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प्रश्न अभ्यास पाठ्यपस्ु तक से
प्रश्न 1. इनमें से वकससे लोकतांि के विस्तार में मदद नहीं वमलती ?
(क) लोगों का सांघषय
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उत्तर :
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5. गैर-लोकताांविक शासन िाले देशों में लोगों को वकन-वकन मवु श्कलों का सामना करना पड़ता है ? इस अध्याय में
वदए गए उदाहरणों के आधार पर इस कथन के पक्ष में तकय दीवजए।
उत्तर : गैर-लोकताांविक शासन िाले देश बहुत सी कवठनाइयों का सामना करते हैं। गैर-लोकताांविक देशों में लोग
आजादी से अपने नेता नहीं चनु सकते, िे शासन कर रहे लोगों की अनमु वत के वबना राजनैवतक दलों का गठन नहीं कर
सकते। िे िास्तविक आजादी का आनांद नहीं उठा पाते। कुछ चरम मामलों में प्रावधकाररयों का विरोध करने िाले
लोगों को सताया जाता है और मार वदया जाता है। वचले में 1973 का सैवनक तख्तापलट तथा पोलैंड की कम्यवु नस्ट
सरकार वजसने 1990 तक शासन वकया, दमनकारी गैर-लोकतावां िक शासन के उदाहरण हैं।
प्रश्न 6. जब लोकतांि वकसी सेना द्वारा उखाड़ फें का जाता है तो कौन सी आजादी सामारयतः वछन जाती हैं ?
उत्तर : जब लोकतिां वकसी सेना द्वारा उखाड़ फें का जाता है तो लोगों से उनका नेता चनु ने की आजादी वछन जाती है।
इसके अवतररक्त उरहें सरकार की उन नीवतयों के विरुद्ध रोष प्रकट करने की आजादी की अनमु वत नहीं वमलती वजरहें िे
नापसांद करते हैं अथायत् न अवर्व्यवक्त की आजादी, न अपने व्यापार सांगठन बनाने की आजादी और न ही वनष्पक्ष
चनु ाि का अवधकार | उदाहरणतः सन् 1973 में वचले में जनरल ऑगस्तो वपनोशे द्वारा सैवनक शासन स्थावपत वकया
गया जबवक पोलैंड में सन् 1989 से पिू य जनरल जारूजेल्सस्की के नेतत्ृ ि में गैर-लोकताांविक सरकार थी। दोनों ही
मामलों में लोगों कोऊपर िवणयत आजादी नहीं थी।
प्रश्न 7. िैविक स्तर पर लोकतांि बढाने में इनमें से वकन बातों से मदद वमलेगी ? प्रत्येक मामले में अपने जिाब के पक्ष
में तकय दीवजए।
(क) मेरा देश अांतरायष्रीय सांस्थाओ ां को ज्यादा पैसे देता है इसवलए मैं चाहता हँ वक मेरे साथ ज़्यादा सम्मानजनक
व्यिहार हो ओर मझु े ज़्यादा अवधकार वमलें।
(ख) मेरा देश छोटा या गरीब हो सकता है। लेवकन मेरी आिाज़ को समान आदर के साथ सनु ा | जाना चावहए क्योंवक
इन फै सलों का मेरे देश पर र्ी असर होगा।
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(ग) अांतरायष्रीय मामलों में अमीर देशों की ज्यादा चलनी चावहए। गरीब देशों की सांख्या ज्यादा है, वसफय इसके चलते
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(घ) र्ारत जैसे बड़े देशों की आिाज़ का अांतरायष्रीय स्तर पर ज्यादा िज़न होना ही चावहए।
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उत्तर :
(क) इसका िैविक स्तर पर लोकतांि में कोई योगदान नहीं हैं क्योंवक प्रत्येक देश और इसके नागररकों को बराबरी का
दजाय वमलना चावहए चाहे िह देश अमीर हो अथिा गरीब ।
(ख) यह समानता एिां अवर्व्यवक्त की आजादी को बढािा देगा। यवद ऐसा िैविक स्तर पर वकया | जाता है तो यह
अिश्य ही िैविक स्तर पर लोकतांि को बढाने में मदद करे गा।
(ग) यह िैविक स्तर पर लोकतांि को बढाने में योगदान नहीं देगा क्योंवक अमीर एिां गरीब देशों के बीच वकसी प्रकार
का र्ेद-र्ाि नहीं होना चावहए। यह सामावजक-आवथयक समानता लाने में मददगार नहीं होगा जो वक लोकतिां के सबसे
महत्त्िपणू य पहलओ
ू ां में से एक है। िैविक स्तर पर सर्ी देशों चाहे िे अमीर हों या गरीब, बराबरी का स्थान वमलना
चावहए।
(घ) यह र्ी िैविक स्तर पर लोकतिां में कोई योगदान देगा क्योंवक वकसी देश का आकार अथिा र्ौगोवलक क्षेिफल
उसकी अरय देशों से श्रेष्ठता की कसौटी नहीं होना चावहए।
प्रश्न 8. नेपाल के सांकट पर हुई एक टीिी चचाय में व्यक्त वकए गए तीन विचार कुछ इस प्रकार के थे। इनमें से आप वकसे
सही मानते हैं और क्यों?
• र्ारत एक लोकताांविक देश है इसवलए राजशाही के वखलाफ़ और लोकतांि के वलए सांघषय करने िाले नेपाली लोगों
के समथयन में र्ारत सरकार को ज्यादा दखल देना चावहए। िक्ता
• यह एक खतरनाक तकय है। हम उस वस्थवत में पहुचँ जाएँगे जहाँ इराक के मामले में अमेररका पहुचँ ा है। वकसी र्ी
बाहरी शवक्त के सहारे लोकतांि नहीं आ सकता। . िक्ता
• लेवकन हमें वकसी देश के आांतररक मामलों की वचांता ही क्यों करनी चावहए? हमें िहाँ अपने व्यािसावयक वहतों की
वचांता करनी चावहए लोकतांि की नहीं।
उत्तर : िक्ता 2 के मत से आसानी से सहमत हुआ जा सकता है क्योंवक वकसी देश में उस देश के नागररक ही लोकतांि
की स्थापना कर सकते हैं।
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प्रश्न 9. एक काल्सपवनक देश आांनदलोक में लोग विदेशी शासन को समाप्त करने परु ाने राजपररिार को सत्ता सौंपते हैं। िे
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वकया तब इरहीं के पिू यज हमारे राजा थे। यह अच्छा है वक हमारा एक मजबतू शासक है। जो हमें अमीर और ताकतिर
बनने में मदद कर सकता है। जब वकसी ने लोकताांविक शासन व्यिस्था की बात की तो िहाँ के सयाने लोगों ने कहा
वक यह तो एक विदेशी विचार है। हमारी लड़ाई विदेवशयों और उनके विचारों को देश से खदेड़ने की थी। जब वकसी ने
मीवडया की आजादी की माँग की तो बड़े बजु गु ों ने कहा वक शासन की ज़्यादा आलोचना करने से नक ु सान होगा और
इससे अपने जीिन स्तर को सधु ारने में कोई मदद नहीं वमलेगीं। आवखर महाराज दयािान हैं और अपनी परू ी प्रजा के
कल्सयाण में बहुत वदलचस्पी लेते हैं। उनके वलए मवु श्कलें क्यों पैदा की जाएँ? क्या हम सर्ी खश
ु हाल नहीं होना चाहते?
उपरोक्त उद्धरण को पढने के बाद चमन, चांपा और चांदू ने कुछ इस तरह के वनष्कषय वनकालेः
चमनः आनांदलोक एक लोकताांविक देश है क्योंवक लोगों ने विदेशी शासकों का उखाड़ फें का और राजा का शासन
बहाल वकया।
चांपा : आांनदलोक लोकताांविक देश नहीं है क्योंवक लोग अपने शासन की आलोचना नहीं कर सकते। राजा अच्छा हो
सकता है और अवथयक समृवद्ध र्ी ला सकता है लेवकन राजा लोकतावां िक शासन नही ला सकता।
चदां ू : लोगों को खशु हाली चावहए इसवलए िे अपने शासक को अपनी तरफ से फै सले लेने देना चाहते हैं। अगर लोग
खश ु हैं तो िहीं का शासन लोकताांविक ही है। इन तीनों कथनों के बारे में आपकी क्या राय है? इस देश में सरकार के
स्िरुप के बारे में आपकी क्या राय है?
