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आलख

ओमपक श कश प

प च न भ रत म गणतत

पस वन

ल क त र जन त क आधतनक त द ह. यह, ह ल कक र जन त क वयवस क य करनव ल


एक पण ल ह, ज न गररक$ क अपन अतधक र च न म)द करन, उनम+ आवशयक
न गररक ब ध पद करन क क म कर ह. इ क द र त पर जन क अकश बन रह ह.
वयवस अ ष जन मय आन पर उ बदलन म+ कम त द ह ह. ल क त म+ त
धम5, ज त , पद य, प6ज आकद क बल पर प प करन भव नह9 ह. इ तलए इ व 5तधक
कलय णक र9 र जन त क पण ल भ म न ज ह. ह ल कक ल क ततक म ज$ म+ प6ज पत वग5
पकट = न गररक$ क अतधक र$ क पक ल कदख ई पड़ हA . ब वज6द इ क जरर9 नह9 ह कक यह
दव उनकC कदचE ह9 परर ह . कई ब र न गररक अतधक र$ कC पकधर क प E उनकC
मश एक सव त, अतनयतत , उपभ क व द9 म ज क बढ़ व दन कC भ ह ह. ल क त यकद
नत क आव) न ह प6ज व द कC भ त वह भ वयतकव द क बढ़ व दन व ल त द ह
ह. वयवह र म+ अपन जन नमख त द करन क तलए ल क ततक वयवस ए कर ध न क रप म+
धन वयतक अतधक र तश व 6ल कर हA. इ दव क कक उ क द र जन म नय क ल भ
पहच न व ल य जन ओ क कJय नवन ककय ज एग .

वकदक कहतय म+ गण त

वद$ म+ इ ब क पय 5प पम ण हA, ज यह दश 5 हA कक तक ल न म ज बहम क मम न


कर . आशम-वयवस ज न ध रर म ज क तनम 5ण क तलए पत बद , उ क तलए तनण5य$
म+ प रदतश5 ह न आवशयक . उपतनषद$ म+ E त गर क मक मक तवमश5 कर हA. ई प6व5
व श बद9 म+ भ र य गण त और भ मजब6 हए और गण ततक र जय$ कC स पन
आम ह चकC . यह म न तलय गय कक म ज क बहआय म और व5 नमख तवक
भ भव ह जब य जन ओ क तनम 5ण एव उनक क य 5नवन म+ अतधक तधक ल ग$ कC हमत एव
भ ग द र9 भव ह . वUद एव जनधम5 च6कक मज क जत आध रर तवभ जन क तनषध कर ,
अ एव उनक पभ व क चल म ज म+ मन आध रर त कC स पन क क म रल एव
वय वह ररक . कक यह म न लन अनतच ह ग कक ब हण धम5 एकदम दम ड़ चक .
वस = वUद धम5 कC फल क एक क रण यह भ कक उ न र ज त क ह र ध तम5क
तवजय क पन दख . मUय5 क ल न चदगप लकर म ट अश क आकद अनक भ र य क
प क कहद म ट वUदधम5 क म नन व ल . बललक अश क न वUदधम5 क र जधम5 घ तष
कर हए उ क पच र-प र म+ अपन पत एव पत क भ लग कदय . र जधम5 घ तष हन
ज न क ब द बUदधम5 क तवर ध तशत ल जरर पड़, प6र9 रह श नह9 . परपर ग ब हणधम5
कC म 5क पव)ततय अनक6ल अव र कC प क म+ . पर ण$ और सम)त य$ कC रचन द र
जनम न क फ लन बरगल न कC क तशश+ भ कC ज रह9 .

भ र य दश5न परपर कC दतष वह यग कई म यन म+ अतवसमरण य ह. इ यग क


भ र य च न क नव नमष क सवण5क ल भ कह ज रह ह. कय$कक इ यग म+ क5 एव
तवज न ध रर दश5न क सव क य5 तमलन लग . बUदधम5 कC ओर चनU पश ह न पर
प च न वकदक धम5 क भ आतम वल कन क तलए तववश ह न पड़ , लज क फलसवरप नय य,
वशतषक, च व 5क ज भUत क व द9 एव क 5ध रर दश5न$ क उदय हआ. तवतभनन म वलतबय$ क
ब च श स 5, ग त`य$, पररचच 5 क य5Jम$ न भ र य म ज क बUतदक क ढ च म+ ढ लन क
क य5 ककय . जन और बUद धम5 न अपन लतवक एव ग6ढ़ द श5तनक तवमश5 क म धयम प6र
म ज म+ व द और तवमश5 कC उ ध र क पनज 5गरर करन क क म ककय , ज वकदकक ल
क पश रस भटक चकC . नए द श5तनक तवमश5 क प6र आगह धम5 क अज न मक
कर, उ अतधक तधक म नव य सवरप पद न करन क पत . इ उ कC जन म नय क ब च
सव क य5 म+ ब)तद हई .

