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Chapter 1

त्रित्रिध - काम / क्रोध लोभ


भाग 1 – दु र्योधन

i~ivaQaM narksyaodM WarM naaSanamaa%mana:.


kama k`aoQastqaa laaoBastsmaadot~yaM %yajaot\.. 16/21

काम ,क्रोध और लोभ- र्ये तीन प्रकार के नरक के दरवाजे जीवात्मा का पतन करने वाले हैं ,
इसललए इन तीनों का त्याग कर दे ना चालहए।
(Lights open)

(Lights off)

रणभमू ि का दृश्य : एक शिशान की तरह दृष्टिगोचर हो रही है |


(Lights open)
( कृष्ण जी दु र्योधन और शकुलन से र्युद्ध के बीच लमलते हैं )
दु र्योधन - (लचल्लाकर ) आ ... आ
(शकुलन उसे पकड़ ले ता है )
कृष्णजी - अब तो इतनी रात हो चुकी है दु र्योधन ! अब तो कुरुक्षेत्र भी सो गर्या है ऐसे में अब
लकस बालक की हत्या करने जा रहे हो ! हर माता- लपता को थोड़ी दे र तो अपने पुत्रोों के दाह
सोंस्कार में रोने दो । वैसे भी र्यहााँ पर तु म हो, पााँ च और ढाँ ढ लो और सात लमलकर लिर से
लकसी बालक को पकड़ उस पर भारी हो जाना, र्योजना तो कर ली है न ? लक कल लकसका
बालक मरे गा ?
दु र्योधन - मैं हर उस बालक की छाती भेदाँ गा, लजसको उनका राजा खुद रण में भेजेगा और
इतना ही दु ख हो रहा है , तो धममराज र्युलधलिर स्वर्यों चक्रव्यह में आते ,पर तु मसे र्ये लववाद
करना व्यथम है क्ोोंलक तुम मान ही चुके हो लक वे धमी हैं और मैं अधमी ।
कृष्णजी - हम सबने धमम ही पढा है |
क्ा कभी सुना है लक लकसी गुरु ने अपने लशष्य को अधमम का पाठ पढार्या है ? तु म्हें लकसने र्ये
ज्ञान लदर्या है लक सभा में कुल की रानी के वस्त्र हरे गए हों वे गुरु अपने लशष्योों को धमम का
मागम लसखलाते हैं , र्ये तो अब लशष्योों पर लनभमर करता है लक वो धमम का मागम अपनाएँ र्या अधमम
का ।
दु र्योधन - र्यलद मागम अधमम का है तो द्रोणाचार्यम, कृपाचार्यम, गोंगापुत्र भीष्म र्ये सारे धमम गुरु
िेरी ओर से क्ोों लड़ते ?
कृष्ण जी - वो लकसी भी ओर खड़े होों - पर वो धमम का ही र्युद्ध करें गे ।उनके पास कोई और
लवकल्प नहीों है र्युवराज ।
पर तु म्हारे पास बहुत लवकल्प थे ! पर तु म सही चर्यन ना कर पाए । नारार्यणी सेना र्या नारार्यण
? तु मने सेना को चुना ,पााँ च गााँ व शाों लत के र्या र्युद्ध ,तु मने मुझे ही बोंदी बनाने का सोचा ।
पर हम सबको अपने मन का लवकल्प चुनना होता है और लिर जीवन भर उस चर्यन का भार
भी ढोना होता है | आज सही चर्यन का एक अवसर तु म्हें लिर दे ता हूँ | अभी भी पााँ च गााँ व दे
दो ,मैं पाांडवों को कह दाँ गा लक र्युद्ध से पीछे हट जाओ ।

