You are on page 1of 100

ISSN: 2456-4818

अप्रैल - जूि -2023 वषष -55 अंक-2

वैज्ञानिक निन्दी नवज्ञाि सानित्य परिषद की पनिका


निन्दी

नवज्ञाि सानित्य परिषद की पनिका


वैज्ञानिक (त्रैमानिक) पनत्रका- िनमनि

श्री राजेश कुमार ममश्र


िंपादि –मंडल

डॉ संजय कुमार पाठक श्री राजेश कुमार श्री प्रवीण दु बे श्री कृष्ण कुमार वमाा

श्री िंजय गोस्वामी

व्यवस्थापक –मंडल

श्री िवीि नत्रपाठी श्री बी.एन. ममश्र श्री अनिल अनिरवार श्री प्रकाश कश्यप
अिुक्रमनणका
वैज्ञानिक2 w संदेश -1
वर्ष 55 अंक-2 संपादकीय -2
नवज्ञाि लेख
अप्रैल-जूि -2023
1वैज्ञानिक तथा औद्योनगक अिुसंधाि पररर्द का अिु संधाि- 4
-श्री एस.एम. गलां िे
*मुख्य संपादक* 2. वरदाि के रूप में नवज्ञाि 10
श्री राजेश कुमार नमश्र िा. संजय कुमाि
3. भारत में नडनजटल सावषजनिक अवसंरचिा का नवकास 13
िॉ दीपक कोहली
*संपादि मंडल* 4.नवज्ञाि से िी आएगी भारत में कृनर् क्रांनत -17
डॉ संजय कुमार पाठक -श्री आर पी तोमर
श्री राजेश कुमार 5. डीआरडीओ की उत्पनि और वैज्ञानिक नवकास -20
डॉ सरोज शुक्ला
श्री प्रवीण दु बे
श्री कृष्ण कुमार वमाष 6. दे श में नवज्ञाि एवं प्रौद्योनगकी के क्षेि में नवज्ञाि… 25
मुख्य संपादक
7. भारत में नवज्ञाि की प्रमुख उपलक्ति 34
MkWΠgseyrk iUr
* मुख्य व्यवस्थापक*
8.तीि नकताबों िे मेरे जीवि को समृद्ध नकया 37
श्री संजय गोस्वामी श्री प्रेमचन्द्र श्रीिास्ति
9. कृनर् तकिीकी के नलये भारतीय कृनर् अिुसंधाि पररर्द 38
डॉ० दया शंकर निपाठी
10. पयााििण औि प्रकृडत 40
*व्यवस्थापक मंल* डॉ मीिाक्षी पाठक
11 नवज्ञाि एवं तकिीक नवभाग द्वारा मनिलाओं…….. 42
श्री िवीि निपाठी --श्री संजय गोस्वामी
श्री बी.एि. नमश्र 12. महान िैज्ञाडनक- िॉ. होमी जहांगीि भाभा 44
-श्री उत्तम डसंह गहििाि
श्री अनिल अनिरवार 13. vkpk;Z uhyjRu /kj dk fgUnh foKku ys[ku 48
श्री प्रकाश कश्यप -डॉ izsepUnz JhokLro
14.अंतराषष्ट्रीय पोर्क अिाज वर्ष -2023 50
-श्री बी एि नमश्र
15 पेटेंट कैसे प्राप्त नकया जाता िै 52
व्यक्तिगत: रु 1000/- -श्री िवीि निपाठी
16. भारतीय ऊर्ाा कायाक्रम में नाभभकीय ईंधन..... 54
संस्थागत: रु 2000/-
-श्री बलराम नसंि
सदस्यता हे तु कृपया स्टे ट बैंक आफ इं डिया 17.आधुभनक भारत में नाभभकीय ऊर्ाा के आयाम 57
खाता संख्या : 34185199589, श्री यू.सी. मुक्तिबोध
IFSC : SBIN0001268 कृते : डहन्दी डिज्ञान 18. egku d`f"k foKkuh in~eJh MkW0 ds-,l-ih-;kno 59
साडहत्य परिषद” ई-भुगतान की िसीद ईमेल से श्री प्रेमचन्द्र श्रीिास्ति
19. अंतिााष्ट्रीय योग डदिस – एक सकािात्मक पहल 60
नीचे दी गई पते पि स्कैन कि भे जें
िॉ अंडकता डमश्रा
20. पृथ्वी डिज्ञान मंत्रालय में प्रौद्योडगकी डिकास 61
* कायाालय* संकलन: िॉ. डिजय लक्ष्मी डगिी
21 भा प्र अ केंद्र में निंदी गनतनवनधयों का सूिपात -63
िॉ माधि सक्सेना "अिडिन्द "(संस्मिण लेख )
निंदी नवज्ञाि सानित्य पररर्द 22. डिज्ञान औि प्रौद्योडगकी के क्षेत्र में िाष्ट्रीय अनुसंधान डिकास डनगम - 67
संकलन: श्री िवीि निपाठी
16-सी, कंचिजंगा, अणु शक्तििगर, 23. आईआईटी रुड़की : एडिया का पहला इं जीडनयरिं ग कॉलेज 70
मुंबई 400094. श्री प्रकाि कश्यप
फोि िंबर -022-25590285 24. इसिो ने अंतरिक्ष में क्रान्ति ला दी 73
Email id-hvsp1968@rediffmail.com/ श्री सत्य प्रभात प्रभाकर
hvsp.india1968@yahoo.com 25. स्वायत्त एस एं ि टी संस्थान 76
--श्री संजय गोस्वामी
सभी पद अिैतडनक है । प्रनतयोनगयों के नलए (oSKkfud Kku)- - lat; xksLokeh 90
‘वैज्ञानिक’ में छपे लेखों का दानयत्व लेखकों का िै. नवज्ञाि कनवता 09
नवज्ञाि समाचार-1- श्री प्रेमचन्द्र श्रीिास्ति 92
नवज्ञाि समाचार-2--श्री उत्तम डसंह गहििाि 93
- ISSN: 2456-4818 पुस्तक समीक्षा 46
मिोगत 96
वैज्ञानिक

संपादकीय

निय पाठक ,ों


वैज्ञानिक का अिैल -जूि 23 का अोंक आजादी के अमृत मह त्सव के अोंतर्गत "िौद्य नर्की नवशेषाोंक” के रूप में िकानशत नकया
र्या है । वास्तव में, िौद्य नर्की क नकसी भी दे श के नलए आनथगक नवकास का आरम्भिक साधि मािा जाता है तथा नवनभन्न
तकिीकी पररवतगि अल्प नवकनसत दे श ों के नवकास में महत्त्वपूर्ग य र्दाि करता है । आज नवज्ञाि और िौद्य नर्की के छे त्र में
भारत एक िई शम्भि के रूप में उभरा है। इसका श्रेय यहााँ के कुशल वैज्ञानिक ों और इों जीनियर ों व तकनिकीनवद ों क जाता है
नजसमें मेक इि इों निया के माध्यम से भारत तकनिकी के हर क्षेत्र में आत्मनिभगर की ओर अग्रसर है । अतः इस अोंक में दे श में
नवज्ञाि व िौद्य नर्की नवकास के लेख ों का एक वैज्ञानिक सोंकलि िस्तुत है , नजसमें दे श के वैज्ञानिक सोंस्थाि ों के बेहतर कायों क
लेख ों के माध्यम से बताया र्या है । इस अोंक हेतु नवज्ञाि और िौद्य नर्की मोंत्रालय के आदरर्ीय सनिव मह दय िॉ. एस.
िन्द्रशेखरजी का शुभकामिा सोंदेश िाप्त हुआ है। यह वैज्ञानिक पनत्रका व पररषद के सभी सदस् ों के नलए र्ौरव की बात है ज
सोंदेश आजादी के अमृत मह त्सव के शुरुआत हुई और अब आजादी का अमृत मह त्सव की अोंनतम श्रृोंखला (15 अर्स्त ,23-
76वाों स्वतोंत्रता नदवस) में इस सोंदेश से वैज्ञानिक पनत्रका का माि सम्माि बढ़ा है । अतः आदरर्ीय सनिव मह दय के शुभकामिा
सोंदेश हेतु पररषद उिका आभार िकट करती है। इस नवशेषाोंक एक दू सरा उद्दे श्य यह भी है नक हर वषग 11मई क “िेशिल
टे क्न लॉजी िे ” प खरर्-2 के सफल परमार्ु परीक्षर् हेतु मिाया जाता है । परमार्ु ऊजाग का उद्दे श्य परमार्ु ऊजाग से नबजली
उत्पन्न करिा, खाद्य उत्पादि क बढ़ािा और बिाए रखिा, उन्नत तकिीक का नवकास करिा, िैि तकिीक का नवकास
करिा है, परमार्ु ऊजाग पर नवज्ञाि लेखक ों द्वारा नलखे र्ए लेख ों क स्थाि नदया र्या है ।
िौद्य नर्की के उपय र् के कारर् ही बाहरी क्षेत्र में िए ख ज सोंभव ह पाए हैं। एक समय था जब अोंतररक्ष में एक नमशि
भेजिे क लर्भर् असोंभव मािा जाता था। लेनकि, िौद्य नर्की की शम्भि के साथ, ये अोंतररक्ष नमशि अब असोंभव कायग िहीों रह
र्ए हैं। हमारे सौर मोंिल के बाहर दे खिे के नलए, तानक मिुष् ों की पहुोंि क और भी आर्े बढ़ाया जा सके, इसके नलए और
अनधक िई तकिीक ों की ख ज की र्ई है। आज, िौद्य नर्की अपिे अिुिय र् क हर क्षेत्र में है नफर िाहे व व्यम्भिर्त ह ,
सामानजक ह , पेशेवर ह या नफर अलौनकक जीवि ह । हमारे आसपास ह िे वाली घटिाओों के बारे में हर क ई खुद क अपिे ट
रखिा िाहता है। करीब हर इन्साि द पहिाि वाला जीवि जीता हैं। एक उसका वास्तनवक जीवि है और दू सरा ई-पहिाि यािी
ज उसिे इन्टरिेट की आभासी दु निया के नलए रखा हुआ है। िमुख रूप से, नजस तरह से हम अपिा समय इों टरिेट पर नबता रहे
हैं, हम नकसी भी जािकारी क केवल एक म्भिक के द्वारा आसािी से हानसल कर सकते हैं। यहाों तक नक सरकार भी जिता से
जुड़ रही है और उिकी समस्ाओों क सुि रही है। हम आसािी से एक सोंदेश छ ड़ कर उन्हें अपिी सरल से लेकर जनटल
समस्ाओों से भी अवर्त करा सकते हैं।अििनलत िौद्य नर्नकय ों क हटा नदया र्या है और िई उन्नत िौद्य नर्नकय ों द्वारा उन्हें
बदल नदया र्या है। िौद्य नर्की द्वारा लाए र्ए िमुख सुधार ों में से एक है नवत्तीय और जिता के नलए स्वास्थ्य समावेश। सावगजनिक
पररवहि जैसे मेटर , बुलेट टर े ि, हवाई जहाज, क्रुज िे हमारी यात्रा के समय क काफी कम कर नदया है। यात्रा करिा अब उतिा
झोंझट वाला काम िहीों रह र्या है। तमाम व्यस्त िनक्रयायें जैसे नटकट बुनकोंर् और र्ोंतव्य तक पहुोंििे जैसी िनक्रया क आसाि
कर नदया है। फसल ों की उत्पादकता में सुधार के नलए आधुनिक िौद्य नर्की का इस्तेमाल नकया जाता है। नकसाि ों द्वारा अपिी
खेती क सुनवधाजिक बिािे के नलए नवनभन्न फसल उपकरर् ों का उपय र् नकया जाता है। नकसाि िौद्य नर्की का इस्तेमाल
करते हुए नवशेषज्ञ ों से सोंवाद कर सकते हैं तानक उन्हें अच्छी र्ुर्वत्ता वाले बीज ों का उपय र् करिे की सलाह नमल सके ज उन्हें
उिकी खेती में लाभ पहुोंिाएर्ा। वैनिक दु निया क एकदम सोंकुनित कर के स्थािीय दु निया बिािा केवल तकिीक द्वारा ही
सोंभव ह पाया है। वषग 2019, जब अपिे अोंनतम पड़ाव पर था तब दु निया िे िए ‘क र िा वायरस’ क दे खा।व्यापार, यात्रा,
अथगव्यवस्था, काम करिा, उत्पादि, नशक्षा आनद सभी र्नतनवनधयााँ लॉकिाउि में बोंद ह र्यी नफर, िौद्य नर्की ही थी ज
कॉनवि-19 से दु निया क बिािे के नलए आई। िौद्य नर्की के सहारे ऑिलाइि सेवाएों िालू की र्ई बाद में क र िा से निपटिे हेतु
िौद्य नर्की के माध्यम से टीके का निमागर् नकया र्या और आज सबकुछ पहले जैसा ह र्या नवकास नफर पटरी पर दौड़िे लर्ी।
िौद्य नर्की का नवकास दु निया के नलए एक वरदाि की तरह है , क् नों क मिुष् क उस दु निया के बारे में बहुत कुछ
पता िलता है नजसमें वे रह रहे हैं। इसके अलावा, िौद्य नर्की में उन्ननत के साथ-साथ िौद्य नर्की का नवकास नवनभन्न क्षेत्र ों जैसे
निनकत्सा, कृनष, नशक्षा, सूििा और िौद्य नर्की, और कई अन्य क्षेत्र ों में क्राोंनत लािे में मदद करता है। िौद्य नर्की मौनलक रूप से

2 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

अवल कि ों और िय र् ों के माध्यम से िाकृनतक और भौनतक दु निया की सोंरििा और व्यवहार का व्यवम्भस्थत अध्ययि है ; जबनक
िौद्य नर्की एक कला, कौशल या क्षमता है , नजसका उपय र् उत्पाद ों क बिािे और नवकनसत करिे और ज्ञाि िाप्त करिे के
नलए नकया जाता है। वतगमाि नवि की कल्पिा नबिा िौद्य नर्की के करिा सोंभव ही िहीों।
इों नियि साइों स एों ि ररसिग एों ि िे वलपमेंट इों िस्ट्र ी ररप टग के अिुसार भारत बुनियादी अिुसोंधाि के क्षेत्र में शीषग रैं नकोंर् वाले
दे श ों में शानमल है। नवि की तीसरी सबसे बड़ी वैज्ञानिक और तकिीकी जिशम्भि भी भारत में ही है ।
नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की मोंत्रालय द्वारा स्थानपत अिेक वैज्ञानिक स्वायत्त सोंस्थाि ,ों इसर , िीआरिीओ,भाभा परमार्ु अिुसोंधाि
केंद्र व वैज्ञानिक और औद्य नर्क अिुसोंधाि पररषद (CSIR) द्वारा सोंिानलत श ध िय र्शालाओों के जररये िािानवध श धकायग नकये
जाते हैं। भारत नवज्ञाि और िौद्य नर्की अिुसोंधाि के क्षेत्र में अग्रर्ी दे श ों में सातवें स्थाि पर है। मौसम पूवागिुमाि एवों निर्रािी के
नलये ित्युष िामक शम्भिशाली सुपरकोंप्यूटर बिाकर भारत इस क्षेत्र में जापाि, निटे ि और अमेररका के बाद िौथा िमुख दे श
बि र्या है। वहीों िैि तकिीक पर श ध के मामले में भारत दु नियाभर में तीसरे स्थाि पर है। वैनिक िवािार सूिकाोंक (Global
Innovation Index) में हम 46वें स्थाि पर हैं। भारत िेि िर े ि से िेि र्ेि की म्भस्थनत में पहुाँि रहा है और नवदे श ों में काम करिे वाले
भारतीय वैज्ञानिक स्वदे श लौट रहे हैं ।
रक्षा अिुसोंधाि एवों नवकास सोंर्ठि (DRDO) की स्थापिा 1958 में भारत सरकार के रक्षा नवभार् के अधीि की र्ई
थी। सोंर्ठि का उद्दे श्य दे श क रक्षा, उपकरर् और आयुध के मामले में आत्मनिभगर बिा,1983 के बाद िॉ. ए.पी.जे. अब्दु ल
कलाम के िेतृत्व में इस सोंस्था िे कई नमसाइलें नवकनसत कीों। नमसाइल निमागर् में िॉ. कलाम का बहुत य र्दाि है। त िॉ.
कलाम क नमसाइल कायगक्रम के जिक के साथ-साथ 'नमसाइल मैि' के रूप में भी जािा जाता है।
इस अोंक में समानहत लेख ों में मुख्य रूप से दे श के वैज्ञानिक सोंस्थाि ों के नवज्ञाि व तकनिकी नवकास के नक्रया कलाप के बारे
में नलखा र्या है. इस अवधी में आिे वाले वैज्ञानिक कायगक्रम जैसे “नवि पयागवरर् नदवस”,5जूि,2023 व “अोंतराग ष्ट्रीय य र्
नदवस” ( 21जूि,2023) के अवसर पर नवज्ञाि लेखक ों द्वारा नलखे र्ए लेख ों क स्थाि नदया र्या है इस क्रम में एक बहुत ही
दु ः खद समािार िाप्त हुआ, नहोंदी नवज्ञाि सानहत्य पररषद के सोंस्थापक सदस् ों में से एक व वैज्ञानिक के पूवग सोंपादक तथा
कथानवोंब के सोंपादक िॉ माधव सक्सेिाजी का दे हाोंत 19अिैल, 2023 क हुआ, ऐ पररषद के नलए बहुत निराशा का नवषय है
ज हमेशा पररषद के नलए मार्गदशगक के रूप में थे व अब इस दु निया से िल बसे। उिके स्मरर् हेतु उिके सम्माि में पररषद
िे एक लेख क इस पनत्रका में स्थाि नदया है, ज पररषद के स्वर्ग जयोंती के अवसर पर नलखा र्या था।
हमें आशा ही िहीों पूर्ग नविास है नक ये सभी रििाएों आप सभी पाठक ों और खासतौर पर हमारे युवा नवज्ञाि पाठक ों क जरुर
पसोंद आएर्ी। हमेशा की तरह आपके सुझाव और िनतनक्रयाओों की हम ितीक्षा करें र्े।
नहन्दी नवज्ञाि की ल कनिय पनत्रका, वैज्ञानिक से जुड़े आप सभी नवज्ञाि लेखक ों पाठक ों और सृजिशील व्यम्भिय ों के
निरों तर सहय र्, स्नेह, नविास और लर्ाव के नलए धन्यवाद ।
शुभकामिा सनहत!

राजेश कुमार ममश्र


मुख्य सम्पादक, वैज्ञानिक

-----------------------------------------xx----------------------------------------------------------------------------
(ि ट :पनत्रका में अनधकाों श तस्वीरें र्ूर्ल से शैनक्षक उद्दे श्य हे तु जिनहत में ली र्ई है – मुख्य-व्यवस्थापक )

3 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

वैज्ञामनक तथा औद्योमिक अनुसंधान पररषद का अनुसंधान

एस.एम. िलांडे
पूवव डीजीएम (पी एं ड एम), एनआरबी, बीएआरसी, मुंबई

वैज्ञानिक तथा औद्य नर्क अिुसोंधाि पररषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) भारत का सबसे
बड़ा अिुसोंधाि एवों नवकास (R&D) सोंर्ठि है । CSIR एक अम्भखल भारतीय सोंस्थाि है नजसमें 37 राष्ट्रीय िय र्शालाओों, 39
दू रस्थ केंद्र ,ों 3 िव न्मेषी पररसर ों और 5 इकाइय ों का एक सनक्रय िेटवकग शानमल है।
स्थापिा: नसतोंबर 1942 -मुख्यालय: िई नदल्ली इसके अनतररि नवत्त सनिव (व्यय) इसका पदे ि सदस्
वैज्ञानिक तथा औद्य नर्क अिुसोंधाि पररषद , नवज्ञाि एवों ह ता हैं ।अन्य सदस् ों का कायगकाल तीि वषों का ह ता है।
िौद्य नर्की मोंत्रालय द्वारा का नवत्तप षर् नकया जाता है तथा वैज्ञानिक तथा औद्य नर्क अिुसोंधाि पररषद (CSIR)
यह स सायटी पोंजीकरर् अनधनियम, 1860 के अोंतर्गत एक सलाहकार ब िग : यह नवज्ञाि और िौद्य नर्की क्षेत्र के िमुख
स्वायत्त निकाय के रूप में पोंजीकृत है । वैज्ञानिक तथा व्यम्भिय ों का 15 सदस्ीय निकाय ह ता है ।इसका कायग
औद्य नर्क अिुसोंधाि पररषद (CSIR) अपिे दायरे में शासी निकाय क नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की सोंबोंधी सलाह या
रे निय एवों अोंतररक्ष भौनतकी (Space Physics), समुद्र इिपुट्स िदाि करिा है।इसके सदस् ों का कायगकाल तीि
नवज्ञाि (Oceanography), भू-भौनतकी (Geophysics), वषों का ह ता है ।
रसायि, िर ग्स, जीि नमक्स (Genomics), जैव िौद्य नर्की उद्दे श्य:
और िैि टे क्न लॉजी से लेकर खिि, वैमानिकी
पररषद का उद्दे श्य राष्ट्रीय महत्त्व से सोंबोंनधत वैज्ञानिक और
(Aeronautics), उपकरर् नवज्ञाि (Instrumentation),
औद्य नर्क अिुसोंधाि करिा है।
पयागवरर् अनभयाोंनत्रकी और सूििा िौद्य नर्की तक की
एक नवस्तृत नवषय शोंखला क शानमल करता है। इसकी र्नतनवनधय ों में शानमल हैं :
• वैज्ञानिक िवािार से सोंबोंनधत सोंस्थाि ों और नवनशष्ट्
श धकत्तागओों के नवत्तप षर् सनहत भारत में
वैज्ञानिक एवों औद्य नर्क अिुसोंधाि का सवर्द्ग ि,
मार्गदशगि और समन्वयि करिा।
• उद्य र् नवशेष और व्यापार नवशेष क िभानवत
करिे वाली समस्ाओों के वैज्ञानिक अध्ययि के
नलये नवशेष सोंस्थाि ों या मौजूदा सोंस्थाि ों के
नवभार् ों की स्थापिा करिा और सहायता दे िा।
यह सामानजक ियास ों के सोंबोंध में कई क्षेत्र ों में महत्त्वपूर्ग
• श ध हेतु छात्रवृनत्त और फैल नशप िदाि करिा।
तकिीकी हस्तक्षेप िदाि करता है नजसमें पयागवरर्,
स्वास्थ्य, पेयजल, भ जि, आवास, ऊजाग , कृनष-क्षेत्र और • पररषद के तत्त्वावधाि में नकये र्ए अिुसोंधाि के
र्ैर-कृनष क्षेत्र शानमल हैं। पररर्ाम ों का उपय र् दे श में उद्य र् ों के नवकास के
नलये करिा।
सोंर्ठिात्मक सोंरििा
• अिुसोंधाि के पररर्ाम स्वरूप िाप्त ह िे वाली
अध्यक्ष: भारत का िधािमोंत्री (पदे ि अध्यक्ष) उपाध्यक्ष:
रॉयल्टी के एक नहस्से का भुर्ताि उि व्यम्भिय ों
केंद्रीय नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की मोंत्री (पदे ि उपाध्यक्ष)
क करिा नजन्ह ि ों े ऐसे अिुसोंधाि में महत्त्वपूर्ग
शासी निकाय/सोंिालक मोंिल: महानिदे शक (Director य र्दाि नकया ह ।
General) शासी निकाय का िमुख ह ता है।

4 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

• वैज्ञानिक और औद्य नर्क अिुसोंधाि में िर्नत के वैमिक मान्यता:


नलये िय र्शालाओों, कायगशालाओों, सोंस्थाि ों तथा म्भस्कमार् इों स्ट्ीट्यूशोंस रैं नकोंर् (Scimago Institutions
सोंर्ठि ों की स्थापिा, रखरखाव एवों िबोंधि। Rankings): वैज्ञानिक तथा औद्य नर्क अिुसोंधाि पररषद
• वैज्ञानिक अिुसोंधाि ों सोंबोंधी सूििाओों के सोंग्रह (CSIR) क ज्ञाि सृजि में अोंतराग ष्ट्रीय िेतृत्वकत्ताग के रूप में
और िसार के साथ-साथ सामान्य रूप से निनित नकया जाता है। िनतनित म्भस्कमार् इों स्ट्ीट्यूशोंस
औद्य नर्क मामल ों के सोंबोंध में भी सूििाओों का रैं नकोंर् 2022 ररप टग में CSIR क नवि के सरकारी सोंस्थाि ों
सोंग्रह और िसार करिा। की श्रेर्ी में 17वााँ स्थाि िदाि नकया र्या है।
• श ध पत्र ों और औद्य नर्क अिुसोंधाि एवों नवकास बौम्भर्द्क सोंपदा: नवि के सावगजनिक रूप से नवत्तप नषत
से सोंबोंनधत पनत्रका का िकाशि करिा। अिुसोंधाि सोंर्ठि ों की श्रेर्ी में CSIR नवि भर में पेटेंट
दृनष्ट्क र् एवों रर्िीनत 2024 (Vision & Strategy 2024) दाम्भखल करिे और हानसल करिे के मामले में अग्रर्ी स्थाि
रखता है।सावगजनिक रूप से नवत्तप नषत नकसी भी भारतीय
दृमिकोण: ऐसे नवज्ञाि का िसार करिा ज वैनिक िभाव
अिुसोंधाि एवों नवकास सोंर्ठि क िाप्त अमेररकी पेटेंट में
के नलये ियास करे , ऐसी िौद्य नर्की तैयार करिा ज से 90 िनतशत CSIR क िाप्त हुए हैं।
िव न्‍मेष आधाररत उद्य र् ों का नवकास करे और परानवषयी
(Trans-Disciplinary) िेतृत्‍व का सोंप षर् करे तानक वैज्ञानिक तथा औद्य नर्क अिुसोंधाि पररषद (CSIR)
भारत के ल र् ों के नलये समावेशी आनथगक नवकास क िनतवषग औसति 200 भारतीय पेटेंट और 250 नवदे शी
उत्‍िेररत नकया जा सके। पेटेंट दाम्भखल करता है । CSIR के लर्भर् 13.86 िनतशत
पेटेंट लाइसेंस िाप्त हैं और यह सोंख्या वैनिक औसत से
पुरस्कार/सम्मान अनधक है। वैज्ञानिक तथा औद्य नर्क अिुसोंधाि पररषद
नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की क्षेत्र में उपलम्भि के नलये िदाि की िमुख उपलम्भियााँ हैं :
नकया जािे वाला शाोंनत स्वरूप भटिार्र (SSB) पुरस्कार सामररक क्षेत्र में: दृनष्ट् टर ाोंसनमस मीटर (Drishti
का िामकरर् वैज्ञानिक तथा औद्य नर्क अिुसोंधाि पररषद Transmissometer): यह एक स्वदे शी - िव न्मेषी –
(CSIR ) के सोंस्थापक निदे शक स्वर्ीय िॉ. शाोंनत स्वरूप लार्त िभावी दृश्यता मापि िर्ाली है ज नवमाि िालक ों
भटिार्र के िाम पर नकया र्या है।इसे वषग 1957 में दे श क सुरनक्षत लैंनिों र् और टे क-ऑफ सोंिालि के नलये
में नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की के क्षेत्र में सबसे िनतनित और दृश्यता सोंबोंधी जािकारी िदाि करती है तथा सभी
सम्मािजिक पुरस्कार के रूप में निनदग ष्ट् नकया र्या था। एयरप टग श्रेनर्य ों के उपय र् के नलये उपयुि है।
िॉ. शाों नत स्वरूप भटिार्र:वे वैज्ञानिक तथा औद्य नर्क हेि-अप-निस्ले (Head-Up-Display- HUD): राष्ट्रीय
अिुसोंधाि पररषद (CSIR) के सोंस्थापक निदे शक थे नजन्हें वाोंतररक्ष िय र्शाला (CSIR-National Aerospace
12 राष्ट्रीय िय र्शालाओों की स्थापिा का श्रेय नदया जाता Laboratories- NAL) िे भारतीय हल्के लड़ाकू नवमाि
है।स्वातोंत्र्य त्तर भारत में नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की अवसोंरििा तेज़स के नलये स्वदे शी हेि-अप-निस्ले (HUD) नवकनसत
के निमागर् और भारत की नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की िीनतय ों के करके एक महत्त्वपूर्ग य र्दाि नदया है। हेि-अप-
निमाग र् में उन्ह ि ों े महत्त्वपूर्ग भूनमका निभाई। इसके साथ निस्ले(HUD) नवमाि की उड़ाि और हनथयार लक्ष्यीकरर्
ही वे सरकार में कई महत्त्वपूर्ग पद ों पर भी कायगरत रहे ।वे सनहत महत्त्वपूर्ग उड़ाि युर्द्ाभ्यास में नवमाि िालक की
नविनवद्यालय अिुदाि आय र् (UGC) के पहले अध्यक्ष थे। सहायता करता है।
उन्हें ‘ऑिग र ऑफ निनटश एम्पायर’ (OBE) से सम्मानित स्वदे शी र्ायर टर ॉि (Gyrotron): CSIR द्वारा परमार्ु
नकया र्या था। उन्हें 1941 में ‘िाइट’ (Knight) की उपानध सोंलयि ररएक्टर के नलये स्वदे शी र्ायर टर ॉि का निमागर्
दी र्ई थी और 1943 में फैल ऑफ द रॉयल स साइटी, और नवकास नकया र्या है।र्ायर टर ॉि एक वैक्ूम
लोंदि िुिे र्ए थे। इलेक्टरॉनिक उपकरर् (Vacuum Electronic Device-
VED) है ज उच्च-शम्भि, उच्च-आवृनत्त के THz नवनकरर्
उन्हें भारत के राष्ट्रपनत द्वारा 1954 में पद्म नवभूषर् से
उत्पन्न करिे में सक्षम है।
सम्मानित नकया र्या।

5 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

ऊजाव एवं पयाववरण क्षेत्र में:


सोलर ट्र ी (Solar Tree): इसे वैज्ञानिक तथा औद्य नर्क
अिुसोंधाि पररषद (CSIR) के दु र्ाग पुर म्भस्थत केंद्रीय याों नत्रक
अनभयाोंनत्रकी अिुसोंधाि सोंस्थाि (Central
Electrochemical Research Institute- CMERI)
िय र्शाला द्वारा नवकनसत नकया र्या है । यह स्वच्छ
नबजली का उत्पादि करिे के नलये न्यूितम स्थाि घेरता
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में:
है।नलनथयम-आयि बैटरी: तनमलिािु म्भस्थत केंद्रीय नवद् युत
रसायि अिुसोंधाि सोंस्थाि (Central Electrochemical कृमष मवेमशयों के मलये जेडी ट्ीका (JD Vaccine):
Research Institute- CECRI), कराईकुिी िे पहले भेड़, बकरी, र्ाय और भैंस क िभानवत करिे वाले फुराव
स्वदे शी नल-आयि (Li-ion) निमागर् िनतिाि की स्थापिा र र् (Johne’s disease- JD) के नलये टीका नवकनसत कर
की है नजसका रक्षा, सौर ऊजाग से िलिे वाले उपकरर्, इसका वानर्ज्यीकरर् नकया र्या है तानक उन्हें र र् ों से
रे लवे और अन्य उच्च-स्तरीय उपय र् ों में अिुिय र् ह ता बिाते हुए दू ध और माोंस उत्पादि में वृम्भर्द् की जा सके।
है। समयपूवग जन्म और सेम्भिस र र् से ह िे वाली मृत्यु के नलये
कृमष के क्षेत्र में: लाज़्मा जेल्स नलि िायग्न म्भस्ट्क नकट (Plasma Gelsolin
Diagnostic Kit): इसे समयपूवग जन्म और सेम्भिस के
औषधीय एवों सुर्ोंनधत पौधे: दे श में औषधीय और सुर्ोंनधत
निदाि के नलये नवकनसत नकया र्या है।
पौध ों की उन्नत खेती िई नकस्म ों और कृनष-िौद्य नर्नकय ों
के नवकास के माध्यम से ही सोंभव हुई है। िोमेड (GOMED): सीएसआईआर(CSIR) द्वारा GOMED
(Genomics and other Omics Technologies for
सांबा मसूरी चावल प्रजामत: CSIR िे ICAR के साथ
Enabling Medical Decision) िामक एक कायगक्रम
नमलकर एक बेहतर बैक्टीररयल ब्लाइट िनतर धी साोंबा
नवकनसत नकया र्या है ज िैदानिक समस्ाओों क हल
मसूरी िावल की नकस्म नवकनसत की है। साोंभा सब वि
करिे के नलये र र् जीि नमक्स का एक मोंि िदाि करता
महीि िजानत का धाि है ज 145 से 155 नदि में तैयार
है।
ह ता है। पोंत-24 मध्यम श्रेर्ी का धाि है नजसकी पैदावार
120 से 130 नदि में ह ती है। इसके अलावा सीआट् स-4 खाद्य एवं पोषण के क्षेत्र में:
धाि मौजूद हैं। यह भी 145 से 155 नदि में तैयार ह जाता क्षीर-स्कैनर (Ksheer-scanner): यह
है। सीएसआईआर(CSIR) के केंद्रीय इलेक्टरॉनिकी
अनभयाोंनत्रकी अिुसोंधाि सोंस्थाि (Central Electronics
Engineering Research Institute- CEERI) का
िव न्मेषी आनवष्कार है ज 10 पैसे की लार्त पर 45
सेकोंि में दू ध के नमलावट स्तर और नमलावटी पदाथग का
पता लर्ा सकता है , नजससे दू ध व्यापार में सनक्रय
नमलावटकत्ताग ओों पर नियोंत्रर् रखा जा सकता है।

आसेमनक दू मषत क्षेत्रों के मलये चावल मकस्म (मुक्ताश्री):


िावल की एक नकस्म नवकनसत की र्ई है ज अिुमेय
सीमा के भीतर आसेनिक के ग्रहर् क नियोंनत्रत रखती है।
सफेद मक्खी (White-fly) प्रमतरोधी कपास प्रजामत:
एक टर ाोंसजेनिक कपास नकस्म नवकनसत की र्ई ज नक
सफेद-मक्खी के नलये िनतर धी है।

6 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

िबल फ नटग फाइि िमक (Double-Fortified Salt) : और फ्लाई ऐश (थमगल पावर लाोंट से) जैसे औद्य नर्क
आय िीि और आयरि के साथ फ नटग फाइि िमक का किरे का उपय र् कर अनवषाि नवनकरर् परररक्षर्
नवकास नकया र्या है ज ल र् ों में एिीनमया र र् क दू र सामग्री (Non-toxic Radiation Shielding Materials)
कर सकता है। का नवकास नकया र्या है , नजसे िैदानिक एक्स-रे कक्ष में
मोट्ापा-रोधी डीएजी तेल (Anti-obesity DAG Oil): अिुिय र् हेतु परमार्ु ऊजाग नियामक ब िग (Atomic
यह तेल पारों पररक टर ाईनसलेम्भिसर ल (triacylglycerol- Energy Regulatory Board- AERB) की मान्यता िाप्त
TAG) के बजाय नियानसलम्भिसर ल (Diacylglycerol- है।
DAG) से समृर्द् है ज म टापा क र कता है। अपमशि प्लास्टिक से ईंधन: अपनशष्ट् लाम्भस्ट्क क
र्ैस लीि/िीज़ल या एर मेनटक्स में पररवनतगत करिे की
िनक्रया नवकनसत की र्ई है। अनमट स्ाही: िुिाव ों के
दौराि मतदाताओों के िाखूि ों में इस्ते माल की जािे वाली
अनमट स्ाही भी सीएसआईआर(CSIR) द्वारा िदत्त एक
समय-परीक्षनर्त उपहार है ।
1952 में नवकनसत इस स्ाही का उत्पादि सवगिथम
पररसर में ही नकया र्या था। इसके बाद से औद्य नर्क क्षेत्र
द्वारा इस स्ाही का निमाग र् नकया जा रहा है। इसका
नियागत श्रीलोंका, इों ि िेनशया, तुकी और अन्य ल कताों नत्रक
जल क्षेत्र में: जल अभावग्रस्त क्षेत्र ों के जलवाही स्तर मापि: दे श ों क भी नकया जाता है।
हेनलबॉिग टर ाोंनजएों ट इलेक्टर मैग्नेनटक और सफेस मैग्नेनटक
तकिीक पर आधाररत जलवाही स्तर मापि (Aquifer
Mapping) राजस्थाि , नबहार, किागटक, महाराष्ट्र और
तनमलिािु के छह अलर्-अलर् भूवैज्ञानिक स्थल ों पर
नकया र्या। र्ोंर्ाजल के नवशेष र्ुर् ों क समझिा: र्ोंर्ा की
जल र्ुर्वत्ता और तलछट नवश्लेषर् का अध्ययि उि
नवनभन्न क्षेत्र ों में नकया जा रहा है, जहााँ से र्ोंर्ा िवानहत ह ती
है।
कौशल मवकास: वैज्ञानिक तथा औद्य नर्क अिुसोंधाि
पररषद (CSIR) अपिी अत्याधुनिक अवसोंरििा और मािव
सोंसाधि ों का उपय र् करते हुए एक सोंरनित वृहत कौशल
नवकास पहल पर कायग कर रहा है । िनतवषग 5000 से
अनधक अभ्यनथगय ों क कौशल िदाि करिे के नलये लर्भर्
30 उच्च तकिीक कौशल/िनशक्षर् कायगक्रम शुरू नकये
जा रहे हैं।

अपमशि से धनोपाजवन (Waste to Wealth):


एक्स-रे सोंरक्षर् के नलये अनवषाि नवनकरर् परररक्षर्
सामग्री: लाल कीिड़/रे ि मि (एल्युमीनियम उद्य र् ों से)

7 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

कौशल नवकास कायगक्रम के दायरे में निम्ननलम्भखत क्षेत्र • केंद्रीय कााँ ि एवों नसरानमक अिुसोंधाि सोंस्थाि,
शानमल हैं: िमग िनक्रया िौद्य नर्की; िमड़े के जूते और क लकाता (CSIR-Central Glass Ceramic
वस्त्र; जोंर् से सोंरक्षर् के नलये पेंट और क नटों ग्स; Research Institute, Kolkata)
इलेक्टर लेनटों र् और धातु पररष्करर्; लीि एनसि बैटरी • केंद्रीय औषनध अिुसोंधाि सों स्थाि, लखिऊ (CSIR-
रखरखाव; िास मिके आभूषर् / ब्लू पॉटरी; औद्य नर्क Central Drug Research Institute, Lucknow)
रखरखाव अनभयाोंनत्रकी; इों टरिेट ऑफ नथोंग्स (IoT); तथा • क नशकीय एवों आर्नवक जीव नवज्ञाि केंद्र, है दराबाद
नवनियामक - िीम्भिनिकल टॉम्भक्सक लॉजी। (CSIR-Centre for Cellular Molecular Biology,
नवमािि: वैज्ञानिक तथा औद्य नर्क अिुसोंधाि पररषद Hyderabad)
(CSIR)-राष्ट्रीय वाोंतररक्ष (एयर स्पेस) िय र्शालाओों िे • केंद्रीय खिि एवों ईोंधि अिुसोंधाि सोंस्थाि, धिबाद
'सारस' (SARAS) िामक एक नवमाि का निज़ाइि तैयार (CSIR-Central Institute of Mining and Fuel
नकया है। राष्ट्रीय एयर स्पेस िय र्शालाओों और मनहों द्रा Research, Dhanbad)
एयर स्पेस द्वारा सोंयुि रूप से निनमगत भारत के पहले • केंद्रीय औषधीय एवों सर्ोंध पौधा सोंस्थाि, लखिऊ
स्वदे शी िार्ररक नवमाि NAL NM5 का वषग 2011 में (CSIR-Central Institute of Medicinal Aromatic
सफलतापूवगक परीक्षर् नकया र्या। Plants, Lucknow)

पारं पररक ज्ञान मडमजट्ल लाइब्रेरी: • केंद्रीय िमग अिुसोंधाि सोंस्थाि, िेन्नई (CSIR-Central
Leather Research Institute, Chennai)
सीएसआईआर(CSIR) िे नवि में पहली बार 'पारों पररक
ज्ञाि निनजटल लाइिेरी' (Traditional Knowledge • जीि नमकी और समवेत जीवनवज्ञाि सोंस्थाि, नदल्ली
Digital Library) की स्थापिा की है। यह पााँि अोंतराग ष्ट्रीय (CSIR-Institute of Genomics and Integrative
भाषाओों (अोंग्रेज़ी, जमगि, फ्रेंि, जापािी और स्पेनिश) में Biology, Delhi)
उपलि है । • भारतीय समवेत औषध सोंस्थाि, जम्मू (CSIR-Indian
Institute of Integrative Medicine, Jammu)
• भारतीय पेटर नलयम सोंस्थाि, दे हरादू ि (CSIR-Indian
Institute of Petroleum, Dehradun)
• राष्ट्रीय वाों तररक्ष िय र्शालाएाँ , बोंर्लूरु (CSIR-
National Aerospace Laboratories, Bengaluru)
• राष्ट्रीय विस्पनत अिुसोंधाि सोंस्थाि, लखिऊ (CSIR-
National Botanical Research Institute,
Lucknow)
• सूक्ष्मजीव िौनद्यनर्की सोंस्थाि, िोंिीर्ढ़ (CSIR-
सीएसआईआर(CSIR) िे पारों पररक ज्ञाि के आधार पर Institute of Microbial Technology,
Chandigarh)
घाव ों का भरिे के नलये हल्दी और कीटिाशक के रूप में
िीम के उपय र् के नलये सोंयुि राज्य अमेररका में पेटेंट • राष्ट्रीय पयाग वरर् अनभयाोंनत्रकी अिुसोंधाि सोंस्थाि,
िदाि नकये जािे का नवर ध करते हुए इसे िुिौती दी। िार्पुर (CSIR-National Environmental
जीि म अिुक्रमर् (Genome Sequencing): Engineering Research Institute, Nagpur)
सीएसआईआर(CSIR) िे 2009 में मािव जीि म का • राष्ट्रीय समुद्रनवज्ञाि सोंस्थाि, र् वा (CSIR-National
अिुक्रमर् तैयार नकया। Institute of Oceanography, Goa)

कुछ प्रमुख सीएसआईआर(CSIR) प्रयोिशालाएँ • राष्ट्रीय धातुकमग िय र्शाला, जमशेदपुर (CSIR-


National Metallurgical Laboratory,
• उन्नत पदाथग तथा िसोंस्करर् अिुसोंधाि सोंस्थाि, भ पाल Jamshedpur)
(CSIR-Advanced Materials and Processes
Research Institute, Bhopal) • राष्ट्रीय भौनतक िय र्शाला, िई नदल्ली (CSIR-
National Physical Laboratory, New Delhi)

8 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

मवज्ञान कमवता

मवि को बदल मदया ट्े क्नोलॉजी

हर प्रश्न का क्षण में उत्तर, अन्नदाता कब तक रोएं िे ||

यूं सब को में दे सकता हं | भूमंडल से नभमंडल तक,

पूरे मवि को बदल मदया है जाना है अब बहत आसान |

हर घर में मैं रहता हं || मंिल तक भी पहंच िए हम,

कृमष, खरीद, कला, मवज्ञान, बना मदया जो मंिलयान ||

सब की क्ांमत लाता हं | बच्ों और वृद्ों तक का भी,

इस दौर का जनक ही कहलों, बातचीत, अब पलभर का काम |

मैं ट्े क्नोलॉजी कहलाता हं || इन्टरनेट् का दौर यह दे खो,

पूरे मवि की पुस्तके, फेसबुक पर सब का नाम ||

जेबों में अब सजाई है | जैसे बजती फोन की घंट्ी,

स्पशव मात्र से तुम सबको, मस्टम्मयां कमर कस लेती हैं |

कहामनयां भी सुनाई है || मामा, मामी, चाचा, चाची से,

इस महामारी में मैंने, घंट्ो भी बात कर लेती हैं ||जोडा मैने पूरे मवि को,

मशक्षको को घर-घर तक पहंचाया है | और नजदीक ले आया है |

हर मवद्याथी, हर विव को, सबकी जैबों में मैने,

मवद्याअध्ययन करवाया है || पूरे मवि को समाया है ||

दु कानें समाई है जेबों में,

ट्े बल पर है बैंक तुम्हारा |

घर बैठे खेलो-खेलो को,

पास आ िया मवि ये सारा ||

डर ोन से कर सकते हैं बाररश,

क्षणों में खेतों को हम जोतेंिे | -सोंजय र् स्वामी

लहलहाते दे ख फसलों को,

9 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

वरदान के रूप में मवज्ञान


डा. संजय कुमार
संयुक्त कुलसमचव (सामान्य प्रशासन)
काशी महन्दू मविमवद्यालय, वाराणसी

नवज्ञाि के िमत्कार ों िे हमेशा से मािव जीवि क सरल बिािे का ियास नकया है । यही कारर् है नक मािव
आज तकिीक पर बहुत निभगर ह र्या है । आज हम घर बैठे-बैठे नकसी से भी म बाइल के माध्यम से बात कर सकते है । कोंप्यूटर के
माध्यम से हमारा कायग सरल ह र्या है और यातायात के नवनभन्न साधि ों के माध्यम से हमारी यात्रा सुखद ह र्ई है ।आज के समय में बच्चे
इों टरिेट की वजह से कोंप्यूटर या म बाइल में ऑिलाइि नशक्षा िाप्त की जा सकती है। यह नवज्ञाि काफी बड़ी कीनतग है साथ ही नवज्ञाि हमारे
स्वास्थ्य के नलए भी महत्वपूर्ग है ।“

मवज्ञान का अथव एवं पररभाषा - मवद् युत मवज्ञान:नवद् युत नवज्ञाि का सबसे बड़ा नवि कार
है। अनधकतर वैज्ञानिक आनवष्कार नवद् युत पर निभगर है
नवज्ञाि शब्द सोंस्कृत के नवज्ञािम से बिा है। नजसका अथग है ।नवद् युत के अभाव में त आज जीवि की कल्पिा भी िहीों
नवशेष ज्ञाि। या नफर हमें इसे वस्तुओों के व्यवम्भस्थत ज्ञाि भी की जा सकती नवज्ञाि में मािव जीवि क सुखमय बिा नदया
कह सकते हैं। नवज्ञाि क अोंग्रेजी में साइों स कहते हैं साइों स है आज सदी क दू र करिे के नलए हीटर आनद का िय र्
लैनटि भाषा का शब्द नजसका अथग ह ता है जाििा। घर में नकया जाता है। आज खािा बिािे के नलए म्भस्त्रय ों क
आर् और धुएों से अपिी आों खें िहीों िलािी पड़ती। नबजली
नवज्ञाि (SCIENCE) -
के िूल्हे और र्ैस के िूल्हे पर भ जि आसािी से पि जाता
िकृनत के क्रमबर्द् अध्ययि से अनजगत एवों िय र् द्वारा है नबजली के िकाश से आज अोंधकार िकाश में बदल र्या
िमानर्त वर्ीकृत ज्ञाि क ही नवज्ञाि कहते हैं। है इसी िकार से ही आज वही सबका रात में भी नकए जा
सकते हैं। नजिके नलए हम नदि निकलिे का इों तजार करते
वैज्ञानिक आनवष्कार के कारर् मािव िे अिेक भौनतक
हैं। यातायात के क्षेत्र में त नवज्ञाि िे क्राोंनत ला दी है ।आज
शम्भिय ों पर नवजय पाई है। मािव िे नवद् युत, र्ैस, इथर,
नजस यात्रा पर कई नदि लर्ते थे भाई कई घोंट ों में पूरी ह िे
और अर्ु जैसी शम्भिय ों पर नवजय पाकर रे ल, तार ,म टर,
लर्ी है तथा घोंट ों की यात्रा अब नमिट ों में सोंभव ह र्ई है।
वायुयाि और अर्ु बम बिा िाले हैं।
दू र सोंिार के साधि ों िे त नवि क बहुत छ टा कर नदया है
नवि के एक क िे में बैठा व्यम्भि दू सरे क िे में बैठे व्यम्भि से

10 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

टे लीफ ि पर इस तरह बात कर सकता है। माि वह द ि ों सुख में बिािे के नलए बहुत से अनवष्कार नकए हैं जैसे खेती
पास पास बैठे ह । अब त मािव अन्य ग्रह ों की भी यात्रा कर के सरल तरीके। खेती क सरल बिािे के नलए अिेक योंत्र
आया है वह िाोंद पर उतर िुका है निनकत्सा के क्षेत्र में भी का उपय र् करिा जैसे - टर ै क्टर , हावेस्ट्र, कोंपाइि, आनद
मािव िे अभूतपूवग सफलता पाई है नवज्ञाि की सहायता से
इि मशीि ों की सहायता से अनधक काम बहुत ही कम
मािव शरीर में हृदय र्ुदाग िेत्र आनद का ित्यार पर् सोंभव ह
समय में ह सकता है। मािव जीवि क सुखमय बिािे के
पाया है।ज िॉक्टर क समझ में िहीों आते हैं। त ऐसे में
िॉक्टर वीनिय कॉल के माध्यम से दू सरे िॉक्टर से बातिीत नलए हमारी मशीि ों का बहुत ही अहम भूनमका है। जैसे -
कर सलाह ले सकते हैं । हर एक वस्तु नजससे हमें लाभ ह ता रे नफ्रजरे टर, टीवी, िेस जैसी मशीि ों का आनवष्कार नकया
है उससे कुछ हानियाों भी ह ती हैं। नवज्ञाि के िय र् और है। क ई ऐसा समय था जब ल र् ों के अकाल से मरिे की
अनवष्कार ों की वजह से कन्या भ्रूर् हत्या क बढ़ावा नमल खबर क बहुत सुिा जाता था लेनकि नवज्ञाि की वजह से
रहा है ल र् नवज्ञाि के इि शास्त्र ों का िय र् कर अपराध
आज के समय में शायद ही क ई ऐसी खबर सुििे क
करते हैं। ज नक नवज्ञाि के नलए एक अनभशाप है।
नमलती है। नजसमें ल र् भूख से मरते हैं पहले ल र् पेड़ पौध ों
की पनत्तयाों और जािवर ों की खाल से अपिे शरीर क िरते
थे लेनकि आज के समय में सभी के पास अपिे शरीर क
ढकिे के नलए कपड़े हैं ।

बीमाररयों पर काबू :पहले ल र् लेर्, मलेररया, िें र्ू , हैजा


जैसी बीमाररय ों से ग्रस्त ह कर मर जाते थे लेनकि आज के
समय में नवज्ञाि िे इि सभी बीमाररय ों पर अपिा नियोंत्रर्
कर नलया है नवज्ञाि की वजह से हमारे जीवि की सुख
सुनवधाओों का भी आय जि ह पाया है। आज के समय में
"आज का नवज्ञाि कल की तकिीक है।"
दु श्मि ों से अपिी रक्षा करिे के नलए बहुत से साधि उपलि
मनोरं जन :मि रों जि के क्षेत्र में भी नवज्ञाि पीछे िहीों है है आज के वैज्ञानिक युर् में हमारे नलए सुई से लेकर बड़े -
।आज हम टे लीनवजि पर केवल िलती नफरती तस्वीरें ही
बड़े जहाज ों टर े ि ों नवमाि ों और कृनत्रम ग्रह तक बिाए जा
िहीों दे खते अनपतु उसे ऐसे दे खते हैं। नक माि घटिाएों
िुके हैं इि सब का उपय र् हम ित्यक्ष और पर क्ष रूप से
हमारे सामिे घनटत ह रही ह अब र्र्तोंत्र नदवस की परे ि
या नक्रकेट मैि क दे खिे के नलए घर से बाहर िहीों निकलिा करते हैं।
पड़ता।

"नवज्ञाि मािवता के नलए सुोंदर उपहार है हमें इसे नवकृत


िहीों करिा िानहए।"

"आज का नवज्ञाि कल की तकिीक है।"

"मािा नवज्ञाि में हमिे नकया है नवशेष, मवज्ञान के उपयोि -

नफर भी अभी बहुत कुछ करिा है अवशेष।" संचार के क्षेत्र में -

नवज्ञाि की वजह से मिुष् जीवि आज बहुत ही सुख में ह सोंिार के क्षेत्र में नवज्ञाि की बहुत ही अहम भूनमका है नवज्ञाि
र्या है। आज के समय में नवज्ञाि मिुष् के जीवि से जुड़ की ही वजह से हम दू र बैठे व्यम्भि से आसािी से बात कर
र्या है। नजसके नबिा मिुष् अपिे जीवि की कल्पिा भी सकते हैं। यह सब नवज्ञाि की वजह से सोंभव ह पाया है।
िहीों कर सकता। नवज्ञाि िे मिुष् जीवि क सरल और टीवी, रे निय ,टे लीफ ि ,ई-मेल, वीनिय कॉल और म बाइल

11 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

फ ि आनद के अनवष्कार की वजह से ही आज समािार एक छ टे बाोंध ों की सहायता से िहर ों क निकालिा भी नवज्ञाि के