उत्तर : चमन का कथन गलत है क्योंवक वकसी विदेशी ताकत को उखाड़ फें कना माि स्ितांिता प्राप्त करना है। चांपा का
कथन सही है। लोकतांि प्रजा का शासन है। प्रजा को अपने शासक से सिाल करने का अवधकार होना ही चावहए। चांदू
का कथन गलत है। लोगों की खश ु ी माि ही लोकतिां की घटक नहीं है। लोग राजा के साथ खश
ु हो सकते हैं वकरतु िह
कोई चनु ा गया प्रवतवनवध नहीं है और इसवलए िह लोकतांि की स्थापना नहीं कर सकता।
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पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा : नौिीं निषय : लोकतावरिक राजनीवत
पाठ - 2 िोकर्ंत्र क्या
रिनात्र्क पाठ योजना
पाठ्यचयाय अपेक्षाएां वशक्षण अवधगम प्रवक्रया अवधगम सचू क
1 लोकताांविक सरकार की पहचान 1 लोकतांि के अथय और पररर्ाषाओ 1 छाि लोकतांि के अथय को समझता
करने में सक्षम बनाना | का अथय समझाते हुए इसकी हे|
2 लोकताांविक एिम गैर लोकताांविक विशेषताओ ां की चचाय करना | 2 छाि लोकताांविक और गैर
सरकारों में अांतर करने की योग्यता विद्याथी से लोकताविक और गैर लोकताांविक सरकारों में र्ेद जानता
का विकास करना | लोकतावां िक देशों की सचू ी तैयार है||
3 व्यापक सतर पर लोकतांि क्या हे ? करिाना 3 विद्याथी लोकतांि के व्यापक अथय
उसे समझने में सक्षम बनाना | 2 लोकताांविक और गैर लोकताांविक को समझता हे|
4 लोकताांविक प्रणाली अरय सरकारों में अांतर बताते हुए 4 विद्याथी लोकतांि के गणु एिम
प्रणावलयों से अवधक उतम क्यों हे पररयोजना कायय द्वारा लोकताांविक दोषों को समझता हे |
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करिाना |
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प्रश्न 1. यहाँ चार देशों के बारे में कुछ सचू नाएँ हैं। इन सचू नाओ ां के आधार पर आप इन देशों का िगीकरण वकस तरह
करें ग?े इनके सामने ‘लोकतावां िक’, ‘अलोकतावां िक’ और ‘पक्का नहीं वलखे।
(क) देश क : जो लोग देश के अवधकाररक धमय को नहीं मानते उरहें िोट डालने का अवधकार नहीं हैं।
(ख) देश ख : एक ही पाटी बीते िषों से चनु ाि जीतती आ रही है।
(ग) देश ग : वपछले तीन चनु ािों में शासक दल के पराजय का मँहु देखना पड़ा।
(घ) देश घ : यहाँ स्ितांि चनु ाि आयोग नहीं है।
उत्तर :
(क) अलोकताांविक
(ख) पक्का नहीं।
(ग) लोकतावां िक
(घ) अलोकताांविक
2.यहाँ चार अरय देशों के बारे में कुछ सचू नाएँ दी गई हैं। इन सचू नाओ ां के आधार पर आप इन देशों का िगीकरण
वकस तरह करें गे? इनके आगे ‘लोकताांविक’, ‘अलोकताांविक’ और ‘पक्का नहीं वलखे।
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(ख) देश छ : सांसद रयायपावलका के अवधकारों में कटौती का काननू नहीं बना सकती।
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(ग) देश ज : देश के नेता वबना पड़ोसी देश की अनमु वत के वकसी और देश से सांवध नहीं कर सकते।
(घ) देश झ : देश के अवधक फै सले के ररीय बैंक के अवधकारी करते हैं वजसे मिां ी र्ी नहीं बदल सकते।
उत्तर :
(क) अलोकताांविक
(ख) लोकताांविक
(ग) अलोकताांविक
(घ) अलोकतावां िक
प्रश्न 3. इनमें से कौन-सा तकय लोकतिां के पक्ष में अच्छा नहीं है और क्यों?
(क) लोकतांि में लोग खदु को स्ितांि और समान मानते हैं।
(ख) लोकतावां िक व्यिस्थाएँ दसू रों की तल
ु ना में टकरािों को ज्यादा अच्छी तरह सल
ु झाती हैं।
(ग) लोकतावां िक सरकारें लोगों के प्रवत ज़्यादा उत्तरदायी होती है।
(घ) लोकताांविक देश दसू रों की तल
ु ना में ज़्यादा समृद्ध होते है।
उत्तर : (क) ‘लोकताांविक देश दसू रों की तलु ना में ज्यादा समृद्ध होते हैं। लोकतांि के पक्ष में अच्छा तकय नहीं है क्योंवक
र्ारत जैसे कुछ लोकताांविक देश अब र्ी आवथयक रूप से विकवसत हो रहे हैं। जबवक सांयक्त ु अरब अमीरात जैसे
राजतिां िाले देश आवथयक रूप से समृद्ध हैं।
प्रश्न 4. इन सर्ी कथनों में कुछ चीजें लोकतावां िक हैं तो कुछ अलोकतावां िक। हर कथन में इन चीजों को अलग-अलग
करके वलखें।
(क) एक मिां ी ने कहा वक ससां द को कुछ काननू पास करने होंगे। वजससे विि व्यापार सगां ठनों द्वारा तय वनयमों की पवु ष्ट
हो सके ।
(ख) चनु ाि आयोग ने एक चनु ाि क्षेि के सर्ी मतदान कें रों पर दोबारा मतदान का आदेश वदया जहाँ बड़े पैमाने पर
मतदान में गड़बड़ की गई थी।
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(ग) सांसद में औरतों को प्रवतवनध्त्ि कर्ी र्ी 1 प्रवतशत तक नहीं पहुचँ ा है। इसी कारण मवहला सांगठनों ने सांसद में
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उत्तर :
(क) लोकताांविक चीज : “सांसद को कुछ काननू पास करने होंगे।” अलोकताांविक चीज : “विि व्यापार सांगठन द्वारा
तय वनयमों की पवु ष्ट हो सके ।
(ख) लोकताांविक चीज : ” चनु ाि आयोग ने वकसी चनु ाि क्षेि में दोबारा मतदान का आदेश वदया।” अलोकताांविक
चीज : “बड़े पैमाने पर मतदान में गड़बड़ हुई थी।”
(ग) लोकताांविक चीज : ” इसी के कारण मवहला सांगठनों ने एक वतहाई आरक्षण की माांग की है।” अलोकताांविक
चीज : “सांसद में औरतों का प्रवतवनवधत्ि कर्ी र्ी 10 प्रवतशत तक नहीं पहुचँ ा है।”
प्रश्न 5. लोकतांि में अकाल और र्ख
ु मरी की सांर्ािना कम होती है। यह तकय देने का इनमें से कौन-सा कारण सही नहीं
है ?
(क) विपक्षी दल र्ख
ू और र्ुखमरी की ओर सरकार का ध्यान वदला सकते हैं।
(ख) स्ितिां अखबार देश के विवर्रन वहस्सों में अकाल की वस्थवत के बारे में खबरें दे सकती हैं।
(ग) सरकार को अगले चनु ाि में अपनी परजय का डर होता है।
(घ) लोगों को कोई र्ी तकय मानने और उस पर आचरण करने की स्ितांिता है।
उत्तर : कारण (घ) यह कहने के वलए तकय सांगत नहीं है वक लोकतांि में अकाल और र्ख
ु मरी की सांर्ािना कम होती है।
यह इसवलए है वक वकसी तकय को मानने और उस पर आचरण करने ि अकाल को दरू करने में परस्पर कोई सांबांध नहीं
है। प्रश्न
6. वकसी वजले में 40 ऐसे गाँि हैं जहाँ सरकार ने पेयजल उपलब्ध कराने का कोई इतां जाम नहीं वकया है। इन गाँिों के
लोगों ने एक बैठक की और अपनी जरुरतों की ओर सरकार का ध्यान वदलाने के वलए कई तरीकों पर विचार वकया।
इनमें से कौन-सा तरीका लोकताांविक नहीं है ?
