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गुरुत्व कामाारम द्राया प्रस्तुत भाससक ई-ऩत्रिका ससतम्फय- 2012

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गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका ई- जन्भ ऩत्रिका
ससतम्फय 2012

अत्माधुसनक ज्मोसतष ऩद्धसत द्राया


सॊऩादक
सचॊतन जोशी
सॊऩका
गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग उत्कृ द्श बत्रवष्मवाणी के साथ
गुरुत्व कामाारम
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बायतीम ऩयॊ ऩया भूर रुऩ से त्रवसबन्न धासभाक आस्थ औय त्रवद्वास ऩय आधारयत है । प्रद्लावरी
से बत्रवष्म ऻात कयने की ऩौयास्णक प्रथा ऩुयातन कार से ही चरी आयही हं । मफह कायण हं
की अनेको त्रवद्रानो अऩनी खोज एवॊ अनुबव के आधाय ऩय त्रवसबन्न प्रद्लावरीमं …4

बायतीम सॊस्कृ सत भं प्रत्मेक शुबकामा कयने के ऩूवा बगवान श्री गणेश जी की ऩूजा की जाती हं इसी
सरमे मे फकसी बी कामा का शुबायॊ ब कयने से ऩूवा कामा का "श्री गणेश कयना" कहा जाता हं । एवॊ
प्रत्मक शुब कामा मा अनुद्षान कयने के ऩूवा ‘‘श्री गणेशाम नभ्” का …6

बत्रवष्म ऻात प्रद्लावरी त्रवशेष भं ऩढे ़


त्रवशेष भं  प्रद्लावरी त्रवशेष 
सवा कामा ससत्रद्ध श्री गणेश सवाप्रथभ ऩूजनीम कैसे फने? 6 श्री याभ शराका प्रद्लावरी 40
गणेश ऩूजन हे तु शुब भुहूता 10 गौतभ केवरी भहात्रवद्या (प्रद्लावरी) 42
कवच …37 शुबकामं भं सवाप्रथभ गणेशजी .. 11 चंतीसा मन्ि द्राया बत्रवष्म ऻान प्रद्लावरी 48
सयर त्रवसध से श्री गणेश ऩूजन 12 बत्रवष्म ऻान के सरए यभर प्रद्लावरी 62
गणेश ऩूजन भं कोन से पूर चढाए। 18 श्री हनुभान प्रद्लावरी 64
शाऩके कायण गणऩसत ऩूजन भं तुरसी.. 19 श्री कृ ष्ण शराका प्रद्लावरी 66
गणेश के चभत्कायी भॊि 20 ऩमूष
ा ण का भहत्व 68
गणेश रक्ष्भी मॊि…91 गणेश ऩूजन से ग्रहऩीडा दयू होती हं । 23 हभाये उत्ऩाद 
गणेश चतुथॉ ऩय चॊद्र दशान सनषेध क्मं 24 भॊिससद्ध स्पफटक श्री मॊि 21
गणेश चतुथॉ ज्मोसतष की नजय भं 26 बाग्म रक्ष्भी फदब्फी 22
गणेशजी ने धायण फकमा ज्मोसतषी रुऩ 27 द्रादश भहा मॊि 27
वषा की त्रवसबन्न चतुथॉ व्रत का भहत्व 29 सवा कामा ससत्रद्ध कवच 37
नवयत्न जफित श्रीमॊि..72
भनोवाॊसछत परो फक प्रासद्ऱ हे तु ससत्रद्ध प्रद … 35 सवाससत्रद्धदामक भुफद्रका 46
गणेश ऩूजन से वास्तु दोष सनवायण 36 श्री हनुभान मॊि 73
ऩुरुषाकाय शसन भॊिससद्ध रक्ष्भी मॊिसूसच
गणेश वाहन भूषक केसे फना 38 74
मॊि…71 ससत्रद्ध त्रवनामक व्रत .. & सॊकद्शहय चतुथॉ व्रत .. 39 भॊि ससद्ध दै वी मॊि सूसच 74
गणेश जी की कथा 61 भॊि ससद्ध रूद्राऺ 76

 स्थामी औय अन्म रेख  भॊि ससद्ध दर


ु ब
ा साभग्री 76
सॊऩादकीम 4 श्रीकृ ष्ण फीसा मॊिकवच / 77
भाससक यासश पर 82 याभ यऺा मॊि 78
यासश यत्न…75 ससतम्फय 2102 भाससक ऩॊचाॊग 86 जैन धभाके त्रवसशद्श मॊि 79
ससतम्फय-2012 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय 88 घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि 80
ससतम्फय 2102 -त्रवशेष मोग 94 अभोद्य भहाभृत्मुॊजम कवच 81
दै सनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका 94 याशी यत्न एवॊ उऩयत्न 81
फदन-यात के चौघफडमे 95 शसन ऩीिा सनवायक 87
भॊि ससद्ध रूद्राऺ …79
फदन-यात फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक 96 सवा योगनाशक मॊि/ 98
ग्रह चरन ससतम्फय -2012 भॊि ससद्ध कवच
अभोद्य भहाभृत्मुज
ॊ म 97 100
सूचना 105 YANTRA LIST 101
कवच …81 हभाया उद्दे श्म 107 GEM STONE 103
त्रप्रम आस्त्भम

फॊध/ु फफहन

जम गुरुदे व
बायतीम ऩयॊ ऩया भूर रुऩ से त्रवसबन्न धासभाक आस्थ औय त्रवद्वास ऩय आधारयत है । प्रद्लावरी से बत्रवष्म ऻात
कयने की ऩौयास्णक प्रथा ऩुयातन कार से ही चरी आयही हं । मफह कायण हं की अनेको त्रवद्रानो अऩनी खोज एवॊ अनुबव
के आधाय ऩय त्रवसबन्न प्रद्लावरीमं की यचना की हं । स्जसके भाध्मभ से अऩने इद्श का ध्मान कयके, अऩने असबद्श
प्रद्लनं का सॊबत्रवत प्रद्लावरी से उत्तय प्राद्ऱ फकमा जा सकता हं । फतामा जाता हं की सैकडो़ वषा ऩूवा हभाये त्रवद्रानो ने
अऩने ऻान फर एवॊ खोज से सनधाारयत शब्धं एवॊ अॊको के भाध्म भं प्रद्लावरी की सॊयचना की, इस प्रद्लावरी के भाध्मभ
से व्मत्रि अऩने असतत की शुब-अशुब घटनाओॊ के यहस्म को सयरता से ऻात कय सकता हं ।
प्रद्लावरी से बत्रवष्म ऻात कयना सफसे सयर त्रवसध हं , क्मोकी, इस भं नाहीॊ कोई रॊफी चौिी गणनाएॊ हं नाही
कोई जफटर प्रणारी हं । फस अऩने प्रद्ल को स्भयण कयते हुवे सनधाारयत प्रद्लावरी ऩय शराका मा अऩनी अनासभका
अॊगुसर धुभाकय आसानी से ऻात फकमा जा सकता हं ।
कुछ जानकायं का भानना हं की प्रद्लावरी के भाध्मभ से एकदभ स्स्टक बत्रवष्मवाणी मा अऩने प्रद्लं का हर
प्राद्ऱ हो जामे मह सॊबव नहीॊ हं , क्मोफक प्रद्लावरी भं केवर उसे प्रस्तुत कयने वारे व्मत्रि के सनधाारयत उत्तय फह होते हं ,
जो की भनुष्म की वास्तत्रवक सभस्माओॊ का सॊऩूणा हर फता ऩामे मह सॊबव नहीॊ हं , रेफकन कुछ हद तक इस प्रद्लावरी
का उऩमोग त्रफना कोई फिा जोस्खभ उठामे अऩने भागादशान हे तु अवश्म फकमा जा सकता हं ।

ऩाठकं के भागादशान के सरमे प्रद्लावरी त्रवशेषाॊक फक प्रस्तुसत फक गई हं ।


सबी ऩाठको के भागादशान मा ऻानवधान के सरए प्रद्लावरी से सॊफॊसधत त्रवसबन्न उऩमोगी जानकायी इस अॊक भं त्रवसबन्न
ग्रॊथो एवॊ सनजी अनुबवो के आधाय ऩय सॊकसरत की गई हं । जानकाय एवॊ त्रवद्रान ऩाठको से अनुयोध हं , मफद प्रद्लावरी
से सॊफॊसधत त्रवषम भं सभम, स्थान, वस्तु, स्स्थसत इत्माफद के सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भं, फडजाईन भं, टाईऩीॊग
भं, त्रप्रॊफटॊ ग भं, प्रकाशन भं कोई िुफट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ सुधाय रं मा फकसी मोग्म जानकाय मा त्रवद्रान से सराह
त्रवभशा कय रे। क्मोफक प्रद्लावरी की त्रवसबन्न प्रणारी भं अॊतय होने के कायण एवॊ त्रवद्रानो के सनजी अनुबव व त्रवसबन्न
ग्रॊथो भं वस्णात प्रद्लावरी से सॊफॊसधत जानकायीमं भं एवॊ त्रवद्रानो के स्वमॊ के अनुबवो भं सबन्नता होने के कायण
प्रद्लावरी से सॊफॊसधत परकथन सबन्नता सॊबव हं ।

सबी जैन फॊधु/फहनो को ऩमुष


ा ण भहाऩवा की ढे यसायी शुबकाभनाएॊ औय
गुरुत्व कामाारम ऩरयवाय की औय से…

॥सभच्छाभी दक्
ु कड्भ ्॥

सचॊतन जोशी
5 ससतम्फय 2012

***** बत्रवष्म ऻात प्रद्लावरी से सॊफॊसधत त्रवशेष सूचना*****


 ऩत्रिका भं प्रकासशत प्रद्लावरी से सम्फस्न्धत सबी जानकायीमाॊ गुरुत्व कामाारम के असधकायं के साथ ही
आयस्ऺत हं ।
 ऩौयास्णक ग्रॊथो ऩय अत्रवद्वास यखने वारे व्मत्रि प्रद्लावरी के त्रवषम को भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हं ।
 प्रद्लावरी का त्रवषम आस्था एवॊ त्रवद्वास ऩय आधारयत होने के कायण इस अॊकभं वस्णात सबी जानकायीमा
बायसतम ग्रॊथो से प्रेरयत होकय सरखी गई हं ।
 प्रद्लावरी से सॊफॊसधत त्रवषमो फक सत्मता अथवा प्राभास्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक स्जन्भेदायी कामाारम मा
सॊऩादक फक नहीॊ हं ।
 प्रद्लावरी भं वस्णात सॊफॊसधत बत्रवष्मवाणी फक प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक
फक नहीॊ हं औय ना हीॊ प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी के फाये भं जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक
फकसी बी प्रकाय से फाध्म हं ।
 प्रद्लावरी से सॊफॊसधत रेखो भं ऩाठक का अऩना त्रवद्वास होना आवश्मक हं । फकसी बी व्मत्रि त्रवशेष को फकसी
बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवद्वास कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम उनका स्वमॊ का होगा।
 प्रद्लावरी से सॊफॊसधत ऩाठक द्राया फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।
 प्रद्लावरी से सॊफॊसधत रेख प्राभास्णक ग्रॊथो, हभाये वषो के अनुबव एव अनुशॊधान के आधाय ऩय फदमे गमे हं ।
 हभ फकसी बी व्मत्रि त्रवशेष द्राया प्रद्लावरी ऩय त्रवद्वास फकए जाने ऩय उसके राब मा नुक्शान की स्जन्भेदायी
नफहॊ रेते हं । मह स्जन्भेदायी प्रद्लावरी ऩय त्रवद्वास कयने वारे मा उसका प्रमोग कयने वारे व्मत्रि फक स्वमॊ फक
होगी।
 क्मोफक इन त्रवषमो भं नैसतक भानदॊ डं, साभास्जक, कानूनी सनमभं के स्खराप कोई व्मत्रि मफद नीजी स्वाथा
ऩूसता हे तु प्रद्लावरी का प्रमोग कताा हं अथवा प्रद्लावरी के उऩमोग कयने भे िुफट यखता हं मा उससे िुफट होती
हं तो इस कायण से प्रसतकूर अथवा त्रवऩरयत ऩरयणाभ सभरने बी सॊबव हं ।
 प्रद्लावरी से सॊफॊसधत जानकायी को भानकय उससे प्राद्ऱ होने वारे राब, हानी फक स्जन्भेदायी कामाारम मा
सॊऩादक फक नहीॊ हं ।
 हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे प्रद्लावरी ऩय आधारयत रेखं भं वस्णात जानकायी को हभने कई फाय स्वमॊ ऩय एवॊ
अन्म हभाये फॊधग
ु ण ने बी अऩने नीजी जीवन भं अनुबव फकमा हं । स्जस्से हभ कई फाय प्रद्लावरी के आधाय
ऩय स्स्टक उत्तय की प्रासद्ऱ हुई हं । असधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भं सॊऩका कय सकते हं ।

(सबी त्रववादो केसरमे केवर बुवनेद्वय न्मामारम ही भान्म होगा।


6 ससतम्फय 2012

श्री गणेश सबी दे वताओॊ भं सवाप्रथभ ऩूजनीम कैसे फने?


 सचॊतन जोशी

बायतीम सॊस्कृ सत भं प्रत्मेक शुबकामा कयने के ऩूवा कथा इस प्रकाय हं : तीनो रोक भं सवाप्रथभ कौन ऩूजनीम
बगवान श्री गणेश जी की ऩूजा की जाती हं इसी सरमे मे हो?, इस फात को रेकय सभस्त दे वताओॊ भं त्रववाद खडा हो
फकसी बी कामा का शुबायॊ ब कयने से ऩूवा कामा का "श्री गमा। जफ इस त्रववादने फडा रुऩ धायण कय सरमे तफ
गणेश कयना" कहा जाता हं । एवॊ प्रत्मक शुब कामा मा सबी दे वता अऩने-अऩने फर फुत्रद्धअ के फर ऩय दावे
अनुद्षान कयने के ऩूवा ‘‘श्री गणेशाम नभ्” का उच्चायण प्रस्तुत कयने रगे। कोई ऩयीणाभ नहीॊ आता दे ख सफ
फकमा जाता हं । गणेश को सभस्त ससत्रद्धमं को दे ने वारा दे वताओॊ ने सनणाम सरमा फक चरकय बगवान श्री त्रवष्णु
भाना गमा है । सायी ससत्रद्धमाॉ गणेश भं वास कयती हं । को सनणाामक फना कय उनसे पैसरा कयवामा जाम।

इसके ऩीछे भुख्म कायण हं की बगवान श्री गणेश सबी दे व गण त्रवष्णु रोक भे उऩस्स्थत हो गमे,
सभस्त त्रवघ्ननं को टारने वारे हं , दमा एवॊ बगवान त्रवष्णु ने इस भुद्दे को गॊबीय होते
कृ ऩा के असत सुॊदय भहासागय हं , दे ख श्री त्रवष्णु ने सबी दे वताओॊ
एवॊ तीनो रोक के कल्माण को अऩने साथ रेकय
हे तु बगवान गणऩसत सशवरोक भं ऩहुच गमे।
सफ प्रकाय से मोग्म हं । सशवजी ने कहा इसका
सभस्त त्रवघ्नन फाधाओॊ सही सनदान सृत्रद्शकताा
को दयू कयने वारे गणेश ब्रह्माजी फह फताएॊगे।
त्रवनामक हं । गणेशजी सशवजी श्री त्रवष्णु एवॊ
त्रवद्या-फुत्रद्ध के अथाह अन्म दे वताओॊ के साथ
सागय एवॊ त्रवधाता हं । सभरकय ब्रह्मरोक ऩहुचं

बगवान गणेश को सवा औय ब्रह्माजी को सायी फाते

प्रथभ ऩूजे जाने के त्रवषम भं कुछ त्रवस्ताय से फताकय उनसे पैसरा

त्रवशेष रोक कथा प्रचसरत हं । इन त्रवशेष एवॊ रोकत्रप्रम कयने का अनुयोध फकमा। ब्रह्माजी ने कहा प्रथभ

कथाओॊ का वणान महा कय यहं हं । ऩूजनीम वहीॊ होगा जो जो ऩूये ब्रह्माण्ड के तीन चक्कय
रगाकय सवाप्रथभ रौटे गा।
इस के सॊदबा भं एक कथा है फक भहत्रषा वेद व्मास ने
भहाबायत को से फोरकय सरखवामा था, स्जसे स्वमॊ गणेशजी सभस्त दे वता ब्रह्माण्ड का चक्कय रगाने के सरए अऩने

ने सरखा था। अन्म कोई बी इस ग्रॊथ को तीव्रता से सरखने भं अऩने वाहनं ऩय सवाय होकय सनकर ऩिे । रेफकन, गणेशजी

सभथा नहीॊ था। का वाहन भूषक था। बरा भूषक ऩय सवाय हो गणेश कैसे
ब्रह्माण्ड के तीन चक्कय रगाकय सवाप्रथभ रौटकय सपर
होते। रेफकन गणऩसत ऩयभ त्रवद्या-फुत्रद्धभान एवॊ चतुय थे।
सवाप्रथभ कौन ऩूजनीम हो?
7 ससतम्फय 2012

गणऩसत ने अऩने वाहन भूषक ऩय सवाय हो कय अऩने ऩूजा कयं गे, फकन्तु तुम्हायी ऩूजा नहीॊ कयं गे, उन्हं तुभ
भाता-त्रऩत फक तीन प्रदस्ऺणा ऩूयी की औय जा ऩहुॉचे सनणाामक त्रवघ्ननं द्राया फाधा ऩहुॉचाओगे।
ब्रह्माजी के ऩास। ब्रह्माजी ने जफ ऩूछा फक वे क्मं नहीॊ गए जन्भ की कथा बी फिी योचक है ।
ब्रह्माण्ड के चक्कय ऩूये कयने, तो गजाननजी ने जवाफ फदमा फक
गणेशजी की ऩौयास्णक कथा
भाता-त्रऩत भं तीनं रोक, सभस्त ब्रह्माण्ड, सभस्त तीथा,
बगवान सशव फक अन
सभस्त दे व औय सभस्त ऩुण्म त्रवद्यभान
उऩस्स्थसत भं भाता ऩावाती ने त्रवचाय
होते हं ।
फकमा फक उनका स्वमॊ का एक सेवक
अत् जफ भंने अऩने भाता-त्रऩत होना चाफहमे, जो ऩयभ शुब, कामाकुशर
की ऩरयक्रभा ऩूयी कय री, तो इसका तथा उनकी आऻा का सतत ऩारन
तात्ऩमा है फक भंने ऩूये ब्रह्माण्ड की कयने भं कबी त्रवचसरत न हो। इस
प्रदस्ऺणा ऩूयी कय री। उनकी मह प्रकाय सोचकय भाता ऩावाती नं अऩने
तकासॊगत मुत्रि स्वीकाय कय री गई औय भॊगरभम ऩावनतभ शयीय के भैर से
इस तयह वे सबी रोक भं सवाभान्म अऩनी भामा शत्रि से फार गणेश को
'सवाप्रथभ ऩूज्म' भाने गए। भॊि ससद्ध ऩन्ना गणेश उत्ऩन्न फकमा।
सरॊगऩुयाण के अनुसाय (105। एक सभम जफ भाता ऩावाती
बगवान श्री गणेश फुत्रद्ध औय सशऺा के
15-27) – एक फाय असुयं से िस्त कायक ग्रह फुध के असधऩसत दे वता
भानसयोवय भं स्नान कय यही थी तफ
दे वतागणं द्राया की गई प्राथाना से हं । ऩन्ना गणेश फुध के सकायात्भक उन्हंने स्नान स्थर ऩय कोई आ न
बगवान सशव ने सुय-सभुदाम को प्रबाव को फठाता हं एवॊ नकायात्भक सके इस हे तु अऩनी भामा से गणेश को
असबद्श वय दे कय आद्वस्त फकमा। कुछ प्रबाव को कभ कयता हं ।. ऩन्न जन्भ दे कय 'फार गणेश' को ऩहया दे ने
ही सभम के ऩद्ळात तीनो रोक के गणेश के प्रबाव से व्माऩाय औय धन के सरए सनमुि कय फदमा।
दे वासधदे व भहादे व बगवान सशव का भं वृत्रद्ध भं वृत्रद्ध होती हं । फच्चो फक इसी दौयान बगवान सशव उधय
भाता ऩावाती के सम्भुख ऩयब्रह्म स्वरूऩ ऩढाई हे तु बी त्रवशेष पर प्रद हं आ जाते हं । गणेशजी सशवजी को योक
ऩन्ना गणेश इस के प्रबाव से फच्चे
गणेश जी का प्राकट्म हुआ। कय कहते हं फक आऩ उधय नहीॊ जा
फक फुत्रद्ध कूशाग्र होकय उसके
सवात्रवघ्ननेश भोदक त्रप्रम गणऩसतजी का सकते हं । मह सुनकय बगवान सशव
आत्भत्रवद्वास भं बी त्रवशेष वृत्रद्ध होती
जातकभााफद सॊस्काय के ऩद्ळात ् बगवान क्रोसधत हो जाते हं औय गणेश जी को
हं । भानससक अशाॊसत को कभ कयने भं
सशव ने अऩने ऩुि को उसका कताव्म यास्ते से हटने का कहते हं फकॊतु गणेश
भदद कयता हं , व्मत्रि द्राया अवशोत्रषत
सभझाते हुए आशीवााद फदमा फक जो हयी त्रवफकयण शाॊती प्रदान कयती हं ,
जी अिे यहते हं तफ दोनं भं मुद्ध हो

तुम्हायी ऩूजा फकमे त्रफना ऩूजा ऩाठ, व्मत्रि के शायीय के तॊि को सनमॊत्रित जाता है । मुद्ध के दौयान क्रोसधत होकय

अनुद्षान इत्माफद शुब कभं का कयती हं । स्जगय, पेपिे , जीब, सशवजी फार गणेश का ससय धि से

अनुद्षान कये गा, उसका भॊगर बी भस्स्तष्क औय तॊत्रिका तॊि इत्माफद योग अरग कय दे ते हं । सशव के इस कृ त्म

अभॊगर भं ऩरयणत हो जामेगा। जो भं सहामक होते हं । कीभती ऩत्थय का जफ ऩावाती को ऩता चरता है तो वे
भयगज के फने होते हं । त्रवराऩ औय क्रोध से प्ररम का सृजन
रोग पर की काभना से ब्रह्मा, त्रवष्णु,
इन्द्र अथवा अन्म दे वताओॊ की बी Rs.550 से Rs.8200 तक कयते हुए कहती है फक तुभने भेये ऩुि
को भाय डारा।
8 ससतम्फय 2012

ऩावातीजी के द्ु ख को दे खकय सशवजी ने उऩस्स्थत नहीॊ फकमा। ऩयन्तु भाता ऩावाती के फाय-फाय कहने ऩय
गणको आदे श दे ते हुवे कहा सफसे ऩहरा जीव सभरे, उसका शसनदे व नं जेसे फह अऩनी द्रत्रद्श सशशु फारके उऩय ऩडी,
ससय काटकय इस फारक के धि ऩय रगा दो, तो मह फारक उसी ऺण फारक गणेश का गदा न धि से अरग हो
जीत्रवत हो उठे गा। सेवको को सफसे ऩहरे हाथी का एक फच्चा गमा। भाता ऩावाती के त्रवरऩ कयने ऩय बगवान ् त्रवष्णु
सभरा। उन्हंने उसका ससय राकय फारक के धि ऩय रगा फदमा, ऩुष्ऩबद्रा नदी के अयण्म से एक गजसशशु का भस्तक
फारक जीत्रवत हो उठा। काटकय रामे औय गणेशजी के भस्तक ऩय रगा फदमा।
उस अवसय ऩय तीनो दे वताओॊ ने उन्हं सबी रोक गजभुख रगे होने के कायण कोई गणेश फक उऩेऺा न
भं अग्रऩूज्मता का वय प्रदान फकमा औय उन्हं सवा अध्मऺ कये इस सरमे बगवान त्रवष्णु अन्म दे वताओॊ के साथ भं
ऩद ऩय त्रवयाजभान फकमा। स्कॊद ऩुयाण तम फकम फक गणेश सबी भाॊगरीक कामो भं अग्रणीम
ब्रह्मवैवताऩुयाण के अनुसाय (गणऩसतखण्ड) – ऩूजे जामंगे एवॊ उनके ऩूजन के त्रफना कोई बी दे वता ऩूजा
सशव-ऩावाती के त्रववाह होने के फाद उनकी कोई ग्रहण नहीॊ कयं गे।
सॊतान नहीॊ हुई, तो सशवजी ने ऩावातीजी से बगवान इस ऩय बगवान ् त्रवष्णु ने श्रेद्षतभ उऩहायं से
त्रवष्णु के शुबपरप्रद ‘ऩुण्मक’ व्रत कयने को कहा ऩावाती बगवान गजानन फक ऩूजा फक औय वयदान फदमा फक
के ‘ऩुण्मक’ व्रत से बगवान त्रवष्णु ने प्रसन्न हो कय
सवााग्रे तव ऩूजा च भमा दत्ता सुयोत्तभ।
ऩावातीजी को ऩुि प्रासद्ऱ का वयदान फदमा। ‘ऩुण्मक’ व्रत के
प्रबाव से ऩावातीजी को एक ऩुि उत्ऩन्न हुवा। सवाऩूज्मद्ळ मोगीन्द्रो बव वत्सेत्मुवाच तभ ्।।

ऩुि जन्भ फक फात सुन कय सबी दे व, ऋत्रष, (गणऩसतखॊ. 13। 2)

गॊधवा आफद सफ गण फारक के दशान हे तु ऩधाये । इन दे व बावाथा: ‘सुयश्रेद्ष! भंने सफसे ऩहरे तुम्हायी ऩूजा फक है ,
गणो भं शसन भहायाज बी उऩस्स्थत हुवे। फकन्तु शसनदे व अत् वत्स! तुभ सवाऩूज्म तथा मोगीन्द्र हो जाओ।’
ने ऩत्नी द्राया फदमे गमे शाऩ के कायण फारक का दशान ब्रह्मवैवता ऩुयाण भं ही एक अन्म प्रसॊगान्तगात ऩुिवत्सरा

दग
ु ाा फीसा मॊि
शास्त्रोि भत के अनुशाय दग
ु ाा फीसा मॊि दब
ु ााग्म को दयू कय व्मत्रि के सोमे हुवे बाग्म को जगाने वारा भाना
गमा हं । दग
ु ाा फीसा मॊि द्राया व्मत्रि को जीवन भं धन से सॊफॊसधत सॊस्माओॊ भं राब प्राद्ऱ होता हं । जो व्मत्रि
आसथाक सभस्मासे ऩये शान हं, वह व्मत्रि मफद नवयािं भं प्राण प्रसतत्रद्षत फकमा गमा दग
ु ाा फीसा मॊि को
स्थासद्ऱ कय रेता हं , तो उसकी धन, योजगाय एवॊ व्मवसाम से सॊफॊधी सबी सभस्मं का शीघ्र ही अॊत होने रगता
हं । नवयाि के फदनो भं प्राण प्रसतत्रद्षत दग
ु ाा फीसा मॊि को अऩने घय-दक
ु ान-ओफपस-पैक्टयी भं स्थात्रऩत कयने
से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं , व्मत्रि शीघ्र ही अऩने व्माऩाय भं वृत्रद्ध एवॊ अऩनी आसथाक स्स्थती भं सुधाय होता
दे खंगे। सॊऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा चैतन्म दग
ु ाा फीसा मॊि को शुब भुहूता भं अऩने घय-दक
ु ान-ओफपस भं
स्थात्रऩत कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । भूल्म: Rs.730 से Rs.10900 तक

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9 ससतम्फय 2012

ऩावाती ने गणेश भफहभा का फखान कयते हुए ऩयशुयाभ से आकाशस्मासधऩो त्रवष्णुयग्नेद्ळैव भहे द्वयी।
कहा – वामो् सूम्ा स्ऺतेयीशो जीवनस्म गणासधऩ्।।
त्वफद्रधॊ रऺकोफटॊ च हन्तुॊ शिो गणेद्वय्। बावाथा:- क्रभ इस प्रकाय हं भहाबूत असधऩसत

स्जतेस्न्द्रमाणाॊ प्रवयो नफह हस्न्त च भस्ऺकाभ ्।। 1. स्ऺसत (ऩृथ्वी) सशव


2. अऩ ् (जर) गणेश
तेजसा कृ ष्णतुल्मोऽमॊ कृ ष्णाॊद्ळ गणेद्वय्।
3. तेज (अस्ग्न) शत्रि (भहे द्वयी)
दे वाद्ळान्मे कृ ष्णकरा् ऩूजास्म ऩुयतस्तत्।। 4. भरूत ् (वामु) सूमा (अस्ग्न)
(ब्रह्मवैवताऩु., गणऩसतख., 44। 26-27) 5. व्मोभ (आकाश) त्रवष्णु

बावाथा: स्जतेस्न्द्रम ऩुरूषं भं श्रेद्ष गणेश तुभभं जैसे बगवान ् श्रीसशव ऩृथ्वी तत्त्व के असधऩसत होने के
राखं-कयोिं जन्तुओॊ को भाय डारने की शत्रि है ; ऩयन्तु कायण उनकी सशवसरॊग के रुऩ भं ऩासथाव-ऩूजा का त्रवधान
तुभने भक्खी ऩय बी हाथ नहीॊ उठामा। श्रीकृ ष्ण के अॊश हं । बगवान ् त्रवष्णु के आकाश तत्त्व के असधऩसत होने के
से उत्ऩन्न हुआ वह गणेश तेज भं श्रीकृ ष्ण के ही सभान कायण उनकी शब्दं द्राया स्तुसत कयने का त्रवधान हं ।
है । अन्म दे वता श्रीकृ ष्ण की कराएॉ हं । इसीसे इसकी बगवती दे वी के अस्ग्न तत्त्व का असधऩसत होने के कायण
अग्रऩूजा होती है । उनका अस्ग्नकुण्ड भं हवनाफद के द्राया ऩूजा कयने का

शास्त्रीम भतसे त्रवधान हं । श्रीगणेश के जरतत्त्व के असधऩसत होने के


कायण उनकी सवाप्रथभ ऩूजा कयने का त्रवधान हं , क्मंफक
शास्त्रोभं ऩॊचदे वं की उऩासना कयने का त्रवधान हं ।
ब्रह्माॊद भं सवाप्रथभ उत्ऩन्न होने वारे जीव तत्त्व ‘जर’ का
आफदत्मॊ गणनाथॊ च दे वीॊ रूद्रॊ च केशवभ ्। असधऩसत होने के कायण गणेशजी ही प्रथभ ऩूज्म के
ऩॊचदै वतसभत्मुिॊ सवाकभासु ऩूजमेत ्।। (शब्दकल्ऩद्रभ
ु ) असधकायी होते हं ।
बावाथा: - ऩॊचदे वं फक उऩासना का ब्रह्माॊड के ऩॊचबूतं के आचामा भनु का कथन है -
साथ सॊफॊध है । ऩॊचबूत ऩृथ्वी, जर, तेज, वामु औय आकाश
“अऩ एच ससजाादौ तासु फीजभवासृजत ्।” (भनुस्भृसत 1)
से फनते हं । औय ऩॊचबूत के आसधऩत्म के कायण से
आफदत्म, गणनाथ(गणेश), दे वी, रूद्र औय केशव मे ऩॊचदे व बावाथा:

बी ऩूजनीम हं । हय एक तत्त्व का हय एक दे वता स्वाभी हं - इस प्रभाण से सृत्रद्श के आफद भं एकभाि वताभान जर का


असधऩसत गणेश हं ।

भॊि ससद्ध दर
ु ब
ा साभग्री
हत्था जोडी- Rs- 370 घोडे की नार- Rs.351 भामा जार- Rs- 251
ससमाय ससॊगी- Rs- 370 दस्ऺणावतॉ शॊख- Rs- 550 इन्द्र जार- Rs- 251
त्रफल्री नार- Rs- 370 भोसत शॊख- Rs- 550 धन वृत्रद्ध हकीक सेट Rs-251
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10 ससतम्फय 2012

गणेश ऩूजन हे तु शुब भुहूता


 सचॊतन जोशी
वैऻासनक ऩद्धसत के अनुसाय ब्रह्माॊड भं सभम व अनॊत आकाश के असतरयि सभस्त वस्तुएॊ
भमाादा मुि हं । स्जस प्रकाय सभम का न ही कोई प्रायॊ ब है न ही कोई अॊत है । अनॊत आकाश की बी
सभम की तयह कोई भमाादा नहीॊ है । इसका कहीॊ बी प्रायॊ ब मा अॊत नहीॊहोता। आधुसनक भानव ने इन
दोनं तत्वं को हभेशा सभझने का व अऩने अनुसाय इनभं भ्रभण कयने का प्रमास फकमा हं ऩयन्तु उसे
सपरता प्राद्ऱ नहीॊ हुई है ।
साभान्मत् भुहूता का अथा है फकसी बी कामा को कयने के सरए सफसे शुब सभम व सतसथ चमन
कयना। कामा ऩूणत
ा ् परदामक हो इसके सर, सभस्त ग्रहं व अन्म ज्मोसतष तत्वं का तेज इस प्रकाय
केस्न्द्रत फकमा जाता है फक वे दष्ु प्रबावं को त्रवपर कय दे ते हं । वे भनुष्म की जन्भ कुण्डरी की
सभस्त फाधाओॊ को हटाने भं व दम
ु ोगो को दफाने मा घटाने भं सहामक होते हं ।
शुब भुहूता ग्रहो का ऎसा अनूठा सॊगभ है फक वह कामा कयने वारे व्मत्रि को ऩूणत
ा ् सपरता की
ओय अग्रस्त कय दे ता है ।
फहन्द ू धभा भं शुब कामा केवर शुब भुहूता दे खकय फकए जाने का त्रवधान हं । इसी त्रवधान के
अनुसाय श्रीगणेश चतुथॉ के फदन बगवान श्रीगणेश की स्थाऩना के श्रेद्ष भुहूता आऩकी अनुकूरता हे तु
दशााने का प्रमास फकमा जा यहा हं । फहन्द ू धभा ग्रॊथं के अनुसाय शुब भुहूता दे खकय फकए गए कामा
सनस्द्ळत शुब व सपरता दे ने वारे होते हं ।
श्रीगणेश चतुथॉ के सरमे (19 ससतॊफय 2012 फुधवाय)
प्रात् 6: 08 से 7:38 तक राब
सुफह 7: 38 से 9:08 तक अभृत
सुफह 10:38 से 12:08 तक शुब
सॊध्मा् 4:38 से 6:08 तक राब
अन्म शुब सभम
वृस्द्ळक रग्न भं (10:36 से दोऩहय 12:55 तक ) तथा कॊु ब रग्न भं (सॊध्मा 04:41 से सॊध्मा 06:09
तक) बगवान श्रीगणेश प्रसतभा की स्थाऩना की जा सकती हं ।
क्मंफक ज्मोसतष के अनुशाय वृस्द्ळक औय कॊु ब दोनं स्स्थय रग्न हं । स्स्थय रग्न भं फकमा गमा कोई बी
शुब कामा स्थाई होता हं ।
त्रवद्रानो के भतानुशाय शुब प्रायॊ ब मासन आधा कामा स्वत् ऩूण।ा
11 ससतम्फय 2012

शुबकामं भं सवाप्रथभ गणेशजी की ऩूजा क्मं होती हं ?

 सचॊतन जोशी
गणऩसत शब्द का अथा हं ।

गण(सभूह)+ऩसत (स्वाभी) = सभूह के स्वाभी को सेनाऩसत अथाात गणऩसत कहते हं । भानव शयीय भं ऩाॉच
ऻानेस्न्द्रमाॉ, ऩाॉच कभेस्न्द्रमाॉ औय चाय अन्त्कयण होते हं । एवॊ इस शत्रिओॊ को जो शत्रिमाॊ सॊचासरत कयती हं उन्हीॊ को
चौदह दे वता कहते हं । इन सबी दे वताओॊ के भूर प्रेयक हं बगवान श्रीगणेश।

बगवान गणऩसत शब्दब्रह्म अथाात ् ओॊकाय के प्रतीक हं , इनकी भहत्व का मह हीॊ भुख्म कायण हं ।

श्रीगणऩत्मथवाशीषा भं वस्णात हं ओॊकाय का ही व्मि स्वरूऩ गणऩसत दे वता हं । इसी कायण सबी प्रकाय के शुब
भाॊगसरक कामं औय दे वता-प्रसतद्षाऩनाओॊ भं बगवान गणऩसत फक प्रथभ ऩूजा फक जाती हं । स्जस प्रकाय से प्रत्मेक भॊि
फक शत्रि को फढाने के सरमे भॊि के आगं ॐ (ओभ ्) आवश्मक रगा होता हं । उसी प्रकाय प्रत्मेक शुब भाॊगसरक कामं
के सरमे ऩय बगवान ् गणऩसत की ऩूजा एवॊ स्भयण असनवामा भानी गई हं । इस सबी शास्त्र एवॊ वैफदक धभा, सम्प्रदामं ने
इस प्राचीन ऩयम्ऩया को एक भत से स्वीकाय फकमा हं इसका सदीमं से बगवान गणेश जी क प्रथभ ऩूजन कयने फक
ऩयॊ ऩया का अनुसयण कयते चरे आयहे हं ।

गणेश जी की ही ऩूजा सफसे ऩहरे क्मं होती है , इसकी ऩौयास्णक कथा इस प्रकाय है -

ऩद्मऩुयाण के अनुसाय (सृत्रद्शखण्ड 61। 1 से 63। 11) –

एक फदन व्मासजी के सशष्म ने अऩने गुरूदे व को प्रणाभ

कयके प्रद्ल फकमा फक गुरूदे व! आऩ भुझे दे वताओॊ के ऩूजन का सुसनस्द्ळत क्रभ फतराइमे। प्रसतफदन फक ऩूजा भं सफसे
ऩहरे फकसका ऩूजन कयना चाफहमे ?

तफ व्मासजी ने कहा: त्रवघ्ननं को दयू कयने के सरमे सवाप्रथभ गणेशजी की ऩूजा कयनी चाफहमे। ऩूवक
ा ार भं
ऩावाती दे वी को दे वताओॊ ने अभृत से तैमाय फकमा हुआ एक फदव्म भोदक फदमा। भोदक दे खकय दोनं फारक (स्कन्द
तथा गणेश) भाता से भाॉगने रगे। तफ भाता ने भोदक के प्रबावं का वणान कयते हुए कहा फक तुभ दोनो भं से जो
धभााचयण के द्राया श्रेद्षता प्राद्ऱ कयके आमेगा, उसी को भं मह भोदक दॉ ग
ू ी। भाता की ऐसी फात सुनकय स्कन्द भमूय ऩय
आरूढ़ हो कय अल्ऩ भुहूतब
ा य भं सफ तीथं की स्न्नान कय सरमा। इधय रम्फोदयधायी गणेशजी भाता-त्रऩता की ऩरयक्रभा
कयके त्रऩताजी के सम्भुख खिे हो गमे। तफ ऩावातीजी ने कहा- सभस्त तीथं भं फकमा हुआ स्न्नान, सम्ऩूणा दे वताओॊ को
फकमा हुआ नभस्काय, सफ मऻं का अनुद्षान तथा सफ प्रकाय के व्रत, भन्ि, मोग औय सॊमभ का ऩारन- मे सबी साधन
भाता-त्रऩता के ऩूजन के सोरहवं अॊश के फयाफय बी नहीॊ हो सकते।

इससरमे मह गणेश सैकिं ऩुिं औय सैकिं गणं से बी फढ़कय श्रेद्ष है । अत् दे वताओॊ का फनामा हुआ मह भोदक भं
गणेश को ही अऩाण कयती हूॉ। भाता-त्रऩता की बत्रि के कायण ही गणेश जी की प्रत्मेक शुब भॊगर भं सफसे ऩहरे ऩूजा
होगी। तत्ऩद्ळात ् भहादे वजी फोरे- इस गणेश के ही अग्रऩूजन से सम्ऩूणा दे वता प्रसन्न हंजाते हं । इस सरमे तुभहं
सवाप्रथभ गणेशजी की ऩूजा कयनी चाफहमे।
12 ससतम्फय 2012

सयर त्रवसध से श्री गणेश ऩूजन


 त्रवजम ठाकुय
श्री गणेशजी की ऩूजा से व्मत्रि को फुत्रद्ध, त्रवद्या, ऩत्रवि कयण:
त्रववेक योग, व्मासध एवॊ सभस्त त्रवध्न-फाधाओॊ का स्वत् सफसे ऩहरे ऩूजन साभग्री व गणेश प्रसतभा सचि ऩत्रवि
नाश होता है कयण कयं
श्री गणेशजी की कृ ऩा प्राद्ऱ होने से व्मत्रि के अऩत्रवि् ऩत्रविो वा सवाावस्थाॊ गतो त्रऩ वा।
भुस्श्कर से भुस्श्कर कामा बी आसान हो जाते हं । म् स्भये त ् ऩुण्डयीकाऺॊ स फाह्याभ्मन्तय् शुसच्॥
स्जन रोगो को व्मवसाम-नौकयी भं त्रवऩयीत इस भॊि से शयीय औय ऩूजन साभग्री ऩय जर छीटं इसे
ऩरयणाभ प्राद्ऱ हो यहे हं, ऩारयवारयक तनाव, आसथाक तॊगी, अॊदय फाहय औय फहाय दोनं शुद्ध हो जाता है
योगं से ऩीिा हो यही हो एवॊ व्मत्रि को अथक भेहनत
कयने के उऩयाॊत बी नाकाभमाफी, द:ु ख, सनयाशा प्राद्ऱ हो आचभन:

यही हो, तो एसे व्मत्रिमो की सभस्मा के सनवायण हे तु ॐ केशवाम नभ:

चतुथॉ के फदन मा फुधवाय के फदन श्री गणेशजी की ॐ नायामण नभ:

त्रवशेष ऩूजा-अचाना कयने का त्रवधान शास्त्रं भं फतामा हं । ॐ भध्वामे नभ:

स्जसके पर से व्मत्रि की फकस्भत फदर जाती हं हस्तो प्रऺल्म हसशाकेशम नभ :

औय उसे जीवन भं सुख, सभृत्रद्ध एवॊ ऎद्वमा की प्रासद्ऱ होती


आसान सुत्रद्ध:
हं । श्री गणेश जी का ऩूजन अरग-अरग उद्दे श्म एवॊ
ॐ ऩृथ्वी त्वमा धृता रोका दे त्रव त्व त्रवद्गणुनाधृता्।
काभनाऩूसता हे तु अरग-अरग भॊि व त्रवसध-त्रवधान से
त्व च धायम भा दे त्रव ऩत्रवि कुरू च आसनभ॥्
फकमा जाता हं , इस सरमे महाॊ दशााई गई ऩूजन त्रवसध भं
अॊतय होना साभान्म हं । यऺा भॊि:
सबी ऩाठको के भागादशान हे तु श्री गणेश जी का 'अऩक्राभन्तु बूतासन त्रऩशाचा् सवातो फदशा।
ऩूजन त्रवधान फदमा जा यहा हं । सवेषाभवयोधेन ब्रह्मकभा सभायबे।
अऩसऩान्तु ते बूता् मे बूता् बूसभसॊस्स्थता्।
गणेश ऩूजा:
मे बूता त्रवनकताायस्ते नद्शन्तु सशवाऻमा।'
इस भॊि से दशं फदशाओॊ भं त्रऩरा सयसं सछटके स्जसेस
ऩूजन साभग्री :
सभस्त बूत प्रेत फाधाओॊ का सनवायण होता है
कुॊकुॊभ, केसय, ससॊदयू , अवीय-गुरार, ऩुष्ऩ औय भारा,
चारव, ऩान, सुऩायी, ऩॊचाभृत, ऩॊचभेवा, गॊगाजर, स्वस्ती वाचन:
त्रफरऩि, धूऩ-दीऩ, नैवैद्य भं रड्डू )रड्डू 3 ,5,7, 11त्रवषभ स्वस्स्त न इन्द्रो वृद्धश्रवा :स्वस्स्त न :ऩूषा त्रवद्ववेदा:।
सॊख्मा भं (मा गूड अथवा सभश्री का प्रसाद रगाएॊ। रंग, स्वस्स्तनस्ता यऺो अरयद्शनेसभ :स्वस्स्त नो फृहस्ऩसतादधात॥
इरामची, नायीमर, करश, 1सभटय रार कऩडा, फयक, इस के फाद श्री गणेश जी के भॊगर ऩाठ कयना चाफहए
इि, जनेऊ, त्रऩरी सयसं, इत्माफद आवश्मक साभग्रीमाॊ। जो की इस प्रकाय है
13 ससतम्फय 2012

गणेश जी का भॊगर ऩाठ: रॊफोदयद्ळ त्रवकटो त्रवघ्नननाशो त्रवनामक्।


सुभुखद्ळैकदन्तद्ळ कत्रऩरो गजकणाक:। धुम्रकेतुय ् गणाध्मऺो बारचॊद्रो गजानन॥
रम्फोदयद्ळ त्रवकटो त्रवघ्रनाशो त्रवनामक:॥ द्रादशैतासन नाभासन म् ऩठे च्छृणु मादऽत्रऩ॥
धूम्रकेतुगण
ा ाध्मऺो बारचन्द्रो गजानन:। त्रवद्यायॊ बे त्रववाहे च प्रवेशे सनगाभे तथा।
द्राद्रशैतासन नाभासन म :ऩठे च्छे णुमादत्रऩ॥ सॊग्राभे सॊकटे चैव त्रवघ्ननस्तस्म न जामते॥
त्रवद्यायम्बे त्रववाहे च प्रवेशे सनगाभे तथा। शुक्राॊफय धयॊ दे वॊ शसशवणं चतुबज
ुा भ ्।
सॊग्राभे सॊकटे चैव त्रवघ्रस्तस्म न जामते॥ प्रसन्न वदनॊ ध्मामेत ् सवा त्रवघ्ननोऩशाॊतमे॥
जऩेद् गणऩसत स्तोिॊ षस्ड्बभाासे परॊ रबेत ्।
एकाग्रसचन होकय गणेश का ध्मान कयना चाफहए सॊवॊत्सये ण ससत्रद्धॊ च रबते नाि सॊशम्॥
श्री गणेश का ध्मान कयं : वक्रतुॊड भहाकाम सूमक
ा ोफट सभ प्रब।
गजाननॊ बूतगणाफद सेत्रवतभ ् कत्रऩत्थ जम्फूपर सनत्रवघ्ना नॊ कुरु भे दे व सवा कामेषु सवादा॥
चारुबऺणभ।् उभासुतभ ् शोक त्रवनाश कायकभ ् नभासभ असबस्ससताथा ससद्धध्मथं ऩूस्जतो म् सुयासुयै्।
त्रवघ्ननेद्वय ऩाद ऩॊकजभ॥् ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम सवा त्रवघ्नन हयस्तस्भै गणासधऩतमे नभ्॥
नभ् गणेशॊ ध्मामासभ भॊि का उच्चायण कयं । त्रवघ्ननेद्वयाम वयदाम सुयत्रप्रमाम रॊफोदयाम सकराम
जगस्त्धताम। नागाननाम श्रुसतमऻ त्रवबुत्रषताम गौयीसुताम
आह्वानॊ: गणनाथ नभो नभस्ते॥
इस भॊि से श्री गणेश का आहवान कये मा भन ही भन ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् गणेशॊ स्भयासभ
भं श्री गणेश जी को ऩधायने के सरमे त्रवनसत कयं । हाथभं भॊि का उच्चायण कयके ऩुष्ऩ अत्रऩत
ा कयं
अऺत रेकय आहवान कयं ।
आगच्छ बगवन्दे व स्थाने चाि स्स्थयो बव षोडशोऩचाय गणऩतीऩूजन:
मावत्ऩूजाॊ करयष्मासभ तावत्वॊ सस्न्नधौ बव।। अस्मै प्राण् प्रसतद्षन्तु अस्मै प्राणा् ऺयन्तु च।
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् अस्मै दे वतभचीमा भाभहे सत च कद्ळन॥
गणेशॊ ध्मामासभ भॊि का उच्चायण कयके अऺते डारदं .....
आसनॊ:
इस भॊि से श्री गणेश की भूसता मा प्रसतभा ऩय हल्दी मा आसन सभत्रऩात कयं । मफद ऩहरे से वस्त्र त्रफछामा हुवा हं
कुभकुभ से यॊ गे चारव डारं। मफद प्रसतभा के प्रहरे से तो उस स्थान ऩय हल्दी मा कुभकुभ से यॊ गे अऺत
प्राण-प्रसतद्षा हो गई हं तो आवश्मिा नहीॊ हं तफ केवर डारकय ऩुष्ऩ अत्रऩत
ा कयं ।
सुऩायी ऩय ही चारव डारं। यम्मॊ सुशोबनॊ फदव्मॊ सवा सौख्म कयॊ शुबभ ्।
आसनॊ च भमादत्तॊ गृहाण ऩयभेद्वय॥
स्भयण: ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् आसनॊ
हाथभं ऩुष्ऩ रेकय श्री गणेशजी का स्भयण कयं । सभऩामासभ॥
नभस्तस्भै गणेशाम सवा त्रवध्न त्रवनासशने॥ मफद द्ऴोक ऩढने भं कफठनाई हो तो आसन सभऩाासभ श्री
कामाायॊबेषु सवेषु ऩूस्जतो म् सुयैयत्रऩ। गॊ गणेशाम नभ् का उच्चायण कयते हुवे गणेश जी के
सुभुखद्ळैक दॊ तद्ळ कत्रऩरो गजकणाक्॥ चयण धोमे।
14 ससतम्फय 2012

