डालता है जिन्‍हें परू ्व-
प्राथमिक शिक्षा में गणु वत्ता में सधु ार हेतु संबोधित किए जाने की ज़रूरत है।
अध्‍याय 3 — पाठ्यचर्या के उद्देश्‍यों, बच्‍चों में विकसित की जाने वाली मख्ु ‍य अवधारणाओ/ं कौशलों,
अध्‍यापकों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली शैक्षणिक प्रक्रियाओ ं और परू ्व-प्राथमिक
विद्यालय 1, 2 और 3 के आरंभिक सीखने के प्रतिफलों का वर्णन प्रस्‍तुत करता है।
अध्‍याय 4 — बाल अनरू ु प अधिगम परिवेश को सृजित करने के संबंध में जानकारी देता है। अध्‍यापकों
द्वारा कक्षा में गतिविधि क्षेत्र तैयार करना, व्‍यक्‍तिगत तथा छोटे और बड़े समहू की
गतिविधियों का प्रबंध करना। डिस्‍प्‍ले प्रबंधन, बैठने की व्‍यवस्‍था और विशेष
आवश्‍यकताओ व ं ाले बच्‍चों के लिए अनक ु ू लन करना भी इसमें शामिल है।
अध्‍याय 5 — पाठ्यचर्या संप्रेषण/संचालन हेत विविध ु प्रकार की शिक्षण पद्धतियों, कार्यक्रम योजना
और इसके प्रभावशाली क्रियान्‍वयन के बारे में चर्चा करता है।
अध्‍याय 6 — बच्‍चों का अवलोकन एवं आकलन के रिकार्ड रखने, सचू ना एकत्र करने और आरंभिक
सीखने के प्रतिफलों की उपल‍ब्धि से जड़ाव ु स्‍थ‍ापित करने की विभिन्‍न विधियों पर चर्चा
करता है।
अध्‍याय 7 — परू ्व-प्राथमिक विद्यालयी कार्यक्रम की गणु वत्ता को सनिश्‍च‍ित
ु करने के लिए मॉनीटरिंग
और सहयोग देने वाले पर्यवेक्षण के लिए सझु ाव प्रस्‍तुत करता है।
अध्‍याय 8 — अभिभावकों और समदु ाय के साथ गणु वत्तापरक साझेदारी के लाभों पर चर्चा करता है,
परू ्व-प्राथमिक विद्यालयी कार्यक्रम में अभिभावकों को सम्मिलित करने के विभिन्‍न
तरीकों और बच्‍चों की देखभाल एवं उनके पालन-पोषण के बारे में अभिभावकों को
शिक्षित करने, बाल विकास के पहलओ ु ,ं विकास के लिए आरंभिक वर्षों के महत्‍व तथा
परू ्व-प्राथमिक शिक्षण प्रक्रियाओ ं की चर्चा करता है।

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अध्‍याय 9 — परू -्व प्राथमिक विद्यालय और प्राथमिक विद्यालय के बीच जड़ाव
ु के महत्‍व तथा सहज एवं
सफल पारगमन (परू -्व प्राथमिक विद्यालय से प्राथमिक विद्यालय में जाना) हेत ज
ु ड़ाव
ु कै से
स्‍थापित किया जाए, इन बातों पर प्रकाश डालता है।
यह प्रलेख गणु वत्तापरक परू -्व प्राथमिक विद्यालय कार्यक्रम का व्‍यापक चित्र प्रस्‍तुत करता है। हम आशा करते
हैं कि प्रस्‍तुत परू -्व प्राथमिक पाठ्यचर्या अध्‍यापकों को कक्षा में ऐसा सहयोगी परिवेश सृजित करने में मदद
करे गी जहाँ बच्‍चे खेल सकें , सीख सकें और खश ु ी महससू कर सकें । यह आशा की जाती है कि यह
पाठ्यचर्या अध्‍यापकों को विकास अनरू ु प गतिविधियों की योजना बनाने और उनका क्रियान्‍वयन करने में
दिशानिर्देश तथा सहायता प्रदान करे गी।

सनु ीति सनवाल


सदस्‍य समन्वयक

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निर्माण समिति

सलाहकार
ऋषिके श सेनापति, निदशे क, राष्‍ट्रीय शैक्षिक अनसु धं ान और प्रशिक्षण परिषद् (रा.शै.अ.प्र.प.) नयी दिल्‍ली
सदस्‍य
अनपु म आहुजा, प्रोफे ़सर, डी.ई.जी.एस.एन., रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली
अमीता टंड़न, सलाहकार और परामर्शदाता, ई.सी.सी.ई., रा.शै.अ.प्र.प.,नयी दिल्‍ली
आशा सिंह, प्रोफे ़सर (सेवानिवृ�ा), लेडी इरविन कॉलेज, नयी दिल्‍ली
उषा मेनन, निदेशक, जोड़ो ज्ञान, नयी दिल्‍ली
उषा शर्मा, प्रोफे ़सर, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली
ए.के . राजपतू , प्रोफ़े सर, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली
कविता शर्मा, प्रोफे ़सर, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली
कीर्ति जयराम, निदेशक, ओ.ई.एल.पी., नयी दिल्‍ली
के . लक्ष्‍मी, अध्यक्ष आध्रं महिला सभा, हैदराबाद
जी.सी.उपाध्‍याय, प्रोफे ़सर (सेवानिवृ�ा), रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली
धर्म प्रकाश, प्रोफ़े सर (सेवानिवृ�ा), रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली
पदम् ा यादव, प्रोफे ़सर, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली
मीनाक्षी खार, एसोसिएट प्रोफ़े सर, डी.ई.एल., रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली
मृदल ु ा बजाज, परू ्व कार्यकारी निदेशक, मोबाइल क्रे च, नयी दिल्‍ली
रीतू चन्‍द्रा, असिस्‍टेंट प्रोफे ़सर, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली
रे खा शर्मा सेन, प्रोफे ़सर, इग्नू, नयी दिल्‍ली
रोमिला सोनी, असिस्‍टेंट प्रोफे ़सर, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली
विनीता कौल, प्रोफे ़सर एमेरेटस, अम्‍बेडकर विश्‍वविद्यालय, नयी दिल्‍ली
शरबरी बनर्जी, एसोसिएट प्रोफ़े सर, डी.ई.ए.ए., रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली
शभ्ु रा चटर्जी, निर्देशक, विक्रमशिला, कोलकाता
संध्‍या रानी साहू, प्रोफे ़सर, डी.ई.एल., रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली
सावित्री सिहं , हेड मिस्‍ट्रेस्‍ा (सेवानिवृ�ा), आई.आई.टी., नर्सरी स्‍कू ल, नयी दिल्‍ली
सनु ीशा आहुजा, कंसल्‍टेंट, लेंग्‍वेज लर्निंग फाउंडेशन, नयी दिल्‍ली
सोनिका कौशिक, सीनियर कंसल्‍टेंट, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली
सदस्‍य समन्वयक
सनु ीति सनवाल, प्रोफे ़सर एवं विभागाध्‍यक्ष, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली

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आभार
राष्‍ट्रीय शैक्षि‍क अनसु ंधान और प्रशि‍क्षण परिषद् (रा.शै.अ.प्र.प.) निम्‍न व्‍यक्‍तियों के योगदान एवं सझु ावों के
लिए आभार प्रकट करती है— ज्‍योति कांत प्रसाद, हेड मिस्‍ट्रेस, सनु यना मित्तल, पनू म, अध्‍यापिका,
आई.आई.टी., नर्सरी स्‍कू ल, नयी दिल्‍ली; सान्‍या हिरयानी, सह-संस्‍थापक, तितली, मबंु ई; सचु ते ा त्‍यागी,
प्राथमिक अध्‍यापिका, एम.सी.डी. स्‍कू ल, नयी दिल्‍ली; रुचिता शरण, अध्‍यापिका, वसत व ं ैली स्‍कू ल, नयी
दिल्‍ली; अनभु ा राजेश, फ्रीलांस ई.सी.सी.ई. एक्‍सपर्ट; तेजस्‍वी रतनानी, अध्‍यापिका, दिल्‍ली पब्लिक स्‍कू ल,
मथरु ा रोड और रशमीत के . आनं द, अध्‍यापिका, दिल्‍ली पब्लिक स्‍कू ल, मथरु ा रोड।
परिषद् शारदा कुमारी, प्रध्‍ाानाचार्या जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्‍थान, आर.के . परु म, नयी दिल्‍ली को हिदं ी
अनवु ाद; कुसमु लता अग्रवाल, भाषा अध्‍यापिका (सेवानिवृत), दिल्ली प्रशासन, दिल्‍ली; अचला कुकरे ती,
प्रधानाचार्य (सेवानिवृत), नवयगु स्कू ल, दिल्‍ली; रमा गप्‍ताु , भाषा अध्‍यापिका (सेवानिवृत), सरदार पटेल
विद्यालय, दिल्‍ली; सोनिया मेहदं ीरत्ता, अध्‍यापिका, हेप्‍पी मॉडल विद्यालय, जनकपरु ी, नयी दिल्‍ली; अनरु ाधा,
हिदं ी विभागाध्‍यक्ष/समन्‍वयक (सेवानिवृत), सरदार पटेल विद्यालय, दिल्‍ली को दस्‍तावेज़ को अतं िम रूप देने
के लिए आभारी है।
पस्ु ‍तक के विकास के विभिन्‍न चरणों में सहयोग के लिए परिषद् अक्‍सा चौधरी, जे.पी.एफ., प्रारंभिक शिक्षा
विभाग, रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली; नितिन तंवर, किशोर सिंघल, डी.टी.पी.; प्रारंभिक शिक्षा विभाग,
रा.शै.अ.प्र.प., नयी दिल्‍ली; चचं ल रानी, सपना विश्‍वास, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, रा.शै.अ.प्र.प., नयी
दिल्‍ली के प्रति आभार प्रकट करती है। परिषद् संपादन कार्य के लिए नरे श यादव, संपादक (सेवानिवृत) और
जयरथ, प्फ रू रीडर (सेवानिवृत) की प्रूफ सशं ोधन के लिए अाभारी है।
परिषद् पस्तु क के भाषा संपादन के िलए िदनेश वशिष्‍ट, सहायक संपादक (संविदा) अौर अजय कुमार
प्रजापति, डी.टी.पी. आॅपरे टर (संविदा) का भी आभार व्यक्‍त करती है।

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विषय सच
ू ी
आमख
ु v
अध्‍याय 1— पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का महत्‍व 1–6
●● पर ू ्व-प्राथमिक शिक्षा की परिभाषा 2
●● पर ू ्व-प्राथमिक शिक्षा की संकल्‍पना 2
●● पर ू ्व-प्राथमिक शिक्षा के व्‍यापक लक्ष्‍य 2
●● पर ू ्व-प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्‍य 2
●● पर ू ्व-प्राथमिक िवद्यालयी बच्‍चों की विशेषताएँ 3
●● पर ू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या के मार्गदर्शक सिद्धांत 3
अध्‍याय 2— आरंभिक अधिगम और विकास से जुड़े कुछ मुद्दे 7–10
●● अधिगम में विविधता का प्रबंधन 7
●● बहु आय व ु ाले समहू का प्रबंधन 8
●● जेंडर समानता को सनिश्‍चि‍त ु एवं प्रोत्‍साहित करना 8
●● आरंभिक अवस्‍था में औपचारिक शिक्षा देने से बचें 9
●● विशेष आवश्‍यकता वाले बच्‍चों का उपयक् ु ‍त समावेशन सनिश्‍चि‍त
ु करें 9
अध्‍याय 3— पाठ्यचर्या 11–51
●● पर ू ्व-प्राथमिक शि‍क्षा के लक्ष्‍य 11
●● खेल 20
●● परस्‍पर सव ं ाद 21
●● परिवेश 21
●● सीखने के आरंभिक प्रतिफल 22
अध्‍याय 4 — बाल अनुरूप अधिगम परिवेश की सरं चना 51–55
●● गतिविधि क्षेत्रों सहित भीतरी (इड ं ाेर) परिवेश का सृजन करना 51
●● बाहरी खेल परिवेश का सृजन 54
●● शिक्षकों की भमि ू का 55
अध्‍याय 5 — पाठ्यचर्या क्रियान्‍वयन के शैक्षणिक उपागम 56–61
●● विषयवस्तु-आधारित उपागम 56
●● खेल-आधारित उपागम 57
●● गतिविधि-आधारित उपागम 57
●● प्रोजेक्ट अथवा पछ ू ताछ-आधारित उपागम 58
●● उदग ् ामी पाठ्यचर्या 58
●● उपागमों का एकीकरण 58

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परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या नियोजन एवं िक्रयान्वयन
●● 59
●● क्रि‍याओ ं की सारणी के लिए सझ ु ाव 61
अध्‍याय 6 — पूर्व-प्राथमिक शिक्षा में आकलन 62–64
●● आकलन और उसकी रिपोर्ट कै से की जानी चाहिए? 62
●● आकलन उपकरण एवं तकनीक 63
●● पर ू ्व-प्राथमिक विद्यालयी कार्यक्रम में आकलन 64
अध्‍याय 7 — मॉनी‍टरिंग और सहयोगात्‍मक पर्यवेक्षण 65–66
●● मॉनीटरिंग और पर्यवेक्षण के लिए उत्तरदायित्‍व 65
अध्‍याय 8 — अभि‍भाव‍कों और समुदाय के साथ सहभागिता 67–69
●● बच्चों की मदद के लिए अभि‍भावक शि‍क्षा 67
●● अभि‍भावकों को संसाधन के रूप में जोड़ना 68
●● समद ु ाय की भमि
ू का 68
अध्‍याय 9 — बच्‍चों के पारगमन में सहायता 70–72
●● सहज पारगमन की निरंतरता बनाए रखना 71
सदं र्भ 73
परिशि‍ष्‍ट
परिशि‍ष्‍ट 1 — एकीकृ त पद्धति‍ के आधार पर तैयार साप्‍ताहिक पाठ-योजना (परू ्व-प्राथमिक–I) 74
परिशि‍ष्‍ट 2 — समावेशित पद्धति के आधार पर तैयार साप्‍ताहिक पाठ-योजना (परू ्व-प्राथमिक–II) 79
परिशि‍ष्‍ट 3 — समावेशित पद्धति के आधार पर तैयार साप्‍ताहिक पाठ-योजना (परू ्व-प्राथमिक–III) 84

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1 पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का महत्व

सभी बच्‍चों का यह अधिकार है कि उन्‍हें सर्वांगीण हुए निर्मित खेलों में किए गए परिवर्तनों तथा विकास
विकास एवं वृद्धि के वे सभी अवसर मिलें जिनसे उनमें उपयक्‍त
ु गतिविधियों के द्वारा बच्‍चों की स्‍मरण शक्‍ति का
निहित क्षमताओ ं का भरपरू विकास हो सके । जीवन के विकास होता है। इन गतिविधियों द्वारा वे ध्‍यान कें द्रित कर
आरंभिक वर्ष वृद्धि, विकास और सीखने की दृष्‍टि से बेहद पाते हैं और अपने पर नियंत्रण रखना सीखते हैं।
महत्‍वपर्णू होते हैं। यह बात उन बच्‍चों पर भी लागू होती बच्‍चों में कार्य निष्‍पादन एवं आत्‍मनियमन की
है, जिनकी शारीरिक अक्षमताओ ं के ‍ कारण उनकी कुछ योग्‍यताएँ एक ऐसी नींव का काम करती हैं जिससे उनमें
विशिष्‍ट आवश्‍यकताएँ होती हैं। तंत्रिका विज्ञान के क्षेत्र में भरपरू आत्‍मविश्‍वास पैदा होता है और आगे के वर्षों में
हुए शोध यह सिद्ध करते हैं कि उम्र के इस चरण में मस्तिष्‍क उनका सीखना भी बहुत आसान व कुशलता के साथ होता
का विकास बहुत तेज़ी से होता है। बच्‍चों के जीवन के है। वे बड़ी सहजता से अपने साथियों के बीच और विभिन्‍न
शरुु आती वर्षों में आस-पास का परिवेश उनके तंत्रिका तंत्र अधिगम शैलियों के साथ अनक ु ू लन करना सीख जाते हैं।
के विकास पर महत्‍वपर्णू रूप से प्रभाव डालता है। साथ ही यह भी बहुत महत्‍वपर्णू है कि बच्‍चों को भावनात्‍मक
सही समय पर सर्वोत्तम उद्दीपन प्रदान करना मस्तिष्‍क की रूप से संबल प्रदान करने वाला ऐसा वातावरण मिले जिससे
कोशिकाओ ं की रचना के लिए सबसे महत्‍वपर्णू होता है, वे शिक्षक के साथ स्‍वस्‍थ एवं सरु क्षित संबंध विकसित कर
यह निर्धारित करता है कि व्‍यक्‍ति जीवनपर्यंत किस प्रकार सकें । बच्‍चों को इस प्रकार का मक्‍त ु परिवेश देना चाहिए
से व्‍यवहार करें गे, किस प्रकार की सोच रखेंगे और किस कि वे खोजबीन कर सकें , सीख सकें , अभिव्‍यक्‍त कर
प्रकार से सीखेंगे। मस्तिष्‍क के भिन्‍न-भिन्‍न बहुआयामी सकें और स्‍वयं के प्रति सकारात्‍मक अवधारणा बना सकें ।
घटक समन्वित तरीके से कार्य करते हैं और इससे विकास शोध यह प्रमाणित करते हैं कि परू ्व-प्राथमिक कार्यक्रमों में
के सभी क्षेत्रों में कौशल एवं क्षमताएँ अर्जित करने को बच्‍चों की प्रतिभागिता लाभदायक हैं क्‍योंकि इससे बच्‍चों
बढ़ावा मिलता है। के पोषण, स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा तीनों पर ही सकारात्‍मक
तीन से छह वर्ष की आयु के दौरान बच्‍चों की जिन प्रभाव पड़ता है। यह उनके वर्तमान और भविष्‍य दोनों के
सर्वांगीण क्षमताओ ं का विकास होता है, वे विद्यालय लिए बहुत मायने रखती है यदि हम आर्थिक नज़रिए से भी
में उनके समायोजन एवं उनके खश ु हाल जीवन के लिए देखें तो परू ्व-प्राथमिक वि‍द्यालयी कार्यक्रमों में निवेश एक
बहुत ही आवश्‍यक होती हैं। रचनात्‍मक खेलों, विशेष प्रकार से उच्‍च स्‍तरीय मानवीय संपदा की तैयारी है जिसके
आवश्‍यकता वाले बच्‍चों की ज़रूरतों को ध्‍यान में रखते लिए सार्वजनिक सहभागिता की विशेष आवश्‍यकता है।

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परू ्व-प्राथमिक विद्यालयी कार्यक्रमों से न के वल बच्‍चों समावेशित और बच्‍चों के परिवेश से मेल खाते सीखने के
और परिवारों को फ़ायदा होता है, बल्कि इससे सामाजिक अवसरों को समन्ु ‍नत किया जाए। यह सब तभी संभव हो
असमानता भी कम होती है और इस प्रकार समदु ाय और पाएगा जब अभिभावक और शिक्षक भावनात्‍मक रूप से
अतं त: परू े समाज को लाभ पहुचँ ता है। इसलिए, प्रेरक समर्थन दें, सस्‍कृति
ं से जड़ु ें, बाल-कें द्रित प्रोत्‍साहनवर्धक
अनभु व देने के लिए पर्याप्‍त अवसर प्रदान करना बच्‍चों के अधिगम परिवेश सृजित करने में सहभागी बनें। इसका लक्ष्‍य
सीखने की योग्‍यताओ ं पर सकारात्‍मक प्रभाव डालता है। है कि प्रत्‍येक बच्‍चे की क्षमताओ ं का उसके उच्‍चतम स्‍तर
इसी बात को ध्‍यान में रखते हुए, परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या तक विकास हो ताकि खेल और विकासात्‍मक प्रतिमानों
का लक्ष्‍य ऐसा दृष्‍टिकोण विकसित करना है जिससे विकास के अनरू ु प अभ्‍यास द्वारा जीवनपर्यंत रहने वाले अधिगम
के सभी क्षेत्रों में प्रत्‍येक बच्‍चे की स्‍वाभाविक क्षमताओ ं
की मज़बतू नींव तैयार हो सके । यह पाठ्यचर्या इस बात
का विकास सगु मता से हो सके । पाठ्यचर्या, विकास की
को भी महत्‍व देती है कि सकारात्‍मक दृष्‍टिकोण, अच्‍छे
उन अवस्‍थाओ ं पर ध्‍यान देने पर बल देती है ज‍ब बच्‍चे
मल्‍य
ू , समीक्षात्‍मक चितं न के कौशलों, सहयोग, संप्रेषण,
पछू ताछ करते हैं, खोजबीन करते हैं और अपने बारे में
और अधिक जानने का प्रयास करते हैं। साथ ही सीखने रचनात्‍मकता, तकनीक, साक्षरता और सामाजिक-
से जडु ़ी उन प्रवृ‍त्ति‍यों और दक्षताओ ं की भी पहचान कर भावनात्‍मक विकास भी हो। इस पाठ्यचर्या की यह भी
लेते हैं जो आगे आने वाले जीवन के लिए ज़रूरी हैं। इस सोच है कि जब बच्‍चे परू ्व-प्राथमिक विद्यालय से प्राथमिक
पाठ्यचर्या का लक्ष्‍य यह भी है कि सीखने के प्रतिफलों के विद्यालय की ओर कदम बढ़ाएँ तो उन्‍हें किसी प्रकार की
साथ विकास के सभी घटकों को इस प्रकार समेकित रूप भावनात्‍मक परे शानी न हो और वे भविष्‍य में रचनात्‍मक व
में देखा जा सके जो इस आयु के बच्‍चों की स्‍वा‍भाविक संतोषप्रद जीवन का आनंद ले सकें ।
अधिगम प्रक्रिया के ताने-बाने के साथ मेल खाते हों।
पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के व्‍यापक लक्ष्‍य
पूर्व-प्राथमिक शिक्षा की परिभाषा परू -्व प्राथमि‍क शिक्षा के व्‍यापक लक्ष्‍य इस प्रकार हैं—
परू -्व प्राथमि‍क शिक्षा वह शिक्षा है जो तीन से छह वर्ष के आयु • बच्‍चों का सर्वांगीण विकास और आजीवन सीखने
समहू को दी जाती है। यह औपचारिक शिक्षा का प्रथम चरण हेतु मज़बतू नींव डालना।
है। इसे परू ्व प्राथमिक शिक्षा के नाम से भी जाना जाता है। • बच्‍चों को विद्यालय के लिए तैयार करना।
परू -्व प्राथमिक शिक्षा भिन्‍न-भिन्‍न स्‍वरूपों में दी जा
रही है, जैस— े आँगनवाड़ी, नर्सरी स्कू ल, परू -्व प्राथमिक पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्‍य
विद्यालय, प्रीप्रेटरी स्‍कू ल, किंडरगार्टन, माॅन्‍टेसरी स्‍कू ल और • एक ऐसे बाल अनरू ु प वातावरण का निर्माण करना
सरकारी एवं निजी विद्यालयों के परू ्व प्राथमिक अनभु ाग। जहाँ सभी बच्‍चे अपना महत्‍व समझें, अपने आप को
सम्‍मानित व सरु क्षित महससू करें और स्‍वयं के प्रति
पूर्व-प्राथमिक शिक्षा की सक
ं ल्‍पना सकारात्‍मक भाव रखें।
परू ्व-प्राथमिक शिक्षा की संकल्‍पना है कि तीन से छह वर्ष • बच्‍चों में बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य, खश
ु हाली, पोषण, स्‍वच्‍छता
की आयु के सभी बच्‍चों का सर्वांगीण विकास सनिश्‍चिु त एवं स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी अच्‍छी आदतों के लिए मज़बतू
करने के लिए सार्वभौमिक, समतावादी, आनंददायी, नींव डालना।

2 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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• बच्‍चों को ऐसा परिवेश देना जो उन्‍हें प्रभावशाली हैं और कब उदास हैं। अपने प्रति भी उनकी समझ आकार
सप्रेष
ं क बनने में मददगार हो और जहाँ वे प्रभावशाली लेने लगती है। इसलिए प्रस्‍तुत पाठ्यचर्या में इस प्रकार
तरीके से सनु ना-बोलना सीख सकें । की विशिष्‍ट विषयवस्‍तु और शिक्षण कला को अतं र्निहित
• बच्‍चों को लगन से सीखने वाला बनने, समीक्षात्‍मक किया गया है जो बच्‍चों की आयु और विकासात्‍मक
रूप से सोच सकने, रचनात्‍मक बनने और अपने ज़रूरतों को परू ा कर सके , साथ ही दिशा निर्देशक सिद्धांतों
परिवेश से सहयोग, संवाद और जडु ़ाव स्‍थापित कर के रूप में सैद्धान्तिक और अवधारणात्‍मक रूपरे खा का
सकने में मदद करना।
आधार बन सके । इस प्रकार से यह पाठ्यचर्या आयु विशेष
• परू ्व-प्राथमिक विद्यालय से प्रा‍थमिक विद्यालय में
सहज पारगमन के लिए तैयार करना। में दिए जाने वाले अनभु वों में लचीलेपन का प्रावधान तो
• अभिभावकों और समदु ाय के साथ भागीदार बनकर प्रस्‍तुत करती ही है, साथ ही नीति निर्धारण में विविधता
काम करना जिससे सभी बच्‍चों को पनपने के अवसर का भी ध्‍यान रखती है। बहुस्‍तरीय, बहुआयु वर्ग वाली
मिल सकें । कक्षाओ ं की वास्‍तविकताओ ं को भी ध्‍यान में रखती है
और परू ्व-प्राथमिक कक्षाओ ं से प्रारंभिक कक्षाओ ं में जाने
पूर्व-प्राथमिक विद्यालयी बच्‍चों की विशेषताएँ की प्रक्रिया को सरल बनाती है। इसका परिणाम इस रूप में
परू ्व-प्राथमिक विद्यालय के बच्‍चे अपने परिवेश में रंगों, प्रतिबिंबित होता है कि बच्‍चे अपने ‘स्‍व’ की छवि के प्रति
आकृ तियों, ध्‍वनियों, आकारों और नमनू ों के प्रति अत्‍यंत सकारात्‍मक भाव रखते हैं, अपने प्रति आत्‍मविश्‍वास पैदा
जिज्ञासु और उत्‍साही होते हैं। उनकी अपने आस-पास करते हैं, बेहतर कार्य कर पाते हैं और इससे उनके विद्यालय
के परिवेश को जानने-समझने की और विभेदीकरण की में बने रहने की संभावना भी बढ़ जाती है।
क्षमता दिन-प्रतिदिन समृद्ध होती जाती है। यह आरंभिक
अधिगम बड़ों और साथियों दोनों ही के साथ सप्रेष ं ण से पूर्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या के मार्गदर्शक सिद्धांत
होता है जिसमें भाषा की बड़ी महत्‍वपर्णू भमू िका होती परू ्व-प्राथमिक शिक्षा की उभरती हुई ज़रूरतों और बदलते
है। बच्‍चों को इस प्रकार के हर अवसर उपलब्‍ध करवाने परिदृश्‍य के आलोक में यह प्रयास किया गया है कि मौजदू ा
चाहिए जिससे वे अपने आस-पास और इससे भी कहीं पाठ्यचर्या समग्रतावादी, विकासात्‍मक प्रतिमानों के
आगे जाकर मानवीय, सामाजिक व सांस्‍कृतिक परिवेश अनरू ु प, बच्‍चों के सामाजिक संदर्भों से जडु ़ी हो और सबसे
को समझने के लिए प्रश्‍न कर सकें और खोजबीन कर महत्‍वपर्णू बात यह है कि खेल एवं गतिविधि आधारित
सकें । अपने परिवेश की जाँच पड़ताल करते समय बच्‍चे हो। निम्‍नलिखित मार्गदर्शक सिद्धांत मौजदू ा पाठ्यचर्या की
अवलोकन करने, प्रश्‍न करने, चर्चा करने, अनमु ान लगाने, रूपरे खा तय करते हैं—
विश्‍लेषण करने, खोजबीन और तरह-तरह के प्रयोग करने • सीखना सतत और सचय ं ी होता है— जन्‍म के साथ
में लगे रहते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान वे तरह-तरह की ही सीखना आरंभ हो जाता है और यह प्रक्रिया
अवधारणाओ ं तथा विचारों की रचना करते हैं, उनमें सधु ार आजीवन चलती रहती है। चकि ँू बच्‍चे इन्द्रियों और
उत्‍प्रेरणा के द्वारा सीखते हैं, इसलिए उनके विकास पर
करते हैं और इस प्रकार अवधारणाओ ं के प्रति समझ बनाते आरंभिक देखभाल और उत्‍प्रेरणा का समग्र और
हैं। वे अपनी भावनाओ ं पर नियंत्रण रखना, एक-दसू रे के व्‍यापक रूप से प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह आवश्‍यक
साथ मिलकर-साझा करने की आदत डालना, अपनी बारी है कि विशेष आवश्‍यकता वाले बच्‍चों सहित सभी
की प्रतीक्षा करना और मित्रों के साथ सहयोग करना सीखते बच्‍चों को आरंभिक वर्षों में ही समचि ु त उत्‍प्रेरणा देने
हैं। बच्‍चे यह बताने में सक्षम हो जाते हैं कि वे कब खशु के अवसर प्रदान किए जाएँ।
परू ्व-प्राथमिक शिक्षा का महत्व 3

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• तंत्रिका विज्ञान से प्राप्‍त साक्ष्‍य सिद्ध करते हैं कि को संबोधित करने वाली अनेक शिक्षण शैलियों का
आरंभिक अधिगम आगामी जीवन की उपयोग किया जाए।
उपलब्धियों को प्रभावित करता है— जीव तंत्रिका • सीखने और विकास का आधार खेल एवं
विज्ञान के क्षेत्र में हुए अनसु ंधान दर्शाते हैं कि बच्‍चे के गतिविधियाँ हैं— परू ्व-प्राथमिक शिक्षा के लिए खेल
जीवन के शरुु आती वर्षों में जिस प्रकार के अनभु व एवं गतिविधियाँ सर्वश्रेष्‍ठ शिक्षण माध्‍यम हैं। ये
दिए जाते हैं, बच्‍चे उन्‍हीं तरीकों से सीखते हैं। यद्यपि गतिविधियाँ बच्‍चों को खोजबीन करने, प्रयोग करने,
अनवु ांशिकी की मस्तिष्‍क की रचना में बहुत बड़ी परिवेश को अपने अनसु ार ढालने और अनभु व करने
भमू िका है तथापि आगे के जीवन में मस्तिष्‍क किस के अवसर प्रदान करती हैं। इस प्रकार बच्‍चे स्‍वयं ही
प्रकार से कार्य करे गा, इसके लिए बच्‍चों के आरंभिक ज्ञान का सृजन करते हैं। पाठ्यचर्या इस प्रकार की खेल
अनभु व बहुत ही महत्‍वपर्णू हैं। गतिविधियों का सझु ाव देती है जिनसे विभिन्‍न प्रकार
• हर बच्‍चा अलग होता है और वह अपनी गति से के खेलों, जैसे— स्‍वछंद व निर्देशित खेल, क्रियाशील
ही बढ़ता, सीखता और विकसित होता है— और दसू रे के द्वारा खिलाए जाने वाले खेल, भीतरी
यद्यपि सभी बच्‍चों के विकास का आमतौर पर लगभग तथा बाह्य खेल, वैयक्‍तिक एवं सामहि ू क खेल,
एक-सा ही अनक्र ु म होता है, फिर भी यह सत्‍य है कि संरचनात्‍मक व असंरचनात्‍मक खेलों के अनपु ात में
सभी बच्‍चे अपने आप में अद्वितीय हैं और अपनी गति
सतं ल ु न बना रहता है। खेलों का अधिकांश भाग
के आधार पर क्षमताएँ और कौशल अर्जित करते हैं।
स्‍वयं प्रेरित खेलों एवं गतिविधियों पर आधारित
एक अच्‍छे परू ्व-प्राथमिक विद्यालयी कार्यक्रम में
बच्‍चों की विभिन्‍न क्षमताओ ं और विकास की अपनी होना चाहिए जो बच्‍चों की रुचि और इच्‍छा पर
गति का ध्‍यान रखा जाता है। अच्‍छा परू ्व-प्राथमिक आधारित हो।
विद्यालय कार्यक्रम यह भी सनिश्‍चि ु त करता है कि • बच्‍चों के सीखने के लिए बड़ों के साथ
सभी बच्‍चों का उनकी परू ी क्षमताओ ं के साथ प्रतिक्रियात्‍मक और सहयोगी अंत:क्रिया
शारीरिक, सामाजिक, भावनात्‍मक, नैतिक और (सवा ं द) अनिवार्य है— बच्‍चे अपने अभिभावकों,
बौद्धिक विकास हो सके । यह पाठ्यचर्या विकास उन परिवार, शिक्षक व समाज के साथ अपने सबं ंधों के
समचि ु त प्रक्रियाओ ं का पालन करती है जो बच्‍चों के द्वारा सीखते हैं। संबंधों को बनाए रखने से बच्‍चों में
द्वारा अधिकतम सीखने और उनके विकास में मदद सरु क्षा की भावना, आत्‍मविश्‍वास, कौतहू ल और
करने के लिए उनकी आय,ु अवस्‍था और संदर्भ के संवाद करने की क्षमता पैदा होती है। इन संबंधों और
उपयक्‍तु हों। पाठ्यचर्या यह भी सझु ाती है कि विकास अतं :क्रिया के आधार पर बच्‍चे यह भी सीखते हैं कि
के भिन्‍न-भिन्‍न चरणों में बच्‍चों की आवश्‍यकताओ ं अपनी भावनाओ ं को किस प्रकार नियंत्रित किया जाए
4 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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और उन्‍हें समाज में उपयोगी तरीके से कै से दसू रों से पहलओ ु ं का संरक्षण तो होता ही है, साथ ही ये अपनी
जोड़ा जाए। सांस्‍कृतिक अस्मिता के लिए भी महत्‍वपर्णू हैं। ये
• अनुभवजन्‍य अधिगम के लिए परिवेश निर्मित शिक्षक, बच्‍चों, अभिभावकों और समदु ाय को सक्रिय
करने से बच्‍चे सीखते हैं— बच्‍चे अपने परिवेश में एवं रचनात्‍मक शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में योगदान
प्रत्‍यक्ष व‍ क्रियात्‍मक अनभु वों द्वारा सीखते हैं जो उन्‍हें देने के अवसर भी प्रदान करते हैं।
अपने शिक्षक और साथियों के साथ पारस्‍परिक • सदं र्भ के प्रति सवं ेदनशीलता और विविधताओ ं
अतं :क्रिया करने और उनके निर्देशों के आधार पर की सराहना अधिगम में सहायक होती हैं— यह
अपने ज्ञान का सृजन करने में सहायक होते हैं। जब बहुत आवश्‍यक है कि सभी बच्‍चों के सकारात्‍मक
सीखना इस प्रकार से होगा तो वह स्‍थायी भी होगा। बिंदओ ु ं और क्षमताओ ं की पहचान की जाए जिससे
शरुु आती अवस्‍था में बच्‍चे अपने स्‍तर से आगे की कि उन्‍हें सीखने के अधिकतम अवसर दिए जा सकें ।
जानकारी को भी जानने की कोशि‍श करते हैं, फिर प्रत्‍येक बच्‍चे को हर शैक्षिक अनभु व और गतिविधि में
वापस अपनी आयु अनरू ु प जानकारी की खोजबीन शामिल करने की ज़रूरत है। विशेष्‍ा आवश्‍यकता वाले
करते हैं, पनु : आगे के स्‍तर की खोजबीन में जटु जाते बच्‍चों को व्‍यक्‍तिगत रूप से निर्देश मिलने चाहिए
हैं। इस प्रकार अधिगम का यह चक्र चलता ही रहता जिससे बच्‍चे अपेक्षित कौशल, व्‍यवहार के तौर-तरीके
है। इस बात को सनिश्‍चि ु त करना बहुत ज़रूरी है कि और अवधारणाओ ं को सीख सकें और उन्‍हें विकसित
बच्‍चों को उनके विकासात्‍मक प्रतिमानों के अनरू ु प कर सकें । चकि ँू समाजीकरण परू ्व-प्राथमिक शिक्षा का
सामग्री, अनभु व और चनु ौतियाँ दी जाएँ जिससे वे एक महत्‍वपर्णू लक्ष्‍य है, इसलिए बच्‍चों को खेल,
स्‍वयं ज्ञान का सृजन कर सकें । इस प्रक्रिया में कार्यों की सामहि ू क गतिविधियों और भिन्‍न-भिन्‍न प्रकार के
पनु रावृत्ति‍ भी होगी, अध्‍यापकों और अनभु वी मित्रों सवं ादों में भाग लेने के भरपरू अवसर मिलने चाहिए।
का मार्गदर्शन भी होगा। इससे सभी बच्‍चों को अपनी यह बहुत ही महत्‍वपर्णू है कि सभी बच्‍चों को, चाहें वे
नैसर्गिक क्षमताओ ं का विकास करने का अवसर किसी भी जाति, वंश, जेंडर, क्षमता, लैंगिक रुझान,
मिलेगा और वे स्‍वतंत्र रूप से काम करना भी सीखेंगे। अक्षमता, भाषा, सस्‍कृति ं , धर्म, सामाजिक-आर्थिक
• पारस्‍परिक शिक्षण-अधिगम अनुभवों को समृद्ध स्थिति के हों, समान रूप से सीखने के अवसर सल ु भ
करता है— बच्‍चों का आपस में एक-दसू रे के साथ हों। पाठ्यचर्या संबंधी निर्णय ज्ञान के उन संदर्भों और
काम करना, बच्‍चों का शिक्षक के साथ और सामग्री सांस्‍क‍ृतिक पृष्‍ठभमू ि व अनभु वों को सम्‍मान व महत्‍व
के साथ तरह-तरह के कार्य करना गणु वत्तापरक देने वाले हों जिन्‍हें बच्‍चे अपने संग परू ्व-प्राथमिक
परू ्व-प्राथमिक शिक्षा का महत्‍वपर्णू पहलू है। बच्‍चों के िवद्यालय में लेकर आते हैं। इस तरह के अवसर भी
आपस में संवाद, परिवेशीय और सांस्‍कृति‍क अनभु वों दिए जाने चाहिए ताकि बच्‍चे एक-दसू रे की सांस्‍कृतिक
की विविधता तथा सार्थक संवाद सदृु ढ़ ज्ञान के सृजन और समहू की समझ तथा अतं र्निहित विविधता को
की नींव प्रदान करते हैं व उन्‍हें औपचारिक विद्यालय स्‍वीकार कर सकें ।
के लिए तैयार करते हैं। • मातृभाषा/घर की भाषा ही शिक्षण का माध्‍यम
• स्‍थानीय रूप से उपलब्‍ध सामग्री का विकास होनी चाहिए— भाषा का बच्‍चों की पहचान और
और उपयोग सीखने के अवसरों को समृद्ध करता भावनात्‍मक सरु क्षा से साथ घनिष्‍ठ संबध है। भाषा
है—स्‍थानीय रूप से उपलब्‍ध संसाधनों का उपयोग उन्‍हें अपने विचार और भावनाओ ं को स्‍वतंत्र रूप से
बच्‍चों को आरंभिक उत्‍प्रेरणा और शिक्षा देने में बहुत अभिव्‍यक्‍त करने में सहायक है। हमारे जैसे बहुभाषी
ही सहायक होता है। इससे स्‍थानीय रूप से महत्‍वपर्णू देश में सीखने-सिखाने की भाषा एक जटिल मद्ु दा है।
मल्‍य
ू ों और सांस्‍कृतिक पृष्‍ठभमू ि के अन्‍य दसू रे परू ्व-प्राथमिक िवद्यालयों में आने वाले बच्‍चों के घर
परू ्व-प्राथमिक शिक्षा का महत्व 5

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की भाषा, िवद्यालय की भाषा या फिर उस क्षेत्र में कि वे अभिव्‍यक्‍ति के लिए हर भाषा को स्‍वीकृ त करें
बोली जाने वाली भाषा से भिन्‍न हो सकती है। शोध और फिर धीरे -धीरे विद्यालय की भाषा से उनका
यह दर्शाते हैं कि जिन बच्‍चों को परू ्व-प्राथमिक परिचय करवाएँ। सभी बच्‍चों को सांकेतिक भाषा से
कार्यक्रम में अपनी मातृभाषा में बोलने के अवसर परिचित होने के मौके भी दिए जाने चाहिए। यह
मिलते हैं, वे आसानी से किसी विषय पर समझ बना समावेशन की नीति की नींव डालने में मददगार होगा।
‍लेते हैं। बच्‍चों की मातृभाषा/घर की भाषा में शिक्षण • अधिगम में परिवार की सहभागिता योगदान देती
को अतं र्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर स्‍वीकार किया गया है क्‍योंकि है— बच्‍चों के अधिगम और विकास में अभिभावकों
शरुु आती वर्षों में अवधारणाओ ं की समझ बनाने के और परिवार का बहुत ही महत्‍वपर्णू योगदान होता है।
लिए यही एक सर्वाधिक उपयक्‍त ु तरीका है। यदि कक्षा परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या, परू ्व-प्राथमिक विद्यालयों
का परिवेश ऐसा है जिसमें अलग-अलग भाषाएँ और घरों में परिवारों की सहभागिता और साझेदारी
बोलने वाले बच्‍चे मौजदू हैं तो शिक्षक से अपेक्षा है की अनश ु सं ा करती है।

6 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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आरंभिक अधिगम और
2 विकास से जुड़े कुछ मुद्दे

अनुभवों और योग्‍यताओ ं की विविधता तथा उपयुक्‍त • बच्‍चों को विभिन्‍न समहू ों में काम करने के मौके दें
शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया पर संवाद की अस्‍पष्‍टता के जैसे— कभी-कभी उन बच्‍चों को एक साथ रखें
कारण बीते समय में कुछ समस्‍याएँ उभरकर सामने आई जिनके सीखने का स्‍तर एक जैसा हो या ऐसे बच्‍चों के
हैं और संभवतया ये समस्‍याएँ आगे भी आती रहेंगी। साथ जिनका स्‍तर मिला-जल ु ा हो या फिर बच्‍चों का
अत: वर्तमान पाठ्यचर्या के बेहतर क्रियान्‍वयन के ऐसा समहू जिनकी रुचियाँ एकसमान हों या बच्‍चों का
लिए आवश्‍यक है कि इन मद्ु दों का समचि ु त प्रंबधन हो। ऐसा समहू जिनकी रुचियाँ भिन्‍न-भिन्‍न हों। कभी-कभी
इससे कक्षा में शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया की गणु वत्ता में उन साथियों के साथ सीखने के अवसर दें जो काम
सधु ार लाने में मदद मिलेगी और सभी बच्‍चों के विकास करते-करते सीखते हैं या कभी-कभी परू ी कक्षा के
एवं अधिगम को सनिश्‍चि ु त किया जा सके गा। कुछ सामान्‍य साथ मिल-जल ु कर सीखने के अवसर दें।
मद्ु दों से निपटने के लिए नीचे कुछ सझु ाव दिए गए हैं— • बच्‍चों को उनकी विविध क्षमताओ ं और आयु के
अधिगम में विविधता का प्रबंधन अनसु ार दो समहू में बाँटें। कम उम्र वाले वे बच्‍चे
जिनकी योग्‍यताएँ अभी आरंभिक अवस्‍था में ही हैं,
प्रत्‍येक कक्षा में बच्‍चों के सीखने की क्षमताओ ं में भिन्‍नता
उन्‍हें स्‍वच्‍छंद रूप से खेले जाने वाले खेलों में सलं ग्‍न
पाई जाती है और उनके सीखने की शैली भी भिन्‍न-भिन्‍न
होती है। ऐसी स्थिति में शिक्षक को चाहिए कि— करें और इसी दौरान बड़ी आयु वाले बच्‍चे जिनकी
• बच्‍चों की आयु के अनरू योग्‍यताएँ अपेक्षाकृ त अधिक विकसित हो चक ु ी हैं,
ु प सीखने की भिन्‍न-भिन्‍न
आवश्‍यकताओ ं को परू ा करने के लिए, सीखने के उनके लिए निर्देशित गतिविधियों का आयोजन करें ।
परिवेश को बच्‍चों के अनक ु ू ल बनाया जाए। 20 मिनट की अ‍वधि के पश्‍चात् शिक्षक आरंभिक
• इस बात पर ध्‍यान दें कि बच्‍चों को क्‍या सीखने की अवस्‍था की योग्‍यताओ ं वाले कम उम्र के बच्‍चों के
ज़रूरत है और वे कै से जानकारी प्राप्‍त करें गे। लिए निर्देशित गतिविधियों को सचं ालित कर सकते हैं
• ऐसी गतिविधियाँ बनाई जाएँ जिनमें संलग्‍न रहकर और बड़ी आयु वाले बच्‍चों को स्‍वच्‍छंद खेलों में
बच्‍चे विषयवस्‍तु का भाव समझ सकें या उसे परू ी तरह
से ग्रहण कर सकें । संलग्‍न कर सकते हैं। इस प्रकार से शिक्षक विकास के
• ऐसी परियोजनाएँ बनाएँ जो बच्‍चों में सीखे गए विषय अनरू ु प गति‍विधियों के सृजन और क्रियान्‍वयन के
का अभ्‍यास करने और उस विषय पर अधिक समझ द्वारा विविध योग्‍यताओ ं और आयु समहू का प्रबंधन
विकसित करने की क्षमता का विकास कर सकें । उचित तरीके से कर सकें गे।

