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श्रीः

श्रीमते रामानुजाय नमः


श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः

श्रीम गमा महादे शकैः अनुगृहीतम्

Á Á श्री महावीरवैभवम् Á Á
( श्री रघुवीरग म् )

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श्री र रामानुज महादे शकन्


His Holiness śrīmad āṇḍavan śrīraṅgam
श्रीः
श्रीमते रामानुजाय नमः
श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः

Á Á श्री महावीरवैभवम् Á Á
( श्री रघुवीरग म् )

श्रीमान् वे टनाथायर्ः क वता कककेसर Á


वेदा ाचायर्वय मे स ध ां सदा हृ द ÁÁ
जय ा श्रतस ास ा व ं नोदयः Á

प्रभावान् सीतया दे ा परम ोमभा रः ÁÁ

बालकाण्डम्
जय जय महावीर !

महाधीर धौरे य !

देवासुर समर समय समु दत न खल नजर्र नध िरत नरव धक


माहा !

दशवदन द मत दैवत पिरषद थर्त दाशर थ भाव !

दनकर कुल कमल दवाकर !

द वषद धप त रण सहचरण चतुर दशरथ चरमऋण वमोचन !

कोसल सुता कुमार भाव क ु कत कारणाकार !

कौमार के ळ गोपा यत कौ शका र!

रणा र धुयर् भ द ा बृ व त!
श्रीदे शक ोत्रा ण श्री महावीरवैभवम्

प्रणत जन वमत वमथन दुलर् ळत दोलर् ळत !

तनुतर व शख वताडन वघ टत वशरारु शरारु ताटका ताटकेय !

जड करण शकलधर ज टल नटप त मकुट तट नटनपटु


वबुधसिरद तबहुळ मधुगळन ल लतपद न ळनरज उपमृ दत
नजवृ जन जहदुपल तनुरु चर परम मु नवर युव त नुत !

कु शक सुत क थत व दत नव व वध कथ !

मै थल नगर सुलोचना लोचन चकोर च !

ख परशु कोद प्रका ख न शौ भुजद !

च कर करण म ल बो धत पु र क वन रु च लु ाक लोचन !

मो चत जनक हृदय श ात !

पिरहृत न खल नरप त वरण जनक दु हतृ कुचतट वहरण समु चत


करतल !

शतको ट शतगुण क ठन परशुधर मु नवर करधृत दुरवनमतम नज


धनुराकषर्ण प्रका शत पारमे !

क्रतुहर शखिर क ुक वहृ ु ुख जगदरु ुद जतहिर द द


द ुर दशवदन दमन कुशल दशशतभुज मुख नृप तकुल रु धर झर
भिरत पृथुतर तटाक त पर्त पतृक भृगुप त सुग त वह तकर नत
परु डषु पिरघ !

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श्रीदे शक ोत्रा ण श्री महावीरवैभवम्

अयोध्याकाण्डम्
अनृत भय मु षत हृदय पतृ वचन पालन प्र तज्ञावज्ञात यौवरा !

नषाद राज सौहृद सू चत सौशी सागर !

भर ाज शासन पिरगृहीत व चत्र चत्रकूट गिर कटक तट र ावसथ !

अन शासनीय !

प्रणत भरत मकुटतट सुघ टत पादुका ा भषेक नवर् तर्त सवर् लोक
योग क्षेम !

प शत रु च व हत दुिरत वलमथन तनय ब लभुगनुग त सरभस शयन


तृण शकल पिरपतन भय च कत सकल सुर मु नवर बहुमत महा
साम र् !

द्रु हण हर वलमथन दुरारक्ष शरलक्ष !

आरण्यकाण्डम्
द का तपोवन ज म पािरजात !

वराध हिरण शादूर्ल !

वलु ळत बहुफल मख कलम रज नचर मृग मृगयार स ृत


चीरभृदनुरोध !

त्र शरः शर तय त मर नरास वासरकर !

दूषण जल न ध शोषण तो षत ऋ षगण


घो षत वजय घोषण !

खरतर खर तरु ख नच पवन !

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श्रीदे शक ोत्रा ण श्री महावीरवैभवम्

स रक्षःसहस्र नळवन वलोलन महाकलभ !

असहाय शूर !

अनपाय साहस !

म हत महामृथ दशर्न मु दत मै थल दृढतर पिरर ण वभव वरो पत


वकट वीरव्रण !

मार च माया मृग चमर् पिरक मर्त नभर्र दभ रण !

वक्रम यशो लाभ वक्र त जी वत गृध्रराज देह दधक्षा ल क्षत भ जन


दा क्ष !

क त वबुधभाव कब ा भन त!

अव म हम मु नजन भजन मु षत हृदय कलुष शबर मोक्ष सा क्षभूत !

िकिष्कन्धाकाण्डम्
प्रभ न तनय भावुक भा षत र त हृदय !

तर णसुत शरणाग त परत ीकृत ात !

दृढघ टत कैलास को ट वकट दु ु भ क ाळ कूट दूर वक्षेप दक्ष


द क्षणेतर पादाङ्गु दरचलन व सुहृदाशय !

अ तपृथुल बहु वट प गिर धर ण ववर युगपदुदय ववृत चत्रपु


वै च !

वपुल भुज शैलमूल न बड नपी डत रावण रणरणक जनक चतुरुद ध


वहरण चतुर क पकुलप त हृदय वशाल शलातल दारण दारुण
शल मुख !

