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काम ,क्रोध और लोभ- र्ये तीन प्रकार के नरक के दरवाजे जीवात्मा का पतन करने वाले हैं ,
इसललए इन तीनों का त्याग कर दे ना चालहए।
(Lights open)
(Lights off)
दु र्योधन - वासुदेव ! मेरा उत्तर क्ा होगा ,यह तो जान ही ललर्या होगा ,तु म तो ज्ञानी हो ,
अगर तु म दु र्योधन को समझते हो ,तो र्ये लवकल्प लिर से ना दे ते !
कृष्ण जी - समझता हाँ अच्छे से, तभी तो मुझे ज्ञात था लक इस अोंलतम अवसर पर भी तुम सही
चर्यन नहीों करोगे ।
(Lights off)
भाग-2 (Dhruv)
(Lights open song starts & stop in between)
Class 1-
साक्षी - िैं र्यहााँ बैठ जाऊाँ?
ध्रुि - हााँ ! तो मेरे साथ बैठ जाओ |
Class 5
साक्षी I forgot my pencil box at home.
ध्रुि - कोई बात नहीों ,मेरा पेंलसल बॉक्स शेर्यर कर लो ।
Class 9
साक्षी - मैंने अपना प्रोजे क्ट नहीों लकर्या ,मैम मुझे डााँ टेंगी ।
ध्रुि - तु म मेरा प्रोजे क्ट ले लो । मैं प्रोजे क्ट जमा कर भी दाँ लिर भी क्लास के बाहर ही खड़ा
कर दें गी मैम |
क्लास 11
साक्षी - आज नहीों लमल सकती क्ोोंलक आज तम्
ु हारी JEE की extra class है ।
ध्रुव - ते री भी तो NEET की क्लास है |
( कुछ खाते हुए)
साक्षी - क्ा ?
ध्रुि - ते री भी तो NEET की क्लास है ।
ध्रुि - mom !dad! I want to pursue MBA from US, please arrange money for
it.
साक्षी से - I will be leaving for my MBA to US.
साक्षी - Great! Just 2 years and you will be back.
ध्रुि -Dad ! need more money can you arrange and send it.
साक्षी - lets get married now, as we both are settled, you have a decent job
and I am a doctor.
ध्रुि - take this file to Jerry, this one promotion is very important for me
sakshi
Let's just wait for a year.
ध्रुि -wait and see Dad! Take this file to Jerry!
Mom! dad! Sakshi! Company is sending me to London and this is my dream
job I am busy with that .
Sakshi- You will be away for too long now from me, from your parents, we
need to start building our lives together now, what’s the need
Dhruv- Take the file to jerry! Wait a sec dad! Mom can’t talk to you now,
Take this file to jerry.
Sakshi- So, you coming back now, you are the CEO! You can handle from
India too! You, me, your parents, we will be together!
Dhruv- wait a sec .can not talk right now, take this file to jerry.
Sakshi- I applied for fellowship and got through, I am coming to you to
London!
Dhruv- The company is moving to Amsterdam to head. Sakshi, you won’t
understand! Wait a sec . Dad! Take this file to Jerry.
Sakshi- What wouldn’t I understand!
Dhruv- Wait a second Dad, can't talk right now, It's something, I learnt out
here! It's pounds, dollars, growth, power, more powers, cars, value for
time...Wait a second Dad.
Sakshi: You don't need more time! You need more money! You are being
greedy. You are not the Dhruv I remember.
Dhruv: No I am not, now you are happy!
Sakshi: No! just disappointed! Your parents need you back here! I need you
back here! They have spent each penny they had, to make you stand
in this position.
Dhruv: So in the end, it's about money right!
Sakshi: No, it's about your responsibility!
Dhruv: You know, you've started to sound like my father!
Sakshi: Good! At least one of us does!
Wait a second Dad/Mom
Dhruv: Listen! You think you can just show up and tell me how to live my
life? You all don't even know, how I reached here!
Sakshi: Listen to me! Listen to your parents, They need you!
Dhruv: Wait a second Dad.
Forget it!
Sakshi: Fine!
(It is a blank/blackout with Dhruv alone)
Doctor: It's a heart attack, I can't say right now!
Dhruv: Doctor Dad ko kuch nahi hona chahiye.
Mom: Thoda der kar di Beta, Samajhne mein, Aney mein!
Kaam ka harja toh nahi ho raha na udhar!
Dhruv: Maa, I am sorry!
Sakshi, I am sorry!
