You are on page 1of 204

परीक्षा नोिटस सं .

04/2019–  सीएसपी  िदनांक : 19/02/2019 
(आवेदन प्रपत्र प्रा त
   करने की अंितम तारीख 18/03/2019, सांय 6:00 बजे तक) 
िसिवल सेवा परीक्षा, 2019 
(आयोग की वेबसाइट  –http://www.upsc.gov.in) 

मह वपूण र्  
1. परीक्षा के िलए उ मीदवार अपनी पात्रता सुिनि चत कर ल : 
परीक्षा के िलए आवेदन करने  वाले  उ मीदवार  को यह सिु नि चत कर लेना चािहए िक वे  परीक्षा म 
प्रवेश हे तु सभी पात्रता शत  को पूरा करते ह। परीक्षा के सभी  तर  पर उनका प्रवेश िनधार्िरत पात्रता 
र् अनंितम होगा :। उ मीदवार को मात्र प्रवेश पत्र जारी 
शत  को पूरा करने  की शतर्  के अ यधीन पूणत
िकए जाने का अथर् यह नहीं होगा िक उसकी उ मीदवारी आयोग  वारा अंितम  प से सुिनि चत कर 
दी गई है । उ मीदवार  के साक्षा कारके बाद ही मूल    यिक्त व परीक्षण म अहर्क घोिषत िकए जाने/
द तावेज  के संदभर् म आयोग  वारा पात्रता की शत  की जांच की जाती है ।  
 
2. आवेदन कैसे कर : 
उ मीदवार  https://www.upsconline.nic.in वेबसाइट  का  इ तेमाल  करके  ऑनलाइन  आवेदन  कर। 
ऑनलाइन  आवेदन  करने  संबंधी  िव तत
ृ   अनुदेश  उपयक्
ुर्  त  वेबसाइट  पर  उपल ध  ह।  ऑनलाइन 
आवेदन प्रपत्र भरने के िलए संिक्ष  त अनद
ु े श पिरिश ट-II म िदए गए ह िज ह सावधानीपव
ू कर् पढ़ ल। 
 
2.1  उ मीदवार  के  पास  िकसी  एक  फोटो  पहचान  पत्र  जैसे  आधार  काडर्,  मतदाता  पहचान  पत्र,  पैन 
काडर्, पासपोटर् , ड्राइिवंग लाइसस अथवा रा यकद्र सरकार  वारा जारी िकसी अ य फोटो पहचान पत्र  /
का िववरण भी होना चािहए। इस फोटो पहचान पत्र का िववरण उ मीदवार  वारा अपना ऑनलाइन 
  आवेदन फामर्  भरते  समय उपल ध कराना होगा।उ मीदवार  को फोटो आईडी की एक  कैन की गई 
कॉपी अपलोड करनी होगी िजसका िववरण उसके  वारा ऑनलाइन आवेदन म प्रदान िकया गया है । 
इस  फोटो  आईडी  का  उपयोग  भिव य  के  सभी  संदभर्  के  िलए  िकया  जाएगा  और  उ मीदवार  को 
परीक्षाएसएसबी के िलए उपि थत होते समय इस पहचान पत्र को साथ ले जाने  / यिक्त व परीक्षण /
लाह दी जाती है की स। 
 
3. आवेदन पत्र भरने की अंितम तारीख : 
ऑनलाइन आवेदन पत्र 18 माचर्, 2019 को सांय 6:00 बजे  तक भरे   जा सकते  ह। पात्र उ मीदवार  
को परीक्षा प्रारं भ होने  के तीन स ताह पूव र् ईप्रव-◌ेश प्रमाण पत्र जारी िकया जाएगा। ईप्रव-◌ेश प्रमाण 
पत्र  आयोग  की  वेबसाइट  https://www.upsconline.nic.in  पर  उपल ध  होगा  िजसे  उ मीदवार 
डाउनलोड कर सकते ह। डाक  वारा कोई प्रवेश प्रमाण पत्र नहीं भेजा जाएगा। 
 
4. गलत उ र  के िलए दं ड : 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
उ मीदवार यह नोट कर ल िक व तिु न  ठ प्रकार के प्र न
   पत्र  म उ मीदवार  वारा िदए गए गलत 
उ र  के िलए दं ड (ऋणा मक अंकन) िदया जाएगा। 
5. उ मीदवार  के मागर्दशर्न हे तु सुिवधा काउ टर : 
उ मीदवार  अपने  आवेदन  पत्र  उ मीदवारी  आिद  से  संबंिधत  िकसी  भी  प्रकार  के 
मागर्दशर्न प/जानकारी/  टीकरण  के  िलए  कायर्  िदवस   म  प्रात  :10.00  बजे  और  सायं  5.00  बजे  के 
बीच आयोग पिरसर म गेट ‘सी’ के िनकट संघ लोक सेवा आयोग के सिु वधा काउं टर पर  यिक्तगत 
प से  अथवा दरू भाष सं  .011-23385271/ 011-23381125/011-23098543 पर संपकर् कर सकते 
ह ।  
6. मोबाइल फोन प्रितबंिधत:  
(क) जहां  परीक्षा आयोिजत की जा रही है , उस पिरसर म मोबाइल फोन का प्रयोग )चाहे   वह ि वच 
    प्रकार  का  इलेक्ट्रॉिनक  उपकरण  या  प्रोग्राम  िकए  जा 
ऑफ  ही  क्य   ना  हो(,  पेजर  या  िकसी  अ य
सकने  वाला  िडवाइस  या  पेन  ड्राइव  जैसा  कोई  टोरे ज  मीिडया,  माटर्   वॉच  इ यािद  या  कैमरा  या 
   उपकरण या संचार यंत्र के  प म प्रयोग िकए जा सकने  वाला कोई 
लूटूथ िडवाइस या कोई अ य
अ य संबंिधत उपकरण, चाहे  वह बंद हो या चाल ू सख्त मना है ।  
(ख) उ मीदवार  को उनके िहत म सलाह दी जाती है   िक वे  परीक्षा  थल पर मोबाइल फोन/   लूटूथ 
सिहत कोई भी प्रितबंिधत सामग्री न लाएं, क्य िक इनकी सुरक्षा सुिनि चत नहीं की जा सकती। 
7.  उ मीदवार   को  सलाह  दी  जाती  है   िक  वे  कोई  भी  मू यवान/कीमती  सामान  परीक्षा  भवन  म  न 
लाएं, क्य िक उनकी सुरक्षा सुिनि चत नहीं  की जा सकती. आयोग इस संबंध म िकसी नक
ु सान के 
िलए उ रदायी नहीं होगा।  
 
एफ.  सं.  1/9/2018-प.1(ख)  -  भारत  के  असाधारण  राजपत्र  िदनांक  19  फरवरी,  2019  म  कािमर्क  और 
प्रिशक्षण िवभाग  वारा प्रकािशत िनयम  के अनस
ु ार नीचे  उि लिखत सेवाओं  और पद  म भतीर्  के िलए संघ 
लोक सेवा आयोग  वारा 2 जून, 2019 को िसिवल सेवा परीक्षा की प्रारं िभक परीक्षा ली जाएगी। 
(i)     भारतीय प्रशासिनक सेवा 
(ii)     भारतीय िवदे श सेवा 
(iii)     भारतीय पुिलस सेवा 
(iv)     भारतीय डाक एवं तार लेखा और िव  सेवा, ग्रप
ु  'क' 
(v)     भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा, ग्रुप 'क' 
(vi)     भारतीय राज व सेवा (सीमा शु क और के  द्रीय उ पाद), ग्रुप 'क' 
(vii)     भारतीय रक्षा लेखा सेवा, ग्रप
ु  'क' 
(viii)     भारतीय राज व सेवा (आयकर), ग्रुप 'क' 
(ix)     भारतीय आयुध कारखाना सेवा, ग्रुप 'क' (सहायक कमर्शाला प्रबंधक, प्रशासिनक) 
(x)     भारतीय डाक सेवा, ग्रुप 'क' 
(xi)     भारतीय िसिवल लेखा सेवा, ग्रुप 'क' 
(xii)     भारतीय रे लवे यातायात सेवा, ग्रप
ु  'क' 
(xiii)     भारतीय रे लवे लेखा सेवा, ग्रुप 'क' 
(xiv)     भारतीय रे लवे कािमर्क सेवा, ग्रुप 'क' 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(xv)     रे लवे सरु क्षा बल म ग्रप
ु  'क' के सहायक सरु क्षा आयक्
ु त के पद 
(xvi)     भारतीय रक्षा संपदा सेवा, ग्रुप 'क' 
(xvii)     भारतीय सूचना सेवा (किन ठ ग्रेड), ग्रुप 'क' 
(xviii)     भारतीय  यापार सेवा, ग्रुप 'क'  
(xix)     भारतीय कारपोरे ट िविध सेवा, ग्रुप 'क' 
(xx)   ु यालय िसिवल सेवा, ग्रप
  सश त्र सेना मख् ु  'ख' (अनभ
ु ाग अिधकारी ग्रेड) 
(xxi)     िद ली, अंडमान एवं  िनकोबार  वीप समूह, लक्ष वीप, दमन व दीव एवं  दादरा व नगर 
हवेली िसिवल सेवा, ग्रुप 'ख' 
(xxii)     िद ली, अंडमान एवं  िनकोबार  वीप समह
ू , लक्ष वीप, दमन व दीव एवं  दादरा व नगर 
हवेली पुिलस सेवा, ग्रुप 'ख' 
(xxiii)     पांिडचेरी िसिवल सेवा, ग्रुप 'ख' 
(xxiv)     पांिडचेरी पुिलस सेवा, ग्रुप 'ख'. 
 परीक्षा  के  पिरणाम  के  आधार  पर  भरी  जाने  वाली  िरिक्तय   की  संख्या  लगभग  896  ह  िजसम  39 
िरिक्तयां  बचमाकर् िद यांग   यिक्तय  के िलए आरिक्षत ह अथार्त ् 08 िरिक्तयां  (अ) अंधता और िन न 
यता  ेणी के िलए,  11 िरिक्तयां  (ब) बिधर और िज ह सुनने  म किठनाई होती है ,  ेणी के िलए, 
15  िरिक्तयां  (स)  चलन  िद  यांगता,  िजसके  अंतगर्त  परा-मि त क  घात,  ठीक  िकया  गया  कु ठ, 
बौनापन, अ ल हमले  के पीिड़त और पेशीय दिु वर्कास  ेणी के िलए तथा 05  िरिक्तयाँ  अ से  स के 
अधीन  िदवयांगताओं  से  यक्
ु त  यिक्तय   म  से  बहु  िदवयांगता  िजसके  अंतगर्त  बिधर-अंधता  ेणी  के 
िलए ह। संबंिधत संवगर्  िनयंत्रक प्रािधकरण  से  वा तिवक िरिक्तयां  प्रा त
   होने  पर, बाद म िरिक्तय  
की  अंितम  संख्या  म  पिरवतर्न  आ  सकता  है ।  सरकार  वारा  िनधार्िरत  रीित  से  अनुसूिचत  जाितय , 
अनुसूिचत  जनजाितय ,  अ य  िपछड़ी  ेिणय ,  आिथर्क  प  से  कमजोर वगर्  तथा  बचमाकर्  िद यांग 
 यिक्तय  के िलए िरिक्तय  का आरक्षण िकया जाएगा। 
 
  बेरोजगार  यिक्तय  को रोजगार के अिधक अवसर उपल ध कराने  के उ दे य से  सरकार  वारा िलए 
गए िनणर्य के अनुसार आयोग उ मीदवार  के प्रा तांग )िलिखत परीक्षा तथा साक्षा कार /  यिक्त व परीक्षण 
म  प्रा त  अंक  (सावर्जिनक  पोटर् ल  के  मा यम  से  सावर्जिनक  प  से  घोिषत  करे गा।  अंक   की  यह  घोषणा 
केवल उन उ मीदवार  के मामले  म की जाएगी, जो िसिवल सेवा परीक्षा हे त 
ु साक्षा कार/ यिक्त व परीक्षण 
म शािमल ह गे, परं त ु िज ह िनयुिक्त हे तु  अंितम  प से  अनुशिं सत नहीं  िकया जाएगा। इस प्रकटन योजना 
के मा यम से  गैर-अनुशिं सत उ मीदवार  के बारे   म सांझा की गई जानकारी का इ तेमाल, सावर्जिनक तथा 
िनजी क्षेत्र की अ य भतीर्  एजिसय   वारा, सावर्जिनक पोटर् ल पर उपल ध कराई गई उक्त सच
ू ना के आधार 
पर, उपयुक्त उ मीदवार  की िनयुिक्त के िलए िकया जा सकेगा। 
 
उ मीदवार  को, साक्षा कार/ यिक्त व परीक्षण के समय इस संबंध म अपना िवक प प्रदान करना होगा। यह 
िवक प  उ ह  साक्षा कार  हे तु  मेल  िकए  गए  ई-समन  पत्र  की  पावती  भेजते  समय  प्रदान  करना  होगा।  
उ मीदवार, उक्त योजना म शािमल नहीं  होने  का िवक प भी चन
ु  सकते  ह। ऐसा करने  पर आयोग  वारा 
उनके अंक  संबंधी िववरण का प्रकटन सावर्जिनक  प से नहीं िकया जाएगा।  
 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
  आयोग  वारा आयोिजत परीक्षाओं के गैर-अनुशिं सत उ मीदवार  के बारे  म जानकारी सांझा करने के 
अितिरक्त,  इस  िवषय  म  आयोग  की  कोई  िज मेदारी  अथवा  दािय व  नहीं  होगा  िक  आयोग  की  परक्षाओं 
/चयन  प्रिक्रयाओं  म  शािमल  उ मीदवार   से  संबिं धत  जानकािरय   का  इ तेमाल,  अ य  िनजी  अथवा 
सावर्जिनक संगठन   वारा िकस िविध से तथा िकस  प म िकया जाता है ।   
 
  शारीिर 
क  अपे क्षाओं  तथा  कायार्लय  वगीर्करण  सिहत  शारीिरक  िवकलांग  ेणी  के  िलए  उपयुक् 
त 
िचि हत की गई सेवाओं की सूची 
 
Øe lsok dk uke Jsf.k;ka] ftuds fy, igpku dh dk;kZRed oxhZdj.k 'kkjhfjd vis{kk,a
la- xbZ
(1) (2) (3) (4) (5) 
1- Hkkjrh; iz'kklfud (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds vks,] vks,y] ch-,-] ch,p] ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ] ,p]
lsok varxZr ijkefLr"d ?kkr] Bhd ,eMCY;w] vks,,y] vkjMCY;w] lh
fd;k x;k dq"B] ckSukiu] vEy ijkefLr"d
geys ds ihfM+r ?kkr] Bhd fd;k x;k oqQ"B]
ckSukiu] vEy geys ds
ihfM+r

ch,y,] ch,yvks,] ch,y ,l] ,lbZ] ,p] vkjMCY;w] lh


(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk ,yoh ,e,iQ] ihih] ,l] ,lVh]
MCY;w] ,y] lh] vkjMCY;w] ,p]
dslh] ch,u
ch ,e,iQ] ihih] ,l] ,lVh]
MCY;w] ,y] lh] vkjMCY;w
(czsy@lkÝVos;j)] ,p] dslh]
ch,u
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ,iQMh] ,p,p ihih] ,l] ,lVh] MCY;w] ,y]
dfBukbZ gksrh gS lh] vkjMCY;w] dslh] ch,u]
केवल  उपरोक्त  तीन  ेिणय   सिहत  1 ,yoh + ,p,p एमएफ़,  पीपी,  एस,  एसटी,  डब यू, 
एकािधक िवक्लांग्ता  एल,  सी,  आरडब यू,  एच,  केसी, 
बीएन, एसई 

2 vks, + ,yoh एमएफ़,  पीपी,  एस,  एसटी,  डब यू, 

vks,y + ,yoh एल,  सी,  आरडब यू,  एच,  केसी, 


बीएन, एसई
Bhd fd;k x;k oqQ"B +
,yoh
vEy geys ds ihfM+r +
,yoh
ckSukiu + ,yoh
3 vks,y + va/rk एमएफ़,  पीपी,  एस,  एसटी,  डब यू, 

ckSukiu + va/rk एल, सी, आरडब यू (ब्रेल/सो टवेयर 


म) एच, केसी, बीएन,

4 vks, + ,p,p एमएफ़,  पीपी,  एस,  एसटी,  डब यू, 

vks,y + ,p,p एल,  सी,  आरडब यू,  एच,  केसी, 


बीएन, एसई 
vks,y + cf/j

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
vEy geys ds ihfM+r +
,p,p
ckSukiu + cf/j
ckSukiu + ,p,p
5 vks, + ,yoh + ,p,p एमएफ़,  पीपी,  एस,  एसटी,  डब यू, 

vks,y + ,yoh + ,p,p एल,  सी,  आरडब यू,  एच,  केसी, 


बीएन, एसई 
Bhd fd;k x;k oqQ"B +
,yoh + ,p,p
vEy geys ds ihfM+r +
,yoh + ,p,p
ckSukiu + ,yoh + ,p,p

2- Hkkjrh; fons'k lsok (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds vks,] vks,y] vks,,y ,l] ,lVh] MCY;w] vkjMCY;w]
varxZr lh] ,e,iQ
ckSukiu] vEy geys ds ihfM+r
(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk ,yoh ,lbZ] vkjMCY;w
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ihMh ,p
dfBukbZ gksrh gS
(iv) cgq fnO;kaxrk] ftlds varxZr mijksDr iafDr;ksa esa mijksDr iafDr;ksa esa mfYyf[kr
dsoy mijksDr Jsf.k;ka dh mfYyf[kr lHkh lHkh
fnO;kaxrk 'kkfey gSA
3- Hkkjrh; jktLo lsok] (i) pyu fnO;kaxrk vks,] vks,y] vks,,y ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ
lhek&'kqYd ,oa dsUnzh; vkjMCY;w] lh
mRikn 'kqYd] lewg (d) ch,y ,l] ,lbZ] vkjMCY;w] lh
ijkefLr"d ?kkr ,l] MCY;w] ,lbZ] vkjMCY;w] lh
Bhd fd;k x;k oqQ"B ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ]
vkjMCY;w] lh
ckSukiu ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ]
vkjMCY;w] lh
vEy geys ds ihfM+r ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ]
vkjMCY;w] lh
is'kh; nq£odkl ,l] ,lbZ] vkjMCY;w] lh
(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk ,yoh ,e,iQ] ihih] ,y] dslh] ch,u]
,lVh] vkjMCY;ww] lh
ch ,e,iQ] ihih] ,y] dslh] ch,u]
,lVh] MCY;w] ,p] lh
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ftUgsa lquus esa dfBukbZ gksrh ,e,iQ] ihih] ,y] dslh] ch,u]
dfBukbZ gksrh gS gS ,lVh] MCY;w] ,p, vkjMCY;w]
lh

cf/j ,e,iQ] ihih] ,y] dslh] ch,u]


,lVh] MCY;w] vkjMCY;w] lh
(iv) cgq fnO;kaxrk mijksDr (i) ls (iii) esa ,l] lh] ,e,iQ
mfYyf[kr fnO;kaxrkvksa ls
;qDr O;fDr;ksa esa ls cgq

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
fnO;kaxrk] ftlds varxZr
cf/j va/rk gS
4- (i) pyu fnO;kaxrk vks,] vks,y] vks,,y ,l] MCY;w] ,lbZ] vkjMCY;w] lh]
Hkkjrh; Mkd ,oa rkj ijkefLr"d ?kkr] Bhd fd;k ch,u] ,lVh] ,p] ,y] dslh]
ys[kk vkSj foÙk lsok] x;k dq"B] ckSukiu] vEy ,e,iQ] ihih
lewg ^d* geys ds ihfM+r
ch,] ch,p ,l] MCY;w] ,lbZ] vkjMCY;w] lh]
ch,u] ,lVh] ,p] dslh
ch,y] ,eMCY;w ,l] ,lbZ] vkjMCY;w] lh] ch,u]
,p] ,y] dslh] ,e,iQ] ihih
(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk va/rk ,l] MCY;w] lh] ch,u] ,lVh]
,p] ,y] dslh] ,e,iQ] ihih,
vkjMCY;w] (ब्रेल/सो टवेयर म)
fuEu n`';rk ,l] MCY;w] vkjMCY;w] lh] ch,u]
,lVh] ,p] ,y] dslh] ,e,iQ]
ihih
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ,l] MCY;w] ,lbZ] vkjMCY;w] lh]
dfBukbZ gksrh gS dfBukbZ gksrh gS ch,u] ,lVh] ,y] dslh]
,e,iQ] ihih
5- Hkkjrh; ys[kk ijh{kk (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds vks,y (आर  और  एल)] vks, पढ़ने  एवं  िलखने  वारा िकया गया 
rFkk ys[kk lsok] lewg varxZr (आर  और  एल)] Bhd fd;k कायर्,  ,l]
,lVh] MCY;w] ch,u]
^d* ijkefLr"d ?kkr] Bhd fd;k x;k x;k dq"B] ckSukiu] vEy ,lbZ] vkjMCY;w] lh
dq"B] ckSukiu] vEy geys ds geys ds ihfM+r
ihfM+r
(ii) ftUgsa lquus esa ftUgsa lquus esa dfBukbZ gksrh ,l] ,lVh] MCY;w] ch,u] ,lbZ]
dfBukbZ gksrh gS gS vkjMCY;w] lh
(,p,p)
(iii) cgq fnO;kaxrk mijksDr mijksDr mfYyf[kr lHkh ,l] ,lVh] MCY;w] ch,u] ,lbZ]
(i) rFkk (ii) esa ls nks vFkok vkjMCY;w] lh
vf/d fnO;kaxrk
6- Hkkjrh; j{kk ys[kk (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds vks,] vks,y ,l] ,lVh] MCY;w] ch,u] ,lbZ]
lsok] lewg ^d* varxZr vkjMCY;w] lh] ,e,iQ] ihih]
ijkefLr"d ?kkr] Bhd fd;k x;k ,y] dslh] ,p
dq"B] ckSukiu] vEy geys ds
ihfM+r
(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk fuEu n`';rk (,yoh) mijksDr mfYyf[kr
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ftUgsa lquus esa dfBukbZ gksrh mijksDr mfYyf[kr
dfBukbZ gksrh gS gS (,p,p)
(iv) mijksDr rhu Jsf.k;ksa esa ls (i) vks,] ,yoh mijksDr mfYyf[kr
cgq fnO;kaxrk (ii) vks,y] ,yoh
(iii) vks,] ,p,p
(iv) vks,y] ,p,p
(v) ,yoh] ,p,p
7- Hkkjrh; jktLo lsok (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds vks,] vks,y] vks,,y ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ]
(vk;dj)] xzqi ^d* varxZr ijkefLr"d ?kkr] Bhd vkjMCY;w] lh

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
fd;k x;k
dq"B] ckSukiu] vEy geys ds ch,y ,l] ,lbZ] vkjMCY;w] lh
ihfM+r ijkefLr"d ?kkr ,l] MCY;w] ,lbZ] vkjMCY;w] lh
vkSj is'kh; nq£odkl Bhd fd;k x;k oqQ"B ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ]
vkjMCY;w] lh
ckSukiu ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ]
vkjMCY;w] lh
vEy geys ds ihfM+r ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ]
vkjMCY;w] lh
is'kh; nq£odkl ,l] ,lbZ, vkjMCY;w] lh
(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk fuEu n`';rk ,e,iQ] ihih] ,y] dslh] ch,u]
,lVh] MCY;w] ,p] vkjMCY;w] lh
va/rk ,e,iQ] ihih] ,y] dslh] ch,u]
,lVh] MCY;w] ,p] lh

(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ftUgsa lquus esa dfBukbZ gksrh ,e,iQ] ihih] ,y] dslh] ch,u]
dfBukbZ gksrh gS gS ,lVh] MCY;w] ,p] vkjMCY;w] lh
cf/j ,e,iQ] ihih] ,y] dslh] ch,u]
,lVh] MCY;w] vkjMCY;w] lh
(iv) cgq fnO;kaxrk fnO;kax vf/dkj vf/fu;e] ,l] lh] ,e,iQ
2016
(i) ls (iii) fnO;kaxrk ls
;qDr
O;fDr;ksa esa ls cgq fnO;kaxrk
ftlds varxZr cf/j va/rk gS

8- Hkkjrh; vk;q/ (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds vks,y] vks, ,l] ,e] vkjMCY;w] ,lbZ] ,p]
dkj[kkuk lsok] xzqi ^d* varxZr ijkefLr"d ?kkr] Bhd lh ],e,iQ
fd;k x;k
dq"B] ckSukiu] vEy geys ds
ihfM+r
(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk ,yoh ,l] ,e] vkjMCY;w] ,lbZ] ,p]
lh, ,e,iQ
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ,p,p (ftUgsa lquus esa ,l] ,e] vkjMCY;w] ,lbZ] ,p
dfBukbZ gksrh gS dfBukbZ (cksyuk)] lh, ,e,iQ
gksrh gS)
(iv) mijksDr (i) ls (iii) esa ls mijksDr iafDr;ksa esa ,l] ,e] vkjMCY;w] ,lbZ] ,p]
cgq fnO;kaxrk mfYyf[kr lHkh lh, ,e,iQ
9- Hkkjrh; Mkd lsok (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds vks,] vks,y] ijkefLr"d ,l] ,lVh] MCY;w] ch,u]
xzqi] ^d* varxZr ijkefLr"d ?kkr] Bhd ?kkr] Bhd fd;k x;k oqQ"B] vkjMCY;w ] ,lbZ] ,p] lh
fd;k x;k ckSukiu]
dq"B] ckSukiu] vEy geys ds vEy geys ds ihfM+r
ihfM+r vkSj is'kh; nq£odkl

(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk ,yoh ,l] ,lVh] MCY;w ] ch,u]
vkjMCY;w ] ,lbZ] ,p] lh

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ,p,p ,l] ,lVh] MCY;w ] ch,u]
dfBukbZ gksrh gS vkjMCY;w ] ,lbZ] ,p] lh
(iv) mijksDr rhu Jsf.k;ksa esa ,yoh] ,p,p] vks,] vks,y] ,l] ,lVh] MCY;w ] ch,u]
mfYyf[kr fnO;kaxrk ls ;qDr ijkefLr"d ?kkr] Bhd fd;k vkjMCY;w ] ,lbZ] ,p] lh
O;fDR;ksa esa ls cgq fnO;kaxrk x;k dq"B] ckSukiu] vEy
ftlds varxZr cf/j va/rk gks geys ds ihfM+r

10- Hkkjrh; flfoy (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds vks, ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ] ,p]
ys[kk lsok] varxZr ijkefLr"d ?kkr vkjMCY;w, lh] ,e,iQ] ihih,
,y, dslh] ch,u

vks,y ,l] ,lbZ] ,p] vkjMCY;w, lh]


,e,iQ] ihih] ,y
ch, ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ] ,p]
lh] dslh] ch,u
ch,y ,l] ,lbZ] ,p] vkjMCY;w] lh]
,e,iQ] ihih] ,y
ch,p ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ] ,p]
lh] dslh] ch,u
,eMCY;w ,l] ,lbZ] ,p] vkjMCY;w] lh]
,e,iQ]
vks,,y ,l] ,lbZ] ,p] vkjMCY;w] lh,
,e,iQ, ihih] ,y
ch,y, ,l] ,lbZ] ,p] vkjMCY;w] lh
ch,yvks, ,l] ,lbZ] ,p] vkjMCY;w] lh,
,e,iQ, ihih] ,y
ijkefLr"d ?kkr ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ] ,p]
vkjMCY;w, lh] ,e,iQ] ihih,
,y, dslh] ch,u
ckSukiu ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ] ,p]
vkjMCY;w, lh] ,e,iQ] ihih,
,y, dslh] ch,u
vEy geys ds ihfM+r ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ] ,p]
vkjMCY;w, lh] ,e,iQ] ihih,
,y, dslh] ch,u
(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk fuEu n`';rk (,yoh) ,l] ,lVh] MCY;w] ,p],]
vkjMCY;w] lh] ,e,iQ] ihih]
,y] dslh] ch,u
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa vkaf'kd cf/j (ihMh) ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ]
dfBukbZ gksrh gS vkjMCY;w] lh] ,e,iQ] ihih]
,y] dslh] ch,u
11- Hkkjrh; jsyos ys[kk (i) pyu fnO;kaxrk vks,] vks,y] vks,,y] ch,y ,l] ,lVh] ch,u] MCY;w] ,lbZ]
lsok] lewg ^d* Bhd fd;k x;k oqQ"B] vEy ,e,iQ] lh] vkjMCY;w] ,p
geys ds ihfM+r

(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk fuEu n`';rk (,yoh) ,l] ,lVh] ch,u] MCY;w] ,lbZ]

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
,e,iQ] lh] vkjMCY;w] ,p
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ,p,p ,l] ,lVh] ch,u] MCY;w] ,lbZ]
dfBukbZ gksrh gS ,e,iQ] lh] vkjMCY;w] ,p
(Jo.k midj.kksa ds lkFk
Lohdk;Z)

12- Hkkjrh; jsyos (i) pyu fnO;kaxrk vks,] vks,y] Bhd fd;k x;k ,l] ,lVh] ch,u] MCY;w] ,lbZ]
dk£ed lsok] xzqi ^d* oqQ"B] vEy geys ds ihfM+r ,e,iQ] lh] vkjMCY;w] ,p
(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk fuEu n`';rk (,yoh) ,l] ,lVh] ch,u] MCY;w] ,lbZ]
,e,iQ] lh] vkjMCY;w] dslh]
lh,y] ts;w] ,p
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ,p,p ,l] ,lVh] ch,u] MCY;w] ,lbZ]
dfBukbZ gksrh gS ,e,iQ] lh] vkjMCY;w] dslh]
lh,y] ts;w] ,p (Jo.k
midj.kksa ds lkFk Lohdk;Z)
13- (i) pyu fnO;kaxrk vks,] vks,y] Bhd fd;k x;k ,l] ,lVh] ch,u] MCY;w] ,lbZ]
Hkkjrh; jsyos ;krk;kr dq"B] vEy geys ds ihfM+r ,e,iQ] lh] vkjMCY;w] ihih]
lsok] xzqi ^d* ,p
14- Hkkjrh; j{kk laink (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds vks,] vks,y ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ]
lsok] xzqi ^d* varxZr ckSukiu] vEy geys ds vkjMCY;w] lh] ,e,iQ]
ihfM+r, Bhd fd;k x;k dq"B, ch,y ,l] ,lbZ] vkjMCY;w] lh]
is'kh; nq£odkl ,e,iQ]
(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk fuEu n`';rk (,yoh) ,lbZ] vkjMCY;
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ,p,p (ftUgsa lquus esa ,p
dfBukbZ gksrh gS dfBukbZ
gksrh gS)
(iv) dsoy mijksDr rhu Jsf.k;ksa mijksDr iafDr;ksa esa mijksDr iafDr;ksa esa mfYyf[kr
esa ls cgq fnO;kaxrk mfYyf[kr lHkh lHkh
15- Hkkjrh; lwpuk lsok] (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds ch,y] ch,y vks, ,l] vkjMCY;w] ,lbZ] ,p] lh
xzqi ^d* varxZr ch,y, ,l] ,lbZ] ,p] lh
ijkefLr"d ?kkr] Bhd fd;k x;k ch,] ch,p ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ] ,p]
dq"B] ckSukiu] vEy geys ds
vks,y] vks,] ,eMCY;w] ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ] ,p]
ihfM+r
vks,,y vkjMCY;w] lh
is'kh; nq£odkl
(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk ,yoh ,e,iQ] ihih] ,y] dslh]
ch,u] ,lVh] MCY;w] ,p]
vkjMCY;w] lh] ,lbZ
ch ,e,iQ] ihih] ,y] dslh]
ch,u] ,lVh] MCY;w] ,p] lh
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ,p,p ,e,iQ] ihih] ,y] dslh]
dfBukbZ gksrh gS ch,u] ,lVh] MCY;w] ,p]
vkjMCY;w] lh
,iQMh ,e,iQ] ihih] ,y] dslh]
ch,u] ,lVh] MCY;w] vkjMCY;w]
lh

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(iv) mijksDr (i) ls (iii) esa mijksDr (i) ls (iii) Js.kh ds varxZr mfYyf[kr lHkhA
mfYyf[kr fnO;kaxrkvksa ls ;qDr
O;fDr;ksa esa ls cgq fnO;kaxrk]
ftlds varxZr cf/j va/rk gS

16- Hkkjrh; O;kikj lsok] (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds vks,y] vks,] vks,,y] ,l] ,lVh] MCY;w] ,lbZ] ,p]
xzqi ^d* varxZr ijkefLr"d ?kkr] Bhd ,eMCY;w] vkjMCY;w] lh
fd;k x;k dq"B] ckSukiu] vEy ch,y] ch,yvks, ,l] ,lbZ] ,p] vkjMCY;w] lh
geys ds ihfM+r vkSj is'kh; ch,y, ,l] ,lbZ] ,p] lh
nq£odkl
ch,] ch,p ,l] ,lVh] ,lbZ] ,p] lh
(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk fuEu n`';rk (,yoh) ,e,iQ] ihih] ,y] dslh]
ch,u] ,lVh] MCY;w] ,p]
vkjMCY;w] lh
va/rk (ch) ,e,iQ] ihih] ,y] dslh]
ch,u] ,lVh] MCY;w] ,p] lh
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa vkaf'kd cf/j (ihMh) ,e,iQ] ihih] ,y] dslh]
dfBukbZ gksrh gS ch,u] ,lVh] MCY;w] ,p]
vkjMCY;w] lh
iw.kZ cf/j (,iQMh) ,e,iQ] ihih] ,y] dslh]
ch,u] ,lVh] MCY;w] vkjMCY;w]
lh
17- Hkkjrh; dkWjiksjsV (i) pyu fnO;kaxrk] vks, ,lbZ] vkjMCY;w] lh] ,e] ,l]
fof/ lsok ch,u] ,lVh] ,p
vks,y ,lbZ] vkjMCY;w] lh] ,e] ,l]
ch,u] ,lVh] ,p
vks,,y ,lbZ] vkjMCY;w] lh] ,e] ,l]
ch,u] ,lVh, ,p
ch,y ,lbZ] vkjMCY;w] lh] ,e] ,l]
ch,u] ,p
Bhd fd;k x;k oqQ"B ,lbZ] vkjMCY;w] lh] ,e] ,l]
(,ylh) ch,u] ,lVh] ,p
ckSukiu (MhMCY;w) ,lbZ] vkjMCY;w] lh] ,e] ,l]
ch,u] ,lVh] ,p
vEy geys ds ihfM+r (,,oh) ,lbZ] vkjMCY;w] lh] ,e] ,l]
ch,u] ,lVh] ,p
ekalis'kh; fMLVªkiQh ,lbZ] vkjMCY;w] lh] ,e] ,l]
(,eMhokbZ) ch,u] ,lVh] ,p
(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk fuEu n`';rk (,yoh) ,lbZ] vkjMCY;w] lh] ,e] ,l]
ch,u] ,lVh, ,p

(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa cf/j (Mh) ,lbZ] vkjMCY;w] lh] ,e] ,l]
dfBukbZ gksrh gS ch,u] ,lVh
ftUgsa lquus esa dfBukbZ gksrh ,lbZ] vkjMCY;w] lh] ,e] ,l]
gS (,p,p) ch,u, ,lVh, ,p
(iv) cgq fnO;kaxrk (,eMh) cgq fnO;kaxrk (,eMh) ftlesa ,lbZ] vkjMCY;w] lh] ,e] ,l]
mijksDr i से iii esa उि लिखत 2 ch,u
Jsf.k;ksa या उससे vf/d
fnO;kaxrk 'kkfey gS

10 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
18- l'kL=k lsuk (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds vks,] vks,y] ,eMCY;w] ,l] ,lVh] MCY;w] ch,u,
eq[;ky; flfoy lsok] varxZr ijkefLr"d ?kkr] Bhd vks,,y, ijkefLr"d ?kkr] ,e,iQ],lbZ] vkjMCY;w] ,p]
fd;k x;k Bhd fd;k x;k dq"B] lh
dq"B] ckSukiu] vEy geys ds ckSukiu] vEy geys ds
ihfM+r ihfM+r
vkSj is'kh; nq£odkl
ch,yvks,] ch,y ,l] ,lbZ, ,p] vkjMCY;w] lh

(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk ch ,l] ,lVh] MCY;w] ch,u]


,e,iQ] vkjMCY;w
(ब्रेल/सो टवेयर म), ,p] lh

,yoh ,l] ,lVh] MCY;w] ch,u]


,e,iQ] vkjMCY;w, ,p] lh
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ,iQMh] ,p,p ,l] ,lVh] MCY;w] ch,u]
,e,iQ] ,lbZ, vkjMCY;w, lh

19- fnYyh] vaMeku ,oa (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds vks,] vks,y] ch,] ch,p] ,l] ,lVh] MCY;w, ,lbZ] ,p]
fudksckj }hi lewg] varxZr ijkefLr"d ?kkr] Bhd ,eMCY;w] vks,,y] ijkefLr"d vkjMCY;w] lh
y{k}hi] ne.k ,oa nho fd;k x;k dq"B] ckSukiu] vEy ?kkr] Bhd fd;k x;k oqQ"B]
rFkk nknjk ,oa uxj geys ds ihfM+r ckSukiu] vEy geys ds
gosyh flfoy lsok] xzqi ihfM+r
^[k* ch,y,] ch,yvks,] ch,y ,l] ,lbZ, ,p] vkjMCY;w] lh
(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk ,yoh ,e,iQ] ihih] ,l] ,lVh]
MCY;w] ,y] lh] vkjMCY;w, ,p]
dslh] ch,u
ch ,e,iQ] ihih] ,l] ,lVh]
MCY;w] ,y] lh] vkjMCY;w
(czsy@lkÝVos;j es)a ] ,p]
dslh] ch,u
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa एफ़डी, ,p,p ihih] ,l] ,lVh] MCY;w] ,y]
dfBukbZ gksrh gS lh] vkjMCY;w] dslh] ch,u
20- ikafMpsjh flfoy (i) pyu fnO;kaxrk] ftlds vks,] vks,y] ch,] ch,p] ,l] एसटी,  डब य,ू   ,lbZ] ,p]
lsok] varxZr ijkefLr"d ?kkr] Bhd ,eMCY;w] vks,,y] ijkefLr"d vkjMCY;w] lh
fd;k x;k dq"B] ckSukiu] vEy ?kkr] Bhd fd;k x;k dq"B]
geys ds ihfM+r ckSukiu] vEy geys ds
ihfM+r
ch,y,] ch,yvks,] ch,y एस, एसई, एच, आरडब य,ू  सी 

(ii) va/rk vkSj fuEu n`';rk ,yoh ,e,iQ] ihih] ,l] ,lVh]
MCY;w] ,y] lh] vkjMCY;w] ,p]
dslh] ch,u
ch ,e,iQ] ihih] ,l] ,lVh]
MCY;w] ,y] lh] vkjMCY;w
(czsy@lkÝVos;j es)a ] ,p]
dslh] ch,u
(iii) cf/j vkSj ftUgsa lquus esa ihih] ,l] ,lVh] MCY;w] ,y]
dfBukbZ gksrh gS lh] vkjMCY;w] dslh] ch,u

11 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
* कायार् मक वगीर्करण तथा शारीिरक अपेक्षाओं का िव तत
ृ  िववरण कृपया इस नोिटस के पैरा-8 म दे ख। 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
2. (क) परीक्षा िन निलिखत के  द्र   पर आयोिजत की जाएगी।  
(i) िसिवल सेवा (प्रारं िभक) परीक्षा के िलए परीक्षा के  द्र 

12 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
के  द्र  के  द्र  के  द्र 
 
अगरतला  गौरखपरु   पणजी (गोवा) 
 
आगरा  गुड़गांव  पटना 
 
अजमेर  ग् वािलयर  पोटर्    लेयर  
 
अहमदाबाद  है दराबाद  प्रयागराज (इलाहाबाद)  
 
ऐजल  इ  फाल  पुडुचेरी 
अलीगढ़  इंदौर  पूना 
अन  तपु   ईटानगर  रायपरु  
औरं गाबाद  जबलपुर  राजकोट 
बगलू   जयपुर  रांची 
बरे ली  ज  म ू संबलपरु  
भोपाल  जोधपुर  िशलांग 
िबलासपुर  जोरहाट  िशमला 
चंडीगढ़  कोि च  िसिलगड
ु ी 
चे  नई  कोिहमा  ीनगर 
कोय ब
  टूर  कोलकाता  ठाणे 
कटक  कोझीकोड (कालीकट)  ित वनंतपुरम 
दे हरादन
ू   लखनऊ  ित िचराप ल
  ी 
िद  ली  लुिधयाना  ित पित 
धारवाड़  मदरु ै   उदयपुर 
िदसपुर  मु  बई  वाराणसी 
फरीदाबाद  मैसु   वे  लोर 
गंगटोक  नागपरु   िवजयवाड़ा 
गया  नवी मुंबई  िवशाखापटनम 
गािजयाबाद  गौतमबु धनगर  वारं गल 
 

(ii) िसिवल सेवा (प्रधान) परीक्षा के िलए परीक्षा के  द्र 

के  द्र  के  द्र  के  द्र 


अहमदाबाद  िद  ली  पटना 
ऐजल  िदसपुर गुवाहाटी)  प्रयागराज (इलाहाबाद) 
बगलू   है दराबाद  रायपरु  
भोपाल  जयपुर  रांची 
चंडीगढ़  ज  म ू िशलांग 
चे  नई  कोलकाता  िशमला 
कटक  लखनऊ  ित वनंतपुरम 
दे हरादन
ू   मु  बई  िवजयावाडा 

13 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
  आयोग यिद चाहे  तो, परीक्षा के उपयक्
ुर् त
   यथाउि लिखत के द्र  तथा उसके प्रारं भ होने की तारीख म 
पिरवतर्न  कर  सकता  है ।  आवेदक  यह  नोट  कर  िक  चे नई,  िदसपुर,  कोलकाता  तथा  नागपुर  को  छोड़कर 
प्र येक के द्र पर आवंिटत होने  वाले  उ मीदवार  की संख्या की अिधकतम सीमा (सीिलंग) िनधार्िरत होगी। 
के द्र   का  आबंटन  “पहले  आवेदन-पहले  आबंटन”  के  आधार  पर  िकया  जाएगा  और  िकसी  के द्र  िवशेष  की 
क्षमता पूरी हो जाने के उपरांत उस के द्र पर आबंटन रोक िदया जाएगा। सीिलंग के कारण िजन उ मीदवार  
को अपनी पसंद का के द्र प्रा  त नहीं होता उ ह शेष के द्र  म से कोई के द्र चुनना होगा। अतआवेदक  को  :
प्रा सलाह दी जाती है  िक वे शीघ्र आवेदन कर तािक उ ह अपनी पसंद का के द्र त
   हो सके। 
िट पणी:  पूव क् 
त  प्रावधान  के  बावजूद,  आयोग  को  यह  अिधकार  है   िक  वह  अपने  िववेकानुसार  के द्र   म 
पिरवतर्न कर सकता है , यिद पिरि थित की मांग ऐसी हो। िसिवल सेवा (प्रारं िभक) परीक्षा, 2019 के िलए 
सभी परीक्षा के  द्र  बचमाकर् िवकलांगता वाले  उ मीदवार  के िलए अब परीक्षा संब ध पदनािमत के  द्र  पर 
होगी।  िजन  उ  मीदवार   को  उक् 
त  परीक्षा  म  प्रवेश दे   िदया  जाता  है ,  उ  ह  समय-सारणी  तथा  परीक्षा  थ
  ल 
(  थल ) की जानकारी दे  दी जाएगी। उ म
  ीदवार  को नोट करना चािहए िक कद्र पिरवतर्न हे तु उनके अनुरोध 
को   वीकार नहीं िकया जाएगा।

(ख) परीक्षा की योजना :   
िसिवल सेवा परीक्षा की दो अव थाएं ह गी (नीचे पिरिश ट-I खंड-I के अनुसार) . 
(i) प्रधान परीक्षा के िलए उ मीदवार  के चयन हे तु िसिवल सेवा (प्रारं िभक) परीक्षा (व तुपरक) तथा 
(ii) उपयुक्
र्  
त  िविभ न  सेवाओं  और  पद   म  भतीर्  हे तु  उ मीदवार   का  चयन  करने  के  िलए  िसिवल  सेवा 
(प्रधान) परीक्षा (िलिखत तथा साक्षा कार)। 
 
केवल  िसिवल  सेवा  (प्रारं िभक)  परीक्षा  के  िलए  अब  आवेदन  प्रपत्र  आमंित्रत  िकए  जाते  ह।  जो  उ मीदवार 
प्रधान परीक्षा म प्रवेश के िलए आयोग  वारा पात्र घोिषत िकए जाएंगे उनको िव तत
ृ  आवेदन प्रपत्र म पन
ु  :
ऑनलाइन  आवेदन  करना  होगा,  जो  िक  उनको  उपल ध  करवाये  जायगे।  प्रधान  परीक्षा  के  िलए  उ मीदवार 
को ज मितिथ,  ेणी [अथार्त ् अ.जा./ अ.ज.जा./ अ.िप.व. (िबना अ.िप.व. अनुलग्नक)/ईड यूएस [आिथर्क  प 
से  कमजोर वगर्] (ईड यूएस अनुलग्नक के िबना  बच माकर् /(िवकलांगता से  युक्त  यिक्तभूतपूव र् सैिनक /] 
और शैिक्षक योग्यता के समथर्न म  कैन िकए गए द तावेज प्रमाणपत्र  सिहत अिनवायर्  परीक्षा शु क के   /
साथ िव तत
ृ  आवेदन फामर्-Iऑनलाइन प्रस (
् ।-डीएएफ) तत
ु  करना होगा। 
 
उ मीदवार को परीक्षा हे तु  यिक्त व परीक्षण  प्रारं भ होने  से  पहले  अिनवायर्  प से  ऑनलाइन   (साक्षा कार)
 म वषर्  के दौरान िसिवल सेवा परीक्षा म भाग लेन े के िलए केवल (।।-डीएएफ)  ।।-िव तत
ृ  आवेदन पत्र फामर्
उन  सेवाओं  के  संबंध  म  अपने  वरीयता  क्रम  का  उ लेख  करना  होगा  िजनके  आबंटन  हे तु  वह  इ छुक  है । 
उ मीदवार  को  उ चतर  िशक्षा,  िविभ न  क्षेत्र   म  उसकी  उपलि धय ,  सेवा  अनुभव,  अ.िप.व.  अनुलग्नक 
.केवल  अ)िप.व.  ेणी  हे तु(,  ईड यूएस  अनुलग्नक  (केवल  ईड यूएस  ेणी  हे तुप्रमाण    /आिद  द तावेज (
पत्रो◌ं को भी इस फॉमर् के साथ अपलोड करना होगा। 
 
 

 
 
14 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
3. पात्रता की शत : 
 

(i) रा ट्रीयता : 
(1)     भारतीय  प्रशासिनक  सेवा,  भारतीय  िवदे श  सेवा  और  भारतीय  पिु लस  सेवा  का  उ मीदवार 
भारत का नागिरक अव य हो। 
(2)     अ य सेवाओं के उ मीदवार को या तो 
    (क) भारत का नागिरक होना चािहए, या 
    (ख) नेपाल की प्रजा, या 
    (ग) भूटान की प्रजा, या 
    (घ)  ऐसा  ित बती  शरणाथीर्  जो  भारत म  थायी  प  से  रहने  के  इरादे   से  पहली  जनवरी, 
1962 से पहले भारत आ गया हो, या  
    (ङ)  कोई  भारतीय  मूल  का  यिक्त  जो  भारत  म  थायी  प  से  रहने  के  इरादे   से 
पािक तान, बमार्,  ीलंका, पूवीर् अफ्रीकी दे श , कीिनया, उगांडा, संयुक् त गणरा य तंजािनया, 
जाि बया, मालावी, जैरे, इिथयोिपया तथा िवयतनाम से प्रवजन करके आया हो। 
 
पर तु  (ख), (ग), (घ) और (ङ) वग  के अंतगर्त आने  वाले  उ मीदवार के पास भारत सरकार  वारा जारी 
िकया गया पात्रता (एिलजीिबिलटी) प्रमाणपत्र होना चािहए। 
ऐसे  उ मीदवार  को  भी  उक् त  परीक्षा  म  प्रवेश  िदया  जा  सकता  है   िजसके  बारे   म  पात्रता  प्रमाणपत्र  प्रा त
  
करना आव यक हो, िक तु भारत सरकार  वारा उसके संबंध म पात्रता प्रमाणपत्र जारी िकए जाने के बाद ही 
उसको िनयुिक्त प्र ताव भेजा जा सकता है । 
 

(ii) आयु - सीमाएं : 
 

(क)  उ मीदवार  की  आयु  1  अग  त, 2019  को  पूरे  21  वषर्  की  हो जानी चािहए, िक तु  32 वषर्  की  नहीं 
होनी चािहए अथार्त उसका ज म 2 अग त, 1987 से  पहले  और 1 अग त, 1998 के बाद का नहीं  होना 
चािहए। िविभ न
   सेवाओं  के संदभर्  म संबंिधत िनयम /िविनयम  म सम प पिरवतर्न हे तु  आव य
  क कारर् वाई 
अलग से की जा रही है ।   
 

(ख) ऊपर बताई गई अिधकतम आयु-सीमा म िन निलिखत मामल  म छूट दी जाएगी : 


 

(i)   यिद  उ मीदवार  िकसी  अनुसूिचत  जाित  या  अनुसूिचत  जनजाित  का  हो  तो  अिधक  से 
अिधक 5 वषर्। 
(ii)   अ य िपछड़ी  ेिणय  के उन उ मीदवार  के मामले  म अिधकतम तीन वषर्  तक जो  ऐसे 
उ मीदवार  के िलये लागू आरक्षण को पाने के पात्र ह । 
(iii)   िकसी दस
ू रे   दे श के साथ संघषर्  म या िकसी अशांितग्र त क्षेत्र म फौजी कायर्वाही के दौरान 
ुर्  त िकए गए रक्षा कािमर्क  को अिधक से अिधक 
िवकलांग होने के फल व प सेवा से िनमक्
3 वषर्। 
(iv)   िजन  भूतपूव र् सैिनक   (कमीशन  प्रा त
    अिधकािरय   तथा  आपातकालीन  कमीशन  प्रा त
  
अिधकािरय अ पकािलक  सेव/◌ा  कमीशन  प्रा  
त  अिधकािरय   सिहत)  ने  1  अग त,  2019 
को कम से कम 5 वषर् की सैिनक सेवा की हो और जो (i) कदाचार या अक्षमता के आधार 
15 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
पर बखार् त न होकर अ य कारण  से  कायर्काल के समापन पर कायर्मक्
ु  त हुए ह (इनम वे 
भी सि मिलत ह िजनका कायर्काल 1 अग त 2019 से एक वषर् के अंदर पूरा होना है ), या 
(ii)  सैिनक  सेवा  से  हुई  शारीिरक  अपंगता,  या  (iii)  अक्षमता  के  कारण  कायर्मुक् 
त  हुए  ह, 
उनके मामले म अिधक से अिधक 5 वषर् तक।  
(v)   आपातकालीन कमीशन प्रा त
   अिधकािरय अ पकालीन सेवा के कमीशन प्रा/  त अिधकािरय  
के  उन  मामल   म  िज ह ने  1  अग त,  2019  को  सैिनक  सेवा  के  5  वषर्  की  सेवा  की 
प्रारं िभक अविध पूरी कर ली है   और िजनका कायर्काल 5 वषर्  से  आगे  भी बढ़ाया गया है  
तथा िजनके मामले  म रक्षा मंत्रालय एक प्रमाणपत्र जारी करता है   िक वे  िसिवल रोजगार 
के िलए आवेदन कर सकते  ह और चयन होने  पर िनयिु क्त प्र ताव प्रा त
   करने  की तारीख 
से तीन माह के नोिटस पर उ ह कायर्भार से मुक् त िकया जाएगा। अिधकतम 5 वषर्। 
(vi)   (अ)  अंधता  और  िन न  यता  ,  (ब)  बिधर  और  िज ह  सुनने  म  किठनाई  होती  है   (स) 
चलन  िद  यांगता,  िजसके  अंतगर्त  परा-मि त क  घात,  ठीक  िकया  गया  कु ठ,  बौनापन, 
अ ल  हमले  के  पीिड़त  और  पेशीय  दिु वर्कास  िद यांगता  आिट म  बौ िधक  (द),  सीखने  म 
िविश ट  िद यांगता  और  मानिसक  रोग  (ई)  अ  से  द  के  अधीन  िदवयांगताओं  से  यक्
ु त 
यिक्तय  म से  बहु  िदवयांगता, िजसके अंतगर्त बिधर-अंधता है , के मामल  म अिधकतम 
वषर् 10 तक 
(vii) यिद कोई उ मीदवार 1 जनवरी, 1980 से  31 िदसंबर, 1989 तक की अविध के 
दौरान  सामा यतः  ज मू  एवं  क मीर  रा य  का  अिधवासी  रहा  है   तो  ऐसे  उ मीदवार  को 
अिधकतम 5 वषर् तक 
 

िट पणी-I :  अनुसूिचत जाित तथा अनुसूिचत जनजाित व अ य िपछड़े  वग  से  संबंिधत वे  उ मीदवार, जो 


उपयुक्
र्  त  पैरा  3  (ii)(ख)  के  िक हीं  अ य  खंड   अथार्त,  जो  भूतपूव र् सैिनक ,  ज मू  एवं  क मीर  रा य  के 
अिधवासी  उ मीदवार,  (अ)  अंधता  और  िन न  यता  ,  (ब)  बिधर  और  िज ह  सन
ु ने  म  किठनाई  होती  है  
(स) चलन िद  यांगता, िजसके अंतगर्त परा-मि त क घात, ठीक िकया गया कु ठ, बौनापन, अ ल हमले  के 
पीिड़त और पेशीय दिु वर्कास  (द) आिट म बौ िधक िद यांगता, सीखने  म िविश ट िद यांगता और मानिसक 
रोग (ई) अ से  द के अधीन िदवयांगताओं  से  यक्
ु त  यिक्तय  म से  बहु  िदवयांगता, िजसके अंतगर्त बिधर-
अंधता है ,  दोन   ेिणय  के अंतगर्त दी जाने वाली संचयी आयु सीमाछूट प्रा-  त करने के पात्र ह गे। 
िट पणी-II:  प्र येक सेवा हे त ु प्रकायार् मक वगीर्करण    का  यौरा (पीआर)  और शारीिरक अपेक्षाओं (एफसी)इस नोिटस  
म िदया गया है   जो  िद यांगता अिधकार अिधिनयम,के प्रावधान  के अनुसार संबंिधत    34  और  33  की धारा  2016 
  िदर् ट वारा  िन  (सीसीए)  संवगर्  िनयंत्रण  प्रािधकािरय तथा  िनधार्िरत  िकए  गए  ह।  िवकलांग  यिक्त  ेणी  के  अंतगर्त 
केवल उसीवाले ( ेिणय ) की  ेणी (ओं)उ हीं िवकलांगता / उ मीदवार परीक्षा हे त ु आवेदन करगे िजनका उ लेख नोिटस 
म िकया गया है । इसिलए, िद यांग  ेणी वाले  उ मीदवार  को सलाह दी जाती है  िक वे  परीक्षा हे तु  आवेदन करने  से 
पहले इसे  यान से पढ़ ल। 
 

िट पणी  - IIIसमय  पर  यथासंशो-भूतपूव र् सैिनक  श द  उन  यिक्तय   पर  लाग ू होगा  िज ह  समय  :  िधत 
भूतपूव र् सैिनक (िसिवल सेवा और पद म पुनरोजगार :) िनयम, 1979 के अधीन भूतपूव र् सैिनक के  प म 
पिरभािषत िकया जाता है । 
 

16 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
िट पणी - IV:    उपयक्
ुर्  
त पैरा 3 (II) (iv) तथा (v)  के अंतगर्त पवू  र् सैिनक  को आय ु संबंधी छूट  वीकायर्  होगी अथार्त ् ऐसे 
यिक्त िजसने  भारतीय संघ की सेना, नौसेना अथवा वायु  सेना म कंबटट अथवा नॉन-कंबटट के  प म िकसी भी 
रक म सेवा की हो या जो ऐसी सेवा से  सेवािनव ृ  हुआ हो या अवमक्
ु त हुआ हो या सेवा मक्
ु त हुआ हो; चाहे   ऐसा 
वह अपने अनुरोध पर हुआ हो या पशन हे तु अहर्क सेवा पूरी करने के बाद िनयोक्ता  वारा अवमुक्त िकया गया हो।“ 

िट पणी - Vउपय :
ुर्   क् 
त पैरा 3 (ख) (vi) के अंतगर्त आयु  म छूट के बावजूद बचमाकर् िद यांग   यिक्तय  
ेणी  के  उ मी वार  की  िनयुिक्त  हे तु  पात्रता  पर  तभी  िवचार  िकया  जा  सकता  है   जब  वह  (सरकार  या 
िनयोक् 
ता प्रािधकारी, जैसा भी मामला हो,  वारा िनधार्िरत शारीिरक परीक्षण के बाद) सरकार  वारा बचमाकर् 
िद यांग  व य
्  िक्तय   ेणी  के  उ मी वार  आवंिटत  संबंिधत  सेवाओं/पद   के  िलए  िनधार्िरत  शारीिरक  एवं 
िचिक सा मानक  की अपेक्षाओं को पूरा करता हो। 
 

ऊपर की  यव था को छोड़कर िनधार्िरत आय ु सीमा म िकसी-भी हालत म छूट नहीं दी जा सकती। 


 

आयोग ज म की वह तारीख  वीकार करता है   जो मैिट्रकुलेशन या मा यिमक िव यालय छोड़ने  के प्रमाण 


पत्र  या  िकसी  भारतीय  िव व
  िव यालय  वारा  मैिट्रकुलेशन  के  समकक्ष  माने  गए  प्रमाणपत्र  या  िकसी 
िव व
  िव यालय  वारा अनुरिक्षत मैिट्रकुलेट  के रिज टर म दजर् की गई हो और वह उ धरण िव व
  िव यालय 
के समुिचत प्रािधकारी  वारा प्रमािणत हो या उ चतर मा य
  िमक परीक्षा या उसकी समकक्ष परीक्षा प्रमाणपत्र 
म दजर् हो। 
 

ये प्रमाण पत्र िसिवल सेवा (प्रधान) परीक्षा के िलए आवेदन करते समय ही प्र तुत करने ह।  
 

आयु  के संबध
ं  म कोई अ य द तावेज जैसे  ज म कंु डली, शपथपत्र, नगर िनगम से  और सेवा अिभलेख से 
प्रा  त ज म संबंधी उ धरण तथा अ य ऐसे ही प्रमाण  वीकार नहीं िकए जाएंगे । 
 

अनुदेश   के  इस  भाग  म  आए  ''मैिट्रकुलेशनउ चतर  माधयिमक  परीक्षा  प्रमाणपत्र/''  वाक्यांश  के  अंतगर्त 
उपयुक्
र्  त वैकि पक प्रमाणपत्र सि मिलत ह।  
 

िट पणी-I  उ मीदवार  को :  य


  ान रखना चािहए िक आयोग ज म की उसी तारीख को  वीकार करे गा जो 
िक  आवेदनपत्र  प्र तुत  करने  की  तारीख  को-  मैिट्रकुलेशनउ चतर  मा/ य
  िमक  परीक्षा  प्रमाणपत्र  या  समकक्ष 
परीक्षा  के  प्रमाणपत्र  म  दजर्  है   और  इसके  बाद  उसम  पिरवतर्न  के  िकसी  अनुरोध  पर  न  तो  िवचार  िकया 
जाएगा न ही उसे  वीकार िकया जाएगा। 
िट पणी-II उ मीदवार  को :  य
  ान रखना चािहए िक उनके  वारा परीक्षा म प्रवेश के िलए ज म की तारीख 
एक बार िलख भेजने  और आयोग  वारा उसके  वीकृत हो जाने  के बाद, बाद म या िकसी परीक्षा म उसम 
िकसी भी आधार पर कोई पिरवतर्न करने की अनम
ु ित नहीं दी जाएगी।  
 

िट पणी-IIIउ मीदवार  को प्रारं िभक परीक्षा के िलए ऑनलाइन आवेदन प्रपत्र म ज म ितिथ भरते समय  : 


उिचत सावधानी बरतनी चािहए। यिद बाद म िकसी अव था म, जांच के दौरान उनके  वारा भरी गई ज म 
ितिथ की उनके मैिट्रक या समकक्ष परीक्षा के प्रमाणपत्र म दी गई ज म ितिथ से कोई िभ नता पाई गई तो 
आयोग  वारा उनके िव ध अनुशासना मक कारर् वाई की जाएगी। 
 

(iii)   यूनतम शैिक्षक योग्यता : 
 

उ मीदवार  के  पास  भारत  के  के द्र  या  रा य  िवधानमंडल  वारा  िनगिमत  िकसी  िव व
  िव यालय  की  या 

17 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
संसद  के  अिधिनयम  वारा  थािपत  या  िव व
  िव यालय  अनद
ु ान  आयोग  अिधिनयम  1956  के  खंड  3  के 
अधीन िव व
  िव यालय के  प म मानी गई िकसी अ य िशक्षा सं था की िडग्री अथवा समकक्ष योग्यता होनी 
चािहए। 
 

िट पणी-I:   कोई  भी  उ मीदवार  िजसने  ऐसी  कोई  परीक्षा  दे   दी  है   िजसम  उ ीणर्  होने  पर  वह  आयोग  की 
परीक्षा  के  िलए  शैिक्षक  प  से  पात्र  होगा  पर तु  उसे  परीक्षा  पिरणाम  की  सच
ू ना  नहीं  िमली  है   तथा  ऐसा 
उ मीदवार भी जो ऐसी अहर्क परीक्षा म बैठने  का इरादा रखता है , प्रारं िभक परीक्षा म प्रवेश पाने  का पात्र 
होगा।  
  flfoy lsok (iz/ku) ijh{kk ds fy, vgZd ?kksf"kr fd, x, lHkh mEehnokjksa dks iz/ku ijh{kk ds fy, vkosnu&i=k
(अथार्त िव तत
ृ  आवेदन फामर्-I) ds lkFk&lkFk visf{kr ijh{kk esa mÙkh.kZ gksus dk izek.k&i=k izLrqr djuk gksxk A ftlds izLrqr
u fd, tkus ij ,sls mEehnokjksa dks iz/ku ijh{kk esa izos'k ugha fn;k tk,xk। अपेिक्षत परीक्षा उ ीणर्  कर लेने  का ऐसा प्रमाण 
िसिवल सेवा  परीक्षा के िव तत
ृ  आवेदन फामर् (प्रधान)-I भरे   जाने  की िनयत तारीख  से  पहले  की तारीख का होना   (अंितम तारीख)
चािहए। 
 

िट पणी-II:   िवशेष पिरि थितय  म संघ लोक सेवा आयोग ऐसे  िकसी भी उ मीदवार को परीक्षा म प्रवेश 


पाने  का पात्र मान सकता है   िजसके पास उपयक्
ुर् त
   अहर्ताओं  म से  कोई अहर्ता न हो, बशत िक उ मीदवार 
ने िकसी सं था  वारा ली गई कोई ऐसी परीक्षा पास कर ली हो िजसका  तर आयोग के मतानस
ु ार ऐसा हो 
िक उसके आधार पर उ मीदवार को उक् 
त परीक्षा म बैठने िदया जा सकता है । 
 

िट पणी-III:    िजन  उ मीदवार   के  पास  ऐसी  यावसाियक  और  तकनीकी  योग्यताएं  ह ,  जो  सरकार  वारा 
यावसाियक और तकनीकी िडिग्रय  के समकक्ष मा यता प्रा  त ह वे भी उक् त परीक्षा म बैठने के पात्र ह गे। 
 

िट पणी-  IV:  िजन  उ मीदवार   ने  अपनी  अंितम  यावसाियक  एमबीबीएस  अथवा  कोई  अ य  िचिक सा 
परीक्षा पास की हो लेिकन उ ह ने  िसिवल सेवा (प्रधान) परीक्षा का आवेदन प्रपत्र प्र तुत करते  समय अपना 
इ टनर्िशप  परू ा  नहीं  िकया  है   तो  वे  भी  अनि तम  प  से  परीक्षा  म  बैठ  सकते  ह,  बशत  िक  वे  अपने 
आवेदनप्रपत्र के साथ संब-ं िधत िव व
  िव यालयसं था के प्रा/िधकारी से  इस आशय के प्रमाणपत्र की एक प्रित 
प्र तुत  कर  िक  उ होने  अपेिक्षत  अंितम  यावसाियक  िचिक सा  परीक्षा  पास  कर  ली  है ।  ऐसे  मामल   म 
उ मीदवार  को साक्षा कार के समय िव व
  िव यालयसं था/ के संबंिधत सक्षम प्रािधकारी से  अपनी मूल िडग्री 
अथवा प्रमाणपत्र प्र तुत करने  ह गे  िक उ ह ने  िडग्री प्रदान करने  हे तु  सभी अपेक्षाएं  (िजनम इ टनर्िशप पूरा 
करना भी शािमल है ) पूरी कर ली ह। 
 
(iv) अवसर  की संख्या : 
(अ)    िसिवल  सेवा  परीक्षा  म  बैठने  वाले  प्र येक  उ मीदवार  को  जो  अ यथा  पात्र  ह ,  छ:  बार  बैठने  की 
अनुमित दी जाएगी। 
 

पर तु  अवसर  की संख्या से  संब ध यह प्रितबंध अनुसूिचत जाितय  और अनुसूिचत जनजाितय  के अ यथा 


पात्र उ मीदवार  पर लागू नहीं होगा। 
 

पर तु  आगे  यह  और  भी  है   िक  अ य  िपछड़ी  ेिणय   के  उ मीदवार   को,  जो  अ यथा  पात्र  ह ,  वीकायर् 
अवसर  की संख्या नौ होगी। यह िरयायतछूट केवल वैसे  अ यिथर्य  को िमलेगी जो आरक्षण पाने  के पात्र  /
ह। 

18 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 

बशत यह भी िक बचमाकर् िद यांग   यिक्तय   ेणी के उ मी वार को उतने  ही अवसर अनुमत ह गे  िजतने 


िक उसके समुदाय के अ य उन उ मीदवार  को जो बचमाकर् िद यांग   यिक्तय   ेणी के नहीं ह या इस शतर् 
के अ  यधीन ह िक सामा य वगर्  से  संबंिधत बचमाकर् िद यांग   यिक्तय   ेणी के उ मी वार नौ अवसर  के 
पात्र  ह गे।  िविभ न  सेवाओं  के  संदभर्  म  संबंिधत  िनयम /  िविनयम   म  सम प  पिरवतर्न  हे तु  आव यक 
कारर् वाई  अलग  से  की  जा  रही  है   ।  यह  छूट  बचमाकर्  िद यांग   यिक्तय   ेणी  के  उन  उ मीदवार   को 
उपल ध होगी जो िक ऐसे उ मीदवार  पर लागू होने वाले आरक्षण को प्रा त
   करने के पात्र ह गे। 
 

1.    प्रारं िभक परीक्षा म बैठने को परीक्षा म बैठने का एक अवसर माना जाएगा। 


2.    यिद  उ मीदवार  प्रारं िभक  परीक्षा  के  िकसी  एक  प्र न
    पत्र  म  व तुत:  परीक्षा  दे ता  है   तो 
उसका परीक्षा के िलए एक प्रयास समझा जाएगा। 
3.    अयोग्यता/उ मीदवारी के र द होने के बावजद
ू  उ मीदवार की परीक्षा म उपि थित का त य 
एक प्रयास िगना जाएगा। 
 

(v) परीक्षा के िलए आवेदन करने पर प्रितबंध : 
 

कोई उ मीदवार िकसी पूव र् परीक्षा के पिरणाम के आधार पर भारतीय प्रशासिनक सेवा अथवा भारतीय िवदे श 


सेवा म िनयुक् 
त हो जाता है   और उस सेवा का सद य बना रहता है   तो वह इस परीक्षा म प्रितयोगी बने 
रहने का पात्र नहीं होगा। 
 

यिद  ऐसा  कोई  उ मीदवार  िसिवल  सेवा  (प्रारं िभक)  परीक्षा,  2019  के  समा  त  होने  के  प च
  ात ्  भारतीय 
प्रशासिनक सेवा भारतीय/िवदे श सेवा म िनयुक् 
त हो जाता है  तथा वह उस सेवा का सद य बना रहता है , तो 
वह िसिवल सेवा (प्रधान) परीक्षा, 2019 म बैठने  का पात्र नहीं  होगा चाहे   उसने  प्रारं िभक परीक्षा, 2019 म 
अहर्ता प्रा  त कर ली हो।  
 
यह भी  यव था है   िक िसिवल सेवा (प्रधान) परीक्षा, 2019 के प्रारं भ होने  के प च
  ात ् िक तु  उसके परीक्षा 
पिरणाम से  पहले  िकसी उ मीदवार की भारतीय प्रशासिनक सेवाभारतीय िवदे श सेवा म िनयुिक्त हो जाती  /
  है   और वह उसी सेवा का सद य बना रहता है   तोिसिवल सेवा परीक्षा, 2019 के पिरणाम के आधार पर 
उसे िकसी सेवा पद पर/िनयुिक्त हे तु िवचार नहीं िकया जाएगा। 
ऐसे  उ मीदवार  िज ह  िकसी  पूव र् िसिवल  सेवा  परीक्षा  के  पिरणाम  के  आधार  पर  भारतीय  पुिलस  सेवा  के 
िलए िनयुक्त िकया गया है   और वे  अभी भी उस सेवा के सद य बने  हुए ह, वे  िसिवल सेवा परीक्षा, 2019 
म भारतीय पिु लस सेवा का िवक प चुनने के पात्र नहीं ह गे। 
(vi) शारीिरक मानक : 
िसिवल सेवा परीक्षा, 2019 म प्रवेश के िलए उ मीदवार  को िदनांक 19 फरवरी, 2019 के भारत के राजपत्र 
(असाधारण) म प्रकािशत परीक्षा की िनयमावली के पिरिश ट-3 म िदए शारीिरक परीक्षा के बारे  म िविनयम  
के अनु प शारीिरक  प से  व थ होना चािहए। 
 

4. शु क 
(क)  उ मीदवार   को  100/-  (सौ  पये  मात्र/.जा.ज.अ/.जा.अ)  फीस  के  प  म  (  मिहला/  बचमाकर्  िद यांग 
 यिक्तय   ेणी के उ मीदवार  को छोड़कर िज ह कोई शु क नहीं  दे ना होगा टे ट बक ऑफ  इंिडया की   (

19 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
िकसी भी शाखा म नकद जमा करके या  टे ट बक ऑफ इंिडया की नेट बिकंग सेवा का उपयोग करके या 
वीजामा टर//  पे क्रेिडटडेिबट काडर् का उपयोग करके भुगतान करना होगा/। 
 


  ान  द  :  जो  उ  मीदवार  भुगतान  के  िलए  नकद  भुगतान  प्रणाली  का  चयन  करते  ह  वे  िस  टम  वारा 
सिृ जत   (एसबीआई)  ट बकर और अगले  कायर्  िदवस को ही भारतीय  ट
 े ि लप को मुिद्रत क-इन-पे (जनरे ट)
    जमा  करवाएं।की  शाखा  के  काउं टर  पर  शु  क“नकद  भग
ु तान  प्रणाली”  का  िवक प
    अंितम  ितिथ  से  एक 
िदन पहले, अथार्त ् िदनांक 17/03/2019 को राित्र 23.59 बजे  िनि क्रय हो जाएगा। तथािप, जो उ  मीदवार 
अपने  पेइसके िनि क्रय होने  से  पहले  कर लेते  ह (जनरे शन)  प का सज
ृ नइन ि ल-, वे  अंितम ितिथ को ब 
क 
के कायर्  समय के दौरान एसबीआई की शाखा म काउं टर पर नकद भुगतान कर सकते  ह। वे  उ  मीदवार जो 
वैध  पेदौरान    इन  ि लप  होने  के  बावजूद  िकसी  भी  कारणवश  अंितम  ितिथ  को  बक  के  कायर्  समय  के-
  ऑफलाइन एसबीआई  की  शाखा  म  नकद  भग
ु तान  करने  म  असमथर्  रहते  ह  तो  उनके  पास  कोई  अ  य
 नहीं होगा उपल  धिवक प
   लेिकन वे अंितम ितिथ अथार्त 18/03/2019 को सांय 6:00 बजे तक ऑनलाइन 
डेिबटह। क्रेिडट काडर् अथवा इंटरनेट बिकंग भुगतान के िवक प का चयन कर सकते/ 
 

िजन आवेदक  के मामले  म बक से  भग


ु तान संबंधी िववरण प्रा त
   नहीं  हुए ह उ ह फजीर्  भग
ु तान मामला 
समझा  जाएगा  और  ऐसे  सभी  आवेदक   की  सूची ऑनलाइन  आवेदन  पत्र भरने  के  अंितम  िदन  के बाद  दो 
स ताह के भीतर आयोग की वेबसाइट पर उपल ध करा दी जाएगी। 
 
इन आवेदक  को ई-मेल के जिरए यह भी सूिचत िकया जाएगा िक वे  आयोग को िकए गए अपने  भुगतान 
के प्रमाण की प्रित प्र तत
ु  कर। आवेदक  को इसका प्रमाण 10 िदन  के भीतर द ती अथवा  पीड पो ट के 
जिरए  आयोग  को  भेजना  होगा।  यिद  आवेदक  की  ओर  से  कोई  प्र यु र  प्रा त
    नहीं  होता  है   तब  उनका 
आवेदन पत्र त काल अ वीकार कर िदया जाएगा और इस संबंध म आगे कोई पत्राचार नहीं िकया जाएगा। 
 
सभी  मिहला  उ मीदवार   तथा  अनुसूिचत  जाित/अनुसूिचत  जनजाित/  बचमाकर्  िद यांग   यिक्तय  
ु तान  से  छूट  प्रा  त  है ।  तथािप,  अ य  िपछड़े  वगर्  /  आिथर्क  प  से 
ेणी  के  उ मी वार   को  शु क  के  भग
कमजोर वगर् के उ मीदवार  को शु क म छूट प्रा  
त नहीं है  तथा उ ह िनधार्िरत पूण र् शु क का भुगतान करना 
होगा। 
 
बचमाकर्  िद यांग   यिक्तय   ेणी  के  उ मी वार   को  शु क  के  भुगतान  से  छूट  है   बशत  िक  वे  इन 
सेवाओं  द  के िलए िचिक सा आरोग्यताप/(बचमाकर् िद यांग   यिक्तय   ेणी के उ मी वार को दी गई िकसी 
अ य  िवशेष  छूट  सिहत)  के  मानक   के  अनुसार  इस  परीक्षा  के  पिरणाम  के  आधार  पर  भरी  जाने  वाली 
सेवाओंपद  पर िनयुिक्त हे तु  अ यथा  प से  पात्र ह /। शु क म छूट का दावा करने  वाले  बचमाकर् िद यांग 
 यिक्तय   ेणी के उ मी वार  को अपने  िव तत
ृ  आवेदन प्रपत्र-I  के साथ अपने  शारीिरक  प से  बचमाकर् 
िद यांग होने के दावे के समथर्न म, सरकारी अ पतालिचिक सा बोडर् से प्रा/ त
   प्रमाणपत्र की प्रमािणत प्रित -
रनी होगीप्र तुत क। 
 
िट पणी  :  शु क  म  छूट  के  उपयक्
ुर् त
    प्रावधान  के  बावजूद  बचमाकर्  िद यांग   यिक्तय   ेणी  के  उ मी वार  
ु तभी  पात्र  माना  जाएगा  जब  वह  (सरकार  या  िनयिु क्त  प्रािधकारी,  जैसा  भी  मामला  हो, 
को  िनयिु क्त  हे त 
20 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
वारा  िनधार्िरत  ऐसी  िकसी  शारीिरक  जांच  के  बाद),  सरकार  वारा  बचमाकर्  िद यांग   यिक्तय   ेणी  के 
उ मी वार  को आवंिटत की जाने  वाली संबंिधत सेवाओंपद  के िलए शारीिरक और िचिक सा मानक  की  /
अपेक्षाओं को पूरा करते ह ।  
 
िट पणी-I  :  िजन  आवेदनपत्र   के  साथ  न-ि◌धार्िरत  शु क  संलग्न  नहीं  होगा  (शु क  माफी  के  दावे  को 
छोड़कर), उ ह त काल अ वीकृत कर िदया जाएगा। 
 
िट पणी-IIिकसी भी ि थित म आयोग को भग
ु तान :   िकए गए शु क की वापसी के िकसी भी दावे  पर न 
तो  िवचार  िकया  जाएगा  और  न  ही  शु क  को  िकसी  अ  य  परीक्षा  या  चयन  के  िलए  आरिक्षत  रखा  जा 
सकेगा। 
 

िट पणी-III  यिद कोई उ मीदवार :  2018 म ली गयी िसिवल सेवा परीक्षा म बैठा हो और अब इस परीक्षा 


म प्रवेश पाने  के िलए आवेदन करना चाहता हो, तो उसे  परीक्षाफल या िनयुिक्त प्र ताव की प्रतीक्षा िकए 
िबना ही अपना आवेदन पत्र भर दे ना चािहए। 
 

िट पणी-IV :  प्रधान परीक्षा म िजन उ मीदवार  को प्रवेश िदया जायेगा, उनको पुन .  :200 (केवल दो सौ 


पये) के शु क का भग
ु तान करना होगा।  
5. आवेदन कैसे कर : 
(क)  उ मीदवार  https://upsconline.nic.in/    वेबसाइट  का  इ तेमाल  करके  ऑनलाइन  आवेदन  कर। 
ऑनलाइन आवेदन पत्र भरने के िलए िव तत
ृ  अनुदेश उपयक्
ुर्  
त वेबसाइट पर उपल ध ह। 
 
आवेदक  को केवल एक ही आवेदन पत्र प्र तत
ु  करने  का परामशर्  िदया जाता है । तथािप, िकसी अपिरहायर् 
पिरि थितवश यिद वह एक से अिधक आवेदन पत्र प्र तुत करता है , तो वह यह सुिनि चत कर ल िक उ च 
आरआईडी  वाला  आवेदन  पत्र  हर  तरह  अथार्त  आवेदक  का  िववरण,  परीक्षा  के  द्र,  फोटो,  ह ताक्षर,  फोटो 
आईडी,  शु क  आिद  से  पण
ू  र् है ।    एक  से  अिधक  आवेदन  पत्र  भेजने  वाले  उ मीदवार  ये  नोट  कर  ल  िक 
केवल  उ च  आरआईडी  (रिज ट्रे शन  आईडी)  वाले  आवेदन  पत्र  ही  आयोग  वारा  वीकार  िकए  जाएंगे  और 
एक  आरआईडी  के  िलए  अदा  िकए  गए  शु क  का  समायोजन  िकसी  अ य  आरआईडी  के  िलए  नहीं  िकया 
जाएगा। 
 
(ख) सभी उ मीदवार  को चाहे   वे  पहले  से  सरकारी नौकरी म ह  या सरकारी औ योिगक उपक्रम  म ह  या 
इसी प्रकार के अ य संगठन  म ह  या गैरसरकारी सं थाओं म िनय-ु क् 
त ह , अपने आवेदन प्रपत्र आयोग को 
सीधे भेजने चािहए। जो  यिक्त पहले से सरकारी नौकरी म  थायी या अ थायी है िसयत से काम कर रह ह  
या िकसी काम के िलए िविश ट  प से िनयुक् 
त कमर्चारी ह , िजसम आकि मक या दै िनक दर पर िनयुक् 
त 
यिक्त  शािमल  नहीं  ह,  उनको  अथवा  जो  लोक  उ यम   के  अधीन  कायर्रत  ह  उनको  यह  पिरवचन 
(अ डरटे िकंग) प्र तत
ु  करना होगा िक उ ह ने  िलिखत  प से  अपने  कायार्लय  िवभाग के/अ  यक्ष को सिू चत 
कर िदया है  िक उ ह ने इस परीक्षा के िलए आवेदन िकया है । 
 

21 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
उ मीदवार   को  य
  ान  रखना  चािहए  िक  यिद  आयोग  को  उनके  िनयोक् 
ता  से  उनके  उक् त  परीक्षा  के  िलए 
आवेदन  करनेपरीक्षा  म  बैठने  से  स ब/ ध  अनुमित  रोकते  हुए  कोई  पत्र  िमलता  है   तो  उनका  आवेदन  पत्र 
अ वीकृत िकया जा सकता है उनकी उ मीदवारी र द कर दी जा सकती है /। 
 
िट पणी-1: उ मीदवार को अपने  आवेदन प्रपत्र म परीक्षा के िलए के द्र भरते  समय सावधानीपूवक
र्  िनणर्य 
लेना चािहए। यिद कोई उ मीदवार आयोग  वारा प्रेिषत प्रवेश प्रमाण पत्र म दशार्ये गये के द्र से इतर के द्र 
म बैठता है   तो उस उ मीदवार के प्र न
   पत्र  का मू यांकन नहीं  िकया जायेगा तथा उसकी उ मीदवारी भी 
र द की जा सकती है । 
 
   के उ र अिनवायर्त  वयं :िलखने  ह गे। िकसी भी पिरि थित म उ ह उ र 
िट पणी-2: उ मीदवार  को प्र न
िलखने के िलए  क्राइब की सहायता लेने की अनुमित नहीं दी जाएगी। नेत्रहीनता, चलने म असमथर् न  दो)
और प्रमि त कीय पक्षाघात  ेिणय  के अंतगर्त बचमाकर् िवकलांगता वाले उ मीदवार   (बीए  – बाजुएं प्रभािवत
को  क्राइब सुिवधा की मांग िकए जाने  पर उपल ध कराई जाएगी। आरपीड यूडी अिधिनयम,की    2016 
 2 धारा(दके अंतगर्त यथापिरभािषत बे (◌ंचमाकर् िवकलांगता की अ य  ेिणय  के उ मीदवार  को पिरिश ट-
IV पर िदए गए प्रपत्र के अनस
ु ार िकसी सरकारी  वा य दे खभाल सं था के मुख्य िचिक सा अिधकारी /
िचिक सा अधीक्षक  वारा जारी इस आशय का प्रमाण पत्र प्र तुत िकए जाने पर िक संबंिधत  /िसिवल सजर्न
उम ्मीदवार  िलखने  म  शारीिरक  प  से  अक्षम  है   तथा  उसकी  ओर  से  परीक्षा  िलखने  के  िलए  क्राइब  की 
सेवाएं लेना अपिरहायर् है , ऐसे उ मीदवार  को  क्राइब की सुिवधा प्रदान की जाएगी। 
िट पणी-3: अपना  क्राइब लाने या आयोग को इसके िलए अनुरोध करने संबंधी िववेकािधकार उ मीदवार को 
है ।  क्राइब का िववरण अथार्त अपना या आयोग का और यिद उ मीदवार अपना  क्राइब लाना चाहते ह, तो 
त संबंधी िववरण ऑनलाइन आवेदन करते समय पिरिश ट-IV के प्रपत्र म मांगा जाएगा।  
 िट पणी-3:  वयं के अथवा आयोग  वारा उपल ध कराए गए  क्राइब की योग्यता परीक्षा के िलए िनधार्िरत 
यूनतम  योग्यता  मानदं ड  से  अिधक  नहीं  होगी।  तथािप,  क्राइब  की  योग्यता  सदै व  मैिट्रक  अथवा  इससे 
अिधक होनी चािहए। 
 िट पणी-5: नेत्रहीनता, चलने म असमथर् और प्रमि त कीय पक्षाघात  ेिणय   (बीए  – दोन  बाजुएं प्रभािवत)
के अंतगर्त बचम◌ाकर् िवकलांगता वाले उ मीदवार  को परीक्षा के प्र येक घंटे हे तु िमनट प्रितपूरक समय  20
प्रदान  िकया  जाएगा।  बचमाकर्  िवकलांगता  की  अ य  ेिणय   के  उ मीदवार   को  पिरिश ट-IV  पर  िदए  गए 
प्रपत्र  के  अनुसार  िकसी  सरकारी  वा ु य  िचिक सा  अिधकारी  /िसिवल  सजर्न  /
य  दे खभाल  सं था  के  मख्
िचिक सा  अधीक्षक  वारा  जारी  इस  आशय  का  प्रमाण  पत्र  प्र तुत  िकए  जाने  पर  िक  संबंिधत  उ मीदवार 
िलखने म शारीिरक  प से अक्षम है , यह सिु वधा प्रदान की जाएगी। 
िट पणी-6: िसिवल सेवा  201  परीक्षा (प्रारं िभक)9 म शािमल होने  वाले  उ  मीदवार  को िन  निलिखत प्रकार 
की  सूचना  का  उ ल
  ेख  ऑनलाइन  आवेदन  पत्र  भरते  समय  ही  करना  होगा  :    (प्रधान)  िसिवल  सेवा  (क)
 (प्रधान) परीक्षा तथा भारतीय वन सेवापरीक्षा के के  द्र  का िववरण दोन  परीक्षाओं के िलए वैकि पक  (ख)
िवषय   का  चयन  मका  मा य
    परीक्षा  हे तु  परीक्षा  दे न े (प्रधान)  िसिवल  सेवा  (ग),  (घ)  वैकि पक  िवषय  के 
प्र न  के  िलए  परीक्षा  दे न े का  मा यम  का  चयन  जब  िसिवल  सेवा  (प्रधान)  परीक्षा  हे त ु परीक्षा  दे न े का 
मा  यम  म  भारतीय  भाषा  चुनी  गयी  हो  और  )ड़  परीक्षा  के  (प्रधान)  िसिवल  सेवा  (िलए  अिनवायर्  भारतीय 
भाषा। 