उतरवकदक और मह क वययग म+ गण त

बUतदक आद लन$ क पभ व तक ल न र जन त पर पड़न सव भ तवक ह9 . पररण मसवरप


र जन त क और अतधक लUककक म नव य बन न क पय ककए ज न लग . पर इ क य5
म+ फल भ भव , जब तनण5य क स र पर जय द जय द ल ग$ कC हभ तग ह.
इ तलए श न-पश न क स र पर अतधक म ल ग$ कC कहस द र9 कC जरर मह 6 कC ज न
लग . तलचEव और वश ल ज गण ततक र जय$ क उदय इ मय म+ हआ. प तल, सक) ,
ब ह9 तलतप म+ उपलबध कहतय म+ ऐ बह मत 5 र जय क ब र अनक दभ5 मUज6द हA.
जन ततक पहच न व ल गण घ ज सव त शबद भ र म+ आज लगभग ढ ई हज र वष5
पहल ह9 पय ग ह न लग . मह भ र क श त पव5 म+ र जयक य5 क तनषप दन क तलए बह
पज जन$ कC भ ग द र9 क उललख तमल ह, ज उ मय म ज म+ गण त क पत बढ़
आकष5ण क क द ह—

‘गणपमख क मम न ककय ज न च कहए, इ तलए कक दतनय द र9 क


बह क यi क तलए शष म6ह उ क ऊपर तनभ5र कर ह. गपचर तवभ ग
और ल कपररषद कC क र5व कहय$ क आवशयक ग पन य बन ए रखन क क य5
भ उ क ऊपर E ड़ दन च कहए, कय$कक यह बह अनतच ह ग कक प6र घ य
कक म6ह क भ दसय उन रहसय$ क ब र म+ ज न प ए. घ-पमख$ क च कहए
कक आवशयक ग पन य कC रक कर हए दसय$ क ख- म)तद क तलए भ
क तमलकर, द तयतव भ वन क क य5 कर+, अनय म6ह क धन-वभव
1
नष ह दर नह9 लगग .

बUदक ल न भ र म+ गण त

त कदर क भ र अतभय न क इत ह म+ रप म+ पस करन व ल ड यड र त कयल


क mर य रफ न भर क मबस न मक स न क उललख कर हए तलख ह कक वह पर
2
श न कC ‘गण ततक पण ल , न कक र जश ह9.’ ई प6व5 चU श बद9 क दUर न गण त
भर म+ ल क पचतल श न पण ल . ड यड र त कयल न अपन ग म+ भ र क उतर-
पलशम प $ म+ अनक गण त$ कC मUज6दग क उललख ककय ह. एक अनय स न पर वह तलख
ह कक—

‘अतधक श नगर$ (र जय$) न गण ततक श न-वयवस क अपन तलय


; और उ क बह वष5 ब च चक , यदतप कE र जय$ म+ भ र पर त कदर
3
क आJमण क मय भ र जश ह9 क यम .

ई प6व5 Eठw श बद9 क भर म+ गण ततक र जय$ क चलन आम ह चक . ह ल कक


य र जय र जश ह9 द र तनयतत र जय$ कC अपक आक र म+ E ट . कक उनक वभव एव म)तद
क क रण बड़ र जय भ उनकC ओर मम न कC दतष दख . उन र जय$ म+ क)तष वयवस
उनन . प य= भ र जय उपज ऊ, शसयशय मल भ6तम पर तवकत हए . वय प र एव उद ग-
धध$ क म मल म+ व आतमतनभ5र . बUदधम5 न म ज क उन बधन$ मक करन क क म
ककय , ज वण5वयवस क क रण म लजक ऊच-न च क पय 5य बन हए . पश ककय ज
क ह म जयव द9 वयवस क दUर म+ जब बड़ र जय E ट र जय$ पर अपन तगददतष जम ए
रख , अपक क) E ट गण ततक र जय अपन सव त एव म)तद क क रलक रख प
?