दु र्योधन - वासुदेव ! मेरा उत्तर क्ा होगा ,यह तो जान ही ललर्या होगा ,तु म तो ज्ञानी हो ,
अगर तु म दु र्योधन को समझते हो ,तो र्ये लवकल्प लिर से ना दे ते !
कृष्ण जी - समझता हाँ अच्छे से, तभी तो मुझे ज्ञात था लक इस अोंलतम अवसर पर भी तुम सही
चर्यन नहीों करोगे ।
(Lights off)
भाग-2 (Dhruv)
(Lights open song starts & stop in between)
Class 1-
साक्षी - िैं र्यहााँ बैठ जाऊाँ?
ध्रुि - हााँ ! तो मेरे साथ बैठ जाओ |
Class 5
साक्षी I forgot my pencil box at home.
ध्रुि - कोई बात नहीों ,मेरा पेंलसल बॉक्स शेर्यर कर लो ।
Class 9
साक्षी - मैंने अपना प्रोजे क्ट नहीों लकर्या ,मैम मुझे डााँ टेंगी ।
ध्रुि - तु म मेरा प्रोजे क्ट ले लो । मैं प्रोजे क्ट जमा कर भी दाँ लिर भी क्लास के बाहर ही खड़ा
कर दें गी मैम |
क्लास 11
साक्षी - आज नहीों लमल सकती क्ोोंलक आज तम्
ु हारी JEE की extra class है ।
ध्रुव - ते री भी तो NEET की क्लास है |
( कुछ खाते हुए)
साक्षी - क्ा ?
ध्रुि - ते री भी तो NEET की क्लास है ।
ध्रुि - mom !dad! I want to pursue MBA from US, please arrange money for
it.
साक्षी से - I will be leaving for my MBA to US.
साक्षी - Great! Just 2 years and you will be back.
ध्रुि -Dad ! need more money can you arrange and send it.
साक्षी - lets get married now, as we both are settled, you have a decent job
and I am a doctor.
ध्रुि - take this file to Jerry, this one promotion is very important for me
sakshi
Let's just wait for a year.
ध्रुि -wait and see Dad! Take this file to Jerry!
Mom! dad! Sakshi! Company is sending me to London and this is my dream
job I am busy with that .
Sakshi- You will be away for too long now from me, from your parents, we
need to start building our lives together now, what’s the need
Dhruv- Take the file to jerry! Wait a sec dad! Mom can’t talk to you now,
Take this file to jerry.
Sakshi- So, you coming back now, you are the CEO! You can handle from
India too! You, me, your parents, we will be together!
Dhruv- wait a sec .can not talk right now, take this file to jerry.
Sakshi- I applied for fellowship and got through, I am coming to you to
London!
Dhruv- The company is moving to Amsterdam to head. Sakshi, you won’t
understand! Wait a sec . Dad! Take this file to Jerry.
Sakshi- What wouldn’t I understand!
Dhruv- Wait a second Dad, can't talk right now, It's something, I learnt out
here! It's pounds, dollars, growth, power, more powers, cars, value for
time...Wait a second Dad.
Sakshi: You don't need more time! You need more money! You are being
greedy. You are not the Dhruv I remember.
Dhruv: No I am not, now you are happy!
Sakshi: No! just disappointed! Your parents need you back here! I need you
back here! They have spent each penny they had, to make you stand
in this position.
Dhruv: So in the end, it's about money right!
Sakshi: No, it's about your responsibility!
Dhruv: You know, you've started to sound like my father!
Sakshi: Good! At least one of us does!
Wait a second Dad/Mom
Dhruv: Listen! You think you can just show up and tell me how to live my
life? You all don't even know, how I reached here!
Sakshi: Listen to me! Listen to your parents, They need you!
Dhruv: Wait a second Dad.
Forget it!
Sakshi: Fine!
(It is a blank/blackout with Dhruv alone)
Doctor: It's a heart attack, I can't say right now!
Dhruv: Doctor Dad ko kuch nahi hona chahiye.
Mom: Thoda der kar di Beta, Samajhne mein, Aney mein!
Kaam ka harja toh nahi ho raha na udhar!
Dhruv: Maa, I am sorry!
Sakshi, I am sorry!
Sakshi: Maa theek keh rahi hai Dhruv! Thodi der kar di aney mein. Tum
mein aur Mahabharat ke Duroydhana mein koi farak hi nahi dikhta
mujhe, Dhruv! Kaam, Krodh aur Lobh ne Duryodhana ka patan kiya,
aur inhi ne tumhare andar insaan ko ek lalchi robot bana kar rakh diya
hai...
Power, growth, money, in sab ke agey mummy, papa aur main kuch
nahi hai tumhare liye...

Dhruv: Dad ko kuch nahi hona chahiye Sakshi...


Papa ko kuch nahi hona chahiye...

(__ - on screen) (lights fade off)


Chapter 2 Samaanta
Part 1 Draupadi
ya~ naaya-stu pUjyanto rmanto t~ dovata.
ya~Otastu na pUjyanto savaa-st~aflaa ik`yaa. ³manausmaRit 3/56´

जह ाँ न रियों की पज
ू होती है वह ाँ दे वत ननव स किते हैं। जह ाँ न रियों क आदि नह ीं होत
वह ाँ स िे क यय ननष्फल होते हैं।

