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AparAjitA Stotram
अपराजजितास्तोत्रम्
श्रीत्रैलोक्यवविजिया अपराजजितास्तोत्रम् र
ॐ नमोऽपराजजितायै र
ॐ अस्या विैष्णाय पराया अजजिताया महाववििायाय
विामदे वि-बृहस्पवत-माररण्ेया ऋषयय र
गायतयर्युषष्गनरषरबबृहती छनदासि र
लक्ष्मीनृस ंहो दे विता र
ॐ क्ली श्री ीं ी बीजिम् र
हुस शिक्तिय र
रलरामनाि द्ध्यरर्थं अपराजजितववििामनत्रपा@े वविवनयोगय
ॐ नीलोतपलदलशयामास भरजिङाभर्ाानविताम् र
शरद्धस्फटटिर ङ् राशास चन्ररोटटिवनभाननाम् ॥ १॥
शङ् खचक्रास दे विी विैषणविीमपराजजिताम्
बालेनदुशेखरास दे विी विरदाभयदावयनीम् ॥ ॥॥
नमस्रृतय पपा@ै नास माररण्ेयो महातपाय ॥ T॥
माररण्ेय उविाच -
शृ्रषविस मरनयय विर् विररामाररि जद्धदाम् र
अि द्ध ा्नी दे विी विैष्विीमपराजजिताम् ॥ ॥ैष॥
ॐ नमो नाराय्ाय, नमो भगविते विा रदेविाय,
नमोऽस्तविननताय हसशीषारय्े, क्षीरोदा्रविशावयने,
शेषभोगपरयरङ्राय, गर्विाहनाय, अमोघाय
अजिाय अजजिताय पीतविा े,
ॐ विा रदेवि ङ् रषर् णिर्न, अवनरद्ध,
हयगीवि, मतस्य रू्मर, विाराह नृस ंह, अच्यरत,
विामन, वत्रवविकम, श्री्र राम राम राम र
विरद, विरद, विरदो भवि, नमोऽस्तर ते, नमोऽस्तरते, स्विाहा,
ॐ अ रर-दै तय-यक्ष-राक्ष -भूत-णेत-वपशाच-रूषमाण्-
ि द्ध-योवगनी-्ावरनी-शावरनी-स्रनदगहान्
उपगहानक्षत्रगहासांशानया हन हन पच पच
मर मर वविध्विस य वविध्विस य ववि्राविय ववि्राविय
चू्रय चू्रय शङ् खेन चके् विज्रे् शूलेन
गदया मर लेन हलेन भस्मीररर ररर स्विाहा र
ॐ हसबाहो हसणहर्ायर्,
जिय जिय, वविजिय वविजिय, अजजित, अममत,
अपराजजित, अणवतहत, हसनेत्र,
ज्विल ज्विल, णज्विल णज्विल,
वविश्वरूप बहुरूप, म्र ूदन, महाविराह,
महापररष, विैररण@, नाराय्,
पद्मनाभ, गोवविनद, दामोदर, हृषीरेश,
रेशवि, विार ररोत ादन, विरभूतविशङ् रर,
विरदुयस्विवप्णभेदन, विरयनत्रणभञन,
विरनागवविमदर न, विरदेविमहेश्वर,
विरबन्वविमोक्ष्, विारवहतणमदर न,
विरज्विरण्ाशन, विरगहवनविार्,
विरपापणशमन, जिनादर न, नमोऽस्तरते स्विाहा र
वविष्ोररयमनरणोक्तिा विररामफलणदा र
विर ौभाग्यजिननी विरभीवतवविनािशनी ॥ ५॥
विर्वैंांश पट@तास ि द्धै रविंष्ोय परमविभलभा र
नानया दशस वरङ् मचिरषानास नाशनस परम् ॥ ॥॥
ववििा रहस्या रिरता विैष्णेषापराजजिता र