Sakshi: Maa theek keh rahi hai Dhruv! Thodi der kar di aney mein. Tum
mein aur Mahabharat ke Duroydhana mein koi farak hi nahi dikhta
mujhe, Dhruv! Kaam, Krodh aur Lobh ne Duryodhana ka patan kiya,
aur inhi ne tumhare andar insaan ko ek lalchi robot bana kar rakh diya
hai...
Power, growth, money, in sab ke agey mummy, papa aur main kuch
nahi hai tumhare liye...
जह ाँ न रियों की पज
ू होती है वह ाँ दे वत ननव स किते हैं। जह ाँ न रियों क आदि नह ीं होत
वह ाँ स िे क यय ननष्फल होते हैं।
द्रौपद : िैं अपने प्रश्नों के उत्तर िाांग रही हूां पपतािह...उठ जाइए आप सब लोग...उठ
जाइए...िझ
ु े बताएां जो व्यष्तत स्वयां अपने को जए
ु िें हार चक
ु ा है वह कौन होता है ककसी और
की स्वतांत्रता को दाव पर लगाने वाला ?
िैं अपने प्रश्नों का उत्तर िाांग रही हूां...तयोंकक यह प्रश्न केवल द्रौपदी नहीां कर रही है यह प्रश्न
कर रही है नारी जातत, यह प्रश्न कर रही है पथ्
ृ वी, जो हर प्राणी की िाां है , यह प्रश्न कर रहा है
इस दे श का भपवटय...िैं अपने प्रश्नों के उत्तर िाांग रही हूां...
तया पत्नी, पतत की सांपपत्त होती है ? अगर होती है तो जब वह अपने को हारे तो उसी के साथ
िझ
ु े भी हार गए...तो किर िैं दाव पर तयों लगी...और आप सब यह िानते हैं कक पत्नी पतत
की सांपपत्त नहीां, तो िेरे पतत िेरी आज्ञा मलए बबना िझ
ु े दाव पर कैसे लगा सकते हैं ? यह होते
कौन है िझ
ु े हारने वाले ?
जैसे दीिक बडे से बडे वक्ष
ृ को चाि जाती है ,जैसे रोग शरीर को खा जाता है ...एक औरत के
अपिान का यह रोग, दीिक की भाांतत, पररवार के वांश को, भारत वांश के वक्ष
ृ को नटि कर
दे गा |
तया एक पतत को अधिकार है ? कक यह अपनी पत्नी को जुए िें हार जाए ? और यदद आपने
आज भी िेरे प्रश्नों का उत्तर नहीां ददया, तो यह प्रश्न ककसी भी जन्ि िें आप लोगों का पीछा
नहीां छोडेगा...
िैं अपने प्रश्नों के उत्तर िाांग रही हूां.....
कीं ती : द्रौपदी, ित रो द्रोपदी ित रो , तयोंकक हष्स्तनापरु अपिान की पररभाषा भल
ू चक
ु ा है
और िैं हष्स्तनापरु को तया कहूां जब स्वयां िेरे पत्र
ु ों ने िेरा सर झक
ु ा ददया, उनकी िाता
ति
ु से कहना चाहती है द्रौपदी बडा अमभिान था िझ
ु े अपने पत्र
ु ों पर, परां तु वह िेरा
अमभिान भी चकनाचरू हो गया। अपने आांसू पोंछो द्रौपदी, तम्
ु हें स्वयां अपने हाथों से अपने
आांसू पोछने होंगे और अपना सर उठाओ तयोंकक वास्तव िें अपिान तुम्हारा नहीां हुआ है
द्रौपदी, अपिान हुआ है यहाां बैठे क्षबत्रयों का, अपिान हुआ है िेरे बेिों का ,अपिान हुआ है
पररवार का ,तो तुि इस अपिान को सिेिे अकेले तयों रो रही हो ?
ग ींध ि : तया उस राज्य की िहारानी जय के योग्य है ,ष्जसकी पत्र
ु विू का भरी सभा िें वस्त्र
हरण ककया गया हो और उस राज्य के बडे बढ
ू ों ने कुछ नहीां कहा तया? तया होगा तया ना
होगा , िैं तो उस गाय की भाांतत हूां जोकक अपने जलते हुए घर की ज्वाला को दे ख रही है और
पववश है |
ववदि : अपने किों के मलए व्यष्तत स्वयां उत्तरदायी होता है अत: श्री द्रोणाचायय कृपाचायय,
आप सभी सभ्य और मशक्षक्षत हैं ।अपने किों के मलए, तकय का कोई ना कोई िागय तनकाल ही
लेंगे । िेरा आत्िपवश्वास ऐसा डडगा है कक शायद िैं कभी सांभाल ना पाऊां
शोक , सिस्याओां का हल नहीां है ।
िेरी तो पववशता ये है कक यह घर पररवार िेरी कियभमू ि भी है ।
िझ
ु े द्रोपदी के प्रश्नों के उत्तर चादहए जो आगे जाकर हर घर ,हर पररवार करे गा, भारत वांश
करे गा, की ियायदा की पररभाषा तया है ?