ऩाद्यॊ: इस के स्थान ऩय ऩम् स्नानभ ् सभऩामासभ गॊ गणेशाम


उष्णोदकॊ सनभारॊ च सवा सौगन्ध सॊमुतभ ्। नभ् का उच्चायण कये तथा ऩम् के स्थान ऩय दध
ू कहं ,
ऩाद प्रऺारनाथााम दत्तॊ ते प्रसतगृह्यताभ ्॥ दहीॊ कहं , धृतभ ् कहं , भधु कहं , शकाया कहं के स्नान
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् ऩाद्यॊ सभऩामासभ॥ कयामे।
ऩमसस्तु सभुद्भूतॊ भधुयाम्रॊ शसशप्रबभ ् ।
अघ्नमं: दध्मानीतॊ भमा दे व स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ ् ॥
आचभनीभं जर, पूर, पर, चॊदन, अऺत, दस्ऺणा नवनीतसभुत्ऩन्नॊ सवासॊतोषकायकभ ् ।
इत्माफद हाथ भं यख कय सनम्न भॊि का उच्चायण कयं ... घृतॊ तुभ्मॊ प्रदास्मासभ स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ ् ॥
अध्मा गृहाण दे वेश गॊध ऩुष्ऩऺतै् सह। तरु ऩुष्ऩ सभुत्ऩन्नॊ सुस्वादु भधुयॊ भधु ।
करुणा कुरु भं दे व गृहाणाध्मै् नभोस्तुते॥ तेज् ऩुत्रद्शकयॊ फदव्मॊ स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ ् ॥
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् अघ्नमं सभऩामासभ इऺुसायसभुद्भूताॊ शकायाॊ ऩुत्रद्शदाॊ शुबाभ ् ।
भॊि का उच्चायण कयके अध्मा की साभग्रीमा अत्रऩात कयदं । भराऩहारयकाॊ फदव्मॊ स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ ् ॥
ऩमो दसध धृत चैव भधु च शकायामुतभ ्।
आचभन: ऩॊचाभृत भमानीतॊ सनानाथा प्रसतघृहमताभ॥
सवा तीथा सभामुिॊ सुगॊसध सनभार जरभ ्।
आचम्मताॊ भमा दत्तॊ गृहीत्वा ऩयभेद्वयॊ ॥ वस्त्रॊ:
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् आचभनॊ ऩॊचाभृत स्नान के फाद स्वच्छ कय के वस्त्र ऩहनामे मा
सभऩामासभ॥ सभत्रऩात कयं ।
सवा बूषाफदके सौम्मे रोकरज्जा सनवायणे ।
स्नानॊ: भमोऩऩाफदते तुभ्मॊ वाससी प्रसतगृहीताभ ् ॥
गॊगा च मभुना ये वा तुॊगबद्रा सयस्वसत। ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् वस्त्रोऩवस्त्रे
कावेयी सफहता नद्य् सद्य् स्नाथाभत्रऩत
ा ा॥ सभऩामासभ॥
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् स्नानॊ सभऩामासभ
भॊि का उच्चायण कयते हुवे स्नान कयामे। मऻोऩवीत
ततऩद्ळमात सनम्न भॊि से मऻोऩवीत ऩहनामे
ऩॊचाभृत स्नान : नवसभस्तॊतुसबमुि त्रिगुणॊ दे वताभमॊ।
तत ऩद्ळमात ऩॊचाभृत से क्रभश् दध
ू , दही, घी, शहद, सऩफीतॊ भमा दत्तॊ गृहाण ऩयभेद्वयभ ्॥
शक्कय से स्नान कया कय शुद्धजर मा गॊगाजर से उि ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् मऻोऩत्रवतॊ
भॊि से ऩुन् स्वच्छ कयरे। सभऩामासभ॥
तत ऩद्ळमात शुद्ध वस्त्र से ऩोछ कय प्रसतत्रद्षत कयं ।
चॊदन:
दध
ू स्नान : ततऩद्ळमात रार चॊदन चढामे।
काभधेनु सभुत्ऩनॊ सवेषाॊ जीवन ऩयभ ्। श्रीखण्ड चन्दन फदव्मॊ केशयाफद सुभनीहयभ ्।
ऩावनॊ मऻ हे तुद्ळ ऩम :स्नानाथाभत्रऩत
ा भ ्॥ त्रवरेऩनॊ सुश्रद्ष चन्दनॊ प्रसतगृहमतभ ्॥ ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत
श्री गणेशाम नभ् कुॊकुभॊ सभऩामासभ॥
15 ससतम्फय 2012

कुॊकुॊभ: आबूषण :
ततऩद्ळमात कुॊकुॊभ अवीय-गुरार चढामे। ततऩद्ळमात आबूषण चढामे।
कुॊकुॊभ काभना फदव्मॊ काभना काभ सॊबवभ ्। अरॊकायान्भहाफदव्मान्नानायतन त्रवसनसभातान।
कुॊकुॊभ नासचातो दे व गृहाण ऩयभेद्वयभ ्॥ गृहाण दे व-दे वेश प्रसीद ऩयभेद्वय॥
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् कुॊकुभॊ ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् आबूषण
सभऩामासभ॥ सभऩामासभ॥

ससॊदयू : इि:
ततऩद्ळमात ससॊदयू चढामे। ततऩद्ळमात इि अथाात ् सुगॊसधत तेर चढामे।
ससॊदयू ॊ शोबनॊ यिॊ सौबाग्मॊ सुखवधानभ ्। चम्ऩकाशो वकुरॊ भारती भोगयाफदसब्।
शुबदॊ काभदॊ चैव ससॊदयू ॊ प्रसतगृहमताभ। वाससतॊ स्स्नग्ध तासेरु तैरॊ चारु प्रगृहमातभ ्॥
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् ससॊदयू ॊ सभऩामासभ॥ ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् तैरभ ् सभऩामासभ॥

अऺत: धूऩ :
ततऩद्ळमात हल्दी मा कुॊकुॊभ से यॊ गे अऺत चढामे। ततऩद्ळमात धूऩ आफद जरामे।
अऺताद्ळ सुयश्रेद्ष कुॊकुभािा् सुशोसबता्। वनस्ऩसत यसोद्भूतो गॊधाढ्मो गॊध उत्तभ्।
भमा सनवेफदता बक्त्मा गृहाण ऩयभेद्वरय॥ आध्नम सवा दे वानाॊ धूऩोमॊ प्रसतगृह्यताभ ्॥
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् अऺतान ् ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् धूऩॊ सभऩामासभ॥
सभऩामासभ॥
दीऩ:
ऩुष्ऩ : ततऩद्ळमात दीऩ आफद जरामे।
ततऩद्ळमात ऩुष्ऩ भारा आफद चढामे। आज्मेन वसताना मुिॊ वफिना च प्रमोस्जतभ ् भमा।
भाल्मादीसन सुगन्धीसन भारत्मादीसन वै प्रबो। दीऩॊ गृहाण दे वेश िेरोक्म सतसभयाऩह॥।
भमा नीतासन ऩुष्ऩास्ण गृहाण ऩयभेद्वय॥ ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् दीऩॊ दशामासभ॥
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् ऩुष्ऩास्ण
सभऩामासभ॥ नैवेद्य :
ततऩद्ळमात नैवेद्य अत्रऩत
ा कयं ।
दव
ू ाा: शकाया खॊडखाद्यासन दसधऺीय घृतासन च।
ततऩद्ळमात दव
ू ाा चढामे। आहायॊ बक्ष्मॊ बोज्मॊ च गृहाण गणनामक।
दव
ु ाा कयान्सह रयतान भृतन्भॊगर प्रदान। ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् नैवेद्यॊ सनवेदमासभ॥
आनी ताॊस्तव ऩूजाथा गृहाण ऩयभेद्वय॥
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् दव
ू ांकुयान ततऩद्ळमात नैवेद्य ऩय जर सछडके।
सभऩामासभ॥ गॊ गणऩतमे नभ्
16 ससतम्फय 2012

ततऩद्ळमात इस भॊि का उच्चायण कयते हुवे ऩाॊच फाय


बोजन कयामे..... हाथ से बोजन की गॊध दयू कयने हे तु चॊदनमुि ऩानी
ॐ प्राणाम नभ्। अत्रऩत
ा कयं ।
ॐ अऩानाम नभ्। ॐ गणेशाम नभ् कयोद्रतानाथे गॊधॊ सभऩामासभ.
ॐ व्मानाम नभ्।
ॐ उदानाम नभ्। भुख शुत्रद्ध हे तु ऩान-सुऩायी इरामची औय रवॊग अत्रऩत

ॐ सभानाम नभ्। कयं ।
ततऩद्ळमात इस भॊि का उच्चायण कयते हुवे जर अत्रऩात एरारवंग सॊमुिॊ ऩुगीपरॊ सभस्न्वतभ ्,
कयं । ताॊफुरॊ च भमा दत्तॊ गृहाण गणनामक.
भध्मे ऩानीमॊ सभऩामासभ। ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् भुखवासॊ
फपय से उि भॊि का ऩाॊच फाय उच्चायण कयते हुवे ऩाॊच सभऩामासभ।
फाय बोजन कयामे....
दस्ऺणा:
ततऩद्ळमात इस भॊि का उच्चायण कयते हुवे तीन फाय ततऩद्ळमात दस्ऺणा अत्रऩत
ा कयं ।
जर अत्रऩात कयं .... फहयण्म गबा गबास्थॊ हे भफीजॊ त्रवबावसो।
ॐ गणेशाम नभ् उत्तय ऩोषणॊ सभऩामासभ। अनॊत ऩूण्म परदभत् शाॊसतॊ प्रमच्छ भे॥।
ॐ गणेशाम नभ् हस्त प्रऺारनॊ सभऩामासभ। ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् दस्ऺणाॊ
ॐ गणेशाम नभ् भुख प्रऺारनॊ सभऩामासभ। सभऩामासभ।

कनकधाया मॊि
आज के मुग भं हय व्मत्रि असतशीघ्र सभृद्ध फनना चाहता हं । धन प्रासद्ऱ हे तु प्राण-प्रसतत्रद्षत कनकधाया मॊि के साभने
फैठकय कनकधाया स्तोि का ऩाठ कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । इस कनकधाया मॊि फक ऩूजा अचाना कयने से
ऋण औय दरयद्रता से शीघ्र भुत्रि सभरती हं । व्माऩाय भं उन्नसत होती हं , फेयोजगाय को योजगाय प्रासद्ऱ होती हं ।

श्री आफद शॊकयाचामा द्राया कनकधाया स्तोि फक यचना कुछ इस प्रकाय फक हं , स्जसके श्रवण एवॊ ऩठन कयने से
आस-ऩास के वामुभॊडर भं त्रवशेष अरौफकक फदव्म उजाा उत्ऩन्न होती हं । फठक उसी प्रकाय से कनकधाया मॊि अत्मॊत
दर
ु ब
ा मॊिो भं से एक मॊि हं स्जसे भाॊ रक्ष्भी फक प्रासद्ऱ हे तु अचूक प्रबावा शारी भाना गमा हं । कनकधाया मॊि को
त्रवद्रानो ने स्वमॊससद्ध तथा सबी प्रकाय के ऐद्वमा प्रदान कयने भं सभथा भाना हं । जगद्गरु
ु शॊकयाचामा ने दरयद्र ब्राह्मण
के घय कनकधाया स्तोि के ऩाठ से स्वणा वषाा कयाने का उल्रेख ग्रॊथ शॊकय फदस्ग्वजम भं सभरता हं । कनकधाया
भॊि:- ॐ वॊ श्रीॊ वॊ ऐॊ ह्रीॊ-श्रीॊ क्रीॊ कनक धायमै स्वाहा' भूल्म: Rs.730 से Rs.8200 तक

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17 ससतम्फय 2012

प्रदस्ऺणा: ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् ऩुष्ऩाॊजसर


ततऩद्ळमात प्रदस्ऺणा कयं । सभऩामासभ।
मासन कासन च ऩाऩासन जन्भान्तय कृ तासन च।
तासन सवाास्ण नश्मन्तु प्रदस्ऺणा ऩदे ऩदे । प्राथाना:
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् प्रदस्ऺणाॊ कयोसभ। त्रवघ्ननेद्वयाम वयदाम सुयत्रप्रमाम रॊफोदयाम सकराम
जगत्रद्धताम। नागाननाम श्रुसतमऻ त्रवबुत्रषताम गौयीसुताम
आयती: गणनाथ नभो नभस्ते। बिासतानाशन ऩयाम गणेद्वयाम
नीयाजन-आयती प्रगट कय उसभं चॊदन-ऩुष्ऩ रगामे कऩुय सवेद्वयाम शुबदाम सुयेद्वयाम। त्रवद्याधयाम त्रवकटाम च
प्रज्वसरत कयं । वाभनाम बत्रि प्रसन्न वयदाम नभो नभस्ते।
चॊद्राफदत्मौ च धयस्ण त्रवद्युदस्ग्न त्वभेव च।
त्वभेव सवा ज्मोसतत्रष आतॉक्मॊ प्रसतगृह्यताभ ्॥ नभस्काय:
कऩुया ऩूयेण भनोहये ण सुवणा ऩािान्तय सॊस्स्थतेन। रॊफोदय नभस्तुभ्मॊ सतत भोदक त्रप्रम।
प्रफदद्ऱबासा सहगतेन नीयाजनॊ ते ऩरयत कयोसभ। सनत्रवघ्ना नॊ कुरु भे दे व सवा कामेषु सवादा।
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् नीयाजनॊ ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् नभस्कायान ्
सभऩामासभ। सभऩामासभ।
त्रवशेष अध्मा:
॥श्री गणेश आयसत॥
आचभनी भं जर, चावर, पूर, पर, चॊदन दस्ऺणा आफद
जम गणेश जम गणेश जम गणेश दे वा
अध्मा भं रे
जम गणेश जम गणेश जम गणेश दे वा.
यऺ यऺ गणाध्मऺ यऺ िेरोक्म यऺक।
भाता जाकी ऩायवती त्रऩता भहादे वा॥ जम गणेश.....
बिनाभ बमॊकताा िाता बवबवाणावात ्॥
एकदन्त दमावन्त चायबुजाधायी
परेन पसरतॊ तोमॊ परेन पसरतॊ धनभ ्।
भाथे ऩय सतरक सोहे भूसे की सवायी॥ जम गणेश.....
परास्मघ्नमं प्रदानेन ऩूणाा सन्तु भनोयथा्॥
ऩान चढ़े पर चढ़े औय चढ़े भेवा
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् त्रवशेषाघ्नमं
रड्डु अन का बोग रगे सन्त कयं सेवा॥ जम गणेश.....
सभऩामासभ।
अॊधे को आॉख दे त कोफढ़न को कामा
फाॉझन को ऩुि दे त सनधान को भामा॥ जम गणेश.....
ऺभाऩन:
' सूय' श्माभ शयण आए सपर कीजे सेवा
आह्वानॊ न जानासभ न जानासभ त्रवसजानभ ्।
जम गणेश जम गणेश जम गणेश दे वा॥ जम गणेश.....
ऩूजाॊ चैव न जानासभ ऺभस्व गणनामक॥
ॐ ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेशाम नभ् ऺभाऩनॊ
आयती के चायो औय जर घुभामे फपय गणेशजी को
सभऩामासभ॥
आयती फदखामे खुद आयती रेकय हाथ धोरे।
अनमा ऩूज्मा ससत्रद्धफुत्रद्ध सफहत श्री गणेश् त्रप्रमताभ ्॥
फपय दोनो हाथकी अॊजसरभं ऩुष्ऩ रेकय ऩुष्ऩाॊजसर दं ।
नाना सुगॊधी ऩुष्ऩास्ण ऋतुकारोद्भवासन च। ***
ऩुष्ऩाॊजसर प्रदानेन प्रसीद गणनामक।
18 ससतम्फय 2012

गणेश ऩूजन भं कोन से पूर चढाए।


 सचॊतन जोशी
गणेश जी को दव
ू ाा सवाासधक त्रप्रम है । इस सरमे सपेद मा हयी दव
ू ाा चढ़ानी
चाफहए। दव
ू ाा की तीन मा ऩाॉच ऩत्ती होनी चाफहए।

गणेश जी को तुरसी छोिकय सबी ऩि औय ऩुष्ऩ त्रप्रम हं ।


गणेशजी ऩय तुरसी चढाना सनषेध हं ।

न तुरस्मा गणासधऩभ‌् (ऩद्मऩुयाण)

बावाथा :तुरसी से गणेशजी की ऩूजा कबी नहीॊ कयनी


चाफहमे।

'गणेश तुरसी ऩि दग
ु ाा नैव तु दव
ू ाामा' (कासताक भाहात्म्म)

बावाथा :गणेशजी की तुरसी ऩि से एवॊ दग


ु ााजी की दव
ू ाा ऩूजा नहीॊ
कयनी चाफहमे।
गणेशजी की ऩूजा भं भन्दाय के रार पूर चढ़ाने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ
होता हं । रार ऩुष्ऩ के असतरयि ऩूजा भं द्वेत,ऩीरे पूर बी चढ़ाए जाते हं ।

सॊकटनाशन गणेशस्तोिभ ्
सॊकटनाशन गणेश स्तोिभ ् का प्रसत फदन ऩाठ कयने से सभस्त प्रकाय के सॊकटोका नाश होता है , श्री गणेशजी फक कृ ऩा एवॊ सुख
सभृत्रद्ध फक प्राद्ऱ होती है ।
वक्रतुड
ॊ भहाकाम सूमक
ा ोफट सभप्रब । सनत्रवाघ्ननभ ् कुरु भं दे व सवा कामेषु सवादा ॥ त्रवघ्ननेद्वयाम वयदाम सूयत्रप्रमाम रम्फोदयाम सकराम
जगफद्रताम । नागाननाम श्रुसतमऻ त्रवबूत्रषताम गौयीसुताम गणनाथ नभोनभस्ते ॥
स्तोि:
प्रणम्म सशयसा दे वॊ गौयीऩुॊि त्रवनामकभ ् बिावासॊ स्भये सनत्मॊ आमुकाभाथाससद्धमे ॥ १ ॥
प्रथभॊ वक्रतुॊडॊ च एकदॊ तॊ फद्रसतमकभ ् तृतीमॊ कृ ष्णत्रऩॊगाऺॊ गजवकिॊ चतुथक
ा भ् ॥ २ ॥
रॊफोदयॊ ऩॊचभॊ च षद्शभॊ त्रवकटभेव च सद्ऱभॊ त्रवघ्ननयाजॊ च धूम्रवणं तथाअद्शकभ ् ॥ ३ ॥
नवॊ बारचॊद्रॊ च दशभॊ तु त्रवनामकभ ् एकादशॊ गणऩसतॊ द्रादशॊ तु गजाननभ ् ॥ ४ ॥
द्रादशैतासन नाभासन त्रिसॊध्मॊ म: ऩठे न्नय: न च त्रवघ्ननबमॊ तस्म सवा ससत्रद्ध कयॊ प्रबो ॥ ५ ॥
त्रवद्यासथा रबते त्रवद्याॊ धनासथा रबते धनभ ् ऩुिासथा रबते ऩुिाॊभोऺासथा रबते गसतभ ् ॥ ६ ॥
जऩेत्गणऩसतस्तोिॊ षडसबभासै: परॊ रबेत सॊवतसये णससत्रद्धॊ च रबते नािसॊशम् ॥ ७ ॥
अद्शभ्मोब्राह्मणोभ्मस्म सरस्खत्वा म: सभऩामेत ् तस्म त्रवद्या बवेत्सवाा गणेशस्म प्रसादत् ॥ ८ ॥
॥ इसतश्री नायदऩुयाणे ‘सॊकटनाशन गणेशस्तोिभ ्’ सॊऩूणभ
ा ्॥
19 ससतम्फय 2012

शाऩ के कायण गणऩसत ऩूजन भं तुरसी सनत्रषद्ध हं ?

 सचॊतन जोशी
तुरसी सभस्त ऩौधं भं श्रेद्ष भानी जाती हं । फहॊ द ू धभा भं सभस्त ऩूजन कभो भं तुरसी को
प्रभुखता दी जाती हं । प्राम् सबी फहॊ द ू भॊफदयं भं चयणाभृत भं बी तुरसी का प्रमोग होता
हं । इसके ऩीछे ऎसी काभना होती है फक तुरसी ग्रहण कयने से तुरसी अकार भृत्मु को
हयने वारी तथा सवा व्मासधमं का नाश कयने वारी हं ।

ऩयन्तु मही ऩूज्म तुरसी को बगवान श्री गणेश की ऩूजा भं सनत्रषद्ध भानी गई हं ।

शास्त्रं भं उल्रेख हं :
तुरसीॊ वजासमत्वा सवााण्मत्रऩ ऩिऩुष्ऩास्ण गणऩसतत्रप्रमास्ण। (आचायबूषण)
गणेशजी को तुरसी छोिकय सबी ऩि-ऩुष्ऩ त्रप्रम हं ! गणऩसतजी को दव
ू ाा असधक
त्रप्रम है ।

इनसे सम्फद्ध ब्रह्मकल्ऩ भं एक कथा सभरती हं


एक सभम नवमौवन सम्ऩन्न तुरसी दे वी नायामण ऩयामण होकय तऩस्मा के सनसभत्त से तीथो भं भ्रभण कयती हुई गॊगा तट ऩय
ऩहुॉचीॊ। वहाॉ ऩय उन्हंने गणेश को दे खा, जो फक तरूण मुवा रग यहे थे। गणेशजी अत्मन्त सुन्दय, शुद्ध औय ऩीताम्फय धायण फकए
हुए आबूषणं से त्रवबूत्रषत थे, गणेश काभनायफहत, स्जतेस्न्द्रमं भं सवाश्रद्ष
े , मोसगमं के मोगी थे गणेशजी वहाॊ श्रीकृ ष्ण की
आयाधना भं घ्नमानयत थे। गणेशजी को दे खते ही तुरसी का भन उनकी ओय आकत्रषात हो गमा। तफ तुरसी उनका उऩहास उडाने
रगीॊ। घ्नमानबॊग होने ऩय गणेश जी ने उनसे उनका ऩरयचम ऩूछा औय उनके वहाॊ आगभन का कायण जानना चाहा। गणेश जी ने
कहा भाता! तऩस्स्वमं का घ्नमान बॊग कयना सदा ऩाऩजनक औय अभॊगरकायी होता हं ।
शुबे! बगवान श्रीकृ ष्ण आऩका कल्माण कयं , भेये घ्नमान बॊग से उत्ऩन्न दोष आऩके सरए अभॊगरकायक न हो।
इस ऩय तुरसी ने कहा—प्रबो! भं धभाात्भज की कन्मा हूॊ औय तऩस्मा भं सॊरग्न हूॊ। भेयी मह तऩस्मा ऩसत प्रासद्ऱ के सरए हं । अत:
आऩ भुझसे त्रववाह कय रीस्जए। तुरसी की मह फात सुनकय फुत्रद्ध श्रेद्ष गणेश जी ने उत्तय फदमा हे भाता! त्रववाह कयना फडा बमॊकय
होता हं , भं ब्रम्हचायी हूॊ। त्रववाह तऩस्मा के सरए नाशक, भोऺद्राय के यास्ता फॊद कयने वारा, बव फॊधन से फॊधे, सॊशमं का उद्गभ
स्थान हं । अत: आऩ भेयी ओय से अऩना घ्नमान हटा रं औय फकसी अन्म को ऩसत के रूऩ भं तराश कयं । तफ कुत्रऩत होकय तुरसी ने
बगवान गणेश को शाऩ दे ते हुए कहा फक आऩका त्रववाह अवश्म होगा। मह सुनकय सशव ऩुि गणेश ने बी तुरसी को शाऩ फदमा
दे वी, तुभ बी सनस्द्ळत रूऩ से असुयं द्राया ग्रस्त होकय वृऺ फन जाओगी।
इस शाऩ को सुनकय तुरसी ने व्मसथत होकय बगवान श्री गणेश की वॊदना की। तफ प्रसन्न होकय गणेश जी ने तुरसी से
कहा हे भनोयभे! तुभ ऩौधं की सायबूता फनोगी औय सभमाॊतय से बगवान नायामण फक त्रप्रमा फनोगी। सबी दे वता आऩसे स्नेह
यखंगे ऩयन्तु श्रीकृ ष्ण के सरए आऩ त्रवशेष त्रप्रम यहं गी। आऩकी ऩूजा भनुष्मं के सरए भुत्रि दासमनी होगी तथा भेये ऩूजन भं आऩ
सदै व त्माज्म यहं गी। ऎसा कहकय गणेश जी ऩुन: तऩ कयने चरे गए। इधय तुरसी दे वी द:ु स्खत ह्वदम से ऩुष्कय भं जा ऩहुॊची औय
सनयाहाय यहकय तऩस्मा भं सॊरग्न हो गई। तत्ऩद्ळात गणेश के शाऩ से वह सचयकार तक शॊखचूड की त्रप्रम ऩत्नी फनी यहीॊ। जफ
शॊखचूड शॊकय जी के त्रिशूर से भृत्मु को प्राद्ऱ हुआ तो नायामण त्रप्रमा तुरसी का वृऺ रूऩ भं प्रादब
ु ााव हुआ।
20 ससतम्फय 2012

गणेश के चभत्कायी भॊि


 सचॊतन जोशी
ॐ गॊ गणऩतमे नभ् ।
एसा शास्त्रोि वचन हं फक गणेश जी का मह भॊि चभत्कारयक औय तत्कार पर दे ने वारा भॊि हं । इस भॊि का ऩूणा
बत्रिऩूवक
ा जाऩ कयने से सभस्त फाधाएॊ दयू होती हं । षडाऺय का जऩ आसथाक प्रगसत व सभृस्ध्ददामक है ।

ॐ वक्रतुॊडाम हुभ ् ।

फकसी के द्राया फक गई ताॊत्रिक फक्रमा को नद्श


कयने के सरए, त्रवत्रवध काभनाओॊ फक शीघ्र ऩूसता
के सरए उस्च्छद्श गणऩसत फक साधना फकजाती
गणेश के कल्माणकायी भॊि
हं । उस्च्छद्श गणऩसत के भॊि का जाऩ अऺम गणेश भॊि फक प्रसत फदन एक भारा भॊिजाऩ अवश्म कये ।

बॊडाय प्रदान कयने वारा हं । फदमे गमे भॊिो भे से कोई बी एक भॊिका जाऩ कये ।
(०१) गॊ ।
ॐ हस्स्त त्रऩशासच सरखे स्वाहा ।
(०२) ग्रॊ ।
आरस्म, सनयाशा, करह, त्रवघ्नन दयू कयने के सरए (०३) ग्रं ।
त्रवघ्ननयाज रूऩ की आयाधना का मह भॊि जऩे। (०४) श्री गणेशाम नभ् ।
ॐ गॊ स्ऺप्रप्रसादनाम नभ:। (०५) ॐ वयदाम नभ् ।

भॊि जाऩ से कभा फॊधन, योगसनवायण, कुफुत्रद्ध, (०६) ॐ सुभॊगराम नभ् ।

कुसॊगत्रत्त, दब (०७) ॐ सचॊताभणमे नभ् ।


ू ााग्म, से भुत्रि होती हं । सभस्त
त्रवघ्नन दयू होकय धन, आध्मास्त्भक चेतना के (०८) ॐ वक्रतुॊडाम हुभ ् ।

त्रवकास एवॊ आत्भफर की प्रासद्ऱ के सरए हे यम्फॊ (०९) ॐ नभो बगवते गजाननाम ।

गणऩसत का भॊि जऩे। (१०) ॐ गॊ गणऩतमे नभ् ।


(११) ॐ ॐ श्री गणेशाम नभ् ।
ॐ गूॊ नभ:।
मह भॊि के जऩ से व्मत्रि को जीवन भं फकसी बी प्रकाय
योजगाय की प्रासद्ऱ व आसथाक सभृस्ध्द प्राद्ऱ होकय का कद्श नहीॊ ये हता है ।
सुख सौबाग्म प्राद्ऱ होता हं ।  आसथाक स्स्थसत भे सुधाय होता है ।
 एवॊ सवा प्रकायकी रयत्रद्ध-ससत्रद्ध प्राद्ऱ होती है ।
ॐ श्रीॊ ह्रीॊ क्रीॊ ग्रं गॊ गण्ऩत्मे वय वयदे नभ्
ॐ तत्ऩुरुषाम त्रवद्महे वक्रतुण्डाम धीभफह तन्नो
दस्न्त् प्रचोदमात।
रक्ष्भी प्रासद्ऱ एवॊ व्मवसाम फाधाएॊ दयू कयने हे तु उत्तभ भानगमा हं ।

ॐ गी् गूॊ गणऩतमे नभ् स्वाहा।


इस भॊि के जाऩ से सभस्त प्रकाय के त्रवघ्ननो एवॊ सॊकटो का का नाश होता हं ।
21 ससतम्फय 2012

ॐ श्री गॊ सौबाग्म गणऩत्मे वय वयद सवाजनॊ भं ॐ गॊ गणऩतमे सवात्रवघ्नन हयाम सवााम सवागुयवे
वशभानम स्वाहा। रम्फोदयाम ह्रीॊ गॊ नभ्।
त्रववाह भं आने वारे दोषो को दयू कयने वारं को िैरोक्म वाद-त्रववाद, कोटा कचहयी भं त्रवजम प्रासद्ऱ, शिु बम से
भोहन गणेश भॊि का जऩ कयने से शीघ्र त्रववाह व अनुकूर छुटकाया ऩाने हे तु उत्तभ।
जीवनसाथी की प्रासद्ऱ होती है ।
ॐ नभ् ससत्रद्धत्रवनामकाम सवाकामाकिे सवात्रवघ्नन प्रशभनाम
ॐ वक्रतुण्डे क द्रद्शाम क्रीॊहीॊ श्रीॊ गॊ गणऩतमे वय वयद सवा याज्म वश्म कायनाम सवाजन सवा स्त्री ऩुरुषाकषाणाम
सवाजनॊ भॊ दशभानम स्वाहा । श्री ॐ स्वाहा।
इस भॊिं के असतरयि गणऩसत अथवाशीषा, सॊकटनाशक, गणेश इस भॊि के जाऩ को मािा भं सपरता प्रासद्ऱ हे तु प्रमोग
स्त्रोत, गणेशकवच, सॊतान गणऩसत स्त्रोत, ऋणहताा गणऩसत फकमा जाता हं ।
स्त्रोत भमूयेश स्त्रोत, गणेश चारीसा का ऩाठ कयने से गणेश
ॐ हुॊ गॊ ग्रं हरयद्रा गणऩत्मे वयद वयद सवाजन रृदमे
जी की शीघ्र कृ ऩा प्राद्ऱ होती है ।
स्तम्बम स्वाहा।
ॐ वय वयदाम त्रवजम गणऩतमे नभ्। मह हरयद्रा गणेश साधना का चभत्कायी भॊि हं ।
इस भॊि के जाऩ से भुकदभे भं सपरता प्राद्ऱ होती हं ।

भॊि ससद्ध स्पफटक श्री मॊि


"श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्रिशारी मॊि है । "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त शुब फ़रदमी मॊि
है । जो न केवर दस
ू ये मन्िो से असधक से असधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्रि के सरए पामदे भॊद सात्रफत होता
है । ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा चैतन्म मुि "श्री मॊि" स्जस व्मत्रि के घय भे होता है उसके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी
ससद्ध होता है उसके दशान भाि से अन-सगनत राब एवॊ सुख की प्रासद्ऱ होसत है । "श्री मॊि" भे सभाई अफद्रसतम एवॊ अद्रश्म शत्रि
भनुष्म की सभस्त शुब इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होसत है । स्जस्से उसका जीवन से हताशा औय सनयाशा दयू होकय वह
भनुष्म असफ़रता से सफ़रता फक औय सनयन्तय गसत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौसतक सुखो फक प्रासद्ऱ होसत
है । "श्री मॊि" भनुष्म जीवन भं उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का
सनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थात्रऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से
सम्फस्न्धत ऩये शासन भे न्मुनता आसत है व सुख-सभृत्रद्ध, शाॊसत एवॊ ऐद्वमा फक प्रसद्ऱ होती है ।
गुरुत्व कामाारम भे "श्री मॊि" 12 ग्राभ से 2250 Gram (2.25Kg) तक फक साइज भे उसरब्ध है
.

भूल्म:- प्रसत ग्राभ Rs. 9.10 से Rs.28.00


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22 ससतम्फय 2012

ॐ ग्रं गॊ गणऩतमे नभ्। ॐ श्री गणेश ऋण सछस्न्ध वये ण्म हुॊ नभ् पट ।
गृह करेश सनवायण एवॊ घय भं सुखशास्न्त फक प्रासद्ऱ हे तु। मह ऋण हताा भॊि हं । इस भॊि का सनमसभत जाऩ कयना
चाफहए। इससे गणेश जी प्रसन्न होते है औय साधक का ऋण
ॐ गॊ रक्ष्म्मौ आगच्छ आगच्छ पट्।
चुकता होता है । कहा जाता है फक स्जसके घय भं एक फाय बी
इस भॊि के जाऩ से दरयद्रता का नाश होकय, धन प्रासद्ऱ
इस भॊि का उच्चायण हो जाता है है उसके घय भं कबी बी
के प्रफर मोग फनने रगते हं ।
ऋण मा दरयद्रता नहीॊ आ सकती।

ॐ गणेश भहारक्ष्म्मै नभ्।


व्माऩाय से सम्फस्न्धत फाधाएॊ एवॊ ऩये शासनमाॊ सनवायण एवॊ जऩ त्रवसध
व्माऩय भं सनयॊ तय उन्नसत हे तु। प्रात: स्नानाफद शुद्ध होकय कुश मा ऊन के आसन ऩय ऩूवा
फक औय भुख होकय फैठं। साभने गणॆशजी का सचि, मॊि
ॐ गॊ योग भुिमे पट्।
मा भूसता स्थासद्ऱ कयं फपय षोडशोऩचाय मा ऩॊचोऩचाय से
बमानक असाध्म योगं से ऩये शानी होने ऩय, उसचत ईराज
बगवान गजानन का ऩूजन कय प्रथभ फदन सॊकल्ऩ कयं ।
कयाने ऩय बी राब प्राद्ऱ नहीॊ होयहा हो, तो ऩूणा त्रवद्वास
इसके फाद बगवान ग्णेशका एकाग्रसचत्त से ध्मान कयं ।
सं भॊि का जाऩ कयने से मा जानकाय व्मत्रि से जाऩ
नैवेद्य भं मफद सॊबव होतो फूॊफद मा फेसन के रड्डू का
कयवाने से धीये -धीये योगी को योग से छुटकाया सभरता हं ।
बोग रगामे नहीॊ तो गुड का बोग रगामे। साधक को
ॐ अन्तरयऺाम स्वाहा। गणेशजी के सचि मा भूसता के सम्भुख शुद्ध घी का दीऩक
इस भॊि के जाऩ से भनोकाभना ऩूसता के अवसय प्राद्ऱ होने जराए। योज १०८ भारा का जाऩ कय ने से शीघ्र पर
रगते हं । फक प्रासद्ऱ होती हं । मफद एक फदन भं १०८ भारा सॊबव न
हो तो ५४, २७,१८ मा ९ भाराओॊ का बी जाऩ फकमा जा
गॊ गणऩत्मे ऩुि वयदाम नभ्। सकता हं । भॊि जाऩ कयने भं मफद आऩ असभथा
इस भॊि के जाऩ से उत्तभ सॊतान फक प्रासद्ऱ होती हं ।
हो, तो फकसी ब्राह्मण को उसचत दस्ऺणा दे कय
ॐ वय वयदाम त्रवजम गणऩतमे नभ्। उनसे जाऩ कयवामा जा सकता हं ।
इस भॊि के जाऩ से भुकदभे भं सपरता प्राद्ऱ होती हं ।

बाग्म रक्ष्भी फदब्फी


सुख-शास्न्त-सभृत्रद्ध की प्रासद्ऱ के सरमे बाग्म रक्ष्भी फदब्फी :- स्जस्से धन प्रसद्ऱ, त्रववाह मोग,
व्माऩाय वृत्रद्ध, वशीकयण, कोटा कचेयी के कामा, बूतप्रेत फाधा, भायण, सम्भोहन, तास्न्िक
फाधा, शिु बम, चोय बम जेसी अनेक ऩये शासनमो से यऺा होसत है औय घय भे सुख सभृत्रद्ध
फक प्रासद्ऱ होसत है , बाग्म रक्ष्भी फदब्फी भे रघु श्री फ़र, हस्तजोडी (हाथा जोडी), ससमाय
ससन्गी, त्रफस्ल्र नार, शॊख, कारी-सफ़ेद-रार गुॊजा, इन्द्र जार, भाम जार, ऩातार तुभडी
जेसी अनेक दर
ु ब
ा साभग्री होती है ।
भूल्म:- Rs. 910 से Rs. 8200 तक उसरब्द्ध
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c
23 ससतम्फय 2012

गणेश ऩूजन से ग्रहऩीडा दयू होती हं ।


 सचॊतन जोशी
गणऩसत सभस्त रोकंभं सवा प्रथभ ऩूजेजाने वारे व्मत्रि भं नेतत्ृ व कयने फक त्रवरऺण शत्रि का त्रवकास होता हं ।
एकभाि दे वाता हं । गणेश सभस्त गण के गणाध्मऺक बाई के सुख भं वृत्रद्ध होती हं ।
होने के कायणा गणऩसत नाभ से बी जाने जाते हं । गणेशजी फुत्रद्ध औय त्रववेक के असधऩसत स्वासभ
भनुष्म को जीवन भं सभस्त प्रकाय फक रयत्रद्ध- फुध ग्रह के असधऩसत दे व हं । अत: त्रवद्या-फुत्रद्ध प्रासद्ऱ के
ससत्रद्ध एवॊ सुखो फक प्रासद्ऱ एवॊ अऩनी सम्स्त सरए गणेश जी की आयाधना अत्मॊत परदामी ससद्धो होती
आध्मास्त्भक-बौसतक इच्छाओॊ फक ऩूसता हे तु गणेश जी फक हं । गणेशजी के ऩूजन से वाकशत्रि औय तकाशत्रि भं वृत्रद्ध
ऩूजा-अचाना एवॊ आयाधना अवश्म कयनी चाफहमे। होती हं । फहन के सुख भं वृत्रद्ध होती हं ।
गणेशजी का ऩूजन अनाफदकार से चरा आ यहा हं , बगवान गणेश फृहस्ऩसत(गुरु) के सभान उदाय,
इसके असतरयि ज्मोसतष शास्त्रं के अनुशाय ग्रह ऻानी एवॊ फुत्रद्ध कौशर भं सनऩूणा हं । गणेशजी का ऩूजन-
ऩीडा दयू कयने हे तु बगवान गणेश फक ऩूजा-अचाना कयने अचान कयने से फृहस्ऩसत(गुरु) से सॊफॊसधत ऩीडा दयू होती
से सभस्त ग्रहो के अशुब प्रबाव दयू होते हं एवॊ शुब हं औय व्मत्रि कं आध्मास्त्भक ऻान का त्रवकास होता हं ।
पर फक प्रासद्ऱ होती हं । इस सरमे गणेश ऩूजाका व्मत्रि के धन औय सॊऩत्रत्त भं वृत्रद्ध होती हं । ऩसत के सुख
अत्मासधक भहत्व हं । भं वृत्रद्ध होती हं । बगवान गणेश धन, ऐद्वमा एवॊ सॊतान
वक्रतुण्ड भहाकाम सूमक
ा ोफट सभप्रब्। प्रदान कयने वारे शुक्र के असधऩसत हं । गणेशजी का ऩूजन
सनत्रवघ्ना नॊ कुरू भे दे व सवा कामेषु सवादा।। कयने से शुक्र के अशुब प्रबाव का शभन होता हं । व्मत्रि
बगवान गणेश सूमा तेज के सभान तेजस्वी हं । को सभस्त बौसतक सुख साधन भं वृत्रद्ध होकय व्मत्रि के
गणेशजी का ऩूजन-अचान कयने से सूमा के प्रसतकूर प्रबाव का सौन्दमा भं वृत्रद्ध होती हं । ऩसत के सुख भं वृत्रद्ध होती हं ।
शभन होकय व्मत्रि के तेज-भान-सम्भान भं वृत्रद्ध होती हं , बगवान गणेश सशव के ऩुि हं । बगवान सशव शसन

उसका मश चायं औय फढता हं । त्रऩता के सुख भं वृत्रद्ध होकय के गुरु हं । गणेशजी का ऩूजन कयने से शसन से सॊफॊसधत

व्मत्रि का आध्मास्त्भक ऻान फढता हं । ऩीडा दयू होती हं । बगवान गणेश हाथी के भुख एवॊ ऩुरुष

बगवान गणेश चॊद्र के सभान शाॊसत एवॊ शीतरता के शयीय मुि होने से याहू व केतू के बी असधऩसत दे व हं ।
गणेशजी का ऩूजन कयने से याहू व केतू से सॊफॊसधत ऩीडा
प्रसतक हं । गणेशजी का ऩूजन-अचान कयने से चॊद्र के प्रसतकूर
दयू होती हं । इससरमे नवग्रह फक शाॊसत भाि बगवान
प्रबाव का नाश होकय व्मत्रि को भानससक शाॊसत प्राद्ऱ होती हं ।
गणेश के स्भयण से ही हो जाती हं । इसभं कोई सॊदेह
चॊद्र भाता का कायक ग्रह हं इस सरमे गणेशजी के ऩूजन से
नहीॊ हं । बगवान गणेश भं ऩूणा श्रद्धा एवॊ त्रवद्वास फक
भातृसुख भं वृत्रद्ध होती हं ।
आवश्मिा हं । बगवान गणेश का ऩूजन अचान कयने से
बगवान गणेश भॊगर के सभान सशत्रिशारी एवॊ
भनुष्म का जीवन सभस्त सुखो से बय जाता है । जन्भ
फरशारी हं । गणेशजी का ऩूजन-अचान कयने से भॊगर के
कुॊडरी भं चाहं होई बी ग्रह अस्त हो मा नीच हो अथवा
अशुब प्रबाव दयू होते हं औय व्मत्रि फक फर-शत्रि भं वृत्रद्ध
ऩीफडत हो तो बगवान गणेश फक आयाधना से सबी ग्रहो
होती हं । गणेशजी के ऩूजन से ऋण भुत्रि सभरती हं । व्मत्रि
के अशुब प्रबाव दयू होता हं एवॊ शुब परो फक प्रासद्ऱ
के साहस, फर, ऩद औय प्रसतद्षा भं वृत्रद्ध होती हं स्जस कायण
होती हं ।
24 ससतम्फय 2012

गणेश चतुथॉ ऩय चॊद्र दशान सनषेध क्मं...