उललखन य ह कक कत E ट गण ततक र जय ख- म)तद क म मल म+ दश क ब कC


र जय$ कह9 आग . वह क न गररक$ क अपन रतच एव क य5कम क अन र अपन
वयव य चनन कC आज द9 . लज वह क म ज अपक क) अतधक खल . उ म+ नव
भ नय6न म . पररण म = म ज कC ऊज 5 क क र तमक उपय ग भव . यह9 नह9
गण ततक र जय$ क प बड़9 यदक न भ ह . कक एक र जय पर आए कट क मय
ब कC र जय भ उ कC मदद क तलए तपर रह . धन कC कम न ह न क क रण जरर पड़न
पर भ ड़ क तनक$ कC न खड़ कर लन भ अ भव न . ड यड र त कयल न बरकC य
मबस न मक एक गण ततक र जय क उललख ककय ह, जह क न गररक मक और
आतमतनभ5र लज कC न म+ ठ हज र पदल तनक, Eह हज र घड़ व र Eह U
र वन ह . व . ए . अगव ल और ए. क. मजमद र क हव ल ड ॅ{. सट9व मलबग5र तलख
हA कक—

‘प च न भ र म+ जन ततक ‘क य5कल प$ क सव त रप च लन करन


वल म6ह$ और उनकC तवशष ओ क अतभवयक करन क तलए एक द9घ5
शबद वल . तनलश रप उ म+ बह शबद ऐ ज वर क गणग न
कर मय पयक ककए ज , कक उनम+ अतधक श क पय ग श त क ल म+
आत 5क म6ह$ और उनकC गत तवतधय$ कC वय खय क तलए पयक ककय
ज . ज कक कक गठन क उ क क य5 क आधर पर गण अ व घ
क न म कदय ज क . उ कम महतवप6ण,5 कवल आत 5क म मल$ जड़
गठन$ क शलण, प6ग, व , गण आकद न म$ पक र ज . इन गठन$
कC पमख तवशष , इनक लकय$ कC एक . Eठw श बद9 क इन सवश त
गठन$- तमत य$ क चलन आम ह चल . इनक भ तनण5य आम हमत क
आधर पर तलए ज . द 6 र वग5 व5 ममत अ व आम हमत क आधर पर
श न कC लजममद र9 भल . आधतनक शबद वल म+ इन गठन$ क तलए
4
व 5तधक उपयक शबद ‘गण त’ ह9 ह क ह.’

गण ततक भ र म+ पनन और म)तद म ज क बह खयक वग5 क फल हई .


ह ल कक आत 5क स र म+ तवतभनन मद य$, वयव यकतम5य$ क ब च भ र9 अ र ब भ .
ब वज6द इ क म ज म+ ज गरक एव अव र$ कC मन अतधक . इ क रण E ट-E ट
उदतमय$/वय प ररय$ न अपन गठन खडƒ कर तलए , लजनक म धयम व गकठ वय प र क
ल भ$ म+ कहस द र9 कC भ वन बढ़ .

पचन कहतय म+ गण त क उललख


इ ब क पम ण उ मय क कहतय अनय पर लतवक कय$ म+ उपलबध ह. वश ल
और कUश ब ज पनन र जय और कश व ज पनन नगर9 क वण5न ज क क ओ
प तल कहतय म+ अनक स न पर हआ ह. य भ र जय गण ततक पण ल द र श त . ज.
प . शम 5 कC पस क ‘प च न भ र म+ गण त’ क म धयम मलबग5र मह दय तलख हA कक—

‘Eह U ईसव प6व5 द U ईसव ब द क, भ र पर लजन कदन$ बUद


धम5 कC पकड़ , जन त आध रर र जन त यह बह ल कपचतल एव बलव
. उ मय भ र म+ न गर9करण कC पकJय बह व चल रह9 .
प तल कहतय म+ उ मय कC म)द नगर9 वश ल क तववरण तमल ह. उ म+
उपलबध तववरण क अन र वह 7707 बहमलजल इम र ,+ 7707 अटट तलक ए,
7707 ह9 उपवन कमल र वर श भ यम न . इनक अत ररक वह पर ल ग$
क एक क य5क र9 घ भ , लज पर वह कC श न-वयवस क अनश न
चल . आमप ल ज अतनद दर9, अकद य न 5कC , लज कC दर
और कल क चच‡ दर6 -दर6 क फल हए . आमप ल न कवल वश ल कC म)तद
क प क , बललक वह क गUरव भ . वश ल क अत ररक कतपलवस
कश व ज नगर$ क तववरण भ बUद कहतय म+ मम न उपलबध ह, ज
वय प र, कल एव सक)त क मह न क+द . पच U हज र ग कड़य$ क क
क कफल उन नगर$ वय प र क त लत ल म+ गजर रह , लज क क रण वह
पर कक आधतनक शहर ज भ ड़-भ ड़ श रगल मच रह .
आवशयक पड़न पर य क कफल जह भ पड़ व ड ल मह9न$ क एक ह9
स न पर जम रह . चम म+ यह अक र ह . इन क कफल$ क -
ध तम5क व द, सक)त क और र जन त क पच र-प र क क म भ चल
5
रह .’

