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रचनाकार : http://rachanakar.blogspot.com/ क तु त.

ट प – वतनी क ग़ल तयाँ
संभा वत ह, चंू क पाठ को वचा लत फ़ॉ ट पांतर ारा प रव त त कया गया है.
लघकथा
ु सं ह : उखड़े पांव
-न दलाल भारती

1
लेखक य․․․․․․․․․․․․․․․
मेरा ज म उ तर दे श। भारत। के छोटे से गांव चौक ।खैरा। िजला-आजमगढ म एक जनवर
1963 को हआ
ु । मेर कू ल एवं नातक तक क श ा गांव के कूल कालेज म हई ु ,तदोपरा त
आजी वका क तलाश म शहर क ओर ख करना पड.◌ा । यह ं से शु हआ ु जीवन का असल
संघष और ख ठे -मीठ अनभव
ु का चभता
ु सफर । इसी दौरान अपन को पराया बनते हए
ु दे खा
और सामािजक बखि डता के भयावह प को भी । ल बी बेरोजगार का दं श झेलने के बाद
आजी वका का साधन मला पर संघष ख म नह ं हआ
ु । संघषरत ् रहते हए
ु भी नातको तर
।समाजशा ।(M.A.(Sociology) व ध नातक ।आनस। पो ट ेजुएट ड लोमा इन यमन ू
रस स डेवलपमे ट (PGDHRD) क उ च श ा तक ा त कया । शै णक एवं यावसा यक
श ा ,उ च यो यता के बाद भी म क म डी म कोई यो य मकाम
ु हा सल नह ं हआ
ु । यो यता
े ठता के द भ लहलहान
ू ु होती रह । संघष के च यह म उलझा हआु कल को नहार रहा हंू
आज भी । ई वर म व वास है , संघष जार है और कल से पर
ू स भावना भी है । मेरे आ म
व वास को ढता दान कया है, मेरे अपने प रवार ने.
सा ह य से लगाव बा यकाल से ह था । छठवीं क ा से ह क वता लखने लगा था । जीवन क
जंग के उबड. खाबड. रा ते से होते हए
ु सा ह य क शीतल छांव मे आ गया। अमानत,चांद क
हंसल
ु और अ भशाप जेसे बहच ु चत सा हि यक उप यास, कथा सं ह, लघकथा
ु सं ह एवं कई
का य सं ह क रचना कर सा ह य के े म अपनी पहचान बनाने के अथक यास म जट
ु गया
। मेर यादा तर कृ तयां अ का शत ह । वगत ् माह मेरा एक उप यास अमानत जो क एक
बन मां क लड.क क यथा कथा पर आधा रत 51 क ड.य का उप यास- इि डयन सोसायट
आफ आथस ।इंसा। ारा का शत हआु है । मेरे लेख,क वताय,कहा नयां एव लघु कहा नयां दे श
भर के प प काओं म का शत होते रहे है,इसका मझेु अ छा तसाद मला । काशक न
मलने के बाद भी मेरा लेखन कम नर तर जार है। मेरे सा हि यक योगदान को दे खते हए
ु दे श
क अनेक सा हि यक स थाओं ने स मा नत कर मेर लेखनी को जीव तता एव जीवन को
मकसद दान कया है ।

मेरा लेखन कम एकता, सामािजक समरसता एवं चेतना को सम पत होता है । म अपने कथा एवं
का य श प के मा यम से ामीण सम याय , द न-द ु खय क पीड.◌ा एवं सामािजक बराईय
ु पर
हार करने का यास करता हंू । सामािजक वषमता और द न द ु खय का दद मझे ु चैन से जीने
नह दे ता । इसी वजह से मझे
ु ामीण एवं द न द ु खय का सा ह यकार कहा जाने लगा है ।
मेर रचनाध मता को आप पाठक / ोताओं से उजा ा त होती रह िजसके बदौलत मझे
ु मान
स मान ा त हो रहा है । आप पाठक के नेह ने मझे
ु पीछे मड
ु .कर दे खने नह ं दया । आप
पाठक / ोताओं ने मझे
ु ऐसी दौलत द है िजसके आगे व र ठम ् पद और अ धकम ् धन का ढे र

2
बौना लगने लगा है । म आप अपने अ तरजाल के पाठक को लघकथा
ु सं ह उखड.◌े पांव को
सपद
ु ु करते हए
ु स नता का एहसास कर रहा हंू । पु तक प म यह लघकथा ु सं ह कब आकार
पायेगा यह तो कल पर छोड.ते है । आप लघु कथा सं ह उखड.◌े पांव को पढे और आपनी
त याओं से अव य अवगत कराय । आपक त याय मेरे लेखक य कम को जीव तता एवं
नर तरता दान करे गी । ऐसा मेरा अटल व वास है । आपक त याय इस पते पर सादर
आमि त है ।
uUnyky Hkkjrh] vktknnhi&15]oh.kkuxj]bankSj Ae-iz-AHkkjr
fiudksM&452010 nwjHkk”k& 0731&2574010
eksckbZy&9753081066
Email-nandlalram@yahoo.com/nl_bharti@bsnl.in / nlbharati_author@webdunia.com
Portal-http:// nandlalbharati.mywebdunia.com

अराधना
लाले को पजा
ू म ल न ,अखबार पर पडे. सा दा यक खनी
ू संघष के छ ंट दे खकर त मय
बौखलाकर बोला पापा आप कस कस क पजा
ू कर रहे है ?
लाले -बेटा भगवान क ।
त मय- शहर खन
ू से लाल हो रहा है । सब अपने अपने धम के नाम पर लड. रहे है । आप सभी
भगवान क पजा
ू कर रहे ह ।
लाले -बेटा सबका मा लक एक है । कोई भगवान के नाम से,कोई खदा
ु के नाम से, कोई गाड के
नाम से कोई बु द कोई महावीर कोई अ य नाम से अराधना कर रहा है। मै सभी क कर रहा हंू
। कोई भी धम वैमन यता का बीज नह बोता । स चा धम तो सवसमानता क बात करता है ।
बेटा उ माद खन
ू बहा रहा है। िजसे वाथ शा सत कर रहा है । धम से मानवता पल
ु कत होती है

त मय-पापा जो धम के नाम पर उ वाद फैल रहा है खन
ू बह रहा है, एक आदमी दसरे
ू को मारने
के लये खंजर लेकर दौड. रहा है । या वह धम नह ं ?
लाले - ब कुल नह ।वह तो अधम है,जो लोग धम के नाम पर खन
ू बहा रहे है।वे उ वाद
है,उ माद है।दह त फेलाकर राज करना चाहते है ।
त मय-सवधम समानता, बहजन
ु हताया बहजन
ु सखाय
ु के भाव म ह क याण है
पापा
लाले -हां बेटा स ची अराधना यह है
ईमान
3
सबह
ु गदराई हई
ु थे लोग खशु थे य क उनके सखते
ू धान के खेत लहलहा उठे थे, बरसात का
पानी पाकर ।इसी बीच राजा बदमाश आ धमका अपने कई सा थय के साथ ।राजा बदमाश और
उसके सा थय को दे खकर ईमानदे व बोले कैसे आना हआ ु राजा बाबू ।
राजा-ईमानदे व नाम तो ईमानदे व है बात बेईमान जैसी कर रहे हो । गाय तु हारे खटेू पर वापस
बांध गया था भल
ू गये ।पैसा वापस लेने आया हंू ।
ईमानदे व-वचन दया हंू तो परा
ू क ं गा थोड.◌ा व त दो । वैसे तो तम
ु नाइंसाफ कर रहे हो चार
माह गाय का दध
ू खाने के बाद मरणास न अव था मे मेरे दरवाजे बांध गये ।कोई इ तदार और
समझदार आदमी तो ऐसा नह करता जैसा तमने
ु कया है राजाबाब।ू
राजा-ईमानदे व मझे
ु वैसे लेने आता है कहते हए
ु ईमानदे व का गला पकड. लया ।यह दे खकर
असामािजक इ ठा होकर ठहाके मार रहे थे राजा मारपीट पर उतर आया । ईमानदे व का दमाद
कैलाश लहलहान
ू ु हो गया ।
राजा के खनी
ू ता डव को दे खकर ईमानदे व क पतोहू दगा
ु उठ खड.◌ी हई
ु हाथ म च पल लेकर
इतने म राजा बदमाश और उसके साथी प थर फकते भागते नजर आये । कछ ु दे र म परू ब ती
के लोग इ ठा हो गये । ब ती के लोग ईमानदे व को पैसा न दे ने क सलाह दे ने लगे पर तु
उखड पावं ईमानदे व का ईमान मु करा रहा था ।
कमाई
गोपाल-भईया च तान द य माथे पर हाथ धरे बैठे हो ।
च तान द-प र म और यो यता हार गयी है े ठता के आगे ।
गोपाल-शोषण के शकार हो गये है ।
च तान द-हां,सामािजक यव था और म क म डी म भी।
गोपाल- यग
ु पराना
ु घाव है। कारगर इलाज नह हो रहा है सब मतलब के लये भाग रहे ह ।
कमजोर के हक क कमाई पर ग द नजर टक ह। आतंक और शोषण से कराहते लोगो क
कराहे अनसनी
ु हो रह है ।
च तान द-यह दद ढो रहा हंू ।
गोपाल- तम
ु भी भइया।
च तान द-हां ।
गोपाल -समझ रहा था क हम अनपढ और असंग ठत मजदरू का बरा
ु हाल है ।पढे लखे भी
शोषण के शकार है ।
च तान द-हां भइया चौथी ेणी का कमचार हंू ।काम भी मझे
ु से को हू के बैल सर खे लया
जाता है। काम हम करते है। हमार कमाई म बर त नह होती उखड.◌े पांव आंसू पीने को बेबस
हो गया हंू । ओवरटाइम और तपू त भ ता े ठ ,चापलस
ू और तबेदार लट
ू रहे है। उनक कमाई
म चौगनी
ु बर त हो रह है ।
गोपाल-हक के लये संग ठत होकर जंग छे ड.ना होगा भइया चाहे सामािजक हक हो या प र म क
कमाई का
ऐसा य

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पापाजी क दे हावसान हो गया का समाचार एकदम फेल गया । पापाजी उ चअ धकार के पताजी
थे ,भले इंसान थे । पापा के अि तम सं कार म वभाग के सभी लोग दफ् तर के वाहन से गये ।
हां बीमार छोटे बाबू से परहे ज कया गया । छोटे बाबू आसंओ
ू ं से भर आख लये अि तम सं कार
म शा मल हये
ु । उठावना के दन तो दफ् तर म मी टंग हई
ु दफतर क गाड.◌ी से सभी लोग के
प रवारजन के लोग दफतर म इक ठा कये गये इसके बाद उठावना म शा मल हए ु दफतर क
गाड.◌ी से ह । इस बार भी छोटे बाबू को अछत
ू समझकर नजरअंदाज कर दया गया । तेरहवी के
दन म ऐसा ह छोटे बाबू के साथ हु आ । दफतर म हो रहे भेदभाव से बौखलाकर छोटे बाबू के मंह

से नकल पडा मेरे साथ ऐसा य ? यह सनकरु दफतर के छोटे -बडे सभी े ठजन के
ह ठ पर जैसे ताले पड. गये , चेहरा तमतमा गया और उखड.◌े पांव छोटे बाबू के चेहरे पर वजयी
मु ा ।
जलसा
कायमिु त और कायभार हण का जलसा राजधानी म आयोिजत ह◌ु
ु आ । जलसे के खच के लये
वभाग के छोटे बड.◌े सभी कमचा रय से रा श भी ल गयी और सभी े ठ लोग को जलसे म
शा मल होने के लये आमि त कया गया बस रतन को छोडकर । आना जाना रहना सब
वभागीय खच पर था ।रतन वभाग म दोयम दज के आदमी के नाम का दखता
ु खताब पा चक
ु े
थे । यह खताब उनक छाती को बोझ बन चका
ु था । छोटे बडे सभी काय म से रतन को दरू
रखने क को शश क जाती । े ठ लोग हर सािजश म कामयाब भी होते थे । जलस से भी रतन
को मलता था एक और नया घाव । वभागीय जलसे के दन भी े ठ और कमजोर के बीच
संवरती द वार को दे खकर उखड.◌े पांव रतन के मंह
ु से नकल ह जाता ये कैसा जलसा
कैसी े ठता जहां कमजोर आदमी को दरू ढकेल दया जाता है।मौका पाते ह रतन
पछता
ू या आदमी के बीच द वार खीचना समाज अथवा सं था के लये लाभकार है। उ तर नह
म ह मलता तो वह कहता य लक र के फक रे बने हए
ु है । उखड.◌े पावं रतन क बात मौन
कर दे ती े ठजन को भी
सवाल
नरं जन-मेरे एक सवाल का जबाब दोगे या कपा
ृ बाबू
कपाबाब
ृ ू-कैसा सवाल
नरं जन-कस
ु पाते ह आदमी नरं कु श खन
ू य चसने
ू लगता है ?
कपाबाब
ृ ू-लगता है शोषण के शकार हो रहे हो ।भइया शोषण करने वाले आदमी के प म हैवान
होते ह।
नरं जन-ठ क समझे ।शोषण का शकार हो रहा हंू । बेगनाह
ु क सजा पा रहा है । आदमी होकर
आदमी के सखु से वं चत कया जा रहा हंू ।मेर तर क के रा ते ब द कये जा रहे है ।
कपाबाब
ृ ू-इस सवाल का जबाब तो अब कस
ु क जंग म शा मल हो गया है । बेचारा भगतभे
ु ◌ागी
धोबी का कु ता होकर रह गया है ।समय के साथ सवाल भी हल हो जायेगा पर हम भी कछ
ु तो
करना पड.◌ेगा अपने वा भमान के लये ।
नरं जन-सब कछ
ु तो कर रहा हंू पर काले े ठ अं ेज को भाता नह ।सब ओर से हारकर
सामािजक े ठता क ढाल थाम लेते ह ।
5
कपाबाब
ृ -ू सामािजक े ठता क ढाल अ धक दन नह टकने वाल ।स कम क राह बढते चलो।
अ छा दो त फर मलेगे
टै ◌े◌क
ं र
पानी क द कत से बेचैन नेकच दक को टकर को दे खकर यास बझने
ु क त नक उ मीद लगने
लगी ।वे बा ट लेकर प रवार के साथ दरवाजे पर खड.◌े होकर इ तजार करने लगे । पर या
टकर उनके घर के सामने का नह कछ
ु दरू जाकर का। नेकच द बा ट लेकर दौड.◌े◌ं । बा ट
टै कर के नल के नीचे लगाते हए
ु बोले भइया थोड.◌ा पीछे कर लये होते तो हमारे यहां भी पानी
भर जाता । इतना सनतेु ह खलासी गाल दे ते हएु तेरे को ह पानी चा हये बहोत बोलता है चल
पीछे हट कहते हए
ु टा उठा लये नेकच द को मारने के लये ।नेकच द को उनके ब चे घर लेर
आये । कछु ह दे र म गु ड क फौज नेकच द के घर को घेर ल । खलासी पास के एक गु डा
क म के रहवासी का साला था । बेचारे नेकच द के घर मातम पसरा हआ ु था । उनक आंखे
पानी से लबालब भर चक
ु थी । छोटे ब चे रो रहे थे । प नी ढांढस बंधा रह थी । उखडे.पांव
नेकच द के दय पर र हमन का दोहा र हमन पानी रा खये पानी बन सब सन

द तक दे रहा था । भगवानच द,खोटाच द,धोखाच द,फरे बच द और आसपडा.◌ेस के लोग
पड.◌ोसी के धम को भलकर
ू गीत गा गाकर पानी भरने म लगे हए
ु थे।
जननू
टाईवाला यि त दयाबाबू से य घम डी साहब है ।
दयाबाबू-इस नाम को तो यहां कोई नह ह ।
टाईवाला यि त- बहत
ु बदतमीज हो कहते हए
ु दफतर के दसरे
ू कमरे म व ट हआ
ु ।
मखनसाहब से दयाबाबू क शकायत कया।टाईवाले के शकायत पर मखनसाहब आग बबला
ू होते
हये
ु दयाबाबू क सीट तक आये और जनन ू मबोले दया तमु को तमीज नह है कससे कैसी
बात करनी चा हये ।मालम
ू है कौन है वह होटल का मैनेजर है।
दयाबाबू- यादा तो मालम
ू नह पर इतना दावे के साथ कह सकता हंू क उस आदमी म
आद मयत नह है ।मखन साहब हम क पल मे टर लंच, डनर नह चा हये ना ह कसी और तरह
क र वत । हम तो मीठे बोल के भखे
ू है वह बांटते रहते ह ।
मखनसाहब-दया बहत ु च लाने लगे हो नतीजा जानते हो ।मखनसाहब क बात सनकर
ु दफतर के
दसरे
ू कमरे से रह स चपरासी जनन
ू म बोला बहतु आद मयत का पाठ पढाता है मार
दो आद मयत से ख सा भरता है या ?
उखड.◌े पांव नेकच द माथा ठ क लये ।
इलाज
आचाय-लाल साहे ब आपने खबर सनी
ु या ।
लाल साहे ब-कौन सी खबर आचाय जी ।
आचाय-नेह नगर म एक कु ता प चास लोगो को काट लया ।
लाल साहे ब-आचाय जी बस प चास ।
आचाय जी-लाल साहे ब कैसी बात कर रहे हो। एक कु ता प चास को काट लया । आप खशी

मना रहे हो।

6
आचाय जी-म बहत ु दखी
ु हंू ।म कोई हनमान
ु नह हंू क छाती फाडकर दखा दं ।ू आपको मालम
ू ह
वह कु ता पागल था । एक बात और आपको बता दं ू कु ता के काटने का इलाज है । आज का
आदमी जो होशो हवास म उखड.◌े पांव आद मयो को काट रहा ह उसका कोई इलाज है ।
आचाय जी-नह । सचमच
ु बहत
ु जहर ला हो गया है आदमी आज का ।
एडस
ाचार , ठग बेइमान,दं गाबाज क म के लोग कामयाबी पर ज न मनाने म लगे रहते ह ।
कमठ,प र मी,उखडे पांव नेक लोग आंसू से रोट गील करते रहते ह।जब क जगजा हर है क
दं गाबाजी से खडी क गयी दौलत क मीनार वालामखी
ु ह। मेहनत स चाई से कमाई गये च द
स के भी चांद क शीतलता दे ते◌े है ।सकन
ू क नींद दे ते है। कहते हए
ु बाबा श नदे व ध म से
टट
ू काठ क कस ु म समा गये ।
जगदे व-बाबा दगाबाज लोग परू कायनात के लये अपशकन
ु हो गये है।बाबा ये दगाबाज बेईमान
मखौटाधार
ु आद मयत के वरोधी लोग समाज और दे श क तर क क राह म एडस हो गये है ।
श नदे व-बेटा व त गवाह ह दगाबाज खद
ु क िज दा लाश ढो ढो कर थका है । खद
ु के आंसू क
द रया म डब
ू मरा है । जमाना दगाबाजो के मंह
ु पर थका
ू ह ओर थक
ू े गा भी ।
॥ उपदे श ॥
बकसर बाबू ठगी बेइमानी अमानषता
ु का पयाय बन चका
ु ह ।उपदे श तो ऐसे दे ता ह जैसे कोई
सदाचार । या लोग हो गये ह ।मन म राम बगल म छर
ु कहते हए
ु कमार
ु बाबू माथा पकड कर
बैठ गये ।
अवतार बाबू-आजकल तो ऐसे ले◌ागे◌ा का ह जमाना ह ।बकसर बाबू जब कसी बडे आदमी क
चौखट पर माथा टे क कर आता ह तो और भी अ धक चटखारे लेकर उपदे श दे ता ह जैसे सामने
वाला नासमझ हो । सब जानते ह बकसर बाबू क काल करतत
ू को ।वह अमानष
ु नेक बनने का
ढ ग करता है । सब जानते है।
कमार
ु बाबू-काश बकसर बाबू जैसे ठग ढोगी अमानष
ु क म के लोगो क शना त कर जनता
ब ह कार कर दे ती ।इसी म समाज सं था और दे श का हत है और उखडे. पाव लोग का भी।
॥ गमान
ु ॥
गलामद
ु न बीडी का कश खीचते हएु केशव बाबू से बोला बाबंू हम गर ब हाडफोड कर मिु कल से
चू हा गरम कर पा रहे ह । दसर
ू ओर कछु लोग धन के पहाड जोडते जा रहे है । या हम भय
भख
ू और जा त धम क लक रो पर तडपते मरते रहे गे ।ये कैसी आजाद ह ।
केशव बाबू-हमारा दे श अं ेजी हकमत
ु ु से आजाद हो गया है ।तम
ु भी तर क करोगे ।
गलामद
ु न-कब केशव बाबू । टाचा रय क ना कभी भख
ू मटे गी ना हमार तर क होगी । काश
हम भी सामािजक और आ थक प से तर क कर पाते आजाद दे श म ।
केशव बाबू-गलामद
ु न तमको
ु नह लगता क तम
ु आजाद हो ।
गलामद
ु न-बाबू िजस दन हम द न द ु खय क गल से तर क होकर गजरे
ु गी तब हम असल
आजाद महसस
ू करे गे ।बाबू दे श क आजाद पर गमान
ु ह । तभी तो भय भख
ू जा तधमवाद से
पी डत तर क से दरू उखड.◌े पांव होकर भी आजाद दे श क आजाद हवा पीकर वा भमान के
साथ बसर कर रहा हंू ।

7
परदे सी
सफेद क का लख तो जगजा हर हो चक ु है। अब ये का लख र त क जड तक पहंु चने लगी है
। नतीजन प रवार टटने
ू लगे ह। व वास कमजोर होने लगा है के मददे
ु पर च ता जा हर करते
हए
ु काल चरण बाबू जजर सोफे म धंस गये ।काल चरण बाबू क हां म हां मलाते हए
ु यानचरण
बाबू बोले लाख टके क बात कह रहे हो बाब।मझे
ू ु ह दे खो उ मीद के आ सीजन पर ह ते◌ा जी
रहा हंू ।न ह सी नौकर घर प रवार क बडी बडी वा हशे, महंगाई क ासद ,ब च क पढाई
खान खच का भार भरकम बोझ इन सबके बावजद ू पेट काटकर घर प रवार को दे खने के बाद भी
गांव घर प रवार को अ व वास का भत
ू पकडे ह रहता ह । वे सोचते है शहर जाकर वाथ हो
गया ह ।बेचारा परदे सी शहर म अकेला मिु कलो से जझता
ू है।बडी मेहनत के बाद तन वाह
मलती ह और प ह दन के बाद उधार पर काम चलने लगता है। या बाल ब चो को भखे

रखकर हर मह ने म नआडर करना ह अपनापन है ◌ै ।
काल चरण बाबू-परदे सी क पीडा को गांव घर प रवार वाले कहां समझते ह । उनक रोज रोज क
मांग क पू त करते रहो पेट म भख
ू लेकर तब वणकमा◌ार
ु हो वरना नालायक ।
यानचरण-गांव घरप रवार वालो को परदे सी के दद को समझना होगा।तभी र ते का स धापन
बरकरार रह पायेगा । गांव से हजारो कमी दरू परदे सी वनवासी का जीवन जीता है।इसके बाद भी
परदे सी के दद को लोग नह समझते बस पया पया पया ।
काल चरण-कट
ु ु ब के लये याग करना तप या है भइया ।
यानचरण- कट
ु ु ब के लोग उखड.◌े पांव परदे सी के दद को समझे ,व वास करे तब ना ।

राखी
म मी चाचा का गांव से फोन है कहते हए
ु रा गनी फोन अपनी म मी शोभा के हाथ म थमी द ।
शोभा- ेम बाबू रोशनी बी टया क राखी नह भेजे या ।उसके तीनो बडे भाई जान खा रहे ह
।कह रहे ह रोशनी क राखी नह आयी ।
ेमबाब-ू भेजी तो है प ह दन पहले ।भौजी रोशनी क मां से बात करो ।
रोशनी क मां सधा
ु -द द यो नाराज हो रह हो । बडी द द तो बोल रह थी क भाई साहे ब का
पता ठकाना उनके पास नह है ।कैसे राखी भेजती । रोशनी ने तो भेज द है ।
शोभा- या जब ज रत पडती ह तो पता मल जाता है ।राखी भेजने के लये पता नह है । वाह रे
ननद लोग।भाई बहन का तो यह एक उ सव होता है िजससे भाई बहन के नेह क डोर और
मजबत
ू होती है ।इस प व यौहार क याद ना आयी ।िजन भाइयो क बहने नह वे रो रहे ह ।
िजन बहने◌ा के भाई है उन बहन को◌े याद ह नह ं ।
सधा
ु -द द राखी का शौक तमको
ु भी चढ गया ।
शोभा-होश म तो ह सधा
ु । भाई बहन के इस प व यौहार को शौक कह रह है । तम
ु अपने
भाइया◌ो◌ं को राखी नह बांधती या कहते हए
ु फोन रख द ।
॥ पइया ॥
स भवतःपु मोह से बडा ाण मोह हो गया है ।बाप ारा बेटा के लये ाण आहु त इ तहास हो
चका
ु है ।इस वा या को च रताथ कया द दारच ने ।गांव के नीम हक मो ना द दारच को

8
डायबट ज का पेशे ट बता दया । वे घबराकर मरणास न ि थ त म आ गये ।अब मरे या तब क
ि थ त म उ हे शहर लाया गया ।शहर मे◌े कशलच
ु ने उनका इलाज करवाया अ छे डां टर से
।इलाज के बाद वे ब कुल ठ क हो गये पर तु उ हे डायबट ज थी ह नह ।जब क कशलच