22 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
िट पणी-4:  उ मीदवार   को  अपने  आवेदन  प्रपत्र   के  साथ  आयु  तथा  शैिक्षक  योग्यता,  अनुसूिचत 
जाितअनुसूिचत जनजाित/, अ य िपछड़ी  ेणी, बचमाकर् िद यांग   यिक्तय   ेणी के उ मी वार  और शु क 
म छूट आिद का प्रमाणपत्र प्र तत
ु  नहीं  करना होगा। केवल प्रधान परीक्षा के समय इनकी जांच की जायेगी 
।  परीक्षा  म  आवेदन  करने  वाले  उ मीदवार  यह  सुिनि चत  कर  ल  िक  वे  परीक्षा  म  प्रवेश  पाने  के  िलये 
पात्रता की सभी शत पूरी करते  ह। परीक्षा के उन सभी  तर , िजनके िलये  आयोग ने  उ ह प्रवेश िदया है  
अथार्त प्रारं िभक परीक्षा, प्रधान (िलिखत) परीक्षा तथा साक्षा कार परीक्षण, म उनका प्रवेश पूणत
र् अनंितम   :
होगा तथा उनके िनधार्िरत पात्रता की शत  को पूरा करने  पर आधािरत होगा। यिद प्रारं िभक परीक्षा, प्रधान 
(िलिखत) परीक्षा तथा साक्षा कार परीक्षण के पहले  या बाद म स यापन करने  पर यह पता चलता है   िक वे 
पात्रता की िक हीं  शत  को पूरा नहीं  करते  ह तो आयोग  वारा परीक्षा के िलये  उनकी उ मीदवारी र द कर 
दी जाएगी। यिद उनके  वारा िकए गए दावे  सही नहीं  पाए जाते  ह तो उनके िखलाफ आयोग  वारा िसिवल 
सेवा परीक्षा, 2019 की िनयमावली के िनयम 14 की शत  जो िक नीचे  उ धत
ृ  ह, के अनुसार अनुशासिनक 
कायर्वाही की जा सकती है । 
 
िजस उ मीदवार ने :  
(i)      िन निलिखत तरीक  से अपनी उ मीदवारी के िलए समथर्न प्रा  त िकया है  अथार्त ् :  
    (क) गैर कानूनी  प से पिरतोषण की पेशकश करना, या 
    (ख) दबाव डालना, या  
    (ग)  परीक्षा  आयोिजत  करने  से  संबंिधत  िकसी  भी  यिक् 
त  को  लैकमेल  करना,  अथवा 
उसे  लैकमेल करने की धमकी दे ना, अथवा 
(ii)       नाम बदल कर परीक्षा दी है , अथवा 
(iii)      िकसी अ य  यिक् 
त से छ म  प से कायर् साधन कराया है , अथवा 
(iv)    जाली  प्रमाणपत्र  या  ऐसे  प्रमाण  प्र तत
ु   िकए  ह.  िजनम  त य   को  िबगाड़ा  गया  हो, 
अथवा 
(v)    त य िदए ह या िकसी मह वपूण र् त य को िछपाया है , अथवा 
गलत या झूठे वक् 
(vi)   परीक्षा के िलए अपनी उ मीदवारी के संबंध म िन निलिखत साधन  का उपयोग िकया 
है :अथार्त .
्  
  (क) गलत तरीके से प्र न
  -पत्र की प्रित प्रा त
   करना, 
  (ख)  परीक्षा  से  संबंिधत  गोपनीय  कायर्  से  जुड़ े यिक् 
त  के  बारे   म  पूरी  जानकारी  प्रा त
  
करना 
  (ग) परीक्षक  को प्रभािवत करना, या 
(vii)   परीक्षा के समय अनुिचत साधन  का प्रयोग िकया हो, या 
(viii)     उ र पुि तकाओं पर असंगत बात िलखना या भ दे  रे खािचत्र बनाना, अथवा 
(ix)    परीक्षा  भवन  म  द ु  यर् यवहार  करना,  िजसम  उ र-पुि तकाओं  को  फाड़ना,  परीक्षा  दे ने 
वाल  को परीक्षा का बिह कार करने  के िलए उकसाना अथवा अ यव था तथा ऐसी ही 
अ य ि थित पैदा करना शािमल है , अथवा 
(x)    परीक्षा संचािलत करने  के िलए आयोग  वारा िनयुक् 
त कमर्चािरय  को परे शान िकया हो 

23 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
या अ य प्रकार की शारीिरक क्षित पहुंचाई हो, या 
(xi)    परीक्षा के दौरान मोबाइल फोन )चाहे   वह ि वच ऑफ ही क्य  ना हो(, पेजर या िकसी 
अ  य प्रकार का इलेक्ट्रॉिनक उपकरण या प्रोग्राम िकए जा सकने  वाला िडवाइस या पेन 
ड्राइव जैसा कोई  टोरे ज मीिडया,  माटर्   वॉच इ यािद या कैमरा या  लूटूथ िडवाइस या 
कोई  अ  य  उपकरण  या संचार  यंत्र  के  प  म  प्रयोग  िकए  जा  सकने  वाला  कोई  अ य 
संबंिधत उपकरण, चाहे  वह बंद हो या चाल,ू  प्रयोग करते हुए या आपके पास पाया गया 
हो; अथवा 
 
(xii)    परीक्षा की अनम
ु ित दे ते  हुए उ मीदवार  को भेजे  गये  प्रमाण-पत्र  के साथ जारी अनद
ु ेश  
का उ लंघन िकया है , अथवा 
(xiii)    उपयुक् त  खंड   म  उि लिखत  सभी/िकसी  भी  कायर्  के  वारा  आयोग  को  अवप्रेिरत  करने 
र्  
    िकया  हो,  तो  उन  पर  आपरािधक  अिभयोग (िक्रिमनल  प्रॉसीक्यूशन)  चलाया 
का  प्रय न
जा सकता है  और उसके साथ ही उसे - 
    (क) आयोग  वारा िकसी उ मीदवार को उस परीक्षा के िलये अयोग्य ठहराया जा सकता 
है  िजसम वह बैठ रहा है , औरअथवा/ 
    (ख) उसे  थाई  प से अथवा एक िवशेष अविध के िलए 
        (i) आयोग  वारा ली जाने वाली िकसी भी परीक्षा अथवा चयन के िलए 
    (i) के द्रीय  सरकार  वारा  उसके  अधीन  िकसी  भी  नौकरी  से  वािरत  िकया  जा 
सकता है । 
    (ग)  यिद  वह  सरकार  के  अधीन  पहले  से  ही  सेवा  म  है   तो  उसके  िव ध  उपयुक् त 
िनयम   के  अधीन  अनुशासिनक  कायर्वाही  की  जा  सकती  है ।  िकंतु  शतर्  यह  है   िक  इस 
िनयम के अधीन कोई शाि त तब तक नहीं दी जाएगी जब तक:  
     
    (i) उ मीदवार को इस स ब ध म िलिखत अ यावेदन, जो वह दे ना चाहे , प्र तुत करने 
का अवसर न िदया गया हो और 
    (ii) उ मीदवार  वारा अनम
ु त समय म प्र तुत अ यावेदन पर, यिद कोई हो, िवचार न 
कर िलया गया हो। 
 
6. आवेदन-प्रपत्र प्रा त
   करने की अंितम तारीख : 
  ऑनलाइन आवेदन प्रपत्र 18 माचर्, 2019 सांय 6:00 तक भरे  जा सकते ह। 
 
7. आयोग के साथ पत्र- यवहार : 
िन निलिखत को छोड़कर आयोग अ य िकसी भी मामले म उ मीदवार के साथ पत्र यवहार नहीं करे गा- । 
(i)   पात्र उ मीदवार  को परीक्षा प्रांरभ होने  के तीन स ताह पूव र् ई-प्रवेश प्रमाण पत्र जारी िकया 
जाएगा. ई-प्रवेश प्रमाण पत्र आयोग की वेबसाइट https://upsc.gov.in/  पर उपल ध होगा 
िजसे  उ मीदवार  डाउनलोड  कर  सकते  ह।  डाक  वारा  कोई  प्रवेश  प्रमाण  पत्र  नहीं  भेजा 
जाएगा। यिद िकसी उ मीदवार को परीक्षा प्रारं भ होने  से  तीन स  ताह पूव र् ईप्रव -◌ेश प्रमाण 

24 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
पत्र  अथवा  उसकी  उ मीदवारी  से  संब ध  कोई  अ य  सच
ू ना  न  िमले  तो  उसे  आयोग  से 
त काल  संपकर्  करना  चािहए।  इस  संबंध  म  जानकारी  आयोग  पिरसर  म  ि थत  सुिवधा 
काउ टर  पर  यिक्तगत  प  से  अथवा  दरू भाष  संख्या  011-23385271/011-
    की  जा  सकती  है ।  यिद  िकसी  उ मीदवार  से 
23381125/011-23098543  से  भी  प्रा त
प्रवेश प्रमाण पत्र प्रा  त न होने  के संबंध म कोई सूचना आयोग कायार्लय म परीक्षा प्रारं भ 
   नहीं होती है  तो प्रवेश प्रमाण पत्र प्रा  त न 
होने से कम से कम तीन स  ताह पूव र् तक प्रा त
होने के िलये वह  वयं ही िज मेदार होगा। 
 
सामा यतप्रवेश  प्रमाणपत्र  के  िबना  बैठने  की  -िकसी  भी  उ मीदवार  को  परीक्षा  म  ई  :
अनुमित नहीं  दी जाएगी। प्रवेश प्रमाण पत्र डाउनलोड करने  पर इसकी सावधानीपूवक
र्  जांच 
कर ल तथा िकसी प्रकार की िवसंगितत्रिु ट होने पर आयोग को तुरंत इसकी जानकारी द/। 
 
 उ मीदवार  को  य
  ान रखना चािहए िक परीक्षा म उनका प्रवेश उनके  वारा आवेदन प्रपत्र 
म दी गई जानकारी के आधार पर अनंितम रहे गा। यह आयोग  वारा पात्रता की शत  के 
स यापन के अ यधीन होगा। 
 
त परीक्षा के िलए प्रवेश प्रमाण पत्र जारी 
केवल इस त य का, िक िकसी उ मीदवार को उक् 
कर िदया गया है   यह अथर्  नहीं  होगा िक आयोग  वारा उसकी उ मीदवारी अंितम  प से 
ठीक मान ली गई है  या िकसी उ मीदवार  वारा अपने प्रारं िभक परीक्षा के आवेदन प्रपत्र म 
की गई प्रिवि टयां आयोग  वारा सही और ठीक मान ली गई ह। उ मीदवार  यान रख िक 
    कर  लेने  के  बाद  ही 
आयोग  उ मीदवार  के  िसिवल  सेवा  (प्रधान)  परीक्षा  म  अहर्ता  प्रा त
ू   प्रलेख   से  स यापन  का  मामला  उठाता  है ,  आयोग  वारा 
उसकी  पात्रता  की  शत   का  मल
औपचािरक  प से उ मीदवारी की पुि ट कर िदये जाने तक उ मीदवारी अनंितम रहे गी। 
उ मीदवार  उक् 
त  परीक्षा  म  प्रवेश  का  पात्र  है   या  नहीं  है   इस  बारे   म  आयोग  का  िनणर्य 
अंितम होगा। 
उ मीदवार  यान रख िक प्रवेश प्रमाण पत्र म कहींनाम तकनीकी कारण  से  संिक्ष  कहीं-  
त 
प से िलखे जा सकते ह। 
(ii)   उ मीदवार को आयोग की वेबसाइट से  एक से  अिधक ई-प्रवेश प्रमाण-पत्र डाउनलोड करने 
की ि थित म, परीक्षा दे न े के िलए, उनम से  केवल एक ही प्रवेश प्रमाण पत्र का उपयोग 
करना चािहए तथा अ य आयोग के कायार्लय को सिू चत करना चािहए। 
(iii)   उ मीदवार   को  सूिचत  िकया  जाता  है   िक  प्रारं िभक  परीक्षा  केवल  प्राक्चयन  परीक्षण  है । 
इसिलए आयोग  वारा इस संबंध म सफल या असफल उ मीदवार  को कोई अंकपत्र नहीं -
यवहार नहीं िकया जाएगा-भेजा जाएगा और कोई पत्र। 
(iv)   उ मीदवार को यह सुिनि चत अव य कर लेना चािहए िक आवेदन म उनके  वारा दी गई 
ई-मेल आईडी मा य और सिक्रय हो। 
 
मह  वपूण र् यवहार म नीचे िलखा ब-् आयोग के साथ सभी पत्र :यौरा अिनवायर्  प से होना चािहए । 

25 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
1.    परीक्षा का नाम और वषर्। 
2.    रिज ट्रे शन आईडी (RID)। 
3.    अनक्र
ु मांक नंबर (यिद प्रा त
   हुआ हो)। 
4.    उ मीदवार का नाम (परू ा तथा मोटे  अक्षर  म)। 
5.    आवेदन प्रपत्र म िदया डाक का पूरा पता। 
 

  ान द-I : िजन पत्र  म यह  यौरा नहीं होगा, संभव है  िक उन पर   यान न िदया जाए। 
 

  ान  द-II  :  उ मीदवार   को  अपने  आवेदन  प्रपत्र  की  संख्या  भिव य  म  संदभर्  के  िलए  नोट  कर  लेनी 
चािहए। उ ह िसिवल सेवा (प्रधान) परीक्षा की उ मीदवारी के संबंध म इसे दशार्ना होगा। 
 
8.  बचमाकर्  िद यांग   यिक्तय   ेणी  के  उ मी वार   के  िलए  आरिक्षत  िरिक्तय   के  िलए  आरक्षण  का 
लाभ  लेने  के  िलए  पात्रता  वही  होगी  जो  ''िद यांगता  अिधकार  अिधिनयम  2016''  म  है   जो  िक  नोिटस  के 
पैरा-1 के नोट-II म िदया गया है । 
बशत  िक  बचमाकर्  िद यांग   यिक्तय   ेणी  के  उ मी वार   को  शारीिरक  अपेक्षाओं  कायार् मक  वगीर्करण/
(सक्षमताओंअक्षमताओ/◌ं    के  संबंध  म  उन  िवशेष  पात्रता  मानद ड   को  पूरा  करना  भी  अपेिक्षत  होगा  जो 
इसके संवगर् िनयंत्रण प्रािधकारी  वारा िनधार्िरत अिभज्ञात सेवा पद के अपेक्षाओं/के संगत हो। 
 
उदाहरणाथर्, शारीिरक अपेक्षाएं और कायार् मक वगीर्करण िन न म से एक या अिधक हो सकते ह -: 
 
कोड    शारीिरक अपेक्षाएं 
एस    बैठना 
एसटी    खड़े होना 
ड यू    चलना 
एसई    दे खना 
एच    सुनना/बोलना 
आरड यू    पढ़ना/िलखना 
सी    वातार्लाप 
एमएफ    अंगुिलय   वारा िन पादन 
पीपी    खींचना/धक्का दे ना 
एल    उठाना 
केसी     घुटने के बल बैठना और क्राउं िचंग 
बीएन    झुकना 
एम   िहलना  
 
 
कोड    कायार् मक वगीर्करण 

26 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
ओएच    अि थ िवकलांग 
वीएच    ि ट बािधत 
एचएच    वण बािधत 
ओए    एक हाथ प्रभािवत 
ओएल    एक पैर प्रभािवत 
बीए    दोन  भज
ु ाएं प्रभािवत 
बीएच    दोन  हाथ प्रभािवत 
एमड लयू    मांसपेशीय दब
ु ल
र् ता 
ओएएल    एक भज
ु ा और एक पैर प्रभािवत 
बीएल  दोन  पैर प्रभािवत 
बीएलए    दोन  पैर तथा दोन  भुजाएं प्रभािवत 
बीएलओए    दोन  पैर और एक भुजा प्रभािवत 
एलवी    कम  ि ट 
बी    ि टहीन 
पीडी    आंिशक बिधर 
एफडी    पूणत
र् या बिधर 
सीपी   परा मि त क घात  
एलसी   ठीक िकया गया कु ठ  
डीडब यू   बौनापन 
एएवी   अ ल हमले के पीिड़त  
 
िट पणी : उपयक्
ुर्  त सच
ू ी संशोधन के अ यधीन है । 
 

9.  िकसी  भी  उ मीदवार  को  समुदाय  संबंधी  आरक्षण  का  लाभ,  उसकी  जाित  को  के द्र  सरकार  वारा 
जारी आरिक्षत समद
ु ाय संबध
ं ी सच
ू ी म शािमल िकए जाने पर ही िमलेगा। यिद कोई उ मीदवार िसिवल सेवा 
(प्रारं िभक)  परीक्षा  के  अपने  प्रपत्र  म  यह  उ लेख  करता  है ,  िक  वह  सामा य  ेणी  से  संबंिधत  है   लेिकन 
कालांतर  म अपनी  ेणी  को  आरिक्षत  सूची  की  ेणी  म  त दील करने  के  िलए  आयोग  को  िलखता  है ,  तो 
आयोग  वारा ऐसे  अनुरोध को िकसी भी हालत म  वीकार नहीं  िकया जाएगा। इसी िस धांत का अनुसरण 
शारीिरक  प से िवकलांग  ेणी के उ  मीदवार  के िलए भी िकया जाएगा।  
 

    जबिक उपयक्
ुर्  
त िस वांत का सामा य  प से  पालन िकया जाएगा, िफर भी कुछ ऐसे  मामले  हो सकते 
ह,  िजनम  िकसी  समुदाय  िवशेष  को  आरिक्षत  समुदाय   की  िकसी  भी  सूची  म  शािमल  करने  के  संबंध  म 
सरकारी अिधसूचना जारी िकए जाने  और उ  
मीदवार  वारा आवेदन पत्र जमा करने  की तारीख के समय के 
बीच  3  महीने  से  अिधक  का  अंतर  न  हो।  ऐसे  मामल   म,  समद
ु ाय  को  सामा य  से  आरिक्षत  समद
ु ाय  म 
पिरवितर्त  करने  संबंधी  अनुरोध  पर  आयोग  वारा  मेिरट  के  आधार  पर  िवचार  िकया  जाएगा।  परीक्षा  की 
  ीदवार  के  शारीिरक  प  से  बचमाकर्  िद यांग  होने  के  खेदपूण र् मामले  म 
प्रिक्रया  के  दौरान  िकसी  उ म
उ  मीदवार को ऐसा मा  य द  
तावेज प्र  तुत करना होगा, िजसम इस त  य का उ  लेख हो िक वह िद यांगता 

27 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
अिधकार  अिधिनयम  2016'  के  अंतगर्त  यथापिरभािषत  40%  अथवा  इससे  अिधक  िद यांगता  से  ग्र  त  है , 
तािक उसे बचमाकर् िद यांग   यिक्तय   ेणी के अंतगर्त आरक्षण का लाभ प्रा त
   हो सके।  
10.  अजा/अजजा/अिपव/शािव/पूव र् सेवाकािमर्क   के  िलए  उपल  ध  आरक्षण/िरयायत  के  लाभ  के  इ छ
  ु क 
उ  मीदवार  यह  सुिनि चत  कर  िक  वे  िनयमावली/नोिटस  म  िविहत  पात्रता  के  अनुसार  आरक्षण/िरयायत  के 
ुर्  त लाभ /नोिटस से संब ध िनयमावली म िदए गए अनुबंध के अनुसार उ म
हकदार ह। उपयक्   ीदवार  के पास 
अपने  दावे  के  समथर्न  म िविहत  प्रा प  म  आव य
  क  सभी  प्रमाण  पत्र   पर  िसिवल  सेवा  (प्रारं िभक)  परीक्षा, 
2019  के  िलए  आवेदन  जमा  करने  के िनधार्िरत  तारीख (अंितम तारीख)  से  पहले  की  तारीख  अंिकत  होनी 
चािहए। 
 
  परं त ु यह भी िक ईड यूएस उ मीदवार अपनी आय और पिरसंपि  प्रमाणपत्र  पात्रता का प्रमाण  )
  -डीएएफ)  ऑनलाइन  िव तत
ृ   आवेदन  पत्र  (पत्रI)  जमा  करते  समय  प्र तुत  कर  सकते  ह।  आय  और 
पिरसंपि  प्रमाणपत्र  अग त  01,  से  पहले  जारी िकया गया होना चािहए। चूंिक ईड य  2019◌ूएस  ेणी के 
उ मीदवार  के िलए आरक्षण हाल ही म अिधसूिचत िकया गया है , अतईड यूएस  ेणी के उ मीदवार  के  :
 (सीएसई) त करने के िलए यह िव तार केवल िसिवल सेवा परीक्षािलए प्रमाण पत्र प्र त2019 क
ु े  िलए लाग ू
एक बार की छूट है । 
 
 

11.   आवेदन  की वापसी : 


  उ मीदवार  वारा अपना आवेदन प्रपत्र प्र तुत कर दे ने के बाद उ मीदवारी वापस लेने से संब ध 
उसके िकसी भी अनरु ोध को िकसी भी पिरि थित म  वीकार नहीं िकया जाएगा। 
 
 

(राज कुमार) 
संयक्
ु  त सिचव, 
संघ लोक सेवा आयोग 
पिरिश ट-1 
खंड  -I 
परीक्षा की योजना 
इस प्रितयोिगता परीक्षा म दो क्रिमक चरण ह। 
(1)    प्रधान परीक्षा के िलए उ मीदवार  के चयन हे तु िसिवल सेवा (प्रांरिभक) परीक्षा (व तुपरक) 
तथा 
(2)    िविभ न सेवाओं  तथा पद  पर भतीर्  हे तु  उ मीदवार  का चयन करने  के िलए िसिवल सेवा 
(प्रधान) परीक्षा (िलिखत तथा साक्षा कार)। 
2.   प्रारं िभक परीक्षा म व तप
ु रक (बहुिवक पीय प्र न
  ) प्रकार के दो प्र न
   पत्र ह गे  तथा  खंड-II के उप 
खंड (क) म िदए गए िवषय  म अिधकतम 400 अंक ह गे। यह परीक्षा केवल प्राक्चयन परीक्षण के  प म 
होगी। प्रधान परीक्षा म प्रवेश हे तु  अहर्ता प्रा त
   करने  वाले  उ मीदवार  वारा प्रारं िभक परीक्षा म प्रा त
   िकए 
गए अंक  को उनके अंितम योग्यता क्रम को िनधार्िरत करने  के िलए नहीं  िगना जाएगा। प्रधान परीक्षा म 
प्रवेश  िदये  जाने  वाले  उ मीदवार   की  संख्या  उक् 
त  वषर्  म  िविभ न  सेवाओं  तथा  पद   म  भरी  जाने  वाली 
28 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
िरिक्तय  की कुल संख्या का लगभग बारह से  तेरह गन
ु ा होगी। केवल वे  ही उ मीदवार जो आयोग  वारा 
िकसी वषर् की प्रारं िभक परीक्षा म अहर्ता प्रा  त कर लेते ह, उक् त वषर् की प्रधान परीक्षा म प्रवेश के पात्र ह गे 
बशत िक वे अ यथा प्रधान परीक्षा म प्रवेश हे तु पात्र ह ।  
 

िट  पणी–Iआयोग  :  ,  िसिवल  सेवा  दवार   की  एक  सच


ू ी  तैयार  करे गा  परीक्षा  के  िलए  अहर्क  उ  मी  (प्रधान)
परीक्षा के सामा  य (प्रारं िभक)  ण आयोग  वारा िसिवल सेवािजसका िनधार्र अ य
  यन प्र न
   पत्र–II म 33% 
अंक तथा िसिवल सेवा  पत्रयन प्र न
   अ  यपरीक्षा के सामा य
   (प्रारं िभक)–I के कुल अहर्क अंक  पर आधािरत 
होगा। 
 

िट  पणी–II  :  प्र न
  -पत्र   म,  ऐसे  कुछे क  प्र  न   को  छोड़कर  िजनम  ऋणा मक  अंकन  (नेगेिटव  मािकर्ंग)  ऐेसे 
प्र न
   के िलए सवार्िधक उपयुक् 
त तथा इतना उपयुक् 
त नहीं  उ  तर िदए जाने  वाले  िविभ न
   अंक  के  प म 
अंतिनर्िहत होगी। उ म
  ीदवार  वारा िदए गए गलत उ  तर  के िलए दं ड (ऋणा  मक अंकन) िदया जाएगा। 
 

(i) प्र  येक  प्र  न  के  उ  तर  के  िलए  चार  िवक प
    ह।  उ  मीदवार  वारा  प्र य
  ेक  प्र  न  के  िलए  िदए  गए 
गलत उ  तर के िलए, उस प्र  
न के िलए िदए जाने  वाले  अंक  का एक ितहाई (0.33) दं ड के  प म काटा 
जाएगा। 
 

(ii) यिद  उ म
  ीदवार  एक  से  अिधक  उ  तर  दे ता  है   तो  उसे  गलत  उ  तर  माना  जाएगा  चाहे   िदए  गए 
उ  तर  म से एक ठीक ही क् 
य  न हो और उस प्र न
   के िलए वही दं ड होगा जो ऊपर बताया गया है । 
 

(iii)  यिद प्र न
   को खाली छोड़ िदया गया है   अथार्त ् उ  मीदवार  वारा कोई उ  तर नहीं  िदया गया है   तो 
उस प्र  न के िलए कोई दं ड नहीं िदया होगा।
 

3.  प्रधान परीक्षा म िलिखत परीक्षा तथा साक्षा क
  ार परीक्षण होगा। िलिखत परीक्षा म खंड-II के उप खंड 
(ख) म िदए गए िवषय  के पर प
  रागत िनबंधा  मक शैली के 9 प्र न
   पत्र ह गे  िजसम से  2 प्र न
   पत्र अहर्क 
प्रकार के ह गे। खंड II (ख) के पैरा 1 के नीचे नोट (ii) भी दे ख। सभी अिनवायर् प्र न
   पत्र  (प्र न
   पत्र - I से 
प्र न
   VII तक प्रा  त अंक ) और  य   ार म प्रा त
  िक्त  व परीक्षण के िलए साक्षा क    अंक  के आधार पर उनका 
योग् 
यताक्रम िनधार्िरत िकया जाएगा। 
 
4.1.   जो  उ मीदवार  प्रधान  परीक्षा  के  िलिखत  भाग  म  आयोग  के  िववेकानुसार  यथािनधार्िरत  यूनतम 
अहर्क अंक प्रा  त करते  ह उ ह खंड-II के उपखंड 'ग' के अनुसार  यिक्त व परीक्षण के िलए साक्षा कार हे तु 
बल
ु ाया  जाएगा।  साक्षा कार  के  िलए  बल
ु ाए  जाने  वाले  उ मीदवार   की  संख्या  भरी  जाने  वाली  िरिक्तय   की 
संख्या से लगभग दग
ु नी होगी। साक्षा  कार के िलए 275 अंक (कोई   यूनतम अहर्क अंक नहीं) ह गे। 
 
4.2  इस प्रकार उ मीदवार   वारा प्रधान परीक्षा (िलिखत भाग तथा साक्षा कार) म प्रा त
   िकए गए अंक  
के  आधार  पर  अंितम  तौर  पर  उनके  रक  का  िनधार्रण  िकया  जाएगा।  उ मीदवार   को  िविभ न  सेवाओं  का 
आबंटन परीक्षा म उनके रक  तथा िविभ न सेवाओं  और पद  के िलए उनके  वारा िदए गए वरीयता क्रम 
को  य
  ान म रखते हुए िकया जाएगा। 
खंड-II
1. प्रारं िभक तथा प्रधान परीक्षा की  परे खा तथा िवषय : 

29 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
क: प्रारं िभक परीक्षा . 
इस परीक्षा म दो अिनवायर् प्र न
   पत्र ह गे िजसम प्र येक प्र न
   पत्र 200 अंक  का होगा। 
नोट :  
(i)   दोन  ही प्र न
  -पत्र व तुिन ठ (बहुिवक पीय) प्रकार के ह गे। 
(ii)   िसिवल सेवा (प्रारं िभक) परीक्षा का पेपर-II अहर्क पेपर होगा िजसके िलए   
यूनतम अहर्क 
अंक 33% िन धार्िरत िकए गए ह। 
(iii)   प्र न
  -पत्र िह दी और अंग्रेजी दोन  ही भाषाओं म तैयार िकए जाएंगे। 
(iv)   पा यक्रम संबंधी िववरण खंड-III के भाग-क म िदया गया है । 
(v)   प्र येक प्र  न-पत्र दो घंटे  की अविध का होगा। तथािप,  ि टहीन और चलने  म असमथर् 
और  प्रमि त  कीय  पक्षाघात  से  पीिडत 
़ उ  मीदवार  िजनकी  असमथर्ता  उनकी  कायर् 
िन प
  ादन  क्षमता  (लेखन)  (  यूनतम  40%  तक  अक्षमता)  को  प्रभािवत  करती  है ,  को 
िसिवल  सेवा  (प्रारं िभक)  परीक्षा  और  िसिवल  सेवा  (प्रधान)  परीक्षा,  दोन   म  प्रित  घंटा 
बीस िमनट का प्रितकर समय िदया जाएगा।   
ख: प्रधान परीक्षा .  
िलिखत परीक्षा म िन निलिखत प्र न
   पत्र ह गे : 
अहर्क प्र न
   पत्र : 
प्र न
   पत्र – क  
(संिवधान  की  आठवीं  अनुसूची  म  सि मिलत  भाषाओं  म  से  उ मीदवार   वारा  चुनी  गई  कोई  एक 
भारतीय भाषा) 
    300 अंक 
प्र न
   पत्र – ख  
अंग्रेजी    300 अंक 
वरीयता क्रम के िलए िजन प्र न
   पत्र  को आधार बनाया जाएगा। 
 
 
प्र न
   पत्र-I 
 
िनबंध      250 अंक 
     
प्र न
   पत्र-II 
सामा य अ ययन-I     250 अंक 
(भारतीय  िवरासत  और  सं कृित,  िव व
    का  इितहास 
एवं भूगोल और समाज) 
प्र न
   पत्र-III 
सामा य अ ययन-II    250 अंक 
(शासन  यव था,  संिवधान,  शासन-प्रणाली, 
सामािजक  याय तथा अंतरार् ट्रीय संबंध) 

30 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
प्र न
   पत्र-IV 
सामा य अ ययन-III     250 अंक 
(प्रौ योिगकी,  आिथर्क  िवकास,  जैव  िविवधता, 
पयार्वरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन) 
प्र न
   पत्र-V 
सामा य अ ययन- IV   250 अंक 
(नीितशा त्र, स यिन ठा और अिभ िच) 
प्र न
   पत्र- VI 
वैकि पक िवषय प्र न
  -पत्र-I        250 अंक 
प्र न
   पत्र-VII 
वैकि पक िवषय प्र न
  -पत्र-2        250 अंक 
उप योग (िलिखत परीक्षा)         1750 अंक 
 यिक् 
त  व परीक्षण     275 अंक  
कुल योग    2025 अंक 
 

(उ मीदवार नीचे पैरा-2 म िदए गए िवषय  की सूची म से कोई एक वैकि पक िवषय चुन सकते ह। 


 

िट पणी : 
(i) भारतीय  भाषाओं  और  अंग्रेजी  के  प्र न
    पत्र  (प्र न
    पत्र  क  एवं  प्र न
    पत्र  ख)  मैिट्रकुलेशन  अथवा 
समकक्ष   तर  के  ह गे,  िजनम  केवल  अहर्ता  प्रा  त  करनी  होगी।  इन  प्र न
    पत्र   म प्रा त
    अंक   को  योग् 
यता 
क्रम िनधार्िरत करने म नहीं िगना जाएगा। 
 

(ii) सभी उ मीदवार  के ‘िनबंध’ ‘सामा  य अ य


  यन’ तथा वैकि पक िवषय के प्र न
   पत्र  का मू य
  ांकन 
‘भारतीय  भाषा’  तथा  अंग्रेजी  के  उनके  अहर्क  प्र  न  पत्र  के  साथ  ही  िकया  जाएगा।  परं तु  ‘िनबंध’,  ‘सामा  य 
अ  ययन’ तथा वैकि पक िवषय के प्र न
   पत्र  पर केवल ऐसे  उ  मीदवार  के मामले  म िवचार िकया जाएगा, 
जो इन अहर्क  प्र न
   पत्र  म   यूनतम अहर्ता मानक  के  प म भारतीय भाषा म 25% अंक तथा अंग्रेजी म 
25% अंक प्रापत
्   करते ह। 
(iii) तथािप,  भारतीय  भाषाओं  का  प्रथम  प्र न
    पत्र  उन  उ  मीदवार   के  िलए  अिनवायर्  नहीं  होगा  जो 
अ णाचल प्रदे श, मिणपुर, मेघालय, िमजोरम, नागालड तथा िसिक्कम रा य
   के ह।   
(iv) य यिप, बचमाकर् िद यांग  केवल  वण) बािधत  पेपर  उ मीदवार  के िलए भारतीय भाषा का (‘क’   
अिनवायर्  नहीं  होगा,  बशत  िक  उ ह  संबंिधत  िशक्षा  बोडर्  िव विव यालय  वारा  दस
ू री  या  तीसरी  भाषा    /
पा यक्रम  से  ऐसी छूट दी गई हो। उ मीदवार को ऐसी छूट का दावा करने  के िलए इस संबंध म पिरवचन 
दे ना होगा वघोषणा / करनी होगी। 
(v) उ मीदवार   वारा केवल प्र न
  -पत्र I - VII म प्रा त
   अंक  का पिरगणन मेिरट   थान सूची के  िलए 
िकया जाएगा। तथािप, आयोग को परीक्षा के िकसी भी अथवा सभी प्र न
  पत्र  म अहर्ता अंक िनधार्िरत करने -
का िवशेषािधकार होगा। 
 
(vi) भाषा के मा य
  म/सािह य के िलए उ  मीदवार   वारा िलिपय  का उपयोग िन नानुसार िकया जाएगा। 

31 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
भाषा    िलिप 
असिमया  ....................  असिमया 
बंगाली  ....................  बंगाली 
गुजराती  ....................  गुजराती 
िह दी  ....................  दे वनागरी 
क नड़  ....................  क नड़  
क मीरी  ....................  फारसी 
क कणी  ....................  दे वनागरी 
मलयालम  ....................  मलयालम 
मिणपुरी  ....................  बंगाली 
मराठी  ....................  दे वनागरी 
नेपाली  ....................  दे वनागरी 
उिड़या  ....................  उिड़या 
पंजाबी  ....................  गु मख
ु ी 
सं  कृत  ....................  दे वनागरी 
िस धी  ....................  दे वनागरी या अरबी 
तिमल  ....................  तिमल 
तेलुगु  ....................  तेलुग ु
उदर्  ू ....................  फारसी 
बोडो  ....................  दे वनागरी 
डोगरी  ....................  दे वनागरी 
मैिथली  ....................  दे वनागरी 
संथाली  ....................  दे वनागरी या आलिचकी 
 
िट पणी : संथाली भाषा के िलए प्र न
   पत्र दे वनागरी िलिप म छपगे िक तु उ मीदवार  को उ र दे ने के िलए 
दे वनागरी या ओलिचिक िलिप के प्रयोग का िवक प होगा। 
2.  प्रधान परीक्षा के िलए वैकि पक िवषय  की सच
ू ी 
 
(i)   कृिष िवज्ञान 
(ii)   पशप
ु ालन एवं पश ु िचिक सा िवज्ञान 
(iii)   निृ वज्ञान 
(iv)   वन पित िवज्ञान 
(v)   रसायन िवज्ञान 
(vi)   िसिवल इंजीिनयरी 
(vii)   वािण य शा त्र तथा लेखा िविध 
(viii)   अथर्शा त्र 

32 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(ix)   िव यत
ु  इंजीिनयरी 
(x)   भूगोल 
(xi)   भू-िवज्ञान 
(xii)   इितहास 
(xiii)   िविध 
(xiv)   प्रबंधन 
(xv)   गिणत 
(xvi)   यांित्रक इंजीिनयरी 
(xvii)   िचिक सा िवज्ञान 
(xviii)   दशर्न शा त्र 
(xix)   भौितकी 
(xx)   राजनीित िवज्ञान तथा अ तरार् ट्रीय संबंध 
(xxi)   मनोिवज्ञान 
(xxii)   लोक प्रशासन 
(xxiii)   समाज शा त्र 
(xxiv)   सांिख्यकी 
(xxv)   प्रािण िवज्ञान 
(xxvi)   िन निलिखत भाषाओं म से िकसी एक भाषा का सािह य: 
  असिमया, बंगाली,  बोडो,  डोगरी,  गुजराती, िह दी,  क नड़, क मीरी, क कणी,  मैिथली, 
मलयालम, मिणपुरी, मराठी, नेपाली, उिडया, पंजाबी, सं कृत, संथाली, िसंधी, तिमल, 
तेलुगू, उदर्  ू और अंग्रेजी। 
नोट: 
(i)   परीक्षा के प्र न
  -पत्र पारं पिरक (िववरणा  मक) प्रकार के ह गे। 
(ii)   प्र येक प्र न
  -पत्र तीन घंटे की अविध का होगा। 
(iii)   अहर्क भाषाओं  – प्र न
   पत्र क तथा ख को छोड़कर उ  मीदवार  को सभी प्र न
   के उ  तर 
स ंिवधान की आठवीं  अनुसूची म शािमल िकसी भी भाषा या अंग्रेजी म दे ने  का िवक प
  
होगा।  इसके  बावजद
ू ,  ऐसे  उ मीदवार   को  वैकि पक  पेपर  अंग्रेजी  म  िलखने  का  भी 
िवक प होगा यिद उ ह
  ने  अहर्क भाषा पेपर-‘क’ और पेपर-‘ख’ को छोड़कर पेपर I‐V  को 
भारत  के  संिवधान  की  आठवीं  अनुसूची  म  शािमल  भाषाओं  म  से  िकसी  एक  म  िलखने 
का िवक  प चन
ु ा हो। 
(iv)   जो उ मीदवार प्र न
  -पत्र  के उ र दे ने  के िलए संिवधान की आठवीं  अनुसूची म शािमल 
भाषाओं  म  से  िकसी  एक  भाषा  का  चयन  करते  ह,  वे  यिद  चाह  तो  केवल  तकनीकी 
श द , यिद कोई ह , का िववरण  वयं  वारा चयन की गई भाषा के अितिरक् 
त को ठक 
(ब्रैकेट)  म  अंग्रेजी  म  भी  दे   सकते  ह।  तथािप,  उ मीदवार  यह  नोट  कर  िक  यिद  वे 
उपयक् त िनयम का द ु पयोग करते  ह तो इस कारणवश कुल प्रा  तांक , जो उ ह अ यथा 
ुर्  
प्रा  त  हुए  होते,  म  से  कटौती  की  जाएगी  और  असाधारण  मामल   म  उनके  उ र 
अनिधकृत  मा यम  म  होने  के  कारण  उनकी  उ र  पुि तका-(ओं)    का  मू यांकन  नहीं 

33 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
िकया जाएगा। 
(v)   प्र न
  -पत्र (भाषा के सािह य के प्र न
  -पत्र  को छोड़कर) केवल िह दी तथा अंग्रेजी म तैयार 
िकए जाएंगे। 
(vi)   पाठयक्रम का िववरण खंड-III के भाग ख म िदया गया है । 

“सामा  य अनुदेश (प्रारं िभक तथा प्रधान परीक्षा)”


(i) उ मीदवार   को  प्र न
    के  उ र  अिनवायर्त  वयं  िलखने  ह गे  :।  िकसी  भी  पिरि थित  म  उ ह  उ र 
िलखने  के  िलए  क्राइब  की  सहायता  लेने  की  अनुमित  नहीं  दी  जाएगी।  नेत्रहीनता,  चलने  म  असमथर् 
और प्रमि त कीय पक्षाघात  ेिणय  के अंतगर्त बचमाकर् िवकलांगता वाले  (बीए  –  दोन  बाजुएं  प्रभािवत)
डी उ मीदवार   को  क्राइब  सिु वधा  की  मांग  िकए  जाने  पर  उपल ध  कराई  जाएगी।  आरपीड यू
अिधिनयम,)  2  की धारा  2016  दके अंतगर्त यथापिरभािषत बे (◌ंचमाकर् िवकलांगता की अ य  ेिणय  
के उ मीदवार  को पिरिश ट-V पर िदए गए प्रपत्र के अनुसार िकसी सरकारी  वा य दे खभाल सं था के 
मख्
ु य िचिक सा अिधकारीरी इस आशय का प्रमाण पत्र  िचिक सा अधीक्षक  वारा जा /िसिवल सजर्न /
प्र तुत िकए जाने पर िक संबंिधत उ म◌ीदवार िलखने म शारीिरक  प से अक्षम है  तथा उसकी ओर से 
परीक्षा  िलखने  के  िलए  क्राइब  की  सेवाएं  लेना  अपिरहायर्  है ,  ऐसे  उ मीदवार   को  क्राइब  की  सुिवधा 
प्रदान की जाएगी। 
(ii) अपना  क्राइब  लाने  या  आयोग  को  इसके  िलए  अनुरोध  करने  संबंधी  िववेकािधकार  उ मीदवार  को  है । 
क्राइब का िववरण अथार्त अपना या आयोग का और यिद उ मीदवार अपना  क्राइब लाना चाहते  ह, 
तो त संबंधी िववरण ऑनलाइन आवेदन करते समय पिरिश ट-VI के प्रपत्र म मांगा जाएगा।  
(iii)   वयं  के  अथवा  आयोग  वारा  उपल ध  कराए  गए  क्राइब  की  योग्यता  परीक्षा  के  िलए  िनधार्िरत 
यन
ू तम योग्यता मानदं ड से  अिधक नहीं  होगी। तथािप,  क्राइब की योग्यता सदै व मैिट्रक अथवा इससे 
अिधक होनी चािहए। 
(iv)  नेत्रहीनता,  चलने  म  असमथर्  ेिणय   के    और  प्रमि त कीय  पक्षाघात  (बीए  –  दोन   बाजुएं  प्रभािवत)
िमनट प्रितपूरक समय   20  अंतगर्त बचमाकर् िवकलांगता वाले  उ मीदवार  को परीक्षा के प्र येक घंटे  हे तु
प्रदान  िकया  जाएगा।  बचमाकर्  िवकलांगता  की  अ य  ेिणय   के  उ मीदवारो◌ं  को  पिरिश ट-V  पर  िदए 
गए  प्रपत्र  के  अनस
ु ार  िकसी  सरकारी  वा य  दे खभाल  सं था  के  मख्
ु य  िचिक सा  अिधकारीिसिवल    /
िचिक सा  अधीक्षक  वारा  जारी  इस  आशय  का  प्रमाण  पत्र  प्र तुत  िकए  जाने  पर  िक  संबंिधत   /सजर्न
उ मीदवार िलखने म शारीिरक  प से अक्षम है , यह सुिवधा प्रदान की जाएगी। 
  fVIi.kh 1 % fdlh ys[ku lgk;d (LØkbc) dh ;ksX;rk dh 'krs±] ijh{kk gky esa mlds vkpj.k
rFkk og flfoy lsok ijh{kk ds mÙkj fy[kus esa बचमाकर् िद यांग mEehnokjksa (PwBD) dh fdl izdkj
vkSj fdl lhek rd lgk;rk dj ldrk@ ldrh gS] bu lc ckrksa dk fu;eu la?k lsok vk;ksx }kjk
tkjh vuqns'kksa ds vuqlkj fd;k tk,xk A bu lHkh ;k buesa ls fdlh ,d vuqns'k dk mYya?ku gksus ij
बचमाकर् िद यांग mEehnokjksa (PwBD) mEehnokj dh mEehnokjh jí dh tk ldrh gS A blds vfrfjDr
la?k yksd lsok vk;ksx ys[ku lgk;d ds fo#¼ vU; dkjZokbZ Hkh dj ldrk gS A
fVIi.kh 2 % य अपंगता का प्रितशत िनधार्िरत करने के िलए मानदं ड िन नानुसार ह गे :—

बेहतर आँख  खराब आँख   अपंगता  िवकलांगता  ेणी 

और बेहतर करना   उ म तरीके से ठीक करना  प्रितशत 

34 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
6/6 से 6/18  6/6 से 6/18  0%  0 

6/24 से 6/60  10%  0 

6/60 से 3/60 से कम  20%  I 

3/60  से  कम  से  कोई  प्रकाश  30%  II  (एक  आँख  वाला 
अवबोधन नहीं   यिक्त) 

6/24 से 6/60  6/24 से  6/60  40%  III क (अ प  ि ट) 

अथवा  6/60 से 3/60 से कम  50%  III ख (अ प  ि ट) 

िफक्सेशन के सटर के चार   3/60  से  कम  से  कोई  प्रकाश  60%  III ग (अ प  ि ट) 
ओर  20 िडग्री तक  य  अवबोधन नहीं 
क्षेत्र 40 से कम या मैक्युला 
सिहत होिमनायािपआ  

6/60 से 3/60 से कम  6/60 से 3/60 से कम  70%  III घ (अ प  ि ट) 

अथवा  3/60  से  कम  से  कोई  प्रकाश  80%  III ड़ (अ प  ि ट) 

िफक्सेशन  के  सटर  के  चार   अवबोधन नहीं 


ओर   य क्षेत्र  20 से  कम 
10 िडग्री तक  

3/60 से 1/60 तक से कम  3/60  से  कम  से  कोई  प्रकाश  90%  IV क ( ि टहीनता) 

अथवा  अवबोधन नहीं 

िफक्सेशन के सटर के चार  
ओर  य क्षेत्र 10 िडग्री से 
कम 

केवल एचएमसीएफ  केवल एचएमसीएफ  100%  IV ख ( ि टहीनता) 

केवल प्रकाश अवबोधन  केवल प्रकाश अवबोधन 

कोई प्रकाश अवबोधन नहीं  कोई प्रकाश अवबोधन नहीं 

िट पणी-3 : (v)   ि टहीन उ मीदवार  को दी जाने  वाली छूट िनकट ि टता से  पीिड़त उ मीदवार  को दे य 


नहीं होगी। 
(vi)  आयोग अपने  िववेक से  परीक्षा के िकसी भी एक या सभी िवषय  म अहर्क अंक िनि चत कर सकता 
है । 
35 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(vii)  यिद िकसी उ मीदवार की िलखावट आसानी से  न पढ़ी जा सके तो उसको िमलने  वाले  अंक  म से 
कुछ अंक काट िलए जायगे। 
(viii)  सतही ज्ञान के िलए अंक नहीं िदए जाएंगे। 
(ix)  परीक्षा के सभी िवषय  म कम से  कम श द  म की गई संगिठत, सू म और सशक् 
त अिभ यिक्त 
को  ेय िमलेगा। 
(x)  प्र न
   पत्र  म यथा आव यक एस.आई. (S.I.) इकाईय  का प्रयोग िकया जाएगा। 
(xi)  उ मीदवार प्र न
   पत्र  के उ र दे ते  समय केवल भारतीय अंक  के अ तरार् ट्रीय  प (जैसे  1, 2, 3, 
4, 5, 6 आिद) का ही प्रयोग कर। 
(xii)  उ मीदवार   को  संघ  लोक  सेवा  आयोग  की  परं परागत  (िनबंध)  शैली  के  प्र न
    पत्र   के  िलए 
साइंिटिफक  (नान  प्रोग्रामेबल)  प्रकार  के  कैलकुलेटर   का  प्रयोग  करने  की  अनुमित  है ।  य यिप  प्रोग्रामेबल 
प्रकार  के  कैलकुलेटर   का  प्रयोग  उ मीदवार  वारा  अनुिचत  साधन  अपनाया  जाना  माना  जाएगा।  परीक्षा 
भवन म केलकुलेटर  को मांगने या बदलने की अनुमित नहीं है । 
      यह  यान  रखना  भी  आव यक  है   िक  उ मीदवार  व तुपरक  प्र  न  पत्र   (परीक्षण  पुि तका)  का  उ र 
दे ने के िलए कैलकुलेटर  का प्रयोग नहीं कर सकते । अतवे उ ह परीक्षा भवन म न लाएं :। 
 
ग .साक्षा कार परीक्षण : 
1.  उ मीदवार  का  साक्षा कार  एक  बोडर्  वारा  होगा  िजसके  सामने  उ मीदवार  के  पिरचयव ृ   का 
अिभलेख  होगा।  उससे  सामा य  िच  की  बात   पर  प्र न
    पूछे जायगे।  यह  साक्षा कार  इस  उ दे य  से  होगा 
िक  सक्षम  और  िन पक्ष  प्रेक्षक   का  बोडर्  यह  जान  सके  िक  उ मीदवार  लोक  सेवा  के  िलए  यिक्त व  की 
ि ट  से  उपयुक् 
त  है   या  नहीं।  यह  परीक्षा  उ मीदवार  की  मानिसक  क्षमता  को  जांचने  के  अिभप्राय:  से  की 
जाती है । मोटे   तौर पर इस परीक्षा का प्रयोजन वा तव म न केवल उसके बौ िधक गुण  को अिपतु  उसके 
सामािजक लक्षण  और सामािजक घटनाओं  म उसकी  िच का भी मू यांकन करना है । इसम उ मीदवार की 
मानिसक  सतकर्ता,  आलोचना मक  ग्रहण  शिक्त,  प ट  और  तकर्  संगत  प्रितपादन  की  शिक्त,  संतुिलत 
िनणर्य की शिक्त,  िच की िविवधता और गहराई, नेत ृ व और सामािजक संगठन की योग्यता, बौ िधक और 
नैितक ईमानदारी की भी जांच की जा सकती है । 
 
2.  साक्षा कार म प्रित परीक्षण (क्रास एग्जािमनेशन) की प्रणाली नहीं  अपनाई जाती। इसम  वाभािवक 
वातार्लाप के मा य
  म से  उ मीदवार के मानिसक गुण  का पता लगाने  का प्रय न
   िकया जाता है , पर तु  वह 
वातार्लाप एक िवशेष िदशा म और एक िवशेष प्रयोजन से िकया जाता है । 
 
3.  साक्षा कार परीक्षण उ मीदवार  के िवशेष या सामा य ज्ञान की जांच करने के प्रयोजन से नहीं िकया 
जाता, क्य िक उसकी जांच िलिखत प्र न
   पत्र  से पहले ही हो जाती है । उ मीदवार  से आशा की जाती है  िक 
वे  न केवल अपने  शैक्षिणक िवशेष िवषय  म ही पारं गत ह  बि क उन घटनाओं  पर भी  यान द जो उनके 
चार  ओर अपने रा य या दे श के भीतर और बाहर घट रही ह तथा आधुिनक िवचारधारा और नईनई खोज  -
म भी  िच ल जो िक िकसी सिु शिक्षत यव
ु क म िजज्ञासा पैदा कर सकती है । 
 
खंड-III 

36 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
परीक्षा का पा य िववरण 
 
नोट : उ  मीदवार  को सलाह दी जाती है  िक वे प्रारं िभक परीक्षा के िलए इस खंड म प्रकािशत पा यक्रम का 
अ  ययन कर, क् 
य िक कई िवषय  के पा यक्रम म समय-समय पर पिरवतर्न िकए गए ह। 
भागक- 
प्रारं िभक परीक्षा 
 
प्र न
   पत्र - I (200 अंक) अविध दो घंटे : 
 
   रा ट्रीय और अंतरार् ट्रीय मह व की सामियक घटनाएं। 
   भारत का इितहास और भारतीय रा ट्रीय आ दोलन। 
   भारत एवं िव व
   भूगोल भारत एवं िव - व
   का प्राकृितक, सामािजक, आिथर्क भूगोल 
   भारतीय रा यत त्र और शासन संिवधान  -, राजनैितक प्रणाली, पंचायती राज, लोक नीित, 
अिधकार  संबंधी मु दे , आिद। 
   आिथर्क और सामािजक िवकास सतत िवकास -, गरीबी, समावेशन, जनसांिख्यकी, 
सामािजक क्षेत्र म की गई पहल आिद। 
   पयार्वरणीय पािरि थितकी जैविविवधता और मौसम पिरवतर्न संबंधी सामा य मु दे  -, िजनके 
िलए िवषयगत िवशेषज्ञता आव यक नहीं है । 
   सामा य िवज्ञान 
 
प्र न
   पत्र - II (200 अंक) अविध : दो घंटे 

   बोधग यता 
   संचार कौशल सिहत अंतर वैयिक्तक कौशल - 
   तािकर्क कौशल एवं िव ल
  ेषणा मक क्षमता 
   िनणर्य लेना और सम या समाधान  
   सामा य मानिसक योग्यता 
   आधारभूत संख्यनन (संख्याएं और उनके संबध
ं , िव तार क्रम आिद) (दसवीं कक्षा का  तर), 
आंकड़  का िनवर्चन (चाटर् , ग्राफ, तािलका, आंकड़  की पयार् तता आिद दसवीं कक्षा का  -
तर) 
 
िट पणी 1 : िसिवल सेवा (प्रारं िभक) परीक्षा का पेपर-II, अहर्क पेपर होगा िजसके िलए   यन
ू तम अहर्क अंक 
33% िनधार्िरत िकए गए ह। 
 
िट पणी 2 : प्र न
   बहुिवक पीय, व तुिन ठ प्रकार के ह गे। 
 
िट पणी 3 : मू यांकन के प्रयोजन से  उ मीदवार के िलए यह अिनवायर्  है   िक वह िसिवल सेवा (प्रारं िभक) 
परीक्षा के दोन  पेपर  म सि मिलत हो । यिद कोई उ मीदवार िसिवल सेवा (प्रारं िभक) परीक्षा के दोन  पेपर  
37 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
म सि मिलत नहीं होता है  तब उसे अयोग्य ठहराया जाएगा। 

38 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
भागख - 
प्रधान परीक्षा 
प्रधान परीक्षा का उ दे य
   उ  मीदवार  के समग्र बौ िधक गुण  तथा उनके गहन ज्ञान का  आकलन करना 
है , मात्र उनकी सच
ू ना के भंडार तथा  म
  रण शिक् 
त का आकलन करना नहीं। 
 
सामा  य अ  ययन के प्र न
  -पत्र-प्र न
  ) पत्र -II से प्र न
  -पत्र -Vर ऐसा होगा  प तथा इनका  त
   का   वके प्र न
   (
रयन के इनका उ  त िबना िकसी िवशेष अ य
  िक् 
तिक कोई भी सुिशिक्षत  य
   दे   सके। प्र  न ऐसे  ह गे  िजनसे 
िविवध  िवषय   पर  उ म
  ीदवार  की  सामा  य  जानकारी  का  परीक्षण  िकया  जा  सके  और  जो  िसिवल  सेवा  म 
कैिरयर  से  संबंिधत  ह गे।  प्र  न  इस  प्रकार  के  ह गे  जो  सभी  प्रासंिगक  िवषय   के  बारे   म  उ  मीदवार  की 
आधारभूत समझ तथा पर  परिवरोधी- सामािजकआिथर्क ल  य -, उ दे य
   और मांग  का िव ल
  ेषण तथा इन 
पर  ि ट
  कोण अपनाने की क्षमता का परीक्षण कर । उ  मीदवार संगत, साथर्क तथा सारगिभर्त उ  तर द।  
 
परीक्षा के िलए वैकि प
  क िवषय के प्र न
  -पत्र -प्र न
  )  पत्र -VI तथा प्र न
  -पत्र-VII( के पा यक्रम का  त
  र मुख्य
  
प से ऑनसर् िडग्री   तर अथार्त ्   नातक िडग्री से ऊपर और   नातको त
  र र तर   तिडग्री से िन न
   (सर्मा  ट)
का है । इंजीिनयरी, िचिक  सा िवज्ञान और िविध के मामले म प्र न
  र तक की िडग्री के   तर  न
  ापत्र का   त-
का है । 
 
िसिवल सेवा   का पा यक्रमपत्र -िलत प्र न
  परीक्षा की योजना म सि  
म (प्रधान) िन न
  ानुसार है   -: 
 
भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी पर अहर्क प्र न
   पत्र  
 
इस प्र न
   पत्र का उ दे य
   अंग्रेजी तथा संबंिधत भारतीय भाषा म अपने  िवचार  को  प
  ट
   तथा सही  प म 
प्रकट करना तथा गंभीर तकर्पूण र् ग य को पढ़ने  और समझने  म उ  मीदवार की योग्यता की परीक्षा करना 
है । प्र न
   पत्र  का  व
  प आमतौर पर िन न
   प्रकार का होगा : 
(i)    िदए गए ग यांश  को समझना 
(ii)    संक्षेपण 
(iii)    श  द प्रयोग तथा श  द भंडार 
(iv)    लघु िनबंध 
 
भारतीय भाषाएं :- 
(i)    िदए गए ग यांश  को समझना 
(ii)    संक्षेपण 
(iii)    श  द प्रयोग तथा श  द भंडार 
(iv)    लघु िनबंध 
(v)    अंग्रेजी से भारतीय भाषा तथा भारतीय भाषा से अंग्रेजी म अनव
ु ाद 
 

39 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
िट  पणी 1 : भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी के प्र न
   पत्र मैिट्रकुलेशन या समकक्ष   तर के ह गे, िजनम केवल 
अहर्ता प्रा  त करनी है । इन प्र  न पत्र  म प्रा तांक योग् 
यता क्रम के िनधार्रण म नहीं िगने जाएंगे।  
 
िट  पणी  2  :  अंग्रेजी  तथा  भारतीय  भाषाओं  के  प्र न
    पत्र   के  उ  तर  उ  मीदवार   को  अंग्रेजी  तथा  संबंिधत 
भारतीय भाषा म दे ने ह गे। (अनुवाद को छोड़कर)। 
 
प्र न
   पत्र – I
िनबंध :-  उ  मीदवार को िविवध िवषय  पर िनबंध िलखना होगा। उनसे  अपेक्षा की जाएगी िक वे  िनबंध के 
िवषय पर ही केि द्रत रह तथा अपने िवचार  को सिु नयोिजत  प से   यक् 
त कर और संक्षेप म िलख। प्रभावी 
और सटीक अिभ  यिक् 
त के िलए अंक प्रदान िकए जाएंगे। 
 
प्र न
   पत्र – II
सामा  य अ  ययन-Iितभारतीय िवरासत और सं  कृ : ,  िव व
   का इितहास एवं भूगोल और समाज 
   भारतीय  सं  कृित  म  प्राचीन  काल  से  आधिु नक  काल  तक  के  कला  के  प,  सािह य
    और 
वा त
 कु ला के मुख्य
   पहलू शािमल ह गे । 
    -लेकर वतर्मान समय तक का आधुिनक भारतीय इितहास   सेवीं  सदी के लगभग म  य18
पूण र् घटनाएंमह  व,   यिक् 
त  व, िवषय।  
    वतंत्रता संग्राम भाग  से इसम अपना योगदान  चरण और दे श के िविभ न
  इसके िविभ न
   -
 उनका योगदान।/िक् 
तपूण र्  यदे ने वाले मह  व 
    वतंत्रता के प च
  ात दे श के अंदर एकीकरण और पुनगर्ठन।  
   िव व
   के इितहास म  वीं  सदी की घटनाएं  यथा औ योिगक क्रांित18, िव व
   यु ध, रा ट्र
  ीय 
ु सीमांकन  :,  उपिनवेशवाद,  उपिनवेशवाद  की  समाि  त,  राजनीितक  दशर्न 
सीमाओं  का  पन
शा  त्र जैसे  सा  यवाद, पूंजीवाद, समाजवाद आिद शािमल ह गे, उनके  प और समाज पर 
उनका प्रभाव।  
    िवशेषताएं, भारत की िविवधता।  
  भारतीय समाज की मुख्य
   मिहलाओं  की  भूिमका  और  मिहला  संगठन,  जनसंख्य
  ा  एवं  स  ब ध  मु दे ,  गरीबी  और 
िवकासा  मक िवषय, शहरीकरण, उनकी सम  याएं और उनके रक्षोपाय।  
   भारतीय समाज पर भूमंडलीकरण का प्रभाव।  
   सामािजक सशक् 
तीकरण, स  प्रदायवाद, क्षेत्रवाद और धमर् िनरपेक्षता।- 
   िव व
   के भौितक  िवशेषताएं।भग
ू ोल की मख्
ु य
   - 
   िव व
  भर  के  मुख्य
    प्राकृितक  संसाधन   का  िवतरण  दिक्षण  एिशया  और  भारतीय  )
(उपमहा वीप को शािमल करते  हुए, िव व
    न भाग  म प्राथिमक 
के िविभन (
्  भारत सिहत), 
िवतीयक और तत
ृ ीयक क्षेत्र के उ योग  को   थािपत करने के िलए िज म
  ेदार कारक।  
   भूकंप, सुनामी,   
वालामुखीय हलचल, चक्रवात आिद जैसी मह  वपूण र् भभौितकीय घटनाएं
ू  -, 
भग
ू ोलीय िवशेषताएं और उनके   थान ोत और -जल) पण
ू  र् भग
ू ोलीय िवशेषताओंअित मह  व-
   (िहमावरण सिहत के पिरवतर्न  
जगत म पिरवतर्न और इस प्रकार-ित एवं  प्रािणऔर वन प
के प्रभाव।  

40 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
   प्र  न पत्र - III 
सामा  य  अ य
  यन  -  IIव थ
  ाशासन   य    :  ,  संिवधान  शासनप्रणाली-,  सामािजक   याय  तथा  अंतरार्  ट्रीय 
संबंध। 
   भारतीय  संिवधानिसक  आधारऐितहा-,  िवकास,  िवशेषताएं,  संशोधन,  मह  वपूण र् प्रावधान 
और बुिनयादी संरचना।  
   संघ एवं  रा य
   के कायर्  तथा उ  तरदािय  व, संघीय ढांचे  से  संबंिधत िवषय एवं  चन
ु ौितयां, 
 थानीय   तर पर शािक् 
तय  और िव त
   का ह  तांतरण और उसकी चुनौितयां।  
   िविभ न
   घटक  के बीच शिक् 
तय  का पथ
ृ क् करण, िववाद िनवारण तंत्र तथा सं  थान।   
   भारतीय संवध
ै ािनक योजना की अ  य दे श  के साथ तल
ु ना।  
   संसद  और  रा य
    िवधाियका  –  संरचना,  कायर्,  कायर्संचालन-,  शिक् तयां  एवं  िवशेषािधकार 
और इनसे उ  प  न होने वाले िवषय।  
   कायर्पािलका  और  य
  ायपािलका  की  संरचना,  संगठन  और  कायर्  –  सरकार  के  मंत्रालय  एवं 
िवभाग,  प्रभावक  समूह  और  औपचािरकअनौपचािरक  संघ  तथा  शासन  प्रणाली  म  उनकी  /
भिू मका। 
   जन प्रितिनिध व
   अिधिनयम की मुख्य
   िवशेषताएं।  
   िविभ न
   संवैधािनक पद  पर िनयुिक् 
त और िविभ न
   संवैधािनक िनकाय  की शिक् 
तयां, कायर् 
और उ  तरदािय  व।  
   सांिविधक, िविनयामक और िविभ न
   अधर् ियक िनकाय।  
या- 
   सरकारी  नीितय   और  िविभ न
    क्षेत्र   म  िवकास  के  िलए  ह त
  क्षेप  और  उनके  अिभक  पन 
तथा कायार्  वयन के कारण उ  प  न िवषय।  
   िवकास  प्रिक्रया  तथा  िवकास  उ योग  –  गैर  सरकारी  संगठन ,   
वयं  सहायता  समूह , 
िविभ  न समह
ू  और संघ , दानकतार्ओं, लोकोपकारी सं  थाओं, सं थ
  ागत एवं  अ  य पक्ष  की 
भूिमका। 
   के  द्र एवं  रा य
    वारा जनसंख्य
  ा के अित संवेदनशील वग  के िलए क  
याणकारी योजनाएं 
  ादन, इन अित संवेदनशील वग  की रक्षा एवं  बेहतरी के 
और इन योजनाओं  का कायर् -िन प
िलए गिठत तंत्र, िविध, सं  थान एवं िनकाय।  
    वा   य
  , िशक्षा, मानव संसाधन  से संबंिधत सामािजक क्षेत्रसेवाओं के िवकास और प्रबंधन /
  से संबंिधत िवषय। 
   गरीबी और भख
ू  से संबंिधत िवषय। 
   शासन   यव  था, पारदिशर्ता और जवाबदे ही के मह  वपण
ू  र् पक्ष, ईअनप्र
ु योग-गवनस-, मॉडल, 
सफलताएं, सीमाएं और संभावनाएं; नागिरक चाटर् र, पारदिशर्ता एवं जवाबदे ही और सं  थागत 
तथा अ  य उपाय।  
   लोकतंत्र म िसिवल सेवाओं की भूिमका।  
   भारत एवं इसके पड़ोसी संबंध।- 
   िवपक्षीय, क्षेत्रीय और वैि व
  क समह
ू  और भारत से संबंिधत औरअथवा भारत के िहत  को /
  प्रभािवत करने वाले करार। 
   भारत  के  िहत ,  भारतीय  पिर य
    पर  िवकिसत  तथा  िवकासशील  दे श   की  नीितय   तथा 

41 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
राजनीित का प्रभाव।  
   मह  वपूण र् अंतरार्  ट्रीय सं  थान, सं  थाएं और मंच – उनकी संरचना, अिधदे श ।   
प्र न
   पत्र – IV
 
सामा  य अ  ययन  - III:  
प्रौ योिगकी, आिथर्क िवकास, जैव िविवधता, पयार्वरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन।  
 
     भारतीय अथर्  यव  था तथा योजना, संसाधन  को जुटाने, प्रगित, िवकास  तथा रोजगार से 
संबंिधत िवषय।  
     समावेशी िवकास तथा इससे उ  प  
न िवषय।  
     सरकारी बजट। 
     मुख्य
   फसल  भाग  म फसल  का पैटनर्दे श के िविभ न
   -  प्रकार एवं िसंचाई के िविभ न
   -
द  का  भंडारणकृिष  उ  पा-िसंचाई  प्रणाली,  पिरवहन  तथा  िवपणन,  संबंिधत  िवषय  और 
बाधाएं; िकसान  की सहायता के िलए ई   प्रौ योिगकी।- 
     प्र  यक्ष एवं  अप्र  यक्ष कृिष सहायता तथा  य
 न
ू तम समथर्न मू  य से  संबंिधत िवषय; जन 
िवतरण  प्रणालीउ दे य   ॉक  तथा  खा य  सुरक्षा  संबंधी 
  -,  कायर्,  सीमाएं,  सुधार;  बफर  ट
िवषय; प्रौ योिगकी िमशन; पश ु ।अथर्शा  त्र पालन संबंधी - 
     भारत म खा य प्रसं  करण एवं  संबंिधत उ योग – कायर्क्षेत्र एवं  मह  व,   
थान, ऊपरी और 
नीचे की अपेक्षाएं, आपूितर्  ंख
ृ ला प्रबंधन। 
     भारत म भूिम सुधार।  
     उदारीकरण  का  अथर्  यव  था  पर  प्रभाव,  औ योिगक  नीित  म  पिरवतर्न  तथा  औ योिगक 
िवकास पर इनका प्रभाव।  
     बुिनयादी ढांचा ऊजार् :, बंदरगाह, सड़क, िवमानप त
  न, रे लवे आिद।  
     िनवेश मॉडल।  
     िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी – िवकास एवं अनुप्रयोग और रोजमरार् के जीवन पर इसका प्रभाव।  
     िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी म भारतीय  की उपलि ध
  यां; दे शज  प से प्रौ योिगकी का िवकास 
और नई प्रौ योिगकी का िवकास।  
     सूचना प्रौ योिगकी, अंतिरक्ष, क   यट
ू र, रोबोिटक् 
स, नैनोलॉजीटै क् 
नो-, बायोलॉजी और टै क् 
नो-
दा अिधकार  से संबंिधत िवषय  के संबध
ं  मेबौ िधक स  प◌ं जाग कता।  
  संरक्षण, पयार्वरण प्रदष
ू ण और क्षरण, पयार्वरण प्रभाव का आकलन।  
  आपदा और आपदा प्रबंधन।  
  िवकास और फैलते उग्रवाद के बीच संबध
ं ।  
  आंतिरक सुरक्षा के िलए चुनौती उ प
   न करने वाले शासन िवरोधी त  व  की   भूिमका।  
  म  से  आंतिरक  सुरक्षा  को  चुनौती,  आंतिरक  सुरक्षा  चन
  संचार  नेटवकर्  के  मा य ु ौितय   म 
मीिडया और सामािजक नेटविकर्ंग साइट  की भिू मका , साइबर सरु क्षा की बिु नयादी बात , 
धन शोधन और इसे रोकना। - 
  सीमावतीर्  क्षेत्र  म सुरक्षा चन
ु ौितयां  एवं उनका प्रबंधन संगिठत अपराध और आतंकव -◌ाद 

42 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
के बीच संबंध।  
  िविभ न
   सुरक्षा बल और सं  थाएं तथा उनके अिधदे श।  
प्र न
   पत्र – V 
 
सामा  य अ  ययन - IVनीितशा त्र
   : , स  यिन ठ
  ा और अिभ िच। 
इस प्र न
  िन ठ
  ादवार  की स  य शािमल ह गे  जो सावर्जिनक जीवन म उ  मीपत्र म ऐसे  प्र न
  -, ईमानदारी से 
संबंिधत िवषय  के प्रित उनकी अिभविृ  त तथा उनके  ि  टकोण तथा समाज से आचार वहार म िविभ न
   य-
  का  परीक्षण  करगे।  इन ओं  के  समाधान  को  लेकर  उनकी  मनोविृ  तमु द   तथा  सामने  आने  वाली  सम  या
पत्र  म क-आयाम  का िनधार्रण करने  के िलए प्र न
  ि◌सी मामले  के अ  ययन  म भी  का मा  य (डीकेस   ट)
ताचुना जा सक है । मुख्य
    प से िन न
  िलिखत क्षेत्र  को कवर िकया जाएगा।  
 
    तथा  मानवीय  सह:संबध
  नीितशा त्र ं  -  मानवीय  िक्रयाकलाप   म  नीितशा त्र
    का  सार  त  व, 
इसके  िनधार्रक  और  पिरणाम;  नीितशा त्र
    के  आयाम;  िनजी  और  सावर्जिनक  संबंध   म 
  । मानवीय मू  य महान नेताओं -, सध
नीितशा त्र ु ारक  और प्रशासक  के जीवन तथा उनके 
उपदे श   से  िशक्षा;  मू  य  िवकिसत  करने  म  पिरवार,  समाज  और  शैक्षिणक  सं  थाओं  की 
भूिमका।  
त(कंटे  ट)  सारांश  :,  संरचना,  विृ  त;  िवचार  तथा  आचरण  के  पिरप्रे य
  अिभविृ       म  इसका 
प्रभाव एवं संबंध; नैितक और राजनीितक अिभ िच; सामािजक प्रभाव और धारणा।  
  िसिवल सेवा के िलए अिभ िच तथा बुिनयादी मू  य, स  यिन  
ठा, भेदभाव रिहत तथा गैर -
  क्षता,  सावर्जिनक  सेवा  के  प्रित  समपर्ण  भाव,  कमजोर  वग   के  प्रित 
तरफदारी,  िन प
सहानुभूित, सिह ण
  ुता तथा संवेदना। 
  क समझ म उनके उपयोग और व  थाअवधारणाएं तथा प्रशासन और शासन  य
  भावना म    :
 प्रयोग। 
  भारत तथा िव व
   के नैितक िवचारक  तथा दाशर्िनक  के योगदान।  
  लोक  प्रशासन   म  लोक    तथािसिवल  सेवा  मू  य/नीितशा त्र
  एंित  तथा  सम  याि  थ  :; 
सरकारी तथा िनजी सं  थान  म नैितक िचंताएं  तथा दिु वधाएं; नैितक मागर्दशर्न के  ोत  
के  प  म  िविध,  िनयम,  िविनयम  तथा  अंतरार्  मा;  शासन   यव थ
  ा  म  नीितपरक  तथा 
नैितक मू  य  का सु ढ़ीकरण; अंतरार्  ट्रीय संबंध  तथा िनिध  य
 व थ
  ा  म नैितक   (फंिडंग)
मु दे ;  कारपोरे ट शासन   यव थ
  ा।  
  शासन   यव  था म ईमानदारीलोक सेवा की अवधारणा :; शासन   यव  था और ईमानदारी 
का  दाशर्िनक  आधार,  सरकार  म  सूचना  का  आदानप्रदान  और  पारदिशर्ता-,  सूचना  का 
अिधकार, नीितपरक आचार संिहता, आचरण संिहता, नागिरक घोषणा पत्र, कायर्  सं  कृित, 
सेवा प्रदान करने की गुणव त
  ा, लोक िनिध का उपयोग, भ्र  टाचार की चुनौितयां। 
  उपयुक् त िवषय  पर मामला संबंधी अ  ययन   (डीकेस   ट) 
र्  
प्र न
   पत्र  - VI  तथा प्र न
   पत्र – VII
वैकि प
  क िवषय प्र न
   पत्र  -I एवं II    
 

43 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
उ  मीदवार  पैरा    म  2दी  गई  वैकि पक  िवषय   की  सच
ू ी  म  से  िकसी  भी  वैकि प
  क  िवषय  का  चयन  कर 
सकते ह। 
कृिष िवज्ञान 
प्र न
   पत्र  - I 
पािरि थ
  ितकी  एवं  मानव  के  िलए  उसकी  प्रासंिगकता;  प्राकृितक  संसाधन;  उनके  अनुरक्षण  का  प्रबंध  तथा 
संरक्षण;  स  य  िवतरण  एवं  उ  पादन  के  कारक   के  प  म  भौितक  एवं  सामािजक  पयार्वरण;  कृिष 
पािरि थ
  ितकी; पयार्वरण के संकेतक के  प म स  य क्रम; पयार्वरण प्रदष
ू ण एवं  फसल  को होने  वाले  इससे 
संबंिधत  खतरे ;  पश ु एवं  मान;  जलवायु  पिरवतर्नय  अिभसमय  एवं  भूमंडलीय  पहलअंतरार्  ट्री-;  ग्रीन  हाउस 
प्रभाव  एवं  भम
ू ंडलीय  तापन;  पािरतंत्र  िव ल
  ेषण    के  प्रगत  उपकरण,  सद
ु रू   संवेदन  एवं  भौगोिलक  सच
ू ना 
प्रणािलयां।   
 

दे श  के  िविभ न
    कृिष  जलवाय 
ु क्षेत्र   म  स  य  क्रम;  स  यक्रम  म  िव थ
  ापन  पर  अिधक  पैदावार  वाली  तथा 
अ  पाविध  िक म
    का  प्रभाव;  िविभ  न  स  यन  एवं  कृिष  प्रणािलय   की  संक  पनाएं;  जैव  एवं  पिरशु धता 
कृिष; मह  वपूण र् अनाज; दलहन; ितलहन; रे शा; शकर्रा; वािणि य
  क एवं  चार फसल  के उ  पादन हे तु  पैकेज 
रीितयां।  
 

िविभ  न  प्रकार  के  वनरोपण  जैसे  िक  सामािजक  वािनकी;  कृिष  वािनकी  एवं  प्राकृितक  वन   की  मख्
ु य
  
िवशेषताएं  तथा  िव त
  ार,  वन  पादप   का  प्रसार;  वनो प
  ाद;  कृिष  वािनकी  एवं  मू  य  पिरवधर्न;  वन   की 
वन प
  ितय  और जंतुओं का संरक्षण।   
 

खरपतवार,  उनकी  िवशेषताएं;  प्रकीणर्न  तथा  िविभ न


    फसल   के  साथ  उनकी  संब धता;  उनका  गुणन; 
खरपतवार  संबंधी जैव तथा रासायिनक िनयंत्रण।  
 

मद
ृ ाभौितक-; रासायिनक तथा जैिवक गण
ु धमर्; मद
ृ ा रचना के प्रक्रम तथा कारक; भारत की मद
ृ ाएं; मद
ृ ाओं 
के खिनज तथा काबर्िनक संघटक तथा मद
ृ ा उ  पादकता अनुरक्षण म उनकी भूिमका; पौध  के िलए आव य
  क 
पोषक त  व तथा मद
ृ ाओं  और पादप  के अ  य लाभकर त व
  ; मद
ृ ा उवर्रता; मद
ृ ा परीक्षण एवं  सं  तावना के 
िस धांत,  समाकिलत  पोषकत  व  प्रबंध;  जैव  उवर्रक;  मद
ृ ा  म  नाइट्रोजन  की  हािन;  जलमग् न  धानमद
ृ ा  म  -
नाइट्रोजन  उपयोग  क्षमता;  मद
ृ ा  म  नाइट्रोजन  योिगकीकरण;  फासफोरस  एवं  पोटे िशयम  का  दक्ष  उपयोग; 
सम  याजनक मद
ृ ाएं  तथा उनका सुधार, ग्रीन हाउस; गैस उ स
  जर्न को प्रभावी करने  वाले  मद
ृ ा कारक; मद
ृ ा 
संरक्षण;  समाकिलत  जलिवभाजन  प्रबंधन-;  मद
ृ ा  अपरदन  एवं  इसका  प्रबंधन;  वषार्धीन  कृिष  और  इसकी 
सम  याएं, वषार् पोिषत कृिष क्षेत्र  म कृिष उ  पादन म ि  थरता लाने की प्रौ योिगकी। 
 

स य उ  पादन से  संबंिधत जल उपयोग क्षमता; िसंचाई कायर्क्रम के मानदं ड; िसंचाई जल की अपवाह हािन 


को कम करने  की िविधयां  तथा साधन, िड्रप तथा िछड़काव  वारा िसंचाई; जलक्रांत मद
ृ ाओं  से  जलिनकास; 
िसंचाई  जल  की  गुणव  ता;  जल  मद
ृ ा  तथा  जल  प्रदष
ू ण  पर  औ योिगक  बिह त्र
  ाव   का  प्रभाव;  भारत  म 
िसंचाई पिरयोजनाएं।   
 

फामर्  प्रबंधन; िव त
  ार; मह  व तथा िवशेषताएं; फामर्  आयोजना; संसाधन  का इ ट
  तम उपयोग तथा बजटन; 
िविभ  न प्रकार की कृिष प्रणािलय  का अथर्शा  त्र; िवपणन प्रबंधन िवकास की कायर्नीितयां।- 

44 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
बाजार  आसच
ू ना;  कीमत  म  उतारचढ़ाव  एवं  उनकी  लागत-,  कृिष  अथर्  यव  था  म  सहकारी  सं  थाओं  की 
भूिमका;  कृिष  के  प्रकार  तथा  प्रणािलयां  और  उनको  प्रभािवत  करने  वाले  कारक;  कृिष  कीमत  नीित;  फसल 
बीमा। 
 
कृिष  िव त
  ार;  इसका  मह  व  और  भूिमका;  कृिष  िव त
  ार  कायर्क्रम   के  मू  यांकन  की  िविधयां;  सामािजक  – 
आिथर्क  सवक्षण  तथा  छोटे   बड़े  और  सीमांत  कृषक   व  भिू महीन  कृिष  िमक   की  ि  थित;  िव त
  ार 
कायर्कतार्ओं  के िलए प्रिशक्षण कायर्क्रम; कृिष प्रौ योिगकी के प्रसार म कृिष िवज्ञान के  द्र  की भूिमका; गैर 
सरकारी संगठन तथा ग्रामीण िवकास के िलए  व
   सहायता उपागम।- 
 
प्र न
   पत्र – 2 
 
कोिशका  संरचना;  प्रकायर्  एवं  कोिशका  चक्र;  आनुवंिशक  उ  पादन  का  सं  लेषण;  संरचना  तथा  प्रकायर्; 
आनुवंिशकता के िनयम; गुणव  ता संरचना; गुणसूत्र िवपथन; सहलग् नता एवं  जीन िविनमय; एवं  पुनय
र् ोजन 
ु िु णत  तथा  असग
प्रजनन  म  उनकी  साथर्कता;  बहुगिु णता;  सग ु िु णत;  उ  पिरवतर्न;  एवं  स  य  सध
ु ार  म  उनकी 
भूिमका; वंशागित  व; बं य
  ता तथा असंयो य
  ता; वगीर्करण तथा स  य सुधार म उनका अनुप्रयोग; कोिशका 
द्र  यी वंशागित; िलंग सहलग् न; िलंग प्रभािवत तथा िलंग सीिमत लक्षण।   
 
पादप  प्रजनन  का  इितहास;  जनन  की  िविधयां;  व
  िनशेचन  तथा  सं  करण;  प्रिविधयां;  स  य  पादप   का 
उदगम,  िवकास  एवं  उपजाया  जाना;  उदगम  के  द्र;  समजात  ेणी  का  िनयम;  स  य  आनुवंिशक  संसाधन 
-
संरक्षण तथा उपयोग; स  य पादप  का सुधार; आणिवक सूचक एवं  पादप सुधार म उनका अनुप्रयोग; शु ध 
वंशक्रम वरण; वंशावली; समूह तथा पुनरावतीर्  वरण; संयोजी क्षमता; पादप प्रजनन म इसका मह  व; संकर 
ओज एवं उसका उपयोग; काय सं  करण;  रोग एवं पीड़क प्रितरोध के िलए प्रजनन। 
 
अंतराजातीय  तथा  अंतरावंशीय  संकरण  की  भूिमका,  स  य  सुधार  म  आनुवंिशक  इंजीिनयरी  एवं  जैव 
प्रौ योिगकी की भूिमका;  आनुवंिशकता;  पांतिरत स  य पादप। 
 
बीज उ  पादन एवं प्रसं करण प्रौ योिगिकयां; बीज प्रमाणन; बीज परीक्षण एवं भंडारण; डीएनए िफं गर िप्रिटंग 
एवं  बीज  पंजीकरण;  बीज  उ  पादन  एवं  िवपणन  म  सहकारी  एवं  िनजी  ोत   की  भूिमका;  बौ िधक  संपदा 
अिधकार संबंधी मामले।  
 
पादप पोषण पोषक त  व  के अवशोषण;   थानांतरण एवं  उपापचय के संदभर्  म पादप काियर्की के िस धांत; 
मद
ृ ा – जल पादप संबंध।  
 
प्रिक व
   एवं  पादपवणर्क-; प्रकाश सं ल
  ेषणनाएं  और इसके प्रक्रम को प्रभािवत करने  वाले  आधुिनक संक  प-
कारक,  आक् 
सी  व  अनाक् 
सी   वशन;  C3;  C4  एवं  CAM  िक्रयािविधयां;  काब हाइट्रे ट;  प्रोटीन  एवं  वसा 
उपापचय; व ृ िध एवं  पिरवधर्न; दीि त
   कािलता एवं  वसंतीकरण; पादप व ृ िध उपादान एवं  स  य उ  पादन म 
इनकी भूिमका; बीज पिरवधर्न एवं  अनुकरण की काियर्की; प्रसूि त
  ; प्रितबल; काियर्की-वात प्रवाह; लवण एवं 

45 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
जल  प्रितबल;  प्रमख
ु   फल;  बागान;  फसल;  सि  जयां;  मसाले  एवं  पु  पी  फसल;  प्रमख
ु   बागवानी  फसल   की 
पैकेज की रीितयां; संरिक्षत कृिष एवं  उ  च तकनीकी बागवानी; तड़
ु ाई के बाद की प्रौ योिगकी एवं  फल  व 
सि  जय   का  मू  यवधर्न;  भूसुदशर्नीकरण  एवं  वािणि य
  क  पु  प  कृिष;  औषधीय  एवं  एरोमेिटक  पौधे;  मानव 
पोषण म फल  व सि  जय  की भूिमका, पीड़क  एवं फसल ; सि  जय ; फलो यान  एवं बागान फसल  के रोग  
का िनदान एवं  उनका आिथर्क मह  व; पीड़क  एवं  रोग  का वगीर्करण एवं  उनका प्रबंधन; पीड़क  एवं  रोग  
का  जीव  वैज्ञािनक  रोकथाम;  जानपिदक  रोग  िवज्ञान  एवं  प्रमख
ु   फसल   के  पीड़क   व  रोग   का  पव
ू ार्नम
ु ान, 
पादप संगरोध उपाय; पीड़क नाशक; उनका सूत्रण एवं कायर् प्रकार। 
 