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बहु आयु वाले समूह का प्रबंधन विषय को किसी और परिस्थिति में लागू करने और
• यदि कक्षा में भिन्‍न-भिन्‍न आयु वाले बच्‍चे मौजदू हैं विषय की और अधिक समझ बनाने की क्षमता पैदा
तो इससे छोटे और बड़े दोनों ही बच्‍चों को लाभ हो सके ।
मिलता है। इस तरह की विभिन्‍नता वाले समहू में बच्‍चे जेंडर समानता को सनिश
एक-दसू रे से सीखते हैं और इस प्रकार साथियों से
ु ्‍चित एवं प्रोत्‍साहित
सीखने (पियर लर्निंग) के कौशल का विकास होता है। करना
बहु आयु वर्ग के बच्‍चों वाली कक्षा का प्रबंधन कुछ जेंडर संबंधी रूढ़ि‍बद्ध मान्‍यताओ ं को तोड़ने के लिए पर्वू -
इस प्रकार से हो कि बच्‍चों को अधिक से अधिक प्राथमिक िवद्यालय एक बेहतर स्‍थान है, अत: शिक्षकों को
शामिल किया जा सके और उन्‍हें इस प्रक्रिया द्वारा चाहिए कि वह—
अधिकतम लाभ दिया जा सके । • लड़कों और लड़कियों को एक समान ध्‍यान, सम्‍मान
• शिक्षक को बच्‍चों के सीखने संबंधी भिन्‍न-भिन्‍न और समान अवसर प्रदान करके बच्‍चों से एेसी ही
आवश्‍यकताओ ं को संबोधित करने के लिए सीखने के अपेक्षाओ ं का उदाहरण स्‍वयं प्रस्‍तुत करें ।
परिवेश में पर्याप्‍त लचीलेपन का प्रावधान करना • ऐसी पस्ु ‍तकों, खेलों और अन्‍य गतिविधियों का चयन
चाहिए। करें जो जेंडर सबं ंधी पर्वा
ू ग्रहों से मक्ु ‍त हों।
• उन्‍हें इस बात पर ध्‍यान कें द्रित करना चाहिए कि बच्‍चों • किसी एक जेंडर विशेष को सीमित करने वाली भाषा
को क्‍या सीखने की ज़रूरत है और वे कै से जानकारी का उपयोग न करना। जेंडर निष्‍पक्ष (जेंडर न्‍यूट्रल)
प्राप्‍त करें गे। भाषा का प्रयोग करें ।
• शिक्षकों को कुछ इस प्रकार से गतिविधियों का सृजन • ऐसी कहानियों, गानों, गतिविधियों और सामग्री का
करना चाहिए कि उन गतिविधियों में संलग्‍न होकर उपयोग करें जिसमें लड़कियों और लड़कों तथा विशेष
बच्‍चे विषयवस्‍तु की सही समझ बनाने की निपणु ता आवश्‍यकता वाले बच्‍चों को समान रूप सेे सभी
प्राप्‍त कर सकें । कार्यों में समान भमि
ू का में दर्शाया गया हो। लड़के और
• इस तरह की परियोजनाओ ं से बच्‍चों को जोड़ना लड़कियाँ दोनों को ही नेता, नायक और समस्‍या
चाहिए जिनसे बच्‍चों में अभ्‍यास करने, सीखे गए समाधान करने वाले के रूप में दर्शाना चाहिए।

8 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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• अभिभावकों को नियमित रूप से इस विषय पर बच्‍चे की ज़रूरतों के अनसु ार सीखने-सिखाने की
सवं ेदनशील बनाएँ ताकि वे इन बातों का घर पर भी प्रक्रिया के स्‍वरूप में फे र-बदल ि‍कया जाता है,
अभ्‍यास करें । यह भी महत्‍वपर्णू है कि उनमें जेंडर और जिसका उद्श्दे ‍य बच्‍चों के साथ-साथ उनके माता-पिता
विशेष आवश्‍यकता आधारित भेदभाव को समझने की प्रत्‍यक्ष रूप से मदद करना है। आरंभिक हस्‍तक्षेप
और रोकने के संबंध में समझ पैदा की जाए। कई रूपों में किया जा सकता है—
आरंभिक अवस्‍था में औपचारिक शिक्षा देने
से बचें
आरंभिक वर्षांे में बच्‍चों में ज्ञान, कौशल और
संज्ञानात्‍मक योग्‍यताओ ं के विकास पर अधिक बल देने
से उनके सकारात्‍मक दृष्‍टिकोण, सीखने के प्रति इच्‍छा
एवं तत्‍परता, मननशील हाेने, उत्‍सुकता प्रदर्शित करने,
खोजबीन करने, समस्‍या का समाधान प्रस्‍तुत करने आदि
की क्षमता पर नकारात्‍मक असर पड़ता है। अत: शिक्षक
को चाहिए कि—
• अवधारणाओ ं को बनाने और दक्षताओ ं व कौशलों • भाषा और वाक् उपचार (थैरेपी) के द्वारा सुनने की
को पखु ्ता करने पर ध्‍यान कें द्रित करें । ऐसा करने के क्षमता में सधु ार किया जा सकता है और श्रवण यंत्र
(‍हीयरिंग एड) के उपयोग को सुगम बनाया जा
लिए सीखने-सिखाने की औपचारिक प्रणाली से दरू ी
सकता है।
बनानी चाहिए। इस प्रकार के अवसर प्रदान करने
चाहिए जहाँ बच्‍चे गतिविधियों, नवीन सामग्रियों और • फिजियोथैरेपी के द्वारा गत्‍यात्‍मक कौशलों, जैसे—
अवधारणाओ ं के प्रति उत्‍सुकता और रचनात्‍मकता सतं ल
ु न बनाना, बैठना, घटु नों के बल चलना और पैरों
पर खड़े होकर चलना आदि क्रियाओ ं के विकास में
प्रदर्शित कर सकें ।
मदद मिलती है।
• रटने पर आधारित, शिक्षक निर्देशित अधिगम, जिससे
• बच्‍चों को उनकी आवश्‍यकता के अनरू ु प जिस प्रकार
कोई सार्थक सदं र्भ न निकल पाए और बच्‍चे पर
के छोटे-छोटे उपकरणों की ज़रूरत हो, वे भी उन्‍हें दिए
अनावश्‍यक दबाव पड़े, हर स्थिति में हानिकारक हैं। जाने चाहिए।
विशेष आवश्‍यकता वाले बच्‍चों का उपयुक्‍त समावेशन का मख्‍य ु लाभ यह है कि इसमें विशेष
समावेशन सनिश
ु ्‍चित करें आवश्‍यकता वाले बच्‍चों के साथ भी समान रूप से
• आरंभिक हस्‍तक्षेप के द्वारा विशेष आवश्‍यकता वाले व्‍यवहार किया जाता है और उनकी क्षमताओ ं पर ध्‍यान
बच्‍चों की क्षमताओ ं को पहचानकर उनके विकास दिया जाता है। इसके साथ ही उन्‍हें पर्याप्‍त सवु िधाएँ,
को बढ़ावा देने से उनके सीखने की कठिनाई कम आधारभतू संरचना और व्‍यक्‍तिगत रूप से दी जाने वाली
होती हैं और उनके विकास में गति आती है। आरंभिक सहायता देकर उनके विकास को सशक्‍त किया जाता है।
हस्‍तक्षेप से तात्‍पर्य एक ऐसी व्‍यवस्‍था से है जिसमें अत: शिक्षक को चाहिए कि वह—

आरंभिक अधिगम और विकास से जडु ़े कुछ मद्ु दे 9

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• सभी बच्‍चों के विकास के संबंध में शरुु आती दौर में ही • आकलन एवं मलू ्‍यांकन की उपयक्ु ‍त प्रक्रियाएँ
जाँच करें और उनकी क्षमताओ ं को पहचानें। विकसित करें ।
• शरुु आती पहचान और आरंभिक हस्‍तक्षेप के महत्‍व • सभी हितधारकों को अपने दृष्‍टिकोण और कार्य पर
को समझें। पनु र्विचार करने तथा आवश्‍यकता पड़ने पर उनमें
• बच्‍चों के लिए सरं चनात्‍मक परिवेश बाधारहित हो, यह बदलाव करने के लिए सशक्‍त और समर्थ बनाएँ।
सनिश्‍चि
ु त करने के लिए उसमें अनक ु ू ल परिवर्तन करें । • आयु उपयुक्‍त खेल एवं सीखने की सामग्री का प्रयोग
• विभिन्‍न क्षमताओ ं वाले बच्‍चों के लिए पाठ्यचर्या को करें ।
लचीला व सगु म बनाएँ।

10 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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3 पाठ्यचर्या

बच्चों में जन्‍म से ही सीखने की अदभ् तु क्षमता और इच्छा


प्रकार के अनभु वों के साथ आते हैं। कक्षा में मौजदू विविधता
होती है। अत: यह बहुत महत्वपरू ्ण है कि बच्चों को खेल-
का एक और बड़ा कारण यह भी है कि एक ही कक्षा में भि‍न्न-
खेल में विभिन्‍न गतिविधियों द्वारा समृद्ध अनभु व दिए जाएँ भि‍न्न आयु वर्ग के बच्चे मौजदू होते हैं। इस विविधता के
जिससे वे समीक्षात्‍मक चितं न और समस्या समाधान जैसे अनरू ु प पाठ्यचर्या के क्रियान्‍वयन में पर्याप्‍त लचीलापन
कौशल विकसित कर सकें और अपनी आयु तथा विकास होना चाहिए, बच्‍चों के कालान‍क्रमि
ु क आयु से बँधना नहीं
के अनरूु प अपने बारे में समझ बना सकें । चाहिए। पाठ्यचर्या को शिक्षक अपने हिसाब से बाल अनरू ु प
विकास के सभी घटक/आयाम, जैसे संज्ञानात्मक, बनाएँ।
सामाजिक-भावनात्‍मक, भाषा और साक्षरता, शारीरिक बच्चों की आयु को और इस सच्चार्इ को ध्यान में रखते
गत्यात्मक, रचनात्मक तथा सौन्दर्य बोध का परस्‍पर संबंध हुए कि वे पहली बार अपने घर से अलग नये वातावरण में
कुछ समय बिताएँगे, उन्हें स्वच्छंद रूप से खेलने के भरपरू
है इसलिए इन सभी के लिए गतिविधि‍यों एवं अनभु वों
मौके दिए जाएँ, जिससे वे लोगों और नये वातावरण के प्रति
को शैक्षणिक प्रक्रियाओ ं में शामिल किया जाना चाहिए। अपनी पसंद विकसित कर सकें । इस प्रकार से धीरे -धीरे
खोजबीन करने, समझ बनाने, प्रयोग करने और अनभु वों सनिु योजित गतिविधि‍यों की ओर बढ़ा जा सके गा।
तथा जानकारी को सार्थक विषयवस्तु एवं कौशलों में
बदलने के भरपरू अवसर दिए जाएँ। प्रस्तुत पाठ्यचर्या तीन मख्ु ‍य लक्ष्‍यों— विकसित
इस पाठ्यचर्या का विकास इस अनभु वजन्‍य और सैद्धान्तिक किए जाने वाले आधारभतू कौशलों एवं अवधारणाओ,ं
समझ के आधार पर किया गया है कि बच्चे आमतौर पर 3 वर्ष शिक्षकों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली शि‍क्षण प्रणाली
की आयु तक पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय में जाने लायक हो जाते तथा पर्वू -प्राथमिक 1, 2 और 3 के अतं में प्राप्‍त किए जाने
हैं। इस पाठ्यचर्या की परिकल्पना इस प्रकार से की गर्इ है कि वाले आरंभिक अधिगम प्रतिफलों को संबोधित करती है।
बच्चों को 3–6 वर्ष की आयु के दौरान कक्षा एक से पहले कम
से कम तीन वर्ष की पर्वू -प्राथमिक शि‍क्षा मिल जाए। पूर्व-प्राथमिक शि‍क्षा के लक्ष्‍य
यद्यपि बच्चों के विकास के संदर्भ में विकास का एक बच्चों का सीखना और विकास समग्र रूप से होता है,
सार्वभौमिक निश्‍चि‍त क्रम बताया गया है तथापि यह भी स्वास्थ्‍य का क्षेत्र हो या फिर संज्ञानात्मक या व्‍यक्‍तिगत
देखने में आता है कि पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय में आने वाले
और सामाजिक विकास अथवा फिर खश ु हाली, सभी में
बच्चे अपने संदर्भ और क्षमताओ ं के कारण भि‍न्न-भि‍न्न
विकास और सीखने की प्रक्रिया साथ-साथ चलते हैं। बच्चे

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भि‍न्न-भि‍न्न समय पर, भि‍न्न-भि‍न्न तरीकों से और भि‍न्न- वह दसू रों के साथ सामंजस्यता के साथ खेलना, काम
भि‍न्न गति से सीखते हैं। पर्वू -प्राथमिक शि‍क्षा का उद्देश्‍य करना और रहना सीखते हैं। वे इस बात को भी पहचानने
बच्चों में अतं र्निहित संभावनाओ ं के समचि ु त विकास को लगते हैं कि वे सभी एक–दसू रे से भि‍न्न हैं और इस तथ्‍य
सगु म बनाना है और सर्वांगीण विकास एवं जीवनपर्यंत को भी समझने लगते हैं कि इन भि‍न्नताओ ं को न के वल
सीखने की नींव रखना है। प्रस्तुत पाठ्यचर्या निम्नलिखि‍त स्वीकार किए जाने, बल्कि उनका आदर किए जाने की
तीन मख्ु ‍य लक्ष्‍यों के माध्‍यम से विकास के सभी क्षेत्रों को भी आवश्‍यकता है।
संबोधि‍त करती है—
लक्ष्‍य 1— बच्चों के अच्छे स्वास्थ्‍य और खुशहाली
को बनाए रखना
बच्चों के सर्वोत्‍कृ ष्‍ट शारीरिक, सामाजिक-भावनात्‍मक
और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्‍य तथा खुशहाली के लिए
प्रारंभि‍क बाल्यावस्था का समय बहुत ही महत्वपूर्ण है।
इन वर्षों के दौरान अगर बच्‍चों को सही अवसर और
प्रोत्‍साहन मिलें तो उनकी पाँचों इन्द्रियों का विकास सबसे महत्वपरू ्ण बात तो यह है कि बच्चों को अपनी
होता है, उनकी सूक्ष्‍म तथा स्‍थूल माँसपेशियाँ व हडि्डयाँ विकसित होती हुर्इ क्षमताओ ं और उपलब्धि‍यों के प्रति
मज़बूत बनती हैं, आँखों और हाथों का समन्‍वयन बेहतर स्‍वायतत्ता एवं विश्‍वास के बोध का अनभु व करने के
होता है जो लिखने की योग्‍यता विकसित करने के लिए अवसर मिले। इससे बच्‍चों में स्‍वस्‍थ आदतों का विकास
आवश्‍यक है। साथ ही साथ जब बच्‍चे दसू रे बच्चों के होगा, जो अच्‍छे शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य और आत्‍मसम्‍मान
साथ ज्‍यादा से ज्‍यादा खेल आधारित गतिविधि‍यों की तथा सकारात्मक आत्‍मबोध के विकास में मदद करे गा।
शुरुआत करते हैं और उनमें शामिल होते हैं तो वह यदि उनके स्वयं के प्रति सकारात्मक भाव को उचित रूप
सामाजिक कौशलों का विकास करते हैं तथा पहली से पोषि‍त किया जाता है तो उनके जीवनपर्यंत सकारात्मक
पहचान का बोध करने लगते हैं। बच्‍चों के बीच यह बने रहने की संभावना बढ़ जाती है। अधिगम तथा
संलग्‍नता शुरुआती दौर में दो-दो के जोड़ों में धीरे -धीरे खेल अनभु व ऐसे हों जो बच्‍चों के िलए आकर्षक और
छोटे और उसके बाद बड़े समूहों में होती है जिसके द्वारा चनु ौतीपरू ्ण हों। ये अनभु व ऐसे होने चाहिए जिसमें बच्‍चाें
द्वारा असफलता की अपेक्षा सफलताओ ं के अनभु व के
अवसर प्रदान करें ।
इस प्रकार का दृष्‍टिकोण उनमें नयी चीजों को सीखने
की रुचि जाग्रत करने, नये और दिन-प्रतिदिन के कार्यों में
संलग्न रहने तथा अपनी भावनाओ ं एवं प्रयासों के प्रति
नियमितता का भाव प्रदर्शि‍त करने में मदद करे गा। ये सभी
कौशल जीवन में सफलता और खश ु हाली में योगदान
देते हैं।
12 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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उपयुक्‍त अनुभव एवं अवसर सनिश ु ्‍चि‍त करना बारी की प्रतीक्षा करना, साझा करना, दसू रों की मदद
पर्वू -प्राथमिक िवद्यालयों में बच्चों को रुचिकर और आयु करना, अपनी और दसू रों की भावनाओ ं को पहचानना तथा
उपयक्‍त ु बाहय् खेल गतिविधि‍यों में भाग लेने के पर्याप्‍त एवं सवं दे नशील होना एवं तदानभु ति
ू के विकास में सहयोग
नियमित अवसर मिलने चाहिए। ये बाहय् खेल गतिविधि‍याँ करती हैं।
इस प्रकार की हों जो स्थूल माँसपेशि‍यों के विकास में
योगदान दे सकें , जैसे गेंद पकड़ना (कै च करना), दौड़ना,
कूदना, रस्सी कूदना, सतं ल ु न बनाना आदि। बाहय् खेलों के
साथ-साथ पर्वू -प्राथमिक िवद्यालयों की दैनिक योजना में
स्वछंद रूप से अदं र खेले जाने वाले खेलों के लिए भी समय
और अवसर होने चाहिए। इन खेलों के लिए गतिविधि‍क्षेत्र
(एक्टि‍विटी एरिआ) हों, जिनमें ब्लॉक से खेलना, जोड़-तोड़
करने वाले खेलों व कला सबं धं ी गतिविधि‍यों के लिए भरपरू
सामग्री हो। ये बच्चों की रचनात्मकता, कल्पनाशक्‍त‍ि को
पोषि‍त करने में तो मदद करें गे ही, साथ ही आँखों-हाथों के
समन्वयन को भी सदृु ढ़ करें ग।े यदि हम बच्चों की रुचियों और प्राथमिकताओ ं का
ध्‍यान रखते हैं तो बच्चों में नियमित रूप से काम करने की
आदत बढ़ती है, काम को परू ा करने का भाव और कार्य
सबं ंधी अच्छी आदतों का विकास होता है। भोजन का
समय और शौच जाने के लिए छोटे-छोटे अवकाश आदि
जैसे प्रावधान स्वास्थ्‍य संबंधी अच्छी आदतों के बनने में
मदद करते हैं, जैसे— हाथ धोना, दाँतों की साफ़-सफ़ाई,
पोषक आहार लेना, चबा-चबाकर खाना, स्वच्छ जल
पीना, अपने आस-पास के परिवेश को साफ़ रखना आदि।
खेल गतिविधि‍याँ बच्चों के सामाजिक संदर्भों के शिक्षक सनिशु ्‍चित करें कि बच्चों को स्वछंद एवं
अनसु ार होनी चाहिए। सरल से जटिल के सिद्धांत को सरु क्षित बाह्य एवं अंदर खेले जाने वाले खेलों में संलग्न
ध्‍यान में रखते हुए उनकी योजना बनानी चाहिए। खेल करने के लिए पर्याप्‍त, आसानी से उपलब्‍ध, सरु क्षि‍त,
गतिविधि‍याँ चनु ौतीपरू ्ण हाेने के साथ ऐसी भी होनी चाहिए आय-ु उपयक्‍तु एवं साफ़-सथु रे उपकरण/सामग्री मिले।
जिसे ज्‍यादातर बच्‍चे समान प्रयासों द्वारा संपादित कर पाएँ। अभि‍भावकों और बच्चों के साथ काम करने वाले अन्य
ये बच्‍चाें की व्‍यक्‍तिगत आवश्‍यकताओ ं के अनरू ु प भी लोगों की मदद से विशेष आवश्‍यकता वाले बच्‍चों के
होनी चाहिए। लिए उपयक्‍तु बदलाव किए जा सकते हैं। उपलब्‍ध सामग्री
स्वछंद खेल गतिविधि‍याँ बच्चों को अपनी रुचि प्रदर्शि‍त सभी बच्‍चांे को बारी-बारी से खलने के लिए पर्याप्‍त हाेनी
करने, निर्णय लेने और दसू रों के अधि‍कार एवं परिप्रेक्ष्‍य को चाहिए ताकि उनमें सामाजिक काैशलों के विकास को
समझने के अवसर देती हैं। ये गति‍विधियाँ सामाजिक रूप बढ़ावा मिले, जैसे साझा करना और अपनी बारी की
से वाछं नीय व्‍यवहार (प्रो-सोशल बिहेवियर), जैसे अपनी प्रतीक्षा करना। य‍ह सनिश
ु ्‍चि‍त करना कि सभी बच्चे खेल
पाठ्यचर्या 13

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में शामिल हैं और खेल रहे हैं तथा एक-दसू रे के साथ बच्चों के साथ सदैव मित्रवत व्यवहार करते हैं और परस्पर
तालमेल बैठा रहे हैं। संवाद करते हैं। बच्चों की सोच-समझ को विस्तार देने और
शिक्षक की भमि ू का एक योजनाकार और सगु मकर्ता संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए व्‍यक्‍तिगत रूप से उनके
की होनी चाहिए। वे एक ऐसे सतं लि ु त कार्यक्रम की योजना खेल व गतिविधि‍यों के सबं ंध में प्रश्‍न पछ ू ते हैं।
बनाएँ जो बच्चों की अल्प अवधि‍तक ध्यान कें द्रित करने इस बात का भी ध्‍यान रखना ज़रूरी है कि उनके प्रश्‍न
की क्षमता और बच्चों के खेलने-कूदने की ज़रूरत के पछू ने का तरीका ऐसा न हो कि व‍ह अनचि ु त हस्तक्षेप या
अनरूु प हो। इसके साथ ही कार्यक्रम में आवश्‍यकतानसु ार निर्देश जैसा लगे, बल्क‍ि ऐसा हो कि बच्चों को पहल
लचीलेपन का भी प्रावधान हो। करने के लिए प्रेरित करे और उनकी कल्पनाओ ं को पंख
शिक्षक को पर्वू -प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्‍यों और (बढ़ावा) दें। सबसे महत्वपरू ्ण बात तो यह है कि शिक्षक
लक्ष्‍यों को ध्‍यान में रखकर आकर्षक और रुचिकर बच्चों के प्रयासों की सराहना करें , प्रशसं ा करें जिससे उनमें
गति‍विधियाँ बनानी चािहए एवं वातावरण ऐसा हो जो आत्मविश्‍वास और आत्‍मसम्‍मान का भाव पैदा हो।
बच्‍चों को सामग्री दसू रे बच्‍चाें के साथ साझा करने तथा
शिक्षक के साथ काम करने के लिए प्रेरित करे जिससे लक्ष्‍य 2— बच्चे प्रभावशाली सप्ं रेषक बनें
बच्‍चे उनमें दसू रे बच्‍चों और शिक्षक के साथ मिलकर तीन वर्ष की आयु वाले बच्चे जब पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय
काम कर सकें । में प्रवेश लेते हैं तो आमतौर पर वे एकभाषी परिवेश से
आते हैं। वे अपने घर की भाषा में मौखि‍क रूप से अपनी
पसंद और नापसंद तथा आवश्‍यकताओ ं को ज़ाहिर करने
की क्षमता रखते हैं जो उनके स्‍कू ल की भी भाषा होती है।
कुछ शिक्षित परिवारों में बच्‍चों को शैशवास्‍था (0–2 वर्ष)
से ही पस्‍त
ु कों को देखने, कहानी सननु े, दसू रों को पढ़ते हुए
देखने के अवसर मिल जाते हैं।

जब बच्‍चे खेलते हैं या खाना खाते हैं तो शिक्षक द्वारा पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय की पाठ्यचर्या इस प्रकार की
उस समय का सदपु योग अच्‍छी आदतें िसखाने के लिए हो कि व‍ह बच्चों के इन सभी आरंभि‍क अनभु वों और
किया जाना चाहिए, जैसे खेलकर चीज़ें जगह पर रखना बच्चों के संप्रेषण कौशलों को बढ़ावा दे। जिससे बच्चे
और कमरे को गंदा न करना आदि। प्रभावशाली शिक्षक अपने विचार और अपनी भावनाएँ मौखि‍क रूप से साझा
14 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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कर सकें या अपने अनभु वों का अधि‍क प्रभावशाली तरीके है या फिर बहुत ही कम है। बच्चों में भाषा के मौखि‍क
से वर्णन कर सकें । यह भी सनिश ु ्‍चित करना चाहिए कि स्वरूप (बोलने के कौशल) को सदृु ढ़ किए बिना पढ़ना-
बच्‍चे सचू नाएँ प्राप्‍त और साझा कर सकें तथा समीक्षात्मक लिखना यान्त्रि‍क तरीके से होता है। शब्‍द के अक्षरों को
व सृजनात्मक चितं न जैसे उच्चस्तरीय कौशलों का विकास अलग-अलग करके पढ़ना सीख पाते हैं लेकिन इस प्रकार
कर सकें । धीरे –धीरे वे उस भाषा में समझ के साथ पढ़ना और के पठन में वे अर्थ ग्रहण नहीं कर पाते अर्थात् समझ के
लिखना भी सीख लेते हैं। हालाँकि, इस प्रकार की स्थि‍ति साथ नहीं पढ़ पाते हैं। चकँू ि विद्यालय के सभी विषयों में
उन्हीं पर्वू -प्राथमिक िवद्यालयों में सभं व होगी जहाँ बच्चों भाषा प्रमख ु है, इसलिए शरुु आती दौर की इस कमी का
को निर्देश देने एवं उनसे सवं ाद करने की भाषा (माध्‍यम) नकारात्मक प्रभाव बच्चों के बाद के प्रदर्शन पर पड़ता
वही होगी जो उनके घर में बोली जाती है अर्थात् वह भाषा है। इस चनु ौती के साथ-साथ एक और चनु ौती यह है कि
जिसमें बच्चे को पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय में प्रवेश के समय हमारे पास एक बहुत बड़ी संख्‍या में वे बच्चे आते हैं जो
किसी प्रकार की दक्षता पहले से ही प्राप्‍त थी। अपने परिवार के पहले सदस्य हैं जिन्हें विद्यालय आने का
यदि हम अपने देश के बहुभाषी सदं र्भ पर दृष्‍ट‍ि डालें अवसर मिला है (प्रथम पीढ़ी के शि‍क्षार्थी) और जिनके
तो पता चलेगा कि बच्चों की एक बहुत बड़ी संख्‍या ऐसी घर में पढ़ार्इ-लिखार्इ का वातावरण नहीं है। ऐसा भी हो
है जिनके घर की भाषा विद्यालय या पर्वू -प्राथमिक सकता है कि उन्होंने अपने घर में कभी किताबें न देखी
िवद्यालय में पठन-पाठन के माध्‍यम की भाषा से भि‍न्न है। हों या फिर अपने घर में कभी किसी को पढ़ते हुए भी न
देखा हो। इस तरह के परिवेश से आने वाले बच्चों को
जब विद्यालय/ पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय में साक्षरता संबंधी
गतिविधि‍यों से जोड़ा जाता है तो वे बच्चे इन अनभु वों के
साथ सार्थक व अर्थपरू ्ण तरीके से नहीं जड़ु पाते हैं। पढ़ने-
लिखने के प्रति रुचि विकसित करने में असफल रहते हैं,
साथ ही उनमें सीखने और इस क्षेत्र में सफलता अर्जित
करने की प्रेरणा व उत्साह की कमी भी रहती है। आज
के इस तकनीकी यगु में इस बात की सभं ावनाएँ अधि‍क
प्रबल हैं कि बच्चों ने पसु ्तकें भले ही न देखी हों पर कम
उम्र में ही वे मोबाइल फोन का उपयोग जानते हैं। इस प्रकार
की चनु ौतियों के संदर्भ में भाषा और साक्षरता की शि‍क्षण
प्रणाली की रणनीतियों के पनु रावलोकन एवं बदलाव की
आवश्‍यकता होगी। इन चनु ौतियों को देखते हुए भाषा और
साक्षरता के प्रति दृष्‍टिकोण में बदलाव की आवश्‍यकता है।
यहाँ पर आदिवासी भाषाओ ं और क्षेत्रीय भाषाओ ं की यह बहुत ही ज़रूरी है कि बच्चों को पर्वू -प्राथमिक
बोलियों का सदं र्भ शामिल है और अब तो महत्वपरू ्ण बात िवद्यालय/विद्यालय की भाषा में सहजता और दक्षता के
यह है कि अग्रें जी माध्‍यम वाले पर्वू -प्राथमिक िवद्यालयों साथ मौखि‍क रूप से सप्रें षण करना सिखाया जाए। उन्हें
की संख्‍या तेजी से बढ़ रही है जहाँ अधि‍कतर वे बच्चे आ मद्ु रित और लिखि‍त सामग्री से परिचित करवाया जाए,
रहे हैं जिनके घर में अग्रें जी से परिचय या तो न के बराबर परिचित संदर्भों में पठन एवं लेखन अर्थपरू ्ण ढंग से करने
पाठ्यचर्या 15

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योग्‍य बनाया जाए। पसु ्तकों में और पढ़ना सीखने में रुचि
विकसित की जाए।

दिया जाना ज़रूरी है। विद्यालय की भाषा के साथ-साथ


यदि पर्वू -प्राथमिक अवस्था में ही भाषा के वाचन, पठन बच्चों की भाषा का उपयोग करते हुए द्विभाषी पद्धति
और लेखन कौशलों की मजबतू नींव रखी जाए तो यह अपनाने से अर्थबोध और अधि‍गम में आसानी रहती है।
बच्चों के शरुु आती दौर के सीखने का सबसे बड़ा प्रमाण विद्यालय की भाषा की ग्राह्यता भी सगु म हो जाती है। बच्चे
चिह्न होगा। इसके अतिरिक्‍त, ध्‍वनियों को पहचानना और प्रभावशाली तरीके से संप्रेषण करना सीख लेते हैं, बशर्ते
ध्‍वनि एवं दृश्‍य में संबंध स्थापित करने जैसे कौशलों के उन्हें सविध
ु ाजनक, गैर-आलोचनात्मक और तनावमक्‍त ु
विकास के साथ सगु मता से पठन सामग्री को पढ़ना सीखने वातावरण में दसू रे बच्चों तथा वयस्कों के साथ बात करने-
में बच्चों की मदद करना भी बहुत महत्वपरू ्ण है। सनु ने, हावभाव के साथ अपने अनभु व साझा करने के भरपरू
अवसर दिए जाएँ। इसलिए अध्यापकों को चाहिए कि वे
उपयु‍क्‍त अनुभव और अवसर सनिश ु ्‍चि‍त करना द्वि‍भाषि‍क या बहुभाषि‍क परिवेश कक्षा में बनाएँ जिससे
शि‍क्षण प्रणाली में उपयक्‍त
ु प्रकार का बदलाव यह माँग सभी बच्‍चों को समान अवसर प्राप्‍त हो। उन्हें कुछ इस
करता है कि शिक्षक साक्षरता को अलग से संबोधित न प्रकार की गतिविधि‍यों की योजना बनानी चाहिए जिनमें
करें , बल्कि पठन-लेखन सिखाने का काम कक्षा में मौखिक भाषा प्रयोग के विभि‍न्न स्वरूपों या विभि‍न्न उद्देश्‍यों की
भाषा कौशल के विकास के साथ-साथ ही करें । इन दोनों सभं ावनाएँ बनती हों, उदाहरण के तौर पर कहानी सनु ाना,
कौशलों (पठन-लेखन) को एक-दसू रे के परू क के रूप में वार्तालाप, अनभु वों को साझा करना, प्रश्‍न पछू ना और
देखना चाहिए। इन दोनों कौशलों की पारस्परिक निर्भरता उत्तर देना या किसी कहानी को नाटक के रूप में प्रस्तुत
को समझना ज़रूरी है क्योंकि भाषाई दक्षता आसानी से करना। ये अवसर बच्चों के प्रभावशाली वाचन कौशल
और समझ (बोध) के साथ पठन कौशल को सगु म बनाती की नींव मज़बतू करें गे, उनके शब्द-भडं ार में वृद्धि‍ करें गे
है, बच्चे को पठन के जितने अधि‍क‍ अवसर दिए जाएँगे, और अपने आप को अभि‍व्यक्‍त‍ करने में आत्मविश्‍वास
बच्चे का शब्‍द-भडं ार उतना ही समृद्ध होगा। पैदा करें गे। पठन और लेखन सिखाने के आरंभिक दौर में
यह बहुत ही महत्वपरू ्ण है कि बच्चों के घर की भाषा शिक्षक कुछ ऐसी गतिविधियों को आधार बनाएँ, जिनसे
को परू ा-परू ा सम्मान दिया जाए, क्योंकि बच्चों की पहचान बच्चे लेखन के साथ दिन-प्रतिदिन के परिचित कामों को
और आरंभि‍क अवस्था के अनभु व का घर में बोले जानी जोड़ सकें , जैसे— खरीददारी करने की सचू ी बनाना या
वाली भाषा से गहरा संबंध होता है। घर की भाषा को महत्व फिर बच्चों द्वारा बनार्इ/कही जा रही कहानी को श्‍यामपट्ट
16 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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पर लिखते जाना। इससे बच्चों में यह‍ समझ बनेगी कि बोले लक्ष्‍य 3— बच्‍चों का सीखने के प्रति उत्साह
जा रहे शब्द लिखे भी जा सकते हैं (मद्ु रित सामग्री बोली हुर्इ प्रदर्शित करना और अपने आस-पास
भाषा का ही लिखि‍त स्वरूप है)। बच्‍चों के चारों ओर मद्रण ु के परिवेश से जुड़ना
समृद्ध परिवेश सनिश ु ्‍चित करने, जैसे— शीर्षक लिखना, छोटे बच्चे बहुत ही जिज्ञासु होते हैं और अपने संसार के
चित्रों की लेबलिंग करना, निर्देश लिखना या फिर बच्चों प्रति मत्रं मग्ध
ु रहते हैं— उसके रंग, आकृ तियाँ, ध्‍वनियाँ,
के नाम लिखना आदि से उनमें मद्रण ु के प्रति जागरूकता आकार और नमनू ों के बारे में,े �कतु वह सबसे अधिक
विकसित करने में मदद मिलेगी। आकर्षि‍त लोगों के प्रति रहते हैं विशेषकर उनकी देखभाल
बच्चों में ध्‍वन्यात्मक जागरूकता का विकास करने करने वालों तथा आस-पास के लोगों के प्रति दसू रों के
से जडु ़ी गतिविधि‍याँ इस प्रकार हैं— अपने आस-पास की साथ जड़ु ने और अपनी भावनाओ ं को साझा करने की
आवाज़ों को पहचानना और शब्‍दों में निहित ध्वनियों के क्षमता बच्‍चाें में सीखने के विशेष अवसर प्रदान करती है,
स्‍वरूप (पैर्टन) को पहचानना, शब्दों की शरू ु और अतं की जो उनके सांस्‍कृतिक और सामाजिक जडु ़ाव की
ध्‍वनि की पहचान और चित्रों से मिलान, ध्‍वनि के साथ आधारशिला है। पर्वू -प्राथमिक अवस्था में बच्चे अपने
अक्षर की सही बनावट की पहचान आदि गतिविधि‍याँ
बाद के चरण में पढ़ना और लिखना सीखने के लिए ज़रूरी
हैं। गतिविधि-क्षेत्र के अनभु व, जैसे कहानी की किताबों
को बोलकर-पढ़कर सनु ाना या पसु ्तक के पृष्‍ठ उलटना-
पलटना बहुत ही अनौपचारिक और आनंददायी होने
चाहिए तथा तरह-तरह की पठन सामग्री, जैसे कॉमिक्‍स,
पत्रिकाएँ, कहानियों की किताबें आसानी से सल ु भ होनी
चाहिए। कहानियों की पसु ्तकें इस प्रकार की हों जिनमें
शरुु आत में अधि‍क से अधि‍क चित्र हों फिर धीरे -धीरे
उनमें लिखि‍त सामग्री का समावेश होता जाए। यदि बच्चे आस-पास की दनि ु या को अपने ही परिप्रेक्ष्‍य से समझना
पढ़ने का अभि‍नय करते हैं या फिर शब्‍दों के अक्षरों और आरंभ कर देते हैं। इस सदं र्भ में एक उदाहरण प्रस्तुत है—
मात्राओ ं को जोड़कर पढ़ने की चेष्‍टा करते हैं या किसी उनके सामने पाँच पेंसिलें कुछ इस प्रकार से बिखरी हुर्इ हैं
‘साईट वर्ड’ को अपने आप से पढ़ते हैं तो समझि‍ए कि ये कि वे अधि‍क स्थान घेर रही हैं और दसू री तरफ़ पाँच पेंसिलें
सब पठन के प्रति रुचि के बहुत महत्वपरू ्ण सक ं े तक हैं। इन्हें एकदम सटी हुर्इ रखी हैं इस तरह वे कम स्थान घेर रही हैं।
प्रोत्साहन देते रहने की ज़रूरत है। सस्‍वर कहानियाँ सनु ाने ऐसी परि‍स्थिति में बच्‍चे समझते हैं कि दसू री स्थि‍ति में
के बाद अगला चरण है कि बच्चे परू ी कक्षा में शिक्षक के पेंसिलों की संख्‍या कम है, जबकि दोनों स्थि‍तियों में पेंसिलों
साथ-साथ पढ़ें, यह छोटे समहू में या व्यक्‍ति‍गत रूप से भी की सख्‍या
ं बराबर है। जैसा उन्हें दिखता है, वही उनकी
किया जा सकता है। इससे बच्‍चों में स्वतंत्र रूप से पढ़ने की समझ का आधार होता है। अभी संख्‍या की अवधारणा
क्षमता का विकास होगा। अब तक वे प्राथमिक शि‍क्षा के विकसित होने की अवस्था में है। पर्वू -प्राथमिक शि‍क्षा का
प्रारंभिक चरण में भी पहुचँ चक ु े होते हैं। मख्ु ‍य लक्ष्‍य बच्चों को अधि‍क तार्कि क चितं न की ओर ले
पाठ्यचर्या 17

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जाना है। उनको जैसा वे देख पा रहें हैं उससे कहीं आगे एक बार जब वस्‍तुओ,ं उनके स्‍थान विशेष के साथ संबंध
समझ के आधार पर अवधारणा बनाने के स्तर तक लाने में और संख्‍या की समझ बन जाती है, तब इस समझ के
उनकी मदद करनी है। प्रत्यक्ष अनभु वों और भौतिक, आधार पर अपेक्षाकृ त अधिक अमर्तू अवधारणाओ ं का
सामाजिक व प्राकृ तिक वातावरण के आधार पर अपने विकास किया जाता है। परू ्ण संख्‍या अवधारणा के लिए
आस-पास के परिवेश से संबंधि‍त अवधारणाएँ बनाने के मात्रा, आकार, दरू ी, लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई के बोध
लिए बच्चों की मदद करनी होगी। परिवेश को समझने के (मात्रा–कम-ज्‍़यादा, दरू ी–दरू -पास आदि) से सबं ंधित ज्ञान;
लिए एक ऐसे सगु ठित ढाँचे की योजना बनाने की इसके बाद अक ं गणित और बीजगणित के संख्‍या बोध,
आवश्‍यकता है जो बच्‍चों के परिवेश द्वारा, परिवेश के आकृ ति और स्‍थान बोध के आधार पर ज्‍यामितिय समझ
लिए, परिवेश की समझ विकसित करने में बच्‍चों की मदद का विकास होता है। पर्वू -प्राथमिक पाठ्यचर्या गणितीय
करे । संकल्‍पनाओ ं के विकास के इस नियम को अनभु व-
आधारित शिक्षण प्रणाली यकु ्‍तियों के माध्‍यम से संबोधित
करती है। उल्‍लेखनीय बात यह है कि इन गणितीय अनभु वों
में भाषा की महत्‍वपरू ्ण भमि
ू का रहती है।
उपयुक्‍त अनुभव और अवसर सनिश ु ्‍चित करना
सज्ं ञानात्‍मक क्षेत्र में बच्‍चों का अधिगम उनकी पाँचों
इन्द्रियों के भरपरू विकास द्वारा होना चाहिए। इसके साथ ही