डायबट ज क बीमार का आतंक कई बरसो से झेल कर न ह सी तन वाह से शहर से गांव तक
दे ख रहा था । आ थक तंगी एवं बीमार से जझते
ू हए
ु बेटे क हाल पछने
ू क फसत
ु द दारच द
को कभी ना मल ।हां द दारच द बेटे को तब ज र कोसते जब उ हे पये क ज रत पडती
।सच पइया हर र ते का आका हो गया है बाजारवाद के यग
ु म ।
॥ घम ड ॥
ै◌ाडम रो हनी कु ते को स भालते हए
ु आ दवासी म हला से पछ
ू बैठ यो बाई आज छटट
ु कर
ल या ।
बाई-हां मैडम जी आज भगवान का ज म दन है । आज तो छटट
ु कर ल पजा
ू पाठ के लये।रोज
रोज तो हाडफोडती ह रहती हंू प रवार के साथ ।मेहनत मजदरू से रोट तो मल ह जाती है ।
रोज काम तो करना ह है आज के दन भगवान के लये छटट ु ले ल है ।
मैडम रो हनी-आज क मजदरू तो गयी ।
बाई- मैडमजी गयी तो जाने दो । म तो स तोष के धन म खशु रहती हंू । अ धक पया से
घम ड आता है कहते हएु उखड.◌े पांव बाई अपनी झोपडी म चल गयी। मैडम रो हनी माथे पर
भार स कन लये हए
ु कु ते के साथ आगे बढ गयी ।
ये इि डया है
जी वत बढ
ू लाश प रजनो के लये बेकार क चीज होने लगी है ।वह प रजन जो कभी आ त थे
मेहनत मजदरू खन ू पसीने क कमाई का सखभोगु कर रहे थे कहते हए
ु महे श दादा रोने लगे ।
सबोध
ु - यो आंसू बहा रहे होदादा या हो गया ।
महे श दादा-सबोध
ु क तरफ अखबार सरकाते हए ु बोले ये खबर पढो बेटा ।
सबोध
ु -दादा सचमचु च ता क बात है । बेचारे बढेू अमे रका के रा बं सन माइकल फां स लेह म
आकर मर गये ।भला हो भारतीय सै नको का िज होने अमे रक दतावास
ू के ज रये मरने क खबर
भेजवायी और लाश को स मान के साथ रखे ।रा बं सन माइकल फां स के प रजन ने लाश लेने
को मना कर दया यह कह कर क लाश का हम या करे गे ।
महे श दादा-बेटा रा बं सन माइकल फां स के साथ जो हआ
ु ह हम सर खे बढो
ू के साथ हो गया तो ।
सबोध
ु -दादा बाजारवाद ने र ते को तहस नहस करना तो शु कर दया है ।दादा भारतीय र ते
क डोर इतनी कमजोर नह है ।यहां तो मांता पता धरती के भगवान सर खे पजे
ू ◌े जाते है। वो
अमे रका है ये इि डया है। दादा इि डया क नींव सदभावना, आ था एवं नै तक मू यो पर टक
है।
महे श दादा-अरे वाह बेटा तमने
ु तो मेर च ता का बोझ उतार दया ।
॥ दध॥

द यानी-हे ◌े भगवान हटलर के बम का जहर अभी तक नह पचा । धीरे धीरे यह जहर द ु नया
म फै◌ेल रहा है। कृ त का वनाश हो रहा है ।वन स पदा का नाश हो रहा है। ट प थरो के जंगल
खडे हो रहे है ।हवा पानी म जहर रोज रोज घल
ु रहा है अब तो मां भी अछता
ू नह रहा।

9
लाजव ती- या कह रह हो द यानी बहन ।
द यानी-मां के दध
ू म जहर मलने लगा है ।
लाजव ती-अरे बाप रे ये कैसे हो गया ।
द यानी- द ु नया के हर कोने म प व माना जाने वाला मां का दध
ू दषण
ू क भेट चढ रहा है ।
लाजव ती- दपण
ू क वजह से अब दध
ू का धला
ु नह रहा मां का दध
ू द यानी बहन ।
द यानी-द ु नया भर क औरतो के◌ा मां के दध
ू क र ा के लये पयावरण वनाश रोकने के लये
संघप करना होगा तभी बचेगी मां क अि मता और दध
ू क प व ता ।
लाजव ती-सच कह रह हो द यानी बहन य द पयावरण वनाश नह का । मां के प व दध
ू म
जहर मलता रहा तो कल का आदमी कैसा होगा ।
प रभाषा
दनेश -अंकल बधाई हो ।अंकल कसी को ढढ
ू रहे हे ◌ा ना ।
म ण बाब-ू नह बेटा ।
दनेश-अंकल ढढ
ू तो रहे हो पर वे दोनो योम और तंगेश नह आये ह इस जलसे म ।
म ण बाब-ू कस ज र म फंस गये होगे ।
दनेश-इस भ य समारोह से बडा काम होगा उनके पास ।नह अंकल र ववार ह ना ट वी सेट से
चपके होगे ।अंकल आप तो अपने करायेदार के दरू दरू के र तेदारो के जलसे म शा मल हो◌ेते
ह ।पैसा और समय भी खच करते है बढ चढकर ।दे खो आपके जीवन के सनहरे
ु पल म वो हैवान
हािजर नह हआ
ु । तंगेश का दे खो वगत मह ने क ह तो बात है उसके बाप क मौत हई
ु थी
हजारो क कालोनी का कोई भी आदमी नह झांका आपके सवाय । इतना ह नह उसके बाप क
मौत हई
ु है काननी
ू तौर पर कोई गवाह तक नह दया ।आपने टा प पर लखकर दया क
उसके बाप क मौत हाट अटै क से हई
ु थी वह भी उन हैवानो के कहने पर। अंकल आप हर कसी
के दख
ु म भागते रहते हो या मलता है आपको
म णबाब-ू सकन
ू ।बेटा नेक करो वसार दो । आदमी से उ मीद ना रखो । भु पर व वास रखो
।यह जीवन का उ दे य होना चा हये । कौन या कर रहा है नजरअंदाज कर परमाथ क राह
बढते रहो । इससे◌े बडा कोई सख
ु नह है । भले ह द ये क बांती क तरह तल तल जलना पडे

दनेश-समय का पु कहते है सा ह यकार को आज प रभापा जान पाया हंू ।बहत
ु बहत
ु बधाई हो
अंकल
॥ झठ
ू ॥
अपने साहे ब तो क पनी के भले का बहत ु सोचते है यार म बहत
ु दे र म समझ पाया हंू । तपाक से
सतवीर बोला सब झठ ू है।साहे ब को तो बस अपने भले का याल रहता है बाक कसी का नह
चाहे क पनी हो या कमचार ।साहे ब को तर क काम और पढाई लखाई को दे खकर नह मल
रह है । ◌ासाहब से बहत ु अ धक पढे लखे और क पनी और कमचा रय के हत म काम करने
वाले लोग है । बेचारे सड रहे है । अपने साहे ब को तो दे खो बना शै णक यो यता के शीष पर
बैठे हए
ु है ।

10
रघवीर
ु यार सतवीर यो साहे ब पर झठमठ
ू ू का बलेम लगा रहा है । मने कछ
ु सामान पासल
करवाने के लये साहे ब को कार से भेजवाने का बोला तो साहे ब बोले यो कार से भेज रहे हो
िजतने का सामान नह है उतने का पे ोल खच हो जायेगा । चपरासी से भेजवा दो आटो र शे
का कराया दे दे ना ।
सतवीर-तम
ु नह समझे बाबू रघवीर
ु साहे ब के ब चे को टयशन
ू जाना था । मैडम को बाजार जाना
था स जी भांजी खर दने ।इतने ज र काम छोडकर या साहे ब दफतर के काम के लये कार भेज
सकते है साहे ब अपने भले के बारे म सोचते है यह स चाई है बाक सब झठ
ू । गर साहे ब लोग
सं था के बारे म सोचते तो क प नयां ब द ना होती बाबू
॥ सपाह ॥
साहे ब क बदतमीजी से तल मलाकर राधे याम बाबू घन याम बाबू से बोले बाबू ये साहे ब भी
न न ेणी के कमचार थे। आज बड.◌ा अफसर बन गये है सफ च मचागीर के बलबते
ू ।चौपट
साहे ब से यादा पढे लखे तो बेचारे चपरासीगीर कर रहे है।घन याम बाबू ना जाने य ये चौपट
साहे ब तमसे
ु खार खाये रहते है। तमसे
ु बहत
ु बदतमीजी करते है।तम
ु चौपट साहे ब से यादा पढे
लखे और या त ा त हो शायद इसी लये ।
घन याम बाबू--जलने दो ।खद
ु जलकर राख हो जायेगे ।
राधे याम-दजनता
ु स जनता को ल तया रह है। तम
ु मौन हो ।
घन याम बाबू-राधे याम कलम का सपाह मौन नह रहता । जमाना ज र थक
ू े गा चौपट साहे ब के
मंह
ु पर। हटलर भी तो इसी धरती पर पैदा हआ
ु था ।आ मह या कर गया ।
राधे याम-कलम के सपाह इतना स कैसे रख लेते है ।
घन याम बाबू-कलम क घाव हर रहती है ।
राधे याम- बाबू कछ
ु भी कहो पर चौपट साहब बांस कम डांन यादा लगते है ।
घन याम बाबू-समय है बत जायेगा स मु कराता रहे गा ।
राधे याम-बाबू तम
ु तो वो ह ती हो िजसे दे खकर चौपट साहे ब भ कने लगते है और तम
ु बेखबर
स माग पर बढते रहते हो । कलम के सपा हय को हर यग
ु ने सलाम कया है । म भी तु हे
सलाम करता हंू बाबू
॥ फल ॥
वाला साहे ब बधाई हो मोशन पर मोशन साल म दो दो भी । अब तो साठ साल के बाद भी
आपक बडे पद क नौकर प क रहे गी ।सं था का मा लक बने रहे गे मायस
ू वर म ह राबाबू
बोले।
वाला साहे ब-आप लोगो क शभकामनाओ
ु का फल है ।
ह रा बाबू -नह साहे ब वं चतो को ल तयाने और अपने लोगो को खश
ु रखने क कला का फल है।
वाला साहे ब-ह रा य मजाक कर रहा है ।
ह रा बाबू-साहे ब आपने तभा के दमन क त ा को परू कया इसके लये और बधाई कबले
ू ।
वाला साहे ब- तभा वरोधी त ा ।
ह रा बाबू- हां साहे ब ।वं चत तभावान के भ व य का आपने खन
ू कर दया ।उसे आगे न बढने
दे ने क आपने कसम खा ल ।

11
वाला साहे ब-ह रा तू व याधर वं चत क बात कर रहा है ।अरे छोटे लोगो को मोट करना खतरे
से खाल नह है ।छोटे लोग बराबर करने लगेगे ।ऐसे ल गो को दबा कर ह रखना चा हये। आगे
बढने का मौका दया तो सर पर चढकर मतने
ू लगेगे ।
ह राबाबू -अरे वाह रे यो यता और आद मत के द ु मन तमने
ु स ता था पत करने के लये
व याधर के भ व य का खन
ू कर दया ।उ च ेणी के यि त को न न ेणी का बनाकर शोपण
कया । तर क से वं चत व याधर ने तो अपना ह नह अपने खानदान का नाम रोशन कर
दया है अपनी उ च यो यता के बल पर ।
व वास

रघु-अरे भइया रं धवा य उदास हो अब तो जेल से फसत


ु से छट
ू गये। कोट कचहर का झंझट
भी नह रहे गा जो होना था हो गया ।इस अनहोनी को क मत का लखा मान कर स करो
भइया ।
रं धवा-भइया क मत क वजह से नह पु लस वाले क वजह से जेल गया था । साल कोट
कचहर का च कर लगाया सफ इस लये क वो वद वाला रोट के लये बक गया था।नह तो
होटल के बैरे से सफ कहां सनी
ु ह तो हईु थी मयां भाई क । मयां भाई के साथ होने क
वजह से मझे
ु भी जेल म ठस ु दया गया 307 और 302 का मलिजम
ु बनाकर ।वो बडे बडे बाल
बडी दाढ बडी मंूछ वाला ल बा तंगडा रोबीला पडाव थाना भार चार हजार पये लेकर तो
जमानत होने दया था ।इतने बरस तक बना अपराध के मान सक,आि मक,शार रक और
आ थक प से जो दख
ु पाया उसक भरपाई कौन कर सकता है ।
रघु-कोई नह भइया।ये वद वाले अपने फायदे के लये िजसे चाहे उसे जेल म ठस
ु सकते है जन
सेवा रा सेवा क कसम को भलकर
ू तभी तो पु लस बदनाम है ।अंधेरपरु नगर कनवा राजा क
कहावत च रताथ हो रह है।
रं धवा-ठ क कह रहे हो भइया मेरा भी व वास उठ गया है ।
डयट

लो डाक साहब डा कया पसीना पोछते हए ु बोला ।
डा कया को परे शान दे खकर रघु बाबू बोल पो टमैन साहब बै ठये पानी पी कर जाइये ।
साहब मरने को फसत नह ह ।साधारण डाक रिज और म नआडर सब हम ह तो बांटना पड
रहा है ।नई भत ब द ह कहने को।दै नक वेतन और सं वदा पर साहे ब लोग रखते तो ह वह भी
अपने ह आदमी । वे काम करे गे क च मचागीर ।दफतर म आते ह तो साहे ब क रौब दखाते
ह।डर के मारे कौन बोले ।मंह
ु खोलो तो आचरणह नता का केस बन जाता है ।बहत
ु छछलेदर हो
जाती है साहे ब।
रघु बाबू यह ं दे खो बडे साहब बाहर ह तो दै नक वेतनभागी चपरासी भी नह आया है ।जब जब
बडे साहब दफतर नह आते चपरासी भी नह आता । पछताछ
ू एकाध बार कया तो मालम
ू ह बडे
साहे ब या बोले ।
यह ना तम
ु लोगो को बात करने नह आती है।अपनी डयट
ू तो ठ क से करते नह दसर
ू के
मामल टांग अडाते हो।अपनी डयट
ू से मतलब रखो कौन या करता ह यह दे खना तु हारा काम

12
नह है ।आने जाने वालो से बरा
ु बताव करते हो।तम
ु लोगो क शकायत आने लगी है । अपने
यवहार म सधार
ु करो ।पो टमैन एक झटके म बोला ।रघु बाबू के हाथ से गलास का पानी लेकर
पेट म ज द ज द उतारकर चल पडा अपनी डयट
ू बजाने क हडबडाहट म ।
रघ-ु सच कह रहे हो,नीिज वाथ,भाई-भतीजवाद,जा तवाद ह तो इस दे श क नींव खोद रहे है ।

आचरण
ध सच द अपने अधीन थ ति ठत कमल बाबू को डपटते हएु बोले कमल तु हारा आचरण ठ क
नह ह दफतर म आने जाने वाल से द ु यवहार करता ह ।सभी तु हार शकायत कर रहे है ।
तमको
ु नौकर करनी है क नह ।
कमल-सर हमने तो ऐसा कोई काम आज तक नह कया िजससे कसी भी कमचार को तकल फ
हई
ु हो । ठ क है म छोटे पद पर काम करता हंू पर मेर भी अपनी मान मयादा है । म वैसा ह
यवहार करता हंू जैसा म दसर
ू से अपे ा करता हंू ।
ध सच द- यवहार करते हो क द ु यवहार । अपने यवहार म बदलाव लाओं नौकर करनी है तो ।
तम
ु सा यवहार दसर
ू से करते हो सब मझे
ु पता है फर भी तम
ु खद
ु अपनी समी ा करो ।यह
मेरा मश वरा है ।
उखड.◌े पांव कमल बाबू को काटो तो खन
ू नह ं । बेचारे समी ा करने म जट
ु गये । कमल बाबू
को वजह यह मल क वे कल चपरासी ,ठगे को आफ स का काम करने के लये बोले थे यह
जानकर भी क चपरासी साहब का आदमी है । कमल बाबू का चपरासी को काम बताना दव
ु यहार
हो गया साहे ब क नगाह म ।
उ दार
अ पश त, न न पद च मचागीर के शखर से उ चपद हा सल करने वाला ब ढया काम करने
वाले कमचा रय को ता डत कर तो या इसे हटलरगीर नह कहे गे राजू आंख मसलते हए

धीरज बाबू बोले ।
राजू-बाबू यह लोग तो स ता का सखु भोग रहे है नीचे से उपर तक ।गर ब को हू के बैल सा खट
रहा है ।चाहे दफतर हो या जमीदार का खेत ।सच कहा है कसी ने कमाय धोती वाले बेचारे खाय
टोपी वाले ।
धीरज बाबू -राजू तु हारे साहे ब भी तो ऐसे ह हटलर है ।
राजू-हां बाबू तभी तो आंसू पीकर काम करना पड रहा ह पा रवा रक दा य व नभाने के लये ।
ऐसे हटलर के साथ दन दखते
ु साल क तरह बतता है ।
धीरज बाबू-राजू ये उ◌ु◌ंची पहंु च वाले सबल लोग गर ब क तकद र पर कु डल मारे बैठे ह
स दय से ।इन हटलर के आतंक से नपटने के लये हटलर ह बनना होगा ।
राजू-हां बाबू ठ क कह रहे हो तभी गर ब का उ दार होगा ।
नमाण

13
मां चामु डा क नगर , पांच दवसीय सरकार भारत नमाण अ भयान के जलसे के भ य समापन
समारोह के मौके पर मोती बाबू आपक आंख म बाढ । वजह जान सकता हंू ।
मोती - भख
ू दशन बाबू ।
दशन - या भख
ू । सना
ु है पहले शाइ नं ग इ डया और आक -बाक भारत नमाण अ भयान ने
पछाड दया है। दे श म करोडप तय क सं या दन-रात बढ रह है । आप भख
ू क चता पर
सलग
ु रहे हो ।
मोती -दशनबाबू दशन के अलावा ये सब कछ
ु नह ह वो दे खो भख
ू का नंगा खेल ।
दशन - कहां ।
मोती -कचरे के ढे र पर जहां खाकर फके हए
ु ड बे कु त के साथ भखे
ू नंगे आदमी के ब च भी
चाट रहे ह ।
दशन -सच कह रहे हो भख
ू और द र ता के रहते शाइ नं ग इ डया हो चाहे भारत नमाण अ भयान
द न द ु खय के आसंू नह प छ सकते।
क याण
दशरथ-भइया धमान द गर ब का क याण कभी होगा या ?
धमान द-ऐसा तमको
ु य लगता है ।
दशरथ-सामािजक आ थक वपमता , वाथ क अंधी दौड, गर ब का अव न त और बाहब
ु लय क
तर क दे खकर।
धमान द-बात तो लाख टके सह कह रहे हो भइया दशरथ इनके रहते तो नह पर अस भव भी
नह है ।
दशरथ-वो कैसे भइया ।
धमान द-अपने अि त व का जोरदार दशन ।
दशरथ-व ह कार और बराईयो
ु का वरोध ।
धमान द-हां पर अ हं सा मक ढं ग से, तभी गर ब का क याण स भव है ।
अ त मण
अरे वाह तम
ु तो सट
ू पहनकर आये हो दफ् तर अ धकार बेगानच द ने अपने से कई गना
ु अ धक
पढे लखे और छोटे पद पर काम करने वाले कमचार द वानच द पर यंगबाण का तरकस छोडा ।
द वानच द-सहज भाव से बोला ना जाने य तथाक थत े ठ लोग अपनी यो यता को नह
दे खते। गर गट क खाल ओढ लेते है ।
बेगानच द- ख सयाकर बोले काग हंस तो नह बन सकते ।
द वानच द-पद दौलत के नशे म चरू लोग को अपने मद के अलावा कछ
ु नह दखाई दे ता सावन
के भसे क तरह।
छोटे लोग के मंह
ु म नह लगता कहते हए ु बेगानच द अपनी कस
ु क ओर बढने लगे ।
द वानच द ने भी नहले पर दहला मारा सनो
ु साहेब आप और आप जैस ना जाने कतने लोग
हमारे जैसे लोगो क तकद र नाग क तरह अ त मण कर बैठे है ।
गफ् ट

14
दफ् तर म व ापन क प नय स हत क पनी के उ पाद बेचने वालो का आना जाना लगा रहता था
। ये सभी मानच द बाबू से अपने काम के बारे म चचा भी करते। मानच द बाबू इन लोग का
काम कर गव महसस
ू करते। द वाल और नये साल के आते ह लोग मानच द बाबू को दे खना भी
पस द ना करते । नये साल अथवा द वाल के◌े मह ना भर बाद य क य ि थ त हो जाती।
एक दन क पनी के त न ध आये मानच द से बडे आ मीय ढं ग से बात करने लगे । मानच द
ने भी उनसे यादा आ मीयता गट कये और काम भी कये ।इसके बाद त न ध से कहे एक
बात पछं
ू ू महोदय ।
त न ध-हां य नह साहब के पहले तो आप हमारे साहब है ।
मानच द-म साहब तो नह हंू पर अपना फज है अ छ नभाना जानता हंू । म तोहफा के लये
काम नह करता । अपनी हालात पर खश ु रहना भी जानता हंू ले कन मझे
ु एक बात खटकती है ।
त न ध-वह या ।
मानच द-द वाल या नये साल के आते ह क पनी के मा लक अथवा त न ध लोग अनजान य
बनने का नाटक करते ह ।
त न ध- गफ् ट बांटने क य थता रहती ह । बाक समय तो काम करवाने के लये आते ह है ।
मानच द- या आपको नह लगता क गफ् ट दे ना ाचार को यौता है
बल
रामबाबू दकानदार
ु को आधा कलो नमक न का आडर दये । दकानदार
ु दामू नमक न रामबाबू के
सामने रखते हएु बोला और या सेवा क ं आपक
रामबाबू बोले और तो कछ
ु नह चा हये बल दे दो ।
दाम-ू रामबाबू को बल थमाते हए
ु बोला बाबू छोटे दकानदार
ु से बल लेना जाग क लोग अपना
चातय ु समझते है। पाव भर नमक न खर दे गे प का बल मांगेगे । अरे कोई कोट कचहर वाल से
बल लेकर बताये तब ना जाने क अपने दे श के लोग जाग क हो गये है । अपने दे श के
जाग कता का द भ भरने वाले लोग कचहर से खर द गये◌े टा प पेपर एवं दये गये भार
भरकम शु क के भी बल लेते है या ? दकानदार
ु का सवाल सनकर
ु रामबाबू के तालु चपक
गये ।
परु कार
काका ये त वीर तु हार द वाल पर म तब से दे ख रहा हंू जबसे मेर आंख खल
ु है। इस कले शन
म कोई त वीर नह जडी ु य ।
द नानाथ -बेटा दयाल इन त वीर के अलावा शायद ह कोई त वीर टं गे ।
दयाल-ऐसा य काका कह रहे हो । नेता तो अपने दे श म बहत
ु हो गये है। दे श समाज क सेवा
के बदले बडे से बडा परु कार अपने नाम करवा रहे है । या दे श समाज क सेवा का द भ भरने
वाले◌ा◌ं के फोटो नह ं लगा सकते ।
द नानाथ-पहले के नेता दे श समाज क सेवा करते थे अब के नेता अपना खजाना भरते है । या
ऐसे नेताओ क त वीर लगाकर ईमानदार और से वाभाव को गाल दे ना नह है।सरकार परु कार
को आपस म मल बांट लेना स मान का तीक है अपमान का बेटा ?
डाका

15
ब पन- बहार बाबू मेर कमीज बताओ कतनी क होगी।
बहार -सौ पये क होनी चा हये ।
ब पन-अरे यार ा डेड है । 500 क है तम
ु सौ पये आ◌ा◌ंक रहे हो ।
बहार -होगी प चास दन चल जाये तो मान लेना। आजकल ा ड के नाम पर ाहक क जेब पर
डाका डाल रहे है कछ
ु दकानदार
ु ।
ब पन- या ।
बहार -हां कल क ह तो बात ह ।म बेटे के लये ा डेड क पनी का जता
ू 0 499 90 बल
मांक 8242 दनांक 22 जनवर 2008 को वचर शो म से लया ।घर आकर पता चला क
जता
ू पराना
ु है और एक जते
ू मे फ ता भी नह है ।दकान
ु शकायत लेकर गया तो दकानदार

उ टे मेरे उपर इ जाम लगाने लगा क जता
ू पहनकर लाये है। न जते
ू बदला ना ह पैसे वापस
कये । मै ठगा सा वापस आ गया ।
ब पन-यह तो धोखाधडी है । मनाफाखोर
ु दक
ु ानदार ाहक के पाकेट पर डाका डालने लगे है।
उ तरा
यूनतम ् यो यता उ च े ठता क बदौलत परसाद बाबू ांचहे ड का पद ह थया बैठे।परसाद बाबू
वैसे तो सभी को आतं कत करके रखते थे पर तु छोटे और अपने से अ धक यो य लोगो से तो
छ तीस का आंकडा रखते थे । गणत दवस के चौथे दन परसाद बाबू दोपहर के एक बजे आये
। आते ह काल बेल पर जैसे बैठ गये । कछ
ु ह दे र मे अभ भाषा का
योग करते हए
ु बडे बाबू
को बलाने
ु लगे अरे ओ दयावान इधर आ । साले दन भर बैठकर चाय पीते है कोई काम नह
करते । इसी बीच दयावान हािजर हो गया ।
ांचहे ड - आग बबला
ु होकर बोले हमार टे बल
ु कस
ु और आ फस क सफाई य नह हो रह है ।
दयावान-सर ओ चरे आजकल नह आ रहा है ना । यह बात परसाद बाबू अ छ तरह से जानते
थे य क चरे उनका चहे ता था।आ फस का काम कम और उनका अ धक करता था ।
इतना सनना
ु था क ांचहे ड परसाद बाबू क आंखो म खन
ू उतर आया । तमतमा कर बोले चरे
नह आ रहा है तो तम
ु करो ।
दयावान-म य ।
ांचहे ड परसाद बाबू-बदतमीजी से बोले तमको
ु करना पडेगा ।
दफतर के सभी लोग खामोश थे अ धकतम ् यो य दयावान के अपमान के गवाह भी। उनक जबान
खामोश थी पर तु जबान पर यह सवाल तैर रहा था क सं था ने ब दर के हाथ म उ तरा य
थमा दया ।
घाव
साहे ब क कोठ का काम नपटा कर सा व ी बाई आसंू पोछते जाते हए
ु दे खकर ाइवर मोती
चपक
ु े से कोठ क आड म खडा हो गया और इशारे से बाई को अपनी ओर बलाया ु ।
सा व ी बाई-बाबजी
ू य बला
ु रहे हो । म ऐसी वैसी नह हंू ।उ◌ु◌ंची जा त क हंू । मजबरू म
झाडंू पोछा और कपडे धोने का काम कर रह हंू । प त क कमाई से घर नह चल पाता है ।ब च
को अ छा कल मले इसी उ मीद म तो गलामी
ु कर रह हंू साहब लोगो क ।
मोती-बाई मझे
ु गलत ना समझो ।तम
ु आंसू य बहा रह हो ।
16
सा व ी बाई-बाबजी
ू गर ब का आसंू कौन पोछता ह । सब आसंू दे ते है ।
मोती-बाई या कह रह हो ।द ु नया म सभी एक जैसे नह होते ।भलमानप
ु लोग भी है।दसर
ू के
दद को अपना समझते है ।
सा व ी-बाबजी
ू सह कह रह हंू । ये आपके साहे ब कोई भलमानपु है या
मोती- य नह भलमानप ु है बाई । इतने बडे साहब ह । हां कम पढे लखे है पर े ठ ह ।
सा व ी-साहब है ।इसका मतलब ये तो नह क दे वता है ।रा स है रा स
।ये आसंू उनके दये हए
ु शोपण के घाव क वजह से बह रहे है
।मोती- या हआु बाई ।
सा व ी-बेटवा को नौकर पर लगा दे गे इसी उ मीद म पांच साल से एकदम कम पैसे म कोठ का
परा
ू काम और खाना भी बना रह इतना ह नह ट ट घर फोकट म साफ करवा रहे है ।बेटवा
गजे से भी सबह
ु शाम गलामी
ु करवा रहे है ।छु टय के दन तो सबह
ु साहब के बंगले आ
जाता ह और रात म घर वापस आता है भखेू यासे । ये लहलहान
ू ु हाथ दे खो बाबजी
ू तेजाब से
फश साफ करने म हआु ह । यह हाल मेरे बेटे का भी है । या अमानषु लोग है ।
मोती-बाई ारपाल साहे ब तु हारे बेटवा को कभी भी नौकर नह दे सकते।गलतफहमी मत पालो ।
ये गर ब के खन
ू चसने
ू वाले शोपण के घाव के अलावा और कछ
ु नह दे सकते ।
सा व ीबाई-धोखा कर रहे है ◌े◌ं
या

