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❀ ीसू ❀

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दे
वी पू
जा म ीसू का वशे ष थान है । भगवती ल मी क कृ पा पानेकेलयेइसका
पाठ सव म साधन माना जाता है
। ऐ य, सुख-समृ क कामना से इस सू केम
का जप तथा हवन-पू
जन ब त ही फलदायक होता है । ीसू के ऋ ष आन द, कर्दम,
च लीत, जातवे
द; ी (भगवती ल मी) देवता; अनुुप्, तारपं एवं ु प्छ द ह।
माता ल मी क स ता हेतु
इसका पाठ कया जाता है ।
सुगम ान सं गम केइस लेख म ीसू के१६ मू ल ोक केसाथ लघु श द भी दये
गये
ह, जसे देखकर आप इसे सरलतापू वक बोल सकतेह।
यान द- ❍ लघुश द का अथ है ❑➧मू ल ोक के बड़े श द का उ चारण न बदलतेए
उ ह पढ़नेक सेछोटे -छोटे प म दशाना ता क उसेदे खकर पाठकगण
सरलतापू वक उ चारण कर सक। येश द का स ध- व छे दन नह है ; य क
स ध- व छे द सेउ चारण म दोष आने क स भावना बनी रहती है

❀ ीसू ❀
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ल ोक ❍लघु
(❑➧मू श द)

❑➧ॐ हर यवणा ह रण सुवणरजत जाम् ।


च ांहर मय ल म जातवेदो म आ वह।।१।।
❍ ॐ हर य-वणाम् ह रण सु वण-रज-त -जाम्।
च ाम्हरण्-मयीम्ल मीम् जात-वे
दो म आ वह।।१।।
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❑➧तांम आ वह जातवे
दो ल मीमनपगा मनीम्।
य यांहर यंव दे
यं
गाम ंपुषानहम् ।।२।।
❍ ताम्म आ वह जात-वे दो ल मी-मनप-गा मनीम्।
य याम्हर यम्व देयम् गाम म् पुषा-नहम्।।२।।
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❑➧अ पूवा रथम यां


ह तनाद मो दनीम्

यंदे
वीमु
प येीमा देवी जु
षताम्
।।३।।
❍ अ -पूवाम्रथ-म याम्ह त-नाद- मो दनीम्

यंदे
वी-मुप येीमा दे वी जु
षताम्
।।३।।
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❑➧कांसो मतांहर य ाकारामा ा वल त तृ तां
तपय तीम्।
प ेथतांप वणा ता महोप ये यम् ।।४।।
❍ काम्सो मताम्हर य- ाकारा-मा ा वल तीम् तृताम्तप-य तीम्

पद्
मे
- थताम्पद्म-वणाम् ता म-होप ह्
वये यम् ।।४।।
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❑➧च ांभासांयशसा वल त यं लोकेदे


वजुामु
दाराम्।
तां
प नीम शरणंप े अल मीम न यतांवां
वृ
णे
।।५।।
❍ च ाम्भासाम्यशसा वल तीम् यम् लोके-देव-जुा-मु
दाराम्

ताम्
पद्
मनीमीम्शरणम्प े अल मीर्-मे
न यताम्वाम् वृणे
।।५।।
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❑➧आ द यवण तपसोऽ ध जातो वन प त तव वृोऽथ ब वः।


त य फला न तपसा नु
द तु
या अ तरा या बा ा अल मीः।।६।।
❍ आ द य-वण तपसोऽ ध जातो वन प त- तव वृोऽथ ब वः।
त य फला न तपसा नुद तुया अ तरा या बा ा अल मीः।।६।।
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❑➧उपैतुमां
दे
वसखः क त म णना सह।
ा भू
तोऽ म रा े
ऽ मन्क तमृ ददातु
मे
।।७।।
❍ उपैतुमाम्दे
व-सखः क त म णना सह।
ा भू
तो-ऽ म रा े-ऽ मन्
क त-मृ म्ददातु मे
।।७।।
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❑➧ ुपपासामलांयेामल म नाशया यहम्।


अभू
तमसमृ च सवा नणु द मे
गृ
हात्
।।८।।
❍ ुत्
- पपासा-मलांयेाम-ल मीम् नाशया- यहम्

अभूतम-समृ म् च सवाम्नणुद मेगृ
हात्
।।८।।
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❑➧ग ध ारांराधषा न यपुांकरी षणीम्



ई र सवभूतानां
ता महोप ये यम् ।।९।।
❍ ग ध- ाराम्रा-धषाम्न य-पुाम् करी षणीम्।
ई रीम्
सव-भू तानाम्ता म-होप ये यम् ।।९।।
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❑➧मनसः काममाकूत वाचः स यमशीम ह।
पशू
नां पम य म य ीः यतां यशः।।१०।।
❍ मनसः काम-माकूतम् वाचः स यम-शीम ह।
पशू
नाम् प-म य म य ीः यतां यशः।।१०।।
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❑➧कदमेन जा भू
ता म य स भव कदम।
यंवासय मे
कुले
मातरंप मा लनीम्।।११।।
❍ कदमेन जा भूता म य स भव कदम।
यम् वासय मे
कुलेमातरम् पद्
म-मा लनीम्।।११।।
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❑➧आपः सृज तुन धा न च लीत वस मेगृहे



न च दे
व मातरं यं
वासय मे
कुले
।।१२।।
❍ आपः सृज तुन धा न च लीत वस मे गृहे

न च दे
व मातरं यंवासय मेकुले।।१२।।
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❑➧आ ा पुक रण पु प लां प मा लनीम्



च ांहर मय ल म जातवे
दो म आ वह।।१३।।
❍ आ ाम् पु
क रणीम्पुम्प लाम् पद्
म-मा लनीम्

च ाम्हरण्-मयीम्
ल मीम् जात-वे
दो म आ वह।।१३।।
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❑➧आ ा यः क रण य सुवणा हेममा लनीम्



सू
या हर मय ल म जातवे
दो म आ वह।।१४।।
❍ आ ाम् यः क रणीम्
य म् सु
वणाम् हे
म-मा लनीम्

सू
याम्हरण्-मयीम्ल मीम्जात-वेदो म आ वह।।१४।।
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❑➧तांम आ वह जातवे
दो ल मीमनपगा मनीम्।
य यांहर यंभूतं
गावो दा योऽ ान्व दे
यं
पुषानहम्
।।१५।।
❍ ताम्म आ वह जात-वे दो ल मी-मनप-गा मनीम्

य याम्हर यम्भू तम् गावो दा यो-ऽ ान्व दे
यम्पुषा-नहम्
।।१५।।
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❑➧यः शु
चः यतो भू
वा जुयादा यम वहम्

सूंप चदशच च ीकामः सततं जपे
त्
।।१६।।
❍ यः शु
चः यतो भूवा जुया-दा य-म वहम्।
सूम् प च-दशचम्च ीकामः सततम् जपे त्
।।१६।।
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[ ऋक्
प र श म प ठत है
।]

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