ऐ प ह ह कक 7707 कC खय उन कदन$ म नक अ व शभ म न ज .
कय$कक एक अनय पत द ज कक क अन र तलचEव गणर जय कC र जध न वश ल म+ 7707
र ज , 7707 र जद 6 , 7707 न पत 7707 खज च मUज6द , ज कक भ म ल पर
6
तनषपक और तनभ‰क ह कर अपन म पस कर . यह तववरण प क तमक भ ह क ह.
यह जनम न क गण ततक च एव म न ब ध क पररण म . म6कहक आत 5क क य5Jम,
न गररक पश न म+ अतधक म कC हभ तग म न आतधक रर क क रण यह भव भ
. अपन पबल न गररक ब ध क क रण तलचEतवय$ क आल चक$ क वयगय क मन भ करन
पड़ . लतल तवस र ज कक एक वयगय-पध न क)त ह, म+ यह कहकर कट क ककय गय ह कक
वश ल म+ र ज ओ कC भरम र ह, वह हर क ई च ह—

‘मA र ज ह6...मA र ज ह6.’ और इ पक र वह वयतक क पद, आय,


7
अनभव, म न- मम न क भल कदय ज ह.’

प लणन कC अ` धय य म+ जनपद शबद क उललख अनक स न$ पर ककय गय ह,


लजनकC श नवयवस जन द र चन हए पत तनतधय$ क ह $ म+ रह . एक और ज क
क म+ प च U तललचEव र ज ओ क उललख ककय गय ह. यह तववरण भ प क तमक अ व
अत शय तकप6ण5 ह क ह. दरअ ल इ रह क आखय न तक ल न र जन त म+ ज
बढ़ आत 5क म6ह$ क पररण म . आत 5क रप म)द म6ह अपन सव त र जन त क
गठबधन बन ल . आ ररक पश न क तलए व ब सव त म6ह क रप म+ क म कर ,
कक ब ह= हमल क मय उनकC गकठ शतक दशमन क मक बल करन क क म आ .
नए गण त$ कC स पन क क य5 भ र क कक एक कत क ह9 तम नह9 . बललक
उ क अ र प6र दश म+ स न-स न पर नजर आ रह . प लणन कहतय क अधय व.
ए . अगव ल क अन र—
‘उ मय दश-भर म+ नए-नए गण त स तप करन कC ज हड़
मच हई . तवशषकर उतर-पलशम म पर लस व ह9क दश$ म+ नए गण त$
कC स पन क क य5 अपन चरमलस त क प प कर चक , जह कवल U
8
पररव र$ व ल ग `, सवय क एक सव त गण त क रप म+ स तप कर रह .’

वस = उ मय भ र म+ E ट-E ट गण त$ क रप म+ सव त आत 5क म6ह$ क उदय ह


रह . व आत 5क म6ह इ न शतकश ल कक लज कत म+ ह , वह कक र जन त क त पर
अपन अतधक र स तप कर ल . ह ल कक र जश ह9 कC अपक वह एक मक मज , जह
र जन त क तनण5य परसपर हमत और मम न क आध र पर तलए ज . एक श` वग5 उ
म ज म+ पनप रह , लज क आत 5क बध दर6 -दर ज क कत$ बन . उन र जय$ क प
अपन न और कट क मन व भ तमलकर प6र9 क और एकजट क कर
. वह क श` गण आवशयक क मय बड़ म ट$ क ऋण दकर, म जकलय ण क क यi क
तलए मक हस द न लट कर म ज पर अपन पभतव जम ए रख . उनकC एक और
म ज पर उनक पभ व क क रण बड़-बड़ म ट उनपर हमल करन बच . धन- पतत क
ब हलय कई ब र म लजक बर इय$ क क रण भ बन ज ह, इ दष व भ अE6 नह9 .
उनह+ न कवल अपन आत 5क म)तद क गम न , बललक उनम+ कदख व कC पव)तत भ ज र पकड़
ज रह9 . अपन अक6 धन- पद क खच5 करन क तलए वह क नवधन ढय वग5 क ब च
तनर 5क सपध 5ए अक र चल रह . आमप ल ज नगरवधओ क चलन तक तलक मज
म+ तनर र बढ़ उपभ क व द9 क सक र$ कC ओर क कर ह. उन नगरवधओ क र जय क
म 5न और रकण प प . नगरवधओ क कठक न र जय कC कम ई क बह बड़ स , इ
म ज क बतदज व वग5 म+ उन गण त$ क भतवषय क लकर तच वय पन लग . व अपन
न गररक$ क मय- मय पर वध न भ कर रह . ह ल कक मद और मकदर म+ ज
ड6ब ज रह नवधन ढय वग5 उ कC श यद कC परव ह कर . मह तम गU म बद सवय
गण ततक र जय$ क उदव क पक म+ .

