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* कण से

जुडी कु
छ रोचक बात
कण केपता सूय और माता कुं
ती थी, पर चु
क उनका पालन एक रथ चलानेवाले
नेकया था, इस लए वो सू
तपुकहलाएं
और इसी कारण उ ह वो स मान नह मला, जसके वो अ धकारी थे
। इस ले
ख म आज हम महारथी कण से स बं
धत कु

रोचक बात जानगे

य नह चु
ना ौपद ने
कण को अपना प त?

कण ोपद को पसंद करता था और उसे


अपनी प नी बनाना चाहता था साथ ही ौपद भी कण से ब त भा वत थी और
उसक त वीर दे
खतेही यह नणय कर चु
क थी क वह वयं वर म उसी के गलेम वरमाला डाले
गी। ले
कन फर भी उसने
ऐसा नह कया।

ोपद और कण, दोन एक- सरे सेववाह करना चाहते


थेले
कन सूतपुहोनेक वजह से
यह ववाह नह हो पाया। नय त
नेइन दोन का ववाह नह होनेदया, जसके
प रणाम व प कण, पां
डव सेनफरत करने
लगा।

ोपद ने
कण केववाह ताव को ठु करा दया य क उसेअपने प रवार केस मान को बचाना था। या आप जानते
है
ौपद केववाह ताव को ठु
करा दे
नेकेबाद कण ने
दो ववाह कए थे। च लए आपको बताते ह कन हालात म कससे
कण नेववाह कया था।

कण नेकए थे
दो ववाह

अ ववा हत रहतेए कु

ती ने
कण को ज म दया था। समाज के लां
छन से बचने
केलए उसनेकण को वीकार नह कया।
कण का पालन एक रथ चलानेवाले
नेकया जसक वजह से कण को सू तपुकहा जाने
लगा। कण को गोद ले
ने
वालेउसके
पता आधीरथ चाहतेथेक कण ववाह करे । पता क इ छा को पू
र ा करने
केलए कण नेषाली नाम क एक सूतपुी से
ववाह कया। कण क सरी प नी का नाम सुया था। सुया का ज महाभारत क कहानी म यादा नह कया गया है ।

षाली और सुया सेकण केनौ पुथे । वृ


शसे
न, वृ
शके
तु, च सेन, स यसे
न, सु
शेन, श ुं
जय, पात, से न और बनसेन।
कण के सभी पुमहाभारत के
यु म शा मल ए, जनम से 8 वीरग त को ा त हो गए। से न क मौत सा य क केहाथ ई,
श ु

जय, वृ
शसे न और पात क अजु न, बनसेन क भीम, च सेन, स यसेन और सुशे न क नकुल के ारा मृयुई थी।
वृ
शकेतुएकमा ऐसा पुथा जो जी वत रहा। कण क मौत के प ात उसक प नी षाली उसक चता म सती हो गई थी।
महाभारत के यु केप ात जब पां
डव को यह बात पता चली क कण उ ह का येथा, तब उ ह ने
कण केजी वत पु
वृ
शकेतुको इ थ क ग स पी थी। अजुन केसंर ण म वृशकेतुनेकई यु भी लड़े
थे

ी कृ
ण नेय कया कण का अं
तम सं
कार अपने
ही हाथ पर?

जब कण मृयुशै
या पर थे
तब कृण उनके पास उनकेदानवीर होने
क परी ा ले
नेकेलए आए। कण ने
कृण को कहा क
उसकेपास दे
नेकेलए कुछ भी नह है
। ऐसेम कृण नेउनसे उनका सोने
का दां
त मां
ग लया।

कण ने अपने समीप पड़े


प थर को उठाया और उससे
अपना दां
त तोड़कर कृ
ण को देदया। कण ने
एक बार फर अपने
दानवीर होने
का माण दया जससे कृण काफ भा वत ए। कृ ण ने
कण सेकहा क वह उनसे कोई भी वरदान मां

सकते ह।

कण नेकृण सेकहा क एक नधन सू


त पुहोनेक वजह से
उनकेसाथ ब त छल ए ह। अगली बार जब कृण धरती पर
आएंतो वह पछड़ेवग केलोग के
जीवन को सु
धारने
केलए य न कर। इसकेसाथ कण ने
दो और वरदान मां
गे

सरे
वरदान के प म कण ने
यह मां
गा क अगले ज म म कृ ण उ ह के रा य म ज म ल और तीसरे
वरदान म उ ह ने
कृण
सेकहा क उनका अंतम सं
कार ऐसेथान पर होना चा हए जहांकोई पाप ना हो।

पू
र ी पृ
वी पर ऐसा कोई थान नह होने
केकारण कृ
ण ने
कण का अं
तम सं
कार अपने
ही हाथ पर कया। इस तरह दानवीर
कण मृ युकेप ात सा ात वै
कुठ धाम को ा त ए।

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