भारत म खा य उ  पादन एवं  उपभोग की प्रविृ  
तया; खा य सरु क्षा एवं  जनसंख्य
  ा व ृ िध ि  ट- 2020 अ  य 
अिधशेष के कारण, रा ट्र
  ीय एवं  अंतरार्  ट्रीय खा य नीितयां; अिधप्राि त
  ; िवतरण की बा य
  ताएं, खा यान  की 
उपल  धता; खा य पर प्रित य
  िक् 
त   यय; गरीबी की प्रविृ  
तयां; जन िवतरण प्रणाली तथा गरीबी की रे खा के 
नीचे  की जनसंख्य   ो  मुखी जन िवतरण प्रणाली (PDS); भूमंडलीकरण के संदभर्  म नीित कायार्  वयन, 
  ा; ल य
प्रक्रम  बा  यताएं;  खा य  उ  पादन  का  रा ट्र
  ीय  आहार,  िदशा  से  संबंधिनदश   एवं  खा य  उपभोग  प्रविृ त
  -, 
क्षुधाशमन  के  िलए  खा याधािरत  आहार  उपागम;  पोषक  त  व   की   यूनतानत   य ू पोषक  त  वसू म
  -◌ा; 
प्रोटीन ऊजार्  कुपोषण या प्रोटीन कैलोरी कुपोषण (PEM या PCM); मिहलाओं  और ब च
   की कायर्क्षमता के 
संदभर् म सू म      यूनता एवं मानव संसाधन िवकास; खा या  न उ  पादकता एवं खा य सुरक्षा।  
   पोषण त व
 
पशप
ु ालन एवं पशिु चिक  सा िवज्ञान 
प्र न
   पत्र – I
1.    पश ु पोषण  
1.1    पश ु के  अंदर  खा य  ऊजार्  का  िवभाजन;  प्र  यक्ष  एवं  अप्र  यक्ष  ऊ  मािमित;  काबर्न -
क  बध  िविधयांनाइट्रोजन  संतल
ु न  एवं  तल
ु ना  म,  रोमंथी  पशओ
ु ं;  सअ कुट   म 
ु र   एवं  कुक् 
खा य  का  ऊजार्मान   यक् 
त  करने  के  िस धांत;  अनुरक्षण;  व ृ िध  संगभर्ता;   त  य   त्राव 
तथा अंडा; ऊन एवं मांस उ  पादन के िलए ऊजार् आव य
  कताएं। 
1.2    प्रोटीन  पोषण  म  नवीनतम  प्रगित,  ऊजार्प्रोटीन  संबध
ं -;  प्रोटीन  गुणता  का  मू  यांकन; 
रोमंथी आहार म NPN योिगक  का प्रयोग; अनुरक्षण व ृ िध संगभर्ता;   त  य   त्राव तथा 
अंडा; ऊन एवं मांस उ  पादन के िलए प्रोटीन आव य
  कताएं।  
1.3    प्रमुख  एवं  लेस  खिनजशरीर  :तउनके   त्रो -  िक्रया  मक  प्रकायर्  एवं  हीनता  लक्षण;  िवषैले 
खिनज; खिनज अंत: िक्रयाएं, शरीर म वसाघुलनशील तथा जल घुलनशील खिनज  की  -
भिू मका, उनके   त्रोत एवं हीनता लक्षण।  
1.4    आहार  संयोजीमीथेन  संदमक-;  प्रोबायोिटक;  एंजाइम;  एंटीबायोिटक;  हाम न;  ओिलगो; 
शकर्राइड;  एंटीओक् 
सीडट;  पायसीकारक;  संच  संदमक;  उभयरोधी  इ  यािद,  हाम न  एवं 
स जैसे व ृ िधवधर्क  का उपयोग एवं द ु  प्रयोग नाएं।नवीनतम संक  प- 
एंटीबायोिटक् 
1.5    चारा  सरं क्षण;  आहार  का  भंडारण  एवं  आहार  अवयव,  आहार  प्रौ योिगकी  एवं  आहार 
प्रसं  करण  म  अिभनव  प्रगित;  पश ु आहार  म  उपि थ
  त  पोषण  रोधी  एवं  िवषैले  कारक; 
आहार िव ल
  ेषण एवं  गुणता िनयंत्रण; पाचनीयता अिभप्रयोगक्षप्र  
य-; अप्र  यक्ष एवं  सूचक 
िविधयां, चारण पशओ
ु ं म आहार ग्रहण प्रायुिक् 
त।  

46 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
1.6    रोपंथी  पोषण  म  हुई  प्रगित;  पोषक  त व
    आव य
  कताएं;  संतिु लत  राशन;  बछड़ ;  सगभार्; 
कामकाजी पशओ
ु ं  एवं  प्रजनन सांड  का आहार, दध
ु ा  पशओ
ु ं  को   त  य   त्राव; चक्र की 
िविभ  न अव थ
  ाओं  के दौरान आहार दे ने  की युिक् 
तयां; दग्ु ध
   संयोजन आहार का प्रभाव; 
मांस एवं  दग
ु  

्   उ  पादन के िलए बकरीबकरे   का आहार/; मांस एवं  ऊन उ  पादन के िलए 
भेड़ का आहार।  
1.7  ू र  पोषण;  पोषक  आव य
  शक   कताएं;  िवसपीर्;  प्रवतर्क;  िवकासन  एवं  पिर क
  ारण  राशन; 
बेचबीर् मांस उ  पादन हे तु शूकर-आहार; शक
ू र के िलए कम लागत के राशन।  
1.8    कुक् 
कुट  पोषण;  कुक्  
कुट  पोषण  के  िविश  ट  लक्षण;  मांस  एवं  अंडा  उ  पादन  हे तु  पोषक 
आव य
  कताएं, अंड े दे ने वाल  एवं ब्रोलर  की िविभ न
    ेिणय  के िलए   राशन सं पण।   
2.    पश ु शरीर िक्रया िवज्ञान  : 
2.1    रक् 
त  की  काियर्की  एवं  इसका  पिरसंचरण;  व
  सन;  उ  सजर्न;   
वा   य
    एवं  रोग   म 
अंत   ावी ग्रंथी।: 
2.2    रक्  त-गुणधमर्  एवं  प्रकायर् -,  होमोग् 
त  के  घटक  कोिशका  रचनारक्  लोबीन  सं ल
  ेषण  एवं 
रसायिनकी  
मा  ला-; प्रोटीन उ प
  ादन, वगीर्करण एवं  गण
ु धमर्; रक् 
त का  क त ावी 
  ं दन; रक् 
िवकास म उभय रोधी प्रणालीरक् 
त -रक िव त
 ा  
मा  ला- मात्रारक् 
त - समूहरक् 
त-दनप्रित क
  ं  -, 
जैव रसायिनक परीक्षण एवं रोग ।िनदान म उनका मह  व- 
2.3    पिरसंचरण दय- की काियर्की; अिभ द चक्र;  द  
विन;  द  पंद; इलेक् 
ट्रोकािडर्योग्राम;  दय 
का कायर्  और दक्षताद पेशी का उपापचयअिभ - दय प्रकायर्  म आयन  का प्रभाव-;  दय 
का  तंित्रकािनयमन  एवं  रासायिनक  िनयम -;  दय  पर  ताप  एवं  तनाव  का  प्रभाव;  रक् 
त 
त  दाब;  परासरण  िनयमन;  धमनी   पंद;  पिरसंचरण  का  वािहका  प्रेरक 
दाब  एवं  अितिरक् 
िनयमन;   त  धता;  द  एवं  फु  फुस  पिरसंचरण;  रक् 
त  मि  त  क  रोध   कमि  त-
 िक्षय  का पिरसंचरण।तरलप 
2.4      सन व
व   -सन  िक्रया  िविध  गैस   का  पिरवहन  एवं  िविनयम व
  -सन  का  तंित्रका  िनयंत्रण; 
रसोग्राही; अ  पआक् 
सीयता; पिक्षय  म  व
  सन।  
2.5    उ  सजर्न    की  संरचना  एवंवक्
ृ  क-प्रकायर्-मूत्र  िनमार्ण,  वक्
ृ  क  प्रकायर्,  अ  ययन  िविधयां -
क्षार संतुलन िनयमन-य अ  
लवक्
ृ  की; मूत्र के शरीर िक्रया  मक घटक पावक्
ृ क   -त   टिन च
  -े
द  व-े चज
ू  म मत्र
ू   वण-िधक् 
यशीरा रक्    या के िलए 
ताग्रंिथयां  एवं उनके प्रकायर्, मिू त्रयदिु क्र
जैव रासायिनक परीक्षण।  
2.6    अंत ावी ग्र:◌ंिथयांिक्रया 
क दष
ु प्रकायार्
्  म -, उनके लक्षण एवं  िनदान; हाम न  का सं ल
  ेषण; 
वण की िक्रयािविध एवं िनयंत्रण  वगीर्करण एवं प्रकायर्।-हाम िनय ग्राही - 
2.7    व ृ िध  एवं  पश ु उ  पादनत  व ृ िधप्रसव  पूव र् एवं  प्रसव  प च वता;  व ृ िध  वक्र; 
  ा-;  पिरपक् 
व ृ िध  के  माप;  व ृ िध  म  प्रभािवत  करने  वाले  कारक;  कंफमशन;  शारीिरक  गठन;  मांस 
गुणता।   
2.8    दग्ु ध
    उ  पादन  की  काियर्की,  जनन  एवं  पाचन  त
  न  िवकास  के  हाम नीय  िनयंत्रण  की 
वतर्मान  ि थ
  ित,  दग्ु ध
    वण  एवं  दग्ु ध   ासन;  नर  एवं  मादा  जनन  अंग;  उनके 
    िन क
अवयव एवं प्रकायर्; पाचन अंग एवं उनके प्रकायर्। 
2.9    पयार्वरणीय  काियर्कीक  संबंध  एवं  उनका  िनयमनशरीर  िक्रया म
  -;  अनुकूलन  की 

47 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
िक्रयािविध;  पश ु  यवहार  म  शािमल  पयार्वरणीय  कारक  एवं  िनयामक  िक्रयािविधयां; 
जलवायु  िवज्ञान  िविभ  न-प्राचल  एवं  उनका  मह  व,  पश ु पािरि थ
  ितकी;   यवहार  की 
काियर्की;   वा   य
   एवं उ  पादन पर तनाव का प्रभाव। 
3.    पश ु जनन : 
    वीयर्  गुणतावीयर्  के घटक   प -संरक्षण एवं  कृित्रम वीयर्सेचन-मटाजोआ की रचना;   
खिलत 
ु धमर्;  जीवे  एवं  पात्रे  वीयर्  को  प्रभािवत  करने  वाले 
वीयर्  का  भौितक  एवं  रासायिनक  गण
कारक; वीयर्  उ  पादन एवं  गुणता को प्रभािवत करने  वाले  कारक; संरक्षण; तनुकारक  की 
रचना;  शक्र
ु ाणु  संके  द्रण;  तनुकृत  वीयर्  का  पिरवहन,  गाय ;  भेड़ ,  बकर ,  शक
ू रो  एवं 
कुट   म  गहन  प्रशीतन  िक्रयािविधयां;   त्रीमद  की  पहचान  तथा  बेहतर  गभार्धान  हे तु 
कुक् 
वीयर्सेचन का समय, अमद अव  था एवं पुनरावतीर् प्रजनन। 
4.     पशध
ु न उ  पादन एवं प्रबंध  : 
4.1    वािणि य
  क डेरी फािमर्ंग – उ  नत दे श  के साथ भारत की डेरी फािमर्ंग की तुलना, िमि त 
कृिष के अधीन एवं िविश ट
   कृिष के  प म डेरी उ योग, आिथर्क डेरी फािमर्ंग, डेरी फामर् 
शु  करना; पंज
ू ी एवं  भिू म आव य
  कताएं; डेरी फामर्  का संगठन; डेरी फािमर्ंग म अवसर; 
डेरी  पश ु की  दक्षता  को  िनधार्िरत  करने  वाले  कारक;  यूथ  अिभलेखन;  बजटन;  दग्ु ध
  
उ  पादन  की  लागत;  कीमत  िनधार्रण  नीित;  कािमर्क  प्रबंध;  डेरी  गोपशओ
ु ं  के  िलए 
 यावहािरक एवं िकफायती राशन िवकिसत करना; वषर्भर हरे  चारे  की पूितर्; डेरी फामर् हे तु 
आहार एवं  चारे   की आव य ु ं  एवं  सांड , बिछय  एवं  प्रजनन पशओ
  कताएं, छोटे   पशओ ु ं  के 
िलए  आहार  प्रविृ  
तयां;  छोटे   एवं  वय क
    पशध
ु न  आहार  की  नई  प्रविृ  
तयां,  आहार 
अिभलेख। 
4.2    वािणि य
  क मांस; अंडा एवं ऊन उ  पादनभेड़-; बकरी; शक
ू र; खरगोश एवं कुक् 
कुट के िलए 
 यावहािरक  एवं  िकफायती  राशन  िवकिसत  करना,  चारे ,  हरे   चारे   की  पिू तर्;  छोटे   एवं 
पिरपक् 
व  पशध   यां,  उ  पादन  बढ़ाने  वाले  एवं  प्रबंधन  की  नई 
ु न  के  िलए  आहार  प्रविृ त
तया, पूंजी एवं भूिम आव य
प्रविृ     कताएं एवं सामािजक-आिथर्क संक  पना। 
4.3    सूखा; बाढ़ एवं अ  य नैसिगर्क आपदाओं से प्रा त
   पशओ
ु ं का आहार एवं उनका  प्रबंध।  
5.    आनुवंिशकी एवं पशप्रजनन
ु -  : 
5.1  ु ंिशकी का इितहास, सत्र
  पश ु आनव ू ी िवभाजन एवं  अधर्सत्र
ू ी िवभाजन; मडल  की वंशागित; 
मडल की आनुवंिशकी से िवचलन, जीन की अिभ य
  िक् 
त; सहलग् नता एवं जीनिविनयमन-; 
िलंग िनधार्रण; िलंग प्रभािवत एवं िलंग सीिमत लक्षण; रक् 
त समूह एवं बहु पता; गुणसूत्र 
िवपथन;  कोिशकाद  य  वंशागित,  जीन  एवं  इसकी  संरचना  आनव
ु ंिशक  पदाथर्  के  प  म 
DNA  आनुवंिशक  कूट  एवं  प्रोटीन  सं ल
  ेषण  पुनय गन;  DNA  प्रौ योिगकी,  उ  पिरवतर्न; 
उ  पिरवतर्न  के  प्रकार;  उ  पिरवतर्न  एवं  उ  पिरवतर्न  दर  को  पहचानने  की  िविधयां; 
पारजनन।  
5.2    पश ु प्रजनन  पर  अनुप्रयुक् 
त  समि ट  आनुवंिशकी,  मात्रा म
  क  और  इसकी  तुलना  म 
ु ा  मक िवशेषक; हाडीर्  वीनवगर्  िनयम; समि  ट और इसकी तुलना म   यि  ट; जीन एवं 
गण
जीन प्रा प बारं बारता; जीन बारं बारता को पिरवितर्त करने  वाले  बल; या ि छक अपसरण 
एवं लघु समि  टयां; पथ गुणांक का िस धांत, अंत: प्रजनन गुणांक, आकलन की िविधयां, 

48 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
अंतप्रजनन  प्रणािलयां  :;  प्रभावी  समि  ट  आकार;  िविभ न
  ता  संिवतरण;  जीन  प्रा प  X
पयार्वरण  सहसंबंध  एवं  जीन  प्रा प  X   पयार्वरण  अंतिक्रया  बहुमाप   की  भूिमका  :, 
संबंिधय  के बीच सम पता। 
5.3    प्रजनन तंत्रपशध
ु न एवं  कुक्    ; वंशागित  व; पुनरावतर्नीयता एवं  आनुवंिशक 
क-◌ुट  की न ल
ं ,  उनकी  आकलन  िविध  एवं  आकलन  पिरशु िध;  वरण  के 
एवं  समलक्षणीय  सहसंबध
साधन  एवं  उनकी  संगत  योग्    ;  वंशावली;  कुल  एवं  कुलांतगर्त  वरण,  संतित 
यताएं;   यि ट
परीक्षण;  वरण  िविधयां;  वरण  सूचक   की  रचना  एवं  उनका  उपयोग;  िविभ न
    वरण 
िविधय   वारा आनुवंिशक लि  धय  का तुलना  मक मू  यांकन; अप्र  यक्ष वरण सूचक  की 
रचना  एवं  उनका  उपयोग;  िविभ न ु ंिशक  लि  धय   का 
    वरण  िविधय   वारा  आनव
तुलना  मक  मू  यांकन;  अप्र  यक्ष  वरण  एवं  सहसंबंिधत  अनुिक्रया;  अंतप्रजनन  :;  बिह; 
प्रजनन; अपग्रेिडंग सं  करण एवं  प्रजनन सं ल
  ेषण; अतप्रजिनत लाइन  का वािण :ि यक 
प्रयोजन  हे तु  सं  करण; सामा  य एवं  िविश ट यता हे तु  वरण; दे हली लक्षण  
   संयोजन योग् 
के िलए प्रजनन;  सायर इंडक्
े  स। 
6.    िव त
  ार : 
    िव त
  ार  का  आधारभूत  दशर्न;  उ दे य
  ;  संक  पना  एवं  िस धांत;  िकसान   को  ग्रामीण 
दशाओं  म  िशिक्षत  करने  की  िविभ न
    िविधयां,  प्रौ योिगकी  पीढ़ी;    इसका  अंतरण  एवं 
प्रितपुि ट
  ;  प्रौ योिगकी  अंतरण  म  सम  याएं  एवं  किठनाइयां;  ग्रामीण  िवकास  हे तु 
पशप
ु ालन कायर्क्रम।    
 
प्र न
   पत्र – 2 
1.    शरीर रचना िवज्ञान, भेषज गुण िवज्ञान एवं   वा   य
   िवज्ञान  : 
1.1    ऊतक  िवज्ञान  एवं  ऊतकीय  तकनीक    ऊतक  प्रक्रमण  एवं  :H.E.  अिभरं जन  की  पैराफीन 
अंतदशीर्  एवं    क्षेत्र  सू म
  ीदी  त -दिशर्कीसू म
   -िहमीकरण  माइक्रोटोमी -िपत  तकनीक  था  :
दशीर्न  सू म
  इलेक्ट्र
  ा,  कोिशका  की  कोिशका  िवज्ञान  संरचना,  कोिशकांग  एवं  अंतवशन; 
कोिशका  िवभाजन-ऊतक  एवं  उनका  वगीर्करण-कोिशका  प्रकार -भ्रूणीय  एवं   य  
क  ऊतक-
  सन, पेशी कंकाली एवं 
अंग  क◌ा तुलना  मक ऊतक िवज्ञानसंवहनी   -, तंित्रका, पाचन,  व
जननमन
ू  तंत्र  संवेदी अंग।-वरणअ  या- ावीग्रिथय :अंत - 
1.2    भ्रूण िवज्ञान नपाियय  के िवशेष संदभर्  के साथ कशे िकय  का  पिक्ष वगर्  एवं  घरे लू   त -
घरे लू  -स  एवं  अपरा य
  ागभर्  िझ ल
  ी-रजनन  त
   -िनषेचन -क  जननयुग्म
  -नभ्रूण  िवज्ञा
र जनन  त
  -अंगिवकास-यमल एवं  यमलन-िव पता िवज्ञान-नपाियय  से  अपरा के प्रकार  त
मीर्अंत च
  -  न  प  
य, म
ु  यचमीर् एवं बिहचर्मी   यु  प  न। 
1.3    मौ  पैरानासीय  वष
ृ भ  के  :  क्षेत्रीय  शारीिरकी-शरीिरकी-कोटरल  लारग्रंिथयो  की  बिह त
   -
शारीिरकी;  अवनेत्रकोटर,  जंिभका,  िचबुककूिपका,  मानिसक  एवं  शग
ूं ी  तंित्रका  रोध  की 
क्षेत्रीय  शारीिरकी,  पराकशे क  तंित्रकाओं  की  क्षेत्रीय  शारीिरकी  गु य  तंित्रका,  म  यम 
तंित्रका,  अंत  :प्रकोि ठ   का  तंित्रकाअंतजीिवका-,  बिहजीिवका 
  का  तंित्रका  एवं  बिहप्र  :कोि ठ
एवं  अंगुिल  तंित्रकाएं-अिध ढ़तािनका  संज्ञाहरण  म  शािमल  संरचनाएं -कपाल  तंित्रकाएं -
उपिर  थ  लसीका  पवर्वक्षीय -,  उदरीय  तथा  ोणीय  गुिहका  के  अंतरांग   की  बिह त
  र 

49 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
शारीिरकीक  िवशेषताएं  एवं  त
  गिततंत्र  की  तल
ु ना  म-नपायी  शरीर  की  जैव  यांित्रकी  म 
उनका अनुप्रयोग।   
1.4    कुक् 
कुट  शारीिरकीक  शारीिरकीसन  एवं  उड़ने  के  संबंध  म  प्रकायार्  म व
  -कंकाली  तंत्र-पेशी-, 
पाचन एवं अंडो  पादन। 
1.5    भेषज  गुण  िवज्ञान  एवं  भेषज  बलगितकी  के  कोशकीय   तर  तरल   पर  कायर्कारी  औषध 
एवं  िव यत ु न।   वसंचािलत  तंित्रका  तंत्र  पर  कायर्कारी  औषध।  संज्ञाहरण 
ु   अपघ य  संतल
की  आधुिनक  संक  पनाएं  एवं  िवयोजी  संज्ञाहरण,  ऑटाकॉइड,  प्रितरोगाण ु एवं  रोगाण ु
संक्रमण म रसायन िचिक  सा के िस धांत, िचिक स
  ाशा त्र
   म हाम न  का उपयोगपरजीवी -
संक्रमण  म रसायन िचिक  सा, पशओ
ु ं  के खा य ऊतक  म औषध एवं  आिथर्क सरोकार -
अबद   ा,  कीटनाशक ,  पौधो,  धातुओ,ं   अधातुओं,  जंतुिवष   एवं 
ुर्   रोग   म  रसायन  िचिक स
कवकिवष  के कारण िवषालुता। 
1.6    जल,  वायु  एवं  वास थ
  ान  के  संबंध  के  साथ  पश ु  वा   य
    िवज्ञानजल-,  वायु  एवं  मद
ृ ा 
प्रदष
ू ण  का  आकलनदन  म  पश ु कायर्  एवं  िन प
  ा -  म  जलवायु  का  मह  व   य
  पशु   वा-
पश ु कृिष  एवं  औ योगीकरण  के  बीच  संबंध  िवशेष  ेणी  के  घरे ल ु  -पयार्वरण  का  प्रभाव
पशओं,  यथा,  सगभार्  गौ  एवं  शक ु ा   गाय,  ब्रायलर  पक्षी  के  िलए  आवास 
ू री,  दध
  कताएंध म तनावन के संबंपश ु वास  था -,  ांित एवं  उ  पादकता।   
आव य
2.    पश ु रोग   
2.1    गोपश,ु   भेड़  तथा  अजा,  घोड़ा,  शक
ू र  तथा  कुक् 
कुट  के    संक्रामक  रोग   का  रोगकरण, 
जानपािदत रोग िवज्ञान, रोगजनन, लक्षण, मरणो त
  र िवक्षित, िनदान एवं िनयंत्रण। 
2.2    गोपश,ु  घोड़ा, शक
ू र एवं कुक् 
कुट के उ  पादन रोग  का रोककारण, जानपािदत रोग िवज्ञान, 
लक्षण, िनदान, उपचार। 
2.3    घरे ल 
ु पशओ
ु ं और पिक्षय  के हीनता रोग। 
2.4    अंतघर् टन,  अफरा,  प्रवािहका,  अजीणर्,  िनजर्लीकरण,  आघात,  िवषाक् 
तता  जैसी  अिविश  ट 
दशाओं का िनदान एवं उपचार : 
2.5    तंित्रका वैज्ञािनक िवकार  का िनदान एवं उपचार। 
2.6  ु ं  के  िविश  ट  रोग   के  प्रित  प्रितरक्षीकरण  के  िस धांत  एवं  िविधयां -यूथ  प्रितरक्षा-
  पशओ
 रसायन रोग िनरोध।-ना रोग संक  प क्षेत्र शू  यरोगमक्
ु  त 
2.7    संज्ञाहरणिनक  
था-,  क्षेत्रीय  एवं  सावर्देिहकसंज्ञाहरण  पूव र् औषध  प्रदान   -,  असि् थभंग  एवं 
संिध  युित म लक्षण एवं  श  य   यितकरण, हिनर्या, अवरोध, चतथ
ु  र् अमाशायी िव थ
  ापन-
 कमर्िसजेिरयन श त्र
  , रोमंिथका  जनदनाशन।-छे दन- 
2.8    रोग  जांच  तकनीकप्र-योगशाला  जांच  हे तु  सामग्रीपश ु स -◌् 
वा   य
    के  द्र   की   थापना  – 
रोगमुक् 
त क्षेत्र।  
3.    सावर्जिनक पश ु  वा   य
   : 
3.1    पशज
ु  य रोगवगीर्करण-, पिरभाषा, पशज
ु  य रोग  की   यापकता एवं  प्रसार म पशओ
ु ं  एवं 
पिक्षय  की भिू मका – पेशागत पशज
ु  य रोग। 
3.2    जानपिदक रोग िवज्ञान    -िस धांत, जानपिदक रोग िवज्ञान संबधी पदावली की पिरभाषा, 
रोग तथा उनकी रोकथाम के अ  ययन म जानपिदक रोग िवज्ञानी उपाय  का अनुप्रयोग, 

50 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
वाय,ु   जल  तथा  खा य  जिनत  संक्रमण   के  जानपिदक  रोग  िवज्ञानीय  लक्षण,  OIE 
िविनयम, WTO   व छ
  ता एवं पादपता उपाय। छ
   व- 
3.3    ा िविधशा  त्रपश-ु  गुणव  ता सुधार तथा पश ु रोग िनवारण के िलए िनयम एवं 
  पश ु िचिक स
    एवं  के  द्र  के 
िविनयमदन  जिनपशुजिनत  एवं  पश ु उ  पा-त  रोग   के  िनवारण  हे तु  रा य
िनयम,  SPCA  पश ु िचिक स
  ािविधक  जांच  हे तु  नमून   के  संग्रहण  की  सामिग्रयां  एवं  -
िविधयां। 
4.    दग्ु ध
   एवं दग्ु ध
  ो  पाद प्रौ योिगकी : 
4.1    बाजार  का  दध
ू चे  दध
ू   की  गण
ु ता 
कच ्  :,  परीक्षण  एवं  कोिट  िनधार्रण,  प्रसं  करण, 
पिरवे  टन,  भंडारण,  िवतरण,  िवपणन,  दोष  एवं  उनकी  रोकथाम,  िन न
  िलिखत  प्रकार  के 
दध
ू   को  बनाना;  पा च
  ुरीकृत,  मानिकत,  टो  ड,  डबल  टो  ड,  िनजीर्वाणुकृत,  सामांगीकृत, 
सामांगीकृत,  पुनिनिमर्त  पुनसर्ंयोिजत  एवं  सुवािसत  दध
ू ,  संविधर्त  दध
ू   तैयार  करना, 
संवधर्न  तथा  उनका  प्रबंध,  योगटर् ,  दही,  ल  सी  एवं  ीखंड,  सुवािसत  एवं  िनजीर्वाणुकृत 
दध
ू  तैयार करना, िविधक मानक,   व छ
   एवं  सुरिक्षत दध    संयंत्र उप  कर हे तु 
ू  तथा दग्ु ध
 व छ
  ता  आव य
  कताएं। 
4.2    दग्ु ध
    उ  पाद  प्रौ योिगकी    सामग्री  का  चयनक च
  ी  :,  क्रीम,  मक् 
खन,  घी,  खोया,  छे ना, 
चीज, संघिनत, वाि प
  त, शिु  कत दध
ू  एवं िशश ु आहार, आइसक्रीम तथा कु  फी जैसे दग्ु ध
  
उ  पाद  का प्रसं  करण, भंडारण, िवतरण एवं  िवपणन; उपो  पाद, छे ने  के पानी के उ  पाद, 
छाछ  (बटर िम क
  ), लैक्ट
 ोज एवं  केसीन, दध
ू  उ प
  ाद  का परीक्षण, कोिटिनधार्रण- , उ ह
  
परखना,  BIS  एवं  एगमाकर्  िविनदशन,  िविधक  मानक,  गुणता  िनयंत्रण  एवं  पोषक  गुण, 
संवे  टन प्रसं  करण एवं संिक्रया  मक िनयंत्रण, डेरी उ  पाद  का लागत िनधार्रण। 
5.    मांस   वा   य
   िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी : 
5.1    मांस   वा   य
   िवज्ञान 
5.1.1    खा य  पशओ
ु ं  की  म ृ  यु  पूव र् दे खभाल  एवं  प्रबंध,  िवसंज्ञा,  वध  एवं  प्रसाधन  संिक्रया; 
वधशाला  आव य
  कताएं  एवं  अिभक  प;  मांस  िनरीक्षण  प्रिक्रयाएं  एवं  पश ु शव  मांस  खंड  
को  परखनापश-ु   शव  मांस  खंड   का  कोिट  िनधार्रणदन  म  पश ु कर  मांस  उ प
  ापुि ट
 -
क  के कतर्िचिक  स  य और कायर्। 
  ादन  संभालने  की   वा   य
5.1.2    मांस  उ प   कर  िविधयांमांस  का  िबगड़ना  एवं  इसकी  रोकथ-◌ाम 
के  उपायव-धोपरांत  मांस म  भौितक  प्रभािवत  करने  वाले  रासायिनक  पिरवतर्न  एवं  इ  ह-
कारकपार एवं उ योग म िनयामक उपबंध।मांस   या-णता सुधार िविधयांग-ु  
5.2    मांस प्रौ योिगकी : 
5.2.1    मांस के भौितक एवं रासायिनक लक्षण मांस एवं-मांस परीक्षण की िविधयां-नमांस इम  श-
मांस उ  पादन का संसाधन, िड ब
  ाबंदी, िकरणन, संवे  टन, प्रसं  करण एवं संयोजन। 
5.3    उपो  पादवधशाला  -दखा य  एवं  अखा य  उपो प
  ा-द  एवं  उनके  उपयोगवधशाला  उपो प
  ा -
खा य  एवं  भेषिजक -द  के  समुिचत  उपयोग  सामािजक  एवं  आिथर्क  िनिहताथर्उपो  पा
दउपयोग हे त 
ु अंग उ  पा। 
5.4    कुक् 
कुट उ  पाद प्रौ योिगकीवध की  -नट मांस के रासायिनक संघटन एवं  पोषक माकुक् 
कु-
दे खभाल तथा प्रबंध, वध की तकनीक, कुक् 
कुट मांस एवं  उ  पाद  का िनरीक्षण, परीक्षण, 

51 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
िविधक एवं  BIS मानक, अंड  की संरचना, संघटन एवं  पोषक मान, सू म
  जीवी िवकृित, 
परीक्षण  एवं  अनुरक्षण,  कुक् 
कुट  मांस,  अंड   एवं  उ  पाद   का  िवपणन,  मू  यविधर्त  मांस 
उ  पाद। 
5.5    खरगोशदनखरगोश  मांस  उ प
  ा-फर  वाले  पशओ
ु ं  की  फािमर्ंग/,  फर  एवं  ऊन  का  िनपटान 
   उपो  पादो का पुन च
एवं उपयोग तथा अपिश ट   क्रण, ऊन का कोिटिनधार्रण।   
न ृ िवज्ञान 
प्र न
   पत्र – I
 
1.1    निृ वज्ञान का अथर्, िवषय क्षेत्र एवं िवकास।  
1.2    अ  य िवषय  के साथ संबध
ं सामािजक िवज्ञान :,   
यवहारपकरक िवज्ञान, जीव िवज्ञान, 
आयुिवर्ज्ञान, भूिवषयक िवज्ञान एवं मानिवकी।- 
1.3    निृ वज्ञान की प्रमुख शाखाएं, उनका क्षेत्र तथा प्रासंिगकता : 
    (क)  सामािजकितक निृ वज्ञानसां  कृ- 
    (ख)  जैिवक िवज्ञान 
    (ग)  पुरात  व – निृ वज्ञान 
    (घ)  भाषानिृ वज्ञान - 
1.4    मानव िवकास तथा मनु  य का आिवभार्व : 
    (क)  मानव िवकास म जैव एवं सां  कृितक कारक 
    (ख)  जैव िवकास के िस धांत डा)िवर्नपूव-र् , डािवर्न कालीन एवं डािवर्नो  तर( 
    (ग)  िवकास का सं ल
  ेषणा  मक िस धांत, िवकासा म
  क जीव िवज्ञान की  बावली एवं 
संक  पनाओं की संिक्ष  त  परे खा डॉल का िनयम), कोप का िनयम, गॉस का 
िनयम, समांतरवाद, अिभसरण, अनक
ु ू ली िविकरण एवं मोजेक िवकास( 
1.5    नर वानर की-िवशेषताएं वानर विगर्की- एवं नरक प्रविृ  
तिवकासा म
   :; 
    नरवानर अनुकूलन-;वानर विगर्की-नर (लीयवक्ष
ृ ीय एवं   थ) ; 
    नरवहारवानर   य-, तत
ृ ीयक एवं चतुथक
र्  जीवा म
   नरवानर-; 
    जीिवत प्रमुख नरवानर-; मनु  य एवं वानर की तुलना  मक शरीररचना -; 

    ित के कारण हुए कंकालीय पिरवतर्न एवं ह  के िनिहताथर्। 
  न ृ संि थ
1.6    जाितव ृ  तीय ि  थित, िन न
  िलिखत की िवशेषताएं एवं भौगोिलक िवतरण: 
    (क)  दिक्षण एवं पव
ू  र् अफ्रीका म अितनूतन अ  यंत नूतन होिमिनडलोिपथेिसनआ ट्र
  े - 
    स  (पसपैरे  प्रो)  अफ्रीका  :,  यूरोप  (सस  हीडेल  बजि  
  (ख)  होमोइरे क्ट सहोमोइरे क् ट),  एिशया 
स जाविनकसहोमोइरे क्ट
  ), होमोइरे क्ट
  स पेकाइनेि  सस( 
    (ग)  िनए  डरथल  मानव(िसकी  प्रकारक् 
ला)  सत-ओ-शापेय  -ला-,  माउं ट  कारमेस  प्रगामी  )
(प्रकार 
    (घ)  रोडेिसयन मानव 
    (ड.)  होमो-सेिपए  स-क्रोमैग्न
  न िग्रमाली एवं चांसलीड। 
1.7    जीवन के जीववैज्ञािनक आधारकोिशका :, DNA संरचना एवं प्रितकृित, प्रोटीन सं ल
  ेषण 

52 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
जीन, उ  पिरवतर्न, क्रोमोसोम एवं कोिशका, िवभाजन। 
1.8    (क)  प्रागैितहािसक पुरात  व िवज्ञान के िस धांतसापेक्ष एवं परम काल :कालानुक्रम/
िनधार्रण िविधयां। 
    (ख)  सां  कृितक िवकासप्र-◌ागैितहािसक सं  कृित की   थूल  परे खा 
      (i)  पुरापाषाण 
      (ii)  म  य पाषाण 
      (iii)  नव पाषाण 
      (iv)  ताम्र पाषाण 
      (v)  ताम्रकां  य- यग
ु  
      (vi)  लोक युग 
2.1    सं  कृित  का   व प  :  सं  कृित  और  स  यता  की  संक  पना  एवं  िवशेषता;  सां  कृितक 
सापेक्षवाद की तुलना म नज
ृ ाित किद्रकता। 
2.2    समाज  का   व प  :  समाज  की  संक  पनाितसमाज  एव  सं  कृ  :;  सामािजक  सं  थाएं; 
सामािजक समह
ू ; एवं सामािजक   तरीकरण।  
2.3    िववाह  :  पिरभाषा  एवं  सावर्भौिमकता;  िववाह  के  िनयम  अंतिवर्वाह), 
बिहिवर्वाह,अनुलोमिववाह,  अग  यगमन  िनषेध(;  िववाह  के  प्रकार  एक  िववाह  प्रथा),  बहु 
िववाह  प्रथा,  बहुपित  प्रथा,  समूह  िववाह,  िववाह  के  प्रकायर्;  िववाह  िविनयम    अिधमा  य)
( एवं अिभिनषेधकिनिदर्  ट; िववाह भुगतान ।(वधु धन एवं दहे ज) 
2.4    पिरवार : पिरभाषा एवं सावर्भौिमकता; पिरवार, गह
ृ  थी एवं ग ृ य समूह; पिरवार के प्रकायर्; 
पिरवार के प्रकार  संरचना), रक् 
तसंबंध-, िववाह, आवास एवं  उ  तरािधकार के पिरप्रे य
   से(; 
नगरीकरण, औ योिगकीकरण एवं नारी अिधकारवादी आंदोलन  का पिरवार पर प्रभाव। 
2.5  त संबंध एवं  िववाह संबंध  एक रे खीय)  वंशानक्र
  नातेदारी : रक्  ु म के िस धांत एवं  प्रकार :, 
वैध,  िवपक्षीय,  उभयरे खीय(;  वंशानुक्रम  समूह  के  प  वंशपरं परा),  गोत्र,  फ्रेटरी,  मोइटी 
  )  वलीनातेदारी  श  दा  :(,  वंशानुक्रमण  एवं 
एवं  संबंधीवंशानुक्रम  :(क  एवं  वगीर्कारकवणर्ना म
पूरक वंशानुक्रम; वंशानुक्रम एवं सहबंध। 
3.    आिथर्क संगठन : अथर्, क्षेत्र एवं  आिथर्क निृ वज्ञान की प्रासंिगकता;  पवादी एवं  त  ववादी 
बहस;  उ  पादन,  िवतरण  एवं  समद
ु ाय   म  िविनमय  ता  यअ  यो),  पन
ु िवर्तरण  एवं  बाजार(, 
िशकार  एवं  संग्रहण,  म  सयन,  ि व
  डेिनंग,  पशच
ु ारण,  उ यानकृिष  एवं  कृिष  पर  िनवार्ह; 
भूमंडलीकरण एवं दे शी आिथर्क   यव थ
  ाएं। 
4.    राजनीितक  संगठन  एवं  सामािजक  िनयंत्रण  :  टोली,  जनजाित,  सरदारी,  राज  एवं  रा य
  ; 
स  ता,  प्रािधकार  एवं  वैधता  की  संक  पनाएं;  सरल  समाज   म  सामािजक  िनयंत्रण,  िविध 
एवं   याय। 
5.    धमर्  :  धमर्  के  अ  ययन  म  नव
ृ ैज्ञािनक  उपागम  किवकासा म
  ),  मनोवैज्ञािनक  एवं 
  रवाद; पिवत्र एवं  अपावन; िमथक एवं  कमर्कांड; जनजातीय एवं  कृषक 
प्रकायार्  मक(; एके व
समाज  म धमर्  के  प  जीववाद), जीवा  मावाद, जड़पूजा, प्रकृित पज
ू ा एवं  गणिच न वाद(; 
धमर्, जाद ू एवं  िवज्ञान िविश  ट जादई
ु धािमर्क कायर्क-तार्पुजारी)  , शमन, ओझा, ऐद्रजािलक 
और डाइन ।( 

53 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
6.    नव
ृ ैज्ञािनक िस धांत : 
    (क)  क् 
लािसकी िवकासवाद टाइलर), मॉगनर् एवं फ्रेजर( 
    (ख)  ऐितहािसक िविश ट
  तावाद (बोआस); िवसरणवाद िब्रिटश), जमर्न एवं अमरीका( 
    (ग)  प्रकायर्वाद (मैिलनो क
  ी);  संरचना(ब्राउन -करै डिक् 
ल) प्रकायर्वाद- 
    (घ)  संरचनावाद(श एवं ई लीशलेवी  ट्र
  ा)  
    (ड.)  सं  कृित एवं वय
्  िक् 
त  
व बेनेिडक् 
ट), मीड, िलंटन, कािडर्नर एवं कोराब-ु द-ु वा( 
    (च)  नविच  ड) िवकासवाद-,   
हाइट,    यव
ू डर्, शाहिल  स एवं सिवर्स( 
    (छ)  सां  कृितक भौितकवाद (है िरस) 
    (ज)  प्रतीका  मक एवं अथर्िन पी िस धांत टानर्र),  न
  ाइडर, एवं गी ।र् ( 
      (क)  संज्ञाना  मक िस धांत (नटाइलर कांिक् 
स) 
      (ख)  निृ वज्ञान म उ  तर आधुिनकवाद 
7.    सं  कृित, भाषा एवं  संचार : भाषा का  व
  प, उ गम एवं  िवशेषताएं; वािचक एवं  अवािचक 
संप्रेषण; भाषा प्रयोग के सामािजक संदभर्। 
8.  ु ंधान प धितयां : 
  निृ वज्ञान म अनस
    (क)  निृ वज्ञान म क्षेत्रकायर् परं परा 
    (ख)  तकनीक, प धित एवं कायर् िविध के बीच िवभेद। 
    (ग)  द  त  संग्रहण  के  उपकरण  प्रेक्षण  :,  साक्षा क
  ार,  अनुसूिचयां,  प्र न
  ावली,  केस 
अ  ययन,  वंशावली,  मौिखक  इितव ृ  त,  सूचना  के  िवतीयक  ोत,  सहभािगता 
प धित।  
    (घ)  द  त का िव ल
  ेषण , िनवर्चन एवं प्र  तत
ु ीकरण। 
9.1    मानव  आनुवंिशकी  –  प धित  एवं  अनुप्रयोगयन  म  आनुवंिशक    पिरवार  अ य
  मनु  य  :
षणवंशावली  िव ल
  े)  यन  की  प धितयांिस धांत   के  अ  य,  यग्ु म
   अ य
  यन,  पो य
  पत्र
ु ,  सह -
  प धितयुग्म   ेषण(,  जैव 
  ,  कोिशकाजनिनक  प धित-,  गुणसूत्री  एवं  के  द्रक  प्रा प  िव ल
रसायनी प धितयां, डी ए.एन.प्रौ योिगकी एवं पुनय गज प्रौ योिगिकयां। 
9.2    मनु  ययन म मेपिरवार अ य े ीय आनुवंिशकी, मुन  
  -◌ंडल य म एकल उ  पादन, बहु  उ  पादन 
, घातक, अवघातक एवं अनेक जीनी वंशागित। 
9.3  ु ंिशक  बहु पता  एवं  वरण  की  संक  पना,  मडेलीय  जनसंख्य
  आनव   ा,  हाडीर् -वीन  वगर्  िनयम; 
बारं बारता  म  कमी  लाने  वाले  कारण  एवं  पिरवतर्निरवतर्नउ  प -,  िवलयन,  प्रवासन,  वरण, 
अंतितप्रजनन  एवं  आनुवंिशक   य ु :,  समरक् त  एवं  असमरक् त  समागम,  आनुवंिशक  भार, 
समरक् त एवं भिगनी-बंध िववाह  के आनव
ु ंिशक प्रभाव। 
9.4    गुणसूत्र एवं मनु  य म गुणसूत्री िवपथन, िक्रयािविध: 
    (क)  संख्य
 ा  
मक एवं संरचना  मक िवपथन (एंव  थाअ  य) 
    (ख)  िलंग  गुणसूत्री  िवपथन  रइनफे  टक् 
ला-(XXY),  टनर्र    (XO)  अिधजाया  (XXX) 
अंतिलर्ंग एवं अ  य संलक्षणा  मक अवय
्  व थ
  ाएं। 
  ू ी िवपथनडाउन संलक्षण-, पातो, एडवडर् एवं िक्रशॉ संलक्षण।-द-ु  
  (ग)  अिलंग सत्र
    (घ)  मानव  रोग   म  आनुवंिशक  अ  ययन,  आनुवंिशक  क्र
  ीिनंग,  आनुवंिशक  उपबोधन, 
मानव डीएनए प्रोफाइिलंग, जॉन मैिपंग एवं जीनोम अ  ययन। 

54 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
9.5    प्रजाित एवं प्रजाितवाद, दरू ीक एवं अदरू ीक लक्षण  की आकािरकीय  िविभ न
  ताओं का जीव 
वैज्ञािनक  आधार,  प्रजातीय  िनकष,  आनुवंिशकता  एवं  पयार्वरण  के  संबंध  म  प्रजातीय 
िवशेषक;  मनु  य  म  प्रजातीय  वगीर्करण,  प्रजातीय  िवभेदन  एवं  प्रजाित  सं  करण  का  जीव 
वैज्ञािनक आधार। 
9.6    आनुवंिशक िच नक के  प म आयु, िलंग एवं जनसंख्य
  ा िवभेदएबीओ-, आरएच रक् 
तसमूह, 
एचएलएएचपी,  ट्रे  सफेिरन,  जीएम,  रक् 
त  एंजाइम,  शरीर  िक्रया  मक  लक्षण  िविभ  न 
सां  कृितक  एवं  सामािजकरआिथर्क  समूह   म  एचबी  त   सन 
  -,  शरीर  वसा,   पंद  दर,  व
प्रकायर् एवं संवेदी प्र  यक्षण। 
9.7    पािरि थ
  ितक निृ वज्ञान की संक  पनाएं  एवं  प धितयां, जैवजनिनक  -ितक अनक
ु ू लनसां  कृ -
  क अनुिक्रयाएं 
एवं  अजनिनक कारक, पयार्वरणीय दबाव  के प्रित मनु  य की शरीर िक्रया म
गमर् म भूिम :, शीत, उ  च तुंगता जलवायु। 
9.8    जानपिदक  रोग  िवज्ञानीय  निृ वज्ञान    एवं  रोग   य
   
वा  :,  संक्रामक  एवं  असंक्रामक  रोग, 
पोषक त  व  की कमी से संबंिधत रोग। 
10.  ू -र् एंव ृ िध  की  अव थ
  मानव  व ृ िध  एवं  िवकास  की  संक  पना  प्रसवपव   ा  :,  प्रसव,  िशश,ु  
बचपन, िकशोराव  था, पिरपक् वाव थ
  ा, जर  व। 
    व ृ िध और िवकास को प्रभािवत करने वाले  कारकजनिनक :, पयार्वरणीय, जैव रासायिनक, 
पोषण संबंधी, सां  कृितक एवं सामािजकआिथर्क।- 
    कालप्रभावन एवं जर  व, िस धांत एवं प्रेक्षण जैिवक एवं कालानुक्रिमक दीघर् आयु, मानवीय 
शरीर गठन एवं कायप्र प, व ृ िध अ य
  यन की  िक्रयािविधयां। 
11.1    रजोदशर्न, रजोिनवत
ृ ि् त एवं प्रजनन शिक् 
त की अ  य जैव घटनाओं की प्रासंिगकता, प्रजनन 
शिक् त के प्रित प एवं िवभेद। 
11.2    जनांिककीय िस धांत – जैिवक , सामािजक एवं सां  कृितक। 
11.3    बहुप्रजता,  प्रजनन  शिक् 
त,  ज  मदर  एवं  म ृ  यद
ु र  को  प्रभािवत  करने  वाले  जैिवक  एवं 
सामािजककारण। आिथर्क- 
12.    निृ वज्ञान  के  अनुप्रयोग  खेल   का  निृ वज्ञान  :,  पोषणा म
  क  निृ वज्ञान,  रक्षा  एवं  अ  य 
उपकरण   की  अिभक प
  ना  म  निृ वज्ञान,   यायालियक  निृ वज्ञान,   यिक् 
त  अिभज्ञान  एवं 
पन
ु रर् चना  की  प धितयां  एवं  िस धांत  ,  अनप्र
ु यक्
ु  त  मानव  आनव
ु ंिशकीिपत ृ  व -  िनदान, 
जनिनक  उपबोधन  एवं  सज
ु निनकी,  रोग   एवं  आयुिवर्ज्ञान  म  डीएनए  प्रौ योिगकी,  जनन-
आनुवंिशकी-िवज्ञान म सीरम-जीव तथा कोिशकाआनुवंिशकी। - 
 
प्र न
   पत्र  - 2 
1.1    भारतीय सं  कृित एवं  स  यता का िवकासप्रा-गैितहािसक  पाषाणपुरापाषाण म य
  ), नवपाषाण 
तथा  नवपाषाण(म्रपाषाणता-,  आ यऐितहािसक  पूव -र् हड़  पा  :(तािसंधु  स  य),  हड़  पाकालीन 
  ितयां सं  कृहड़  पा -, भारतीय स  यता म जनजातीय सं  कृितय  का योगदान। 
एवं प च
1.2    िशवािलक  एवं  नमर्दा  द्रोणी  के  िवशेष  संदभर्  के  साथ  भारत  से  परु ा  नव
ृ ैज्ञािनक  सा य
 -
रामािपथ)◌ेकस, िशवािपथेकस एवं नमर्दा मानव। 
1.3    भारत  म  नज     िवज्ञान  :नज
ृ ाित    –पुरात व ृ ाित  पुरात  व  िवज्ञान  की  संक  पना;  िशकारी, 

55 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
रसदखोजी,  मिछयारी,  पशच
ु ारक  एवं  कृषक  समद
ु ाय   एवं  कला  और  िश  प  उ प
  ादक 
समुदाय  म उ  तरजीवक एवं समांतरक। 
2.    भारत  की  जनांिककीय  पिर छ
  े िदकी  -  भारतीय  जनसंख्य
  ा  एवं  उनके  िवतरण  म  नज
ृ ातीय 
एवं  भाषायी त व
   भारतीय जनसंख्य
  ाइसकी संरचना और व ृ िध को प्रभािवत करने  वाले  -
कारक। 
3.1    पवणार् म-, पु षाथर्, कमर्  ऋण 
  पारं पिरक भारतीय सामािजक प्रणाली की संरचना और  व
एवं पुनजर्  म। 
3.2    भारत म जाित  य
  व  थासंरचना एवं  िवशेषताएं-, वणर्  एवं  जाित, जाित  य
  व  था के उदगम 
के  िस धांत,  प्रबल  जाित,  जाित  गितशीलता,  जाित  य
 व थ   ,  जजमानी 
  ा  का  भिव य
प्रणाली, जनजाितक।जाित सात य
   - 
3.3    पिवत्रमनोग्रंिथ एवं प्र-◌ाकृत मनोग्रंिथ।प्रेता  मा-मनु  य- 
3.4    भारतीय समाज पर बौ ध धमर्, जैन धमर्, इ  लाम और ईसाई धमर् का प्रभाव। 
4.    भारत म निृ वज्ञान का आिवभार्व एवं  संव ृ िध वीं18 –,20 वीं  एवं प्रारंिभक19   वीं शता द
  ी 
के शा  त्रज्ञ प्रशासक -के योगदान, जनजातीय एवं जातीय अ य
  यन  म भारतीय नव
ृ ैज्ञािनक  
के योगदान। 
5.1    भारतीय ग्रामयन का मह व
  भारत म ग्राम अ  य :, सामािजक प्रणाली के  प म भारतीय 
ग्राम ब  
ती एवं अंतजार्ित संबंध  के पारं पिरक एवं बदलते प्रित प : 
    भारतीय ग्राम  म कृिषक संबंध भारतीय ग्राम  पर भूमड
ं लीकरण का प्रभाव। 
5.2    भाषायी एवं धािमर्क अ  पसंख्य
  क एवं उनकी सामािजक, राजनैितक तथा आिथर्क ि थ
  ित। 
5.3    भारतीय  समाज  म  सामािजकितक  पिरवतर्न  की  दे शीय  एवं  बिहसां  कृ-जार्त  प्रिक्रयाएं  :
ितकरणसं  कृ,  पि च
  मीकरण,  आधुिनकीकरण  छोटी  एवं  बड़ी  परं पराओं  का  पर प
  र  प्रभाव, 
पंचायती राज एवं सामािजकपिरवतर्न मीिडया एवं सामािजक पिरवतर्न। - 
6.1    भारत  म  जनजातीय  ि  थितजैव  जनिनक  पिरवितर्ता-,  जनजातीय  जनसंख् या  एवं  उनके 
िवतरण की भाषायी एवं सामािजकआिथर्क िवशेषताएं।- 
6.2    जनजातीय  समुदाय   की  सम य
  ाएंभूिम  संक्र-◌ामण,  गरीबी,  ऋणग्र  तता,  अ  प  साक्षरता, 
अपयार्  त शैिक्षक सुिवधाएं, बेरोजगारी, अ प
  रोजगारी,   वा   य
   तथा पोषण। 
6.3    िवकास पिरयोजनाएं एवं जनजातीय  थ
  ानांतरण तथा पन
ु वार्स सम  याओं पर उनका प्रभाव, 
वन  नीितय   एवं  जनजाितय   का  िवकास,  जनजातीय  जनसंख्य
  ा  पर  नगरीकरण  तथा 
औ योिगकीकरण का प्रभाव। 
7.1    अनस ु िू चत जनजाितय  एवं  अ  य िपछड़े  वग  के पोषण तथा वंचन की 
ु िू चत जाितय , अनस
सम  याएं। अनुसूिचत जाितय  एवं अनुसूिचत जनजाितय  के िलए सांिवधािनक रक्षोपाय। 
7.2    सामािजक पिरवतर्न तथा समकालीन जनजाित समाज जनजाितय  तथा कमजोर वग  पर  :
आधुिनक लोकत◌ा◌ंित्रक सं  थाओं, िवकास कायर्क्रम  एवं क  याण उपाय  का प्रभाव। 
7.3    नज ृ ातीय  व   व एवं राजनैितक िवकास, जनजातीय समुदाय  के 
ृ ातीयता की संक  पना नज
बीच अशांितक्षेत्रीयतावाद : एवं   वायतता की मांग, छ म जनजाितवाद, औपिनवेिशक एवं 
 वातंत्रयो  तर भारत के दौरान जनजाितय  के बीच सामािजक पिरवतर्न। 
8.1    जनजातीय  समाज   पर  िह  द ू धमर्,  बौ ध  धमर्,  ईसाई  धमर्,  इ  लाम  तथा  अ  य  धम   का 

56 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
प्रभाव। 
8.2    जनजाित  एवं  रा ट्र
    रा य
    भारत  एवं  अ  य  दे श   म  जनजातीय  समुदाय   का  तुलना  मक 
अ  ययन। 
9.1    जनजातीय क्षेत्र  के प्रशासन का इितहास, जनजाित नीितयां, योजनाएं, जनजातीय िवकास 
के कायर्क्रम एवं  उनका कायार्  वयन। आिदम जनजातीय समूह   नाकी संक  प (पीटीजीएस), 
उनका  िव त
  रण,  उनके  िवकास  के  िवशेष  कायर्क्रम,  जनजातीय  िवकास  म  गैर  सरकारी 
संगठन  की भूिमका। 
9.2    जनजातीय एवं ग्रामीण िवकास म निृ वज्ञान की भूिमका। 
9.3    क्षेत्रीयतावाद,  सांप्रदाियकता,  नज
ृ ातीय  एवं  राजनैितक  आंदोलन   को  समझने  म  निृ वज्ञान 
का योगदान। 
वन  पित िवज्ञान 
प्र न
   पत्र  - 1 
 
1.    सू म
  जैिवकी एवं पादपरोग िवज्ञान : 
    िवषाणु, वाइरॉइड, जीवाण,ु  फंगाई एवं  माइक्रो  ला  
मा संरचना एवं  जनन। बहुगुणन, कृिष, 
उ योग,  िचिक स
  ा  तथा  वायु  एवं  मद
ृ ा  एवं  जल  म  प्रदष
ू ण  िनयंत्रण  म -सू म
  जैिवकी  के 
  ा,  फंगाई  तथा 
अनुप्रयोग,  प्रायोन  एवं  प्रायोन  घटना।  िवषाणुओं,  जीवाणुओं,  माइक्रो  ला म
सूत्रकृिमय   वारा  होने  वाले  प्रमुख  पादपरोग,  संक्रमण  और  फैलाव  की  िविधयां,  संक्रमण 
  क  आधार।  परजीिवता  की  काियर्की  और  िनयंत्रण  के  उपाय। 
तथा  रोग  प्रितरोध  के  आि व
कवक आिवष, मॉडलन एवं रोग पूवार्नुमान, पादप संगरोध। 
2.    िक्र  
टोगे  स: 
    शैवाल, कवक, लाइकन, ब्रायोफाइट, टे रीडोफाइटक पहलूिवकासा  म  संरचना और जनन के-, 
भारत म िक्र ट
  ोगे  स का िवतरण और उनका पिरि  थितक एवं आिथर्क मह  व। 
3.    पु पोदिभद  : 
  ृ  बीजी पूव र् अनावत
  अनावत ृ  बीजी की अवधारणा। अनावत
ृ बीजी का :वगीर्करण और िवतरण। 
    लक्षण,  संरचना  व  जनन 
साइकेडेलीज,  िगंगोऐजीज,  कोनीफेरे लीज  और  नीटे लीज  के  मुख्य
साईंकेडोिफिलकेलीज,  बे  नेिटटे लीज  तथा  काडटे लीज  का  सामा य
    वणर्न।  भ 
ू वैज्ञािनक 
समयमापनी,  जीव म
    प्रकार  एवं  उनके  अ  
ययन  की  िविधयां,  आवत
ृ बीजी  विगर्की  :, 
शारीिरकी,  भ्रूण  िवज्ञान,  परागाणुिवज्ञान  और  जाितव ृ  त,  वगीर्की  सौपान,  वान प
  ितक 
नामप धित  के  अंतरार्  ट्रीय  कूट,  संख्य
  ा  मक  विगर्की  एवं  रसायनविगर्की -,  शारीिरकी  भ्रण
ू  
िवज्ञान  एवं  परागाणु  िवज्ञान  से  सा य
  ।  आवत
ृ   बीिजय   का  उदगम  एवं  िवकास,  आवत
ृ  
बीिजय   के  वगीर्करण  की  िविभ न
    प्रणािलय   का  तुलना  मक  िववरण,  आवत
ृ   बीजी  कुल  
का  अ  ययनिलएसीमैग्न
  ो -,  रै ननकुलेसी,  बैसीकेसी,  रोजेसी,  फेबेसी,  यूफािबर्एसी,  मालवेसी, 
िड ट
 े रोकापसी,  एिपएसी,  ए क्
 ल   ेिपिडएसी,  विबर्नेसी,  सोलैनेसी,  िबएसी,  कुकुरिबटे ली, 
ऐ ट
  ीरे सी,  पोएसी,  ओरकेसी,  िलिलएसी,   यज
ू ेसी  एवं  ऑिकर्डेसी।  रं ध्र  एवं  उनके  प्रकार, 
ग्रंथीय एवं  अग्रंथीय ट्राइकोम, िवसंगत  िवतीयक व ृ िध, सी-3 और सी-4 पौध  का शरीर, 
जाइलम  एवं  लोएम  िवभेदन,  का  ठ  शरीर  नर  और  मादा  युग्म
  कोदिभद  का  पिरवधर्न, 

57 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
परागण,  िनषेचन।  भ्रण
ू पोषइ  -सका  पिरवधर्न  और  कायर्,  भ्रण
ू   पिरवधर्न  के   व प। 
बहुभ्रूणता,  असंगजनन,  परागाणु  िवज्ञान  के  अनुप्रयोग,  पराग  भंडारण  एवं  टे  ट  यूब 
  क भ्रूण िवज्ञान। 
िनषेचन सिहत प्रयोगा म
4.    पादप संसाधन िवकास  : 
    पादन  ग्रा  यन  एवं  पिरचय,  कृ  ट  पौध   का  उदभव,  उदभव  संबंधी  वेवीलोव  के  के  द्र, 
खा य,  चारा,  रे श ,  मसाल ,  पेय  पदाथ ,  खा यतेल ,  औषिधय ,   वापक ,  कीटनािशय , 
इमारती लकड़ी, ग द, रे िजन  तथा रं जक  के  ोत  के  प म पौधे, लेटेक् स, सेलुलोस, मंड 
और  उनके  उ  पाद,  इत्रसाजी,  भारत  के  संदभर्  म  नुकुल  वन प
  ितकी  का  मह व
  ।  ऊजार् 
वक्ष
ृ ारोपण, वान  पितक उ यान और पादपालय।   
5.    आकारजनन: 
    पूण र् शक् तता,  ध्रुवणता,  समिमित  और  िवभेदन,  कोिशका,  ऊतक,  अंग  एवं  जीवद्र  यक 
संवधर्न।  काियक  संकर  और  द्र य
    संकर,  माइक्रोप्रोपेगेशन,  सोमाक् लोनल  िविवधता  एवं 
इसका अनुप्रयोग, पराग अगुिणत, एि ब्र
  योरे  क् 
यू िविधयां एवं उनके अनुप्रयोग। 
 
प्र न
   पत्र – 2 
1.    कोिशका जैिवकी : 
    कोिशका जैिवकी की प्रिविधयां, प्राक् 
के  
द्रकी और सुके  द्रकी कोिशकाएं  – संरचना  मक और 
परासंचना  
मक बारीिकयां, कोिशका बाहय आधात्री अथवा कोिशकाबाहय आ  यूह  कोिशका  )
  य   की  संरचना  औरतथा  िझि ल
    (िभितकायर्-कोिशका  आसंजन,  िझ ल
  ी  अिभगमन  तथा 
आशयी  अिभगमन,  कोिशका  अंगक   हिरत  लवक  सूत्र)  किणकाएं,  ईआर,  िडिक् 
टयोसोम, 
राइबोसोम,  अंतकाय  :,  लयनकाय,  परऑक् 
सीसोम(  की  संरचना  और  कायर्,  साइटो  केलेटन 
द्रक,  के  द्र  की  रं ध्र  सि  म ,  क्रोमेिटन  एवं 
एवं  माइक्रोटयू  यू  स,  के  द्रक,  केि  
 यूिक् 
लयोसोम। कोिशक संकेतन और कोिशकाग्राही, संकेत पिरक्रमण, समसूत्रण िवभाजन, 
कोिशका  चक्र  का  आणिवक  आधार,  गुणसूत्र   म  संख्य
  ा  मक  और  संरचना  मक  िविभ त
  ाएं 
तथा उनका मह व
  , क्रोमेिटन  यव थ
  ा एवं  जीनोम संवे  टन, पॉिलटीन गुणसूत्र, बी -गुणसूत्र-
।वहार और मह  वसंरचना  य
  
2.     आनुवंिशकी, आि वक, जैिवकी और िवकास : 
    आनुवंिशकी  का  िवकास  और  जीन  बनाम  यग्ु म
  िवक  पी  अवधारण(कूट  िवक प
  ी), 
पिरमाणा म
  क  आनुवंिशकी  तथा  बहुकारक  अपूण र् प्रभािवता,  बहुजनिनक  वंशागित, 
बहुिवक प
  ी सहलग् 
नता तथा िविनयम (की अवधारणा  मानिचत्र प्रकायर्)  आि वक मानिचत्र-
न  वंशागित,  िलंग 
सिहत  जीन  मानिचत्रण  की  िविधयां,  िलंग  गुणसूत्र  तथा  िलंग  सहलग् 
िनधार्रण  और  िलंग  िवभेदन  का  आि वक  आधार,  उ  पिरवतर्न  जैव  रासायिनक  और  )
ता  की नर  बं य
  )    जीन  वंशागित  एवं  कोिशकाद्र  यीकोिशका  द्र  यी  (आि वक  आधार
।(आनुवंिशकी सिहत 
 
     यक्
ू  लीय  अ  ल   और  प्रोटीन   की  संरचना  तथा  सं ल
  ेषण,  आनुवंिशक  कूट  और  जीन 
त का िनयमन, जीन नीरवता, बहुजीन कुल, जैव िवकासप्रमाण-, िक्रयािविध तथा 
अिभ  यिक् 

58 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
िस धांत, उदभव तथा िवकास म आरएनए की भिू मका। 
3.    पादप प्रजनन, जैव प्रौ योिगकी तथा जैव सांिख् 
यकी : 
    पादप प्रजनन की िविधयांआप्रवेश-, चयन तथा संकरण। (वंशावली, प्रतीप संकर, सामूिहक 
  ता तथा संकर ओज प्रजनन। पादप 
चयन   यापक प धितिरवतर्नउ  प (, बहुगुिणता, नरबं य
प्रजनन  म  असंगजनन  का  उपयोग।  डीएनए  अनुक्रमण,  आनुवंिशकी  इंजीिनयरीजीन   -
    एवं  जैव  सरु क्षा  पहल,ू   पादप  प्रजनन  म  आि वक 
अंतरण  की  िविधयां,  पारजीनी  स य
िच   क  का  िवकास  एवं  उपयोग।  उपकरण  एवं  तकनीकप्रोब -,  दिक्षणी  ल  ं ग,  डीएनए 
  ाि ट
िफं गर िप्रंिटग, पीसीआर एवं  एफआईएसएच, मानक िवचलन तथा िवचरण गुणांक  (सीबी), 
साथर्कता  परीक्षण,परीक्षण-जैड)  ,  टी  परीक्षण  तथा-काडर्-वगर्  परीक्षण),  प्राथिमकता  तथा 
बंटन सामा  य),  िवपदी तथा   वास  बंटनसंबंधन तथा समा यण। ( 
4.    शरीर िक्रया िवज्ञान तथा जैव रसायिनकी: 
    जल  संबध
ं ,  खिनज  पोषण  तथा  ऑयन  अिभगमन,  खिनज   यूनताएं,  प्रकाश  सं ल
  ेषण -
प्रकाश रसायिनक अिभक्रयाएं, फोटो फो  
फोिरलेशन एवं काबर्न िफक् 
सेशन पाथवे, सी 3, सी 
और  कैम  िदशामागर्  4,  लोएम  पिरवहन  की  िक्रयािविध,  व
  सन  न  सिहत  िक  व)
(अवायुजीवीय  और  वायज
ु ीवीय    न  अिभगमनइलेक् 
ट्रॉ  - ंख
ृ ला  और  ऑक् 
सीकरणी 
फो  फोिरलेशन,  फोटो व   ेषण,  िलिपड 
  सन,  रसोपरासरणी  िस धांत  तथा  एटीपी  सं ल
उपापचय,  नाइट्रोजन  उपापचय,  िक  व,  सहिक  व,  ऊजार्  अंतरण  तथा  ऊजार्  संरक्षण। 
िवतीयक उपापचय  का मह व
  , प्रकाशग्रिहय  के  प म वणर्क  िडयल वणर्क तथा  ि ट
   लै)
प◌ादप  वणर्क(,  पादप  संचलन  दीि  तकािलता  तथा  पु  पन,  बसंतीकरण,  जीणर्न,  व ृ िध 
पदाथर्क  प्रकृितउनकी  रासायिन-,  कृिष  बागवानी  म  उनकी  भूिमका  और  अनुप्रयोग,  व ृ िध 
संकेत,  व ृ िधगितयां,  प्रितबल  शारीिरकी  ताप),  जल,  लवणता,  धातु(,  फल  एवं  बीज 
शारीिरक बीज  की प्रसिु त
  , भंडारण तथा उनका अंकुरण फल का पकनाइसका आि वक   -
आधार तथा मैिनपुलेशन। 
5.    पािरि थ
  ितकी तथा पादप भूगोल: 
    पिरतंत्र की संक  पना, पािरि थ
  ितकी कारक, समुदाय की अवधारणाएं  और गितकी पादन, 
अनुक्रमण  जीव  मंडल  की  अवधारणा  पिरतंत्र,  संरक्षण  प्रदष
ू ण  और  उसका  िनयंत्रण 
पादप सच
ू क पयार्वरण (फाइटोरे िमिडएशन सिहत),अिधन (संरक्षण) ि◌यम। 
 
भारत म वन  के प्र प - वन  का पिरि थ   ूलन 
  ितक एवं  आिथर्क मह  व, वनरोपण, वनो म
ु , जैव 
एवं  सामािजक वािनकी संकटाप  न पौधे,   थािनकता, IUCN  कोिटयां, रे ड डाटा बक
  ेलन, िकसान  
िविवधता एवं  उसका संरक्षण, संरिक्षत क्षेत्र नेटवकर्, जैव िविवधता पर स म
के  अिधकार  एवं  बौ िधक  संपदा  अिधकार,  संपोषणीय  िवकास  की  संक  पना,  जैवभ-◌ू -
रासायिनक  चक्र,  भूमंडलीय  तापन  एवं  जलवायु  पिरवतर्न,  संक्रामक  जाितयां,  पयार्वरणीय 
प्रभाव मू  यांकन, भारत के पादप भूगोलीय क्षेत्र। 
 
रसायन िवज्ञान 
प्र न
   पत्र – 1 

59 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
   
1.    परमाणु  संरचना : क् 
वांटम िस धांत, हाइसेन वगर्  का अिन च
  तता िस धांत,  ीिडंगर तरं ग 
समीकरण ख् 
यातरं ग फलन की   
या (काल अनाि त), एकल िवमीय बॉक्  वाटं म 
स म कण, क् 
  ाएं, हाइड्रोजन परमाणु तंरग फलन  S, P और D कक्षक  की आकृित। 
संख्य
2.    रसायन  आबंध    :आयनी  आबंध,  आयनी  योिगक   के  अिभलक्षण,  जालक  ऊजार्,  बानर्हेबर 
चक्र;  सहसंयोजक  आबंध  तथा  इसके  सामा  य  अिभलक्षण,  अणओ
ु ं  म  आबंध  की  ध्रव
ु णता 
तथा  इसके  िवध्रुव  अपूण र् संयोजी  आबंध  िस धांत,  अनुनाद  तथा  अनुनाद  ऊजार्  की 
अवधारणा, अणु  कक्षक िस धांत )LCAO प धित(;  H2+, H2,  He2+ से  Ne2, NO, CO, 
HF एवं  CN*** संयोजी आबंध तथा अणक
ु क्षक िस धांत  की तल
ु ना, आबंध कोिट, आबंध 
साम  य र् तथा आबंध लंबाई।  
3.    ठोस अव  था : िक्र  टल, प धित; िक्र  टल फलक , जालक संरचनाओं  तथा यूिनट सेल का 
 प ट
    उ  लेख,  ग्रेग  का  िनयम,  िक्र ट
  ल  वारा  X-रे   िववतर्न;  क् 
लोज  पिकग  ससंकुिलत  )
(रचना,  अधर्  यास  अनुपात  िनयम,  सीमांत  अधर्  यास  अनुपात  मान   के  आकलन,  NaCI, 
ZnS, CsCI एवं  CaF2, की संरचना,  ट
  ाइिकयोमीिट्रक तथा नॉनइिकयोमीिट्रक दोष   टा  -
अशु धता दोष, अ र्धचालक। 
4.    गैस अव  था एवं  पिरवहन पिरघटना : वा त
  िवक गैस  की अव  था का समीकरण, अंतरा 
सवेल  का  गित 
अणुक  पार  पिरक  िक्रया,  गैस   का  द्रवीकरण  तथा  क्रांितक  घटना,  मैक् 
िवतरण, अंतराणुक संघ ट दीवार पर संघ ट तथा अिभ  
पंदन, ऊ  मा चालकता एवं  आदशर् 
गैस  की   यानता। 
5.    द्रव  अव थ   न  समीकरण,  प ृ ठ
  ा  :  केि व     तनाव  एवं  प ृ  ठ  ऊजार्, आद्रर् क  एवं  संसप्  शर्  कोण, 
अंतराप ृ  ठीय तनाव एवं कोिशका िक्रया। 
6.    ऊ  मागितकी  :  कायर्,  ऊ  मा  तथा  आंतिरक  ऊजार्;  ऊ  मागितकी  का  प्रथम  िनयम, 
ऊमागितकी  का  दस
ू रा  िनयम,  एंट्रोपी  एक  अव थ
  ा  फलन  के  प  म,  िविभ न
    प्रक्रम   म 
एंट्रॉपी  पिरवतर्न,  एंट्रॉपी  उ क्र
  मणीयता  तथा  अनु क्र
  मणीयता,  मक्
ु त    ऊजार्  फलन,  अव थ
  ा 
सवेल  संबंध;  ताप,  आयतन  एवं  U,  H,  A,  G,  Cp  एवं 
का  ऊ  मागितकी  समीकरण,  मैक् 
Cv,    एवं    की  दाब  िनभर्रता;  J-T  प्रभाव  एवं   यु  क्रमण  ताप;  सा  य  के  िलए  िनकष, 
सा  य  ि थ
  रारं क  तथा  ऊ  मागितकीय  रािशय   के  बीच  संबंध,  ने  टर्  ऊ  मा  प्रमेय  तथा 
ऊ  मागितकी का तीसरा िनयम। 
7.    ा  सा य
  प्राव थ     तथा  िवलयन  :  क् 
लािसयसिपरन  समीकरणक् 
लो-,  शु ध  पदाथ   के  िलए 
प्राव थ
  ा आरे ख;  िवआधारी प धित म प्राव थ
  ा सा य
  , आंिशक िम णीय द्रवतर तथा उ  च-
तर  क्रांितिन न
  क  िवलयन  ताप;  आंिशक  मोलर  रािशयं,  उनका  मह  व  तथा  िनधार्रण; 
आिधक् 
य ऊ  मागितकी फलन और उनका िनधार्रण। 
8.    िव युत  रसायन  :  प्रबल  िव युत  अपघ य   का  डेबाई  हुकेल  िस धांत  एवं  िविभ न
    सा  य 
तथा अिधगमन गुणधम  के िलए डेबाइ हुकेल सीमांत िनयम, गे  वेिनक सेल, सांद्रता सेल; 
इलेक् 
ट्रोकेिमकल  सीरीज,  सेल   के  emf  का  मापन  और  उसका  अनप्र
ु योग;  ईंधन  सेल  तथा 
बैटिरयां, इलैक् 
ट्रोड पर प्रक्रम; अंतरा प ृ  ठ पर  िव त   र की दर, िव युत धारा 
  र; चाजर्  ट्रां फ
  ; अितिवभव; वै युत िव ल
घन व   ेषण तकनीक; पोलरोग्राफी, एंपरोिमती, आयन वरणा  मक 

60 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
इलेक्ट्रोड एवं उनके उपयोग। 
9.    रासायिनक  बलगितकी  :  अिभिक्रया  दर  की  सांद्रता  पर  िनभर्रता,  शू  य,  प्रथम,  िधतीय 
तथा आंिशक कोिट की अिभिक्रयाओं के िलए अवकल और समाकल दर समीकरण; उ  क्रम, 
समा  तर,  क्रमागत  तथा  ंख
ृ ला  अिभिक्रयाओं  के  दर  समीकरण;  शाखन  ंख
ृ ला  एवं 
िव फ
  ोट; दर ि थ ं
  रांक पर ताप और दाब का प्रभाव,   टॉप  लो और िरलेक् 
सेशन प धितय  
वारा द्रत
ु  अिभिक्रयाओं का अ य
  यन। संघटन और संक्रमण अव  था िस धांत। 
10.    प्रकाश  रसायन  :  प्रकाश  का  अवशोषण;  िविभ  न  माग   वारा  उ त
  ेिजत  अव  था  का 
वांटमी 
अवसान; हाइड्रोजन और हे लोजन  के म  य प्रकाश रसायन अिभिक्रया और उनकी क् 
लि  ध। 
11.    ेरकता  :  ठोस  अिधशोषक   पर  गैस   और  िवलयन   का 
  प ृ  ठीय  पिरघटना  तथ  उ प्र
अिधशोषण, लग  यूर तथा BET अिधशोषण रे खा; प ृ  ठीय क्षेत्रफल का िनधार्रण; िवषामांगी 
उ  प्रेरक  पर अिभिक्रया अिभलक्षण और िक्रयािविध। 
12.    जैव  अकाबर्िनक  रसायन  :  जैिवक  तंत्र   म  धात ु आयन  तथा  िभि त
    के  पार आयन  गमन 
(आि वक िक्रयािविध) ; ऑक् 
सीजन अपटे क प्रोटीन, साइटोग्रोम तथा पेरोडोिक् 
सन। 
13.    सम  वय रसायन : 
    (क)  धातु  संकुल  के  आबंध  िस धांत,  संयोजकता  आबंध  िस धांत,  िक्र  टल  फी  ड 
िस धांत और उसम संशोधन, धातु संकुल के चुंबकीय तथा इलेक्ट्र
  ािनक  प
  ेक् 
ट्रम की 
या के िस धांत  का अनुप्रयोग। 
 याख् 
    (ख)  सम  वयी योिगक  म आइसोमेिर म
  , सम  वयी योिगक  का IUPAC नामकरण;  4 
ल  का ित्रिवम रसायनसमायोजन वाले संकु 6 तथा, िकलेट प्रभाव तथा बहुनािभकीय 
संकुल;  पराप्रभाव  और  उसके  िस धांत-;  वगर्  समतली  संकुल  म  प्रित थ
  ापिनक 
अिभिक्रयाओं की बलगितकी; संकुल  की तापगितकी तथा बलगितकी ि थ
  रता। 
    (ग)  मैटल  काब िनल   की  सं ल
  ेषण  संरचना  तथा  उनकी  अिभिक्रया म
  कता;  काब िक् 
सलेट 
एनॉयन, काब िनल हाइड्राइड तथा मैटल नाइट्रोसीलयौिगक यौिगक। 
    (घ)  एरोमेिटक प्रणाली के संकुल मैटल ओलोिफन संकुल  म सं ल
  ेषण, संरचना तथा बंध, 
ए क
  ाइन  तथा  सायक् 
लोपटाडायिनक  संकुल,  सम  वयी  असंत ृ  तता,  आक् 
सीडेिटव 
योगा  मक अिभिक्रयाएं, िनवेशन अिभिक्रयाएं, प्रवाही अण 
ु और उनका अिभलक्षणन, 
मैटल वाले यौिगक।मैटल आबंध तथा मैटल परमाण ु गु छ
  े - 
14.     समूह रसायिनकी : बोरे न, बोराजाइन, फा फ
  मुख्य   े जीन एवं  चक्रीय फा  फेजीन, िसिलकेट 
एवं िसिलकॉन, इंटरहै लोजन यौिगक; गंधकनाइट्रोजन यौिगक -, नॉबल
ु  गैस  यौिगक। 
15.  टीनाइड; पथ
  F   लॉक त  व  का सामा  य रसायन : ल  थेनाइड एवं  एक्  ृ क् करण, आक् 
सीकरण 
अव  थाएं, चु  बकीय तथा  प
  ेक् ट्रमी गुणधमर्; लैथेनाइड संकुचन। 
  
प्र न
   पत्र – 2 
 
1.    ािपत  सहसंयोजक  बंध  :  एरोमैिटकता,  प्रितएरोमैटकता:,  ए  यल
  िव थ ू ीन,  एजुलीन, 
ट्रोपोलो  स, फु  वीन, िसडनोन। 

61 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
2.    (क)  अिभिक्रया  िक्रयािविध  :  काबर्िनक  अिभिक्रयाओं  की  िक्रयािविधय   के  अ य
  यन  की 
सामा  य  िविधयां(गितक  दोन -गितक  एवं  गैर)  ,  सम  थािनकी  िविध,  क्रासओवर  -
प्रयोग,  म  यवतीर्  ट्रे िपंग,  ित्रिवम  रसायन,  संिक्रयण  ऊजार्,  अिभिक्रयाओं  का 
ऊ  मागितकी िनयंत्रण तथा गितक िनयंत्रण। 
    (ख)  अिभिक्रयाशील म  यवतीर् : काब िनयम आयन  तथा कारबेनायन , मुक् त मूलक  फ्री )
दनकाबीर्न   बजाइन   तथा  नाइट्रे न   का  उ प
  ा  (रे िडकल,      रता  तथा 
यािमित,  ि थ
अिभिक्रया। 
    ापन  अिभक्रयाएं    :SN1,  SN2  एवं  SNi  िक्रयािविधयां;  प्रितवेशी  समूह 
  (ग)  प्रित थ
लक  योिगक   सिहत 
भागीदारी,  पाइसेल,  यरू न,  िथयोफीन,  इंडोल  जैसे  हे ट्रोसाइिक् 
ट्रोिफिलक तथा  य
ऐरोमेिट यौिगक  की इलेक्    िू क् 
योिफिलक अिभिक्रयां। 
    (घ)  िवलोपन अिभिक्रयाएं  : E1, E2 तथा E1cb  िक्रयािविधयां; सेजेफ तथा हॉफसन E2 
अिभिक्रयाओं  म  िदिक् 
व  यास,  पाइरोिलिटक  Syn  िवलोपनवचुग्ग
  ी-  तथा  कोप 
िवलोवन। 
    (ड.)  संकलन अिभक्रयाएं  :  C=C तथा C=C के िलए इलेक् 
ट्रोिफिलक संकलन, C=C तथा 
C=N के िलए   यूिक् 
लयोिफिलक संकलन, संयुग्म
  ी ओिलिफ  स तथा काब अ स
  । 
    (च)  अिभिक्रयाएं  तथा  पुनिवर्  यास  :  िपनाकोलिपनाकोलोन-,  हॉफमन,  बेकमन,  बेयर 
िविलगर,  फेबो  कीर्,  फ्राइस,  क् 
लेसेन,  कोप,   टीवज  तथा  वाग् 
नरमेरबाइन  -
स।पुनिवर्  या 
    (छ)  ए ड
  ोल  संघनन,  क् 
लैसेन  संघनन,  डीकमन,  परिकन,  नोवेनेजेल,  िवंिटंग,  िक् 
लमसन, 
वो  फ  िकशनर,  केिनजार   तथा  फानर  अिभिक्रयारीक् 
ट-एं,   टॉब,  बैजोइन  तथा 
एिसलोयन  संघनन,  िफशर  इंडोल  सं  लेषण,   क्राप  सं ल
  ेषण,  िव ल
  रनेिपरा क
  ी-, 
सडमेयर, रे गेर टाइमन तथा रे फॉरमा  की अिभिक्रयाएं। 
3.    पिररं भीय  अिभिक्रयाएं  :  वगीर्करण  एवं  उदाहरण;  बुडवगर्यम  िव युतचक्रीय  हॉफमैन  िन-
अिभिक्रयाएं,  चक्री  संकलन  अिभिक्रयाएं)  2+2  एवं  4+2)  एवं  िसग्    ा- 
मापनअनुवतर्नी  िव थ
)1,3;3 ,1 तथा 3 ,5) FMO उपगम। 
4.    (i)  बहुलक   का  िनमार्ण  और  गुणधमर्  :  काबर्िनक  बहुलकपोिलिएथलीन -,  पोिल ट
  ाइरीन, 
पोलीिवनाइल क् लोराइड, टे फलॉन, नाइलॉन, टे रीलीन, संि ल   ट तथा प्राकृितक रबड़। 
    (ii)  जैवबहुलक : प्रोटीन DNA, RNA की संरचनाएं। 
5.    अिभकारक   के  सं ल
  ेषक  उपयोग    :OsO4, HIO4  CrO3, Pb(OAc)4, SeO2, NBS, B2H6, 
Na द्रव अमोिनया, LiALH4, NaBH4, Na-Buli, एवं MCPBA । 
6.    प्रकाश रसायन : साधारण काबर्िनक यौिगक  की प्रकाश रासायिनक अिभिक्रयाएं, उ  तिे जत 
और  िन न
  तम  अव  थाएं,  एकक  और  ित्रक  अव  थाएं,  नोिरश  टाइप-I  और  टाइप-II 
अिभिक्रयाएं। 
7.    ट्रोिमकी िस धांत और संरचना के   प टीकरण म उनका अनुप्रयोग। 
 पेक् 
    (क)  घण
ू ीर् -  िवपरमाणक
ु  अण;ु  सम  थािनक प्रित  
थापन तथा घण
ू ीर् ि  थरांक। 
    (ख)  कांपिनक  -  िवपरमाणुक  अणु,  रै िखक  ित्रपरमाणुक  अणु,  बहुपरमाणुक  अणुओ ं म 
िक्रया  मक समूह  की िविश  ट आविृ तयां। 

62 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    (ग)  इलेक् 
ट्रािनक  :  एकक  और  ित्रक  अव थ
  ाएं:    n      तथा      *  संक्रमण; 
संयुिग् 
मत  िवआबंध तथा संयुिग् 
मत कारबोिनकल म अनुप्रयोगफीशर िनयम-वुडवडर्-; 
चाजर् अंतरण   पेक् 
ट्रा। 
    (घ)  नािभकीय चुंबकीय अनुनाद (1HNMR) : आधारभूत िस धांत; रसायिनक िश ट एवं 
ि प
  न िक्रया  यन अ  योि प
  - एवं कपिलंग ि थ
  रांक। 
    (ड.)  द्र  यमान   पेक् 
ट्रोिमित  :  पैरट  पीक,  बेसपीक,  मेटा  टेबल  पीक,  मैक  लैफटीर् 
पुनिवर्  यास। 
िसिवल इंजीिनयरी 
प्र न
   पत्र – 1 
 