 सचॊतन जोशी
गणेश चतुथॉ ऩय चॊद्र दशान सनषेध होने फक ऩौयास्णक भान्मता हं ।
शास्त्रंि वचन के अनुशाय जो व्मत्रि इस फदन चॊद्रभा को जाने-
अन्जाने दे ख रेता हं उसे सभथ्मा करॊक रगता हं । उस ऩय झूठा
आयोऩ रगता हं ।
कथा
एक फाय जयासन्ध के बम से बगवान कृ ष्ण
सभुद्र के फीच नगय फनाकय वहाॊ यहने रगे। बगवान
कृ ष्ण ने स्जस नगय भं सनवास फकमा था वह स्थान आज
द्रारयका के नाभ से जाना जाता हं ।
उस सभम द्रारयका ऩुयी के सनवासी से प्रसन्न
होकय सूमा बगवान ने सिजीत मादव नाभक व्मत्रि
अऩनी स्मभन्तक भस्ण वारी भारा अऩने गरे से उतायकय
दे दी।
मह भस्ण प्रसतफदन आठ सेय सोना प्रदान कयती थी। भस्ण ऩातेही
सिजीत मादव सभृद्ध हो गमा। बगवान श्री कृ ष्ण को जफ मह फात
ऩता चरी तो उन्हंने सिजीत
से स्मभन्तक भस्ण ऩाने की इच्छा व्मि की। रेफकन सिजीत ने भस्ण श्री कृ ष्ण को न दे कय अऩने बाई
प्रसेनजीत को दे दी। एक फदन प्रसेनजीत सशकाय ऩय गमा जहाॊ एक शेय ने प्रसेनजीत को भायकय भस्ण रे री। मही
यीछं के याजा औय याभामण कार के जाभवॊत ने शेय को भायकय भस्ण ऩय कब्जा कय सरमा था।
कई फदनं तक प्रसेनजीत सशकाय से घय न रौटा तो सिजीत को सचॊता हुई औय उसने सोचा फक श्रीकृ ष्ण ने ही
भस्ण ऩाने के सरए प्रसेनजीत की हत्मा कय दी। इस प्रकाय सिजीत ने ऩुख्ता सफूत जुटाए त्रफना ही सभथ्मा प्रचाय कय
फदमा फक श्री कृ ष्ण ने प्रसेनजीत की हत्मा कयवा दी हं । इस रोकसनॊदा से आहत होकय औय इसके सनवायण के सरए
श्रीकृ ष्ण कई फदनं तक एक वन से दस
ू ये वन बटक कय प्रसेनजीत को खोजते यहे औय वहाॊ उन्हं शेय द्राया प्रसेनजीत
को भाय डारने औय यीछ द्राया भस्ण रे जाने के सचि सभर गए। इन्हीॊ सचिं के आधाय ऩय श्री कृ ष्ण जाभवॊत की गुपा
भं जा ऩहुॊचे जहाॊ जाभवॊत की ऩुिी भस्ण से खेर यही थी। उधय जाभवॊत श्री कृ ष्ण से भस्ण नहीॊ दे ने हे तु मुद्ध के सरए
तैमाय हो गमा। सात फदन तक जफ श्री कृ ष्ण गुपा से फाहय नहीॊ आए तो उनके सॊगी साथी उन्हं भया हुआ जानकाय
त्रवराऩ कयते हुए द्रारयका रौट गए। २१ फदनं तक गुपा भं मुद्ध चरता यहा औय कोई बी झुकने को तैमाय नहीॊ था। तफ
जाभवॊत को बान हुआ फक कहीॊ मे वह अवताय तो नहीॊ स्जनके दशान के सरए भुझे श्री याभचॊद्र जी से वयदान सभरा था।
तफ जाभवॊत ने अऩनी ऩुिी का त्रववाह श्री कृ ष्ण के साथ कय फदमा औय भस्ण दहे ज भं श्री कृ ष्ण को दे दी। उधय कृ ष्ण
25 ससतम्फय 2012

जफ भस्ण रेकय रौटे तो उन्हंने सिजीत को भस्ण वाऩस कय दी। सिजीत अऩने फकए ऩय रस्ज्जत हुआ औय अऩनी
ऩुिी सत्मबाभा का त्रववाह श्री कृ ष्ण के साथ कय फदमा।
कुछ ही सभम फाद अक्रूय के कहने ऩय ऋतु वभाा ने सिजीत को भायकय भस्ण छीन री। श्री कृ ष्ण अऩने फिे
बाई फरयाभ के साथ उनसे मुद्ध कयने ऩहुॊचे। मुद्ध भं जीत हाससर होने वारी थी फक ऋतु वभाा ने भस्ण अक्रूय को दे दी
औय बाग सनकरा। श्री कृ ष्ण ने मुद्ध तो जीत सरमा रेफकन भस्ण हाससर नहीॊ कय सके। जफ फरयाभ ने उनसे भस्ण के
फाये भं ऩूछा तो उन्हंने कहा फक भस्ण उनके ऩास नहीॊ। ऐसे भं फरयाभ स्खन्न होकय द्रारयका जाने की फजाम इॊ द्रप्रस्थ
रौट गए। उधय द्रारयका भं फपय चचाा पैर गई फक श्री कृ ष्ण ने भस्ण के भोह भं बाई का बी सतयस्काय कय फदमा। भस्ण
के चरते झूठे राॊछनं से दख
ु ी होकय श्री कृ ष्ण सोचने रगे फक ऐसा क्मं हो यहा है । तफ नायद जी आए औय उन्हंने
कहा फक हे कृ ष्ण तुभने बाद्रऩद भं शुक्र चतुथॉ की यात को चॊद्रभा के दशान फकमेथे औय इसी कायण आऩको सभथ्मा
करॊक झेरना ऩि यहा हं ।
श्रीकृ ष्ण चॊद्रभा के दशान फक फात त्रवस्ताय ऩूछने ऩय नायदजी ने श्रीकृ ष्ण को करॊक वारी मह कथा फताई थी।
एक फाय बगवान श्रीगणेश ब्रह्मरोक से होते हुए रौट यहे थे फक चॊद्रभा को गणेशजी का स्थूर शयीय औय गजभुख
दे खकय हॊ सी आ गई। गणेश जी को मह अऩभान सहन नहीॊ हुआ। उन्हंने चॊद्रभा को शाऩ दे ते हुए कहा, 'ऩाऩी तूने भेया
भजाक उिामा हं । आज भं तुझे शाऩ दे ता हूॊ फक जो बी तेया भुख दे खेगा, वह करॊफकत हो जामेगा।
गणेशजी शाऩ सुनकय चॊद्रभा फहुत दख
ु ी हुए। गणेशजी शाऩ के शाऩ वारी फाज चॊद्रभा ने सभस्त दे वताओॊ को सोनाई
तो सबी दे वताओॊ को सचॊता हुई। औय त्रवचाय त्रवभशा कयने रगे फक चॊद्रभा ही यािी कार भं ऩृथ्वी का आबूषण हं औय
इसे दे खे त्रफना ऩृथ्वी ऩय यािी का कोई काभ ऩूया नहीॊ हो सकता। चॊद्रभा को साथ रेकय सबी दे वता ब्रह्माजी के ऩास
ऩहुचं। दे वताओॊ ने ब्रह्माजी को सायी घटना त्रवस्ताय से सुनाई उनकी फातं सुनकय ब्रह्माजी फोरे, चॊद्रभा तुभने सबी गणं
के अयाध्म दे व सशव-ऩावाती के ऩुि गणेश का अऩभान फकमा हं । मफद तुभ गणेश के शाऩ से भुि होना चाहते हो तो
श्रीगणेशजी का व्रत यखो। वे दमारु हं , तुम्हं भाप कय दं गे। चॊद्रभा गणेशजी को प्रशन्न कयने के सरमे कठोय व्रत-
तऩस्मा कयने रगे। बगवान गणेश चॊद्रभा की कठोय तऩस्मा से प्रसन्न हुए औय कहा वषाबय भं केवर एक फदन बाद्रऩद
भं शुक्र चतुथॉ की यात को जो तुम्हं दे खेगा, उसे ही कोई सभथ्मा करॊक रगेगा। फाकी फदन कुछ नहीॊ होगा। ’ केवर
एक ही फदन करॊक रगने की फात सुनकय चॊद्रभा सभेत सबी दे वताओॊ ने याहत की साॊस री। तफ से बाद्रऩद भं शुक्र
चतुथॉ की यात को चॊद्रभा के दशान का सनषेध हं ।

सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा


क्मा आऩके रडके-रडकी की ऩढाई भं अनावश्मक रूऩ से फाधा-त्रवघ्नन मा रुकावटे हो यही हं ? फच्चो को
अऩने ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ भेहनत का उसचत पर नहीॊ सभर यहा? अऩने रडके-रडकी की कॊु डरी का
त्रवस्तृत अध्ममन अवश्म कयवारे औय उनके त्रवद्या अध्ममन भं आनेवारी रुकावट एवॊ दोषो के कायण
एवॊ उन दोषं के सनवायण के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ कयं ।
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26 ससतम्फय 2012

गणेश चतुथॉ ज्मोसतष की नजय भं


गणऩसत सभस्त रोकंभं सवा प्रथभ ऩूजेजाने वारे व्मत्रि भं नेतत्ृ व कयने फक त्रवरऺण शत्रि का त्रवकास होता हं ।
एकभाि दे वाता हं । गणेश सभस्त गण के गणाध्मऺक बाई के सुख भं वृत्रद्ध होती हं ।
होने के कायणा गणऩसत नाभ से बी जाने जाते हं । गणेशजी फुत्रद्ध औय त्रववेक के असधऩसत स्वासभ
भनुष्म को जीवन भं सभस्त प्रकाय फक रयत्रद्ध- फुध ग्रह के असधऩसत दे व हं । अत: त्रवद्या-फुत्रद्ध प्रासद्ऱ के
ससत्रद्ध एवॊ सुखो फक प्रासद्ऱ एवॊ अऩनी सम्स्त सरए गणेश जी की आयाधना अत्मॊत परदामी ससद्धो होती
आध्मास्त्भक-बौसतक इच्छाओॊ फक ऩूसता हे तु गणेश जी फक हं । गणेशजी के ऩूजन से वाकशत्रि औय तकाशत्रि भं वृत्रद्ध
ऩूजा-अचाना एवॊ आयाधना अवश्म कयनी चाफहमे। होती हं । फहन के सुख भं वृत्रद्ध होती हं ।
गणेशजी का ऩूजन अनाफदकार से चरा आ यहा हं , बगवान गणेश फृहस्ऩसत(गुरु) के सभान उदाय,
इसके असतरयि ज्मोसतष शास्त्रं के अनुशाय ग्रह ऻानी एवॊ फुत्रद्ध कौशर भं सनऩूणा हं । गणेशजी का ऩूजन-
ऩीडा दयू कयने हे तु बगवान गणेश फक ऩूजा-अचाना कयने अचान कयने से फृहस्ऩसत(गुरु) से सॊफॊसधत ऩीडा दयू होती
से सभस्त ग्रहो के अशुब प्रबाव दयू होते हं एवॊ शुब हं औय व्मत्रि कं आध्मास्त्भक ऻान का त्रवकास होता हं ।
पर फक प्रासद्ऱ होती हं । इस सरमे गणेश ऩूजाका व्मत्रि के धन औय सॊऩत्रत्त भं वृत्रद्ध होती हं । ऩसत के सुख
अत्मासधक भहत्व हं । भं वृत्रद्ध होती हं ।
वक्रतुण्ड भहाकाम सूमक
ा ोफट सभप्रब्। बगवान गणेश धन, ऐद्वमा एवॊ सॊतान प्रदान कयने
सनत्रवघ्ना नॊ कुरू भे दे व सवा कामेषु सवादा।। वारे शुक्र के असधऩसत हं । गणेशजी का ऩूजन कयने से
शुक्र के अशुब प्रबाव का शभन होता हं । व्मत्रि को
बगवान गणेश सूमा तेज के सभान तेजस्वी हं ।
सभस्त बौसतक सुख साधन भं वृत्रद्ध होकय व्मत्रि के
गणेशजी का ऩूजन-अचान कयने से सूमा के प्रसतकूर प्रबाव का
सौन्दमा भं वृत्रद्ध होती हं । ऩसत के सुख भं वृत्रद्ध होती हं ।
शभन होकय व्मत्रि के तेज-भान-सम्भान भं वृत्रद्ध होती हं , बगवान गणेश सशव के ऩुि हं । बगवान सशव शसन
उसका मश चायं औय फढता हं । त्रऩता के सुख भं वृत्रद्ध होकय के गुरु हं । गणेशजी का ऩूजन कयने से शसन से सॊफॊसधत
व्मत्रि का आध्मास्त्भक ऻान फढता हं । ऩीडा दयू होती हं । बगवान गणेश हाथी के भुख एवॊ ऩुरुष
बगवान गणेश चॊद्र के सभान शाॊसत एवॊ शीतरता के शयीय मुि होने से याहू व केतू के बी असधऩसत दे व हं ।
प्रसतक हं । गणेशजी का ऩूजन-अचान कयने से चॊद्र के प्रसतकूर गणेशजी का ऩूजन कयने से याहू व केतू से सॊफॊसधत ऩीडा
प्रबाव का नाश होकय व्मत्रि को भानससक शाॊसत प्राद्ऱ होती हं । दयू होती हं । इससरमे नवग्रह फक शाॊसत भाि बगवान
चॊद्र भाता का कायक ग्रह हं इस सरमे गणेशजी के ऩूजन से गणेश के स्भयण से ही हो जाती हं । इसभं कोई सॊदेह
भातृसुख भं वृत्रद्ध होती हं । नहीॊ हं । बगवान गणेश भं ऩूणा श्रद्धा एवॊ त्रवद्वास फक
बगवान गणेश भॊगर के सभान सशत्रिशारी एवॊ आवश्मिा हं । बगवान गणेश का ऩूजन अचान कयने से
फरशारी हं । गणेशजी का ऩूजन-अचान कयने से भॊगर के भनुष्म का जीवन सभस्त सुखो से बय जाता है ।
अशुब प्रबाव दयू होते हं औय व्मत्रि फक फर-शत्रि भं वृत्रद्ध जन्भ कुॊडरी भं चाहं होई बी ग्रह अस्त हो मा

होती हं । गणेशजी के ऩूजन से ऋण भुत्रि सभरती हं । व्मत्रि नीच हो अथवा ऩीफडत हो तो बगवान गणेश फक

के साहस, फर, ऩद औय प्रसतद्षा भं वृत्रद्ध होती हं स्जस कायण आयाधना से सबी ग्रहो के अशुब प्रबाव दयू होता हं एवॊ
शुब परो फक प्रासद्ऱ होती हं ।
27 ससतम्फय 2012

जफ गणेशजी ने धायण फकमा ज्मोसतषी का रुऩ


 सचॊतन जोशी
फहन्द ु धभा भं सवाप्रथन ऩूजनीम बगवान गणेश ने एक शता है फक जफ तक ऩृथ्वी ऩय भेया शासन यहे गा,
एक फाय ज्मोसतषी का रुऩ धायण कय सरमा। हराॊफक हभ तफ तक सबी दे वता केवर स्वगा रोक भं ही सनवास
बगवान गणेश के त्रवसबन्न रुऩं से ऩरयसचत हं , रेफकन कयं गे। वे ऩृथ्वी ऩय नहीॊ आएॉगे। ब्रह्मा जी ने तथास्तु
उनके ज्मोसतषीम रुऩ से कभ ही रोग ऩरयसचत हंगे! कहा। अस्ग्न, सूम,ा इन्द्र इत्माफद सबी दे वता ऩृथ्वी से
त्रवद्रानं का कथन हं की बगवान गणेश ज्मोसतषी रुऩ अॊतध्माान हो गमे तो रयऩुञ्जम ने प्रजा के कल्माण हुते
ब्रह्मा जी की सृत्रद्श सॊचारन भं सहामता हे तु धायण फकमा उन सफ दे वताओॊ का रूऩ धायण कय सरमा।
था। रयऩुञ्जम को दे वताओॊ का रुऩ धायण फकमे हुवे
ऩौयास्णक कथा के अनुशाय एकफाय एक फाय याजा दे खकय सबी दे वता फहुत क्रोसधत हो गमे। याजा रयऩुञ्जम
रयऩुञ्जम ने कफठन साधना से भन तथा इस्न्द्रमं को के सभस्त ऩृथ्वी ऩय शासन कयने के कायण वह फदवोदास
अऩने वश भं कय सरमा। याजा रयऩुञ्जम की साधना से के नाभ से प्रससद्ध हुए। रयऩुञ्जम ने काशी को अऩनी
सन्तुद्श होकय ब्रह्मा जी ने उन्हं सम्ऩूणा बूरोक ऩय याजधानी फनामा। उनके शासन भं अऩयाध का कहीॊ
प्रजाऩारन औय नागयाज वासुफक की कन्मा के साथ नाभो-सनशान नहीॊ था। असुय बी भनुष्म के वेश भं आकय
त्रववाह का आसशवााद फदमा। याजा की सेवा भं उऩस्स्थत हो जाते थे। सवाि धभा की
ब्रह्मा जी की आऻा को सुनकय रयऩुञ्जम ने कहा, प्रधानता थी।
भं आऩका मह आसशवााद स्वीकाय कयता हूॉ, रेफकन भेयी

द्रादश भहा मॊि


मॊि को असत प्रासचन एवॊ दर
ु ब
ा मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनुसॊधान द्राया फनामा गमा हं ।
 ऩयभ दर
ु ब
ा वशीकयण मॊि,  सहस्त्राऺी रक्ष्भी आफद्ध मॊि
 बाग्मोदम मॊि  आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि
 भनोवाॊसछत कामा ससत्रद्ध मॊि  ऩूणा ऩौरुष प्रासद्ऱ काभदे व मॊि
 याज्म फाधा सनवृत्रत्त मॊि  योग सनवृत्रत्त मॊि
 गृहस्थ सुख मॊि  साधना ससत्रद्ध मॊि
 शीघ्र त्रववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि  शिु दभन मॊि

उऩयोि सबी मॊिो को द्रादश भहा मॊि के रुऩ भं शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध ऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एवॊ चैतन्म मुि फकमे
जाते हं । स्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩूजा अचाना-त्रवसध त्रवधान त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं ।

GURUTVA KARYALAY
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28 ससतम्फय 2012

ु यी तयप दे वरोक भं, ऩृथ्वी ऩय अऩना आवास छूटने


दस बगवान गणेश ने सम्ऩूणा काशी नगयी को अऩने
के कायण सभस्त दे वता औय बगवान सशव अत्मसधक वश भं कय सरमा। याजा रयऩुञ्जम से दयू यहकय बी
द्ु खी थे। सबी इसी उरझन भे थे की फकसी तयह याजा बगवान गणेश ने उनके सचत्त को याज-काज से त्रवयि कय
रयऩुञ्जम के याज भं कभी ढू ॉ ढ़कय उन्हं बूरोक के याज से फदमा। १८वं फदन बगवान त्रवष्णु ने ब्राह्मण का वेश धायण
हटामा जाम। इसी प्रमास भं दे वताओॊ ने रयऩुञ्जम के कयके अऩना नाभ ऩुण्मकीता, गरुि का नाभ त्रवनमकीता
याजकाज भं कई प्रकाय के त्रवघ्नन उऩस्स्थत फकए, रेफकन तथा रक्ष्भी का नाभ गोभोऺ प्रससद्ध फकमा। वे स्वमॊ गुरु
कोई बी त्रवध्न-फाधा रयऩुञ्जम के साभने फटक नहीॊ ऩामी। रूऩ भं तथा उन दोनं को चेरं के रूऩ भं रेकय काशी
रयऩुञ्जम को ऩथभ्रद्श कयने के सरए बगवान सशव ने ऩहुॊचे।
क्रभश: ६४ मोसगसनमं, सूम,ा ब्रह्मा, सशव गण आफद को रयऩुञ्जम को सभाचाय सभरा तो गणेश जी की फात को
काशी बेजा। इस प्रकाय क्रभश् कई दे वता ऩृथ्वी ऩय आते स्भयण कयके उसने ऩुण्मकीता का स्वागत कयके उऩदे श
गए औय एक-एक कय सबी महीॊ सनवास कयने रगे। सुना। ऩुण्मकीता ने फहन्द ू धभा का खॊडन कयके फौद्ध धभा
तफ बगवान सशव ने अऩने ऩुि श्रीगणेश को काशी का भॊडन फकमा। प्रजा सफहत याजा रयऩुञ्जम फौद्ध धभा का
जाने के सरमे आदे श फदमा। बगवान श्रीगणेश ने काशी भं ऩारन कयके अऩने धभा से ऩथभ्रद्श हो गमा। ऩुण्मकीता ने
आऩना आवास एक भस्न्दय भं फनामा तथा वे स्वमॊ एक याजा रयऩुञ्जम से कहा फक सात फदन उऩयाॊत उसे
वृद्ध ब्राह्मण का वेश धायण कय काशी भं यहने रगे। काशी सशवरोक चरे जाना चाफहए। उससे ऩूवा सशवसरॊग की
भं धीये -धीये रोग बगवान श्रीगणेश के ऩास अऩना स्थाऩना बी आवश्मक है । श्रद्धारु याजा ने उसके कथन
बत्रवष्म जानने के सरमे आने रगे। धीये -धीये उनकी कीसता अनुसाय फदवोदासेद्वय सरॊग की स्थाऩना एवॊ त्रवसध-ऩूवक

तथा प्रससत्रद्ध याजा रयऩुञ्जम तक ऩहूॉची तो उन्हंने वृद्ध ऩूजा-अचाना कयवाई। गरुि त्रवष्णु जी के सॊदेशस्वरूऩ
ज्मोसतषी को अऩने महाॉ आभॊत्रित फकमा। सभस्त घटना का त्रवस्तृत वणान कयने सशव के सम्भुख
वृद्ध ज्मोसतषी के आने ऩय रयऩुञ्जम ने उनका गमे। तदऩ
ु याॊत रयऩुञ्जम ने सशवरोक प्राद्ऱ फकमा तथा
त्रवशेष आदय सत्काय फकमा औय सनवेदन फकमा फक, इस दे वतागण काशी भं अॊश रूऩ से यहने के ऩुन: असधकायी
सभम भेया भन बौसतक ऩदाथं एवॊ सबी कभं से दयू हो फन गमे। त्रवद्रानं का कथन हं की गणेश जी के ज्मोसतषी
यहा है । इससरए आऩ अच्छी तयह गणना कय भेये बत्रवष्म रुऩ धायण कयने से ऩूवा सबी दे वताओॊ के प्रमास सनष्पर
का वणान कीस्जए। तफ उन वृद्ध ज्मोसतषी ने रयऩुञ्जम से हुवे थे। इस सरए मह गणेशजी के ज्मोसतषी रुऩ का ही
कहा फक, “आज से १८वं फदन उत्तय फदशा की ओय से एक चभत्काय था की याजा रयऩुञ्जम ने गणेश जी की फात
तेजस्वी ब्राह्मण का आगभन होगा औय वे ही तुम्हं उऩदे श ऩय त्रवद्वास कय ब्राह्मण रुऩ धायी त्रवष्णु जी की फात ऩय
दे कय तुम्हाया बत्रवष्म सनस्द्ळत कयं गे। त्रवद्वास फकमा औय उनके कहे अनुशाय कामा सॊऩन्न फकमा।

धन वृत्रद्ध फडब्फी
धन वृत्रद्ध फडब्फी को अऩनी अरभायी, कैश फोक्स, ऩूजा स्थान भं यखने से धन वृत्रद्ध होती हं स्जसभं कारी हल्दी,
रार- ऩीरा-सपेद रक्ष्भी कायक हकीक (अकीक), रक्ष्भी कायक स्पफटक यत्न, 3 ऩीरी कौडी, 3 सपेद कौडी, गोभती
चक्र, सपेद गुॊजा, यि गुॊजा, कारी गुॊजा, इॊ द्र जार, भामा जार, इत्मादी दर
ु ब
ा वस्तुओॊ को शुब भहुता भं तेजस्वी

भॊि द्राया असबभॊत्रित फकम जाता हं । भूल्म भाि Rs-730


29 ससतम्फय 2012

वषा की त्रवसबन्न चतुथॉ व्रत का भहत्व


 सचॊतन जोशी
श्रावण कृ ष्ण चतुथॉ श्रावण शुक्र चतुथॉ

सॊकद्शचतुथॉ व्रत दव
ू ाा गणऩसत व्रत
ऩौयास्णक ग्रॊथ बत्रवष्मोत्तय के अनुशाय सॊकद्शचतुथॉ ऩौयास्णक ग्रॊथ सौयऩुयाण के अनुशाय मह व्रत
व्रत प्रत्मेक भासकी कृ ष्ण चतुथॉ को फकमा जाता है । मफद श्रावण शुक्र चतुथॉ को फकमा जाता है । गणेश जी के
ऩूजन हे तु इसभं भध्मािव्मात्रऩनी चतुथॉ री जाती है ।
चतुथॉ दो फदन चन्द्रोदमव्मात्रऩनी हो मा दोनं फदन न हो
मफद चतुथॉ दो फदन हो मा दोनं फदन न हो तो भातृत्रवद्धा
तो भातृत्रवद्धा प्रशस्मते के अनुसाय ऩहरे फदन व्रत कयना
प्रशस्मते के अनुसाय ऩूवत्रा वद्धा व्रत कयना चाफहमे।
चाफहमे।
चतुथॉ फदन प्रात्स्त्रानाफद कयके सुवणाके गणेशजी
व्रतधायी को चाफहमे फक वह प्रात्स्त्रानाफदके ऩद्ळात ् फनवावे जो एकदन्त, चतुबज
ूा , गजानन औय स्वणा
व्रत कयनेका सॊकल्ऩ कयके फदनबय मथा सॊबव भौन यहे ससॊहासन ऩय त्रवयाजभान हं।
औय सामॊकारभं ऩुन्स्त्रान कयके रार वस्त्र धायणकय इसके असतरयि सोनेकी दव
ू ाा बी फनवावे। फपय
ऋतुकार भं उऩरब्ध गन्ध ऩुष्ऩाफद से गणेशजीका ऩूजन सवातोबद्र फनाकय भण्डरऩय करश की स्थाऩन कयके
कये ,(शास्रोि भत से गणेश ऩूजन भं तुरसी ऩि वस्जात हं ) उसभं स्वणाभम दव
ू ाा रगाकय उसऩय उि गणेशजीका
स्थाऩन कये ।
उसके फाद चन्द्रोदम होने ऩय चन्द्रभा का ऩूजन
गणेश जी को यिवस्त्राफदसे त्रवबूत्रषत कये औय
कये औय अघ्नमा से ऩूजन कय स्वमॊ बोजन कये तो
अनेक प्रकायके सुगास्न्धत ऩि, ऩुष्ऩाफद अऩाण कय के
व्रतधायी को सुख, सौबाग्म औय सम्ऩत्रत्तकी प्रासद्ऱ होती है ।
ऩूजन कये । फेरऩि, अऩाभागा, शभीऩि, दफ
ू आदी अऩाण
कयं । (शास्रोि भत से गणेश ऩूजन भं तुरसी ऩि वस्जात हं )।

सॊकद्शचतुथॉ की व्रत कथा: स्तोि, आयती, स्तवन आफद का त्रवसधवत


उच्चायण कय के गणेश जी की ऩरयक्रभा कय अऩयाधं के
ऩौयास्णक कथा के अनुशाय सत्ममुग भं याजा
सरए गणेद्वय गणाध्मऺ गौयीऩुि गजानन। व्रतॊ सम्ऩूणााताॊ
मुवनाद्व के ऩास सम्ऩूणा शास्त्रं के ऻाता ब्रह्मशभाा नाभक
मातु त्वत्प्रसादाफदबानन ॥ का उच्चायण कयते हुवे ऺभा-
ब्राह्मण थे, स्जनके सात ऩुि औय सात ऩुिवधुएॉ थीॊ।
माचना प्राथाना कयं । इस प्रकाय तीन मा ऩाॉच वषा तक
ब्रह्मशभाा जफ वृद्ध हुए, तफ फिी छ् फहुओॊकी अऩेऺा छोटी व्रत ऩारन से सभस्त भनोकाभनाएॉ ऩूयी होती हं ।
फहूने द्वशुयकी असधक सेवा की। तफ उन्हंने सॊतद्श
ु होकय इस व्रत को कयने वारे भनुष्म की सॊऩूणा
ऩुिवधु से सॊकद्शहय चतुथॉका व्रत कयवामा, स्जसके काभनाएॉ ऩूयी होती हं औय अन्त भं उसे गणेशजी का ऩद
प्रबावसे वह भयणऩमान्त सफ प्रकायके सुख साधनंसे प्राद्ऱ हो जाता है । त्रवद्रानो का कथ हं की िैरोक्म भं
सॊमुि यही। इसके सभान अन्म कोई व्रत नहीॊ है ।
30 ससतम्फय 2012

असधक भास की गणेश चतुथॉ अऩने भुखायत्रवन्द से इस सतसथ का भाहत्म फढाते हुवे
कहा है फक इस चतुथॉ व्रत का सनरूऩण एवॊ भाहात्म्म की
व्मासजी के कथनानुशाय असधक भास भं चतुथॉ
सॊऩूणा भफहभा वखानना शक्म नहीॊ।
की गणेद्वयके नाभ से ऩूजा कयनी चाफहए। ऩूजन हे तु
षोडशोऩचाय की त्रवसध उत्तभ होती है ।

चतुथॉ व्रत के राब: बाद्रऩद कृ ष्ण चतुथॉ

हय भहीने गणेश जी की प्रसन्नता के सनसभत्त व्रत फहुरा चतुथॉ व्रत


कयं । इसके प्रबाव से त्रवद्याथॉ को त्रवद्या, धनाथॉ को धन बाद्रऩद भास के कृ ष्णऩऺ की चतुथॉ फहुरा चौथ
प्रासद्ऱ एवॊ कुभायी कन्मा को सुशीर वय की प्रासद्ऱ होती है मा चतुथॉ फहुरा के नाभ से बी प्रससद्ध है ।
औय वह सौबाग्मवती यहकय दीघाकार तक ऩसत का
फहन्द ु भान्मताओॊ के अनुशाय बाद्रऩद भास की
सुखबोग कयती है । त्रवधवा द्राया व्रत कयने ऩय अगरे
कृ ष्ण चतुथॉ के फदन ऩुिवती स्स्त्रमाॊ अऩने ऩुिं की
जन्भ भं वह सधवा होती हं एवॊ ऐद्वमा-शासरनी फन कय
कुशरता एवॊ भॊगरकाभना के सनसभत्त फहुरा व्रत यखती
ऩुि-ऩौिाफद का सुख बोगती हुई अॊत भं भोऺ ऩाती है ।
हं । रेफकन कुछ त्रवद्रानो का भत हं की फहुरा चतुथॉ सही
ऩुिेच्छुको ऩुि राब होता एवॊ योगी का योग सनवायण होता
भामनं भं गो-भाता की ऩूजा एवॊ वचन ऩारन की प्रेयणा
है । बमबीत व्मत्रि बम यफहत होता एवॊ फॊधन भं ऩिा
दे ने वारा ऩवा है ।
हुआ फॊधन भुि हो जाता है ।
स्जस प्रकाय भाॊ की तयह गो-भाता अऩना दध

त्रऩराकय हभ सफको ऩारती है , इस सरए हभं अत:भन भं
बाद्रऩद शुक्र चतुथॉ उनके प्रसत कृ तऻता का बाव यखकय ही मह व्रत कयना
चाफहए। मह व्रत सॊतान सुख का दे नेवारा तथा ऐद्वमा को
सशवाचतुथॉव्रत:
फढाने वारा है ।
ऩौयास्णक ग्रॊथ बत्रवष्मऩुयाण के अनुशाय बाद्रऩद
ऩायॊ ऩरयक रूऩ से इस फदन व्रत को कयने वारी
शुक्र चतुथॉकी ' सशवा ' सॊऻा है । इसभं स्नान, दान,
स्त्रीमाॊ इस ऩवा के फदन गाम का दध
ू एवॊ उससे सनसभात
जऩ औय उऩवास कयनेसे सौगुना प्राद्ऱ पर होता है ।
कोई ऩदाथा नहीॊ खाती हं । क्मोकी, इस सतसथ भं गाम के
स्स्त्रमाॉ मफद इस फदन गुि, घी, रवण औय अऩूऩाफदसे
दध
ू ऩय केवर उसके फछडे का असधकाय भाना जाता है ।
अऩने सास द्वशुय मा भाॉ आफदको तृद्ऱ कये तो उनके
सौबाग्मकी वृत्रद्ध होती है । फदन बय उऩवास यखने के फाद सामॊकार फछडे
सफहत गौ की ऩूजा की जाती हं । कुल्हड भं खाने की जो
श्री गणेश की प्राकट्म सतसथ होने के कायण
साभग्री को यखकय गाम को बोग रगामा जाता है , फाद
बाद्रऩद शुक्र चतुथॉ बगवान गुणेश की वयदामक सतसथ
भं स्त्रीमाॊ उसी को प्रसाद के रूऩ भं ग्रहण कयती है । कई
अत्मासधक प्रख्मात हुई। उस फदन भध्माि कार भं
जगम इस फदन जौ के सत्तू तथा गुड का बोग बी
बगवान गणेश की प्रसतभा का श्रद्धा-बत्रिऩूणा ऩूजन कय
रगाकय खामा जाता है ।
गणेश जी के स्भयण, सचॊतन एवॊ नाभ-जऩ का अद्धद्भत

भाहात्म्म है । शास्त्रं भं उल्रेख हं की गणेश चतुथॉ का फहुराचतुथॉ के व्रत से मह प्रेयणा सभरती है हभं
ऩुण्मभम एवॊ अत्मॊत परप्रदासमनी है । स्वमॊ ब्रह्मा जी ने हभंशा सत्म के साथ-साथ अऩने कताव्म एवॊ वचनं का
सदा ऩारन होना चाफहए।
31 ससतम्फय 2012

त्रवद्रानो के भतानुशाय बाद्रऩद कृ ष्ण चतुथॉ को भागाशीषा शुक्र चतुथॉ


फहुरासफहत गणेश की गॊध, ऩुष्ऩ, भारा औय दव
ू ाा आफद कृ च्र चतुथॉ व्रत:
के द्राया त्रवसध-त्रवधान से ऩूजा कय ऩरयक्रभा कयनी चाफहए।
भागाशीषा शुक्र चतुथॉ की कृ च्र चतुथॉ कहा जाता है ।
साभथ्मा के अनुसाय दान-ऩुण्म कयं । दान कयने की स्स्थसत
ऩौयास्णक ग्रॊथ स्कन्दऩुयाण भं उल्रेख हं की
न हो तो फहुरा गो भाता फक प्रसतभा को प्रणाभ कय
कृ च्रचतुथॉ व्रत भागाशीषा शुक्र चतुथॉसे आयम्ब होकय
उसका त्रवसजान कय दं । इस प्रकाय ऩाॉच, दस मा सोरह
प्रत्मेक चतुथॉको वषाऩमान्त कयके फपय दस
ू ये , तीसये औय
वषं तक इस व्रत का ऩारन कयके उद्याऩन कयं । उस
चौथे वषा भं कयनेसे चाय वषाभं ऩूणा होता है ।
सभम दध
ू दे ने वारी स्वस्थ गाम का दान कयना चाफहए। कृ च्रचतुथॉ व्रत की त्रवसध मह है फक ऩहरे वषाभं
(भागाशीषा शुक्र चतुथॉ को) प्रात्स्त्रानके ऩद्ळात ् व्रतका

आस्द्वन कृ ष्ण चतुथॉ सनमभ ग्रहण कयके गणेशजीका मथात्रवसध ऩूजन कये ।
नैवेद्यभं रड्डू सतरकुटा, जौका भॉडका औय सुहारी अऩाण
आस्द्वन कृ ष्ण चतुथॉको व्रत हो औय उसी फदन
कयके इस भॊि का उच्चायण कयं ..
भाता - त्रऩता आफदका श्राद्ध बी कयना हो तो त्रवद्रानो के
त्वत्प्रसादे न दे वेश व्रतॊ वषाचतुद्शमभ ्।
भतानुशाय फदनभं श्राद्ध कयके ब्राह्मणंको बोजन कया दे
सनत्रवघ्र
ा ेन तु भे मातु प्रभाणॊ भूषकध्वज ॥
औय अऩने फहस्सेके बोजनको सूॉघकय गौ को स्खरा दे ।
सॊसायाणावदस्
ु तायॊ सवात्रवघ्रसभाकुरभ ्।
यात्रिभं चन्द्रोदमके फाद स्वमॊ बोजन कये ।
तस्भाद् दीनॊ जगन्नाथ िाफह भाॊ गणनामक ॥

व्रत कथा: प्राथाना कयके एक फाय ऩरयसभत बोजन कये । इस

ऩौयास्णक कथा के अनुशाय एक फाय फाणासुयकी प्रकाय प्रत्मेक चतुथॉको कयता यहकय दस
ू ये वषा उसी

ऩुिी ऊषाको स्वसन भं कृ ष्ण ऩौि असनरुद्धका दशान हुआ। भागाशीषा शुक्र चतुथॉको ऩुन् मथाऩूवा सनमभ ग्रहण, व्रत

ऊषाको उनके प्रत्मऺ दशानकी असबराषा हुई औय उसने औय ऩूजा कयके पि ( यात्रिभं एक फाय ) बोजन कये ।

सचिरेखाके द्राया असनरुद्धको अऩने घय फुरा सरमा। इससे इसी प्रकाय प्रत्मेक चतुथॉको वषाऩमान्त कयके तीसये वषा

असनरुद्धकी भाताको फिा कद्श हुआ। इस सॊकटको टारनेके फपय भागाशीषा शुक्र चतुथॉको व्रत सनमभ औय ऩूजा

सरमे भाताने व्रत फकमा, तफ इस व्रतके प्रबावसे ऊषाके कयके अमासचत ( अथाात त्रफना भाॉगे जो कुछ स्जतना

महाॉ सछऩे हुए असनरुद्धका ऩता रग गमा औय ऊषा तथा सभरे उसीका एक फाय ) बोजन कये ।

असनरुद्ध द्रायका आ गमे। इस प्रकाय एक वषा तक प्रत्मेक चतुथॉको व्रत


कयके चौथे वषाभं उसी भागाशीषा शुक्र चतुथॉको सनमभ
ग्रहण, व्रत सॊकल्ऩ औय ऩूजनाफद कयके सनयाहाय उऩवास
आस्द्वन शुक्र चतुथॉ कये । इस प्रकाय वषाऩमान्त प्रत्मेक चतुथॉको व्रत कयके
चौथा वषा सभाद्ऱ होनेऩय सपेद कभरऩय ताॉफेका करश
आस्द्वन शुक्र चतुथॉ नवयाि भं ऩिने के कायण
स्थाऩन कयके सुवणाके गणेशजीका ऩूजन कये । सवत्सा
भाॊ बगवती के ऩूजन के साथ यािी जागयण कयने का
गौका दान कये , हवन कये औय चौफीस सऩत्नीक ब्राह्मणंको
त्रवशेष भहत्व हं एवॊ इस फदन गणेश जी का ऩुरुषसूि
बोजन कयवाकय वस्त्राबूषणाफद दे कय स्वमॊ बोजन कये तो
द्राया षोडशोऩचाय ऩूजन कयके बत्रिऩूवक
ा ऩूजा का त्रवशेष
भाहात्म्म है ।
32 ससतम्फय 2012

इस व्रतके कयनेसे सफ प्रकायके त्रवघ्नन दयू हो जाते हं औय ऩौष कृ ष्ण चतुथॉ


व्रती को सफ प्रकायकी सम्ऩत्रत्त प्राद्ऱ होती है ।
सॊकद्शचतुथॉ व्रत:
ऩौयास्णक ग्रॊथ बत्रवष्मोत्तय के अनुशाय ऩौष कृ ष्ण
वयचतुथॉ व्रत: चतुथॉ को गणऩसत स्भयणऩूवक
ा प्रात्स्त्रानाफद सनत्मकभा
ऩौयास्णक ग्रॊथ स्कन्दऩुयाण भं उल्रेख हं की मह कयनेके ऩद्ळात ् सॊकल्ऩ कयके फदनबय भौन यहे । यात्रिभं
व्रत कृ च्रचतुथोके सभान मह व्रत बी भागाशीषा शुक्र ऩुन् स्त्रान कयके गणऩसत - ऩूजनके ऩद्ळात ् चन्द्रोदमके
चतुथॉसे आयम्ब होकय चाय वषाभं ऩूणा होता है । फाद चन्द्रभाका ऩूजन कयके अघ्नमा दे , फपय बोजन कयने
प्रथभ वषाभं प्रत्मेक चतुथॉको फदनाद्धा के सभम एक का त्रवधान फतामा गमा हं ।
फाय अरोन ( त्रफना नभक का ) बोजन, दस
ू ये वषाभं नि
( यात्रि ) बोजन, तीसये भं अमासचत बोजन औय चौथेभं
ऩौष शुक्र चतुथॉ
उऩवास कयके मथाऩूवा सभाद्ऱ कये । मह व्रत सफ प्रकायकी
ऩौष शुक्र व्रत त्रवसध ऩूवक
ा कयने वारे भनुष्म को
अथाससत्रद्ध दे ने वारा है ।
धन-सॊऩत्रत्त का अबाव नहीॊ यहता। उसी सबी प्रकाय के
ऩरयसभत बोजनके त्रवषमभं कहीॊ ऩय 32 ग्रास औय
सुख सौबाग्म की प्रासद्ऱ होती हं ।
फकसीने 29 ग्रास फतरामे हं ।
स्भृत्मन्तय भं उल्रेख हं
भाघ शुक्र चतुथॉ
अद्शौ ग्रासा भुनेबक्ष्
ा मा् षोडशायण्मवाससन्।
द्रात्रिश
ॊ द् गृहस्थमा ऩरयसभतॊ ब्रह्मचारयण् ॥ शास्न्तचतुथॉ व्रत:
अथाात: भुसनको आठ, वनवाससमंको सोरह, गृहस्थंको ऩौयास्णक ग्रॊथ बत्रवष्मऩुयाण के अनुशाय भाघ
फत्तीस औय ब्रह्मचारयमंको अऩरयसभत ( मथारुसच ) ग्रास शुक्र चतुथॉको गणेशजीका ऩूजन कयके घीभं सने हुए
बोजन कयनेको कहा गमा है । गुिके ऩूआ औय रवणके ऩदाथा अऩाण कये औय गुरुदे वकी
ऩूजा कयके उनको गुि, रवण औय घी दे तो इस व्रतसे
ग्रासका प्रभाण है एक आॉवरेके फयाफय अथवा सफ प्रकायकी स्स्थय शास्न्त प्राद्ऱ होती है ।
स्जतना सुगभतासे भुह
ॉ भं जा सके, उतना एक ग्रास होता
है । न्मून बोजनके सरमे ( माऻवल्क्मने ) तीन ग्रास अॊगायकचतुथॉ व्रत:
सनमत फकमे हं । ऩौयास्णक ग्रॊथ भत्स्मऩुयाण के अनुशाय मफद भाघ
शुक्र चतुथॉको भॊगरवाय हो तो उस फदन प्रात्स्त्रानके
भागाशीषा कृ ष्ण चतुथॉ ऩहरे शयीयभं सभट्टी रगाकय शुद्ध स्त्रान कये , रार धोती
ऩहने, वस्त्राअबूषण आफद से सुसस्ज्जत धायण कये औय
सचॊताभणी चतुथॉ व्रत:
उत्तयासबभुख फैठकय 'अस्ग्नभूद्धाा' भन्त्नका जऩ कये । फपय
भागाशीषा कृ ष्ण चतुथॉ को सचॊताभणी चतुथॉ के
बूसभको गोफयसे रीऩकय अङ्गयकाम बौभाम नभ् का जऩ
नाभ से जाना जाता हं । त्रवद्रानो के कथनानुशाय इस फदन
कये । फपय उसऩय रार चन्दनका अद्शदर फनामे तथा
ऩूया फदन केवर ऩानी त्रऩकय उऩवास फकमा जाता हं । यािी
उसकी ऩूवााफद चायं फदशाओॊभं बक्ष्म बोजन औय चावरंसे
के सभम चन्द्रोदम के फाद करश ऩय श्रीसचॊताभणी गणेश
बये हुए चाय कयवे यख कय गन्धाऺताफदसे ऩूजन कयके।
की स्थाऩना कय उसका त्रवसध-वत ऩूजन कयने का त्रवधान
दान भं कत्रऩरा गौ औय रार यॊ गका अतीव सौम्म धुयॊधय
हं । नैवेद्य भं भोदक का बोग रगामे।
33 ससतम्फय 2012

फैर दे ना औय साथभं शय्मा दे ना सहस्त्रगुण पर दे ने पाल्गुन शुक्र चतुथॉ


वारा होता है ।
ढु स्ण्ढयाज व्रत:
पाल्गुन भास की चतुथॉ को भॊगरदामक ढु स्ण्ढयाज
सुखचतुथॉ व्रत: व्रत फकमा जाता है । चतुथॉ के फदन व्रत-उऩवास के साथ
ऩौयास्णक ग्रॊथ बत्रवष्मऩुयाण के अनुशाय गणेशजी की सोने की भूसता फनवाकय उसकी श्रद्धा-
चतुथॉ तु चतुथॉ तु मदाङ्गायकसॊमुता। बत्रिऩूवक
ा ऩूजा की जासत हं । गणेशजी को प्रसन्न कयने
चतुथ्मां तु चतुथ्मां तु त्रवधानॊ श्रृणु मा शभ ् ॥ के सरए उस फदन सतर से ही दान, होभ, ऩूजन आफद
भाघ शुक्र चतुथॉको मफद भॊगरवाय हो तो रार वणाके फकमे जाते हं । उस फदन सतर के ऩीठे से ब्राह्मणं को
गन्ध, अऺत औय ऩुष्ऩ, नैवेद्यसे गणेशजीका ऩूजन कयके बोजन कयाकय व्रती स्वमॊ बी बोजन कयते हं । इस व्रत
उऩवास कये । इस प्रकाय चाय-चाय चतुथॉ ( भाघ, वैशाख, के प्रबाव से सभस्त सम्ऩदाओॊ की वृत्रद्ध होती है औय
बाद्रऩद औय ऩौष ) का एक वषा व्रत कये तो सफ प्रकायके भनुष्म गणेशजी की कृ ऩा से ही ससत्रद्ध प्राद्ऱ कय रेता है ।
सुख प्राद्ऱ होते हं । प्रत्मेक चतुथॉको बौभवाय होना भत्स्मऩुयाण के अनुसाय पाल्गुन शुक्र चतुथॉ को
आवश्मक है । भनोयथ चतुथॉ कहते हं । ऩूजनोऩयान्त निव्रत का त्रवधान
है । इस प्रकाय फायहं भहीने की प्रत्मेक शुक्र चतुथॉ को
गणेशव्रत व्रत कयते हुए वषाबय के फाद उस स्वणाभूसता का दान
ऩौयास्णक ग्रॊथ बत्रवष्मऩुयाण के अनुशाय भाघ कयने से भनोयथ ससद्ध होते हं । अस्ग्नऩुयाण भं इसको
शुक्र ऩूवत्रा वद्धा चतुथॉको प्रात् स्त्रानाफद कयके सॊकल्ऩ अत्रवघ्नना चतुथॉ कहाॊ गमा है ।
कयके वेदीऩय रार वस्त्र त्रफछामे। रार अऺतंका अद्शदर पाल्गुन कृ ष्ण चतुथॉ
फनाकय उसऩय ससन्दयू चसचात गणेशजीको स्थात्रऩत कये ।
पाल्गुन भास की कृ ष्ण चतुथॉ को सतर चतुथॉ बी कहाॊ
स्वमॊ रार धोती ऩहनकय रार वणाके पर ऩुष्ऩाफदसे
जाता हं
षोडशोऩचाय ऩूजन कये । नैवेद्यभं (सबगोकय छीरी हुई )
हल्दी, गुि, शक्कय औय घी इनको सभराकय बोग रगामे चैि कृ ष्ण चतुथॉ
औय निव्रत (यात्रिभं एक फाय बोजन कये तो सम्ऩूणा चैि भास की चतुथॉ को वासुदेवस्वरूऩ बगवान
अबीद्श ससद्ध होते हं । श्रीगणेश का त्रवसधऩूवक
ा ऩूजन कय ब्राह्मण को दस्ऺणा के
रुऩ भं सुवणा दे ने ऩय भनुष्म को सॊऩूणा दे वताओॊ से वॊफदत
भाघ कृ ष्ण चतुथॉ हो जाता हं औय वह श्री त्रवष्णु रोक को प्राद्ऱ कयता है ।

वक्रतुण्डचतुथॉ कथा:
ऩौयास्णक ग्रॊथ बत्रवष्मोत्तय के अनुशाय भाघ कृ ष्ण ऩौयास्णक कथा के अनुशाय प्राचीन कारभं भमूयध्वज नाभका
चन्द्रोदमव्मात्रऩनी चतुथॉको वक्रतुण्डचतुथॉ कहते हं । इस याजा फिा प्रबावशारी औय धभाऻ था। एक फाय उसका ऩुि
व्रतका आयम्ब सॊकल्ऩ कयके कये । सामॊकारभं गणेशजीका कहीॊ खो गमा औय फहुत अनुसॊधान कयनेऩय बी न सभरा।
औय चन्द्रोदमके सभम चन्द्रका ऩूजन कयके अघ्नमा दे । इस तफ भस्न्िऩुिकी धभावती स्त्रीके अनुयोधसे याजाके सम्ऩूणा
व्रतको भाघसे आयम्ब कयके हय भहीनेभं कये तो सॊकटका ऩरयवाने चैि कृ ष्ण चतुथॉका फिे सभायोहसे मथात्रवसध व्रत
नाश हो जाता है । फकमा। तफ बगवान गणेशजीकी कृ ऩासे याजऩुि आ गमा
औय उसने भमूयध्वजकी आजीवन सेवा की।
34 ससतम्फय 2012