प@नीया णशस्ता विा ाक्षात त्त्विगर्ाश्रया ॥ ७॥
ॐ शरक्ला्बर्रस वविष्रस शिशवि्र्थं चतरभरजिम् र
ण नविदनस ध्यायेत विरवविघ्नोपशानतये ॥ ८॥त॥
अरातय ्णविक्ष्यामम ह्यभयामपराजजिताम् र
या शिक्तिमारमरी वित रजिोगर्मयी मता ॥ ~॥
विर त्त्विमयी ाक्षात विरमनत्रमयी च या र
या स्मृता पूजजिता जिपता नयस्ता रमरम् योजजिता र
विररामदुघा वित शृ्रषविैतास बविीमम ते ॥ १म॥
य इमामपराजजितास परमविैष्विीमणवतहतास
प@वत ि द्धास स्मरवत ि द्धास महाववििास
जिपवत प@वत शृ्ोवत स्मरवत ्ारयवत रीतरयवत विा
न तस्यााग्नविायरविज्रोपलाशवनविषरभयस,
न मर्रभयस, न गहभयस, न चौरभयस,
न शत्ररभयस, न शापभयस विा भविेत् र
क्विमच्रातयन्रारस्त्रीराजिररलवविदिे वष-वविषगरगरदविशीरर्-
वविदिे षोच्चाटिनवि्बन्नभयस विा न भविेत् र
एतैमरनत्रैरदाहृतैय ि द्धै य सि द्धपूजजितैय र
ॐ नमोऽस्तरते र
अभये, अनघे, अजजिते, अममते, अमृते, अपरे,
अपराजजिते, प@वत, ि द्धे जियवत ि द्धे ,
स्मरवत ि द्धे , एरोनाशीवततमे, एरावरवन, वनांशेति ,
र्रम
ु े, रगन्े, एरानशे, उमे ध्ररविे, अरन्वत,
गायवत्र, ावविवत्र, जिातविेदि , मानस्तोरे, रस्विवत,
्रम्, ्ारम्, ौदामवन, अटदवत, टदवत, वविनते,
गौरर, गान्ारर, मातङी रृष्े, यशोदे , तयविाटदवन,
बह्मविाटदवन, रािल, रपािलवन, ररालनेत्रे, भ्रे , वन्रे ,
तयोपयाचनररर, स्रलगतस जिलगतस अनतररक्षगतस
विा मास रक्ष विरप्रविेदयय स्विाहा र
यस्याय ण्शयते परषपस गभर विा पतते यटद र
मम्रियते बालरो यस्याय रारविनध्या च या भविेत् ॥ ११॥
्ारयेिा इमास ववििामेतैदरषैनर िलपयते र
गरभं्ी जिीविवित ा स्यातपरवत्र्ी स्यान श स यय ॥ १॥॥
भूजिरपत्रे ातविमास ववििास िलखखखतविा गन्चनदनैय र
एतैदरषैनर िलपयेत रभगा परवत्र्ी भविेत् ॥ १T॥
र्े राजिररले िूते वनतयस तस्य जियो भविेत् र
शस्त्रस विारयते ह्येषा मरे राण्दार्े ॥ १॥ैष॥
गरभमशूलामक्षरोगा्ास मक्षणस नाशयवत च णराम् ॥
िशरोरोगज्विरा्ास न नािशनी विरदेवहनाम् ॥ १५॥
इतयेषा रिरता ववििा अभया्याऽपराजजिता र
एतस्याय स्मृवतमात्रे् भयस क्विावप न जिायते ॥ १॥॥
नोप गार न रोगाांश न यो्ा नावप तस्रराय र
न राजिानो न पारांश न दिे षारो न शत्रविय ॥१७॥
यक्षराक्ष विेताला न शावरनयो न च गहाय र
अग्नेभरयस न विाताच्च न स्मर्रान विै वविषात् ॥ १८॥त॥