पल में एक जर्ह से दू सरी जर्ह भेजा जा सकता है नजतिे कारर् ही सोंभव ह पाया है नजसकी वजह से नकसाि ों क
भी िथम उपग्रह हैं उन्ह ि ों े इस नदशा में और अनधक कृनष में सहायता के नलए उिकी आवश्यकता के अिुसार
सफलता िाप्त की है और िई िई खबरें पल भर में िाप्त ह पािी नमल सके। नशक्षा के क्षेत्र में -नशक्षा के क्षेत्र में नवज्ञाि िे
जाती हैं। म बाइल ज नक नवज्ञाि का बहुत बड़ा अनवष्कार अपिे अनवष्कार ों जैसे- इों टरिेट, कोंप्यूटर ,म बाइल फ ि से
है नजसके माध्यम से हम घर बैठे क ई भी काम कर सकते बहुत बड़ा य र्दाि नदया है । नवज्ञाि की वजह से ही नशक्षा
हैं। के क्षेत्र में मुद्रा के योंत्र ों का आनवष्कार ह िा सोंभव ह पाया
है। आज मुद्रर् योंत्र ों की वजह से ही पुस्तक ों क छापिा
यातायात के क्षेत्र में -
सोंभव हुआ है। इसके अलावा समािार पत्र ों ,पत्र-पनत्रकाओों
पहले समय में मिुष् क लोंबी और दू र की यात्रा क पूरा और नकताब ों क छापिा सोंभव ह पाया है। मुद्रर् योंत्र ों की
करिे के नलए बरस लर् जाते थे लेनकि नवज्ञाि की वजह से वजह से ज क्राोंनत हुई है वह घर घर पहुोंि कर ल र् ों क
आज लोंबी यात्रा कुछ ही घोंट ों में तय की जा सकती है आज ज्ञाि में वृम्भर्द् कर रही है । आजकल बच्चे म बाइल से भी
मिुष् टर े ि ,म टर ,पािी के जहाज, हवाई जहाज से दू र से पढ़ाई करिे लर्े हैं । घर बैठे अच्छे से अच्छे टीिर से आप
दू र की यात्रा बहुत ही जल्दी पूरा कर सकता है। यातायात में म बाइल की सहायता से पढ़ सकते हैं। मि रों जि के क्षेत्र में
उन्ननत ह िे की वजह से व्यापार के क्षेत्र में भी उन्ननत हुई है। -नवज्ञाि के कारर् ही आज मि रों जि के अिेक साधि जैसे -
आज नवज्ञाि की वजह से ही व्यापार अपिी असीम टीवी, रे निय , िलनित्र का आनवष्कार ह िा सोंभव हुआ है।
ऊोंिाइय ों तक पहुोंि पाया है। यातायात का सबसे तेज िलिे नवज्ञाि िे ही मिुष् क रास्ता और सुलभ साधि नदया है।
वाला साधि वायु मार्ग है। जहाों हवाई जहाज िलते हैं। नवज्ञाि एक वरदाि हैं। नवज्ञाि उस िौकर की तरह ह ता है
नजससे मिुष् कुछ भी करवा सकता है और आवश्यकता
दै मनक जीवन में -आज नवज्ञाि की वजह से मिुष् की
के अिुसार उसके साथ कुछ भी कर सकता है आज के
दै निक नजोंदर्ी और अनधक सुख में ह र्ई है। नवज्ञाि की
मिुष् का पूरा जीवि नवज्ञाि के वरदाि ओके आल क सही
वजह से कपड़े ध िा, िेस करिा, भ जि पकािा , र्नमगय ों में
त आल नकत है।सुबह से लेकर शाम तक हम ज भी काम
सदी महसूस करिा, सनदग य ों में र्नमगय ों का महसूस करिा,
करते हैं वह सब नसफग नवज्ञाि के साधि ों की वजह से ही
नवज्ञाि की वजह से ही यह ह पाया है। आज की सारी
सोंिानलत ह ते हैं नदि साधि ों का िय र् हम अपिे दै निक
औद्य नर्क िर्नत इसी पर निभगर करती है।
जीवि में िय र् करते हैं वह सभी हमें नवज्ञाि के वरदाि के
औषधीय क्षेत्र में -नजस तरह से मिुष् िे नवज्ञाि के क्षेत्र में
रूप में िाप्त हुए हैं इसी वजह से कायग आता है नक मिुष्
िए िए अनवष्कार नकए हैं उसी तरह से मािव समाज िे िए
अिुभवी ह ता है। वह भी ज्ञाि के माध्यम से िकृनत पर जीत
िए ल र् ों क भी िाप्त नकया है आज मिुष् भयािक और
िाप्त कर सकता है। आज के समय में नवज्ञाि की सहायता
सोंक्रमर् र र् ों से ग्रस्त ह िे के बाद भी मौत के मुोंह से बि
से बटि दबािे से पोंखा िल जाता है और हमें शीतल हवा
जाता है, इि सब का श्रेय नवज्ञाि क ही जाता है। नवज्ञाि की
िदाि करता है। अर्र आप द बारा बटि दबाते हैं त पोंखा
वजह से ही एक्स-रे ,अल्टर ासाउों ि टे स्ट् ए ,नजय ग्राफी कैट
बोंद ह जाता है आपके बस बटि दबािे से ही टीवी िल
स्कैि ,नसटी स्कैि, आों ख ों की जाोंि जैसी मशीि ों की वजह से
जाती है। अतः हम कह सकते हैं नवज्ञाि एक बटि के रूप
शरीर के अोंदर के र र् ों के बारे में पता लर्ाया जा सकता है।
में है क् नों क ज्यादातर काम हम बटि के रूप में करते हैं।
और उस र र् का तुरोंत उपिार करिा भी सोंभव ह जाता है
बटि दबािे से टीवी िल जाती है टीवी से नकसी र्ायक की
नवज्ञाि की वजह से ही अोंध ों क आों खें और बहि ों क काि
सुोंदर आवाज क आसािी से सुिा जा सकता है हम ल र्
सोंभव ह सका है।
र्ायक क दे ख भी सकते हैं और उसके र्ीत ों का आिोंद भी
कृनष के क्षेत्र में -नजस दे श की जिसोंख्या 140 कर ड़ से भी
ले सकते हैं।
अनधक है मर्र वह आज कृनष के क्षेत्र में अग्रसर ह पाया है
त यह नवज्ञाि की वजह से ही हुआ है नवज्ञाि की वजह से ही
नकसाि क उत्तम बीज, नवकनसत तकिीक रासायनिक
खाद, कीटिाशक, टर ै क्टर ,हावेस्ट्र और नबजली नमली है
नजसकी वजह से कृनष क करिा सरल ह पाया है।छ टे

12 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

भारत में मडमजट्ल साववजमनक अवसंरचना का मवकास

िॉ दीपक क हली
सोंयुि सनिव ,पयागवरर् ,
वि एवों जलवायु पररवतगि नवभार् ,
उत्तर-िदे श शासि ,5 /104, नवपुल खोंि,
र् मती िर्र, लखिऊ- 226010

नपछले कुछ वषों में नवि क कई िुिौनतय ों का इसका उपय र् नवत्तीय सेवाओों सनहत‍नवनभन्न सेवाओों
सामिा करिा पड़ा है, जैसे‍ क नवि महामारी, के नलये व्यम्भिय ों क अनधिमानर्त करिे के नलये
यूक्रेि में युर्द् एवों उसके पररर्ाम, जलवायु नकया जाता है।
सोंकट, सोंिभु ऋर् सोंकट और‍ अभी हाल ही में
जीवियापि की लार्त का सोंकट। इिसे हमारे निनजलॉकर : निनजलॉकर ि ग्राम एक निनजटल
समाज ों के मूल क िुिौती दी र्ई‍ है। हालााँनक, लॉकर है ज भारतीय िार्ररक ों क अपिे‍दस्तावेज ों
यहीों एक उम्मीद की नकरर् भी िकट हुई है ज क ऑिलाइि स्ट् र करिे और साझा करिे में
है पररवतगिकारी समाधाि िदाि‍ करिे के नलये सक्षम बिाता है। यह आधार, पैि और‍ िर ाइनवोंर्
सतकगतापूवगक अनभकम्भल्पत निनजटल सावगजनिक लाइसेंस जैसे महत्त्वपूर्ग दस्तावेज ों क स्ट् र करिे
अवसोंरििा की शम्भि। नवि में‍ सकारात्मक बदलाव और उन्हें अनभर्म्य करिे‍ का एक सुरनक्षत एवों
में य र्दाि कर सकिे की निनजटल सावगजनिक सुनवधाजिक तरीका िदाि करता है।लेटफॉमग इि
अवसोंरििा की क्षमता अब भारत‍ के जी 20 दस्तावेज़ ों के नलये‍ एक सुरनक्षत और िाउि-
िेतृत्व का एक िमुख फ कस बि र्या है। आधाररत ररपॉनजटरी िदाि करता है , नजसे कहीों
निनजटल सावगजनिक अवसोंरििा, नजसे‍इों निया स्ट्ै क से भी अनभर्म्य नकया‍ जा सकता है और‍
के रूप में भी जािा जाता है , आधार , निनजटल आवश्यकतािुसार सरकारी एजेंनसय ों या अन्य
लॉकर , निजीयात्रा , यूपीआई‍ जैसे निनजटल सोंस्थाओों के साथ साझा नकया जा‍सकता है।
लेटफॉमग और सरकार , ों नियामक ,
ों निजी क्षेत्र,
स्वयोंसेवक ,
ों स्ट्ाटग अप‍ एवों अकादनमक सोंस्थाि ों
सनहत नवनभन्न निकाय ों के बीि सहय र् के माध्यम
से नवकनसत‍ िौद्य नर्नकय ों का एक सोंग्रह है।
निनजटल सावगजनिक अवसोंरििा का लक्ष्य िार्ररक ों
क ‍सरकारी सेवाओों तक पहुाँि का एक सहज एवों
कुशल तरीका िदाि करिा तथा समावेशी नवकास
क बढ़ावा दे िा है।
भारत में निनजटल सावगजनिक अवसोंरििा के
नवकास के नलये पहलें:
*आधार : आधार कायगक्रम एक‍ नवनशष्ट् पहिाि
िर्ाली है ज भारतीय निवानसय ों क 12 अोंक ों
की पहिाि सोंख्या िदाि करती‍ है। यह एक *निजीयात्रा : यह हवाई यानत्रय ों क एक सहज
निनजटल पहिाि के रूप में कायग करता है और
और सुर्म यात्रा अिुभव िदाि करिे के नलये‍

13 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

भारत सरकार द्वारा शुरू की र्ई निनजटल पहल *क नवि : यह भारतीय िार्ररक ों के नलये क नवि
है। इस पहल का उद्दे श्य भौनतक सोंपकग क कम‍ टीकाकरर् भेंट-समय के पोंजीकरर् और‍ समय-
करिे और यानत्रय ों क सोंपकग-रनहत यात्रा अिुभव निधागरर् की सुनवधा के नलये भारत सरकार द्वारा
नवकनसत एक ऑिलाइि लेटफॉमग है। इसे‍ जिवरी
िदाि करिे के नलये निनजटल तकिीक ों का‍ लाभ
2021 में क नवि के नवरुर्द् भारत के टीकाकरर्‍
उठािा है। निजीयात्रा के तहत यात्री अपिे आधार
अनभयाि के एक भार् के रूप में लॉन्च‍नकया र्या
या पासप टग का उपय र् करके स्वयों क ‍ पूवग- था। क नवि प टग ल के माध्यम से भारतीय िार्ररक
पोंजीकृत कर सकते हैं और िेक-इि एवों स्वयों क क नवि वैक्सीि के‍ नलये पोंजीकृत कर
नसक्ूररटी पॉइों ट्स पर सेल्फ-बैर् िर ॉप, ई-ब नििं र् सकते हैं और अपिे निवास स्थाि के पास नकसी
पास, बाय मेनटर क सत्यापि और स्व-पहिाि जैसी टीकाकरर् केंद्र में नमलिे का‍ समय निधागररत कर
सकते हैं। लेटफॉमग िार्ररक ों क उिके स्थाि और
कई निनजटल सेवाओों का लाभ उठा सकते हैं।
टीके की उपलिता के‍आधार पर टीकाकरर् केंद्र ों
एकीकृत भुितान इं ट्रफेस (यूपीआई) : यूपीआई
की ख ज कर सकिे की अिुमनत दे ता है। क नवि
एक म बाइल भुर्ताि िर्ाली है ज म बाइल‍ ित्येक केंद्र पर‍ उपलि टीक ों के िकार ों के बारे
निवाइस का उपय र् करके बैंक खात ों के बीि में भी जािकारी िदाि करता
तत्काल फोंि टर ाोंसफर क सक्षम बिाता है। इसिे‍ है ।
भारत में निनजटल भुर्ताि पररदृश्य क रूपाोंतररत
कर नदया है और पूरे दे श में निनजटल‍भुर्ताि क
अपिािे की सुनवधा िदाि की है।
*भारतिेट : भारतिेट कायगक्रम का उद्दे श्य भारत
के सभी र्ााँव ों क हाई-स्पीि इों टरिेट‍ किेम्भक्टनवटी
से ज ड़िा है। यह एक महत्त्वपूर्ग पहल है नजसका
उद्दे श्य ‘निनजटल निवाइि’ क दू र करिा है और
निनजटल अवसोंरििा के लाभ ों क ग्रामीर् भारत
निनजटल सावगजनिक अवसोंरििा के नलये िे टा
तक पहुाँिािा है।
सोंरक्षर् पहल: *आधार अनधनियम, 2016: आधार‍
*आर ग्य सेतु : यह अिैल 2020 में भारत अनधनियम (Aadhaar Act) आधार कायगक्रम के
सरकार द्वारा क नवि के िसार क र किे के‍ नलये एक कािूिी ढााँिा िदाि करता है और‍
ियास ों के तहत शुरू नकया र्या एक म बाइल व्यम्भिर्त िे टा के सोंग्रहर्, भोंिारर् एवों उपय र्
एलीकेशि है। ऐप क उपय र्कतागओों क अन्य‍ के नलये िावधाि निधागररत करता है। यह‍ भारतीय
व्यम्भिय ों के साथ उिके सोंपकग के आधार पर नवनशष्ट् पहिाि िानधकरर् (Unique
Identification Authority of India-
क नवि सोंक्रमर् के ज म्भखम का आकलि करिे
UIDAI) क ‍ आधार कायगक्रम के िबोंधि के नलये
और‍ क नवि सोंबोंनधत स्वास्थ्य सेवाओों के बारे में उत्तरदायी केंद्रीय िानधकरर् के रूप में भी
जािकारी िदाि करिे में मदद करिे के नलये‍ स्थानपत करता है ।
निज़ाइि नकया र्या है।यह उपय र्कतागओों क *व्यस्टक्तित डे ट्ा संरक्षण मवधेयक, 2019:
उिकी उपम्भस्थनत क्षेत्र में क नवि-19 मामल ों की‍ व्यम्भिर्त िे टा सोंरक्षर् नवधेयक (Personal
सोंख्या पर रीयल-टाइम अपिे ट भी िदाि करता है Data Protection Bill) का उद्दे श्य
व्यम्भिर्त िे टा की र् पिीयता की रक्षा करिा और
और यनद वे नकसी सोंक्रनमत व्यम्भि के निकट‍हैं,
इसके‍ िसोंस्करर् एवों हस्ताों तरर् के नलये एक
त उन्हें सिेत करता है।
रूपरे खा तैयार करिा है। यह िे टा सुरक्षा नियम ों

14 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

की‍ दे खरे ख और उिके िवतगि के नलये एक ‘निनजटल निवाइि’ की िुिौनतयााँ :एक ज म्भखम
भारतीय िे टा सुरक्षा िानधकरर् (Data यह भी है नक निनजटल सावगजनिक अवसोंरििा
Protection Authority of India) की ‘निनजटल निवाइि’ क वृहत कर सकता है ,
स्थापिा की भी मोंशा रखता है। क् नों क नजिके पास निनजटल तकिीक ों तक पहुाँि
*राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा िीनत, 2013: राष्ट्रीय िहीों है , वे िदत्त सेवाओों से लाभाम्भन्वत िहीों ह
साइबर सुरक्षा िीनत महत्त्वपूर्ग‍ सूििा अवसोंरििा पाएाँ र्े। सरकार ों क यह सुनिनित करिा िानहये
की सुरक्षा और साइबर हमल ों की र कथाम के नक बुनियादी ढााँिा सभी िार्ररक ों के नलये सुलभ
नलये एक रूपरे खा िदाि करती‍है। ह , नजसमें ग्रामीर् या दू रदराज के क्षेत्र ों में रहिे
*साइबर स्वच्छता केंद्र: साइबर स्वच्छता केंद्र वाले और नदव्याोंर् जि भी शानमल हैं।
सरकार द्वारा निशुल्क टू ल्स और सुरक्षा‍ समाधाि *नवनधक िुिौनतयााँ :निनजटल सावगजनिक अवसोंरििा
िदाि करिे के माध्यम से निनजटल उपकरर् ों के निमाग र् के नलये िे टा साझेदारी और निनजटल
और िेटवकग क सुरनक्षत करिे के नलये शुरू की सेवाओों के िावधाि क सक्षम करिे के नलये
र्ई एक पररय जिा है। मौजूदा नवनधक ढााँिे में बदलाव की आवश्यकता ह
भारत में निनजटल सावगजनिक अवसोंरििा से सोंबर्द् सकती है। सरकार ों क िे टा सुरक्षा, बौम्भर्द्क
िुिौनतयााँ : निनजटल सावगजनिक अवसोंरििा के सोंपदा अनधकार ों और िे टा उल्लोंघि ों के नलये
नवकास और कायागन्वयि के नलये राजिीनतक उत्तरदानयत्व जैसे जनटल कािूिी मुद्द ों क सोंब नधत
इच्छाशम्भि और समथगि की आवश्यकता ह ती है , करते हुए आर्े बढ़िा ह र्ा।
क् नों क इससे िायः सावगजनिक धि का पयाग प्त
आर्े की राह –
निवेश सोंलग्न ह ता है।
सरकार ों क ऐसी पहल ों के नलये आवश्यक साइबर सुरक्षा क सशि करिा: सरकार क
सोंसाधि और सावगजनिक अोंतः क्रय िाप्त करिे में निनजटल िर्ाली क साइबर खतर ों से बिािे के
िुिौनतय ों का सामिा करिा पड़ सकता है। नलये साइबर सुरक्षा उपाय ों में निवेश करिे की
*नवत्तप षर् सोंबोंधी िुिौनतयााँ : एक सुदृढ़ निनजटल आवश्यकता है। इसमें सुदृढ़ सुरक्षा ि ट कॉल
सावगजनिक अवसोंरििा के निमाग र् एवों रखरखाव के नवकनसत करिा और कमज़ ररय ों की पहिाि के
नलये उल्लेखिीय निवेश की आवश्यकता ह ती है नलये नियनमत ऑनिट लार्ू करिा शानमल है।साइबर
और सरकार ों क इि पररय जिाओों के नवत्तप षर् खतर ों से निपटिे के नलये एक व्यापक कािूिी
में बजट की कमी का सामिा करिा पड़ सकता और नियामक ढााँिे का निमागर् कर साइबर सुरक्षा
है। इसके अनतररि, आधारभूत सोंरििा की क सशि नकया जा सकता है , नजसमें िे टा
दीघगकानलक म्भस्थरता का समथगि करिे वाले सुरक्षा, साइबर अपराध और सूििा सुरक्षा पर
नवत्तप षर् मॉिल क स्थानपत करिा कनठि नसर्द् कािूि बिािा शानमल है।
ह सकता है ।
र् पिीयता और सुरक्षा सोंबोंधी िुिौनतयााँ : निनजटल
सावगजनिक अवसोंरििा में बड़ी मात्रा में सोंवेदिशील
िे टा का सोंग्रहर्, भोंिारर् एवों उपय र् शानमल
ह ता है, ज र् पिीयता और सुरक्षा उल्लोंघि ों के
ज म्भखम क बढ़ाता है। सरकार ों क यह सुनिनित
करिा िानहये नक िार्ररक ों की सूििा की सुरक्षा
के नलये सुदृढ़ र् पिीयता और सुरक्षा उपाय ों के
साथ आधारभूत अवसोंरििा क अनभकम्भल्पत एवों
कायागम्भन्वत नकया जाए।

15 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

निनजटल अवसोंरििा का नवस्तार करिा:अनधक से एक कुशल कायगबल के सृजि हेतु िनशक्षर् एवों
अनधक आबादी तक पहुाँ ि बिािे के नलये सरकार कौशल-उन्नयि (अपम्भस्कनलोंर्) अवसर िदाि करिा
क दे श भर में निनजटल अवसोंरििा का नवस्तार िानहये।
करिे की आवश्यकता है। इसमें इों टरिेट ‘इों टरऑपरे नबनलटी’ में सुधार लािा: सरकार क
किेम्भक्टनवटी में सुधार लािा, िे टा केंद्र ों का निमागर् यह सुनिनित करिा िानहये नक निनजटल िर्ानलयााँ
करिा और निनजटल एक्सेस पॉइों ट िदाि करिा एक-दू सरे के साथ इों टरऑपरे बल ह ,
ों तानक
शानमल है।5 जी , आनटग नफनशयल इों टेनलजेंस, नवनभन्न निनजटल लेटफॉमग के बीि सहज एकीकरर्
इों टरिेट ऑफ नथोंग्स (आईओटी) और ब्लॉकिेि ह सके।
टे क्न लॉजी जैसी उभरती िौद्य नर्नकय ों में निवेश
करिा निनजटल अवसोंरििा के नवस्तार के नलये
अत्योंत सहायक नसर्द् ह सकता है।
निनजटल सेवाओों तक पहुाँि बढ़ािा: सरकार क
यह सुनिनित करिा िानहये नक निनजटल सेवाएाँ
सभी िार्ररक ों के नलये सुलभ ह , ों िाहे उिकी
सामानजक-आनथगक म्भस्थनत या भौर् नलक म्भस्थनत कुछ सावगजनिक-निजी भार्ीदारी क बढ़ावा दे िा: अनधक
भी ह ।सॅटॅलाइट िॉिबैंि , र्ीर्ामेश िेटवकग िभावी और सोंवहिीय निनजटल सावगजनिक
जैसी िवीि िौद्य नर्नकय ों का उपय र् कर ग्रामीर् अवसोंरििा के नवकास के नलये सरकार क
एवों दू रदराज के क्षेत्र ों में इों टरिेट किेम्भक्टनवटी का िवािार, निवेश और ज्ञाि-साझाकरर् क आर्े
नवस्तार करिा सहायक ह र्ा।उपय र्कताग के बढ़ािे के नलये निजी क्षेत्र के साथ सहय र् करिा
अिुकूल निनजटल इों टरफेस का निमागर् करिे और िानहये।
स्थािीय भाषा एलीकेशि ों एवों कॉन्टें ट के सृजि का
समथगि करिे से र्ैर-अोंग्रेज़ी भाषी आबादी के नलये
निनजटल सेवाओों की पहुाँि बढ़े र्ी तथा निनजटल
साक्षरता का निम्न स्तर रखिे वाले ल र् भी उिका
उपय र् कर सकेंर्े।निनजटल सेवाओों का उपय र्
करिे के बारे में ल र् ों क नशनक्षत और िनशनक्षत
करिे के नलये सामुदानयक केंद्र ों एवों निनजटल
साक्षरता कायगक्रम ों की स्थापिा करिा।
*िे टा सुरक्षा क बढ़ावा दे िा:व्यम्भिर्त सूििा क
दु रुपय र् से सुरक्षा के नलये सरकार क कड़े िे टा
सोंरक्षर् नियम ों क लार्ू करिा िानहये। इसमें िे टा
उपय र्, भोंिारर् और साझाकरर् पर स्पष्ट्
नदशानिदे श स्थानपत करिा शानमल है।व्यम्भिय ों के
व्यम्भिर्त िे टा के सोंग्रहर्,भोंिारर्, िसोंस्करर् एवों
साझाकरर् क नवनियनमत करिे के नलये िे टा
सुरक्षा नवधेयक का कायागन्वयि िे टा सुरक्षा में
अत्योंत सहायक नसर्द् ह सकता है ।

*निनजटल कौशल क ि त्सानहत करिा:निनजटल


अथगव्यवस्था के नलये आवश्यक निनजटल कौशल से
सोंपन्न कायगबल की आवश्यकता ह ती है । सरकार
क निनजटल साक्षरता क बढ़ावा दे िा िानहये और

16 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

कृमष
मवज्ञान से ही आएिी भारत में कृमष क्ांमत

आर पी तोमर
वररि पत्रकार
220/ 221, िीलकोंठ अपाटग मेंट,
यूजी5, र्ली ि. 7, महावीर एििेव, िई नदल्ली-45
• 2047 तक दे श क नवकनसत बिािे का लक्ष्य

• जी 20 दे श ों िे कृनष नवज्ञाि पर साझा नकया मोंि

• आयात की जर्ह नियाग तक दे श का रखा है लक्ष्य

कृनष क्षेत्र में भारत क दु नियाों का िोंबरदार बिािे के नलए सोंबम्भित सुनवधाएों उपलि है , नजसका परस्पर उपय र्
जहाों दे श के नकसाि ों क सौर्ोंध लेिी ह र्ी वही उद्य र् ों क सावगजनिक नवकास के नलए नकया जा रहा है। कृनष क्षेत्र में
भी कृनष क्षेत्र के साथ नमलकर िलिा ह र्ा। अिुसोंधाि क्षेत्र श्रेिता हानसल करिे के नलए जरूरी है नक नकसाि से लेकर
में क्राोंनत लािी ह र्ी। कृनष छात्र ों क िई िई जािकारी दे िी उद्य र् जर्त सब नमलकर काम करें । हमारे कृनष उत्पाद ों
ह र्ी और उन्हें ि त्सानहत भी करिा ह र्ा। वैसे त भारतीय की अहनमयत दु निया में बढ़ी है। हमारे उत्पाद ों की र्ुर्वत्ता
कृनष अिुसोंधाि पररषद इस नदशा में काफी कायग कर रहा अच्छी रहे , यह नजम्मेदारी सबकी है। इस क्षेत्र में ज कनमयाों
है। सरकार अोंतरराष्ट्रीय स्तर पर जी20 दे श ों के लेटफामग एवों खाई है उन्हें पाटिे की जरूरत है , साथ ही नवद्यमाि
पर कृनष पर नवस्तृत ििाग कर िुकी है। भारतीय कृनष अोंतराग ष्ट्रीय िुिौनतय ों का सामिा करते हुए इस बात पर भी
अिुसोंधाि पररषद से सम्बर्द् 100 से ज्यादा सोंस्थाि ों और 73 नविार करिा ह र्ा नक भारत कृनष क्षेत्र में श्रेिता कैसे हानसल
कृनष नविनवद्यालय में सुसम्भित अिुसोंधाि/ नवकास कर सकता है। अमृत काल क ध्याि में रखकर ऐसे नवमशग
सुनवधाएों , िय र्शालाएों / बुनियादी ढाोंिा सनहत नवनभन्न कृनष की महत्ता और बढ़ जाती है । दु निया की अपेक्षाओों क भारत

17 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

द्वारा पूरा करिे की नदशा में हमारी स ि अच्छी ह िी िानहए। नवशेषज्ञता / कृनष मशीिरी, और नकसाि ों की पहुोंि के नलए
अब दु निया के राजिीनतक पररदृश्य पर भारत की बढ़ती हुई ि मेि नवशेषज्ञता के साथ आईसीएआर सोंस्थाि ों और
महत्ता क िनतिानपत और मजबूत करिे के साथ ही सरकार केवीके की अम्भखल भारतीय उपम्भस्थनत है। भारत िाकृनतक
िे वषग 2047 (अमृत काल) तक भारत क नवकनसत दे श के खेती के साथ ही मनहलाओों और बच्च ों के स्वास्थ्य में सुधार
रूप में खड़ा करिे का लक्ष्य रखा है इस लक्ष्य की पूनतग के और प षर् सोंबोंधी समस्ाओों के त्वररत समाधाि के नलए
नलए हमारे नवमशग क अनधक व्यापकता एवों साथगक ह िा बाय -फ नटग फाइि फसल नकस्म ों की ओर बढ़ रहा है।
अत्योंत आवश्यक है। अब परों परार्त कृनष से आर्े बढ़कर, कृनष क्षेत्र क और अनधक मजबूती दे िे के नलए जी 20 के
“लैब टू लैंि” तक तकिीक का पूरा उपय र् करते हुए कृनष िमुख वैज्ञानिक ों (एमएसीएस) िे "सस्ट्े िेबल
य जिाबर्द् ढों र् से काम करिे की जरूरत है। एक समय था एग्रीकल्िर एों ि फूि नसस्ट्म फॉर हे ल्दी पीपल एों ि लैिेट"
जब हम दु निया से सीखिा िाहते थे लेनकि आज कृनष क्षेत्र नवषय पर र्हिता के साथ नविार साझा नकये। कृनष खाद्य
में दु निया भारत से सीखिा िाहती है । िर्ाली में पररवतगि के नलए िवािार और तकिीकी, खाद्य
भारत की कृनष नवज्ञाि क्षेत्र में भी िम्बरदारी है। यह जी-20 सुरक्षा और प षर् िाप्त करिे के नलए नवज्ञाि और
दे श ों की वारार्सी में हुई तीि नदवसीय बैठक से भी नसर्द् ह िौद्य नर्की में फ्रोंनटयसग, प षर् मूल्य बढ़ािे के नलए खाद्य
र्या है। धमग िर्री काशी में जी-20 की तीि नदवसीय फसल ों में बाय फ नटग नफकेशि, प षर् और ब्ल्यू क्राोंनत के
एग्रीकल्िर वनकिंर् ग्रुप की 100वीों बैठक में भारत िे अपिी नलए उष्णकनटबों धीय समुद्री शैवाल की खेती, श्रीअन्न के
कृनष शम्भि का ल हा मिवाया वही भनवष् के नलए दु निया उत्पादि एवों प षर् हेतु िािीि अिाज अोंतराग ष्ट्रीय अिुसोंधाि
के 20 नवकासशील दे श ों अजेंटीिा, ऑस्ट्र े नलया, िाजील, पहल (महनषग), पर एकीकृत दृनष्ट्क र् के रूप में, समम्भन्वत
किािा, िीि, फ्राोंस, जमगिी, भारत, इों ि िेनशया, इटली, कारग वाई के नलए साझेदारी और िीनतय ों के बिािे पर ज र
जापाि, क ररया र्र्राज्य, मेम्भक्सक , रूस, सऊदी अरब, नदया। इसके अलावा अन्य नवषय ों जैसे - सीमापार कीट और
दनक्षर् अफ्रीका, तुकी, यूिाइटे ि नकोंर्िम और यूर पीय सोंघ र र्, नटकाऊ कृनष खाद्य िर्ानलय ों के नलए अिुसोंधाि एवों
के कृनष नवशेषज्ञ और वैज्ञानिक से मोंथि करते हुए कृनष, नवकास िाथनमकताएाँ , नटकाऊ कृनष-खाद्य िर्ानलय ों के नलए
कृनष नशक्षा, अिुसोंधाि, वैनिक कृनष के नवकास का िया जलवायु अिुकूल िौद्य नर्की और िवािार, िाकृनतक खेती,
खाका म्भखोंिा। रे नजनलएों ट एग्रीफूि नसस्ट्म के निमाग र् के नलए नवज्ञाि और
िवािार, जैनवक िाइनटर नफकेशि इिनहनबशि (बीएिआई),
जीएिएस उत्सजगि क कम करिा और फसल की पैदावार
बढ़ािे पर ििाग की र्ई। िनतनिनधय ों िे निनजटल कृनष और
सतत कृनष मूल्य श्रृोंखला, कृनष अिुसोंधाि एवों नवकास में
सावगजनिक निजी भार्ीदारी एवों मैक्स कम्यूनिके पर नविार-
नवमशग नकया। कृनष अिुसोंधाि में भावी सहय र् के नलए
भारत और निटे ि के बीि नद्वपक्षीय बैठक हुई। एफएओ के
मुख्य वैज्ञानिक, िॉ. इश्महािे एलौफी तथा एफएओ के वररि
कृनष अनधकारी िॉ. सेलवाराजू रामास्वामी िे बीज उत्पादि
के क्षेत्र में भारत की आत्मनिभगरता की सराहिा की और
एमएसीएस िेसीिें सी िाजील क सौोंप दी।
कृनष खाद्य िर्ाली में पररवतगि के नलए िवािार और
"एक पृथ्वी, एक पररवार, एक भनवष्’ की थीम पर कहा र्या
तकिीक: खाद्य सुरक्षा और प षर् िाप्त करिे के नलए
नक भारत में 1.2 नबनलयि से अनधक म बाइल किेक्शि और
नवज्ञाि और िौद्य नर्की में फ्रोंनटयसग, प षर् मूल्य बढ़ािे के
1.20 नबनलयि से अनधक यूनिक आईिी-आधार धारक ों के
नलए खाद्य फसल ों में बाय फ नटग नफकेशि, प षर् और ब्ल्यू
रूप में सबसे बड़ा निनजटल किेक्ट है। नकसाि ों क 120
क्राोंनत के नलए उष्णकनटबोंधीय समुद्री शैवाल की खेती,
नमनलयि मृदा स्वास्थ्य कािग िदाि नकए हैं। दे श की ताकत
श्रीअन्न के उत्पादि एवों प षर् के नलए िािीि अिाज
फसल ,ों बार्वािी, पशुधि, मत्स्य पालि, नमट्टी और जल
अोंतरराष्ट्रीय अिुसोंधाि पहल (महनषग), पर एकीकृत दृनष्ट्क र्

18 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

के रूप में, समम्भन्वत कारग वाई के नलए साझेदारी और िीनतयाों


बिी। सीमा पार कीट और र र्, रे नजनलएों ट एग्रीफूि नसस्ट्म
के निमागर् के नलए नवज्ञाि और िवािार, जैनवक
िाइनटर नफकेशि इिनहनबशि (बीएिआई), जीएिएस
उत्सजगिक कम करिा, निनजटल कृनष औरसतत कृनष मूल्य
श्रृोंखला, कृनष अिुसोंधाि, नवकास में सावगजनिक निजी
भार्ीदारी एवों मैक्स कम्यूनिकेशि पर सहमनत बिी। भारत
और फ्राोंस की नद्वपक्षीय बैठक में द ि ों दे श ों िे जलवायु
पररवतगि, फसल नवनवधीकरर्, नमट्टी तथा जल सोंरक्षर्,
िाकृनतक खेती और बाय फ नटग फाइि फसल ों से सोंबोंनधत
नवषय ों पर सहय र् करें र्े।
यह सब जािते हैं नक भारत र्ाोंव ों में बसता है और र्ाोंव खेती
पर निभगर है। भारत क कृनष िधाि दे श कहा जाता है।
लेनकि अभी इस क्षेत्र में क्राों नत लािे के नलए अिुसोंधाि नकये
जािे की महती आवश्यकता है। वही कृनष अिुसोंधाि बजट
बढ़ािे और उत्पाद ों का नियागत कर दे श क आत्मनिभगर
बिाये जािे की भी जरूरत है। कृनष नवज्ञाि ही भारत क
2047 से पहले नवकनसत दे श बिाकर दु नियाों का िोंबरदार
बिा सकता है। वही भारत आयातक की जर्ह पूर्ग रूप से -
नियागतक दे श बि सकता है ।
महं दुस्तान एयरोनॉमट्क्स मलममट्े ड और उसकी भूममका

नहन्दु स्ताि ऐर िॉनटक्स नलनमटे ि , भारत का एक सावगजनिक िनतिाि है , ज हवाई सोंयन्त्र निमाग र् करता है । इसका मुख्यालय
बोंर्लुरु में है। नदसम्बर, १९४० में भूतपूवग मैसूर राजसी राज्य एवों असाधारर् दू रद्रष्ट्ा उद्यमी श्री सेठ वालिन्द हीरािन्द के सहय र्
से बेंर्लूर में शुरु हुआ।नहों दुस्ताि एयर िॉनटक्स नलनमटे ि (HAL) की स्थापिा बोंर्लूरू में 23 नदसोंबर, 1940 क वालिोंद हीरािोंद िे
नहों दुस्ताि एयरक्राफ्ट नलनमटे ि के रूप में की थी। नद्वतीय नवि युर्द् के दौराि मािग 1941 में सरकार िे कोंपिी की एक-नतहाई
नहस्सेदारी खरीद ली और स्वतोंत्रता िाम्भप्त के बाद जिवरी 1951 में नहों दुस्ताि एयरक्राफ्ट नलनमटे ि क रक्षा मोंत्रालय के िशासनिक
नियोंत्रर् में ले नलया र्या।नजसके पिात् अिूबर, 1964 में नहों दुस्ताि एयरक्राफ्ट नलनमटे ि का िवर्नठत एयर िॉनटक्स इों निया
नलनमटे ि के साथ नवलय कर नदया र्या और इस तरह नहों दुस्ताि एयर िॉनटक्स नलनमटे ि (HAL) अम्भस्तत्त्व में आया।50 से अनधक
वषों के अिुभव के साथ वतगमाि में नहों दुस्ताि एयर िॉनटक्स नलनमटे ि (HAL) दे श के नलये तमाम तरह के सैन्य हेलीकाप्टर ों और
नवमाि ों का निमाग र् कर रहा है।इस माह की शुरुआत में रक्षा अनधग्रहर् पररषद (DAC) िे भारतीय वायु सेिा के नलये नहों दुस्ताि
एयर िॉनटक्स नलनमटे ि (HAL) द्वारा नवकनसत नकये जा रहे 106 HTT-40 बेनसक टर े िर एयरक्राफ्ट (BTA) की खरीद क मोंज़ूरी दी
थी। नहों दुस्ताि एयर िॉनटक्स नलनमटे ि (HAL) िे भारतीय सेिा की सैन्य आवश्यकताओों क पूरा करिे में काफी अहम भूनमका
अदा की है , नकोंतु हालााँ नक कई अवसर ों पर उत्पादि िनक्रया मे दे री हुई ज उसकी र्ुर्वत्ता के कारर् हुई तेजस जैसे स्वदे शी
फाइट जेट बिाकर नहों दुस्ताि एयर िॉनटक्स नलनमटे ि िे रक्षा के फील्ड में भारत क आत्मनिभगर बिाया है ।

डॉ सरोज शुक्ला, लखनऊ

19 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

डीआरडीओ की उत्पमत्त और वैज्ञामनक मवकास

डॉ सरोज शुक्ला
,KA 94/628, कुरमाों िलिर्र,
इों नदरा िर्र के पास,
लखिऊ--226016

“िीआरिीओ रक्षा मोंत्रालय, भारत सरकार के िशासनिक नियोंत्रर् में काम करता है ।यह भारत के नलए नवि स्तरीय नवज्ञाि और
िौद्य नर्की आधार स्थानपत करिे के नलए काम कर रहा है और हमारी रक्षा सेवाओों क अोंतरराष्ट्रीय स्तर पर िनतस्पधी िर्ानलय ों
और समाधाि ों से लैस करके निर्ाग यक बढ़त िदाि करता है।“

िीआरिीओ (DRDO) की स्थापिा 1958 में रक्षा नवज्ञाि से अनधक वैज्ञानिक ों और लर्भर् 25,000 अन्य
सोंर्ठि (DSO) के साथ भारतीय सेिा के तकिीकी वैज्ञानिक, तकिीकी और सहायक कनमगय ों का समथगि
नवकास िनतिाि (TDEs) और तकिीकी नवकास और िाप्त है ।नमसाइल ,ों हनथयार ,ों हल्के लड़ाकू नवमाि ,ों
उत्पादि निदे शालय (DTDP) के सोंय जि के बाद की र्ई रिार, इलेक्टरॉनिक युर्द् िर्ाली आनद के नवकास के
थी।‍ िॉ. जी. सतीश रे ड्डी िीआरिीओ (DRDO) के नलए कई िमुख पररय जिाएों हाथ में हैं और ऐसी कई
वतगमाि अध्यक्ष हैं। तकिीक ों में महत्वपूर्ग उपलम्भियाों पहले ही हानसल की
जा िुकी हैं ।

10 िय र्शालाओों से शुरू ह कर, िीआरिीओ


डीआरडीओ का ममशन है:
(DRDO) अब 52 िय र्शालाओों के िेटवकग में नवकनसत
ह र्या है, ज नवनभन्न नवषय ,ों जैसे वैमानिकी, आयुध, • रक्षा सेवाओों के नलए अत्याधुनिक सेंसर ,ों
इलेक्टरॉनिक्स, लड़ाकू वाहि, इों जीनियररों र् नसस्ट्म, हनथयार िर्ानलय ,ों लेटफामों और सोंबर्द्
इों स्ट्ूमेंटेशि, नमसाइल, उन्नत कोंप्यूनटों र् और नसमुलेशि, उपकरर् ों का निजाइि, नवकास और उत्पादि
नवशेष सामग्री, िौसेिा िर्ाली, जीवि नवज्ञाि, िनशक्षर्, करिा।
सूििा िर्ाली और कृनष।वतगमाि में, सोंर्ठि क 5000

20 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

• युर्द् की िभावशीलता क अिुकूनलत करिे • कम दू री की निम्न-स्तरीय सतह से हवा में मार


और सैनिक ों की भलाई क बढ़ावा दे िे के नलए करिे वाली नमसाइल - नत्रशूल
सेवाओों क तकिीकी समाधाि िदाि करें ।
• मध्यम दू री की सतह से हवा में मार करिे वाली
• बुनियादी ढाोंिे और िनतबर्द् र्ुर्वत्ता जिशम्भि नमसाइल - आकाश
का नवकास करिा और मजबूत स्वदे शी
• तीसरी पीढ़ी की एों टी टैं क नमसाइल - िार्
िौद्य नर्की आधार का निमाग र् करिा।
अनग्न, नजसे शुरू में एक पुि: िवेश वाहि के रूप में एक
• इों टीग्रेटेि र्ाइिे ि नमसाइल िे वलपमेंट ि ग्राम
िौद्य नर्की िदशगक पररय जिा के रूप में मािा र्या था,
(IGMDP) क्ा है ?
क बाद में नवनभन्न रें ज ों के साथ एक बैनलम्भस्ट्क नमसाइल
• आईजीएमिीपी िनसर्द् वैज्ञानिक िॉ. एपीजे में अपग्रेि नकया र्या था। िॉ कलाम िे अनग्न और पृथ्वी
अब्दु ल कलाम की नदमार्ी उपज थी। नमसाइल ों के नवकास और सोंिालि में एक िमुख
भूनमका निभाई।
• इसका उद्दे श्य नमसाइल िौद्य नर्की के क्षेत्र में
आत्मनिभगरता िाप्त करिा था। नमसाइल तकिीक में भारत क आत्मनिभगर बिािे का
लक्ष्य हानसल करिे के बाद 8 जिवरी 2008 क DRDO
• रक्षा बल ों द्वारा नवनभन्न िकार की नमसाइल ों की
िे औपिाररक रूप से आईजीएमिीपी (IGMDP0 क
आवश्यकताओों क ध्याि में रखते हुए,
सफलतापूवगक पूरा करिे की घ षर्ा की।
कायगक्रम िे पााँि नमसाइल िर्ानलय ों क
नवकनसत करिे की आवश्यकता क मान्यता हाल ही में, एक िई पीढ़ी की परमार्ु सक्षम बैनलम्भस्ट्क
दी। नमसाइल अनग्न-पी (िाइम) का रक्षा अिुसोंधाि और
नवकास सोंर्ठि (DRDO) द्वारा ओनिशा के बालास र के
• आईजीएमिीपी क औपिाररक रूप से 26
तट पर िॉ. एपीजे अब्दु ल कलाम द्वीप से सफलतापूवगक
जुलाई, 1983 क भारत सरकार की मोंजूरी
परीक्षर् नकया र्या।
नमल र्ई।
अनग्न-पी अनग्न श्रेर्ी का एक िई पीढ़ी का उन्नत सोंस्करर्
• इसिे रर्िीनतक, स्वदे शी नमसाइल िर्ानलय ों
है (आईजीएमिीपी के तहत - एकीकृत निदे नशत
क आकार दे िे के नलए दे श के वैज्ञानिक
नमसाइल नवकास कायगक्रम)।
समुदाय, शैक्षनर्क सोंस्थाि ,ों अिुसोंधाि एवों
नवकास िय र्शालाओों, उद्य र् ों और तीि रक्षा भारत की नमसाइल िर्ाली
सेवाओों क एक साथ लाया।
• नमसाइल सुनवधाएाँ
• आईजीएमिीपी के तहत नवकनसत नमसाइलें हैं : • अनग्न आई
• नसोंर्ल स्ट्े ज, सॉनलि फ्यूल, मीनियम रें ज
• कम दू री की सतह से सतह पर मार करिे वाली
बैनलम्भस्ट्क नमसाइल (MRBM)।
बैनलम्भस्ट्क नमसाइल - पृथ्वी • ठ स िर् दि बूस्ट्र और एक तरल िर् दि
• मध्यम दू री की सतह से सतह पर मार करिे ऊपरी िरर् का उपय र् करिा।
• 700-800 नकमी की रें ज।
वाली बैनलम्भस्ट्क नमसाइल - अनग्न
• अनग्न नद्वतीय

21 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

• इों टरमीनिएट-रें ज बैनलम्भस्ट्क नमसाइल (IRBM)। मत्रशूल


• 2000 नकमी से अनधक रें ज।

अमि तृतीय

2,500 नकमी से अनधक की स्ट्र ाइक रें ज

अमि चतुथव
कम दू री, त्वररत िनतनक्रया, सभी मौसम में सतह से हवा
ठ स िर् दक द्वारा सोंिानलत द िरर् ों वाली नमसाइल।
में मार करिे वाली नमसाइल दे सीएक निम्न स्तर के
र ि म बाइल लॉन्चर से फायर कर सकते हैं।‍ रें ज हमले का मुकाबला करिे के नलए जीएिईिी। सभी
3,500 नकमी से अनधक है।‍ स्वदे शी रूप से नवकनसत ज्ञात नवमाि जैमर ों के म्भखलाफ आवश्यक इलेक्टरॉनिक
ररों र् लेजर जाइर और कम्प नजट रॉकेट म टर से लैस िनत-उपाय है।
है।
आकाश
अमि वी:‍ तीि िरर् ों वाली ठ स ईोंधि वाली स्वदे शी
मध्यम दू री की, सतह से हवा में मार करिे वाली बहु-
अोंतमगहाद्वीपीय बैनलम्भस्ट्क नमसाइल (आईसीबीएम)।‍
लनक्षत क्षमता वाली नमसाइल।एकानधक हनथयार
1.5 टि परमार्ु हनथयार ले जािे में सक्षम।‍ िेनवर्ेशि
सक्षम। उच्च-ऊजाग ठ स िर् दक और राम-रॉकेट
और मार्गदशगि, वारहेि और इों जि के मामले में
िर् दि िर्ाली।
िवीितम और सबसे उन्नत सोंस्करर्।‍ सेिा में शानमल
ह िे के बाद, भारत अमेररका, रूस, िीि, फ्राोंस और िुनिुन
निटे ि जैसे दे श ों के एक नवशेष िब में शानमल ह
जाएर्ा, नजिके पास अोंतरमहाद्वीपीय बैनलम्भस्ट्क तीसरी पीढ़ी की 'दार् और भूल जाओ' एों टी-टैं क
नमसाइल क्षमता है। कैनिस्ट्र िे ऑपरे शिल नमसाइल, नजसकी रें ज 4-8km है।
फ्लेम्भक्सनबनलटी के नलए नमसाइल नसस्ट्म लॉन्च नकया‍
रें ज 5,000 नकमी से अनधक है। अनग्न पी‍ -1,000 से
2,000 नकमी के बीि रें ज क्षमता वाली कैनिस्ट्राइज्ड
नमसाइल।सम्भम्मश्र, िर् दि िर्ाली, अनभिव मार्गदशगि
और नियोंत्रर् तोंत्र और अत्याधुनिक िेनवर्ेशि िर्ाली
सनहत कई उन्नत िौद्य नर्नकयाों पेश की र्ई हैं।यह
नमसाइल भारत की नविसिीय निवारक क्षमताओों क
और मजबूत करे र्ी।

उड़ाि मार्गदशगि के नलए सेंसर फ्यूजि िौद्य नर्नकय ों


क निय नजत करिे वाले एक कवि-र धी हनथयार के
रूप में स्वदे शी रूप से नवकनसत नकया र्या।

हेनलिा (हेलीकॉप्टर लॉन्च नकया र्या िार्) ध्रुव


हे लीकॉप्टर ों में एकीकृत िार् का हवा से सतह पर मार
करिे वाला सोंस्करर् है।

22 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

पृथ्वी सक्षम।नमशि की आवश्यकताओों के आधार पर 24


नवनभन्न िकार के आयुध नवतररत करिे में सक्षम एक
भूभार्ीय, स्ट्ील्थ नमसाइल।1,000 नकमी तक पहुोंि
सकता है।

आईजीएमिीपी (IGMDP) के तहत पहली स्वदे श


निनमगत बैनलम्भस्ट्क नमसाइल।सतह से सतह पर मार
सािररका
करिे वाली युर्द् क्षेत्र नमसाइल।फील्ड इों टरिेंजेबल
वॉरहेि्स के साथ उच्च घातक िभाव और उच्च स्तर पििु ब्बी-िक्षेनपत बैनलम्भस्ट्क नमसाइल (एसएलबीएम)
की क्षमता िदनशगत करता है।150 नकमी से 300 नकमी भारत की परमार्ु सोंिानलत अररहोंत श्रेर्ी की पििु ब्बी
तक की रें ज। के साथ एकीकृत नकया जा रहा है। रें ज - 700 नकमी।

ब्रह्मोस

सुपरस निक क्रूज नमसाइल।एक निजी सोंयुि उद्यम


के रूप में रूस के साथ नवकनसत नकया जा रहा
है।मल्टी-लेटफॉमग क्रूज नवनभन्न िकार के लेटफॉमग से
हमला कर सकता है।2.5 से 2.8 मैक के बीि की र्नत
वाली दु निया की सबसे तेज सुपरस निक क्रूज
नमसाइल ों में से एक।
शौयव

K-15 सार्ररका का एक सोंस्करर्। पििु ब्बी-


परमार्ु-सक्षम नमसाइल।भारत की दू सरी-स्ट्र ाइक
क्षमता क बढ़ािे का लक्ष्य।

'दार् और भूल जाओ' हनथयार यािी लक्ष्य निधागररत


ह िे के बाद नियों त्रर् केंद्र से आर्े क ई मार्गदशगि की
आवश्यकता िहीों है।

मनभवय

सबस निक नमसाइल, िह्म स की पूरक।जमीि, समुद्र


और हवा में कई लेटफामों से िक्षेनपत करिे में

23 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

धनुष प्रहार

समुद्र आधाररत, कम दू री की, तरल िर् दक 150 नकमी की रें ज वाली भारत की िवीितम सतह से
बैनलम्भस्ट्क नमसाइल।पृथ्वी- II का िौसैनिक सोंस्करर्। सतह पर मार करिे वाली नमसाइल।
अनधकतम सीमा 350 नकमी।

िाथनमक उद्दे श्य नबिा निदे नशत नपिाका मल्टी-बैरल


एिर ा रॉकेट लॉन्चर और निदे नशत पृथ्वी नमसाइल वेररएों ट के
बीि की खाई क पाटिा है।उच्च र्नतशीलता, त्वरर्
एक ठ स िर् दक का उपय र् कर परे -दृश्य-श्रेर्ी की और सटीकता है ।
हवा से हवा में मार करिे वाली नमसाइल।
डीआरडीओ के अन्य कायवक्म :

मोबाइल स्वायत्त रोबोट् प्रणाली:

मासग बारूदी सुरोंर् ों और निम्भिय नवस्फ टक


उपकरर् ों (आईईिी) क सोंभालिे के नलए एक स्माटग
मजबूत र ब ट है ज भारतीय सशस्त्र बल ों क
शत्रुतापूर्ग पररवेश के बावजूद दू र से उन्हें निम्भिय
करिे में मदद करता है।कुछ ऐि-ऑि के साथ, इस
िर्ाली का उपय र् वस्तु के नलए जमीि ख दिे और
नवनभन्न तरीक ों से इम्प्र वाइज्ड एक्सल नसव निवाइस
क निफ्यूज करिे के नलए भी नकया जा सकता है ।

लद्दाख में सबसे ऊों िा स्थलीय कें द्र:


आकार और वजि के मामले में िीआरिीओ द्वारा
लद्दाख में DRDO का केंद्र पैंर् र्
ों झील के पास िाोंर्ला
नवकनसत सबसे छ टे हनथयार ों में से एक।
में समुद्र तल से 17,600 फीट की ऊोंिाई पर है ,
लक्ष्य ख जिे के नलए सनक्रय रिार साधक। नजसका उद्दे श्य िाकृनतक और औषधीय पौध ों के
सोंरक्षर् के नलए िाकृनतक क ल्ड स्ट् रे ज इकाई के
इलेक्टरॉनिक काउों टर-माप क्षमताओों में से एक। रूप में काम करिा है।
80 नकमी की सीमा में हेि-ऑि म ि में सुपरस निक
र्नत से दु श्मि के नवमाि ों क र किे और िष्ट् करिे के
नलए निज़ाइि नकया र्या।

24 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

दे श में मवज्ञान एवं प्रौद्योमिकी के क्षेत्र में मवज्ञान और प्रौद्योमिकी मवभाि की भूममका

