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* य मनाते

हैनवरा ?
श उपासना का पव नवरा य मनाया जाता है
और माँगा क आराधना य क जाती है
; इसको ले
कर दो कथाएँ
च लत ह।

नवरा क थम कथा

एक कथा केअनुसार लं
का यु म ाजी नेीराम से
रावण-वध केलए चं डी दे
वी का पू
जन कर दे
वी को स करने को
कहा और व ध केअनु सार चं
डी पू
जन और हवन हेतुलभ 108 नीलकमल क व था भी करा द । वह सरी ओर रावण
ने
भी अमर व ा त करने केलए चं डी पाठ ारं
भ कर दया। यह बात पवन केमा यम से इ दे
व नेीराम तक प च
ँवा द ।

इधर रावण नेमायावी तरीक़े


सेपू
जा थल पर हवन साम ी म सेएक नीलकमल ग़ायब करा दया जससेीराम क पू जा
बा धत हो जाए। ीराम का सं
क प टू
टता नज़र आया। सभी म इस बात का भय ा त हो गया क कह माँगा कुपत न हो
जाएँ। तभी ीराम को याद आया क उ ह ..कमल-नयन नवकंज लोचन.. भी कहा जाता है
तो य न एक नेको वह माँक
पू
जा म सम पत कर द। ीराम ने जै
सेही तू
णीर से
अपने नेको नकालना चाहा तभी माँगा कट और कहा क वह
पू
जा सेस और उ ह नेवजय ी का आशीवाद दया।

सरी तरफ़ रावण क पू जा केसमय हनु म ान जी ा ण बालक का प धरकर वहाँ प चँगए और पू जा कर रहेा ण से
एक ोक ..जयादे वी..भू
तह रणी.. म ह रणी केथान पर क रणी उ चा रत करा दया। ह रणी का अथ होता है
भ क
पीड़ा हरनेवाली और क रणी का अथ होता है पीड़ा दे
ने
वाली। इससे
माँगा रावण सेनाराज़ हो ग और रावण को ाप दे
दया। रावण का सवनाश हो गया।
नवरा क तीय कथा

एक अ य कथा के अनुसार म हषासु


र को उसक उपासना से ख़ुश होकर दे
वता ने उसेअजेय होने
का वर दान कर दया
था। उस वरदान को पाकर म हषासुर ने
उसका पयोग करना शु कर दया और नरक को वग के ार तक व ता रत कर
दया। म हषासुर ने
सूय, च , इ , अ न, वायु
, यम, व ण और अ य दे
वत के भी अ धकार छ न लए और वगलोक का
मा लक बन बैठा।

दे
वता को म हषासु र के भय सेपृवी पर वचरण करना पड़ रहा था। तब म हषासु
र के साहस सेो धत होकर दे
वता
नेमाँगा क रचना क । म हषासुर का वध करने
केलए देवता ने अपने सभी अ -श माँगा को सम पत कर दए थे
जससे वह बलवान हो ग । नौ दन तक उनका म हषासु
र सेसंाम चला था और अ त म म हषासुर का वध करके
माँगा
म हषासुरम दनी कहला ।

वष म दो बार नवरा य?

नवरा साल म दो बार मनाया जानेवाला इकलौता उ सव है - एक नवरा गम क शुआत पर चैम और सरा शीत क
शुआत पर आ न माह म। गम और जाड़े के मौसम म सौर-ऊजा हम सबसे अ धक भा वत करती है । य क फसल
पकने, वषा जल केलए बादल सं घ नत होने
, ठं
ड से राहत दे
नेआ द जै
से जीवनोपयोगी काय इस दौरान सं
प होते ह।
इस लए प व श य क आराधना करने केलए यह समय सबसे अ छा माना जाता है
। कृत म बदलाव के कारण हमारे
तन-मन और म त क म भी बदलाव आते ह। इस लए शारी रक और मान सक सं तु
लन बनाए रखने केलए हम उपवास
रखकर श क पू जा करते ह। एक बार इसे स य और धम क जीत के प म मनाया जाता है , वह सरी बार इसेभगवान
ीराम केज मो सव के प म मनाया जाता है ।

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