गणितीय सोच और तार्कि क चिंतन


गणितीय सोच और तार्कि क चितं न संज्ञानात्‍मक विकास
के लिए बहुत ही महत्‍वपरू ्ण आयाम है। अर्मूत, (एबस्‍ट�ैक्‍ट) खोजबीन करने, प्रयोग करने, प्रश्‍न पछ
ू ने जैसे अवसरों को
नियम आधारित चितं न की नींव उन गतिविि‍धयों के माध्यम प्रोत्‍साहित किया जाना चाहिए। यह सब बच्‍चों के पर्वू ज्ञान
से मज़बतू होती है जो बच्चों के लिए अर्थपरू ्ण हों। और आस-पास के परिवेश से जडु ़ा होना चाहिए।
इस स्‍तर पर गणितीय सोच में वस्‍तुओ ं और उनकी इसके लिए ज़रूरी है कि शिक्षक की स्‍वयं की
मात्रा के साथ-साथ उनके स्‍थानिक संबंधों की समझ अन्वेषणपरक एवं जिज्ञासु प्रवृत्ति‍ हो और उसमें इतना
शामिल है। इस स्‍तर पर वस्‍तुओ ं की विशिष्‍ट विशेषताओ ं धैर्य भी हो जिससे कि वह बच्‍चों को प्रयोग एवं खोजबीन
या उनके गणु ों की समझ को शामिल नहीं किया गया है। करने के आनंद का अनुभव लेने दे तथा इन अनुभवों
18 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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के माध्‍यम से सीखने की अनुमति दे सके । शिक्षक को अकसर ऐसा देखा गया है कि बच्‍चों में गणित के
बच्‍चों की भौगोलिक और सामाजिक पृष्‍ठभूमि की भी प्रति भय या अरुचि पैदा हो जाती है क्‍योंकि उनमें गणितीय
समझ होनी चाहिए जिससे वह नये ज्ञान और अनुभवों अवधारणाओ ं की समझ परिवेश के साथ संबंध नहीं जोड़
को इससे जोड़ सकें । पाती। इसलिए यह बहुत महत्‍वपूर्ण है कि पूर्व संख्‍या
आदर्श स्थि‍ति तो यह है कि शिक्षक द्वारा बच्‍चों को अवधारणा और संख्‍या बोध इस तरह से विकसित किया
कक्षा के बाहर घमु ाने के लिए ले जाना चाहिए और बाहर जाए कि बच्‍चे प्रतिदिन के क्रियाकलापों को परिवेश से
की दनि ु या को प्रत्‍यक्ष रूप से समझने में उनकी मदद करनी जोड़ सकें । इस तरह से उन्‍हें गणित सीखने में सार्थकता
चाहिए। जहाँ इस तरह की व्‍यवस्‍था सभं व नहीं हो सकती, का बोध होगा। परिणामस्‍वरूप सीखने में तो बेहतरी
वहाँ शिक्षक की ओर से जो सर्वोत्तम किया जा सकता है, आएगी ही, साथ ही गणित सीखने के प्रति रुचि भी
वह यह है कि शिक्षक ऐसी गतिविधियाँ सृजित करें जिनके विकसित होगी। गणितीय अवधाणाओ ं और शब्‍द
द्वारा कक्षाओ ं के भीतर ही अवधारणाओ ं को अनभु व करने
सामर्थ्य सिखाने व उनके सुदृढ़ीकरण के लिए कहानी,
के अवसर दिए जा सकें । उदाहरण के तौर पर, वह कक्षा में
शिशगु ीत और कुछ दसू री खेल-आधारित गति‍विधियों
भिन्‍न-भिन्‍न प्रकार की सब्जियाँ और फल लेकर रख सकते
का उपयोग किया जा सकता है।
हैं, बच्‍चों को चखने, सँघू ने और छूने के मौके दें, फिर उनके
अनभु व सनु ें और उन पर बातचीत करें । शिक्षक बच्‍चों को
कक्षा में छोटे-छोटे गमले लाने के लिए कह सकते हैं, इस
तरह से वह बच्‍चों को बीज से अक ं ु रण की प्रक्रिया का
अनभु व कक्षा में ही दे सकते हैं।
इसी प्रकार कुछ और गतिविधियाँ की जा सकती हैं,
जैसे अभिभावकों से पछू -पछ ू कर अपने वश ं वृक्ष का चित्र
बनाना। इससे परिवार की अवधारणा का बोध तो होगा
ही, साथ ही सामाजिक संसार की भी समझ बेहतर तरीके
से होगी। प्रत्‍येक चरण में अधिगम के आधारभतू सिद्धांत
‘ज्ञात से अज्ञात की ओर’, ‘सरल से जटिल की ओर’ और
‘परिचित से अपरिचित की ओर’ का ही पालन करना शिक्षक पर्वू संख्‍या अवधारणाओ ं को आधारभतू
चाहिए। यह बच्‍चों के सीखने की प्रक्रिया को सदृु ढ़ करता अनभु व के रूप में सिखाने के लिए निर्देशित गतिविधियों
है और सही दिशा प्रदान करता है। की एक विस्‍तृत �ांृखला का उपयोग कर सकते हैं। इन
शिक्षक निर्देशित गतिविधियों के रूप में इन गति‍विधियों निर्देशित गतिविधियों में बहुत से संज्ञानात्‍मक कौशल
और अनभु वों को इस प्रकार तैयार करें कि जिनमें ब्‍लॉक शामिल होने चाहिए, जैसे— मिलान करना, वर्गीकरण
निर्माण, जोड़-तोड़ करने के हस्‍तकौशल, डॉल कार्नर, और क्रम में रखना। ये कौशल पर्वू संख्‍या अवधारणाओ ं
पस्‍त
ु क कार्नर के खेल हों, जहाँ उन्‍हें कें द्र के बाहर और को सीखने का आधार प्रदान करते हैं।
भीतर अपने सहपाठियों तथा दसू रे लोगों के साथ आपस में उदाहरण के तौर पर, क्रम के अनसु ार रखने वाली
बातचीत करने के अवसर मिले। इससे उनकी अवधारणाएँ गतिविधि में शरू
ु -शरूु में बच्‍चों को कहा जाए कि वे वस्‍तु
मज़बतू और परिष्‍कृ त होंगी। को आकार या लंबाई के संदर्भ में तीन के स्‍तर तक क्रम में
पाठ्यचर्या 19

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लगाएँ, उसके बाद पाँच के क्रम में लगाने के लिए कहें और शैक्षणिक प्रक्रियाओ ं से तात्‍पर्य निर्देशन संबंधी ऐसी
धीरे -धीरे उसे जटिल बनाते जाएँ। यकु ्‍तियों और तकनीकों से है जिनके कारण ‘सीखना’
यह प्रक्रिया बच्‍चों को आगे की सख्‍या
ं ओ ं और संभव हो पाता है जो विशेष सामाजिक एवं भौतिक संदर्भों
आकृ तियों को सीखने का उपयक्‍त ु आधार प्रदान करे गी। में ज्ञान, कौशलों, दृष्‍टिकोण एवं प्रवृ‍त्ति‍यों के अर्जन हेतु
इसके बाद भी इसी तरह की सरल प्रक्रियाओ ं की योजना अवसर सल ु भ करवाती हैं।
बनाएँ और संख्‍या आकृ तियों की अवधारणाओ ं को बच्‍चों इस बात को ध्‍यान में रखना बहुत ही महत्‍वपरू ्ण है कि
के आस-पास के परिवेश से जोड़कर सीखने के मौके दें। आरंभिक बाल्‍यावस्‍था में शिक्षण प्रणाली की प्रक्रियाओ ं
मुख्‍य अवधारणाएँ और कौशल के मख्ु ‍य तीन घटक होते हैं— खेल, परस्‍पर सवं ाद और
परिवेश। पाठ्यचर्या क्रियान्‍वयन के दौरान इन तीनों को
प्रत्‍येक लक्ष्‍य के अतं र्गत मख्ु ‍य अवधारणाओ ं या कौशलों
संबोधित किया जाना चाहिए।
को भी रे खांकित किया गया है। शिक्षकों को चाहिए कि
वे बच्‍चों के समग्र विकास के लक्ष्‍य को कें द्र में रखते हुए खेल
जब पाठ्यचर्या संचालित करें तो इन अवधारणाओ ं और खेल छोटे बच्‍चों के सीखने की प्रक्रिया का महत्‍वपरू ्ण
कौशलों पर ध्‍यान अवश्‍य दें। घटक है। खेल के द्वारा बच्‍चे यह प्रदर्शित करते हैं कि वे
शि‍क्षकों से अपेक्षा है कि वे इस बात को सनिश
ु ्‍चित करें क्‍या सीख रहे हैं, उनकी रुचि किस बात/चीज़ में है और वे
कि पाठ्यचर्या के क्रियान्‍वयन के दौरान इन अवधारणाओ ं किस तरह के सरोकार रखते हैं। खेल को सार्वभौमिक रूप
व कौशलों के विकास के लिए विविध क्रियाकलापों का से बच्‍चों के सीखने का महत्‍वपरू ्ण तरीका माना गया है। वे
सहारा लिया जाए। खेलना पसं द करते हैं और जब उन्‍हें खेल द्वारा अन्वेषण
शैक्षणिक प्रक्रियाएँ करने, प्रयोग करने की आज़ादी दी जाए तो खश ु ी अनभु व
शैक्षणिक प्रक्रियाएँ वे यकु ्‍तियाँ हैं जिनका उपयोग शिक्षक करते हैं।
पाठ्यचर्या क्रियान्‍वयन के दौरान इस प्रकार से करते हैं कि पर्वू -प्राथमिक पाठ्यचर्या में खेल को माध्‍यम के रूप
बच्‍चे अन्वेषण करके , समस्‍या समाधान करके और में बहुत ही महत्‍वपरू ्ण स्‍थान देना चाहिए क्‍योंकि खेल ज्ञान
समीक्षात्मक चितं न के माध्‍यम से सीखने की प्रक्रिया से बढ़ाने की दिशा में बच्‍चों को परिवेश एवं एक-दसू रे के
जड़ु ते हैं। साथ संवाद करने के अवसर देते हैं।
मक्‍त
ु रूप से खेले जाने वाले खेल, निर्देशित खेल या
सरंचनात्‍मक खेल हो सकते हैं। मक्‍त ु खेल बच्‍चों द्वारा
खेल स्‍वयं ही शरू ु किए जाते हैं और इन खेलों में वयस्‍कों की
निगरानी व हस्‍तक्षेप बहुत ही कम होता है जबकि निर्देशित
शिक्षण खेल किसी विशेष अधिगम उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखते हुए
प्रणाली शिक्षक द्वारा शरू ु करवाए जाते हैं। खेल के दौरान बच्‍चों
का अवलोकन करते समय शिक्षकों को बच्‍चों के मौजदू ा
परस्पर सवं ाद परिवेश ज्ञान और समझ के बारे में पता चलता है। वे उन क्षेत्रों को
भी चिह्नित कर लेते हैं, जहाँ-जहाँ विकास के आगे के चरण
के लिए बच्‍चों को निर्देशित करने की ज़रूरत है।
20 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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परस्‍पर सवं ाद शिक्षक और अभिभावक परस्‍पर संवादों के माध्‍यम
खेल-आधारित सीखने की प्रक्रियाओ ं में वयस्‍क, बच्‍चों के से बच्‍चों के पहले से सीखे गए कौशलों के साथ संबंध
संगी-साथी, बड़े और भाई-बहन बहुत ही महत्‍वपरू ्ण और स्‍थापित करने में मदद करते हैं। वयस्‍क बच्‍चों को
अभिन्‍न भमि ू का अदा करते हैं। दिशानिर्देश तो देते ही देते हैं, साथ ही परिवेश को कुछ इस
परस्‍पर संवाद तीन प्रकार के होते हैं— 1. साथियों तरह से सृजित करते हैं कि वह अधिगम प्रक्रियाओ ं को
के साथ, 2. बड़ों के साथ और 3. भिन्‍न-भिन्‍न प्रकार की प्रोत्‍साहित कर पाएँ।
सामग्री/वस्‍तुओ ं के साथ। संगी-साथि‍यों के साथ परस्‍पर शिक्षक सा‍भिप्राय योजनाबद्ध और विकास-अनरू ु प
संवाद खेल में दसू रे बच्‍चों को शामिल करना सीखने की पाठ्यचर्या के क्रियान्‍वयन द्वारा सीखने के विस्‍तार में
दृष्‍टि से महत्‍वपरू ्ण आधार प्रदान करता है, क्‍योंकि बच्‍चे महत्‍वपरू ्ण भमि
ू का निभाते हैं।
अवलोकन करते हैं, एक-दसू रे की नकल/अनक ु रण करते
हैं और जो भी देखते हैं, उसके आधार पर कुछ नया करते
हैं। जब वे दसू रे बच्‍चों के साथ साझेदारी करते हैं, अपने
खेल स्‍वयं बना लेते हैं, समस्‍याओ ं का समाधान ढूँढ़ते
है, समन्‍यवयन करते हैं, तब सामाजिक और भावनात्‍मक
कौशलों का अर्जन करते हैं। नियम-आधारित खेल खेलते
समय बच्‍चों को अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी पड़ती है,
इस तरह से वे आत्‍मनियमन करना सीखते हैं।
भिन्‍न-भिन्‍न प्रकार की सामग्री/वस्‍तुओ ं के साथ
परस्‍पर सवं ाद परिवेश
बच्‍चों को मक्‍त
ु और निर्देशित खेलों के दौरान विविध प्रकार बच्‍चे अपने परिवेश के साथ सतत रूप से परस्‍पर संवाद
की सामग्री और वस्‍तुओ ं से परस्‍पर सवं ाद करने के अवसर करते रहते हैं। वे जिस चीज़ को भी देखते हैं, उसे छूने की
प्राप्‍त होते हैं। यह सनिशु ्‍चित कर लेना बहुत ही ज़रूरी है अदम्‍य लालसा उनमें होती है। इसी प्रकार वे सीखते हैं।
कि सामग्री/वस्‍तुएँ बच्‍चों की आयु व विकासात्‍मक स्‍तर विविध प्रकार की सामग्री और गतिविधियों के
के अनरू ु प हों। ये दसू रे बच्‍चों के साथ मिलकर खेलने और माध्‍यम से बच्‍चे वस्‍तुओ ं को जोड़-तोड़ करके , प्रश्‍न
परस्‍पर संवाद करने, समाधान खोजने और नवाचार करने पछू कर, अनमु ान लगाकर, सामान्‍यीकरण करके भौतिक,
के अवसर देने वाली हों। गतिविधि क्षेत्र में इस प्रकार की सामाजिक और प्राकृ तिक परिवेश का अन्वेषण करते हैं।
सामग्री हो सकती है, जैसे— क्रे यॉन, गड़ि‍ ु या, बनावटी सीखने का परिवेश इस प्रकार का होना चाहिए जो उन्‍हें
फल एवं सब्जियाँ, ब्‍लॉक, पज़ल, मनके मोती, मापक कप अपनी ओर लालायित करे , सरु क्षित हो और अनमु ान
और चम्‍मचें, वर्ग (क्‍यूब), बटन, मापक फीता, वज़न मापने लगाने के मौके देता हो। साथ ही साथ विकास के अनरू ु प
वाला यंत्र, डॉक्‍टर सैट, परिधान सबं ंधी सामग्री (सजने- विविध प्रकार की सामग्री से सराहना करने, प्रोत्‍साहित
सँवरने का सामान), पस्‍त ु कें , मिट्टी आदि। इस प्रकार की करने और प्रतिक्रिया देने से विशेष आवश्‍यकता वाले
सामग्री बच्‍चों को अभिनय वाले खेल खेलने के लिए बच्‍चों सहित सभी बच्‍चों में सकारात्‍मक छवि बनती है
प्रोत्‍साहित करती हैं। और आत्‍म‍विश्‍वास पैदा होता है।
पाठ्यचर्या 21

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सीखने के आरंभिक प्रतिफल
सीखने के आरंभिक प्रतिफलों से तात्‍पर्य छोटे बच्‍चों के
अधिगम और विकास के प्रति अपेक्षाओ ं से है। दसू रे शब्‍दों
में कहा जा सकता है कि बच्‍चों को प्रत्‍येक वर्ष के अतं में
क्‍या जान लेना चाहिए और वे क्‍या कर सकते हैं। शिक्षकों
को चाहिए कि वे सीखने के प्रतिफलों को प्राप्‍त करने के
लिए खेल, खोजबीन, अन्वेषण, समस्‍या-समाधान के
लिए विषयवस्‍तु, शिक्षण प्रणाली यकु ्‍तियों, गतिविधियों,
अनभु वों और अवसरों में सयु ोजन करें ।

22 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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पूर्व-प्राथमिक िवद्यालय I
(आयु 3–4 वर्ष)
टिप्पणी—
1. मखु ्य अवधारणाओ,ं प्रस्तावित शैक्षणिक प्रक्रियाओ ं और सीखने के आरंभिक प्रतिफलों को एक-से-एक मिलाना अपेक्षि‍त नहीं है। इन्‍हें
समग्र रूप में देखा जाना चाहिए।
2. इन सीखने के प्रतिफलों का विकास इस मान्यता के साथ किया गया है कि परू ्व-प्राथमिक िवद्यालय में प्रथम भाषा/निर्देश की भाषा घर में
बोली जाने वाली भाषा या क्षेत्रीय भाषा ही होगी। अग्रें ज़ी भाषा का उपयोग द्वितीय भाषा के रूप में किया जाना चाहिए।
लक्ष्‍य 1— बच्‍चों का अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य और खुशहाली बनाए रखना
मुख्‍य अवधारणाएँ/ कौशल शैक्षणिक प्रक्रियाएँ सीखने के आरंभिक प्रतिफल
(शिक्षक क्‍या कर सकते हैं)
●● स्‍वयं के प्रति जागरूकता निम्‍नलिखि‍त अवसर और अनुभव प्रदान किए जाएँ— ●● अपनी कुछ शारीरिक
●● स्‍वयं के प्रति सकारात्‍मक ●● अपने, अपने शरीर के अग ं ों और अपने परिवार के विशेषताओ ं का उल्लेख
अवधारणा का विकास सदस्‍यों के बारे में जानना करना शरू ु कर देते हैं
●● आत्‍मनियमन ●● विभिन्‍न खेलों तथा गतिविधियों के द्वारा नामों को ●● परिवार के नज़दीकी सदस्‍यों
●● निर्णय लेना और समस्‍या- जानना और सबं ंधों के प्रति समझ बनाना, जैसे नाम पर को पहचानते हैं
समाधान ताली बजाना एवं मित्रता करना, भ्रमण (मित्रों के साथ ●● गतिविधियों में भागीदारी करते
●● सामाजिक रूप से वाँछनीय घमू ना) आदि हैं और पहल करते हैं
व्‍यवहार (प्राे-सोशल), जैसे ●● बच्चों के जन्मदिवसों, त्योहारों के आयोजन द्वारा ●● गतिविधियों और खेल के
एक-दसू रे का ख्‍याल रखना, बच्चों को छोटे-छोटे उत्तरदायित्व देकर उनके योगदान/ दौरान अपनी बारी की प्रतीक्षा
साझेदारी, सहयोग, दया कार्य की सराहना करके एवं उनके कार्य के प्रदर्शन द्वारा करते हैं और सरल नियमों का
और दसू रों की भावनाओ ं व उनमें स्वयं के मलू ्य और अपनी उपलब्धि‍यों पर गर्व की पालन करते हैं
अधिकारों का सम्‍मान करना अनभु तिू करने के अवसर प्रदान करना ●● शाब्दि‍क और अशाब्दि‍क रूप
●● अच्‍छी आदतों का विकास, ●● मक्‍त ु वार्तालाप और स्‍वच्‍छंद रूप से खेले जाने वाले (हाव-भाव, चित्रकारी आदि )
साफ़-सफ़ाई और स्‍वयं की खेल, जहाँ बच्‍चे अपने आप को अभिव्‍यक्‍त कर सकें , से अपनी भावनाओ ं को व्‍यक्‍त
सरु क्षा के प्रति जागरूकता जैसे खेल के मैदान में खेलना (चढ़ना, झल ू ा झल
ू ना, करते हैं
●● स्‍थूल गत्‍यात्‍मक कौशल का दौड़ना, चित्रकारी करना, रंग भरना आदि) ●● अपनी पसंद बताते हैं और
विकास (चलना, दौड़ना, ●● बच्‍चों को रुचिकर गतिविधियों में सल ं ग्‍न करना और प्राथ‍मिकताओ ं को अभिव्‍यक्‍त
कूदना, घटु नों के बल उनसे इस तरह से बात करना कि वे सहज महससू करें करते हैं
चलना, उछलना, चढ़ना, और सभी के साथ व कक्षा में सामजं स्‍य बैठा सकें ●● बड़ों की सहायता से छोटे-छोटे
कदमताल, फें कना, ●● ऐसे खेल और गतिविधियाँ कराना जिनमें नियम और मामले/समस्‍या सल ु झा पाते हैं
लपकना, किक मारना) निर्देश सरल हों, जैसे फ्रीज़ डांस, तालियों का ●● दसू रे बच्‍चों के साथ काम
●● सक्ष्‍म
ू गत्‍यात्‍मक कौशल का अनसु रण, ज़ोर से या धीरे आवाज़ निकालना आदि करते और खेलते हुए खश ु ी
विकास और आँखों-हाथों ●● बारी वाले खेल और गतिविधि‍याँ करना, जैसे सनु ना व्‍यक्‍त करते हैं
का समन्‍वयन (धागा और चलना करना, फिंगर गेम आदि ●● दसू रे बच्‍चों की मदद करते हैं,
●● चित्रकारी, रंग भरना, पेटिंग आदि
पिरोना, कागज़ के उनका ध्‍यान रखते हैं और
●● समस्‍याओ ं का समाधान करना और छोटे-छोटे झगड़े
छोटे-छोटे टुकड़े फाड़ना, उनके साथ अपनी चीजें साझा
सल ु झाना (रोल-प्‍ले के दौरान छोटे समहू में की जाने करते हैं
वाली गतिविधियाँ और पहेलियाँ सल ु झाना
पाठ्यचर्या 23

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चिपकाना, आड़ी-तिरछी ●● मक्‍त
ु खेल जिनमें बच्‍चों को स्‍वतंत्र रूप से या समहू ों में ●● लोगों में पाई जाने वाली
रे खाएँ (स्क्रिबल) खींचना, खेलने के अवसर मिलें, जैसे पहेलियाँ सल ु झाना, पेग विभिन्‍नताओ ं के प्रति समझ
चित्रकारी, रंग भरना, छपाई (शक ं ु ) रखना और बाहर खेले जाने वाले खेल आदि बनाने लगते हैं (संस्‍कृति,
करना (ठप्‍पे लगाना), मिट्टी ●● बच्‍चों के बीच परस्‍पर संवाद को प्रोत्‍सहित करना जाति, क्षमताओ ं और
के िखलौने या अन्य चीज़ें ●● दसू रे बच्‍चों के साथ संबंध बनाना, साथियों से सीखने अक्षमताओ ं के आधार पर)
बनाना, कागज़ मोड़कर और परस्‍पर संवाद करने हेतु अवसर प्रदान करना, जैसे और विविधता के प्रति
वस्‍तुएँ बनाना रोल-प्‍ले, अभिनय खेल आदि संवेदनशीलता प्रदर्शित करते हैं
●● भावनाओ ं की अभिव्‍यक्‍ति और पहचान (खश ु ी, दख
ु , ●● तत्‍कालिक आवश्‍यकताएँ
क्रोध) इसके लिए भावना कार्ड और कहानियों की बताते हैं स्वच्छता का पालन
सहायता लेना करते हैं और भोजन संबंधी
●● सीधे-सरल हाव-भाव/मद्रा ु ओ ं से परिचित कराना, जैसे अच्‍छी आदतों का अनसु रण
नमस्‍ते और हैलो आदि (अभिवादन करना) करते हैं
●● बच्‍चों द्वारा महससू की जा रही असविध ु ा और ●● अच्‍छे स्‍पर्श और बरु े स्‍पर्श के
चितं ाओ ं को साझा करना अतं र की समझ को दर्शाते हैं
●● परू े समहू में की जाने वाली गतिविधियों को प्रोत्‍साहित और अपरिचितों से दरू ी बनाए
करना, जैसे एक साथ भोजन करना रखते हैं
●● बच्‍चों की कल्‍पना शक्‍ति को उत्‍प्रेरित करने के लिए ●● सामान्‍य खतरों, खतरनाक
छोटे समहू में की जाने वाली गतिविधियाँ, जैसे कथा स्थानों और वस्तुओ ं को
वाचन, ड्रामा, मक्‍त ु खेल, कठपतु ली खेल आदि पहचानते हैं तथा उनसे दरू ी
●● स्‍वास्‍थ्‍य की सावधिक जाँच (जैसे कद, वज़न और बनाते हैं
सामान्‍य स्‍वास्‍थ्‍य), टीकाकरण और बच्‍चों की सरु क्षा ●● खेल/प्रतिदिन की गतिविधियों
सनिशु ्‍चित करना जैसे चलना, दौड़ना, कूदना,
●● पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय में भोजन के प्रावधान को चढ़ना, नृत्‍य आदि में स्‍थूल
सनिश ु ्‍चित करना माँसपेशियों का विकास और
●● बड़ों द्वारा स्‍वयं अच्‍छी आदतों को अपनाकर बच्‍चों को समन्‍वयन का प्रदर्शन करते हैं
ससं ्‍कार देना। स्‍वास्‍थ्‍य व स्‍वच्‍छता सबं धं ी आदतों को ●● संगीत, नृत्‍य और रचनात्‍मक
अपनाना, जैसे बड़ों की सहायता से हाथ धोना आदि गतिविधियों में भाग लेने के
●● कक्षा में बच्‍चों के साथ और शिक्षक-अभिभावक अवसर ढूढ़ँ ते हैं और भाग लेते हैं
मीटिंग (पी.टी.एम.) तथा समय-समय पर आयोजित ●● विभिन्‍न गतिविधियों, जैसे
की जाने वाली बैठकों में अभि‍भावकों के साथ आड़ी तिरछी रे खाएँ खींचना,
स्‍वास्‍थ्‍य, पोषण और स्‍वच्‍छता सबं ंधी मद्ु दों पर चर्चा ठप्‍पे लगाना, धागा पिरोना, रंग
करना भरना, मिट्टी का कार्य करना,
●● अच्छा स्पर्श और बरु ा स्पर्श (गडु टच और बैड टच) कागज़ के छोटे-छोटे टुकड़े
पर चर्चा करना और उन्‍हें बताना कि यदि उनके सामने फाड़ना और चिपकाना आदि
इस तरह की स्थिति आ जाए तो वे शिक्षक/अभिभावक
और किसी भी नज़दीकी व्‍यक्‍ति को अवश्‍य बताएँ

24 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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●● विभिन्‍न गति‍विधि‍यों द्वारा स्‍थूल माँसपेशियों के विकास में सक्ष्‍म
ू माँसपेशियों के
के लिए अवसर प्रदान करना, जैसे चलना, दौड़ना, विकास और आँखों-हाथों के
कूदना, उछलना, घटु नों के बल चलना, चढ़ना, सरल समन्‍वयन का प्रदर्शन
कदमताल, फें कना, लपकना, किक मारना आदि करते हैं
●● नृत्‍य, कदमताल, लय व ताल संबंधी अन्‍य गति‍वि‍धियाँ
करना, जैसे झक ु ना, मड़ु ना, स्‍वयं को तानना (स्‍ट्रेचिगं ),
संतल ु न बनाना आदि
●● ‘मैसी खेल’, जैसे रे त व पानी के साथ खेलना, मिट्टी के
खेल करना, ठप्‍पे लगाना आदि
●● वस्‍तुओ ं को महससू करके उनमें अतं र बता पाना
●● कागज़ के छोटे-छोटे टुकड़े करके उन्‍हें चिपकाना,
स्‍टीकर उतारना और चिपकाना, अँगलि ु यों से छोटी-
छोटी वस्‍तुएँ उठाना आदि

लक्ष्‍य 2— बच्‍चों का प्रभावशाली सप्ं रेषक बनना


मुख्‍य अवधारणाएँ/ कौशल शैक्षणिक प्रक्रियाएँ सीखने के आरंभिक प्रतिफल
(शिक्षक क्‍या कर सकते हैं)
बातचीत करना और सनु ना निम्‍नलिखि‍त अवसर और अनुभव प्रदान किए ●● सनु ने के कौशल का इस्‍तेमाल
●● ध्‍यान देने की अवधि और
जाएँ— करते हैं और अपनी
सनु ना ●● ऐसे छोटे-छोटे समह ू ों में साझेदारी वाली खेल संबंधी आवश्‍यकताएँ बताते हैं
●● रचनात्‍मक आत्‍म-अभिव्‍यक्‍ति गतिविधियाँ जो बच्‍चों को साथ-साथ काम करने और ●● दसू रों से नज़रें मिलाकर बात
और वार्तालाप सीखने में मदद करें और उनके सनु ने के कौशलों को करते हैं और शरीर के
●● भाषा और सृजनात्‍मक चित ं न समन्ु ‍नत करें हाव-भाव का प्रयोग उपयक्‍त ु
●● शब्‍द भड ं ार/ शब्‍द सामर्थ्य ●● हाव-भाव के द्वारा विभिन्‍न प्रकार की संप्रेषण यकु ्‍तियों रूप से करते हैं
का प्रयोग ●● एक या दो, मौखिक निर्देशों
आरंभिक पठन ●● कक्षा में होने वाली गतिविधि और एक गतिविधि से को समझते हैं
●● मद्ु रित सामग्री की पहचान दसू री गतिविधि को शरू ु करते समय सरल निर्देश ●● बातचीत और कहानियाँ
और अ‍र्थ समझना सनु ना, जैसे—“ब्‍लॉक खोजो और मेरे पास लाओ, सनु ने/सनु ाने में भाग लेते हैं
●● पस्‍त
ु कों से लगाव खिलौने शैल्‍फ़ में रख दो’’ और तात्‍कालिक अनभु वों को
●● दिशात्‍मकता/दिश्‍ाा बोध को ●● दस ू रों को सनु ना और फिर अपनी बारी आने पर बात साझा करते हैं
समझ पाना करना जिससे ध्‍यान देने की अवधि में विस्‍तार हो ●● कविता-पाठ और छोटी
●● पठन का अभिनय (प्रीटेंड (जैसे धीरे -धीरे कहानी का समय बढ़ाना, सीधा- कविताओ ं को दोहराते हैं,
रीडिंग) सपाट परिणाम बताने वाली सामग्री का उपयोग, जैसे हाव-भाव से गाना, संगीत
●● ध्‍वनियों की पहचान दो टुकड़ों (चित्रों) वाली पहेली (पज़ल) सल ु झाना, और लयात्‍मक गति‍विधियों में
●● अक्षर अवबोधन/पहचानना चित्र पठन, पोस्‍टर को देखना और उसके आधार पर भाग लेते हैं
बात करना

पाठ्यचर्या 25

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आरंभिक लेखन ●● टेप/सीडी/मोबाइल में रिकाॅर्ड की गई विभिन्‍न प्रकार ●● ‘क्‍या’ और ‘क्‍यों’ जैसे प्रश्‍नों
●● आँखों-हाथों का समन्‍वयन की आवाज़ों को िवभिन्न परिवेशों में सनु ना, जैसे घर, को निरंतर पछू ते हैं
●● उचित उपकरणों का इस्‍तेमाल विद्यालय, समदु ाय आदि परिवेश में सनु ी गई विभिन्‍न ●● सामान्‍य/परिचित वस्‍तुओ ं
●● चिह्न लगाना, आड़ी-तिरछी प्रकार की ध्‍वनियाँ और चित्रों के लिए सटीक
रे खाएँ खींचना ●● बच्‍चों को रिकाॅर्ड की गई ध्‍वनियों को सनु ने के लिए शब्‍दों का प्रयोग करते हैं, जैसे
●● आड़ी-तिरछी रे खाओ ं व प्रोत्‍साहित करना और ध्‍वनि की पहचान कराना अपना नाम, मित्रों के नाम
चित्रकारी के द्वारा रचनात्‍मक ●● छोटे-छोटे समहू ों में की जाने वाली गतिविधियाँ और और वस्‍तुओ ं के नाम बताते हैं
अभिव्‍यक्‍ति बच्‍चों द्वारा शरू ु की जा सकने वाली गतिविधियाँ जो ●● कक्षा और घर के परिवेश में
बच्‍चों को सवाल करने के अवसर दे सकें (उदाहरण मद्ु रित सामग्री पहचानने लगते
द्वितीय भाषा से परिचय के तौर पर— “यदि ऐसा हो तो क्‍या होगा...”, वंडर हैं, जैसे अपने प्रिय बिस्‍कु ट/
वॉल तैयार करना जिस पर शिक्षक जिज्ञासा पैदा करने टॉफ़ी, चॉकलेट के रै पर, चित्र
और मस्तिष्‍क मथं न करने के लिए नयी-नयी तस्‍वीरें आदि
या वस्‍तुएँ प्रदर्शित करें ) ●● परिचित लिपि में लिखे हुए
●● वार्तालाप और कहानी सनु ाते समय प्रश्‍न पछू ने के अपने नाम को पहचानते हैं
लिए उत्‍प्रेरित करना (उदाहरण के तौर पर सर्क ल (सक ं े त देने पर)
टाइम, िकसी िवषय पर भी वार्तालाप और छोटे समहू ों ●● आय-ु अनसु ार छोटी कहानियों
में की जाने वाली गतिविधियाँ) का आनंद लेते हैं और सरल
●● समहू में गायन, ताल संबंधी गति‍विधियाँ और प्रश्‍नों के उत्तर देते हैं
छोटे-छोटे एक्‍शन गीत (ऐसे गीत जिनके साथ ●● कहानी की किताब के चित्र
अभिनय किया जा सके ) देखकर परिचित कहानियाँ
●● कक्षा में मद्ु रित समृद्ध परिवेश का सृजन (शैल्‍फ़ और सनु ाते हैं
अलमारियों/ बक्‍सों पर लेबल लगाना, कविताएँ, ●● किताबों का सही ढंग से
पोस्‍टर आदि लगाना इस्‍तेमाल करते हैं, जैसे
●● पठन/ पस्‍त ु कालय के क्षेत्र में चित्र, बड़े आकार वाली किताब के मख्ु ‍य और पिछले
पस्‍त
ु कें , वर्णमाला की पस्‍त ु कें , भाषा-संबंधी चार्ट, पृष्‍ठ को पहचानते हैं और
पोस्‍टर और फ्लैश कार्ड देखना अपनी आयु के अनक ु ूल
●● प्रत्‍येक बच्‍चे के नाम का कार्ड बनाना और उपयक्‍त ु किताबों में रुचि लेते
गतिविधियों में उनका उपयोग करना, जैसे उपस्थिति हैं, उन्‍हें उलट-पलट कर देखते
लेते समय, गतिविधि के दौरान बारी निर्धारित करने हैं, जैसे चि‍त्रात्‍मक, वर्णमाला,
के लिए कहानी, कविताओ ं की
●● दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को चित्रों और मद्ु रित किताबें और पोस्‍टर
शब्‍दों द्वारा प्रदर्शित करना और उनके बारे में बात ●● आरंभिक ध्‍वनियों की पहचान
करना प्रदर्शित करते हैं, जैसे समान
●● बच्‍चों द्वारा की गई चित्रकारी/आड़ी-तिरछी रे खाओ ं तक ु वाले शब्‍द बताते हैं और
वाली शीट पर शिक्षक द्वारा उनके नाम लिखे जाने का पर्यावरण में परिचित ध्‍वनियों
अवलोकन करना को पहचानते हैं

26 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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●● विशेष आवश्‍यकता वाले बच्‍चों को पहचानना और ●● विभिन्‍न प्रकार की सामग्री की
उनकी आवश्‍यकताओ ं पर विशेष ध्‍यान देना खोजबीन और जोड़-तोड़
●● बच्‍चों को ऐसे खेलों में संलग्‍न करना जिनके माध्‍यम करते हैं, जैसे वर्णमाला के
से वे देखकर अतं र कर पाना सीख सकें , जैसे चित्रों, वर्ण, (चम्‍बु कीय अक्षर, फ़ोम,
वस्‍तुओ,ं रंगों और आकृ ति के आधार पर मिलान प्‍लास्टिक आदि), ठप्‍पा
करना, डोमिनो को चित्रों, रंगों/बिंदओ ु ं आदि से लगाने और टेढ़ी-मेढ़ी लाइनें
मिलाना खींचने वाले उपकरण (जिन्‍हें
●● दृश्‍य-अवबोधनात्‍मक गतिविधियाँ, जैसे मिलान सरलता से पकड़ा जा सके )
करना, दिशाबोध, चित्रखेल/गतिविधियाँ ●● लेखन पर्वू कौशल का प्रदर्शन
●● कक्षा में पठन क्षेत्र या छोटा-सा पस्‍त ु कालय बनाना, करते हैं (आड़ी-तिरछी लाइनें
जिसमें बड़ी पस्‍तु कें , चित्रात्‍मक पस्‍त
ु कें , जानकारीपरू ्ण बनाना, ठप्‍पा लगाना,
और स्‍तरवार कहानी की पस्‍त ु कें हों अँगलि ु यों से चित्रकला करना,
●● बड़े अक्षरों में छपी, चि‍त्रों वाली कहानी की पस्‍त ु कों क्रे यॉन, मार्क र, ब्श
रु का
से कहानी सनु ाना (शिक्षक को चाहिए कि वे शब्‍दों के विभिन्‍न कार्यों के लिए प्रयोग)
नीचे अँगल ु ी रखें और बाएँ से दाएँ की ओर अँगल ु ी ●● बाएँ से दाहिनी ओर परू े पृष्‍ठ
को फिराएँ और इस तरह से बच्‍चों का ध्‍यान लिखे पर आड़ी-तिरछी रे खाएँ
हुए की ओर आकर्षित करें ) खींचते हैं, पैटर्न दोहराते हैं
●● सस्‍वर पढ़ना, सामहि ू क पठन बच्‍चों को प्रतिदिन कई और माँसपेशियों पर नियंत्रण
बार पढ़कर सनु ाना। छोटे या बड़े समहू ों में और प्रदर्शित करते हैं
एक-एक करके भी बच्‍चों को पढ़कर सनु ाना, पृष्‍ठ ●● प्राय: इस्‍तेमाल किए जाने
कै से पलटते हैं इस ओर बच्‍चों का पढ़ते समय ध्‍यान वाले अग्रें जी के शब्‍दों,
आकर्षित करना अभिवादन एवं शिष्‍टाचार-
●● बच्‍चों को यह दिखाना कि परू े पृष्‍ठ पर अँगल ु ी कै से यक्‍त
ु शब्‍दों का प्रयोग करते हैं
फिराई जाती है, और आँखें किस तरह अँगल ु ी का
अनसु रण करती हैं (कहानी कहते समय/चार्ट से कविता
पढ़ते समय या ‘साइट वर्ड’ को देखते समय)
●● कहानी कहते समय या वार्तालाप के दौरान कठपतु ली,‍
चित्र, फ्लैश कार्ड जैसी विभिन्‍न प्रकार की सामग्री का
उपयोग करना
●● ‘मझु े खोजना है’ खेल खिलवाना, जैसे मझु े कक्षा में
ऐसी हरे रंग की वस्‍तु ढूँढ़नी है जिसका नाम ‘स’ से शरू ु
होता हो
●● तीन छोटे-छोटे शब्‍द बोलना जैसे बिल्‍ली, खबं ा,
लंबा, बच्‍चों से कहना कि इनमें से वह शब्‍द पहचानें
जिसकी ध्‍वनि अलग हो

पाठ्यचर्या 27

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●● आकृ तियों, उभार वाले अक्षरों से खेलना, मद्ु रित समृद्ध
परिवेश वाली कक्षा में परिचित अक्षरों की खोज करना
●● बच्‍चों का ध्‍यान मद्ु रित अक्षरों की तरफ़ खींचना
(उनके नामों में आने वाले अक्षर, मनपसंद बिस्‍कु ट के
पैकेट-टॉफी आदि पर मद्ु रित अक्षर)
●● अक्षर गीत गाना, कटआउट/चम्‍ब ु क वाले अक्षरों से
खेलना, छोटे समहू में गत्ते/लकड़ी आदि पर बने
अक्षरों से कोलाज बनाना
●● ठप्‍पे लगाना, आड़ी-तिरछी रे खाएँ खींचना
●● मक्‍त
ु रूप से रंग भरना, चित्रों के अदं र रंग भरना (मोटे
क्रे यान या मार्क र का उपयोग करके )
●● आँखों-हाथों समन्‍वयन हेतु ठोस खिलौनों/वस्‍तुओ/ं
सामग्री से खेलना, जैसे बड़े छे द वाले मोतियों को
पिरोना, वस्‍तुओ ं को पकड़ना, मठँू वाली पज़ल पकड़ना
●● ब्‍लॉक, पकड़ी जा सकने वाली वाली पज़ल से खेलना,
वस्‍तुओ ं को चनु ना
●● सबु ह आने और जाने के समय अभिवादन करना
●● प्रतिदिन की जाने वाली गतिविधियों के दौरान छोटे
अग्रें जी के शब्‍दों का प्रयोग करना, जैसे गड़ु मोर्निग,
थैंक य,ू वेलकम, प्‍लीज़ आदि

लक्ष्‍य 3— बच्‍चों का सीखने के प्रति उत्‍साह प्रदर्शित करना और अपने आस-पास के परिवेश से जुड़ना
मुख्‍य अवधारणाएँ/कौशल शैक्षणिक प्रक्रियाएँ सीखने के आरंभिक प्रतिफल
(शिक्षक क्‍या कर सकते हैं)
सवं ेदी विकास निम्‍नलिखि‍त अवसर और अनुभव प्रदान किए जाएँ— ●● परिवेश के अवलोकन के लिए
●● देखना ●● संवेदी विकास से संबंधित गतिविधियाँ— चखना, सभी इद्ं रियों का प्रयोग करते हैं
●● सन ु ना सँघू ना, देखना, सनु ना और छूना। उदारहण के तौर पर ●● सामान्‍य वस्‍तुओ,ं ध्‍वनियों,
●● छूना वास्‍तवि‍क ठोस पदा‍र्थों का उपयोग, दृश्‍यात्‍मक लोगों, चित्रों, पश-ु पक्षियों,
●● सँघ ू ना समन्‍वयन और विभेदीकरण, श्रवण विभेदीकरण विभिन्‍न अवसरों/घटनाओ ं को
●● चखना गतिविधियाँ आदि पहचानकर उनके नाम बताते हैं
●● प्रकृ ति भ्रमण के दौरान आस-पास के परिवेश की ●● एक समय में देखी गई दो-तीन
विभिन्‍न वस्‍तुओ ं का अवलोकन, जैसे पार्क , उपवन, वस्‍तुओ ं के नाम याद रखते हैं
चिड़ि‍याघर आदि और पनु : बताते हैं