वैशाख कृ ष्ण चतुथॉ आषाढ़ चतुथॉ


वैशाख भास की चतुथॉ को सॊकद्शी गणेश का ऩूजा आषाढ़ भास की चतुथॉ को असनरुद्धस्वरूऩ गणेश
कय ब्राह्मणं को शॊख का दान कयना चाफहए। इसके प्रबाव का त्रवसधऩूवक
ा ऩूजन कयके सॊन्माससमं को तूॊफी का ऩाि
से भनुष्म सभस्त रोक भं कल्ऩं तक सुख प्राद्ऱ कयता है । दान कयना चाफहए। इस व्रत को कयने वारा भनुष्म को
भनोवाॊसछत पर प्राद्ऱ होते है ।
वैशाख शुक्र चतुथॉ
चतुथॉ के फदन भनुष्म श्रद्धा-बत्रिऩूवक
ा भॊगरभूसता
वैशाख भास की कृ ष्ण चतुथॉ को श्रीकृ ष्णत्रऩॊगाऺ
गणेश का त्रवसधवत ऩूजन कय एसा उराब पर प्राद्ऱ कय
गणऩसत का ऩूजन फकमा जाता हं ।
रेता है , जो दे व सभुदाम के सरए बी अप्राप्त्म है ।
ज्मेद्ष कृ ष्ण चतुथॉ
नोट: आऩकी अनुकूरता हे तु गणेश ऩूजन की सयर त्रवसध
सॊकद्शचतुथॉव्रत: इस अॊक भं उऩरब्ध कयवाई गई हं । कृ समा उस त्रवसध से
ऩूजन कयने से ऩूवा फकसी जानकाय गुरु मा त्रवद्रान से सराह
ऩौयाणुक ग्रॊथ बत्रवष्मोत्तय के अनुशाय ज्मेद्ष भास
त्रवभशा अवश्म कयरं। क्मोफक प्राॊसतम व ऺेत्रिम ऩूजन ऩद्धसत
के कृ ष्ण ऩऺ की चतुथॉको, प्रात्स्त्रानाफद सनत्मकभा कयके
भं सबन्नता होने के कायण ऩूजन त्रवसध भं सबन्नता सॊबव
व्रतके सॊकल्ऩसे फदनबय भौन यहे । सामॊकारभं ऩुन् स्त्रान
हं । उऩरब्ध कयवाई गई ऩूजन ऩद्धसत को सयर से सयर
कयके गणेशजीका औय चन्द्रोदम होने ऩय चन्द्रभा का
फनाकय केवर आऩके भगादशान के उद्दे श्म से प्रदान की गई
ऩूजन कये तथा शॊखभं दध
ू , दव
ू ाा, सुऩायी आफद से हं ।
त्रवसधवत ऩूजन कयं । वामन दान कयके बोजन कये ।
त्रवशेष सुझाव: जो रोग सुवणा भूसता फनवाने मा दान कयने
ज्मेद्ष शुक्र चतुथॉ की ऺभता न हो तो वणाक (अथाात हल्दी चूण)ा से ही
गणऩसत की प्रसतभा फना कय ऩूजन कय सकते हं मा दान
ज्मेद्ष भास की शुक्र ऩऺ की चतुथॉ को प्रद्मरूऩी
कय सकते हं ।
गणेश की ऩूजा कय ब्राह्मणं को पर-भूर का दान कयने
से व्रतधायी को स्वगारोक प्राद्ऱ होते हं ।

श्री मॊि
गुरुत्व कामाारम भं ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा चैतन्म मुि "श्री मॊि" 500 ग्राभ, 750 ग्राभ, 1000 ग्राभ
औय 1250 ग्राभ, 2250 ग्राभ साईज़ भं केवर सरसभटे ड स्टॉक उऩरब्ध हं । श्री मॊि के सॊफॊध भं असधक
जानकायी के सरए कामाारम भं सॊऩका कयं ।

"श्री मॊि" 12 ग्राभ से 1250 ग्राभ तक फक साइज भे उसरब्ध है ।


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35 ससतम्फय 2012

भनोवाॊसछत परो फक प्रासद्ऱ हे तु ससत्रद्ध प्रद गणऩसत स्तोि

 सचॊतन जोशी
प्रसतफदन इस स्तोि का ऩाठ कयने से
भनोवाॊसछत पर शीघ्र प्राद्ऱ होते हं ।
भनोवाॊसछत पर प्राद्ऱ कयने हे तु गणेशजी
के सचि मा भूसता के साभने भॊि जाऩ कय सकते
हं । ऩूणा श्रद्धा एवॊ ऩूणा त्रवद्वास के साथ भनोवाॊसछत
पर प्रदान कयने वारे इस स्तोि का प्रसतफदन
कभ से कभ 21 फाय ऩाठ अवश्म कयं ।
असधकस्म असधकॊ परभ ्।
जऩ स्जतना असधक हो सके उतना अच्छा है । मफद भॊि
असधक फाय जाऩ कय सकं तो श्रेद्ष।
प्रात् एवॊ सामॊकार दोनं सभम कयं , पर
शीघ्र प्राद्ऱ होता है ।
काभना ऩूणा होने के ऩद्ळमात बी सनमसभत स्त्रोत रा ऩाठ कयते यहना चाफहए। कुछ एक त्रवशेष ऩरयस्स्थसत भं ऩूवा
जन्भ के सॊसचत कभा स्वरूऩ प्रायब्ध की प्रफरता के कायण भनोवाॊसछत पर की प्रासद्ऱ मा तो दे यी सॊबव हं !
भनोवाॊसछत पर की प्रासद्ऱ के अबाव भं मोग्म त्रवद्रान की सराह रेकय भागादशान प्राद्ऱ कयना उसचत होगा।
अत्रवद्वास व कुशॊका कयके आयाध्म के प्रसत अश्रद्धा व्मि कयने से व्मत्रि को प्रसतकूर प्ररयणाभ फह प्राद्ऱ होते हं ।
शास्त्रोि वचन हं फक बगवान (इद्श) फक आयाधना कबी व्मथा नहीॊ जाती।

भॊि:- गणऩसतत्रवघ्ना नयाजो रम्फतुण्डो गजानन्। द्रै भातुयद्ळ हे यम्फ एकदन्तो गणासधऩ्॥
त्रवनामकद्ळारुकणा् ऩशुऩारो बवात्भज्। द्रादशैतासन नाभासन प्रातरुत्थाम म् ऩठे त॥्
त्रवद्वॊ तस्म बवेद्रश्मॊ न च त्रवघ्ननॊ बवेत ् क्वसचत।् (ऩद्म ऩु. ऩृ. 61।31-33)
बावाथा: गणऩसत, त्रवघ्ननयाज, रम्फतुण्ड, गजानन, द्रै भातुय, हे यम्फ, एकदन्त, गणासधऩ, त्रवनामक, चारुकणा, ऩशुऩार औय
बवात्भज- गणेशजी के मह फायह नाभ हं । जो व्मत्रि प्रात्कार उठकय इनका सनमसभत ऩाठ कयता हं , सॊऩूणा त्रवद्व
उनके वश भं हो जाता हं , तथा उसे जीवन भं कबी त्रवघ्नन का साभना नहीॊ कयना ऩिता।

प्रद्ल कुण्डरी से अऩने फकसी बी प्रद्लं का स्स्टक उत्तय प्राद्ऱ फकस्जए।


क्मा आऩ अत्माधुसनक ज्मोसतष प्रणारी से अऩने बत्रवष्म से सॊफॊसधत प्रश्नो का स्स्टक उत्तय प्राद्ऱ कयना चाहते हं तो
आऩ गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कय सकते हं । हभाये प्रद्ल ज्मोसतष त्रवशेऻ आऩके द्राया ऩूछे गमे प्रद्ल का ग्रहं के अधाय
ऩय उनकी सूक्ष्भ गणना कय उसके स्स्टक परादे श से आऩको अवगत कयाने का प्रमास कयं गे। 3 प्रद्ल भाि :550
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36 ससतम्फय 2012

गणेश ऩूजन से वास्तु दोष सनवायण


 सचॊतन जोशी
फहॊ द ू सॊस्कृ सत भं बगवान गणेश सवा त्रवघ्नन
त्रवनाशक भाना हं । इसी कायण गणऩसत जी का
ऩूजन फकसी बी व्रत अनुद्षान भं सवा प्रथभ फकमा
जाता हं । बवन भं वास्तु ऩूजन कयते सभम बी
गणऩसत जी को प्रथभऩूजा जाता हं । स्जस घय भं
सनमसभत गणऩसत जी का त्रवसध त्रवधान से ऩूजन
होता हं , वहाॊ सुख-सभृत्रद्ध एवॊ रयत्रद्ध-ससत्रद्ध का सनवास
होता हं ।

गणेश प्रसतभा (भूसता) की स्थाऩना बवन के


भुख्म द्राय के ऊऩय अॊदय-फहाय दोनो औय रगाने से
असधक राब प्राद्ऱ होता हं ।

गणेश प्रसतभा (भूसता) की ऩूजा घयभं


स्थाऩना कयने ऩय उन्हं ससॊदयू चढाने से शुब पर
फक प्रासद्ऱ होती हं ।

बवन भं द्रायवेध हो, अथाात बवन के भुख्म


द्राय के साभने वृऺ, भॊफदय, स्तॊब आफद द्राय भं प्रवेश

कयने वारी उजाा हे तु फाधक होने ऩय वास्तु भं उसे द्रायवेध भाना जाता हं । द्रायवेध होने ऩय वहाॊ यहने वारं भं
उच्चाटन होता हं । ऐसे भं बवन के भुख्म द्राय ऩय गणोशजी की फैठी हुई प्रसतभा (भूसता) रगाने से द्रायवेध का सनवायण
होता हं । रगानी चाफहए फकॊतु उसका आकाय 11 अॊगुर से असधक नहीॊ होना चाफहए।

ऩूजा स्थानभं ऩूजन के सरए गणेश जी की एक से असधक प्रसतभा (भूसता) यखना वस्जात हं ।

भॊि ससद्ध भूॊगा गणेश


भूॊगा गणेश को त्रवध्नेद्वय औय ससत्रद्ध त्रवनामक के रूऩ भं जाना जाता हं । इस के ऩूजन से जीवन भं सुख
सौबाग्म भं वृत्रद्ध होती हं ।यि सॊचाय को सॊतुसरत कयता हं । भस्स्तष्क को तीव्रता प्रदान कय व्मत्रि को चतुय
फनाता हं । फाय-फाय होने वारे गबाऩात से फचाव होता हं । भूॊगा गणेश से फुखाय, नऩुॊसकता , सस्न्नऩात औय
चेचक जेसे योग भं राब प्राद्ऱ होता हं । भूल्म Rs: 550 से Rs: 10900 तक
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37 ससतम्फय 2012

सवा कामा ससत्रद्ध कवच


स्जस व्मत्रि को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उसे भनोवाॊसछत सपरतामे एवॊ फकमे गमे कामा
भं ससत्रद्ध (राब) प्राद्ऱ नहीॊ होती, उस व्मत्रि को सवा कामा ससत्रद्ध कवच अवश्म धायण कयना चाफहमे।

कवच के प्रभुख राब: सवा कामा ससत्रद्ध कवच के द्राया सुख सभृत्रद्ध औय नवग्रहं के नकायात्भक प्रबाव को
शाॊत कय धायण कयता व्मत्रि के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र का नाश हो कय सुख-सौबाग्म एवॊ
उन्नसत प्रासद्ऱ होकय जीवन भे ससब प्रकाय के शुब कामा ससद्ध होते हं । स्जसे धायण कयने से व्मत्रि मफद
व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे वृत्रद्ध होसत हं औय मफद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नसत होती हं ।

 सवा कामा ससत्रद्ध कवच के साथ भं सवाजन वशीकयण कवच के सभरे होने की वजह से धायण कयता
की फात का दस
ू ये व्मत्रिओ ऩय प्रबाव फना यहता हं ।
 सवा कामा ससत्रद्ध कवच के साथ भं अद्श रक्ष्भी कवच के सभरे होने की वजह से व्मत्रि ऩय भाॊ भहा
सदा रक्ष्भी की कृ ऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हं । स्जस्से भाॊ रक्ष्भी के अद्श रुऩ (१)-आफद
रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)-धैयीम रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रवजम
रक्ष्भी, (७)-त्रवद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राद्ऱ होता हं ।

 सवा कामा ससत्रद्ध कवच के साथ भं तॊि यऺा कवच के सभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू
होती हं , साथ ही नकायत्भन शत्रिमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्रि ऩय नहीॊ होता। इस
कवच के प्रबाव से इषाा-द्रे ष यखने वारे व्मत्रिओ द्राया होने वारे दद्श
ु प्रबावो से यऺाहोती हं ।
 सवा कामा ससत्रद्ध कवच के साथ भं शिु त्रवजम कवच के सभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊसधत
सभस्त ऩये शासनओ से स्वत् ही छुटकाया सभर जाता हं । कवच के प्रबाव से शिु धायण कताा
व्मत्रि का चाहकय कुछ नही त्रफगड सकते।

अन्म कवच के फाये भे असधक जानकायी के सरमे कामाारम भं सॊऩका कये :

फकसी व्मत्रि त्रवशेष को सवा कामा ससत्रद्ध कवच दे ने नही दे ना का अॊसतभ सनणाम हभाये ऩास सुयस्ऺत हं ।

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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


38 ससतम्फय 2012

गणेश वाहन भूषक केसे फना


सभेरू ऩवात ऩय सौभरय ऋत्रष का आश्रभ था। उनकी अत्मॊत रूऩवान तथा ऩसतव्रता ऩत्नी का नाभ भनोभमी था।
एक फदन ऋत्रषवय रकिी रेने के सरए वन भं चरे गए। उनके जाने के ऩद्ळमात भनोभमी गृहकामा भं व्मस्त हो गईं।
उसी सभम एक दद्श
ु कंच नाभक गॊधवा वहाॊ आमा। जफ कंच ने रावव्मभमी भनोभमी को दे खा, तो उसके बीतय काभ
जागृत होगमा एवॊ वह व्माकुर हो गमा। कंच ने भनोभमी का हाथ ऩकि सरमा। योती व काॊऩती हुई भनोभमी उससे
दमा की बीख भाॊगने रगी। उसी सभम वहा सौबरय ऋत्रष आ गए।

उन्हं गॊधवा को श्राऩ दे ते हुए कहा, तुभने चोय की बाॊसत भेयी सहधसभानी का हाथ ऩकिा हं , इस कायण तुभ अफसे
भूषक होकय धयती के नीचे औय चोयी कयके अऩना ऩेट बयोगे।’
ऋत्रष का श्राऩ सुनकय गॊधवा ने ऋत्रष से प्राथाना की- हे ऋत्रषवय, अत्रववेक के कायण भंने आऩकी ऩत्नी के हाथ का स्ऩशा
फकमा। भुझे ऺभा कय दं ।

ऋत्रष फोरे: कंच! भेया श्राऩ व्मथा नहीॊ होगा। तथात्रऩ द्राऩय भं भहत्रषा ऩयाशय के महाॊ गणऩसत दे व गजरूऩ भं प्रकट हंगे।
तफ तुभ उनका वाहन फन जाओगे। इसके ऩद्ळमात तुम्हाया कल्माण होगा तथा दे वगण बी तुम्हाया सम्भान कयं गे।

श्री हनुभान मॊि


शास्त्रं भं उल्रेख हं की श्री हनुभान जी को बगवान सूमद
ा े व ने ब्रह्मा जी के आदे श ऩय हनुभान जी को
अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भं हनुभान को सबी शास्त्र
का ऩूणा ऻान दॉ ग
ू ा। स्जससे मह तीनोरोक भं सवा श्रेद्ष विा हंगे तथा शास्त्र त्रवद्या भं इन्हं भहायत
हाससर होगी औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुशाय हनुभान मॊि की
आयाधना से ऩुरुषं की त्रवसबन्न फीभारयमं दयू होती हं , इस मॊि भं अद्भत
ु शत्रि सभाफहत होने के कायण
व्मत्रि की स्वसन दोष, धातु योग, यि दोष, वीमा दोष, भूछाा, नऩुॊसकता इत्माफद अनेक प्रकाय के दोषो को
दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी हं । अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩुद्श कयता हं । श्री हनुभान मॊि व्मत्रि को
सॊकट, वाद-त्रववाद, बूत-प्रेत, द्यूत फक्रमा, त्रवषबम, चोय बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माफद
से सॊकटो से यऺा कयता हं औय ससत्रद्ध प्रदान कयने भं सऺभ हं ।
श्री हनुभान मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कयं ।
भूल्म Rs- 730 से 10900 तक

GURUTVA KARYALAY
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39 ससतम्फय 2012

ससत्रद्ध त्रवनामक व्रत त्रवधान


 सचॊतन जोशी
ससत्रद्ध त्रवनामक व्रत बाद्रऩद शुक्र ऩऺ की चतुथॉ को ही फकमा जाता है । शास्त्रोि भान्मता के अनुशाय फदन दोऩहय भं
गणेशजी का जन्भ हुआ था। इसीसरए इस चतुथॉ को त्रवनामक चतुथॉ, ससत्रद्धत्रवनामक चतुथॉ औय श्रीगणेश चतुथॉ के
नाभ से जाना जाता है । इस सरमे ऩौयास्णक कार से ही इस सतसथ को गणेशोत्सव मा गणेश जन्भोत्सव के रूऩ भं
भनामा जाता हं ।
वैसे तो प्रत्मेक भास की चतुथॉ को गणेशजी का व्रत होता है । रेफकन बाद्रऩद के चतुसथा व्रत का त्रवशेष भाहात्म्म है ।
ऎसी भान्मता हं की इस फदन जो श्रधारु व्रत, उऩवास औय दान आफद शुब कामा फकमा जाता है , श्रीगणेश की कृ ऩा से
सौ गुना पर प्राद्ऱ हो जाता हं । व्मत्रि को श्री त्रवनामक चतुथॉ कयने से भनोवाॊसछत पर प्राद्ऱ होता है ।
शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से श्री गणेशजी का ऩूजन व व्रत इस प्रकाय कयना अत्मॊत राबप्रद होता हं ।
त्रवसध
 प्रात्कार स्नानआफद सनत्मकभा से शीघ्र सनवृत्त हो कय। अऩने साभथाम के अनुसाय ऩूणा बत्रि बाव से
 बगवान गणेश की सोने, चाॊदी, ताॊफे, ऩीतर मा सभट्टी से फनी प्रसतभा स्थात्रऩत कयं । भूसता को षोिशोऩचाय ऩूजन-
आयती आफद से त्रवसध-वत ऩूजन कयं ।
 गणेशजी की भूसता ऩय ससॊदयू चढ़ाएॊ।
 गणेशजी का भॊि फोरते हुए 21 दव
ु ाा दर चढ़ाएॊ।
 श्री गणेशजी को रड्डु ओॊ का बोग रगाएॊ।
 ब्राह्मण बोजन कयाएॊ औय ब्राह्मणं को दस्ऺणा प्रदान कयने के ऩद्ळात ् सॊध्मा के सभम स्वमॊ बोजन ग्रहण कयं ।
 इस तयह ऩूजन कयने से बगवान श्रीगणेश असत प्रसन्न होते हं औय अऩने बिं की सकर इच्छाओॊ की ऩूसता कयते
हं ।

सॊकद्शहय चतुथॉ व्रत का प्रायॊ ब कफ हुवा

सॊकद्शहय चतुदशॉ कथा् बायद्राज भुसन औय ऩृथ्वी के ऩुि भॊगर की कफठन तऩस्मा से प्रसन्न होकय भाघ भास के कृ ष्ण
ऩऺ भं चतुथॉ सतसथ को गणऩसत ने उनको दशान फदमे थे।
गजानन के वयदान के परस्वरूऩ भॊगर कुभाय को इस फदन भॊगर ग्रह के रूऩ भं सौय भण्डर भं स्थान प्राद्ऱ हुवाथा। भॊगर
कुभाय को गजानन से मह बी वयदान सभरा फक भाघ कृ ष्ण ऩऺ की चतुदशॉ स्जसे सॊकद्शहय चतुथॉ के नाभ से जाना जाता हं उस
फदन जो बी व्मत्रि गणऩसतजी का व्रत यखेगा उसके सबी प्रकाय के कद्श एवॊ त्रवघ्नन सभाद्ऱ हो जाएॊगे।
एक अन्म कथा के अनुसाय बगवान शॊकय ने गणऩसतजी से प्रसन्न होकय उन्हं वयदान फदमा था फक भाघ कृ ष्ण ऩऺ की
चतुथॉ सतसथ को चन्द्रभा भेये ससय से उतयकय गणेश के ससय ऩय शोबामभान होगा। इस फदन गणेश जी की उऩासना औय व्रत त्रि-
ताऩ (तीनो प्रकाय के ताऩ) का हयण कयने वारा होगा। इस सतसथ को जो व्मत्रि श्रद्धा बत्रि से मुि होकय त्रवसध-त्रवधान से
गणेश जी की ऩूजा कये गा उसे भनोवाॊसछत पर फक प्रासद्ऱ होगी।
40 ससतम्फय 2012

श्री याभ शराका प्रद्लावरी


श्री याभद्ऴाका प्रद्लावरी की भफहभा स्वमॊ ससद्ध हं । मफद आऩ फकसी कामा को कयने मा नहीॊ कयने को रेकय असभॊजस
मा उरझन भं हो तो त्रवद्रानं के भतानुशाय श्री याभद्ऴाका प्रद्लावरी के भाध्मभ से आऩके उरझे प्रश्नं का उत्तय सयरता
से एवॊ स्स्टक प्राद्ऱ होता हं । इसभं जया बी सॊशम नहीॊ हं ।

सु प्र उ त्रफ हो भु ग फ सु नु त्रफ घ सध इ द

य रु प सस सस यं फस है भॊ र न र म न अॊ

सुज सो ग सु कु भ स ग त न ई र धा फे नो

त्म य न कु जो भ रय य य अ की हो सॊ या म

ऩु सु थ सी जै इ ग भ सॊ क ये हो स स सन

त य त य स हुॉ ह फ फ ऩ सच स म स तु

भ का ाा य य भा सभ भी म्हा ाा जा हू हीॊ ाा जू

ता या ये यी ह्र का प खा स्ज ई य या ऩू द र

सन को सभ गो न भ स्ज म ने भसन क ज ऩ स र

फह या सभ सभ रय ग द न ख भ स्ख स्ज सन त जॊ

ससॊ भु न न कौ सभ ज य ग धु ख सु का स य

गु क भ अ ध सन भ र ाा न फ ती न रय ब

ना ऩु व अ ढ़ा य र का ए तू य न नु व थ

सस ह सु म्ह य य स फहॊ य त न ख ाा ाा ाा

य सा ाा रा धी ाा यी जा हू हीॊ षा जू ई या ये

त्रवसध-श्रीयाभचन्द्रजी का ध्मान कय अऩने प्रद्ल को भन भं दोहयामं। फपय ऊऩय दी गई सायणी भं से फकसी एक अऺय ऩय
अॊगुरी यखं। अफ उससे अगरे अऺय से क्रभश् नौवाॊ अऺय को सरखते जामं जफ तक ऩुन् उसी जगह नहीॊ ऩहुॉच जामं। इस
प्रकाय एक चौऩाई फनेगी, जो अबीद्श प्रद्ल का उत्तय होगी।
महाॊ हभने आऩकी अनुकूरता हे तु नौवे अऺय के कोद्शक को एक सभान यॊ ग भं यॊ गने का प्रमास फकमा हं
स्जससे आऩको हय नौवे अऺयको सगनती कयने की आवश्मिा न यहं आऩ सीधे एक सभान यॊ गो के कोद्शक भं रीखे
अऺयोको सभरारे/सरख रे औय जो चौऩाई फने उस चौऩाई को बी दे खने भं आऩको आसानी हो इस उद्दे श्म से उसी
यॊ ग भं यॊ गने का प्रमास फकमा हं ।
41 ससतम्फय 2012

1 सुनु ससम सत्म असीस हभायी। ऩूस्जफह भन काभना तुम्हायी।


पर् -प्रद्लकत्ताा का प्रद्ल उत्तभ है , कामा ससद्ध होगा।
मह चौऩाई फारकाण्ड भं श्रीसीताजी के गौयीऩूजन के प्रसॊग भं है । गौयीजी ने श्रीसीताजी को आशीवााद फदमा है ।

2 प्रत्रफसस नगय कीजै सफ काजा। रृदम यास्ख कोसरऩुय याजा।


पर्-बगवान ् का स्भयण कयके कामाायम्ब कयो, सपरता सभरेगी।
मह चौऩाई सुन्दयकाण्ड भं हनुभानजी के रॊका भं प्रवेश कयने के सभम की है ।

3 उघयं अॊत न होइ सनफाहू। कारनेसभ स्जसभ यावन याहू।।


पर्-इस कामा भं बराई नहीॊ है । कामा की सपरता भं सन्दे ह है ।
मह चौऩाई फारकाण्ड के आयम्ब भं सत्सॊग-वणान के प्रसॊग भं है ।

4 त्रफसध फस सुजन कुसॊगत ऩयहीॊ। पसन भसन सभ सनज गुन अनुसयहीॊ।।


पर्-खोटे भनुष्मं का सॊग छोि दो। कामा की सपरता भं सन्दे ह है ।
मह चौऩाई फारकाण्ड के आयम्ब भं सत्सॊग-वणान के प्रसॊग भं है ।

5 होइ है सोई जो याभ यसच याखा। को करय तयक फढ़ावफहॊ साषा।।


पर्-कामा होने भं सन्दे ह है , अत् उसे बगवान ् ऩय छोि दे ना श्रेमष्कय है ।
मह चौऩाई फारकाण्डान्तगात सशव औय ऩावाती के सॊवाद भं है ।

6 भुद भॊगरभम सॊत सभाजू। स्जसभ जग जॊगभ तीयथ याजू।।


पर्-प्रद्ल उत्तभ है । कामा ससद्ध होगा।
मह चौऩाई फारकाण्ड भं सॊत-सभाजरुऩी तीथा के वणान भं है ।

7 गयर सुधा रयऩु कयम सभताई। गोऩद ससॊधु अनर ससतराई।।


पर्-प्रद्ल फहुत श्रेद्ष है । कामा सपर होगा।
मह चौऩाई श्रीहनुभान ् जी के रॊका प्रवेश कयने के सभम की है ।

8 फरुन कुफेय सुयेस सभीया। यन सनभुख धरय काह न धीया।।


पर्-कामा ऩूणा होने भं सन्दे ह है ।
मह चौऩाई रॊकाकाण्ड भं यावन की भृत्मु के ऩद्ळात ् भन्दोदयी के त्रवराऩ के प्रसॊग भं है ।

9 सुपर भनोयथ होहुॉ तुम्हाये । याभ रखनु सुसन बए सुखाये ।।


पर्-प्रद्ल फहुत उत्तभ है । कामा ससद्ध होगा।
मह चौऩाई फारकाण्ड ऩुष्ऩवाफटका से ऩुष्ऩ राने ऩय त्रवद्वासभिजी का आशीवााद है ।
42 ससतम्फय 2012

गौतभ केवरी भहात्रवद्या (प्रद्लावरी)


 स्वस्स्तक.ऎन.जोशी

111 112 113 121 122 123 131 132 133

211 212 213 221 222 223 231 232 233

311 312 313 321 322 323 331 332 333

उऩय दशााएॊ गमे अॊक शकुनावरी प्रद्लावरी से उत्तय प्राद्ऱ कयने से ऩूवा शुद्ध एवॊ ऩत्रवि होकय अऩने इद्श दे व का
स्भयण कयते हुवे उऩय दशााएॊ गमे अॊक कोद्शको भं से फकसी एक कोद्शक ऩय अऩनी अॊगुरी अथवा शराका यखं। स्जस
कोद्शक ऩय आऩने अॊगुरी अथवा शराका यखी हं उस कोद्शक भं अॊफकत सॊख्मा के अनुसाय आऩके अबीद्श प्रद्ल का हर
नीचे क्रभश् अॊको भं फदमा गमा हं ।
111: आऩने जो प्रद्ल त्रवचाया है वह सपर होगा। तुम्हाये खयाफ फदनं का नाश होकय अच्छे फदन आए हं । भन की
काभनाएॉ ऩूणा हंगी। त्रवत्रवध प्रकाय की सचॊताएॉ भन भं यहती हं , वे अफ थोिे फदनं भं नाश हो जाएॉगी। एक सभि के
धोखे को बोग यहे हो। धभा कामा की इच्छा है , ऩयन्तु ऩाऩकभा से त्रवघ्नन आता है । आभदनी से खचा असधक यहता है ।
कोई कामा ससद्ध होने को आता है , तो शिु उसभं त्रवघ्नन डार दे ते हं । दान-ऩुण्म कयो। स्जससे भन की असबराषा ऩूणा
होगी। त्रवयोधी चाहे फकतनी कोसशश कयं , ऩयन्तु तुम्हायी धायणा अवश्म परीबूत होगी।

112: आऩका अबीद्श प्रद्ल राबदामक है । धन की प्रासद्ऱ होगी। बाग्मोदम के फदन अफ नजदीक आ गए हं । स्जस कामा
को हाथ भं रोगे, उसभं जम प्राद्ऱ कयोगे। त्रप्रमजन का सभराऩ होगा। धभा के कामा कयते यहो, स्जससे ऩुण्म की प्रासद्ऱ
होगी तथा सुख बी सभरेगा। भन सचस्न्तत यहता है । बाइमं से जुदाई होगी। भकान फनाने का इयादा कयते हो वह ऩाय
ऩिे गा। जभीन से तुभको राब होगा। आभदनी से खचा असधक होता है । तीथं की मािा कयने की असबराषा है , वह ऩूणा
होगी। धासभाक कामा सम्ऩन्न होगा।
113: आऩका अबीद्श प्रद्ल अच्छा है । तुम्हाये फदर को आयाभ सभरेगा। सुख-चैन प्राद्ऱ कयोगे। जो कामा भन भं सोचा
है , उसभं त्रवजम प्राद्ऱ कयोगे। त्रप्रमजनं का सभराऩ होगा। सचन्ता के फदन सनकर चुके हं तथा अफ अच्छे फदन आए हं ।
धभा के प्रबाव से सुखी हुए हो तथा आगे बी सुख प्राद्ऱ कयोगे। कद्श सहन कयते हुए बी दस
ू ये का कामा कयते हो ऩयन्तु
अऩने कामा भं सुस्ती यखते हो। फुत्रद्ध तेज है , त्रफगिे कामा को बी सुधाय रेते हो। बत्रवष्म भं राब सभरेगा।
121: आऩका त्रवचाया हुआ प्रद्ल राबदामक है । फहुत फदनं तक द्ु ख सहन कयने से सनयाश हो गए हो, फुये फदन सनकर
गए हं औय अफ शुब फदन आए हं । भन की इच्छाएॉ परीबूत हंगी। स्जतनी रक्ष्भी गॊवाई है उससे बी असधक प्राद्ऱ
कयोगे। स्जस काभ की सचन्ता कयते हो वह सचन्ता सभट जामेगी, उसभं एक व्मत्रि त्रवघ्नन उऩस्स्थत कयने आमेगा, फकन्तु
43 ससतम्फय 2012

अन्त भं तुभको सपरता प्राद्ऱ होगी। बाइमं तथा सम्फस्न्धमं का सनबाव कयते हो, स्जससे तुम्हायी कीसता फढ़ी है । फदर
के उदाय हो, जहाॉ जाते हो वहाॉ सुख सभरता है ।
122: आऩने जो काभ त्रवचाया है , उसभं सपरता नहीॊ सभर ऩाएगी। आऩने आज तक फहुतं का बरा फकमा है । अशुब
कभा के उदम से त्रवघ्नन उऩस्स्थत होते हं । जहाॉ तक फन सके वहाॉ तक धभा कयो। अऩने इद्शदे व की मथाशत्रि आयाधना
तथा भन्ि का जऩ कयो, स्जससे तकरीप दयू होगी।
123: आऩके अबीद्श कामा भं सपरता अवश्म सभरेगी। इतने ऩाऩकभा के थे तथा आऩने भहान सॊकट उठामे हं । अफ
शुब फदन आए हं । फहुतं का बरा फकमा, फकन्तु उन्होनं उऩकाय न भाना। धभा के सनसभत्त का सनकारा हुआ ऩैसा घय भं
न यखो। तीथं की मािा कयो, स्जस स्थान ऩय द्ु खी हुए हो, उस स्थान का त्माग कयो, दस
ू ये स्थान भं जाकय यहो।
ऩयदे श भं राब होगा। तुम्हाया फदर सचन्ता भं डू फा यहता है । अफ शुब कभा का उदम हुआ है । त्रवचाये हुए कामा भं
सपरता एवॊ धन प्राद्ऱ होगा।
131: जो फात आऩने सोची है वह अवश्म ससद्ध होगी, स्जसका नुकसान हुआ है वह दयू होकय बत्रवष्म भं राब होगा।
धन सभरेगा। तुम्हाये हाथ से धभा के कामा हंगे। स्जस भनुष्म से भुराकात चाहते हो वह होगी। सचन्ता के फदन अफ गए
हं । धातु, धन, सम्ऩत्रत्त औय कुटु म्फ की वृत्रद्ध होगी।
132: आज तक तुम्हाये फिे -फिे दश्ु भन हुए अफ उनका जोय नहीॊ चरेगा। भन भं त्रवचाये हुए कामं भं सपरता प्राद्ऱ
कयोगे। इज्जत भं वृत्रद्ध होगी। तुम्हाये हाथं से धभा के कामा हंगे, भन वाॊसछत सुख की प्रासद्ऱ होगी। बाइमं का सभराऩ
होगा। दान-ऩुण्म के प्रबाव से सुखी हंगे।
133: इतने फदन सॊकट यहा। सचॊसतत कामा अच्छी तयह से ऩाय न ऩिा, अफ अच्छे फदनं की शुरुआत हुई है , जो कामा
त्रवचाया है वह परीबूत होगा, फकसी बी प्रकाय का त्रवघ्नन नहीॊ आमेगा। इद्शदे व के प्रबाव से रक्ष्भी प्राद्ऱ होगी, त्रप्रमजन
से अचानक राब होगा।
211: तुभने भन भं स्जस कामा का त्रवचाय फकमा है , वह सपर नहीॊ होगा। इसके ससवाम कोई दस
ू या काभ कयो। तीथं
की मािा कयो, स्जससे ऩुण्म का राब हो। दश्ु भन रोग तुभको फाधाएॉ डारते हं ।
212: त्रवचाया हुआ कामा होगा। प्रेसभका से राब होगा। कुटु म्फ की वृत्रद्ध होगी। फहुत भुद्दत से त्रवचाया हुआ कामा होगा।
दश्ु भन तुम्हाये त्रवरुद्ध कोसशश कयं गे, फकन्तु तुम्हाये सद्भाग्म के आगे उनका जोय नहीॊ चरेगा। तीथं की मािा कयने की
इच्छा है वह हो सकेगी। भकान फनाने का तथा जभीन खयीदने का तुम्हाया इयादा सपर होगा। तुभको जभीन से राब
है । बाग्मफर से कामा ससद्ध हंगे।
213: द्ु ख के फदन अफ दयू हो गए हं । सुख के फदन शुरु हुए हं । फहुत फदनं से कद्श उठा यहे हो, ऩयदे श गए तो बी
सुख की प्रासद्ऱ न हुई, फकन्तु अफ सुख बोगने के फदन प्राद्ऱ हुए हं । आफरु फढ़े गी, सॊतान का सुख होगा। इतने फदनं
सभिं तथा कुटु म्फी जनं की तयप से द्ु ख सहन फकमा। जहाॉ तक फना दस
ू यं का बरा फकमा, ऩयन्तु उन रोगं ने गुण
नहीॊ भाना। शिु रोग ऩग-ऩग ऩय तैमाय यहते हं , फकन्तु उनका जोय नहीॊ चरता क्मंफक तुम्हाया बाग्म फरवान ् है । ऩास
भं धन थोिा है , फकन्तु इज्जत अच्छी है , इससरमे स्जतना प्राद्ऱ कयने का त्रवचाय कयोगे उतना प्राद्ऱ कय सकोगे। सभि
रोगं से जैसा चाफहए वैसा सुख नहीॊ है । इज्जत आफरु के सरमे खचा फहुत कयते हो। तुम्हाया धभा सुधया हुआ
है , इससरए धभा ऩय श्रद्धा यखो।
221: इतने फदन गए वे अच्छे गए, जो जो कामा फकए वे बी ऩाय ऩि गए, फकन्तु अफ जो कामा फदर भं त्रवचाया है वह
ऩाऩ कभा के उदम से ऩूणा नहीॊ होगा। सभि रोग बी शिु हो जाएॉगे। कुटु म्फ भं अनफन यहे गी, बाई जुदा हंगे। जो काभ
44 ससतम्फय 2012

फदर भं त्रवचाया है , उसका त्माग कयना ही श्रेद्ष है । धभा ऩय श्रद्धा यखो, इद्शदे व की सेवा कयो, दान-ऩुण्म के प्रबाव से
सुख सभरेगा।
222: जो काभ भन भं त्रवचाया है , उसको छोिकय दस
ू या काभ कयो। मफद इस त्रवचाये हुए कामा को कयोगे तो सॊकट
उत्ऩन्न होगा, नुकसान होगा, शिु रोग त्रवघ्नन उऩस्स्थत कयं गे। इद्शदे व की सेवा कयो, तीथं ऩय जाओ, स्जससे दस
ू ये कामा
बी सुधयं गे। फदर भं त्रवत्रवध प्रकाय की सचन्ताओॊ ने वास फकमा है , वह त्रवचाये हुए कामा को छोि दे ने से दयू होगी।
223: मह सवार अच्छा है , सुख के फदन नजदीक आए हं । व्माऩाय से धन प्राद्ऱ होगा, ऐशो-आयाभ प्राद्ऱ कयोगे। ऩत्नी
का सुख प्राद्ऱ कयोगे तथा सॊतान की वृत्रद्धहोगी, जो कामा कयोगे उसभं राब प्राद्ऱ कयोगे। ईभानदायी से काभ कयते हो तो
अन्त भं बरा ही होगा। धभा के प्रबाव से सुखी हंगे, इससरमे धभा को बूरना भत, धभा के कामं भं सुस्ती यखना ठीक नहीॊ।
231: स्जस कामा के सरए भन भं त्रवचाय फकमा है , वह कामा तीन भास भं होगा। अऩनी स्त्री की तयप से राब होगा।
आज तक कुटु म्फीजनं की तयप से सुख नही सभरा, फकन्तु बत्रवष्म भं सभरेगा। सॊतानं की वृत्रद्ध होगी। ससुयार के खचा
की सचन्ता है , सो सभट जाएगी। आफरु के सरए आभदनी से खचा असधक कयना ऩिता है । तीथं की मािा कयने का
इयादा है , फकन्तु त्रवघ्नन आता है । बत्रवष्म भं धभा कामा कय सकोगे। रृदम भं स्जस कामा की सचन्ता है , वह धभा के प्रबाव
से दयू हो जाएगी, इससरए धभा ऩय श्रद्धा यखो, स्जससे सपरता प्राद्ऱ कय सकोगे।
232: जो काभ त्रवचाया है , उसे छोिकय कोई दस
ू या काभ कयो। त्रवचाये हुए कामा को कयने भं राब नहीॊ है , मफद कयोगे
तो तुभको तुम्हाया स्थान छोिकय दस
ू ये स्थान ऩय जाना ऩिे गा, कुटु म्फीजनं का त्रवमोग होगा। इससरए उसचत है फक इस
कामा को छोि दो। धभा भं होसशमाय यहना तथा अऩनी शत्रि के अनुसाय दान-ऩुण्म कयना स्जससे सुख हो।
233: थोिे फदनं भं धन सभरेगा। जो काभ त्रवचाया है , वह ऩूणा होगा। त्रप्रमजनं से सभराऩ होगा। जभीन, जागीय अथवा
भकान से राब होगा। आफरु फढ़े गी। धभा कामं भं खचा कयो। उसके प्रताऩ से सुख-चैन यहे गा। याज्मऩऺ से राब होगा।
भन की धायणा ऩूणा होगी। स्त्री की तयप से सुख है । एक सभम अकस्भात ् राब सभरेगा।
311: मह सवार फहुत ही गयभ है । स्जस कामा का त्रवचाय फकमा है , वह ऩूणा होगा। भुकदभा जीत जाओगे, व्माऩाय
योजगाय भं राब होगा। कीसता फढ़े गी, याज्म की तयप से राब होगा। धभा के प्रबाव से सुख सभरा है तथा बत्रवष्म भं बी
सभरेगा। दस
ू यं के कामा ऩरयश्रभ से ऩूया कयते हो, फकन्तु अशुब कभा उफदत होने से अऩने कभा भं उदासीन यहते
हो, त्रवदे श मािा होगी औय वहाॉ राब होगा। धभा ऩय श्रद्धा यखो स्जससे सॊकट दयू हं। अऩने हाथ से रक्ष्भी प्राद्ऱ कयोगे।
312: जो कामा त्रवचाया है उसे छोिकय कोई दस
ू या काभ कयो अन्मथा शिु रोग त्रवघ्नन डारंगे, दौरत की खयाफी
होगी, घय के भनुष्मं तथा ऩशुओॊ ऩय सॊकट आएगा, इससरए त्रवचाये हुए कामा को छोि दे ना ही उसचत है । धभा के प्रबाव
से सफ कामा सपर होते हं । सनयासश्रतं को आश्रम दो तथा दे वासधदे व का स्भयण कयो स्जससे सुखी हंगे।
313: मह प्रद्ल अच्छा है । धन तथा स्त्री से सहमोग एवॊ सुख सभरेगा। सॊतान से सुख सभरेगा। सॊतान होगी, त्रप्रमजन का
सभराऩ होगा। अभुक भुद्दत की धायी हुई धायणा सपर होगी। सचन्ता के फदन अफ दयू हुए हं । दे व गुरु तथा धभा की
सेवा कयो। दश्ु भन रोग सताते हं , फकन्तु अफ तुम्हाया प्रायब्ध फरवान ् फना है स्जससे इन रोगं का जोय नहीॊ चरेगा।
जभीन से राब होगा। कीसता के सरए खचा असधक कयना ऩिता है । सभिं से राब होगा।
321: जभीन, भकान अथवा फाग-फगीचे से राब होगा। धन प्राद्ऱ कयोगे, स्नेही जन से सभराऩ होगा। फकसी बी भनुष्म के साथ
सभिता होगी औय उसके द्राया धनाफद की प्रासद्ऱ होगी। ऩुण्म के उदम से इच्छाएॉ ऩयीऩूणा होगी। धभा का आयाधन कयो। दश्ु भन रोग
ऩग-ऩग ऩय तैमाय यहं गे, फकन्तु सन्भुख होने से उनका जोय नहीॊ चरेगा। अऩनी शत्रि के अनुसाय खचा कयो। भकान फनाने के
45 ससतम्फय 2012

भनोयथ परीबूत हंगे। धन ऩैदा कयते हो, फकन्तु खचा असधक होने से इकट्ठा नहीॊ होता है ,त्रऩता से धन थोिा सभरेगा। स्त्री की
तयप से राब होगा। वृद्धावस्था भं धभा के कामा फन सकते हं ।
322: जो कामा आऩने भन भं त्रवचाया है , उसभे शिु रोग त्रवघ्नन डारंगे, ऩरयणाभ अच्छा नहीॊ। याज्म की तयप से
नायाजगी होगी मफद सुखी होना चाहते हो, तो त्रवचाया हुआ कामा छोिकय दस
ू या कामा कयो, तुम्हाये सहमोगी फदर गए
हं , उनका त्रवद्वास भत कयना। बजन-ऩूजन, व्रत-सनमभ भं ध्मान दो।
323: स्जस कामा का भन भं त्रवचाय फकमा है , उसभं राब होगा, इच्छा ऩूणा होगी, स्नेही का सभराऩ होगा, जो जो
सचन्ताएॉ उऩस्स्थत हुई हं , वे सफ दयू हंगी। धभा के कामा फन सकंगे। फहुत फदनं से ऩयदे श भं द्ु ख प्राद्ऱ फकमा
है , फकन्तु अफ द्ु ख के फदन गए। तीथामािा होगी। अफ दे श भं जाकय आनन्द प्राद्ऱ कयोगे। धभा के कामं भं रक्ष्म
यखो, स्जससे सफ सुख प्राद्ऱ कयोगे।
331: तुम्हाये भन की सचन्ता सभटे गी। फीभायी की परयमाद दयू होगी। भन की धायणा ऩूणा होगी। थोिे फदनं भं ही धन
की प्रासद्ऱ होगी। स्नेही का सभराऩ होगा। धभा-कभा भं ऩैसा खचा कयो, स्जससे ऩरयणाभ भं पामदा होगा। अच्छे फदन आए
हं , ऩाऩकभा से इतने फदन द्ु ख प्राद्ऱ फकमा है , ऩयन्तु अफ वे फीत गए हं ।
332: फुये फदन गए अफ अच्छे फदन आए हं । जभीन तथा धन-दौरत भं जो हासन हुई है , वह सभट जाएगी तथा बत्रवष्म
भं राब होगा। ऩयभेद्वय का ध्मान कयो। रृदम शुद्ध है , स्जससे भन की सचन्ता जल्दी दयू होगी। ऩयदे श भं यहे भनुष्म की
सचन्ता है सो उसका सभराऩ होगा। धभा के प्रबाव से सुखी हंगे।
333: इतने फदन सनधान अवस्था भं व्मतीत फकए, फकन्तु अफ धन प्राद्ऱ होगा तथा भन की धायणा परीबूत होगी।
जीवनसाथी से सुख प्राद्ऱ होगा, तीन भफहने फाद अच्छे फदन आएॉगे। इद्शदे व की आयाधना कयो। आभदनी से खचा असधक
है , धन इकट्ठा फकमा नहीॊ, सभि की तयप से धोखा सभरा है , दश्ु भन रोग ऩीछे से सनन्दा कयते हं , फकन्तु साभने आकय
फोर नहीॊ सकते। जभीन से राब होगा। ऩयभेद्वय का जऩ कयो।

 क्मा आऩको उच्च असधकायी से ऩये शानी हं ?