भारत सरकार का नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की के िए क्षेत्र ों क अिुसोंधाि और नवकास समथगि िदाि करता है।यह नवभार्
बढ़ावा दे िे के उद्दे श्य उि नवषय ों से सम्बम्भित र्नतनवनधय ों समाज में सुरनक्षत एवों बेहतर सकारात्मक पररवतगि लािे
के आय जि एवों समन्वय के नलए स्थानपत नकया र्या एक और भनवष् के व्यवधाि ों के नलए अच्छी तरह‍ से तैयारी
नवभार् है। इसकी स्थापिा मई १९७१ में की र्ई थी। यह करिे के नलए नवज्ञाि और िौद्य नर्की में महत्वपूर्ग भूनमका
भारत में एक ि िल नवभार् की भूनमका निभािे का कायग निभािे हेतु एक अग्रदू त के रूप में उभरते‍ हुए राष्ट्रीय
करता है। यह नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की मोंत्रालय, भारत एसटीआई इक नसस्ट्े म क मजबूत करिे की नदशा में
सरकार के अधीि आता है।नवज्ञाि‍और िौद्य नर्की नवभार् ियास जारी रखे हुए है।
(िीएसटी) दे श में नवज्ञाि, िौद्य नर्की और िव न्मेष क
सफलता की प्रमुख कहामनयां इस प्रकार हैं:
मजबूत करिे, नवज्ञाि और‍ िौद्य नर्की क्षेत्र ों में अोंतर की
पहिाि करिे, सामानजक जरूरत ों क पूरा करिे के नलए ➢ वैनिक एस एों ि टी सूिकाों क ों में भारत की रैं नकों र् में
य जिा और िीनत बिािे, भनवष् की माोंर् ों क ध्याि में वृम्भर्द् जारी : भारत िेवैनिक िवािार सूिकाोंक‍
रखते हुए नवज्ञाि और िौद्य नर्की के िए क्षेत्र ों क बढ़ावा (जीआईआई), 2022 के अिुसार नवि स्तर पर अनभिव
दे िे के नलए एक ि िल एजेंसी‍है। अथगव्यवस्थाओों के बीि 40वाों स्थाि हानसल नकया।‍
एिएसएफ िे टाबेस के अिुसार एससीआई पनत्रकाओों
में वैज्ञानिक िकाशि ,ों नवज्ञाि और इों जीनियररों र् में
पीएििी की सोंख्या, उच्च नशक्षा िर्ाली के आकार और
स्ट्ाटग अप की सोंख्या के मामले में दे श शीषग 3 दे श ों में‍
बिा हुआ है। अोंतराग ष्ट्रीय स्तर पर नवज्ञाि और
िौद्य नर्की जुड़ाव में भारत की म्भस्थनत: भारत पहली
बार जी-20 िेताओों के नशखर सम्मेलि का आय जि
कर रहा है । उसी के नहस्से के रूप में, िीएसटी 2023
में भारत द्वारा जी 20 अध्यक्षता के दौराि नवज्ञाि -20
(एस 20) और ररसिग इि वेशि इनिनशएनटव र्ैदररों र्
(आरआईआईजी) में सोंनलप्त समूह ों की र्नतनवनधय ों का
नवज्ञाि और िौद्य नर्की नवभार् अपिे क्षेत्र क नवनभन्न
समन्वय कर रहा है।
सरकारी नवभार् ,ों नशक्षर् सोंस्थाि ,ों अिुसोंधाि एवों नवकास‍
िय र्शालाओों / अन्य सोंस्थाि ों और उद्य र् ों के साथ ज ड़िे ➢ भू-स्थानिक िौद्य नर्की के माध्यम से िार्ररक सेवा में
का भी कायग करता है। नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की क राष्ट्रीय‍ सुधार: भारत क एनशया और िशाोंत
स्तर पर मजबूत करिे के उद्दे श्य से, िीएसटी हमारे दे श (यूएिजीजीआईएम-एपी) केनलए सोंयुि
राष्ट्र-
की नशक्षा िर्ाली, वैज्ञानिक और औद्य नर्क अिुसोंधाि एवों‍ जीजीआईएम की क्षेत्रीय सनमनत द्वारा आय नजत
नवकास और दे श के समग्र नवज्ञाि, िौद्य नर्की और हैदराबाद में आय नजत ग्यारहवीों पूर्ग बैठक के दौराि
िव न्मेष की िनतस्पधाग के माध्यम से सोंस्थाि ों और नवषय ों एकीकृ त भूस्थानिक सूििा ढाोंिे (आईजीआईएफ) के
से ऊपर‍ उठकर वैज्ञानिक ों क दे श में सबसे बड़ा बाह्य नलए र्नठत िए कायग समूह की अध्यक्षता करिे के नलए
सम्मानित नकया र्या था।

25 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

➢ िीनत निमागर्: िीएसटी िे एक िमुख िीनत, राष्ट्रीय भू- र्ई है , नजसके माध्यम से समथगि के नलए बारह िए
स्थानिक िीनत और द नदशानिदे श वैज्ञानिक अिुसोंधाि नविनवद्यालय ों का ियि नकया र्या है।
अवसोंरििा साझाकरर् रखरखाव और िेटवकग ➢ दे श के नवनभन्न भार् ों में पररष्कृत नवश्लेषर्ात्मक
(एसआरआईएमएएि) और वैज्ञानिक सामानजक उपकरर् सुनवधाएों (सैफ) स्थानपत की र्ई हैं तानक
उत्तरदानयत्व (एसएसआर) वषग के दौराि तैयार नकए हैं । सामान्य रूप सेश धकताग ओों क पररष्कृत
नवश्लेषर्ात्मक उपकरर् ों की सुनवधाएों िदाि की जा
➢ वषग के दौराि नवभार् की र्नतनवनधय ों की उपलम्भिय ों का सकें और नवशेष रूप से उि सोंस्थाि ों सेनजिके पास
नवस्तृत नववरर् सोंबम्भित अध्याय ों में िस्तुत नकया र्या है ऐसे उपकरर् ों तक पहुोंि िहीों है तानक वे अिुसोंधाि
नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की अवसोंरििा (एफआईएसटी) के एवों नवकास कायगकलाप ों क आर्े बढ़ािे में सक्षम ह
सुधार के नलए निनध) नविनवद्यालय नवभार् ों और उच्चतर सकें । वतगमाि में दे श में 15 सैफ कें द्र हैं। वषग के
शैनक्षक सोंस्थाओों क िनतस्पधी म ि से सहायता िदाि की दौराि एसएआईएफ द्वारा िदाि की र्ई सहायता से
लर्भर् 2400 श ध पत्र िकानशत नकए र्ए थे और
जाती है। कायगक्रम क आत्मनिभगर भारत के लक्ष्य की ओर
सभी क्षेत्र ों से सोंबोंनधत पैि इों निया के लर्भर् 33,000
उन्मुख करिे के नलए ि केवल अकादनमक सोंर्ठि ों में उपय र्कताग ओों िे सैफ में सुनवधाओों का उपय र्
अिुसोंधाि और नवकास र्नतनवनधय ों के नलए बम्भल्क स्ट्ाटग - नकया है और उिसे लाभाम्भन्वत हुए हैं। सभी सैफ केंद
अप / नवनिमागर् उद्य र् ों / एमएसएमई द्वारा उपय र् केनलए द्वारा औसति 79,000 िमूि ों का नवश्लेषर् नकया
अिुसोंधाि और नवकास बुनियादी ढाोंिे का निमागर् करके र्या।
पुिर्गनठत नकया र्या है। सभी एफआईएसटी समनथगत ➢ पररष्कृत नवश्लेषर्ात्मक और तकिीकी सहायता
सुनवधाओों क अब मेजबाि सोंर्ठि के बाहर श धकतागओों सोंस्थाि (साथी): एस एों ि टी अवसोंरििा और
द्वारा िमूिा नवश्लेषर् के नलए अपिे पररसर में नवनभन्न जिशम्भि के आधार क तेज करिे के नलए एक
सुनवधाओों के स्लॉट की उपय नर्ता और उपलिता िदनशगत साझा, व्यावसानयक रूप सेिबोंनधत सेवा और मजबूत
करिे केनलए आई-एसटीईएम (भारतीय - नवज्ञाि एस एों ि टी अवसोंरििा सुनवधाएों , एस एों ि टी के
िेतृत्व वाले िवािार और स्ट्ाटग -अप, िौद्य नर्की
िौद्य नर्की और इों जीनियररों र् सुनवधा मािनित्र) प टग ल से
नवकास और एस एों ि टी के भनवष् के क्षेत्र। पहले
जुड़िे की आवश्यकता है। वषग के दौराि, इि क्षेत्र ों में सात
िरर् में तीि ‘साथी’ सुनवधाओों की मेजबािी की र्ई
नवषय पर 525 िए िस्ताव िाप्त हुए हैं नजिमें से 90 है। दे श के उत्तरी भार् के नलए अत्याधुनिक बुनियादी
पररय जिाओों की नसफाररश की र्ई है। ढाोंिे में से एक 300 केवी क्राय टर ाोंसनमशि इलेक्टरॉि
माइक्र स्क प क आईआईटी नदल्ली में ‘साथी’
➢ नविनवद्यालय अिुसोंधाि और वैज्ञानिक उत्कृष्ट्ता क
अिुदाि के माध्यम से स्थानपत नकया र्या है।
बढ़ावा दे िा (पसग): इस य जिा का मुख्य उद्दे श्य अच्छा
िदशगि करिेवालेनविनवद्यालय ों के अिुसोंधाि एवों नवकास ➢ वैज्ञानिक और िौद्य नर्कीय अवसोंरििा
आधार क मजबूत करिे केनलए सनक्रय रूप से समथगि (एसटीयूटीआई) का उपय र् करते हुए सहनक्रयात्मक
करिा है। वतगमाि वषग में, सहायता के नलए िार िए िनशक्षर् कायगक्रम का उद्दे श्य दे श भर में एस एों ि टी
नविनवद्यालय ों की पहिाि की र्ई नवज्ञाि और िौद्य नर्की अवसोंरििा तक खुली पहुोंि के माध्यम से मािव
के िए और उभरते क्षेत्र ों में अिुसोंधाि एवों नवकास सोंसाधि और इसकी क्षमता निमागर् क बढ़ावा दे िा है ।
र्नतनवनधय ों क बढ़ावा दे िे केनलए बुनियादी ढाोंिा वषग 2022 के दौराि इस य जिा के तहत कुल 192
िनशक्षर् कायगक्रम आय नजत नकए र्ए और लर्भर्
िदाि करिे और सुनवधाओों क सक्षम करिे के नलए दे श 6500 श धकतागओों क एसटीयूटीआई के तहत िनशनक्षत
में सेवा रनहत क्षेत्र ों के नलए नवशेष आह्वाि की घ षर्ा की
नकया र्या है ।उपस्कर ों के उन्नयि निवारक मरम्मत और

26 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

अिुरक्षर् के नलए सहायता सवोच्च) िीएसटी कें द्रराज्य समन्वय क सोंवेदिशील और मजबूत करिे
पररय जिाओों द्वारा स्थानपत िमुख सुनवधाओों के के नलए 10-11 नसतोंबर 2022 क साइों स नसटी,
पुिरुर्द्ार के नलए एक िई पहल की घ षर्ा की र्ई है । अहमदाबाद में 2 नदवसीय "केंद्र-राज्य नवज्ञाि सम्मेलि"
नवनभन्न सोंस्थाि /ों िय र्शालाओों/शैक्षनर्क सोंस्थाि ों में आय नजत नकया र्या था।
िीएसटी द्वारा समनथगत मौजूदा नवश्लेषर्ात्मक
➢ राष्ट्रीय नवज्ञाि और िौद्य नर्की िबोंधि सूििा िर्ाली
इों स्ट्ूमेंटेशि सुनवधाओों (एआईएफ) की कायागत्मक
(एिएसटीएमआईएस) एस एों ि टी र्नतनवनधय ों के
क्षमताओों क बढ़ािे के नलए
नलए समनपगत जिशम्भि के साथ-साथ नवत्तीय
मरम्मत/उन्नयि/रखरखाव/रे टर नफनटों र् या अनतररि
सोंसाधि ों के बारे में जािकारी उत्पन्न करिे और
सोंलग्नक िाप्त करिे के नलए सहायता िदाि करता है
उपलि करािे के नलए राष्ट्रीय सवेक्षर् आय नजत
➢ राज्य एस एों ि टी कायगक्रम राज्य ों क अपिे स्तर पर करती है। अिुसोंधाि और नवकास र्नतनवनधय ों के
नवनशष्ट् एस एों ि टी उद्दे श्य ों क िाप्त करिे की सुनवधा नलए समनपगत सोंसाधि ों पर राष्ट्रीय सवेक्षर् 2021-22
िदाि करता है। वतगमाि में, कुल 31 एसएों ि टी पररषद ों के नलए िे टा सोंग्रह िर्नत पर है। इसके अलावा,एक
(28 राज्य + 3 केंद्र शानसत िदे श )ों का समथगि नकया राष्ट्रीय नवनिमाग र् िवािार सवेक्षर् (एिएमआईएस)
जा रहा है। कायगक्रम स्थािीय एस एों ि टी से सोंबोंनधत 2021 भी िर्नत पर है । आों कड़ ों का सोंग्रहर् पूरा ह
मुद्द ों पर अध्ययि और सवेक्षर् का भी समथगि करता है। र्या है और मसौदा ररप टग की समीक्षा की । वाइज़
राज्य /ों केंद्र शानसत िदे श ों में उभरते नवज्ञाि, िौद्य नर्की नकरि (प षर् के माध्यम से अिुसोंधाि उन्ननत में ज्ञाि
और िवािार (एसटीआई) पाररम्भस्थनतकी तोंत्र और भार्ीदारी) नवनभन्न तोंत्र ों के माध्यम सेनवज्ञाि और
आत्मनिभगर भारत के िनत इसके य र्दाि क िदनशगत िौद्य नर्की में लैंनर्क समािता लािे के अनधदे श के
करिे के नलए बारह पहिािेर्ए नवषय ों के साथ एक वषग साथ िीएसटी की मनहला-अिन्य य जिाओों क
का कायगक्रम "नवज्ञाि उत्सव" शुरू नकया र्या है । शानमल करता है। इस वषग नवषय नवशेषज्ञ ों की 9
िीएसटी के पेटेंट सुनवधा कायगक्रम (पीएफपी) क बैठक ों के माध्यम से 990 िस्ताव ों में से 293
टीआईएफएसी में स्थानपत पेटेंट सुनवधा केंद्र (पीएफसी) पररय जिाओों का ियि िब्ल्यूओएस-ए के अोंतर्गत 5
और राज्य एस एों ि टी पररषद ों में स्थानपत पेटेंट सूििा नवनभन्न धाराओों में नकया र्या है। िब्ल्यूओएस-बी
केंद्र ों (पीआईसी) के माध्यम से कायागम्भन्वत नकया जा रहा मनहलाओों क सामानजक िुिौनतय ों का सामिा करिे
है। पीएफसी िे 37 िए पेटेंट आवेदि, 2 एकीकृत के नलए अपिे एस एों ि टी ज्ञाि और अिुभव का
सनकगट (आईसी) लेआउट निजाइि आवेदि दायर नकए उपय र् करिे के नलए ि त्सानहत करता है । इस वषग
हैं। नवज्ञाि और िौद्य नर्की नवभार् (िीएसटी) में िीनत, के दौराि, 9 िालू पररय जिाओों केनलए अिुदाि जारी
समन्वय और कायगक्रम िबोंधि (पीसीपीएम) िभार् के नकया र्या है।िल रही िब्ल्यूओएस-बी पररय जिाओों
तहत िीनत अिुसोंधाि कायगक्रम (पीआरपी) मुख्य रूप से से 30 से अनधक िकाशि सामिे आए हैं।
दे श में एसटीआई िीनत अिुसोंधाि क बढ़ावा दे िे और िब्ल्यूओएस-सी बौम्भर्द्क सोंपदा अनधकार
एसटीआई से सोंबोंनधत क्षेत्र ों में भनवष् के िीनत निमागर् के (आईपीआर) के क्षेत्र में अपिे कररयर क आर्े बढ़ािे
नलए साक्ष्य-आधाररत इिपुट एकत्र करिे पर केंनद्रत है। के नलए मध्य-कै ररयर िेक और एस एों ि टी में
िालू वषग में, द िीनत अिुसोंधाि केन्द्र ों (सीपीआर) क य ग्यता रखिेवाली मनहलाओों क अवसर िदाि
सहायता िदाि की र्ई है और लर्भर् 19 िीएसटी- करता है। 12वें बैि के तहत िुिी र्ई 98 मनहला
एसटीआई अध्येताओों क िीएसटी-एसटीआई वैज्ञानिक ों के नलए िनशक्षर् दी र्ई ।
अध्येतावृनत्त के अोंतर्गत अध्येतावृनत्त िाप्त हुई है ।

27 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

➢ वषग 2022-23, में 11वें और 12वें बैि की 116 नजल ों (13 आकाोंक्षी नजल ों सनहत) तक नवस्ताररत नकया
मनहलाओों िे भारत के पेटेंट कायागलय द्वारा आय नजत र्या है।
पेटेंट एजेंट परीक्षा उत्तीर्ग की। नवज्ञाि ज्य नत का उद्दे श्य
➢ क नग्ननटव नवज्ञाि अिुसोंधाि पहल (सीएसआरआई)
लड़नकय ों क एसटीईएम (नवज्ञाि, िौद्य नर्की, इों जीनियररों र्
सोंज्ञािात्मक नवज्ञाि अत्यनधक अोंतः नवषय क्षेत्र में िदे श ों से
और र्नर्त) में उच्च नशक्षा और कै ररयर बिािे के नलए कुल 7,96,189 िामाोंकि िाप्त हुए। नजिमें से 43,381
ि त्सानहत करिा है, नवशेष रूप से उि क्षेत्र ों में जहाों छात्र ों क नजला स्तरीय िदशगिी और पररय जिा
मनहलाओों की भार्ीदारी कम है तानक धाराओों में नलोंर् िनतय नर्ता और बाद में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भार्
अिुपात क सोंतुनलत नकया जा सके। 2022 के दौराि, लेिे के नलए शॉटग नलस्ट् नकया र्या है।
कायगक्रम दे श के 34 राज्य /ों केंद्र शानसत िदे श ों के 200
ज अिुसोंधाि क ि त्सानहत करता है ज मि नवज्ञाि, अोंतराग ष्ट्रीय सहय र् कायगक्रम
कोंप्यूटर नवज्ञाि, भाषा नवज्ञाि, दशगि, तोंनत्रका नवज्ञाि आनद
के नविार ,ों नसर्द्ाोंत ों और तरीक ों के सोंय जि के माध्यम (i) भारत और साझेदार दे श ों के बीि नवज्ञाि और
सेनवनभन्न िश् ों क सुलझािे की क नशश करता है। िौद्य नर्की समझौत ों पर बातिीत, समापि और
कायागन्वयि केनलए अनधदे नशत;
अिुसोंधाि के नलए नवज्ञाि ख ज में िवािार (इों स्पायर) कम
उम्र से ही नवज्ञाि के अध्ययि के नलए िनतभा क (ii) नवनभन्न क्षेत्रीय और बहुपक्षीय लेटफामों के
आकनषगत करिे और दे श के अिुसोंधाि और नवकास- माध्यम से वैज्ञानिक अिुसोंधाि और नवकास
आधार क मजबूत करिे और नवस्ताररत करिे केनलए
र्नतनवनधय ों का समथगि करिा,
आवश्यक मािव सोंसाधि पूल का निमागर् करिे के नलए
िीएसटी की एक िमुख य जिा है। (iii) अोंतराग ष्ट्रीय मोंि ों पर नवज्ञाि और िौद्य नर्की
इं स्पायर- उच्च नशक्षा के नलए छात्रवृनत्त (एसएिई) घटक पहलुओों पर हस्तक्षेप िदाि करिा। सहय र् के
िे 10,108 ियनित उम्मीदवार ों क फै ल नशप का समथगि सनक्रय नद्वपक्षीय एस एों ि टी कायगक्रम समनपगत
नकया। इसके अलावा, सोंस्थाि म ि के माध्यम से ियनित क्षेत्रीय और बहुपक्षीय कायगक्रम सनहत 45 से
उम्मीदवार ों क 424 इों स्पायर छात्रवृनत्तयाों िदाि की र्ई अनधक दे श ों के साथ जारी रखेर्ए हैं। बहुपक्षीय
हैं। इों स्पायर अध्येतावृनत्त घटक के अोंतर्गत िाप्त 2,449
सहय र् एनशया सहय र् वाताग के साथ पेश नकया
आवेदि ों का मूल्याोंकि िर्नत पर है और अब तक 829
र्या था (एसीिी) अफ्रीका, दनक्षर् पूवग एनशयाई
इों स्पायर अध्येतावृनत्त आवेदक ों क इों स्पायर अध्येतावृनत्त
की पेशकश की र्ई है । इों स्पायर फेल में से 67% राष्ट्र ों का सोंर्ठि (आनसयाि), बहु-क्षेत्रीय
मनहलाएों और 33% पुरुष हैं। कु ल इों स्पायर फै ल नशप तकिीकी और आनथगक सहय र् के नलए बोंर्ाल
लाभानथगय ों में से, लर्भर् 36% एसएिई स्कॉलसग हैं ज 5 की खाड़ी पहल (नबम्सटे क), िाजील, रूस, भारत,
साल की इों स्पायर स्कॉलरनशप का लाभ उठािे के बाद िीि और दनक्षर् अफ्रीका (निक्स), यूर पीय सोंघ
नवज्ञाि और िौद्य नर्की में िॉक्टरे ट निग्री ि ग्राम में (ईयू), नहोंद महासार्र ररम एस नसएशि (IORA),
शानमल हुए हैं। वषग के दौराि, 115 इों स्पायर फै कल्टी फै
नहोंद-िशाोंत महासार्र पहल (IPOI), शोंघाई
ल नशप की पेशकश की र्ई थी। इों स्पायर फै कल्टी फेल
सहय र् सोंर्ठि (SCO)‍है।
में से 43% मनहलाएों और 57% पुरुष ह नमनलयि माइों ि्स
ऑग्मेंनटों र् िेशिल एम्भस्परे शन्स एों ि िॉलेज (मािक)"
➢ िैि नवज्ञाि और िैि िौद्य नर्की पर राष्ट्रीय
कायगक्रम िे दे श भर के नमनिल और हाई स्कूल ों से 7.05
नमशि बुनियादी अिुसोंधाि क बढ़ावा दे ता है और
लाख नविार नलए र्ए नजिमें से 52,720 िनतभाशाली
ल र् ों क नजला, राज्य और नफर राष्ट्रीय स्तर की िदशगिी जिता द्वारा उपय र् के नलए िैि िौद्य नर्की अिुकू लि
और उद्य र् में हस्ताोंतरर् पर केंनद्रत है वषग 2022 के

28 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

दौराि, ऊजाग और िैि इलेक्टरॉनिक्स अिुसोंधाि क्षेत्र से र्ुवाहाटी, आईआईटी मोंिी में सुपर कों प्यूटर ों की पाोंि
िौ पेटेंट फाइनलोंर् की सूििा दे ते हुए कुशल सामग्री िई स्थापिाएों सफलतापूवगक पूरी ह र्ई हैं । अब तक
र्ुर् ,ों सेंसर और उपकरर् ों का िदशगि और एक पेटेंट कुल 28 सुपर कोंप्यूटर स्थानपत नकए र्ए हैं। एक
से सम्मानित नकया जाता है । स्वदे शी रूप सेनवकनसत रुद्र सवगर उपय र् के नलए
तैयार ह रहा है।
➢ बुनियादी अिुसोंधाि के नलए मेर्ा सुनवधा की र्नतनवनधय ों
के अोंतर्गत, भारत जमगिी में एों टीि ट ि और आयि ➢ िौद्य नर्की सोंलयि और अिुिय र् अिुसोंधाि
अिुसोंधाि सुनवधा (फेयर), सोंयुि राज्य अमेररका में तीस (टीएफएआर) कायगक्रम क्ाोंटम सक्षम नवज्ञाि और
मीटर टे लीस्क प (टीएमटी) और ऑस्ट्र े नलया और दनक्षर् िौद्य नर्की, इमेनजोंर् स्पेक्टर स्क पी और अिुिय र् ों पर
अफ्रीका में स्क्वायर नकल मीटर ऐरे (एसकेए) जैसी िेटवकग पररय जिा (एिआईएसए), महामारी नवज्ञाि
अोंतरागष्ट्रीय अिुसोंधाि सुनवधाओों की स्थापिा में सनक्रय िे टा नवश्लेनषकी और निनजटल स्पेस में भारतीय
रूप से भार् ले रहा है और इसका, उद्दे श्य भारतीय नवरासत जैसी उभरती िौद्य नर्नकय ों के सोंलयि,
श धकतागओों क अपिे अिुसोंधाि कायग के नलए ऐसी अनभसरर् और अिुिय र् के नलए फ कस अिुसोंधाि
अत्याधुनिक अिुसोंधाि सुनवधाओों का उपय र् करिे में के साथ एकल मोंि के तहत उभरती िौद्य नर्नकय ों में
सक्षम बिािा है। इस कायगक्रम के माध्यम से, भारतीय अिुसोंधाि क बढ़ावा दे िे के नलए है। िौद्य नर्की
श धकताग लाजग हैिरॉि क लाइिर (एलएिसी), यूर पीय नवकास कायगक्रम अनभज्ञात क्षेत्र ों में िवीि िौद्य नर्नकय ों
परमार्ु अिुसोंधाि सोंर्ठि (सीईआरएि), नजिेवा और के नवकास के नलए अिुसोंधाि एवों नवकास का समथगि
एलेटरा नसिक्र टर ॉि, इटली, फमी िेशिल एक्सेलेरेटर करता है। कु ल सोंख्या। तेदेपा के अोंतर्गत 06 उप-
लेब रे टरी (फनमगलैब), यूएसए में द िय र् ों में भार् ले रहे स्कीमें राष्ट्रीय िाथनमकताओों और िल रहे राष्ट्रीय
हैं। जलवायु पररवतगि कायगक्रम के अोंतर्गत जलवायु कायगक्रम ों से सोंबर्द् हैं। टीिीपी के निनकत्सीय रसायि
पररवतगि सोंबोंधी राष्ट्रीय कायग य जिा (एिएपीसीसी) के कायगक्रम (टीसीपी) और िौद्य नर्की सक्षम कें द्र
अोंतर्गत जलवायु पररवतगि सोंबोंधी द राष्ट्रीय नमशि अथाग त (टीईसी) घटक ों के तहत 2022 के दौराि लर्भर् 170
जलवायु पररवतगि के नलए कायगिीनतक ज्ञाि नमशि पररय जिा िस्ताव िाप्त हुए थे। नवशेषज्ञ सलाहकार
(एिएमएसकेसीसी) और नहमालयी एक नसस्ट्म क बिाए सनमनतय ों वारा व्यवम्भस्थत मूल्याोंकि के बाद 7 िई
रखिे के नलए राष्ट्रीय नमशि (एिएमएसएिई) कायागम्भन्वत पररय जिाओों क मोंजूरी दी र्ई थी।
नकए जा रहे हैं। र् वा, झारखोंि, उत्तर िदे श (यूपी) और
➢ स्वछ ऊजाग अिुसोंधाि पहल (सीईआरआई):
िोंिीर्ढ़ सोंघ राज्य क्षेत्र में िार िए राज्य जलवायु पररवतगि
सीईआरआई का मुख्य उद्दे श्य स्वछ ऊजाग के
िक ि (एससीसीसी) स्थानपत नकए र्ए हैं, ज दे श भर के
नलए अिुसोंधाि और िवािार पाररम्भस्थनतकी तोंत्र
28 राज्य /ों सोंघ राज्य क्षेत्र ों में एससीसीसी में उपम्भस्थनत दजग
क मजबूत करके स्वछ ऊजाग क नकफायती
कराते हैं।
और सुलभ बिािे के नलए नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की
➢ राष्ट्रीय सुपरकों प्यूनटों र् नमशि (एिएसएम) िे के िेतृत्व वाली सफलताओों का प षर् करिा है ।
एमईआईटीवाई के साथ सोंयुि रूप से कायाग म्भन्वत वषग के दौराि, राष्ट्रीय जरूरत ों क पूरा करिे के
नकया है तानक दे श में कु छ 100 टे रा फ्लॉि से लेकर नलए स्वच्छ िवािार ों की र्नत में तेजी लािे के
दस पेटा फ्लॉि तक की उच्च निष्पादि िर्ानलयाों नलए कायगक्रम में कई िए आयाम ज ड़े र्ए। इि
स्थानपत की जा सकें । िालू वषग में आईआईटी रुड़की, पहल ों में स्वच्छ क यला िौद्य नर्नकय ों पर
एिआईटी नत्रिी, आईआईटी र्ाोंधीिर्र, आईआईटी अिुसोंधाि और नवकास, ऊजाग भोंिारर् के नलए

29 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

सामग्री, सौर ऊजाग, नमशि िवािार, नमशि िेटवकग के माध्यम से िौद्य नर्की स्ट्ाटग -अप क प नषत
इि वेशि िैलेंज, क्रॉस-कनटों र् इि वेशि िैलेंज, करिे के नलए उच्च नशक्षर् सोंस्थाि ों की तकिीकी
एिजी स्ट् रे ज सॉल्यूशोंस, नमशि इि वेशि शम्भि का लाभ उठा रहा है। दे श भर में िवािार और
(एमआई) 2.0, स्माटग नग्रि और म्भियर एयर उद्यनमता की समावेनशता सुनिनित करिे और छात्र ,ों
शानमल हैं। सोंकाय ,ों उद्यनमय ों और आस-पास के ल र् ों के बीि
िवािार और स्ट्ाटग अप सोंस्कृनत क बढ़ावा दे िे के नलए
➢ नवज्ञाि और िौद्य नर्की नवभार् (िीएसटी) की जल
एक िया कायगक्रम िेशिल इनिनशएनटव फॉर
िौद्य नर्की पहल (िब्ल्यूटीआई) एक सनक्रय भारत-
िे वलनपोंर् एों ि हावेम्भस्ट्ोंर् इि वेशि (निनध) - समावेशी
केंनद्रत 'समाधाि नवज्ञाि' ियास है नजसका उद्दे श्य
टीबीआई (आईटीबीआई) शुरू नकया र्या है। आई-
दे श में मौजूदा और उभरती जल िुिौनतय ों के नलए
टीबीआई कायग क्रम के तहत, आई-टीबीआई स्थानपत
अिुसोंधािआधाररत समाधाि नवकनसत करिे के नलए
करिे केनलए समथगि हेतु 30 सोंस्थाि ों की नसफाररश
अिुसोंधाि और नवकास क्षमता क मजबूत करिा है।
की र्ई है। िार िए आई-टीबीआई के नलए सहायता
इस य जिा का व्यापक लक्ष्य अिुसोंधाि एवों नवकास
मोंजूर की र्ई है। 2022 के दौराि, टी-हब, हैदराबाद,
र्नतनवनधय ों क बढ़ावा दे िा है ज स्थायी स्र त ों से
तेलोंर्ािा में एक िया सीओई निनध सेंटर ऑफ
नवनशष्ट् अिुिय र् ों के नलए पािी की र्ुर्वत्ता में वृम्भर्द्
एक्सीलेंस (निनध - सीओई) कायगक्रम के माध्यम से
करिे और पािी के पुििगक्रर् और पुि: उपय र् क
स्थानपत नकया र्या है , नजससे कुल 8 सीओई सनक्रय
सक्षम बिाता है। जल सोंबोंधी मुद्द ों के समाधाि के
समथगि के तहत हैं ।
नलए कई पररय जिाएों कायाग म्भन्वत की जा रही हैं।
➢ राष्ट्रीय नवज्ञाि और िौद्य नर्की सोंिार पररषद
➢ राष्ट्रीय भू-स्थानिक कायग क्रम (एिजीपी) का उद्दे श्य भू -
(एिसीएसटीसी) का मुख्य उद्दे श्य नवज्ञाि और
स्थानिक िौद्य नर्नकय ों और अिुिय र् ों के उभरते क्षेत्र ों
िौद्य नर्की (एस एों ि टी) क जिता के नलए िेनषत
में अिुसोंधाि और नवकास क बढ़ावा दे िा है। कायगक्रम
और ल कनिय बिािा और उिके बीि वैज्ञानिक
के तहत कई पररय जिाएों िलाई र्ई हैं। ग्रेनवटी
िज़ररये क ि त्सानहत रिा है। वषग के दौराि नवज्ञाि
ररकवरी एों ि िाइमेट एक्सपेररमेंट (ग्रेस) उपग्रह से
और िौद्य नर्की जार्रूकता और कनियता के नलए
आों कड़ ों का उपय र् करके कुल जल भोंिारर्
कई र्नतनवनधयाों की र्ई हैं। राष्ट्रीय नवज्ञाि नदवस
नवनवधताओों की निर्रािी की व्यवहायगता का पता
(एिएसिी), 28 फरवरी 2022 क , तीि पीएििी
लर्ािे के उद्दे श्य से तीि सोंबोंनधत मोंत्रालय ों और कई
स्कॉलसग और एक प स्ट्-िॉक फेल क
साझेदार ज्ञाि सोंस्थाि ों क शानमल करते हुए एक
एिब्ल्यूएसएआर पुरस्कार से सम्मानित नकया र्या।
राष्ट्रीय िेटवकग कायग क्रम नवकनसत नकया र्या है , दे श
इसके अलावा, उम्भल्लम्भखत पुरस्कार ों में, 1779
की क्षेत्र नवनशष्ट् भू-स्थानिक नवश्लेनषकी क्षमताओों क
कहानिय ों में सेशीषग 125 ल कनिय कहानिय ों क िकद
मजबूत करिे के नलए, िाप्त कु ल 140 अिुसोंधाि एवों
पुरस्कार के नलए िुिा र्या था।
नवकास िस्ताव ों में से 11 का समथगि नकया र्या था।
भारत िे 10-14 अक्टू बर 2022 तक हैदराबाद में ➢ सशम्भिकरर् और नवकास के नलए इम्भक्टी के नलए
सोंयुि राष्ट्रनवि भू-स्थानिक सूििा काों ग्रेस नवज्ञाि (सीि) यह य जिा अपिी नवनभन्न िकार की
(यूएििब्ल्यूजीआईसी) की मेजबािी की। ााष्ट्रीय य जिाओों का समथगि करती है ज सामानजक-आनथगक
नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की उद्यनमता नवकास ब िग सशम्भिकरर् और समाज के वोंनित वर्ों जैसे अिुसूनित
(एिएसटीईिीबी) इिक्ूबेटर ों के अपिे मजबूत जानत/अिुसूनित जिजानत, नदव्याोंर्जि, बुजुर्ग, आनथगक

30 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

रूप से कमज र वर्ग (ईिब्ल्यूएस) और मनहलाओों के ➢ 2015-16 से 5 िीएसटी सोंस्थाि ों में पाोंि
नवकास के नलए लर्ातार काम करती है। आजीनवका के तकिीकी अिुसोंधाि कें द्र ों (टीआरसी) क सहायता
नलए िवािार ों का सुदृढ़ीकरर्, उन्नयि और प षर् िदाि की जा रही है । इस अवनध के दौराि टीआरसी िे
(सुिील), युवा वैज्ञानिक ों और िौद्य नर्कीनवद ों की य जिा उद्य र् क कु छ महत्वपूर्ग िौद्य नर्नकय ों का नवकास
(एसवाईएसटी), नवकलाोंर् ों और बुजुर्ों के नलए और हस्ताोंतरर् नकया है। िमुख उपलम्भि में से एक
िौद्य नर्की हस्तक्षेप (टीआईिीई), मनहलाओों के नलए एस जेएिसीएएसआर और मैससग हम्सा बाय फामाग इों निया
एों ि टी जैसी कई पहल की र्ई हैं। 'म बाइल नवज्ञाि िाइवेट नलनमटे ि, िई नदल्ली के बीि िौद्य नर्की
िदशगिी' के माध्यम से 75300 से अनधक छात्र ,ों 2770 लाइसेंस समझौता है , नजसे 28 मािग 2022 क
नशक्षक ों और 330 स्कूल ों िे पूरेर्ुजरात में अपिे तीि टीजीआर 63 के नवकास के नलए नकया र्या था, ज
िरर् ों में इस अिूठी पहल से लाभ उठाया है। अिुसूनित अल्जाइमर र र् का िभावी ढों र् से इलाज या र कथाम
जानत उप य जिा (एससीएसपी) और जिजातीय उप करिे केनलए एक अर्ु है । ये टीआरसी वैज्ञानिक ,ों
य जिा (टीएसपी): नवभार्, नवज्ञाि और िौद्य नर्की के उद्यनमय ों और व्यापार नबरादरी क अनधक आनथगक
इिपुट के माध्यम से अिुसूनित जानत/अिुसूनित और सामानजक लाभ ों के नलए उत्पाद ों और िनक्रयाओों
जिजानत की आबादी क सशि बिािे के नलए क्रमश में अिुसोंधाि के अिुवाद क िाप्त करिे केनलए
1991-92 और 1992-93 से द स्कीमें अथागत तकिीकी-कािूिी-वानर्म्भज्यक और नवत्तीय सहायता
जिजातीय उप-य जिा (टीएसपी) और अिुसूनित जानत िदाि करते हैं। राष्ट्रीय स्थानिक िे टा अवसोंरििा
उप-य जिा (एससीएसपी) कायागम्भन्वत कर रहा है । (एिएसिीआई) राष्ट्रीय िे टा रनजस्ट्र ी (एििीआर) भू-
जिजातीय उप-य जिा के माध्यम से हस्तक्षेप िे ल र् ों प टग ल और व्यम्भिर्त सोंर्ठिात्मक िे टा ि ि् स का
क सीधे लाभाम्भन्वत नकया था, बेहतर सामानजक-आनथगक िदशगि कर रही है ; भू-स्थानिक िे टा/अिुिय र् ों की
म्भस्थनत के अलावा कौशल में महत्वपूर्ग सुधार ह िे के मेजबािी केनलए अवधारर्ा के िमार्-आधाररत
साथ साथ स्थािीय िवािार और स्थािीय ज्ञाि का निमाग र् िाउि आधाररत अवसोंरििा (एिएसिीआई भू-मोंि)
भी हुआ। वषग के दौराि अिुसूनित जानत उप-य जिा के एिएसिीआई म्भियररों र्हाउस ि ि क बिाए रखते
माध्यम से कायागम्भन्वत (पूरी) की र्ई पररय जिाओों िे हुए सेवाओों का िावधाि कर रही है। वतगमाि वषग से
ल र् ों क सीधे तौर पर लाभाम्भन्वत नकया और ल र् ों की एिएसिीआई का फ कस अोंतररम िे टा शेयररों र्
सामानजक-आनथक म्भस्थनतय ों में महत्वपूर्ग सुधार हुआ फ्रेमवकग (आईिीएसएफ) के कायागन्वयि, भू-सूििा
है। नवज्ञाि और इों जीनियररों र् (जीआईएसई) हब का
सोंिालि; राष्ट्रीय िे टा रनजस्ट्र ी (एििीआर) और
➢ र्ुि लैिट री िैम्भक्टस (जीएलपी): आज की तारीख
व्यम्भिर्त सोंर्ठिात्मक िे टा ि ि् स क मजबूत करिे
के अिुसार, दे श में 52 जीएलपी िमानर्त परीक्षर्
पर रहा है।
सुनवधाएों हैं। भारत 3 मािग, 2011 से िे टा की
पारस्पररक स्वीकृनत (एमएिी) से सोंबोंनधत ओईसीिी ➢ 2018-19 के दौराि शुरू नकए र्ए
पररषद अनधनियम ों का पूर्ग पालि कर रहा है , ज यह इों टरनिनसम्भलिरी साइबर-नफनजकल नसस्ट्म्स (एिएम-
सुनिनित करता है नक भारत में जीएलपी िमानर्त आईसीपीएस) पर राष्ट्रीय नमशि िे पूरे दे श क कवर
परीक्षर् सुनवधाओों द्वारा उत्पन्न िे टा ओईसीिी और करिेवाले लर्भर् सभी राज्य ों में शीषग रैं नकों र् वाले
अन्य दे श ों के 39 सदस्-दे श ों में स्वीकायग है , इस राष्ट्रीय सोंस्थाि ों में 25 िौद्य नर्की िवािार केंद्र स्थानपत
िकार व्यापार के नलए तकिीकी बाधाओों क दू र नकए हैं । वषग के दौराि िमुख उपलम्भिय ों में से एक यह
करता है। है नक आईआईटी कािपुर में टीआईएि िे भारतीय

31 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

राष्ट्रीय राजमार्ग िानधकरर् (एिएिएआई) मुख्यालय में


ओपि-स सग घटक ों और एकीकरर्, C3iVazra पर
पूरी तरह से आधाररत पहला सुरक्षा सोंिालि कें द्र
(SoC) स्थानपत नकया है ।.

➢ िौद्य नर्की नवभार् 25 स्वायत्त निकाय ों (एबी) का


प षर् करता है । इिमें 16 अिुसोंधाि सोंस्थाि, 4 नवशेष ज्ञाि
सोंस्थाि और एस एों ि टी सेवा सोंर्ठि और 5 पेशेवर यह स्थािीय समुदाय केनलए शुर्द् और स्वच्छ पािी स्ट् र करिे
निकाय शानमल हैं । इि सोंस्थाि ों का एक लोंबा और नवनवध के नलए लीि सीजि में उपय र्ी ह र्ा। सेंटर फॉर िैि एों ि
इनतहास है और उिकी नवनभन्न र्नतनवनधयाों दे श के एस एों ि सॉफ्ट मैटर साइों सेज (सीईएिएस), बेंर्लुरु िे ऊजाग भोंिारर्
टी इक -नसस्ट्म में महत्वपूर्ग य र्दाि दे ती हैं । िीएसटी के क्षमता (टर ाों सनमशि मॉड्यूलेशि > 55%, म्भस्वनिोंर् स्पीि < 5
स्वायत्त सोंस्थाि स्वास्थ्य, निनकत्सा उपकरर् ,ों ऊजाग से एस, साइकनलोंर् म्भस्थरता >500 िक्र), और ~ 8 एमएफ सेमी 2
लेकर िह्माों ि के रहस् ों क उजार्र करिे तक नवनवध
की वास्तनवक धाररता) के साथ एक लार्त िभावी द हरी-
अिुसोंधाि में य र्दाि करते हैं । निम्ननलम्भखत कुछ िमुख
कायाग त्मक बहुलक इलेक्टर क्र नमक स्माटग नवोंि नवकनसत की,
उपलम्भिय ों की एक झलक है : आयगभट्ट िेक्षर् नवज्ञाि
अिुसोंधाि सोंस्थाि (एरीज), िैिीताल िे मई, 2022 में पहली नजसे हाइनिि पारदशी इलेक्टर ि का उपय र् करकेनिजाइि
बार िकाश िाप्त करिे केनलए 4 मीटर अोंतराग ष्ट्रीय तरल नकया र्या था, नजसमें आधुनिक बुनियादी ढाों िे और
दपगर् टे लीस्क प (आईएलएमटी) पूरा नकया। पहली र शिी ऑट म बाइल उद्य र् ों में पारों पररक आईटीओ-आधाररत
के बाद, नवज्ञाि अवल कि ों के नलए 4.0 मीटर इों टरिेशिल स्माटग नवोंि क बदलिे की क्षमता है ।
नलम्भक्ि नमरर टे लीस्क प (ILMT) तैयार नकया जा रहा है ।

➢ जवाहरलाल िेहरू सेंटर फॉर एिवाों स्ि साइों नटनफक


ररसिग (जेएिसीएएसआर) िे दृश्य िकाश के अवश षर् द्वारा
सीओ 2 क मूल्य वनधगत उत्पाद मीथेि में बदलिे के नलए एक
लार्त िभावी धातु-मुि उत्प्रेक तैयार नकया है ।.

➢ श्री नित्रा नतरुिल इों स्ट्ीट्यूट फॉर मेनिकल साइों सेज एों ि
टे क्न लॉजी, नत्रवेंद्रम (एससीटीआईएमएसटी) िे यूवी सक्षम
➢ नवज्ञाि और इों जीनियररों र् अिुसोंधाि ब िग िे सोंभानवत
माइक्र वेव (एस्ट्र ा) का उपय र् करके कीटार्ुश धि के नलए
वैज्ञानिक ों की पहिाि करिे और नवज्ञाि और इों जीनियररों र् के
स्विानलत स्माटग टर ै श नबि के िौद्य नर्की हस्ताों तरर् के नलए
अग्रर्ी क्षेत्र ों में अिुसोंधाि और नवकास करिे के नलए उिका
मेससग फ टाग मेनिटे क िाइवेट नलनमटे ि के साथ लाइसेंस
समथगि करिे के नलए कई अनभिव कायगक्रम और य जिाएों
समझौते पर हस्ताक्षर नकए हैं ।
तैयार की हैं । इिमें से एक बाय मेनिकल अिुिय र् ों के नलए
➢ िॉथग ईस्ट् सेंटर फॉर टे क्न लॉजी एलीकेशि एों ि रीि पहििे य ग्य इलेक्टरॉनिक्स पर एक नवशेष कॉल है । पहििे
(एिईसीटीएआर), नशलाों र् िे िार्ालैंि मधुमक्खी पालि य ग्य निनकत्सा उपकरर् समय लार्त दक्षता के साथ स्वास्थ्य
और शहद नमशि (एिबीएिएम) के माध्यम से दीमापुर, दे खभाल खिों क कम करिे की क्षमता मे महाि य र्दाि
िार्ालैंि में शहद परीक्षर् िय र्शाला की स्थापिा पर एक िदाि करते हैं .। उच्च अोंत अिुसोंधाि के नलए सहय र् क
पररय जिा क सफलतापूवगक लार्ू नकया है। इसिे राम बढ़ावा दे कर राज्य के नविनवद्यालय ों और कॉलेज ों में एक
कृष्ण नमशि, स हरा, मेघालय में जीएसएम सक्षम, बाों स मजबूत आर एों ि िी पाररम्भस्थनतकी तोंत्र बिािे के नलए
आधाररत स्माटग जल सोंियि टॉवर भी स्थानपत नकया है , ज सोंरनित तरीके से अिुसोंधाि क्षमताओों क बढ़ािे केनलए एक
बादल और वायुमोंिलीय िमी से जल सोंियि पर एक िया कायगक्रम स्ट्े ट यूनिवनसगटी ररसिग एक्सीलेंस (SERB-
अनभिव तकिीक है । SURE) शुरू नकया र्या है । िौद्य नर्की नवकास ब िग (टीिीबी)
स्वदे शी िौद्य नर्की के नवकास और वानर्म्भज्यक अिुिय र् ों
का ियास करिे वाली औद्य नर्क सोंर्ठि और अन्य एजेंनसय ों
क नवत्तीय सहायता िदाि करता है तथा व्यापक घरे लू
अिुिय र् के नलए आयानतत िौद्य नर्की क अपिाता है । यह

32 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

स्वास्थ्य और निनकत्सा, इों जीनियररों र्, आईटी, रसायि, कृनष, सवेक्षर् िेनवनभन्न उपय र्कताग ओों और सोंर्ठि ों से सटीक
दू रसोंिार, सड़क पररवहि, ऊजाग और अपनशष्ट् उपय र्, उच्च-ररज़ॉल्यूशि िे टा आवश्यकताओों/माों र् ों क पूरा करिे
इलेक्टरॉनिक्स, रक्षा, िार्ररक उड्डयि, कपड़ा आनद जैसे के नलए उच्च सोंकल्प उपग्रह इमेजरी (एिआरएसआई) का
अथगव्यवस्था के सभी क्षेत्र ों से पूरेवषगनवत्तीय सहायता केनलए उपय र् करके पूरे दे श के नलए एिआरएिटीिीबी तैयार
आवेदि स्वीकार करता है । वषग 2022-23 (नदसोंबर, 2022 नकया है । एसओआई नजय इि और िब्ल्यूजीएस -84 दीघगवृत्त
तक) के दौराि, टीिीबी िेनवनभन्न औद्य नर्क सोंर्ठि क के बीि सटीक सोंबोंध के साथ पूरे दे श केनलए नजय इि मॉिल
नवत्तीय सहायता िदाि करिे के नलए िौ (9)समझौत ों पर भी नवकनसत कर रहा है , तानक उपग्रह-आधाररत
हस्ताक्षर नकए हैं । सवे ऑफ इों निया और एिएटीएमओ के िौद्य नर्नकय ों और उत्पाद ों जैसे जीएिएसएस, उपग्रह इमेजरी
माध्यम से सवेक्षर् और मािनित्रर् र्नतनवनध क मजबूत द्वारा दी र्ई ऊों िाइय ों क नजय िे नटक सटीकता के साथ
करिे के तहत, नवनभन्न ि मेि क पूरा करिेवाले भू-स्थानिक सीधे ऑथोमेनटर क ऊोंिाइय ों में पररवनतगत नकया जा सके।
समाधाि ों के साथ कुछ महत्वपूर्ग य र्दाि नदए हैं । भारतीय
इस मवभाि के कई दामयत्व हैं मजनमें से मवमशि इस मवभाि के उप-मवभाि एवं संबंमधत मामलों में मनम्न हैं :
पररयोजनाओं और कायवक्मों के प्रमुख दामयत्व हैं : • नवज्ञाि एवों अनभयाों नत्रकी अिुसोंधाि पररषद;
❖ नवज्ञाि और िौद्य नर्की से सोंबोंनधत िीनतय ों का निमाग र्। • िौद्य नर्की नवकास ब िग और सोंबोंनधत अनधनियम जैसे
❖ कैनबिेट की वैज्ञानिक सलाहकार सनमनत से सोंबोंनधत नक अिुसोंधाि और नवकास उपकर अनधनियम, 1986,
मामले (एसएसीसी)। (1986 का 32) और िौद्य नर्की नवकास ब िग
अनधनियम, 1995 (1995 का 44)
❖ उभरते हुए क्षेत्र ों पर नवशेष ज र दे िे के साथ नवज्ञाि
और िौद्य नर्की के िए क्षेत्र ों क बढ़ावा दे िा। • राष्ट्रीय नवज्ञाि और िौद्य नर्की सोंिार पररषद
❖ जैव ईोंधि उत्पादि, िसोंस्करर्, मािकीकरर् और • राष्ट्रीय नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की उद्यनमता नवकास ब िग
अिुिय र् ों के स्वदे शी िौद्य नर्की के नवकास के नलए • नवदे श में वैज्ञानिक सोंलग्न की नियुम्भि सनहत
अपिे अिुसोंधाि सोंस्थाि ों या िय र्शालाओों के माध्यम अोंतरराष्ट्रीय नवज्ञाि और िौद्य नर्की सहय र् (इि कायों
से अिुसोंधाि और नवकास के नवषय में सोंबोंनधत मोंत्रालय का निष्पादि नवदे श मोंत्रालय के साथ निकट सहय र् में
या नवभार् के साथ समन्वय नकया जाएर्ा)
❖ उप उत्पाद ों से मूल्य वनधगत रसायि नवकास के उपय र् • नवज्ञाि और िौद्य नर्की नवभार् के तहत इस नवषय से
क बढ़ावा दे िे के नलए अिुसोंधाि और नवकास सोंबोंनधत स्वायत्त नवज्ञाि और िौद्य नर्की सोंस्थाि सनहत,
र्नतनवनधयाों । खर् ल भौनतकी सोंस्थाि और भूिुम्बकत्व सोंस्थाि
• पेशेवर नवज्ञाि अकादनमय ों क बढ़ावा नदया र्या और
भावी नवज्ञाि कायग क्रम नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की नवभार् द्वारा नवत्त प नषत
• क्षेत्रीय सोंबोंध ों वाले नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की के क्षेत्र ों का • भारतीय सवेक्षर्, और िेशिल एटलस और थीमेनटक
समन्वय और एकीकरर् नजसमें अिेक सोंस्थाओों और मैनपोंर् ऑर्ेिाइजेशि
नवभार् ों के नहत और क्षमताएों हैं। • राष्ट्रीय स्थानिक िे टा बुनियादी सोंरििा और
जी.आई.एस. क बढ़ावा दे िा
• उपक्रम अथवा आनथगक रूप से वैज्ञानिक और
तकिीकी सवेक्षर्, अिुसोंधाि निजाइि और नवकास • िेशिल इि वेशि फाउों िेशि, अहमदाबाद।
के िाय जि, जहाों आवश्यक ह ।
(मुख्य सम्पादक-आर.के. नमश्र के सौजन्य से
• वैज्ञानिक अिुसोंधाि सोंस्थाि ,ों वैज्ञानिक सोंघ ों और
िीएसटी वानषगक ररप टग से साभार)
निकाय ों के नलए समथगि और अिुदाि सहायता।
सों ब ों न धत उप नवभार् एवों मामले

33 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

भारत में मवज्ञान की प्रमुख उपलस्टि

MkWΠgseyrk iUr


tUrq foKku foHkkx] lhñ,eñihñfMxzh dkyst] ç;kxjkt] mRrj çns'k Hkkjr

अिानद काल से भारत में नवज्ञाि की परम्परा नवद्यमाि रही है । हड़प्पा और म हिज दड़ की खुदाई से नमले साक्ष्य
इस बात का िमार् हैं नक उि ल र् ों में नवज्ञाि की समझ थी। िािीि काल में भारत में नवज्ञाि की सबसे बड़ी
उपलम्भिय ों में महनषग सुश्रुत के द्वारा ख जी र्ई शल्य निनकत्सा है , दु निया आज उन्हें ‘फादर ऑफ सजगरी‘ मािती
है ।

िार्ाजुगि िे रसायि नवज्ञाि क जन्म नदया। मिुष् आधुनिक युर् में सबसे शम्भिशाली दे श वह है
और नवज्ञाि का नवकास एक साथ ह ता है। वेबर नजसिे अपिे रक्षा क्षेत्र क मजबूत नकया है । स्वीिि
कहते हैं नक- ‘ दशगि के नबिा नवज्ञाि वैसा है म्भस्थत नथोंक टैं क ‘स्ट्ॉकह म इों टरिेशिल पीस ररसिग
जैसे एकता या सोंर्ठि के नबिा क ई समूह, आत्मा इों म्भस्ट्ट्यूट’ (नसिी) के अिुसार दु निया में िौ दे श ों
के नबिा शरीर,इसी िकार नवज्ञाि के नबिा दशगि के पास परमार्ु हनथयार हैं
ऐसा है, जैसे शरीर के नबिा आत्मा।‘ धातु नवज्ञाि
,वस्त्र निमागर्, भवि निमागर् और पररवहि व्यवस्था
का नवकास नसिु सभ्यता के समय ह िुका था।
भारत की िािीिकाल की उपलम्भिय ों से लेकर
िन्द्रयाि के िक्षेपर् तक सफलताओों का एक लम्बा
इनतहास रहा है। नवज्ञाि के क्षेत्र में भारत अपिी
अिनर्ित उपलम्भिय ों के िलते ि बल इि वेशि
इों िेक्स 2022 में 40वें स्थाि पर है। अमेररका के
‘िेशिल साइों स फाउों िेशि‘ के साइों स एों ि
इों जीनियररों र् इों निकेटसग 2022 की ररप टग के अिुसार
नजसमें भारत भी शानमल है। स्ट्ॉकह म इों टरिेशिल
भारत वैज्ञानिक िकाशि के क्षेत्र में नवि में तीसरे
पीस ररसिग इों स्ट्ीट्यूट की वानषगक ररप टग के मुतानबक़
स्थाि पर है। भारत िे नवज्ञाि के सभी क्षेत्र ों में
सैन्य क्षेत्र में सबसे ज़्यादा ख़िग करिे वाला
कृनतमाि स्थानपत नकया है
अमेररका, िीि के बाद भारत दु निया का तीसरा
लेनकि नवज्ञाि की नजि िमुख उपलम्भिय ों कुछ इस
सबसे बड़ा दे श है। भारतीय वायु सेिा दु निया की
िकार हैं:
िौथी सबसे बड़ी वायु सेिा है। वायु सेिा के लड़ाकू
रक्षा के क्षेत्र में उपलस्टियाँ:
नवमाि ों में राफेल, तेजस, सुख ई नमर्-29 और