28 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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सज्ं ञानात्‍मक कौशल ●● खेल, गतिविधि, वस्‍तुओ,ं पिक्‍चर कार्ड, ट्रे में से चनु ने ●● परिचित वस्‍तुओ ं के चित्र को
●● अवलोकन वाले खेल, मेमोरी कार्ड/खेलों द्वारा दृश्‍य विभेदीकरण, देखकर जो उसमें नहीं है उस
●● पहचान करना वर्गीकरण संबंधी गतिविधियाँ हिस्‍से को पहचानते हैं
●● स्‍मृति/याद करना ●● चित्र पठन पोस्‍टर का इस्‍तेमाल करके , बच्‍चों को चित्र ●● किसी एक बिंदु के आधार पर
●● मिलान करना देखने और उसके बारे में बात करने के लिए वस्‍तुओ ं की तल ु ना और
●● वर्गीकरण करना प्रोत्‍साहित करना वर्गीकरण करते हैं
●● नमन ू े बनाना ●● किसी एक श्रेणी के आधार पर पिक्‍चर कार्डों काे ●● सरल नमनू ों को समझकर उसे
●● क्रम के अनस ु ार सोचना छाँटना और मिलाना, जैसे एक डिब्‍बे में सभी आगे बढ़ाते या दोहराते हैं
●● सृजनात्‍मक चित ं न जानवरों के चित्र रखना और दसू रे डिब्‍बे में पक्षियों के ●● दो-तीन चित्र कार्ड/वस्‍तुओ ं
●● समीक्षात्‍मक चित
चित्र रखना, एक कटोरी/डिब्‍बे में लाल बटन/ब्‍लॉक को क्रम से लगाते हैं
ं न
रखना और दसू री कटोरी/डिब्‍बे में पीले बटन/ब्‍लॉक ●● दिन-प्रतिदिन की सरल
●● समस्‍या समाधान
रखना समस्‍याओ ं को स्‍वयं या बड़ों
●● तर्क प्रस्‍तुत करना
●● दिए गए नमनू े को दोहराना, सही क्रम में घटनाओ ं व की मदद से सल ु झाते हैं
●● जिज्ञासा
कहानियों को याद रखना ●● वस्‍तुओ ं के बीच संबंधों को
●● प्रयोग करना
●● वस्‍तुओ ं और चित्र कार्डों की सहायता से क्रम में समझने लगते हैं, जैसे समहू से
●● खोजबीन करना
लगाना भिन्‍न वस्‍तु, परू ी वस्‍तु या
अवधारणाओ ं का निर्माण ●● मेज़ (भल ू -भल
ु ैया) को हल करना, सरल पहेलियाँ उसके किसी भाग की पहचान,
●● रंग, आकृ ति, दरू ी, नाप
बझू ना, 2–3 टुकड़ों की पज़ल को व्‍यवस्थित रूप से मिलती-जल ु ती वस्‍तुए,ँ जैसे
आकार, लंबाई, भार, ऊँचाई, लगाना सईु -धागा, ताला-चाबी
समय आदि ●● संबंध सचू क कार्डो के माध्‍यम से समस्‍या-समाधान ●● अपने आस-पास के परिवेश
●● स्‍थान-बोध
(चित्रों के मिलान करना, संबंध ढूँढ़ना, जैसे कप- के प्रति जिज्ञासा दिखाते हैं
प्‍लेट/कंघी-बाल आदि) और उससे संबंधित प्रश्‍न
●● एक-से-एक की संगतता
●● सरल समस्‍याओ ं के समाधान खोजना, जैसे बोतल पर पछू ते हैं
सख्‍या
ं बोध उसी के नाप का ढक्‍कन ढूँढ़ना, ढक्‍कन बंद करना व ●● मल ू रंगों और आकारों को
●● गिनना और बताना कि
खोलना पहचानते हैं
कितने हैं ●● परिचित चित्र में कोई एक-दो गायब भाग ढूँढ़ना/ ●● प्रत्‍यक्ष विशेषताओ ं के आधार
●● संख्‍याओ ं की पहचान
पहचानना पर दो वस्‍तुओ ं की तल ु ना
●● क्रम का बोध (5 तक किसी
●● रे त, पानी, खोजबीन क्षेत्र में उपयक्‍त
ु खिलौने, करते हैं, जैसे हल्‍का-भारी,
भी दी गई संख्‍या से आगे उपकरण आदि, जैसे सैंड ट्रे, पानी का टब, छननी, लंबा-छोटा, ज्‍यादा-कम,
गिनती कर पाना) पानी के डिब्‍बों, बेलचा, खरु पी, तैरने वाले खिलौनों बड़ा-छोटा, ठंडा-गरम आदि
से खेलना ●● दो-तीन वस्‍तुओ ं को एक से
परिवेश से सबं ंधित ●● रचनात्‍मक गतिविधियों के दौरान रंगों की पहचान एक की संगतता में रखते हैं
अवधारणाएँ ●● तरह-तरह के खेल, गतिविधियों का आयोजन करना ●● माँगने पर तीन तक वस्‍तुएँ
●● प्राकृ तिक— पश,ु फल, जिनमें वस्‍तुओ,ं फ्लैश कार्ड, डोमिनो द्वारा विभिन्‍न गिनकर देते हैं
सब्जियाँ, खाद्यपदार्थ, अवधारणाओ ं के प्रति समझ बनाना
जीव-जंतु

पाठ्यचर्या 29

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●● भौतिक— जल, वाय,ु मौसम, ●● विभिन्‍न अवधारणाओ ं से संबंधित गीत और अभिनय ●● परिवेश के प्रति जागरूकता
सर्यू , चद्रं मा, दिन और रात वाले शि‍शगु ीत गाना एवं संवेदनशीलता दर्शाते हैं
●● सामाजिक— मैं, परिवार, ●● सर्क ल टाइम के दौरान विभिन्‍न अवधारणाओ ं से ●● टेलीविज़न/ स्‍मार्ट बोर्ड पर
यातायात, त्‍योहार, हमारे संबंधित चित्र/पोस्‍टर दिखाना और उन पर बात करना गीतों, कविताओ ं को देखकर
सहयोगी, समदु ाय ●● बड़े और मोटे ब्श रु /क्रे यान का उपयोग करते हुए आनंदित होते हैं
रचनात्‍मक कला संबंधी गतिविधियाँ
तकनीक का प्रयोग ●● कप, कटोरी आदि मापन पात्रों का उपयोग
●● छाया वाले खेल खेलना
●● संख्‍या वाले गीत गाना, संख्‍या वाली कहानियाँ सनु ना
●● संख्‍याओ ं का मिलान करने के लिए डोमिनो, फ्लैश
कार्ड का उपयोग करना
●● अपने आस-पास के परिवेश में सख्‍या ं ओ ं और चि�ों
की पहचान, जैसे मोबाइल फोन में नंबर, कलैंडर
आदि में सख्‍यां ओ ं की पहचान
●● खेलों, चलने-फिरने वाली गतिविधियों के माध्‍यम से
स्‍थान से संबं‍धित समझ पैदा करना, जैसे अदं र-बाहर,
ऊपर-नीचे
●● जिन जगहों का भ्रमण किया गया हो वहाँ के चित्र
बनाना और उन पर बातचीत करना
●● प्रश्‍न पछू ना और उत्तर देना
●● ‘सर्क ल टाईम’ की गतिविधि के दौरान पर्यावरण से
सबं ंधित मद्ु दों पर बातचीत करना, जैसे पानी बर्बाद
नहीं करना, मजं न करते समय जब ज़रूरत न हो तो
नल बंद कर देना, कूड़ा कूड़ेदान में डालना, खेल
खेलने के बाद खिलौने उपयक्‍त ु स्‍थान पर रख देना
आदि
●● शिक्षक की निगरानी में आयु के उपयक्‍त ु तकनीकी
का उपयोग
●● अतं : क्रियात्‍मक व आय-ु अनरू ु प वैबसाइट, शैक्षिक
वीडियो और सॉफ्टवेयर का उपयोग
●● कहानियों को स्‍व-स्‍वर पढ़कर सनु ाना और उनकी
वीडियो काे दिखाना

30 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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पूर्व-प्राथमिक िवद्यालय II
(आयु 4–5 वर्ष)
टिप्पणी
1. मखु ्य अवधारणाओ,ं प्रस्तावित शिक्षण प्रणाली की प्रक्रियाओ ं और सीखने के आरंभिक प्रतिफलों को एक–से–एक मिलाना अपेक्षि‍त नहीं
है। इन्‍हें समग्र रूप में देखा जाना चाहिए।
2. इन सीखने के प्रतिफलों का विकास इस मान्यता के साथ किया गया है कि परू ्व-प्राथमिक िवद्यालय में प्रथम भाषा/निर्देश की भाषा घर में
बोली जाने वाली भाषा या क्षेत्रीय भाषा ही होगी। अग्रें ज़ी भाषा का उपयोग द्वितीय भाषा के रूप में किया जाना चाहिए।
लक्ष्‍य 1— बच्‍चों का अच्‍छा स्‍वास्‍‍थ्‍य और खुशहाली बनाए रखना
मुख्‍य अवधारणाएँ/ कौशल शैक्षणिक प्रक्रियाएँ सीखने के आरंभिक प्रतिफल
(शिक्षक क्‍या कर सकते हैं)
●● स्‍वयं और दसू रों के प्रति निम्‍नलिखि‍त अवसर और अनुभव प्रदान किए ●● अपनी शारीरिक विशेषताओ ं
जागरूकता जाएँ— का वर्णन करते हैं
●● स्‍वयं के प्रति सकारात्‍मक ●● बच्चे अपने बारे में, अपने शरीर के अग ं ों के बारे में, ●● निकट के पारिवारिक सदस्यों,
अवधारणा का विकास अपने परिवार के सदस्यों और गणमान्य व्यक्‍ति‍यों के मित्रों और पड़ोसियों को
●● आत्‍मनियमन बारे में और उनसे संबंधों के बारे में जानें पहचानने लगते हैं
●● निर्णय लेना और समस्‍या ●● बच्चों के जन्मदिवसों, त्योहारों के आयोजन द्वारा ●● अपनी प्राथमिकताएँ और
समाधान बच्चों को छोटे-छोटे उत्तरदायित्व देकर उनके रुचियाँ अभि‍व्यक्‍त करते हैं
●● सामाजिक रूप से वाँछनीय योगदान/कार्य की सराहना करके एवं उनके कार्य के ●● निर्देशों का पालन करते हैं
व्‍यवहार (प्रो-सोशल), जैसे प्रदर्शन द्वारा उनमें स्वयं के मलू ्य और अपनी ●● कक्षा में और दसू रे बच्चों के
एक-दसू रे का ख्याल रखना, उपलब्धि‍यों पर गर्व की अनभु ति ू करने के अवसर साथ सामजं स्य बिठाते हैं
साझेदारी, सहयोग, दया और प्रदान करना ●● आरंभ की गर्इ गतिविधि‍को
दसू रों की भावनाओ ं व ●● दस ू रों के साथ काम करते हुए नियमों की पहचान व परू ा करते हैं
अधिकारों का सम्‍मान करना समझ बनाना, जैसे समहू में की जाने वाली ●● स्थि‍ति विशेष के अनरू ु प
अच्‍छी आदतों का विकास, गतिविधि‍याँ, भि‍न्न-भि‍न्न गतिविधि‍क्षेत्रों में खेलना भावनाओ ं को प्रकट करते हैं
साफ़-सफ़ाई और स्‍वयं की और कहानी सनु ाना आदि ●● अपनी प्राथमिकताएँ, रुचियाँ
सरु क्षा के प्रति जागरूकता ●● ऐसी कहानियों को पढ़कर सन ु ाना या फिर ऐसे प्रदर्शि‍त करते हैं और उनके
●● स्‍थूल गत्‍यात्‍मक कौशलों का कठपतु ली के खेलों का आयोजन करना जिनमें पात्र आधार पर चयन करते हैं।
विकास (चलना, दौड़ना, साझेदारी की भावना प्रदर्शि‍त करते हों, अपनी बारी ●● द्वंद्व की स्थि‍ति में समाधान
कूदना, उछलना, घटु नों के की प्रतीक्षा करते हों, मदद और सहयोग जैसे मलू ्य सझु ाते हैं (मार्गदर्शन के साथ
बल चलना, चढ़ना, प्रदर्शि‍त करते हों कर पाते हैं)
कदमताल, फें कना, लपकना, ●● बच्चों में उत्तरदायित्व से जडु ़े सबं ंधों को पोषि‍त करना ●● दसू रे बच्चों के साथ मिलजल ु
किक मारना आदि) जिससे बच्चों को अपनी भावनाओ ं को नियन्त्रि‍त कर खेलते हैं
●● सक्ष्‍म
ू गत्‍यात्‍मक कौशलों का करने, सरु क्षा का भाव महससू करने, आत्मविश्‍वास
●● योजना बनाते हैं कि क्या
विकास और आँखों-हाथों जागृत करने, जिज्ञासु और सप्रें षक बनने में मदद मिल
खेलेंगे और कै से खेलेंगे
समन्‍वयन (धागा पिरोना, सके
कागज़ के छोटे-छोटे टुकड़े

पाठ्यचर्या 31

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फाड़ना, चिपकाना, आड़ी- ●● समस्या-समाधान और द्वंद्व की स्थि‍ति से निपटने के ●● एक–दसू रे का ध्‍यान रखने
तिरछी रे खाएँ खींचना, लिए विकल्प ढूँढ़ना और प्रयास करना (रोल-प्ले, वाला व्यवहार प्रदर्शि‍त करते
चित्रकारी, रंग भरना, छपाई छोटे समहू ों में की जाने वाली गतिविधि‍यों के दौरान, हैं (चमू ना, आलिंगन,
करना (ठप्‍पे लगाना), कागज़ पहेलियाँ सल ु झाते समय) थपथपाना), दसू रे बच्चों के
मोड़कर वस्‍तुएँ बनाना आदि ●● मक्‍त
ु खेल जिनमें बच्चों को स्‍वतंत्र और समहू ों में भी साथ अपनी चीजें साझा करते
खेलने के अवसर मिलें, जैसे पहेलियाँ सल ु झाना, पेग हैं
(शक ं ु ) रखना, बाहर खेले जाने वाले खेल आदि ●● विशेष आवश्‍यकता वाले
●● प्रश्‍न पछू ना, दसू रे की स्थि‍ति को समझना, तदानभु ति
ू बच्चों सहित भि‍न्न-भि‍न्न
प्रकट करना और विभि‍न्न समस्यात्मक स्थि‍तियों में पृष्‍ठभमि
ू वाले बच्चों के प्रति
कहानियाँ सनु ाकर समस्याओ ं के समाधान ढूँढ़ना संवेदनशीलता प्रदर्शित करते
●● कहानी के दौरान या कहानी सनु ाने के बाद बच्चों से हैं और उनके प्रति स्वीकृ ति
प्रश्‍न पछू ना कि वे समस्या किस प्रकार सल ु झाएँगे का भाव रखते हैं
●● दसू रे बच्चों के साथ अतं :क्रिया करना और संबंध ●● स्वच्छता एवं सफ़ार्इ रखते हैं
बनाना। साथियों से सीखने और उनके साथ अतं :क्रिया और भोजन संबंधी अच्‍छी
की प्रवृत्त‍ि को विकसित करने के मौके देना आदतों में आत्मनिर्भरता का
●● अपनी भावनाओ ं को महससू और व्‍यक्‍त करना प्रदर्शन करते हैं
●● बच्चों द्वारा अनभु व की गर्इ असविध ु ाओ,ं स्थि‍ति व ●● खतरा/नक ु सान पहुचँ ाने वाली
चितं ा (यदि कोई हो) को साझा करना स्थि‍तियों को भाँपते हैं और
●● सरल हाव-भाव और चिह्न की पहचान सरु क्षात्मक उपाय अपनाते हैं
●● विशेष आवश्‍यकता वाले बच्चों के अनरू ु प ●● अच्‍छे स्‍पर्श और बरु े स्‍पर्श के
गति‍विधि‍यों का सामजं स्य करके अन्य बच्चों के साथ अतं र की समझ को दर्शाते हैं
सामजं स्‍य स्‍थापित करना और अपरिचित व्‍यक्‍तियों से
●● बड़ों की सहायता से शौचालय का उपयोग एवं हाथ दरू ी बनाए रखते हैं
धोना आदि ●● खेल संबंधि‍त गतिविधि‍यों में
●● स्वास्थ्‍य की सावधि‍क जाँच (कद, वज़न, सामान्य (जैसे चलना, दौड़ना, कूदना,
स्वास्थ्‍य), टीकाकरण तथा बच्चों की सरु क्षा चढ़ना आदि) स्थूल
सनिशु ्‍चि‍त करना गत्यात्मक समन्वयन और
●● पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय में परू क पोषण का प्रावधान नियंत्रण प्रदर्शि‍त करते हैं
●● बच्चों, अभि‍भावकों और समदु ाय को स्वास्थ्‍य व ●● संगीत, नृत्य और रचनात्मक
पोषण की शि‍क्षा देना क्रियाकलापों में भाग लेते हैं
और नये प्रयोग करते हैं
●● बच्चों को कहानियों, कार्टून, फिल्मों, वीडियो,
रोल-प्ले द्वारा शरीर के निजी अगं ों के बारे में बताना ●● सक्ष्‍म
ू गत्यात्मक कौशलों का
और यह भी बताना क‍ि उनके निजी अगं की न तो प्रदर्शन करते हैं और जिन
किसी अन्य द्वारा छुए जाने चाहिए ना ही फोटो खींची कामों में अपेक्षाकृ त आँखों
जानी चाहिए, उन्हें यह भी बताना चाहिए कि वे भी और हाथों के समन्वय की
किसी दसू रे के निजी अगं ों को न छुएँ अधिक आवश्‍यकता है उन

32 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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●● बच्चों को इस बारे में संवेदनशील बनाना कि कोर्इ भी कामों में मध्‍यम स्तरीय
उनके प्रति शारीरिक या मानसिक दर्व्यव ु हार करता है स्पष्‍टता और नियंत्रण प्रदर्शि‍त
तो तरु ं त शिक्षक या अपने किसी नज़दीकी को बताएँ करते हैं, जैसे आकृ तियों को
●● सरु क्षित सामग्री प्रयोग और सरु क्षित परिवेश का काटना, चित्रकारी करना, रंग
निर्माण करना जो कौशल स्तर के अनरू ु प भि‍न्न-भि‍न्न भरना, धागे में मोती पिरोना,
हों, जैसे तीन पहिए वाली साइकिल, ‘हल्‍ला हूप’, फीते बाँधना, देखकर चित्र/
संतल ु न पट्टी (बैलेसिंग बीम) आकृ ति बनाना, कागज़ के
●● विभिन्‍न कौशलों का अभ्‍यास, जैसे कूदना फाँदना, छोटे टुकड़े करना और
पकड़ना, फें कना आदि चिपकाना
●● बच्‍चों को नृत्‍य, एक्‍शन गीत जिसमें सरल शारीरिक
गतिविधियाँ शामिल हों, जैसे घमू ना, शरीर को लय
ताल के अनसु ार हिलाना-डुलाना, घमु ाना आदि
●● रे त, बाल,ू मिट्टी और पानी के खेल (मैसी प्‍ले),
छापना आदि
●● खेल जहाँ बच्‍चे स्‍वतंत्र रूप से कोई भी आकार बनाते
हैं, जैसे संगीतमय खेल, गिनती के खेल, पहाड़ में
आग लगी..... भागो-भागो-भागो जिसमें स्‍थान बोध,
दरू ी एवं दिशा का ज्ञान हो
●● एकल, जोड़े में, छोटे समहू एवं बड़े समहू की
गतिविधियाँ जिसमें स्‍थूल माँसपेशियाँ विकसित करने
के कौशल शामिल हों
●● अँगठू े एवं अँगलि ु यों से पेंसिल पकड़ने के कौशल का
अभ्‍यास, जैसे फाड़ना, काटना और चिपकाना,
छीलना/स्‍टीकर चिपकाना, अँगलि ु यों से वस्‍तुएँ चनु ना
●● जोड़-तोड़ वाली वस्तुओ ं का इस्तेमाल करते हुए जो
छाँटने, मिलान करने, कल्‍पना करने को प्रोत्साहन
देती हैं, के प्रत्यक्ष अनभु व करना

पाठ्यचर्या 33

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लक्ष्‍य 2— बच्‍चों का प्रभावशाली सप्ं रेषक बनना
मुख्‍य अवधारणाएँ/ कौशल शैक्षणिक प्रक्रियाएँ सीखने के आरंभिक
(शिक्षक क्‍या कर सकते हैं) प्रतिफल
बातचीत करना और सनु ना निम्‍नलिखि‍त अवसर और अनुभव प्रदान किए ●● दसू रों को थोड़े समय के लिए
●● ध्‍यान देने की अवधि और
जाएँ— सनु ते हैं और अपनी प्रतिक्रिया
सनु ना ●● मक्‍त
ु और निर्देशि‍त वार्तालाप तथा हाव-भाव और देते हैं, सामाजिक व्यवहार के
●● बातचीत के नियम/तौर-तरीके अन्य तरह की सांकेतिक अभि‍व्यक्‍ति‍यों को शामिल कुछ तौर-तरीके प्रदर्शि‍त करते
●● रचनात्‍मक आत्‍म-अभिव्‍यक्‍ति करते हुए विभि‍न्न प्रकार की संप्रेषण यकु ्‍ति‍यों का हैं, जैसे बात करना-सनु ते
और वार्तालाप इस्तेमाल करने में बच्चों की मदद करना समय आँखें मिलाना
●● भाषा और सृजनात्‍मक चित ं न ●● दसू रों को सनु ना और बारी आने पर बोलना ●● आवश्‍यकताओ ं और विचारों
●● शब्‍द भड ं ार/ शब्‍द सामर्थ्य ●● ऐसे शि‍शु गीत और गानों में अभि‍नय के साथ भाग को मौखि‍क और सांकेतिक
लेना जिनमें तक ु बंदियाँ हों और पनु रावृत्ति‍हो रूप से संप्रेषि‍त करते हैं
आरंभिक पठन ●● चित्र पठन एवं बातचीत ●● मौखि‍क रूप से बोले गए
●● मद्ु रित सामग्री की पहचान ●● शब्द भड ं ार का विकास करने वाले खेल सरल निर्देशों का अनसु रण
और अ‍र्थ समझना ●● बोलते-बात करते, कहानी सन ु ाते और चित्र वर्णन के करते हैं
●● दृश्‍य विभेदीकरण समय विवेचनात्मक प्रश्‍न पछू कर सोच को उत्‍प्रेरित ●● वार्तालाप में सक्रिय रूप से
●● पस्‍त
ु कों से लगाव करना भाग लेते हैं और व्यक्‍ति‍गत
●● दिशात्‍मकता/ दिशा बोध को ●● आस-पास के परिवेश में मद्ु रित/लिखि‍त सामग्री का अनभु व, पसंद/नापंसद साझा
समझ पाना अवलोकन और उन्हें खोजना (परिचित चिह्न, टॉफी/ करते हैं
●● पठन का अभिनय बिस्कि‍ट आदि के रै पर पर प्रतीक चिह्न (लोगो), ●● छोटी–छोटी कविताएँ,
●● ध्‍वनियों की पहचान नाम-ठप्पे आदि को पढ़ना) अभि‍नय गीत समझ के साथ
●● अक्षर अवबोधन/ पहचानना ●● कक्षा में मद्ु रित समृद्ध परिवेश का सृजन (वस्तुओ,ं गाते हैं और लयात्मक
शैल्फ़, पोस्टर आदि पर लेबल लगाना) गतिविधि‍यों में भाग लेते हैं
आरंभिक लेखन ●● मिलकर पढ़ना (सामहि ू क पठन) (स्तरवार पठन ●● गतिविधि‍यों और वार्तालाप
●● आँखों और हाथों का सामग्री हो ताकि बच्चे अक्षर/शब्द (प्रिंट) पर अँगल ु ी के दौरान प्रश्‍न पछू ते हैं और
समन्‍वयन रखें और उसकी ध्‍वनि से मिलाकर पढ़ सकें ) उचित उत्तर देते हैं
●● उचित उपकरणों का इस्‍तेमाल ●● कक्षा में बच्चों द्वारा सरलतापर्व ू क देखे जाने वाली ●● शब्द भंडार में और नये शब्द
●● चि� लगाना, आड़ी-तिरछी ऊँचार्इ पर प्रदर्शि‍त चिह्न, कविताओ ं और चित्रों को सीखने में रुचि प्रदर्शि‍त
रे खाएँ खींचना देखना करते हैं
●● आड़ी-तिरछी रे खाओ ं व ●● दिन-प्रतिदिन की गतिविधि‍यों से संबंधि‍त प्रदर्शित ●● परिवेश में दिखने वाले
चित्रकारी के द्वारा रचनात्‍मक चित्र व शब्दों को देखना और पढ़ना तथा उनके बारे परिचित संकेतों, प्रतीक चिह्न
अभिव्‍यक्‍ति में बात करना (प्रात:कालीन गति‍विधि‍के रूप में, (लोगो), लेबल आदि को
किसी बड़े की मदद से) पहचानते हैं

34 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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दूसरी भाषा से परिचय ●● शब्द-दीवार, श्‍वेतपट्ट, श्‍यामपट्ट पर लिखी हुर्इ सामग्री को ●● छोटी कहानी को क्रम में
देखना और मज़े-मज़े में अक्षरों/शब्दों की पहचान करना दोहराते हैं और कहानी की
●● वार्तालाप और सस्‍वर वाचन के दौरान शब्दों के खेल मख्ु ‍य घटनाओ ं का अभि‍नय
करना जैसे तक ु बंदी करते हैं
●● देखकर अतं र बता पाने वाले खेल (इनमें अलग क्या ●● अपने शब्दों में अपनी ही कोर्इ
है? क्‍या नहीं है?) खेलना कहानी सृजित करते हैं
●● कक्षा में ‘पठन क्षेत्र’ या ‘छोटा-सा पसु ्तकालय क्षेत्र’ ●● मद्ु रित सामग्री को पढ़ने से
बनाना और इसमें चित्रात्मक पसु ्तकें , सचू नात्मक संबंधि‍त व्यवहार प्रदर्शि‍त
पसु ्तकें , स्तरवार कहानी की पसु ्तकें रखना करते हैं। ऊपर से नीचे और
●● विभि‍न्न प्रकार की आय-ु उपयक्‍त ु कहानियाँ (10–15 बाएँ से दाएँ या दाएँ से बाएँ।
मिनट की अवधि‍वाली) जो मौखि‍क, सामग्री के साथ (लिपि के अनसु ार) इस बात
चित्रों व कठपतु ली आदि की सहायता से सनु ार्इ जा सकें की समझ को दर्शाते हैं कि
●● बच्चों को भाषा के लिखि‍त स्वरूप से परिचित मद्ु रित सामग्री में अर्थ निहित
करवाने के लिए कहानी की पसु ्तकों को ऊँची होता है
आवाज़ में पढ़कर सनु ाना (छोटी सरल व अर्थपरू ्ण ●● कहानी की किताबों के पृष्‍ठ
पठन सामग्री जिनसे बच्चे जडु ़ाव महससू कर सकें ) एक-एक करके पलटते हैं और
●● बच्चों को यह दर्शाना ि‍क किसी पृष्‍ठ को पढ़ते समय स्वयं पढ़ने का अभि‍नय
अँगल ु ी रखकर कै से पढ़ा जाता है और आँखों को करते हैं
अँगल ु ी के साथ कै से घमु ाया जाता है (कहानी सनु ाने ●● तक ु बंदी वाले शब्दों का
के समय/चार्ट पर लिखी कविता पढ़ते समय या आनंद उठाते हैं और उन्हें याद
‘साइट शब्द’ की ओर देखते हुए) रखते हैं
●● कक्षा में सृजित पठन क्षेत्र या छोटे से पसु ्तकालय क्षेत्र ●● सरल शब्दों की शरू ु की
में पसु ्तकों को उलट-पलट कर देखने के अवसर देना ध्‍वनि पहचानते हैं
(पृष्‍ठ पलटना, पसु ्तकों को देखना, पढ़ने का अभि‍नय ●● शब्दों में ध्‍वनियों को
करने के लिए प्रोत्साहित करना) पहचानकर उनके अनसु ार
●● ध्‍वनियों के उतार-चढ़ाव के प्रति जागरूकता संबंधी तालियाँ बजाते हैं
गतिविधि‍(ध्‍वन्यात्मक शब्द, तक ु बंदी वाले शब्द) ●● शब्दों में से कुछ अक्षरों और
उदाहरण के तौर पर, ध्‍वन्यात्‍मक खेल जिसमें शरू ु व उनकी ध्‍वनियों को पहचानते
अतं वाली ध्‍वनियों की पहचान पर ज़ोर हो, मिलती- हैं (सहायता करने पर)
जल ु ती ध्‍वनि वाले खेल खेलना) ●● अपना आरंभि‍क लेखन और
●● शि‍शगु ीत गाते समय या ज़ोर से पढ़कर सनु ाते समय चित्रकारी दसू रों के साथ साझा
तक ु बंदी (मिलती-जल ु ती ध्‍वनि वाले शब्द को छोड़ करने में आनंद का प्रदर्शन
देना और ध्‍यान आकर्षि‍त करने के लिए थोड़ा रुकना) करते हैं
फिर बच्चों से पछू ना कि अब आगे क्या आएगा ●● लेखन व रंग भरने से संबंधि‍त
उदाहरण के तौर पर शिक्षक कह सकते हैं– हाँ, यह उपकरणों में रुचि प्रदर्शि‍त
बिल्कु ल सही है, जैसे ‘छप्पर’, ‘टप्पर’ करते हैं

पाठ्यचर्या 35

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●● अक्षर खेल-चित्र/वस्तुओ ं के डोमिनो (मास्क) ●● अपने विचार दर्शाने के लिए
●● बड़े अक्षरों (के पिटल लेटर), छोटे अक्षरों (स्‍माल चित्रकारी करते हैं, कुछ
लेटर) से मिलान का खेल और गतिविधियाँ चिह्न बनाते हैं और उनका
●● अक्षरों की पहचान एवं अक्षर और उसकी ध्‍वनि में वर्णन भी करते हैं
तालमेल ●● प्राय: इस्तेमाल हो रहे अग्रेज़ी

●● बड़ों की मदद से स्वयं की चित्र/अक्षर/संख्‍या पसु ्तक के शब्दों का प्रयोग करते
बनाना हैं— अभि‍वादन में, विनम्र
●● मोटे क्रे योन और मार्क र का प्रयोग कर अक्षर बनाने अभि‍व्यक्‍ति‍में, जैसे थैंक य,ू
वाली ग‍तिविधियाँ प्लीज़/घर की भाषा या
●● मिट्टी, आटा आदि का प्रयोग कर अक्षर बनाना, रे त से अग्रें जी में अभिवादन का
भरी ट्रे और अखबार में छिपे हुए अक्षरों को ढूँढ़ना जवाब देते हैं
और पहचानना
●● आँखों-हाथों के समन्वयन को समन्न ु त करने के लिए
आसानी से पकड़ी जाने वाली सामग्री से काम करना,
जैसे मोती पिरोना
●● जब शिक्षक बच्चों के नाम लिखे, उनकी उपस्थि‍ति ले
या अभि‍भावक के लिए कोर्इ सचू ना लिखे तब बच्चों
को देखने के अवसर देना (मॉडल्‍ड राइटिंग)
●● विभि‍न्न प्रकार के कागजों पर आड़ी-तिरछी रे खाएँ बनाना
●● रंग भरना (मक्‍तु रूप से या शिक्षक द्वारा बनाकर दिए
गए चित्रों में)
●● ट्रेस करना, बिंदु मिलाना
●● तरह-तरह की आड़ी-तिरछी लकीरें खींचना/नमनू े
बनाना/अक्षर बनाना जो बाद में अक्षर पढ़ने-लिखने में
मदद करें गे
●● आॅडियो-वीडियो के माध्‍यम से अग्रें जी भाषा के
आसान शब्दों को सनु ना
●● बच्चे के फोटो और प्रतीक चिह्न (लोगो) के साथ
नाम का कार्ड बनाकर लगाना (हर बच्चे को एक चित्र
दिया जाए जो उस नाम से मिलता-जल ु ता हो)
●● छोटी-छोटी कविताओ ं को सनु ना, दोहराना और
स्‍वतंत्र रूप से गाना
●● सबु ह आने व जाने के समय अभि‍वादन करना और
दिन-प्रतिदिन की गतिविधि‍यों में विनम्रतासचू क शब्दों
का प्रयोग करना
●● अग्रें जी भाषा में छोटी-छोटी कहानियाँ सनु ना
●● ‘साइट वड्र्स’ और कहानी में प्राय: आने वाले शब्दों
का लिखकर प्रदर्शन

36 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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लक्ष्‍य 3— बच्‍चे द्वारा सीखने के प्रति उत्‍साह प्रदर्शित करना और अपने आस-पास के परिवेश से जुड़ना
मुख्‍य अवधारणाएँ/कौशल शैक्षणिक प्रक्रियाएँ सीखने के आरंभिक प्रतिफल
(शिक्षक क्‍या कर सकते हैं)
सवं ेदी विकास निम्‍नलिखि‍त अवसर और अनुभव प्रदान किए ●● परिवेश का अवलोकन और
●● देखना
जाएँ— खोजबीन करने के लिए पाँचों
●● सन ु ना ●● चखने, सँघ ू ने, देखने, सनु ने व छूने जैसे संवेदों के इन्द्रि‍यों का प्रयोग करते हैं
●● छूना विकास हेतु संवेदी विकास ग‍तिविधि‍याँ, जैसे बनावट ●● सामान्य वस्तुओ,ं ध्‍वनियों,
●● सँघ ू ना को छूने वाले खेल, आवाज़ निकालने वाली डिब्बियों लोगों, तस्वीरों, पशओ ु ,ं
●● चखना
के खेल चिड़ि‍यों, घटनाओ ं आदि का
●● उभार की हुई सामग्री से खेल खेलना जैसे पकड़ सकने वर्णन करते हैं
सज्ं ञानात्‍मक कौशल वाली पज़ल आदि ●● एक बार में देखी गर्इ वस्तुओ ं
●● अवलोकन ●● नज़दीक के पार्क /उपवन, चिड़ि‍याघर आदि का भ्रमण में से 3–4 वस्तुओ ं को याद
●● पहचान करना ●● प्रकृ ति भ्रमण के दौरान अपने आस-पास के परिवेश में रख पाते हैं
●● स्‍मृति/याद करना तरह-तरह की वस्तुएँ देखना ●● किसी परिचित वस्तु के चित्र
●● मिलान करना ●● संवेदों के विकास के लिए तैयार की गर्इ ट्रे से संबंधि‍त में 3–5 गायब हिस्सों की
●● वर्गीकरण करना गतिविधि‍याँ, जैसे चखना, सँघू ना, आदि पहचान करते हैं
●● नमन ू े बनाना ●● दृश्‍य-विभेदीकरण कार्ड, चित्र पठन के लिए पोस्टर, ●● वस्तुओ ं के समहू को दो
●● क्रम के अनस ु ार सोचना स्मृति कार्ड श्रेणि‍यों के आधार पर वर्गीकृ त
●● सृजनात्‍मक चित ं न ●● चित्र में गायब हुए हिस्से की पहचान करना करते हैं
●● समीक्षात्‍मक चित ं न ●● ‘क्या गायब है’, खेल खेलना ●● सरल नमनू े को दोहराते समय
●● समस्‍या समाधान ●● ठोस वस्तुओ ं का उपयोग करते हुए मिलान करना, नमनू े की इकाई को पहचान
चनु ना, वर्गीकरण आदि कर आगे बढ़ाते हैं
●● तर्क प्रस्‍तुत करना
●● दो श्रेणि‍यों के आधार पर चन ु ना, जैसे आकृ ति और रंग ●● 3–4 चित्र कार्ड/वस्तुओ ं को
●● जिज्ञासा
(नीले चौकोर, पीले तिकोने आदि) क्रम से लगाते हैं
●● प्रयोग करना
●● परिवेश में उपलब्ध विभि‍न्न सामग्री का उपयोग करते ●● विभिन्‍न घटनाओ ं या
●● खोजबीन करना
हुए सरल नमनू ों की नकल करना, जैसे आकार, रंग कहानियों को क्रम से बताते हैं
अवधारणाओ ं का निर्माण ●● उपयक्‍तु शब्दों का प्रयोग करते हुए उनमें कहानी के ●● सरल समस्यात्मक स्थि‍तियों
●● रंग, आकृ ति, दरू ी, नाप कार्डों को क्रम में लगाना के समाधान बताते हैं
आकार, लंबाई, भार, ऊँचाई, ●● चित्र पठन ●● संबंधों के प्रति कौशल को
समय ●● दृश्‍य अवबोधन गतिविधि‍याँ दर्शाते हैं, जैसे एक हिस्सा या
●● स्‍थान-बोध ●● 4–5 टुकड़ों वाले पज़ल को परू ा करना
समचू ी वस्तु, भि‍न्न वस्तुओ ं
●● एक-से-एक की सग ●● आसान समस्या समाधान के लिए प्रश्‍नों के उत्तर
की पहचान, संबंध जोड़ना
ं तता
खोजना, जैसे अगर बारिश हो रही हो तो तमु स्कू ल आदि
सख्‍या
ं बोध कै से जाओगे?
●● गिनना और बताना कि ●● िववेचनात्मक सवालों के उत्तर देना, जैसे क्‍या हमें फूल
कितने हैं तोड़ने चाहिए?
●● संख्‍याओ ं की पहचान

पाठ्यचर्या 37

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●● क्रम का बोध (10 तक किसी ●● सृजनात्मक चितं न और आसान-सी समस्याओ ं के ●● स्थि‍तियों का विश्‍लेषण करते
भी दी गई संख्‍या से आगे समाधान ढूँढ़ना, जैसे कोर्इ ऐसा खि‍लौना जो अलमारी हैं, तदनसु ार सोचते हैं और
गिनती कर पाना) के ऊपर रखा है, अगर आपको चाहिए तो आप क्या कार्य करते हैं
करें गे? ●● प्रयोग करने में आनंद लेते हैं,
परिवेश से सबं ंधित ●● ऐसे िववेचनात्मक सवाल पछ ू ना जो उनकी खोजी अपने आस-पास के भौतिक
अवधारणाएँ प्रवृत्त‍ि को विकसित करें और उनके चितं न को विस्तार सामाजिक और जैवकीय
●● प्राकृ तिक— पश,ु फल, दें और सचू नाओ ं को हासिल करने की क्षमता का परिवेश के बारे में जिज्ञासा
सब्जियाँ, खाद्यपदार्थ, विकास करें प्रकट करते हैं।
जीव-जतं ु ●● सरल से मापक उपकरणों, जैसे कप, गिलास, जार और ●● किसी वस्तु को उसके दो से
●● भौतिक— जल, वाय,ु मौसम, अमानक वस्तुओ ं (जैसे मट्ु ठीभर बीज/टॉफी, एक कप अधि‍क घटकों के आधार पर
सर्यू , चद्रं मा, दिन और रात पानी/दधू , चटु कीभर नमक आदि) का उपयोग करते हुए तल ु ना एवं वर्गीकृ त करते हैं,
●● सामाजिक— मैं, परिवार, वस्तुओ ं का मापन करना जैसे आकृ ति और रंग, आकार
यातायात, त्‍योहार, हमारे ●● गणि‍त से सबं ंधि‍त शब्दावली का प्रयोग करना, जैसे एवं आकृ ति
सहयोगी, समदु ाय अदं र-बाहर, ऊपर-नीचे आदि ●● दशा/स्थि‍ति को दर्शाने वाले
●● आस-पास के परिवेश में संख्‍याओ ं और चिह्नों की शब्दों का सही प्रयोग करते हैं
तकनीक का प्रयोग पहचान करना ●● किसी वस्तु के विशेष गणु ों के
●● संख्‍या बोध वाले गीत गाना और खेल खेलना, स्वयं से आधार पर 5 वस्तुओ ं को क्रम
सही जड़ु ने वाली पहेलियों को हल करना देते हैं
●● आस-पास के परिवेश के वास्तविक संदर्भों में सीखना, ●● 4–5 वस्तुओ ं को एक-से-एक
खोजबीन और अन्‍वेषण से संबंधि‍त परियोजनाओ ं का की संगतता में रखते हैं
क्रियान्वयन, बातचीत, समस्या समाधान, प्रश्‍न पछ ू ना, ●● कहने पर 5 वस्तुएँ तक गिन
सचू नाओ ं का आदान-प्रदान, विचार-विनिमय, मौजदू ा कर लेते और देते हैं
ज्ञान और कौशलों पर विमर्श एवं सचू नाओ ं का ●● पाँच तक के अक ं ों को
समावेशन पहचान लेते हैं और तदनरू ु प
●● जागरूकता विकसित करने वाली गति‍विधियाँ, जैसे सख्‍या
ं का बोध कर लेते हैं
पानी बेकार न करना, पौधों को पानी देना, बत्ति‍याँ ●● अपने आस-पास के परिवेश
प्रयोग के बाद बंद कर देना आदि के प्रति जिज्ञासा अभि‍व्यक्‍त
●● शिक्षक की निगरानी में तकनीकी दनि ु या से पहचान- करते हैं, और प्रश्‍न पछू ते हैं
ड्रैग एडं ड्रॉप, डिजिटल ड्राइगं /चित्रकारी, वेबसाइट का और संबंधि‍त अवधारणाओ ं
उपयोग/शैक्षि‍क वीडियो/ डिजिटल कथा/ई– पसु ्तकें का विकास करते हैं
आदि ●● परिवेशीय मद्ु दों के प्रति
●● आय-ु उपयक्‍त ु उपकरणों का उपयोग ड्रैग एडं ड्रॉप जागरूकता और
गतिविधि, डिि‍जटल पेंट और ब्श रु का प्रयोग संवेदनशीलता प्रदर्शि‍त करते हैं
●● तकनीकी के प्रति जागरूकता
प्रदर्शि‍त करते हैं

38 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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पूर्व-प्राथमिक िवद्यालय III
(आयु 5–6 वर्ष)
टिप्पणी
1. मखु ्य अवधारणाओ,ं प्रस्तावित शिक्षण प्रणाली की प्रक्रियाओ ं और सीखने के आरंभिक प्रतिफलों को एक-से-एक मिलाना अपेक्षि‍त नहीं
है। इन्‍हें समग्र रूप में देखा जाना चाहिए।
2. इन सीखने के प्रतिफलों का विकास इस मान्यता के साथ किया गया है कि परू ्व-प्राथमिक िवद्यालय में प्रथम भाषा/ निर्देश की भाषा घर में
बोली जाने वाली भाषा या क्षेत्रीय भाषा ही होगी। अग्रें ज़ी भाषा का उपयोग द्वितीय भाषा के रूप में किया जाना चाहिए।
लक्ष्‍य 1— बच्‍चों का अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य और खुशहाली बनाए रखना
मुख्‍य अवधारणाएँ/ कौशल शैक्षणिक प्रक्रियाएँ सीखने के आरंभिक प्रतिफल
(शिक्षक क्‍या कर सकते हैं)
●● स्‍वयं और दसू रों के प्रति निम्‍नलिखि‍त अवसर और अनुभव प्रदान किए ●● स्‍वयं और अन्‍य लोगों का
जागरूकता जाएँ— शारीरिक विशेषताओ,ं जेंडर,
●● स्‍वयं के प्रति सकारात्‍मक ●● बच्चें का अपने, अपने शरीर के अग ं ों, अपने परिवार रुचि, पंसद/ नापसंद के
अवधारणा का विकास के सदस्यों, पड़ोसियों और पर्वू -प्राथमिक विद्यालय के आधार पर वर्णन करते हैं
●● आत्‍म नियमन कर्मचारियों, गणमान्य व्यक्‍ति‍यों तथा संबंधों के बारे ●● परिवार के अन्‍य सदस्‍यों, जैसे
●● निर्णय लेना और समस्‍या में जानना। (दिन-प्रतिदिन की गति‍विधियों, जैसे चाचा, मामा, मौसी आदि से
समाधान सर्क ल समय बच्‍चों को लेते-छोड़ते समय) अपने सबं ंधों को समझने
●● सामाजिक रूप से वाँछनीय ●● बच्‍चों का स्वयं के मलू ्य और अपनी उपलब्धि‍यों पर लगते हैं
व्‍यवहार (प्रो-सोशल), जैसे गर्व की अनभु तिू करने के लिए सहयोग प्रदान करना ●● गति‍विधियों में स्‍वतंत्र रूप से
एक-दसू रे का खयाल रखना, ●● बच्चों के जन्मदिवस, त्योहारों का आयोजन करना, भाग लेने लगते हैं
साझेदारी, सहयोग, दया और जैसे उनके कार्यों का प्रदर्शन और सराहना ●● खेल में नियमों का पालन
दसू रों की भावनाओ ं व ●● एक-दस ू रे के साथ मिलजल ु कर रहने के नियमों की करते हैं
अधिकारों का सम्‍मान करना समझ विकसित करना, जैसे समहू में की जाने वाली ●● दिनचर्या में बदलाव को
●● अच्‍छी आदतों का विकास, गतिविधि‍याँ, भि‍न्न-भि‍न्न गतिविधि‍क्षेत्रों में खेलना स्‍वीकार कर अनक ु ू लता
साफ़-सफ़ाई एवं स्‍वयं की और कहानी सनु ाना आदि। बाहरी खेल खेलना और दर्शाते हैं
सरु क्षा के प्रति जागरूकता खेल के नियमों का पालन ●● दैनिक गतिविधियों में निरंतर
●● स्‍थूल गत्‍यात्‍मक कौशलों का ●● बच्‍चों में भावनाओ ं को नियंत्रित करने, सरु क्षित रहने, और लंबी अवधि तक ध्‍यान
विकास (चलना, दौड़ना, आत्‍मविश्‍वास जागृत करने, जिज्ञासु एवं संप्रेषक दे पाते हैं
कूदना, उछलना, घटु नों के बनाने से संबंधित अनभु व देना ●● चनु ौतीपरू ्ण परिस्थितियों में
बल चलना, चढ़ना, ●● बच्‍चों के मनपस ं द खेल, सामग्री और खेल क्षेत्र का भावनाओ ं पर नियंत्रण रखते हैं
कदमताल, फें कना, लपकना, चनु ाव करना ●● ज़ि‍म्‍मेदारियाँ लेते हैं और
किक मारना) ●● बच्‍चों में आपसी मन-मट ु ाव के समय दोनों पक्षों के अपनी प्राथमिकताओ ं एवं
लिए तदानभु ति ू एवं समझ दर्शाना, जैसे खेल सामग्री रुचियों के आधार पर चनु ाव
साझा करना करते हैं