मोती-हां । आसंू न बहाओ । बात रखने क ह मत जटाओ


ु ।
बीमार
साहब बडे साहब को या हो गया है ल लू दखी
ु मन से पछा
ू ।
वजय- या हआ ु ल लू साहब को ।
ल ल-ू बाबू चचाओ का बाजार गरम है।आपको कछ
ु पता नह ।अ छा आप तो पी ए साहब है
। जानकर भी अनजान रहे गे ना ।
वजय-सच ल लू मझे
ु कछ
ु पता नह । बाजार गरम य है तु ह बता दो ।
ल ल-ू घसखोर
ु और अ याचार क वजह से । आजकल बात बात पर गाल दे ने लगते है ।
आपके साथ भी तो कल बहत ु बदतमीजी कर रहे थे । सनाु है कई एजेि सय से कई लाख
डकार गये है।कईय से ऐठने का लान है । दआल
ु साहे ब तो बडे शा तर नकले ।चेहरे से तो
बहत
ु शर फ लगते ह । मन से बहत ु काले है ।
वजय-ल लू दआल
ु साहे ब अपने फज को भल ू गये ह जानते हो य।
ल लू - य साहे ब ।
वजय-साहब साहब बनने लायक है ।
ल ल-ू नह ।
वजय- ब कुल सह । पद और दौलत उ मीद से बहत ु यादा मल गया ह । इसी अ भमान
म दआल
ु साहे ब मान सक बीमार के शकार है ।
अ प ृ यता

17
रघवर
ु -अरे भाई सेवक जलसे म नह गये थे या ।
सेवक- कस जलसे क बात करे रहे हो ।
रघवर
ु -अरे िजसे िजले क ये सु खया है ।
सेवक-क पनी के जलसे क । ये तमको
ु कहां मल गया।
रघवर
ु -भाई तु हारे वभाग के जलसे क खबर है ।इस लये अखबार क कतरन साथ लेते आया
ये दे खो तु हारे दफतर के सभी लोग फोटो म ह बस तमको
ु छोडकर।अ छा बताओं तम

शा मलय नह हए ु ।
सेवक-मै छोटा कमचार अ पृ यता का शकार हो गया हंू ।
रघवर
ु - या कह रहे हो । तम
ु जैसे कद वाले सफ पद के कारण अ प ृ यता के
शकार
सेवक-हां रघवर
ु ।
रघवर
ु -धैय खोना नह । जमाना तु हार जयजयकार करे गा एक दन सेवक
चाय
अ धकार -ट चू ये या है ।
ट चू-सर चाय है ।
अ धकार - कैसी चाय है । वह भी सरकार ।
ट चू-दध
ू म त नक पानी डाल दया हंू ।
अ धकार - यंू ।खा लस दध
ू क य नह ।
ट चू शकायती लहजे म बोला-इंचाज बाबू मना करते है ।
अ धकार -बाबू क इतनी ह मत । हमे तो खा लस दध
ू क ह चलेगी ।
ट चू-बावन बीघा क पद
ु ना क खेती वाले है,मन ह मन बदबदाया
ु ु ।
अ धकार -कछ
ु बोले ट चू ।
ट चू-नह ं सर ।
अ धकार -अब तो सरकार चाय दे दे ।
ट च-ू सर दध
ू मे चाय प ती और शकर डलेगी ।
अ धकार - हां य नह पर पानी नह ।जा क बहस ह करता रहे गा। मड
ू खराब हो गया चाय
दे खकर ।
ट च-ू दध
ू म चाय प ती और शकर डालकर गरम करने म जट
ु गया ।
े सडे ट
सं था के उपकायालय के कमचार यू नयन े सडे ट के आगमन क खबर से काफ उ सक
ु थे
। उधर दसरा
ू वग कलह और झंझावत से जझ
ू रहा था । े सडे ट दौर पर आये और सीधे
कायालय मख
ु के ए सी म म
व ट हए
ु फर बाहर नह झांके । घ टे दो घ टे क
गपशप और चाय ना ते के बाद वे ए सी म से झटके से नकले और ए सी कार म बैठ
गये । बेचारे कमचार सडे ट क झलक तक नह पा सके । एक कमचार दसरे
ू कमचार से
बोला यार अपना वोट तो यथ हो गया ।
पासवड

18
गोपाल साद अ धकार के तबे म मदम त चरवाहे क भां त च लाने लगे अरे
वो द पक तू जरा इधर आ
द पक- या हो गया साद जी।
गोपाल साद- बक टे टमे ट क ई मेल आयी है , ट लेने नह आ रहा है ।
द पक-ईमेल ए ेस बताइये नकाल दे ता हंू । उधर का टर खराब है ।
गोपाल साद आशं कत मन से ईमेल ए ेस बताये ।
द पक-क बोड सरकाते हए
ु बोला ल िजये पासवड डाल द िजये ।
गोपाल साद बडी बार क से पासवड डाले ।द पक उनक तरफ आंख उठा कर भी नह दे खा पर
गोपाल साद को पासवड चोर होने क शंका हो गयी ।
द पक-लो सादजी ट आ गया ।
गोपाल साद बैक टे टमे ट लेकर दफ् तर के दसरे
ू क म गये । एक तरफ कोने म बैठकर
बैक टे टमे ट का मआयना
ु कये । बीस मनट के बाद आये और बोले द पक तू बता पासवड
कैसे बदलते है ।
द पक-पासवड चोर हो गया या साद जी ।
कमरा
आ ट आपके यहां कमरा खाल है ना । गु ता आ ट ने भेजा है ,कला- मसेज क ठवास से
पछ
ू ।
मसेज क ठवास-हां है तो ।तमको
ु चा हये या कसी और को
कला-मेरे भइया को ।
मसेज क ठवास-दे ख लो ।
कला-कमरा तो बहत
ु छोटा है । आ ट कराया कतना है ।
मसेज क ठवास-बारह सौ । मसेज क ठवास प त क ओर इशारा करते हए
ु बोल उनसे बात
कर लो ।
म टर क ठवाल बोले कमरा ठ क है ।
कला-कमरा छोटा है कराया यादा है । भइया अकेले रहकर पढाई के करे गे । सोना खाना तो
घर पर ह होगा ।
म टर क ठवास- भइया तु हारे सगे नह है ।
कला- सगे से बडे है राखी के भाई है ।
म टर क ठवास-तु हारा भाई करता या है ।
कला-अंकल आ ट ट है ।
म टर क ठवास-पे टर को नह दे ना है । बाहर जाओ कहते हए
ु दरवाजा भडाम से ब द कर
लये ।
कला-अंकल म बी एफ ए फाइनल क पर ा दे चक
हंू । मेरा राखी का भाई

बी एफ ए पास बडा च कार है। अंकल आप जैसे मान सक रोगी च कार के वजद ू को
या जानेग नह चा हये आप जैसे घम डी का कमरा कहते हए
ु कला बैरंग लौट
गयी ।
19
म टर क ठवास के यवहार और कला के शाल न तेवर को दे खकर मसेज क ठवास के तो
होश ह उड. गये ।
उपभोग
अ धकार अधीन थ कमचार जयेश को हदायत दे कर लोकल दौरे पर चले गये । रात के
साढे आठ बजे जयेश ने अ धकार महोदय को मोबाईल पर काल कया । काफ दे र के बाद
अ धकार ने फोन अटै ड कया और छटते
ू ह बोले जयेश कहां से बोल रहे हो ।
जयेश-सर आफ स से
अ धकार -इतनी दे र तक आफ स म या कर रहे हो ।
जयेश- सर आपक हदायत थी ना बैग से भरे बोरे रखवाने क
अ धकार -ओ आई सी
जयेश-सर बैग क डलवर अभी हई ु है बार बार के फोन करने के बाद
अ धकार -बहत
ु अ छा काम तमने
ु कया सनोु मझेु अरल मा नग कल नकलना होगा । तम

दफतर स भाल लेना ।
जयेश-ठ क है सर
अ धकार -एक काम करो
जयेश- या सर
अ धकार -एक बोरा खोलकर एक बैग ले लो
जयेश-सर बाद म आपके हाथ से ले लंूगा ।
अ धकर -ठ क है अब तम
ु घर जाओ बहतु लेट हो गये हो
ो ाम नपटाकर साहब आये ।चपरासी को बलाये
ु ।कार से बैग से भरा बोरा नकलवाये ।
चपरासी से गनवा कर बैग आलमार म रखवाये । कछ
ु बैग कार म रखवाये । जयेश
इ तजार करता रहा क साहब अब बैग दे गे तब दे गे पर साहब ने नह दया । जयेश ह मत
करके बोला सर आप बैग दे ने वाले थे मझे
ु । दे दे ते तो काम आ जाता । मेर बेट कल बाहर
जा रह है।
अ धकार - बैग तो बंट गये जब क सबह
ु ह तो ढे र सारे बैग आलमार म और कछ
ु कार मे
रखे गये थे यि तगत उपभोग के लये
नसीब
ह राच द च मा साफ कर आंख पर रखते हए ु उठे और कई दन से पडे कपउ◌े ेस करने लगे
।सहानी
ु से नह दे खा गया बढेू ससरु को कपडा ेस करते हए
ु ,वह दद को भलकर
ू ब तर से
उठ और बोल बाबजी
ू रहने दो म कर दे ती हंू । बखार
ु आज थोडा कम है । आपने िज दगी
भर काम ह तो कया है,अब आराम करो।हम कस दन रात के लये है ।
ह रसच द बोले तू बीमार है। आराम क तमको
ु अ धक ज रत है न क मझको
ु ।
सहानी
ु -बाबजी
ू रहने भी दो ना कहते हए
ु ह राच द के हाथ से ेस लेकर खद
ु करने लगी ।
बहू के सेवाभाव से ह राच द को जैसे वग का सख ु नसीब हो गया ।
भगवान

20
ातः द यानी मु ना के रोने को अनसना
ु कर क चन म कछ
ु बनाने म य त थी,िजसक
सग
ु ध सेवकबाबू क नाक तक बेधडक पहंु च रह थी । द यानी क चन से ह मु ना चप
ु हो
जा म आयी कहकर चपु कराने क को शश कर रह थी ।
े◌ावकबाबू बहू मु ना को चप
ु कराओ कब से रो रहा है ।भख
ू लगी होगी । अरे मेरा च मा
कधर चला गया,मै ह चप ु कराता तमको
ु फसत
ु नह है तो । ब चे का याल रख करो बहू ।
द यानी बाबजी
ू -ये रहा आपका च मा और ये आपका चाय ना ता ।
सेवकबाबू-बेट पहले मु ना को दे खना ज र है न क मझको
ु ।
द यानी-बाबजी
ू भगवान को भी तो नजरअंदाज नह कया जा सकता ।
सेवकबाबू कभी नीले आकाश क ओर तो कभी दे वी समान बहू द यानी क ओ दे ख रहे थे ।
बेट का सखु
या औलाद हो गयी है आज के वाथ जमाने क , बताओ तीन तीन हटटे क टे बेटे,अ छ
खासी सरकार नौकर और बहओ ू क भी सरकार नौकर पर तोता काका को समय पर पानी
दे ने वाला नह ।दे खो बेचारे अ सी साल क उ म घर छोडकर जा रहे थे ।
खेलावन काका क बात सनकर
ु दे वकल काक बोल दे खो एक बेट अपनी भी है चार चार
ब च का पाल रह है।दफतर जाती है। बी टया जरा भी तकल फ नह पडने दे ती । सार सख

सु वधा कायाल रखती है । एक वो है, तोताजी, बेटा बहू नाती पोता,भरा परा
ू प रवार,अपार
धन स पदा के बाद भी दाना- पानी को तरस रहे है। एक बेट के मां बाप हम है।
॥ बथडे ॥
है पी बथडे सर कमार
ु बाबू बोले
अशोक बाबू मेरे बथडे के बते कई दन हो गये कमार
ु बाबू बोले ।
अशोक कमार
ु बाबू मठाई खाने का तो मेरा भी हक बनता है ।
कमार
ु बाब-ू यो नह ं कहते हए
ु चपरासी से अकेलाबाबू को बलावे
ु ।
अकेलाबाबू बो लये कमार
ु बाबू या फरमा रहे है ।
कमारबाब
ु -ू सन
ु रहे हो साहब मठाई खाने का कह रहे है ।
अकेला बाबू -कैसी मठाई कसी खशी
ु म
अशोकबाबू-कमार
ु बाबू के बथडे क खशी
ु म ।
कमारबाब
ु ू चपरासी से बोले जा अकेलाबाबू से पैसा ले ले और साहब के मन पस द क मठाई
ला।
चपरासी-कौन सी साहब, काजू कतल ,शंखबादाम या और कछ

अशोकबाबू-कछ
ु भी नह
चपरासी- य नह साहब ।
अशोकबाबू-कमार
ु बाबू के बथडे क मठाई खाने क बात हो रह थी ।यहां तो कमारबाब
ु ू ने तो
पतरा बदल दया अपने बथ डे को क पनी का बना दया ।
द मक
मतेष- ीराम सर
ीराम-हां बोले प कार महोदय
21
प कार-सर फरमेशबाबू का इ टर यू ब कालम म छप गया है ।
ीराम-बहत
ु अ छा । ध यवाद फरमेशबाबू का इ टर यू छापने के लये ।
क हैया-सर आपका इ टर यू छपा है
ीराम-नह मेरा नह फरमेशबाबू का ।
चपरासी-भागते हए
ु फरमेशबाबू के पास गया और बोला बधाई हो सर आप तो छा गये शहर
म ।
फरमेशबाबू -वो कैसे ।
चपरासी-आपक अखबार म फोटो छपी है ीराम साहब बता रहे है ।
फरमेशबाबू - मेर फोटो छप गयी जा दौडकर अखबार खर द ला
चपरासी-सर पैसा
फरमेशबाबू -जा ीराम से ले ले
चपरासी-सर अखबार लाना है पैसा द िजये ।
ीराम-इनटर यू कंजसबाब
ू ू का छपा है पैसा मै दं ू
चपरासी- क पनी को द मक क तरह खाने वाले या दे ग
एहसान
ओम काश एक क पनी म कायरत ् थे उनक प नी करन कम पढ लखी तो थी पर कूल
क ट चर हो गयी थी। दोनो ब चे गोलू शोलू और गोलू बहतु छोटे छोटे थे । ये दोनो ब च
हम प त-प नी क गोद म खाये पले बढे । मेरे ब च ने भी बहन भाई का यार दया,
ओम काश और करन को ब च ने सगे चाचा चाची का ।
आठ साल के बाद मेरा घर खाल कर रहे थे । हमारे घर का माहौल गमगीन हो गया था ।
घर खाल कर ओम काश सरमा सप रवार चले गये बना बजल का बल दये । पानी का
बल तो कभी दये ह नह । नाममा का कराया ले रहे थे प रवार के सद य मानकर । दसरे

दो दो हजार दे ने को तैयार थे पर नह दये।
ओम काश और उनके प रवार के जाने के दो दन बाद घर का ताला खला
ु । घर अ दर से दो
समदाय
ु के दं गे म लहलहान
ू ु आदमी क तरह अपना हाल बयां कर रहा था। रसोईघर के जल
नकासी का पाईप, लै टन क द वार और फश पर लगी टाईले कू ं च द गयी थी । बजल
स लाई लाईने तोड द गयी थी। वाशबे सन तहस नहस था । दस खचा का खचा खडे खडे मंह

चढा रहा था । म घर का हाल दे खकर अवाक् था । ीमती प लू म आंख छपाये◌े हए
ु बोल
या सला दया रे मतलबी मेरे एहसान का
दौलत
बाबजी
ू - आप तो कहते हो क आदमी बड.◌ा बनता है तो फलदार पेड. क तरह झक
ु जाता है

हां बेटा रामू मने तो गलत नह कहा है। बात तो सह है रघदादा
ु बेटे से बोले ।
रामू-बाबजी
ू बात परानी
ु हो गयी है।
रघदादा
ु -बेटा ये अमतवचन
ृ है ।

22
राम-ू बाबजी
ू म बांस से यादा पढा लखा हंू । दफ् तर के बाहर मान स मान भी बहत
ु है ।
इसके बाद भी अपमान
रघदादा
ु -ये दजन
ु के ल ण ह । ये बबल
ू के पेड सर खे होते ह बेटा।
राम-ू बाबजी
ू या क ं ?
रघदादा
ु -कछ
ु नह । कम पर व वास रखो बस
रामू-बाबजी
ू रोज रोज अपमान का जहर
रघदादा
ु -बेटा हर अ छे काम म बाधाये आती है। घबराओ नह ं । भले ह उ◌ू◌ंचा पद और
दौलत का पहाड तु हारे पास नह है पर तु तु हारे पास कद क उ◌ू◌ंची दौलत तो है। कद से
आदमी महान बनता है । पद और दौलत से नह
े नं ग
तु हार तीन दवसीय े नं ग होने जा रह है दे वी साद कनक साहब पछे
ू ।
दे वी साद-हां साहब,कछ
ु दे र पहले फै स से सचना
ू आयी है ।
कनक साहब-बधाई हो भाई तु हार टं ◌्रे नं ग । हमार तो हई
ु नह । तु हार हो रहा है कहते
हए
ु कनक साहब अपने माथे पर च ता के काले बादल लये अपनी के बन म चले गये ।
ब बन-दे वी साद कनकसाहब बधाई दे रहे थे या वरोध कर रहे थे ।
दे वी साद-कनक साहब बडे अफसर है । उनका अ भमान बोल रहा था । छोटे कमचा रय क
टं ◌्रे नं ग कनक साहब जैसे अफसर फजलखच
ू और क पनी के लये घाटे का सौदा मानते है
। छोटे कमचार का त नक सा हत छाती म शल
ू क तरह गड.ता है ।
ब बन-जैसे तु हार े नं ग
कारा
गीता-आज पी लये या च मखी
ु के बापू वैसे मझे
ु व वास
तो नह हो रहा है । या बात है।
अ नल- यो इ जाम लगा रह हो भागवान वषधर के बीच म काम करना पडता है । वो
कैलाशनाथ भी अब डंसने लगा है । मझे
ु र दने को बेचैन रहने लगा है ।
गीता- या कैलाशनाथ ने अपनी नेक बसार द ।
अ नल-हां अब तो वे तर क पा गये ना ।कमजोर का खन
ू उ हे भी अ छा लगने लगा है। हम
वं चत को घट
ू घंट
ू कर मरने के लये माहौल बनाने लगे है जातीय समीकरण तैयार कर ।
गीता- या ? कैलाशनाथ भी आद मयत के हो गये ।
अ नल-हां । जातीय े ठता का अ भमान,पद और दौलत का अ भमान कैलाशनाथ के सर पर
चढकर बोलने लगा है ।
गीता- च मखी
ु के बापू घोर कारा छा रहा है ,आद मयत का द या जलाये रखना हारना
नह ।
खाल पस
माच का दसरा
ू दन था पगार मलने क उ मीद थी । गणान
ु द सोच रखा था क पगार
मलते ह घरवाल के अ पतला ले जायेगा जो कई दन से दद से कराह रह है । कै शयर
सखे
ु श साहब दफतर ब द होने के कछ
ु पहले पगार बांटना शु कये ।पगार मलने क उ मीद
23
म कई घ ट तक गणानु द काम म लगा रहा । सखे ु श साहब खझ नकालते हए ु गणान
ु द
को पगार आज न दे ने क िजद कर बैठे । गर ब गणान
ु द को दे खते ह सखे
ु श साहब
टालमटोल करने क आदत थी ।कमजोर को तंग करने म उ हे खब
ू मजा आता था
।आ खरकार गणान
ु द को पगार नह दये ।गणान
ु द उदास घर क ओर चल पडा। कछ
ु ह दे र
म आकाश म अंवारा बादल छा गये और बरस पडे । गणान
ु द भींगा घर पहंु चा पचका खाल
पस नकालकर ख टया पर रखा िजसम मा प चस पैसे थे । खाल पस रखकर भींगे कपड
उतारने लगा । इतने म गणान
ु द क धमप नी रे खा आयी और बोल आज दद कम है
अ पताल बाद म चलेग वह दद म बोले जा रह थी ।
गणान
ु द कभी कभी खाल पस को तो कभी प नी को । प नी के दद के एहसास से उखड
पांव गणान
ु द कराहते हए
ु बोला वाह रे अमानष
ु सखे
ु श साहे ब
नंगापन
द नानाथ- रामू काका म यम कद काठ ,उ◌ुची यो यता,न हा ओहदा,उ पीड.न शोषण का
शकार ,इ जाम का बोझ ,पग पग पर पर ा दे ते वजय का कम-पथ पर ईमानदार से बढना
। द भी मान सक नंगे लोग क आख का सकन
ू छन रहा था । वजय क कराह पर ता लयां
बज उठती। मड
ु .कर दे खने पर आचरणह नता,द ु यवहार का तैयार हो जाता । हां शोषण और
उ पीड.न बढ. जाता । वजय पीछे मड
ु .कर दे खता तो कराहटे और आगे वरान पसरा नजर
आता । वजय प रवार के कल के लये शोषण और जु म का जहर तप या मानकर पीने
लगा।
रामू -तब या हआ
ु द नानाथ ।
द नानाथ - काका द भी मान सक नंगे लोग को वजय के शोषण और दद से उतना ह सख

मलता िजतना शेर को जी वत शर र पटक पटक कर चबाने म और अययास
् को का ता के
सीने क गोलाई,गलाब
ु से होठ और झील सी आंख म उतरने का । काका व त बदला वजय
क यो यता रं ग लायी । उखड.◌े पांव वजय के पैर जम गये ।उसका नेक कम उजल पहचान
बन गया पर
राम-ू पर या द नानाथ बेटवा
द नानाथ- शोषण करने वाले, नंगे द भी लोग बदनाम हो गये उनके नाम पर लोग थू थू करने
लगे और या काका।
रामू-द नानाथ स चाई तो यह है । वष-बीज बोने वाले मीठे फल कहां पायेगे ?
परछा
मं बाप क लाख दओं
ु और ढे र सारा अरमान लेकर राजा शहर क ओर कू ं च कया । राजा
जब गांव छोड.◌ा था तब उसके छोटे बड.◌े भीई बहन और मां-बाप सभी उसको पकड. पकड.
कर खब
ू रोये थे ।वह भाई बहन को कपड.◌े,खेल खलौने लाने और मां-बाप के आंसू अपनी
कमाई से पोछने का वादा करके चला था । कई मह न क दौड.धप
ू और भख
ू यास के बाद
एक क पनी म राजा को नौकर मल गयी । नौकर का समाचार सनकर
ु राजा के घर म
ज न का माहौल हो गया था । राजा क मां चपके पेट म एक गलास पानी डालते हएु बोल
भगवान तमने
ु द ु खयार मां क तप या परू कर द । बेटवा को खब
ू तर क दे ना भगवान ।तू
24
तो जानता ह है कतनी मसीबते
ु उठाकर मेरा राजा पढ पाया है। तेर कथा सनकर
ु परू ब ती
म परसाद बांटू ं गी
ाजा साल भर के बाद गांव गया । ाम दे वता के आगे सर झकाया
ु ।राजा को दे खते ह परू
ब ती के लोग खशी
ु से नांच उठे ।राजा घर और गांव वाल खशी
ु दे खकर बहत
ु स न
हआ।राजा
ु ख टया पर बैठा हआ
ु था,राजा क मां सोनावती आयी उसके सर पर हाथ फेरते हए

बोल शहर म खश ु तो है ना ।
राजा-हां मां ।
सोनावती-बेटा तु हारे माथे क लक र से तो मझे
ु च ता हो रह है ।
राजा- ना मां कोई च ता क बात नह ं
सोनावती-बेटा कछ
ु तो छपा रहा है या बात है मेर कसम तू मझे
ु बता
राजा-मां क पनी म भी भेदभाव होता है ।गांव और शहर म बहत
ु यादा फक नह है। क पनी
म तो और बराु हाल है ।
सोनावती- या ?
राजा- हां मां यह सह है ।
सोनावती-हे भगवान कलमंह
ु जा तपां त से कब छटकारा
ु मलेगा
च ठ
तेजान द क चटठ
ृ दे खकर उसक मामी सभौती
ु को जैसे सांप सघ
ू गया । वह ब ती के लोग
से बोल दे ख हमारा भांजा शहर या गया क हमारे खलाफ आग उगलने लगा । मां क
शकायत सनक
ु बेटवा ने च ठ लखा है । गांव के कछ
ु लोग भी सभौती
ु क हां म हां
मलाने लगे । पजार
ु मामा काम खेत से घर पहंु चे तो भीड. को है रान हो गये वह कछ
ु बोलते
उसके पहले ह सभौती
ु च ठ उनके हाथ रखते हए ु बोल लो तु हार भांजा बड.◌ा अफसर हो
गया है दे खो उसक मां को न ह सी बात या कह द वह तो शहर से बड.◌ा खरा लख भेजा
है । म भी समझती हंू ।
पजार
ु - कछ
ु नह समझती तेजान द क मांमी । भांजा तु हारा हमारा चरण पश कर पर