पत्नी वस्तु है या व्यष्तत ?
यदद द्रोपदी को दाँव पर लगाओगे ििायनस
ु ार ठीक है तो किर अििय तया है ?पत्नी वस्तु है
या व्यष्तत ?
ऐसा ही कोई और भी प्रश्न है कोई और, यदद आप से सबको इन प्रश्नों के उत्तर मिल जाए तो
िझ
ु े भी बता दे ना |
BHAAG 2 { SHRUTI }
AYESHA: what is this Shruti ? do you need his permission ? what do you
want?
Shruti: I want to start this business but then I am scared
AYESHA: scared of what?
Shruti: what if he is right ?and I fail and not able to make a good business !
AYESHA: what if he's wrong? lets do one thing, business shuru karo and
don't tell Neeraj
Bani: and once it is a success we will give him a surprise!
Shruti: OK. (Chuckles). (Three of them hug each other.)
( They all hug each other, delivery boy joins the hug too )
इस यद्
ु ि को दे ख, जो हो रहा है उसको सन
ु के िैं सच िें डर सी जाती हूँ ,िूि सी जाती हूँ
और कभी एकदि से धगर सी जाती हूँ और कभी मसन्दरू मिले न िझ
ु को यह सोच कर डर
सी जाती हूँ िैं .........|
पता नहीां तुि रण िें जाने के मलए इतने व्याकुल तयों हो? इतने वीर यद्
ु ि िें हैं और तुि
ही बस इतने व्याकुल हो ?
बस एक वचन, रण िें जब भी जाओ, शाि को लौि के चले आना, िेरे पास चले आना |
अभिमन्य : तुम्हें पता है ,िेरे गुरु सवयश्रेटठ श्री कृटणा इसे ििय यद्
ु ि कहते हैं ,ििय यद्
ु ि..........
और ििय का पालन करना तो सबका कत्तयव्य है | यह यद्
ु ि तो सबका है................| अब वह
कोई वद्
ृ ि हो या कोई बालक .............| हि सबको अपने अपने ििय का पालन करना है, अब
चाहे वह इस यग
ु िें हो या आगे के आने वाले सभी यग
ु ों िें |
यह िरि ही नहीां ,यह िहा यज्ञ है और हिें किय योगी बन इस िहायज्ञ को कतयव्य सिझ
हार या जीत , जीवन या ित्ृ यु के बारे िें सोचे बबना अपने िरि का पालन करना है और इस
जीवन के यद्
ु ि िें हिें अपने अपने दहस्से का भोग भोगना है उत्तरा |
पाांडवों ने भी कटि सहे हैं और कौरवों ने तो केवल अपराि ही ककये हैं वैसे तो पपताश्री ही इस
सबके मलए अकेले ही सक्षि हैं और किर उनके पास जो सारधथ हैं जो परु
ु षों िें परु
ु षोत्ति हैं
लेककन किर भी िझ
ु को भी तो एक पत्र
ु होने का कत्तयव्य तनभाना है रथ िें सवार ..........
ना ........ ना
अपने रथ िें सवार दश्ु िनों को िार धगराना है |
उत्तरा : जो जी चाहे करो, अमभिन्यु .......... बस अपना ध्यान रखना ........ और यह याद
रखना कक कोई तम्ह ि राह दे ख रहा है , बस शाि को लौि कर चले आना |
दय
ु ोिन : आज यद्
ु ि िें आपने यधु िष्टठर के तनकि पहुँच कर भी उसको बांदी नहीां बनाया
आप तो बस अजुन य की प्रतीक्षा करते रहें कक वह आये और यधु िष्टठर को बचा कर ले जाए
........
दश
ु ासन ,हि सौ भाई थे शेष बचे हैं अब दो- चार | यह कैसी रण -नीतत है गुरुवर? इस पर
पन
ु ः पवचार कररये |
ु हैं ,यह िांत्र नीतत का कोई तो तोड होगा, कोई तो पासा होगा
Shakuni : आप तो गरु
जो हिें यह यद्
ु ि ष्जता दे |
Kripacharya : गाांिार------ (shakuni interrupts )
Shakuni : गुरुवर
Duryodha : िािा ( stops shakuni to speak further)
Kripacharya : गाांिार के राजा ,रण है यह रण, कोई खेल नहीां है ,चौसर का खेल
नहीां है , बातों का कोई काि नहीां ,काि है यहाां पर रण के जौहर का |
Shakuni : अरे गुरुवर, तो ददखाइए ना जौहर तया कर रहे हैं ?
