You are on page 1of 2

जय गणेश, जय गणेश,

जय गणेश दे वा।
माता जाकी पाववती,
जय गणेश, जय गणे श, जय गणेश दे वा।
माता जाकी पाववती, पपता महादे वा॥

एक दन्त दयावंत,
चार भुजा धारी।
माथे पर पतलक सोहे ,
मुसे की सवारी॥

पान चढ़े फुल चढ़े ,


और चढ़े मेवा।
लडु वन का भोग लगे,
संत करे सेवा॥

जय गणेश, जय गणे श,
जय गणेश दे वा।
माता जाकी पाववती,
पपता महादे वा॥

2 .Aarti

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।


दोंपदल लाल पिराजे सुत गौररहरको॥शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।
दोंपदल लाल पिराजे सुत गौररहरको॥

हाथ पलए गुड-लड् डू सांई सुरवरको।


मपहमा कहे न जाय लागत हूँ पदको॥
जय दे व, जय दे व

जय जय जी गणराज पवद्या सुखदाता।


धन्य तुम्हारा दशवन मेरा मन रमता॥
जय दे व, जय दे वअष्टौ पसद्धि दासी संकटको िैरर।
पवघ्न पवनाशन मंगल मूरत अपधकारी॥

कोटी सूरज प्रकाश ऐसी छपि तेरी।


गंडस्थल-मदमस्तक झूले शपशपिहारी⁣॥
जय दे व, जय दे व
जय जय श्री गणराज पवद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारो दशवन मेरा मन रमता॥
जय दे व, जय दे व

भावभगत से कोई शरणागत आवे।


संतत संपत सि ही भरपूर पावे।

ऐसे तुम महाराज मोको अपत भावे।


गोसावी नंदन पनपशपदन गुन गावे॥
जय दे व, जय दे व

जय जय जी गणराज पवद्या सुखदाता।


हो स्वामी सुखदाता।
धन्य तुम्हारो दशवन मेरा मन रमता॥
जय दे व, जय दे व

You might also like