रामर्स विा शत्रररृतस विशीरर्मेवि च र
उच्चाटिनस स्त्भनस च वविदिे ष्मरावप विा ॥ १~॥
न वर्युषञचतणभविेत्तत्र यत्रैषा वितरतेऽभया र
प@े द् विा यटद विा मचत्रे परस्तरे विा मरखेऽरविा ॥ ॥म॥
हृटद विा दिारदे शे विा वितरते ह्यभयय परमान् र
हृदये वविनय ेदेतास ध्यायेयेविी चतरभरजिाम् ॥ ॥१॥
रक्तिमाभया्बर्रास पद्मराग मणभाम् र
पाशाङ् ररशाभयविरैरलङ् रृत रवविगहाम् ॥ ॥॥॥
ा्रेदयय णयच्छनती मनत्रवि्ारमृतानयवप र
नातय परतरस वर्युषञचदिशीरर्मनरत्तमम् ॥ ॥T॥
रक्ष्स पाविनस चावप नात्र रायार वविचार्ा र
णातय ररमाररराय पूज्याय खािैराभर्ैरवप र
तटददस विाचनीयस स्यात्ततणीतया णीयते तर माम् ॥ ॥॥ैष॥
ॐ अरातय ्णविक्ष्यामम ववििामवप महाबलाम् र
विरदुषणशमनी विरशत्ररक्षयङ् ररीम् ॥ ॥५॥
दारर्र्यदुयखशमनी दौभारग्यणाम्नािशनीम् र
भूतणेतवपशाचानास यक्षगन्विररक्ष ाम् ॥ ॥॥॥
्ावरनी शावरनी-स्रनद-रूषमाण्ानास च नािशनीम् र
महारौद्रं महाशसक्तिं िय णतययरारर्ीम् ॥ ॥७॥
गोपनीयस णयतनेन विरस्विस पाविरतीपतेय र
तामहस ते णविक्ष्यामम ावि्ानमनाय शृ्र ॥ ॥८॥त॥
एराखखनहरस द्णखखनहरस च चातर्रंराद्धर माि रम् र
दिै माि रस त्रैमाि रस तरा चातरमारि रम् ॥ ॥~॥
पाञचमाि रस षाङ्ाि रस विावतर पैित्तरज्विरम् र
श्लैषषपरस ावत्रपावतरस तरैवि ततज्विरम् ॥ Tम॥
मौहूरतंरस पैित्तरस शीतज्विरस वविषमज्विरम् र
द्णवहनरस तयमहहरस चैवि ज्विरमेरामहहरस तरा र
मक्षणस नाशयेते वनतयस स्मर्ादपराजजिता ॥ T१॥
ॐ हस हन हन, रािल शर शर, गौरर ्म्,
्म्, ववििे आले ताले माले गन्े बन्े पच पच
ववििे नाशय नाशय पापस हर हर ह स ारय विा
दुयखस्विवप्वविनािशवन रमल्युषस्रते वविनायरमातय
रजिवन नध्ये, दुनदुमभनादे , मान विेगे, शङ् खखखवन,
चवकम् गटदवन विजज्रम् शूिलवन अपमृतयरवविनािशवन
वविश्वेश्वरर ्रवविम् ्रावविम् ्रवविम् ्रावविम्
रेशविदवयते पशरपवत वहते दुनदुमभदमवन दु्मरददमवन र
शबरर वररावत मातमङ ॐ ्रस ्रस ज्रस ज्रस कस
कस तरर तरर ॐ ्रस ररर ररर र
ये मास वदिषानत णतयक्षस परोक्षस विा तान् विारन्
दम दम मदर य मदर य तापय तापय गोपय गोपय
पातय पातय शोषय शोषय उत ादय उत ादय
बह्माम् विैष्ववि माहेश्वरर रौमारर विारावह नारस ंवह
ऐजन्र चामरण्े महाल्युषक्ष्म विैनावयवर नपेजन्र
आग्नेवय च्युषण् नैरृवत विायणे ौ्ये ऐशावन
