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Do you know?

क्या आप जानते हैं?

मेरी कहानी
आप जो इसे पढ़ रहे हैं मै जानता हूँ की आपके पास समय नहीं होगा है | लेकिन अगर आप सिर्फ 5 मिनट निकाल के
इसे पढ़ेंगे तो मै वादा करता हूँ की आपका समय व्यर्थ नहीं जायेगा |
1998, मे मैं,मेरे माता पिता और मेरी 3 बड़ी बहनें मदुरै (तमिलनाडु) से दिल्ली (करोल बाग) आए थे | दिल्ली में
आने से पहले मेरे पिताजी के पास काम नहीं था और उन्हें दिल्ली में काम मिलने के कारण हम सब दिल्ली आये |
जब हम दिल्ली आये हमारे हालात बहुत खराब थे जो लोग पटरी पे सोते हैं हम भी उन्ही के समान थे सिर्फ फ़र्क़
ये था की जब हम दिल्ली आए तो हमने एक छोटा सा कमरा किराये पे लिया | उस समय मेरे पिताजी की तनख़्वाह
सिर्फ 2000 रुपए थी | उस समय मेरे पिताजी बहुत शराब पीते थे और वो अपनी पूरी तनख़्वाह शराब पीने में ही
ख़र्च कर देते थे इस कारण हमें 3 समय का खाना मिलना बहुत मुश्किल था आगे ऐसी बहुत सी बाते हैं जिन्हे सोचने
पे भी मेरी आँखों में आंसू आ जाते हैं. लेकिन उनमे से कु छ बातो को मैं आपको बताना चाहूँगा.