 क्मा आऩकी अऩने सहकभाचायी से अनफन होती हं ?
 क्मा आऩके असधनस्थ कभाचायी आऩकी फात नही भानते?
मफद आऩको अऩने उच्च असधकायी, सहकभाचायी, असधनस्थ कभाचायी से ऩये शानी हं । आऩके अनूकुर कामा नहीॊ कयते मा
आऩको कयने नहीॊ दे ते? वह आऩकी फात नहीॊ भानतं? त्रफना वजह आऩको ऩये शान कयते हं ? अन आवश्मक कामा आऩसे
कयवाते हं । आऩका प्रभोशन रुकवादे ते हं । उसचत कामा कयने ऩय बी आऩके कामा भं नुक्श सनकारते हं ? मफद आऩ इसी
तयह फक फकसी सभस्मा से ग्रस्त हं तो आऩ उन असधकायी, सहकभॉ, असधनस्थकभॉ मा अन्म फकसी व्मत्रि त्रवशेष के
नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म मुि वशीकयण कवच एवॊ
एस.एन.फडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय-ओफपस भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ
कय सकते हं । मफद आऩ भॊि ससद्ध वशीकयण कवच एवॊ एस.एन.फडब्फी फनवाना चाहते हं , तो सॊऩका कयं ।

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46 ससतम्फय 2012

सवाससत्रद्धदामक भुफद्रका
इस भुफद्रका भं भूॊगे को शुब भुहूता भं त्रिधातु (सुवणा+यजत+ताॊफ)ं भं जिवा कय उसे शास्त्रोि त्रवसध-
त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो द्राया सवाससत्रद्धदामक फनाने हे तु प्राण-प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा चैतन्म मुि फकमा
जाता हं । इस भुफद्रका को फकसी बी वगा के व्मत्रि हाथ की फकसी बी उॊ गरी भं धायण कय सकते हं ।
महॊ भुफद्रका कबी फकसी बी स्स्थती भं अऩत्रवि नहीॊ होती। इस सरए कबी भुफद्रका को उतायने की
आवश्मिा नहीॊ हं । इसे धायण कयने से व्मत्रि की सभस्माओॊ का सभाधान होने रगता हं । धायणकताा
को जीवन भं सपरता प्रासद्ऱ एवॊ उन्नसत के नमे भागा प्रसस्त होते यहते हं औय जीवन भं सबी प्रकाय
की ससत्रद्धमाॊ बी शीध्र प्राद्ऱ होती हं । भूल्म भाि- 6400/-
(नोट: इस भुफद्रका को धायण कयने से भॊगर ग्रह का कोई फुया प्रबाव साधक ऩय नहीॊ होता हं ।)
सवाससत्रद्धदामक भुफद्रका के त्रवषम भं असधक जानकायी के सरमे हे तु सम्ऩका कयं ।

ऩसत-ऩत्नी भं करह सनवायण हे तु


मफद ऩरयवायं भं सुख-सुत्रवधा के सभस्त साधान होते हुए बी छोटी-छोटी फातो भं ऩसत-ऩत्नी के त्रफच भे करह होता यहता हं ,
तो घय के स्जतने सदस्म हो उन सफके नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत
ऩूणा चैतन्म मुि वशीकयण कवच एवॊ गृह करह नाशक फडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भं त्रफना फकसी ऩूजा, त्रवसध-
त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ भॊि ससद्ध ऩसत वशीकयण मा ऩत्नी वशीकयण एवॊ गृह करह
नाशक फडब्फी फनवाना चाहते हं , तो सॊऩका आऩ कय सकते हं ।

100 से असधक जैन मॊि


हभाये महाॊ जैन धभा के सबी प्रभुख, दर
ु ब
ा एवॊ शीघ्र प्रबावशारी मॊि ताम्र ऩि,
ससरवय (चाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे उऩरब्ध हं ।
हभाये महाॊ सबी प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, ससरवय (चाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है । इसके
अरावा आऩकी आवश्मकता अनुशाय आऩके द्राया प्राद्ऱ (सचि, मॊि, फिज़ाईन) के अनुरुऩ मॊि बी फनवाए
जाते है . गुरुत्व कामाारम द्राया उऩरब्ध कयामे गमे सबी मॊि अखॊफडत एवॊ 22 गेज शुद्ध कोऩय(ताम्र
ऩि)- 99.99 टच शुद्ध ससरवय (चाॊदी) एवॊ 22 केये ट गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है । मॊि के त्रवषम भे
असधक जानकायी के सरमे हे तु सम्ऩका कयं ।
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47 ससतम्फय 2012

भॊि ससद्ध वाहन दघ


ु ट
ा ना नाशक भारुसत मॊि
ऩौयास्णक ग्रॊथो भं उल्रेख हं की भहाबायत के मुद्ध के सभम अजुन
ा के यथ के अग्रबाग ऩय भारुसत ध्वज एवॊ
भारुसत मन्ि रगा हुआ था। इसी मॊि के प्रबाव के कायण सॊऩूणा मुद्ध के दौयान हज़ायं-राखं प्रकाय के आग्नेम अस्त्र-
शस्त्रं का प्रहाय होने के फाद बी अजुन
ा का यथ जया बी ऺसतग्रस्त नहीॊ हुआ। बगवान श्री कृ ष्ण भारुसत मॊि के इस
अद्भत
ु यहस्म को जानते थे फक स्जस यथ मा वाहन की यऺा स्वमॊ श्री भारुसत नॊदन कयते हं, वह दघ
ु ट
ा नाग्रस्त कैसे हो
सकता हं । वह यथ मा वाहन तो वामुवेग से, सनफाासधत रुऩ से अऩने रक्ष्म ऩय त्रवजम ऩतका रहयाता हुआ ऩहुॊचेगा।
इसी सरमे श्री कृ ष्ण नं अजुन
ा के यथ ऩय श्री भारुसत मॊि को अॊफकत कयवामा था।
स्जन रोगं के स्कूटय, काय, फस, ट्रक इत्माफद वाहन फाय-फाय दघ
ु ट
ा ना ग्रस्त हो यहे हो!, अनावश्मक वाहन को
नुऺान हो यहा हं! उन्हं हानी एवॊ दघ
ु ट
ा ना से यऺा के उद्दे श्म से अऩने वाहन ऩय भॊि ससद्ध श्री भारुसत मॊि अवश्म
रगाना चाफहए। जो रोग ट्रान्स्ऩोफटं ग (ऩरयवहन) के व्मवसाम से जुडे हं उनको श्रीभारुसत मॊि को अऩने वाहन भं अवश्म
स्थात्रऩत कयना चाफहए, क्मोफक, इसी व्मवसाम से जुडे सैकडं रोगं का अनुबव यहा हं की श्री भारुसत मॊि को स्थात्रऩत
कयने से उनके वाहन असधक फदन तक अनावश्मक खचो से एवॊ दघ
ु ट
ा नाओॊ से सुयस्ऺत यहे हं । हभाया स्वमॊका एवॊ अन्म
त्रवद्रानो का अनुबव यहा हं , की स्जन रोगं ने श्री भारुसत मॊि अऩने वाहन ऩय रगामा हं , उन रोगं के वाहन फडी से
फडी दघ
ु ट
ा नाओॊ से सुयस्ऺत यहते हं । उनके वाहनो को कोई त्रवशेष नुक्शान इत्माफद नहीॊ होता हं औय नाहीॊ अनावश्मक
रुऩ से उसभं खयाफी आसत हं ।
वास्तु प्रमोग भं भारुसत मॊि: मह भारुसत नॊदन श्री हनुभान जी का मॊि है । मफद कोई जभीन त्रफक नहीॊ यही हो, मा उस
ऩय कोई वाद-त्रववाद हो, तो इच्छा के अनुरूऩ वहॉ जभीन उसचत भूल्म ऩय त्रफक जामे इस सरमे इस भारुसत मॊि का
प्रमोग फकमा जा सकता हं । इस भारुसत मॊि के प्रमोग से जभीन शीघ्र त्रफक जाएगी मा त्रववादभुि हो जाएगी। इस सरमे
मह मॊि दोहयी शत्रि से मुि है ।
भारुसत मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कयं । भूल्म Rs- 255 से 10900 तक

 क्मा आऩके फच्चे कुसॊगती के सशकाय हं ?

 क्मा आऩके फच्चे आऩका कहना नहीॊ भान यहे हं ?

 क्मा आऩके फच्चे घय भं अशाॊसत ऩैदा कय यहे हं ?


घय ऩरयवाय भं शाॊसत एवॊ फच्चे को कुसॊगती से छुडाने हे तु फच्चे के नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान
से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म मुि वशीकयण कवच एवॊ एस.एन.फडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भं स्थात्रऩत
कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ तो आऩ भॊि ससद्ध वशीकयण कवच एवॊ
एस.एन.फडब्फी फनवाना चाहते हं , तो सॊऩका इस कय सकते हं ।

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48 ससतम्फय 2012

चंतीसा मन्ि द्राया बत्रवष्म ऻान प्रद्लावरी


 स्वस्स्तक.ऎन.जोशी

9 16 2 7
6 3 13 12
15 10 8 1
4 5 11 14
बत्रवष्म ऻान प्रद्लावरी को चंतीसा मन्ि के अनुरुऩ फनामा गमा हं ।
 प्रद्लकताा को अऩने इद्श का ध्मान कयके नीचे वस्णात 34 प्रद्लं भं से अऩने सॊफॊसधत प्रद्ल का उच्चायण मा स्भयण
कयते हुए फदमे गमे चंतीसा मन्ि के फकसी बी अॊक ऩय अॊगुरी यखं।
 अॊगुरी यखं अॊक की सॊख्मा एवॊ अऩने प्रद्ल की सॊख्मा को जोिकय उसभं से 1 अॊक घटा दं ।
 जो सॊख्मा शेष फचे उस सॊख्मा को 34 प्रद्लं की प्रद्ल तासरका भं दे ख कय उस सॊख्मा के दे वता का नाभ नोट कय
रं।
 जो दे वता का नाभ प्राद्ऱ हुवा है , उस दे वता के प्रद्ल पर भं चंतीसा मन्ि ऩय अॊगुरी यख कय प्राद्ऱ हुइ सॊख्मा को
अऩने सॊफॊसधत प्रद्ल का उत्तय सभझे।
 चंतीसा मन्ि की सॊख्मा एवॊ प्रद्ल सॊख्मा का जोि मफद 34 अॊक से असधक हो तो जोिकय प्राद्ऱ हुइ सॊख्मा भं से 34
घटा कय शेष फची हुइ सॊख्मा को 34 प्रद्लं की प्रद्ल तासरका भं दे ख कय उस सॊख्मा के दे वता का नाभ प्राद्ऱ कयं ।

उदाहयण:1
इद्श का ध्मान कय 34 प्रद्लं भं से मफद फकसी ने चमन फकमा हो प्रद्ल नॊफय 3 बाग्मोदम कफ होगा? तो, उस प्रद्ल का
स्भयण कय के चंतीसा मन्ि की सॊख्मा भं से फकसी एक सॊख्मा 16 ऩय अॊगुरी यखी हो, तो प्रद्ल सॊख्मा 3 + 16 जो
चंतीसा मन्ि ऩय अॊगुरी यख कय प्राद्ऱ हुइ सॊख्मा हं उन दोनो का जोड 3+16 = 19 होता हं उस उस सॊख्मा भं से 1
घटाकय 19-1 = 18 शेष सॊख्मा फचती हं । अफ प्रद्ल तारीका के प्रद्ल क्रभ की सॊख्मा 18 के दे वता शसन हं , तो अफ
शसनदे व के प्रद्लपर ऩय 16 नॊफय के पर भं सरखा हं बाग्मोदम शीघ्र होगा।

उदाहयण:2
मफद फकसी का प्रद्ल हो प्रद्ल सॊख्मा 27. आज का फदन कैसा यहे गा? तो उस प्रद्ल का स्भयण कयके चंतीसा मन्ि की
सॊख्मा भं से फकसी एक सॊख्मा का चमन कयने ऩय सॊख्मा 10 ऩय अॊगुरी यखी हो तो 27 + 10 का जोि 37 होता है , अफ
49 ससतम्फय 2012

37 भं से 1 घटाने ऩय 37-1= 36 सॊख्मा प्राद्ऱ हुई रेफकन प्रद्ल तासरका भं 36 सॊख्मा का प्रद्ल नहीॊ हं प्रद्ल तासरका भं
केवर 34 प्रद्ल फदमे गमे हं , तो अफ 36 सॊख्मा भं से 34 घटामे तो शेष फची सॊख्मा हं 2 तो अफ प्रद्लतारी का के 2यं
प्रद्ल के दे वता हं ब्रह्मा, अफ ब्रह्माजी के प्रद्लपर ऩय 10 नॊफय के पर भं सरखा हं फदन शुब यहे गा।

उदाहयण:3
मफद फकसी का प्रद्ल हो प्रद्ल सॊख्मा 32. अभुक स्त्री भुझे प्रेभ कयती है मा नहीॊ? तो उस प्रद्ल का स्भयण कयके चंतीसा
मन्ि की सॊख्मा भं से फकसी एक सॊख्मा का चमन कयने ऩय सॊख्मा 15 ऩय अॊगुरी यखी हो तो 32 + 15 का जोि 47
होता है , अफ 47 भं से 1 घटाने ऩय 47-1= 46 सॊख्मा प्राद्ऱ हुई रेफकन प्रद्ल तासरका भं 46 सॊख्मा का प्रद्ल नहीॊ हं प्रद्ल
तासरका भं केवर 34 प्रद्ल फदमे गमे हं , तो अफ 46 सॊख्मा भं से 34 घटामे तो शेष फची सॊख्मा हं 12 तो अफ प्रद्लतारी
का के 12वं प्रद्ल के दे वता हं ऩृथ्वी, अफ ऩृथ्वी प्रद्लपर ऩय 15 नॊफय के पर भं सरखा हं फदखावटी प्रेभ कयती है ।
इसी प्रकाय आऩ अऩने सॊफॊसधत प्रद्ल का उत्तय सयरता से प्राद्ऱ कय सकते हं ।

सॊख्मा प्रद्ल दे वता सॊख्मा प्रद्ल दे वता


1 सन्तान सुख होगा मा नहीॊ? गणेश 18 भेयी सचॊता दयू होगी मा नहीॊ? शसन
2 कोटा -केस भं हाय होगी मा जीत? ब्रह्मा 19 सभि के साथ कैसी फनेगी? याहु
3 बाग्मोदम कफ होगा? त्रवष्णु 20 कजा सभरेगा मा नहीॊ? केतु
4 नौकयी सभरेगी मा नहीॊ? सशव 21 खोई वस्तु सभरेगी मा नहीॊ? ध्रुव
5 तयक्की का मोग है मा नहीॊ? इन्द्र 22 ऩयदे शी कफ आमेगा? मभ
6 खेती भं राब होगा मा हासन? अस्ग्न 23 मािा से राब सभरेगा मा हासन? त्रवद्वेदेवा
7 भकान फनेगा मा नहीॊ? वामु 24 बाइमं भं कैसी फनेगी? मऺ
8 ऩास होऊॊगा मा पेर? सूमा 25 कुआॊ फनेगा मा नहीॊ? बैयव
9 त्रवद्या प्राद्ऱ होगी मा नहीॊ? चन्द्रभा 26 मह वषा कैसा यहे गा? वासुफक
10 भेया जीवन कैसा व्मतीत होगा? वसुदेव 27 आज का फदन कैसा यहे गा? कुफेय
11 जीवन भं सपरता सभरेगी मा नहीॊ? वरुण 28 ऩुि होगा मा कन्मा? सभि
12 गुद्ऱ धन सभरेगा मा नहीॊ? ऩृथ्वी 29 भेयी इच्छा ऩूयी होगी मा नहीॊ? जमन्त
13 त्रववाह होगा मा नहीॊ? अस्द्वनी 30 स्त्री स्वबाव भं कैसी सभरेगी? तऺक
14 फीभाय अच्छा होगा मा नहीॊ? भॊगर 31 सम्फन्धी धोखा तो नहीॊ दे गा? शेष
15 स्वसन पर कैसा है ? फुध 32 अभुक स्त्री भुझे प्रेभ कयती है मा नहीॊ? काभ
16 तफादरा होगा मा नहीॊ? फृहस्ऩसत 33 तीथा मािा को जाना होगा मा नहीॊ? कार
17 व्माऩाय से राब यहे गा मा हासन? शुक्र 34 भस्न्दय फनेगा मा नहीॊ? अनन्त
50 ससतम्फय 2012

गणेश
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩको सन्तान का सुख अवश्म सभरेगा। 9 आज का फदन भध्मभ यहे गा।
2 फकसी की सहामता से भस्न्दय शीघ्र फनेगा। 10 मह वषा आऩके सरए उत्तभ यहे गा।
3 तीथा मािा भं त्रवघ्नन आनेकी सॊबावना हं । 11 कुएॊ का सनभााण नहीॊ होगा।
4 स्त्री आऩसे शुद्ध प्रेभ कयती है । 12 बाइमं भं अच्छी फन जाएगी।
5 आऩके सम्फन्धी आऩको धोखा दे सकता है । 13 इस मािा से राब सभरना कफठन है ।
6 आऩकी स्त्री का स्वबाव गयभ यहे गा। 14 ऩयदे शी शीघ्र ही रौटे गा।
7 इच्छा ऩूयी होने भं दे यी हो सकती है । 15 खोई वस्तु की शीघ्र प्रासद्ऱ होगी।
8 कन्मा सुख भं वृत्रद्ध होगी। 16 कजा सभरने भं कफठनाई होगी।

ब्रह्मा
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 कोटा -केस भं आऩकी जीत होगी। 9 सॊतान सुख प्राद्ऱ होगा।
2 सन्तान सुख हे तु इद्श दे वता का ऩूजन कयं । 10 आज का फदन आऩके सरए शुब यहे गा।
3 भस्न्दय सनभााण भं त्रवरम्फ होगा। 11 मह वषा आऩके सरए अनुकूर नहीॊ है ।
4 तीथा मािा जाने की इच्छा ऩूणा होगी। 12 कुआॉ सनभााण की इच्छा ऩूणा होगी।
5 इस सभम स्त्री प्रेभ नहीॊ कयती है । 13 बाइमं भं अनफन की सॊबावना असधक है ।
6 सम्फन्धी आऩको धोखा दे सकता है , सावधान यहं । 14 आऩको मािा से राब होगा।
7 आऩकी स्त्री का स्वबाव सयर यहे गा। 15 ऩयदे शी के आने भं त्रवरम्फ होगा।
8 इस सभम इच्छा की ऩूसता शीघ्र नहीॊ हो सकेगी। 16 खोई वस्तु के सभरने की सॊबावना कभ हं ।

त्रवष्णु
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩका बाग्मोदम शीघ्र ही होगा। 9 आऩकी इच्छा ऩूयी होने भं सन्दे ह है ।
2 कोटा -केस भं त्रवजम प्राद्ऱ होने भं सन्दे ह है । 10 आऩको कन्मा सुख की प्रासद्ऱ होगी।
3 आऩको सन्तान सुख उऩाम से प्राद्ऱ होगा। 11 आज का फदन आऩके सरए शुब नहीॊ यहे गा।
4 भस्न्दय सनभााण की इच्छा ऩूयी होगी। 12 मह वषा आऩके सरए शुब यहे गा।
5 तीथा मािा ऩय जाने भं त्रवरम्फ होगा। 13 कुॊआॉ सनभााण होने भं सॊदेह हं ।
6 स्त्री आऩसे गोऩनीम प्रेभ कयती है । 14 बाइमं भं अनफन असधक यहे गी।
7 सम्फन्धी आऩको धोखा नहीॊ दे गा। 15 मािा भं राब सभरने की सम्बावना कभ हं ।
8 आऩकी स्त्री का स्वबाव उत्तभ होगा। 16 ऩयदे शी को आने भं त्रवरम्फ होगा। सनस्द्ळॊत यहं ।
51 ससतम्फय 2012

सशव
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩको नौकयी शीघ्र सभर जामेगी। 9 स्त्री के स्वबाव से आऩका स्वबाव सभर जामेगा।
2 आऩके बाग्मोदम भं अबी दे य है । 10 आऩकी इच्छा ऩूयी होगी।
3 कोटा -केस भं आऩकी हाय होने की सम्बावना हं । 11 आऩको सॊतान सुख सभरेगा।
4 सॊतान सुख की इच्छा शीघ्र ऩूणा होगी। 12 आज का फदन फदन शुब है ।
5 भस्न्दय नहीॊ फनेगा। 13 मह वषा आऩके सरए उत्तभ नहीॊ यहे गा।
6 तीथा-मािा नहीॊ होने का सॊकेत है । 14 कुआॉ सनभााण की इच्छा ऩूयी होगी।
7 स्त्री आऩसे प्रेभ कयती है । 15 बाइमं भं अनफन यहने की सम्बावना हं ।
8 सम्फन्धी आऩको धोखा दे सकता हं , सावधान यहं । 16 आऩको मािा भं राब सभरेगा।
.

इन्द्र
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩकी तयक्की के मोग अच्छे हं । 9 आऩसे सम्फन्धी गोऩसनम चार चरेगा।
2 आऩको नौकयी प्रमत्न से सभरेगी। 10 आऩकी स्त्री का स्वबाव अच्छा यहे गा।
3 आऩके बाग्मोदम भं त्रवरम्फ होगा। 11 आऩकी इच्छा ऩूणा होने भं सन्दे ह है ।
4 कोटा -केस भं आऩकी जीत अवश्म होगी। 12 कन्मा सुख भं वृत्रद्ध का सॊकेत हं ।
5 आऩको सॊतान सुख उऩाम से सभरेगा। 13 आज का फदन भध्मभ यहे गा।
6 भस्न्दय सनभााब की आशा ऩूणा होगी। 14 आऩके सरए मह वषा कफठनाई बया यहे गा।
7 तीथा मािा ऩय जाना सॊबव हं । 15 कुवं का सनभााण दे यी से होगा।
8 स्त्री आऩसे प्रेभ नहीॊ कयती,फदखावटी प्रेभ कय यही है । 16 बाइमं के त्रफच भं अच्छा भेर यहे गा।
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अस्ग्न
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩको खेती से राब होगा। 9 उस स्त्री के सरए प्रेभ का फदखावा ही अच्छा है ।
2 आऩकी तयक्की भं दे य हो सकती है । 10 सम्फन्धी आऩको धोखा नहीॊ दे गा।
3 आऩको शीघ्र नौकयी नहीॊ सभरेगी। 11 आऩकी स्त्री का स्वबाव प्रसतकूर होगा।
4 आऩका बाग्मोदम शीघ्र ही होगा। 12 इच्छा शीघ्र ऩूयी नहीॊ होगी।
5 कोटा -केस की जीत भं सन्दे ह है । 13 सॊतान सुख प्राद्ऱ होगा।
6 आऩको सन्तान का सुख दे य से सभरेगा। 14 आज का फदन आऩके सरए उत्तभ है ।
7 भस्न्दय का सनभााण त्रप्रमजनो के सहमोग से होगा। 15 आऩके सरए मह वषा उत्तभ यहे गा।
8 तीथा मािा होने भं सॊदेह यहे गा। 16 कुएॉ के सनभााण की इच्छा ऩूयी होगी।
52 ससतम्फय 2012

वामु
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩकी गृह सनभााण की काभना ऩूयी होगी। 9 फकसी कायण आऩकी तीथा मािा अबी नहीॊ होगी।
2 आऩको खेती भं राब कभ होगा। 10 स्त्री आऩसे प्रेभ कयती है ।
3 आऩकी तयक्की अबी नहीॊ होगी। 11 सम्फन्धी आऩको धोखा दे सकते हं ।
4 आऩको नौकयी कापी प्रमत्न के फाद सभरेगी। 12 आऩकी स्त्री का स्वबाव कुछ सचिसचिा होगा।
5 आऩका बाग्मोदम शीघ्र हो सकता हं । 13 आऩकी इच्छा ऩूणा होगी।
6 कोटा -केस भं आऩको त्रवजम सभरने भं कफठन है । 14 आऩको कन्मा का सुख प्राद्ऱ होगा।
7 आऩको सॊतान का सुख सभरेगा। 15 आज का फदन आऩके सरए प्रसतकूर यहे गा।
8 आऩकी भस्न्दय फनाने की काभना ऩूणा होगी। 16 मह वषा आऩके सरए भध्मभ यहे गा।

सूमा
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 इस ऩरयऺा भं सपर होने की ऩूणा सॊबावना हं । 9 भस्न्दय सनभााण होगा रेफकन दे य से।
2 आऩका भकान फनने भं त्रवरम्फ है । 10 मह तीथा मािा आऩके सरए उत्तभ यहे गी।
3 आऩको इस फाय खेती से राब नहीॊ होगा। 11 उस स्त्री का प्रेभ फदखावटी है ।
4 इस फाय आऩकी तयक्की शीघ्र होगी। 12 आऩका सम्फन्धी धोखा नहीॊ दे गा।
5 आऩको नौकयी अबी नहीॊ सभरेगी। 13 आऩकी स्त्री का स्वबाव उत्तभ यहे गा।
6 आऩका बाग्मोदम दे य से होगा। 14 आऩकी मह इच्छा ऩूयी नहीॊ होगी।
7 आऩके भुकदभा जीतने की सॊबावना प्रफर हं । 15 आऩको सॊतान सुख प्राद्ऱ होगा।
8 सॊतान सुख भं फाधा, सॊतान गोऩार का ऩूजन कयं । 16 आऩका फदन शुब यहे गा।

चन्द्रभा
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩको उत्तभ त्रवद्या प्राद्ऱ होगी। 9 आऩको सॊतान सुख त्रवरम्फ से प्राद्ऱ होगा।
2 इस फाय आऩके सपर होने भं सन्दे ह यहे गा। 10 भस्न्दय फनने भं त्रवघ्नन आमेगं।
3 आऩका भकान अबी नहीॊ फन सकेगा। 11 तीथा मािा होने भं सन्दे ह हं ।।
4 इस फाय खेती से आऩको राब सभरेगा। 12 आऩके सरए गोऩसनम प्रेभ हासनकायक होगा।
5 आऩकी तयक्की का मोग इस फाय नहीॊ है । 13 सम्फन्धी आऩको धोखा दे गा।
6 आऩको नौकयी शीध्र सभर जामेगी। 14 आऩकी स्त्री का स्वबाव अनुकूर नहीॊ होगा।
7 आऩका बाग्मोदम शीघ्र होगा। 15 आऩकी इच्छा ऩूयी होने भं त्रवरम्फ होगा।
8 कोटा -केस भं त्रवजम प्रासद्ऱ भं सन्दे ह यहे गा। 16 कन्मा सुख भं वृत्रद्ध होगी।
53 ससतम्फय 2012

वसुदेव
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩका आने वारा जीवन सुखऩूवक ा यहे गा। 9 कोटा -केस भं आऩकी त्रवजम सनस्द्ळत होगी।
2 आऩके त्रवद्या प्रासद्ऱ की सॊबावना थोिी हं । 10 आऩको सन्तान सुख सभरने भं फाधाएॊ आमेगी।
3 इस वषा ऩरयऺा भं असपरता सभर सकती हं । 11 भस्न्दय के सनभााण भं त्रवघ्नन आमंगे।
4 आऩकी भकान की इच्छा ऩूणा होने भं त्रवरॊफ होगा। 12 आऩकी तीथामािा की इच्छा ऩूणा नहीॊ होगी।
5 इस फाय खेती से कभ राब सभरने की सॊबावना हं । 13 स्त्री आऩसे सच्चा प्रेभ कयती है ।
6 आऩकी तयक्की का मोग इस फाय फन यहा है । 14 आऩका सम्फन्धी आऩको धोखा नहीॊ दे गा।
7 आऩको नौकयी सभरने भं अबी दे य है । 15 आऩको स्त्री उत्तभ स्वबाव की सभरेगी।
8 आऩका बाग्मोदम शीघ्र होने की सॊबावना हं । 16 आऩकी इच्छा शीघ्र ऩूयी होगी।

वरुण
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩको जीवन भं सपरता प्राद्ऱ होगी। 9 आऩका बाग्मोदम शीघ्र होने का सॊकेत है ।
2 आऩका जीवन सॊघषाभम यहे गा। 10 कोटा -केस भं आऩकी जीत होने भं सन्दे ह है ।
3 आऩकी त्रवद्या अऩूणा होने की सॊबावना हं । 11 आऩको सन्तान सुख उऩाम के फाद भं प्राद्ऱ होगा।
4 ऩरयऺा भं सपरता सभरने की ऩूणा सम्बावना हं । 12 आऩकी भस्न्दय सनभााण की इच्छा ऩूयी होगी।
5 आऩका भकान फनाने की इच्छा अबी ऩूणा नहीॊ होगी। 13 तीथा मािा की काभना ऩूणा होगी।
6 इस फाय आऩको खेती से त्रवशेष राब नहीॊ होगा। 14 स्त्री आऩसे गोऩसनम प्रेभ कयती है ।
7 आऩकी इस फाय तयक्की होने भं सन्दे ह यहे गा। 15 सम्फन्धी का आऩको धोखा दे ना कफठन है ।
8 आऩको नौकयी सभरने के अबी सभम रगेगा है । 16 आऩकी स्त्री का स्वबाव सभरनसाय यहे गा।

ऩृथ्वी
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩको गुद्ऱ धन प्राद्ऱ होगा। 9 आऩको जल्दी नौकयी सभर जामेगी।
2 आऩको जीवन भं सपरता सभर जाएगी। 10 आऩके बाग्मोदम भं दे य है ।
3 आऩका जीवन सॊघषा से फीतेगा। 11 कोटा -केस भं आऩकी हाय होने की सॊबावना है ।
4 आऩको त्रवद्या प्राद्ऱ होगी। 12 आऩको सन्तान सुख प्राद्ऱ होगा।
5 इस फाय आऩके सपर होने भं सन्दे ह है । 13 भस्न्दय फनने भं त्रवरम्फ होगा।
6 आऩका भकान अबी दे य से फनेगा। 14 तीथा मािा भं रुकावट सम्बव हं ।
7 आऩको इस फाय खेती से अच्छा राब सभरेगा। 15 स्त्री आऩसे फदखावटी प्रेभ कयती है ।
8 आऩकी तयक्की अबी नहीॊ होगी। 16 आऩका सम्फन्धी आऩको धोखा नहीॊ दे गा।
54 ससतम्फय 2012

अद्वनी
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩका त्रववाह हो जामेगा। 9 आऩके तयक्की भं त्रवरम्फ है ।
2 अऩको गुद्ऱ धन त्रवशेष उऩाम द्राया सभरेगा। 10 आऩको जल्द नौकयी सभर जामेगी।
3 कफठन प्रमासं के फाद जीवन भं सपरता प्राद्ऱ होगी। 11 आऩका बाग्मोदम शीघ्र होगा।
4 आऩका जीवन अच्छे से फीतेगा। 12 कोटा -केस भं आऩको त्रवजम की प्रासद्ऱ होगी।
5 उत्तभ त्रवद्या प्राद्ऱ नहीॊ होगी। 13 आऩको सन्तान का सुख उऩाम से होगा।
6 इस फाय सपरता सभरने की सम्बावना कभ हं । 14 आऩके भस्न्दय सनभााण की काभना भं त्रवरम्फ होगा।
7 आऩकी भकान की इच्छा दे य से ऩूणा होगी। 15 तीथा मािा होने की सम्बावना कभ हं ।
8 आऩको खेती भं असधक राब नहीॊ होगा। 16 स्त्री आऩसे सच्चा प्रेभ कयती है ।

भॊगर
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 फीभाय अच्छा हो जामेगा। 9 आऩको खेती भं राब अवश्म सभरेगा।
2 आऩका त्रववाह होने भं सन्दे ह है । 10 आऩकी तयक्की दे य से होगी।
3 गुद्ऱ धन इद्श दे व के ऩूजन से प्राद्ऱ हो सकता हं । 11 आऩको अबी नौकयी सभरने भं सन्दे ह है ।
4 आऩको जीवन भं सपरता अवश्म सभरेगी। 12 आऩका बाग्मोदम त्रवरम्फ से होगा।
5 आऩका जीवन भध्मभ वगा का होगा। 13 कोटा -केस की जीत भं सन्दे ह होगा।
6 आऩको त्रवद्या प्राद्ऱ हो जामेगी। 14 सनस्द्ळन्त यहं , सन्तान सुख अवश्म सभरेगा।
7 इस फाय आऩको सपरता प्राद्ऱ होगी। 15 भस्न्दय सनभााण की इच्छा शीघ्र ऩूणा होगी।
8 आऩका भकान शीघ्र फनेगा। 16 तीथा मािा की इच्छा ऩूयी होगी।

फुध
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩके स्वसन का पर उत्तभ सभरेगा। 9 आऩका भकान अबी नहीॊ फनेगा।
2 फीभाय व्मत्रि दे य से स्वस्थ होगा। 10 आऩको खेती से राब त्रवशेष सभरेगा।
3 आऩका त्रववाह उऩाम के ऩद्ळमात होगा। 11 आऩकी तयक्की त्रवरम्फ से होगी।
4 आऩको गुद्ऱ धन प्राद्ऱ होगा। 12 आऩको नौकयी अबी नहीॊ सभरेगी।
5 आऩको जीवन भं सपरता सयरता से नहीॊ सभरेगी। 13 आऩका बाग्मोदम शीघ्र होगा।
6 आऩके जीवन भं कफठनाइमाॊ असधक यहे गी। 14 कोटा -केस भं आऩकी जीत होगी।
7 आऩको त्रवद्या प्रासद्ऱ इद्श ऩूजा से सभरेगी। 15 आऩको सन्तान सुख उऩाम ऩद्ळमात सभरेगा।
8 आऩके सपर होने भं सन्दे ह है । 16 भस्न्दय फनने भं त्रवरम्फ होगा।
55 ससतम्फय 2012

फृहस्ऩसत
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩका तफादरा शीघ्र होगा। 9 आऩ सपर होगं, इद्श ऩूजन से राब सभरेगा।
2 आऩके स्वसन का पर असधक शुब नहीॊ है । 10 आऩकी भकान की काभना ऩूयी होगी।
3 फीभाय व्मत्रि के ठीक होने भं सन्दे ह है । 11 आऩको खेती से ऩूया राब नहीॊ सभरेगा।
4 आऩका त्रववाह हो जामेगा। 12 आऩकी तयक्की शीघ्र ही होगी।
5 आऩको गुद्ऱ धन उऩाम से सभरेगा। 13 आऩको नौकयी सभर जामेगी।
6 आऩको जीवन भं सपरता कभ सभरेगी। 14 आऩका बाग्मोदम त्रवरम्फ से होगा।
7 आऩका जीवन अच्छी तयह से फीतेगा। 15 आऩको कोटा -केस भं त्रवजम प्रासद्ऱ भं सन्दे ह है ।
8 आऩको त्रवद्या प्रासद्ऱ भं कफठनाई होगी। 16 आऩको सॊतान सुख सयरता से नहीॊ सभरेगा।

शुक्र
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩको व्माऩाय भं सावधानी से राब सभरे। 9 आऩको त्रवद्या थोिी भािा भं प्राद्ऱ होगी।
2 आऩका तफादरा हो जामेगा। 10 आऩ सपर होगे।
3 आऩके स्वसन का पर शुब है । 11 आऩका भकान त्रवरम्फ से फनेगा।
4 फीभाय व्मत्रि शीघ्र स्वस्थ हो जामेगा। 12 आऩको खेती से राब सभरने भं सन्दे ह है ।
5 आऩका त्रववाह उऩाम से होगा। 13 आऩकी तयक्की अबी नहीॊ होगी।
6 आऩको गुद्ऱ धन अवश्म सभरेगा। 14 आऩको नौकयी सभरने भं कद्श होगा है ।
7 आऩको जीवन भं सपरता कफठनाई से प्रासद्ऱ होगी। 15 आऩका बाग्मोदम शीघ्र होने वारा है ।
8 आऩके जीवन भं कफठनाइमाॊ असधक आमेगीॊ। 16 कोटा -केस भं आऩकी जीत सनस्द्ळत होगी।

शसन
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩकी सचन्ता दयू होने भं वि रगेगा। 9 आऩका जीवन सुखभम व्मतीत होगा।
2 आऩको व्माऩाय भं राब होगा। 10 आऩ अस्च्छ त्रवद्या प्राद्ऱ कय सकोगे।
3 आऩका तफादरा अबी नहीॊ होगा। 11 आऩका सपर होना भुस्श्कर है ।
4 आऩके स्वसन का पर उत्तभ है । 12 आऩका भकान अबी नहीॊ फनेगा।
5 फीभाय व्मत्रि के ठीक होने भं सन्दे ह है । 13 इस फाय आऩको खेती से राब नहीॊ सभरेगा।
6 आऩका त्रववाह होने भं सन्दे ह है । 14 आऩकी तयक्की अबी नहीॊ होगी।
7 आऩको गुद्ऱ धन आसुयी ससत्रद्ध द्राया सभर सकेगा। 15 आऩको नौकयी शीघ्र सभर जामेगी।
8 आऩ जीवन भं अस्च्छ सपरता प्राद्ऱ कयोगे। 16 आऩका बाग्मोदम शीघ्र होगा।
56 ससतम्फय 2012

याहु
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩका सभि आऩको धोखा दे गा, सावधान यहे । 9 आऩको जीवन भं सपरता कभ सभरेगी।
2 आऩकी भानससक सचॊता शीघ्र दयू हो जामेगी। 10 आऩका जीवन फाधाओॊ से मुि यहे गा।
3 आऩको व्माऩाय से राब नहीॊ होगा। 11 आऩको उत्तभ त्रवद्या प्राद्ऱ नहीॊ हो सकेगी।
4 आऩका तफादरा हो जामेगा। 12 आऩके सपर होने भं सन्दे ह है ।
5 आऩके स्वसन का पर अच्छा नहीॊ है । 13 आऩकी भकान की इच्छा ऩूयी होगी।
6 फीभाय व्मत्रि जल्द अच्छा हो जामेगा। 14 इस फाय आऩको खेती भं राब सभरेगा।
7 आऩका त्रववाह हो जामेगा। 15 आऩकी तयक्की प्रमत्न के उऩयाॊत होगी।
8 गुद्ऱ धन आऩके बाग्म भं नहीॊ है । 16 आऩको नौकयी सभरने भं त्रवरम्फ होगा।

केतु
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩको इस सभम कजा सभरने भं अबी दे य है । 9 आऩको गुद्ऱ धन त्रऩतृ ऩूजन से सभरेगा।
2 आऩ सभि से सतका यहं । 10 आऩको जीवन भं त्रवशेष सपरता नहीॊ सभरेगी।
3 आऩकी भानससक सचॊता इद्श आयाधना से दयू होगी। 11 आऩको जीवन भं सपरता कभ सभरेगी।
4 आऩको व्माऩाय भं अवश्म राब होगा। 12 आऩको त्रवद्या कफठन ऩरयश्रभ से प्राद्ऱ होगी।
5 आऩका तफादरा रुक सकता हं । 13 आऩ सपर हो जाओगे।
6 आऩके स्वसन का पर भध्मभ यहे गा। 14 आऩकी भकान की इच्छा जल्द ऩूयी नहीॊ होगी।
7 फीभाय व्मत्रि अच्छा हो जामेगा। 15 आऩको खेती से इस फाय त्रवशेष राब नहीॊ होगा।
8 आऩका त्रववाह उऩाम के फाद होगा। 16 आऩकी तयक्की भं त्रवघ्नन-फाधा आसकती हं ।

ध्रुव
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩको खोमी वस्तु प्रमत्न के उऩयाॊत सभर सकेगी। 9 आऩका त्रववाह दे य से होगा।
2 आऩको इस सभम कजा सभर जामेगा। 10 आऩको गुद्ऱ धन सभरने भं सन्दे ह है ।
3 आऩकी सभि के साथ नहीॊ फनेगी। 11 आऩको जीवन भं सपरता कद्श से सभरेगी।
4 आऩकी सचन्ता शीघ्र दयू होगी। 12 आऩको जीवन भं सुख नहीॊ सभरेगा।
5 आऩको व्माऩाय भं असधक राब नहीॊ होगा। 13 आऩ त्रवद्या प्राद्ऱ कयोगे।
6 आऩका तफादरा इसफाय नहीॊ होगा। 14 आऩके सपर होने भं सन्दे ह है ।
7 आऩके स्वसन का पर उत्तभ है । 15 आऩका भकान अबी नहीॊ फनेगा।
8 फीभाय व्मत्रि के अच्छे होने भं सन्दे ह है । 16 आऩको इस फाय खेती से त्रवशेष राब सभरेगा।
57 ससतम्फय 2012

मभ
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 ऩयदे शी का आना सॊबव है । 9 व्मत्रि की फीभायी अच्छी हो जामेगी।
2 आऩको खोमी वस्तु सभर जामेगी। 10 आऩका त्रववाह हो जामेगा।
3 आऩको इस सभम कजा सभरना भुस्श्कर होगा। 11 आऩको गुद्ऱ धन प्राद्ऱ होगा।
4 आऩकी सभि के साथ अच्छी फन जामेगी। 12 आऩका जीवन भं सपर होना कफठन है ।
5 आऩकी सचन्ता अबी दयू नहीॊ होगी। 13 आऩ जीवन सुखऩूवक
ा व्मतीत होगा।
6 आऩको व्माऩाय से राब सभरेगाअ। 14 आऩको उत्तभ त्रवद्या प्राद्ऱ नहीॊ कय सकोगे।
7 आऩका तफादरा हो जामेगा। 15 इस फाय आऩ सपर नहीॊ होगं।
8 आऩके स्वसन का पर भध्मभ है । 16 आऩकी तयक्की भं फाधा आमंगी।

त्रवद्वेदेवा
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩके सरए मािा राबदामी यहे गी। 9 आऩके स्वसन का पर अशुब है ।
2 ऩयदे शी अबी नहीॊ आमेगा। 10 फीभाय व्मत्रि जल्द अच्छा नहीॊ होगा।
3 आऩको खोमी वस्तु नहीॊ सभरेगी। 11 आऩका त्रववाह होने भं सन्दे ह है ।
4 आऩको इस सभम कजा दे य से सभरेगा। 12 आऩको गुद्ऱ धन नहीॊ सभरेगा।
5 आऩकी सभि के साथ नहीॊ फन सकेगी। 13 आऩको जीवन भं अच्छी सपरता सभरेगी।
6 आऩकी सफ सचन्ता दयू हो जामेगी। 14 आऩके जीवन भं कद्श असधक सभरंगे।
7 आऩको व्माऩाय भं राब सभरना कफठन है । 15 आऩ उत्तभ सशऺा प्राद्ऱ कयोगे।
8 आऩका तफादरा नहीॊ होगा। 16 आऩ सपर हो जाओगे।

मऺ-प्रद्ल-पर
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩकी बाइमं भं फननी भुस्श्कर है । 9 आऩका तफादरा हो सकता हं ।
2 आऩको मािा भं राब कभ सभरे। 10 आऩके स्वसन का पर शुब है ।
3 ऩयदे शी शीघ्र ही आ जामेगा। 11 फीभाय व्मत्रि जल्दी अच्छा हो जामेगा।
4 आऩको खोमी वस्तु सभर जामेगी। 12 आऩका त्रववाह उऩाम के फाद होगा।
5 इस सभम आऩको कजाा नहीॊ सभरेगा। 13 आऩको गुद्ऱ धन शीघ्र प्राद्ऱ होगा।
6 आऩका सभि के साथ अच्छा भेर होगा। 14 आऩका जीवन भं सपर होना भुस्श्कर है ।
7 आऩकी सचन्ता अबी नहीॊ सभटे गी। 15 आऩका जीवन सुखऩूवक
ा फीतेगा।
8 आऩको व्माऩाय से राब सभरेगा। 16 आऩको त्रवद्या इद्श कृ ऩा से प्राद्ऱ होगी।
58 ससतम्फय 2012

बैयव
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩकी कुएॉ के सनभााण की काभना ऩूयी होगी। 9 आऩको व्माऩाय भं राब सभरने भं भुस्श्कर है ।
2 आऩकी बाइमं से अच्छी फन जामेगी। 10 आऩका तफादरा प्रमत्न से होगा।
3 आऩको मािा से राब नहीॊ यहे गा। 11 आऩके स्वसन का पर उत्तभ नहीॊ है ।
4 आऩका ऩयदे शी अबी नहीॊ आमेगा। 12 फीभाय व्मत्रि का स्वस्थ होना कफठन है ।
5 आऩको खोमी वस्तु प्रमत्न से सभरेगी। 13 सनस्द्ळन्त यहे आऩका त्रववाह हो जामेगा।
6 आऩको इस सभम कजा सभर सकेगा। 14 आऩको गुद्ऱ धन नहीॊ सभरेगा।
7 आऩकी सभि से फननी कफठन है । 15 आऩको जीवन भं अच्छी सपरता सभरेगी।
8 आऩकी सचन्ता सभटे गी, इद्श ऩूजा कयं । 16 आऩके जीवन भं त्रवशेष फाधाएॊ आमंगी।

वासुफक
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩके सरए मह वषा भध्मभ यहे गा। 9 आऩकी सचन्ता सभट जामेगी।
2 कुआॊ इस सभम फन जामेगा। 10 आऩको व्माऩाय से राब सभरेगा।
3 आऩकी बाइमं से नहीॊ फनेगी। 11 आऩका तफादरा हो जामेगा।
4 आऩको मािा भं राब सभरेगा। 12 आऩके स्वसन का पर शुब है ।
5 ऩयदे शी शीघ्र ही आ जामेगा। 13 फीभाय व्मत्रि के अच्छे होने भं सन्दे ह है ।
6 आऩको खोमी वस्तु सभरेगी। 14 आऩका त्रववाह उऩाम से हो सकेगा।
7 आऩको इस सभम कजा सभरेगा। 15 आऩको गुद्ऱ धन त्रऩतृ ऩूजा से सभर सकेगा।
8 आऩका सभि धोखा दे गा, सावधान। 16 आऩको जीवन भं सपरता कभ सभरेगी।

कुफेय
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩके सरए आज का फदन शुब नहीॊ है । 9 आऩ सभि के साथ सावधानी से कामा कये ।
2 आऩके सरए मह वषा अच्छा यहे गा। 10 आऩकी सचन्ता अबी दयू नहीॊ होगी।
3 कुआॊ इस सभम नहीॊ फन सकेगा। 11 आऩको व्माऩाय से राब सभरना कफठन है ।
4 आऩकी बाइमं भं अच्छी फन जामेगी। 12 आऩका तफादरा नहीॊ होगा।
5 आऩको मािा से त्रवशेष राब नहीॊ सभरेगा। 13 आऩके स्वसन का पर शुब नहीॊ है ।
6 ऩयदे शी फकसे कायण से अबी नहीॊ आमेगा। 14 फीभाय व्मत्रि अच्छा हो जामेगा।
7 आऩको खोमी वस्तु सभरने भं सन्दे ह है । 15 आऩका त्रववाह उऩाम से होगा।
8 आऩको इस सभम कजा नहीॊ सभरेगा। 16 आऩको गुद्ऱ धन शीघ्र प्राद्ऱ होगा।
59 ससतम्फय 2012

सभि
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩको सॊतान सुख प्राद्ऱ होगा। 9 आऩको इस सभम कजा कफठनाई से सभरेगा।
2 आऩके सरए आज का फदन शुब है । 10 आऩकी सभि के साथ अच्छी फनेगी।
3 आऩके सरए मह वषा उत्तभ यहे गा। 11 आऩकी सचन्ता सभट जामेगी।
4 कुआॊ इस सभम फन जामेगा। 12 आऩको व्माऩाय से राब नहीॊ सभरेगा।
5 आऩका बाइमं से अनफन होगी। 13 आऩका तफादरा हो जामेगा।
6 आऩको मािा भं कभ राब सभरेगा। 14 आऩके स्वसन का पर शुब है ।
7 ऩयदे शी से जल्द भुराकात होगी। 15 फीभाय व्मत्रि रे स्वस्थ होने भं सन्दे ह है ।
8 आऩको खोमी वस्तु नहीॊ सभरेगी। 16 आऩका त्रववाह शीघ्र ही हो जामेगा।

जमन्त
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩकी इच्छा दे य से ऩूणा होगी। 9 आऩको खोमी वस्तु सभरने भं सन्दे ह है ।
2 आऩके कन्मा सुख भं वृत्रद्ध होगी। 10 आऩको इस सभम कजा नहीॊ सभरेगा।
3 आऩके सरए आज का फदन भध्मभ यहे गा। 11 आऩकी सभि के साथ फनना कफठन है ।
4 आऩके सरए मह वषा उत्तभ यहे गा। 12 आऩकी भानससक सचन्ता फढ़ जामेगी।
5 इस सभम कुआॊ फनने भं रुकावटं ज्मादा है । 13 आऩको व्माऩाय भं राब कफठनाई से सभरेगा।
6 आऩका बाइमं से भेर-सभराऩ अच्छा यहे गा। 14 अबी आऩका तफादरा होने भं सन्दे ह है ।
7 आऩको मािा भं राब यहे गा। 15 आऩके स्वसन का पर अच्छा नहीॊ है ।
8 ऩयदे शी अबी आने भं सन्दे ह हं । 16 फीभाय व्मत्रि शीघ्र ही अच्छा होगा।