On stage : the scene is established after Draupadi Vastraharan


4 actors on stage - Draupadi / Vidur / Gandhari / Kunti

द्रौपद : िैं अपने प्रश्नों के उत्तर िाांग रही हूां पपतािह...उठ जाइए आप सब लोग...उठ
जाइए...िझ
ु े बताएां जो व्यष्तत स्वयां अपने को जए
ु िें हार चक
ु ा है वह कौन होता है ककसी और
की स्वतांत्रता को दाव पर लगाने वाला ?
िैं अपने प्रश्नों का उत्तर िाांग रही हूां...तयोंकक यह प्रश्न केवल द्रौपदी नहीां कर रही है यह प्रश्न
कर रही है नारी जातत, यह प्रश्न कर रही है पथ्
ृ वी, जो हर प्राणी की िाां है , यह प्रश्न कर रहा है
इस दे श का भपवटय...िैं अपने प्रश्नों के उत्तर िाांग रही हूां...
तया पत्नी, पतत की सांपपत्त होती है ? अगर होती है तो जब वह अपने को हारे तो उसी के साथ
िझ
ु े भी हार गए...तो किर िैं दाव पर तयों लगी...और आप सब यह िानते हैं कक पत्नी पतत
की सांपपत्त नहीां, तो िेरे पतत िेरी आज्ञा मलए बबना िझ
ु े दाव पर कैसे लगा सकते हैं ? यह होते
कौन है िझ
ु े हारने वाले ?
जैसे दीिक बडे से बडे वक्ष
ृ को चाि जाती है ,जैसे रोग शरीर को खा जाता है ...एक औरत के
अपिान का यह रोग, दीिक की भाांतत, पररवार के वांश को, भारत वांश के वक्ष
ृ को नटि कर
दे गा |
तया एक पतत को अधिकार है ? कक यह अपनी पत्नी को जुए िें हार जाए ? और यदद आपने
आज भी िेरे प्रश्नों का उत्तर नहीां ददया, तो यह प्रश्न ककसी भी जन्ि िें आप लोगों का पीछा
नहीां छोडेगा...
िैं अपने प्रश्नों के उत्तर िाांग रही हूां.....
कीं ती : द्रौपदी, ित रो द्रोपदी ित रो , तयोंकक हष्स्तनापरु अपिान की पररभाषा भल
ू चक
ु ा है
और िैं हष्स्तनापरु को तया कहूां जब स्वयां िेरे पत्र
ु ों ने िेरा सर झक
ु ा ददया, उनकी िाता
ति
ु से कहना चाहती है द्रौपदी बडा अमभिान था िझ
ु े अपने पत्र
ु ों पर, परां तु वह िेरा
अमभिान भी चकनाचरू हो गया। अपने आांसू पोंछो द्रौपदी, तम्
ु हें स्वयां अपने हाथों से अपने
आांसू पोछने होंगे और अपना सर उठाओ तयोंकक वास्तव िें अपिान तुम्हारा नहीां हुआ है
द्रौपदी, अपिान हुआ है यहाां बैठे क्षबत्रयों का, अपिान हुआ है िेरे बेिों का ,अपिान हुआ है
पररवार का ,तो तुि इस अपिान को सिेिे अकेले तयों रो रही हो ?
ग ींध ि : तया उस राज्य की िहारानी जय के योग्य है ,ष्जसकी पत्र
ु विू का भरी सभा िें वस्त्र
हरण ककया गया हो और उस राज्य के बडे बढ
ू ों ने कुछ नहीां कहा तया? तया होगा तया ना
होगा , िैं तो उस गाय की भाांतत हूां जोकक अपने जलते हुए घर की ज्वाला को दे ख रही है और
पववश है |
ववदि : अपने किों के मलए व्यष्तत स्वयां उत्तरदायी होता है अत: श्री द्रोणाचायय कृपाचायय,
आप सभी सभ्य और मशक्षक्षत हैं ।अपने किों के मलए, तकय का कोई ना कोई िागय तनकाल ही
लेंगे । िेरा आत्िपवश्वास ऐसा डडगा है कक शायद िैं कभी सांभाल ना पाऊां
शोक , सिस्याओां का हल नहीां है ।
िेरी तो पववशता ये है कक यह घर पररवार िेरी कियभमू ि भी है ।
िझ
ु े द्रोपदी के प्रश्नों के उत्तर चादहए जो आगे जाकर हर घर ,हर पररवार करे गा, भारत वांश
करे गा, की ियायदा की पररभाषा तया है ?
पत्नी वस्तु है या व्यष्तत ?
यदद द्रोपदी को दाँव पर लगाओगे ििायनस
ु ार ठीक है तो किर अििय तया है ?पत्नी वस्तु है
या व्यष्तत ?
ऐसा ही कोई और भी प्रश्न है कोई और, यदद आप से सबको इन प्रश्नों के उत्तर मिल जाए तो
िझ
ु े भी बता दे ना |
BHAAG 2 { SHRUTI }

{( ON STAGE - Shruti and Naveen's daughter Baani is getting married)


( Baani weds Akshay - set up is of wedding arrangement all around ) }

SHRUTI: Laddos are ready, राजू इसको प्लेि िें रख दो...

( AYESHA AND PIYUSH ENTER )

AYESHA: Hey Baani...! Blessings, I'm so happy...


AYESHA: (to shruti) finally ( showing Mehandi ) Yayyay ... ( they hug each
other)
PIYUSH: Bhabhiji, these laddos are superb, दे खो िैं अपनी उां गली खा गया...Neeraj
you are a lucky man! you get to eat these laddu's daily!
AYUSH: I love your handmade laddu since school days yaar
Neeraj: Piyush they these are the best laddu's on earth
Piyush: बानी की शादी के बाद, पता नहीां कब ये लड्डू मिलेंगे ?

Neeraj: अरे ! anytime... Shruti is born to make laddu's only!


Ayesha: seriously Neeraj, was this a joke ! Shruti why don't you sell laddoos
and make a business out of it, you are so good at it !
Neeraj: अरे िैं तो खद
ु इसको allow कर चक
ु ा हूां श्रतु त को, कक लड्डू का बबजनेस कर लो,
she can cook and make laddu's, and I will manage the business.
AYESHA: तुि allow कर रहे हो श्रतु त को ! ितलब…ितलब इस इससे तुम्हारी परमिशन
की जरूरत है …T
Neeraj: Arey yaar you know what I mean...?
AYESHA: no ! no ! I don't know what you mean you ! you are an independent
women Shruti just open your business
NEERAJ : business is not that simple, it's complicated, making laddu's in the
kitchen is fine! she can't take the stress and burden of running a business !
running a business is much more than making good laddu's, now I feel she
should be out of this and concentrate on wedding and laddoos...!

(Neeraj and Piyush go to the other corner of the stage)

AYESHA: what is this Shruti ? do you need his permission ? what do you
want?
Shruti: I want to start this business but then I am scared
AYESHA: scared of what?
Shruti: what if he is right ?and I fail and not able to make a good business !
AYESHA: what if he's wrong? lets do one thing, business shuru karo and
don't tell Neeraj
Bani: and once it is a success we will give him a surprise!
Shruti: OK. (Chuckles). (Three of them hug each other.)