34 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

नमर्-21 शानमल हैं । भारत की थल सेिा की बात अंतररक्ष के क्षेत्र में उपलस्टियाँ:
करें त ि बल फायरपावर रैं नकोंर् में नवि की सबसे
ताकतवर सेिा की सूिी में शानमल 133 दे श ों में आकाश में उड़िा और धरातल पर बात करिा
भारत िौथे िोंबर पर है। नकसी भी दे श की सुरक्षा नकसे पसोंद िहीों है , इन्हीों ख्याल ों क पूरा करिे के
और व्यापार का रास्ता समुद्र से ह कर र्ुजरता है नलए हमारे दे श के अोंतररक्ष वैज्ञानिक ों िे क्ा कुछ
इस नलहाज से िौसेिा की भूनमका महत्वपूर्ग ह ती िहीों नकया है । भारत एनशया का पहला ऐसा दे श है
है। भारतीय िौसेिा दनक्षर् एनशया की सबसे नजसिे मोंर्ल ग्रह की कक्षा में पहुोंििे में सफलता
ताकतवर सेिा है। भारत वैनिक शाोंनत और समृ म्भर्द् िाप्त की है । भारत दु निया के लर्भर् 70 दे श ों के
के सामूनहक लक्ष्य क िाप्त करिे के ियास से उपग्रह ों क लॉन्च नकया है।
अपिे नमत्र राष्ट्र ों का सहय र् भी करता है। भारत
की तीि ों सेिाएाँ अमेररका, निटे ि, फ्राोंस, रूस,
िेपाल,ऑस्ट्र े नलया जैसे दे श ों से युर्द् – अभ्यास भी
करती रहती हैं। रक्षा मोंत्रालय िे भनवष् की
िुिौनतय ों का सामिा करिे के नलए अनग्नपथ य जिा
िारि की है। आज भारत रक्षा क्षेत्र में पूरी तरह
से आत्मनिभगर ह र्या है और सभी िकार की
िुिौनतय ों से निपटिे में सक्षम है।

कृमष के क्षेत्र में उपलस्टियाँ:


भारत कृनष िधाि दे श है। यहााँ की अनधकाोंश
जिसोंख्या र्ााँव ों में निवास करती है। भारत में कृनष
के क्षेत्र में नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की के उपय र् से
उल्लेखिीय िर्नत हुई है। भारत िे आज कृनष के भारत के पास पीएसएलवी और जीएसएलवी जैसे
क्षेत्र में वैनिक स्तर पर खुद क स्थानपत नकया है। अत्योंत सफल िक्षेपर् याि हैं। भारत िे उपग्रह क
वतगमाि में भारत खाद्यान्न में आत्मनिभगर के साथ धुव्रीय कक्ष में स्थानपत करके कीनतगमाि कायम
अिाज नियागतक दे श ों में एक है। भारत नवि में नकया है। भारत िे र नहर्ी, एप्पल जैसे उपग्रह क
दु ग्ध उत्पादि के क्षेत्र में िथम, दाल खेती य ग्य स्थानपत नकया है। भारत का उपग्रह िक्षेपर् के
भूनम में िथम और कपास के सोंकर नकस्म ों क मामले में नवि में िौथा स्थाि है। भारत के अोंतररक्ष
नवकनसत करिे में पहला स्थाि रखता है। भारत ि ग्राम ों की िाथनमकता दे श क नवकनसत करिा
नवि में कुल उवगरक उपय र् में िौथा स्थाि रखता और आत्मनिभगर बिािा है।
है। परजीवी खेती, फनटग र्ेशि, कृनत्रम मचमकत्सा के क्षेत्र में उपलस्टियाँ:
बीज,अिुवाोंनशक सोंवनधगत बीज क बढ़ािे में नवज्ञाि भारत में िािीि काल से निनकत्सा के क्षेत्र में
िे महत्तपूर्ग भूनमका निभाई है। भारत आज पूरी वैज्ञानिक ों की अग्रर्ी भूनमका रही है। यहााँ पर शल्य
तरह से जैनवक खेती की ओर बढ़ रहा है। निनकत्सा वैज्ञानिक पर्द्नत के आधार पर की जाती
वैज्ञानिक ों िे भारतीय कृनष क र जर्ार के साथ थी। भारत के निनकत्सा वैज्ञानिक ों िे शारीररक
ज ड़ नदया है। आज कृनष के क्षेत्र में र जर्ार की इलाज के साथ मम्भस्तष्क इलाज की तकिीकी
अपार सोंभाविाएाँ हैं। नवकनसत की थी। नबिा मम्भस्तष्क इलाज के
शारीररक इलाज पूरी तरह से सिव िहीों ह सकता
है । पेल्ट िे कहा था ‘ िॉक्टर सबसे बड़ी र्लती
यह करते हैं नक वे मम्भस्तष्क का इलाज नकये बर्ैर
नसफग शरीर का इलाज करिे की क नशश करते

35 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

हैं, जबनक मम्भस्तष्क और शरीर आपस में जुड़े हुये 21वीों सदी में दे श क नवकनसत राष्ट्र बिािे का
हैं और उिका अलर्-अलर् इलाज िहीों नकया एकमात्र नवकल्प नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की है। नवज्ञाि
जािा िानहए। हमारे समाज एवों सोंस्कृनत का नहस्सा है। मिुष् िे
नवज्ञाि के माध्यम से कनठि से कनठि कायग क
सरल बिा नलया है।

आज दे श की तरक्की के पैमािे का निधागरर्


नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की पर निभगर करता है। ज दे श
नवज्ञाि के क्षेत्र में नजतिा उन्ननत करे र्ा उसकी
अथगव्यवस्था उतिी ही मजबूत ह र्ी। नवज्ञाि क
पृथक कर नकसी समाज या राष्ट्र की कल्पिा भी
आज दु निया के कई दे श साइक स मैनटक
िहीों की जा सकती है। नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की
(मि दै नहक) निनकत्सा का नवकास कर रहे हैं
र जर्ार सृजि में महत्वपूर्ग भूनमका निभा रही है -
जबनक भारत में इस तरह के निनकत्सा का नवकास
िािीि काल में ह र्या था। भारत िे मािव -----------------xx------------------------------
निनकत्सा के साथ पशु निनकत्सा पर ध्याि नदया है।
भारत में र्िीर से र्िीर बीमाररय ों के इलाज
शुभकामना!
सिव हैं। हमिे िेिक, हैजा, येल फीवर,कैंसर
और प नलय ों जैसी र्िीर बीमारी क जड़ से खत्म
कर नदया है। क र िा के समय में वैनिक स्तर पर
भारत के निनकत्सा वैज्ञानिक ों िे दु निया क राह
नदखािे का काम नकया है। भारत का मेनिकल
टू ररज्म सेक्टर 18 फीसद की वानषगक वृम्भर्द् कर रहा
है। अन्य दे श ों की अपेक्षा भारत में इलाज 65 से
90 फीसद सस्ता और क्ानलटी टर ीटमेंट नदया जाता
श्री ए.के. श्रीधर
है।
सूचना – संचार के क्षेत्र में उपलस्टियाँ: नहोंदी नवज्ञाि पररषद के आजीवि सनक्रय सदस्,
21वीों सदी क सूििाओों का युर् कहिा क ई
श्री ए.के. श्रीधर,
जल्दबाजी िहीों ह र्ा । भारत के वैज्ञानिक ों िे सोंिार
के क्षेत्र में कई कीनतगमाि स्थानपत नकए हैं। वररि वैज्ञानिक, बीएआरसी क मािग -23 में
बात ऑनप्टकल फाइबर की ह , वाईफाई अथवा “य जिा एवों समन्वय िभार्” , एिआरबी, का
5जी की या नफर सुपर कोंप्यूटर ,क्ाोंटम कम्प्प्यूनटों र् महािबोंधक नियुि नकया र्या.
की; आज सूििा- सोंिार के नवकास से भारत ई
इसके नलए पररषद की ओर से हानदग क शुभकामिायें!
-िशासि, निनजटल इक िॉमी, ई -लानििंर्, मौसम
पूवागिुमाि में अव्वल है। सोंिार के नवकास िे
र जर्ार सृजि के द्वारा ख ल नदया है। भारत का
आईटी सेक्टर दु निया क राह नदखा रहे हैं । सूििा
सोंिार िे मिुष् क आपस में ज ड़िे के साथ
सामानजक, आनथगक रूप से आत्मनिभगर बिाया है। -वैज्ञानिक पररवार

36 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

तीन मकताबों ने मेरे जीवन को


समृद् मकया
मैंिे स्कूल, कॉलेज
की पढ़ाई और यूनिवनसगटी परीक्षा 18 साल की
ही उम्र में पूरी कर ली । इस छ टी-सी अवनध में
मैंिे िार भाशाओों और नवनवध नवशय ों की उच्च सी.वी.रामन
क नट की पुस्तक ों का अध्ययि भी नकया, नजसमें एक उद्दे ष्पूर्ग जीवि के नलए एक धुरी की
िािीि ग्रीक और र मि इनतहास,आधुनिक जरूरत ह ती है , नजस पर यह नटका रहता है
भारतीय और यूर पीय इनतहास, औपिाररक और स्वतोंत्र रूप से िार ों ओर घूम सकता है ।
तकगषास्त्र, अथगषास्त्र, मीनटर क नसर्द्ान्त और
सावगजनिक नवत्त, सोंस्कृत और अोंग्रेजी लेखक ों की (‘अमर उजाला’ से साभार)
नकताबें भी थीों। लेनकि तीि ऐसी नकताबें हैं
नजन्ह ि ों े मेरे मािनसक और अध्यायम्भत्मक दृम्भिक र् (श्री िेमिन्द्र श्रीवास्तव के सौजन्य से)
क आकार नदया और अपिा भावी जीवि-पथ --------------xx----------
िुििे में सक्षम बिाया ।
एक उद्दे ष्पूर्ग जीवि के नलए एक धुरी की बधाई !
जरूरत ह ती है , नजस पर वह मजबूती से नटका
रहता है और स्वतोंत्ररूप से िार ों ओर घूम सकता
है । जहॉाँ तक मैं समझता हॅूाँ , मेरे मामले में यह
धुरी नवज्ञाि और िकृनत के िेम के कारर् िहीों
बम्भल्क एक आदषग या मािवीय साहस में नवष्वास
और मािवीय ियास और उपलम्भिय ों के कारर्
पयाग प्त रूप से मजबूत की । मेरे इस आदषग का
स्र त एिनवि अिोल्ड की पुस्तक
‘द लाइट ऑफ एनषया’ थी । मुझे याद है नक
श्री वेद मसंह
नसर्द्ाथग की कहािी सत्य की उिकी ख ज और
बुर्द्त्व की िाम्भप्त िे मुझे काफी कुछ नसखाया । नहन्दी नवज्ञाि सानहत्य पररषद के आजीवि सदस्
दू सरी ज महत्वपूर्ग नकताब थी वह ‘एनलमेंट्स श्री वेद मसंह, उत्कृष्ट् वैज्ञानिक, बीएआरसी, िे
ऑफ यूम्भिि’ थी । िकृनत से पाया र्या हर
19/ 05/23 क कायवकारी मनदे शक (तकनीकी)
खनिज मिुश्य द्वारा निनमगत हर नक्रस्ट्ल, हरपत्ती,
नाभिकीय‍पुनश्चक्रण‍बोर्ड , बीएआरसी, मुोंबई का
फूल या फल, नजन्हें हम बढ़ते हुए दे खते हैं ,
पदभार ग्रहर् नकया.
पृथ्वी की हर जीनवत िीज, आकाष से उड़ाि या
पािी में तैरिा या समुद्र में र् ते लर्ािा- ये सब वैज्ञानिक पररवार की ओर से अिेकािेक
कुछ िकृनत से ज्यानमनत की बुनियादी भूनमका क शुभकामिाएों और बधाई.
रे खाों नकत करतें हैं । यूम्भिि के पन्ने िकृनत के
महाि िाटक के सोंर्ीत का पदाग हटाते हैं । उसिे
िाकृनतक ज्ञाि पर से पदाग हटाकर मुझे नवषाल
दु निया की झलक नदखाई। यह मेरा सौभाग्य था
नक जब मैं कॉलेज में पढ़ ही रहा था,उसी समय
हे ल्मह ल्ज की पुस्तक ‘द सेन्सेसि ऑफ ट ि’
वैज्ञामनक पररवार
का अोंग्रेजी अिुवाद पढ़िे का मौका नमला । यह
एक उत्कृि पुस्तक है , नजसमें हे ल्मह ल्ज िे
सोंर्ीत और वाद्ययोंत्र ों के र्हरे ज्ञाि और अोंतदृम्भि
का ही िहीों, बम्भल्क भाशा और अनभव्यम्भि की
िरम स्पिता का पररिय नदया है ।

37 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

कृमष तकनीकी के मलये भारतीय कृमष अनुसंधान पररषद

डॉ० दया शंकर मत्रपाठी


बी 2/63 सी-1के, भदै नी
वाराणसी - 221 001

भारतीय कृनष अिुसोंधाि पररषद (Indian कौोंनसल ऑफ एनग्रकल्िर ररसिग की सोंस्थापिा 16


Council of Agricultural Research- जुलाई 1929 क स साइटीज रनजस्ट्र े शि एक्ट,
ICAR)िे कृनष में वैज्ञानिक िवािार ों क बढ़ावा 1860 के तहत एक पोंजीकृत स साइटी के रूप
दे िे तथा कृनष क तकिीकी से ज ड़िे के नलये में इों पीररयल काउों नसल ऑफ एग्रीकल्िरल
एक कृषक िव न्मेष कष (Farmers’ ररसिगिाम से हुई।
Innovation Fund) की स्थापिा करिे की - भारतीय कृनष अिुसोंधाि पररषद का
घ षर्ा की है। भारतीय कृनष अिुसोंधाि पररषद मुख्यालय िई नदल्ली में है। बार्वािी,
(ICAR) की पहल पर वषग 1974 में तनमलिािु माम्भत्स्यकी तथा पशु नवज्ञाि क सम्भम्मनलत करते
कृनष नविनवद्यालय,क यों बटू र के अोंतर्गत पुद्दु िेरी हुए सोंपूर्ग दे श में कृनष अिुसोंधाि एवों नशक्षा
में पहले कृनष नवज्ञाि केंद्र की स्थापिा की र्ई। के समन्वयि, निदे शि एवों िबोंधि हेतु पररषद
वतगमाि में भारत में लर्भर् 716 कृनष नवज्ञाि एक शीषग सोंर्ठि है ।
केंद्र हैं। भारत सरकार के कृनष मोंत्रालय के कृनष - इसके अोंतर्गत 103 आईसीएआर के
अिुसोंधाि एवों नशक्षा नवभार् के अोंतर्गत भारतीय कृनष सोंस्थाि तथा 73 कृनष नविनवद्यालय सोंपूर्ग दे श
अिुसोंधाि पररषद (आईसीएआर) एक में फैले हुए हैं और इस िकार यह नवि की
स्वायत्तशासी सोंर्ठि है। वृहत राष्ट्रीय कृनष िर्ानलय ों में से एक है।
उद्दे श्य - आईसीएआर िे अपिे अिुसोंधाि एवों
- इसका उद्दे श्य कृनष अिुसोंधाि के क्षेत्र में िौद्य नर्की नवकास के माध्यम से भारत में
नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की कायगक्रम ों क ि त्साहि हररत क्राों नत लािे और उसके पश्‍िात के नवकास
करिा और उिके बारे में नशनक्षत करिा है | में एक अग्रर्ी भूनमका निभाई है |
- पररषद ित्यक्ष तौर पर कृनष क्षेत्र में
सोंसाधि ों के सोंरक्षर् और िबोंधि फसल , ों पशुओों - नजससे 1951 से 2014 तक दे श खाद्यान्न
व मछली एवों सोंबोंनधत क्षेत्र ों आनद से सोंबोंनधत उत्पादि में *5 *र्ुिा, बार्वािी फसल ों में
समस्ाओों क दू रकरिे के नलए पारों पररक व 9.5 र्ुिा, माम्भत्स्यकी के क्षेत्र में *12.5 * र्ुिा
सीमाोंत क्षेत्र में अिुसोंधाि की र्नतनवनधय ों में , दू ध उत्पादि में *7.8* र्ुिा तथा अोंिा
शानमल है | उत्पादि में 39 र्ुिा वृम्भर्द् करिे में समथग हुआ है
- क्षेत्र में िई िौद्य नर्की नवकनसत करिे में और इस िकार राष्ट्रीय खाद्य एवों प षनर्क
महत्वपूर्ग भूनमका निभाती है पररषद का मुख्यालय सुरक्षा में इसका एक स्पष्‍ट िभाव पररलनक्षत ह ता
िई नदल्ली है | है ।
- रॉयल कमीशि ऑि एनग्रकल्िर के - पररषद िे कृनष में उच्च नशक्षा में
िनतवेदि के अिुसरर् में इसके पूवग इों पीररयल उत्कृष्‍टता क ि न्नत करिे में िमुख भूनमका

38 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

निभाई है। नवज्ञाि और िौद्य नर्की नवकास के - पररषद के अिुसार, वतगमाि में कृनष
िव न्मेषीक्षेत्र ों में कायग करिे में पररषद सोंलग्न रही िवािार ों क कृनष नवज्ञाि केंद्र ों पर अनभनलम्भखत
है और इसके वैज्ञानिक अपिे नकया जा रहा है , िस्तानवत तोंत्र नकसाि ों क
नवषय ों में अोंतरराष्ट्रीय तौर पर जािे जाते हैं। उिके िवािार ों क आर्े ले जािे के नलये
ि त्सानहत करे र्ा।
मुख्य नबोंदु:
भारतीय कृनष अिुसोंधाि पररषद(Indian कृनष नवज्ञाि केंद्र: कृनष नवज्ञाि केंद्र, ग्रामीर्
Council of Agricultural Research- स्तर पर कृनष में नवज्ञाि और तकिीकी क बढ़ावा
ICAR): दे िे के नलये भारतीय कृनष अिुसोंधाि पररषद की
- भारतीय कृनष अिुसोंधाि पररषद ICAR एक पहल है ।
कृनष अिुसोंधाि एवों नशक्षा नवभार्, कृनष मोंत्रालय,
भारत सरकार के तहत एक स्वायत्तशासी - इस य जिा का िमुख उद्दे श्य कृनष क
सोंस्था है। नवज्ञाि से ज ड़िा और नवज्ञाि आधाररतकृनष क
- यह पररषद दे श में बार्वािी, बढ़ावा दे िा है।
माम्भत्स्यकी और पशु नवज्ञाि सनहत कृनष के क्षेत्र में - पररषद के नवशेषज्ञ ों िे इस बात पर ज़ र
समन्वयि, मार्गदशगि और अिुसोंधाि िबोंधि तथा नदया नक कृनष पूर्गरूप से वैज्ञानिक िनक्रया है
नशक्षा के नलये एकसवोच्च निकाय है। और यनद हम कृनष में नवज्ञाि के नसर्द्ाोंत ों
- भारतीय कृनष अिुसोंधाि पररषद िे दे श में का सही िय र् िहीों करते हैं , त हम हर बार
हररत क्राोंनत लािे तत्पिात अपिे अिुसोंधाि एवों असफल ह र् ों े।
िौद्य नर्की नवकास से दे श के कृनष क्षेत्र के - इस य जिा के अोंतर्गत कृनष क्षेत्र में
नवकास में अग्रर्ीभूनमका निभाई है। तकिीकी क बढ़ावा दे िे के नलये नकसाि ों और
105 स्ट्ाटग -अप के बीि सोंपकग स्थानपत करिे की
- भारतीय कृनष अिुसोंधाि पररषद की व्यवस्था की र्ई है।
य जिा के अिुसार, िर्नतशील नकसाि ों क - इसके साथ ही कृनष आय क बढ़ािे के
वैज्ञानिक िय र् करिे, उिके िवािार ों क नलये भारतीय कृनष अिुसोंधाि पररषद (ICAR) िे
वैज्ञानिक वैधता िदाि करिे और इििवािार ों क अलर्-अलर् कृनष जलवायु क्षेत्र ों के अिुकूल
आर्े ले जािे के नलये एक कृषक िव न्मेष क ष 45 जैनवक कृनष मॉिल तैयार नकये हैं और 51
की स्थापिा की जाएर्ी। समाय नजत कृनष तोंत्र ों क िमानर्त नकया है।
- इस क ष के अर्ले नवत्तीय वषग तक आर्े की राह:
सनक्रय ह जािे की सोंभाविा है। इस िई व्यवस्था से पूरे दे श के नकसाि ों क
- इस य जिा के अोंतर्गत िई नदल्ली में एक एक-दू सरे से कृनष तकिीकी सीखिे में सहायता
िव न्मेष केंद्र (Innovation Centre) िाप्त ह र्ी तथा इसके माध्यम से कृनष और
की स्थापिा की जाएर्ी। इस केंद्र पर कृनष नवज्ञाि क्षेत्र क ज ड़िे में मदद नमलेर्ी नजससे
िवािार ों क वैज्ञानिक वैधता िदाि करिे के दे शभर के नकसाि कृनष-वैज्ञानिक ों से जुड़कर
साथ ही नकसाि ों क श ध की सुनवधा भी लाभाम्भन्वत ह र् ों ें
उपलि कराई जाएर्ी।

39 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

मवि पयाववरण मदवस,5 जून,2023

पयाववरण और प्रकृमत
डॉ मीनाक्षी पाठक
आईआईट्ी, मुंबई

पयागवरर् (Environment) शब्द द शब्द ों से नमलकर बिा है, परर और आवरर् नजसमें परर का मतलब है हमारे
आसपास या कह लें नक ज हमारे िार ों ओर है। वहीों 'आवरर्' का मतलब है ज हमें िार ों ओर से घेरे हुए है।

पयागवरर् जलवायु, स्वच्छता, िदू षर् तथा वृक्ष का सभी यह हमारे िार ों ओर व्याप्त है और हमारे जीवि की
क नमलाकर बिता है, और ये सभी िीजें यािी नक ित्येक घटिा इसी पर निभगर करती और सोंपानदत ह ती
पयागवरर् हमारे दै निक जीवि से सीधा सोंबोंध रखता है हैं। मिुष् ों द्वारा की जािे वाली समस्त नक्रयाएों
और उसे िभानवत करता है। मिुष् और पयागवरर् पयागवरर् क ित्यक्ष और अित्यक्ष रूप से िभानवत
एक-दू सरे पर निभगर ह ते हैं। पयागवरर् जैसे जलवायु करती हैं । इस िकार नकसी जीव और पयागवरर् के
िदू षर् या वृक्ष ों का कम ह िा मािव शरीर और बीि का सोंबोंध भी ह ता है , ज नक एक-दू सरे पर
स्वास्थय पर सीधा असर िालता है। मािव की अच्छी- आनश्रत (अन्य न्यानश्रत) है।
बुरी आदतें जैसे वृक्ष ों क सहेजिा, जलवायु िदू षर्
र किा, स्वच्छाता रखिा भी पयाग वरर् क िभानवत मािव हस्तक्षेप के आधार पर पयागवरर् क द भार् ों में
करती है। बाोंटा जा सकता है , नजसमें पहला है िाकृनतक या
िैसनर्गक पयागवरर् और मािव निनमगत पयागवरर्। यह
मिुष् की बुरी आदतें जैसे पािी दू नषत करिा, बबाग द नवभाजि िाकृनतक िनक्रयाओों और दशाओों में मािव
करिा, वृक्ष ों की अत्यनधक मात्रा में कटाई करिा आनद हस्तक्षेप की मात्रा की अनधकता और न्यूिता के
पयागवरर् क बुरी तरह से िभानवत करती है। नजसका अिुसार है।
ितीजा बाद में मािव क िाकनतगक आपदाओों का
पहला नवि पयागवरर् नदवस (World Environment
सामिा करके भुर्तिा ही पड़ता है।
Day): सोंयुि राष्ट्र द्वारा घ नषत यह नदवस पयागवरर् के
पयाग वरर् और िकृनत : पयाग वरर् के जैनवक सोंघटक ों िनत वैनिक स्तर पर जार्रूकता लािे के नलए मिाया
में सूक्ष्म जीवार्ु से लेकर कीड़े -मक ड़े , सभी जीव-जोंतु जाता है । इसकी शुरुआत 1972 में 5 जूि से 16 जूि
और पेड़-पौध ों के अलावा उिसे जुड़ी सारी जै व तक सोंयुि राष्ट्र महासभा द्वारा आय नजत नवि
नक्रयाएों और िनक्रयाएों भी शानमल हैं । जबनक पयागवरर् पयागवरर् सम्मे लि से हुई। 5 जूि 1973 क पहला नवि
के अजैनवक सोंघटक ों में निजीव तत्व और उिसे जुड़ी पयागवरर् नदवस मिाया र्या।
िनक्रयाएों आती हैं,
आज के युर् में पयागवरर् िदू षर् बहुत तेजी से बढ़
जैसे: पवगत, िट्टािें, िदी, हवा और जलवायु के तत्व रहा है। बढ़ती जिसोंख्या और बड़ी-बड़ी इमारत ों के
इत्यानद। सामान्य अथों में यह हमारे जीवि क िभानवत कारर् पयागवरर् की िकृनत िष्ट् ह रही है। हर जर्ह-
करिे वाले सभी जैनवक और अजैनवक तत्व ,ों तथ् ,ों जर्ह घिे वृक्ष काट कर बड़ी नबम्भल्डोंर् ों का निमागर्
िनक्रयाओों और घटिाओों से नमलकर बिी इकाई है । करिा पयागवरर् और िकृनत के साथ छे ड़छाड़ हैं।
इतिा ही िहीों जहाों वाहि ों का धुआों, मशीि ों की

40 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

आवाज, खराब रासायनिक जल आनद की वजह से, र्ैसें जैसै काबगि िाई ऑक्साइि, नमथेि, ि र -फ्ल र
वायु िदू षर्, जल िदू षर्, ध्वनि िदू षर् ह रहा है । काबगि आनद खतरिाक र्ैसें निकलती हैं। ये सभी र्ैसें
नजसके कारर् हमें अिेक बीमाररय ों का सामिा करिा वायुमोंिल क भारी िुकसाि पहुोंिाती हैं। इससे हमारे
पड़ रहा है। अत: आज हमें सबसे ज्यादा जरूरत है सेहत पर बहुत बुरा िभाव पड़ता है। दमा, खसरा,
पयागवरर् सोंकट के मुद्दे पर आम जिता और सुधी टी.बी. निप्थीररया, इों फ्लूएोंजा आनद र र् वायु िदू षर् का
पाठक ों क जार्रूक करिे की। पयागवरर्ीय समस्ाएों ही कारर् हैं।
जैसे िदू षर्, जलवायु पररवतगि इत्यानद मिुष् क ध्वनि िदू षर् (Noise Pollution)
अपिी जीविशैली के बारे में पुिनवगिार के नलए िेररत मिुष् के सुििे की क्षमता की भी एक सीमा ह ती है ,
कर रही हैं और अब पयाग वरर् सोंरक्षर् और पयागवरर् उससे ऊपर की सारी ध्वनियाों उसे बहरा बिािे के नलए
िबोंधि की आवश्यकता पहले से अनधक महत्वपूर्ग ह काफी हैं । मशीि ों की तीव्र आवाज, ऑट म बाइल्स से
र्ई है। निकलती तेज़ आवाज, हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर
िदू षर् के िकार (PRADUSHAN KE PRAKAR) िालती है। इिसे ह िे वाला िदू षर् ध्वनि िदू षर्
कहलाता है । इससे पार्लपि, निड़निड़ापि, बेिैिी,
वातावरर् में मुख्यतः िार िकार के िदू षर् हैं – बहरापि आनद समस्ाएों ह ती है ।
जल प्रदू षण (Water Pollution) मृदा िदू षर् (Soil Pollution)
घर ों से निकलिे वाला दू नषत पािी बहकर िनदय ों में खेती में अत्यनधक मात्रा में उवगरक ों और कीट-िाशक ों
जाता है। कल-कारखाि ों के कूड़े -किरे एवों अपनशष्ट् के िय र् से मृदा िदू षर् ह ता है । साथ ही िदू नषत
पदाथग भी िनदय ों में ही छ ड़ा जाता है। कृनष में नमट्टी में उपजे अन्न खाकर मिुष् ों एवों अन्य जीव-
उपयुि उवगरक और कीट-िाशक से भूनमर्त जल जोंतुओों के सेहत पर िकारात्मक िभाव पड़ता है ।
िदू नषत ह ता है। जल िदू षर् से िायररया, पीनलया, इसकी सतह पर बहिे वाले जल में भी यह िदू षर् फैल
टाइफाइि, हैजा आनद खतरिाक बीमाररयााँ ह ती है । जाता है।
िदू षर् क र किा बहुत अहम है। पयागवरर्ीय िदू षर्
आज की बहुत बड़ी समस्ा है , इसे यनद वक़्त पर िहीों
र का र्या त हमारा समूल िाश ह िे से क ई भी िहीों
बिा सकता। पृथ्वी पर उपम्भस्थत क ई भी िार्ी इसके
िभाव से अछूता िहीों रह सकता। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी
आनद सभी का जीवि हमारे कारर् खतरे में पड़ा है।
इिके जीवि की रक्षा भी हमें ही करिी है । इिके
वायु िदू षर् (Air Pollution)
अम्भस्तत्व से ही हमारा अम्भस्तत्व सोंभव है।
कारखाि ों की निमिी और सड़क पर दौड़ते वाहि ों से
निकलते धुएाँ में काबगि म ि ऑक्साइि, ग्रीि हाउस

41 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

कररयर
मवज्ञान एवं तकनीक मवभाि द्वारा ममहलाओं के मलए साइं मट्ि स्कीम

सोंजय र् स्वामी
यमुिा G/13,अर्ुशम्भि िर्र, मुोंबई-94

, अपिे कररयर से िेक लेिे वाली मनहलाओों से साइों नटस्ट् खिग नमलेर्ा। पररय जिा की कुल लार्त 30 लाख रुपये
स्कीम-बी (िब्ल्यूओएस-बी) मुख्य रूप से इस से ज्यादा िहीों ह िी िानहए।
स्कॉलरनशप का मकसद मनहलाओों क समाज के फायदे
के नलए अपिे ज्ञाि और उत्साह का इस्तेमाल करिे के
नलए उिक ि त्सानहत करिा है। इस स्कीम के तहत उि
पररय जिाओों के नलए आनथगक सहायता मुहैया कराई
जाएर्ी नजसमें सामानजक समस्ाओों और िुिौनतय ों का
वैज्ञानिक एवों तकिीक आधाररत हल निकले और नजससे
समाज क फायदा पहुोंिे। यह स्कीम नकरर् (िॉलेज * एमनफल/एमटे क या समकक्ष के नलए 40 हजार रुपये
इिवॉल्वमेंट इि ररसिग अिवाोंस्मेंट थ्रू ििगररों र्) के तहत महीिे और साथ में एिआरए एवों ऊपरी खिग। पररय जिा
नवज्ञाि एवों तकिीक नवभार् द्वारा िदत्त की जा रही है । हर की कुल लार्त 25 लाख रुपये से ज्यादा िहीों ह िी
महीिे 55 हजार रुपये नमलेंर्े िानहए।

य ग्यता * एमएससी या समकक्ष के नलए 31 हजार रुपये महीिे


और साथ में एिआरए एवों ऊपरी खिग। पररय जिा की
1. इस स्कीम के नलए मनहला वैज्ञानिक या कुल लार्त 20 लाख रुपये से ज्यादा िहीों ह िी िानहए।
टे क्नॉलनजस्ट् आवेदि कर सकती हैं।
ि ट: पररय जिा की कुल लार्त में निोंनसपल इन्वेम्भस्ट्र्ेटसग
2. आवेदक ों के पास नवज्ञाि एवों तकिीक के क्षेत्र में (पीआई) की फेल नशप, इस्तेमाल की िीज ों का खिग, यात्रा
य ग्यताएों अनिवायग हैं। खिग, आपातकालीि और छ टे उपकरर् ों का खिग
शानमल है। एिआरए और ऊपरी खिग इसमें शानमल िहीों
3. आवेदक ों की आयु 27 से 57 वषग के बीि में ह ।
है ।
4. आवेदक िे अपिे कररयर से जरूर िेक ले रखा
जरूरी दस्तावेज
ह।
• िॉजेक्ट का िस्ताव
ि ट: स्थायी कमगिारी के तौर पर काम करिे वाली मनहला
इसके नलए आवेदि िहीों कर सकती हैं । • आवेदक का बाय िे टा

ियनित उम्मीदवार ों क । पीएििी या समकक्ष के नलए • पीआई से नहत ों के टकराव का िमार्पत्र


55 हजार रुपये महीिे और साथ में एिआरए एवों ऊपरी
• सोंस्थाि िमुख का अिुम दि

42 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

मनहला साइों नटस्ट् और टे क्नॉलनजस्ट् नवनमि साइों नटस्ट् * आनटग नफशल इों टेनलजेंस (एआई) के मैदाि में हुई
स्कीम के नलए तक आवेदि कर सकती हैं। सहूनलयत के िर्नतय ों का लाभ उठािा
नलए आपक आम्भखरी समय से पहले आवेदि कर दे िा * पररय जिा की अनधकतम अवनध तीि साल ह िी िानहए
िानहए। अकसर आम्भखरी समय में रश ज्यादा ह जाता है
* इस स्कीम के तहत बुनियादी ररसिग के िस्ताव क
नजससे सवगर पर नदक्कत ह जाती है।
स्वीकार िहीों नकया जाएर्ा
* कैंनििे ट्स निम्ननलम्भखत क्षेत्र ों में अपिा िस्ताव जमा कर ( साभार :online-wosa.gov.in)
सकते हैं।
* कृनष, खाद्य और पयाग वरर्ीय िुिौती (एएफई)
* स्वास्थ्य दे खभाल िर्ाली और प षर् िर्ाली क
मजबूत करिा (एिएि)
* ऊजाग (ईआर)
* जल और किरा िबोंधि (िब्ल्यूिब्ल्यूएम)
* सामानजक समस्ाओों का इों जीनियररों र् और आईटी से
हल (ईआईटी)

श्रर्द्ाों जनल

नहोंदी नवज्ञाि सानहत्य पररषद, मुोंबई के सोंस्थापक सदस् ों में से एक एवों पररषद की पनत्रका “वैज्ञानिक” के पूवग
सोंपादक “िॉ. माधव सक्सेिा जी” का निधि 19 अिैल- 2023 क 77 वषग की आयु में मुबोंई में ह र्या। वे नहोंदी के
िनत अपिी िम्रता, कमगठता और कायग के िनत िनतबर्द्ता के नलए जािे जाते थे । पररषद उिके िनत श्रर्द्ा सुमि
अनपिंत कर उिके िनत सोंवेदिा िकट करती है । स्व िॉ. माधव सक्सेिा कथानबोंब के मुख्य सोंपादक भी थे।

समस्त सदस्- नहों दी नवज्ञाि सानहत्य पररषद

43 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

सोंस्मरर्

महान वैज्ञामनक- डॉ होमी जहांिीर भाभा

उत्तम नसोंह र्हरवार

205, समता कॉल िी, रायपुर

भारतीय परमार्ु कायगक्रम क दु निया के जे॰एि॰ भामा एक सुिनसर्द् वकील थे ।


उन्नत और सफल परमार्ु कायगक्रम ों में से उन्ह ि
ों े अपिी िारम्भिक नशक्षा बम्बई के जॉि
एक मािा जाता है । वतगमाि में भारत क केिि नवद्यालय से पूर्ग की । एलीप स्ट्ि
सैन्य और असैन्य परमार्ु शम्भि द ि ों के कॉलेज तथा रॉयल इों स्ट्ीटयूट ऑफ साइों स
मामले में एक अग्रर्ी राष्ट्र मािा जाता है । कॉलेज से नवज्ञाि की उच्च नशक्षा िाप्त की ।
इस उपलम्भि का श्रेय िॉ. ह मी जहाों र्ीर
30 अक्टू बर 1909 क जन्में ह मी जहाों र्ीर
भाभा नजन्हें भारतीय परमार्ु कायगक्रम के
भाभा मुोंबई के एक पारसी पररवार से थे।
अग्रर्ी के रूप में जािा जाता है की दृनष्ट् के
उिके नपता जहााँ र्ीर भाभा एक िनसर्द्
अिुसरर् क नदया जा सकता है । िॉ ह मी
वकील थे। ह मी भाभा िे अपिी िारों नभक
जहाों र्ीर भाभा परमार्ु भौनतकी के क्षेत्र में
नशक्षा मुोंबई के कैथेिरल स्कूल में िाप्त की
एक िनसर्द् हस्ती हर भारतीय के नलए र्वग
और बाद में जॉि कैिि स्कूल में पढ़ाई की।
का स्र त हैं । उन्हें भारत के परमार्ु ऊजाग
भौनतकी और र्नर्त में शुरू से ही उिकी
कायगक्रम की पररकल्पिा करिे और दे श के
र्हरी रुनि थी। मुोंबई के एम्भल्फोंस्ट्ि कॉलेज
नलए परमार्ु ऊजाग और वैज्ञानिक अिुसोंधाि
में 12वीों की पढ़ाई पूरी करिे के बाद उन्ह ि ों े
के क्षेत्र ों में आर्े बढ़िे के अवसर पैदा करिे
रॉयल इों स्ट्ीट्यूट ऑफ साइों स से बीएससी की
का श्रेय नदया जाता है । िॉ भाभा िे वैज्ञानिक ों
परीक्षा सफलतापूवगक पास की। 1927 में,
की एक छ टी सी टीम के साथ परमार्ु
ह मी भाभा िे आर्े की पढ़ाई के नलए इों िैंि
अिुसोंधाि शुरू नकया और इसे व्यापक रूप
की यात्रा की जहााँ उन्ह ि ों े कैम्भिज
से स्वीकार नकए जािे से पहले नवनभन्न क्षेत्र ों
नविनवद्यालय में मैकेनिकल इों जीनियररों र् की
के नलए परमार्ु ऊजाग की क्षमता की कल्पिा
परीक्षा पास की। अोंत में 1934 में, उन्ह ि ों े
की। उिकी दू रदनशगता और य र्दाि के
कैम्भिज नविनवद्यालय से िॉक्टरे ट की उपानध
कारर् उन्हें "भारतीय परमार्ु ऊजाग कायगक्रम
िाप्त की। जमगिी में भाभा िे कॉम्भस्मक
के जिक" के रूप में जािा जाता है । उस
नकरर् ों पर कई िय र् नकए और उिका
समय, परमार्ु ऊजाग उत्पादि की अवधारर्ा
अध्ययि नकया। 1933 में िॉक्टरे ट की उपानध
क व्यापक रूप से स्वीकार िहीों नकया र्या
िाप्त करिे से पहले उन्ह ि ों े अपिा श ध पत्र
था। िॉ॰ ह मी जहाों र्ीर भामा का जन्म 30
"द ऑब्जवेशि ऑफ कॉम्भस्मक रे निएशि"
अक्टू बर 1909 क के सुनशनक्षत एवों सम्पन्न
शीषगक से िस्तुत नकया। पेपर िे िह्माों िीय
पारसी पररवार में हुआ था । उिके नपता श्री
नकरर् ों क अवश नषत करिे और इलेक्टरॉि ों

44 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

का उत्पादि करिे की उिकी क्षमता का भारत के नलय िािो दा नवोंिी के रूप में भी
िदशगि नकया। अपिे काम के सोंदनभगत नकया र्या था। 1957 में भारत िे
पररर्ामस्वरूप भाभा िे 1934 में आइजैक मुोंबई के पास अपिा पहला परमार्ु
न्यूटि छात्रवृनत िाप्त की। िॉ भाभा िे अपिी अिुसोंधाि केंद्र स्थानपत नकया नजसे
नशक्षा पूरी की और 1939 में भारत लौट आए। बीएआरसी, टर ॉम्बे के िाम से जािा जाता है ।
अपिे आर्मि पर वे बैंर्ल र में भारतीय बाद में 1967 में ह मी भाभा क नविम्र
नवज्ञाि सोंस्थाि में शानमल ह र्ए और 1940 श्रर्द्ाों जनल के रूप में इसका िाम बदलकर
में एक रीिर बि र्ए। सोंस्थाि के भीतर भाभा परमार्ु अिुसोंधाि केंद्र कर नदया र्या।
उन्ह िों े िह्माों िीय नकरर् ों के अध्ययि के नलए इस सोंस्थाि िे तब से खुद क परमार्ु
समनपगत एक नवभार् की स्थापिा की, ज अिुसोंधाि के नलए एक सम्मानित सोंस्थाि के
उसे बड़ी पहिाि नदलाई। रूप में स्थानपत नकया है हालाों नक यह आज
मौजूद िहीों है ।आज मरुस्थलीय क्षेत्र ों में
अर्ुशम्भि के द्वारा उपजाऊ भूनम तैयार करिे
में ज सफलता हमिे िाप्त की, उसका श्रेय
िॉ॰ ह मी जहाों र्ीर भामा क है ।

1941 में उन्हें रॉयल स साइटी के सदस् के


रूप में िुिा र्या। उिकी उपलम्भिय ों क
स्वीकार करते हुए, उन्हें 1944 में 31 वषग की
छ टी उम्र में ि फेसर के पद पर पद न्नत
नकया र्या था। िॉ. ह मी जहाों र्ीर भाभा ि
केवल एक िनतभाशाली वैज्ञानिक थे बम्भल्क
शास्त्रीय सोंर्ीत, मूनतगकला, नित्रकला और
कला के नलए भी उिमें एक मजबूत जुिूि
और िनतभा थी। िृत्य। उन्हें िनसर्द् वैज्ञानिक
और ि बेल पुरस्कार नवजेता सर सी.वी.
रमि।िॉ॰ भामा िे यूर प के नवनभन्न दे श ों में
जाकर नवद् युत एवों िुम्बकत्व नवषय ों के साथ-
साथ कॉम्भस्मक नकरर् ों की मौनलक ख ज ों के
सम्बि में ज भाषर् नदये थे, उसके कारर्
उिकी ख्यानत महाि वैज्ञानिक ों में ह िे लर्ी ।
उन्ह िों े ”कॉम्भस्मक नकरर् की बौछार के कम
िपात के नसर्द्ान्त” का िनतपादि नकया । द्वारा

45 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

पुस्तक समीक्षा समन्वयक ि . जर्त कुमार राय, सनमनत के पूवग समन्वयक


ि . शनश भूषर् अग्रवाल, अनतनथ विार्र् भौनमकी
जल और आपका स्वास्थ्य पुस्तक का लोकापवण नवभार् के ि . वैभव श्रीवास्तव, केंद्रीय पुस्तकालय के
पुस्तक: जल और आपका स्वास्थ्य अध्यक्ष िॉ. दे वेन्द्र कुमार नसोंह, नहन्दी अनधकारी िॉ.
लेखक :डॉ दया शंकर मत्रपाठी नवनित्रसेि र्ुप्त, भौनतकी नवभार् के सहायक आिायग िा.
पृि:220 िोंद्रशेखरपनत नत्रपाठी तथा पुस्तक के लेखक िॉ. दया
शोंकर नत्रपाठी द्वारा नकया र्या। इस अवसर पर मुख्य
अनतनथ िा. पटे ररया िे कहा नक आज के समय में नहन्दी में
नवज्ञाि की पुस्तक ों का लेखि और िकाशि अत्योंत
आवश्यक है । भारत सरकार भी राजभाषा में पुस्तक ों के
िकाशि क ि त्सानहत कर रही है । ऐसे में इस पुस्तक
द्वारा समाज में जल सोंरक्षर् और सम्वर्द्ग ि में सहायता
नमलेर्ी। नवज्ञाि सोंस्थाि के निदे शक ि . अनिल कुमार
नत्रपाठी िे कहा नक महामिा द्वारा स्थानपत नहन्दी िकाशि
सनमनत द्वारा अब तक लर्भर् सभी नवषय ों की अिेक
मौनलक और अिुनदत पुस्तकें िकानशत की जा िुकी हैं ज
नशक्षक ों और छात्र ों के नलए समाि रूप से उपय र्ी हैं ।
पुस्तक के लेखक िा. दया शोंकर नत्रपाठी हैं नजन्हें उत्तर
िदे श नहन्दी सोंस्थाि का बीरबल साहिी पुरस्कार-2016
और ह मी जहाों र्ीर भाभा पुरस्कार-2020 से सम्मानित
नकया जा िुका है नजन्हें कई अन्य पुरस्कार ों से पुरस्कृत
जल िानर्य ों का जीवि रूप है और सम्पूर्ग सोंसार जल नकया जा िुका है िे कहा नक उन्ह ि
ों े यह पुस्तक 220 पृि ों
से भरा हुआ है । जल हमारे दे श के नवकास की रीढ़ है । की है नजसमें जल और जल से सोंबोंनधत छ टे -बड़े िौबीस
जल नकसी भी दे श की एक महत्वपूर्ग िाकृनतक सोंपदा अध्याय हैं नजिमें अिेक महत्वपूर्ग और उपय र्ी पहलुओों
ह ती है । नजस दे श के पास जल सोंसाधि नजतिा अनधक का नजक्र नकया र्या है । इि अध्याय ों में जल का पररिय,
ह र्ा, वह दे श उतिा ही सोंपन्न और समृर्द् मािा जाता है जल की महत्ता, सानहत्य में जल, जल का नवज्ञाि, जल के
और वहााँ के िार्ररक ों के नलए नजतिा अनधक शुर्द् स्वच्छ नवनवध िकार, भारी पािी, आसनवत और नवआयिीकृत
जल उपलि ह र्ा, वहााँ के िार्ररक ों का स्वस्थ्य भी उत्तम पािी, समुद्री जल, भारत की खारे जल की िमुख झीलें,
ह र्ा। इस पररिेक्ष्य में काशी नहन्दू नविनवद्यालय के नहन्दी भारतीय जलस्र त ों के िाम एवों र्ुर्, िवाह नदशा और
िकाशि सनमनत द्वारा "जल और आपका स्वास्थ्य" पुस्तक उत्पनत्त स्थल के अिुसार जल के र्ुर्-द ष, भारत की जल
का िकाशि नकया र्या है नजसका ल कापगर् काशी नहन्दू सम्पदा, जल िदू षक पदाथग और उिके दु ष्प्रभाव, िदू नषत
नविनवद्यालय में आय नजत "नवज्ञाि लेखि, नशक्षा एवों जल और स्वास्थ्य, वषाग जल सोंिय, आनद िमुख हैं । पुस्तक
अिुसोंधाि में नहन्दी के िय र् की सोंभाविाएों , दानयत्व और के आरों भ में काशी नहन्दू नविनवद्यालय के कुलर्ुरु तथा
अवसर" नवषयक सोंर् िी के दौराि नकया र्या। पुस्तक िख्यात शल्य निनकत्सक ि . नवजय कुमार शुि और
ल कापगर् मुख्य अनतनथ िा. मि ज कुमार पटै ररया, पूवग भारत सरकार के नशक्षा मोंत्रालय के वैज्ञानिक तथा
िमुख व सलाहकार, राष्ट्रीय नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की सोंिार तकिीकी शब्दावली आय र् (उच्च नशक्षा नवभार्), के
पररषद (NCSTC), नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की मोंत्रालय, भारत अध्यक्ष और िनसर्द् भाषानवद् ि . नर्रीश िाथ झा के
सरकार, िई नदल्ली, नवज्ञाि सोंस्थाि के निदे शक ि . शुभकामिा-सोंदेश िकानशत हैं । पुस्तक के अन्त में जल से
अनिल कुमार नत्रपाठी, नहन्दी िकाशि सनमनत के सोंबोंनधत कुछ कनवताएों भी हैं ज आम जि के नलए िेरक

46 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

हैं । पुस्तक का आवरर् पृ ि और अन्दर के आठ पृि रों र्ीि


हैं ज पुस्तक के आकषगर् क बढ़ा दे ते हैं । कायगक्रम का
सोंिालि भौनतकी के सहायक आिायग िॉ. िन्द्रशेखरपनत
नत्रपाठी और धन्यवाद ज्ञापि सनमनत के समन्वयक ि .
जर्त कुमार राय द्वारा नकया र्या। इस अवसर प् मुख्य
अनतनथ िॉ. पटे ररया का अोंर्वस्त्रम, महामिा की मूनतग और
स्मृनत निन्ह दे कर अनभिन्दि नकया र्या। कायगक्रम का
िारों भ महामिा मालवीय जी की िनतमा पर पुष्पर्ुच्छ
अपगर् एवों कुलर्ीत से हुआ। इस अवसर पर ि . एस.बी.
अग्रवाल, ि . सुख महे न्द्र नसोंह, अरनवन्द कायस्था, ि .
राजीव भाटला, ि . मधु तपानिया, िा. आिन्द दीपायि,
ि . एस.के. नत्रर्ुर्, ि . एस.के. नमश्र, िा. श्रृिा आयाग , िा.
असीम कुमार ओझा, सनहत अिेक श ध छात्र, नशक्षक
और कमगिारी उपम्भस्थत रहे ।

पुस्तक लेखक, डॉ दया शंकर मत्रपाठी द्वारा


प्रो. मवजय कुमार शुक्ल, (प्रख्यात शल्य मचमकत्सक व
कुलिुरु, काशी महन्दू मविमवद्यालय) को पुस्तक भेंट्
करते हए

पुस्तक मवमोचन का दृश्य(जल और आपका स्वास्थ्य" पुस्तक का लोकापवण करते मु ख्य अमतमथ, अध्यक्ष व
मवमशि अमतमथिण।)
(डॉ दया शंकर मत्रपाठी,,बी एच यू, वाराणसी द्वारा प्रस्तुत)

47 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

vkpk;Z uhyjRu /kj dk fgUnh foKku ys[ku


izsepUnz JhokLro
iwoZ laiknd]^foKku*
foKku ifj"kn~ iz;kx
egf"kZ n;kuUn ekxZ
bykgkckn&211002

vkpk;Z uhyjRu /kj dk tUe 2 tuojh 1919 esa tc os Lo;a fo|kFkhZ Fks] mUgksaus vU;
1992 esa rRdkyhu iwohZ caxky ds tSlksj fo|kfFZk;ksa dks foKku]fo'ks"k :i ls jlk;u
ftys esa gqvk Fkk A fgUnqLrku&ikfdLrku ds foKku]i<+us dh izsj.kk nh A muls izsj.kk ysus
cW¡Vokjs ds ckn vc tSlksj iwohZ ikfdLrku esa okyksa esa lj ts-lh-?kks"k]MkW0 ,e-,u-lkgk]MkW-
pyk x;k gS A viuh f'k{kk mUgksua s izsflMsl a h ts-,u-eq[kthZ vkSj izksQslj ih-ch-ljdkj
dkWyst dydRrk ¼vc dksydkrk½ ls iwjh izeq[k Fks A
dh A muds f'k{kdksa esa foKku txr~ ds
vusd fnXxt& lj ih lh js]izks- ts-ch-
Hkknqjh]zizks0 lh-ch-Hkknqjh rFkk lj ts-lh-cksl
vkfn Fks A 1911 esa mUgksaus ch-,l&lh- dh
mikf/k izkIr dh vkSj 1913 esa fQftdy
dsfeLVªh fo"k; ysdj dydRrk ls ,e-
,l&lh- dh mikf/k izkIr dh vkSj iwjs
fo'ofo|ky; esa izFke Js.kh ds lkFk izFke
izks0 uhyjRu /kj dks d`f"k foKku
LFkku izkIr fd;kA
laca/kh [kkstksa ds fy, varjkZ"Vªh; [;kfr izkIr
1913 ogh o"kZ gS ftl o"kZ ^foKku
FkhA mUgksua s e`nk esa ukbVªkstu fLFkjhdj.k
ifj"kn~ iz;kx* dh LFkkiuk gqbZ Fkh A 1915 esa
¼ukbVªkstu fQD'kslu½ vkSj ukbVªkstu vi{k;
os nks o"kksZa ds fy, mPp f'k{kk gsrq ns'k ls
ds [kkstdrkZ ds :i esa lkjs fo'o esa [;kfr
ckgj pys x;s A 1917 esa mUgksaus yanu
ikbZA mUgksaus e`nk esa ukbVªkstu vkSj QkWLQsV
;wfuoflZVh ls jlk;u fo"k; esa Mh-,l&lh-
ds vkilh laca/kksa dh fLFkfr ij Hkh egRoiw.kZ
dh mikf/k izkIr dh vkSj 1919 esa isfjl dh
dk;Z fd;k A 'khyk/kj baLVhV~;wV vkWQ
lkWjckWuZ ;wfuoflZVh ls MkWDVj vkWQ lkbal
Lok;y lkbal ¼bykgkckn fo'ofo|ky; ls
dh mikf/k izkIr dh A blh o"kZ 1919 esa gh
lac)½ ds MkW0 /kj vkthou funs'kd jgs
^n jkW;y baLVhV~;wV vkWQ dsfeLVªh*] yanu ds
Fks A bl 'kks/k dsUnz ij fofHkUu ns'kksa dh
Qsyks Hkh pqu fy, x, A ns'k ykSVus ij
e`nkvksa dk Øec) v/;;u fd;k tkrk jgk
1919 esa vkpk;Z uhyjRu /kj dks bykgkckn
gSA izks0 /kj dks Hkkjr esa e`nk foKku dk ,d
fo'ofo|ky; esa ^Hkkjrh; f'k{kk lsok* ds
vfr lfØ; 'kks/k dsUnz LFkkfir djus dk
varxZr~ dsfeLVªh ds izksQslj vkSj Mk;jsDVj
Js; gSA 'khyk/kj e`nk foKku vuqla/kku
ds :i esa fu;qDr dj fy;k x;k A
laLFkku izks0 /kj dk Le`fr LrEHk gSA izks0 /kj