(क) अदालत में पानी को अपने जीिन के अवधकार का वहस्सा बताते हुए मक
ु दमा दायर करना।
(ख) अगले चनु ाि का बवहष्कार करके सर्ी पावटयों को सदां श
े देना।
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(ग) अवधकाररयों से कमयचारी : हमारे काम करने के घांटे काननू के अनसु ार कम वकए जाने चावहए।
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(क) पहला कथन अलोकताांविक है क्योंवक लड़की को उसकी अपनी शादी के बारे में राय व्यक्त करने के अिसर से
िांवचत वकया जा रहा है। यह कथन लोकतांि सापेक्ष नहीं है क्योंवक बेटी को अरय लोगों द्वारा उसकी इच्छा के विरुद्ध
शादी करने के वलए बाध्य नहीं वकया जाना चावहए। उस लड़की को ही अपने पवत के साथ परू ा जीिन गजु ारना हैं
इसवलए अपना पवत चनु ने के वलए उसे परू ी स्ितांिता दी जानी चावहए ।
(ख) दसू रा कथन अलोकताांविक है क्योंवक छाि को प्रश्न पछू कर अपना सांशय दरू करने के अवधकार से िांवचत वकया
जा रहा है। यह अलोकताांविक नहीं होगी यवद कोई छाि अपने अध्यापक से प्रश्न करे । सबसे अच्छी चीज जो एक
अध्यापक कर सकता है िह यह है वक िह छािों से कहे वक कक्षा समाप्त होने के उपरातां बच्चे प्रश्नों के उत्तर जान
सकते हैं, वकरतु उसे छािों के प्रश्नों के उत्तर देने चावहएां।
(ग) तीसरा कथन लोकताांविक है क्योंवक यह ऐसे वनयम या काननू की माांग करता है जो कमयचाररयों के वलए लार्प्रद
हो। कमयचारी सदैि ही काननू ी मानकों के अनसु ार अपने अवधकारी से वकसी
चीज का अनरु ोध या माांग कर सकते हैं। अतः यह कथन लोकताांविक मल्सू यों के सापेक्ष है।
प्रश्न 9. एक देश के बारे में वनम्नवलवखत तथ्यों पर गौर करें और फै सला करें वक आप इसे लोकतिां कहेंगे या नहीं।
अपने फै सले के पीछे के तकय र्ी बताएँ ।
(क) देश के सर्ी नागररकों को िोट देने का अवधकार है और चनु ाि वनयवमत रुप से होते हैं।
(ख) देश के अांतरायष्रीय एजेंवसयों से ऋण वलया। ऋण के साथ यह एक शतय जड़ु ी थी वक सरकार वशक्षा और स्िास्थ्य
पर अपने खचे में कमी करे गी।
(ग) लोग सात से ज्यादा र्ाषाएँ बोलते हैं पर वशक्षा का माध्यम वसफय एक र्ाषा है, वजसे देश के 52 फीसदी लोग
बोलते हैं।
(घ) सरकारी नीवतयों का विरोध करने के वलए अनेक सांगठनों ने सांयक्त
ु रुप से प्रदशयन करने और देश र्र में हड़ताल
करने का आह्वान वकया है। सरकार ने उनके नेताओ ां को वगरफ्तार कर वलया
(ङ) देश के रे वडयो और टेलीविजन चैनल सरकारी हैं। सरकारी नीवतयों और विरोध के बारे में खबर छापने के वलए
अखबारों को सरकार से अनमु वत लेनी होती है।
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(क) ऐसा देश लोकताांविक है क्योंवक देश के सर्ी नागररकों को मतदान का अवधकार है और वनयवमत रूप से चनु ाि
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(ख) लोकतांि नागररकों की गररमा में बढोतरी करता है। एक लोकताांविक सरकार नागररकों के कल्सयाण के वलए कायय
करती है। वशक्षा एिां स्िास्थ्य पर खचय में कमी करना लोगों के वलए कल्सयाणकारी | नहीं होगा। इसवलए ऐसे देश को
लोकतावां िक नहीं कहा जा सकता क्योंवक कोई र्ी लोकतावां िक देश वशक्षा एिां स्िास्थ्य पर खचय में कमी के वलए
सहमत नहीं होगा।
(ग) राष्रर्ाषा एक र्ाषा हो सकती है क्योंवक ऐसी चीज व्यापक स्तर पर राष्रीय एकता लाती है। वकरतु अरय र्ाषाओ ां
को र्ी उनके सांबांवधत क्षेि में प्रोत्सावहत करना चावहए। मेरा विचार है वक यह देश अलोकताांविक नहीं है।
प्रश्न 10. अमेररका के बारे में 24 में आई एक ररपोटय के अनसु ार िहाँ के समाज में असमानता बढती जा रही है।
आमदनी की असमानता लोकताांविक प्रवक्रया के विवर्रन िगों की र्ागीदारी घटने-बढने के रुप में र्ी सामने आई। इन
समहू ों की सरकार के फै सलों पर असर डालने की क्षमता र्ी इससे प्रर्ावित हुई हैं। इस ररपोटय की मख्ु य बातें थीं।
• सन् 24 में एक औसत अिेत पररिार की आमदनी नौ डालर थी जबवक गोर पररिार की आमदनी 162 डालर।
औसत गोरे पररिार के पास अिेत पररिार से 12 गनु ा ज्यादा सांपवत्त थी।
• राष्रपवत चनु ाि में 75; डालर से ज़्यादा आमदनी िाले पररिारों के प्रत्येक 1 में से 9 लोगों ने िोट डाले थे। सही लोग
आमदनी के वहसाब से समाज के ऊपरी 2 फीसदी में आते हैं। दसू री ओर 15; डालर से कम आमदनी िाले पररिारों के
प्रत्येक 10 में से वसफय 5 लोगों ने ही िोट डाले। आमदनी के वहसाब से ये लोग सबसे वनचले 2 फीसदी वहस्से में आते
है।
• राजनैवतक दलों का करीब 95 फीसदी चदां ा अमीर पररिारों से ही आता है। इससे उरहें अपनी राय और वचताओ ां से
नेताओ ां को अिगत कराने का अिसर वमलता है। यह सवु िधा देश के अवधकाश नागररकों को उपलब्ध नहीं हैं।
• जब गरीब लोग राजनीवत में कम र्ागीदारी करते हैं तो सरकार र्ी उनकी वचतां ाओ ां पर कम ध्यान देती है गरीबी दरू
करना, रोजगार देना, उनके वलए वशक्षा, स्िास्थ्य और आिास की व्यिस्था करने पर उतना ध्यान नहीं वदया जाता है
वजतना वदया जाना चावहए। राजनेता अक्सर अमीरों और
व्यापाररयों की वचांताओ ां पर ही वनयवमत रूप से गौर करते हैं।
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उत्तर : इसमें कोई वििाद नहीं है वक गरीबी का लोकतांि पर सीधा एिां गहरा प्रर्ाि पड़ता है। एक अिेत पररिार वकसी
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िेत पररिार के मक ु ाबले बहुत कम कमाता है इसवलए उनकी कमाई में असमानता उनके मतदान पैटनय में साफ
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झलकती थी। राष्रपवत के चनु ाि में 75000 हजार डालर या इससे अवधक की | आय िाले 10 में से 9 लोगों ने मतदान
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वकया था जबवक 15000 डालर से कम आय िाले 10 में से 5 लोगों ने मतदान वकया था। इतना ही नहीं, उनकी आय
में अांतर ने सरकार द्वारा वलए जाने िाले वनणययों को प्रर्ावित करने की योग्यता र्ी वनधायररत करता है। क्योंवक
राजनैवतक दलों को वदए जाने िाले चांदे का 95 प्रवतशत अमीर लोगों से आता है। इसवलए िे राजनैवतक दलों के
वनणययों को प्रर्ावित करने के वलए अवधकतर कम आय िाले नागररकों की अपेक्षा बेहतर वस्थवत में थे। क्योंवक गरीब
लोग राजनीवत में कम र्ाग लेते हैं, इसवलए सरकार इनकी ओर एिां इनकी, वशक्षा, स्िास्थ्य, रोजगार, वनिास की
समस्या तथा र्ख ु मरी की ओर कम ध्यान देती है। विवर्रन राजनेताओ ां द्वारा वनवमयत सरकार व्यापार या समाज के अमीर
िगय के बारे में वचवां तत रहती है।