{(Song Navraj Maajhi


during the Song, Shruti enrols on Zomato / swiggy.(on one hand
wedding preparations and on the other hand, She starts recaming
orders, Delivery Boy Comes & Starts collecting the Boxes)

(Song Duration: 2min 20sec).}

{one Day (on the music) Neeraj confronts Delivery boy)}

Delivery Boy : भैया आडयर दे ना


NEERAJ : हाां लो िैं पैसे दे दे ता हूां
Delivery Boy : पैसे तो swiggy दे गा 150 बॉतस लड्डू का ऑडयर पपकअप करना है
(नीिज returns angrily)
NEERAJ : श्रतु त श्रतु त तुिने िझ
ु े नहीां बताया िझ
ु े बबना बताए...You didn't ask me this
is so I embarrassing!
SHRUTI : You were into your ego Neeraj, you thought I cannot do this!
NEERAJ : you didn't tell me it's so hurting
shruti : it's hurting, paining, that I didn't tell you!
NEERAJ : oh! god! that is so amazing! I am embarrassed in front of everyone
in my own house!
SHRUTI : what makes you embarrassing Neeraj !
NEERAJ : I am getting to know from this delivery boy, you don't get this! this
is so embarrassing!
SHRUTI : correct I didn't get you!
DELIVERY BOY : सर डडब्बा दे दो डडलीवरी के मलए जाना है
NEERAJ : जाओ तुि
SHRUTI : you are embarrassed because I didn't take your permission or you
are embarrassed because I finally did it! I thought you will be happy were
you fabricating staying with me when you said I should make laddu's I
thought I will give you a surprise!
जब तुि कोई काि करते हो तो िैं तुम्हें परू ा सपोिय करती हूां जब तुि जब िैं कुछ करूां तो िझ
ु े
सपोिय नहीां करोगे तया हि दोनों equal नहीां है
DELIVERY BOY : सर डडब्बा दे दो, लेि हो रहा है !
NEERAJ : यह हिारे घर का िैिर है हि लोग हि सॉल्व कर लेंगे...Don't raise your
voice...and I need a break.
(He tries to leave Bani stops him at the spot)
Bani : papa! what are you saying papa...पापा आपने और mumma ने जो िझ
ु े इतना
पढाया है , वह पढाई काि नहीां आएगी शायद ! तयोंकक according to you पापा, िझ
ु े भी
परमिशन लेनी होगी ! और परमिशन मिल गई तो काि करूांगी ! वरना नहीां ! तयोंकक
mumma को भी आपने परमिशन लेना है हर छोिी-छोिी चीज के मलए !
और पापा यह आपका घर का िैिर नहीां है , यह तो इांडडया के आिे से ज्यादा के घरों का िैिर
है | वैसे तो हि दे वी की पज
ू ा करते हैं !पर इस दे वी का तनरादर करने िें सबसे आगे हैं ! कुछ
नहीां बदला, पाांडवों ने द्रौपदी को वस्तु सिझा, दाांव पर लगा ददया, हाल ही िें , हिारे दे श िें ,
लडककयों का वस्त्रहरण कर बीच चौराहे िें छोड ददया गया ! शायद आज पापा, आप भी िम्िी
को जाने अनजाने एक वस्तु सिझ बैठे हो ! तभी शायद आज िम्िी और आगे जाकर िैं ,
एक आदिी की बराबरी नहीां कर पाऊांगी |
She is getting oppressed by you ! she can not work because she will not get
your permission ! and that means even my law degree is in vain.
है ना पापा िैं भी खद
ु कुछ नहीां कर पाऊांगी ना, Because I will not have the permission
papa...है ना पापा... बोलो ना पापा...
NEERAJ : बस बेिा बस... I'm sorry ! िैं तुम्हारे , श्रतु त के िािी के लायक तो नहीां हूां, what
is done, is done ! िझ
ु े िाि कर दो, I am sorry I was wrong, I am wrong...I am
sorry...just be with one all of you...और िैं अपने से ही शरु
ु आत करता हूां, कक आगे से इस
घर की ककसी लडकी को ककसी भी चीज के मलए परमिशन की जरूरत नहीां |

( They all hug each other, delivery boy joins the hug too )

DELIVERY BOY : सर िेरे डिब्बे तो दे दो, अब तो सब ठीक हो गया है !

( song kabira - 3 mins)


( lights fade off)
CHAPTER 3 DHARM
PART 1 ABHIMANYU
SHLOKA
Aqa cao%vaimamaM Qamya-M sa=\ga`amaM na kirYyaisa.
tt: svaQama-M kIit-M ca ih%vaa papmavaaPsyaisa.. 2/33

अब अगर तू यह िियिय युद्ि नहीां करे गा तो अपने ििय और कीततय का


त्याग करके पाप को प्राप्त होगा ।
(On stage Abhimanyu practicing with his sword/ weapon --- Uttara
enters )
Uttara : अमभिन्यु सुनो (halts and watches him)
(but Abhimanyu is engrossed in rehearsing)
Uttara : अमभिन्यु लगता है आज भी लडने का अवसर इस वीर को मिला नहीां
शस्त्र दहले हैं और कवच तो अपने स्थान से बबल्कुल ही नहीां दहला अमभिन्यु आज
भी हाथी घोडों की रखवाली कर के लौि आए ? तया तया आज भी योद्िाओां के
मलए केवल भोजन पानी का प्रबांि ही कर पाए हो ? लगता है िझ
ु े ही स्वयां राजन
से अनरु ोि करना होगा कक यद्
ु ि िें थोडा कायय करा ले िेरे स्वािी से
Abhimanyu : उत्तरा अवसर िझ
ु े मिला हो या ना हो पर िैंने अभ्यास करना रोका
नहीां है
Uttara : िझ
ु से सच पछ
ू ो तो िैं तम्
ु हें कभी भी रणभमू ि िें ना जाने दां ू
Abhimanyu : उत्तरा, उत्तरा, उत्तरा, सच पछ
ू ो तो आदे श की आशा िें िैं घि
ू रहा
हूां बस एक अवसर ,एक अवसर- और किर तुि दे खना दश्ु िनों पर ऐसा ििूँगा और
अपने प्राण तनछावर करने से भी पीछे नहीां हिूांगा
Uttara :अमभिन्यु तुम्हारे प्राण तुम्हारे नहीां है अब ,यह प्राण अब उत्तरा के हैं और
िेरे गभय िें इन प्राणों का अांश भी है दे खो रण िें चाहे जो भी करो बस सांध्या को
लौि कर चले आना