शेष
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩके सम्फन्धी आऩको धोखा नहीॊ दे गा। 9 आऩको मािा से त्रवशेष राब नहीॊ सभरेगा।
2 आऩको स्त्री तेज स्वबाव की सभरेगी। 10 ऩयदे शी शीघ्र वाऩस आ जामेगा।
3 आऩकी इच्छा ऩूयी होने भं सन्दे ह है । 11 आऩको खोमी वस्तु सभरने भं सन्दे ह है ।
4 आऩके कन्मा सुख भं वृत्रद्ध होगी। 12 आऩको इस सभम कजा नहीॊ सभरेगा।
5 आऩके सरए आज का फदन भध्मभ यहे गा। 13 आऩकी सभि के साथ अच्छी फन जामेगी।
6 आऩके सरए मह वषा उत्तभ यहे गा। 14 आऩकी सचन्ता अबी दयू नहीॊ होगी।
7 इस सभम कुआॊ फनाने भं आकस्स्भक त्रवघ्नन-फाधा 15 आऩको व्माऩाय से राब सभरेगा।
आमेगी।
8 आऩकी बाइमं से फननी भुस्श्कर यहे गी। 16 आऩके तफादरे की इच्छा त्रवरम्फ से ऩूणा होगी।
60 ससतम्फय 2012

तऺक
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩको स्त्री सयर स्वबाव की सभरेगी। 9 ऩयदे शी के आने भं वि रग सकता हं ।
2 आऩकी इच्छा जल्द ऩूयी होगी। 10 आऩको खोमी वस्तु त्रवरम्फ से सभरेगी।
3 आऩको सॊतान सुख प्राद्ऱ होगा। 11 आऩको कजा सभरने भं त्रवरम्फ होगा।
4 आऩके सरए आज का फदन शुब यहे गा। 12 आऩकी सभि के साथ नही फनेगी।
5 आऩके सरए मह वषा अच्छा यहे गा। 13 आऩकी सचन्ता शीघ्र दयू होगी।
6 कुआॊ इस सभम फन जामेगा। 14 आऩको व्माऩाय से त्रवशेष राब नहीॊ सभरेगा।
7 आऩकी बाइमं से अनफन यहे गी। 15 आऩकी तफादरे की इ९च्छा जल्द ऩूयी होगी।
8 आऩको मािा भं राब सभरने भं कफठनाई होगी। 16 आऩके स्वसन का पर उत्तभ होगा।

काभ
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 स्त्री आऩसे गोऩसनम प्रेभ कयती है । 9 आऩकी बाइमं से साधायण फनेगी।
2 आऩके सम्फन्धी से धोखे की उम्भीद कभ है । 10 आऩको मािा से राब सभरेगा।
3 आऩकी स्त्री सयर स्वबाव होगी। 11 ऩयदे शी अबी नहीॊ आमेगा।
4 आऩकी इच्छा जल्द ऩूयी होगी। 12 आऩको खोमी वस्तु सभर जामेगी।
5 आऩको सॊतान सुख प्राद्ऱ होगा। 13 आऩको इस सभम कजा सभर जामेगा।
6 आऩके सरए आज का फदन शुब नहीॊ है । 14 आऩकी सभि के साथ नहीॊ फनेगी।
7 आऩके सरए मह वषा भध्मभ यहे गा। 15 आऩकी सचॊता शीघ्र सभट जामेगी।
8 गृह-सनभााण की काभना जल्द ऩूयी होगी। 16 आऩको व्माऩाय भं हासन होगी।

कार
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩकी तीथा मािा अबी नहीॊ होगी। 9 कुआॉ फननं भं त्रवरम्फ होगा।
2 स्त्री आऩसे सच्चा प्रेभ कयती है । 10 आऩका बाइमं से भेर कभ यहे गा।
3 सम्फन्धी आऩको धोखा दे सकता है । 11 आऩको मािा से राब नहीॊ यहे गा।
4 आऩको स्त्री प्रसतकूर स्वबाव की सभरेगी। 12 ऩयदे शी अबी नहीॊ आमेगा।
5 आऩकी इच्छा ऩूयी होने भं त्रवरम्फ होगा। 13 आऩको खोमी वस्तु सभरना कफठन है ।
6 कन्मा सुख भं वृत्रद्ध होगी। 14 आऩको इस सभम कजा सभरने भं सन्दे ह है ।
7 आऩके सरए आज का फदन शुब यहे गा। 15 आऩकी सभि के साथ अच्छी फन जामेगी।
8 आऩके सरए मह वषा अच्छा नहीॊ यहे गा। 16 आऩकी सचॊता कुछ सभम फाद सभटे गी।
61 ससतम्फय 2012

अनन्त
सॊख्मा प्रद्ल पर सॊख्मा प्रद्ल पर
1 आऩकी भस्न्दय फनवाने की इच्छा ऩूयी होगी। 9 आऩके सरए मह वषा भध्मभ है ।
2 आऩ तीथा मािा कय सकोगे। 10 आऩकी कुएॉ के सनभााण की इच्छा शीघ्र ऩूयी होगी।
3 स्त्री आऩसे त्रवशेष प्रेभ नहीॊ कयती है । 11 आऩकी बाइमं से नहीॊ फनेगी।
4 सम्फन्धी आऩको धोखा नहीॊ दे गा। 12 आऩको मािा से राब सभरेगा।
5 आऩको स्त्री उत्तभ स्वबाव की सभरेगी। 13 ऩयदे शी जल्द आ जामेगा।
6 आऩकी इच्छा जल्द ऩूयी होगी। 14 आऩको खोमी वस्तु नहीॊ सभर सकेगी।
7 आऩको सॊतान सुख प्राद्ऱ होगा। 15 आऩको इस सभम कजा शीघ्र सभर जामेगा।
8 आऩके सरए आज का फदन शुब नहीॊ है । 16 आऩकी सभि से अनफन यहे गी, सावधान।

गणेश जी की कथा
ऩोयास्णक कथा के अनुशाय एक नगय भं एक फहुत ही ग़यीफ औय अॊधी फुफढ़मा थी। फुफढ़मा का एक फेटा औय फहू थे।
वह फुफढ़मा सनमसभत गणेश जी की ऩूजन फकमा कयती थी। एक फदन गणेश जी उसकी ऩूजा से प्रस्न्न हो कय उसके
साभने प्रकट होकय फुफढ़मा से फोरे भं तुम्हायी ऩूजा से प्रसन्न हुॉ भाॊ! तू जो चाहे सो भाॊग रे।
फुफढ़मा गणेश जी से फोरी भुझसे तो भाॊगना नहीॊ आता। कैसे औय क्मा भाॊगू ?' तफ गणेशजी फोरे अऩने फहू-फेटे से
ऩूछकय भाॊग रे।
तफ फुफढ़मा ने अऩने फेटे से कहा- 'गणेशजी कहते हं तू कुछ भाॊग रे फता भं क्मा भाॊगू?
ऩुि ने कहा- भाॊ! तू धन भाॊग रे।
फहू से ऩूछा तो फहू ने कहा- नाती भाॊग रे।
तफ फुफढ़मा ने सोचा फक मे तो अऩने-अऩने भतरफ की फात कह यहे हं ।
अत: उस फुफढ़मा ने ऩिोससनं से ऩूछा, तो उन्हंने कहा- फुफढ़मा! तू तो थोिे फदन जीएगी, क्मं तू धन भाॊगे औय क्मं
नाती भाॊगे।
तू तो अऩनी आॊखं की योशनी भाॊग रे, स्जससे तेयी स्ज़न्दगी आयाभ से कट जाए।
इस ऩय फुफढ़मा फोरी- मफद आऩ प्रसन्न हं , तो भुझे नौ कयोि की भामा दं , सनयोगी कामा दं , अभय सुहाग दं , आॊखं की
योशनी दं , नाती दं , ऩोता, दं औय सफ ऩरयवाय को सुख दं औय अॊत भं भोऺ दं ।
मह सुनकय तफ गणेशजी फोरे- भाॊ! तुने तो हभं ठग फदमा।
फपय बी जो तूने भाॊगा है वचन के अनुसाय सफ तुझे सभरेगा। औय मह कहकय गणेशजी अॊतधाान हो गए।
उधय फुफढ़मा भाॊ ने जो कुछ भाॊगा वह सफकुछ सभर गमा।
हे गणेशजी! जैसे आऩने उस फुफढ़मा भाॊ को सफकुछ फदमा, वैसे ही सफको दे ना।
62 ससतम्फय 2012

बत्रवष्म ऻान के सरए यभर प्रद्लावरी


 स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
त्रवसध: यभर प्रद्लावरी से प्रद्ल का उत्तय जान ने का तयीका है फक चॊदन की रकिी का चौकोय ऩासा फनाकय उस ऩय 1,
2, 3, 4 अॊफकत कया रं। फपय अऩने सॊफॊसधत प्रद्ल का सचॊतन कयते हुए तीन फाय ऩासा छोिं । पेके हुवे ऩासे के उसका जो
अॊक आमे, उसी अॊक ऩय अऩने प्रद्ल का पर दे खं। मफद फकसी कायण ऩासा नहीॊ हो तो, महाॊ दशाामी गई सायणी भं
अनासभका अॊगुरी यखकय अऩने प्रद्लं का पर जान सकते हं ।

111 131 211 231 311 331 411 431

112 132 212 232 312 332 412 432

113 133 213 233 313 333 413 433

114 134 214 234 314 334 414 434

121 141 221 241 321 341 421 441

122 142 222 242 322 342 422 442

123 143 223 243 323 343 423 443

124 144 224 244 324 344 424 444

111. आऩकी भनोकाभना शीघ्र ऩूणा होगी। 133. सब्र का पर भीठा होता है । कभं का पर अवश्म
112. कोई भहत्वऩूणा कामा कयने से ऩूवा अऩने सनणाम प्राद्ऱ होगा।
ऩुत्रवाचाय कय रं। 134. सच्चाई औय ईभानदायी से अऩने बाग्म को
113. कफठन ऩरयश्रभ के फाद गमा धन ऩुन् प्राद्ऱ होगा। उज्जवर फनामे।
114. ऩूणा त्रवद्वास से सुख की प्रासद्ऱ होगी। 141. अऩने इद्श ऩय बयोसा यखे आऩके शुब फदन जल्द
121. अऩना चरयि साप यखं एवॊ अनुसचत कभा से फचे। आने वारे है ।
122. सभम शीघ्र फदरने वारा है । इद्श उऩासना कयं । 142. अच्छे कभा कयं पर बी अच्छा सभरेगा।
123. फकसी सनणाम को रेने से ऩूवा अस्च्छतयह सोच- 143. नीसत औय यीसत से कामा कयं सपरता अवश्म प्राद्ऱ
त्रवचायरं। अन्मथा नुक्शान सॊबव हं । होगी।
124. प्रसतकूर ऩरयस्स्थसत भं अऩना सॊमभ एवॊ धैमा फनामे 144. धन राब उत्तभ यहे गा, सत्कभा कयते यहं ।
यखे। सपरता जरूय सभरेगी। 211. जल्दफाजी से फचे व फकसी भहत्वऩूणा सनणाम ऩय
131. वास्तत्रवकता भं जीवन जीमे व अऩनी बावुकता ऩय सोच-त्रवचाय कय ही पैसरा रं।
सनमॊिण यखं। 212. घय की सुख-सभृत्रद्ध फढे ़गी।
132. करकी सचॊता छोिकय वताभान भं जीने का प्रमास कयं ।
63 ससतम्फय 2012

213. घय-ऩरयवाय भं जल्द भाॊगसरक कामा होगं। त्रवसधवत 324. अऩनं के त्रफच भं यहकय कामा कयं , सपरता
इद्श आयाधना कयते यहं । सभरेगी।
214. अच्छे कभा कयते यहे जल्द ही आऩके बाग्म का 331. शिु ऩऺ से सावधान यहं , आऩ ऩय गुद्ऱ वाय हो
ससताया फुरॊफदमं ऩय होगा। सकता हं ।
221. भाता-त्रऩता एवॊ फडे ़ फुजुगंकी सेवाकयं धन राब होगा। 332. आऩके सबी कामा शीघ्र ऩूणा हंगे सॊदेह न कयं ।
222. जरुयत भॊद की सहामता कयं । बाग्म उज्जवर 333. सभम शुब हं भहत्वऩूणा सनणाम से आऩको त्रवशेष
होगा। राब की प्रासद्ऱ होगी।
223. सनमसभत दे वी उऩासना कयं , औयतं का सम्भान कयं 334. एकाग्रसचत्त से अऩने कामा को सॊऩन्न कयं , असधक
सकर कामा ससद्ध होगा। राब की प्रासद्ऱ होगी।
224. ऩूयानी ऩये शासनमं से जल्द छुटकाया सभरने वारा हं । 341. शिु ऩय त्रवजम प्राद्ऱ होगी।
231. ढ़ सनस्द्ळम से अऩने कामा को ऩूया कयने का प्रमत्न 342. सपरता की दौि भं अऩनो की अवहे रना न कयं ,
कयं सपरता सनस्द्ळन्त सभरेगी। अन्मथा बाग्म साथ छोड दे गा।
232. अऩने गुस्से ऩय सनमॊिण यखं, अन्मथा हानी सॊबव हं । 343. फुयाईमंको दयू कयं व अऩनी त्रवचायधाया को शुद्ध यखं।
233. इद्श आयाधना कयते यहं , आऩके साये कद्श जल्द दयू 344. आऩको जल्द ही इद्श कृ ऩा से राब की प्रासद्ऱ होगी।
हो जामंगे। 411. आऩके बौसतक सुख साधन एवॊ धन-सम्ऩत्रत्त भं वृत्रद्ध
234. त्रप्रमजनो का ऩूणा सहमोग प्राद्ऱ होगा। होगी।
241. आॉख भूॊद कय फकसी ऩय बयंसा भत कयं , फडा़ 412. आऩके उसचत व्मवहाय से आऩके कामा ससद्ध होगं।
नुक्शान उठाना ऩडे ़गा। 413. फकसी बी कामा भं असत आत्भत्रवद्वास अच्छा नहीॊ हं
242. नकायात्भक त्रवचायं को छोि कय सकायात्भ सोच इससरए दोफाया सोच कय सनणाम रं।
अऩनामे कामा सपर होगं। 414. आऩकी भनोकाभनाएॊ ऩूणा होगी।
243. उसचत सभम ऩय उसचत सनणाम रेने भं सऺभ फने 421. आऩको कामा ऺेि भं सपरता प्राद्ऱ होगी।
अऩको सबी प्रकाय के सुख-सभृत्रद्ध प्राद्ऱ होगी। 422. इस सभम फकसी कामा भं फि़ जोस्खभ नहीॊ उठामं।
244. अऩने कामा को ऩूणा ईभानदायी से कयं , सपरता 423. बाग्म आऩके साथ हं , आऩके सबी कामा सपर होगं।
अवश्म सभरेगी। 424. अऩने कामा भं राऩयवाहीॊ नहीॊ यखं, अन्मथा प्रसतकूर
311. ईद्वय ऩय बयोसा यखं आऩका कामा सपर होगा। ऩरयणाभ सॊबव हं ।
312. दफ
ु ुत्रा द्ध व दद्श
ु त्रवचायधाया वारे रोगं से सावधान 431. फकसी कामा भं जल्दफाजी अच्छी नहीॊ हं , धैमा यखं।
यहं , महॊ रोग आऩका इस्तभार कय सकते हं । 432. भौके का पामदा उठामे ऩरयस्स्थती अनुकूर हं ।
313. आऩकी इच्छा ऩूणा होगी। 433. सावधानी से कामा कयं , सपरता सभरेगीॊ।
314. जीवन भं सकायात्भक द्रत्रद्श कोण अऩनामे अवश्म 434. त्रप्रमजनं का ऩूणा सहमोग प्राद्ऱ होगा।
सपरता सभरेगी। 441. शुब कभं का पर जल्द ही सभरने वारा हं ।
321. आसथाक राब सभरने की प्रफर सॊबावना हं । 442. सतका यहकय कामा कयं शिुओॊ ऩय त्रवजम सभरेगी।
322. सभम प्रसतकूर हं , थोडा़ इन्तजाय कयं । 443. शीघ्र ही अच्छा सभम आनेवारा हं ।
323. त्रप्रमजनं की बावनाओॊ का सम्भान कयं सपरता 444. आऩका कामा सपर होगा, अऩने इद्श ऩय बयोसा
सभरेगी। यखं।
64 ससतम्फय 2012

श्री हनुभान प्रद्लावरी


 स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
त्रवसध: श्री याभ बि श्री हनुभान जी का ध्मान कय अऩने प्रद्ल को भन भं दोहयामं। फपय दशााई गई सायणी ऩय तजानी
अॊगुरी घुभाते हुवे प्रद्ल का स्भयण कयते हुवे फकसी एक अऺय ऩय अॊगुरी यखं। जो अऺय आमे उसे अऩने प्रद्ल का
असबद्श उत्तय सभझे औय प्रद्ल पर तासरका भं उसको ऩढ़ं ।

अ आ म ष न ऺ क ख
ऩ इ ई ह ि ग घ ध
य भ उ ऊ ड च थ द
श छ ज ए ऐ ण त प
झ ञ ड ढ ओ औ स व
फ ट ठ ऻ र अॊ अ् ब

प्रद्ल पर तासरका
अ:- सभम उत्तभ हं सबी शुब कामं भं सनस्द्ळत सपरता सभर सकती हं ।
आ:- सॊमभ औय धैमा फनामे यखॊ, कामा ऩूणा होने भं सभम रग सकता हं ।
इ:- आऩकी आसथाक स्स्थसत उत्तभ होगी, सबी ऺेिं भं राब सभर सकता हं ।
ई:- सभम प्रसतकूर हं कोई बी सनणाम रेने से ऩूवा उस ऩय अस्च्छ तयह त्रवचाय कयरं।
उ:- कामा ऺेि भं उत्तभ सपरता प्राद्ऱ होगी। दान ऩुण्म राबप्रद यहे गा।
ऊ:- स्वास्थ्म उत्तभ यहे गा। ऩारयवायीक जीवन भं सुख सभृत्रद्ध प्राद्ऱ होगी।
ए:- फकसी ऩय आखॉ भूॊद कय बयोसा कयना नुक्शान दे ने वारा होगा, सतका यह कय सनणाम रं।
ऐ:- व्मवहाय कूशर यहं , राऩयवाफह आऩकी साभास्जक प्रसतद्षा बॊग कय सकती हं ।
ओ:- ऩारयवायीक सभस्माओॊ से ग्रस्त यहं गे। भानससक अशाॊसत फढ़ सकती हं , इद्शदे व का ऩूजन कयं ।
औ:- सॊतान सॊफॊसधत सभस्माएॊ आऩको ऩये शान कय सकती हं ।
अॊ:- ऩुयानी सभस्माएॊ दयू होगी, शुब सभम आने वारा हं , भौके का पामदा उठामं।
क:- आऩको व्माऩाय से त्रवशेष राब होगा । अच्छा सभम आने वारा है ।
ख:- धन राब सभरेगा हं । शुब सभम का आगभन होगा।
ग:- त्रवदे श मािा राब प्रद यहे गी। धन भं वृत्रद्ध साभास्जक मश फढ़े गा।
घ:- सनकट के बत्रवषम भं शुब सभम आने वारा हं ।
65 ससतम्फय 2012

ङ:- सभम प्रसतकूर हं , इद्श आयाधना से याहत सभरेगी।


च:- शीघ्र ही शुब सभाचाय की प्रासद्ऱ होगी । सचॊता दयू होगी।
छ:- त्रप्रमजनो के सहमोग से राब सभरेगा ।
ज:- फकसी भाध्म भं आकस्स्भक धन राब हो सकता है ।
झ:- दयू स्थ स्थान की मािा हे तु सभम अनुकूर नहीॊ हं । एक भाह प्रसतऺा कयं ।
ज:- कोटा -कचहयी के कामा भं सपरता सभरेगी।
ट:- फकसी से अनावश्मक वाद-त्रववाद से दयू यहं , सभम प्रसतकूर हं ।
ठ:- भनोकाभना शीघ्र ऩूणा होगी । इद्श आयाधना कयं ।
ड:- ऩूयानी ऩये शासनमं से छुटकाया सभरेगा।
ढ:- सभम प्रसतकूर है , एक वषा तक जोस्खभ बये सनणामं से दयू यहं , दान-ऩुण्म कयते यहे जल्द सभम फदरेगा।
ण:- फकसी भहत्वऩूणा सनणाम रेते सभम त्रवशेष सावधान यहं सभम प्रसतकूर हं ।
त:- सभम त्रवऩरयत है , फकसी से वाद-त्रववाद भं उरझे नहीॊ इद्श आयाधना कयं ।
थ:- दयू स्थान से राब प्राद्ऱ हो सकता हं , ऩारयवायीक सभस्माएॊ कद्श प्रद यहे गीॊ।
द:- सभम भध्म हं , स्थान ऩरयवतान राब प्रद हो सकता हं ।
ध:- याजफकम कामा से कद्श होने की सॊबावना हं , सावधान यहं ।
न:- स्वास्थ्म सॊफॊसधत सभस्माएॊ ऩये शान कय सकती हं । राऩयवाही नुक्शान दे ह हो सकती हं ।
ऩ:- सभम उत्तभ हं भौके का पामदा उठामे असधक भािा भं राब प्राद्ऱ होगा।
प:- आकस्स्भक धन राब हो सकता हं , कामा ऺेि भं ऩूणा सपरता प्राद्ऱ होगी।
ब:- सभम अनुकूर हं , अऩना कभा कयते यहे अवश्म सपरता सभरेगी।
भ:- कामाऺेि भं त्रवशेष राब की प्रासद्ऱ होगी। सभम अनुकूर यहे गा।
म:- ऩुयानी ऩये शानीमं से भुत्रि सभरेगी, स्वजनो का सहमोग प्राद्ऱ होगी।
य:- जल्द ही शुब सभम आने वारा हं । सनमसभत अऩने ईद्श दे वका ऩूजन कयं ।
र:- सभम अनुकूर हं , आऩकी भनोकाभनाएॊ ऩूणा होगी।
व:- फहुभूर वस्तुओॊ को सॊबारकय यखं, आकस्स्भक दघ
ु ट
ा नाएॊ सॊबव हं अत् आऩ तीन भाह तक सावधान यहं ।
श:- स्वास्थ्म सॊफॊसधत सभस्माएॊ हो सकती हं , सावधान यहं ।
ष:- शुब सभाचाय की प्रासद्ऱ होगी, अऩनं से व्मवहाय कूशर यहं ।
स:- ऩारयवायीक सुख भं वृत्रद्ध होगी, अत्रववाफहत हं तो त्रववाह सॊबव हं ।
ह:- कफठन ऩरयश्रभ के उऩयाॊत सपरता प्राद्ऱ होगी।
ऺ:- कामा ऺेि भं प्रगसत होगी। आऩकी भनोकाभनाएॊ ऩूणा होगी।
ि:- कामाऺेि भं ऩरयश्रभ के अनुरुऩ पर प्राद्ऱ होगं। इद्श आयाधना राबप्रद यहे गी।
ऻ:- सभम अनुकूर हं , बत्रवष्म उज्जवर यहे गा, अऩनो से सॊफॊध फनामे यखं।
66 ससतम्फय 2012

श्री कृ ष्ण शराका प्रद्लावरी


 स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
त्रवसध: श्रीकृ ष्ण का ध्मान कय अऩने प्रद्ल को भन भं दोहयामं। फपय ऊऩय दी गई सायणी भं से फकसी एक अऺय ऩय
अॊगुरी यखं। अफ उससे अगरे अऺय से क्रभश् फायहवं अऺय को सरखते जामं जफ तक ऩुन् उसी जगह नहीॊ ऩहुॉच
जामं। इस प्रकाय एक चौऩाई फनेगी, जो अबीद्श प्रद्ल का उत्तय होगी।
महाॊ हभने आऩकी अनुकूरता हे तु फायहवं अऺय के कोद्शक को एक सभान यॊ ग भं यॊ गने का प्रमास फकमा हं
स्जससे आऩको हय फायहवं अऺयको सगनती कयने की आवश्मिा न यहं आऩ सीधे एक सभान यॊ गो के कोद्शक भं रीखे
अऺयोको सभरारे/सरख रे औय जो चौऩाई फने उस चौऩाई को बी दे खने भं आऩको आसानी हो इस उद्दे श्म से उसी यॊ ग
भं यॊ गने का प्रमास फकमा हं ।

सभ ब भ ह हो अ त त्रव फक क का सभ सर ाा न रय इ स

न सध मे ह भ र ह सग अ इ ह प भ त्रव सु ध न त

फह तु नु च्छा हु र न धा कृ भा हो न तु म्हा कू ह स हो

क न त ज ई शा भ रय र रय प इ य क फ जे अ स्न्त

फहॊ न स स र सन ज य हु फह स कु त्रव जा दा न स य

हॊ उ ऩा ऩ भ सॊ ज म हो न दा ाा भे र व य ब ग

म फ इ फहॊ स श र ट त त व सत य ख ज ऩू फ न

न न न व को भ न ाा ाा छ ठ ह हो ह ाा दा ई ाा

भ नी ई ाा ाा ाो ई ाा हीॊ मा स हीॊ ाा ध त्रव हो हीॊ ई

फ या व स ाा सन हीॊ न्म सध इ न स न न ह ह ह त

जी न त्रव ह हीॊ प त हीॊ ग ज स न सत को धा हु त र

क स सत हीॊ क व न उ न अ सन ह ाा भ द सु य व्मा

स तु भे व क ाो ज था ाी र इ सध क भ ह सस सॊ त

क को न ब र ग्र त स म भ श सॊ ह उ अ त्रव ह स

इ भ ह नो म श त म ाा ज इ त न्द्र ज न य म म

स फह जु म प न हू ग फहॊ थ फह न फ सॊ ते म र य

च प्र ब छू भ हीॊ क स फह दु स क ाा ाा ाा छ ाा को

ाो ाा का या ाो ाा हीॊ नी ई ाो हीॊ ई ई या हीॊ मा ई हीॊ


67 ससतम्फय 2012

1. तन भन कय जहॊ भेर न होई। फनत काज कहत सफ कोई।।


पर्- बायतकाण्ड भं गान्धायी अऩने ऩुि को सभझा यही है । पर उत्तभ नहीॊ है । कामा भं ऩूणा रुऩ से भन नहीॊ रग
यहा है । इससे अबीद्श कामा के ससद्ध होने भं सॊदेह है ।
2. भन अनुकूर सदा होइ जाई। त्रवसध त्रवधान भं मह नहीॊ बाई।।
पर्- द्रायकाकाण्ड भं जयासन्ध सशशुऩार को रुकभणी स्वमॊवय के सभम हाय जाने ऩय सभझा यहे है । इसका पर
भध्मभ है । फकसी अबीद्श की आशॊका तो नहीॊ है , ऩयन्तु अबीद्श कामा की ससत्रद्ध बी नहीॊ होगी।
3. हरय इच्छा हरयसन नहीॊ ऩूछा। होइहहु अवसस भनोयथ छूछा।।
पर्- स्वगाायोहण काण्ड भं त्रफना बगवान ् श्रीकृ ष्ण से ऩूछे ऋत्रषमं का शाऩ से साम्फ के ऩेट से सनकरे भूसर को
चूणा कयके सभुद्र भं पंक फदमा था। इसका पर खयाफ है । अबीद्श कामा की ससत्रद्ध कबी बी नहीॊ होगी।
4. होइहहु सपर सदा सफ ठाॊही। नहीॊ तसनक सॊशम मफह भाहीॊ।।
पर्- मह चौऩाई बीष्भ त्रऩताभह के याजनीसतक उऩदे श के ऻान-काण्ड भं है । प्रद्ल-पर उत्तभ है । अबीद्श कामा की
ससत्रद्ध अवश्म होगी।
5. मह चौऩाई उस सभम की है , जफ श्रीकृ ष्ण ने अऩने सखाओॊ को सभझाकय ब्रजकाण्ड भं बोजन हे तु फद्रज-ऩस्त्नमं के
ऩास बेजा था। पर साभान्म है । सनयन्तय प्रमत्न कयने से ही पर सभरना सम्बव है ।
6. बासग तुम्हारय न जाम फखानी। धन्म न कोउ तुभ सभ जग प्रानी।।
पर्- बायत-काण्ड भं इसको सूम-ा ग्रहण के अवसय ऩय एकत्रित हुए याजा-भहायाजा उग्रसेन से कहते हं । मह पर
उत्तभ है । अबीद्श कामा की ससत्रद्ध होगी।
7. त्रवसध त्रवधान कय उरटन हाया। नहीॊ सभथा कोउ मफह सॊसाया।।
पर्- भथुया काण्ड भं अक्रूय के सभझाने ऩय धृतयाद्स का कथन है । प्रद्ल-पर साभान्मतमा उत्तभ नहीॊ है , अबीद्श कामा
की ससत्रद्ध ऩाना सन्दे हास्ऩद रगती है ।
8. फकमे सुकृत फहु ऩावत नाहीॊ। वह गसत दीन आजु तेफह काहीॊ।।
पर्- स्वगाायोहण काण्ड भं बगवान ् श्रीकृ ष्ण अऩने ऩैय के तरवे भं फाण भायने वारे व्माध को शुब गसत दे यहे हं ।
प्रद्ल-पर अतीव श्रेद्ष है । अबीद्श कामा की ससत्रद्ध शीघ्र ही सभरेगी।
9. कह धभाज जेफह ऩय तव दामा। सहजहीॊ सुरब त्रवजम मदयु ामा।।
पर्- बयतकाण्ड भं बीष्भ त्रऩताभह के यथ से सगय जाने ऩय मुसधत्रद्षय बगवान ् श्रीकृ ष्ण से कह यहे हं । प्रद्लपर श्रेद्ष
है । अबीद्श कामा की ससत्रद्ध होगी।
10. काभ न होई असॊबव कोई। साहस कयइ रहइ पर सोई।।
पर्- ब्रजकाण्ड भं बगवान ् कृ ष्ण ब्रजवाससमं से वृषबासुय द्राया बमबीत होने ऩय कह यहे हं । प्रद्लपर साभान्मतमा
उत्तभ है । साहस ऩूवक
ा सनयन्तय प्रमत्न कयने ऩय ही अबीद्श कामा की ससत्रद्ध होगी।
11. सभरत न शाॊसत कुसॊगसत भाहीॊ। सनत नव व्मासध ग्रसत नय काहीॊ।।
पर्- बयतकाण्ड भं धृतयाद्स के दयफाय भं जाकय बगवान ् श्रीकृ ष्ण दम
ु ोधन को सॊसध के सरए सभझा यहे हं । प्रद्लपर
अत्मन्त नेद्श है । अबीद्श कामा के असतरयि असनद्श होने की सॊबावना बी है ।
12. सभरहफहॊ तुभफह त्रवजम यन भाहीॊ। जीसत न सकत इन्द्रहू चाहीॊ।।
पर्- मुद्ध के सरए तैमाय अजुन
ा ने जफ बगवती दग
ु ाा दे वी की स्तुसत की तो बगवती दग
ु ाा ने उन्हं आसशवााद फदमा।
मह उसी सभम की चौऩाई है । प्रद्ल-पर अतीव श्रेद्ष है । अबीद्श कामा की शीघ्र ससत्रद्ध ही सभरेगी।
68 ससतम्फय 2012

ऩमूष
ा ण का भहत्व
 सचॊतन जोशी

जैन धभा के अनुमामी ऩमूष


ा ण ऩवा को जीव की आत्भ शुत्रद्ध का भागा फताते हं । जैन भुसनजनो के अनुसाय
ऩमूष
ा ण ऩवा इद्श आयाधना औय ऺभा का ऩवा बी हं । ऩमूष
ा ण को भुख्मत: भनुष्म के ऩुनसनभााण का द्योतक भानाजाता हं ।
ऩमूष
ा ण भं भनुष्म अऩने सबतय की त्रवकृ सतमं का त्माग कयता हं ।
ऩमूष
ा ण के फदनं भं श्रावक-श्रात्रवकाएॊ ब्रह्मचमा का ऩारन, यात्रि बोज त्माग, ससचत्त का त्माग यखते हं । व्रत-
उऩवास, साभसमक-प्रसतक्रभण, प्रवचन-श्रवण आफद के भाध्मभ से इन फदनं असघक से असघक सभम धभा ध्मान भं
व्मतीत फकमा जाता हं ।
ऩमूष
ा ण के फदन श्रावक-श्रात्रवकाएॊ उऩवास यखते हं औय स्वमॊ के ऩाऩं की आरोचना कयते हुए बत्रवष्म भं उनसे
फचने की प्रसतऻा कयते हं । इसके साथ ही वे चौयासी राख मोसनमं भं त्रवचयण कय यहे , सभस्त जीवं से ऺभा भाॉगते
हुए मह सूसचत कयते हं फक उनका फकसी से कोई फैय नहीॊ है ।
श्रावक-श्रात्रवकाएॊ ऩयोऺ रूऩ से वे मह सॊकल्ऩ कयते हं फक वे प्रकृ सत भं कोई हस्तऺेऩ नहीॊ कयं गे। भन, वचन
औय कामा से जानते मा अजानते वे फकसी बी फहॊ सा की गसतत्रवसध भं बाग न तो स्वमॊ रंगे, न दस
ू यं को रेने को
कहं गे औय न रेने वारं का अनुभोदन कयं गे। मह आद्वासन दे ने के सरए फक उनका फकसी से कोई फैय नहीॊ है , वे मह
बी घोत्रषत कयते हं फक उन्हंने त्रवद्व के सभस्त जीवं को ऺभा कय फदमा है औय उन जीवं को ऺभा भाॉगने वारे से
डयने की जरूयत नहीॊ है ।
ऺभा दे ने से भनुष्म अन्म सभस्त जीवं को अबमदान दे ते हं औय उनकी यऺा कयने का सॊकल्ऩ रेते हं । तफ
व्मत्रि सॊमभ औय त्रववेक का अनुसयण कयं गे, आस्त्भक शाॊसत अनुबव कयं गे औय सबी जीवं औय ऩदाथं के प्रसत भैिी
बाव यखंगे। आत्भा तबी शुद्ध यह सकती है जफ वह अऩने सेफाहय हस्तऺेऩ न कये औय फाहयी तत्व से त्रवचसरत न हो।
ऺभा-बाव जैन धभा का भूरभॊि है ।
जैन धभा भं द्वेताम्फय भूसताऩूजक ऩयम्ऩया भं आठ फदनं तक "कल्ऩसूि" ऩढ़ा व सुना जाता हं ।
जफफक जैन धभा भं स्थानकवासी ऩयम्ऩया भं आठ फदनं तक "अन्तक शा सूि" का वाचन फकमा जाता हं ।
69 ससतम्फय 2012

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70 ससतम्फय 2012

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71 ससतम्फय 2012

सॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज शुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफडत

ऩुरुषाकाय शसन मॊि


ऩुरुषाकाय शसन मॊि (स्टीर भं) को तीव्र प्रबावशारी फनाने हे तु शसन की कायक धातु शुद्ध स्टीर(रोहे )
भं फनामा गमा हं । स्जस के प्रबाव से साधक को तत्कार राब प्राद्ऱ होता हं । मफद जन्भ कॊु डरी भं
शसन प्रसतकूर होने ऩय व्मत्रि को अनेक कामं भं असपरता प्राद्ऱ होती है , कबी व्मवसाम भं घटा,
नौकयी भं ऩये शानी, वाहन दघ
ु ट
ा ना, गृह क्रेश आफद ऩये शानीमाॊ फढ़ती जाती है ऐसी स्स्थसतमं भं
प्राणप्रसतत्रद्षत ग्रह ऩीिा सनवायक शसन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थाऩना कयने से
अनेक राब सभरते हं । मफद शसन की ढै ़मा मा साढ़े साती का सभम हो तो इसे अवश्म ऩूजना चाफहए।
शसनमॊि के ऩूजन भाि से व्मत्रि को भृत्मु, कजा, कोटा केश, जोडो का ददा , फात योग तथा रम्फे सभम
के सबी प्रकाय के योग से ऩये शान व्मत्रि के सरमे शसन मॊि असधक राबकायी होगा। नौकयी ऩेशा आफद
के रोगं को ऩदौन्नसत बी शसन द्राया ही सभरती है अत् मह मॊि असत उऩमोगी मॊि है स्जसके द्राया
शीघ्र ही राब ऩामा जा सकता है । भूल्म: 1050 से 8200

सॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत
22 गेज शुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफडत

शसन तैसतसा मॊि


शसनग्रह से सॊफॊसधत ऩीडा के सनवायण हे तु त्रवशेष राबकायी मॊि।
भूल्म: 550 से 8200

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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72 ससतम्फय 2012

नवयत्न जफित श्री मॊि


शास्त्र वचन के अनुसाय शुद्ध सुवणा मा यजत
भं सनसभात श्री मॊि के चायं औय मफद नवयत्न
जिवा ने ऩय मह नवयत्न जफित श्री मॊि
कहराता हं । सबी यत्नो को उसके सनस्द्ळत
स्थान ऩय जि कय रॉकेट के रूऩ भं धायण
कयने से व्मत्रि को अनॊत एद्वमा एवॊ रक्ष्भी
की प्रासद्ऱ होती हं । व्मत्रि को एसा आबास
होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हं ।
नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहं
की अशुब दशा का धायणकयने वारे व्मत्रि
ऩय प्रबाव नहीॊ होता हं ।

गरे भं होने के कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो
जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हं , वह गॊगा जर के सभान ऩत्रवि होता हं । इस सरमे इसे सफसे
तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं । जैसे अभृत से उत्तभ कोई औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी
प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा शास्त्रोि वचन हं । इस प्रकाय के
नवयत्न जफित श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनावाए जाते
हं ।
असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।

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73 ससतम्फय 2012

भॊि ससद्ध वाहन दघ


ु ट
ा ना नाशक भारुसत मॊि
ऩौयास्णक ग्रॊथो भं उल्रेख हं की भहाबायत के मुद्ध के सभम अजुन
ा के यथ के अग्रबाग ऩय भारुसत ध्वज एवॊ
भारुसत मन्ि रगा हुआ था। इसी मॊि के प्रबाव के कायण सॊऩूणा मुद्ध के दौयान हज़ायं-राखं प्रकाय के आग्नेम अस्त्र-
शस्त्रं का प्रहाय होने के फाद बी अजुन
ा का यथ जया बी ऺसतग्रस्त नहीॊ हुआ। बगवान श्री कृ ष्ण भारुसत मॊि के इस
अद्भत
ु यहस्म को जानते थे फक स्जस यथ मा वाहन की यऺा स्वमॊ श्री भारुसत नॊदन कयते हं, वह दघ
ु ट
ा नाग्रस्त कैसे हो
सकता हं । वह यथ मा वाहन तो वामुवेग से, सनफाासधत रुऩ से अऩने रक्ष्म ऩय त्रवजम ऩतका रहयाता हुआ ऩहुॊचेगा।
इसी सरमे श्री कृ ष्ण नं अजुन
ा के यथ ऩय श्री भारुसत मॊि को अॊफकत कयवामा था।
स्जन रोगं के स्कूटय, काय, फस, ट्रक इत्माफद वाहन फाय-फाय दघ
ु ट
ा ना ग्रस्त हो यहे हो!, अनावश्मक वाहन को
नुऺान हो यहा हं! उन्हं हानी एवॊ दघ
ु ट
ा ना से यऺा के उद्दे श्म से अऩने वाहन ऩय भॊि ससद्ध श्री भारुसत मॊि अवश्म
रगाना चाफहए। जो रोग ट्रान्स्ऩोफटं ग (ऩरयवहन) के व्मवसाम से जुडे हं उनको श्रीभारुसत मॊि को अऩने वाहन भं अवश्म
स्थात्रऩत कयना चाफहए, क्मोफक, इसी व्मवसाम से जुडे सैकडं रोगं का अनुबव यहा हं की श्री भारुसत मॊि को स्थात्रऩत
कयने से उनके वाहन असधक फदन तक अनावश्मक खचो से एवॊ दघ
ु ट
ा नाओॊ से सुयस्ऺत यहे हं । हभाया स्वमॊका एवॊ अन्म
त्रवद्रानो का अनुबव यहा हं , की स्जन रोगं ने श्री भारुसत मॊि अऩने वाहन ऩय रगामा हं , उन रोगं के वाहन फडी से
फडी दघ
ु ट
ा नाओॊ से सुयस्ऺत यहते हं । उनके वाहनो को कोई त्रवशेष नुक्शान इत्माफद नहीॊ होता हं औय नाहीॊ अनावश्मक
रुऩ से उसभं खयाफी आसत हं ।
वास्तु प्रमोग भं भारुसत मॊि: मह भारुसत नॊदन श्री हनुभान जी का मॊि है । मफद कोई जभीन त्रफक नहीॊ यही हो, मा उस
ऩय कोई वाद-त्रववाद हो, तो इच्छा के अनुरूऩ वहॉ जभीन उसचत भूल्म ऩय त्रफक जामे इस सरमे इस भारुसत मॊि का
प्रमोग फकमा जा सकता हं । इस भारुसत मॊि के प्रमोग से जभीन शीघ्र त्रफक जाएगी मा त्रववादभुि हो जाएगी। इस सरमे
मह मॊि दोहयी शत्रि से मुि है ।
भारुसत मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कयं । भूल्म Rs- 255 से 10900 तक

श्री हनुभान मॊि शास्त्रं भं उल्रेख हं की श्री हनुभान जी को बगवान सूमद


ा े व ने ब्रह्मा जी के आदे श ऩय हनुभान
जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भं हनुभान को सबी शास्त्र का ऩूणा
ऻान दॉ ग
ू ा। स्जससे मह तीनोरोक भं सवा श्रेद्ष विा हंगे तथा शास्त्र त्रवद्या भं इन्हं भहायत हाससर होगी औय इनके
सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुशाय हनुभान मॊि की आयाधना से ऩुरुषं की त्रवसबन्न फीभारयमं
दयू होती हं , इस मॊि भं अद्भत
ु शत्रि सभाफहत होने के कायण व्मत्रि की स्वसन दोष, धातु योग, यि दोष, वीमा दोष, भूछाा,
नऩुॊसकता इत्माफद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी हं । अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩुद्श कयता
हं । श्री हनुभान मॊि व्मत्रि को सॊकट, वाद-त्रववाद, बूत-प्रेत, द्यूत फक्रमा, त्रवषबम, चोय बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन
स्तॊबन इत्माफद से सॊकटो से यऺा कयता हं औय ससत्रद्ध प्रदान कयने भं सऺभ हं ।
श्री हनुभान मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कयं । भूल्म Rs- 730 से 10900 तक

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74 ससतम्फय 2012

भॊि ससद्ध त्रवशेष दै वी मॊि सूसच


आद्य शत्रि दग
ु ाा फीसा मॊि (अॊफाजी फीसा मॊि) सयस्वती मॊि
भहान शत्रि दग
ु ाा मॊि (अॊफाजी मॊि) सद्ऱसती भहामॊि(सॊऩूणा फीज भॊि सफहत)
नव दग
ु ाा मॊि कारी मॊि
नवाणा मॊि (चाभुॊडा मॊि) श्भशान कारी ऩूजन मॊि
नवाणा फीसा मॊि दस्ऺण कारी ऩूजन मॊि
चाभुॊडा फीसा मॊि ( नवग्रह मुि) सॊकट भोसचनी कासरका ससत्रद्ध मॊि
त्रिशूर फीसा मॊि खोफडमाय मॊि
फगरा भुखी मॊि खोफडमाय फीसा मॊि
फगरा भुखी ऩूजन मॊि अन्नऩूणाा ऩूजा मॊि
याज याजेद्वयी वाॊछा कल्ऩरता मॊि एकाॊऺी श्रीपर मॊि

भॊि ससद्ध त्रवशेष रक्ष्भी मॊि सूसच


श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि) भहारक्ष्भमै फीज मॊि
श्री मॊि (भॊि यफहत) भहारक्ष्भी फीसा मॊि
श्री मॊि (सॊऩूणा भॊि सफहत) रक्ष्भी दामक ससद्ध फीसा मॊि
श्री मॊि (फीसा मॊि) रक्ष्भी दाता फीसा मॊि
श्री मॊि श्री सूि मॊि रक्ष्भी गणेश मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩृद्षीम) ज्मेद्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
रक्ष्भी फीसा मॊि कनक धाया मॊि
श्री श्री मॊि (श्रीश्री रसरता भहात्रिऩुय सुन्दमै श्री भहारक्ष्भमं श्री भहामॊि) वैबव रक्ष्भी मॊि (भहान ससत्रद्ध दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि)
अॊकात्भक फीसा मॊि
ताम्र ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीस ताम्र ऩि ऩय
(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
साईज भूल्म साईज भूल्म साईज भूल्म
1” X 1” 460 1” X 1” 370 1” X 1” 255
2” X 2” 820 2” X 2” 640 2” X 2” 460
3” X 3” 1650 3” X 3” 1090 3” X 3” 730
4” X 4” 2350 4” X 4” 1650 4” X 4” 1090
6” X 6” 3600 6” X 6” 2800 6” X 6” 1900
9” X 9” 6400 9” X 9” 5100 9” X 9” 3250
12” X12” 10800 12” X12” 8200 12” X12” 6400
मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।
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75 ससतम्फय 2012

यासश यत्न
भेष यासश: वृषब यासश: सभथुन यासश: कका यासश: ससॊह यासश: कन्मा यासश:
भूग
ॊ ा हीया ऩन्ना भोती भाणेक ऩन्ना

Red Coral Diamond Green Emerald Naturel Pearl Ruby Green Emerald
(Special) (Special) (Old Berma)
(Special) (Special) (Special) (Special)
5.25" Rs. 1050 10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 9100 5.25" Rs. 910 2.25" Rs. 12500 5.25" Rs. 9100
6.25" Rs. 1250 20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 12500 6.25" Rs. 1250 3.25" Rs. 15500 6.25" Rs. 12500
7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
8.25" Rs. 1800 40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 19000 8.25" Rs. 1900 5.25" Rs. 46000 8.25" Rs. 19000
9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.