ब ती के बड.◌े◌ा को णाम छोटो को आशीश लखा है । तमने
ु बतंगड. बना दया । अरे
मरख
ू त नक मेरा इंतजार तो कर लेती । इतने म कबड
ु .◌ा बोला भइया काला अ र भस
बरोबर भउजाई का जाने इतने म सब ख खलाकर हंस पडे. ।
नेता गर
भोपू से टै स वसल
ू क खबर सनकर
ु च तान द टै स वसल
ू कै प पहंु चे । परू कालोनी
टै स कै प म समायी हई
ु थी सब क जबान पर एक ह सवाल कैसे भरे गे इतना टै स ।
र नकज करके मकान बनाया । कई से टै स सर पर थे ह अब डायवसन
टै स हे भगवान टै स के दलदल से कैसे उबरे गे ।
च तान द को दे खकर हंसमख
ु बाबू बोले च तान द भइया आ गये डायवसन टै स के फेरे
म ए कालोनाइजर भी खन
ू चसने
ू म लगे है । ना पानी क
ठ कठाक यव था है ना ेनेज क । सड.क दे खो तो सड.क कम ग ढा अ धक दखायी पडती
है । अब तो रहवा सय को च दा करके सड.क बनवाना होगा । कालोनाइजर ने तो एक और
25
टै स को बोझ छाती पर रख दया । हंसमख
ु क बात सनकर
ु काला रोबीला कालोनाइजर
खौफच द दहाड.ते हए
ु बोला या नेता गर हो रह है । नेता गर करनी है तो दरू जाओ ।
आ मह या
परसदादा
ु आ मह या कर लये,यह खबर ब ती कं कसी यि त के गले नह उतर । नह
दो त का और नह ं द ु मन को ह ।परसदादा
ु क मौत का रह य तब उजागर हआु जब उनके
मझले भाई करजू के सम ध दधनाथ
ू और दमाद भु ने परसु दादा और उनके तीन भाईय के
नाम चौदह साल पहले खर द गयी जमीन पर क जा कर लये । खेती पर जमीन पर क जा
के बाद भु का हौशला और बढ गया वह दरसु के घर पर भी क जा जमाने के लये काननी

दावपेच चलने लगा । भु के अ याय को दे खकर ब ती के कछ
ु लोग दरसु के साथ खड.◌े◌ं
हो गये। ब ती वाल क वजह से भु दाल गलती ना दे खकर बोला दरसवा
ु तमको
ु तो जमीन
म गड.वा दं ग
ू ा । तेरे बडे. भाई परसवा
ु क तरह तमको
ु पेड. पर नह लटकाउ◌ू◌ंगा याद रखना
कहते हए
ु वह दलबल के साथ चला गया । परसदादा
ु के मौत क हक कत से बीस साल बाद
ब होकर दरसु और उसके प रवार वाले ह नह परू ब ती के लोग रो पड.◌े ।
म ोपचार
अं ेजी उपचार के बाद भी सदान द पी लया से ठ क नह हो पा रहे थे। प ह दन म ख टया
म सट गये । सदान द क हालत को दे खकर चमेल बाई ने झाड.फक
ू कराने क सलाह द
।सदान द बाबू क प नी नमला को काफ पछताछ
ू के बाद पानी के टं क के नीचे रहने वाले
बाबा का पता चला । नमला बड.◌ी मिु कल से बाबा के पास ले गयी । बाबा नमला से
ना रयल और अगरब ती मंगवाये फर झाड.फक
ू शु कर दये और अं ेजी दवाई भी चलाने क
सलाह दये । तीन दन तकसदान द बाबू क हथेल पर चना
ू लगाकर म पढते इसके बाद
थाल म हाथ धलवाते
ु पानी ब कु ल पीला हो जाता । चौथे दन पानी त नक भी पीला नह
हआ
ु तब बाबा बोले बेटा पी लया अब ख म हो चक
ु है अब ताकत क चीजे खाओ । पी लया
क अभी कोई कारगर दवाई नह बन पायी है पर मेरा म ोपचार कसी दवाई से कम नह
कहकर दसरे
ू पी लया पी डत क झाड.फक
ू म लग गये ।
दद
टाइपराइटर दफतर से धीरे धीरे गायब होने लगे थे और क पयटर
ू पांव पसारने लगे थे ।
करमच द के टाइपराइटर क जगह क यट
ू र लग गया िजसम सफ अं ेजी के ो ाम थे
।करमच द या दफतर म कसी को क यट
ू र ठ क से चलाने भी नह आता था ।अं◌्र ेजी मे
तो कछ
ु काम हो भी जाता था पर ह द म बह◌ुु त क ठन था । करमच द बाबू एक मामलेू से
कलक के ओहदे पर काम तो करते थे पर पढे लख अ धक थे पर तु छोट जा त के थे ।
इसका दखता
ु एहसास दफतर के बढ
ू मान सकता के लोग अ सर करवाते रहते ।पर वे अपने
काम म ईमानदार से लगे रहते । वे खद
ु के खच पर ह द टाइप सीखना भी शु कर दये
थे ।इसी बीच क पी के बोड आफ डायरे टर का चनाव
ु आ गया । वोटर ल ट और ढे र सारे
फा र्◌ा ह द म बनना था सार िज मेदार करमच द के उपर डाल द गयी । करमच द ने
सारा काम बडी लगन और ईमानदार से परा
ू कया,चनाव
ु का काम परा
ू हो गया नया बोड
बन गया । ढ वाद मान सकता के धनी बाबू रामखेलावन साहब ने करमच द क शकायत

26
उ च अ धका रय से कर द सफ छोट जा त का होने के कारण। करमच द को मला एक
और नये गहरे घाव का दद और वनवास का आदे श भी ।
चेस
अधेरा उजाले को ल लने लगा था । मनखश
ु बाबू दफतर के काम म खोय हएु थे य क छोटे
ओहदे पर होने के कारण सभी काम के लये उनको ह िज मेदार ठहराया जाता था । इसी
बीच ह क सी बरसात आ गयी । मौसम गदराने लगा अफसर जीरावन साहब को कछ
ु कछ

होने लगा। त नक भर म अंगरू क बेट का इ तजाम हो गया । जीरावन बाबू बोतल मे डबने

लगे ।जीरावन बाबू और उनक म डल बोतल म ऐसी डबी
ू क रात के नौ बज गये । बांस को
आफ स म बैठा छोडकर करमच द जा भी नह ं सकता था य क अफसर जीरावनबाबू तल
को ताड. बनाने म मा हर थे । वफादार अ धक पढे लखे करमच द क शकायत म उ ह बहत

मजा आता था । वे करमच द को जा से अ धक कछ
ु नह मानते। यह चलन भी था इस
सं था । सब कछ
ु पराने
ु तौर तर के से संचा लत होता था पर क पनी पर आधु नकता क छाप
थी । करमच द क कोई सनने
ु वाला भी न था क पनी के साम तशाह ठाट म ।करमच द
ह मत करके जीरावन साहब के सामने मंह
ु खोल भी नह पाया था क ब दकमार
ु साहब
बोले सर दे खो करमच द को चढ गयी बहक बहक बात करने लगा है । छोटे लोग का पेट
भरने लगता है तो अपनी औकात भूल जाते है । इतने म जोरदार ठहाके के साथ
चेस चेस का खंख
ु ार वर गंज
ू गया उखडे. पांव करमच द के पांव के नीचे
क जमीन जैसे हल गयी ।
जा त
शहर म शफ् ट हो चक
ु े ◌े जमींदार साहब के बेटे के याह क र पेसन पाट का यौता पाकर
याम भी हािजर हुआ । याम को दे खकर जमीदार यादवे के चचेरे भाई द रदे का खन

खै◌ाल गया । वह याम को एक ओर ले जाकर गाल दे ते हए
ु बोला अरे तू छोट जा त का है
।हमार बरादर के लोग के साथ खाना खा रहा है । कछ
ु तो शरम करता । हमार बरादर के
लोग तम
ु जैसे छोट जा त वाले को हमार इतनी बडी र पेसन पाट म दे खकर हमारे मंह
ु पर
थंूकेगे क नह । तू मेरा हु का पानी ब द करवायेगा या ? तु हारा छआ
ु खाना
कौन खायेगा ? तु हारा छआु पानी कौन पीयेगा ? अरे कतनी भी बडी बडी
ड ी ले ले तू तो रहे गा छोट जा त का ह ना द रदे जा तसचक
ू अपश द बके
जा रहा था ।
याम बोला द रदे व त बदल चका
ु है। छोट जा त के लोग बड बडे मान स मान पा रहे
है,पजे
ू तक जा रहे है । तम
ु अमानषता
ु क लक र पीट रहे हो। जा तवाद क द वार ढह चक

है। याम द रदे के अ भमान को ध कारते हए
ु वापस तो चला गया पर छोट जा त के दद
से नह ं उबर पाया ।
पक नक
सभी लोग टे शन पर े न आने के पहले पहंु च जाना । पक नक को यादगार बनाना है।
वभागा य हदायत दे ते हए
ु जाने लगा। सभी लोग साहब क हां म हां मलाने लगे ।
लोचन बोला साहब मझे
ु टे शन पहंु चने म द त होगी घर भी दरू है और प रवार भी ।

27
साहब-नो ा लम ाइवर छोड. दे गा । ाइवर को हदायत दे कर साहब चले गये ।
दसरे
ू दन लोचन ाइवर का इ तजार करता रहा । सभी मलािजम
ु टे शन पहंु च गये। े न के
जाने का समय सर पर आ गया । लोचन बड.◌ी मिु कल से टे शन तो पहंु चा पर गाड.◌ी
को स नल मल चका
ु था ।
लोचन के दे र से आने क शकायत साहब तक पहंु ची वे नाराज हए।
ु लोचन ने आप बीती
साहब को कह सनाया
ु ।
साहब ाइवर से पछे
ू यो वषचरन दफतर क कार कहां थी ।
ाइवर वषचरन-साहब म बीवी ब च के साथ शा पं ग करने गया था ।
याय
क पनी को जेब म रखने वाले बडे. अ धकार महोदया क पनी क माल हालत और
कमचा रयो के उ थान म कये जा रहे काय को नमक मच लगाकर परोस रहे थे । साहब के
खास लोग साहब के जयकारे लगवा रहे थे । साहब जयकारे से खश
ु हा◌ोकर बोले हमने सभी
का मोशन समय से करवाया है ।सभी कमचा रय के साथ पर
ू इंसाफ हई
ु है । कसी क
कोई परे शानी हो तो कह सकता है ।
दखीराम
ु बोले साहब मझे
ु कछ
ु कहना है ।
दखीराम
ु को दे खकर साहब क नजर बदल गयी । कछ
ु लोग खींच कर बैठाने लगे ।
साहब ने रं ग बदलते हए
ु बोला ठ क है या कह रहे हो दखी
ु राम कहो ।
दखीराम
ु -साहब मेरे साथ तो अ याय हआ ु है । मेरे अनरोध
ु प को कड ू .◌ेदान के हवाले कर
दया जाता है । मेर यो यता को अयो यता मान लया गया है । बहतु ठोकर मार गयी है
मझे
ु । या तर क के लये जातीय े ठता का माण प ज र है, शै णक यो यता का
नह ं ◌ं ।
दखीराम
ु के सवाल से बडे. अ धकार महोदय का चेहरा याह हो गया। गने चने
ु इंसा नयत
पस द दबी जबान
ु से कह रहे थे चौथे दज के दखीराम
ु के पास बड.◌ी बड.◌ी ड ी होने के
बाद भी चौथे दज से उपर नह उठने दया गया,यह याय तो नह ।
वषमाद
नर ण स म त के दौर क खबर आते ह परेू दफतर क फाइले और कामकाज म एकदम
नखार आ गया । परानी
ु फाइल नये कवर से सजकर द ु हन बन गयी । सं था के
कायकलाप क रप ट अ ल दज क बनी खशीराम
ु क हाड.फोड.मेहनत और आंसू मे◌े◌ं
नहाकर । स म त ने नर ण कया दफतर के कायकलाप क बहत ु शंसा हई
ु । शहर के
बड.◌े होटल म खब
ू ज न मना पर उखडे पावं खशीराम
ु को कोसो दरू रखा गया शायद छोटा
ओहदा होने के कारण ।
व ृ दा म

ू ाढे मां बाप व ृ दा म क डगर पर क खबर पर दे वक न द क नगाह थम गयी और
उनक आंख से आसंू लढकने
ु लगे । दे वक न द क दशा दे खकर दमय ती बोल य जी या
हो गया कोई बरु खबर अखबार म छपी है या ?
दे वक न दन- बहत
ु बरु खबर
28
बढेू सास ससरु क बातचीत सनकर
ु रोशनी आ गयी और बोल बाबजी
ू या हो गया आपक
आंख म आंसू ।
दमय ती ने बहू रोशनी के सामने अखबार रख दया ।इतने म राजनरायन आ गया गमगीन
मां बाप को दे खकर रोशनी से बोला ये या चराग क म मी
रोशनी ने अखबार क खबर क ओर इशारा या ।
राजनरायन- पताजी आंख म आंसू यो ?
दे वक न द-बेटा डर गया था कछ
ु पल के लये
रोशनी बाबू-मेरे जीते जी तो ऐसा नह हो सकता ।
राजनरायन- पताजी रोशनी ठ क कह रह है ।
चराग- म मी दादाजी दाद जी के ना ते का समय हो गया ज द करो ।
रोशनी-हां मझे
ु याद है।
दे वक न द और दमय ती एक वर म बोले सदा खश
ु रहो मेरे ब च
दमाद
कपा
ृ और उसके बढेू बाप आटो र शा म बैठे ह थे क एक अधेड. म हला आटो के सामने
आकर खड.◌ी हो गयी और आटो म बैठने क िजद करने लगी । आटो चालक बोला रजव
सवार है। कराया दे ती नह घर पहंु च कर दादागीर करने लगती है ।
कपा
ृ चलो भइया-हां वपि त तो रा ता छोड.◌े ।
अधेड. म हला अंधेर रात म एक औरत को अकेल छोड. जाओगे ।
आटो चालक- दन भर सीधे साधे लोगो को चना
ू लगाती हो । कराया भी नह दे ती । कौन
रोज रोज फोकट म ले जायेगा ।
अधेड. म हला बाबू चलोगे तो हमारे ह गांव क सड.क पर । कपा
ृ के पताजी से बोल दादा
गोपालपरु जा रहे है कसके घर जायेगे ।
कपा
ृ के पताजी वामी बोले -दरोगा के घर ।
अधेड. म हला-बडे नेक इंसान थे दरोगाजी चटपट म मर गये । आज तो तीसरा है। आने म
बहत
ु दे र हो गयी ।
वामी-अपने गांव कछु काम से गया था । आवाजाह तो लगी रहती है ।
अधेड.म हला-कपा
ृ क ओर इशारा करते हए
ु बोल ये थानेदार के दमाद है ।
वामी- हां ।
अघेड. म हला दो बोरे सामान आटो म जबद ती ठस
ू द और आटो चालक के साथ बैठ गयी
और बोल अब तू चल।
आटोचालक डरते हएु आगे बढा । डेढ. घ टे के सफर के बाद म हला का घर आ गया । दोनो
बोरे उतार और जाने लगी तब वामी बोले भइया कराया तो ले लो । तब तक तपाक से वह
बोल गांव के दमाद कराया दे दे गे। यो दमादजी ? कहकर ज द ज द जाने लगी।
आटो चालक आप लोग का पाकेट सह सलामत तो है ना ?
वामी- य ?
आटोचालक- बाबजी
ू वह चोरनी थी ।

29
प रवतन
सरजनाथ
ु -सदामा
ु सना
ु है धम बदलने जा रहे हो ।
सदामा
ु -ठ क सना
ु है बाबू ।
सरजनाथ
ू - य सदामा
ु ?
सदामा
ु -कब तक जा तवाद,छआछत
ु ू ,उ◌ू◌ंच-नीच,सामािजक उ पीडन का ज म ढोउ◌ू◌ंगा । मझे

समानता का हक तो भारतीय ढ वाद समाज म मलने से रहा ।
सरजनाथ
ू -ऐसा य सोचते हो ?धम प रवतन तो पाप है ।
सदामा
ु -जहां आदमी को आदमी नह समझा◌ा जाता हो वहां रहना पाप है ,न क धमप रवतन ।
मरने से पहले सामािजक समानता कयास बझाना
ु चाहता हंू ।
सरजनाथ
ू - या इसके लये धम प रवतन ज र हो गया है ।
सदामा
ु -हां बाबू । या उ चवण के लोग जा तवाद क मजबत
ू द वार तोड. पायेगे । बाबू जब
तक उ चवण के लोग जातीय द भ क द वार को ढहाकर सामािजक समानता क पहल नह
करते है ।सामािजक समानता का जीव त उदाहरण नह बनते ह, तब तक धमप रवतन पर
रोक स भव नह है ।
सरजनाथ
ू -हां सदामा
ु ठ क कह रहे हो भारतीय समाज क र ा के लये जा तवाद के कले को
ढहाना ह पडे.◌ेगा◌ा ।जा तवाद का कला ढहते ह धमप रवतन पर वराम लग जायेगा।
भययपन

दे खो भययपन
् के लये भ गू मर मटा पर भखू ने इंसाफ नह कया ।
या कह रहे हो रघु ।
दे वी साद-ठ क कह रहा हंू । भ गू घरवाल का कहना नह माना । उसक घरवाल मायके बस
गयी ब चे लेकर पर वह भाई से अलग नह होने क कसम नह तोड.◌ा। । जीवन भययपन ्
के नाम कबान
ु कर दया ।शहर हवा का शकार भखू दौलत खा तर भ गू के साथ
व वासघात तो कया ह भययपन
् के पाक र ते को नापाक कर दया ।
रघ-ु ठ क कह रहे हो भइया भखू ने चल अचल स प त पर क जा कर ह या का अपराध कया
है। बेचारे भ गू का धन धम सब लट
ू गया ।बेचारा जान से भी गया । घरवाल और ब च से
बछड
ु . गया भययपन
् खा तर
दे वी साद-भययपन
् के इ तहास म भ गु का नाम तो अमर हो गया पर भखू नफरत का पा
बन गया ।
रघु-हां भइया भ गु मर गया पर भययपन
् के कद को बढा दया ।
ताव
मधु- या बात है बड.◌े खश
ु लग रहे है ।
वजय- दल तोड. दया ।
मधु- या दल तोड. दया ? कसका ।
वजय-हां । अनीता पीटर का ।
मधु- य और ये है कौन ?

30
वजय- वदे शी लड.क है । बडे पद पर काम करती है, करोड.◌ो डालर क माल कन है। ववाह
करना चाहती है । मना कर दया पर मने भी हार नह माना ताव रख दया ।
मध-ु या?
वजय- चौको नह बहन बनाने का ताव दया हंू ।
मध-ु आप कतने प नी ता है। भारतीय सं कृ त म प त-प नी सात ज म तक साथ नभाते है
,स च सा बत कर दया आपने । बडे पद और करोड.◌ो◌ं डालर क माल कन के ताव को
ठकरा
ु और ताव रखकर। मझे
ु जीते जी वग का सख
ु मल गया । 15 10 08
जनाजा
बहन क सासमां
ु जनाजा घर से कछ
ु दरू पर जाकर क गया ।मतदे
ृ ह को जीप के उपर
रखकर अ छ तरह बांध दया गया बनारस जो जाना था ।कई जीप का इ तजाम था । गांव
के मा न द-बजग
ु ु को दो-चार सफेदपोश क म के लोग पीछे बैठने का हु म दये जा रहे थे ।
एक सफेदपोश बोला मामा तम ु भी पीछे बैठ जाओ । जनाजे म अ धकतर शा मल लोग जीप
म बैठ गये । जीप बनारस क ओर दौड. पड.◌ी । बढेू ब चे और औरते वापस हो लये । घर
क औरते ब चे जीप क ओर दे खकर रदहाड.◌े मार मारकर रोये जा रहे थे । अ तोग वा सभी
वापस हो गये ।कछ
ु दरू जाने के बाद बिु दराज अपने पास बैठे बधई
ु से पछा
ू बहनोई ये
सफेदपोश लोग सभी को पीछे यो ठंू स रहे थे जब क आगे क सीट खाल थी ।
बधई
ु - बाबू ये नेता लोग टोपी पहनाने म मा हर होते है , जनता का भला हो या ना । इनका
होना ह चा हये । चारो जीप क अगल सा◌ीटो पर वह लोग क जा कये हए
ु है । बाबू ये
लोग कह रहे चाहे जनाजा हो या म ालय अपना मतलब साधते है ।
चार सौ बीस
बनारस का रे लवे लेटफाम न बर चार पराने
ु जते
ू ,च पल और सैि डल से भरा भार भरकम
थैला बढ
ू म हला रखकर उसी पर बैठ गयी । लाख छपाने के बाद भी चोर के जते
ू च पल
थ◌ैले से छांक छांक कर जैसे बचाओ बचाओ च ला रहे थे । नरायन अपना और अपने
प रवार के जते
ू च पल बछाई च दर के नीचे रख लया । बढ
ू म हला भी समझ गयी वह
थैला लेकर खड.◌ी हो गयी । कछ
ु दे र सोच वचार कर बोल बाबजी
ू कौन सी े न से जा रहे है

नरायन-अ मा कहां तक जाना है ।
बढ
ू औरत-जमु नया
नरायन-इंदौर पटना जमु नया तो नह जाती ।
बढ
ू औरत चलते हए
ु बोल बडे चार सौ बीस लोग हो गये है ।
नरायन अ मा सनो
ु तो त नक । इतने म वह गायब हो गयी ।
पमती-बरखा के पापा वह चाई थी । बच गये जते
ू च पल वरना नंगे पांव इंदौर तक जाना
पड.ता ।
नरायन-हां बनारस के चा से बच तो गये पर चार सौ बीस कहकर चल गयी ।
मरख

31
ानच द रप ट बना रहा था । इंदौर से बडवाह क दरू सामने बैठे बपल
ु से पछ
ू बैठा ।
बपल
ु अनसना
ु कर गयी तीन बार । चौथी बार पनः
ु ानच द बोला भाई बपला
ु दरू तो बता
सकता है ।चालक होने के नाते तु हारा आना जाना बराबर लगा रहता है । इतना तो मालम

ह होगा ।
बपलु -आंख तरे रते हए
ु बोला म मरख
ू क बात नह सनता
ु । तम
ु छोटे लोग पढ लख या
गये क हम पर राज करने लगे ।
ानच द- म दरू पछू रहा हंू पे ोल / डीजल क खपत नह । मरखू तू नह पर शा तर ज र
है । फजर ् के साथ नाइ साफ कर रहा ह । हम मरख ू कह रहा है ।
इतना सनते
ु ह बपल
ु के पांव जैसे उखड.ने लगे◌े । वह गड. गडा उठा ।
अि तम या ा
बेट और बढ
ू प नी बाबा के शव पर सर पटक पटक कर वलाप कर रह थी ! वलाप सनकर

आसपास के लोग इ टठा हो गये ! कछ
ु लोग र तेदारो प रजन के पता ढढने
ू लगे ता क मौत का
संदेश भेजा जा सके । कछ
ु लोग अि तम सं कार के सामान के इंतजाम म लग गये। बाबा के घर
के सामने ब च म हलाओं क भीड यादा ह इ टठा हो गयी थी पु ष नाममा के थे इनम
द नानाथ भी एक था । तैयार होते होते शाम होने को आ गयी । अ ततः अि तम या ा ार भ
हो गयी । कछ
ु लोग कंधा दये कछ
ु बगैर कंधा दये ह चलते बने । अब भीड ब कु ल छं ट गयी
थी । गने चने
ु लोग ह बचे थे छटट
ु का दन होने के बाद भी । अि तम या ा म बचे हएु लोगो
म से यादातर बढे
ू थे जो खद
ु का बोझ ढोने म अ मथ थे । शव भी भार था ! कछु दरू जाते ह
सब हांफने लगे थे । हर आदमी एक दसरे
ू को आशा भर नगाह से दे खता ता क कंधे का भार
थे◌ाडी दे र के लये उतर जाये !बडी म कत के बाद शव या ा अपने ठकाने पर पहंु च सक !
खैर बाबा पंचत व म वल न हो गये लोग अपने अपने घर को चलते बने !घर पहंु चते पहंु चते
काफ रात हो गयी ! दसरे
ू दन सबह
ु सबहु म तेगबहादरु से मलाकात
ु द नानाथ से हई
ु द नानाथ
ने रफतार बाबा क मौत क दा तान सनाई
ु ।
म तेगबहादरु तमने
ु कंधा तो नह दया ना ।
म तेगबहादरु - स यानाश जो नह करना था वह कर दया । तु हे तो शव छना
ू ह
नह चा हये था ।
द नानाथ - य । लाश सड.ने दे ता ।
म तेगबहादरु सड. जाती पर तमको
ु हाथ नह लगाना था ।
द नानाथ - य
म तेगबहादरु य क तम
ु शू हो बाबा हमार उ◌ू◌ंची जा त के थे । म तेगबहादरु वषवाणी
से आद मयत का खन ू कर हे राम कहते हए
ु चल पडे◌े । द नानाथ दवगंत आ मा क शाि त के
लये◌े ाथना करने लगा ।
आंसू
अरे रोशन य गमसम
ु ु हो कहते हए
ु दे वेश जोर से हंस पड ।
रोशन- य गर ब का मजाक उड.◌ा रहे हो सर
दे वेश- रोशन बरा
ु मान गये या ?
32
रोशन- भला बरा
ु यो मानंग
ू ा ।
रोशन-कोई क मती सामान खो गयी है या तु हार ?
रोशन- हां । चाल स हजार क है ।
दे वेश- या ?
रोशन- हां कज लेकर खर द गयी मोटरसाइ कल क चाबी ।
दे वेश-दफतर म तो नह छट
ू गयी । गाड.◌ी लेकर दे ख आते ।
रोशन- साहब ने मना कर दया । यहां जंगल म कोई साधन भी तो नह है ।
दे वेश- साहे ब खद
ु तो चौबीसो घ टे लु फ उठाते ह । छोटे कमचार के ज र काम के लये मना
कर दये ।
रोशन- छो डये मा यवर हम गर ब छोटे आदमी क कैसी च ता । पक नक का लु फ उठाइये ।
दे वेश-रोशन बाबू यह पक नक तो तु हे खन
ू के आंसू दे गयी । कसी ने कहा ह खन
ू से बड.◌ा
दद का र ता होता ह पर यहां तो बस वाथ हो गया है । वाह रे साहे ब वाह खन
ू के आंसू दे
गये एक छोटे कमचार को
खलाफत
व व ब धु व के जलसे से◌े रं जन बाबू और प कार म अनराग
ु बाबू वापस लौट रहे थे अनराग