इस यद्
ु ि को दे ख, जो हो रहा है उसको सन
ु के िैं सच िें डर सी जाती हूँ ,िूि सी जाती हूँ
और कभी एकदि से धगर सी जाती हूँ और कभी मसन्दरू मिले न िझ
ु को यह सोच कर डर
सी जाती हूँ िैं .........|

पता नहीां तुि रण िें जाने के मलए इतने व्याकुल तयों हो? इतने वीर यद्
ु ि िें हैं और तुि
ही बस इतने व्याकुल हो ?

अमभिन्यु ,तुम्हारे बबना जी न पाऊँगी तुम्हें यह एहसास नहीां है तया ............?

बस एक वचन, रण िें जब भी जाओ, शाि को लौि के चले आना, िेरे पास चले आना |

अभिमन्य : तुम्हें पता है ,िेरे गुरु सवयश्रेटठ श्री कृटणा इसे ििय यद्
ु ि कहते हैं ,ििय यद्
ु ि..........
और ििय का पालन करना तो सबका कत्तयव्य है | यह यद्
ु ि तो सबका है................| अब वह
कोई वद्
ृ ि हो या कोई बालक .............| हि सबको अपने अपने ििय का पालन करना है, अब
चाहे वह इस यग
ु िें हो या आगे के आने वाले सभी यग
ु ों िें |

यह िरि ही नहीां ,यह िहा यज्ञ है और हिें किय योगी बन इस िहायज्ञ को कतयव्य सिझ
हार या जीत , जीवन या ित्ृ यु के बारे िें सोचे बबना अपने िरि का पालन करना है और इस
जीवन के यद्
ु ि िें हिें अपने अपने दहस्से का भोग भोगना है उत्तरा |

पाांडवों ने भी कटि सहे हैं और कौरवों ने तो केवल अपराि ही ककये हैं वैसे तो पपताश्री ही इस
सबके मलए अकेले ही सक्षि हैं और किर उनके पास जो सारधथ हैं जो परु
ु षों िें परु
ु षोत्ति हैं
लेककन किर भी िझ
ु को भी तो एक पत्र
ु होने का कत्तयव्य तनभाना है रथ िें सवार ..........

ना ........ ना
अपने रथ िें सवार दश्ु िनों को िार धगराना है |

उत्तरा : जो जी चाहे करो, अमभिन्यु .......... बस अपना ध्यान रखना ........ और यह याद
रखना कक कोई तम्ह ि राह दे ख रहा है , बस शाि को लौि कर चले आना |

(Uttra leaves Abhimanyu follows her

Lights fade off

Lights open on stage

Dronacharya/ Kripacharya /Shakuni/ Karn /Dushaashan /Duryodhan )

दय
ु ोिन : आज यद्
ु ि िें आपने यधु िष्टठर के तनकि पहुँच कर भी उसको बांदी नहीां बनाया
आप तो बस अजुन य की प्रतीक्षा करते रहें कक वह आये और यधु िष्टठर को बचा कर ले जाए
........

आप तो वचन दे कर किर गए गुरुवर.... िझ


ु े तो यह सिझ ही नहीां आ रहा कक ककसका बाण
लगेगा िझ
ु े?

या तो िैं शत्रु के हाथों िारा जाऊँगा या अपना ही कोई ठग लेगा िझ


ु े | िैं अपने प्रिान सेना
पतत के हाथों यद्
ु ि हारना नहीां चाहता..... िैं वीर हूँ ,दश्ु िनों से यद्
ु ि कर सकता हूँ पर िैं
उससे कैसे लडूँ जो साथ होकर भी साथ िें नहीां है ................... आपकी तनटठा पर न जाने
तयों सांशय सा हो रहा है ?

दश
ु ासन ,हि सौ भाई थे शेष बचे हैं अब दो- चार | यह कैसी रण -नीतत है गुरुवर? इस पर
पन
ु ः पवचार कररये |
ु हैं ,यह िांत्र नीतत का कोई तो तोड होगा, कोई तो पासा होगा
Shakuni : आप तो गरु

जो हिें यह यद्
ु ि ष्जता दे |
Kripacharya : गाांिार------ (shakuni interrupts )
Shakuni : गुरुवर
Duryodha : िािा ( stops shakuni to speak further)
Kripacharya : गाांिार के राजा ,रण है यह रण, कोई खेल नहीां है ,चौसर का खेल
नहीां है , बातों का कोई काि नहीां ,काि है यहाां पर रण के जौहर का |
Shakuni : अरे गुरुवर, तो ददखाइए ना जौहर तया कर रहे हैं ?
Duryodhan : िािा ( stops him again from speaking )
Dronacharya : to Duryodhan िैं तम्
ु हारे पवश्वास का दास नहीां हूां दय
ु ोिन|
रणभमू ि और कारागह ु ि हिारे हाथ िें है ककांतु यद्
ृ िें अांतर करना सीखो, यद् ु ि का
पररणाि हिारे हाथ िें नहीां है | कल अजन
ुय को रणभमू ि से हिा दो ,िैं यधु िष्टठर
को बांदी बना तुम्हें सौंप दां ग
ू ा ,कल िैं चक्रव्यह
ू की रचना करूांगा, ष्जसे अजन
ुय के
अततररतत कोई भेद नहीां सकता |
( lights fade off)