Duryodhan : िािा ( stops him again from speaking )
Dronacharya : to Duryodhan िैं तम्
ु हारे पवश्वास का दास नहीां हूां दय
ु ोिन|
रणभमू ि और कारागह ु ि हिारे हाथ िें है ककांतु यद्
ृ िें अांतर करना सीखो, यद् ु ि का
पररणाि हिारे हाथ िें नहीां है | कल अजन
ुय को रणभमू ि से हिा दो ,िैं यधु िष्टठर
को बांदी बना तुम्हें सौंप दां ग
ू ा ,कल िैं चक्रव्यह
ू की रचना करूांगा, ष्जसे अजन
ुय के
अततररतत कोई भेद नहीां सकता |
( lights fade off)
Repeat Dialogue
Abhimanyu : उत्तरा, उत्तरा, उत्तरा, सच पछ
ू ो तो आदे श की आशा िें िैं घि
ू रहा
हूां बस एक अवसर ,एक अवसर- और किर तुि दे खना दश्ु िनों पर ऐसा ििूँगा और
अपने प्राण तनछावर करने से भी पीछे नहीां हिूांगा |
Uttara :अमभिन्य,ु तम्
ु हारे प्राण तम्
ु हारे नहीां है अब ,यह प्राण अब उत्तरा के हैं और
िेरे गभय िें इन प्राणों का अांश भी है | दे खो, रण िें चाहे जो भी करो बस सांध्या
को लौि कर चले आना |
(Abhimanyu breaks the chakravyooh and enters ) (He is surrounded
by drona/ kripa/ karna/ aswathama/ Duryodhan/ Dushashan )
Duryodhan : अजन
ुय ने तो चक्रव्यह
ू के सारे द्वार तोड ददए इसे तो िेरा मित्र कोसों
दरू ले गया था |
Drona : अरे िख
ू य गदािारी दय
ु ोिन, अपनी आांखें खोल और पहचान इससे यह अजन
ुय
नहीां यह उसका पत्र
ु है अमभिन्यु |
Duryodhan : आचायय द्रोण, कृपाचायय, कणय,अश्वत्थािा, कृतविाय, दश
ु ासन िझ
ु े इसकी
ित्ृ यु चादहए |
Abhimanyu : हे गरु
ु वर, िैं आप लोगों से पछ
ू ना चाहता हूां कक आप वह सारे तनयि
भल
ू चक
ु े हैं ?जो स्वयां गांगापत्र
ु भीटि ने बनाए थे कक एक योद्िा से एक योद्िा ही
यद्
ु ि करे गा यदद आप लोग कायर नहीां हैं तो द्वांद्व -यद्
ु ि कीष्जए | हे आचाययवर,
िैं भी श्री श्री वासद
ु े व कृटण जैसे गुरु का मशटय हूां | तया यह सही है कक सात-
सात क्षबत्रय एक बालक को िारें गे ? बारी- बारी तो आओ , कायरों की तरह नहीां |
Drona : बालक, हि भी अपने ििय का पालन कर रहे हैं ,तू भी लड और अपने
ििय का पालन कर |
Dushashan : तेरे पपता ने कौन से तनयिों का पालन ककया है ? भीटि पपतािह
को तीरो से छलनी कर ददया है |
Shakuni : दभ
ु ायग्य है तेरा, जो तू यहाां पर है |
Duryodhana : हि सात शेर यहाां हैं और तुझे तेरे ताऊ ने अकेले ही भेज ददया
हा, हा ,हा तू एक और हि सात |
(Abhimanyu falls back )
(Abhimanyu pulls the chakra from his rath )
ध्यान रहे , कक तू ऐसे ही ििय का पालन करना जैसे अजन
ुय करता, अगर वह यहाां
होता, यह चाहे सात हो या 70 , 7000 या 700000 एक ििय का पालन करने वाले
को कोई नहीां रोक सकता, भय से ित
ु त होकर तू शस्त्र उठा |
Abhimanyu : पपताश्री,पपताश्री सय
ू ायस्त के उपराांत यहाां आकर इस भमू ि से
पतू छयेगा कक आपका पत्र
ु इन कायर िहारधथयों से कैसे लडा ? आचायय, तया योद्िा
का यही ििय है ? इतने योद्िा मिलकर एक बालक को िार दें , तया यही आपकी
रणनीतत है ?