मह पररतनव 5ण त कC क

बUद कहतय क अतय महतवप6ण5 ग मह पररतनव 5ण त कC एक क बह चतच5 ह, लज क


अन र मगध- म ट अज शत वश ल क ख- म)तद ईषय कर हA उ कक भ रह
अपन र जय म+ तमल न च ह हA. म ट कC ओर मह म तय वष5क र तललचEव गणर जय$ पर
हमल करन पहल पर मश5 क तलए मह तम बद क प ज हA . यह ज नन क तलए कक तवजय
क तलए यह यद कय उपयक रहग ? यद हआ तवजयश कक क वरण करग . मह म तय
वष5क र तवद न एव क6टन त . मह तम बद आशम पहच अत त क सव ग कर हA . कक
आच य5 वष5क र क खलकर जव ब दन क बज य व अपन तशषय आनद क एक रपक कC
रचन कर हA—
मगध-सम ट अज तशत क वश ल तथ अन वज ऩ गणतत! क धन-वभव पर जनग ह
गढ़ थ . वह उनपर बल त अजधक र जम न च हत थ . आकमण स पहल इस ब र म/ पर मश0
करन क जलए उसन अपन मह म त आच 0 वर0क र क4 मह तम बद क प स उनक
आश व6द लन क जलए भज . आच 0 वर0क र सश म/ थ. व ग8तम बद क समक उपस;थत
हए. उस सम मह तम बद अपन जशष ! क स थ थ. आच 0 वर0क र न वश ल पर आकमण
क4 लकर सम ट अज तशत क इच> स मह तम क4 अवगत कर —

‘क उनह/ इस द म/ जवज श प प ह4ग ?’ आच 0 वर0क र न पश जक .

आच 0 क पश क उतर दन क बज मह तम बद न जप जशष आनद स कह —

‘तमन सन आनद? आज भ वसIJन गणसमKह! क बठक पKर उतस ह क स थ और


जनरतर ह4त हN? उनम/ सभ गण ;वच> और खश स जह;स लत हN?’

‘ज ह , मNन भ ह सन ह!’ आनद न उतर जद . तब मह तम बद ब4ल, म न4


आश व6द द रह ह!—

‘त4 सन4 आनद! जब तक वसIJन गणतत इस पक र सगजठत बन रह/ग ...जब तक व


अपन महततवपKण0 जनण0 लग त र जमलजलकर, आपस सहमजत स लत रह/ग, तब तक आनद
उनक वभव म/ कम नहQ आएग . व जनरतर पगजत क ओर अगसर रह/ग...सख और समTजद
प प कर/ग.’ गणतत क समथ0न म/ मह तम बद हQ नहQ रक ज त. आनद द र जकए गए पश!
क उतर म/ व उस और उसक म ध म स आच 0 वर0क र क4 जभन-जभन तकY स सतष करन क
प स करत हN—