ऊध्विरम्ोरक्ष णचण्ववििे इन्रोपेन्रभवगवन र
ॐ नमो दे ववि जिये वविजिये शाानत स्विसस्त-तरवष परवष- वविविरद्धंवन र
रामाङ् ररशे रामदुघे विररामविरणदे र
विरभूतेषर मास वणयस ररर ररर स्विाहा र
आरषरम् आविेशवन-, ज्विालामािलवन-, रमम् रामम्,
्रम् ्ाररम्, तपवन तावपवन, मदवन माटदवन, शोषम् ्मोवहवन र
नीलपतारे महानीले महागौरर महामश्रये र
महाचाजन्र महा ौरर महामायूरर आटदतयर्युषशम जिाहहववि र
यमघणटिे वरम् वरम् मचनतामम् र
ग
र न्े ररभे ररा ररोतपने विररामदुघे र
यिरा मनीवषतस रायर्थं तनमम ि द्ध्यतर स्विाहा र
ॐ स्विाहा रॐ भूय स्विाहा रॐ भरविय स्विाहा रॐ स्विय स्विहा रॐ महय स्विहा रॐ जिनय स्विहा रॐ तपय स्विाहा र
ॐ तयस स्विाहा रॐ भूभरविय स्विय स्विाहा र
यत एविागतस पापस तत्रैवि णवतगच्छतर स्विाहेतयोम् र
अमोघैषा महाववििा विैष्विी चापराजजिता ॥ T॥॥
स्वियस वविष्रण्ीता च ि द्धे यस पा@तय दा र
एषा महाबला नाम रिरता तेऽपराजजिता ॥ TT॥
नानया दशी रक्षार वत्रषर लोरेषर ववििते र
तमोगर्मयी ाक्ष्रौ्री शिक्तिररयस मता ॥ T॥ैष॥
रृतानतोऽवप यतो भीतय पादमूले णवि्युषस्रतय र
मूला्ारे नय ेदेतास रात्राविेनस च सस्मरेत् ॥ T५॥
नीलजिीमूत ङ् राशास तम्तरवपलरेिशराम् र
उिदाटदतय ङ् राशास नेत्रत्रयवविराजजिताम् ॥ T॥॥
शसक्तिं वत्रशूलस शङ् खस च पानपात्रस च वविरतीम् र
णाघ्रचमरपरी्ानास वरङ् वर्ीजिालम्युषण्ताम् ॥ T७॥
्ाविनती गगनस्यानतय पादुरावहतपादराम् र
दस षाररालविदनास णालररण्लभूवषताम् ॥ T८॥त॥
णात्तविक्त्रास लल्युषज्जिवांास भृररटिीररटटिलालराम् र
स्विभक्तिदिे वष्ास रक्तिस वपबनती पानपात्रतय ॥ T~॥
पत्ातून् शोषयनती कूरदष्ा वविलोरनात् र
वत्रशूलेन च त्युषज्जिवांास रीलयनती मरहुमररहुय ॥ ॥ैषम॥
पाशेन बद्ध्विा तस ा्मानविनती तदानतरे र
अद्धर रात्रस्य मये दे विी ्ायेनमहाबलाम् ॥ ॥ैष१॥
यस्य यस्य विदे नाम जिपेनमनत्रस वनशानतरे र
तस्य तस्य तराविस्रास रररते ावप योवगनी ॥ ॥ैष॥॥
ॐ बले महाबले अि द्ध ा्नी स्विाहेवत र
अमोघास प@वत ि द्धास श्रीविैष्विीम् ॥ ॥ैषT॥
श्रीमदपराजजिताववििास ध्यायेत् र
दुयस्विवप्े दुराररषे च दुरनंममत्ते तरैवि च र
णविहारे भेविेसत जद्धय प@े वदिघ्नोपशानतये ॥ ॥ैष॥ैष॥
यदत्र पा@े जिगदष्बरे मया
ववि गरवबनदिऽक्षरहीनमीम्तम् र
तदस्तर ्पू्रतमस णयानतर मे
