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दो बैलों की कथा - 2
दो बैलों की कथा - 2
- प्रेमचंद
पशु को भी अपने घर से लगाव होता है | किसी
कारणवश घर छू टने पर लाख परेशानियां सहकर
भी वह घर लौटने का प्रयास करता है | इतना
ही नहीं, पशुओं में मित्रता का भाव भी होता है |
दों बैलो की कथा एक शिक्षाप्रद कहानी है । इसमें मुख्य नायक हीरा और मोती
नाम के दों बैल है । इस कहानी के लेखक मुंशी प्रेमचंद है । ये दोनों बैल सीधे सादे
लोगों का प्रतिक है ।दोनों को बहुत सारी आपदाओं का सामना करना पड़ता है ।
पर फिर भी दोनों एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। दोनों अपनी आजादी के लिए
संघर्ष करते है । कई सारे नैतिक मूल्यों का भी ध्यान रखते है । और अंत में दोनों
अपने घर लौट आते है ।
झूरी के पास दो बैल थे | वे नांद में एक साथ मुंह डालते
और एक साथ ही हटाते | झूरी उनके चारे-पानी का हमेशा
ध्यान रखता था | वह कभी भूलकर भी उन्हें मारता-पीटता
नहीं था | पशु भी प्यार का भूखा होता है |वे भी झूरी को
बहुत चाहते थे |
झूरी की पत्नी के भाई का नाम ‘गया’ था | एक
बार ‘गया’ हीरा और मोती को कु छ दिन के लिए
अपने घर ले जाने लगा |
एक बार ‘गया’ हीरा और मोती को कु छ दिन के लिए अपने घर
ले जाने लगा | बैलों को बड़ा आश्चय हुआ कि वह उन्हें क्यों
और कहाँ लिए जा रहा है | रास्ते में दोनों ने उसे बहुत तंग
किया | मोती बाएं भागता तो हीरा दाएं | इसपर ‘गया’ ने उन्हें
बहुत पीटा |
घर पहुंचकर उसने उसके सामने
रूखा-सूखा डाल दिया, पर
उन्होंने उसे सूंघा तक नहीं |
दीवार में रास्ता बनते ही पहले तो घोड़ियाँ भागी फिर भैंसे और बकरियां |
मोती ने गधों को भी सींग मार-मारकर भगा
दिया |
भूख-प्यास से व्याकु ल बैलों में कु छ भी दम बाकी नहीं रहा था | वे चुपचाप व्यापारी के साथ
चलने लगे | तभी रास्ता उन्हें जाना-पहचाना लगने लगा | न जाने कहाँ से दम आ गया | वे
दोनों तेज़ी से भागे | आगे-आगे बैल पीछे-पीछे व्यापारी |
पर जब तक वह उन्हें पकड़ता, तब तक दोनों बैल
अपने घर पहुँच चुके थे | बैलों को देखकर झूरी
को बड़ी खुशी हुई | वह उनसे लिपट गया |