अमेररका की तरह र्ारत में र्ी विवर्रन राजनैवतक दल अमीर लोगों की समस्याओ ां पर अवधक ध्यान देते हैं जो वक
उनको वदए जाने िाले चदां े की रावश का अवधकतर र्ाग उरहीं से आता है।
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा : नौिीं निषय : लोकतावरिक राजनीवत
पाठ – 3 सनं िधान का ननर्ााण
रिनात्र्क पाठ योजना
पाठ्यचयाय अपेक्षाएां वशक्षण अवधगम प्रवक्रया अवधगम सचू क
1 दवक्षण अफ्रीका में रांग र्ेद के 1 अध्यापक द्वारा छािों को रांग र्ेद की जानकारी 1 छाि दवक्षण अफ्रीका में
वखलाफ सांघषय के पश्चात् के से विस्तापयिू यक बताना |नेल्ससन मांडेला के जीिन चलाये गये रांग र्ेद विरोधी
लोकताांविक सांविधान का वनमायण सांघषय पर चचाय करिाना आदां ोलनों को जानता हे |
हुआ को समझने में सक्षम बनाना | 2 छाि को सवां िधान की
2 हमें सांविधान की आिश्यकता 2 सांविधान क्या है , इसकी आिश्यकता ि आिश्यकता और
क्यों होती है , इसे समझाने के योग्य उपयोवगता के बारे में बताना उपयोवगता की समझ हे |
बनाना | 3 र्ारत के सांविधान के वनमायण में सांविधान सर्ा 3 र्ारत का सांविधान कब
3 र्ारतीय सांविधान का वनमायण की र्वू मका के बारे में बताना | और वकसके दिारा बनाया
सवां िधान सर्ा ने के से वकया , इसे 4 र्ारतीय सवां िधान के प्रमखु वसद्धातां ों तथा गया हे, जानता हे |
समझने योग्य बनाना | उदेश्यों की जानकारी देना और दो समहू ों में चचाय 4 छािों को सांविधान के
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एिम उदेश्य क्या हैं ? इसे समझने 5 र्ारतीय सवां िधान की उन विशेताओ ां की सचू ी समझ है |
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योग्य बनाना | इसके वसद्धाांतों ि तथा तैयार करिाना जो विदेशी सांविधानों से ली गयी है
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(ग) (i)
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(घ) (ii)
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प्रश्न 5. जिाहर लाल नेहरू के वनयवत के साथ साक्षात्कार िाले र्ाषण के आधार पर वनम्नवलवखत प्रश्नों का जिाब दें :
(क) नेहरू ने क्यों कहा वक र्ारत का र्विष्य सस्ु ताने और आराम करने का नहीं है?
(ख) नए र्ारत के सपने वकस तरह विि से जड़ु े हैं ? (ग) िे सांविधान वनमायताओ ां से क्या शपथ चाहते थे ?
(घ) “हमारी पीढी के सबसे महान व्यवक्त की कामना हर आँख से आँसू पोंछने की हैं। िे इस कथन में वकसका वजक्र
कर रहे थे?
उत्तर :
(क) नेहरू ने ये शब्द प्रयोग वकए ‘परू ी तरह या परू े तरीके से नहीं क्योंवक उनके अनसु ार उरहोंने जो काम परू ा करने का
बीड़ा उठाया था िह अर्ी परू ा नहीं हुआ था और शपथ एक दम से | परू ी नहीं हो सकती थी, वकरतु ये धीरे -धीरे परू ी
होंगी।
(ख) जो शपथ िे र्ारत के सवां िधान वनमायताओ ां से लेना चाहते थे िह यह थी वक िे अपना जीिन र्ारत, र्ारतीय
लोगों और व्यापक स्तर पर मानिता की सेिा को अवपयत कर दें।
(ग) िे महात्मा गाांधी का वजक्र कर रहे थे।
प्रश्न 6. हमारे सवां िधान को वदशा देने िाले ये कुछ मल्सू य और उनके अथय हैं। इरहें आपस में वमलाकार दोबारा वलवखए।
(क) सांप्रर्तु ा
(ख) गणतांि
(ग) बांधत्ु ि
(घ) धमयवनरपेक्ष
(i) सरकार वकसी धमय के वनदेशों के अनसु ार कायय नहीं करें गी।
(ii) फै सले लेने का सिोच्च अवधकार लोगों के पास है।
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He
उत्तर :
(क) (ii)
(ख) (iii)
(ग) (iv)
(घ) (i)
प्रश्न 7. कुछ वदन पहले नेपाल से आपके एक वमि ने िहाँ की राजनैवतक वस्थवत के बारे में आपको पि वलखा था। िहाँ
अनेक राजनैवतक पावटययाँ राजा के शासन का विरोध कर रही थी। उनमें से कुछ का कहना था वक राजा द्वारा वदए गए
मौजदू ा सांविधान में ही सांशोधन करके चनु े हुए प्रवतवनवधयों को ज़्यादा अवधकार वदए जा सकते हैं। अरय पावटययाँ नया
गणताांविक सांविधान बनाने के वलए नई सांविधान सर्ा गवठत करने की माांग कर रही थीं। इस विषय में अपनी राय
बताते हुए अपने वमि को पि वलखें।
उत्तर : वनम्नवलवखत वबदां ओ
ु ां से सहायता लेते हुए अपना उत्तर वलखें : वनिायवचत प्रवतवनवधयों को और अवधक शवक्तयाँ
देने के वलए सांविधान में सांशोधन की माांग, गणतांिात्मक सांविधान वलखने के वलए एक नई सांविधान सर्ा और राजा के
शासन का विरोध यह दशायते हैं वक लोग लोकतांि के पक्ष में हैं और राजतांिात्मक शासन को अपने देश से उखाड़
फें कना चाहते हैं।
प्रश्न 8. र्ारत के लोकतांि के स्िरूप के विकास के प्रमख
ु कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग विचार इस . प्रकार हैं।
आप इनमें से हर कथन को र्ारत में लोकतावां िक व्यिस्था के वलए वकतना महत्त्िपणू य कारण मानते हैं ?
(क) अग्रां ेज़ शासकों ने र्ारत को उपहार के रूप में लोकतावां िक व्यिस्था दी। हमने विवटश हुकूमत के समय बनी
प्राांतीय असेंबवलयों के जररए लोकताांविक व्यिस्था में काम करने का प्रवशक्षण पाया।
(ख) हमारे स्ितांिता सांग्राम ने औपवनिेवशक शोषण और र्ारतीय लोगों को तरह-तरह की आजादी न वदए जाने का
विरोध वकया। ऐसे में स्ितिां र्ारत को लोकतावां िक होना ही था।
(ग) हमारे राष्रिादी नेताओ ां की आस्था लोकतिां में थी। अनेक नि स्ितिां राष्रों में लोकतांि का न आना हमारे नेताओ ां
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उत्तर : मैं ऊपर वदए गए वबदां ओु ां को समान महत्ि दगांू ा। पहला वबदां ु दशायता है वक विवटश शासन ने हमें लोकतिां के
jay
Vi
वलए आदशय एिां प्रेरणा उपलब्ध कराई। दसू रे वबांदु ने आत्मवििास के साथ परू े राष्र को एकता के सिू में बाांधा। तीसरा
वबांदु दशायता है वक हमारे नेताओ ां ने लोकतांि का वनमायण ऐसे तरीके से वकया वक यह परू े देश के वलए एक आदशय बन
गया।
प्रश्न 9.1912 में प्रकावशत ‘वििावहत मवहलाओ ां के वलए आचरण’ पस्ु तक के वनम्नवलवखत अांश को पढे : “ईिर ने
औरत जावत को शारीररक और र्ािनात्मक, दोनों ही तरह से ज़्यादा नाजक ु बनाया है। उरहें आत्म रक्षा के र्ी योग्य
नहीं बनाया है। इसवलए ईिर ने ही उरहें जीिन र्र परू ु षों के सांरक्षण में रहने का र्ाग्य वदया है-कर्ी वपता के , कमी पवत
के और कर्ी पिु के । इसवलए मवहलाओ ां को वनराश होने की जगह इस बात से अनुगहृ ीत होना चावहए वक िे अपने
आपको परू ु षों की सेिा में समवपयत कर सकती है। क्या इस अनच्ु छे द में व्यक्त मल्सू य सवां िधान के दशयन से
मेल खाते हैं या िे सांिैधावनक मल्सू यों के वखलाफ हैं?