48 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

ds funsZ'ku esa 150 ls vf/kd 'kks/kNk=ksa us ih izdk'k ds izHkko ls ukbVªkstu esa o`f) izkIr
,p&Mh vkSj Mh ,l&lh dh mikf/k;k¡W izkIr gqbZ A
dh gSa A muds 450 ls vf/kd 'kks/ki= mUgksua s dbZ voljksa ij vusd
izdkf'kr gks pqds gSa A mudh izfl) iqLrdksa ns'kh&fons'kh lEesyuksa dh v/;{krk dh vkSj
easa vaxzsth dh rhu iqLrdsa& 1 dsfedy Hkkjrh; foKku lEesyu 1961 ds lEekuh;
,sD'ku vkWQ ykbV] 2-U;w dalsI'kal bu v/;{k cuk;s x;s A
ck;ksdfs eLVªh vkSj 3- ,u¶yq,Ul vkWQ ykbV mPpdksfV ds vuql/a kkudkZ gksus ds
vkWu le ck;ksdfs edy izkslslsl fo'ks"k :i vfrfjDr muds O;fDrRo dk ,d vkSj izcy
ls mYys[kuh; gSa A caxyk esa fy[kh mudh i{k FkkA os ,d egku nkuohj Fks vkSj
nks iqLrdksa us Hkh vR;f/kd iz'kalk izkIr dh mUgksua s fofHkUu laLFkkvksa dks yxHkx 20 yk[k
gS& :i;s dh fo'kky jkf'k nku esa ns nh Fkh A
1- vkeknsj [kk| ¼gekjk Hkkstu½ vkSj blds fy, vius thou esa mUgksaus cgqr
2- vkfej moZjrk o`f) ¼e`nk moZjrk o`f)½ A R;kx fd,A mudk [kku&iku vkSj os'kHkw"kk
izks0 /kj mPp dksfV ds oDrk Fks A vR;ar ljy FkhA os lknk thou mPp fopkj
ns'k esa os fofHkUu LFkkuksa ij O;k[;ku nsus dh izfrewfrZ Fks A
tkrs Fks A blds vfrfjDr os jktHkk"kk fgUnh ls vkpk;Z /kj dks
dSfEczt],fMucjks]yanu]isfjl]xksfVatsu vkSj vxk/k izse Fkk A 1913 esa laLFkkfir ^foKku
okftusftu fo'ofo|ky;ksa esa Hkh Øe'k% ifj"kn~ iz;kx* ds lHkkifr ¼1930&1933½ ds
1926]1931]1937 vkSj 1951 esa fof'k"V :i esa mUgksaus fgUnh foKku ys[ku ds laca/k
O;k[;kunkrk ds :i esa fuefU=r fd, x, esa egRoiw.kZ ;ksxnku fn;k vkSj foKku
Fks A 1937 vkSj 1951 esa mUgsa nks ckj ifj"kn~ iz;kx dk dq'ky lapkyu fd;k A
jksFkElVh ,DlisjhesaVy LVs'ku vkSj jkW;y muds yksdfiz; O;k[;ku vaxzsth Hkk"kk ds
dkWyst vkWQ ,xzhdYpj]LohMsu esa Hkh vfrfjDr fgUnh Hkk"kk esa Hkh gksrs Fks A foKku
O;k[;ku nsus dk volj izkIr gqvk A jkW;y ifj"kn~ iz;kx ds foxr 100 o"kksZa ds bfrgkl
dkWyst vkWQ ,xzhdYpj]mIilyk]LohMsu ds esa izks0 /kj dk vR;ar fof'k"V LFkku gS A
foKkfu;ksa us muds ukbVªkstu fLFkjhdj.k vkus okyh ihf<+;k¡ izks0 /kj ds thou vkSj
laca/kh dk;ksZa dh iqf"V Hkh dh Fkh A mIilyk muds dk;ksZa ls lnSo izsj.kk ysrh jgsx a hA
ds foKkfu;ksa dks Hkh izks0 /kj ds rjhds ls
------------------------------------------XX-----------------------------------------------------------------------------------------------------------

49 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

अंतराविरीय पोषक अनाज वषव -2023


बी एन ममश्र
एनआरबी, बीएआरसी, मुंबई-85
प षक अिाज/बाजरा/म टे अिाज:
➢ पररिय:
वषग 2023 में अोंतराग ष्ट्रीय प षक अिाज वषग
प षक अिाज एक सामूनहक शब्द है ज कई छ टे -बीज
(International Year of Millets- IYM) मिािे के
वाले फसल ों क सोंदनभगत करता है , नजसकी खेती खाद्य
भारत के िस्ताव क वषग 2018 में खाद्य और कृनष
फसल के रूप में मुख्य रूप से समशीत ष्ण,
सोंर्ठि (FAO) द्वारा अिुम नदत नकया र्या था तथा
उप ष्णकनटबोंधीय और उष्णकनटबोंधीय क्षेत्र ों व शुष्क
सोंयुि राष्ट्र महासभा िे वषग 2023 क अोंतराग ष्ट्रीय प षक
क्षेत्र ों में सीमाोंत भूनम पर की जाती है ।
अिाज वषग के रूप में घ नषत नकया है। भारत िे
भारत में उपलि कुछ सामान्य फसल ों में बाजरा रार्ी
अोंतरागष्ट्रीय प षक अिाज वषग 2023 क 'जि आों द लि'
(नफोंर्र नमलेट), ज्वार (स रघम), समा (छ टा बाजरा),
बिािे के साथ-साथ भारत क 'वैनिक प षक अिाज
बाजरा (म ती बाजरा) और वररर्ा (ि स नमलेट) शानमल
हब (Global Hub for Millets)' के रूप में स्थानपत
हैं । इि अिाज ों के िमार् सबसे पहले नसोंधु सभ्यता में
करिे के दृनष्ट्क र् क साझा नकया है ।
पाए र्ए और ये भ जि के नलये उर्ाए र्ए पहले पौध ों में
इसे सोंयुि राष्ट्र के एक िस्ताव द्वारा अपिाया र्या और
से थे।
इसका िेतृत्व भारत िे नकया तथा 70 से अनधक दे श ों िे
लर्भर् 131 दे श ों में इसकी खेती की जाती है , यह
इसका समथगि नकया।
एनशया और अफ्रीका में लर्भर् 60 कर ड़ ल र् ों के
नलये पारों पररक भ जि है।
भारत दु निया में बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक है।
यह वैनिक उत्पादि का 20% और एनशया के उत्पादि
का 80% नहस्सा है।
वैनिक नवतरर्: भारत, िाइजीररया और िीि नवि में
बाजरा के सबसे बड़े उत्पादक हैं , नजिका वैनिक
उत्पादि में 55% से अनधक की नहस्सेदारी है ।
कई वषों तक भारत बाजरा का एक िमुख उत्पादक
था। हालााँनक हाल के वषों में अफ्रीका में बाजरे के
➢ उद्दे श्य: उत्पादि में िभावशाली रूप से वृम्भर्द् हुई है।
• खाद्य सुरक्षा और प षर् में प षक महत्त्व:
अिाज/बाजरा/म टे अिाज के य र्दाि के बारे उच्च प षर् से युि:
में जार्रूकता का िसार करिा। बाजरा अपिे उच्च ि टीि, फाइबर, नवटानमि और लौह
• प षक अिाज के नटकाऊ उत्पादि और तत्त्व जैसे खनिज ों के कारर् र्ेहूाँ एवों िावल की तुलिा में
र्ुर्वत्ता में सुधार के नलये नहतधारक ों क िेररत कम खिीला तथा पौनष्ट्क रूप से बेहतर है।
करिा। बाजरा कैम्भल्शयम और मैग्नीनशयम से भी भरपूर ह ता है ।
• उपयुगि द उद्दे श्य ों क िाप्त करिे के नलये उदाहरर् के नलये रार्ी क सभी अिाज ों में सबसे
अिुसोंधाि और नवकास एवों नवस्तार सेवाओों में अनधक कैम्भल्शयम स्र त के रूप में जािा जाता है ।
निवेश बढ़ािे पर ध्याि दे िा। बाजरा प षर् सुरक्षा िदाि करता है और नवशेष रूप से
बच्च ों एवों मनहलाओों के बीि प षर् की कमी के म्भखलाफ

50 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

ढाल के रूप में कायग करता है। इसमें उपम्भस्थत उच्च बाजरा में कम काबगि और वाटर फुटनिोंट ह ते हैं (िावल
लौह तत्त्व भारत में मनहलाओों की िजिि अवस्था के के पौध ों क उर्ािे के नलये बाजरे की तुलिा में कम-से -
दौराि तथा नशशुओों में एिीनमया के उच्च िसार क कम 3 र्ुिा अनधक पािी की आवश्यकता ह ती है)।
र किे में सक्षम हैं। प षर् सुरक्षा के नलये र्हि बाजरा सोंवर्द्ग ि (INSIMP)
िूटेि मुि तथा कम िाइसेनमक इों िेक्स: बाजरा के माध्यम से पहल:
जीविशैली की समस्ाओों जैसे नक म टापा और मधुमेह न्यूितम समथगि मूल्य (एमएसपी) में वृम्भर्द्: सरकार िे
जैसी स्वास्थ्य िुिौनतय ों से निपटिे में मदद करता है बाजरा के न्यूितम समथगि मूल्य में वृम्भर्द् की है , ज
क् नों क वे िूटेि मुि ह ते हैं और उिका िाइसेनमक नकसाि ों के नलये एक बड़े मूल्य ि त्साहि के रूप में है ।
इों िेक्स कम ह ता है (खाद्य पदाथों में काबोहाइिर े ट की
इसके अलावा उपज के नलये म्भस्थर बाज़ार िदाि करिे
एक सापेक्ष रैं नकोंर् इस आधार पर ह ती है नक वे रि में
हेतु सरकार िे सावगजनिक नवतरर् िर्ाली में म टे
शकगरा के स्तर क नकस िकार िभानवत करती हैं )।
अिाज क शानमल नकया है ।
उन्नत उपज वाली फसल:बाजरा िकाश-सोंवेदी ह ता है
(फूल ों के नलये नवनशष्ट् िकाश काल की आवश्यकता इिपुट सहायता: सरकार िे नकसाि ों की सहायता हे तु
िहीों ह ती) तथा जलवायु पररवतगि के नलये सवेदिशील बीज नकट का िावधाि शुरू नकया है तथा नकसाि
भी है। बाजरा बहुत कम या नबिा नकसी बाहरी उत्पादक सोंर्ठि ों के माध्यम से मूल्य शोंखला का निमाग र्
रखरखाव के खराब नमट्टी में भी बढ़ सकता है । नकया है और बाजरा की नबक्री का समथगि नकया है।
भारत िे अोंतरागष्ट्रीय प षक अिाज वषग 2023 क 'जि
बाजरा पािी की कम खपत करता है तथा सूखे की आों द लि' बिािे के साथ-साथ भारत क 'वैनिक प षक अिाज
म्भस्थनत में अनसोंनित पररम्भस्थनतय ों में बहुत कम वषाग वाले हब (Global Hub for Millets)' के रूप में स्थानपत करिे के
क्षेत्र ों में भी बढ़िे में सक्षम ह ता है। दृनष्ट्क र् क साझा नकया है ।

---------------------------xx--------------------------------------------------------------

( समाचार स्रोत: वैज्ञामनक दृमिकोण)

51 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

पेट्ेंट् कैसे प्राप्त मकया जाता है

नवीन मत्रपाठी

बीएआरसी सुरक्षा पररषद, बीएआरसी, मुंबई-85

पेटेंट (Patent) एक ऐसा कािूिी अनधकार है ज नकसी व्यम्भि या सोंस्था क नकसी नवशेष उत्पाद, ख ज, निजाइि, िनक्रया या
सेवा के ऊपर एकानधकार दे ता है . पेटेंट िाप्त करिे वाले व्यम्भि के अलावा यनद क ई और व्यम्भि या सोंस्था इिका उपय र् (नबिा
पेटेंट धारक की अिुमनत के) करता है त ऐसा करिा कािूिि अपराध मािा जाता है .
पेटेंट, बौम्भर्द्क सोंपदा (इों टेलेक्चुअल िॉपटी) अनधकार ों पे टें ट:
के िकार ों में से एक है । बहुत से ल र् बौम्भर्द्क सोंपदा
अनधकार ों की अवधारर्ा के बारे में अस्पष्ट् हैं। ज्यादातर पेटेंट एक अनधकार है ज नकसी व्यम्भि या सोंस्था क
ल र् यह मािते है नक आईपीआर अत्योंत र्ोंभीर नकसी नबल्कुल िई सेवा,तकिीकी, िनक्रया, उत्पाद या
अन्वेषक ों (इों वेंटर) के नलए आरनक्षत है जब वे ल र् ों क निज़ाइि के नलए िदाि नकया जाता है तानक क ई
इसकी ििाग करते हुए सुिते हैं। लेनकि यह असत्य है । उिकी िक़ल िहीों तैयार कर सके. दू सरे शब्द ों में पेटेंट
आप अपिे नदमार् से ज कुछ भी बिाते हैं वह आपका एक ऐसा कािूिी अनधकार है नजसके नमलिे के बाद
अनवष्कार है और बौम्भर्द्क सोंपदा है। ऐसे रििाकार के यनद क ई व्यम्भि या सोंस्था नकसी उत्पाद क ख जती या
कायों पर उिके स्वानमत्व के अनधकार ों क बौम्भर्द्क बिाती है त उस उत्पाद क बिािे का एकानधकार
सोंपदा अनधकार के रूप में जािा जाता है। यह नजतिा िाप्त कर लेती है .
आसाि लर्ता है उतिा ही मुम्भिल भी है। यनद पेटेंट धारक के अलावा क ई और व्यम्भि या सोंस्था
आईपीआर का दावा करिे के नलए, आपक कुछ इसी उत्पाद क बिाती है त यह र्ैरकािूिी ह र्ा और
क्राोंनतकारी आनवष्कार करिे की आवश्यकता िहीों है । यनद पेटेंट धारक िे इसके म्भखलाफ नशकायत दजग करा
बौम्भर्द्क सोंपदा कािूि बच्च ों द्वारा बिाई र्ई कला के दी त पेटेंट का उल्लोंघि करिे वाला कािूिी मुम्भिल में
सरल कायों क भी सुरनक्षत रखिे की अिुमनत दे ता है । पड़ जायेर्ा. लेनकि यनद क ई इस उत्पाद क बिािा
एक बौम्भर्द्क सोंपदा अनधकार एक अमूतग (इों टैंनजबल) िाहता है त उसे पेटेंट धारक व्यम्भि या सोंस्था से
अनधकार है। सामान्य सोंपनत्त की तरह, आपक भी इसकी अिुमनत लेिी ह और रॉयल्टी दे िी ह र्ी.
अपिी बौम्भर्द्क सोंपदा का अनधकार है । बौम्भर्द्क सोंपदा वतगमाि में नवि व्यापार सोंर्ठि िे पेटेंट लार्ू रहिे की
के मानलक क अनवष्कार से लाभ के अनधकार के नलए अवनध 20 वषग कर दी है ज नक पहले हर दे श में अलर्
एक नवशेष एकानधकार (म ि पॉली) नदया जाता है। आप अलर् ह ती थी.
तय कर सकते हैं नक इसे बेििा है या आरनक्षत रखिा
पेटेंट द िकार का ह ता है (Types of Patent)
है। केवल आप ही तय कर सकते हैं नक आपकी
बौम्भर्द्क सोंपदा का उपय र् करिे वाले नकस व्यम्भि क 1. उत्पाद पेटेंट (Product Patent)
सहमनत दे िी है या नकसक िहीों दे िी है। 2. िनक्रया पेटेंट (Process Patent)
भारतीय पेटेंट कायाग लय क पेटेंट, निज़ाइि और टर े ि 1. उत्पाद पेट्ेंट् (Product Patent): इसका मतलब
माकग (सीजीपीिीटीएम) के नियोंत्रक जिरल के कायाग लय यह है नक क ई व्यम्भि या सोंस्था नकसी उत्पाद की हूबहू
द्वारा िशानसत नकया जाता है . इसका मुख्यालय िकल का उत्पाद िही बिा सकती है अथागत द उत्पाद ों
क लकाता में है और यह वानर्ज्य और उद्य र् मोंत्रालय की निज़ाइि एक जैसी िही ह सकती है. यह अोंतर
के आदे शािुसार काम करता है. उत्पाद की पैनकोंर्,िाम, रों र्, आकार और स्वाद आनद

52 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

का ह ता है. यही कारर् है नक आपिे बाजार में बहुत पेटेंट पेटेंट अनधनियम 1970 और पेटेंट नियम 1972 द्वारा
िकार के टू थपेस्ट् दे खे ह र्ों े लेनकि उसमे से नकसी भी शानसत हैं।
द कम्पिी के उत्पाद एकदम एक जैसे िही दे खे ह र् ों े.
ऐसा उत्पाद पेटेंट के कारर् ही ह ता हैं . आनवष्कार ज पेटेंट कराया जा सकता है :
2. प्रमक्या पेट्ेंट् (Process Patent): इसका सोंबोंध • कला, िनक्रया, नवनध या निमागर् का तरीका
िई िौद्य नर्की से है. नकसी भी िई तकिीकी पर भी
पेटेंट नलया जा सकता है . इस िकार के पेटेंट का • मशीि, उपकरर् या अन्य लेख
मतलब यह ह ता है नकसी भी व्यम्भि या सोंस्था नकसी
• निमागर् द्वारा उत्पानदत पदाथग
उत्पाद क बिािे के नलए उसी िनक्रया/तकिीकी से
उत्पाद क िही बिा सकता नजस िनक्रया से नकसी • उद्य र् के नलए तकिीकी अिुिय र् के साथ कोंप्यूटर
उत्पाद क पहले ही नकसी कम्पिी द्वारा बिाया जा िुका सॉफ्टवेयर या हािग वेयर के साथ िय र् नकया जाता है
है. अथागत िनक्रया पेटेंट में नकसी उत्पाद क बिािे की
नवनध क ि री िही नकया जा सकता है . • खाद्य, रसायि, दवाओों और दवाओों के नलए उत्पाद
ित्येक दे श में पेटेंट कायाग लय ह ता हैं . अपिे उत्पाद या पेटेंट
तकिीकी पर पेटेंट लेिे के नलए पेटेंट कायाग लय में अजी
इसके नलए आपक कुछ िरर् ों का पालि करिे की
दें और साथ ही अपिी िई ख ज का ब्यौरा दें . उसके
आवश्यकता है (इि िरर् ों की नवस्तृत जािकारी ऊपर
बाद पेटेंट कायागलय उसकी जाोंि करे र्ा और अर्र वह
दी र्ई है और ये हैं:
उत्पाद या तकिीकी या नविार िया है त पेटेंट का
आदे श जारी कर दे र्ा. •पेटेंट / िवीिता अिुसोंधाि • पेटेंट आवेदि का
यहााँ पर यह बात जाििी बहुत जरूरी है नक नकसी िारूपर् • पेटेंट आवेदि दाम्भखल करिा
उत्पाद या सेवा के नलए नलया र्या पेटेंट नसफग उसी दे श
में लार्ू ह र्ा जहााँ पर इसका पेटेंट कराया र्या है . अर्र • पेटेंट दाम्भखल करिा • पेटेंट आवेदि का िकाशि •
अमरीका या नकसी और दे श में क ई व्यम्भि भारत में परीक्षा • जारी करिा परीक्षा की ररप टग • पेटेंट का
पेटेंट नकए उत्पाद या सेवा की िकल बिाएर्ा त उसमे अिुदाि
उलोंघि िहीों मािा जाता है. अर्र क ई उत्पाद या नवनध, िया और आनवष्कारशील
पेटेंट से सोंबोंनधत अनधनियम (इन्वेंनटव) द ि ों है , त इसे पेटेंट अनधनियम के तहत एक
आनवष्कार मािा जाएर्ा। सीधे शब्द ों में कहें त , िवीिता
• पेट्ेंट् अमधमनयम, 1970
का अथग, पेटेंट आवेदि की िाथनमकता नतनथ की तुलिा
• पेट्ेंट् (संशोधन) अमधमनयम, 1999
में कुछ भी िया ह िा है। यनद क ई िवािार “पूवग कला”
• पेट्ेंट् (संशोधन) अमधमनयम, 2002 ज नक पहले से मौजूद है , से अलर् ह ता है , त इसे
• पेट्ेंट् (संशोधन) अमधमनयम, 2005 अनद्वतीय के रूप में दे खा जाएर्ा। पूवग कला सोंदभों क
• पेट्ेंट् मनयम 2003 िवीिता नवश्लेषर् के नलए कभी भी एकत्र िहीों नकया
जाता है ; बम्भल्क, िवीिता का मूल्याोंकि हमेशा एक समय
• पेट्ेंट् (संशोधन) मनयम 2005
में एक नवशेष पूवग कला सोंदभग के आल क में नकया जाता
• पेट्ेंट् (संशोधन) मनयम 2006 है। हालाोंनक, कला के सामान्य ज्ञाि क शानमल करिे के
पेटेंट पोंजीकरर् की िनक्रया के बाद, नकसी व्यम्भि या नलए एक पूवग कला उर्द्रर् (साईटे शि) की व्याख्या की
फमग द्वारा नकए र्ए आनवष्कार के नलए बौम्भर्द्क सोंपदा जा सकती है नजसे सोंदभग में स्पष्ट् रूप से िहीों बताया र्या
अनधकार िाप्त ह ता है। यनद यह अनद्वतीय है, त सरकार है। निरीक्षर्, ित्याशा (एों टीनसपेशि), आपनत्त और
आपक आपके उत्पाद के नलए पूर्ग अनधकार िदाि निरसि (ररव केशि) से सोंबोंनधत कई वर्ों में िवीिता
करे र्ी। यह आपक उत्पाद या िनक्रया क बिािे , शानमल है लेनकि यह पेटेंट अनधनियम द्वारा पररभानषत
उपय र् करिे, बेििे या आयात करिे का पूरा अनधकार िहीों है।
दे ता है और दू सर ों क ऐसा करिे से र कता है। भारत में

53 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

भारतीय ऊर्ाा कायाक्रम में नाभभकीय ईध


ं न चक्र

बलराम मसंह
रासायभनक प्रौद्योभिकी विड,
‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍िािा परमाणु अनु संधान केंद्र, मुं बई

सारांश : बढ़ते औद्योभिकीकरण और जलवायु पररवतडन के खतरे ने आने वाले दशकों में ऊजाड के अन्य स्वच्छ वैकल्पिक श्रोतों के भवकास को
महत्वपूणड बना भदया है । िभवष्यकाल में िारत की अप्रत्याभशत ऊजाड की आवश्यकता को ध्यान में रखकर और सीभमत यूरेभनयम साधन होने की
वजह से िारत ने भिचरणीय नाभिकीय ऊजाड कायडक्रम चु ना, भजसका उद्दे श्य िारत में प्रचुर मािा में उपल्पथित िोररयम का यिावत इथतेमाल
करना है । नाभिकीय ईंधन चक्र का अग्र िाि िारतीय नाभिकीय ऊजाड कायडक्रम के भलए भवशेष महत्व रखता है और िारतीय नाभिकीय
ररएक्टरों के भलए जरूरी ईंधन उपलब्ध कराता है । यह िारतीय भवज्ञान और तकनीक प्रिभत का ही नतीजा है भक यूरेभनयम अयथक के खनन से
लेकर ईंधन िुभटका बनाने और ररएक्टर को ईंधन उपलब्ध कराने के सिी चरणों के भलये िारत ने थवदे शी तकनीक भवकभसत करते हुए संयंि
लिाये हुए हैं । हमारे वतडमान कायड का उद्दे श्य िारत में नाभिकीय ईंधन चक्र के अग्र िाि के क्षेि में हुये भवकास और तकनीक प्रिभत को सामने
लाना है ।

प्रस्तावना
िारत भवश्व का तीसरा सबसे बर्ा भबजली उत्पादक एवं िारत में दु भनया का 1/3 िोररयम मौजूद है।
उपिोक्ता है। बढ़ते औद्योभिकीकरण, जनसंख्या व्रल्पि
और प्रभत व्यल्पक्त ऊजाड खपत को ध्यान में रखते हुये
िारत की उजाड आवश्यक्ता वतडमान 365 GW से बढकर
2050 तक 962 GW होने की सम्भावना है ।[1][7]
ऊजाड के पारं पररक श्रोतों के प्रयोि से पयाडवरण में
ग्रीनहाउस िैसों का उत्सजडन बढ रहा है और जलवायु
पर प्रभतकूल असर पर् रहा है। ऊजाड के नवीकणीय
श्रोतों की तकनीक पूणड रूप से भवकभसत नहीं हुयी है या
भिर उत्पादन महंिा है| अत: बढ़ती ऊजाड आवश्यकता
की पूती करने के भलये अन्य स्वच्छ वैकल्पिक श्रोतों के
भवकास पर ध्यान दे ने की खास जरुरत है। इसके भलये
नाभिकीय ऊजाड एक अच्छा भवकि है| वतडमान में
नाभिकीय ऊजाड की भहस्सेदारी िारत के कुल भबजली
उत्पादन में लििि 2% है । यह भहस्सेदारी 2050 तक
25% तक बढाने का महत्वाकां क्षी लक्ष्य िारत ने तय भचि-2: भिचरणीय नाभिकीय ऊजाड कायडक्रम
भकया है।[7][12] सीभमत यूरेभनयम साधन होने और िोररयम का यिावत
इस्तेमाल करने की वजह से िारत ने भिचरणीय
नाभिकीय ऊजाड कायड क्रम (INPP) को चुना है । 1950 के
दशक से होमी जहााँ िीर िािा का इस कायडक्रम को
मूतडरूप दे ने में भवशेष योिदान रहा । िोररयम के
उपयोि हेतु दू सरे और तीसरे चरण में सिलतापूवडक
जाने के भलये िारत को प्रिम चरण के ररयेक्टरों को
भचि-1: नाभिकीय ऊजाड की भहस्सेदारी लिाने और संचाभलत करने की जरूरत है । नाभिकीय

54 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

ईंधन चक्र यूरेभनयम के खनन से लेकर ररएक्टर को ईंधन नाभिकीय ईंधन चक्र यूरेभनयम के खनन से लेकर
उपलब्ध कराने और िुक्तशेष ईंधन को पुन: प्रक्रमण ररएक्टर को ईंधन उपलब्ध कराने और िुक्तशेष ईंधन
करने जैसे चरणों को शाभमल करता है । नाभिकीय ऊजाड को पुन: प्रक्रमण करने जैसे चरणों को शाभमल करता है ।
कायडक्रम को साकार बनाने के भलए नाभिकीय ईंधन चक्र नाभिकीय ईंधन चक्र को तीन िािों में बांट सकते हैं-
का बहुत महत्व है । यूरेभनयम अयथक का खनन और अग्र िाि, ररयेक्टर पररचालन एवं पश्च िाि। नाभिकीय
भमभलंि, पररष्करण और रूपां तरण, संवधडन एवं ईंधन ईंधन चक्र यूरेभनयम अयथक के खनन और भमभलंि,
िुभटका का संभवरचन नाभिकीय ईंधन चक्र के अग्र िाि पररष्करण और रूपां तरण, संवधडन एवं ईंधन संभवरचन
हैं। जैसे महत्वपूणड चरणों को शाभमल करता है ।
भवभध: सन् 1964 में जब िारत में पहला नाभिकीय 1. भारत में यूरेभनयम के भंडार
ररएक्टर लिाया िया तब िारत नाभिकीय ईंधन के भलए िारत मे यूरेभनयम अयथक के िंर्ार मुख्यत: झारखंर् में
भवदे शी आयात पर भनिडर िा । लेभकन परमाणु ऊजाड भसंघिूम और आं ध्र प्रदे श में कर्प्पा बेभसन में प्राप्त होते
भविाि के अिक प्रयासों से दे शिर में कई जिह हैं। जादु िुर्ा में दे श का पहला यूरेभनयम अयथक का
यूरेभनयम अयथक के िंर्ार होने की पुभि हुई है । िंर्ार है इसकी खोज 1951 में की ियी िी। वतडमान में
िारत के पास 2,44,947 टन यूरेभनयम के िंर्ार हैं।[11]
िारत में दो तरह के यूरेभनयम अयथक के िंर्ार प्राप्त
हुये हैं -
i). भपचब्लेंर्/यूरेभननाइट, जादु िुर्ा, (U की मािा 0.07%)
ii). िोस्फेभटक भसभलभसयस कैल्साइभटक र्ोलोस्टोन
(PSCD), तुमलापल्ली (U की मािा 0.04-0.05%).[8]
2. यूरेभनयम अयस्क का खनन और भमभ ंग
िारत में यूरेभनयम अयथक की खदानों से खनन के भलये
आधुभनक तकनीकों का सहारा भलया जा रहा है। वतडमान
में झारखंर् में छ: (बािजाता, जादु िुर्ा, िाभटन,
नवाडपहर, तुराम्र्ीह, मोहुल्डीह) िूभमित खदानें संचाभलत
हैं। एक नयी िूभमित खदान तुमलापल्ली आं ध्रप्रदे श में
भचि-3: नाभिकीय ईंधन चक्र भवकभसत की ियी है।[2] खनन से प्राप्त यूरेभनयम
इनमें से जादु िुर्ा, तुरामर्ीह और तुमलापल्ली मुख्य अयथक का प्रक्रमण जादु िुर्ा और तुराम्र्ीह में ल्पथित
खनन एवं भमभलंि केन्द्र बन िये हैं। िारत ने तीनों चरण प्रक्रमण संयंि मे भकया जाता है। दोनों संयंि यूरेभनयम
के नाभिकीय ररएक्टरों के ईंधन संभवरचन के क्षेि में प्राल्पप्त के भलये एभसर् लीभचंि तकनीक का प्रयोि करते
महारत हाभसल कर हैदराबाद में स्वदे शी तकनीक हैं। एक और नया यूरेभनयम अयथक प्रक्रमण संयंि
भवकभसत कर नाभिकीय ईंधन संभवरचन के संयंि लिाये तुमलापल्ली आं ध्रप्रदे श में भनमाड णाधीन है। यह संयंि
हुये हैं। िभवष्य की ऊजाड जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यूरेभनयम प्राल्पप्त के भलये अल्काभल लीभचंि तकनीक का
इन संयंिों की उत्पादन क्षमता बढायी जा रही है। प्रयोि करता है ।[3] नये खदानों और संयंि से सम्बंभधत
भवस्तार िभतभवभधयां दे श के कई भहस्सों में लिातर चल
INPP के अंतिडत िारत में 22 नाभिकीय ररयेक्टर
रही हैं जैसे की- कनाड टक में िोिी, तेलंिाना में लम्बापुर
(PHWR, LWR, FBR) भबजली उत्पादन के भलये
और मेघालय में KPM । दे श में िभवष्य भक जरूरतों को
संचाभलत हैं।[10] इन ररयेक्टरों से कुल भबजली उत्पादन
ध्यान में रखते हुये यूरेभनयम प्राल्पप्त के भलये भितीय श्रोतों
6780 MWe है। सबसे बर्ी चुनौती मौजूदा और िभवष्य
जैसे भक मोनज़ाइट और िोस्फोररक एभसर्, पर िी
में योजनाबि तरीके से लिने वाले ररयेक्टरों को ईंधन
खोज चल रही है |[4]
आपुभतड करना है।

55 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

3. ईंधन संभवरचन जाते हैं | आईएिपीपी (INPP) के दू सरे िरर् के अोंतर्गत


िानभकीय ईोंधि के नवनिमाग र् की िनक्रया िानभकीय लर्ाए जा रहे FBR ररएक्टर ों क नमक्स्ड आक्साइि
ईोंधि िक्र में बहुत महत्वपूर्ग भूनमका अदा करती है | (यूरेनियम-प्लूटोभनयम आक्साइि) ईोंधि की जरूरत पर्ती
है | FBR ररएक्टर ों के ईोंधि बिािे में उच्च रे भर्य सनक्रयता
भारत में तीि तरह के िानभकीय ररएक्टर ों (PHWR,
जैसी कनठिाइय ों का सामिा करिा पड़ता है |[5]
LWR and FBR) के नलए ईोंधि बिािे की ज़रूरत
लेनकि भारत िे नवनकरर् सोंरक्षर् शील्ड जैसी उन्नत
पड़ती है| PHWR ररएक्टर में िकृनतक यूरेनियम (UO2)
तकिीक ों क अपिाकर इस तरह की िुिौनतय ों पर
ईोंधि के रूप में िय र् ह ता है | यूरेनियम अयस्क से भलीभााँनत काबू पा नलया है | यह भारत की आत्म निभगरता
यूरेनियम िाई आक्साइि (UO2) बिािे के नलए कई और मेक इि इों निया िीनत का एक श्रेि उदाहरर् है |
मध्यवती िनक्रयाय ों की ज़रूरत पड़ती है| िानभकीय क्षेत्र पररणाम एवं मववेचना
की र् पिीयता की वजह से भारत क नवदे श ों से क ई इस अध्ययि से यह पता िलता है नक िानभकीय ऊजाग के
तकनीक मदद िहीों नमली| भारत िे अपिे अथक ियास ों महत्वाकाों क्षी लक्ष्य क िाप्त करिे के नलए INPP के तहत
से महत्वपूर्ग समझी जािे वाली इस तकिीक में महारत पहले दू सरे और तीसरे िरर् के ररएक्टर ों क य जिाबर्द्
हानसल करते हुये आधुनिक सोंयोंत्र लिाकर दे श के नलए तरीके से लर्ािे की जरूरत है | इि ररएक्टर ों क ईोंधि
र्ौरवशाली काम नकया है | नमभलं र् के पिात् िाप्त हुए
उपलि करािे के िुिौनतपूर्ग लक्ष्य क पूरा करिे के नलए
MDU या UOC क आर्े की िनक्रया के नलए िानभकीय
िानभकीय ईोंधि िक्र के अग्र भार् का मजबूत और नविसिीय
ईोंधि सम्भम्मश्र भेज नदया जाता है | UOC में 55-65%
ह िा जरूरी है | भारत के पास तीि ों िरर् ों के ररएक्टर ों के
मात्रा ‘U’‍ की ह ती है | UOC क नवलयि के पिात
ईोंधि सोंनवरिि सम्बोंधी तकिीक एवों सोंयोंत्र उपलि हैं | उच्च
नवशेषीकृत रासायनिक उपिार िनक्रयाओों से जैसे नक
क्षमता के नवनभन्न सोंयोंत्र ों और स्वदे शी तकिीक के द्वारा इि
सॉल्वेंट इक्स्ट्र ै क्शि, ADU निनसनपटे शि, नियोंनत्रत हीट
टर ीटमेंट के द्वारा UO2 पाउिर में बदल नलया जाता है | ररएक्टर ों की ईोंधि जरूरत ों क नबिा नकसी रुकावट के पूरा
इस UO2 पाउिर क उच्च घित्व वाली बेलिाकर नकया जा सकता है | इसनलए भारतीय ऊजाग कायगक्रम में
र्ुनटका बिािे के नलए अग्र कम्पैक्शि, अोंनतम िानभकीय ईोंधि िक्र के अग्र भार् का नवशेष महत्व है |
कम्पैक्शि और 1700 0C पर ररड्युभसंि वातावरण में संदभा-
भसंटररं ि की जाती है | इि UO2 र्ुनटकाओों क वाों नछत [1] अनिल काक िकर, हमारे परमार्ु ईोंधि िक्र कायगक्रम के
आयाम में ढाल नलया जाता है| इस तरह तैयार इि UO2 उभरते आयाम।
र्ुनटकाओों क नज़रक ल य ट्यूब में िालकर PHWR [2] रामेंद्र र्ुप्ता एटल, यूरेनियम खिि: वतगमाि भारतीय
ररएक्टर के नलए ईोंधि अवयव बिा नलए जाते हैं | 1970 पररदृश्य और भनवष् के रुझाि।
के दशक में आईएिपीपी (indian nuclear power [3] जे. एल. भसीि, यूरेनियम अयस्क का खिि और नमनलोंर्:
programme -INPP) की अिुमानित ज़रूरत ों के भारतीय पररदृश्य
नहसाब से ईोंधि सोंनवरिि के सोंयोंत्र लर्ाए र्ए िे लेनकि [4] टीके मुखजी, सेकेंिरी ररस सेज से यूरेनियम और थ ररयम
तब से लेकर अब तक सोंयोंत्र ों में उन्नयि करते हुए क्षमता की ररकवरी।
[5] एि.एस. कामथ, भारतीय परमार्ु ऊजाग कायगक्रम के
कई र्ुिा बड़ाई जा िुकी है | ररएक्टर ों के ईोंधि की
नलए नमनश्रत ऑक्साइि ईोंधि का निमाग र्।
बड़ती जरूरत ों क ध्याि में रखते हुए क टा राजस्थाि
[6] सी. र्ाों र्ुली, पीएििब्ल्यूआर और एलिब्ल्यूआर ईोंधि के
में एक िया िानभकीय ईोंधि उत्पादि सोंयोंत्र लर्ाया जा
निमाग र् का अिुभव।
रहा है|LWR ररएक्टर क ईोंधि के रूप में सोंवनधगत [7] www.cea.nic.in
यूरेनियम (UO2) की जरूरत पड़ती है| वतगमाि में भारत [8] www.ucil.gov.in
क यह नवदे श ों से आयात करिा पड़ता है |[6] भारत में [9] www.nfc.gov.in
[10] www.npcil.nic.in
इसे बिािे के नलए कई तरह की तकिीक ों पर नविार [11] www.icond.de
नवमशग एवों ख ज िल रही है| आयानतत यूरेनियम िाई
[12] नवनकपीनिया ।
आक्साइि र्ुनटकाओों क नज़रक ल य नमश्र धातु के ट्यूब
में िालकर LWR ररएक्टर के नलए ईोंधि अवयव बिा नलए

56 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

आधुभनक भारत में नाभभकीय ऊर्ाा के आयाम

श्री यू.सी. मुस्टक्तबोध,


एन.पी.सी.आई.एल, मुंबई

प्राकृभतक‍संसाधनों‍ में‍ व्याप्त‍ऊजाड ‍ को‍मानव-कल्याण‍के‍ ऊजाड ‍ इत्याभद‍ शाभमल‍ हैं।‍ औद्योभिक‍ क्रांभत‍ के‍ बाद‍ऊजाड‍
भलए‍ उपयोि‍ में‍ लाना‍ भवज्ञान‍ की‍ सबसे‍ बडी‍ दे न‍ रही‍ है।‍ के‍ शल्पक्तशाली‍ और‍ प्रिावशाली‍ स्रोत‍ को‍ खोजना‍ एक‍
सृभि‍के‍आरं ि‍से‍ ही‍‘ऊजाड ’‍मानव-जीवन‍की‍सबसे‍ बडी‍ अभनवायडता‍बन‍िया।‍
जरूरत‍ रही‍ है ।‍ मनुष्य‍ ने‍ जब‍ सबसे‍ पहले‍ आि‍ जलाना‍ वतडमान‍ समय‍ में‍ याभन‍ भक‍ आधुभनक‍ िारत‍ में‍ इन‍ सिी‍
सीखा, तब‍ से‍ शुरूआत‍ हुई‍ ऊजाड ‍ के‍ प्रयोि‍ की।‍ उसके‍ स्रोतों‍ से‍ ऊजाड ‍ का‍ उत्पादन‍ भकया‍ जा‍ रहा‍ है।‍ कुछ‍ स्रोत‍
बाद‍धीरे -धीरे ‍हर‍क्षेि‍में‍ ऊजाड ‍ के‍महत्व‍को‍समझा‍िया।‍ पयाड वरण‍ भहतैषी‍ हैं ‍ तो‍ कुछ‍ पयाड वरण‍ को‍ नुकसान‍ िी‍
चाहे ‍ वो‍ खेती-बाडी‍ हो, यातायात‍ के‍ साधन‍ हो, संचार‍ के‍ पहुाँ चा‍ रहे ‍ हैं।‍ इन‍ सिी‍ स्रोतों‍ से‍ ऊजाड ‍ के‍ उत्पादन‍ के‍
माध्यम‍ हों, घरों‍ में‍ भवद् युतीय‍ उपकरणों‍ का‍ प्रचालन‍ हो, बावजूद‍िी‍हम‍दे श‍में‍भबजली‍की‍बढ़ती‍हुई‍मांि‍को‍पूरा‍
भचभकत्सा‍का‍क्षेि‍हो‍इत्याभद।‍इनमें‍से‍हर‍क्षेि‍में‍ऊजाड ‍की‍ करने‍ में‍ असमिड‍ रहे ‍ हैं।‍ऐसी‍ल्पथिभत‍में‍ नाभिकीय‍भवद् युत‍
आवश्यकता‍ ने‍ भवश्व‍ को‍ इस‍ मोड‍ पर‍ लाकर‍ खडा‍ कर‍ का‍भवकल्प‍बखूबी‍उिर‍कर‍सामने‍आता‍है।‍
भदया‍जह ं ‍ हम‍आज‍पहुाँ चे‍ हैं।‍यह‍सब‍संिव‍हुआ‍भवज्ञान‍ सन् 1950 में होमी िािा जी ने िारत में दीघड काभलक ऊजाड
की‍ बदौलत‍ ऊजाड ‍ के‍ उत्पादन‍ और‍ उसके‍ प्रयोि‍ से।‍ मैं‍ सुरक्षा के भलए भि-चरणीय कायडक्रम की संकल्पना रखी।
समझता‍ हाँ ‍ भक‍ आज‍ भबजली‍ का‍ उत्पादन‍ सबसे‍ बडी‍ इस भिचरणीय कायडक्रम में
आवश्यकता‍है , क्योंभक‍इसके‍भबना‍समूचा‍भवश्व‍अपाभहज‍ पहला चरण है : दाभबत िारी पानी ररएक्टर (Pressurised
सा‍प्रतीत‍होता‍है ।‍खेती-बाडी‍की‍भसंचाई‍के‍भलए‍पानी‍के‍ Heavy Water Reactor)
पंपों, मोटरों‍ आभद‍ के‍ भलए‍ भबजली‍ की‍ जरूरत‍ है।‍ दू सरे चरण में : द्रु त प्रजनक ररएक्टर (Fast Breeder
यातायात‍ के‍ साधनों‍ के‍ भलए‍ प्रयोि‍ होने‍ वाली‍ बैटरी‍ में‍ Reactor)
ऊजाड ‍ की‍ जरूरत‍ है , इलेल्पक्टिकल‍ रे लवे‍ इं जनों‍ में‍ भबजली‍ तीसरे चरण में : िोररयम आधाररत ररएक्टर (Thorium
की‍जरूरत‍है ।‍संचार‍के‍माध्यमों‍जैसे‍टे लीिोन, मोबाइल‍ based Reactors)
आभद‍ के‍ भलए‍ ऊजाड ‍ की‍ आवश्यकता‍ है ।‍ घरों‍ में‍ सिी‍ यभद‍ आम-जनता‍ की‍ िाषा‍ में‍ इसे‍ समझाना‍ चाहें ‍ तो‍ हम‍
प्रकार‍के‍उपकरणों‍ के‍भलए‍भबजली‍का‍आवश्यकता‍है।‍ यह‍ कह‍ सकते‍ हैं‍ भक‍ पहले‍ चरण‍ में‍ ईंधन‍ के‍ रूप‍ में‍
भचल्पक्तसा‍ के‍ क्षेि‍ में‍ सिी‍ तरह‍ की‍ मशीनों‍ आभद‍ के‍ भलए‍ प्राकृभतक‍ यूरेभनयम‍ का‍ प्रयोि‍ भकया‍ जाता‍ है ‍ और‍ ऊष्मा‍
भबजली‍की‍जरूरत‍है।‍कुल‍भमलाकर‍यह‍कहा‍जा‍सकता‍ के‍उत्पादन‍के‍भलए‍ररएक्टर‍में‍चेन-ररएक्शन‍कराया‍जाता‍
है ‍ भक‍ भवज्ञान‍ के‍ माध्यम‍ से‍ ऊजाड ‍ का‍ उत्पादन‍ ही‍ इस‍ है।‍उस‍उष्मा‍से‍ वाष्प‍बनाकर‍टबा्रइन‍को‍घुमाया‍जाता‍
भवषय‍‘प्राचीन‍और‍आधुभनक‍िारत‍में‍ भवज्ञान‍व‍ऊजाड ‍ के‍ है ‍ और‍ भबजली‍ का‍ उत्पादन‍ भकया‍ जाता‍ है , भबल्कुल‍ वैसे‍
आयाम’‍का‍मूल‍केंद्र‍है।‍ ही‍जैसा‍भक‍भकसी‍िी‍परं पराित‍पिभत‍में‍भकया‍जाता‍है।‍
प्राचीन‍ िारत‍ में‍ ईंधन‍ के‍ रूप‍ में‍ लकडी‍ का‍ प्रयोि‍ होता‍ परं तु‍ यह ं ‍ अंतर‍ यह‍ है ‍ भक‍ ररएक्टर‍ प्रचालन‍ के‍ पश्चात‍
िा।‍ लकडी‍ को‍ जला‍ कर‍ मानव‍ अपनी‍ रोजमराड ‍ की‍ प्राकृभतक‍ यूरेभनयम‍ प्लूटोभनयम‍ में‍ पररवभतडत‍ हो‍ जाता‍ है‍
जरूरतों, जैसे‍ खाना-पकाना, पानी‍ िरम‍ करना, सदी‍ से‍ भजसे‍ भितीय‍चरण‍याभन‍भक‍द्रु त‍प्रजनक‍ररएक्टर‍में‍ ईंधन‍
बचने‍ के‍भलए‍ऊष्मा‍लेना‍इत्याभद‍को‍पूरा‍करता‍िा।‍‍यह‍ के‍रूप‍में‍प्रयोि‍भकया‍जाता‍है।‍साि‍ही‍इस‍भितीय‍चरण‍
एक‍छोटे ‍समूह‍या‍छोटे ‍समुदाय‍के‍भलए‍तो‍ठीक‍है , परं तु‍ में‍ िोररयम‍ को‍ िी‍ चादर‍ के‍ रूप‍ में‍ ररएक्टर‍ के‍ अंदर‍
संपूणड‍मानवजाती‍के‍भलए‍ऊजाड ‍की‍पूभतड‍केवल‍लकडी‍के‍ भबछाया‍जाता‍है।‍पररणामथवरूप‍भितीय‍चरण‍में‍ भबजली‍
ईंधन‍ से‍ नहीं‍ हो‍ सकती‍ िी।‍ इसभलए‍ मनुष्य‍ ने‍ ऊजाड ‍ के‍ के‍ उत्पादन‍ के‍ साि-साि‍ िुक्त-शेष‍ के‍ रूप‍ में ‍ पुन:‍
अन्य‍ भवकल्पों‍ को‍ खोजना‍ शुरू‍ भकया।‍ इन‍ खोजों‍ के‍ प्लूटोभनयम‍ और‍ यूरेभनयम‍ 233‍ का‍ उत्पादन‍ होता‍ है।‍
पररणामथवरूप‍ ऊजाड ‍ के‍ कई‍ स्रोत‍ और‍ भवकल्प‍ सामने‍ उत्पन्न‍ प्लूटोभनयम‍ को‍ भिर‍ से‍ भितीय‍ चरण‍ के‍ ईंधन‍ के‍
आए‍ भजनमें‍ तेल, कोयला, पवन‍ ऊजाड , सौर‍ ऊजाड , जल‍ रूप‍ में‍ इथतेमाल‍ भकया‍ जाता‍ है ‍ और‍ यूरेभनयम‍ 233‍ को‍

57 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

तृतीय‍चरण‍में‍ ईंधन‍के‍रूप‍में‍ इथतेमाल‍भकया‍जाता‍है ।‍ भवभकरण‍ की‍ मािा‍ को‍ हमारी‍ भनयामक‍ एजेंसी‍ परमाणु‍
इस‍प्रकार‍एक‍चरण‍में‍ प्रयुक्त‍ईंधन‍अिले‍ चरण‍के‍भलए‍ ऊजाड ‍भनयामक‍पररषद‍(‍AERB) िारा‍भवभनभदड ष्ट‍मािा‍से‍
ईंधन‍ का‍ उत्पादन‍ करता‍ है।‍ 1954‍ में‍ परमाणु‍ ऊजाड ‍ (कािी‍ कम‍ रखा‍ जाता‍ है।‍ साि‍ ही‍ एनपीसीआईएल‍ के‍
भविाि‍और‍भिर‍1958‍में‍ परमाणु‍ ऊजाड ‍आयोि‍के‍िठन‍ प्रत्येक‍ संयंि‍ पर‍ एक‍ पयाड वरणीय‍ सवेक्षण‍ प्रयोिशाला‍ है ‍
के‍ पश्चात‍ िारत‍ सरकार‍ ने‍ इस‍ भिचरणीय‍ कायडक्रम‍ का‍ जो‍ आस-पास‍ के‍ जीव-जंतुओ,ं वनथपभतयों‍ तिा‍
कायाड न्वयन‍ आरं ि‍ कर‍ भदया।‍ हमारे ‍ दे श‍ की‍ भबजली‍ की‍ पयाड वरणीय‍ तत्वों‍ में‍ भवभकरणसभक्रयता‍ के‍ थतर‍ की‍ ज ं च‍
मां ि‍ को‍ पूरा‍ करने‍ के‍ भलए‍ यह‍ जरूरी‍ है ‍ भक‍ हम‍ सिी‍ करती‍ रहती‍ है ‍ ताभक‍ पयाडवरण‍ की‍ संरक्षा‍ सुभनल्पश्चत‍ हो‍
स्रोतों‍ के‍ भमश्रण‍ से‍ यिासंिव‍ भबजली‍ का‍ उत्पादन‍ करें ।‍ सके।‍ हमारे ‍ सिी‍ आं कडे ‍ इस‍ बात‍ की‍ पुभि‍ करते‍ हैंभक‍
इसका‍ कारण‍ यह‍ है ‍ भक‍ हमारा‍ दे श‍ ऊजाड ‍ के‍ परं पराित‍ प्राकृभतक‍ रूप‍ से‍ भमलने‍ वाले‍ पृष्ठिूभमक‍ भवभकरण‍ की‍
संसाधनों‍ से‍ िरा-पूरा‍नहीं‍ है।‍साि‍ही‍दे श‍में ‍ िोररयम‍के‍ तुलना‍में‍नाभिकीय‍भवद् युत‍संयंि‍से‍भमलने‍वाला‍भवभकरण‍
िंर्ार‍प्रचुर‍मािा‍में‍ है।‍अत:‍दे श‍में‍ भवद् युत‍उत्पादन‍के‍ निण्य‍ है ‍ याभन‍ न‍ के‍ बराबर‍ है।‍ साि‍ ही‍ टाटा‍ मेमोररयल‍
अन्य‍स्रोतों‍के‍पूरक‍के‍रूप‍में‍नाभिकीय‍भवद् युत‍उत्पादन‍ केंद्र, मुंबई‍िारा‍नाभिकीय‍भवद् युत‍संयंिों‍के‍कमडचाररयों‍व‍
का‍ कायड‍ आरं ि‍ भकया‍ िया।‍ नाभिकीय‍ ऊजाड ‍ दे श‍ को‍ उनके‍पररवार‍के‍सदथयों‍ पर‍भकए‍िए‍थवाथ्य‍सवेक्षण‍ने‍
दीघड-काभलक‍ऊजाड ‍सुरक्षा‍दे ने‍में‍सक्षम‍है।‍इसके‍अलावा, िी‍इस‍बात‍की‍पुभि‍की‍है ‍ भक‍कायडरत‍काभमडकों‍ व‍उनके‍
इस‍ माध्यम‍ से‍ भबजली‍ का‍ उत्पादन‍ पयाडवरण‍ को‍ कोई‍ पररजनों‍ में‍ कोई‍ अपसामान्यता‍ या‍ थवाथ्य‍ संबंभध‍ कोई‍
नुकसान‍ नहीं‍ पहुाँचाता, क्योंभक‍ नाभिकीय‍ भवद् युत‍ के‍ महत्वपूणड‍दोष‍नहीं‍पाया‍िया‍है ।‍
उत्पादन‍में‍ ग्रीनहाउस‍िैसों‍ जैसे‍ काबडनर्ाइऑक्साइर्‍का‍ इन‍ सबके‍ अभतररक्त‍ एनपीसीआईएल‍ अपने‍ सिी‍
उत्सजडन‍नहीं‍ होता।‍इन्हीं‍ सब‍पहलुओ‍ं को‍ध्यान‍में‍ रखते‍ नाभिकीय‍ भवद् युत‍ संयंिों‍ में‍ उच्चतम‍ दजे‍ की‍ संरक्षा‍ का‍
हुए‍ 17‍ भसतंबर, 1987 को‍ न्यूल्पियर‍ पावर‍ क पोरे शन‍ अनुपालन‍ करता‍ है , भजसकी‍ बहु-थतरीय‍ समीक्षा‍ परमाणु‍
ऑि‍ इं भर्या‍ भलभमटे र्‍ की‍ थिापना‍ की‍ िई‍ और‍ इसे‍ ऊजाड ‍ भनयामक‍ पररषद‍ िारा‍ की‍ जाती‍ है ।‍ साि‍ ही,
नाभिकीय‍ भवद् युत‍ के‍ उत्पादन‍ की‍ भजम्मेदारी‍ दी‍ िई।‍ नाभिकीय‍ भवद् युत‍ संयंिों‍ के‍ भनमाडण‍ और‍ प्रचालन‍ के‍
दे शिर‍ में‍ एनपीसीआईएल‍ के‍ कुल‍ 21‍ ररएक्टर‍ दौरान‍ कई‍ तरह‍ के‍ संरक्षा‍ अवरोध‍ बनाए‍ जाते‍ हैं ‍ और‍
प्रचालनरत‍ हैं ‍ भजनकी‍ क्षमता‍ 5780‍ मेिावाट‍ है।‍ साि‍ ही‍ संरक्षा‍के‍अंतरराष्टि ीय‍मानकों‍ का‍पूणड‍ अनुपालन‍कर‍यह‍
1000‍मेिावाट‍क्षमता‍वाली‍कुर्नकुलम‍की‍दू सरी‍इकाई‍ सुभनल्पश्चत‍भकया‍जाता‍है ‍भक‍दु घडटना‍की‍संिावनाएं ‍अत्यंत‍
को‍ भग्रर्‍ से‍ जोड‍ भदया‍ िया‍ है , शीघ्र‍ ही‍ उसे‍ वाभणल्पिक‍ क्षीण‍ या‍ न‍ के‍ बराबर‍ हों।‍ इसके‍ पश्चात‍ िी, यभद‍ भकसी‍
घोभषत‍ कर‍ भदया‍ जाएिा।‍ वतडमान‍ में‍ हमारे ‍ दे श‍ में‍ कुल‍ आकल्पिक‍ ल्पथिभत‍ में‍ कोई‍ छोटी-मोटी‍ घटना‍ होती‍ िी‍ है‍
भवद् युत‍उत्पादन‍में‍न्यूल्पियर‍भवद् युत‍का‍योिदान‍3%‍के‍ तो‍ऐसी‍भकसी‍िी‍आपातकालीन‍पररल्पथिभत‍से‍ भनपटने‍ के‍
लििि‍है ।‍क्षमता‍में‍तीव्र‍वृल्पि‍के‍भलए‍भवदे शी‍सहयोि‍से‍ भलए‍ सुव्यवल्पथित‍ योजनाएं ‍ और‍ प्रभक्रयाएं ‍ तैयार‍ रहती‍ हैं‍
साधारण‍ जल‍ ररएक्टर‍ (‍ light water reactor) िी‍ भजनकी‍समय-समय‍पर‍ररहसडल‍की‍जाती‍है।‍
थिाभपत‍भकए‍जा‍रहे ‍ हैं।‍नाभिकीय‍भवद् युत‍के‍माध्यम‍से‍ संरक्षा‍संबंधी‍इतनी‍सारी‍सावधाभनयों‍ को‍बरतते‍ हुए‍और‍
वतडमान‍में‍ बहुत‍अल्प‍योिदान‍का‍कारण‍रहा‍है ‍ भवदे शी‍ इस‍बात‍के‍महत्व‍को‍समझते‍ हुए‍भक‍नाभिकीय‍भवद् युत‍
दबाव, जो‍पोखरण-1‍के‍परीक्षण‍के‍बाद‍1974‍से‍ 2008‍ पयाडवरण‍भहतैषी‍है , मैं‍यह‍मानता‍हाँ ‍भक‍नाभिकीय‍भवद् युत‍
तक‍ हमारे ‍ दे श‍ पर‍ बना‍ रहा।‍ इस‍ दौरान‍ नाभिकीय‍ ही‍वतडमान‍समय‍की‍म ं ि‍है।‍िारत‍की‍ऊजाड ‍समथया‍को‍
भवद् युत‍उत्पादन‍की‍संपूणड‍प्रौद्योभिकी‍को‍अपने‍ही‍दे श‍में‍ एक‍ दीघडकाभलक‍ समाधान‍ दे ने‍ की‍ क्षमता‍ नाभिकीय‍
भवकभसत‍करना‍एक‍बहुत‍बडी‍चुनौती‍िी।‍साि‍ही, ईंधन‍ भवद् युत‍में‍है।
की‍अनुपलब्धता‍िी‍एकबहुत‍बडा‍अवरोध‍रही‍है।‍इसके‍ (पररषद के भोपाल संिोष्ठी2016 से साभार)
अलावा‍ जन-मानस‍ की‍ भ्ांभतयों‍ और‍ िय‍ की‍ बदौलत‍िी‍
नाभिकीय‍भवद् युत‍उत्पादन‍के‍कायाड न्वयन‍में‍ समय‍लिता‍
है।‍ जन-मानस‍ की‍ भ्ां भतयों‍ को‍ दू र‍ करने‍ के‍ भलए‍
एनपीसीआईएल‍ ने‍ कई‍ जन-जािरूकता‍ व‍ जन-संपकड‍
कायडक्रम‍ आयोभजत‍ भकए‍ हैं‍ और‍ वतडमान‍ में‍ िी‍ कर‍ रहा‍
है।‍इन‍कायडक्रमों‍ से‍ आम-जनता‍के‍लोिों‍ को‍यह‍बताया‍
जाता‍ है ‍ भक‍ नाभिकीय‍ भवद् युत‍ संयंिों‍ से‍ भनकलने‍ वाले‍