बाबू बोले रं जन बाबू सामने डां0 फजीहत का घर ह उनसे मलते चले । च क सक ह और
आजकल लेखन म हाथ अजमाने रहे है !
रं जन बाबःू रं जन बाबू संहषर ् तैयार हो गये◌े ।
दो◌े◌े◌ेन म डां0फजीहत के दरवाजे पर द तक दये । कई बार अनराग
ु बाबू ने दरवाजा
खटखटाया पर दरवाजा नह खला
ु । अ दर से ज र उठापटक क आवाज आ रह थी । अनराग
ु बाबू
का कान जाससी
ू पर उता था । काफ दे र के बाद दरवाजा खला
ु ।
डां0फजीहत बोले अरे प कार साहे ब आप ।
अनराग
ु बाबू- हां म और ये ह मेरे लेखक म रं जन बाबू ।
डां0फजीहत चाय पानी के साथ कछ
ु रचनाय भी लाकर रख दये अखबार म छपवाने क ललक म
अनराग
ु बाबू को थमाते हए
ु बोले अनराग
ु बाबू अब तो आपका तबा बढ गया ह ।
अ ससटे ट,शहजान द मल गया है । स मल कर रहना अनस ु ू चत जा त का है । छाती पर
चढकर काम लेना और भलमन त नह दखाना । अछत
ू ह दरू बना कर रखना। दरू नह कायम
रखे तो सर पर चढ जायेगा । सना
ु है कसी बडे नेता का आदमी ह । मेर बात नह भलना
ू !
अनराग
ु बाबःू म तो समानता का समथक हंू । आप खलाफत कर रहे ह जा तवाद को बढावा दे रहे
ह ।
डां0फजीहत- आपको सावधान करना मेरा फज था । बाक आपक मज ।
अनराग
ु बाबू- आपक नसीहत याद रहे गी डां0फजीहत । रं जन बाबू क रचनाये तो आपने पढा हो
होगा ।रं जन बाबू अ छे सा ह यकार ह दे श समाज के हताथ खब
ू लख रहे ह । सामािजक समानता
इनके लेखन का मु य वषय है । अनराग
ु बाबू चलते चलते बोले डां फजीहत दे श और समाज को
बांटने पर तलेु हएु ह ।
रं जन बाबंू-डां फजीहत भले ह खलाफत कर पर आप तो नै तक दा य व पर खरे है।
33
डलवर वाय
द तक करो,मझे
ु दे र हो रह ह को रयर डलवर वाय बोला
द पांश बाबःू -छः बजे डाक लेकर आ रहे हो उपर से धौस जमा रहे हो ।
डल वर वाय- संद प नाम ह मेरा । ऐसे ह डाक डल वर करता हंू । डाक ले रहे हो या वापस ले
जाउ◌ू अभी । तमको
ु तो बाद म दे ख लंग
ू ा । एक फोन करने भर क ज रत है।
द पांशबाबू- मतलब
डल वर वाय- हाथ पैर तोडने के लये ।
द पांश बाबःू अ छा तो तम
ु हाथ पैर तोडने आये हो । दादागीर , उठाईगीर का काम करते हो !
डल वर वाय- मैसस ब दक
ू घर काविज टंग काड लहराते हए
ु बोला दे खे लो ये काड आंख
खोलकर इस पर मा लक का नाम टे लाफोन न बर और पता सब छपा है ।
द पांश बाबू- अरे इस काड पर तो तरह तरह के ब दक
ू छपे ह ।
डलवर वायः हां । यह है हमार औकात ।
द पांश बाबू के सामने बैठै िजते बोला साहब डाक लो। बदमाश भागे यहां से ।
डल वर वाय- समझ म बात आ गयी । विज टं ग काड द पांश बाबू के हाथ से खींचा और
ब दक
ू क गोल क भां त बाहर नकल गया ।
डल वर वाय क दादागीर को दे खकर द पांश बाबू के पास अशोक बाबू बोले - अरे बाप रे यह
डल वर वाय ह या कोई खनी

टे टस
सधा
ु जब से अपनी आंख खल
ु है तब से कचरा ह छान रह हंू । अपनी िज दगी कचरे के ढे र पर
बतेगी ।
ल ला- गर बो क िज दगी तो रो रोकर कटती कटती है बहन ! फ ना कर कभी कभी तकद र
के चम कार से गर ब के भी टे टस बदल जाते ह
सधा
ु - टे टस या होता है ।
ल ला- कुछ अ छा ह होता होगा रे ।अपना आढती कबाडी भी तो बार बार यह बोलता है ।
सधा
ु - मतलब धन दौलत तबा या चहंु मखी
ु तर क होगी ।
ल ला- हां ऐसा ह कछ
ु ।
सधा
ु -दे ख वो सामने कार आ रह है ।
ल ला- कार यो दे ख रह है कचरे का ढे र तो सामने है । यु न सपल पाट क गाडी अभी नह
आयी है ऐसा लगता है ।
सधा
ु - कार तो क रह है कचरे के ढे र के पास ।
ल ला- कचरा के ढे र से या ढढे
ू गा ए कार वाला
सधा
ु -ऐसी कार म चलने वाले क मत लखते ह ।
ल लाः-ऐसा कैसे कह रह है ।
सधा
ु - कचरा बनते ह तो या हम इंसान नह है ।
ल ला-अरे बाबा हमने कहां मना कया । तू तो बड.◌ी बिु दमान ह । कसी मालदार से याह कर
अपना टे टस बढा ले ।

34
सधा
ु - दे ख सपने ना दखा । खैर छोड. अपना टे टस बढे या ना बढे पर दे ख वो झाडू पोछा वाल
बाई का तो बढ गया है ।
ल ला- अरे वाह सच या टे टस है बाई का कार से कचरा फकने आयी है ।
सधा
ु -दे ख रह हो न बर लेट के उपर लाल प ट का नशान । इसका मतलब है कसी बडे
साहब क सरकार कार है ।
ल ला - अपने टे टस का या होगा सधा

तीथ
आ ट आ ट क पकार
ु सनकर
ु ीम त तपि वनी बोल बेटा रं जू दे खो कोई बला
ु रहा है या ।
रं जू-जी म मी दे खता हंू कहकर दरवाजा खोलते हए
ु बोला म मी संजना द द ह ।
संजना- क चन क ओर बढती हई ु बोल आ ट खाना बना रह है या ?
तपि वनी- हां बी टया ।
संजनाः आ ट ,म मी आपके पास यह पछने
ू के लये भेजीं है क कल मं दर तो चलोगी ना ।
तपि वनीः बी टया जाना तो था पर ।
संजना- पर या आ ट ।
तपि वनी-बी टया ब च को कूल जाना है । ट फन कैसे तैयार होगा । तु हारे अंकल को डयट

भी तो जाना ह । सभी भखे
ू रह जायेगे । सबह
ु पांच बजे म दर जाने को तु हार म मी कह रह
थी ।
संजना- हां आ ट पांच बजे तो घर से नकलना ह होगा बस अडडे तक तो पैदल चलना होगा ।
सबेरे सबेरे तो यहां से कोई साधन भी तो नह मलता है ।
संजना और मसेज तपि वनी क बातचीत सनकर
ु अनु,रं जु और शनू बोले म मी चले जाओ मं दर
एक दन क तो बात है।
ब च के आ ह से आन द वभोर होकर तपि वनी बोल ब च घर भी तो मं दर है और इस
मं दर म रहने वाला हर ाणी परमा मा का अंश है । म इसी मं दर म ई वर क अराधना कर
लंग
ू ी । इतने म म0 नरायन बाबू आ गये और कोने म सोफे पर बैठ गये कसी को उनके आने
का भान ह नह हआु । मसेज तपि वनी क आ था को दे खकर नार जा त को मन ह मन
नमन करने लगे । च तन क मु ा म कहने लगे एक ओर नार खद
ु का याग कर रह है घर
को मं दर और उस घर म बसने वाल को परमा मा का अंश मानकर आ था गट कर रह ह
वह दसर
ू ओर वह नार शोष का शकार हो रह है । इतना ह नह ज म लेने से पहले मार भी
दया जा रहा है।ऐसा अनथ य संजना बोल आ ट म चलती हंू लो अंकल
भी आ गये ।
मसेज तपि वनी बोल कब आ गये रं जू के पापा पता ह नह चला ।
म0नरायन -भागवान म तो संजना के पीछे ह आया हंू । तम
ु महाय म लगी थी म मौन
ाथनारत था । चल जाना ।
मसेज तपि वनी- घर भी तो मं दर है । मेरे जाने से प रवार और ब च को भखे
ू रहना पड
सकता है । या यह पु य होगा । एक गह
ृ थ नार के लये घर प रवार के त आ था ह तीथ
ह ।

35
म0नरायन-इसी लये तो नार पजनीय
ू ह ।तभी तो कहा जाता है य नाय तु
पजय
ू ते त रम ते दे वता।
कले डर
खु बू-पापाया खोज रहे हो बहत
ु दे र से ।
द पक -बेट कले डर । कल तो यह था ।
खु बू- पापा या करोगे ।
द पक- दन तार ख दे खना था ।
खु बू - आज तो शु वार है और एक तार ख है ।
खु बू- पापा एक टे बल कले डर चा हये मेर बे ट े ड के लये ।
द पक- बेट जो डायर कले डर मले थे घर ह तो लाया था ।
खु बःू पापा पांच सब आपके ह दो त लोग ले गये । एक कले डर बचा है वह भी भइया अपने
क जे म कर रखा है । कले डर पर छपे सि जय के च बहत
ु अ छे ह। वह कले डर ढढ
ू रहे थे
ना ।
द पकः बेट हम पदद लत है । हम कैसे मलेगा ?
खु बू- अपने बांस से ले लेना ना । आपको ह नह मलता है बाक लोग तो जजी खोलकर बांटते
ह ।
द पक- बी टया मझे
ु भीखार ना बनाओं । नह मलेगा । म जानता हंू ।
खु बू- सांर पापा
द पक- बी टया अपनी सहे ल को भईया वाला कले डर दे दो !
खु बू - नह पापा ! म सहे ल को सार कह दं ग
ू ी।
द पकः बी टया मेर मजबरू को समझो ।
खु बू- समझ गयी पापा । आप पर गव ह पापा । आप ति ठत उ च श त होकर भी पदद लत
ह इसका मलाल ह ।
द पक- बेट मलाल ना करो । तम
ु लोग उ◌ूचे पदो पर सशो
ु भत हो यह मेर हा दक इ छा ह ।
बेट भइया वाला कले डर गफट पैक करके दे दो । म भइया को समझा लंग
ू ा ।
खु बू- नह पापा
द पकः बेट अपनी बे ट फे् र ड क इ छा का स मान करो । दो ती के लय मान जाओ मेर बात

खु बू- आई ऐम ाउड आफ यू पापा ।र यल यू आर ेट


जलसै नक
सयश
ु -दादाजी बरसात कम यो होती जा रह है ,आप जानते ह ।
बदर -बेटा आप बता दो तो और अ छ बात होगी ।
सयश
ु -दादाजी आप बताते हो क पहले अपने दे श म जंगल बहत
ु था । जंगल म शेर हाथी और
अ य पशु प ी रहते थे ।
बदर -जंगल भी था जंगल जीव भी। हां अब सब कछ
ु त वीर म दखता है ।बरसात कम य हो
रह है इसका कारण बताओ बेटा ।

36
सयश
ु -जंगल नह होगा तो बरसात कैसे होगी ।
बदर -जंगल और पेड .पौध पर बरसात का होना नभर है ।
सयश
ु -हां दादाजी खब
ू समझे । धरती को हरा भरा रखना है तो पेड. पौध को ब चे◌ा◌ं क तरह
पोसना होगा आज के आदमी को।
बदर -शाबास न हा जलसै नक । तम
ु जल सै नक के हाथ म ह धरती सरु त है ।

क मकश
अरे भषणू कहा मर गया बडे साहे ब दफतर सर पर लेते हए
ु चलाये जा रहे थे ।
साहे ब क आवाज सनकर
ु चपरासी दौड.◌ा दौड.◌ा गया और बोला सर भपणू बाबू डां टर के
पास गया ह ।
साहे बः कौन से डां टर के पास गया ह । कामचोर बहाना बनाकर कह ं गया हो◌ागा ।आसपास के
सभी डां टर क ल नक दे ख आओ कह ं मल जाये ते◌ा तरु त लेकर आओ ।
चपरासी गया पर भषण
ू बाबू नह मले वापस आ गया ।
थोडी ह दे र म भषण
ू बाबू भी आ गये । कू टर खड.◌ा भी नह कर पाये क बडे साहे ब जोर
जोर से च लाने लगे जैसे गाल दे रहे हो । भषण
ू बाबू मे डकल पेपर टे बल पर रखकर साहे ब के
सामने हािजर हएु । बडे साहे ब गु से मे तमतमाये हये
ु ◌े थे!।बडी बदसलक
ू से बोले य रे भषण

तमको
ु कल बलाया
ु था य नह आया छु ट मना रहा था । बडा साहब बन गया है।बडे साहब
कागज का पु ल दा भषण ू के मंह
ु पर फकते हए
ु बोले ले जा ज द टाइप कर । भषण
ू बाबू बडे
साहे ब के चै बर से आंख मसलते हएु बाहर नकले और टाइप करने म जट ु गये जब क बाक लोग
पहंु चे भी न थे । ू◌ाषण बाबू मे डकल पेपर को उडता हआ ु दे खकर उसे उठाने को लपके तब
तक बडे साहे ब सर पर सवार हो गये । भषण ू बाबू के मे डकल पेपर दफतर म इधर उधर उड.ते
रहे और भषण
ू बाबू ग भीर बीमार के बोझ तले दबे काम म जटेु रहे और बडे साहे ब भपण
ू बाबू
क छाती पर चढे रहे । छे ◌ाटे कमचा रय के◌ा ता डत करने के लये बडे साहे ब कु यात थे ।
वे े ठता क बयार से बड.◌े अ धकार का पद ह थया कर अपने छोटे पद को भल
ू चक
ु े थे ।
भषण
ू साहब क बदसलक
ू और बीमार क च ता के कशमकश म कराहता हआु आंसू से कागज
संवार रहा था । कमरे म बखरे भषण
ू बाबू के मे डकल पेपर,ई सी जी डायबट ज,थायराइड,
हमो लोबीन एस जी पी ट एस ओ पीट एवं अ य रपोट ग भीर बीमार क चगल

कर रहे थे पर साहे ब का दल नह पसीजा ।
महंगाई
शाि त-बाप रे गेहू ं का भाव तो आसमान छू रहा है ।
काश- मल रहा है या कम है ?
शाि त-आप भी कैसी बाते कर रहे है । ऐसी महं गाई रहे गी तो दे श क अरब से अ धक जनसं या
खायेगी क या ?
काश-यह हाल रहा तो खाने पीने क चीज पु ड.या म मलेगी पया बोर म लगेगे ।
शाि त- आप तो और आग लगा रहे हो । आप से बहस म नह करने के मड
ू . म हंू ।

37
काश-बहस क बात है ।खेती क जमीन पर कल कारखाने,मकान दकान
ु ती ग त से बनते जा
रहे है । अनाज आसमान से तो नह ं गरे गा । धरती आसमान,जल और वायु सब दषण
ू के
शकार है ।
शाि त-अ छा तो आप कहना चाह रहे है क कल कारखाने,मकान दकान
ु ये सब अनपजाउ◌ू
ु ◌ं
जमीन और पहाड.◌ो पर बने । उपजाउ◌ू◌ं जमीन पर स खेती हो ।जनसं या पर नय ण हो

काश-हां इसी म आदमी क भलाई है ।ऐसा हो गया तो महंगाई पर लगाम तो लग ह जायेगी
आदमी का जीवन भी सखमय
ु हो जायेगा । ले कन
शाि त-ले कन या ?
काश-िज मेदार लोग अपने दा य व का पालन ई◌्रमादार पवक
ू कर तब ना ।
बंटवारा
जीजाजी गजाधर के लये प का मकान बनवा दो नरे श क बात सनकर
ु गजाधर बोले
या ।
नरे श- ठ क सने
ु हो जगाधर के लये भी बनवा दो ।
जगाधर- पराना
ु बडा मकान था ह एक नया बडा प क मकान बनवा ह दया हंू या ये कम ह ।
नरे श-ये तो गांव के मकान ह । अपने शहर वाले बंगले जैसा बनवाओ अपने भाई जगाधर के
लये।
जगाधर- शहर जैसा मकान ।
नरे श- हां जीजाजी शहर जैसा बंगला
जगाधर-नरे श आपको मालम
ू है शहर के मकान पर कतना है । य हम भाईय म तम
ु बंटवारा
कर रहे हो नरे श ।
नरे श-जीजाजी बंटवारा ह सह । जगाधर का भी तो ह सा बनता है क नह ं ।
गजाधर- कैसा ह सा आपने दया है या ।
नरे श-शहर के बंगले म ह सा जगाधर को नह दोगे या ।
जगाधर- अपन वा रस के साथ अ याय तो म नह क ं गा नरे श।
नरे श-बात को घमाओ
ु मत जीजाजी तम
ु अपने भाई क िज मेदार उठा कर एहसान
तो नह कर रहे हो ।
गजा◌ाधर हमने तो ऐसा नह कहा । मेरा भाई ह । उसका दख
ु सख
ु मेरा दख
ु सख
ु है । म अपना
फज नभा रहा हंू । तम
ु र ते म दरार य रहे हो । र तेदार होकर हमारे प रवार के सख
ु से दखी

हो रहे हो ।
नरे श- बंटवारा होना ह ह ।
गजाधर भगवान करे वह दन कभी न आये । हमारा प रवार ऐसे ह हंसता खेलता रहे । नरे श
शकु न मामा क तरह मु कराते हए
ु अपने गांव क ओर चल पड.◌ा बंटवारे का जहर घोलकर ।
छल
कपटनरायन- काका एक और बंटवारा कर दो
दे वदत- कैसा बंटवारा रे कपटआ

38
कपटनरायन- तु हार स प त का काका और कैसा बंटवारा ।
दे वदत-दो बेटे ह दोनो का बरोबर ह सा है । म तो चाहता हंू क मेरे पोते◌ा◌ं का बराबर ह सा
हो यो क स यनरायन का ह तो सब बनाया हआ ु ह ।
कपटनरायन - स यनरायन तो शहर म बस गया है । वह तो गांव म रहे गा नह और नह उसके
ब चे । दे वनरायन के बेटे को भी शहर म पढा कर बेकार कर रहा है ।
दे वदतः तू मेरा घर य तबाह करने पर जटा
ु ह ।
कपटनरायन- अपने जीते जी दो ह से कर दो अपनी स प त का। एक ह सा मझे
ु दे दे ◌े◌ा एक
दे वनरायन को
दे वदत- या अभी तक मेरे साथ कम छल कया था । छल से मेर जमीन कमाई जमीन ह थया
लया । अभी भी तु हार भख
ू नह मट ।तम
ु मेरे बेट के हक के साथ छल कर रहा है ।
कपटनरायन- काका मेर बात मान लो । जीवन भर तु हारे मांस मं दरा का भार उठाउ◌ू◌ंगा ।
दे वदत-मेरे बेटे वग का सख
ु दे रहे ह । मझे
ु कोई दसर
ू वा हश नह ं है । ठ क है मांस मं दरा
का शौक न हंू तो या । तम ु जैसे कपट कपटनरायन के लये अपने राम जैसे बेटे◌ा◌ं के साथ
छल क ं कभी नह ं रे कपटआ
ु कभी नह
याह
भइया गजान द बहत ु खशु लग रहे हो ,कोई लाटर तो नह लग गयी रमान द अपनी बात परू
कर पाते उससे पहले ह गजान द उचक कर बोले हां भइया ऐसा ह कछ
ु ।
रमान द -मतलब
गजान द- याह फाइनल हो गया ।
रमान द- कसका ।
गजान द- बी टया का और कसका ।
रमान द- ब ढया खबर सनाये
ु भइया ।
गजान द-भइया बी टया के याह क च ता म तो बढा
ू हए
ु जा रहा था । भगदौड सफल हो गयी
। याह म वल ब तो हआ
ु पर घर वर मनमा फक मल गया है ।
रमान द-लडका या करता है ?
गजान द-सरकार नौकर म उ◌ू◌ंचे पद पर ह । उपर आमदनी क भी अ छ गंज
ु ाइश ह
।इकलौता लडका ह । मां बाप दोनो नौकर म ह ।सवस प न प रवार ह ।
रमान द- दहे ज भी बहत
ु दे ना ह । लडका अकेला स तान ह अपनी मां बाप का । परू स प त क
माल कन बी टया होगी ।
गजान दः हां भाई हां !
रमान द-भइया गजान द मझे
ु त पस द नह ह ऐसा र ता । यहां बी टया के सख
ु चैन क
उ मीद तो नह लगती ।
गजान द- या कह रहे हो रमान द ।
रमान द-िजस घर म लडक नह उस घर म बी टया का याह कर रहे हो।वह भी दहे ज दे कर ।
गजान द- या वहां बी टया का याह नह करना चा हए ?

39
रमान द- खद
ु क बी टया क ह या पैदा होने से पहले करने वाले दसरे
ू क बी टया के साथ कैसा
सलक
ू करे गे । मझे
ु ◌े यहां भी ऐसा ह लगता है । िजस मां बाप ने बेट का ज म नह होने
दया । वे दसरे
ू क बेट क या क करगे । गजान द बी टया का सख
ु चैन चाहते हो तो
ब कुल नह करना ।

पैसा
अरे वो भाभी अरे वो भाभी न कोई जान न पहचान पर वो भाभी वो
भाभी
कहकरनि दनी जोर जोर से च लाये जा रह थी । बार बार च लाने के बाद वह औरत नि दनी
क आवाज नह सनी ु तो वह उसके पीछे दौड. पड.◌ी ! कछ
ु दरू दौडकर हांफते हए
ु उस औरत का
प लू खींचकर बोल अरे भाभी जी आपका पैसा गर गया है । म हला पैसा पस म रखते हएु
नि दनी को लख लख दआ
ु य द और अपने ग त य का ओर बढने लगी ।
नि दनी को भाव वभोर दे खकर का मनी नि दनी क अ छ पढ लखी पड.◌ोसन प यौवन भी
भगवान ने ू◌ाब ब शा था ,खब
ू माडन औरत भी थी नि दनी से बोल या बेवकफ
ू कर द
भाभी च लाने क या ज रत थी । अरे नोट को पैर से दबा लेना था । धीरे से उठा लेती ।
एक अनजान औरत के◌ा च ला च ला कर बला
ु रह थी । लोग या सोचे होगे ।
नि दनी- या कह रह हो का मनी तम
ु जैसे लोगो क ऐसी सोच । बेचार के मेहनत क गाढ
कमाई थी । उसका प त उस पय के लये कतना पसीना बहाया होगा । या हम इतने गर गये
ह कसी के गरे हए
ु पैसे को उठाने के लए गर जाये । अरे हम इंसान ह हम अपना दा य व
नह भलना
ू चा हये का मनी बहन । का मनी को जैसे सांप सघ
ू गया ।

टयशन

अरे रे खा के पापा बी टया क टयशन
ू फ स दे ना ह पैसे दे दे ना डयट
ू जाने से पहले बनीता प त
सोहन से बोल ।
सोहन कतना टयशन
ू फ स का दे ना है ।
बनीता- तीन सौ पया हर माह तो दे रहे है फर भी पछ
ू रहे हो ।
सोहन- तीन सौर पया दे ते हए
ु बोला ए लो दे दे ना । र तेदार क बात ह िजतना मांगेगी
मैडमजी को दे ना ह होगा । समय से पहले फ स दे दया करना । पैसा र ते क द वार न बन
जाये
बनीता ठ क ह । यान रखंग
ू ी पर वो वैसी औरत नह ह । र ता नभने उसे अ छ तरह आता है
। सब समझती ह ।
कई मह न के बाद एक दन सोहन टयशन
ू वाल मैडम के घर के सामने से गजर
ु रहा था सोचा
मैडम से बी टया क पढाई क जानकार भी लेते चलंू । मैडम से सोहन बी टया क पढाई के बारे
म पछताछ
ू कया और वदा लेते समय मैडम को तीन सौ पये दे ते हए
ु बोला बहन जी आपक
टयशन
ू फ स है र खये । मह ना भी तो दो चार दन ह बचा है !