‘इसजलए सन4 आनद! वसIJनगण जब तक ससगत ढग स स थ-स थ उठत-बठत,


ब तच त करत रह/ग, जब तक व अपन महततवपKण0 जनण0 पमपKव0क जमल-जलकर, जबन जकस
ईष 6-दर क लत रह/ग...जब तक व पKव0;थ जपत जवध न क जवर4ध करन स ब ज आएग...और
पKव0;थ जपत स मज; पKण0 म न त ओ-जन म! क जनरध करन क ;थ न पर उनक जवन पKण0
अनसरण करत रह/ग...जब तक व वसIJन गणतत! द र पKव0 ;थ जपत आदशY क प लन करत
रह/ग और जदए गए वचन क समम न कर/ग, उसपर डट रह/ग...तथ अपन वजगY और सन तन
म 6द ओ क अनसरण कर/ग...जब तक व अपन जवच र! पर दTढ़ बन रह/ग तथ अपन कत0व
क पजत सचत रह/ग...और जब तक व अपन स;त ! क समम न कर/ग ...उनक समKह क जकस
मजहल बच क स थ बल त >ड़> ड़ नहQ ह4ग ...जब तक व अपन त थ0;थल! तथ पजवत
गथ! म/ आ;थ बन ए रख/ग तथ उनक , च ह व नगर अथव दश क जकस भ जह;स म/ क ! न
ह!, समम न कर/ग, सभ स;क र! क जवजध अनस र जनव6ह कर/ग, स थ ह उसम/ जकस पक र
क जड़त आन स बच ए रख/ग...जब तक व सम ज म/ म8जKद गर ब!, वजचत! और उतप जड़त!
क अजधक र! क सरक क ख ल रख/ग...उनक जलए थ सभव सह 4ग करत रह/ग, जजसस
व सख रह सक/, उनक इतन ध न रख/ग जक उनक जस जनध0न-जनब0ल, सम ज क उतप जड़त
ल4ग दKर-दKर स आकर उनक र I म/ सखपKव0क शरण प त रह/ , तब तक, ह तब तक आनद!
वसIJनगण! क सख और वभव पर क4ई आच नहQ आ सकत ...व अज रह/ग, उनह/ क4ई नहQ
हर सकत , व सख और समTजद क ओर जनरतर अगसर रह/ग.’

इसक ब द मह तम बद न आच 0 वर0क र क4 सब4जधत कर कहन शर जक —

‘मह तमन! जजन जदन! मN वश ल क एक मजदर म/ ठहर हआ थ , उनहQ जदन! मNन


वसIJनगण! क जनकल णक र जन म! क अध न जक थ . मझ पKर जवश स ह जक जब
तक व अपन बन ए जवध न क4 अच> तरह समझत रह/ग...जब तक व इन अपन जन म! क
मन-वचन कम0 स अनसरण करत रह/ग...अपन परपर एव क नKन! क अथ0 समझकर उनक
प लन करत रह/ग...तब तक मझ पKर जवश स ह जक व उनक4 क4ई पर ;त नहQ कर सकत . तब
तक उनक सख और समTजद इस तरह बन रह/ग.’ मह तम बद क वचन! स पभ जवत ह4कर
आच 0 वर0क र क> दर तक जवच र मग रह. जhर ब4ल,

‘मN समझ ग दव! ऐस वसIझनगण! क4 स ध द म/, जबन कKटन जत उनक सगठन


क4 भग मगध कभ नहQ हर प एग .’

आतमतनभ5र एव आतमतनण5य क सक र. वलजजन गण त क इनह9 दगण$ न मह तम बद


क पभ तव ककय . यह9 गण ततक तगलड अ व शलणय$ कC फल क क रण .