Repeat Dialogue
Abhimanyu : उत्तरा, उत्तरा, उत्तरा, सच पछ
ू ो तो आदे श की आशा िें िैं घि
ू रहा
हूां बस एक अवसर ,एक अवसर- और किर तुि दे खना दश्ु िनों पर ऐसा ििूँगा और
अपने प्राण तनछावर करने से भी पीछे नहीां हिूांगा |
Uttara :अमभिन्य,ु तम्
ु हारे प्राण तम्
ु हारे नहीां है अब ,यह प्राण अब उत्तरा के हैं और
िेरे गभय िें इन प्राणों का अांश भी है | दे खो, रण िें चाहे जो भी करो बस सांध्या
को लौि कर चले आना |
(Abhimanyu breaks the chakravyooh and enters ) (He is surrounded
by drona/ kripa/ karna/ aswathama/ Duryodhan/ Dushashan )
Duryodhan : अजन
ुय ने तो चक्रव्यह
ू के सारे द्वार तोड ददए इसे तो िेरा मित्र कोसों
दरू ले गया था |
Drona : अरे िख
ू य गदािारी दय
ु ोिन, अपनी आांखें खोल और पहचान इससे यह अजन
ुय
नहीां यह उसका पत्र
ु है अमभिन्यु |
Duryodhan : आचायय द्रोण, कृपाचायय, कणय,अश्वत्थािा, कृतविाय, दश
ु ासन िझ
ु े इसकी
ित्ृ यु चादहए |
Abhimanyu : हे गरु
ु वर, िैं आप लोगों से पछ
ू ना चाहता हूां कक आप वह सारे तनयि
भल
ू चक
ु े हैं ?जो स्वयां गांगापत्र
ु भीटि ने बनाए थे कक एक योद्िा से एक योद्िा ही
यद्
ु ि करे गा यदद आप लोग कायर नहीां हैं तो द्वांद्व -यद्
ु ि कीष्जए | हे आचाययवर,
िैं भी श्री श्री वासद
ु े व कृटण जैसे गुरु का मशटय हूां | तया यह सही है कक सात-
सात क्षबत्रय एक बालक को िारें गे ? बारी- बारी तो आओ , कायरों की तरह नहीां |
Drona : बालक, हि भी अपने ििय का पालन कर रहे हैं ,तू भी लड और अपने
ििय का पालन कर |
Dushashan : तेरे पपता ने कौन से तनयिों का पालन ककया है ? भीटि पपतािह
को तीरो से छलनी कर ददया है |
Shakuni : दभ
ु ायग्य है तेरा, जो तू यहाां पर है |
Duryodhana : हि सात शेर यहाां हैं और तुझे तेरे ताऊ ने अकेले ही भेज ददया
हा, हा ,हा तू एक और हि सात |
(Abhimanyu falls back )
(Abhimanyu pulls the chakra from his rath )
ध्यान रहे , कक तू ऐसे ही ििय का पालन करना जैसे अजन
ुय करता, अगर वह यहाां
होता, यह चाहे सात हो या 70 , 7000 या 700000 एक ििय का पालन करने वाले
को कोई नहीां रोक सकता, भय से ित
ु त होकर तू शस्त्र उठा |
Abhimanyu : पपताश्री,पपताश्री सय
ू ायस्त के उपराांत यहाां आकर इस भमू ि से
पतू छयेगा कक आपका पत्र
ु इन कायर िहारधथयों से कैसे लडा ? आचायय, तया योद्िा
का यही ििय है ? इतने योद्िा मिलकर एक बालक को िार दें , तया यही आपकी
रणनीतत है ?
( Everybody kills him )
Abhimanyu : हे तात, अमभिन्यु का अांतति प्रणाि |
अमभिन्यु ने ििय का पालन कर पाांडवों को यद्
ु ि िें 1 ददन और दे ददया
( Lights fade off )
Part 2 Abhay