तुरा यासश: वृस्द्ळक यासश: धनु यासश: भकय यासश: कॊु ब यासश: भीन यासश:
हीया भूग
ॊ ा ऩुखयाज नीरभ नीरभ ऩुखयाज

Diamond Red Coral Y.Sapphire B.Sapphire B.Sapphire Y.Sapphire


(Special)
(Special) (Special) (Special) (Special) (Special)
10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 1050 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000
20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 1250 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000
30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 1450 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000
40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 1800 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000
50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 2100 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000
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* उऩमोि वजन औय भूल्म से असधक औय कभ वजन औय भूल्म के यत्न एवॊ उऩयत्न बी हभाये महा व्माऩायी भूल्म ऩय उसरब्ध
हं ।

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76 ससतम्फय 2012

भॊि ससद्ध रूद्राऺ


Rate In Rate In
Rudraksh List Rudraksh List
Indian Rupee Indian Rupee
एकभुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 2800, 5500 आठ भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 820,1250
एकभुखी रूद्राऺ (नेऩार) 750,1050, 1250, आठ भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 1900
दो भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेद्वय) 30,50,75 नौ भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 910,1250
दो भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 50,100, नौ भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 2050
दो भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 450,1250 दस भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 1050,1250
तीन भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेद्वय) 30,50,75, दस भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 2100
तीन भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 50,100, ग्मायह भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 1250,
तीन भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 450,1250, ग्मायह भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 2750,
चाय भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेद्वय) 25,55,75, फायह भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 1900,
चाय भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 50,100, फायह भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 2750,
ऩॊच भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 25,55, तेयह भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 3500, 4500,
ऩॊच भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 225, 550, तेयह भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 6400,
छह भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेद्वय) 25,55,75, चौदह भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 10500
छह भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 50,100, चौदह भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 14500
सात भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेद्वय) 75, 155, गौयीशॊकय रूद्राऺ 1450
सात भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 225, 450, गणेश रुद्राऺ (नेऩार) 550
सात भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 1250 गणेश रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 750
रुद्राऺ के त्रवषम भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।
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भॊि ससद्ध दर
ु ब
ा साभग्री
हत्था जोडी- Rs- 370 घोडे की नार- Rs.351 भामा जार- Rs- 251
ससमाय ससॊगी- Rs- 370 दस्ऺणावतॉ शॊख- Rs- 550 इन्द्र जार- Rs- 251
त्रफल्री नार- Rs- 370 भोसत शॊख- Rs- 550 धन वृत्रद्ध हकीक सेट Rs-251
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77 ससतम्फय 2012

श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि


फकसी बी व्मत्रि का जीवन तफ आसान फन जाता हं जफ उसके चायं औय का भाहोर उसके अनुरुऩ उसके वश
भं हं। जफ कोई व्मत्रि का आकषाण दस
ु यो के उऩय एक चुम्फकीम प्रबाव डारता हं , तफ रोग उसकी सहामता एवॊ
सेवा हे तु तत्ऩय होते है औय उसके प्राम् सबी कामा त्रफना असधक कद्श व ऩये शानी से सॊऩन्न हो जाते हं । आज के
बौसतकता वाफद मुग भं हय व्मत्रि के सरमे दस
ू यो को अऩनी औय खीचने हे तु एक प्रबावशासर चुफ
ॊ कत्व को कामभ
यखना असत आवश्मक हो जाता हं । आऩका आकषाण औय व्मत्रित्व आऩके चायो ओय से रोगं को आकत्रषात कये इस
सरमे सयर उऩाम हं , श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि। क्मोफक बगवान श्री कृ ष्ण एक अरौफकव एवॊ फदवम चुॊफकीम व्मत्रित्व के
धनी थे। इसी कायण से श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन एवॊ दशान से आकषाक व्मत्रित्व प्राद्ऱ होता हं ।
श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के साथ व्मत्रिको ढ़ इच्छा शत्रि एवॊ उजाा प्राद्ऱ
होती हं , स्जस्से व्मत्रि हभेशा एक बीड भं हभेशा आकषाण का कंद्र यहता हं ।
श्रीकृ ष्ण फीसा कवच
मफद फकसी व्मत्रि को अऩनी प्रसतबा व आत्भत्रवद्वास के स्तय भं वृत्रद्ध,
अऩने सभिो व ऩरयवायजनो के त्रफच भं रयश्तो भं सुधाय कयने की ईच्छा होती श्रीकृ ष्ण फीसा कवच को केवर

हं उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि का ऩूजन एक सयर व सुरब भाध्मभ त्रवशेष शुब भुहुता भं सनभााण फकमा

सात्रफत हो सकता हं । जाता हं । कवच को त्रवद्रान कभाकाॊडी

श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि ऩय अॊफकत शत्रिशारी त्रवशेष ये खाएॊ, फीज भॊि एवॊ ब्राहभणं द्राया शुब भुहुता भं शास्त्रोि

अॊको से व्मत्रि को अद्धद्भत त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो


ु आॊतरयक शत्रिमाॊ प्राद्ऱ होती हं जो व्मत्रि को
सफसे आगे एवॊ सबी ऺेिो भं अग्रस्णम फनाने भं सहामक ससद्ध होती हं । द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म

श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन व सनमसभत दशान के भाध्मभ से बगवान मुि कयके सनभााण फकमा जाता हं ।

श्रीकृ ष्ण का आशीवााद प्राद्ऱ कय सभाज भं स्वमॊ का अफद्रतीम स्थान स्थात्रऩत कयं । स्जस के पर स्वरुऩ धायण कयता

श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि अरौफकक ब्रह्माॊडीम उजाा का सॊचाय कयता हं , जो व्मत्रि को शीघ्र ऩूणा राब प्राद्ऱ होता

एक प्राकृ त्रत्त भाध्मभ से व्मत्रि के बीतय सद्दबावना, सभृत्रद्ध, सपरता, उत्तभ हं । कवच को गरे भं धायण कयने

स्वास्थ्म, मोग औय ध्मान के सरमे एक शत्रिशारी भाध्मभ हं ! से वहॊ अत्मॊत प्रबाव शारी होता

 श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन से व्मत्रि के साभास्जक भान-सम्भान व हं । गरे भं धायण कयने से कवच

ऩद-प्रसतद्षा भं वृत्रद्ध होती हं । हभेशा रृदम के ऩास यहता हं स्जस्से

 त्रवद्रानो के भतानुशाय श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग व्मत्रि ऩय उसका राब असत तीव्र

कंफद्रत कयने से व्मत्रि फक चेतना शत्रि जाग्रत होकय शीघ्र उच्च स्तय एवॊ शीघ्र ऻात होने रगता हं ।

को प्राद्ऱहोती हं । भूरम भाि: 1900

 जो ऩुरुषं औय भफहरा अऩने साथी ऩय अऩना प्रबाव डारना चाहते हं औय उन्हं अऩनी औय आकत्रषात कयना
चाहते हं । उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि उत्तभ उऩाम ससद्ध हो सकता हं ।
 ऩसत-ऩत्नी भं आऩसी प्रभ की वृत्रद्ध औय सुखी दाम्ऩत्म जीवन के सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि राबदामी होता हं ।
भूल्म:- Rs. 730 से Rs. 10900 तक उसरब्द्ध
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78 ससतम्फय 2012

याभ यऺा मॊि


याभ यऺा मॊि सबी बम, फाधाओॊ से भुत्रि व कामो भं सपरता प्रासद्ऱ हे तु उत्तभ मॊि हं । स्जसके प्रमोग

से धन राब होता हं व व्मत्रि का सवांगी त्रवकाय होकय उसे सुख-सभृत्रद्ध, भानसम्भान की प्रासद्ऱ होती

हं । याभ यऺा मॊि सबी प्रकाय के अशुब प्रबाव को दयू कय व्मत्रि को जीवन की सबी प्रकाय की

कफठनाइमं से यऺा कयता हं । त्रवद्रानो के भत से जो व्मत्रि बगवान याभ के बि हं मा श्री

हनुभानजी के बि हं उन्हं अऩने सनवास स्थान, व्मवसामीक स्थान ऩय याभ यऺा मॊि को अवश्म

स्थाऩीत कयना चाफहमे स्जससे आने वारे सॊकटो से यऺा हो उनका जीवन सुखभम व्मतीत हो सके

एवॊ उनकी सभस्त आफद बौसतक व आध्मास्त्भक भनोकाभनाएॊ ऩूणा हो सके।

ताम्र ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीस ताम्र ऩि ऩय


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)

साईज भूल्म साईज भूल्म साईज भूल्म


1” X 1” 460 1” X 1” 370 1” X 1” 255
2” X 2” 820 2” X 2” 640 2” X 2” 460
3” X 3” 1650 3” X 3” 1090 3” X 3” 730
4” X 4” 2350 4” X 4” 1650 4” X 4” 1090
6” X 6” 3600 6” X 6” 2800 6” X 6” 1900
9” X 9” 6400 9” X 9” 5100 9” X 9” 3250
12” X12” 10800 12” X12” 8200 12” X12” 6400
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79 ससतम्फय 2012

जैन धभाके त्रवसशद्श मॊिो की सूची


श्री चौफीस तीथंकयका भहान प्रबात्रवत चभत्कायी मॊि श्री एकाऺी नारयमेय मॊि
श्री चोफीस तीथंकय मॊि सवातो बद्र मॊि
कल्ऩवृऺ मॊि सवा सॊऩत्रत्तकय मॊि
सचॊताभणी ऩाद्वानाथ मॊि सवाकामा-सवा भनोकाभना ससत्रद्धअ मॊि (१३० सवातोबद्र मॊि)
सचॊताभणी मॊि (ऩंसफठमा मॊि) ऋत्रष भॊडर मॊि
सचॊताभणी चक्र मॊि जगदवल्रब कय मॊि
श्री चक्रेद्वयी मॊि ऋत्रद्ध ससत्रद्ध भनोकाभना भान सम्भान प्रासद्ऱ मॊि
श्री घॊटाकणा भहावीय मॊि ऋत्रद्ध ससत्रद्ध सभृत्रद्ध दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि
श्री घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि त्रवषभ त्रवष सनग्रह कय मॊि
(अनुबव ससद्ध सॊऩण
ू ा श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि)
श्री ऩद्मावती मॊि ऺुद्रो ऩद्रव सननााशन मॊि
श्री ऩद्मावती फीसा मॊि फृहच्चक्र मॊि
श्री ऩाद्वाऩद्मावती ह्रंकाय मॊि वॊध्मा शब्दाऩह मॊि
ऩद्मावती व्माऩाय वृत्रद्ध मॊि भृतवत्सा दोष सनवायण मॊि
श्री धयणेन्द्र ऩद्मावती मॊि काॊक वॊध्मादोष सनवायण मॊि
श्री ऩाद्वानाथ ध्मान मॊि फारग्रह ऩीडा सनवायण मॊि
श्री ऩाद्वानाथ प्रबुका मॊि रधुदेव कुर मॊि
बिाभय मॊि (गाथा नॊफय १ से ४४ तक) नवगाथात्भक उवसग्गहयॊ स्तोिका त्रवसशद्श मॊि
भस्णबद्र मॊि उवसग्गहयॊ मॊि
श्री मॊि श्री ऩॊच भॊगर भहाश्रृत स्कॊध मॊि
श्री रक्ष्भी प्रासद्ऱ औय व्माऩाय वधाक मॊि ह्रीॊकाय भम फीज भॊि
श्री रक्ष्भीकय मॊि वधाभान त्रवद्या ऩट्ट मॊि
रक्ष्भी प्रासद्ऱ मॊि त्रवद्या मॊि
भहात्रवजम मॊि सौबाग्मकय मॊि
त्रवजमयाज मॊि डाफकनी, शाफकनी, बम सनवायक मॊि
त्रवजम ऩतका मॊि बूताफद सनग्रह कय मॊि
त्रवजम मॊि ज्वय सनग्रह कय मॊि
ससद्धचक्र भहामॊि शाफकनी सनग्रह कय मॊि
दस्ऺण भुखाम शॊख मॊि आऩत्रत्त सनवायण मॊि
दस्ऺण भुखाम मॊि शिुभख
ु स्तॊबन मॊि
मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।
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80 ससतम्फय 2012

घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि को स्थाऩीत


कयने से साधक की सवा भनोकाभनाएॊ ऩूणा होती हं । सवा
प्रकाय के योग बूत-प्रेत आफद उऩद्रव से यऺण होता हं ।
जहयीरे औय फहॊ सक प्राणीॊ से सॊफसॊ धत बम दयू होते हं ।
अस्ग्न बम, चोयबम आफद दयू होते हं ।
दद्श
ु व असुयी शत्रिमं से उत्ऩन्न होने वारे बम
से मॊि के प्रबाव से दयू हो जाते हं ।
मॊि के ऩूजन से साधक को धन, सुख, सभृत्रद्ध,
ऎद्वमा, सॊतत्रत्त-सॊऩत्रत्त आफद की प्रासद्ऱ होती हं । साधक की
सबी प्रकाय की सास्त्वक इच्छाओॊ की ऩूसता होती हं ।
मफद फकसी ऩरयवाय मा ऩरयवाय के सदस्मो ऩय
वशीकयण, भायण, उच्चाटन इत्माफद जाद-ू टोने वारे
प्रमोग फकमे गमं होतो इस मॊि के प्रबाव से स्वत् नद्श
हो जाते हं औय बत्रवष्म भं मफद कोई प्रमोग कयता हं तो
यऺण होता हं ।
कुछ जानकायो के श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका
मॊि से जुडे अद्धद्भत
ु अनुबव यहे हं । मफद घय भं श्री
घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि स्थात्रऩत फकमा हं औय मफद
कोई इषाा, रोब, भोह मा शिुतावश मफद अनुसचत कभा
कयके फकसी बी उद्दे श्म से साधक को ऩये शान कयने का प्रमास कयता हं तो मॊि के प्रबाव से सॊऩण
ू ा
ऩरयवाय का यऺण तो होता ही हं , कबी-कबी शिु के द्राया फकमा गमा अनुसचत कभा शिु ऩय ही उऩय
उरट वाय होते दे खा हं । भूल्म:- Rs. 1650 से Rs. 10900 तक उसरब्द्ध
सॊऩका कयं । GURUTVA KARYALAY
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81 ससतम्फय 2012

अभोद्य भहाभृत्मुॊजम कवच


अभोद्य् भहाभृत्मुॊजम कवच व उल्रेस्खत अन्म साभग्रीमं को शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से त्रवद्रान
ब्राह्मणो द्राया सवा राख भहाभृत्मुज
ॊ म भॊि जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्राया सनसभात कवच अत्मॊत
प्रबावशारी होता हं ।

अभोद्य् भहाभृत्मुॊजम कवच


अभोद्य् भहाभृत्मुॊजम
कवच फनवाने हे तु:
अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, कवच
गोि, एक नमा पोटो बेजे दस्ऺणा भाि: 10900

याशी यत्न एवॊ उऩयत्न

त्रवशेष मॊि

हभायं महाॊ सबी प्रकाय के मॊि सोने-चाॊफद-


ताम्फे भं आऩकी आवश्मिा के अनुशाय
फकसी बी बाषा/धभा के मॊिो को आऩकी
आवश्मक फडजाईन के अनुशाय २२ गेज
शुद्ध ताम्फे भं अखॊफडत फनाने की त्रवशेष
सबी साईज एवॊ भूल्म व क्वासरफट के
सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं ।
असरी नवयत्न एवॊ उऩयत्न बी उऩरब्ध हं ।
हभाये महाॊ सबी प्रकाय के यत्न एवॊ उऩयत्न व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध हं । ज्मोसतष कामा से जुडे़
फधु/फहन व यत्न व्मवसाम से जुडे रोगो के सरमे त्रवशेष भूल्म ऩय यत्न व अन्म साभग्रीमा व अन्म
सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं ।
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82 ससतम्फय 2012

भाससक यासश पर

 सचॊतन जोशी
भेष: 1 से 15 ससतम्फय 2012 : बूसभ-बवन-वाहन से सॊफॊसधत कामो भं राब प्राद्ऱ होगा। व्मवसासमक मािा भं सपरता
प्राद्ऱ हो सकती है । व्मम ऩय सनमन्िण यखने से राब प्राद्ऱ होगा। शिु ऩऺ से सावधान
यहं आऩ ऩय झूठे आयोऩ रग सकते है । शिुओॊ ऩय आऩका प्रबाव यहे गा। आऩके त्रवयोधी
एवॊ शिु ऩऺ ऩयास्त हंगे। आऩका साभास्जक जीवन उच्च स्तय का हो सकता हं ।

16 से 30 ससतम्फय 2012 : आऩकी आसथाक स्स्थसत प्रफर होगी। नौकयी, व्मवसाम भं


आऩ अऩने कामा का अच्छा प्रदशान कयने भं सभथा हंगे। ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ किी भेहनत
से फकमे गमे कामो भं सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं । ऩैतक
ृ धन-सॊऩत्रत्त की प्रासद्ऱ हो
सकती हं । भहत्वऩूणा एवॊ घये रू भाभरो भं चुनौतीओॊ का साभना कयना ऩड सकता हं ।
प्रेभ सॊफॊसधत भाभरो भं बी सपरता प्राद्ऱ कय सकते है ।

वृषब: 1 से 15 ससतम्फय 2012 : अनाचश्मक खचा कयने से फचे अन्मथा फडा आसथाक
नुकसान हो सकता हं । साझेदायी से धनराब की प्रासद्ऱ होगी। उन्नसत के सरए आऩको
अऩनी भहत्वऩूणा मोजनाओॊ को मथा शीघ्र अभर भं राना चाफहए। अन्मथा आऩके
प्रसतमोगी आऩसे आगे सनकर सकते हं । नए व्मावसासमक राब प्राद्ऱ हो सकते हं ।
जीवनसाथी का स्वास्थ्म सचॊताजनक हो सकता हं ।

16 से 30 ससतम्फय 2012 : मफद नौकयी कय यहे हं तो ऩदौन्नसत के मोग हं । व्मवसाम


से जुडे हं तो त्रवशेष रुऩ से आऩको फकसी स्त्रोत से आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ होने के मोग
फन यहे हं । अऩनी आम भं वृत्रद्ध कय अऩने ऩुयाने ऋण का बुगतान कयने के सरए उत्तभ सभम सात्रफत हो सकता हं ।
ऩरयवाय के रोगो के सरए त्रवशेष रुऩ से खचा कयना ऩड सकता हं । जीवनसाथी से सहमोग सभरेगा।

सभथुन: 1 से 15 ससतम्फय 2012 : सभम आऩके सरए उत्तभ सात्रफत हो सकता हं ।


व्मवसामीक कामो भं त्रवरॊफ हो सकता हं । इद्श सभिो एवॊ त्रप्रमजनो से आसथाक राब प्राद्ऱ
हो सकता हं । बूसभ-बवन इत्माफद कामो भं त्रवशेष राब प्रासद्ऱ हो सकती हं । ऩरयवाय के
फकसी सदस्म का स्वास्थ्म आऩकी सचॊता का त्रवषम हो सकता हं । ऩरयवाय के ऩुयाने
वाद-त्रववादो को जल्द सुरझाने का प्रमास कयं ।

16 से 30 ससतम्फय 2012 : उत्तभ वाहन सुख के मोग फन यहे हं । नौकयी भं ऩदौन्नसत


के मोग फन यहे हं । व्मवसाम भं आकस्स्भक धनराब प्राद्ऱ हो सकता हं । शिु व त्रवयोधी
ऩऺ ऩये शानी का कायण फन सकता हं । जीवन साथी से ऩूणा सहमोग प्राद्ऱ होगा।
दयू स्थानो की व्मवसामीक मािाएॊ आऩके सरए राबदामक हो सकती हं । ऩरयवाय भं सुख-शाॊसत फनाए यखने का प्रमास
कयं ।
83 ससतम्फय 2012

कका: 1 से 15 ससतम्फय 2012 : कामाऺेि भं आऩके आसथाक राबं भं वृत्रद्ध होने के मोग फन यहे हं । दाॊऩत्म सुख भं
वृत्रद्ध होगी। आऩको शायीरयक कद्श ऩये शान कय सकते हं । सभाज भं आऩके मश एवॊ
कीसता की वृत्रद्ध होगी। प्रेभ सॊफॊधो भं सपरता एवॊ दाॊऩत्म सुख भं वृत्रद्ध के मोग हं । शिु
ऩऺ से सावधान यहं आऩ ऩय झूठे आयोऩ रग सकते है ।

16 से 30 ससतम्फय 2012 : आऩकी आम के स्त्रोत एक से असधक फन सकते हं ।


आऩको दयू स्थ स्थानो की मािाएॊ कयनी ऩि सकती हं । सयकाय से त्रवशेष राबप्राद्ऱ हो
सकते हं । आऩकी भहत्वऩूणा मोजनाएॊ सपर होने के मोग हं । नमे रोगो से सभिता
होगी। अऩने व्ममं ऩय सनमन्िण यखने का प्रमास कयं औय ऋण रेने से फचे औय ऩुयाने
ऋणं का बुगतान कयने का प्रमास कये ।

ससॊह: 1 से 15 ससतम्फय 2012 : कोटा -कचहयी के कामो भं सपरता प्राद्ऱ हो सकती हं । फकसी को फदमा हुवा उधाय धन
वाऩस प्राद्ऱ हो सकता हं । अऩने कामाऺेि भं अऩने प्रसतद्रॊ द्रीमं से आगे सनकरने के सरए
फकसी भहत्वऩूणा मोजना ऩय त्रवशेष रुऩ से कामा कयना ऩि सकते हं । अऩने अनावश्मक
खचो ऩय सनमन्िण यखने का प्रमास कयं । आऩफक साभास्जक कामो भं त्रवशेष रुसच हो
सकती हं ।

16 से 30 ससतम्फय 2012 : नौकयी व्मवसाम से सॊफॊसधत सभस्माओॊ का सनवायण


होगा। बूसभ-बवन से साॊफॊसधत कामो से राब प्राद्ऱ हो सकते हं । आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ
के साधन प्राद्ऱ हो सकते हं । आऩके त्रवयोधी एवॊ शिु ऩऺ ऩयास्त हंगे। ऋण रेने से
फचे औय ऩुयाने ऋणं का बुगतान कयने का प्रमास कये । प्रेभ सॊफॊधं भं सपरता प्राद्ऱ हो
सकती हं । अऩने स्वास्थ्म का त्रवशेष ख्मार यखे।

कन्मा: 1 से 15 ससतम्फय 2012 : छोटी-छोती व्मवसासमक सभस्माओॊ के सनवायण हे तु


कजा रेना ऩि सकता हं । आऩके रुके हुए भहत्वऩूणा कामा ऩूये हो सकते हं । अऩनी
वाणी एवॊ क्रोध ऩय सनमॊिण यखे अन्मथा आऩके फने फनामे कामा त्रफगड सकते हं ।
अऩने खाने- ऩीने का ध्मान यखे अन्मथा आऩका का स्वास्थ्म नयभ हो सकता है । प्रेभ
सॊफॊधं भं सपरता प्राद्ऱ हो सकती हं ।

16 से 30 ससतम्फय 2012 : आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ के मोग फन यहे है । नमा व्मवसाम


मा नौकयी प्राद्ऱ हो सकती हं मा आऩके कामा ऺेि भं नमे फदराव हो सकते हं । बूसभ-
बवन से सॊफॊसधअ भाभरो भं राबप्रासद्ऱ हो सकती हं । कोटा -कचहयी के कामा भं
सपरता प्राद्ऱ हो सकती हं । त्रवऩयीत सरॊग के प्रसत आऩका त्रवशेष झुकाव यहे गा। आऩके त्रवयोधी एवॊ शिु ऩऺ ऩयास्त
हंगे।
84 ससतम्फय 2012

तुरा: 1 से 15 ससतम्फय 2012 : अऩने कामाऺेि भं आऩ किी भेहनत औय ऩरयश्रभ से धन राब प्राद्ऱ कय सकते
हं । अत्मासधक बागदौि के कायण आऩको थकावट हो सकती हं । त्रवयोधी एवॊ शिु ऩऺ से
ऩये शानी हो सकती हं । दयू स्थ स्थानं की मािाएॊ राबदामक ससद्ध होगी। जीवन साथी
से रयश्तो भं सुधाय होगा। प्रेभ सॊफॊसधत भाभरो के सरए सभम सभराझुरा सात्रफत हो
सकता हं । स्वास्थ्म के प्रसत सचेत यहं ।

16 से 30 ससतम्फय 2012 : आऩकी भहत्वऩूणा मोजनाए ऩूणा हो सकती हं । नौकयी-


व्मवसाम से सॊफॊसधत कामं के सरए मह सभम आसथाक राबदे ने वारा यहे गा। बूसभ-
बवन-वाहन से सॊफॊसधत कामो भं राब प्राद्ऱ होगा। अऩनी असधक खचा कयने फक प्रवृत्रत्त
ऩय सनमॊिण कयने का प्रमास कयं । आऩके बौसतक सुख साधनो भं वृत्रद्ध होगी। जीवन
साथी से ऩूणस
ा हमोग प्राद्ऱ होगा।

वृस्द्ळक: 1 से 15 ससतम्फय 2012 : आऩ किी भेहनत औय ऩरयश्रभ से धन राब प्राद्ऱ


कय सकते हं । छोटी-छोटी सभस्माए आने के उऩयाॊत बी काभमाफी प्राद्ऱ होगी। फकसी से
वाद-त्रववाद कयने से फचे। सभाज भं अऩना नाभ औय प्रसतद्षा फनाए
यखने के सरमे आऩको ऩूणा मोजनाफद्ध तरयके सेकामा कयना चाफहमे। खाने-ऩीने का त्रवशेष
ध्मान यखे अन्मथा स्वास्थ्म सॊफॊसधत सभस्माएॊ हो सकती हं ।

16 से 30 ससतम्फय 2012 : उच्चासधकारयमं से राब प्राद्ऱ होगा। नौकयी-


व्मवसाम भं सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं । स्वास्थ्म उत्तभ यहे गा। जीवन साथी के
साथ व्मवहाय अच्छा यखे अन्मथा सभस्माओॊ का साभना कय सकते हं ।
सभिं ऩय अॊधात्रवद्वास कयने के कायण आऩके ऩरयवय भं त्रववाद फढसकते है । ऩरयवाय औय रयश्तेदायं से आस्त्भमता के अनुबव
भं कभी यह सकती हं ।

धनु: 1 से 15 ससतम्फय 2012 : बूसभ-बवन-वाहन से सॊफॊसधत कामो भं रुसच फढे गी। रेफकन इस दौयान इन सचजं भं
बायी भािा भं सनवेश कयना नुक्शा कायक हो सकता हं । आऩके बौसतक सुख-साधनो भं
वृत्रद्ध होगी। सॊतान ऩऺ के प्रसत सचॊता यहे गी। जीवन साथी के साथ वैचारयक भतबेद
सॊबव हं । धासभाक मािा मा दयू स्थ स्थानो की मािा होने के मोग हं ।
प्रेभ सॊफॊसधत भाभरो भं अनफन हो सकती हं ।

16 से 30 ससतम्फय 2012

नौकयी-व्मवसाम भं धन राब की प्रासद्ऱ हो सकती हं । कोटा -कचहयी के कामो भं


सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं । कामाऺेि भं आऩके जोश एवॊ उत्साह भं वृत्रद्ध होगी। आऩके
साभास्जक भान-सम्भान औय ऩद-प्रसतद्षा भं वृत्रद्ध होगी। नमे रोगो की सभिता से राब प्राद्ऱ कय सकते हं । ऩरयवाय के
फकसी सदस्म का स्वास्थ्म कभजोय हो सकता हं । जीवनसाथी से साथ व्मवहाय कूशर यहं ।
85 ससतम्फय 2012

भकय: 1 से 15 ससतम्फय 2012 : नौकयी व्मवसाम भं भहत्वऩूणा कामो को कुशरता से ऩूया कयने का प्रमास कयं ।
व्मम ऩय सनमन्िण यखने से राब प्राद्ऱ होगा। बूसभ- बवन-वाहन के क्रम-त्रवक्रम से राब प्राद्ऱ हो सकता हं । अऩने खाने-
ऩीने का ध्मान यखे अन्मथा आऩका का स्वास्थ्म नयभ होसकता है । प्रेभ सॊफॊसधत भाभरो भं
अनफन हो सकती हं रेफकन अल्ऩ प्रमासो से सॊफॊदो भं सुधाय होने रगेगा।

16 से 30 ससतम्फय 2012 : ऩरयवाय के सदस्मं से छोटी-छोटी फातं भं त्रववाद हो सकते


हं । ऋण दे ने से फचं अन्मथा धन की ऩुन् प्रासद्ऱ भं त्रवरॊफ हो सकता हं । आवश्मकता से
असधक सॊघषा कयना ऩड सकता है । आऩके साभास्जक भान-सम्भान औय ऩद-प्रसतद्षा भं
वृत्रद्ध होगी। आऩके स्वास्थ्म भं सगयावट हो सकती हं । नमे रोगो से सभिता राबप्रद हो
सकती हं ।

कॊु ब: 1 से 15 ससतम्फय 2012 : कामाऺेि भं आऩकी कामा शैरी अत्मासधक सफक्रम हो


जाएगी। आऩको आकस्स्भक धन की प्रासद्ऱ हो सकती हं । बूसभ-बवन-वाहन की प्राद्ऱी हो
सकती हं । फकसी से वाद-त्रववाद कयने से फचे अन्मथा कोटा -कचहयी के चक्कयं भं
उरझना ऩड सकता हं । सॊतान ऩऺ के प्रसत त्रवशेष सचॊता यह सकती हं । प्रेभ सॊफॊसधत
भाभरो के सरए सभम सभराझुरा सात्रफत हो सकता हं ।

16 से 30 ससतम्फय 2012 : आऩको एकासधक स्त्रोत से धनराब प्राद्ऱ हो सकता हं । प्राम्


आऩके सबी कामा सुचारु रुऩ से ऩूणा हंगे। ऋण के रेन-दे ने से फचने का प्रमास कयं
अन्मथा धन की ऩुन् प्रासद्ऱ-बुगतान भं त्रवरॊफ हो सकता हं । प्रकृ सत भं फदराव से
आऩका स्वास्थ्म नयभ यह सकता है । ऩरयवाय की सुख -शास्न्त को फनामे यखने का प्रमास कयं । थोडी से सावधाने से
स्वास्थ्म सुख भं वृत्रद्ध होगी।

भीन: 1 से 15 ससतम्फय 2012 : व्मवासाम से जुडे हं औय साझेदायी की मोजना फना


यहे हं तो सभम प्रसतकूर सात्रफत हो सकता हं । इद्श सभिो के सहमोग से नमे रोगो से
सभिता होगी। भहत्वऩूणा एवॊ घये रू भाभरो भं चुनौतीओॊ का साभना कयना ऩड सकता
हं । प्रेभ सॊफॊसधत भाभरं भं सभस्माएॊ उत्ऩन्न हो सकती हं । सॊमभ भं यहने का प्रमास
कयं । प्रकृ सत भं फदराव से आऩका स्वास्थ्म नयभ यह सकता है ।

16 से 30 ससतम्फय 2012 : कामाऺेि भं जोस्खभ बये कामा कयने से फचे क्मोफक आऩकी
राऩयवाही आऩको रॊफे सभम का नुक्शान कय सकती हं । आम से व्मम असधक होने के
मोग फन यहे हं । ऋण के रेन-दे ने से फचने का प्रमास कयं अन्मथा धन की ऩुन् प्रासद्ऱ-
बुगतान भं त्रवरॊफ हो सकता हं । व्मवसासमक मािा राबदामक ससद्ध होगी। जीवनसाथी के साथ सॊफॊधं भं सुधाय होने
के मोग हं ।
86 ससतम्फय 2012

ससतम्फय 2012 भाससक ऩॊचाॊग


चॊद्र
फद वाय भाह ऩऺ सतसथ सभासद्ऱ नऺि सभासद्ऱ मोग सभासद्ऱ कयण सभासद्ऱ सभासद्ऱ
यासश

1 शसन अ.बाद्रऩद कृ ष्ण एकभ 19:16:06 ऩू.बाद्रऩद 30:10:29 धृसत 25:40:29 फारव 07:17:59 कुॊब 23:57:00

2 यत्रव अ.बाद्रऩद कृ ष्ण फद्रतीमा 19:39:06 ऩू.बाद्रऩद 06:10:58 शूर 25:05:21 तैसतर 07:23:10 भीन -

3 सोभ अ.बाद्रऩद कृ ष्ण तृतीमा 20:39:36 उ.बाद्रऩद 07:29:17 गॊड 24:57:24 वस्णज 08:04:54 भीन -

4 भॊगर अ.बाद्रऩद कृ ष्ण चतुथॉ 22:15:43 ये वसत 09:25:05 वृत्रद्ध 25:19:28 फव 09:24:09 भीन 09:25:00

5 फुध अ.बाद्रऩद कृ ष्ण ऩॊचभी 24:24:39 अस्द्वनी 11:53:42 ध्रुव 26:03:05 कौरव 11:18:05 भेष -

6 गुरु अ.बाद्रऩद कृ ष्ण षद्षी 26:54:12 बयणी 14:46:42 व्माघात 27:00:46 गय 13:37:19 भेष 21:33:00

7 शुक्र अ.बाद्रऩद कृ ष्ण सद्ऱभी 29:29:23 कृ सतका 17:53:45 हषाण 28:05:00 त्रवत्रद्श 16:11:34 वृष -

8 शसन अ.बाद्रऩद कृ ष्ण अद्शभी 31:56:07 योफहस्ण 20:57:03 वज्र 29:01:44 फारव 18:44:52 वृष -

अद्शभी
9 यत्रव अ.बाद्रऩद कृ ष्ण 07:56:36 भृगसशया 23:43:29 ससत्रद्ध 29:41:36 कौरव 07:56:36 वृष 10:24:00
/ नवभी

10 सोभ अ.बाद्रऩद कृ ष्ण नवभी 09:58:58 आद्रा 25:58:58 व्मसतऩात 29:55:13 गय 09:58:58 सभथुन -

11 भॊगर अ.बाद्रऩद कृ ष्ण दशभी 11:23:50 ऩुनवासु 27:33:13 वरयमान 29:34:09 त्रवत्रद्श 11:23:50 सभथुन 21:14:00

12 फुध अ.बाद्रऩद कृ ष्ण एकादशी 12:04:38 ऩुष्म 28:23:23 ऩरयग्रह 28:38:23 फारव 12:04:38 कका -

13 गुरु अ.बाद्रऩद कृ ष्ण द्रादशी 11:59:30 अद्ऴेषा 28:28:34 सशव 27:04:11 तैसतर 11:59:30 कका 28:28:00

14 शुक्र अ.बाद्रऩद कृ ष्ण िमोदशी 11:10:18 भघा 27:53:26 ससत्रद्ध 24:59:03 वस्णज 11:10:18 ससॊह -

15 शसन अ.बाद्रऩद कृ ष्ण चतुदाशी 09:41:44 ऩू.पाल्गुनी 26:44:33 साध्म 22:25:48 शकुसन 09:41:44 ससॊह -

16 यत्रव अभावस्मा
अ.बाद्रऩद कृ ष्ण 07:41:17 उ.पाल्गुनी 25:11:17 शुब 19:30:02 नाग 07:41:17 ससॊह 08:23:00
/ प्रसतऩदा

17 सोभ प्रसतऩदा
शु.बाद्रऩद शुक्र 26:41:47 हस्त 23:22:05 शुक्र 16:19:17 फारव 16:00:32 कन्मा -
/ फद्रतीमा

18 भॊगर शु.बाद्रऩद शुक्र तृतीमा 23:58:12 सचिा 21:26:20 ब्रह्म 13:01:01 तैसतर 13:19:46 कन्मा 10:25:00

19 फुध शु.बाद्रऩद शुक्र चतुथॉ 21:16:31 स्वाती 19:30:35 इन्द्र 09:41:50 वस्णज 10:36:12 तुरा -
87 ससतम्फय 2012

20 गुरु शु.बाद्रऩद शुक्र ऩॊचभी 18:42:19 त्रवशाखा 17:41:23 वैधसृ त 06:23:34 फव 07:58:15 तुरा 12:07:00

21 शुक्र शु.बाद्रऩद शुक्र षद्षी 16:18:27 अनुयाधा 16:02:30 प्रीसत 24:15:38 तैसतर 16:18:27 वृस्द्ळक -

22 शसन शु.बाद्रऩद शुक्र सद्ऱभी 14:08:38 जेद्षा 14:38:38 आमुष्भान 21:28:19 वस्णज 14:08:38 वृस्द्ळक 14:39:00

23 यत्रव शु.बाद्रऩद शुक्र अद्शभी 12:17:34 भूर 13:32:34 सौबाग्म 18:55:04 फव 12:17:34 धनु -

24 सोभ शु.बाद्रऩद शुक्र नवभी 10:43:23 ऩूवााषाढ़ 12:43:23 शोबन 16:36:49 कौरव 10:43:23 धनु 18:33:00

25 भॊगर शु.बाद्रऩद शुक्र दशभी 09:27:57 उत्तयाषाढ़ 12:11:04 असतगॊड 14:34:30 गय 09:27:57 भकय -

26 फुध शु.बाद्रऩद शुक्र एकादशी 08:32:12 श्रवण 12:01:16 सुकभाा 12:47:12 त्रवत्रद्श 08:32:12 भकय 24:03:00

27 गुरु शु.बाद्रऩद शुक्र द्रादशी 07:58:58 धसनद्षा 12:11:09 धृसत 11:17:43 फारव 07:58:58 कुॊब -

28 शुक्र शु.बाद्रऩद शुक्र िमोदशी 07:48:13 शतसबषा 12:45:25 शूर 10:06:58 तैसतर 07:48:13 कुॊब -

29 शसन शु.बाद्रऩद शुक्र चतुदाशी 08:04:41 ऩू.बाद्रऩद 13:45:56 गॊड 09:16:52 वस्णज 08:04:41 कुॊब 07:28:00

30 यत्रव शु.बाद्रऩद शुक्र ऩूस्णाभा 08:49:15 उ.बाद्रऩद 15:13:38 वृत्रद्ध 08:49:15 फव 08:49:15 भीन -

शसन ऩीिा सनवायक


सॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज शुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफडत ऩौरुषाकाय शसन मॊि
ऩुरुषाकाय शसन मॊि (स्टीर भं) को तीव्र प्रबावशारी फनाने हे तु शसन की कायक धातु शुद्ध स्टीर(रोहे ) भं फनामा गमा
हं । स्जस के प्रबाव से साधक को तत्कार राब प्राद्ऱ होता हं । मफद जन्भ कुॊडरी भं शसन प्रसतकूर होने ऩय व्मत्रि को
अनेक कामं भं असपरता प्राद्ऱ होती है , कबी व्मवसाम भं घटा, नौकयी भं ऩये शानी, वाहन दघ
ु ट
ा ना, गृह क्रेश आफद
ऩये शानीमाॊ फढ़ती जाती है ऐसी स्स्थसतमं भं प्राणप्रसतत्रद्षत ग्रह ऩीिा सनवायक शसन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा
घय भं स्थाऩना कयने से अनेक राब सभरते हं । मफद शसन की ढै ़मा मा साढ़े साती का सभम हो तो इसे अवश्म ऩूजना
चाफहए। शसनमॊि के ऩूजन भाि से व्मत्रि को भृत्मु, कजा, कोटा केश, जोडो का ददा , फात योग तथा रम्फे सभम के सबी
प्रकाय के योग से ऩये शान व्मत्रि के सरमे शसन मॊि असधक राबकायी होगा। नौकयी ऩेशा आफद के रोगं को ऩदौन्नसत
बी शसन द्राया ही सभरती है अत् मह मॊि असत उऩमोगी मॊि है स्जसके द्राया शीघ्र ही राब ऩामा जा सकता है ।
भूल्म: 1050 से 8200
GURUTVA KARYALAY
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785

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88 ससतम्फय 2012

ससतम्फय-2012 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय


फद वाय भाह ऩऺ सतसथ सभासद्ऱ प्रभुख व्रत-त्मोहाय

1 शसन अ.बाद्रऩद कृ ष्ण एकभ 19:16:06 -

2 यत्रव अ.बाद्रऩद कृ ष्ण फद्रतीमा 19:39:06 अशून्मशमन व्रत, भहाव्मसतऩात दे ययात 3.32 से

3 सोभ अ.बाद्रऩद कृ ष्ण तृतीमा 20:39:36 भहाव्मसतऩात प्रात: 8.50 फजे तक

अॊगायकी सॊकद्शी श्रीगणेश चतुथॉ व्रत (चॊ.उ.या.8.35), दादाबाई


4 भॊगर अ.बाद्रऩद कृ ष्ण चतुथॉ 22:15:43
नौयोजी जमॊती,
5 फुध अ.बाद्रऩद कृ ष्ण ऩॊचभी 24:24:39 सशऺक फदवस, डा.याधाकृ ष्णन जमॊती, भदय टे येसा स्भृसत फदवस,

6 गुरु अ.बाद्रऩद कृ ष्ण षद्षी 26:54:12 -

7 शुक्र अ.बाद्रऩद कृ ष्ण सद्ऱभी 29:29:23 -

8 शसन अ.बाद्रऩद कृ ष्ण अद्शभी 31:56:07 काराद्शभी व्रत, त्रवद्व साऺयता फदवस,

अद्शभी
9 यत्रव अ.बाद्रऩद कृ ष्ण 07:56:36 -
/ नवभी

10 सोभ अ.बाद्रऩद कृ ष्ण नवभी 09:58:58 ऩॊ. गोत्रवन्दवल्रब ऩॊत स्भृसत फदवस

11 भॊगर अ.बाद्रऩद कृ ष्ण दशभी 11:23:50 सॊत त्रवनोफा बावे जमॊती, भहादे वी वभाा स्भृसत फदवस

कभरा एकादशी व्रत, ऩुरुषोत्तभी एकादशी, द्वेताॊफय जैन ऩमुष


ा ण
12 फुध अ.बाद्रऩद कृ ष्ण एकादशी 12:04:38
ऩवा प्रायॊ ब,
13 गुरु अ.बाद्रऩद कृ ष्ण द्रादशी 11:59:30 प्रदोष व्रत, जैन ऩमुष
ा ण ऩवा प्रायॊ ब, ब्रह्मानॊद रोधी स्भृसत फदवस

14 शुक्र अ.बाद्रऩद कृ ष्ण िमोदशी 11:10:18 भाससक सशवयात्रि व्रत, फहॊ दी फदवस,

श्राद्ध की अभावस्मा, कल्ऩसूि वाॊचन एवॊ ऩास्ऺक प्रसतक्रभण


15 शसन अ.बाद्रऩद कृ ष्ण चतुदाशी 09:41:44
(द्वेताॊफय जैन), रस्ब्धत्रवधान व्रत 5 फदन (फदगॊफय जैन)

स्नान-दान हे तु उत्तभ ऩुरुषोत्तभी अभावस्मा, रुद्रव्रत, भौनव्रत


प्रायॊ ब, कन्मा-सॊक्रास्न्त सामॊ 5:56 फजे, स्नान-दान का
अभावस्मा
16 यत्रव अ.बाद्रऩद कृ ष्ण 07:41:17 ऩुण्मकार फदन 11:32 से सामॊ 5:56 फजे तक, ऩुरुषोत्तभ
/ प्रसतऩदा
(असधक/भर) भास- व्रत-सनमभ ऩूण,ा वैधसृ त भहाऩात प्रात:
9.35 से फदन 2.36 फजे तक, भहावीय जन्भवाॊचन(द्वेताॊफय जैन)
89 ससतम्फय 2012

प्रसतऩदा त्रवद्वकभाा ऩूजा, नवीन चॊद्र-दशान, श्रीयाभदे व ऩीय जमॊती व


17 सोभ शु.बाद्रऩद शुक्र 26:41:47
/ फद्रतीमा नवयाि प्रायॊ ब (याज.) तेराघय (द्वेताॊफय जैन),

हरयतासरका तीज व्रत, फिी तीज, वायाहावताय जमॊती, गौयी


18 भॊगर शु.बाद्रऩद शुक्र तृतीमा 23:58:12
तृतीमा व्रत, केविा तीज, गौयी तीज (ओिीसा), त्रिरोक तीज

ससत्रद्धत्रवनामक चतुथॉ व्रत(चॊ.उ.या.8.41), श्रीगणेशोत्सव 11 फदन,


श्रीकृ ष्ण-करॊकनी चतुथॉ, शास्त्रोि भत से आज के फदन चॊद्रभा
का दशान सवाथा सनत्रषद्ध, ऩत्थय (ढे रा) चौथ, चौठ चॊद्र (सभसथ.),
19 फुध शु.बाद्रऩद शुक्र चतुथॉ 21:16:31
सौबाग्म चतुथॉ (ऩ.फॊ), सशवा चतुथॉ, सयस्वती ऩूजा (ओिीसा),
रक्ष्भी ऩूजा, जैन सॊवत्सयी (चतुथॉ ऩऺ) (द्वेताॊफय जैन),
भूरसूिवाॊचन (द्वेताॊफय जैन),

ऋत्रषऩॊचभी-भध्माि भं सद्ऱत्रषा ऩूजन, गगा एवॊ अॊसगया ऋत्रष


जमॊती, आकाश ऩॊचभी (जैन), जैन सॊवत्सयी (ऩॊचभी ऩऺ), गुरु
20 गुरु शु.बाद्रऩद शुक्र ऩॊचभी 18:42:19 ऩॊचभी (ओिीसा), यऺाऩॊचभी (ऩ.फॊ), बायतंद ु जमॊती, दशरऺण
व्रत 10 फदन एवॊ ऩुष्ऩाॊजसर व्रत 5 फदन (फदगॊफय जैन), आकाश
ऩॊचभी (जैन),

सूमष
ा द्षी व्रत, रोराका षद्षी (काशी), फरदे व छठ-श्रीफरयाभ जमॊती
भहोत्सव (ब्रज), रसरता षद्षी, भॊथन षद्षी (ऩ.फॊ), स्कन्द कुभाय
21 शुक्र शु.बाद्रऩद शुक्र षद्षी 16:18:27
षद्षी व्रत, सोभनाथ व्रत (ओिीसा), अनुयाधा नऺि भं ज्मेद्षा गौयी
का आवाहन, चॊदनषद्षी (जैन), कारू सनवााण फदवस (जैन)

भुिाबयण सद्ऱभी व्रत, सॊतान सद्ऱभी व्रत, रसरता सद्ऱभी (ऩ.फॊ-


ओिीसा), नवाखाई, अऩयास्जता ऩूजा, ज्मेद्षानऺि भं ज्मेद्षागौयी
का ऩूजन, भहारक्ष्भी व्रत-अनुद्षान प्रायॊ ब (चॊद्रोदम कारीन अद्शभी
22 शसन शु.बाद्रऩद शुक्र सद्ऱभी 14:08:38
भं), सूमा सामन तुरायासश भं यात्रि 8.19 फजे, शयद् सम्ऩात,
भहात्रवषुव फदवस, सूमा दस्ऺणी गोराद्र्ध भं, सनदोष-शीरसद्ऱभी
(फदगॊफय जैन),

श्रीदग
ु ााद्शभी व्रत, श्रीअन्नऩूणााद्शभी व्रत, श्रीयाधाद्शभी व्रतोत्सव
(फयसाना-भथुया), दधीसच जमॊती, भहायत्रववाय व्रत, भूर नऺि भं
23 यत्रव शु.बाद्रऩद शुक्र अद्शभी 12:17:34
ज्मेद्षागौयी का त्रवसजान, सन:शल्म अद्शभी (फदग.जैन), दफ
ु री
आठभ (द्वेत.जैन),

श्रीभद्भागवत जमॊती-सद्ऱाह प्रायॊ ब,नन्दानवभी, अदख


ु नवभी, श्रीचॊद्र
24 सोभ शु.बाद्रऩद शुक्र नवभी 10:43:23
जमॊती, तर नवभी (ऩ.फॊ- ओिीसा),
90 ससतम्फय 2012

दशावताय दशभी व्रत, तेजा दशभी, श्रीयाभदे व ऩीय नवयाि एवॊ


25 भॊगर शु.बाद्रऩद शुक्र दशभी 09:27:57 भेरा याभदे व सभाद्ऱ (याज.), ऩॊ. दीनदमार उऩाध्माम जमॊती,
सुगन्ध-धूऩ दशभी एवॊ अनन्त व्रत प्रायॊ ब (फदग.जैन),

ऩद्मा एकादशी व्रत, ऩाश्व-ऩरयवतानी एकादशी, जरझूरनी


एकादशी, धभाा-कभाा एकादशी, डोर ग्मायस (भ.प्र.),
26 फुध शु.बाद्रऩद शुक्र एकादशी 08:32:12
वाभनद्रादशी (भध्मािकारीन श्रवण नऺिमुता), वाभनावताय
जमॊती, श्रवणद्रादशी,

श्माभफाफा द्रादशी, प्रदोष व्रत, बुवनेद्वयी भहात्रवद्या जमॊती,


27 गुरु शु.बाद्रऩद शुक्र द्रादशी 07:58:58
हरयवासय प्रात: 7:58 फजे तक, त्रवद्व ऩमाटन फदवस

भतान्तय से अनन्तचतुदाशी व्रत (भध्मािव्मात्रऩनी चतुदाशी होने


से दे श के कुछ अॊचरं भं आज) गोत्रियाि व्रत प्रायॊ ब,
28 शुक्र शु.बाद्रऩद शुक्र िमोदशी 07:48:13
भहाव्मसतऩात प्रात: 7:59 से फदन 1:06 फजे तक, शहीद बगत
ससॊह जमॊती, यत्निम व्रत 3 फदन (फदग.जैन)

अनन्तचतुदाशी व्रत, गणेश त्रवसजान (भहायाद्स), ऩूस्णाभा व्रत,


श्रीसत्मनायामण ऩूजा-कथा, उभा भहे द्वय व्रत, भहारमा प्रायॊ ब-
29 शसन शु.बाद्रऩद शुक्र चतुदाशी 08:04:41 प्रौद्षऩदी ऩूस्णाभा का श्राद्ध, नान्दीभाताभह श्राद्ध, कुरधभा,
इन्द्रगोत्रवन्द ऩूजा (ओिीसा), रोकऩार ऩूजा ऩूस्णाभा, ऩास्ऺक
प्रसतक्रभण (द्वेत. जैन), ईद्वयचॊद्र त्रवद्यासागय जमॊती,

स्नान-दान हे तु उत्तभ ऩूस्णाभा, गोत्रियाि व्रत ऩूण,ा सॊन्माससमं का


चातुभाास सभाद्ऱ, श्रीभद्भागवत सद्ऱाह ऩूण,ा प्रसतऩदा का श्राद्ध,
30 यत्रव शु.बाद्रऩद शुक्र ऩूस्णाभा 08:49:15
अम्फाजी का भेरा (गुज), सॊध्मा ऩूजा, ऺभावाणी ऩवा
(फदग.जैन),

क्मा आऩ फकसी सभस्मा से ग्रस्त हं ?