1.    इंजीिनयरी यांित्रकी पदाथर् साम  य र् तथा संरचना  मक िव ल
  ेषण 
1.1    इंजीिनयरी यांित्रकी : 
    मात्रक तथा िवमाएं, SI मात्रक, सिदश, बल की संक  पना, कण तथा  ढ़ िपंड संक  पना, 
संगामी, असंगामी तथा समतल पर समांतर बल, बल आघण
ू ,र्  मक्
ु  त िपंड आरे ख, सप्रितबंध 
सा  याव थ   त कायर् का िस धांत, समतु  य बल प्रणाली। 
  ा, कि प
    प्रथम तथा  िवतीय क्षेत्र आघूण,र्  द्र  यमान जड़  व आघूण र्  थिै तक घषर्ण। 
    शु धगितकी तथा गितकी : 
    कातीय  िनदशांक  शु धगितकी,  समान  तथा  असमान   वरण  के  अधीन  गित,  गु  वाधीन 
गित,  कणगितकी,  संवेग  तथा  ऊजार्  िस धांत,  प्र  या  था  िपंड   का  संघटन,  ढ़  िपंड   का 
घण
ू न
र् । 
1.2    पदाथर्सामथर्- 
    सरल प्रितबल तथा िवकृित, प्र  या  
थ ि  थरांक, अक्षतडांगभािरत संपी:, अप पण बल तथा 
बंकन  आघूण,र्   सरल  बंकन  का  िस धांत,  अनुप्र थ
    काट  का  अप पण  प्रितबल  िवतरण, 
सामा  य र् धरण। 
    धरण िवक्षेप  मैकाले  िविध :, मोर की आघूण र् क्षेत्र िविध, अनु प धरण िविध, एकांक भार 
ं  का प्र  या  थ   थािय  व, आयलर, रे नकाईन तथा सीकेट सूत्र। 
िविध, शा ट की ऐंठन,   तभ
1.3    संरचना  मक: िव ल
  ेषण : 
    काि ट
  िलयानोस प्रमेय I तथा II, धरण और कील संिधयुक् 
त कची म प्रयुक् 
त संगत िवकृित 
की एकांक भार िविध, ढाल िवक्षेप, आघूण र् िवतरण। 
    वेलन भार और प्रभाव रे खाएं ल तथा बंकन आघण
ू  र् के द पर अप पण बधरण के पिर  छे :
िलए प्रभाव रे खाएं, गितशील भार प्रणाली  वारा धरण चक्रमण म अिधकतम अप पण बल 
तथा बंकन आघूण र् हे तु  मानदं ड, सरल आलंिबत समतल कील संिध युक्त
   कची हे तु  प्रभाव 
रे खाएं। 
    डाट ित्रकील :,  िवकील तथा आब ध डाटव।पशक
ुर् ा लंघीयन एवं तापमान प्रभा- 
    िव ल
  ेषण की आ य
 ह
ू  िविध अिनधार्िरत धरण तथा  ढ़ ढांच  :का बल िविध तथा िव थ
  ापन 
िविध  से  िव ल
  ेषण  धरण  और  ढांच   का   लाि ट
  क  िव ल
  ेषण  क  बंकन  िस धांति ट
  ल
  ा  :, 
 लाि ट
  क िव  लेषण  थ
  ैितक प्रणाली; यांित्रकी िविध। 

63 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    असमिमत बंकन आघण
ू  र् जड़  व :, जड़  व उ  पाद, उदासीन अक्ष और मख
ु  अक्ष की ि थ
  ित, 
बंकन प्रितबल की पिरगणना। 
2.    संरचना अिभक प पा :, कंक्रीट तथा िचनाई संरचना। 
    तइ  
2.1    संरचना  मक इ  पात अिभक  प : 
    संरचना  मक  इ  तातसुरक्षा  गुणक  और  भार  गण
ु क।  :  कविचत  तथा  वेि ड
  ग  जोड़  तथा 
संयोजन तनाव तथा सपीडांग इकाइय  का अिभक प
  , संघिटत पिर छ
  े द का धरण, कविचत 
  ग   लेट गडर्र, गदी गडर्र, बैटन एवं लेिसंगयुक्त
तथा वेि ड      टिचयनस। 
2.3    कंक्रीट  तथा  िचनाई  संरचना  का  अिभक  प  :  िम   अिभक  प  की  संक  पना,  प्रबिलत 
क्रंक्रीट-  िविध  से  अिभक  पप्रितबल  तथा  सीमा  अव थ   काओं  की 
  ा  कायर्कारी  :,  IS  पिु त
  ैब,  आयताकार T  एवं  L कांट 
िसफािरश ,  वनब  की िडज़ाइनवे   ल ै-एवं  टू   -वे-,  सोपान  ल
के सरल एवं  सतत धरण, उ  के  द्रता सिहत अथवा रिहत प्र  यक्ष भार के अंतगर्त संपीडांग 
इकाइयां, िवलिगत एवं संयक्
ु  त नीव, कटीलीवन एवं काउं टर फोटर्  प्र प प्रितधारक िभि  त। 
    जलटं की;  प ृ व
  ी  पर  रखे  आयताकार  एवं  गोलाकार  टं िकय   की  अिभक प
  न  आव य
  कताएं, 
पण
ू  र् प्रितबिलत  कंक्रीटपव
ू  र् प्रितबिलत  के  िलए  िविध  :यां  और  प्रणािलय ,  ि थ
  रक   थान, 
कायर्कारी  प्रितबल  आधािरत  आनित  के  िलए  पिर छ लेषण  और  अिभक  प,  पव
  े द  का  िव   ू  र्
प्रितबिलत हािन। 
3.    तरल यांित्रकी, मक्
ु  त वािहका प्रवाह एवं द्रवचािलत मशीन 
3.1    तरल यांित्रकी : 
    तरल गुणधमर् तथा सरल गित म उनकी भूिमका, तरल   थैितकी िजसम समतल तथा वक्र 
सतह पर कायर् करने वाले बल भी शािमल ह। तरल प्रवाह की शु धगितकी एवं गितकी  :
रणवेग  और   व,  सिरता  रे खाएं,  सात  य  समीकरण,  आघूणीर्  तथा  घूणीर्  प्रवाह,  वेग  िव 
भव 
एवं  सिरता फलन सांत  य  संवेग एवं  ऊजार्  समीकरण, नेिवयर  ट
  ोक् 
स समीकरण, आयलर 
गित समीकरण, तरल प्रवाह,   
लूइट गेट, िवयर। 
3.2    ेषण एवं सम पता : 
  िवमीय िव ल
    बिकं 
घम Pi- प्रमेय, िवमारिहत प्राचल। 
3.3     तरीय प्रवाह: 
    समांतर, अचल एवं चल  ल
  ेट  के बीच  त
  रीय प्रवाह,  यब
ू   वारा प्रवाह। 
3.4    पिरसीमा परत : 
    चपटी  ल
  ेट  पर  त
  रीय  एवं  िवक्षु  घ  पिरसीमा  परत,   
तरीय  उपपरत,  मसण
ृ   एवं  क्ष 
पिरसीमाए, िवकषर् एवं िल ट
  । 
    पाइप   वारा  िवक्षु  ध  प्रवाह:  िवक्षु  ध  प्रवाह  के  अिभलक्षण,  वेग  िवतरण  एवं  पाइप  घषर्ण 
धता, जलदाब प्रवणता रे खा तथा पूण र् ऊजार् रे खा। 
गुणक की िविव 
3.5    मुक् 
त वािहका प्रवाह : 
  ू  र् एवं  ऊजार्  संशु िध   गुणक, िविश ट
  समान एवं  असमान प्रवाह, आघण    उजार्  तथा िविश  ट 
बल,  क्रांितक  गहराई,  ती   पिरवतीर्  प्रवाह,  जलो  छाल,  क्रमश:  पिरवतीर्  प्रवाह,  प ृ  ठ 
पिर छ ह समीकरण के समाकलन की सोपान 
  े द का वगीर्करण, िनयंत्रण काट, पिरवतीर्  प्रवा 
िविध। 

64 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
3.6    द्रवचािलत यंत्र तथा जलशिक्त: 
    द्रवचािलत  टरबाइन,  प्रा प  वगीर्करण,  टरबाइन  चयन  िन प
  ादन  प्राचल,  िनयंत्रण, 
अिभलक्षण, िविश ट
   गित, जलशिक्त िवकास के िस धा  त। 
4.    भतकनीकी इं
ू जीिनयरी- : 
  ृ ा के प्रकार एवं  संरचना, प्रवणता तथा कण आकार िवतरण, गाढ़ता सीमाएं, मद
  मद ृ ा जल 
कोिशकीय  तथा  सरं चना  
मक  प्रभावी  प्रितबल  तथा  रं ध्र  जल  दाब,  प्रयोगशाला  िन 
धार्रण, 
िरसन दाब, बालु  पंक अव  थानामोर कुलांब संक  प- परीक्षणकतर्न साम य
  -र् –मद
ृ ा संहनन  -
प्रयोगशाला एवं क्षेत्र परीक्षण, संपीड़यता एवं संिपंडन संक  पना संिपंडन िस धांत संपीड़यता 

ि थरण  िव ल
  ेषण,  भद
ू ाब  िस धांत  एक  प्रित    ेषण,  चादरी 
धारक    िभित  के  िलए  िव ल
 थूणािभित  एवं  बंधनयुक्त
    खनन  के  िलए  अनुप्रयोग  मद   ेषण  के 
ृ ा  धारण  क्षमता  िव ल
उपागम  -  क्षेत्र  परीक्षण    षणरण  िव ल
  े 
ि थ
    --  भूगमन  ढाल  का   थािय  व,  मद
ृ ाओं  की 
अपप ृ  ठ खनन िविधयां। 
    नींव संरचना, नींव के प्रकार एवं चयन मापदं ड ।नींव अिभक  प- 
    मापदं ड–पाद एवं  पाइल प्रितबल िवतरण िव ल
  ेषण, पाइल समह
ू  कायर्प-◌ाइल भार परीक्षण 
भूतल सुधार प्रिविधयां। 
    
प्र न
   पत्र –2  
 
1.    िनमार्ण तकनीकी, उपकरण, योजना और प्रबंध: 
1.1    िनमार्ण तकनीकी: 
    इंजीिनयरी सामग्री: 
    िनमार्ण सामग्री के िनमार्ण म उनके प्रयोग की  ि ट से  भौितक गण
ु धमर्: प  थर, ईंट तथा 
टाइल,  चूना,  सीमट  तथा  िव 
िवध  सुरखी  मसाला  एवं  कंक्रीट,  लोह  सीमट  के  िविश ट
  
उपयोग,  तंतु  प्रबिल 
त  C.C.,  उ  च  साम  य र् कंक्रीट,  इमारती  लकड़ी:  गुणधमर्  एवं  दोष, 
सामा  य संरक्षण, उपचार। 
    कम लागत के आवास, जन आवास, उ च
   भवन  जैसे  िव 
शषे  उपयोग हे तु  सामग्री उपयोग 
एवं चयन । 
1.2    िनमार्ण: 
    ईंट  प  थर   लाक   के  उपयोग  के  िचनाई  िस धांतरण  एवं  साम य
  िनमार्
र् ण  िव त
  ा- 
अिभलक्षण। 
    ला  
  टर,   
वाइंिटंग,   
लोिरंग,  िफं ग एवं िनमार्ण अिभलक्षण  के प्रकार। 
    भवन  के सामा  य मर  मत कायर्। 
    रिहवास  एवं िव 
शषे  उपयोग के िलए भवन  की कायार्  मक योजना के िस धांतभवन कोड -
उपबंध। 
    िव त
 तृ  एवं  लगभग आकलन के आधारभत
ू  िस धांत – िविनदश लेखन एवं  दर िव ल
  ेषण-
 थावर  
    स  पि  त मू  यांकन के िस धांत। 

65 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    मद
ृ ाबंध  के  िलए  मशीनरी,  कंक्रीटकरण  एवं  उनका  िविश ट
    उपयोगउपकरण  चयन  को    -
 प्रभािवत करने वाले कारक– उपकरण  की प्रचालन लागत। 
1.3    िनमार्ण योजना एवं प्रबंध: 
    िनमार्ण  कायर्कलापकायर्क्रम-   -  िनमार्ण  उ योग  का  संगठन  सन  िस धांतगुणता  आ व
  ा  -, 
नेटवकर्  के  आधारभूत  िस धांत   का  उपयोग,  CPM एवं  PERT के  प  म  िव ल
  ेषण     -
िनमार्ण  मॉनीटरी,  लागत  इ ट
  तमीकरण  एवं  संसाधन  िनयतन  म  उनका  उपयोग,  आिथर्क 
  ेषण एवं िविध के आधारभूत िस धांत। पिरयोजना लाभदायकता  - 
िव ल
    िव त
  ीय योजना के बूट उपागम के आधारभूत िस धांत सरल टौल िनयतीकरण मानदं ड। 
2.    सवक्षण एवं पिरवहन इंजीिनयरी 
2.1    सवक्षण: 
    CE  कायर्  की  दरू ी  एवं  कोण  मापने  की  सामा  य  िविधयां  एवं  उपकरण,   
लेन  टे बल  म 
उनका  उपयोग,  चक्रम  सवक्षण  समतलन,  ित्रकोणन,  परे खण  एवं   थलाकृितक  मानिचत्र, 
फोटोग्रामिम 
ित एवं दरू  िस धांत।संवेदन के सामा  य- 
2.2    रे लवे इंजीिनयरी:
    थायी पथ अवयव, प्रकार एवं उनके प्रकायर्टनर् एवं क्रािसंग के प्रकायर् एवं अिभक  प घटक 
 
कता की आव य
  तीय अिभक  पट्रै
  क के भूिम - –   टेशन एवं याडर् का अिभक  प।
2.3    राजमागर् इंजीिनयरी: 
    राजमागर्  संरेखन के िस धांत, सड़क  का वगीर्करण एवं   यािमितक अिभक  प अवयव एवं 
सड़क   के  मानक,  न य
    एवं  ढ  कु िटम  हे तु  कु िटम  संरचना,  कु िटम  के  अिभक  प 
ृ ा,  WBM  िबटुमेनी 
िस धांत  एवं  िक्रयाप धित,  प्र पी  िनमार्ण  िविधयां  एवं   थायीकृत  मद
िनमार्ण एवं  CC सड़क  के िलए सामग्री, बिह त
  ल एवं  अध  तल अपवाह िव  यासपुिलस  -
सरं चनाएं,  कु िटम  िवक्षोभ  एवं  उ  ह  उपिरशायी  वारा  मजबत
ू ी  प्रदान  करना।  यातायात 
सवक्षण  एवं  यातायात  आयोजना  म  उनके  अनुप्रयोगप्रणािलत  -,  इ  टरसेक् 
शन  एवं  घूणीर् 
आिद  के  िलए  अिभक  प  िव 
शषे ताएं  –िसगनल  अिभक  प  -  मानक  यातायात  िच  ह  एवं 
अंकन। 
3.    जल िवज्ञान, जल संसाधन एवं इंजीिनयरी 
3.1    जल िवज्ञान: 
    जलीय  चक्र, अवक्षेपण,  वा  पीकरण,  वा प
 ो  
सजर्न,  अंत:   
यदन, अिधभार  प्रवाह,  जलारे ख, 
बाढ़  आविृ त  िव ल
  ेषण,  जलाशय  वारा  बाढ़  अनुशीलन,  वािहका  प्रवाह  मागार्िभगमन  -
 िविध।मि कंग् 
म 
3.2    भतल प्रवाह
ू -: 
    िविश  ट लि ध, संचयन गण
ु ांक, पारग य
  ता गुणांक, पिर ध तथा अपिर ध ि थितय  के 
अंतगर्त एक कूप के भीतर अरीय प्रवाह । 
3.3    जल संसाधन इंजीिनयरी: 
  ू तथा धरातल जल संसाधन, एकल तथा बहुउ दे शीय पिरयोजनाएं, जलाशय की संचयन 
  भ 
क्षमता, जलाशय हािनयां, जलाशय अवसादन । 
3.4    िसंचाई इंजीिनयरी: 

66 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    (क)  फसल   के  िलए  जल  की  आव य
  कता:  क्षयी  उपयोग,  कृित  तथा  डे  टा,  िसंचाई  के 
तरीके तथा उनकी दक्षताएं। 
    (ख)  नहर: नहर िसंचाई के िलए आबंटन प धित, नहर क्षमता, नहर की हािनयां, मुख्य
  
तथा  िवतिरका  नहर   का  संरेखनिधक  दक्ष  काटअ  य-,  अ  तिरत  नहर,  उनके 
िडजाइन, िरजीम िस धांत, क्रांितक अप पण प्रितबल, तलभार। 
    (ग)  जलताग्र  त -: कारण तथा िनयंत्रण, लवणता। 
    (घ)  नहर संरचना:  अिभक  प,  दाबो च
  ता  िनयामक,  नहर  प्रपात,  जलवाही  सेतु, 
अवनिलका एवं नहर िवकास का मापन। 
    (ड.)  िवपिरवतीर्  शीषर्  कायर्:  पारग य
    तथा  अपारग य
    नीव   पर  बािधका  के  िसं धांत 
और िडजाइन, खोसला िस धांत, ऊजार् क्षय । 
    (च)  संचयन  कायर्:  बॉध   की  िक  म,  िडजाइन,  ढ़  गु व  के  िस धांत,   
  थािय  व 
िव ल
  ेषण। 
    (छ)  उ   लव मागर्: उ   लव मागर् के प्रकार, ऊजार् क्षय। 
    (ज)  नदी प्रिशक्षण: नदी प्रिशक्षण के उ दे य
  , नदी प्रिशक्षण की िविधयां। 
4.    पयार्वरण इंजीिनयरी: 
4.1    जल पूितर्: 
    जल मांग की प्रागुिक्  त,  जल की अशु धता तथा उसका म 
ह  
व, भौितक रासायिनक तथा 
जीवाणु िवज्ञान संबंधी िव ल
  ेषण, जल से होने वाली बीमािरय , पेय जल के िलए मानक। 
4.2    जल का अंतग्रर्हण: 
    जल  उपचार  :   
कंदन  के  िसं धांत,  ऊणर्न  तथा  सादन,  मंद-,  द्रत
ु -,  दाब  िफ ट
  र, 
क् 
लोरीनीकरण, मद
ृ क
ू रण,   वाद, गंध तथा लवणता को दरू  करना। 
4.3    वािहत मल   यव थ
  ा : 
    ,  झंझावात  वािहत  मलपथ
  घरे लू  तथा  औ योिगक  अपिश ट ृ क  और  संयुक्त
  -  प्रणािलयां, 
सीवर   वारा बहाव, सीवर  का िडजाइन। 
4.4    सीवेज लक्षण : 
    BOD, COD,  ठोस  पदाथर्,  िवलीन  ऑक् 
सीजन,  नाइट्रोजन  और  TOC सामा  य  जल  मागर् 
तथा भिू म पर िन क
  ासन के मानक। 
4.5    सीवेज उपचार :
    कायर्कारी  िनयम,  इकाइयां,  को ठ
  ,  आवसादन  टक,   
वापी  िफ ट
  र,  आक् 
सीकरण  पोखर, 
उ  प्रेिरत अवपंक प्रिक्रया, सैि ट
   क टक, अवपंक िन त
  ारण, अविश  ट जल का पन
ु :  चालन। 
4.6    ठोस अपिश  ट : 
    गांव  और शहर  म संग्रहण एवं िव त
  ारण, दीघर्कालीन कुप्रभाव  का प्रबंध। 
5.    पयार्वरणीय प्रदष
ू ण : 
    अवलंिबत  िवकास,  रे िडयोऐिक्टव  अपिश ट
    एवं  िन क
  ासन,  उ  मीय  शिक्त  संयत्र   खान , 
नदी  घाटी  पिरयोजनाओं  के  िलए  पयार्वरण  संबंधी  प्रभाव  मू  यांकन,  वाय 
ु प्रदष
ू ण  िनयंत्रण 
अिधिनयम। 
वािण  य
   एवं लेखािविध 

67 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
प्र न
   पत्र  - 1 
भाग ‘1’ 
लेखाकरण, कराधान एवं लेखापरीक्षण 
1.    िव त
  ीय लेखाकरण : 
     िव  तीय सूचना प्रणाली के  प म लेखाकरण;   
यवहारपरक िवज्ञापन  का प्रभावलेखाकरण  /
मानक,  उदहारणाथर्  मू  य ास  के  िलए  लेखाकरण,  मालसिू चयां,  अनस
ु ंधान  एवं  िवकास 
लागत, दीघार्विध िनमार्ण संिवदाएं, राज  व की पहचान, ि थर पिरसंपि यां, आकि मकताएं, 
िवदे शी  मुद्रा  के  लेनदे न-,  िनवेश  एवं  सरकारी  अनुदान,  नकदी  प्रवाह  िववरण,  प्रित 
शये र 
अजर्न। 
    बोनस शेयर, राइट शेयर, कमर्चारी  टॉक प्रितभूितय  की वापसी खरीद  समेत   (बैक -बाई)
दे न  का लेखाकरण-शेयर पूंजी लेन। 
    कंपनी अंितम लेखे तैयार करना एवं प्र  तत
ु  करना।  
    कंपिनय  का समामेलन, आमेलन एवं पुनिनमार्ण। 
2.    लागत लेखाकरण : 
    लागत  लेखाकरण  का  व
  प  और  कायर्।  लागत  लेखाकरण  प्रणाली  का  सं  थापन,  आय 
मापन से संबिं धत लागत संक  पनाएं, लाभ आयोजन, लागत िनयंत्रण एवं िनणर्यन। 
    लागत  िनकालने  की  िविधयां:  जॉब  लागत  िनधार्रण,  प्रिक्रया  लागत  िनधार्रण  कायर्कलाप 
आधािरत  लागत  िनधार्रण।  लाभ  आयोजना  के  उपकरण  के  प  म  पिरमाणलाभ   -लागत-
संबंध। 
    कीमत  िनधार्रण  िन 
णयर्   के  प  म  वािषर्क  िव ल
  ेषणभेदक  लागत  िनधार्रणिव
  /,  उ  पाद 
िनणर्य,  िनमार्ण  या  क्रय  िनणर्य,  ब  द  करने  का  िनणर्य  आिद,  लागत  िनयंत्रण  एवं 
ू ीकरण  की  प्रिविधयां:  योजना  एवं  िनयंत्रण  के  उपकरण  के  प  म  बजटन,  मानव 
 यन
लागत  िन धार्रण  एवं  प्रसारण  िव ल
  ेषण,  उ  तरदािय  व  लेखाकरण  एवं  प्रभागीय  िन प
  ादन 
मापन। 
3.    कराधान: 
    आयकर: पिर 
भाषाएं: प्रभार का आधार: कुल आय का भाग न बनने  वाली आय, िविभ न
  
मद ,  अथार्त  वेतन,  गह
ृ   संपि   से  आय,   यापार  या  य
  वसाय  से  प्राि त
   यां  और  लाभ, 
पूंजीगत  प्राि  त यां,  अ  य  ोत   से  आय,  िन 
धार्िरती  की  कुल  आय  म  शािमल  अ  य 
 यिक्तय  की आय, हािनय  का समंजन एवं अग्रनयन। 
    आय के सकल योग से कटौितयां। 
    मू  य आधािरत कर )VATएवं ( सेवाकर से संबंिधत प्रमुख िवशेषताएंउपबंध।/ 
4.    लेखा परीक्षण: 
    कंपनी  लेखा  परीक्षा:  िवभा य
    लाभ   से  संबंिधत  लेखा  परीक्षा,  लाभांश,  िव 
शषे   जांच,  कर 
लेखा परीक्षा। 
    बिकंग, बीमा एवं अलाभ संगठन  की लेखा परीक्षा-, पव
ू  र् सं  थाएं  
या/ससंगठन।/ 
 
भाग '2' 

68 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
िव  तीय प्रबंध, िव त
  ीय सं  थान एवं बाजार 
1.    ीय प्रबंध: 
  िव त
    िव  त  प्रकायर्:  िव  तीय  प्रबंध  का   व प,  दायरा  एवं  ल  य:  जोिखम  एवं  वापसी  संबध
ं , 
िव  तीय िव ल
  ेषण के उपकरण: अनुपात िव ल
  ेषण, िनिध प्रवाह एवं रोकड़ प्रवाह िववरण। 
    पूंजीगत  बजटन  िनणर्य:  प्रिक्रया,  िविधयां  एवं  आकलन  िविधयां  जोिखम  एवं  अिनि च
  तता 
िव ल
  ेषण एवं िविधयां। 
    पूंजी  की  लागत:  संक  पना,  पूंजी  की  िविश  ट  लागत  एवं  तुिलत  औसत  लागत  का 
अिभकलन, इिक्वटी पूंजी की लागत िनधार्िरत करने के उपकरण के  प म CAPM 
    िव  तीय िन 
णयर् : पंज
ू ी संरचना का िस धांतिनवल आय- )NIउपागम (, िनवल प्रचालन आय 
)NOIउपागम (, MM उपागम एवं पारं पिरक उपागम। 
    पूंजी संरचना का अिभक प
  न : िलवरे ज के प्रकार  प्रचालन), िव  तीय एवं  संयक्
ु  त (EBIT–
EPS  िव ल
  ेषण  एवं  अ  य  कारक,  लाभांश  िनणर्य   वं  फमर्  का  मू  यांकन:    वा ट
  र  का 
मॉडेल,  MM थीिसस,  गोडर्न  का  मॉडल,  िलटनर  का  मॉडल,  लाभांश  नीित  को  प्रभािवत 
करने वाले कारक। 
    कायर्शील पूंजी प्रबंध: कायर्शील पूंजी आयोजना। 
    कायर्शील पूंजी के िनधार्रक: कायर्शील पूंजी के घटक रोकड़ माल सच
ू ी एवं प्रा य
  । 
    िवलयन  एवं पिरग्रहण  पर एकाग्र कंपनी पुनस
र् ंरचना (य पिरपे य
  केवल िव त
  ी) 
2.    िव त
  ीय बाजार एवं संसथ
्  ान: 
    भारतीय िव त
  ीय   यव  था: िवहं गावलोकन। 
    मुद्रा बाजार: सहभागी संरचना एवं प्रपत्रय बक।िव  ती/ 
    बिकंग क्षेत्र म सुधार, भारतीय िरजवर्  बक की मौिद्रक एवं  ॠण नीित, िनयामक के  प म 
भारतीय िरजवर् बक। 
    पूंजी बाजार प्राथिमक एवं  िवतीयक बाजार; िव  तीय बाजार प्रपत्र एवं  नविक्रया म
  क ॠण 
  ीय  सेवाएं:   युचुअल  फं स,  जोिखम  पूंजी,  साख  मान 
प्रपत्र;  िनयामक  प  म  SEBI  िव त
अिभकरण, बीमा एवं IRDA । 
प्र न
   पत्र –2  
भाग ‘1’ 
संगठन िस धांत एवं   यवहार, मानव संसाधन प्रबंध एवं औ योिगक संबध
ं  
संगठन िस धांत एंव   यवहार 
1.    संगठन िस धांत: 
    संगठन िस धांत: 
    संगठन  का   व प  एवं  संक  पना;  संगठन  के  बा य  पिरवेश  प्रौ  - योिगकीय,  सामािजक 
राजनैितक, आिथर्क एवं  िविधक; सांगठिनक ल  य - प्राथिमक एवं  िवतीय 
क ल  य, एकल 
एवं  बहुल  ल  य;  उ दे य  ाधािरत  प्रबंधसं/गठन  िस धांत  का  िवकास:  क् लािसकी, 
नवक् 
लािसकी एवं प्रणाली उपागम। 
    संगठन  िस धांत  की  आधुिनक  संक  पना,  सांगठिनक  अिभक  प,  सांगठािनक  संरचना  एवं 
सांगठिनक  सं  कृित,  सांगठिनक  अिभक  प:  आधारभूत  चुनौितयां;  पथ
ृ कीकरण  एवं 

69 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
एकीकरण  प्रिक्रया;  के  द्रीयकरण  एवं  िवके  द्रीयकरण  प्रिक्रया;  कानकीकरण  /
 औपचािरकीकरण एवंपर प
  र समायोजन। 
    औपचािरक एवं अनौपचािरक संगठन  का सम  वय, यांित्रकी एवं सावयव संरचना। 
    सांगठिनक  संरचना  का  अिभक  पन–प्रािधकार  एवं  िनयंत्रण;   
यवसाय  एवं   टाफ  प्रकायर्, 
िवशेषज्ञता एवं सम  वय, सांगठिनक संरचना के प्रकार – प्रकायार्  मक। 
    आधात्री संरचना, पिरयोजना संरचना, शिक्त का   व प एवं आधार, शिक्त के  ोत, शिक्त 
संरचना एवं  राजनीित, सांगठिनक अिभक  प एवं  संचार पर सूचना प्रौ योिगकी का प्रभाव, 
सांगठिनक सं  कृित का प्रबंधन। 
2.    संगठन   यवहार: 
    अथर्  एवं  संक  पना;  संगठन   म   
यिक् त:   
यिक् 
त  
व,  िस धांत  एवं  िनधार्रक;  प्र  यक्षणअथर् - 
एवं  प्रिक्रया, अिभप्रेरण: संक  पना, िस धांत एवं  अनुपयोग, नेत ृ  विस धांत एवं  शैिलयां  -, 
कायर्जीवन  की  गुणवता  (QWL):  अथर्  एवं  िन प
  ादन  पर  इसका  प्रभाव,  इसे  बढ़ाने  के 
तरीके,  गुणव त
  ा  चक्र  )Q C(  अथर्  एवं  उनका  मह  व  -,  संगठन   म  वं व   का  प्रब ध
  , 
लेनषणदे न िव  ले-, सांगठिनक प्रभावकािरता, पिरवतर्न का प्रबंध। 
भाग '2' 
मानव संसाधन प्रबंध एवं औ यौिगक संबंध 
 
1.    मानव संसाधन प्रबंध )HRM( : 
    मानव संसाधन प्रबंध का अथर्,   
व प एवं  क्षेत्र, मानव संसाधन आयोजना, जॉब िव ल
  ेषण, 
जॉब  िववरण,  जॉब  िविनदे शन,  िनयोजन  प्रिक्रया,  चयन  प्रिक्रया,  अिभमुखीकरण  एवं 
 थापन, प्रिशक्षण एवं  िव    ादन आकलन एवं  फीड बैक  360०, वेतन एवं 
कास प्रिक्रया, िन प
मजदरू ी  प्रशासन,  जॉब  मू  यांकन,  कमर्चारी  क  याण,  पदो नितयां,   थानांतरण  एवं 
पथ
ृ क्करण। 
2.    ओ यौिगक संबंध )IR (: 
    औ योिगक संबंध का अथर्,   
व प, मह  व एवं  क्षेत्र, ट्रे ड यूिनयन  की रचना, ट्रे ड यूिनयन 
िव 
धान, भारत म ट्रे ड यूिनयन आंदोलन, ट्रे ड यूिनयन  की मा  यता, भारत म िनयम  की 
सम  याएं, ट्रे ड यिू नयन  के आंदोलन पर उदारीकरण का प्रभाव। 
    औ योिगक  िववाद   का  व
  प:  हड़ताल  एवं  तालाबंदी,  िववाद  के  कारण,  िववाद   का 
 
िनवारण एवं िनपटारा, प्रबंधन म कामगार  की सहभािगता: दशर्न, तकार्धार, मौजूदा ि थित 
एवं भावी संभावनाएं:  
     याय िनणर्य एवं सामूिहक सौदाकारी 
    सावर्जिनक  उ यम   म  औ योिगक  संबंध,  भारतीय  उ योगो  म  गैरहािजरी  एवं  िमक 
आवतर् एवं उनके कारण और उपचार। 
    ILO एवं इसके प्रकायर्। 
अथर्शा  त्र 
प्र न
   पत्र – 1 
1.    उ  नत   यि ट अथर्शा  त्र : 

70 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    (क)  कीमत िनधार्रण के माशर्िलयन एवं वालरािसयम उपागम। 
    (ख)  वैकि पक िवतरण िस धांत : िरकॉड  का  डोर, कलीकी। 
    (ग)  बाजार संरचना: एकािधकारी प्रितयोिगता,  िव 
अिधकार, अ  पािधकार। 
    (घ)  आधुिनक क  याण मानदं ड: परे टो िहक् 
स एवं  िसतोव क
  ी, ऐरो का असंभावना प्रमेय, 
ए.के. सैन का सामािजक क  याण फलन। 
2.    उ  नत समि ट अथर्श  त्र : 

    िनयोजन  आय  एवं   याज  दर  िनधार्रण  के  उपागम:  क् 


लािसकी,  की  स  )IS-LMवक्र    (
िसकीषण एवं  नया क् 
लािसकी सं ल ला,   याज दर िनधार्रण एवं   याज दर संरचना के 
  ेनवक् 
िस धांत। 
3.    मुद्रा बैिकंग एवं िव त
  : 

    (क)  मुद्रा  की  मांग  की  पूितर्  :  मुद्रा  का  मुद्रा  गुणक  मात्रा  िस धांत  िफशर),  पीक 
फ्राइडमैनतथा  कीन  का  मुद्रा  के  िलए  मांग  का  िस धांत  (,  बंद  और  खल
ु ी 
अथर्  यव थ
  ा म मुद्रा प्रबंधन के ल य
   एवं साधन, के  द्रीय बक और खजाने के बीच 
संबंध, मुद्रा की व ृ िध दर पर उ च
  तम सीमा का प्र  ताव। 
    (ख)  लोक  िव त
    और  बाजार  अथर्  यव  था  म  इसकी  भिू मका:  परू ी  के   वीकरण  म, 
संसाधन   का  िविनधान  और  िवतरण  और  संव ृ िध,  सरकारी  राज व
    के  ोत,  कर  
एवं  उपदान   के  प,  उनका  भार  एवं  प्रभाव,  कराधान  की  सीमाएं,  ऋण,  क्राउिडंग 
आउट प्रमाण एवं ॠण लेने की सीमाएं, लोक   यय एवं उसके प्रभाव। 
4.    अंतरार्  ट्रीय अथर्श  त्र : 
    (क)  अंतरार्  ट्रीय   यापार के पुराने और नए िस धांत 
      (i)  तुलना  मक लाभ 
      (ii)  यापार शत एवं प्र  ताव वक्र 
 
      (iii)  उ  पाद चक्र एवं िनणार्यक   यापार िस धांत 
      (iv)  यापार, संव ृ िध के चालक के  प म और खुली अथर्  यव  था म अविवकास 
 
के िस धांत 
    (ख)  संरक्षण के  व
  प : टै िरफ एवं कोटा 
    (ग)  भुगतान शेष समायोजन; वैकि पक उपागम 
      (i)  कीमत बनाम आय, िनयम िविनयम दर के अधीन आय के समायोजन। 
      (ii)  िमि त नीित के िस धांत। 
      (iii)  पूंजी चिल  गण
ु ता के अधीन िविनयम दर समायोजन। 
      (iv)  िवकासशील दे श  के िलए ितरती दर और उनकी िववक्षा, मद्र
ु ाबोडर् (करसी)। 
      (v)  यापार नीित एवं िवकासशील दे श। 
 
      (vi)  BPO,  खुली  अथर्  यव  था  समि ट  मॉडल  म  समायोजन  तथा  नीित 
सम  वय। 
      (vii)  स टा।
      (viii)  यापार गट
  ु  एवं मौिद्रक संघ।
71 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
      (ix)  िव व
   य
  ापार संगठन )WTO (TRIM, TRIPS, घरे ल 
ू उपाय WTO बातचीत 
के िविभ न
   चक्र।
5.    संव ृ िध एवं िवकास: 
    (क)  (i)  संव ृ िध के िस धांत; है रॅड का मॉडल 
      (ii)  अिधशेष  िमक के साथ िवकास का   यइ
ू स मॉडल 
      (iii)  संतिु लत एवं असंतिु लत संव ृ िध 
      (iv)  मानव पूंजी एवं आिथर्क व ृ िध 
    (ख)  कम  िवकिसत  दे श   का  आिथर्क  िवकास  का  प्रक्रम:  आिथर्क  िवकास  एवं  संरचना 
पिरवतर्न के िवषय म िमिडल एवं कुजम स, कम िवकिसत दे श  के आिथर्क िवकास 
म कृिष की भूिमका। 
    (ग)  आिथर्क िवकास एवं अंतरार् ट्र
  ीय   यापार एवं िनवेश, बहुरा  ट्रीय  की भूिमका। 
    (घ)  आयोजना  एवं  आिथर्क  िवकास:  बाजार  की  बदलती  भूिमका  एवं  आयोजना,  िनजी 
सरकारी साझेदारी। 
    (ड.)  क  याण  संकेतक  एवं  व ृ िध  के  माप  -  मानव  िवकास  के  सच
ू क,  आधारभत
ू  
आव य
  कताओं का उपागम। 
    (च)  िवकास  एवं  पयार्वरणी  धारणीतापुननर्वीकरणीय  एवं  अपुननर्वीकरणीय  संसाधन  -, 
पयार्वरणी अपकषर्, अंतर पीढो इिक्वटो िवकास। 
 
प्र न
   पत्र – 2 
1.     वतंत्रतापूव र् युग म भारतीय अथर्  
यव  था : 
    भूिम  प्रणाली  एवं  इसके  पिरवतर्न,  कृिष  का  वािण य
  ीकरण,  अपवहन  िस धांत,  अबधंता 
िस धांत एवं समालोचना, िनमार्ण एवं पिरवहन: जट
ू , कपास, रे लवे मद्र
ु ा एवं साख। 
2.     वतंत्रता के प च
  ात ् भारतीय अथर्  यव  था : 
    क.   उदारीकरण के पूव र् का युग: 
    (i)  वकील, गाडिगल एवं वी. के. आर. वी. आर. के योगदान। 
    (ii)  कृिष:    भूिम  सुधार  एवं  भूिम  प टा  प्रणाली,  हिरत  क्राि त  एवं  कृिष  म  पूंजी 
िनमार्ण। 
    (iii)  संघटन  एवं  संव ृ िध  म   यापार  प्रविृ तयां,  सरकारी  एवं  िनजी  क्षेत्रक   की  भूिमका, 
लघु एवं कुटीर उ योग। 
    (iv)  रा ट्र
  ीय एवं  प्रित य
  िक् 
त आय:    
व प, प्रविृ तयां, सकल एवं  क्षेत्रकीय संघटन तथा 
उनम पिरवतर्न। 
    (v)  रा ट्र
  ीय  आय  एवं  िवतरण  को  िनधार्िरत  करने  वाले   थूल  कारक,  गरीबी  के  माप, 
गरीबी एवं असमानता म प्रविृ तयां। 
    ख.   उदारीकरण के प च
  ात ् का युग 

    (i)  नया आिथर्क सुधार एवं  कृिष: कृिष एवं   WTO, खा य प्रसं  करण, उपदान,  कृिष 


कीमत एवं जन िवतरण प्रणाली, कृिष संव ृ िध पर लोक   
यय का समाघात। 

72 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    (ii)  नई आिथर्क नीित एवं  उ योग:  औ योिगक िनजीकरण, िविनवेश की कायर्  नीित, 
िवदे शी प्र  यक्ष िनवेश तथा बहुरा  ट्रीय  की भूिमका। 
    (iii)  नई आिथर्क नीित एवं   यापार:  बौ िधक संपदा अिधकार: TEIPS, TRIMS, GATS 
तथा EXIM नई नीित की िववक्षाएं। 
    (iv)  नई िविनयम दर  य
  व  था आंिशक एवं पूण र् पिरवतर्नीयता। 
    (v)  नई  आिथर्क  नीित  एवं  लोक  िव त
  :  राजकोषीय  उ  तरदािय  व  अिधिनयम,  बारहवां 
एवं िव त
   आयोग एवं राजकोषीय संघवाद का राजकोषीय समेकन। 
    (vi)  नई आिथर्क नीित एवं मौिद्रक प्रणाली, नई   यव  था म RBI  की भूिमका 
    (vii)  आयोजन के  द्रीय आयोजन से सांकेितक आयोजन तक, िवके  द्रीकृत आयोजना और 
संव ृ िध हे तु  बाजार एवं  आयोजना के बीच संबंध :धान   वां  संिव  74  वां  एवं  73 
संशोधन।
    (viii)  नई  आिथर्क  नीित  एवं  रोजगार  :  रोजगार  एवं  गरीबी,  ग्रामीण  मजदरू ी,  रोजगार 
सज
ृ न, गरीबी उ  मूलन योजनाएं, नई ग्रामीण रोजगार गारं टी योजना। 
वै यत
ु  इंजीिनयरी 
प्र न
   पत्र  -1 
1.    पिरपथ-िस धांत 

    िव युत  अवयव,  जाल  लेखािचत्र,  केि वन  धारा  िनयम,  केि वन  बो ट
  ता  िनयम:  पिरपथ 
िव ल
  ेषण: आधारभूत जाल प्रमेय तथा अनुप्रयोग : क्षिणका िव ल
  ेषण: RL, RC तथा RLC
पिरपथ:   
यावक्रीय  थ
  ायी अव थ
  ा िव ल म त पिरपथ: संतुिलत 
  ेषण; .अनुनादी पिरपथ: युिग् 
ित्रकला पिरपथ,  िवकारक जाल। 
2.    संकेत एवं तंत्र: 

    सतत  काल  एवं  िववक् 


तकाल  संकेत   एवं  तंत्र  का  िन पण-:  रे िखत  काल  िन च
  र  तंत्र, 
संवलन  आवेग  अनिु क्रया  :  संवलन  एवं  अवकलन  अंतर  समीकरण  पर  आधािरत  रै िखक 
काल िन च
  र तंत्र  का समय क्षेत्र िव ल
  ेषण, फुिरए  पा त
  र, ले  लास  पांतर, जैड़ पांतर  -, 
अंतरण फलन संकेत  का प्रितचयन एवं उनकी प्रितप्राि त
   , िववक् 
त कालतंत्र  के  वार तु  य 
प संकेत  का DFT, FFT संसाधन। 
3.    िव युत चु  बकीय िस धांत: 

    मैक् 
सवेल समीकरण, पिरब ध मा य
  म म तरं ग संरचना पिरसीमा अव थ
  ाएं, समतल तरं ग  
का  परावतर्न  एवं  अपवतर्न,  संचरण  लाइन:  प्रगामी  एवं  अप्रगामी  तरं ग,  प्रित  बाधा 
प्रिततल
ु न, ि मथ चाटर् , 
4.    तु  य एवं इलेक् 
ट्रॉिनकी : 
    अिभलक्षण एवं  डायोड का तु  य पिरपथ  (वह
ृ त एवं  लघु  संकेत),  िवसंिध ट्रांिज ट
  र, संिध 
क्षेत्र प्रभाव ट्रांिज ट
  र एवं  धातु आक् 
साइड सािमचालक क्षेत्र प्रभाव ट्रांिज ट
  र, डायोड पिरपथ, 
कतर्न,  ग्रामी,  िद ट
  कारी,  अिभनितकरण  एवं  अिभनीत  थ
  ािय  व,  क्षेत्र  प्रभाव  ट्रांिज ट
  र 
प्रवधर्क,  धारा  दपर्ण,  प्रवधर्क:  एकल  एवं  बहुचरणी  अवकल,  सिक्रया  
मक  पन
ु िनर्वेश  एवं 

73 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
शिक्त  प्रबंधक   का  िव ल
  ेषण,  प्रबंधक   की  आविृ त,  अनिु क्रया  मक  संिक्रया म
  क  प्रबंधक 
पिरपथ,  नि यंदक,      र  और 
यावक्रीय  दोिलत्र:  दोलन  के  िलए  कसौटी,  एकल  ट्रांिज ट
संिक्रया  मक प्रवधर्क िव  यास, फलन जिनत्र एवं  तरं ग पिरपथ, रै खक एवं  ि वचन िव युत 
प्रदाय। 
5.    अंकीय इलेक् 
ट्रॉिनकी : 
    बल
ू ीय  बीजावली,  बल
ू ीय  फलन  का   यूनतमीकरण:  तकर् वार,  अंकीय  समाकिलत  पिरपथ 
त  पिरपथ:  अंक  गिणतीय  पिरपथ,  कोड 
कुल  (DTL, TTL, ECL, MOS, CMOS)  संयुक् 
पिरवतर्क, म  टी   लेयक् 
सर एवं िवकोिडत्र, 
    अनक्र   ापन  पंजीयक,  तल
ु िमक  पिरपथ:  चटखनी  एवं  थपथप,  गिणत्र  एवं  िव थ ु िनत्र 
कालिनयामक  बहुकंिपत्र  प्रितदशर्  एवं  धारण  पिरपथ  तु  य  प  अंकीय  पिरवतर्  )ADC)  एवं 
अंकीय  तु  य  प  पिरवतर्क  (DAC)  सािमचालक   मिृ तयां  प्रक्रिमत  युिक्तय   का  प्रयोग 
करते हुए तकर् कायार्  वयन )ROM, PLA, FPGA) 
6.    ऊजार्  पांतरण: 
    वै यत
ु   यांित्रकी  ऊजार्  पांतरण  के  िसं धांत:  धिू णर्त  मशीन   म  बल  आघण
ू  र् एवं  िव युत 
चु  बकीय बल, िद.धा. मशीन: अिभलक्षण एवं  िन प
  ादन िव ल
  ेषण, मोटर  का प्रारं भन एवं 
गितिनयंत्रण,  पिर    ेषण  के  िस धांत:  िविनयमन  दक्षता  :  ित्रकला 
णािमत्र:  प्रचालन  एवं  िव ल
पिरणािमत्र:  ित्रकला  प्रेरण  मशीन  एवं  तु  यकािनक  मशीन:  अिभलक्षण  एवं  िन प
  ादन 
िव ल
  ेषण, गित िनयंत्रण। 
  ॉिनकी एवं िव युत चालन : 
7.    शिक्त इलेक्ट्र
    सािमचाल 
क  शिक्त  युिक्तयां  :  डायोड,  ट्रांिज ट
  र,  थाइिर ट
  र,  ट्रायक,  GTO एवं  धात ु
आक् 
साइड सािमचालक क्षेत्र प्रभाव ट्रािज  टर   थैितक अिभलक्षण एवं  प्रचालन के िस धांत, 
िट्रगिरंग पिरपथ कला िनयंत्रण िद ट ु पिरवतर्क : पण
  कारी, सेत  ू  र् िनयंित्रत एवं  अ र्धिनयंित्रत 
थाइिर ट
  र चापर एवं प्रतीपक  के िस धांत-DC पिरवतर्क, पिरवतर्क ि वच मोड इ  वटर् र, dc
एवं  ac मोटर  चालन  के  गितिनयंत्रण  की  आधारभूत  संक  पना,  िवचरणीय  चाल  चालन  के 
अनुप्रयोग। 
8.    तु  य प संचार : 
    या ि छक चर:  सतत, िविक्त: प्राियकता, प्राियकता फलन, सांख्य
  कीय औसत: प्राियकता 
िनदशर्: या ि छक संकेत एवं  रव: सम, रव, रवतु  य बड चौड़ाई, रव सिहत संकेत प्रेषण, 
रव  संकेत  अनुपात,  रै िखक  cw मॉडुलन:    आयाम  मॉडुलन:  िवसाइड  बड  एकल  चैनल   - 
(DSB- SC) एवं  एकल साइड बड मॉडुलन एवं  िवमाडुलन कला और आविृ त मॉडुलन: कला 
मॉडुलन  एवं  आविृ त  मॉडुलन  संकेत,  संकीणर्  बड  आविृ त  मॉडुलन,  आविृ त  मॉडुलन  कला 
मॉडुलन  के  िलए  जनन  एवं  संसूचन,  िव प्र
  बलन,  पूव र् प्रबलन,  संवाहक  तरं ग  मॉडुलन 
(CWM) तंत्र: परासंकरण अिभग्राही, आयाम मॉडुलन अिभग्राही, संचार अिभग्राही, आविृ त
  
मॉडुलन  अिभग्राही,  कला  पािशत  लूप,  एकल  साइड  बड  अिभग्राही,  आयाम  मॉडुलन  एवं 
आविृ त मॉडुलन अिभग्राही, के िलए िसगनल–रव अनप
ु ात गणन। 
प्र न
   पत्र –2  
 

74 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
1.    िनयंत्रण तंत्र : 
    िनयंत्रण  तंत्र  के  त  व,  खंड  आरे ख  िन पण:  खुलापाश  एवं  बंदपाश  तंत्र,  पुनिनर्वेश  के 
िस धांत  एवं  अनुप्रयोग  िनयंत्रण  तंत्र  अवयव,  रै िखक  काल  िन  चर  तंत्र:  काल  प्रक्षेत्र  एवं 
  ेषण,   थािय  व: राउथ हरिवज कसौटी, मूल िबंद ु पथ, बोडे  आलेख एवं 
पांतर प्रक्षेत्र िव ल
पोलर आलेख नाइिक्वए ट
   कसौटी, अग्रप च
  ता प्रितकारक अिभक  पन समानुितक PI, PID, 
िनयंत्रक: िनयंत्रण तंत्र  का अव  था षण।िवचरणीय िन पण एवं िव ल
  े - 
2.    माइक्रोप्रोसेसर एवं माइक्रोक   यूटर : 
    PC, संघटन CPU अनुदेश सेट, रिज ट
  र सेट, टाइिमंग आरे ख प्रोग्रामन अंतरानयन,   
मिृ त 
अंतराप ृ  ठन, IO अंतराप ृ  ठन प्रोग्रािमंग पिर 
धीय यिु क्तयां। 
3.    मापन एवं मापयंत्रण :
    त्रिु ट िव ल
  ेषण : धारा वो ट
  ता, शिक्त, ऊजार्, शिक्त गुणक, प्रितरोध, प्रेरक  व, धािरत एवं 
आविृ त का मापन, सेत ु मापन, िसग्  ट्रॉिनक मापन यंत्र, बहुमापी 
नल अनुकूल पिरपथ, इलेक् 
कैथोड़ िकरण आिसलो क
  ोप, अंकीय बो  टमापी, आविृ त गिण 
त Q माप,   पेक् 
ट्रम िव ल
  ेषक, 
िव पण  मापी  ट्रां  डयस
ू र,  ताप  वै यत
ु   यग्ु म
  ,  थिमर्  टर,  रे खीय  पिरवतर्नीय  अवकल 
ट्रां  डयूसर, िवकृित प्रभावी, दाब िव युत िक्र  टल। 
4.    शिक्ततंत्र : िव ल
  ेषण एवं िनयंत्रण : 
    िसरोपिर  संरचण  लाइन   तथा  केबल   का  थ
  ायी  दशा  िन प
  ादन,  सिक्रय  एवं  प्रित 
घाती 
शिक्त  अंतरण  एवं  िवतरण  के  िस धांत,  प्रित  ईकाई  रािशयां,  बस  प्रवे य
  ता  एवं  प्रितबाधा 
आ  यूह, लोह प्रवाह: बो ट
  ता िनयंत्रण एवं शिक्त गुणक संशोधन: आिथर्क प्रचलन: समिमत 
  ेषण,  तंत्र,   थािय  व  की  अवधारणा :  ि वंग 
घटक:  समिमत  एवं  असमिमत  दोष  का  िव ल
क  एवं  समक्षेत्र  कौटी,   थैिनक  बो  ट  ऐंिपयर  प्रित 
घाती  तंत्र  उ  च  बो  टता  िद ट
  धारा 
संचरण की मल
ू भत
ू  अवधारणाएं। 
5.    शिक्ततंत्र एवं रक्षण : 
    अितधारा, अवकल एवं  दरू ी रक्षण के िस धांत, ठोस अव थ
  ा िरले  की अवधारणा,  पिरपथ 
िवयोजक अिभकिलत्र सहायता प्रा त
   रक्षण, पिरचय, लाइन, बस, जिन 
त्र, पिरणािमत्र रक्षण, 
संख्य
  ा  मक िरले एवं रक्षण के िलए अंकीय संकेत रक्षण (DSP) का अनुप्रयोग। 
6.    अंकीय संचार : 
     पद
ं   कोड  मॉडुलन,  अवकल   पद
ं   कोड  मॉडुलन,  डे  टा  मॉडुलन,  अंकीय  मॉडुलन  एवं 
िवमॉडुलन योजनाएं: आयाम, कला एवं  आविृ त कंु जीयन योजनाएं, त्रिु ट िनयंत्रण कूटकरण: 
त्रिु टसंसच
ू न एवं  संशोधन रै िख 
क खंड कोड, संवलन कोड, सच
ू ना माप एवं  ोत कूट करण, 
आंकड़ा जाल,7 -  तरीय वा त
  ुकला। 
भूगोल 
प्र न
   पत्र-1 
भूगोल के िस धांत 
 
प्राकृितक भूगोल 

75 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
1.    भआ
ू कृित  िवज्ञान  :  भआ
ू कृित  िवकास  के  िनयंत्रक  कारण  :  अंतजार्त  एवं  बिहजार्त  बल: 
ू ुंबक-  व  के  मूल  िस धांत:  प ृ वी  के  अंतरं ग  की 
भूपपर्टी  का  उ गम  एवं  िवकास  :  भच
प्राकृितक दशाएं। 

    भअिभ
ू -नित: महा वीपीय िव थ
  ापन: समि थित:   
लेट िववतर्िनेकी: पवर्तो  पित के संबंध म 
अिभनव  िवचार:  व
  ालामख
ु ी:  भक
ू  प  एवं  सन
ु ामी:  भआ
ू कृितक  चक्र  एवं  य
  भिू म  िवकास 
की  संक  पनाएं,  अना छ
  ादन  कालानुक्रम:  जलमागर्  आकृितक  िवज्ञान:  अपरदन  प ृ ठ: 
प्रवणता  िवकास:  अनुप्रयुक् त  भूआकृित  िवज्ञान:  भज
ू ल  िवज्ञान,  आिथर्क  भूिवज्ञान  एवं 
पयार्वरण। 
2.    जलवायु िवज्ञान: 
     के ताप एवं दाब किटबंध, प ृ व
  िव व   ी का तापीय बजट: वायम
ु ंडल पिरसंचरण, वाय 
ु  मंडल 
ि थरता एवं अनि थरता, भूमंडलीय एवं   थानीय पवन: मानसून एवं जेट प्रवाह: वायु रािश 
एवं  वाताग्रजनन:  शीतो  ण  एवं  उ  णकिटबंधीय  चक्रवात  :  वषर्ण  के  प्रकार  एवं  िवतरण  : 
मौसम एवं जलवाय 
ु : कोपेन, थॉनर्वेट एवं त्रेवाधार् का िव व
   जलवाय 
ु पिरवतर्न म मानव की 
भूिमका एवं अनुिक्रया, अनुप्रयुक् 
त जलवायु िवज्ञान एवं नगरी जलवायु। 
3.    समुद्र िवज्ञान:
    अटलांिटक,  िहंद  एवं  प्रशांत  महासागर   की  तलीय  थ
  लाकृित:  महासागर   का  ताप  एवं 
वार भाटा: समुद्रीय 
लवणता: उ  मा एवं  लवण बजट, महासागरी िनक्षेप: तरं ग धाराएं  एवं   
संसाधन  जीवीय,  खिनज  एवं  ऊजार्  संसाधन,  प्रवाल  िम ि यां:  प्रवाल  िवरं जन:  समद्र
ु  
पिरवतर्न: समद्र
ु  िनयम एवं समुद्री प्रदष
ू ण। 
4.    जीव भूगोल : 
    मद ृ ाओं  का  वगीर्करण  एवं  िवतरण:  मद
ृ ाओं  की  उ  पित;  मद ृ ा  पिर छ
  े िदका:  मद
ृ ा  अपरदन: 
 यूनीकरण  एवं  संरक्षण:  पादप  एवं  ज  तुओं  के  वैि य
  क  िवतरण  को  प्रभािवत  करने  वाले 
कारक:  वन  अपरोपण  की  सम य की:  कृित 
  ाएं  एवं  संरक्षण  के  उपाय:  सामािजक  वािन 
वािनकी: व  य जीवन: प्रमख
ु  जीन पूल कद्र। 
5.    पयार्वरणीय भग
ू ोल : 
    पािरि थित 
की के िसं धांत: मानव पािरि थितक अनुकूलन: पािरि थितकी एवं  पयार्वरण पर 
मानव का प्रभाव: वैि वक ए  क्षेत्रीय पािरि थितक पिरवतर्न एवं  असंतुलन: पािरतंत्र उनका 
  ीकरण,  प्रबंध  एवं  संरक्षण:  जैव  िविवधता  एवं 
प्रबंधन  एवं  संरक्षण:  पयार्वरणीय  िन न
संपोषण िवकास: पयार्वरणीय िशक्षा एवं िव 
धान। 
6.    मानव भूगोल 
    1.  मानव भग
ू ोल म संदशर्  : क्षेत्रीय िव 
भेदन; प्रादे िशक सं ल
  ेषण;  िवभाजन एवं  वैतवाद; 
पयार्वरणवाद;  मात्रा  मक  क्रांित  एवं  अवि थित  िव ल
  ेषण;  उग्रसुधार,   यावहािरक, 
मानवीय  एवं  क  याण  उपागम:  भाषाएं,  धमर्   वं  िनरपेक्षीकरण;  िव व
    के  सा  कृितक 
प्रदे श; मानव िवकास सच
ू क। 
    2.  आिथर्क  भूगोल  :  िव व
    आिथर्क  िवकास  :  माप  एवं  सम  याएं;  िव व
    संसाधन  एवं 

76 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
उनका  िवतरण;,  ऊजार्  संकट  :  संव ृ िध  की  सीमाएं;  िव व
    कृिष  :  कृिष  प्रदे श   की 
प्रा पता  :  कृिष  िनवेश  एवं  उ  पादकता;  खा य  एवं  पोषण  सम य
  ाएं;  खा य  सुरक्षा; 
दिु भर्क्ष कारण, प्रभाव एवं  उपचार, िव व
   उ योग, अव  थािनक प्रित प एवं  सम  याएं; 
िव व
     यापार के प्रितमान। 
    ा एवं  ब त
  3.  जनसंख्य   ी भूगोल : िव व
   जनसंख्य
  ा की व ृ िध और िवतरण; जनसांिख् 
यकी 
गण
ु ;  प्रवासन  के  कारण  एवं  पिरणाम;  अितरे क-अ  प  एवं  अनक   ा  की 
ु ू लतम  जनसंख्य
संकल 
प्  नाएं;  जनसंख्य
  ा  के  िस धांत;  िव व
    जनसंख्य
  ा  सम  याएं  और  नीितयां; 
सामािजक  क  याण  एवं  जीवन  गुणव  ता;  सामािजक  पूंजी  के  प  म  जनसंख्य
  ा, 
ग्रामीण बि त
  य  के प्रकार एवं  प्रित प; ग्रामीण बि त
  य  के पयार्वरणीय मु दे ; नगरीय 
  य   का  पदानुक्रम;  नगरीय  आकािरकी;  प्रमुख  शहर  एवं  ेणी  आकार  प्रणाली  की 
बि त
संक  पना;  नगर   का  प्रकायार्  मक  वगीर्करण;  नगरीय  प्रभाव  क्षेत्र;  ग्राम  नगर  उपांत; 
अनुषंगी नगर, नगरीकरण की सम य
  ाएं एवं समाधान; नगर  का संपोषणीय िवकास। 
    4.  प्रादे िशक आयोजन : प्रदे श की संक  पना; प्रदे श  के प्रकार एवं प्रदे शीकरण की िविधयां; 
व ृ िध  के  द्र  तथा  व ृ िध  ध्रव
ु ;  प्रादे िशक  असंतल
ु न;  प्रादे िशक  िवकास  कायर्नीितयां; 
प्रादे िशक आयोजना म पयार्वरणीय मु दे ; संपोषणीय िवकास के िलए आयोजना। 
    5.  मानव  भूगोल  म  मॉडल,  िस धांत  एवं  िनयम  :  मानव  भूगोल  म  प्रणाली  िव ल
  ेषण; 
टावर  एवं  लॉश  का 
मा  थस  का,  माक् स र् का  और  जनसांिख् यकीय  संक्रमण  मॉडल;  िक्र  
के  द्रीय   थान िस धांत; पे  एवं  बूदेिवए; वॉन थूनेन का कृिष अव थ
  ान मॉडल; वेबर 
का  औ योिगक  अव थ
  ान  मॉडल;  ओ त
  ोव  का  व ृ िध  अव थ
  ा  माडल;  अंत:  भूिम  एवं 
बिह: भूिम िस धांत; अंतरार्  ट्रीय सीमाएं एवं सीमांत क्षेत्र के िनयम। 
   
प्र न
   पत्र - 2 
भारत का भग
ू ोल 
 
1.    भौितक  िव  यास  :  पड़ोसी  दे श   के  साथ  भारत  का  अंतिरक्ष  संबध
ं ;  संरचना  एवं  उ  चावच; 
अपवाहतंत्र  एवं  जल  िवभाजक;  भू-आकृितक  प्रदे श;  भारतीय  मानसून  एवं  वषार्  प्रित प; 
ऊ  णकिटबंधीय  चक्रवात  एवं  पि च
  मी  िवक्षोभ  की  िक्रया  िविध;  बाढ़  एवं  अनाविृ ट
  ; 
  ित; मद
जलवायवी प्रदे श; प्राकृितक वन प ृ ा प्रकार एवं उनका िवतरण।  
     
2.    संसाधन : भिू म, सतह एवं  भौमजल, ऊजार्, खिनज, जीवीय एवं  समद्र
ु ी संसाधन; वन एवं 
व  य जीवन संसाधन एवं उनका संरक्षण; ऊजार् संकट। 
     
3.    कृिष  :  अवसंरचना:  िसंचाई,  बीज,  उवर्रक,  िव युत;  सं  थागत  कारक:  जोत  भू-धारण  एवं 
भूिम सुधार: श  यन प्रित प, कृिष उ  पादकता; कृिष प्रकषर्, फसल संयोजन, भूिम क्षमता; 
  ितक 
कृिष एवं  सामािजक वािनकी; हिरत क्रांित एवं  इसकी सामािजक आिथर्क एवं  पािरि थ
िववक्षा;  वषार्धीन  खेती  का  मह व
  ;  पशध   ेत  क्रांित;  जल  कृिष;  रे शम 
ु न  संसाधन  एवं  व
कीटपालन;  मधुमिक्ष पालन  एवं  कुक् 
कुट  पालन;  कृिष  प्रादे शीकरण,  कृिष  जलवाधवी  क्षेत्र; 

77 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
कृिष पािरि थ
  ितक प्रदे श।
     
4.    उ योग  :  उ योग   का  िवकास;  कपास,  जूट,  व  त्रो योग,  लोह  एवं  इ  पात,  अलुिमिनयम, 
उवर्रक,  कागज़,  रसायन  एवं  फामार्  युिटक  स,  आटोमोबाइल,  कुटीर  एवं  कृिष  आधािरत 
  ित  कारक;  सावर्जिनक  क्षेत्र  के  उपक्रम   सिहत  औ योिगक  घराने  एवं 
उ योग   के  अवि थ
संकुल;  औ योिगक  प्रादे शीकरण;  नई  औ योिगक  नीितयां;  बहुरा  ट्रीय  कंपिनयां  एवं 
उदारीकरण; िवशेष आिथर्क क्षेत्र; पािरि थ
  ितकी-पयर्टन समेत पयर्टन। 
     
5.    पिरवहन,  संचार  एवं   यापार  :  सड़क,  रे लमागर्,  जलमागर्,  हवाई  मागर्  एवं  पाइपलाइन, 
  ीय  एवं  िवदे शी   यापार  वाले 
नेटवकर्  एवं  प्रादे िशक  िवकास  म  उनकी  पूरक  भूिमका;  रा ट्र
पतन   का  बढ़ता  मह  व;   यापार  संतुलन;   यापार  नीित;  िनयार्त  प्रकमण  क्षेत्र;  संचार  एवं 
सूचना  प्रौ योिगकी  म  आया  िवकास  और  अथर्  यव  था  तथा  समाज  पर  उनका  प्रभाव; 
भारतीय अंतिरक्ष कायर्क्रम। 
     
6.    सां  कृितक  िव  यास  :    भारतीय  समाज  का  ऐितहािसक  पिरप्रे य
  ;  प्रजातीय,  भािषक  एवं 
नज   क;  प्रमुख  जनजाितयां,  जनजाितयां  क्षेत्र  तथा 
ृ ातीय  िविवधताएं;  धािमर्क  अ  पसंख्य
उनकी  सम  याएं;  सां  कृितक  प्रदे श;  जनसंख्य
  ा  की  संव ृ िध,  िवतरण  एवं  घन  व; 
यकीय  गुण:  िलंग  अनुपात,  आयु  संरचना,  साक्षरता  दर,  कायर्बल,  िनभर्रता 
जनसांिख् 
अनुपात,  आयुकाल:  प्रवासन  (अंत:प्रादे िशक,  प्रदे शांतर  तथा  अंतरा ट्र
  ीय)  एवं  इससे  जुड़ी 
  ा सम  याएं एवं नीितयां;   वा    य सूचक । 
सम  याएं, जनसंख्य
     
7.    ब त
  ी : ग्रामीण ब त
  ी के प्रकार, प्रित प तथा आकािरकी; नगरीय िवकास; भारतीय शहर  
की  आकािरकी; भारतीय  शहर   का  प्रकायार्  मक  वगीर्करण; सत्रनगर  एवं  महानगरीय  प्रदे श; 
नगर   वप्रसार;  गंदी  ब  ती  एवं  उससे  जुड़ी  सम  याएं;  नगर  आयोजना;  नगरीकरण  की 
सम  या एवं उपचार। 
     
8.    प्रादे िशक  िवकास  एवं  आयोजना:  भारत  म  प्रादे िशक  आयोजना  का  अनभ
ु व;  पंचवषीर्य 
योजनाएं;  समि  वत  ग्रामीण  िवकास  कायर्क्रम;  पंचायती  राज  एवं  िवकद्रीकृत  आयोजना; 
कमान क्षेत्र िवकास; जल िवभाजन प्रबंध; िपछड़ा क्षेत्र, म  थल, अनाविृ ट
   प्रबण, पहाड़ी, 
जनजातीय क्षेत्र िवकास के िलए आयेाजना; बहु  तरीय योजना; प्रादे िशक योजना एवं  वीप 
क्षेत्र  का िवकास। 
     
9.    राजनैितक पिरप्रे य
   : भारतीय संघवाद का भौगोिलक आधार; रा य
   पन
ु गर्ठन; नए रा य
   
का  आिवभार्व;  प्रादे िशक  चेतना  एवं  अंतरार्  
य  मु दे ;  भारत  की  अंतरार्  ट्रीय  सीमा  और 
  क मामल  म भारत की भिू मका; दि ा ण एिशया 
संबंिधत मु दे ; सीमापार आतंकवाद; वैि व
एवं िहंद महासागर पिरमंडल की भ-ू राजनीित। 
     

78 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
10.    समकालीन मु दे   : पािरि थ
  ितक मु दे : पयार्वरणीय संकट: भ-ू   ू ं प, सन
खलन, भक ू ामी, बाढ़ 
एवं अनाविृ ट ू ण से संबंिधत मु दे ; भूिम उपयोग के प्रित प म 
  , महामारी, पयार्वरणीय प्रदष
बदलाव; पयार्वरणीय प्रभाव आकलन एवं  पयार्वरण प्रबंधन के िस धांत; जनसंख् या िव फ
  ोट 
एवं  खा य सुरक्षा; पयार्वरणीय िन न
  ीकरण; वनो म
  ूलन, म  थलीकरण एवं  मद
ृ ा अपरदन; 
कृिष  एवं  औ योिगक  अशांित  की  सम य
  ाएं;  आिथर्क  िवकास  म  प्रादे िशक  असमानताएं; 
संपोषणीय  व ृ िध  एवं  िवकास  की  संक  पना;  पयार्वरणीय  संचेतना;  निदय   का  सहव धन 
भूमंडलीकरण एवं भारतीय अथर्  यव  था। 
 
िट प
  णी : अ  यिथर्य  को इस प्र न
  पत्र म िलए गए िवषय  से  संगत एक अिनवायर्  मानिचत्र- आधािरत प्र न
  
का उ  तर दे ना अिनवायर् है । 
 
भूिवज्ञान 
प्र न
   पत्र – 1 
 
1.      सामा  य भूिवज्ञान: 
      सौरतंत्र, उ  कािपंड,  प ृ व
  ी  का  उ भव  एवं  अंतरं ग  तथा  प ृ व
  ी  की  आयु,   
वालामुखी  - 
कारण, प्रभाव, भारत के भक
ू ं पी क्षेत्र,  वीपाभ चाप, खा य  एवं महासागर-म  य कटक; 
महा वीपीय अपोढ़; समुद्र अध  तल िव  तार,   लेट िववतर्िनकी; समि  थित। 
       
2.      भूआकृित िवज्ञान एवं सुदरू -संवेदन: 
      भूआकृित  िवज्ञान  की  आधारभूत  संक  पना;  अपक्षय  एवं  मद
ृ ािनमार्ण;   
थल प,  ढाल 
एवं  अपवाह;  भआ
ू कृित  चक्र  एवं  उनकी  िववक्षा;  आकािरकी  एवं  इसका  संरचनाओं  एवं 
  की  से  संबंध;  तटीय  भूआकृित  िवज्ञान;  खिनज  पूवक्षण  म  भूआकृित  िवज्ञान  के 
अि म
अनुप्रयोग,  िसिवल  इंजीिनयरी;  जल  िवज्ञान  एवं  पयार्वरणीय  अ य
  यन;  भारतीय 
उपमहा वीप  का  भूआकृित  िवज्ञान,  वायव  फोटो  एवं  उनकी  िववक्षा-गुण  एवं  सीमाएं; 
िव युत  चु  बकीय  प
  ेक्ट्र
  म;  कक्षा-  पिरभ्रमण  उपग्रह  एवं  संवेदन  प्रणािलयां;  भारतीय 
दरू   संवेदन  उपग्रह;  उपग्रह  द  त  उ प
  ाद,  भ-ू िवज्ञान  म  दरू   संवेदन  के  अनप्र
ु योग; 
भोगोिलक  सच
ू ना  प्रणािलयां  (GIS)  एवं  िव व
  य   न  प्रणाली  (GPS)  -  इसका 
  ापी  अव थ
अनुप्रयोग। 
       
3.      संरचना  मक भूिवज्ञान : 
      भूवैज्ञािनक  मानिचत्रण  एवं  मानिचत्र  पठन  के  िस धांत,  प्रक्षेप  आरे ख,  प्रितबल  एवं 
िवकृित  दीघर्वत
ृ   तथा  प्र य
  ा  थ,  सुघ य  एवं  य
  न  पदाथर्  के  प्रितबल-िवकृित  संबंध; 
िव िपत  शैली  म  िवकृित  िच नक;  िव पण  दशाओं  के  अंतगर्त  खिनज   एवं  शैल   का 
 यवहार  वलन;  एवं  भ्रंश  वगीर्करण  एवं  यांित्रकी;  वलन ,  श  कन ,  सरे खण ,  जोड़   एवं 
  ेषण,  िक्र   टलन  एवं  िव पण  के  बीच 
भ्रंश ,  िवषमिव  यास   का  संरचना  मक  िव ल
समय संबंध। 

79 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
       
4.      जीवा म
   िवज्ञान : 
      जाित-पिरभाषा एवं नामप धित; गु  जीवा  म एवं सू म
   जीवा म
  ; जीवा म
   संरक्षण की 
िविधयां;  िविभ न
    प्रकार  के  सू म
    जीवा म
  ;  सह  संबंध,  पेट्रोिलयम  अनवेषण, 
पुराजलवायवी  एवं  पुरासमद्र
ु िवज्ञानीय  अ य
  यन   म  सू म
  ,  जीवा म
    का  अनुप्रयोग; 
होिमिनडी  एि ड
  ी  एवं  प्रोबोसीिडया  म  िवकासा म
  क  प्रविृ त;  िशवािलक  प्रािणजात; 
गोडंवाना  वन प
  ितजात  एवं  प्रािणजात  एवं  इसका  मह  व;  सूचक  जीवा म
    एवं  उनका 
मह  व। 
       
5.      भारतीय  त
  िरकी : 
      तिरकी  अनुक्रम   का  वगीर्करण;  अ म
     
तिरक,  जैव त
  िरक,  काल  तिरक  एवं 
चु  ब त
  िरक  तथा  उनका  अंतसंबंध/भारत  की  कैिब्रयनपूव र् शैल   का  िवतरण  एवं 
वगीर्करण;  प्रािणजात,  वन प
  ितज्ञान  एवं  आिथर्क  मह  व  की  ि ट
    से  भारत  की 

  जीवी  शैल   के   तिरक  िवतरण  एवं  अ म   यन;  प्रमख
  िवज्ञान  का  अ य ु   सीमा 
सम  याएं-कैिब्रयन/कैिब्रयन  पूव,र्   पिमर्यन/  ट्राइऐिसक,  केटे िशयस/तत
ृ ीयक  एवं 
 लायोसीन/  लायोसीन,  भूवैज्ञािनक  अतीत  म  भारतीय  उपमहा वीप  म  जलवायवी 
दशाओं,  पुराभूगोल  एवं  आग् 
नेय  सिक्रयता  का  अ  ययन,  भारत  का   तिरक  ढांचा; 
िहमालय का उ भव। 
       
6.      जल भूिवज्ञान एवं इंजीिनयरी भूिवज्ञान : 
      जल  िवज्ञान  चक्र  एवं  जल  का  जनिनक  वगीर्करण;  अवप ृ  ठ  जल  का  संचलन;  बह
ृ त 
जवार;  सरं ध्रता,  परक्रा य
  ता,  द्रवचािलक  चालकता;  बह
ृ त  व
  ार;  संरभ्रता,  परक्रा य
  ता, 
  ता  एवं  संचयन  गुणांक,  ऐिक्रफर  वगीर्करण;  लवणजल 
द्रवचािलक  चालकता,  परग य
अंतवधन,  कूप   के  प्रकार,  वषार्जल  संग्रहण;  शैल   की  जलधारी  िवशेषताएं;  भूजल 
रसायिनकी; लवणजल अंतवधन; कूप  के प्रकार, वषार्जल संग्रहण; शैल  के इंजीिनयरी 
गुण-धमर्,  बांध ,  सुरंग ,  राजमाग ,  रे लमाग   एवं  पल
ु   के  िलए  भूवैज्ञािनक  अ  
वेषण; 
िनमार्ण  सामग्री  के  प  म  शैल;  भू  खलन-कारण,  रोकथाम  एवं  पन
ु वार्स;  भक
ू ं प  रोधी 
संरचनाएं। 
 
प्र न
   पत्र – 2 
1.    खिनज िवज्ञान : 

    प्रणािलय  एवं  समिमित वग  म िक्र ट


  ल  का वगीर्करण; िक्र  टल संरचना  मक संकेतन की 
अंतरार्  ट्रीय प्रणाली; िक्र  टल समिमित को िन िपत करने  के िलए प्रक्षेप आरे ख  का प्रयोग; 
य िकरण िक्र ट
  िलकी के त  व। 
    शैलकर िसिलकेट खिनज समूह  के भौितक एवं रासायिनक गुण; िसिलकेट का संरचना  मक 
वगीर्करण; आग् 
नेय एवं  कायार्ंतिरत शैल  के सामा  य खिनज, काब नेट, फा  फेट, स  फाइड 
एवं हे लाइड समूह  के खिनज; मिृ तका खिनज। 
80 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    सामा  य  शैलकर  खिनज   के  प्रकािशक  गण
ु धमर्,  खिनज   म  बहुवगणर्ता,  िवलोप  कोण, 
िवअपवतर्न (डबल िरफ्रैक् शन, बाइरे िफ्रजस), यमलन एवं पिरक्षेपण । 
     
2.    आग् 
नेय एवं कायार्ंतिरत शैिलकी : 
    मैगमा  जनन  एवं  िक्र ट
  लन;  ऐ  वाइट  -  ऐनॉथार्इट  का  िक्र  टलन:  डायो  साइड  -  एवं 
  ाड-वोला  टोनाइट-ऐनॉथाइट एवं डायोसाइड-वोला  टोनाइट- िसिलका प्रणािलयां;  बॉवेन 
डायो स
का  अिभक्रया  िस धांत;  मैग्म
  ीय  िवभेदन  एवं   वांगीकरण;  आग् 
नेय  शैल   के  गठन  एवं 
संरचनाओं  का  शैलजनिनक  मह  व;  ग्रेनाइट,  साइनाइड,  डायोराइट,  अ  पिसिलक  एवं 
अ  प प
  िसिलक  समह
ू ,  चान काइट,  अ  पिसिलक  एवं  अ  प प
  िसिलक  समह
ू ,  चान काइट, 
अनॉरथ साइट  एवं  क्षारीय  शैल   की  शैलवणर्ना  एवं  शैल  जनन,  काब टाइ स  डेकन 
वालामुखी शैल-क्षेत्र। 
 
    कायार्ंतरण  प्र प  एवं  कारक;  कायांतरी  कोिटयां  एवं  सं  तर;  प्राव  था  िनयम;  प्रादे िशक  एवं 
सं  पशर् कायांतरण संलक्षणी; ACF एवं AKF आरे ख; कायांतरी शैल  का गठन एवं संरचना; 
बालक
ु ामय,  म ृ  मय  एवं  अ  पिसिलक  शैल   का  कायांतरण;  खिनज  समु च
  य  प  चगाितक 
कायांजरण; त  वांतरण एवं ग्रेनाइटी भवन; भारत का िमग् 
नेटाइट, किणका म
   शैली प्रदे श। 
     
3.    अवसादी शैिलकी : 
    अवसाद  एवं  अवसादी  शैल  िनमार्ण  प्रिक्रयाएं,  प्रसंघनन  एवं  िशलीभवन,  संखंडा म
  ी  एवं 
असंखंडा म
  ी  शैली-उनका  वगीर्करण,  शैलवणर्ना  एवं  िनक्षेपण  वातावरण,  अवसादी  संलक्षणी 
एवं  जननक्षेत्र, अवसादी संरचनाएं  एवं  उनका मह  व; भारी खिनज एवं  उनका मह  व; भारत 
की अवसादी द्रोिणयां। 
     
4.    आिथर्क भूिवज्ञान : 
    अय क
  ,  अय  क  खिनज  एवं  गग,  अय  क  का  औसत  प्रितशत,  अय  क  िनक्षेप   का 
वगीर्करण;  खिनज  िनक्षेप   की  िनमार्ण  प्रिक्रया;  अय  क   थानीकरण  के  िनयंत्रण;  अय  क 
गठन एवं  संरचनाएं; धातु  जनिनक युग एवं  प्रदे श; ए य
  िु मिनयम, क्रोिनयम, ताम्र,   वणर्, 
्  ीज, िटटे िनयम, यरू े िनयम एवं  थोिरयम तथा औ योिगक खिनज  के 
लोह, लेड, िजंक, मेग 

मह  वपूण र् भारतीय िनक्षेप  का भूिवज्ञान; भारत म कोयला एवं  पेट्रोिलयम िनक्षेप; रा ट्र
  ीय 
खिनज नीित; खिनज संसाधन  का संरक्षण एवं  उपयोग; समुद्री खिनज संसाधन एवं  समुद्र 
िनयम। 
     

5.    खनन भूिवज्ञान : 
    पूवक्ष
र् ण  की  िविधयां  -  भूवैज्ञािनक,  भूभौितक,  भूरासायिनक  एवं  भू-वान  पितक;  प्रितचयन 
कलन,  धातु  अय  क   औ योिगक  खिनज ,  समुद्री  खिनज 
प्रिविधयां;  अय  क  िनचय  प्राक् 
संसाधन  एवं  िनमार्ण प्र त   ीकरण एवं 
  र  के अ  वेषण एवं  खनन की िविधयां; खिनज स ज
अय  क प्रसाधन। 

81 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
     
6.    भूरासायिनकी एवं पयार्वरणीय भूिवज्ञान : 
    त  व  का अंतिरक्षी बाहु  य, ग्रह  एवं  उ  कािपंड  का संघटन, प ृ व
  ी की संरचना एवं  संघटन 
एवं त  व  का िवतरण, लेश त  व, िक्र  टल रासायिनकी के त  व-रासायिनक आबंध, सम  वय 
  ा, समकृितकता एवं बहु पता, प्रारं िभक उ  मागितकी। 
संख्य
    प्राकृितक  संकट  -  बाढ़, बह
ृ त  क्षरण,  तटीय  संकट,  भक
ू ं प  एवं   
वालामख
ु ीय सिक्रयता  तथा 
 यूनीकरण, नगरीकरण, खनन औ योिगक एवं रे िडयोसिक्रय अपरद िनपटान, उवर्रक प्रयोग; 
खनन  अपरद  एवं  लाई  ऐश  सि  नक्षेपण  के  पयार्वरणीय  प्रभाव;  भौम  एवं  भू-प ृ  ठ  जल 
प्रदष
ू ण,  समद्र
ु ी  प्रदष
ू ण;  पयार्वरण  संरक्षण-भारत  म  िवधायी  उपाय;  समद्र
ु   तल  पिरवतर्न-
कारण एवं प्रभाव। 
 
इितहास 
प्र न
   पत्र – 1 
1.    ोत: 
    पुराताि  वक  ोत: 
    अ  वेषण, उ  खनन, पुरालेखिव या, मुद्राशा  त्र,   
मारक सािहि  यक  ोत: 
     वदे शी:  प्राथिमक  एवं  िवतीयक;  किवता,  िवज्ञान  सािह य
  ,  क्षेत्रीय  भाषाओं  का  सािह य
  , 
धािमर्क सािह  य। 
    िवदे शी वणर्न : यूनानी, चीनी एवं अरब लेखक 
     
2.    प्रागैितहास एवं आ य इितहास : 
    भौगोिलक  कारक,  िशकार  एवं  संग्रहण  (परु ापाषाण  एवं  म  यपाषाण  यग
ु ),  कृिष  का  आरं भ 
(नवपाषाण एवं ताम्रपाषाण युग)। 
     
3.    िसंध 
ु घाटी स य
  ता: 
    उ गम, काल, िव त
  ार, िवशेषताएं, पतन, अि त
   
व एवं मह  व, कला एवं   थाप  य। 
     
4.    महापाषाणयुगीन  सं  कृितयां:  िसंधु  से  बाहर  पशच
ु ारण  एवं  कृिष  सं  कृितय   का  िव त
  ार, 
सामुदाियक  जीवन  का  िवकास,  बि त
  यां,  कृिष  का  िवकास,  िश  पकमर्,  मद
ृ भांड  एवं  लोह 
उ योग। 
     
5.    आयर् एवं वैिदक काल : भारत म आय  का प्रसार। 
    वैिदक  काल  :  धािमर्क  एवं  दाशर्िनक  सािह  य;  ऋगवैिदक  काल  म  उ  तर  वैिदक  काल  तक 
हुए  पांतरण;  राजनैितक;  सामािजक  एवं  आिथर्क  जीवन;  वैिदक  युग  का  मह  व;  राजतंत्र 
एवं वणर्   यव थ
  ा का क्रम िवकास। 
     
6.    महाजनपद काल : 

82 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    महाजनपद   का  िनमार्ण  :  गणतंत्रीय  एवं  राजतंत्रीय;  नगर  कद्र   का  उ भव,   यापार  मागर्, 
आिथर्क  िवकास,  टं कण  (िसक् 
का  ढलाई),  जैन  धमर्  एवं  बौ ध  धमर्  का  प्रसार,  मगध   एवं 
नंद  का उ भव। 
    ईरानी एवं मकदिू नयाई आक्रमण एवं उनके प्रभाव। 
     
7.    मौयर् साम्रा  य : 
    मौयर्  साम्रा य
    की  नीव,  चंद्रगु  त,  कौिट य
    और  अथर्शा  त्र;  अशोक;  धमर्  की  संक  पना; 
धमार्देश;  रा य
     यव थ
  ा;  प्रशासन;  अथर्  यव थ     एवं  मूितर्िश  प;  िवदे शी 
  ा;  कला,   थाप य
संपकर्) धमर्, धमर् का प्रसार; सािह  य, साम्रा  य का िवघटन; शग
ंु  एवं क  व। 
     
8.    उ  तर मौयर् काल (भारत-यूनानी, शक, कुषाण, पि च
  मी क्षत्रप) : 
    बाहरी  िव व
    से  संपकर्;  नगर-कद्र   का  िवकास,  अथर्-  
यव  था,  टं कण,  धम   का  िवकास, 
  , सं  कृित, सािह  य एवं िवज्ञान। 
महायान, सामािजक दशाएं, कला,   थाप य
     