पाठ्यचर्या 39

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●● सक्ष्‍म
ू गत्‍यात्‍मक कौशलों का ●● दसू रे बच्‍चों के साथ ताल-मेल, अतं :क्रिया के ●● समहू में कार्य करते या खेलते
विकास और आँखों-हाथों का अवसर, जैसे नाटकीय खेल, कठपतु ली के खेल, समय मतभेदों के समाधान
समन्‍वयन (धागा पिरोना, नियम-आधारित खेल आदि सझु ाते हैं और परस्‍पर
कागज़ के छोटे-छोटे टुकड़े ●● सरल हाव-भाव एवं चिह्नों की पहचान कराना सामजं स्‍य बिठाते हैं
फाड़ना, चिपकाना, आड़ी- ●● विशेष आवश्‍यकता वाले बच्‍चों की प्रतिभागिता ●● खेल और बातचीत के दौरान
तिरछी रे खाएँ खींचना, सनिशु ्‍चित करने हेतु गतिविधियों का अनक ु ू लन करना दसू रों के विचारों को सनु ते
चित्रकारी, रंग भरना, छपाई ●● अभिभावकों एवं समदु ाय को शामिल करना और समझते हैं
करना (ठप्‍पे लगाना), कागज़ ●● स्वयं शौचालय का प्रयोग करना एवं हाथ धोना ●● बड़े और छोटे समहू की
मोड़कर वस्‍तुएँ बनाना (पेपर (बिना बड़ों की सहायता के ) गति‍विधियों के दौरान
फोल्डिंग) ●● नियमित स्‍वास्‍थ्य जाँच (कद, वजन और सामान्‍य ज़रूरतमदं साथियों की मदद
स्‍वास्‍थ्‍य), टीकाकरण एवं बच्‍चों की सरु क्षा सनिश
ु ्‍चित करते हैं
करना ●● विविध पृष्‍ठभमि ू से आए
●● बातचीत, रोल-प्‍ले और कहानियों के माध्‍यम से बच्‍चों एवं विशेष
खाने की स्वस्थ आदतों को विकसित करना आवश्‍यकता वाले बच्‍चों के
●● सरु क्षा नियमों जिनका पालन बच्चे कर सकें उन पर प्रति स्‍वीकार्यता एवं
चर्चा और प्रदर्शन करना सवं ेदनशीलता प्रदर्शित
●● अच्‍छे स्‍पर्श और बरु े स्‍पर्श के अतं र की समझ करते हैं
विकसित करना ●● स्‍वतंत्र रूप से बनि
ु यादी
●● नकल करने वाले खेल, जैसे नेता की नकल करना, स्‍वास्‍थ्‍य और स्‍वच्‍छता को
जानवरों की नकल करना आदि कायम रखते हैं
●● बच्‍चों को नाच, एक्‍शन गीत जिसमें सरल शारीरिक ●● घर, पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय
गतिविधियाँ शामिल हों, जैसे घमू ना, शरीर को लय और खेल के मैदान में सरु क्षा
ताल के अनसु ार हिलाना-डुलाना, घमु ाना आदि में संबंधित बनि ु यादी नियमों का
संलग्न करना पालन करते हैं
●● खेल जहाँ बच्‍चे स्‍वतंत्र रूप से कोई भी आकार बनाते ●● अच्‍छे स्‍पर्श और बरु े स्‍पर्श के
हैं, जैसे सगं ीतमय खेल, गिनती के खेल, जैसे पहाड़ में अतं र की समझ को दर्शाते हैं
आग लगी..... भागो-भागो-भागो। जिसमें बच्‍चों को और अपरिचित व्‍यक्‍तियों से
स्‍थान, बोध, दरू ी एवं दिशा का ज्ञान हो दरू ी बनाए रखते हैं
●● एकल, जोड़े में, छोटे समहू एवं बड़े समहू की ●● स्‍थूल माँसपेशी कौशलों में
गतिविधियाँ जिनमें विभिन्‍न सतहों में स्‍थूल अधिक समन्‍वयन, नियंत्रण
माँसपेशियाँ विकसित करने के कौशल शामिल हों एवं ताकत प्र‍दर्शित करते हैं,
●● अँगठू े एवं अँगलि ु यों से पेंसिल पकड़ने (पिं‍सर ग्रास्प) जैसे दौड़ने, कूदने, किक
के कौशल का अभ्‍यास, जैसे फाड़ना, काटना और मारने, फें कने और पकड़ने के
चिपकाना, छीलना/स्‍टीकर चिपकाना, अँगलि ु यों से कौशल
वस्‍तुएँ चनु ना

40 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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●● जोड़-तोड़ वाली वस्‍तुएँ जो छाँटने, मिलान करने, ●● स्‍थान बोध की समझ प्रदर्शित
कल्‍पना करने का अनभु व प्रदान करती हों उनके करते हैं तथा संगीत एवं
प्रयोग से प्रत्यक्ष अनभु व प्रदान करना गत्‍यात्‍मक गतिविधियों में
सक्रिय एवं रचनात्‍मक रूप से
भाग लेते हैं।
●● सक्ष्‍म
ू , माँसपेशीय कौशलों का
प्रर्दशन एवं उनका नियंत्रण
सटीक रूप से करते हैं
●● जटिल कार्यों को परू ा करने के
लिए समन्वित गतिविधियों
का प्रदर्शन करते हैं, जैसे
कागज़ को सीधी लाइन पर
काटना, उड़ेलना, बटन बंद
करना आदि
●● चित्रकारी, रंगना और लिखते
समय उपकरणों को पकड़ने
और इस्‍तेमाल करने के लिए
पिसं र ग्रास्‍प का प्रयोग करते हैं
(हाथ के अँगठू े और अँगली
के बीच वस्‍तुओ ं को पकड़ने
के लिए समन्‍वय बनाते हैं)

लक्ष्‍य 2— बच्‍चों का प्रभावशाली सप्ं रेषक बनना


मुख्‍य अवधारणाएँ/ कौशल शैक्षणिक प्रक्रियाएँ सीखने के आरंभिक
(शिक्षक क्‍या कर सकते हैं) प्रतिफल
बातचीत करना और सनु ना निम्‍नलिखि‍त अवसर और अनुभव प्रदान किए ●● दसू रे व्‍यक्‍तियों को ध्‍यान से
●● ध्‍यान देने की अवधि और
जाएँ— सनु ते हैं और बातचीत के
सनु ना ●● मक्‍त
ु एवं निर्देशि‍त वार्तालाप और बच्‍चों को विभिन्‍न सामाजिक तरीकों को दर्शाते
●● बातचीत के नियम/तौर-तरीके संप्रेषण यकु ्‍तियों के प्रयोग के लिए मदद करना, जैसे हैं, जैसे दसू रों से नज़रे मिलाकर
●● रचनात्‍मक आत्‍म-अभिव्‍यक्‍ति इशारे , हाव-भाव, अशाि‍ब्‍दक अभिव्‍यक्‍ति, अपनी बात करना और बोलने के लिए
और वार्तालाप बारी आने पर बोलना और दसू रों को सनु ना अपनी बारी का इतं जार करते हैं
●● भाषा और सृजनात्‍मक चित ं न ●● इस प्रकार के खेल खेलना जिनमें सरल प्रश्‍नों द्वारा ●● परू े वाक्‍यों का इस्‍तेमाल कर
●● शब्‍द भडं ार/शब्‍द सामथ्‍यर् हाल ही में घटित घटनाओ ं के बारे में बातचीत अपनी ज़रूरतों और विचारों
की जा सके को अभिव्‍यक्‍त करते हैं

पाठ्यचर्या 41

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आरंभिक पठन ●● रचनात्‍मक सोच के साथ चित्र-पठन (समस्‍या- ●● जटिल निर्देशों का पालन
●● मद्ु रित सामग्री की पहचान समाधान और पर्वा ू नमु ानित प्रश्‍न सल
ु झाना, जैसे तम्‍ह
ु ें करते हैं
और अ‍र्थ समझना क्‍या लगता है, चित्र में बच्‍चा आकाश की तरफ क्‍यों ●● बातचीत में हिस्‍सा लेते हैं
●● दृश्‍य विभेदीकरण देख रहा है? छोटी लड़की गब्‍बा ु रे वाले से क्‍या कह और अपनी बारी का इतं जार
●● पस्‍त
ु कों से लगाव रही है) करते हैं। अपनी पसंद-नापसंद,
●● निर्देशों को समझ पाना ●● लयबद्ध गाने गाना और शारीरिक समन्‍वयन बनाते हुए व्‍यक्‍तिगत अनभु वों को क्रम
●● पठन का अभिनय गतिविधि करना (जैसे नाचना, कूदना आदि) से, उचित कारणों की
●● ध्‍वनियों की पहचान ●● बच्‍चों द्वारा कहानियों को अपने शब्‍दों में दोहराना, सहायता से, विस्‍तार से साझा
●● श्रवण और लिखित सामग्री
जैसे घटनाओ,ं पात्रों के बारे में बातचीत करते हैं
का ध्‍वनि के आधार पर सबं ंध ●● नये शब्‍द एवं शब्‍दावाली सीखना, जैसे ‘शब्‍द दीवार’ ●● लंबी और ज्‍यादा संख्‍या में
●● अक्षर बोध
‘मेरी पहली पस्‍त ु क’ बनाकर कविता, गीतों, कहानियों को
●● प्रतिदिन की गति‍विधियों का फायदा उठाते हुए शब्‍द समझने लगते हैं और सनु ा
आरंभिक लेखन और ध्‍वनियों पर बात करना पाते हैं और लयबद्ध
●● विचारों और चित्रकला में ●● चितं न एवं वाचन कौशल को उत्‍प्रेरित करने के लिए गतिविधियों में भाग लेते हैं
संबंध िववेचनात्मक प्रश्‍न पछू ना, जैसे यदि आपके पंसदीदा ●● जानकारी प्राप्‍त करने के लिए
●● चित्रकला के द्वारा आत्‍म- खिलौने को अलमारी के सबसे ऊपर रखा गया हो प्रश्‍न पछू ते हैं और जानकारी
अभिव्‍यक्‍ति‍ और आप उससे खेलना चा‍हते हैं तो आप क्‍या करें गे? देने के लिए प्रश्‍नों के उत्तर
●● उचित उपकरणों का प्रयोग यदि आपके पंख होते और आप उड़ पाते तो आप देते हैं
●● चिह्न लगाना कहाँ जाते? आपको क्‍या लगता है यह पस्‍त ु क किस ●● शब्‍दावली में बढ़ोत्तरी और
●● चित्रकला और लिखित
विषय पर होगी आदि नये शब्‍द सीखने में रुचि
सामग्री में विभेदीकरण ●● छोटे समहू ों में कहानी, कविता, पहेली गीतों को दर्शाते हैं
●● सोचने और बोलने का
सनु ना और स्‍वयं बनाना ●● पढ़ी जा रही कहानी में
लिखित भाषा से सबं ंध ●● कक्षा में प्रिंट समृद्ध वातावरण में परस्‍पर बातचीत बार-बार आने वाले शब्‍दों/
करना (वस्‍तुओ,ं शब्‍द–दीवार पोस्‍टरों को लेबल चित्रों को पहचानकर उन्‍हें
द्वितीय भाषा से परिचय करके ) इगिं त करने लगते हैं
●● आस-पास के वातावरण में उपलब्‍ध मद्ु रित/लिखित ●● इस बात की समझ को दर्शाते
सामग्री का अवलोकन करना जो बच्‍चों को पढ़ने हैं कि मद्ु रित सामग्री में अर्थ
और दसू रों को पढ़कर सनु ाने के लिए उत्‍प्ररित करे निहित होता है
(पर्यावरण में संकेत, साइन बोर्ड, खाद्य वस्‍तुओ ं के ●● कहानी को सही क्रम में दबु ारा
लेबल, बसों में पोस्‍टर, होर्डिंग्‍स आदि) सनु ाते हैं और जटिल सवालों
●● बच्‍चों के साथ दैनिक घटनाओ ं का वर्णन करना और के जवाब देते हैं
मद्ु रित समृद्ध कक्षा उपलब्‍ध करवाना
●● पृष्‍ठों में शब्‍द पढ़ते समय शिक्षक शब्‍दों के नीचे परू े
पृष्‍ठ पर अँगल ु ी बाएँ से दाएँ और ऊपर से नीचे कै से
घमु ा रहे हैं, इसका अवलोकन करना

42 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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●● बच्‍चों का पस्‍त ु कों के विभिन्‍न प्रकार और स्‍वरूपों से ●● चित्रों और शब्‍दों को देखकर
परिचय कराना किसी कहानी या जानकारी
●● बच्‍चों का घर या अन्‍य स्‍थानों, जैसे बाज़ार, की पस्‍तु कों के विषय में
अस्‍पताल, पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय, कार्यस्‍थल पर पर्वा
ू नमु ान लगाते हैं
उपलब्‍ध मद्ु रित/लिखित सामग्री को पढ़ना और इगि ं त ●● शब्‍दों के साथ खेलते हैं और
करना तक ु बंदी करते हैं, जैसे
●● पस्‍त
ु कों को इस्‍तेमाल करते हुए उसके भाग दिखाना, हैट-फै ट-बैट या दिल्‍ली,
जैसे मख्ु ‍य पृष्‍ठ, पीछे का कवर और बच्‍चों को चित्रों बिल्‍ली, तिल्‍ली
और प्रिंट को पहचानने में मदद करना ●● शब्‍दों की शरुु आती एवं
●● दैनिक दिनचर्या का चित्रों, मद्ु रित शब्‍दों द्वारा प्रदर्शन अति ं म ध्‍वनि की पहचान
और उसके बारे में बातचीत करते हैं
●● कक्षा में मद्ु रित/लिखित शब्‍दों को देखना एवं पढ़ना ●● शब्‍दों में ध्‍वनियों की पहचान
●● बच्‍चों को अवधारणाओ ं और शब्‍दों के बीच संबंध के आधार पर तालियाँ बजाते
बनाने में मदद करना, जैसे शब्‍दों से चित्रों को जोड़ना हैं
●● दृश्‍यात्‍मक विभेदीकरण वाली गतिविधियाँ, जैसे ●● कई अक्षरों और उनकी
अक्षर/चित्र/आकार/शब्‍द में अतं र पता करना ध्‍वनियों को पहचानते हैं और
●● दृष्‍टि बोधात्‍मक गतिविधियाँ, जैसे अतं र पता करने शब्‍दों को डीकोड करने की
वाली गतिविधियाँ, मेज़ (भल ू भल ु ैया) छुपे शब्‍द, कोशिश करते हैं
अक्षर, चित्र में परिचित शब्‍दों की खोज करना ●● स्‍वर एवं व्‍यंजन को मिलाकर
●● कक्षा में पढ़ने का क्षेत्र या छोटा-पस्‍त ु कालय क्षेत्र अपने शब्‍द बनाते हैं
बनाना जिसमें ज्ञानवर्धक पस्‍त ु कें , वर्गीकृ त कहानियाँ ●● स्‍वतंत्र रूप से ध्‍वनि-अक्षरों
उपलब्‍ध हों। बच्‍चों को छोटे समहू में स्‍वयं पस्‍त ु कें को जोड़कर कई नये शब्‍द
बनाने के लिए प्रोत्‍साहित करना। ये कहानी या और स्‍वयं स्‍पेलिंग (इवं ेंटेड
ज्ञानवर्धक पस्‍त ु कें हो सकती है। स्‍पेलिंग) बनाते हैं
●● सस्‍वर पठन करना और आयु के स्‍तर अनसु ार पस्‍त ु कें ●● लिखने और चित्रकला के
उपलब्‍ध कराना जिनसे बच्‍चे लिखित सामग्री से उपकरणों, जैसे पेंसिल,
परिचित हों, जैसे पशओ ु ,ं वाहनों और पौधों आदि क्रे यान, ब्शरु आदि को बेहतर
विषयों पर बातचीत करना ढंग से पकड़ते एवं इस्‍तेमाल
●● विभिन्‍न प्रकार की आय-ु उपयक्‍त ु कहानियाँ, जैसे करते हैं
मौखिक, रंगमचं की सामग्री, चित्रों, नाटक, ●● अपना नाम सही ढंग से
कठपतु लियों द्वारा लिखते हैं
●● पसु ्तकों में शब्द िचत्रों का उपयोग (लिखित शब्‍दों के
स्‍थान पर चित्रों का उपयोग) जहाँ एक परिचित सज्ं ञा
की जगह उसका चित्र बनाया गया हो, जैसे ‘‘बस’’
शब्‍द की जगह ‘बस’ का चित्र बनाया गया हो।

पाठ्यचर्या 43

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●● बच्‍चों के लिखने, पढ़ने और चित्रकारी करने के लिए ●● प्राय: इस्तेमाल हो रहे अग्रें जी
एक विशेष स्‍थान बनाना, जैसे ‘साक्षरता क्षेत्र’ (किताबों के शब्दों का प्रयोग करते
एवं अन्‍य पठन सामग्री को आसानी से उपलब्‍ध कराना) हैं– अभि‍वादन में, विनम्र
●● प्रसंग के अनसु ार सरल पहेलियाँ बनाना और उन्‍हें हल अभि‍व्यक्‍ति‍में, जैसे थैंक य,ू
करना (4–5 लाइनें) प्लीज़ और घर की भाषा या
●● ध्‍वनि खडं ों के प्रति जागरूक होना (शब्‍द, शब्‍दांश, अग्रें जी में जवाब देते हैं
तक ु ात्‍मक शब्‍द), जैसे शरुु आती एवं अतं ध्‍वनियाें के ●● दसू री भाषा में कहे गए सरल
साथ ध्‍वन्‍यात्‍मक खेल वाक्‍य या छोटी कहानी की
●● बच्‍चों से किताबों में तक ु ात्‍मक शब्‍दों को स्‍वत: इगिं त समझ दर्शाते हैं
करवाना।
●● धनु का पालन करना, बच्‍चों को शब्‍दांशों को सनु कर
उसके अनसु ार ताली बजाने में सहायता करना, जैसे
यदि शिक्षक ने ‘हाथी’ शब्‍द का चयन किया तो दो बार
ताली बजेगी ‘हा’ और ‘थी’
●● तक ु ात्‍मक शब्‍दों की लड़ी बनाना, जैसे रे न, चेन, ड्रेन,
ट्रेन, ग्रेन, पेन आदि
●● अक्षरों की पहचान और उनके साथ उनकी ध्‍वनियों का
मिलान
●● बच्‍चों को वर्गीकृ त कहानी की पस्‍त ु कें उपलब्‍ध
कराकर, ‘रीिडंग अलाउड’ द्वारा लिखित भाषा, विभिन्‍न
विषय वस्‍तुओ ं पर वार्तालाप, जिनमें बातचीत के कई
बिंदु हों, जैसे— जानवर, यातायात, पेड़-पौधे आदि
●● स्‍वयं के मनपंसद अक्षरों/शब्‍दों की किताब बनाना
●● अक्षर-चित्र/वस्‍तु डोमिनो के साथ खेल
●● अग्रें जी के “अपर के स” और “लोअर के स” की पहचान
और मिलान (कट आउट्स के द्वारा, चबंु कीय अक्षर,
विभिन्‍न सतहों वाले अक्षर, जैसे मल ु ायम, खरु दरु े )
●● लेखन एवं चित्रकला के शरुु आती प्रयासों द्वारा अपनी
भावनाएँ, अनभु वों और विचारों को व्‍यक्‍त करना
●● जिन बच्‍चों में गत्‍यात्‍मक चनु ौतियाँ हों, उन बच्‍चों को
पकड़ी जा सकने वाली पजल्‍स देना (जिसमें वे अक्षरों
को कट-आऊट हैंडल की सहायता से लगा सकें )

44 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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●● बच्चों को यह दर्शाना ि‍क किसी पृष्‍ठ को पढ़ते समय
अँगल ु ी रखकर कै से पढ़ा जाता है और आँखों को
अँगल ु ी के साथ कै से घमु ाया जाता है (कहानी सनु ाने
के समय/चार्ट पर लिखी कविता पढ़ते समय या
‘साइट शब्द’ की ओर देखते हुए)
●● वातावरण में उपलब्‍ध लेखन/प्रिंट (कक्षा, घर या रोड)
का अवलोकन और नकल करना
●● बहुत-सी मद्ु रित सामग्री के साथ अतं :क्रिया करना जो
यदि बच्‍चे चाहे तो नकल करें
●● विभिन्‍न प्रकार के कागज़ों में लाइनों, चित्रकारी द्वारा
लेखन के शरुु आती प्रयास
●● मोटी पेंसिल, मिट्टी, आटे, प्‍लासटीसीन द्वारा अक्षरों
को लिखना
●● कक्षा में उपलब्‍ध चार्ट में रोज़ अपनी उपस्थिति दर्ज
करना।
●● विशेष आवश्‍यकता वाले बच्‍चों के समावेश के लिए
अनक ु ू लन
●● बोलचाल में प्रयक्‍त ु हो रहे सरल अग्रें जी शब्‍दों का
प्रयोग (सर्क ल टाइम, छोटे समहू की गतिविधियाँ),
बड़ों से बातचीत करते समय
●● नाम कार्ड का इस्‍तेमाल
●● अग्रें जी की कविताएँ, गाने सनु ना
●● ऑडियो-वीडियो के माध्‍यम से आय-ु उपयक्‍त ु
कहानियाँ

पाठ्यचर्या 45

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लक्ष्‍य 3— बच्‍चे द्वारा सीखने के प्रति उत्‍साह प्रदर्शित करना और अपने आस-पास के परिवेश से जुड़ना
मुख्‍य अवधारणाएँ/ शैक्षणिक प्रक्रियाएँ सीखने के आरंभिक प्रतिफल
कौशल (शिक्षक क्‍या कर सकते हैं)
सवं ेदी विकास निम्‍नलिखि‍त अवसर और अनुभव प्रदान किए ●● परिवेश का अवलोकन और
●● देखना
जाएँ— खोजबीन करने के लिए पाँचों
●● सन ु ना ●● चखने, सँघ ू ने, देखने, सनु ने व छूने जैसी संवेदनाओ ं के इन्द्रियों का प्रयोग करते हैं
●● छूना विकास हेतु गतिविधियाँ, उदाहरण के लिए चखकर, ●● अपने परिवेश में मौज़ूद
●● सँघ ू ना अनमु ान लगाना कि क्‍या खाया, फल/सब्जियों का वस्‍तुओ ं (ध्‍वनियों, लोगों,
●● चखना
स्‍वाद पहचानना और उनके नाम बताना, बोतलें सँघू ना, चित्रों, जानवरों, पक्षियों
खश ु बदु ार आटे से सृजन करना, उन वस्‍तुओ ं के साथ आदि) पर ध्‍यान देते हैं और
सज्ं ञानात्‍मक कौशल प्रयोग करना जिसमें खश ु बू आती हो, नाम/अक्षर उनका वर्णन करते हैं
●● अवलोकन ढूँढ़ना, खोज करने वाले खेल, आँख पर पट्टी बाँधकर ●● एक साथ देखी गई 4–5
●● पहचान करना खेलना, आवाज़ करने वाले ध्‍वनि डिब्‍बों को ज़ोर से वस्‍तुओ ं को ‍याद रखते हैं
●● स्‍मृति/याद करना
धीरे के क्रम में लगाना, बाहर की आवाज़ें ढूँढ़ना, और पनु : बताते हैं
●● मिलान करना
विभिन्‍न सतहों वाले अक्षर ढूँढ़ना आदि ●● किसी भी परिचित वस्‍तु के
●● संवेदनाओ ं का प्रयोग करके देखना उदाहरण के लिए चित्र को देखकर 3–5 गायब
●● वर्गीकरण करना

●● नमन
बच्‍चों को पर्यावरण में उपलब्‍ध ध्‍वनियाँ सनु ने के लिए भागों को पहचान/बता पाते हैं
ू े बनाना
प्रोत्‍साहित करना, जैसे सख ू े प�ाों पर चलते समय, हवा ●● वस्‍तुओ ं के समहू को दो या दो
●● क्रम के अनस ु ार सोचना
चलने पर आदि खाना बनाते समय खश ु बू सँघू ना, से अधिक श्रेणियों के आधार
●● सृजनात्‍मक चित ं न कड़वे और मीठे का स्‍वाद, सनु ना और वाद्य यंत्रों को पर वर्गीकृ त करते हैं
●● समीक्षात्‍मक चित ं न बजाना, संवेदनाओ ं के साथ प्रयोग, भ्रमण करना और ●● नये आकार (पैटर्न) बनाते हैं
●● समस्‍या समाधान
संवेदनाओ ं पर आधारित कहानियाँ सनु ना, विभिन्‍न रंगों ●● 4–5 चित्र कार्ड या वस्‍तुओ ं
●● तर्क प्रस्‍तुत करना
की बोतल के ढक्‍कनों/कपड़े के टुकड़ों के साथ खेलना को क्रम से लगाते हैं
●● जिज्ञासा आदि ●● कहानी या घटनाओ ं को क्रम
●● प्रयोग करना ●● पहेलियाँ बझ ू ना (संवेदनाओ)ं पर आधारित, जैसे मेरी से बताते हैं
●● खोजबीन करना त्‍वचा मल ु ायम और रोएँदार है, मैं म्‍याँऊ करती हूँ ●● सरल समस्‍याओ ं के सल ु झाने
बताओ मैं कौन हू?ँ (बिल्‍ली) के तरीके कारण सहित
अवधारणाओ ं का निर्माण ●● सबह के सर्क ल टाइम में चर्चा करने वाले प्रश्‍न, जैसे
ु बताते हैं
●● रंग, आकृ ति, दरू ी, नाप
जब आप सबु ह उठते हैं, पहली कौन-सी चीज़ आप ●● संबंधों को समझने लगते हैं,
आकार, लंबाई, भार, देखते हैं/सनु ते हैं/छूते हैं/सँघू ते हैं/चखते हैं? आपके
ऊँचाई, समय जैसे परू ी वस्‍तु या उसका कोई
शरीर का कौन-सा अगं आपको देखने/सनु ने/सँघू ने/ भाग, दसू रों से भिन्‍न ढूँढ़ना,
●● स्‍थान-बोध
स्‍वाद लेने और महससू करने में मदद करता है संबंध बताना आदि
●● एक-से-एक की सग ं तता ●● विभिन्‍न विषयों के पोस्‍टरों द्वारा चित्र पठन करना और
●● कारण बताते हैं, विश्‍लेषण
बच्‍चों को चित्रों को देखकर बारीक अतं रों को करते हैं, अनमु ान लगाते हैं,
सख्‍या
ं बोध पहचानने के लिए प्रोत्‍साहित करना, जैसे कितने निष्‍कर्ष निकालकर व्‍याख्‍या
●● गिनना और बताना कि
जानवर/चिड़िया हैं करते हैं
कितने हैं
●● संख्‍याओ ं की पहचान

46 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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●● क्रम का बोध (10 तक ●● कौन-सा एक भिन्‍न है, जैसे 3 से अधिक घटकों के ●● अपने परिवेश की जाँच करते
किसी भी दी गई संख्‍या आधार पर वस्‍तुओ ं की तल ु ना और वर्गीकरण करते हैं, हैं, वस्‍तुओ ं को तोड़ते-मरोड़ते
से आगे गिनती कर पाना) जैसे आकार, रंग अौर बनावट हैं, प्रश्‍न पछू ते हैं, खोज करते
●● भ्रमण के दौरान अपने आस-पास के परिवेश में हैं, अपने विचार बनाते हैं और
परिवेश से सबं ंधित तरह-तरह की वस्‍तुएँ देखना, जैसे वस्‍तु/खिलौना कहाँ पर्वा
ू नमु ान लगाते हैं
अवधारणाएँ था? वह दसू रे किसी वस्‍तु की तल ु ना में कहाँ रखा था? ●● वस्‍तुओ ं में समानता देख सकते
●● प्राकृ तिक— पश,ु फल, ●● तोड़-मरोड़कर फिर जोड़ देने वाली खेल सामग्री, जैसे हैं और वस्‍तुओ ं को आकार,
सब्जियाँ, खाद्यपदार्थ, ब्‍लॉक्‍स, खिलौने, नट और बोल्‍ट आदि रंग तथा बड़े-छोटे के आधार
जीव-जतं ु ●● खोजने से सबं ंधित खेल क्रियाएँ, जैसे रे त की ट्रे में पर वर्गीकृ त कर सकते हैं
●● भौतिक— जल, वाय,ु अक्षर ढूँढ़ना/नंबर ढूँढ़ना आदि। ●● पाँच वस्‍तुओ ं को किसी एक
मौसम, सर्यू , चद्रं मा, दिन ●● ठोस वस्‍तुओ ं में मिलान करना एवं छाँटना, बिंदओ ु ं को विशेषता के आधार पर क्रम
और रात) संख्‍या से मिलाना, पैटर्न बनाना, टॉफी, बिस्कु ट के रै पर से लगाते हैं
●● सामाजिक— मैं, परिवार, का मिलान, जो शब्द बार-बार कहानी में आते हैं उन्हें ●● माँगने पर 10 तक वस्‍तुएँ
यातायात, त्‍योहार, हमारे अपने परिवेश में सनु ना/देखना आदि गिनकर देते हैं
सहयोगी, समदु ाय ●● सोचने पर मज़बरू करने वाली गतिविधियाँ कराएँ, जैसे ●● 10 तक की किसी भी संख्‍या
वर्गीकरण करना (दो या तीन बिंदओ ु ं के आधार पर), से आगे गिन सकते हैं
तकनीक का प्रयोग
रंग-बिरंगे बटनों को रंगों के आधार पर वर्गीकृ त करना, ●● 10 तक की संख्‍या और अक ं ों
नाप और आकार के आधार पर वर्गीकृ त करना एवं की पहचान करते हैं और उन्‍हें
फिर अँगल ु ी लगाकर गिनना, कपड़ों के टुकड़ों को रंगों लिखते हैं
तथा डिज़ाइन के हिसाब से वर्गीकृ त करना विभि‍न्न ●● अपने आस-पास के शारीरिक,
फलों के चित्रों को वर्गीकृ त करना, जैसे कुछ फल सामाजिक और प्राकृ तिक
छीलकर खाए जाते हैं व कुछ बिना छीले वातावरण के बारे में जिज्ञासा
●● वातावरण में उपलब्ध सामग्री का प्रयोग करके अपने दिखाते हैं, प्रश्‍न पछू ते हैं तथा
आप नये पैटर्न बनाना और आगे बढ़ाना, जैसे लकड़ी, संबंधित अवधारणाएँ
फूल, पत्ती, वस्तुएँ/ब्लॉक आदि विकसित करते हैं
●● लय को समझकर उसका अनक ु रण करना, जैसे ●● पर्यावरण के प्रति जागरूकता
ताली-ताली, चटु की-चटु की और अपनी लय बनाना और सवं ेदना व्‍यक्‍त करते हैं,
●● जेब वाले अक्षर या संख्‍या चार्ट में अक्षरों या संख्‍याओ ं जैसे पानी बर्बाद नहीं करना,
को डालना और पढ़ना पौधों को पानी देना, जब
●● सनु ना और सनु ी हुई कहानी को क्रम से दोहराना और जरूरत न हो लाइट बंद करना
5–6 कहानी काड्र्स को क्रम से लगाना (बाएँ से दाएँ), आदि
शब्‍दरहित चित्रात्‍मक किताबों को देखकर शब्‍द ●● प्रौद्योगिकी के प्रयोग के प्रति
बताना, दिनचर्या पर चर्चा करना (वह पहले क्‍या करते जागरूकता और रुचि
हैं, फिर क्‍या करते हैं) दिखाते हैं

पाठ्यचर्या 47

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●● समस्‍याओ ं को प्रस्‍तुत करना और उसके समाधान
पछू ना, जैसे आप अगर कमरे में बंद हो जाएँ? अगर
बारिश होगी आप स्‍कू ल कै से जाएँगे?
●● 6–7 टुकड़ों वाली पज़ल परू ी करना, मेज़
(भल ू -भल ु ैया) सल ु झाना, अधरू े चित्र को परू ा करना
और चित्र के अधरू े भाग को खोजना आदि
●● संबंध के आधार पर जोड़े बनाना, जैसे कप-प्‍लेट
●● चितं न कौशलों को उत्‍प्रेरित करना, जैसे कारण और
प्रभाव सबं ंध, विवेचनात्मक उत्तर वाले प्रश्‍न, अनमु ान
और आकलन लगाना, जैसे फिर क्‍या होगा, क्‍या
हुआ होगा या क्‍या हुआ होता अगर कछुआ-
खरगोश के सगं दौड़ लगाते समय सो जाता है आदि
●● बच्‍चे ‘क्‍यों?’ वाले प्रश्‍न पछू ें और खोज करके उत्तर
ढूँढ़े, जैसे शिक्षक के साथ सरल प्रयोग करें , कागज़
की नाव बनाना और पानी में तैराना, कागज़ के हवाई
जहाज़ बनाना और फिर हवा में उड़ाना, गब्‍बा ु रे
फुलाते समय हवा को महससू करना आदि
●● आरंभिक वैज्ञानिक प्रयोगों में शिक्षक की सहायता से
सक्रि‍य रूप से भाग लेना (जैसे खिलौनों को पानी में
तैराना, पौधों को बड़े होते देखना और उनके बारे में
बातचीत करना; अवलोकन करना कि पानी कै से रूप
बदलता है जैसे बर्फ से पानी तथा पानी से भांप बनती
है आदि); संवदेनाओ ं का विकास और जानकारी
प्राप्‍त करना, विभिन्‍न सामग्री देखना, कारण जानना,
सरल से मापक उपकरण, जैसे कप गिलास, जार और
अमानक वस्‍तुओ ं (जैसे मट्ु ठीभर बीज/टॉफी, एक कप
पानी/दधू , चटु कीभर नमक आदि) का उपयोग करते
हुए वस्‍तुओ ं का मापन करना
●● रंगों, आकाराें के साथ प्रयोग, उदाहरण के लिए रंग
मिलाना और नये रंग ढूँढ़ना/बनाना, रंगों को गाढ़े से
हलके के क्रम में लगाना
●● बच्‍चों के चित्रों के आधार पर सबं ंधसचू क शब्‍दों का
प्रयोग, जैसे ऊपर-नीचे, दायाँ-बायाँ, अदं र-बाहर
आदि
●● यह बताना कि एक दिन पहले क्‍या हुआ था या
उन्‍होंने अपने क्षेत्र भ्रमण के बाद क्‍या किया आदि

48 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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●● चार्ट, वस्‍तुओ ं और किताबों द्वारा तल
ु ना करने के
प्रत्‍यक्ष अनभु व आदि
●● स्‍थान बोध कराने हेतु गतिविधियाँ, जैसे कुर्सी के
सामने, पीछे , बगल में, ऊपर, नीचे, लय-ताल वाली
गतिविधियाँ, यह आकलन करना कि नाचने या कोई
काम करने के लिए कितनी जगह चाहिए होगी, कुछ
रोचक कार्य-पत्रों का उपयोग, स्‍थान बोध संबंधी
भाषा (जैसे सीधे/मड़ु ना/सिकुड़ना या छोटे बीज बन
जाना का अभि‍नय आदि)
●● क्रम से लगाने वाली गतिविधियाँ, जैसे वस्‍तुओ ं या
उनके चित्रों को बड़े से छोटे/भारी से हलके के क्रम में
लगाना
●● अपने परिवेश में वस्‍तुओ ं को अर्थपरू ्ण तरीके से
गिनना
●● अपने परिवेश में संख्‍या/चिह्नों को देखना, नंबर
ढूँढ़ना, गिनना आदि
●● दैनिक जीवन में संख्‍याओ ं और गिनती का प्रयोग
करते हैं और यह समझते हैं कि संख्‍या परिमाण को
दर्शाती है
●● एक संख्‍या के साथ एक वस्‍तु को मिलाना, जैसे एक
पत्‍थर पर एक पत्ता लगाना, एक गिलास में एक स्‍ट्रा
डालना आदि
●● किसी समारोह, जन्‍मदिन या त्‍योहार के लिए बचे हुए
दिन गिनना (जैसे लकड़ी/पत्‍थर/चित्र वाला कै लैंडर
आदि)
●● खेल क्रियाओ ं द्वारा ये आभास कराना कि बच्‍चों को
अपने आस-पड़ोस के बगीचे/पेड़-पौधे का ख्‍याल
रखना चाहिए और उनकी संदु रता बनाए रखनी
चाहिए आदि
●● आस-पास के पार्क , बगीचे, बाज़ार, आस-पड़ोस में
ले जाना जहाँ बच्‍चों को देखने, बातचीत करने के
अवसर मिलें, जैसे जानवर, चिड़िया, पेड़-पौधे, हमारे
सहयोगी आदि

पाठ्यचर्या 49

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●● जानवरों के प्रति संवेदना विकसित करना, जैसे
जानवरों को खाना खिलाना, चिड़ियों को खाना
खिलाना, उन्‍हें नक
ु सान नहीं पहुचँ ाना, उनके साथ
खेलना आदि
●● बीती घटनाओ ं और आगे की योजनाओ ं पर बातचीत
करना, जैसे कल क्‍या किया, कल क्‍या करें गे, अभी
क्‍या करना चाहोगे इत्‍यादि
●● परिवार के सदस्‍यों के साथ परिवार, समदु ाय के विषय
में बातचीत, जैसे दादा-दादी, नाना-नानी आदि के
बारे में जानना, बचपन के अनभु वों को साझा करना
आदि
●● तकनीकी के प्रयोग से बच्‍चों को कविता, कहानी,
सनु ाना
●● बच्चों को कंप्यूटर में (ड्रेग एडं ड्रॉप ) वाली
गतिविधि‍याँ कराना
●● तकनीक के प्रयोग द्वारा बच्‍चों को चिड़ि‍या‍घर में
जानवरों, रे लवे स्‍टेशन, मेले आदि के चलचित्र
दिखाना ‍‍‍
●● आयु के अनरू ु प एप और अन्य डिजिटल सामग्री का
प्रयोग करना

50 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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बाल अनुरूप अधिगम परिवेश की
4 सरं चना

बच्चे सक्रिय और जिज्ञासु शिक्षार्थी होते हैं, इसलिए क्षेत्र कक्षा में संसाधानों के साथ स्थापित किए जाते हैं और
परू ्व-प्राथमिक िवद्यालय में उनकी सरु क्षा और शिक्षा की प्रसगं ों या विषयों के अनसु ार उन्‍हें बदला भी जा सकता है।
व्‍यवस्‍था सबसे चनु ौतीपरू ्ण कार्य है। छोटे बच्‍चों के लिए
सरु क्षित भौतिक स्थान का सृजन करना चाहिए जिससे
उनकी सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में मदद हो सके ।
छोटे बच्चों की गतिविधियों के लिए एक िवद्यालय से
दसू रे िवद्यालय में एव‍ं विभिन्‍न परिदृश्‍यों में (शहरी, ग्रामीण,
अर्द्ध-शहरी एवं जन-जातीय) भौतिक भिन्‍नता हो सकती है
जो स्‍थान की उपलब्‍धता एवं बच्‍चों की सखं ्‍या पर आधारित गतिविधि क्षेत्रों का महत्व
हो सकती है। सभी बच्‍चों के लिए एक सल ु भ, सनिर्मि
ु त
गतिविधि क्षेत्रों में खेलने से बच्चों को अपनी पसदं के
भौतिक वातावरण, अन्वेषण में सहायक होता है, छोटे बच्चों
अनसु ार खेल-क्रिया चनु ने और अपनी अभिरुचि को
को अपनेपन का एहसास दिलाता है और उन्हें स्‍वकें द्रित
जानने में सहायता मिलती है। ऐसा करना उन्‍हें सृजन करने
तथा स्व-निर्देशित खेल में सल ं ग्न करने में सक्षम बनाता है। के चित्रांकन, अन्‍वेषण, हस्‍त-कौशल, नयी कुशलताएँ
अच्छा वातावरण माता-पिता और देखभाल करने वालों को
सीखने एवं गलतियाँ करके अपनी कार्य शैली में सधा ु र
भी आमि‍ं त्रत तथा शामिल होने का एहसास कराता है।
करने के अवसर प्रदान करता है। साथ ही जिस क्रिया में वे
भीतरी और बाहरी भौतिक वातावरण, दोनों का
संलग्‍न हों, जैसे— टावर बनाना, पहेली (िजगसॉ पज़ल)
सृजन करते समय नीचे दी गई कुछ महत्वपरू ्ण बातें ध्‍यान
को हल करना या किसी भल ू भलु ैया में मार्ग ढूँढ़ना, उनमें
में रखनी चाहिए।
उपलब्धि एवं सफलता का अनभु व कराता है।
गतिविधि क्षेत्रों सहित भीतरी (इडं ोर) परिवेश जब बच्‍चे अन्‍य बच्‍चों के साथ खेलना सीखते हैं,
का सज
ृ न करना सामग्री का उपयोग करने में भाग लेते हैं, साझा करते हैं,
बारी-बारी से काम करना सीखते हैं और अन्‍य बच्‍चों की
गतिविधि क्षेत्र गतिविधि समाप्‍त होने तक प्रतीक्षा करना सीखते हैं, तो
गतिविधि क्षेत्रों को ‘सीखने के कें द्र’ के रूप में भी जाना यह उनके सामाजिक, भावात्‍मक विकास में मदद करता
जाता है। बच्चों को सक्रिय रूप से संलग्न करने वाले ये है। वे समय प्रबंधन के साथ आत्‍म-नियमन भी सीखते हैं।

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बच्‍चों का पानी से, रे त से खेलना, जोड़-तोड़ करना स्‍थूल जोड़-तोड़ सामग्री होनी चाहिए, जिनका बच्चे रचनात्मक
एवं सक्षू ्‍म माँसपेशियों के विकास में सहायता करता है। तरीकों से उपयोग कर सकें । अन्वेषण को प्रोत्साहित करने
बच्‍चे समस्‍याओ ं का समाधान करना सीखते हैं, कारण के लिए आसान पहुचँ वाली खल ु ी अलमारियों पर सामग्री
प्रदान करते हैं, नयी सामग्री को खोजते हैं और यह उनके को आकर्षक रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए। सामग्री
संज्ञानात्‍मक विकास में सहायक होता है। को इस तरह से रखा जाना चाहिए कि बच्चे बिना वयस्क
की मदद के खेलना शरू ु कर सकें और खेल खत्म होने के
बाद सामग्री को व्‍यवस्थित कर सकें और सफ़ाई कर सकें ।
प्रत्येक गतिविधि क्षेत्र में पर्याप्‍त सामग्री होनी चाहिए ताकि
बच्चे एक खिलौने के लिए लड़ाई या प्रतिस्पर्धा न करें ।
प्रत्येक कक्षा में कई गतिविधि क्षेत्र हो सकते हैं, जैसे—
कला क्षेत्र, ब्लॉक निर्माण क्षेत्र, गड़ि‍ु या और नाटकीय खेल
क्षेत्र, गणित/जोड़-तोड़ क्षेत्र, विज्ञान/खोज क्षेत्र, संगीत और
गत्‍यात्‍मक क्रिया क्षेत्र, रे त और पानी संबंधी खेल क्षेत्र,
गड़ि‍
ु या से खेलने वाले खेल और नाटकीय खेलों जैसे पसु ्तक पढ़ने का क्षेत्र आदि। ये क्षेत्र पाठ्यचर्या की ज़रूरतों
गतिविधि क्षेत्रों में शामिल हुए बच्चों का अवलोकन करने के अनसु ार बारी-बारी भी बनाए अपनाए जा सकते हैं।
से बच्चों के संदर्भों, जैसे— उनका परिवार, पारस्परिक कक्षा में प्रदर्शन
अतं :क्रिया, रिश्ते, अवरुद्ध और दबी हुई भावनाएँ आदि
परू ्व-प्राथमिक कक्षाओ ं में प्रदर्शन बहुत महत्वपरू ्ण हैं। प्रदर्शन
के बारे में बहुत कुछ पता चलता है। इस अवलोकन का
किसी विषय विशेष को दर्शाने के लिए किया जा सकता
उपयोग शिक्षकों द्वारा किया जा सकता है।
है। यह बच्चों को जिज्ञासु बनाता है और उनमें विषय के
गतिविधि क्षेत्र स्थापित करना प्रति रुचि पैदा करता है। प्रदर्शन बोर्ड पर बच्चों के काम के
गतिविधि क्षेत्र ऐसे होने चाहिए जो सक्रिय, स्वतंत्र अन्वेषण नमनू े भी प्रदर्शित किए जा सकते हैं। बच्चों के कार्यों को
और खोज को आमत्रि ं त करें और बढ़ावा दें, जिससे बच्‍चों प्रदर्शित करते समय निम्नलिखित बातों को ध्‍यान में रखा
के सीखने का परिवेश बन सके । यहाँ विभिन्न प्रकार की जाना चाहिए—