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श्रीदे शक ोत्रा ण श्री महावीरवैभवम्

सुन्दरकाण्डम्
अपार पारावार पिरखा पिरवृत परपुर पिरसृत दव दहन जवन पवनभव
क पवर पिर भा वत सवर् दान !

युद्धकाण्डम्
अ हत सहोदर रक्षः पिरग्रह वसंवा द व वध स चव वस्र ण समय
संर समुज्जृ त सव र भाव !

सकृत् प्रप जन संरक्षण दी क्षत !

वीर !

स व्रत !

प्र तशयन भू मका भू षत पयो ध पु ळन !

प्रळय श ख परुष व शख शखा शो षताकूपार वािरपूर !

प्रबल िरपु कलह कुतुक चटुल क पकुल करतल तू लत हृत गिर नकर
सा धत सेतुपथ सीमा सीम त समुद्र !

द्रत
ु ग त तरुमृग वरू थनी नरु ल ावरोध वेपथु ला ल लोपदेश
दे शक धनु घोष !

गगन चर कनक गिर गिरम धर नगममय नज गरुड गरुद नल लव


ग ळत वष वदन शर कदन !

अकृतचर वनचर रणकरण वैल कू णताक्ष बहु वध रक्षो बला क्ष


वक्षः कवाट पाटन प टम साटोप कोपावले प !

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श्रीदे शक ोत्रा ण श्री महावीरवैभवम्

कटुरटदट न टङ्कृ त चटुल कठोर कामुर्ख व नगर्त वश ट व शख


वताडन वघ टत मकुट व ल वश्रव नय वश्रम समय वश्राणन
व ात वक्रम !

कु कणर् कुल गिर वदळन द ो ळ भूत नःश क पत्र !

अ भचरण हुतवह पिरचरण वघटन सरभस पिरपतदपिर मत क पबल


जल ध लहिर कलकलरव कु पत मघव ज द भहननकृदनुज सा क्षक
राक्षस यु !

अप्र त पौरुष !

क सम धक घोरा ाड र !

सार थ हृत रथ सत्रप शात्रव स ा पत प्रताप !

शत शर कृत लवन दशमुख मुख दशक नपतन पुनरुदय दर ग ळत


ज नत दर तरळ हिरहय नयन न ळनवन रु च ख चत खतल नप तत
सुरतरु कुसुम वत त सुर भत रथ पथ !

अ खल जगद धक भुज बल वर बल दश लपन लपन दशक लवन


ज नत कदन परवश रज नचर युव त वलपन वचन सम वषय नगम
शखर नकर मुखर मुख मु न वर पिरप णत !

अ भगत शतमख हुतवह पतृप त नऋ त वरुण पवन धनद गिरश मुख


सुरप त नु त मु दत !

अ मत म त व ध व दत क थत नज वभव जल ध पृषत लव !

वगत भय वबुध पिरबृढ वबो धत वीरशयन शा यत वानर पृतनौघ !

समय वघ टत सुघ टत सहृदय सहधमर् चािरणीक !

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श्रीदे शक ोत्रा ण श्री महावीरवैभवम्

वभीषण वशंवदीकृत ल ै यर् !

न कृ !

ख पु त िरपु पक्ष !

पु क रभस ग त गो दीकृत गगनाणर्व !

प्र तज्ञाणर्व तरण कृत क्षण भरत मनोरथ सं हत संहासना धरूढ !

ा मन् !

राघव संह !

उत्तरकाण्डम्
हाटक गिर कटक लडह पाद पीठ नकट तट पिरलु ठत न खल नृप त
कर ट को ट व वध म ण गण करण नकर नीरा जत चरण राजीव !

द भौमायो ा धदैवत !

पतृ वध कु पत परशु धर मु न व हत नृप हनन कदन पूवर् काल प्रभव


शत गुण प्र त ा पत धा मर्क राजवंश !

शुभ चिरत रत भरत ख वर्त गवर् ग वर् यूथ गीत वजय गाथा शत !

शा सत मधुसुत शत्रु से वत !

कुश लव पिरगृहीत कुल गाथा वशेष !

व धवश पिरणमदमर भ ण त क ववर र चत नज चिरत नब न


नशमन नवृर्त !

सवर् जन स ा नत !

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श्रीदे शक ोत्रा ण श्री महावीरवैभवम्

पुनरुप ा पत वमान वर वश्राणन प्री णत वैश्रवण वश्रा वत यशःप्रप !

प ताप मु नकुमार स ीवनामृत !

त्रेतायुग प्रव तर्त कातर्युग वृ ा !

अ वकल बहुसुवणर् हयमख सहस्र नवर्हण नवर् तर्त नज वण श्रमधमर् !

सवर् कमर् समारा !

सनातन धमर् !

साकेत जनपद ज न ध नक ज म त दतर ज ु जात द ग त दान


द शर्त न नःसीम वैभव !

भव तपन ता पत भ जन भद्राराम !

श्रीरामभद्र !

नम े पुन े नमः !

चतुमुर्खे रमुखैः पुत्रपौत्रा दशा लने Á


नमः सीतासमेताय रामाय गृहमे धने ÁÁ
क वकथक संहक थतं कठोरसुकुमारगु ग ीरम् Á
भवभयभेषजमेतत् पठत महावीरवैभवं सु धयः Á Á
ÁÁ इ त श्री महावीरवैभवं समा म् ÁÁ
क वता कक संहाय क ाणगुणशा लने Á
श्रीमते वे टेशाय वेदा गुरवे नमः Á Á

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