जैसे मैंने बताया की मेरे पिता शराब पीने के कारण घर में पैसे नहीं दिया करते थे, मुझे याद है मै एक छोटा दूध पीने
वाला बच्चा था उस समय मेरी माँ को खाना सही से न मिलने की वजह से उनके शरीर में मुझे दूध पिलाने के लिए
दूध नहीं होता था और न उनके पास पैसे थे की मुझे खरीद कर दूध पिला सके ,और अगर मेरे पिताजी से पैसे माँगे तो
वह नशे में उन्हें मारते थे इसीलिए मम्मी ने पड़ौस वाली आंटी से जाके दूध माँगा पर उन्होंने मना कर दिया और
दरवाज़ा बंद कर दिया।फिर मेरी माँ ने मेरी भूख मिटाने के लिए चावल उबाल कर उसमे से जो पानी बचता था उसे
मुझे हर रोज़ पिलाना शुरू किया और मैं उसे दूध समझ कर पीने लगा इस परीस्थिति को देख कर मेरी माँ ने घरों में
काम करना शुरू किया।सुबह और शाम वो काम करने लगी पर ज़िन्दगी बुरी से और बुरी होने लगी मेरे पिता ने और
ज़्यादा शराब पीना शुरू कर दिया. मुझे, मेरी बहनो और मेरी माँ को मारने लगे हम और भी न उम्मीद हो गए
पैसे न होने की वजह से हम उस समय स्कू ल नहीं जा सकते थे हिंदी न आने की वजह से दोस्त नहीं बना पाए हिम्मत
न होने की वजह से भीख भी नहीं माँग पाए .
सन्न 2000 में किसी जान पहचान वाले व्यक्ति से पता चला की हमारे घर के पास ही कोई फ्री टूशन पढ़ाता है तो
हमने भी सोचा हम जाकर पढ़ेंगे लेकिन अपने कपड़ो और अपनी हालत देख कर हमने सोचा की हमे वे लोग टयूशन
नहीं पढ़ाएंगे पर हमने हिम्मत की और वहां गए। मैं और मेरी बहनें बाहर खड़े देख रहे थे की कु छ बच्चे बैठे है और
कोई उन्हें टयूशन पढ़ा रहा है उन्होंने हमे देखा और हमे अन्दर बुलाया और पढ़ाया भी। इस से हम बहुत खुश हुए और
हम लगातार जाने लगे और पढ़ने लगे। ऐसे चलता रहा फिर मेरी बहनो को एक सरकारी स्कू ल में एडमिशन मिला
एक तरफ पढाई करने की ख़ुशी एक तरफ हमारी घर की आर्थिक स्थिति से हम बहुत परेशान थे। पैसे न होने कारण
मेरी बहने स्कू ल की किताबे, यूनिफार्म, जूते दूसरे बच्चो के इस्तेमाल किये हुए पुराने उनसे माँग के स्कू ल पहन कर
जाते थे। मेरे पिताजी का शराब पीना, हमारा आँसू बहाना, और भूखे पेट सोना सब बढ़ता गया।
फिर एक दिन जहाँ हम टयूशन पढ़ते थे उन्होंने हमे रविवार सुबह आने के लिए कहा लेकिन रविवार को छु ट्टी होती
थी फिर भी हमने मना नहीं किया और हम चले गये और हमने देखा की बच्चे वहां नाच रहे हैं, गा रहे हैं और गेम खेल
रहे है हमे कु छ समझ नहीं आया पर हमे मज़ा आने लगा और हम भी शामिल हो गए। फिर उन्होंने एक कहानी सुनाई
उसके आखिर में उन्होंने एक बात कहीं
"अगर तुम यीशु मसीह से दिल से प्रार्थना में जो कु छ मांगोगे वह तुम्हे मिल जाएगा" जब उन्होंने यीशु का नाम लिया
तो हमे पता चला की जहाँ हम बैठे है वह एक टूशन सेंटर नहीं पर वो एक चर्च है मेरी सबसे बड़ी बहन समझदार थी
इसीलिए जो कु छ उन्होंने बोला उसे मान कर उसने मुझे और मेरी बहनो को भी प्रार्थना करवाया हमने पिता जी की
अच्छी और ज्यादा तनख़्वाह के लिए प्रार्थना करी हम प्रार्थना करके घर चले गए।
आश्चर्य की बात ये है की उसी हफ्ते हमारे पापा ने हमसे आकर कहा कि उन्हें एक अच्छी और ज़्यादा तनख़्वाह वाला
काम मिला है इसे सुनकर मैं और मेरी बहनें बहुत खुश हुए अचानक हमे याद आया की हमने इसके लिए प्रार्थना करी थी
अब हम थोड़ा हैरान हो गए और इस बात को परखने के लिए हमने फिर से प्रार्थना की अपने कपड़ो के लिए, इस बार
हम और भी हैरान हो गए इसे पहले कभी भी माँ और पिताजी ने नये कपड़ो पर पैसे खर्च नहीं किया था पर प्रार्थना करने
के कु छ दिन बाद ही हमे नए कपड़े मिले इस बात को हमने अपनी माँ को भी बताया।
वो समय था की हम सोचते थे की कोई हमे पसंद नहीं करेगा और न ही अपनाएगा, मेरा और मेरी बहनो का कोई
भविष्या नहीं होगा और न ही हमारा आँसू बहना कभी बंद होगा। उस समय से लेकर अभी तक यीशु मसीह से
प्रार्थना करना नहीं छोड़ा और इस बात को मैं बड़े दावे और गर्व के साथ कह सकता हूँ.की न ये हमारी मेहनत से न
हमारी काबिलियत से हुआ पर यीशु मसीह से प्रार्थना करने और उनकी आशीष की वजह से ही हुआ है।
आज मेरी बड़ी बहन एक पास्टर है, दूसरी बहन जिस स्कू ल में हमने आँसू बहाकर एडमिशन लिया था उसी स्कू ल में
एक टीचर है और तीसरी बहन हॉस्पिटल में एक नर्स है मैं आपको जो ये सब बता रहा हु एक पास्टर हूँ.. हम सभी
लोग प्रार्थना करते है. लेकिन हमने उस से प्रार्थना करी जिसने इस धरती और आसमान को बनाया जिसने हमे
बनाया ये ही नहीं जिसने हमसे ऐसा प्यार किया की जब हम उसे भूल गए थे और पाप के गलत रास्तो को चुना उसने
अपना जीवन देकर इस बात को दर्शाया की वही रास्ता है वही सच्चाई है और वही जीवन है उसने मेरे और मेरे
परिवार का जीवन बदला क्योकि हमने यीशु मसीह के सच्चे प्यार को पहचाना और विश्वास किया की वो सच्चा
परमेश्वर है जो आज भी जीवित है और हमारी प्रार्थनाओ को सुनता है मैंने अपनी जीवन की गवीही आपको इसीलिए
नहीं बताई कि मैं मशहूर हो जाऊ या लोग मुझे जाने पर इसीलिए सुनाई की आप भी मेरी तरह उस 4 साल के बच्चे
के सामान पुरे विश्वास से यीशु मसीह से प्रार्थना करे और अपनी ज़िन्दगी को उस मुकाम पर लाये जिसकी आपने
कभी कल्पना भी नहीं करी हो

यीशु मसीह आपकी प्रार्थना जरूर सुनेंगे !


अगर आप प्रार्थना करवाना चाहते है, या हमे अपनी कहानी बताना चाहते है तो हमे सम्पर्क करे।

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