9.    प्रारं िभक रा य
   एवं समाज; पूवीर् भारत, दकन एवं दिक्षण भारत म : 
    खारबेल,  सातवाहन,  संगमकालीन  तिमल  रा य
  ;  प्रशासन,  अथर्  यव  था,  भूिम-अनुदान, 
टं कण,   यापािरक  ेिणयां एवं नगर कद्र; बौ ध कद्र, संगम सािह  य एवं सं  कृित, कला एवं 
 थाप य
  । 
     
10.    गु  त वंश, वाकाटक एवं वधर्न वंश : 
       यव  था एवं  प्रशासन, आिथर्क दशाएं, गु  तकालीन टं कण, भूिम, अनुदान, नगर कद्र  
  रा य
का  पतन,  भारतीय  सामंतशाही,  जाित  प्रथा,   त्री  की  ि थ
  ित,  िशक्षा  एवं  शैिक्षक  सं  थाएं, 
नालंदा, िवक्रमिशला एवं ब  लभी, सािह  य, िवज्ञान सािह य
  , कला एवं   थाप य
  । 
     
11.    गु  तकालीन क्षेत्रीय रा य
   : 
    कदं बवंश, प  लवंश, बदमी का चालुक् 
यवंश; रा य
    
यव  था एवं  प्रशासन,   
यापािरक  ेिणयां, 
सािह  य;  वै  णव  एवं  शैल  धम   का  िवकास,  तिमल  भिक् 
त  आंदोलन,  शंकराचायर्;  वेदांत; 
मंिदर  सं  थाएं  एवं  मंिदर  थ
  ाप य
  ;  पाल  वंश,  सेन  वंश, रा ट्र
  कूट  वंश,  परमार  वंश,  रा य
  
  ा  एवं  प्रशासन,  सां  कृितक  पक्ष,  िसंध  के  अरब  िवजेता;  अलब नी,  क  याण  का 
 यव थ
चालक्
ु  य  वंश,  चोल  वंश;  होयशल  वंश,  पां य  वंश,  रा य
    
यव थ
  ा  एवं  प्रशासन;   थानीय 
शासन;  कला  एवं   थाप य
    का  िवकास,  धािमर्क  संप्रदाय;  मंिदर  एवं  मठ  सं  थाएं;  अग्रहार 
वंश, िशक्षा एवं सािह  य; अथर्  यवसथ
्  ा एवं समाज। 
     
12.    प्रारं िभक भारतीय सां  कृितक इितहास के प्रितपा य : 
    भाषाएं  एवं  मल
ू ग्रंथ,  कला  एवं   थाप  य  के  क्रम  िवकास  के  प्रमख
ु   चरण,  प्रमख
ु   दाशर्िनक 
िचंतक एवं शाखाएं, िवज्ञान एवं गिणत के क्षेत्र के िवचार। 
     

83 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
13.    प्रारं िभक म  यकालीन भारत, 750-1200 : 
     रा य
     यव  था: उ  तरी भारत एवं  प्राय वीप म प्रमख
ु  राजनैितक घटनाक्रम, राजपूत  
का उ गम एवं उदय। 
     चोल वंश : प्रशासन, ग्रामीण अथर्  यव  था एवं समाज 
     भारतीय सामंतशाही 
     कृिष अथर्  यव  था एवं नगरीय बि त
  यां 
     यापार एवं वािण य
    
     समाज: ब्रा  ण की ि  थित एवं नई सामािजक   यव  था 
     त्री की ि थ
    ित 
     भारतीय िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी 
       
14.    भारत की सां  कृितक परं परा, 750-1200 : 
     दशर्न: शंकराचायर् एवं वेदांत, रामानुज एवं िविश ट
  ा वैत, म य
   एवं ब्र म-मीमांसा। 
     धमर्:  धमर्  के   व प  एवं  िवशेषताएं,  तिमल  भिक् 
त,  संप्रदाय,  भिक् त  का  िवकास, 
लाम एवं भारत म इसका आगमन, सूफी मत। 
इ  
     सािह य
  :  सं  कृत  सािह  य,  तिमल  सािह य
    का  िवकास,  नविवकासशील  भाषाओं  का 
सािह  य, क  हण की राजतरं िगणी, अलब नी का इंिडया। 
     कला एवं    थाप  य, मूितर्िश  प, िचत्रकला। 
थाप  य : मंिदर   
       
15.    तेरहवीं शता  दी : 
     िद  ली स  तनत की   थापना : गोरी के आक्रमण- गोरी की सफलता के पीछे  कारक 
     आिथर्क, सामािजक एवं सां  कृितक पिरणाम 
     िद  ली स  तनत की   थापना एवं प्रारं िभक तुकर् सु  तान 
     सु ढ़ीकरण : इ तुिमश और बलबन का शासन। 
       
16.    चौदहवीं शता  दी : 
     िखलजी क्रांित। 
     अलाउ दीन िखलजी: िवज्ञान एवं क्षेत्र-प्रसार, कृिष एवं आिथर्क उपाय। 
     मुह  
मद तुगलक: प्रमुख प्रक  प, कृिष उपाय, मुह  
मद तुगलक की अफसरशाही। 
     िफरोज  तग
ु लक  :  कृिष  उपाय,  िसिवल  इंजीिनयरी  एवं  लोक  िनमार्ण  म  उपलि  धयां, 
िद ल
  ी। 
     स  तनत का पतन, िवदे शी संपकर् एवं इ  नबतूता का वणर्न। 
       
17.    तेरहवीं एवं चौदहवीं शता  दी का समाज, सं  कृित एवं अथर्  यव  था : 
     समाज;  ग्रामीण  समाज  की  रचना;  शासी  वगर्,  नगर  िनवासी,   
त्री,  धािमर्क  वगर्, 
स  तनत  के अंतगर्त जाित एवं दास प्रथा; भिक् त आंदोलन, सूफी आंदोलन। 
     सं  कृित  :  फारसी  सािह य
  ,  उ  तर  भारत  की  क्षेत्रीय  भाषाओं  का  सािह य
  ;  दिक्षण 

84 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
भारत की भाषाओं  का सािह य
  ; स  तनत   थाप  य  एवं  नए  थ
  ाप  य  प, िचत्रकला, 
सि  म  सं  कृित का िवकास। 
     अथर्   यव  था: कृिष उ  पादन, नगरीय अथर्  यव  था एवं  कृिषतर उ  पादन का उ भव, 
 यापार एवं वािण य
  । 
       
18.    पंद्रहवीं एवं प्रारं िभक सोलहवीं शता  दी- राजनैितक घटनाक्रम एवं अथर्  यव थ
  ा : 
     प्रांतीय  राजवंश   का  उदय:  बंगाल,  क म
  ीर  (जैनुल  आबदीन),  गुजरात,  मालवा, 
बहमनी। 
     िवजयनगर साम्रा य
  । 
     लोदीवंश। 
     मुगल साम्रा य
  , पहला चरण, बाबर एवं हुमायूँ। 
     सूर साम्रा य
  , शेरशाह का प्रशासन। 
     पुतग
र् ाली औपिनवेिशक प्रित ठ
  ान। 
       
19.    पंद्रहवीं एवं प्रारं िभक सोलहवीं शता  दी : समाज एवं सं  कृित : 
     क्षेत्रीय सां  कृितक िविश ट
  ताएं। 
     सािहि  यक परं पराएं। 
     प्रांतीय  थ
  ाप  य। 
     िवजयनगर साम्रा य
   का समाज, सं  कृित; सािह  य और कला। 
       
20.    अकबर : 
     िवजय एवं साम्रा  
य का सु ढ़ीकरण। 
     जागीर एवं मनसब   यव  था की  थ
  ापना। 
     राजपूत नीित। 
     धािमर्क एवं  सामािजक  ि  टकोण का िवकास, सुलह-ए-कुल का िस धांत एवं  धािमर्क 
नीित। 
     कला एवं प्रौ योिगकी को राज-दरबारी संरक्षण। 
       
21.    सत्रहवीं शता  दी म मुगल साम्रा  य : 
     जहांगीर, शाहजहां एवं औरं गजेब की प्रमख
ु  प्रशासिनक नीितयां 
     साम्रा य
   एवं जमींदार 
     जहांगीर, शाहजहां एवं औरं गजेब की धािमर्क नीितयां 
     मुगल रा  य का  व
  प 
     उ  तर सत्रहवीं शता  दी का संकट एवं िवद्रोह 
     अहोम साम्रा य
  
     िशवाजी एवं प्रारं िभक मराठा रा य
  
       

85 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
22.    सोलहवीं एवं सत्रहवीं शता  दी म अथर्  यव  था एवं समाज : 
     जनसंख्य
  ा, कृिष उ  पादन, िश  प उ  पादन 
     नगर,  डच,  अंग्रेजी  एवं  फ्रांसीसी  कंपिनय   के  मा य
  म  से  यूरोप  के  साथ  वािण य
  , 
 यापार क्रांित 
     यापारी वगर्, बिकंग, बीमा एवं ऋण प्रणािलयां 
भारतीय   
     िकसान  की दशा, ि  त्रय  की दशा 
     िसख समुदाय एवं खालसा पंथ का िवकास 
       
23.    मग
ु ल साम्रा य
  कालीन सं  कृित : 
     फारसी इितहास एवं अ  य सािह  य 
     िहंदी एवं अ  य धािमर्क सािह  य 
     मुगल   थाप  
य 
     मुगल िचत्रकला 
     प्रांतीय  थ
  ाप  य एवं िचत्रकला 
     शा  त्रीय संगीत 
     िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी 
       
24.    अठारहवीं शता  दी : 
     मुगल साम्रा य
   के पतन के कारक 
     क्षेत्रीय सामंत दे श, िनजाम का दकन, बंगाल, अवध 
     पेशवा के अधीन मराठा उ क
  षर् 
     मराठा राजकोषीय एवं िव त
  ीय   यव  था 
     अफगान शिक् त का उदय, पानीपत का यु ध-1761 
     िब्रिटश िवजय की पूव र् सं य
  ा म राजनीित, सं  कृित एवं अथर्  यव  था की ि थ
  ित 
 
 
प्र न
   पत्र – 2 
 
1.    भारत म यूरोप का प्रवेश : 

  ि् तयां;  पुतग
  प्रारं िभक  यूरोपीय  बस  र् ाली  एवं  डच,  अंग्रेजी  एवं  फ्रांसीसी  ई  ट  इंिडया  कंपिनयां; 
आिधप  य  के  िलए  उनके  यु ध;  कनार्टक  यु ध;  बंगाल  -  अंग्रेज   एवं  बंगाल  के  नवाब  के 
बीच संपकर्, िसराज और अंग्रेज;   लासी का यु ध;   लासी का मह  व। 
     
2.    भारत म िब्रिटश प्रसार : 
  सर  यु ध;  मैसूर,  मराठा;  तीन  अंग्रेज  -  मराठा 
  बंगाल-  मीर  जाफर  एवं  मीर  कािसम,  बक् 
यु ध; पंजाब 
     
86 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
3.    िब्रिटश रा य
   की प्रारं िभक संरचना : 
प्रारं िभक  प्रशासिनक  संरचना;  वैधशासन  से  प्र  
यक्ष  िनयंत्रण  तक;  रे गुलेिटंग  एक् 
ट(1773); 
िप स  इंिडया  एक् 
ट  (1784);  चाटर् र  एक्    र  एवं  िब्रिटश 
ट  (1833);  मुक् त   यापार  का  व
औपिनवेिशक शासन का बदलता   व प; अंग्रेज़ी उपयोिगतावादी और भारत। 
     
4.    िब्रिटश औपिनवेिशक शासन का आिथर्क प्रभाव : 
    (क)  िब्रिटश  भारत  म  भूिम  -  राज  व,  बंदोब त
  ;   
थायी  बंदोब त
  ;  रै यतवारी  बंदोब  त; 
महलवारी  बंदोब त
  ;  राज  व  प्रबंध  का  आिथर्क  प्रभाव;  कृिष  का  वािण य
  ीकरण; 
भिू महीन कृिष  िमक  का उदय; ग्रामीण समाज का पिरक्षीणन। 
    (ख)  पारं पिरक  य
  ापार एवं  वािण य
   का िव  थापन; अनौ योगीकरण; पारं पिरक िश  प की 
अवनित; धन का अपवाह; भारत का आिथर्क  पांतरण; टे लीग्राफ एवं  डाक सेवाओं 
समेत रे ल पथ एवं  संचार जाल; ग्रामीण भीतरी प्रदे श म दिु भर्क्ष एवं  गरीबी; यूरोपीय 
 यापार उ यम एवं इसकी सीमाएं। 
     
5.    सामािजक एवं सां  कृितक िवकास : 
     वदे शी िशक्षा की ि थ
  ित; इसका िव थ
  ापन; प्रा च
  िव -आंग्ल
  िव  िववाद, भारत म पि च
  मी 
िशक्षा का प्रा भार्व; प्रेस, सािह य
   एवं  लोकमत का उदय; आधुिनक मातभ    का 
ृ ाषा सािह य
उदय; िवज्ञान की प्रगित; भारत म िक्रि च
  यन िमशनरी के कायर्कलाप। 
     
6.    बंगाल एवं अ  य क्षेत्र  म सामािजक एवं धािमर्क सुधार आंदोलन : 
    रचंद्र  िव यासागर;  यव
  राममोहन  राय,  ब्र म  आंदोलन;  दे वे  द्रनाथ  टै गोर;  ई व ु ा  बंगाल 
आंदोलन;  दयानंद  सर  वती;  भारत  म  सती,  िवधवा  िववाह,  बाल  िववाह  आिद  समेत 
सामािजक  सुधार  आंदोलन;  आधुिनक  भारत  के  िवकास  म  भारतीय  पुनजार्गरण  का 
योगदान;  इ  लामी पुन वारविृ त
   - फराइजी एवं वहाबी आंदोलन। 
     
7.    िब्रिटश  शासन  के  प्रित  भारत  की  अनुिक्रया  :  रं गपुर  ढींग  (1783),  कोल  िवद्रोह  (1832), 
मालाबार म मोपला िवद्रोह (1841-1920), स  थाल हुल (1855), नील िवद्रोह (1859-60), 
दकन िव ल
  व (1875) एवं  मड
ुं ा उ ग
 लु ान (1899-1900) समेत 18वीं  एवं  19वीं  शता द
  ी 
म  हुए  िकसान  आंदोलन  एवं  जनजातीय  िव ल
  व;  1857  का  महािवद्रोह-उदगम,   व प, 
असफलता के कारण, पिरणाम; प च
   1857 काल म िकसान िव  लव के   व प म बदलाव; 
1920 और 1930 के दशक  म हुए िकसान आंदोलन। 
     
8.    भारतीय  रा ट्र
  वाद  के  ज  म  के  कारक  :  संघ   की  राजनीित;  भारतीय  रा  ट्रीय  कांग्रेस  की 
बुिनवाद; कांग्रेस के ज  म के संबंध म से टी वा  व का पक्ष; प्रारं िभक कांग्रेस के कायर्क्रम 
एवं  ल  य; प्रारं िभक कांग्रेस नेव ृ  व की सामािजक रचना; नरम दल एवं  गरम दल; बंगाल 
का  िवभाजन  (1905);  बंगाल  म   वदे शी  आंदोलन;   वदे शी  आंदोलन  के  आिथर्क  एवं 
राजनैितक पिरप्रे य
  ; भारत म क्रांितकारी उग्रपंथ का आरं भ। 

87 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
     
9.    गांधी  का  उदय  :  गांधी  के  रा ट्र
  वाद  का  व
  प;  गांधी  का  जनाकषर्ण;  रोलेट  स  याग्रह; 
िखलाफत  आंदोलन;  असहयोग  आंदोलन;  असहयोग  आंदोलन  समा  त  होने  के  बाद  म 
सिवनय  अवज्ञा  आंदोलन  के  प्रारं भ  होने  तक  की  रा  ट्रीय  राजनीित,  सिवनय  अवज्ञा 
  वाद  और 
आंदोलन  के  दो  चरण;  साइमन  कमीशन;  नेह   िरपोटर् ;  गोलमेज  पिरष ,  रा ट्र
िकसान  आंदोलन;  रा ट्र
  वाद  एवं  िमक  वगर्  आंदोलन;  मिहला  एवं  भारतीय  यव
ु ा  और 
भारतीय  राजनीित  म  छात्र  (1885-1947);  1937  का  चुनाव  तथा  मंत्रालय   का  गठन; 
िक्र स
   िमशन; भारत छोड़ो आंदेालन; वैरेल योजना; कैिबनेट िमशन। 
     
10.    औपिनवेिशक : भारत म 1958 और 1935 के बीच सांिवधािनक घटनाक्रम। 
     
    किड़यां  :  क्रांितकारी;  बंगाल,  पंजाब,  महारा  ट्र,  यू.पी.,  मद्रास 
11.    रा  ट्रीय  आंदोलन  की  अ य
प्रदे श, भारत से  बाहर, वामपंथ; कांग्रेस के अंदर का वाम पक्ष; जवाहर लाल नेह , सुभाष 
चंद्र बोस, कांग्रेस समाजवादी पाटीर्, भारतीय क  यिु न ट
   पाटीर्, अ  य वामदल। 
     
12.    अलगाववाद की राजनीित : मुि ल
  म लीग; िह  द ू महासभा; सांप्रदाियकता एवं  िवभाजन की 
राजनीित; स  ता का ह  तांतरण;   वतंत्रता। 
     
13.    एक रा ट्र
   के  प म सु ढ़ीकरण : नेह  की िवदे शी नीित; भारत और उसके पड़ोसी (1947-
1964)  रा य
    का  भाषावाद  पुनगर्ठन  (1935-1947);  क्षेत्रीयतावाद  एवं  क्षेत्रीय  असमानता; 
भारतीय  िरयासत   का  एकीकरण;  िनवार्चन  की  राजनीित  म  िरयासत   के  नरे श  (िप्रंस); 
रा  ट्रीय भाषा का प्र न
  । 
     
ृ ाित  व  :  उ  तर-औपिनवेिशक  िनवार्चन-राजनीित  म  िपछड़ी 
14.    1947  के  बाद  जाित  एवं  नज
जाितयां एवं जनजाितयां; दिलत आंदोलन। 
     
15.    आिथर्क िवकास एवं  राजनैितक पिरवतर्न : भिू म सध
ु ार; योजना एवं  ग्रामीण पन
ु रर् चना की 
राजनीित;  उ  तर  औपिनवेिशक  भारत  म  पािरि थ
  ितकी  एवं  पयार्वरण  नीित;  िवज्ञान  की 
तरक् 
की। 
     
16.    प्रबोध एवं आधुिनक िवचार : 
    (i)  प्रबोध के प्रमख
ु  िवचार; कांट,  सो 
    (ii)  उपिनवेश  म प्रबोध - प्रसार 
    (iii)  समाजवादी िवचार  का उदय (माक् 
स र् तक); माक् 
स र् के समाजवाद का प्रसार 
     
17.    आधुिनक राजनीित के मूल  ोत : 
    (i)  यरू ोपीय रा य
   प्रणाली 

88 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    (ii)  अमेिरकी क्रांित एवं संिवधान 
    (iii)  फ्रांिससी क्रांित एवं उसके पिरणाम, 1789-1815 
    (iv)  अब्राहम िलंकन के संदभर् के साथ अमरीकी िसिवल यु ध एवं दासता का उ  मूलन। 
    (v)  िब्रिटश  गणतंत्रा  मक  राजनीित,  1815-1850;  संसदीय  सुधार,  मुक् 
त   यापारी, 
चाटर् रवादी। 
       
18.    औ योगीकरण : 
    (i)  अंग्रेजी औ योिगक क्रांित: कारण एवं समाज पर प्रभाव 
    (ii)  अ  य दे श  म औ योिगकरण; य.ू एस.ए., जमर्नी,  स, जापान । 
    (iii)  औ योगीकरण एवं भूमंडलीकरण 
       
19.    रा ट्र
   रा य
   प्रणाली: 

    (i)  19वीं शता  दी म रा ट्र


  वाद का उदय 
    (ii)  रा ट्र
  वाद  िनमार्णजमर्नी और इटली म रा य
   : 
    (iii)  पूरे िव व
   म रा ट्र
  ीयता के आिवभार्व के समक्ष साम्रा य
   का िवघटन 
     
20.    साम्रा य
  वाद एवं उपिनवेशवाद: 
    (i)  दिक्षण एवं दिक्षणपूव र् एिशया- 
    (ii)  लातीनी अमरीका एवं दिक्षण अफ्रीका 
    (iii)  आ ट्र
 े िलया 
    (iv)  साम्रा य
  वाद एवं मुक् 
त   यापारवाद का उदयनव साम्रा य
   : 
     
21.    क्रांित एवं प्रितक्रांित : 
    (i)   यूरोपीय क्रांितयांवीं शता  दी19 
    (ii)  1917- 1921की  सी क्रांित 
    (iii)  फासीवाद प्रितक्रांित, इटली एवं जमर्नी 
    (iv)  की चीनी क्रांित 1949 
     
22.    िव व
   यु ध: 
    (i)  संपण
ू  र् यु ध के  प म प्रथम एवं  िधतीय िव व
   यु धसमाजीय िनिहताथर् : 
    (ii)  प्रथम िव व
   यु ध कारण एवं पिरणाम : 
    (iii)  िधतीय िव व
   यु ध कारण एवं पिरणाम : 
     
23.       यु ध के बाद का िव व
िधतीय िव व    : 
    (i)  दो शिक् 
तय  का आिवभार्व 
    (ii)  तत
ृ ीय िव व
   एवं गुटिनरपेक्षता का आिवभार्व 
    (iii)  संयुक् 
त रा  ट्र संघ एवं वैि व
  क िववाद 
89 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
     
24.    औपिनवेिशक शासन से मुिक् 
त : 
    (i)  लातीनी अमरीकाबोलीवर- 
    (ii)  अरब िव व
  –िम  
    (iii)  अफ्रीकारं गभेद से गणतंत्र तक- 
    (iv)  दिक्षण पव
ू  र् एिशयािवयतनाम- 
     
25.    िव: िवकासऔपिनवेशीकरण एवं अ  प- 
    िवकास के बाधक कारक लातीनी अमरीका:, अफ्रीका 
     
26.    यूरोप का एकीकरण : 
    (i)  यु धो  तर   थापनाएं NATO एवं यूरोपीय समुदाय यूर)◌ोिपयन क य
  िु नटी( 
    (ii)  यूरोपीय समुदाय य)ू रोिपयन क य
  ुिनटीसारका सु ढ़ीकरण एवं प्र ( 
    (iii)  यरू ोिपयाई संघ 
     
27.    सोिवयत यूिनयन का िवघटन एवं एक ध्रव
ु ीय िव व
   का उदय : 
    (i)  सोिवयत  सा य
  वाद  एवं  सोिवयत  यूिनयन  को  िनपात  तक  पहुचाने  वाले  कारक, 
1985-1991 
    (ii)  पूवीर् यूरोप म राजनैितक पिरवतर्न 1989-2001 
    (iii)  शीत यु ध का अंत एवं अकेली महाशिक् त के  प म U S का उ  कषर् 
 
िविध 
प्र न
   पत्र  - 1 
 
1.    सांिविधक एवं प्रशासिनक िविध : 

    1.  संिवधान एवं संिवधानवाद, संिवधान के सु  प  
ट लक्षण। 
       
    2.  मल
ू  अिधकारलोकिहत यािचका-, िविधक सहायता, िविधक सेवा प्रािधकरण। 
       
    3.  मूल अिधकार के बीच संबंध तथा मूल कतर्  य िनदे शक त  व-। 
       
    4.  रा ट्र
  पित की संवैधािनक ि  थित तथा मंित्रपिरषद के साथ संबंध। 
       
    5.  रा य
  पाल तथा उसकी शिक् 
तयां। 
       
    6.  उ  चतम   यायालय तथा उ च
     यायालय:  
      (क)  िनयुिक् 
त तथा   थानांतरण 
90 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
      (ख)  शिक् 
तयां, कायर् एवं अिधकािरता 
         
    7.  कद्र रा य
   एवं  थानीय िनकाय 
      (क)  संघ तथा रा य
   के बीच िवधायी शिक् 
तय  का िवतरण। 
      (ख)  थानीय िनकाय। 
      (ग)  संघ, रा य
   तथा  थ
  ानीय िनकाय  के बीच प्रशासिनक संबंध। 
      (घ)  सव पिर अिधकार।समुदाय संपि  त- संपि  तसामा  य-पित संरा य
  - 
       
    8.  िवधायी शिक् तयां, िवशेषािधकार एवं उ  मिु क् 
त। 
       
    9.  संघ एवं रा य
   के अधीन सेवाएं : 
      (क)  भतीर् एवं सेवा शत, सांिवधािनक सुरक्षा, प्रशासिनक अिधकरण। 
      (ख)  संघ लोक सेवा आयोग एवं रा य
   लोक सेवा आयोग - शिक् त एवं कायर्। 
      (ग)  िनवार्चन आयोग - शिक् त एवं कायर्। 
     
10.    आपात उपबंध 
     
11.    संिवधान संशोधन 
     
12.    नैसिगर्क   याय के िस धांतियक उपागमअिवभत
ूर्  होती प्रविृ तयां एवं   या- 
     
13.    प्र  यायोिजत िवधान एवं इसकी सांिवधािनकता। 
     
14.    शिक् तय  एवं सांिवधािनक शासन का पथ
ृ क् करण। 
     
15.    प्रशासिनक कारर् वाई का  य
  ाियक पुनिवर्लोकन । 
     
16.    ओ  
ब समैन लोकायुक् 
त :, लोकपाल आिद । 
अंतररा  ट्रीय िविध : 
 
1.    अंतररा  ट्रीय िविध की प्रकृित तथ पिरभाषा। 

     
2.    अंतररा  ट्रीय िविध तथा रा ट्र
  ीय िविध के बीच संबंध 
     
3.    रा य
   मा  यता तथा रा य
   उ  तरािधकार। 
     
4.    समुद्र िनयम अंतदशीय -जलमागर्, क्षेत्रीय समुद्र समीप  थ पिरक्षेत्र, महा धीपीय  उपतट, 
91 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
अन  य आिथर्क पिरक्षेत्र तथा महासमद्र
ु । 
     
5.     यिक् 
त, रा ट्र
  ीयता, रा य
  हीनता प्रिक्रयाएं।मानवािधकार तथा उनके प्रवतर्न के िलए उपल  ध- 
     
6.    रा य
   की क्षेत्रीय अिधकािरताप्र  य-पर्ण तथा शरण। 
     
7.    संिधयांिनमार्ण -, उपयोजन, पयर्वसान और आरक्षण। 
     
8.    संयक्
ु  त रा  ट्र - इसके प्रमख
ु  अंग, शिक् तयां, कृ  य और सध
ु ार। 
     
9.    िववाद  का शांितपूण र् िनपटारािविभ-  
न तरीके। 
     
10.    बल का िविधपूण र् आ त आक्रमण :, आ  मरक्षा, ह  तक्षेप। 
     
11.    अंतररा  ट्रीय मानववादी िविध के मूल िस धांत अंतररा  ट्रीय स  मेलन एवं समकालीन 
िवकास। 
    
12.    परमाणु अ  त्र  के प्रयोग की वैधता, परमाणु अ  त्र  के परीक्षण पर रोकपरमाणवीय अप्र-सार 
संिध, सी.टी.बी.टी.। 
     
13.    अंतररा  ट्रीय  आतंकवाद,  रा य
  प्रवितर्त  आतंकवाद,  उपाहरण,  अंतररा  ट्रीय  आपरािधक 
 यायालय। 
     
14.    नए  अंतररा  ट्रीय  आिथर्क  आदे श  तथा  मौिद्रक  िविध  WTO,  TRIPS,  GATT,  IMF,  िव व
  
बक। 
     
15.    मानव पयार्वरण का संरक्षण तथा सध
ु ार - अंतररा  ट्रीय प्रयास। 
 
प्र न
   पत्र 2 – 
अपराध िविध 
 
1.    आपरािधक दायि  व के सामा  य िस धांतित तथा आपरािधक कायर्। ि  थ:आपरािधक मन :
 :सांिविधक अपराध  म आपरािधक मनि थित। 
     
2.    दं ड के प्रकार एवं नई प्रविृ तयां जैसे िक म ृ  य ु दं ड उ  मूलन। 
     
3.    तैयािरयां तथा आपरािधक प्रयास 

92 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
     
4.    सामा  य अपवाद 
     
5.    संयुक् 
त तथा रचना  मक दािय व
  
     
6.    द ु  प्रेरण 
     
7.    आपरािधक ष यंत्र 
     
8.    रा य
   के प्रित अपराध 
     
9.    लोक शांित के प्रित अपराध 
     
10.    मानव शरीर के प्रित अपराध 
     
11.    संपि  त के प्रित अपराध 
    
12.     त्री के प्रित अपराध 
    
13.    मानहािन 
     
14.    भ्र  टाचार िनरोधक अिधिनयम,1988  
     
15.    िसिवल अिधकार संरक्षण अिधिनयम,रवतीर् िवधायी िवकासएवं उ  त 1955  
     
16.    अिभवयन सौदा 
अपकृ  य िविध : 
 
1.    प्रकृित तथा पिरभाषा 

     
2.    त्रिु ट का कठोर दािय व
   पर आधािरत दािय  व, आ यांितक दािय व
  
     
3.    प्रितिनिधक दािय  व, रा य
   दािय व
   सिहत 
     
4.    सामा  य प्रितरक्षा 
     
5.    संयुक् 
त अपकृ  यकतार् 
93 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
     
6.    उपचार 
     
7.    उपेक्षा 
     
8.    मानहािन 
     
9.    उ  पात (सस  
यू) 
     
10.    ष यंत्र 
     
11.    अप्रािधकृत बंदीकरण 
    
12.    िव वेषपण
ू  र् अिभयोजन 
    
13.    उपभोक् 
ता संरक्षण अिधिनयम, 1986 
संिवदा िविध और वािणि य
  क िविध : 
 
1.    संिवदा का   व प और िनमार्णदासंिव-ई/ 

     
2.     वतंत्र स  मित को दिू षत करने वाले कारक 
     
3.    शू  य, शू  यकरणीय, अवैध तथा अप्रवतर्नीय करार 
     
4.    संिवदा का पालन तथा उ म
  ोचन 
     
5.    संिवदाक प
  
     
6.    संिवदा भंग के पिरणाम 
     
7.    क्षितपूितर्, गांरटी एवं बीमा संिवदा 
     
8.    अिभकरण संिवदा 
     
9.    माल की िबक्री तथा अवक्रय (हायर परचेज) 
     
10.    भागीदारी का िनमार्ण तथा िवघटन 
94 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
     
11.    परक्रा य
   िलखत अिधिनयम, 1881 
    
12.    मा  य  
थम तथा सुलह अिधिनयम,1996  
    
13.    मानक  प संिवदा 
समकालीन िविधक िवकास : 
 
1.    लोकिहत यािचका 

     
2.    बौ िधक संपदा अिधकारनासंक  प-, प्रकारसंभावनाएं/ 
     
3.    सूचना प्रौ योिगकी िविध, िजसम साइबर िविधयां शािमल ह, संक  पना, प्रयोजनसंभावनाएं/ 
     
4.    प्रितयोिगता िविधनासंक  प-, प्रयोगसंभावनाएं।/ 
     
5.    वैकि प
  क िववाद समाधाननासंक  प-, प्रकारवनाएं।संभा/ 
     
6.    पयार्वरणीय िविध से संबंिधत प्रमुख कानून। 
     
7.    सूचना का अिधकार अिधिनयम। 
     
8.    संचार मा  यम   वारा िवचारण। (मीिडया) 
 
िन न
  िलिखत भाषाओं का सािह  य 
 
िट  पणी  
 
(1)    उ  मीदवार को संब ध भाषा म कुछ या सभी प्र न
   के उ  तर दे ने पड़ सकते ह। 

     
(2)    संिवधान  की  आठवीं  अनस
ु च
ू ी  म  सि  मिलत  भाषाओं  के  संबंध  म  िलिपयां  वही  ह गी  जो 
  -I के ख  ड IIम दशार्ई गई ह। (ख)  
प्रधान परीक्षा से संब ध पिरिश ट
     
(3)    उ  मीदवार  य
  ान  द  िक  िजन  प्र न
    के  उ  तर  िकसी  िविश ट
    भाषा  म  नहीं  दे ने  ह  उनके 
उ  तर  को िलखने  के िलये  वे  उसी मा  यम को अपनाएं  जो िक उ  ह ने  िनबंधन, सामा  य 
  क िवषय  के िलये चन
अ  ययन तथा वैकि प ु ा है । 

95 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
असिमया 
प्र न
   प्रत्र - 1 
(र असिमया म िलखने ह गेउ  त) 
खंड ‘क’ 
 
(क)    असिमया भाषा के उ गम और िवकास का इितहास -नआयर् भाषाओं म उसका   था-भारतीय-
 इसके इितहास के िविभ  नकालखंड- 
     
(ख)    असिमया ग य का िवकास 
     
(ग)    असिमया भाषा के   वर और  य
  ंजनप्राचीन भारतीय आय  से  चली आ रही असिमया पर  -
िनक पिरवतर्न िनयम।बलाघात के साथ   व 
     
(घ)    असिमया श  दावलीत।एवं इसके   त्रो- 
     
(ड.)    भाषा का  प िवज्ञान िक्रया- पय।पूवार् यी िनदशन एवं अिधकपदीय पर प्र  य- 
     
(च)    बोलीगत वैिव य
  –मानक बोलचाल एवं िवशेष  प से काम पी बोली। 
     
(छ)    उ  नीसंवी शता  दी तक िविभ  न युग  म असिमया िलिपय  का िवकास। 
 
खंड ‘ख’ 
 
सािहि  यक आलोचना और सािहि यक इितहास 
     
(क)    सािहि  यक आलोचना के िस धांत, नई समीक्षा 
     
(ख)    िविभ न
   सिहि य
  क िवधाएं 
     
(ग)    असिमया म सािहि  यक  प  का िवकास 
     
(घ)    असिमया म सिहि  यक आलोचना का िवकास 
     
(ड.)    चयार्गीत   के  काल  से  असिमया  सािह  य  के  इितहास  की  िब क
  ु ल  प्रारं िभक  प्रविृ  
तयां  और 
उनकी सामािजकशंकरदवे  -शंकरदे व-शंकरदवे  से  पहले-आिद असिमया :भूिमितक प ृ  ठसां  कृ-
आधुिनक  काल-के  बाद  र  काल  पर  िवशेष  बल  त यो  त  वा  (िब्रिटश  आगमन  के  बाद  से)

96 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
िदया जाना है । 
 
 
प्र न
   पत्र – 2 
 
इस प्र न
  पत्र म िनधार्िरत मल
ू  पा य पु  तक  को पढ़ना अपेिक्षत होगा और ऐसे प्र न
   पछ
ू े  जाएग िजनसे 
अ  यथीर् की आलोचना म
  क योग् 
यता की परीक्षा हो सके । उ  तर असिमया म िलखने ह गे। 
 
 
खंड ‘क’ 
 
 
रामायण ( कांडकेवल अयो  या)    माधव कदली  वारा   
पािरजातहरण-    शंकरदे व  वारा   
रासक्रीड़ा    शंकरदे व  वारा (कीतर्न घोष से)   
बरगीत    माधवदे व  वारा   
राजसूय    माधवदे व  वारा   
कथा कपु  त) भागवत-I एवं II(    बैकंु ठनाथ भ टाचायर्  वारा   
गु चिरत(केवल शंकरदे व का भाग) कथा-  -  संपादक महे व
  र िनयोग   
खंड ‘ख’ 
 
  रण 
मोर जीवन  म   ल म
  ीनाथ बेजब आ  वारा     
कृपाबार बराब आ    ल म
  ीनाथ बेजब आ  वारा   
काकतर       
तोपोला       
प्रितमा    चंद्र कुमार अगरवाला   
गांवबूढ़ा    प मनाथ गोहे न ब आ  वारा   
मनोमित    रजनीकांत बोरदोलोई  वारा   
पुरणी असिमया सािह य
     बानीकांत काकती  वारा   
आरीआंग िलिगरी    योित प्रसाद अगरवाला  वारा 
   
जीबनार बातत    बीना ब आ  वारा (िबिरंिच कुमार ब वा)   
म ृ  युंजय    बीरे  द्र कुमार भ टाचायर्  वारा   
सम्राट    नवकांत ब आ  वारा  बांग
ला 
प्र न
   पत्र - 1 
भाषा और सािह  य का इितहास 
 र बांगलाउ  त)म िलखने ह गे( 

97 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
खंड ‘क’ 
बांगला भाषा के इितहास के िवषय 
1.    आ य  भारोपीय  से  बांगला  तक  का  कालानुक्रिमक  िवकास  शाखाओं  सिहत  वंशवक्ष
ृ   एवं  )
(अनुमािनत ितिथयां 
     
2.    बांगला इितहास के िविभ  न चरण प्राचीन), म य
   एवं नवीन-एवं उनकी भाषा िवज्ञान (
।ताएंसंबंधी िविश  ट 
     
3.    बांगला की नीितयां एवं उनके िवभेदक लक्षण। 
     
4.    बांगला श  दावली के त  व 
     
5.    बांगला ग यसाधु एवं पितत- के  पसािह य
  - 
     
6.    अिपिनिहत  (िवप्रकषर्),  अिभ ुित  (उटउ  ला),  मूधर्  यीभवन  (नप्रितवे  ट),  नािसक् 
यीभवन 
(समीकरण) समीभवन (अनुनािसकृत), सा  य (एनेलोजी),   वरागम आिद  (वेशर सि  न  व)
र भिक् 
तरागम अथवा   व   वरागम म य
   व, अ  य   
वरागम,   वर संगित (वावल हामर्नी), 
Y -  ुित एवं W -  ुित 
     

7.    मानकीकरण  की  सम याएं  तथा  वणर्  माला  और  वतर्नी  तथा  िल यंतरण  और  रोमनीकरण 
का सुधार। 
     
8.    आधुिनक बांगला का  विनमिवज्ञान,  पिवज्ञान और वाक्य िव यास। (आधुिनक बांगला की 
  िनय , समु चयबोधक, श द रचनाएं, समास, मूल वाक्य अिभरचना। 

 
खंड 'ख' 
 
बांगला सािह य के इितहास के िवषय : 
 
1.    बांगला सािह य का काल िवभाजन : प्राचीन बांगला एवं म य
  कालीन बांगला। 
2.    आधुिनक तथा पूव-र् आधुिनक-पूव र् बांगला सािह य के बीच अंतर से संबंिधत िवषय। 
3.    बांगला सािह य म आधुिनकता के अ युदय के आधार तथा कारण। 
4.    िविभ न  म  यकालीन  बांगला  प   का  िवकास  :  मंगल  का य,  वै णव  गीितका य, 
पांतिरत आख्यान (रामायण, महाभारत, भागवत) एवं धािमर्क जीवनचिरत। 
5.    म यकालीन बांगला सािह य म धमर् िनरपेक्षता का  व प। 
6.    उ नीसवीं शता दी के बांगला का य म आख्यानक एवं गीितका या मक प्रविृ यां। 
7.    ग य का िवकास। 

98 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
8.    बांगला नाटक सािह य (उ नीसवीं शता दी, टै गोर, 1944 के उपरांत के बांगला नाटक)। 
9.    टै गोर एवं टै गोरो र। 
10.    कथा  सािह य,  प्रमुख  लेखक  :  (बंिकमच द्र,  टै गोर,  शरतच द्र,  िवभूितभूषण,  ताराशंकर, 
मािणक)। 
11.    नारी एवं बांगला सािह य : सजर्क एवं सिृ जत। 
 
प्र न
   पत्र  - 2 
िव तत
ृ  अ  ययन के िलए िनधार्िरत पु तक 
(उ र बांगला म िलखने ह गे) 
खंड 'क' 
1.    वै णव पदावली : (कलक ा िव व
  िव यालय) िव यापित, चंडीदास, ज्ञानदास, गोिव ददास 
एवं बलरामदास की किवताएं. 
2.    चंडीमंगल : मुकु द  वारा कालकेतु वत
ृ ा त, (सािह य अकादमी). 
3.    चैत य चिरतामत
ृ  : म य लीला, कृ णदास किवराज रिचत (सािह य अकादमी) 
4.    मेघनादवध का य : मधुसूदन द ा रिचत। 
5.    कपालकु डला : बंिकमचंद्र चटजीर् रिचत। 
6.    समय एवं बंगदे शरे  कृषक : बंिकमचंद्र चटजीर् रिचत। 
7.    सोनार तारी : रवी द्रनाथ टै गोर रिचत। 
8.    िछ नपत्रावली : रवी द्रनाथ टै गोर रिचत। 
 
 
खंड 'ख' 
 
9.    तकरबी : रवी द्रनाथ टै गोर रिचत। 
रक् 
10.    नबजातक : रवी द्रनाथ टै गोर रिचत। 
11.    गह
ृ दाह : शरतच द्र चटजीर् रिचत। 
12.    प्रबंध संग्रह : भाग-1, प्रमथ चौधरी रिचत। 
13.    अर यक : िवभिू तभष
ू ण बनजीर् रिचत। 
14.    कहािनयां  :  मािणक  बं योपाधयाय  रिचत  :  अताशी  मामी,  प्रागैितहािसक,  होलुद-पोरा, 
सरीसप
ृ , हारानेर, नटजमाई, छोटो-बोकुलपुरेर जात्री, कु ठरोगीर बौऊ, जाके घुश िदते होय। 
15.    े ठ किवता : जीवनाचंद दास रिचत। 
16.    जानौरी : सतीनाथ भादड़ु ी रिचत। 
17.    इंद्रजीत : बादल सरकार रिचत। 
 
बोडो 
प्र न
   पत्र  - 1 
बोडो भाषा एवं सािह य का इितहास 
99 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(उ र बोडो भाषा म ही िलख) 
खंड 'क' 
बोडो भाषा का इितहास 
1.    वदे श,  भाषा  पिरवार,  इसकी  वतर्मान  ि थित  एवं  असमी  के  साथ  इसका  पार पिरक 
संपकर्। 
2.    (क)  विनम :  वर तथा  यंजन  विनम। 
    (ख)  विनयां। 
3.    पिवज्ञान : िलंग, कारक एवं िवभिक् 
त यां, बहुवचन, प्र यय,  यु प न, िक्रयाथर्क प्र यय। 
4.    श द समूह एवं इनके  ोत। 
5.    वाक्य िव यास : वाक्य  के प्रकार, श द क्रम। 
6.    प्रार भ से बोडो भाषा को िलखने म प्रयक्
ु  त िलिप का इितहास। 
 
खंड 'ख' 
बोडो सािह य का इितहास 
 
1.    बोडो लोक सािह य का सामा य पिरचय। 
2.    धमर् प्रचारक  का योगदान। 
3.     बोडो सािह य का कालिवभाजन। 
4.     िविभ न  िवधाओं  का  आलोचना मक  िव ल
  ेषण.  (का य,  उप यास,  लघ 
ु -  कथा  तथा 
  नाटक)। 
5.     अनुवाद सािह य। 
प्र न
   पत्र – 2 
 
इस  प्र न
    पत्र  म  िनधार्िरत  पा य  पु तक   का  मूल-अ  ययन  अपेिक्षत  होगा  और  परीक्षा  म  उ मीदवार  की 
आलोचना मक योग्यता को जांचने वाले प्र न
   पछ
ू े  जाएंगे. 
(उ र बोडो भाषा म ही िलख) 
 
खंड 'क' 
(क)    खो थई – मेथई  
(मादाराम ब्र मा तथा  पनाथ ब्र मा  वारा संपािदत) 
(ख)    हथोरखी - हला 
(प्रमोदचंद्र ब्र मा  वारा संपािदत) 
(ग)    बोरोनी गुडी िस साअवर् अरोज मादाराम ब्र मा  वारा 
(घ)    राजा नीलांबर -  वरे द्र नाथ बासुमतारी. 
(ङ)     िबबार (ग य खंड) 
(सतीशचंद्र बासम
ु तारी  वारा संपािदत) 
 
100 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
खंड 'ख' 
 
(क)    िगबी िबठाई (आइदा नवी) : िबहुराम बोडो 
(ख)    रादाब : समर ब्र मा चौधरी 
(ग)    ओखरं ग ग गसे नंगोऊ : ब्रजद्र कुमार ब्र मा 
(घ)    बैसागु अवर् हिरमू: लक्षे व
  र ब्र मा 
(ङ)    ग्वादान बोडो : मनोरं जन लहारी 
(च)    जुजैनी ओर : िचतरं जन मुचहारी 
(छ)    वीहूर : धरािनधर वारी 
(ज)    होर बड़ी र व सी : कमल कुमार ब्र मा 
(झ)    जओिलया दीवान : मंगल संह होजोवरी 
(ञ)    हागरा गुदन
ु ी  वी : नीलकमल ब्र मा 
डोगरी 
प्र न
   पत्र  - 1 
डोगरी भाषा एवं सािह य का इितहास 
(उ र डोगरी म िलखे जाएं) 
खंड 'क' 
डोगरी भाषा का इितहास 
 
1.    डोगरी भाषा : िविभ न अव थाओं के  वारा उ पि  एवं िवकास। 
2.    डोगरी एवं इसकी बोिलयां भाषाई सीमाएं। 
3.    डोगरी भाषा के िविश ट लक्षण। 
4.    डोगरी भाषा की संरचना : 
    (क)  विन संरचना : 
      खंडीय  वर एवं  यंजन : 
      अखंडीय दीघर्ता :, बलाघात, नािसक्यरं जन, सुर एवं संिध। 
    (ख)  डोगरी का पदरचना िवज्ञान 
      (i)  प रचना वगर् : िलंग, वचन, कारक, पु ष, काल एवं वा य। 
      (ii)  श द िनमार्ण : उपसग , म यप्र यय  तथा प्र यय  का उपयोग। 
      (iii)  श द समह
ू  : त सम, त भव, िवदे शीय एवं दे शज।  
    (ग)  वाक्य रचना : सवार्ंग वाक्य - उनके प्रकार तथा अवयव, डोगरी वाक्य िव यास म 
अ वय तथा अि वित। 
5.    डोगरी भाषा एवं िलिप : डोगरे /डोगरा अक्खर, दे वनागरी तथा फारसी। 
खंड 'ख' 
डोगरी सािह य का इितहास 
1.    वतंत्रतापव
ू  र् डोगरी सािह य का संिक्ष-  
त िववरण प य एवं ग य। 

101 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
2.    आधिु नक डोगरी का य का िवकास तथा डोगरी का य की मख्
ु य प्रविृ यां। 
3.    डोगरी लघुकथा का िवकास, मुख्य प्रविृ यां तथा प्रमुख लघुकथा लेखक। 
4.    डोगरी उप यास का िवकास, मुख्य प्रविृ यां तथा डोगरी उप यासकार  का योगदान। 
5.    डोगरी नाटक का िवकास तथा प्रमुख नाटककार  का योगदान। 
6.    डोगरी ग य का िवकास िनबंध :, सं मरण एवं यात्राव ृ । 
7.    डोगरी लोक सािह य का पिरचय लोकगीत :, लोककथाएं तथा गाथागीत। 
       
प्र न
   पत्र  - 2 
डोगरी सािह य का पाठालोचन 
(उ र डोगरी म िलखे जाएं) 
खंड 'क' 
प य : 
1.    आजादी पै ले दी डोगरी किवता 
    िन निलिखत किव : 
दे वी िद ा, लक्खू, गंगा राम, रामधन, हरद , पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम तथा परमानंद 
अलम त। 
     
2.    आधुिनक डोगरी किवता 
    आजादी बाद दी डोगरी किवता 
    िन निलिखत किव -: 
िकशन  माइलपुरी, तारा  माइलपुरी, मोहन लाल सपोिलया, यश शमार्, केमधुकर .एस., 
प मा सचदे व, िजते द्र ऊधमपरु ी, चरण िसंह तथा प्रकाश प्रेमी। 
     
3.    ीराजा डोगरी सं. 102, गज़ल अंक 
    िन निलिखत किव : 
राम  लाल  शमार्,  वेद  पाल  दीप,  एनजा वाल  .डी.,  िशव  राम  दीप,  अि व
 न  ी  मगोत्रा  तथा 
वीरे द्र केसर। 
     
4.    ीराजा डोगरी सं. 147, गज़ल अंक 
    िन निलिखत किव -: 
आरशा त्री .एन., िजते द्र ऊधमपरु ी, चंपा शमार् तथा दशर्न दशीर्। 
     
5.    श भू नाथ शमार्  वारा रिचत 'रामायण' (महाका य) (अयो या का ड तक) 
     
6.    दीनू भाई पंत  वारा रिचत 'वीर गुलाब' (ख ड का य)। 
 

102 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
खंड 'ख' 
ग य : 
 
1.    अजकणी डोगरी कहानी 
    िन निलिखत लघु कथा लेखक : 
मदन मोहन शमार्, नरे द्र खजूिरया तथा बीसाठे  .पी.। 
     
2.    अजकणी डोगरी कहानी भाग-II 
    िन निलिखत लघु कथा लेखक : 
वेद  राही,  नरिसंह  दे व  जा वाल,  ओम  गो वामी,  छत्रपाल,  लिलत  मगोत्रा,  चमन  अरोड़ा 
तथा रतन केसर। 
     
3.    कथा कंु ज भाग-II 
    िन निलिखत कथा लेखक : 
ओम िव याथीर्, च पा शमार् तथा कृ ण शमार्। 
     
4.    ब धु शमार्  वारा रिचत 'मील प थर' (लघु कथा संग्रह) 
     
5.    दे श ब धु डोगरा नूतन  वारा रिचत 'कैदी' (उप यास) 
     
6.    ओ.पी. शमार् सारथी  वारा रिचत 'नंगा  क्ख' (उप यास)। 
     
7.    मोहन िसंह  वारा रिचत 'नयान' (नाटक) 
     
8.    सतरं ग (एकांकी नाटकी संग्रह) 
    िन निलिखत नाटककार : 
  नाथ  खजिू रया,  राम  नाथ  शा त्री,  िजते द्र  शमार्,  लिलत  मगोत्रा  तथा  मदन  मोहन 
िव व
शमार् 
     
9.    डोगरी लिलत िनबंध 
    िन निलिखत लेखक -: 
  नाथ खजूिरया, नारायण िम ा, बालकृ ण शा त्री, िशवनाथ,  याम लाल शमार्, ल मी 
िव व
नारायण, डीप्रशांत .सी., वेद घई, कंु वर िवयोगी। 
 
अंग्रेजी 
इस  पा यक्रम  के  दो  प्र न
    पत्र  ह गे  इसम  .िनधार्िरत  पा य  पु तक   म  से  िन निलिखत  अविध  के  अंग्रेजी 
सािह य का मूल अ  ययन अपेिक्षत होगा िजससे उ मीदवार की समीक्षाक्षमता की जांच हो सके-। 
103 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
प्र न
   पत्र-I  :  1600-1900 
प्र न
   पत्र-II  :  1900-1990 
 
प्र येक प्र न
   पत्र म दो प्र न
   अिनवायर् ह गे : 
 
(क)    एक लघु-िट पण प्र न
   सामा य अ  ययन से संबंिधत िवषय पर होगा और 
     
(ख)    ग य तथा प य दोन  के अनदे खे उ धरण  का आलोचना मक िव  लेषण होगा। 
 
प्र न
   पत्र  - I 
(उ र अंग्रेजी म िलखने ह गे) 
 
िव तत
ृ  अ य
  यन  के  िलए  पाठ  नीचे  िदए  गए  ह.  अ यिथर्य   से  िन निलिखत  िवषय   तथा  घटनाओं  के 
िव तत
ृ  ज्ञान की अपेक्षा की जाएगी  नेसाँिद िर :; एिलजाबेथन ए ड जेकोिवयन ड्रामा, मेटािफजीकल पोयट्री; 
िद  एिपक  ए ड  िदम-◌ोक  एिपक;  नवक्लािसकीवाद;  सैटायर;  िद  रोमाि टक  मूवमट;  िद  राइज़  ऑफ  िद 
नावेल; िद िवक्टोिरयन एज। 
 
खंड 'क' 
1.    िविलयम शेक्सिपयर : िकंगिलयर और िद टै पै ट 
2.    जान डन - िन निलिखत किवताएं : 

1.  केनोनाईजेशन 

    2.  डेथ बी नाट प्राउड 

    3.  िद गड
ु  मोरो 
      ऑन िहज िम ट्रे ज गोइंग टु बेड 
      िद रै िलक 
3.    जॉन िम टन-पैराडाइज लॉ ट I, II, IV, IX 

4.    अलेक्जडर पोप - िद रे प आफ िद लॉक 

    -  िविलयम वडर् वथर् - िन निलिखत किवताएं : 

    -  ओड आन इंिटमेशस
ं  आफ इ मोरटै िलटी 

    -  िटंटनर् एबे 

    -  थ्री यीअसर् शी िग्रयू 

104 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    -  शी  वे ट अमंग अनट्रोडन वेज़ 

    -  माइकेल 

    -  रे जो यश
ू न एंड इंिडपडे स 

    -  िद व डर् इज टू मच िवद अस 

    -  िम टन दाउ शु ट बी िलिवंग एट िदस आवर 

    -  अपॉन वे टिम टर िब्रज 

5.    अ फ्रेड टे नीसन : इन मेमोिरयम 

6.    है निरक इ सन : ए डॉ स हाउस 

 
खंड 'ख' 
 
1.    जोनाथन ि व ट - गिलवसर् ट्रे व स 
     
2.    जेन ऑ टन - प्राइड एंड प्रेजुिडस 
     
3.    हे नरी फीि डंग - टॉम जॉ स 
     
4.    चा सर् िडक स - हाडर् टाइ स 
     
5.    जाजर् इिलयट - िद िमल ऑन िद  लोस 
     
6.    टॉमस हाडीर् - टे स आफ िद िड अबर्रिव स 
     
7.    माकर्  वेनिद एडवचसर् आफ हकलबेरी िफन - । 
 
प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र अंग्रेजी म िलखने ह गे) 
 
िव तत
ृ  अ य
  यन  के  िलए  पाठ  नीचे  िदए  गए  ह।  अ यिथर्य   से  िन निलिखत  िवषय   और  आ दोलन   का 
यथे ट ज्ञान भी अपेिक्षत होगा। 
आधुिनकतावाद पोय स आफ िद थटीर्ज :; िद  ट्रीम आफ कांशसनेस नावेल; ए सडर् ड्रामा; उपिनवेशवाद तथा 
उ रउपिनवेशवाद-;  अंग्रेजी  म  भारतीय  लेखन;  सािह य  म  माक्सर्वादी,  मनोिव ल
  ेषणा मक  और  नारीवादी 
ि टयां; उ र-आधुिनकतावाद। 

105 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
खंड 'क' 
 
1.    िविलयम बटलर यी स - िन निलिखत किवताएं : 
    -  ई टर 1916 
    -  िद सैकंड किमंग 
    -  ऐ प्रेयर फार माई डाटर 
    -  सेिलंग टु बाइजिटयम 
    -  िद टावर 
    -  अमंग  कूल िच ड्रन 
    -  लीडा ए ड िद  वान 
    -  मे   
    -  लेिपस लेजुली 
    -  द सैके ड किमंग 
    -  बाईजिटयम 
       
2.    टी.एस. इिलयट - िन निलिखत किवताएं : 
    -  िद लव सॉ ग आफ जे. अ फ्रेड प्रफ्र
ू ाक 
    -  जनीर् आफ िद मेजाइ 
    -  ब टर्  नाटर् न 
       
3.    डब यू एच आडेन - िन निलिखत किवताएं 
    -  पाटीर्शन 
    -  यूजी दे   यू आटर् स 
    -  इन मेमोरी आफ डब य 
ू बी. यी स 
    -  ले यूअर  लीिपंग है ड, माई लव 
    -  िद अननोन िसिटजन 
    -  कि सडर 
    -  मंड
ु स ऐट इ फे स 
    -  िद शी ड आफ एिकलीज 
    -  सैपटे बर 1, 1939 
    -  पेटीशन 
     
4.    जॉन आसबोनर् - लुक बैक इन एंगर 
     
5.    सै यअ
ु ल बैकेट : वेिटंग फार गोडो 

106 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
     
6.    िफिलप लारिकन - िन निलिखत किवताएं : 
    -  नैक् ट 
    -  लीज 
    -  िडसै श स 
    -  आ टरनू स 
    -  डेज़ 
    -  िम टर  लीनी 
       
7.    ए.के. रामानज
ु न : िन निलिखत किवताएं : 
    -  लुिकंग फार ए कजन आन ए ि वंग 
    -  ए िरवर 
    -  आफ मदसर्, अमंग अदर िथग्ं स 
    -  लव पोयम फार ए वाईफ-1 
    -  माल -  केल िर लैकश स 
    -  आन ए ग्रेट हाउस 
    -  ओिबचुएरी 
       
    (ये  सभी किवताएं  आर पाथर्सारथी  वारा स पािदत तथा आक्सफोडर्  यिू नविसर्टी प्रेस, नई 
िद ली  वारा प्रकािशत, दसवीं-बीसवीं शता दी के भारतीय किवय  के संग्रह म उपल ध ह) 
 
खंड 'ख' 
 
1.    जोसेफ कोनरे ड : लाडर् िजम 
     
2.    जे स  वायस : पोट्रे ट आफ िद आिटर् ट एज ए यंग मैन 
     
3.    डी.एच. लारस : स स ए ड लवसर् 
     
4.    ई.एम. फो टर् र : ए पैसेज टु इंिडया 
     
5.    वजीर्िनया वू फ : िमसेज डेलोवे 
     
6.    राजा राव : कांथापुरा 
     
7.    वी.एस. नायपाल : ए हाउस फार िम टर िब वास 

107 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
गुजराती 
प्र न
   पत्र - 1 
(उ र गज
ु राती म िलखने ह गे) 
खंड 'क' 
 
गुजराती भाषा  व प तथा इितहास : 
 
1.    गज
ु राती भाषा का इितहास : आधिु नक भारतीय आयर्  भाषा के िपछले  एक हजार वषर्  के 
िवशेष संदभर् म. 
2.    गुजराती  भाषा  की  मह वपूण र् िवशेषताएं  :  विनम  िवज्ञान,  प  िवज्ञान  तथा  वाक्य 
िव यास. 
3.    प्रमुख बोिलयां : सूरती, पाटणी, चरोतरी तथा सौरा  ठी 
    गुजराती सािह य का इितहास : 
    म ययग
ु ीन 
4.    जैन पर परा 
5.    भिक् 
त पर परा : सगण
ु  तथा िनगण
ुर्  (ज्ञानमागीर्)  
6.    गैर स प्रदायवादी पर परा (लौिकक पर परा) 
    आधुिनक 
7.    सुधारक युग 
8.    पंिडत युग 
9.    गांधी यग
ु  
10.    अनुगांधी युग 
11.    आधुिनक युग 
खंड 'ख' 
 
सािहि यक  व प (िन निलिखत सािहि यक  व प  की प्रमुख िवशेषताएं, इितहास और िवकास) 
 
(क)    म ययुग 
1.    वत
ृ ा त : रास, आख्यान तथा प यवातार् 
2.    गीितका य : पद 
(ख)    लोक सािह य 
3.    भवाई 
(ग)    आधुिनक 
4.    कथा सािह य : उप यास तथा कहानी. 
5.    नाटक 

108 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
6.    सािहि यक िनबंध 
7.    गीितका य 
(घ)    आलोचना 
8.    गुजराती की सै धांितक आलोचना का इितहास 
9.    लोक पर परा म नवीनतम अनुसंधान 
 
प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र गज
ु राती म िलखने ह गे) 
 
इस प्र न
   पत्र म िनधार्िरत पा य पु तक  का मल
ू  अ य
  यन अपेिक्षत होगा और ऐसे प्र न
   पछ
ू े  जाएंगे िजससे 
उ मीदवार की समीक्षा क्षमता की जांच हो सके। 
खंड 'क' 
 
1.    म ययुग 
    (i)  वसंत िवलास फागु : अज्ञातकृत 
    (ii)  काद बरी : भालण 
    (iii)  सुदामा चिरत्र : प्रेमानंद 
    (iv)  चंद्र चंद्रावतीनी वातार् : शामल 
    (v)  अखेगीता : अखो 
     
2.    सुधारक युग तथा पंिडत युग 
    (vi)  मारी हकीकत : नमर्दाशंकर दवे 
    (vii)  फरबसवीरा : दलपतराम 
    (viii)  सर वती चंद्र-भाग 1 : गोवधर्नराम ित्रपाठी 
    (ix)  पूवार्लाप : 'कांत' (मिणशंकर र  
नाजी भ ट) 
    (x)  राइनो पवर्त : रमणभाई नीलकंठ 
 
खंड 'ख' 
 
1.    गांधी यग
ु  तथा अनग ु  
ु ांधी यग
    (i)  िह द  वराज : मोहनदास करमचंद गांधी 
    (ii)  पाटणनी प्रभत
ु ा : क है यालाल मुंशी 
    (iii)  का यनी शिक् त : राम नारायण िव व
  नाथ पाठक 
    (iv)  सौरा ट्रनी रसधार-भाग 1 : भवेरचंद मेघाणी 
    (v)  मानवीनी भवाई : प नालाल पटे ल 
    (vi)  व
  िन : राजे द्र शाह 

109 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
     
2.    आधुिनक युग 
    (vii)  स  तपदी : उमाशंकर जोशी 
    (viii)  जनाि तके : सुरेश जोशी 
    (ix)  अ व
  थामा : िसता श ु यशरचंद्र 
 
िह दी 
प्र न
   पत्र  - 1 
(उ र िह दी म िलखने ह गे) 
खंड 'क' 
 
1.    िह दी भाषा और नागरी िलिप का इितहास 
    (i)  अपभ्रंश, अवह ट और प्रारं िभक िह दी का  याकरिणक तथा अनप्र
ु यक्
ु  
त  व प। 
    (ii)  म यकाल म ब्रज और अवधी का सािहि यक भाषा के  प म िवकास। 
    (iii)  िस धनाथ सािह य, खुसरो, संत सािह य, रहीम आिद किवय  और दिक्खनी िह दी 
म खड़ी बोली का प्रारं िभक  व प। 
    (iv)  उ नीसवीं शता दी म खड़ी बोली और नागरी िलिप का िवकास। 
    (v)  िह दी भाषा और नागरी िलिप का मानकीकरण। 
    (vi)  वतंत्रता आ दोलन के दौरान रा ट्र
   भाषा के  प म िह दी का िवकास। 
    (vii)  भारतीय संघ की राजभाषा के  प म िह दी का िवकास। 
    (viii)  िह दी भाषा का वैज्ञािनक और तकनीकी िवकास। 
    (ix)  िह दी की प्रमुख बोिलयां और उनका पर पर संबंध। 
    (x)  नागरी िलिप की प्रमख
ु  िवशेषताएं  और उसके सध
ु ार के प्रयास तथा मानक िह दी 
का  व प। 
    (xi)  मानक िह दी की  याकरिणक संरचना। 
 
खंड 'ख' 
2.    िह दी सािह य का इितहास 
    िह दी  सािह य  की  प्रासंिगकता  और  मह व  तथा  िह दी  सािह य  के  इितहासलेखन  की  -
पर परा। 
    िह दी सािह य के इितहास के िन निलिखत चार काल  की सािहि यक प्रविृ यां। 
    (क)  आिदकाल : िस ध, नाथ और रासो सािह य।  
      प्रमुख किव : चंदबरदाई, खुसरो, हे मचंद्र, िव यापित। 
    त  काल  :  संत  का य  धारा,  सूफ़ी  का यधारा,  कृ ण  भिक् त 
(ख)  भिक्  धारा  और  राम 
भिक् 
त धारा। 
      प्रमुख किव : कबीर, जायसी, सूर और तुलसी। 

110 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    (ग)  रीितकाल : रीितका य, रीितब धका य, रीितमक्
ु त   का य 
      प्रमुख किव : केशव, िबहारी, पदमाकर और घनानंद। 
    (घ)  आधुिनक काल : 
      क.  नवजागरण, ग य का िवकास, भारते द ु मंडल 
      ख.  प्रमुख लेखक : भारते द,ु  बाल कृ ण भ ट और प्रताप नारायण िम । 
      ग.  आधुिनक िह दी किवता की मुख्य प्रविृ यां। 
        छायावाद,  प्रगितवाद,  प्रयोगवाद,  नई  किवता,  नवगीत,  समकालीन  किवता 
और जनवादी किवता। 
         
      प्रमुख किव : 
मैिथलीशरण  गु  त,  जयशंकर  'प्रसाद',  सय
ू क
र् ांत  ित्रपाठी  'िनराला',  महादे वी  वमार्, 
रामधारी िसंह 'िदनकर', सि चदानंद वा यायन 'अज्ञेय', गजानन माधव मुिक् 
तब  ोध, 
नागाजुन
र् । 
         
3.    कथा सािह य 
    क.  उप यास और यथार्थवाद 
    ख.  िह दी उप यास  का उ भव और िवकास 
    ग.  प्रमुख उप यासकार 
      प्रेमच द, जैने द्र, यशपाल, रे णु और भी म साहनी 
    घ.  िह दी कहानी का उ भव और िवकास 
    ङ  प्रमख
ु  कहानीकार 
      प्रेमच द,  जयशंकर  'प्रसाद,'  सि चदानंद  वा यायन,  'अज्ञेय,'  मोहन  राकेश  और 
कृ णा सोबती। 
         
4.    नाटक और रं गमंच 
    क.  िह दी नाटक का उ भव और िवकास। 
    ख.  प्रमख
ु   नाटककार  :  भारते द,ु   जयशंकर  'प्रसाद,'  जगदीश  चंद्र  माथरु ,  रामकुमार 
वमार्, मोहन राकेश। 
    ग.  िह दी रं गमंच का िवकास। 
         
5.    आलोचना : 
    क.  िह दी  आलोचना  का  उ भव  और  िवकास  -  सै धांित 
क,  यावहािरक,  प्रगितवादी, 
मनोिव ल
  ेषणवादी, आलोचना और नई समीक्षा। 
         
    ख.  प्रमुख आलोचक 
      रामचंद्र शक्
ु ल, हजारीप्रसाद  िववेदी, रामिवलास शमार् और नगे द्र। 

111 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
         
6.    िह दी ग य की अ य िवधाएं :   
    लिलत िनब ध, रे खािचत्र, सं मरण, यात्रा वत
ृ ा त। 
 
प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र िह दी म िलखने ह गे) 
इस प्र न
   पत्र म िनधार्िरत मल
ू  पा य पु तक  को पढ़ना अपेिक्षत होगा और ऐसे  प्र न
   पछ
ू े  जाएंगे  िजनसे 
अ यथीर् की आलोचना मक क्षमता की परीक्षा हो सके। 
 
खंड 'क' 
 
1.    कबीर  :  कबीर ग्रंथावली (आरं िभक 100 पद) 
    संपादक  :  याम सु दरदास 
2.    सूरदास  :  भ्रमरगीत सार (आरं िभक 100 पद) 
    संपादक   : रामचंद्र शक्
ु ल 
  
3.    तुलसीदास  :  रामचिरत मानस (सुंदर का ड) 
        किवतावली (उ र का ड). 
4.    जायसी  :  पदमावत (िसहं ल वीप ख ड और नागमती िवयोग ख ड) 
    संपादक    ाम सु दरदास 
:  य
5.    िबहारी  :  िबहारी र न
  ाकर (आरं िभक 100 दोहे ) 
    संपादक  :  जग नाथ दास र  नाकार 
6.    मैिथलीशरण गु  त  :  भारत भारती 
7.    जयशंकर 'प्रसाद'  :  कामायनी (िचंता और  धा सगर्) 
8.    सूयक
र् ांत ित्रपाठी 'िनराला'  :  राग-िवराग (राम की शिक् 
त पूजा और कुकुरमु ा) 
 
    संपादक   : राम िवलास शमार् 
  
9.    रामधारी िसंह 'िदनकर  :  कु क्षेत्र 
10.    अज्ञेय  :  आंगन के पार  वार (असा  य वीणा) 
11.    मुिक् 
त बोध  :  ब्र मराक्षस 
12.    नागाजन
ुर्   :  बादल को िघरते  दे खा है , अकाल और उसके बाद, हिरजन 
गाथा। 
    
खंड 'ख' 
 

112 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
1.    भारते द ु :  भारत दद
ु र् शा 
2.    मोहन राकेश  :  आषाढ़ का एक िदन 
3.    रामचंद्र शक्
ु ल  :  िचंतामिण (भाग-1) 
    (किवता क्या है ,  धा और भिक् 
त ). 
4.    िनबंध िनलय, संपादक : डा. स ये द्र, बाल कृ ण भ ट, प्रेमच द, गुलाब राय, हजारीप्रसाद 
िववेदी, राम िवलास शमार्, अज्ञेय, कुबेर नाथ राय. 
5.    प्रेमचंद  :  गोदान, 'प्रेमचंद की सवर् े ठ कहािनयां, 
    संपादक  :  अमत
ृ  राय 
    मंजुषा  :  प्रेम चंद की सवर् े ठ कहािनयां, 
    संपादक  :  अमत
ृ  राय 
6.    प्रसाद  :  कंदगु  त 
7.    यशपाल  :  िद या 
8.    फणी व
  रनाथ रे णु   :  मैला आंचल 
9.    म नू भ डारी  :  महाभोज 
10.    एक दिु नया समाना तर, (सभी कहािनयां) 
संपादक  :राजे द्र यादव. 

 
क नड़ 
प्र न
   पत्र  - 1 
(उ र क नड़ म िलखने ह गे) 
खंड 'क' 
 
(क)    क नड़ भाषा का इितहास 

    भाषा क्या है ? भाषा की सामा य िवशेषताएं। 

    द्रिवड़ भाषा पिरवार और इसके िविश ट लक्षण. क नड़ भाषा की प्राचीनताउसके िवकास   .


के िविभ न चरण। 
    क नड़  भाषा  की  बोिलयां  .क्षेत्रीय  और  सामािजक  :  क नड़  भाषा  के  िवकास  के  िविभ न 
पहलू  विनिमक और अथर्गत पिरवतर्न :। 
    भाषा आदान। 

     
(ख)    क नड़ सािह य का इितहास 

    प्राचीन क नड़ सािह य प्रभाव और प्रव :


ृ ि यां. िन निलिखत किवय  का अ य
  यन। 

    पंपा,  ज न,  नागचंद्र  पंपा  से  र  :  


नाकार  वणीर्  तक  इन  िनिदर् ट  किवय   का  िवषय  व तु, 
प िवधान और अिभ यंजना की  ि ट से अ  ययन। 

113 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    म ययग
ु ीन क नड़ सािह य : प्रभाव और प्रविृ यां। 

    बचन सािह य बासव ना :, अक्क, महादे वी। 

    म ययुगीन किव हिरहर राघवंक :, कुमार यास। 

    दास सािह य र दर और कनकपु :। 

    संगतया र : न
  ाकार वण । 

     
(ग)    आधुिनक क नड़ सािह य : प्रभाव, प्रविृ यां  और िवचारधाराएं. नवोदय, प्रगितशील, न य, 
दिलत और ब दय। 
 
खंड 'ख' 
 
(क)    का यशा त्र और सािहि यक आलोचना : 

    किवता की पिरभाषा और संक पनाएं श द :, अथर्, अलंकार, रीित, रस,  व


  िन, औिच य। 

    रस सूत्र की  याख्याएं। 

    सािहि यक आलोचना की आधुिनक प्रविृ यां : 

    पवादी, ऐितहािसक, माक्सर्वादी, नारीवादी, उ रऔपिनवेिशक आलोचना-। 

     
(ख)    कनार्टक का सां  कृितक इितहास : 

    कनार्टक की सं  कृित म राजवंश  का योगदान : 

    सािहि यक संदभर् म बदामी और क याणी के चालक्


ु य , रा ट्र
  कूट , हौश य  और िवजयनगर 
के शासक  का योगदान। 
    कनार्टक के प्रमुख धमर् और उनका सां  कृितक योगदान। 

    कनार्टक की कलाएं सािहि यक संदभर् म मूितर्कला :, वा तुकला, िचत्रकला, संगीत, न ृ य। 

    कनार्टक का एकीकरण और क नड़ सािह य पर इसका प्रभाव। 

 
प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र क नड़ म िलखने ह गे) 
 
इस प्र न
   पत्र म िनधार्िरत मूल पा य पु तक  को पढ़ना अपेिक्षत होगा और ऐसे  प्र न
   पछ
ू े  जाएंगे  िजससे 
उ मीदवार  की आलोचना मक योग्यता की परीक्षा हो सके। 
खंड 'क' 
 

114 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(क)    प्राचीन क नड़ सािह य : 

1.    पंपा का िवक्रमाजन
ुर्  िवजय (सगर् 12 तथा 13), (मैसूर िव व
  िव यालय प्रकाशन)। 

2.    ब दराघने (सक
ु ु मार वामैया काथे, िव यु चोरन काथे)। 

(ख)    म  ययग
ु ीन क नड़ सािह य : 

1.    वचन का मत, संपादक : के. मा लिस द पा, के. आर. नागराज, (बंगलौर िव व


  िव यालय 
प्रकाशन)। 
2.    जनिप्रय  कनकस पुत,  संपादक  :  डी.  जवारे   गौड़ा,  (क नड़  एंड  क चर  डायरे क्टरे ट, 
बंगलौर)। 
3.    नि बय नाना रागाले, संपादक : डी.एन.  ीकातैया, (ता.वेम.  मारक ग्रंथ माले, मैसूर)। 

4.    कुमार यास भारत : कणर् पवर् (मैसरू  िव व


  िव यालय)। 

5.    भारतेश वैभव संग्रह, संपादक : ता.सु. शाम राव, (मैसरू  िव व


  िव यालय)। 

 
खंड 'ख' 
 
(क)    आधुिनक क नड़ सािह य 

1.    का य  :  होसग नड किवते, संपादक : जी.एच. नायक, (क नड़ सािह य 


पिरश ,ु  बंगलौर)। 
         
2.    उप यास  :  बेलाद  जीव  -  िशवराम  कांरत,  (माधवी-अनुपमा  िनरं जन 
औडालाल- दे वानु  महादे व। 
         
3.    कहानी   :  क नड़ स न, काथेगलु , स पादक : जी.एच. नायक, (सािह य 
अकादमी, नई िद ली)। 
         
4.    नाटक  :  शद्र
ु  तप वी – कुवे पु।  

        तुगलक-िगरीश कनार्ड। 

         
5.    िवचार सािह य  :  दे व  - ए.एन. मूितर् राव (प्रकाशक : डी.वी.के. मूितर्, मैसूर)। 

         

(ख)    लोक सािह य 

1.    जनपद  व प  :  डा. एच.एम. नायक (ता.वैम.  मारक ग्रंथ माले, मैसूर) 

         

115 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
2.    जनपद गीताजंली  :  संपादक : डी. जवारे   गौड़ा, (प्रकाशक : सािह य अकादमी, नई 
िद ली) 
         
3.    क नड़  जनपद  :  संपादक : जे.एस. परमिश – 
काथेगालू  वैया (मैसूर िव व
  िव यालय) 
         
4.    बीिड़ मक्कालू   :  संपादक : कालेगौड़ा  

    बैलेडो    नागवारा, (प्रकाशक : बंगलौर िव व
  िव यालय)। 

         
5.    सिवरद ओगातुगाल ु :  संपादक : एस.जी. इमरापुर 

 
क मीरी 
प्र न
   पत्र  - 1 
(उ र क मीरी म िलखने ह गे) 
खंड 'क' 
 
1.    क मीरी भाषा के वंशानुगत संबंध : िविभ न िस धांत 

     
2.    घटना क्षेत्र तथा बोिलयां (भौगोिलकसामािजक/) 

     
3.    विनमिवज्ञान तथा  याकरण : 

    (i)  वर व  यंजन  यव था 

    (ii)  िविभ न कारक िवभिक् 


त य  सिहत संज्ञाएं तथा सवर्नाम 

    (iii)  िक्रयाएं िविभ न प्रकार एवं काल : 

       
4.      वाक्य संरचना : 

    (i)  साधारण, कतव
र्ृ ा य व घोषणा मक कथन 

    (ii)  सम वय 

    (iii)  सापेक्षीकरण 

 
खंड 'ख' 
 

116 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
1.    14वीं शता दी म क मीरी सािह य (सामािजक-(सां  कृितक) तथा बौ िधक प ृ ठभिू म; लाल 
दयाद तथा शेइख
र् ुल आलम के िवशेष संदभर् सिहत) 
2.    उ  नीसवीं  शता  दी  का  क म
  ीरी  सािह य  (िविभ न
    िवधाओं  का  िवकास  :  व  सन,  गज़ल 
तथा मथनवी) 
3.    बीसवीं  शता  दी  के  पूवार् र्ध  म  क  
मीरी  सािह य  (महजूर  तथा  आजाद  के  िवशेष  संदभर् 
सिहत, िविभनन
्   सािहि यक प्रभाव) 
4.    आधुिनक  क  मीरी  सािह  य  (कहानी,  नाटक,  उप  यास  तथा  न म
़   के  िवकास  के  िवशेष 
 
संदभर् सिहत) 
 
प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र क मीरी म िलखने ह गे) 
खंड 'क' 
 
1.    उ नीसवीं शता दी तक के क मीरी का य का गहन अ य
  यन : 

    (i)  लाल दयाद 

    (ii)  शेईखुल आलम 

    (iii)  ह बा खातन
ू  

       
2.    क मीरी का य : 19वीं शता दी 

    (i)  महमूद गामी (व सन) 

    (ii)  मकबूल शाह (जुलरे ज) 

    (iii)  रसूल मीर (गज़ल) 

    (iv)  अ दल
ु  अहमद नदीम (नात) 

    (v)  कृ णजू राज़दान (िशव लगुन) 

    (vi)  सूफी  किव  (पा य  पु तक  संगलाब-प्रकाशन-  क मीरी  िवभाग,  क मीरी 


िव व
  िव यालय) 
       
3.    बीसवीं  शता दी  का  क मीरी  का य  (पा य  पु तक  -  आिजच  कािशर  शायरी,  प्रकाशन-
क मीरी िवभाग, क मीर िव व
  िव यालय। 
       
4.    सािहि यक समालोचना तथा अनुंसधान कायर् : िवकास एवं िविभ न प्रविृ यां। 

 
खंड 'ख' 

117 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
1.    क मीरी कहािनय  का िव ल
  ेषणा मक अ  ययन। 

    (i)  अफसाना मज़मए
ु  - प्रकाशन-क मीरी िवभाग, क मीर िव व
  िव यालय 

    (ii)  'काशरु  अफसाना अज़' - प्रकाशन-सािह य अकादमी 

    (iii)  'हमासर काशुर अफसाना' - प्रकाशन-सािह य अकादमी 

    केवल िन निलिखत कहानी लेखक : 

    अख्तर  मोिहउ दीन-,  अमीन  कािमल,  हिरकृ ण  कौल,  दय  कौल  भारती,  बंसी  िनद ष, 
गुलशन मािजद। 
       
2.    क मीरी उप यास : 

    (i)  जीएन गोहर का मुजिरम 

    (ii)  मा न-इवानइिलचन  (टॉल टाय  की  'द  डेथ  आफ  इिलच'  का  क मीरी  अनुवाद 
(क मीरी िवभाग  वारा प्रकािशत) 
       
3.    क मीरी नाटक : 

    (i)  हिर कृ ण कौल का 'नाटुक किरव बंद' 

    (ii)  ऑक एंगी नाटुक, सेवा मोतीलाल कीम,ू  सािह य अकादमी  वारा प्रकािशत 

    (iii)  रािज इिडपस अनु. नज़ी मुनावर, सािह य अकादमी  वारा प्रकािशत 

       
4.    क मीरी लोक सािह य : 

    (i)  काशरु   लुिक  िथयेटर,  लेखकप्रकाशन-मोह मद  सुभान  भगत-,  क मीरी  िवभाग, 
क मीर िव व
  िव यालय। 
    (ii)  कािशरी  लुकी  बीथ  (सभी  अंक)  ज मू  एवं  क मीर  सां  कृितक  अकादमी  वारा 
प्रकािशत। 
क कणी 
प्र न
   पत्र  - 1 
(उ र क कणी म िलखने ह गे) 
खंड 'क' 
क कणी भाषा का इितहास : 
 
(1)    भाषा का उ भव और िवकास तथा इस पर पड़ने वाले प्रभाव। 

(2)    क कणी भाषा के मख्
ु य  प तथा उनकी भाषाई िवशेषताएं। 

118 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(3)    क कणी  भाषा  म  याकरण  और  श दकोश  संबंधी  कायर्-कारक,  िक्रया  िवशेषण,  अवयव 
तथा वा य के अ  ययन सिहत। 
(4)    पुरानी मानक क कणी, नयी मानक क कणी तथा मानकीकरण की सम याएं। 

 
खंड 'ख' 
 
क कणी सािह य का इितहास : 
 
उ मीदवार  से  अपेक्षा की जाएगी िक वे  क कणी सािह य तथा उसकी सामािजक और सां  कृितक प ृ ठभूिम 
से भलीभांित पिरिचत ह  तथा इससे उठने वाली सम याओं तथा मु द  पर िवचार करने म सक्षम हो-◌ं। 
 
(i)    क कणी सािह य का इितहास-प्राचीनतम संभािवत  ोत से  लेकर वतर्मान काल तक तथा 
मख्
ु य कृितय , लेखक  और आंदोलन  सिहत. 
(ii)    क कणी सािह य के उ रो र िनमार्ण की सामािजक और सां  कृितक प ृ ठभूिम. 

(iii)    आिदकाल से  आधिु नक काल तक क कणी सािह य पर पड़ने  वाले  भारतीय और पा च


  ा य 
प्रभाव. 
(iv)    िविभ न  क्षेत्र   और  सािहि यक  िवधाओं  म  उभरने  वाली  आधुिनक  प्रविृ यां-क कणी  लोक 
सािह य के अ  ययन सिहत. 
 