52 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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• प्रदर्शन बच्चों की आँखों के स्तर के अनसु ार होना व्यवस्था की आवश्यकता होती है इसलिए यह महत्वपरू ्ण
चाहिए ताकि वे उन्हें आसानी से देख सकें । है कि परू ्व-प्राथमिक कक्षा में बैठने की व्यवस्था लचीली
• बच्चों की सीख्‍ाने की शरुु आती क्रियाओ ं और तैयार और विभिन्न क्रियाओ ं के अनक ु ू ल होनी चाहिए। एक के
कार्यों दोनों के नमनू े प्रदर्शित किए जाने चाहिए ताकि ऊपर एक ढेर बनाकर रखी जा सकने वाली मेज़ों, कालीनों,
अतिमं उत्पाद के साथ-साथ सीखने की प्रक्रिया को दरि‍यों और समायोज्य मेज़ का उपयोग व्हीलचेयर
भी महत्व दिया जा सके । उपयोगकर्ता के लिए अनक ु ू लन तथा समचि ु त स्‍थान प्रदान
• प्रदर्शित सामग्री को नियमित रूप से बदलते रहना करने में मदद करता है।
चाहिए।
परू ्व-प्राथमिक कक्षाओ ं के फ़र्नीचर में बच्चों के
• प्रत्येक बच्चे के काम को प्रदर्शित किया जाना चाहिए,
न कि सबसे अच्छे काम को (ऐसा बारी-बारी से किया अनक ु ू ल मेज़ और कुर्सी होनी चाहिए, ताकि उनके पैर फ़र्श
जा सकता है)। को छू सकें और उन्हें स्थिरता प्रदान करें । जब उनके पैर
• प्रदर्शन उद्देश्यपरू ्ण होना चाहिए। लटकते हैं तो उनके लिए टिककर बैठना और गतिविधियों
• बहुत अधिक प्रदर्शन से बचना चाहिए क्योंकि इससे में भाग लेना मश्किलु हो जाता है। फ़र्नीचर को इस तरह से
कक्षा अव्यवस्थित या अति-उत्तेजक प्रतीत होती है। व्यवस्थित किया जाना चाहिए कि शि‍क्षक एवं बच्‍चों को
• प्रदर्शन प्रासगि
ं क और सामयिक होना चाहिए। सहज रूप से गति करने में सविधा ु हो और समचिु त स्‍थान
प्रदान करे ।
बैठने की व्यवस्था शिक्षकों को इतनी ऊँचाई पर बैठना चाहिए जिससे
परू ्व-प्राथमिक कक्षाओ ं में विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ, बच्‍चे उन्‍हें देख सकें ।
जैसे— बड़े समहू की गतिविधियाँ, छोटे समहू की
गतिविधियाँ, संगीत और गत्‍यात्‍मक क्रियाएँ, कला संबंधी कक्षा अनुकूलन
क्रियाएँ, शिक्षकों द्वारा व्यक्‍तिगत या छोटे समहू निर्देश, कक्षाओ ं का अनक ु ू लन इसलिए महत्वपरू ्ण है क्योंकि
बच्चों को सस्‍वर पढ़कर सनु ाना आदि शामिल हैं। इन सब एक स्थान से दसू रे स्थान के परू ्व-प्राथमिक िवद्यालय के
गतिविधियों के लिए अलग-अलग तरीके से बैठने की बनिु यादी ढाँचे और सविधा ु ओ ं में भिन्नता होती है। यदि
कक्षा में विशेष आवश्यकता वाले बच्चे हैं तो भौतिक
सविधाु ओ ं और सीखने-सिखाने की प्रक्रियाओ ं के संबंध
में कक्षा अनक ु ू लन अनिवार्य हो जाता है। परू ्व-प्राथमिक
िवद्यालय में दिव्‍यांग बच्चों के लिए अनक ु ू लन और
सश ं ोधन के कुछ सझु ाव नीचे दिए गए हैं—
• आदेशों/निर्देशों को सरल बनाएँ और दोहराएँ।
• बार-बार कौशलों का अभ्यास करने के अवसर प्रदान
करें ।
• बच्‍चों को तरु ं त सकारात्‍मक और विवरणात्‍मक
प्रतिपषु ्‍टि दें।
• विकास के उपयक्‍त ु एक सारणी बनाएँ (गतिविधियों
की अवधि और क्रम, एक गतिविधि से दसू री गतिविधि
में जाने के लिए समय आदि दें।
बाल अनरू
ु प अधिगम परिवेश की संरचना 53

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• बच्चों को विकल्प प्रदान करें ताकि वे अपनी रुचियों बाहरी खेल परिवेश का सज
ृ न
और शक्‍तियों का अनसु रण कर सकें । बाहरी खेल के परिवेश का सृजन करते समय बाहरी खेल
• ठोस उदाहरण और सामग्री प्रदान करें , जैसे उभरे हुए के विन्यास की आवश्‍यकता, खेल स्थान का अधिकतम
अक्षर, सखं ्या आदि। उपयोग करना और बच्चों की सरु क्षा सनिश्‍चि त करना

• अनभु व और जानकारी को संवर्धित करने के लिए महत्‍वपरू ्ण हैं, स्‍मरण रहे—
अति‍रिक्‍त समय प्रदान करें ।
• यह सनिश्‍चि
ु त करना महत्वपरू ्ण है कि छोटे बच्चों का
• बच्चों को शिक्षक के पास बैठने की व्‍यवस्‍था करें तथा बाहरी खेल क्षेत्र जानवरों, जहरीले पौधों, खतरनाक
उसे दरवाज़े या खिड़कियों या ध्‍यान भगं करने वाले कीड़ों या बच्‍चों को नक ु सान पहुचा ँ ने वाली चीज़ों से
अन्य बच्चों से दरू बैठाएँ। मक्‍त
ु हो।
• एक गतिविधि से दसू री गतिविधि में जाने के लिए
सहायता प्रदान करें (दृश्य और मौखिक सक ं े त दें, गीत,
सामग्री दें, घटं ी बजाएँ आदि)
• बच्चों की भावनाओ ं पर चर्चा करें और उन पर
व्‍यक्‍तिगत रूप से ध्‍यान दें।
• बच्चों को अवसर प्रदान करें कि वे अपनी समझ को
अपने शब्‍दों, गीतों, संकेतों, दृश्‍य माध्‍यम, संप्रेषण
बोर्ड एवं अन्‍य उपकरणों द्वारा अनेक रूपों में संप्रेषित
एवं प्रदर्शित कर सकें ।
गतिविधि क्षेत्रों या विभिन्न प्रकार की गतिविधियों • खेल या गतिविधि क्षेत्र सरु क्षित होना चाहिए और
को इस प्रकार चनु ा जाना चाहिए जिससे कि सभी बच्चों सड़क यातायात से, घसु पैठियों से और जीवन या
में परस्‍पर सामाजिक सबं ंधों को प्रोत्साहन मिले। दैनिक सरु क्षा संबंधी किसी भी खतरे से बचने के लिए दरवाज़े
दिनचर्या के दौरान, शिक्षक बच्‍चों में विभिन्न क्षेत्रों में सहित दीवार से घिरा होना चाहिए।
पारस्‍परिक अतं :क्रिया को प्रोत्साहित कर सकते हैं। विभिन्न • सभी नालियाँ, गड्ढे अच्छी तरह से ढ़के हुए होने
गतिविधियों के दौरान सावधानीपरू ्वक नियोजित बैठने की चाहिए।
व्यवस्था भी समाजीकरण को बढ़ावा देती है। • गतिविधियों का संचालन करते समय बाहरी क्षेत्र का
परू ्व-प्राथमिक कक्षाओ ं के लिए उपयक्‍तु अधिकांश शिक्षकों और वयस्कों द्वारा हर समय अच्छी तरह से
खेल-सामग्री विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के उपयोग पर्यवेक्षण किया जाना चाहिए।
के लिए भी उपयक्‍त • अलग-अलग बाहरी क्षेत्रों की सतहों में भिन्नता होती
ु होनी चाहिए। कभी-कभी बच्चों की
है। बच्चों के लिए अर्द्ध-कठोर या घासयक्‍त
ु सतहों की
भागीदारी में सविधा ु प्रदान करने के लिए खेल सामग्री को सिफ़ारिश की जाती है। अगर सतह बहुत सख़्त हो तो
सश ं ोधित करना आवश्यक होता है, उदाहरण के लिए, उसका अच्छी तरह से समतल और पत्थर रहित होना
हैंडल लगाना, सामग्री को बड़ा करना, सामग्री पर आपस जरूरी है। बाहरी क्षेत्र के खेल क्षेत्र में स्थान और
में चिपकने वाली पट्टी (वेल्क्रो) लगाना आदि। ये संशोधन ससं ाधन की उपलब्धता के आधार पर विभिन्न प्रकार
सभी बच्‍चों के लिए उपयोगी है। की खेल सामग्री होनी चाहिए।

54 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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क्षेत्रों को आकर्षक बनाकर कक्षा की व्यवस्था करनी
होती है। यह सनिश्‍चि
ु त किया जाना चाहिए कि गतिविधि
क्षेत्रों की सामग्री अन्वेषणपरक, खोजी, व्यक्‍तिगत और
सामहि ू क खेलों के अवसर प्रदान करने वाली हो। चयनित
सामग्री के पर्ज़ेू (िहस्से) ऐसे होने चािहए िजनको जोड़कर
बच्चे कुछ भी बना सकें (कई वैकल्पिक चीज़े बना सकें )
ताकि इससे बच्चों की सृजनात्मकता, योजना बनाने और
इसके क्रियान्वयन की क्षमता में अभिवृिद्ध हो सके । शिक्षक
विभिन्न प्रकार की कम लागत और बिना किसी लागत के
नाटक और शिक्षण सामग्री का सृजन कर सकते हैं।
• बाहरी खेल क्षेत्र में स्‍थूल माँसपेशी वाले खेलों, जैसे— शिक्षक को नियमित रूप से गतिविधि क्षेत्रों की सामग्री
दौड़ना, कूदना, साइकलिंग आदि के लिए मौके देने
चाहिए। की जाँच करनी चाहिए और अनाकर्षक सामग्री के स्‍थान
• बगीचे में या घास की सतहों पर बाहरी खेल उपकरणों, पर अधिक आकर्षक सामग्री तथा सरु क्षा को ध्‍यान में
जैसे— स्लाइड एवं झल ू ों की व्यवस्था की जानी रखकर बदलाव करना चाहिए ताकि बच्चों को खेलने में
चाहिए। मज़ा आए साथ ही वे सरु क्षित रहें। बच्‍चों के खेल में दखल
• बाहरी खेल क्षेत्र की अनपु स्थिति में, उपलब्ध भीतरी दिए बिना ही शिक्षक चल रही गति‍विधियों में लाभकारी
खेल क्षेत्र में बड़ी माँसपेशियों के विकास के लिए सहायता प्रदान कर सकते हैं। गतिविधि क्षेत्रों में खेल
गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है। के दौरान शिक्षक विकासात्मक जरूरतों या भावात्‍मक
• बच्चों को संवेगी और छोटी माँसपेशियों के विकास समस्याओ ं वाले बच्चों की पहचान कर सकते हैं और वह
के लिए रे त/मिट्टी/पानी के खेल खेलने के अवसर दिए
आवश्यक सहायता और हस्तक्षेप कर सकते हैं। शिक्षक
जाने चाहिए।
का हस्तक्षेप, समस्या हल करने में सहायता देने से लेकर
शिक्षकों की भूमिका प्रश्‍न करने, अवांछित व्यवहारों को पनु र्निर्देशित करने और
यह शिक्षक की जि़म्मेदारी है कि वह यह सनिश्‍चि
ु त करे कि बच्चों को खेलने के विषयों में लभु ाने तक विस्तृत हो
गतिविधि क्षेत्र में बच्चों को उनकी पहल वाले सहज खेल, सकता है। उपलब्ध खेल सामग्री और गतिविधि क्षेत्र के
जो परू ्व नियोजित नहीं हों, उन खेलों के लिए अवसर प्रदान आकार के आधार पर शिक्षक को एक या दो गतिविधि
किए जाने चाहिए। शिक्षक को उपलब्ध स्थान, बच्चों की क्षेत्रों पर भीड़ से बचने के लिए एक गतिविधि क्षेत्र में िहस्सा
रुचि ‍और शामिल किए जा रहे विषयों के अनसु ार गतिविधि लेने वाले बच्‍चों की अधिकतम संख्या तय करनी चाहिए।

बाल अनरू
ु प अधिगम परिवेश की संरचना 55

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पाठ्यचर्या क्रियान्‍वयन के
5 शैक्षणिक उपागम

प्रारंभिक वर्षों में शिक्षा कार्यक्रम बाल-कें द्रित तरीके से के उभरते हुए कौशलों काे ही बढ़ावा देना चाहिए बल्‍कि
समग्र दृष्‍टिकोण को अपनाते हुए सचं ालित होता है जो यह 21वीं शताब्दी के कौशलों, जैसे— समीक्षात्मक चितं न,
बताता है कि बच्‍चे ने जो सीखा है वह के वल वहीं तक सहयोग, संप्रेषण, सृजनात्मकता, तकनी‍की साक्षरता और
सीमित नहीं है उसका क्रियान्‍वयन सिर्फ कक्षा में शिक्षक सामाजिक–भावनात्मक विकास को भी शामिल करना
द्वारा ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि इसका सह-निर्माण चाहिए। बच्‍चों में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया और विकास
बच्चों के द्वारा उनके घर और समदु ाय समेत प्राकृ तिक तथा में इन कौशलों का बहुत प्रभाव पड़ता है।
सामाजिक परिवेश के संदर्भ में भी किया जा रहा है। कंप्टयू र, यह अपेक्षा की जाती है कि लक्ष्‍य 3 में शामिल मख्ु ‍य
वीडियो, टेलीवीज़न, रे डियो और दरू संचार नेटवर्क जैसी सज्ं ञानात्‍मक कौशलों को मज़बतू करने के लिए आने वाले
तकनीकों के विस्तार ने, हम कै से खेलते हैं, कार्य करते हैं, वर्षों में बच्‍चों को नयी तकनीकों के साथ तालमेल बैठाने
जीते हैं और सीखते हैं, इन सभी क्षेत्रों को काफ़ी प्रभावित की चनु ौतियों का सामना करने के लिए सदृु ढ़ नींव बनायी
किया है। जीवन की चनु ौतियों का सामना करने के लिए जानी चाहिए।
बच्‍चों और बड़ों में यह सीखने की क्षमता होनी चाहिए पाठ्यचर्या के सपं ादन के लिए कई उपागम हैं, जैसे
कि वे ये जानें कि कार्य कै से सीखा जाए, समस्या समाधान विषयवस्तु-आधारित, गतिविधि-आधारित, प्रोजेक्‍ट/
का कौशल हासिल किया जाए, समीक्षात्‍मक चितं न का पछू ताछ-आधारित तथा उदग् ामी पाठ्यचर्या।
विकास किया जाए और तेज़ी से होते हुए परिवर्तनों के
सम्‍मुख कै से अनक ु ू लन किया जाए। विषयवस्तु-आधारित उपागम
भविष्य की चनु ौतियों एवं माँग के प्रति बच्चों को विषयवस्तु आधारित दृष्‍टिकोण (थीम आधारित एप्रोच)
तैयार करने का समय तभी से आरंभ होता है जब वे छोटे को परू े विश्‍व में शिक्षाविदों द्वारा प्रयोग किया जाता है।
होते हैं, जिज्ञासु होते हैं और उनमें सीखने का उत्‍साह होता यह दृष्‍टि‍कोण बच्चों द्वारा प्राप्‍त किए जाने वाले विभि‍न्न
है। बच्‍चे अपने अनभु वों तथा अभिभावकों, शिक्षकों कौशलों एवं ज्ञान को एक ससु ंगत इकार्इ के रूप में बाँधने
तथा दोस्तों के साथ अपने रिश्तों के माध्यम से सीखते का प्रयास करता है जिनको विषय–विशेष, जैसे— अपने
हैं। इसलिए सीखने के जो भी अनभु व हैं उनमें बच्‍चों बारे में, पेड़-पौधों, पश,ु फल, सब्जी आदि के रूप में
की प्राकृ तिक जिज्ञासा एवं उत्साह का परू ी तरह से लाभ व्यवस्थि‍त किया जाता है। दिए गए विषयों पर बच्‍चों का
उठाना चाहिए। इनमें न के वल पढ़ने, लिखने एवं गणि‍त ध्‍यान कें द्रित करके उन कौशलों एवं प्रक्रियाओ ं में अधि‍क

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कार्यकुशल बनाया जाता है जिनकी आवश्यकता उन्हें हों और न ही बहुत सरल। एक खेल-आधारित उपागम
जीवनपर्यंत सचू ना को एकत्रि‍त एवं संसाधि‍त करने में होगी। में ऐसी उत्‍प्रेरक सामग्री और गतिविधियों को सम्मिलित
जब हम कोई खास विषय लेते हैं और बच्चों को किया जाता है जो उन्हें शिक्षकों द्वारा उपलब्ध कराई जाती
सक्रिय एवं प्रकट रूप में उस विषय पर ज्ञान प्राप्‍त करने हैं जिससे बच्‍चे हर बार अपनी अभिरुचि के अनसु ार ही
में सहायता करते हैं तो हम बच्‍चों को भविष्य में सीखने गतिविधियों का चयन कर सकें और अपने समयानसु ार
के लिए और प्रभावी कौशल हासिल करने में कार्यकुशल उनसे सीख सकें । शिक्षक की भूमिका इसमें सगु मकर्ता की
बनाते हैं। होती है और वे कोई भी खास सरं चित गतिविधि नहीं करते
जब हम एक िवषय विशेष का चयन करते हैं और हैं। बच्‍चों को इस दृष्‍टिकोण से लाभ लेने में सक्षम करने के
बच्‍चों को सक्रिय और प्रत्‍यक्ष रूप से उसका ज्ञान देते हैं, लिए शिक्षक को सीखने के मौकों का पता लगाना चाहिए
उससे बच्‍चों के कौशल सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को और उनका अवलोकन करना चाहिए तथा खेल की सामग्री
और कुशल बना देते हैं। को उसी के अनसु ार उपलब्ध कराना चाहिए। यदि एक
विषयगत दृष्‍टि‍कोण के संबंध में विषयवस्तु की शिक्षक ही कुशल और प्रभावशाली न हो तो इससे बच्‍चे
योजना के तहत प्रत्येक विषय पर लगभग एक या दो मा‍ह सीखने के अवसर तथा स्‍वयं करके सीखने के अवसर खो
तक कार्य किया जाता है जिसमें साथ ही उपविषयों पर देते हैं। बच्‍चों के लिए कोई भी आनदं देने वाली गतिविधि
एक या दो सप्‍ताह की छोटी अवधि‍ में कार्य किया जाता खेल है और उसी पर बच्‍चों की खश ु हाली कें द्रित है। खेल
है जिससे ए‍क बड़ी इकार्इ के घेरे में समार्इ सचू ना को इस जिज्ञासा एवं खोजबीन की प्रवृत्ति‍ को उत्‍प्रेरित करते हैं
प्रकार व्यवस्थि‍त किया जाए कि वह बच्चों को समझ में और उन्हें शरीर के नियत्रं ण में कुशल बनाते हैं। ये उनमें
आ जाए। उदाहरण के लिए, यदि चनु ा गया विषय पौधे रचनात्मकता और सामाजिक कौशल को बढ़ाते हैं तथा
हैं, तो इसे एक माह तक कई तरह के उपविषयों के साथ भावनात्मक सतं ल ु न एवं भाषा कौशल का विकास करते हैं।
सम्मिलित किया जा सकता है, जैसे— पौधों के हिस्से,
पौधों के प्रकार, पौधों के उपयोग, पौधों की देखभाल गतिविधि-आधारित उपागम
करना आदि और सभी पर एक-एक सप्‍ताह के लिए गतिविधि-आधारित दृष्‍टिकोण दृढ़ता से मानता है कि
विस्‍तार से कार्य किया जा सकता है। बच्चे गतिविधियों से सीखते हैं, इसमें विभिन्न सीखने-
विषय-आधारित शिक्षण आम तौर पर पहले से तैयार सिखाने की सामग्री द्वारा खोजबीन करने और प्रयोग करने
की गई विस्तृत पाठ योजना के अनसु ार किया जाता है। के अवसर मिलते हैं। सवं ेदी अनभु व तथा क्रियाएँ सीखने
इस प्रकार का दृष्‍टिकोण मख्य
ु त: शिक्षक निर्देशित होता है को बेहतर तथा प्रभावशाली बनाते हैं। इससे खोजबीन और
जिसमें बच्‍चों द्वारा पहले से सीखने की प्रक्रिया का बहुत बेहतर समझ की एक रोचक एवं रोमांचक यात्रा आरंभ
कम स्‍थान होता है। होती है।
पूर्व-प्राथमिक शिक्षक सीखने के लक्ष्य को विविध
खेल-आधारित उपागम प्रकार की गतिविधियों में शामिल करते हैं, जैसे— बाहर
बच्‍चे खेल के माध्यम से सबसे अच्‍छा सीखते हैं। बच्‍चों खेले जाने वाले और भीतर खेले जाने वाले खेल, कहानी
को खेल की उन गतिविधियों में सलं ग्न करना चाहिए जो सनु ाना, कला और सगं ीत गति‍विधियाँ, जिनकी एक पूर्व-
उनके विकासात्मक स्तर के लिए न तो अधिक चनु ौतीपूर्ण प्राथमिक िवद्यालय की कक्षा में व्‍यवस्‍था की जाती है।
पाठ्यचर्या क्रियान्‍वयन के शैक्षणिक उपागम 57

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लिए निश्‍चित कर सकते हैं और बाकी आधे में क्रियाओ ं
की तैयारी कर सकते हैं।
उद्गामी पाठ्यचर्या
उदग् ामी पाठ्यचर्या (इमरजेंट करिकुलम) को शि‍क्षक
द्वारा नियोजित उस प्रक्रिया के रूप में परिभाषि‍त किया
जा सकता है जहाँ शि‍क्षक जिस समहू विशेष के बच्चों
के साथ कार्य कर रहें हैं उन कौशलों, आवश्‍यकताओ ं
और रुचियों का ध्‍यान रखते हुए क्रियाओ ं एवं प्रोजेक्ट
कार्य की योजना बनाते हैं। शिक्षक अवलोकन करते हैं
प्रोजेक्‍ट अथवा पूछताछ-आधारित उपागम
और उनके अवलोकनों के आधार पर योजना बनाते हैं।
यह उपागम, प्रोजेक्‍ट/पछू ताछ, जाँच-पड़ताल या फिर
उदग् ामी पाठ्यचर्या पर अमल करने वाले शिक्षक उदग् ामी
किसी विषय के गहन अध्ययन पर आधारित होता है,
पाठ्यचर्या को क्रियान्वित करने के लिए तथा बच्‍चों के
जिसे अकसर एक कक्षा में छोटे समहू ों में, परू ी कक्षा में
प्रदर्शन पर चितं न करने के लिए समय निकालते हैं और
या एक बच्चे द्वारा व्यक्‍तिगत रूप में किया जाता है। बच्चे
की प्रतिक्रिया जगाने हेत,ु शिक्षक उत्‍प्रेरणा के लिए कुछ उसके अनसु ार पाठ्यचर्या का क्रियान्‍वयन करते हैं। यह
िववेचनात्मक प्रश्‍न करते हैं, फिर बच्चों का अवलोकन प्रदर्शन सक्रिय प्रतिभागिता, सबं ंध निर्माण, लचीले एवं
करते हैं, उनकी कहानियाँ और प्रश्‍नों को सनु ते हैं और अनक ु ू लनीय विधियों, खोज एवं खेल पर आधारित होता
देखते हैं कि वह किसी क्रिया को किस दिशा में ले जा रहे है। पाठ्यचर्या बाल-पहल वाली, सहयोग और बच्‍चों की
हैं, उनकी रुचियों का संज्ञान लेते हैं तथा बच्चों के साथ आवश्‍यकताओ ं पर आधारित होती है।
बात करते हैं। बच्चे तय करते हैं कि उन्हें क्या जानना है उपागमों का एकीकरण
और क्या पड़ताल और करनी है।
ऊपर दी गर्इ उपागम विधि‍याँ परस्पर एक-दसू रे से पूर्णत:
उसके बाद बच्‍चों को विभिन्‍न प्रकार की सामग्री
उपलब्‍ध होने पर शिक्षक बच्चों की प्रतिभागिता को अलग नहीं हैं। पूर्व-प्राथमिक िवद्यालय, इसमें से एक
प्रोत्साहित करते हैं, जिससे वे अपने सवालों के जवाब अथवा सझु ार्इ गर्इ विधि‍यों के मिश्रण का चयन अपने संदर्भ
ढूँढ़ने के लिए अधिक से अधिक गहराई में जा सकें और के अनसु ार कर सकते हैं जो एक संतलि ु त पूर्व-प्राथमिक
पनु ः नये प्रश्‍न पछू सकें । शिक्षक उनकी इस प्रकार सहायता िवद्यालय कार्यक्रम की ओर ले जाएगी। इस प्रकार की
कर सकें जिससे बच्चे अपने अधिगम को मॉडल बनाकर, उपागम विधि‍ द्वारा विभि‍न्न विचारधाराओ ं के दृष्‍टि‍को‍णों
निर्माण करके , कोलाज़ या चित्र बनाकर, नाटकीय खेल या को एकीकृ त कर बच्चों की आवश्‍यकताओ ं की पूर्ति
संगीत द्वारा किसी भी रूप में प्रकट कर सकें । ये गतिविधियाँ की जा सकती है। दिनचर्या का विभाजन शि‍क्षक-पहल
पूर्व-नियोजित सरं चित नहीं होतीं। इन्हें बच्चों को अप्रत्यक्ष वाली नियोजित क्रियाओ ं एवं बच्चों की पहल वाली
रूप से सझु ाया जाता है और एक अनभु व से प्राप्‍त ज्ञान उन्हें मक्ु ‍त क्रियाओ ं में किया जाता है जिसमें बच्चे अपनी गति
अगले अनभु व तक ले जाता है। एक परियोजना परू े दिन का से सीखते हैं। विभि‍न्न उपागमों की एकीकृ त साप्‍ताहिक
कार्यक्रम नहीं हो सकती। शिक्षक आधा दिन परियोजना के योजना परिशि‍ष्‍ट I में दी जा रही है।
58 पूर्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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पूर्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या नियोजन एवं और उनके ज्ञान एवं शक्‍ति‍यों के स्‍तर को समझें जिससे
क्रियान्वयन उनके अधि‍गम को अधि‍क सदृु ढ़ बनाने के लिए
क्रियाओ ं का नियोजन किया जा सके ।
पाठ्यचर्या के क्रियान्वयन के लिए योजना बनाना महत्‍वपूर्ण
• अवलोकन में समय बिताएँ— जब बच्चे अपनी
है। एक अच्छी व्यवस्थि‍त नियोजित पाठ्यचर्या प्रभावी
क्रियाओ ं में मग्न हों उनका अवलोकन करें । शि‍क्षक
िक्रयान्वयन में सहायक होती है। पाठ्यचर्या में क्रियाओ ं बच्चों के साथ क्रियाओ ं में भाग लेने का निर्णय कर
का रे खांकन एवं िक्रयान्वयन, उद्देश्‍यों को ध्‍यान में रखकर सकते हैं या अवलोकन के दौरान अलग खड़े रह
किया जाना चाहिए। योजना में नवीनता एवं लचीलापन सकते हैं।
होना चाहिए जिसमें तात्कालिक आवश्‍यकताओ,ं रुचियों
और स्थि‍तियों को समाहित किया जा सके ।
शि‍क्षक के लिए आवश्‍यक है कि वह अपने उद्देश्‍यों,
विशेष आवश्‍यकता वाले बच्चों समेत सभी बच्चों की
चारित्रि‍क विशेषताओ,ं आय,ु विशेष एवं विकासात्मक
दृष्‍ट‍ि से उपयक्ु ‍त अभ्‍यासों के साथ-साथ भौतिक संरचना
और पाठ्यचर्या क्रियान्वयन में आवश्‍यक व उपलब्ध
सामग्री का ध्‍यान रखें।
पूर्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या का िक्रयान्वयन
पूर्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या के िक्रयान्वयन में निम्नलिखि‍त
का ध्‍यान रखना चाहिए—
• पूर्व ज्ञान पर आधारित हो— बच्चे जो कुछ जानते
हैं और जिससे वे परिचि‍त हैं सदैव उससे आरंभ करें ।
• सकारात्मक अंत:क्रिया को प्रोत्साहन दें (बच्चे-
बच्चे में, बच्चे-शि‍क्षक में एवं बच्चे-सामग्री में)— • बच्चे के अनुभवों को आधार दें— बच्चे के
बच्चों में अतं :क्रिया, पर्यावरण संबंधी एवं सांस्कृतिक व्‍यवहार और अनभु वों को विस्तार दें, अधि‍गम की
अनभु व, अर्थपूर्ण संवाद सहित बच्चों को सदृु ढ़ ज्ञान निरंतरता को बनाए रखने एवं नये अवबोधों एवं समझ
का आधार बनाने में और औपचारिक स्कू ली शि‍क्षा को स्थापित करने के लिए बच्चों को तात्कालिक
के लिए तैयार करने में सहायक होते हैं। (चल रही) क्रिया से सबं द्ध पूर्व अनभु वों के स्मरण के
• विविध क्रियाओ ं का आयोजन करें— बहुत सारे लिए प्रोत्साहित करें ।
खेलों एवं क्रियाओ ं का नियोजन-आयोजन करें । • विविधता को सहर्ष स्‍वीकार करें— बच्चों की
कौशल-क्षेत्र में अधि‍काधि‍क अभ्‍यास एवं पनु रावृत्त‍ि विविध भाषाओ ं एवं बोलियों को शि‍क्षक द्वारा
कार्य करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे शैक्षणि‍क स्वीकार्यता एवं विस्तार दिया जाना चाहिए। विषयों
कार्यक्रम को महत्वपूर्ण माना जाता है जिसमें व्यक्‍ति‍गत को अनेक प्रकार से संबोधि‍त किया/देखा जाना
सरु क्षा एवं स्वच्छता नित्य सनिश्‍चि‍
ु त हो। चाहिए, जैसे सगं ीत द्वारा, कहानी, खेल, खोजबीन,
• बच्चों को सनु ें— क्रियाओ ं के दौरान अवलोकन एवं चित्रों, कला द्वारा, तार्कि‍क और निगमनात्मक तरीकों
अन्वेषण करते हुए बच्चे क्या बात करते हैं उन्‍हें सनु ें से, क्योंकि बच्चे विविध तरीकों से सीखते हैं तथा
पाठ्यचर्या क्रियान्‍वयन के शैक्षणिक उपागम 59

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अपने अधि‍गम को विभि‍न्न प्रतीकात्मक माध्‍यमों द्वारा उदाहरण के िलए, यदि योजना में ‘पेड़-पौधे विषय’ पर
प्रकट करते हैं। बच्चों के साथ बातचीत का समय नियत है, पर बच्चे
• बच्चों के माता-पिता एवं परिवार के सदस्यों को ‘चहू ’े को देखकर उसके विषय में बातचीत करना
सनु ें एवं उनके साथ समन्वय स्थापित करें— चाहते हैं तो शि‍क्षक को उस समय विषय को ‘चहू ’े में
माता-पिता को क्रियाओ ं में सम्मि‍लित करें , स्थानीय परिवर्तित कर देना चाहिए।
लोक कथाओ,ं गीतों, पारंपरिक उत्सवों में सहभागिता • दैनिक नियोजन शिक्षक को बच्चों के अवलोकन तथा
के लिए उन्हें आमत्रि‍
ं त करें और घर पर भी उन्हें उनके साथ एकल और सामूहिक रूप में कार्य करने का
अर्थपूर्ण विकासात्मक रूप से उपय‍क्ु ‍त क्रियाओ ं का समय देता है। शिक्षकों के लिए आवश्‍यक है कि वे
आयोजन करने के लिए प्रोत्साहित करें । बच्चों का अवलोकन करें और उनको आवश्‍यकताओ ं
और रुचियों के आधार पर लचीला बनाएँ। उदाहरण
दैनिक योजना का निरूपण
के लिए, जाँच-पड़ताल क्षेत्र में वैज्ञानिक प्रयोग,
• सभी शि‍क्षकों द्वारा एक दैनिक योजना बनार्इ जानी जिसके लिए 15 मिनट का समय नियत किया गया है,
चा‍हिए। इस योजना में विशि‍ष्‍ट क्रियाओ,ं कार्यों एवं यदि बच्‍चे उसमें आनंद लेते हैं और अधि‍क रुचि
खेलों को स्थान मिलना चाहिए। यह योजना अलग- दिखाते हैं तो उसके लिए समय 30 मिनट तक बढ़ाया
अलग आयु वर्ग वाली कक्षाओ ं के लिए भि‍न्न होगी।
जा सकता है। छोटे समहू ों में किए जाने वाले कार्यों में
शि‍क्षक को चाहिए कि वह क्रि‍याओ ं की ऐसी संरचना
करें जिससे एक संतलि शि‍क्षक और स‍हायिका सहायता तथा प्रोत्सा‍हन के
ु त दैनिक कार्यक्रम का निर्माण
हो सके । लिए सदा आस-पास ही रहने चाहिए।
• एक सनिर्मि
ु त योजना न के वल एक व्यवस्थि‍त योजना • बच्चे की ध्‍यान अवधि‍का धीरे -धीरे विकास हो रहा है
बनाने में सहायक होती है अपितु शि‍क्षक को उसके और यह आयु के साथ-साथ बदल रही है अत:
सशक्‍त क्रियान्वयन का भी अवसर देती है। दैनिक क्रियाओ ं का नियोजन इसी आधार पर होना चाहिए।
योजना में विकासात्मक एवं अधि‍गम उद्देश्‍यों के • बच्चों में ध्‍यान कें द्रि‍त करने और बैठकर कार्य कर पाने
उन्नयन का समावेश होना चाहिए। की आवश्‍यकताओ ं में भि‍न्नता पार्इ जाती है अत:
• यद्यपि योजना पहले बन जाती है। तथापि उस योजना दैनिक योजना काे उसी हिसाब से बनाया जाना चाहिए,
में लचीलापन होना चाहिए जिससे उसमें किसी एक जैसे— दिन के अतं तक बच्चे मानसिक रूप से थक
समय पर बच्चों द्वारा अभि‍व्यक्‍त रुचि के आधार पर जाते हैं और बैठकर कार्य करना उनके लिए अधि‍क
आवश्‍यक बदलाव किए जा सकें । चनु ौतीपूर्ण हो जाता है।
कार्यक्रम योजना के सिद्धांत • बच्चों को उनकी आय/ु विकास के अनसु ार छोटे
(i) संतल ु न बनाना
समहू ों में विभाजित करें और उनकी उम्र एवं विकास
• भीतरी एवं बाहरी क्रि‍याओ ं में के स्‍तर अनसु ार बारी-बारी क्रियाएँ कराएँ। कभी-कभी
• शांत और सक्रिय अनभु वों में एक बड़े बच्चे को छोटे बच्चे के साथ रखना भी
• छोटे समहू , बड़े समहू एवं एकल अधि‍गम क्रियाओ ं में लाभकारी होता है।
• बच्चों की पहल एवं शि‍क्षक की पहल वाली क्रियाओ ं में
• विकास/अधि‍गम के सभी आयामों से संबंधि‍त क्रि‍याओ ं की सारणी के लिए सझ
ु ाव
क्रियाओ ं में दैनिक गतिविधियों को कार्यक्रम योजना के सिद्धांतों को
(ii) परू े दिन एक उचित गति‍को बनाए रखें
ध्‍यान मे रखते हुए बच्‍चों की आय,ु ज़रूरतों, रुचियों और
(iii) सरल से जटिल, परिचित से अपरिचित एवं मूर्त से अमूर्त
अनभु व विकासात्‍मक स्‍तरों के अनसु ार बनाया जाना चाहिए।
60 पूर्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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शिक्षक किसी भी उपागम का चयन करके दी गई दैनिक अर्द्धावकाश /जलपान काल
समय-सारणी के अनसु ार गतिविधियों और अनभु वों की
भाषा एवं आरंभि‍क साक्षरता शि‍क्षक द्वारा आरंभ बड़े/छोटे
योजना बना सकते हैं। क्रियाएँ (कहानी सनु ाना, समहू में की जाने वाली
क्रियाएँ क्रियान्वयन के तरीके कविताएँ, वार्तालाप, नाटक/ गतिविधि‍याँ
रूप धरना)
स्‍वागत घेरा (वेलकम सर्क ल, शि‍क्षक द्वारा शरू
ु की जाने
स्वास्थ्‍य परीक्षण, उपस्थि‍ति, वाली बड़े समहू की सृजनात्मक क्रियाएँ— कला बच्चों द्वारा शरू
ु की जाने
मौसम, ति‍थि‍एवं दिवस गतिविधि‍याँ एवं संगीत वाली छोटे समहू की
संवाद, वार्तालाप, कविताएँ) गतिविधि‍याँ
पर्यावरण एवं गणि‍तीय शि‍क्षक द्वारा शरू
ु की जाने बाहरी खेल बच्चों अथवा शि‍क्षक द्वारा
अवधारणाएँ वाली छोटे समहू की शरू
ु की जाने वाली बड़े समहू
गतिविधि‍याँ की गतिविधि‍याँ
कक्षा के भीतर खेले जाने बच्चों द्वारा शरू
ु की जाने गडु बार्इ सर्क ल/चितं न समय अध्‍यापक द्वारा शरू
ु की जाने
वाले मक्ु ‍त खेल वाली छोटे समहू की वाली बड़े समहू की
गतिविधि‍याँ गतिविधि‍याँ

पाठ्यचर्या क्रियान्‍वयन के शैक्षणिक उपागम 61

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पूर्व-प्राथमिक शिक्षा में
6 आकलन

आकलन परू ्व-प्राथमिक कार्यक्रम का एक महत्वपरू ्ण


• आकलन द्वारा उन बच्चों को पहचानने में सहायता करनी
एवं अभिन्‍न अगं है। यह बच्चों की रुचियों, उपलब्धियों चाहिए जिन्हें कुछ विशेष सहायता की आवश्यकता हो
तथा सीखने में उनकी संभावित कठिनाइयों के विषय में सकती है।
जानकारी प्रदान करता है। आकलन का उद्देश्य शिक्षकों/ • शिक्षक को बच्चों के आकलन के आधार पर गतिविधियों
परिवार, देखभाल करने वालों के द्वारा बच्चों के सीखने की योजना बनानी चाहिए।
और विकासात्मक स्तरों के विषय में उपयोगी सचू नाएँ • शिक्षक एवं अभिभावकों दोनों को ही मिलकर बच्चे की
प्रगति की निगरानी करनी चाहिए।
प्रदान करना है। यह विकासात्मक देरी, बच्चों की विशेष
शैक्षणिक आवश्यकताओ ं तथा उनकी विशेष रुचियों एवं
क्षमताओ ं की जल्द पहचान सनिश्‍चि
ु त करता है। आकलन और उसकी रिपोर्ट कै से की जानी
चाहिए?
आकलन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें परू ्व-प्राथमिक िवद्यालय में आकलन रचनात्मक,
• आकलन बच्चों की गतिविधियों, उनके स्वास्थ्य, पोषण, सतत् तथा पाठ्यचर्या में नियोजित अनभव ु ों से जडु ़ा
शारीरिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति के
होना चाहिए। बच्‍चों के दैनिक अनभव ु ों के आधार पर
गणवु त्तापरू ्ण मलू ्‍यांकन पर आधारित होना चाहिए।
• प्रत्येक बच्चे का आकलन उसके खेल तथा अन्य उनका अवलोकन और उनके विकास को दर्ज करना
गतिविधियों के अनौपचारिक व्‍यवस्थित अवलोकनों के ही रचनात्‍मक और सतत् मलू ्‍यांकन में शामिल है ताकि
माध्यम से होना चाहिए। उनकी क्षमताओ ं को पहचाना और प्रोत्‍साहित किया जा
• किसी भी कारण से बच्चे की किसी भी प्रकार की लिखित सके तथा उनकी अधिगम/विकासात्‍मक कमियों को दरू
या मौखिक परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए। किया जा सके । प्रत्येक बच्‍चे की प्रगति का आकलन सतत्
• परू ्व-प्राथमिक स्‍तर पर आकलन का उद्देश्य बच्चे पर उत्तीर्ण
या अनत्ु तीर्ण का ठप्पा लगाना नहीं है। एवं व्यापक आधार पर किए जाने की आवश्‍यकता है। यह
• आकलन का उद्देश्य नये कौशल सीखने के लिए दिशानिर्देश उनके व्‍यवहार के अवलोकन, उनके कला कार्यों, विस्तृत
प्रदान करना होना चाहिए। रिकाड्र्स, चेकलिस्ट्स, पोर्टफोलियो और दसू रे बच्चों के
• आकलन बच्चे की कमी के स्थान पर उसकी शक्‍तियों पर साथ उनके संवादों के माध्यम से करना चाहिए। दीर्घस्तरीय
कें द्रित होना चाहिए। लक्ष्य प्राप्‍त करने के लिए वर्तमान प्रदर्शन को धीरे -धीरे
• बच्चे की प्रगति को नियमित आधार पर विकास के हर
पहलू के लिए रिकॉर्ड किया जाना चाहिए।
आगे बढ़ाते हुए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