40
टयशन
ू वाल मैडम भाई साहब आपक बी टया हमार भी बी टया ह । म आपसे पैसे लंू गी भला
फर कैसे र तेदार हम रह अरे हमारा बजनेस तो टयशन
ू नह ह । मझे
ु भी तन वाह मलती है
अ छ खासी । बी टया क ढाई के बहाने मझे
ु भी कछ
ु सीखने को मल रहा है । आप पैसे से
र ते को कम य आंक रहे है भाई साहब।
से◌ाहन - या बना टयशन
ू फ स के पढा रह ह । अब तक मेर प नी जो कर रह थी वह या
था ।
टयशन
ू वाल मैडम- ठगी ।

जयकार
बाक अपने बडे भाई साक क मतदे
ृ ह और उसके प रवार को लेकर मालवांचल से अपनी ज मभू म
पंजाब गया जहां उसका दाह सं कार एवं अ य कमका ड के साथ तेरहवीं क र म भी परू
करवाया । तेरहवी बतते ह सांके क घरवाल उखड.◌े पांव सा◌ा ने ◌ा◌ं और तीनो लड कय जो
दस मह न के अ तराल पर पैदा हईु थी को घर से बाहर नकाल फकने का षणय उसक सास
रचने लगी । सा ने◌ा◌ं इन लड कय को लेकर जाये ता जाये कहां। सास के उ पीड.न से दखी

होकर सा न गांव क पंचायत का दरवाजा खटखटयी । सा न क सास एक न सनने
ु को तैयार
थी ।वह बोल जब तक बेटा िज दा था ये सा न कमाई हडपती रह । साक क मौत का
िज मेदार सा नो है म घर से नकाल कर रहंू गी ! बेटा तो मर ह गया हम इनका या करे गे ।
अब हमारा न तो बहू से और ह न लड कय से रहे गा कोई र ता । सारे र ते नाते ख म हो गये
। कह जाय डब
ू कर मरे लड कय को लेकर ।
यह सनकर
ु बांके अपनी मां को ध कारते हए
ु भागकर घर म गया । चादर लेकर आया और
!अपनी उ से प ह साल बडी, भाभी को ओढा दया । अब सा नो शाक क प नी बन चक ु थी
। गांव के लोग शाबास बाक शाबास बांके के गगन भेद जयकारे के साथ सर आंखो पर बठा
लये ।

हादशा
मई माह क भयावह गम । इंदौर से ख डवा क बस या ा या दखदायी
ु सा बत हो रह थी ।
खैर जैसे तैसे ख डवा रे लवे टे शन पहंु चे । दो घ टे और नमाड. क धप
ू म सींकने के बाद
मु बई से पटना जाने वाल े न आयी । िजसम चार सीट दो माह पहले से आर त थी इसके
बाद भी े न के ड बे म खडा होने नह दया जा रहा था दादा क म के या य ारा । कछ

लोग बडी बदतमीजी से पेश आ रहे थे । मेर सीट पर अबैध क जा जमाये हएु थे मझे
ु े न से
बाहर फकने क फराक म थे । सरु ा जवान भी मेर बात सननेु को तैयार ट ट लाख खोजने के
बाद भी नह मला । दोनो ब चे जोर जोर से रोये जा रहे थे । प नी का पांव भार हो◌ेने क
वजह से उसे खड.◌ा होने म भी तकल फ हो रह थी पर वे अमानष
ु क म के या तररय
् का
दल नह पसीजा । बडी मिु कल से एक सीट खाल करवा पाया । बद मजाज मसा
ु फर हर दस
मनट म सत
ु बनाते मंह
ु म डालते वह सीट के नीचे थक
ू दे ते फर बीडी सलगा
ु लेते । रात म
प नी के कान का बाला भी चोर चला गया । यातनामय या ा के बाद बनारस आया तब जाकर
जान म जान आयी । े न से उतरते ह ऐसा लगा जैसे दो दन क े न या ा नह प रवार स हत
41
दो साल के स म कारावास क सजा से मु त हएु हो । े न या ा नह भयावह हादशा था कहते
हए
ु दे वी साद क आंख भर आयी । रे न को हर झ डी मल गयी दे वी साद क सीट पर क जा
जमाये बद मजाज या ी ख खलाकर हंस पड.◌े◌ं ।

जहर
जगत तीय ेणी के ड बे म दा खल हआ
ु । सीट पर बैठा भी नह ं क पास वाल सीट पर साढे
पांच फ ट ल बे गोरे चटठे ट ट सफेद बाल वाले अधेड. यि त पछ ू बैठे कहां जाओगे बेटा ।
जगत -बाबा इंदौर ।
अधेड यि त -म तो ब बई जा रहा हंू ।
जगत -घमने
ू जा रहे है बाबा ।
अधेड यि त- हां । जीवन का सारा सख
ु भोग लया हंू । अब तीरथ वरत ह बचा है ।
अ ◌
े ाड यि त-बेटा गांव म रहता अपनी जमीदार स भालता । नौकर करने बाबू लोगो का काम
नह है बेटा ।
जगत- बाबा भू मह न हंू ।
अधेड यि त -कौन हो तम ु ।
जगत -बाबा आदमी हंू और कौन हंू ।
अधेड यि त आदमी तो सभी ह । तु हार जा त और धम या है ।
जगत भगवान ने तो आदमी ह बनाया ह पर जा त धम के ठे केदारो ने शू बना दया है ।
अधेड यि त -अ छा तो अछत
ू हो । कहते हएु उठे सराह
ु से पानी नकाले◌े खदु के उपर छडके
सीट पर छडके और बैठते हएु बो◌ेले या पहनावा हो गया है उ◌ु◌ंच नीच का पता ह नह
चलता । बगले
ु हंस बन गये है ।
अधेड यि त क बात सनकर
ु जगत के पास बैठे यि त से रहा नह गया बोला बाबा व ान
का यग
ु है । छआछत
ू ू उ◌ु◌ंच नीच का भेदभाव कब का खट
ू ं पर टं ग चका
ु ह । आदम यत को
बदनाम न करो आदमी को कम और यो यता से अ भनि दत करो । बाबा इस यग
ु जहर क खेती
नह फलफल
ू सकेगी ।
अधेड. यि त- या ?
फज
अरे वाह भाई ओम सना
ु है मोशन भी हो गया पर यार पाट बाक रह गयी । खैर छोड पाट
साट तो कभी भी हो जायेगी । ए तो बता तन वाह अब अ छ हई ु क नह ।
ओम - हां भाई सेवकदास तन वाह अ छ हो गयी है पर महंगाई क मार तो छाती पर है ।
सेवकदास- हां ओम भइया महंगाई तो आसमान छने
ू लगी ह । उपर से मलावट, र वतखोर ,झठ

फरे ब सब तो बढता ह जा रहा ह । बेचारे मी डयम लास के आदमी के चारो ओर मंह
ु बाये
खड.◌ी है । सामािजक आ थक राजनै तक एवं पयावरण दपण
ू क सम याय दन पर दन बढती
जा रह ह । इनके नदान के लये तम
ु जैसे हर समझदार एवं स प न आदमी को कछ
ु ना कछ

तो करना चा हये !

42
ओम - हर आदमी को अपना फज नभाना पडेगा । जंगल जीव एवं पयावरण क सरु ा के लये
आगे आना होगा ।
सेवकदासः ओम आपक बातो से तो लग रहा है क आप अपने फज पर खरे उतर रहे ह । कोई
ना कोई याग ज र कर रहे ह ।
ओम- चार पाने के लये कछ
ु भी नह कर रहा हंू । दे श का नाग रक होने के नाते रे ◌ा गय को
वारे का रस का इ तजाम, पेड पौधे लगाकर एवं आ थक सहयोग दान कर पयावरण को
सरु त रखने◌े का
यास साथ ह गोसेवा हे तु कछ
ु दान कर लेता हंू बस
सेवकदास- ओम भईया दे श, समाज और पयावरण को तु हारे जैसे लोगे◌ा क ज रत ह ।
अनभव

सरेु श-लोग कहते है क पद और दौलत सबसे बड.◌ा द ु नया म जब क ऐसा है नह ।
रमेश- पद और दौलत कैसे बड.◌ा हो गया ? कद क उ◌ू◌ंचाई तो अन त है ।
सरेु श- तु हार बात म दम तो है पर तु दबदबा तो पद और दौलत का है ।
रमेश-पद और दौलत से चाहत क भख
ू बढती है । आदमी लाश पर चढने से परहे ज नह करता ।
कद स भावना से अ भविृ द होती है। पद का अ भमान और अ धक दौलत क चाहत आदमी से
आद मयत छन लेती है ।
सरेु श-ठ क कह रहे हो भइया जनादन क तर क क राह म अ भमा नय ने खा खोद दया था ।
बेचारा जनादन खाई तो नह पाट पाया रोट कपड.◌ा मकान और स मान के लय संघष करता
रहा पर उसने अपनी कलम के बदौलत उ◌ू◌ंचा कद तो हा सल ह कर लया । वह द भी लोग
जनादन के उ◌ू◌ंचे कद को नमन करते है ।
रमेश-कद म सनतोष है पद और दौलत म असी मत भख

सरेु श-पद और दौलत अ थायी है । कद थायी है और द ु नया भर क दौलत से े ठ है । उ◌ू◌ंचा
कद आदमी को भगवान के समतु य बना दे ता है खरा अनुभव तो यह कहता है।

मदद
फलकमार
ु ु के ब चेदानी कसर के आपरे शन के घाव अभी हरे थे ।इसी बीच उसके पताजी आ गये
। मसीबत
ु के समय पताजी को पाकर वह बहत
ु हई
ु । पता घु मन बेट के सर पर हाथ फरे ते हु
बोले बेट नेमीच द कछ
ु पया दया था या ?
फलकमार
ु ु - दये तो थे तीन हजार । वह वह कज दया था या रमायन भईया ने ।
घु मन- हां बी टया कहते हए
ु सर नीचे कर लये ।
फलकमार
ु ु -कराहते हएु उठ और दसरे
ू कमरे म गयी तीन हजार पये पता के हाथ पर रखते हए ु
बोल गन लो पताजी भइया को दे दे ना और कह दे ना सद
ू के कतने पये हएु बता दे गे ।वह भी
दे दं ग
ू ी । भइया के खैरात क ज रत नह है मेरे जेठ जेठानी सब दे ख रहे है । आपरे शन के पये
का भी ब दोब त कर दये थे पर शहर से पैसा आने म डाक क वजह से कछ
ु दे र हो गयी।
भइया के दये तीन हजार म मेरा आपरे शन हो सकता था या ? भइया को मदद के लये मेर
ओर से ध यवाद कह दे ना पताजी ।

43
घु मन-बी टया म श म दा हंू । तु हार मदद नह कर सका । बेटवा कया भी वह भी कज दे कर
।स ताह बत नह मझे ु तगादा के लये भेज दया ।बेट म तो जीते जी मर गया भगवान तु हार
मदद करे कहते हए
ु बेटा रमायन के घर ऐसे गये क फर कभी लौटे ◌े ।
नेता
पापा अब म नह ं पढंू गा िजते एक झटके म कह गया ।
ब पन- य नह पढोगे बेटा । मझे
ु तो तमसे
ु बहत
ु उ मीदे है । पढ लखकर बडा अफसर बन
जाता तो मेर मराद
ु परू हो जाती ।
िजते -पापा पढाई बहत
ु महंगी हो गयी है । आप छोट सी तन वाह म इतना बडा प रवार कैसे
चलाते हो सोचकर डर जाता हंू । पापा आगे पढंू गा तो फ स कैसे भर पाओगे यह भी च ता का
वषय है ।पापा ना मरे गा सांप ना टटे
ू गी लाठ । पढाई पर होने वाला खचा भी बच जायेगा और
आपक मराद
ु भी परू हो जायेगी ।
ब पन-ऐसी कोन सी जाद ू क झड.◌ी तु हारे हाथ लग गयी बेटा ।
िजते -अभी तो नह लगी है पर लग जायेगी ।
ब पन- वो कैसे ?
िजते -पापा नेता बनने क सोच रहा हंू । अरे अपने दे श के बडे म ी कौन से बहत
ु पढे लख है
।दसवी बारहवी पास फेल म ी बन जाते है । बेचारे अ छे पढे लखे चपरासी तक क नौकर नह
पा रहे है ।बडी बडी ड य को घन
ु खा रहे है । पापा बडी बडी ड गयां होने के घस
ू भी दे ना होता
है । वह भी तो अपने पास नह है । नेता बनने म कोई न बडी ड ी क ज रत पडती है ना घस

क । कमाई भी बहत ु है । एक बार म ी क कस
ु हाथ लग गयी तो कई पी ढय का इ तजाम
हो जायेगा । जनता पागल क तरह पीछे भागती है उपर से । लोग जयजयकार करते नह थकते
। पापा नेता बन जाने दो।
॥ मु ठ भर माट ॥
साल कैसर क वजह से मौत से लड. रहे पडोसी लालानरायन आ खरकार आठ मई को हार गये ।
मै भी दफ् तर से छु ट मैययत
् म शा मल होने के लये पहंु चा । लालानरायन के हत- म इ ठा
हो रहे थे । उनके र तेदार गांव और शहर से मु ठ भर माट दे ने के लये चल पडे थे ।लाश को
बरफ के हवाला कर दया गया था ।औरते ब चेरो रोकर थक चक ु े थे । स नाटा पसरा हआ
ु था
रह रह कर मसेज लाला के रोने क आवाज स नाटे को चीर रह थी । इसी बीच लालानरायन के
बहत
ु पराने
ु और सख
ु के साथी क प नी छपते
ु छपाते
ु एक बालक को बालक को इशारे से बलायी

और बोल जा बेटा कसी बढडे
ू से पछकर
ू आ क लाश कब मिु तधम जायेगी और वे एक मकान
क आड. म दबक
ु गयीं ।
बालक दौड.कर गया एक बजग
ु ु यि त से पछकर
ू आया और जोर से बोला आ ट कल सबह
ु ।
दसरे
ू दन मतक
ृ लालानरायन क दे ह अि न को सम पत तो हो गयी पर न तो उनके कोई सख

के साथी दखे िजनक तार फ करते लालानरायन नह थकते थे । हजारो मकान वाल कालोनी से
गनती के पांच लोग शा मल हए
ु । नरो तम क बात सनकर ु पु षो तम के मंह
ु से नकल पडां वह
रे मतलबी सखु के साथी एक मु ठ मांट दे ने भर को ना हए
ु ।
कसम

44
रामू पेट म भख
ू और दल मे अरमान पालकर प के इरादे के साथ श ा हा सल कया था । रामू
अ धक पढा लखा होने के साथ ह काम भी ईमानदार और परू न ठा के साथ करता था । उसे
उ मीद थी क वह क ठन मेहनत और श ा के बलबते
ू उ◌ू◌ंची उड.◌ान भर लेगा । ले कन ऐसा
नह होने दया कमजोर का हक मारने वाल ने । एक दन सहाने
ु मौसम का ज न मन रहा था
कई बोतल क सील टट
ू चक
ु थी कई मग
ु उदर थ हो चक
ु े थे । जाम का ज न सर पर चढकर
बोल रहा था ।अफसर चकनकमार
ु अफसर के सु ीम क गलास म नई बोतल का दा उड.◌ेलते
हए
ु बोले सर रामू का पर नह कतर तो बहत
ु आगे नकल जायेगा ।
सु ीमो-कभी नह उखड.◌े पावं रामू चौथे दज का है चौथे दज से आगे नह
बढ पायेगा चकनकमार
ु म कसम खाता हंू ।बस या इतने म मेजे◌े थपथपा उठ ।
॥ सहारा॥
दखन
ु दन बहतु महंगा जता
ू पहने हो । कोई लाटर लग गयी या ?
दखन ु दन - वनोदबाबू हमार खशी
ु से कोई तकल फ हई ु या आपको ।
वनोद-तकल फ यो होगी भला । महंगा जता ू पहना है तो कह दया पहले तो कपड.◌े भी अ छे
नह पहन पाते थे । दे खो अब तो रोज रोज कपड.◌े◌ं बदल कर आते हो कालरदार नेताओ सर खे
कोट पहनने लगे हो ।
दखन
ु दन-मेर मेहनत रं ग लायी है तो खा पहन रहा हंू ।
वनोद- कहना तो नह था पर बात चल है तो कह ह दे ता हंू । तमसे ु बड.◌ा तो म हंू तन वाह
और दसरू सु वधाय भी मझेु यादा है। तु हारा खचा बडा है ।तु हार दवाई पर यादा पैसा खच
होता ।तम
ु इतना सब कछ
ु कैसे मैनेज कर लेते हो दखन
ु द ।
दखनु दन- वनोद बाबू मेरा जता
ू और पहनावा दे खकर च कर आ गया । अभी तो आगे बहत ु कछु
दे खना बाक है दल मजबत ू करके रखना । बी टया नाम रोशन करने लगी है बेटे तो उ मीद है ह
वनोदबाबू
वनोद-बी टया सहारा बन रह है ।
दखन
ु दन-हां
सगन

मान सं ह- लेखक साहब णाम । नई कताब के द दार कब होग ?
लेखक-ज द होगे ।
मान सं ह- कताब तो छप गयी है । मैने तो ऐसा ह सना
ु है ।
लेखक-ठ क सना
ु है भइया । वमोचन होना बाक है ।
मान सं ह-सा ह य समाज का आईना होता ह नह ं आईना दखाता भी है । आपक कताब से भी
ऐसी ह उ मीद है मझे
ु ।
लेखक-आपक उ मीद पर मेर कताब खर उतरे हम भी ऐसी ह उ मीद है ।
मान सं ह-महोदय जब वमोचन हो तो मझ
ु सा ह य- ेमी को ज र याद करना ।
लेखक-आप जैसे पाठक तो हमार दौलत है मान सं ह भाई ।
मान सं ह-महोदय ये 501 ◌ा या सगन
ु के तौर पर र खये कताब वमोचन के बाद ले लंग
ू ा
कहते हए
ु मान सं ह चल पड.◌ा।
45
मान सं ह के सा ह य ेम को दे खकर लेखक महोदय नतम तक हएु बना नह ं रह पाये । लेखक
के अपन व एंव नेह और मान सं ह के सा ह य ेम को दे खकर मौजद
ू लोग बोल उठे आज भी
सा ह य े मय क कमी नह ह ।
गरा हआ
ु आदमी
राज साद ाइवर क नौकर करते थे । उनके लटके झटके जमीदारो जैसे थे ।उनक प नी
कलाबाई को उ च जा त के लोग को राखी का भाई बनाने का बड.◌ा शौक था । राज साद को
आस-पड.◌ोस के लोग बाबू साहब कहते थे। दे वनाथ को राज साद के तबे से जलन होती थी । वे
एक दन लोग क भीड. से घरे हए ु राज साद को बलाये
ु ।
राज साद जमींदार के ठाटबाट मे◌े◌ं हािजर हए
ु । उ हे दे खकर दे वनाथ बाबू बोले राज साद बाबू
से म लये । जमींदार खानदान से तालक
ु रखते है ।वे राज साद को बैठने का इशारा करते हए

बोले राज साद बाब-ू आपके पताजी लटकदे व जमींदार थे ।
राज साद-हां दे वनाथ बाबू ।
दे वनाथ-एकदम झठ

राज साद-यादव टोला के पास ह तो हमारा पैतक
ृ घर है ।
दे वनाथ- एक और झठ
ू ।अरे सच बता तू कौन सी जा त का है ।
राज साद-जमींदार हंू । कोई शक है या ?
दे वनाथ- हां । जमींदार तो तू हो नह सकता ?
राज साद-यादव हंू
दे वनाथ-तू बहत
ु गरा हआ
ु आदमी है ।छोट जा त का होकर बड.◌ी जा त का ढ ग करता है ।
तु हार जा त के तो स त शरोम ण र वदास थे । डां0 अ बेडकर साहब थे िज हे द ु नया पज
ू रह
है और भी बहत
ु महान लोग है ।तु हे तो अपनी जा त पर वा भमान होना चा हये । जा त नह
कम महान बनाता है आदमी को ।
राज साद-दे वनाथ बाबू कसी से कहना नह ं ।
दे वनाथ-अरे बाबू साहब अब कतना नीचे गरोगे ? कहने को बाक या रह गया है ?
ब नजर
ांच मैनेजर साहब के पद के अनु प नयी कस
ु आयी गयी । परानी
ु कस
ु अ छ एवं अ छ
दशा म थी । ांच मैनेजर साहब का यार सेके् रटर के त उमड. गया । वे से े टर से बोले
दयाव त अब परानी
ु कस
ु का उपयोग तम
ु करो । तु हारे काय के अनु प मु वं गचेयर है
।साहब के आदे श का पालन दयाव त ने कया पर यह बात दयाव त से त नक बड.◌े खरापाती

मनेजर मंगत को◌े घाव कर गयी ।वे दफतर म आने वाले आग तुक से कहते ना थकते क
दे खो एक टाइ प ट साहब क कस
ु पर बैठा है मनेजर जैसे मै मनेजर होकर भी मु वं गचेयर से
दरू हंू । ब नजर मंगतसाहब क ऐसी बरु नजर लगी क दयाव त क र ढ. का दद शु हो
गया । दयाव त को कस ु के प र याग के लये ांचमनेजर साहब से अनरोश
ु करना पड.◌ा ।
दयाव त के प र याग से मंगत साहब को जैसे अपार खशी
ु मल गयी ।
दगा
कछ
ु कहने से पहले राघव धड.◌ाम से गर पडे. ।

46
माधव उठाकर बैठाये । दौडकर पानी लाये । गलास राघ के मंह
ु म लगाते हए
ु बोल भइया बहत

गम है बचकर रहा कर ।सरज ू ढलने के बाद आ जाते।
राघव स भलकर बैठते हए
ु बोले बात गम क नह है ।दो त के नाम पर ठगी क है ।
माधव-कहां कौन ठग गया ।
राघव-एक दो त
माधव-दो त तो ठग नह हो सकता ।
राघव- बात तो ठ क कह रहे हो पर हमारे साथ जो ठगी हई
ु दो ती का मखौटा
ु लगाकर हई
ु है ।
दल प भाई से वगत ् साल जान पहचान हो गयी । यह जान पहचान दो ती बन गयी । इसी का
फायदा उठाकर दल प भाई मझसे
ु छोट मोट मदद लेते रहे म भी करता रहा । एक सबह
ु सबह

दल प भाई का फोन आया क म मसीबतु म हंू पांच हजार पये क मदद चा हये । मने उनसे
कह दया पांच हजार का वादा तो नह कर सकता िजतना हो जायेगा म लेकर हािजर होता हंू ।
माधव- कतने पये दये ।
राघव-हजार पये ।
माधव-अब या हआ
ु दल प टोपी पहना गया।
राघव-हां भइया हम ह नह और कई लोगो को दगा दे गया।
भख

दे वकरन नशे क हालत म ठसते
ू जा रहे थे जो कछ
ु खाना था दयाव ती परस चक
ु । दे वकरन
खाने के बाद थाल चाटने लगा तो दयाव ती से नह रहा गया वह बोल और रोट बना दं ू या
?
दे वकरन-नह ं रे तू ये बतन रख और सो जा लड.खड.◌ाते हए
ु दे वकरन
बोला और चारोखाना चत हो गया । कछ
ु दे र के बाद कराहने लगा । बेचार दयाव ती हथ पावं
दबाने लगी । हाथ पांव दबाते ह खराटे मारने लगा ।जब दयाव ती के हाथ थम जाता तो वह
कराहने लगता । बेचार दया ती रात भर दे वकरन के सेवासु षा
ु म लगी रह । भोर हई
ु नशा
त नक उतर तो वह दयाव ती को उ◌ू◌ंघती दे खकर बोला राजू क मां रोट खा ल ।
दयाव ती-तमने
ु खा लया ना
दे वकरन- मैने तो खा लया ।
दयाव ती-समझा◌ो मैने भी खा लया ।
दे वकरन-मतलब
दयाव ती-औरत हंू ना बच गया तो खा लया नह बचा तो नह खायी । औरत को भख
ू नह
लगती ना
इतना सनते
ु ह दे वकरन क सार नशा उतर गयी ।
बधाई
बधाई हो मोची भइया तम
ु तो बहत
ु उपर उठ गये ।
मोची-ध यवाद महोदय आप कोई श द के जादगर
ू लगते है ।
हां वह समझ ल िजये । मेरा नाम सेवकदास है ।
मोची-महोदय साद हण क िजये ।

47
सेवकदास-मेरा सौभा य है क महावीर जय ती के सअव
ु सर तर आपके हाथ से
साद पा रहा हंू ।
मोची-महोदय गर ब के पास स भावना क दौलत के सवाय और कछ
ु तो होता नह । मौका आने
पर पेट काटकर दसर
ू क मदद करने से भी गर ब पीछे नह हटता ।
सेवकदास-आपके सेवा भाव को नमन ् करता हंू ।
मोची-महोदय मेहनत मजदरू क कमाई से 101 जोड.◌ी च पले बढ
ू म हलाओं को बांटने का
काय म रखा हंू ।
सेवकदास-भगवान आपक कमाई म बर त बरसे। दसरे
ू आपसे सेवाभाव सीखे । महावीर जय ती
क बहतु बहत
ु बधा या मोची भइया कहते हए
ु सेवकदास ग त य क ओर चल पड.◌ा । मोची
भइया अपने नेक मकसद म जट ु गया ।
लेपटाप
ता लय क गड.गड.◌ाहट से सभाक गंज
ू रहा था । व य त न धय के मु खया कई शभ

समाचार सनाने
ु के बाद वे सचना
ू ाि त पर
त न◌ा धय का यान आक षत करते हए ु बोले
आज सचना
ू कारि
् त का मह व शहर गांव खेत ख लहान तक दखायी पड.ने लगा है । इसका
फायदा हमार क पनी को भी हआ
ु है ।सचना
ू ाि त के मह व को क पनी के आलाअफसर ने
बार क के साथ समझा है और आप लोग को एक तोहफा शी दे ने क कारवाई शु कर द है
।उ मीद है इस तोहफे से आपका और आसान हो जायेगा।
तोहफे क बाद सनक
ु व य त न धय के मन म गदगद
ु ु सी होने लगी । तनध रसाद
बाबू बोले साहब या तोहफा मलने वाला है । साहब-लेपटाप
एक बार सभाक ता लय क गड.गड.◌ाहट से नहा उठा ।इसी बीच त न ध क हैया जी
सभाक से बाहर नकल कर अपने आवास पर फोन लगा दये । फोन पर वाइफ रा धका क
आवाज सनकर
ु बोले राधे मैडम बधाई हो ।
रा धक- कस चीज क बधाई ।
क हैया-अरे भागवान लेपटाप क पनी क ओर से मल रहा है । बेबी कहां है । रा धका बेबी को
फोन थमाते हए ु बोल लो बेबी पापा से बात कर लो ।
बेबी-पापा लेपटाप क बधाई ।
क हैया-बेबी आपको भी
बेबी-पापा लेपटाप का या करग ।
क हैया-बेबी गेम खेलना और या ?
झांसा
सा ता हक समाचार प का
त न ध दोपहर के व त उपि थत हआ
ु और गड. गड.◌ाते हए
ु बोला
भाई साहब मेर मदद क िजये ।
मैने पछा
ू आप कौन है भाई ।
वह बोला म मनोहर हंू फला सा ता हक समाचार का त न ध हंू । आपक रचनाय म बराबर
पढता रहता हंू क याणजी ।
कैसी मदद क दरकार है ।

48
मनोहर-क याणजी मेरा बेटा बीमार है । खन
ू लेने आया था । सौ पये कम पड. गये । पैथालोजी
वाला उ दार दे ने से स त मना कर दया है ।
मैने सौ पये का नोट दया और कहां चलो आपके साथ म भी चलता हंू अ पताल तक ।
मनोहर- म ज द म हंू । अ पताल भी दरू है एक झटके म कहकर वह फरती
ु के साथ चला गया

कई दन के बाद कसी काम से शहर गया । फला अखबार के दफतर का बोड दे खकर आफ स म
व ट हआ।
ु पता चला क मनोहर नाम का कोई आदमी काम नह करता इस अखबार के लये।
कोई झांसा दे गया मेरे अखबार का नाम लेकर ।
म कछ
ु दन क छु ट पर था इसी बची मनोहर मेरे दफतर आया और मेर शकायत कर गया
क क याण बाबू कैसे इंसान है सौ
पया के लये शकायत करने पहंु च गये । मह न बाद मनोहर
मालवा मल क भीड.भाड. वाल बाजार म दखा। दे खते ह उसके पास गया और ब चे क
बीमार के बारे म पछा
ू तो वह बोला मर गया फर भीड. म ऐसे गायब हआ
ु क फर
कभी मंह
ु नह दखाया ।
आडर
गजाधर माथे का पसीना पोछते हएु मन ह मन बदबदाया
ु ु या क मत हो गयी है हमार सबह ु
से शाम तक पसीना बहाता हंू तर क क बयार मझु तक पहंु चने नह द जाती । साथ के लोग
मैनेजर बन गये मामल
ू से कमचार रह गये ।कमचार से नये नये अ धकार बने बप नच द
जगोधर के आगे चार-छःपेज रखते हए
ु बोले ज द टाइप कर दे ना । अज ट है। साहब का आडर है