प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र क कणी म िलखने ह गे) 
क कणी सािह य की मूल पाठ 
िवषयक समालोचना 
 
यह प्र न
  पत्र इस प्रकार तैयार िकया जाएगा िक उ मीदवार की आलोचना तथा िव ल
  ेषण क्षमता की जांच हो 
सके। 
उ मीदवार   से  क कणी  सािह य  के  िव तत
ृ   पिरचय  की  अपेक्षा  की  जाएगी  और  दे खा  जाएगा  िक  उ ह ने 
िन निलिखत पा यपु तक  को मल
ू  म पढ़ा है  अथवा नहीं। 
 
खंड 'क' 
ग य : 
 
1.    (क)  क कणी मनसांगोत्री (प य के अलावा) (प्रो. ओिलिव हो गो स  वारा संपािदत। 

    (ख)  ओ ड कोकणी लग्वेज एंड िलट्रे चर, दी पोजग


ुर् ीज़ रोल : प्रो. ओिलिव हो गो स  वारा 
संपािदत। 
       

119 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
2.    (क)  ओ मो डे वचरक : ए.वी. डा. क्रुज का उप यास 

    (ख)  वेडोल आनी वरे म : एंटोिनयो परे रा का उप यास 

    (ग)  डेवाचे कुरपेन : वी.जे. पी. स दाना का उप यास 

       
3.    (क)  वज्रिलखनी-शेनॉय गोइम-बाब : शांताराम वद वलविलकर  वारा संपािदत संग्रह। 

    (ख)  क कणी लिलत िनबंध :  याम वेरकर  वारा संपािदत िनबंध संग्रह। 

    (ग)  तीन दशकम : चंद्रकांत केिण  वारा संपािदत संग्रह। 

       
4.    (क)  िडमांड : पुंडलीक नाइक का नाटक। 

    (ख)  कादि बनी-ए  िमसलेनी  आफ  माडनर्  प्रोज़  :  प्रोगो स  तथा  ीमती    .एफ.जे.ओ.
तदकोदकर  वारा संपािदत .एस.पी। 
    (ग)  रथा तु जे ओ घुिदयो :  ीमती जयंती नाईक 

 
खंड 'ख' 
प य 
 
1.    (क)  इवअिण मोरी : एडुआड  बूनो िडसूजा  वारा रिचत का य 

    (ख)  अब्रवंचम यज्ञदान : लुईस मे केरे नहास 

       
2.    (क)  गो डे रामायण : आर.के. राव  वारा संपािदत 

    (ख)  र  नहार I एंड II, क्लेक्शन आफ पोय स : आर. वी. पंिडत  वारा संपािदत 

       
3.    (क)  ज़यो-जुयो-पोय स : मनोहर एल सरदे साई 

    (ख)  कनादी माटी क कणी किव : प्रताप नाईक   वारा संपािदत किवता संग्रह 

       

4.    (क)  अ न टाचे क ले : पांडुरं ग भंगुई  वारा रिचत किवताएं 

    (ख)  यमन : माधव बोरकर  वारा रिचत किवताएं 

 
मैिथली 
प्र न
   पत्र  - 1 
मैिथली भाषा और सािह य का इितहास 
120 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(उ र मैिथली म िलखने ह गे) 
खंड 'क' 
मैिथली भाषा का इितहास : 
 
1.    भारोपीय भाषा-पिरवार म मैिथली का  थान। 

     
2.    मैिथली भाषा का उ भव और िवकास (सं  कृत, प्राकृत, अवह ट, मैिथली)। 

     
3.    मैिथली भाषा का कािलक िवभाजन (आिदकाल, म यकाल, आधुिनक काल)। 

     
4.    मैिथली एवं इसकी िविभ न उपभाषाएं। 

     
5.    मैिथली एवं अ य पूवार्ंचलीय भाषाओं म संबध
ं  (बंगला, असिमया, उिड़या)। 

     
6.    ितरहुता िलिप का उ भव और िवकास। 

     
7.    मैिथली म सवर्नाम और िक्रयापद। 

 
खंड 'ख' 
 
मैिथली सािह य का इितहास:  
 
1.    मैिथली सािह य की प ृ ठभूिम (धािमर्क, आिथर्क, सामािजक, सां  कृितक)। 

     
2.    मैिथली सािह य का काल-िवभाजन 

     
3.    प्राक्  िव यापित सािह य। 

     
4.    िव यापित और उनकी पर परा। 

     
5.    म यकालीन  मैिथली  नाटक  (कीतर्िनया  नाटक,  अंकीया  नाट,  नेपाल  म  रिचत  मैिथली 
नाटक)। 
     

121 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
6.    मैिथली लोकसािह य (लोकगाथा, लोकगीत, लोकना य, लोककथा) 

     
7.    आधिु नक यग
ु  म िविभ न सािहि यक िवधाओं का िवकास 

    (क)  प्रबंध का य 
    (ख)  मक्
ु  तक का य 
    (ग)  उप यास 
    (घ)  कथा 
    (ङ)  नाटक 
    (च)  िनबंध 
    (छ)  समीक्षा 
    (ज)  सं मरण 
    (झ)  अनव
ु ाद 
     
8.    मैिथली पत्र-पित्रकाओं का िवकास। 

 
प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र मैिथली म िलखने ह गे) 
इस प्र न
   पत्र म िनधार्िरत मूल पा य पु तक  को पढ़ना अपेिक्षत होगा और ऐसे  प्र न
   पूछे जाएंगे  िजनसे 
अ यथीर् की आलोचना मक क्षमता की परीक्षा हो सके। 
 
खंड 'क' 

1.    िव यापित गीतशती-प्रकाशक-सािह य अकादमी, नई िद ली 

    (गीत संख्या 1 से 50 तक)। 

2.    गोिव ददास भजनावली-प्रकाशक-मैिथली अकादमी, पटना 

    (गीत संख्या 1 से 25 तक) 

3.    कृ णज म - मनबोध। 

4.    िमिथला भाषा रामायण - च दा झा (सु दरका ड मात्र)। 

5.    रामे व
  रचिरत िमिथला रामायण - लालदास (बालका ड मात्र)। 

6.    कीचकवध - त त्रनाथ झा 

7.    द -वती - सरु े द्र झा 'सम


ु न' (प्रथम और  िवतीय सगर् मात्र)। 

8.    िचत्रा-यात्री। 

122 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
9.    समकालीन मैिथली किवताप्रकाशक सािह य अकादमी-, नई िद ली.   
 
खंड 'ख' 
 
10.    वणर्र  नाकर  योितरी - व
  र ( िवतीय क लोल मात्र)।   

11.    ख टर ककाक तरं ग हिरमोहन झा -।   


 
12.    लोिरक - िवजयमिणप म- 
 
13.    प ृ वीपुत्र – लिलत।   
 
14.    भफाइत चाहक िजनगी  सुधांश ु -'शेखर' चौधरी। 
 
15.    कृित राजकमल – प्रकाशक -मैिथली अकादमी, पटना (आर भ म दस कथा तक)।   
16.    कथा-संग्रह - प्रकाशक-मैिथली अकादमी, पटना।   
 
मलयालम 
प्र न
   पत्र  - 1 
(उ र मलयालम म िलखने ह गे) 
खंड 'क' 
 
भाग-1 मलयालम भाषा की प्रारं िभक अव था : 

1.1    िविभ न िस धांत : प्राक्  द्रिविड़यन, तिमल, सं  कृत से उ भव। 

1.2    तिमल तथा मलयालम का संबंध ए.आर. राजराजवमार् के छ: लक्षण (नया) 

1.3    पा टु संप्रदाय - पिरभाषा, रामचिरतम, परवतीर् पा टु कृितयां-िनराणम कृितयां तथा कृ ण 


गाथा। 
भाग - 2 : िन निलिखत की भाषाई िवशेषताएं : 

2.1    मिणप्रवालम  –  पिरभाषा,  मिण  प्रवालम  म  िलखी  प्रारं िभक  कृितय   की  भाषा-च  पू, 
संदेशका  य, च द्रो सव, छुट-पुट कृितयां  परवतीर्  मिणप्रवाल कृितयां-म ययुगीन च पू  एवं 
आ ट कथा। 
2.2    लोक गाथा : दिक्षणी तथा उ री गाथाएं, माि पला गीत। 

2.3    प्रारं िभक मलयालम ग य-भाषा कौिटलीयम, ब्र मांड पुराणम आ ट-प्रकारम, क्रम दीिपका 


तथा नि बयान तिमल। 
भाग -3 : मलयालम का मानकीकरण 

3.1    पाणा, िकिल पा टु तथा तु लन की भाषा की िवशेषताएं। 

3.2    वदे शी तथा यूरोपीय िमशनिरय  का मलयालम को योगदान। 

123 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
3.3    समकालीन  मलयालम  की  िवशेषताएं  :  प्रशासिनक  भाषा  के  प  म  मलयालम.  िवज्ञान 
तथा प्रौ योिगकी सािह य की भाषा-जन संचार की भाषा। 
 
खंड 'ख' 
सािह य का इितहास 
  
भाग - 4  प्राचीन तथा म  ययग
ु ीन सािह य : 

4.1    पा टू - राम चिरतम ्, िनराणम कृितयां एवं कृ ण गाथा. 

4.2    मिणप्रवालम-आ ट कथा, चंपू आिद प्रारं िभक तथा म ययुगीन मिणप्रवाल कृितयां. 

4.3    लोक सािह य 

4.4    िकिलपा टु, तु लल तथा महाका य 

भाग-5 आधुिनक सािह यकिवता- 

5.1    वैणमिण किव तथा समकालीन किव 

5.2    व छ दतावाद का आगमन-किवत्रय का का य-आशान, उ लूर तथा व लतोल 

5.3    किवत्रय के बाद की किवता। 

5.4    मलयालम किवता म आधुिनकतावाद। 

भाग-6 आधुिनक सािह यग य- 

6.1    नाटक 

6.2    उप यास 

6.3    लघु कथा 

6.4    जीवनी, यात्रा वणर्न, िनबंध और समालोचना। 

प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र मलयालम म िलखने ह गे) 
 
इस  प्र न
    पत्र  म  िनधार्िरत  पा य  पु तक   का  मल
ू  अ य
  यन  अपेिक्षत  होगा  और  परीक्षा  म  उ मीदवार  की 
आलोचना मक क्षमता को जांचने वाले प्र न
   पूछे जाएंगे। 
 
खंड 'क' 
 
भाग - 1 

1.1    रामचिरतम-पटलम-1 

124 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
1.2    क ण श रामायणम ् - बालका डम प्रथम 25 प य। 

1.3    उ णुनीिल सवेक्षम ् - पूव र् भागम 25  लोक, प्र तावना सिहत। 

1.4    महाभारतम ् : िकिल पा टु-भी म पवर्म ् 

भाग - 2 

2.1    कुमारन ् आशान-िचंता अवि थयाय सीता 

2.2    वैलोि प ली कुिटयोिषक्कल 

2.3    जी शंकर कु प - पे त चन 

2.4    एन.वी. कृ ण वािरयार - ितवांिदियले पा टु 

भाग - 3 

3.1    ओएनवी-भूिम को  चरम गीितम ् 

3.2    अ य पा पिणक्का - कु क्षेत्रम 

3.3    आिक्क टम पंड े मे शांित 

3.4    आ टूर रिव वमार् - मेघ प 

 
खंड 'ख' 
 
भाग - 4 

4.1    ओ. चंत 
ु मेनन - इंदल
ु ेखा 

4.2    तकिष - चे मीन 

4.3    ओ.वी. िवजयन - खातािक्क टे  इितहासम ् 

भाग - 5 

5.1    एमटी वासुदेवन नायर - वानप्र थम (संग्रह) 

5.2    एनएस माधवन - िहिग्व ा (संग्रह) 

5.3    सीजे थामस-1128 - इल क्राइम 27 

भाग-6 

6.1    कु िटकृ ण मारार - भारत पयर्टनम ् 

6.2    एम.के. सान ू - नक्षत्रंगलुटे  नेहभाजनम ् 

6.3    वीटी भ टिक्षिरपाद - कि णी म िकनावम


ु  

125 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
मिणपरु ी 
प्र न
   पत्र  - 1 
(उ र मिणपुरी म िलखने ह गे) 
खंड 'क' 
 
भाषा 

(क)    मिणपुरी भाषा की सामा य िवशेषताएं  और उसके िवकास का इितहास, उ रपूवीर्  भारत  -


  बमीर्  भाषाओं-की ित बतीके बीच मिणपरु ी भाषा का मह व तथा  थान, मिणपरु ी भाषा 
म अ  ययन म नवीनतम िवकास, प्राचीन मिणपुरी िलिप का अ  ययन और िवकास। 
     
(ख)    मिणपरु ी भाषा की मह वपण
ू  र् िवशेषताएं। 

    (i)  वर  िवज्ञान    विनम  :(फोनीम),  वर,  यंजन,  संयोजन,  वरक,  यंजन  समूह 
और इनका प्रादभ
ु ार्वइसकी संरचना-अक्षर-,  व प तथा प्रकार। 
    (ii)  प  िवज्ञान  श द  ेणी  :,  धातु  तथा  इसके  प्रकार;  प्र यय  और  इसके  प्रकार; 
याकरिणक  ेिणयांिलंग-,  संख्य
  ा,  पु ष, कारक, काल  और  इनके  िविभ न  पक्ष .
संयोजन क◌ी प्रिक्रया (समास और संिध)। 
    (iii)  वाक्य िव यास  श द :क्रम, वाक्य  के प्रकार, वाक्यांश और उपवाक्य  का गठन। 

 
खंड 'ख' 
 
क) मिणपुरी सािह य का इितहास : 
  ृ ितक  प ृ ठभिू म,  िवषय  व त,ु   कायर्  की 
आरं िभक  काल  (17वीं  शता दी  तक)  सामािजक  तथा  सां क
शैली तथा रीित। 
म य  काल    :(अठारहवीं  तथा  उ नीसवीं  शता दी)  सामािजक  धािमर्क  तथा  राजनीितक  प ृ ठभूिम, 
िवषयव तु, कायर् की शैली तथा रीित। 
आधुिनक काल िवषयव त-ु प्रमुख सािहि यक  प  का िवकास :, रीित और शैली म पिरवतर्न। 
 
(ख) मिणपुरी लोक सािह य : 
दं तकथा, लोक कथा, लोक गीत, गाथा लोकोिक् 
त तथा पहे ली। 
 
(ग) मिणपुरी सं  कृित के िविभ न पक्ष : 
िह दप
ू ूव र् मिणपुरी  आ था,  िह द ु व  का  आगमन  और  सम वयवाद  की  प्रिक्रया;  प्रदशर्न  कलालाई  -
हरोवा, महारस,  वदे शी खेलसगोल कांगजेइ-र् , ख ग कांगजेई कांग। 
 
प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र मिणपुरी म िलखने ह गे) 

126 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
इस  प्र न
    पत्र  म  िनधार्िरत  पा य  पु तक   का  मूल  अ य
  यन  अपेिक्षत  है   और  प्र न   का  व प  ऐसा  होगा 
िजससे अ यथीर् की आलोचना मक योग्यता की परीक्षा हो सके। 
 
खंड 'क' 
 
प्राचीन तथा म यकालीन मिणपुरी सािह य 

(क)    प्राचीन मिणपरु ी सािह य 

1.    ओ. मोगे व
  र िसंह (सं.)    निु मत क पा 

2.    एम. गौराचंद्र िसंह (सं.)    वनथवा िहरण 

3.    एन. खेलचंद्र िसंह (सं.)    ं कांग फ बल काबा 


नौिथग

4.    एम. चंद्र िसंह (सं.)    पंथोयबी ख गल 

(ख)    म  यकालीन मिणपुरी सािह य 

1.    एम. च द्र िसंह (सं.)    समसोक गांबा 

2.    आर.के.  नेहल िसंह (सं.)    रामायण आिद कांड 

3.    एन. खेलचंद्र िसंह (सं.)    घनंजय लाइबू िनंग्बा 

4.    ओ. भोगे व
  र िसंह (सं.)    चंद्र कीितर् िजला चंगबा 

 
खंड 'ख 
 
आधिु नक मिणपरु ी सािह य 

(क)    किवता तथा महाका य 

(I)    किवता 

(क)    मिणपुरी शेरग (प्रकाशन) मिणपुरी सािह य पिरष  1988 (सं.) 

ख.    चोबा िसंह    पी थदोई, लैमगी चेकला आमदा लोकटक 

    डाकमल िसंह .एल .    िनजर्नता; िनरब राजनी 

    एमीनाकेतन िसंह .    कमा दा न ग्गमलखोडा 

    एलसमरे द्र िसंह .    इंगागी न ग ममंग लेकाई 

        थ बल 

127 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
        सतले 

    ई नीलकांत .िसंह    मिणपुर, लमंगनबा 

    ी बीरे न    तंगखुल हुई 

    थइवोिपशाक .    अनौबा थंगबाला िजबा 

         
(ख)    का बी शेरग (प्रकाशन) मिणपुर िव व
  िव यालय 1998 (सं) 

    डाकमल िसंह .एल .    िब वाप्रेम- 

    ी बीरे न     चफद्रबा लेइगी येन 

    थइबोिपशाक .    नरक पाताल पिृ थवी 

         
(II)    महाका य     

1.    ए. दोरे द्र जीत िसंह    कांसा बोधा 

2.    एच. अंगनघल िसंह    खंबा-थोईबी शेरग (सन-सेनबा), लेई लंगबा, शाम ू


ख गी िवचार) 
         
(III)    नाटक    

1.    एस. लिलत िसंह    अरे पा मा प 

2.    जी.सी. ट गब्रा    मैिट्रक पास 

3.    ए.समरे द्र    जज साहे ब की इमंग 

         
(ख)    उप यास, कहानी तथा ग य : 

(I)    उप  यास     

1.    डा. एल. कमल िसंह  :  माधबी 

2.    एच. अंगनघल िसंह    जहे रा 

3.    एच. गुणो िसंह    लामन 

4.    पाछा मीटे ई  ं , नुंगसीतकी िफबम 


  इ फाल आमासुंग, मैगी इिशग

         
(II)    कहानी     

क)    का बी विरमचा (प्रकाशन) मिणपुर िव व
  िव यालय 1997 (सं.) 

128 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    आरशीतलजीत िसंह .के.    कमला कमला 

    एमिबनोिदनी .के.    आइगी थाऊद्रबा ही प लाल ू

    ख-प्रकाश .    वेनम शारग 

ख)    पिरष की खांगतलबा विरमचा (प्रकाशन) मिणपुरी  सािह य पिरषद 1994 (सं.) 

    एसिबर शा त्रीनील .    लोखा पा 

    आर.के. इलंगबा    किरनुंगी 

ग)    अनौबा मिणपुरी विरमचा (प्रकाशन) - िद क चरल फोरम मिणपुर 1992 (सं.) 

    एन कंु जमोहन िसंह    इजात तनबा 

    ईदीनमिण .    नंगथक ख गनांग 

         
(III)    ग य     

क)    वारगी सकलोन ( यू पाटर् ) (प्रकाशन) िद क चरल फोरम मिणपुर 1992 (सं.) 

ख)    चौबा िसंह :    खंबाथोईिबगी वारी अमासग


ंु - महाका य 

    कांची वारग (प्रकाशन) - मिणपुर िव व
  िव यालय 1998 (सं) 

    बीमिणसन शा त्री .    फाजबा 

    चमिणहर िसंह .    लाईहरौबा- 

ग)    अपन
ु बा वारग (प्रकाशन) - मिणपरु  िव व
  िव यालय 1986 (सं.) 

    चिपशक िसंह .    समाज अमासुंग सं  कृित 

    एमिबनोिदनी .के.    थोईिबद ु वेरोहोइदा 

    एिरक  यट
ू न    कलगी महोसा 

        (आईबाबू  वारा अनूिदत.आर .) 

घ)    मिणपुरी वारग (प्रकाशन) िद क चरल फोरम मिणपुर 1999 (सं.) 

    एम .कृ ण मोहन िसंह    लान 

   
मराठी 
प्र न
   पत्र  - 1 
(उ र मराठी म िलखने ह गे) 
खंड 'क' 
 

129 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
भाषा और लोक िवधा 

(क)    भाषा का  व प और कायर् 

    (मराठी के संदभर् म) 

भाषा - संकेतन प्रणाली के  प म  ल गुई और परौल :, आधारभूत कायर्, का या मक भाषा, मानक 


भाषा तथा बोिलयां, सामािजक प्राचल के अनुसार भाषाईनपिरवतर्-, तेरहवीं  तथा सत्रहवीं  शता दी म 
मराठी की भाषाई िवशेषताएं 
ख)    मराठी की बोिलयां 

    अिहराणी, बरहदी, डांगी 

(ग)    मराठी  याकरण 

    श द भेद-(पाटर् स ् ऑफ  पीच), कारक  यव था (केस िस टम), प्रयोग िवचार (वा य) 

(घ)    लोक िवधा के  व प और प्रकार 

    (मराठी के िवशेष संदभर् म) 

    लोकगीत, लोककथा, लोकना य 

 
खंड 'ख' 
 
सािह य का इितहास और सािहि यक आलोचना 

(क)    मराठी सािह य का इितहास 

1.    प्रारं भ से  1818 ई. तक : महानभ


ु ाव लेखक, वरकारी किव, पंिडत किव, शािहसर्, बाखर 
सािह य के िवशेष संदभर् म। 
2.    1850  ई.  से  1990  तक  :  का य,  कथासािह य  (उप यास  और  कहानी)  नाटक  और 
प्रमुख सािह य धाराओं  के िवशेष संदभर्  म तथा रोमांिटक, यथाथर्वादी, आधुिनकतावादी, 
दिलत, ग्रामीण और नारीवादी आंदोलन  के िवकास के िवशेष संदभर् म। 
(ख)    सािहि यक आलोचना 

1.    सािह य का  व प और कायर्। 

2.    सािह य का मू यांकन। 

3.    आलोचना का  व प, प्रयोजन और प्रिक्रया। 

4.    सािह य, सं  कृित और समाज। 

प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र मराठी म िलखने ह गे) 
िनधार्िरत सािहि यक रचनाओं का मल
ू  पाठ 

130 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
िवषयक अ  ययन 
 
इस  प्र न
    पत्र  म  िनधार्िरत  मूल  पा य  पु तक   को  पढ़ना  अपेिक्षत  होगा  और  इसम  अ यथीर्  की 
आलोचना मक योग्यता को जांचने वाले प्र न
   पूछे जाएंगे। 
 
खंड 'क' 
 
ग य 

(1)    ' मिृ त  थल' 

(2)    महा मा : जोितबा फूले : 

    शेतकािरयाचा आसुद' 

    'सावर्जिनक स यधमर्' 

(3)    एस.वी. केतकर : 

    'ब्रा मण क या' 

(4)    पी.के. अत्रे : 

    'शा टांग नम कार' 

(5)    शर चंद मिु क् त बोध : 

    'जाना हे  बोलातु जेथे' 

(6)    उ धव शै के : 

    'शीलन' 

(7)    बाबू राव बागल
ु  : 

    'जे हा मी जात चोरली होती' 

(8)    गौरी दे शपांड े : 

    'एकेक पान गाला या' 

(9)    पीआई सोनका बले 

    'आठवनी चे पक्षी' 

 
खंड 'ख' 
का य 

131 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(1)    नामदे वा ची अभंगवाणी 

    स पाइनामदार-, रे लेकर, िमराजकर, माडनर् बुक िडपो, पुणे। 

(2)    'पे जान' 

    स पाअदव त .एन.एम-. सािह य प्रसाद के द्र, नागपुर 

(3)    दमय ती वयंवर  वारा- - रघुनाथ पंिडत 

(4)    बालकिवंची किवता  वारा - बालकिव 

(5)    िवशाखा  वारा  - कुसुमाग्रज 

ृ गंध  वारा - िव दा कर दीकर 


(6)    मद

(7)    जािहरनामा  वारा - नारायण सुव 

(8)    सं य
  ा कालचे किवता  वारा  - ग्रेस 

(9)    या स ेत जीव रमात नाही  वारा - नामदे व ढसाल 

नेपाली 
प्र न
  पत्र-1 
(उ र नेपाली म िलखने ह गे) 
खंड 'क' 
 
1.    नई भारतीय आयर् भाषा के  प म नेपाली भाषा के उ भव और िवकास का इितहास। 

2.    नेपाली  याकरण और  विनम िवज्ञान के मूल िस धांत : 

    (i)  संज्ञा  प और कोिटयां-िलंग, वचन, कारक, िवशेषण, सवर्नाम, अ यय 

    (ii)  िक्रया  प और कोिटयां काल :, पक्ष, वा य, धात,ु  प्र यय। 

    (iii)  नेपाली  वर और  यंजन। 

       
3.    नेपाली भाषा की प्रमुख बोिलयां। 

4.    भाषा  आंदोलन  (जैसे  हल त  बिह कार,  झारोवाद  आिद)  के  िवशेष  संदभर्  म  नेपाली  का 
मानकीकरण तथा आधुिनकीकरण। 
5.    भारत म नेपाली भाषा का िशक्षण-सामािजक- सां  
कृितक पक्ष  के िवशेष संदभर्  म इसका 
इितहास और िवकास। 
 
 
खंड 'ख' 
 

132 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
1.    भारत म िवकास के िवशेष संदभर् म नेपाली सािह य का इितहास। 

2.    सािह य की मूल अवधारणाएं  तथा िस धांत : का य/सािह य, का य प्रयोजन सािहि यक 


िवधाएं, श द शिक् त , रस, अलंकार, त्रासदी, कामदी, स दयर्शा त्र, शैली-िवज्ञान। 
3.    प्रमुख  सािहि यक  प्रविृ यां  तथा  आ दोलन-  व छं तावाद,  यथाथर्वाद,  अि त ववाद, 
आयािमक आ दोलन, समकालीन नेपाली लेखन, उ र-आधुिनकतावाद।  
4.    नेपाली  लोक  सािह य  (केवल  िन निलिखत  लोक  व प)  -  सवाई,  झा योरी,  सेलो, 
संिगनी, लहारी। 
प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र नेपाली म िलखने ह गे) 
 
इस प्र न
   पत्र म िनधार्िरत मूल पा यपु तक  को पढ़ना अपेिक्षत होगा और इसका प्रा प इस प्रकार तैयार  -
िकया जायेगा िजससे अ यथीर् की आलोचना मक योग्यता की परीक्षा हो सके। 
 
खंड 'क' 
 
1.    सांता ज्ञाि डल दास  :  उदय लहरी 

2.    लेखनाथ पो याल  :  त ण तापसी 

    (केवल III, V, V I, X II, X V, X V III िव ाम) 

3.    आगम िसंह िगिर  :  जालेको प्रित 


िब ब : रोयको प्रित विन 

        (केवल  िन निलिखत  किवताएं  -  प्रसावक ,  िच याह संग 


यूझक
े ो  एक  रात,  छोरोलई,  जालेको  प्रित 
िब ब  : 
  िन,  हमरो  आकाशमणी,  पानी  हु छा 
रोयकोप्रित व
उ यालो, ितहार)। 
4.    हिरभक् 
त कटवाल  :  यो िज दगी खाई के िज दगी : 

        (केवल  िन निलिखत  किवताएं  :  जीवन;  एक  ि ट;  यो 


िज दगी  खाई  के  िज दगी,  आकाश  तारा  के  तारा, 
हिमलाई  िनरधो  नासमझा,  खाई  म याता  याहां, 
आ मादिु तको बिलदान को। 
5.    बालकृ णसामा    प्रहलाद 

6.    मनबहादरु  मुिखया    अंधयारोमा बांचनेहा  

        (केवल  िन निलिखत  एकांकी  -  'अं य


  ारोमा  बांचनेहा ', 
'सु केरा')। 
 
खंड 'ख' 

133 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
1.    इंद्र सु दास  :  सहारा 

2.    िललबहादरु  छे त्री  :  ब्र मपत्र


ु  को छे ऊछाऊ 

3.    प नारायण िस हा  :  कथा  नवर  न  (केवल  िन निलिखत  कहािनयां  -  िबटे का 
कुरा,  िज मेवारी  का को,  धनमाितकोिसनेमा  - व न, 
िव व
  त जीवन)। 
4.    इंद्रबहादरु  रॉय  :  िवपना किटपया : (केवल िन निलिखत कहािनयां  रातभरी 
हुिर चलयो, जयमया अफुमत्र लेख माणी अईपुग -, भागी, 
घोष बाब,ू  छु माइयो)। 
5.    सान 
ू लामा  :  कथा  संपद  :  (केवल  िन निलिखत  कहािनयां    वा नी 
मांछे,  खानी  तरमा  एक  िदन  फुरबाले  गौन  छा या, 
अिसनाको मांछे)। 
6.    ल मी प्रसाद दे वकोटा  :  ल मी िनबंध संग्रह :  (केवल िन निलिखत िनबंध :  ी 
गणेशाय  नम:,  नेपाली  सािह य  को  इितहासमा,  सवर् े  ठ 
पु ष, क पना, कला रा जीवन, गधा बु िधमान की गु )। 
7.    रामकृ णशमार्  :  दासगोरखा  :  (केवल  िन निलिखत  िनबंध,  किव,  समाज 
रा  सािह य,  सािह य  मा  सपेक्षता,  सािहि यक    िचको 
प्रौढ़ता, नेपाली सािह य को प्रगित।) 
 
उिड़या 
प्र न
   पत्र  - 1 
(उ र उिड़या म िलखने ह गे) 
खंड 'क' 
 
उिड़या भाषा का इितहास : 

(i)    उिड़या  भाषा  का  उ भव  और  िवकास,  उिड़या  भाषा  पर  ऑि ट्रक,  द्रािवड़,  फारसी-अरबी 
तथा अंग्रेजी का प्रभाव। 
(ii)    विनकी तथा  विनम िवज्ञान :  वर,  यंजन, उिड़या  व
  िनय  म पिरवतर्न के िस धांत। 

(iii)    प  िवज्ञान  :  िपम  (िनबार्ध,  पिरब ध,  समास  और  सि म ),  यु पि   परक  तथा 
िवभिक् 
त प्रधान प्र यय, कारक िवभिक् 
त , िक्रया संयोजन। 
(iv)    वाक्य रचना वाक्य  के प्रकार और उनका  पा तरण :, वाक्य  की संरचना। 

(v)    श दाथर् िवज्ञान : श दाथर्, िश टोिक् 


त म पिरवतर्न के िविभ न प्रकार 

(vi)    वतर्नी,  याकरिणक प्रयोग तथा वाक्य  की संरचना म सामा य अशु िधयां. 

(vii)    उिड़या  भाषा  म  क्षेत्रीय  िभ नताएं  (पि चमी,  दिक्षणी  और  उ री  उिड़या)  तथा  बोिलयां 

134 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(भात्री और दे िसया). 

 
खंड 'ख' 
उिड़या सािह य का इितहास : 

(i)    िविभ न  काल   म  उिड़या  सािह य  की  ऐितहािसक  प ृ ठभूिम  (सामािजक,  सां क
  ृ ितक  तथा 
राजनैितक)। 
(ii)    प्राचीन महाका य, अलंकृत का य तथा पदाविलयां। 

(iii)    उिड़या सािह य का िविश ट संरचना मक  व प (कोइली, चौितसा, पोई, चौपदी, च पू)। 

(iv)    का य,  नाटक,  कहानी,  उप यास,  िनब ध  तथा  सािहि यक  समालोचना  की  आधुिनक 
प्रविृ यां। 
   
प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र उिड़या म िलखने ह गे) 
 
पा यपु तक  का आलोचना मक अ  ययन:  
इस प्र न
  पत्र म मल
ू  पाठ-◌्यपु तक  को पढ़ना अपेिक्षत होगा तथा अ यथीर्  की आलोचना मक योग्यता की 
परीक्षा ली जाएगी। 
 
खंड 'क' 
 

का य 

(प्राचीन) 

1.    सरला दास  :  शांित पवर्-महाभारत से 

2.    जगनाथ दास  :  भागवत,  ग्याहरवां  कंध  जाद ू अवधूत  संबाद 


(म यकालीन) 
3.    दीनाकृ ण दास  :  राख क लोल : (16 तथा 34 छं द) 

4.    उपे द्र भांजा  :  लाव यवती-(1 तथा 2 छं द) 


(आधुिनक) 
5.    राधानाथ राय  :  चंद्रभागा 

6.    मायाघर मानिसंह  :  जीवन-िचता 

7.    सिचदानंद राउतराय  :  किवता-1962 

8.    रमाकांत रथ  :  स  तम ऋतु 

135 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
           
खंड 'ख'   
 
नाटक : 
 
9.    मनोरं जन दास  :  काठ घोड़ा   
10.    िवजय िम ा  :  ताता िनरं जन   
 
         
 
उप यास 
 
11.    फकीर मोहन सेनापित  :  छमना अथगु थ   
12.    गोनीनाथ मोह ती  :  दानापानी   
 
         
 
कहानी 
 
13.    सुरे द्र मोह ती    मरलारा म ृ यु   

14.    मनोज दास    ल मीश अिभसार   


 
         
पंजा
िनबंध     
बी 
15.    िच रं जन दास    तरं ग-ओ-ता िधत (प्रथम पांच िनबंध)   
प्र न
  
16.    चंद्र शेखर रथ    मन स यधमर् काहूछी (प्रथम पांच िनबंध) 
पत्र 
– I
 
(उ र पंजाबी म गु मख
ु ी िलिप म िलखने ह गे) 
 
भाग 'क' 

(क)    पंजाबी भाषा का उ भव : िवकास के िविभ न  चरण और पंजाबी भाषा म नूतन िवकास : 


पंजाबी  वर िवज्ञान की िवशेषताएं  तथा इसकी तान  का अ य
  यन :  वर एवं  यंजन का 
वगीर्करण। 
(ख)    पंजाबी  प िवज्ञान : वचन-िलंग प्रणाली (सजीव एवं  असजीव) उपसगर्, प्र यय एवं  परसग  
की िविभ न कोिटयां. पंजाबी श द-रचना : त सम, त भव  प : वाक्य िव यास, पंजाबी म 
कतार् एवं कमर् का अिभप्राय; संज्ञा एवं िक्रया पदबंध। 
(ग)    भाषा  एवं  बोली  बोली  एवं  य  :िक् 
त  बोली  का  अिभप्राय    :  पंजाबी  की  प्रमुख  बोिलयां  :
पोथोहारी,  माझी,  दोआबी,  मालवी,  पआ
ु िधसामािजक  तरीकरण  के  आ  :  धार  पर  वाक्  
पिरवतर्न की िविधमा यता, तान  के िवशेष संदभर्  म िविभ न बोिलय  के िविश ट लक्षण .
136 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
पंजाबी  के  िलए  गरु मख
ु ी  की   :  रमख
ु ी  का  उ भव  और  िवकासगु  :  भाषा  एवं  िलिप
उपयुक् 
तता। 
(घ)    शा त्रीय प ृ ठभूिम : नाथ जोगी सिहत. 
म यकालीन सािह य गुरमत :, सूफी, िक सा एवं वार, जनमसािखयां। 
 
 
भाग 'ख' 
 
(क)    आधिु नक प्रविृ यां    रह यवादी,  व छं तदावादी,  प्रगितवादी  एवं  नव-
रह यवादी  (वीर  िसंह,  पूरण  िसंह,  मोहन  िसंह,  अमत
ृ ा 
प्रीतम,  बाबा  बलव त,  प्रीतम  िसंह,  सफ़ीर,  जे  .एस  .
नेकी)।   
        प्रयोगवादी  (जसवीर  िसंह  अहलूवािलया,  रिव दर  रिव, 
र् ादी  .(हरभजन  िसंह,  तारा 
अजायब  कमाल)  सौदं यव
िसंह)। 
        नव प्रगितवादी-(पाश, जगतार, पातर)। 

(ख)    लोक सािह य    लोक गीत, लोक कथाएं, पहे िलयां, कहावत। 

    महाका य सािह य    (वीर िसंह, अवतार िसंह आजाद, मोहन िसंह)। 

    गीितका य    (गु , सूफी और आधुिनक गीितकारमोहन िसंह-, अमत


ृ ा 
प्रीतम, िशवकुमार, हरभजन िसंह)। 
(ग)    नाटक    (आई.सी. नंदा, हरचरण िसंह, बलवंत गागीर्, एस. एस. 
सेख , चरण दास िस ध)ू । 
    उप यास    (वीर  िसंह,  नानक  िसंह,  जसवंत  िसंह  कंवल,  करतार 
िसंह  दग्ु गल,  सुखबीर,  गुरदयाल  िसंह,  दलीप    कौर 
िटवाणा,  वणर् चंदन)। 
    कहानी    (सुजान  िसंह,  केिवकर्  .एस.,  प्रेम    प्रकाश,  वरयाम 
स धू)। 
(घ)    सामािजक  -  सां  
कृितक  और    सं  कृत, फारसी और पि चमी। 
सािह य प्रभाव   
    िनबंध    (परू ण िसंह, तेजा िसंह, गरु बख्श िसंह) 

    सािह य  आलोचना    (एसशेख   .एस.,  अतर  िसंह,  िकशन  िसंह,  हरभजन 


िसंह, नजम हुसैन सैयद)। 
 
प्र न
   प्रत्र  - 2 
(उ र पंजाबी म गु मुखी िलिप म िलखने ह गे) 

137 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
इस प्र न
   पत्र म िनधार्िरत मूल पा य पु तक  को पढ़ना अपेिक्षत होगा और इसका प्रा प इस प्रकार तैयार 
िकया जाएगा िजससे अ यथीर् की आलोचना मक योग्यता की परीक्षा हो सके। 
 
भाग – क 
 
(क)    शेख फरीद    आिद ग्रंथ म सि मिलत संपूण र् वाणी। 

         
(ख)    गु  नानक    जप जी, वारामाह, आसा दी वार। 

         
(ग(    बु ले शाह    कािफयां। 

         
(घ(    वािरस शाह    हीर 

 
 
भाग – ख 
 
(क(    शाह मोह मद    जंगनामा (जंग िसंघान ते िफरं िगयान( 

    धनी राम चाित्रक (किव(    चंदन वारी 

        सूफी ख़ाना 

        नवांजहां 

(ख(    नानक िसंह      िच टा लहू 

    (उप यासकार(    पिव र पापी 

        एक मयान दो तलवारां 

(ग(    गु बख्श िसंह    िज दगी दी रास 

    (िनबंधकार(    नवां िशवाला 

         मेिरयां अभल
ू  यादां 

    बलराज साहनी    मेरा  सी सफरनामा, मेरा पािक तानी सफरनामा 


(यात्रा(िववरण- 
(घ(    बलवंत गागीर्    लोहा कु ट 

    (नाटककार(    धूनी दी अग्ग 

138 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
        सु तान रिजया 

    संत िसंह सेख      सािह याथर् 

    (आलोचक(    प्रिस ध पंजाबी किव पंजाबीकाब िशरोमिण 

    
 
सं  कृत 
प्र न
   पत्र – 1 
 
तीन प्र न  जैसा िक प्र नपत्र म िनदिशत होगा, के उ र सं  कृत म िदए जाने चािहएशेष प्र न  के उ र या . 
तो सं  कृत म अथवा उ मीदवार  वारा परीक्षा के िलए चुने गये भाषा मा  यम म िदये जाने चािहए। 
 
खंड 'क' 
 
1.    संज्ञा, संिध, कारक, समास, कतर्िर और कमर्णी वा य (वा य प्रयोग  पर िवशेष बल (दे ते 
हुए  याकरण की प्रमुख िवशेषताएं .(इसका उ र सं  कृत म दे ना होगा( 
2.    (कत भाषा की मुख्य िवशेषताएंक सं  कृवैिद (। 
(खत भाषा के प्रमख
ु  लक्षणशा त्रीय सं  कृ (। 
गत कायन म सं  कृभाषा वैज्ञािनक अ  य ( योगदान। 
3.    सामा य ज्ञान : 

    (क(  सं  कृत का सािहि यक इितहास। 

    (ख(  सािहि यक आलोचना की प्रमुख प्रविृ यां। 

    (ग(  रामायण 

    (घ(  महाभारत 

    (ङ(  सािह य िवधाओं का उ भव और िवकास। 

      महाका य 

      पक (नाटक( 

      कथा 

      आख्याियका 

      च पू 

      खंड का य 

      मुक्तक का य 

139 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
खंड 'ख' 
 
4.    ृ ित का सार, िन निलिखत पर बल दे ते हुए : 
  भारतीय सं क
    (क)  पु षाथर् 
    (ख)  सं कार 
    (ग)  वणार् म  यव था 
    (घ)  कला और लिलत कला 
    (ड.)  तकनीकी िवज्ञान 
5.    भारतीय दशर्न की प्रविृ यां 
    (क)  मीमांसा 
    (ख)  वेदांत 
    (ग)  याय 
    (घ)  वैशिे षक 
    (ड.)  सांख्य 
    (च(  योग 
    (छ(  बु ध 
    (ज(  जैन 
    (झ(  चावार्क 
6.    सं  कृत म संिक्ष त िनबंध। 
7.    अनदे खा पाठांश और प्र न; इसका उ र सं  कृत म दे ना होगा। 
 
प्र न
   पत्र-2 
 
वगर् 4 से प्र न
   का उ र केवल सं  कृत म दे ना होगा. वगर् 1, 2 और 3 के प्र न
   के उ र या तो सं  कृत म 
अथवा उ मीदवार  वारा चन
ु े गये भाषा मा  यम म दे ने ह गे।  
 
खंड 'क' 
 
िन निलिखत समु चय  का सामा य अ  ययन :- 
वगर्-1 
    (क)  रघुवंशम ्  - कािलदास 
    (ख)  कुमारसंभवम ् - कािलदास 
    (ग)  िकराताजुन
र् ीयम ् - भारिव 
    (घ)  िशशप
ु ालवधाम ् - माघ 
    (ड.)  नैषध चिरतम ् –  ीहषर् 
    (च(  काद बरी - बाणभ ट 
    (छ(  दशकुमार चिरतम ्  - दं डी 

140 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    (ज(  िशवरा यो यम ् - एसवारनेकर .बी. 
वगर्  - 2 
    (क)  ईशावा योपिनषद 
    (ख)  भगव गीता 
    (ग)  वा मीिक रामायण का सुंदरकांड 
    (घ)  कौिट य का अथर्शा त्र 
वगर्  - 3 
    (क)  व नवासवद म ् - भास 
    (ख)  अिभज्ञान शाकु तलम ्  - कािलदास 
    (ग)  म ृ छकिटकम ् - शद
ू क्र 
    (घ)  मुद्राराक्षसम ् - िवशाखद  
    (ड.)  उ ररामचिरतम ् - भवभूित 
    (च(  र नावली -  ीहषर्वधर्न 
    (छ(  वेणीसंहारम ् – भ टनारायण 
वगर्  - 4 
िन निलिखत पर सं  कृत म संिक्ष त िट पिणयां : 
    (क)  मेघदत
ू म ् - कािलदास 
    (ख)  नीितशतकम ् - भतह
र्ृ िर 
    (ग)  पंचतंत्र 
    (घ)  राजतरं िगणी  - क हण 
    (ड.)  हषर्चिरतम ् - बाणभ ट 
    (च(  अम कशतकम ् - अम क 
    (छ(  गीतगोिवंदम ् – जयदे व 
खंड 'ख' 
 
इस खंड म िन निलिखत पा य पु तक  का पढ़ना अपेिक्षत होगा। 
वगर्  1 और  2 से  प्र न
   के उ र केवल सं  कृत म दे ने  ह गे। वगर्  3 एवं  4 के प्र न  का उ र सं  कृत म 
अथवा उ मीदवार  वारा चन
ु े गये भाषा मा यम म दे ने ह गे। 
 
वगर्-1 
    (क)  रघुवंशम ्  - सगर् 1,  लोक 1 से 10 
    (ख)  कुमारसंभवम ् - सगर् 1,  लोक 1 से 10 
    (ग)  िकराताजुन
र् ीयम ् - सगर् 1,  लोक 1 से 10 
वगर्  - 2 
    (क)  ईशावा  
योपिनष  -  ल
  ोक 1,2,4,6,7,15 और 18 
    (ख)  भगव गीता अ याय-II -  लोक 13 से 25 
    (ग)  वा मीिक का सुंदरकांड सगर् 15,  लोक 15 से 30 

141 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
      (गीता प्रेस सं करण( 
(वगर् 1 और 2 से प्र न
   के उ र केवल सं  कृत म दे ने ह गे( 
वगर्  - 3 
    (क)  मेघदत
ू म ् -  लोक 1 से 10 
    (ख)  नीितशतकम ् -  लोक 1 से 10 
      (डीकौसा बी  वारा स पािदत .डी., भारतीय िव या भवन प्रकाशन( 
    (ग)  काद बरी - शक
ु नासोपदे श (केवल( 
वगर्  - 4 
    (क)  वपनवासवदतम ्  - अंक VI  
    (ख)  अिभज्ञानशाकु तलम - अंक IV  लोक 15 से 30 
      (एम(सं करण काले .आर . 
    (ग)  उ ररामचिरतम ् - अंक 1,  लोक 31 से 47 
      (एम(काले सं करण .आर . 
 
संताली 
प्र न
   पत्र  - 1 
(उ र संताली म िलखने ह गे( 
खंड 'क' 
भाग-1. संताली भाषा का इितहास 
 
1.    प्रमुख आि ट्रक भाषा पिरवार, आि ट्रक भाषाओं का संख्या तथा क्षेत्र िव तार। 
     
2.    संताली की  याकरिणक संरचना। 
     
3.    संताली  भाषा  की  मह वपूण र् िवशेषताएं.  विन  िवज्ञान,  प  िवज्ञान,  वाक्य  िवज्ञान,  अथर् 
िवज्ञान, अनुवाद िवज्ञान तथा कोश िवज्ञान। 
     
4.    संताली भाषा पर अ य भाषाओं का प्रभाव। 
     
5.    संताली भाषा का मानकीकरण। 
 
भाग-2. संताली सािह य का इितहास 
 
1.    संताली सािह य के इितहास के िन निलिखत चार 
काल  की सािहि यक प्रविृ यां 
् 1854 ईके पूव र् का सािह य .। 
(क आिदकाल सन (

142 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(ख िमशनरी काल सन (
् 1855 से सन ् 1889 ई. तक का सािह य। 
(ग म य काल सन (
् 1890 से सन ् 1946 ईतक . का सािह य। 
(घ आधुिनक काल सन (1947 ईसे अब तक का . सािह य। 
     
2.    संताली सािह य के इितहास म लेखन की पर परा। 
 
खंड 'ख'  
 
सािहि यक  व प िन निलिखत सािहि यक  व प  : की प्रमुख िवशेषताएं, इितहास और िवकास  
 
भाग-I.    संताली  म  लोक  सािह य  गीत  :,  कथा,  गाथा,  लोकोिक्तयां,  मुहावरे ,  पहे िलयां  एवं 
कुदम
ु । 
     
भाग-II.    संताली म िश ट सािह य 
1. प य सािह य का िवकास एवं प्रमुख किव 
2. ग य सािह य का िवकास एवं प्रमुख लेखक। 

क.  उप यास एवं प्रमुख उप यासकार। 

ख.  कहानी एवं प्रमुख कहानीकार। 

ग.  नाटक एवं प्रमख
ु  नाटककार। 

घ.  आलोचना एवं प्रमख
ु  आलोचक। 

ङ  लिलत िनबंध, रे खािचत्र, सं मरण, यात्रा वत


ृ ांत आिद प्रमुख लेखक. 

       
संताली सािह यकार : 

याम  सु दर  हे ब्रम,  पंरघुनाथ  मरु मू  .,  बाड़हा  बसेरा,  साधु  रामचांद  मरु मू,  नारायण  सोरे न 
'तोड़ेसुताम',  सारदा  प्रसाद  िक कु,  रघुनाथ  टुडू,  कालीपद  सोरे न,  साकला  सोरे न,  िदग बर  हाँसदा, 
आिद य  िमत्र,  'संताली',  बाबुलाल  मुरम,ू   'आिदवासी'  यदम
ु नी  बेसरा,  अजन
ुर्   हे ब्रम,  कृ ण  चंद  टुडू, 
प चाँद हाँसदा, कल द्र नाथ मा डी, महादे व हाँसदा, गौर च द्र मुरमू, ठाकुर प्रसाद मुरम,ू  हर प्रसाद 
मरु म,ू  उदय नाथ माझी, पिरमल हे ब्रम, धीरे द्र नाथ बा के,  याम चरण हे ब्रम, दमय ती बेसरा, 
टीरापाज .के., बोयहा िव यनाथ टुडू। 
 
भाग-III संताल की सां कृितक िवरासत : 

रीित िरवाज, पवर्  योहार एवं सं कार (ज म, िववाह एवं मु य(ु  

143 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र संताली म िलखने ह गे( 
 
ख ड 'क' 
 
इस  प्र न  पत्र  म  िनधार्िरत  पा यपु तक   का  मूल-  अ  ययन  आव यक  है ।  परीक्षा  म  उ मीदवार  की 
आलोचना मक क्षमता को जांचने वाले प्र न
   पूछे जाएंगे। 
 
 
भाग-1. प्राचीन सािह य 
ग य : 
(1(    खेरवाल ब सा धोरोम पथ
ु ीस टुडूमाझी रामदा- ''रिसका''। 
(2(    मारे  हापडामको रे याक काथा  .ओ.एल -  
क्रे  
स ड। 
(3(    जोमिसम िब ती िलटा   -मंगेल च द तुडकलुमाड .सोरे न। 
(4(    मराड़ बु  िबनतीकानाईलाल टुडू-। 
     
प य : 
(1(    काराम सेरग नुनकू सोरे न -। 
(2(    दे वी दासांय सेरग  - मािन द हांसदा। 
(3(    होड सेरग - ड यू जीआचर्र .। 
(4(    बाहा सेरग – बलरामळटुडू। 
(5(    द ग सेरग - प म ी भागवत मरु म 
ू ठाकुर। 
(6(    होर सेरग –र घुनाथ मुरगू। 
(7(    सोर स सेरग  बाबुलाल मरु मू -'आिदवासी'। 
(8(    मोडे िसन मोडे िनदा  प चांद हांसदा  -। 
(9(    जड
ू ासी माडवा लातार तेज नारायण मरु मू -। 
 
ख ड 'ख' 
आधुिनक सािह य 
 
भाग-1. किवता 
(1(    ओनोडह बाहा डालवाक्  - पाउल जुझार सोरे न। 
(2(    आसाड िबनती  नारायण सोरे न  -'तोड़े सुताम'। 

144 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(3(    चांद माला गोरा चांद टुडू -। 
(4(    अनतो बाहा माला  आिद य िमत्र-'संताली'। 
(5(    ितरयी तेताड़ हिरहर हांसदा -। 
(6(    िसिसरजोन राड़ ठाकुर प्रसाद मुरम ू -। 
 
भाग-2. उप यास 
(1(    हाडमावाक्  आतो  आर कासर्िटयासर्  -(अनव
ु ादक - आर(िक कू रापाज .आर.। 
(2(    मानू माती च द्र मोहन हांसदा -। 
(3(    आत ृ ओड़ाक डोमन हांसदाक -। 
(4(    ओजोय गाडा िढप रे  नाथिनयल मरु म ू -। 
 
भाग-3 . कहानी 
(1(    िजयोन गाडा   पचांद हांसदा एवं यदम
ु नी -बेसरा। 
(2(    माया जाल डोमन साहू -, 'समीर' एवं प म ी भागवत मुम 
ूर् 'ठाकुर। 
 
भाग-4. नाटक 
(1(    खेरवाड़ िबर रघुनाथ मुरमू .पं  -। 
(2(    जरु ी खाितर  .डा -कृ ण च द्र टुडू। 
(3(    िबरसा िबर लाल टुडूरिब  -। 
 
भाग-5. जीवनी सािह य 
(1(    संताल को रे न मायाड िव वनाथ .डा - गोहाको .हांसदा। 
     
िस धी 
प्र न
   पत्र  - 1 
  
उ र िसंधी (अरबी अथवा दे वनागरी िलिप म िलखने ह गे( 
खंड 'क' 
 
1.    (क(  िस धी भाषा का उ भव और िवकास -िविभ न िव वान  के मत। 
    (ख(  वर िवज्ञान, आकृित िवज्ञान एवं  वाक्य िव यास के साथ िस धी भाषा के संबंध 
सिहत िस धी की मह वपूण र् भाषा वैज्ञािनक िवशेषताएं। 
    (ग(  िस धी भाषा की प्रमुख बोिलयां। 
    (घ(  िवभाजन  के  पहले  और  िवभाजन  के  बाद  की  अविधय   म  िस धी  श दावली  और 

145 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
उनके िवकास के बाद अ य भाषाओं  और सामािजक ि थितय  के प्रभाव के चलते 
भारत म िस धी भाषा की संरचना म पिरवतर्न। 
 
खंड 'ख' 
 
2.    िविभ न यग
ु  के सामािजक ितक संदभर्सां  कृ -म िस धी: सािह य - 
    (क(  लोक सािह य समेत सन ् 1350 ई तक .का प्रारं िभक म  यकालीन सािह य। 
    (ख(  सन ् 1350 ई से .1850 ई तक का .परवतीर् म य
  कालीन सािह य। 
    (ग(  सन ् 1850 ई से .1947 ई तक का .पन
ु जार्गरण काल। 
    (घ(  आधुिनक काल सन ् 1947 ईसे आगे .। 
(आधुिनक  िस धी  सािह य  की  सािहि यक  िवधाएं  और  किवता,  नाटक,  उप यास, 
कहानी,  िनब ध,  सािहि यक  आलोचना,  जीवनी,  आ मकथा,  सं मरण  और  यात्रा 
िववरण  म प्रयोग( 
प्र न
   पत्र – 2 
 
उ र िसंधी (अरबी अथवा दे वनागरी िलिप म िलखने ह गे( 
 
इस  प्र न
    म  िनधार्िरत  मल
ू   पा य  पु तक   को  पढ़ना  अपेिक्षत  होगा  और  इसका  प्रा प  इस  प्रकार  तैयार 
िकया जाएगा िजससे अ यथीर् की आलोचना मक योग्यता की परीक्षा हो सके। 
 
खंड 'क 
 
इस खंड म पा य पु तक  की सप्रसंग  याख्याएं और आलोचना मक िव लेषण ह गे। 
 
I.    का य 
    (क(  ''शाह  जो  चू ड  शायर'',  संपादक    .आई.एच  :सदरानप्रणी;  सािह य  अकादमी  वारा 
प्रकािशत (प्रथम सौ प ृ ठ(। 
    (ख(  ''साचल जो चू ड कलाम'' संपादक क याण : बीअडवाणी .; सािह य अकादमी  वारा 
प्रकािशत (िसफर् कािपस)। 
    (ग(  ''सामीजा  चंद  लोक-ए-''  संपादक  .एच  .बी  :  नागराणी;  सािह य  अकादमी  वारा 
प्रकािशत (प्रथम सौ प ृ ठ(। 
    (घ(  ''शायरबेवास -ए-''; िकिशनचंद बेवास (िसफर् सामु डी िसपुन भाग(। 
    (ङ(  ''रौशन छं वरो''; नारायण  याम। 
    (च(  ''िवरहं गे  खानपोई  जी  िस धी  शायर  जी  चू ड'';  संपादन  सदरानगणी  .आई.एच  :; 
सािह य अकादमी  वारा प्रकािशत। 
       

146 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
II.  नाटक 
(क(    ''बेहतरीन िस धी नाटक'' (एकांकीख्याल .एम (  वारा संपािदत; गुजरात िस धी अकादमी 
वारा प्रकािशत। 
    ''काको कालूमल'' (पूणार्विध नाटकमदन : ( जुमाणी। 
 
खंड 'ख' 
 
इस खंड म पा य पु तक  की सप्रसंग  याखाएं और आलोचना मक िव लेषण ह गे। 
 
(क(    पाखीअरा वालार खान िवछड़या (उप यास( गोिव द मा ही। 
(ख(    सत ् दी हण (उप यास : (कृिशन सतवाणी। 
(ग(    चू ड िस धी कहािनयां (कहािनयां (भाग-III 
संपादक प्रेम प्रकाश सािह य अकादमी  वारा : प्रकािशत। 
(घ(    ''बंधन'' (कहािनयांसु दरी उ मचंदानी (। 
(ङ(    ''बेहतरीन  िस धी  मजमून''  (िनब ध(;  संपादक  :  हीरो  ठाकुर,  गुजरात  िस धी  अकादमी 
वारा प्रकािशत। 
(च(    ''िस धी तनक़ीद'' (आलोचना(; संपादक  :वासवानी; सािह य अकादमी  वारा प्रकािशत। 
(छ(    ''मुमहीनजी हयातीसोना  पा वकार्-जा-ए-'' (आ मकथा(; पोपाटी हीरानंदानी। 
(ज(    ''डाचोइथ्रम िगडवानी .'' (जीवनीिव ण 
ु शमार् : (। 
 
तिमल 
प्र न
   पत्र-1 
(उ र तिमल म िलखने ह गे( 
खंड 'क' 
 
भाग-1 : तिमल भाषा का इितहास : 
प्रमुख भारतीय भाषा पिरवारभारतीय भाषाओं  म-, िवशेषकर द्रिवड पिरवार म तिमल का  थानद्रिवड - 
भाषाओं की संख्या तथा क्षेत्र िव तार। 
  कालीन तिमल    प लव :यग
संगम सािह य की भाषा-म य ु  की भाषा के संदभर्  संज्ञा-, िक्रया, िवशेषण 
तथा िक्रया िवशेषण का ऐितहािसक अ  ययनतिमल म- काल सूचक प्र यय तथा कारक िच न। 
तिमल भाषा म अ य भाषाओं से श द ग्रहण - क्षेत्रीय तथा सामािजक बोिलयां - तिमल म लेखन की 
भाषा और बोलचाल की भाषा म अंतर। 
 
भाग-2 : तिमल सािह य का इितहास : 
तोलकाि पयम   -  संगम  सािह य  -  अकम  और  परु म  की    का य  िवधाएं  -  संगम  सािह य  की 
147 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
पंथिनरपेक्ष िवशेषताएं - नीितपरक सािह य का िवकास िसल पिदकारम और मिणमेखल :। 
 
भाग-3  :  भिक्त  सािह य    :(आलवार  और  नायनमारआल-(वार   के  सािह य  म  सखी  भाव  (ब्राइडल 
  ( - छुटपुट सािहि यक िवधाएं (तू टु, उला, परिण, कुरवंिज(। 
िमि टिस ़म
आधुिनक तिमल सािह य के िवकास के सामािजक कारक  उप यास :, कहानी और आधुिनक किवता -
आधिु नक लेखन पर िविभ न राजनीितक िवचारधाराओं का प्रभाव। 
 
 
 
खंड 'ख' 
 
भाग-1 : तिमल के अ  ययन म नई प्रविृ यां:  
समालोचना  के  उपागम  कसामािज  :,  मनोवैज्ञािनक,  ऐितहािसक  तथा  नैितक -समालोचना  का  प्रयोग-
सािह य के िविवधा उपादान    उ लरु ै  :(लक्षण(, इरै ि च, तो मम (िमथक(, ओ ु वगम (कथा  पक(, 
अंगदम  ( यंग्य(,  मे पाडु,  पिडयम  (िबंब(,  कुिरयीडु  (प्रतीक(,  इ मै  (अनेकाथर्कतातुलना मक  -(
 तुलना मक-णासािह य की अवधारसािह य के िस धांत। 
 
भाग-2 : तिमल म लोक सािह य : 
गाथाएं, गीत, लोकोिक्तयां और पहे िलयां तिमल लोक-गाथाओं का सामाज वैज्ञािनक अ  ययनअनुवाद  .
 कीउपयोिगता तिमल की-कृितय  का अ य भाषाओं म अनुवादतिमल म पत्रकािरता का िवकास-। 
 
भाग-3 : तिमल की सां क
  ृ ितक िवरासत : 
प्रेम और यु ध की अवधारणा अरम की-अवधारणा प्राचीन तिमल   वारा-यु ध म अपनाई गई 
नैितक संिहता। पांच  िलणै क्षेत्र  की प्रथाएं, िव वास, रीितिरवाज तथा उपासना िविध-। 
उ र संगम सािह य म अिभ यक्त-सां कृितक पिरवतर्न-म य
  काल म सां कृितक सि म ण (जैन तथा 
बौ ध(। प लव, परवतीर् चौल तथा नायक के िविभ न युग  म कलाओं और वा तुकला का िवकास। 
तिमल  समाज  पर  िविभ न  राजनीितक,  सामािजक,  धािमर्क  तथा  सां कृितक  आंदोलन   का  प्रभाव  .
समकालीन तिमल समाज के सां कृितक पिरवतर्न म जन मा यम  की भूिमका। 
 
प्र न
   पत्र – 2 
 
(उ र तिमल म िलखने ह गे( 
 
इस  प्र न
    पत्र  म  िनधार्िरत  पा यपु तक   का  मूल  अ य
  यन  आव यक  है ।  परीक्षा  म  उ मीदवार  की 
आलोचना मक क्षमता को जांचने वाले प्र न
   पछ
ू े  जाएंगे। 
 
खंड 'क' 

148 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
भाग-1 : प्राचीन सािह य : 
(1(    कु तोकै (1 से 25 तक किवताएं( 
(2(    पुरनानू  (182 से 200 तक किवताएं( 
(3(    ित क्कुरल (पो ल पाल  अरिसयलुम :अमैि चयलुम(इरै मा िच से अवैअंजामै तक ( 

 
भाग-2 : महाका य : 
(1(    िसल पिदकारम (मदरु ै  कांडम( 
(2(    कंब रामायणम ् (कंु भकणर्न वदै  पडलम( 
 
भाग-3 : भिक्त सािह य : 
(1(    ित वाचकम नी ाल िव ण पम : 
(2 (    िव पावै (सभी(पद- 
 
खंड 'ख' 
 
आधिु नक सािह य 
भाग-1 : किवता 
(1(    भारितयार क णन पा टु : 
(2(    भारती दासन कुडु ब िवलक्
ु कु : 
(3(    नाक पु मलरकल : कामरासन . 
 
ग य 
(1(    मम अरिसयल
ु म
ु अरम :
ु  वरदराजनार . 
(2(    सीएन अ णादरु ै  ऐ :, ताल द तिमलगमे। 
 
भाग-2 : उप यास, कहानी और नाटक 
(1(    अिकलन िचि ार यावै : 
(2(    जयकांतन गु पीडम : 
 
भाग-3 : लोक सािह य 
(1(    म ु पा टन कतै  वानमामलै .न :(सं(. 

149 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    (प्रकाशन  :मदरु ै  कामराज िव विव यालय, मदरु ै  
(2(    मलैय िव  जग नाथन .वा.िक :(सं(. 
    (प्रकाशन सर वती महल :, तंजाऊर( 
 
तेलुगु 
प्र न
   पत्र  - 1 
(उ र तेलुगु म िलखने ह गे( 
खंड 'क' 
 
भाषा : 
1.    द्रिवड़  भाषाओं  म  तेलुगु  का  थान  और  इसकी  प्राचीनता  -  तेलुग,ु   तेलुगु  और  आंध्र  की 
यु पि सआधािरत इितहा-। 
2.    आ यद्रिवड़  से  प्राचीन  तेलग
ु  ु तक  और  प्राचीन  तेलग
ु  
ू से  आ-धिु नक  तेलग
ु  
ु तक  वर-
िवज्ञानीय,  पिवज्ञानीय,  याकरिणक और वाक्यगत  तर  म मख्
ु य भाषायी पिरवतर्न। 
3.    क्लािसकी तेलुगु की तुलना म बोलचाल की  यावहािरक तेलुगु का िवकास औपचािरक और-
कायार् मक  ि ट से तेलग
ु  
ु भाषा की  याख्या। 
4.    तेलुगु भाषा पर अ य भाषाओं का प्रभावफ। 
5.    तेलुगु भाषा का आधुिनकरण : 
    (क(  भाषायी  तथा  सािहि यक  आंदोलन  और  तेलुगु  भाषा  के  आधुिनकीकरण  म  उनकी 
भूिमका। 
    (ख(  तेलुगु  भाषा  के  आधुिनकीकरण  म  प्रचार  मा यम   की  भूिमका  (अखबार,  रे िडयो, 
टे िलिवजन आिद(। 
    (ग(  वैज्ञािनक और तकनीकी सिहत िविभ न िवमश  के बीच तेलुगु  भाषा म नये  श द 
गढ़ते समय पािरभािषकी और िक्रयािविध से संबंिधत सम याएं। 
6.    तेलुगु  भाषा  की  बोिलयांप्रादे िशक  और  सामािजक-  िभ नताएं  तथा  मानकीकरण  की 
सम याएं। 
7.    वाक्य  तेलग
ु -ु िव याय-वाक्य   के  प्रमख
ु   िवभाजनसरल-,  िमि त  और  संयक्
ु त  वाक्य  संज्ञा 
और  िक्रयाप्र यक्ष  और  परोक्ष  -नािमकीकरण  और  संबंधीकरण  की  प्रिक्रयाएं-िव येयन-
 पिरवतर्न-प्र तुतीकरणप्रिक्रयाएं। 
8.    अनव ु ाद  क-◌ी  सम याएं-सां कृितक,  सामािजक  और  मह
ु ादअनव ु ावरासंबंधी  अनव
ु ाद  की- 
िविधयां - अनुवाद के क्षेत्र म िविभ न  ि टकोण  -सािहि यक तथा अ य प्रकार के अनुवाद-
अनुवाद के िविभ न उपयोग। 
 
खंड 'ख' 
 
सािह य : 

150 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
1.    ना नयमागर् और दे सी किवता-पव
ू  र् काल म सािह य-। 
2.    ना नय कालआं-ध्र महाभारत की ऐितहिसक और सािहि यक प ृ ठभूिम। 
3.    शेष किव और उनका योगदान िवपाद-, सातक, रागद उदाहरण। 
4.    ितक्कन और तेलुगु सािह य म ितक्कन का  थान। 
5.    एरर् ना  और  उनकी  सािहि यक  रचनाएंनचन  सोमन  और  का य  के  प्रित  उनका  नया  -
ि टकोण। 
6.    ीनाथ और पोतनउनकी रचनाएं तथा योगदान-। 
7.    तेलुगु सािह य म भिक्त किव त लपक-अ जामैया, रामदासु  थागैया। 
8.    प्रबंध  का िवकासका य और प्रबंध-। 
9.    तेलुगु  सािह य  की  दिक्खनी  िवचारधारारघुनाथ  नायक-,  चेमाकुर  वकटकिव  और  मिहला 
किव  प जैसे-सािह य-यक्षगान, ग य और पदकिवता। 
10.    आधुिनक तेलुगु  सािह य और सािह यउप यास  - प-, कहानी, नाटक, नािटका और का य -
प। 
11.    सािहि यक  आंदोलन  सध
ु ार  आंदोलन  :,  रा ट्रवाद,  नवक्लािसकीवाद,  व छ दतावाद  और 
प्रगितवादी, क्रांितकारी आंदोलन।  
12.    िदग बरकावुल,ु  नारीवादी अैर दिलत सािह य। 
13.    लोकसािह य के प्रमुख िवभाजनलोक कलाओं का प्र तुितकरण -। 
 
प्र न
   पत्र  - 2 
(उ र तेलुगु म िलखने ह गे( 
 
इस प्र न
   पत्र म िनधार्िरत मल
ू  पा य पु तक  का अ य
  यन अपेिक्षत होगा और ऐसे प्र न
   पछ
ू े  जाएंगे िजससे 
अ यथीर् की िन निलिखत िवषय  से संबिं धत आलोचना मक क्षमता की जांच हो सके : 
 
(i)    स दयर्परक  ि टकोणरस-,  व
  िन, वक्रोिक्त और औिच य प- संबंधी और संरचना मकिबंब -
योजना और प्रतीकवाद। 
(ii)    समाज शा त्रीय, ऐितहािसक, आदशर्वादी और मनोवैज्ञािनक  ि टकोण। 
 
खंड 'क' 
 
1.    ना नय द ु यंत चिरत्र-(आिद पवर् चौथा सगर् छं द 5-109( 
2.    ितक्कन  ी-कृ ण रायबरामु (उ योग पवर् तीसरा सगर् छं द-1-144( 
3.    ीनाथ गुना िनिध कथा-(कासी खंडम चौथा सगर् छं द -76-133( 
4.    िपंगली सरु न सग
ु ित्र सिलनल
ु कथा-(कला चौथा सगर् छं द -पण
ु दयाम ु -60-142( 
5.    मो ला रामायनाम-ु (अवतािरक सिहत बाल कांड( 

151 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
6.    कसल
ु  पु षो म किवआंध्र नायक सतकाम-ु । 
 
खंड 'ख' 
 
र्  अ पा राव अिनमु थाल-ु (कहािनयां( 
7.    गुजद
8.    िव वनाथ स यनारायणआंध्र प्रशि त- 
9.    दे वुलापि ल कृ ण शा त्री कृ णपक्षम-(उवर्सी और प्रवसम को छोड़कर ( 
10.    ी  ीमहा प्र थानम -्  
11.    जशव
ु ा गि बलम-(भाग-1( 
12.    ी नारायण रे डीकपरूर् वस ता रायाल-ु  
13.    कनुपरित वरलक्ष मा शारदा लेखाल-ु (भाग-1(   
14.    आत्रेय - एन.ओ.जी. 
15.    रच कांड िव वनाथ शा त्री - अ पजीवी 
 
उदर्  ू
प्र न
   पत्र - 1 
(उ र उदर्  ू म िलखने ह गे) 
खंड ‘क’ 
 
उदर्  ू भाषा का िवकास 
(क)    भारतीय-आयर् भाषा का िवकास 
    (i)  प्राचीन भारतीय-आयर् 
    (ii)  म ययुगीन भारतीय-आयर् 
    (iii)  अवार्चीन भारतीय-आयर् 
     
(ख)    पि चमी  िहंदी  तथा  इसकी  बोिलयां,  जैसे  ब्रजभाषा,  खड़ी  बोली,  हिरयाणवी,  क नौजी, 
बुंदेली। उदर्  ू भाषा के उ भव से संबंिधत िस धांत। 
     
(ग)    िदिक्खनी उदर् -ू उ भव और िवकास-इसकी मह वपण
ू  र् भाषा मल
ू क िवशेषताएं। 
     
(घ)    उदर्  ू भाषा  के  सामािजक  और  सांकृितक  आधार  और  उनके  िवभेदक  लक्षण  िलिप  वर 
िवज्ञान, आकृित िवज्ञान, श द भंडार। 
 
खंड ‘ख’ 
 

152 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
(क)    िविभ न िवधाएं और उनका िवकास 
    (i)  किवता, गजल, मसनवी, कसीदा, मिसर्या,  बाई, जदीद न म। 
    (ii)  ग य: उप यास कहानी, दा तान, नाटक इशाइया, खुतून, जीवनी। 
     
(ख)    िन निलिखत की मह वपूण र् िवशेषताएं 
    (i)  दिक्खनी, िद ली और लखनऊ शाखाएं 
    (ii)  सर सैयद आंदोलन,  व छतावादी आंदोलन, प्रगितशील आंदोलन, आधुिनकतावाद। 
     
(ग)    सािहि यक  आलोचना  और  उसका  िवकास,  हाली  िशबली,  क्लीमु दीन  अहमद,  एहतेशाम 
हुसैन, आले अहमद सु र। 
     
(घ)    िनबंध लेख (सािहि यक और क पना प्रधान िवषय  पर) 
प्र न
   पत्र - 2 
(उ र उदर्  ू म िलखने ह गे) 
 
इस प्र न पत्र म िनधार्िरत मूल पा य पु तक  को पढ़ना अपेिक्षत होगा और इसका प्रा प इस प्रकार तैयार 
िकया जाएगा िजससे अ यथीर् की आलोचना मक योग्यता की परीक्षा हो सके। 
 
खंड- ‘क’ 
 
1.    मीर अ मान    बागोबहार 

2.    गािलब    इंितखाह-ए-खुतूत-ए-गािलब 

3.    मोह मद हुसैन आजाद    नैरग-ए-ख्याल 

4.    प्रेमचंद             गोदान 

5.    राजे द्र िसंह बेदी    अपने दख


ु  मुझ े दे  दो 

6.    अ दल
ु  कलाम आजाद    गुबार-ए-खाितर 

 
 
खंड- ‘ख’ 
 
1.    मीर    इंितखाब-ए-मीर 

        (संपादक – अ  दल
ु  हक़) 

2.    मीर हसन    सह ल बयां 

153 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
3.    गािलब    िदवान-ए-गािलब 

4.    इकबाल    बाल-ए-िजबरै ल 

5.    िफराक    गुल-ए-नगमा 

6.    फैज    द त-ए-सबा 

7.    अखत िलमान    िबंत-ए-ल हात 

प्रबंध 
 
अ यथीर्  को प्रबंध की िवज्ञान और कला के  प म संक पना और िवकास का अ ययन करना चािहए और 
प्रबंध  के  अग्रणी  िवचारक   के  योगदान  को  आ मसात  करना  चािहए  तथा  कायर्नीितक  एवं  प्रचालना मक 
पिरवेश को  ि टगत रखते हुए इसकी संक पनाओं  को वा तिवक शासन एवं  यवसाय िनणर्यन म प्रयोग म 
लाना चािहए। 
प्र न
   पत्र – 1 
1.    प्रबंधकीय कायर् एवं प्रिक्रया: 
    प्रबंध  की  संक पना  एवं  आधार,  प्रबंध  िचंतन  का  िवकास,  प्रबंधकीय  कायर्-आयोजना, 
संगठन, िनयंत्रण, िनणर्यन, प्रबंधक की भूिमका, प्रबंधकीय कौशल, उ यमविृ , नवप्रवतर्न, 
िव व यापी  वातावरण  म  प्रबंध,  न य  प्रणाली  प्रबंधन,  सामािजक  उ रदािय व  एवं 
प्रबंधकीय  आचार  नीित,  प्रिक्रया  एवं  ग्राहक,  अिभिव यास,  प्र यक्ष  एवं  अप्र यक्ष  मू य 
ंख
ृ ला पर प्रबंधकीय प्रिक्रयाएं। 
     
2.    संगठना मक  यवहार एवं अिभक प : 
    संगठना मक   यवहार  का  संक पना मक  िनदशर्,   यि  ट  प्रिक्रयाएं- यिक्त व,  मू य  एवं 
अिभविृ   प्र यक्षण,  अिभप्रेरण,  अिधगम  एवं  पुनवर्लन,  कायर्  तनाव  एवं  तनाव  प्रबंधन, 
संगठन  यवहार  की  गित  की  स ा  एवं  राजनीित,  वं व  एवं  वातार्,  नेत ृ व  प्रिक्रया  एवं 
शैिलयां, संप्रेषण, संगठना मक प्रिक्रयांएं-िनणर्यन, कृ यक, अिभक प, सांगठिनक अिभक प 
के  क्लािसकी,  नवक्लािसकी  एवं  आपात  उपागम,  संगठना मक  िस धांत  एवं  अिभक प, 
संगठना मक  सं कृित,  सां कृितक  अनेकता  प्रबंधन,  संगठन  अिधगम;  संगठना मक 
पिरवतर्न  एवं  िवकास,  ज्ञान  आधािरत  उ यम-प्रणािलयां  एवं  प्रिक्रयाएं,  जालतंित्रत  एवं 
आभासी संगठन। 
     
3.    मानव संसाधन प्रबंध: 
    मानव  संसाधन  की  चन
ु ौितयां,  मानव  संसाधन  प्रबंध  के  कायर्,  मानव  संसाधन  प्रबंध  की 
भावी चुनौितयां, मानव संसाधन का कायर्नीितक प्रबंध, मानव संसाधन आयोजना, कृ यक 
िव लेषण,  कृ यक  मू यांकन,  भतीर्  एवं  चयन,  प्रिशक्षण  एवं  िवकास,  पदो नित  एवं 
थानांतरण, िन पादन  प्रबंध,  प्रितकार प्रबंध  एवं  लाभ,  कमर्चारी मनोबल  एवं  उ पादकता, 
संगठनात क वातावरण एवं  औ योिगक संबंध प्रबंध, मानव संसाधन लेखाकरण एवं  लेखा 
154 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
परीक्षा, मानव संसाधन सच
ू ना प्रणाली, अंतरार् ट्रीय मानव संसाधन प्रबंध। 
     
4.    प्रबंधक  के िलए लेखाकरण 
    िव ीय  लेखाकरण-संक पना,  मह व  एवं  क्षेत्र,  सामा यतया  वीकृत  लेखाकरण  िस धा त, 
तुलनपत्र के िव लेषण एवं  यवसाय, आय मापन के िवशेष संदभर्  म िव ीय िववरण  को 
ू ी  मू यांकन  एवं  मू याहास,  िव ीय  िववरण  िव लेषण,  िनिध 
तैयार  करना,  सामग्री  सच
प्रवाह िव ल
  ेषण, नकदी प्रवाह िववरण, प्रबंध लेखाकरण-संक पना, आव यकता, मह व एवं 
क्षेत्र,  लागत  लेखाकरण  अिभलेख  एवं  प्रिक्रयाएं,  लागत  लेजर  एवं  िनयंत्रण  लेखाएं,  िव ीय 
एवं  लागत लेखाओं   के बीच समाधान एवं  समाकलन, ऊपिर लागत एवं  िनयंत्रण कृ यक 
एवं  प्रिक्रया  लागत  आकलन,  बजट  एवं  बजटीय  िनयंत्रण,  िन पादन  बजटन,  शू यधािरत 
बजटन, संगत लागत, आकलन एवं  िनणर्यन लागत आकलन, मानक, लागत आकलन एवं 
प्रसारण िव लेषण, सीमांत लागत आकलन एवं अवशोषण लागत आकलन। 
     
5.    िव ीय प्रबंध : 
    िव   कायर्  के  ल य,  मू य  एवं  प्रितलाभ  की  संक पनाएं,  बांड   एवं  शेयर   का  मू यांकन, 
कायर्शील  पूंजी  का  प्रबंध,  प्राक्कलन  एवं  िव ीय,  नकदी,  प्रा यो,  सामग्री  सूची  एवं  चालू 
दे यताओं का प्रबंधन, पंज
ू ी लागत, पंज
ू ी बजटन, िव ीय एवं प्रचालन लेवरे ज, पज
ंू ी संरचना, 
अिभक प, िस धांत एवं  यवहार, शेयर धारक मू य सज
ृ न, लाभांश नीित, िनगम िव ीय 
नीित एवं  कायर्नीित, िनगम कुकीर्  एवं  पुनसर्ंरचना कायर्नीित प्रबंध, पूंजी एवं  मुद्रा बाजार, 
सं थाएं एवं प्रपत्र प टे  पर दे ना, िकराया खरीद एवं जोिखम पूंजी, पूंजी बाजार िविनयमन, 
जोिखम  एवं  प्रितलाभ,  पोटर् फोिलयो  िस धांत,  सीएपीएम,  एपीटी  िव ीय  यु पत्र,  िवक प 
यच
ू सर्,  वैप, िव ीय क्षेत्रक म अिभनव सध
ु ार। 
     
6.    िवपणन प्रबंध : 
    संक पना, िवकास एवं  क्षेत्र, िवपणन कायर्नीित सूत्रीकरण, एवं  िवपणन योजना के घटक, 
बाजार  का  खंडीकरण  एवं  ल यो मुखन,  प य  का  अव थापन  एवं  िवभेदन,  प्रितयोिगता 
िव लेषण, उपभोक्ता बाजार िव लेषण, औ योिगक क्रेता  यवहार, बाजार अनस
ु ंधान उ पाद 
कायर्नीित,  कीमत  िनधार्रण  कायर्नीितयां,  िवपणन  सारिणय   का  अिभक पन  एवं  प्रबंधन, 
एकीकृत िवपणन संचार, ग्राहक संतोष का िनमार्ण, मू य एवं प्रितधारण, सेवाएं एवं अलाभ 
िवपणन,  िवपणन  म  आचार,  ग्राहक  सुरक्षा,  इंटरनेट  िवपणन  खुदरा  प्रबंध,  ग्राहक  संबंध 
प्रबंध, साक यवादी िवपणन की संक पना। 
 
प्र न
   पत्र – 2 
1.    िनणर्यन की पिरमाण मक प्रिविधयां : 
    वणार् मक  सांिख्यकी-सारणीब ध,  आलेखीय  एवं  सांिख्यक  िविधयां,  प्राियकता  का  िवषय 
ु ािनक  सांिख्यकी  प्रितदशीर्  बंटन,  के द्रीय 
प्रवेश,  असंतत  एवं  संतत  प्राियकता  बंटन,  आनम

155 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
सीमा  प्रमेय,  मा य   एवं  अनप
ु ात   के  बीच  अंतर  के  िलए  पिरक पना,  परीक्षण  समि ट 
प्रसरण   के  बारे   म  अनुमान  काई- क्वैयर  एवं  ANOVA,  सहसंबंध  एवं  समा  यतया, 
काल ेणी  एवं  पूवार्नुमान,  िनणर्य  िस धांत  सूचकांक,  रै िखक  प्रोग्रामन-सम या  सूत्रीकरण, 
प्रसमु चय िविध एवं आलेखीय हल, सग्र
ु ािहता िव लेषण। 
     
2.    उ पादन एवं  यापार प्रबंध। 
    यापार  प्रबंध  के  मूलभूत  िस धांत,  उ पादनाथर्  आयोजना,  सम त  उ पादन  आयोजना, 
क्षमता  आयोजना,  संयंत्र  अिभक प,  प्रिक्रया  आयोजना,  संयंत्र  आकार  एवं  यापार  मान 
सुिवधाओं  का  प्रबंधन,  लाइन  संतुलन,  उपकरण  प्रित थापन  एवं  अनुरक्षण,  उ पादन 
िनयंत्रण,  पूितर् ंख
ृ ला  प्रबंधन  -  िवक्रेता  मू  यांकन  एवं  लेखा  परीक्षा,  गुणता  प्रब ध
  न  - 
सांिख्यकीय प्रिक्रया िनयंत्रण, षड़ िसग्मा, िनमार्ण प्रणािलय  म नग्यता एवं  फूितर्, िव व 
ेणी  का  िनमार्ण,  पिरयोजना  प्रबंधन  संक पनाएं,  अनुसंधान  एवं  िवकास  प्रबंध,  सेवा 
यापार प्रबंध, सामग्री प्रबंधन की भिू मका एवं मह व, मू य िव लेषण, िनमार्ण अथवा क्रय 
िनणर्य, सामग्री सूची िनयंत्रण, अिधकतम खुदरा कीमत, अवशेष प्रबंधन। 
     
3.    प्रबंध सच
ू ना प्रणाली : 
    सूचना  प्रणाली  का  संक पना मक  आधार,  सूचना  िस धांत,  सूचना  संसाधन  प्रबंध,  सूचना 
प्रणाली प्रकार, प्रणाली िवकास प्रणाली एवं  अिभक प िवहं गावलोकन प्रणाली िवकास, प्रबंध 
जीवन-चक्र,  ऑनलाइन  एवं  िवतिरत  प्रणािलय   के  िलए  अिभक पना  पिरयोजना, 
कायार् वयन  िनयंत्रण,  सच
ू ना  प्रौ योिगकी  की  प्रविृ यां  आंकड़ा  संसाधन  प्रबंधन  आंकड़ा 
आयोजना,  DDS  एवं  RDBMS  उ यम  संसाधन  आयोजना  (ERP)  िवशेषज्ञ  प्रणाली, 
िबजनेस आिकर्टे क्टचर ई-गवर्नस, संक पना, प्रणाली आयोजना, सूचना प्रणाली म नग्यता 
उपभोक्ता संब धता सच
ू ना प्रणाली का मू यांकन। 
     
4.    सरकार  यवसाय अंतराप ृ ठ : 
    यवसाय  म  िवषय  की  सहभािगता,  भारत  म  सरकार  यवसाय  एवं  िविभ न  वािण य 
मंडल  तथा उ योग के बीच अ यो यिक्रया लघ 
ु उ योग  के प्रित सरकार नीित नए उ यम 
की  थापना  हे तु  सरकार,  जनिवतरण  प्रणाली,  कीमत  और  िवतरण  पर  सरकारी  िनयंत्रण, 
उपभोक्ता  संरक्षण  अिधिनयम  (CPA)  एवं  उपभोक्ता  अिधकार   के  सरं क्षण  म  वैि छक 
सं थाओं  की  भिू मका,  सरकार  की  नई  औ योिगक  नीित,  उदारीकरण  अ-िविनयमन  एवं 
िनजीकरण,  भारतीय  योजना  प्रणाली,  िपछड़े  क्षेत्र   के  िवकास  के  संबंध  म  सरकारी  नीित, 
पयर्वरण  सं थापना  हे तु  यवसाय  एवं  सरकार  के  दािय व,  िनगम  अिभशासन,  साइबर 
िविधयां। 
     
5.    कायर्नीितक प्रबंध : 
    अ ययन  क्षेत्र  के  प  म  यवसाय  नीित,  कायर्नीितक  प्रबंध  का  व प  एवं  िवषय  क्षेत्र, 

156 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
सामिरक  आशय,  ि ट,  उ दे य  एवं  नीितयां  एवं  कायार्  वयन,  पिरवेशीय  िव लेषण  एवं   
 
आंतिरक  िव लेषण  एसड यूओटी  आयोजना  प्रिक्रया  िव लेषण  कायर्नीितक  िव लेषण 
 
उपकरण एवं  प्रिविधयां  - प्रभाव आ यूह अनुभव वक्र BGC आ यूह GEC बहुलक उ योग   
िव लेषण,  मू य  ंख ृ ला  की  संक पना  यवसाय  प्रित ठान  की  कायर्नीितक  पिर छे िदका 
 
गिण
प्रितयोिगता  िव लेषण  हे त ु ढांचा,   यवसाय  प्रित ठान  का  प्रितयोगी  लाभ,  वगीर्य  प्रितयोगी 
त 
कायर्नीितयां,  िवकास  कायर्नीित  िव तार,  समाकलन  एवं  िवशाखन,  क्रोड  सक्षमता  की 
प्र न
  
संक पना  कायर्नीितक  न यता,  कायर्नीित  पुनरािव कार,  कायर्नीित  एवं  संरचना  मुख्य 
पत्र 
कायर्पालक  एवं  पिरषद,  टनर्अराउं ड  प्रबंधन,  प्रबंधन  एवं  कायर्नीितक  पिरवतर्न  कायर्नीितक 
– 1 
सहबंध, िवलयन एवं अिधग्रहण, भारतीय संदभर् म कायर्नीित एवं िनगम िवकास। 
 