( Lights open up ) on screen ITL Music concert


Jiterndra Sir :
जल्दी जल्दी करो भाई बच्चों, जल्दी कांसिय शरू
ु होने वाला है जल्दी करो, बच्चों
ररहसयल ककया तया ? do it once again ( Medley Song )
Deepti : ( To Abhay /Sumit/ Armaan ) I cant believe it Pt. Jhankar to
attend our musical concert the man himself is coming (Jitender sir
overhears it )
Jitendra Sir : अरे बच्चों, आना ही था उन्हें कैसे िना करते? पवश्व स्तर पर हिारे
उिेश ने पवश्व राग प्रततयोधगता जीतकर पवद्यालय और दे श दोनों का नाि रोशन
ककया है तो वे हिारे बच्चों को मिलने और उनको सन
ु ने आ रहे हैं चलो, अच्छे से
िाइक िे स्ि कर लो वह आने वाले होंगे |
Abhay : और सर उिेश ही आज नहीां है |
Sumit : हाां सर उसका 2 ददन से पेि खराब है िैंने दे खा है |
Jitendra sir : अरे , तुि सब भी तो हो, वह आएांगे कांसिय अिें ड करें गे और चले
जाएांगे | केवल उनका आना ही स्कूल के मलए गवय की बात है |
(Deepti comes running in )
Deepti : Sir Pandit Jhankar has come -----
Sumit : तो इसिें इतना घबराने वाली तया बात है ?
Deepti : घबराने वाली बात है , सर वही राग सन
ु ना चाहते हैं जो पवश्व
राग प्रततयोधगता िें हि सब ने गाया था |
Abhay : उिेश ने गाया था |
Deepti : हि भी पीछे कोरस िें थे वहाां पर अभय |
Jitendra sir : सिय नहीां है , ति
ु सब िेरी बात ध्यान से सन
ु ो अभय, ति
ु सबको
और लीड करोगे |
Abhay : सर अभय नहीां उिेश, उिेश नहीां है िैं अभय हूां अभय उिेश उिेश अभय
Jitendra sir : िैं भली-भाांतत जानता हूां कक िैं ककसका नाि ले रहा हूां और ककसकी
बात कर रहा हूां |
Abhay : सर, वह राग िेरे बस का नहीां है और वैसे भी िझ
ु े राग का पहला भाग
ही आता है उसके बाद तो िैंने तलास िें आपसे मसिय दो-तीन बार सन
ु ा ही है |
Jitendra sir : सन
ु ने की शष्तत वैसे तो तम्
ु हारी बडी तेज है स्िाि रूि के आगे से
तनकलते हो और परू े स्कूल को पता चल जाता है कक अांदर तया चल रहा था |
Abhay : सर, वह बात अलग है ,यह राग है वह स्िाि रूि है |
Jitendra sir : principal maam Jhankar sir ko kya kahein बच्चे की तबीयत
खराब है , आप कुछ और सन
ु लो अभय ,ति
ु िें क्षिता है |
Abhay : पर सर, िैंने आिे भाग का अभ्यास नहीां ककया है |
Jitendra sir : अभी कर लेते हैं अभ्यास ,taal दो समु ित |
At a point Abhay Chokes down )
Abhay : सर, िझ
ु से नहीां होगा िैं नहीां गा पाऊांगा |
(Jitendra sir drags abhay to a corner Deeti over hears it )
Abhay to deepti : इनको कुछ सिझ नहीां आ रहा है | िेरी बेइज्जती ना हो जाए
हँ सेंगे लोग िझ
ु पर |
Deepti : तम्
ु हें कुछ सिझ नहीां आ रहा है |
अभय : Taking off his concert kurta : तया िकय पडता है ? तुि ,अरिान ,समु ित
सभी तो हो ?
Deepti but school needs you
Abhay : िैं जा रहा हूां ,कह दे ना िेरी भी तबीयत खराब हो गई | ज्यादा से ज्यादा
पप्रांमसपल िैि और सर डाांि आएांगे 2 ददन बात नहीां करें गे और किर सब भल
ू जाते
हैं भाग यहाां से अभय |
Deepti : OK Fine
( Abhay runs and tries to exit the stage )
light open up on two spots )
abhay sees pandit jhankar all around
on one spot deepti and on another spot Jitendra sir )
Deepti : अभय, तुि तया कर रहे हो तुि करना तया चाहते हो ?
Jitendra sir : िैं तम्
ु हें रोकने नहीां आया हूां अभय और न ही िैं आज तुम्हें रोकना
चाहता हूां| यहाां इतने स्िूडेंट्स हैं किर भी तुम्हें चन
ु ा | िैं तो यह सारे नाि लेकर
गया था पप्रांमसपल िैि के पास पर उन्होंने कहा, अभय को चाांस मिलना चादहए
अच्छा लडका है और कहीां न कहीां िझ
ु े भी लगा कक ति
ु इस िांच को सांभाल सकते
हो | आज स्कूल को ररप्रेजेंि करना हि सबका ििय है और तुम्हारा भी| गीता िें
मलखा है हिें अपने ििय का पालन करना चादहए | अमभिन्यु को केवल चक्रव्यह
ू के
भीतर प्रवेश करना ही आता था ,बाहर तनकलना नहीां किर भी उसने अपने ििय का
पालन कर चक्रव्यह
ू तोडकर भीतर जाने का साहस ककया | वह तो अकेला ही था
यहाां सभी तुम्हारे साथ हैं |अगर तू आज यहाां से िांच छोडकर जाता है तो िैं तेरे
साथ नहीां हूां और ना ही कोई और होगा अगर तू गाता है आज तो िैं तेरे पीछे िाइक
लेकर खडा रहूांगा | तेरे स्वर अगर िूिे तो िैं तेरे साथ गाऊांगा | इतना कर सकता
हूां तयोंकक एक मशक्षक का भी एक ििय है अपने पवद्याधथययों को सही ददशा
ददखाना,उन्हें सांभालना और अपने ििय का पालन िैं भी करूांगा |
Abhay : सर, आशीवायद तो दे ते जाओ | िैं कोमशश करूांगा सर , पीछे नहीां हिूांगा |
Raag Starts it stops at a point and then abhay picks it up from there

Song Bandish
Final chapter- Karma
(Lights open on the Rath)
अजुुन - हे कृष्ण ! र्युद्ध की इच्छा वाले इस कुटु म्ब समुदार्य को आमने-सामने उपस्थथत
दे खकर मेरे अोंग लशलथल हो रहे हैं ।और मुख सख रहा है तथा मेरे शरीर में काँपकाँपी
हो रही है एवों रोगोंटे खड़े हो रहे हैं ।
हाथ से गाण्डीव धनुष लगर रहा है और त्वचा भी जल रही है मेरा मन भ्रलमत सा हो
रहा है , मैं खडे रहने में असमथम हाँ ।
हे कृष्ण ! में ना तो लवजर्य चाहता ह न राज्य और ना सुखोों को चाहता हाँ हे गोलवोंद!
हम लोगोों को राज्य से क्ा लाभ?
आचार्यम ! लपता, पुत्र और उसी प्रकार लपतामह ,मामा, पौत्र तथा लजतने भी सोंबोंधी
हैं , र्यह मुझपर प्रहार करें तब भी में इनको मारना नहीों चाहता ।
हे मधुसदन ! लत्रलोक का राज्य लमले तो भी में इनको मारना नहीों चाहता ।
में अपना धनुष त्याग करता हाँ मैं र्युद्ध नहीों करना चाहता।