58 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

egku d`f"k foKkuh in~eJh MkW0 ds-,l-ih-;kno


izsepUnz JhokLro
iwoZ laiknd]^foKku*
foKku ifj"kn~ iz;kx
egf"kZ n;kuUn ekx, bykgkckn&211002

Hkkjr ljdkj ds ^in~eJh* vyadj.k ls vkSj v/;{k jgs A os ^us'kuy ,dsMes h vkWo
foHkwf"kr varjkZ"Vªh; [;kfrizkIr d`f"k foKkuh MkW0 ds- ,xzhdYpjy lkbalst* 'kks/k&if=dk ds lEiknd Hkh
,l-ih-;kno dk tUe 30 tqykbZ 1922 dks mRrj Fks A MkW0 ;kno ds izdk'kuksa dh la[;k 250 ls
izns'k ds gkFkjl ds ,d xk¡o v[kbZiqj esa gqvk vf/kd gS A bu izdk'kuksa esa 'kks/ki=]yksdfiz;
FkkA fo|kFkhZ ds :i esa os vR;ar dq'kkxz cqf) ds ys[k]iqLrdksa ds v/;k; vkfn 'kkfey gSa A 1979 esa
FksA mudk 'kSf{kd dhfrZeku cgqr vPNk Fkk A ,d iqLrd ^^lSykbu ,.M ,Ydyh lkYV~l vkWo
mUgksua s 1946 esa ch-,l&lh-]1951 esa ,e-,l&lh- bf.M;k** izdkf'kr gqbZ ftlds os lg&ys[kd Fks A
]1958 esa ih&,p-Mh vkSj 1959 esa iksLV xzStq,V ;g iqLrd vR;ar yksdfiz; gqbZ vkSj vkt Hkh
fMIyksek bu QkWjsLVªh ¼vkWDlQksMZ ;wfuoflZVh]yanu½ yksdfiz; cuh gqbZ gSA MkW0 ;kno ds mPp Lrjh;
dh mikf/k;k¡ izkIr dha A dkuiqj ds jktdh; d`f"k ;ksxnku dks ns[krs gq, Hkkjr ljdkj us mUgsa
fo|ky; esa izoDrk ds :i esa 1947 esa v/;kiu ^in~eJh* nsdj lEekfur fd;k A MkW0 ;kno dks
izkjaHk djus okys MkW0 ;kno us ou vuqla/kku feyus okys iqjLdkjksa dh lwph yEch gS A dqN
laLFkku]¼nsgjknwu½]ifj;kstuk la;kstd]fglkj ds fof'k"V iqjLdkj gSa& fxuht vokMZ vkWo dkeuosYFk
gfj;k.kk d`f"k fo'ofo|ky; ds dqyifr ¼1982&83½ lkbafVfQd ,lksfl,'ku]gfjvkse VªLV vokMZ]MkW0
tSls vusd lEekfur inksa dks lqHkksfHkr fd;kA jktsUnz izlkn vokMZ]czkf.Ml eseksfj;y izkbt
MkW0 ;kno us e`nk xq.koRrk vkfnA
lq/kkj]ty&izca/ku uhfr;ks]a xgu&QlyksRiknu vkSj MkW0 ;kno us bafM;u lkslkbVh vkWo Lok;y
d`f"k&okfudh i)fr;ksa ds fodkl ds {ks= esa lkbal]bf.M;u lkslkbVh vkWo okVj eSut s esVa vkSj
egRoiw.kZ ;ksxnku fd;k gS A muds 'kks/k ds izHkko ^bf.M;u lkslkbVh vkWo dksLVy eSustesVa * ds
ls e`nk vkSj ty nksuksa ds dq'ky iz;ksx ls ykxr lHkkifr Fks A 2008 esa MkW0 ;kno dks b.Vjus'kuy
esa Hkh deh vkbZ A ;gh ugha] MkW0 ;kno ds 'kks/kksa
ds vk/kkj ij 1956 esa yo.k vkSj {kkj ds Lrj dk ;wfu;u vkWo Lok;y lkbalst }kjk ekun lnL;rk
irk yxk;k x;k vkSj yo.k izHkkfor e`nk Q+ly ds iznku dh xbZ Fkh A fo'o cSad vkSj ;wukbVsM jkbl
fy, fdruh laosnu'khy gS] dh Hkh tk¡p dh xbZ A yS.M fyfeVsM tSlh vusd laLFkkvksa us mUgsa ekun
tk¡p ds vk/kkj ij bl rF; dk Hkh [kqyklk gqvk lnL;rk iznku djds lEekfur fd;k Fkk A
fd pkoy]xsgWw¡]Tokj vkSj tkS tSlh Q+lyksa ds dq'ky yxHkx 88 o"kZ dh o; esa 3 vizSy 2010 dks
izca/ku ds fy, MkW0 ;kno }kjk crkbZ xbZ fof/k;ksa ubZ fnYyh esa MkW0 ;kno dk fu/ku gks x;k A
dk fo'ks"k egRo gSA
mudk fu/ku u dsoy Hkkjrh; d`f"k foKku dh
MkW0 ;kno vkbZ ;w ,l ,l ds yo.k
izHkkfor e`nkvksa ds mi&vk;ksx ¼lc&deh'ku½ ds oju~ jk"Vª dh viwj.kh; {kfr gSA vius 'kks/kdk;ksZa ds
mik/;{k Fks A blds vfrfjDr os jkT;]jk"Vªh; vkSj dkj.k mudh dhfrZ lnSo v{kq..k jgsxh vkSj vkus
varjkZ"Vªh; Lrj dh vusd oSKkfud vkSj okyh e`nkfoKkfu;ksa dh ihf<+;ksa ds fy, os lnSo
O;kolkf;d lfefr;ksa ¼dehfV;ks½a ]iSuyksa ds lnL; izsj.kklzksr cus jgsx
a sA

59 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

अंतराविरीय योि मदवस – एक सकारात्मक पहल


डॉ अंमकता ममश्रा

एनआरडीसी, नई मदल्ली

;ksx Lo;a esa bruk fojkV LOk:i fy, gS ftldh O;k[;k ,oa fØ;kvksa dk vusdksa egkxzUFkksa
esa o.kZu fd;k x;k gSA ;gk¡ ij ;ksx ds izeq[k Hksnksa ,oa muesa lfUufgr euf’pfdRlk ds
euksoSKkfud ,oa oSKkfud igyqvksa dks lfEefyr fd;k tk jgk gSA ;ksx ’kCn laLd`r dh ;qt18 /kkrq ls cuk gSA ftldk vFkZ
lekf/k vkSj feykuk gSA
अोंतराग ष्ट्रीय य र् नदवस ित्येक वषग 21 जूि क मिाया जाता है । मिाया जािे वाला अोंतरागष्ट्रीय य र् नदवस िािीि भारतीय कला
िधाि मोंत्री िरें द्र म दी िे ही इस नदि क अोंतरराष्ट्रीय य र् के नलए एक अिुिाि है । हमारे दै निक जीवि में य र् क जन्म
नदवस के रूप में मिािे का िस्ताव नदया था। य र् का अभ्यास दे िे से हमारे जीवि में सकारात्मक पररवतगि आ सकता है ।
एक बेहतर इों साि बििे के साथ एक तेज नदमार्, स्वस्थ नदल यह हमारे तिावपूर्ग जीवि के नलए एक बड़ी राहत िदाि
और एक सुकूि भरे शरीर क पािे के तरीक ों में से एक है । करता है । इस नदि दे श के नवनभन्न नहस्स ों में कई बड़े और
य र् अपिे अद् भुत स्वास्थ्य लाभ ों के नलए जािा जाता है। छ टे य र् नशनवर भी आय नजत नकए र्ए थे। इस पनवत्र कला
अोंतराग ष्ट्रीय य र् नदवस 2015 में आरों भ ह िे के बाद, हर साल का अभ्यास करिे के नलए ल र् ों िे बड़ी सोंख्या में इि नशनवर ों
21 जूि क मिाया जाता है । यह हमारे जीवि में इस िािीि में नहस्सा नलया। ि नसफग भारत में बम्भल्क इस तरह के नशनवर ों
भारतीय कला क अिम ल करिे के महत्व पर बल दे िे का का आय जि दु निया के अन्य नहस्स ों में भी नकया र्या और
एक महाि ियास है । य र्, मि, शरीर और आत्मा की एकता ल र् ों िे बड़े उत्साह से इिमें भार् नलया। तब से अोंतराग ष्ट्रीय
क सक्षम बिाता है । य र् के नवनभन्न रूप ों से हमारे शारीररक य र् नदवस हर साल बहुत उत्साह से मिाया जाता है ।आपकी
और मािनसक स्वास्थ्य क अलर्-अलर् तरीक ों से लाभ िनतरक्षा िर्ाली क मजबूत रखिे के िमुख तरीक ों में से एक
नमलता है । अोंतरागष्ट्रीय य र् नदवस क इस अिूठी कला का सकारात्मक रूप से स ििा है। जब आप य र् करते हैं , तभी
आिोंद लेिे के नलए मिाया जाता है । आपकी इम्प्‍यूनिटी ज्‍यादा बेहतर तरीके से काम करती है और
आप बेहतर तरीके से बीमाररय ों से लड़ पाते हैं । यह हम िहीों
य र् की कला का जश् मिािे के नलए एक नवशेष नदि की
साइों स कह रहा है । केंटकी नविनवद्यालय द्वारा सोंयुि राज्य
स्थापिा का नविार िधािमोंत्री श्री िरें द्र म दी िे िस्तानवत नकया
अमेररका में नकए र्ए 30 वषों में 300 अध्ययि ों के मेटा-
था। इस पहल के माध्यम से भारतीय िधाि मोंत्री हमारे पूवगज ों
नवश्लेषर्, पाया र्या नक िकारात्मक स ि शरीर की िनतरक्षा
द्वारा नदए र्ए इस अि खे उपहार क िकाश में लािा िाहते
कायगिर्ाली में पररवतगि करती है । दू सरी तरफ सकारात्मक
थे। उन्ह ि
ों े नसतोंबर 2014 में सोंयुि राष्ट्र महासभा (यूएिजीए)
स ि शरीर की िनतरक्षा क बढ़ावा दे िे में मदद करती है ।
में अपिे भाषर् के दौराि इस सुझाव का िस्ताव नदया था।
अपिे सोंयुि राष्ट्र के सोंब धि में उन्ह ि
ों े यह भी सुझाव नदया था
नक य र् नदवस 21 जूि क मिाया जािा िानहए क् नों क यह
वषग का सबसे लोंबा नदि है । यूएिजीए के सदस् ों िे म दी द्वारा
नदए र्ए िस्ताव पर नविार-नवमशग नकया और जल्द ही इसके
नलए सकारात्मक मोंजूरी दे दी। 21 जूि 2015 का नदि पहले
अोंतराग ष्ट्रीय य र् नदवस के रूप में मिाया र्या। इस नदि भारत
में एक भव्य कायगक्रम आय नजत नकया र्या था। भारत के
िधाि मोंत्री श्री म दी और कई अन्य राजिीनतक िेताओों िे
राजपथ पर उत्साह के साथ यह नदि मिाया। 21 जूि क

60 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

पृथ्वी मवज्ञान मंत्रालय में प्रौद्योमिकी मवकास


सोंकलि: िॉ. नवजय लक्ष्मी नर्री,वाघ ली, पुर्े

पृथ्वी मवज्ञान : भूवैज्ञानिक ों के अिुसार लर्भर् ५०० भारत सरकार के अधीि पृथ्वी नवज्ञाि मोंत्रालय
कर ड़ वषग पूवग धूल औरर्ैस के नवशाल, अिवरत, (MoES) क मौसम, जलवायु, समुद्र और तटीय
िक्राकार घूते हुए बादल से सौर मोंिलका जन्म हुआ है। दशा, जल नवज्ञाि, भूकोंप नवज्ञाि और िाकृनतक
इस नवशाल बादल का अनधकाोंश पदाथग केन्द्र में एकनत्रत सोंकट ों के नलए सेवाएों िदाि करिे; दे श के नलए
ह कर नपन्ड बििे लर्ा नजससे अोंततः सूयग निनमगत हुआ धारर्ीय तरीके से समुद्री सजीव और निजीव सोंसाधि ों
की ख ज करिेएवों उिका द हि करिे तथा पृथ्वी के
और इस केन्द्र नवन्दु की पररक्रमा करते हुए शेष बादल
तीि ों ध्रुव ों (आकगनटक, अोंटाकगनटक
समूह नवनभन्न कक्षाओों में अलर् अलर् केम्भन्द्रत ह िे लर्े
और नहमालय) का अन्‍वेषर् करिे के नलए अनधदे श
ज अपिी धुरीपर त िक्राकार घू ही रहे थे वरि वह केन्द्र
नदया र्या है ।
नवन्दु की भी पररक्रमा कर रहे थे। यह ग्रह कहलाये । पृथ्वी नवज्ञाि मोंत्रालय पहले महासार्र नवकास नवभार्
अपिी पृथ्वी भी एक ग्रह है ज लर्भर् ४६० कर ड़ वषग (DOD) था, नजसे जुलाई 1981 में भारत के
पूवग आर् का एक र् ला मात्र थी नजसकी वाह्य सतह शिैः िधािमोंत्री के िभार में सीधे मोंनत्रमोंिल सनिवालय के
शिैः ठों िी ह िे लर्ी और कालान्तर में उसकी वाह्य पपगटी एक भार् के रूप में बिाया र्या था। मािग 1982 में
ठ स धरातल बि र्ई परों तु तब यह निजगि जल-हीि थी। यह एक अलर् नवभार् के रूप में अम्भस्‍तत्‍व में आया।
जब पृथ्वी के वायुोंिल का तापक्रम ७०५ फारे िहाइट से पहले महासार्र नवकास नवभार् िे दे श में समुद्री
िीिे आिा िारि हुआ तब इसके वायुण्डल की वाष्प नवकास र्नतनवनधय ों के आय जि, समन्वय और इन्‍हें
द्रवीभूत ह िे लर्ी और जलवृनष्ट् हुई। यह जल पृथ्वी के बढ़ावा दे िे के नलए एक ि िल सोंस्थाि के रूप में
निम्न भार् ों में एकनत्रत ह िे लर्ा और इस िकार सार्र ों कायग नकया। भारत सरकार िे महासार्र नवकास
का िादु भागव हुआ।‍लेटनववतगनिकी के अोंतर्गत इस पृथ्वी नवभार् क फरवरी 2006 में महासार्र नवकास
मोंत्रालय के रूप में अनधसूनित नकया।
का धरातल अतीत में बहुत पररवनतगत ह ता रहा है नजसके
फल स्वरूप महाद्वीप ों का आज ज आधुनिक नवतरर् है
वह पहले िहीों था। पवगत श्रृोंखलाए भी उि लेट ों की
र्नतशीलता का ही िनतफल है ।
पृथ्वी मवज्ञान का अध्ययि भूवैज्ञानिक तथा
भूभौनतनकवद् के नलये एक खास औजार नसर्द् हुआ है।
१९७४-१९८० के समय भूरसायि के िसार में बहुत बड़ा
उछाल आया। नजसके मुख्य कारर् थे : (१)
अवधारर्ात्मक िर्नत (कन्सेप्िुअल एिवाोंसमेन्ट), (२)
उन्नत नवश्लेषर्ात्मक उपकरर् तथा (३) िनशक्षर् िाप्त
ल र् ों की उपलिता। क्षेत्रीय भूरसायनिक िय र्शालायें
अब उच्चस्तरीय ह र्ई हैं और वह सूक्ष्म सोंसाधि
आधाररत उपकरर् से सुर्नठत हैं। यह िय र्शालायें
बड़ी सोंख्या में नवनभन्न िमूि ों के समूह का नवश्लेषर् तथा जुलाई 2006 में, भारत सरकार द्वारा राष्‍टरपनत
परीक्षर् करिे में सक्षम हैं । इिके द्वारा उत्पन्न आाँ कड़े की अनधसूििा के माध्यम से महासार्र नवकास
स्वीकायग स्तर के (एकसेप्टेबल मैर्िीच्यूि) एवों नियोंत्रर् मोंत्रालय का िए पृथ्वी नवज्ञाि मोंत्रालय (MoES)
य ग्य ह ते हैं। में पुिर्गठि नकया र्या था। इससे भारतीय मौसम
नवज्ञाि नवभार् (IMD), नदल्ली, भारतीय

61 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

उष्णदे शीय मौसम नवज्ञाि सोंस्थाि (IITM), पु र्े


और राष्ट्रीय मध्यम अवनध मौसम पूवागिुमाि केंद्र वेबसाइट : mausam.imd.gov.in राष्‍टरीय
(NCMRWF), ि एिा, पृथ्वी नवज्ञाि मोंत्रालय मध्‍यम अवनध मौसम पूवागिुमाि
िशासि की पररनध में आ र्ए। सरकार िे अोंतररक्ष केन्‍द्र (NCMRWF)रए 50, औद्य नर्क क्षेत्र, फेज
आय र् (भारतीय अोंतररक्ष कायगक्रम के िशासि के II
नलए उत्‍तरदायी सरकारी नवभार्) और परमार्ु सेक्‍टर 62, ि एिा
ऊजाग आय र् (परमार्ु ऊजाग नवभार् का शासी उत्‍तर िदे श 201307
निकाय) की तजग पर पृथ्वी आय र् की स्थापिा वेबसाइट : www.ncmrwf.gov.in)
क भी मोंजूरी दी।
*स्‍व ायत्‍त निकाय
*सस्‍वायत्‍त निकाय *
*राष्‍टरीय समुद्र िौदय नर्की सोंस्‍थाि (NIOT)*
वेल्‍लिेरी ताम्प्‍बरम र ि
पलीकरर्ै ग्राम, िेन्‍िई
तनमलिािु 600 100
श्री नकरर् ररनजजू
वेबसाइट : www.niot.res.in
माििीय पृथ्वी नवज्ञाि मोंत्री
*राष्‍टरीय ध्रुवीय एवों समुद्री अिुसोंधाि केन्‍द्र
(NCPOR)*
*मु ख् ‍य ालय* हैिलैंि सिा, वास्‍क िा र्ामा
*पृथ्वी नवज्ञाि मोंत्रालय, भारत सरकार* र् वा 403804
पृथ्‍वी भवि, ल धी र ि वेबसाइट : www.ncaor.gov.in
िई नदल्‍ली 110003. *भारतीय राष्‍टरीय महासार्र सूििा सेवा केन्‍द्र
वेबसाइट : www.moes.gov.in (INCOIS)*
ओशि वैली, िर्नत िर्र
बीओ निजामपेट, प स्‍ट ऑनफस
*अधीिस्‍थ कायाग ल य*
है दराबाद तेलोंर्ािा 500055
भारत मौसम नवज्ञाि नवभार् (IMD) वेबसाइट:www.incois.gov.in
मौसम भवि, ल धी र ि *भारतीय उष्‍र्दे शीय मौसम नवज्ञाि सोंस्‍थाि
िई नदल्‍ली 110003 (IITM)*,
ह मी भाभा र ि, पाशि, पुर्े
महाराष्‍टर 411008
वेबसाइट : www.tropmet.res.in
*राष्‍टरीय पृथ्‍वी नवज्ञाि अध्‍ययि केन्‍द्र (NCESS)*
प स्‍ट बाक्‍स सों 7250, अक्‍कुलम
नतरुविोंतपुरम केरल 695011

62 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

63 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

64 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

65 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

66 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

मवज्ञान और प्रौद्योमिकी के क्षेत्र में रािरीय अनुसंधान मवकास मनिम

एिआरिीसी (NRDC), नवज्ञाि और िौद्य नर्की मोंत्रालय, तकिीकी जािकाररय ों के व्यापारीकरर् के नलए
भारत सरकार के अोंतर्गत वैज्ञानिक और औद्य नर्क औपिाररक व्यवस्था की है और अब इसे िौद्य नर्की के
अिुसोंधाि नवभार् का एक ल क उद्यम है। यह नवनभन्न नवस्तृत क्षेत्र के बड़े भोंिार के रूप में जािा जाता है।
राष्ट्रीय अिुसोंधाि एवों नवकास सोंस्थाि ों से निकलिे वाली िौद्य नर्की के इस क्षेत्र का नवस्तार उद्य र् के लर्भर्
िौद्य नर्नकय ों के नवकास, सोंवधगि और हस्ताोंतरर् में सभी क्षेत्र ों में है जैसे कृनष और कृनष सोंसाधि, कीटिाशक
कायगरत है। राष्ट्रीय अिुसोंधाि नवकास निर्म (NRDC) समेत रसायि, दवाइयाों और फामागस्ूनटकल्स, जैव
की स्थापिा 1953 में भारत सरकार द्वारा की र्ई थी। िौद्य नर्की, धातु नवज्ञाि, इलेक्टरॉनिक्स और इों स्ट्ूमेंटेशि,
निमागर् सामग्री, याों नत्रकी, इलेक्टरीकल और इलेक्टरॉनिक्स
राष्ट्रीय अिुसोंधाि नवकास निर्म (NRDC) का िाथनमक
आनद। इसिे 4800 से ज्यादा उद्यनमय ों क स्वदे शी
उद्दे श्य नवनभन्न राष्ट्रीय अिुसोंधाि एवों नवकास सोंस्थाि ों /
िौद्य नर्नकय ों के लाइसेंस नदए हैं और बड़ी सोंख्या में छ टे
नविनवद्यालय ों से निकलिे वाली िौद्य नर्नकय ों /
व मध्यम आकार के उद्य र् ों की स्थापिा करिे में
जािकाररय ों / आनवष्कार ों / पेटेंट / िनक्रयाओों क
सहायता िदाि की है।
बढ़ावा दे िा, नवकनसत करिा और व्यावसायीकरर्
करिा है।

राष्ट्रीय अिुसोंधाि नवकास निर्म (NRDC) भारत सरकार


द्वारा 1953 में भारत के अिुसोंधाि और नवकास (R&D)
ियास ों के व्यवसायीकरर् के उद्दे श्य से स्थानपत एक
स्वायत्त निकाय है।िेशिल ररसिग निवलपमेंट
कॉरप रे शि (एिआरिीसी) भारत में नवज्ञाि व िौद्य नर्की हस्ताोंतरर् के क्षेत्र में पथिदशगक ह िे के
िौद्य नर्की मोंत्रालय के अोंतर्गत वैज्ञानिक व औद्य नर्क साथ-साथ एिआरिीसी अपिे सोंिररत ि त्साहि
अिुसोंधाि नवभार् के िशासनिक नियोंत्रर् में कायगरत एक कायगक्रम के तहत कई तरह के नक्रयाकलाप करता है ।
सोंस्था है, नजसकी स्थापिा 1953 में भारत सरकार द्वारा यह अिुसोंधाि के ि त्साहि और िर्नत, आनवष्कार ों और
की र्ई थी। इसका िाथनमक उद्दे श्य नवनभन्न राष्ट्रीय िवािार ों के ि त्साहि के नलए ह ता है। इसमें सराहिीय
अिुसोंधाि और नवकास (आरएों ििी) सोंस्थाओों / आनवष्कार पुरस्कार, तकिीकी व व्यापाररक सहायता,
नविनवद्यालय ों में ख जी जािे वाली िौद्य नर्नकय ,ों नवनधय ,ों बौम्भर्द्क सोंपदा अनधकार सोंरक्षर् के नलए तकिीकी और
आनवष्कार ,ों पेटेंट ,ों िनक्रयाओों क बढ़ावा दे िा, नवकास नवत्तीय सहायता तथा िौद्य नर्की के और अनधक नवकास
करिा और उन्हें व्यावसानयक तौर पर उपलि करािा के नलए मूल्यवधगि सेवाएों आनद शानमल हैं।
है। अपिे अम्भस्तत्व के छह दशक ों और अपिे कॉरप रे ट
लक्ष्य ों के अिुपालि के दौराि एिआरिीसी िे भारत में
और नवदे श ों में भी वैज्ञानिक और औद्य नर्क समुदाय ों के
साथ मजबूत सोंबोंध बिाए हैं तथा अिुसोंधाि सोंस्थाओों,
नशक्षा और उद्य र् के नवस्तृत िेटवकग का नवकास नकया है
तथा उिके साथ उिकी िय र्शालाओों में नवकनसत

67 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

एिआरिीसी िे िौद्य नर्की और सेवाओों का नवकनसत 30/12/22 क आजादी का अमृत मह त्स पर राष्ट्रीय
और नवकासशील द ि ों तरह के दे श ों क सफलतापूवगक अिुसोंधाि नवकास निर्म (NRDC) मुख्यालय में
नियागत भी नकया है। एिआरिीसी नवकासशील दे श ों के "इिक्ूबेशि सेंटर" का उद् घाटि नकया
नलए िौद्य नर्की, नविसिीय मशीि ों और सेवाओों के स्र त
के रूप में नवशेष रूप से मान्यता िाप्त है।

उद्दे श्य: एिआरिीसी NRDC का िाथनमक उद्दे श्य


व्यावसायीकरर् क बढ़ावा दे िा और नवकनसत करिा है

एिआरिीसी (NRDC), नवज्ञाि और िौद्य नर्की मोंत्रालय,


भारत सरकार के अोंतर्गत वैज्ञानिक और औद्य नर्क
अिुसोंधाि नवभार् का एक ल क उद्यम है। यह नवनभन्न
राष्ट्रीय अिुसोंधाि एवों नवकास सोंस्थाि ों से निकलिे वाली िॉ. नजतेंद्र नसोंह क यह जािकर खुशी हुई नक
िौद्य नर्नकय ों के नवकास, सोंवधगि और हस्ताोंतरर् में एिआरिीसी िे खुद क राष्ट्रीय स्तर का एकमात्र पीएसयू
कायगरत है। बििे के नलए नफर से उन्मुख नकया है , ज सावगजनिक
नवत्त प नषत अिुसोंधाि सोंस्थाि ों (पीएफआरआई) द्वारा
राष्ट्रीय अिुसोंधाि नवकास निर्म (NRDC) की स्थापिा
नवकनसत िय र्शाला पैमािे की िौद्य नर्नकय ों क उद्य र्
1953 में भारत सरकार द्वारा की र्ई थी।
तक ले जािे के नलए अपिी सेवाएों िदाि कर रहा है।
एिआरिीसी (NRDC) का िाथनमक उद्दे श्य नवनभन्न
िॉ. नजतेंद्र नसोंह एिआरिीसी क नवशेष रूप से अफ्रीकी
राष्ट्रीय अिुसोंधाि एवों नवकास सोंस्थाि ों / नविनवद्यालय ों से
और एनशयाई दे श ों क हब एों ि स्प क मॉिल के माध्यम
निकलिे वाली िौद्य नर्नकय ों / जािकाररय ों / आनवष्कार ों
से िौद्य नर्की हस्ताोंतरर् सेवाएों िदाि करिे का लक्ष्य
/ पेटेंट / िनक्रयाओों क बढ़ावा दे िा, नवकनसत करिा
रखिा िानहए:
और व्यावसायीकरर् करिा है।
िॉ. नजतेंद्र नसोंह ,एिआरिीसी मुख्यालय का दौरा करिे
इनक्यूबेशन सेंट्र का उद् घाट्न
वाले पहले नवज्ञाि और िौद्य नर्की मोंत्री बिे:

िॉ नजतेंद्र नसोंह 1953 में एिआरिीसी की स्थापिा के बाद


से नदल्ली में अनमत रस्त र्ी व िॉ नजतेंद्र नसोंह, केंद्रीय
राज्य मोंत्री (स्वतोंत्र िभार) नवज्ञाि और िौद्य नर्की; राज्य
मोंत्री (स्वतोंत्र िभार), परमार्ु ऊजाग और अोंतररक्ष, िे
स्ट्ाटग अि क बहु-आयामी सहायता िदाि करिे के नलए
राष्ट्रीय अिुसोंधाि नवकास निर्म (NRDC), नदल्ली में
"इिक्ूबेशि सेंटर" का उद् घाटि नकया।

एिआरिीसी के अध्यक्ष और िबोंध निदे शक, कम ि र


(सेवानिवृत्त) अनमत रस्त र्ी और उिकी पूरी टीम िे िॉ.
नजतेंद्र नसोंह का स्वार्त नकया और बताया नक वह नवज्ञाि
केंद्रीय मोंत्री िॉ. नजतेंद्र नसोंह िे स्ट्ाटग -अि क
और िौद्य नर्की के पहले मोंत्री थे, ज 1953 में
बहुआयामी सहायता िदाि करिे के नलए नदल्ली में

68 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

एिआरिीसी की स्थापिा के बाद से नदल्ली में मुख्यालय कम ि र (सेवानिवृत्त) अनमत रस्त र्ी िे मोंत्री के समक्ष
का दौरा कर रहे थे। अपिी िस्तुनत में बताया नक यूिीफ र, एक भारतीय
यूनिकॉिग और द लीिर इि कन्वसेशिल एआई एों ि
िॉ नजतेंद्र नसोंह क यह जािकर खुशी हुई नक 15 अर्स्त,
ऑट मेशि िे 2008 में एिआरिीसी से 30 लाख रुपये
2015 क लाल नकले की िािीर से िधािमोंत्री िरें द्र म दी
का अिुदाि और िौद्य नर्की सहायता िाप्त की। श्री
की 'स्ट्ाटग अप इों निया, स्ट्ैं ि-अप इों निया' की घ षर्ा के
रस्त र्ी िे िॉ. नजतेंद्र नसोंह से वादा नकया नक वह और
बाद, एिआरिीसी िे खुद क राष्ट्रीय स्तर का एकमात्र
उिकी टीम निर्म क िौद्य नर्की हस्ताों तरर् के नलए
पीएसयू बििे के नलए नफर से उन्मुख नकया था। ज दु निया के सवगश्रेि और अग्रर्ी सोंर्ठि बिािे के नलए
सावगजनिक नवत्तप नषत अिुसोंधाि सोंस्थाि ों कड़ी मेहित करे र्ी। एिआरिीसी िे स्ट्ाटग -अि क
(पीएफआरआई) द्वारा नवकनसत िय र्शाला पैमािे की
इिक्ूबेट करिे के नलए सुनवधाओों का निमाग र् नकया है
िौद्य नर्नकय ों क उद्य र् तक ले जािे के नलए अपिी और स्ट्ाटग -अि क फोंनिों र्, सलाह, आईपी सहायता
सेवाएों िदाि कर रहा है।
और अन्य सोंबर्द् सेवाओों के मामले में सहायता िदाि
िॉ. नजतेंद्र नसोंह िे बताया नक निर्म अपिी नवनभन्न करिे के नलए लाभकारी य जिाओों क भी बढ़ावा दे रहा
र्नतनवनधय ों जैसे स्ट्ाटग अि क आईपी फाइनलोंर् सप टग , है। नपछले एक साल में निर्म िे तीि इन्क्ूबेशि सेंटर
एिआरिीसी मुख्यालय, सीएसआईआर-एिएएल और और एक आउटरीि सेंटर स्थानपत नकया है। उत्तर पूवग में
सीएसआईआर-आईएमएमटी में अपिे इिक्ूबेटर ों के स्ट्ाटग -अप क बढ़ावा दे िे के नलए जिवरी 2023 में
माध्यम से स्ट्ाटग -अि के प षर् के नलए इिक्ूबेशि र्ुवाहाटी में एक अन्य आउटरीि केंद्र के उद् घाटि की
सप टग , िौद्य नर्की नवकास जैसी नवनभन्न र्नतनवनधय ों के य जिा है। अब तक आईपी फाइनलोंर्, इन्क्ूबेशि और
माध्यम से स्ट्ाटग -अि क सहायता िदाि कर रहा है। स्ट्ाटग -अप पोंजीकरर् के सोंबोंध में 10,000 स्ट्ाटग -अि क
फोंि, िारों नभक िरर् के स्ट्ाटग -अप के नलए सीि फोंनिों र्, समथगि िाप्त हुआ है। एिआरिीसी िे असैनिक उपय र्
स्ट्ाटग -अप क मान्यता दे िे के नलए िपीट (DPIIT) के साथ के नलए रक्षा और परमार्ु िौद्य नर्नकय ों के क्षेत्र में आर्े
जुड़ाव और अोंत में स्ट्ाटग -अप की सलाह और निर्रािी कदम बढ़ाया है।
के नलए आईओसीएल (IOCL) के साथ जुड़ाव। िॉ नजतेंद्र मेि-इि-इों निया का समथगि करिे के उद्दे श्य से,
नसोंह िे टीम एिआरिीसी से राष्ट्रीय स्तर की सुनवधा NRDC िे भारतीय िौद्य नर्नकय ों के नलए नवि बाजार की
स्थानपत करिे के नलए एक सोंपूर्ग दृनष्ट्क र् अपिािे का ख ज के नलए USPTO, AARDO आनद के साथ नवदे शी
आग्रह नकया, ज दे श के बढ़ते स्ट्ाटग -अप पाररम्भस्थनतकी सहय र् स्थानपत नकया है। इसके अलावा, NRDC R&D
तोंत्र की सभी जरूरत ों के नलए एक-स्ट्ॉप समाधाि िदाि सोंस्थाि और उद्य र् के बीि एक उत्प्रेरक सानबत ह रहा
करे । उन्ह ि ों े कहा, इसमें टीआरएल मूल्याोंकि, आईपी है और नपछले पाोंि वषों में 220 R&D सोंस्थाि और
एक्सिेंज, निजाइि म्भिनिक, मॉिल इन्क्ूबेशि सुनवधा नविनवद्यालय ों के साथ समझौता ज्ञापि पर हस्ताक्षर नकए
आनद जैसी सुनवधाएों ह िी िानहए। एनशयाई दे श ,ों मोंत्री िे हैं। एिआरिीसी िे भी अपिी साख सानबत की है और
कहा, भारतीय िौद्य नर्नकय ों के नलए नवि बाजार ख जिे इसकी नवजार् इकाई क 2021 में "सवगश्रेि िौद्य नर्की"
के नलए, एिआरिीसी क नवशेष रूप से अफ्रीकी और और "इि वेशि सप टग सेंटर" से सम्मानित नकया र्या।
स्प क मॉिल के माध्यम से िौद्य नर्की हस्ताोंतरर् सेवाएों स्ट्ाटग अि क वि स्ट्ॉप शॉप िदाि करिे के नलए राष्ट्रीय
िदाि करिे का लक्ष्य रखिा िानहए। िॉ. नजतेंद्र नसोंह िे िौद्य नर्की हस्ताोंतरर् सोंर्ठि स्थानपत करिे के उद्दे श्य
कहा, िीएसआईआर के तहत पीएसयू के रूप में, से और अोंतराग ष्ट्रीय की स्थापिा के साथ नवपर्ि िभार्,
एिआरिीसी िौद्य नर्की मूल्याोंकि, बुनियादी एिआरिीसी भनवष् में बड़े पैमािे पर वृम्भर्द् के नलए
इों जीनियररों र्, बाजार सवेक्षर् आनद जैसी नवनभन्न तैयार है ।
मूल्यवधगि र्नतनवनधय ों के माध्यम से आईपीआर हानसल
करिे और अिुवाद करिे पर ध्याि केंनद्रत कर रहा है (संकलन: श्री नवीन मत्रपाठी, व्यवस्थापक, वैज्ञामनक)
और भारत क सही मायिे में "आत्मनिभगर" बिािे के
नलए अपिा य र्दाि दे रहा है।

69 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

आईआईट्ी रुडकी : एमशया का पहला इं जीमनयररं ि कॉलेज

प्रकाश कश्यप

सीडीएम, बीएआरसी, मुंबई-85

यह बात हम सभी लाख ों नशक्षर् सोंस्थाि भी मौजूद हैं नजिमें से


भली-भाोंनत जािते हैं नक आईआईटी दे श के काफी सारे सरकार के द्वारा भी िलाये जाते है।
लाख ों छात्र ों का सपिा ह ता है और हर क ई यही सरकार के द्वारा िलाई जािे वाली सबसे उच्च
िाहता है नक वह नकसी ि नकसी आईआईटी में स्तरीय नशक्षर् सोंस्थाि ों में आईआईटी का िाम भी
पड़े पाए नजससे नक वह अपिे कररयर में काफी आता है।
आर्े जा पाए परों तु लाख ों छात्र हर साल आज के समय मे हमारे दे श में दु निया की सबसे
आईआईटी से सोंबोंनधत एों टर ें स एग्जाम में बैठते हैं बड़ी युवा शम्भि अथाग त युवाओों की जिसोंख्या
और कुछ हजार क ही आईआईटी में जािे का निवास करती है त ऐसे में सामान्य सी बात है
मौका नमल पाता है त ऐसे में आईआईटी में नक हमारे दे श में रहिे वाले छात्र ों की सोंख्या भी
जािे के नलए छात्र ों क काफी कोंपटीशि का सबसे अनधक है और वह लाख ों ही िहीों बम्भल्क
सामिा भी करिा पड़ता है।आज के समय में कर ड़ ों में है । अब क् नों क दे श में कर ड़ ों छात्र
दे श में 23 आईआईटी मौजूद है और निवास करते हैं त सामान्य सी बात है नक
उन्हीों में से एक आईआईटी रुड़की भी है ज वतगमाि समय में दे श में मौजूद नशक्षर् सोंस्थाि ों
उत्तराखोंि के रुड़की शहर में म्भस्थत है। एनशया की सोंख्या भी काफी ज्यादा है। अर्र बात की
का पहला इों जीनियररों र् कॉलेज कहीों और िहीों जाए दे श मे मौजूद सबसे उच्च स्तरीय सरकारी
बम्भल्क भारत में ही खुला था. ज नक साल 1847 नशक्षर् सोंस्थाि की, त उिमे सबसे आर्े आिे
में स्थानपत नकया र्या था. कॉलेज की स्थापिा वाले नशक्षर् सोंस्थाि ों में से एक IITs भी है ज
'थॉमसि कॉलेज ऑफ नसनवल इों जीनियररों र्' के कई तरह के ग्रेजुएशि, प स्ट् ग्रेजुएशि और
रूप में हुई थी. इस कॉलेज क आज के समय पीएििी क सग आफर करते है
में नवि िनसर्द् भारतीय िौद्य नर्की सोंस्थाि रुड़की परन्तु मुख्य रूप से इन्हें इों जीनियररों र् क सेज जैसे
यािी आईआईटी रुड़की के रूप में जािा जाता नक BE या BTech आनद के नलए जािा जाता है ।
है. आईआईटी रुड़की(IIT Roorkee) में आज के
आज के समय मे हमारे दे श भारत का िाम समय मे हजर छात्र पढ़ते है और इस यूनिवनसगटी
जिसोंख्या के मामले में सबसे आर्े आिे वाले में कई तरह के क सग पढ़ाए जाते है।
दे श ों में से एक है और अर्र बात की जाए युवा आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) उत्तराखोंि
शम्भि अथाग त युवाओों की जिसोंख्या के रुड़की नजले में म्भस्थत है और वतगमाि समय
की, त उस मामले में त भारत िम्बर एक पर में में यह दे श के सबसे उच्च स्तरीय नशक्षर्
आता हैं। अब क् ों भारत मे सबसे अनधक युवा सोंस्थाि ों में से एक मािा जाता है जहााँ एिनमशि
निवास करते है त सामान्य सी बात है नक भारत लेिा लाख छात्र ों का सपिा ह ता है । इस
मे छात्र ों की सोंख्या भी काफी ज्यादा है। आज के यूनिवनसगटी की कैपेनसटी 8,020 छात्र ों की है और
समय मे हमारे दे श मे कर ड़ की सोंख्या में छात्र यह छात्र कई तरह के अलर् अलर् क सग यहा
निवास करते है और इि कर ड़ छात्र ों क नशक्षा करते है ।
दे िे के नलए वतगमाि समय में दे श में हजार ों

70 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

िाहते हैं त इसके नलए मौजूदा नवकल्प ों में से


आईआईट्ी रुडकी का इमतहास एक बेहतरीि नवकल्प आईआईटी रुड़की भी है ।
नकसी भी िीज की पूरी जािकारी लेिे के नलए
जरूरी ह ता है नक आप उसके इनतहास के बारे बीएससी (BSc) : ऐसे काफी सारे ल र् हैं
में भी जािते ह िाहे वह क ई सरकारी नजिके मि में यह धारर्ा बिी हुई है नक
यूनिवनसगटी ही क् ों िा ह , ऐसे में आईआईटी में केवल इों जीनियररों र् क सेज ही ह ते
आईआईटी रुड़की का इनतहास हैं लेनकि ऐसा नबल्कुल िहीों है क् नों क आईआईटी
इसकी स्थापिा 1857 में र्ोंर्ा किाल पर काम कई अन्य क सग भी ऑफर करती है और उन्हीों
करिे के नलए इों जीनियसग तैयार करिे हेतु James में से एक बैिलर ऑफ साइों स का क सग भी है ।
Thomson िे की थी। इसके बाद 1897 में अर्र आप बैिलर ऑफ साइों स का क सग करिा
इसमें नवद् युत अनभयन्त्रर् नवभार् (Electrical िाहते हैं त कुछ के नलए आईआईटी रुड़की एक
EngineeringDepartment) ज ड़ा र्या और बेहतर नवकल्प है।
1969–70 में इसमें आनकगटे क्चर भी ज ड़ नदया एम.ई./एम.टे क(M.E./M.Tech): आईआईटी
र्या। के द्वारा ि केवल अोंिर ग्रेजुएशि क सग बम्भल्क
उसके बाद साल 1964 में भारतीय सरकार के प स्ट् ग्रेजुएशि क सग भी करवाए जाते हैं ज
द्वारा शुरू नकया र्या इों म्भस्ट्ट्यूट ऑफ पेपर काफी सारे छात्र के सभी क्षेत्र की अनधक
टे क्न लॉजी इों निया क 1978 में रुड़की जािकारी िाप्त करिे के नलए करते हैं त ऐसे में
अर्र आप इों जीनियररों र् के मास्ट्र क सग अथागत
यूनिवनसगटी में ज ड़ नदया र्या।
मास्ट्र ऑफ इों जीनियररों र् और मास्ट्र ऑफ
इसके बाद भारतीय सरकार के द्वारा 21 नसतोंबर
टे क्नॉलॉजी करिा िाहते हैं त इसके नलए
साल 2001 क एक ऑनिग िेंस जारी नकया र्या
आईआईटी रुड़की एक बेहतरीि नवकल्प है।
नजसके अोंतर्तग इस यूनिवनसगटी क भारत की
सातवा इों नियि इों स्ट्ीट्यूट ऑफ टे क्न लॉजी बिजे एमएससी (MSc) : अर्र आप साइों स के क्षेत्र
नदया र्या अथागत र्विगमेंट के द्वारा जारी नकए
में मास्ट्र क सग करिा िाहते ह त इसके नलए
र्ए ऑनिग िेंस के बाद यूनिवनसगटी ऑफ रुड़की
मौजूदा नवकल्प ों में से एक बेहतरीि नवकल्प
आईआईटी रुड़की बि र्या और यह भारत का
मास्ट्र क िाइम का क सग है ज काफी सारे
सातवाों आईआईटी था। अर्र इसके फॉमगर िेम्स
छात्र ों के द्वारा बैिलर ऑफ साइों स का क सग
के बारे में बात की जाए त वह College of
करिे के बाद नकया जाता है त कैसे िा अर्र
Civil Engineering at Roorkee,
Thomason College of Civil आप मास्ट्र ऑफ साइों स का क सग करिा िाहते
Engineering और University of ह त इसके नलए मौजूदा नवकल्प ों में से एक
बेहतरीि नवकल्प आईआईटी रुड़की भी है।
Roorkee रहे है। आज भी यह दे श के सवोच्च
नशक्षर् सोंस्थाि ों में से एक है।

आईआईट्ी रुडकी के द्वारा ऑफ़र मकये जाने


वाले कोसेज कोसव:
B.E. / B.Tech : बैिलर ऑफ इों जीनियररों र्
और बैिलर ऑफ टे क्न लॉजी आज के समय में
दे श में सबसे अनधक नकए जािे वाले इों जीनियररों र् बताए र्ए क सग त आईआईटी रुड़की में
क सेज में से एक है नजिमें काफी सारे छात्र भार् करवाएर्ी जाते हैं परों तु इिके अलावा भी काफी
लेते हैं। अर्र आप बैिलर ऑफ इों जीनियररों र् या सारे क सग आईआईटी रुड़की के द्वारा ऑफर नकए
नफर बैटल ऑफ टे क्न लॉजी का क सग करिा जाते हैं नजिमें MBA और B.Des, M.Des जैसे
काफी सारी फ सेज शानमल है त ऐसे में आप

71 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

अर्र यह क सेज करिा िाहते हैं त उिके नलए नलए छात्र ों क काफी कोंपटीशि भी फेस करिा
भी आईआईटी रुड़की एक बेहतर नवकल्प सानबत पड़ता है त अर्र आप आईआईटी रुड़की की
ह र्ा। एिनमशि ि सेस के बारे में जाििा िाहते हैं त
नकसी भी यूनिवनसगटी की पूरी जािकारी लेिे के बता दे नक आईआईटी रुड़की में जािे के
नलए यह जरूरी ह ता है नक आप उस यूनिवनसगटी नलएआपक अपिे क र से सोंबोंनधत एों टर ें स एग्जाम
की फीस के बारे में भी जाि ले त ऐसे में दे कर उसमें अच्छा स्क र करिा पड़ता है।
अर्र आप आईआईटी रुड़की के बारे में जाििे
में रुनि रखते ह त आपक इसकी फीस के
बारे में भी पता ह िा िानहए यािी नक आपक
पता ह िा िानहए नक आईआईटी रुड़की में आप
की नकतिी फीस लर्िे वाली है। ऐसे में अर्र
आप आईआईटी रुड़की की फीस स्ट्र क्चर के बारे
में िहीों जािते और यह जाििा िाहते हैं नक
आईआईटी रुड़की में नकतिी फीस लर्ती है त
जािकारी के नलए बता दें नक आई िी रुड़की में
काफी सारे क सेज करवाए जाते हैं और उि सभी
की फीस अलर् अलर् ह सकती है। आईआईटी
रुड़की की फीस अलर् अलर् क सेजके अिुसार
21,500 रुपये िनतवषग से लेकर 4.16 लाख
रुपये िनतवषग भी है ।
एिनमशि: उत्तराखोंि के रुड़की शहर में म्भस्थत
आईआईटी रुड़की वतगमाि समय में दे श में मौजूद
23 आईआईटी इसमें से सबसे आर्े आिे वाले
आईआईटी की नलस्ट् में शानमल ह ता है और यह
आज के समय में ि केवल भारत में बम्भल्क पूरी
दु निया में सबसे उच्च स्तरीय नशक्षर् सोंस्थाि ों में से
एक मािा जाता है जहाों से इों जीनियररों र् आनद
क सेज करिे के बाद छात्रा अपिे कररयर में
काफी आर्े बढ़ते हैं। आईआईटी रुड़की में जाकर
पढ़ाई करिा काफी सारे छात्र ों का सपिा है और
यही कारर् है नक आईआईटी रुड़की में जािे के

72 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

इसरो ने अंतररक्ष में क्ास्टि ला दी


सत्य प्रभात प्रभाकर
समचव, महंदी मवज्ञान सामहत्य पररषद, मुंबई-94

आज़ादी के बाद से अब तक भारत िे अोंतररक्ष का सफर स्थापिा की। इसी कड़ी में भारत सरकार िे जूि 1972 में
शािदार तरीके से तय नकया है । साइनकल व बैलर्ाड़ी से अोंतररक्ष आय र् का र्ठि नकया और अोंतररक्ष नवभार्
शुरू हुई हमारी अोंतररक्ष यात्रा मोंर्ल और िााँ द तक पहुाँ ि (DOS) की स्थापिा की। नसतोंबर 1972 में इसर क
र्ई है। आज भारत मािव क अोंतररक्ष में भेजिे की अोंतररक्ष नवभार् के अोंतर्गत कर नदया र्या।
तैयारी कर रहा है । लेनकि यह यात्रा इतिी आसाि िहीों
भारत में आधुनिक अोंतररक्ष कायगक्रम के जिक कहे जािे
थी। साल 1947 में जब दे श आज़ाद हुआ, तब म्भस्थनत
वाले साराभाई का माििा था नक अोंतररक्ष के सोंसाधि ों से
इतिी करुर् थी नक हमारे पास खािे के नलये पयागप्त
मिुष् व समाज की वास्तनवक समस्ाओों का समाधाि
अिाज भी िहीों था, अोंतररक्ष की कल्पिा करिा त बहुत
नकया जा सकता है। उन्ह ि ों े भारतीय अोंतररक्ष कायग क्रम
दू र की बात थी। लेनकि हम साहस के साथ सभी
का िेतृत्‍व करिे के नलये दे श के सक्षम व उत्‍कृष्‍ट
िुिौनतय ों क स्वीकार कर आर्े बढ़ते रहे । अोंतत: साल
वैज्ञानिक ,ों मािवनवज्ञानिय ,ों समाजनवज्ञानिय ों और
1962 में वह घड़ी आई जब भारत िे अोंतररक्ष का सफर
नविारक ों के एक दल का र्ठि नकया था।
करिे का फैसला नकया और दे श के पहले िधािमोंत्री
पोंनित जवाहर लाल िेहरू िे भारतीय राष्ट्रीय अोंतररक्ष आयवभट्ट' से 'चंद्रयान' तक की मवकास यात्रा
अिुसोंधाि सनमनत (INCOSPAR) की स्थापिा की। साल
शुरुआती नदि ों से ही इसर िे अपिी य जिाओों पर अच्छी
1969 में इस इन्‍क स्‍पार िे 'भारतीय अोंतररक्ष अिुसोंधाि तरह से काम नकया। इसर िे अपिी सूिी में सोंिार तथा
सोंर्ठि' (ISRO) का रूप धारर् कर नलया। वतगमाि में सुदूर सोंवेदि के नलये उपग्रह, अोंतररक्ष पररवहि िर्ाली
इसर दु निया की 6 सबसे बड़ी अोंतररक्ष एजेंनसय ों में से तथा अिुिय र् कायगक्रम जैसे क्षेत्र ों क शानमल नकया।
एक है। त िनलये जािते हैं नक आम्भखर इसर िे दु निया इतिा ही िहीों, इस बात क नसर्द् करिे के नलये नक
के बीि अपिी पहिाि कैसे बिाई और उसके रास्ते में 'राष्‍टरीय नवकास में उपग्रह िर्ाली सहायक है' इसर िे
कौि-कौि सी अड़ििे आईों? यह अिुमनत दी नक नवकास की पहल में अपिे स्‍वयों के
उपग्रह ों की ितीक्षा करिे की आवश्यकता िहीों है ; नवदे शी
जब भारत में अोंतररक्ष अिुसोंधाि र्नतनवनधय ों की शुरुआत
उपग्रह ों का िय र् करें । इसके बाद इसर िे अपिे नमशि
हुई उस समय अमेररका और रूस में उपग्रह ों का परीक्षर्
पर तेजी से काम करिा शुरू नकया और कभी भी पीछे
शुरू ह िुका था। साल 1962 में भारत सरकार िे
मुड़कर िहीों दे खा। इसर की कुछ िमुख उपलम्भियााँ इस
अोंतररक्ष अिुसोंधाि के नलये भारतीय राष्ट्रीय सनमनत
िकार हैं -
(INCOSPAR) का र्ठि कर अोंतररक्ष के रास्ते पर अपिा
पहला कदम रखा और साल 1963 में थुोंबा से पहले ➢ 19 अिैल 1975 क भारत िे अपिा पहला
साउों निों र् रॉकेट के साथ भारत के औपिाररक अोंतररक्ष उपग्रह 'आयगभट्ट' रूस के िक्षेपर् केंद्र से
कायगक्रम की शुरुआत हुई। बाद में, िॉक्टर नवक्रम सफलतापूवगक िक्षेनपत कर अोंतररक्ष की दु निया
साराभाई िे उन्नत िौद्य नर्की के नवकास के नलये 5 में अपिा िाम दजग कराया। हालाोंनक यह एक
अर्स्त 1969 क इन्क स्पार के स्थाि पर इसर की िाय नर्क उपग्रह था लेनकि इसी उपग्रह िे भारत