     
6.    अंतरार् ट्रीय  यवसाय : 
    अंतरार् ट्रीय   यवसाय  पिरवेश,  माल  एवं  सेवाओं  म  यापार  के  बदलते  संघटन,  भारत  का 
िवदे शी  यापार  नीित  एवं  प्रविृ यां,  अंतरार् ट्रीय  यापार  का    िव   पोषण,  क्षेत्रीय  आिथर्क 
सहयोग,  FTA  सेवा  प्रित ठान   का  अंतरार् ट्रीयकरण,  अंतरार् ट्रीय  उ पादन  अंतरार् ट्रीय 
कंपिनय   म  यवसाय  प्रबंध,  अंतरार् ट्रीय  कराधान,  िव व यापी  प्रितयोिगता  एवं 
प्रौ योिगकीय िवकास, िव य यापी ई- यवसाय, िव व यापी सांगठिनक संरचना अिभक पन 
एवं  िनयंत्रण,  बहुसां कृितक  प्रबंध,  िव व यापी  य   यापी  िवपणन 
  वसाय  कायर्नीित,  िव व
कायर्नीित,  िनयार्त  प्रबंध  िनयार्त-आयात  प्रिक्रयाएं,  संयुक्त  उपक्रम,  िवदे शी  िनवेश,  िवदे शी 
प्र यक्ष  िनवेश  एवं  िवदे शी  पोटर् फोिलयो,  िनवेश,  सीमापार  िवलयन  एवं  अिधग्रहण,  िवदे शी 
मुद्रा  जोिखम,  उ भासन  प्रबंध,  िव विव ीय    बाजार  एवं  अंतरार् ट्रीय  बिकंग,  बा य  ऋण 
प्रबंधन, दे श जोिखम िव लेषण। 
1.    रै िखक बीजगिणत : 
    R  एवं  C  सिदश  समि टयां,  रै िखक  आि तता  एवं  वतंत्रता  उपसमि टयां,  आधार  िवमा, 
रै िखक  पांतरण, कोिट एवं  शू यता, रै िखक  पांतरण का आ यूह. आ यूह  की बीजावली, 
पंिक् 
त एवं  तंभ समानयन, सोपानक  प, सवार्ंगसमता एवं  सम पता, आ यूह की कोिट, 
आ यूह  का  यु क्रम,  रै िखक  समीकरण  प्रणाली  का  हल,  अिभलक्षिणक  मान  एवं 
अिभलक्षिणक  सिदश,  अिभलक्षिणक  बहु  पद,  केले-है िम टन  प्रमेय,  समिमत,  िवषम 
समिमत, हिमर्टी, िवषम हिमर्टी, लांिबक एवं ऐिकक आ यहू  एवं उनके अिभलक्षिणक मान। 
     
2.    कलन :
    वा तिवक संख्याएं, वा तिवक चर के फलन, सीमा, सांत य, अवकनीयता, मा मान प्रमेय, 
शेषफल  के साथ टे लर का प्रमेय, अिनधार्िरत  प, उि च ठ एवं अि प ठ, अनंत पशी, वक्र 
अनुरेखण,  दो  या  तीन  चर   के  फलनः  सीमा,  सांत य,  आंिशक  अवकलज,  उि च ठ,  एवं 
अि प ठ,  लाग्रांज  की  गण
ु क  िविध,  जैकोबी,  िनि चत  समाकल   की  रीमान  पिरभाषा, 
अिनि चत    समाकल,  अनंत  (इि फिनट  एवं  इंप्रॉपर)  अवकल,  िवधा  एवं  ित्रया  समाकल 
(केवल मू यांकन प्रिविधयां), क्षेत्र, प ृ ठ एवं आयतन। 

157 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
     
3.    िव लेिषक  यािमित : 
    ित्रिवमाओं म कातीर्य एवं ध्रव
ु ीय िनदशांक, ित्र-चर  म  िवतीय घात समीकरण, िविहत  प  
म  लघुकरण,  सरल  रे खाएं,  दो  िवषमतलीय  रे खाओं  के  बीच  की  लघुतम  दरू ी,  समतल, 
गोलक,  शंकु,  बेलन,  परवलपज,  दीघर्व ृ  तज,  एक  या  दो  प ृ ठी  अितपरवलयज  एवं  उनके 
गुणधमर्। 
     
4.    साधारण अवकल समीकरण 
    अवकल  समीकरण   का  सं पण,  प्रथम  कोिट  एवं  प्रथम  घात  का  समीकरण,  समाकल 
ु क, लंबकोणीय संछेदी, प्रथमघात का नहीं  िकंत 
गण ु प्रथम कोिट का समीकरण, क्लेरो का 
समीकरण,  िविचत्र  हल।  िनयत  गुणांक  वाले  िवतीय  एवं  उ चतर  कोिट  के  रै िखक 
समीकरण, पूरक फलन, िवशेष समाकल एवं  यापक हल चर गुणांक वाले  िवतीय कोिट 
ू  र्
के  रै िखक  समीकरण,  आयलर-कौशी  समीकरण,  प्राचल  िवचरण  िविध  का  प्रयोग  कर  पण
हल का िनधार्रण जब एक हल ज्ञात हो। 
    ला लास  एवं  यु क्रम  ला लास  पांतर  एवं  उनके  गण
ु धमर्,  प्रारं िभक  फलन   के  ला लास 
पांतर,  िनयत  गुणांक  वाले  िवतीय  कोिट  रै िखक  समीकरण   के  िलए  प्रारं िभक  मान 
सम याओं पर अनुप्रयोग। 
     
5.    गितकी एवं   थैितकी : 
    ऋज रे खीय गित, सरल आवतर्गित, समतल म गित, प्रक्षे य (प्रोजेक्टाइल),  यवरोध गित, 
कायर्  एवं  ऊजार्,  ऊजार्  का  संरक्षण  केपलर  िनयम,  कद्रीय  बल  के  अंतगर्त  कक्षाएं,  कण 
ु न,  कायर्  एवं  ि थितज  ऊजार्  घषर्ण,  साधारण  कटनरी,  कि पत  कायर्  का 
िनकाय  का  संतल
िस धांत, सुंतलन का  थािय व, तीन िवमाओं म बल संतुलन। 
     
6.    सिदश िव लेषण : 
    अिदश  और  सिदश  क्षेत्र,  अिदश  चर  के  सिदश  क्षेत्र  का  अवकलन,  कातीय  एवं  बेलनाकार 
िनदशक   म  प्रवणता,  अपसरण  एवं  काल,  उ चतर  कोिट  अवकलन,  सिदश  त समक  एवं 
ु योग:  आकाश  म  वक्र,  वक्रता  एवं  ऐंठन,  सेरेट-फ्रेनेट 
सिदश      समीकरण।  यािमित  अनप्र
के सूत्र। 
    गैस एवं  टोक्स प्रमेय, ग्रीन के त समक 
 
प्र न
   पत्र – 2 
1.    बीजगिणत : 
    समह
ू ,  उपसमह
ू ,  चक्रीय  समह
ू ,  सहसमु चय,  लाग्रांज  प्रमेय,  प्रसामा य  उपसमह
ू ,  िवभाग 
समूह, समूह  की समाकािरता, आधारी तु  याकािरता प्रमेय, क्रमचय समूह, केली प्रमेय। 
    वलय, उपवलय एवं  गुणजावली, वलय  की समाकािरता, पूणार्ंकीय प्रांत, मुख्य गुणजावली 

158 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
प्रांत, यिु क्लडीय प्रांत  एवं अ िधतीय गण
ु नखंडन प्रांत, क्षेत्र, िवभाग क्षेत्र।
     
2.    वा तिवक िव ल
  ेषण : 
    यूनतम  उपिरसीमा  गुणधमर्  वाले  क्रिमत  क्षेत्र  के  प  म  वा त
  िवक  संख्या  िनकाय, 
अनुक्रम,  अनुक्रमसीमा,  कौशी  अनुक्रम,  वा तिवक  रे खा  की  पूणत
र् ा,  ेणी  एवं  इसका 
अिभसरण, वा तिवक एवं  सि म  पद  की  ेिणय  का िनरपेक्ष तथा सप्रितबंध अिभसरण, 
ेणी का पन
ु िवर् यास  
    फलन  का सांत य एवं एक समान सांत य, संहत समु चय  पर सांत य फलन  के गुणधमर् 
रीमान  समाकल,  अनंत  समाकल,  समाकल,  समाकलनगिणत  के  मूल  प्रमेय-,  फलन   के 
अनक्र
ु म   तथा  ेिणय   के  िलए  एकसमान  अिभसरण -,  सांत  य,  अवकलनीयता  एवं 
   ठ  एवं 
समाकलनीयता,  अनेक  दो  या  त)◌ीन  चर   (फलन   के  आंिशक  अवकलज,  उि च
अि प  ठ। 
     
3.    सि  म  िव ल
  ेषण : 
    िव ल
  ेिषक फलन, कौशीरीमान समी-करण, कौशी प्रमेय, कौशी का समाकल सूत्र, िव ल
  ेिषक 
फलन  का  घात  ेणी  िन पण,  टे लर  ेणी,  िविचत्रताएं,  लोरां  ेणी,  कौशी  अवशेष  प्रमेय, 
क  टूर समाकलन । 
     
4.    रै िखक प्रोग्रामन : 
    रै िखक  प्रोग्रामन  सम  याएं,  आधारी  हल,  आधारी  सुसग
ं त  हल  एवं  इ  टतम  हल,  हल   की 
आलेखी िविध एवं एकधा िविध,  वेतता, पिरवहन तथा िनयतन सम य
  ाएं। 
     
5.    आंिशक अवकलन समीकरण : 
    तीन  िवमाओं  म  प ृ  ठकुल  एवं  आंिशक  अवकल  समीकरण  सं पण,  प्रथम  कोिट  के 
रै िखकक  प  आंिशक  अवकल  समीकरण   के  हल,  कौशी  अिभलेक्षण  िविध,  िनयत  गुणांक  
वाले  िवतीय  कोिट  के  रै िखक  आंिशक  अवकल  समीकरण,  िविहत  प,  कंिपत  तंतु  का 
समीकरण, ताप समीकरण, ला  लास समीकरण एवं उनके हल। 
     
6.    संख्य
  ा  मक िव ल
  ेषण एवं क   यूटर प्रोग्रामन : 
    संख्य
 ा  
मक  िविधयां,  िविवभाजन  वारा  एक  चर  के  बीजगिणतीय  तथा  अबीजीय 
समीकरण  का हल, रे गुला फाि स
   तथा अबीजीय समीकरण  का हल, रे गुला फाि स तथा 
 यूटनराफसन  िविधयां -,  गाउसीय  िनराकरण  एवं  गाउस(क्षप्र  य)  जॉडर्न-,  गाउस  सीडेल 
वारा रै िखक समीकरण िनकाय का हल िविधय  (पुनरावतीर्),   यूटन का  (अग्र तथा प च
 )
अंतवशन, लाग्रांज का अंतवशन। 
    संख्य
 ा  
मक समाकलनसमलंबी िनयम :, िसंपसन िनयम,  गाउसीय क्षेत्रफल सत्र
ू । 
    साधारण अवकल समीकरण  का संख्य
 ा  
मक हलिनयम :,  गाउसीय क्षेत्रफल सूत्र। 

159 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    साधारण अवकल समीकरण  का संख्य
 ा  
मक हलकु ट िविधयां।-आयलर तथा रं गा : 
    क   यट
ू र  प्रोग्राम  िवआधारी  प धित,  अंक   पर  गिणतीय  तथा तकर्संगत  संिक्रयाएं,  अ  ट 
आधारी  तथा  षोडस  आधारी  प धितयां,  दशमलव  प धित  से  एवं  दशमलव  प धित  म 
पांतरण,  िवआधारी संख्य
  ाओं की बीजावली। 
    क   यट
ू र  प्रणाली  के  त  व  तथा  मेमरी  संक  पना,  आधारी  तकर्संगत  वारा  तथा  स  य 
सारिणयां, बल
ू ीय बीजावली, प्रसामा  य  प। 
    अिचि  हत  पूणार्क ,  िचि  हत  पूणार्क   एवं  वा त
  िवक  िवपिरशु धता  वा  तिवक  तथा  दीघर् 
पण
ू ार्क   का  िन पण,  संख्य
  ा  मक  िव  लेषण  सम  याओं  के  हल  के  िलए  कलनिविध  और 
प्रवाह  संिपत्र। 
     
7.    यांित्रकी एवं तरल गितकी : 
     यापीकृत िनदशांक, डीऐलंबटर्  िस धांत एवं लाग्राज समीकरण, हे िम  टन समीकरण, जड़  व 
आघूण,र्  दो िवमाओं म  ढ़ िपंडो की गित। 
    सांत  व समीकरण, अ  यान प्रवाह के िलए आयलर का गित समीकरण, प्रवाह रे खाएं, कण 
का  पथ,  िवभव  प्रवाह,  िविवमीय  तथा  अक्षत:  समिमत  गित,  उ गम  तथा  अिभगम, 
भ्रिमल गित,  य
  ाम तरल के िलए नैिवयर-  टोक समीकरण। 
 
यांित्रकी इंजीिनयरी 
            प्र न
   पत्र –1  
   
1.    यांित्रकी 
    1.1  ढ़ िपंड  की यांित्रकी 
    आकाश  म  सा  याव  था  का  समीकरण  एवं  इसका  अनुप्रयोग,  क्षेत्रफल  के  प्रथम  एवं 
िवतीय आघूण,र्  घषर्ण की सरल सम  याएं, समतल गित के िलए कण  की शु धगित की 
प्रारं िभक कण गितकी। 
       
    1.2  िव पणीय िपंड  की यांित्रकी 
     यापीकृत हुक का िनयम एवं  इसका अनप्र
ु योग, अक्षीय प्रितबल पर अिभक प
   सम  याएं, 
अप पण  प्रितबल  एवं  आधारक  प्रितबल,  गितक  भारण  के  िलए  सामग्री  के  गुण,  दं ड  म 
बंकन  अप पण  एवं  प्रितबल,  मुख्य
    प्रितबल   एवं  िवकृितय   का  िनधार्रण  िनधार्रण -
िषक  एवं  आलेखीिव ल
  े,  संयुक्त
    एवं  िमि त  प्रितबल,  िधअक्षीय  प्रितबलक  तनु  िभि त
 -
दाब  भा  ड,  गितक  भार  के  िलए  पदाथर्   यवहार  एवं  अिभक  प  कारक,  केवल  बंकन  एवं 
मरोड़ी भार के िलए गोल शै ट का अिभक  प,   थैितक िनधार्री सम य
  ाओं के िलए दं ड का 
िवक्षेप, भंग के िस धांत। 
       
2.    इंजीिनयरी पदाथर्:  

160 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    ठोस   की  आधारभत
ू   संक  पनाएं  एवं  संरचना,  सामा य
    लोह  एवं  अलोह  पदाथर्  एवं  उनके 
अनुप्रयोग,   टील   का  ताप  उपचार,  अधातक
ु ि ट
   ला-,  सेरेिमक,  सिम   पदाथर्  एवं 
नैनोपदाथर्। 
       
3.    यंत्र  का िस धांत:  
    समतल – िक्रयािविधय  का शु धगितक एवं गितक िव ल
  ेषण, कैम, िगयर एवं अिधचिक्रक 
िगयर  मालाएं,  गितपालक  चक्र,  अिधिनयंत्रक,  ढ़  पण
ू ार्ंक   का  संतल
ु न,  एकल  एवं 
बहुिसिलंडरी इंजन, यांित्रकतंत्र का रै िखक कंप-न िव  लेषण  क्रांितक   (त यकोिटएकल   वा)
चाल एवं शै ट का आवतर्न। 
       
4.    िनमार्ण का िवज्ञान:  
    4.1  िनमार्ण प्रक्रम:  
    यंत्र  औजार  इंजीिनयरीषणपारी  बल  िव ल
 े  
या-,  टे लर  का  औजार,  आय 
ु समीकरण,  ढ़ 
मशीनन,  एनसी  एवं  सीएनसी  मशीनन  प्रक्रम,  िजग  एवं   थाियक,  आ ढ़  मशीनन  -
ईडीएम,  ईसीएम,  परा य
  ,  जल  प्रधान  मशीनन,  इ  यािद,  लेजर  एवं   ला म
  ा  के 
अनुप्रयोग, ऊजार् दर अवकलन। 
    पण एवं वे  डन प्रक्रममानक प्रक्रम-। 
    मािपकीनाताओं  की संक  पअनवायोजन  एवं  सिह  ण-ु , औजार एवं  प्रमाप, तुलिनत्र, लंबाई 
का िनरीक्षण, ि  थित, पिर  छेिदका एवं प ृ  ठ सुपूितर्। 
       
    4.2  िनमार्ण प्रबंध:  
    तंत्र  अिभक  प  सरल  ओआर  मॉडल -ितअवि थ
    रीफैक् 
ट  :,  संयंत्र  अिभ  
यासप धित  -
दाषण  एवं  भंग  के  अनुप्रयोग  उ  पाआधािरत  इंजीिनयरी  आिथर्क  िव ल
  ेवरण,  प्रक्रम  वरण 
  ेषण से पव
एवं क्षमता आयोजना के िलए िव ल ू  र् िनधार्िरत समय मानक। 
    प्रणाली  आयोजना  समा  :यण  एवं  अपघटन  पर  आधािरत  पूवक
र् थन  िविधयां,  बहु  मॉडल 
एवं  प्रासंभा  य सम  वायोजन रे खा का अिभक  प एवं  संतुलन सामग्री सूची प्रबंध – आदे श 
काल एवं  आदे श मात्रा िनधार्रण के िलए प्राियकता म
  क सामग्री सच
ू ी मॉडल, जे  आई टी 
प्रणाली, यिु क् 
तमय उ गमीकरण, अंतरसंयंत्र संभारतंत्र।- 
    तंत्र संिक्रया एवं िनयंत्रण : 
    कृ  यकशाला  के  िलए  अनुसच
ू क  कलनिविध,  उ  पाद  एवं  प्रक्रम  गण
ु ता  िनयंत्रण  के  िलए 
सांिख् 
यकीय िविधय  का अनुप्रयोग, मा य   ा एवं  
  , परास, दिू षत प्रितशतता, दोष  की संख्य
प्रितयूिनट  दोष  के  िलए  िनयंत्रण  चाटर्   अनुप्रयोग,  गुणता  लागत  प्रणािलयां,  संसाधन 
संगठन एवं पिरयोजना जोिखम का प्रबंधन। 
    प्रणाली  सुधार  कुल  गुणताप्रबंध  :,  न  य,  कृश  एवं  दक्ष  संगठन   का  िवकास  एवं  प्रबंधन 
जैसी प्रणािलय  का कायार्  वयन। 
 
        प्र न
   पत्र –2  
161 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
1.    उ  मागितकी, गैर गितकी एवं टब  यंत्र : 
    1.1  उ  मागितकी  के  प्रथम  िनयम  एवं  िवतीय  िनयम  की  आधारभूत  संक  पनाएं, 
ऐ  ट्रॉपी  एवं  प्रितक्रमणीयता  की  संक  पना,  उपल  धता  एवं  अनुपल  धता  तथा 
अप्रितक्रमणीयता की संक  पना, उपल  धता एवं अनुपल  धता तथा अप्रितक्रमणीयता। 
     
    1.2  तरल  का वगीर्करण एवं  गण
ु धमर्, संपी य एवं  संपी य तरल प्रवाह, मैक संख्य
  ा का 
प्रभाव  एवं  संपी यता,  सात  व  संवेग  एवं  ऊजार्  समीकरण  प्रसामा य
    एवं  ितयर्क 
प्रघात,  एक  िवमीय  समएंट्रॉपी  प्रवाह,  तरल   का  निलका  म  घषर्ण  एवं  ऊजार्अत
ं रण 
के साथ प्रवाह। 
       
    1.3  पंख ,   
लोअर   एवं  संपीिडत्र   से  प्रवाह,  अक्षीय  एवं  अपके  द्री  प्रवाह  िव  यास,  पंख  
  ाएं, 
एवं  संपीिड़त   का  अिभक  प,  संपीड़न   और  टारबाइन  सोपानी  की  सरल  सम य
िववत
ृ  एवं  संव ृ  त चक्र गैर टरबाइन, गैस टरबाइन म िकया गया कायर्, पन
ु ताप   :
एवं पुनजर्नन। 
     
2.    उ  मा, अंतरण 
    2.1  चालन  ऊ  मा  अंतरणसला ल
  ा-  चालन  समीकरणसामा  य -,  व
  ास   एवं  फूिरए 
समीकरण,  चालन  का  फूिरए  िनयम,  सरल  िभि  त  ठोस  एवं  खोखले  बलन  तथा 
गोलक  पर लगा एक िवभीय  थ
  ायी दशा उ  मा चालन । 
       
  ू न का संवहन िनयम, मुक् 
  2.2  संवहन उ  मा अंतरण –   यट त एवं प्रणोिदत संवहन, चपटे  
तल  पर  असंपी य  तरल  के   तरीय  एवं  िवक्षु  ध  प्रवाह  के  दौरान  उ म
  ा  अंतरण, 
नसे  ट  संख् या,  जलगितक  एवं  ऊ  मीय  सीमांतपरं त  एवं  उनकी  मोटाई  की 
संक  पनाएं,  प्रांटल  संख्य
  ा,  ऊ  मा  एवं  संवेग  अंतरण  के  बीच  अनु पतासरे नॉ  ड -, 
कोलबनर्,  प्रांटल  अनु पताएं,  क्षैितज  निलकाओं  से   तरीय  एवं  िवक्षु  ध  प्रवाह  के 
दौरान ऊ म
  ा अंतरण, क्षैितज एवं ऊ  वार्धर तल  से मुक्त
   संवहन। 
       
    2.3  कृि णका िविकरणआधारभूत िविकरण िनयम-, जैसे िक,   
टीफेन जमैनबो ड
  -,   
लांक 
िवतरण, वीन िव थ
  ापन आिद। 
       
    2.4  आधारभत   ा  िविनमियत्र  िवशल
ू   ऊ म ्  ष
े ण,  ऊ म
  ा  िविनमियत्र  िव ल
 ष
े ण,  ऊ म
  ा 
िविनमियय  का वगीर्करण। 
     
   

162 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
3.      वगीर्करण संक्रया के ऊ  मगितकचक्र   -, भंग शिक्त, सिु चत शिक्त, यांित्रकी दक्षता, 
ऊ  मा  समायोजन  चादर,  िन प
  ादन  अिभक्षण  का  िनवर्चन,  पैट्रोल  गैस  एवं  डीजल 
इंजन । 
       
    3.2  एसआई एवं सीआई इंिजन  म दहन, सामा  य एवं असामा  य दहन, अप  फोटन एवं 
कायर्शील  प्राचल   का  प्रभाव,  अप  टोफक  का   यूनीकरण,  एसआई  एवं  सीआई 
इंिजन  के िलए दहन प्रको  ठ के प्रकार, योजक, उ  सजर्न। 
       
    3.3  अंतदहर्न  इंिजन   की  िविभ न
    प्रणािलय   ईंधन,  नेहन,  शीतन  एवं  संचरण 
 
प्रणािलय , अंतदहर्न इंिजन  म िवक  पी ईंधन । 
       
4.    भाप इंजीिनयरी: 
    4.1  भाप  जननषणअशोिधत  रिकन  चक्र  िव  ले  -,  आधुिनक  भाप  बॉयलर,  क्रांितक  एवं 
अिधक्रांितक दाब  पर भाप, प्रवात उप क
  र, प्राकृितक एवं   कृित्रक प्रवात,  बॉयलर 
ईंधन,  ठोस,  द्रव  एवं  गैसीय  ईंधन,  भाजपा  टरबाइन  िस धांत  -,  प्रकार,  संयोजना, 
आवेग एवं प्रितिक्रया टरबाइन, अक्षीय प्रणोद। 
       
  ु   अिभसारी  एवं  अपसारी  तंडु  म  भाप  को  प्रवाह  -,  आद्रर् ,  संत ृ  त  एवं 
  4.2  भाप  तंड
अिधत  त  जैसी  िविभ न
    प्रांरिभक  भाप  दशाओं  के  साथ,  अिधकतम  िन स
  रण  के 
िलए कठ पर दाब, प च
  दाब िवचरण का प्रभाव, तुंड  म भाप का अिधसंत ृ  त प्रवाह 
िवलसन रे खा। 
       
    ता के साथ रिकन चक्र, पुन  
  4.3  आंतिरक एवं बा य अप्रितक्र य तापन गुणक, पुन  
ताप 
एवं पुनजर्नन, अिधिनयंत्रण िविधयां, प च
   दाब एवं उपिनकासन टरबाइन। 
       
    4.4  भाप  शिक्त  संयंत्र  चक्र  शिक्त  जननसंयुक् 
त-,  ऊ  मा  पुन:प्राि  
त  भाप  जिनत्र 
 एवं अत  तत  त (एचआरएसजी), सहजनन संयत्र। 
     
5.    प्रशीतन एवं वातानुकूलन : 
    5.1  वा प
   संपीडन प्रशीतन चक्र पी-एच एवं  टीएस आरे ख  पर चक्र-, पयार्वरण अनक
ु ू ली 
प्रशीतक द्र  यए  134  आर  -, आर 123, वाि पत्र, द्रविणत्र प्रसरण साधन जैसे  तंत्र, 
सरल वा  प अवशोषण तंत्र। 
       
    5.2  आद्रर् तािमितगुणधमर्  प्रक्रम-,  लेखािचत्र,  संवे य  तापन  एवं  शीतन,  आद्रीर्करण  एवं 
अनाद्रीकरण प्रभावी ताप्रक्रम, वातानक
ु ू लन भार पिरकलन, सरल वािहनी अिभक  प। 
 
िचिक  सा िवज्ञान 
163 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
प्र न
   पत्र  -1 
 
1.    मानव शरीर : 
    उपिर एवं अधोशाखाओं,   
कंधसंिधय , कू  हे एवं कलाई म रक् 
त एवं तंित्रका संभरण समेत 
अनुप्रयुक् 
त शरीर। 
    सकलशरीर  सक् 
तसंभरण  एवं  िज वा  का  िलंफीय  अपवाह,  थायरॉइड,   
तन  ग्रंिथ,  जठर 
यकृत, प्रो ट
 े ट, जननग्रंिथ एवं गभार्शय।  
    डायाफ्राम,  पेरीिनयग  एवं  चंक्षणप्रदे श  का  अनुप्रयुक् 
त  शरीर।  वक्
ृ  क,  मूत्राशय,  गभार् य
  
निलकाओं, शक्र
ु वािहकाओं का रोगलक्षण शरीर 
    भ्रूण  िवज्ञान  :  अपरा  एवं  अपरा  रोध,  दय,  आंत्र  वक्
ृ  क,  गभार्शय    िड ब
  ग्रंिथ  वष
ृ ण  का 
िवकास एवं उनकी सामा  य ज  मजात असामा  यताएं। 
    के  द्रीय एवं पिरसरीय  व
  संचािलत तंित्रका तंत्र : 
    मि तक  के  िनलय ,  प्रमि तकमे   द्रव  के  पिर 
भ्रमण  का  सकल  एवं  रोगलक्षण  शरीर, 
तंित्रका  मागर्   वचीय  संवेदन,  वण  एवं  ि ट  िवक्षित,  कपाल  तंित्रकाएं,  िवतरण  एवं  
रोगलािक्षणक मह  व,   वसंचािलत तंित्रका तंत्र के अवयव। 
     
2.    मानव शरीर िक्रया िवज्ञान : 
    अवेग  का  चालन  एवं  संचरण,  संकुचन  की  िक्रयािविध,  पंित्रका-पेशीय  संचरण,  प्रितवतर्, 
संतुलन  िनयंत्रण,  संि थित  एवं  पेशीतान-,  अवरोही  मागर्,  अनुमि त  क  के  कायर्,  आधारी 
गंिडकाएं, िनद्रा एवं चेतना का िक्रयािवज्ञान। 
    अंत:   त्रावी  तंत्र  :    हाम न  िक्रया  की  िक्रयािविध,  रचना  त्र
  वण,  पिरवहन,  उपापचय, 
पिक्रयाज एवं पीयूष ग्रंिथ के कायर् एवं   त्रवण िनयमन। 
    जनन तंत्र का िक्रया िवज्ञान : आतर्वचक   त  
य  
त्रवण, सगभर्ता। 
    रक् 
त : िवकास, िनयमन एवं रक् 
तकोिशकाओं का पिर 
णाम। 
    दवािहका,  दिन प
  ादन, रक् 
तदाब,  वािहकी कायर् का िनयमन। 
       
   

164 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
3.    जैव रसायन : 
    अंगकायर् परीक्षण यकृत -, वक्
ृ  क, थायरॉइड। 
    प्रोटीन सं ल
  ेषण। 
    िवटािमन एवं खिनज। 
    िनबर्  धन िव खंड दै य
   र् बहु पता )RFLP) 
    पॉलीमेरेज  ख
ं ृ ला प्रितिक्रया (PCR) 
    रे िडयो नोऐसेइ  यू -(RIC) 
       
4.    िवकृित िवज्ञान : 
    थोथ  एवं  िवरोहण,  व ृ िध  िवक्षोभ  एवं  कै  सर,  रहयूमैिटक  एवं  इ  कीिमक  दय  रोग  एवं 
डायिबटीज  मेिलटस  का  िवकृितजनन  एवं  ऊतकिवकृित  िवज्ञान।  सुद  य,  दद
ु र् म,  प्राथिमक 
एवं  िवक्षेपी  दद
ु र् मता  म  िव 
भेदन,  वसनीज  य  कािसर्नोमा,  मख
ु   कसर,  ग्रीवा  कसर, 
 यूकीिमया,  यकृत  िसरोिसस   तवकवश
ृ ोथा,  यक्षमा,  ती   अि थम ज
  ाशोथ  का  हे तु, 
िवकृितजनन एवं ऊतक िवकृित िवज्ञान। 
       
5.    सू म
  जैिवकी : 
    दे हद्रवी एवं कोिशका मा  यिमत रोगक्षमता 
    िन न
  िलिखत रोग कारक एवं उनका प्रयोगशाला िनदान:- मिनगोकॉक् 
वस, सालमोनेला 
    -  िशगेला, हपीर्ज, डगू, पोिलयो 
    -  H IV/AIDS, मलेिरया, ईिलिटकािह  
टो-, िगयािडर्या। 
    -  किडड, िक्र  टोकॉवक् 
स, ऐ  पिजर्लस 
       
6.    भेषजगुण िवज्ञान : 
    िन न
  िलिखत  औषध   के  कायर्  की  िक्रयािविध  एवं  पा व
  प्र
र् भाव:-  ऐि टपायरे िटक् 
स,  एवं 
एना ज
  ेिसक् 
स, ऐि टबायोिटक् 
स, ऐि टमलेिरया, ऐि टकालाजार, ऐि टबायोिटक् 
स 
    -  ऐि टहायपरटिसव,  ऐि टडाइयूरेिटक् 
स,  सामा  य  एवं  द  वासोिडलेटसर्  ऐि टवाइरल, 
ऐि टपैरािसिटक, ऐ टीफंगल, इ  यन
ू ोसप्रेश स 
    -  ऐि टकसर 
       
7.    षिवज्ञान : 
 याय संबंधी औषध एवं िव 
    क्षित एवं घाव  की  य
  ायालयी परीक्षा, रक् 
त एवं शक्र
ु  ध  ब  की परीक्षा, िव 
षाक् 
तता, शामक 
अितमात्रा, फाँसी, डूबना, जलना, DNN एवं िफं गरिप्रंट अ  ययन। 
 
प्र न
   पत्र   -2 
 
1.    सामा  य कायिचिक  सा  : 

165 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    टे टनस,  रै बीज,  AIDS  डग् 
य,ू   काला–आजार,  जापानी  ए स
  ेफेलाइिटस  का  हे त,ु   रोग  लक्षण 
िवशेषताएं, िनदान एवं प्रबंधन के िस धांत – 
    इ  कीिमक  दय  रोग,  फु  
फस  अंत:  श  यता,  व थमा,  फु  
  सनी  अ   फसावरणी  िन:सरण, 
य म
  ा,  अपावशोषण  संलक्षण,  अ  ल  पेि टक  रोग,  िवषागुज  यकृतशोध  एवं  यकृत 
िसरोिसस। 
    तवकवक्
  ृ  कशोथ  एवं  गोिणकावक्
ृ  कशोथ,  वक्
ृ  कपात,  संलक्षण,  वक्
ृ  कीय  संलक्षण, 
वक्
ृ  कवािहका अितिरक् 
तदाब, डायबीटीज मेिलटस के उपद्रव,   कंदनिवकार,   यूकीिमया अव -
थॉयराइिड म
  -अित-एवं, मेिन  जायिटस एवं ए  सेफेलाइिटस।  
    िचिक  
सकीय  सम  याओं  म  इमेिजंग,  अ  ट्रासाउं ड  ईको  कािडर्योग्राम,  CT   
कैन,  MRI, 
िचंता एवं अवसाद मनोिविक्षि त एवं िवखंिडत ता तथामन  क -E.C.T. 
       
2.    बाल रोग िवज्ञान : 
    रोगप्रितरोधीकरण,  बेबीतालफ्रडली  अ  प-,  ज  मजात  य
  ाव  दय  रोग  व
  सन  िवक्षोभ 
संलक्षण,  व
  सनीसशोथफु्  
फु  -,  प्रमि तकीय  नवजात  कामला,  IMNCI    वगीर्करण  एवं 
प्रबंध PEM कोिटकरण एवं  प्रबंध IARI एवं  पांच वषर्  से  छोटे   िश शुओं  की प्रवािहका एवं 
उसका प्रबंध। 
       
3.     वचा िवज्ञान : 
    सोिरएिसस एलिजर्क डमटाइिटस,   
केबीज, एक् 
जीमा िविटिलगो,   टीवनजॉनसन संलक्षण-, 
लाइकेन   लेनस 
       
4.    सामा  य श  य िचिक स
  ा : 
    खंडतालु खंडो  ठ की रोगलक्षण िवशेषता, कारण एवं प्रबंध के िस धांत। 
    वरयंत्रीय अबद
  ुर् , मख
ु  एवं ईसोफेगस अबद
ुर् । 
    पिरधीय  धमनी  रोग,  वैिरकोज  वे  स,  महाधमनी  संकुचन  थायरॉइड,  अिधवक्
ृ  क  ग्रंिथ  के 
अबद
ुर् । 
    फोड़ा, कसर,   
तन का तंतग्र
ु ंिथ अबद
ुर्  एवं ग्रिथलता पेि टक अ  सर रक् 
त ाव, आंत्र य म
  ा, 
अ  सरे िटव  कोलाइिटस,  जठर  कसर  वक्
ृ  क  मास,  प्रो ट
 े ट  कसर,  हीमोथोरै क् स,  िपताशय, 
वक्
ृ     म,  एनस,  एनल,  कैनल,  िपताशय  एवं  
क  यूरेटर  एवं  मूत्राशय  की  पथरी,  रे क्ट
िपतवािहनी की श  य दशाओं का प्रबंध। 
   

166 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
     लीनोमेगैली,  कॉलीिस ट
  ाइिटस,  पोटर् ल  अितिरक् 
त  दाब,  यकृत  फोड़ा,  पेरीटोनाइिटस, 
पिक्रयाज शीषर् कािसर्नोमा, रीढ़ िवभंग, कोली िवभंग एवं अि थ टयूमर। 
    एंडो  कोपी 
    लेप्रो  कोिपक सजर्री 
       
5.    प्रसूित िवज्ञान एवं पिरवार िनयोजन समेत   
त्री रोग िवज्ञान : 
    सगभर्ता का िनदान 
    प्रसव  प्रबंध,  तत
ृ ीय  चरण  के  उपद्रव,  प्रसवपूण र् एवं  प्रसवोतर  रक् 
त   
त्राव,  नवजात  का 
पुन जीवन,  असामा  य  ि थित  एवं  किठन  प्रसव  का  प्रबंध,  कालपूव र् (प्रसव)  नवजात  का 
प्रबंध। 
  तता का िनदान एवं प्रबंध। 
  अरक् 
    सगभर्ता  का  प्रीएक् 
लैि सया  एवं  टॉकसीिमया,  रजोिनव ृ  यु  
तर  संलक्षण  का  प्रबंध,  इंट्रा-
यट
ू े रीन यिु क्तयां, गोिलयां, टयब
ू ेक् 
टॉमी एवं वैसेक् 
टॉमी। 
    सगभर्ता का िचिक  सकीय समापन िजसम िविधक पहल ू शािमल है । 
    ग्रीवा कसर 
    यरू ोिटया,  ोिण  वेदना,  बं य
  शनल  यूटेरीन  रक् 
  ता,  िडसफंक्  त  
त्राव  (DUB)  अमीनोिरया, 
यट
ू रस का तंतुपेशी अबद
ुर्  एवं भ्रंश। 
     
6.    समद
ु ाय कायिचिक  सा (िनवारक एवं समािजक काय िचिक  सा): 
    िस धांत, प्रणाली, उपागम एवं  जानपािदक रोग िवज्ञान का मापन; पोषण, पोषण संबंधी 
रोग/िवकार एवं पोषण कायर्क्रम 
      वा   य
     सच
ू ना संग्रहण, िवश ्लेषण एवं प्र  तिु त। 
      िन न
  िलिखत के िनयंत्रण/उ  मूलन के िलए रा ट्र
  ीय कायर्क्रम  के उ दे य
  , घटक एवं 
क्रांितक िव ल
  ेषण, मलेिरया, कालाआजार, फाइलेिरया एवं य म
  ा; 
      HIV/AIDS, यौन संक्रिमत रोग एवं डगू 
          दे खभाल  प्रदाय  प्रणाली  का  क्रांितक  मू  यांकन   
वा   य
  वा   य
    प्रबंधन  एवं 
प्रशासन: तकनीक, साधन, कायर्क्रम कायार्  वयन एवं मू  यांकन
      जनन  एवं  िशश 
ु  
वा   य
    के  उ दे य
  ,  घटक,  ल य  एवं  ि थित,  रा ट्र
  ीय  ग्रामीण 
 वा   य
   िमशन एवं सह  त्रा  दी िवकास ल य
  । 
      अ  पताल एवं औ योिगक अपिश  ट प्रबंध। 
 
दशर्नशा  त्र 
प्र न
   पत्र - I 
 
दशर्न का इितहास एवं सम  याएं : 
1.     लेटो  एवं  अर  तू:  प्र  यय;  द्र  य;  आकार  एवं  पु गल;  कायर्कारण  भाव;  वा त
  िवकता  एवं 
शक् यता। 
167 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
2.    तकर्  बु िधवाद  (  दे कातर्,  ि पनोजा,  लीबिनज):  दे कातर्  की  प धित  एवं  असंिदग् 
ध  ज्ञान; 
द्र  य;  परमा  मा; मन-शरीर  वैतवाद; िनयत व
  वाद एवं   वातं य । 
3.    इंिद्रयानुभव  वाद  (  लॉक,  बकर्ले,  यूम):  ज्ञान  का  िस धांत;  द्र  य  एवं  गुण;  आ  मा  एवं 
परमा  मा; संशयवाद। 
4.    कांट:  सं ल
  ेषा  मक  प्रागनुभिवक  िनणर्य  की  संभवता:  िदक  एवं  काल;  पदाथर्;  तकर्बु िध 
प्र  यय; िवप्रितषेध; परमा म
  ा के अि त  व के प्रमाण  की मीमांसा। 
5.    हीगेल:  वं वा  मक प्रणाली; परमप्र  ययवाद। 
6.    मूर,  रसेल  एवं  पूवव
र् तीर्  िव जे    टीन:  सामा  य  बु िध  का  मंडन;  प्र  ययवाद  का  खंडन; 
तािकर्क  परमाणवाद;  तािकर्क  रचना;  अपण
ू  र् प्रतीक;  अथर्  का  िचत्र  िस धांत;    उिक्त  एवं 
प्रदशर्न । 
7.    तािकर्क  प्र  यक्षवाद:  अथर्  का  स  यापन  िस धांत;  त  वमीमांसा  का  अ व
  ीकार;  अिनवायर् 
प्रितज्ञि त का भािषक िस धांत। 
8.    उ  तरवतीर् िव ग  टीन: अथर् एवं प्रयोग; भाषा‐खेल:   
यिक् 
त भाषा की मीमांसा। 
9.    संवत
ृ िशा  
त्र (हसर्ल) प्रणाली; सार िस धांत; मनोिवज्ञानपरता का पिरहार। 
10.    अि त  वपरकतावाद  (कीकर्गादर् ,  सात्रर्,  हीडेगर):  अि त  व  एवं  सार;  वरण,  उ  तरदािय  व  एवं 
  िनसत ् एवं कालस  ता। 
प्रामािणक अि त  व; िव व
वाइन एवं   ट्रॉसन: इंिद्रयानुभववाद की मीमांसा; मूल िविश  
11.    क्  ट एवं   यिक्त का िस धांत। 
12.    चावार्क: ज्ञान का िस धांत ; अतींिद्रय स  व  का अ  वीकार। 
13.    जैनदशर्न: स  ता का िस धांत; स  तभंगी   याय; बंधन एवं मुिक्त। 
14.    बौ धदशर्न संप्रदाय: प्रती  यसमु  पाद; क्षिणकवाद, नैरा    यवाद। 
15.     याय‐वैशिे षक: पदाथर्  िस धांत; आभास िस धांत; प्रमाण िस धांत; आ  मा मिु क्त; परमा  मा; 
परमा  मा  के  अि त  व  के  प्रमाण;  कायर्कारण‐भाव  का  िस धांत,  सिृ ट  का  परमाणुवादी 
िस धांत। 
  : प्रकृित; पु ष; कायर्कारण भाव; मिु क्त। 
16.    सांख्य
17.    योग: िच  त; िच  तविृ ; क् 
लेश; समािध; कैव य
  । 
18.    मीमांसा: ज्ञान का िस धांत। 
19.    वेदांत  संप्रदाय:  ब्र मन;  ई व
  र;  आ  मन;  जीव;  जगत;  माया;  अिव या;  अ  यास;  मोक्ष; 
अपथ
ृ क िस िध; पंचिवधभेद। 
20.    अरिवंद: िवकास, प्रितिवकास, पूण र् योग। 
 
प्र न
   पत्र ‐ 2 
 
सामािजक – राजनैितक दशर्न : 
1.    सामािजक एवं राजनैितक आदशर्  सामानता ,   
याय,   
वतंत्रता। 
2.    प्रभुस  ता :  आि टन बोदां, ला क
  ी, कौिट य
  । 
3.     यिक्त एवं रा य
   : अिधकार; कतर्  य एवं उ  तरदािय  व। 

168 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
4.    शासन के प्रकार : राजतंत्र; धमर्तंत्र एवं लोकतंत्र। 
5.    राजनैितक िवचारधाराएं : अराजकतावाद; माक् 
सवर् ाद एवं समाजवाद। 
6.    मानववाद : धमर्िनरपेक्षतावाद; बहुसं  कृितवाद। 
7.    अपराध एवं दं ड : भ्र  टाचार,   
यापक िहंसा, जाितसंहार, प्राणदं ड। 
8.    िवकास एवं सामािजक उ  नित। 
9.    िलंग भेद :   
त्रीभ्रूण ह य
  ा, भूिम एवं संपि  अिधकार; सशिक्तकरण। 
10.    जाित भेद : गांधी एवं अंबेडकर। 
 
धमर्दशर्न 
 
1.    ई व
  र की धारणा : गुण; मनु  य एवं िव व
   से संबंध (भारतीय एवं पा च
 ा  
य)। 
2.    ई व
  र के अि त  व के प्रमाण और उसकी मीमांसा ( भारतीय एवं पा च
 ा  
य)। 
3.    अशभ
ु  की सम  या। 
4.    आ  मा : अमरता, पुनजर्  म एवं मुिक्त। 
5.    तकर्बु िध,  ुित एवं आ  था। 
6.    धािमर्क अनुभव : प्रकृित एवं व  त ु (भारतीय एवं पा च
 ा  
य) 
7.    ई व
  र रिहत धमर्। 
8.    धमर् एवं नैितकता। 
9.    धािमर्क शिु चता एवं परम स  यता की सम  या। 
10.    धािमर्क भाषा की प्रकृित: सा   मूलक एवं प्रतीका  मक; संज्ञानवादी एवं िन स
य   ंज्ञानवादी। 
 
 
भौितकी 
प्र न
   पत्र – 1 
 
1.    (क)  कण यांित्रकी: 
      े   का  संरक्षण,  घूणीर्  फ्रेम  पर  अनुप्रयोग,  अपकद्री  एवं 
गितिनयम,  उजार्  एवं  संवग
कोिरयािलस   वरण; कद्रीय बल के अंतगर्त गित; कोणीय संवेग का संरक्षण, के  लर 
िनयम;  क्षेत्र  एवं  िवभव;  गोलीय  िपंड   के  कारण  गु  व  क्षेत्र  एवं  िवभव;  गौस  एवं 
 वास   समीकरण,  गु  व  व   मान;  रदरफोडर् 
  ऊजार्;  िविपंड  सम  या;  समानीत  द्र य
प्रकीणर्न; द्र  यमान कद्र एवं प्रयोगशाला संदभर् फ्रेम। 
       
    (ख)  ढ़ िपंड  की यांित्रकी: 
      कणिनकाय; द्र  यमान कद्र, कोणीय संवेग, गित समीकरण; ऊजार् संवेग एवं कोणीय 
संवेग  के  संरक्षण  प्रमेय;  प्र  या  थ  एवं  अप्र  या  थ  संघटन;  ढ़  िपंड;   वातंत्रय 
कोिटयां,  आयलर  प्रमेय  कोणीय  वेग,  कोणीय  संवेग,  जड़  व  आघूण,र्   समांतर  एवं 
अिभलंब अक्ष  के प्रमेय घण
ू न र्  ( ढ़ िपंड  
र्  हे तु  गित का समीकरण; आि वक घूणन
169 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
के  प म);  िव एवं ित्र-परमाि वक अनु, परु स
  रण गित, भ्रिम घण
ू ार्क्ष  थापी। 
       
    (ग)  संतत मा  यम  की यांित्रकी: 
      प्र  या  
थता,  हुक  का  िनयम  एवं  समदै िशक  ठोस   के  प्र  या  थतांक  तथा  उनके 
अंतस
र् ंबंध;  प्रवाहरे खा  (  तरीय)  प्रवाह,  य
  ानता,   वाजय  समीकरण,  बरनूली 
समीकरण,  ट
  ोक िनयम एवं उसके अनुप्रयोग। 
       
    (घ)  िविश ट
   आपेिक्षता : 
      माइक  सन-मोल  प्रयोग  एवं  इसकी  िववक्षाएं;  लॉरज  पांतरण-दै य
  -र् संकुचन, 
  र प्रभाव, द्र  यमान-ऊजार् 
कालव ृ िध, आपेिक्षकीय वेग  का योग, िवपथन तथा डॉ ल
संबंध,  क्षय  प्रिक्रया  से  सरल  अनुप्रयोग;  चतुिवर्मीय  संवेग  सिदश;  भौितकी  के 
समीकरण  से सहप्रसरण। 
       
2.      तरं ग एवं प्रकािशकी : 
    (क)  तरं ग : 
      सरल आवतर् गित, अवमंिदत दोलन, प्रणोिदत दोलन तथा अनुनाद; िव प
 दं ; तंतु म 
ि थर  तरं गे;   पंदन  तथा  तरं ग  संचाियकाएं;  प्राव थ
  ा  तथा  समूह  वेग;  हाईजन  के 
िस धांत से परावतर्न तथा अपवतर्न। 
       
    (ख)  यािमतीय प्रकािशकी: 
 
      फरमैट  के  िस धांत  से  परावतर्न  तथा  अपवतर्न  के  िनयम,  उपाक्षीय  प्रकािशकी  म 
आ  यह
ू   प धित-पतले  लस  के  सत्र   ंद  तल,  दो  पतले  लस   की  प्रणाली,  वणर् 
ू ,  िन प
तथा गोलीय िवपंथन। 
       
    (ग)   यितकरण 
      प्रकाश का   यितकरण-यंत्र का प्रयोग,   
यटू न वलय, तनु  िफ  
म   वारा  य
  ितकरण, 
माइक  सन   यितकरणमापी;  िविवध  िकरणपुंज   यितकरण  एवं 
फैब्रीपेरट  यितकरणमापी। 
       
    (घ)  िववतर्न: 
      फ्रानहोफर  िववतर्न-एकल  रे खािछद्र,  िवरे खािछद्र,  िववतर्न  ग्रेिटंग,  िवभेदन  क्षमता; 
िव  तीय  वारक  वारा  िववतर्न  तथा  वायवीय  पैटनर्;  फ्रेसनेल  िववतर्न;  अ र्ध 
्  ेट, व ृ  तीय  वारक। 
आवतर्न जोन एवं जोन प 

       
    (ड.)  ध्रुवीकरण एवं आधुिनक प्रकािशकी: 
      रे खीय  तथा  व ृ  तीय  ध्रुिवत  प्रकाश  का  उ प
  ादन  तथा  अिभज्ञान;  िवअपवतर्न, 

170 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
चतथ
ु ार्ंश तरं ग   लेट; प्रकाशीय सिक्रयता; रे शा प्रकािशक  के िस धांत, क्षीणन;   टेप 
इंडक्
े  स तथा परवलियक इंडक्
े  स तंतुओं  म   पंद पिरक्षेपण; पदाथर्  पिरक्षेपण, एकल 
प रे शा; लेसर आइन  टाइन A तथा B गुणांक,  बी एवं  हीिलयम िनयॉन लेसर; 
लेसर प्रकाश की िवशेषताएं  -   थािनक तथा कािलक संब धता; लेसर िकरण पुंजो 
का  फोकसन;  लेसर  िक्रया  के  िलए  ित्र-  तरीय  योजना  होलीग्राफी  एवं  सरल 
अनप्र
ु योग। 
       
3.    िव युत एवं चुंबक  व: 
    (क)  ि थर वै युत एवं ि थर चुंबकीय: 
      ि थर  वै युत  म  ला  लास  एवं   वास   समीकरण  एवं  उनके  अनुप्रयोग;  आवेश 
िनकाय  की  ऊजार्,  आदे श  िवभव  का  बहुध्रुव  प्रसार;  प्रितिब ब
    िविध  एवं  उसका 
अनुप्रयोग;  िवध्रुव  के  कारण  िवभव  एवं  क्षेत्र,  बा य  क्षेत्र  म  िवध्रुव  पर  बल  एवं 
बल  आघूण,र्   परावै युत  ध्रुवण;  पिरसीमा-मान  सम  या  का  हल-एकसमान  वै युत 
क्षेत्र  म  चालन  एवं  परवै युत  गोलक;  चुंबकीय  कोश,  एकसमान  चुंबिकत  गोलक, 
लोह चंब
ु कीय पदाथर्, शैिथ  य, ऊजार् ास। 
       
    (ख)  धारा िव युत : 
      िकरचॉफ  िनयम  एवं  उनके  अनप्र
ु योग;  बायोसवाटर्   िनयम,  ऐि पयर  िनयम,  फराड़े 
िरनयम, लज िनयम,   व एवं  अ  यो  य प्रेरक  व; प्र  यावतीर्  धारा (AC) पिरपथ म 
मा  य  एवं  वगर्मा  य  मूल  (rms)    मान,  RL  एवं  C  घटक  वाले  DC  एवं  AC  - 
ु ाद; गुणता कारक; पिरणािमत्र के िस धांत। 
पिरपथ;  ेणीब ध एवं समांतर अनन
       
    (ग)  िव युत चुंबकीय तरं गे एवं कृि णका िविकरण: 
      िव थ
  ापन धारा एवं  मैक् 
सवेल के समीकरण; िनवार्त म तरं ग समीकरण,   
वाइंिटंग 
सवेल समीकरण  
प्रमेय; सिदश एवं  अिदश िवभव; िव युत चुंबकीय क्षेत्र प्रिदश, मैक् 
का  सहप्रसरण;  समदै िशक  परावै युत  म  तरं ग  समीकरण,  दो  परावै युत   की 
पिरसीमा  पर  परावतर्न  तथा  अपवतर्न;  फ्रेसनल  संबंध;  पूण र् आतंिरक  परावतर्न; 
  क 
प्रसामा  य  एवं  असंगत  वणर्  िवक्षेपण;  रे ले  प्रकीणर्न;  कृि णका  िविकरण  एवं  ल
िविकरण  िनयम,   टीफन  बो   जमैन  िनयम,  िवयेन  िव थ
  ापन  िनयम  एवं  रे ले-
जी  स िनयम। 
       
4.      तापीय एवं सांिख्यकी भौितकी: 
    (क)  ऊ  मागितकी:  
      ऊ  मागितकी  का  िनयम,  उ  क्र  
य  तथा  अप्रितक्र य
    प्रक्रम,  ए  ट्रॉपी,  समतापी, 
धो  म,  समदाब,  समआयतन  प्रक्रम  एवं  ए  ट्रॉपी  पिरवतर्न;  ओटो  एवं  डीजल 
इंिजन,  िग  स  प्राव थ   िवक  गैस  अव  था  के 
  ा  िनयम  एवं  रासायिनक  िवभव,  वा त
सवेल 
िलए  वांडरवाल  समीकरण,  क्रांितक  ि थरांक,  आि वक  वेग  का  मैक् 
171 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
बो   जमान  िवतरण,  पिरवहन  पिरघटना,  समिवभाजन  एवं  वीिरयल  प्रमेय;  ठोस  
की िविश ट सवेल संबंध 
   ऊ  मा के  यूलां-पेती, आइं  टाइन, एवं  डेबी िस धांत; मैक् 
एवं  अनुप्रयोग;  क् लािसयस  क् लेपरॉन  समीकरण,  धो  म  िवचुंबकन,  जूल  केि वन 
प्रभाव एवं गैस  का द्रवण। 
       
    (ख)  सांिख्यकीय भौितकी: 
      थ ूल  
  एवं  सू म
   अव  थाएं,  सांिख्यकीय  बंटन,  मैक् 
सवेल-बो   जमान, 
बोसआइं  टाइन  एवं  फमीर्-िदराक  बंटन,  गैस   की  िविश ट
    ऊ  मा  एवं  कृि णका 
िविकरण म अनुप्रयोग नकारा  मक ताप की संक  पना। 
 
 
प्र न
   पत्र – 2 
 
1.    क् 
वांटम यांित्रकी : 
    कण तरं ग  वैतता;  ीिडंगर समीकरण एवं प्र  याशामान; अिनि चतता िस धांत, मक्
ु  तकण, 
बॉक् 
स  म  कण,  पिरिमत  कूप  म  कण  के  िलए  एक  िवमीय  ीिडंगर  समीकरण  का  हल 
(गाउसीय  तरं ग-वे  टन),  रै िखक  आवतीर्  लोलक;  पग-िवभव  वारा एवं  आयताकार  रोिधका 
वारा परावतर्न एवं  संचरण; ित्रिवमीय बॉक् 
स म कण, अव  थाओं  का घन  व, धातुओं  का 
मुक् 
त  इलेक् 
ट्रान  िस धांत,  कोणीय  संवेग,  हाइड्रोजन  परमाण;ु   अ र्धप्रचकरण  कण,  पाउली 
प्रचक्रण आ  यूहो के गण
ु धमर्। 
     
2.    परमाि वक एवं आि वक भौितकी : 
    टनर्- गलक प्रयोग, इलेक् 
     संरचना; युग्म
ट्रान प्रचक्रण, हाइड्रोजन परमाणु  की सू म   न, L-
S,  J-J  युग्म
  न,  परमाणु  अव थ
  ा  का   पेक् 
ट्रमी  संकेतन,  जीमान  प्रभाव,  फ्रक  कंडोन 
िस धांत एवं  अनुप्रयोग; िवपरमाणुक अणु  के घूणन
र् ी, कांपिनक एवं  इलेक् 
ट्रािनक   पेक् 
ट्रम  
का  प्राथिमक  िस धांत,  रमन  प्रभाव  एवं  आि वक  संरचना;  लेसर  रमन   पेक् 
ट्रिमकी, 
खगोिलकी  म  उदासीन  हाइड्रोजन  परमाणु,  आि वक  हाइड्रोजन  एवं  आि वक  हाइड्रोजन 
ऑयन का मह व
  ; प्रितिदि त एवं   फुरदीि त NMR एवं  EPR का प्राथिमक िस धांत एवं 
अनुप्रयोग, लै  बसिृ त की प्राथिमक धारणा एवं इसका मह  व। 
     
3.    नािभकीय एवं कण भौितकी : 
    मल
ू भत ु धमर्-आकार,  बंधन,  ऊजार्,  कोणीय  संवेग,  समता,  चंब
ू   नािभकीय  गण ु कीय  आघण
ू ;र्  
अ र्ध-आंनुभािवक  द्र  यमान  सूत्र  एवं  अनुप्रयोग,  द्र  यमान  परवलय;  यूटेरॉन  की  मूल 
अव  था, चुंबकीय आघूण र् एवं अकद्रीय बल; नािभकीय बल  का मेसॉन िस धांत, नािभकीय 
बल   की  प्रमख
ु   िवशेषताएं;  नािभक  का  कोश  मॉडल-सफलताएं  एवं  सीमाएं;  बीटाहास  म 
समता का उ  लंघन; गामा  ास एवं आंतिरक  पांतरण, मासबौर  ट
 े क् 
ट्रिमकी की प्राथिमक 
धारणा;  नािभकीय  अिभिक्रयाओं  का  Q  मान;  नािभकीय  िवखंडन  एवं  संलयन,  ताराओं  म 
172 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
ऊजार्  उ  पादन; नािभकीय िरयेक् टर। मल
ू  कण  का वगीर्करण एवं  उनकी अ  यो  
यिक्रयाएं; 
संरक्षण  िनयम;  है ड्रॅान   की  क् 
वाकर्  संरचना;  क्षीण  वै युत  एवं  प्रबल  अ  यो  य  िक्रया  का 
वांटा; बल  के एकीकरण की प्राथिमक धारणा;   
क्षेत्र-क्  यूिट्रन  की भौितकी। 
     
4.    ठोस अव  था भौितकी, यंत्र एवं इलेक् 
ट्रॉिनकी : 
    पदाथर्  की िक्र ट
  लीय एवं  अिक्र  टलीय संरचना; िविभ न
   िक्र ट
  ल िनकाय, आकाशी समूह; 
िक्र ट
  ल  संरचना  िनधार्रण  की  िविधयां; X-िकरण  िववतर्न,  क्रमवीक्षण  एवं  संचरण 
इलेक् 
ट्रॉन-सू म
  दशीर्;  ठोस   का  प ट  िस धांत-चालक,  िव युतरोधी  एवं  अ र्धचालक;  ठोस  
के तापीय गुणधमर्, िविश  ट ऊ  मा, डेबी िस धांत; चुंबक  व; प्रित, अनु  एवं  लोह चुंबक  व; 
अितचालकता  के  अवयव,  माइ र  प्रभाव,  जोसेफसन  संिध  एवं  अनुप्रयोग;  उ  च  तापक्रम 
अितचालकता की प्राथिमकता धारणा। 
    नैज एवं  बा य अ र्धचालक; p-n-p एवं  n-p-n ट्रांिज  टर, प्रवधर्क एवं  दोिलत्र, संिक्रया  मक 
प्रवधर्क, FET,  JFET  एवं  MOSFET  :  अंकीय  इलेक् ट्रॉिनकी-बूलीय  त  समक,  डीमॉगनर् 
िनयम,  तकर्  वार  एवं  स  य  सारिणयां;  सरल  तकर्  पिरपथ;  ऊ  म  प्रितरोधी,  सौर  सेल; 
माइक्रोप्रोसेसर एवं अंकीय कं  यूटर  के मूल िस धांत। 
 
राजनीित िवज्ञान एवं अंतरार्  ट्रीय संबंध  
प्र न
   पत्र – 1 
 
राजनैितक िस धांत एवं भारतीय राजनीित : 
1.    राजनैितक िस धांत : अथर् एवं उपागम : 
2.    रा य
    के  िस धांत  :  उदारवादी,  नवउदारवादी,  माक् 
सवर् ादी,  बहुवादी,  प च
  -उपिनवेशी  एवं 
नारी-अिधकारवादी। 
3.     याय  :  रॉल  के   
याय  के  िस धांत  के  िवशेष  संदभर्  म   
याय  के  संप्र  यय  एवं  इसके 
समुदायवादी समालोचक। 
4.    समानता  :  सामािजक,  राजनैितक  एवं  आिथर्क,  समानता  एवं   
वतंत्रता  के  बीच  संबंध, 
सकारा  मक कायर्। 
5.    अिधकार: अथर् एवं िस धांत, िविभ  न प्रकार के अिधकार, मानवािधकार की संक  पना। 
6.    लोकतंत्र:  क् 
लािसकी  एवं  समकालीन  िस धांत,  लोकतंत्र  के  िविभ  न  मॉडल-प्रितिनिधक, 
सहभागी एवं िवमशीर्। 
त, प्राधा  य, िवचारधारा एवं वैधता की संक  पना। 
7.    शिक् 
8.    राजनैितक  िवचारधाराएं:  उदारवाद,  समाजवाद,  माक् 
सवर् ाद,  फासीवाद,  गांधीवाद  एवं  नारी-
अिधकारवाद। 
9.    भारतीय  राजनैितक  िचंतन:  धमर्शा  त्र,  अथर्शा  त्र  एवं  बौ ध  परं पराएं,  सर  सैयद  अहमद 
खान,  ी अरिवंद, एम.के. गांधी, बी.आर. अ ब
  ेडकर, एम.एन. रॉय। 
10.    पा च
 ा  
य  राजनैितक  िचंतन:   
लेटो  अर  तु,  मैिकयावेली,  हॉ स
  ,  लॉक,  जॉन  एस.  िमल, 
माक् 
स,र्  ग्रा    की, हा न
  ा आरे  ट। 

173 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
भारतीय शासन एवं राजनीित : 
 
1.    भारतीय रा ट्र
  वाद : 
    (क)  भारत  के   
वाधीनता  संग्राम  की  राजनैितक  कायर्नीितयां  :  संिवधानवाद  से  जन 
स  याग्रह,  असहयोग,  सिवनय  अवज्ञा  एवं  भारत  छोड़ो,  उग्रवादी  एवं  क्रांितकारी 
आंदोलन, िकसान एवं कामगार आंदोलन। 
       
    (ख)  भारतीय  रा ट्र
  ीय  आंदोलन  के  पिरप्रे य
  :  उदारवादी,  समाजवादी  एवं  माक् सव
र् ादी, 
उग्रमानवतावादी एवं दिलत। 
       
2.    भारत  के  संिवधान  का  िनमार्ण  :  िब्रिटश  शासन  का  िरक् 
थ,  िविभ न
    सामािजक  एवं 
राजनैितक पिरप्रे य
  । 
       
3.    भारत के संिवधान की प्रमख
ु  िवशेषताएं: प्र  तावना, मौिलक अिधकार तथा क  तर्  
य, नीित 
िनदशक  िस धांत,  संसदीय  प्रणाली  एवं  संशोधन  प्रिक्रया,   याियक  पुनिवर्लोकन  एवं  मूल 
संरचना िस धांत। 
       
4.    (क)  संघ  सरकार  के  प्रधान  अंग:  कायर्पािलका,  िवधाियका  एवं  सव  च   
यायालय  की 
िवचािरत भूिमका एवं वा त
  िवक कायर्प्रणाली। 
       
    (ख)  रा य
    सरकार  के  प्रधान  अंग:  कायर्पािलका,  िवधाियका  एवं  उ  च   
यायालय   की 
िवचािरत भूिमका एवं वा त
  िवक कायर्प्रणाली। 
       
5.    आधािरक लोकतंत्र: पंचायती राज एवं  नगर शासन, 73व एवं  74व संशोधन  का मह  व, 
आधािरक आंदोलन। 
       
6.    िनयंत्रक एवं  महालेखा परीक्षक, िव त
   आयोग, संघ लोक सेवा आयोग, रा ट्र
  ीय अनुसूिचत 
जाितयां  आयोग, रा ट्र
  ीय अनुसूिचत जनजाितयां  आयोग, रा ट्र
  ीय मिहला आयोग, रा ट्र
  ीय 
मानवािधकार आयोग, रा ट्र
  ीय अ  पसंख्य
  क आयोग, रा ट्र
  ीय िपछड़ा वगर् आयोग। 
       
7.    संघ  रा य
    प धित  :  सांिवधािनक  उपबंध,  कद्र  रा य
    संबंध   का  बदलता   
व प, 
एकीकरणवादी प्रविृ  
तयां एवं क्षेत्रीय आकांक्षाएं, अंतर-रा य
   िववाद। 
       
8.    योजना  एवं  आिथर्क  िवकास:  नेह वादी  एवं  गांधीवादी  पिरप्रे य
  ,  योजना  की  भिू मका  एवं 
िनजी क्षेत्र, हिरत क्रांित, भूिम सुधार एवं कृिष संबंध, उदारीकरण एवं आिथर्क सुधार। 
       
174 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
9.    भारतीय राजनीित म जाित, धमर् एवं नज
ृ ातीयता। 
       
10.    दल प्रणाली: रा ट्र
  ीय एवं  क्षेत्रीय राजनैितक दल, दल  के वैचािरक एवं  सामािजक आधार, 
बहुदलीय राजनीित के   व प, दबाव समह तयां, िवधायक  के 
ू , िनवार्चक आचरण की प्रविृ  
बदलते सामािजक-आिथर्क   व प। 
       
11.    सामािजक  आंदोलन:  नागिरक   
वतंत्रताएं  एवं  मानवािधकार  आंदोलन,  मिहला  आंदोलन 
पयार्वरण आंदोलन 
 
प्र न
   पत्र – 2 
 
    तुलना  मक राजनीित तथा अंतरार्  ट्रीय संबध
ं  
    तल
ु ना  मक राजनैितक िव ल
  ेषण एवं अंतरार्  ट्रीय राजनीित 
     
1.    तुलना  मक राजनीित:   
व प एवं  प्रमुख उपागम, राजनैितक अथर्  यव  था एवं  राजनैितक 
  ; तल
समाजशा  त्रीय पिरप्रे य ु ना  मक प्रिक्रया की सीमाएं। 
     
2.    तुलना  मक  पिरप्रे य   ;  पूंजीवादी  एवं  समाजवादी  अथर्  यव  थाओं  म  रा य
    म  रा य     के 
बदलते   व प एवं उनकी िवशेषताएं तथा उ  नत औ योिगक एवं िवकासशील समाज। 
       
3.    राजनैितक  प्रितिनधान  एवं  सहभािगता  :  उ  नत  औ योिगक  एवं  िवकासशील  समाज   म 
राजनैितक दल, दबाव समूह एवं सामािजक आंदोलन। 
       
4.    भूमंडलीकरण: िवकिसत एवं िवकासशील समाज  से प्रा त
   अनुिक्रयाएं। 
       
5.    अंतरार्  ट्रीय संबंध  के अ  ययन के उपागम; आदशर्वादी, यथाथर्वादी, माक् सव
र् ादी, प्रकायर्वादी 
एवं प्रणाली िस धांत। 
       
6.    अंतरार्  ट्रीय  संबंध   म  आधारभूत  संक  पनाएं;  रा  ट्रीय  िहत,  सुरक्षा  एवं  शिक् 
त,  शिक् त 
संतुलन एवं  प्रितरोध; पर-रा  ट्रीय कतार्  एवं  सामूिहक सुरक्षा; िव व
   पूंजीवादी अथर्  यव  था 
एवं भूमंडलीकरण। 
       
7.    बदलती अंतरार्  ट्रीय राजनीित   
यव  था: 
    महाशिक् 
तय   का  उदय,  कायर्नीितक  एवं  वैचािरक  िवधरु ीयता,  श  त्रीकरण  की  होड़  एवं 
शीत यु ध, नािभकीय खतरा। 
       

175 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
8.    अंतरार्  ट्रीय  आिथर्क   
यव  था  का  उ भव  :  ब्रेटनवड
ु   से  िव व
    
यापार  संगठन  तक। 
समाजवादी  अथर्  यव थ
  ाएं  तथा  पार प
  िरक  आिथर्क  सहायता  पिरषद  (CMEA);  नव 
अंतरार्  ट्रीय  आिथर्क   यव थ
  ा  की  तत
ृ ीय  िव व
    की  मांग  :  िव व
    अथर्  यव  था  का 
भूमंडलीकरण। 
       
9.    संयुक् 
त  रा ट्र
    :  िवचािरत  भूिमका  एवं  वा त
  िवक  लेखा-जोखा;  िवशेषीकृत  संयुक् 
त  रा ट्र
  
अिभकरण-ल य त रा  ट्र सुधार  की आव य
   एवं कायर्करण; संयुक्    कता। 
       
10.    िव व
   राजनीित का क्षेत्रीकरण : EU, ASEAN, APEC, SAARC, NAFTA 
       
11.    समकालीन वैि व
  क सरोकार : लोकतंत्र, मानवािधकार, पयार्वरण, िलंग   
याय, आतंकवाद, 
नािभकीय प्रसार। 
 
भारत तथा िव व
   : 
 
1.    भारत की िवदे श नीित: िवदे श नीित के िनधार्रक, नीित िनमार्ण की सं  थाएं, िनरं तरता एवं 
पिरवतर्न 
       
2.    गुट िनरपेक्षता आंदोलन को भारत का योगदान: िविभ न
   चरण, वतर्मान भूिमका 
       
3.    भारत और दिक्षण एिशया : 
    (क)  क्षेत्रीय सहयोग : SAARC - िपछले िन  
पादन एवं भावी प्र  याशाएं 
    (ख)  दिक्षण एिशया मक्
ु  त   
यापार क्षेत्र के  प म 
    (ग)  भारत की पूव र् अिभमुखन नीित 
    (घ)  क्षेत्रीय सहयोग की बाधाएं: नदी जल िववाद: अवैध सीमा पार उ  प्रवासन, नज
ृ ातीय 
वं व एवं उप    व, सीमा िववाद 
       
4.    भारत  एवं  वैि व
  क  दिक्षण  :  अफ्रीका  एवं  लातीनी  अमेिरका  के  साथ  संबध
ं ,  NIEO  एवं 
WTO वातार्ओं के िलए आव य
  क नेत ृ  व की भूिमका। 
       
5.    भारत  एवं  वैि व
  क  शिक् 
त  कद्र:  संयक्
ु       अमेिरका,  यरू ोप  संघ  (EU),  जापान,  चीन 
त  रा य
और  स। 
       
6.    भारत एवं  संयुक् 
त रा ट्र
   प्रणाली : संयुक्     शांित अनुरक्षण म भूिमका, सुरक्षा पिरषद 
त रा ट्र
म   थायी सद य
  ता की मांग। 
       
7.      भारत एवं नािभकीय प्र न
   : बदलते प्र  यक्षण एवं नीित। 

176 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
       
8.    भारतीय िवदे श नीित म हाल के िवकास: अफगािन  तान म हाल के संकट पर भारत की 
ि थ
  ित,  इराक  एवं  पि च
  म  एिशया,  U  S  एवं  इजराइल  के  साथ  बढ़ते  संबंध,  नई  िव व
  
 यव थ
  ा की  ि ट
  । 
 
 
मनोिवज्ञान  
प्र न
   पत्र - 1 
 
मनोिवज्ञान के आधार  
1.    पिरचय : मनोिवज्ञान की पिरभाषा: मनोिवज्ञान का ऐितहािसक पूवव
र् ृ  त एवं  21वीं  शता  दी 
म  प्रविृ  
तयां,  मनोिवज्ञान  एवं  वैज्ञािनक  प धित,  मनोिवज्ञान  का  अ  य  सामािजक  और 
प्राकृितक िवज्ञान  से संबंध, सामािजक सम  याओं म मनोिवज्ञान का अनुप्रयोग। 
     
2.    मनोिवज्ञान की प धित : 
    अनुसंधान  के  प्रकार  -  वणर्ना  मक,  मू  यांकन,  नैदािनक  एवं  पूवार्नुमािनक  अनुसंधान 
प धित,  प्रेक्षण,  सवक्षण,   यिक् 
त  अ  ययन  एवं  प्रयोग,  प्रयोगा म
  क  तथा  अप्रयोगा  मक 
अिभक  प की िवशेषताएं, परीक्षण स श अिभक  प, कद्रीय समूह चचार्, िवचारावेश, आधार 
िस धांत उपागम। 
     
3.    अनुसंधान प्रणाली : 
    मनोवैज्ञािनक  अनस
ु ंधान  म  मख्
ु य
    चरण  (सम  या  कथन,  प्राक् 
क  
पना  िन पण,  अनस
ु ंधान 
अिभक  प,  प्रितचयन,  आंकड़ा  संग्रह  के  उपकरण,  िव ल
  ेषण  एवं   याख् 
या  तथा  िववरण 
लेखन, मूल के िव ध अनुप्रयुक् 
त अनुसंधान आंकड़ा संग्रह की िविधयां (साक्षा  कार, प्रेक्षण, 
प्र न
  ावली),  अनुसंधान  अिभक प
    (काय  तर  एवं  प्रयोगा म
  क),  सांिख् 
यकी  प्रिविधय   का 
अनुप्रयोग  (टी-परीक्षण,  िवमागीर्  एनोवा,  सहसंबंध,  समा यण  एवं  फैक् 
टर  िव ल
  ेषण),  मद 
अनिु क्रया िस धांत। 
     
4.    मानव  य
  वहार का िवकास : 
    व ृ िध  एवं  िवकास;  िवकास  के  िस धांत,  मानव   
यवहार  को  िनधार्िरत  करने  वाले 
आनुवांिशक एवं  पयार्वरणीय कारक  की भूिमका; समाजीकरण म सां  कृितक प्रभाव; जीवन 
िव त
  िृ त  िवकास  -  अिभलक्षण;  िवकासा म
  क  कायर्;  जीवन  िव त
  िृ त  के  प्रमुख  चरण   म 
मनोवैज्ञािनक   वा   य
   का संवधर्न। 
     
5.    संवेदन, अवधान और प्र  यक्षण : 
    संवेदन  :  सीमा  की  संक  पना, िनरपेक्ष  एवं   
यूनतम  बोध-भेद  दे हली,  संकेत  उपलंभन  एवं 
सतकर्ता; अवधान को प्रभािवत करने  वाले  कारक िजसम िव य
  ास एवं  उ दीपन अिभलक्षण 

177 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
शािमल  ह।  प्र  यक्षण  की  पिरभाषा  और  संक  पना,  प्र  यक्षण  म  जैिवक  कारक;  प्रा  यिक्षक 
संगठन  -  पव
ू  र् अनुभव   का  प्रभाव;  प्रा य
  िक्षक  रक्षा  -  सांतराल  एवं  गहनता  प्र य
  क्ष  को 
प्रभािवत  करने  वाले  कारक,  आमाप  आकलन  एवं  प्रा य
  िक्षक  त  परता।  प्र  यक्षण  की 
सुग्रा यता, अतीि  द्रय प्र  यक्षण, सं  कृित एवं प्र  यक्षण, अवसीम प्र  यक्षण। 
     
6.    अिधगम : 
    अिधगम  की  संक  पना  तथा  िस धांत  (   टवादी  एवं  सूचना  प्रक्रमण 
यवहारवादी,  गे  टा  
मॉडल)। िवलोप, िवभेद एवं  सामा  यीकरण की प्रिक्रयाएं; कायर्क्रमब ध अिधगम, प्राियकता 
अिधगम,  आ  म  अनद
ु े शा  मक  अिधगम;  प्रबलीकरण  की  संक  पनाएं,  प्रकार  एवं  सारिणयां; 
पलायन, पिरहार एवं दं ड, प्रित पण एवं सामािजक अिधगम। 
     
7.     मिृ त : 
    संकेतन एवं   
मरण; अ  पाविध   
मिृ त, दीघार्विध   
मिृ त, संवेदी   
मिृ त, प्रितमापरक   
मिृ त, 
अनरु णन  म
  िृ त;  मि  ट  टोर  मॉडल,  प्रकमण  के   तर;  संगठन  एवं   मिृ त  सध
ु ार  की 
 मरणजनक  तकनीक;  िव म
  रण  के  िस धांत;  क्षय,   यिक् 
तकरण  एवं  प्र  
यानयन  िवफलन; 
अिध  मिृ त;   
मिृ तलोप; आघातो त
  र एवं अिभघातपूव।र्  
     
8.    िचंतन एवं सम  या समाधान : 
    िपयाजे  का  संज्ञाना  मक  िवकास  का  िस धांत;  संक  पना  िनमार्ण  प्रक्रम;  सूचना  प्रक्रमण, 
तकर् एवं सम  या समाधान, सम  या समाधान म सहायक एवं बाधाकारी कारक। 
    सम  या  समाधान  की  िविधयां  :  सज
ृ ना  मक  िचंतन  एवं  सज
ृ ना  मकता  का  प्रितपोषण; 
िनणर्यन एवं अिधिनणर्य को प्रभािवत करने वाले कारक; अिभनव प्रविृ  
तयां। 
     
9.    अिभप्रेरण तथा संवेग : 
    अिभप्रेरण  संवेग  के  मनोवैज्ञािनक  एवं  शरीर  िक्रया  मक  आधार,  अिभप्रेरण  तथा  संवेग  का 
मापन;  अिभप्रेरण  एवं  संवेग  का  य
  वहार  पर  प्रभाव;  बा य  एवं  अंतर  अिभप्रेरण;  अंतर 
अिभप्रेरण को प्रभािवत करने वाले कारक; संवेगा  मक सक्षमता एवं संबंिधत मु दे । 
     
10.    बु िध एवं अिभक्षमता : 
    बु िध  एवं  अिभक्षमता  की  संक  पना,  बु िध  का   व प  एवं  िस धांत-ि  पयरमैन,  थसर्टन 
गलफोडर् बनार्न,   टेशनबगर् एवं जे पी दास; संवेगा  मक बु िध, सामािजक बु िध, बु िध एवं 
अिभक्षमता  का  मापन,  बु िधलि  ध  की  संक  पना,  िवचलन  बु िधलि  ध,  बु िधलि  ध 
  रता; बहु बु िध का मापन; तरल बु िध एवं िक्र  टिलत बु िध। 
ि थ
     
11.     यिक् 
त  व : 
     यिक् 
त  
व  की  संक  पना  तथा  पिरभाषा;   
यिक् त  
व  के  िस धांत  (मनोिव ल
  ेणा  मक-
सां  कृितक, अंतवयिक् 
तक, (िवकासा  मक मानवतावादी,   यवहारवादी िवशेष गुण एवं  जाित 

178 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
उपागम);   
यिक् 
त  
व  का  मापन  (प्रक्षेपी  परीक्षण,  पिसल-पेपर  परीक्षण);   
यिक् 
त  व  के  प्रित 
भारतीय  ि ट
  कोण;   यिक् त  व  िवकास  हे तु  प्रिशक्षण।  नवीनतम  उपागम  जैसे  िक  िबग-5 
फैक् टर िस धांत; िविभ  न परं पराओं म   व का बोध। 
     
12.    अिभविृ  
तयां, मू  य एवं अिभ िचयां : 
    अिभविृ  
तयां,  मू  य   एवं  अिभ िचय   की  पिरभाषाएं;  अिभविृ  
तय   के  घटक;  अिभविृ  
तय  
का  िनमार्ण  एवं  अनुरक्षण;  अिभविृ  
तय ,  मू  य   एवं  अिभ िचय   का  मापन।  अिभविृ  त 
पिरवतर्न  के  िस धांत,  मू  य  प्रितपोषण  की  िविधयां,  ढ़  धारणाओं  एवं  पूवार्ग्रह   का 
िनमार्ण। अ  य के   यवहार को बदलना, गण
ु ारोप के िस धांत, अिभनव प्रविृ  
तयां। 
     
13.    भाषा एवं संज्ञापन : 
    मानव  भाषा-गुण,  संरचना  एवं  भाषागत  सोपान;  भाषा  अजर्न-पूवार्नुकूलता,  क्रांितक  अविध, 
प्राक् 
क  पना; भाषा िवकास के िस धांत (  कीनर, चोम ्   की); संज्ञापन की प्रिक्रया एवं प्रकार; 
प्रभावपण
ू  र् संज्ञापन एवं प्रिशक्षण। 
     
14.    आधुिनक समकालीन मनोिवज्ञान म मु दे  एवं पिरप्रे य
   : 
    मनोवैज्ञािनक प्रयोगशाला एवं  मनोवैज्ञािनक परीक्षण म क   यूटर अनुप्रयोग; कृित्रम बु िध; 
साइकोसाइबरनेिटक् 
स;  चेतना-नींद-जागरण  कायर्क्रम   का  अ  ययन;   व न
  ,  उ दीपनवंचन, 

  ान, िहप्रोिटक/औषध प्रेिरत दशाएं; अतीि  द्रय प्र  यक्षण; अंतरीि  द्रय प्र  यक्षण िम य
  ाभास 
अ  ययन। 
 
 
प्र न
   पत्र – 2 
 
मनोिवज्ञान : िवषय और अनप्र
ु योग  
 
1.     यिक् 
तगत िविभ  नताओं का वैज्ञािनक मापन : 

     यिक् 
तगत  िभ  नताओं  का   
व प,  मानकीकृत  मनोवैज्ञािनक  परीक्षण   की  िवशेषताएं  और 
संरचना,  मनोवैज्ञािनक  परीक्षण   के  प्रकार;  मनोवैज्ञािनक  परीक्षण   के  उपयोग,  द ु पयोग 
तथा सीमाएं। मनोवैज्ञािनक परीक्षाओं के प्रयोग म नीितपरक िवषय। 
     
2.    मनोवैज्ञािनक   
वा   य
   तथा मानिसक िवकार : 
     वा   य
  -अ  वा   य
   की संक  पना, सकारा  मक   
वा   य
  , क  याण, मानिसक िवकार (िचंता 
िवकार,  मन  ि थ
  ित  िवकार  सीजोफ्रेिनयां  तथा  भ्रिमक  िवकार,   यिक् 
त  व  िवकार,  ताि  वक 
द ु  यव
र् हार  िवकार),  मानिसक  िवकार   के  कारक  त व
  ,  सकारा  मक   वा    य,  क  याण, 
जीवनशैली तथा जीवन की गुणव  ता को प्रभािवत करने वाले कारक। 
     
179 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
3.    िचिक  सा  मक उपागम: 
    मनोगितक  िचिक  साएं,   
यवहार  िचिक  साएं;  रोगी  केि  द्रत  िचिक  साएं,  संज्ञाना  मक 
िचिक  साएं, दे शी िचिक  साएं  (योग,  य
  ान) जैव पुनिनर्वेश िचिक  सा। मानिसक  ग् णता की 
रोकथाम तथा पुन  
थार्पना क्रिमक  व
  ा  य
   प्रितपोषण। 
     
4.    कायार्  मक मनोिवज्ञान तथा संगठना  मक   
यवहार : 
    कािमर्क चयन तथा प्रिशक्षण उ योग म मनोवैज्ञािनक परीक्षण  का उपयोग। प्रिशक्षण तथा 
मानव संसाधन िवकास, कायर्-अिभप्रेरण िस धांत-हजर्  वग्र, मा  लो, एडम ईिक् 
वटी िस धांत, 
ू ; नेत ृ  व तथा सहभागी प्रबंधन। िवज्ञापन तथा िवपणन। दबाव एवं 
पोटर् र एवं  लावलर, ब्रम
इसका  प्रबंधन;  म  दक्षता  शा त्र
  ,  उपभोक् 
ता  मनोिवज्ञान,  प्रबंधकीय  प्रभािवता,  पांतरण 
नेत ृ  व, संवेदनशीलता प्रिशक्षण, संगठन  म शिक् 
त एवं राजनीित। 
     
5.    शैिक्षक क्षेत्र म मनोिवज्ञान का अनुप्रयोग : 
    अ  यापन-अ  ययन प्रिक्रया को प्रभावी बनाने  म मनोवैज्ञािनक िस धांत। अ  ययन शैिलयां। 
प्रद  त, मंदक, अ  
ययन-हे तु-अक्षम और उनका प्रिशक्षण।  म
  रण शिक् 
त बढ़ाने  तथा बेहतर 
शैक्षिणक  उपलि ध
    के  िलए  प्रिशक्षण।  य
  िक् 
त  व  िवकास  तथा  मू  य  िशक्षा।  शैिक्षक, 
 यावसाियक  मागर्दशर्न  तथा  जीिवकोपाजर्न  परामशर्।  शैिक्षक  सं  थाओं  म  मनोवैज्ञािनक 
परीक्षण। मागर्दशर्न कायर्क्रम  म प्रभावी कायर्नीितयां। 
     
6.    सामुदाियक मनोिवज्ञान : 
    सामुदाियक मनोिवज्ञान की पिरभाषा और संक  पना। सामािजक कायर्कलाप म छोटे   समूह  
की उपयोिगता। सामािजक चेतना की जागिृ त और सामािजक सम य
  ाओं  को सल
ु झाने  की 
कायर्वाही।  सामािजक  पिरवतर्न  के  िलए  सामूिहक  िनणर्य  लेना  और  नेत ृ  व  प्रदान  करना। 
सामािजक पिरवतर्न के िलए प्रभावी कायर् नीितयां। 
     
7.    पुनवार्स मनोिवज्ञान : 
    िमक  तथा  तत
  प्राथिमक,  मा य ृ ीयक  िनवारक  कायर्क्रम।  मनोवैज्ञािनक   की  भिू मका  -
शारीिरक, मानिसक तथा सामािजक  प से  चुनौती प्रा त
     यिक् 
तय , जैसे  व ृ ध   यिक् 
तय  
के  पुनवार्सन  के  िलए  सेवाओं  का  आयोजन।  पदाथर्  द ु पयोग, िकशोर  अपराध,  आपरािधक 
 यवहार  से  पीिड़त  य
  िक् तय   का  पन
ु वार्स।  िहंसा  के  िशकार  य
  िक् 
तय   का  पन
ु वार्स। 
HIV/AIDS रोिगय  का पुनवार्स। सामािजक अिभकरण  की भूिमका। 
     