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तथा संक्षि‍प्‍त संकलन है जो बच्चों के सीखने के बहुत-
से आयाम प्रदर्शि‍त करता है। इस प्रकार का आकलन
बच्चों की शक्‍ति‍यों, ज्ञान तथा कौशलों के प्रदर्शन पर
ध्‍यान कें द्रित करता है। बच्चों की कला, चित्रकला,
कौशल कार्य, कोलाज़ आदि के नमनू े भी पोर्टफोलियो
में शामिल होते हैं।
3. अवलोकन— किसी बच्चे या बच्चों के समहू का
अवलोकन नियोजित और उद्देश्‍यपरू ्ण तरीके से किया
जा सकता है। यह सीखने-सिखाने की दैनिक
गतिविधि‍यों में की जा रही स्वाभाविक प्रक्रिया है।
शिक्षक को हर बच्चे की प्रगति को विभिन्‍न तरीकों से वैज्ञानिक रूप से किए गए अवलोकन बच्चे के
दर्ज करना चाहिए। यह प्रलेखन प्रशासकों एवं शिक्षकों को व्यक्‍ति‍त्व के विविध आयामों तथा सीखने की प्रगति
उपयक्‍त
ु सचू ना देगा कि कार्यक्रम को कै से बेहतर किया के बारे में उपय‍क्‍त
ु सचू ना प्रदान करते हैं।
जाए, उनमें आवश्‍यक परिवर्तन लाए जाएँ, आगे बढ़ाने की 4. चेकलिस्ट— चेकलिस्ट एक विशेष विकास क्षेत्र में
योजना बनाई जाएँ और कौन-से प्रश्‍न पछू े जाएँ तथा कौन बच्चे के सीखने के प्रतिफलों, व्यवहार या विशेषताओ ं
से संसाधन प्रदान किए जाएँ। की सचू ी होती है। शिक्षक को यह निर्धारित करना
प्रत्येक बच्‍चे का फोल्डर अभिभावकों एवं बच्‍चों के होता है कि बच्चे में यह सब विशेषताएँ हैं या नहीं।
अवलोकनात्मक अवधि के दौरान बच्‍च्‍ो के द्वारा
पास देखने के लिए उपलब्ध होना चाहिए और यह तब
प्रदर्शित व्‍यवहार के सामने ‘हाँ’ या ‘ना’ चिह्नित करना
तक होना चाहिए जब तक बच्‍चे किसी और परू ्व-प्राथमिक होता है।
कार्यक्रम या प्राथमिक स्कू ल में न चला जाए। सभी 5. रे�टग पैमाना— एक रे �टग पैमाना कार्यों के प्रदर्शन,
अभिभावकों को अपने बच्चों की प्रगति की लिखित एवं कौशल स्तर, प्रक्रियाओ,ं प्रथाओ,ं विशेषताओ,ं
मौखिक रिपोर्ट वर्ष में दो बार अवश्य मिल जानी चाहिए। मात्राओ ं या अतिमं उत्पाद का आकलन करने के लिए
प्रयोग होने वाला उपकरण है। रे �टग पैमाना, चेकलिस्ट
आकलन उपकरण एवं तकनीक
की ही भाँति है, बस वह उपलब्धियों को के वल ‘हाँ’
आकलन विविध उपकरणों एवं तकनीकों के द्वारा किया या ‘नहीं’ चिह्नित करने के स्थान पर, यह बताता है कि
जा सकता है— कितनी उपलब्धि‍हुर्इ है।
1. व� ृ ांत अभिलेख (ऐनक्डोटल रिकार्ड)— बच्‍चों 6. चित्र एवं वीडियो क्लिप— वीडियो और
के अवलोकनों के आधार पर सक्षि ं प्‍त टिप्पणियाँ ऑडियो क्लिप बच्‍चों की प्रगति तथा कार्यक्रम की
लिखी जा सकती हैं उदाहरण के िलए, बच्चों ने कै से प्रगति का आकलन करने में एवं बच्‍चों की प्रेरणा व
और कहाँ समय बिताया, उनके सामाजिक रिश्ते कै से आत्मविश्‍वास को बढ़ाने में सहायता करते हैं।
हैं, भाषा के प्रयोग, सवा
ं द के माध्यम, स्वास्थ्य एवं शिक्षक निजता की सीमाओ ं को ध्यान में रखते हुए
पोषण आदतों के बारे में सचू ना आदि। रिकाॅर्डिंग को सनु कर और देखकर उचित कक्षा
2. पोर्ट फोलियो— पोर्टफोलियो समय-समय पर बच्चों प्रक्रियाओ ं को उसी के अनसु ार निर्मित एवं सश ं ोधित
द्वारा किए गए विभि‍न्न कार्यों के नमनू ों का एक लचीला कर सकते हैं।
परू ्व-प्राथमिक शिक्षा में आकलन 63

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परू ्व-प्राथमिक बच्चों के आकलन के अतिरिक्‍त यह ध्‍यान में रखते हुए समय-समय पर परू ्व-प्राथमिक िवद्यालय
भी आवश्यक है कि परू ्व-प्राथमिक कार्यक्रम का आकलन कार्यक्रम का पनु रावलोकन किया जाना चाहिए। यह
भी किया जाए। पनु रावलोकन परू ्व-प्राथमिक कार्यक्रम के घटकों के निर्माण
और कार्यान्‍वयन के अनक ु ू ल होना चाहिए।
पूर्व-प्राथमिक कार्यक्रम का आकलन परू ्व-प्राथमिक िवद्यालयी स्‍टाफ, जैसे निरीक्षक, प्रभारी
प्रत्येक बच्‍चे की विकासात्मक प्रगति को पहचानने तथा तथा मख्‍य ु शिक्षक/मख्‍यु शिक्षिका को भी मलू ्यांकन
समय के साथ प्रगति की निगरानी करने के लिए परू ्व- प्रक्रिया का हिस्‍सा होना चाहिए। वे अवलोकन करके
प्राथमिक कार्यक्रम में दी जाने वाली जानकारी और ज्ञान समीक्षा और सधा ु र के लिए आवश्‍यक सचू नाएँ एकत्र
की निगरानी करने की आवश्यकता होती है। हर बच्‍चे कर सकते हैं। मलू ्यांकन के परिणाम आवश्‍यक परिवर्तनों
की विकासात्‍मक और समय के साथ क्रमिक प्रगति की के बारे में किए गए निर्णयों की दिशा निर्धारित करते हैं,
पहचान करने के लिए परू ्व-प्राथमिक कार्यक्रम में निर्देशों जिसके परिणामस्वरूप परू ्व-प्राथमिक िवद्यालय कार्यक्रम
की सचू ना देने तथा उनकी निगरानी करने की आवश्‍यकता और उसकी सेवाओ ं में गणव ु त्ता आती है।
होती है। बच्चे ज्ञान और कौशल कै से प्राप्‍त कर रहे हैं, समय-समय पर निगरानी एवं मध्य-सत्र मलू ्यांकन
उनकी मनोवृत्ति‍ और दृष्‍टि‍कोण कै से विकसित हो रहा यह समझने में सहायता करता है कि यह कार्यक्रम कै से
है। इन बातों की जागरूकता, पाठ्यचर्या गतिविधि‍यों में चल रहा है और सभी बच्चे प्रारंभि‍क अधि‍गम प्रतिफल
सश ं ोधन और उनकी उपयक्‍त ु ता के विषय में सचू ना प्रदान हासिल करने के लिए क्या प्रगति कर रहे हैं, तथा शिक्षक-
करती है। बच्‍चे व अभिभावक के बीच आपसी संवाद कै से सधा ु र
परू ्व-प्राथमिक अवस्था में आकलन करने का मखु ्य रहे हैं। यह सकारात्मक सधा ु र को बेहतर करता है और घर
उद्देश्य कार्यक्रम तथा बच्‍चों को दी जा रही अन्य मल ू भतू से परू ्व-प्राथमिक िवद्यालय तथा परू ्व-प्राथमिक िवद्यालय
सेवाओ ं की गणव ु त्ता को बेहतर करना है। परू ्व-प्राथमिक से प्रारंभिक प्राथमिक कक्षाओ ं में पारगमन को मज़बतू
िवद्यालय के लक्ष्यों और आरंभिक अधिगम प्रतिफलों को करता है।

64 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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मॉनी‍टरिंग और सहयोगात्मक
7 पर्यवेक्षण

परू ्व-प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम के प्रभावशाली क्रियान्‍वयन


प्रभावशाली पर्यवेक्षण और मार्गदर्शन से परू ्व-प्राथमिक शिक्षा
के लिए मॉनी‍टरिंग और सहयोगात्मक पर्यवेक्षण बहुत ही के बेहतर क्रियान्‍वयन तथा समावेशी विद्यालयी परिवेश की
महत्‍वपर्णू है। स्‍थापना के लिए प्रोत्‍साहन मिलता है।
मॉनीटरिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा कार्यक्रम
के बारे में सचू नाओ ं का संग्रह एवं विश्‍लेषण करके कार्यक्रम बच्‍चे सरक्षि
ु त हैं, उनका विकास बेहतर तरीके से हो रहा है
की प्रगति की जाँच की जाती है। और वे गणु वत्तापरक परू ्व-प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम में भाग
सहयोगात्‍मक पर्यवेक्षण और मॉनीटरिंग के दौरान ले रहे हैं; इसके लिए आवश्‍यक है कि समस्‍याओ ं के मल ू
एकत्र की गई जानकारियों के विश्‍लेषण के आधार पर कारणों की पहचान की जाए, प्राथमिकता वाले पहलओ ु ं
सहयोगात्मक पर्यवेक्षण परू ्व-प्राथमिक शिक्षा के प्रबंधन को पहले संबोधित किया जाए, समाधान खोजे जाएँ और
को बेहतर, सगु म और सहज बनाता है। प्रबंधन को बेहतर उन्‍हें क्रियान्वित किया जाए।
तथा सगु म बनाने के लिए स्‍टाफ़ को अपनी भमू िका और
उत्तरदायित्‍व सर्वो�म तरीके से निभाने के लिए दिशानिर्देश मॉनीटरिंग और पर्यवेक्षण के लिए उत्तरदायित्‍व
भी देता है। विद्यालय प्रमुख से यह अपेक्षा है कि वे पूर्व-प्राथमिक
मॉनीटरिंग और पर्यवेक्षण एक बार में किया जाने वाला िवद्यालय कार्यक्रमों के क्रियान्‍वयन की निरंतर
कार्य नहीं है। यह सतत् रूप से जारी रहने वाली प्रक्रिया मॉनीटरिंग करें ।
होनी चाहिए और स्‍टाफ़ को समय से रचनात्‍मक प्रतिपष्ु ‍ट‍ि प्राथमिक विद्यालय के वरिष्‍ठतम शिक्षक का
(फीडबैक) देनी चाहिए। यह उत्तरदायित्‍च है कि वह परू ्व-प्राथमिक िवद्यालय
मॉनीटरिंग और पर्यवेक्षण का उद्देश्‍य बच्‍चों की कार्यक्रम का पर्यवेक्षण करे । समेकित बाल विकास
ग‍लतियाँ निकालना और बताना नहीं होना चाहिए बल्कि सेवा (आई.सी.डी.एस.) व्‍यवस्‍था में पर्यवेक्षक
पराू ध्‍यान इस बात पर होना चाहिए कि व्‍यवस्‍था को इस (सपु रवाइज़र) होते हैं। पर्यवेक्षकों से यह अपेक्षा है कि
प्रकार से सदृु ढ़ किया जाए कि परू ्व-प्राथमिक शिक्षा के वे शिक्षक को अपने कार्य में आने वाली समस्‍याओ ं का
उद्देश्‍यों को प्राप्‍त किया जा सके और शिक्षण-अधिगम समाधान ढूँढ़ने में सहायता करें गे। वे इस बात की भी
प्रक्रिया के दौरान आने वाली चनु ौतियों/समस्‍याओ ं का जाँच करें गे कि परू ्व-प्राथमिक स्‍तर पर कार्यरत शिक्षक,
आकलन किया जा सके । यह सनिि‍श्‍च ु त करने के लिए कि अभिभावकों और समदु ाय से किस प्रकार से सहयोग लेते-

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देते हैं। वे पाठ्यचर्या की विषयवस्‍तु, शिक्षण विधियाँ, पर्यवेक्षण के अतिरिक्‍त, जोनल या मडं ल स्‍तर के
आकलन की विधियाँ, उ�रदायित्‍वों का बँटवारा, कार्यक्रम शिक्षा अधिकारियों तथा समेकित बाल विकास सेवा
सचू ी आदि का आकलन भी करें गे। (आई.सी.डी.एस.) के पर्यवेक्षकों द्वारा माह में एक बार
पर्यवेक्षक शिक्षक को रचनात्‍मक प्रतिपष्ु ‍ट‍ि (फीडबैक) सयं क्ु ‍त ‘मॉनीटरिंग विज़ि‍ट’ की जानी चाहिए और
दें। उनसे यह भी अपेक्षा है कि वे सीखने-सिखाने की जिला शिक्षा अधिकारियों एवं बाल विकास परियोजना
प्रक्रियाओ ं को बेहतर बनाने हेतु परू ्व-प्राथमिक शिक्षक अधिकारियों (सी.डी.पी.ओ.) द्वारा परू ्व-प्राथमिक शिक्षा
द्वारा किए जा रहे प्रयासों को सदृु ढ़ करने के लिए पर्यवेक्षक
कार्यक्रम की गणु वत्ता का अवलोकन करने के लिए
गाइड और सलाहकार के रूप में कार्य करें ।
तीन माह में एक बार संयक्ु ‍त ‘मॉनीटरिंग विज़िट’ की
दिन-प्रतिदिन के शिक्षण-अधिगम के मामलों में
जानी चाहिए।
पर्यवेक्षक शिक्षक को कार्यस्‍थल पर ही निर्देशन और
परामर्श दें। ऊपर दिए गए परू ्व-प्राथमिक िवद्यालय मॉनीटरिंग के
पर्यवेक्षण के काम से जडु ़े सभी सदस्‍य (स्‍टाफ़) साथ आयामों की मॉनीटरिंग में कम से कम 1½–2 घटं े
निम्‍नलिखित क्षेत्रों में शिक्षक की मदद करें — का समय लगता है तभी विजि़ट सार्थक व अर्थपर्णू होगी।
• कक्षा से सबं ंधित दिन-प्रतिदिन की समस्‍याओ ं के अधिकारियों को चाहिए कि वे कार्यक्रम के क्रियान्‍वयन का
समाधान खोजने में आकलन करने के साथ-साथ कार्यकर्ताओ ं को नवीनतम
• अभिभावकों और समदु ाय के साथ शिक्षक की जानकारियाँ दें जिससे वे अपने उत्तरदायित्‍वों को बेहतर
सहभागिता की जाँच करने में तरीके से वहन करने की क्षमता विकसित कर सकें ।
• शिक्षण विधियों का आकलन करने में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के अनसु ार
• पाठ्यचर्या की विषयवस्‍तु के सदं र्भ में
विद्यालय प्र‍बंधन समिति (एस.एम.सी.) के सदस्‍यों पर भी
• उत्तरदायित्‍वों का बँटवारा करने में
विद्यालय की गतिविधियों की मॉनीटरिंग और पर्यवेक्षण
• गतिविधियों की सारणी तैयार करने में
का उत्तरदायित्‍व है। विद्यालय की विद्यालय प्रबंधन समिति
‘सपु रवाइज़री स्‍टाफ़’ को चाहिए कि वे स्‍टाफ़ के
व्‍यावसायिक विकास को समन्ु ‍नत करने के लिए भिन्‍न-भिन्‍न (एस.एम.सी.) के गठन में परू ्व-प्राथमिक शिक्षा के बच्‍चों
प्रकार की रणनीतियों का सहारा लें, जैसे शिक्षकों के बीच के अभिभावकों की भागीदारी भी ज़रूर होनी चाहिए।
से ही छोटे-छोटे अध्‍ययन समहू बनाना, सेवाकालीन यह महत्‍वपर्णू है कि विद्यालय प्र‍बंधन समिति भी परू ्व-
प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना, विभिन्‍न प्रकार प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रमों के सगु म सचं ालन हेतु मदद करे
की शोध परियोजनाएँ लेने के लिए प्रोत्‍साहित करना और और परू ्व-प्राथमिक िवद्यालय एवं प्राथमिक विद्यालयों के
शिक्षकों में टीमभावना का निर्माण करना। बीच ताल-मेल बनाने की दिशा में अपना सहयोग दे।

66 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

Ch-7 Monitoring and Supportive Supervision.indd 66 17-12-2019 12:43:27


अभि‍भाव‍कों और समुदाय के
8 साथ सहभागिता

हम सब जानते हैं कि अभि‍भावक बच्चे के व्यक्‍तित्व के करना चाहते हैं जिनमें विशेष आवश्‍यकताओ ं वाले
विकास में महत्वपरू ्ण भमिक ू ा निभाते हैं। वे बच्चे के प्रथम बच्चे भी शामिल हों।
शिक्षक होते हैं और बच्चे के विकास की मख्ु ‍य जि़म्मेदारी 2. पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय कार्यक्रम में माता-पिता का
उनकी होती है। इसलिए अभि‍भावकों व शिक्षकों को एक ससं ाधन के रूप में सहयोग लेना चाहिए।
साथ मिलकर काम करना चाहिए। बच्चे के अधिगम और
िवकास में अभि‍भावक व शिक्षक एक साथी के रूप में
बच्चों की मदद के लिए अभि‍भावक शि‍क्षा
भागीदार होते हैं। पर्वू -प्राथमिक कार्यक्रम तभी सफल हो बच्चे स्कूल में जो ज्ञान प्राप्‍त करते हैं, उसे घर में दोहराने
सकता हैं जब उसे समदु ाय व अभि‍भावकों का सहयोग और सदृु ढ़ करने के लिए माता-पिता का शि‍क्षि‍त होना बहुत
प्राप्‍त होता है। ज़रूरी है। अभि‍भावकों को साधारण सस्वर कविता पाठ,
पर्वू -प्राथमिक कार्यक्रम में अभि‍भावक दो तरह से कहानी कहने की कला, कठपतु लियाँ बनाना और कम
शामिल हो सकते हैं— लागत वाले खि‍लौने आदि बनाना सिखाया जा सकता है।
1. माता-पिता को बाल विकास, स्वास्थ्‍य और पोषण के इससे अभि‍भावक बच्चों से अपनी बातचीत की गणु वत्ता
विभि‍न्न पहलओ ु ,ं पर्वू -प्राथमिक शि‍क्षा की शि‍क्षण- में सधु ार लाएँगे और बच्चों को खेलने के अवसर प्रदान
प्रक्रिया और उनकी गतिविधि‍यों के बारे में शि‍क्षि‍त करें गे। उन्हें निम्नलिखि‍त जानकारी से अवगत करवाया
करना चाहिए, जिन्हें वे अपने बच्चों के साथ घर पर जाना चाहिए—
zz विकास के लिए एक व्यापक दृष्‍टि‍कोण की
आवश्‍यकता।
zz बच्चों की आयु के अनरू ु प लक्ष्‍य निर्धारित करना न
कि क्रियाकलापों को उन पर थोपना जिसके लिए वे
अभी तैयार नहीं हैं।
zz बच्चे की देखभाल, जैसे भावनात्मक स्वास्थ्‍य और

उसके विकास के विभि‍न्न चरणों में बच्चे की पोषण


सबं ंधी जरूरतें।
zz बच्चों के विकास में खेल एवं प्रारंभि‍क प्रेरणात्‍मक

गतिविधि‍यों का महत्व।

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zz पर्वू -प्राथमिक कार्यक्रम में खेल विधि‍को अपनाने का zz अभिभावकों के साथ तालमेल बनाने और उनको
उद्देश्‍य एवं उसकी आवश्‍यकता। उनके बच्‍चों की प्रगति के बारे में स‍चि‍
ू त करने के लिए
zz बच्चों के विकास में अभि‍भावकों की भमिक ू ा एवं शि‍क्षक/कार्यकर्ता द्वारा प्रत्येक घर का (जहाँ भी संभव
सहयोग। हो) कम-से-कम सत्र में एक बार या तिमाही दौरा।
zz बाल मेला या बच्चों का मेला, जो साल में एक बार
अभि‍भावकों को सस
ं ाधन के रूप में जोड़ना आयोजित किया जा सकता है जिसमें परिवार को भी
पर्वू -प्राथमिक शि‍क्षक को अभिभावकों का सहयोग आमत्ं रित किया जाना चाहिए।
निम्नलिखि‍त तरीकों से मिल सकता है— zz चित्रों सहित सचू ना पत्र।
zz छोटे समह ू की गतिविधि‍यों, जैसे— रचनात्मक zz छोटे वीडियो कार्यक्रम जो अभिभावकों के साथ
गतिविधि‍याँ, कहानी कहना, शैक्षि‍क भ्रमण में बच्चों तकनीक के विभि‍न्न तरीकों के माध्‍यम से साझा किए
का साथ देना आदि में एक अतिरिक्‍त व्यक्‍ति‍के रूप जा सकें ।
में अभि‍भावक का सहयोग।
zz पर्व ू -प्राथमिक िशक्षक के अनपु स्थि‍त होने पर
अभि‍भावकों का विकल्प के रूप में सहयोग।
zz पर्व ू -प्राथमिक िवद्यालय में एकत्रित की गर्इ बेकार की
वस्तुओ ं का दोबारा प्रयोग करने में अभि‍भावकों का
विशि‍ष्‍ट व्यक्‍ति‍के रूप में सहयोग।
zz बच्चों के हित के लिए किसी विशेष प्रतिभा एवं

कौशल में निपणु अभि‍भावक सहयोग दे सकते हैं,


जैसे— बढ़र्इ को लकड़ी के खि‍लौने बनाने के लिए
कहा जा सकता है, ऐसी माता जो अच्छा गाती है
उसका सहयोग बच्चों को गीत सि‍खाने में लिया जा
सकता है और चि‍त्रकार की सहायता विभि‍न्न प्रकार
के चि‍त्र और अलमारियों आदि में पेंट करने में ली जा
सकती है। समुदाय की भूमिका
zz परिवारों की सांस्कृ तिक विविधता, जैसे— भोजन, पर्वू -प्राथमिक शि‍क्षा कार्यक्रम में समदु ाय एक महत्वपरू ्ण
पोशाक, त्योहार आदि की जानकारी साझा करना। साझेदार है। समदु ाय के सदस्यों की भागीदारी से बच्चों
विशेष आवश्‍यकता वाले बच्चों के विषय में जानकारी और उनके परिवार को बेहतर ढंग से समझने में मदद
प्राप्‍त करना। मिलती है। यदि समदु ाय जागरूक होगा तो ही बच्चों की
अभि‍भावक-शि‍क्षक सपं र्क के अवसर— आवश्‍यकताएँ परू ी हो सकती हैं।
¾¾ आकस्मि‍क मिलन, जैसे जब अभि‍भावक अपने
बच्चों को छोड़ने या लेने आते हैं। समदु ाय को निम्नलिखि‍त तरीकों से जागरूक किया जा
¾¾ अपनी सविध
सकता है—
ु ा के अनसु ार महीने में एक बार या
तीन माह में एक बार शिक्षक-अभि‍भावक सभा zz जागरूकता सृजन कार्यक्रम जिसमें लोकगीत, नक्कड़ ु
का आयोजन करना। नाटक, कठपतु ली का खेल, जत्थे आदि का उपयोग

68 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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करते हुए छोटे बच्चों के बारे में अक्षमता संबंधी नहीं है कि समदु ाय के सदस्य पर्वू -प्राथमिक िवद्यालयों की
भ्रांतियों को दरू किया जा सकता है। कर्इ तरीकों से मदद करते हैं, जैसे— पीने का पानी प्रदान
zz पर्व
ू -प्राथमिक िवद्यालयों में ऐसे समारोह आयोजित करना, पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय के लिए पर्याप्‍त स्थान
करने चाहिए जिसमें समदु ाय भाग ले सकें , जैसे— उपलब्ध कराना तथा अन्य संसाधन उपलब्ध कराना। कुछ
उत्सव मनाना, खेल कार्यक्रम, बाल मेला आदि (कुछ
अभि‍भावक ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन और प्रबंधन स्थानीय सदस्यों को पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय में विभि‍न्न
में भी मदद कर सकते हैं)। ज़ि‍म्मेदारियाँ निभाने के लिए नियक्‍त
ु किया जा सकता है।
एक बार जब समदु ाय पर्वू -प्राथमिक शि‍क्षा की हो सकता है कि वे उपयक्‍त ु रूप से प्रशि‍क्षि‍त या योग्य न
आवश्‍यकता को पहचान लेता है तब समदु ाय के सदस्यों हों, फिर भी वे आने वाले समय में पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय
के बीच पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय के स्वामित्व की भावना के उद्देश्‍यों और कामकाज में सदृु ढ़ रूप से सहायता करने में
अनिवार्य रूप से विकसित होती है। यह असामान्य बात सक्षम हो सकते हैं।

अभि‍भाव‍कों और समदु ाय के साथ सहभागिता 69

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बच्‍चों के पारगमन में
9 सहायता

िवद्यालय जाना प्रारंभ करना बच्‍चों और उनके परिवारों सभी बच्‍चों को घर से पूर्व-प्राथमिक िवद्यालय और पूर्व-
के जीवन का एक प्रमख ु बदलाव है। यह एक ऐसा समय प्राथमिक िवद्यालय से प्राथमिक विद्यालय में पारगमन
है जो एक ही समय में रोमांचक और चनु ौतीपूर्ण दोनों की प्रक्रिया में सहायता दी जाए, इसलिए पूर्व-प्राथमिक
हो सकता है। बच्‍चे और परिवारों को नये वातावारण, िवद्यालय और प्राथमिक विद्यालय के बीच संबंध
नयी अपेक्षाओ,ं नयी अत:क्रियाओ ं और संबंधों के साथ स्‍थापित किए जाने चाहिए।
तालमेल बैठाना पड़ता है। इस संदर्भ में यह अनिवार्य हमारे देश में पर्वू -प्राथमिक सेवाओ ं में विविधता पाई
हो जाता है कि विशेष आवश्‍यकता वाले बच्चों सहित जाती है, जैसे— आँगनवाड़ी, बालवाड़ी, निजी विद्यालय

सयं ोजन के लिए


घटक

स्‍थानीक कार्यक्रम सबं ंधी प्रबंध

• प्राथमिक विद्यालय • समय का तालमेल होना • सामदु ायिक सहायता


या आस-पास के • खेलविधि का प्राथमिक कक्षाओ ं और संसाधन जटु ाना
परिसर में पर्वू - में विस्‍तार • संयक्ु ‍त नियोजन,
प्राथमिक िवद्यालय • पर्वू प्राथमिक कक्षाओ ं तक कक्षा I निगरानी और पर्यवेक्षण
का प्रावधान की पाठ्यचर्या में संबंध • बच्‍चे के लिए सभी
• पर्वू -प्राथमिक और प्राथमिक सेवाओ,ं जैसे—
कक्षाओ ं के शिक्षकों का संयक्ु ‍त स्‍वास्‍थ्‍य, पोषण,
प्रशिक्षण टीकाकरण और शिक्षा
• सामग्री, उपकरणों और बनि ु यादी के बीच संबंध
सविु धाओ ं को साझा करना

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आदि। इनकी बनि ु यादी सेवाओ,ं शिक्षकों की योग्‍यताओ,ं बच्चों की क्षमताओ,ं रुचियों, संस्कृतियों के अनरू
ु प हो
पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि में विस्‍तृत विविधता पाई जाती है। और बच्चों ने जो पहले सीखा है, उसे बढ़ावा देती हो।
बच्‍चों के पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय आरंभ करने की आयु पर्वू -प्राथमिक से प्राथमिक कक्षाओ ं की ओर बढ़ने को
में भी विविधता पाई जाती है। इस प्रकार विभिन्‍न पर्वू - बच्चों के समग्र अधि‍गम की सतत प्रक्रिया के रूप में देखा
प्राथमिक िवद्यालयों की प्रकृति और दृष्‍टिकोण में अतं र है। जाना चाहिए।
चार प्रमखु ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ बच्‍चों को निरंतरता की कमी
का अनभु व हो सकता है जो उनके सीखने में बाधा बन सहज पारगमन के लिए निरंतरता बनाए रखना
सकता है, जैसे— बच्‍चों के अनभु वों की निरंतरता सनिश्‍चि
ु त करने के लिए
1. भौतिक वातावरण में परिवर्तन निम्‍नलिखित कुछ सझु ाव दिए गए हैं—
2. कक्षा संगठन में अतं र • पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय में बच्‍चों के सीखने के लिए
3. पाठ्यचर्या की विषयवस्तु सीखने के आरंभिक प्रतिफलों को कक्षा 1 के सीखने
4. पर्वू -प्राथमिक और प्रारंभिक कक्षाओ ं का शिक्षण और के प्रतिफलों के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
पद्धतियाँ • पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय को इस तरह से योजना बनाने
की आवश्यकता है कि पाठ्यचर्या के लक्ष्‍यों को विशेष
सयं ोजन के लाभ
आवश्यकता वाले बच्चों सहित सभी बच्‍चों की
• बच्‍चों का सहज पारगमन विकासात्‍मक आवश्‍यकताओ ं की पर्ति ू के लिए
• बच्‍चों की भागीदारी बढ़ाना
• नामांकन और प्रतिधारण को बनाए रखना और बढ़ाना
अनक ु ू ल बनाया जाए।
• सीखने के विभिन्‍न स्‍तरों पर उच्‍च उपलब्धि • शिक्षकों को यह सनिश्‍चि ु त करने के लिए पर्याप्‍त
• नीचे की ओर विस्‍तार की प्रवृत्ति‍को पलटना लचीलापन देने की आवश्‍यकता है कि पर्वू -प्राथमिक
• बेहतर िवद्यालय तत्‍परता िवद्यालय में बच्‍चों के व्‍यक्‍तिगत हितों को परू ा किया
• प्रभावी संसाधन उपयोग जाए।
• माता-पिता और परिवार को भी पारगमन कार्यक्रम में
कक्षा का परिवेश, कक्षा की व्यवस्था, समय सारणी/ शामिल होना चाहिए ताकि बच्‍चे बेहतर तरीके से
दिनचर्या, पाठ्यचर्या, शैक्षणि‍क विधि‍याँ और पद्धतियाँ समायोजित हो सकें और प्राथमिक स्‍कू ल को
पर्वू -प्राथमिक कक्षाओ ं से संयोजित होनी चाहिए। प्रारंभि‍क सहजतापर्वू क अपना सकें ।
बाल्यावस्था अवधि‍ के दौरान प्रारंभि‍क बाल्यावस्था • पर्वू -प्राथमिक और कक्षा 1 और 2 के शिक्षकों को
शि‍क्षकों का बच्चों की क्षमताओ,ं रुचियों, संस्कृतियों एक साथ प्रशिक्षण देने की आवश्‍यकता है।
• नयी कक्षा और अनभु वों में परिवर्तन अचानक होने के
और योग्यताओ ं के बारे में ज्ञान बढ़ता जाता है। बच्चों
बजाए क्रमिक होना चाहिए।
के परिवारों से उनका मज़बतू संबंध विकसित होता है।
• पर्वू -प्राथमिक और प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों
जब यह जानकारी प्राथमिक विद्यालयों के अन्य शि‍क्षकों को नियमित रूप से समन्‍वय और संवाद करना चाहिए
से साझा की जाती है, तब सीखने और विकास के नये ता‍कि वे पर्वू -प्राथमिक से प्राथमिक विद्यालय तक
अवसरों की योजना इस प्रकार बनार्इ जा सकती है जो पारगमन के लिए बच्‍चों को तैयार कर सकें ।

बच्‍चों के पारगमन में सहायता 71

Chapter 9 Supporting Children’s Transitions.indd 71 17-12-2019 12:54:06


• पर्वू -प्राथमिक िवद्यालय के बच्‍चों को कक्षा 1 और 2 • खेल-आधारित गतिविधियाँ कक्षा 1 और 2 का भी
की कक्षाओ ं का भ्रमण करना चाहिए ताकि वे वहाँ के एक हिस्‍सा होनी चाहिए और पर्वू -प्राथमिक I, II और
आस-पास के भौतिक वातावरण से परिचित हो सकें III से सबं ंधित (जड़ीु हुई) होनी चाहिए।
और शैक्षणिक सत्र शरू ु होने से पहले बिना किसी भय • कक्षा 1 के शिक्षकों को पर्वू -प्राथमिक कक्षाओ ं के
के परिवेश के आदी हो जाएँ। बच्‍चों के पोर्टफोलियों को ध्यान से देखना चाहिए।
• कक्षा 1 और 2 के भौतिक वातावरण को पर्वू -प्राथमिक इससे उन्‍हें बच्‍चों को बेहतर ढंग से समझने में मदद
की तरह ही नियोजित किया जाना चाहिए (बाल मिलेगी।
अनक ु ू लित मेज़ कुर्सियाँ)। गतिविधि‍ क्षेत्रों का इस निष्‍कर्षत: सभी बच्‍चों को समग्र रूप से विकसित
प्रकार गठन होना चाहिए कि बच्‍चों को अनभु व साझा करने की आवश्‍यकता है। उन्‍हें एक सरु क्षित, सकुशल और
करने, समस्‍या समाधान कौशल, मेधावी कौशल उत्प्रेरक वातावरण मिलना चाहिए और यह सब तभी प्राप्‍त
विकसित करने, नियमों का पालन करने में मदद मिले
और सामाजिक तथा भावात्‍मक कल्‍याण की भावना किया जा सकता है, जब छोटे बच्चों की शि‍क्षा से जड़ेु हुए
प्राप्‍त करने में सहायता मिले। सभी लोगों के बीच परू ्ण समझ, समर्थन और सहयोग हो।

72 परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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सदं र्भ

मानव संसाधन िवकास मत्ं रालय. 1986. राष्‍ट्रीय शि‍क्षा नीति. नयी दिल्ली, भारत सरकार
——. 1992. प्रोगाम ऑफ एक्‍शन. शि‍क्षा विभाग, नयी दिल्ली, भारत सरकार
——. 2010. भारत का राजपत्र. नि:शलु ्क और अनिवार्य बाल शि‍क्षा अधि‍कार (आर.टी.र्इ.) अधि‍नियम 2009. नयी दिल्ली, भारत
सरकार
——. 2013. परू ्व-प्राथमिक शि‍क्षा और सेकंडरी शि‍क्षा के लिए नि:शलु ्क और अनिवार्य बाल शि‍क्षा अधि‍कार अधि‍नियम 2009 के
विस्तार पर सी.ए.बी.र्इ. (के ब) समिति स्टेटस रिपार्ट, कें द्रीय शि‍क्षा सलाहकार बोर्ड. नयी दिल्ली, भारत सरकार
महिला और बाल कल्याण मत्ं रालय. 2013. राष्‍ट्रीय प्रारंभि‍क बाल्यावस्था देखभाल और शि‍क्षा नीति. नयी दिल्ली, भारत सरकार
——. 2013. राष्‍ट्रीय र्इ.सी.सी.र्इ. पाठ्यचर्या की रूपरे खा. नयी दिल्ली, भारत सरकार
——. 2013 र्इ.सी.सी.र्इ. के लिए गणु वत्ता मानक. नयी दिल्ली, भारत सरकार
राष्ट्रीय शैक्षिक अनसु ंधान और प्रशिक्षण परिषद.् 1996. पर्वू -प्राथमिक के लिए न्यूनतम विर्निदेश. नयी दिल्ली
——. 2005. राष्‍ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरे खा. नयी दिल्ली
——. 2006. र्इ.सी.र्इ. पर राष्‍ट्रीय फोकस समहू का आधार पत्र (3.6), नयी दिल्ली
——. 2016. निजी प्ले स्कू लों के लिए नियामक दिशानिर्देश. शि‍क्षा प्रभाग. राष्‍ट्रीय बाल अधि‍कार संरक्षण परिषद,् नयी दिल्ली
एन.सी. टी.र्इ. 2009. शि‍क्षक शि‍क्षा के लिए राष्‍ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरे खा: व्यावसायिक और मानवीय शि‍क्षक तैयार करने की दिशा
में. एन.सी.टी.र्इ., नयी दिल्ली

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74
परिशिष्‍ट — 1
परिशिष्‍ट एकीकृत पद्धति‍के आधार पर तैयार साप्‍ताहिक पाठ-योजना (पूर्व-प्राथमिक–I)
30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट
घेरा (सर्कि ल) पर्यावरणीय एवं कक्षा के भीतर भाषा, संप्रेषण और कला एवं सौंदर्य
बाह्य खेल (कक्षा गडु बॉय सर्कि ल कथा संबोधित/

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समय गणितीय अवधारणाएँ खेले जाने वाले साक्षरता कौशल कौशल के बाहर खेले जाने वाचन (छुट्टी से पहले विकसित किए
स्‍वतंत्र खेल वाले खेल) का कहानी सत्र) जाने वाले मख्ु ‍य
कौशल
दिन
शिक्षक द्वारा शरू
ु शिक्षक द्वारा निर्देशित बच्‍चों द्वारा शरू
ु शिक्षक द्वारा शरू
ु की बच्‍चों द्वारा शरू
ु की बच्‍चों द्वारा शरू
ु शिक्षक द्वारा शरू
ु की

30 मिनट
की जाने वाली छोटे समहू में की जाने की जाने वाली जाने वाली बड़े समहू जाने वाली छोटे समहू की जाने वाली जाने वाली बड़े समहू
बड़े समहू की वाली गतिविधियाँ छोटे समहू की की गतिविधियाँ की गतिविधियाँ बड़े समहू की की गतिविधियाँ
गतिविधियाँ गतिविधियाँ गतिविधियाँ

●● स्‍वागत नज़दीक के बगीचे/ पार्क में भ्रमण ●● बच्‍चे भ्रमण से ●● बच्‍चे बगीचे/पार्क में ●● मक्‍त
ु रूप से ●● कथा वाचन- ●● अवलोकन
●● परू ्व तैयारी के के द्वारा शिक्षक और बच्‍चे मिलकर वापस आएँगे। हुए अनभु वों के बारे बाहर खेले जाने चित्रात्‍मक पस्‍त
ु कों ●● खोजबीन

लिए सनिश
ु ्‍चित करें कि वे क्‍या-क्‍या करें गे, बच्‍चे और शिक्षक में बात करें । बगीचे/ वाले खेल (यदि का उपयोग करें । ●● ध्‍यान कें द्रित
गतिविधियाँ जैसे— आस-पास की वस्‍तुओ ं का गोल घेरे में बैठेंगे। पार्क की सैर के इस प्रकार के (जिनमें लिखित करना
(वार्मअप) अवलोकन करना, उन पर ध्‍यान देना, बच्‍चे बारी-बारी से आधार पर चित्रकारी स्‍थान की सामग्री न हो) पार्क
●● देखकर अत ं र
●● स्‍वच्‍छता की
आस-पास की आवाज़ों को सनु ना, उन अपने अवलोकनों करें , मॉडल बनाएँ, उपलब्‍धता नहीं या बगीचे के बारे में
पर ध्‍यान देना, सतह को छूकर महससू और अनभु वों के ●● कोलॉज बनाएँ। है तो स्‍थूल हों। पहचानना
जाँच ●● अपनी बारी
करना, फूल सँघू ना, रे त-पत्ति‍याँ छूना। बारे में बताएगं े और बच्‍चे क्‍या-क्‍या बना माँसपेशियों के ●● कहानी के बाद
●● शिशु गीतगायन
अपनी पसंद की वस्‍तुओ ं का संग्रह बात करें गे। रहे, कह रहे हैं ये सब विकास से बच्‍चों को पस्‍त
ु कें की प्रतीक्षा
●● बच्‍चों के करना। संबंधित करना
●● शिक्षक इस बात शिक्षक किसी चार्ट उलटने-पलटने के
विचारों/ का ध्‍यान रखेगें पर लिखते जाएँ। गतिवि‍धियाँ मौके दें। ●● अभिव्‍यक्‍त
सोमवार
अनभु वों की और बच्‍चों को करवाएँ ) ●● दिन की पन करना
ु रावृत्ति‍

मध्‍य अवकाश
साझेदारी सहयोग देंगे कि वे ●● सोच-विचार
●● बच्‍चों को
●● नाम के बिल्‍ले अपनी बारी आने प्रोत्‍साहित करें कि कर पाना
(कार्ड) लगाने पर वार्तालाप के ●● क्रमानस
वे घर पर अपने ु ार
की गतिविधि विषय पर ही बात सोच पाना
अभिभावकों के
●● कै लेंडर करें । साथ अपने अनभु व (क्रम दे
गतिविधि साझा करें । सकना)
●● िकसी भी िवषय ●● पस्‍त
ु कों को
पर वार्तालाप सही तरीके से
पकड़ पाना।

परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

20-12-2019 15:15:58
मंगलवार ●● स्‍वागत ●● विभिन्‍न समहू ों में ●● शिक्षक शब्‍द दीवार का बच्‍चों ने जो-जो वस्‍तुएँ एक सीधी पक्‍ति
ं में ●● कहानी सनु ाना ●● मिलान करना
इकट्ठा करके रखी पत्तियों,

परिशिष्‍ट
●● परू ्व तैयारी के सृजन-पाँचों इन्द्रियों इकट्ठा की हैं उनके चलना/रस्‍सी की ●● परू े दिन की और चनु ना
लिए गतिविधि गई वस्‍तुओ ं को टहनियों, के अनभु वों के आधार माध्‍यम से रंगोली या सीध में चलना और पनु रावृत्ति‍ ●● समानता कर

(वार्मअप) चनु कर अलग- कंकर, पर कक्षा के सभी तरह-तरह के नमनू े शिक्षक की मदद ●● बच्‍चों को पाना और
अलग करें गे। प्‍लास्टिक बच्‍चे अपने-अपने बनाएँ और अपनी से अपने कदमों को

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●● स्‍वच्‍छता की प्रोत्‍साहित किया अतं र पहचान
●● बच्‍चे विभिन्‍न ढेरों आदि के अनभु व बताएँगे कि बनाई हुई आकृ तियों के गिनना। पाना
जाँच जाए कि वे अपने
में रखी गई वस्‍तुओ ं माध्‍यम से उन्‍होंने क्‍या देखा, बारे में बात करें । ●● प्रत्‍यास्‍मरण
●● शिशु गीतगायन अनभु व घर जाकर
का अवलोकन तैरने वाली क्‍या सनु ा, किस चीज
●● बच्‍चों के
अपने अभिभावकों ●● शब्‍द भड ं ार
करे गें और उनके और डूबने को छूकर देखा,
विचारों/ बारे में बात करें गे। को सनु ाएँ में वृद्धि
वाली वस्‍तुओ ं किस चीज को चखा,
अनभु वों की किसी एक वस्‍तु को का प्रदर्शन क्‍या सँघू ा, शिक्षक ●● दसू रों द्वारा
साझेदारी लेकर उसके करें । सबके अनभु व शब्‍द किए गए
●● नाम के बिल्ले आकार, रंग, ●● बच्‍चे अपनी दीवार पर लिखेंगे। कामों की
लगाने की आकृ ति और अपनी रुचि के शिक्षक कठिन शब्‍दों प्रशसं ा कर
गतिविधि बनावट के बारे में की पहचान और पाना
गतिविधि क्षेत्र
बात करें गे। कोई स्पष्‍टीकरण करें गे। ●● रचनात्‍मक
●● कै लेंडर
एक आधार बनाकर में जाकर
गतिविधि खेलें। अभिव्‍यक्‍ति
उनको चनु ना शरू ु
●● िकसी भी िवषय ●● समस्‍या
करें गे, जैसे— बड़ी

मध्‍य अवकाश
पर वार्तालाप और छोटी पत्ति‍यों समाधान
को चनु ना, बच्‍चे
कह सकते हैं कि
बड़ी पत्तियाँ ज्‍़यादा
हैं। शिक्षक पत्ति‍यों
की गिनती करके
दिखाएँ और बताएँ
कि 8 बड़ी पत्ति‍याँ
है और 15 छोटी
पत्तियाँ हैं।
●● बच्‍चों ने पार्क /

बगीचे में जिस तरह


की सतह का
अनभु व किया है,
उसके बारे में बात
करें गे।

75

20-12-2019 15:15:58
76
बुधवार ●● स्‍वागत ●● अपनी-अपनी बात/ ●● बच्‍चे अपनी ●● बगीचे के दृश्‍य पर ●● बच्‍चे अपने बनाए ●● बाहर खेले जाने ●● दृश्‍य सामग्री जैसे ●● प्रत्‍यास्‍मरण
●● परू ्व तैयारी के अनभु व साझा रुचि के चित्र पठन, चित्र में हुए मॉडल चित्रों, वाले खेलों का कि डंडी वाली ●● अवलोकन