उत्तर : वदया गया पैरा आांवशक मल्सू यों को प्रवतवबांवबत करता है। यह वलांगर्ेद के विचार को बढािा देता है। यह सांविधान
द्वारा प्रचाररत समानता की र्ािना के विपरीत है।
प्रश्न 10. वनम्नवलवखत कथनों पर विचार कीवजए। क्या आप उनसे सहमत हैं? अपने कारण र्ी बताइए।
(क) सवां िधान के वनयमों की हैवसयत वकसी र्ी अरय काननू के बराबर है।
(ख) सांविधान बताता है वक शासन व्यिस्था के विविध अांगों का गठन वकस तरह होगा।
(ग) नागररकों के अवधकार और सरकार की सत्ता की सीमाओ ां का उल्सलेख र्ी सांविधान में स्पष्ट रूप में है।
(घ) सांविधान सांस्थाओ ां की चचाय करता है, उसका मल्सू यों से कुछ लेना-देना नहीं है।
उत्तर :
(क) सत्य
कारण : सांविधान वकसी देश का सिोच्च काननू है। यह वकसी लोकताांविक देश की नींि है। सांविधान में िवणयत वकए
गए काननू ों पर अरय सर्ी काननू ों का वनमायण वकया जाता है ।अतः, इसका अथय यह है वक सिां ैधावनक काननू ों को र्ी
िही या उससे र्ी अवधक हैसीयत प्राप्त है जो देश के अरय काननू ों की है।
(ख) सत्य
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कारण : सवां िधान सरकार वनमायण का ढाचां ा वनधायररत करता है। यह सरकार के विवर्रन अगां ों काययपावलका,
Ku
jay
रयायपावलका एिां विधावयका के गठन एिां इनके कायों को विस्तार सवहत पररर्ावषत करता है।
Vi
(ग) सत्य
कारण : सांविधान ने देश के सर्ी नागररकों के वलए मौवलक अवधकार वनधायररत वकए हैं। इन अवधकारों की रयायालय
में माांग की जा सकती है। सरकार के विवर्रन अांगों का ढाचां ा बनाने एिां उरहें उनके काययक्षेि में स्ितांि बनाते हुए, वफर
र्ी प्रत्येक अांग को अरय अांगों के वनयांिण में रखते हुए, सांविधान यह सवु नवश्चत करता है वक सरकार द्वारा प्रयोग की जा
रही शवक्तयाँ परू ी तरह सीमाओ ां में हैं।
(घ) असत्य
कारण : सांविधान सरकार की विवर्रन सांस्थाओ ां के गठन एिां कायों को वनधायररत करता है तावक इन सांस्थाओ ां को
चलाने के वलए ढाांचा एिां वनयम उपलब्ध हो सकें । यद्यवप ऐसे काननू एिां ढाांचे को उपलब्ध कराते समय लोकताांविक
वसद्धातां एिां मल्सू य इसका मागयदशयन करते हैं। इसवलए एक सवां िधान मल्सू यों के बारे में र्ी चचाय करता है क्योंवक यह
मल्सू यों पर आधाररत सांस्थाओ ां के बारे में हैं।
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा : नौिीं निषय : लोकतावरिक राजनीवत
पाठ – 4 िुनािी राजनीनर्
रिनात्र्क पाठ योजना
1लोकताांविक देश में चनु ाि 1 लोकतावरिक व्यिस्था में चुनाि क्यों आिश्यक हे , 1 छाि लोकतांि में चनु ािों के
क्यों आिश्यक हे | इसे इसके बारे में समझाना | महत्ि समझता हे |
समझने में सक्षम बनाना | 2 वनिायचन प्रवक्रया को समझाकर छािों में इसके 2 छाि वनिायचन प्रवक्रया के
2 र्ारतीय वनिायचन प्रवक्रया विवर्रन स्तरों के सांबध में चचाय करिाना | पांचायत, विवर्रन को चरणों को जानता हे
को समझने योग्य बनाना | विधान सर्ा या लोकसर्ा चनु ािों के दौरान |
3 चनु ाि आयोग के कायय विध्यावथययों के अनर्ु ि पर चचाय करिाना | 3 छाि को चनु ाि आयोग के
एिम र्वू मका को समझने में 3 छािों को चनु ाि आयोग की रचना ि कायों के बारे में कायय एिम उपयोवगता की समझ
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4 स्ितिां ि वनष्पक्ष चनु ाि के 4 चनु ाि आयोग में चनु ािों की स्ितिां एिम वनष्पक्ष 4 चनु ाि सधु ारों की
Vi
समक्ष कौन – कौन सी बनाने के वलए कौन – कौन से उपाय वकये हें ,छािों से आिश्यकता क्यों हे ? समझता
चनु ौवतयाां हैं , इसे समझने में उनकी सचू ी बनिाना | हे |
सक्षम बनाना | 5 छािों को स्ितांि और वनष्पक्ष चनु ाि करिाने के मागय 5 स्ितांि एिम वनष्पक्ष चनु ाि के
में आने िाली बाधाओ ां के बारे में विस्तृत रूप से बताना मागय में आने िाली बाधाओ ां
, इनको दरू करने के उपायों पर छािों की राय जानना | की समझ हे |
पाठ्यपस्ु तकीय प्रश्न
प्रश्न 1. चनु ाि क्यों होते हैं, इस बारे में इनमें से कौन-सा िाक्य ठीक नहीं है?
(क) चनु ाि लोगों को सरकार के कामकाज का फै सला करने का अिसर देते हैं।
(ख) लोग चनु ाि में अपनी पसांद के उम्मीदिार का चनु ाि करते हैं।
(ग) चनु ाि लोगों को रयायपावलका के कामकाज का मल्सू याांकन करने का अिसर देते हैं।
(घ) लोग चनु ाि से अपनी पसदां की नीवतयाँ बना सकते हैं।
उत्तरः (ग) गलत
प्रश्न 2. र्ारत के चनु ाि लोकताांविक हैं, यह बताने के वलए इनमें कौन-सा िाक्य सही कारण नहीं देता?