73 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

के सुिहरे भनवष् के नलये िीोंव तैयार की िक्षेपर् क्षमता में वृम्भर्द् हुई। इसके ज़ररये अब
थी। तक 50 से अनधक सफल नमशि िक्षेनपत नकये
जा िुके हैं।
➢ आयगभट्ट उपग्रह का निमाग र् इसर के नलये बड़ी
िुिौती थी क् नों क उस समय ि त भारतीय ➢ 22 अक्टू बर 2008 क इसर द्वारा 1380
वैज्ञानिक ों के पास आधारभूत सुनवधाएाँ थीों और ि नकल ग्राम का िोंद्रयाि-1 भेजा र्या ज 14 िवोंबर
2008 क िोंद्रमा की सतह पर पहुाँिा। िााँद पर
ही पयाग प्त सोंसाधि। लेनकि भारतीय वैज्ञानिक ों के
नतरों र्ा लहराते ही भारत िोंद्रमा पर अपिा झोंिा
ज़ज्बे के आर्े ये समस्ाएाँ छ टी ह र्ईों और
लर्ािे वाला िौथा दे श बि र्या। िोंद्रयाि-1 िे ही
इसर के तत्कालीि अध्यक्ष ि फेसर सतीश धवि
िााँद पर पािी की ख ज की थी।
के मार्गदशगि में युवा टीम िे आयगभट्ट का निमागर्
नकया। बड़ी बात यह थी नक उपग्रह के निमागर् में
जुटी युवा टीम िे पहले कभी भी अोंतररक्ष
हािग वेयर िहीों बिाया था। यह एक छ टा उपग्रह
था; इसका वजि मात्र 360 नकल था लेनकि इसे
बिािे में 3 साल का समय लर् र्या। इस उपग्रह
क बिािे से लॉन्च करिे तक में 3 कर ड़ रुपये
से अनधक का खिाग आया था।
➢ साल 2014 में इसर िे मोंर्लयाि क मोंर्ल की
➢ इसर िे 18 जुलाई 1980 क एसएलवी-3 का धरती पर उतारकर कीनतगमाि स्थानपत नकया।
सफल परीक्षर् कर भारत का िाम उि दे श ों में ऐसा करिे वाला भारत िौथा दे श बिा। इसर के
शानमल कर नदया ज अपिे उपग्रह ों क खुद इस नमशि में महज़ 450 कर ड़ रूपए खिग हुए
िक्षेनपत कर सकते थे। इसके ज़ररये र नहर्ी थे। खास बात यह है नक भारत एकमात्र ऐसा दे श
उपग्रह आरएस-1 क कक्षा में स्थानपत नकया था नजसे पहली बार में ही मोंर्लयाि क मोंर्ल पर
र्या था। भेजिे में सफलता नमल र्ई थी।

➢ 15 फरवरी 2017 क इसर िे पीएसएलवी-सी


37 द्वारा एक साथ 104 उपग्रह ों क अोंतररक्ष की
➢ साल 1983 में इिसैट-1बी क िक्षेनपत नकया कक्षा में स्थानपत कर नवि ररकॉिग कायम नकया।
र्या। इसिे भारत के दू र सोंिार, दू रदशगि िसारर्
➢ 5 जूि 2017 क इसर िे दे श का सबसे भारी
और मौसम पूवाग िुमाि के क्षेत्र में क्राोंनत लािे का
रॉकेट GSLV MK 3 लॉन्च नकया। यह अपिे साथ
काम नकया।
3,136 नकग्रा का उपग्रह जीसैट-19 लेकर र्या
➢ इसर िे साल 1994 में ध्रुवीय उपग्रह िक्षेपर् था। इससे पहले 2,300 नकग्रा से भारी उपग्रह ों के
याि (पीएसएलवी) के सफल िक्षेपर् से स्वदे शी

74 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

िक्षेपर् के नलये दे श क नवदे शी िक्षेपक ों पर • इसर सूयग का अध्ययि करिे वाले पहले भारतीय
निभगर रहिा पड़ता था। नमशि आनदत्य-एल 1 क िक्षेनपत करिे की
➢ 11 अिैल 2018 क इसर िे िेवीर्ेशि उपग्रह य जिा पर काम कर रहा है । आनदत्य-एल 1 सूयग
IRNSS लॉन्च नकया। यह स्वदे शी तकिीक से का िज़दीक से निरीक्षर् कर नवनभन्न जािकाररयााँ
निनमगत था। इसके साथ ही भारत के पास अब जुटािे का ियास करे र्ा।
अमेररका के जीपीएस नसस्ट्म की तरह अपिा
• साल 2030 तक भारत द्वारा अोंतररक्ष में अपिा
िेवीर्ेशि नसस्ट्म है।
अोंतररक्ष स्ट्े शि स्थानपत करिे की भी य जिा है।
➢ 27 मािग 2019 क इसर िे एक और बड़ी
• इसके साथ ही, साल 2022 में पहले मािव नमशि
उपलम्भि हानसल की। इस नदि एों टी सैटेलाइट
(A-SAT) से एक लाइव भारतीय सैटेलाइट क ‘र्र्ियाि’ क भेजिे की तैयारी ज र ों पर है ।
िष्ट् करिे में सफलता नमली। अोंतररक्ष में र्र्ियाि इसर के सबसे बड़े रॉकेट जीएसएलवी
सैटेलाइट क मार नर्रािे वाला भारत िौथा दे श माकग-III के ज़ररये लॉन्च नकया जाएर्ा।
बि र्या है।
• िोंद्रयाि-2 से नमली सीख और राष्ट्रीय स्तर के
➢ 1 अिैल 2019 क इसर िे इलेक्टरॉनिक नवशेषज्ञ ों द्वारा नदए र्ए सुझाव ों के आधार पर
इों टेलीजेंस उपग्रह समेत 29 उपग्रह ों क एक साथ िोंद्रयाि-3 पर भी काम जारी है ।
िक्षेनपत नकया। इिमें 28 नवदे शी उपग्रह शानमल
थे। पहली बार इसर िे एक ही मशीि से तीि आए नदि अपिे ही बिाए ररकॉिग क त ड़ता इसर
अलर्-अलर् कक्षाओों में उपग्रह ों क स्थानपत अोंतररक्ष में हर र ज़ िई इबारत नलखता जा रहा है। आज
नकया है। भारत अपिे ही िहीों बम्भल्क बड़ी सोंख्या में दू सरे दे श ों के
➢ 22 जुलाई 2019 क भारत िे दू सरे िोंद्रनमशि उपग्रह ों का िक्षेपर् भी कर रहा है। जािकर हैरािी ह र्ी
नक साल 1999 से अब तब इसर िे अपिी वानर्म्भज्यक
िोंद्रयाि-2 क रवािा नकया। इसे ‘बाहुबली’ िाम
शाखा के ज़ररये ध्रुवीय उपग्रह िक्षेपर् याि (PSLV) द्वारा
के सबसे ताकतवर और नवशाल राकेट
34 दे श ों के 345 नवदे शी उपग्रह ों का सफलतापूवगक
जीएसएलवी-माकग ।।। के ज़ररये िक्षेनपत नकया
र्या। हालाोंनक यह नमशि असफल रहा लेनकि िक्षेपर् नकया है । वतगमाि में 18000 से अनधक कायगबल
दे श िे इसे एक उपलम्भि के तौर पर दे खा। के साथ इसर अोंतररक्ष और िौद्य नर्की के क्षेत्र में नित िए
कीनतगमाि र्ढ़ रहा है ।
इसर के समक्ष िुिौनतयााँ
➢ अोंतररक्ष यानत्रय ों क िनशनक्षत करिे और मािव
अोंतररक्ष उड़ाि के नलये लॉन्च व्हीकल की उन्नत
तकिीक की कमी।

➢ श्रीहररक टा म्भस्थत सतीश धवि अोंतररक्ष केंद्र में


तकिीकी दक्षता का अभाव।

➢ निजी क्षेत्र की सीनमत भूनमका ।


इसर के भावी नमशि

वतगमाि में इसर नजि बड़े नमशि पर काम कर रहा है , व


इस िकार हैं-

75 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

स्वायत्त एस एं ड ट्ी संस्थान(भारत सरकार के मवज्ञान और प्रौद्योमिकी मवभाि के


तहत स्थापना)
सोंजय र् स्वामी, एिआरबी, मुोंबई

भारत सरकार के मवज्ञान और प्रौद्योमिकी मवभाि के


आयगभट्ट िेक्षर् नवज्ञाि अिुसोंधाि सोंस्थाि, िैिीताल
तहत स्थामपत शोध संस्थानों के वैज्ञामनक कायों को नीचे
आयगभट्ट िेक्षर् नवज्ञाि श ध सोंस्थाि (एरीज), मि रापीक,
विीकृत मकया िया है मजसका उद्दे श्य लोिों, समुदायों,
िैिीताल एक खर् लीय वेधशाला का र्ठि “उत्तर िदे श
संस्थानों और सरकारों के बीच प्रौद्योमिकी के लाभों तक राजकीय वेधशाला” के िाम से उत्तर िदे श सरकार द्वारा 20
पहं चना और उनका मवस्तार करना है । अिैल 1954 ई0 क वारार्सी में नकया र्या, तद पराों त 1955
ई0 में िैिीताल एवों 1961 में अपिे वतगमाि स्थाि मि रापीक
आर्रकर श ध सोंस्थाि, पुर्े में ले जाया र्या । सि् 2000 ई0 में उत्तराखण्ड राज्य के
एम ए सी एस की स्थापिा 1946 में हुई। इसे स सायटी र्ठि के बाद यह “राजकीय वेधशाला” के रूप में जािा जािे
पोंजीकरर् अनधनियम 1850 के तहत पोंजीकृत नकया लर्ा । तत्पिात 22 मािग 2004 यह भारत सरकार के अधीि
र्या। इसकी अिुसोंधाि सोंस्थाि क एम ए सी एस एक स्वायतशासी सोंस्थाि का रूप नदया र्या ।एरीज की दू री
िैिीताल से सिक मार्ग से 9 नकल मीटर है । लेनकि यनद
अिुसोंधाि सोंस्था के िाम से जािा जाता था। 1992 में
क ई पैदल जािा िाहे त यह दू री लर्भर् 4 नकल मीटर तथा
सोंस्थाि का िाम सोंस्थापक निदे शक िा. शोंकर पुरुष त्तम
हिुमािर्ढी से लर्भर् 1 नकल मीटर है । यहॉ पर माह में
आघारकर की स्मृनत में आघारकर अिुसोंधाि सोंस्थाि कुछ नदि क रानत्र में नवनभन्न ग्रह ों एवों नसतार ों क नदखािे की
रखा र्या। आर्रकर अिुसोंधाि सोंस्थाि (एआरआई) व्यवस्था भी है , परों तु इसके नलए पूवाग िुमनत आवश्यक है ।
भारत सरकार के नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की नवभार्
(िीएसटी) की एक स्वायत्त सोंस्था है।
आर्रकर अिुसोंधाि सोंस्थाि में जैवनवनवधता और
पुराजीवनवज्ञाि, जैवऊजाग, जैवपूवेक्षर्, भ्रुर्वृदधी
जीवनवज्ञाि, आिुवोंनशकी और पादप िजिि, और
िैि जैवनवज्ञाि के तहत अिुसोंधाि कायग जारी है। सोंस्थाि
में आधुनिक सुनवधाएाँ , सुसम्भित िय र्शालाएाँ , र्ेस्ट्
हाउस और छात्रावास है। स्नातक त्तर अिुसोंधाि (एम
एस्सी, पी एि िी) के नलए सोंस्थाि क सानवत्रीबाई फुले
पुर्े नविनवद्यालय की मान्यता है।
िीएसटी,सीएसआईआर, आईसीएआर, आईसीएमआर, आयगभट्ट िेक्षर् नवज्ञाि अिुसोंधाि सोंस्थाि, िैिीताल
िीबीटी, आनद द्वारा नवत्त प नषत अिुसोंधाि य जिाएाँ बीरबल साहनी पुरावनस्पमत मवज्ञान संस्थान, लखनऊ
िलाई जाती हैं। भारत और नवदे श ों के सावगजनिक और
निजी उपक्रम ों से एआरआई परामशग सेवा, िाय नजत
अिुसोंधाि पररय जिाएाँ और िौद्य नर्की हस्ताों तरर् के
कायगक्रम ों करती है।

बीरबल साहिी पुराविस्पनतनवज्ञाि सोंस्थाि, इसके


सोंस्थापक आधुनिक भारत के महाि सपूत ों में से एक

76 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

श्रर्द्े य ि . साहिी की स्मृनत क ताज़ा रखता है। और सोंग्रहालय का एक नवशेष आकषगर् है, नजसमें
पुरावािस्पनतक अिुसोंधाि ों क समम्भन्वत करिे और भूवैज्ञानिक समय क 24 घोंट ों के भीतर अिुबोंनधत नकया
ररप टों क िकानशत करिे क सोंय जक के रूप में जाता है। घड़ी पृथ्वी पर जीवि के नवकास का सोंिार
ि फ्ाे सर साहिी के साथ भारत में कायगरत करती है क् नों क नदि मध्य रानत्र से आर्े बढ़ता है, और
पुराविस्पनतनवद ों की सनमनत नसतोंबर 1939 में र्नठत 24 घोंटे की निधागररत समय-सीमा के भीतर मिुष् के
की र्ई थी। ‘‘भारत में पुराविस्पनतनवज्ञाि’’ नवषयी आर्मि तक नवकास की क्रनमक घटिाओों क दशाग ता
पहली ररप टग 1940 में तथा आम्भखरी ररप टग 1953 में है। 10 नसतोंबर 1946 क सोंकल्प से नलए र्ए निर्गय से
िकानशत हुई। लखिऊ में उस समय कायगरत सनमनत स साइटी के शासी मोंिल िे ‘पुराविस्पनतनवज्ञाि सोंस्थाि
के आठ सदस् ों (के.एि. कौल, आर.एि. लखिपाल, बी. की स्थापिा’ की तथा अवैतनिक हैनसयत से ि फेसर
साहिी, एस.िी. सक्सेिा, आर.वी. नसठ ले, के.आर. साहिी क इसका िथम निदे शक नियुि नकया र्या।
सुरोंर्े, बी.एस. नत्रवेदी एवों वेंकटिरी) िे 19 मई 1946 स्थायी जर्ह के लोंनबत अनधग्रहर् से विस्पनतनवज्ञाि
क ‘पैनलय बाटिीकल स साइटी’ क र्नठत करिे क नवभार्, लखिऊ नविनवद्यालय, लखिऊ में सोंस्थाि का
सोंघ के ज्ञापि पर हस्ताक्षर नकए। पुराविस्पनतनवज्ञाि में कायग नकया र्या। नसतोंबर 1948 में उस समय सोंयुि
मूल अिुसोंधाि के सोंवधगि क ि . बीरबल साहिी एवों िदे श की सरकार से 3.50 एकड़ जमीि पर नवशाल
श्रीमती सानवत्री साहिी द्वारा समनपगत सोंदभग पुस्तकालय बोंर्ला सनन्ननहत सोंपदा क समृर्द् उपहार के रूप में
और जीवाश्म सोंग्रहर्, निजी निनधय ों और अिल सोंपनत्त िाप्त सोंस्थाि इसके मौजूदा पररसर में स्थािाोंतररत ह
क केंद्र सनहत स साइटी पोंजीकरर् अनधनियम (1860 र्या। सोंस्थाि के नलए इमारत बिवािे हेतु जल्दी ही
का 21वाों) के तहत उस िाम से 03 जूि क न्यास का य जिाएों बिायी र्ईों। सोंस्थाि नवज्ञाि और िौद्य नर्की
र्ठि नकया र्या।भारत और नवदे श से ि फेसर साहिी नवभार्, भारत सरकार स्वायत्त श ध सोंर्ठि के रूप में
द्वारा बिाए र्ए जीवाश्म पौध ों का सोंग्रह, नजन्हें उपहार कायग करता है ।
या बदले में उिके द्वारा िाप्त नकया र्या था, िे सोंस्थाि बोस संस्थान, कोलकाता
के सोंग्रहालय की शुरुआत की। सोंग्रहालय के भोंिार क
दे श भर में अपिे फील्डवकग के दौराि सोंस्थाि के
वैज्ञानिक ों द्वारा नकए र्ए सोंग्रह के माध्यम से समृर्द्
नकया र्या है, और नवदे श ों से सामग्री के आदाि-िदाि
में रसीद द्वारा भी। ह ल टाइप के िमूिे, स्लाइि और
लर्ा हुआ िमूिा व्यवम्भस्थत रूप से सोंग्रहालय द्वारा
सोंग्रहीत नकया जाता है ज अिुसोंधाि कायगकतागओों क
जाों ि के नलए आसािी से उपलि है।जीवाश्म िमूिे भी
नविनवद्यालय और कॉलेज के विस्पनत नवज्ञाि और
भूनवज्ञाि के नलए नशक्षर् और िदशगि िय जि ों के नलए
स्वतोंत्र रूप से उपहार में नदए र्ए हैं, । िकार और
अिुमानित िमूि ों की वतगमाि म्भस्थनत निम्नािुसार है ।
सोंग्रहालय क नवशाल हॉल में रखा र्या है नजसमें एक सर जर्दीश िोंद्र ब स िे नवज्ञाि की उन्ननत और ज्ञाि के
सामान्यीकृत और भूवैज्ञानिक दृनष्ट्क र् से, पैनलय ब टिी िसार के इरादे से 1917 में दे श की अग्रर्ी सोंस्था ब स
के नवनभन्न पहलुओों क निनत्रत करिे के नलए िदशगि ों इों स्ट्ीट्यूट की स्थापिा की। एनशया का पहला आधुनिक
की व्यवस्था और िदशगि नकया जाता है । सोंग्रहालय में, अिुसोंधाि केंद्र ज अोंतः नवषय अिुसोंधाि के नलए
ि फेसर बीरबल साहिी द्वारा खुद क सोंस्थाि का समनपगत है और अिुसोंधाि उत्कृष्ट्ता की एक शताब्दी
फाउों िेशि स्ट् ि, अपिे आप में अिूठा है। इसमें नवनभन्न पुरािी परों परा क धारर् करता है। स्थापिा के बाद से,
भूवैज्ञानिक युर् ों के जीवाश्म शानमल हैं और कई दे श ों सोंस्थाि का कई नदग्गज ों िे दौरा नकया है, जैसे नक
से एकत्र नकए र्ए हैं, ज सोंर्मरमर के नग्रट-सीमेंट एल्डस हक्सले (1926) जैसे लेखक और यूएसएसआर
ब्लॉक में एम्बेिेि हैं। नजय लॉनजकल टाइम िॉक ’एक के राष्ट्रपनत िेझिेव (1959) जैसे नवदे शी राज्य ों के

77 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

िमुख। दशक ों से, कई दे श ों के ि बेल पुरस्कार नवजेता (िीएसटी), भारत सरकार का एक स्वायत्त सोंस्थाि है ,
जैसे िील्स ब ह्र, पॉल क्रुटज़ेि, ररििग अर्न्स्ग , सर एों थ िी ज 1968 में अम्भस्तत्व में आया था। यह राजसी नहमालय
लेर्ेट, हेराल्ड ज़ूर हॉसेि, सर ररििग रॉबट्ग स आनद िे की उत्पनत्त क जाििे और भूकोंपजिि, भू-र्नतकी
सोंस्थाि का दौरा नकया है। सोंस्थाि नवज्ञाि और िनक्रयाओों, जलवायु-टे क्ट निक पर बेहतर समझ िदाि
िौद्य नर्की में ज्ञाि की उन्ननत और दे श के नवकास के करिे के नलए बुनियादी श ध कर रहा है। जीवि की
नलए आवश्यक कुशल और कुशल वैज्ञानिक जिशम्भि अोंतः नक्रया, नवकास और नवलुम्भप्त, अयस्क निमागर्,
का उत्पादि करके नपछले 75 वषों से राष्ट्र की सेवा में िेनशय लॉजी, िदी िर्ाली, िाकृनतक खतरे (भूस्खलि,
है। सोंस्थाि छह नवभार् ों (भौनतकी, रसायि नवज्ञाि, बाढ़ और भूकोंप), जिसोंख्या की भलाई और नहमालय में
विस्पनत नवज्ञाि, माइक्र बाय लॉजी, बाय कैनमस्ट्र ी और सोंपनत्तय ों और सोंरििाओों की सुरक्षा के नलए
बाय नफनज़क्स), द अिुभार् ों (लाोंट मॉनलक्ूलर मािवजनित िभाव आनद।
सेल्युलर जेिेनटक्स और एनिमल नफनजय लॉजी) और सेंट्र फॉर नैनो एं ड सॉफ्ट मैट्र साइं सेज, बैंिलोर
आरएसआईसी, िीआईसी, लाइिेरी, वकगशॉप आनद
जैसे अन्य सेवा केंद्र ों के माध्यम से इस आवश्यकता क
पूरा करता है। नपछली शताब्दी में, सोंस्थाि िे अपिे
िनतनित सोंस्थापक की नवरासत क सोंरनक्षत करिे के
नलए अोंतहीि ियास नकया है। सोंस्थाि के वैज्ञानिक ों िे
एसएस भटिार्र पुरस्कार, द वल्डग एकेिमी ऑफ
साइों सेज (टीिब्ल्यूएएस) की फेल नशप के साथ-साथ
भारत में सभी राष्ट्रीय नवज्ञाि अकादनमय ों की फेल नशप
के रूप में कई पुरस्कार जीते हैं। इसके अलावा, उिमें
से कई क आईएिएसए युवा वैज्ञानिक पुरस्कार,
रॉकफेलर फाउों िेशि फेल नशप, िेहरू फेल नशप,
केएस कृष्णि फेल नशप, ह मी भाभा फेल नशप आनद से िैि और सॉफ्ट मैटर साइों सेज केंद्र (सीईएिएस) भारत
सम्मानित नकया र्या है । सोंस्थाि के सदस् नवज्ञाि क सरकार के नवज्ञाि और िौद्य नर्की नवभार् (िीएसटी) के
ल कनिय बिािे में भी अग्रर्ी रहे हैं और उन्ह ि ों े बोंर्ाली तहत एक स्वायत्त अिुसोंधाि सोंस्थाि है। िीएसटी िैि
में सवोच्च सानहम्भत्यक पुरस्कार जीते हैं। , अथागत् रवीन्द्र और सॉफ्ट मैटर नवज्ञाि में बुनियादी और व्यावहाररक
पुरस्कार और आिोंद पुरस्कार। बड़ी सोंख्या में सोंस्थाि अिुसोंधाि करिे के नलए अिुदाि सहायता के रूप में
के पूवग छात्र अपिे क्षेत्र में िनतनित नवशेषज्ञ हैं । केंद्र क मुख्य सहायता िदाि करता है।
अिुसोंधाि क्षेत्र: भौनतक नवज्ञाि, रासायनिक नवज्ञाि, सीईएिएस अपिे िए पररसर, 'अकगवथी', नशविपुरा,
जीवि नवज्ञाि और जैव िौद्य नर्की, पृथ्वी, वायुमोंिल बेंर्लुरु उत्तर में म्भस्थत है, नजसमें पयागप्त हररयाली है
और पयागवरर् नवज्ञाि, कृनष नवज्ञाि है। और इसमें एक सुोंदर शाोंत स्थाि है ज िए नविार ों क
िेररत करे र्ा और सोंभवतः पथ-िदशगक वैज्ञानिक
वामडया इं िीट्यूट् ऑफ महमालयन मजयोलॉजी,
उपलम्भिय ों क जन्म दे र्ा।केंद्र सभी िासोंनर्क लोंबाई
दे हरादू न
पैमाि ों पर सामग्री अिुसोंधाि में लर्ा हुआ है। नवशेष
रूप से, वतगमाि र्नतनवनधयााँ नवनभन्न िकार के धातु और
अधगिालक िैि स्ट्र क्चर, तरल नक्रस्ट्ल, जैल, नझल्ली
और सोंकर सामग्री पर केंनद्रत हैं। इसका भारत और
नवदे श में कई सोंस्थाि ों और उद्य र् के साथ घनिि सोंपकग
है।केंद्र की स्थापिा 1991 में एक िख्यात नलम्भक्ि
नक्रस्ट्ल वैज्ञानिक, ि . एस. िन्द्रशेखर, एफआरएस द्वारा
वानिया इों स्ट्ीट्यूट ऑफ नहमालयि नजय लॉजी की र्ई थी। तब इसे सेंटर फॉर नलम्भक्ि नक्रस्ट्ल ररसिग
(WIHG), दे हरादू ि। यह नवज्ञाि और िौद्य नर्की नवभार् के िाम से जािा जाता था, ज किागटक में एक पोंजीकृत

78 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

वैज्ञानिक स सायटी थी, नजसका उद्दे श्य नलम्भक्ि नक्रस्ट्ल उन्ह ि


ों े िकाश के िकीर्गि के िभाव पर अपिा
सामग्री और उपकरर् ों पर उि नदि ों के अोंतरराष्ट्रीय बहुिनिगत आनवष्कार नकया नजसिे उन्हें ख्यानत के साथ
िलि के अिुरूप उत्कृष्ट्ता का केंद्र बिािा था। 1995 अिेक पुरस्कार भी नदलवाए नजिमें 1930 में िाप्त
में, यह भारत सरकार के इलेक्टरॉनिक्स नवभार् (िीओई) ि बेल पुरस्कार भी शानमल है। अमेररकि केनमकल
के तहत एक स्वायत्त सोंस्थाि बि र्या और 2003 में स साइटी िे 1998 में रमि िभाव क 'अोंतरागष्ट्रीय
इसे िीएसटी के तहत लाया र्या। इसके बाद वषग 2010 ऐनतहानसक रासायनिक युर्ाोंतकारी घटिा' की स्वीकृनत
में इसका िाम बदलकर सेंटर फॉर सॉफ्ट मैटर ररसिग िदाि की है।
कर नदया र्या। हाल ही में 2014 में, केंद्र िे िैि नवज्ञाि इों नियि इों स्ट्ीट्यूट ऑफ एस्ट्र नफनजक्स, बैंर्ल र
और िौद्य नर्की क अपिािे के नलए अिुसोंधाि
र्नतनवनधय ों का दायरा और बढ़ा नदया है और अब इसे
िैि और सॉफ्ट मैटर साइों सेज (सीईएिएस) केंद्र के
रूप में जािा जाता है। इसका मार्गदशगि भारत सरकार
के िैि -नमशि द्वारा नकया जा रहा है।
इं मडयन एसोमसएशन फॉर द कस्टिवेशन ऑफ
साइं स, कोलकाता

एक सदी से भी अनधक समय तक, मद्रास वेधशाला


भारत की एकमात्र खर् लीय वेधशाला बिी रही ज तारे
की म्भस्थनत और िमक के व्यवम्भस्थत माप में लर्ी हुई
थी। र् म्भल्डोंर्हैम, टे लर, जैकब और प र्सि सरकारी
खर् लशास्त्री थे नजिका मद्रास की र्नतनवनधय ों पर
िभुत्व था। पााँि फीट के िए पारर्मि के साथ, टे लर िे
1884 में 11,000 से अनधक नसतार ों के स्थाि ों की
अपिी सूिी पूरी की। िबल स्ट्ार कैटलॉर्, उिके
पृथक्करर् के उपाय और उिकी कक्षाओों का निधागरर्
जैकब की िमुख रुनि थी। उिके कायगकाल के दौराि
वेधशाला क एक िया मध्याि वृत्त िाप्त हुआ और
इसके साथ, तारे की म्भस्थनत के निधागरर् और उनित र्नत
इों म्भण्डयि एस नसयेशि फॉर द कम्भल्टवेशि ऑफ साईन्स के मूल्याोंकि के नलए अवल कि ों के अलावा, बृहस्पनत
(IACS) भारत के नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की नवभार् के और शनि के उपग्रह ों के अवल कि ों की एक श्रृोंखला
अन्तर्गत एक स्वायत्त श ध सोंस्थाि है। इसकी सोंस्थापिा शुरू की र्ई। 1861 से 1891 में अपिी मृत्यु तक,
29 जुलाई 1876 क िॉ महेन्द्रलाल सरकार िे की थी। सरकारी खर् लशास्त्री के रूप में एि.आर. प र्सि िे,
यह भारत का िािीितम श ध सोंस्थाि है।यह सोंस्थाि नवज्ञाि में िर्नत क ध्याि में रखते हुए, अवल कि के
भौनतकी, रसायि, जीवनवज्ञाि, उजाग, बहुलक तथा िए क्षेत्र ों में िवेश नकया। जबनक पारर्मि उपकरर्
पदाथों के सीमाोंतवती क्षेत्र ों में मौनलक श ध कायग में और मेररनियि सकगल द ि ों का उपय र् 3000 नसतार ों
समनपगत है। ित्येक क्षेत्र में आई ए सी एस युवा एवों की एक स्ट्ार सूिी के नलए उपय र्ी रूप से नकया र्या
िर्नतशील श ध अध्येताओों का उिके िॉक्टरॉल था नजसमें मािक नसतारे , बड़े उनित र्नत वाले नसतारे ,
कायगक्रम ों में उनित प षर् करती है। िन्द्रशेखर वेंकट पररवतगिीय नसतारे और इसी तरह शानमल थे, यह िए
रमि आई ए सी एस में 1907 से 1933 तक भौनतकी के 8-इों ि कुक भूमध्यरे खीय के साथ था नजसमें उन्ह ि ों े
नवनवध नवषय ों पर श ध कायग करते रहे तथा 1928 में ख ज की थी क्षुद्रग्रह और पररवतगिशील तारे । क्षुद्रग्रह

79 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

एनशया, सैफ , नसम्भल्वया, कैनमला, वेरा और िर तारे वाई निकट के क्षेत्र की जाोंि करते हुए पाया नक िमकदार
वनजगनिस, यू स्कॉनपगय , टी सैनर्टारी, जेि वनजगनिस, एक्स क्र म स्फेररक स्पेक्टरम र्ठि पर एक छ टी अवनध के
मकरािी और आर.रे नटकुली सभी क पहली बार मद्रास नलए िमकता है और नफर एिलस के टू टिे पर िमकता
में या त पारर्मि उपकरर् या भूमध्यरे खीय उपकरर् ों है। वलयाकार ग्रहर् में फ्लैश स्पेक्टरम क दे खिे का यह
द्वारा ख जा र्या था। . 1867 में सी.रघुिाथािायग द्वारा ररकॉिग पर पहला अवल कि है।
आर.रे नटकुली की िकाश नवनवधता की ख ज शायद कोडाइकनाल में सौर वेधशाला
हाल के इनतहास में नकसी भारतीय द्वारा की र्ई पहली
खर् लीय ख ज है। प र्सि िे िर नसतार ों की एक सूिी इों िैंि में एक भारतीय वेधशाला सनमनत िे मद्रास
और एटलस भी तैयार करिे का काम नकया, ज तुलिा वेधशाला के िशासि से सोंबोंनधत मामल ों पर राज्य
और िर द ि ों के उिके द्वारा नकए र्ए पररमार् सनिव क सलाह दी। कई मामल ों में, मदद के नलए
अिुमाि ों से पररपूर्ग था। इन्हें प र्सि की मृत्यु के बाद पयागप्त कमगिारी िहीों ह िे के कारर्, प र्सि िे काम
टिगर द्वारा सोंपानदत नकया र्या था। के कई कायगक्रम अपिे हाथ में ले नलए थे, नजन्हें वह
सफलतापूवगक समाप्त कर सकता था। 1867 में लोंदि
सूयव ग्रहण में सवाल उठाए र्ए थे नक क्ा मद्रास वेधशाला क
इस अवनध के दौराि मद्रास वेधशाला िे उि महत्वपूर्ग जारी रखिे की आवश्यकता है, क् नों क अोंग्रेज ों िे
पूर्ग सूयग ग्रहर् ों के अवल कि में भार् नलया ज उन्नीसवीों दनक्षर्ी र् लाधग में अपिी सोंपनत्त में कुछ अन्य वेधशालाएों
शताब्दी के दौराि भारत से नदखाई दे रहे थे। ये वे ग्रहर् शुरू की थीों। यह भी नसफाररश की र्ई नक मद्रास
थे नजन्ह ि ों े खर् ल भौनतकी और नवशेष रूप से सौर वेधशाला क िए अवल कि करिे के बजाय पहले से
भौनतकी की िीोंव स्थानपत की, और इि अवल कि ों में नकए र्ए अवल कि ों के िकाशि पर अनधक ध्याि
मद्रास वेधशाला का य र्दाि सबसे महत्वपूर्ग था। 18 केंनद्रत की, इस बीि मई 1882 में, प र्सि िे एक बीस
अर्स्त, 1868 क पहली बार सौर भौनतकी का नवषय इों ि दू रबीि की आवश्यकता का िस्ताव रखा था, ज
बिाया र्या, क् नों क इस ग्रहर् में िमुखता की र्ैसीय दनक्षर् भारत के एक नहल स्ट्े शि पर म्भस्थत ह , ज सूयग
िकृनत की ख ज के नलए पहली बार स्पेक्टर स्क प का और नसतार ों की फ ट ग्राफी और स्पेक्टर ग्राफी में लर्ी
उपय र् नकया र्या था। िमुखता से नदखाई दे िे वाली ह । िस्ताव क भारत और निटे ि द ि ों में सनक्रय
हाइिर जि उत्सजगि रे खाएाँ इतिी मजबूत थीों नक समथगि नमला और दनक्षर्ी हाइलैंि्स या भारत में
फ्राोंसीसी खर् लशास्त्री जािसि िे तकग नदया नक उन्हें उपयुि स्थाि की ख ज के नलए आवश्यक अनधकार
ग्रहर् के नबिा भी दे खा जा सकता है । अर्ले नदि ग्रहर् नदए र्ए। नमिी म्भस्मथ िे 1883 और 1885 में पलिी
स्थल पर अटकलें सही सानबत हुईों, नजससे पूर्ग ग्रहर् और िीलनर्रर पहानड़य ों का सवेक्षर् नकया1922 और
की आवश्यकता के नबिा, िमुखता के दै निक सवेक्षर् 1960 के बीि अड़तीस वषों तक, निदे शक रॉयि् स,
सोंभव ह र्ए।इस महत्वपूर्ग ग्रहर् के नलए समग्रता के िारायर् और दास थे। सौर भौनतकी में र्नतनवनध क उसी
पथ पर कई ग्रहर् टीमें नबखरी हुई थीों। मद्रास वेधशाला र्नत से बिाए रखा र्या और कायग िारों नभक वषों की
की द टीमें थीों, एक वािरपनत में और दू सरी परों पराओों के अिुसार आर्े बढ़ता रहा।इस युर् की मुख्य
मसूलीपट्टम में। वािरपनत में बादल ों िे अनभयाि की नवशेषताएों ग्रहर् की सहायता के नबिा क्र म स्फीयर में
सफलता में बाधा िाली। मसुनलपट्टम में, प र्सि िे उत्सजगि में ऑक्सीजि लाइि ों की ख ज, हाइिर जि
उत्सजगि में हाइिर जि लाइि ों का पता लर्ाया, जैसा नक लाइि ों के केंद्र-अोंर् नभन्नताएों और सौर वातावरर् का
उि सभी टीम ों िे नकया था नजिके पास स्पेक्टर स्क प के अध्ययि करिे के नलए उिका उपय र् और अोंधेरे के
साथ अवल कि का कायगक्रम था। उन्ह ि ों े स नियम की र्ुर् ों का नवस्तृत अध्ययि है 1968 में तारकीय
िी लाइि ों की म्भस्थनत के पास एक िमकीली पीली रे खा स्पेक्टर स्क पी और फ ट मेटरी के नलए कवलूर में एक िई
भी दे खी। यह रे खा अब तक अज्ञात तत्व से उत्पन्न हुई क्षेत्र वेधशाला शुरू की र्ई थी। इस साइट क "दे खिे "
थी, नजसे बाद में इसके िारों नभक पता लर्ािे के स्र त के के नलए पोंद्रह महीि ों तक नकए र्ए व्यापक परीक्षर् ों के
बाद हीनलयम कहा र्या। 6 जूि, 1872 क मद्रास में बाद िुिा र्या था, अब इसकी िमुख सुनवधा के रूप में
वलयाकार ग्रहर् नदखाई नदया। प र्सि िे िोंद्रमा के कालग जीस जेिा द्वारा हाल ही में िाप्त 102 सेमी

80 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

ररफ्लेक्टर और 38 सेमी फ ट मेनटर क लाइट कलेक्टर 1. भू-िुोंबकत्व और भूभौनतकी, अोंतररक्ष और


है। आकाशर्ोंर्ाओों, तार ों और सौर मोंिल पर श ध के वायुमोंिलीय नवज्ञाि जैसे सोंबर्द् क्षेत्र ों में बुनियादी
नलए अनधकाों श अवल कि अब कवलूर से िाप्त ह ते हैं । अिुसोंधाि करिा।
र्नतनवनधय ों और रुनिय ों के नवस्तार से बेंर्लुरु में िए 2. कई साइट ों से उच्च र्ुर्वत्ता वाले िुोंबकीय क्षेत्र माप
िकानशकी, इलेक्टरॉनिक्स और िे टा नवश्लेषर् केंद्र का िाप्त करिे के उद्दे श्य से दे श भर में िुोंबकीय वेधशाला
निमागर् हुआ है और र्ैलेम्भक्टक और एक्स्ट्रार्ैलेम्भक्टक िेटवकग क बिाए रखिा और नवस्ताररत करिा।
सोंरििा के अध्ययि के नलए र्ौरी नबदािूर में एक बड़ी
कम आवृनत्त सरर्ी की स्थापिा हुई है । 1971 में, पूवग 3. भू-िुोंबकत्व और सोंबर्द् क्षेत्र ों में कुशल जिशम्भि क
खर् लभौनतकी वेधशाला क भारत सरकार के नवज्ञाि आकनषगत करिा, िनशनक्षत करिा और नवकनसत
एवों िौद्य नर्की नवभार् के अन्तर्गत पूर्गतः नवत्तप नषत करिा।
एक स्वायत्त अिुसोंधाि सोंस्थाि में पररवनतगत कर नदया 4. अोंतः नवषय अिुसोंधाि करिा और सामानजक लाभ के
र्या, और अब इसे भारतीय खर् लभौनतकी सोंस्थाि के नलए र्ुर्वत्तापूर्ग अिुसोंधाि लािा।
रूप में जािा जािे लर्ा। 5. नवि स्तरीय मैग्नेट मीटर का नवकास और आपूनतग
इं मडयन इं िीट्यूट् ऑफ मजयोमैिेमट्ज्म, मुंबई करिा और भू-िुोंबकत्व के क्षेत्र में अिुसोंधाि क
सुनवधाजिक बिािा।
6. नवभार् /ों उद्य र् ों क भू-िुोंबकत्व सोंबोंधी सेवाएों या
परामशग िदाि करिा (जैसे, कम्पास अोंशाों कि, भू-
िुोंबकीय क्षेत्र सवेक्षर् आनद के नलए)।
7. आकगनटक और अोंटाकगनटक अनभयाि ों की य जिा
बिािा और उिमें भार् लेिा।
8. कई सावगजनिक आउटरीि र्नतनवनधय ों का सोंिालि
करिा और युवा िनतभाओों क भू-िुोंबकत्व और इसके
सोंबर्द् क्षेत्र ों में अिुसोंधाि करिे के नलए िेररत करिा है।
पाउिर धातुकमग और िई सामग्री के नलए अोंतरागष्ट्रीय
उन्नत अिुसोंधाि केंद्र, हैदराबाद
भारत सरकार के नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की नवभार् के
अन्तर्गत एक स्वायत्त अिुसोंधाि सोंस्थाि इों नियि
इों स्ट्ीट्यूट ऑफ नजय मैग्नेनटज्म में भू-िुोंबकत्व की सभी
शाखाओों में अिुसोंधाि क बढ़ावा दे िा, मार्गदशगि करिा
और सोंिालि करिा। उच्च र्ुर्वत्ता वाले िे टा के
अनधग्रहर् के नलए बुनियादी ढाोंिे का समथगि
(अत्याधुनिक िौद्य नर्की का उपय र् करके) बिािा,
नजससे अग्रर्ी अिुसोंधाि क बढ़ावा नमले। भारत के
िुोंबकीय वेधशाला िेटवकग क बिाए
रखिा/आधुनिकीकरर् करिा और भू-िुोंबकत्व और
सोंबर्द् क्षेत्र ों से सोंबोंनधत अन्य अवल कि ों के नलए मौजूदा
केंद्र ों पर िई वेधशालाएों और सुनवधाएों स्थानपत करिा।
भू-िुोंबकत्व में अिुसोंधाि करिे के नलए युवा िनतभाओों
क आकनषगत, िेररत और िनशनक्षत करिा।
भारत सरकार के नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की नवभार् के
आईजी के अनधदे श और इसकी िमुख नजम्मेदाररयाों इस अन्तर्गत एक स्वायत्त सोंस्थाि , एआरसीआई िे
िकार सूिीबर्द् हैं।

81 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

िैि मटे ररयल्स, नसरे नमक, इों जीनियर क नटों ग्स, ईोंधि सेल भारत में िैि टे क्न लॉजी. आईएिएसटी िे 3 जिवरी
जैसे सामग्री और सामग्री िसोंस्करर् से सोंबोंनधत कई 2013 क म हाली में अपिे टर ाोंनजट पररसर से अपिी
सामान्य क्षेत्र ों में उत्कृष्ट् नकया है। काबगि सामग्री, स ल- र्नतनवनधयाों शुरू कीों।नदसोंबर 2020 में, सोंस्थाि 35 से
जेल क नटों ग्स, लेजर सामग्री िसोंस्करर्, सौर ऊजाग अनधक क्षेत्र ों में फैले अपिे अत्याधुनिक िए पररसर में
सामग्री और ऑट म नटव ऊजाग सामग्री। इिमें से ित्येक स्थािाोंतररत ह र्या।िॉलेज नसटी, सेक्टर-81 (म हाली,
सीओई अपिी मुख्य नवशेषज्ञता से सोंबोंनधत उन्नत पोंजाब) में एकड़ भूनम। INST में अिुसोंधाि र्नतनवनधय ों
सामग्री-आधाररत िौद्य नर्नकय ों के नवकास में शानमल में भौनतकी शानमल है, रसायि नवज्ञाि, जीव नवज्ञाि और
रहा है। अोंतः नवषय नवज्ञाि ऊजाग, पयागवरर् के क्षेत्र में समस्ाओों
एआरसीआई नवदे शी और भारतीय द ि ों कोंपनिय ों के का समाधाि करते हैं, क्ाों टम सामग्री, िैि -उपकरर्,
नलए अिुबोंध अिुसोंधाि करिे के अलावा, नवनशष्ट् और रासायनिक जीवनवज्ञाि।आईएिएसटी रुनि रखिे
उत्पाद ों और/या सोंबोंनधत िौद्य नर्नकय ों क नवकनसत वाले जीवनवज्ञानिय ,ों रसायिज्ञ ,ों भौनतकनवद ,ों सामग्री
करिे के नलए नवनभन्न सरकारी एजेंनसय ों के साथ कई वैज्ञानिक ों और इों जीनियर ों क एक साथ लाता है िैि
िाय नजत पररय जिाएों िला रहा है । एआरसीआई नवशेष नवज्ञाि और िौद्य नर्की. आई एि एसटी वैज्ञानिक,
रूप से दु निया भर के िनसर्द् सोंस्थाि /ों िय र्शालाओों के बुनियादी नवज्ञाि में ताकत के साथ-साथ अनधक
सहय र् से बुनियादी अिुसोंधाि एवों नवकास कायग भी अिुिय र् भी रखते हैं कृनष, रक्षा, स्वास्थ्य दे खभाल,
कर रहा है। एआरसीआई के क्षेत्र में परीक्षर् और ऊजाग, पयागवरर् और पािी INST उत्कृष्ट् अिुसोंधाि क
उत्पादि लक्षर् वर्गि, परामशग, िनशक्षर् के साथ-साथ ि त्सानहत करता है स्वदे शी उत्पादि (आयात
सानहत्य और पेटेंट ख ज भी िदाि करता है । िनतस्थापि) के नलए सामग्री, उपकरर् और उन्नत
आरसीआई िे 40 से अनधक कोंपनिय ों क िौद्य नर्की तकिीक तैयार करिा,रक्षा और व्यावसायीकरर् के
हस्ताों तररत की है और औद्य नर्क और रर्िीनतक क्षेत्र ों नलए और नवशेष रूप से स्वास्थ्य दे खभाल में कम लार्त
के नलए लर्भर् 200 तकिीकी समाधाि नवकनसत नकए वाले नकफायती उपकरर् भी नवकनसत करिा,
हैं। आईएिएसटी नवज्ञाि क भी बढ़ावा दे रहा है और
इों स्ट्ीट्यूट ऑफ िैि साइों स एों ि टे क्न लॉजी, म हाली युवाओों में भारत में िौद्य नर्की नवकनसत करिे का
अभ्यास नवकनसत कर रहा है अपिे आउटरीि कायगक्रम
के माध्यम से नवशेष रूप से ग्रामीर्, दू रदराज और कम
सेवा वाले स्कूल ों के नलए राष्ट्र का निमागर् करिा, छु पे
हुए रत् ों क बाहर निकालिे के नलए बातिीत करके,
नजन्हें पॉनलश करिे पर िाकृनतक िमक आ सकती है
जैसे स्वच्छ भारत अनभयाि, स्वस्थ भारत, स्माटग नसटी,
स्माटग र्ाोंव, मेक इि इों निया और स्वच्छ एवों िवीकरर्ीय
ऊजाग क वैज्ञानिक तरीक ों से और िौद्य नर्नकय ों का
उपय र् करके इि कायगक्रम की आवश्यकताओों क
सोंब नधत करें ।
िेशिल इि वेशि फाउों िेशि र्ाोंधीिर्र, र्ुजरात
इों स्ट्ीट्यूट ऑफ िैि साइों स एों ि टे क्न लॉजी
िेशिल इि वेशि फाउों िेशि (एिआईएफ) - भारत की
(आईएिएसटी), म हाली (पोंजाब), एक स्वायत्त सोंस्थाि
है भारत सरकार के नवज्ञाि और िौद्य नर्की नवभार् स्थापिा मािग 2000 में भारत सरकार के नवज्ञाि और
(िीएसटी) की स्थापिा एक छत्र के तहत की र्ई है िैि िौद्य नर्की नवभार् की सहायता से की र्ई थी। यह
नवज्ञाि के क्षेत्र में अिुसोंधाि और नवकास क बढ़ावा दे िे जमीिी स्तर पर तकिीकी िवािार ों और उत्कृष्ट्
के नलए िीएसटी द्वारा शुरू नकया र्या िैि नमशि.

82 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

पारों पररक ज्ञाि क मजबूत करिे की भारत की राष्ट्रीय धारक ों की ओर से 1274 से अनधक पेटेंट आवेदि
पहल है। इसका नमशि जमीिी स्तर के तकिीकी दायर नकए हैं, नजिमें से आठ सोंयुि राज्य अमेररका में
िविवतगक ों के नलए िीनत और सोंस्थार्त स्थाि का दायर नकए र्ए हैं और 28 पेटेंट सहय र् सोंनध (पीसीटी)
नवस्तार करके भारत क एक रििात्मक और ज्ञाि- आवेदि शानमल हैं । इिमें से 319 पेटेंट भारत में और 5
आधाररत समाज बििे में मदद करिा है । सोंयुि राज्य अमेररका में नदए र्ए हैं। एिआईएफ िे
एिआईएफ नकसी भी तकिीकी क्षेत्र में व्यम्भिय ों और जमीिी स्तर और छात्र िविवतगक ों के िवािार ों के नलए
स्थािीय समुदाय ों द्वारा नवकनसत जमीिी स्तर के 24 निजाइि पोंजीकरर् (नजिमें से 20 स्वीकृत नकए र्ए
िवािार ों की ख ज, और ििार करता है, ज औपिाररक हैं) दाम्भखल नकए हैं। इसके अलावा 11 टर े िमाकग आवेदि
क्षेत्र की मदद के नबिा मािव अम्भस्तत्व में मदद करता भी दायर नकए र्ए हैं, नजिमें से 7 क मोंजूरी दे दी र्ई
है। एिआईएफ जमीिी स्तर के िविवतगक ों और उत्कृष्ट् है। एिआईएफ िे नकसाि ों द्वारा नवकनसत 77 पौध ों की
पारों पररक ज्ञाि धारक ों क उिके िविवतगि ों के नलए नकस्म ों के नलए पौधा नकस्म और नकसाि अनधकार
उनित मान्यता, सम्माि और पुरस्कार नदलािे में मदद सोंरक्षर् िानधकरर् में आवेदि भी दायर नकया है। इिमें
करता है। यह यह सुनिनित करिे का भी ियास करता से 20 का सफलतापूवगक पोंजीकरर् ह िुका है।
है नक इस तरह के िवािार वानर्म्भज्यक और/या र्ैर- एिआईएफ में माइक्र वेंिर इि वेशि फोंि
व्यावसानयक िैिल ों के माध्यम से व्यापक रूप से फैलें, (एमवीआईएफ) िे भारतीय लघु उद्य र् नवकास बैंक
नजससे उिके और मूल्य श्रृोंखला में शानमल अन्य ल र् ों (नसिबी) के सहय र् से 238 िवािार आधाररत उद्यम
के नलए सामग्री या र्ैर-भौनतक ि त्साहि पैदा ह । पररय जिाओों क ज म्भखम पूोंजी िदाि की है, नजिमें से
एिआईएफ िे दे श के 625 से अनधक नजल ों से कुछ ऊष्मायि के नवनभन्न िरर् ों में हैं।िौद्य नर्की
3,25,000 से अनधक तकिीकी नविार ,ों िवािार ों और लाइसेंनसोंर् के 120 मामल ों क मूतग रूप दे िे में सफल
पारों पररक ज्ञाि िथाओों (सभी अनद्वतीय िहीों, सभी ह िे के अलावा, एिआईएफ छह महाद्वीप ों के दे श ों में
नवनशष्ट् िहीों) का एक िे टाबेस तैयार नकया है । उत्पाद ों के व्यावसायीकरर् में भी सफल रहा
एिआईएफ िे अब तक अपिे नवनभन्न राष्ट्रीय नद्ववानषगक है।एिआईएफ िे सानबत कर नदया है नक जब
ग्रासरूट इि वेशि अवािग समार ह ों और वानषगक िॉ. समस्ाओों क रििात्मक तरीके से हल करिे की बात
एपीजे अब्दु ल कलाम इग्नाइट निल्डर े ि अवािग समार ह ों आती है त भारतीय िविवतगक दु निया में नकसी से भी
में राष्ट्रीय स्तर पर 1093 िविवतगक ों और स्कूली छात्र ों बराबरी कर सकते हैं। वे स्थािीय सोंसाधि ों का
क मान्यता दी है। नवनभन्न अिुसोंधाि एवों नवकास नमतव्ययतापूवगक उपय र् करके अनधक नटकाऊ
(आरएों ििी) और शैक्षनर्क सोंस्थाि ,ों कृनष एवों पशु नवकल्प उत्पन्न करिे में दू सर ों की तुलिा में बेहतर
निनकत्सा नविनवद्यालय ों और अन्य सोंस्थाि ों के सहय र् िदशगि करते हैं। ज ल र् र्रीब ों क केवल सस्ते
से, एिआईएफ िे कई सौ जमीिी स्तर की िौद्य नर्नकय ों सामाि के उपभ िा के रूप में दे खते हैं, वे जमीिी
क मान्य और/या मूल्य वनधगत करिे में मदद की स्तर पर ज्ञाि की समृम्भर्द् और नविार ों और िवािार ों के
है।एिआईएफ िे उत्पाद नवकास और इि-हाउस िदाता के रूप में उिकी क्षमता क िूक जाते हैं ।
अिुसोंधाि क मजबूत करिे के नलए एक सोंवनधगत एिआईएफ नजस जमीिी स्तर से वैनिक (जी2जी)
फैनिकेशि िय र्शाला (फैब लैब) भी स्थानपत की है । मॉिल का ििार कर रहा है, वह दु निया के जमीिी स्तर
एिआईएफ िे िविवतगक ों और उत्कृष्ट् पारों पररक ज्ञाि पर रििात्मकता और िवािार ों क बदलिे के नलए पूरी
तरह तैयार है।

83 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

िवािार ों क मजबूत करिे के नलए िेशिल इि वेशि में छात्र ों क आकनषगत करता है। और एम. एससी. दे श
फाउों िेशि (एिआईएफ) भर से कायगक्रम। छात्र ों क अर्स्त और जिवरी सेमेस्ट्र
जवाहरलाल िेहरू उन्नत वैज्ञानिक अिुसोंधाि केंद्र में में िवेश नदया जाता है और उिका ियि अत्यनधक
िवािार और नवकास केंद्र, बोंर्लौर िनतस्पधी िनक्रया के माध्यम से ह ता है। हमारे कायगक्रम
छात्र ों क भनवष् के समाज की िुिौनतय ों का सामिा
करिे में सक्षम बिािे के नलए निज़ाइि नकए र्ए हैं।
जेएिसीएएसआर में, छात्र वानषगक कायग िस्तुनतय ों के
रूप में अपिे अिुसोंधाि क्षेत्र ों पर सनक्रय ििाग का लाभ
उठाते हैं।
रमन ररसचव इं िीट्यूट्, बैंिलोर

जवाहरलाल िेहरू सेंटर फॉर एिवाोंस्ि साइों नटनफक


ररसिग (जेएिसीएएसआर) एक बहु-नवषयक अिुसोंधाि
सोंस्थाि है ज भारत के बैंर्ल र के उत्तर में एक इलाके
जक्कुर में म्भस्थत है। यह दु निया भर में िनसर्द्
है।अनधदे श सामग्री से लेकर जेिेनटक्स तक के व्यापक
क्षेत्र ों क कवर करते हुए नवज्ञाि और इों जीनियररों र् की
सीमाओों पर नवि स्तरीय अिुसोंधाि और िनशक्षर् क रमि ररसिग इों स्ट्ीट्यूट (आरआरआई) की स्थापिा
आर्े बढ़ािा और बढ़ावा दे िा एिसीएएसआर है। भारत 1948 में भारतीय भौनतक नवज्ञािी और ि बेल पुरस्कार
का मािद नविनवद्यालय में िवािार अिुसोंधाि पर 500 नवजेता सर सी वी रमि िे भारतीय नवज्ञाि सोंस्थाि
से अनधक श धकतागओों की मेजबािी के नलए एक जीवोंत (आईआईएससी), बेंर्लुरु से सेवानिवृत्त ह िे के बाद
शैक्षनर्क माहौल िदाि करता है। यह केंद्र सरकार के अपिी पढ़ाई और बुनियादी श ध जारी रखिे के नलए
नवज्ञाि और िौद्य नर्की नवभार् के तहत एक स्वायत्त की थी। सर सी वी रमि िे 1970 में अपिे निधि तक
सोंस्थाि है। नवज्ञाि और इों जीनियररों र् के नवनवध क्षेत्र ों के इसके निदे शक के रूप में अपिा निजी श ध कायग
सोंकाय सदस् ों और छात्र ों के साथ, जेएिसीएएसआर में नकया। इसे उिके द्वारा व्यम्भिर्त रूप से और निजी
नकया र्या श ध िकृनत में नवनवध और अोंतः नवषय है । स्र त ों से दाि द्वारा नवत्त प नषत नकया र्या था।
जेएिसीएएसआर अपिे पीएि.िी., एकीकृत पीएि.िी.