( Everybody kills him )
Abhimanyu : हे तात, अमभिन्यु का अांतति प्रणाि |
अमभिन्यु ने ििय का पालन कर पाांडवों को यद्
ु ि िें 1 ददन और दे ददया
( Lights fade off )
Part 2 Abhay
Song Bandish
Final chapter- Karma
(Lights open on the Rath)
अजुुन - हे कृष्ण ! र्युद्ध की इच्छा वाले इस कुटु म्ब समुदार्य को आमने-सामने उपस्थथत
दे खकर मेरे अोंग लशलथल हो रहे हैं ।और मुख सख रहा है तथा मेरे शरीर में काँपकाँपी
हो रही है एवों रोगोंटे खड़े हो रहे हैं ।
हाथ से गाण्डीव धनुष लगर रहा है और त्वचा भी जल रही है मेरा मन भ्रलमत सा हो
रहा है , मैं खडे रहने में असमथम हाँ ।
हे कृष्ण ! में ना तो लवजर्य चाहता ह न राज्य और ना सुखोों को चाहता हाँ हे गोलवोंद!
हम लोगोों को राज्य से क्ा लाभ?
आचार्यम ! लपता, पुत्र और उसी प्रकार लपतामह ,मामा, पौत्र तथा लजतने भी सोंबोंधी
हैं , र्यह मुझपर प्रहार करें तब भी में इनको मारना नहीों चाहता ।
हे मधुसदन ! लत्रलोक का राज्य लमले तो भी में इनको मारना नहीों चाहता ।
में अपना धनुष त्याग करता हाँ मैं र्युद्ध नहीों करना चाहता।
कृष्ण जी - अगर त र्यह धमममर्य र्युद्ध नहीों करे गा तो अपने धमम और कीलतम का त्याग करके
पाप को प्राप्त होगा तथा महारथी लोग तु झे भर्य के कारण र्युद्ध से हटा हुआ मानेंगे
। लजनकी धारणा में त बहु मान्य हो चुका है , उनकी दृलि में त लघुता को प्राप्त हो
जाएगा। ते रे शत्रु लोग ते री सामर्थ्म की लनन्दा करते हुए बहुत न कहने र्योग्य वचन
भी कहें गे।
उससे बढकर और दु ख की बात क्ा होगी ?
अगर र्युद्ध में त मारा जाएगा तो तु झे स्वगम की प्रास्प्त होगी और र्युद्ध में तु म जीत
जाओगे तो पृथ्वी का राज्य भोगेगा । अतः हे कुोंती नोंदन ! तु म र्युद्ध के ललए लनश्चर्य
करके खडा हो जा।
kma-NyaovaaiQakarsto maa flaoYau kdacana.
maa kma-flahotuBaU-maa- to sa=\gaao|s%vakma-iNa.. 2/47
कतम व्य कमम करने में ही ते रा अलधकार है ।िलो में नहीों। अतः त कममिल का हे तु मत बन
और ते री कमम न करने मे भी आसक्त न हो।
हे कुोंती नोंदन ! लजस काल में साधक मन में आई सोंपणम कामनाओ का भली भााँ लत
त्याग कर दे ता है और अपने आपसे अपने-आप में ही सोंतुि रहता है । उस काल में
वह स्थथर बुस्द्ध कहा जाता है ।
लजस तरह कछु आ अपने अोंगो को सब ओर से समेट ले ता है ऐसे ही लजस काल में कममर्योगी
इस्िर्योों के लवषर्योों से इों लद्रर्योों को सब प्रकार से हटा ले ता है तब उसकी बुस्द्ध स्थथर
हो जाती है ।
श्रेि मनुष्य जो -जो आचरण करता है दसरे मनुष्य वैसा वैसा ही आचरण करते
हैं । वह जो कुछ पररणाम दे ता है दसरे मनुष्य उसी के अनुसार आचरण करते हैं ।
त लववेकवान बुस्द्ध के द्वारा सोंपणम कतमव्य कमों को मुझे अपमण करके कामना रलहत
ममता रलहत और सोंताप रलहत होकर र्युद्ध रुप कतम व्य कमम को कर ।
BaUimarapao|nalaao vaayau: KM manaao bauiwrova ca.
Ah=\kar [tIyaM mao iBannaa p`kRitrYTQaa.. 7/4
Aproyaimats%vanyaaM p`kRitM ivaiw mao prama\.
jaIvaBaUtaM mahabaahao yayaodM Qaaya-to jagat\..7/5
tsmaat\ savao-Yau kalaoYau maamanausmar yauQya ca.. 8/7
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tsmaat\ savao-Yau kalaoYau maamanausmar yauQya ca.. 8/7