लिए करें गे। गतिविधि क्षेत्र दिखाई गई वस्‍तुओ ं जैसे— पेड़, पत्ती, आयोजन, कठपतु ली आदि ●● शब्‍द भड ं ार
गतिविधियाँ ●● बच्‍चों को में जाएँगे और के नाम बोलना। फूल में रंग भरें गे। जैस— े बॉल का उपयोग करते में वृद्धि
अपनी रुचि फें कना/ पकड़ना हुए कथा वाचन

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(वार्मअप) स्‍पर्शग्राही (छूकर ●● वर्गीकरण
●● स्‍वच्‍छता संबंधी अनभु व कर सकने के खेल दौड़ लगाना, कुछ ●● परू े दिन की
खेलेंगे। और दसू रे खेल ●● क्रम के
जाँच वाले) कार्ड दिए पनु रावृत्ति‍
जाएँगे और उन्हें खेलना। ●● बच्‍चों को
आधार पर
●● शिशु गीत
उनकी सतह/ सोचना (क्रम
गायन प्रोत्‍साहित किया लगाने का
बनावट का जाए कि वे घर पर
●● बच्‍चों के कौशल)
अनमु ान लगाने के अपने अभिभावकों
विचारों/ लिए कहा जाएगा। ●● रचनात्‍मक
अनभु वों की के साथ अपने
अनभु व साझा करें । अभिव्‍यक्‍ति
साझेदारी ●● छोटे समह ू में
●● नाम के बिल्‍ले
कार्य करना।
लगाने की
गतिविधि
●● कै लेंडर

गतिविधि

मध्‍य अवकाश
●● िकसी भी िवषय

पर वार्तालाप
गुरुवार ●● स्‍वागत ●● शिक्षक बच्‍चों का ●● भ्रमण ●● बच्‍चों को बगीचे में ●● बगीचे में भ्रमण से ●● कोई भी बाह्य ●● चित्रकार्डो के साथ ●● ध्‍वनियों में
●● पर ू ्व तैयारी के ध्‍यान उन ध्‍वनियों (विजिट) देखी गई वस्‍तुओ ं जडु ़ी किसी भी खेल (यदि इस कथा वाचन अतं र कर
लिए की ओर दिलाएँ जो जारी रहेगा। के चित्रों वाले कार्ड अनभु व/ वस्‍तु को प्रकार के खेल के ●● परू े दिन की पाना
गतिविधियाँ उन्‍होंने बगीचे/ पार्क दिए जाएँगे। ‘पासिंग आधार बनाकर लिए कोई खल ु ा पनु रावृ‍त्ति‍ ●● अवलोकन

(वार्मअप) में सनु ी थीं। इन द पार्सल’ खेल चित्रकारी करें । अपने स्‍थान/ ●● बच्‍चों को
●● वर्गीकरण

●● स्‍वच्‍छता की
ध्‍वनियों पर चर्चा खिलाया जाए और चित्र के बारे में बात क्रीड़ा-स्‍थल न हो प्रोत्‍साहित किया ●● ध्‍यान कें द्रित

जाँच करें । जिस बच्‍चे के पास करने के लिए कहें। तो स्‍थूल जाए कि वे घर पर कर पाना
●● बच्‍चे इस बारे में जिस वस्‍तु का कार्ड माँसपेशियों के अपने अभिभावकों ●● रचनात्‍मक
●● शिशु गीत
निर्णय लें कि इन आए, उस वस्‍तु के विकास आधारित के साथ अपने अभिव्‍यक्‍ति
गायन बारे में बच्‍चे अपनी गतिविधियों का
ध्‍वनियों को फिर से विचार/ अनभु व ●● क्रम के
●● बच्‍चों के बात कहें। आयोजन करें )।
सनु ने के लिए उन्‍हें साझा करें । आधार पर
विचारों/ दबु ारा पार्क / सोचना (क्रम
अनभु वों की बगीचे जाना चाहिए

परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या


में लगाने का
साझेदारी या फिर मोबाइल/ कौशल)

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●● नाम के बिल्‍ले टेप रिकॉर्डर में

परिशिष्‍ट
लगाने की रिकार्ड की गई इन
गतिविधि ध्‍वनियों को कक्षा
में ही सनु ा जाए।

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●● कै लेंडर

गतिविधि ●● चलो, हम सब

●● िकसी भी िवषय अपनी-अपनी


पर वार्तालाप आँखें बंद करें ,
आस-पास की
आवाज़ों को सनु े
चिड़ि‍यों का
चहचहाना, पत्तियों
की सरसराहट,
सख ू ी पत्ति‍यों पर
चलने से पैदा हुई
आवाज़, लोगों की
बातचीत, वाहनों
का शोर आदि।

मध्‍य अवकाश
●● इस सवांद में अपने

आस-पास के
परिवेश में सनु ाई दे
रही विभिन्‍न
ध्‍वनियों को भी
शामिल करें , संवाद
करें और आगे
बढ़ाएँ।
शुक्रवार ●● स्‍वागत ●● बच्‍चे सन ु ी गई ●● बच्‍चे अपनी ●● बच्‍चे भिन्‍न-भिन्‍न ●● कागज़ को छोटे-छोटे ●● बिना रस्‍सी के ●● कहानी वाचन एवं ●● ध्‍वनियों में
●● पर्व
ू ् तैयारी के ध्‍वनियों के बारे में रुचि के प्रकार की सनु ाई देने टुकड़ों में फाड़कर कूदना और प्रदर्शन अतं र कर
लिए बातचीत करें गे। गतिविधि क्षेत्र वाली ध्‍वनियों के उन टुकड़ों को गिनती करना कि ●● परू े दिन की पाना
गतिविधियाँ ●● वे पश-ु पक्षियों के में जाएँगे और बारे में आपस में चिपकाकर बिना रुके कितनी पनु रावृ‍त्त‍ि ●● अवलोकन

(वार्मअप) चलने-‍फिरने जैसे खेलेंगे। बातचीत करें गे और ‘कोलाॅज’ बनाएँ। बार कूदा गया। ●● बच्‍चों को करना
यह भी बताएँगे ●● वर्गीकरण

करना

77

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●● ●● ●●

78
स्‍वच्‍छता सबं ंधी कार्यकलापों का ि‍क उन्‍हें कौन-सी शिक्षक बच्‍चों को प्रोत्‍साहित करना ध्‍यान कें द्रित
जाँच अभिनय करें गे और आवाज़ पसंद है और अपने कोलाॅज़ के कि वे घर पर अपने कर पाना
●● शिशु गीत उनकी आवाजें भी कौन-सी आवाज़ बारे में बातचीत करने अभिभावकों के ●● रचनात्‍मक

गायन निकालेंगे, पसंद नहीं आई। तेज़ के लिए प्रोत्‍साहित साथ अपने विचार/ अभिव्‍यक्‍ति
जैसे— गिलहरी, आवाज़ में संगीत, करें और विषय से अनभु व साझा करें ।

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●● बच्‍चों के ●● क्रम के

विचारों/ कौआ। वे उनकी वर्षा की टपटप, सबं ंधित जो भी आधार पर


अनभु वों की विशेषताओ ं के बारे पशओ ु ं की आवाज़ें। अधिगम हुआ, सोचना (क्रम
साझेदारी में भी बात करें गे। उसको संक्षेप में लगाने के
●● बच्‍चे तीन-तीन का प्रस्‍तुत करें । कौशल)
●● नाम के बिल्‍ले

लगाने की समहू बनाएँगे और ●● अपनी

गतिविधि अपनी पसंद के प्रतिक्रिया दे

मध्‍य अवकाश
पश-ु पक्षी की ध्‍वनि पाना, दसू रे
●● कै लेंडर
निकालेंगे और की बात
गतिविधि अभिनय करें गे।
●● िकसी भी िवषय
सनु कर
●● बच्‍चे स्‍वयं गिनकर
पर वार्तालाप अपनी
पता लगाएँगे कि प्रति‍क्रिया
उनके समहू में तीन देना।
सदस्‍य है या नहीं।
●● शिक्षक आवश्‍यक-

तानसु ार मदद करें गे।


शनिवार परू े सप्‍ताह की गतिविधियों का प्रत्‍यास्‍मरण एवं पनु रावृत्ति‍
*शब्‍द दीवार के लिए उपयोग में लाए जाने वाले चित्र के उदाहरण
देखना सघँू ना सनु ना चखना छूना

झल
ू े, पौधे, कंकर, पत्ति‍याँ, फव्‍वारा फूल यातायात (वाहनों का शोर) चिड़ियों फल पत्ति‍याँ, पेड़, फूल
की चहचहाहट

परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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परिशिष्‍ट—2

परिशिष्‍ट
समावेशित पद्धति के आधार पर तैयार साप्‍ताहिक पाठ-योजना (पूर्व-प्राथमिक–II)
बगीचे की सैर
30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट

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घेरा (सर्कि ल) समय पर्यावरणीय एवं कक्षा के भीतर खेले भाषा, सप्ं रेषण कला एवं बाह्य खेल (कक्षा गडु बाॅय सर्कि ल सबं ोधित/विकसित
गणितीय अवधारणाएँ जाने वाले स्‍वतंत्र खेल और साक्षरता सौंदर्यबोध के बाहर खेले जाने किए जाने वाले मख्ु ‍य
कौशल वाले खेल) कौशल
दिन
शिक्षक द्वारा शरू
ु की शिक्षक द्वारा निर्देशित बच्‍चों द्वारा शरू
ु की शिक्षक द्वारा बच्‍चों द्वारा शरूु बच्‍चों द्वारा शरू
ु शिक्षक द्वारा शरू
ु की

30 मिनट
जाने वाली बड़े समहू छोटे समहू में की जाने जाने वाली छोटे समहू शरू ु की जाने की जाने वाली की जाने वाली जाने वाली बड़े समहू
की गतिविधियाँ वाली गतिविधियाँ की गतिविधियाँ वाली बड़े समहू वाली छोटे समहू बड़े समहू की की गतिविधियाँ
की गतिविधियाँ की गतिविधियाँ गतिविधियाँ
सोमवार ●● बच्‍चों का स्‍वागत नज़दीक के किसी बगीचे/ पार्क की सैर (भ्रमण/ बच्‍चे बगीचे/ िकसी भी िवषय स्‍वच्‍छंद रूप से कथा वाचन ●● अवलोकन
●● परू ्व तैयारी की विजिट) पार्क से वापस पर चित्रकारी खेले जाने वाले ऐसी चित्रात्‍मक ●● खोजबीन
गतिविधियाँ बच्‍चों को कीड़े आदि छोटे-छोटे जीव-जतं ु आकर अपने- गतिविधि बाह्य खेल— पस्‍त
ु कों का इस्‍तेमाल ●● ध्‍यान कें द्रित कर
(वार्मअप) देखने के लिए आवर्धक लैंस दिए जा सकते हैं। अपने अनभु व शिक्षक बच्‍चों से यदि बाह्य करें जिनमें 2–3 पाना
●● स्‍वच्‍छता की जाँच
सनु ाएँगे। बच्‍चे कहेंगे कि बगीचे/ खेलों के लिए पक्‍तियों की लिखित
●● दृश्‍यात्‍मक अत ं र
और शिक्षक पार्क में उन्‍होंने उपयक्‍त
ु स्‍थान सामग्री हो। ये
●● शिशु गीत
गोल घेरे में जो-जो चीजें देखी की उपलब्‍धता चित्रात्‍मक पस्‍त
ु कें स्‍थापित कर पाना
गायन— पेड़/फूल/ बैठेंगे। अपनी हैं, उनमें से जो नहीं है तो स्‍थूल पौधों/पत्ति‍यों/ ●● अपनी बारी की
चिड़ि‍या/तितली -अपनी बात पसंद हों, उनका माँसपेशियों चिड़ियों/ति‍तलियों पर प्रतीक्षा करना
●● बच्‍चों के विचार/ कहने के लिए चित्र बनाएँ। के विकास आधारि‍त हो। ●● सोच-विचार करके
अनभु वों की अपनी बारी की से सबं ंधित कहानी सनु ने के बाद क्रम बता सकना
साझेदारी प्र‍तीक्षा करें गे गतिविधियाँ बच्‍चों को पस्‍त
ु कें ●● पस्‍त
ु कों को पकड़

मध्‍य अवकाश
●● नाम के बिल्‍ले और अपने करवाएँ। उलटने-पलटने के पाना
लगाने की अनभु व बताएँगे। अवसर दें।
गतिविधि शिक्षक बच्‍चों परू े दिन की पनु रावृत्ति‍
●● कै लेंडर गतिविधि को अपनी बारी आज हमने परू े दिन में
आने पर ही क्‍या-क्‍या किया।
बोलने आपको सबसे ज्‍यादा
और वार्तालाप मज़ा किस काम में
के विषय पर आया?
ही बोलने में
सहयोग देंगे।

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मंगलवार ●● बच्‍चों का स्‍वागत ●● बच्‍चों ने बगीचे/ ●● बच्‍चे अपनी-अपनी ●● बच्‍चे पार्क में ●● बच्‍चे पत्ति‍यों ●● स्‍वछंद रूप से ●● बच्‍चों को ●● मिलान करना और
●● परू ्व तैयारी की पार्क में पिछले दिन पसंद के गतिविधि देखी गई पर पानी वाले खेले जाने वाले प्रोत्‍साहित करें कि चनु ना
गतिविधियाँ जो देखा उसके क्षेत्र में जाकर वस्‍तुओ ं के रंग (पोस्‍टर रंग) बाह्य खेल। वे अपने दिनभर के ●● समानता और

(वार्मअप) आधार पर खेलेंगे। खेलने के चित्र देखगें े लगाएँगे और (यदि क्रीड़ा अनभु वों को घर में अतं र बता पाना
वार्तालाप बाद बच्‍चे खेलने (पेड़, तितली, कागज़/ स्‍थल मैदान अपने अभिभावकों

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●● स्‍वच्‍छता की जाँच ●● प्रत्‍यास्‍मरण
●● इद्रि
ं य अनभु वों को की सामग्री वापस चिड़ि‍या, चार्टपेपर पर आदि उपलब्ध के साथ साझा करें ।
●● शिशु गीत ●● शब्‍द भड ं ार
आधार बनाते हुए सही जगह शैल्‍फ़/ चींटियाँ) और रखकर पत्ति‍यों नहीं है तो स्‍थूल कथा वाचन परू े दिन
गायन— पेड़, फूल रै क आदि में रखेंगे। शब्‍द की से छपाई करें गे। माँसपेशियों के की कार्यवाही की ●● दसू रों के कामों की
शब्‍द दीवार की
●● बच्‍चों के विचार/ पहली ध्‍वनि सचं ालन से पनु रावृत्ति‍-आज सराहना करना
रचना और बच्‍चों
अनभु वों की की प्रतिक्रियाओ ं बोलेंगे (किसी संबंधित हमने क्‍या-क्‍या ●● रचनात्‍मक
साझेदारी को दर्ज़ करना। भी वस्‍तु के गतिविधियों का किया? अभिव्‍यक्‍ति
●● नाम के बिल्‍ले
●● किसी एक पौधे के
नाम की आयोजन करें । ●● आपको सबसे ●● समस्‍या समाधान
लगाने की भागों के बारे में पहली ध्‍वनि ज्‍यादा मज़ा किसमें ●● ध्‍वन्‍यात्‍मक
गतिविधि विस्‍तार से की पहचान आया? बच्‍चों को
करवाते समय जागरूकता
●● कै लेंडर गतिविधि बातचीत करना। प्रोत्‍साहित करें कि (ध्‍वनियों की

मध्‍य अवकाश
●● िकसी भी िवषय पर
सदैव ध्‍यान वे अपने
●● रंग, आकृ तियों
रखें कि शब्‍द पहचान)
वार्तालाप और आकार जो अभिभावकों के ●● �ाृंखला बना पाना।
मातृभाषा का साथ दिनभर के
उन्‍होंने देखे हैं, ही हो)
उनके बारे में बात अनभु वों को साझा
●● शरु ु आती दौर करें और उन्‍हें भी
करना।
में यह पौधें के भाग के बारे
●● लंबाई के अनस ु ार आवश्‍यक में बताएँ।
पत्ति‍यों डंडियों, नहीं कि शब्‍द
पंखों को रखना सार्थक एवं
(लंबे से छोटे या अर्थपर्णू हों।
छोटे से लंबे के
क्रम में पाँच तक के
स्‍तर पर)

परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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बुधवार ●● बच्‍चों का स्‍वागत ●●
पेड़ और पौधों से बच्‍चे अपनी-अपनी शिक्षक कुछ शिक्षक फूलों, घमु ावदार रे खा कम लिखित सामग्री ●● अवलोकन

परिशिष्‍ट
●● परू ्व तैयारी के लिए हमें क्‍या-क्‍या प्राप्‍त पसंद के गतिविधि शब्‍द बोलकर तितलियों, पेड़ पर चलना और वाली चित्रात्‍मक ●● शब्‍द भड ं ार
गतिविधियाँ होता है, शिक्षक क्षेत्र में जाकर खेलेंगे। सनु ाएँगे, आदि के चित्र शिक्षक की मदद पस्‍त
ु कों के आधार पर ●● वर्गीकरण
(वार्मअप) इस विषय पर चर्चा खेलने के बाद बच्‍चे जैसे— गाना, (सिर्फ़ बाहरी से कदम गिनना। कथा वाचन
●● क्रम के अनस ु ार
खेलने की सामग्री दाना, बिल्‍ली, रे खाएँ) बनाकर दिनभर की

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●● स्‍वच्‍छता की जाँच
आरंभ करें ।
●● बगीचे से संबंधित वापस सही जगह तिल्‍ली (कै ट, देंगे, बच्‍चे उनमें गतिविधियों की परू े सोचना
●● शिशु गीत ●● रचनात्‍मक
चित्र, जैसे— शैल्‍फ़/रै क आदि में मैट) और बच्‍चों रंग भरें गे। दिन की कार्र वाई की
गायन— पेड़, फूल रखेगें। को इन शब्‍दों पनु रावृत्ति‍— आज अभिव्‍यक्‍ति
फूल,पौधे,पत्ति‍याँ,
●● बच्‍चों के विचार/ की ध्‍वनि से हमने क्‍या-क्‍या किया? ●● छोटे-2 समह
तितली चिड़ि‍याँ, ू ों में
अनभु वों की घास आदि के मिलते -जल ु ते आपको किस काम करना
साझेदारी चित्रों वाले कार्ड शब्‍द बोलने के गतिविधि में सबसे ●● वाक्‍य निर्माण
●● नाम के बिल्‍ले बच्‍चों को बाँटे। लिए प्रोत्‍साहित ज्‍यादा मज़ा आया? ●● नमन
करें गे। शिक्षक बच्‍चों को ू े बनाना
लगाने की ●● बच्‍चे अपने-अपने
●● मिलती-जल ु ती
गतिविधि कार्ड में चित्रित प्रोत्‍साहित करें गे कि वे
●● कै लेंडर गतिविधि घर पर अभिभावकों के ध्‍वनि वाले शब्‍द
वस्‍तु के बारे में बोलना।
●● िकसी भी िवषय पर 2–3 वाक्‍य बोलेंगे। साथ अपने अनभु वों
को साझा करें और यह
वार्तालाप ●● बगीचे से इकट्ठा की
भी बताएँ कि पौधों से
गई सामग्री, हमें क्‍या-क्‍या मिलता

मध्‍य अवकाश
जैसे— दो पत्तियाँ, है।
एक कंकर, दो
टहनियाँ की
सहायता से अपनी
पसंद के नमनू े
बनाएँगे।
गरुु वार ●● बच्‍चों का स्‍वागत ●● बगीचे में सन ु ी गई बच्‍चे अपनी-अपनी बच्‍चों को पार्क संरचनात्‍मक बच्‍चे पेड़ और ●● मौखिक कहानी ●● ध्‍वनियों में अतं र
●● परू ्व तैयारी की ध्‍वनियों के बारे मे पसदं के गतिविधि में देखी गई (दौड़/खेल) फूलों के चित्र सनु ाना कर पाना
गतिविधियाँ बच्‍चों से बात करें । क्षेत्र में जाएँगे और वस्‍तुओ ं को स्‍वच्‍छंद रूप से बनाने के लिए ●● परू े दिन की ●● अवलोकन

(वार्मअप) ●● तरह-तरह की अपनी रुचि के खेल आधार बनाकर खेले जाने वाले हथेली का गतिविधियों की ●● वर्गीकरण
●● स्‍वच्‍छता की जाँच चिड़ि‍यों की खेलेंगे। खेलने के बाद अपनी मातृभाषा खेल (यदि बाह्य इस्‍तेमाल करते हुए पनु रावृत्त‍ि ●● ध्‍यान कें द्रित कर
आवाज़ें सनु वाएँ बच्‍चे खेल की सामग्री में वाक्‍य खेल खेलने चित्रकारी करें गे। ●● आज हमने
●● शिशु गीत गायन
निर्धारित स्‍थान शैल्‍फ़/ बनाने के लिए के लिए स्‍थान पाना
(चिड़ि‍यों, और बच्‍चों को क्‍या-क्‍या किया ?
रै क आदि में रखेगें। प्रोत्‍साहित करें । उपलब्‍ध नहीं है, ●● रचनात्‍मक
तितलियों से पहचानने के लिए ●● आपको किस
तो स्‍थूल अभिव्‍यक्‍ति
सबं ंधित) गतिविधि में सबसे

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●● बच्‍चों द्वारा साझा कहें कि किस माँसपेशियों अधिक मज़ा
करना चिड़ि‍या की के विकास आया?
●● नाम के बिल्‍ले आवाज़ है। से संबंधित ●● शिक्षक बच्‍चों को

●● लगाने की ●● बच्‍चे भिन्‍न-भिन्‍न गतिविधियों का प्रोत्‍साहित करें कि


आयोजन करें ।

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गतिविधि चिड़ि‍यों, पशओ ु ं वे घर पर
●● कै लेंडर गतिविधि
की आवाज़ें अभिभावकों के
बोलकर सनु ाएँगे। साथ अपने अनभु वों
●● बच्‍चे आकृ तियों को साझा करें ।
के आधार पर विभिन्‍न पक्षियों की
पत्ति‍यों के ढेर आवाज़ों के बारे में
बनाएँगे। बात करें ।
शुक्रवार ●● बच्‍चों का स्‍वागत ●● विभिन्‍न प्रकार की बच्‍चे अपनी-अपनी बच्‍चों को कोलाॅज़ बनाना। सरं चनात्‍मक ●● सामग्री की सहायता ●● ध्‍वनियों में अतं र
●● परू ्व तैयारी की बनावटों पर संवाद रुचि की गतिविधि क्षेत्र पार्क में देखी (पेड़/पत्ती/ फूल/ (दौड़/खेल) से कथा वाचन, जैसे कर पाना।
गतिविधियाँ ● ● बगीचे से इकट्ठा की में जाएँगे और खेलेगें। गई वस्‍तुओ ं से तितली/चिड़ि‍या) स्‍वच्‍छंद रूप डंडी वाली पतु लियाँ ●● अवलोकन

(वार्मअप) गई सामग्री को खेलने के बाद बच्‍चे सबं ंधित शब्‍द कागज़ के टुकड़े से खेले जाने ●● दिन की पन ु रावृत्ति‍ ●● वर्गीकरण
●● स्‍वास्‍थ्‍य और बच्‍चों के सामने खेल की सामग्री बोलने के लिए करना और वाले खेलों के -आज हमने क्‍या ●● ध्‍यान कें द्रित कर
स्‍वच्‍छता की जाँच रखेंगे, जैसे छाल, निर्धारित स्‍थान शैल्‍फ़/ प्रोत्‍साहित किया चिपकाना। आयोजन। (यदि किया? पाना

मध्‍य अवकाश
पत्तियाँ, टहनियाँ, रै क आदि में रखेंगे। जाएगा। बाह्य खेलों के ●● आपको किस
●● शिशु गीत गायन ●● रचनात्‍मक
फूल, आदि। इसमें उदाहरण के आयोजन हेतु गतिविधि में सबसे
( पेड़, फूल, तौर पर ‘पेड़’ स्‍थान उपलब्‍ध अभिव्‍यक्‍ति
चिड़ि‍यों, तितलियों कुछ अतिरिक्‍त अधिक मज़ा
सामग्री भी रखेंगे, शब्‍द कहने पर न हो तो स्‍थूल आया? ●● क्रम के अनस ु ार
छोटे कीट) बच्‍चे पत्ति‍याँ, माँसपेशियों सोच पाना
जैसे कि रूई, स्‍पंज, ●● शिक्षक बच्‍चों को
●● बच्‍चों के विचार/ शाखाएँ, छाल के सचं ालन
कपड़ों की कतरने। प्रोत्‍साहित करें कि ●● सोच-विचार करना
अनभु वों की ●● शिक्षक बच्‍चों को
जैसे शब्‍द बोल पर आधारित
वे घर पर ●● अर्थ निकालना
साझेदारी सकते हैं। गति‍विधियों का
सामग्री छूने और अभिभावकों के ●● गिनती करना
●● नाम के बिल्‍ले
उसकी बनावट आयोजन करें ।
लगाने की साथ अपने अनभु वों ●● संख्‍या बोध
महससू करने के को साझा करें और
गतिविधि लिए कहें, जैसे कि विभिन्‍न प्रकार की
●● कै लेंडर गतिविधि खरु दरु ा,‍चिकना, बनावट के बारे में
कठोर, मल ु ायम, भी बताएँ।
●● उपलब्‍ध सामग्री को

भी छूकर देखें और

परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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परिशिष्‍ट
शिक्षक यह भी उसकी बनावट के
कहेंगे कि इनके बारे में बताएँ।
नाम भी बताओ। ●● अपने घरों में

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●● शिक्षक कोई एक विभिन्‍न वस्‍तुओ ं को
गिनती बोलेंगे (10 छूकर बनावट
तक) और बच्‍चों बताएँ।
से उतनी ही संख्‍या
में पत्‍थर गिनकर
निकालने को
कहेंगे।

मध्‍य अवकाश

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परिशिष्‍ट—3
समावेशित पद्धति के आधार पर तैयार साप्‍ताहिक पाठ-योजना (पूर्व-प्राथमिक–III)
बगीचे की सैर
30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट 30 मिनट

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घेरा (सर्कि ल) पर्यावरणीय एवं कक्षा के भीतर भाषा, संप्रेषण और कला एवं सौंदर्य बोध बाह्य खेल (कक्षा गडु बॉय सर्कि ल सबं ोधित/
समय गणितीय अवधारणाएँ खेले जाने वाले साक्षरता कौशल के बाहर खेले जाने विकसित किए
स्‍वतंत्र खेल वाले खेल) जाने वाले मख्ु ‍य
कौशल
दिन
शिक्षक द्वारा शरू
ु शिक्षक द्वारा निर्देशित बच्‍चों द्वारा शरू
ु शिक्षक द्वारा शरू
ु की बच्‍चों द्वारा शरू
ु की बच्‍चों द्वारा शरू
ु शिक्षक द्वारा शरू
ु की

30 मिनट
की जाने वाली छोटे समहू में की जाने की जाने वाली जाने वाली बड़े समहू जाने वाली छोटे समहू की जाने वाली जाने वाली बड़े समहू
बड़े समहू की वाली गतिविधियाँ छोटे समहू की की गतिविधियाँ की गतिविधियाँ बड़े समहू की की गतिविधियाँ
गतिविधियाँ गतिविधियाँ गतिविधियाँ

●● बच्‍चों का ●● नज़दीक के किसी बगीचे/ पार्क की सैर ●● बच्‍चे बगीचे/ पार्क ●● िकसी भी िवषय पर ●● स्‍वच्‍छंद रूप से ●● कथा वाचन ●● अवलोकन
स्‍वागत ●● बच्‍चों को कीड़े, पत्तों आदि छोटे-छोटे से वापस आकर चित्रकारी खेले जाने वाले ●● ऐसी चित्रात्‍मक ●● खोजबीन
●● परू ्व तैयारी की जीव-जंतु देखने के लिए आवर्धक अपने-अपने ●● शिक्षक बच्‍चों से बाह्य खेल— पस्‍त
ु कों का ●● ध्‍यान कें द्रित
गतिविधियाँ लैंस दिए जा सकते हैं। अनभु व सनु ाएँगे। कहेंगे कि बगीचे/ यदि बाह्य खेलों इस्‍तेमाल करें कर पाना
(वार्मअप) ●● बच्‍चे और शिक्षक पार्क में उन्‍होंने के लिए उपयक्‍त ु जिनमें 2-3 ●● दृश्‍यात्‍मक
●● स्‍वच्‍छता की गोल घेरे में बैठेंगे। जो-जो चीजें देखी हैं, स्‍थान की पंक्‍तियों की
उपलब्‍धता नहीं अतं र
जाँच अपनी-अपनी बात उनमें से जो पसंद हों, लिखित सामग्री स्‍थापित कर
कहने के लिए उनका चित्र बनाएँ। है तो स्‍थूल हो। ये चित्रात्‍मक
●● शिशु गीत
माँसपेशियों के पाना
गायन अपनी बारी की पस्‍त
ु कें पौधों/
विकास से ●● अपनी बारी
सोमवार (चिड़ि‍या/ प्र‍तीक्षा करें गे और पत्ति‍यों/ चिड़ियों/
अपने अनभु व संबंधित ति‍तलियों पर की प्रतीक्षा
तितली)
मध्‍य अवकाश
बताएँगे। गतिविधियाँ आधारि‍त हो। करना
●● बच्‍चों के करवाएँ। ●● क्रमबद्ध
●● शिक्षक बच्‍चों को ●● कहानी सन ु ने के
विचार/ चितं न
अनभु वों की अपनी बारी आने बाद बच्‍चों को
पर ही बोलने और पस्‍त ●● पस्‍त
ु कों को
साझेदारी ु कें उलटने-
वार्तालाप के विषय पल ु टने के अवसर पकड़ पाना
●● नाम के बिल्‍ले
पर ही बोलने में दें।
लगाने की सहयोग देंगे। ●● परू े दिन की
गतिविधि
पनु रावृत्ति‍

परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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●● कै लेंडर गतिविधि ●● आज हमने परू े दिन

परिशिष्‍ट
में क्‍या-क्‍या किया।
●● आपको सबसे

ज्‍यादा मज़ा किस

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काम में आया
मंगलवार ●● बच्‍चों का स्‍वागत ●● बच्‍चों ने बगीचे/ ●● बच्‍चे अपनी-अपनी ●● बच्‍चे पार्क में ●● बच्चे सख ू े ●● स्‍वछंद रूप से ●● पौधों या बगीचे से ●● मिलान करना और
●● परू ्व तैयारी की पार्क में पिछले दिन पसंद के गतिविधि देखी गई फूलों, पत्तों, खेले जाने वाले संबंधि‍त कोर्इ भी चनु ना
गतिविधियाँ जो देखा उसके क्षेत्र में जाकर वस्‍तुओ ं के टहनियों से बाह्य खेल कहानी सस्वर पढ़े ●● समानता और

(वार्मअप) आधार पर खेलेंगे। चित्र देखगें े कोलाॅज (यदि क्रीड़ा ●● परू े दिन की अतं र बता पाना
●● स्‍वच्‍छता की जाँच
वार्तालाप ●● खेलने के बाद बच्‍चे (पेड़, तितली, बनाएँगें स्‍थल मैदान गतिविधियों की ●● प्रत्‍यास्‍मरण
●● इद्रि
ं क अनभु वों को खेलने की सामग्री चिड़ि‍या, आदि उपलब्ध पनु रावृत्ति‍
●● शिशु गीत गायन ●● शब्‍द भड ं ार
आधार बनाते हुए वापस सही जगह चींटियाँ) और नहीं है तो स्‍थूल ●● आज हमने
(पेड़, फूल) चित्र की माँसपेशियों के निर्माण
‘शब्‍द दीवार’ की शैल्‍फ़/ रै क आदि में क्‍या-क्‍या किया ?
●● बच्‍चों के विचार/ पहली और सचं ालन से ●● दसू रों के कामों की
रचना और बच्‍चों रखेंगे ●● आपको सबसे
अनभु वों की को पढ़ने का ●● शि‍क्षक लगातार इस
आखि‍री संबंधित सराहना करना
साझेदारी ध्‍वनि बोलेंगे गतिविधियों का ज्‍यादा मज़ा किसमें ●● रचनात्‍मक
अभिनय और बात का अवलोकन आया?
●● नाम के बिल्‍ले चित्रों के मिलान करें गे कि बच्चे (किसी भी आयोजन करें ) अभिव्‍यक्‍ति
वस्‍तु के नाम ●● बच्‍चों को
लगाने की करने के लिए किस प्रकार खेल रहे ●● संगीत और गीत ●● समस्‍या समाधान
गतिविधि प्रोत्‍साहित करके की पहली की गतिविधि‍याँ प्रोत्‍साहित करें कि
हैं और सामग्री को वे अपने ●● ध्‍वन्‍यात्‍मक
●● कै लेंडर गतिविधि उनकी इस्तेमाल कर रहे हैं ध्‍वनि की
पहचान अभिभावकों के जागरूकता
●● िकसी भी िवषय पर प्रतिक्रियाओ ं को (ध्‍वनियों की

मध्‍य अवकाश
दर्ज़ करना। करवाते समय साथ दिनभर के
वार्तालाप सदैव ध्‍यान अनभु वों को साझा पहचान)
●● लंबाई के अनस ु ार करें और उन्‍हें भी ●● �ाृंखला बना पाना
पत्ति‍यों, डंडियों, रखें कि शब्‍द
मातृभाषा का पौधें के भागों के
पंखों को पाँच स्तर बारे में बताएँ
तक रखना (लंबे से ही हो)
छोटे या छोटे से
लंबे के क्रम)।
बच्चे टहनी में लगे
पत्तों की गिनती
करते हैं

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बधु वार ●● बच्‍चों का स्‍वागत ●● पेड़ और पौधों से ●● बच्‍चे अपनी-अपनी ●● शिक्षक कुछ ●● कागज़ मोड़कर ●● रस्सी कूद ●● 4-5 वाक्यों वाली ●● प्रत्यास्मरण
●● परू ्व तैयारी के लिए हमें क्या-क्या, पसंद के गतिविधि शब्द बोलकर बच्चे तितली, जिसमें रस्सी का चित्रात्मक पसु ्तकों ●● अवलोकन

गतिविधियाँ प्राप्‍त होता है, क्षेत्र में जाकर सनु ाएँगे, जैसे पेड़, फूल आदि स्तर धीरे –धीरे के आधार पर कथा ●● शब्द भड ं ार
(वार्मअप) शिक्षक इस विषय खेलेंगे। खेलने के ताना, बाना, बना सकते हैं। ऊपर किया वाचन निर्माण
बाद बच्‍चे खेलने गाना, दाना, जाएँ

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●● स्‍वच्‍छता की जाँच
पर चर्चा आरंभ ●● दिनभर की
●● वर्गीकरण
करें । की सामग्री वापस बिल्ली, ●● सर पर एक ‍ गतिविधियों की
●● शिशु गीत गायन ●● क्रम के अनस
●● बगीचे से सब ं ंधित सही जगह शैल्‍फ़/ सिल्ली, ‘बीन बैग’ पनु रावृत्ति‍ ु ार
(पेड़, फूल) रै क आदि में रखेंगे। तिल्ली (कै ट, सोचना
चित्र, जैसे फूल, रखकर सीधी ●● आज हमने
●● बच्‍चों के विचार/ बैट, मैट) ●● रचनात्मक
पौधे, पत्ति‍याँ, रे खा पर चलना क्या-क्या किया?
अनभु वों की तितली, चिड़ि‍याँ, और बच्चे अभिव्यक्‍ति
●● आपको किस
साझेदारी घास आदि के को इन शब्दों ●● छोटे-छोटे समह
गतिविधि में सबसे ू ों
●● नाम के बिल्‍ले चित्रों वाले कार्ड तक ु बंदी की में काम करना
लगाने की �ाृंखला को ज्यादा मज़ा आया?
बच्चोंं को बाँटे। ●● वाक्य निर्माण
आगे बढ़ाएँं ●● शिक्षक बच्चों को
गतिविधि बच्चें अपने-अपने
प्रोत्साहित करें गे कि ●● नमन ू े बनाना
●● कै लेंडर गतिविधि कार्ड में चित्रित और तक ु ांतक
वस्तु के बारे में शब्दों के वे घर पर ●● मिलती-जल ु ती
●● िकसी भी िवषय पर
4-5 वाक्य बोलेंगे। प्रयोग से अभिभावकों के ध्वनि वाले शब्द
वार्तालाप छोटी-छोटी साथ अपने अनभु वों बोलना
●● बगीचे से इकट्ठा की
कविताएँ को साझा करें और

मध्‍य अवकाश
गई सामग्री, जैसे दो यह भी बताएँ कि
पत्तियाँ, एक कंकर, बनाएँगे
●● कार्ड में नाम पौधों से हमें
दो टहनियाँ आदि क्या-क्या मिलता है।
की सहायता से लिखकर पौधे
अपनी पसंद के के विभि‍न्न
नमनू े बनाएँगे। भागों को
चिि�‍त करें
या ‘शब्द
दीवार’ पर
मिलान करें गे

परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

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गरुु वार ●● बच्‍चों का स्‍वागत ●● बच्चे पौधों का ●● बच्‍चे अपनी-अपनी ●● बच्‍चों को ●● सरं चनात्‍मक ●● बच्चे तिनके , ●● मौखिक कहानी ●● ध्‍वनियों में अतं र

परिशिष्‍ट
●● परू ्व तैयारी की अवलोकन करें गे पसंद के गतिविधि पार्क में देखी (दौड़/खेल) कंकड़, बीज, सनु ाना कर पाना
गतिविधियाँ और उनकी वृद्धि‍ क्षेत्र में जाएँगे और गई वस्‍तुओ ं स्‍वच्‍छंद रूप से पत्ती, पंख, फूल ●● परू े दिन की ●● अवलोकन

(वार्मअप) के बारे में बातचीत अपनी रुचि के खेल को आधार खेले जाने वाले पंखडु ़ी की गतिविधियों की ●● वर्गीकरण
करें गे। खेलेंगे। खेलने के बनाकर खेल (यदि सहायता से

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●● स्‍वच्‍छता की जाँच पनु रावृत्त‍ि ●● ध्‍यान कें द्रित कर
●● दस
ू रे बच्चों के बाद बच्‍चे खेल की अपनी बाह्य खेल प्राकृ तिक ●● आज हमने
●● शिशु गीत गायन
सामग्री निर्धारित मातृभाषा में खेलने के लिए चित्रकारी पाना
(चिड़ि‍यों, पौधों से तल ु ना, क्‍या-क्‍या किया?
स्‍थान शैल्‍फ़/ रै क वाक्‍य बनाने स्‍थान उपलब्‍ध बनाएँगे ●● रचनात्‍मक
तितलियों से किसका पौधा लंबा ●● आपको किस
है आदि, पत्ति‍यों आदि में रखेंगे। के लिए नहीं है, तो अभिव्‍यक्‍ति
संबंधित) प्रोत्‍साहित स्‍थूल गतिविधि में सबसे
को गिनना अधिक मज़ा
●● बच्‍चों द्वारा साझा करें माँसपेशियों के
●● बीज और पत्ति‍यों
करना विकास से आया?
को छाँटना और ●● शिक्षक बच्‍चों को
●● कै लेंडर गतिविधि
गिनना संबंधित
गतिविधियों का प्रोत्‍साहित करें कि
आयोजन करें ) वे घर पर
अभिभावकों के
साथ अपने अनभु वों
को साझा करें ।
विभिन्‍न पक्षियों की

मध्‍य अवकाश
आवाज़ों के बारे में
बात करें ।
शक्र
ु वार ●● बच्‍चों का स्‍वागत ●● विभिन्‍न प्रकार की ●● बच्‍चे अपनी-अपनी ●● बच्‍चों को दो ●● छोटे पत्थरों को ●● सरं चनात्‍मक ●● बगीचे की सैर जैसी ●● ध्‍वनियों में अतं र
●● परू ्व तैयारी की सतहों, आकार, पसंद के गतिविधि समहू ों में बाँटे रंग करना और (दौड़/खेल) कहानी का कर पाना।
गतिविधियाँ माप, सगु ंध, पर क्षेत्र में जाएँगे और और बच्चे उससे नयी स्‍वच्‍छंद रूप से नाटकीयकरण ●● अवलोकन

(वार्मअप) चर्चा, शि‍क्षक अपनी रुचि के खेल बगीचे से आकृ तियाँ खेले जाने वाले ●● दिन की पन ु रावृत्ति‍ ●● वर्गीकरण
●● स्‍वास्‍थ्‍य और
बगीचे से एकत्रित खेलेंगे। संबंधित बनाना (पेपर खेलों के ●● आज हमने ●● ध्‍यान कें द्रित कर
स्‍वच्‍छता की जाँच समान, जैसे बीज, ●● खेलने के बाद बच्‍चे शब्‍दों की फोल्डिंग) आयोजन। (यदि क्‍या-क्‍या किया?
टहनी, पत्ती, फूल अन्‍ताक्षरी बाह्य खेलों के पाना
●● शिशु गीत गायन
खेल की सामग्री ●● आपको किस
आदि के िवषय में। खेलेंगे आयोजन हेतु ●● रचनात्‍मक
(पेड़, फूल, निर्धारित स्‍थान गतिविधि में सबसे
वह बच्चों से किसी शैल्‍फ़/ रै क आदि में ●● बच्‍चे छोटे स्‍थान उपलब्‍ध अभिव्‍यक्‍ति
चिड़ि‍यों, एक वस्तु को न हो तो स्‍थूल अधिक मज़ा ●● क्रम के अनस
रखेंगे। समहू में ु ार
तितलियों, छोटे उठाकर, उसका माँसपेशियों के आया? सोच पाना
कीट आदि) शि‍क्षक की
नाम बताकर संचालन पर ●● शिक्षक बच्‍चों को
सहायता से ●● सोच-विचार करना
उसका वर्णन करने माली से आधारित प्रोत्‍साहित करें कि

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वे घर पर

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●● बच्‍चों के विचार/ को प्रोत्साहित साक्षात्कार गति‍विधियों का अभिभावकों के ●● अर्थ निकालना
अनभु वों की करें गे। लेने के लिए आयोजन करें साथ अपने अनभु वों ●● गिनती करना
साझेदारी ●● पेड़-पौधों की प्रश्‍न बनाएँगे को साझा करें । ●● संख्‍या बोध
●● नाम के बिल्‍ले देखरे ख और वृद्धि‍ ●● शि‍क्षक

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लगाने की के बारे में प्रयोग बच्चों से
गतिविधि बातचीत (बीज एकत्रित
●● कै लेंडर गतिविधि बोना और पौधे की समान की
वृद्धि‍का प्रथम व
अवलोकन अति ं म ध्‍वनि
●● पत्ति‍यों को गिनकर बोलने को
संख्‍या से मिलान कहें
करना
●● शिक्षक कोई एक

गिनती बोलेंगे (10


तक) और बच्‍चों
से उतनी ही सख्‍यां
में वस्‍तुएँ गिनकर
निकालने को कहेंगे

मध्‍य अवकाश

परू ्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

20-12-2019 15:16:00
Learning Indicators
and Learning Outcome
pp.182
Code — 13115
ISBN — 978-93-5007-303-2

प्रारंिभक स्तर पर सीखने के प्रतिफल Learning Outcomes


पृष्ठ संख्या.110 at the Elementry Stage
pp.108
आईएसबीएन — 978-93-5007-854-9 ISBN —978-93-5007-785-6

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Cover 2 and 3.indd All Pages 22-Nov-2019 2:51:06 PM


पूर्व-प्राथमिक पाठ्यचर्या

32128

ISBN 978-93-5292-213-0

Cover 2 and 3.indd All Pages 19-12-2019 12:46:49

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