ङ् रभपि जद्धस्तर दै वि जिायताम् ॥ ॥ैष५॥
तवि तत्त्विस न जिानामम रीदशाि महेश्वरर र
यादशाि महादे विी तादशायै नमो नमय ॥ ॥ैष॥॥
अपराजजिता स्त्रोत
ससिद्धकुञञ्कास्तोत्रम्ि
िशवि उविाच
शृ्र दे ववि णविक्ष्यामम, रर्युषञरास्तोत्रमरत्तमम्र
येन मनत्रणभाविे् चण्ीजिापय शरभो भविेत॥१॥
न रविचस नागरलास्तोत्रस रीलरस न रहस्यरम्र
न क्ति ू स नावप ध्यानस च न नया ो न च विाचरनम्॥॥॥
रर्युषञरापा@मात्रे् दुगारपा@फलस लभेत्र
अवत गरह्यतरस दे ववि दे विानामवप दुलरभम्॥T॥
गोपनीयस णयतनेन स्वियोवनररवि पाविरवतर
मार्स मोहनस विशयस स्त्भनोच्चाटिनाटदरम्र
पा@मात्रे् सि द्ध्येत् रर्युषञरास्तोत्रमरत्तमम्॥॥ैष॥
अर मनत्रय॥
ॐ ऐ ीं ी क्ली चामरण्ायै वविच्चे॥
ॐ ग्लौ हुस क्ली जिूस य ज्विालय ज्विालय ज्विल ज्विल णज्विल णज्विल
ऐ ीं ी क्ली चामरण्ायै वविच्चे ज्विल हस स लस क्षस फटि् स्विाहा॥
इवत मनत्रय॥
नमस्ते रू्ररूवपणयै नमस्ते म्रमरदंवनर
नमय रैटिभहाररणयै नमस्ते मवहषारदंवन॥१॥
नमस्ते शर्भहनतयै च वनशर्भा ररघावतवनर
जिागतस वह महादे ववि जिपस ि द्धस रररूषवि मे॥॥॥
ऐरारी ृवषरूपायै ीं ीरारी णवतपािलरार
क्लीरारी रामरूवपणयै बीजिरूपे नमोऽस्तर ते॥T॥
चामरण्ा चण्घाती च यैरारी विरदावयनीर
वविच्चे चाभयदा वनतयस नमस्ते मनत्ररूवपम्॥॥ैष॥
्ास ्ी ्ूस ्ूजिरटिेय पतनी विास विी विूस विाग्ीशविरीर
कास की कूस रािलरा दे ववि शास शी शूस मे शरभस ररर॥५॥
हुस हुस हुसराररूवपणयै जिस जिस जिस जि्भनाटदनीर
रास री रूस भैरविी भ्रे भविानयै ते नमो नमय॥॥॥
अस रस चस टिस तस पस यस शस विी दुस ऐ विी हस क्षसर
म्जिागस म्जिागस त्रोटिय त्रोटिय दीपतस ररर ररर स्विाहा॥७॥
पास पी पूस पाविरती पू्ार खास खी खूस खेचरी तरार
ास ी ूस पतशती दे णा मनत्रि ्द्धं रररषवि मे॥८॥त॥
इदस तर रर्युषञरास्तोत्रस मनत्रजिागरतंहेतविेर
अभक्तिे नैवि दातणस गोवपतस रक्ष पाविरवत॥
यस्तर रर्युषञराया दे ववि हीनास पतशती प@े त्र
न तस्य जिायते ि जद्धररणये रोदनस यरा॥
इवत श्रीर्रयामले गौरीतनत्रे िशविपाविरती सविादे रर्युषञरास्तोत्रस ्पू्रम्र
ॐ तत त्॥
दुरार्गा चालीसिा
नमो नमो दुगर् रख ररनीर नमो नमो दुगर् दुयख हरनी॥
वनरसरार है ज्योवत तर्हारीर वतहूस लोर फैली उजजियारी॥
शिश ललाटि मरख महावविशालार नेत्र लाल भृररटटि वविरराला॥
