You are on page 1of 2

॥अथ तन्तत्रोक्तत रराततससक्तम म॥

तन्तत्रोक्तत रराततससक्तत –

त्वत स्वराहरा त्वत स्वधरा त्वत हह वषट्करारर स्वररातत्मकरा

ॐ ववशववेम शवररत
म जगदराततत तस्थततसतहरारकराररणतम म।
तनिदरात भगवततत ववष्णत्रोरततलरात तवेजसर प्रभतर॥१॥

ब्रह्मत्रोवराच

त्वत स्वराहरा त्वत स्वधरा त्वत हह वषट्करारर स्वररातत्मकरा।


सतधरा त्वमक्षरवे तनित्यवे ततधरा मरातरातत्मकरा तस्थतरा॥२॥

अधर्धमरातरातस्थतरा तनित्यरा यरानिच्


त चरायरार्ध ववशवेषतर।
त्वमवेव सन्ध्यरा सराववतत त्वत दवे वव जनिनित पररा॥३॥

त्वययैतदरायर्धतवे ववशवतम त्वययैतत्सज्


स यतवे जगत म।
त्वययैतत्पराल्यतवे दवे वव त्वमत्स्यन्तवे च सवर्धदरा॥४॥

ववसष्स टट सतस ष्टरुपरा त्वत तस्थततरूपरा च परालनिवे।


तथरा सतहृततरूपरान्तवे जगतत्रोऽस्य जगन्मयवे॥५॥

महराववद्यरा महरामरायरा महरामवेधरा महरास्मतस तर।


महरामत्रोहरा च भवतत महरादवे वत महरासतरर॥६॥

प्रकसततस्त्वत च सवर्धस्य गतणतयववभराववनित।


करालरराततमर्धहरारराततमर्मोहरराततशच
म दरारुणरा॥७॥

त्वत शतस्त्वमतशवरर
म त्वत हरस्त्वत बतवदबर्मोधलक्षणरा।
लज्जरा पततष्टस्तथरा तततष्टस्त्वत शरातन्तर क्षरातन्तरवे व च॥८॥

खड्गगनित शसललनित घत्रोररा गहदनित चकक्रिणत तथरा।


शङ्खखनित चरावपनित बराणभतशतण्डतपररघरायतधरा॥९॥
सटम्यरा सटम्यतरराशवेषसटम्यवेभ्यस्त्वततसतन्दरर।
पररापरराणरात परमरा त्वमवेव परमवेशवरर॥१०॥

यच्च ककतञचत म क्वगचद्वस्तत सदसद्वराखखलरातत्मकवे।
तस्य सवर्धस्य यरा शतक्तर सरा त्वत ककत स्तसयसवे तदरा॥११॥

ययरा त्वयरा जगत्स्रष्टरा जगत्परात्यतत्त यत्रो जगत म।


सत्रोऽवप तनिदरावशत निततर कस्त्वरात स्तत्रोततलमहवे शवरर॥१२॥

ववष्णरत शरररग्रहणमहमतशरानि एव च।
कराररतरास्तवे यतत्रोऽतस्त्वरात कर स्तत्रोतत शतक्तमरानि म भववेत म॥१३॥

सरा त्वलमत्थत प्रभरावयैर स्वयैरुदरारयै दरवव सतस्तततरा।


मत्रोहययैतट दरत राधषरार्धवसतरट मधतकयैटभट॥१४॥

प्रबत्रोधत च जगत्स्वरामत नितयतरामच्यततत्रो लघत।


बत्रोधशच
म कक्रियतरामस्य हन्ततमवेतट महरासतरट॥१५॥

इतत रराततससक्तम म

You might also like