गण त पर आध रर आत 5क स ए
तक ल न भ र कC अरवय5वस कC र9ढ़ म न ज न व ल आत 5क गठन$ क तगलड अ व शलण
क नम जन ज . तगलड अ व शलण प च न भ र म+ म न उद ग और/य वयव य म+
लग क र9गर$, तशलपक र$, E ट उदतमय$ वय प ररय$ क सवलचEक गठन , लजनक गठन
आप कह $ कC रक और म6कहक कलय ण कC भ वन क ककय ज . प य= E ट
उदम , क र9गर अ व तशलपक र सवय क सपध 5 म+ बन ए रखन क तलए शलण क रप म+ गकठ
ह . इ उनह+ एक पक र कC वय व तयक रक कC अनभ6त भ ह . परपर ग
भर य मज जत और वग5 क आध र पर तवभ लज . लककन शलणय$ म+ क य5तवभ जन क
आध र आम Uर पर वयतकग दक ह9 . द 6 र शबद$ म+ शलणय एक पक र प च नक ल
चल आ रह9 वण5वयवस क पत जन म ज क क र तमक तवद ह क पररण म . च6कक बUदधम5
जत एव वण5 क आध र पर म ज क तवभ जन क तवर ध कर , अ एव उ क पभ व क
चल शलणय$ क अपन तवक क भरप6र अव र प प हआ. य शलणय अपन मय क कन कC
कUशल, ज न, अनभव औद तगक धन$ क हजन स न य रप उपलबध
कचचम ल क द हन क क य5 भ कर . आवशयक पड़न पर शलण मजदर6 गठन क क म भ
कर क . उनक दसय अपन उदम क अकल सव म मखयक 5 ह , वय व तयक
नत क क आध र पर व एक-द 6 र क वयवह र कर उनम+ आ ररक ल क त .
ब वज6द इ क अतधक श तगलड तक ल न मखय श न-वयवस अ 5 र जश ह9 क ह9 म 5क .
इ क एक क रण यह भ ह क ह कक म लजक मद पर कक भ पक र क टकर व बच
हए व सवय क कवल आत 5क क य5Jम$ क मट रखन च ह ह$. कय$कक वण5-तवभ जन क
अन र र जय करन कततय वग5 क क य5 . जबकक शलणय$ क रप म+ गकठ ह न व ल वयतक
अतधक श = वशय एव क मग र ज त य$ आए हए ल ग . भर म+ शलण क प रभ कब हआ,
इ ब र म+ कद तच म भद हA. कE तवद न$ क म नन ह कक वकदक म ज मखय = पशप लक
मज , ज शन-शन क)तष आध रर अ 5वयवस कC ओर बढ़ रह . उद ग-धध तवक कC
प रतभक अवस म+ और उनक इ न तवक नह9 हआ कक उनम+ लग ल ग अपन सव त
गठन बन क+. इ तवच रध र क म 5क तवद न$ क तवश ह कक शलण आध रर
अ 5वयवस क ल र म+ तवकत हई. इ क तवपर9 कE तवद न$ क भर ह कक वकदक भय
इ न तवकत ह चकC कक वह पर शलणय$ क गठन ह न लग . इ म क म 5क$ म+
एक ककरन कम र पतलय ल क म नन ह कक वकदक भय म+ भ र म+ तशलपक र$
वय प ररय$ क गठन बनन लग उनक वकदक भ र कC अ 5वयवस कC म)तद म+ बह
बड़ य गद न . य गठन आ ररक ल क त कC भ वन म)द .

उप ह र

ककरन कम र पतलय ल क अन र वकदक भय क ज भ कहलतयक और ऐत ह त क स


आज उपलबध हA, उनम+ इ रय क म 5न कर पय 5प पम ण मUज6द हA, लजनक अन र उ
मय भ भ र क वय व तयक और औद तगक गठन दर6 दश$ क वय प ररक बध बन ए
हए . कE तवद न म ह न-ज -द र हड़पप कC भय क वकदक भय ह9 म न हA.
ह ल कक व क ई सपष कय दन म+ न क म रह हA . लककन यकद वकदक भय म ह न-ज -द र
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ररश च न, म प ट तमय , र म आकद दर6 दश$ क .

गणपत शबद क पय ग वकदक कहतय म+ अनक स न$ पर हआ ह, लज क एक अ 5 गण


अ 5 न गररक भ ह. इ रह गणपत य न न गररक$ द र परसपर हमत क आध र पर चन
गए पश क ह. भ र य परपर म+ गणपत क भ दव ओ म+ अगण , व5प म प6जय म न
गय ह. इ ब कC पबल भ वन ह कक इ शबद कC वयतपतत गण ततक र जय म+ हई ह . ब द
म+ जब म ज म+ प कडतय क न म पर प$ग पन अपन अ र जम न लग ब गणपत क अ 5 भ
रढ़ ह कर ह कC 6ड व ल प ण ह गय . लककन गणश क दव क रप म+ तमलन व ल
मम न, उ म)तद क प क म नन आज भ इ ब क द क ह कक गणपत क
अतभप य आत 5क म6ह क न )तव करन व ल वयतक ह9 . वय प र क त लत ल म+ चलन व ल
क कफल$ म+ गणपत कC लस त उनक रकक क रप म+ म नय . लज प6र9 शद एव मम न क
दख ज .