गजाधर -हर काम अज ट होता है और करना हम ह होता है ।
बप नच द- बदक गये नाक भ सकोड.ते हएु क यूटर पर ताश म भीड. गये ।
सदशन
ु - या हआ
ु च द साहब । कससे बात कर रहे हो ।
बप नच द-आ जाओ एक मैनेजर मैनेजर से बात कर ले
सदशन
ु - य नाराज लग रहे ह ।
बप नच द-छोटे लोग जबाब सवाल करने लगे है । दे खो गजाधर को टाइप करने म जोर आ रहा
है ।
सदशन
ु -अरे टाइप करना उसका काम है । करना ह पडे.गा । अ धकार हु म दे ने के लये होते है
,करने के लये नह ं।
बप न- लो पंयादा मरा
इतना कहना था क ठहाके से दफतर हल गया ।
संवेदना
छोटे बाबू या समाचार है नयनबाबू से◌े दरभाष
ू पर पछा
ू ।
नयनबाबू-बीस दन से बीमार चल रहा हंू । ख टया पर पड.◌ा हंू ।
छोटे बाबू-परानी
ु बीमार क वजह से या कोई दसर
ू मज लग गयी ?
नयनबाबू-पी लया हो गयी है ।

49
छोटे बाब-ू च ता ना करो म वै जी से दवा लेकर आता है । थोड.◌ा व त लगेगा बीस कलोमीटर
का रा ता है कहकर फोन रख दये । नयन बाबू हे लो हे ला करते रह गये ।
छोटे बाबू पी लया क दवा लेकर दोपहर ढलते ढलते नयनबाबू के पास पहंु चे ।नयनबाबू का वा थ
दे खकर छोटे बाबू क आख से आंसू बह नकले ।
नयनबाब-ू बीमार है ठ क हो जायेगी ।
छोटे बाब-ू ज र ठ क होगी ये दवा गड
ु . के साथ तीन दन तक ल िजये पी लया एकदम ख म हो
जायेगी ।
छोटे बाबू ज द से गलास भर पानी पेट म उतारकर ज द ज द चाय उतारकर बोले भाई साहब
मझे
ु इजाजत द िजये । दरू जाना है कराये क साइ कल है । छोटे बाबू साइ कल उठाये और दौड.
पडे. मंिजल क ओर ।
नयनबाबू छोटे बाबू के परमाथ के त नतम तक थे जब क छोटे बाबू से कोई खास न तो जान
पहचान थी ना कोई खन
ू का र ता । भीड. भरे शहर म और भी लोग जान पहचान के थे दरू
पास के कसी ना कसी र ते से तालकात
ु भी रखते थे पर मतलब क दौड. ने संवेदनाह न हो
चक
ु े थे । एक थे संवेदनशील और पर-पीड.◌ा समझने वाले छोटे
बाबू
गवाह
च डं या आने घोसले क और लौट रह थी । गोकल
ु काम पर से आकर खड.◌ा ह हआ
ु था क
पु लस उसके कूटर क ज ती और उसक गरफतार के लये आ धमक । गोकल ु जम ु जानना
चाहा तो उसे एक औरत के ए सीडे ट के केस का मज
ु रम बताया गया ।
गोकल
ु सफाई दे ते हए
ु बोला- मझसे
ु कसी का ए सीडे ट नह हआ
ु है । हां कछ
ु माह पहले एक
छोट ब ची ज र टकरायी थी िजसे त नक खरोच आयी थी ।उसका इलाज मने करवाया था ।
ब ची के प रजन तो काफ दे र बाद आये थे। पु लस केस का मामला भी नह था ।
पु लसहवलदार-अधेड. म हला है िजसके हाथ पांव टटे
ू है । कमर क ह डी चटक गया है । ये
ए सरे और प चीस गवाह क सची
ू है । ए सीडे ट तमने
ु कया है ।हर मज
ु रम झठ
ू बोलता है
बचने के लये । तम
ु भी पैतरे बाजी कर रहे हो ।
गोकलु -मझसे
ु ए सीडे ट नह हआु है । यह कोई सािजश है ।
पु लस-कोट म सफाई दे ना । आ खरकार गोकल
ु को गरफतार कर लया गया । कू टर ज त कर
लया गया । धमशा पर हाथ रखकर स च के सवाय कछ
ु नह कहने वाले गवाह झठ
ू के
सवाय कछ
ु नह कहे । बेचारे नरपराध गोकल
ु को अथ द ड के साथ सजा हो गयी, झठ
ू गवाह
के आधार पर अवैध कमाई के लये ।
मराद

राहलु -पापाजी जा त और नवासी माण प कैसे बना है ।
सबोध
ु -बेटा बन गया या यह कम है ?
राहुल-पापाजी कम तो नह है ।मेरा साल नह बगड.◌ेगा कतने बेचारे कले टर आ फस साल भर
से च कर काट रहे है ।कई ब च के तो एड मशन नह हो पाये है । सरकार माण प क वजह
से । मेरा छः मह ने क भगदौड के बाद भी नह बनने क उ मीद थी फर कैसे बन गया ।

50
सबोध
ु -सरकार नयम कायदे ◌ा◌ं के आधार पर साहब और बाबू लोग बाल क खाल नकालने लगे
तो आसान सा दखने वाला काम भी नह हो सकता । ये सरकार माणप पहले बन जाते पर
हम तो स चाई का दामन पकडे. हए
ु थे ।स चाई को झकना
ु पड.◌ा दसरा
ू रा ता अि तयार करना
पड.◌ा ।
राहलु - पापाजी इसका मतलब ?
सबोध
ु -हजार पये का घस
ू ।
राहल
ु -पापाजी ।इतना ट हो गये है मोहक म । सरकार का फज है हम जा त, नवासी, आय
अथवा अ य माण प दे । सारा भारत एक है कह से भी बना हो माण प हर जगह मा य
होना चा हये ।
सबोध
ु - या बहत
ु टे ढ है । इसी का फायदा स बि धत बाबू हो या साहब उठाते है।जनता ठगी
जाती है । आमजनता को तो सभी ठगते है ।
राहल
ु -सच पापाजी घसखोर
ू दे श को खोखला कर रह है ।य द म इस लायक बन गया तो घसखोरो

को चौराह पर लाउ◌ू◌ंगा । ईमानदार का अ भन दन सावज नक थान पर जनता जनादन से
करवाउ◌ू◌ंगा ।घसखोर
ू का पैसा तो आदमी को हैवान बना दे ता है ।
सबोध
ु -बेटा भगवान तेर मराद
ु परू कर ।
बदलाव
परे के प रजन नरे को कसी फ र ता से कम ना समझते थे । वह ं परे के प रजन परे
क नौकर लगते ह बसार बैठे परे भी नरे क चौखट तक आने म खद
ु का मानो अपमान
समझने लगा था पद और दौलत पाते ह । कछ
ु बरस पहले के द ु दन को भल
ू गया था जब वह
शहर म भखा
ू यासा मारा मारा फर रहा था ।भीड. भरे शहर म कोई सहारा न मला था
नरे बाबू ने अपने घर म शरण दया कई साल तक खानखच उठाया । नौकर तक का
ब दोब त हाथ जोड.जोड. करवाया ।वह परे द वाल के कई दनो के बाद मलने आया । बैठा
भी नह क जाने का कहने लगा । मसेज नरे बोल भइया द वाल मलने आये हो तो मह
ु तो
मीठा करके जाओ । परे कसी क एक ना सना
ु बोला ज र काम है । मोबवईल कान पर
लगाया गाड.◌ी टाट कया नेक के मंह
ु पर धआं
ु उड.◌ाकर चला गया ।
नरे के घर म पहले से वराजमान मेहमान आ चय च कत थे परे म आये बदलाव को दे खकर
और नरे आहत ।
याग
सल
ु णा याह कर आते ह ससराल
ु क व त माल हालत सधारने
ु क परू को शश म जट
ु गयी
। प त सतीश गह
ृ ती का गाड.◌ी को लय दे ने के लये परदे स क ओर ख कर दये । दो जन

क रोट का इ तजाम बड.◌ी मिु कल से हो पा रहा था इसी बीच सतीश के छोटे भाई हर श के
पर ा फाम भरने क आ खर तार ख आ गयी । घर म फू ट कौड.◌ी ना थी । हर श के पताजी
घर क हालत दे खकर सतीश को कोसने लगते कहते ससरा
ु कमाने गया है । एक पैसा दे नह रहा
है ।घर का खचा बढता जा रहा है ।बेटवा का फाम भरने का इ तजाम नह हो रहा है ।वह शहर
म ऐश कर रहा है । सल
ु णा को काटो तो खन
ू नह ।हर श पर ा फाम न भर पाने क वजह से
काफ दखी
ु था ।सल
ु णा बेरोजगार प त क हालत को जानकर य थत थी । वह आसंू पीते हए

51
अपने गले से पाव भर क चांद क हंसल
ु नकालकर सासमांु के हाथ पर रखते हए ु बोल ले
जाओ अ मा गरवी रखकर दे वरजी का फाम भरवा दो पैसा होगा तो छड
ु .वा दे ना । सल
ु णा के
याग से सासमां
ु आ चच कत थी । खैर हर श फाम भरा अ छे न बर से पास भी हआ
ु पर सतीश
बाबू को नौकर मलने से पहले ह सल
ु णा के याह क इकलौती नशानी पाव भर क चांद क
हंसल
ु साहकार
ू क भट चढ गयी ।
सगाघाव
बेरोजगार से बरु तरह झल
ु रहे ◌े येश को नौकर के सल सले म राजधानी जाना पड.◌ा । वहां
येश के ससरु अ छे ओहदे पर कायरत् थे । येश का म त य परा
ू तो नह हआ
ु । उसके पास
वापसी तक का कराया भी नह बचा । ससरजी
ु क बात येश को सगाघाव दे ◌े गयी । हताश
येश अपने बहनोई जो छोट सी फै टर म लोहा काटने का काम करते थे के पास गया पर
उनक दशा दे शकर जबान नह खल
ु । बहनोई सरताज येश क दशा को समझ गये सौ पया
का नोट पाकेट म डालते हए
ु बोले बोले बाबू रा ते म कछ
ु खा लेना । येश बहनोई का मन ह
मन हा दक आभार मानकर चल पड.◌ा एक और सगाघाव दल पर लेकर ।
नै तकता
डां0साहब मर ज का चेकअप तल नता के साथ कर रहे थे । ल नक के बाहर काफ भीड. भी
थी । फोन या मोबाइल बज जाता तो डां0साहब खं झ जाते । डां0साहब क मोबाइल पर बात
ख म ह नह हई
ु क फर बज उठ ।डां0साहब चै बर से बाहर नकले बजग ु ु के सामने
नतम तक हए
ु और सहारा दे कर अ दर ले गये ।बजग
ु ु यि त के साथ छः लोग और अ दर
चले गये । सभी यि तय के चेकअप म तीन घ टे टट
ू गये। मह न पहले ए वाइ टमे ट
लेकर आये दरदराज
ू गांव के लोग सरज
ू उगने से पहले से बैठे थे उनम से यामबाबू का न बर
पहला ह था ।
ल बे इ तजार के बाद चै बर म व ट हए
ु । यामबाबू को दे खते ह डां0 साहब बोले सांर
याम बाबू आपको क ट हआ ु । बजग
ु ु यि त कोई और नै तकता का पाठ पढाने वाले नह
हमारे गु थे। वे खद
ु का नह अ य छः लोग का चेकअप करवाने आ गये बना सचना ू के ।
बाहर से आये मर ज के बारे म त नक भी नह सोचे । उपदे श दे ने वाले ह नै तकता का
दामन छोड. दे गे तो या होगा ?
वे या
चौराहे पर चार अप र चत लोग को चचारत ् दे खकर चु नीलाल क चु नी ठनक उठ । वे
थोड.◌ा ठठके। एक यि त बोला यार कछ
ु कालोनाइजर वे या से भी गर गये है ।
दसरा
ू - या कह रहे हो यार ।
पहला यि त-ठ क कह रहा हंू ।
तीसरा- या ठ क कह रहे हो । कछ
ु समझ म नह आ रहा है ।
चौथा यि त-समझा दो भाई हजत
ु ् य कर रहे हो राह चलते लोग सन
ु रहे है ।
पहला यि त- सनने
ु दो कहां हम लोग असामािजक काम करने क योजना बना रहे है ।
वे या और कालोनाइजर म अ तर क बात कर रहे है ।
दसरा
ू यि त -बताओगे भी क भाषण दे ते रहोगे ।

52
पहला याि त-वे या तो वे या है अपने कम पर खर उतरती है । कछ
ु कालोनाइजर एकदम
दगा कर जा रहे है ।जहां खडे. है उसी कालोनी क ददशा
ु दे खो ना सड.क है,ना द ु त चै बर
लाइन, ना ह ट लाइट और पानी तो नल से टपकता ह नह ।बेचारे रहवासी घर के सपने
म धोखा खा जाते है ।
चौथा यि त चु नी क तरफ इशारा करते हए ु बोला यो जे टलमैन कौन दगाबाज है वे या
या कालोनाइजर । चारो एक साथ हंस पड.◌े । चु नीलाल के पैर ग तमान हो उठे ।
र तेदार
गल के गु डे नपंस
ु क हो गये । बाहर के गु डे जयराम और रामराज को अधमरा कर चले गये
पर अपनी अपनी मांद से बाहर नह नकले । कछ
ु दे र पहले यह गु डे रामराज के साथ
बैठकर ठहाके लगा रहे थे । धीरे कैसे बेवफा लोग हो गये है बीचबचाव तक नह करने आये

द पे -यह गल के गु डे आप जैसे नेक इंसान को भ द भ द गा लयां दये थे ।कटार लेकर
मारने तक को आ गये थे सफ इस लये क आपने खटार बदमाश अपने घर के सामने
च लाचोट करने से माना कर दया था ।ये गल के गु डे खटारा से र तेदार नकाल कर
आपके दरवाजे तक चढं आये थे मारपीट करने को उता थे ।वो खलासी तो इ◌्रंटा लेकर दौड.
रहा था,वो लड.क सर खे बाल बावा वो नस का बेटा ,वो मोटा भसा और सभी का खन
ू खौल
रहा था शराफत के खलाफ । िजस रामराज क दकान
ु म घ ट बैठे रहते थे चाय-पानी करते
थे उसे लहलहान
ू ु होता दे खते रहे कतने नपंुसक हो गये है ये गल के गु डे। ।गु ड को
र तेदार मानते है । शर फ आदमी क पीठ मे◌े◌ं छरा ु घ पते ह ।
धीरे -स य समाज के द ु मन ह गु डे लोग ।
ेड
राघव पड.◌ोस के वमल कराना से ेड का पैकेट लाया और बोला म मी बेर् ड क चन म रख
दया हंू । आप सक दो ज द । कूल जाने का समय होने वाला है ।
ल मी-बेटा तैयार हो जाओ ेड सकने म यादा समय नह लगेगा ।म क चन म जा रह हंू ।
राघव-ठ क है म मी ।
ल मी- बेटा राघव ेड का पैकेट बड.◌ा लाने को बोल थी ना । अरे ये तो सड.◌ी भी है ।
राघव-बोला तो था ले कन अंकल अ छ है कहकर दये है ।
ल मी-वापस कर बड.◌ा पैकेट ला दो ।
राघव भागा भागा गया पर वमल ने मना करते हए
ु बोला जा अपने मां बाप को बलाकर
ु ला
।राघव रोता हआ
ु घर आया । मसेज ल मी और स य त दकान ु पर गये । वमल च ला कर
बोला आ गये तम
ु लोग मार करने । दो पये क ेड खर दते हए
ु उपर से म गजमार करते
हो ।जा न तो तेरा पैसा दं ग
ू ा आर नह ेड जो करना हो कर लेना । वमल ऐसा ह कया ।
मवाल वमल के रौ प को दे खकर स य तबाबू और मसेज ल मी वापस आ गये ।
रहवा सय के बीच कानाफसी
ु होने लगी क वमल कराना टोर है या पड.◌ेि◌◌ासय को
लटने
ू का अ डा ।
सफेदपानी

53
दे वे - गलास म या रखकर जा रह हो शभा
ु ।
शभा
ु -जेठजी दध
ू है । पी लेना ।
दे वे -गांव का दध
ू हजम ह नह होता । या पीकर क ं गा ।
शभाु -हो जायेगा । पड.◌ोसवाल जेठानी के यहां से मंगवायी हंू पाव भर ।
दे वे -अरे बाप रे ये दध
ू है क सफेद पानी ।
शभा
ु - या ?
दे वे -भाभी ने ऐसा दध
ू दया है पैसा लेकर ।
शभा
ु -हां र ता-नाता भल
ू गयी है । धंधा ह उनका नाता रह गया है तभी तो बीमार खन
ू के
र ते के यि त को सफेद पानी बेच रह है ।वे भी तो इसी घर क है । प रवार म दो फांड.
करवा द । सगे का गला काट रह है ।
दे वे -खश
ु है तो खश
ु रहे । दध
ू म नह पीउ◌ू◌ंगा । मेरे लये दध
ू अब ना लाना । हां ये बात
कसी से कहना नह ।
शभा
ु - या जेठजी आप खन
ू के र ते पर मर रहे है । एहसनातले दबी पड.◌ोसवाल जेठानी
दध
ू क जगह सफेद पानी हम बेच रह है वह भी बाजार से यादा क मत म ।
घरमं दर
बहार दादा अपना सारा जीवन भाई भतीजो पर वाहा कर दये खद
ु के लये कछ
ु नह बना
पाये ।बेटा ई वरच द मां बाप क बरस परानी
ु प के मकान क वा हश तो परा
ू कर दया ।
घर पर नजर लग गयी । लोग भतहा
ू कहने लगे । बहार दादा घबराकर दाढ.◌ीबाबा ताि क
के पास गये । दाढ.◌ीबाबा ने घर म भत
ू पर सहम त जतायी । घर से भत
ू नकालने क
तार ख नि चत कर दये । नधा रत समय और तार ख बहार दादा ने परू ब ती के लोगो
को इ ठा कया । दाढ बाबा आते ह घर के अ दर वाले ह से म द ण और परब
ू के कोने
म एक चौकोर नशान लगाया और पांच फ ट गहराई तक खोदने को हु म दे कर वे वह पास
म बैठकर ताि क याय करने लगे ।
दाढ बाबा के कहे अनसार
ु पांच फ ट क खदाई
ु परू हो गयी तब दाढ बाबा ने हाथ से नीचे
क म ट हटाने का हु म दया । कछ
ु म ट बाहर नकालते ह लालरं ग के कपड से बंधा
म ट का घड.◌ा उपर आने लगा और घर म घआं
ु भरने लगा । म ट हटा रहे और जमा
लोग भागने लगे । दाढ बाबा आव दे े◌ा ना ताव गढडे म कदकर
ू घड.◌े को काबू म कये ।
कछ
ु दे र के बाद माहौल सामा य हआ
ु । तब दाढ बाबा ने परू ब ती वाल के सामने घड.◌े पर
से लाल कपड.◌ा अलग कया । घडे. के मंहु को खोला जो अ छ तरह से पैक कया गया था
। फर घड.◌े मे से द ल के सोने चांद के यापार क एक लाि टक क डि बयां नकल
िजसम मशान क राख और आदमी क ह डी नकल ,सात बड.◌ी बड.◌ी सईया
ु ,शाह का
कांटा,नीबंू,ल ग,नाव क क ल एवं अ य ढे र सारा जाद ू टोने का सामान नकला ।सारा सामान
दाढ बाबा ने पनः
ु बांध लये और बोले बबाद और तु हारे प रवार क मौत का जाल तु हारे
अपने◌ा◌ं ने बछाया था ।ब ती वाल क नजर बहार के भतीजे चनटु और उसक घरवाल
फलमती
ू को ढढे
ू न लगी वे लोग नदारत थे ।

54
दाढ बाबा बोले बहार भइया अब कोई कछ
ु नह बगाड. सकता । भतहा
ू घर मं दर हो गया
कहते हए
ु अपनी जांघ म सई
ु घसा
ु दये । घरती पर खन
ू टपकने लगा। इतने म शोर मच
गया क चनटु क घरवाल अचेत होकर गर गयी है,उसका दांत लग गया है । सार भीड.
चनटु के घर क ओर दौड. पड.◌ी ।
ेष
दयानाथ क मेहनत मजदरू क कमाई से बेटा रामे वर ेजुयेट क पढाई परू कर नौकर क
तलाश म नकल पड.◌ा । रामे वर को शहर म पग पग पर ठोकर खानी पड.◌ी और जा तभेद
का जहर पीना पड.◌ा ।ल बे अ तराल तक ठोकरे खाने के बाद रामे वर को नौकर मल ।
वह नौकर करते पढाई भी जार कर दया । बड.◌ी बड.◌ी ड यां तक हा सल कर लया ।
पदो न त के लये अिजयां भी खब
ू दया पर े ष के पोषक ने त नक भी आगे बढने नह दया
। रामे वर को खब
ू सताया गया । कछ
ु लोग तो खले
ु आम खलाफत करते । अवध ताप साहब
ने तो यहां तक कह दया क रामे वर जैसे छोटे लोग को आगे बढने म हम बड.◌े लोगो क
कशल
ु नह । िजतना हो सके ऐसे लोग को दबाकर रखने म ह हमार भलाई है । बेचारे
नरापद रामे वर के भ व य और उसके मां बाप के वाब का बला कार कर दया े ष के
पोषक ने ।
चैन
नशेमन दादा नशे क ऐसी बरु लत म फंस गये थे क उ हे खद
ु के जीवन से भी मोह न था
।मौके बेमौके बेटे बहू को सावज नक प से बेइ जत करने से नह चकते
ू थे । बे बड.◌ी शान
से कहते बेटो को पढाया लखाया । अब कमा रहे है । मेरा शौक परा
ू करने का व त आ गया
है । कोई धन दौलत साथ लेकर गया है क म ले जाउ◌ू◌ंगा ।जब क बेटे क आ थक
सम याय मंह
ु चढा रह थीं । नशेमन दादा को कोई सरोकार न था आ थक और पा रवा रक
सम यओ से । सरोकार था तो बस शराब गांजा और दसरे
ू नशाखोर क चीज से ।नशेमन
दादा के उपर सारे नशा न ष द के तर के फेल हो गये थे ।बेटे क कसम भी नह रोक पायी
न े◌ामन दादा के म पान के शौक को ।
बेटे बहू पोते पोती सब चि तत थे नशेमन दादा के वा य को लेकर,बडा आपरे शन झेल चक
ु े
उनके फेफेड.◌ो को लेकर और आंत के◌ा लेकर। न ◌ े ामनदादा को त नक भी फ नह थी न
खदु क ना बेटे बहु और ना पोते पोती क उ हे फ थी तो बस दा गांजा के इ तजाम क ।
वे हर आने जाने वाले से कहते दे खो मेरे दोन बेटे कमा रहे ह ऐश कर रहे है ससरेु , मझे
ु चैन
से पीने भी नह ं दे ते ।
क जा
पलटबाब-ू श ा वभाग क नजर कालमल
ू के कू ल पर ना जाने य नह पड.ती छोटा सा घर
बड.◌ा कूल चला रहा है ।
बजरं ग- श ा वभाग तो दरू है । पास क दे खो दो सौ लोग िजस बो रं ग से पानी पी रहे थे ।
उसी बो रं ग का पानी अब दो घर तक नह पहंु च रहा है ।का लया नाग का तरह बो रं ग पर
फन फैलाये बैठा रहता है । लोग यासे मर रहे है ।ये नाग पानी म डबकर
ू भी नह मर रहा है

55
पलटबाब-ू कालमल
ू तप,सेवा और याग को याग का मतलब का पजार
ु बन बैठा है ।
बजरं ग-सइंयां भये कोतवाल डर काहे का । कालोनाइजर र तेदार है। कालोनी क बो रं ग पर
क जा कर बैठा है ।
पलटबाब-ू दसर
ू को तकल फ दे ने वाले यादा दन सखी
ु नह रह पाते ।
कछ
ु दन बाद बजरं ग हाफते हए
ु आये और पलटबाबू से बोले भइया आपक दे ववाणी सह
सा बत हो गयी । कालमल
ू दवा लया हो गया । कू ल बक गया । ठगी क गरफ् त म आ
गया । पु लस तलाश रह है ।
पलटबाब-ू नाग क नाक म नकेल डल गयी । सभी क जे◌ा◌ं से हाथ धो गया ।
सदमा
े ष से पो षत लोग आद मयत को रौदने म त नक दे र नह करते ।इस बात के सलगते
ु गवाह
थे भ कसाहब
ू । एक वभागा य के कहने पर गेम खेल रहे भै◌ा◌ंकू साहब से क णदे व बोले
सर कछ
ु दे र के लये क यूटर खाल कर दे गे या ? साहब ने एक खास और अज ट रप ट
बनाने को कह रहे ह ।
भ कसाहब पागल हाथी क तरह उठ खड.◌े हएु . क णदे व को मारने के लये । गाल दे ते हए

बोले साले यहां से ज द नकल नह तो लात दे ता हंू ।
भ कसाहब
ू के नीच और अमानवीय यवहार को दे खकर दफतर के कमचार अचि भत थे और
क णदे व सदम म ।
रोट
कूल सं पल करन बाई से बोल अ पना मैडम अभी तक नह आयी । करन बाई सहम त
म सर हला द ।
अ पना मैडम कछ
ु दे र के बाद हांफते हांफते आयी । करनबाई से पछ
ू मैडम ने मेरे बारे म
नह पछना
ू ना ।
करनबाई -मैडम अभी तो संपल मैडम क कोट म जाओ ।
अ पना मैडम को दे खते ह सं पल मैडम वफर पड.◌ी और बोल अ पना मैडम नौकर छोड.
दो । जब चाहो मंह
ु उठाये चले आओ । ऐसा नह चलेगा ।
अ पना-सांर मैडम । घर के हालत खराब हो गये है । आज तो हद हो गयी सासु ने पहले
चू हे पर क जा कर लया ससरु के ज द जाने का बहाना करके ।रोट बनाने म दे र हो गयी

सं पल-मैडम-सासससरु अलग बनाते खाते है।एक ह क चेन - या न एक तवा दो रोट ।
अ पना-एस मैडम ।
सं पल मैडम-आप ट चर है ।
अ पना-एस मैडम ।
सं पल-आप जैसी मैडम या श ा दे गी खाक ? बढू सास कांपते हाथ से रोट बना रह है
। जब आपके बेटे बहू ऐसा सलक
ू करे गे तब या होगा ? जरा सोचो । या अपने फज के
साथ याय कर रह है ?
मठाई

56
सरज
ू डबने
ू क तैयार म था । द वाल क सजावट बि तयां रोशनी बखेरने क । इसी व त
फोन घनघना उठा । मसेज अनीता ने फोन उठाया । दसर
ू तरफ से आवाज आयी म बहार
बोल रहा हंू - वेणी है।
मसेज अनीता-बाजार गये है ।
बहार - आये तो कह दे ना परवेश साहब के घर से द वाल क मठ।ई ले लेगा। टाफ के
चार ने ले ल है । वेणी क मठाई साहब के घर है ।
मसेज अनीता- ठ क है कह दं ग
ू ी । बहत
ु दे र हो चक
ु है ।
बहार -साहब का आदे श मझे
ु मला है । मैने बता दया ।
अनीता वेणी के आते मठाई क बात बतायी । वह बोला सब नौटं क है । मठाई ,कल
खर द नह गयी । आज खर द गयी है अपन को लाभ पहंु चाने के लये ।
वेणी-छटट
ु ृ का दन है इ सीडे टल एलाउ स मलेगा उपर से और कछ।
ु मझ
ु को छोड.कर
बाक लोगो क ओवर टाइम म अ छ कमाई हो ह जाती है । कमाई तबेदार लोग करते है ।
काम मझे
ु करना पड.ता है। द वाल क मठाई पर भी नजर लग गयी।
मसेज अनीता-भगवान सब दे ख रहा है । दखी
ु ना होओ । कल दफतर जाओगे तो मठाई लेते
आना ।
वेणी-कल मले तब ना ।
मसेज अनीता चलो पजा
ू कर लेते है । सब तैयार हो गयी है। वेणी-अनीता परेू घर प रवार
के साथ पजा
ू पाठ कये । पजा
ू का काय स प न हो जाने के बाद वेणी ांच मख
ु परवेश
साहब को फोन पर द वाल क बधाई दया । साहब ने मठाई का नाम तक नह लये । दसरे

दन वेणी द वाल क मठाई लेना चाहा तो साहब बोले कैसी मठाई ?इ पलायी द वाल
वीट फ ड से खर द गयी वेणी के हक क मठाई भी परवेश साहब डंकार गये । उखड.◌े
पांव छोटा कमचार वेणी से रहा नह गया वह बोला साहब और भी कछ
ु मेरे हक का हड.पने
को बचा है या ?