(क) र्ारत में दवु नया के सबसे ज़्यादा मतदाता हैं।
(ख) र्ारत में चनु ाि आयोग काफी शवक्तशाली है।
(ग) र्ारत में 18 िषय से अवधक उम्र का हर व्यवक्त मतदाता है।
(घ) र्ारत में चनु ाि हारने िाली पावटययाँ जनादेश स्िीकार कर लेती है।
उत्तरः (क) यह बताने का सही कारण नहीं है वक र्ारत के चनु ाि लोकताांविक हैं।
प्रश्न 3. वनम्नवलवखत में मेल हँद:ें
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उत्तरः
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प्रश्न 4. इस अध्याय में िवणयत चनु ाि सांबांधी सर्ी गवतविवधयों की सचू ी बनाएँ और इरहें चनु ाि में सबसे पहले वकए
जाने िाले काम से लेकर आवखर तक के क्रम में सजाएँ। चुनाि घोषणा पि जारी करना, िोटों की वगनती, मतदाता
सचू ी बनाना, चनु ाि अवर्यान, चनु ाि नतीजों की घोषणा, मतदान, पनु मयतदान के आदेश, चनु ाि प्रवक्रया की घोषणा,
नामाांकन दावखल करना।
उत्तरः चनु ाि सांबांधी वक्रयाकलापों की सचू ी चरणबद्ध तरीके से नीचे दी गई है।
1. मतदाता सचू ी बनाना
2. चनु ाि प्रवक्रया की घोषणा
3. नामाांकन दावखल करना
4. चनु ाि घोषणा पि जारी करना
5. चनु ाि अवर्यान
6. मतदान
7. पनु मयतदान के आदेश
8. िोटों की वगनती
9. चनु ािी नतीजों की घोषणा
प्रश्न 5. सरु े खा एक राज्य विधानसर्ा क्षेि में स्ितिां और वनष्पक्ष चनु ाि कराने िाली अवधकारी है। चनु ाि के इन चरणों
में उसे वकन-वकन बातों पर ध्यान देना चावहए।
(क) चनु ाि प्रचार
(ख) मतदान के वदन
(ग) मतगणना के वदन
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उत्तरः
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(क) चनु ाि प्रचार : इसके वलए सरु े खा को यह सवु नवश्चत करना होगा वक उम्मीदिार वनम्नवलवखत न करें :
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उत्तरः उपरोक्त तावलका के आधार पर वहस्पैवनक समदु ाय के वलए आरक्षण एक अच्छा विचार है। उनकी
जनसांख्या के अनपु ात में प्रवतवनवधत्ि प्रदान करने के वलए ऐसा करना आिश्यक है।
प्रश्न 7. क्या हम इस अध्याय में दी गई सचू नाओ ां के आधार पर वनम्नवलवखत वनष्कषय वनकाल सकते | हैं? इनमें सर्ी पर
अपनी राय के पक्ष में दो तथ्य प्रस्ततु कीवजए।
(क) र्ारत के चनु ाि आयोग को देश में स्ितांि और वनष्पक्ष चनु ाि करा सकने लायक पयायप्त अवधकार नहीं हैं।
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(ख) हमारे देश के चनु ाि में लोगों की जबदयस्त र्ागीदारी होती है।
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(ग) सत्ताधारी पाटी के वलए चनु ाि जीतना बहुत आसान होता है।
(घ) अपने चनु ािों को परू ी तरह से वनष्पक्ष और स्ितांि बनाने के वलए कई कदम उठाने ज़रूरी हैं।
उत्तरः
(क) नहीं। यह सच नहीं है। िास्ति में चनु ाि आयोग र्ारत में स्ितांि एिां वनष्पक्ष चनु ाि कराने में पयायप्त रूप से
शवक्तशाली है। यह चनु ाि आचार सांवहता लागू करता है तथा इसका उल्सलांघन करने िाले उम्मीदिारों या दलों को सजा
देता है। चनु ािी ड्यटू ी के दौरान कमयचारी चनु ाि आयोग के अधीन कायय करता है न वक सरकार के ।
(ख) हाँ, यह सच है। चनु ािों में लोगों की र्ागीदारी प्रायः मतदान करने िाले लोगों के आँकड़ों से मापी जाती है।
मतदान प्रवतशत योग्य मतदाताओ ां में से िास्ति में मतदान करने िाले लोगों के प्रवतशत को दशायता है। वपछले 50 िषों
के दौरान र्ारत में मतदान प्रवतशत या तो वस्थर रहा है या िास्ति में बढा है। र्ारत में आम लोग चनु ािों को अत्यवधक
महत्त्ि प्रदान करते हैं। उनका मानना है वक चनु ािों द्वारा िे राजनैवतक दलों पर अपने अनुकूल नीवत और काययक्रमों के
वलए दबाि डाल सकते हैं। उरहें लगता है वक देश के शासन-सच ां ालन के तरीके में उनके िोट का महत्त्ि है।
(ग) नहीं, यह सच नहीं है। सत्ताधारी दल र्ी वनरांतर चनु ाि हारते आए हैं। ऐसे उम्मीदिार जो अवधक पैसा खचय करने
के वलए जाने जाते हैं, िे प्रायः चनु ाि हार जाते हैं।
(घ) हाँ, यह सच है। सधु ार वकया जाना आिश्यक है क्योंवक कुछ दल एिां उम्मीदिार वजनके पास अवधक पैसा है उरहें
चनु ाि में अनवु चत लार् वमलता है। देश के कुछ र्ागों में आपरावधक छवि िाले लोग अरय लोगों को चनु ािी दौड़ में
पछाड़ कर मख्ु य दलों से चनु ाि का वटकट पाने में सफल हो जाते हैं।
प्रश्न 8. वचनप्पा को दहेज के वलए अपनी पत्नी को परे शान करने के जमु य में सजा वमली थी। सतबीर को छुआछूत मानने
का दोषी माना गया था। दोनों को अदालत ने चनु ाि लड़ने की इजाजत नहीं दी। क्या यही फै सला लोकतावां िक चनु ािों
के बवु नयादी वसद्धातों के वखलाफ़ जाता है? अपने उत्तर के पक्ष में तकय दीवजए।
उत्तरः यह वनणयय लोकतावां िक चनु ािों के बवु नयादी वसद्धाांतों के विरूद्ध नहीं है क्योंवक वचरनपा ि सतबीर दोनों ही
अपराधी हैं तथा देश के वलए अच्छे तथा आदशय नागररक वसद्ध नहीं हुए। इसवलए, उरहें के रर अथिा राज्य सरकार में
कोई पद धारण नहीं करने देना चावहए क्योंवक उनमें पररिार तथा समाज के प्रवत कोई सम्मान नहीं है और िे देश के
प्रवत र्ी सम्मान नहीं वदखाएगां े।
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प्रश्न 9. यहाँ दवु नया के अलग-अलग वहस्सों में चनु ािी गड़बवड़यों की कुछ ररपोटय दी गई हैं। क्या ये देश अपने यहाँ के
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चनु ािों के सधु ार के वलए र्ारत से कुछ बातें सीख सकते हैं? प्रत्येक मामले में आप क्या सझु ाि देंगे?
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(क) नाइजीररया के एक चनु ाि में मतगणना अवधकारी ने जान-बझू कर एक उम्मीदिार को वमले िोटों की सांख्या बढा
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दी और उसे विजयी घोवषत कर वदया। बाद में अदालत ने पाया वक दसू रे उम्मीदिार को वमले पाँच लाख िोटों को उस
उम्मीदिार के पक्ष में दजय कर वलया गया था।
(ख) वफजी में चनु ाि से ठीक पहले एक परचा बाँटा गया वजसमें धमकी दी गई थी वक अगर पिू य प्रधानमांिी महेंर
चौधरी के पक्ष में िोट वदया गया तो खनू -खराबा हो जाएगा। यह धमकी र्ारतीय | मल
ू के मतदाताओ ां को दी गई थी।
(ग) अमेररका के हर प्राांत में मतदान, मतगणना और चनु ाि सांचालन की अपनी-अपनी प्रणावलयाँ हैं। सन् 2000 के
चनु ाि में फ्लोररडा प्राांत के अवधकाररयों ने जॉजय बश
ु के पक्ष में अनेक वििादास्पद फै सले वलए पर उनके फै सले को
कोई र्ी नहीं बदल सका।
उत्तरः
(क) इस मामले में प्रत्येक उम्मीदिार का प्रवतवनवध िहाँ उपवस्थत होना चावहए जो ये सवु नवश्चत करें गे वक िोटों की
वगनती वनष्पक्ष तरीके से हो रही है।
(ख) चनु ाि आयोग को इस मामले में जाँच करनी चावहए तथा ऐसे पचे बाटां ने िाले दल या उम्मीदिार को बखायस्त कर
देना चावहए।
(ग) िहाँ के िल एक ही चनु ाि आयोग होना चावहए वजसे राजनैवतक प्रर्ाि से मक्त
ु होना चावहए और परू े देश में चनु ाि
आयोवजत कराने के वलए वजम्मदार होना चावहए।
प्रश्न 10. र्ारत में चनु ािी गड़बवड़यों से सांबांवधत कुछ ररपोदै यहाँ दी गई हैं। प्रत्येक मामले में समस्या की पहचान
कीवजए। इरहें दरू करने के वलए क्या वकया जा सकता है?
(क) चनु ाि की घोषणा होते ही मांिी महोदय ने बांद पड़ी चीनी वमल को दोबारा खोलने के वलए वित्तीय सहायता देने
की घोषणा की।
(ख) विपक्षी दलों का आरोप था वक दरू दशयन और आकाशिाणी पर उनके बयानों और चनु ाि अवर्यान को उवचत
जगह नहीं वमली।
(ग) चनु ाि आयोग की जाँच से एक राज्य की मतदाता सचू ी में 2 लाख फजी मतदाताओ ां के नाम वमले।
(घ) एक राजनैवतक दल के गांडु े बांदक
ू ों के साथ घमू रहे थे, दसू री पावटययों के लोगों को मतदान में र्ाग लेने से रोक रहे
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उत्तरः
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(क) चीनी वमल को आवथयक सहायता देने का िादा करके मांिी महोदय ने एक नीवतगत फै सले की घोषणा की है। यह
सही नहीं है क्योंवक चनु ािों की घोषणा होने के बाद नीवतगत फै सले की घोषणा नहीं की जा सकती। मांिी को चनु ाि
लड़ने की अनमु वत नहीं दी जानी चावहए।
(ख) विपक्षी दल के बयानों एिां चनु ाि अवर्यान को दरू दशयन तथा आकाशिाणी पर उवचत स्थान न | देकर सरकार ने
अपनी वस्थवत का दरू
ु पयोग वकया है। इसके प्रत्यत्तु र में विपक्ष को राष्रीय मीवडया में पयायप्त समय वमलना चावहए।
(ग) फजी मतदाताओ ां की मौजूदगी का अथय है वक मतदाता सचू ी तैयार करने िाले अवधकाररयों ने चनु ािी गड़बड़ी की
तैयारी की थी। चनु ाि आयोग को मतदाता सचू ी की तैयारी की देखर्ाल करनी चावहए।
(घ) गांडु ों का प्रयोग करके राजनैवतक दलों ने अपने प्रवतद्ववां द्वयों को धमकाया है। चनु ाि आयोग को बदां क
ू धाररयों की
वगरफ्तारी का आदेश देना चावहए तथा उस दल को चनु ािों से बखायस्त कर देना चावहए।
प्रश्न 11. जब यह अध्याय पढाया जा रहा था तो रमेश कक्षा में नहीं आ पाया था। अगले वदन कक्षा में आने के बाद
उसने अपने वपताजी से सनु ी बातों को दोहराया। क्या आप रमेश को बता सकते हैं वक उसके इन बयानों में क्या गड़बड़ी
है?