कृष्ण जी - अगर त र्यह धमममर्य र्युद्ध नहीों करे गा तो अपने धमम और कीलतम का त्याग करके
पाप को प्राप्त होगा तथा महारथी लोग तु झे भर्य के कारण र्युद्ध से हटा हुआ मानेंगे
। लजनकी धारणा में त बहु मान्य हो चुका है , उनकी दृलि में त लघुता को प्राप्त हो
जाएगा। ते रे शत्रु लोग ते री सामर्थ्म की लनन्दा करते हुए बहुत न कहने र्योग्य वचन
भी कहें गे।
उससे बढकर और दु ख की बात क्ा होगी ?
अगर र्युद्ध में त मारा जाएगा तो तु झे स्वगम की प्रास्प्त होगी और र्युद्ध में तु म जीत
जाओगे तो पृथ्वी का राज्य भोगेगा । अतः हे कुोंती नोंदन ! तु म र्युद्ध के ललए लनश्चर्य
करके खडा हो जा।
kma-NyaovaaiQakarsto maa flaoYau kdacana.
maa kma-flahotuBaU-maa- to sa=\gaao|s%vakma-iNa.. 2/47

कतम व्य कमम करने में ही ते रा अलधकार है ।िलो में नहीों। अतः त कममिल का हे तु मत बन
और ते री कमम न करने मे भी आसक्त न हो।
हे कुोंती नोंदन ! लजस काल में साधक मन में आई सोंपणम कामनाओ का भली भााँ लत
त्याग कर दे ता है और अपने आपसे अपने-आप में ही सोंतुि रहता है । उस काल में
वह स्थथर बुस्द्ध कहा जाता है ।

yada saMhrto caayaM kUmaa-o|=\gaanaIva sava-Sa:.


[ind`yaaNaIind`yaaqa-oByastsya p`&a p`itiYzta.. 2/58

लजस तरह कछु आ अपने अोंगो को सब ओर से समेट ले ता है ऐसे ही लजस काल में कममर्योगी
इस्िर्योों के लवषर्योों से इों लद्रर्योों को सब प्रकार से हटा ले ता है तब उसकी बुस्द्ध स्थथर
हो जाती है ।

yaVdacarit EaoYzst<adovaotrao jana:.


sa ya%p`maaNaM ku$to laaokstdnauvat-to.. 3/21

श्रेि मनुष्य जो -जो आचरण करता है दसरे मनुष्य वैसा वैसा ही आचरण करते
हैं । वह जो कुछ पररणाम दे ता है दसरे मनुष्य उसी के अनुसार आचरण करते हैं ।
त लववेकवान बुस्द्ध के द्वारा सोंपणम कतमव्य कमों को मुझे अपमण करके कामना रलहत
ममता रलहत और सोंताप रलहत होकर र्युद्ध रुप कतम व्य कमम को कर ।
BaUimarapao|nalaao vaayau: KM manaao bauiwrova ca.
Ah=\kar [tIyaM mao iBannaa p`kRitrYTQaa.. 7/4
Aproyaimats%vanyaaM p`kRitM ivaiw mao prama\.
jaIvaBaUtaM mahabaahao yayaodM Qaaya-to jagat\..7/5
tsmaat\ savao-Yau kalaoYau maamanausmar yauQya ca.. 8/7
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tsmaat\ savao-Yau kalaoYau maamanausmar yauQya ca.. 8/7

पृथ्वी, जल ते ज वार्यु, आकाश और मन बुस्द्ध तथा अोंहकार इस प्रकार र्यह आठ प्रकार के


भेदोों वाली मेरी र्यह अपरा प्रकृलत है । और हे महाबाहो! इस अपरा प्रकृलत से लमत्र जीव रूप
बनी हुई परा प्रकृलत को जान लजसके द्वारा र्यह जगत धारण लकर्या जाता है ।

rsaao|hmaPsau kaOntoya p`Baaisma SaiSasaUya-yaao:.


p`Nava: sava-vaodoYau Sabd: Ko paO$YaM naRYau.. 7/8

हे कुन्ती नोंदन ! जलोों में रस मैं हाँ


चोंद्रमा और सर्यम में प्रभा में हाँ
सोंपणम वेदोों में ओोंकार
आकाश में शब्द और मनुष्यो में पुरुषाथम में हाँ ।

puNyaao ganQa: pRiqavyaaM ca tojaScaaisma ivaBaavasaaO.


jaIvanaM sava-BaUtoYau tpScaaisma tpisvaYau.. 7/9

पृथ्वी में पलवत्र गन्ध में हाँ और


अलि में ते ज में हाँ तथा सोंपणम प्रालणर्योों में जीवनी शस्क्त में हाँ और तपस्स्वर्यो में तपस्या मैं हाँ
।बुस्द्धमानोों में बुस्द्ध और ते जस्स्वर्यो में तेज में हाँ ।इसललए त सब समर्य में मेरा स्मरण कर
और र्युद्ध भी कर ।मुझमे मन और बुस्द्ध अलपमत करने वाला त लनस्सोंदेह मुझे ही प्राप्त होगा ।

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