हवस
खाक बाबू रटायर होने के दो साल के अ दर ह चल बसे ढे र सार जमीन-जायदाद,ढे र सारा
पया भरापरा
ू बखि डत प रवार छोड.कर ।खाक बाबू क कल
ु चार स तान थी तीन बेटा एक
बेट । खाक बाबू एकलौती ब टया के साथ कभी याय नह कये । हां नै तक एवं कागजी
क ल कई बार कर चक
ु े थे ।खाक बाबू पु ेम म बावले थे, पु को राजा बनाने क हवस
सवार तो थी पर पु को खद
ु के पांव पर खड.◌ा होने लायक नह बना पाये थे । इसके गम
के साथ पहल प नी क मौत का थोड.◌ा गम था । इस गम को कम करने का इ तजाम
रटायर होते होते कर लये थे ।दसर
ू प नी क वजह से प रवार म उठे तफान
ू क झंझावत
से खाक बाबू स भल नह पाये एक दन सदा के लये उनका दल धड.कना ब द कर दया
।नगद -जमीन-जायदाद के बंटवारे का मामला कोट पहंु चा । खाक बाबू के तीन बेटे और दसर

प नी को वा रस माना गया । एकमा लड.क का काननन ू क ल कर दया गया खाक बाबू के

57
बेटो और दसर
ू प नी क मल भगत से । इस कागजी एवं काननी
ू क ल पर कोट ने भी महर

लगा द सफ रकम क हवस क र ा खा तर ।
होल
होल मबारक
ु हो अकेला बाबू । खशलालजी
ु पीछे य खड.◌े हो रं ग,अबीर गलाल
ु से रं गो
अकेलाबाबू को सारे गम रं ग जाये ।
अकेलाबाबू ल िजये मंुह मीठा क िजये । बहत
ु हो गया रं ग गलाल
ु ।
खशलालजी
ु -हां यास लगी है ।
ेमबाब-ू पानी
या । चल भांग पीलाता हंू ।
खशलालजी
ु -मांता जी न बर म गजर
ु थी ।पहल होल पर रं ग डालने आये हो भाग पीला रहे
हो ।
ेमबाब-ू यहां नह हमारे घर तो पीओगे ।
खशलाल
ु -बाद म दे खी जायेगी । अकेलाबाबू आपके दफतर के लोग आकर गये या ?
अकेलाबाबू-आये नह तो जायेगे कहां ?
खशलाल
ु - या ? पहल होल पर नह ं आये । मांताजी क मौत के बाद भी तो नह आये थे ।
रं ग डालने भी नह आये ।
ेमबाब-ू समझा ,जा तबंश के भेद को ख म करना होगा ।
खशलाल
ु मालवी म बोले-कसा आदमी ओण ह,जो द ु खया के सा नी दे । असो नी करनो चइये
। सचु नेठु जनावर लोग हे । अकेलाबाबू होल बहत
ु बहत
ु मबारक
ु हो ।

छर
ु ।लघकथा।

अ भमान आदमी को खा जाता है। कंस, हर याकश
ु एवं अ य अ भमा नय के अ भमान के
नतीजे को जानते हए
ु भी हलकू साहब के सर चढकर बोलता था अ भमान । हलकू साहब क

58
क मत ने साथ दया वे तर क करते करते बडे. िज मेदार पद पर पहंु च गये पर उ हे पद
क ग रमा से त नक सरोकार न था । हलकू साहब क तर क दसरोू के लये खजरू क छांव
सा बत हो रहा थी और यवहार बबल
ू क छांव । हलकू साहब पदो न त से ओवर लोडेड होर
आपा खोने लगे थे जैसे पांच कल क लाि टक क थैल म प चीस कलो का वनज ।
हलकू साहब क आदत से छोटे बडे. सभी प र चत थे ।एक दन अ रांशबाबू ने मह न से
लि बत अपने भगतान
ु के लये अनरोध
ु या कर दया जैसे कोई भर अपराध कर दये ।
हलकू साहब अ रांशबाबू के अनरोध
ु को र दते हए
ु बड.◌ी बदतमीजी ◌ो बोला तु हारा भगतान

अब नह हो सकता जो करना चाहो कर लेना ।
हलकू साहब क अभ ता एवं अमया दत ध स से अ रांशबाबू के माथे से पसीना चने
ू लगा
य क उ हे अ तआवशक कायवस पये क श त आव यकता थी ।अ रांशबाबू क रोनी सरत

दे खकर सहकम एक वर म बोल उठे हलकू साहब क पदो न त या हई
ु वे तो कसाई क
छर
ु हो गये । न दनलाल भारती
समझौता
बेटे के याह से यादा खशी
ु धये
ु बाबू को मलने वाले दहे ज से हो रहा थी । ल बी बाट
जोहने के बाद तो तैयार हई
ु थी दहे ज क फसल ।बड.◌े अरमान के साथ धये
ु बाबू ने बेटा
तपे का याह तय कया था। याह क खबर लगते ह तपे ने मना कर दया ।बडी
समझा◌ाइस के बाद तैयार तो हआ
ु पर इस शत पर क वह लड.क खद ु दे खेगा । छाती पर
प थर रखकर दोन प राजी हए ु ।तपे लडक दे खने गया । लड.क दे खते ह मना कर
दया कई इ जाम लगाकर ।
तपे क इंकार से धुये बाबू क फसल पर ओले पड.ने लगे ।धये
ु बाबू कसी भी क मत
पर मालदार पाट को जाने नह दे ना चाह रहे थे । वे दहे ज क अ छ फसल को काटने के
लये तपे से छे ◌ाटे बेटे सते के याह का ताव लेकर पहंु च गये ।बधु प ने भी सहष
इस ताव को वीकार कर लया।
बाप क छछ
ू आन,मान ,शान और दो प रवार क काननी
ू तकरार, बबाद और दहे ज के बढते
वजन को दे खकर सते ने अपनी उ से बड.◌ी लडक से याह के समझौते पर वीकृ त दे
द ।

दशन
हरखू- एक बात समझ म नह आती है ।
बरखू- कौन सी बात

59
गल गल म हलचल मचाते मचाते राजनी त क डोर पकड.कर जब म ी बन जाते है तब
उनक सरु ा इतनी यो बढ जाती है ।
बरख-ू अरे हरखू ये तकड.मबाज लोग होते है । दे श और जनता क गाढ कमाई पर अपने
वच व का नंगा दशन करते है ।तु ह बताओ िजस जनता के बीच नकश
ु रहते थे उसी
जनता का खन
ू पीकर पलते थे और ये तकड.म बाज इस जनता का हतैशी बनते नह थकते
थे । और तो और जनता ह तो चनकर
ु नगर नगम से लेकर संसद तक भेजती है । भला ऐसे
जन सेवक क ह या कौन और य करे गा ।
हरखू-अ छा तो गर ब दे श के मि तय मु यमि तय क सरु ा म लगे हजार पांच सौ कमा ड
,सरकार मशन रय और जनता क गाढ कमाई का द ु पयोग तबा और ताकत का नंगा
दशन है ।
बहु पया
पड.◌ोसी भगवान होता है केदारबाबू सना
ु है आपका पड.◌ोसी हैवान हो गया है।
सच कह रहे हो कमलबाबू मैययत
् क खबर कछु पडोसी कान तक नह पहंु चने दे ते सना
ु था
।उदय नारायन जैसे पड.◌ोसी तो आब लटने
ू पर उता हो गये है । भला हो दल पभईया का
जो प नी क आवाज पर दौड.◌े चले आये । उदय नरायन के घर म घस
ु गये इतने म उसका
बेटा पील कमीज उतार कर गे वा व पहन कर पजा
ू करने लगा ।
केदारबाबू-उदयनरायन और उसका प रवार तो बहु पया लगता है। शर फ पड.◌े◌ासी क
इ जत का तमाशा बना रहा है । पड.◌ोसी के घर म सध मारने लगा है । कैसे हैवान
क म के लोग है ।
कमलबाब-ू सभी उदयनरायन और उसके प रवार जैसे नह है भले लोग भी है कालोनी म। जैसे
एक सड.◌ी मछल परेू तालाब को ग दा कर दे ती है वैसे उदयनरायन जैसे पडोसी परू
कालोनी को बदनाम कर रहे है ।
केदारबाबू-सावधान रहना होगा । पड.◌ोस म उदयनरायन जैसे हैवान बसने लगे है ।कब प
बदल ल चौक ना तो रहना होगा पड.◌ोसी बहु पयाओं से कमलबाबू
च मा
सरु भ-बाबूया हआ
ु । आंख म कोई तकल फ है ।बार बार आंख पर जोर दे रहे हो ।
रमनदास-बी टया तू दो दन के लये मायके आयी है । तू मेर तकल फ क च ता य कर
रह है । ये सांड. सर खे बेटे तो है ना ।
सरु भ-बाबू नाराज य होते हो । म भी तो आपक ह बेट हंू हां बेटो जैसा हक मझे
ु समाज
ने नह दया है । ये बात अलग है ।
रमनदास-बेट तू फकर ना कर कहते हए ु कमरे म गये और टटा
ू हआ ु ऐनक आंख पर रखकर
स भालते हएु बोले बेट तू बहत
ु कमजोर लग रह है सब कशल
ु मंगल तो है ना ।
सरु भ-हां बाबू म परदे स मे अपने प रवार म खश
ु हंू पर तम
ु खश
ु नह लग रहे हो । तु हे
ट ट पेशाब जाने म द कत आ रह है ना । पांच साल पराना ु च मा टट
ू गया है । रमनदास-
हां बेट कहकर वे पीठ म सटे पेट को दबाते हए
ु दहाड.◌े◌ं मारकर रो पडे. ।
दे वच द-बहन तू तो बाबू क आदत को जानती ह है तमकोु दे खकर वांग रच रहे है ।

60
सरु भ ख टया पर पडे. बढेू को उठाकर आंख के डां टर के पास ले गयी। च मा बनवायी ।
रमनदास आंख पर च मा रखते ह बोले बेट सदा सखी
ु रह । मेर अंधी आंख म कछ
ु रोशनी
आ गयी ।
दहे ज क कार
सबह
ु सबह
ु टे ल फोन क घ ट सनकर
ु रं जना दौडी दौड.◌ी गया और रसीवर उठा कर हे लो
बोल ससकते हए
ु राखी बोल रं जना मझे
ु बहत
ु डर लग रह है।
रं जना- य
राखी-पडोसी वाल र ना भाभी ने जहर खा कर जान दे द ।
रं जना-अरे बाप रे ज द ह तो शाद हई
ु थी । र ना भाभी भला जहर य खा ल ।
राखी- कार के लये । मोद भईया र ◌ा भाभी से मायके से कार लाने क िजद पर अड.◌े थे ।
र ना भाभी अपने पता क आ थक तंगी से अवगत थी । इस लये कार क मांग को अपने
पता के कान तक नह पहंु चने द और दहे ज क ब लबेद पर लटक गयी । मझे
ु भी डर
लगने लगा है मेर भी शाद तो नचद क आ रह है ।
रं जना- या कार के लये जान दे द ? लड. कय को दहे ज के लये जान दे ने क ज रत नह
है । दहे ज लो भय को सबक सीखाने क ज रत है । अरे कब लड. कयां दहे ज के मकाबले
ु के
लये तैयार होगी ।
राखी-रं जना बहन तु हार नसीहत को याद रखंग
ू ी और बरा
ु समय आने पर डंटकर मकाबला

क ं गी । जान कतई नह दं ग
ू ी । आज क नार इतनी कमजोर तो नह ं।
च दा
वरदा यनी नगर के आ खर छोर क सड.क डरावनी नगर के लये वभाजक रे खा थी ।
वरदा यनी नगर के आ खर छोर पर बसे लोग डरावनी नगर के लोग के लये अजनबी और
वरदा यनीनगर के लये पछवाडे. के लोग थे । ग मय के दन म नगर नगम के टकर तक
का पानी डरावनी नगर के लोग नह ं पहंु चने दे ते । वरदा यनी नगर के लोग यासे गले से
कोसते रह जाते पर धा मक उ सव के नाम पर डरावनी नगर के रहवासी संघ के नेता
वरदा यनीनगर के लोगो से च दा उगाहने म त नक भी ना हच कचाते थे । डरावनीनगर के
नेताओं के रवैये को दे खकर बाबू ईमानच द के मंह
ु से आ खरकार नकल ह गया कैसे नेता
लोग है पानी क बंद
ू तक टपकने नह दे ते च दा मांगने के लये छाती उतान कये चले आते
है हया ताख पर रखकर ।

सरु ा
बोल रय बेचारे क जान ले ल । यह खबर हाई-वे के कनारे बसे गांव के घर घर म पहंु च
गयी ।अपने प रजन क फ म सभी गांववासी हाई-वे क ओर दौड. । बोल रय कछ ु दरू
सड.क के कनारे गढडे म जा गर थी मोटर साइ कल सवार अधेड. का एक पैर चरू चरू हो
चका
ु था वह मरणास न तड.प रहा था। गांव वाल क दौड. धप
ू से घायल यि त के प रजन
दो घ टे के अ दर आय,पु लस आया खानापू त हो गयी । बेचारे प रजन अ पताल लेकर भागे
पर डां टर ने हाथ खडे. कर दये। बेचारे प रजन मौत से जझ
ू अधेड. यि त को लेकर शहर

61
के अ पताल क ओर भागे । बोल रय म सवार तीन लोग मजे से चले गये । हाईवे से सटे
गांव वाल के माथे पर च ता क लक र साफ साफ झलक रह थी अंध एवं तग
ु त से
बेलगाम दौड. रहे वाहन से अपने और अपने प रजन क सरु ा को लेकर ।

अि तम इ छा
शवलाल गले म ाण अटकने से पहले बेट और दसर
ू प नी मंथर दे वी के सामने अि तम
इ छा गट कर दये । अि तम इ छा के खलासे
ु के कछ
ु दन बाद उनका सांसे सदा के लये
थम गयी। मंथर दे वी ने शवलाल ारा छोड.◌ी गयी चल-अचल स प त म बराबर का ह सा
ले ल । बाप क अि तम दे व थान के नमाण क मश वरा बेटो ने ताउ◌ू ी सफेद दास के
सामने मंथर दे वी से क तो वे एकदम से प ला झाड. ल और बोल तम
ु चारचार सांड. जैसे
बेटे अपने बाप क अि तम इ छा भी परू नह कर सकते ।
मंथर दे वी के रवैये को दे खकर सफेद दास बोले शवलाल तमसे
ु बढौती
ु म याह इस लये कर
लया क तू लावा रस ना मरे । साल भर भी चैन क रोट नह खा पाया बेमौत मर गया ।
मंथर तमने
ु एहसान के साथ दगा कया है सफ दौलत हड.पने के लये क थी । अरे तू इन
उखड.◌ेपांव ब च क सौतेल मां ह नह शवलाल क सौतेल प नी भी सा बत हो चक
ु हो ।
भू म आव टन

बस तबाबू को नम कार करते हए


ु राजकुं अर धान दरतग
्ु त से आगे बढ गये◌े । धानजी को
न कता दे खकर बस त बाबू बोले अरे धान त नक तो क ।
धान-भाई साहब धानी का बोझ त नक चैन नह लेने दे ता । गांव म वकास क बाढ आ
गयी है । गांव म सीमे ट कांकर ट क प क सड.क, बजल का जाल तो दे ख ह रहे है । कछ

ह दन टे ल फोन/इ टरनेट क लाइन म ब ती म आ जायेगी । शु वात भी हो गयी है ।मरने
क फसत
ु नह है ।
बस तबाबू- धानजी बहतु अ छा काम कर रहे हो । भू म आव टन कब करवा रहे हो ?
धान- बहतु पहले का हो गया है । आपको पता नह खैर पता भी कैसे होगा आप शहर म जो
रहते है ।
बस त-पता है । सफ चार लोग को एक एक बीसा जमीन मल है । धानजी आव टन नह
ल पापोती हआ
ु है । भू मह न के साथ धोखा हआ
ु है। या गांव समाज क जमीन इतनी ह है
। धानजी गांव म इतनी जमीन है क ब ती का हर भू मह न गर ब खे तहर मजदरू प रवार दो
दो बीघा जमीन का मा लक बन सकता है । य द आप चाहे तो । गांव के दबंग लोग कह
ख लहान कह ं घरु तो कह ं पेड. पौघे लगाकर क जा कये हए
ु है।दबंग के ब च को खेलने के
लये एकड.◌ो◌ं म जमीन है । गर ब क रोट रोजी का इ तजाम नह । यह तो सरासर
अ याय है । भू मह न गर ब खे तहर मजदरू क सु ध लो धानजी

62
धान- मजदरू के वोट से म धान नह बना हंू कहते हए
ु वकास के नाम पर घल ू झ कने
वाले वह धानजी जो आव टन करवाने का वादा कये थे◌े भाग खड.◌े हए
ु । धानजी क
राजनी त पैतरे बाजी से बस तबाबू तो अवाक् रह गये ।

याह क बेद
राजेशबाबू नम कार
नम कार तापबाबू बहत
ु दन के बाद दशन दये ।
राजेश तीन दन पहले तो मले थे यह ं।
ताप-मेर यादा त लगता है कमजोर होती जा रह है ।
राजेश- ताप बाबू आप बडे. लोग है । यह तो हमारा सौभा य है क आप हम दल से दो त
मानते है ।
ताप- आप दो तो पर तो जीवन कबान
ु कर दं ू । बताइए कसी काम से आये है । ज द म
हंू म ीजी का बलावा
ु आया है ।
राजेश-हां ।
ताप-काम बताइये राजे श बाबू आपका काम नह होगा तो कसका काम होगा । म ी पु वत ्
यवहार करते ह ।
राजेश- ां फर कवाना है बस साल भर के लये। एक लड.क का जीवन बन जायेगा तापबाबू
बडे. पु य का काम है। मदद कर दो दो ती क खा तर राजेशबाबू
मतलबी तापबाबू कान खजलाते
ु हए
ु गहर सांस लये फर कछ
ु दे र के बाद राजेशबाबू को
दसरे
ू का पता बता कर फज क इ त ी कर लये ।
अ तोग वा ा फर नह का। एक लड.क का भ व य याह क बेद पर कबान
ु हो गया
इंजी नय रं ग क पढाई ब द हो गयी । तापबाबू का दो ती के नाम पर छल राजेशबाबू को
सदै व सालता रहा ।

औलाद का सख

कैसे हो बाबा नयन ने औपचा रकता बस पछा
ू ।
सखलाल
ु -ठ क हंू बेटा कहते हए
ु गमछे से मंह
ु ढं क लये ।
नयन-बाबा ये या आप रो रहे हो ।

63
सखलाल
ु -बेट अब यह मेर क मत है । घरवाल ने बहतु साल पहले नाता तोड. लया । बेट
को मैने मां बाप दोन का यार दया। पढाया लखा बेटे अपने पैर पर खड.◌े भी हो गये ।
वह बेटे मेरा प र याग कर अपने अपने बाल ब च को लेकर अलग द ु नया बसा लये । म
रोट के टकड
ु .◌े क बाट जोहता रहता हंू ।
नयन- बाबा या आपके कमासत ु दो व त क रोट तक नह दे ते ?
सखलाल
ु -दे ◌ेते है बेटा अपनी बार पर पर बार आते राशन ख म हो
जाता है । एक व त आधा पेट तो दसरे
ू व त वह भी नह । मेर हाल तो कु ते क तरह हो
गयी है । ऐसी औलाद का या सख

नयन-बाबा आपक औलाद जो सख
ु आपको दे रह है वह उसे भी मलेगा होगा ।

फैसला

मख
ु बर क सचना
ू पर राघवगढ. के थाना इंचाज बजमोहन
ृ साहब े के चपे-चपे पर पहरा
लगा दये।उनक जाग कता क वजह से सफेदरं ग क कार च यूह म फंस तो गयी पर
चालक भागने म कामयाब हो गया । गोल बार से घबराकर खेत म काम कर रहा कषक
ृ यवक

उखड.◌े पांव भागने लगा । त नक भर म भागते हए
ु यवक
ु क छाती पु लस क गोल से
छलनी हो गयी । सफेद कार से पैसठ कलो अफ म बरामद हई ु । कषक
ृ यवक
ु ाइवर घो षत
हो गया। बजमोहन
ृ साहब को एक लाख पैसठ हजार का अवैध परु कार मा लक से ा त
हआ
ु । भगवान के फैसले के अनसार
ु बजमोहन
ृ साहब पेशी पर जाते समय ए सीडे ट म वह ं
मारे गये जहां कषक
ृ यवक
ु को गोल मार गयी थी ।
द या ।लघकथा।

आशतोष
ु - पताजी जब से मेर आंख खल
ु तब से ह आपको नेक ,परमाथ,स भावना और
समानता के लये संघषरत् दे खा है पर पताजी
दखहरन
ु - पर या बेटा
आशतोष
ु - वाथ आदमी के सर चढकर बोल रहा ह। स भावना के दशन तो होते नह हां
जा त,स दाय,धम का वषधर दौड.◌ा दौड.◌ाकर डंस रहा है। जमाने क फ छोड.कर खद

क फ करो पताजी ।
दखहरन
ु -कोसने से बराई
ु ख म नह होगी चाहे सामािजक हो या आ थक या राजनै तक । बराई

के खलाफ तो आवाज बल
ु द करना ह होगा ।
आशतोष
ु -लोग उ माद हो गये है । वाथ,धा मक-जातीय वैमन यता, उ वाद और बम के
धमाके ने सार उ मीद तहस नहस कर दये है।चहंु ओर अंधेरा घर चका
ु है ।
दखहरन
ु -बराई
ु परा त होती ह है । आतंक का हर अंधेरा छं टेगा । अंधेरा को चीरने के लये
स भावना का द या तो जलाये रखना होगा।यह स चे आदमी क असल पंज
ू ी है ।
आशतोष ु - स भावना का द या जलाये रखने का वचन दे ता हंू पताजी ।
-.....-
स पक:
64
न दलाल भारती

श ा - एम.ए. । समाजशा । एल.एल.बी. । आनस ।

पो ट ेजुएट ड लोमा इन यमन


ू रस स डेवलपमे ट;

ज म थान- - राम चौक । खैरा। तह.लालगंज िजला-आजमगढ ।उ. ।

थायी पता- आजाद द प, 15-एम-वीणानगर ,इंदौर ।म. .!452010

Email-nandlalram@yahoo.com/nl_bharti@bsnl.in /
nlbharati_author@webdunia.com

Portal- http://nandlalbharati.mywebdunia.com

प्ारका षत पु तक उप यास-अमानत , नमाड क माट मालवा क छाव। त न ध का य सं ह।

त न ध लघकथा
ु सं ह- काल मांट एवं अ य क वता, लघु कथा एवं कहानी सं ह ।

अ का शत पु तके उप यास-दमन,चांद क हंसल


ु एवं अ भशाप, कहानी सं ह- 2

का य सं ह-2 लघकथा
ु सं ह- उखड़े पांव एवं अ य

स मान भारती पु प मानद उपा ध,इलाहाबाद, भाषा र न, पानीपत ।

डां.अ बेडकर फेलो शप स मान, द ल ,का य साधना,भसावल


ु , महारा ,

यो तबा फले
ु श ा व ,इंदौर ।म. .।

डां.बाबा साहे ब अ बेडकर वशेष समाज सेवा,इंदौर

कलम कलाधर मानद उपा ध ,उदयपरु ।राज.।

सा ह यकला र न ।मानद उपा ध। कशीनगर


ु ।उ. .।

सा ह य तभा,इंदौर।म. .।सफ
ू स त महाक व जायसी,रायबरे ल ।उ. .।

65
व यावाच प त,प रयावां।उ. .।एवं अ य

आकाशवाणी से का यपाठ का सारण ।कहानी, लघु कहानी,क वता

और आलेख का दे श के समाचार प /प कओं म एवं http://www.swargvibha.tk/


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पर रचनाय का शत ।

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