भर य म ज क तपEड़पन क मखय क रण$ म+ एक इ कC ज त -वयवस ह, लज न


श लबदय$ म ज क एक बड़ वग5 क मUतलक अतधक र$ वतच करन क क य5 ककय ह. इ
न दश क पर ध न कC और ढकल , पररण म = श लबदय$ क पर य ल ग हम र भ गयतवध
बन रह. इ म ज क पहल ब र एक 6त म+ तपर न म+ क मय ब मह तम ग ध न ह त ल कC .
सव ध न ग म क दUर न भ र कC जन न अपन गकठ क क पहच न. पररण म यह
हआ कक हर वग5 हर ज त क आदम अगज$ क तवरद यद क तलए खड़ ह गय . दश न भव =
पहल ब र एक र ष क रप म+ सवय क अनभव ककय . आज द9 तमल यह भ अनभव ककय
ज न लग कक मर मज दढ़ र जय कC जरर ह. इ तलए र ष कC मजब6 क तलए धम5,
जत एव आत 5क आध र लज न भ भदभ व हA, उन भ क तमट कर एक मन पर आध रर
म ज कC स पन कC ज एग . ल क ततक वयवस च गए लकय क तलए वरद न त द ह
क . इ तलए सव ध न प तप क उपर दश म+ ज त एव धम5 आध रर तवभ जन क
गरजरर9 म न हए मर म ज कC स पन पर ज र कदय गय . गण त प च न भ र म+ भ
ज त -वग5 क आध रर म ज$ कC कम क प टन कC क तशश कर रह , आज द9 क ब द भ
वह म ज क एक 6त म+ तपर न क तलए भर क पय र ह, आवशयक गण ततक स ओ क
और अतधक शक करन, ल ग$ क इ ब र म+ ज गरक बन न कC ह.

ओमपक श कश प

सदभ नकमणणक
1 The gana leaders should be respected as the worldly affairs (of the ganas) depend to a great extent upon them...the spy
(department) and the secrecy of counsel (should be left) to the chiefs, for it is not fit that the entire body of the gana
should hear those secret matters. The chiefs of gana should carry out together, in secret, works leading to the prosperity
of the gana , otherwise the wealth of the gana decays and it meets with danger. Mahabharata 12.107, trans. - by R.C.
Majumdar, Corporate Life, 251 as quoted by by Steve Muhlberger in Democracy in Ancient India.

2 ...the form of government was democratic and not regal. - Q. Curtius Rufus, History of Alexander the Great 9.8, Classical
Accounts, p. 151; Diodorus Siculus, Bibliotheca Historica 17.104, Classical Accounts, p. 180.

3 At last, however, after many years had gone, most of the cities adopted the democratic form of government, though
some retained the kingly until the invasion of the country by Alexander. - Diodorus Siculus 2.39, Classical Accounts, p. 236.

4 There was a complex vocabulary to describe the different types of groups that ran their own affairs. Some of these were
obviously warrior bands; others more peaceful groups with economic goals; some religious brotherhoods. Such an
organization, of whatever type, could be designated, almost indifferently, as a gana or a sangha; and similar though less
important bodies were labeled with the terms sreni, puga, or vrata. Gana and sangha, the most important of these terms,
originally meant “multitude.” By the sixth century B.C., these words meant both a self-governing multitude, in which
decisions were made by the members working in common, and the style of government characteristic of such groups.
In the case of the strongest of such groups, which acted as sovereign governments, the words are best translated as
“republic.” by Steve Muhlberger, Democracy in Ancient India.

5 'Republican polities were most common and vigorous in the Buddhist period, 600 B.C.-A.D. 200. At this time, India was
in the throes of urbanization. The Pali Canon gives a picturesque description of the city of Vesali in the fifth century
B.C. as possessing 7707 storied buildings, 7707 pinnacled buildings, 7707 parks and lotus ponds, and a multitude of
people, including the famous courtesan Ambapali, whose beauty and artistic achievements contributed mightily to the
city’s prosperity and reputation. The cities of Kapilavatthu and Kusavati were likewise full of traffic and noise. Moving
between these cities were great trading caravans of 500 or 1000 carts — figures that convey no precise measurement, but
give a true feeling of scale: caravans that stopped for more than four months in a single place, as they often did because
of the rainy season, were described as villages. Religion, too, was taking to the road.' - by Steve Muhlberger, Democracy in
Ancient India.

6 Furthermore, power in some republics was vested in a large number of individuals. In a well-known Jataka tale we are
told that in the Licchavi capital of Vesali, there were 7707 kings (rajas), 7707 viceroys, 7707 generals, and 7707
treasurers.- Jataka 149, trans. in The Jataka, or Stories of the Buddha’s Former Births, ed. E.B. Cowell, tr. by Various Hands, 6 vols. (1895;
reprint, London, 1957).

7 The Lalitavistara, in an obvious satirical jab, depicts Vesali as being full of Licchavi rajans, each one thinking, 'I am
king, I am king,” and thus a place where piety, age and rank were ignored.' - Khanna.

8 .…there was “a craze for constituting new republics” which “had reached its climax in the Vahika country and north-
west India where clans constituting of as many as one hundred families only organized themselves as Ganas.” By
V.S. Agrawala, India as Known to Panini: A study of the cultural material in the Ashatadhyayi as quoted by Steve Muhlberger.

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