(क) औरतें उसी तरह िोट देती हैं जैसा परुु ष उनसे कहते हैं इसवलए उनको मतावधकार देने का कोई मतलब नहीं है।
(ख) पाटी-पॉवलवटक्स से समाज में तनाि पैदा होता है। चनु ाि में सबकी सहमवत िाला फै सला होना चावहए,
प्रवतद्वांवद्वता नहीं होनी चावहए।
(ग) वसफय स्नातकों को ही चनु ाि लड़ने की इजाजत होनी चावहए।
उत्तरः
(क) यह कथन गलत है क्योंवक गप्तु मतदान की नीवत यह सवु नवश्चत करती है वक प्रत्येक मतदाता वजसे चाहे उसे अपना
िोट दे सकता/सकती है। मवहलाएँ अपना वनणयय स्ियां लेने तथा अपनी पसांद के उम्मीदिार का चयन करने में पणू यतः
सक्षम हैं।
(ख) यह सच है वक दलगत राजनीवत समाज में तनाि का कारण बनती है, वकरतु यह कहना गलत है वक चनु ाि में
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सबकी सहमवत िाले वनणयय होने चावहए। राजनीवत में प्रवतद्वांवद्वता लोगों के वलए अच्छी वसद्ध होती है क्योंवक राजनेता
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अपने-अपने िादे वनर्ाने में एक दसू रे से मकु ाबला करते हैं। हो सकता है वक िे ईमानदार न हों, वकरतु उरहें यह पता
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1 आधवु नक सरकारों में सांस्थाएां कै से 1 आधवु नक समय में सरकार की कौन-कौन 1 सरकार की विवर्रन सांस्थाओ ां के
कायय करती है | सी सांस्थाांए होती हैं , और िह वकस प्रकार कायय क्या है? विद्याथी जानता है |
वकस प्रकार फै सले वलए जाते हैं , कायय करती है | सरकार क्या है ? इस पर चचाय 2 राजनीवतक और स्थायी
नीवतयाँ बनायीं जाती हें और लागू करिाना | काययपावलका में क्या अांतर है, यह
वकये जाते हैं |, इस विषय को समझने 2 वनणयय वनमायण एिम नीवत वनमायण में समझता है |
में सक्षम बनाना | राजनीतक ि स्थायी काययपावलका की 3 सांसद की रचना और शवक्तयों को
2 वनणयय वनमायण और नीवत वनधायरण काययप्रणाली समझना | समझता है |
में राजनीवतक ि स्थायी काययपावलका 3 कक्षा को दो समहू ों में बाँट कर ससां द की 4 प्रधानमिां ी के कायय के बारे में
की र्वू मका को समझने के योग्य काययप्रणाली कै से चलती है , इस विषय पर समझता है |
बनाना| काययिाही करना | 5 राष्रपवत का चनु ाि और उसकी
3 ससां द की आिशयकता क्यों है ? 4 प्रधानमिां ी एिम मांविमांडल के कायय बताना र्वू मका को समझता है |
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समझने में सक्षम होना | 5 राष्रपवत के चनु ाि, कायय एिम शवक्तयों के क्यों आिश्यक है , इस बात को
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पाठ्यपस्ु तक से
प्रश्न 1. अगर आपको र्ारत का राष्रपवत चनु ा जाए तो आप वनम्नवलवखत में से कौन-सा फै सला खदु कर सकते हैं?
(क) अपनी पसांद के व्यवक्त को प्रधानमांिी चनु सकते हैं।
(ख) लोकसर्ा में बहुमत िाले प्रधानमिां ी को उसके पद से हटा सकते हैं।
(ग) दोनों सदनों द्वारा पाररत विधेयक पर पनु वियचार के वलए कह सकते हैं।
(घ) मांिीपररषद् में अपनी पसांद के नेताओ ां का चयन कर सकते हैं।
उत्तरः (ग) दोनों सदनों द्वारा पाररत विधेयक पर पनु वियचार के वलए कह सकते हैं।
प्रश्न 2. वनम्नवलवखत में से कौन राजनैवतक काययपावलका का वहस्सा होता है?
(क) वजलाधीश
(ख) गृह मिां ालय का सवचि
(ग) गृह मांिी
(घ) पवु लस महावनदेशक
उत्तरः (ग) गृह मांिी
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प्रश्न 3. रयायपावलका के बारे में वनम्नवलवखत में से कौन सा बयान गलत है?
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(क) ससां द द्वारा पाररत प्रत्येक काननू को सिोच्च रयायालय की मजां रू ी की जरुरत होती है।
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(ख) अगर कोई काननू सांविधान की र्ािना के वखलाफ है तो रयायपावलका उसे अमारय घोवषत कर सकती है।
(ग) रयायपावलका काययपावलका से स्ितांि होती है।
(घ) अगर वकसी नागररक के अवधकारों का हनन होता है तो िह अदालत में जा सकता है।
उत्तरः (क) सांसद द्वारा पाररत प्रत्येक काननू को सिोच्च रयायालय की मांजरू ी की जरुरत होती है।
प्रश्न 4. वनम्नवलवखत राजनैवतक सस्ां थाओ ां में से कौन-सी सस्ां था देश के मौजदू ा काननू में सश
ां ोधन कर सकती है?
(क) सिोच्च रयायालय
(ख) राष्रपवत
(ग) प्रधानमांिी
(घ) सांसद उत्तर
उत्तरः
(घ) ससां द प्रश्न
5. उस मांिालय की पहचान करें वजसने वनम्नवलवखत समाचार जारी वकया होगाः
उत्तरः
प्रश्न 6. देश की विधावयका, काययपावलका और रयायपावलका में से उस राजनैवतक सस्ां था का नाम बताइए जो
वनम्नवलवखत मामलों में अवधकारों का इस्तेमाल करती हैं:
(क) सड़क, वसचां ाई, जैसे बवु नयादी ढाँचों के विकास और नागररकों की विवर्रन कल्सयाणकारी गवतविवधयों पर वकतना
पैसा खचय वकया जाएगा।
(ख) स्टॉक एक्सचेंज को वनयवमत करने सबां धां ी काननू बनाने की कमेटी के सझु ाि पर विचार विमशय करती है।
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(घ) र्क
ू ां प पीवड़तों की राहत के प्रयासों के बारे में सचू ना माँगती है।
उत्तरः
(क) लोकसर्ा (वित्त मांिालय)
(ख) सांसद
(ग) सिोच्च रयायालय
(घ) काययपावलका
प्रश्न 7. र्ारत का प्रधानमांिी सीधे जनता द्वारा क्यों नहीं चनु ा जाता? वनम्नवलवखत चार जिाबों में सबसे सही को
चनु कर अपनी पसांद के पक्ष में कारण दीवजए।
(क) सांसदीय लोकतांि में लोकसर्ा में बहुमत िाली पाटी का नेता ही प्रधानमांिी बन सकता है।
(ख) लोकसर्ा, प्रधानमांिी और मांिीपररषद का काययकाल परू ा होने से पहले ही उरहें हटा सकती है।
(ग) चँवू क प्रधानमिां ी को राष्रपवत वनयक्त
ु करता है वलहाजा उसे जनता द्वारा चनु े जाने की जरूरत नहीं है।
(घ) प्रधानमिां ी के सीधे चनु ाि में बहुत ज्यादा खचय आएगा। सियथा उपयक्त
ु
उत्तर: (क) है। ऐसा यह सवु नवश्चत करने के वलए वकया जाता है वक प्रधानमांिी को बहुमत प्राप्त हो। यह उसे कठपतु ली या
तानाशाह बनने से रोकता है क्योंवक उसे मिां ीपररषद के साथ काम करना पड़ता है।
प्रश्न 8. तीन दोस्त एक ऐसी वफल्सम देखने गए वजसमें हीरो एक वदन के वलए मुख्यमांिी बनता है। और राज्य में बहुत से
बदलाि लाता है। इमरान ने कहा वक देश को इसी चीज की जरूरत है। ररजिान ने कहा वक इस तरह का, वबना
सांस्थाओ ां िाला व्यवक्त का राज खतरनाक है। | शांकर ने कहा वक यह तो एक कल्सपना है। कोई र्ी मुख्यमांिी एक वदन में
कुछ र्ी नहींकर सकता। ऐसी वफल्समों के बारे में आपकी क्या राय है?