8.    सुिवधावंिचत समूह  पर मनोिवज्ञान का अनुप्रयोग : 
    सुिवधावंिचत,  वंिचत  की  संक  पनाएं,  सुिवधावंिचत  तथा  वंिचत  समूह   के  सामािजक, 
भौितक, सां  कृितक तथा आिथर्क पिरणाम, सिु वधावंिचत  का िवकास की ओर िशक्षण तथा 
अिभप्रेरण। सापेक्ष एवं दीघर्कािलक वंचन। 
     

180 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
9.    सामािजक एकीकरण की मनोवैज्ञािनक सम  या : 
    सामािजक  एकीकरण  की  संक  पना,  जाित,  वगर्,  धमर्,  भाषा  िववाद   और  पूवार्ग्रह  की 
सम  या।  अंतसर्समूह  तथा  बिहसर्मूह  के  बीच  पूवार्ग्रह  का   व प  तथा  अिभ य
  िक् 
त।  ऐसे 
िववाद   और  पूवार्ग्रह   के  कारक  त व।  िववाद   और  पूवार्ग्रह   से  िनपटने  के  िलए 
मनोवैज्ञािनक नीितयां। सामािजक एकीकरण पाने के उपाय। 
     
10.    सूचना प्रौ योिगकी और जनसंचार म मनोिवज्ञान का अनुप्रयोग : 
    सूचना  प्रौ योिगकी  और  जन-संचार  गज
ूं   का  वतर्मान  पिर य
    और  मनोवैज्ञािनक   की 
भिू मका। सच
ू ना प्रौ योिगकी और जन संचार क्षेत्र म कायर् के िलए मनोिवज्ञान  य
  वसाियय  
का चयन और प्रिशक्षण। सूचना प्रौ योिगकी और जन-संचार मा  यम से दरू थ
   िशक्षण। ई-
कॉमसर्  के  वारा  उ यमशीलता।  बहु  तरीय  िवपणन,  दरू दशर्न  का  प्रभाव  एवं  सूचना 
प्रौ योिगकी  और  जन-संचार  के  वारा  मू  य  प्रितपोषण।  सूचना  प्रौ योिगकी  म  अिभनव 
िवकास के मनोवैज्ञािनक पिरणाम। 
     
11.    मनोिवज्ञान तथा आिथर्क िवकास : 
    उपलि  ध,  अिभप्रेरण  तथा  आिथर्क  िवकास,  उ यमशील  यवहार  की  िवशेषताएं। 
 
उ यमशीलता तथा  आिथर्क  िवकास  के िलए लोग   का  अिभप्रेरण तथा  प्रिशक्षण उपभोक् 
ता 
अिधकारी  तथा  उपभोक् 
ता  संचेतना,  मिहला  उ यिमय   समेत  युवाओं  म  उ यमशीलता  के 
संवधर्न के िलए सरकारी नीितयां। 
     

12.    पयार्वरण तथा संब ध क्षेत्र  म मनोिवज्ञान का अनप्र


ु योग : 

    पयार्वरणीय  मनोिवज्ञान-  विन,  प्रदष


ू ण  तथा  भीड़भाड़  के  प्रभाव  जनसंख्य
  ा  मनोिवज्ञान-
जनसंख्य
  ा िव फ
  ोटन और उ च
   जनसंख् या घन व
   के मनोवैज्ञािनक पिरणाम। छोटे   पिरवार 
के  मानदं ड  का  अिभप्रेरण।  पयार्वरण  के  अवक्रमण  पर  द्रत
ु   वैज्ञािनक  और  प्रौ योिगकीय 
िवकास का प्रभाव। 
     
13.    मनोिवज्ञान के अ  य अनुप्रयोग:  
    (क)  सै  य मनोिवज्ञान 
      चयन,  प्रिशक्षण,  परामशर्  म  प्रयोग  के  िलए  रक्षा  कािमर्क   के  िलए  मनोवैज्ञािनक 
परीक्षण   की  रचना;  सकारा  मक   वा   य
    संवधर्न  के  िलए  रक्षा  कािमर्क   के  साथ 
कायर् करने के िलए मनोवैज्ञािनक  का प्रिशक्षण; रक्षा म मानव-इंजीिनयरी। 
       
    (ख)  खेल मनोिवज्ञान : 
      पादन  म  सुधार  म  मनावैज्ञािनक  ह  तक्षेप;   
एथलीट   एवं  खेल   के  िन   यि  ट  एवं 
टीम खेल  म भाग लेने वाले   यिक् 
त। 
       

181 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    (ग)  समाजो  मुख एवं समाजिवरोधी   
यवहार पर संचार मा य
  म  का प्रभाव, 
       
    (घ)  आतंकवाद का मनोिवज्ञान। 
       
14.    िलंग का मनोिवज्ञान : 
    भेदभाव  के  मु दे ,  िविवधता  का  प्रबंधन;  ग् 
लास  सीिलंग  प्रभाव,   
वत:  साधक  भिव य
  ोिक् 
त, 
नारी एवं भारतीय समाज। 
 
 
 
 
लोक प्रशासन 
प्र न
   पत्र - 1 
प्रशासिनक िस धांत 
 
1.    प्र त
  ावना : 

    लोक प्रशासन का अथर्, िव त
  ार तथा मह  व, िव स
  न के  ि ट
  कोण से लोक प्रशासन, िवषय 
का  िवकास  तथा  इसकी  वतर्मान  ि थ
  ित,  नया  लोक  प्रशासन,  लोक  िवक प
    उपागम, 
उदारीकरण  की  चुनौितयां,  िनजीकरण,  भूमंडलीकरण;  अ  छा  अिभशासन  :  अवधारणा  तथा 
अनप्र
ु योग, नया लोक प्रबंध। 
     
2.    प्रशासिनक िचंतन : 
    वैज्ञािनक  प्रबंध  और  वैज्ञािनक  प्रबंध  आंदोलन,  क् 
लािसकी  िस धांत,  वेबर  का  नौकरशाही 
मॉडल,  उसकी  आलोचना  और  वेबर  प च
  ात ्  का  िवकास,  गितशील  प्रशासन  (मेयो  पाकर्र 
फॉले), मानव संबंध   कूल (ए ट
  ोन मेयो तथ अ य
  ), कायर्पािलका के कायर्  (सीआई बनार्ड)े , 
साइमन िनणर्यन िस धांत, भागीदारी प्रबंध (मैक ग्रेगर, आर.िलकटर् , सी.आजीिरस)। 
     
3.    प्रशासिनक   यवहार :  
    िनणर्यन  प्रिक्रया  एवं  तकनीक,  संचार,  मनोबल,  प्रेरणा,  िस धांत-अंतवर्  तु,  प्रिक्रया  एवं 
समकालीन; नेत ृ  व िस धांत : पारं पिरक एवं आधुिनक। 
     
4.    संगठन : 
    िस धांत-प्रणाली,  प्रासंिगकता;  संरचना  एवं  प  :  मंत्रालय  तथा  िवभाग,  िनगम,  कंपिनयां, 
बोडर्  तथा  आयोग-तदथर्  तथा  परामशर्दाता  िनकाय  मुख्य
  ालय  तथा  क्षेत्रीय  संबंध।  िनयामक 
प्रािधकारी; लोक-िनजी भागीदारी। 
     
5.    उ  तरदािय  व तथा िनयंत्रण 
182 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    उ  तरदािय  व  और  िनयंत्रण  की  संक  पनाएं,  प्रशासन  पर  िवधायी,  कायर्कारी  और   
याियक 
िनयंत्रण।  नागिरक  तथा  प्रशासन;  मीिडया  की  भूिमका,  िहत  समूह,   वैि छ
  क  संगठन, 
िसिवल  समाज,  नागिरक   का  अिधकार-पत्र  (चाटर् र)।  सूचना  का  अिधकार,  सामािजक  लेखा 
परीक्षा।  
     
6.    प्रशासिनक कानून : 
    अथर्,  िव त
  ार  और  मह  व,  प्रशासिनक  िविध  पर  Dicey,  प्र  यायोिजत  िवधान  -प्रशासिनक 
अिधकरण। 
     
7.    तुलना  मक लोक प्रशासन : 
    प्रशासिनक  प्रणािलय   पर  प्रभाव  डालने  वाले  ऐितहािसक  एवं  समाज  वैज्ञािनक  कारक; 
िविभ  न  दे श   म  प्रशासन  एवं  राजनीित;  तुलना  मक  लोक  प्रशासन  की  अ यतन  ि  थित; 
पिरि थ
  ितकी  की एवं प्रशासन, िरिग् 
सयन मॉडल एवं उनके आलोचक। 
     
8.    िवकास गितकी : 
    िवकास  की  संक  पना,  िवकास  प्रशासन  की  बदलती  पिर छ
  िदका;  िवकास  िवरोधी 
अिभधारणा,  नौकरशाही  एवं  िवकास;  शिक् तशाली  रा य
    बनाम  बाजार  िववाद;  िवकासशील 
दे श   म  प्रशासन  पर  उदारीकरण  का  प्रभाव;  मिहला  एवं  िवकास,   वयं  सहायता  समह
ू  
आंदोलन। 
     
9.    कािमर्क प्रशासन : 
    मानव  संसाधन  िवकास  का  मह  व,  भतीर्  प्रिशक्षण,  जीिवका  िवकास,  है िसयत  वगीर्करण, 
अनुशासन, िन प
  ादन मू  यांकन, पदो  नित, वेतन तथा सेवा शत, िनयोक् 
ता-कमर्चारी संबंध, 
िशकायत िनवारण िक्रया िविध, आचरण संिहता, प्रशासिनक आचार-नीित। 
     
10.    लोकनीित : 
    नीित  िनमार्ण  के  मॉडल  एवं  उनके  आलोचक;  संप्र  ययीकरण  की  प्रिक्रयाएं,  आयोजन; 
कायार्  वयन,  मानीटरन,  मू  यांकन  एवं  पुनरीक्षा  एवं  उनकी  सीमाएं;  रा य
    िस धांत  एवं 
लोकनीित सूत्रण। 
     
11.    प्रशासिनक सुधार तकनीक : 
    संगठन  एवं  प धित,  कायर्  अ  ययन  एवं  कायर्  प्रबंधन;  ई-गवनस  एवं  सूचना  प्रौ योिगकी; 
प्रबंधन सहायता उपकरण जैसे िक नेटवकर् िव ल
  ेषण, MIS, PERT, CPM 
     
12.    िव त
  ीय प्रशासन :  
    िव  
तीय तथा राजकोषीय नीितयां, लोक उधार ग्रहण तथा लोक ऋण। बजट प्रकार एवं  प; 
बजट-प्रिक्रया, िव त
  ीय जवाबदे ही, लेखा तथा लेखा परीक्षा। 

183 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
 
 
प्र न
   पत्र - 2 
भारतीय प्रशासन 
 
1.    भारतीय प्रशासन का िवकास : 

    कौिट य
   का अथर्शा  त्र; मुगल प्रशासन; राजनीित एवं प्रशासन म िब्रिटश शासन का िरक् 
थ-
लोक सेवाओं का भारतीयकरण, राज  व प्रशासन, िजला प्रशासन,   थानीय   वशासन। 
     
2.    सरकार का दाशर्िनक एवं सांिवधािनक ढांचा : 
    प्रमख
ु  िवशेषताएं  एवं  मू  य आधािरकाएं; संिवधानवाद; राजनैितक सं  कृित; नौकरशाही एवं 
लोकतंत्र; नौकरशाही एवं िवकास। 
     
3.    सावर्जिनक क्षेत्र के उपक्रम : 
    आधुिनक भारत म सावर्जिनक क्षेत्र; सावर्जिनक क्षेत्र उपक्रम  के  प;   
वाय  ता, जवाबदे ही 
एवं िनयंत्रण की सम  याएं; उदारीकरण एवं िनजीकरण का प्रभाव। 
     
4.    संघ सरकार एवं प्रशासन : 
    कायर्पािलका,  संसद,  िवधाियका-संरचना,  कायर्,  कायर्  प्रिक्रयाएं;  हाल  की  प्रविृ  
तयां; 
अंतराशासकीय  संबंध;  कैिबनेट  सिचवालय;  प्रधानमंत्री  कायार्लय;  के  द्रीय  सिचवालय; 
मंत्रालय एवं िवभाग; बोडर्, आयोग, संबं ध कायार्लय; क्षेत्र संगठन। 
     
5.    योजनाएं एवं प्राथिमकताएं: 
    योजना मशीनरी, योजना आयोग एवं  रा ट्र
  ीय िवकास पिरषद की भिू मका, रचना एवं  कायर्, 
संकेता  मक आयोजना, संघ एवं  रा य
   त
  र  पर योजना िनमार्ण प्रिक्रया, संिवधान संशोधन 
(1992) एवं आिथर्क िवकास तथा सामािजक   याय हे तु िवके  द्रीकरण आयोजना । 
     
6.    रा य
   सरकार एवं प्रशासन: 
    संघ-रा य
    प्रशासिनक,  िवधायी  एवं  िव  तीय  संबध
ं ;  िव  त  आयोग  भूिमका;  रा य
  पाल; 
मुख्य
  मंत्री; मंित्रपिरषद; मुख्य
   सिचव; रा य
   सिचवालय; िनदे शालय। 
     
7.     वतंत्रता के बाद से िजला प्रशासन : 
    कलेक् टर की बदलती भूिमका, संघ-रा य
 -  
थानीय संबध
ं , िवकास प्रबंध एवं  िविध एवं  अ  य 
प्रशासन के िव  यथर्, िजला प्रशासन एवं लोकतांित्रक िवके  द्रीकरण । 
     
8.    िसिवल सेवाएं : 
184 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    सांिवधािनक  ि  थित;  संरचना,  भतीर्,  प्रिशक्षण  एवं  क्षमता  िनमार्ण;  सश
ु ासन  की  पहल; 
आचरण  संिहता  एवं  अनुशासन;  कमर्चारी  संघ;  राजनीितक  अिधकार;  िशकायत  िनवारण 
िक्रयािविध; िसिवल सेवा की तट  थता; िसिवल सेवा सिक्रयतावाद। 
     
9.    िव त
  ीय प्रबंध :  
    राजनीितक  उपकरण  के  प  म  बजट;  लोक   
यय  पर  संसदीय  िनयंत्रण;  मौिद्रक  एवं 
राजकोषीय  क्षेत्र  म  िव  त  मंत्रालय  की  भूिमका;  लेखाकरण  तकनीक;  लेखापरीक्षा;  लेखा 
महािनयंत्रक एवं भारत के िनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की भूिमका। 
     
10.     वतंत्रता के बाद से हुए प्रशासिनक सुधार : 
    प्रमुख सरोकार; मह  वपूण र् सिमितयां एवं आयोग; िव त
  ीय प्रबंध एवं मानव संसाधन िवकास 
म हुए सुधार; कायार्  वयन की सम  याएं। 
     
11.    ग्रामीण िवकास : 
     वतंत्रता  के  बाद  से  सं  थान  एवं  अिभकरण;  ग्रामीण  िवकास  कायर्क्रम;  फोकस  एवं 
कायर्नीितयां; िवके  द्रीकरण पंचायती राज; 73वां संिवधान संशोधन। 
     
12.    नगरीय   थानीय शासन : 
    नगरपािलका  शासन  :  मुख्य
    िवशेषताएं,  संरचना  िव  त  एवं  सम  या  क्षेत्र,  74वां  संिवधान 
संशोधन; िव व
  य
  ापी  थ
  ानीय िववाद; नया  थ
  ािनकतावाद; िवकास गितकी; नगर प्रबंध के 
िवशेष संदभर् म राजनीित एवं प्रशासन। 
     
13.    कानून   यव  था प्रशासन : 
    िब्रिटश  िरक्    ीय  पुिलस  आयोग;  जांच  अिभकरण;  िविध   
थ;  रा ट्र यव  था  बनाए  रखने  तथा 
उप  लव  एवं  आतंकवाद  का  सामना  करने  म  पैरािमिलटरी  बल   समेत  के  द्रीय  एवं  रा य
  
अिभकरण   की  भूिमका;  राजनीित  एवं  प्रशासन  का  अपराधीकरण;  पुिलस  लोक  संबंध; 
पिु लस म सध
ु ार। 
     
14.    भारतीय प्रशासन म मह  वपूण र् मु दे  : 
    लोक  सेवा  म  मू  य;  िनयामक  आयोग;  रा ट्र
  ीय  मानवािधकार  आयोग;  बहुदलीय  शासन 
प्रणाली  म  प्रशासन  की  सम  याएं;  नागिरक  प्रशासन  अंतराफलक;  भ्र  टाचार  एवं  प्रशासन; 
िवपदा प्रबंधन। 
 
समाजशा  त्र  
प्र न
   पत्र-1  
समाजशा  त्र के मूलभूत िस धांत  
 

185 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
1.    समाजशा  त्र : िव याशाखा : 
    (क)  यरू ोप म आधुिनकता एवं सामािजक पिरवतर्न तथा समाजशा  त्र का अिवभार्व। 
    (ख)  समाजशा  त्र का िवषय-क्षेत्र एवं अ  य सामािजक िवज्ञान  से इसकी तुलना। 
    (ग)  समाजशा  त्र एवं सामा  य बोध। 
       
2.    समाजशा  त्र िवज्ञान के  प म : 
    (क)  िवज्ञान, वैज्ञािनक प धित एवं समीक्षा 
    (ख)  अनुसंधान िक्रया िविध के प्रमुख सै धांितक त  व 
    (ग)  प्र  यक्षवाद एवं इसकी समीक्षा 
    (घ)  त य
  , मू  य एवं उ दे य
  परकता 
    (ड.)  अ-प्र  यक्षवादी िक्रयािविधयां 
       
3.    अनुसंधान प धितयां एवं िव ल
  ेषण : 
    (क)  गण
ु ा  मक एवं मात्रा  मक प धितयां 
    (ख)  द  त संग्रहण की तकनीक 
    (ग)  पिरवतर्, प्रितचयन, प्राक् 
क  
पना, िव व
  सनीयता एवं वैधता 
       
     
4.    समाजशा  त्री िचंतक : 
    (क)  कालर् माक् 
स-र् ऐितहािसक भौितकवाद, उ  पादन िविध, िव संबंधन, वगर् संघषर् 
    (ख)  इमाईल दख
ु ीम- म िवभाजन, सामािजक त य
  , आ  मह  या, धमर् एवं समाज। 
    (ग)  मैक्स  वेबर-सामािजक  िक्रया,  आदशर्  प्रा प,  स  ता,  अिधकारीतंत्र,  प्रोटे  टट  नीित 
शा  त्र और पूंजीवाद की भावना। 
    (घ)  तालकॉट पासर्  स-सामािजक   
यव  था, प्रित प पिरवतर् 
    (ड.)  राबटर्   के मटर् न-अ  यक् 
त तथा अिभ  यक् त प्रकायर्  अनु पता एवं  िवसामा  यता, संदभर् 
समूह 
    (च)  मीड-आ  म एवं तादा    य 
       
5.     तरीकरण एवं गितशीलता : 
    (क)  संक  पनाएं-समानता, असमानता, अिधक्रम, अपवजर्न, गरीबी एवं वंचन 
    (ख)  सामािजक   तरीकरण  के  िस धांत  -  संरचना  मक  प्रकायर्वादी  िस धांत,  माक् 
सवर् ादी 
िस धांत, वेबर का िस धांत 
    (ग)  आयाम-वगर्, ि  थित समूह , िलंग, नज
ृ ातीयता एवं प्रजाित का सामािजक   
तरीकरण 
    (घ)  सामािजक  गितशीलता-खुली  एवं  बंद   
यव  थाएं,  गितशीलता  के  प्रकार,  गितशीलता 
के  ोत एवं कारण 
       
6.    कायर् एवं आिथर्क जीवन 

186 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    (क)  िविभ न
    प्रकार  के  समाज   म  कायर्  का  सामािजक  संगठन-दास  समाज,  सामंती 
समाज, औ योिगक/पूंजीवादी समाज 
    (ख)  कायर् का औपचािरक एवं अनौपचािरक संगठन 
    (ग)  म एवं समाज 
       
7.    राजनीित एवं समाज 
    (क)  स  ता के समाजशा  त्रीय िस धांत 
    (ख)  स  ता प्र जन, अिधकारीतंत्र, दबाव समूह, राजनैितक दल 
    (ग)  रा ट्र
  , रा य
  , नागिरकता, लोकतंत्र, िसिवल समाज, िवचारधारा 
    (घ)  िवरोध, आंदोलन, सामािजक आंदोलन, सामूिहक िक्रया, क्रांित 
       
8.    धमर् एवं समाज 
    (क)  धमर् के समाजशा त्र
  ीय िस धांत 
    (ख)  धािमर्क  क्रम  के  प्रकार  :  जीववाद,  एकत  ववाद,  बहुत  ववाद,  पंथ,  उपासना, 
प धितयां 
    (ग)  आधुिनक  समाज  म  धमर्  :  धमर्  एवं  िवज्ञान,  धमर्  िनरपेक्षीकरण,  धािमर्क 
पुन:प्रवतर्नवाद, मूलत  ववाद 
       
9.    नातेदारी की   
यव थ
  ाएं: 
    (क)  पिरवार, गह
ृ  थी, िववाह 
    (ख)  पिरवार के प्रकार एवं  प 
    (ग)  वंश एवं वंशानक्र
ु म 
    (घ)  िपतत
ृ ंत्र एवं  म का िलंगाधािरक िवभाजन 
    (ड.)  समसामियक प्रविृ  
तयां 
       
10.    आधुिनक समाज म सामािजक पिरवतर्न : 
    (क)  सामािजक पिरवतर्न के समाजशा  त्रीय िस धांत 
    (ख)  िवकास एवं पराि तता 
    (ग)  सामािजक पिरवतर्न के कारक 
    (घ)  िशक्षा एवं सामािजक पिरवतर्न 
    (ड.)  िवज्ञान प्रौ योिगकी एवं सामािजक पिरवतर्न 
 
प्र न
   पत्र – 2 
 
भारतीय समाज : संरचना एवं पिरवतर्न 
क.    भारतीय समाज का पिरचय : 
    (i)  भारतीय समाज के अ य
  यन के पिरप्रे य
  

187 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
      (क)  भारतीय िव या (जी एस धय
ु ) 
      (ख)  संरचना  मक प्रकायर्वाद (एम.एन.  ीिनवास) 
      (ग)  माक् 
सवर् ादी समाजशा  त्र (ए.आर. दे साई) 
         
    (ii)  भारतीय समाज पर औपिनवेिशक शासन का प्रभाव 
      (क)  भारतीय रा ट्र
  वाद की सामािजक प ृ  ठभिू म 
      (ख)  भारतीय परं परा का आधुिनकीकरण 
      (ग)  औपिनवेिशककाल के दौरान िवरोध एवं आंदोलन 
      (घ)  सामािजक सध
ु ार 
         
ख.    सामािजक संरचना: 
    (i)  ग्रामीण एवं कृिषक सामािजक संरचना 
      (क)  भारतीय ग्राम का िवचार एवं ग्राम अ  ययन 
      (ख)  कृिषक सामािजक संरचना - प टे दारी प्रणाली का िवकास, भिू मसध
ु ार 
         
    (ii)  जाित   
यव थ
  ा 
      (क)  जाित   
यव  था  के  अ  ययन  के  पिरप्रे य
    (जीएस  धुय,  एमएन  ीिनवास, 
लुई यूमां, आंद्रे बेतेय) 
      (ख)  जाित   
यव  था के अिभलक्षण 
      (ग)  अ  प ृ य
  ता- प एवं पिरप्रे य
  
         
    (iii)  भारत म जनजातीय समद
ु ाय 
      (क)  पिरभाषीय सम  याएं 
      (ख)  भौगोिलक िव त
  ार 
      (ग)  औपिनवेिशक नीितयां एवं जनजाितयां 
      (घ)  एकीकरण एवं   
वाय  ता के मु दे  
         
    (iv)  भारत म सामािजक वगर् 
      (क)  कृिषक वगर् संरचना 
      (ख)  औ योिगक वगर् संरचना 
      (ग)  भारत म म  यम वगर् 
         
    (v)  भारत म नातेदारी की   
यव  थाएं 
      (क)  भारत म वंश एवं वंशानुक्रम 
      (ख)  नातेदारी   
यव  थाओं के प्रकार 
      (ग)  भारत म पिरवार एवं िववाह 
      (घ)  पिरवार घरे लू आयाम 

188 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
      (ड.)  िपतत
ृ ंत्र, हकदारी एवं  म का िलंगाधािरत िवभाजन 
         
    (vi)  धमर् एवं समाज 
      (क)  भारत म धािमर्क समुदाय 
      (ख)  धािमर्क अ  पसंख्य
  क  की सम  याएं 
         
ग.    भारत म सामािजक पिरवतर्न : 
    (i)  भारत म सामािजक पिरवतर्न की  ि ट
  यां 
      (क)  िवकास आयोजना एवं िमि त अथर्  यव  था का िवचार 
      (ख)  संिवधान, िविध एवं सामािजक पिरवतर्न 
      (ग)  िशक्षा एवं सामािजक पिरवतर्न 
         
    (ii)  भारत म ग्रामीण एवं कृिषक  पांतरण 
      (क)  ग्रामीण िवकास कायर्क्रम, समद
ु ाय िवकास कायर्क्रम, सहकारी सं  थाएं, गरीबी 
उ  मूलन योजनाएं 
      (ख)  हिरत क्रांित एवं सामािजक पिरवतर्न 
      (ग)  भारतीय कृिष म उ  पादन की बदलती िविधयां 
      (घ)  ग्रामीण मजदरू , बंधुआ एवं प्रवासन की सम  याएं 
         
    (iii)  भारत म औ योिगकीकरण एवं नगरीकरण 
      (क)  भारत म आधुिनक उ योग का िवकास 
      ि् तय  की व ृ िध 
(ख)  भारत म नगरीय बस 
      (ग)  िमक वगर् : संरचना, व ृ िध, वगर् संघटन 
      (घ)  अनौपचािरक क्षेत्रक, बाल िमक 
      (ड.)  नगरी क्षेत्र म गंदी ब  ती एवं वंचन 
         
    (iv)  राजनीित एवं समाज 
      (क)  रा ट्र
  , लोकतंत्र एवं नागिरकता 
      (ख)  राजनैितक दल, दबाव समूह, सामािजक एवं राजनैितक प्र जन 
      (ग)  क्षेत्रीयतावाद एवं स  ता का िवके  द्रीकरण 
      (घ)  धमर् िनरपेक्षीकरण 
         
    (v)  आधुिनक भारत म सामािजक आंदोलन 
      (क)  कृषक एवं िकसान आंदोलन 
      (ख)  मिहला आंदोलन 
      (ग)  िपछड़ा वगर् एवं दिलत वगर् आंदोलन 
      (घ)  पयार्वरणीय आंदोलन 

189 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
      (ड.)  नज
ृ ातीयता एवं अिभज्ञान आंदोलन 
         
    (vi)  जनसंख्य
  ा गितकी 
        ा आकार, व ृ िध संघटन एवं िवतरण 
(क)  जनसंख्य
        ा व ृ िध के घटक : ज  म, म ृ  यु, प्रवासन 
(ख)  जनसंख्य
      (ग)  जनसंख्य
  ा नीित एवं पिरवार िनयोजन 
      (घ)  उभरते  हुए  मु दे   :  काल  प्रभावन,  िलंग  अनुपात,  बाल  एवं  िशशु  म ृ  यु  दर, 
जनन  व
  ा  य
  
         
    (vii)  सामािजक  पांतरण की चुनौितयां 
      (क)  िवकास का संकट : िव थ
  ापन, पयार्वरणीय सम  याएं एवं संपोषणीयता 
      (ख)  गरीबी, वंचन एवं असमानताएं 
      (ग)  ि  त्रय  के प्रित िहंसा 
      (घ)  जाित  वं व 
      (ड.)  नज
ृ ातीय  वं व, सांप्रदाियकता, धािमर्क पुन:प्रवतर्नवाद 
      (च)  असाक्षरता तथा िशक्षा म समानताएं 
 
सांिख् 
यकी  
प्र न
   पत्र - 1  
 
प्राियकता : 
प्रितदशर्  समि  ट एवं  अनव
ु ृ  त, प्राियकता माप एवं  प्राियकता समि  ट, मेयफलन के  प म या ि छ
  क 
चर,  या ि छ
  क  चर  का  बंटन  फलन,  असंतत  एवं  संतत-प्र प  या ि छ
  कचर,  प्राियकता  द्र य
  मान 
फलन,  प्राियकता  घन व
    फलन,  सिदशमान  या ि छ
  कचर,  उपांत  एवं  सप्रितबंध  बंटन,  अनुव ृ  त   का 
एवं  या ि  छक  चर   का  प्रसंभा  य   
वातं य,  या ि  छक  चर  की  प्र  याशा  एवं  आघूण,र्   सप्रितबंध 
प्र  याशा,  या ि छ
  क  चर  का  अनुक्रम  म  अिभसरण,  बंटन  म  प्राियकता  म  p-th  मा  
य  म,  एवं 
लगभग हर जगह, उनका िनकष एवं  अंतसंबंध, शेबीशेव असिमका तथा िखिशन का वह
ृ  संख्य
  ाओं 
का दब
ु ल
र्  िनयम, वह
ृ  संख्य
  ाओं  का प्रबल िनयम एवं  कालमोगोरोफ प्रमेय, प्राियकता जनन फलन, 
आघूण र् जनन फलन, अिभलक्षण फलन, प्रितलोमन प्रमेय, के  द्रीय सीमा प्रमेय के िलंडरबगर् एवं लेवी 
प्रा प, मानक असंतत एवं संतत प्राियकता बंटन। 
         
सांिख् 
यकीय अनुिमित : 
संगित, अनिभनतता, दक्षता, पूणत
र् ा, सहायक आंकड़े, गुणन खंडन-प्रमेय, बंटन चरघांता की कुल और 
इसके गुणधमर्, एकसमान अ  पतम-प्रसरण अनिभनत (UMVU) आकलन, राव-  लैकवेल एवं  लेहमैन-
िशफ  प्रमेय,  एकल  प्राचल  के  िलए  क्रेमर-राव  असिमका,  आघण
ू  र् िविधय   वारा  आकलन  अिधकतम 
संभािवता, अ  पतम वगर्,   यूनतम काई वगर्  एवं  पांतिरत  य
 न
ू तम काई वगर्, अिधकतम संभािवता 
एवं  अ  य अकलक  के  गुणधमर्, उपागामी दक्षता, पूव र् एवं  प च
   बंटन,  हािन  फलन, जोिखम फलन 

190 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
तथा अ  पमिह  ट आकलन। 
         
बेज  आकलन,  अया ि छ
  कीकृत  तथा  या ि छ
  कीकृत  परीक्षण,  क्रांितक  फलन,  MP  परीक्षण,  नेमैन-
िपअसर्न  प्रमेियका,  UMP  परीक्षण,  एकिद  ट  संभािवता  अनुपात,  सम प  एवं  अनिभनत  परीक्षण, 
एकल  प्राचल  के  िलए  UMPU  परीक्षण,  संभािवता  अनुपात  परीक्षण  एवं  इसका  उपागामी,  बंटन, 
िव व
  ा  यता पिरबंध एवं परीक्षण  के साथ इसका संबंध। 
         
सभंजन—सु  ठुता  एवं  इसकी  संगित  के  िलए  को म
  ोगोरोफ  परीक्षण,  िच न  परीक्षण  एवं  इसका 
इ  टतम  व,  िवलकॉफक् 
सन  िचि  हत-कोिट  परीक्षण  एवं  इसकी  संगित,  को  मोगोरोफ-ि म
  रनोफ  िव-
प्रितदशर्  प्रिशक्षण,  रन  परीक्षण,  िवलकॉक् 
सन-मैन  ि  हटनी  परीक्षण  एवं  माि  यका  परीक्षण,  उनकी 
संगित तथा उपगामी प्रसामा  यता, वा ड
   का SPRT एवं इसके गुणधमर् बनल
ूर् ी,   वास , प्रसामा  य एवं 
चरघातांकी बंटन  के िलए प्राचल  के बारे   म परीक्षण  के िलए OC एवं  ASN फलन, वा ड
   का मूल 
त  समक। 
         
रै िखक अनुिमित एवं बहुचर िव ल
  ेषण 
रै िखक  सांिख् यकीय  िनदशर्,   
यूनतम  वगर्  िस धांत  एवं  प्रसरण  िव ल
  ेषण,  गॉस-मारकोफ  िस धांत, 
प्रसामा  य समीकरण,   यूनतम वगर् आकलन एवं उनकी पिरशु धता, एकमागीर्,  िवमागीर् एवं ित्रमागीर् 
वगीर्कृत   यास  म   यूनतम  वगर्  िस धांत  पर  आधािरत  अंतराल  आकल  तथा  साथर्कता  परीक्षण, 
  ेषण  रै िखक  समा यण,  वक्ररे खी  समा यण  एवं  लांिबक  बहुपद,  बहु  समा यण,  बहु 
समा यण  िव ल
एवं  आंिशक सहसंबंध, प्रसरण एवं  सहप्रसरण घटक आकलन, बहुचर प्रसामा  य बंटन, महालनोिबस-
D2    एवं  हॉटे िलंग  T2  आंकड़े  तथा  उनका  अनुप्रयोग  एवं  गुणधमर्  िविवक् 
तकर  िव ल
  ेषण,  िविहत 
सहसंबंध, मख्
ु य
   घटक िव  लेषण। 
         
प्रितचयन िस धांत एवं प्रयोग अिभक  प : 
ि  थर-समि  ट  एवं  अिधसमि  ट  उपागम   की  परे खा,  पिरिमत  समि  ट  प्रितचयन  के  िविवक् 
तकारी 
लक्षण,  प्राियकता  प्रितचयन  अिभक प
  ,  प्रित थ
  ापन  के  साथ  या  उसके  िबना  सरल  या ि छ
  क 
प्रितचयन,   तिरत  या ि  छक  प्रितचयन,  क्रमब ध  प्रितचयन  एवं  इसकी  क्षमता,  गु छ
    प्रितचयन, 
िवचरण  एवं  बहुचरण  प्रितचयन,  एक  या  दो  सहायक  चर  शािमल  करते  हुए  आकलन  की  अनुपात 
एवं  समा यण  िविधयां,  िवप्राव थ
  ा  प्रितचयन,  प्रित थ
  ापन  के  साथ  या  उसके  िबना  आमाप 
आनप
ु ाितक प्राियकता, है सेन-हरिव ज एवं हॉरिव ज-था  पसन आकलन, हॉरिव ज-था  पसन, आकलन 
के संदभर्  म ऋणेतर प्रसरण आकलन, अप्रितचयन त्रिु टयां, िनयम प्रभाव िनदशर् ( िवमागीर्  वगीर्करण) 
या ि  छक  एवं  िमि त  प्रभाव  िनदशर्  (प्रितसेल  समान  प्रेक्षण  के  साथ  िवमागीर्  वगीर्करण)  CRD, 
RBD,  LSD  एवं  उनके  िव ल
  ेषण,  अपूण र्  लॉक  अिभक प
  ,  लांिबकता  एवं  संतुलन  की  संक  पनाएं, 
   क्षेत्रक प्रिविध, बहु-उपादानी प्रयोग तथा बहु-उपादानी प्रयोग म 2n  एवं  32 संकरण, 
BIBD,  अप्रा त
िवभक् 
त क्षेत्र एवं सरल जालक अिभक  पना, आंकड़ा  पांतरण डंकन का बहुपरासी परीक्षण। 
 
प्र न
   पत्र – 2 

191 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 
I    औ योिगक सांिख्यकी : 
    प्रिक्रया एवं  उ  पाद िनयंत्रण, िनयंत्रण चाट  का सामा  य िस धांत, चर  एवं  गुण  के िलए 
िविभ  न प्रकार के िनयंत्रण चाटर्  X, R, s, p, np एवं c - चाटर् , संचयी योग चाटर् , गुण  के 
िलए एकश:,  िवश: बहुक एवं अनुक्रिमक प्रितचयन योजनाएं, OC, ASN, AOQ एवं ATI 
वक्र, उ  पादक एवं  उपभोक् 
ता जोिखम की संक  पनाएं,  AQL, LTPD एवं  AOQL, चर  के 
िलए प्रितचयन योजना, डॉज-रोिमंग सारणीय  का प्रयोग। 
         
    िव व
 ा  
यता की संक  पना, िवफलता दर एवं िव व
 ा  
यता फलन,  ेिणय , समांतर प्रणािलय  
एवं अ  य सरल िव य
  ास  की िव व
  ा  यता, नवीकरण घन व
   एवं नवीकरण फलन, िवफलता 
प्रितदशर् : चरघातांकी, िवबुल, प्रसामा  य, लॉग प्रसामा  य।  
         
    आयु परीक्षण म सम  याएं, चरघातांकी िनदश  के िलए खंडविजर्त एवं  ं िदत प्रयोग। 
         
II   इ  टतमीकरण प्रिविधयां : 
    संिक्रया िवज्ञान म िविभ  न प्रकार के िनदशर्, उनकी रचना एवं  हल की सामा  य िविधयां, 
अनुकार  एवं  मॉ  टे-काल   िविधयां,  रै िखक  प्रोग्राम  (LP)  सम  या  का  सूत्रीकरण,  सरल  LP 
िनदशर्  एवं  इसका  आलेखीय  हल,  प्रसमु   य
    प्रिक्रया,  कृित्रम  चर   के  साथ  M-प्रिविध  एवं 
िवप्राव थ
  ा िविध, LP का  वैध िस धांत एवं  इसकी आिथर्क िववक्षा, सुग्रािहता िव ल
  ेषण, 
पिरवहन  एवं  िनयतन  सम य त  शू  य  योग  खेल,  हल  िविधयां 
  ा,  आयाितत  खेल,  दो-  यिक् 
(आलेखीय एवं बीजीय)। 
         
    ासशील  एवं  िवकृत  मद   का  प्रित  थापन,  समूह   एवं   
यि  ट  प्रित  थापन  नीितयां, 
वैज्ञािनक  सामग्री-सूची  प्रबंधन  की  संक  पना  एवं  सामग्री  सूची  सम  याओं  की  िव  लेषी 
संरचना, अग्रता काल के साथ या उसके िबना िनधार्रणा म
  क एवं  प्रसंभा  य मांग  के साथ 
सरल िनदशर्, डैम प्रा प के िवशेष संदभर् के साथ भंडारण िनदशर्। 
         
    समांगी  िविवक् 
त  काल  माक व  ृ लाएं,  संक्रमण  प्राियकता  आ  यह
ंख ू ,  अव  थाओं  एवं 
अ  यितप्राय प्रमेय  का वगीर्करण, समांगी सततकाल, माक व  ंख
ृ ला,   वासो प्रिक्रया, पंिक् 
त 
िस धांत के त  व M/M/1, M/M/K, G/M/1 एवं M/G/1 पंिक् 
तयां। 
         
    क   यट
ू र   पर  SPSS  जैसे  जाने-माने  सांिख् 
यकीय  सॉ टवेयर  पैकेज   का  प्रयोग  कर 
सांिख् 
यकीय सम  याओं के हल प्रा  त करना। 
         
III    मात्रा  मक अथर्शा  त्र एवं राजकीय आंकड़े : 
    प्रविृ  
त िनधार्रण, मौसमी एवं  चक्रीय घटक, बॉक् 
स-जेि  कंस िविध, अनुपनत  ेणी परीक्षण, 
ARIMA  िनदशर्  एवं   वसमा यी  तथा  गितमान  मा य
    घटक   का  क्रम  िनधार्रण, 

192 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
पव
ू ार्नम
ु ान,  सामा  यत:  प्रयक्
ु  त  स च
ू कांक-लाि प
  यर,  पाशे  एवं  िफशर  के  आदशर्  सच
ू कांक, 
ंख
ृ ला  आधार  सूचकांक,  सूचकांक   के  उपयोग  और  सीमाएं,  थोक  कीमत ,  उपभोक् ता 
कीमत , कृिष उ प
  ादन एवं  औ योिगक उ प
  ादन के सूचकांक, सूचकांक  के िलए परीक्षण-
आनुपाितकता, काल-िवपयर्य, उपादान उ  क्रमण एवं व ृ  तीय। 
         
    सामा  य रै िखक िनदशर्, साधारण  य
 न
ू तम वगर्  एवं  सामा  यीकृत  य
 न
ू तम वगर्, प्राक् 
कलन 
िविधयां,  बहुसरे खता  की  सम  या,  बहुसरे खता  के  पिरणाम  एवं  हल,   वसहबंध  एवं  इसका 
पिरणाम,  िवक्षोभ   की  िवषम  िवचािलता  एवं  इसका  परीक्षण,  िवक्षोभ   के   वात्रं  य  का 
परीक्षण,  
    संरचना की संक  पना एवं युगपत समीकरण िनदशर्, अिभिनधार्रण सम  या अिभज्ञेयता की -
कलन  की  िवप्राव  था   यूनतम  वगर्    िविध।  भारत  म 
कोिट  एवं  क्रम  प्रितबंध,  प्राक् 
  ा, कृिष, औ योिगक उ  पादन,   यापार एवं  कीमत  के संबंध म वतर्मान राजकीय 
जनसंख्य
सांिख्    सनीयता एवं  सीमाएं, 
यकीय प्रणाली, राजकीय आंकड़े  ग्रहण की िविधयां, उनकी िव व
ऐसे  आंकड़  वाले  मख्
ु य
   प्रकाशन, आंकड़  के संग्रहण के िलए िज म
  ेवार िविभ  न राजकीय 
अिभकरण एवं उनकी प्रमुख कायर्। 
         
IV.    जनसांिख्यकी एवं मनोिमित: 
  जनगणना,  पंजीकरण,  NSS  एवं  अ  य  सवक्षण   से  जनसांिख् 
यकीय  आंकड़,  उनकी  सीमाएं 
एवं  उपयोग,   याख् 
या, ज  म मरण दर  और अनुपात  की रचना एवं  उपयोग, जननक्षमता 
की  माप,  जनन  दर,  ग् णता  दर,  मानकीकृत  म ृ  यु  दर,  पूण र् एवं  संिक्ष  त  वय  सारिणयां, 
ज  म मरण आंकड़  एवं  जनगणना िववरिणय  से  वय सारिणय  की रचना, वय सारिणय  
के  उपयोग,  व ृ िधघात  एवं  अ  य  जनसंख्य
  ा  व ृ िध  वक्र,  व ृ िध  घात  वक्र  समंजन, 
जनसंख्य
  ा  प्रक्षेप,  ि थ
  र  जनसंख्य
  ा,  ि थ
  रक  प  जनसंख्य
  ा,  जनसांिख् 
यकीय  प्राचल   के 
आकलन म प्रिविधयां, म ृ  यु  के कारण के आधार पर मानक वगीर्करण,   वा   य
   सवक्षण 
एवं अ  पताल आंकड़  का उपयोग। मापिनय  एवं परीक्षण  के मानकीकरण की िविधयां, Z- 
समंक,  मानक  समंक,  T-समंक,  शततमक  समंक,  बु िध  लि  ध  एवं  इसका  मापन  एवं 
उपयोग,  परीक्षण  समंक   की  वैधता  एवं  िव व
  सनीयता  एवं  इसका  िनधार्रण,  मनोिमित  म 
उपादान िव ल
  ेषण एवं पथिव ल
  ेषण का उपयोग। 
 
प्रािण िवज्ञान 
प्र न
   पत्र - 1 
 
1.    अर ज
 क
ु ी और र ज
  ुकी : 
    (क)  िविभ न
    फाइल   का  उपवग   तक  वगीर्करण  एवं  संबध
ं ;  एसीलोमेटा  और  सीलोमेटा; 
प्रोटो  टोम  और  डयट
ू े रो ट
  ोम,  बाइलेटरे िलया  और  रे िडएटा,  प्रोिट ट
  ा  पेराजोआ, 
ओिनकोफोरा तथा हे िमकॉरडाटा का  थ
  ान; समिमित। 
    (ख)  प्रोटोजोआ  :  गमन,  पोषण  तथा  जनन,  िलंग  पेरामीिशयम,  मॉनोिसि  टस 

193 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
ला  
  मोिडयम तथा लीशमेिनया के सामा  य लक्षण एवं जीवनव ृ  त-। 
    (ग)  पोिरफेरा : कंकाल, नालतंत्र तथा जनन। 
    (घ)  नीडेिरया  :  बहु पता;  रक्षा  संरचनाएं  तथा  उनकी  िक्रयािविध;  प्रवाल  िभि त
  यां  और 
उनका  िनमार्ण,  गेटाजेनेिसस,  ओबीिलया  और  औरीिलया  के  सामा  य  लक्षण  एवं 
जीवनव ृ  त -। 
    (ड.)   लैिटहे ि म
  थीज  :  परजीवी  अनक
ु ू लन;  फैिसओला  तथा  टीिनया  के  सामा  य  लक्षण 
एवं जीवन तथा उनके रोगजनक लक्षण।व ृ  त- 
    (च)  नेमेटहे  मथीज  :  ए क
  े िरस  एवं  बुचेरेिरया  के  सामा  य  लक्षण,  जीवनव ृ  त -  तथा 
परजीवी अनक
ु ू लन। 
    (छ)  एनेलीडा  :  सीलोम  और  िवखंडता,  पॉलीकीट   म  जीवन-िविधयां,  नेरीस  (नीऐंथीस), 
कचुआ ।व ृ  त- लक्षण तथा जीवनतथा ज क के सामा  य (फेिरिटमा) 
    (ज)  आथ्र पोडा  :  क्र  टेिशया  म  िडंबप्रकार  और  परजीिवता,  आथ्रोपोडा  झींगा),  ितलच टा 
तथा  िब छ
  ु   औरम  ि ट
    (  व
  सन;  कीट   ितलिच टा),  म छ
  र,  मक् 
खी,  मधम
ु क् 
खी 
ु ांग   का  पांतरण  (,  कीट   म  कायांतरण  तथा  इसका  हाम नी 
तथा  िततलीम  मख
िनयमन, दीमक  तथा मधवहार।
ु य  का सामािजक   यमिक् 
ख - 
    (झ)  मोल  का  :  अशन,  व
  सन,  गमन,  लैमेिलडे  स,  पाइला  तथा  सीिपया  के  सामा  य 
लक्षण एवं जीवनव ृ  त-, गै  ट्रोपोड  म ऐंठन तथा अ  यावतर्न। 
    (ञ)  एकाइनोडमटा : अशन,  व
  सन, गमन, िड  ब प्रकार, ए  टीिरयस के सामा  य लक्षण 
तथा जीवन।व ृ  त- 
    (ट)  प्रोटोकॉडटा  :  र  
जुिकय   का  उदभव,  ब्रेिकयो ट
  ोमा  तथा  हडर्मािनया  के  सामा  य 
लक्षण तथा जीवनव -ृ  त। 
    (ठ)  पाइसीज :  व
  सन, गमन तथा प्रवासन। 
    (ड)  एि फ
  िबया : चतु  पाद  का उ भव, जनकीय। दे खभाल, शावकांतरण। 
    (ढ)  रे ट
  ीिलया वगर्  : सरीसप
ृ  की उ प
  ित, करोिट के प्रकार,  फ
  े नोडॉन तथा मगरम छ
   
का   
थान। 
    (ण)  एवीज; पिक्षय  का उ भव, उ डयनअनुकूलन तथा प्रवासन। - 
    (त)  मैमेिलया  :   
तनधािरय   का  उ भव,  दं तिव य
  ास,  अंडा  दे ने  वाले   तनधािरय , 
को  ठाधारी,   तनधािरय ,  जलीय   तनधािरय   तथा  प्राइमेट   के  सामा  य  लक्षण, 
अंतष  ग्रंिथपीयू)  ावी  ग्रंिथयां:,  अवटु  ग्रंिथ,  परावटु  ब्रंिथ,  अिधवक्
ृ  क  ग्रंिथ 
अग्  याशय, जनन ग्रंिथतथा उनम अंतसंबंध। ( 
    (थ)  कशे की  प्रिणय   के  िविभ न
    तंत्र   का  तुलना  मक,  कायार्  मक  शरीर  वरण  अ  या)
द  पातथा इसके   य, अं
ु तकंकाल :, चलन अंग, पाचन तंत्र,  व
  सन तंत्र,  दय तथा 
महाधमनी  चाप   सिहत  पिरसंचारी  तंत्र,  मूत्रजनन-  तंत्र,  मि  त  क  तथा  ज्ञानेि  द्रयां 
(आंख तथा कान)। 
       
2.    पािरि थ
  ितकी: 
    (क)  जीवनमंडलनाजीवनमंडल  की  संक  प  :;  बायोम,  जैवभूरसायन  चक्र,  ग्रीन  हाउस 

194 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
प्रभाव  सिहत  वातावरण  म  मानव  प्रेिरत  पिरवतर्न,  पािरि थ
  ितक  अनक्र
ु म,  जीवोम 
तथा ईकोटोन। सामुदाियक पािरि थ
  ितकी। 
    (ख)  पािरतंत्र  की  संक  पना,  पािरतंत्र  की  संरचना  एवं  कायर्,  पािरतंत्र  के  प्रकार, 
पािरि थ
  ितक अनुक्रम, पािरि थ
  ितक अनुकूलन। 
    (ग)  समि  ट, िवशेषताएं, समि  ट गितकी, समि  ट ि थ
  रीकरण। 
    (घ)  प्राकृितक संसाधन  का जैव िविवधता एवं िववधता संरक्षण। 
    (ड.)  भारत का व  य जीवन। 
    (च)  संपोषणीय िवकास के िलए सुदरू  सुग्राहीकरण। 
    (छ)  पयार्वरणीय  जैविन न
  ीकरण,  प्रदष
ू ण  तथा  जीवमंडल  पर  इसके  प्रभाव  एवं  उसकी 
रोकथाम। 
       
3.    जीव पािरि थ
  ितकी : 
    (क)  यवहारदनसंवेदी िन य
    ं :, प्रितसंवेिदता, िच न उ दीपन, सीखना एवं   मिृ त, विृ  त, 
अ  यास, प्रानक
ु ू लन, अ  यंकन। 
    (ख)  चालन म हाम न  की भूिमका, संचेतन प्रसार म फीरोमोन  की भिू मका  गोपकता :, 
परभक्षी  पहचान,  परभक्षी  तौर  तरीके,  प्राइमेट   म  सामािजक  सोपान,  कीट   म 
सामािजक संगठन। 
    (ग)  अिभिव  यास,  संचालन,  अभीगह
ृ ,  जैिवक  लय;  जैिवक  िनयतकािलकता,   
वरीय, 
ऋतुपरक तथा िदवसप्राय लय। 
    (घ)  यौन  वं व,   
वाथर्परता,  नातेदारी  एवं  परोपकािरता  समेत  प्राणीवहार  के   
य -
यन की िविधअ  ययां।  
       
4.    आिथर्क प्रािण िवज्ञान : 
    (क)  मधुमक् खी  पालन,  रे शमकीट  पालन,  लाखकीट  पालन,  शफरी  संवधर्,  सीप  पालन, 
झींगा पालन, कृिम संवधर्। 
    (ख)  प्रमुख  संक्रमाक  एवं  संचरणीय  रोग  मलेिरया),  फाइलेिरया,  क्षय  रोग,  है जा  तथा 
ए स(, उनके वाहक, रोगाण ु तथा रोकथाम। 
    (ग)  पशओ
ु ं  तथा  मवेिशय   के  रोग,  उनके  रोगानणु  िचंचड़ी)  तथा  वाहक  (सहे लिम  थ), 
कुटकी, टे बेनस,   टोमोिक् 
सस(। 
    (घ)  ग ने  के  पीड़क  (पाइिरला  परपिु सएला),  ितलहन  का  पीड़क  तथा    (ऐिकया  जनाटा)
। (िसटोफलस ओिरजे) चावल का पीड़क 
    (ड.)  पारजीनी जंतु। 
    (च)  िचिक  
सकीय  जैव  प्रौ योिगकी,  मानव  आनुवंिशक  रोग  एवं  आनुविं शक  काउं िसलंग, 
जीन िचिक  सा। 
    (छ)  िविवध जैव प्रौ योिगकी। 
       
5.    जैवसांिख् 
यकी : 

195 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    प्रयोग  की अिभक प
  ना नािनराकरणी पिरक प
   :; सहसंबध
ं , समा यण, के  द्रीय प्रविृ  
त का 
िवतरण एवं  मापन, काईवेयर  क-, िव याथीर्टे  ट-, एफएकमागीर्  तथा  िव)   टटे  -मागीर्  एफ-
।(टे  ट 
       
6.    उपकरणीय प धित : 
    (क)  पेक् 
  ट्रमी प्रकाशमािपत्र प्राव थ
  ा िवपयार्स एवं  प्रितदीि  त सू म
   दिशर्की, रे िडयोऐिक् 
टव 
अनुरेखक,  द्रत
ु   अपकेि  द्रत्र,  जेल  एलेक् ट्रोफोरे िसस,  PCR,  ALISA,  FISH    एवं 
गुणसूत्रपिटंग। 
    (ख)  लेिक्ट्रॉन सू म
  दशीर् (TEM, SEM)। 
 
प्र न
   पत्र - 2 
 
1.    कोिशका जीव िवज्ञान : 
    (क)  कोिशका  तथा  इसके  कोिशकांग कद्रक)  ,  ला  
  मका,  िझ  ली,  माइटोक िड्रया, 
गॉ  जीकाय, अंतद्रर्  यी जािलका, राइबोसोम तथा लाइसोसो स
  कायर् की संरचना एवं (, 
कोिशका(समसूत्री  तथा  अ र्धसूत्री)  िवभा -,  समसूत्री  तकुर्  तथा  समसूत्री  तंत्र,  गुणसूत्र 
  ा,  कोिशकाचक्र 
गित  क्रोमोसोम  प्रकार  पॉिलटीन  एवं  लै श,  क्रोमैिटन  की   यव थ
िनयमन। 
    (ख)  यूक् 
लीइक  अ  ल  सांि थ
  ितकी,  DNA  अनुक  प,  DNA  प्रितकृित,  अनुलेखन,     
RNA प्रक्रमण,   थानांतरण, प्रोटीन वलन एवं पिरवहन। 
       
2.    आनव
ु ंिशकी : 
    (क)  जीन की आधुिनक संक पना, िवभक् 
त जीन, जीनिनयमन-, आनुवंिशककूट।- 
    (ख)  िलंग गुणसूत्र एवं उनका िवकास, ड्रोसोिफला तथा मानव म िलंगिनधार्रण।- 
    (ग)  वंशागित के मडलीय िनयम, पुनय जन, सहलग्रता, बजहुयुग्म
   िवक प
  , रक् 
त समूह  
की आनुवंिशकी, वंशावली िव ल
  ेषण, मानव म वंशागत रोग। 
    (घ)  उ  पिरवतर्न तथा उ  पिरवतर्जनन। 
    (ड.)  पुनय गज  DNA  प्रौ योिगकी,  वाहक   के  प  म  ल
  ैजिम स,  कॉसिम स,  कृित्रम 
गुणसूत्र,  पारजीनी,  DNA  क्   लोिनंग  िस धांत)  तथा  िक्रया 
लोिनंग  तथा  पूण र् क् 
प धित।( 
    (च)  प्रोकैिरयो स तथा यूकैिरयो स म जीन िनयमन तथा जीन अिभ य
  िक् 
त। 
    (छ)  संकेत अणु, कोिशका म ृ  यु, संकेतन पथ म दोष तथा पिरणाम। 
    (ज)  RFLP, RAPD एवं  AFLP तथा िफं गरिप्रिटंग म अनुप्रयोग, राइबोजाइम प्रौ योगकी, 
मानव जीनोम पिरयोजना, जीनोिमक् 
स एवं प्रोटोिमक् 
स। 
       
3.    िवकास : 
    (क)  जीवन के उ दभव के िस धांत 

196 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
    (ख)  िवकास  के  िस धांत;    प्राकृितक  वरण,  िवकास  म  पिरवतर्न  की  भिू मका, 
िवकासा  मक  प्रित प,  आि वक  ड्राइव,  अनुहरण  िविभ न
  ता,  पथ
ृ क् करण  एवं  जाित 
उ भवन। 
    (ग)  जीवा म
   आंकड़  के प्रयोग से घोड़े, हाथी तथा मानव का िवकास। 
    (घ)  हाडीर् -वीनबगर् िनयम। 
    (ड.)  महा वीपीय िव थ
  ापन तथा प्रिणय  का िवतरण। 
       
4.    वगीर्करण: िवज्ञान- 
    (क)  प्रािणवैज्ञािनक नामावली, अंतरार्  ट्रीय िनयम, क्  
लैिडि ट
  क् 
स, वाि वक विगर्की एवं जैव 
िविवधता। 
       
5.    जीव रसायन  : 
    (क)  काब हाइड्रेट ,  वसाओं,  वसाअ  ल   एवं  कोले  टेरॉल,  प्रोटीन   एवं  अमीन   अ  ल , 
यिू क् 
  लइक अ  ल  की संरचना एवं भिू मका, बायो एनजिटक् 
स। 
    (ख)  ग् 
लाइकोलाइिसस  तथा  क्र स
    चक्र,  ऑक् 
सीकरण  तथा  अपचयन,  ऑक् 
सीकरणी 
फा  फोिरलेशन,  ऊजार्  संरक्षण  तथा  िवमोचन,  ATP  चक्र,  चक्रीय  AMP  –  इसकी 
संरचना तथा भूिमका। 
    (ग)  हाम न वगीर्करण (इड हाम नराइड तथा पे  टा  
टे), जैव सं ल
  ेषण तथा कायर्। 
    (घ)  एंजाइम िक्रया के प्रकार :तथा िक्रया िविधयां। 
    (ड.)  िवटािमन तथा कोएंजाइम।- 
    (च)  इ  यूनोग् 
लो  
यूिलन एवं रोधक्षमता। 
       
6.    काियर्की (नधािरय  के िवशेष संदभर् म  
त) : 
    (क)  रक् 
त  की  संघटना  तथा  रचक,  मानव  म  रक् 
त  समह
ू   तथा  RH  कारक,   
कंदन  के 
कारक  तथा  िक्रया  िविध;  लोह  उपापचय,  अ  ल  क्षारक  सा  य,  तापिनयमन, 
प्रित क
  ं दक। 
    (ख)  हीमोग् 
लोिबनरचना  प्रका  :र  एवं  ऑक् 
सीजन  तथा  काबर्नडाईऑक् 
साइड  पिरवहन  म 
भूिमका। 
    (ग)  पाचन एवं  अवशोषण  पाचन म लार ग्रंिथय  :, चकृत, अग्  याशय तथा आंत्र ग्रंिथय  
की भिू मका। 
    (घ)  उ  सजर्न    िवरचन  का  िनयमननेफान  तथा  मत्र
ू   :;  परसरण  िनयमन  एवं  उ स
  जीर् 
उ  पाद। 
    (ड.)  पेशीप्रकार  :,  कंकाल  पेिशय   की  संकुचन  की  िक्रया  िविध,  पेिशय   पर  य
  ायाम  का 
प्रभाव। 
    (च)  यरू ॉनतंित्रका आवेग : - उसका चालन तथा अंतग्रंथनी संचरणरोट्रांसमीटर। य
    ू : 
    (छ)  मानव म  ि ट
  ,  वण तथा घ्राणबोध। 
    (ज)  जनन की काियर्की, मानव म यौवनारं भ एवं रजोिनविृ  त। 

197 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
       
7.    पिरवधर्न जीविवज्ञान : 
    (क)  यग्ु म
  क  जनन;  शक्र
ु   की  रचना,  मैमेिलयन  शु ्क्र  की  पात्रे  एवं  जीवे  धािरता।  अंड 
जनन,  पूण र् शक् तता,  िनषेचन,  माफ जेिनसस  एवं  माफ जेन,   ला  टोजेिनसस,  शरीर 
  ापना,  फेट  मानिचत्र,  मेढ़क  एवं  चूजे  म  गे  टुलेशन,  चूजे  म 
अक्ष  रचना  की  थ
िवकासाधीन जीन, अंगांतरक जीन, आंख एवं  दय का िवकास,   तिनय  म अपरा। 
    (ख)  कोिशका  वंश  परं परा,  कोिशका  िक्रया  यकोिशका  अ  यो-,  आनुवंिशक  एवं  प्रेिरत 
िव पजनकता,  एंजीिवया  म  कायांतरण  के  िनयंत्रण  म  वायरोिक् 
सन  की  भूिमका, 
शवकीजनन एवं िचरभ्रू  साता, कोिशका म ृ  यु, कालप्रभावन। 
    (ग)  मानव म िवकासीय जीन, पात्रे िनषेचन एवं भ्रूण अंतरण, क् 
लोिनंग। 
    (घ)  टेमकोिशका  ोत :, प्रकार एवं मानव क य
    ाण म उनका उपयोग। 
    (ड.)  जाित अवतर्न िनयम। 
 
पिरिश  ट - II
ऑनलाइन आवेदन के िलए अनुदेश
 
उ मीदवार को वेबसाइट www.upsconline.nic.in का उपयोग कर ऑनलाइन आवेदन करना अपेिक्षत 
होगा। ऑनलाइन आवेदन प्रपत्र की प्रणाली की प्रमुख िवशेषताएं िन नानुसार ह-: 
   ऑनलाइन आवेदन  को भरने के िलए िव तत
ृ  अनुदेश उपयक्
ुर् त वेबसाइट पर उपल ध ह। 

   उ मीदवार   को  ड्रॉप  डाउन  मेनू  के  माधयम  से  उपयक्


ुर् त  साइट  म  उपल ध  अनुदेश   के 
ु ार दो चरण  अथार्त ् भाग-I और भाग-II म िनिहत ऑनलाइन आवेदन प्रपत्र को परू ा 
अनस
करना अपेिक्षत होगा। 
   उ मीदवार  को 100/‐ केवल एक सौ  प) .एशारीिरक  /मिहला /अजजा/अजा)के शु क (
प से  अक्षम उ मीदवार  को छोड़कर िज ह शु क के भग
ु तान से  छूट प्रा त है   या तो (
भारतीय  टे ट बक की िकसी शाखा म नकद जमा करके या भारतीय  टे ट बक की नेट 
बिकंग  सुिवधा  का  उपयोग  करके  या  वीजाडेिबट  काडर्  का/मा टर  क्रेिडट/  उपयोग  करके 
भुगतान करना अपेिक्षत है । 
   ऑनलाइन  आवेदन  भरना  आरं भ  करने  से  पहले  उ मीदवार  को  अपना  फोटोग्राफ  और 
ह ताक्षर .जेपीजी प्रा प म िविधवत  प से  इस प्रकार  कैन करना है   िक प्र येक 300 
केबी  से  अिधक  नहीं  हो,  लेिकन  फोटोग्राफ  के  िलए  आकार  म  20  केबी  से  कम  न  हो 
और ह ताक्षर के िलए 1 केबी से कम न हो।  
 
 उ मीदवार  के  पास  िकसी  एक  फोटो  पहचान  पत्र  जैसे  आधार  काडर्,  मतदाता 
पहचान पत्र, पैन काडर्, पासपोटर् , ड्राइिवंग लाइसस अथवा रा यद्र सरकार  वारा जारी क /
िकसी  अ य  फोटो  पहचान  पत्र  का  िववरण  भी  होना  चािहए।  इस  फोटो  पहचान  पत्र  का 
िववरण  उ मीदवार  वारा  अपना  ऑनलाइन  आवेदन  फामर्  भरते  समय  उपल ध  कराना 

198 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
  होगा।उ मीदवार   को  फोटो  आईडी  की  एक  कैन  की  गई  कॉपी  अपलोड  करनी  होगी 
िजसका  िववरण  उसके  वारा  ऑनलाइन  आवेदन  म  प्रदान  िकया  गया  है ।  इस  फोटो 
आईडी  का  उपयोग  भिव य  के  सभी  संदभर्  के  िलए  िकया  जाएगा  और  उ मीदवार  को 
परीक्षाएसएसबी के िलए उपि थत होते  समय इस पहचा / यिक्त व परीक्षण /न पत्र को 
साथ ले जाने की सलाह दी जाती है । 
 
   ऑनलाइन आवेदन -भाग)I और भाग-II को िदनांक (18 माचर्, 2019 को सांय 6:00 बजे 
तक भरे  जा सकते ह। 
   आवेदक  को एक से  अिधक आवेदन पत्र नहीं  भरने  चािहए, तथािप यिद िकसी अपिरहायर् 
पिरि थितवश कोई आवेदक एक से  अिधक आवेदन पत्र भरता है   तो वह यह सुिनि चत 
करे  िक उ च आरआईडी वाला आवेदन पत्र हर तरह से पूण र् है । 
   एक से  अिधक आवेदन पत्र  के मामले  म, आयोग  वारा उ च आरआईडी वाले  आवेदन 
पत्र पर ही िवचार िकया जाएगा और एक आरआईडी के िलए अदा िकए गए शु क का 
समायोजन िकसी अ य आरआईडी के िलए नहीं िकया जाएगा। 
   आवेदक  अपना  आवेदन  प्रपत्र  भरते  समय  यह  सुिनि चत  कर  िक  वे  अपना  वैध  और 
सिक्रय ईमेल आईडी प्र तुत कर रहे  ह क्य िक आयोग परीक्षा प्रिक्रया के िविभ न चरण   -
म उनसे संपकर् करने के िलए इलेक्ट्रॉिनक मा यम का इ तेमाल कर सकता है । 
   आवेदक   को  सलाह  दी  जाती  है   िक  वे  अपने  ईमेल  लगातार  दे खते  रह  तथा  यह  -
ि चत करसुिन िक @nic.in से समा  त होने वाले ईमेल पते उनके इनबॉक्स फो डर की -
ओर  िनदिशत  ह  तथा  उनके  एसपीएएम  (SPAM)  फो डर  या  अ य  िकसी  फो डर  की 
ओर नहीं। 
   उ मीदवार   को  सख्त  सलाह  दी  जाती  है   िक  ऑनलाइन  आवेदन  की  अंितम  तारीख  का 
इंतजार िकए िबना समय सीमा के भीतर ऑनलाइन आवेदन कर। 
 
पिरिश  ट-III 
व त
  ुपरक परीक्षण  हे तु उ म
  ीदवार के िलए िवशेष अनुदेश 
 
1.    िलिखत व  तए
  परीक्षा हाल म िन न ु ं लाने की अनुमित होगी 
    िक् 
लप बोडर् या हाडर् बोडर् िजस पर कुछ न िलखा) होर को अंिकत   
तर पत्रक पर प्र य
  ुउ  त (
 का काला ब िक म
  के िलए एक अ  छी करने◌ाल पेन, िलखने के िलए भी उ ह
   काले बाल 
पेन  का  ही  प्रयोग  करना  चािहए।  उ त    े कायर्  हे तु  कायर्  पत्रक  िनरीक्षक 
  र  पत्रक  और  क च
वारा िदए जाएंगे। 
       
2.    िलिखत व  तए
  परीक्षा हाल म िन न ु ं लाने की अनुमित नहीं होगी 
    ऊपर  दशार्ई  गई  व  तओ
ु ं  के  अलावा  अ  य  कोई  व  तु  जैसे  पु  तक,  नो स,  खल
ु े  कागज, 
इलैक्ट्र
  ािनक  या  अ  य  िकसी  प्रकार  के  केलकुलेटर,  गिणतीय  तथा  आरे क्ष  उपकरण , 
लघुगुणक सारणी, मानिचत्र  के   टिसल,   लाइड  ल, पहले सत्र से संबंिधत परीक्षण  (सत्र )

199 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
 कायर्पत्रकऔर क  च े कापिु त
  , परीक्षा हाल म न लाएं। 
       
    मोबाइल  फोन,  पेजर,     
ूटूथ  एवं  अ  य  संचार  यंत्र  उस  पिरसर  म  जहां  परीक्षा  आयोिजत 
की जा रही है , लाना मना है , इन िनदश  का उ लंघन करने पर अनश
ु ासिनक कायर्वाही के 
साथवाली  परीक्षाओं  से  प्रितबंिधत  िकया    म  आयोिजत  की  जानेसाथ  भिव य
  -  जा  सकता 
है ।  
     
  लूटूथ 
  उ  मीदवार  को उनके   वयं के िहत म सलाह दी जाती है  िक वे मोबाइल फोनपेजर//  
सिहत  कोई  भी  विजर्त  व त
   य िक  इनकी  अिभरक्षा  के  िलए 
ु परीक्षा  पिरसर  म  न  लाएं  क् 
 यव थ
  ा की गारं टी नहीं ली जा सकती। 
     
    उ  मीदवार  को उनके   वयं  के िहत म सलाह दी जाती है   िक वे  परीक्षा हॉल म कोई भी 
बहुमू  य व त  ु  न लाएं  क्    त नहीं  की जा सकती। इस संबंध म 
य िक उनकी सुरक्षा सुिनि च
िकसी भी नक ु सान के िलए आयोग िज म   ेदार नहीं होगा। 
     
3.    गलत उ  तर  के िलए दं ड 
     
    व  तिु न  ठ  प्र  ननेगेिटव  )  र   के  िलए  दं डदवार  वारा  िदए  गए  गलत  उ त
  पत्र   म  उ  मी-
िदया जाएगा। (मािकर्ंग 
    (i)  प्र  येक  प्र न
    के  िलए  चार  वैकि प
  क  उ  तर  ह,  उ  मीदवार  वारा  प्र य
  ेक  प्र  न  के 
िलए िदए गए एक गलत उ  तर के िलए प्र न
   हे तु  िनयत िकए गए अंक  का 1/  3
(0.33) दं ड के  प म काटा जाएगा। 
    (ii)  यिद  कोई  उ म
  ीदवार  एक  से  अिधक  उ  तर  दे ता  है ,  तो  इसे  गलत  उ  तर  माना 
जाएगा, य यिप िदए गए उ त
  र  म से  एक उ  तर सही होता है , िफर भी उस प्र न
  
के िलए उपयक्
ुर्  
तानुसार ही उसी तरह का दं ड िदया जाएगा। 
    (iii)  यिद उ  मीदवार  वारा कोई प्र न
   हल नहीं  िकया जाता है   अथार्त ् उ  मीदवार  वारा 
उ  तर नहीं िदया जाता है , तो उस प्र  
न के िलए कोई दं ड नहीं िदया जाएगा। 
       
4.    अनुिचत तरीक  की सख् 
ती से मनाही 
    कोई  भी  उ  मीदवार  िकसी  भी  अ य
    उ  मीदवार  के  पेपर   से  न  तो  नकल  करे गा  न  ही 
अपने  पेपर  से  नकल करवाएगा, न ही िकसी अ य
   तरह की अिनयिमत सहायता दे गा, न 
ही सहायता दे ने  का प्रयास करे गा, न ही सहायता प्रा त
   करे गा और न ही प्रा त
   करने  का 
प्रयास करे गा। 
       
5.    परीक्षा भवन म आचरण 
    कोई भी परीक्षाथीर् िकसी भी प्रकार का द ु  यव
र् हार न कर तथा परीक्षा हाल म अ  यव  था न 
फैलाएं  तथा परीक्षा  के संचालन  हे तु  आयोग  वारा  तैनात  ट
  ाफ  को  परे शान  न  कर,  ऐसे 

200 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
िकसी भी दरु ाचरण के िलए कठोर दं ड िदया जाएगा। 
       
6.      उ  तर पत्रक िववरण 
    (i)  उ  तर पत्रक के ऊपरी िसरे   के िनधार्िरत  थ
  ान पर आप अपना के  द्र और िवषय, 
परीक्षण पुि त
  का  ंख
ृ ला  िवषय कोड और अनुक्रमांक काले (क  मको  ठ)बाल   वांइट 
पेन  से  िलख।        उ  तर  पत्रक  म  इस  प्रयोजन  के  िलए  िनधार्िरत  व ृ  त   म  अपनी 
परीक्षण  पुि त
  का  ंख   ित(,  िवषय  कोड  तथा  अनुक्रमांक 
ृ ला  .डी.सी.बी.ए),  यथाि थ
काले  बाल  पेन  से  कूटब ध  कर।  उपयक्
ुर् त
    िववरण  िलखने  तथा  उपयक्
ुर्  त  िववरण 
कूटब ध  करने  के  िलए  मागर्दशीर्  िस धांत  अनब
ु ंध  म  िदए  गए  ह।  यिद  परीक्षण 
पुि त
  का  पर  ंख
ृ ला  मुिद्रत  न  हुई  हो  अथवा  उ त
  र  पत्रक  िबना  संख्य
  ा  के  ह   तो 
कृपया िनरीक्षक को तुरंत िरपोटर्   कर और परीक्षण पुि त
  कार पत्रक को बदल  उ  त/
ल। 
       
    (ii)  उ  मीदवार नोट कर िक ओएमआर उ  तर पत्रक म िववरण कूटब ध करने/भरने  म 
िकसी  प्रकार  की  चूक/त्रिु ट/िवसंगित,  िवशेषकर  अनुक्रमांक  तथा  परीक्षण  पुि तका 
ंख   र पत्रक अ  वीकृ 
ृ ला कोड के संदभर् म, होने पर उ त त िकया जाएगा। 
       
    (iii)  परीक्षा  आरं भ  होने  के  त  काल  बाद  कृपया  जांच  कर  ल  िक  आपको  जो  परीक्षण 
  पुि तका  दी  गई  है   उसम  कोई  प ृ  ठ  या  मद  आिद  अमुिद्रत  या  फटा  हुआ  अथवा 
गायब  तो  नहीं  है ।  यिद  ऐसा  है   तो  उसे  उसी  ंख
ृ ला  तथा  िवषय  की  पूण र् परीक्षण 
पुि त
  का से बदल लेना चािहए। 
       
7.    उ  तर पत्रक मद  की सूचना के   कायर्  पत्रक म मांगी गई िविश  टक  चे/कापरीक्षण पुि त
 /
  
 कुछ नहीं िलख।अलावा कहीं पर भी अपना नाम या अ य
8.  उ  तर पत्रक  को न मोड़ या न िवकृत कर अथवा न बबार्द कर अथवा उसम न ही कोई 
अवांिछतअसंगत िनशान लगाएं/। उ  तर पत्रक के पीछे  की ओर कुछ भी न िलख। 
       
9.    चूंिक  उ  तर  पत्रक   का  मू  यांकन  कं  यूटरीकृत  मशीन   पर  होगा,  अतदवार   को  उ  मी  :
   भरने  म अित सावधानी बरतनी चािहए।रखाव तथा उ ह
 - के रख  र पत्रक उ त
 उ ह
  व ृ त
  
को  काला  करने  के  िलए  केवल  काले  बाल  पेन  का  इ  तेमाल  करना  चािहए।  बॉक् 
स   म 
िलखने  के िलए उ  ह काले  बाल पेन का इ  तेमाल करना चािहए। चूंिक उ  मीदवार   वारा 
व ृ  त   को  काला  करके  भरी  गई  प्रिवि  टय   को  क   यूटरीकृत  मशीन   वारा  उ त
  र  पत्रक  
का  मू  यांकन  करते  समय   यान  म  रखा  जाएगा,  अतय   को  बड़ी    इन  प्रिवि ट
  उ  ह  :
सही भरना चािहए-सावधानी से तथा सही। 
       
10.    उ  तर अंिकत करने का तरीका 
    “व  तप
ु रक” परीक्षा म आपको उ  तर िलखने नहीं ह गे। प्र  येक प्र न
   श  आगे प्र न
  ांिज  ह)

201 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
िदए जाते (र कहा जाएगा  
त आगे  प्र  युिज  ह)रके िलए कई सझ
ु ाए गए उ त
   (कहा जाएगा 
ह उनम से प्र  येक प्र न
  ांश के िलए आपको एक प्र  यु  तर चुनना है । 
       
     पत्र परीक्षण पुि त
  प्र न   का के  प म होगा। इस पुि त
  का म क्रम संख्य
  ा 1,2,3… आिद के 
क्रम  म  प्र न
  ांश  के  नीचे  (ए),(बी)  ,  (सी)  और  र  अंिकत  ह गे  तके  प  म  प्र य
   ु (डी)। 
आपका काम एक सही प्र य ु ना है । यिद आपको एक से  अिधक प्र  यु  तर सही 
  ु  तर को चन
लग तो उनम से  आपको सव त   ित म 
  म प्र  यु  तर का चुनाव करना होगा। िकसी भी ि थ
  ु  तर का चुनाव करना होगा। यिद आप एक से 
प्र  येक प्र  नांश के िलए आपको एक ही प्र य
अिधक प्र  यु  तर चन
ु  लेते ह तो आपका प्र  यु  तर गलत माना जाएगा। 
       
    उ  तर पत्रक म क्रम संख्य
  ाएं  छापे  गए ह  160  से  1, प्र  येक प्र न
  ांश    के सामने (संख्य
  ा)
  का  के 
(ए),(बी)  ,  छपे  होते  ह  वाले  व ृ  तिच  ह  (डी)  और  (सी)  ।  जब  आप  परीक्षण  पुि त
  ु  तर   म  से 
प्र  येक  प्र  नांश  को  पढ़  ल  और  यह  िनणर्य  करने  के  बाद  िक  िदए  गए  प्र य
कोन सा एक प्र  यु  तर सही या सव त
  म ह, आपको अपना प्र य
  ु  तर उस व ृ  त को काले 
बाल पेन से पूरी तरह से काला बनाकर अंिकत कर दे ना है । 
       
    उदाहरण के तौर पर यिद प्र न
  ांश    वाले  व ृ  त (बी)  है   तो अक्षर (बी)  र     ु  1
तका सही प्र य
नुसार काले बको िन न
  ा◌ाल पेन से पूरी तरह काला कर दे ना चािहए जैसािक नीचे िदखाया 
गया है । 
      उदाहरण (a ) • (c) (d ) 
       
11.     कैनेबल उपि  थित सच
ू ी म ऐंट्री कैसे कर:  
    उ  मीदवार   को  क
  ै नेबल  उपि  थित  सूची  म,  जैसा  नीचे  िदया  गया  है ,  अपने  कॉलम  के 
सामने केवल काले बाल पेन से संगत िववरण भरना है । 
    (i)  उपि थ
  ितअनुप थ
  /ि◌ित कॉलम म (p) वाले गोले को काला कर। 
    (ii)  समुिचत परीक्षण पुि त
  का सीरीज के संगत गोले को काला कर। 
    (iii)  समिु चत परीक्षण पिु त
  का क्रम संख्य
  ा िलख। 
    (iv)  समुिचत उ त
  र पत्रक क्रम संख्य
  ा िलख और प्र  येक अंक के नीचे  िदए गए गोले को 
भी काला कर। 
    (v)  िदए गए   थान पर अपना ह त
  ाक्षर कर। 
       
12.    कृपया परीक्षण पुि त
  का के आवरण पर िदए गए अनुदेश  को पढ़ और उनका पालन कर। 
  त  अथवा  अनुिचत  आचरण   म  शािमल  होता  है   तो  वह 
यिद  कोई  उ  मीदवार  अ  यवि थ
अनुशासिनक  कारर् वाई  औरया  आयोग  वारा  उिचत समझे  जाने  वाले  दं ड  का भागी  बन  /
सकता है । 
  अनुबंध 
परीक्षा भवन म व तुपरक परीक्षण  के उ र पत्रक कैसे भर 

202 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
कृपया इन अनद
ु े श  का अ यंत सावधानीपव
ू क
र्  पालन कर। आप यह नोट कर ल िक चंिू क उ र  पत्रक का-
अंकन मशीन  वारा िकया जाएगा, इन अनुदेश  का िकसी भी प्रकार का उ लंघन आपके प्रा त
  ांक  को कम 
कर सकता है  िजसके िलए आप  वयं उ रदायी ह गे। 
       
उ र  पत्रक  पर  अपना  प्र यु र  अंिकत  करने  से  पहले  आपको  इसम  कई  तरह  के  िववरण  िलखने  ह गे। 
उ मीदवार को उ रपत्रक प्रा-  त होते  ही यह जांच कर लेनी चािहए िक इसम नीचे  संख्या दी गई है । यिद 
इसम संख्या न दी गई हो तो उ मीदवार को उस पत्रक को िकसी संख्या वाले पत्रक के साथ त काल बदल 
लेना चािहए। 
       
आप उ र पत्रक म दे खगे िक आपको सबसे-ऊपर की पंिक्त म इस प्रकार िलखना होगा। 
       

Centre  Subject  S. Code  Roll Number 


के  द्र                   
िवषय  िवषय कोड  अनक्र
ु मांक 

       
  -पत्र*  के  वा त
मान  लो  यिद  आप  गिणत  के  प्र न    े परीक्षा  म  िद ली  के द्र  पर  उपि थत  हो  रहे   ह  और 
ृ ला ‘ए’ है  तो आपको काले बाल पेन से 
आपका अनुक्रमांक 0812769 है  तथा आपकी परीक्षण पुि तका  ंख
इस प्रकार भरना चािहए।* 

Centre  Subject  S. Code  Roll Number 


के  द्र  0  0  0  8  1  2  7  6  9 
िवषय  िवषय कोड  अनुक्रमांक 
  िद ली  सामा य       (ए) 
       योग्यता परीक्षा  

आप के द्र का नाम अंग्रेजी या िह दी म काले बाल पेन से िलख। 


       
ृ ला  कोड  पुि तका  के  सबसे  ऊपर  दाय  हाथ  के  कोने  पर  ए  बी  सी  अथवा  डी  के 
परीक्षण  पुि तका  ंख
अनक्र
ु मांक के अनस
ु ार िनिदर् ट ह। 
       
आप  काले  बॅल  पेन  से  अपना  ठीक  वही  अनुक्रमांक  िलख  जो  आपके  प्रवेश  प्रमाण  पत्र  म  है ।  यिद 
अनक्र
ु मांक म कहीं शू  य हो तो उसे भी िलखना न भूल। 
       
आपको अगली कारर् वाई यह करनी है   िक आप नोिटस म से  समिु चत िवषय कोड ढूढ़। जब आप परीक्षण 
ृ ला, िवषय कोड तथा अनुक्रमांक को इस प्रयोजन के िलए िनधार्िरत व ृ  म कूटब ध करने का 
पुि तका  ंख
कायर्  काले  बाल  पेन  से  कर।  के द्र  का  नाम  कूटब ध  करने  की  आव यकता  नहीं  है ।  परीक्षण  पुि तका 
ृ ला  को  िलखने  और  कूटब ध  करने  का  कायर्  परीक्षण  पिु तका  प्रा  त  होने  तथा  उसम  से  पिु तका 
ंख
ंख
ृ ला की पुि ट करने के प च
  ात ही करना चािहए। 

203 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 
       
‘ए’  परीक्षण  पुि तका  ंख
ृ ला  के  सामा  य  योग् 
यता  िवषय  प्र न
    पत्र  के  िलए  आपको  िवषय  कोड  सं.  01 
िलखनी है , इसे इस प्रकार िलख। 
 
पुि तका क्रम (ए)                िवषय  0  1 
Booklet Series (A)              Subject 

        
(B )   कृपया अंग्रेजी से दे ख 
(C)    
(D )       

         

बस  इतना  भर  करना  है   िक  परीक्षण  पुि तका    अनुक्रमांक 


ृ ला  के  नीचे  िदए  गए  अंिकत  व ृ   ‘ए’  को  पूरी 
ंख Roll Numebrs 
तरह  से  काला  कर  द  और  िवषय  कोड  के  नीचे  ‘0’   
के िलए    और (पहले  उ वार्धर कॉलम म)1 के िलए    0  8  1  2  7  6  9 
व ृ  को पूरी तरह काला  (दस
ू रे   उ वार्धर कॉलम म)  
कर  द।  आप  व ृ   को  परू ी  तरह  उसी  प्रकार  काला            कृपया अंग्रेजी से दे ख 
कर िजस तरह आप उ र पत्रक म िविभ न
   प्र न
  ांश  
के  प्र  यु  तर  अंिकत  करते  समय  करगे,  तब  आप 
अनुक्रमांक 0812769 को कूटब ध कर। इसे उसी के 
अनु प इस प्रकार करगे। 
     
 
मह वपण    
ू  र्   तकृपया  यह  सिु नि च
    :कर  ल  िक 
आपने  अपना  िवषय,  परीक्षण  पुि तका  क्रम  तथा 
अनुक्रमांक ठीक से कूटब ध िकया है । 

     
* यह एक उदाहरण मात्र है  तथा आपकी संबंिधत परीक्षा से इसका कोई संबंध नहीं है । 
 
 
  
 

204 

“सरकार ऐसे कायर्बल के िलए प्रय  नशील है  िजसम पु ष तथा मिहला उ म


  ीदवार  की संख्य
  ा म संतुलन बना रहे  तथा मिहला उ  मीदवार  को 
आवेदन करने के िलए प्रो स
  ािहत िकया जाता है ।” 

You might also like