आऩके ऩास अऩनी सभस्माओॊ से छुटकाया ऩाने हे तु ऩूजा-अचाना, साधना, भॊि जाऩ इत्माफद कयने का सभम नहीॊ
हं ? अफ आऩ अऩनी सभस्माओॊ से फीना फकसी त्रवशेष ऩूजा-अचाना, त्रवसध-त्रवधान के आऩको अऩने कामा भं सपरता
प्राद्ऱ कय सके एवॊ आऩको अऩने जीवन के सभस्त सुखो को प्राद्ऱ कयने का भागा प्राद्ऱ हो सके इस सरमे गुरुत्व
कामाारत द्राया हभाया उद्दे श्म शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म मुि
त्रवसबन्न प्रकाय के मन्ि- कवच एवॊ शुब परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहोचाने का है ।
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91 ससतम्फय 2012

गणेश रक्ष्भी मॊि


प्राण-प्रसतत्रद्षत गणेश रक्ष्भी मॊि को अऩने घय-दक
ु ान-ओफपस-पैक्टयी भं ऩूजन स्थान, गल्रा मा अरभायी भं स्थात्रऩत
कयने व्माऩाय भं त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । मॊि के प्रबाव से बाग्म भं उन्नसत, भान-प्रसतद्षा एवॊ व्माऩय भं वृत्रद्ध होती
हं एवॊ आसथाक स्स्थभं सुधाय होता हं । गणेश रक्ष्भी मॊि को स्थात्रऩत कयने से बगवान गणेश औय दे वी रक्ष्भी का
सॊमुि आशीवााद प्राद्ऱ होता हं । Rs.730 से Rs.10900 तक

भॊगर मॊि से ऋण भुत्रि


भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रववादो को हर कयने के काभ भं राब दे ता हं , इस के असतरयि व्मत्रि को ऋण
भुत्रि हे तु भॊगर साधना से असत शीध्र राब प्राद्ऱ होता हं । त्रववाह आफद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए भॊगर
मॊि की ऩूजा कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । प्राण प्रसतत्रद्षत भॊगर मॊि के ऩूजन से बाग्मोदम, शयीय भं खून की
कभी, गबाऩात से फचाव, फुखाय, चेचक, ऩागरऩन, सूजन औय घाव, मौन शत्रि भं वृत्रद्ध, शिु त्रवजम, तॊि भॊि के दद्श
ु प्रबा,
बूत-प्रेत बम, वाहन दघ
ु ट
ा नाओॊ, हभरा, चोयी इत्मादी से फचाव होता हं । भूल्म भाि Rs- 730

कुफेय मॊि
कुफेय मॊि के ऩूजन से स्वणा राब, यत्न राब, ऩैतक
ृ सम्ऩत्ती एवॊ गिे हुए धन से राब प्रासद्ऱ फक काभना कयने वारे
व्मत्रि के सरमे कुफेय मॊि अत्मन्त सपरता दामक होता हं । एसा शास्त्रोि वचन हं । कुफेय मॊि के ऩूजन से एकासधक
स्त्रोि से धन का प्राद्ऱ होकय धन सॊचम होता हं ।

ताम्र ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीस ताम्र ऩि ऩय


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
साईज भूल्म साईज भूल्म साईज भूल्म
1” X 1” 460 1” X 1” 370 1” X 1” 255
2” X 2” 820 2” X 2” 640 2” X 2” 460
3” X 3” 1650 3” X 3” 1090 3” X 3” 730
4” X 4” 2350 4” X 4” 1650 4” X 4” 1090
6” X 6” 3600 6” X 6” 2800 6” X 6” 1900
9” X 9” 6400 9” X 9” 5100 9” X 9” 3250
12” X12” 10800 12” X12” 8200 12” X12” 6400

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92 ससतम्फय 2012

नवयत्न जफित श्री मॊि


शास्त्र वचन के अनुसाय शुद्ध सुवणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के चायं औय मफद नवयत्न जिवा ने ऩय मह नवयत्न
जफित श्री मॊि कहराता हं । सबी यत्नो को उसके सनस्द्ळत स्थान ऩय जि कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने से व्मत्रि को
अनॊत एद्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ होती हं । व्मत्रि को एसा आबास होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हं । नवग्रह को
श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहं की अशुब दशा का धायण कयने वारे व्मत्रि ऩय प्रबाव नहीॊ होता हं । गरे भं होने के
कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हं , वह गॊगा
जर के सभान ऩत्रवि होता हं । इस सरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं । जैसे अभृत से उत्तभ कोई
औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा शास्त्रोि वचन हं । इस
प्रकाय के नवयत्न जफित श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनावाए जाते हं ।

अद्श रक्ष्भी कवच


अद्श रक्ष्भी कवच को धायण कयने से व्मत्रि ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी की कृ ऩा एवॊ आशीवााद फना
यहता हं । स्जस्से भाॊ रक्ष्भी के अद्श रुऩ (१)-आफद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)-धैयीम रक्ष्भी, (४)-
गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रवजम रक्ष्भी, (७)-त्रवद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी
रुऩो का स्वत् अशीवााद प्राद्ऱ होता हं । भूल्म भाि: Rs-1250

भॊि ससद्ध व्माऩाय वृत्रद्ध कवच


व्माऩाय वृत्रद्ध कवच व्माऩाय के शीघ्र उन्नसत के सरए उत्तभ हं । चाहं कोई बी व्माऩाय हो अगय उसभं राब के स्थान ऩय
फाय-फाय हासन हो यही हं । फकसी प्रकाय से व्माऩाय भं फाय-फाय फाॊधा उत्ऩन्न हो यही हो! तो सॊऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत भॊि
ससद्ध ऩूणा चैतन्म मुि व्माऩात वृत्रद्ध मॊि को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थात्रऩत कयने से शीघ्र ही व्माऩाय वृत्रद्ध एवॊ
सनतन्तय राब प्राद्ऱ होता हं । भूल्म भाि: Rs.730 & 1050

भॊगर मॊि
(त्रिकोण) भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रववादो को हर कयने के काभ भं राब दे ता हं , इस के असतरयि व्मत्रि को
ऋण भुत्रि हे तु भॊगर साधना से असत शीध्र राब प्राद्ऱ होता हं । त्रववाह आफद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए
भॊगर मॊि की ऩूजा कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । भूल्म भाि Rs- 730

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93 ससतम्फय 2012

त्रववाह सॊफॊसधत सभस्मा


क्मा आऩके रडके-रडकी फक आऩकी शादी भं अनावश्मक रूऩ से त्रवरम्फ हो यहा हं मा उनके वैवाफहक जीवन भं खुसशमाॊ कभ
होती जायही हं औय सभस्मा असधक फढती जायही हं । एसी स्स्थती होने ऩय अऩने रडके-रडकी फक कुॊडरी का अध्ममन
अवश्म कयवारे औय उनके वैवाफहक सुख को कभ कयने वारे दोषं के सनवायण के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ
कयं ।

सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा


क्मा आऩके रडके-रडकी की ऩढाई भं अनावश्मक रूऩ से फाधा-त्रवघ्नन मा रुकावटे हो यही हं ? फच्चो को अऩने ऩूणा ऩरयश्रभ
एवॊ भेहनत का उसचत पर नहीॊ सभर यहा? अऩने रडके-रडकी की कुॊडरी का त्रवस्तृत अध्ममन अवश्म कयवारे औय
उनके त्रवद्या अध्ममन भं आनेवारी रुकावट एवॊ दोषो के कायण एवॊ उन दोषं के सनवायण के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से
जनकायी प्राद्ऱ कयं ।

क्मा आऩ फकसी सभस्मा से ग्रस्त हं ?


आऩके ऩास अऩनी सभस्माओॊ से छुटकाया ऩाने हे तु ऩूजा-अचाना, साधना, भॊि जाऩ इत्माफद कयने का सभम नहीॊ हं ?
अफ आऩ अऩनी सभस्माओॊ से फीना फकसी त्रवशेष ऩूजा-अचाना, त्रवसध-त्रवधान के आऩको अऩने कामा भं सपरता प्राद्ऱ
कय सके एवॊ आऩको अऩने जीवन के सभस्त सुखो को प्राद्ऱ कयने का भागा प्राद्ऱ हो सके इस सरमे गुरुत्व कामाारत
द्राया हभाया उद्दे श्म शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म मुि त्रवसबन्न प्रकाय के
मन्ि- कवच एवॊ शुब परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहोचाने का हं ।

ज्मोसतष सॊफॊसधत त्रवशेष ऩयाभशा


ज्मोसत त्रवऻान, अॊक ज्मोसतष, वास्तु एवॊ आध्मास्त्भक ऻान सं सॊफॊसधत त्रवषमं भं हभाये 30 वषो से असधक वषा के
अनुबवं के साथ ज्मोसतस से जुडे नमे-नमे सॊशोधन के आधाय ऩय आऩ अऩनी हय सभस्मा के सयर सभाधान प्राद्ऱ कय
सकते हं ।
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ओनेक्स
जो व्मत्रि ऩन्ना धायण कयने भे असभथा हो उन्हं फुध ग्रह के उऩयत्न ओनेक्स को धायण कयना चाफहए।
उच्च सशऺा प्रासद्ऱ हे तु औय स्भयण शत्रि के त्रवकास हे तु ओनेक्स यत्न की अॊगूठी को दामं हाथ की सफसे छोटी
उॊ गरी मा रॉकेट फनवा कय गरे भं धायण कयं । ओनेक्स यत्न धायण कयने से त्रवद्या-फुत्रद्ध की प्रासद्ऱ हो होकय स्भयण
शत्रि का त्रवकास होता हं ।
94 ससतम्फय 2012

ससतम्फय 2012 -त्रवशेष मोग


कामा ससत्रद्ध मोग
2 प्रात: 6.10 से फदन-यात 16 सम्ऩूणा फदन-यात
4 प्रात: 9.25 से फदन-यात 20 सामॊ 5.40 से 21 ससतॊफय को सामॊ 4.02 तक
8 सूमोदम से यात्रि 8.56 तक 23 सूमोदम से फदन 1.31 तक
12 फदन 12.04 से 13 ससतॊफय को प्रात:4.22 तक 30 सूमोदम से फदन 3.12 तक

अभृत मोग
4 प्रात: 9.25 से फदन-यात 16/17 यात्रि 1.10 से सूमोदम तक

8 सूमोदम से यात्रि 8.56 तक

त्रिऩुष्कय मोग (तीन गुना) मोग


1 सामॊ 7.15 से 2 ससतॊफय को प्रात: 6.10 तक

त्रवघ्ननकायक बद्रा
3 प्रात: 8.08 से यात्रि 8.38 तक 19 प्रात: 10.36 से यात्रि 9.15 तक
6/7 यात्रि 2.53 से सामॊ 4.11 तक 22 फदन 2.08 से यात्रि 1.12 तक
10 यात्रि 10.40 से 11 ससतॊफय फदन 11.23 तक 25 यात्रि 8.58 से 26 ससतॊफय को प्रात: 8.31 तक
14 फदन 11.09 से यात्रि 10.24 तक 29 प्रात: 8.03 से यात्रि 8.25 तक

मोग पर :
 कामा ससत्रद्ध मोग भे फकमे गमे शुब कामा भे सनस्द्ळत सपरता प्राद्ऱ होती हं , एसा शास्त्रोि वचन हं ।
 त्रिऩुष्कय मोग भं फकमे गमे शुब कामो का राब तीन गुना होता हं । एसा शास्त्रोि वचन हं ।
 शास्त्रोि भत से त्रवघ्ननकायक बद्रा मा बद्रा मोग भं शुब कामा कयना वस्जात हं ।

दै सनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका


गुसरक कार मभ कार याहु कार
(शुब) (अशुब) (अशुब)
वाय सभम अवसध सभम अवसध सभम अवसध
यत्रववाय 03:00 से 04:30 12:00 से 01:30 04:30 से 06:00
सोभवाय 01:30 से 03:00 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00
भॊगरवाय 12:00 से 01:30 09:00 से 10:30 03:00 से 04:30
फुधवाय 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00 12:00 से 01:30
गुरुवाय 09:00 से 10:30 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00
शुक्रवाय 07:30 से 09:00 03:00 से 04:30 10:30 से 12:00
शसनवाय 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00 09:00 से 10:30
95 ससतम्फय 2012

फदन के चौघफडमे
सभम यत्रववाय सोभवाय भॊगरवाय फुधवाय गुरुवाय शुक्रवाय शसनवाय

06:00 से 07:30 उद्रे ग अभृत योग राब शुब चर कार


07:30 से 09:00 चर कार उद्रे ग अभृत योग राब शुब
09:00 से 10:30 राब शुब चर कार उद्रे ग अभृत योग
10:30 से 12:00 अभृत योग राब शुब चर कार उद्रे ग
12:00 से 01:30 कार उद्रे ग अभृत योग राब शुब चर
01:30 से 03:00 शुब चर कार उद्रे ग अभृत योग राब
03:00 से 04:30 योग राब शुब चर कार उद्रे ग अभृत
04:30 से 06:00 उद्रे ग अभृत योग राब शुब चर कार

यात के चौघफडमे
सभम यत्रववाय सोभवाय भॊगरवाय फुधवाय गुरुवाय शुक्रवाय शसनवाय

06:00 से 07:30 शुब चर कार उद्रे ग अभृत योग राब


07:30 से 09:00 अभृत योग राब शुब चर कार उद्रे ग
09:00 से 10:30 चर कार उद्रे ग अभृत योग राब शुब
10:30 से 12:00 योग राब शुब चर कार उद्रे ग अभृत
12:00 से 01:30 कार उद्रे ग अभृत योग राब शुब चर
01:30 से 03:00 राब शुब चर कार उद्रे ग अभृत योग
03:00 से 04:30 उद्रे ग अभृत योग राब शुब चर कार
04:30 से 06:00 शुब चर कार उद्रे ग अभृत योग राब
शास्त्रोि भत के अनुशाय मफद फकसी बी कामा का प्रायॊ ब शुब भुहूता मा शुब सभम ऩय फकमा जामे तो कामा भं सपरता
प्राद्ऱ होने फक सॊबावना ज्मादा प्रफर हो जाती हं । इस सरमे दै सनक शुब सभम चौघफिमा दे खकय प्राद्ऱ फकमा जा सकता हं ।
नोट: प्राम् फदन औय यात्रि के चौघफिमे फक सगनती क्रभश् सूमोदम औय सूमाास्त से फक जाती हं । प्रत्मेक चौघफिमे फक अवसध 1
घॊटा 30 सभसनट अथाात डे ढ़ घॊटा होती हं । सभम के अनुसाय चौघफिमे को शुबाशुब तीन बागं भं फाॊटा जाता हं , जो क्रभश् शुब,
भध्मभ औय अशुब हं ।

चौघफडमे के स्वाभी ग्रह * हय कामा के सरमे शुब/अभृत/राब का


शुब चौघफडमा भध्मभ चौघफडमा अशुब चौघफिमा चौघफिमा उत्तभ भाना जाता हं ।
चौघफडमा स्वाभी ग्रह चौघफडमा स्वाभी ग्रह चौघफडमा स्वाभी ग्रह
शुब गुरु चय शुक्र उद्बे ग सूमा * हय कामा के सरमे चर/कार/योग/उद्रे ग
अभृत चॊद्रभा कार शसन का चौघफिमा उसचत नहीॊ भाना जाता।
राब फुध योग भॊगर
96 ससतम्फय 2012

फदन फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक


वाय 1.घॊ 2.घॊ 3.घॊ 4.घॊ 5.घॊ 6.घॊ 7.घॊ 8.घॊ 9.घॊ 10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ

यत्रववाय सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन
सोभवाय चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा
भॊगरवाय भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र
फुधवाय फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर
गुरुवाय गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध
शुक्रवाय शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु
शसनवाय शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र

यात फक होया – सूमाास्त से सूमोदम तक


यत्रववाय गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध
सोभवाय शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु
भॊगरवाय शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र
फुधवाय सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन
गुरुवाय चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा
शुक्रवाय भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र
शसनवाय फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध चॊद्र शसन गुरु भॊगर
होया भुहूता को कामा ससत्रद्ध के सरए ऩूणा परदामक एवॊ अचूक भाना जाता हं , फदन-यात के २४ घॊटं भं शुब-अशुब सभम
को सभम से ऩूवा ऻात कय अऩने कामा ससत्रद्ध के सरए प्रमोग कयना चाफहमे।

त्रवद्रानो के भत से इस्च्छत कामा ससत्रद्ध के सरए ग्रह से सॊफॊसधत होया का चुनाव कयने से त्रवशेष राब
प्राद्ऱ होता हं ।
 सूमा फक होया सयकायी कामो के सरमे उत्तभ होती हं ।
 चॊद्रभा फक होया सबी कामं के सरमे उत्तभ होती हं ।
 भॊगर फक होया कोटा -कचेयी के कामं के सरमे उत्तभ होती हं ।
 फुध फक होया त्रवद्या-फुत्रद्ध अथाात ऩढाई के सरमे उत्तभ होती हं ।
 गुरु फक होया धासभाक कामा एवॊ त्रववाह के सरमे उत्तभ होती हं ।
 शुक्र फक होया मािा के सरमे उत्तभ होती हं ।
 शसन फक होया धन-द्रव्म सॊफॊसधत कामा के सरमे उत्तभ होती हं ।
97 ससतम्फय 2012

ग्रह चरन ससतम्फय -2012


Day Sun Mon Ma Me Jup Ven Sat Rah Ket Ua Nep Plu
1 04:14:55 10:20:01 06:11:21 04:05:45 01:20:32 02:29:58 06:02:12 07:05:34 01:05:34 11:13:35 10:07:30 08:12:59

2 04:15:53 11:02:58 06:12:00 04:07:41 01:20:38 03:01:01 06:02:18 07:05:22 01:05:22 11:13:33 10:07:28 08:12:58

3 04:16:51 11:15:37 06:12:40 04:09:38 01:20:44 03:02:05 06:02:23 07:05:12 01:05:12 11:13:31 10:07:26 08:12:58

4 04:17:49 11:28:00 06:13:19 04:11:35 01:20:50 03:03:09 06:02:29 07:05:05 01:05:05 11:13:29 10:07:25 08:12:58

5 04:18:48 00:10:08 06:13:58 04:13:32 01:20:56 03:04:13 06:02:35 07:05:00 01:05:00 11:13:27 10:07:23 08:12:57

6 04:19:46 00:22:05 06:14:38 04:15:29 01:21:01 03:05:17 06:02:41 07:04:58 01:04:58 11:13:25 10:07:22 08:12:57

7 04:20:44 01:03:55 06:15:18 04:17:25 01:21:07 03:06:22 06:02:47 07:04:57 01:04:57 11:13:22 10:07:20 08:12:56

8 04:21:42 01:15:42 06:15:58 04:19:21 01:21:12 03:07:27 06:02:53 07:04:57 01:04:57 11:13:20 10:07:18 08:12:56

9 04:22:40 01:27:34 06:16:37 04:21:16 01:21:17 03:08:32 06:02:59 07:04:57 01:04:57 11:13:18 10:07:17 08:12:56

10 04:23:39 02:09:34 06:17:17 04:23:10 01:21:21 03:09:38 06:03:05 07:04:56 01:04:56 11:13:16 10:07:15 08:12:55

11 04:24:37 02:21:48 06:17:57 04:25:03 01:21:26 03:10:43 06:03:11 07:04:53 01:04:53 11:13:14 10:07:14 08:12:55

12 04:25:35 03:04:21 06:18:38 04:26:55 01:21:30 03:11:49 06:03:17 07:04:47 01:04:47 11:13:11 10:07:12 08:12:55

13 04:26:34 03:17:16 06:19:18 04:28:46 01:21:35 03:12:55 06:03:24 07:04:39 01:04:39 11:13:09 10:07:11 08:12:55

14 04:27:32 04:00:34 06:19:58 05:00:36 01:21:39 03:14:02 06:03:30 07:04:29 01:04:29 11:13:07 10:07:09 08:12:55

15 04:28:31 04:14:16 06:20:39 05:02:25 01:21:43 03:15:08 06:03:36 07:04:19 01:04:19 11:13:04 10:07:08 08:12:55

16 04:29:29 04:28:17 06:21:19 05:04:13 01:21:46 03:16:15 06:03:43 07:04:08 01:04:08 11:13:02 10:07:06 08:12:55

17 05:00:28 05:12:35 06:22:00 05:06:00 01:21:50 03:17:22 06:03:49 07:03:59 01:03:59 11:13:00 10:07:05 08:12:54

18 05:01:26 05:27:02 06:22:41 05:07:46 01:21:53 03:18:29 06:03:56 07:03:52 01:03:52 11:12:57 10:07:03 08:12:54

19 05:02:25 06:11:32 06:23:22 05:09:31 01:21:56 03:19:37 06:04:02 07:03:47 01:03:47 11:12:55 10:07:02 08:12:54

20 05:03:24 06:26:01 06:24:02 05:11:15 01:21:59 03:20:44 06:04:09 07:03:46 01:03:46 11:12:53 10:07:00 08:12:54

21 05:04:22 07:10:23 06:24:43 05:12:57 01:22:02 03:21:52 06:04:15 07:03:45 01:03:45 11:12:50 10:06:59 08:12:55

22 05:05:21 07:24:37 06:25:25 05:14:39 01:22:04 03:23:00 06:04:22 07:03:46 01:03:46 11:12:48 10:06:57 08:12:55

23 05:06:20 08:08:40 06:26:06 05:16:20 01:22:07 03:24:08 06:04:29 07:03:46 01:03:46 11:12:45 10:06:56 08:12:55

24 05:07:18 08:22:32 06:26:47 05:18:00 01:22:09 03:25:16 06:04:35 07:03:45 01:03:45 11:12:43 10:06:55 08:12:55

25 05:08:17 09:06:13 06:27:28 05:19:39 01:22:11 03:26:24 06:04:42 07:03:42 01:03:42 11:12:41 10:06:53 08:12:55

26 05:09:16 09:19:42 06:28:10 05:21:16 01:22:13 03:27:33 06:04:49 07:03:37 01:03:37 11:12:38 10:06:52 08:12:55

27 05:10:15 10:03:00 06:28:51 05:22:53 01:22:14 03:28:41 06:04:56 07:03:29 01:03:29 11:12:36 10:06:51 08:12:56

28 05:11:14 10:16:05 06:29:33 05:24:30 01:22:16 03:29:50 06:05:03 07:03:20 01:03:20 11:12:33 10:06:49 08:12:56

29 05:12:13 10:28:57 07:00:15 05:26:05 01:22:17 04:00:59 06:05:09 07:03:11 01:03:11 11:12:31 10:06:48 08:12:56

30 05:13:11 11:11:36 07:00:56 05:27:39 01:22:18 04:02:08 06:05:16 07:03:02 01:03:02 11:12:29 10:06:47 08:12:57
98 ससतम्फय 2012

सवा योगनाशक मॊि/कवच


भनुष्म अऩने जीवन के त्रवसबन्न सभम ऩय फकसी ना फकसी साध्म मा असाध्म योग से ग्रस्त होता हं । उसचत
उऩचाय से ज्मादातय साध्म योगो से तो भुत्रि सभर जाती हं , रेफकन कबी-कबी साध्म योग होकय बी असाध्म होजाते हं ,
मा कोइ असाध्म योग से ग्रससत होजाते हं । हजायो राखो रुऩमे खचा कयने ऩय बी असधक राब प्राद्ऱ नहीॊ हो ऩाता।
डॉक्टय द्राया फदजाने वारी दवाईमा अल्ऩ सभम के सरमे कायगय सात्रफत होती हं , एसी स्स्थती भं राब प्रासद्ऱ के सरमे
व्मत्रि एक डॉक्टय से दस
ू ये डॉक्टय के चक्कय रगाने को फाध्म हो जाता हं ।
बायतीम ऋषीमोने अऩने मोग साधना के प्रताऩ से योग शाॊसत हे तु त्रवसबन्न आमुवये औषधो के असतरयि मॊि,
भॊि एवॊ तॊि का उल्रेख अऩने ग्रॊथो भं कय भानव जीवन को राब प्रदान कयने का साथाक प्रमास हजायो वषा ऩूवा फकमा
था। फुत्रद्धजीवो के भत से जो व्मत्रि जीवनबय अऩनी फदनचमाा ऩय सनमभ, सॊमभ यख कय आहाय ग्रहण कयता हं , एसे
व्मत्रि को त्रवसबन्न योग से ग्रससत होने की सॊबावना कभ होती हं । रेफकन आज के फदरते मुग भं एसे व्मत्रि बी
बमॊकय योग से ग्रस्त होते फदख जाते हं । क्मोफक सभग्र सॊसाय कार के अधीन हं । एवॊ भृत्मु सनस्द्ळत हं स्जसे त्रवधाता के
अरावा औय कोई टार नहीॊ सकता, रेफकन योग होने फक स्स्थती भं व्मत्रि योग दयू कयने का प्रमास तो अवश्म कय
सकता हं । इस सरमे मॊि भॊि एवॊ तॊि के कुशर जानकाय से मोग्म भागादशान रेकय व्मत्रि योगो से भुत्रि ऩाने का मा
उसके प्रबावो को कभ कयने का प्रमास बी अवश्म कय सकता हं ।
ज्मोसतष त्रवद्या के कुशर जानकय बी कार ऩुरुषकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यहस्म को उजागय कय
सकते हं । ज्मोसतष शास्त्र के भाध्मभ से योग के भूरको ऩकडने भे सहमोग सभरता हं , जहा आधुसनक सचफकत्सा शास्त्र
अऺभ होजाता हं वहा ज्मोसतष शास्त्र द्राया योग के भूर(जि) को ऩकड कय उसका सनदान कयना राबदामक एवॊ
उऩामोगी ससद्ध होता हं ।
हय व्मत्रि भं रार यॊ गकी कोसशकाए ऩाइ जाती हं , स्जसका सनमभीत त्रवकास क्रभ फद्ध तयीके से होता यहता हं ।
जफ इन कोसशकाओ के क्रभ भं ऩरयवतान होता है मा त्रवखॊफडन होता हं तफ व्मत्रि के शयीय भं स्वास्थ्म सॊफॊधी त्रवकायो
उत्ऩन्न होते हं । एवॊ इन कोसशकाओ का सॊफॊध नव ग्रहो के साथ होता हं । स्जस्से योगो के होने के कायण व्मत्रि के
जन्भाॊग से दशा-भहादशा एवॊ ग्रहो फक गोचय स्स्थती से प्राद्ऱ होता हं ।
सवा योग सनवायण कवच एवॊ भहाभृत्मुॊजम मॊि के भाध्मभ से व्मत्रि के जन्भाॊग भं स्स्थत कभजोय एवॊ ऩीफडत
ग्रहो के अशुब प्रबाव को कभ कयने का कामा सयरता ऩूवक
ा फकमा जासकता हं । जेसे हय व्मत्रि को ब्रह्माॊड फक उजाा एवॊ
ऩृथ्वी का गुरुत्वाकषाण फर प्रबावीत कताा हं फठक उसी प्रकाय कवच एवॊ मॊि के भाध्मभ से ब्रह्माॊड फक उजाा के
सकायात्भक प्रबाव से व्मत्रि को सकायात्भक उजाा प्राद्ऱ होती हं स्जस्से योग के प्रबाव को कभ कय योग भुि कयने हे तु
सहामता सभरती हं ।
योग सनवायण हे तु भहाभृत्मुॊजम भॊि एवॊ मॊि का फडा भहत्व हं । स्जस्से फहन्द ू सॊस्कृ सत का प्राम् हय व्मत्रि
भहाभृत्मुॊजम भॊि से ऩरयसचत हं ।
99 ससतम्फय 2012

कवच के राब :
 एसा शास्त्रोि वचन हं स्जस घय भं भहाभृत्मुॊजम मॊि स्थात्रऩत होता हं वहा सनवास कताा हो नाना प्रकाय फक
आसध-व्मासध-उऩासध से यऺा होती हं ।
 ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा चैतन्म मुि सवा योग सनवायण कवच फकसी बी उम्र एवॊ जासत धभा के रोग चाहे स्त्री
हो मा ऩुरुष धायण कय सकते हं ।
 जन्भाॊगभं अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रहो फक प्रसतकूरता से योग उतऩन्न होते हं ।
 कुछ योग सॊक्रभण से होते हं एवॊ कुछ योग खान-ऩान फक असनमसभतता औय अशुद्धतासे उत्ऩन्न होते हं । कवच
एवॊ मॊि द्राया एसे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नद्श कय, स्वास्थ्म राब औय शायीरयक यऺण प्राद्ऱ कयने हे तु
सवा योगनाशक कवच एवॊ मॊि सवा उऩमोगी होता हं ।
 आज के बौसतकता वादी आधुसनक मुगभे अनेक एसे योग होते हं , स्जसका उऩचाय ओऩये शन औय दवासे बी कफठन
हो जाता हं । कुछ योग एसे होते हं स्जसे फताने भं रोग फहचफकचाते हं शयभ अनुबव कयते हं एसे योगो को योकने
हे तु एवॊ उसके उऩचाय हे तु सवा योगनाशक कवच एवॊ मॊि राबादासम ससद्ध होता हं ।
 प्रत्मेक व्मत्रि फक जेसे-जेसे आमु फढती हं वैसे-वसै उसके शयीय फक ऊजाा कभ होती जाती हं । स्जसके साथ अनेक
प्रकाय के त्रवकाय ऩैदा होने रगते हं एसी स्स्थती भं उऩचाय हे तु सवायोगनाशक कवच एवॊ मॊि परप्रद होता हं ।
 स्जस घय भं त्रऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक फह नऺिभे जन्भ रेते हं , तफ उसकी भाता के सरमे
असधक कद्शदामक स्स्थती होती हं । उऩचाय हे तु भहाभृत्मुॊजम मॊि परप्रद होता हं ।
 स्जस व्मत्रि का जन्भ ऩरयसध मोगभे होता हं उन्हे होने वारे भृत्मु तुल्म कद्श एवॊ होने वारे योग, सचॊता भं उऩचाय
हे तु सवा योगनाशक कवच एवॊ मॊि शुब परप्रद होता हं ।
नोट:- ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा चैतन्म मुि सवा योग सनवायण कवच एवॊ मॊि के फाये भं असधक जानकायी हे तु
सॊऩका कयं ।
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100 ससतम्फय 2012

भॊि ससद्ध कवच


भॊि ससद्ध कवच को त्रवशेष प्रमोजन भं उऩमोग के सरए औय शीघ्र प्रबाव शारी फनाने के सरए तेजस्वी भॊिो द्राया
शुब भहूता भं शुब फदन को तैमाय फकमे जाते हं . अरग-अरग कवच तैमाय कयने केसरए अरग-अरग तयह के
भॊिो का प्रमोग फकमा जाता हं .

 क्मं चुने भॊि ससद्ध कवच?


 उऩमोग भं आसान कोई प्रसतफन्ध नहीॊ
 कोई त्रवशेष सनसत-सनमभ नहीॊ
 कोई फुया प्रबाव नहीॊ
 कवच के फाये भं असधक जानकायी हे तु

भॊि ससद्ध कवच सूसच


सवा कामा ससत्रद्ध 4600/- ऋण भुत्रि 910/- त्रवघ्नन फाधा सनवायण 550/-
सवा जन वशीकयण 1450/- धन प्रासद्ऱ 820/- नज़य यऺा 550/-
अद्श रक्ष्भी 1250/- तॊि यऺा 730/- दब
ु ााग्म नाशक 460/-
सॊतान प्रासद्ऱ 1250/- शिु त्रवजम 730/- * वशीकयण (२-३ व्मत्रिके सरए) 1050/-
स्ऩे- व्माऩय वृत्रद्ध 1050/- त्रववाह फाधा सनवायण 730/- * ऩत्नी वशीकयण 640/-
कामा ससत्रद्ध 1050/- व्माऩय वृत्रद्ध 730/-- * ऩसत वशीकयण 640/-
आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ 1050/- सवा योग सनवायण 730/- सयस्वती (कऺा +10 के सरए) 550/-
नवग्रह शाॊसत 910/- भस्स्तष्क ऩृत्रद्श वधाक 640/- सयस्वती (कऺा 10 तकके सरए) 460/-
बूसभ राब 910/- काभना ऩूसता 640/- * वशीकयण ( 1 व्मत्रि के सरए) 640/-
काभ दे व 910/- त्रवयोध नाशक 640/- योजगाय प्रासद्ऱ 550/-
ऩदं उन्नसत 910/- योजगाय वृत्रद्ध 730/-
*कवच भाि शुब कामा मा उद्दे श्म के सरमे

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101 ससतम्फय 2012

YANTRA LIST EFFECTS


Our Splecial Yantra
1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -

Shastrokt Yantra

11 AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA Blessing of Durga


12 BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) Win over Enemies
13 BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) Blessing of Bagala Mukhi
14 BHAGYA VARDHAK YANTRA For Good Luck
15 BHAY NASHAK YANTRA For Fear Ending
16 CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) Blessing of Chamunda & Navgraha
17 CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA Blessing of Chhinnamasta
18 DARIDRA VINASHAK YANTRA For Poverty Ending
19 DHANDA POOJAN YANTRA For Good Wealth
20 DHANDA YAKSHANI YANTRA For Good Wealth
21 GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) Blessing of Lord Ganesh
22 GARBHA STAMBHAN YANTRA For Pregnancy Protection
23 GAYATRI BISHA YANTRA Blessing of Gayatri
24 HANUMAN YANTRA Blessing of Lord Hanuman
25 JWAR NIVARAN YANTRA For Fewer Ending
JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA
26 YANTRA
For Astrology & Spritual Knowlage
27 KALI YANTRA Blessing of Kali
28 KALPVRUKSHA YANTRA For Fullfill your all Ambition
29 KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga
30 KANAK DHARA YANTRA Blessing of Maha Lakshami
31 KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA -
32 KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in work
33  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in all work
34 KRISHNA BISHA YANTRA Blessing of Lord Krishna
35 KUBER YANTRA Blessing of Kuber (Good wealth)
36 LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA For Obstaele Of marriage
37 LAKSHAMI GANESH YANTRA Blessing of Lakshami & Ganesh
38 MAHA MRUTYUNJAY YANTRA For Good Health
39 MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA Blessing of Shiva
40 MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) For Fullfill your all Ambition
41 MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA For Marriage with choice able Girl
42 NAVDURGA YANTRA Blessing of Durga
102 ससतम्फय 2012

YANTRA LIST EFFECTS

43 NAVGRAHA SHANTI YANTRA For good effect of 9 Planets


44 NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA For good effect of 9 Planets
45  SURYA YANTRA Good effect of Sun
46  CHANDRA YANTRA Good effect of Moon
47  MANGAL YANTRA Good effect of Mars
48  BUDHA YANTRA Good effect of Mercury
49  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA) Good effect of Jyupiter
50  SUKRA YANTRA Good effect of Venus
51  SHANI YANTRA (COPER & STEEL) Good effect of Saturn
52  RAHU YANTRA Good effect of Rahu
53  KETU YANTRA Good effect of Ketu
54 PITRU DOSH NIVARAN YANTRA For Ancestor Fault Ending
55 PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA For Pregnancy Pain Ending
56 RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA For Benefits of State & Central Gov
57 RAM YANTRA Blessing of Ram
58 RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA Blessing of Riddhi-Siddhi
59 ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA For Disease- Pain- Poverty Ending
60 SANKAT MOCHAN YANTRA For Trouble Ending
61 SANTAN GOPAL YANTRA Blessing Lorg Krishana For child acquisition
62 SANTAN PRAPTI YANTRA For child acquisition
63 SARASWATI YANTRA Blessing of Sawaswati (For Study & Education)
64 SHIV YANTRA Blessing of Shiv
Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth &
65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Peace
66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth
67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Bad Dreams Ending
68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA For Vehicle Accident Ending
VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All
69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes
70 VASTU YANTRA For Bulding Defect Ending
71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA For Education- Fame- state Award Winning
72 VISHNU BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan)
73 VASI KARAN YANTRA Attraction For office Purpose
74  MOHINI VASI KARAN YANTRA Attraction For Female
75  PATI VASI KARAN YANTRA Attraction For Husband
76  PATNI VASI KARAN YANTRA Attraction For Wife
77  VIVAH VASHI KARAN YANTRA Attraction For Marriage Purpose
Yantra Available @:- Rs- 255, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..

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103 ससतम्फय 2012

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NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (ऩन्ना) 200.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (ऩुखयाज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीरभ) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (सफ़ेद ऩुखयाज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(फंकोक नीरभ) 100.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above
Ruby (भास्णक) 100.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (फभाा भास्णक) 5500.00 6400.00 8200.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नयभ भास्णक/रारडी) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (भोसत) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 यसत तक) (रार भूॊगा) 75.00 90.00 12.00 180.00 280.00 & above
Red Coral (4 यसत से उऩय)( रार भूॊगा) 120.00 150.00 190.00 280.00 550.00 & above
White Coral (सफ़ेद भूॊगा) 20.00 28.00 42.00 51.00 90.00 & above
Cat’s Eye (रहसुसनमा) 25.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Cat’s Eye Orissa (उफडसा रहसुसनमा) 460.00 640.00 1050.00 2800.00 5500.00 & above
Gomed (गोभेद) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Gomed CLN (ससरोनी गोभेद) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Zarakan (जयकन) 350.00 450.00 550.00 640.00 910.00 & above
Aquamarine (फेरुज) 210.00 320.00 410.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीरी) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise (फफ़योजा) 15.00 30.00 45.00 60.00 90.00 & above
Golden Topaz (सुनहरा) 15.00 30.00 45.00 60.00 90.00 & above
Real Topaz (उफडसा ऩुखयाज/टोऩज) 60.00 120.00 280.00 460.00 640.00 & above
Blue Topaz (नीरा टोऩज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
White Topaz (सफ़ेद टोऩज) 60.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे रा) 20.00 30.00 45.00 60.00 120.00 & above
Opal (उऩर) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Garnet (गायनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुभर ा ीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (सुमक
ा ान्त भस्ण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (कारा स्टाय) 15.00 30.00 45.00 60.00 100.00 & above
Green Onyx (ओनेक्स) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above
Real Onyx (ओनेक्स) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above
Lapis (राजवात) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above
Moon Stone (चन्द्रकान्त भस्ण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above
Rock Crystal (स्फ़फटक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना फफ़यॊ गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगय स्टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (भयगच) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (सन ससताया) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
50.00 100.00 200.00 370.00 460.00 & above
Diamond (हीया) (Per Cent ) (Per Cent ) (PerCent ) (Per Cent) (Per Cent )
(.05 to .20 Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
104 ससतम्फय 2012

BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION


We are mostly engaged in spreading the ancient knowledge of Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual
Science in the modern context, across the world.
Our research and experiments on the basic principals of various ancient sciences for the use of common man.
exhaustive guide lines exhibited in the original Sanskrit texts

BOOK APPOINTMENT PHONE/ CHAT CONSULTATION


Please book an appointment with Our expert Astrologers for an internet chart . We would require your birth
details and basic area of questions so that our expert can be ready and give you rapid replied. You can indicate the
area of question in the special comments box. In case you want more than one person reading, then please mention
in the special comment box . We shall confirm before we set the appointment. Please choose from :

PHONE/ CHAT CONSULTATION


Consultation 30 Min.: RS. 1250/-*
Consultation 45 Min.: RS. 1900/-*
Consultation 60 Min.: RS. 2500/-*
*While booking the appointment in Addvance

How Does it work Phone/Chat Consultation


This is a unique service of GURUATVA KARYALAY where we offer you the option of having a personalized
discussion with our expert astrologers. There is no limit on the number of question although time is of
consideration.
Once you request for the consultation, with a suggestion as to your convenient time we get back with a
confirmation whether the time is available for consultation or not.
 We send you a Phone Number at the designated time of the appointment
 We send you a Chat URL / ID to visit at the designated time of the appointment
 You would need to refer your Booking number before the chat is initiated
 Please remember it takes about 1-2 minutes before the chat process is initiated.
 Once the chat is initiated you can commence asking your questions and clarifications
 We recommend 25 minutes when you need to consult for one persona Only and usually the time is
sufficient for 3-5 questions depending on the timing questions that are put.
 For more than these questions or one birth charts we would recommend 60/45 minutes Phone/chat
is recommended
 Our expert is assisted by our technician and so chatting & typing is not a bottle neck

In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for
properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate.
All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T.
Many clients prefer the chat so that many questions that come up during a personal discussion can be
answered right away.
BOOKING FOR PHONE/ CHAT CONSULTATION PLEASE CONTECT

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105 ससतम्फय 2012

सूचना
 ऩत्रिका भं प्रकासशत सबी रेख ऩत्रिका के असधकायं के साथ ही आयस्ऺत हं ।

 रेख प्रकासशत होना का भतरफ मह कतई नहीॊ फक कामाारम मा सॊऩादक बी इन त्रवचायो से सहभत हं।

 नास्स्तक/ अत्रवद्वासु व्मत्रि भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हं ।

 ऩत्रिका भं प्रकासशत फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख महाॊ फकसी बी व्मत्रि त्रवशेष मा फकसी बी स्थान मा
घटना से कोई सॊफॊध नहीॊ हं ।

 प्रकासशत रेख ज्मोसतष, अॊक ज्मोसतष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मास्त्भक ऻान ऩय आधारयत होने के कायण
मफद फकसी के रेख, फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकसी के वास्तत्रवक जीवन से भेर होता हं तो मह भाि
एक सॊमोग हं ।

 प्रकासशत सबी रेख बायसतम आध्मास्त्भक शास्त्रं से प्रेरयत होकय सरमे जाते हं । इस कायण इन त्रवषमो फक
सत्मता अथवा प्राभास्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं ।

 अन्म रेखको द्राया प्रदान फकमे गमे रेख/प्रमोग फक प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक
फक नहीॊ हं । औय नाहीॊ रेखक के ऩते फठकाने के फाये भं जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी
प्रकाय से फाध्म हं ।

 ज्मोसतष, अॊक ज्मोसतष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मास्त्भक ऻान ऩय आधारयत रेखो भं ऩाठक का अऩना
त्रवद्वास होना आवश्मक हं । फकसी बी व्मत्रि त्रवशेष को फकसी बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवद्वास कयने ना कयने
का अॊसतभ सनणाम स्वमॊ का होगा।

 ऩाठक द्राया फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।

 हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे सबी रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय सरखे होते हं । हभ फकसी बी व्मत्रि
त्रवशेष द्राया प्रमोग फकमे जाने वारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी स्जन्भेदायी नफहॊ रेते हं ।

 मह स्जन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने वारे व्मत्रि फक स्वमॊ फक होगी। क्मोफक इन त्रवषमो भं नैसतक
भानदॊ डं , साभास्जक , कानूनी सनमभं के स्खराप कोई व्मत्रि मफद नीजी स्वाथा ऩूसता हे तु प्रमोग कताा हं अथवा
प्रमोग के कयने भे िुफट होने ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभ सॊबव हं ।

 हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे सबी भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग
ु ण ऩय प्रमोग फकमे हं
स्जस्से हभे हय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनस्द्ळत सपरता प्राद्ऱ हुई हं ।

 ऩाठकं फक भाॊग ऩय एक फह रेखका ऩून् प्रकाशन कयने का असधकाय यखता हं । ऩाठकं को एक रेख के ऩून्
प्रकाशन से राब प्राद्ऱ हो सकता हं ।

 असधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भं सॊऩका कय सकते हं ।

(सबी त्रववादो केसरमे केवर बुवनेद्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)


106 ससतम्फय 2012

FREE
E CIRCULAR
गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका ससतम्फय -2012
सॊऩादक

सचॊतन जोशी
सॊऩका
गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग

गुरुत्व कामाारम
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107 ससतम्फय 2012

हभाया उद्दे श्म


त्रप्रम आस्त्भम

फॊध/ु फफहन

जम गुरुदे व

जहाॉ आधुसनक त्रवऻान सभाद्ऱ हो जाता हं । वहाॊ आध्मास्त्भक ऻान प्रायॊ ब हो जाता हं , बौसतकता का आवयण ओढे व्मत्रि
जीवन भं हताशा औय सनयाशा भं फॊध जाता हं , औय उसे अऩने जीवन भं गसतशीर होने के सरए भागा प्राद्ऱ नहीॊ हो ऩाता क्मोफक
बावनाए फह बवसागय हं , स्जसभे भनुष्म की सपरता औय असपरता सनफहत हं । उसे ऩाने औय सभजने का साथाक प्रमास ही श्रेद्षकय
सपरता हं । सपरता को प्राद्ऱ कयना आऩ का बाग्म ही नहीॊ असधकाय हं । ईसी सरमे हभायी शुब काभना सदै व आऩ के साथ हं । आऩ
अऩने कामा-उद्दे श्म एवॊ अनुकूरता हे तु मॊि, ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न औय दर
ु ब
ा भॊि शत्रि से ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत सचज वस्तु का हभंशा
प्रमोग कये जो १००% परदामक हो। ईसी सरमे हभाया उद्दे श्म महीॊ हे की शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्ध
प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म मुि सबी प्रकाय के मन्ि- कवच एवॊ शुब परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहोचाने का हं ।

सूमा की फकयणे उस घय भं प्रवेश कयाऩाती हं ।


जीस घय के स्खिकी दयवाजे खुरे हं।

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108 ससतम्फय 2012

Sep
2012

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