84 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

इनतहास जा सके। कायगक्रम पहले वषग के दौराि उन्नत नवषय ों में


नदसोंबर 1934 में, मैसूर सरकार िे एक श ध सोंस्थाि के औपिाररक क्रेनिट पाठ्यक्रम कायग के साथ शुरू ह ता
निमागर् के नलए ि फेसर रमि क बेंर्लुरु में जमीि का है। आरआरआई िुनिोंदा पीएििी छात्र ों क , ज
एक भूखोंि उपहार में नदया। उसी वषग ि फेसर रमि पाठ्यक्रम कायग और उसके बाद की व्यापक परीक्षा में
द्वारा भारतीय नवज्ञाि अकादमी की स्थापिा की र्ई। उत्तीर्ग ह ते हैं, सोंस्थाि में आय नजत अिुसोंधाि के क्षेत्र ों
1948 में रमि अिुसोंधाि सोंस्थाि के निमागर् के कुछ के भीतर पयगवेनक्षत अिुसोंधाि के अवसर िदाि करता
वषों बाद, ि . रमि िे रमि अिुसोंधाि सोंस्थाि के है। आरआरआई के छात्र अपिी पीएििी निग्री के नलए
उपय र् और लाभ के नलए अकादमी क नवनभन्न िल जवाहरलाल िेहरू नविनवद्यालय, िई नदल्ली में पोंजीकृत
और अिल सोंपनत्तयााँ उपहार में दीों। िवोंबर 1970 में हैं। आरआरआई भारतीय नवज्ञाि सोंस्थाि
ि फेसर के निधि के बाद, अकादमी िे एक सावगजनिक (आईआईएससी), बेंर्लुरु के साथ सोंयुि खर् ल नवज्ञाि
धमागथग टर स्ट् बिाया: रमि ररसिग इों स्ट्ीट्यूट टर स्ट्। रमि कायगक्रम (जेएपी) में भी भार्ीदार है।
अिुसोंधाि सोंस्थाि के नलए अकादमी द्वारा रखी र्ई ियि िनक्रया: ियि निम्ननलम्भखत परीक्षाओों में से नकसी
भूनम, भवि, जमा, िनतभूनतयाों , बैंक जमा, धि, में िदशगि के आधार पर नलम्भखत परीक्षा और/या
िय र्शालाएों , उपकरर् और अन्य सभी िल और अिल साक्षात्कार पर आधाररत है:
सोंपनत्तयाों आरआरआई टर स्ट् क हस्ताोंतररत कर दी र्ईों। • सोंयुि िवेश स्क्रीनिोंर् टे स्ट् (जेईएसटी)
आरआरआई टर स्ट् का सबसे महत्वपूर्ग कायग रमि
अिुसोंधाि सोंस्थाि का रखरखाव, सोंिालि और • जेआरएफ (भौनतकी) के नलए सीएसआईआर-
रखरखाव करिा था। यूजीसी िेट

रमि अिुसोंधाि सोंस्थाि अब एक स्वायत्त अिुसोंधाि • जीआरई (भौनतकी)


सोंस्थाि है ज बुनियादी नवज्ञाि में अिुसोंधाि में लर्ा • र्ेट (भौनतकी/र्नर्त)
हुआ है। 1972 में, आरआरआई क भारत सरकार के श्री मचत्रा मतरुनल इं िीट्यूट् फॉर मेमडकल साइं सेज
नवज्ञाि और िौद्य नर्की नवभार् से धि िाप्त करिे वाले एं ड ट्े क्नोलॉजी ,मतरुवनंतपुरम
एक सहायता िाप्त स्वायत्त अिुसोंधाि सोंस्थाि बििे के (एससीट्ीआईएमएसट्ी)
नलए पुिर्गनठत नकया र्या था। इसके िशासि और
िबोंधि के नलए नवनियम ों और उप-कािूि ों का एक सेट
तैयार नकया र्या था।
आज, सोंस्थाि में अिुसोंधाि के मुख्य क्षेत्र हैं:
• खर् ल नवज्ञाि और खर् ल भौनतकी
• िकाश एवों पदाथग भौनतकी
• िरम सोंघनित पदाथग
• सैर्द्ाों नतक भौनतकी श्री नित्रा नतरुिल इों स्ट्ीट्यूट फॉर मेनिकल साइों सेज एों ि
टे क्न लॉजी (एससीटीआईएमएसटी) भारत सरकार के
अिुसोंधाि र्नतनवनधय ों में रसायि नवज्ञाि, तरल नक्रस्ट्ल,
नवज्ञाि और िौद्य नर्की नवभार् के तहत एक राष्ट्रीय
जीव नवज्ञाि में भौनतकी और नसग्नल ि सेनसोंर्, इमेनजोंर्
महत्व का सोंस्थाि है। भारत की। तीि दशक से भी
और इों स्ट्ुमेंटेशि में कायग शानमल हैं ।
अनधक समय पहले इसके सोंस्थापक ों द्वारा शुरू की र्ई
पीएििी कायगक्रम निनकत्सा और िौद्य नर्की की सोंयुि सोंस्कृनत नवकनसत
आरआरआई द्वारा सोंिानलत पीएििी कायगक्रम का ह र्ई है और भारत में इसे अभूतपूवग स्वीकृनत नमली है ।
उद्दे श्य अपिे छात्र ों क बुनियादी नवज्ञाि और नवशेषज्ञता सोंस्थाि क एक नविनवद्यालय का दजाग िाप्त है और यह
में उन्नत तकिीकी क्षमताओों के साथ सशि बिािा है, उत्कृष्ट् अिुसोंधाि और िनशक्षर् सुनवधाएों िदाि करता
तानक उन्हें अिुसोंधाि में कररयर के नलए तैयार नकया है। इसके तीि नवोंर् हैं: एक तृतीयक रे फरल सुपर

85 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

स्पेनशयनलटी अस्पताल, एक बाय मेनिकल टे क्न लॉजी िूोंनक यह एक श ध सोंस्थाि है, इसनलए मुख्य रूप से
नवोंर् और अच्युता मेिि सेंटर फॉर हेल्थ साइों स स्ट्िीज। पीएि.िी. यहाों कायगक्रम नकया र्या है. 2001 से
सोंस्थाि हृदय और तोंनत्रका सोंबोंधी नवकार ों के उच्च एकीकृत पीएि.िी. (एम.एससी.+पी.एि.िी.) कायगक्रम
र्ुर्वत्ता, उन्नत उपिार, जैव निनकत्सा उपकरर् ों और िारि नकया र्या। द साल की पढ़ाई पूरी ह िे के बाद
सामनग्रय ों के नलए िौद्य नर्नकय ों के स्वदे शी नवकास और एम.एससी. निग्री कलकत्ता नविनवद्यालय द्वारा दी जाती
सावगजनिक स्वास्थ्य िनशक्षर् और अिुसोंधाि पर ध्याि है। पूवग में यह निग्री पनिम बोंर्ाल िौद्य नर्की
केंनद्रत करता है। सोंस्थाि कई नवनशष्ट् क्षेत्र ों में आधुनिक नविनवद्यालय द्वारा दी जाती थी। इस सोंस्थाि के छात्र
तकिीक ों का उपय र् करके उन्नत उपिार िदाि अपिी पीएििी जमा कर सकते हैं।
करता है, जैसे नक इों टरवेंशिल रे निय लॉजी, कानिग यक प्रौद्योमिकी सूचना, पूवावनुमान और मूल्यांकन
इलेक्टर नफनजय लॉजी, मूवमेंट नवकार ों के नलए र्हरी पररषद (ट्ीआईएफएसी)
मम्भस्तष्क उत्तेजिा, नमर्ी सजगरी, बाल निनकत्सा
कानिग यक सजगरी, ख पड़ी और सोंवहिी सजगरी का
आधार, आनद। सोंस्थाि में उत्कृष्ट् सुनवधाएों और पेशेवर ों
की टीमें हैं ज िवीि बाय मेनिकल उपकरर् ों और
उत्पाद ों के नवकास, वैनिक नवनशष्ट्ताओों के नलए
निनकत्सा उपकरर् ों के मूल्याोंकि, िवीि निनकत्सा
नवनशष्ट्ताओों में िनशक्षर् और सामानजक िासोंनर्कता के
निनकत्सा और सावगजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र ों में अिुसोंधाि के
नलए समनपगत हैं। सोंस्थाि बाय मेनिकल उपकरर् ों के
नलए एक तकिीकी अिुसोंधाि केंद्र है और इसमें एक भारत सरकार के नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की नवभार् के
मेनिकल निवाइस इिक्ूबेटर (TIMed) है । अोंतर्गत एक स्वायत्त िौद्य नर्की की स्थापिा भारत
एस.एन. बोस नेशनल सेंट्र फॉर बेमसक साइं सेज, सरकार िे 1986 में की थी। यह पररषद् भारत में नवज्ञाि
कोलकाता एवों िौद्य नर्की के नवकास हेतु कायग करती है।नवज्ञाि
िौद्य नर्की एवों िवािार िीनत और टाइफैक द्वारा नकए
जािे वाले ियास, अनवष्कार और िवािार इक नसस्ट्म
क आपस में ज ड़कर साों स्कृनतक पररवतगि ला सकते हैं
और नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की के माध्यम से ित्येक क्षेत्र में
आत्म-निभगरता की भाविा पैदा कर सकते हैं।टाइफैक
साइबर-भौनतक िर्ाली (Cyber-Physical Systems),
क्ाोंटम कोंप्यूनटों र् और हररत रसायि (Green
Chemistry) जैसी भनवष् की िौद्य नर्की
एस एि ब स िेशिल सेंटर फॉर बेनसक साइों सेज िाथनमकताओों पर ज़ र दे रहा है। ऐसी िौद्य नर्की पर
(एसएिबीएिसीबीएस) भारत सरकार के नवज्ञाि और ध्याि केंनद्रत करिे की ज़रूरत है, नजसमें भनवष् की
िौद्य नर्की नवभार् के तहत र्नर्त नवज्ञाि में बुनियादी सोंभाविाएों ह िे के साथ-साथ भारत क आत्मनिभगर
अिुसोंधाि के नलए समनपगत एक स्वायत्त अिुसोंधाि बिािे की ताकत ह । नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की नवभार् के
सोंस्थाि है। यह पनिम बोंर्ाल, साल्ट लेक, क लकाता में अोंतर्गत कायगरत एक स्वायत्त सोंर्ठि ‘िौद्य नर्की सूििा,
म्भस्थत है। इस सोंस्थाि का िाम भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र पूवागिुमाि और मूल्याोंकि पररषद् ’ (Technology
िाथ ब स के िाम पर रखा र्या था और इसकी स्थापिा Information, Forecasting and Assessment
1986 में हुई थी। िोंिल कुमार मजूमदार इस सोंस्थाि के Council -TIFAC) िे 10 फरवरी क अपिा 35वाों
सोंस्थापक निदे शक थे। स्थापिा नदवस मिाया है।35वें स्थापिा नदवस की थीम
‘आत्मनिभगर भारत के नलए िौद्य नर्की, िवािार और

86 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

अथगव्यवस्था’(Technology, Innovation and िेक्टर एक स्वायत्त सोंस्था है , नजसकी स्थापिा भारत सरकार
Economy for Aatma Nirbhar Bharat) है। के नवज्ञाि और िौद्य नर्की नवभार् के तहत नशलाों र्, मेघालय
में मुख्यालय के साथ की र्ई है । केंद्र केंद्रीय वैज्ञानिक
मवज्ञान और प्रौद्योमिकी में उन्नत अध्ययन संस्थान, नवभार् ों और सोंस्थाि ों के पास उपलि आला सीमाोंत
िुवाहाट्ी िौद्य नर्नकय ों का उपय र् और लाभ पहुों ििा ।
सावगजनिक और सामानजक भलाई के नलए िौद्य नर्की
अिुिय र् ों के नवतरर्, रखरखाव और उपय र् क बढ़ावा
दे िे, प षर् करिे और सुनिनित करिे के नलए अग्रर्ी केंद्र
बििा; और हमारे दे श के उत्तर पूवी क्षेत्र के समाि और
समावेशी सामानजक और आनथगक नवकास के नलए ल र् ,ों
समुदाय ,ों सोंस्थाि ों और सरकार ों के बीि िौद्य नर्की के लाभ ों
तक पहुों ििा और उिका नवस्तार करिा। अपनशष्ट् से धि:
मेघालय में कृनष-अपनशष्ट् ों और उप-उत्पाद ों (उत्पादि,
िदशगि और िनशक्षर् केंद्र) का मूल्यवधगि ,िार्ालैंि में
इों स्ट्ीट्यूट ऑफ एिवाों स्ि स्ट्िी इि साइों स एों ि टे क्न लॉजी मधुमक्खी पालि: स्व-र ज़र्ार के माध्यम से स्थािीय
(IASST) की स्थापिा 1979 में असम साइों स स साइटी के अथगव्यवस्था क सशि बिािा,फसल खेती की
तत्वावधाि में की र्ई थी। िारों भ में, इसे पादप नवज्ञाि के क्षेत्र हाइिर प निक िर्ाली ,उत्तर-पूवग भारत में केसर (केसर) की
खेती फेक नजले, तुएन्स के नकनिों र् र्ाों व में स्वयों सहायता
में एक अिुसोंधाि िय र्शाला के रूप में स्थानपत नकया र्या
समूह क मधुमक्खी पालि र्नतनवनध के नलए सहायता करिा
था। 1983 में, सोंस्थाि क िीएसटी िे अपिे कब्जे में ले नलया शानमल हैं ।
था, और तब से, यह एक बहु-नवषयक अिुसोंधाि सोंस्थाि बि
मवज्ञान प्रसार, नई मदल्ली
र्या है , नजसमें सामग्री नवज्ञाि, िैि िौद्य नर्की, जैव
िौद्य नर्की और पयाग वरर् नवज्ञाि सनहत कई क्षेत्र ों क शानमल
नकया र्या है ।इसका नमशि बुनियादी और व्यावहाररक
अिुसोंधाि क बढ़ावा दे िा और समथगि करिा, वैज्ञानिक ों और
इों जीनियर ों क उन्नत िनशक्षर् और नशक्षा िदाि करिा और
भारत के पूवोत्तर क्षेत्र में एक जीवोंत अिुसोंधाि पाररम्भस्थनतकी
तोंत्र बिािा है। आईएएसएसटी का सामग्री नवज्ञाि अिुसोंधाि
पर नवशेष ध्याि है , नजसमें नवनभन्न अिुिय र् ों के नलए िई नवज्ञाि िसार की स्थापिा सि् 1989 में निम्नाों नकत उद्देश्य ों के
सामग्री नवकनसत करिे पर ज र नदया र्या है । अिुसोंधाि क्षेत्र ों साथ की र्यी थी: वैज्ञानिक एवों तकगसों र्त दृनष्ट्क र् क
में िई सामनग्रय ों के सोंश्लेषर् और लक्षर् वर्गि के साथ-साथ बढ़ावा दे िा और ििार-िसार करिा। नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की
ऊजाग , इलेक्टरॉनिक्स और निनकत्सा जैसे क्षेत्र ों में उिके सोंिार हे तु सोंसाधि-सह-सुनवधा केंद्र के रूप में कायग करिा।
बड़े पैमािे पर नवज्ञाि ल कनियकरर् के कायों/ र्नतनवनधय ों
अिुिय र् शानमल हैं ।
क आरों भ करिा। नवनभन्न भारतीय भाषाओों में नवज्ञाि एवों
नॉथव ईि सेंट्र फॉर ट्े क्नोलॉजी एप्लीकेशन एं ड ररसचव िौद्य नर्की ल कनियकरर् पर नवनवध सॉफ्टवेयर (ऑनिय ,
(NECTAR) मशलांि, मेघालय-793001 नवनिय , रे निय , टीवी, निोंट, लनििंर् पैकेज, नकट् स, म्भखलौिे)
का नवकास, िसार और नवपर्ि करिा। नवज्ञाि िसार (नव.ि.)
नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की नवभार्, भारत सरकार के अधीि एक
स्वायतशासी सोंस्था है । नव.ि. का उद्देश्य बड़े पैमािे पर
नवज्ञाि ल कनियकरर् के कायों/ र्नतनवनधय ों क आरों भ
करिा, वैज्ञानिक एवों तकगसोंर्त दृनष्ट्क र् क बढ़ावा दे िा और
ििार-िसार करिा तथा नवज्ञाि एवों िौद्य नर्की सोंिार हे तु
सोंसाधि-सह-सुनवधा केंद्र के रूप में कायग करिा है ।

87 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

bZ eaMh: —f"k esa fMftVy bafM;k vfHk;ku —f"k


M‚- euh"k eksgu xksjs
वररि‍वैज्ञानिक, राष्ट्रीय नवज्ञाि सोंिार एवों िीनत अिुसोंधाि सोंस्थाि,
वैज्ञाभनक एवं औद्योभिक अनुसंधान पररषद (सी.एस.आई.आर)
िई नदल्ली-110012

fdlku Hkkb;ksa ds fy, bls ,d ubZ lqcg dh laKk gksrk gSA jkT; eaMh vf/kfu;e esa lq/kkj ds ek/;e ls
nh tk ldrh gSA igys fdlku Hkkb;ksa dks vius —f"k jkT; eaMh bysDVªkfud VªsfMax vkSj flaxy ykblsaflax
mRikn dks cspus ds fy, eaMh tkdj HkkSfrd :i ls O;oLFkk ds çko/kku cuk ldrk gS vkSj fQj bl
ysu nsu vkSj [kjhn Qjks[r djuh iM+rh FkhA le; ds jk"Vªh; —f"k eaMh dk ,d fgLlk cu ldrk gSA ;g
lkFk rLohj cnyhA orZeku ljdkj ds fMftVy lqfo/kk fdlkuksa] VªsMj vkSj miHkksäkvksa ds fy,
bafM;k vfHk;ku ds u;s vk;ke ds rkSj ij —f"k vkSj ykHkdkjh gSA ;g vkuykbu eap O;kikj ds volj esa
fdlku Hkkb;ksa dh lgwfy;r dks /;ku esa j[kdj bl o`f) djrk gSA tgka ijaijkxr eaMh esa LFkkuh; xzkgd
uoksUes"k dk vkxkt fd;k gS ftldk uke gS bZ gkV ;k gksrs Fks] ogha bl bZ eaMh esa vusd jkT;ksa vkSj iwjs ns'k
bZ eaMhA bl bysDVªkfud eaMh esa fdlku vc vius ds xzkgd vkils tqM+rs gSaA
—f"k mRiknksa dks vkuykbu fcØh dj ldrs gSaA lkFk
gh lkFk eaMh ls tqM+h lHkh rjg dh tkudkjh Lo;a
baVjusV ds tfj;s gkfly dj ldrs gSaA bl u;s ç;ksx
ls fdlku vc VªsMj ls lh/kk tqM+ x;k gSA fcpkSfy,
dh vc dksbZ t:jr u jghA bZ eaMh ds vkus ls —f"k
cktkj esa lq/kkj dk ,d u;k v/;k; tqM+ x;k gSA
blfy, bZ eaMh dk lcls cM+k ykHk ;g gqvk gS fd
fdlkuksa dks muds —f"k mRikn dh lgh dher fey
jgh gS vkSj bl lewph çfØ;k esa lc dqN vkuykbu
gksus ls ikjnf'kZrk c<+h gSA bZ eaMh dh 'kq#vkr 14
vçSy 2016 dks ns'k ds 8 jkT;ksa dh 21 eafM;ksa ls dh
xbZ FkhA blds varxZr Vªk;y ds rkSj ij lsc] vkyw]
I;kt] gjh eVj] vjgj dh nky] mM+n nky] ljlksa]
ewaxQyh] dikl] xsga]w eDdk] Tokj] cktjs vkSj gYnh vc LFkkuh; VªsMj ,d txg cSBs gq, nwljs jkT;ksa dh
tSls dqy 24 —f"k mRiknksa dh VªsfMax 'kq: dh xbZ FkhA eafM;ksa ds —f"k mRiknksa ds fy, cksyh yxkus esa leFkZ
bl Vªk;y dh dke;kch dks ns[krs gq, orZeku le; esa gq, gSaA vkSj rks vkSj bl cksyh yxkus dh çfØ;k esa
ns'k ds 14 jkT;ksa dh 470 —f"k eafM;ksa dks bl jk"Vªh; eSuikoj dh Hkh vc t:jr ughaA ;g dke vc
—f"k cktkj dh bZ eaMh ls tksM+ fn;k x;k gSA buesa fMftVy rjhds ls iksVZy }kjk gksxkA —f"k mRiknksa dh
fgekpy çns'k ls 19 eafM;ka] egkjk"Vª ls 45 eafM;ka] dherksa dk iwokZuqeku vkSj fo'ys"k.k Hkh bl iksVZy ls
jktLFkku ls 25 eafM;ka] xqtjkr ls 40 eafM;ka] e/; irk yxk;k tk ldrk gSA bl eaMh ls miHkksäkvksa dks
çns'k ls 58 eafM;ka] mÙkjk[kaM ls 5 vkSj mÙkj çns'k ls Hkh ykHk gksxkA jk"Vªh; —f"k cktkj ds vkuykbu iksVZy
dqy 100 eafM;ka 'kkfey gSaA lkFk gh bl vkuykbu ds j[kj[kko dh ftEesnkjh —f"k ea=ky; iwjk djsxkA
eaMh esa 90 ls Hkh vf/kd —f"k mRiknksa dh VªsfMax dh lk¶Vos;j ds dLVekbts'ku vkSj çf'k{k.k tSls enksa dk
tk jgh gSA ;g vkuykbu iksVZy fdlku] VªsMj vkSj [kpkZ Hkh ea=ky; ,deq'r vuqnku ds :i esa mBk,xkA
[kjhnkj dks ns'k dh fdlh Hkh eaMh ls tksM+us dk dke tc lHkh eaMh bl vkuykbu iksVZy ls tqM+ tk,axs rc
djrk gSA gka ,d ckr vkSj] blesa dksbZ 'kqYd ugha nsuk lk¶Vos;j ds jfuax dkLV vkSj xq.koÙkk fuxjkuh ds
[kpZ dks vfrfjä bdB~Bk gq, jktLo ls Hkjk tk;sxkA

88 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

Hkkjr ds —f"k ea=ky; us y?kq fdlku —f"k foi.ku osclkbV ns'k dh vU; Hkk"kkvksa esa miyC/k gks tk,xkA
la?k cuk;k gS tks bl jk"Vªh; —f"k cktkj dks lapkfyr osclkbV ls tqM+us ds fy, iathdj.k ls lacaf/kr Li"V
djsxk vkSj bl vkuykbu IysVQkeZ ds j[k j[kko dh fn'kk funsZ'k fn, x;s gSa ftUgsa i<+dj vklkuh ls bl
ftEesnkjh fuHkk,xkA bZ eaMh esa blesa nks cM+s Qk;ns gSaA ij ykx bu fd;k tk ldrk gSA fdlku Hkkb;ksa] VªsMj
,d rks ;gka ij e/;LFk ;k fcpkSfy, dk deh'ku ugha leqnk; vkSj miHkksäkvksa dh lqfo/kk ds fy, bl
nsuk gksrk vkSj nwljk ,d ls vf/kd gSaMfyax ykxr dh osclkbV ij jkT;okj eafM;ksa dh vkSj —f"k mRiknksa dh
xqatkb'k [kRe gks tkrh gSA tgka ,d rjQ ijaijkxr lwfp;ka nh xbZ gSaA osclkbV ls tqM+us okys Hkkxhnkj
—f"k eaMh esa vusd vkSipkfjdrk;sa Fkha : lh/ks ekdsZfVax viuk QhMcSd ns lds]a bldk dkye Hkh ;gka ij fn;k
ls tqM+s fu;e&dk;ns] vusd Lrjksa ij VSDl vkSj x;k gSAbl jk"Vªh; —f"k cktkj ds bZ gkV esa dqN Hkh
ykblsal] lkeku ys tkus vkSj fcØh ugha gksus dh n'kk fNik gqvk ugha cfYd lc dqN çR;{k vkSj ikjn'khZ gSA
esa okil ysdj vkukA bUgha ijs'kkfu;ksa dks /;ku esa bl vkuykbu eaMh esa tkap ij[k] otu] HkaMkj.k vkSj
j[kdj dsæa ljdkj us bl ,dh—r vkSj uoksUes"kh Hkqxrku rjhds dh tkudkjh ds lkFk —f"k mRiknksa dh
jk"Vªh; —f"k cktkj ;k bZ gkV dh LFkkiuk fd;k gSA fj;y Vkbe bysDVªkfud cksyh yxrh gSA blesa fdlku
;g ,d iSu bafM;k bysDVªkfud VªsfMax iksVZy gS tks Hkkb;ksa dh Hkkxhnkjh dks c<+kus ds mís'; ls iwjs ns'k esa
—f"k mRiknksa dh [kjhn fcØh dk ,d jk"Vªh; ,d ykblsal dks fu/kkZfjr dj fn;k x;k gSA bl eaMh
vkuykbu eaMh gSA blus fdlku Hkkb;ksa ds lkFk esa ykHk dh jde fdlku ds cpr [kkrs esa lh/kk
O;kikfj;ksa vkSj miHkksäkvksa ds fj'rs dks etcwr vk/kkj igqaprh gSA ;g ,d cM+h lqfo/kk ljdkj us r; dh gSA
çnku fd;k gSA jk"Vªh; —f"k cktkj ds bl osclkbV blls ç/kku ea=h tu /ku ;kstuk ds varxZr
dk irk gS www.enam.gov.in bl osclkbV ij vf/kdkjghu vkSj NksVs fdlkuksa dks lh/kk ykHk igqapsxkA
vkjafHkd rkSj ij vHkh vkB vyx&vyx Hkk"kkvksa fganh]
-------------------------------------------------------------------------------------
vaxzsth] rfey mfM+;k] caxkyh] ejkBh] rsyqxq vkSj
xqtjrh esa tkudkjh miyC/k gSA fudV Hkfo"; esa ;g
--------------------------------------xx------------------------------------------------------------

संजय िोस्वामी मुख्य व्यवस्थापक, “वैज्ञामनक” , ने नवी मुंबई निर राजभाषा कायावन्वयन समममत द्वारा आयोमजत व बी पी
सी एल द्वारा प्रायोमजत “महं दी लेख प्रमतयोमिता 2023” में मद्वतीय पुरस्कार, नवी मुंबई निर राजभाषा कायावन्वयन समममत के
राजभाषा अमधकारी आदरणीय श्री सदानंद मचतले द्वारा मदनांक 23/6/23 को पुरस्कार ग्रहण मकया. इस हे तु वैज्ञामनक
पररवार की ओर से बधाई व शुभकामनायें!

-वैज्ञामनक पररवार

89 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

िनतय नर्य ों के नलए

oSKkfud Kku

1. dkSu lh xzafFk 'kjhj dh lcls cM+h gS \


2- dkSu lk foVkfeu olk esa ?kqyu'khy gSa\
3- dkSu lk dkSu lk foVkfeu ty esa ?kqyu'khy gSa\
4- gheksXyksfcu fdldk ;kSfxd gS \
5- dkSu ls o`{k ls rkjihu dk rsy feyrk gS \
6- Mcy jksVh cukus esa fdldk ç;ksx fd;k tkrk gS\
7- çFke ij[kuyh f'k'kq yqbl* dk tUe baXySaM esa dc gqvk Fkk \
8- raf=dk ra= dh bdkà dks D;k dgrs gSa \
9- ekuo 'kjhj esa fdrus çdkj dk vehuks vEy ik;k tkrk gS\
10- vkuqokaf'kd xq.kksa dks ekrk&firk ls larkuksa esa igq¡pkrk gS \
11- 'kjhj esa çksVhu la'ys"k.k eq[; dk;Z gS\
12- çksVhu dk la'ys"k.k gksrk gS\
13- euq"; ds jä esa gheksXyksfcu gksrk gS ftlesa ik;k tkrk gS\
14- fpfdRlk 'kkL= dk tud dgk tkrk gS \
15- euq"; esa Çyx fuèkkZj.k fuHkZj djrk gS \
16- euq"; ds 'kjhj esa fdruk çfr'kr ty gksrk gS \
17- euq"; ds 'kjhj esa dqy gfì;k¡ gksrh gS \

90 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

18- dkcksZgkbMªVs vkSj olk 'kjhj dks D;k nsrk gS \


19- fdl Lruèkkjh çk.kh dh vk¡[ksa lcls cM+h gksrh gS\
20- vkt dkcZu MkbvDlkbM ¼CO2½ ds mRltZu esa lokZfèkd ;ksxnku djus okyk ns'k gS\
21- fdl m|ksx esa vHkzd dPps eky ds :i esa ç;qä gksrk gS\
22- fo|qr çsl dk vkfo"dkj fdlus fd;k Fkk\
23- lkekU; euq"; esa jä dh ek=k gksrh gS\
24- ekuo 'kjhj dh lcls NksVh gìh gksrh gS \
25- ekuo 'kjhj dh lcls cM+h gìh gksrh gS \
26- 'kjhj dh o`f) esa lgk;rk djrk gS\
27- inkFkZ tks cgqr de rki ij vpkyd gksrs gSa rFkk vf/kd rki ij pkyd dh rjg dk;Z djrs gSa] dgykrs gS\
28- ân; ,d feuV esa èkM+drk gS \
29- ikSèkksa esa tSo inkFkks± dk ogu gksrk gS \
30- 'kjhj esa lokZfèkd ik;k tkus okyk rRo dkSu lk gS \
31- dkSu lcls NksVh thfor dksf'kdk gS \
32- euq"; esa xq.klw=ksa dh dqy la[;k gksrh gS\
33- dkSu ifÙk;ksa }kjk cuk;s Hkkstu dks ikSèks ds vU; Hkkx esa igq¡pkrk gS \
34- Xywdkst dk lw= D;k gS\

mÙkj:

1 ;—r 2-foVkfeu A, D, E o K 3- foVkfeu B vkSj C 4. çksVhu dk 5-phM+ 6-;hLV dk 7- 25tqykÃ]1978 8-


U;wju 9- 22 çdkj dk 10- Mh- ,u- , 11- vkj- ,u- ,- dk 12- jkbckslkse esa 13-yksgk 14-
fgIiksØsV~l dks 15- iq#"k ds Øksekslkse ij 16- yxHkx 65% 17- 206gfì;k¡ 18- ÅtkZ 19- fgj.k 20-
la;qä jkT; vejhdk 21-- fo|qr 22- gsujh 'khys us 23- 4-5&5-5 yhVj 24- LVsfil ¼dku dh½ 25-
Qhej¼tk¡?kdh½. 26-çksVhu 27-v)Zpkyd 28- 70 ls 75 ckj 29--¶yks,e }kjk 30 dkcZu
31-ekbdksIykTek 32-46 33-¶yks,e 34-C6H12O6

lat; xksLokeh
;equk th &13 v.kq'kfäuxj] eqacbZ &94

91 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक

नवज्ञाि समािार

euq"; fNidyh dh rjg nhokjksa ij LiSpqyh dgrs gSa A ;s vkdkj esa piVs pEep tSls
gksrs gSa A'kwd detksj varj vk.kqoh; oku Mj
py ldrk gS okYl (van der l wa ls) cyksa ds izHkko ls fpids
jgrs gSa A buds fpids jgus esa fdlh jlk;u dk
;fn vki ls dksbZ ;g dgs fd euq"; Hkh ;ksxnku ugha gS A oSls okLrfodrk rks ;g gS fd
fudV Hkfo"; esa fNidyh dh Hkk¡frnhokjksa ij py fdlh Hkh lrg dkcgqr ls ;k vusdkusd mHkjs gq,
ldrk gS ;k dejs dh Nr dh lrg ls mYVk fgLlksa esa cWV tkus ls mps fpifpik cuk nsrk gS A
yVd ldrk gS rks ;k rks bls dksjh dYiuk dgh fNidyh ds iSj ds uhps ryos dh lrg ds
tk;sxh vFkok foKku xYi A fdUrq uSuks cM+s {ks= esa yxHkx 6-5 fefy;u 'kwd ik;s tkrs gSa
VsDuksykWth ds {ks= esa vuqla/kku djus okys A lS)kafrd :i ls blesa 133 fdyksxzke Hkkj dks
oSKkfud bls lp lkfcr djus esa tqV x, gSa A mBk ldus dh {kerk fo|eku gksrh gS A fdUrq
vk'p;Z dh ckr ;g gS fd fNidyh viuk iSj
ge lHkh euq"; bl /kjrh ij [kM+s jgrs gSa ek= 1-5 feyh lsd.M esa gh eqDr dj ldrh gS
vkSj pyrs jgrs gSa A gesa blds fy, fdlh A ;gkW ,d lgt&lk iz'u mBrk gS fd ;g laHko
vfrfjDr cy dk iz;ksx ugha djuk iM+rk gS A dSls gksrk gS] blds fy, fNidyh dks lsVksa ds
bldk dkj.k ;g gS fd lh/kk [kM+k jgus ;k pyg dks.k dks ek= 30 fMxzh c<+kuk iM+rk gS A
dneh djus ds fy, ek= ?k"kZ.k cy (fiction) dh dSfyQksfuZ;k fo'ofo|ky; ds oSKkfudksa us bl
gh t+:jr gksrh gS A fdUrq fNidyh (Geeko) ewyHkwr fl)kUr dk iz;ksx djrs gq, fNidyh ds
nhokjksa ij pyrh gS] fpidh jgrh gS ;k mYVk d`f=e Vsi (adhesive) rS;kj dj fy;k gS A vk'kk
yVdh jgrh gS] bldk dkj.k D;k gS\ iats dSls dh tkuh pkfg, fd vc d`f=e Vsi ds cu tkus
fpids jgrs gSa tc og pyrh gS\ mRrj dh [kkst ds ckn ,sls twrs cukuk laHko gks ldsxk] ftUgsa
esa ;gk¡ dqN vkSj iz'u mHkj dj lkeus vkrs gSa A igu dj vkneh dejs dh nhokjksa ij py ldsxk
D;k fNidyh ds ikWo ds iatksa dh fupyh lrg ;k iSj Åij vkSj lj uhps j[kdj mYVk yVd Hkh
ij fjDr xfn~n;k¡ (vacum pads) gksrh gSa\ ;k ldsxk A ,slk djus ds fy, euq"; dks vius vanj
ikjaifjd Vsi (tape) gksrk gS\ vFkok fpifpik ds Hk; fd dgha fxj u tk;s dk ifjR;kx djuk
cgqyd (tacky polymer) fo|eku gksrk gS A gksxk A fdUrq oSKkfudksa dks bl rjg ds iz;ksx esa
bl iz'u dk mRrj feyk gS& vesfjdk ls fdruh lQyrk feyrh gS] ;g Hkfo"; ds xHkZ esa
izdkf'kr fo'o izfl) 'kks/k if=dk ^^lkbfUVfQd gS A vkSj rks vkSj] ,sls iz;ksxksa dh lQyrk ekuo
vesfjdu** (Scientific American) ds tuojh fgr esa gh gksxk] bl ij Hkyh Hkk¡fr foosdiwoZd
2004 vad esa ¼i`"B 101½ A fopkj djuk vko';d gS A
cdZys fLFkr dSfyQksfuZ;k fo'ofo|ky; ds izsepUnz JhokLro
oSKkfudks]a ftUgksua s ;g [kkst dh gS] dks ,slk ^vuqdEik*okbZ 2,
yxrk gS fd bldk jgL; lw{en'khZ ;a= dh
lh]115@6,
lgk;rk ls fn[kus okys yk[kksa jkseksa esa fNik gS]
ftUgsa 'kwd ;k lhVh dgrs gSa A izR;sd lhVk f=os.khiqje~] >wW¡lh
(lekIr gksrk gS vfrlw{erk uSuks jpukvksa es]a ftUgsa iz;kxjkt&211019

92 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक
ऊोंिाई पर पहुों ि र्यी थी ज NASA द्वारा निधागररत 50 मील
अों त ररक्ष (SPACE) के क्षे त्र में भारत की यात्रा : की पृथ्वी-अोंतररक्ष सीमा से अनधक है , लेनकि कमगि रे खा
अोंतररक्ष (Space) के क्षेत्र में भारत की यात्रा 1960 के दशक (पृथ्वी से लर्भर् 62 मील ऊपर) से कम है , नजसे अक्सर
में शुरु हुई थी. तब िॉ. नवक्रम साराभाई के िेतृत्व में अोंतररक्ष की सीमा मािा जाता है .
‘इों नियि िेशिल कमेटी फॉर स्पेस ररसिग’ की स्थापिा की
3 RH200 रॉकेट् का सफल परीक्षण
र्ई थी. भारत के पहले सैटेलाइट ‘आयगभट्ट’ क रूस के
भारतीय अोंतररक्ष अिुसोंधाि सोंस्थाि (ISRO) िे 24 िवोंबर,
‘आस्त्राखाि ओब्लास्ट्’ से लॉन्च नकया र्या था. भारत की
2022 क नतरुविोंतपुरम के थुोंबा तट से RH200 रॉकेट के
सरज़मीों से पहला रॉकेट 21 िवोंबर, 1963 क सफलता
तौर पर अपिा लर्ातार 200वाों सफल िक्षेपर् नकया.
पूवगक लॉन्च नकया र्या था. भारतीय स्पेस सेक्टर के
इनतहास में इसे मील का पत्थर मािा जाता है. लेनकि नपछले RH200 िे थुोंबा इक्ेट ररयल रॉकेट लॉम्भन्चोंर् स्ट्े शि (TERLS)
कुछ साल ों में भारतीय अोंतररक्ष अिुसोंधाि सोंर्ठि (ISRO) िे से उड़ाि भरी थी. इसर के नलए ये परीक्षर् ऐनतहानसक पल
ज कीनतगमाि स्थानपत नकए हैं व यादर्ार हैं. ISRO िे साल था. इस दौराि पूवग राष्ट्रपनत रामिाथ क नवोंद, ISRO के
2022 में भी कई िए कीनतगमाि स्थानपत (Achievements of अध्यक्ष एस. स मिाथ समेत कई ल र् इसके र्वाह बिे.
ISRO) नकए हैं. इस साल इसर िे अपिा पहला िाइवेट
रॉकेट भी लॉन्च नकया है.
1. सैट्ेलाइट् EOS-04 का प्रक्षेपण: 14 फरवरी 2022 क
भारतीय अोंतररक्ष अिुसोंधाि सोंर्ठि (ISRO) िे आों ध्र िदे श
के श्रीहररक टा म्भस्थत ‘सतीश धवि अोंतररक्ष केंद्र’ से
पीएसएलवी-सी (PSLV-C52) के ज़ररए Satellite EOS-04
क सफलतापूवगक िक्षेनपत नकया था. इसके साथ ही द
अन्य छ टे राइिशेयर सैटेलाइट् स ‘INS-2TD’ और भारतीय अोंतररक्ष अिुसोंधाि सोंर्ठि (ISRO) िे 26 िवोंबर
‘INSPIRESat-1’ क भी अोंतररक्ष भेजा र्या. सतीश धवि 22 क एक साथ 9 सैटेलाइट लॉन्च नकए थे. तनमलिािु के
अोंतररक्ष केंद्र का ये 80वाों िक्षेपर् याि नमशि था. श्रीहररक टा के सतीश धवि अोंतररक्ष केंद्र से प लर
2- Vikram-S रॉकेट् लॉन्च सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C54) की सहायता से
Ocean-Sat 3 और भूटाि के एक उपग्रह समेत 8 सैटेलाइट
क EOS-06 नमशि के तहत सफलतापूवगक लॉन्च नकया था.
ये साल 2022 में भारतीय अोंतररक्ष अिुसोंधाि सोंर्ठि
(ISRO) का 5वाों और आनख़री नमशि था.

18 िवोंबर, 2022 क ISRO िे निजी तौर पर नवकनसत


अपिा पहला Vikram-S रॉकेट लॉन्च नकया था. निजी
अोंतररक्ष उद्य र् क बढ़ावा दे िे के नलए ISRO का ये ियास
दे श के नलए मील का पत्थर सानबत हुआ. नवक्रम-एस रॉकेट
क िेन्नई शहर के ‘सतीश धवि अोंतररक्ष केंद्र’ से 18 िवोंबर
की सुबह दशगक ों की तानलय ों की र्ड़र्ड़ाहट के साथ लॉन्च
नकया र्या था. लाोंि के समय ये नमसाइल 55.6 मील की

93 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक
साल 2022 के नलए ये भारतीय अोंतररक्ष अिुसोंधाि सोंर्ठि
(ISRO) का 5वाों और आनख़री नमशि था.

आम्भखरकार ई-सेल आईआईएम इों दौर में उद्यनमता


26 िवोंबर 2022 क ISRO िे अपिे नविसिीय रॉकेट प लर
र्नतनवनधय ों की सुनवधा िदाि करता रहा है और यह
सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C54) की सहायता से
स्थाि इस तथ् क द हराता है।
Ocean-Sat 3 सनहत 9 उपग्रह ों क िक्षेनपत कर अपिी-
अपिी कक्षाओों में सफलता से स्थानपत नकया. इसर के
मुतानबक़, PSLV-C54 िे ओनशयि सैट शोंखला के अथग
ऑब्जवेशि सैटेलाइट-06 क पृथ्वी से 742 नकमी ऊोंिाई
पर अपिी कक्षा में िक्षेपर् के बाद 17 नमिट में पहुोंिाया.
सभी उपग्रह भी अपिी निधागररत कक्षाओों में क़रीब 528
नकमी ऊोंिाई पर स्थानपत नकए र्ए.

आईआईएम इं दौर में िाट्व अप

आईआईएम इों दौर के तत्वावधाि में म्भिक- उद्यनमय ों के


आईआईएम इों दौर के स्ट्ाटग -अप जैसे एक्स िेस मैट,
नलए िवािार और ऊष्मायि केंद्र का उद् घाटि नकया
कानविंर् माइों ि्स, क्राइर्र कैंपस, खािा, कैंपस, और द्र र्
र्या । श्री दीपक सतवालेकर, स साइटी के अध्यक्ष और
मैि िे नपछले कुछ वषों में नवस्तार करिे और धि
सोंस्थाि के ब िग ऑफ र्विगसग िे इस अवसर की श भा
िाप्त करिे में कामयाबी हानसल की है। स्ट्ाटग -अप
बढ़ाई। ि फेसर ऋनषकेश टी. कृष्णि निदे शक,
सोंस्कृनत के आर्मि के साथ आईआईएम इों दौर अपिे
आईआईएम इों दौर भी उपम्भस्थत थे। केंद्र का उद्दे श्य
अिूठे उपक्रम ों के साथ ििलि में आ र्या है।
िव नदत उद्यनमय ों का प षर् करिा और उद्यनमता
उद्यमशीलता क उत्प्रेररत करिे और एक स्थायी िभाव
पाररम्भस्थनतकी तोंत्र का नवकास करिा है ज सोंस्थाि के
पैदा करिे के नलए नवनभन्न कॉरप रे ट् स सीएसआर
नमशि के नलए महत्वपूर्ग है। यह स्थाि वायरलेस
सरकार और उद्यम पूोंजीपनतय ों के साथ साझेदारी करिे
इों टरिेट सुनवधाओों मेक-नशफ्ट आइनिएशि स्पेस मीनटों र्
के नलए य जिाएों निधागररत की र्ई हैं । आर्े बढ़ते हुए
ज ि ररनक्रएशि कॉिगर जैसी कुछ िीज ों की सूिी के
यह स्थाि उद्यनमता बढ़ािे व िौकररयाों पैदा करिे और
नलए आधुनिक समय के स्ट्ाटग -अप के नलए आवश्यक
नटर पल बॉटम-लाइि स्ट्ाटग -अप का समथगि करिा है ।
सुनवधाओों की छत है।ऑि कैंपस स्ट्ाटग -अि क ई-सेल
आईआईएम इों दौर द्वारा आय नजत द स्ट्ाटग -अप
माइलस्ट् न्स (टीएसएम कायगक्रम में भार् लेिा ह ता है
उत्तम मसंह िहरवार
तानक आय जि के अोंनतम िरर् के रूप में इिक्ूबेशि 205, समता कॉल िी,
िनशक्षर् दौर में पहुोंिा जा सके। रायपुर

94 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक
भहंदी भवज्ञान साभहत्य पररषद् (मुम्बई)
भहं दी नवज्ञाि की अम्भखल भारतीय स्तर पर एक शीषग सोंस्थाि
(पंजीकृत संख्या:‍BOM/64/70/G.B.B.S. F-2005)
पत्रािार का पता: 16-सी. कोंििजों र्ा. अर्ुशम्भििर्र. मुोंबई 400094
फ ि िोंबर-022-255592205 . email id: hvsp1968@rediffmail.com/hvsp.india1968@yahoo.com
नई कायव काररणी (2022-24)

अध्यक्ष उपाध्यक्ष सभचव

श्री सत्य प्रभात प्रभाकर


श्रीमती स्टस्मता मनोहर,
डॉ राकेश कुमार बाजपेयी
मनदे शक, एनआरजी, बीएआरसी

सह सभचव कोषाध्यक्ष संयुक्त कोषाध्यक्ष

श्री राजेश कुमार श्री कृष्ण कुमार वमाव श्री बी.एन. ममश्र
पदे न सदस्य सदस्य सदस्य
(मुख्य संपादक, वैज्ञाभनक)

श्री राजेश कुमार भमश्र श्री प्रकाश कश्यप


श्री अममत मट्काररया

‍‍‍‍‍ सदस्य सदस्य सदस्य

श्री संजय िोस्वामी श्री राजेश कुमार सचान श्री शेर मसंह मीना
सदस्य सदस्य सदस्य

श्री डी एस राजापुरे श्री के डी िुप्ता


श्री मनमतन वी चौिुले

95 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक tkudkjhijd if=dk

मनोित जिवरी मािग-23 का अोंक vkd"kZd vkSj ubZ lkexzh ls laiUu gSAif=dk dk
doj csgn vkd"kZd gSA lHkh ys[k csgn iBuh; vkSj tkudkjhijd gSA foKku laca/kh
ys[k vPNh yxh foKku ftlesa rjg varfj{k foKku dks lekfgr fd;k x;k gS] og
ç'kalk ds ;ksX; gSA ftls i<+dj eu foKku ls gf"kZr gks x;k- vDlj foKku Kku
esa oSKkfudrk gS vPNs foKku ys[kd foKku ds ckjs esa cgqr dqN fy[k ldrs gSaA
if=dk ds ek/;e ls fganh esa foKku ds çfr vfHk:fp iSnk djus dk dk;Z oSKkfud
}kjk fd;k tk jgk gS tks cgqr ljkguh; dk;Z gSA laikndh; dh iwjh Vhe dks esjh
vksj ls gkfnZd 'kqHkdkeuk,aA

/kU;okn! िॉ नमिाक्षी पाठक

आईआईटी मुोंबई
अं क ममली खु शी हई

वै ज्ञ ानिक जिवरी मािग -23 का अों क पढ़िे क


वै ज्ञ ामनक पमत्रका का ज्ञानवद्व क अं क
नमली काफी अच्छा लर्ा पनत्रका नवज्ञाि सों ब ों न धत है
सारे ले ख अच्छे हैं और कले वर भी अच्छा लर्ा आप
वैज्ञानिक का िया अोंक, जिवरी मािग-23 िाप्त ह र्या है । आलेख
और आपकी पनत्रका जिमािस में नवज्ञाि के िनत
िकाशि के नलये धन्यवाद।
जार्रूक पै द ा करिे का अि खा ियास निरों तर जारी इस अोंक में हमेशा की तरह ज्ञािवर्द्ग क लेख ों का िकाशि हुआ है ।
रखें है ऐ आपकी छात्र ों के नलए बहुत बड़ी बात है इस पनत्रका निरों तर िकानशत ह ते हुए नवज्ञाि सोंिार का कायग नबिा नवराम के
हे तु आभार व्यि करता हूों व नवज्ञाि के नवकास के करती रहे र्ी।
नलए आपके ियास क सलाम करता हूों । धन्यवाद!
मिीष श्रीवास्तव, भ पाल,ि
/kU;okn! िा राजीव रों जि, फैजाबाद
मवज्ञान के प्रमत जािरूक अं क मवज्ञान सं ब ं म धत पमत्रका

वै ज्ञ ानिक पनत्रका का जिवरी मािग -23 अों क में पनत्रका जिवरी मािग - 23अों क में सारे लेख अत्योंत र िक व नवज्ञाि की
लर्भर् सभी ले ख पढ़े । ले ख अत्यों त उच्च स्तरीय, नवनभन्न जािकारी से पररपूर्ग है िूफ भी काफी अच्छा है . पनत्रका के
सराहिीय तथा सारर्नभग त हैं । शु भकामिाएों सनहत! महत्वपूर्ग अोंक क निरन्तरता बिाये रखें अोंक में िकानशत हुई सभी लेख
कानफ रूनिकर व ज्ञािवधगक जािकारी दी र्ई है
िॉ सर ज शु िा
शुभकामिाएों सनहत!
नवज्ञाि की जािकारी से पररपू र्ग
वैज्ञानिक पनत्रका जिवरी मािग-23 अोंक व नवज्ञाि की नवनभन्न आशीष
जािकारी से पररपूर्ग है आपकी पनत्रका जिमािस में नवज्ञाि िसाद , पटिा
के िनत जार्रूक पैदा करिे का अि खा ियास निरों तर जारी
है ।इस हे तु आभार व्यि करता हूों व ज्ञाि के नवकास के नलए मवज्ञान छात्रों की पमत्रका
आपके ियास सराहिीय तथा सारर्नभगत है । वैज्ञानिक पनत्रका का , जिवरी मािग-23 के अोंक क पढ़ कर हम सभी
शुभकामिाएों सनहत!
क बहुत ख़ुशी हुई सभी लेख अच्छे हैं आपिे कुछ लेख नवज्ञाि छात्र ों
िॉ नदिेश कुमार
उच् स्तरीय पमत्रका क पनत्रका के माध्यम से ज ज जािकारी दी हैं व हम सभी के उत्साह क
बढ़ाई सोंपादक क मेरी तरफ से बधाई.
'वैज्ञानिक' का जिवरी मािग-23 का e कॉपी अोंक पढ़ा इस
शुभकामिा सनहत उमेश कुमार नसोंह,
अोंक में सभी लेख वै ज्ञानिक जािकारी से पररपूर्ग है . पनत्रका
एिआरबी, मुोंबई
जिमािस में नवज्ञाि के िनत जार्रूक पैदा कर नवज्ञाि सोंिार
का अि खा काम कर रही है सभी बधाई के पात्र है आकषग क और िई सामग्री से सों प न्न
शुभकामिा सनहत!
वै ज्ञ ानिक पनत्रका का जिवरी मािग - 23 अों क आकषग क और िई
िॉ. नवजय कुमार,
सामग्री से सों पन्न है ।पनत्रका का कवर बे ह द आकषग क है । सभी
लखिऊ
ले ख बे हद पठिीय और जािकारीपरक है ।
श्री उत्तम नसोंह र्हरवार, रायपुर

96 अप्रैल -जून-2023
वैज्ञानिक (त्रैमानिक) RNI. No.:18862/70 निल्ली, ियी निल्ली, महाराष्ट्र, नहमाचल प्रिे श, राजस्थाि व उ.प्र. के नशक्षा
नवभाग ों द्वारा स्कूल ों व कॉलेज ों के नलए स्वीकृत।

वैज्ञानिक’ में लेखक ों द्वारा व्यक्त नवचार ों से सोंपादि मोंडल का सहमत ह िा आवश्यक िह ों है . वैज्ञानिक में
प्रकानित समस्त सामग्र के सवाानिकार नहों.नव.सा.पररषद के पास सुरनित हैं . ‘वैज्ञानिक’ एवों नहों .नव.सा.पररषद से सोंबोंनित
सभ नववाद ों का निर्ाय मुोंबई के न्यायालय में ह ह गा. ‘वैज्ञानिक’ में प्रकानित सामग्र का आप नबिा अिुमनत नलए
उपय ग कर सकते हैं . परों तु इस बात का उल्लेख करिा अनिवाया ह गा नक अमुक सामग्र ‘वैज्ञानिक’ से साभार

नहोंिी नवज्ञाि िानहत्य पररषि् , मोंबई के नलए मख्य िोंपािक श्री राजेश कमार नमश्र द्वारा िम्पानित,
मख्य व्यवस्थापक : श्री िोंजय ग स्वामी द्वारा प्रकानशत. मद्रण- ऑिलाइि

You might also like