रूप मातर रो अम्र रहाविेर दरश ररत जिन अवत रख पाविे॥
तरम स ार शिक्ति लै रीनारपालन हेतर अन ्न दीना॥
अनपू्ार हुई जिग पालारतरम ही आटद रनदरी बाला॥
णलयराल ब नाशन हारीरतरम गौरी िशविशसरर पयारी॥
िशवि योगी तर्हरे गर् गाविंरबह्मा वविष्र तर्हं वनत ध्याविं॥
रूप रस्विती रो तरम ्ारारदे रबरजद्ध ऋवष मरवनन उबारा॥
्रयो रूप नरस ंह रो अ्बारपरगटि भई फाड़रर ख्बा॥
रक्षा ररर णरहाद बचायोरवहरणयाक्ष रो स्विगर प@ायो॥
लक्ष्मी रूप ्रो जिग माहीरश्री नाराय् असग माही॥
क्षीरि न्र मं ररत वविला ारदयाि न्र दीजिै मन आ ा॥
हहंगलाजि मं तर्ही भविानीरमवहमा अममत न जिात बखानी॥
मातसगी अर ्ूमाविवत मातारभरविनेश्वरी बगला रख दाता॥
श्री भैरवि तारा जिग तारर्ीरमछन भाल भवि दुयख वनविारर्ी॥
रेहरर विाहन ोह भविानीरलासगरर विीर चलत अगविानी॥
रर मं खपपर ख्् ग वविराजिैरजिारो दे ख राल ्र भाजिै॥
ोहै अस्त्र नर वत्रशूलारजिाते उ@त शत्रर वहय शूला॥
नगररोटि मं तर्ही वविराजितरवतहुसलोर मं ्सरा बाजित॥
शरसभ वनशरसभ दानवि तरम मारेररक्तिबीजि शसखन ह स ारे॥
मवहषा रर नृप अवत अमभमानीरजिेवह अघ भार मही अररलानी॥
रूप रराल रािलरा ्ारार ेन वहत तरम वतवह सहारा॥
परी गाढ़ सतन पर जिब जिबरभई हाय मातर तरम तब तब॥
अमरपररी अर बा वि लोरारतब मवहमा ब रहं अशोरा॥
ज्विाला मं है ज्योवत तर्हारीरतर्हं दा पूजिं नर-नारी॥
णेम भिक्ति े जिो यश गाविंरदुयख दारर्र वनरटि नहहं आविं॥
ध्याविे तर्हं जिो नर मन लाईरजिनम-मर् तारौ छर टटि जिाई॥
जिोगी रर मरवन रहत पररारीरयोग न हो वबन शिक्ति तर्हारी॥
शसरर आचारजि तप रीनोरराम अर को् जिीवत ब लीनो॥
वनिशटदन ध्यान ्रो शसरर रोरराहु राल नहहं रममरो तरमरो॥
शिक्ति रूप रा मरम न पायोरशिक्ति गई तब मन पमछतायो॥
शर्ागत हुई रीरतं बखानीरजिय जिय जिय जिगद्ब भविानी॥
भई ण न आटद जिगद्बारदई शिक्ति नहहं रीन वविल्बा॥
मोरो मातर रष अवत घेरोरतरम वबन रौन हरै दुयख मेरो॥
आशा तृष्ा वनपटि ताविंरररपू मररख मौही ्रपाविे॥
शत्रर नाश रीजिै महारानीर रममरौ इरमचत तर्हं भविानी॥
ररो रृपा हे मातर दयालारऋजद्ध-ि जद्ध दै ररहु वनहालार
जिब लवग जजिऊस दया फल पाऊस रतर्हरो यश मै दा रनाऊस ॥
दुगार चाली ा जिो रोई गाविैर ब रख भोग परमपद पाविै॥
दे विीदा शर् वनजि जिानीरररहु रृपा जिगद्ब भविानी॥