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१ भु कब रे मलोगे
३ हरो जन क भीर
ह र तुम हरो जन क भीर।
ोपद क लाज राखी चट बढ़ायो चीर॥
भगत कारण प नर ह र धर।ह्यो आप
समीर॥
हर याकुस को मा र ली हो धर।ह्यो ना हन
धीर॥
बूड़तो गजराज रा यो कयौ बाहर नीर॥
दासी मीरा लाल गरधर चरणकंवल सीर॥
४ हांरो अरजी
७ कोई क हयौ रे
आवनक मनभावन
क।
आप न आवै लख न ह भेजै
बाण पड़ी
ललचावनक ।
ए दो नैण क ो न ह मानै
न दयां बहै जैसे सावन
क।
कहा क ं कछु न ह बस मेरो
पांख नह उड़
जावनक ।
मीरा कहै भु कब रे मलोगे
चेरी भै ं तेरे
दांवनक ।
८ खण लागे नैन
९ कल ना ह पड़त जस
१० आय मलौ मो ह
११ लोक-लाज त ज नाची
१२ म बैरागण ंगी
१४ मोरे ललन
१५ चतवौ जी मोरी ओर
१६ ाण अधार
१७ सरो न कोई
१८ हारे घर
१९ म अरज क ं
२० भु कबरे मलोगे
२२ आली रे
२३ भु गरधर नागर
बरसै बद रया सावन क
सावन क मनभावन क ।
सावन म उम यो मेरो मनवा
भनक सुनी ह र आवन क ।
उमड़ घुमड़ च ं द स से आयो
दामण दमके झर लावन क ।
ना ह ना ह बूंदन मेहा बरसै
सीतल पवन सोहावन क ।
मीराके भु गरधर नागर
आनंद मंगल गावन क ।
मन रे पर स ह रके चरण।
सुभग सीतल कंवल कोमल वध वाला
हरण।
जण चरण हलाद परसे इं पदवी धरण॥
जण चरण ुव अटल क हे राख अपनी
सरण।
जण चरण ांड भेटयो नख सखां सर
धरण॥
२५ पग घुंघ बांध
पग घुंघ ं बांध मीरा नाची रे॥
म तो मेरे नारायण क आप ह हो गै दासी
रे।
पग घुंघ ं बांध मीरा नाची रे।
लोग कहै मीरा भ बावरी यात कहै
कुलनासी रे।
पग घुंघ ं बांध मीरा नाची रे।
बष का याला राणाजी भे या पीवत मीरा
हाँसी रे।
पग घुंघ ं बांध मीरा नाची रे।
मीरा के भु गरधर नागर सहज मले
अ बनासी रे।
पग घुंघ ं बांध मीरा नाची रे।
२६ आ यो हारे दे स
बंसीवारा आ यो हारे दे स। सांवरी सुरत
वारी बेस॥
आऊं-आऊं कर गया जी कर गया कौल
अनेक।
गणता- गणता घस ग हारी आंग लया री
रेख॥
म बैरा गण आ दक जी थांरे हारे कदको
सनेस।
बन पाणी बन साबुण जी होय ग धोय
सफेद॥
जोगण होय जंगल सब हे ं छोड़ा ना कुछ
सैस।
तेरी सुरत के कारणे जी हे धर लया
भगवां भेस॥
मोर-मुकुट पीता बर सोहै घूंघरवाला केस।
मीरा के भु गरधर म लयां नो बढ़ै
सनेस॥
२८ क जो ीत खरी
३१ भु करपा क जौ
३३ पपैया रे
पपैया रे पवक बा ण न बोल।
सु ण पावेली बरहणी रे थारी रालेली पांख
मरोड़॥
चांच कटाऊं पपैया रे ऊपर कालोर लूण।
पव मेरा म पव क रे तू पव कहै स
कूण॥
थारा सबद सुहावणा रे जो पव मेला
आज।
चांच मंढ़ाऊं थारी सोवनी रे तू मेरे
सरताज॥
ीतम कूं प तयां लखूं रे कागा तूं ले
जाय।
जा ीतम जासूं यूं कहै रे थां र बरहण
धान न खाय॥
मीरा दासी याकुली रे पव- पव करत
बहाय।
बे ग मलो भु अंतरजामी तुम बनु र ौ न
जाय॥
३५ साजन घर आया हो
३७ सांचो ीतम
म गरधर के घर जाऊं।
गरधर हांरो सांचो ीतम दे खत प
लुभाऊं॥
रैण पड़ै तबही उठ जाऊं भोर भये उ ठ
आऊं।
रैन दना वाके संग खेलूं यूं त। ं ता ह
रझाऊं॥
जो प हरावै सोई प ह ं जो दे सोई खाऊं।
मेरी उणक ी त पुराणी उण बन पल न
रहाऊं।
जहां बैठाव ततही बैठं ू बेचै तो बक जाऊं।
मीरा के भु गरधर नागर बार बार ब ल
जाऊं॥
३८ सुभ है आज घरी
४१ भजन बना नर फ को
४३ भजो रे मन गो व दा
४५ हारो णाम
४६ मीरा क वनती छै जी
दरस हारे बे ग द यो जी
ओ जी अ तरजामी ओ राम खबर हारी
बे ग ली यो जी
आप बन मोहे कल ना पडत है जी
ओजी तडपत ं दन रैन रैन म नीर ढले
है जी
गुण तो भुजी म म एक नह छै जी
ओ जी अवगुण भरे ह अनेक अवगुण हारां
माफ करी यो जी
भगत बछल भु बड़द कहाये जी
ओ जी भगतन के तपाल सहाय आज
हांरी बे ग करी यो जी
दासी मीरा क वनती छै जी
ओजी आ द अ त क ओ लाज आज
हारी राख ली यो जी
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Last edited 10 months ago by Ankry