उत्तरः ऐसी वफल्सम अव्यिहायय तथा अलोकताांविक है। वकसी योजना को कायायवरित करने के वलए सत्ताधारी लोगों का
अनमु ोदन आिश्यक होता है। मख्ु यमांिी की वनयवु क्त वनष्पक्ष चनु ाि प्रवक्रया के उपराांत की जाती है। साथ ही सधु ारों के
वलए अत्यवधक योजना बनाने की जरूरत होती है। मैं र्ी शक ां र से सहमत ह।ँ राज्य में बदलाि लाने के वलए के िल एक
वदन काफी नहीं होता।
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प्रश्न 9. एक वशवक्षका छािों की सांसद के आयोजन की तैयारी कर रही थी। उसने दो छािाओ ां को अलग-अलग पावटययों
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के नेताओ ां की र्वू मका करने को कहा। उसने उरहें विकल्सप र्ी वदया। यवद िे चाहें तो राज्यसर्ा में बहुमत प्राप्त दल की
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नेता हो सकतीं थी और अगर चाहें तो लोकसर्ा के बहुमत प्राप्त दल की। अगर आपको यह विकल्सप वदया जाए तो
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• कोई र्ी सामारय वबल दोनों सदनों द्वारा पास वकया जाना आिश्यक है। वकरतु लोकसर्ा के सदस्यों की सांख्या
अवधक होने के कारण बहुमत का वनणयय मारय होता है।
• वित्तीय मामलों में लोकसर्ा की शवक्तयाँ अवधक होती हैं। वित्तीय वबल के िल लोकसर्ा में पेश वकए जा सकते हैं।
देश के प्रशासन को चलाने के वलए सारा धन लोकसर्ा द्वारा ही प्रदान वकया जाता है। लोकसर्ा मवां िमांडल को
वनयांवित करती है।
• लोकसर्ा के सदस्य योग्य मतदाताओ ां द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चनु े जाते हैं।
प्रश्न 10. आरक्षण पर आदेश का उदाहरण पढकर तीन विद्यावथययों की रयायपावलका पर अलग-अलग प्रवतवक्रया थी।
इसमें से कौन-सी प्रवतवक्रया, रयायपावलका की र्वू मका को सही तरह से समझती है?
(क) श्रीवनिास का तकय है वक चांवू क सिोच्च रयायालय सरकार के साथ सहमत हो गई है वलहाजा िह स्ितांि नहीं है।
(ख) अांजैया का कहना है वक रयायपावलका स्ितिां है क्योंवक िह सरकार के आदेश के वखलाफ फै सला सनु ा सकती
थी। सिोच्च रयायालय ने सरकार को उसमें सांशोधन का वनदेश वदया।
(ग) विजया का मानना है वक रयायपावलका न तो स्ितिां है न ही वकसी के अनसु ार चलने िाली है। बवल्सक िह विरोधी
समहू ों के बीच मध्यस्थ की र्वू मका वनर्ाती है। रयायालय ने इस आदेश के समथयकों और विरोवधयों के बीच बवढया
सांतल
ु न बनाया। आपकी राय में कौन-सा विचार सही है?
उत्तरः रयायपावलका की र्वू मका के बारे में अांजैया का विचार सही है।
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पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा : नौिीं निषय : लोकतावरिक राजनीवत
पाठ – 6 िोकर्ांनत्रक अनधकार
रिनात्र्क योजना
पाठ्यियाा की अपेक्षाएं नशक्षण अनधगर् प्रनक्रया अनधगर् सूिक
1. लोगों के जीिन में 1. विद्यावथयों को लोगो के जीिन में अवधकारों के 1.विद्याथी यह समझता है वक
अवधकारों का क्या महत्ि महत्ि को बताना मख्ु य रूप से गिु ाांतानामों बे, जीिन में अवधकारों का क्या
है इससे समझने में सक्षम जेल, सऊदी अरब में नागररक अवधकारों के महत्ि है ।
बनाना । शोषण ि कोसोिो में जातीय नरसहाांर पर विस्तृत
चचाय करें गे ।
2. अवधकार का क्या अथय है? 2. विद्यावथययों को मौवलक
2. विद्यावथययों को अवधकारों का अथय बताने के
लोकतांि में इसकी अवधकारों का पणू य ज्ञान प्राप्त
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ने उसका आिेदन लेने से मना कर वदया और कहा, ‘झाडू लगाने िाले का बेटा होकर तमु मैनेजर बनना चाहते हो।
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तम्ु हारी जावत का कोई कर्ी इस पद पर आया है? नगरपावलका के दफ्तर जाओ और सफाई कमयचारी के वलए अजी
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दो। इस मामले में मनोज के वकस मौवलक अवधकार का उल्सलांघन हो रहा है? मनोज की तरफ से वजला अवधकारी के
नाम
वलखे एक पि में इसका उल्सलेख करो।
उत्तरः मनोज के मामले में समानता के अवधकार’ तथा ‘स्ितांिता के अवधकार का उल्सलांघन हुआ है।
प्रश्न 8. जब मधरु रमा सांपवत्त के पांजीकरण िाले दफ्तर में गई तो रवजस्रार ने कहा, “आप अपना
नाम मधरु रमा बनजी, बेटी ए.के . बनजी नहीं वलख सकतीं। आप शादीशदु ा हैं आपको अपने पवत का ही नाम देना
होगा। वफर आपके पवत का उपनाम तो राि है। इसवलए आपका नाम र्ी बदलकर मधरु रमा राि हो जाना चावहए।”
मधरु रमा इस बात से सहमत नहीं हुई। उसने कहा, “अगर शादी के बाद मेरे पवत का नाम नहीं बदला तो मेरा नाम क्यों
बदलना चावहए? अगर िह अपने नाम के साथ वपता का नाम वलखते रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं वलख सकती?”
आपकी राय में इस वििाद में वकसका पक्ष सही है? और क्यों?
उत्तरः मधरु रमा सही है। उसके व्यवक्तगत मामलों पर प्रश्न करके तथा उनमें दखल करके रवजस्रार उसके स्ितिां ता के
अवधकार का उल्सलांघन कर रहा है। साथ ही, अपने पवत का नाम अपनाने का प्रश्न सामावजक मारयताओ ां पर आधाररत
है जो मवहलाओ ां को कमतर तथा कमजोर मानता है। मधरु रमा को अपना नाम बदलने के वलए बाध्य करना समानता के
अवधकार तथा धावमयक स्ितिां ता के अवधकार का उल्सलांघन है।
प्रश्न 10. इस अध्याय में पढे विवर्रन अवधकारों को आपस में जोड़ने िाला एक मकड़जाल बनाएँ।
जैसे आने-जाने की स्ितांिता का अवधकार तथा पेशा चनु ने की स्ितांिता का अवधकार आपस में एक-दसू रे से जड़ु े हैं।
इसका एक कारण है वक आने-जाने की स्ितिां ता के चलते व्यवक्त अपने गाँि या शहर के अदां र ही नहीं, दसू रे गाँि,
दसू रे शहर और दसू रे राज्य तक जाकर काम कर सकता है। इसी प्रकार इस अवधकार को तीथायटन से जोड़ा जा सकता
है जो वकसी व्यवक्त द्वारा अपने धमय का अनसु रण करने की आजादी से जड़ु ा है।
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